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भ्रष्‍टाचार‍निवारण‍अनिनियम,‍1988

(1988 का‍अनिनियम‍संखय
‍ ांक‍49)
[9‍नसतंबर,‍1988]
भ्रष्‍टाचार‍निवारण‍से‍संबनं ित‍नवनि‍का‍समेकि‍और‍
संशोिि‍करिे‍तथा‍उससे‍संबनं ित‍
नवषयों‍के ‍निए‍
अनिनियम
भारत‍गणराज्‍य‍के ‍उितािीसवें‍वषष‍में‍संसद्‍द्वारा‍निम्‍िनिनित‍रूप‍में‍यह‍अनिनियनमत‍हो‍:—
अध्‍याय‍1

प्रारं नभक‍
1. संनिप्‍त‍िाम‍और‍नवस्‍तार—(1)‍इस‍अनिनियम‍का‍संनिप्‍त‍िाम‍भ्रष्‍टाचार‍निवारण‍अनिनियम,‍1988 है‍।‍
(2)‍इसका‍नवस्‍तार‍1*** संपूणष‍भारत‍पर‍है‍और‍यह‍भारत‍के ‍बाहर‍भारत‍के ‍समस्‍त‍िागररकों‍को‍भी‍िागू‍है‍।‍

2. पररभाषाएं—इस‍अनिनियम‍में,‍जब‍तक‍कक‍संदभष‍से‍अन्‍यथा‍अपेनित‍ि‍हो,—

(क)‍“निवाषचि” से‍संसद्‍या‍ककसी‍नविाि-मंडि,‍स्‍थािीय‍प्रानिकरण‍या‍अन्‍य‍िोक‍प्रानिकरण‍के ‍सदस्‍यों‍के ‍चयि‍


के ‍प्रयोजि‍के ‍निए‍ककसी‍नवनि‍के ‍अिीि,‍ककसी‍भी‍माध्‍यम‍से,‍कराया‍गया‍निवाषचि‍अनभप्रेत‍है‍;‍
[(कक)‍“नवनहत”‍से‍ इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍बिाए‍गए‍नियमों‍द्वारा‍नवनहत‍अनभप्रेत‍है‍ तदिुसार‍ “नवनहत”‍पर‍
2

का‍अथष‍िगाया‍जाएगा;]
(ि) “िोक‍कतषव्‍य” से‍अनभप्रेत‍है‍वह‍कतषव्‍य;‍नजसके ‍निवषहि‍में‍राज्‍य,‍जिता‍या‍समस्‍त‍समुदाय‍का‍नहत‍है‍।‍
स्‍पष्‍टीकरण—इस‍ िंड‍ में,‍ “राज्य”‍ के ‍ अंतगषत‍ ककसी‍ कें द्रीय,‍ प्रांतीय‍ या‍ राज्‍य‍ अनिनियम‍ द्वारा‍ या‍ उसके ‍ अिीि‍
स्‍थानपत‍ निगम‍ या‍ सरकार‍ के ‍ स्वानमत्व‍ या‍ नियंत्रण‍ के ‍ अिीि‍ या‍ सरकार‍ से‍ सहायता‍ प्राप्‍त ‍ कोई‍ प्रानिकरण‍ या‍ निकाय‍‍‍‍‍‍
या‍कं पिी‍अनिनियम,‍1956 (1956 का‍1)‍की‍िारा‍617 में‍यथापररभानषत‍सरकारी‍कं पिी‍भी‍है‍;

(ग)‍“िोक‍सेवक”‍से‍अनभप्रेत‍है,—
(i) कोई‍ व्‍यन‍‍त‍ जो‍ सरकार‍ की‍ सेवा‍ या‍ उसके ‍ वेति‍ पर‍ है‍ या‍ ककसी‍ िोक‍ कतषव्‍य ‍ के ‍ पािि‍ के ‍ निए‍
सरकार‍से‍फीस‍या‍कमीशि‍के ‍रूप‍में‍पाररश्रनमक‍पाता‍है‍;
(ii) कोई‍व्‍यन‍‍त‍जो‍ककसी‍िोक‍प्रानिकरण‍की‍सेवा‍या‍उसके ‍वेति‍पर‍है‍;
(iii) कोई‍व्‍यन‍‍त‍जो‍ककसी‍कें द्रीय,‍प्रांतीय‍या‍राज्य‍अनिनियम‍द्वारा‍या‍उसके ‍अिीि‍स्‍थानपत‍निगम‍
या‍ सरकार‍ के ‍ स्‍वानमत्‍व‍ या‍ नियंत्रण‍ के ‍ अिीि‍ या‍ सरकार‍ से‍ सहायता‍ प्राप्‍त‍ ककसी‍ प्रानिकरण‍ या‍ निकाय‍ या‍‍
कं पिी‍अनिनियम,‍1956 (1956 का‍1)‍की‍िारा‍617 में‍ यथापररभानषत‍ककसी‍सरकारी‍कं पिी‍की‍सेवा‍या‍उसके ‍
वेति‍पर‍है‍;
(iv) कोई‍न्‍यायािीश,‍नजसके ‍अंतगषत‍ऐसा‍कोई‍व्‍यन‍‍त‍है‍ जो‍ककन्हीं‍न्‍यायनिणषयि‍कृ त्यों‍का,‍चाहे‍ स्‍वयं‍
या‍ककसी‍व्‍यन‍‍त‍के ‍निकाय‍के ‍सदस्‍य‍के ‍रूप‍में,‍निवषहि‍करिे‍के ‍निए‍नवनि‍द्वारा‍सश‍‍त‍ककया‍गया‍है‍;
(v) कोई‍व्‍यन‍‍त‍जो‍न्याय‍प्रशासि‍के ‍संबंि‍में‍ ककसी‍ कतषव्‍य‍ का‍पािि‍करिे‍ के ‍निए‍न्‍यायािय‍द्वारा‍
प्रानिकृ त‍ककया‍गया‍है,‍नजसके ‍अंतगषत‍ककसी‍ऐसे‍ न्‍यायािय‍द्वारा‍ नियु‍त ‍ ‍ककया‍गया‍पररसमापक,‍ ररसीवर‍या‍
आयु‍त ‍ ‍भी‍है‍;
(vi) कोई‍मध्‍यस्‍थ‍या‍अन्य‍व्‍यन‍‍त‍नजसको‍ककसी‍न्यायािय‍द्वारा‍या‍ककसी‍सिम‍िोक‍प्रानिकरण‍द्वारा‍
कोई‍मामिा‍या‍नवषय‍नवनिश्‍चय‍या‍ररपोटष‍के ‍निए‍निदेनशत‍ककया‍गया‍है‍;
(vii) कोई‍ व्‍यन‍‍त‍ जो‍ ककसी‍ ऐसे‍ पद‍ को‍ िारण‍ करता‍ है‍ नजसके ‍ आिार‍ पर‍ वह‍ निवाषचक‍ सूची‍‍‍‍‍‍‍
तैयार‍करिे,‍प्रकानशत‍करिे,‍बिाए‍रििे‍ या‍पुिरीनित‍करिे‍ अथवा‍निवाषचि‍या‍निवाषचि‍के ‍भाग‍का‍संचािि‍
करिे‍के ‍निए‍सश‍‍त‍है‍;

1
2019‍के ‍अनिनियम‍सं०‍34‍की‍िारा‍95‍‍और‍पांचवी‍अिुसूची‍द्वारा‍(31-10-2019‍से) “जम्मू-कश्मीर राज्य‍के ‍नसवाय” शब्‍दों‍का‍िोप‍ककया‍गया‍।
2
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा 2 द्वारा‍अंत:स्‍थानपत‍।
2

(viii) कोई‍व्‍यन‍‍त‍जो‍ककसी‍ऐसे‍ पद‍को‍िारण‍करता‍है‍ नजसके ‍आिार‍पर‍वह‍ककसी‍िोक‍कतषव्‍य ‍का‍


पािि‍करिे‍के ‍निए‍प्रानिकृ त‍या‍अपेनित‍है‍;
(ix) कोई‍व्‍यन‍‍त‍जो‍कृ नष,‍उद्योग,‍व्‍यापार‍या‍बैंककारी‍में‍ िगी‍हुई‍ककसी‍ऐसी‍रनजस्‍रीकृ त‍सोसाइटी‍
का‍ अध्‍यि,‍ सनचव‍ या‍ अन्य‍ पदिारी‍ है‍ जो‍ कें द्रीय‍ सरकार‍ या‍ ककसी‍ राज्य‍ सरकार‍ या‍ ककसी‍ कें द्रीय,‍ प्रांतीय‍ या‍
राज्य‍अनिनियम‍द्वारा‍या‍उसके ‍अिीि‍स्‍थानपत‍ककसी‍निगम‍से‍या‍सरकार‍के ‍स्‍वानमत्व‍या‍नियंत्रण‍के ‍अिीि‍या‍
सरकार‍से‍सहायता‍प्राप्‍त‍ककसी‍प्रानिकरण‍या‍निकाय‍से‍या‍कं पिी‍अनिनियम,‍1956 (1956 का‍1)‍की‍िारा‍617
में‍यथापररभानषत‍ककसी‍सरकारी‍कं पिी‍से‍कोई‍नवत्तीय‍सहायता‍प्राप्‍त ‍कर‍रही‍है‍या‍कर‍चुकी‍है‍;
(x) कोई‍ व्‍यन‍‍त‍ जो‍ ककसी‍ सेवा‍ आयोग‍ या‍ बोडष‍ का,‍ चाहे‍ वह‍ ककसी‍ भी‍ िाम‍ से‍ ज्ञात‍ हो,‍ अध्‍यि,‍‍‍
सदस्‍य‍या‍कमषचारी‍या‍ऐसे‍ आयोग‍या‍बोडष‍ की‍ओर‍से‍ ककसी‍परीिा‍का‍संचािि‍करिे‍ के ‍निए‍या‍उसके ‍द्वारा‍
चयि‍करिे‍के ‍निए‍नियु‍त ‍ ‍की‍गई‍ककसी‍चयि‍सनमनत‍का‍सदस्‍य‍है‍;
(xi) कोई‍व्‍यन‍‍त‍जो‍ककसी‍नवश्‍वनवद्यािय‍का‍कु िपनत,‍उसके ‍ककसी‍शासी‍निकाय‍का‍सदस्य,‍आचायष,‍
उपाचायष,‍ प्राध्‍यापक‍ या‍ कोई‍ अन्य‍ नशिक‍ या‍ कमषचारी‍ है,‍ चाहे‍ वह‍ ककसी‍ भी‍ पदानभिाि‍ से‍ ज्ञात‍ हो,‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
और‍कोई‍ व्‍यन‍‍त‍नजसकी‍सेवाओं‍का‍िाभ‍नवश्‍वनवद्यािय‍द्वारा‍या‍ककसी‍अन्य‍िोक‍निकाय‍द्वारा‍ परीिाओं‍के ‍
आयोजि‍या‍संचािि‍के ‍संबंि‍में‍निया‍गया‍है‍;
(xii) कोई‍ व्‍यन‍‍त‍ जो‍ ककसी‍ भी‍ रीनत‍ में‍ स्‍थानपत‍ ककसी‍ शैनिक,‍ वैज्ञानिक,‍ सामानजक,‍ सांस्‍कृनतक‍ या‍
अन्य‍ संस्‍था‍ का,‍ जो‍ कें द्रीय‍ सरकार‍ या‍ ककसी‍ राज्य‍ सरकार‍ या‍ ककसी‍ स्‍थािीय‍ या‍ अन्य‍ प्रानिकरण‍ से‍ नवत्तीय‍
सहायता‍प्राप्‍त‍कर‍रही‍है‍या‍कर‍चुकी‍है,‍पदिारी‍या‍कमषचारी‍है‍।‍
1[(घ)‍“असम्‍यक् ‍िाभ”‍से‍ऐसा‍कोई‍पररतोषण‍अनभप्रेत‍है,‍चाहे‍जैसा‍भी‍हो,‍जो‍नवनिक‍पररश्रनमक‍से‍नभन्‍ि‍हो‍।‍

स्‍पष्‍टीकरण‍—इस‍िंड‍के ‍प्रयोजिों‍के ‍निए,—‍

(क) “पररतोषण”‍शब्‍द‍ििीय‍पररतोषणों‍या‍िि‍के ‍रूप‍में‍प्रा‍‍कििीय‍पररतोषणों‍तक‍सीनमत‍िहीं‍है;‍

(ि) “नवनिक पाररश्रनमक” पद ककसी िोक सेवक को संदत्त पाररश्रनमक‍तक निबंनित िहीं है, ककन्‍तु इसके
अंतगषत ऐसे सभी पाररश्रनमक भी हैं, जो उसे सरकार या संगठि द्वारा, नजसकी वह सेवा करता है, प्राप्‍त करिे के निए
अिुज्ञात है ।]
स्‍पष्‍टीकरण‍ 1—उपयुष‍‍त‍ उपिंडों‍ में‍ से‍ ककसी‍ के ‍ अंतगषत‍ आिे‍ वािे‍ व्‍यन‍‍त‍ िोक‍ सेवक‍ हैं‍ चाहे‍ वे‍ सरकार‍ द्वारा‍
नियु‍त
‍ ‍ककए‍गए‍हों‍या‍िहीं‍।
स्‍पष्‍टीकरण‍2—“िोक‍सेवक”‍शब्‍द‍जहां‍भी‍आए‍हैं,‍वे‍उस‍हर‍व्‍यन‍‍त‍के ‍संबंि‍में‍समझ‍जाएंगे‍जो‍िोक‍सेवक‍के ‍
ओहदे‍को‍वास्‍तव‍में‍िारण‍ककए‍हों,‍चाहे‍उस‍ओहदे‍को‍िारण‍करिे‍के ‍उसके ‍अनिकार‍में‍कै सी‍ही‍नवनिक‍त्रुरट‍हो‍।
अध्‍याय‍2

नवशेष‍न्‍यायािीशों‍की‍नियुन‍‍त
3. नवशेष‍ न्‍यायािीश‍ नियु‍त ‍ ‍ करिे‍ की‍ शन‍‍त—(1) कें द्रीय‍ सरकार‍ या‍ राज्य‍ सरकार,‍ राजपत्र‍ में‍ अनिसूचिा‍ द्वारा,‍
निम्‍िनिनित‍ अपरािों‍ के ‍ नवचारण‍ के ‍ निए‍ इतिे‍ नवशेष‍ न्‍यायािीश‍ नियु‍त‍ ‍ कर‍ सके गी,‍ नजतिे‍ ऐसे‍ िेत्र‍ या‍ िेत्रों‍ के ‍ निए‍ या‍ ऐसे ‍
मामिों‍या‍मामिों‍के ‍समूह‍के ‍निए‍जो‍आवश्‍यक‍हों‍अनिसूचिा‍में‍नवनिर्दषष्‍ट‍ककए‍जाएं,‍अथाषत्‍:—
(क)‍इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍दंडिीय‍कोई‍अपराि‍;‍और
(ि)‍ िंड‍ (क)‍ में‍ नवनिर्दषष्‍ट‍ अपरािों‍ में‍ से‍ ककसी‍ को‍ रोकिे‍ के ‍ निए‍ षड्यंत्र‍ करिे‍ या‍ करिे‍ का‍ प्रयत्‍ि ‍ या‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
कोई‍दुष्‍प्रेरण‍।
(2) कोई‍व्‍यन‍‍त‍इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍के ‍रूप‍में‍ नियु‍त ‍ ‍होिे‍ के ‍निए‍तब‍तक‍अर्हषत‍िहीं‍होगा‍जब‍
तक‍ कक‍ वह‍ दंड‍ प्रकिया‍ संनहता,‍ 1973 (1974 का‍ 2)‍ के ‍ अिीि‍ सेशि‍ न्‍यायािीश‍ या‍ अपर‍ सेशि‍ न्‍यायािीश‍ या‍ सहायक‍ सेशि‍
न्यायािीश‍िहीं‍है‍या‍िहीं‍रहा‍है‍।
4. नवशेष‍न्‍यायािीशों‍द्वारा‍नवचारणीय‍मामिे—(1) दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973 (1974 का‍2) या‍तत्‍समय‍प्रवृत्त‍ककसी‍अन्य‍
नवनि‍में‍ककसी‍बात‍के ‍होते‍हुए‍भी‍िारा 3 की‍उपिारा‍(1) में‍नवनिर्दषष्‍ट‍अपराि‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍द्वारा‍ही‍नवचारणीय‍होंगे‍।

1
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा 2 द्वारा‍अंत:स्‍थानपत‍।
3

(2) िारा‍ 3 की‍ उपिारा‍ (1) में‍ नवनिर्दषष्‍ट‍ प्रत्‍येक‍ अपराि‍ उस‍ िेत्र‍ के ‍ नवशेष‍ न्‍यायािीश‍ द्वारा‍ नजसमें‍ वह‍ अपराि‍ ककया‍‍‍
गया‍है‍या‍जहां‍ऐसे‍िेत्र‍के ‍निए‍एक‍से‍अनिक‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍हैं‍वहां‍उिमें‍से‍ऐसे‍न्‍यायािीश‍द्वारा‍जो‍इस‍निनमत्त‍कें द्रीय‍सरकार‍
द्वारा‍नवनिर्दषष्‍ट‍ककया‍जाएगा‍उस‍मामिे‍के ‍निए‍नियु‍त ‍ ‍ककए‍गए‍नवशेष‍न्‍यायािीशों‍द्वारा‍नवचारणीय‍होगा‍।
(3) ककसी‍मामिे‍ का‍नवचारण‍करते‍ समय‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍िारा‍3 में‍ नवनिर्दषष्‍ट‍ककसी‍अपराि‍से‍ नभन्‍ि,‍ककसी‍ऐसे‍ अन्य‍
अपराि‍का‍भी‍नवचारण‍कर‍सकता‍है‍नजससे‍अनभयु‍‍त ‍दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973 (1974 का‍2) के ‍अिीि,‍उसी‍नवचारण‍में‍आरोनपत‍
ककया‍जा‍सकता‍है‍।
1[(4) दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973 (1974 का‍2) में‍ ककसी‍बात‍के ‍होते‍हुए‍भी, ककसी‍अपराि‍का‍नवचारण,‍यथासाध्‍य‍रूप‍से‍
दैनिक‍आिार‍पर‍ककया‍जाएगा‍और‍यह‍सुनिनश्‍चत‍करिे‍ का‍प्रयास‍ककया‍जाएगा‍कक‍उ‍‍त ‍नवचारण‍दो‍वषष‍ की‍अवनि‍के ‍भीतर‍पूरा‍
कर‍कदया‍जाए‍:‍
परं तु‍ जहां‍ नवचारण‍ उ‍‍त‍ अवनि‍ के ‍ भीतर‍ पूरा‍ िहीं‍ हो‍ पाता‍ है,‍ वहां‍ नवशेष‍ न्‍यायािीश‍ ऐसा‍ ि‍ हो‍ पािे‍ के ‍ कारणों‍ को‍
िेिबद्ध‍करे गा‍:‍
परं तु‍ यह‍और‍कक‍उ‍‍त‍अवनिको,‍िेिबद्ध‍ककए‍जािे‍ वािे‍ कारणों‍से,‍एक‍समय‍में‍ छह‍माह‍से‍ अिनिक‍आगे‍ और‍अवनि‍के ‍
निए‍नवस्‍ताररत‍ककया‍जा‍सके गा,‍तथानप‍उ‍‍त‍अवनि,‍नवस्‍ताररत‍अवनि‍सनहत‍सामान्‍य‍रूप‍से‍कु ि‍नमिाकर‍चार‍वषष‍से‍ अनिक‍िहीं‍
होगी‍।]
5. प्रकिया‍और‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍की‍शन‍‍तयां—(1) नवशेष‍न्‍यायािीश‍अनभयु‍‍त‍के ‍नवचारणाथष‍ सुपुद‍ष ककए‍गए‍नबिा‍भी‍
अपरािों‍का‍संज्ञाि‍कर‍सकता‍है,‍और‍वह‍अनभयु‍‍त‍व्‍यन‍‍त‍के ‍नवचारण‍में‍दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973 (1974 का‍2) में‍मनजस्‍रेटों‍द्वारा‍
वारं ट‍के ‍मामिों‍के ‍निए‍नवनहत‍प्रकिया‍का‍अिुसरण‍करे गा‍।
(2) नवशेष‍न्‍यायािीश‍ककसी‍ऐसे‍व्‍यन‍‍त‍का‍साक्ष्‍य‍प्राप्‍त‍करिे‍की‍दृनष्‍ट‍से‍नजसका‍प्रत्यित:‍या‍अप्रत्‍यित:‍ककसी‍अपराि‍से‍
संपृ‍‍त‍होिा‍या‍संसगी‍होिा‍अिुनमत‍है,‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍ऐसे‍ व्‍यन‍‍त‍और‍प्रत्‍येक‍अन्य‍संपृ‍‍त‍व्‍यन‍‍त‍को,‍चाहे‍ वह‍उस‍अपराि‍के ‍
ककए‍जािे‍ में‍ मुखय
‍ ‍रहा‍हो‍या‍दुष्‍प्रेरक‍रहा‍हो‍उसके ‍अपराि‍से‍ संबंनित‍अपिी‍जािकारी‍की‍सभी‍पररनस्‍थ नतयों‍का‍पूणष‍ और‍सत्‍य‍
प्रकटि‍करिे‍ की‍शतष‍ पर‍िमा‍प्रदाि‍कर‍सकता‍है‍ और‍इस‍प्रकार‍दी‍गई‍िमा‍दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973 (1974 का‍2)‍की‍िारा‍308
की‍उपिारा‍(1) से‍(5) के ‍प्रयोजिों‍के ‍निए‍दंड‍प्रकिया‍संनहता‍की‍िारा‍307 के ‍अिीि‍प्रदत्त‍की‍गई‍समझी‍जाएगी‍।
(3) उपिारा‍(1) या‍उपिारा‍(2) में‍ यथा‍उपबंनित‍के ‍नसवाय,‍दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973 (1974 का‍2) के ‍उपबंि‍जहां‍ तक‍
वे‍ इस‍अिनियम‍से‍ असंगत‍िहीं‍हैं,‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍के ‍समि‍कायषवानहयों‍को‍िागू‍ होंगे;‍और‍उ‍‍त‍उपबंिों‍के ‍प्रयोजिाथष,‍नवशेष‍
न्‍यायािीश‍का‍न्‍यायािय‍सेशि‍न्‍यायािय‍समझा‍जाएगा‍और‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍के ‍समि‍अनभयोजि‍का‍संचािि‍करिे‍वािा‍व्यन‍‍त ‍
िोक‍अनभयोजक‍समझा‍जाएगा‍।
(4) नवनशष्‍टतया,‍और‍उपिारा‍(3) में‍ अंतर्वषष्‍ट‍उपबंिों‍की‍व्‍यापकता‍पर‍प्रनतकू ि‍प्रभाव‍डािे‍ नबिा,‍दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍
1973 (1974 का‍2) की‍िारा 320 और‍िारा‍475 के ‍उपबंि,‍जहां‍ तक‍हो‍सके ,‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍के ‍समि‍कायषवाही‍को‍िागू‍ होंगे,‍
और‍उ‍‍त‍उपबंिों‍के ‍प्रयोजिाथष‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍मनजस्‍रेट‍समझा‍जाएगा‍।
(5) नवशेष‍न्‍यायािीश‍उसके ‍द्वारा‍दोषनसद्ध‍व्‍यन‍‍त‍को‍कोई‍भी‍दंडादेश‍दे‍ सकता‍है‍ जो‍उस‍अपराि‍के ‍निए‍नजसके ‍निए‍
ऐसे‍व्‍यन‍‍त‍दोषनसद्ध‍हैं,‍नवनि‍द्वारा‍प्रानिकृ त‍है‍।
(6) इस‍ अनिनियम‍ के ‍ अिीि‍ दंडिीय‍ अपरािों‍ का‍ नवचारण‍ करते‍ समय‍ नवशेष‍ न्‍यायािीश‍ दंड‍ नवनि‍ संशोिि‍ अध्‍यादेश,‍
1944 (1944 का‍ अध्‍यादेश‍ संखय ‍ ांक‍ 38) के ‍ अिीि‍ नजिा‍ न्‍यायािीश‍ द्वारा‍ प्रयो‍‍तव्‍य‍ सभी‍ नसनवि‍ शन‍‍तयों‍ और‍ कृ त्यों‍ का‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
प्रयोग‍करे गा‍।
6. संनिप्‍तत:‍नवचारण‍करिे‍की‍शन‍‍त —(1) जहां‍कोई‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍िारा‍3 की‍उपिारा‍(1) में‍नवनिर्दषष्‍ट‍ऐसे‍अपराि‍
का‍ नवचारण‍ करता‍ है‍ जो‍ आवश्‍यक‍ वस्‍तु‍ अनिनियम,‍ 1955 (1955 का‍ 10) की‍ िारा‍ 12क‍ की‍ उपिारा‍ (1) में‍ निर्दषष्‍ट‍ ककसी‍‍‍‍‍‍‍‍
नवशेष‍आदेश,‍या‍उस‍िारा‍की‍उपिारा‍(2) के ‍िंड‍(क)‍में‍ निर्दषष्‍ट‍आदेश‍के ‍उल्‍िंघि‍की‍बाबत‍ककसी‍िोक‍सेवक‍द्वारा‍ककया‍जािा‍
अनभकनथत‍है,‍वहां‍ इस‍अनिनियम‍की‍िारा‍5 की‍उपिारा (1) में‍या‍दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973 (1974 का‍2) की‍िारा‍260 में‍ककसी‍
बात‍के ‍होते‍ हुए‍भी,‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍अपराि‍का‍संनिप्‍त‍रूप‍में‍ नवचारण‍करे गा,‍और‍ उ‍‍त‍संनहता‍की‍िारा‍ 262 से‍ िारा‍265
(नजसमें‍ये‍दोिों‍िाराएं‍सनम्‍मनित‍हैं)‍के ‍उपबंि,‍यथाश‍‍य‍ऐसे‍नवचारण‍को‍िागू‍होंगे‍:
परं तु‍ इस‍ िारा‍ के ‍ अिीि‍ ककसी‍ संनिप्‍त‍ नवचारण‍ में‍ ककसी‍ दोषनसनद्ध‍ की‍ दशा‍ में,‍ नवशेष‍ न्‍यायािीश‍ के ‍ निए‍ एक‍ वषष‍ से‍
अिनिक‍की‍अवनि‍के ‍कारावास‍का‍दंडादेश‍पाररत‍करिा‍नवनिपूणष‍होगा‍:
परं तु‍ यह‍और‍कक‍इस‍िारा‍के ‍अिीि‍जब‍ककसी‍संनिप्‍त‍नवचारण‍के ‍प्रारं भ‍पर‍या‍उसके ‍अिुिम‍में,‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍को‍
यह‍ प्रतीत‍ होता‍ है‍ कक‍ मामिे‍ की‍ प्रकृ नत‍ ऐसी‍ है‍ कक‍ एक‍ वषष‍ से‍ अनिक‍ के ‍ कारावास‍ का‍ दंडादेश‍ पाररत‍ करिा‍ पड़‍ सकता‍ है‍ या,‍‍‍‍‍‍
ककसी‍अन्य‍कारण‍से,‍मामिे‍का‍संनिप्‍त‍रूप‍से‍नवचारण‍करिा‍अवांछिीय‍है‍तब‍नवशेष‍न्‍यायािीश,‍पिकारों‍की‍सुिवाई‍के ‍पश्‍चात्,‍

1
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा 2 द्वारा‍प्रनतस्‍थानपत‍।
4

उस‍आशय‍का‍एक‍आदेश‍िेिबद्ध‍करे गा‍और‍उसके ‍पश्‍चात्‍ ककसी‍सािी‍को‍नजसकी‍परीिा‍हो‍चुकी‍है‍ पुि:‍बुिाएगा‍और‍मनजस्‍रे ट‍


द्वारा‍ वारं ट‍ मामिों‍ के ‍ नवचारण‍ के ‍ निए‍ उ‍‍त‍ संनहता‍ द्वारा‍ नवनहत‍ प्रकिया‍ के ‍ अिुसार‍ मामिे‍ की‍ सुिवाई‍ या‍ पुि:‍ सुिवाई‍ की‍‍
कायषवाही‍करे गा‍।
(2) इस‍अनिनियम‍या‍दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973 (1974 का‍2) में‍ ककसी‍प्रनतकू ि‍बात‍के ‍होते‍ हुए‍भी,‍इस‍िारा‍के ‍अिीि‍
संनिप्‍त‍नवचारण‍ककए‍गए‍ककसी‍मामिे‍ में,‍नजसमें‍ नवशेष‍न्‍यायािीश‍एक‍मास‍से‍ अिनिक‍के ‍कारावास‍का‍और‍दो‍हजार‍रुपए‍से‍
अिनिक‍के ‍जुमाषिे‍का‍दंडादेश‍पाररत‍करता‍है,‍चाहे‍उ‍‍त‍संनहता‍की‍िारा‍452 के ‍अिीि‍ऐसे‍दंडादेश‍के ‍अनतरर‍‍त‍कोई‍आदेश‍पाररत‍
ककया‍ जाता‍ हो,‍ या‍ िहीं,‍ ककसी‍ दोषनसद्ध‍ व्‍यन‍‍त‍ द्वारा‍ कोई‍ अपीि‍ िहीं‍ की‍ जाएगी,‍ ककं तु‍ जहां‍ नवशेष‍ न्‍यायािीश‍ द्वारा‍ उपरो‍‍त‍
पररसीमाओं‍से‍अनिक‍कोई‍दंडादेश‍पाररत‍ककया‍जाता‍है,‍वहां‍अपीि‍होगी‍।
अध्‍याय‍3

अपराि‍और‍शानस्‍तयां
1
[7. िोक‍सेवक‍को‍ररश्‍वत‍कदए‍जािे‍से‍संबनं ित—ऐसा‍कोई‍िोक‍सेवक‍जो,—‍
(क) या तो‍स्‍वयं‍या‍ककसी‍अन्‍य‍िोक‍सेवक‍द्वारा‍अिुनचत‍रूप‍से‍या‍बेईमािी‍से‍िोक‍कतषव्‍य ‍का‍पािि‍करिे‍या‍
पािि‍ करवािे‍ या‍ ऐसे‍ कतषव्‍य‍ से‍ प्रनवरत‍ रहिे‍ या‍ प्रनवरत‍ करवािे‍ के ‍ आशय‍ से‍ ककसी‍ व्‍यन‍‍त‍ से,‍ कोई‍ असम्‍यक् ‍ िाभ‍
अनभप्राप्‍त‍करे गा‍या‍प्रनतगृहीत‍करे गा‍या‍अनभप्राप्‍त‍करिे‍का‍प्रयत्‍ि‍करे गा;‍या‍‍
(ि) या‍तो‍स्‍वयं‍ या‍ककसी‍अन्‍य‍िोक‍सेवक‍द्वारा,‍ककसी‍िोक‍कतषव्‍य‍का‍अिुनचत‍रूप‍से‍ या‍बेईमािी‍से,‍पािि‍
करिे‍ के ‍निए‍या‍ऐसे‍ कतषव्‍य‍के ‍पािि‍से‍ प्रनवरत‍रहिे‍ के ‍निए‍ककसी‍इिाम‍के ‍रूप‍में‍ ककसी‍व्‍यन‍‍त‍से‍ कोई‍असम्‍यक् ‍िाभ‍
अनभप्राप्‍त‍करे गा‍या‍प्रनतगृहीत‍करे गा‍या‍अनभप्राप्‍त‍करिे‍का‍प्रयत्‍ि‍करे गा;‍या‍
(ग) ककसी‍ व्‍यन‍‍त‍ से‍ कोई‍ असम्‍यक् ‍ िाभ‍ प्रनतगृहीत‍ करिे‍ की‍ प्रत्‍याशा‍ में‍ या‍ उसके ‍ पररणामस्‍वरूप‍ ककसी‍ िोक‍
कत्तषव्‍य‍का‍अिुनचत‍रूप‍से‍या‍बेईमािी‍से‍पािि‍करे गा‍या‍ऐसे‍कत्तषव्‍य ‍का‍पािि‍करिे‍से‍प्रनवरत‍रहेगा‍या‍ककसी‍अन्‍य‍िोक‍
सेवक‍को‍अिुनचत‍रूप‍से‍या‍बेईमािी‍से‍पािि‍करिे‍के ‍निए‍उत्‍प्रेररत‍करे गा,‍
वह कारावास से, नजसकी अवनि तीि वषष से कम की िहीं होगी, ककन्‍तु जो सात वषष तक की हो सके गी, दंडिीय होगा और
जुमाषिे से भी दंडिीय होगा ।‍
स्‍पष्‍टीकरण‍1—इस‍िारा‍के ‍प्रयोजि‍के ‍निए,‍ककसी‍असम्‍यक् ‍िाभ‍‍को‍अनभप्राप्‍त‍करे गा,‍प्रनतगृहीत‍करे गा‍या‍
अनभप्राप्‍त‍करिे‍ का‍प्रयत्‍ि‍करे गा,‍से‍ ही‍अपराि‍का‍गठि‍होगा‍यद्यनप‍िोक‍सेवक‍द्वारा‍िोक‍कतषव्‍य‍का‍पािि‍अिुनचत‍ि‍
हो‍या‍ि‍रहा‍हो‍।‍
दृष्ट‍ ांत—एक‍िोक‍सेवक‍‘एस’‍एक‍व्‍यन‍‍त,‍‘पी’‍से‍ उसके ‍िेमी‍राशि‍काडष‍आवेदि‍को‍समय‍कसे‍प्रकिया‍में‍िािे‍
के ‍निए‍पांच‍हजार‍रुपए‍की‍रकम‍देिे‍को‍कहता‍है‍।‍‘एस’‍इस‍िारा‍के ‍अिीि‍अपराि‍का‍दोषी‍है‍।‍
‍ स्‍पष्‍टीकरण‍2—इस‍िारा‍के ‍प्रयोजि‍के ‍निए,—‍
(i) “अनभप्राप्‍त‍करे गा”‍या‍“प्रनतगृहीत‍करे गा”‍या‍“अनभप्राप्‍त‍करिे‍का‍प्रयत्‍ि‍करे गा”‍पदों‍में‍ऐसे‍मामिे‍
सनम्‍मनित‍होंगे,‍जहां‍ऐसा‍कोई‍व्‍यन‍‍त‍जो‍िोक‍सेवक‍होते‍हुए,‍स्‍वयं‍के ‍निए‍या‍ककसी‍अन्‍य‍व्‍यन‍‍त‍के ‍निए‍िोक‍
सेवक‍के ‍रूप‍में‍अपिे‍पद‍का‍दुरूपयोग‍करके ‍या‍ककसी‍अन्‍य‍िोक‍सेवक‍पर‍अपिे‍वैयन‍‍तक‍असर‍का‍प्रयोग‍करके ‍
का‍ककन्‍हीं‍अन्‍य‍भ्रष्‍ट‍या‍अवैि‍साििों‍के ‍द्वारा‍कोई‍असम्‍यक् ‍िाभ‍अनभप्राप्‍त‍करता‍है‍ या‍“प्रनतगृनहत‍करता‍है”‍
या‍अनभप्राप्‍त‍करिे‍का‍प्रयत्‍ि‍करता‍है;
(ii) इस‍बात‍का‍कोई‍महत्‍व‍िहीं‍होगा‍कक‍ऐसा‍व्‍यन‍‍त‍िोक‍सेवक‍होते‍ हुए‍असम्‍यक् ‍िाभ‍सीिे‍ या‍
अन्‍य‍व्‍यन‍‍त के ‍माध्‍यम‍से‍अनभप्राप्‍त‍करे गा‍या‍प्रनतगृहीत‍करे गा‍या‍अनभप्राप्‍त‍करिे‍का‍प्रयत्‍ि‍करे गा‍।‍
7क. िोक‍सेवक‍पर‍भ्रष्‍ट‍या‍अवैि‍साििों‍द्वारा‍या‍वैयन‍‍तक‍असर‍का‍प्रयोग‍करके ‍असम्‍यक् ‍िाभ‍िेिा—जो,‍कोई‍अपिे‍
निए‍या‍ककसी‍अन्‍य‍व्‍यन‍‍त‍के ‍निए‍कोई‍असम्‍यक् ‍िाभ,‍ककसी‍िोक‍सेवक‍को,‍भ्रष्‍ट‍या‍अवैि‍साििों‍द्वारा‍या‍अपिे‍ वैयन‍‍त क‍असर‍
के ‍ प्रयोग‍ द्वारा‍ इस‍ बात‍ के ‍ निए‍ उत्‍प्रेररत‍ करिे‍ हेतु‍ या‍ इिाम‍ के ‍ रूप‍ में‍ ककसी‍ अन्‍य‍ व्‍यन‍‍त‍ से‍ प्रनतगृहीत‍ या‍ अनभप्राप्‍त‍ करे गा‍ या‍
अनभप्राप्‍त‍करिे‍का‍प्रयत्‍ि‍करे गा‍कक‍वह‍िोक‍सेवक‍अिुनचत‍रूप‍से‍या‍बेईमािी‍से‍िोक‍कत्तषव्‍य ‍का‍पािि‍करे ‍या‍पािि‍करवाए‍‍या‍
ऐसा‍िोक‍सेवक,‍ऐसा‍िोक‍कतषव्‍य‍करिे‍से‍प्रनवरत‍रहे‍या‍ककसी‍अन्‍य‍िोक‍सेवक‍को‍ऐसे‍िोक‍कत्तषव्‍य‍का‍पािि‍करिे‍से‍प्रनवरत‍रिे,‍
वह‍कारावास‍से‍ नजसकी‍अवनि‍तीि‍वषषसे‍ कम‍की‍िहींहोगी‍ककन्‍तु ‍ जो‍सात‍वषष‍ तक‍की‍हो‍सके गी,‍दंडिीय‍होगा‍और‍जुमाषिे‍ का‍भी‍
दायी‍‍होगा‍।‍
8. ककसी‍िोक‍सेवक‍को‍ररश्‍वत‍कदए‍जािे‍से‍संबनं ित‍अपराि—ऐसा‍कोई‍व्‍यन‍‍त‍जो—‍
(i)‍ककसी‍िोक‍‍सेवक‍को‍‍कोई‍िोक‍कतषव्‍य‍का‍अिुनचत‍रूप‍से‍पािि‍करिे‍हेतु‍उत्प्रेररत‍करिे‍के ‍आशय‍से;‍या‍

1
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा 4 द्वारा‍प्रनतस्‍थानपत‍।
5

(ii)‍ऐसे‍िोक‍सेवक‍को‍िोक‍कत्तषव्‍य‍का‍अिुनचत‍रूप‍से‍पािि‍ककए‍जािे‍के ‍निए‍इिाम‍देिे‍के ‍आशय‍से ,‍


ककसी‍अन्‍य‍व्‍यन‍‍त‍या‍ककन्‍हीं‍अन्‍य‍व्‍यन‍‍तयों‍को‍असम्‍यक् ‍िाभ‍देगा‍देिे‍का‍वचि‍देगा,‍वह‍कारावास‍से,‍नजसकी‍अवनि‍सात‍वषष‍तक‍
की‍हो‍सके गी‍या‍जुमाषिे‍से‍या‍दोिों‍से‍दंडिीय‍होगा‍:‍
परन्‍तु‍इस‍िारा‍के ‍उपबंिवहां‍िागू‍िहीं‍होंगे‍जहां‍ककसी‍व्‍यन‍‍त‍को‍ऐसा‍असम्‍यक् ‍िाभ‍देिे‍के ‍निए‍नववश‍ककया‍गया‍है;‍
परं तु‍ यह‍और‍कक‍इस‍प्रकार‍नववश‍व्‍यन‍‍त‍ऐसा‍असम्‍यक् ‍िाभ‍देिे‍ की‍तारीि‍से‍ सात‍कदि‍की‍अवनि‍के ‍भीतर‍इस‍मामिे‍
की‍ररपोटष‍नवनि‍का‍प्रवतषि‍करिे‍वािे‍प्रानिकारी‍या‍अन्‍वेषण‍अनभकरण‍को‍देगा‍:‍
परं तु‍यह‍भी‍कक‍जहां‍इस‍िारा‍के ‍अिीि‍अपराि‍ककसी‍वानणनज्‍य क‍संगठि‍द्वारा‍ककया‍गया‍है‍वहां‍ऐसा‍वानणनज्‍यक‍संगठि‍
जुमाषिे‍से‍दंडिीय‍होगा‍।‍‍
दृष्ट‍ ांत—कोई‍व्‍यन‍‍त,‍‘पी’‍िोक‍सेवक,‍‘एस’‍को,‍यह‍सुनिनश्‍चत‍करिे‍ के ‍निए‍दस‍हजार‍रुपए‍की‍रकम‍देता‍है‍ कक‍अन्‍य ‍
सभी‍बोिी‍िगािे‍वािों‍में‍से‍उसे‍अिुज्ञनप्‍त‍प्रदाि‍की‍जाए‍।‍‘पी’‍इस‍उपिारा‍के ‍अिीि‍अपराि‍का‍दोषी‍है‍।

स्‍पष्‍टीकरण—इस‍बात‍का‍कोई‍महत्‍व‍िहीं‍होगा‍कक‍वह‍व्‍यन‍‍त,‍नजसे‍ असम्‍यक् ‍िाभ‍कदया‍गया‍है‍ या‍देिे‍ का‍वचि‍कदया‍


गया‍है‍ वही‍व्‍यन‍‍त‍है‍ नजस‍व्‍यन‍‍त‍िे‍ संबंनित‍िोक‍कतषव्‍य‍करिा‍है‍ या‍ककया‍है‍ और‍इस‍बात‍का‍भी‍कोई‍महत्‍व‍िहीं‍होगा‍कक‍ऐसा‍
असम्‍यक् ‍िाभ‍उस‍व्‍यन‍‍त‍को‍सीिे‍या‍ककसी‍अन्‍य‍पिकार‍के ‍माध्‍यम‍से‍पहुंचाया‍गया‍है‍या‍पहुंचािे‍का‍वचि‍कदया‍गया‍है‍।‍‍
यकद‍वह‍व्‍यन‍‍त,‍ऐसे‍ नवनि‍प्रवतषि‍प्रानिकारी‍या‍अन्‍वेषण‍अनभकरण‍को‍पश्‍चात्वती‍के ‍नवरुद्ध‍अनभकनथत‍अपराि‍के ‍उसके ‍
अन्‍वष
े णमें‍सहायता‍करिे‍के ‍निए,‍उस‍नवनि‍प्रवतषि‍प्रानिकारी‍या‍अन्‍वेषण‍अनभकरण‍को‍सूचिा‍देिे‍के ‍पश्‍चात्‍ककसी‍अन्‍य‍व्‍यन‍‍त‍को‍
कोई‍असम्‍यक् ‍िाभ‍देता‍है‍या‍देिे‍का‍वचि‍देता‍है‍।‍‍
9.‍ककसी‍वानणनज्‍यक‍संगठि‍द्वारा‍ककसी‍िोक‍सेवक‍को‍ररश्‍वत‍देि‍े से‍संबनं ित‍अपराि—(1) जहां‍इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍
कोई‍अपराि‍ककसी‍वानणनज्‍यक‍संगठि‍द्वारा‍ककया‍गया‍है,‍वहां‍ ऐसा‍संगठि‍जुमाषिे‍ से‍ दंडिीय‍होगा,‍यकद‍ऐसे‍ वानणनज्‍यक‍संगठि‍से‍
सहबद्ध‍कोई‍व्‍यन‍‍त‍ककसी‍:—‍
(क)‍ऐसे‍वानणनज्‍यक‍संगठि‍के ‍निए‍कारबार‍अनभप्राप्‍त‍करिेया‍प्रनतिाररत‍करिे‍के ‍आशय‍से;‍या‍
(ि)‍ ऐसे‍ वानणनज्‍यक‍ संगठि‍ के ‍ निए‍ कारबार‍ के ‍ संचाििमें‍ कोई‍ िाभ‍ अनभप्राप्‍त ‍ करिे‍ या‍ प्रनतिाररत‍ करिे‍ के ‍
आशय‍से‍:‍
परन्‍तु‍वानणनज्‍यक‍संगठि‍के ‍निए‍यह‍सानबत‍करिे‍हेतु‍एक‍बचाव‍होगा‍कक‍ककसी‍िोक‍सेवक‍को‍कोई‍असम्‍य क् ‍िाभ‍देता‍है‍
या‍देिे‍ का‍वचि‍देता‍है‍ कक‍उसिे‍ उससे‍ सहयोनजत‍व्‍य न‍‍तयों‍को‍ऐसा‍आचरण‍करिे‍ से‍ निवाररत‍करिे‍ के ‍निए‍उसिे‍ ऐसे‍ मागषदशषक‍
नसद्धान्‍तों‍के ‍अिुपािि‍में,‍जो‍नवनहत‍ककए‍जाएं,‍पयाषप्त
‍ ‍प्रकियाएं‍अपिा‍रिी‍थीं‍।‍
(2)‍इस‍िारा‍के ‍प्रयोजिों‍के ‍निए,‍ककसी‍व्‍यन‍‍त‍के ‍बारे ‍ में‍ यह‍तब‍कहा‍जाएगा‍कक‍उसिे‍ ककसी‍िोक‍सेवक‍को‍असम्‍य क् ‍
िाभ‍ कदया‍ है,‍ यकद‍ उसिे‍ अनभकनथत‍ रूप‍ से‍ िारा‍ 8‍ के ‍ अिीि‍ अपराि‍ ककया‍ है,‍ चाहे‍ ऐसे‍ व्‍यन‍‍त‍ को‍ ऐसे‍ ककसी‍ अपराि‍ के ‍ निए,‍
अनभयोनजत‍ककया‍गया‍हो‍अथवा‍िहीं‍।‍
(3)‍िारा‍8‍और‍इस‍िारा‍के ‍प्रयोजिों‍के ‍निए,—‍
(क)‍“वानणनज्‍यक‍संगठि”‍से‍निम्‍िनिनित‍अनभप्रेत‍है—‍
(i)‍ ऐसा‍ कोई‍ निकाय, जो‍ भारत‍ में‍ निगनमत‍ ककया‍ जाता‍ है‍ और‍ भारत‍ में‍ या‍ भारत‍ के ‍ बाहर‍ कोई‍
कारबार‍करता‍है;‍‍
(ii)‍ ऐसा‍ कोई‍ अन्‍य‍ निकाय,‍ जो‍भारत‍ के ‍ बाहर‍ निगनमत‍ ककया‍ जाता‍ है‍ और‍ जो‍ भारत‍ के ‍ ककसी‍ भी‍
भाग‍में‍कोई‍कारबार‍या‍कारबार‍का‍कोई‍भाग‍करता‍है;‍
(iii)‍ऐसी‍भागीदारी‍फमष‍या‍कोई‍व्‍यन‍‍त-संगम‍जो‍भारत‍में‍बिाया‍गया‍है‍और‍जो‍भारत‍में‍या‍भारत‍
के ‍बाहर‍कोई‍कारबार‍करता‍है;‍या‍
(iv)‍ऐसी‍कोई‍अन्‍य‍भागीदारी‍फमष‍या‍व्‍यन‍‍त-संगम,‍जो‍भारत‍के ‍बाहर‍बिाया‍जाता‍है‍और‍जो‍भारत‍
के ‍ककसी‍भाग‍में‍कोई‍कारबार‍या‍कारबार‍का‍कोई‍भाग‍करता‍है;‍
(ि)‍“कारबार”‍के ‍अंतगषत‍कोई‍व्‍यापार‍या‍वृनत्त‍या‍सेवा,‍उपिब्‍ि‍करता‍है;‍
(ग)‍ ककसी‍ व्‍यन‍‍त‍ को‍ वानणनज्‍यक‍ संगठि‍ से‍ उस‍ दशा‍ में‍ सहयोनजत‍ कहा‍ जाएगा,‍ यकद‍ ऐसा‍ व्‍यन‍‍त,‍ ऐसा‍ कोई‍
असम्‍यक् ‍िाभ‍नजससे‍ उपिारा‍(1) के ‍अिीि‍कोई‍अपराि‍गरठत‍होता‍है,‍देिे‍ का‍वचि‍कदए‍जािे‍ या‍ऐसा‍कोई‍िाभ‍कदए‍
जािे‍पर‍ध्‍याि‍ि‍देते‍हुए‍वानणनज्‍यक‍संगठि‍के ‍निए‍या‍उसकी‍ओर‍से‍कोई‍सेवाएं‍करता‍है‍।‍‍
6

स्‍पष्‍टीकरण‍1—वह‍हैनसयत‍नजसमें‍ व्‍यन‍‍त‍वानणनज्‍यक‍संगठि‍के ‍निए‍या‍उसकी‍ओर‍से‍ सेवाएं‍ करता‍है,‍इस‍बात‍के ‍होते‍


हुए‍भी‍कक‍ऐसा‍व्‍यन‍‍त‍ऐसे‍संगठि‍का‍कमषचारी‍या‍अनभकताष‍या‍समिुषंगी‍है,‍नवचार‍का‍नवषय‍िहीं‍होगी‍।‍
‍स्‍पष्‍टीकरण‍2—इस‍बात‍का‍अविारणा‍कक‍वह‍व्‍यन‍‍त‍ऐसा‍व्‍यन‍‍त‍है‍ या‍िहीं‍जो‍वानणनज्‍यक‍संगठि‍के ‍निए‍या‍उसकी‍
आरे ‍से‍सेवाएं‍ करता‍है,‍सभी‍सुसंगत‍पररनस्‍थनतयों‍के ‍प्रनत‍निदेश‍करके ‍ककया‍जाएगा‍ि‍कक‍के वि‍उस‍व्‍यन‍‍त‍और‍वानणनज्‍यक‍संगठि‍
के ‍बीच‍के ‍संबंि‍की‍प्रकृ नत‍के ‍प्रनत‍निदेश‍करके ‍।‍‍
स्‍पष्‍टीकरण‍ 3—यकद‍ वह‍ व्‍यन‍‍त‍ वानणनज्‍यक‍ संगठि‍ का‍ कोई‍ कमषचारी‍ है‍ तो‍ जब‍ तक‍ प्रनतकू ि‍ सानबत‍ ि‍ ककया‍ जाए‍ यह‍
उपिारणा‍की‍जाएगी‍कक‍वह‍व्‍यन‍‍त‍ऐसा‍व्‍यन‍‍त‍है‍जो‍वानणनज्‍यक‍संगठि‍के ‍निए‍या‍उसकी‍ओर‍सेवाएं‍करता‍है‍।‍
(4)‍दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973 (1974‍का‍2)‍में‍ अंतर्वषष्‍ट‍ककसी‍बात‍के ‍होते‍ हुए‍भी,‍िारा‍7क,‍िारा‍8‍और‍इस‍िारा‍के ‍
अिीि‍का‍अपराि‍संज्ञेय‍होगा‍।
(5) के न्‍द्रीय‍ सरकार,‍ संबद्ध‍ नवभागों‍ सनहत‍ संबद्ध‍ पणिाररयोंके ‍ परामशष‍ से‍ और‍ वानणनज्‍यक‍ संगठिोंसे‍ सहयु‍त
‍ ‍ व्‍यन‍‍तयों‍
द्वारा‍ककसी‍व्‍यन‍‍त‍को,‍जो‍िोक‍सेवक‍है,‍ररश्‍वत‍देिे‍ से‍ निवाररत‍करिे‍ के ‍नवचार‍से‍ ऐसे‍ मागषदशषक‍नसद्धांतों‍को‍नवनहत‍करे गी,‍जो‍
आवश्‍यक‍समझे‍और‍जो‍ऐसे‍संगठिों‍द्वारा‍अिुपािि‍हेतु‍स्‍थानपत‍ककए‍जा‍सकते‍हैं‍।‍
10.‍ वानणनज्‍यक‍ संगठि‍ के ‍ भारसािक‍ व्‍यन‍‍त‍ का‍ अपराि‍ का‍ दोषी‍ होिा—जहां‍ िारा‍ 9‍ के ‍ अिीि‍ कोई‍ अपराि‍ ककसी‍
वानणनज्‍यक‍संगठि‍द्वारा‍ककया‍जाता‍है‍और‍न्‍ययािय‍में‍ऐसे‍अपराि‍का‍वानणनज्‍यक‍संगठि‍के ‍ककसी‍निदेशक,‍प्रबंिक,‍सनचव‍या‍अन्‍य‍
अनिकारी‍की‍सहमनत‍या‍मौिािुकूिता‍से‍ककया‍जािा‍सानबत‍हो‍जाता‍है,‍वहां‍ऐसा‍निदेशक,‍प्रबंिक,‍सनचव‍या‍अन्‍य‍अनिकारी‍उस‍
अपराि‍का‍दोषी‍होगा‍और‍वह‍अपिे‍ नवरुद्ध‍कायषवाही‍ककए‍जािे‍ का‍दायी‍होगा‍तथा‍कारावास‍से ,‍नजसकी‍अवनि‍तीि‍वषष‍ से‍ कम‍
की‍िहीं‍होगी‍ककन्‍तु‍जो‍सात‍वषष‍तक‍की‍हो‍सके गी,‍दंडिीय‍होगा‍और‍जुमाषिे‍का‍भी‍दायी‍होगा‍।‍‍‍
स्‍पष्‍टीकरण 1—इस‍िारा‍के ‍प्रयोजिों‍के ‍निए,‍ककसी‍फमष‍के ‍संबंि‍में‍“निदेशक”‍से‍फमष‍का‍कोई‍भागीदार‍अनभप्रेत‍है‍।]‍
11. िोक सेवक,‍जो‍ऐसे‍ िोक‍सेवक‍द्वारा‍की‍गई‍कायषवाही‍या‍कारबार‍से‍ संबद्ध‍व्‍य न‍‍त‍से,‍प्रनतफि‍के ‍नबिा,‍ 1[असम्‍यक् ‍
िाभ]‍अनभप्राप्‍त‍करता‍है—जो‍कोई‍िोक‍सेवक‍होते‍ हुए,‍अपिे‍ निए‍या‍ककसी‍अन्य‍व्‍यन‍‍त‍के ‍निए,‍ककसी‍व्‍यन‍‍त‍से‍ यह‍जािते‍ हुए‍
कक‍ऐसे‍ िोक‍सेवक‍द्वारा‍की‍गई‍या‍की‍जािे‍ वािी‍ककसी‍कायषवाही‍या‍कारबार‍से‍ वह‍व्‍य न‍‍त‍संपृ‍‍त‍रह‍चुका‍है,‍या‍है‍ या‍उसका‍
संपृ‍‍त‍होिा‍संभाव्‍य‍है,‍या‍स्‍वयं‍ उसके ‍या‍ककसी‍ऐसे‍ िोक‍सेवक‍के ,‍नजसका‍वह‍अिीिस्‍थ‍है,‍ 1[पदीय‍कृ त्यों‍‍या‍िोक‍कतषव्‍य] से‍ वह‍
व्‍यन‍‍त‍‍संपृ‍‍त‍है,‍अथवा‍ककसी‍ऐसे‍ व्‍यन‍‍त‍से‍ यह‍जािते‍ हुए‍हुए‍कक‍वह‍इस‍प्रकार‍संपृ‍‍त ‍व्‍यन‍‍त‍से‍ नहतबद्ध‍है‍ या‍िातेदारी‍रिता‍
है,‍ककसी‍ 1[असम्‍यक् ‍िाभ] को‍ककसी‍प्रनतफि‍के ‍नबिा,‍या‍ऐसे‍ प्रनतफि‍के ‍निए,‍नजसे‍ वह‍जािता‍है,‍कक‍अपयाषप्त ‍ ‍है,‍प्रनतगृहीत‍या‍
अनभप्राप्‍त‍करे गा,‍ 2*** या‍अनभप्राप्‍त‍करिे‍ का‍प्रयत्‍ि‍करे गा,‍वह‍कारावास‍से,‍नजसकी‍अवनि‍छह‍मास‍से‍ कम‍िहीं‍होगी‍ककं तु‍ पांच‍
वषष‍तक‍की‍हो‍सके गी,‍और‍जुमाषिे‍से‍भी,‍दंनडत‍ककया‍जाएगा‍।
[12.‍अपरािों‍के ‍दुष्प्र
3
‍ रे णा‍के ‍निए‍दंड—जो‍कोई,‍इस‍अनिनियमके ‍अिीि‍दंडिीय‍ककसी‍अपराि‍का‍दुष्‍प्र रे णा‍करे गा,‍चाहे‍
वह‍अपराि‍उस‍ दुष्‍प्रेरणा‍ के ‍पररणामस्‍वरूप‍ककया‍गया‍ हो‍अथवा‍िहीं,‍वह‍कारावास‍से,‍नजसकी‍ अवनि‍तीि‍वषष‍ से‍ कम‍की‍िहीं‍
होगी,‍ककन्‍तु‍जो‍सात‍वषष‍तक‍की‍हो‍सके गी,‍दंनडत‍ककया‍जाएगा‍और‍जुमाषिे‍का‍भी‍दायी‍होगा‍।] ‍ ‍
13. िोक‍ सेवक‍ द्वारा‍ आपरानिक‍ अवचार—4[(1)‍ कोई‍ िोक‍ सेवक‍ आपरानिक‍ अवचार‍ का‍ अपराि‍ करिे‍ वािा‍ कहा‍
जाएगा,—‍
(क)‍यकद‍वह‍िोक‍सेवक‍के ‍रूप‍में‍अपिे‍को‍सौंपी‍गई‍ककसी‍संपनत्त‍या‍अपिे‍नियंत्रणािीि‍ककसी‍संपनत्त‍का‍अपिे‍
उपयोग‍ के ‍ निए‍ बेईमािी‍ से‍ या‍ कपटपूवषक‍ दुर्वषनियोग‍ करता‍ है‍ या‍ उसे‍ अन्‍य था‍ संपररवर्तषत‍ कर‍ िेता‍ है‍ या‍ ककसी‍ अन्‍य‍
व्‍यन‍‍त‍को‍ऐसा‍करिे‍देता‍है;‍या‍
(ि)‍यकद‍वह‍अपिी‍पदावनि‍के ‍दौराि‍अवैि‍रूप‍से‍अपिे‍आशय‍को‍समृद्ध‍करता‍है‍।‍
स्‍पष्‍टीकरण‍ 1—ककसी‍व्‍यन‍‍त‍के ‍बारे ‍ में‍ यह‍उपिारणा‍की‍जाएगी‍कक‍उसिे‍ अवैि‍रूप‍से‍ अपिे‍ को‍साशय‍समृद्ध‍बिाया‍है,‍
यकद‍वह‍या‍उसकी‍ओर‍से‍ कोई‍अन्‍य‍व्‍यन‍‍त‍अपिी‍पदावनि‍के ‍दौराि‍ककसी‍समय‍अपिी‍आय‍के ‍ज्ञात‍स्‍त्रोंतों‍से‍ अििुपानतक‍ििीय‍
संसािि‍या‍संपनत्त‍उसके ‍कब्‍जे‍में‍है‍या‍रही‍है,‍नजसके ‍निए‍िोक‍सेवक‍समािािप्रद‍रूप‍से‍नहसाब‍िहीं‍दे‍सकता‍है‍।‍‍‍‍
‍ स्‍पष्‍टीकरण‍2—“आय‍के ‍ज्ञात‍स्‍त्रोत”‍पद‍से‍ककसी‍नवनिपूणष‍स्‍त्रोत‍से‍प्राप्‍त‍आय‍अनभप्रेत‍है‍।]‍‍
(2) कोई‍ िोक‍ सेवक‍ जो‍ आपरानिक‍ अवचार‍ करे गा‍ इतिी‍ अवनि‍ के ‍ निए,‍ जो‍ 5[चार‍ वषष]‍ से‍ कम‍ की‍ ि‍ होगी‍ ककं तु‍ जो‍‍‍‍
5
[दस‍वषष]‍तक‍की‍हो‍सके गी,‍कारावास‍से‍दंडिीय‍होगा‍और‍जुमाषिे‍का‍भी‍दायी‍होगा‍।

1
2018‍के ‍अनिनियम‍सं०‍16 की‍िारा‍द्वारा 5‍प्रनतस्‍थानपत‍।‍
2
2018 के ‍अनिनियम‍सं०‍16‍की‍िारा द्वारा‍5‍िोप‍ककया‍गया‍‍।‍
3
2018‍के ‍अनिनियम‍सं०‍16‍की‍िारा‍द्वारा 6‍प्रनतस्‍थानपत‍।
4
2018 के ‍अनिनियम‍सं०‍16 की‍िारा‍द्वारा 7‍प्रनतस्‍थानपत‍।
5
2014 के ‍अनिनियम‍सं०‍1 की‍िारा‍58‍और‍अिुसूची‍द्वारा‍प्रनतस्‍थानपत‍।
7

1[14. आभ्‍यानसक‍अपरािी‍के ‍निए‍दंड—जो‍कोई, नजसे‍ इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍ककसी‍अपराि‍के ‍निए‍नसद्धदोष‍ठहराया‍


गया‍है,‍उसके ‍पश्‍चात्‍भी‍इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍दंडिीय‍कोई‍अपराि‍करे गा,‍वह‍कारावास‍से,‍नजसकी‍अवनि‍पांच‍वषष‍से‍कम‍िहीं‍
होगी,‍ककन्‍तु‍जो‍दस‍वषष‍तक‍की‍हो‍सके गी,‍दंनडत‍ककया‍जाएगा‍और‍जुमाषिे‍से‍भी‍दंडिीय‍होगा‍।] ‍
15.‍प्रयत्‍ि‍के ‍निए‍दंड—जो‍कोई‍िारा‍13 की‍उपिारा‍(1) के ‍ 2[िंड‍(क)]‍में‍ निर्दषष्‍ट‍कोई‍अपराि‍करिे‍ का‍प्रयत्‍ि‍करे गा‍
वह‍कारावास‍से,‍1[नजसकी‍अवनि‍दो‍वषष‍से‍कम‍की‍िहीं‍होगी,‍ककन्‍तु‍पांच‍वषष‍तक‍की‍हो‍सके गी]‍और‍जुमाषिे‍से‍भी,‍दंडिीय‍होगा‍।
16. जुमाषिा‍नियत‍करिे‍के ‍निए‍ध्‍याि‍में‍रिी‍जािे‍वािी‍बातें—जुमाषिे‍की‍रकम‍नियत‍करिे‍में‍न्यायािय,‍वहां‍जहां‍जुमाषिे‍
का‍ दंड‍ 3[िारा 7‍ या िारा 8 या‍िारा 9‍ या‍ िारा 10 या‍ िारा 11‍ िारा 13‍ की‍ उपिारा (2)‍ या‍ िारा 14 या‍ िारा‍ 15] के ‍ अिीि‍
अनिरोनपत‍ककया‍गया‍है‍उस‍रकम‍या‍संपनत्त‍के ‍मूल्‍य ‍का,‍यकद‍कोई‍हो,‍‍‍नजसे‍अनभयु‍‍त‍व्‍यन‍‍त‍िे‍अपराि‍करके ‍अनभप्राप्‍त‍ककया‍हो‍
अथवा‍वहां‍ जहां‍ दोषनसनद्ध‍िारा‍ 13 की‍उपिारा‍ (1) के ‍ 3[िंड (ि)] में‍ निर्दषष्‍ट‍ककसी‍अपराि‍के ‍ निए‍है,‍उस‍िंड‍में‍ निर्दषष्‍ट‍िि‍
संबंिी‍सािि‍या‍संपनत्त‍का‍नजसका‍कक‍अनभयु‍‍त‍व्‍यन‍‍त‍समािािप्रद‍िेिा-जोिा‍देिे‍में‍असमथष‍है,‍ध्‍याि‍रिेगा‍।
अध्‍याय‍4

इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍मामिों‍का‍अन्वेषण
17. अन्वेषण‍ करिे‍ के ‍ निए‍ प्रानिकृ त‍ व्‍यन‍‍त—दंड‍ प्रकिया‍ संनहता,‍ 1973 (1974 का‍ 2) में‍ ककसी‍ बात‍ के ‍ होते‍ हुए‍ भी,‍
निम्‍िनिनित‍की‍पंन‍‍त‍से‍िीचे‍का‍कोई‍भी‍पुनिस‍अनिकारी,—
(क)‍कदल्‍िी‍नवशेष‍पुनिस‍स्‍थापि‍की‍दशा‍में,‍पुनिस‍निरीिक‍;‍
(ि)‍मुंबई,‍किकत्ता,‍मद्रास‍और‍अहमदाबाद‍के ‍महािगरीय‍िेत्रों‍में,‍और‍दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973 (1974 का‍2)
की‍िारा‍8 की‍उपिारा‍(1) के ‍अिीि‍इस‍रूप‍में‍अनिसूनचत‍ककसी‍अन्य‍िेत्र‍में,‍सहायक‍पुनिस‍आयु‍त ‍ ‍;
(ग)‍अन्‍यत्र,‍उप‍पुनिस‍अिीिक,‍या‍समतुल्य‍रैं क‍का‍पुनिस‍अनिकारी‍;‍इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍दंडिीय‍ककसी‍
अपराि‍ का‍ अन्‍वेषण,‍ यथानस्‍थनत,‍ महािगर‍ मनजस्‍रेट‍ या‍ प्रथम‍ वगष‍ के ‍ मनजस्‍रेट‍ के ‍ आदेश‍ के ‍ नबिा,‍ अथवा‍ उसके ‍ निए‍‍‍‍‍‍
कोई‍नगरफ्तारी,‍वारं ट‍के ‍नबिा,‍िहीं‍करे गा‍:
परं तु‍यकद‍कोई‍पुनिस‍अनिकारी‍जो‍पुनिस‍निरीिक‍की‍पंन‍‍त ‍से‍िीचे‍का‍ि‍हो‍सािारण‍या‍नवशेष‍आदेश‍द्वारा‍इस‍निनमत्त‍
राज्य‍सरकार‍द्वारा‍प्रानिकृ त‍है‍तो‍वह‍भी‍ऐसे‍ककसी‍अपराि‍का‍अन्वेषण,‍यथानस्‍थनत,‍महािगर‍मनजस्‍रेट‍या‍प्रथम‍वगष‍के ‍मनजस्‍रेट‍के ‍
आदेश‍के ‍नबिा,‍अथवा‍उसके ‍निए‍नगरफ्तारी‍वारं ट‍के ‍नबिा,‍कर‍सके गा‍:
परं तु‍ यह‍और‍कक‍िारा‍13 की‍ 4[उपिारा‍(1) के ‍िंड‍(ि)] में‍ निर्दषष्ट‍ ‍ककसी‍अपराि‍का‍अन्वेषण‍ऐसे‍ पुनिस‍अनिकारी‍के ‍
आदेश‍के ‍नबिा‍िहीं‍ककया‍जाएगा‍जो‍पुनिस‍अिीिक‍की‍पंन‍‍त‍से‍िीचे‍का‍ि‍हो‍।
[17क.‍िोक‍सेवक‍द्वारा‍उसके ‍शासकीय‍कृ त्‍यों‍या‍कत्तषव्य
5
‍ ों‍के ‍निवषहि‍में‍की‍गई‍नसफाररशों‍या‍निए‍गए‍नवनिश्‍च य‍के ‍संबि
ं ‍
में‍अपरािों‍की‍जांच‍या‍पूछताछ‍या‍अन्‍वेषण—कोई‍पुनिस‍अनिकारी,‍ककसी‍ऐसे‍अपराि‍में‍कोई‍जांच‍या‍पूछताछ‍या‍अन्‍वेषण,‍नजसे‍
इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍िोक‍सेवक‍द्वाराअनभकनथत‍रूप‍से‍काररत‍ककया‍गया‍है,‍वहां‍ऐसा‍अनभकनथत‍अपराि‍ऐसे‍िोक‍सेवक‍द्वारा‍
उसके ‍पदीय‍कृ त्‍यों‍या‍कत्तषव्‍यों‍के ‍निवषहि‍में‍की‍गई‍नसफाररशों‍या‍निए‍गए‍नवनिश्‍चय‍से‍संबंनित‍है,—‍
(क)‍ऐसे‍ व्‍यन‍‍त‍की‍दशा‍में,‍जो‍उस‍समय‍जब‍वह‍अपराि‍अनभकनथत‍रूप‍से‍ ककया‍गया‍था,‍संघ‍के ‍कायों‍के ‍
संबंि‍में‍नियोनजत‍है‍या‍था,‍उस‍सरकार‍के ‍पूवष‍अिुमोदि‍के ‍नबिा‍िहीं‍करे गा;‍
(ि)‍ ऐसे‍ व्‍यन‍‍त‍ की‍ दशा‍ में,‍ जो‍ उस‍ समय‍ जब‍ वह‍ अपराि‍ अनभकनथत‍ रूप‍ से‍ ककया‍ गया‍ था,‍ ककसी‍ राज्‍य‍ के ‍
कायों‍के ‍संबंि‍में‍नियोनजत‍है‍या‍था,‍उस‍सरकार‍के ‍पूवष‍अिुमोदि‍के ‍नबिा‍िहीं‍करे गा;‍‍
(ग)‍ककसी‍अन्‍य‍व्‍यन‍‍त‍की‍दशा‍में,‍उस‍समय‍जब‍वह‍अपराि‍अनभकनथत‍रूप‍से‍ककया‍गया‍था,‍उसे‍उसके ‍पद‍से‍
हटािे‍के ‍निए‍सिम‍प्रानिकारी‍के ‍पूवष‍अिुमोदि‍के ‍नबिा‍िहीं‍करे गा‍:‍
परन्‍तु‍ ऐसा‍कोई‍अिुमोदि‍ककसीव्‍यन‍‍त‍‍को‍अपिे‍ निए‍या‍ककसी‍अन्‍य‍व्‍यन‍‍त‍के ‍निए‍असम्‍यक् ‍िाभ‍प्रनतगृहीत‍करिे‍ या‍
प्रनतगृहीत‍करिे‍का‍प्रयत्‍ि‍करिे‍के ‍आरोप‍पर‍घटिास्‍थि‍पर‍ही‍नगरफ्तार‍करिे‍संबंिी‍मामिे‍में‍आवश्‍यक‍िहीं‍होगा‍:‍
पंरतु‍यह‍और‍कक‍संबद्ध‍प्रानिकारी‍इस‍िारा‍के ‍अिीि‍अपिे‍नवनिश्‍च य‍की‍सूचिा‍तीि‍मास‍की‍अवनि‍के ‍भीतर‍देगा,‍नजसे‍
िेिबद्ध‍ककए‍जािे‍वािे‍कारणों‍से‍उस‍प्रानिकारी‍द्वारा‍एक‍मास‍की‍और‍अवनि‍के ‍निए‍बढाया‍जा‍सके गा‍।]‍

1
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा‍द्वारा 8 प्रनतस्‍थानपत‍।‍
2
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा‍द्वारा 9 प्रनतस्‍थानपत‍।
3
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा‍द्वारा 10 प्रनतस्‍थानपत‍।
4
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा‍द्वारा 11 प्रनतस्‍थानपत‍।
5
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा‍द्वारा 12 प्रनतस्‍थानपत‍।
8

18. बैंककार‍बनहयों‍के ‍निरीिण‍की‍शन‍‍त —यकद‍प्राप्‍त‍जािकारी‍से‍ या‍अन्यथा‍ककसी‍पुनिस‍अनिकारी‍के ‍पास‍ककसी‍ऐसे‍


अपराि‍के ‍ककए‍जािे‍का‍संदेह‍करिे‍का‍कारण‍है‍नजसका‍अन्वेषण‍करिे‍के ‍निए‍वह‍िारा‍17 के ‍अिीि‍सश‍‍त‍है‍और‍वह‍समझता‍है‍
कक‍ऐसे‍ अपराि‍का‍अन्वेषण‍या‍जांच‍करिे‍ के ‍प्रयोजि‍के ‍निए‍ककन्‍हीं‍बैंककार‍बनहयों‍का‍निरीिण‍करिा‍आवश्‍यक‍है‍ तो‍तत्‍समय‍
प्रवृत्त‍ ककसी‍ नवनि‍ में‍ ककसी‍ बात‍ के ‍ होते‍ हुए‍ भी‍ वह‍ ककन्‍हीं‍ बैंककार‍ बनहयों‍ का‍ वहां‍ तक‍ निरीिण‍ कर‍ सके गा‍ जहां‍ तक‍ वे‍ उस‍‍‍‍‍‍
व्‍यन‍‍त‍के ,‍नजसके ‍द्वारा‍अपराि‍ककए‍जािे‍ का‍संदह े ‍है‍ या‍ककसी‍अन्य‍व्‍य न‍‍त‍के ,‍नजसके ‍द्वारा‍ऐसे‍ व्‍यन‍‍त‍के ‍निनमत्त‍िि‍िारण‍ककए‍
जािे‍ का‍संदह े ‍है,‍िेिाओं‍से‍ संबंनित‍हैं,‍और‍उसमें‍ से‍ सुसंगत‍प्रनवनष्‍टयों‍की‍प्रमानणत‍प्रनतयां‍ िे‍ सके गा‍या‍निवा‍सके गा‍तथा‍संबंनित‍
बैंक‍उस‍पुनिस‍अनिकारी‍की,‍इस‍िारा‍के ‍अिीि‍उसकी‍शन‍‍तयों‍के ‍प्रयोग‍में,‍सहायता‍करिे‍के ‍निए‍आबद्ध‍होगा‍:
परं तु‍ककसी‍व्‍यन‍‍त‍के ‍िेिाओं‍के ‍संबंि‍में‍इस‍उपिारा‍के ‍अिीि‍ककसी‍शन‍‍त‍का‍प्रयोग‍पुनिस‍अिीिक‍की‍पंन‍‍त‍से‍िीचे‍के ‍
ककसी‍ पुनिस‍ अनिकारी‍ द्वारा‍ िहीं‍ ककया‍ जाएगा‍ जब‍ तक‍ कक‍ वह‍ पुनिस‍ अिीिक‍ की‍ पंन‍‍त ‍ के ‍ या‍ उससे‍ ऊपर‍ के ‍ ककसी‍ पुनिस‍
अनिकारी‍द्वारा‍इस‍निनमत्त‍नवशेष‍रूप‍से‍प्रानिकृ त‍ि‍कर‍कदया‍गया‍हो‍।
स्‍पष्‍टीकरण—इस‍ िारा‍ में‍ “बैंक”‍ और‍ “बैंककार‍ बही”‍ पदों‍ के ‍ वे‍ ही‍ अथष‍ होंगे‍ जो‍ बैंककार‍ बही‍ साक्ष्‍य‍ अनिनियम, ‍‍‍‍‍‍‍‍
1891 (1891 का‍18) में‍हैं‍।
1
[अध्‍याय‍4क‍

संपनत्त‍की‍कु की‍और‍समपहरण‍
18क.‍ दांनडक‍ नवनि‍ संशोिि‍ अध्‍यादेश,‍ 1944‍ के ‍ उपबंिों‍ का‍ इस‍ अनिनियम‍ के ‍ अिीि‍ कु की‍ को‍ िागू‍ होिा—िि-शोिि‍
निवारण‍ अनिनियम,‍ 2002‍ (2002‍ का‍ 15)‍ में‍ जैसा‍ अन्‍यथा‍ उपबंनित‍ है‍ उसके ‍ नसवाय,‍ दांनडक‍ नवनि‍ संशोिि‍ अनिनियम,‍ 1994
(1994 का‍अध्‍यादेश‍सं 38)‍के ‍उपबंि,‍जहां‍ तक‍हो‍सके ,‍इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍कु की,‍कु कष ‍की‍गई‍संपनत्त‍के ‍प्रशासि‍और‍कु की‍के ‍
आदेश‍के ‍निष्‍पादि‍या‍िि‍के ‍अनिहरण‍या‍आपरानिक‍उपायों‍द्वारा‍उपाप्‍त‍की‍गई‍संपनत्त‍को‍िागू‍होंगे‍।‍
(2)‍इस‍अनिनियम‍के ‍प्रयोजिों‍के ‍निए,‍दांनडक‍नवनि‍संशोिि‍अध्‍यादेश,‍1944 (1944 का‍अध्‍यादेश‍सं०‍38)‍के ‍उपबंि‍इस‍
उपांतरण‍ के ‍ अिीि‍ रहते‍ हुए‍ प्रभावी‍ होंगेकक‍ “नजिा‍ न्‍यायािीश”‍ के ‍ प्रनत‍ निदेश‍ का‍ “नवशेष‍ न्‍यायािीश”‍ के ‍ प्रनत‍ निदेश के रूप‍ में‍
अथाषन्‍वयि‍ककया‍जाएगा‍।] ‍
अध्‍याय‍5

अनभयोजि‍के ‍निए‍मंजरू ी‍और‍अन्य‍प्रकीणष‍उपबंि


19. अनभयोजि‍के ‍निए‍पूव‍ष मंजूरी‍का‍आवश्‍य क‍होिा—(1) कोई‍न्‍यायािय‍2[िारा‍7,‍िारा‍11,‍िारा‍13 और‍िारा‍15] के ‍
अिीि‍दंडिीय‍ककसी‍ऐसे‍अपराि‍का‍संज्ञाि,‍नजसकी‍बाबत‍यह‍अनभकनथत‍है‍कक‍वह‍िोक‍सेवक‍द्वारा‍ककया‍गया‍है,‍3[जैसा‍िोकपाि‍
और‍ िोकायु‍त ‍ ‍ अनिनियम,‍ 2013 (2014 का‍ अनिनियम‍ संखय ‍ ांक‍ 1) में‍ अन्यथा‍ उपबंनित‍ है,‍ उसके ‍ नसवाय]‍ निम्‍िनिनित‍ की‍ पूवष‍
मंजूरी‍के ‍नबिा‍िहीं‍करे गा—
(क)‍ऐसे‍ व्‍यन‍‍त‍की‍दशा‍में,‍जो‍संघ‍के ‍मामिों‍के ‍संबंि‍में,‍ 2[यथानस्‍थनत,‍नियोनजत‍है या‍अनभकनथत‍अपराि‍के ‍
ककए‍जािे‍ के ‍समय‍नियोनजत‍था]‍और‍जो‍अपिे‍ पद‍से‍ कें द्रीय‍सरकार‍द्वारा‍या‍उसकी‍मंजूरी‍से‍ हटाए‍जािे‍ के ‍नसवाय‍िहीं‍
हटाया‍जा‍सकता‍है,‍कें द्रीय‍सरकार‍;
(ि)‍ऐसे‍ व्‍यन‍‍त‍की‍दशा‍में,‍जो‍राज्य‍के ‍मामिों‍के ‍संबंि‍में‍ 2[यथानस्‍थनत,‍नियोनजत‍है या‍अनभकनथत‍अपराि‍
ककए‍जािे‍ के ‍समय‍नियोनजत‍था] और‍जो‍अपिे‍ पद‍से‍ राज्य‍सरकार‍द्वारा‍या‍उसकी‍मंजूरी‍से‍ हटाए‍जािे‍ के ‍नसवाय‍िहीं‍
हटाया‍जा‍सकता‍है,‍कें द्रीय‍सरकार‍;
(ग)‍ककसी‍अन्य‍व्‍यन‍‍त‍की‍दशा‍में,‍उसे‍उसके ‍पद‍से‍हटािे‍के ‍निए,‍सिम‍प्रानिकारी‍:‍
[परं तु‍ककसी‍पुनिस‍अनिकारी‍या‍ककसी‍अन्‍वे षक‍अनभकरण‍के ‍ककसी‍अनिकारी‍या‍अन्‍य ‍नवनि‍प्रवतषि‍प्रानिकारी‍
2

से‍नभन्‍ि‍ककसी‍व्‍यन‍‍त‍द्वारा‍इस‍उपिारा‍में‍नवनिर्दषष्‍ट‍अपरािों‍में‍से‍ककसी‍अपराि‍का‍न्‍यायािय‍द्वारा‍संज्ञाि‍निए‍जािे‍के ‍
निए‍ ऐसी‍ सरकार‍ या‍ ऐसे‍ प्रानिकारी‍ की‍ पूवष‍ मंजूरी‍ के ‍ निए,‍ यथानस्‍थनत,‍ समुनचत‍ सरकार‍ या‍ सिम‍ प्रानिकारी‍ को‍ कोई‍
अिुरोि‍तब‍तक‍िहीं‍ककया‍जा‍सकता‍जब‍तक‍कक—
(i)‍ ऐसे‍ व्‍यन‍‍त‍ िे‍ ऐसे‍ अनभकनथत‍ अपरािों‍ के ‍ बारे ‍ में,‍ नजिके ‍ निए‍ िोक‍ सेवक‍ को‍ अनभयोनजत‍ ककए‍
जािे‍की‍ईप्‍सा‍की‍गई‍है,‍ककसी‍सिम‍न्‍यायािय‍में‍कोई‍पररवाद‍फाइि‍ि‍ककया‍हो;‍और‍

1
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा 13 द्वारा‍अंत:स्‍थानपत‍।‍
2
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा 14 द्वारा‍प्रनतस्‍थानपत‍।
3
2014 के ‍अनिनियम‍सं०‍1 की‍िारा‍58‍और‍अिुसूची‍द्वारा‍अंत:स्‍थानपत‍।
9

(ii)‍न्‍यायािय‍िे‍ दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973‍(1974‍का‍2)‍की‍िारा‍203‍के ‍अिीि‍पररवाद‍िाररज‍ि‍


कर‍ कदया‍ हो‍ और‍ पररवादी‍ को‍ िोक‍ सेवक‍ के ‍ नवरुद्ध‍ अनभयोजि‍ के ‍ निए‍ आगे‍ कारष वाई‍ करिे‍ के ‍ निए‍ मंजूरी‍
अनभप्राप्‍त‍करिे‍का‍निदेश‍ि‍दे‍कदया‍हो‍:
परं तु‍ यह‍और‍कक‍ककसी‍पुनिस‍अनिकारी‍या‍ककसी‍अन्‍वे षक‍अनभकरण‍के ‍ककसी‍अनिकारी‍या‍अन्‍य‍नवनि‍प्रवतषि‍
प्रानिकारी‍से‍नभन्‍ि‍व्‍यन‍‍त‍से‍अिुरोि‍प्राप्‍त‍होिे‍की‍दशा‍में,‍समुनचत‍सरकार‍या‍सिमप्रनिकारी,‍संबद्ध‍िोक‍सेवक‍को‍सुिे‍
जािे‍का‍अवसर‍प्रदाि‍ककए‍नबिा‍ककसी‍िोक‍सेवक‍को‍अनभयोनजत‍करिे‍के ‍निए‍मंजूरी‍िहीं‍देगा‍:‍
परं तु‍ यह‍ भी‍ कक‍ समुनचत‍ सरकार‍ या‍ कोई‍ सिमप्रानिकारी,‍ इस‍ उपिारा‍ के ‍ अिीि‍ ककसी‍ िोक‍ सेवक‍ के ‍
अनभयोजि‍के ‍निए‍मंजूरी‍की‍अपेिा‍करिे‍ वािे‍ प्रस्‍ताव‍की‍प्रानप्‍त‍के ‍पश्‍चात्,‍उसकी‍प्रानप्‍त‍की‍तारीि‍से‍ तीि‍मास‍की‍
अवनि‍के ‍भीतर‍उस‍प्रस्‍ताव‍पर‍अपिा‍नवनिश्‍चय‍देिे‍का‍प्रयास‍करे गा‍:‍
परं तु‍ यह‍भी‍कक‍उस‍दशा‍में‍ जहां‍ अनभयोजि‍हेतु‍ मंजूरी‍देिे‍ के ‍प्रयोजि‍के ‍निए‍कोई‍नवनिक‍परामशष‍ अपेनितहै,‍
वहां‍ऐसी‍अवनि‍को‍िेिबद्ध‍ककए‍जािे‍वािे‍कारणों‍से‍एक‍मास‍की‍और‍अवनि‍के ‍निए‍नवस्‍ताररत‍ककया‍जा‍सके गा‍।‍‍
परं तु‍यह‍भी‍कक‍के न्‍द्रीय‍सरकार‍ककसी‍िोक‍सेवक‍के ‍अनभयोजि‍हेतु‍मंजूरी‍देिे‍के ‍प्रयोजि‍के ‍निए‍ऐसे‍मागषदशष क‍
नसद्धांत‍नवनहत‍कर‍सके गी,‍जो‍वह‍आवश्‍यक‍समझे‍।
स्‍पष्‍टीकरण—उपिारा‍(1) के ‍प्रयोजिों‍के ‍निए,‍“िोक‍सेवक”‍पद‍में‍ऐसा‍व्‍यन‍‍त‍सनम्‍मनित‍है,—‍
(क)‍जो‍उस‍अवनि‍के ‍दौराि,‍नजसमें‍अनभकनथतरूप‍से‍अपराि‍ककया‍गया‍है,‍पद‍िारण‍करिे‍से‍प्रनवरत‍हो‍गया‍
था;‍या‍
(ि)‍जो‍उस‍अवनि‍के ‍दौराि,‍नजसमें‍अनभकनथत‍रूप‍से‍अपराि‍ककया‍गया‍है,‍पद‍िारण‍करिे‍से‍प्रनवरतहो‍गया‍
था‍और‍वह‍उस‍पद‍से‍नभन्‍ि‍कोई‍अन्‍य‍पद‍िारण‍ककए‍हुए‍था,‍नजसके ‍दौराि‍अनभकनथत‍रूप‍से‍अपराि‍ककया‍गया‍है‍।] ‍
‍ (2) जहां‍ककसी‍भी‍कारणवश‍इस‍बाबत‍शंका‍उत्पन्‍ि‍हो‍जाए‍कक‍उपिारा‍(1) के ‍अिीि‍अपेनित‍पूवष‍मंजूरी‍कें द्रीय‍या‍राज्य‍
सरकार‍या‍ककसी‍अन्य‍प्रानिकारी‍में‍से‍ककसके ‍द्वारा‍दी‍जािी‍चानहए‍वहां‍ऐसी‍मंजूरी‍उस‍सरकार‍या‍प्रानिकारी‍द्वारा‍दी‍जाएगी‍जो‍
िोक‍सेवक‍को‍उसके ‍पद‍से‍उस‍समय‍हटािे‍के ‍निए‍सिम‍था‍नजस‍समय‍अपराि‍का‍ककया‍जािा‍अनभकनथत‍है‍।
(3) दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973 (1974 का‍2) में‍ककसी‍बात‍के ‍होते‍हुए‍भी,—
(क)‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍द्वारा‍पाररत‍कोई‍निष्‍कषष,‍दंडादेश‍या‍आदेश‍ककसी‍न्‍यायािय‍द्वारा‍अपीि,‍पुनष्‍टकरण‍या‍
पुिरीिण‍में,‍अनभयोजि‍के ‍निए‍उपिारा‍(1) के ‍अिीि‍अपेनित‍मंजूरी‍के ‍ि‍होिे‍या‍उसमें‍कोई‍त्रुरट,‍िोप‍या‍अनियनमतता‍
होिे‍के ‍आिार‍पर‍तब‍तक‍िहीं‍उिटा‍या‍पररवर्तषत‍ककया‍जाएगा‍जब‍तक‍कक‍न्‍यायािय‍की‍राय‍में‍उसके ‍कारण‍वास्‍तव‍में‍
कोई‍अन्याय‍हुआ‍है‍;
(ि)‍कोई‍न्‍यायािय‍इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍कायषवानहयों‍को‍ककसी‍प्रानिकारी‍द्वारा‍दी‍गई‍मंजूरी‍में‍ ककसी‍त्रुरट,‍
िोप‍ या‍ अनियनमतता‍ के ‍ आिार‍ पर‍ तब‍ तक‍ िहीं‍ रोके गा‍ जब‍ तक‍ उसका‍ यह‍ समािाि‍ िहीं‍ हो‍ जाता‍ कक‍ ऐसी‍ त्रुरट,‍‍‍‍‍‍‍
िोप‍या‍अनियनमतता‍के ‍पररणामस्‍वरूप‍अन्‍याय‍हुआ‍है‍;
(ग)‍कोई‍न्‍यायािय‍इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍ककसी‍अन्य‍आिार‍पर‍कायषवानहयां‍िहीं‍रोके गा‍और‍कोई‍न्‍यायािय‍
ककसी‍ जांच,‍ नवचारण,‍ अपीि‍ या‍ अन्य‍ कायषवाही‍ में‍ पाररत‍ ककसी‍ अंतषवती‍ आदेश‍ के ‍ संबंि‍ में‍ पुिरीिण‍ की‍ शन‍‍तयों‍ का‍
प्रयोग‍िहीं‍करे गा‍।
(4) उपिारा‍(3) के ‍अिीि‍यह‍अविाररत‍करिे‍में‍कक‍ऐसी‍मंजूरी‍के ‍ि‍होिे‍से‍या‍उसमें‍ककसी‍त्रुरट,‍िोप‍या‍अनियनमतता‍के ‍
होिे‍से‍कोई‍अन्‍याय‍हुआ‍या‍पररणानमत‍हुआ‍है‍या‍िहीं,‍न्यायािय‍इस‍तथ्‍य‍को‍ध्‍याि‍में‍रिेगा‍कक‍‍या‍कायषवानहयों‍के ‍ककसी‍पूवषतर‍
प्रिम‍पर‍आिेप‍ककया‍जा‍सकता‍था‍और‍ककया‍जािा‍चानहए‍था‍या‍िहीं‍।
स्‍पष्‍टीकरण—इस‍िारा‍के ‍प्रयोजिों‍के ‍निए,—
(क)‍त्रुरट‍के ‍अंतगषत‍मंजूरी‍देिे‍वािे‍प्रानिकारी‍की‍सिमता‍भी‍है‍;
(ि)‍ अनभयोजि‍ के ‍ निए‍ अपेनित‍ मंजूरी‍ के ‍ अंतगषत‍ इस‍ अपेिा‍ के ‍ प्रनत‍ निदेश‍ भी‍ है‍ कक‍ अनभयोजि‍ ककसी‍
नवनिर्दषष्‍ट‍प्रानिकारी‍की‍ओर‍से,‍या‍ककसी‍नवनिर्दषष्‍ट‍व्‍यन‍‍त‍की‍मंजूरी‍से‍होगा‍या‍समतुल्‍य‍प्रकृ नत‍की‍कोई‍अपेिा‍भी‍है‍।
1[20.जहां‍ िोक‍ सेवक‍ कोई‍ असम्‍यक् ‍ िाभ‍ प्रनतगृहीत‍ करता‍ है‍ वहां‍ उपिारणा—जहां‍ िारा 7‍ के ‍ अिीि‍ या‍ िारा‍ 11‍ के ‍
अिीि‍दंडिीय‍ककसी‍अपराि‍के ‍ककसी‍नवचारण‍में‍ यह‍सानबत‍कर‍कदया‍जाता‍है‍ कक‍ककसी‍अपराि‍के ‍अनभयु‍‍त ‍िोक‍सेवक‍िे‍ ककसी‍
व्‍यन‍‍त‍ से‍ कोई‍ असम्‍यक् ‍ िाभ‍ अपिे‍ निए‍ या‍ ककसी‍ अन्‍य‍ व्‍यन‍‍त‍ के ‍ निए‍ प्रनतगृहीत‍ या‍ अनभप्राप्‍त‍ ककया‍ है‍ या‍ अनभप्राप्‍त‍ करिे‍ का‍
प्रयत्‍ि‍ककया‍है,‍वहां‍ जब‍तक‍प्रनतकू ि‍सानबत‍ि‍कर‍कदया‍जाए‍यह‍उपिारणा‍की‍जाएगी‍की‍उसिे ,‍यथानस्‍थनत‍या‍तो‍स्‍वयं‍ उसके ‍

1
2018‍के ‍अनिनियम‍सं०‍16‍की‍िारा 15‍द्वारा‍प्रनतस्‍थानपत‍।‍
10

द्वारा‍या‍ककसी‍अन्‍य‍िोक‍सेवक‍के ‍द्वारा‍ककसी‍िोक‍कतषव्‍य‍को‍अिुनचत‍रूप‍से‍या‍बेईमािी‍से‍निष्‍पाकदत‍करिे‍ के ‍निए‍या‍निष्‍पाकदत‍


करवािेके‍निए‍िारा‍7‍के ‍अिीि‍हेतु‍या‍इिाम‍के ‍रूप‍में‍उस‍असम्‍य क् ‍िाभ‍को,‍नबिा‍ककसी‍प्रनतफि‍के ‍या‍ककसी‍ऐसे‍प्रनतफि‍के ‍निए‍
नजसके ‍बारे ‍ में‍ वह‍यह‍ जािता‍है‍ कक‍वह‍ िारा‍ 11‍के ‍अिीि‍अपयाषप्त
‍ ‍है,‍प्रनतगृहीत‍या‍अनभप्राप्‍त‍ककया‍है‍ या‍अनभप्राप्‍त‍करिे‍ का‍
प्रयत्‍ि‍ककया‍है‍।]
(2) जहां‍ िारा‍12 के ‍अिीि‍या‍िारा‍14 के ‍िंड‍(ि)‍के ‍अिीि‍दंडिीय‍अपराि‍के ‍ककसी‍नवचारण‍में‍ यह‍सानबत‍कर‍कदया‍
जाता‍है‍ कक‍अनभयु‍‍त‍व्‍यन‍‍त‍िे‍ (वैि‍पाररश्रनमक‍से‍ नभन्‍ि)‍कोई‍पररतोषण‍या‍कोई‍मूल्‍यवाि‍चीज‍दी‍है‍ या‍देिे‍ की‍प्रस्‍थापिा‍की‍है,‍
या‍ देिे‍ का‍ प्रयत्‍ि‍ ककया‍ है,‍ वहां‍ जब‍ तक‍ प्रनतकू ि‍ सानबत‍ ि‍ कर‍ कदया‍ जाए‍ यह‍ उपिारणा‍ की‍ जाएगी‍ कक‍ उसिे,‍ यथानस्‍थनत,‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
उस‍पररतोषण‍या‍मूल्‍यवाि‍चीज‍को‍ऐसे‍ हेतु‍या‍इिाम‍के ‍रूप‍में,‍जैसा‍िारा‍7‍में‍वर्णषत‍है‍या,‍यथानस्‍थनत,‍प्रनतफि‍के ‍नबिा‍या‍ऐसे‍
प्रनतफि‍के ‍निए,‍नजसका‍अपयाषप्त ‍ ‍होिा‍वह‍जािता‍हो,‍कदया‍है‍या‍देिे‍की‍प्रस्‍थापिा‍की‍है‍या‍देिे‍का‍प्रयत्‍ि‍ककया‍है‍।
(3)‍उपिारा‍(1) और‍(2) में‍ककसी‍बात‍के ‍होते‍हुए‍भी‍न्‍यायािय‍उ‍‍त‍उपिाराओं‍में‍से‍ककसी‍में‍निर्दषष्‍ट‍उपिारणा‍करिे‍से‍
इं कार‍कर‍सके गा‍यकद‍पूवो‍‍त‍पररतोषण‍या‍चीज,‍उसकी‍राय‍में,‍इतिी‍तुच्‍छ‍है‍ कक‍भ्रष्‍टाचार‍का‍कोई‍निष्‍कषष‍ उनचत‍रूप‍से‍ िहीं‍
निकािा‍जा‍सकता‍।
21. अनभयु‍त‍ ‍व्‍यन‍‍त‍का‍सिम‍सािी‍होिा—इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍दंडिीय‍अपराि‍से‍ आरोनपत‍कोई‍व्‍यन‍‍त‍प्रनतरिा‍
पि‍के ‍निए‍सिम‍सािी‍होगा‍और‍वह‍अपिे‍नवरुद्ध‍या‍उसी‍नवचार‍में‍अपिे‍साथ‍आरोनपत‍ककसी‍व्‍य न‍‍त‍के ‍नवरुद्ध‍ककए‍गए‍आरोपों‍
को‍सानबत‍करिे‍के ‍निए‍शपथ‍पर‍साक्ष्‍य‍दे‍सके गा‍:
परं तु—
(क)‍सािी‍के ‍रूप‍में‍वह‍अपिी‍प्राथषिा‍पर‍के ‍नसवाय‍आहूत‍िहीं‍ककया‍जाएगा‍;
(ि)‍ साक्ष्‍य‍ देिे‍ में‍ उसकी‍ असफिता‍ पर‍ अनभयोजि‍ पि‍ कोई‍ टीका-रटप्‍पणी‍ िहीं‍ करे गा‍ अथवा‍ इससे‍ उसके ‍ या‍
उसी‍नवचारण‍में‍उसके ‍साथ‍आरोनपत‍ककसी‍व्‍यन‍‍त‍के ‍नवरुद्ध‍कोई‍उपिारणा‍उत्‍पन्‍ि‍िहीं‍होगी‍;
(ग)‍कोई‍ऐसा‍प्रश्‍ि‍नजसकी‍ प्रवृनत्त‍यह‍ दर्शषत‍करिे‍ की‍है‍ कक‍नजस‍अपराि‍ का‍ आरोप‍उस‍पर‍ िगाया‍गया‍ है‍‍‍
उससे‍ नभन्‍ि,‍अपराि‍उसिे‍ ककया‍है‍ या‍वह‍उसके ‍निए‍नसद्धदोष‍हो‍चुका‍है,‍या‍वह‍बुरे‍ चररत्र‍का‍है,‍उससे‍ उस‍दशा‍में‍ के ‍
नसवाय‍ि‍पूछा‍जाएगा‍या‍पूछे‍जािे‍पर‍उसका‍उत्तर‍देिे‍की‍उससे‍अपेिा‍िहीं‍की‍जाएगी‍नजसमें —
(i) इस‍ बात‍ का‍ सबूत‍ कक‍ उसिे‍ ऐसा‍ अपराि‍ ककया‍ है‍ या‍ उसके ‍ निए‍ वह‍ नसद्धदोष‍ हो‍ चुका‍ है,‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
यह‍दर्शषत‍करिे‍के ‍निए‍ग्राह्य‍साक्ष्‍य‍है‍कक‍वह‍उस‍अपराि‍का‍दोषी‍है‍नजसका‍आरोप‍उस‍पर‍िगाया‍गया‍है,‍या
(ii) उसिे‍स्‍वयं‍या‍अपिे‍प्िीडर‍द्वारा‍अनभयोजि‍पि‍के ‍ककसी‍सािी‍से‍अपिा‍अच्‍छा‍चररत्र‍नसद्ध‍करिे‍
की‍दृनष्‍ट‍से‍कोई‍प्रश्‍ि‍पूछा‍है‍या‍अपिे‍अच्‍छे‍चररत्र‍का‍साक्ष्‍य‍कदया‍है‍अथवा‍प्रनतरिा‍का‍स्‍वरूप‍या‍संचािि‍इस‍
प्रकार‍का‍है‍कक‍उसमें‍अनभयोजक‍के ‍या‍अनभयोजि‍पि‍के ‍निए‍ककसी‍सािी‍के ‍चररत्र‍पर‍िांछि‍अंतगषत‍है ,‍या
(iii) उसिे‍उसी‍अपराि‍से‍आरोनपत‍ककसी‍अन्य‍व्‍यन‍‍त‍के ‍नवरुद्ध‍साक्ष्‍य‍कदया‍है‍।
22. दंड‍ प्रकिया‍ संनहता,‍ 1973‍ का‍ कु छ‍ उपांतरणों‍ के ‍ अध्‍यिीि‍ िागू‍ होिा—दंड‍ प्रकिया‍ संनहता,‍ 1973 (1974 का‍ 2)‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
के ‍उपबंि,‍इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍दंडिीय‍ककसी‍अपराि‍के ‍संबंि‍में‍ककसी‍कायषवाही‍पर‍िागू‍होिे‍में‍ऐसे‍प्रभावी‍होंगे‍मािो—
(क)‍िारा‍243 की‍उपिारा‍(1) में‍ “तब‍अनभयु‍‍त‍से‍ अपेिा‍की‍जाएगी”‍शब्‍दों‍के ‍स्‍थाि‍पर‍“तब‍अनभयु‍‍त‍से‍
अपेिा‍की‍जाएगी‍कक‍वह‍तुरंत‍या‍इतिे‍ समय‍के ‍भीतर‍नजतिा‍न्‍यायािय‍अिुज्ञात‍करे ,‍उि‍व्‍यन‍‍तयों‍की‍(यकद‍कोई‍हों)‍
नजिकी‍ वह‍ अपिे‍ सानियों‍ के ‍ रूप‍ में‍ परीिा‍ करिा‍ चाहता‍ है‍ और‍ उि‍ दस्‍तावेजों‍ की‍ (यकद‍ कोई‍ हों)‍ नजि‍ पर‍ वह‍ निभषर‍
करिा‍चाहता‍है,‍एक‍निनित‍सूची‍दे,‍और‍तब‍उससे‍अपेिा‍की‍जाएगी”‍शब्‍द‍प्रनतस्‍थानपत‍कर‍कदए‍गए‍हों‍;
(ि)‍ िारा‍ 309 की‍ उपिारा‍ (1) में,‍ तीसरे ‍ परं तुक‍ के ‍ पश्‍चात्,‍ निम्‍िनिनित‍ परं तुक‍ अंत:स्थानपत‍ ककया‍ गया‍‍‍‍‍‍‍
था,‍अथाषत्‍:—
“परं तु‍ यह‍ और‍ कक‍ कायषवाही‍ मात्र‍ इस‍ आिार‍ पर‍ कक‍ कायषवाही‍ के ‍ एक‍ पिकार‍ द्वारा‍ िारा‍ 307 के ‍
अिीि‍आवेदि‍ककया‍गया‍है,‍स्‍थनगत‍या‍मुल्‍तवी‍िहीं‍की‍जाएगी‍।”‍;
(ग)‍िारा‍317 की‍उपिारा‍(2) के ‍पश्‍चात्‍निम्‍िनिनित‍उपिारा‍अंत:स्‍थानपत‍की‍गई‍थी,‍अथाषत्‍:—
“(3) उपिारा‍(1) या‍उपिारा‍(2) में‍ ककसी‍बात‍के ‍होते‍ हुए‍भी‍न्‍यायािीश,‍यकद‍वह‍ठीक‍समझता‍है‍
तो‍और‍ऐसे‍ कारणों‍से‍ जो‍उसके ‍द्वारा‍िेिबद्ध‍ककए‍जाएंगे,‍अनभयु‍‍त‍या‍उसके ‍प्िीडर‍की‍अिुपनस्‍थ नत‍में‍ जांच‍
या‍ नवचारण‍ करिे‍ के ‍ निए‍ अग्रसर‍ हो‍ सकता‍ है‍ और‍ ककसी‍ सािी‍ का‍ साक्ष्‍य,‍ प्रनतपरीिा‍ के ‍ निए‍ सािी‍ को‍‍‍‍‍‍‍‍
पुि:‍बुिािे‍के ‍अनभयु‍‍त‍के ‍अनिकार‍के ‍अिीि‍रहते‍हुए,‍िेिबद्ध‍कर‍सकता‍है‍।”‍;
(घ)‍ िारा‍ 397 की‍ उपिारा‍ (1) में‍ स्‍पष्‍टीकरण‍ के ‍ पहिे‍ निम्‍िनिनित‍ परं तुक‍ अंत:स्‍थानपत‍ कर‍ कदया‍ गया‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
हो,‍अथाषत्‍:—
11

“परं तु‍जहां‍ककसी‍न्‍यायािय‍द्वारा‍इस‍उपिारा‍के ‍अिीि‍शन‍‍तयों‍का‍प्रयोग‍ऐसी‍कायषवानहयों‍के ‍ककसी‍


एक‍ पिकार‍ द्वारा‍ ककए‍ गए‍ आवेदि‍ पर‍ ककया‍ जाता‍ है,‍ वहां‍ वह‍ न्यायािय‍ कायषवाही‍ के ‍ अनभिेि‍ को‍ मामूिी‍‍‍
तौर‍पर—
(क)‍दूसरे ‍पिकार‍को‍इस‍बात‍का‍हेतुक‍दर्शषत‍करिे‍का‍अवसर‍कदए‍नबिा‍िहीं‍मंगाएगा‍कक‍
अनभिेि‍‍‍यों‍ि‍मंगाया‍जाए‍;‍या
(ि)‍ उस‍ दशा‍ में‍ िहीं‍ मंगाएगा‍ नजसमें‍ उसका‍ यह‍ समािाि‍ हो‍ जाता‍ है‍ कक‍ कायषवाही‍ के ‍
अनभिेि‍की‍परीिा‍प्रमानणत‍प्रनतयों‍से‍की‍जा‍सकती‍है‍।”‍।
23. 1[िारा‍13(1)(क)]‍के ‍अिीि‍अपराि‍के ‍संबंि‍में‍ आरोप‍की‍नवनशनष्‍ट यां—दंड‍प्रकिया‍संनहता,‍1973 (1974 का‍2)‍में‍
ककसी‍बात‍के ‍होते‍हुए‍भी,‍जब‍ककसी‍अपरािी‍पर‍िारा‍13 की‍उपिारा‍(1) के ‍1[िंड‍(क)]‍के ‍अिीि‍ककसी‍बात‍का‍आरोप‍है,‍तब‍उसे‍
आरोप‍में‍ उस‍संपनत्त‍को,‍नजसके ‍संबंि‍में‍ अपराि‍का‍ककया‍जािा‍अनभकनथत‍है‍ और‍उि‍तारीिों‍को‍नजिके ‍बीच‍अपराि‍का‍ककया‍
जािा‍अनभकनथत‍है,‍नवनशष्‍ट‍मदों‍या‍निनश्‍चत‍तारीि‍को‍नवनिर्दषष्‍ट‍ककए‍नबिा,‍वर्णषत‍करिा‍पयाषप्‍त‍होगा‍और‍इस‍प्रकार‍नवरनचत‍
आरोप‍उ‍‍त‍संनहता‍की‍िारा‍219 के ‍अथष‍में‍एक‍अपराि‍का‍आरोप‍समझा‍जाएगा‍:
परं तु‍ऐसी‍तारीिों‍में‍से‍प्रथम‍और‍अंनतम‍तारीि‍के ‍बीच‍का‍समय‍एक‍वषष‍से‍अनिक‍िहीं‍होगा‍।
2* * * * * * *
25. सेिा,‍ िौसेिा‍ और‍ वायुसिे ा‍ संबि
ं ी‍ या‍ अन्य‍ नवनियों‍ का‍ प्रभानवत‍ िहीं‍ होिा—(1) इस‍ अनिनियम‍ की‍ कोई‍ बात‍‍‍‍‍‍‍
सेिा‍ अनिनियम,‍ 1950 (1950 का‍ 45),‍ वायु‍ सेिा‍ अनिनियम,‍ 1950 (1950 का‍ 46),‍ िौसेिा‍ अनिनियम,‍ 1957 (1957 का‍ 62),‍‍‍‍
सीमा‍ सुरिा‍ बि‍ अनिनियम,‍ 1968 (1968 का‍ 47),‍ तटरिक‍ अनिनियम,‍ 1978 (1978 का‍ 30)‍ और‍ राष्‍रीय‍ सुरिक‍ अनिनियम,‍‍‍
1986 (1986 का‍ 47) के ‍ अिीि‍ ककसी‍ न्‍यायािय‍ या‍ अन्य‍ प्रानिकारी‍ द्वारा‍ प्रयो‍‍तव्‍य‍ अनिकाररता‍ को,‍ या‍ उसको‍ िागू‍ होिे‍ वािी‍
प्रकिया‍को‍प्रभानवत‍िहीं‍करे गी‍।
(2) शंकाओं‍ के ‍ निराकरण‍ के ‍ निए‍ घोनषत‍ ककया‍ जाता‍ है‍ कक‍ ऐसी‍ नवनि‍ के ‍ प्रयोजिाथष‍ जो‍ उपिारा‍ (1) में‍ निर्दषष्‍ट‍ है,‍‍‍‍‍
नवशेष‍न्‍यायािीश‍का‍न्‍यायािय‍सामान्य‍दांनडक‍न्याय‍का‍न्‍यायािय‍समझा‍जाएगा‍।
26. 1952 के ‍ अनिनियम‍ 46 के ‍ अिीि‍ नियु‍त ‍ ‍ नवशेष‍ न्‍यायािीशों‍ का‍ इस‍ अनिनियम‍ के ‍ अिीि‍ नियु‍त ‍ ‍ नवशेष‍‍‍‍‍‍
न्‍यायािीश‍होिा—ककसी‍िेत्र‍या‍ककन्‍हीं‍िेत्रों‍के ‍निए‍दंड‍नवनि‍(संशोिि)‍अनिनियम,‍1952 के ‍अिीि‍नियु‍त ‍ ‍ककया‍गया‍और‍इस‍
अनिनियम‍ के ‍ प्रारं भ‍ पर‍ पद‍ िारण‍ कर‍ रहा‍ प्रत्येक‍ नवशेष‍ न्‍यायािीश‍ उस‍ िेत्र‍ या‍ उि‍ िेत्रों‍ के ‍ निए‍ इस‍ अनिनियम‍ की‍ िारा‍ 3 ‍‍‍‍‍‍‍‍‍
के ‍अिीि‍नियु‍त‍ ‍ककया‍गया‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍समझा‍जाएगा‍और‍ऐसे‍प्रारं भ‍से‍ही‍प्रत्‍येक‍ऐसा‍न्‍यायािीश,‍तद्िुसार,‍ऐसे‍प्रारं भ‍पर‍
उसके ‍समि‍िंनबत‍सब‍कायषवानहयों‍का‍निपटारा,‍इस‍अनिनियम‍के ‍उपबंिों‍के ‍अिुसार‍करता‍रहेगा‍।
27. अपीि‍ और‍ पुिरीिण—इस‍ अनिनियम‍ के ‍ उपबंिों‍ के ‍ अिीि‍ रहते‍ हुए‍ उच्‍च‍ न्यायािय,‍ दंड‍ प्रकिया‍ संनहता,‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
1973 (1974 का‍ 2) के ‍ अिीि,‍ उच्‍च‍ न्यायािय‍ को‍ प्रदत्त‍ अपीि‍ और‍ पुिरीिण‍ की‍ सभी‍ शन‍‍तयों‍ का‍ प्रयोग,‍ जहां‍ तक‍ वे‍ िागू‍ हो‍
सकती‍हैं,‍कर‍सकता‍है,‍मािो‍नवशेष‍न्‍यायािीश‍का‍न्‍यायािय‍उच्‍च‍न्‍यायािय‍की‍स्‍थािीय‍सीमाओं‍के ‍भीतर‍मामिों‍का‍नवचारण‍
करिे‍वािा‍सेशि‍न्‍यायािय‍है‍।
28. अनिनियम‍ का‍ ककसी‍ अन्य‍ नवनि‍ के ‍ अनतरर‍‍त ‍ होिा—इस‍ अनिनियम‍ के ‍ उपबंि‍ तत्‍समय‍ प्रवृत्त‍ ककसी‍ अन्य‍ नवनि‍ के ‍
अनतरर‍‍त‍ होंगे‍ ि‍ कक‍ उसका‍ अल्‍पीकरण‍ करें ग,े ‍ और‍ इसमें‍ की‍ कोई‍ बात‍ ककसी‍ िोक‍ सेवक‍ को‍ ककसी‍ ऐसी‍ कायषवाही‍ से ‍ छू ट‍ िहीं‍‍‍‍‍‍‍
देगी‍जो,‍इस‍अनिनियम‍के ‍अनतरर‍‍त,‍उसके ‍नवरुद्ध‍संस्‍थानपत‍की‍जा‍सकती‍है‍।
29. 1944 के ‍अध्‍यादेश‍सं०‍38 का‍संशोिि—दंड‍नवनि‍संशोिि‍अध्‍यादेश, 1944 में,—
(क)‍ िारा‍ 2 की‍ उपिारा‍ (1),‍ िारा‍ 9 की‍ उपिारा‍ (1),‍ िारा‍ 10 के ‍ िंड‍ (क)‍ और‍ िारा‍ 11 की‍ उपिारा‍ (1) ‍‍‍‍‍‍
और‍ िारा‍ 13 की‍ उपिारा‍ (1) में‍ “राज्य‍ सरकार”‍ शब्‍दों‍ के ‍ स्‍थाि‍ पर,‍ जहां‍ भी‍ वे‍ आते‍ हैं,‍ यथानस्‍थनत,‍ “राज्य‍ सरकार‍‍‍‍‍‍‍‍
या‍कें द्रीय‍सरकार”‍शब्‍द‍रिे‍जाएंगे‍;
(ि)‍िारा 10 के ‍िंड‍(क)‍में‍“तीि‍मास”‍शब्‍दों‍के ‍स्‍थाि‍पर‍“एक‍वषष”‍शब्‍द‍रिे‍जाएंगे‍;
(ग)‍अिुसूची‍के ,—
(i) पैरा‍1 का‍िोप‍ककया‍जाएगा‍;
(ii) पैरा‍2 और‍पैरा‍4 में,—
(क)‍“स्‍थािीय‍प्रानिकरण”‍शब्‍दों‍ के ‍पश्‍चात्‍ “या‍ककसी‍ कें द्रीय,‍प्रांतीय‍या‍राज्य‍अनिनियम‍
द्वारा‍ या‍ उसके ‍ अिीि‍ स्‍थानपत‍ कोई‍ निगम,‍ या‍ सरकार‍ के ‍ स्‍वानमत्‍व‍ या‍ नियंत्रण‍ के ‍ अिीि‍ या‍ उससे‍

1
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा 16‍द्वारा‍प्रनतस्‍थानपत‍।
2
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा 17‍द्वारा‍िोप‍ककया‍गया‍।
12

सहायता‍प्राप्‍त‍कोई‍प्रानिकरण‍या‍निकाय,‍या‍कं पिी‍अनिनियम,‍1956 (1956 का‍1) की‍िारा‍ 617 ‍‍‍


में‍ यथापररभानषत‍ कोई‍ सरकारी‍ कं पिी‍ या‍ ऐसे‍ निगम,‍ प्रानिकरण,‍ निकाय‍ या‍ सरकारी‍ कं पिी‍ द्वारा‍
सहायता‍प्राप्‍त‍कोई‍सोसाइटी”‍शब्‍द‍और‍अंक‍अंत:स्‍थानपत‍ककए‍जाएंगे‍।
(ि)‍ “या‍ प्रानिकरण”‍ शब्‍दों‍ के ‍ पश्‍चात्‍ “या‍ निगम‍ या‍ निकाय‍ या‍ सरकारी‍ कं पिी‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍
या‍सोसाइटी”‍शब्‍द‍अंत:स्‍थानपत‍ककए‍जाएंगे‍।
(iii) पैरा‍4अ‍के ‍स्‍थाि‍पर,‍निम्‍िनिनित‍पैरा‍रिा‍जाएगा,‍अथाषत्‍:—
“4अ.‍भ्रष्‍टाचार‍निवारण‍अनिनियम,‍1988 के ‍अिीि‍दंडिीय‍अपराि‍।”‍;
(iv) पैरा‍5 में‍ “मद‍2,‍मद‍3 और‍मद‍4”‍शब्दों‍और‍अंकों‍के ‍स्‍थाि‍पर‍“मद‍2,‍मद‍3,‍मद‍4 और‍4अ”‍
शब्द,‍अंक‍और‍अिर‍रिे‍जाएंगे‍।‍
1[29क.‍नियत‍बिािे‍ की‍शन‍‍त —(1)‍के न्‍द्रीय‍सरकार,‍इस‍अनिनियम‍के ‍उपबंिों‍को‍कियानन्‍व त‍करिे‍ के ‍निए,‍राजपत्र‍में‍

अनिसूचिा‍द्वारा,‍नियत‍बिा‍सके गी‍।‍
(2)‍नवनशष्‍टतया‍और‍पूवषगामी‍शन‍‍त‍की‍व्‍यापाकता‍पर‍प्रनतकू ि‍प्रभाव‍डािे‍नबिा,‍ऐसे‍नियमों‍में‍सभी‍या‍ककन्‍हीं‍नवषयों‍के ‍
निए‍उपबंि‍ककया‍जा‍सके गा,‍अथाषत्‍:—
(क)‍ऐसे‍मागषदशषक‍नसद्धांत,‍जो‍िारा‍9‍के ‍अिीि‍वानणनज्‍यक‍संगठि‍द्वारा‍बिाए‍जा‍सकते‍हैं;‍
(ि)‍िारा‍19‍की‍उपिारा‍(1) के ‍अिीि‍अनभयोजि‍की‍मंजूरी‍के ‍निए‍मागषदशषक‍नसद्धांत ;‍
(ग)‍कोई‍अन्‍य‍नवषय,‍जो‍नवनहत‍ककया‍जािा‍अपेनित‍है‍या‍नवनहत‍ककया‍जाए‍।‍
(3) ‍इस‍अनिनियम‍के ‍अिीि‍बिाया‍गया‍प्रत्‍येक‍नियम‍बिाए‍जािे‍ के ‍पश्‍चात्‍ यथाशीघ्र,‍संसद्‍ के ‍प्रत्‍येक‍सदि‍के ‍समि,‍
जब‍वह‍सत्र‍में‍हो,‍कु ि‍तीस‍कदि‍की‍अवनि‍के ‍निए‍रिा‍जाएगा।‍यह‍अवनि‍एक‍सत्र‍में‍अथवा‍दो‍या‍अनिक‍आिुिनमक‍सत्रों‍में ‍पूरी‍
हो‍सके गी‍।‍यकद‍उस‍सत्र‍के ‍या‍पूवो‍‍त‍‍आिुिनमक‍सत्रों‍के ‍ठीक‍बाद‍के ‍सत्र‍के ‍अवसाि‍के ‍पूवष‍दोिों‍सदि‍उस‍नियममें‍कोई‍पररवतषि‍
करिे‍ के ‍निए‍सहमत‍हो‍जाएं‍ तो‍तत्‍पश्‍चात्‍ वह‍ऐसे‍ पररवर्तषत‍रूप‍में‍ ही‍प्रभावी‍होगा‍।‍यकद‍उ‍‍त ‍अवसाि‍के ‍पूवष‍ दोिोंसदि‍सहमत‍
हो‍ जाएं‍ कक‍ वह‍ नियम‍ िहीं‍ बिाया‍ जािा‍ चानहए‍ तो‍ तत्‍पश्‍चात्‍ वह‍ निष्‍प्रभावहो‍ जाएगा‍ ।ककन्‍तु‍ उस‍ नियम‍ के ‍ ऐसे‍ पररवर्तषत‍ या‍
निष्‍प्रभावहोिेसेउसके अिीि‍पहिेकीगई‍ककसीबातकीनवनिमान्‍यता‍पर‍प्रनतकू ि‍प्रभाव‍िहीं‍पड़ेगा‍।‍]‍‍‍
30. निरसि‍ और‍ व्‍यावृनत्त—(1) भ्रष्‍टाचार‍ निवारण‍ अनिनियम,‍ 1947 (1947 का‍ 2)‍ और‍ दंड‍ नवनि‍ संशोिि‍ अनिनियम,‍
1952 (1952 का‍46) निरनसत‍ककए‍जाते‍हैं‍।
(2) ऐसे‍ निरसि‍के ‍होते‍ हुए‍भी,‍ककं तु‍ सािारण‍िंड‍अनिनियम,‍1897 (1897 का‍10) की‍िारा‍6 के ‍िागू‍ होिे‍ पर‍प्रनतकू ि‍
प्रभाव‍डािे‍नबिा‍इस‍प्रकार‍निरनसत‍अनिनियमों‍के ‍अिीि‍या‍उिके ‍अिुसरण‍में‍की‍गई‍या‍ककए‍जािे‍के ‍निए‍तात्पर्यषत‍कोई‍बात‍या‍
कोई‍कारष वाई‍जहां‍ तक‍कक‍वह‍इस‍अनिनियम‍के ‍उपबंिों‍से‍ असंगत‍िहीं‍है ,‍इस‍अनिनियम‍के ‍तत्‍स्‍थािी‍उपबंिों‍के ‍अिीि‍या‍उिके ‍
अिुसरण‍में‍की‍गई‍बात‍या‍कारष वाई‍समझी‍जाएगी‍।
1860 के ‍अनिनियम‍सं०‍45 की‍कु छ‍िाराओं‍का‍िोप—भारतीय‍दंड‍संनहता‍की‍िारा‍ 161 से‍ िारा‍165क‍तक‍का‍
2*31.

(नजसमें‍ये‍दोिों‍िाराएं‍सनम्‍मित‍हैं)‍िोप‍ककया‍जाएगा,‍और‍सािारण‍िंड‍अनिनियम,‍1897 (1897 का‍10) की‍िारा‍6 ऐसे‍िोप‍को‍


िागू‍होगी,‍मािो‍उ‍‍त‍िाराओं‍का‍िोप‍ककसी‍कें द्रीय‍अनिनियम‍द्वारा‍ककया‍गया‍हो‍।

______

1
2018 के ‍अनिनियम‍सं० 16 की‍िारा 18 द्वारा‍प्रनतस्‍थानपत‍।
2
* 2001 के ‍अनिनियम‍सं०‍30 की‍िारा‍2‍और‍पहिी‍अिुसूची‍द्वारा‍निरनसत‍।

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