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PGS NATIONAL COLLEGE OF LAW

Paper No- II Paper Name- CRPC Unit-1

प्रश्न – भरण -: पोषण की माांग कौन कर सकता है पत्नी अपने पतत से भत्ता प्राप्त करने की कब हक़दार ?
नही होती है ? भरण पोषण हे तु ककसी व्यक्तत के विरूद्ध काययिाही कहा की जा सकती है ?
Who can claim maintenance? When a wife is not entitted to receive an allowance from
her husband? Where can proceding to taken against a person for maintenance?

उत्तर -: धारा .125-पत्नी, सन्तान और मातायदद पयााप्त साधनों )1( -पोषण के लिए आदे श-पपता के भरण-
वािा कोई व्यक्तत
अपनी पत्नी का ) क ( , जो अपना भरणपोषण- करने में असमर्ा है , या
अपनी धमाज या अधमाज अवयस्क सन्तान का चाहे पववादहत हो या न हो )ख( , जो अपना भरणपोषण करने -
में असमर्ा है , या
)जो पववादहत पत्र
ु ी नह ं है ( अपनी धमाज या अधमाज संतान का )ग( , क्जसने वयस्कता प्राप्त कर ि है , जहााँ
ऐसी संतान ककसी शार ररक या मानलसक असामान्यता या क्षतत के कारण अपना भरण पोषण करने में असमर्ा -
है , या
अपने पपता या माता का )घ( , जो अपना भरणपोषण करने में असमर्ा है-,
भरणपोषण करने से इंकार करता है तो प्रर्म वगा मक्जस्रे ट-पोषण करने में उपेक्षा करता है या भरण-, ऐसी
उपेक्षा या इंकार के साबित हो जाने पर, ऐसे व्यक्तत को यह तनदे श दे सकता है कक वह अपनी पत्नी या ऐसी
संतान, पपता या माता के भरणपोषण के लिए- ऐसी मालसक दर पर, क्जसे मक्जस्रे ट ठीक समझे, मालसक भत्ता
दे और उस भत्ते का संदाय ऐसे व्यक्तत को करे क्जसको संदाय करने का मक्जस्रे ट समय समय पर- तनदे श दे :
परन्तु मक्जस्रे ट खण्ड में तनददा ष्ट अवयस्क पुत्री के पपता को तनदे श दे सकता है कक वह उस समय तक )ख(
ऐसा भत्ता दे जि तक वह वयस्क नह ं हो जाती है यदद मक्जस्रे ट का समाधान हो जाता है कक ऐसी अवयस्क
पुत्री के, यदद वह पववादहत हो, पतत के पास पयााप्त साधन नह ं है ।

पोषण के लिए मालसक भत्ते से सम्िक्न्धत कायावाह के -परन्तु यह और कक इस उपधारा के अधीन भरण [
दौरान मक्जस्रे ट यह आदे श दे सकता है कक वह अपनी पत्नी या ऐसी सन्तान, पपता या माता के अन्तररम
भरण पोषण और ऐसी कायावादहयों के लिए खचे की-ऐसी रालश दें क्जसे मक्जस्रे ट ठीक समझे और उस रालश का
संदाय ऐसे व्यक्तत को करें क्जसको संदाय करने का मक्जस्रे ट समय: समय पर तनदे श दे -
स्पष्टीकरण - इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए –
)क('अवयस्कसे ऐसा व्यक्तत अलभप्रेत है क्जसके िारे में भारतीय वयस्कता अधधतनयम ", )9 का 1875( 1875
के उपिन्धों के अधीन यह समझा जाता है कक उसने वयस्कता प्राप्त नह ं की है ;
)ख(“पत्नीपवच्छे द कर लिया है या क्जसने अपने -के अन्तगात ऐसी स्त्री भी है क्जसके पतत ने उससे पववाह "
पवच्छे द कर लिया है और क्जसने पुनपवावाह नह ं ककया है ।-पतत से पववाह
पोषण के लि-भरण )2( ए ऐसा भत्ता या कायावादहयों का खचा आदे श की तार ख से या यदद ऐसा आदे श ददया
जाता है तो भरणपोषण और कायावादहयों के खचे के लिए आवेदन की तार ख से-पोषण या अन्तररम भरण-,
संदेय होगा।
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मोहम्मद अहमद खााँ बनाम शाहबानो बेगम के वाद में उच्चतम न्यायािय ने यह अलभतनधााररत ककया कक दं ड
प्रकिया संदहता की धारा के प्रावधान सभी धमााविंबियों के प्रतत एक समान िागू होंगे 125, अतः मक्ु स्िम
मदहिा भी इस धारा के अधीन अपने पतत से भरणपोषण की मांग कर सकती है । तर्ापप भारत की संसद ने -
में मुस 1986 सन््् लिम मदहिा अधधतनयम )तिाक के पश्चात ् अधधकारों का संरक्षण(, 1986 पाररत ककया है
क्जसके अन्तगात तिाक की क्स्र्तत में मुक्स्िम मदहिा को अन्य उपचार उपिब्ध हैं तर्ा उसे इस संदहता की
धारा के अन्तगात उपचार तभी उपिब्ध हो सकेगा यदद इस हे तु उसके पतत ने अपनी सहमतत द 125हो। पतत
की सहमतत के अभाव में पररत्यतत मक्ु स्िम पत्नी को इस धारा के अधीन भरणपोषण का उपचार प्राप्त नह ं -
अधधतनयम )पवच्छे द पर अधधकारों का संरक्षण-पववाह( हो सकेगा। अतः मुक्स्िम स्त्री, पाररत हो जाने के 1986
पोषण सम्िन-पररणामस्वरूप तिाकशुदा मुक्स्िम मदहिा के भरण््धी पतत का दातयत्व केवि इद्दत की अवधध
तक ह सीलमत रहता है और तत्पश्चात ् यह उतत मदहिा के मातापपता या उसके पररवार के सदस्यों पर होता -
है तर्ा इनके ककसी के न होने पर मुक्स्िम वतफ िोडा पर होगा।

पत्नी को जारता की दशा में होनापोषण की धनरालश की मांग क-यदद भरण - रने वाि स्त्री उतत मांग के
समय जारकमा में रत है , तो उतत दशा में वह भरणपोषण प्राप्त करने की अधधकाररणी नह ं होगी-

धारा 126 प्रककया – ककसी व्यक्तत के पवरुद्ध धारा के अधीन कायावाह ककसी ऐसे क्जिे में की जा 125
सकती है

जहााँ वह है अर्वा

जहााँ वह या उसकी पत्नी तनवास करती है अर्वा ,

जहााँ उसने अंततम िार अपनी पत्नी के सार् या अधमाज संतान की माता के सार् तनवास ककया , यर्ाक्स्र्तत ,
है

ऐसी कायावा )2(

में सि साक्ष्य, ऐसे व्यक्तत की उपक्स्र्तत में , क्जसके पवरुद्ध भरण पोषण के लिए संदाय का आदे श दे ने की
प्रस्र्ापना है , अर्वा जि उसकी व्यक्ततगत हाक्जर से अलभमक्ु तत दे द गई है ति उसके प्ि डर का उपक्स्र्तत
में लिया जाएगा और उस र तत से अलभलिखखत ककया जाएगा जो समन मामिों के लिए पवदहत है ।-

परन्तु यदद मक्जस्रे ट का समाधान हो जाए कक ऐसा व्यक्तत क्जसके पवरुद्ध भरण पोषण-के लिए संदाय का
आदे श दे ने की प्रस्र्ापना है , तामीि से जानिझ
ू कर िच रहा है अर्वा न्यायािय में हाक्जर होने में जानिझ
ू कर
उपेक्षा कर रहा है तो मक्जस्रे ट मामिे को एकपक्षीय रूप में सुनने और अवधारण करने के लिए अग्रसर हो
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सकता है और ऐसे ददया गया कोई आदे श उसकी तार ख से तीन मास के अन्दर ककए गए आवेदन पर दलशात
अच्छे कारण से ऐसे तनिन्धनों के अधीन क्जसके अन्तगात पवरोधी पक्षकार को खचे के संदाय के िारे में ऐसे
तनिंधन भी हैं जो मक्जस्रे ट न्यायोधचत और उधचत समझें, अपास्त ककया जा सकता है ।

के अधीन आवेदनों पर कायाव 125 धारा )3(्ाह करने में न्यायािय को शक्तत होगी कक वह खचों के िारे में
ऐसा आदे श दे जो न्यायसंगत है ।

प्रश्न 2-गगरफ़्तारी सम्बन्धी उन प्रािधानों का िणयन कीक्जए | जहााँ पुलिस ककसी व्यक्तत को गगरफ़्तारी के
िारां ट बबना गगरफ्तार कर सकती है |

पुलिस िारण्ट के बबना कब गगरफ्तार कर सकेगीकोई पुलिस अधधकार मक्जस्रे ट के आदे श के बिना और ) 1( -
वारण्ट के बिना ककसी ऐसे व्यक्तत को धगरफ्तार कर सकता है

जो पुलिस अधधकार की उपक्स्र्तत में संज्ञेय अपराध करता ) क ( है ;

(खक्जसके पवरुद्ध युक्ततयुतत पररवाद ककया गया है ), या पवश्वसनीय जानकार प्राप्त हुई है कक उसने ऐसे
कारावास से, क्जसकी अवधध सात वषा से कम की हो सकेगी। या क्जसकी अवधध सात वषा तक की हो सकेगी,
चाहे वह जुमााने सदहत हो अर्वा जुमााने के बिना, दं डनीय संज्ञेय अपराध ककया है , यदद तनम्नलिखखत शते पूर
कर द जाती हैं, अर्ाात ् -

( i) पुलिस अधधकार के पास ऐसे पररवाद, जानकार या संदेह के आधार पर यह पवश्वास करने का कारण है
कक ऐसे व्यक्तत ने उतत अपराध ककया है ;

(ii) पुलिस अधधकार का यह समाधान हो गया है कक ऐसी धगरफ्तार तनम्नलिखखत के लिये आवश्यक है ) क(
ऐसे व्यक्तत को कोई और अपराध करने से तनवाररत करने; या

अपराध के समधु चत अन्वेषण के लिये )ख( ; या

ऐसे व्यक्तत को ऐसे अपराध के साक्ष्य को गायि करने या ऐसे साक्ष्य के सार् ककसी भी र तत में छे ड़छाड़ ) ग(
करने से तनवाररत करने; याऐसे व्यक्तत को ककसी ऐसे व्यक्तत के सार्

घ, जो मामिे के तथ्यों से पररधचत हैं, कोई उत्प्रेरणा, धमकी या वायदा करने से तनवाररत करने, क्जससे उसे
न्यायािय या पुलिस अधधकार को ऐसे तथ्यों को प्रकट न करने के लिये मनाया जा सके; या

जि तक ऐसे व्यक्तत को धगरफ्तार नह ं ककया जाता )ङ( , ति तक न्यायािय में उसकी उपक्स्र्तत, जि भी
अपेक्षक्षत हो, सुतनक्श्चत नह ं की जा सकती और

तो पुलिस अधधकार ऐसी धगरफ्तार करते समय उसके कारणों को िेखिद्ध करे गा,
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परन्तु उन सभी मामिों में जहााँ इस उपधारा के उपिन्धों के अधीन धगरफ्तार आवश्यक नह ं है , पुलिस
अधधकार धगरफ्तार न करने के कारणों को िेखिद्ध करे गा।]

ख( क क्जसके पवरुद् )ध पवश्वसनीय जानकार प्राप्त हुई है कक उसने ऐसे कारावास से क्जसकी अवधध सात वषा
से अधधक की हो सकेगी, चाहे वह जुमााने सदहत हो अर्वा जुमााने के बिना, अर्वा मत्ृ यु दं डादे श से दं डनीय
संज्ञेय अपराध ककया है और पुलिस अधधकार के पास उस जानकार के आधार पर यह पवश्वास करने का कारण
कक ऐसे व्यक्तत ने उतत अपराध ककया है , अर्वा]

जो या तो इस संदहता के अधीन या राज्य सरकार के आदे श द्वारा अपराधी उद्घोपषत ककया जा चुका है )ग( ,
अर्वा

क्जसके कब्जे में कोई ऐसी चीज पायी जाती है क्जसके चुराई हुई सम्पपत्त होने का उधचत रूप से सन्दे ह )घ(
ककया जा सकता है और क्जस पर ऐसी चीज के िारे में अपराध करने का उधचत रूप से सन्दे ह ककया जा सकता
है , अर्वा

जो पुलिस अधधकार को उस समय िाधा पहुाँचाता है जि वह अप )ङ( ना कत्ताव्य कर रहा है , या जो पवधधपूणा


अलभरक्षा से तनकि भागा है या तनकि भागने का प्रयत्न करता है , अर्वा

क्जस पर संघ के सशस्त्र ििों में से ककसी से अलभत्याजक होने का उधचत सन्दे ह है )च( , अर्वा

जो भारत से िाहर ककसी स्र्ान में ककसी ऐसे काया ककए जाने जो यदद )छ(भारत में ककया गया होता तो
अपराध के रूप में दण्डनीय होता, और क्जसके लिए वह प्रत्यपाण सम्िन्धी ककसी पवधध के अधीन या अन्यर्ा
भारत में पकड़े जाने का या अलभरक्षा में तनरुद्ध ककए जाने का भागी है , सम्िद्ध रह चुका है या क्जसके
पवरुद्ध इस िारे में उधचत पररवाद ककया जा चुका या पवश्वसनीय इपत्तिा प्राप्त हो चुकी है या उधचत सन्दे ह
पवद्यमान है कक वह ऐसे सम्िद्ध रह चुका है , अर्वा

के अधीन िनाए गए ककसी तनयम को भंग )5( की उपधारा 356 जो छोड़ा गया लसद्धदोष होते हुए धारा )ज(
करता है , अर्वा

क्जसकी धगरफ्तार के लिए ककसी अन्य पलु ि )झ( स अधधकार से लिखखत या मौखखक अध्यपेक्षा प्राप्त हो चक
ु ी
है , परन्तु यह ति जि कक अध्यपेक्षा में उस व्यक्तत का, क्जसे धगरफ्तार ककया जाना है , और उस अपराध का
या अन्य कारण का, क्जसके लिए धगरफ्तार की जानी है , पवतनदे श है और उससे यह दलशात होता है कक
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अध्यपेक्षा जार करने वािे अधधकार द्वारा वारण्ट के बिना वह व्यक्तत पवधधपूवक
ा धगरफ्तार ककया जा सकता
र्ा।

के उपिन्धों के अधीन रहते हुए 42 धारा ) 2 ( [, ऐसे ककसी व्यक्तत को, जो ककसी असंज्ञेय अपराध से
सम्िद्ध है या क्जसके पवरुद्ध कोई पररवाद ककया गया है या पवश्वसनीय जानकार प्राप्त हुई है या उसके ऐसे
सम्िद्ध रहने के सम्िन्ध में युक्ततयुतत संदेह पवद्यमान है , मक्जस्रे ट के ककसी वारं ट या आदे श के लसवाय
धगरफ्तार नह ं ककया जा सकेगा।

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