You are on page 1of 11

सरकारी स्थान (अपर्ािधकृ त अिधभोिगय की बेदखली)

अिधिनयम, 1971
( 1971 का अिधिनयम संख्यांक 40 )
[23 अगस्त, 1971]
सरकारी स्थान से अपर्ािधकृ त अिधभोिगय की बेदखली के िलए तथा कितपय
आनुषिं गक िवषय के िलए उपबन्ध करने के िलए
अिधिनयम
भारत गणराज्य के बाईसव वषर् म संसद् ारा िनम्निलिखत रूप म यह अिधिनयिमत हो :––
1. सिक्षप्त नाम, िवस्तार और पर्ारम्भ––(1) इस अिधिनयम का संिक्षप्त नाम सरकारी स्थान (अपर्ािधकृ त अिधभोिगय की
बेदखली) अिधिनयम, 1971 है ।
(2) इसका िवस्तार संपूणर् भारत पर है ।
(3) इसकी धारा 11, 19 और 20 के िसवाय, जो तुरन्त लागू ह गी, यह 16 िसतम्बर, 1958 को पर्वृ हुआ समझा जाएगा ।
2. पिरभाषाएं––इस अिधिनयम म, जब तक िक संदभर् से अन्यथा अपेिक्षत न हो,––
1* * * * * *
(ख) “संपदा अिधकारी” से धारा 3 के अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा उस रूप म िनयुक्त कोई अिधकारी अिभपर्ेत है;
(ग) “स्थान” से कोई भूिम या कोई भवन अथवा भवन का कोई भाग अिभपर्ेत है और इसके अन्तगर्त िनम्निलिखत
भी ह,––
(i) उ ान, जमीन और उपगृह, यिद कोई ह , जो ऐसे भवन या भवन के भाग से अनुलग्न ह , और
(ii) कोई िफिटग जो ऐसे भवन या भवन के भाग के अिधक फायदापर्द उपभोग के िलए उसम लगाई
गई हो:
(घ) “िविहत” से इस अिधिनयम के अधीन बनाए गए िनयम ारा िविहत अिभपर्ेत है;
2
[(ङ) “सरकारी स्थान” से अिभपर्ेत है––
(1) कोई ऐसा स्थान जो कदर्ीय सरकार का हो या उसके ारा या उसकी ओर से प े पर िलया गया हो या
अिधगृहीत िकया गया हो, और इसके अंतगर्त कोई ऐसा स्थान भी है िजसे उस सरकार ारा सरकारी स्थान
(अपर्ािधकृ त अिधभोिगय की बेदखली) संशोधन अिधिनयम, 1980 के पर्ारम्भ के पूवर् या पश्चात् संसद् के दोन
सदन म से िकसी सदन के सिचवालय के िनयंतर्ण के अधीन, उस सिचवालय के कमर्चािरवृंद के िकसी सदस्य को
िनवास की जगह उपलब्ध कराने के िलए रखा गया हो;
(2) कोई ऐसा स्थान जो िनम्निलिखत का हो या उसके ारा या उसकी ओर से प े पर िलया गया हो :––
(i) 3 [कं पनी अिधिनयम, 2013 (2013 का 18)] की धारा 3 म यथापिरभािषत कोई कं पनी
िजसम समाद शेयर पूंजी का इक्यावन पर्ितशत से अन्यून भाग कदर्ीय सरकार ारा धािरत हो या कोई
ऐसी कं पनी जो (उस अिधिनयम के अथर् म) पर्थमत: विणत कं पनी की समनुषंगी हो,
(ii) कोई िनगम (जो 3[कं पनी अिधिनयम, 2013 (2013 का 18)] की धारा 3 म यथापिरभािषत
कं पनी या कोई स्थानीय पर्ािधकारी नह है) जो िकसी कदर्ीय अिधिनयम ारा या उसके अधीन स्थािपत
िकया गया हो और कदर्ीय सरकार के स्वािमत्व या िनयंतर्ण म हो,
[(iii) कं पनी अिधिनयम, 2013 (2013 का 18) की धारा 2 के खंड (20) म यथापिरभािषत
3

कोई ऐसी कं पनी, िजसम समाद शेयर पूंजी का इक्यावन पर्ितशत से अन्यून भाग भागत: के न्दर्ीय
सरकार ारा धािरत हो और भागत: एक या अिधक राज्य सरकार ारा धािरत हो और इसम ऐसी

1
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 2 ारा खण्ड (क) का लोप िकया गया ।
2
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 2 ारा खण्ड (ङ) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
3
2015 के अिधिनयम सं० 2 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत ।
2

कं पनी भी सिम्मिलत है, जो (उस अिधिनयम के अथर् म) पर्थम विणत कं पनी की समनुष
ं गी हो और जो
सावर्जिनक पिरवहन का, िजसके अंतगर्त मेटर्ो रे ल भी है, कारबार करती है ।
स्पष्टीकरण––इस मद के पर्योजन के िलए, “मेटर्ो रे ल” का वही अथर् होगा जो मेटर्ो रे ल
(पर्चालन और अनुरक्षण) अिधिनयम, 2002 (2002 का 60) की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (i) म
उसका है,
(iiiक) िकसी कदर्ीय अिधिनयम ारा स्थािपत या िनगिमत कोई िवश्विव ालय,]
(iv) पर्ौ ोिगकी संस्थान अिधिनयम, 1961 (1961 का 59) ारा िनगिमत कोई संस्थान,
[(v) महाप न न्यास अिधिनयम, 1963 (1963 का 38) के अधीन गिठत या उसम िनिदष्ट
1

कोई न्यासी बोडर् या कोई उ रवत कं पनी,]


(vi) पंजाब पुनगर्ठन अिधिनयम, 1966 (1966 का 31) की धारा 79 के अधीन गिठत भाखड़ा
पर्बंध-मंडल और जब कभी उस पर्बंध-मंडल को उस अिधिनयम की धारा 80 की उपधारा (6) के अधीन
भाखड़ा-व्यास पर्बंध-मंडल के रूप म पुन:नािमत िकया जाए तब यह पर्बंध-मंडल, 2 * * *
[(vii) िदल्ली राष्टर्ीय राजधानी राज्यक्षेतर् म या िकसी अन्य संघ राज्यक्षेतर् म िस्थत कोई
3

राज्य सरकार या िकसी संघ राज्यक्षेतर् की सरकार,


(viii) छावनी अिधिनयम, 1924 (1924 का 2) के अधीन गिठत कोई छावनी बोडर्, और]
(3) [िदल्ली राष्टर्ीय राजधानी राज्यक्षेतर्] के संबंध म,––
4

(i) कोई ऐसा स्थान जो 1[नई िदल्ली नगरपािलका पिरषद् अिधिनयम, 1994 (1994 का 44)
की धारा 2 के खंड (9) म यथापिरभािषत पिरषद् या िदल्ली नगर िनगम अिधिनयम, 1957 (1957 का
66) की धारा 3 की उपधारा (1) के अधीन अिधसूिचत िकया गया िनगम या िकए गए िनगम] या िकसी
नगरपािलक सिमित या अिधसूिचत क्षेतर् सिमित का हो, 2* * *
(ii) कोई ऐसा स्थान जो िदल्ली िवकास पर्ािधकरण का हो, चाहे ऐसा स्थान उक्त पर्ािधकरण
के कब्जे म हो या उसके ारा प े पर िदया गया हो, 3[और]
[(iii) कोई ऐसा स्थान जो िकसी राज्य सरकार या िकसी संघ राज्यक्षेतर् की सरकार का हो
3

अथवा उसके ारा या उसकी ओर से प े पर िलया गया हो या अिधगृहीत िकया गया हो;]
[(iv) कं पनी अिधिनयम, 2013 (2013 का 18) की धारा 2 के खंड (45) म यथापिरभािषत
5

िकसी सरकारी कं पनी का या उसके ारा अथवा उसकी ओर से प े पर िलया गया कोई स्थान ।
स्पष्टीकरण––इस खंड के पर्योजन के िलए, उक्त धारा के खंड (45) म आने वाले “राज्य
सरकार” पद से िदल्ली राष्टर्ीय राजधानी राज्यक्षेतर् शासन अिभपर्ेत है,]
(च) िकसी सरकारी स्थान के सम्बन्ध म “िकराया” से उस स्थान के पर्ािधकृ त अिधभोग के िलए कािलक रूप से देय
पर्ितफल अिभपर्ेत है और––
(i) उस स्थान के अिधभोग के सम्बन्ध म िव ुत, जल या िकसी अन्य सेवा के िलए कोई पर्भार,
(ii) उस स्थान के सम्बन्ध म देय (िकसी भी नाम से ज्ञात) कोई कर,
उस दशा म इसके अंतगर्त है जब ऐसा पर्भार या कर के न्दर्ीय सरकार ारा अथवा 6 [कानूनी पर्ािधकारी] ारा देय हो;
7
[(चक) इस धारा के खंड (ङ) म िनिदष्ट सरकारी स्थान के संबंध म, “कानूनी पर्ािधकारी” से िनम्निलिखत
अिभपर्ेत है :––
(i) ऐसे सरकारी स्थान की बाबत जो संसद् के दोन सदन म से िकसी सदन के सिचवालय के िनयंतर्ण के
अधीन रखे गए ह, संसद् के संब सदन का सिचवालय,

1
2015 के अिधिनयम सं० 2 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1994 के अिधिनयम सं० 7 की धारा 2 ारा (1-6-1994 से) “और” शब्द का लोप िकया गया ।
3
1994 के अिधिनयम सं० 7 की धारा 2 ारा (1-6-1994 से) अंत:स्थािपत ।
4
1994 के अिधिनयम सं० 7 की धारा 2 ारा (1-6-1994 से) कितपय शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
5
2015 के अिधिनयम सं० 2 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
6
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 2 ारा “िनगिमत पर्ािधकारी” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
7
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
3

(ii) उस खंड के उपखंड (2) की मद (i) 1 [और उपखंड (3) की मद (iv) म] िनिदष्ट सरकारी स्थान की
बाबत, उसम िनिदष्ट, यथािस्थित, कं पनी या समनुषंगी कं पनी,
(iii) उस खंड के उपखण्ड (2) की मद (ii) म िनिदष्ट सरकारी स्थान की बाबत, उसम िनिदष्ट िनगम,
(iv) उस खंड के उपखंड (2) की मद (iii), (iv), (v), 2 [(vi) और (viii)] म कर्मश: िनिदष्ट सरकारी
स्थान की बाबत, उसम िनिदष्ट, यथािस्थित, िवश्विव ालय, संस्थान या बोडर्, और]
(v) उस खण्ड के उपखण्ड (3) म िनिदष्ट सरकारी स्थान की बाबत, उस उपखण्ड म िनिदष्ट, यथािस्थित,
3 [पिरषद, िनगम (कारपोरे शन) या िनगम (कारपोरे शन्स), सिमित या पर्ािधकरण;]
[(चख) िकसी सरकारी स्थान के संबंध म, “अस्थायी अिधभोग” से अिभपर्ेत है, िकसी व्यिक्त ारा, के न्दर्ीय
4

सरकार, राज्य सरकार, संघ राज्यक्षेतर् की सरकार या िकसी कानूनी पर्ािधकारी के पर्ािधकार के अधीन तीस िदन से कम की
कु ल अविध के िलए (िजसके अन्तगर्त िवस्तािरत अविध, यिद कोई हो, भी है) िकए गए आबंटन के आदेश के आधार पर
अिधभोग;]
(छ) िकसी सरकारी स्थान के सम्बन्ध “अपर्ािधकृ त अिधभोग” से सरकारी स्थान का िकसी व्यिक्त ारा ऐसा
अिधभोग अिभपर्ेत है िजसके िलए कोई पर्ािधकार न हो और इसके अन्तगर्त िकसी सरकारी स्थान का अिधभोग िकसी व्यिक्त
ारा उसके पश्चात् जारी रखना भी है जब िक वह पर्ािधकार (जो चाहे अनुदान के तौर पर हो अथवा अन्तरण की िकसी अन्य
प ित से) िजसके अधीन उसे उस स्थान का अिधभोग करने की अनुज्ञा दी गई थी, समाप्त हो गया हो अथवा िकसी भी कारण
से समाप्त कर िदया गया हो ।
3. संपदा अिधकािरय की िनयुिक्त––के न्दर्ीय सरकार राजपतर् म अिधसूचना ारा––
(क) ऐसे व्यिक्तय को जो 5 [सरकार के या िकसी संघ राज्यक्षेतर् की सरकार के राजपितर्त अिधकारी] ह अथवा
6 [कानूनी
पर्ािधकारी] के तत्समान रक के अिधकारी ह , िजन्ह वह ठीक समझे इस अिधिनयम के पर्योजन के िलए संपदा
अिधकारी िनयुक्त कर सके गी, 7 * * *
[परन्तु राज्य सभा के सिचवालय के िकसी अिधकारी की इस पर्कार िनयुिक्त, राज्य सभा के सभापित से परामशर्
8

िकए िबना नह की जाएगी तथा लोक सभा के सिचवालय के िकसी अिधकारी की इस पर्कार िनयुिक्त, लोक सभा के अध्यक्ष
से परामशर् िकए िबना नह की जाएगी :
परन्तु यह और िक कानूनी पर्ािधकारी के िकसी अिधकारी को ही उस पर्ािधकरण ारा िनयंितर्त सरकारी स्थान की
बाबत संपदा अिधकारी िनयुिक्त िकया जाएगा; और]
(ख) उस स्थानीय सीमा को िजनके अन्दर अथवा सरकारी स्थान के उन पर्वग को िजनके सम्बन्ध म संपदा
अिधकारी इस अिधिनयम ारा या इसके अधीन संपदा अिधकारी को पर्द शिक्तय का पर्योग और उस पर अिधरोिपत
कतर्व्य का पालन करगे पिरिनिश्चत कर सके गी ।
अस्थायी अिधभोग से बेदखली––धारा 4 या धारा 5 म िकसी बात के होते हुए भी, यिद सम्पदा अिधकारी का, ऐसी
9 [3क.

जांच करने के पश्चात् जो वह मामले की पिरिस्थितय म समीचीन समझे, यह समाधान हो जाता है िक ऐसे व्यिक्त, िजन्ह कोई
सरकारी स्थान, अस्थायी अिधभोग के िलए अनुज्ञात िकए गए थे, उक्त स्थान के अपर्ािधकृ त अिधभोग म ह; तो वह ऐसे कारण से, जो
लेखब िकए जाएंगे, ऐसे व्यिक्तय की तुरन्त बेदखली का आदेश कर सके गा और तदुपिर यिद ऐसे व्यिक्त बेदखली के उक्त आदेश का
अनुपालन करने से इं कार करते ह या उसका अनुपालन करने म असफल रहते ह तो वह उन्ह उक्त स्थान से बेदखल कर सके गा और
उसका कब्जा ले सके गा और उस पर्योजन के िलए ऐसे बल का पर्योग कर सके गा, जो आवश्यक हो ।]
4. बेदखली के आदेश के िखलाफ कारण दिशत करने के िलए सूचना का जारी िकया जाना––3[(1) यिद सम्पदा अिधकारी के
पास इस बात की सूचना है िक कोई व्यिक्त िकसी सरकारी स्थान का अपर्ािधकृ त अिधभोग कर रहा है और उसे बेदखल िकया जाना
चािहए तो वह संपदा अिधकारी, अपर्ािधकृ त अिधभोग के संबंध म जानकारी पर्ाप्त होने की तारीख से सात कायर् िदवस के भीतर, इसम
इसके पश्चात् उपबंिधत रीित म एक िलिखत सूचना जारी करे गा, िजसम संबंिधत व्यिक्त से अपेक्षा की जाएगी िक वह कारण दिशत
करे िक बेदखली का आदेश क्य न िकया जाए ।

1
2015 के अिधिनयम सं० 2 की धारा 2 ारा अंत:स्थािपत ।
2
1994 के अिधिनयम सं० 7 की धारा 2 ारा (1-6-1994 से) कितपय शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
3
2015 के अिधिनयम सं० 2 की धारा 2 ारा पर्ितस्थािपत ।
4
1994 के अिधिनयम सं० 7 की धारा 2 ारा (1-6-1994 से) अंत:स्थािपत ।
5
1994 के अिधिनयम सं० 7 की धारा 3 ारा (1-6-1994 से) अंत:स्थािपत ।
6
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 2 ारा “िनगिमत पर्ािधकारी” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
7
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 3 ारा “और” शब्द का लोप िकया गया ।
8
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 3 ारा अंत:स्थािपत ।
9
1994 के अिधिनयम सं० 7 की धारा 4 ारा (1-6-1994 से) अंत:स्थािपत ।
4

(1क) यिद संपदा अिधकारी यह जानता है या उसके पास यह िवश्वास करने के कारण ह िक कोई व्यिक्त िकसी सरकारी
स्थान का अपर्ािधकृ त अिधभोग कर रहा है तो वह, उपधारा (1क) के उपबंध पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, तत्काल एक िलिखत
सूचना जारी करे गा, िजसम संबंिधत व्यिक्त से अपेक्षा की जाएगी िक वह कारण दिशत करे िक बेदखली का आदेश क्य न िकया जाए ।
(1ख) उपधारा (1) और उपधारा (1क) म िनिदष्ट सूचना जारी करने म हुए िकसी िवलंब से, इस अिधिनयम के अधीन
कायर्वािहयां दूिषत नह होगी ।]
(2) सूचना म,––
(क) वे आधार िविनिदष्ट ह गे िजन पर बेदखली का आदेश िकए जाने की पर्स्थापना हो; और
[(ख) सब संबंिधत व्यिक्तय से, अथार्त् उन सभी व्यिक्तय से, जो उस सरकारी स्थान का अिधभोग कर रहे ह या
1

िजनके अिधभोग म वह हो या जो उसम िहत का दावा कर, यह अपेक्षा की जाएगी िक वे––


(i) पर्ितस्थािपत आदेश के िवरु कारण, यिद कोई हो, उस तारीख को या उसके पूवर् दिशत कर जो
सूचना म िविनिदष्ट हो और जो उसके जारी िकए जाने की तारीख से सात िदन 2 [के पश्चात् की] तारीख न
हो, और
(ii) सूचना म िविनिदष्ट तारीख को ऐसे सा य सिहत िजसे वे दिशत हेतुक के समथर्न म पर्स्तुत करना
चाहते ह, और यिद वैयिक्तक सुनवाई की वांछा की जाती है तो वैयिक्तक सुनवाई के िलए भी, संपदा अिधकारी के
समक्ष उपिस्थत हो ।]
(3) सम्पदा अिधकारी उस सूचना की उस सरकारी स्थान के बाहरी ार या िकसी अन्य सहजदृश्य भाग पर लगाकर और अन्य
ऐसी रीित से जो िविहत की जाए उसकी तामील कराएगा, और तब यह समझा जाएगा िक सूचना सब सम्ब व्यिक्तय को सम्यक् रूप
से दे दी गई है ।
3
* * * * *
5. अपर्ािधकृ त अिधभोिगय की बेदखली–– 4 [(1) यिद धारा 4 के अधीन सूचना के अनुसरण म िकसी व्यिक्त ारा दिशत
कारण, यिद कोई हो, पर और उसके समथर्न म उसके ारा पेश िकए गए िकसी सा य पर िवचार करने के पश्चात् और धारा 4 की
उपधारा (2) के खंड (ख) के उपखंड (ii) अधीन व्यिक्तगत सुनवाई के , यिद कोई हो, करने के पश्चात्, संपदा अिधकारी का यह समाधान
हो जाता है िक सरकारी स्थान अपर्ािधकृ त अिधभोग म ह तो संपदा अिधकारी बेदखली का आदेश देगा िजसम उसके कारण अिभिलिखत
ह गे और यह िनदेश होगा िक सरकारी स्थान उस तारीख को, जो आदेश म िविनिदष्ट की जाए, िकन्तु जो आदेश की तारीख से पन्दर्ह
िदन के पश्चात् की न हो, उन सभी व्यिक्तय ारा, जो उसका या उसके िकसी भाग का अिधभोग कर रहे ह, खाली कर िदया जाए और
उस आदेश की एक पर्ित उस सरकारी स्थान के बाहरी ार पर या िकसी अन्य सहजदृश्य भाग पर लगवाएगा :
परन्तु संपदा अिधकारी ारा इस उपधारा के अधीन पर्त्येक आदेश यथासंभवशीघर्ता के साथ िकया जाएगा और उसके ारा
धारा 4 की, यथािस्थित, उपधारा (1) या उपधारा (क) के अधीन सूचना म िविनिदष्ट तारीख के पन्दर्ह िदन के भीतर आदेश जारी करने
के सभी पर्यास िकए जाएंगे ।]
(2) यिद कोई व्यिक्त बेदखली के आदेश का पालन 5 [उक्त आदेश म िविनिदष्ट तारीख को या उसके पहले या उपधारा (1) के
अधीन उसके पर्काशन की तारीख से पन्दर्ह िदन के अन्दर, इनम से जो भी पश्चात्वत हो] करने से इन्कार करे गा या न करे गा तो संपदा
अिधकारी अथवा संपदा अिधकारी ारा उस िनिम सम्यक् रूप से पर्ािधकृ त कोई अन्य अिधकारी 5[उस व्यिक्त को इस पर्कार
िविनिदष्ट तारीख के पश्चात् या पूव क्त अविध की समािप्त के पश्चात् इसम से जो भी पश्चात्वत हो, उस सरकारी स्थान से बेदखल
कर सके गा] और उसका कब्जा ले सके गा तथा उस पर्योजन के िलए इतने बल का पर्योग कर सके गा िजतना आवश्यक हो ।
[परन्तु यिद संपदा अिधकारी का लेखब िकए जाने वाले कारण से यह समाधान हो जाता है िक कोई ऐसा बाध्यकारी
4

कारण िव मान है जो उस व्यिक्त को पन्दर्ह िदन के भीतर स्थान खाली करने से िनवािरत करता है, तो संपदा अिधकारी, उस व्यिक्त
को स्थान खाली करने के िलए उपधारा (1) के अधीन आदेश की समािप्त की तारीख से पन्दर्ह िदन का और समय पर्दान कर सके गा ।]
6 [5क. अपर्ािधकृ त सिन्नमार्ण आिद को हटाने की शिक्त––(1) कोई भी व्यिक्त उस पर्ािधकार के अनुसार ही (चाहे वह

अनुदान के रूप म हो या अन्तरण के िकसी अन्य ढंग म), िजसके अधीन उसे ऐसे स्थान का अिधभोग करने के िलए अनुज्ञात िकया गया
था, िकसी सरकारी स्थान पर या उसके सहारे या उसके सामने,––

1
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 4 ारा खण्ड (ख) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
2015 के अिधिनयम सं० 2 की धारा 3 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
1994 के अिधिनयम सं० 7 की धारा 5 ारा (1-6-1994 से) उपधारा (4) का लोप िकया गया ।
4
2015 के अिधिनयम सं० 2 की धारा 4 ारा पर्ितस्थािपत ।
5
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 5 ारा पर्ितस्थािपत ।
6
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 6 ारा अंत:स्थािपत ।
5

(क) िकसी भवन या 1 [कोई जंगम या स्थावर संरचना या िफक्सचर] का पिरिनमार्ण या स्थापन या िनमार्ण करे गा,
(ख) कोई माल पर्दिशत करे गा या फै लाएगा,
(ग) कोई पशु या अन्य जीवजन्तु लाएगा और रखेगा, न िक अन्यथा ।
जहां उपधारा (1) के उपबन्ध के उल्लंघन म, िकसी सरकारी स्थान पर कोई भवन पिरिनिमत िकया गया है या अन्य
2 [(2)

स्थावर संरचना स्थािपत की गई है या िफक्सचर खड़ा िकया गया है, वहां संपदा अिधकारी ऐसे भवन या अन्य संरचना या िफक्सचर
का पिरिनमार्ण करने वाले व्यिक्त पर ऐसी सूचना तामील कर सके गा िजसम उससे यह अपेक्षा की जाएगी िक वह या तो ऐसे भवन या
अन्य संरचना या िफक्सचर को, उस सरकारी स्थान से ऐसी अविध के भीतर जो सात िदन से कम की नह होगी और िजसे संपदा
अिधकारी सूचना म िविनिदष्ट करे , हटा ले या यह हेतुक दिशत करे िक वह उसे क्य नह हटाएगा, और ऐसे व्यिक्त के या तो हेतुक
दिशत न करने या उससे इं कार करने पर अथवा उस सरकारी स्थान से ऐसे भवन या अन्य संरचना या िफक्सचर को न हटाने या उससे
इं कार करने पर, या जहां दिशत िकया गया हेतुक, संपदा अिधकारी की राय म, पयार्प्त नह है, वहां संपदा अिधकारी आदेश ारा ऐसे
भवन या अन्य संरचना या िफक्सचर को उस सरकारी स्थान से हटा सके गा या हटवा सके गा और इस पर्कार हटाने म हुए व्यय को
पूव क्त व्यिक्त से भू-राजस्व की बकाया के रूप म वसूल कर सके गा ।
(3) जहां उपधारा (1) के उपबन्ध के उल्लंघन म, िकसी व्यिक्त ारा िकसी सरकारी स्थान पर कोई जंगम संरचना या
िफक्सचर पिरिनिमत, स्थािपत या खड़ा िकया गया है अथवा कोई माल पर्दिशत िकया या फै लाया गया है अथवा कोई पशु या अन्य
जीवजंतु लाया गया है या रखा गया है, वहां संपदा अिधकारी, आदेश ारा, यथािस्थित, ऐसी संरचना, िफक्सचर, माल, पशु या अन्य
जीवजन्तु को उस सरकारी स्थान से, िबना सूचना के हटा सके गा या हटावा सके गा, और इस पर्कार हटाने म हुए व्यय को ऐसे व्यिक्त से
भू-राजस्व की बकाया के रूप म वसूल कर सके गा ।]
5ख. अपर्ािधकृ त सिन्नमार्ण के ढा देने का आदेश––(1) जहां िकसी ऐसे व्यिक्त ारा जो िकसी सरकारी स्थान का िकसी
पर्ािधकार के अधीन (चाहे वह अनुदान के रूप म हो या अंतरण के िकसी अन्य ढंग म) अिधभोगी है, ऐसे सरकारी स्थान पर िकसी भवन
का पिरिनमार्ण या िकसी संकमर् का िनष्पादन पर्ारम्भ कर िदया गया है या चलाया जा रहा है या पूरा कर िलया गया है, और भवन का
ऐसा पिरिनमार्ण या संकमर् का ऐसा िनष्पादन ऐसे पर्ािधकार के उल्लंघन म है या ऐसे पर्ािधकारी ारा पर्ािधकृ त नह है, वहां संपदा
अिधकारी िकसी अन्य ऐसी कारर् वाई के अितिरक्त, जो इस अिधिनयम के अधीन की जा सके या पूव क्त पर्ािधकार के िनबंधन के
अनुसार, उन कारण से जो अिभिलिखत िकए जाएंगे, यह िनदेश देने वाला आदेश कर सके गा िक ऐसे पिरिनमार्ण या संकमर् को उस
व्यिक्त ारा िजसकी पर्ेरणा पर वह पिरिनमार्ण या संकमर् पर्ारम्भ िकया गया है या चलाया जा रहा है या पूरा कर िदया गया है, ऐसी
अविध के भीतर जो आदेश म िविनिदष्ट की जाए और 3 * * * ढा िदया जाए :
परन्तु इस उपधारा के अधीन कोई आदेश तब तक नह िदया जाएगा जब तक संब व्यिक्त को, िविहत रीित से तामील की
गई 4 [कम से कम सात िदन की सूचना के ारा] यह कारण दिशत करने का युिक्तयुक्त अवसर न दे िदया गया हो िक ऐसा आदेश क्य
न पािरत िकया जाए ।
(2) जहां पिरिनमार्ण या संकमर् को पूरा न कर िलया गया हो वहां संपदा अिधकारी उसी आदेश ारा या पृथक् आदेश ारा,
चाहे वह उपधारा (1) के परन्तुक के अधीन सूचना के जारी िकए जाने के समय या िकसी अन्य समय पर िकया गया हो, उस व्यिक्त को
िजसकी पर्ेरणा पर पिरिनमार्ण या संकमर् पर्ारम्भ िकया गया है या चलाया जा रहा है, िनदेश दे सके गा िक वह पिरिनमार्ण या संकमर् को
उस कालाविध की समािप्त तक के िलए रोक दे िजसके भीतर, ढाने के आदेश के िवरु यिद कोई अपील की जाती है तो वह धारा 9 के
अधीन पर्स्तुत की जा सके ।
(3) संपदा अिधकारी, यथािस्थित, उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन िकए गए पर्त्येक आदेश को सरकारी स्थान के बा
ार पर या िकसी अन्य सहजदृश्य भाग पर लगवाएगा ।
(4) जहां उपधारा (1) के अधीन संपदा अिधकारी ारा िकए गए ढाने के आदेश के िवरु कोई अपील नह की गई है या जहां
उस उपधारा के अधीन संपदा अिधकारी ारा िकए गए ढाने के आदेश को अपील पर फे रफार सिहत या उसके िबना पुष्ट कर िदया गया
है, वहां वह व्यिक्त िजसके िवरु वह आदेश िकया गया है, उस आदेश का अनुपालन, यथािस्थित, उसम िविनिदष्ट कालाविध के भीतर
या उस कालाविध के भीतर, यिद कोई हो, जो अपील अिधकारी अपील पर िनयत करे , करे गा और उस व्यिक्त ारा ऐसी कालाविध के
भीतर आदेश का अनुपालन करने म असफल रहने पर, संपदा अिधकारी या संपदा अिधकारी ारा, इस िनिम सम्यक् रूप से पर्ािधकृ त
कोई अन्य अिधकारी, उस पिरिनमार्ण या संकमर् को, िजससे आदेश का संबंध है, ढहवा सके गा ।
(5) जहां िकसी पिरिनमार्ण या संकमर् को ढहवाया गया हो, वहां संपदा अिधकारी, आदेश ारा संब व्यिक्त से अपेक्षा कर
सके गा िक वह ऐसे ढहवाने के व्यय का संदाय उतने समय के भीतर और उतनी िकस्त म, जो आदेश म िविनिदष्ट की जाएं, करे ।]

1
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 2 ारा (13-11-1984 से) “अन्य संरचना या िफक्सचर” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 2 ारा (13-11-1984 से) उपधारा (2) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
3
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 3 ारा (13-11-1984 से) कितपय शब्द का लोप िकया गया ।
4
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 3 ारा (13-11-1984 से) “सूचना के ारा” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
6

[5ग. अपर्ािधकृ त सिन्नमार्ण को सील करने की शिक्त––(1) धारा 5ख के अधीन ढाने देने का आदेश करने के पूवर् या उसके
1

पश्चात् िकसी भी समय संपदा अिधकारी के िलए यह िविधपूणर् होगा िक वह इस अिधिनयम के उपबन्ध को िकर्यािन्वत करने या ऐसे
पिरिनमार्ण या संकमर् की पर्कृ ित और िवस्तार के संबंध म िकसी िववाद को रोकने के पर्योजन के िलए ऐसे पिरिनमार्ण या संकमर् को या
ऐसे सरकारी स्थान को िजनम ऐसा पिरिनमार्ण या संकमर् आरम्भ िकया गया है या चलाया जा रहा है या पूरा िकया गया है, ऐसी रीित
से जो िविहत की जाए, सील करने का िनदेश देने वाला आदेश करे ।
(2) जहां िकसी पिरिनमार्ण या संकमर् को या िकसी ऐसे स्थान को िजसम कोई पिरिनमार्ण या संकमर् चलाया जा रहा है, सील
िकया गया है वहां संपदा अिधकारी, इस अिधिनयम के उपबन्ध के अनुसार ऐसे पिरिनमार्ण या संकमर् को ढाने देने के पर्योजन के िलए,
सील को हटा देने का आदेश कर सके गा ।
(3) कोई व्यिक्त––
(क) उपधारा (2) के अधीन संपदा अिधकारी ारा िकए गए आदेश के अधीन; या
(ख) इस अिधिनयम के अधीन, िकसी अपील म िकए गए अपील अिधकारी के आदेश के अधीन,
ही ऐसी सील को हटाएगा, अन्यथा नह ।]
6. अपर्ािधकृ त अिधभोिगय ारा सरकारी स्थान पर छोड़ी गई संपि का व्ययन––(1) जहां िकन्ह व्यिक्तय को धारा 5 के
अधीन िकसी सरकारी स्थान से बेदखल िकया गया हो 2 [या जहां कोई भवन या अन्य संकमर् धारा 5ख के अधीन ढा िदया गया हो] वहां
संपदा अिधकारी उन व्यिक्तय को, िजनके कब्जे से वह सरकारी स्थान िलया गया हो, चौदह िदन की सूचना देने के पश्चात् और उस
सूचना को कम से कम एक ऐसे समाचारपतर् म िजसका उस क्षेतर् म पिरचलन हो पर्कािशत करने के पश्चात् िकसी संपि को जो उस
स्थान म रह गई हो हटा सके गा या हटवा सके गा अथवा सावर्िजनक नीलाम ारा उसका व्ययन कर सके गा ।
2
[(1क) जहां िकसी सरकारी स्थान से धारा 5क के अधीन कोई माल, सामगर्ी, पशु या अन्य जीवजन्तु हटाया गया हो, वहां
संपदा अिधकारी ऐसे माल, सामगर्ी, पशु या अन्य जीवजन्तु के स्वािमय को चौदह िदन की सूचना देने के पश्चात् और उस सूचना को
उस पिरक्षेतर् म पिरचािलत कम से कम एक समाचारपतर् म पर्कािशत करने के पश्चात् ऐसे माल, सामगर्ी, पशु या अन्य जीवजन्तु का
लोक नीलाम ारा व्ययन कर सके गा ।
(1ख) उपधारा (1) और उपधारा (1क) म िकसी बात के होते हुए भी, उनम िनिदष्ट िकसी सूचना का िदया जाना या पर्कािशत
िकया जाना िकसी ऐसी संपि की बाबत आवश्यक नह होगा जो शीघर्तया और पर्कृ त्या क्षयशील है, और संपदा अिधकारी ऐसा सा य
अिभिलिखत करने के पश्चात् जो वह उिचत समझे, ऐसी संपि का िवकर्य या अन्यथा व्ययन ऐसी रीित से करा सके गा जो वह उिचत
समझे ।]
(2) जहां िकसी संपि का उपधारा (1) के अधीन िवकर्य िकया जाए वहां उसके िवकर्य के आगम , उनम से िवकर्य के व्यय को
और िकराए की बकाया या नुकसानी या खचर् म े के न्दर्ीय सरकार या 3 [कानूनी पर्ािधकारी] को देय रकम, यिद कोई हो, काटने के
पश्चात् ऐसे व्यिक्त या व्यिक्तय को िदए जाएंगे जो सम्पदा अिधकारी को उसके हकदार पर्तीत ह :
परन्तु जहां संपदा अिधकारी इस बात का िविनश्चय करने म असमथर् हो िक िकस व्यिक्त या िकन व्यिक्तय को रकम का
अितशेष देय है या उसका पर्भाजन िकस पर्कार हो वहां वह ऐसे िववाद को सक्षम अिधकािरता वाले िसिवल न्यायालय को िनदिशत कर
सके गा और उस पर उस न्यायालय का िविनश्चय अंितम होगा ।
[(2क) उपधारा (2) म िनिदष्ट “खच” पद के अन्तगर्त धारा 5क के अधीन वसूलीय हटाए जाने के खच और धारा 5ख के
2

अधीन वसूलीय ढहाए जाने के खच भी ह ।]


7. सरकारी स्थान के सम्बन्ध म िकराया चुकाने या नुकसानी िदए जाने की अपेक्षा करने की शिक्त––(1) जहां िकसी सरकारी
स्थान के सम्बन्ध म देय िकराए की बकाया िकसी व्यिक्त ारा देय हो वहां संपदा अिधकारी उस व्यिक्त से आदेश ारा अपेक्षा कर
सके गा िक वह उसे इतने समय के अन्दर और इतनी िकस्त म चुकाए जो आदेश म िविनिदष्ट ह ।
(2) जहां कोई व्यिक्त िकसी सरकारी स्थान का अपर्ािधकृ त अिधभोग कर रहा हो या िकसी समय करता रहा हो वहां संपदा
अिधकारी नुकसानी के िनधार्रण के ऐसे िस ांत को ध्यान म रखकर, जो िविहत िकए जाएं, ऐसे स्थान के पर्योग और अिधभोग लेखे
नुकसानी का िनधार्रण कर सके गा और आदेश ारा उस व्यिक्त से अपेक्षा कर सके गा िक वह नुकसानी इतने समय के अन्दर और इतनी
िकस्त म चुकाए जो आदेश म िविनिदष्ट ह ।

1
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 4 ारा अंत:स्थािपत ।
2
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 7 ारा अंत:स्थािपत ।
3
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 2 ारा “िनगिमत पर्ािधकारी” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
7

1
[(2क) संपदा अिधकारी उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन कोई आदेश करते समय यह िनदेश दे सके गा िक,
यथािस्थित, िकराए की बकाया या नुकसानी ऐसी दर से, जो िविहत की जाए और जो ब्याज अिधिनयम, 1978 (1978 का14) के
अथार्न्तगर्त ब्याज की चालू दर से अिधक नह होगी, साधारण ब्याज सिहत संदय
े होगी ।]
(3) िकसी व्यिक्त के िखलाफ उपधारा (1) या उपधारा (2) के अधीन कोई आदेश तभी िकया जाएगा जब उस व्यिक्त से यह
अपेक्षा करने वाली िलिखत सूचना उसे जारी कर दी गई हो िक वह 2 [उसके जारी िकए जाने की तारीख से सात िदन के भीतर] हो
कारण दिशत करे िक ऐसा आदेश क्य न िकया जाए और जब उसकी आपि य पर, यिद कोई ह , और िकसी सा य पर, जो वह उसके
समथर्न म पेश करे , संपदा अिधकारी ारा िवचार कर िलया गया हो ।
[(4) संपदा अिधकारी ारा, इस धारा के अधीन पर्त्येक आदेश यथासंभवशीघर्ता के साथ िकया जाएगा और उसके
3
ारा
सूचना म िविनिदष्ट तारीख के पन्दर्ह िदन के भीतर आदेश जारी करने के सभी पर्यास िकए जाएंगे ।]
8. सम्पदा अिधकािरय की शिक्तयां––िनम्निलिखत बात के बारे म, इस अिधिनयम के अधीन कोई जांच करने के पर्योजन
के िलए संपदा अिधकारी को वे शिक्तयां पर्ाप्त ह गी जो िसिवल पर्िकर्या संिहता, 1908 (1908 का 5) के अधीन वाद का िवचारण करते
समय िसिवल न्यायालय म िनिहत होती ह, अथार्त् :––
(क) िकसी व्यिक्त को समन करना और उसे हािजर कराना तथा शपथ पर उसकी परीक्षा करना;
(ख) दस्तावेज का पर्कटीकरण और उनकी पेशी अपेिक्षत करना;
(ग) कोई अन्य िवषय जो िविहत िकया जाए ।
9. अपील––(1) िकसी सरकारी स्थान के सम्बन्ध म 4 [धारा 5 या धारा 5ख] 5 [या धारा 5ग] या धारा 7 के अधीन िकए गए
संपदा अिधकारी के पर्त्येक आदेश की अपील अपील अिधकारी को होगी, जो उस िजले का िजसम वह सरकारी स्थान हो िजला
न्यायाधीश अथवा दस वषर् से अन्यून की अविस्थित का उस िजले का ऐसा अन्य न्याियक अिधकारी होगा िजसे िजला न्यायाधीश इस
िनिम नािमत करे ।
(2) उपधारा (1) के अधीन अपील,––
(क) धारा 5 के अधीन िकसी आदेश से अपील की दशा म उस धारा की उपधारा (1) के अधीन उस आदेश के
पर्काशन की तारीख से 6 [बारह िदन के अन्दर] की जाएगी, 7 * * *
(ख) 8 [धारा 5ख या धारा 7 के अधीन िकसी आदेश से अपील की दशा म उस तारीख से, िजयको वह आदेश आवेदक
को संसूिचत िकया जाए, बारह िदन के अन्दर] की जाएगी; 9 [और]
9
[(ग) धारा 5ग के अधीन िकए गए िकसी आदेश से अपील की दशा म, ऐसे आदेश की तारीख से बारह िदन
के भीतर:]
[परन्तु यिद अपील अिधकारी का लेखब िकए जाने वाले कारण से यह समाधान हो जाता है िक ऐसे बाध्यकारी कारण
10

िव मान थे, िजनसे व्यिक्त समय पर अपील फाइल करने से िनवािरत हो गया था तो वह आपवािदक मामल म उक्त कालाविध की
समािप्त के पश्चात् अपील गर्हण कर सके गा ।]
(3) जहां संपदा अिधकारी के िकसी आदेश से अपील की जाए वहां अपील अिधकारी उस आदेश का पर्वतर्न इतनी कालाविध
के िलए और ऐसी शत पर रोक सके गा जो वह ठीक समझे :
[परन्तु जहां िकसी भवन या अन्य संरचना या िफक्सचर का सिन्नमार्ण या पिरिनमार्ण या िकसी अन्य संकमर् का िनष्पादन
11

उस िदन पूरा न हुआ हो िजस िदन ऐसे भवन या अन्य संरचना या िफक्सचर को ढाने या हटाने के िलए धारा 5ख के अधीन आदेश िदया
गया था, वहां अपील अिधकारी ऐसे आदेश के पर्वतर्न को रोकने के िलए कोई आदेश तब तक नह देगा जब तक अपीलाथ ने अपील के
िनपटारे के लिम्बत रहने तक ऐसे सिन्नमार्ण, पिरिनमार्ण या संकमर् के अगर्सर न होने के िलए ऐसी पर्ितभूित न दे दी हो जो अपील
अिधकारी की राय म पयार्प्त हो ।]

1
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 7 ारा अंत:स्थािपत ।
2
2015 के अिधिनयम सं० 2 की धारा 5 ारा पर्ितस्थािपत ।
3
2015 के अिधिनयम सं० 2 की धारा 5 ारा अंत:स्थािपत ।
4
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 8 ारा “धारा 5” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
5
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 5 ारा (13-11-1984 से) अंत:स्थािपत ।
6
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 9 ारा “पन्दर्ह िदन के अन्दर” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
7
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 5 ारा (13-11-1984 से) “और” शब्द का लोप िकया गया ।
8
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 9 ारा कितपय शब्द के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
9
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 5 ारा (13-11-1984 से) अंत:स्थािपत ।
10
2015 के अिधिनयम सं० 2 की धारा 6 ारा पर्ितस्थािपत ।
11
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 9 ारा जोड़ा गया ।
8

[(4) इस धारा के अधीन अपील अिधकारी ारा पर्त्येक अपील का यथासंभवशीघर्ता के साथ िनपटारा िकया जाएगा और
1

पक्षकार को सुनवाई का अवसर देने के पश्चात् अपील का अंितम रूप से िनपटारा, अपील फाइल िकए जाने की तारीख से एक मास के
भीतर करने का पर्त्येक पर्यास िकया जाएगा ।]
(5) इस धारा के अधीन िकसी अपील के खच अपील अिधकारी के िववेकाधीन ह गे ।
(6) इस धारा के पर्योजन के िलए पर्ेिसडेन्सी नगर को िजला समझा जाएगा और वहां के नगर िसिवल न्यायालय के मुख्य
न्यायाधीश या पर्धान न्यायाधीश को िजले का िजला न्यायाधीश समझा जाएगा ।
10. आदेश की अंितमता––इस अिधिनयम म स्पष्ट रूप से अन्यथा उपबंिधत के िसवाय इस अिधिनयम के अधीन संपदा
अिधकारी अथवा अपील अिधकारी ारा िकया गया पर्त्येक आदेश अंितम होगा और िकसी मूल वाद, आवेदन या िनष्पादन कायर्वाही म
पर्श्नगत नह िकया जाएगा और इस अिधिनयम ारा या उसके अधीन पर्द िकसी शिक्त के अनुसरण म की गई या की जाने वाली
िकसी कायर्वाही के सम्बन्ध म िकसी न्यायालय या अन्य पर्ािधकारी ारा कोई व्यादेश नह िदया जाएगा ।
11. अपराध और शािस्त–– 2 [(1) यिद कोई व्यिक्त िकसी सरकारी स्थान को िविधिवरु तया अपने अिधभोग म रखेगा, तो
वह सादा कारावास से जो छह मास तक का हो सके गा, या जुमार्ने से, जो पांच हजार रुपए तक का हो सके गा, या दोन से, दंडनीय
होगा :
परन्तु िकसी सरकारी स्थान का िविधपूवर्क कब्जा रखने वाला कोई व्यिक्त जो िकसी पर्ािधकार के आधार पर (चाहे वह
अनुदान या आबंटन के रूप म हो या िकसी भी अन्य ढंग म) ऐसे सरकारी स्थान को, ऐसे पर्ािधकार के िविधमान्य न रह जाने पर भी
अपने अिधभोग म रखे रहता है, ऐसे अपराध का दोषी नह होगा ।]
3
[(2)] यिद कोई व्यिक्त जो इस अिधिनयम के अधीन िकसी सरकारी स्थान से बेदखल िकया गया हो ऐसे स्थान को पुन:
अपने अिधभोग म, ऐसे अिधभोग के िलए पर्ािधकार के िबना, लेगा तो वह कारावास से, िजसकी अविध एक वषर् तक की हो सके गी, या
जुमार्न से, जो 4 [पांच हजार रुपए तक] का हो सके गा, या दोन से, दंडनीय होगा ।]
[(3)] 5 [उपधारा (2)] के अधीन िकसी व्यिक्त को िस दोष ठहराने वाला कोई मिजस्टर्ेट उस व्यिक्त को संिक्षप्तत: बेदखल
3

करने के िलए आदेश दे सके गा और िकसी ऐसी अन्य कायर्वाही पर जो उसके िखलाफ इस अिधिनयम के अधीन की जा सके गी पर्ितकू ल
पर्भाव डाले िबना वह ऐसी बेदखली का भागी होगा ।]
[11क. धारा 11 के अधीन अपराध का संज्ञय
6
े होना––दण्ड पर्िकर्या संिहता, 1973 (1974 का 2) की धारा 11 के अधीन
िकसी अपराध को उसी पर्कार लागू होगी मानो वह––
(i) ऐसे अपराध के अन्वेषण के पर्योजन के िलए संज्ञेय अपराध है, और
(ii) (1) उस संिहता की धारा 42 म िनिदष्ट िवषय से िभन्न िवषय के पर्योजन के िलए संज्ञेय अपराध है, और
(2) िनम्निलिखत के पिरवाद पर या उससे पर्ाप्त जानकारी पर के िसवाय िकसी व्यिक्त की िगरफ्तारी से िभन्न
पर्योजन के िलए संज्ञेय अपराध है, अथार्त् :––
(क) धारा 2 के खण्ड (ङ) के उपखण्ड (1) म िविनिदष्ट सरकारी स्थान के संबंध म िकसी अपराध की दशा
म ऐसा गर्ुप ‘क’ अिधकारी िजसे के न्दर्ीय सरकार ारा िनयुक्त िकया जाए;
(ख) धारा 2 के खंड (ङ) के उपखण्ड (2) म िविनिदष्ट सरकारी स्थान के संबंध म िकसी अपराध की दशा
म, के न्दर्ीय सरकार के गर्ुप “क” अिधकारी की पंिक्त के समतुल्य अिधकारी या जहां ऐसी समतुल्य पंिक्त के
अिधकारी को िविनिदष्ट करना संभव नह है, वहां ऐसा कायर्पालक अिधकारी िजसे कानूनी पर्ािधकारी ारा
िनयुक्त िकया जाए;
(ग) िदल्ली नगर िनगम के सरकारी स्थान के संबंध म िकसी अपराध की दशा म, ऐसा उपायुक्त िजसे
िदल्ली संघ राज्यक्षेतर् के पर्शासक ारा िनयुक्त िकया जाए;
(घ) नई िदल्ली नगरपािलका सिमित के सरकारी स्थान के संबंध म िकसी अपराध की दशा म, नई िदल्ली
नगरपािलका सिमित का सिचव;

1
2015 के अिधिनयम सं० 2 की धारा 6 ारा पर्ितस्थािपत ।
2
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 6 ारा (13-11-1984 से) अंत:स्थािपत ।
3
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 6 ारा (13-11-1984 से) उपधारा (1) और उपधारा (2) को कर्मश: उपधारा (2) और उपधारा (3) के रूप म पुन:संख्यांिकत
िकया गया ।
4
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 6 ारा (13-11-1984 से) “एक हजार रुपए तक” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
5
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 6 ारा (13-11-1984 से) “उपधारा (1)” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
6
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 7 ारा (13-11-1984 से) अंत:स्थािपत ।
9

(ङ) अिधसूिचत क्षेतर् सिमित के सरकारी स्थान के संबंध म िकसी अपराध की दशा म, उस सिमित का
सिचव;
(च) िदल्ली िवकास पर्ािधकरण के सरकारी स्थान के संबंध म िकसी अपराध की दशा म, ऐसा िनदेशक
िजसे िदल्ली संघ राज्यक्षेतर् के पर्शासक ारा िनयुक्त िकया जाए ।]
12. जानकारी अिभपर्ाप्त करने की शिक्त––यिद संपदा अिधकारी के पास यह िवश्वास करने का कारण हो िक कोई व्यिक्त
िकसी सरकारी स्थान का अपर्ािधकृ त अिधभोग कर रहे ह तो संपदा अिधकारी अथवा इस िनिम उसके ारा पर्ािधकृ त कोई अन्य
अिधकारी उन व्यिक्तय या िकसी अन्य व्यिक्त से अपेक्षा कर सके गा िक वह उस सरकारी स्थान का अिधभोग कर रहे व्यिक्तय के
नाम और अन्य िविशिष्टय के बारे म जानकारी द और िजस िकसी व्यिक्त से ऐसी अपेक्षा की जाए वह अपने पास की जानकारी देने के
िलए आब होगा ।
13. वािरस और िविधक पर्ितिनिधय का दाियत्व––जब कोई ऐसा व्यिक्त िजसके िखलाफ िकराए की बकाया के अवधारण
के िलए अथवा नुकसानी के िनधार्रण के िलए 1 [या ऐसे िकराए की बकाया या नुकसानी पर ब्याज के रूप म संदय े रकम के अवधारण के
िलए] कोई कायर्वाही की जानी हो या की गई हो उस कायर्वाही के िकए जाने से पूवर् या उसके लंिबत रहने के दौरान मर जाए तब वह
कायर्वाही उस व्यिक्त के वािरस या िविधक पर्ितिनिधय के िखलाफ की जा सके गी या, यथािस्थित, जारी रखी जा सके गी ।
[(1क) जब कोई ऐसा व्यिक्त, िजससे धारा 5क की उपधारा (2) 2 [या उपधारा (3)] के अधीन, यथािस्थित, िकसी भवन या
1

अन्य संरचना या िफक्सचर अथवा िकसी माल, पशु या अन्य जीवजन्तु को हटाने का कोई खचर् वसूल िकया जाना है अथवा धारा 5ख की
उपधारा (5) के अधीन ढाने का कोई व्यय वसूल िकया जाना है, ऐसे खच की वसूली के िलए कोई कायर्वाही िकए जाने के पूवर् या उसके
लिम्बत रहने के दौरान, मर जाए, तब यह कायर्वाही उस व्यिक्त के वािरस या िविधक पर्ितिनिधय के िखलाफ, यथािस्थित, की जा
सके गी या जारी रखी जा सके गी ।]
(2) िकसी व्यिक्त से चाहे 3 [िकराए की बकाया या नुकसानी या धारा 5क म िनिदष्ट ढाने के खचर् या धारा 5ख म िनिदष्ट
ढाने के व्यय या धारा 7 की उपधारा (2क) म िनिदष्ट ब्याज या िकसी अन्य खचर्] के रूप म के न्दर्ीय सरकार या 4 [कानूनी पर्ािधकारी]
को पर्ाप्य कोई रकम उस व्यिक्त की मृत्यु के पश्चात् उसके वािरस या िविधक पर्ितिनिधय ारा देय होगी, िकन्तु उनका दाियत्व उनके
पास मृतक की आिस्तय के पिरमाण तक ही सीिमत होगा ।
14. िकराए आिद की की भू-राजस्व की बकाया के रूप म वसूली––यिद कोई व्यिक्त 5 [धारा 5ख की उपधारा (5) के अधीन
संदय े ढाने के व्यय को या] धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन देय िकराए की बकाया को अथवा उस धारा की उपधारा (2) के अधीन देय
नुकसानी को 5[या उपधारा (2क) के अधीन अवधािरत ब्याज को] या धारा 9 की उपधारा (5) के अधीन के न्दर्ीय सरकार या 4[कानूनी
पर्ािधकारी] को िदलाए गए खचर् को अथवा 6 [ऐसे िकराए, नुकसानी, व्यय, ब्याज या खचर् के िकसी भाग को] उतने समय के अन्दर, यिद
कोई हो, जो उससे सम्ब आदेश म उसके िलए िविनिदष्ट हो, देने से इं कार करे गा या न देगा तो सम्पदा अिधकारी देय रकम के िलए
एक पर्माणपतर् कलक्टर को जारी कर सके गा जो उसे भू-राजस्व की बकाया के रूप म वसूल करने के िलए अगर्सर होगा ।
अिधकािरता का वजर्न––िकसी न्यायालय को िनम्निलिखत की बाबत िकसी वाद या कायर्वाही को गर्हण करने की
7 [15.

अिधकािरता नह होगी :––


(क) िकसी व्यिक्त की बेदखली जो िकसी सरकारी स्थान का अपर्ािधकृ त अिधभोग कर रहा हो; या
(ख) िकसी सरकारी स्थान से धारा 5क के अधीन िकसी भवन, संरचना या िफक्सचर या माल, पशु या अन्य
जीवजन्तु को हटाना; या
(ग) बनाए गए या बनाए जाने के िलए आिदष्ट िकसी भवन या अन्य संरचना को धारा 5ख के अधीन ढाना; या
8
[(गग) धारा 5ग के अधीन िकसी पिरिनमार्ण या संकमर् या िकसी सरकारी स्थान को सील करना: या]
(घ) धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन संदय े िकराए की बकाया या उस धारा की उपधारा (2) के अधीन संदय

नुकसानी या उपधारा (2क) के अधीन संदय
े ब्याज; या
(ङ) (i) धारा 5क के अधीन िकसी भवन, संरचना या िफक्सचर या माल, पशु या अन्य जीवजन्तु को हटाने के खच
की वसूली; या

1
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 10 ारा अंत:स्थािपत ।
2
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 8 ारा (13-11-1984 से) अंत:स्थािपत ।
3
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 10 ारा “िकराए की बकाया अथवा नुकसानी अथवा खचर्” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
4
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 2 ारा “िनगिमत पर्ािधकारी” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
5
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 11 ारा अंत:स्थािपत ।
6
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 11 ारा “ऐसे िकराए, नुकसानी या खचर् के िकसी भाग को” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
7
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 12 ारा धारा 15 के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
8
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 9 ारा (13-11-1984 से) अंत:स्थािपत ।
10

(ii) धारा 5ख के अधीन ढाने के व्यय की वसूली; या


(iii) धारा 9 की उपधारा (5) के अधीन के न्दर्ीय सरकार या कानूनी पर्ािधकारी को अिधिनण त खच की वसूली; या
(iv) ऐसे िकराए, नुकसानी, हटाने के खच, ढाने के व्यय या कदर्ीय सरकार या कानूनी पर्ािधकारी को अिधिनण त
खच के िकसी भाग की वसूली ।]
16. सद्भावपूवक
र् की गई कारर् वाई के िलए संरक्षण––कोई भी वाद, अिभयोजन या अन्य िविधक कायर्वाही िकसी ऐसी बात
के बारे म जो इस अिधिनयम के या इसके अधीन बनाए गए िकन्ह िनयम या आदेश के अनुसरण म सद्भावपूवर्क की गई हो या की
जाने के िलए आशियत हो, के न्दर्ीय सरकार या 1 [कानूनी पर्ािधकारी] या अपील अिधकारी या संपदा अिधकारी के िवरु न होगी ।
17. शिक्तय का पर्त्यायोजन––के न्दर्ीय सरकार, राजपतर् म अिधसूचना ारा, िनदेश दे सके गी िक उस अिधिनयम के अधीन
उसके ारा पर्योक्तव्य कोई शिक्त ऐसी शत के , यिद कोई ह , अधीन, िजन्ह अिधसूचना म िविनिदष्ट िकया जाए, िकसी राज्य सरकार
ारा या राज्य सरकार के िकसी अिधकारी ारा भी पर्योक्तव्य होगी ।
18. िनयम बनाने की शिक्त––(1) के न्दर्ीय सरकार इस अिधिनयम के पर्योजन को कायार्िन्वत करने के िलए िनयम, राजपतर् म
अिधसूचना ारा बना सके गी ।
(2) िविशष्टतया और पूवर्गामी शिक्त की व्यापकता पर पर्ितकू ल पर्भाव डाले िबना, ऐसे िनयम िनम्निलिखत सब िवषय के
िलए या उनम से िकसी के िलए उपबन्ध कर सकगे, अथार्त् :––
(क) इस अिधिनयम के अधीन िदए जाने के िलए अपेिक्षत या पर्ािधकृ त िकसी सूचना का पर्रूप और वह रीित िजसम
उसकी तामील की जा सके गी;
(ख) इस अिधिनयम के अधीन जांच करना;
(ग) संपदा अिधकािरय को काम का िवतरण और आबंटन तथा एक संपदा अिधकारी के समक्ष लंिबत िकसी
कायर्वाही का दूसरे संपदा अिधकारी को अन्तरण;
(घ) सरकारी स्थान का कब्जा लेने म अनुसरण की जाने वाली पर्िकर्या;
(ङ) वह रीित िजससे अपर्ािधकृ त अिधभोग के िलए नुकसानी का िनधार्रण िकया जा सके गा और वे िस ांत िजनका
ऐसी नुकसानी का िनधार्रण करने म ध्यान रखा जा सके गा;
[(ङक) वह दर िजस पर धारा 7 की उपधारा (1) के अधीन िकए गए िकसी आदेश म िविनिदष्ट िकराए की बकाया
2

या उस धारा की उपधारा (2) के अधीन िनधार्िरत नुकसानी पर ब्याज संदय


े होगा;]
[(ङङ) वह रीित िजससे धारा 5ग की उपधारा (1) के अधीन िकसी पिरिनमार्ण या संकमर् या सरकारी स्थान को
3

सील िकया जाएगा;]


(च) वह रीित िजससे अपील की जा सकगी और अपील म अनुसरण की जाने वाली पर्िकर्या;
(छ) कोई अन्य िवषय जो िविहत िकया जाना है या िकया जा सकता है ।
[(3) इस धारा के अधीन के न्दर्ीय सरकार ारा बनाया गया पर्त्येक िनयम बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघर् संसद् के पर्त्येक
4

सदन के समक्ष, जब वह सतर् म हो, कु ल तीस िदन की अविध के िलए रखा जाएगा । यह अविध एक सतर् म, अथवा दो या अिधक
आनुकर्िमक सतर् म पूरी हो सके गी । यिद उस सतर् के या पूव क्त आनुकर्िमक सतर् म ठीक बाद के सतर् के अवसान के पूवर् दोन सदन उस
िनयम म कोई पिरवतर्न करने के िलए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात् वह ऐसे पिरवितत रूप म ही पर्भावी होगा । यिद उक्त अवसान के
पूवर् दोन सदन सहमत हो जाएं िक वह िनयम नह बनाया जाना चािहए तो तत्पश्चात् वह िनष्पर्भाव हो जाएगा । िकन्तु िनयम के ऐसे
पिरवितत या िनष्पर्भाव होने से उसके अधीन पहले की गई िकसी बात को िविधमान्यता पर पर्ितकू ल पर्भाव नह पड़ेगा ।]
19. िनरसन––सरकारी स्थान (अपर्ािधकृ त अिधभोिगय की बेदखली) अिधिनयम, 1958 (1958 का 32) इसके ारा िनरिसत
िकया जाता है ।
20. िविधमान्यकरण––िकसी न्यायालय के िकसी िनणर्य, िडकर्ी या आदेश के होते हुए भी सरकारी स्थान (अपर्ािधकृ त
अिधभोिगय की बेदखली) अिधिनयम, 1958 (1958 का 32) के अधीन (िजसे इसके पश्चात् इस धारा म 1958 का अिधिनयम कहा
गया है) की गई या की गई तात्पियत कोई बात या कारर् वाई (िजसके अन्तगर्त बनाए गए िनयम या आदेश, जारी की गई सूचनाएं,
आिदष्ट या की गई बेदखिलयां, िनधार्िरत नुकसानी वसूल िकए गए िकराए या नुकसानी या खचर् और पर्ारम्भ की गई कायर्वािहयां भी

1
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 2 ारा “िनगिमत पर्ािधकारी” के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
2
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 13 ारा अंत:स्थािपत ।
3
1984 के अिधिनयम सं० 35 की धारा 10 ारा (13-11-1984 से) अंत:स्थािपत ।
4
1980 के अिधिनयम सं० 61 की धारा 13 ारा उपधारा (3) के स्थान पर पर्ितस्थािपत ।
11

ह) उसी पर्कार िविधमान्य और पर्भावी समझी जाएगी मानो ऐसी बात या कारर् वाई इस अिधिनयम के , जो धारा 1 की उपधारा (3) के
अधीन 16 िसतम्बर, 1958 को पर्वृ हुआ समझा जाएगा, तत्स्थानी उपबन्ध के अधीन की गई हो, और तदनुसार :––
(क) 1958 के अिधिनयम के अधीन वसूल िकए गए िकसी िकराए या नुकसानी या खचर् की वापसी के िलए िकसी न्यायालय म
कोई वाद या अन्य िविधक कायर्वाही उस दशा म न चलाई जा सके गी, न जारी रखी जा सके गी जब ऐसी वापसी के िलए दावा के वल
उस आधार पर िकया गया हो िक उक्त अिधिनयम को असांिवधािनक और शून्य घोिषत कर िदया गया है; और
(ख) 1958 के अिधिनयम के अधीन वसूल िकए गए िकसी िकराए या नुकसानी या खचर् की वापसी का के वल इस आधार पर
िक उक्त अिधिनयम को असांिवधािनक और शून्य घोिषत कर िदया गया है, िनदेश करने वाली िकसी िडकर्ी या आदेश को कोई
न्यायालय पर्वितत नह करे गा ।

_______

You might also like