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ल ग

िं (gender)

"संज्ञा के जिस रूप से व्यजति या वस्िु की नर या मादा िाति का


बोध हो, उसे व्याकरण में 'ल गं ' कहिे है ।

दस
ू रे शब्दों में-संज्ञा शब्दों के जिस रूप से उसके परु
ु ष या स्री िाति
होने का पिा च िा है , उसे ल ग ं कहिे है ।

सर शब्दों में- शब्द की िाति को 'ल ग


ं ' कहिे है ।
ल ग ं संस्कृि भाषा का शब्द है |
जिसका अर्थ होिा है चचन्ह या तनशान अर्ाथि जिस रूप से यह
ज्ञाि हो की वह परुु ष िाति का है या स्री िाति का , उसे ल ग

कहिे हैं |

हहंदी में ल ग
ं दो प्रकार के होिे हैं |

(1) पलु ग
िं (Masculine Gender)

(2) स्त्रील ग
िं ( Feminine Gender)
fcltf

(1) पलु ग िं :- जिन संज्ञा शब्दों से परू


ु ष िाति का बोध होिा
है , उसे पलु गं कहिे है ।

जैसे-
सजीव- कुत्ता, बा क, खटम , पपिा, रािा, घोडा, बन्दर, हं स,
बकरा, डका इत्याहद।

निजीव पदार्थ- मकान, फू , नाटक, ोहा, चश्मा इत्याहद।

भाव- दुःु ख, गाव, इत्याहद।


(2) स्त्रील ग
िं :- जिस संज्ञा शब्द से स्री िाति का बोध
होिा है , उसे स्रील ग
ं कहिे है ।

जैसे-
सजीव- मािा, रानी, घोडी, कुतिया, बंदररया, हं लसनी, डकी,
बकरी,िूँ ।ू

निजीव पदार्थ- सई
ू , कुसी, गदथ न इत्याहद।

भाव- ज्िा, बनावट इत्याहद।


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3IR
पलु ् िंग की पहचाि
I

(1) कुछ सिंज्ञाएँ हमेशा पलु ् िंग रहती है -


खटम , भेडया, खरगोश, चीिा, मच्छर, पक्षी, आहद।

(2)समह
ू वाचक सिंज्ञा- मण्ड , समाि, द , समह
ू , वगथ आहद।

(3) भारी और बेडौ वस्त्तओ


ु -िं िि
ू ा, रस्सा, ोटा ,पहाड आहद।

(4) ददिों के िाम- सोमवार, मंग वार, बुधवार, वीरवार,


शक्र
ु वार, शतनवार, रपववार आहद।
(4) ददिों के िाम- सोमवार, मंग वार, बुधवार, वीरवार,
शक्र
ु वार, शतनवार, रपववार आहद।

(5) महीिो के िाम- फरवरी, माचथ, चैि, वैशाख आहद।


(अपवाद- िनवरी, मई, िु ाई-स्रील गं )

(6) पवथतों के िाम- हहमा य, पवन््याच , सिपडु ा, आल्प्स,


यरू ा , कंचनिंगा, एवरे स्ट, फूिीयामा आहद।

(7) दे शों के िाम- भारि, चीन, इरान, अमेररका आहद।


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(8) िक्षरों, व ग्रहों के िाम- सय


ू ,थ चन्र, राहू, शतन, आकाश,
बहृ स्पति, बुध आहद।
(अपवाद- पथ् ृ वी-स्रील गं )

(9) धातओ
ु -िं सोना, िांबा, पीि , ोहा, आहद।

(10) वक्ष
ृ ों, फ ो के िाम- अमरुद, के ा, शीशम, पीप ,
दे वदार, चचनार, बरगद, अशोक, प ाश, आम आहद।

(11) अिाजों के िाम- गेहूूँ, बािरा, चना, िौ आहद।


(अपवाद- मतकी, ज्वार, अरहर, मूँग ू -स्रील ग
ं )
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(12) रत्िों के िाम- नी म, पख


ु राि, मूँग
ू ा, माणणतय,
पन्ना, मोिी, हीरा आहद।

(13) फू ों के िाम- गें दा, मोतिया, कम , गु ाब आहद।

(14) दे शों और िगरों के िाम- हदल्प ी, न्दन, चीन, रूस,


भारि आहद।

(15) द्रव पदार्ो के िाम- शरबि, दही, दध


ू , पानी, िे ,
कोय ा, पेट्रो , घी आहद।
(अपवाद- चाय, कॉफी, स्सी, चटनी- स्रील ग ं )
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(16) समय- घंटा, प , क्षण, लमनट, सेकेंड आहद।

(17) द्वीप- अंडमान-तनकोबार, िावा, तयूबा, न्यू फाउं ड ड


ैं
आहद।

(18) सागर- हहंद महासागर, प्रशांि महासागर, अरब सागर


आहद।

(19) वर्थमा ा के अक्षर- क् , ख ्, ग ्, घ ्, ि ्, र् ्, अ, आ,


उ, ऊ आहद। (अपवाद- इ, ई, ऋ- स्रील ग ं )
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(20) शरीर के अिंग- हार्, पैर, ग ा, अूँगठ


ू ा, कान, लसर,
मस्िक, मूँह
ु , घट
ु ना, ह्रदय, दाूँि आहद।
(अपवाद- िीभ, आूँख, नाक, उूँ गल याूँ-स्रील गं )

(21) आकारान्त सिंज्ञायें- गस्


ु सा, चश्मा, पैसा, छािा आहद।

(22) 'दान, खाना, वा ा' आहद से अंि होने वा े


अचधकिर शब्द पुजल्प ग
ं होिे हैं; िैसे- खानदान, पीकदान,
दवाखाना, िे खाना, दधू वा ा आहद।
(23) मच्छर, गैंडा, कौआ, भा ,ू िोिा, गीदड,
जिराफ, खरगोश, िेबरा आहद सदै व पुजल्प ंग होिे हैं।

(24) कुछ प्राणणवाचक शब्द, िो सदै व पुरुष िाति


का बोध करािे हैं; िैसे- बा क, गीदड, कौआ, कपव,
साधु आहद।
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(25) अ, आ, आव, पा, पन, क, त्व, आवा िर्ा औडा


से अंि होने वा ी संज्ञाएूँ पजु ल्प ंग होिी हैं :
अ- खे , रे , बाग, हार, यंर आहद।
आ- ोटा, मोटा, गोटा, घोडा, हीरा आहद।
आव- पु ाव, दरु ाव, बहाव, फै ाव, झक ु ाव आहद।
पा- बुढ़ापा, मोटापा, पुिापा आहद।
पि- डकपन, अपनापन, बचपन, सीधापन आहद।
क- ेखक, गायक, बा क, नायक आहद।
त्व- ममत्व, परु
ु षत्व, स्रीत्व, मनष्ु यत्व आहद।
आवा- भु ावा, छ ावा, हदखावा, चढ़ावा आहद।
औड़ा- पकौडा, हर्ौडा आहद।
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स्त्रील ग
िं की पहचाि
(1) स्रील ग
ं शब्दों के अंिगथि नक्षर, नदी, बो ी, भाषा, तिचर्,
भोिन आहद के नाम आिे हैं|

जैसे-
(i) कुछ सिंज्ञाएँ हमेशा स्त्रील ग
िं रहती है - मतखी ,कोय ,
मछ ी, तिि ी, मैना आहद।

(ii) समूहवाचक सिंज्ञायें- भीड, कमेटी, सेना, सभा, कक्षा आहद।

(iii) प्राणर्वाचक सिंज्ञा- धाय, सन्िान, सौिन आहद।


(iv) छोटी और सुन्दर वस्त्तुओिं के िाम- िि
ू ी, रस्सी, ुहटया,
पहाडी आहद।

(v) िक्षर- अजश्वनी, रे विी, मग


ृ लशरा, चचरा, भरणी, रोहहणी
आहद।

(vi) बो ी- मेवािी, ब्रि, खडी बो ी, बंद


ु े ी आहद।

(vii) िददयों के िाम- रावी, कावेरी, कृष्णा, यमन


ु ा, सि ि
ु ,
रावी, व्यास, गोदावरी, झे म, गंगा आहद।
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(viii) भाषाओिं व ल पपयों के िाम- दे वनागरी, अंग्रेिी, हहंदी,


फ्ांसीसी, अरबी, फारसी, िमथन, बंगा ी आहद।

(ix) पस्त्
ु तकों के िाम- कुरान, रामायण, गीिा आहद।

(x) नतथर्यों के िाम- पणू णथमा, अमावस्र्ा, एकादशी, चिर्


ु ी, प्रर्मा
आहद।

(xi) आहारों के िाम- सब्िी, दा , कचौरी, परू ी, रोटी आहद।


अपवाद- ह आ ु , अचार, रायिा आहद।

(xii) ईकारान्त वा े शब्द- नानी, बेटी, मामी, भाभी आहद।


3IR I

(2) आ, िा, आई, आवट, इया, आहट आहद प्रत्यय गाकर भी


स्रील ग
ं शब्द बनिे हैं|

जैसे-
आ- भाषा, कपविा, प्रिा, दया, पव्या आहद।
ता- गीिा, ममिा, िा, संगीिा, मािा, संद ु रिा, मधरु िा आहद।
आई- सगाई, लमठाई, धन ु ाई, पपटाई, धु ाई आहद।
आवट- सिावट, बनावट, ल खावट, र्कावट आहद।
इया- कुहटया, बहु ढ़या, चचड़डया, बबंहदया, ड़डबबया आहद।
आहट- चचल्प ाहट, घबराहट, चचकनाहट, कडवाहट आहद।
या- छाया, माया, काया आहद।
आस- खटास, लमठास, ्यास आहद
(3) शरीर के कुछ अिंगों के िाम भी स्त्रील ग
िं होते हैं|
3IR I

जैसे-
आूँख, नाक, िीभ, प कें, ठोडी आहद।

(4) कुछ आभूषर् और पररधाि भी स्त्रील ग िं होते है |


जैसे-
साडी, स वार, चुन्नी, धोिी, टोपी, पैंट, कमीि, पगडी, मा ा,
चडू ी, बबंदी, कंघी, नर्, अूँगठ
ू ी, हूँ सु ी आहद।

(5) कुछ मसा े आदद भी स्त्रील गिं के अिंतगथत आते हैं;


जैसे-
दा चीनी, ौंग, हल्पदी, लमचथ, धतनया, इ ायची, अिवायन, सौंफ,
चचरौंिी, चीनी, क ौंिी, चाय, कॉफी आहद।
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3IR I
पवशेष :
कुछ शब्द ऐसे हैं, िो स्रील ग
ं और पजु ल्प ंग दोनों रूपों में
प्रयोग ककए िािे है |

जैसे-
(1) राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंरी, मुख्यमंरी, चचरकार,
परकार, प्रबंधक, सभापति, वकी , डॉतटर, सेक्रेटरी, गवनथर,
ेतचर, प्रोफेसर आहद।

(2) बफथ, मेहमान, लशशु, दोस्ि, लमर आहद।


3IR I

(i) भारि की राष्ट्रपति श्रीमिी प्रतिभा दे वी लसंह पाहट हैं।

(ii) एम० एफ० हुसैन भारि के प्रलस्ध चचरकार हैं।

(iii) मेरी लमर कॉ ेि में ेतचरर है ।

(iv) हहमा य पर िमी बफथ पपघ रही हैं।

(v) दख
ु में सार् दे ने वा ा ही सच्चा दोस्ि कह ािा है ।

(vi) मेरे पपिािी राष्ट्रपति के सेक्रेटरी हैं।


सिंस्त्कृत पिंलु ग
िं शब्द
3IR I

पं० कामिाप्रसाद गरुु ने संस्कृि शब्दों को पहचानने के


तनम्नल णखि तनयम बिाये है -
(अ) लजि सिंज्ञाओिं के अन्त में 'र' होता है ।
जैसे-
चचर, क्षेर, पार, नेर, चररर, शस्र इत्याहद।

(आ) 'िान्त' सिंज्ञाएँ।


जैसे-
पा न, पोषण, दमन, वचन, नयन, गमन, हरण इत्याहद।
अपवाद- 'पवन' उभयल ग ं है ।
(इ) 'ज'-प्रत्ययान्त सिंज्ञाएँ।
जैसे-
ि ि,स्वेदि, पपण्डि, सरोि इत्याहद।

(ई) लजि भाववाचक सिंज्ञाओिं के अन्त में त्व, त्य, व, य होता है ।


जैसे-
सिीत्व, बहूत्व, नत्ृ य, कृत्य, ाघव, गौरव, माधयु थ इत्याहद।
(उ) लजि शब्दों के अन्त में 'आर', 'आय', 'वा', 'आस' हो।
3IR I

जैसे-
पवकार, पवस्िार, संसार, अध्याय, उपाय, समद ु ाय, उल्प ास,
पवकास, ह्रास इत्याहद।
अपवाद- सहाय (उभयल ग ं ), आय (स्रील ग
ं )।

(ऊ) 'अ'-प्रत्ययान्त सिंज्ञाएँ।

जैसे-
क्रोध, मोह, पाक, त्याग, दोष, स्पशथ इत्याहद।
अपवाद- िय (स्रील ग ं ), पवनय (उभयल ग ं ) आहद।
(ऋ) 'त'-प्रत्ययान्त सिंज्ञाएँ।
जैसे-
चररि, गणणि, फल ि, मि, गीि, स्वागि इत्याहद।

(ए) लजिके अन्त में 'ख' होता है ।


जैसे-
नख, मखु , सख
ु , दुःु ख, ेख, मख, शख इत्याहद।
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सिंस्त्कृत स्त्रील ग
िं शब्द
3IR I

पं० कामिाप्रसाद गरु


ु ने संस्कृि स्रील ग
ं शब्दों को पहचानने के
तनम्नल णखि तनयम बिाये है -

(अ) आकारान्त सिंज्ञाएँ।


जैसे-
दया, माया, कृपा, ज्िा, क्षमा, शोभा इत्याहद।

(आ) िाकारान्त सिंज्ञाएँ।


जैसे-
प्रार्थना, वेदना, प्रस्िावना, रचना, घटना इत्याहद।
(इ) उकारान्त सिंज्ञाएँ।
जैसे-
वाय,ु रे णु, रज्ि,ु िान,ु मत्ृ य,ु आय,ु वस्िु, धािु इत्याहद।
अपवाद- मधु, अश्रु, िा ,ु मेरु, हे ि,ु सेिु इत्याहद।

(ई) लजिके अन्त में 'नत' वा 'नि' हो।


जैसे-
गति, मति, रीति, हातन, ग् ातन, योतन, बु्चध, ऋ्चध, लस्चध
(लसध ् +ति=लस्चध) इत्याहद।
addasHi
(उ) 'ता'-प्रत्ययान्त भाववाचक सिंज्ञाएँ।
3IR I

जैसे-
न्रमिा, घुिा, सुन्दरिा, प्रभुिा, िडिा इत्याहद।

(ऊ) इकारान्त सिंज्ञाएँ।


जैसे-
तनचध, पवचध, पररचध, रालश, अजग्न, छपव, केल , रूचच इत्याहद।
अपवाद- वारर, ि चध, पाणण, चगरर, अहर, आहद, बल इत्याहद।

(ऋ) 'इमा'- प्रत्ययान्त शब्द।


जैसे-
महहमा, गररमा, काल मा, ाल मा इत्याहद।
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तत्सम पुिंल ग
िं शब्द
3IR I

चचर, पर, पार, लमर, गोर, दमन, गमन, गगन, श्रवण,


पोषण, शोषण, पा न, ा न, म यि, ि ि, उरोि,
सिीत्व, कृत्य, ाघव, वीयथ, माधुय,थ कायथ, कमथ, प्रकार, प्रहार,
पवहार, प्रचार, सार, पवस्िार, प्रसार, अध्याय, स्वाध्याय,
उपहार, ह्रास, मास, ोभ, क्रोध, बोध, मोद, ग्रन्र्, नख,
मखु , लशख, दुःु ख, सख ु , शंख, िषु ार, िहु हन, उत्तर, पश्र,
मस्िक, आश्र्चयथ, नत्ृ य, काष्ट, छर, मेघ, कष्ट, प्रहर,
सौभाग्य, अंकन, अंकुश, अंिन, अंच , अन्िधाथन, अन्िस्ि ,
अम्बिु , अंश, अका , अक्षर, कल्पयाण, कवच, कायाकल्पप |
क्षण, छन्द, अ ंकार, सरोवर, पररमाण, पररमािथन,
संस्करण, संशोधन, पररविथन, पररशोध, पररशी न,
प्राणदान, वचन, ममथ, यवन, रपववार, सोमवार, मागथ,
राियोग, रूप, रूपक, स्वदे श, राष्ट, प्रान्ि, नगर, दे श,
सपथ, सागर, साधन, सार, ित्त्व, स्वगथ, दण्ड, दोष, धन,
तनयम, पक्ष, पष्ृ ट, पवधेयक, पवतनमय, पवतनयोग,
पवभाग, पवभािन, पवऱोध, पववाद, वाणणज्य, शासन,
प्रवेश, अनच्
ु छे द, लशपवर, वाद, अवमान, अनम ु ान, क श,
काव्य, कास, गि, गण, ग्राम, गह ृ , चन्र, चन्दन |
आक न, तनमन्रण, तनयंरण, आमंरण,उ्भव,
तनबन्ध, नाटक, स्वास्थ्य, तनगम, न्याय, समाि,
पवघटन, पवसिथन, पववाह, व्याख्यान, धमथ, उपकरण,
आक्रमण, श्रम,बहुमि, तनमाथण, सन्दे श, ज्ञापक,
आभार, आवास, छारावास, अपराध, प्रभाव, ोक,
पवराम, पवक्रम, न्याय, संघ, संकल्पप इत्याहद।
तत्सम स्त्रील ग
िं शब्द
3IR I

दया, माया, कृपा, ज्िा, क्षमा, शोभा, सभा, प्रार्थना, वेदना,


समवेदना, प्रस्िावना, रचना, घटना, अवस्र्ा, नम्रिा,
सन्ु दरिा, प्रभि
ु ा, िडिा, महहमा, गररमा, काल मा, ाल मा,
ईष्र्या, भाषा, अलभ ाषा, आशा, तनराशा, पणू णथमा, अरुणणमा,
काया, क ा, चप ा, इच्छा, अनुज्ञा, आज्ञा, आराधना,
उपासना, याचना, रक्षा, संहहिा, आिीपवका, घोषणा, परीक्षा,
गवेषणा, नगरपाल का, नागररकिा, योग्यिा, सीमा, स्र्ापना,
संस्र्ा, सहायिा,मान्यिा, व्याख्या, लशक्षा, समिा, सम्पदा |
3IR I

संपवदा, सूचना, सेवा, सेना, पवज्ञज्ि, अनुमति, अलभयुजति,


अलभव्यजति, उप जब्ध, पवचध, क्षति, पतू िथ, पवकृति, िाति,
तनचध, लस्चध, सलमति, तनयजु ति, तनवपृ त्त, रीति, शजति,
प्रतिकृति, कृति, प्रतिभूति, प्रतिल पप, अनुभूति, युजति, धतृ ि,
हातन, जस्र्ति, पररजस्र्ति, पवमति, वपृ त्त, आवपृ त्त, शाजन्ि,
सजन्ध, सलमति, सम्पपत्त, सुसंगति, कहट, छपव, रुचच, अजग्न,
केल , नदी, नारी, मण्ड ी, क्ष्मी, शिाब्दी, श्री, कुण्ड ी,
कुण्डल नी, कौमद ु ी, गोष्ठी, धारी, मत्ृ य,ु आय,ु वस्ि,ु रज्ि,ु
रे णु, वायु इत्याहद।
तद्भव पुिंल ग
िं शब्द
3IR I

(अ) ऊिवाचक सिंज्ञाओिं को छोड़ शेष आकारान्त सिंज्ञाएँ।


जैसे-
कपडा, गरा, पैसा, पहहया, आटा, चमडा, इत्याहद।

(आ) लजि भाववाचक सिंज्ञाओिं के अन्त में िा, आव,


पि, वा, पा, होता है ।
जैसे-
आना, गाना, बहाव, चढाव, बड्पन, बढ़ावा, बढ़ ु ापा
इत्याहद।
(इ) कृदन्त की आिान्त सिंज्ञाएँ।
जैसे-
गान, लम ान, खान, पान, नहान, उठान इत्याहद।
अपवाद- उडान, चट्टान इत्याहद।
3IR I

तद्भव स्त्रील ग
िं शब्द

(अ) ईकारान्त सिंज्ञाएँ।


जैसे-
नदी, चचट्ठी, रोटी, टोपी, उदासी इत्याहद।
अपवाद- घी, िी मोिी, दही इत्याहद।

(आ) ऊिवाचक याकारान्त सिंज्ञाए।


जैसे-
गड़ु डया, खहटया, हटबबया, पुड़डया, हठल या इत्याहद।
adda ? H i

(इ) तकारान्त सिंज्ञाएँ।


जैसे-
राि, बाि, ाि, छि, भीि, पि इत्याहद।
अपवाद- भाि, खेि, सूि, गाि, दाूँि इत्याहद।

(ई) उकारान्त सिंज्ञाएँ।


जैसे-
बा ,ू ू, दारू, ब्या ,ू झाडू इत्याहद।
अपवाद- आूँसू, आ ू, रिा ू, टे सू इत्याहद।

(उ) अिुस्त्वारान्त सिंज्ञाएँ।


जैसे- सरसों, खडाऊूँ, भौं, चूँ ,ू िूँ ू इत्याहद।
अपवाद- गेहूूँ।
3IR I

(ऊ) सकारान्त सिंज्ञाएँ।


जैसे-
्यास, लमठास, तनदास, रास ( गाम), बाूँस, साूँस इत्याहद।
अपवाद- तनकास, काूँस, रास (नत्ृ य)।

(ऋ) कृदन्त िकारान्त सिंज्ञाएँ, लजिका उपान्त्य वर्थ अकारान्त


हो अर्वा लजिकी धातु िकारान्त हो।
जैसे-
रहन, सिू न, ि न, उ झन, पहचान इत्याहद।
अपवाद- च न आहद।
addasHi
3IR I
(ए) कृदन्त की अकारान्त सिंज्ञाएँ।
जैसे-

ू , मार,समझ, दौड, सूँभा , रगड, चमक, छाप, पक
ु ारइत्याहद।
अपवाद- नाच, मे , बबगाड, बो , उिार इत्याहद।

(ऐ) लजि भाववाचक सिंज्ञाओिं के अन्त में ट, वट, हट, होता है ।


जैसे-
सिावट, घबराहट, चचकनाहट, आहट, झंझट इत्याहद।

(ओ) लजि सिंज्ञाओिं के अन्त में 'ख' होता है ।


जैसे-
ईख, भखू , राख, चीख, काूँख, कोख, साख, दे खरे ख इत्याहद।
अपवाद- पंख, रूख।
3IR I
(क) अप्राणर्वाचक पुिंल गिं दहन्दी शब्द
(i) शरीर के अवयवों के िाम पिंलु ग िं होते है ।
जैसे-
कान, मूँहु , दाूँि, ओठ, पाूँव, हार्, गा , मस्िक, िा ,ु बा ,
अूँगठ
ू ा, मतु का, नाख़नू , नर्ना, गट्टा इत्याहद।
अपवाद- कोहनी, क ाई, नाक, आूँख, िीभ, ठोडी, खा , बाूँह,
नस, हड्डी, इजन्रय, काूँख इत्याहद।

(ii) रत्िों के िाम पिंलु ग


िं होते है ।
जैसे-
मोिी, माणणक, परा, हीरा, िवाहर, मूँग ू ा, नी म, पुखराि, ा
इत्याहद।
अपवाद- मणण, चर ु ी, ाड ी इत्याहद।
3IR I
(iii) धातुओिं के िाम पुिंल ग
िं होते है ।
जैसे-
िाूँबा, ोहा, सोना, सीसा, काूँसा, राूँगा, पीि , रूपा, टीन
इत्याहद।
अपवाद- चाूँदी।

(iv) अिाज के िाम पिंलु ग िं होते है ।


जैसे-
िौ, गेहूूँ, चाव , बािरा, चना, मटर, ति इत्याहद।
अपवाद- मकई, िआ ु र, मूँग
ू , खेसारी इत्याहद।
3IR I
(v) पेड़ों के िाम पुिंल ग
िं होते है ।
जैसे-
पीप , बड, दे वदारु, चीड, आम, शीशम, सागौन, कटह ,
अमरूद, शरीफा, नीबू, अशोक िमा , सेब, अखरोट
इत्याहद।
अपवाद- ीची, नाशपािी, नारं गी, णखरनी इत्याहद।

(vi) द्रव्य पदार्ों के िाम पुिंल ग


िं होते हैं।
जैसे-
पानी, घी, िे , अकथ, शबथि, इर, लसरका, आसव, काढ़ा,
रायिा इत्याहद।
अपवाद- चाय, स्याही, शराब।
3IR

(vii) भौगोल क ज और स्त्र् आदद अिंशों के िाम प्रायः


पुिंल गिं होते है ।
जैसे-
दे श, नगर, रे चगस्िान, ्वीप, पवथि, समुर, सरोवर, पािा ,
वायम ु ण्ड , नभोमण्ड , प्रान्ि इत्याहद।
अपवाद- पथ् ृ वी, झी , घाटी इत्याहद।
addasHi
3IR I
(ख) अप्राणर्वाचक स्त्रील ग
िं दहन्दी-शब्द

(i) िददयों के िाम स्त्रील ग


िं होते है ।
जैसे-
गंगा, यमनु ा, महानदी, गोदावरी, सि ि, रावी, व्यास, झे म
इत्याहद।
अपवाद- शोण, लसन्ध,ु ब्रह्यपर ु नद है , अिुः पंलु ग
ं है ।

(ii) िक्षरों के िाम स्त्रील ग


िं होते है ।
जैसे-
भरणी, अजश्र्वनी, रोहहणी इत्याहद।
अपवाद- अलभजिि, पष्ु य आहद।
addasHi
3IR I
(iii) बनिये की दक
ु ाि की चीजें स्त्रील ग
िं है ।
जैसे-
ौंग, इ ायची, लमचथ, दा चीनी, चचरौंिी, हल्पदी, िापवरी, सप
ु ारी,
हींग इत्याहद।
अपवाद- धतनया, िीरा, गमथ मसा ा, नमक, िेिपत्ता, केसर,
कपूर इत्याहद।

(iv) खािे-पीिे की चीजें स्त्रील ग


िं है ।
जैसे-
कचौडी, परू ी, खीर, दा , पकौडी, रोटी, चपािी, िरकारी, सब्िी,
णखचडी इत्याहद।
अपवाद- पराठा, ह आ ु , भाि, दही, रायिा इत्याहद।
addasHi
3IR I
पुिंल ग
िं उदथ ू शब्द

(i) लजिके अन्त में 'आब' हो, वे पिंलु ग


िं है ।
जैसे-
गु ाब, िु ाब, हहसाब, िवाब, कबाब।
अपवाद- शराब, लमहराब, ककिाब, िाब, ककमखाब इत्याहद।

(ii) लजिके अन्त में 'आर' या 'आि' गा हो।


जैसे-
बािार, इकरार, इजश्िहार, इनकार, अहसान, मकान, सामान,
इम्िहान इत्याहद।
अपवाद- दक ू ान, सरकार, िकरार इत्याहद।
3IR I

(iii) आकारान्त शब्द पिंलु ग


िं है ;
जैसे-
परदा, गस्
ु सा, ककस्सा, रास्िा, चश्मा, िमगा।
(मू िुः ये शब्द पवसगाथत्मक हकारान्ि उच्चारण के हैं।
जैसे-
परद:, िम्ग: । ककन्िु हहन्दी में ये 'परदा', 'िमगा' के रूप में
आकारान्ि ही उच्चररि होिे है ।
अपवाद- दफा।
3IR I
स्त्रील ग
िं उदथ ू शब्द

(i) ईकारान्त भाववाचक सिंज्ञाएँ स्त्रील ग


िं होती है ।
जैसे-
गरीबी, गरमी, सरदी, बीमारी, चा ाकी, िैयारी, नवाबी इत्याहद।

(ii) शकारान्त सिंज्ञाएँ स्त्रील ग


िं होती है ।
जैसे-
नाल श, कोलशश, ाश, ि ाश, वाररश, माल श इत्याहद।
अपवाद- िाश, होश आहद।
(iii) तकारन्त सिंज्ञाएँ स्त्रील ग
िं होती है ।
जैसे-
दौ ि, कसरि, अदा ि, इिािि, कीमि, मु ाकाि इत्याहद।
अपवाद- शरबि, दस्िखि, बन्दोबस्ि, वति, िख्ि, दरख्ि
इत्याहद।

(iv) आकारान्त सिंज्ञाएँ स्त्रील ग


िं होती है ।
जैसे-
हवा, दवा, सिा, दतु नया, दगा इत्याहद।
अपवाद- मिा इत्याहद।
(v) हकारान्त सिंज्ञाएँ स्त्रील ग
िं होती हैं।
जैसे-
सबु ह, िरह, राह, आह, स ाह, सु ह इत्याहद।

(vi) 'तफई ' के वजि की सिंज्ञाएँ स्त्रील ग


िं होती है ।
जैसे-
िसवीर, िामी , िागीर, िहसी इत्याहद।
अँगरे जी के पुिंल ग
िं शब्द
3IR I

अकारान्त- ऑडथर, आय , ऑपरे शन, इंजिन, इंिीतनयर,


इंिेतशन, एडलमशन, एतसप्रेस, एतसरे , ओवरटाइम, त ास,
कमीशन, कोट, कोटथ , कै ेण्डर, कॉ ं ेि, कैरे म, कॉ र, कॉ बे ,
काउण्टर, कारपोरे शन, काबथन, कण्टर, केस, जत तनक, जत प,
काडथ, कक्रकेट, गैस, गिट, ग् ास, चेन, चॉक ेट, चाटथ र, टॉचथ,
टायर, ट्यूब, टाउनहा , टे ल फोन, टाइम, टाइमटे बु , टी-कप,
टे ल ग्राम, ट्रै तटर, टे ण्डर, टै तस, टूर्पाउडर, हटकट, ड़डवीिन,
डान्स, ड्राइंग-रूम, नोट, नम्बर, नेक ेस, र्मथस, पाकथ, पोस्ट,
पोस्टर, पेन, पासपोटथ , पेटीकोट, पाउडर, पें शन, प्रोमोशन,
प्रोपवडेण्ट फण्ड |
पेपर, प्रेस, ् ास्टर, ् ग, ् ेट, पासथ , ् ैटफामथ, फुटपार्,
फुटबॉ , फामथ, फ्ॉक, फमथ, फैन, फ्ेम, फु पैण्ट, फ् ोर, फैशन,
बोडथ, बैडलमण्टन, बॉडथर, बार्रूम, बश ु शटथ , बॉतस, बब , बोनस,
बिट, बॉण्ड, बोल्पडर, ब्रश, ब्रेक, बैंक, बल्पब, बम, मैच, मे ,
मीटर, मतनआडथर, रोड, रॉकेट, रबर, रू , राशन, ररवेट, ररकाडथ,
ररबन, ैम्प, ेिर, ाइसेन्स, वाउचर, वाडथ, स्टोर, स्टे शनर,
स्कू , स्टोव, स्टे ि, स् ीपर, स्टे , जस्वच, लसगन , सै ून,

हॉ , हॉजस्पट , हे यर, है जण्ड , ाइट, ेतचर, ेटर।
अँगरे जी के स्त्रील ग
िं शब्द

ईकारान्त-
एसेम्ब ी, कम्पनी, केि ी, कॉपी, गै री, डायरी, ड़डग्री, टाई,
ट्रे िेडी, ट्रे िरी, म्युतनलसपैल टी, युतनवलसथटी, पाटी, ैबोरे टरी।
(1)अकारान्त तर्ा आकारान्त पुल ग िं शब्दों को ईकारान्त
3IR I

कर दे िे से वे स्त्रील ग
िं हो जाते है ।
िैसे-
डका- डकी
गूँग
ू ा- गूँग
ू ी
दे व- दे वी
नर- नारी
गधा- गधी
ना ा- ना ी
मोटा- मोटी
बन्दर- बन्दरी
(2) 'आ' या 'वा' प्रत्ययान्त पलु ग
िं शब्दों में 'आ' या
3IR I

'वा' की जगह इया गािे से वे स्त्रील ग िं बिते है ।


िैसे-
कुत्ता- कुतिया
बूढा- बुहढ़या
ोटा- हु टया
बंदर- बंदररया
बेटा- बबहटया
चचडा- चचड़डया
चूहा- चुहहया
बाछा- बतछया
(3) व्यवसायबोधक, जानतबोधक तर्ा उपिामवाचक शब्दों
3IR I

के अलन्तम स्त्वर का ोप कर उिमें कहीिं इि और कहीिं


आइि प्रत्यय गाकर स्त्रील ग
िं बिाया जाता है
जैसे-
मा ी- माल नी
धोबी- धोबबनी
िे ी- िेल नी
बाघ- बातघनी
बतनया- बतनयाइन
(4) कुछ उपिामवाची शब्द ऐसे भी है , लजिमे आिी
प्रत्यय गाकर स्त्रील ग
िं बिाया जाता है ।
जैसे-
ठाकुर- ठाकुरानी
पजण्डि-पजण्डिानी
चौधरी- चौधरानी
दे वर- दे वरानी
िेठ- िेठरानी
मेहिर- मेहिरानी
सेठ- सेठरानी
(5) जाती या भाव बतािेवा ी सिंज्ञाओिं का पलु ग िं से
3IR I

स्त्रील ग
िं करिे में यदद शब्द का अन्य स्त्वर दीर्थ है ,
तो उसे ह्सस्त्व करते हुए िी प्रत्यय का भी प्रयोग होता
है ।
जैसे-
स्यार- स्यारनी
हहन्द-ू हहन्दन ु ी
ऊूँट- ऊूँटनी
शेर- शेरनी
भी - भी नी
हं स- हं सनी
मोर- मोरनी
ऊूँट- ऊूँटनी
चोर- चोरनी
हार्ी- हचर्नी
(6) कुछ शब्द स्त्वतन्ररूप से स्त्री-परु ु ष के जोड़े
3IR I

होते है । ये स्त्वतन्ररूप से स्त्रील ग


िं या पलु ग
िं शब्द
होते है ।
जैसे-
माूँ- बाप
मदथ - औरि
पर
ु - कन्या
रािा- रानी
भाई- बहन
परु
ु ष- स्री
गाय- बै
वर- दामाद
साहब - मेम
मािा- पपिा
फूफा- बआ ू
सम्राट- सम्राज्ञी
बब ाव- बबल्प ी
बेटा- पुिोहू
3IR

(7) अ/आ को ई करके स्त्रील ग


िं बिाया जाता हैं।
जैसे-
बेटा- बेटी
कबूिर- कबूिरी
दे व- दे वी
का ा- का ी
दास- दासी
पोिा- पोिी
डका- डकी
(8) 'इका' जोड़कर स्त्रील ग
िं बिाया जाता हैं।
जैसे-
अध्यापक- अध्यापपका
संपादक- संपाहदका
गायक- गातयका
पाठक- पाहठका
पर- पबरका
चा क- चाल का
(9) 'इि' जोड़कर स्त्रील ग
िं बिाया जाता हैं।
जैसे-
सनु ार- सन ु ाररन
साूँप- साूँपपन
बाघ- बातघन
कुम्हार- कुम्हाररन
दिी- दजिथन
नािी- नातिन
(10) 'आइि' जोड़कर स्त्रील ग
िं बिाया जाता हैं।
जैसे-
चौधरी- चौधराइन
बाबू- बबआ ु इन
पंड़डि- पंड़डिाइन
ह वाई- ह वाइन
गरु
ु - गरु
ु आइन
(11) कुछ पलु ् िंग शब्दों के सार् 'मादा'
गाकर स्त्रील ग
िं बिाए जाते हैं :
जैसे-
िोिा- मादा िोिा
खरगोश- मादा खरगोश
मच्छर- मादा मच्छर
जिराफ- मादा जिराफ
3IR

(12) शब्दािंत में 'इिी' जोड़कर भी कुछ स्त्रील ग


िं
शब्द बिाए जाते हैं :
जैसे-
िपस्वी- िपजस्वनी
स्वामी- स्वालमनी
मनस्वी- मनजस्वनी
अलभमान- अलभमातननी
दं डी- दं ड़डनी
संन्यासी- संन्यालसनी
(13) कुछ ऐसे स्त्रील ग
िं शब्द हैं, लजिके सार् 'िर'
गाकर पुल् िंग बिाए जाते हैं :
जैसे-
कोय - नर कोय
ची - नर ची
मकडी- नर मकडी
भेड- नर भेड
(14) सिंस्त्कृत के 'वाि'् और 'माि'् प्रत्ययान्त पवशेषर्
3IR I

शब्दों में 'वाि'् तर्ा 'माि'् को क्रमशः वती और मती कर


दे िे से स्त्रील गिं बि जाता है ।
जैसे-
ब् ु चधमान-् ब् ु चधमिी
पुरवान-् पुरविी
श्रीमान-् श्रीमिी
भाग्यवान-् भाग्यविी
आयुष्मान-् आयुष्मिी
भगवान-् भगविी
धनवान-् धनविी
(15) सिंस्त्कृत के बहुत-से अकारान्त पवशेषर् शब्दों के
3IR I

अन्त में आ गा दे िे से स्त्रील ग िं हो जाते है ।


जैसे-
िनि ु - िनि ु ा
चंच - चंच िा
आत्मि- आत्मिा
सि ु - सिु ा
पप्रय- पप्रया
पज्
ू य- पज् ू या
श्याम- श्यामा
3IR I

(16) लजि पलु ग िं शब्दों के अन्त में 'अक' होता है ,


उिमें 'अक' के स्त्र्ाि पर इका कर दे िे से वे शब्द
स्त्रील ग
िं बि जाते है ।
जैसे-
सेवक- सेपवका
पा क- पाल का
बा क- बाल का
भक्षक- भक्षक्षकानायक
पाठक- पाहठका
(17) कुछ पलु ् ग
िं शब्दों के अिंत में 'ता' के स्त्र्ाि पर
'री' जोड़कर भी स्त्रील ग
िं शब्द बिाए जाते हैं :
जैसे-
दािा- दारी
नेिा- नेरी
धािा- धारी
अलभनेिा- अलभनेरी
रचतयिा- रचतयरी
पवधािा- पवधारी
वतिा- वतरी

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