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H 199142
H 199142
(घ) ऐसे िकसी स्थल का कोई संपिरवतर्न जो ऐसे पर्ारं भ के पूवर् उपमित ारा िकया गया है ;
(ङ) ऐसे पर्ारं भ के पूवर् ऐसे िकसी स्थल का िकया गया कोई संपिरवतर्न, जो तत्समय पर्वृ िकसी िविध के अधीन
पिरसीमा ारा विजत होने के कारण िकसी न्यायालय, अिधकरण या अन्य पर्ािधकारी के समक्ष आक्षेपणीय नह है ।
5. अिधिनयम का राम जन्मभूिम-बाबरी मिस्जद को लागू न होना––इस अिधिनयम की कोई बात उ र पर्देश राज्य के
अयोध्या म िस्थत राम जन्मभूिम-बाबरी मिस्जद के रूप म सामान्यतया ज्ञात स्थान या उपासना स्थल को और उक्त स्थान या उपासना
स्थल से संबंिधत िकसी वाद, अपील या अन्य कायर्वाही को लागू नह होगी ।
6. धारा 3 के उल्लंघन के िलए दंड––(1) जो कोई धारा 3 के उपबंध का उल्लंघन करे गा, वह कारावास से, िजसकी अविध
तीन वषर् तक ही हो सके गी, दंडनीय होगा और जुमार्ने से भी दंडनीय होगा ।
(2) जो कोई उपधारा (1) के अधीन दंडनीय कोई अपराध करने का पर्यत्न करे गा या ऐसा अपराध कराएगा और ऐसे पर्यत्न म
अपराध करने की िदशा म कोई कायर् करे गा, वह उस अपराध के िलए उपबंिधत दंड से दंडनीय होगा ।
(3) जो कोई उपधारा (1) के अधीन दंडनीय िकसी अपराध का दुष्पर्ेरण करे गा या उसे करने म आपरािधक ष ंतर् का पक्षकार
होगा, चाहे ऐसा अपराध ऐसी दुष्पर्ेरणा के पिरणामस्वरूप या ऐसे आपरािधक ष ंतर् के अनुसरण म िकया गया हो या न िकया गया
हो, वह भारतीय दंड संिहता (1860 का 45) की धारा 116 म िकसी बात के होते हुए भी, उस अपराध के िलए उपबंिधत दंड से दंडनीय
होगा ।
7. अिधिनयम का अन्य अिधिनयिमितय पर अध्यारोही होना––इस अिधिनयम के उपबंध, तत्समय पर्वृ िकसी अन्य िविध
या इस अिधिनयम से िभन्न िकसी िविध के आधार पर पर्भावी िकसी िलखत म उससे असंगत िकसी बात के होते हुए भी, पर्भावी ह गे ।
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2001 के अधीिनयम सं० 30 की धारा 2 और पहली अनुसूची ारा िनरिसत ।