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नागिरकता अिधिनयम, 1955

(1955 का अिधिनयम संख्यांक 57) 1


[30 िदसम्बर, 1955]
भारतीय नागिरकता के अजर्न और पयर्वसान के िलए
उपबन्ध करने के िलए
अिधिनयम
भारण गणराज्य के छठे वषर् म संसद् ारा िनम्निलिखत रूप म यह अिधिनयिमत हो :––
1. संिक्षप्त नाम––यह अिधिनयम नागिरकता अिधिनयम, 1955 कहा जा सके गा ।
2. िनवर्चन––(1) इस अिधिनयम म जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,––
(क) “भारत म की िकसी सरकार” से के न्दर्ीय सरकार या कोई राज्य सरकार अिभपर्ेत है;
2
[(ख) “अवैध पर्वासी” से ऐसा कोई िवदेशी अिभपर्ेत है िजसने भारत म,––
(i) िकसी िविधमान्य पासपोटर् या अन्य यातर्ा दस्तावेज और ऐसे अन्य दस्तावेज या पर्ािधकार के िबना,
जो इस िनिम िकसी िविध ारा या उसके अधीन िविहत िकया जाए, पर्वेश िकया है;
(ii) िकसी िविधमान्य पासपोटर् या अन्य यातर्ा दस्तावेज और ऐसे अन्य दस्तावेज या पर्ािधकार के साथ,
जो इस िनिम िकसी िविध ारा या उसके अधीन िविहत िकया जाए, पर्वेश िकया है िकन्तु वह वहां अनुज्ञात
अविध के पश्चात् रहता है;]
(घ) “भारतीय कान्सलेट” से भारत सरकार के िकसी कौन्सलीय आिफसर का वह कायार्लय जहां जन्म-रिजस्टर
रखा जाता है, या जहां ऐसा कोई कायार्लय न हो, वहां ऐसा कायार्लय, जैसा िविहत िकया जाए, अिभपर्ेत है;
(ङ) “अपर्ाप्तवय” से ऐसा व्यिक्त अिभपर्ेत है िजसने अठारह वषर् की आयु पूरी नह की है;
[(ङङ) “भारत का काडर् धारक िवदेशी नागिरक” से ऐसा व्यिक्त अिभपर्ेत है जो धारा 7क के अधीन के न्दर्ीय
3

सरकार ारा भारत के काडर् धारक िवदेशी नागिरक के रूप म रिजस्टर्ीकृ त है;]
(च) “व्यिक्त” के अन्तगर्त कोई कम्पनी या संगम या व्यिष्ट-िनकाय नह आता चाहे वह िनगिमत हो या न हो;
(छ) “िविहत” से इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपर्ेत है;
4
* * * * * * *
(ज) “अिवभक्त भारत” से वह भारत अिभपर्ेत है जो मूल रूप म यथा अिधिनयिमत गवनर्मट ऑफ इं िडया
ऐक्ट, 1935 म पिरभािषत है ।
(2) इस अिधिनयम के पर्योजन के िलए यह समझा जाएगा िक िकसी रिजस्टर्ीकृ त पोत या वायुयान के फलक पर अथवा
िकसी देश की सरकार के िकसी अरिजस्टर्ीकृ त पोत या वायुयान के फलक पर पैदा हुआ व्यिक्त, यथािस्थित, उस स्थान म, जहां वह पोत
या वायुयान रिजस्टर्ीकृ त है, या उस देश म पैदा हुआ था ।
(3) इस अिधिनयम म िकसी व्यिक्त के जन्म के समय उस व्यिक्त के िपता की पर्ािस्थित या अिभवणर्न के पर्ित िकसी िनदश
का अथर् ऐसे व्यिक्त के सम्बन्ध म, जो अपने िपता की मृत्यु के पश्चात् पैदा हुआ है, यह लगाया जाएगा िक वह िनदश िपता की मृत्यु के
समय िपता की पर्ािस्थित या अिभवणर्न के पर्ित है; और जहां िक वह मृत्यु इस अिधिनयम के पर्ारम्भ्ा से पूवर् हुई थी और जन्म इस
अिधिनयम के पर्ारम्भ के पश्चात् हुआ है, वहां वह पर्ािस्थित या अिभवणर्न, जो िपता को उस दशा म लागू होता िजसम िक उसकी मृत्यु
इस अिधिनयम के पर्ारम्भ के पश्चात् हुई हो तो, उसकी मृत्यु के समय उसे लागू पर्ािस्थित या अिभवणर्न समझा जाएगा ।
(4) इस अिधिनयम के पर्योजन के िलए यह समझा जाएगा िक कोई व्यिक्त वय: पर्ाप्त है यिद वह अपर्ाप्तवय नह है, और
पूणर् सामथ्यर् का है यिद वह िवकृ तिचत नह है ।

1
इस अिधिनयम का िवस्तार, दादरा और नागर हवेली संघ राज्यक्षेतर् पर अिधसूचना सं०का०आ० 846, तारीख 7-3-1962, भारत का राजपतर्, असाधारण, भाग 2, खंड
3 (ii), पृ० 517 ारा, गोवा, दमन और दीव संघ राज्य ोतर् पर अिधसूचना सं०का०आ० 847, तारीख 17-3-1962 भारत का राजपतर्, असाधारण, भाग 2, खंड 3(ii)
ारा, और उपान्तर सिहत पांिडचेरी पर अिधसूचना सं० सा०का०िन० 1557, तारीख 24-11-1962 भारत का राजपतर्, भाग 2, खंड 3(i), पृ० 1886 ारा िकया गया ।
2
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
4
2005 के अिधिनयम सं० 32 की धारा 2 ारा (28-06-2005 से) लोप िकया गया ।
2

[3. जन्म ारा नागिरकता––(1) उपधारा (2) म जैसा उपबंिधत है उसके िसवाय, ऐसा पर्त्येक व्यिक्त जन्म ारा भारत का
1

नागिरक होगा िजसका जन्म भारत म,––


(क) 26 जनवरी, 1950 को या उसके पश्चात् िकन्तु 1 जुलाई, 1987 के पूवर् हुआ है;
(ख) 1 जुलाई, 1987 को या उसके पश्चात् िकन्तु नागिरकता (संशोधन) अिधिनयम, 2003 के पर्ारं भ के पूवर् हुआ है
और िजसके माता या िपता म से कोई उसके जन्म के समय भारत का नागिरक है;
(ग) नागिरकता (संशोधन) अिधिनयम, 2003 के पर्ारं भ पर या उसके पश्चात्––
(i) जहां उसके माता या िपता दोन भारत के नागिरक ह; या
(ii) िजसके माता-िपता म से एक भारत का नागिरक है और दूसरा उसके जन्म के समय पर अवैध पर्वासी
नह है ।
(2) कोई व्यिक्त इस धारा के आधार पर भारत का नागिरक नह होगा यिद उसके जन्म के समय,––
(क) उसके िपता या उसकी माता को, वाद और वैध आदेिशका म ऐसी उन्मुिक्त पर्ाप्त है जैसी भारत के राष्टर्पित
को पर्त्याियत िकसी पर्भुत्व संपन्न िवदेशी शिक्त के दूत को दी जाती है और वह, यथािस्थित, भारत का/की नागिरक नह
है; या
(ख) उसका िपता या उसकी माता कोई अन्य देशीय शतर्ु है और उसका जन्म िकसी ऐसे स्थान पर होता है जो उस
समय शतर्ु के अिधभोग के अधीन है ।]
4. अवजनन ारा नागिरकता–– 2 [(1) भारत के बाहर,––
(क) 26 जनवरी, 1950 को या उसके पश्चात् िकन्तु 10 िदसंबर, 1992 के पूवर् पैदा हुआ कोई व्यिक्त अवजनन ारा
भारत का नागिरक होगा, यिद उसका िपता उसके जन्म के समय भारत का नागिरक है; या
(ख) 10 िदसंबर, 1992 को या उसके पश्चात् पैदा हुआ कोई व्यिक्त अवजनन ारा भारत का नागिरक होगा, यिद
उसके िपता/माता म से कोई उसके जन्म के समय भारत का नागिरक है :
परन्तु यिद खंड (क) म िनिदष्ट िकसी व्यिक्त का िपता के वल अवजनन ारा भारत का नागिरक था तो वह व्यिक्त इस धारा
के आधार पर भारत का नागिरक तब के िसवाय नह होगा,––
(क) जब िक उसके जन्म का रिजस्टर्ीकरण िकसी भारतीय कौन्सलेट म जन्म होने से या इस अिधिनयम के पर्ांरभ से,
इनम से जो भी पश्चात्वत हो, एक वषर् के अंदर या कदर्ीय सरकार की अनुज्ञा से उक्त कालाविध के अवसान के पश्चात् कर
िदया गया है; या
(ख) उसका िपता उसके जन्म के समय भारत म िकसी सरकार के अधीन सेवा म है :
परन्तु यह और िक यिद खंड (ख) म िनिदष्ट िकसी व्यिक्त के िपता-माता म से कोई के वल अवजनन ारा भारत का नागिरक
था तो वह व्यिक्त इस धारा के आधार पर भारत का नागिरक तब के िसवाय नह होगा जब िक,––
(क) उसके जन्म का रिजस्टर्ीकरण िकसी भारतीय कौन्सलेट म जन्म होने से या 10 िदसंबर, 1992 को या उसके
पश्चात्, इनम से जो पश्चात्वत हो, एक वषर् के अंदर या कदर्ीय सरकार की अनुज्ञा से उक्त कालाविध के अवसान के पश्चात्
कर िदया गया है; अथवा
(ख) उसके िपता-माता म से कोई, उसके जन्म के समय, भारत म िकसी सरकार के अधीन सेवा म है :
परं तु यह भी िक नागिरकता (संशोधन) अिधिनयम, 2003 के पर्ारं भ पर या उसके पश्चात् कोई व्यिक्त इस धारा के आधार
पर तब के िसवाय भारत या नागिरक नह होगा जब िक उसके जन्म का रिजस्टर्ीकरण िकसी भारतीय कौन्सलेट म ऐसे पर्रूप म और
ऐसी रीित से, जो िविहत की जाए,––
(i) उसका जन्म होने से या नागिरकता (संशोधन) अिधिनयम, 2003 के पर्ारं भ से, जो भी पश्चात्वत हो, एक वषर्
के अंदर; या
(ii) कदर्ीय सरकार की अनुज्ञा से उक्त कालाविध की समािप्त के पश्चात्,
कर िदया गया है :

1
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 3 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 4 ारा पर्ितस्थािपत ।
3

परन्तु यह भी िक िकसी ऐसे जन्म को तब के िसवाय रिजस्टर्ीकृ त नह िकया जाएगा जब िक ऐसे व्यिक्त का/की िपता या
माता ऐसे पर्रूप म और ऐसी रीित से जो िविहत की जाए, यह घोषणा करता/करती है िक अपर्ाप्तवय दूसरे देश का पासपोटर् धारण नह
करता है ।
(1क) कोई अपर्ाप्तवय, जो इस धारा के आधार पर भारत का नागिरक है और िकसी अन्य देश का भी नागिरक है, भारत का
नागिरक नह रहेगा यिद वह पूणर् वय: पर्ाप्त करने के छह मास के भीतर दूसरे देश की नागिरकता या राष्टर्ीयता का त्यजन नह करता
है ।]
(2) यिद के न्दर्ीय सरकार ऐसा िनदेश देती है, तो इस बात के होते हुए भी िक रिजस्टर्ीकरण से पूवर् उसकी अनुज्ञा अिभपर्ाप्त
नह की गई थी, यह समझा जाएगा िक कोई जन्म इस धारा के पर्योजन के िलए उसकी अनुज्ञा से रिजस्टर्ीकृ त िकया गया है ।
(3) उपधारा (1) के परन्तुक के पर्योजन के िलए यह समझा जाएगा िक अिवभक्त भारत के बाहर पैदा हुआ
1
[कोई भी व्यिक्त] जो संिवधान के पर्ारम्भ के समय भारत का नागिरक था या समझा जाता था, अवजनन ारा भारत का नागिरक है ।
5. रिजस्टर्ीकरण ारा नागिरकता–– 2 [(1) इस धारा के उपबंध तथा ऐसी शत और िनबर्न्धन के जैसे िविहत िकए जाएं,
अधीन रहते हुए कदर्ीय सरकार, इस िनिम िकए गए आवेदन पर िकसी ऐसे व्यिक्त को भारत के नागिरक के रूप म रिजस्टर्ीकृ त कर
सके गी जो कोई अवैध पर्वासी नह है, जो संिवधान या इस अिधिनयम के िकसी अन्य उपबंध के आधार पर पहले ही ऐसा नागिरक नह
है, यिद वह िनम्निलिखत पर्वग म से िकसी पर्वगर् का है, अथार्त् :––
(क) भारतीय उद्भव का वह व्यिक्त जो रिजस्टर्ीकरण के िलए आवेदन करने के सात वषर् पूवर् से भारत म मामूली
तौर से िनवासी है;
(ख) भारतीय उद्भव का वह व्यिक्त जो अिवभक्त भारत के बाहर िकसी देश या स्थान म मामूली तौर से
िनवासी है;
(ग) कोई व्यिक्त जो भारत के िकसी नागिरक से िववािहत है और रिजस्टर्ीकरण के िलए आवेदन करने के सात वषर्
पूवर् से भारत म मामूली तौर से िनवासी है;
(घ) ऐसे व्यिक्तय के , जो भारत के नागिरक ह, अपर्ाप्तवय बालक;
(ङ) वय: पर्ाप्त और पूणर् सामथ्यर् का ऐसा व्यिक्त िजसके िपता-माता इस उपधारा के खंड (क) या धारा 6 की
उपधारा (1) के अधीन भारत के नागिरक के रूप म रिजस्टर्ीकृ त ह;
(च) वय: पर्ाप्त और पूणर् सामथ्यर् का ऐसा व्यिक्त जो या िजसके िपता/माता म से कोई पहले स्वतंतर् भारत का
नागिरक था और रिजस्टर्ीकरण के िलए कोई आवेदन करने के ठीक 3 [बारह मास पूवर् से भारत म मामूली तौर से िनवासी है];
(छ) वय: पर्ाप्त और पूणर् सामथ्यर् का ऐसा व्यिक्त जो 3[भारत का काडर् धारक िवदेशी नागिरक] के रूप म पांच वषर्
से रिजस्टर्ीकृ त िकया गया है और जो रिजस्टर्ीकरण के िलए कोई आवेदन करने के 3[बारह मास पूवर् से भारत म मामूली तौर से
िनवासी है] ।
स्पष्टीकरण 1––खंड (क) और खंड (ग) के पर्योजन के िलए, िकसी आवेदक को भारत म मामूली तौर से िनवासी समझा
जाएगा, यिद,––
(i) वह रिजस्टर्ीकरण के िलए आवेदन करने के ठीक बारह मास पूवर् की संपूणर् अविध म भारत म रहा है; और
(ii) उसने बारह मास की उक्त अविध के ठीक पूवर्वत आठ वष के दौरान कम से कम छह वषर् की अविध के िलए
भारत म िनवास िकया है ।
स्पष्टीकरण 2––इस उपधारा के पर्योजन के िलए कोई व्यिक्त भारतीय उद्भव का समझा जाएगा यिद वह या उसके
िपता-माता म से कोई अिवभक्त भारत म या ऐसे अन्य राज्यक्षेतर् म, जो 15 अगस्त, 1947 के पश्चात् भारत का भाग हो गया है, पैदा
हुआ था ।]
[(1क) के न्दर्ीय सरकार, यिद उसका यह समाधान हो जाता है िक िवशेष पिरिस्थितयां िव मान ह, पिरिस्थितय को
4

अिभिलिखत करने के पश्चात् उपधारा (1) के खंड (च) और खंड (छ) तथा स्पष्टीकरण 1 के खंड (i) म िविनिदष्ट बारह मास की अविध
को अिधकतम तीस िदन के िलए, जो िविभन्न खंड म हो सके गी, िशिथल कर सके गी ।]
(2) कोई भी वय: पर्ाप्त व्यिक्त उपधारा (1) के अधीन भारत के नागिरक के रूप म तब तक रिजस्टर्ीकृ त नह िकया जाएगा
जब तक उसने ि तीय अनुसच
ू ी म िविनिदष्ट पर्रूप म राजिनष्ठा की शपथ न ले ली हो ।

1
1992 के अिधिनयम सं० 39 की धारा 2 ारा “कोई भी पुरुष व्यिक्त” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 5 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
2015 के अिधिनयम सं० 1 की धारा 3 ारा पर्ितस्थािपत ।
4
2015 के अिधिनयम सं० 1 की धारा 3 ारा अंत:स्थािपत ।
4

(3) कोई भी व्यिक्त िजसने अपनी भारतीय नागिरकता त्याग दी है या जो उससे वंिचत कर िदया गया है या िजसकी
भारतीय नागिरकता इस अिधिनयम के अधीन पयर्विसत हो गई है, उपधारा (1) के अधीन भारतीय नागिरक के रूप म के न्दर्ीय सरकार
के आदेश के िबना रिजस्टर्ीकृ त नह िकया जाएगा ।
(4) यिद के न्दर्ीय सरकार का समाधान हो जाता है िक ऐसे रिजस्टर्ीकरण को न्यायोिचत ठहराने वाली िवशेष पिरिस्थितयां ह,
तो वह िकसी अपर्ाप्तवय को भारतीय नागिरक के रूप म रिजस्टर्ीकृ त करा सके गी ।
(5) इस धारा के अधीन रिजस्टर्ीकृ त व्यिक्त रिजस्टर्ीकरण ारा भारत का नागिरक उस तारीख से ही हो जाएगा िजसको वह
इस पर्कार रिजस्टर्ीकृ त िकया जाता है; और संिवधान के अनुच्छेद 6 के खण्ड (ख)(ii) के या अनुच्छेद 8 के उपबन्ध के अधीन रिजस्टर्ीकृ त
व्यिक्त संिवधान के पर्ारम्भ से या उस तारीख से ही िजसको वह इस पर्कार रिजस्टर्ीकृ त िकया गया था इनम से जो भी पश्चात्वत हो,
रिजस्टर्ीकरण ारा भारत का नागिरक समझा जाएगा ।
1
[(6) यिद कदर्ीय सरकार का समाधान हो जाता है िक ऐसी पिरिस्थितयां िव मान ह जो िकसी व्यिक्त या व्यिक्तय के वगर्
को उपधारा (1) के खंड (ग) के अधीन िनवास संबंधी अपेक्षा से छू ट देना आवश्यक बनाती है तो वह, लेखब िकए जाने वाले कारण से,
ऐसी छू ट दे सके गी ।]
6. देशीयकरण ारा नागिरकता––(1) जहां िक वय: पर्ाप्त के और पूणर् सामथ्यर् के िकसी ऐसे व्यिक्त ारा, 2 [जो अवैध पर्वासी
नह है], देशीयकरण पर्माणपतर् के अनुदान के िलए िविहत रीित म आवेदन िकया जाता है, वहां यिद के न्दर्ीय सरकार का समाधान हो
जाता है िक आवेदक तृतीय अनुसच ू ी के उपबंध के अधीन देशीयकरण के िलए अिहत है, तो वह उसे देशीयकरण पर्माणपतर् अनुद कर
सके गी :
परन्तु यिद के न्दर्ीय सरकार की राय म आवेदक ऐसा व्यिक्त है िजसने िवज्ञान, दशर्न, कला, सािहत्य, िवश्व शािन्त या
साधारणत: मानव पर्गित के िनिम िविशष्ट सेवा की है, तो वह तृतीय अनुसूची म िविनिदष्ट सब शत का या उनम से िकसी का भी
अिधत्यजन कर सके गी ।
(2) िजस व्यिक्त को उपधारा (1) के अधीन देशीयकरण पर्माणपतर् अनुद िकया गया है वह ि तीय अनुसच
ू ी म िविनिदष्ट
पर्रूप म राजिनष्ठा की शपथ लेने पर उस तारीख से ही िजसको वह पर्माणपतर् अनुद िकया गया है, देशीकरण ारा भारत का
नागिरक होगा ।
3
[6क. असम सहमित के अन्तगर्त आने वाले व्यिक्तय की नागिरकता के बारे म िवशेष उपबन्ध––(1) इस धारा के पर्योजन
के िलए,––
(क) “असम” से नागिरकता (संशोधन) अिधिनयम, 1985 के पर्ारं भ के ठीक पूवर् असम राज्य म सिम्मिलत राज्यक्षेतर्
अिभपर्ेत है;
(ख) “िवदेशी होने का पता चलना” से िवदेिशय िवषयक अिधिनयम, 1946 (1946 का 31) और िवदेिशय िवषयक
(अिधकरण) आदेश, 1964 के उपबंध के अनुसार उक्त आदेश्ा के अधीन गिठत अिधकरण ारा िवदेशी होने का पता चलना
अिभपर्ेत है;
(ग) “िविनिदष्ट राज्य ोतर्” से नागिरकता (संशोधन) अिधिनयम, 1985 के आरम्भ के ठीक पूवर् बंग्लादेश म
सिम्मिलत राज्यक्षेतर् अिभपर्ेत है;
(घ) कोई व्यिक्त भारतीय उद्भव का समझा जाएगा यिद वह अथवा उसके माता या िपता म से कोई अथवा उसके
िपतामह या मातामह या िपतामही या मातामही म से कोई अिवभक्त भारत म पैदा हुआ था;
(ङ) िकसी व्यिक्त के बारे म यह समझा जाएगा िक उसके िवदेशी होने का उस तारीख को पता चला है िजसको
िवदेिशय िवषयक (अिधकरण) आदेश, 1964 के अधीन गिठत अिधकरण इस आशय की अपनी राय िक वह िवदेशी है,
संबंिधत अिधकारी या पर्ािधकारी को पर्स्तुत करता है ।
(2) उपधारा (6) और उपधारा (7) के उपबंध के अधीन रहते हुए भारतीय उद्भव के उन सभी व्यिक्तय को, जो िविनिदष्ट
राज्यक्षेतर् से असम म 1 जनवरी, 1966 के पूवर् आए ह (िजनके अन्तगर्त वे व्यिक्त ह; िजनके नाम 1967 म हुए लोक सभा के साधारण
िनवार्चन के पर्योजन के िलए उपयोग की गई िनवार्चक नामावली म सिम्मिलत िकए गए थे) और जो असम म अपने पर्वेश की तारीख
से असम म मामूली तौर से िनवासी रहे ह, 1 जनवरी, 1966 से ही भारत का नागिरक समझा जाएगा ।
(3) उपधारा (6) और उपधारा (7) के उपबंध के अधीन रहते हुए, भारतीय उद्भव का पर्त्येक ऐसा व्यिक्त––
(क) जो िविनिदष्ट राज्यक्षेतर् से 1 जनवरी, 1966 को या उसके पश्चात् िकन्तु 25 माचर्, 1971 के पूवर् असम म
आया है; और

1
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 5 ारा अन्त:स्थािपत ।
2
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 6 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
1985 के अिधिनयम सं० 65 की धारा 2 ारा (7-12-1985 से) अन्त:स्थािपत ।
5

(ख) जो असम म अपने पर्वेश की तारीख से असम म मामूली तौर से िनवासी रहा है; और
(ग) िजसके िवदेशी होने का पता चला है,
धारा 18 के अधीन इस िनिम के न्दर्ीय सरकार ारा बनाए गए िनयम के अनुसार ऐसे पर्ािधकारी के पास (िजसे इस उपधारा म इसके
पश्चात् रिजस्टर्ीकरण पर्ािधकारी कहा गया है) जो ऐसे िनयम म िविनिदष्ट िकया जाए, अपने को रिजस्टर्ीकृ त कराएगा और यिद
उसका नाम ऐसे पता चलने की तारीख को िकसी सभा िनवार्चन-क्षेतर् या संसदीय िनवार्चन-क्षेतर् के िलए पर्वृ िकसी िनवार्चक
नामावली म सिम्मिलत है तो उसके नाम का वहां से लोप कर िदया जाएगा ।
स्पष्टीकरण––इस उपधारा के अधीन रिजस्टर्ीकरण चाहने वाले पर्त्येक व्यिक्त के मामले म, िवदेिशय िवषयक (अिधकरण)
आदेश, 1964 के अधीन गिठत अिधकरण की उस राय को, िजसम ऐसे व्यिक्त को िवदेशी अिभिनधार्िरत िकया गया है, इस उपधारा के
खण्ड (ग) के अधीन अपेक्षा का पयार्प्त सबूत माना जाएगा और यिद इस बारे म कोई पर्श्न उठता है िक क्या ऐसा व्यिक्त इस
उपधारा के अधीन कोई अन्य अपेक्षा पूरी करता है तो रिजस्टर्ीकरण पर्ािधकारी,––
(i) यिद ऐसी राय म ऐसी अन्य अपेक्षा के संबंध म कोई िनष्कषर् है तो उस पर्श्न का ऐसे िनष्कषर् के अनुरूप
िविनश्चय करे गा;
(ii) यिद ऐसी राय म ऐसी अन्य अपेक्षा के संबंध म कोई िनष्कषर् नह है तो उस पर्श्न को उक्त आदेश के अधीन
गिठत िकसी ऐसे अिधकरण को, जो अिधकािरता रखता है, ऐसे िनयम के अनुसार जो के न्दर्ीय सरकार धारा 18 के अधीन इस
िनिम बनाए, िनदिशत करे गा और उस पर्श्न का ऐसे िनदश पर पर्ाप्त राय के अनुरूप िविनश्चय करे गा ।
(4) उपधारा (3) के अधीन रिजस्टर्ीकृ त व्यिक्त के , उस तारीख से ही िजसको उसके िवदेशी होने का पता चला है, और उस
तारीख से दस वषर् की अविध के अवसान तक वही अिधकार और बाध्यताएं ह गी जो भारतीय नागिरक की ह (िजनके अन्तगर्त पासपोटर्
अिधिनयम, 1967 (1967 का 15) के अधीन पासपोटर् अिभपर्ाप्त करने के अिधकार और उससे सम्बिन्धत बाध्यताएं ह) िकन्तु वह उक्त
दस वषर् की अविध के अवासन के पूवर् िकसी समय िकसी सभा िनवार्चन-क्षेतर् या संसदीय िनवार्चन-क्षेतर् के िलए िकसी िनवार्चक
नामावली म अपना नाम सिम्मिलत कराने का हकदार नह होगा ।
(5) उपधारा (3) के अधीन रिजस्टर्ीकृ त कोई व्यिक्त उस तारीख से िजसको उसके िवदेशी होने का पता चला है दस वषर् की
अविध के अवसान की तारीख से ही सभी पर्योजन के िलए भारत का नागिरक समझा जाएगा ।
(6) धारा 8 के उपबन्ध पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना,––
(क) यिद उपधारा (2) म िनिदष्ट कोई व्यिक्त नागिरकता (संशोधन) अिधिनयम, 1985 के पर्ारं भ की तारीख से
साठ िदन के भीतर िविहत रीित से और िविहत पर्रूप म तथा िविहत पर्ािधकारी को यह घोषणा पर्स्तुत करता है िक वह
भारत का नागिरक नह होना चाहता है तो ऐसे व्यिक्त के बारे म यह समझा जाएगा िक वह उस उपधारा के अधीन भारत
का नागिरक नह हुआ है;
(ख) यिद उपधारा (3) म िनिदष्ट कोई व्यिक्त, नागिरकता (संशोधन) अिधिनयम, 1985 के पर्ारं भ की तारीख से या
उस तारीख से िजसको उसके िवदेशी होने का पता चला है, इनम से जो पश्चात्वत हो, साठ िदन के भीतर िविहत रीित से
और िविहत पर्रूप म तथा िविहत पर्ािधकारी को यह घोषणा पर्स्तुत करता है िक वह उस उपधारा तथा उपधारा (4) और
उपधारा (5) के उपबंध ारा शािसत नह होना चाहता है तो ऐसे व्यिक्त के िलए यह आवश्यक नह होगा िक वह उपधारा
(3) के अधीन अपने को रिजस्टर्ीकृ त कराए ।
स्पष्टीकरण––जहां कोई व्यिक्त, िजससे इस उपधारा के अधीन कोई घोषणा फाइल करने की अपेक्षा की जाती है संिवदा
करने के िलए समथर् नह है वहां ऐसी घोषणा उसकी ओर से िकसी ऐसे व्यिक्त ारा फाइल की जा सके गी जो तत्समय पर्वृ िकसी
िविध के अधीन उसकी ओर से कायर् करने के िलए सक्षम है ।
(7) उपधारा (2) से उपधारा (6) की कोई बात िकसी ऐसे व्यिक्त के सम्बन्ध म लागू नह होगी,––
(क) जो नागिरकता (संशोधन) अिधिनयम, 1985 के पर्ारं भ के ठीक पूवर् भारत का नागिरक है;
(ख) जो नागिरकता (संशोधन) अिधिनयम, 1985 के पर्ारं भ के पूवर् िवदेिशय िवषयक अिधिनयम, 1946
(1946 का 31) के अधीन भारत से िनष्कािसत िकया गया था ।
(8) इस धारा म अिभव्यक्त रूप से जैसा अन्यथा उपबिन्धत है उसके िसवाय, इस धारा के उपबंध तत्समय पर्वृ िकसी अन्य
िविध म िकसी बात के होते हुए भी पर्भावी ह गे ।]
7. राज्यक्षेतर् म िमल जाने से नागिरकता––यिद कोई राज्यक्षेतर् भारत का भाग बन जाता है, तो के न्दर्ीय सरकार शासकीय
राजपतर् म अिधसूिचत आदेश ारा, उन व्यिक्तय को िविनिदष्ट कर सके गी जो उस राज्यक्षेतर् से अपने संसंग के कारण भारत के
नागिरक ह गे; और वे व्यिक्त भारत के नागिरक उस तारीख से ही, जो उस आदेश म िविनिदष्ट की जाएगी, हो जाएंगे ।
6

1
[िवदेशी नागिरकता]
[7क. भारत के काडर् धारक िवदेशी नागिरक का रिजस्टर्ीकरण––(1) के न्दर्ीय सरकार, ऐसी शत , िनबर्ंधन और रीित के
2

अधीन रहते हुए, जो िविहत िकए जाएं, इस िनिम िकए गए िकसी आवेदन पर,––
(क) िकसी वय: पर्ाप्त और पूणर् सामथ्यर् के ऐसे व्यिक्त को,––
(i) जो दूसरे देश का नागिरक है, िकन्तु संिवधान के पर्ारं भ के समय या उसके पश्चात् िकसी समय भारत
का नागिरक था; या
(ii) जो दूसरे देश का नागिरक है, िकन्तु संिवधान के पर्ारं भ के समय भारत का नागिरक होने के िलए पातर्
था; या
(iii) जो दूसरे देश का नागिरक है, िकन्तु ऐसे राज्यक्षेतर् से संब था, जो 15 अगस्त, 1947 के पश्चात्
भारत का भाग बन गया था; या
(iv) जो िकसी ऐसे नागिरक का पुतर्/पुतर्ी या पौतर्/पौतर्ी, दौिहतर्/दौिहतर्ी या पर्पौतर्/पर्पौतर्ी,
पर्दौिहतर्/पर्दौिहतर्ी है; या
(ख) िकसी ऐसे व्यिक्त को, जो खंड (क) म विणत िकसी व्यिक्त का अपर्ाप्तवय पुतर्/पुतर्ी है; या
(ग) िकसी ऐसे व्यिक्त को, जो अपर्ाप्तवय पुतर्/पुतर्ी है और िजसके माता-िपता दोन भारत के नागिरक ह या
माता-िपता म से एक भारत का नागिरक है; या
(घ) भारत के िकसी नागिरक के िवदेशी मूल के पित या पत्नी को या धारा 7क के अधीन रिजस्टर्ीकृ त भारत के काडर्
धारक िवदेशी नागिरक के िवदेशी मूल के पित या पत्नी को और िजसका िववाह इस धारा के अधीन आवेदन पर्स्तुत करने के
ठीक पहले रिजस्टर्ीकृ त हो गया है और दो वषर् से अन्यून की िनरं तर अविध तक बना हुआ है,
भारत के काडर् धारक िवदेशी नागिरक के रूप म रिजस्टर्ीकृ त कर सके गी :
परं तु भारत के काडर्धारक िवदेशी नागिरक के रूप म रिजस्टर्ीकरण की पातर्ता के िलए ऐसे पित या पत्नी को भारत म िकसी
सक्षम पर्ािधकारी से पूिवक सुरक्षा अनापि पर्माणपतर् लेना होगा :
परं तु यह और िक कोई ऐसा व्यिक्त, जो स्वयं या िजसके माता-िपता या िपतामह-िपतामही या पर्िपतामह-पर्िपतामही
पािकस्तान, बंग्लादेश या ऐसे अन्य देश का, िजसको कदर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा िविनिदष्ट करे , नागिरक है या रहा
था, इस उपधारा के अधीन भारत के काडर् धारक िवदेशी नागिरक के रूप म रिजस्टर्ीकरण के िलए पातर् नह होगा ।
(2) के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, ऐसी तारीख िविनिदष्ट कर सके गी िजससे भारतीय मूल के िव मान काडर्
धारक व्यिक्तय को भारत का काडर्धारक िवदेशी नागिरक समझा जाएगा ।
स्पष्टीकरण––उपधारा (2) के पर्योजन के िलए, भारतीय मूल के काडर्धारक व्यिक्तय से इस संबध
ं म के न्दर्ीय सरकार ारा
जारी की गई अिधसूचना संख्या 26011/4/98 एफ०आई० तारीख 19 अगस्त, 2002 के अधीन उस रूप म रिजस्टर्ीकृ त व्यिक्त
अिभपर्ेत ह ।
(3) उपधारा (1) म अन्तिवष्ट िकसी बात के होते हुए भी के न्दर्ीय सरकार, यिद उसका यह समाधान हो जाता है िक िवशेष
पिरिस्थितयां िव मान ह, िलिखत म पिरिस्थितयां अिभिलिखत करने के पश्चात् ऐसे व्यिक्त को भारत के काडर्धारक िवदेशी नागिरक
के रूप म रिजस्टर कर सके गी ।
7ख. भारत के काडर्धारक िवदेशी नागिरक को अिधकार पर्दान िकया जाना––(1) तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध म
अंतिवष्ट िकसी बात के होते हुए भी, भारत का काडर् धारक कोई िवदेशी नागिरक, उपधारा (2) के अधीन िविनिदष्ट अिधकार से
िभन्न, ऐसे अिधकार का, जो के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा इस िनिम िविनिदष्ट करे , हकदार होगा ।
(2) भारत का काडर्धारक कोई िवदेशी नागिरक,––
(क) लोक िनयोजन के िवषय म अवसर की समता के बारे म संिवधान के अनुच्छेद 16 के अधीन;
(ख) राष्टर्पित के रूप म िनवार्चन के िलए संिवधान के अनुच्छेद 58 के अधीन;
(ग) उपराष्टर्पित के रूप म िनवार्चन के िलए संिवधान के अनुच्छेद 66 के अधीन;
(घ) उच्चतम न्यायालय के िकसी न्यायाधीश के रूप म िनयुिक्त के िलए संिवधान के अनुच्छेद 124 के अधीन;

1
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 7 ारा अंत:स्थािपत ।
2
2015 के अिधिनयम सं० 1 की धारा 4 ारा पर्ितस्थािपत ।
7

(ङ) उच्च्ा न्यायालय के िकसी न्यायाधीश के रूप म िनयुिक्त के िलए संिवधान के अनुच्छेद 217 के अधीन;
(च) मतदाता के रूप म रिजस्टर्ीकरण के संबध
ं म लोक पर्ितिनिधत्व अिधिनयम, 1950 (1950 का 43) की धारा 16
के अधीन;
(छ) यथािस्थित, लोक सभा या राज्य सभा का सदस्य होने के िलए पातर्ता के संबंध म लोक पर्ितिनिधत्व
अिधिनयम, 1951 (1951 का 43) की धारा 3 और धारा 4 के अधीन;
(ज) िकसी राज्य की, यथािस्थित, िवधान सभा या िवधान पिरषद् का सदस्य होने के िलए पातर्ता के संबंध म लोक
पर्ितिनिधत्व अिधिनयम, 1951 (1951 का 43) की धारा 5, धारा 5क और धारा 6 के अधीन;
(झ) संघ या िकसी राज्य के िकर्याकलाप के संबंध म लोक सेवा और पद पर िनयुिक्त के िलए, िसवाय ऐसी
सेवा और पद पर िनयुिक्त के िलए, जो के न्दर्ीय सरकार इस िनिम िवशेष आदेश ारा िविनिदष्ट करे ,
भारत के नागिरक को पर्दान िकए गए अिधकर का हकदार नह होगा ।
(3) उपधारा (1) के अधीन जारी की गई पर्त्येक अिधसूचना संसद् के पर्त्येक सदन के समक्ष रखी जाएगी ।
7ग. भारत के िवदेशी नागिरक के काडर् का त्यजन––(1) यिद वय: पर्ाप्त और पूणर् सामथ्यर् का भारत का काडर्धारक कोई
िवदेशी नागिरक िविहत रीित म भारत के काडर्धारक िवदेशी नागिरक के रूप म उसे रिजस्टर िकए जाने संबंधी काडर् का त्यजन करते
हुए कोई घोषणा करता है तो वह घोषणा के न्दर्ीय सरकार ारा रिजस्टर्ीकृ त की जाएगी और ऐसे रिजस्टर्ीकरण पर ऐसा व्यिक्त भारत
का काडर्धारक िवदेशी नागिरक नह रह जाएगा ।
(2) जहां कोई व्यिक्त उपधारा (1) के अधीन भारत का काडर्धारक िवदेशी नागिरक नह रह जाता है वहां उस व्यिक्त का
िवदेशी मूल का पित या पत्नी, िजसने धारा 7क की उपधारा (1) के खंड (घ) के अधीन भारत के िवदेशी नागिरक होने का काडर्
अिभपर्ाप्त िकया है और उस व्यिक्त का भारत के िवदेशी नागिरक के रूप म रिजस्टर्ीकृ त पर्त्येक अपर्ाप्तवय बालक तदुपिर भारत का
काडर्धारक िवदेशी नागिरक नह रह जाएगा ।
7घ. भारत के काडर्धारक िवदेशी नागिरक के रूप म रिजस्टर्ीकरण का र करण––(1) के न्दर्ीय सरकार, आदेश ारा, धारा 7क
की उपधारा (1) के अधीन अनुद रिजस्टर्ीकरण को र कर सके गी, यिद उसका यह समाधान हो जाता है िक,––
(क) भारत के काडर्धारक िवदेशी नागिरक के रूप म रिजस्टर्ीकरण कपट, िमथ्या व्यपदेशन ारा या िकसी ताित्त्वक
तथ्य को िछपाकर अिभपर्ाप्त िकया गया था; या
(ख) भारत के काडर्धारक िवदेशी नागिरक ने िविध ारा यथास्थािपत भारत के संिवधान के पर्ित अपर्ीितपूणर् दिशत
िकया है; या
(ग) भारत के काडर्धारक िवदेशी नागिरक ने, िकसी ऐसे यु के दौरान, िजसम भारत लगा हुआ हो, िकसी शतर्ु के
साथ िविधिवरु तया व्यापार िकया है या संचार िकया है या वह िकसी ऐसे कारबार या वािणिज्यक िकर्याकलाप म लगा रहा
है या उससे सहयुक्त रहा है, िजसके बारे म उसे यह ज्ञात था िक वह ऐसी रीित से चलाया जा रहा है िक उससे उस यु म
िकसी शतर्ु को सहायता िमले; या
(घ) भारत के काडर्धारक िवदेशी नागिरक को, धारा 7क की उपधारा (1) के अधीन रिजस्टर्ीकरण के पश्चात् पांच
वषर् के भीतर, दो वषर् से अन्यून की अविध के िलए कारावास से दंडािदष्ट हो चुका है; या
(ङ) भारत की पर्भुता और अखंडता, भारत की सुरक्षा, िकसी िवदेश के साथ भारत के िमतर्तापूणर् संबंध के िहत म
या जनसाधरण के िहत म ऐसा करना आवश्यक है; या
(च) भारत के ऐसे िकसी काडर्धारक िवदेशी नागिरक का, िजसने धारा 7क की उपधारा (1) के खंड (घ) के अधीन
ऐसा काडर् अिभपर्ाप्त िकया है, िववाह,––
(i) िकसी सक्षम न्यायालय ारा अन्यथा िवघिटत कर िदया गया है; या
(ii) िवघिटत नह िकया गया है, िकन्तु ऐसे िववाह के बने रहने के दौरान, उसने िकसी अन्य व्यिक्त के
साथ िववाह का अनुष्ठापन िकया है ।]

नागिरकता का पयर्वसान
8. नागिरकता का त्यजन––(1) यिद वय: पर्ाप्त और पूणर् सामथ्यर् का भारत का कोई नागिरक 1 * * * अपनी भारतीय
नागिरकता के त्यजन की घोषणा िविहत रीित म करता है, तो वह घोषणा िविहत पर्ािधकारी ारा रिजस्टर्ीकृ त की जाएगी, और ऐसे
रिजस्टर्ीकरण पर वह व्यिक्त भारत का नागिरक न रह जाएगा :

1
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 8 ारा लोप िकया गया ।
8

परन्तु यिद ऐसी कोई घोषणा िकसी ऐसे यु के दौरान की जाती है िजसम भारत लगा हुआ हो, तो उसका रिजस्टर्ीकरण तब
तक िनधार्िरत रखा जाएगा जब तक के न्दर्ीय सरकार अन्यथा िनदेश नह दे देती ।
(2) जहां िक 1 [कोई व्यिक्त] भारत का नागिरक उपधारा (1) के अधीन नह रह जाता है, वहां उस व्यिक्त का हर अपर्ाप्तवय
बच्चा तदुपिर भारत का नागिरक न रह जाएगा :
परन्तु ऐसा कोई भी बच्चा वय: पर्ाप्त हो जाने के पश्चात् एक वषर् के अन्दर 2 [िविहत पर्रूप म और रीित से ऐसी कोई
घोषणा] कर सके गा िक वह भारतीय नागिरकता पुनगर्र्हण करना चाहता है और तदुपिर वह पुन: भारत का नागिरक हो जाएगा ।
3
* * * * * * *
9. नागिरकता का पयर्वसान––(1) भारत का कोई नागिरक जो िकसी अन्य देश की नागिरकता देशीयकरण ारा,
रिजस्टर्ीकरण ारा या अन्यथा स्वेच्छया अिजत कर लेता है या िजसने 26 फरवरी, 1950 और इस अिधिनयम के पर्ारं भ के बीच िकसी
समय स्वेच्छया अिजत कर ली है, वह, यथािस्थित, ऐसे अजर्न या ऐसे पर्ारम्भ्ा पर भारत का नागिरक न रह जाएगा :
परन्तु इस उपधारा की कोई भी बात भारत के ऐसे नागिरक को, जो िकसी ऐसे यु के दौरान, िजसम भारत लगा हुआ हो,
िकसी अन्य देश की नागिरकता का अजर्न स्वेच्छया करता है, तब तक लागू नह होगी जब तक के न्दर्ीय सरकार अन्यथा िनदेश नह
दे देती ।
(2) यिद इस बारे म कोई पर्श्न उठता है िक क्या, कब कै से 4 [िकसी भारत के नागिरक ने] िकसी देश की नागिरकता अिजत की
है, तो उसका अवधारण ऐसे पर्ािधकारी ारा, ऐसी रीित म और सा य के ऐसे िनयम का ध्यान रखते हुए िकया जाएगा जैसे इस
िनिम िविहत िकए जाए ।
10. नागिरकता से वंिचत िकया जाना––(1) भारत का वह नागिरक, जो देशीयकरण ारा या संिवधान के अनुच्छेद 5 के
खण्ड (ग) के ही आधार पर या ऐसे रिजस्टर्ीकरण ारा जो संिवधान के अनुच्छेद 6 के खण्ड (ख) (ii) या इस अिधिनयम की धारा 5 की
उपधारा (1) के खण्ड (क) के अधीन के रिजस्टर्ीकरण से िभन्न है, भारत का नागिरक नह रह जाएगा यिद उसे इस धारा के अधीन
के न्दर्ीय सरकार के आदेश ारा उस नागिरकता से वंिचत कर िदया जाता है ।
(2) इस धारा के उपबन्ध के अध्यधीन रहते हुए यह है िक के न्दर्ीय सरकार ऐसे िकसी नागिरक को भारतीय नागिरकता से
आदेश ारा उस दशा म वंिचत कर सके गी िजसम िक उसका समाधान हो जाता है––
(क) रिजस्टर्ीकरण या देशीयकरण का पर्माणपतर् कपट, िमथ्या व्यपदेशन या िकसी ताित्त्वक तथ्य को िछपाने ारा
अिभपर्ाप्त िकया गया था; अथवा
(ख) उस नागिरक ने अपने आपको कायर् या वाणी ारा या िविध ारा यथास्थािपत भारत के संिवधान के पर्ित
अभक्त या अपर्ीितपूणर् दिशत िकया है, अथवा
(ग) उस नागिरक ने िकसी ऐसे यु के दौरान, िजसम भारत लगा हुआ हो, िकसी शतर्ु के साथ िविधिवरु तया
व्यापार िकया है या संचार िकया है या वह िकसी ऐसे कारबार म लगा रहा या उससे सहयुक्त रहा है िजसके बारे म उसे यह
ज्ञान था िक वह ऐसी रीित म चलाया जा रहा है िक उससे उस यु म शतर्ु को सहयाता िमले; अथवा
(घ) वह नागिरक रिजस्टर्ीकरण या देशीयकरण के पश्चात् पांच वषर् के अन्दर िकसी देश म दो वषर् से अन्यून अविध
के िलए कारावास से दण्डािदष्ट हो चुका है; अथवा
(ङ) वह नागिरक सात वषर् की िनरन्तर कालाविध के िलए भारत के बाहर मामूली तौर से िनवासी रहा है और उस
कालाविध के दौरान िकसी भी समय वह न तो भारत के बाहर िकसी देश म िकसी िशक्षा-संस्था का िव ाथ या भारत म की
िकसी सरकार की अथवा िकसी ऐसे अन्तरार्ष्टर्ीय संगठन की, िजसका भारत सदस्य है, सेवा म रहा है और न उसने भारत की
नागिरकता को पर्ितधािरत करने के अपने आशय को िकसी भारतीय कौन्सलेट म िविहत रीित म पर्ितवषर् रिजस्टर्ीकृ त
िकया है ।
(3) के न्दर्ीय सरकार इस धारा के अधीन िकसी व्यिक्त को तब के िसवाय नागिरकता से वंिचत नह करे गी जबिक उसका
समाधान हो जाता है िक यह लोक कल्याण का साधक नह है िक वह व्यिक्त भारत का नागिरक बना रहे ।
(4) इस धारा के अधीन आदेश करने से पूवर् के न्दर्ीय सरकार उस व्यिक्त को, िजसके िवरु आदेश करने की पर्स्थापना है,
िलिखत रूप से ऐसी सूचना देगी िजसम उसे उस आधार की, िजस पर उस आदेश के िकए जाने की पर्स्थापना है, और यिद वह आदेश

1
1992 के अिधिनयम सं० 39 की धारा 3 ारा “कोई पुरुष व्यिक्त” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 8 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 8 ारा लोप िकया गया ।
4
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 9 ारा पर्ितस्थािपत ।
9

उपधारा (2) म, उसके खण्ड (ङ) को छोड़कर, िविनिदष्ट आधार म से िकसी आधार पर करने की पर्स्थापना है तो इस बात की िक
िविहत रीित म तिन्निम आवेदन करने पर इस धारा के अधीन जांच सिमित को अपना मामला िनदिशत कराने का उसे अिधकार है,
इि ला दी गई होगी ।
(5) यिद िकसी व्यिक्त के िवरु आदेश उपधारा (2) म, उसके खण्ड (ङ) को छोड़कर, िविनिदष्ट आधार म से िकसी आधार
पर करने की पर्स्थापना है और वह व्यिक्त िविहत रीित म ऐसे आवेदन करता है, तो के न्दर्ीय सरकार वह मामला ऐसी जांच सिमित को,
जो के न्दर्ीय सरकार ारा इस िनिम िनयुक्त अध्यक्ष से (जो ऐसा व्यिक्त होगा िजसने कम से कम दस वषर् तक कोई न्याियक पद धारण
िकया है) और दो अन्य सदस्य से िमलकर बनी होगी, िनदिशत करे गी और िकसी अन्य दशा म उस मामले को िनदिशत कर सके गी ।
(6) जांच सिमित ऐसे िनदशन पर जांच ऐसी रीित म करे गी जैसी िविहत की जाए और अपनी िरपोटर् के न्दर्ीय सरकार को
िनवेिदत करे गी और के न्दर्ीय सरकार का इस धारा के अधीन आदेश करने म मागर्दशर्न मामूली तौर से ऐसी िरपोटर् ारा होगा ।

अनुपरू क
1
* * * * * * *
13. संदह
े की दशा म नागिरकता का पर्माणपतर्––के न्दर्ीय सरकार ऐसे मामल म, िजनको वह ठीक समझती है यह पर्मािणत
कर सके गी िक कोई व्यिक्त, िजसकी भारत की नागिरकता के बारे म कोई संदह े िव मान है, भारत का नागिरक है, और इस धारा के
अधीन िनकाला गया पर्माणपतर् तब के िसवाय जब िक यह सािबत कर िदया जाता है िक वह कपट, िमथ्या व्यपदेशन या िकसी ताित्त्वक
तथ्य को िछपाने ारा अिभपर्ाप्त िकया गया था, इस बात का िनश्चायक सा य होगा िक वह व्यिक्त उस पर्माणपतर् की तारीख को ऐसा
नागिरक था िकन्तु वह िकसी ऐसे सा य पर िक वह उससे पूवर् िकसी तारीख को ऐसा नागिरक था; पर्ितकू ल पर्भाव नह डालेगी ।
14. धारा 5 और धारा 6 के अधीन आवेदन का िनपटारा––(1) िविहत पर्ािधकारी या के न्दर्ीय सरकार स्विववेकानुसार
5, धारा 6 और धारा 7क] के अधीन िकसी आवेदन को मंजरू या नामंजूर कर सके गी और ऐसी मंजूरी या नामंजरू ी के िलए कोई
2 [धारा

कारण देने के िलए अपेिक्षत नह होगी ।


(2) धारा 15 के उपबन्ध के अधीन रहते हुए, िविहत पर्ािधकारी या के न्दर्ीय सरकार का िविनश्चय िकसी यथापूव क्त आवेदन
पर अिन्तम होगा और िकसी न्यायालय म पर्श्नगत नह िकया जाएगा ।
[14क. राष्टर्ीय पहचानपतर् का जारी करना––(1) कदर्ीय सरकार, भारत के पर्त्येक नागिरक को अिनवायर् रूप से रिजस्टर
3

कर सके गी और उसको राष्टर्ीय पहचान-पतर् जारी कर सके गी ।


(2) के न्दर्ीय सरकार, भारतीय नागिरक का राष्टर्ीय रिजस्टर रख सके गी और उस पर्योजन के िलए एक राष्टर्ीय रिजस्टर्ीकरण
पर्ािधकारण स्थािपत कर सके गी ।
(3) नागिरकता (संशोधन) अिधिनयम, 2003 के पर्ारं भ की तारीख से ही, जन्म और मृत्यु रिजस्टर्ीकरण अिधिनयम, 1969
(1969 का 18) की धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन िनयुक्त भारत का महारिजस्टर्ार, राष्टर्ीय रिजस्टर्ीकरण पर्ािधकारी के रूप म कायर्
करे गा और वह नागिरक रिजस्टर्ीकरण महारिजस्टर्ार के रूप म कृ त्य करे गा ।
(4) कदर्ीय सरकार ऐसे अन्य अिधकारी और कमर्चारी िनयुक्त कर सके गी, जो नागिरक रिजस्टर्ीकरण महारिजस्टर्ार की, उसके
कृ त्य और उ रदाियत्व के िनवर्हन म, सहायता करने के िलए अपेिक्षत ह ।
(5) भारत के नागिरक के अिनवायर् रिजस्टर्ीकरण म अपनाई जाने वाली पर्िकर्या ऐसी होगी जो िविहत की जाए ।]
15. पुनरीक्षण––(1) िविहत पर्ािधकारी या िकसी आिफसर या (के न्दर्ीय सरकार से िभन्न) अन्य पर्ािधकारी ारा इस
अिधिनयम के अधीन िकए गए िकसी आदेश से व्यिथत व्यिक्त, उस आदेश की तारीख से तीस िदन की कालाविध के अन्दर के पुनरीक्षण
के िलए के न्दर्ीय सरकार से आवेदन कर सके गा :
परन्तु यिद के न्दर्ीय सरकार का समाधान हो जाता है िक आवेदक समय पर आवेदन करने म पयार्प्त हेतुक से िनवािरत रहा था
तो वह ऐसे आवेदन को तीस िदन की उक्त कालाविध के अवसान के पश्चात् भी गर्हण कर सके गी ।
(2) उपधारा (1) के अधीन िकसी ऐसे आवेदन की पर्ािप्त पर के न्दर्ीय सरकार व्यिथत व्यिक्त के आवेदन और उस पर हुई
िकसी िरपोटर् पर, जो आदेश करने वाला आिफसर या पर्ािधकारी िनवेिदत करे , िवचार करने के पश्चात् उस आवेदन के सम्बन्ध म ऐसा
आदेश करे गी जैसा वह ठीक समझती है और के न्दर्ीय सरकार का िविनश्चय अिन्तम होगा ।
[15क. पुनिवलोकन––(1) के न्दर्ीय सरकार ारा िकए गए िकसी आदेश से व्यिथत कोई व्यिक्त, ऐसे आदेश की तारीख से
4

तीस िदन के भीतर, ऐसे आदेश के पुनिवलोकन के िलए आवेदन कर सके गा :

1
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 10 ारा लोप िकया गया ।
2
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 11 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 12 ारा अंत:स्थािपत ।
4
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 13 ारा अंत:स्थािपत ।
10

परं तु कदर्ीय सरकार तीस िदन की उक्त अविध की समािप्त के पश्चात्, यिद उसका यह समाधान हो जाता है िक आवेदक को
समय से आवेदन करने से पयार्प्त कारण से िनवािरत िकया गया था, आवेदन को गर्हण कर सके गी :
परं तु यह और िक धारा 14क के उपबंध के अनुसार पािरत िकसी आदेश के पुनरीक्षण के िलए िकसी आवेदन का िनपटारा उस
पर्िकर्या म उपबंिधत रीित के अनुसार िकया जाएगा, जो धारा 18 की उपधारा (2) के खंड (iक) के अधीन अिधकिथत की जाए ।
(2) उपधारा (1) के अधीन िकसी आवेदन की पर्ािप्त पर कदर्ीय सरकार ऐसा आदेश कर सके गी जो वह ठीक समझे और ऐसे
पुनिवलोकन पर कदर्ीय सरकार का िविनश्चय अंितम होगा ।]
16. शिक्तय का पर्त्यायोजन––के न्दर्ीय सरकार आदेश ारा िनदेश दे सके गी िक कोई शिक्त, जो उसे इस अिधिनयम की
उसकी धारा 10 और धारा 18 के उपबन्ध से िभन्न उपबन्ध म से िकसी उपबन्ध ारा पर्द की गई है, ऐसी पिरिस्थितय म और ऐसी
शत के , यिद कोई ह , अधीन जैसी आदेश म िविनिदष्ट की जाएं, ऐसे आिफसर या पर्ािधकारी ारा पर्योक्तव्य ह गी जैसा इस पर्कार
िविनिदष्ट िकया जाए ।
17. अपराध––जो कोई व्यिक्त िकसी बात का इस अिधिनयम के अधीन िकया जाना या न िकया जाना उपाप्त करने के
पर्योजन के िलए जानते हुए कोई ऐसा व्यपदेशन करे गा जो िकसी ताित्त्वक िविशिष्ट म िमथ्या है, वह कारावास से, िजसकी अविध
1 [पांच वषर्] तक की हो सके गी, या 1[जुमार्ने से, जो पचास हजार रुपए तक का हो सके गा] या दोन से, दण्डनीय होगा ।

18. िनयम बनाने की शिक्त––(1) के न्दर्ीय सरकार इस अिधिनयम के पर्योजन को कायार्िन्वत करने के िलए िनयम शासकीय
राजपतर् म अिधसूचना ारा, बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना ऐसे िनयम िनम्निलिखत के िलए उपबन्ध
कर सकगे––
(क) इस अिधिनयम के अधीन रिजस्टर्ीकृ त होने के िलए अपेिक्षत या पर्ािधकृ त िकसी बात का रिजस्टर्ीकरण तथा
ऐसे रिजस्टर्ीकरण के बारे म शत और िनबर्न्धन;
2
[(कक) वह पर्रूप और रीित, िजसम धारा 4 की उपधारा (1) के अधीन कोई घोषणा की जाएगी ;]
(ख) वे पर्रूप जो इस अिधिनयम के अधीन उपयोग म लाए जाएंगे और वे रिजस्टर जो इस अिधिनयम के अधीन
रखे जाएंगे;
(ग) इस अिधिनयम के अधीन राजिनष्ठा की शपथ िदलाना और लेना और वह समय िजसके अन्दर और वह रीित
िजसम ऐसी शपथ ली जाएंगी और अिभिलिखत की जाएंगी;
(घ) िकसी व्यिक्त ारा इस अिधिनयम के अधीन िदए जाने के िलए, अपेिक्षत या पर्ािधकृ त िकसी सूचना का िदया
जाना;
(ङ) इस अिधिनयम के अधीन नागिरकता से वंिचत िकए गए व्यिक्तय के रिजस्टर्ीकरण का र करण और उनसे
सम्ब देशीयकरण के पर्माणपतर् का र करण और संशोधन और उन पर्योजन के िलए ऐसे पर्माणपतर् का पिरद िकया
जाना;
[(ङङ) वह रीित िजससे और वह पर्रूप िजसम तथा वह पर्ािधकारी िजसको धारा 6क की उपधारा (6) के खंड (क)
3

और (ख) म िनिदष्ट घोषणाएं पर्स्तुत की जाएंगी और ऐसी घोषणा से सम्बिन्धत अन्य िवषय];
[(ङङक) ऐसी शत और रीित िजनके अध्यधीन िकसी व्यिक्त को धारा 7क की उपधारा (1) के अधीन भारत के
4

काडर्धारक िवदेशी नागिरक के रूप म रिजस्टर्ीकृ त िकया जा सके गा;


(ङङख) धारा 7ग की उपधारा (1) के अधीन भारत के िवदेशी नागिरक के काडर् के त्यजन की घोषणाएं करने
की रीित;]
(च) भारत के बाहर पैदा होने वाले या मरने वाले िकसी वगर् या अिभवणर्न के व्यिक्तय के जन्म और मृत्यु का
भारतीय कौन्सलेट म रिजस्टर्ीकरण;
(छ) इस अिधिनयम के अधीन के आवेदन , रिजस्टर्ीकरण , घोषणा और पर्माणपतर् के सम्बन्ध म, राजिनष्ठा की
शपथ लेने के सम्बन्ध म और दस्तावेज की पर्मािणत या अन्य पर्ितय के पर्दाय के सम्बन्ध म फीस का उद्गर्हण और संगर्हण;

1
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 14 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 15 ारा अन्त:स्थािपत ।
3
1985 के अिधिनयम सं० 65 की धारा 3 ारा (7-12-1985 से) अंत:स्थािपत ।
4
2015 के अिधिनयम सं० 1 की धारा 5 ारा अंत:स्थािपत ।
11

(ज) िकसी अन्य देश की नागिरकता के अजर्न के पर्श्न को अवधािरत करने के िलए पर्ािध◌ाकरी, वह पर्िकर्या िजसका
अनुसरण ऐसे पर्ािधकारी ारा िकया जाएगा और ऐसे मामल से सम्ब सा य के िनयम;
(झ) वह पर्िकर्या िजसका अनुसरण धारा 10 के अधीन िनयुक्त की गई जांच सिमितय ारा िकया जाएगा और ऐसी
सिमितय को िसिवल न्यायालय की शिक्तय , अिधकार और िवशेषािधकार म से िकसी का पर्दाय;
1
[(झक) धारा 14क की उपधारा (5) के अधीन भारत के नागिरक के अिनवायर् रिजस्टर्ीकरण म अपनाई जाने वाली
पर्िकर्या;]
(ञ) वह रीित िजसम पुनरीक्षण के िलए आवेदन िकया जा सके गा और वह पर्िकर्या िजसका अनुसरण ऐसे आवेदन
को िनपटाने म के न्दर्ीय सरकार ारा िकया जाएगा; तथा
(ट) कोई अन्य िवषय जो इस अिधिनयम के अधीन िविहत िकया जाना है या िकया जाए ।
(3) इस धारा के अधीन कोई िनयम बनाने म के न्दर्ीय सरकार यह उपबन्ध कर सके गी िक उसका भंग जुमार्ने से, जो एक हजार
रुपए तक का हो सके गा, दण्डनीय होगा :
[परं तु यह िक उपधारा (2) के खंड (झक) म िविनिदष्ट िकसी िवषय के संबंध म बनाया गया कोई िनयम यह उपबंध कर
1

सके गा िक उसका कोई भंग ऐसी अविध के करावास से, जो तीन मास तक की हो सके गी या जुमार्ने से जो पांच हजार रुपए तक का हो
सके गा या दोन से दंडनीय होगा ।]
[(4) इस धारा के अधीन बनाया गया पर्त्येक िनयम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघर्, संसद् के पर्त्येक सदन के समक्ष, जब
2

वह सतर् म हो, कु ल तीस िदन की अविध के िलए रखा जाएगा । यह अविध एक सतर् म अथवा दो या अिधक आनुकर्िमक सतर् म पूरी हो
सके गी । यिद उस सतर् के या पूव क्त आनुकर्िमक सतर् के ठीक बाद के सतर् के अवसान के पूवर् दोन सदन उस िनयम म कोई पिरवतर्न
करने के िलए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे पिरवितत रूप म ही पर्भावी होगा । यिद उक्त अवसान के पूवर् दोन सदन सहमत
हो जाएं िक वह िनयम नह बनाया जाना चािहए तो तत्पश्चात् वह िनष्पर्भाव हो जाएगा । िकन्तु िनयम के ऐसे पिरवितत या
िनष्पर्भाव होने से उसके अधीन पहले की गई िकसी बात की िविधमान्यता पर पर्ितकू ल पर्भाव नह पड़ेगा ।]
19. [िनरिसत ।]––िनरसन और संशोधन अिधिनयम, 1960 (1960 का अिधिनयम सं० 58) की धारा 2 और पर्थम अनुसच
ू ी
ारा िनरिसत ।
3
* * * * * * *
4
[ि तीय अनुसच
ू ी
[धारा 5(2) और धारा 6(2) देिखए]

राजिनष्ठा की शपथ
म, क ख ………………. सत्यिनष्ठा से पर्ितज्ञान करता हूं (या शपथ लेता हूं) िक म िविध ारा स्थािपत भारत के संिवधान
के पर्ित सच्ची शर् ा और िनष्ठा रखूंगा और यह िक म भारत की िविधय का शर् ापूवर्क अनुपालन करूंगा और भारत के नागिरक के रूप
म अपने कतर्व्य को पूरा करूंगा ।]

तृतीय अनुसच
ू ी
[धारा 6(1) देिखए]

देशीयकरण के िलए अहर्ताएं


ऐसे व्यिक्त के देशीकरण के िलए, 5 * * * अहर्ताएं ये ह िक––
(क) वह िकसी ऐसे देश की पर्जा या नागिरक नह है जहां भारत के नागिरक देशीयकरण ारा उस देश की पर्जा या
नागिरक बनने से उस देश की िविध या पर्था ारा िनवािरत है;
(ख) यिद वह िकसी देश का नागिरक है, 6 [तो वह भारतीय नागिरकता के िलए अपना आवेदन स्वीकार होने की
दशा म उस देश की नागिरकता त्यागने का वचन देता है] ;

1
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 15 ारा अन्त:स्थािपत ।
2
1986 के अिधिनयम सं० 4 की धारा 2 और अनुसूची ारा (15-5-1986 से) पर्ितस्थािपत ।
3
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 16 ारा लोप िकया गया ।
4
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 17 ारा पर्ितस्थािपत ।
5
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 18 ारा लोप िकया गया ।
6
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 18 ारा पर्ितस्थािपत ।
12

(ग) आवेदन की तारीख से अव्यविहत पूवर् बारह मास की कालाविध भर वह या तो भारत म िनवासी रहा है या
भारत म की िकसी सरकार की सेवा म रहा है अथवा भागत: िनवासी रहा है और भागत: सेवा म रहा है :
[परं तु यिद के न्दर्ीय सरकार का यह समाधान हो जाता है िक िवशेष पिरिस्थितयां िव मान ह, तो वह ऐसी
1

पिरिस्थितय को अिभिलिखत करने के पश्चात् बारह मास की अविध को अिधकतम तीस िदन तक के िलए िशिथल कर
सके गी, जो िविभन्न खंड म हो सकगी ;]
(घ) बारह मास की उक्त कालाविध पूवर् के 2 [चौदह वष ] के दौरान वह ऐसी कालाविधय के िलए जो कु ल िमला
कर [ग्यारह वषर्] से कम नह है या तो भारत म िनवासी रहा या भारत म की िकसी सरकार की सेवा म रहा है अथवा
2

भागत: िनवासी रहा है और भागत: सेवा म रहा है;


(ङ) वह अच्छे शील का है;
(च) वह संिवधान की अष्टम् अनुसूची म िविनिदष्ट िकसी भाषा का यथायोग्य ज्ञान रखता है, तथा
(छ) देशीयकरण का पर्माणपतर् उसे अनुद िकए जाने की दशा म वह भारत म िनवास करने या भारत म की िकसी
सरकार के अधीन अथवा िकसी ऐसे अन्तरराष्टर्ीय संगठन के अधीन िजसका भारत सदस्य है या भारत म स्थािपत िकसी
सोसाइटी, कम्पनी या व्यिक्त िनकाय के अधीन सेवा म पर्वेश करने या सेवा म बने रहने का आशय रखता है :
परन्तु यिद के न्दर्ीय सरकार िकसी िविशष्ट मामले की िवशेष पिरिस्थितय म ठीक समझती है, तो वह––
(i) आवेदन की तारीख से छह मास से अनिधक पूवर् समाप्त होने वाली बारह मास की िनरन्तर कालाविध
को उपरोक्त खंड (ग) के पर्योजन के िलए ऐसे संगिणत िकए जाने की अनुज्ञा दे सके गी मानो वह उस तारीख से
अव्यविहत पूवर् की हो;
(ii) आवेदन की तारीख से 2[पन्दर्ह वषर्] पहले से अिधक पूवर् के िनवास या सेवा की कालाविधय को
उपरोक्त खण्ड (घ) म विणत कु ल कालाविध की गणना म संगिणत करने की अनुज्ञा दे सके गी ।
3
* * * * * * *

______

1
2015 के अिधिनयम सं० 1 की धारा 6 ारा अंत:स्थािपत ।
2
2004 के अिधिनयम सं० 6 की धारा 18 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
2005 के अिधिनयम सं० 32 की धारा 5 ारा (28-6-2005 से) लोप िकया गया ।

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