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आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955

(1955 का अधिनियम संखयांक 10)

[1 अप्रैल, 1955]

कनतपय वस्तुओं के उत्पादि, प्रदाय और ववतरण तथा उिमें व्यापार और वाणणज्य के नियंत्रण के ललए जिसािारण के हित में
उपबन्ि करिे के ललए

अधिनियम

भारण गणराज्य के छठे वर्ष में संसद् द्वारा निम्िलिखित रूप में यह अधिनियलमत हो :-

1. संक्षिप्त िाम और ववस्तार-(1) यह अधिनियम आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 कहा जा सकेगा ।

(2) इसका ववस्तार । । । सम्पूणष भारत पर है ।

2. पररभाषाएं-इस अधिनियम में , जब तक कक संदभष से अन्यथा अपेक्षित ि हो-

[(iक) किक्टर" के अन्तगषत अपर किक्टर और ऐसा अन्य अधिकारी भी है , जो उपिंड अधिकारी की
पंक्क्त से िीचे का ि हो और जो इस अधिनियम के अिीि किक्टर के कृत्यों का पािि और उसकी
शक्क्तयों का प्रयोग करिे के लिए किक्टर द्वारा प्राधिकृत ककया जाए;]

। । । । । ।

(ि) िाद्य फसिों" के अंतगषत गन्िे की फसिें भी हैं;

(ग) अधिसूधचत आदे श" से शासकीय राजपत्र में अधिसधू चत आदे श अलभप्रेत है;

[(गग) आदे श" के अन्तगषत तद्िीि जारी ककया गया कोई निदे श भी है ;]

[(घ) राज्य सरकार" से ककसी संघ राज्यिेत्र के सम्बन्ि में उसका प्रशासक अलभप्रेत है ;]
5[(ङ) चीिी" से अलभप्रेत है -

(i) ककसी प्रकार की चीिी क्जसमें िब्बे प्रनतशत से अधिक सक्र


ु ोज अन्तववषष्ट हो, और उसके अन्तगषत लमश्री
भी है ;

(ii) िांडसारी चीिी या बूरा चीिी या पीसी हुई चीिी अथवा रवे या चूणष के रूप में कोई चीिी; अथवा

(iii) वैक्यूम पैि चीिी कारिािे में प्रकक्रयािीि चीिी या उससे उत्पाददत कच्ची चीिी ।]

[2क. आवश्यक वस्तुओं की घोषणा, आहद-(1) इस अधिनियम के प्रयोजिों के लिए आवश्यक वस्तु" से अिुसूची
में ववनिददष ष्ट वस्तु अलभप्रेत है ।

(2) केन्रीय सरकार, यदद उसका यह समािाि हो जाता है कक िोकदहत में और उि कारणों से जो राजपत्र
में प्रकालशत अधिसूचिा में ववनिददषष्ट ककए जाएं ऐसा करिा आवश्यक है , उपिारा (4) के उपबंिों के अिीि
रहते हुए, अिुसूची का संशोिि कर सकेगी क्जससे कक वह राज्य सरकारों के परामशष से-

(क) उक्त अिुसूची में से ककसी वस्तु को जोड़ सके;

(ि) उक्त अिुसूची में से ककसी वस्तु को हटा सके ।

(3) उपिारा (2) के अिीि जारी ककसी अधिसच


ू िा द्वारा यह भी निदे श ददया जा सकेगा कक उक्त अिस
ु च
ू ी
में ऐसी वस्तु के सामिे यह घोर्णा करते हुए प्रववक्ष्ट की जाएगी कक ऐसी वस्तु छह मास से अिधिक
की ऐसी अवधि के लिए, जो अधिसच ू िा में ववनिददषष्ट की जाए, आवश्यक वस्तु समझी जाएगी :

परन्तु केन्रीय सरकार, िोकदहत में और उि कारणों से जो ववनिददष ष्ट ककए जाएं, राजपत्र में अधिसूचिा
द्वारा ऐसी अवधि को उक्त छह मास की अवधि से आगे बढ़ा सकेगी ।

(4) केन्रीय सरकार, ककसी ऐसी वस्तु के संबंि में , क्जसके लिए संसद् को संवविाि की सातवीं अिुसूची की
सच
ू ी 3 की प्रववक्ष्ट 33 के आिार पर ववधि बिािे की शक्क्त है , उपिारा (2) के अिीि अपिी शक्क्तयों का
प्रयोग कर सकेगी ।
(5) उपिारा (2) के अिीि जारी की गई प्रत्येक अधिसूचिा, उसके जारी ककए जािे के पश्चात ्, यथाशीघ्र
संसद् के दोिों सदिों के समि रिी जाएगी ।]

3. आवश्यक वस्तुओं के उत्पादि, प्रदाय, ववतरण, आहद का नियंत्रण करिे की शक्ततयां-(1) यदद केन्रीय सरकार की यह
राय हो कक ककसी आवश्यक वस्तु के प्रदाय को बिाए रििे या बढ़ािे के लिए या उसका साक्म्यक
ववतरण और उधचत कीमतों पर उसकी उपिभ्यता सनु िक्श्चत करिे के लिए [अथवा भारत की रिा के
लिए या सैनिक संकक्रयाओं के दि संचािि के लिए ककसी आवश्यक वस्तु की प्राक्तत के लिए ऐसा करिा]
आवश्यक या समीचीि है तो वह आदे श द्वारा उसके उत्पादि, प्रदाय और ववतरण तथा उसमें व्यापार
और वाखणक्ज्यक के ववनियमि या प्रनतर्ेि के लिए उपबंि कर सकेगी ।

(2) उपिारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्क्तयों की व्यापकता पर प्रनतकूि प्रभाव डािे बबिा, तद्िीि ककए गए आदे श
द्वारा निम्िलिखित का उपबन्ि ककया जा सकेगा-

(क) ककसी आवश्यक वस्तु के उत्पादि या ववनिमाषण का अिज्ञ


ु क्ततयों, अिज्ञ
ु ापत्रों द्वारा या अन्यथा
ववनियमि;

(ि) ककसी बंजर या कृष्य भूलम को, चाहे वह ककसी भवि से अिुिग्ि हो या ि हो उस पर सामान्यतः
िाद्य फसिों या ववनिददष ष्ट िाद्य फसिों को उगािे के लिए िेती के अिीि िािा और सामान्यतः
िाद्य फसिों या ववनिददष ष्ट िाद्य फसिों की िेती अन्यथा बिाए रििा या बढ़ािा;

(ग) ऐसी कीमत नियंबत्रत करिा क्जस पर ककसी आवश्यक वस्तु का क्रय या ववक्रय ककया जा सकेगा;

(घ) ककसी आवश्यक वस्तु के भण्डारकरण, पररवहि, ववतरण, व्ययि, अजषि, प्रयोग या िपत का
अिुज्ञक्ततयों, अिज्ञ
ु ापत्रों द्वारा या अन्यथा ववनियमि;

(ङ) सामान्यतः ववक्रय के लिए रिी गई ककसी आवश्यक वस्तु को ववक्रय से रोक रििे का प्रनतर्ेि;

[(च) ककसी व्यक्क्त से, जो ककसी आवश्यक वस्तु को स्टाक में रिता है या उसके उत्पादि में या उसके
क्रय या ववक्रय के कारबार में िगा हुआ है , यह अपेिा करिा कक वह-

(क) उस सम्पण
ू ष मात्रा या उसके ववनिददष ष्ट भाग का क्जसे वह स्टाक में रिता है या क्जसका उसिे
उत्पादि ककया है या क्जसे उसिे प्रातत ककया है , अथवा
(ि) ककसी ऐसी वस्तु की दशा में , क्जसका वह सम्भवतः उत्पादि करे गा या क्जसे वह सम्भवतः प्रातत
करे गा, उसके द्वारा उत्पादि या प्रातत करिे पर उस सम्पूणष वस्तु या उसके ववनिददष ष्ट भाग का,

केन्रीय सरकार या ककसी राज्य सरकार को या ऐसी सरकार के ककसी अधिकारी या अलभकताष को या
ऐसी सरकार के स्वालमत्वािीि या उसके द्वारा नियंबत्रत ककसी निगम को या ऐसे अन्य व्यक्क्त या
व्यक्क्तयों के वगष को और ऐसी पररक्स्थनतयों में जो आदे श में ववनिददष ष्ट की जाएं, ववक्रय करे ।

स्पष्टीकरण 1-िाद्यान्िों, िाद्य नतिहिों या िाद्य तेिों के सम्बन्ि में इस िण्ड के अिीि ककए गए
ककसी आदे श द्वारा, संबंधित िेत्र में ऐसे िाद्यान्िों, िाद्य तेिों के प्राक्कलित उत्पादि को ध्याि में
रिते हुए, ऐसे िेत्र में उत्पादकों द्वारा ववक्रय की जािे वािी मात्रा नियत की जा सकेगी और श्रेणी के
आिार पर ऐसी मात्रा उत्पादकों द्वारा ित ृ या उिकी जोत के कुि िेत्र को ध्याि में रिते हुए भी नियत
की जा सकेगी या उसके नियति के लिए उपबंि ककया जा सकेगा ।

स्पष्टीकरण 2-इस िण्ड के प्रयोजि के लिए, उत्पादि" के अन्तगषत, उसके व्याकरखणक रूपभेदों और
सजातीय पदों सदहत, िाद्य तेिों और चीिी का ववनिमाषण भी है ;]

(छ) िाद्य पदाथों ॥। से सम्बन्ि ऐसे वगष के ककन्हीं वाखणक्ज्यक या ववत्तीय संव्यवहारों का ववनियमि
या प्रनतर्ेि जो कक आदे श दे िे वािे प्राधिकारी की राय में िोकदहत के लिए हानिकार है यदद
अववनियलमत रहे तो हानिकार हो सकते हैं;

(ज) पूवोक्त बातों में से ककसी का ववनियमि या प्रनतर्ेि करिे की दृक्ष्ट से ककसी जािकारी या आंकड़ों
का संग्रहण;

(झ) ककसी आवश्क वस्तु के उत्पादि, प्रदाय या ववतरण अथवा उसमें व्यापार और वाखणज्य में िगे
व्यक्क्तयों से यह अपेिा करिा कक वे अपिे कारबार से सम्बद्ि ऐसी पस्
ु तकें, िेिे और अलभिेि रिें
और निरीिण के लिए पेश करें तथा उसके संबंि में ऐसी जािकारी दें जैसा कक आदे श में ववनिददष ष्ट
ककया जाए;

[(झझ) अिुज्ञक्ततयों, अिुज्ञापत्रों या दस्तोवजों का ददया जािा या जारी ककया जािा, उिके लिए कफसें
लिया जािा, ऐसी ककसी अिज्ञ
ु क्तत, अिज्ञ
ु ापत्र या अन्य दस्तावे की शतों के सम्यक् पािि के लिए
प्रनतभूनत के रूप में ऐसी रालश का, यदद कोई है , जो आदे श में ववनिददषष्ट हो, जमा ककया जािा, ऐसी जमा
की गई रालश या उसके ककसी भाग का ककन्हीं ऐसी शतों के उल्िंघि पर समपहरण तथा ऐसे समपहरण
का ऐसे प्राधिकारी द्वारा जो आदे श में ववनिददषष्ट ककया जाए न्यायनिणषयि;]

[(ञ) कोई आिुर्ंधगक और अिुपूरक ववर्य, क्जिके अन्तगषत ववलशष्टतया पररसरों, ववमािों, गाड़ड़यों अथवा
अन्य प्रवहणों में प्रवेश तथा उिकी एवं पशओ
ु ं की तिाशी और परीिा एवं ऐसा प्रवेश, तिाशी या परीिा
करिे के लिए प्राधिकृत व्यक्क्त द्वारा निम्िलिखित कायष भी मैं:-

(i) ककन्हीं ऐसी चीजों का, क्जिकी बाबत ऐसे व्यक्क्त के पास यह ववश्वास करिे का कारण है कक आदे श
का उल्िंघि ककया गया है , ककया जा रहा है या ककया ही जािे वािा है , और ककन्हीं ऐसे पैकेजों, आवेष्टकों
या पात्रों का, क्जिमें ऐसी चीजें पाई जाएं, अलभग्रहण;

(ii) ऐसी चीजों को िे जािे में प्रयुक्त ववमािों, जियािों, गाड़ड़यों अथवा अन्य प्रवहणों या पशुओं का उस
दशा में अलभग्रहण, जब ऐसे व्यक्क्त के पास यह ववश्वास करिे का कारण हो कक ऐसा ववमाि, जियाि,
गाड़ी या अन्य प्रवहण या पशु इस अधिनियम के उपबन्िों के अिीि समपहरणीय है ;

[(iii) ककन्हीं ऐसी िेिा-पुस्तकों और दस्तावेजों का अलभग्रहण, जो ऐसे व्यक्क्त की राय में इस अधिनियम
के अिीि ककसी कायषवाही के लिए उपयोगी या सुसंगत हों तथा वह व्यक्क्त, क्जसकी अलभरिा में ऐसी
िेिा-पस्
ु तकों या दस्तावेजों का अलभग्रहण ककया गया है , उस अधिकारी की उपक्स्थनत में , क्जसकी अलभरिा
में ऐसी िेिा-पुस्तकें या दस्तावेजें हैं, उिकी प्रनतयां बिािे या उिसे उद्िरण िेिे का हकदार होगा ।]

(3) जहां कोई व्यक्क्त ककसी आवश्यक वस्तु का ववक्रय उपिारा (2) के िण्ड (च) के प्रनत निदे श से ककए
गए ककसी आदे श के अिुपािि में करता है वहां उसके लिए उसे ऐसी कीमत दी जाएगी जो इसमें इसके
पश्चात ् उपबक्न्ित है :-

(क) जहां कीमत, इस िारा के अिीि नियत नियंबत्रत कीमत से, यदद कोई हो, संगत रह कर करार पाई जा
सकती है वहां वह करार पाई गई कीमत;

(ि) जहां ऐसा कोई करार िहीं हो सकता वहां नियंबत्रत कीमत के, यदद कोई हो, प्रनत निदे श से पररकलित
कीमत;

(ग) जहां ि तो िण्ड (क) और ि िण्ड (ि) ही िागू होता है वहां उस पररिेत्र में ववक्रय की तारीि को
अलभभावी बाजार दर पर पररकलित कीमत ।
[(3क) (i) यदद केन्रीय सरकार की यह राय है कक ककसी पररिेत्र में ककन्हीं िाद्य पदाथों में कीमतों के
चढ़ाव को नियंबत्रत करिे या उिमें जमािोरी को निवाररत करिे के लिए ऐसा करिा आवश्यक है तो वह
शासकीय राजपत्र में अधिसच
ू िा द्वारा निदे श दे सकेगी कक उपिारा (3) में अन्तववषष्ट ककसी बात के होते
हुए भी, वह कीमत, क्जस पर कक उस पररिेत्र में िाद्य पदाथष का ववक्रय उपिारा (2) के िण्ड (च) के प्रनत
निदे श से ककए गए आदे श के अिपु ािि में ककया जाएगा, इस उपिारा के उपबन्िों के अिस ु ार ववनियलमत
की जाएगी ।

(ii) इस उपिारा के अिीि जारी की गई कोई अधिसूचिा तीि मास से अधिक की ऐसी कािावधि के लिए
प्रवत्त
ृ रहे गी जैसी उस अधिसूचिा में ववनिददष ष्ट हो ।

(iii) जहां इस उपिारा के अिीि अधिसच


ू िा के जारी होिे के पश्चात ् कोई व्यक्क्त उसमें ववनिददष ष्ट प्रकार
के िाद्य पदाथष का, और ऐसे ववनिददष ष्ट पररिेत्र में , ववक्रय उपिारा (2) के िण्ड (च) के प्रनत निदे श से
ककए गए ककसी आदे श के अिप
ु ािि में करता है , वहां उसके लिए ववक्रेता को निम्िलिखित कीमत दी
जाएगी :-

(क) जहां कीमत, इस िारा के अिीि नियत िाद्य पदाथष की नियंबत्रत कीमत से, यदद कोई हो, संगत रह
कर करार पाई जा सकती है वहां वह करार पाई गई कीमत;

(ि) जहां ऐसा कोई करार िहीं हो सकता वहां नियंबत्रत कीमत के, यदद कोई हो, प्रनत निदे श से पररकलित
कीमत;

(ग) जहां ि तो िण्ड (क) और ि िण्ड (ि) ही िागू होता है वहां अधिसच
ू िा की तारीि के ठीक
पूवग
ष ामी तीि मास की कािावधि के दौराि उस पररिेत्र में अलभभावी औसत बाजार दर के प्रनत निदे श से
पररकलित कीमत ।

(त्ि ्) िण्ड (iii) के उपिण्ड (ग) के प्रयोजिों के लिए उस पररिेत्र में अलभभावी औसत बाजार दर का
अविारण इस निलमत्त केन्रीय सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी द्वारा उस पररिेत्र की या पड़ोस के
पररिेत्र की बाबत अलभभावी ऐसे बाजार दरों के प्रनत निदे श से ककया जाएगा क्जिके लिए प्रकालशत आंकड़े
उपिभ्य हैं, और ऐसे अविाररत औसत बाजार दर अक्न्तम होंगे और ककसी न्यायािय में प्रश्िगत िहीं
ककए जाएंगे ।]

[(3ि) जहां उपिारा (2) के िण्ड (च) के प्रनत निदे श से ककए गए ककसी आदे श द्वारा ककसी व्यक्क्त से
यह अपेिा की गई है कक वह केन्रीय सरकार या ककसी राज्य सरकार को या ऐसी सरकार के ककसी
अधिकारी या अलभकताष को अथवा ऐसी सरकार के स्वालमत्वािीि या उसके द्वारा नियंबत्रत ककसी निगम
को, ककसी ऐसी श्रेणी या ककस्म के िाद्यान्िों, िाद्य नतिहिों या िाद्य तेिों का, ववक्रय करे क्जिके
संबंि में उपिारा (3क) के अिीि या तो कोई अधिसूचिा निकािी ही िहीं गई है या ऐसी अधिसूचिा
निकािी गई है ककन्तु प्रवत्त
ृ िहीं है , वहां संबंधित व्यक्क्त को, उपिारा (3) में ककसी प्रनतकूि बात के होते
हुए भी, उतिी रकम का संदाय, जो राज्य सरकार द्वारा ववनिददष ष्ट, यथाक्स्थनत, ऐसे िाद्यान्िों, िाद्य
नतिहिों या िाद्य तेिों की वसि
ू ी कीमत के बराबर हो, निम्िलिखित बातों का ध्याि रिते हुए ककया
जाएगा :-

(क) यदद ऐसी श्रेणी या ककस्म के िाद्यान्िों, िाद्य नतिहिों या िाद्य तेिों के लिए कोई नियंबत्रत
कीमत इस िारा के अिीि या तत्समय प्रवत्त
ृ ककसी अन्य ववधि द्वारा या उसके अिीि नियत की गई
हो तो उस कीमत का;

(ि) फसि की सािारण सम्भाविाओं का;

(ग) उपभोक्ताओं की ववशेर् रूप से उपभोक्ताओं के दब


ु ि
ष वगों को, ऐसी श्रेणी या ककस्म के िाद्यान्ि,
िाद्य नतिहि या िाद्य तेि युक्क्तयक्
ु त कीमत पर उपिब्ि करािे की आवश्यकता का; और

(घ) यदद संबंधित श्रेणी या ककस्म के िाद्यान्िों, िाद्य नतिहिों या िाद्य तेिों की कीमत के संबंि में
कृवर् मूल्य आयोग की लसकफररशें, यदद कोई हों, तो उि लसफाररशों का ।]

[(3ग) जहां उपिारा (2) के िंड (च) के प्रनत निदे श से ककए गए ककसी आदे श द्वारा ककसी उत्पादक से
यह अपेक्षित है कक वह ककसी प्रकार की चीिी (चाहे केन्रीय सरकार या ककसी राज्य सरकार को या ऐसी
सरकार के ककसी अधिकारी या अलभकताष को या ककसी अन्य व्यक्क्त या व्यक्क्तयों के वगष को) ववक्रीत
करे , चाहे उपिारा (3क) के अिीि कोई अधिसूचिा जारी की गई थी या अन्यथा, वहां उपिारा (3) में ककसी
बात के होते हुए भी, उस उत्पादक को केवि वह रकम संदत्त की जाएगी, जो केन्रीय सरकार, निम्िलिखित
को ध्याि में रिते हुए, आदे श द्वारा, अविाररत करे -

(क) उधचत और िाभकारी कीमत, यदद कोई हो, जो इस िारा के अिीि ववचार में िी जािे वािी गन्िे की
कीमत के रूप में केंरीय सरकार द्वारा अविाररत की गई हों;

(ि) चीिी की ववनिमाषण िागत;

(ग) उस पर संदत्त या संदेय शुल्क या कर, यदद कोई हो; और


(घ) चीिी ववनिमाषण के कारबार में िगाई गई पूंजी पर युक्क्तयक्
ु त प्रत्यागम:

परं तु केंरीय सरकार लभन्ि-लभन्ि िेत्रों या कारिािों अथवा लभन्ि-लभन्ि प्रकार की चीिी के
लिए, समय-समय पर, लभन्ि-लभन्ि कीमतें अविाररत कर सकेगा:

परं तु यह और कक जहां चीिी सत्र 2008-2009 तक उत्पाददत चीिी के संबंि में उद्गह
ृ ीत चीिी
की कीमत का कोई अिंनतम अविारण ककया गया है , वहां अंनतम कीमत, इस उपिारा के उपबंिों के
अिीि, जैसी वह 1 अक्तूबर, 2009 से ठीक पूवष थी, अविाररत की जा सकेगी ।

[स्पष्टीकरण 1-इस उपिारा के प्रयोजिों के लिए, -

(क) उधचत और िाभकारी कीमत" से इस िारा के अिीि केन्रीय सरकार द्वारा अविाररत गन्िे की
कीमत अलभप्रेत है ;

(ि) चीिी की ववनिमाषण िागत" से गन्िे के चीिी में संपररवतषि पर उपगत शुद्ि िागत अलभप्रेत है ,
क्जसके अंतगषत उत्पादक द्वारा वहि की गई सीमा तक क्रय केन्र से कारिािे के द्वार तक गन्िे के
पररवहि की शुद्ि िागत भी है ;

(ग) उत्पादक" से चीिी ववनिमाषण का कारबार करिे वािा व्यक्क्त अलभप्रेत है ;

(घ) िगाई गई पंज


ू ी पर यक्ु क्तयक्
ु त प्रत्यागम" से चीिी के ववनिमाषण के संबि
ं में कुि क्स्थर आक्स्तयों
सदहत उत्पादक की कामकाज पूंजी पर प्रत्यागम अलभप्रेत है , क्जसके अंतगषत इस िारा के अिीि
अविाररत उधचत और िाभकारी कीमत पर गन्िे का उपापि भी है ।]

[स्पष्टीकरण 2-शंकाओं को दरू करिे के लिए यह घोवर्त ककया जाता है कक इस उपिारा के िंड (क) में
निददष ष्ट उधचत और िाभकारी कीमत" िण्ड (ि) में निददष ष्ट चीिी का ववनिमाषण िागत" और िंड (घ) में
निददष ष्ट िगाई गई पूंजी पर युक्क्तयुक्त प्रत्यागम" पदों में ककसी राज्य सरकार के ककसी आदे श या ककसी
अधिनियलमनत के अिीि संदत्त या संदेय कीमत तथा उत्पादक और गन्िा उगािे वािे या गन्िा उगािे
वािों की ककसी सहकारी सलमनत के बीच तय की गई कोई कीमत, सक्म्मलित िहीं है ।]

[(3घ) केन्रीय सरकार यह निदे श दे सकेगी कक कोई भी उत्पादक, आयातकताष या नियाषतकताष, ऐसे
कारिािे के क्जसमें वह उत्पाददत की जाती है , बंधित गोदामों से, भिे ही ऐसे गोदाम उस कारिािे के
पररसर के भीतर क्स्थत हों या बाहर अथवा, यथाक्स्थनत, आयातकताषओं या नियाषतकताषओं के भांडागारों से,
उस सरकार द्वारा जारी निदे श के अिीि या उसके अिुसार के लसवाय, ककसी प्रकार की चीिी का ववक्रय
िहीं करे गा या उसका ककसी अन्य रीनत में व्ययि िहीं करे गा अथवा पररदाि िहीं करे गा या ककसी प्रकार
की चीिी को िहीं हटाएगा :

परं तु यह िारा, ककसी उत्पादक या आयातकताष द्वारा ऐसी चीिी को भारतीय ररजवष बैंक अधिनियम, 1934
(1934 का 2) की िारा 2 के िंड (ङ) में यथापररभावर्त ककसी अिुसूधचत बैंक या बैंककारी कंपिी (उपक्रमों
का अजषि और अंतरण) अधिनियम, 1970 (1970 का 5) की िारा 3 के अिीि गदठत ककसी तत्स्थािी िए
बैंक के पि में धगरवी रििे को प्रभाववत िहीं करे गी, तथावपत ऐसा कोई बैंक उसके पास धगरवी रिी गई
चीिी का, केन्रीय सरकार द्वारा जारी ककसी निदे श के अिीि और उसके अिस
ु ार के लसवाय, ववक्रय िहीं
करे गा ।

(3ङ) केन्रीय सरकार, समय-समय पर, सािारण या ववशेर् आदे श द्वारा, ककसी उत्पादक या आयातकताष या
नियाषतकताष या मान्यताप्रातत व्यौहारी या उत्पादकों अथवा मान्यताप्रातत व्यौहाररयों के ककसी वगष को
ककसी प्रकार की चीिी के, उस निदे श में ववनिददष ष्ट रीनत से, उत्पादि, स्टाक के रिरिाव, भंडारकरण,
ववक्रय, श्रेणीकरण, पैककं ग, धचहिांकि, तौि, व्ययि, पररदाि और ववतरण के संबि
ं में कारष वाई करिे के लिए
निदे श दे सकेगी ।

स्पष्टीकरण-उपिारा (3घ) और इस उपिारा के प्रयोजिों के लिए, -

(क) उत्पादक" से ऐसा व्यक्क्त अलभप्रेत है जो चीिी ववनिमाषण का कारबार कर रहा है ;

(ि) मान्यताप्रातत व्यौहारी" से ऐसा व्यक्क्त अलभप्रेत है जो चीिी का क्रय करिे, ववक्रय करिे या ववतरण
करिे का कारोबार कर रहा है ;

(ग) चीिी" के अन्तगषत रोपण सफेद चीिी, कच्ची चीिी और पररष्कृत चीिी भी है , भिे ही वह दे श में ही
उत्पाददत हो या आयात की गई हो ।]

(4) यदद केन्रीय सरकार की यह राय हो कक ककसी आवश्यक वस्तु के उत्पादि और प्रदाय को बिाए
रििे या बढ़ािे के लिए ऐसा करिा आवश्यक है तो वह आदे श द्वारा ककसी व्यक्क्त को (जो इसके
पश्चात ् इसमें प्राधिकृत नियंत्रक के रूप में निददष ष्ट है ) उस वस्तु के उत्पादि और प्रदाय में संिग्ि ककसी
ऐसे उपक्रम या उसके ककसी भाग की बाबत, जैसा कक उस आदे श में ववनिददष ष्ट हो, नियंत्रण के ऐसे कृत्यों
का प्रयोग करिे के लिए प्राधिकृत कर सकेगी जैसे उसमें उपबंधित ककए जाएं और जब तक ऐसे आदे श
ककसी उपक्रम या उसके भाग की बाबत प्रवत्त
ृ हैं-
(क) जो भी आदे श प्राधिकृत नियंत्रक को केन्रीय सरकार द्वारा ददए जाएं उिके अिुसार वह अपिे कृत्यों
का प्रयोग करे गा ककन्तु इस प्रकार कक उसे उपक्रम के प्रबन्ि के भारसािक व्यक्क्तयों के कृत्यों का
अविारण करिे वािी ककसी अधिनियलमनत या ककसी लिित के उपबन्िों से असंगत कोई निदे श वहां तक
के लसवाय, जहां तक कक आदे श द्वारा ववनिददष ष्ट या उपबंधित हों, दे िे की शक्क्त िहीं होगी; और

(ि) आदे श के उपबन्िों के अिीि प्राधिकृत नियंत्रक द्वारा जो भी आदे श ददए जाएं उिके अिुसार
उपक्रम या उसके भाग को चिाया जाएगा और उस उपक्रम या उस भाग के सम्बन्ि में प्रबन्ि के ककन्हीं
कृत्यों से सम्बद्ि कोई भी व्यक्क्त ऐसे सभी निदे शों का अिुपािि करे गा ।

(5) इस िारा के अिीि ककया गया कोई आदे श-

(क) सामान्य प्रकार के या व्यक्क्तयों के ककसी वगष को प्रभाववत करिे वािे आदे श की दशा में , शासकीय
राजपत्र में अधिसधू चत ककया जाएगा; और

(ि) ककसी ववनिददष ष्ट व्यक्क्त को निददष्ट आदे श की दशा में , ऐसे व्यक्ष्ट पर-

(i) उस व्यक्ष्ट को दे कर या दे िे के लिए प्रस्तुत करके तामीि ककया जाएगा, या

(ii) यदद वह इस प्रकार ददया या दे िे के लिए प्रस्तुत िहीं ककया जा सकता तो उसे उि पररसरों के क्जिमें
वह व्यक्ष्ट रहता है बाहरी दरवाजे या ककसी अन्य सहजदृश्य भाग पर िगा कर तामीि ककया जाएगा
और उसकी एक लिखित ररपोटष तैयार की जाएगी और पड़ोस में रहिे वािे दो व्यक्क्तयों द्वारा साबबत की
जाएगी ।

(6) केन्रीय सरकार द्वारा या केन्रीय सरकार के ककसी अधिकारी या प्राधिकारी द्वारा इस िारा के अिीि
ककया गया हर एक आदे श, ककए जािे के पश्चात ् यथाशक्य शीघ्र संसद् के दोिों सदिों के समि रिा
जाएगा ।

4. राज्य सरकारों पर कततव्यों का अधिरोपण, आहद-िारा 3 के अिीि ककया गया कोई आदे श केन्रीय सरकार या
राज्य सरकार अथवा केन्रीय सरकार या राज्य सरकार के अधिकाररयों और प्राधिकाररयों को शक्क्तयां
प्रदत्त कर सकेगा और उि पर कतषव्य अधिरोवपत कर सकेगा तथा उसमें ऐसी ककन्हीं शक्क्तयों के प्रयोग
या ऐसे ककन्हीं कतषव्यों के निवषहि के बारे में ककसी राज्य सरकार या उसके अधिकाररयों और प्राधिकाररयों
के लिए निदे श भी हो सकेंगे ।
5. शक्ततयों का प्रत्यायोजि-केन्रीय सरकार अधिसधू चत आदे श द्वारा निदे श दे सकेगी कक [िारा 3 के अिीि
आदे श करिे या अधिसूचिा निकाििे की शक्क्त], ऐसे ववर्यों के सम्बन्ि में और ऐसी शतों के अध्यिीि,
यदद कोई हों, जो उस निदे श में ववनिददष ष्ट की जाएं, निम्िलिखित द्वारा भी प्रयोक्तव्य होंगी-

(क) केन्रीय सरकार के अिीिस्थ ऐसा अधिकारी या प्राधिकारी; अथवा

(ि) ऐसी राज्य सरकार या राज्य सरकार के अिीिस्थ ऐसा अधिकारी या प्राधिकारी,

जो निदे श में ववनिददष ष्ट हो ।

6. अन्य अधिनियलमनतयों से अंसगत आदे शों का प्रभाव-िारा 3 के अिीि ककया गया कोई आदे श, इस आधिनियम
से लभन्ि ककसी अधिनियलमनत में या इस अधिनियम से लभन्ि ककसी अधिनियलमनत के आिार पर प्रभावी
ककसी लिित में उससे असंगत ककसी बात के होते हुए भी, प्रभाव रिेगा ।

[6क. खाद्यान्िों, खाद्य नतलििों और खाद्य तेलों का अधििरण- [(1)] जहां कोई [आवश्यक वस्तु] उसके सम्बन्ि
में िारा 3 के अिीि ककए गए आदे शों के अिुसरण में 4[अलभगह
ृ ीत की जाती है ] [जहां ऐसे अलभग्रहण की
ररपोटष ; अयुक्क्तयक्
ु त वविंब के बबिा,] उस क्जिे या प्रेसीडेंसी िगर के, क्जसमें ऐसी 4[आवश्यक वस्तु का
अलभग्रहण ककया जाता है ] किक्टर को 5[की जाएगी] और चाहे ऐसे आदे श के उल्िंघि के लिए
अलभयोजि संक्स्थत ककया जाता है या िहीं, 4[यदद किक्टर ऐसा करिा समीचीि समझता है तो वह इस
प्रकार अलभगह
ृ ीत आवश्यक वस्तु को अपिे समि निरीिण के लिए पेश ककए जािे का निदे श दे सकेगा
और यदद उसका समािाि हो जाता है कक] आदे श का का उल्िंघि हुआ है [तो वह-

(क) ऐसे अलभगह


ृ ीत की गई आवश्यक वस्तु के;

(ि) क्जसे पैकेज, आवेष्टक या पात्र में ऐसी आवश्यक वस्तु पाई जाए उसके; और

(ग) ऐसी आवश्यक वस्तु को िे जािे में प्रयक्


ु त ककसी पशु, गाड़ी, जियाि या अन्य प्रवहण के,

अधिग्रहण का आदे श कर सकेगा:]


परन्तु इस अधिनियम के ककसी अन्य उपबन्ि के अिीि की जा सकिे वािी ककसी कायषवाही
पर प्रनतकूि प्रभाव डािे बबिा कोई िाद्यान्ि; िाद्य नतिहि जो उिके सम्बन्ि में िारा 3 के अिीि
ककए गए आदे श के अिुसरण में ककसी उत्पादक से अलभगह
ृ ीत ककए गए हों, यदद अलभगह
ृ ीत िाद्यान्ि या
िाद्य नतिहि उसके द्वारा उत्पाददत ककए गए हों, इस िारा के अिीि अधिगह
ृ ीत िहीं ककए जाएंग;े

[परन्तु यह और कक भाड़े पर माि या याबत्रयों को िे जािे के लिए प्रयक्


ु त ककसी पश,ु गाड़ी, याि या
अन्य प्रवहण की दशा में ऐसे पशु, गाड़ी, याि या अन्य प्रवहण के स्वामी को उसका अधिहरण ककए जािे
के बदिे में ऐसा जम
ु ाषिा जो ऐसे पशु, गाड़ी, याि या अन्य प्रवहण द्वारा िे जाई जािे वािी आवश्यक
वस्तु के अलभग्रहण की तारीि को उसकी बाजार कीमत से अधिक का ि हो संदाय करिे का ववकल्प
ददया जाएगा ।]

6[(2) जहां उपिारा (1) अिीि ककसी आवश्यक वस्तु के अलभग्रहण की ररपोटष प्रातत करिे पर या उसके
निरीिण पर किक्टर की यह राय है कक आवश्यक वस्तु शीघ्रतया और प्रकृत्या ियशीि है या िोकदहत
में ऐसा करिा अन्यथा समीचीि है वहां वह-

(i) उसका ववक्रय उस नियंबत्रत कीमत पर, यदद कोई हो, ककए जािे का आदे श दे सकेगा जो ऐसी आवश्यक
वस्तु के लिए इस अधिनियम या तत्समय प्रवत्त
ृ ककसी अन्य ववधि के अिीि नियत की गई हो; या

(ii) जहां कोई ऐसी कीमत नियत िहीं की गई है वहां िोक िीिाम द्वारा उसका ववक्रय ककए जािे का
आदे श दे सकेगा:

परन्तु क्िक्टर, िाद्यािों की दशा में , उिके सालभयक ववतरण और उिकी उधचत कीमत पर उपिभ्यता के
लिए उिका ववक्रय उधचत दर की दक
ु ािों के माध्यम से जिता को उस कीमत पर ककए जािे का आदे श
दे सकेगा जो, यथाक्स्थनत, केन्रीय सरकार या राज्य सरकार द्वारा ऐसे िाद्यान्िों के फुटकर ववक्रय के
लिए नियत की गई हो ।

(3) जहां ककसी आवश्यक वस्तु का ववक्रय पूवोक्त रीनत से ककया जाता है वहां उसके ववक्रय आगम, ककसी
ऐसे ववक्रय या िीिाम के व्यय या उससे संबंधित अन्य आिुर्ंधगक व्यय की कटौती करिे के पश्चात ्-

(क) जहां अधिहरण का कोई आदे श किक्टर द्वारा अक्न्तम रूप से पाररत िहीं ककया जाता है ,

(ि) िारा 6ग की उपिारा (1) के अिीि अपीि में पाररत ककसी आदे श में ऐसी अपेिा की गई है , या
(ग) जहां ऐसे आदे श के उल्िंघि के लिए, क्जसके संबंि में इस िारा के अिीि अधिहरण का आदे श
ककया गया है संक्स्थत ककसी अलभयोजि में संबधं ित व्यक्क्त दोर्मुक्त कर ददया जाता है ,

वहां उसके स्वामी या उस व्यक्क्त को, क्जससे उसका अलभग्रहण ककया गया है , संदत्त ककए जाएंगे ।]

6ख. खाद्यान्िों आहद के अधििरण से पूवत िे तु दलशतत करिे की सूचिा का हदया जािा- [(1)] [ककसी [आवश्यक वस्तु
पैकेज, आवेष्टक, पात्र, पशु, गाड़ी, जियाि या अन्य प्रवहण]] का अधिहरण करिे वािा कोई आदे श िारा
6क के अिीि तब तक िहीं ककया जाएगा जब तक कक उसका 3[आवश्यक वस्तु पैकेज, आवेष्टक, पात्र,
पशु, गाड़ी, जियाि या अन्य प्रवहण] के स्वामी या उस व्यक्क्त को [क्जससे वह अलभगह
ृ ीत की जाती है ]-

(क) उि आिारों की, क्जि पर उस 3[आवश्यक वस्तु पैकेज, आवेष्टक, पात्र, पशु, गाड़ी, जियाि या अन्य
प्रवहण] को अधिहृत करिे का ववचार है , उसे जािकारी दे िे वािी एक लिखित सच
ू िा िहीं दे दी जाती;

(ि) अधिहरण के आिारों के ववरुद्ि, इतिे उधचत समय के भीतर क्जतिा सूचिा में ववनिददष ष्ट हो,
लिखित अभ्यावेदि करिे का अवसर िहीं दे ददया जाता; और

(ग) मामिे में सुिवाई का युक्क्तयुक्त अवसर िहीं दे ददया जाता ।

[(2) उपिारा (1) के उपबन्िों पर प्रनतकूि प्रभाव डािे बबिा, िारा 6क के अिीि ककसी पशु, गाड़ी, जियाि
या अन्य प्रवहण का अधिहरण करिे वािा आदे श उस दशा में िहीं ददया जाएगा जब उस पशु, गाड़ी,
जियाि या अन्य प्रवहण का स्वामी किक्टर को समािाि रूप में यह साबबत कर दे ता है कक आवश्यक
वस्तु को िे जािे में उसका प्रयोग उस पशु, गाड़ी, जियाि या अन्य प्रवहण के स्वामी या अलभकताष, यदद
कोई हो, और भारसािक व्यक्क्त की जािकारी या मौिािुकूिता के बबिा ककया गया था और उिमें से
प्रत्येक िे ऐसे प्रयोग के ववरुद्ि सभी उधचत और आवश्यक पूवाषविनियां बरती थी ।]

[(3) यदद ऐसी सच


ू िा दे िे में उस िण्ड के उपबन्िों का पयाषतत रूप से पािि कर ददया गया है तो ककसी
आवश्यक वस्त,ु पैकेज, आवेष्टक, पात्र, पशु, गाड़ी, जियाि या अन्य प्रवहण का अधिहरण करिे वािा कोई
आदे श केवि इस कारण अववधिमान्य िहीं होगा कक उपिारा (1) के िण्ड (क) के अिीि दी गई सूचिा
में कोई त्रदु ट या अनियलमतता है ।]

6ग. अपील-(1) िारा 6क के अिीि अधिहरण के ककसी आदे श से व्यधथत कोई व्यक्क्त ऐसे आदे श की
अपिे को संसूचिा की तारीि से एक मास के भीतर [ककसी ऐसे न्यानयक प्राधिकारी को अपीि कर
सकेगा जो सम्बक्न्ित राज्य सरकार द्वारा नियुक्त हो और वह न्यानयक प्राधिकारी, अपीिाथी को सुिे
जािे का अवसर दे िे के पश्चात ् उस आदे श को, क्जसके ववरुद्ि अपीि की गई है , पष्ु ट, उपान्तररत या
बानति करते हुए ऐसा आदे श पाररत करे गा, जैसा वह ठीक समझे ।

(2) जहां िारा 6क के अिीि हुआ कोई आदे श ऐसे न्यानयक प्राधिकारी द्वारा उपान्तररत या बानति ककया
जाता है या जहां ककसी ऐसे आदे श के क्जसकी बाबत अधिहरण का आदे श िारा 6क के अिीि ककया गया
है , उल्िंघि के लिए संक्स्थत अलभयोजि में , सम्बक्न्ित व्यक्क्त दोर्मुक्त कर ददया जाता है , तथा दोिों में
से ककसी भी दशा में ककसी कारण से यह सम्भव िहीं है कक 2[अलभगह
ृ ीत आवश्यक वस्तु िौटा दी जाए]
[ऐसे व्यक्क्त को, िारा 6क की उपिारा (3) द्वारा जैसा उपबंधित है उसके लसवाय, उिके लिए कीमत [उस
आवश्यक वस्तु] के अलभग्रहण के ददि से पररकलित ब्याज सदहत इस प्रकार संदत्त की जाएगी] [मािो]
सरकार को उस 4[आवश्यक वस्तु] का ववक्रय ककया गया हो] [और ऐसी कीमत निम्िलिखित रूप से
अविाररत की जाएगी-

(i) िाद्यान्िों, िाद्य नतिहिों या िाद्य तेिों की दशा में िारा 3 की उपिारा (3ि) के उपबन्िों के
अिुसार;

(ii) चीिी की दशा में , िारा 3 की उपिारा (3ग) के उपबन्िों के अिुसार; और

(iii) ककसी अन्य आवश्यक वस्तु की दशा में िारा 3 की उपिारा (3) के उपबन्िों के अिस
ु ार ।]

6घ. अधििरण के अधिनिणतय का अन्य दं डों में बािा ि करिा-किक्टर द्वारा इस अधिनियम के अिीि ककसी
अधिहरण का अधिनिणषय ककसी ऐसे दं ड के ददए जािे को निवाररत िहीं करे गा क्जसका कक उस द्वारा
प्रभाववत व्यक्क्त इस अधिनियम के अिीि भागी है ।]

[6ङ. कनतपय मामलों में अधिकाररता का वजति-जब कभी कोई आवश्यक वस्तु उसके सम्बन्ि में िारा 3 के
अिीि ककए गए आदे श के अिुसरण में अलभगह
ृ ीत की जाती है या िारा 6क के अिीि अधिहरण के
िक्म्बत रहिे के दौराि ऐसा कोई पैकेज, आवेष्टक या पात्र, क्जसमें ऐसी आवश्यक वस्तु पाई जाती है , या
ऐसा कोई पश,ु गाड़ी, जियाि या अन्य प्रवहण क्जसे ऐसी आवश्यक वस्तु को िे जािे में प्रयुक्त ककया
गया है , अलभगह
ृ ीत ककया जाता है , तब, यथाक्स्थनत, किक्टर को या िारा 6ग के अिीि संबंधित राज्य
सरकार को ऐसी आवश्यक वस्तु, पैकेज, आवेष्टक, पात्र, पशु, गाड़ी, जियाि या अन्य प्रवहण के कब्जे,
पररदाि, व्ययि, निमोचि या ववतरण के संबि
ं में आदे श करिे की अधिकाररता होगी और तत्समय प्रवत्त

ककसी अन्य ववधि में ककसी प्रनतकूि बात के होते हुए भी, ककसी न्यायािय, अधिकरण या अन्य प्राधिकारी
को ऐसी अधिकाररता िहीं होगी ।]
7. शाक्स्तयां- [(1) यदद कोई व्यक्क्त िारा 3 के अिीि ककए गए ककसी आदे श का उल्िंघि करे गा, -

(क) तो वह, -

(i) उस िारा की उपिारा (2) के िण्ड (ज) या िण्ड (झ) के प्रनत निदे श से ककए गए आदे श की दशा में
कारावास से क्जसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डिीय होगा और जुमाषिे का भी दायी होगा,
तथा

(ii) ककसी अन्य आदे श की दशा में कारावास से क्जसकी अवधि तीि मास से कम की िहीं होगी ककन्तु
सात वर्ष की हो सकेगी, दण्डिीय होगा और जुमाषिे का भी दायी होगा:

परन्तु न्यायािय ककन्हीं पयाषतत और ववशेर् कारणों के आिार पर, क्जिका निणषय में उल्िेि ककया
जाएगा, तीि मास से कम की अवधि के कारावास का दण्डादे श दे सकेगा;

(ि) तो ऐसी सम्पवत्त क्जसकी बाबत आदे श का उल्िंघि ककया गया है सरकार के पि में समपहृत कर
िी जाएगी,

(ग) तो कोई पैकेज, आवेष्टक या पात्र क्जसमें सम्पवत्त पाई गई हो और कोई पशु, गाड़ी, जियाि या अन्य
प्रवहण क्जसे सम्पवत्त को िे जािे में प्रयुक्त ककया गया हो, न्यायािय द्वारा आदे श ददए जािे पर सरकार
के पि में समपहृत कर लिए जाएंगे ।

(2) यदद कोई व्यक्क्त क्जसके िारा 3 की उपिारा (4) के िण्ड (ि) के अिीि निदे श ददया गया हो उस
निदे श का अिुपािि करिे में असफि रहे गा तो वह कारावास से, क्जसकी अवधि तीि मास से कम िहीं
होगी ककन्तु सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डिीय होगा और जुमाषिे का भी दायी होगा:

परन्तु न्यायािय ककन्हीं पयाषतत और ववशेर् कारणों के आिार पर, क्जिका निणषय में उल्िेि ककया
जाएगा, तीि मास से कम की अवधि के कारावास का दण्डादे श दे सकेगा ।

(2क) यदद उपिारा (1) के िण्ड (क) के उपिण्ड (ii) के अिीि या उपिारा (2) के अिीि लसद्िदोर्
ठहराया गया कोई व्यक्क्त उसी उपबन्ि के अिीि ककसी अपराि के लिए पुिः लसद्िदोर् ठहराया जाएगा
तो, वह द्ववतीय और प्रत्येक पश्चात्वती अपराि के लिए कारावास से क्जसकी अवधि छह मास से कम
की िहीं होगी ककन्तु सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डिीय होगा और जुमाषिे का भी दायी होगा:
परन्तु न्यायािय ककन्हीं पयाषतत और ववशेर् कारणों के आिार पर, क्जिका निणषय में उल्िेि ककया
जाएगा, छह मास से कम की अवधि के कारावास का दं डादे श दे सकेगा ।

(2ि) उपिारा (1), (2) और (2क) के प्रयोजिों के लिए यह बात कक उपिारा (1) के िण्ड (क) के उपिण्ड
(ii) के अिीि या उपिारा (2) के अिीि ककसी अपराि से जिसािरण या ककसी व्यक्क्त को कोई िास
हानि िहीं हुई है , यथाक्स्थनत, तीि मास या छह मास से कम की अवधि के लिए कारावास का दण्डादे श
दे िे का पयाषतत और ववशेर् कारण होगी ।]

[(3) जहां उपिारा (1) के अिीि ककसी अपराि से लसद्िदोर् हुआ कोई व्यक्क्त, ककसी आवश्यक वस्तु की
बाबत ककसी आदे श के उल्िंघि के लिए उस उपिारा के अिीि ककसी अपराि का पुिः लसद्िदोर् होता है
वहां वह न्यायािय क्जसके द्वारा ऐसा व्यक्क्त लसद्िदोर् ककया जाए उस ककसी शाक्स्त के अनतररक्त, जो
उस िारा के अिीि उस पर अधिरोवपत की जाए, आदे श द्वारा निदे श दे सकेगा कक वह व्यक्क्त उस
आवश्यक वस्तु से छह मास से अन्यि
ू ऐसी कािावधि तक, जैसी आदे श में न्यायािय द्वारा ववनिददष ष्ट
की जाए, कोई कारोबार िहीं करे गा ।]

[7क. केन्रीय सरकार को कुछ रकमों को भू-राजस्व की बकाया के रूप में वसूल करिे की शक्तत-(1) जहां कोई व्यक्क्त, जो-

(क) िारा 3 के अिीि ककए गए, ककसी आदे श के अिस


ु रण में , ककसी रकम का संदाय करिे के लिए, या

(ि) ककसी रकम को ककसी िाते में या उस िारा के अिीि ककए गए ककसी आदे श द्वारा या उसके
अिस
ु रण में गदठत निधि में जमा करिे के लिए,

दायी है ऐसी सम्पण


ू ष रकम या उसके ककसी भाग का संदाय करिे में या उसे जमा करिे में व्यनतक्रम
करता है वहां ऐसी रकम क्जसकी बाबत ऐसा व्यनतक्रम ककया गया है [चाहे ऐसा आदे श आवश्यक वस्तु
(संशोिि) अधिनियम, 1984 के प्रारं भ के पूवष या पश्चात ् ककया गया हो और चाहे ऐसे व्यक्क्त का ऐसी
रकम का संदाय करिे या जमा करिे का दानयत्व ऐसे प्रारं भ के पव
ू ष या पश्चात ् उत्पन्ि हुआ होट सरकार
द्वारा, ऐसे व्यक्क्तक्रम की तारीि से ऐसी रकम के वसूि ककए जािे की तारीि तक प्रनतवर्ष [पन्रह
प्रनतशतट की दर से उि पर संगखणत सािारण ब्याज सदहत, भू-राजस्व की बकाया के रूप में [या िोक
मांग के रूप में ] वसि
ू की जाएगी ।

(2) उपिारा (1) के अिीि वसूि की गई रकम को ऐसे आदे श के अिुसार बरता जाएगा क्जसके
अिीि ऐसी रकम का संदाय या जमा करिे का दानयत्व उत्पन्ि हुआ था ।
(3) उस समय प्रवत्त
ृ ककसी अन्य ववधि में या उसके प्रनतकूि ककसी संववदा में अन्तववषष्ट ककसी बात के
होते हुए भी कोई न्यायािय, अधिकरण या अन्य प्राधिकरण ककसी सरकार को उपिारा (1) के उपबन्िों के
अिुसरण में भ-ू राजस्व की बकाया के रूप में 4[या िोक मांग के रूप में ] ककसी रकम को वसूि करिे से
प्रनतवर्द्ि या अवरुद्ि करिे वािा कोई व्यादे श मंजूर िहीं करे गा या कोई आदे श िहीं करे गा ।

(4) यदद कोई आदे श, क्जसके अिुसरण में कोई रकम सरकार द्वारा उपिारा (1) के अिीि भू-राजस्व की
बकाया के रूप में 4[या िोक मांग के रूप में ] वसूि की गई है ककसी सिम न्यायािय द्वारा सरकार को
सुिवाई का यक्ु क्तयक्
ु त अवसर दे िे के पश्चात ् अववधिमान्य घोवर्त कर ददया जाता है , तो सरकार उसके
द्वारा इस प्रकार वसूि की गई रकम का प्रनतदाय उस व्यक्क्त को क्जससे ऐसी रकम वसूि की गई थी,
उसके वसूि ककए जािे की तारीि से उस तारीि तक क्जसको ऐसा प्रनतदाय ककया जाता है , प्रनतवर्ष
3[पंरह प्रनतशत] की दर से उस पर संगखणत सािारण ब्याज सदहत करे गी ।

स्पष्टीकरण-इस िारा के प्रयोजिों के लिए, सरकार" से वह सरकार अलभप्रेत है क्जसिे िारा 3 के अिीि
संयुक्त आदे श ककया था, अथवा जहां ऐसा आदे श ककसी सरकार के अिीिस्थ ककसी अधिकारी या
प्राधिकारी द्वारा ककया गया था वहां वह सरकार अलभप्रेत है ।]

8. प्रयत्ि और दष्ु प्रेरण-ऐसे ककसी व्यक्क्त के बारे में जो िारा 3 के अिीि ककए गए ककसी आदे श का
उल्िंघि करिे का प्रयत्ि करता है या उल्िंघि का दष्ु प्रेरण करता है , यह समझा जाएगा कक उसिे उस
आदे श का उल्िंघि ककया है ।

9. लमथ्या कथि-यदद कोई व्यक्क्त-

(i) िारा 3 के अिीि ककए गए आदे श द्वारा कोई कथि करिे या कोई जािकारी दे िे के लिए अपेक्षित
होिे पर कोई ऐसा कथि करे गा या ऐसी जािकारी दे गा जो ककसी सारवाि ् ववलशक्ष्ट में लमथ्या हो और
क्जसके लमथ्या होिे का उसे ज्ञाि हो या ववश्वास करिे के लिए उसके पास युक्क्तयुक्त हे तुक या क्जसके
सही होिे का उसे ववश्वास ि हो, या

(ii) यथापूवोक्त कोई कथि ककसी पुस्तक, िेिा अलभिेि, घोर्णा, वववरणी या अन्य दस्तावेज में करे गा
क्जसे रििे या दे िे के लिए वह ककसी ऐसे आदे श द्वारा अपेक्षित है ,

तो वह कारावास से, क्जसकी अवधि [पांच वर्ष] तक की हो सकेगी या जुमाषिे से अथवा दोिों से दण्डिीय
होगा ।
10. कम्पनियों द्वारा उपराि-(1) यदद िारा 3 के अिीि ककए गए ककसी आदे श का उल्िंघि करिे वािा
व्यक्क्त कम्पिी हो तो प्रत्येक व्यक्क्त, जो उस उल्िंघि के समय उस कम्पिी के कारबार के संचािि के
लिए उस कम्पिी के लिए उस कम्पिी का भारसािक और उसके प्रनत उत्तरदायी था, और साथ ही वह
कम्पिी भी ऐसे उल्िंघि के दोर्ी समझे जाएंगे तथा तदिुसार अपिे ववरुद्ि कायषवाही ककए जािे और
दक्ण्डत ककए जािे के भागी होंगे:

परन्तु इस उपिारा की कोई बात ऐसे ककसी व्यक्क्त को दण्ड का भागी िहीं बिाएगी यदद वह साबबत कर
दे कक उल्िंघि उसकी जािकारी के बबिा ककया गया था या उसिे ऐसे उल्िंघि का निवारण करिे के
लिए सब सम्यक् तत्परता बरती थी ।

(2) उपिारा (1) में ककसी बात के होते हुए भी, जहां इस अधिनियम के अिीि कोई अपराि ककसी कम्पिी
द्वारा ककया गया हो तथा यह साबबत हो कक वह अपराि कम्पिी के ककसी निदे शक, प्रबन्िक, सधचव या
अन्य अधिकारी की सम्मनत या मौिािक ु ू िता से ककया गया है , या उसकी ककसी उपेिा के कारण हुआ
मािा जा सकता है वहां ऐसा निदे शक, प्रबन्िक, सधचव या अन्य अधिकारी भी उस अपराि का दोर्ी
समझा जाएगा तथा तदिुसार अपिे ववरुद्ि कायषवाही ककए जािे और दक्ण्डत ककए जािे का भागी होगा ।

स्पष्टीकरण-इस िारा के प्रयोजिों के लिए-

(क) कम्पिी" से कोई निगलमत निकाय अलभप्रेत है और उसके अन्तगषत फमष या व्यक्ष्टयों का अन्य
संगम भी है ; तथा

(ि) फमष के सम्बन्ि में निदे शक" से उस फमष का भागीदार अलभप्रेत है ।

[10क. अपरािों का संज्ञेय और जमाितीय िोिा- [दण्ड प्रकक्रया संदहता, 1973 (1974 का 2)] में ककसी बात के होते
हुए भी इस िारा के अिीि दण्डिीय हर एक अपराि संज्ञेय ॥। होगा ।]

[10ख. न्यायालय को अधिनियम के अिीि लसद्िदोष कम्पनियों के िाम, कारबार के स्थाि आहद प्रकालशत करिे की शक्तत-
(1) जब कोई कम्पिी इस अधिनियम के अिीि लसद्िदोर् ठहराई जाती है तब उस कम्पिी को लसद्िदोर्
ठहरािे वािा न्यायािय इस बात के लिए सिम होगा कक वह कम्पिी का िाम और कारबार का स्थाि,
उल्िंघि का स्वरूप, यह बात कक कम्पिी उस प्रकार लसद्िदोर् ठहराई गई है और ऐसी अन्य ववलशक्ष्टयां,
क्जन्हें न्यायािय मामिे की पररक्स्थनतयों में समुधचत समझे, कम्पिी के िचे पर ऐसे समाचारपत्रों में या
ऐसी अन्य रीनत से प्रकालशत कराए जैसी, न्यायािय निददष्ट करे ।

(2) उपिारा (1) के अिीि कोई प्रकाशि तब तक िहीं ककया जाएगा जब तक न्यायािय के आदे शों के
ववरुद्ि अपीि करिे की अवधि अपीि ककए बबिा समातत ि हो गई हो या ऐसी अपीि ककए जािे पर
निपटा ि दी गई हो ।

(3) उपिारा (1) के अिीि ककसी प्रकाशि के िचे कम्पिी से इस प्रकार वसूि ककए जा सकेंगे मािो वे
न्यायािय द्वारा अधिरोवपत जुमाषिे हों ।

स्पष्टीकरण-इस िारा के प्रयोजिों के लिए कम्पिी" का वही अथष है जो िारा 10 के स्पष्टीकरण के िण्ड
(क) में है ।

10ग. आपराधिक मिःक्स्थनत की उपिारणा-(1) इस अधिनियम के अिीि ककसी ऐसे अपराि के अलभयोजि में
क्जसमें अलभयुक्त की आपराधिक मिःक्स्थनत होिी अपेक्षित है न्यायािय ऐसी मिःक्स्थनत ववद्यमाि होिे
की उपिारणा करे गा, ककन्तु अलभयुक्त के लिए यह साबबत करिा प्रनतवाद होगा कक उस अलभयोजि में
अपराि के रूप में आरोवपत कायष की बाबत उसकी ऐसी मिःक्स्थनत िहीं थी ।

स्पष्टीकरण-इस िारा में आपराधिक मिःक्स्थनत" के अन्तगषत आशय, मन्तव्य, ककसी तथ्य की जािकारी
और ककसी तथ्य पर ववश्वास या ववश्वास करिे कारण का है ।

(2) इस िारा के प्रयोजि के लिए कोई तथ्य तभी साबबत हुआ कहा जाता है जब न्यायािय को ववश्वास
है कक उसका ववद्यमाि होिा युक्क्तयक्
ु त रूप से संदेह के परे है ि कक जब उसका ववद्यमाि होिा केवि
अत्यधिक संभाविाओं से लसद्ि होता है ।]

11. अपरािों का संज्ञाि-कोई न्यायािय इस अधिनियम के अिीि दण्डिीय ककसी अपराि का संज्ञाि उस
दशा के लसवाय िहीं करे गा क्जसमें कक ऐसे अपराि को गदठत करिे वािे तथ्यों की लिखित ररपोटष ऐसे
व्यक्क्त द्वारा की गई हो जो भारतीय दण्ड संदहता (1860 का 45) की िारा 21 में यथापररभावर्त िोक
सेवक है [या कोई व्यधथत व्यक्क्त या कोई मान्यताप्रातत उपभोक्ता संगम है , चाहे ऐसा व्यक्क्त उस संगम
का सदस्य है या िहीं] ।
[स्पष्टीकरण-इस िारा और िारा 12कक के प्रयोजिों के लिए मान्यताप्रातत उपभोक्ता संगम" से कम्पिी
अधिनियम, 1956 (1956 का 1) या तत्समय प्रवत्त
ृ ककसी अन्य ववधि के अिीि रक्जस्रीकृत स्वैक्च्छक
उपभोक्ता संगम अलभप्रेत है ।]

ु ातिे के बारे में ववशेष उपबन्ि-दण्ड प्रकक्रया संदहता, 1973 (1974 का 2) की िारा 29 में ककसी बात के होते
12. जम
हुए भी, िारा 3 के अिीि ककए गए आदे श के उल्िंघि के लिए लसद्िदोर् ककसी व्यक्क्त के बारे में पांच
हजार रुपए से अधिक जुमाषिे का दण्डादे श पाररत करिा ककसी महािगर मक्जस्रे ट या ककसी प्रथम वगष
न्यानयक मक्जस्रे ट के लिए जो इस निलमत्त राज्य सरकार द्वारा ववशेर् रूप से सशक्त ककया गया हो
ववधिसम्मत होगा ।

[12क. संिेपतः ववचारण की शक्तत-(1) यदद केन्रीय सरकार की राय हो कक ऐसी पररक्स्थनत पैदा हो गई है
क्जसमें [ककसी आवश्यक वस्तु के जो उपिारा (2) के िण्ड (क) में निददषष्ट आवश्यक वस्तु िहीं है ,]
उत्पादि, प्रदाय या ववतरण अथवा उसमें व्यापार या वाखणज्य और अन्य सस
ु ंगत बातों के दहत में यह
आवश्यक है कक ऐसी आवश्यक वस्तु के सम्बन्ि में िारा 3 के अिीि ककए गए ककसी आदे श के उल्िंघि
का सिेपतः ववचारण ककया जाए तो केन्रीय सरकार शासकीय राजपत्र में अधिसच
ू िा द्वारा ऐसे आदे श
को इस िारा के अिीि संक्षितत ववचारण के प्रयोजि के लिए ववशेर् आदे श ववनिददष ष्ट कर सकेगी और
ऐसी हर एक अधिसच
ू िा, जारी ककए जािे के पश्चात ् यथाशक्य शीघ्र संसद् के दोिों सदिों के समि रिी
जाएगी :

[परन्त-ु

(क) आवश्यक वस्तु (संशोिि) अधिनियम, 1971 के प्रारम्भ के पश्चात ् निकािी गई हर ऐसी अधिसच
ू िा
जब तक वह पहिे ही वविंड़डत ि कर दी जाए, राजपत्र में उस अधिसच
ू िा के प्रकाशि के पश्चात ् दो वर्ष
के अवसाि पर प्रवत्त
ृ ि रह जाएगी;

(ि) ऐसे प्रारम्भ के ठीक पव


ू ष प्रवत्त
ृ हर ऐसी अधिसच
ू िा, जब तक वह पहिे ही वविंड़डत ि कर दी जाए,
ऐसे प्रारम्भ के पश्चात ् दो वर्ष के अवसाि पर प्रवत्त
ृ ि रह जाएगी:

परन्तु यह और कक यदद ककसी अधिसच


ू िा में ववनिददष ष्ट ककसी ववशेर् आदे श के उल्िंघि से
संबंधित ककसी मामिे में संक्षितत ववचारण के रूप में कायषवाही उस अधिसूचिा के वविक्ण्डत ककए जािे
के या प्रवत्त
ृ ि रह जािे के पूवष प्रारम्भ की गई हो तो पूवग
ष ामी परन्तुक की कोई बात उस मामिे पर
कोई प्रभाव ि डािेगी और इस िारा के उपबन्ि उस मामिे को ऐसे िागू बिे रहें गे मािो वह अधिसूचिा
वविक्ण्डत ि की गई हो या उसका प्रवत्त
ृ रहिा समातत ि हुआ हो ।]
[(2) दण्ड प्रकक्रया संदहता, 1973 (1974 का 2) में ककसी बात के होते हुए भी, उि सभी अपरािों का जो, -

(क) िारा (3) के अिीि ककए गए ककसी आदे श के-

। । । । । ।

(ii) िाद्य पदाथष की बाबत क्जसके अन्तगषत िाद्य नतिहि और तेि भी है ; या

(iii) ओर्धि की बाबत,

उिंल्घि से संबधं ित है ; और

(ि) उस दशा में जब ककसी ववशेर् आदे श के संबंि में उपिारा (1) के अिीि जारी की गई अधिसच
ू िा
प्रवत्त
ृ है ऐसे ववशेर् आदे श के उल्िंघि से संबधं ित है ,

राज्य सरकार द्वारा इस निलमत्त ववशेर् रूप से सशक्त प्रथम वगष के न्यानयक मक्जस्रे ट द्वारा या
महािगर मक्जस्रे ट द्वारा संिेपतः ववचारण ककया जाएगा और जहां तक हो सकेगा उक्त संदहता की िारा
262 से िेकर िारा 265 तक के उपबन्ि ऐसे ववचारण को िागू होंगे:

परन्तु इस िारा के अिीि संक्षितत ववचारण में दोर्लसद्धि की दशा में, मक्जस्रे ट के लिए यह
ववधिसम्मत होगा कक वह इतिी अवधि के लिए जो एक वर्ष से अधिक की ि हो कारावास का दण्डादे श
पाररत करे :

परन्तु यह और कक यदद इस िारा के अिीि संक्षितत ववचारण के प्रारम्भ में या उसके दौराि मक्जस्रे ट
को यह प्रतीत होता है कक मामिे की प्रकृनत ऐसी है कक एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिए कारावास
का दण्डादे श पाररत करिा पड़े या ककसी अन्य कारण से मामिे का संिेपतः ववचारण करिा अवांछिीय है
तो मक्जस्रे ट पिकारों को सुििे के पश्चात ्, उस भाव का आदे श अलभलिखित करे गा और तत्पश्चात ्
ककन्हीं भी साक्षियों को क्जिकी परीिा की जा चुकी हो पुिः बुिाएगा और मामिे को उक्त संदहता द्वारा
उपबंधित रीनत से सि
ु िे या पि
ु ः सि
ु िे के लिए अग्रसर होगा ।]

(3) [दण्ड प्रकक्रया संदहता, 1973 (1974 का 2)] में ककसी प्रनतकूि बात के होते हुए भी, इस िारा के अिीि
संिेपतः ववचाररत ककसी मामिे में लसद्िदोर् व्यक्क्त द्वारा उस दशा में कोई अपीि िहीं हो सकेगी
क्जसमें कक मक्जस्रे ट एक मास से अिधिक के कारावास का [और दो हजार रुपए से अिधिक के जुमाषिे
का] दण्डादे श पाररत करता है चाहे ऐसे दण्डादे श के अनतररक्त सम्पवत्त के समपहरण का कोई आदे श या
उक्त संदहता की [िारा 452] के अिीि कोई आदे श ककया जाता है या िहीं, ककन्तु उस दशा में अपीि हो
सकेगी क्जसमें मक्जस्रे ट द्वारा उपरोक्त पररसीमाओं से अधिक ॥। का दण्डादे श पाररत ककया जाता है ।

[(4) उपिारा (2) के िण्ड (क) में निददष ष्ट आदे श के, जो ववशेर् आदे श िहीं है , उल्िंघि से संबंधित सभी
मामिों का, जो आवश्यक वस्तु (संशोिि) अधिनियम, 1974 के प्रारम्भ के ठीक पहिे ककसी मक्जस्रे ट के
समि िक्म्बत है और जहां ककसी ववशेर् आदे श के संबंि में उपिारा (1) के अिीि कोई अधिसूचिा जारी
की जाती है वहां ऐसे ववशेर् आदे श के उल्िंघि से संबंधित सभी मामिों का, जो ऐसी अधिसूचिा के जारी
ककए जािे की तारीि से ठीक पहिे ककसी मक्जस्रे ट के समि िक्म्बत है , इस िारा के अिीि उस दशा
में संिेपतः ववचारण ककया जाएगा, जब, यथाक्स्थनत, ऐसे प्रारम्भ या उक्त तारीि से पहिे ककसी सािी की
परीिा िहीं हुई है और यदद वह मामिा ककसी ऐसे मक्जस्रे ट के समि िक्म्बत है जो इस िारा के
अिीि उसका संिेपतः ववचारण करिे के लिए सिम िहीं है तो वह इस प्रकार सिम मक्जस्रे ट को भेजा
जाएगा ।]

[12ख. लसववल न्यायालयों द्वारा व्यादे शों आहद का हदया जािा-इस अधिनियम के अिीि या तद्िीि बिाए गए
ककसी आदे श के अिीि केन्रीय सरकार या ककसी राज्य सरकार या ककसी िोक अधिकारी द्वारा अपिी
पदीय है लसयत से ककए गए या ककए गए तात्पनयषत ककसी कायष की बाबत उस सरकार या उस िोक
अधिकारी के ववरुद्ि कोई लसववि न्यायािय तब तक कोई व्यादे श िहीं दे गा या ककसी अन्य अिुतोर् के
लिए आदे श िहीं करे गा जब तक ऐसे व्यादे श या अिुतोर् के लिए आवेदि की सूचिा उस सरकार या
अधिकारी को ि दे दी गई हो ।]

13. आदे शों के बारे में उपिारणा-जहां कोई आदे श इस िारा के द्वारा या अिीि प्रदत्त ककसी शक्क्त के प्रयोग
में ककसी प्राधिकारी द्वारा ककया गया और हस्तािररत हुआ तात्पनयषत है वहां न्यायािय यह उपिाररत
करे गा कक ऐसा आदे श भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) के अथष में उस प्राधिकारी द्वारा वैसे
ककया गया था ।

14. कनतपय मामलों में सबूत का भार-जहां कोई व्यक्क्त िारा 3 के अिीि ककए गए ककसी ऐसे आदे श का
उल्िंघि करिे के लिए अलभयोक्जत ककया जाता है जो उसे ववधिपण
ू ष प्राधिकार के बबिा अथवा ककसी
अिुज्ञा-पत्र, अिुज्ञक्तत या अन्य दस्तावेज के बबिा कोई कायष करिे से या ककसी चीज का कब्जे में रििे
से प्रनतवर्द्ि करता है वहां यह साबबत करिे का भार कक उसके पास ऐसा प्राधिकार, अिुज्ञा-पत्र, अिज्ञ
ु क्तत
या अन्य दस्तावेज है , उसी पर होगा ।
15. अधिनियम के अिीि की गई कारतवाई के ललए पररत्राण-(1) ककसी व्यक्क्त के खििाफ कोई वाद, अलभयोजि या
अन्य ववधिक कायषवाही ककसी ऐसी बात के लिए िहीं हो सकेगी जो िारा 3 के अिीि ककए गए ककसी
आदे श के अिुसरण में सद्भावपूवक
ष की गई है या की जािी आशनयत है ।

(2) सरकार के खििाफ कोई वाद या अन्य ववधिक कायषवाही ककसी ऐसे िक
ु साि के लिए िहीं हो सकेगी
जो िारा 3 के अिीि ककए गए ककसी आदे श के अिस
ु रण में सद्भापूवक
ष की गई या की जािे के लिए
आशाषत ककसी बात से काररत हुआ हो या काररत होिा संभाव्य हो ।

[15क. लोक सेवकों का अलभयोजि-जहां कोई ऐसा व्यक्क्त, जो सेवक है , ककसी ऐसे अपराि का अलभयुक्त है
जो िारा 3 के अिीि ककए गए ककसी आदे श के अिुसरण में उसके कतषव्य के निवषहि में कायष करिे या
ककए जािे के लिए तात्पनयषत कायष करिे के दौराि उसके द्वारा ककया गया अलभकधथत है वहां कोई
न्यायािय ऐसे अपराि का संज्ञाि निम्िलिखित की पव
ू ष मंजूरी के बबिा िहीं करे गा, अथाषत ्: -

(क) उस व्यक्क्त की दशा में जो अलभकधथत अपराि के ककए जािे के समय संघ के कायषकिापों के संबि

में , यथाक्स्थनत, नियोक्जत है या था, केन्रीय सरकार;

(ि) उस व्यक्क्त की दशा में जो अलभकधथत अपराि के लिए ककए जािे के समय राज्य के कायषकिापों
के संबंि में , यथाक्स्थनत, नियोक्जत है या था, राज्य सरकार ।]

16. निरसि और व्याववृ ियां-(1) निम्िलिखित ववधियां एतद्द्वारा निरलसत की जाती हैं: -

(क) आवश्यक वस्तु अध्यादे श, 1955 (1955 का 1);

(ि) इस अधिनियम के प्रारम्भ के ठीक पूवष ककसी राज्य में प्रवत्त


ृ कोई अन्य ववधि जहां तक कक ऐसी
ववधि ककसी आवश्यक वस्तु के उत्पादि, प्रदाय और ववतरण तथा उसमें व्यापार और वाखणज्य को
नियंबत्रत करती है या उसका नियंत्रण प्राधिकृत करती है ।

(2) ऐसे निरसि के होते हुए भी, एतद्द्वारा निरलसत और इस अधिनियम के प्रारम्भ के ठीक पव
ू ष
प्रवत्त
ृ ककसी ववधि के अिीि ककसी भी प्राधिकारी द्वारा ककया गया समझा गया कोई आदे श जहां तक कक
ऐसा आदे श इस अधिनियम के अिीि ककया जा सकता है , इस अधिनियम के अिीि ककया गया समझा
जाएगा और प्रवत्त
ृ रहे गा, तथा ऐसी कोई नियुक्क्त, अिुज्ञक्तत या अिज्ञ
ु ापत्र अथवा निदे श जो ऐसे ककसी
आदे श के अिीि की गई हो, अिुदत्त हो, ककया गया हो या जारी ककया गया हो और ऐसे प्रारम्भ से ठीक
पूवष प्रवत्त
ृ हो, तब तक प्रवत्त
ृ रहे गी या रहे गा जब तक कक उसे ऐसी ककसी नियुक्क्त, अिुज्ञक्तत या अिुज्ञा-
पत्र अथवा निदे श से अनतक्ष्ठत िहीं कर ददया जाता जो इस अधिनियम के अिीि की गई, अिुदत्त, ददया
गया या जारी ककया गया हो ।

(3) उपिारा (2) के उपबन्ि सािारण िण्ड अधिनियम, 1897 (1897 का 10) की िारा 6 के उपबन्िों पर
प्रनतकूि प्रभाव डािे बबिा होंगे जो कक उपिारा (1) में निददषष्ट अध्यादे श या अन्य ववधि के निरसि को
भी िागू होंगे मािो ऐसा अध्यादे श या अन्य ववधि कोई अधिनियलमनत रहा हो ।

[अिुसूची

(िारा 2क दे णखए)

आवश्यक वस्तुएं

(1) ओर्धि ।

स्पष्टीकरण-इस अिुसूची के प्रयोजिों के लिए ओर्धि" का वही अथष है जो ओर्धि और प्रसािि सामग्री
अधिनियम, 1940 (1940 का 23) की िारा 3 के िंड (ि) में है ;

(2) उवषरक, चाहे वह अकाबषनिक, काबषनिक या लमधश्रत हो;

(3) िाद्य पदाथष, क्जिके अंतगषत िाद्य नतिहि और तेि भी है ;

(4) पण
ू त
ष या कपास से बिे अट्टी सत
ू ;

(5) पेरोलियम और पेरोलियम उत्पाद;

(6) कच्चा पटसि और पटसि टे क्सटाइि;

(7) (i) िाद्य फसिों के बीज और फिों तथा सक्ब्जयों के बीज;

(ii) पशु चारे के बीच; और


(iii) पटसि बीज ।

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