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H1988 49
H1988 49
(1988 काअनिनियमसंखय
ांक49)
[9नसतंबर,1988]
भ्रष्टाचारनिवारणसेसंबनं ितनवनिकासमेकिऔर
संशोििकरिेतथाउससेसंबनं ित
नवषयोंके निए
अनिनियम
भारतगणराज्यके उितािीसवेंवषषमेंसंसद्द्वारानिम्िनिनितरूपमेंयहअनिनियनमतहो:—
अध्याय1
प्रारं नभक
1. संनिप्तिामऔरनवस्तार—(1)इसअनिनियमकासंनिप्तिामभ्रष्टाचारनिवारणअनिनियम,1988 है।
(2)इसकानवस्तार1*** संपूणषभारतपरहैऔरयहभारतके बाहरभारतके समस्तिागररकोंकोभीिागूहै।
2. पररभाषाएं—इसअनिनियममें,जबतकककसंदभषसेअन्यथाअपेनितिहो,—
काअथषिगायाजाएगा;]
(ि) “िोककतषव्य” सेअनभप्रेतहैवहकतषव्य;नजसके निवषहिमेंराज्य,जितायासमस्तसमुदायकानहतहै।
स्पष्टीकरण—इस िंड में, “राज्य” के अंतगषत ककसी कें द्रीय, प्रांतीय या राज्य अनिनियम द्वारा या उसके अिीि
स्थानपत निगम या सरकार के स्वानमत्व या नियंत्रण के अिीि या सरकार से सहायता प्राप्त कोई प्रानिकरण या निकाय
याकं पिीअनिनियम,1956 (1956 का1)कीिारा617 मेंयथापररभानषतसरकारीकं पिीभीहै;
(ग)“िोकसेवक”सेअनभप्रेतहै,—
(i) कोई व्यनत जो सरकार की सेवा या उसके वेति पर है या ककसी िोक कतषव्य के पािि के निए
सरकारसेफीसयाकमीशिके रूपमेंपाररश्रनमकपाताहै;
(ii) कोईव्यनतजोककसीिोकप्रानिकरणकीसेवायाउसके वेतिपरहै;
(iii) कोईव्यनतजोककसीकें द्रीय,प्रांतीययाराज्यअनिनियमद्वारायाउसके अिीिस्थानपतनिगम
या सरकार के स्वानमत्व या नियंत्रण के अिीि या सरकार से सहायता प्राप्त ककसी प्रानिकरण या निकाय या
कं पिीअनिनियम,1956 (1956 का1)कीिारा617 में यथापररभानषतककसीसरकारीकं पिीकीसेवायाउसके
वेतिपरहै;
(iv) कोईन्यायािीश,नजसके अंतगषतऐसाकोईव्यनतहै जोककन्हींन्यायनिणषयिकृ त्योंका,चाहे स्वयं
याककसीव्यनतके निकायके सदस्यके रूपमें,निवषहिकरिेके निएनवनिद्वारासशतककयागयाहै;
(v) कोईव्यनतजोन्यायप्रशासिके संबंिमें ककसी कतषव्य कापाििकरिे के निएन्यायाियद्वारा
प्रानिकृ तककयागयाहै,नजसके अंतगषतककसीऐसे न्यायाियद्वारा नियुत ककयागयापररसमापक, ररसीवरया
आयुत भीहै;
(vi) कोईमध्यस्थयाअन्यव्यनतनजसकोककसीन्यायाियद्वारायाककसीसिमिोकप्रानिकरणद्वारा
कोईमामिायानवषयनवनिश्चययाररपोटषके निएनिदेनशतककयागयाहै;
(vii) कोई व्यनत जो ककसी ऐसे पद को िारण करता है नजसके आिार पर वह निवाषचक सूची
तैयारकरिे,प्रकानशतकरिे,बिाएरििे यापुिरीनितकरिे अथवानिवाषचियानिवाषचिके भागकासंचािि
करिेके निएसशतहै;
1
2019के अनिनियमसं०34कीिारा95औरपांचवीअिुसूचीद्वारा(31-10-2019से) “जम्मू-कश्मीर राज्यके नसवाय” शब्दोंकािोपककयागया।
2
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिारा 2 द्वाराअंत:स्थानपत।
2
(ि) “नवनिक पाररश्रनमक” पद ककसी िोक सेवक को संदत्त पाररश्रनमकतक निबंनित िहीं है, ककन्तु इसके
अंतगषत ऐसे सभी पाररश्रनमक भी हैं, जो उसे सरकार या संगठि द्वारा, नजसकी वह सेवा करता है, प्राप्त करिे के निए
अिुज्ञात है ।]
स्पष्टीकरण 1—उपयुषत उपिंडों में से ककसी के अंतगषत आिे वािे व्यनत िोक सेवक हैं चाहे वे सरकार द्वारा
नियुत
ककएगएहोंयािहीं।
स्पष्टीकरण2—“िोकसेवक”शब्दजहांभीआएहैं,वेउसहरव्यनतके संबंिमेंसमझजाएंगेजोिोकसेवकके
ओहदेकोवास्तवमेंिारणककएहों,चाहेउसओहदेकोिारणकरिेके उसके अनिकारमेंकै सीहीनवनिकत्रुरटहो।
अध्याय2
नवशेषन्यायािीशोंकीनियुनत
3. नवशेष न्यायािीश नियुत करिे की शनत—(1) कें द्रीय सरकार या राज्य सरकार, राजपत्र में अनिसूचिा द्वारा,
निम्िनिनित अपरािों के नवचारण के निए इतिे नवशेष न्यायािीश नियुत कर सके गी, नजतिे ऐसे िेत्र या िेत्रों के निए या ऐसे
मामिोंयामामिोंके समूहके निएजोआवश्यकहोंअनिसूचिामेंनवनिर्दषष्टककएजाएं,अथाषत्:—
(क)इसअनिनियमके अिीिदंडिीयकोईअपराि;और
(ि) िंड (क) में नवनिर्दषष्ट अपरािों में से ककसी को रोकिे के निए षड्यंत्र करिे या करिे का प्रयत्ि या
कोईदुष्प्रेरण।
(2) कोईव्यनतइसअनिनियमके अिीिनवशेषन्यायािीशके रूपमें नियुत होिे के निएतबतकअर्हषतिहींहोगाजब
तक कक वह दंड प्रकिया संनहता, 1973 (1974 का 2) के अिीि सेशि न्यायािीश या अपर सेशि न्यायािीश या सहायक सेशि
न्यायािीशिहींहैयािहींरहाहै।
4. नवशेषन्यायािीशोंद्वारानवचारणीयमामिे—(1) दंडप्रकियासंनहता,1973 (1974 का2) यातत्समयप्रवृत्तककसीअन्य
नवनिमेंककसीबातके होतेहुएभीिारा 3 कीउपिारा(1) मेंनवनिर्दषष्टअपरािनवशेषन्यायािीशद्वाराहीनवचारणीयहोंगे।
1
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिारा 2 द्वाराअंत:स्थानपत।
3
(2) िारा 3 की उपिारा (1) में नवनिर्दषष्ट प्रत्येक अपराि उस िेत्र के नवशेष न्यायािीश द्वारा नजसमें वह अपराि ककया
गयाहैयाजहांऐसेिेत्रके निएएकसेअनिकनवशेषन्यायािीशहैंवहांउिमेंसेऐसेन्यायािीशद्वाराजोइसनिनमत्तकें द्रीयसरकार
द्वारानवनिर्दषष्टककयाजाएगाउसमामिेके निएनियुत ककएगएनवशेषन्यायािीशोंद्वारानवचारणीयहोगा।
(3) ककसीमामिे कानवचारणकरते समयनवशेषन्यायािीशिारा3 में नवनिर्दषष्टककसीअपरािसे नभन्ि,ककसीऐसे अन्य
अपरािकाभीनवचारणकरसकताहैनजससेअनभयुत दंडप्रकियासंनहता,1973 (1974 का2) के अिीि,उसीनवचारणमेंआरोनपत
ककयाजासकताहै।
1[(4) दंडप्रकियासंनहता,1973 (1974 का2) में ककसीबातके होतेहुएभी, ककसीअपरािकानवचारण,यथासाध्यरूपसे
दैनिकआिारपरककयाजाएगाऔरयहसुनिनश्चतकरिे काप्रयासककयाजाएगाककउत नवचारणदोवषष कीअवनिके भीतरपूरा
करकदयाजाए:
परं तु जहां नवचारण उत अवनि के भीतर पूरा िहीं हो पाता है, वहां नवशेष न्यायािीश ऐसा ि हो पािे के कारणों को
िेिबद्धकरे गा:
परं तु यहऔरककउतअवनिको,िेिबद्धककएजािे वािे कारणोंसे,एकसमयमें छहमाहसे अिनिकआगे औरअवनिके
निएनवस्ताररतककयाजासके गा,तथानपउतअवनि,नवस्ताररतअवनिसनहतसामान्यरूपसेकु िनमिाकरचारवषषसे अनिकिहीं
होगी।]
5. प्रकियाऔरनवशेषन्यायािीशकीशनतयां—(1) नवशेषन्यायािीशअनभयुतके नवचारणाथष सुपुदष ककएगएनबिाभी
अपरािोंकासंज्ञािकरसकताहै,औरवहअनभयुतव्यनतके नवचारणमेंदंडप्रकियासंनहता,1973 (1974 का2) मेंमनजस्रेटोंद्वारा
वारं टके मामिोंके निएनवनहतप्रकियाकाअिुसरणकरे गा।
(2) नवशेषन्यायािीशककसीऐसेव्यनतकासाक्ष्यप्राप्तकरिेकीदृनष्टसेनजसकाप्रत्यित:याअप्रत्यित:ककसीअपरािसे
संपृतहोिायासंसगीहोिाअिुनमतहै,नवशेषन्यायािीशऐसे व्यनतऔरप्रत्येकअन्यसंपृतव्यनतको,चाहे वहउसअपरािके
ककएजािे में मुखय
रहाहोयादुष्प्रेरकरहाहोउसके अपरािसे संबंनितअपिीजािकारीकीसभीपररनस्थ नतयोंकापूणष औरसत्य
प्रकटिकरिे कीशतष परिमाप्रदािकरसकताहै औरइसप्रकारदीगईिमादंडप्रकियासंनहता,1973 (1974 का2)कीिारा308
कीउपिारा(1) से(5) के प्रयोजिोंके निएदंडप्रकियासंनहताकीिारा307 के अिीिप्रदत्तकीगईसमझीजाएगी।
(3) उपिारा(1) याउपिारा(2) में यथाउपबंनितके नसवाय,दंडप्रकियासंनहता,1973 (1974 का2) के उपबंिजहां तक
वे इसअिनियमसे असंगतिहींहैं,नवशेषन्यायािीशके समिकायषवानहयोंकोिागू होंगे;औरउतउपबंिोंके प्रयोजिाथष,नवशेष
न्यायािीशकान्यायाियसेशिन्यायाियसमझाजाएगाऔरनवशेषन्यायािीशके समिअनभयोजिकासंचाििकरिेवािाव्यनत
िोकअनभयोजकसमझाजाएगा।
(4) नवनशष्टतया,औरउपिारा(3) में अंतर्वषष्टउपबंिोंकीव्यापकतापरप्रनतकू िप्रभावडािे नबिा,दंडप्रकियासंनहता,
1973 (1974 का2) कीिारा 320 औरिारा475 के उपबंि,जहां तकहोसके ,नवशेषन्यायािीशके समिकायषवाहीकोिागू होंगे,
औरउतउपबंिोंके प्रयोजिाथषनवशेषन्यायािीशमनजस्रेटसमझाजाएगा।
(5) नवशेषन्यायािीशउसके द्वारादोषनसद्धव्यनतकोकोईभीदंडादेशदे सकताहै जोउसअपरािके निएनजसके निए
ऐसेव्यनतदोषनसद्धहैं,नवनिद्वाराप्रानिकृ तहै।
(6) इस अनिनियम के अिीि दंडिीय अपरािों का नवचारण करते समय नवशेष न्यायािीश दंड नवनि संशोिि अध्यादेश,
1944 (1944 का अध्यादेश संखय ांक 38) के अिीि नजिा न्यायािीश द्वारा प्रयोतव्य सभी नसनवि शनतयों और कृ त्यों का
प्रयोगकरे गा।
6. संनिप्तत:नवचारणकरिेकीशनत —(1) जहांकोईनवशेषन्यायािीशिारा3 कीउपिारा(1) मेंनवनिर्दषष्टऐसेअपराि
का नवचारण करता है जो आवश्यक वस्तु अनिनियम, 1955 (1955 का 10) की िारा 12क की उपिारा (1) में निर्दषष्ट ककसी
नवशेषआदेश,याउसिाराकीउपिारा(2) के िंड(क)में निर्दषष्टआदेशके उल्िंघिकीबाबतककसीिोकसेवकद्वाराककयाजािा
अनभकनथतहै,वहां इसअनिनियमकीिारा5 कीउपिारा (1) मेंयादंडप्रकियासंनहता,1973 (1974 का2) कीिारा260 मेंककसी
बातके होते हुएभी,नवशेषन्यायािीशअपरािकासंनिप्तरूपमें नवचारणकरे गा,और उतसंनहताकीिारा 262 से िारा265
(नजसमेंयेदोिोंिाराएंसनम्मनितहैं)के उपबंि,यथाशयऐसेनवचारणकोिागूहोंगे:
परं तु इस िारा के अिीि ककसी संनिप्त नवचारण में ककसी दोषनसनद्ध की दशा में, नवशेष न्यायािीश के निए एक वषष से
अिनिककीअवनिके कारावासकादंडादेशपाररतकरिानवनिपूणषहोगा:
परं तु यहऔरककइसिाराके अिीिजबककसीसंनिप्तनवचारणके प्रारं भपरयाउसके अिुिममें,नवशेषन्यायािीशको
यह प्रतीत होता है कक मामिे की प्रकृ नत ऐसी है कक एक वषष से अनिक के कारावास का दंडादेश पाररत करिा पड़ सकता है या,
ककसीअन्यकारणसे,मामिेकासंनिप्तरूपसेनवचारणकरिाअवांछिीयहैतबनवशेषन्यायािीश,पिकारोंकीसुिवाईके पश्चात्,
1
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिारा 2 द्वाराप्रनतस्थानपत।
4
अपरािऔरशानस्तयां
1
[7. िोकसेवककोररश्वतकदएजािेसेसंबनं ित—ऐसाकोईिोकसेवकजो,—
(क) या तोस्वयंयाककसीअन्यिोकसेवकद्वाराअिुनचतरूपसेयाबेईमािीसेिोककतषव्य कापाििकरिेया
पािि करवािे या ऐसे कतषव्य से प्रनवरत रहिे या प्रनवरत करवािे के आशय से ककसी व्यनत से, कोई असम्यक् िाभ
अनभप्राप्तकरे गायाप्रनतगृहीतकरे गायाअनभप्राप्तकरिेकाप्रयत्िकरे गा;या
(ि) यातोस्वयं याककसीअन्यिोकसेवकद्वारा,ककसीिोककतषव्यकाअिुनचतरूपसे याबेईमािीसे,पािि
करिे के निएयाऐसे कतषव्यके पाििसे प्रनवरतरहिे के निएककसीइिामके रूपमें ककसीव्यनतसे कोईअसम्यक् िाभ
अनभप्राप्तकरे गायाप्रनतगृहीतकरे गायाअनभप्राप्तकरिेकाप्रयत्िकरे गा;या
(ग) ककसी व्यनत से कोई असम्यक् िाभ प्रनतगृहीत करिे की प्रत्याशा में या उसके पररणामस्वरूप ककसी िोक
कत्तषव्यकाअिुनचतरूपसेयाबेईमािीसेपाििकरे गायाऐसेकत्तषव्य कापाििकरिेसेप्रनवरतरहेगायाककसीअन्यिोक
सेवककोअिुनचतरूपसेयाबेईमािीसेपाििकरिेके निएउत्प्रेररतकरे गा,
वह कारावास से, नजसकी अवनि तीि वषष से कम की िहीं होगी, ककन्तु जो सात वषष तक की हो सके गी, दंडिीय होगा और
जुमाषिे से भी दंडिीय होगा ।
स्पष्टीकरण1—इसिाराके प्रयोजिके निए,ककसीअसम्यक् िाभकोअनभप्राप्तकरे गा,प्रनतगृहीतकरे गाया
अनभप्राप्तकरिे काप्रयत्िकरे गा,से हीअपरािकागठिहोगायद्यनपिोकसेवकद्वारािोककतषव्यकापाििअिुनचति
होयािरहाहो।
दृष्ट ांत—एकिोकसेवक‘एस’एकव्यनत,‘पी’से उसके िेमीराशिकाडषआवेदिकोसमयकसेप्रकियामेंिािे
के निएपांचहजाररुपएकीरकमदेिेकोकहताहै।‘एस’इसिाराके अिीिअपरािकादोषीहै।
स्पष्टीकरण2—इसिाराके प्रयोजिके निए,—
(i) “अनभप्राप्तकरे गा”या“प्रनतगृहीतकरे गा”या“अनभप्राप्तकरिेकाप्रयत्िकरे गा”पदोंमेंऐसेमामिे
सनम्मनितहोंगे,जहांऐसाकोईव्यनतजोिोकसेवकहोतेहुए,स्वयंके निएयाककसीअन्यव्यनतके निएिोक
सेवकके रूपमेंअपिेपदकादुरूपयोगकरके याककसीअन्यिोकसेवकपरअपिेवैयनतकअसरकाप्रयोगकरके
काककन्हींअन्यभ्रष्टयाअवैिसाििोंके द्वाराकोईअसम्यक् िाभअनभप्राप्तकरताहै या“प्रनतगृनहतकरताहै”
याअनभप्राप्तकरिेकाप्रयत्िकरताहै;
(ii) इसबातकाकोईमहत्विहींहोगाककऐसाव्यनतिोकसेवकहोते हुएअसम्यक् िाभसीिे या
अन्यव्यनत के माध्यमसेअनभप्राप्तकरे गायाप्रनतगृहीतकरे गायाअनभप्राप्तकरिेकाप्रयत्िकरे गा।
7क. िोकसेवकपरभ्रष्टयाअवैिसाििोंद्वारायावैयनतकअसरकाप्रयोगकरके असम्यक् िाभिेिा—जो,कोईअपिे
निएयाककसीअन्यव्यनतके निएकोईअसम्यक् िाभ,ककसीिोकसेवकको,भ्रष्टयाअवैिसाििोंद्वारायाअपिे वैयनत कअसर
के प्रयोग द्वारा इस बात के निए उत्प्रेररत करिे हेतु या इिाम के रूप में ककसी अन्य व्यनत से प्रनतगृहीत या अनभप्राप्त करे गा या
अनभप्राप्तकरिेकाप्रयत्िकरे गाककवहिोकसेवकअिुनचतरूपसेयाबेईमािीसेिोककत्तषव्य कापाििकरे यापाििकरवाएया
ऐसािोकसेवक,ऐसािोककतषव्यकरिेसेप्रनवरतरहेयाककसीअन्यिोकसेवककोऐसेिोककत्तषव्यकापाििकरिेसेप्रनवरतरिे,
वहकारावाससे नजसकीअवनितीिवषषसे कमकीिहींहोगीककन्तु जोसातवषष तककीहोसके गी,दंडिीयहोगाऔरजुमाषिे काभी
दायीहोगा।
8. ककसीिोकसेवककोररश्वतकदएजािेसेसंबनं ितअपराि—ऐसाकोईव्यनतजो—
(i)ककसीिोकसेवककोकोईिोककतषव्यकाअिुनचतरूपसेपाििकरिेहेतुउत्प्रेररतकरिेके आशयसे;या
1
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिारा 4 द्वाराप्रनतस्थानपत।
5
1
2018के अनिनियमसं०16 कीिाराद्वारा 5प्रनतस्थानपत।
2
2018 के अनिनियमसं०16कीिारा द्वारा5िोपककयागया।
3
2018के अनिनियमसं०16कीिाराद्वारा 6प्रनतस्थानपत।
4
2018 के अनिनियमसं०16 कीिाराद्वारा 7प्रनतस्थानपत।
5
2014 के अनिनियमसं०1 कीिारा58औरअिुसूचीद्वाराप्रनतस्थानपत।
7
इसअनिनियमके अिीिमामिोंकाअन्वेषण
17. अन्वेषण करिे के निए प्रानिकृ त व्यनत—दंड प्रकिया संनहता, 1973 (1974 का 2) में ककसी बात के होते हुए भी,
निम्िनिनितकीपंनतसेिीचेकाकोईभीपुनिसअनिकारी,—
(क)कदल्िीनवशेषपुनिसस्थापिकीदशामें,पुनिसनिरीिक;
(ि)मुंबई,किकत्ता,मद्रासऔरअहमदाबादके महािगरीयिेत्रोंमें,औरदंडप्रकियासंनहता,1973 (1974 का2)
कीिारा8 कीउपिारा(1) के अिीिइसरूपमेंअनिसूनचतककसीअन्यिेत्रमें,सहायकपुनिसआयुत ;
(ग)अन्यत्र,उपपुनिसअिीिक,यासमतुल्यरैं ककापुनिसअनिकारी;इसअनिनियमके अिीिदंडिीयककसी
अपराि का अन्वेषण, यथानस्थनत, महािगर मनजस्रेट या प्रथम वगष के मनजस्रेट के आदेश के नबिा, अथवा उसके निए
कोईनगरफ्तारी,वारं टके नबिा,िहींकरे गा:
परं तुयकदकोईपुनिसअनिकारीजोपुनिसनिरीिककीपंनत सेिीचेकािहोसािारणयानवशेषआदेशद्वाराइसनिनमत्त
राज्यसरकारद्वाराप्रानिकृ तहैतोवहभीऐसेककसीअपरािकाअन्वेषण,यथानस्थनत,महािगरमनजस्रेटयाप्रथमवगषके मनजस्रेटके
आदेशके नबिा,अथवाउसके निएनगरफ्तारीवारं टके नबिा,करसके गा:
परं तु यहऔरककिारा13 की 4[उपिारा(1) के िंड(ि)] में निर्दषष्ट ककसीअपरािकाअन्वेषणऐसे पुनिसअनिकारीके
आदेशके नबिािहींककयाजाएगाजोपुनिसअिीिककीपंनतसेिीचेकािहो।
[17क.िोकसेवकद्वाराउसके शासकीयकृ त्योंयाकत्तषव्य
5
ोंके निवषहिमेंकीगईनसफाररशोंयानिएगएनवनिश्च यके संबि
ं
मेंअपरािोंकीजांचयापूछताछयाअन्वेषण—कोईपुनिसअनिकारी,ककसीऐसेअपरािमेंकोईजांचयापूछताछयाअन्वेषण,नजसे
इसअनिनियमके अिीििोकसेवकद्वाराअनभकनथतरूपसेकाररतककयागयाहै,वहांऐसाअनभकनथतअपरािऐसेिोकसेवकद्वारा
उसके पदीयकृ त्योंयाकत्तषव्योंके निवषहिमेंकीगईनसफाररशोंयानिएगएनवनिश्चयसेसंबंनितहै,—
(क)ऐसे व्यनतकीदशामें,जोउससमयजबवहअपरािअनभकनथतरूपसे ककयागयाथा,संघके कायोंके
संबंिमेंनियोनजतहैयाथा,उससरकारके पूवषअिुमोदिके नबिािहींकरे गा;
(ि) ऐसे व्यनत की दशा में, जो उस समय जब वह अपराि अनभकनथत रूप से ककया गया था, ककसी राज्य के
कायोंके संबंिमेंनियोनजतहैयाथा,उससरकारके पूवषअिुमोदिके नबिािहींकरे गा;
(ग)ककसीअन्यव्यनतकीदशामें,उससमयजबवहअपरािअनभकनथतरूपसेककयागयाथा,उसेउसके पदसे
हटािेके निएसिमप्रानिकारीके पूवषअिुमोदिके नबिािहींकरे गा:
परन्तु ऐसाकोईअिुमोदिककसीव्यनतकोअपिे निएयाककसीअन्यव्यनतके निएअसम्यक् िाभप्रनतगृहीतकरिे या
प्रनतगृहीतकरिेकाप्रयत्िकरिेके आरोपपरघटिास्थिपरहीनगरफ्तारकरिेसंबंिीमामिेमेंआवश्यकिहींहोगा:
पंरतुयहऔरककसंबद्धप्रानिकारीइसिाराके अिीिअपिेनवनिश्च यकीसूचिातीिमासकीअवनिके भीतरदेगा,नजसे
िेिबद्धककएजािेवािेकारणोंसेउसप्रानिकारीद्वाराएकमासकीऔरअवनिके निएबढायाजासके गा।]
1
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिाराद्वारा 8 प्रनतस्थानपत।
2
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिाराद्वारा 9 प्रनतस्थानपत।
3
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिाराद्वारा 10 प्रनतस्थानपत।
4
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिाराद्वारा 11 प्रनतस्थानपत।
5
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिाराद्वारा 12 प्रनतस्थानपत।
8
संपनत्तकीकु कीऔरसमपहरण
18क. दांनडक नवनि संशोिि अध्यादेश, 1944 के उपबंिों का इस अनिनियम के अिीि कु की को िागू होिा—िि-शोिि
निवारण अनिनियम, 2002 (2002 का 15) में जैसा अन्यथा उपबंनित है उसके नसवाय, दांनडक नवनि संशोिि अनिनियम, 1994
(1994 काअध्यादेशसं 38)के उपबंि,जहां तकहोसके ,इसअनिनियमके अिीिकु की,कु कष कीगईसंपनत्तके प्रशासिऔरकु कीके
आदेशके निष्पादियाििके अनिहरणयाआपरानिकउपायोंद्वाराउपाप्तकीगईसंपनत्तकोिागूहोंगे।
(2)इसअनिनियमके प्रयोजिोंके निए,दांनडकनवनिसंशोििअध्यादेश,1944 (1944 काअध्यादेशसं०38)के उपबंिइस
उपांतरण के अिीि रहते हुए प्रभावी होंगेकक “नजिा न्यायािीश” के प्रनत निदेश का “नवशेष न्यायािीश” के प्रनत निदेश के रूप में
अथाषन्वयिककयाजाएगा।]
अध्याय5
सेनभन्िककसीव्यनतद्वाराइसउपिारामेंनवनिर्दषष्टअपरािोंमेंसेककसीअपरािकान्यायाियद्वारासंज्ञािनिएजािेके
निए ऐसी सरकार या ऐसे प्रानिकारी की पूवष मंजूरी के निए, यथानस्थनत, समुनचत सरकार या सिम प्रानिकारी को कोई
अिुरोितबतकिहींककयाजासकताजबतककक—
(i) ऐसे व्यनत िे ऐसे अनभकनथत अपरािों के बारे में, नजिके निए िोक सेवक को अनभयोनजत ककए
जािेकीईप्साकीगईहै,ककसीसिमन्यायाियमेंकोईपररवादफाइििककयाहो;और
1
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिारा 13 द्वाराअंत:स्थानपत।
2
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिारा 14 द्वाराप्रनतस्थानपत।
3
2014 के अनिनियमसं०1 कीिारा58औरअिुसूचीद्वाराअंत:स्थानपत।
9
1
2018के अनिनियमसं०16कीिारा 15द्वाराप्रनतस्थानपत।
10
1
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिारा 16द्वाराप्रनतस्थानपत।
2
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिारा 17द्वारािोपककयागया।
12
अनिसूचिाद्वारा,नियतबिासके गी।
(2)नवनशष्टतयाऔरपूवषगामीशनतकीव्यापाकतापरप्रनतकू िप्रभावडािेनबिा,ऐसेनियमोंमेंसभीयाककन्हींनवषयोंके
निएउपबंिककयाजासके गा,अथाषत्:—
(क)ऐसेमागषदशषकनसद्धांत,जोिारा9के अिीिवानणनज्यकसंगठिद्वाराबिाएजासकतेहैं;
(ि)िारा19कीउपिारा(1) के अिीिअनभयोजिकीमंजूरीके निएमागषदशषकनसद्धांत ;
(ग)कोईअन्यनवषय,जोनवनहतककयाजािाअपेनितहैयानवनहतककयाजाए।
(3) इसअनिनियमके अिीिबिायागयाप्रत्येकनियमबिाएजािे के पश्चात् यथाशीघ्र,संसद् के प्रत्येकसदिके समि,
जबवहसत्रमेंहो,कु ितीसकदिकीअवनिके निएरिाजाएगा।यहअवनिएकसत्रमेंअथवादोयाअनिकआिुिनमकसत्रोंमें पूरी
होसके गी।यकदउससत्रके यापूवोतआिुिनमकसत्रोंके ठीकबादके सत्रके अवसािके पूवषदोिोंसदिउसनियममेंकोईपररवतषि
करिे के निएसहमतहोजाएं तोतत्पश्चात् वहऐसे पररवर्तषतरूपमें हीप्रभावीहोगा।यकदउत अवसािके पूवष दोिोंसदिसहमत
हो जाएं कक वह नियम िहीं बिाया जािा चानहए तो तत्पश्चात् वह निष्प्रभावहो जाएगा ।ककन्तु उस नियम के ऐसे पररवर्तषत या
निष्प्रभावहोिेसेउसके अिीिपहिेकीगईककसीबातकीनवनिमान्यतापरप्रनतकू िप्रभाविहींपड़ेगा।]
30. निरसि और व्यावृनत्त—(1) भ्रष्टाचार निवारण अनिनियम, 1947 (1947 का 2) और दंड नवनि संशोिि अनिनियम,
1952 (1952 का46) निरनसतककएजातेहैं।
(2) ऐसे निरसिके होते हुएभी,ककं तु सािारणिंडअनिनियम,1897 (1897 का10) कीिारा6 के िागू होिे परप्रनतकू ि
प्रभावडािेनबिाइसप्रकारनिरनसतअनिनियमोंके अिीियाउिके अिुसरणमेंकीगईयाककएजािेके निएतात्पर्यषतकोईबातया
कोईकारष वाईजहां तकककवहइसअनिनियमके उपबंिोंसे असंगतिहींहै ,इसअनिनियमके तत्स्थािीउपबंिोंके अिीियाउिके
अिुसरणमेंकीगईबातयाकारष वाईसमझीजाएगी।
1860 के अनिनियमसं०45 कीकु छिाराओंकािोप—भारतीयदंडसंनहताकीिारा 161 से िारा165कतकका
2*31.
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1
2018 के अनिनियमसं० 16 कीिारा 18 द्वाराप्रनतस्थानपत।
2
* 2001 के अनिनियमसं०30 कीिारा2औरपहिीअिुसूचीद्वारानिरनसत।