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माता-िपता और विरष्ठ नागिरक का भरणपोषण

तथा कल्याण अिधिनयम, 2007


(2007 का अिधिनयम संख्यांक 56)
[29 िदसम्बर, 2007]
संिवधान के अधीन गारं टीकृ त और मान्यतापर्ाप्त माता-िपता और विरष्ठ नागिरक
के भरणपोषण तथा कल्याण के िलए अिधक पर्भावी
उपबंध का और उनसे संबिं धत या उनके
आनुषिं गक िवषय का उपबंध
करने के िलए
अिधिनयम
भारत गणराज्य के अठावनव वषर् म संसद् ारा िनम्निलिखत रूप म यह अिधिनयिमत हो :––
अध्याय 1

पर्ारं िभक
1. संिक्षप्त नाम, िवस्तार, लागू होना और पर्ारम्भ––(1) इस अिधिनयम का संिक्षप्त नाम माता-िपता और विरष्ठ नागिरक
का भरणपोषण तथा कल्याण अिधिनयम, 2007 है ।
(2) इसका िवस्तार, जम्मू-कश्मीर राज्य के िसवाय संपूणर् भारत पर है और यह भारत के बाहर भारत के नागिरक को भी
लागू होगा ।
(3) यह िकसी राज्य म, उस तारीख को पर्वृ होगा, जो राज्य सरकार राजपतर् म अिधसूचना ारा िनयत करे ।
2. पिरभाषाएं––इस अिधिनयम म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,––
(क) “बालक” के अंतगर्त पुतर्, पुतर्ी, पौतर् और पौतर्ी ह, िकतु इसम कोई अवयस्क सिम्मिलत नह है ;
(ख) “भरणपोषण” म आहार, वस्तर्, िनवास और िचिकत्सीय पिरचयार् और उपचार उपलब्ध कराना
सिम्मिलत है ;
(ग) “अवयस्क” से ऐसा व्यिक्त अिभपर्ेत है, िजसके बारे म भारतीय वयस्कता अिधिनयम, 1875 (1875 का 9) के
उपबंध के अधीन यह समझा जाता है िक उसने वयस्कता की आयु पर्ाप्त नह की है ;
(घ) “माता-िपता” से िपता या माता अिभपर्ेत है, चाहे वह, यथािस्थत, जैिवक, द क या सौतेला िपता या सौतेली
माता है, चाहे माता या िपता कोई विरष्ठ नागिरक है या नह ;
(ङ) “िविहत” से इस अिधिनयम के अधीन राज्य सरकार ारा बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपर्ेत है ;
(च) “संपि ” से िकसी पर्कार की संपि अिभपर्ेत है, चाहे वह जंगम या स्थावर, पैतृक या स्वयं अिजत, मूतर् या
अमूतर् हो और िजसम ऐसी संपि म अिधकार या िहत सिम्मिलत ह ;
(छ) “नातेदार” से िन:संतान विरष्ठ नागिरक का कोई िविधक वािरस अिभपर्ेत है, जो अवयस्क नह है तथा उसकी
मृत्यु के पश्चात् उसकी संपि उसके कब्जे म है या िवरासत म पर्ाप्त करे गा ;
(ज) “विरष्ठ नागिरक” से कोई ऐसा व्यिक्त अिभपर्ेत है, जो भारत का नागिरक है और िजसने साठ वषर् या अिधक
आयु पर्ाप्त कर ली है ;
(झ) िकसी संघ राज्यक्षेतर् के संबंध म “राज्य सरकार” से संिवधान के अनुच्छेद 239 के अधीन िनयुक्त उसका
पर्शासक अिभपर्ेत है ;
(ञ) “अिधकरण” से धारा 7 के अधीन गिठत भरणपोषण अिधकरण अिभपर्ेत है ;
(ट) “कल्याण” से विरष्ठ नागिरक के िलए आवश्यक आहार, स्वास्थ्य देखरे ख, आमोद-पर्मोद के न्दर् और
अन्य सुख-सुिवधा की व्यवस्था करना अिभपर्ेत है ।
3. अिधिनयम का अध्यारोही पर्भाव होना––इस अिधिनयम के उपबंध का, इस अिधिनयम से िभन्न िकसी अिधिनयिमित म
या इस अिधिनयम से िभन्न िकसी अिधिनयिमित के कारण पर्भाव रखने वाली िकसी िलखत म अंतिवष्ट उससे असंगत िकसी बात के
होते हुए भी, पर्भाव होगा ।
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अध्याय 2

माता-िपता और विरष्ठ नागिरक का भरणपोषण


4. माता-िपता और विरष्ठ नागिरक का भरणपोषण––(1) कोई विरष्ठ नागिरक, िजसके अन्तगर्त माता-िपता ह, जो स्वयं के
अजर्न से या उसके स्वािमत्वाधीन संपि म से स्वयं का भरणपोषण करने म असमथर् है,––
(i) माता-िपता या िपतामह-िपतामही की दशा म, अपने एक या अिधक बालक के िवरु , जो अवयस्क नह ह ;
(ii) िकसी िन:सन्तान विरष्ठ नागिरक की दशा म, अपने ऐसे नातेदार के िवरु , जो धारा 2 के खंड (छ) म
िनिदष्ट है,
धारा 5 के अधीन कोई आवेदन करने का हकदार होगा ।
(2) िकसी विरष्ठ नागिरक का भरणपोषण करने के िलए, यथािस्थित, बालक या नातेदार की बाध्यता ऐसे नागिरक की
आवश्यकता तक िवस्तािरत होती है, िजससे िक विरष्ठ नागिरक एक सामान्य जीवन व्यतीत कर सके ।
(3) अपने माता-िपता का भरणपोषण करने की बालक की बाध्यता, यथािस्थित, ऐसे माता-िपता अथवा िपता या माता या
दोन की आवश्यकता तक िवस्तािरत होती है, िजससे िक ऐसे माता-िपता, सामान्य जीवन व्यतीत कर सक ।
(4) कोई व्यिक्त, जो िकसी विरष्ठ नागिरक का नातेदार है और िजसके पास पयार्प्त साधन ह, ऐसे विरष्ठ नागिरक का
भरणपोषण करे गा, परन्तु यह तब जब िक ऐसे विरष्ठ नागिरक की संपि उसके कब्जे म है या वह ऐसे विरष्ठ नागिरक की संपि को
िवरासत म पर्ाप्त करे गा :
परन्तु जहां िकसी विरष्ठ नागिरक की संपि को एक से अिधक नातेदार िवरासत म पर्ाप्त करने के हकदार ह, वहां
भरणपोषण, ऐसे नातेदार ारा उस अनुपात म संदय
े होगा, िजसम वे उसकी संपि को िवरासत म पर्ाप्त करगे ।
5. भरणपोषण के िलए आवेदन––(1) धारा 4 के अधीन भरणपोषण के िलए कोई आवेदन,––
(क) यथािस्थित, िकसी विरष्ठ नागिरक या िकसी माता-िपता ारा िकया जा सके गा ; या
(ख) यिद वह अशक्त है तो उसके ारा पर्ािधकृ त िकसी अन्य व्यिक्त या संगठन ारा िकया जा सके गा ; या
(ग) अिधकरण स्वपर्ेरणा से संज्ञान ले सके गा ।
स्पष्टीकरण––इस धारा के पर्योजन के िलए “संगठन” से सोसाइटी रिजस्टर्ीकरण अिधिनयम, 1860 (1860 का 21) या
तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध के अधीन रिजस्टर्ीकृ त कोई स्वैिच्छक संगम अिभपर्ेत है ।
(2) अिधकरण, इस धारा के अधीन भरणपोषण के िलए मािसक भ े की बाबत कायर्वाही के लंिबत रहने के दौरान, ऐसे
बालक या नातेदार को ऐसे विरष्ठ नागिरक के िजसके अन्तगर्त माता-िपता भी ह, अन्तिरम भरणपोषण के िलए मािसक भ ा देने और
उसका ऐसे विरष्ठ नागिरक को, िजसके अन्तगर्त माता-िपता भी ह, संदाय करने का आदेश कर सके गा, जो अिधकरण समय-समय पर
िनदेिशत करे ।
(3) उपधारा (1) के अधीन भरणपोषण के िलए आवेदन की पर्ािप्त पर, बालक या नातेदार को आवेदन की सूचना देने के
पश्चात् और पक्षकार को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात्, भरणपोषण की रकम का अवधारण करने के िलए कोई जांच कर सके गा ।
(4) भरणपोषण के िलए मािसक भ े हेतु और कायर्वाही के खच के िलए उपधारा (2) के अधीन फाइल िकए गए िकसी
आवेदन का, ऐसे व्यिक्त को आवेदन की सूचना की तामील की तारीख से नब्बे िदन के भीतर िनपटान िकया जाएगा :
परन्तु अिधकरण, आपवािदक पिरिस्थितय म उक्त अविध को, कारण को लेखब करते हुए एक बार म तीस िदन की
अिधकतम अविध के िलए, िवस्तािरत कर सके गा ।
(5) उपधारा (1) के अधीन भरणपोषण के िलए कोई आवेदन एक या अिधक व्यिक्तय के िवरु फाइल िकया जा सके गा :
परन्तु ऐसे बालक या नातेदार भरणपोषण के िलए आवेदन म माता-िपता का भरणपोषण करने के िलए दायी अन्य व्यिक्त को
पक्षकार बना सकगे ।
(6) जहां भरणपोषण का आदेश एक या अिधक व्यिक्तय के िवरु िकया गया था, वहां उनम से एक व्यिक्त की मृत्यु से
भरणपोषण का संदाय जारी रखने के अन्य व्यिक्तय के दाियत्व पर पर्भाव नह पड़ेगा ।
(7) भरणपोषण के िलए कोई ऐसा भ ा और कायर्वाही के खच आदेश की तारीख से या यिद ऐसा आदेश िकया जाता है,
यथािस्थित, भरणपोषण या कायर्वाही के खच, आवेदन की तारीख से संदय
े ह गे ।
(8) यिद ऐसे बालक या नातेदार, िजन्ह ऐसा आदेश िदया जाता है, पयार्प्त हेतुक के िबना आदेश का पालन करने म असफल
रहते ह, तो कोई ऐसा अिधकरण, आदेश के पर्त्येक भंग के िलए, जुमार्ने का उ हण करने के िलए उपबंिधत रीित म देय रकम के उ हण
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का वारं ट जारी कर सके गा और ऐसे व्यिक्त को, यथािस्थित, पर्त्येक मास के संपूणर् भरणपोषण भ े या उसके िकसी भाग के िलए और
कायर्वाही के खच के िलए ऐसे वारं ट के िनष्पादन के पश्चात् असंद शेष भाग के िलए कारावास से, जो एक मास तक का हो सके गा या
यिद संदाय शीघर् िकया जाता है तो संदाय करने तक, इनम से जो भी पूवर्तर हो, दंडािदष्ट कर सके गा :
परन्तु इस धारा के अपील शोध्य िकसी रकम की वसूली के िलए कोई वारं ट तब तक जारी नह िकया जाएगा, जब तक उस
तारीख से, िजसको यह रकम शोध्य हो जाती है, तीन मास की अविध के भीतर उस रकम के उ हण के िलए अिधकरण को आवेदन नह
िकया जाएगा ।
6. अिधकािरता और पर्िकर्या––(1) धारा 5 के अधीन बालक या नातेदार के िवरु िकसी िजले म कायर्वाही शुरू की
जा सके गी,––
(क) जहां वह िनवास करता है या उसने अंितम बार िनवास िकया है ; या
(ख) जहां बालक या नातेदार िनवास करता है ।
(2) धारा 5 के अधीन आवेदन की पर्ािप्त पर, अिधकरण, उस बालक या नातेदार, िजसके िवरु आवेदन फाइल िकया गया है,
की उपिस्थित उपाप्त करने के िलए आदेिशका जारी करे गा ।
(3) बालक या नातेदार की उपिस्थित सुिनिश्चत करने के िलए अिधकरण को दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के
अधीन यथाउपबंिधत पर्थम वगर् न्याियक मिजस्टर्ेट की शिक्तयां ह गी ।
(4) ऐसी कायर्वािहय के सभी सा य उस बालक या नातेदार की, िजसके िवरु भरणपोषण के संदाय के िलए आदेश िकया
जाना पर्स्तािवत है, उपिस्थित म िलए जाएंगे और समन मामल के िलए िविहत रीित म अिभिलिखत िकया जाएंगे :
परन्तु यिद अिधकरण का यह समाधान हो जाता है िक वह बालक या नातेदार िजसके िवरु भरणपोषण के संदाय के िलए
आदेश िकया जाना पर्स्तािवत है, जानबूझकर तामील से बच रहा है, या जानबूझकर अिधकरण म उपिस्थत होने की उपेक्षा कर रहा है,
तो अिधकरण मामले की एक पक्षीय रूप से सुनवाई करने और अवधािरत करने के िलए कायर्वाही कर सके गा ।
(5) जहां बालक या नातेदार भारत से बाहर िनवास कर रहा है, वहां अिधकरण ारा समन ऐसे पर्ािधकारी के माध्यम से
तामील िकए जाएंगे, िजसे के न्दर्ीय सरकार राजपतर् म अिधसूचना ारा इस िनिम िविनिदष्ट करे ।
(6) अिधकरण धारा 5 के अधीन आवेदन की सुनवाई करने से पूवर् उसे सुलह अिधकारी को िनिदष्ट कर सके गा और ऐसा सुलह
अिधकारी अपने िनष्कष को एक मास के भीतर पर्स्तुत करे गा और यिद सौहादर्र्पूणर् सुलह हो गई है तो अिधकरण उस आशय का आदेश
पािरत करे गा ।
स्पष्टीकरण––इस उपधारा के पर्योजन के िलए “सुलह अिधकारी” से धारा 5 की उपधारा (1) के स्पष्टीकरण म िनिदष्ट कोई
व्यिक्त या संगठन का पर्ितिनिध या धारा 18 की उपधारा (1) के अधीन राज्य सरकार ारा अिभिहत भरणपोषण अिधकारी या इस
पर्योजन के िलए अिधकरण ारा नामिनिदष्ट कोई अन्य व्यिक्त अिभपर्ेत है ।
7. भरणपोषण अिधकरण का गठन––(1) राज्य सरकार, इस अिधिनयम म पर्ारं भ की तारीख से छह मास की अविध के
भीतर, राजपतर् म अिधसूचना ारा, पर्त्येक उपखंड के िलए एक या अिधक अिधकरण का, जो वह धारा 5 के अधीन भरणपोषण के
आदेश के न्यायिनणर्यन और उसका िविनश्चय करने के िलए आवश्यक समझे, गठन करे गी ।
(2) अिधकरण की अध्यक्षता राज्य के उपखंड अिधकारी से अन्यून पंिक्त के अिधकारी ारा की जाएगी ।
(3) जहां, िकसी क्षेतर् के िलए दो या अिधक अिधकरण गिठत िकए जाते ह, वहां राज्य सरकार, साधारण या िवशेष आदेश
ारा, उनके बीच कारबार के िवतरण को िविनयिमत कर सके गी ।
8. जांच की दशा म संिक्षप्त पर्िकर्या––(1) अिधकरण, धारा 5 के अधीन कोई जांच करने म, ऐसे िकन्ह िनयम के अधीन रहते
हुए, जो इस िनिम राज्य सरकार ारा िविहत िकए जाएं, ऐसी संिक्षप्त पर्िकर्या का अनुसरण करे गा, जो वह ठीक समझे ।
(2) अिधकरण को शपथ पर सा य लेने और सािक्षय को हािजर कराने तथा दस्तावेज और भौितक पदाथ को पर्कट करने
का पता कराने और उनको पेश करने के िलए बाध्य करने के पर्योजन के िलए तथा ऐसे अन्य पर्योजन के िलए, जो िविहत िकए जाएं,
िसिवल न्यायालय की सभी शिक्तयां ह गी और अिधकरण दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) की धारा 195 और अध्याय 26 के
सभी पर्योजन के िलए िसिवल न्यायालय समझा जाएगा ।
(3) इस िनिम बनाए जाने वाले िकसी िनयम के अधीन रहते हुए, अिधकरण भरणपोषण के िलए िकसी दावे का
न्यायिनणर्यन करने और उसका िविनश्चय करने के पर्योजन के िलए, जांच करने म उसकी सहायता करने के िलए ऐसे िकसी एक या
अिधक व्यिक्तय को चुन सके गा, िजनके पास जांच से सुसंगत िकसी िवषय का िवशेष ज्ञान हो ।
9. भरणपोषण का आदेश––(1) यिद, यथािस्थित, बालक या नातेदार ऐसे विरष्ठ नागिरक का, जो स्वयं अपना भरणपोषण
करने म असमथर् ह, भरणपोषण करने से उपेक्षा या इन्कार करते ह तो अिधकरण, ऐसी उपेक्षा या इन्कार के बारे म समाधान हो जाने
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पर, ऐसे बालक या नातेदार को ऐसे विरष्ठ नागिरक के भरणपोषण के िलए ऐसी मािसक दर पर मािसक भ ा देने का, जो अिधकरण
ठीक समझे और ऐसे विरष्ठ नागिरक को उस भ े का संदाय करने का आदेश दे सके गा जो अिधकरण समय-समय पर िनदेश दे ।
(2) ऐसा अिधकतम भरणपोषण भ ा, िजसका ऐसे अिधकरण ारा आदेश िदया जाए, वह होगा, जो राज्य सरकार ारा
िविहत िकया जाए और जो दस हजार रुपए पर्ित मास से अिधक नह होगा ।
10. भ े म पिरवतर्न––(1) भरणपोषण के िलए िकसी तथ्य के दुव्यर्पदेशन या भूल के या धारा 5 के अधीन मािसक भ ा
पर्ाप्त करने वाले िकसी व्यिक्त की अथवा भरणपोषण के िलए मािसक भ े का संदाय करने के िलए उस धारा के अधीन आदेिशत
व्यिक्त की पिरिस्थितय म पिरवतर्न पर, अिधकरण भरणपोषण के भ े म ऐसा पिरवतर्न कर सके गा, जो वह ठीक समझे ।
(2) जहां, अिधकरण को यह पर्तीत होता है िक िकसी सक्षम िसिवल न्यायालय के िकसी िविनश्चय के पिरणामस्वरूप धारा 9
के अधीन िकए गए िकसी आदेश को र या पिरवितत िकया जाना चािहए तो वह तदनुसार, यथािस्थित, उस आदेश को र या
पिरवितत कर सके गा ।
11. भरणपोषण के आदेश का पर्वतर्न––(1) भरणपोषण के आदेश और कायर्वािहय के व्यय के संबंध म आदेश की पर्ित,
यथािस्थित, उस विरष्ठ नागिरक या माता-िपता को, िजसके पक्ष म वह आदेश िकया गया है िकसी फीस के संदाय के िबना दी जाएगी
और ऐसा आदेश िकसी अिधकरण ारा ऐसे िकसी स्थान पर, जहां वह व्यिक्त है, िजसके िवरु वह आदेश िकया गया है, पक्षकार की
पहचान और, यथािस्थित, शोध्य भ े, या व्यय के असंदाय के बारे म उस अिधकरण का समाधान हो जाने पर पर्वृ िकया जाएगा ।
(2) इस अिधिनयम के अधीन िकए गए भरणपोषण के आदेश का वही बल और पर्भाव होगा जो दंड पर्िकर्या संिहता,
1973 (1974 का 2) के अध्याय 9 के अधीन पािरत आदेश का होता है और वह उस संिहता ारा ऐसे आदेश के िनष्पादन के िलए िविहत
रीित म िनष्पािदत िकया जाएगा ।
12. कितपय मामल म भरणपोषण के संबध ं म िवकल्प––दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के अध्याय 9 म िकसी बात
के होते हुए भी, जहां कोई विरष्ठ नागिरक या माता-िपता उक्त अध्याय के अधीन भरणपोषण के िलए हकदार ह और इस अिधिनयम
के अधीन भरणपोषण के िलए भी हकदार ह, वहां, वह उक्त संिहता के अध्याय 9 के उपबंध पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, उन दोन
अिधिनयम म से िकसी के अधीन ऐसे भरणपोषण का दावा कर सके गा, िकन्तु दोन के अधीन नह ।
13. भरणपोषण की रकम का जमा िकया जाना––जब इस अध्याय के अधीन कोई आदेश िकया जाता है तब ऐसा बालक या
नातेदार, िजससे ऐसे आदेश के िनबंधन के अनुसार िकसी रकम का संदाय करना अपेिक्षत है, अिधकरण ारा आदेश सुनाए जाने की
तारीख से तीस िदन के भीतर आदेिशत संपूणर् रकम ऐसी रीित म जमा करे गा, जो अिधकरण िनदेश दे ।
14. जहां कोई दावा अनुज्ञात िकया जाता है वहां ब्याज का अिधिनणर्य––जहां कोई अिधकरण इस अिधिनयम के अधीन
भरणपोषण का कोई आदेश करता है, वहां ऐसा अिधकरण यह िनदेश दे सके गा िक भरणपोषण की रकम के अितिरक्त, ऐसी दर पर
और ऐसी तारीख से, जो आवेदन की तारीख से पूवर् की तारीख न हो और जो अिधकरण ारा अवधािरत की जाए, साधारण ब्याज का
भी संदाय िकया जाएगा जो पांच पर्ितशत से कम और अठारह पर्ितशत से अिधक नह होगा :
परं तु जहां दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) के अध्याय 9 के अधीन भरणपोषण के िलए कोई आवेदन इस अिधिनयम
के पर्ारं भ पर िकसी न्यायालय के समक्ष लंिबत है, वहां न्यायालय माता-िपता के अनुरोध पर ऐसे आवेदन को वापस लेने के िलए
अनुज्ञात करे गा और ऐसे माता-िपता अिभकरण के समक्ष भरणपोषण के िलए आवेदन फाइल करने के हकदार ह गे ।
15. अपील अिधकरण का गठन––(1) राज्य सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा अिधकरण के आदेश के िवरु अपील की
सुनवाई करने के िलए पर्त्येक िजले के िलए एक अपील अिधकरण का गठन कर सके गी ।
(2) अपील अिधकरण का अध्यक्ष ऐसा अिधकारी होगा, जो िजला मिजस्टर्ेट की पंिक्त से नीचे का न हो ।
16. अपील––(1) अिधकरण के िकसी आदेश ारा व्यिथत, यथािस्थित, कोई विरष्ठ नागिरक या कोई माता-िपता आदेश की
तारीख से साठ िदन के भीतर अपील अिधकरण को अपील कर सके गा :
परं तु अपील पर, वह बालक या िरश्तेदार, िजससे ऐसे भरणपोषण के आदेश के िनबंधन के अनुसार िकसी रकम का संदाय
िकए जाने की अपेक्षा की गई है, ऐसे माता-िपता को इस पर्कार आदेिशत रकम का संदाय अपील अिधकरण ारा िनदेिशत रीित से
करता रहेगा :
परं तु यह और िक अपील अिधकरण, यिद उसका यह समाधान हो जाता है िक अपीलाथ समय के भीतर अपील करने से
पयार्प्त कारण से कारण से िनवािरत हुआ था, साठ िदन की उक्त अविध की समािप्त के पश्चात् अपील गर्हण कर सके गा ।
(2) अपील अिधकरण, अपील की पर्ािप्त पर, पर्त्यथ पर सूचना की तामील करवाएगा ।
(3) अपील अिधकरण उस अिधकरण से, िजसके आदेश के िवरु अपील की जाती है, कायर्वािहय का अिभलेख मंगा सके गा ।
(4) अपील अिधकरण, अपील और मंगाए गए अिभलेख की परीक्षा करने के पश्चात् या तो अपील को मंजूर कर सके गा या
खािरज कर सके गा ।
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(5) अपील अिधकरण, अिधकरण के आदेश के िवरु फाइल की गई अपील का न्यायिनणर्यन और िविनश्चय करे गा तथा
अपील अिधकरण का आदेश अंितम होगा :
परं तु कोई अपील तब तक खािरज नह की जाएगी, जब तक िक दोन पक्षकार को वैयिक्तक रूप से या सम्यक् रूप से
पर्ािधकृ त पर्ितिनिध के माध्यम से सुने जाने का अवसर न दे िदया गया हो ।
(6) अपील अिधकरण अपना आदेश अपील की पर्ािप्त के एक मास के भीतर िलिखत म सुनाने का पर्यास करे गा ।
(7) उपधारा (5) के अधीन िकए गए पर्त्येक आदेश की एक-एक पर्ित दोन पक्षकार को िन:शुल्क भेजी जाएगी ।
17. िविधक अभ्यावेदन का अिधकार––िकसी अन्य िविध म िकसी बात के होते हुए भी, अिधकरण या अपील अिधकरण के
समक्ष कायर्वािहय के िकसी पक्षकार का पर्ितिनिधत्व िकसी िविध व्यवसायी ारा नह िकया जाएगा ।
18. भरणपोषण अिधकारी––(1) राज्य सरकार, िजला समाज कल्याण अिधकारी या िजला समाज कल्याण अिधकारी की
पंिक्त से अन्यून पंिक्त के िकसी अिधकारी को, चाहे वह िकसी नाम से ज्ञात हो, भरणपोषण अिधकारी के रूप म पदािभिहत करे गी ।
(2) उपधारा (1) म िनिदष्ट भरणपोषण अिधकारी, यिद कोई माता-िपता ऐसी वांछा करे , उसका, यथािस्थित, अिधकरण या
अपील अिधकरण के समक्ष कायर्वािहय के दौरान पर्ितिनिधत्व करे गा ।
अध्याय 3

वृ ाशर्म की स्थापना
19. वृ ाशर्म की स्थापना––(1) राज्य सरकार, ऐसी पहुंच के भीतर के स्थान पर, चरणब रीित म, उतने वृ ाशर्म
स्थािपत करे गी और उनका अनुरक्षण करे गी, िजतने वह आवश्यक समझे और आरं भ म पर्त्येक िजले म कम-से-कम एक ऐसे वृ ाशर्म की
स्थापना करे गी, िजसम न्यूनतम एक सौ पचास ऐसे विरष्ठ नागिरक को आवास सुिवधा दी जा सके , जो िनधर्न ह ।
(2) राज्य सरकार, वृ ाशर्म के पर्बंध की एक स्कीम िविहत करे गी, िजसके अंतगर्त उनके ारा पर्दान की जाने वाली सेवा
के मानदंड और िविभन्न पर्कार की सेवाएं भी ह, जो ऐसे आशर्म के िनवािसय को िचिकत्सीय देखरे ख और मनोरं जन के साधन के िलए
आवश्यक ह ।
स्पष्टीकरण––इस धारा के पर्योजन के िलए, “िनधर्न” से कोई ऐसा विरष्ठ नागिरक अिभपर्ेत है, िजसके पास स्वयं के
भरणपोषण करने के िलए उतने पयार्प्त साधन नह ह, जो राज्य सरकार ारा, समय-समय पर अवधािरत िकए जाएं ।
अध्याय 4

विरष्ठ नागिरक की िचिकत्सीय देखरे ख के िलए उपबंध


20. विरष्ठ नागिरक के िलए िचिकत्सा सहायता––राज्य सरकार यह सुिनिश्चत करे गी िक,––
(i) सरकारी अस्पताल या सरकार ारा पूणर्त: या भागत: िव पोिषत अस्पताल, सभी विरष्ठ नागिरक को,
यथासंभव, िबस्तर पर्दान करगे ;
(ii) विरष्ठ नागिरक के िलए पृथक् पंिक्तय की व्यवस्था की जाएगी ;
(iii) िचरकारी, जानलेवा और हर्ासी रोग के उपचार के िलए सुिवधाएं विरष्ठ नागिरक तक िवस्तािरत की जाएं ;
(iv) िचरकारी वृ ावस्था के रोग और वृ ावस्था के संबंध म अनुसध
ं ान िकर्याकलाप का िवस्तार िकया जाए ;
(v) जरािचिकत्सीय देखरे ख म अनुभव रखने वाले िचिकत्सा अिधकारी की अध्यक्षता वाले पर्त्येक िजला अस्पताल
म जरािचिकत्सा के रोिगय के िलए िनिदष्ट सुिवधाएं िन:शुल्क दी जाएं ।
अध्याय 5

विरष्ठ नागिरक के जीवन और संपि की संरक्षा


21. विरष्ठ नागिरक के कल्याण के िलए पर्चार, जागरुकता, आिद के उपाय––राज्य सरकार, यह सुिनिश्चत करने के िलए
सभी उपाय करे गी िक,––
(i) इस अिधिनयम के उपबंध का जनमाध्यम, िजसके अंतगर्त टेलीिवजन, रे िडयो और मुदर्ण माध्यम भी है, से
िनयिमत अंतराल पर व्यापक पर्चार िकया जाए ;
(ii) के न्दर्ीय सरकार और राज्य सरकार के अिधकािरय को, िजसके अंतगर्त पुिलस अिधकारी और न्याियक सेवा के
सदस्य भी ह, इस अिधिनयम से संबंिधत मु पर समय-समय पर सुगर्ाही और जागरुक होने का पर्िशक्षण िदया जाए ;
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(iii) विरष्ठ नागिरक के कल्याण से संबंिधत मु का समाधान करने के िलए िविध, गृह, स्वास्थ्य और कल्याण से
संब मंतर्ालय या िवभाग ारा पर्दान की गई सेवा के बीच पर्भावी समन्वय और उनका कािलक पुनिवलोकन
िकया जाए ।
22. पर्ािधकारी, िजन्ह इस अिधिनयम के उपबंध को कायार्िन्वत करने के िलए िविनिदष्ट िकया जा सके गा––(1) राज्य
सरकार, िकसी िजला मिजस्टर्ेट को ऐसी शिक्तयां पर्द कर सके गी और उस पर ऐसे कतर्व्य अिधरोिपत कर सके गी, जो इस अिधिनयम
के उपबंध का उिचत रूप से पालन सुिनिश्चत करने के िलए आवश्यक हो, और िजला मिजस्टर्ेट, अपने अधीनस्थ ऐसे अिधकारी को, जो
इस पर्कार पर्द या िकसी शिक्त का पर्योग और अिधरोिपत सभी या िकसी कतर्व्य का पालन करे गा और वे स्थानीय सीमाएं िविनिदष्ट
कर सके गा, िजनके भीतर ऐसी शिक्तय या कतर्व्य का, जो िविहत िकए जाएं, उस अिधकारी ारा पालन िकया जाएगा ।
(2) राज्य सरकार, विरष्ठ नागिरक के जीवन और संपि को सुरक्षा पर्दान करने के िलए एक व्यापक कायर् योजना
िविहत करे गी ।
23. कितपय पिरिस्थितय म संपि के अंतरण का शून्य होना––(1) जहां कोई विरष्ठ नागिरक, िजसने इस अिधिनयम के
पर्ारं भ के पश्चात् अपनी संपि का दान के रूप म या अन्यथा अंतरण इस शतर् के अधीन रहते हुए िकया है िक अंतिरती, अंतरक को
बुिनयादी सुख-सुिवधाएं और बुिनयादी भौितक आवश्यकताएं पर्दान करे गा और ऐसा अंतिरती ऐसी सुख-सुिवधा तथा भौितक
आवश्यकताएं पर्दान करने से इं कार करे गा या असफल रहेगा तो संपि का उक्त अंतरण कपट या पर्पीड़न या अनावश्यक पर्भाव के
अधीन िकया गया समझा जाएगा और अंतरक के िवकल्प पर अिधकरण ारा शून्य घोिषत िकया जाएगा ।
(2) जहां िकसी विरष्ठ नागिरक को िकसी संपदा से भरणपोषण पर्ाप्त करने का अिधकार है और ऐसी संपदा या उसका भाग
अंतिरत कर िदया जाता है, यिद अंतिरती को उस अिधकार की जानकारी है या, यिद अंतरण िबना पर्ितफल के है तो भरणपोषण पर्ाप्त
करने का अिधकार अंतिरती के िवरु पर्वृ िकया जा सके गा ; न िक उस अंतिरती के िवरु जो पर्ितफल के िलए है और िजसके पास
अिधकार की सूचना नह है ।
(3) यिद कोई विरष्ठ नागिरक उपधारा (1) और उपधारा (2) के अधीन अिधकार को पर्वितत कराने म असमथर् है तो धारा 5
की उपधारा (1) के स्पष्टीकरण म िनिदष्ट िकसी संगठन ारा उसकी ओर से कारर् वाई की जा सके गी ।
अध्याय 6

अपराध और िवचारण के िलए पर्िकर्या


24. विरष्ठ नागिरक को आरिक्षत छोड़ना और उनका पिरत्याग––जो कोई, िजसके पास विरष्ठ नागिरक की देखरे ख या
सुरक्षा है, ऐसे विरष्ठ नागिरक को, िकसी स्थान म, ऐसे विरष्ठ नागिरक का पूणर्तया पिरत्याग करने के आशय से छोड़ेगा, वह ऐसी
अविध के िकसी कारावास से, जो तीन मास तक की हो सके गी या जुमार्ने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सके गा, या दोन से,
दंडनीय होगा ।
25. अपराध का संज्ञान––(1) दंड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) म िकसी बात के होते हुए भी, इस अिधिनयम के
अधीन पर्त्येक अपराध संज्ञेय और जमानतीय होगा ।
(2) इस अिधिनयम के अधीन िकसी अपराध का िकसी मिजस्टर्ेट ारा संिक्षप्त िवचारण िकया जाएगा ।
अध्याय 7

पर्कीणर्
26. अिधकािरय का लोक सेवक होना––इस अिधिनयम के अधीन कृ त्य को पर्योग करने के िलए िनयुक्त िकए गए पर्त्येक
अिधकारी या कमर्चािरवृन्द को, भारतीय दंड संिहता (1860 का 45) की धारा 21 के अथार्न्तगर्त लोक सेवक समझा जाएगा ।
27. िसिवल न्यायालय की अिधकािरता का वजर्न––िकसी िसिवल न्यायालय को ऐसे िकसी मामले म अिधकािरता नह होगी,
िजसे इस अिधिनयम का कोई उपबंध लागू होता है और िकसी िसिवल न्यायालय ारा ऐसी िकसी बात की बाबत, जो इस अिधिनयम
ारा या उसके अधीन की गई है या िकए जाने के िलए आशियत है, कोई व्यादेश नह िदया जाएगा ।
28. स ावपूवक र् की गई कारर् वाई के िलए सरं क्षण––इस अिधिनयम या त ीन बनाए गए िकन्ह िनयम या आदेश के
अनुसरण म स ावपूर्क की गई या की जाने के िलए आशियत िकसी बात के संबंध म कोई भी वाद, अिभयोजन या अन्य िविधक
कायर्वाही, के न्दर्ीय सरकार, राज्य सरकार या स्थानीय पर्ािधकारी या उस सरकार के िकसी अिधकारी के िवरु न होगी ।
29. किठनाइय को दूर करने की शिक्त––यिद इस अिधिनयम के उपबंध को पर्भावी करने म कोई किठनाई उत्पन्न होती है
तो राज्य सरकार राजपतर् म पर्कािशत ऐसे आदेश ारा, जो इस अिधिनयम के उपबंध से असंगत न हो, ऐसे उपबंध बना सके गी, जो
उस किठनाई को दूर करने के िलए उसे आवश्यक या समीचीन पर्तीत ह :
परं तु ऐसा कोई आदेश इस अिधिनयम के पर्ारं भ की तारीख से दो वषर् की अविध की समािप्त के पश्चात् नह िकया जाएगा ।
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30. िनदेश देने की कदर्ीय सरकार की शिक्त––के न्दर्ीय सरकार इस अिधिनयम के उपबंध का िनष्पादन करने के बारे म िकसी
राज्य सरकार को िनदेश दे सके गी ।
31. के न्दर्ीय सरकार की पुनिवलोकन की शिक्त––के न्दर्ीय सरकार, राज्य सरकार ारा इस अिधिनयम के उपबंध के
कायार्न्वयन की पर्गित का कािलक पुनिवलोकन और िनगरानी कर सके गी ।
32. िनयम बनाने की राज्य सरकार की शिक्त––(1) राज्य सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, इस अिधिनयम के पर्योजन
को कायार्िन्वत करने के िलए िनयम बना सके गी ।
(2) पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम िनम्निलिखत के िलए उपबंध कर सकगे––
(क) ऐसे िनयम के अधीन रहते हुए, जो धारा 8 की उपधारा (1) के अधीन िविहत िकए जाएं, धारा 5 के अधीन
जांच करने की रीित ;
(ख) धारा 8 की उपधारा (2) के अधीन अन्य पर्योजन के िलए अिधकरण की शिक्त और पर्िकर्या ;
(ग) अिधकतम भरणपोषण भ ा, जो धारा 9 की उपधारा (2) के अधीन अिधकरण ारा आदेिशत िकया जाए ;
(घ) धारा 19 की उपधारा (2) के अधीन वृ ाशर्म के पर्बंध के िलए स्कीम, िजसके अंतगर्त उनके ारा उपलब्ध
कराई जाने वाली सेवा के मानक और िविभन्न पर्कार की सेवाएं भी ह, जो ऐसे आशर्म के िनवािसय की िचिकत्सीय
देखरे ख और मनोरं जन के साधन के िलए आवश्यक ह ;
(ङ) धारा 22 की उपधारा (1) के अधीन, इस अिधिनयम के उपबंध को कायार्िन्वत करने के िलए पर्ािधकािरय की
शिक्तयां और कतर्व्य ;
(च) धारा 22 की उपधारा (2) के अधीन विरष्ठ नागिरक के जीवन और संपि को सुरक्षा पर्दान करने के िलए
व्यापक कायर् योजना ;
(छ) कोई अन्य िवषय, जो िविहत िकया जाना है या िविहत िकया जाए ।
(3) इस अिधिनयम के अधीन बनाया गया पर्त्येक िनयम, बनाए जाने के पश्चात्, यथाशीघर्, िवधान-मंडल के पर्त्येक सदन के
समक्ष, जहां वह दो सदन से िमलकर बना है या जहां ऐसे िवधान-मंडल म एक सदन है, वहां उस सदन के समक्ष, रखा जाएगा ।

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