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अिधिनयम, 1971
( 1971 का अिधिनयम संख्यांक 34 )
[10 अगस्त, 1971]
कितपय गभ के रिजस्टर्ीकृ त िचिकत्सा-व्यवसाियय ारा समापन
का और उससे संब या उसके आनुषिं गक िवषय का
उपबंध करने के िलए
अिधिनयम
भारत गणराज्य के बाईसव वषर् म संसद् ारा िनम्निलिखत रूप म यह अिधिनयिमत हो:––
1. संिक्षप्त नाम, िवस्तार और पर्ारं भ––(1) इस अिधिनयम का संिक्षप्त नाम गभर् का िचिकत्सकीय अिधिनयम, 1971 है ।
(2) इसका िवस्तार जम्मू-कश्मीर राज्य के िसवाय संपूणर् भारत पर है ।
(3) यह उस तारीख को पर्वृ होगा िजसे के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, िनयत करे ।
2. पिरभाषाएं––इस अिधिनयम म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,––
(क) “संरक्षक” से अवयस्क या 1[मानिसक रूप से बीमार व्यिक्त] के शरीर की देख-रे ख का पर्भारी व्यिक्त
अिभपर्ेत है ;
[(ख) “मानिसक रूप से बीमार व्यिक्त” से ऐसा व्यिक्त अिभपर्ेत है िजसे मानिसक मंदता से िभन्न िकसी मानिसक
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2002 के अिधिनयम सं० 64 की धारा 2 ारा (18-6-2003 से) पर्ितस्थािपत ।
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स्पष्टीकरण 2––जहां िकसी िववािहता स्तर्ी या उसके पित ारा बच्च की संख्या सीिमत रखने के पर्योजन से उपयोग म लाई
गई िकसी पर्युिक्त या व्यवस्था की असफलता के फलस्वरूप कोई गभर् हो जाए वहां ऐसे अवांिछत गभर् के कारण होने वाले मनस्ताप के
बारे म यह उपधारणा की जा सके गी िक वह गभर्वती स्तर्ी के मानिसक स्वास्थ्य को गम्भीर क्षित है ।
(3) इस बात का अवधारण करने म िक गभर् के बने रहने से उपधारा (2) म यथाविणत स्वास्थ्य की क्षित की जोिखम होगी या
नह , गभर्वती स्तर्ी की वास्तिवक या उिचत रूप से पूवार्नुमेय पिरिस्थितय का िवचार िकया जा सके गा ।
(4) (क) िकसी ऐसी स्तर्ी का गभर्, िजसने अठारह वषर् की आयु पर्ाप्त न की हो, अथवा िजसने अठारह वषर् की आयु पर्ाप्त कर
ली हो िकन्तु जो 1 [मानिसक रूप से बीमार व्यिक्त] हो, उसके संरक्षक की िलिखत सम्मित से ही समाप्त िकया जाएगा, अन्यथा नह ।
(ख) खण्ड (क) म अन्यथा उपबिन्धत के िसवाय, कोई गभर् गभर्वती स्तर्ी की सम्मित से ही समाप्त िकया जाएगा,
अन्यथा नह ।
[4. वह स्थान जहां गभर् समाप्त िकया जा सके गा––इस अिधिनयम के अनुसार िकसी गभर् का समापन िनम्निलिखत से िभन्न
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2002 के अिधिनयम सं० 64 की धारा 3 ारा (18-6-2003 से) पर्ितस्थािपत ।
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2002 के अिधिनयम सं० 64 की धारा 4 ारा (18-6-2003 से) पर्ितस्थािपत ।
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2002 के अिधिनयम सं० 64 की धारा 5 ारा (18-6-2003 से) पर्ितस्थािपत ।
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(3) इस अिधिनयम के अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा बनाया गया पर्त्येक िनयम, बनाए जाने के पश्चात् यथाशक्यशीघर्, संसद्
के पर्त्येक सदन के समक्ष, उस समय जब वह सतर् म हो, कु ल िमलाकर तीस िदन की कालाविध के िलए, जो एक सतर् म या दो कर्मवत
सतर् म समािवष्ट हो सके गी, रखा जाएगा और यिद उस सतर् के , िजसम वह ऐसे रखा गया हो, या ठीक बाद के सतर् के अवसान के पूवर्
दोन सदन उस िनयम म कोई उपान्तर करने के िलए सहमत हो जाएं या दोन सदन सहमत हो जाएं िक वह िनयम नह बनाया जाना
चािहए तो तत्पश्चात्, यथािस्थित, वह िनयम ऐसे उपान्तिरत रूप म ही पर्भावी होगा या उसका कोई भी पर्भाव न होगा, िकन्तु इस
पर्कार िक ऐसा कोई उपान्तर या बाितलकरण उस िनयम के अधीन पहले की गई िकसी बात की िविधमान्यता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले
िबना होगा ।
7. िविनयम बनाने की शिक्त––(1) राज्य सरकार, िविनयम ारा,––
(क) धारा 3 की उपधारा (2) म यथा िनिदष्ट राय से सम्ब रिजस्टर्ीकृ त िचिकत्सा-व्यवसायी या िचिकत्सा-
व्यवसाियय ारा ऐसे पर्रूप म और ऐसे समय पर, जो उन िविनयम म िविनिदष्ट हो, पर्मािणत िकए जाने की तथा ऐसे
पर्माणपतर् के पिररक्षण या व्ययन की अपेक्षा कर सके गी ;
(ख) िकसी रिजस्टर्ीकृ त िचिकत्सा-व्यवसायी से, जो गभर् समाप्त करे , अपेक्षा कर सके गी िक वह ऐसे समापन की
पर्ज्ञापना तथा उस समापन से संबिं धत अन्य ऐसी जानकारी, जैसी िविनयम म िविनिदष्ट की जाए, दे ;
(ग) ऐसे िविनयम के अनुसरण म दी गई पर्ज्ञापनाएं या जानकारी के , उन व्यिक्तय को तथा उन पर्योजन के िलए,
जो ऐसे िविनयम म िविनिदष्ट िकए जाएं, पर्कट िकए जाने के िसवाय पर्कटीकरण का पर्ितषेध कर सके गी ।
(2) उपधारा (1) के खंड (ख) के आधार पर बनाए गए िविनयम के अनुसरण म दी गई पर्ज्ञापना तथा जानकारी राज्य के
मुख्य िचिकत्सक अिधकारी को दी जाएगी ।
[(2क) इस अिधिनयम के अधीन राज्य सरकार ारा बनाया गया पर्त्येक िविनयम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघर्, राज्य
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2005 के अिधिनयम सं० 4 की धारा 2 ारा अत:स्थािपत ।