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AVADH LAW COLLEGE

UMA SHANKAR
LL.B.3 YEAR 3SEM
(UNIT-2)

दं ड प्रक्रिया संहिता
अभियुक्त को न्यायालय में िाजिर िोने के भलए हदवस करने वाली
आदे भिकायें
किसी भी स्वस्थ ववचारण िे लिए यह आवश्यि है कि उससे संबंधित सभी िाययवाहहयााँ अलभयुक्त िी उपस्स्थतत में
हों। इसिा िारण यह है कि अलभयक्
ु त िो प्रततरक्षा िा परू ा अवसर प्रदान िरना ही अपराधिि न्याय प्रशासन िा
प्रमुख उद्दे श्य है। मामिे िे ववचारण िे समय यहद अलभयुक्त न्यायािय में उपस्स्थत नहीं होता है तो उसिी
उपस्स्थतत समन या वारं ट िे द्वारा सतु नस्श्चत िी जाती है। न्यायािय में हास्जर होने िे लिए वववश िरने वािी
आदे भिकायें हैं- समन, वारं ट, उद्घोषणा और िुिी। यह वह न्यायािय िे आदे श हैं स्जसिे माध्यम से अलभयुक्त िा
ववचारण में न्यायािय में उपस्स्थत िरना सतु नस्श्चत किया जाता है इन आदे शों िे माध्यम से न्यायािय अलभयक्
ु त
िो ववचारण में उपस्स्थत िर सिता है ।

समन
समन - दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 61 से 69 ति समन िे ववषय में ववस्तार से बताया गया है स्जसिे माध्यम
से अलभयक्
ु त िी न्यायािय में उपस्स्थतत सतु नस्श्चत िी जाती है। समन न्यायािय द्वारा जारी एि ऐसा आदे श
होता है जो किसी व्यस्क्त िो एि तनस्श्चत ततधथ, समय एवं स्थान पर उपस्स्थत होने िे लिए हदया जाता है। दं ड
प्रकिया संहहता िी िारा 61 िे अनस
ु ार, न्यायािय द्वारा इस संहहता िे अिीन जारी किया गया प्रत्येि संबंि
लिखखत रूप में दो प्रततयों में उस न्यायािय िे पीठासीन अधििारी द्वारा या अन्य ऐसे अधििारी द्वारा, स्जसे उच्च
न्यायािय तनयमों द्वारा समय-समय पर तनहदयष्ट िरें , हस्ताक्षररत होगा और उच्च न्यायािय िी मद्र
ु ा िगी होगी।
समन िी तनम्न आवश्यि बातें तनम्न है-

1. यह लिखखत होना चाहहए।


2. यह दो प्रततयों में होना चाहहए।
3. यह पीठासीन अधििारी या उच्च न्यायािय द्वारा तनहदयष्ट अधििारी द्वारा हस्ताक्षररत
होना चाहहए।
4. समन पर न्यायािय िी मुद्रा अंकित िी जानी चाहहए।
5. समन में उपस्स्थतत िा समय, स्थान एवं ततधथ होनी चाहहए।
6. उसमें अपराि िी प्रिृतत िधथत होनी चाहहए।
समन िी तामीि िैसे िी जाए इसिे ववषय में दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 62 बताती है -
प्रत्येि समन िी तामीि पुलिस अधििारी द्वारा या ऐसे तनयमों िे अिीन जो राज्य
सरिार इस तनलमत्त बनाए, उस न्यायािय िे, स्जसने वह समन जारी किया है , किसी
अधििारी द्वारा या अन्य िोि सेवि द्वारा िी जाएगी।
यहद साध्य हो तो समन किए गए व्यस्क्त पर समन िी तामीि उसे उस समय िी दो
प्रततयों में से एि िा पररदान या तनववदान िरिे व्यस्क्ति रूप से िी जाएगी।
प्रत्येि व्यस्क्त, स्जस पर समन िी ऐसी तामीि िी गई है , यहद तामीि िरने वािे अधििारी
द्वारा ऐसी अपेक्ष ा िी जाती है तो दस
ू री प्रतत िे पष्ृ ठ भाग पर उसिे लिए रसीद
हस्ताक्षररत िरे गा।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 63 में तनगलमत तनिायों और सोसाइटी ऊपर समन िी तामीि
िे ववषय में बताया गया है।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 64 िे अनुसार, जहां सामान किया गया व्यस्क्त सम्यि
तत्परता बरतने पर भी ना लमि सिे वहां समन िी तामीि दो प्रततयों में से एि िो उसिे
िुटुंब िे साथ रहने वािे किसी वयस्ि पुरुष सदस्य िे पास उस व्यस्क्त िे लिए छोड़ िर
िी जा सिती है और यहद तामीि िरने वािे अधििारी द्वारा ऐसी अपेक्षा िी जाती है तो
उस व्यस्क्त िे पास ऐसे छोड़ा जाता है , वह दस
ू री पथ्
ृ वी िे पष्ृ ठ भाग पर उसिे लिए रसीद
हस्ताक्षररत िरे गा।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 65 िे अनस
ु ार, यहद िारा 62, िारा 63 या िारा 64 में बंधित
रूप से शालमि सम्यि तत्परता बरतने पर भी न िी जा सिे तो तामीि िरने वािा समन
िी दो प्रततयों में से एि िो उस गह
ृ या वास स्थान िे, स्जसमें समन जारी किया गया
व्यस्क्त मामूिी तौर पर तनवास िरता है, किसी सहज दृश्य भाग में िगाएगा और तब
न्यायािय ऐसी जांच िरने िे पश्चात जैसा ठीि समझें या तो यह घोवषत िर सिता है कि
समन िी सम्यि तामीि हो गई है या वह ऐसी रीतत से नई तामीि िा आदे श दे सिता
है, स्जसे वह उधचत समझे।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 66 िे अनुसार, जहां समन किया गया व्यस्क्त सरिार िी
सकिय सेवा में है वहां समन जारी िरने वािा न्यायािय मामूिी तौर पर ऐसा समन दो
प्रततयों में उच्च िायायिय िो भेजेगा, स्जसमें वह व्यस्क्त सेवि हैं और तब वह प्रिान द्वारा
िारा 60 में उपबंधित प्रिार से समन िी तामीि िराएगा और उस िारा द्वारा अपेक्षक्षत
पष्ृ ठांिन सहहत उस पर अपने हस्ताक्षर िरिे उसे न्यायािय िो िौटा दे गा । और ऐसा
हस्ताक्षर सम्यि तामीि िा साक्ष्य होगा।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 67 िे अनुसार, जब न्यायािय यह चाहता है कि उसिे द्वारा
जारी किए गए समन िी तामीि उसिी स्थानीय अधििाररता िे बाहर किसी स्थान में िी
जाए, तब वह मामूिी तौर पर ऐसा समन दो प्रततयों में उस मस्जस्रे ट िो भेजेगा स्जसिी
स्थानीय अधििाररता िे अंदर उसिी तामीि िी जानी है या समन किया गया व्यस्क्त
तनवास िरता है।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 68 िे अनस
ु ार, जब न्यायािय द्वारा जारी किए गए समन िी
तामीि उसिी स्थानीय अधििाररता िे बाहर िी गई है तब और ऐसे किसी मामिे में
स्जसमें वह अधििारी स्जसने समन तामीि िी है, मामिे िी सुनवाई िे समय उपस्स्थत
नहीं है, मस्जस्रे ट िे समक्ष किया गया तात्यवपयत यह शपथ पत्र कि ऐसे समन िी तामीि
हो गई है और समन िी दस
ू री प्रतत, स्जसिा उस व्यस्क्त द्वारा स्जसिो समन पररदत्त या
तनववदत्त किया गया था, या स्जसिे पास छोड़ा गया था प्रस्ताववत होना तात्यवपयत है, साक्ष्य
में ग्राह्य होगी और जब ति कि ततप्रततिूि साबबत ना किया जाए, उसमें किए गए िथन
सही माने जायेंगे। इस िारा में वखणयत शपथ पत्र समन िी दूसरी प्रतत में संिग्न किया जा
सिता है और न्यायािय िो भेजा जा सिता है ।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 69 िे अनुसार, इस अध्याय िी पूवयवती िाराओं में किसी बात
िे होते हुए भी साक्षी िे लिए समन जारी िरने वािा न्यायािय, ऐसा समन जारी िरने िे
अततररक्त और उसिे साथ-साथ तनदे श दे सिता है कि उस समय िी प्रतत िी तामीि
साक्षी िे उस स्थान िे पते पर, जहां वह मामूिी तौर पर तनवास िरता है या िारोबार
िरता है या अभीिाभाथय स्वयं िाम िरता है रस्जस्री िृत डाि द्वारा िी जाए।
जब साक्षी द्वारा हस्ताक्षर िी गई तात्यवपयत अलभस्वीिृतत या डाि िमयचारी द्वारा किया
गया तात्यवपयत यह पष्ृ ठांिन कि साक्षी ने समन िेने से इनिार िर हदया है , प्राप्त हो
जाता है तो समन जारी िरने वािा न्यायािय या घोवषत िर सिता है कि समन िी
तामीि सम्यि रूप से िर दी गई है ।

वारं ट
िततपय अपवादों िो छोड़िर यह एि सामान्य तनयम है कि किसी भी व्यस्क्त िो वारं ट िे
बबना धगरफ्तार नहीं किया जा सिता है। अतः जब िोई किसी व्यस्क्त िो वारं ट पर
धगरफ्तार िरता है तो उसिे पास उस व्यस्क्त िो धगरफ्तार िरने िा वारं ट होना चाहहए।
वारं ट से अभिप्राय - धगरफ्तारी िा वारं ट एि ऐसा आदे श है जो किसी व्यस्क्त िो धगरफ्तार
िरने िे लिए न्यायािय द्वारा जारी किया जाता है । वारं ट जारी िरते समय न्यायािय बड़ी
साविानी बरतता है , क्योंकि धगरफ्तारी िा वारं ट किसी व्यस्क्त िी व्यस्क्तगत स्वतंत्रता िो
समाप्त अथवा प्रततबंधित िरता है।
वारं ट के प्रकार - धगरफ़्तारी िे वारं ट दो प्रिार िे होते हैं –
1- जमानतीय वारं ट ( bailable warrant)
2- अजमानतीय वारं ट ( non bailable warrant)
िमानतीय वारं ट ( bailable warrant)- जमानतीय वारं ट िे अंतगयत किसी व्यस्क्त िो
धगरफ्तार िरने िा तनरपेक्ष रूप से आदे श नहीं होता। ऐसा वारं ट जारी िरने वािा
न्यायािय अपनी वववेिानुसार उस वारं ट पर पष्ृ ठांिन द्वारा यह तनदे श दे ता है कि यहद
धगरफ्तार किया जाने वािा व्यस्क्त तनस्श्चत ततधथ एवं समय पर न्यायािय में उपस्स्थत
होने िे लिए तैयार है और इसिे लिए वह प्रततभू सहहत बंिपत्र तनष्पाहदत िर देता है
तो उस व्यस्क्त िो बंिपत्र िेिर अलभरक्षा से मक्
ु त किया जा सिेगा। इस प्रिार
जमानतीय वारं ट एि वविल्प दे ता है कि धगरफ्तार किया जाने वािा व्यस्क्त प्रततभू
सहहत बंिपत्र तनष्पाहदत िर धगरफ्तारी से मक्
ु त हो सिता है।
3- अिमानतीय वारं ट ( non bailable warrant)- जमानतीय वारं ट से लभन्न
अजमानतीय वारं ट ( non bailable warrant) एि ऐसा वारं ट होता है स्जसमें प्रततभू
सहहत बंिनामे िा तनष्पादन जैसा िोई वविल्प नहीं होता और ऐसे वारं ट िे अंतगयत
धगरफ्तार किए जाने वािे पहिे व्यस्क्त िो अतनवाययत: धगरफ्तार िरिे न्यायािय िे
समक्ष प्रस्तुत िरना होता है। न्यायािय उसे जमानत पर मुक्त होने िा आदे श दे
सिता है। इस प्रिार अजमानतीय वारं ट धगरफ्तारी िा एि तनरपेक्ष आदे श दे ने वािा
वारं ट होता है।
वैध वारं ट की अननवाययताएं- दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 70 में वैि वारं ट िी
अतनवाययताओं िा उल्िेख किया गया है जो तनम्नलिखखत हैं-
1- वारं ट लिखखत होना चाहहए।
2- इसमें वारं ट िा तनष्पादन िरने वािे व्यस्क्त िा नाम और पद िा
उल्िेख होना चाहहए।
3- स्जस व्यस्क्त िो धगरफ्तार किया जाना है उसमें उसिा नाम और
उसिा पूरा वणयन होना चाहहए ।
4- इसमें अलभिधथत अपराि िा उल्िेख होना चाहहए।
5- वारं ट पर पीठासीन अधििारी द्वारा हस्ताक्षररत होना चाहहए।
6- वारं ट पर न्यायािय िी मद्र
ु ा िगी होनी चाहहए।
7- वारं ट िे तनष्पादन िे लिए सािारणतया िोई अवधि नहीं होती है । जब
ति उसिा तनष्पादन नहीं हो जाता या जब ति वह न्यायािय द्वारा वापस
नहीं मंगा लिया जाता, वारं ट चािू रहता है। इसलिए वारं ट में लिखी तारीख िे
बाद ही वारं ट िी तामीि िी जा सिती है।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 71 िे अनुसार, धगरफ्तारी िे लिए वारं ट जारी
िरते समय, न्यायािय यहद चाहे तो धगरफ्तार किए गए व्यस्क्त िो पयायप्त
प्रततभूओं सहहत बंिपत्र तनष्पाहदत िरने िे पश्चात छोड़ने िा तनदे श भी वारं ट
में दे सिता है। तब वारं ट िा तनष्पादन िरने वािा व्यस्क्त धगरफ्तार किए
गए व्यस्क्त िो जमानत पर छोड़ सिता है। न्यायािय जमानत पर छोड़ने िे
लिए वारं ट पष्ृ ठांिन िरे गा स्जसमें तनम्नलिखखत बातें होंगी :--
1- प्रततभूओं िी संख्या,
2- वह रिम, स्जसिे लिए िमशः प्रततभू और वह व्यस्क्त, स्जसिी
धगरफ्तारी िे लिए वारं ट जारी किया गया है , आबद्ि होते हैं,
3- वह समय जब न्यायािय िे समक्ष उस व्यस्क्त िो उपस्स्थत होना है ।
यहद व्यस्क्त जमानत पर छोड़ हदया जाता है तो वारं ट िे साथ जमानत
िे िागजात भी न्यायािय में भेज हदए जाएंगे।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 72 िे अनुसार धगरफ्तारी िा वारं ट मामूिी
तौर पर एि या अधिि पलु िस अधििाररयों िो तनहदयष्ट होगा, किं तु यहद
ऐसे वारं ट िा तुरंत तनष्पादन आवश्यि है और िोई पुलिस अधििारी
तरु ं त ना लमि सिे तो वारं ट जारी िरने वािा न्यायािय किसी अन्य
व्यस्क्त या व्यस्क्तयों िो उसे तनहदयष्ट िर सिता है और ऐसा व्यस्क्त या
ऐसे व्यस्क्त उसिा तनष्पादन िरें गे।
िारा 73 िे अनुसार, मुख्य न्यातयि मस्जस्रे ट या प्रथम वगय
मस्जस्रे ट तनम्न प्रिार िे व्यस्क्तयों िी धगरफ्तारी िे लिए अपनी
स्थानीय अधििाररता िे अिीन किसी भी व्यस्क्त िो वारं ट
तनहदयष्ट िर सिता है –
• तनिि भागा लसद्ि दोष अपरािी,
• उदघोवषत अपरािी,
• ऐसा व्यस्क्त जो किसी और जमानती अपराि िा
अलभयुक्त हो तथा स्वयं िो धगरफ्तारी से बचा रहा हो।
मस्जस्रे ट द्वारा इस प्रिार तनहदयष्ट व्यस्क्त वारं ट िी
प्रास्प्त िो लिखखत रूप से अलभस्वीिृत िरे गा और यहद
वह व्यस्क्त ही स्जस िो धगरफ्तारी िे लिए वारं ट जारी
किया गया है, उसिे बाहर सािन िे अिीन किसी भूलम
में या संपवत्त में है या प्रवेश िरता है , तो वह उस वारं ट
िा तनष्पादन िरे गा और व्यस्क्त िो धगरफ्तार िरे गा ।
जब वह व्यस्क्त स्जसिे ववरुद्ि वारं ट जारी किया गया
है, धगरफ्तार िर लिया जाता है तब-
ि- उसे वारं ट सहहत तनिटतम पुलिस थाने िे हवािे िर हदया
जाएगा, और
ख- यहद वह पुलिस अधििारी िारा 71 िे अिीन प्रततभूतत िेने िे
लिए तनहदयष्ट नहीं किया गया है , तो उस दशा में धगरफ्तार किए गए
व्यस्क्त िो अधििाररता रखने वािे मस्जस्रे ट िे पास भेज हदया
जाएगा।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 74 िे अनुसार, किसी पुलिस अधििारी िो तनहदयष्ट वारं ट िा तनष्पादन किसी अन्य ऐसे
पुलिस अधििारी द्वारा भी किया जा सिता है स्जसिा नाम वारं ट पर उस अधििारी द्वारा पष्ृ ठांकित किया जाता
है स्जसे तनहदयष्ट या पष्ृ ठांकित है।
संहहता िी िारा 75 िे अनुसार, पुलिस अधििारी या अन्य व्यस्क्त
जो धगरफ्तारी िे बारे में िा तनष्पादन िर रहा है , उस व्यस्क्त िो
स्जसे धगरफ्तार िरना है , उसिा सार( substance) सधू चत िरे गा
और यहद ऐसी अपेक्षा िी जाती है तो वारं ट उस व्यस्क्त िो हदखा
दे गा ।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 76 िे अनुसार, पुलिस अधििारी या
अन्य व्यस्क्त जो धगरफ्तारी िे वारं ट िा तनष्पादन िरता है ,
धगरफ्तार किए गए व्यस्क्त िो अनावश्यि वविंब िे बबना, उसे
न्यायािय िे समक्ष िाएगा, स्जसिे समक्ष उस व्यस्क्त िो पेश
िरने िे लिए वह ववधि द्वारा अपेक्षक्षत है परं तु ऐसा वविंब किसी
भी दशा में धगरफ्तारी िे स्थान से मस्जस्रे ट िे न्यायािय ति,
यात्रा िे लिए आवश्यि समय िो छोड़िर 24 घंटे से अधिि नहीं
होगा।
संहहता िी िारा 77 िे अनुसार, धगरफ्तारी िा वारं ट भारत िे किसी
भी स्थान में तनष्पाहदत किया जा सिता है ।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 78 में उस दशा में वारं ट िे तनष्पादन
िा तरीिा बताया गया है जब उसिा तनष्पादन उसे जारी िरने
वािे न्यायािय िी स्थानीय अधििाररता से बाहर किया जाना हो।
इस तरह िे वारं ट िो न्यायािय किसी व्यस्क्त िो तनहदयष्ट िरने
िे बजाय उसे डाि से या किसी अन्य तरीिे से उस िाययपािि
मस्जस्रे ट या स्जिा पुलिस अिीक्षि या पुलिस आयुक्त िो भेज
सिता है स्जसिी अधििाररता िी स्थानीय सीमाओं िे भीतर वारं ट
तनष्पादन किया जाना है । मस्जस्रे ट, पुलिस अिीक्षि या पुलिस
आयक्
ु त इस प्रिार प्राप्त किए गए वारं ट पर अपना नाम पष्ृ ठांक ित
िरिे उसिा तनष्पादन पूवयवती िाराओं में वखणयत रीतत िे अनुसार
सुतनस्श्चत िरें ग।े
संहहता िी िारा 79 िे अनुसार, 1- इस िारा िे अंतगयत उस
प्रकिया िा तनिायरण किया गया है जब िोई वारं ट पुलिस अधििारी
िो उसिी अधििाररता िे बाहर तनष्पादन िे लिए तनहदयष्ट किया
गया हो। इस तरह िी स्स्थतत में ऐसा तनहदयष्ट पलु िस अधििारी
वारं ट पर पष्ृ ठांिन िराने िे लिए सामान्यत: उसे उस िाययपािि
मस्जस्रे ट िे पास या पुलिस अधििारी िे पास िे जाता है , स्जसिी
अधििार ताकि स्थानीय सीमाओं िे अंदर वारं ट िा तनष्पादन किया
जाना है। यहां पुलिस अधििारी िो थाने िे भारसािि अधििारी से
अतनम्न पंस्क्त िा नहीं होना चाहहए।
2- मस्जस्रे ट व पुलिस अधििारी जब वारं ट पर अपना नाम
पष्ृ ठांकित िर दे ते हैं, तब पष्ृ ठांिन तनहदयष्ट पलु िस अधििारी िे
लिए तनष्पादन िा प्राधििार बन जाता है और स्थानीय पलु िस
अपेक्षा किए जाने पर उसिी सहायता िरती है। परं तु तनदे श पलु िस
अधििारी वविम्ब िे िारण तनष्पादन ना हो सिने िी स्स्थतत िा
आििन िरिे पष्ृ ठांिन िराए बगैर वारं ट िा तनष्पादन िर सिता
है।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 80 िे अनुसार, जब धगरफ्तारी िे वारं ट िा
तनष्पादन उस स्जिे से बाहर किया जाता है स्जसमें वह जारी किया गया था तब
धगरफ्तार किए गए व्यस्क्त िो, उस दशा िे लसवाय स्जसमें वह न्यायािय
स्जसने वह वारं ट जारी किया गया है , धगरफ्तारी िे स्थान से 30 कििोमीटर िे
अंदर है या उस िाययपािि मस्जस्रे ट या स्जिा पुलिस अिीक्षि या पुलिस
आयुक्त से स्जसिी अधििार ताकि स्थानीय सीमाओं िे अंदर धगरफ्तारी िी गई
थी, अधिि तनिट है , यह िारा 71 िे अिीन प्रततभूतत िे िी गई है , ऐसे
मस्जस्रे ट या स्जिा अिीक्षि या आयुक्त िे समक्ष िे जाया जाएगा।
िारा 81 िे अनुसार, यहद धगरफ्तार किया गया व्यस्क्त वही प्रतीत
होता है जो वारं ट जारी िरने वािे न्यायािय द्वारा आशतयत है तो
ऐसा िाययपािि मस्जस्रे ट या स्जिा पुलिस अिीक्षि या पुलिस आयुक्त
उच्च न्यायािय िे पास उसे अलभरक्षा में भेजने िा तनदे श दे गा
परं तु यहद अपराि जमानती है और ऐसा व्यस्क्त ऐसी जमानत दे ने िे लिए तैयार और
रजामंद है स्जससे ऐसे मस्जस्रे ट, स्जिा अिीक्षि किया आयुक्त िा समािान हो जाएगा
वारं ट पर िारा 71 िे अिीन तनदे श पष्ृ ठांकित है और ऐसा व्यस्क्त ऐसे तनदे श द्वारा
अपेक्षक्षत प्रततभूतत दे ने िे लिए तैयार और रजामंद है तो वह मस्जस्रे ट, स्जिा अिीक्षि
या आयक्
ु त यथास्स्थतत ऐसी जमानत या प्रततभतू त िेगा और बंि पत्र उच्च न्यायािय िो
भेज दे गा स्जसने वारं ट जारी किया था
परं तु यह और कि यहद अपराि अजमानतीय है तो ( िारा 437 िे उप बंिों िे अिीन रहते हुए) मुख्य न्यातयि
मस्जस्रे ट िे लिए या उस स्जिे िे स्जसमें धगरफ्तारी िी गई है सेशन न्यायािीश िे लिए िारा 78 िी उप िारा 2
में तनहदयष्ट जानिारी और दस्तावेजों पर ववचार िरने िे पश्चात ऐसे व्यस्क्त िो छोड़ दे ना ववधि पूणय होगा।
इस िारा िी िोई बात पुलिस अधििारी िो िारा 71 िे अिीन प्रततभूतत िेने से रोिने
वािी न समझी जाएगी।

गिरफ्तारी
भारतीय संवविान िा अनुच्छेद 21 यह िहता है कि, “ किसी भी व्यस्क्त िो उसिी प्राण एवं दै हहि स्वतंत्रता से
ववधि द्वारा स्थावपत प्रकिया द्वारा ही वंधचत किया जा सिता है अन्यथा नहीं”
जब व्यस्क्त िो धगरफ्तार किया जाता है तो उसिी व्यस्क्तगत स्वतंत्रता प्रभाववत होती है परं तु दं ड प्रकिया संहहता
में ववधि द्वारा स्थावपत प्रकिया िी तनयमाविी है स्जसमें जब किसी व्यस्क्त िो वारं ट िे बबना या वारं ट सहहत
धगरफ्तार किया जाता है तो उसिी व्यस्क्तगत स्वतंत्रता पर किसी प्रिार िा िोई प्रभाव नहीं पड़ता है ।
सामान्यतया िोई भी पलु िस ऑकिसर बबना मस्जस्रे ट िे जारी किए गए वारं ट िे बबना किसी व्यस्क्त िो धगरफ्तार
नहीं िर सिता है किं तु दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 41, 42, 60 (2), 109, 110, 123(6), 151(1), 432(2) में वह
आिार बताए गए हैं स्जनिे आिार पर किसी भी व्यस्क्त िो बबना वारं ट िे या मस्जस्रे ट िे आदे श िे बबना
धगरफ्तार किया जा सिता है , वे आिार तनम्न प्रिार हैं-
1. िारा 41 िे अंतगयत िोई पलु िस अधििारी मस्जस्रे ट िे आदे श िे बबना और वारं ट िे
बबना किसी ऐसे व्यस्क्त िो धगरफ्तार िर सिता है -
(ि) जो पुलिस अधििारी िी उपस्स्थतत में संज्ञेय अपराि िरता है ।
(ख) स्जसिे ववरूद्ि िोई युस्क्तयुक्त पररवाद किया गया है , या ववश्वसनीय जानिारी
प्राप्त हुई है कि उसने ऐसे िारावास से स्जसिी अवधि 7 वषय से िम िी हो सिेगी, या
7 वषय ति हो सिेगी, चाहे वह जुमायने सहहत हो या रहहत, दं डनीय संज्ञेय अपराि किया
है।
(ख ि ) स्जसिे ववरूद्ि ववश्वसनीय जानिारी प्राप्त हुई है कि उसने ऐसे िारावास से
स्जसिी अवधि 7 वषय से अधिि हो सिेगी, चाहे वह जम ु ायने सहहत हो या रहहत, अथवा
मत्ृ यु दं डादे श से दं डनीय संज्ञेय अपराि किया है और पुलिस अधििारी िे पास उस
जानिारी िे आिार पर यह ववश्वास िरने िा िारण है कि ऐसे व्यस्क्त ने उक्त अपराि
किया है।
(ग) जो इस संहहता िे अिीन या राज्य सरिार द्वारा उदघोवषत अपरािी हो।
(घ) स्जसिे िब्जे में िोई ऐसी चीज पाई जाती है स्जसिो चरु ाई हुई संपवत्त होने िा उधचत रूप से
संदेह किया जा सिता है और स्जस पर ऐसी चीज िे बारे में अपराि िरने िा उधचत रूप से
संदेह किया जा सिता है।
(ङ) जो पुलिस अधििारी िे ितयव्य तनवयहन में बािा पहुंचाए या ऐसे पुलिस अधििारी िी अलभरक्षा
से भागा हो ।
(च) स्जस पर संघ िे सशस्त्र बिों में से किसी िे अलभत्याजि होने िा उधचत संदेह है।
(छ) ऐसा व्यस्क्त स्जसने भारत िे बाहर िोई अपराि िाररत किया हो जो यहद भारत में िरता तो
दं डनीय अपराि होता।
(ज) छोड़ा गया लसद्िदोष व्यस्क्त स्जसने संहहता िी िारा 356(5) िे तनयमों िा उल्िंघन किया हो।
(झ) ऐसा व्यस्क्त स्जसे अन्य थाने िे पुलिस अधििारी ने धगरफ्तार िरने िे लिए अध्यपेक्षा िी हो।
(2) िारा 42 िे अंतगयत जो पलु िस अधििारी िी उपस्स्थतत में और असंज्ञेय अपराि िरता है और
ऐसे अधििारी िी मांग पर नाम व पता बताने से इंिार िरता है ।
(3) िारा 60 (2) िे अनुसार, यहद िोई ववधि पूणय अलभरक्षा से तनिि भागता है , या छुड़ा लिया
जाता है, तो पुलिस अधििारी वारं ट िे बबना उसे धगरफ्तार िर सिता है।
(4) िारा 109 या 110 िे प्रवगों में से किसी एि िे अंतगयत आता है ।
(5) संहहता िी िारा 123 (1)िे अंतगयत जब िोई व्यस्क्त प्रततभू दे ने में वविि रहने पर सशतय
उनमोधचत किया जाता है और यहद ऐसी शतय िा उल्िंघन िरता है तो ऐसे व्यस्क्त िो िारा
123(6) िे अंतगयत बबना वारं ट िे धगरफ्तार किया जा सिता है ।
(6) संहहता िी िारा 151(1) िे अंतगयत संज्ञेय अपराि िी योजना बना रहे व्यस्क्त िो पुलिस
अधििारी बबना वारं ट िे धगरफ्तार िर सिता है ।
(7) दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 432 (3) िे अंतगयत समुधचत सरिार किसी व्यस्क्त िे ववरुद्ि
पाररत दं ड आदे श सशतय या बबना शतय िे तनिंबन या पररहार िे आदे श िो तनरस्त िर सिती है ,
वहां किसी पुलिस अधििारी द्वारा बबना वारं ट धगरफ्तार किया जा सिता है।

प्राइवेट व्यजक्त द्वारा गिरफ्तारी और ऐसी गिरफ्तारी पर प्रक्रिया


दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 43 िे अनुसार, (1) िोई प्राइवेट
व्यस्क्त किसी ऐसे व्यस्क्त िो जो उसिी उपस्स्थतत में और अजमानतीय और संज्ञेय अपराि
िरता है, या किसी और उदघोवषत अपरािी िो धगरफ्तार िर सिता है या धगरफ्तार िरवा सिता
है और ऐसे धगरफ्तार किए गए व्यस्क्त िो अनावश्यि वविंब िे बबना पुलिस अधििारी िे हवािे
िर दे गा या हवािे िरवा दे गा या पुलिस अधििारी िी अनुपस्स्थतत में ऐसे व्यस्क्त िो अलभरक्षा
में लिखखत तनिटतम पुलिस थाने िे जाएगा या लभजवाएगा।
(2) यहद यह ववश्वास िरने िा िारण है कि ऐसा व्यस्क्त िारा 41 िे उपबंिों िे अंतगयत आता
है तो पुलिस अधििारी उसे किर से धगरफ्तार िरे गा।
(3) यहद यह ववश्वास िरने िा िारण है कि उसने असंज्ञेय अपराि किया है और वह पुलिस
अधििारी िी मांग पर अपना नाम और पता बताने से इंिार िरता है , ऐसा नाम या तनवास
बताता है, स्जसिे बारे में ऐसे अधििारी िो यह ववश्वास िरने िा िारण है कि वह लमथ्या है, तो
उसिे ववषय में िारा 42 िे उपबंिों िे अिीन िारयवाई िी जाएगी; किं तु यहद यह ववश्वास िरने
िा िोई पयायप्त िारण नहीं है कि उसने िोई अपराि किया है तो वह तुरंत छोड़ हदया जाएगा।

मजिस्ट्रे ट द्वारा गिरफ्तारी


दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 44 िे अनस
ु ार,
(1) जब िाययपािि या न्यातयि मस्जस्रे ट िी उपस्स्थतत में उसिी स्थानीय अधििाररता िे अंदर िोई
अपराि किया जाता है तो वह अपरािी िो स्वयं धगरफ्तार िर सिता है या गद्दार िरने िे लिए
किसी व्यस्क्त िो आदे श दे सिता है और तब जमानत िे बारे में इसमें अन्तववयष्ट उपबंिों िे अिीन
रहते हुए, अपरािी िो अलभरक्षा िे लिए सुपुदय िर सिता है।
(2) िोई िाययपािि या न्यातयि मस्जस्रे ट किसी भी समय अपनी स्थानीय अधििाररता िे भीतर किसी
ऐसे व्यस्क्त िो धगरफ्तार िर सिता है , या अपनी उपस्स्थतत में उसिी धगरफ्तारी िा तनदे श दे सिता
है, इसिी धगरफ्तारी िे लिए बहुत समय और उन पररस्स्थततयों में वारं ट जारी िरने िे लिए सक्षम है।

गिरफ्तारी कैसे की िाएिी?


दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 46 िे अंतगयत धगरफ्तारी िी रीतत िे बारे में आवश्यि उपबंि किए
गए हैं। इस िारा िे उपबंिों िे अनुसार,
(1) धगरफ्तार िरने वािा पुलिस अधििारी या व्यस्क्त धगरफ्तार किए जाने वािे व्यस्क्त िे शरीर िो
वास्तववि रुप से स्पशय िरिे या परररुद्ि िरिे धगरफ्तारी िायायस्न्वत िरे गा। िेकिन इस प्रिार
िी धगरफ्तारी िी रीतत िेवि उस दशा में अपनाई जाएगी जब धगरफ्तार किया जाने वािा व्यस्क्त
स्वयं िो उसिे वचन या िमय द्वारा अपने िो अलभरक्षा में समवपयत ना िर हदया हो।
परं तु जहां महहिा िो धगरफ्तार किया जाना है , जब ति पररस्स्थततयां प्रततिूिता नहीं दशायती
हो, धगरफ्तारी िी मौखखि सूचना पर अलभरक्षा िे लिए उसिो, सुिाररत किया जाएगा और जब
ति पररस्स्थततयां अन्यथा अपेक्षा ना िरें पुलिस अधििारी महहिा ना हो, पुलिस अधििारी महहिा
व्यस्क्त िो उसिी धगरफ्तारी िे लिए स्पशय नहीं िरे गा।
(2) यहद ऐसा व्यस्क्त अपनी धगरफ्तार किए जाने िे प्रयास िा बिपूवयि प्रततरोि िरता है धगरफ्तारी
से बचने िा प्रयत्न िरता है तो ऐसा पुलिस अधििारी या अन्य व्यस्क्त धगरफ्तारी िरने िे लिए
आवश्यि सब सािनों िो उपयोग में िा सिता है।
(3) इस िारा िी िोई बात ऐसे व्यस्क्त िी मत्ृ यु या आजीवन िारावास से दं डनीय अपराि िा
अलभयोग नहीं है, मत्ृ यु िाररत िरने िा अधििार नहीं दे ती है ।
(4) िेवि असामान्य पररस्स्थततयों िे अततररक्त किसी भी महहिा िो सूयायस्त िे पश्चात और
सूयोदय िे पूवय धगरफ्तार नहीं किया जा सिेगा और जहां ऐसी असामान्य पररस्स्थततयों ववद्यमान
हों, एि महहिा पुलिस अधििारी एि लिखखत ररपोटय बनािर प्रथम श्रेणी न्यातयि मस्जस्रे ट, स्जस
िे क्षेत्राधििार में अपराि किया गया है या धगरफ्तारी होनी है , से पूवायनुमतत प्राप्त िरे गी।

गिरफ्तार क्रकए िए व्यजक्त के अगधकार


दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 50, 50 ि, 55 ि, िारा 57, िारा 41घ एवं
भारतीय संवविान िे अनुच्छेद 22 िे अंतगयत धगरफ्तार किए गए व्यस्क्तयों िे अधििारों िा
वणयन किया गया है जो इस प्रिार हैं-
1- धारा 50 - गिरफ्तार क्रकए िए व्यजक्त को गिरफ्तारी के आधारों और िमानत के
अगधकार की सूचना हदया िाना-
(1) किसी व्यस्क्त िो वारं ट िे बबना धगरफ्तार िरने वािा प्रत्येि पुलिस अधििारी या अन्य
व्यस्क्त उस व्यस्क्त िो उस अपराि िी, स्जसिे लिए वह धगरफ्तार किया गया है, पूणय
ववलशष्टयााँ या ऐसी धगरफ्तारी िे अन्य आिार तुरंत संसूधचत िरे गा।
(2) जहां िोई पलु िस अधििारी और अजमानतीय अपराि िे अलभयक्
ु त व्यस्क्त से लभन्न
किसी व्यस्क्त िो वारं ट िे बबना धगरफ्तार िरता है वहां वह धगरफ्तार किए व्यस्क्त िो
सूचना दे गा कि वह जमानत पर छोड़े जाने िा हिदार है और वह अपनी ओर से
प्रततभूओं िा इंतजाम िरे ।
संहहता िी िारा 50(1) उपबंि संवविान िे अनुच्छेद 22(1) िे समान है।

(2) धारा 50 क - गिरफ्तार करने वाले व्यजक्त की नाम ननहदयष्ट व्यजक्त को गिरफ्तारी आहद की
िानकारी दे ने की बाध्यता-
(1) इस संहहता िे अिीन प्रत्येि पुलिस अधििारी या अन्य धगरफ्तारी िरने वािे
व्यस्क्त िी बाध्यता होगी कि ऐसी धगरफ्तारी और उसिे स्थान जहां धगरफ्तार
व्यस्क्त िो रखा गया है , िे संबंि में तुरंत धगरफ्तार व्यस्क्त िे लमत्रों, संबंधियों
या अन्य ऐसे व्यस्क्तयों िो, जो धगरफ्तार व्यस्क्त द्वारा बताए या नाम तनहदयष्ट
किए गए हो, िो जानिारी िरें ।
(2) जैसे ही धगरफ्तार व्यस्क्त िो पुलिस स्टे शन िाया जाता है, पुलिस अधििारी
धगरफ्तार व्यस्क्त िो उप िारा 1 िे अिीन, उसिे अधििारों िे बारे में
बताएगा।
(3) ऐसे धगरफ्तार व्यस्क्त िो सूचना दे ने िे तथ्य िी प्रववस्ष्ट ऐसी किताब में िी
जाएगी जो राज्य सरिार द्वारा इस संबंि में तनिायररत प्रारूप िी पुलिस स्टे शन
में रखी गई हो।
(4) स्जस मस्जस्रे ट िे समक्ष धगरफ्तार व्यस्क्त िो पेश किया जाता है , उसिा यह
ितयव्य होगा, कि वह ऐसे धगरफ्तार व्यस्क्त िे संबंि में उप िारा 2 और उप
िारा 3 िी अपेक्षाओं िी अनुपािना से अपने आप िो संतुष्ट िरे ।
(3) धारा 55 क - गिरफ्तार व्यजक्त का स्ट्वास्ट््य और सुरक्षा- अलभयुक्त िे स्वास्थ्य और
सुरक्षा िी युस्क्त युक्त साविानी रखने िा ितयव्य अलभरक्षा रखने वािे व्यस्क्त िा होगा।
(4) धारा 57- गिरफ्तार क्रकए िए व्यजक्त का 24 घंटे से अगधक ननरुद्ध न क्रकया िाना-
िोई पलु िस अधििारी वारं ट िे बबना धगरफ्तार किए गए व्यस्क्त िो उससे अधिि अवधि
िे लिए अलभरक्षा में ववरुद्ि नहीं रखेगा जो उस मामिे िी सब पररस्स्थततयों में उधचत
है तथा ऐसी अवधि, मस्जस्रे ट िे िारा 167 िे अिीन ववशेष आदे श िे अभाव में
धगरफ्तारी िे स्थान से मस्जस्रे ट िे न्यायािय ति यात्रा िे लिए आवश्यि समय िो
छोड़िर, 24 घंटे से अधिि िी नहीं होगी।
(5) धारा 41घ - गिरफ्तार क्रकए िए व्यजक्त को पूछताछ के दौरान अपनी पसंद के
अगधवक्ता से भमलने का अगधकार- जब किसी व्यस्क्त िो धगरफ्तार किया जाता है और
पुलिस द्वारा पूछताछ िी जाती है, धगरफ्तार व्यस्क्त पूछताछ िे दौरान अपनी पसंद िे
अधिवक्ता से लमिने िा हिदार होगा किं तु संपूणय पूछताछ िे दौरान नहीं।

प्रथम इत्तिला ररपोटय ( First Information Report)


प्रथम ररपोटय सूचना से अलभप्राय ऐसी सूचना से है जो किसी व्यस्क्त
द्वारा किसी पुलिस अधििारी िो दी जाती है एवं किसी संज्ञेय अपराि िे िायय किए
जाने से संबंधित होती है ।
ू ना अभिभलखित करने की रीनत- दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 154 (1) यह उपबंधित
सच
िरती है कि संज्ञेय अपराि िी किए जाने से संबंधित प्रत्येि इवत्तिा, यहद पुलिस थाने
िे भारसािि अधििारी िो मौखखि दी गई है तो उसिे द्वारा या उसिे तनदे शािीन
िेखबद्ि िर िी जाएगी और इवत्तिा दे ने वािे िो पढ़िर सुनाई जाएगी और प्रत्येि
ऐसी इवत्तिा पर, चाहे वह लिखखत रूप में दी गई हो या पूवोक्त रूप में िेखबद्ि िी
गई हो, उस व्यस्क्त द्वारा हस्ताक्षर किए जाएंगे जो उसे दे और उसिा सार ऐसी पुस्ति
में, जो उस अधििारी द्वारा ऐसे रूप में रखी जाएगी स्जसे राज्य सरिार इस तनलमत्त
ववहहत िरे, प्रववस्ष्ट किया जाएगा।
िारा 154(2) िे अनुसार, उप िारा 1 िे अिीन अलभलिखखत इवत्तिा िी
प्रततलिवप, इवत्तिा दे ने वािे िो तत्िाि तनशुल्ि दी जाएगी।
िारा 154 िे अनुसार किसी संज्ञेय अपराि िी थाने िे भारसािि अधििारी
िो लिखखत या मौखखि सूचना, प्रथम सूचना ररपोटय(F.I.R.) है। इवत्तिा िहीं से भी प्राप्त
हो सिती है। यह गुमनाम भी हो सिती है। टे िीिोन द्वारा अपराि िी सूचना f.i.r. है
यहद अपराि िा स्पष्ट वणयन है । मामिे िे आिार पर प्रथम इवत्तिा होती है और चाहे
वह सत्य है अथवा लमथ्या।
प्रथम सच
ू ना ररपोटय िे संबंि में माननीय उच्चतम न्यायािय द्वारा लभलता
कुमारी बनाम उिर प्रदे ि सरकार और अन्य 2008 के बाद में ववस्तत
ृ रूप से प्रथम
सूचना ररपोटय दजय किए जाने िे संबंि में हदशा तनदे श हदए हैं जो तनम्नलिखखत हैं-
1- यहद सूचना से किसी संज्ञेय अपराि िा िाररत होना प्रिट होता है तब िारा 154
िे अंतगयत प्रथम सूचना ररपोटय दजय किया जाना ववधिि रूप से आदे शात्मि हैं और
ऐसे किसी पररस्स्थतत में िोई भी प्रारं लभि जांच िी अनुमतत दे ने योग्य नहीं होगी ।
2- यहद प्राप्त सूचना किसी संज्ञेय अपराि िो प्रिट नहीं िरता है बस्ल्ि किसी जांच
िी आवश्यिता दलशयत िरता है तो प्रारं लभि जांच िी जा सिती हैं किं तु िेवि यह
सुतनस्श्चत िरने िे लिए कि क्या संज्ञेय अपराि प्रिट होता है या नहीं।
3- यहद जांच से किसी संगे अपराि िा पता चिता है , प्रथम सूचना ररपोटय अवश्य
दजय किया जाना चाहहए। ऐसे मामिों में जहां प्रारं लभि जांच सूचना िो बंद िर दे ने
िे रूप में समाप्त होता है , ऐसे आशय िे प्रववस्ष्ट िी एि प्रतत तत्िाि प्रथम
सूचना दाता िो हदया जाना चाहहए और ना कि 1 सप्ताह बाद। उसमें जांच बंद
िरने िा और आगे िाययवाही नहीं िरने िा संक्षेप में िारण भी दलशयत होना चाहहए।
4- यहद संगे अपराि दलशयत होता है तब पलु िस अधििारी अपराि िो दजय िरने िे
अपने ितयव्य से बच नहीं सिता है। उपेक्षावान अधििारी जो किसी संज्ञेय अपराि
प्रिट िरते हुए सूचना िो उसिे द्वारा प्राप्त होने िे बाद भी, प्रथम सूचना ररपोटय
दजय नहीं िरता है, िे ववरुद्ि िारयवाई किया जाना चाहहए।
5- प्रारं लभि जांच िा ववस्तार क्षेत्र प्राप्त सच
ू ना िी सत्यता या अन्यथा िो सत्यावपत
िरना नहीं है बस्ल्ि िेवि यह सुतनस्श्चत िरना है कि क्या सूचना किसी संज्ञेय
अपराि िो प्रिट िरता है ।
6- किस प्रिार िे और किन मामिों में प्रारं लभि जांच किया जाना चाहहए, प्रत्येि
मामिे िे तथ्यों और पररस्स्थततयों पर तनभयर िरे गा। मामिों िे िुछ श्रेणी स्जनमें
प्रारं लभि जांच िी जा सिती है इस प्रिार हैं- क- वैवाहहि वववाद/ पाररवाररि वववाद
ि - वाखणस्ज्यि अपराि ि - धचकित्सीय उपेक्षा िे मामिे घ - भ्रष्टाचार िे
मामिे ङ्ि - ऐसे मामिे जहां दांडडि अलभयोजन प्रारं भ किए जाने में अत्यधिि
वविंब/ उपेक्षा िी गई है।
7- अलभयुक्त और पररवादी िे अधििारों िो सुतनस्श्चत िरने तथा उनिी संरक्षा िरते
हुए ऐसे प्रारं लभि जांच एि तनस्श्चत समय सीमा िे भीतर िर लिया जाना चाहहए
और किसी भी दशा में यह 7 हदन से अधिि नहीं होना चाहहए ।
8- चाँकू ि जनरि डायरी/ स्टे शन डायरी/ डेिी डायरी पुलिस स्टे शन में प्राप्त िी गई
ू नाओं िे अलभिेख हैं, अतः हम तनदे श दे ते हैं कि संज्ञेय अपरािों से
सभी सच
संबंधित सभी सूचना, चाहे वह प्रथम सूचना ररपोटय दजय किए जाने िे रूप में
पररणालमत हो या िोई जांच िरने िी अग्रसरता में, उक्त डायररयो में अवश्य ही
प्रत्यावततयत होनी चाहहए।

प्रथम सच
ू ना ररपोटय का साजययक मल्
ू य
यद्यवप प्रथम सूचना ररपोटय मौलिि साक्ष्य नहीं है क्योंकि यह
ना तो किसी तथ्य पर आिाररत होती है और ना ही शपथ पर दी जाती है और ना
ही इसिी प्रतत परीक्षा हो सिती है । इसमें िेवि घटना िा संक्ष क्षप्त वववरण होता है
किर भी भारतीय साक्ष्य अधितनयम िी तनम्न िाराओं िे अंतगयत सुसंगत एवं ग्राह्य
हो सिती है-
1- यह िारा 8 िे अंतगयत आचरण से संबंधित होने िे िारण प्रथम सूचना ररपोटय
सुसंगत हो सिती है।
2- प्रथम सच
ू ना ररपोटय िा प्रयोग सच
ू ना दाता िो न्यायािय में साक्षी िे रूप में
हास्जर होने पर साक्ष्य अधितनयम िी िारा 157 िे अिीन सूचना िी संपुस्ष्ट
िे रूप में अथवा िारा 145 िे अिीन सूचना दाता िी सूचना िो खंडडत िरने
िे रूप में होता है ।
3- जहां ऐसी सूचना दाता िी मत्ृ यु हो चुिी है और प्रथम सूचना ररपोटय ऐसे
सूचना दाता िी मत्ृ यु से संबंधित है , वहां साक्ष्य अधितनयम िी िारा 32 िी
उप िारा 1 िे अिीन सच
ू ना दाता िी सच
ू ना मत्ृ यु िािी िथन िे रूप में
ग्राह्य होगी।
4- वविंब से दजय िराई गई प्राथलमिी िा सास्क्ष्यि मूल्य िम हो जाता है यहद
वविंब िा िारण स्पष्ट ना हो।
त्तवद्याधर बनाम केरल राज्य िे मामिे में जहां किसी स्त्री िे शीिभंग
िे मामिे में प्राथलमि दजय िराने में वविंब िा उधचत िारण दशायया गया हो,
तो इसिा मामिे िे तनणयय पर प्रततिूि प्रभाव नहीं पड़ेगा।
रघव
ु ीर भसंि बनाम िररयाणा राज्य के मामले में
माननीय उच्चतम न्यायािय ने तनणयय हदया कि हत्या िे प्रिरण में मत
ृ ि
व्यस्क्त िो पहिे अस्पताि िे जाया जाना और इसिे बाद पुलिस थाने िे
जािर प्राथलमिी दजय िराना वविंब िे लिए पयायप्त िारण माना जाएगा।
कनायटक राज्य बनाम िास्ट्कर कुिाली कोठारकर िे मामिे
में यह अभी तनिायररत किया गया कि साक्ष्य िो प्रथम सूचना ररपोटय में वविंब
िे आिार पर अस्वीिार नहीं किया जा सिता ववशेष रूप से ऐसी पररस्स्थतत में
जब अन्य प्रत्यक्षदशी साक्षी घटनास्थि पर मौजूद हूं।
प्रथम सच
ू ना ररपोटय मि
ू साक्ष्य नहीं है और इसिा
िेवि सीलमत उद्दे श्यों िे लिए प्रयोग हो सिता है , जैसे- आरोवपत अपराि िी
पुस्ष्ट िरना या उसिा ववरोि िरना अथवा यह हदखाना कि अलभयुक्त िा
आशीवायद में तनलमयत ववचार नहीं था अथवा बाद वस्तु(res geste ) नहीं था
अथवा यह साक्ष्य अधितनयम िी िारा 32 िी उप िारा 1 िे अंतगयत उधचत
मामिे में नहीं हदया गया था अथवा यह साक्ष्य अधितनयम िी िारा 8 िे
अंतगयत सच
ू ना दे ने वािे िे आचरण िा भाग नहीं था।

प्रथम सूचना ररपोटय का मित्व


यद्यवप प्रथम सूचना ररपोटय िोई ज्ञान िोष (
encyclopaedia) नहीं है, किं तु यह घटना िा ममय भूत भाग है क्योंकि वह
अपराि घहटत होने िे तत्िाि बाद पंजीिृत होता है और इसमें पररवतयन या
पररवियन िे अवसर बहुत िम होते हैं तनसंदेह प्रथम सूचना ररपोटय में ववद्यमान
नाम मात्र िी तत
ृ ीय अलभयोजन पक्ष िे लिए सदै व घाति नहीं माना जा सिता
है।

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