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मूल प्रवत्तृ ि (Instincts)

वुडवर्थ के अनुसार- मूल प्रवत्तृ ि कार्य के बिना सीखा हुआ स्वरूप है ।

रॉस के अनुसार -मूल प्रवत्तृ ि चरित्र ननमायण के ललए कच्चा माल है लिक्षक को अपने सि कार्ों
में उनके प्रनि ध्र्ान दे ना आवश्र्क है ।

मूल प्रवत्तृ ि का लसद्ाांि के प्रनिपादक – त्तवललर्म मैकडूगल

पस्
ु तक- ‘An Introduction to social psychology’ के लेखक--- त्तवललयम मैकडूगल

पररभाषा:-

मैक्डूगल के अनस
ु ार-संवेग उत्पन्न होने पर जो क्रिया होती है उसे मल
ू प्रवत्तृ ि कहलाती है
प्रत्येक मूल प्रवत्तृ ि के सार् एक संवेग जुडा रहता है।

मूल प्रवत्तृ ि संवेग मुलप्रवतृ त संवेग


1-पलायन भय 8-दीनता आत्महीनता
2-युयुत्सा िोध 9-आत्मगौरव आत्मालभमान
3-तनवत्तृ ि घण
ृ ा 10-सामूहहकता अकेलापन
4-स्नेह वात्सल्य 11-भोजनान्वेषण भूख
5-शरणागत करुणा 12-संग्रह अधधकार
6-काम प्रवत्तृ ि कामुकता 13-रचना कृतत
7-जजज्ञासा आश्चयथ 14-हास्य मनोत्तवनोद
➢ लसगमंड फ्रायड ने व्यजक्तत्व की 2 ही मूल प्रवत्तृ ियााँ बताई है। 1 जीवन मूल प्रवत्तृ ि ---इरोस 2-
मत्ृ यु मूल प्रवत्तृ ि------र्ेनाटॉस
➢ प्रेम,स्नेह व काम प्रवत्तृ ि को ललत्तवडो कहते है ंं।
➢ लडको मे ऑडडपस ग्रजन्र् पाई जाती ह
➢ लडक्रकयो मे इलेक्रा ग्रजन्र् पाई जाती है।
➢ लसगमंड फ्रायड ऐसे एक मात्र मनोवैज्ञातनक है जजन्होंने जजन्होंने मूल प्रवत्तृ ि को मानव
व्यवहार का तनधाथरक तत्व माना ।

मूल प्रवत्तृ ि के लसदधांत


1-सुख-दख
ु का लसदधांत वैलेंटाइन के अनुसाि -हमे सुखद को जारी और दुःु खद कायों से बचने की प्रवत्तृ ि
होती है ।
2-मागाथजन्तकरण का लसदधांत एत्तवल के अनुसाि-बालक की सहायता करने की सबसे सन्तोषजनक
त्तवधध उसकी मल
ू प्रवत्तृ ियों को मागाथजन्तकरण दवारा प्रोत्साहहत करना है ।
3-दमन का लसदधांत िे क्स औि नाइट के अनुसार -दमन के संबंध में वास्तत्तवक तथ्य यह है क्रक हम मूल
प्रवत्तृ ि का अनुभव तो करते है लेक्रकन प्रकट नही होने दे ते ह
4-तनषेध या तनरोध का लसदधांत गेट्स औि अन्र् के अनस
ु ाि-ननिो् में प्रवत्तृ ि का सचेि रूप से
अनुभव ककर्ा जािा है औि कार्य रूप में न होने दे ने के ललए सचेि रूप से िोका जािा है ।
5-प्रयोग न करने का लसदधांत -इस लसदधांत के अनुसार प्रयोग न की जाने बाली मूल प्रवत्तृ ि नष्ट
हो जाती है ।
6 -त्तवरोध का लसदधांत -इस लसदधांत का अलभप्राय है क्रक क्रकसी मूलप्रवत्तृ ि के जाग्रत होने पर उसके
त्तवरोध में दस
ू री मल
ू प्रवत्तृ ि जागत
ृ कर दे ना चाहहए ।
7-स्वतन्त्रता का लसदधांत
मूलप्रवत्तृ ि का लशक्षा में महत्त्व-
1-प्रेरणा दे ने में सहायक एत्तवल के अनुसार-मुलप्रवत्तृ ियााँ स्वयं प्रकृतत की प्रेरणा दे ने की मौललक त्तवधध है ।
2-ज्ञान प्राजतत में सहायता
3-रुधच और रुझान जानने में सहायक
4-रचनात्मक कायों में सहायता
5-व्यबहार पररवतथन में सहायता
6 चररत्र तनमाथण में सहायता
7 अनुशासन में सहायता
8-पाठ्यिम तनमाथण में सहायता

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