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CLASS-9

HINDI ASSIGNMENT

नाया रेखन (Slogan Writing)


नाया मा स्रोगन क्मा हैं
नाया, याजनैतिक, वाणिज्यमक, धार्भिक औय अन्म सॊदबों भें , ककसी ववचाय मा उद्देश्म को फाय-फाय अर्बव्मक्ि कयने के
र्रए प्रमुक्ि एक मादगाय आदर्ि-वाक्म मा सूज्क्ि है । अन्म र्ब्दों भें नाये को हहॊदी भें उद्घोष, आह्वान वाक्म,
नीतिवचन, र्सद्ाॊि वाक्म, प्रचाय वाक्म बी कहिे हैं। नाये का र्ाज्ब्दक अर्ि है – जोय का र्ब्द, िेज आवाज, फुरॊद की
जाने वारी साभहू हक मा एकर आवाज।

नारे की पररभाषा – Meaning of Slogan Lekhan in Hindi


नाया अरग-अरग ववषमों से सॊफॊधधि, सभाज भें ककसी वस्िु की ववर्ेषिा को स्र्ावऩि कयिा है । सॊक्षऺप्ि (कभ र्ब्दों भें
अधधक अर्ि वारा वाक्म), सार्िक (ज्जसका कोई अर्ि को) एवॊ प्रेयिादामक (ज्जससे ककसी को कोई प्रेयिा र्भरिी हो) ऐसे
वाक्म ही नाया मा स्रोगन कहे जािे है । अन्म र्ब्दों भें एक ऐसा वाक्म मा र्ब्दों का एक ऐसा सभह
ू जो रोगों की जफ
ु ान
ऩय चढ़ जाए औय जो रोगों को प्रेरयि कयने की ऺभिा यखिा हो। उसे नाया कहिे है ।

नारों के प्रकार – Types of Slogan in Hindi


नाये कई प्रकाय के होिे हैं। जैसे साभाज्जक, धार्भिक, याजनैतिक, उत्साहदामक, व्मवसातमक आध्माज्त्भक एवॊ
प्रेयकात्भक नाये । अरग अरग ऺेत्रों भें अरग अरग उद्देश्म से नाये र्रखे जािे हैं। नायों का प्रबाव सकायात्भक व ्
नकायात्भक दोनों ही ियह से ऩड़ सकिा है । हय ऺेत्र भें नायों का अऩना अरग ही भहत्त्व यहा है ।

नारे ऱेखन का उद्देश्य


नारे लऱखने के ननम्नलऱखखत उद्देश्य हो सकते हैं –
(i) ककसी ववर्ेष व्मज्क्ि, सॊस्र्ा, साभाज्जक याजनैतिक मा ककसी बी अन्म अर्बमान की ओय रोगों का ध्मान खीॊचने के
र्रए।
(ii) सभाज को एक आदर्ि सॊदेर् दे ना।
(iii) रोगों को ककसी कामि ववर्ेष के र्रए प्रेरयि कयना।
(iv) साभाज्जक अर्बव्मज्क्ि को प्रकट कयना।
(v) रोगों को ककसी उद्देश्म के प्रति जागरूक कयना। जैसे जर ही जीवन है भें ऩानी को फचाने के र्रए रोगों को जागरूक
कयने का उद्देश्म छुऩा है ।

नारे / स्ऱोगन की विशेषताएॉ


(i) नाया ऐसा होना चाहहए जो सीधे रोगों के हदरों भें उिय जाए।
(ii) नाया अगय िुक व रम के सार् र्रखा गमा हो िो, फहुि प्रबावर्ारी रगिा हैं।
(iii) नायों भें सयर, रोकवप्रम व प्रचर्रि र्ब्दों का प्रमोग होना चाहहए। इससे नाया रोगो की जुफान ऩय जल्दी चढ़
जाएगा।
(iv) स्रोगन मा नाया फहुि ही सॊक्षऺप्ि औय प्रबावर्ारी होना चाहहए। क्मोंकक नाया ज्जिना सॊक्षऺप्ि औय प्रबावर्ारी
होगा उिना ही प्रर्सद् होगा।
(v) स्रोगन गॊबीय अर्ि वारा होना चाहहए।
(vi) नाये की र्ब्द सीभा अधधकिभ 10 मा 12 र्ब्दों की होनी चाहहए।
(vii) नायों भें ववषम ववर्ेषिा का वििन सटीक होना चाहहए।
(viii) नाये भें हभेर्ा एक आदर्ि सॊदेर् होना चाहहए, जो रोगों को प्रेरयि व जागि
ृ कय सके।
(ix) भौर्रकिा, यचनात्भकिा व आकषिक र्ब्दों का प्रमोग कयना चाहहए। मह नाये को प्रबावर्ारी फनाने भें सहामक होिे
हैं।
(x) नायों को र्रखिे हुए र्ब्दों का उधचि चमन व आऩसी िारभेर आवश्मक है ।
(xi) नायों को र्रखिे हुए ऩमािमवाची र्ब्दों का प्रमोग ककमा जा सकिा हैं।
जैसे – जर है िो जीवन है मा जर है िो कर है ।
(xii) नाया एक मा दो ऩॊज्क्ि का हो सकिा है ।
जैसे –

1) “प्रकृति का ना कयें हयि,


आओ र्भरकय फचाए ऩमािवयि।”
(2) हभ सफ का एक ही नाया,
हहॊदी दे र् की र्ान है ।
(3) दे र् को आगे फढ़ाना है ।
तनयऺय को साऺय फनाना है ।

स्ितॊत्रता आॊदोऱन के कुछ प्रलसद्ध नारे


(i) जम हहन्द – सुबाष चन्र फोस
(ii) कयो मा भयो – भहात्भा गाॉधी
(iii) वन्दे भाियभ ् – फॊककभ चन्र चटजी
(iv) इन्कराफ ज्जॊदाफाद – बगि र्सॊह
(v) जम जवान जम ककसान – रार फहादयु र्ास्त्री
(vi) स्वयाज भेया जन्भ र्सद् अधधकाय है औय भै इसे रेकय यहूॉगा – फर गॊगाधय तिरक
(vii) िभ
ु भझ
ु े खन
ू दो, भैं िम्
ु हे आजादी दॊ ग
ू ा – सब
ु ाष चन्र फोस
(viii) सयपयोर्ी की िभन्ना अफ हभाये हदर भें है – याभप्रसाद बफज्स्भर

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