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UMA SHANKAR
LL.B.3 YEAR 3SEM
(UNIT-2)
दं ड प्रक्रिया संहिता
अभियुक्त को न्यायालय में िाजिर िोने के भलए हदवस करने वाली
आदे भिकायें
किसी भी स्वस्थ ववचारण िे लिए यह आवश्यि है कि उससे संबंधित सभी िाययवाहहयााँ अलभयुक्त िी उपस्स्थतत में
हों। इसिा िारण यह है कि अलभयक्
ु त िो प्रततरक्षा िा परू ा अवसर प्रदान िरना ही अपराधिि न्याय प्रशासन िा
प्रमुख उद्दे श्य है। मामिे िे ववचारण िे समय यहद अलभयुक्त न्यायािय में उपस्स्थत नहीं होता है तो उसिी
उपस्स्थतत समन या वारं ट िे द्वारा सतु नस्श्चत िी जाती है। न्यायािय में हास्जर होने िे लिए वववश िरने वािी
आदे भिकायें हैं- समन, वारं ट, उद्घोषणा और िुिी। यह वह न्यायािय िे आदे श हैं स्जसिे माध्यम से अलभयुक्त िा
ववचारण में न्यायािय में उपस्स्थत िरना सतु नस्श्चत किया जाता है इन आदे शों िे माध्यम से न्यायािय अलभयक्
ु त
िो ववचारण में उपस्स्थत िर सिता है ।
समन
समन - दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 61 से 69 ति समन िे ववषय में ववस्तार से बताया गया है स्जसिे माध्यम
से अलभयक्
ु त िी न्यायािय में उपस्स्थतत सतु नस्श्चत िी जाती है। समन न्यायािय द्वारा जारी एि ऐसा आदे श
होता है जो किसी व्यस्क्त िो एि तनस्श्चत ततधथ, समय एवं स्थान पर उपस्स्थत होने िे लिए हदया जाता है। दं ड
प्रकिया संहहता िी िारा 61 िे अनस
ु ार, न्यायािय द्वारा इस संहहता िे अिीन जारी किया गया प्रत्येि संबंि
लिखखत रूप में दो प्रततयों में उस न्यायािय िे पीठासीन अधििारी द्वारा या अन्य ऐसे अधििारी द्वारा, स्जसे उच्च
न्यायािय तनयमों द्वारा समय-समय पर तनहदयष्ट िरें , हस्ताक्षररत होगा और उच्च न्यायािय िी मद्र
ु ा िगी होगी।
समन िी तनम्न आवश्यि बातें तनम्न है-
वारं ट
िततपय अपवादों िो छोड़िर यह एि सामान्य तनयम है कि किसी भी व्यस्क्त िो वारं ट िे
बबना धगरफ्तार नहीं किया जा सिता है। अतः जब िोई किसी व्यस्क्त िो वारं ट पर
धगरफ्तार िरता है तो उसिे पास उस व्यस्क्त िो धगरफ्तार िरने िा वारं ट होना चाहहए।
वारं ट से अभिप्राय - धगरफ्तारी िा वारं ट एि ऐसा आदे श है जो किसी व्यस्क्त िो धगरफ्तार
िरने िे लिए न्यायािय द्वारा जारी किया जाता है । वारं ट जारी िरते समय न्यायािय बड़ी
साविानी बरतता है , क्योंकि धगरफ्तारी िा वारं ट किसी व्यस्क्त िी व्यस्क्तगत स्वतंत्रता िो
समाप्त अथवा प्रततबंधित िरता है।
वारं ट के प्रकार - धगरफ़्तारी िे वारं ट दो प्रिार िे होते हैं –
1- जमानतीय वारं ट ( bailable warrant)
2- अजमानतीय वारं ट ( non bailable warrant)
िमानतीय वारं ट ( bailable warrant)- जमानतीय वारं ट िे अंतगयत किसी व्यस्क्त िो
धगरफ्तार िरने िा तनरपेक्ष रूप से आदे श नहीं होता। ऐसा वारं ट जारी िरने वािा
न्यायािय अपनी वववेिानुसार उस वारं ट पर पष्ृ ठांिन द्वारा यह तनदे श दे ता है कि यहद
धगरफ्तार किया जाने वािा व्यस्क्त तनस्श्चत ततधथ एवं समय पर न्यायािय में उपस्स्थत
होने िे लिए तैयार है और इसिे लिए वह प्रततभू सहहत बंिपत्र तनष्पाहदत िर देता है
तो उस व्यस्क्त िो बंिपत्र िेिर अलभरक्षा से मक्
ु त किया जा सिेगा। इस प्रिार
जमानतीय वारं ट एि वविल्प दे ता है कि धगरफ्तार किया जाने वािा व्यस्क्त प्रततभू
सहहत बंिपत्र तनष्पाहदत िर धगरफ्तारी से मक्
ु त हो सिता है।
3- अिमानतीय वारं ट ( non bailable warrant)- जमानतीय वारं ट से लभन्न
अजमानतीय वारं ट ( non bailable warrant) एि ऐसा वारं ट होता है स्जसमें प्रततभू
सहहत बंिनामे िा तनष्पादन जैसा िोई वविल्प नहीं होता और ऐसे वारं ट िे अंतगयत
धगरफ्तार किए जाने वािे पहिे व्यस्क्त िो अतनवाययत: धगरफ्तार िरिे न्यायािय िे
समक्ष प्रस्तुत िरना होता है। न्यायािय उसे जमानत पर मुक्त होने िा आदे श दे
सिता है। इस प्रिार अजमानतीय वारं ट धगरफ्तारी िा एि तनरपेक्ष आदे श दे ने वािा
वारं ट होता है।
वैध वारं ट की अननवाययताएं- दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 70 में वैि वारं ट िी
अतनवाययताओं िा उल्िेख किया गया है जो तनम्नलिखखत हैं-
1- वारं ट लिखखत होना चाहहए।
2- इसमें वारं ट िा तनष्पादन िरने वािे व्यस्क्त िा नाम और पद िा
उल्िेख होना चाहहए।
3- स्जस व्यस्क्त िो धगरफ्तार किया जाना है उसमें उसिा नाम और
उसिा पूरा वणयन होना चाहहए ।
4- इसमें अलभिधथत अपराि िा उल्िेख होना चाहहए।
5- वारं ट पर पीठासीन अधििारी द्वारा हस्ताक्षररत होना चाहहए।
6- वारं ट पर न्यायािय िी मद्र
ु ा िगी होनी चाहहए।
7- वारं ट िे तनष्पादन िे लिए सािारणतया िोई अवधि नहीं होती है । जब
ति उसिा तनष्पादन नहीं हो जाता या जब ति वह न्यायािय द्वारा वापस
नहीं मंगा लिया जाता, वारं ट चािू रहता है। इसलिए वारं ट में लिखी तारीख िे
बाद ही वारं ट िी तामीि िी जा सिती है।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 71 िे अनुसार, धगरफ्तारी िे लिए वारं ट जारी
िरते समय, न्यायािय यहद चाहे तो धगरफ्तार किए गए व्यस्क्त िो पयायप्त
प्रततभूओं सहहत बंिपत्र तनष्पाहदत िरने िे पश्चात छोड़ने िा तनदे श भी वारं ट
में दे सिता है। तब वारं ट िा तनष्पादन िरने वािा व्यस्क्त धगरफ्तार किए
गए व्यस्क्त िो जमानत पर छोड़ सिता है। न्यायािय जमानत पर छोड़ने िे
लिए वारं ट पष्ृ ठांिन िरे गा स्जसमें तनम्नलिखखत बातें होंगी :--
1- प्रततभूओं िी संख्या,
2- वह रिम, स्जसिे लिए िमशः प्रततभू और वह व्यस्क्त, स्जसिी
धगरफ्तारी िे लिए वारं ट जारी किया गया है , आबद्ि होते हैं,
3- वह समय जब न्यायािय िे समक्ष उस व्यस्क्त िो उपस्स्थत होना है ।
यहद व्यस्क्त जमानत पर छोड़ हदया जाता है तो वारं ट िे साथ जमानत
िे िागजात भी न्यायािय में भेज हदए जाएंगे।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 72 िे अनुसार धगरफ्तारी िा वारं ट मामूिी
तौर पर एि या अधिि पलु िस अधििाररयों िो तनहदयष्ट होगा, किं तु यहद
ऐसे वारं ट िा तुरंत तनष्पादन आवश्यि है और िोई पुलिस अधििारी
तरु ं त ना लमि सिे तो वारं ट जारी िरने वािा न्यायािय किसी अन्य
व्यस्क्त या व्यस्क्तयों िो उसे तनहदयष्ट िर सिता है और ऐसा व्यस्क्त या
ऐसे व्यस्क्त उसिा तनष्पादन िरें गे।
िारा 73 िे अनुसार, मुख्य न्यातयि मस्जस्रे ट या प्रथम वगय
मस्जस्रे ट तनम्न प्रिार िे व्यस्क्तयों िी धगरफ्तारी िे लिए अपनी
स्थानीय अधििाररता िे अिीन किसी भी व्यस्क्त िो वारं ट
तनहदयष्ट िर सिता है –
• तनिि भागा लसद्ि दोष अपरािी,
• उदघोवषत अपरािी,
• ऐसा व्यस्क्त जो किसी और जमानती अपराि िा
अलभयुक्त हो तथा स्वयं िो धगरफ्तारी से बचा रहा हो।
मस्जस्रे ट द्वारा इस प्रिार तनहदयष्ट व्यस्क्त वारं ट िी
प्रास्प्त िो लिखखत रूप से अलभस्वीिृत िरे गा और यहद
वह व्यस्क्त ही स्जस िो धगरफ्तारी िे लिए वारं ट जारी
किया गया है, उसिे बाहर सािन िे अिीन किसी भूलम
में या संपवत्त में है या प्रवेश िरता है , तो वह उस वारं ट
िा तनष्पादन िरे गा और व्यस्क्त िो धगरफ्तार िरे गा ।
जब वह व्यस्क्त स्जसिे ववरुद्ि वारं ट जारी किया गया
है, धगरफ्तार िर लिया जाता है तब-
ि- उसे वारं ट सहहत तनिटतम पुलिस थाने िे हवािे िर हदया
जाएगा, और
ख- यहद वह पुलिस अधििारी िारा 71 िे अिीन प्रततभूतत िेने िे
लिए तनहदयष्ट नहीं किया गया है , तो उस दशा में धगरफ्तार किए गए
व्यस्क्त िो अधििाररता रखने वािे मस्जस्रे ट िे पास भेज हदया
जाएगा।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 74 िे अनुसार, किसी पुलिस अधििारी िो तनहदयष्ट वारं ट िा तनष्पादन किसी अन्य ऐसे
पुलिस अधििारी द्वारा भी किया जा सिता है स्जसिा नाम वारं ट पर उस अधििारी द्वारा पष्ृ ठांकित किया जाता
है स्जसे तनहदयष्ट या पष्ृ ठांकित है।
संहहता िी िारा 75 िे अनुसार, पुलिस अधििारी या अन्य व्यस्क्त
जो धगरफ्तारी िे बारे में िा तनष्पादन िर रहा है , उस व्यस्क्त िो
स्जसे धगरफ्तार िरना है , उसिा सार( substance) सधू चत िरे गा
और यहद ऐसी अपेक्षा िी जाती है तो वारं ट उस व्यस्क्त िो हदखा
दे गा ।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 76 िे अनुसार, पुलिस अधििारी या
अन्य व्यस्क्त जो धगरफ्तारी िे वारं ट िा तनष्पादन िरता है ,
धगरफ्तार किए गए व्यस्क्त िो अनावश्यि वविंब िे बबना, उसे
न्यायािय िे समक्ष िाएगा, स्जसिे समक्ष उस व्यस्क्त िो पेश
िरने िे लिए वह ववधि द्वारा अपेक्षक्षत है परं तु ऐसा वविंब किसी
भी दशा में धगरफ्तारी िे स्थान से मस्जस्रे ट िे न्यायािय ति,
यात्रा िे लिए आवश्यि समय िो छोड़िर 24 घंटे से अधिि नहीं
होगा।
संहहता िी िारा 77 िे अनुसार, धगरफ्तारी िा वारं ट भारत िे किसी
भी स्थान में तनष्पाहदत किया जा सिता है ।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 78 में उस दशा में वारं ट िे तनष्पादन
िा तरीिा बताया गया है जब उसिा तनष्पादन उसे जारी िरने
वािे न्यायािय िी स्थानीय अधििाररता से बाहर किया जाना हो।
इस तरह िे वारं ट िो न्यायािय किसी व्यस्क्त िो तनहदयष्ट िरने
िे बजाय उसे डाि से या किसी अन्य तरीिे से उस िाययपािि
मस्जस्रे ट या स्जिा पुलिस अिीक्षि या पुलिस आयुक्त िो भेज
सिता है स्जसिी अधििाररता िी स्थानीय सीमाओं िे भीतर वारं ट
तनष्पादन किया जाना है । मस्जस्रे ट, पुलिस अिीक्षि या पुलिस
आयक्
ु त इस प्रिार प्राप्त किए गए वारं ट पर अपना नाम पष्ृ ठांक ित
िरिे उसिा तनष्पादन पूवयवती िाराओं में वखणयत रीतत िे अनुसार
सुतनस्श्चत िरें ग।े
संहहता िी िारा 79 िे अनुसार, 1- इस िारा िे अंतगयत उस
प्रकिया िा तनिायरण किया गया है जब िोई वारं ट पुलिस अधििारी
िो उसिी अधििाररता िे बाहर तनष्पादन िे लिए तनहदयष्ट किया
गया हो। इस तरह िी स्स्थतत में ऐसा तनहदयष्ट पलु िस अधििारी
वारं ट पर पष्ृ ठांिन िराने िे लिए सामान्यत: उसे उस िाययपािि
मस्जस्रे ट िे पास या पुलिस अधििारी िे पास िे जाता है , स्जसिी
अधििार ताकि स्थानीय सीमाओं िे अंदर वारं ट िा तनष्पादन किया
जाना है। यहां पुलिस अधििारी िो थाने िे भारसािि अधििारी से
अतनम्न पंस्क्त िा नहीं होना चाहहए।
2- मस्जस्रे ट व पुलिस अधििारी जब वारं ट पर अपना नाम
पष्ृ ठांकित िर दे ते हैं, तब पष्ृ ठांिन तनहदयष्ट पलु िस अधििारी िे
लिए तनष्पादन िा प्राधििार बन जाता है और स्थानीय पलु िस
अपेक्षा किए जाने पर उसिी सहायता िरती है। परं तु तनदे श पलु िस
अधििारी वविम्ब िे िारण तनष्पादन ना हो सिने िी स्स्थतत िा
आििन िरिे पष्ृ ठांिन िराए बगैर वारं ट िा तनष्पादन िर सिता
है।
दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 80 िे अनुसार, जब धगरफ्तारी िे वारं ट िा
तनष्पादन उस स्जिे से बाहर किया जाता है स्जसमें वह जारी किया गया था तब
धगरफ्तार किए गए व्यस्क्त िो, उस दशा िे लसवाय स्जसमें वह न्यायािय
स्जसने वह वारं ट जारी किया गया है , धगरफ्तारी िे स्थान से 30 कििोमीटर िे
अंदर है या उस िाययपािि मस्जस्रे ट या स्जिा पुलिस अिीक्षि या पुलिस
आयुक्त से स्जसिी अधििार ताकि स्थानीय सीमाओं िे अंदर धगरफ्तारी िी गई
थी, अधिि तनिट है , यह िारा 71 िे अिीन प्रततभूतत िे िी गई है , ऐसे
मस्जस्रे ट या स्जिा अिीक्षि या आयुक्त िे समक्ष िे जाया जाएगा।
िारा 81 िे अनुसार, यहद धगरफ्तार किया गया व्यस्क्त वही प्रतीत
होता है जो वारं ट जारी िरने वािे न्यायािय द्वारा आशतयत है तो
ऐसा िाययपािि मस्जस्रे ट या स्जिा पुलिस अिीक्षि या पुलिस आयुक्त
उच्च न्यायािय िे पास उसे अलभरक्षा में भेजने िा तनदे श दे गा
परं तु यहद अपराि जमानती है और ऐसा व्यस्क्त ऐसी जमानत दे ने िे लिए तैयार और
रजामंद है स्जससे ऐसे मस्जस्रे ट, स्जिा अिीक्षि किया आयुक्त िा समािान हो जाएगा
वारं ट पर िारा 71 िे अिीन तनदे श पष्ृ ठांकित है और ऐसा व्यस्क्त ऐसे तनदे श द्वारा
अपेक्षक्षत प्रततभूतत दे ने िे लिए तैयार और रजामंद है तो वह मस्जस्रे ट, स्जिा अिीक्षि
या आयक्
ु त यथास्स्थतत ऐसी जमानत या प्रततभतू त िेगा और बंि पत्र उच्च न्यायािय िो
भेज दे गा स्जसने वारं ट जारी किया था
परं तु यह और कि यहद अपराि अजमानतीय है तो ( िारा 437 िे उप बंिों िे अिीन रहते हुए) मुख्य न्यातयि
मस्जस्रे ट िे लिए या उस स्जिे िे स्जसमें धगरफ्तारी िी गई है सेशन न्यायािीश िे लिए िारा 78 िी उप िारा 2
में तनहदयष्ट जानिारी और दस्तावेजों पर ववचार िरने िे पश्चात ऐसे व्यस्क्त िो छोड़ दे ना ववधि पूणय होगा।
इस िारा िी िोई बात पुलिस अधििारी िो िारा 71 िे अिीन प्रततभूतत िेने से रोिने
वािी न समझी जाएगी।
गिरफ्तारी
भारतीय संवविान िा अनुच्छेद 21 यह िहता है कि, “ किसी भी व्यस्क्त िो उसिी प्राण एवं दै हहि स्वतंत्रता से
ववधि द्वारा स्थावपत प्रकिया द्वारा ही वंधचत किया जा सिता है अन्यथा नहीं”
जब व्यस्क्त िो धगरफ्तार किया जाता है तो उसिी व्यस्क्तगत स्वतंत्रता प्रभाववत होती है परं तु दं ड प्रकिया संहहता
में ववधि द्वारा स्थावपत प्रकिया िी तनयमाविी है स्जसमें जब किसी व्यस्क्त िो वारं ट िे बबना या वारं ट सहहत
धगरफ्तार किया जाता है तो उसिी व्यस्क्तगत स्वतंत्रता पर किसी प्रिार िा िोई प्रभाव नहीं पड़ता है ।
सामान्यतया िोई भी पलु िस ऑकिसर बबना मस्जस्रे ट िे जारी किए गए वारं ट िे बबना किसी व्यस्क्त िो धगरफ्तार
नहीं िर सिता है किं तु दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 41, 42, 60 (2), 109, 110, 123(6), 151(1), 432(2) में वह
आिार बताए गए हैं स्जनिे आिार पर किसी भी व्यस्क्त िो बबना वारं ट िे या मस्जस्रे ट िे आदे श िे बबना
धगरफ्तार किया जा सिता है , वे आिार तनम्न प्रिार हैं-
1. िारा 41 िे अंतगयत िोई पलु िस अधििारी मस्जस्रे ट िे आदे श िे बबना और वारं ट िे
बबना किसी ऐसे व्यस्क्त िो धगरफ्तार िर सिता है -
(ि) जो पुलिस अधििारी िी उपस्स्थतत में संज्ञेय अपराि िरता है ।
(ख) स्जसिे ववरूद्ि िोई युस्क्तयुक्त पररवाद किया गया है , या ववश्वसनीय जानिारी
प्राप्त हुई है कि उसने ऐसे िारावास से स्जसिी अवधि 7 वषय से िम िी हो सिेगी, या
7 वषय ति हो सिेगी, चाहे वह जुमायने सहहत हो या रहहत, दं डनीय संज्ञेय अपराि किया
है।
(ख ि ) स्जसिे ववरूद्ि ववश्वसनीय जानिारी प्राप्त हुई है कि उसने ऐसे िारावास से
स्जसिी अवधि 7 वषय से अधिि हो सिेगी, चाहे वह जम ु ायने सहहत हो या रहहत, अथवा
मत्ृ यु दं डादे श से दं डनीय संज्ञेय अपराि किया है और पुलिस अधििारी िे पास उस
जानिारी िे आिार पर यह ववश्वास िरने िा िारण है कि ऐसे व्यस्क्त ने उक्त अपराि
किया है।
(ग) जो इस संहहता िे अिीन या राज्य सरिार द्वारा उदघोवषत अपरािी हो।
(घ) स्जसिे िब्जे में िोई ऐसी चीज पाई जाती है स्जसिो चरु ाई हुई संपवत्त होने िा उधचत रूप से
संदेह किया जा सिता है और स्जस पर ऐसी चीज िे बारे में अपराि िरने िा उधचत रूप से
संदेह किया जा सिता है।
(ङ) जो पुलिस अधििारी िे ितयव्य तनवयहन में बािा पहुंचाए या ऐसे पुलिस अधििारी िी अलभरक्षा
से भागा हो ।
(च) स्जस पर संघ िे सशस्त्र बिों में से किसी िे अलभत्याजि होने िा उधचत संदेह है।
(छ) ऐसा व्यस्क्त स्जसने भारत िे बाहर िोई अपराि िाररत किया हो जो यहद भारत में िरता तो
दं डनीय अपराि होता।
(ज) छोड़ा गया लसद्िदोष व्यस्क्त स्जसने संहहता िी िारा 356(5) िे तनयमों िा उल्िंघन किया हो।
(झ) ऐसा व्यस्क्त स्जसे अन्य थाने िे पुलिस अधििारी ने धगरफ्तार िरने िे लिए अध्यपेक्षा िी हो।
(2) िारा 42 िे अंतगयत जो पलु िस अधििारी िी उपस्स्थतत में और असंज्ञेय अपराि िरता है और
ऐसे अधििारी िी मांग पर नाम व पता बताने से इंिार िरता है ।
(3) िारा 60 (2) िे अनुसार, यहद िोई ववधि पूणय अलभरक्षा से तनिि भागता है , या छुड़ा लिया
जाता है, तो पुलिस अधििारी वारं ट िे बबना उसे धगरफ्तार िर सिता है।
(4) िारा 109 या 110 िे प्रवगों में से किसी एि िे अंतगयत आता है ।
(5) संहहता िी िारा 123 (1)िे अंतगयत जब िोई व्यस्क्त प्रततभू दे ने में वविि रहने पर सशतय
उनमोधचत किया जाता है और यहद ऐसी शतय िा उल्िंघन िरता है तो ऐसे व्यस्क्त िो िारा
123(6) िे अंतगयत बबना वारं ट िे धगरफ्तार किया जा सिता है ।
(6) संहहता िी िारा 151(1) िे अंतगयत संज्ञेय अपराि िी योजना बना रहे व्यस्क्त िो पुलिस
अधििारी बबना वारं ट िे धगरफ्तार िर सिता है ।
(7) दं ड प्रकिया संहहता िी िारा 432 (3) िे अंतगयत समुधचत सरिार किसी व्यस्क्त िे ववरुद्ि
पाररत दं ड आदे श सशतय या बबना शतय िे तनिंबन या पररहार िे आदे श िो तनरस्त िर सिती है ,
वहां किसी पुलिस अधििारी द्वारा बबना वारं ट धगरफ्तार किया जा सिता है।
(2) धारा 50 क - गिरफ्तार करने वाले व्यजक्त की नाम ननहदयष्ट व्यजक्त को गिरफ्तारी आहद की
िानकारी दे ने की बाध्यता-
(1) इस संहहता िे अिीन प्रत्येि पुलिस अधििारी या अन्य धगरफ्तारी िरने वािे
व्यस्क्त िी बाध्यता होगी कि ऐसी धगरफ्तारी और उसिे स्थान जहां धगरफ्तार
व्यस्क्त िो रखा गया है , िे संबंि में तुरंत धगरफ्तार व्यस्क्त िे लमत्रों, संबंधियों
या अन्य ऐसे व्यस्क्तयों िो, जो धगरफ्तार व्यस्क्त द्वारा बताए या नाम तनहदयष्ट
किए गए हो, िो जानिारी िरें ।
(2) जैसे ही धगरफ्तार व्यस्क्त िो पुलिस स्टे शन िाया जाता है, पुलिस अधििारी
धगरफ्तार व्यस्क्त िो उप िारा 1 िे अिीन, उसिे अधििारों िे बारे में
बताएगा।
(3) ऐसे धगरफ्तार व्यस्क्त िो सूचना दे ने िे तथ्य िी प्रववस्ष्ट ऐसी किताब में िी
जाएगी जो राज्य सरिार द्वारा इस संबंि में तनिायररत प्रारूप िी पुलिस स्टे शन
में रखी गई हो।
(4) स्जस मस्जस्रे ट िे समक्ष धगरफ्तार व्यस्क्त िो पेश किया जाता है , उसिा यह
ितयव्य होगा, कि वह ऐसे धगरफ्तार व्यस्क्त िे संबंि में उप िारा 2 और उप
िारा 3 िी अपेक्षाओं िी अनुपािना से अपने आप िो संतुष्ट िरे ।
(3) धारा 55 क - गिरफ्तार व्यजक्त का स्ट्वास्ट््य और सुरक्षा- अलभयुक्त िे स्वास्थ्य और
सुरक्षा िी युस्क्त युक्त साविानी रखने िा ितयव्य अलभरक्षा रखने वािे व्यस्क्त िा होगा।
(4) धारा 57- गिरफ्तार क्रकए िए व्यजक्त का 24 घंटे से अगधक ननरुद्ध न क्रकया िाना-
िोई पलु िस अधििारी वारं ट िे बबना धगरफ्तार किए गए व्यस्क्त िो उससे अधिि अवधि
िे लिए अलभरक्षा में ववरुद्ि नहीं रखेगा जो उस मामिे िी सब पररस्स्थततयों में उधचत
है तथा ऐसी अवधि, मस्जस्रे ट िे िारा 167 िे अिीन ववशेष आदे श िे अभाव में
धगरफ्तारी िे स्थान से मस्जस्रे ट िे न्यायािय ति यात्रा िे लिए आवश्यि समय िो
छोड़िर, 24 घंटे से अधिि िी नहीं होगी।
(5) धारा 41घ - गिरफ्तार क्रकए िए व्यजक्त को पूछताछ के दौरान अपनी पसंद के
अगधवक्ता से भमलने का अगधकार- जब किसी व्यस्क्त िो धगरफ्तार किया जाता है और
पुलिस द्वारा पूछताछ िी जाती है, धगरफ्तार व्यस्क्त पूछताछ िे दौरान अपनी पसंद िे
अधिवक्ता से लमिने िा हिदार होगा किं तु संपूणय पूछताछ िे दौरान नहीं।
प्रथम सच
ू ना ररपोटय का साजययक मल्
ू य
यद्यवप प्रथम सूचना ररपोटय मौलिि साक्ष्य नहीं है क्योंकि यह
ना तो किसी तथ्य पर आिाररत होती है और ना ही शपथ पर दी जाती है और ना
ही इसिी प्रतत परीक्षा हो सिती है । इसमें िेवि घटना िा संक्ष क्षप्त वववरण होता है
किर भी भारतीय साक्ष्य अधितनयम िी तनम्न िाराओं िे अंतगयत सुसंगत एवं ग्राह्य
हो सिती है-
1- यह िारा 8 िे अंतगयत आचरण से संबंधित होने िे िारण प्रथम सूचना ररपोटय
सुसंगत हो सिती है।
2- प्रथम सच
ू ना ररपोटय िा प्रयोग सच
ू ना दाता िो न्यायािय में साक्षी िे रूप में
हास्जर होने पर साक्ष्य अधितनयम िी िारा 157 िे अिीन सूचना िी संपुस्ष्ट
िे रूप में अथवा िारा 145 िे अिीन सूचना दाता िी सूचना िो खंडडत िरने
िे रूप में होता है ।
3- जहां ऐसी सूचना दाता िी मत्ृ यु हो चुिी है और प्रथम सूचना ररपोटय ऐसे
सूचना दाता िी मत्ृ यु से संबंधित है , वहां साक्ष्य अधितनयम िी िारा 32 िी
उप िारा 1 िे अिीन सच
ू ना दाता िी सच
ू ना मत्ृ यु िािी िथन िे रूप में
ग्राह्य होगी।
4- वविंब से दजय िराई गई प्राथलमिी िा सास्क्ष्यि मूल्य िम हो जाता है यहद
वविंब िा िारण स्पष्ट ना हो।
त्तवद्याधर बनाम केरल राज्य िे मामिे में जहां किसी स्त्री िे शीिभंग
िे मामिे में प्राथलमि दजय िराने में वविंब िा उधचत िारण दशायया गया हो,
तो इसिा मामिे िे तनणयय पर प्रततिूि प्रभाव नहीं पड़ेगा।
रघव
ु ीर भसंि बनाम िररयाणा राज्य के मामले में
माननीय उच्चतम न्यायािय ने तनणयय हदया कि हत्या िे प्रिरण में मत
ृ ि
व्यस्क्त िो पहिे अस्पताि िे जाया जाना और इसिे बाद पुलिस थाने िे
जािर प्राथलमिी दजय िराना वविंब िे लिए पयायप्त िारण माना जाएगा।
कनायटक राज्य बनाम िास्ट्कर कुिाली कोठारकर िे मामिे
में यह अभी तनिायररत किया गया कि साक्ष्य िो प्रथम सूचना ररपोटय में वविंब
िे आिार पर अस्वीिार नहीं किया जा सिता ववशेष रूप से ऐसी पररस्स्थतत में
जब अन्य प्रत्यक्षदशी साक्षी घटनास्थि पर मौजूद हूं।
प्रथम सच
ू ना ररपोटय मि
ू साक्ष्य नहीं है और इसिा
िेवि सीलमत उद्दे श्यों िे लिए प्रयोग हो सिता है , जैसे- आरोवपत अपराि िी
पुस्ष्ट िरना या उसिा ववरोि िरना अथवा यह हदखाना कि अलभयुक्त िा
आशीवायद में तनलमयत ववचार नहीं था अथवा बाद वस्तु(res geste ) नहीं था
अथवा यह साक्ष्य अधितनयम िी िारा 32 िी उप िारा 1 िे अंतगयत उधचत
मामिे में नहीं हदया गया था अथवा यह साक्ष्य अधितनयम िी िारा 8 िे
अंतगयत सच
ू ना दे ने वािे िे आचरण िा भाग नहीं था।