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सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908

(1908 का असिसियम िंखयांक 5)1


[21 मार्च, 1908]
सिसिल न्यायालयों की प्रक्रिया िे िम्बसन्ित सिसियों का िमेकि और िंशोिि करिे के सलए असिसियम
यि िमीर्ीि िै क्रक सिसिल न्यायालयों की प्रक्रिया िे िम्बसन्ित सिसियों का िमेकि और िंशोिि क्रकया जाए, अतः
एतदद्वारा सिम्िसलसित रूप में यि असिसियसमत क्रकया जाता िै :—
प्रारसम्िक
1. िंसिप्त िाम, प्रारं ि और सिस्तार—(1) इि असिसियम का िंसिप्त िाम सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 िै ।
(2) यि िि 1909 की जििरी के प्रथम क्रदि को प्रिृत्त िोगा ।
2
[(3) इिका सिस्तार—
3
* * * * * * *
(ि) िागालैण्ड राज्य और जिजासत िेत्रों,
के सििाय िम्पपर्च िारत पर िै ;

1
यि असिसियम 1941 के अिम असिसियम िं० 2 और 1953 के अिम असिसियम िं० 3 द्वारा अिम को; 1950 के मद्राि असिसियम िं० 34, मद्राि सिसि अिुकपलि
आदेश, 1950 और 1970 के तसमलिाडु असिसियम िं० 15 द्वारा तसमलिाडु को; 1934 के पंजाि असिसियम िं० 7 द्वारा पंजाब को; 1925 के यप०पी० असिसियम
िं० 4, 1948 के यप०पी० असिसियम िं० 35, 1954 के यप०पी० असिसियम िं० 24, 1970 के यपपी असिसियम िं० 17, 1976 के यप०पी० असिसियम िं० 57 और 1978
के यप०पी० असिसियम िं० 31 द्वारा उत्तर प्रदेश को; 1955 के मैिपर असिसियम िं० 14 द्वारा किाचटक को; 1957 के के रल असिसियम िं० 13 द्वारा के रल को; 1958 के
राजस्थाि असिसियम िं० 19 द्वारा राजस्थाि को; 1960 के मिाराष्ट्र असिसियम िं० 22 और 1970 के मिाराष्ट्र असिसियम िं० 25 द्वारा मिाराष्ट्र को लागप िोिे में
िंशोसित क्रकया गया । इिका सिस्तार बरार लाज ऐक्ट, 1941 (1941 का 4) द्वारा और शेड्यल्प ड सडसस्िक््ि ऐक्ट, 1874 (1874 का 14) की िारा 5 और िारा 5क के
अिीि जारी की गई असििपर्िा द्वारा बरार पर और सिम्िसलसित असििपसर्त सजलों पर िी क्रकया गया िै :--
(1) जलपाईगुडी कछार (उत्तरी कछार पिासडयों को छोडकर), गोलपाडा (पपिी द्वार को िसम्मसलत करते हुए), कामरूप, दारंग, िौगांि (समक्रकर पिाडी िेत्रों
को छोडकर), सिबिागर (समक्रकर पिाडी िेत्रों को छोडकर), और लिीमपुर (सडबरूगढ़ िीमांत िेत्रों को छोडकर) के सजलों पर िारत का राजपत्र (अंग्रेजी), 1909,
िाग 1, पृ० 5 और िारत का राजपत्र (अंग्रज े ी) 1914 िाग 1 पृ० 1690 ।
(2) दार्जचललंग सजले और िजारीबाग, रांर्ी पालामाऊ और छोटा िागपुर में माििपम सजले पर; कलकत्ता राजपत्र (अंग्रेजी) 1909 िाग 1, पृ० 25 और िारत
का राजपत्र (अंग्रेजी) 1909 िाग 1 पृ० 33 ।
(3) कु माऊं तथा गढ़िाल प्रदेश और तराई परगिा पर (उपान्तरर् िसित) : िंयुक्त प्रान्त राजपत्र (अंग्रेजी), 1909, िाग 1, पृ० 3 और िारत का राजपत्र
(अंग्रेजी), 1909, िाग 1, पृ० 31 ।
(4) देिरादपि में जौििर-बािर का परगिा और समजाचपुर सजले के असििपसर्त िाग पर : िंयुक्त प्रान्त राजपत्र (अंग्रेजी), 1909, िाग 1, पृ० 4 और िारत का
राजपत्र (अंग्रजे ी), 1909, िाग 1, पृ० 32।
(5) कु गच पर : िारत का राजपत्र, (अंग्रेजी), 1909, िाग 1, पृ० 32 ।
(6) पंजाब के असििपसर्त सजलों पर; िारत का राजपत्र, (अंग्रेजी), 1909, िाग 1, पृ० 33 ।
(7) मद्राि के ििी असििपसर्त सजलों पर िारा 36 िे 43 तक : िारत का राजपत्र (अंग्रजे ी), 1909, िाग 1, पृ० 152 ।
(8) मध्य प्रान्त के असििपसर्त सजलों पर इि असिसियम के पिले िे िी प्रिृत्त िाग को और उि िाग को छोडकर सजतिा सडिी के सिष्पादि में स्थािर
िम्पसत्त की कु की और सििय को प्रासिकृ त करता िै क्रकन्तु इिमें िम्पसत्त के सििय का सिदेश देिे िाली सडिी ििीं िै : िारत का राजपत्र (अंग्रेजी), 1909 िाग 1,
पृ० 239 ।
(9) अजमेर-मेरिाडा पर िारा 1 और 155 िे 158 तक को छोडकर; िारत का राजपत्र (अंग्रेजी), 1909, िाग 2, पृ० 480 ।
(10) परगिा डालिपम, कल्िाि में र्ाईिािा की िगरपासलका और लिंििपम सजले में पोरिट िंपदा पर; कलकत्ता राजपत्र (अंग्रज े ी), 1909, िाग 1, पृ० 453
और िारत का राजपत्र (अंग्रज े ी), 1909, िाग 1, पृ० 443 ।
िंथाल परगिाज िेटटलमेन्ट रेग्यपलश े ि (1872 का 3) की िारा 3 (3) (क) के अिीि, िारा 38 िे 42 तक तथा िारा 156 और प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 21 के
सियम 4 िे 9 तक को िंथाल परगिों में और शेष िंसिता की िंथाल परगिाज जसस्टि रे ग्यपलेशि, 1893 (1893 का 5) की िारा 10 में सिर्दचष्ट िाद के सिर्ारर् के सलए
प्रिृत्त घोसषत कर क्रदया गया िै : कलकत्ता राजपत्र (अंग्रेजी), 1909, िाग 1, पृ० 45 देसिए ।
इिे पंथ पीपलोदा लाज रेग्यपलश े ि, 1929 (1929 का 1) की िारा 2 द्वारा पंथ पीपलोदा में; िोण्डमाल लाज रे ग्यपलेशि, 1936 (1936 का 4) की िारा 3 और
अिुिपर्ी द्वारा िोण्डमाल सजले में, और आंगुल लाज रेग्यपलश े ि, 1936 (1936 का 5) की िारा 3 और अिुिपर्ी द्वारा आंगल
ु सजले में प्रिृत्त घोसषत क्रकया गया िै ।
इिका सिस्तार उडीिा रे ग्यपलेशि (1951 का 5) की िारा 2 द्वारा कोरापुट और गंजाम सजलों पर क्रकया गया िै ।
इिका सिस्तार 1950 के असिसियम िं० 30 की िारा 3 द्वारा (1-1-1957 िे) मसर्पुर राज्य में; 1965 के सिसियम िं० 8 की िारा 3 और अिुिपर्ी द्वारा
(1-10-1967 िे) िम्पपर्च िंघ राज्यिेत्र लिद्वीप पर; 1965 के असिसियम िं० 30 की िारा 3 द्वारा (15-6-1966 िे) गोिा, दमि और दीि पर; 1963 के सिसियम िं० 6
की िारा 2 और अिुिपर्ी द्वारा (1-7-1965 िे) दादरा और िागर ििेली पर और असििपर्िा िं० का० आ० 599(अ), तारीि 13-8-1984, िारत का राजपत्र,
अिािारर्, िाग 2, िंड 3 द्वारा (1-9-1984 िे) सिसक्कम पर क्रकया गया िै ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 2 द्वारा (1-2-1977 िे) उपिारा (3) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
2019 के असिसियम िं० 34 की िारा 95 और पांर्िी अिुिपर्ी द्वारा (31-10-2019 िे) “जम्मप-कश्मीर राज्य के सििाय” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
2

परन्तु िंबंसित राज्य िरकार, राजपत्र में असििपर्िा द्वारा, इि िंसिता के उपबंिों का या उिमें िे क्रकिी का सिस्तार,
यथासस्थसत, िम्पपर्च िागालैण्ड राज्य या ऐिे जिजासत िेत्रों या उिके क्रकिी िाग पर ऐिे अिुपपरक, आिुषंसगक या पाटरर्ासमक
उपान्तरों िसित कर िके गी जो असििपर्िा में सिसिर्दचसष्ट क्रकए जाएं ।
स्पष्टीकरर्—इि िण्ड में, “जिजासत िेत्र” िे िे राज्यिेत्र असिप्रेत िैं जो 21 जििरी, 1972 के ठीक पिले िंसििाि की
छठी अिुिपर्ी के पैरा 20 में यथासिर्दचष्ट अिम के जिजासत िेत्र में िसम्मसलत थे ।
(4) अमीिदीिी द्वीपिमपि और आन्र प्रदेश राज्य में पपिी गोदािरी, पसश्र्मी गोदािरी और सिशािापटिम असिकरर्ों और
लिद्वीप िंघ राज्यिेत्र के िम्बन्ि में, इि िंसिता के लागप िोिे का कोई प्रसतकप ल प्रिाि, यथासस्थसत, ऐिे द्वीपिमपि, असिकरर्ों या ऐिे
िंघ राज्यिेत्र में इि िंसिता के लागप िोिे के िम्बन्ि में तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सियम या सिसियम के लागप िोिे पर ििीं पडेगा ।]
2. पटरिाषाएं—इि असिसियम में, जब तक क्रक सिषय या िंदिच में कोई बात सिरुद्ध ि िो,—
(1) “िंसिता” के अन्तगचत सियम आते िैं ;
(2) “सडिी” िे ऐिे न्यायसिर्चयि की प्ररूसपक असिव्यसक्त असिप्रेत िै जो, जिां तक क्रक िि उिे असिव्यक्त करिे
िाले न्यायालय िे िम्बसन्ित िै, िाद में के ििी या क्रकन्िीं सििादग्रस्त सिषयों के िम्बन्ि में पिकारों के असिकारों का
सिश्र्यक रूप िे अििारर् करता िै और िि या तो प्रारसम्िक या असन्तम िो िके गी । यि िमझा जाएगा क्रक इिके अन्तगचत
िादपत्र का िामंजपर क्रकया जािा और 1*** िारा 144 के िीतर के क्रकिी प्रश्ि का अििारर् आता िै क्रकन्तु इिके अन्तगचत,—
(क) ि तो कोई ऐिा न्यायसिर्चयि आएगा सजिकी अपील, आदेश की अपील की िांसत िोती िै ; और
(ि) ि व्यसतिम के सलए िाटरज करिे का कोई आदेश आएगा ।
स्पष्टीकरर्—सडिी तब प्रारसम्िक िोती िै जब िाद के पपर्च रूप िे सिपटा क्रदए जा िकिे िे पिले आगे और
कायचिासियां की जािी िैं । िि तब असन्तम िोती िै जब क्रक ऐिा न्यायसिर्चयि िाद को पपर्च रूप िे सिपटा देता िै । िि
िागतः प्रारसम्िक और िागतः असन्तम िो िके गी ;
(3) “सडिीदार” िे कोई ऐिा व्यसक्त असिप्रेत िै सजिके पि में कोई सडिी पाटरत की गई िै या कोई सिष्पादि-
योग्य आदेश क्रकया गया िै ;
(4) “सजला” िे आरसम्िक असिकाटरता िाले प्रिाि सिसिल न्यायालय की (सजिे इिमें इिके पश्र्ात “सजला
न्यायालय” किा गया िै) असिकाटरता की स्थािीय िीमाएं असिप्रेत िैं और इिके अन्तगचत उच्र् न्यायालय की मामपली
आरसम्िक सिसिल असिकाटरता की स्थािीय िीमाएं आती िैं ;
[(5) “सिदेशी न्यायालय” िे ऐिा न्यायालय असिप्रेत िै जो िारत के बािर सस्थत िै और के न्द्रीय िरकार के
2

प्रासिकार िे ि तो स्थासपत क्रकया गया िै और ि र्ालप रिा गया िै ;]


(6) “सिदेशी सिर्चय” िे क्रकिी सिदेशी न्यायालय का सिर्चय असिप्रेत िै ;
(7) “िरकारी प्लीडर” के अन्तगचत ऐिा कोई असिकारी आता िै जो िरकारी प्लीडर पर इि िंसिता द्वारा
असिव्यक्त रूप िे असिरोसपत कृ त्यों का या उिमें िे क्रकन्िीं का पालि करिे के सलए राज्य िरकार द्वारा सियु क्त क्रकया गया िै
और ऐिा कोई प्लीडर िी आता िै जो िरकारी प्लीडर के सिदेशों के अिीि कायच करता िै ;
3
[(7क) अंदमाि और सिकोबार द्वीपिमपि के िम्बन्ि में “उच्र् न्यायालय” िे कलकत्ता उच्र् न्यायालय असिप्रेत िै ;
(7ि) िारा 1, 29, 43, 44, 4[44क], 78, 79, 82, 83 और 87क में के सििाय “िारत” िे जम्मप-कश्मीर राज्य के
सििाय िारत का राज्यिेत्र असिप्रेत िै ;]
(8) “न्यायािीश” िे सिसिल न्यायालय का पीठािीि असिकारी असिप्रेत िै ;
(9) “सिर्चय” िे न्यायािीश द्वारा सडिी या आदेश के आिारों का कथि असिप्रेत िै ;
(10) “सिर्ीतऋर्ी” िे िि व्यसक्त असिप्रेत िै सजिके सिरुद्ध कोई सडिी पाटरत की गई िै या सिष्पादि-योग्य कोई
आदेश क्रकया गया िै ;
(11) “सिसिक प्रसतसिसि” िे िि व्यसक्त असिप्रेत िै जो मृत व्यसक्त की िम्पदा का सिसि की दृसष्ट िे प्रसतसिसित्ि
करता िै और इिके अन्तगचत कोई ऐिा व्यसक्त आता िै जो मृतक की िम्पदा िे दिलंदाजी करता िै और जिां कोई पिकार
प्रसतसिसि रूप में िाद लाता िै या जिां क्रकिी पिकार पर प्रसतसिसि रूप में िाद लाया जाता िै ििां िि व्यसक्त इिके

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 3 द्वारा (1-2-1977 िे) “िारा 47 या” शब्दों और अंकों का लोप क्रकया गया ।
2
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 4 द्वारा िण्ड (5) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 4 द्वारा अंतःस्थासपत ।
4
1953 के असिसियम िं० 42 की िारा 4 और अिुिपर्ी 3 द्वारा अन्तःस्थासपत ।
3

अन्तगचत आता िै सजिे िि िम्पदा उि पिकार के मरिे पर न्यागत िोती िै जो इि प्रकार िाद लाया िै या सजि पर इि
प्रकार िाद लाया गया िै ;
(12) िम्पसत्त के “अन्तःकालीि लाि” िे ऐिे लािों पर ब्याज िसित िे लाि असिप्रेत िैं जो ऐिी िम्पसत्त पर
िदोष कब्जा रििे िाले व्यसक्त को उििे िस्तुतः प्राप्त हुए िों या सजन्िें िि मामपली तत्परता िे उििे प्राप्त कर िकता था,
क्रकन्तु िदोष कब्जा रििे िाले व्यसक्त द्वारा की गई असििृसद्धयों के कारर् हुए लाि इिके अन्तगचत ििीं आएंगे ;
(13) “जंगम िम्पसत्त” के अंतगचत उगती फिलें आती िैं ;
(14) “आदेश” िे सिसिल न्यायालय के क्रकिी सिसिश्र्य की प्ररूसपक असिव्यसक्त असिप्रेत िै जो सडिी ििीं िै ;
(15) “प्लीडर” िे न्यायालय में क्रकिी अन्य व्यसक्त के सलए उपिंजात िोिे और असििर्ि करिे का िकदार कोई
व्यसक्त असिप्रेत िै और इिके अन्तगचत असििक्ता, िकील और क्रकिी उच्र् न्यायालय का अटिी आता िै ;
(16) “सिसित” िे सियमों द्वारा सिसित असिप्रेत िै ;
(17) “लोक असिकारी” िे िि व्यसक्त असिप्रेत िै जो सिम्िसलसित िर्चिों में िे क्रकिी िर्चि के अिीि आता िै,
अथाचत :—
(क) िर न्यायािीश ;
(ि) 1[असिल िारतीय िेिा] का िर िदस्य ;
(ग) 2[िंघ] के िेिा, 3[िौिेिा या िायु िेिा] का 4*** िर आयुक्त आक्रफिर या राजपसत्रत आक्रफिर, जब
तक क्रक िि िरकार के अिीि िेिा करता रिे ;
(घ) न्यायालय का िर असिकारी सजिका ऐिे असिकारी के िाते यि कतचव्य िै क्रक िि सिसि या तथ्य के
क्रकिी मामले में अन्िेषर् या टरपोटच करे , या कोई दस्तािेज बिाए, असिप्रमासर्त करे , या रिे, या क्रकिी िंपसत्त का
िार िंिाले या उि िंपसत्त का व्ययि करे , या क्रकिी न्यासयक आदेसशका का सिष्पादि करे , या कोई शपथ ग्रिर्
कराए, या सििर्चि करे , या न्यायालय में व्यिस्था बिाए रिे और िर व्यसक्त, सजिे ऐिे कतचव्यों में िे क्रकन्िीं का
पालि करिे का प्रासिकार न्यायालय द्वारा सिशेष रूप िे क्रदया गया िै ;
(ङ) िर व्यसक्त जो क्रकिी ऐिे पद को िारर् करता िै सजिके आिार पर िि क्रकिी व्यसक्त को पटररोि में
करिे या रििे के सलए िशक्त िै ;
(र्) िरकार का िर असिकारी सजिका ऐिे असिकारी के िाते यि कतचव्य िै क्रक िि अपरािों का सििारर्
करे , अपरािों की इसत्तला दे, अपरासियों को न्याय के सलए उपसस्थत करे , या लोक के स्िास्थ्य, िेम या िु सििा की
िंरिा करे ;
(छ) िर असिकारी सजिका ऐिे असिकारी के िाते यि कतचव्य िै क्रक िि िरकार की ओर िे क्रकिी
िम्पसत्त को ग्रिर् करे , प्राप्त करे , रिे या व्यय करे , या िरकार की ओर िे कोई ििेिर्, सििाचरर् या िंसिदा करे ,
या क्रकिी राजस्ि आदेसशका का सिष्पादि करे , या िरकार के िि-िम्बन्िी सितों पर प्रिाि डालिे िाले क्रकिी
मामले में अन्िेषर् या टरपोटच करे , या िरकार के िि-िम्बन्िी सितों िे िम्बसन्ित क्रकिी दस्तािेज को बिाए,
असिप्रमासर्त करे या रिे, या िरकार के िि-िम्बन्िी सितों की िंरिा के सलए क्रकिी सिसि के व्यसतिम को रोके ;
तथा
(ज) िर असिकारी, जो िरकार की िेिा में िै, या उििे िेति प्राप्त करता िै, या क्रकिी लोक कतचव्य के
पालि के सलए फीि या कमीशि के रूप में पाटरश्रसमक पाता िै ;
(18) “सियम” िे पिली अिुिपर्ी में अन्तर्िचष्ट अथिा िारा 122 या िारा 125 के अिीि सिर्मचत सियम और प्ररूप
असिप्रेत िैं ;
(19) “सिगम-अंश” के बारे में िमझा जाएगा क्रक उिके अन्तगचत स्टाक, सडबेंर्र स्टॉक, सडबेंर्र या बन्िपत्र आते
िैं ; तथा
(20) सिर्चय या सडिी की दशा के सििाय “िस्तािटरत” के अन्तगचत स्टासम्पत आता िै ।
5
* * * *

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 3 द्वारा (1-2-1977 िे) “िारतीय सिसिल िेिा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “सिज मैजेस्टी” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1934 के असिसियम िं० 35 की िारा 2 और अिुिपर्ी द्वारा “या िौिेिा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1934 के असिसियम िं० 35 की िारा 2 और अिुिपर्ी द्वारा “सजिमें सिज मैजेस्टी की िारतीय िमुद्री िेिा िी िसम्मसलत िै,” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
5
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा अन्तःस्थासपत िण्ड (21) का 1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 4 द्वारा लोप क्रकया गया ।
4

3. न्यायालयों की अिीिस्थता—इि िंसिता के प्रयोजिों के सलए, सजला न्यायालय उच्र् न्यायालय के अिीिस्थ िै और सजला
न्यायालय िे अिर श्रेर्ी का िर सिसिल न्यायालय और िर लघुिाद न्यायालय, उच्र् न्यायालय और सजला न्यायालय के अिीिस्थ िै ।
4. व्यािृसत्तयां—(1) इिके प्रसतकप ल क्रकिी सिसिर्दचष्ट उपबन्ि के अिाि में, इि िंसिता की क्रकिी िी बात के बारे में यि ििीं
िमझा जाएगा क्रक िि क्रकिी सिशेष या स्थािीय सिसि को, जो अब प्रिृत्त िै या तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी अन्य सिसि द्वारा या उिके अिीि
प्रदत्त क्रकिी सिशेष असिकाटरता या शसक्त को या सिसित प्रक्रिया के क्रकिी सिशेष रूप को पटरिीसमत करती िै या उि पर अन्यथा
प्रिाि डालती िै ।
(2) सिसशष्टतया और उपिारा (1) में अन्तर्िचष्ट प्रसतपादिा की व्यापकता पर प्रसतकप ल प्रिाि डाले सबिा, इि िंसिता की
क्रकिी िी बात के बारे में यि ििीं िमझा जाएगा क्रक िि क्रकिी ऐिे उपर्ार को पटरिीसमत करती िै या उि पर अन्यथा प्रिाि डालती
िै, सजिे िप-िारक या िप-स्िामी कृ सष-िपसम के िाटक की ििपली ऐिी िपसम की उपज िे करिे के सलए तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सिसि के
अिीि रिता िै ।
5. िंसिता का राजस्ि न्यायालयों को लागप िोिा—(1) जिां कोई राजस्ि न्यायालय प्रक्रिया िम्बन्िी ऐिी बातों में सजि पर
ऐिे न्यायालयों को लागप कोई सिशेष असिसियसमसत मौि िै, इि िंसिता के उपबन्िों द्वारा शासित िै ििां राज्य िरकार 1*** राजपत्र
में असििपर्िा द्वारा यि घोषर्ा कर िके गी क्रक उि उपबन्िों के कोई िी प्रिाग, जो इि िंसिता द्वारा असिव्यक्त रूप िे लागप ििीं क्रकए
गए िैं, उि न्यायालयों को लागप ििीं िोंगे या उन्िें के िल ऐिे उपान्तरों के िाथ लागप िोंगे जैिे राज्य िरकार 2*** सिसित करे ।
(2) उपिारा (1) में “राजस्ि न्यायालय” िे ऐिा न्यायालय िे ऐिा न्यायालय असिप्रेत िै जो कृ सष प्रयोजिों के सलए प्रयुक्त
िपसम के िाटक, राजस्ि या लािों िे िम्बसन्ित िादों या अन्य कायचिासियों को ग्रिर् करिे की असिकाटरता क्रकिी स्थािीय सिसि के
अिीि रिता िै क्रकन्तु ऐिे िादों या कायचिासियों का सिर्ारर् सिसिल प्रकृ सत के िादों या कायचिासियों के रूप में करिे के सलए इि
िंसिता के अिीि आरसम्िक असिकाटरता रििे िाला सिसिल न्यायालय इिके अन्तगचत ििीं आता ।
6. िि-िम्बन्िी असिकाटरता—असिव्यक्त रूप िे जैिा उपबसन्ित िै उिके सििाय, इिकी क्रकिी बात का प्रिाि ऐिा ििीं
िोगा क्रक िि क्रकिी न्यायालय को उि िादों पर असिकाटरता दे दे सजिकी रकम या सजिकी सिषय-िस्तु का मपल्य उिकी मामपली
असिकाटरता की िि-िम्बन्िी िीमाओं िे (यक्रद कोई िों) असिक िै ।
7. प्रान्तीय लघुिाद न्यायालय—उि न्यायालयों पर, जो प्रान्तीय लघुिाद न्यायालय असिसियम, 1887 (1887 का 9) के
अिीि 3[या बरार लघुिाद न्यायालय सिसि, 1905 के अिीि] गटठत िैं, या उि न्यायालयों पर, जो लघुिाद न्यायालय की असिकाटरता
का प्रयोग 4[उक्त असिसियम या सिसि के अिीि] करते िैं 5[या 6[िारत के क्रकिी ऐिे िाग] के , 6[सजि पर उक्त असिसियम का सिस्तार
ििीं िैं] उि न्यायालयों पर, जो िमरूपी असिकाटरता का प्रयोग करते िै,] सिम्िसलसित उपबन्िों का सिस्तार ििीं िोगा, अथाचत :—
(क) इि िंसिता के पाठ के उतिे अंश का, जो—
(i) उि िादों िे िंबंसित िै जो लघुिाद न्यायालय के िंज्ञाि िे अपिाक्रदत िैं,
(ii) ऐिे िादों में की सडक्रियों के सिष्पादि िे िंबंसित िै,
(iii) स्थािर िम्पसत्त के सिरुद्ध सडक्रियों के सिष्पादि िे िंबंसित िै, तथा
(ि) सिम्िसलसित िाराओं का, अथाचत—
िारा 9 का,
िारा 91 और िारा 92 का,
िारा 94 और िारा 95 का 7[जिां तक क्रक िे—]
(i) स्थािर िम्पसत्त की कु की के सलए आदेशों,
(ii) व्यादेशों,
(iii) स्थािर िम्पसत्त के टरिीिर की सियुसक्त, अथिा
(iv) िारा 94 के िण्ड (ङ) में सिर्दचष्ट अन्तिचती आदेशों, को प्रासिकृ त करती िै या उििे
िम्बसन्ित िै, तथा िारा 96 िे िारा 112 तक की िाराओं और िारा 115 का ।

1
1920 के असिसियम िं० 38 की िारा 2 और पिली अिुिपर्ी के िाग 1 द्वारा “िपटरषद गििचर जिरल की पपिच मंजरप ी िे” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
2
1920 के असिसियम िं० 38 की िारा 2 और पिली अिुिपर्ी के िाग 1 द्वारा “पपिोक्त मंजपरी िे” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
3
1941 के असिसियम िं० 4 की िारा 2 और तीिरी अिुिपर्ी द्वारा अन्तःस्थासपत ।
4
1941 के असिसियम िं० 4 की िारा 2 और तीिरी अिुिपर्ी द्वारा “उि असिसियम के अिीि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 5 द्वारा अन्तःस्थासपत ।
6
सिसि अिुकपलि (िं० 2) आदेश, 1956 द्वारा “िाग ि राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
7
1926 के असिसियम िं० 1 की िारा 3 द्वारा “जिां तक क्रक िे आदेशों और अन्तिचती आदेशों िे िंबंसित िैं” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5

8. प्रेसिडेन्िी लघुिाद न्यायालय—िारा 24, िारा 38 िे िारा 41 तक की िाराओं, िारा 75 के िण्ड (क), (ि) और (ग),
िारा 76, 1[िारा 77, िारा 157 और िारा 158] में तथा प्रेसिडेन्िी लघुिाद न्यायालय असिसियम, 1882 (1882 का 15) द्वारा यथा
उपबसन्ित के सििाय, इि िंसिता के पाठ के उपबन्िों का सिस्तार कलकत्ता, मद्राि और मुम्बई िगरों में स्थासपत क्रकिी लघुिाद
न्यायालय में के क्रकिी िी िाद या कायचिािी पर ििीं िोगा :
2
[परन्तु—
(1) यथासस्थसत, फोटच सिसलयम, मद्राि और मुम्बई के उच्र् न्यायालय िमय-िमय पर राजपत्र में असििपर्िा द्वारा
सिदेश3 दे िकें गे क्रक ऐिे क्रकन्िीं िी उपबन्िों का सिस्तार, जो प्रेसिडेन्िी लघुिाद न्यायालय असिसियम, 1882 (1882 का 15)
के असिव्यक्त उपबन्िों िे अिंगत ि िों और ऐिे उपान्तरों और अिुकपलिों िसित, जो उि असििपर्िा में सिसिर्दच सष्ट क्रकए
जाएं, ऐिे न्यायालय में के िादों या कायचिासियों पर या िादों या कायचिासियों के क्रकिी िगच पर िोगा ।
(2) उक्त उच्र् न्यायालयों में िे क्रकिी के िी द्वारा प्रेसिडेन्िी लघुिाद न्यायालय असिसियम, 1882 (1882 का 15)
की िारा 9 के अिीि इिके पिले बिाए गए ििी सियम सिसिमान्यतः बिाए गए िमझे जाएंगे ।]
िाग 1

िािारर्तः िादों के सिषय में


न्यायालयों की असिकाटरता और पपिच-न्याय
9. जब तक क्रक िर्जचत ि िो, न्यायालय ििी सिसिल िादों का सिर्ारर् करें गे —न्यायालयों को (इिमें अन्तर्िचष्ट उपबन्िों के
अिीि रिते हुए) उि िादों के सििाय, सजिका उिके द्वारा िंज्ञाि असिव्यक्त या सििसित रूप िे िर्जचत िै, सिसिल प्रकृ सत के ििी
िादों के सिर्ारर् की असिकाटरता िोगी ।
4[स्पष्टीकरर्
1]—िि िाद सजिमें िम्पसत्त-िम्बन्िी या पद-िम्बन्िी असिकार प्रसतिाक्रदत िै, इि बात के िोते हुए िी क्रक
ऐिा असिकार िार्मचक कृ त्यों या कमों िम्बन्िी प्रश्िों के सिसिश्र्य पर पपर्च रूप िे अिलसम्बत िै, सिसिल प्रकृ सत का िाद िै ।
5[स्पष्टीकरर्
2—इि िारा के प्रयोजिों के सलए, यि बात तासविक ििीं िै क्रक स्पष्टीकरर् 1 में सिर्दचष्ट पद के सलए कोई
फीि िै या ििीं अथिा ऐिा पद क्रकिी सिसशसष्ट स्थाि िे जुडा िै या ििीं ।]
10. िाद का रोक क्रदया जािा—कोई न्यायालय ऐिे क्रकिी िी िाद के सिर्ारर् में सजिमें सििाद्य-सिषय उिी के अिीि
मुकदमा करिे िाले क्रकन्िीं पिकारों के बीर् के या ऐिे पिकारों के बीर् के , सजििे व्युत्पन्ि असिकार के अिीि िे या उिमें िे कोई
दािा करते िैं, क्रकिी पपिचति िंसस्थत िाद में िी प्रत्यितः और िारतः सििाद्य िै, आगे कायचिािी ििीं करे गा जिां ऐिा िाद उिी
न्यायालय में या 6[िारत] में के क्रकिी अन्य ऐिे न्यायालय में, जो दािा क्रकया गया अिुतोष देिे की असिकाटरता रिता िै या 6[िारत]
की िीमाओं के परे िाले क्रकिी ऐिे न्यायालय में, जो 7[के न्द्रीय िरकार 8***] द्वारा स्थासपत क्रकया गया िै या र्ालप रिा गया िै और,
िैिी िी असिकाटरता रिता िै, या 9[उच्र्तम न्यायालय] के िमि लसम्बत िै ।
स्पष्टीकरर्—सिदेशी न्यायालय में क्रकिी िाद का लसम्बत िोिा उिी िाद-िेतुक पर आिाटरत क्रकिी िाद का सिर्ारर् करिे
िे [िारत] में के न्यायालयों को प्रिाटरत ििीं करता ।
6

11. पपि-च न्याय—कोई िी न्यायालय क्रकिी ऐिे िाद या सििाद्यक का सिर्ारर् ििीं करे गा सजिमें प्रत्यितः और िारतः
सििाद्य-सिषय उिी िक के अिीि मुकदमा करिे िाले उन्िीं पिकारों के बीर् के या ऐिे पिकारों के बीर् के सजििे व्युत्पन्ि असिकार
के अिीि िे या उिमें िे कोई दािा करते िैं, क्रकिी पपिचिती िाद में िी ऐिे न्यायालय में प्रत्यितः और िारतः सििाद्य रिा िै, जो ऐिे
पश्र्त्िती िाद का या उि िाद का, सजिमें ऐिा सििाद्यक िाद में उठाया गया िै, सिर्ारर् करिे के सलए ििम था और ऐिे न्यायालय
द्वारा िुिा जा र्ुका िै और असन्तम रूप िे सिसिसश्र्त क्रकया जा र्ुका िै ।
स्पष्टीकरर् 1—“पपिचिती िाद” पद ऐिे िाद का द्योतक िै जो प्रश्िगत िाद के पपिच िी सिसिसश्र्त क्रकया जा र्ुका िै र्ािे िि
उििे पपिच िंसस्थत क्रकया गया िो या ििीं ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 4 द्वारा (1-2-1977 िे) “िारा 77 और 155 िे लेकर 158 तक की िाराओं” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1914 के असिसियम िं० 1 की िारा 2 द्वारा जोडा गया ।
3
सिदेशों के ऐिे उदािरर्ों के सलए कलकत्ता राजपत्र (अंग्रज
े ी), 1910, िाग 1, पृ० 814 देिें ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 5 द्वारा (1-2-1977 िे) स्पष्टीकरर् को स्पष्टीकरर् 1 के रूप में पुिःिंखयांक्रकत क्रकया गया ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 5 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
6
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
7
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िपटरषद गििचर जिरल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
8
िारतीय स्ितंत्रता (के न्द्रीय असिसियम और अध्यादेश अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा “या िाउि टरप्रेजेन्टेटटि” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
9
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “सिज मैजेस्टी इि काउसन्िल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6

स्पष्टीकरर् 2—इि िारा के प्रयोजिों के सलए, न्यायालय की ििमता का अििारर् ऐिे न्यायालय के सिसिश्र्य िे अपील
करिे के असिकार सिषयक क्रकन्िीं उपबन्िों का सिर्ार क्रकए सबिा क्रकया जाएगा ।
स्पष्टीकरर् 3—ऊपर सिदेसशत सिषय का पपिचिती िाद में एक पिकार द्वारा असिकथि और दपिरे द्वारा असिव्यक्त या
सििसित रूप िे प्रत्याखयाि या स्िीकृ सत आिश्यक िै ।
स्पष्टीकरर् 4—ऐिे क्रकिी िी सिषय के बारे में, जो ऐिे पपिचिती िाद में प्रसतरिा या आिमर् का आिार बिाया जा िकता
था और बिाया जािा र्ासिए था, यि िमझा जाएगा क्रक िि ऐिे िाद में प्रत्यितः और िारतः सििाद्य रिा िै ।
स्पष्टीकरर् 5—िाद पत्र में दािा क्रकया गया कोई अिुतोष, जो सडिी द्वारा असिव्यक्त रूप िे ििीं क्रदया गया िै, इि िारा के
प्रयोजिों के सलए िामंजपर कर क्रदया गया िमझा जाएगा ।
स्पष्टीकरर् 6—जिां कोई व्यसक्त क्रकिी लोक असिकार के या क्रकिी ऐिे प्राइिेट असिकार के सलए िदिािपपिचक मुकदमा
करते िैं सजिका िे अपिे सलए और अन्य व्यसक्तयों के सलए िामान्यतः दािा करते िैं ििां ऐिे असिकार िे सितबद्ध ििी व्यसक्तयों के
बारे में इि िारा के प्रयोजिों के सलए यि िमझा जाएगा क्रक िे ऐिे मुकदमा करिे िाले व्यसक्तयों िे व्युत्पन्ि असिकार के अिीि दािा
करते िैं ।
[स्पष्टीकरर् 7—इि िारा के उपबन्ि क्रकिी सडिी के सिष्पादि के सलए कायचिािी को लागप िोंगे और इि िारा में क्रकिी
1

िाद, सििाद्यक या पपिचिती िाद के प्रसत सिदेशों का अथच िमशः उि सडिी के सिष्पादि के सलए कायचिािी, ऐिी कायचिािी में उठिे िाले
प्रश्ि और उि सडिी के सिष्पादि के सलए पपिचिती कायचिािी के प्रसत सिदेशों के रूप में लगाया जाएगा ।
स्पष्टीकरर् 8—कोई सििाद्यक जो िीसमत असिकाटरता िाले क्रकिी न्यायालय द्वारा, जो ऐिा सििाद्यक सिसिसश्र्त करिे के
सलए ििम िै, िुिा गया िै और असन्तम रूप िे सिसिसश्र्त क्रकया जा र्ुका िै, क्रकिी पश्र्त्िती िाद में पपिच-न्याय के रूप में इि बात के
िोते हुए िी प्रिृत्त िोगा क्रक िीसमत असिकाटरता िाला ऐिा न्यायालय ऐिे पश्र्ातिती िाद का या उि िाद का सजिमें ऐिा सििाद्यक
िाद में उठाया गया िै, सिर्ारर् करिे के सलए, ििम ििीं था ।]
12. असतटरक्त िाद का िजचि—जिां िादी क्रकिी सिसशष्ट िाद-िेतक ु के िम्बन्ि में असतटरक्त िाद िंसस्थत करिे िे सियमों
द्वारा प्रिाटरत िै ििां िि क्रकिी ऐिे न्यायालय में सजिे यि िंसिता लागप िै, कोई िाद ऐिे िाद-िेतुक में िंसस्थत करिे का िकदार
ििीं िोगा ।
13. सिदेशी सिर्चय कब सिश्र्यक ििीं िोगा—सिदेशी सिर्चय उिके द्वारा उन्िीं पिकारों के बीर् या उिी िक के अिीि
मुकदमा करिे िाले ऐिे पिकारों के बीर्, सजििे व्युत्पन्ि असिकार के अिीि िे या उिमें िे कोई दािा करते िैं, प्रत्यितः न्यायसिर्ीत
क्रकिी सिषय के बारे में ििां के सििाय सिश्र्यक िोगा जिां—
(क) िि ििम असिकाटरता िाले न्यायालय द्वारा ििीं िुिाया गया िै,
(ि) िि मामले के गुर्ागुर् के आिार पर ििीं क्रदया गया िै,
(ग) कायचिासियों के िकृ त दशचिे स्पष्ट िै क्रक िि अन्तरराष्िीय सिसि के अशुद्ध बोि पर या 2[िारत] की सिसि को
उि मामलों में सजिको िि लागप िै, मान्यता देिे िे इं कार करिे पर आिाटरत िै,
(घ) िे कायचिासियां, सजिमें िि सिर्चय असिप्राप्त क्रकया गया था, िैिर्गचक न्याय के सिरुद्ध िैं,
(ङ) िि कपट द्वारा असिप्राप्त क्रकया गया िै,
(र्) िि 2[िारत] में प्रिृत्त क्रकिी सिसि के िंग पर आिाटरत दािे को ठीक ठिराता िै ।
14. सिदेशी सिर्चयों के बारे में उपिारर्ा—न्यायालय क्रकिी ऐिे दस्तािेज के पेश क्रकए जािे पर जो सिदेशी सिर्चय की
प्रमासर्त प्रसत िोिा तात्पर्यचत िै यक्रद असिलेि िे इिके प्रसतकप ल प्रतीत ििीं िोता िै तो यि उपिारर्ा करे गा क्रक ऐिा सिर्चय ििम
असिकाटरता िाले न्यायालय द्वारा िुिाया गया था क्रकन्तु ऐिी उपिारर्ा को असिकाटरता का अिाि िासबत करके सिस्थासपत क्रकया
जा िके गा ।
िाद करिे का स्थाि
15 िि न्यायालय सजिमें िाद िंसस्थत क्रकया जाए—िर िाद उि सिम्ितम श्रेर्ी के न्यायलय में िंसस्थत क्रकया जाएगा जो
उिका सिर्ारर् करिे के सलए ििम िै ।
16. िादों का ििां िंसस्थत क्रकया जािा जिां सिषय-िस्तु सस्थत िै—क्रकिी सिसि द्वारा सिसित िि-िम्बन्िी या अन्य
पटरिीमाओं के अिीि रिते हुए, िे िाद जो—
(क) िाटक या लािों के िसित या रसित स्थािर िम्पसत्त के प्रत्युद्धरर् के सलए,

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 5 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
2
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
7

(ि) स्थािर िम्पसत्त के सििाजि के सलए,


(ग) स्थािर िम्पसत्त के बन्िक की या उि पर के िार की दशा में पुरोबन्ि, सििय या मोर्ि के सलए,
(घ) स्थािर िम्पसत्त में के क्रकिी अन्य असिकार या सित के अििारर् के सलए,
(ङ) स्थािर िम्पसत्त के प्रसत क्रकए गए दोष के सलए प्रसतकर के सलए,
(र्) करस्थम या कु की के िस्तुतः अिीि जंगम िम्पसत्त के प्रत्युद्धरर् के सलए,
िैं, उि न्यायालय में िंसस्थत क्रकए जाएंगे सजिकी असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर िि िम्पसत्त सस्थत िै :
परन्तु प्रसतिादी के द्वारा या सिसमत्त िाटरत स्थािर िम्पसत्त के िम्बन्ि में अिुतोष की या ऐिी िम्पसत्त के प्रसत क्रकए गए दोष
के सलए प्रसतकर की असिप्रासप्त के सलए िाद, जिां र्ािा गया अिुतोष उिके स्िीय आज्ञािुितचि के द्वारा पपिच रूप िे असिप्राप्त क्रकया जा
िकता िै, उि न्यायालय में सजिकी असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर िम्पसत्त सस्थत िै या उि न्यायालय में सजिकी
असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर प्रसतिादी िास्ति में और स्िेच्छा िे सििाि करता िै या कारबार करता िै या असिलाि के
सलए स्ियं काम करता िै, िंसस्थत क्रकया जा िके गा ।
स्पष्टीकरर्—इि िारा में “िम्पसत्त” िे 1[िारत] में सस्थत िम्पसत्त असिप्रेत िै ।
17. सिसिन्ि न्यायालयों की असिकाटरता के िीतर सस्थत स्थािर िम्पसत्त के सलए िाद—जिां िाद सिसिन्ि न्यायालयों की
असिकाटरता के िीतर सस्थत स्थािर िम्पसत्त के िम्बन्ि में अिुतोष की या ऐिी िम्पसत्त के सलए क्रकए गए दोष के सलए प्रसतकर की
असिप्रासप्त के सलए िै ििां िि िाद क्रकिी िी ऐिे न्यायालय में िंसस्थत क्रकया जा िके गा सजिकी असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के
िीतर िम्पसत्त का कोई िाग सस्थत िै :
परन्तु यि तब जबक्रक पपरा दािा उि िाद की सिषय-िस्तु के मपल्य की दृसष्ट िे ऐिे न्यायालय द्वारा िंज्ञेय िै ।
18. जिां न्यायालयों की असिकाटरता की स्थािीय िीमाएं असिसश्र्त िैं ििां िाद के िंसस्थत क्रकए जािे का स्थाि—(1) जिां
यि असिकथि क्रकया जाता िै क्रक यि असिसश्र्त िै क्रक कोई स्थािर िम्पसत्त दो या असिक न्यायालयों में िे क्रकि न्यायालय की
असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर सस्थत िै ििां उि न्यायालयों में िे कोई िी एक न्यायालय, यक्रद उिका िमािाि िो जाता
िै क्रक असिकसथत असिसश्र्तता के सलए आिार िै, उि िाि का कथि असिसलसित कर िके गा, और तब उि िम्पसत्त िे िम्बसन्ित क्रकिी
िी िाद को ग्रिर् करिे और उिका सिपटारा करिे के सलए आगे कायचिािी कर िके गा, और उि िाद में उिकी सडिी का ििी प्रिाि
िोगा मािो िि िम्पसत्त उिकी असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर सस्थत िो :
परन्तु यि तब जबक्रक िि िाद ऐिा िै सजिके िम्बन्ि में न्यायालय उि िाद की प्रकृ सत और मपल्य की दृसष्ट िे असिकाटरता
का प्रयोग करिे के सलए ििम िै ।
(2) जिां कथि उपिारा (1) के अिीि असिसलसित ििीं क्रकया गया िै और क्रकिी अपील या पुिरीिर् न्यायालय के िामिे
यि आिेप क्रकया जाता िै क्रक ऐिी िम्पसत्त िे िम्बसन्ित िाद में सडिी या आदेश ऐिे न्यायालय द्वारा क्रकया गया था सजिकी ििां
असिकाटरता ििीं थी जिां िम्पसत्त सस्थत िै ििां अपील या पुिरीिर् न्यायालय उि आिेप को तब तक अिुज्ञात ििीं करे गा जब तक
क्रक उिकी राय ि िो क्रक िाद के िंसस्थत क्रकए जािे के िमय उिके िम्बन्ि में असिकाटरता रििे िाले न्यायालय के बारे में असिसश्र्तता
के सलए कोई युसक्तयुक्त आिार ििीं था उिके पटरर्ामस्िरूप न्याय की सिष्फलता हुई िै ।
19. शरीर या जंगम िम्पसत्त के प्रसत क्रकए गए दोषों के सलए प्रसतकर के सलए िाद—जिां िाद शरीर या जंगम िम्पसत्त के प्रसत
क्रकए गए दोष के सलए प्रसतकर के सलए िै ििां यक्रद दोष एक न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर क्रकया गया था
और प्रसतिादी क्रकिी अन्य न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर सििाि करता िै या कारबार करता िै या
असिलाि के सलए स्ियं काम करता िै तो िाद िादी के सिकल्प पर उक्त न्यायालयों में िे क्रकिी िी न्यायालय में िंसस्थत क्रकया जा
िके गा ।
दृष्टांत
(क) क्रदल्ली में सििाि करिे िाला क कलकत्ते में ि को पीटता िै । ि कलकत्ते में या क्रदल्ली में क पर िाद
ला िके गा ।
(ि) ि की माििासि करिे िाले कथि क्रदल्ली में सििाि करिे िाला क कलकत्ते में प्रकासशत करता िै । ि कलकत्ते में या
क्रदल्ली में क पर िाद ला िके गा ।
20. अन्य िाद ििां िंसस्थत क्रकए जा िकें गे जिां प्रसतिादी सििाि करते िैं या िाद-िेतुक पैदा िोता िै—पपिोक्त पटरिीमाओं
के अिीि रिते हुए, िर िाद ऐिे न्यायालय में िंसस्थत क्रकया जाएगा सजिकी असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर—

1
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
8

(क) प्रसतिादी, या जिां एक िे असिक प्रसतिादी िैं ििां प्रसतिाक्रदयों में िे िर एक िाद के प्रारम्ि के िमय िास्ति
में और स्िेच्छा िे सििाि करता िै या कारबार करता िै या असिलाि के सलए स्ियं काम करता िै ; अथिा
(ि) जिां एक िे असिक प्रसतिादी िैं ििां प्रसतिाक्रदयों में िे कोई िी प्रसतिादी िाद के प्रारम्ि के िमय िास्ति में
और स्िेच्छा िे सििाि करता िै या कारबार करता िै या असिलाि के सलए स्ियं काम करता िै, परन्तु यि तब जबक्रक ऐिी
अिस्था में या तो न्यायालय की इजाजत दे दी गई िै या जो प्रसतिादी पपिोक्त रूप में सििाि ििीं करते या कारबार ििीं
करते या असिलाि के सलए स्ियं काम ििीं करते, िे ऐिे िंसस्थत क्रकए जािे के सलए उपमत िो गए िैं ; अथिा
(ग) िाद-िेतुक पपर्चतः या िागतः पैदा िोता िै ।
1* * * *
[स्पष्टीकरर्]—सिगम के बारे में यि िमझा जाएगा क्रक िि 3[िारत] में के अपिे एकमात्र या प्रिाि कायाचलय में या क्रकिी
2

ऐिे िाद-िेतुक की बाबत, जो ऐिे क्रकिी स्थाि में पैदा हुआ िै जिां उिका अिीिस्थ कायाचलय िी िै, ऐिे स्थाि में कारबार करता िै ।
दृष्टांत
(क) क कलकत्ते में एक व्यापारी िै । ि क्रदल्ली में कारबार करता िै । ि कलकत्ते के अपिे असिकताच के द्वारा क िे माल
िरीदता िै और ईस्ट इं सडयि रे ल कम्पिी को उिका पटरदाि करिे को क िे प्राथचिा करता िै । क तद्िुिार माल का पटरदाि कलकत्ते में
करता िै । क माल की कीमत के सलए ि के सिरुद्ध िाद या तो कलकत्ते में जिां िाद-िेतुक पैदा हुआ िै, या क्रदल्ली में जिां ि कारबार
करता िै, ला िके गा
(ि) क सशमला में, ि कलकत्ते में और ग क्रदल्ली में सििाि करता िै । क, ि और ग एक िाथ बिारि में िैं जिां ि और ग
मांग पर देय एक िंयुक्त िर्िपत्र तैयार करके उिे क को पटरदत्त कर देते िैं । ि और ग पर क बिारि में िाद ला िके गा, जिां िाद-
िेतुक पैदा हुआ । िि उि पर कलकत्ते में िी, जिां ि सििाि करता िै, या क्रदल्ली में िी, जिां ग सििाि करता िै, िाद ला िके गा,
क्रकन्तु इि अिस्थाओं में िे िर एक में यक्रद असििािी प्रसतिादी आिेप करे , तो िाद न्यायालय की इजाजत के सबिा ििीं र्ल िकता ।
21. असिकाटरता के बारे में आिेप—4[(1)] िाद लािे के स्थाि के िम्बन्ि में कोई िी आिेप क्रकिी िी अपील या पुिरीिर्
न्यायालय द्वारा तब तक अिुज्ञात ििीं क्रकया जाएगा जब तक क्रक ऐिा आिेप प्रथम बार के न्यायालय में यथािंिि ििचप्रथम अििर पर
और उि ििी मामलों में, सजिमें सििाद्यक सस्थर क्रकए जाते िैं, ऐिे सस्थरीकरर् के िमय या उिके पिले ि क्रकया गया िो और जब तक
क्रक उिके पटरर्ामस्िरूप न्याय की सिष्फलता ि हुई िो ।
क्रकिी न्यायालय की असिकाटरता की िि-िम्बन्िी पटरिीमा के आिार पर उिकी ििमता के बारे में कोई आिेप क्रकिी
5[(2)

अपील या पुिरीिर् न्यायालय द्वारा तब तक अिुज्ञा ििीं क्रकया जाएगा जब तक क्रक ऐिा आिेप प्रथम बार के न्यायालय में यथािंिि
ििचप्रथम अििर पर और उि ििी मामलों में, सजिमें सििाद्यक सस्थर क्रकए जाते िैं, ऐिे सस्थरीकरर् के िमय या उिके पिले ि क्रकया
गया िो और जब तक क्रक उिके पटरर्ामस्िरूप न्याय की सिष्फलता ि हुई िो ।
(3) क्रकिी सिष्पादि-न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के आिार पर उिकी ििमता के बारे में कोई आिेप
अपील या पुिरीिर् न्यायालय द्वारा तब तक अिुज्ञा ििीं क्रकया जाएगा जब तक क्रक ऐिा आिेप सिष्पादि-न्यायालय में यथािंिि
ििचप्रथम अििर पर ि क्रकया गया िो और जब तक क्रक उिके पटरर्ास्िरूप न्याय की सिष्फलता ि हुई िो ।]
[21क. िाद लािे के स्थाि के बारे में आिेप पर सडिी को अपास्त करिे के सलए िाद का िजचि —उिी िक के अिीि मुकदमा
6

करिे िाले उन्िीं पिकारों के बीर् या ऐिे पिकारों के बीर् सजििे व्युत्पन्ि असिकार के अिीि िे या उिमें िे कोई दािा करते िैं, क्रकिी
पपिचिती िाद में पाटरत सडिी की सिसिमान्यता को िाद लािे के स्थाि के बारे में क्रकिी आिेप के आिार पर प्रश्िगत करिे िाला कोई
िाद ििीं लाया जाएगा ।
स्पष्टीकरर्—“पपििच ती िाद” पद िे िि िाद असिप्रेत िै जो उि िाद के सिसिश्र्य के पिले सिसिसश्र्त िो र्ुका िै सजिमें
सडिी की सिसिमान्यता का प्रश्ि उठाया गया िै, र्ािे पपिचति सिसश्र्त िाद उि िाद िे पिले िंसस्थत क्रकया गया िो या बाद में सजिमें
सडिी की सिसिमान्यता का प्रश्ि उठाया गया िै ।]
22. जो िाद एक िे असिक न्यायालयों में िंसस्थत क्रकए जा िकते िैं उिको अन्तटरत करिे की शसक्त—जिां कोई िाद दो या
असिक न्यायालयों में िे क्रकिी एक में िंसस्थत क्रकया जा िकता िै और ऐिे न्यायालयों में िे क्रकिी एक में िंसस्थत क्रकया गया िै ििां
कोई िी प्रसतिादी अन्य पिकारों को िपर्िा देिे के पश्र्त यथािंिि ििचप्रथम अििर पर और उि िब मामलों में, सजिमें सििाद्यक
सस्थर क्रकए जाते िैं, ऐिे सस्थरीकरर् के िमय या उिके पिले क्रकिी अन्य न्यायालय को िाद अन्तटरत क्रकए जािे के सलए आिेदि कर

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 7 द्वारा (1-2-1977 िे) स्पष्टीकरर् 1 का लोप क्रकया गया ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 7 द्वारा (1-2-1977 िे) “स्पष्टीकरर् 2” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 8 द्वारा (1-2-1977 िे) िारा 21 उिकी उपिारा (1) के रूप में पुिःिंखयांक्रकत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 8 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
6
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 9 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
9

िके गा और िि न्यायालय, सजििे ऐिा आिेदि क्रकया गया िै, अन्य पिकारों के (यक्रद कोई िों) आिेपों पर सिर्ार करिे के पश्र्ात यि
अििाटरत करे गा क्रक असिकाटरता रििे िाले कई न्यायालयों में िे क्रकि न्यायालय में िाद र्लेगा ।
23. क्रकि न्यायालय में आिेदि क्रकया जाए—(1) जिां असिकाटरता रििे िाले कई न्यायालय एक िी अपील न्यायालय के
अिीिस्थ िैं ििां िारा 22 के अिीि आिेदि अपील न्यायालय में क्रकया जाएगा ।
(2) जिां ऐिे न्यायालय सिसिन्ि अपील न्यायालयों के अिीि िोते हुए िी एक िी उच्र् न्यायालय के अिीिस्थ िैं ििां िि
आिेदि उक्त उच्र् न्यायालय में क्रकया जाएगा ।
(3) जिां ऐिे न्यायालय सिसिन्ि उच्र् न्यायालयों के अिीिस्थ िैं ििां आिेदि उि उच्र् न्यायलय में क्रकया जाएगा सजिकी
असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर िि न्यायालय सस्थत िै सजिमें िाद लाया गया िै ।
24. अन्तरर् और प्रत्यािरर् की िािारर् शसक्त—(1) क्रकिी िी पिकार के आिेदि पर और पिकारों को िपर्िा देिे के
पश्र्त और उिमें िे जो िुििाई के इच्छु क िों उिको िुििे के पश्र्त या ऐिी िपर्िा क्रदए सबिा स्िप्रेरर्ा िे, उच्र् न्यायालय या सजला
न्यायालय क्रकिी िी प्रिम में—
(क) ऐिे क्रकिी िाद, अपील या अन्य कायचिािी को, जो उिके िामिे सिर्ारर् या सिपटारे के सलए लसम्बत िै,
अपिे अिीिस्थ ऐिे क्रकिी न्यायालय को, अन्तटरत कर िके गा जो उिका सिर्ारर् करिे या उिे सिपटािे के सलए ििम िै,
अथिा
(ि) अपिे अिीिस्थ क्रकिी न्यायालय में लसम्बत क्रकिी िाद, अपील या अन्य कायचिािी का प्रत्यािरर् कर िके गा,
तथा—
(i) उिका सिर्ारर् या सिपटारा कर िके गा ; अथिा
(ii) अपिे अिीिस्थ ऐिे क्रकिी न्यायालय को उिका सिर्ारर् या सिपटारा करिे के सलए अन्तटरत कर
िके गा, जो उिका सिर्ारर् करिे या उिे सिपटािे के सलए ििम िै ; अथिा
(iii) सिर्ारर् या सिपटारा करिे के सलए उिी न्यायालय को उिका प्रत्यन्तरर् कर िके गा, सजििे
उिका प्रत्यािरर् क्रकया गया था ।
(2) जिां क्रकिी िाद या कायचिािी का अन्तरर् या प्रत्यािरर् उपिारा (1) के अिीि क्रकया गया िै ििां िि न्यायालय, सजिे
1[ऐिेिाद या कायचिािी का तत्पश्र्त सिर्ारर् करिा िै या उिे सिपटािा िै] अन्तरर् आदेश में क्रदए गए सिशेष सिदेशों के अिीि रिते
हुए या तो उिका पुिः सिर्ारर् कर िके गा या उि प्रिम िे आगे कायचिािी करे गा जिां िे उिका अन्तरर् या प्रत्यािरर् क्रकया
गया था ।
2
[(3) इि िारा के प्रयोजिों के सलए, —
(क) अपर और ििायक न्यायािीशों के न्यायालय, सजला न्यायालय के अिीिस्थ िमझे जाएंगे ;
(ि) “कायचिािी” के अन्तगचत क्रकिी सडिी या आदेश के सिष्पादि के सलए कायचिािी िी िै ।]
(4) क्रकिी लघुिाद न्यायालय िे इि िारा के अिीि अन्तटरत या प्रत्याहृत क्रकिी िाद का सिर्ारर् करिे िाला न्यायालय ऐिे
िाद के प्रयोजिों के सलए लघुिाद न्यायालय िमझा जाएगा ।
[(5) कोई िाद या कायचिािी उि न्यायालय िे इि िारा के अिीि अन्तटरत की जी िके गी सजिे उिका सिर्ारर् करिे की
3

असिकाटरता ििीं िै ।]
[25. िादों आक्रद के अंतरर् करिे की उच्र्तम न्यायालय की शसक्त—(1) क्रकिी पिकार के आिेदि पर और पिकारों को
4

िपसर्त करिे के पश्र्त और उिमें िे जो िुििाई के इच्छु क िों उिको िुििे के पश्र्त यक्रद उच्र्तम न्यायालय का क्रकिी िी प्रिम पर
यि िमािाि िो जाता िै क्रक न्याय की प्रासप्त के सलए इि िारा के अिीि आदेश देिा िमीर्ीि िै तो िि यि सिदेश दे िके गा क्रक क्रकिी
राज्य के क्रकिी उच्र् न्यायालय या अन्य सिसिल न्यायालय िे क्रकिी अन्य राज्य के क्रकिी उच्र् न्यायालय या अन्य सिसिल न्यायालय को
कोई िाद, अपील या अन्य कायचिािी अन्तटरत कर दी जाए ।
(2) इि िारा के अिीि प्रत्येक आिेदि िमािेदि के द्वारा क्रकया जाएगा और उिके अिुिमथचि में एक शपथपत्र िोगा ।
(3) िि न्यायालय सजिको ऐिा िाद, अपील या अन्य कायचिािी अन्तटरत की गई िै, अन्तरर् आदेश में क्रदए गए सिशेष
सिदेशों के अिीि रिते हुए, या तो उिका पुिः सिर्ारर् करे गा या उि प्रिम िे आगे कायचिािी करे गा सजि पर िि उिे अन्तटरत क्रकया
गया था ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 10 द्वारा (1-2-1977 िे) “ऐिे िाद का तत्पश्र्ात सिर्ारर् करिा िै” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 10 द्वारा (1-2-1977 िे) उपिारा (3) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 10 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 11 द्वारा (1-2-1977 िे) िारा 25 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
10

(4) इि िारा के अिीि आिेदि को िाटरज करते हुए यक्रद उच्र्तम न्यायालय की यि राय िै क्रक आिेदि तुच्छ था या तंग
करिे िाला था तो िि आिेदक को यि आदेश दे िके गा क्रक िि उि व्यसक्त को सजििे आिेदि का सिरोि क्रकया िै, प्रसतकर के रूप में दो
िजार रुपए िे अिसिक ऐिी रासश िंदत्त करे जो न्यायालय मामले की पटरसस्थसतयों में उसर्त िमझे ।
(5) इि िारा के अिीि अन्तटरत िाद, अपील या अन्य कायचिािी को लागप िोिे िाली सिसि िि सिसि िोगी जो िि
न्यायालय सजिमें िि िाद, अपील या अन्य कायचिािी मपलतः िंसस्थत की गई थी, ऐिे िाद, अपील या अन्य कायचिािी को लागप करता ।]
िादों का िंसस्थत क्रकया जािा
26. िादों का िंसस्थत क्रकया जािा—1[(1)] िर िाद िादपत्र को उपसस्थत करके , या ऐिे अन्य प्रकार िे, जैिा सिसित क्रकया
जाए, िंसस्थत जाएगा ।
1
[(2) प्रत्येक िादपत्र में तथ्य शपथपत्र द्वारा िासबत क्रकए जाएंगे ।]
2
[परं तु ऐिा कोई शपथपत्र, आदेश 6, सियम 15क के अिीि यथासिसित प्ररूप और रीसत में िोगा ।]
िमि और प्रकटीकरर्
27. प्रसतिाक्रदयों को िमि—जिां कोई िाद िम्यक रूप िे िंसस्थत क्रकया जा र्ुका िै ििां उपिंजात िोिे और दािे का उत्तर
देिे के सलए िमि प्रसतिादी के िाम सिकाला जा िके गा 3[और उिकी तामील ऐिे क्रदि को, जो िाद के िंस्थापि की तारीि िे तीि
क्रदि िे बाद का ि िो, सिसित रीसत िे की जा िके गी ।]
28. जिां प्रसतिादी क्रकिी अन्य राज्य में सििाि करता िै ििां िमि की तामील—(1) िमि अन्य राज्य में तामील क्रकए जािे
के सलए ऐिे न्यायालय को और ऐिी रीसत िे िेजा जा िके गा जो उि राज्य में प्रिृत्त सियमों द्वारा सिसित की जाए ।
(2) िि न्यायालय सजिे ऐिा िमि िेजा जाता िै, उिकी प्रासप्त पर आगे ऐिे कायचिािी करे गा मािो िि उि न्यायालय द्वारा
िी सिकाला गया िो और तब िि उि िमि को तथा उिके बारे में अपिी कायचिासियों के असिलेि को (यक्रद कोई िो) उिे सिकालिे
िाले न्यायालय को लौटाएगा ।
[(3) जिां क्रकिी दपिरे राज्य में तामील के सलए िेजे गए िमि की िाषा उपिारा (2) में सिर्दचष्ट असिलेि की िाषा िे सिन्ि
4

िै ििां उि उपिारा के अिीि िेजे गए असिलेि के िाथ उिके िाथ उिका,—


(क) यक्रद िमि जारी करिे िाले न्यायालय की िाषा सिन्दी िै तो, सिन्दी में ; या
(ि) यक्रद ऐिे असिलेि की िाषा सिन्दी या अंग्रेजी िे सिन्ि िै तो, सिन्दी या अंग्रेजी में,
अिुिाद िी िेजा जाएगा ।]
5[29. सिदेशी िमिों की तामील—िे िमि और अन्य आदेसशकाएं जो—
(क) िारत के क्रकिी िी ऐिे िाग में स्थासपत क्रकिी सिसिल या राजस्ि न्यायालय द्वारा सजि पर इि िंसिता के
उपबन्िों का सिस्तार ििीं िै ; अथिा
(ि) क्रकिी ऐिे सिसिल या राजस्ि न्यायालय द्वारा जो के न्द्रीय िरकार के प्रासिकार िे िारत के बािर स्थासपत
क्रकया गया िै या र्ालप रिा गया िै ; अथिा
(ग) िारत के बािर के क्रकिी अन्य ऐिे सिसिल या राजस्ि न्यायालय द्वारा सजिके बारे में के न्द्रीय िरकार िे
राजपत्र में असििपर्िा द्वारा यि घोसषत क्रकया िै क्रक उिे इि िारा के उपबन्ि लागप िैं,
सिकाली गई िैं, उि राज्यिेत्रों में के न्यायालयों को िेजी जा िके गी सजि पर इि िंसिता का सिस्तार िै और उिकी तामील ऐिे की जा
िके गी मािो िे ऐिे न्यायालयों द्वारा सिकाले गए िमि िों ।]
30. प्रकटीकरर् और उिके िदृश बातों के सलए आदेश करिे की शसक्त—ऐिी शतों और पटरिीमाओं के अिीि रिते हुए जो
सिसित की जाएं, न्यायालय क्रकिी िी िमय या तो स्िप्रेरर्ा िे या क्रकिी िी पिकार के आिेदि पर—
(क) ऐिे आदेश कर िके गा जो पटरप्रश्िों के पटरदाि और उिका उत्तर देिे िे, दस्तािेजों और तथ्यों की स्िीकृ सत िे
और दस्तािेजों या अन्य िौसतक पदाथों के जो िाक्ष्य के रूप में पेश क्रकए जािे योग्य िों, प्रकटीकरर्, सिरीिर्, पेश क्रकए
जािे, पटरबद्ध क्रकए जािे और लौटाए जािे िे िम्बसन्ित ििी सिषयों के बारे में आिश्यक या युसक्तयुक्त िैं ;

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 2 द्वारा (1-7-2002 िे) िारा 26 को उिकी उपिारा (1) के रूप में पुिः िंखयांक्रकत क्रकया गया ।
2
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा अंत:स्थासपत ।
3
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 3 द्वारा (1-7-2002 िे) अंत:स्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 12 द्वारा (1-5-1977 िे) अन्तःस्थासपत
5
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 6 द्वारा िारा 29 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
11

(ि) ऐिे व्यसक्तयों के िाम िमि सिकाल िके गा सजिकी िासजरी या तो िाक्ष्य देिे या दस्तािेजें पेश करिे या
पपिोक्त जैिे अन्य पदाथों को पेश करिे के सलए अपेसित िैं ;
(ग) यि आदेश दे िके गा क्रक कोई तथ्य शपथपत्र द्वारा िासबत क्रकया जाए ।
31. िािी को िमि—िारा 27, िारा 28 और िारा 29 के उपबन्ि िाक्ष्य देिे या दस्तािेजों या अन्य िौसतक पदाथों के पेश
करिे के सलए िमिों को लागप िोंगे ।
32. व्यसतिम के सलए शासस्त—न्यायालय क्रकिी ऐिे व्यसक्त को सजिके िाम िारा 30 के अिीि िमि सिकाला गया िै,
िासजर िोिे के सलए सििश कर िके गा और उि प्रयोजि के सलए—
(क) उिकी सगरफ्तारी के सलए िारण्ट सिकाल िके गा ;
(ि) उिकी िम्पसत्त को कु कच कर िके गा और उिका सििय कर िके गा ;
(ग) उिके ऊपर 1[पांर् िजार रुपए िे अिसिक] जुमाचिा असिरोसपत कर िके गा ;
(घ) उिे आदेश दे िके गा क्रक िि अपिी उपिंजासत के सलए प्रसतिपसत दे और व्यसतिम करिे पर उिको सिसिल
कारागार को िुपुदच कर िके गा ।
सिर्चय और कु की
33. सिर्चय और सडिी—न्यायालय मामले की िुििाई िो र्ुकिे के पश्र्ात सिर्चय िुिाएगा और ऐिे सिर्चय के अिुिरर् में
सडिी िोगी ।
ब्याज
34. ब्याज—(1) जिां और जिां तक क्रक सडिी िि के िंदाय के सलए िै, न्यायालय सडिी में यि आदेश दे िके गा क्रक
न्यायसिर्ीत मपल रासश पर क्रकिी ऐिे ब्याज के असतटरक्त जो ऐिी मपल रासश पर िाद िंसस्थत क्रकए जािे िे पपिच की क्रकिी अिसि के
सलए न्यायसिर्ीत हुआ िै, िाद की तारीि िे सडिी की तारीि तक ब्याज, ऐिी दर िे जो न्यायालय यु सक्तयुक्त िमझे, 2[ऐिी मपल
रासश पर] सडिी की तारीि िे िंदाय की तारीि तक या ऐिी पपिचतर तारीि तक जो न्यायालय ठीक िमझे, 2[छि प्रसतशत प्रसत िषच िे
अिसिक ऐिी दर िे जो न्यायालय युसक्तयुक्त िमझे, आगे के ब्याज िसित,] क्रदया जाए :
जिां इि प्रकार न्यायसिर्ीत रासश के िंबंि में दासयत्ि क्रकिी िासर्सज्यक िंव्यििार िे उद्िपत हुआ था ििां ऐिे आगे
3[परन्तु

के ब्याज की दर छि प्रसतशत प्रसतिषच की दर िे असिक िो िकती िै, क्रकन्तु ऐिी दर ब्याज की िंसिदात्मक दर िे या जिां कोई
िंसिदात्मक दर ििीं िै ििां उि दर िे असिक ििीं िोगी सजि पर िासर्सज्यक िंव्यििार के िंबंि में राष्िीयकृ त बैंक िि उिार या
असग्रम देते िैं ।]
स्पष्टीकरर् 1—इि उपिारा में “राष्िीकृ त बैंक” िे बैंककारी कम्पिी (उपिमों का अजचि और अन्तरर्) असिसियम, 1970
(1970 का 5) में यथापटरिासषत तत्स्थािी िया बैंक असिप्रेत िै ।
स्पष्टीकरर् 2—इि िारा के प्रयोजिों के सलए, कोई िंव्यििार िासर्सज्यक िंव्यििार िै, यक्रद िि दासयत्ि उपगत करिे िाले
पिकार के उद्योग, व्यापार या कारबार िे िम्बसन्ित िै ।]
(2) जिां 2[ऐिी मपल रासश पर] सडिी की तारीि िे िंदाय की तारीि तक या अन्य पपिचतर तारीि तक आगे के ब्याज के िंदाय
के िंबंि में ऐिी सडिी मौि िै ििां यि िमझा जाएगा क्रक न्यायालय िे ऐिा ब्याज क्रदलािे िे इन्कार कर क्रदया िै और उिके सलए पृथक
िाद ििीं िोगा ।
िर्े—(1) न्यायालय को, क्रकिी िासर्सज्यक सििाद के िंबंि में, तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी अन्य सिसि या सियम में अंतर्िचष्ट
4[35.

क्रकिी बात के िोते हुए िी, यि अििारर् करिे का सििेकासिकार िै क्रक :—


(क) क्या िर्े एक पिकार द्वारा अन्य पिकार को िंदय
े िैं;
(ि) उि िर्ों की मात्रा; और
(ग) उिका िंदाय कब क्रकया जािा िै ।
स्पष्टीकरर्—िंड (क) के प्रयोजि के सलए “िर्े” पद िे,—
(i) िासियों की उपगत फीि और व्ययों;

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 4 द्वारा (1-7-2002 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 2 द्वारा कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 13 द्वारा (1-7-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
4
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा प्रसतस्थासपत ।
12

(ii) उपगत सिसिक फीि और व्ययों;


(iii) कायचिासियों के िंबंि में उपगत क्रकन्िीं अन्य व्ययों,
िे िुिंगत युसक्तयुक्त िर्े असिप्रेत िैं ।
(2) यक्रद न्यायालय िर्ों के िंदाय का आदेश करिे का सिसिश्र्य करता िै तो िािारर् सियम यि िै क्रक अिफल पिकार को
िफल पिकार के िर्ों का िंदाय करिे के सलए आदेसशत क्रकया जाएगा :
परं तु न्यायालय, ऐिे कारर्ों िे, जो असिसलसित क्रकए जाएं, ऐिा कोई आदेश कर िके गा, जो िािारर् सियम िे सिन्ि िै ।
दृष्टांत
िादी िे, अपिे िाद में िंसिदा िंग के सलए क्रकिी िि िंबंिी सडिी और िुकिासियों की ईप्िा करता िै । न्यायालय यि
असिसििाचटरत करता िै क्रक िादी िि िंबंिी सडिी का िकदार िै । तथासप, उिका पुि: यि सिष्कषच िै क्रक िुकिासियों का दािा तुच्छ
और तंग करिे िाला िै ।
ऐिी पटरसस्थसतयों में न्यायालय, िादी के िफल पिकार िोिे के बािजपद िुकिासियों के सलए तुच्छ दािे करिे के कारर् िादी
पर िर्े असिरोसपत कर िके गा ।
(3) न्यायालय, िर्ों के िंदाय का आदेश करते िमय सिम्िसलसित पटरसस्थसतयों को ध्याि में रिेगा,—
(क) पिकारों का आर्रर्;
(ि) क्या कोई पिकार अपिे मामले में िफल हुआ िै, िले िी िि पिकार पपर्च रूप िे िफल ििीं हुआ िो;
(ग) क्या पिकार िे मामले के सिपटारे में सिलंब करिे िाला कोई तु च्छ प्रसतदािा क्रकया िै;
(घ) क्या िमझौता करिे का एक पिकार द्वारा कोई युसक्तयुक्त प्रस्ताि क्रकया गया िै और अन्य पिकार द्वारा
उिको अयुसक्तयुक्त रूप िे इं कार क्रकया गया िै; और
(ङ) क्या पिकार द्वारा तुच्छ दािा क्रकया गया िै और न्यायालय का िमय बबाचद करिे के सलए तंग करिे िाला
कायचिािी िंसस्थत की गई िै ।
(4) ऐिे आदेशों में, जो न्यायालय द्वारा इि उपबंि के अिीि क्रकए जा िकें गे, ऐिा आदेश िसम्मसलत िोगा क्रक क्रकिी पिकार
को,—
(क) दपिरे पिकार के आिुपासतक िर्ों का;
(ि) दपिरे पिकार के िर्ों के िंबंि में कसथत रकम का;
(ग) क्रकिी सिसश्र्त तारीि िे या सिसश्र्त तारीि तक के िर्ों का;
(घ) कायचिासियां आरं ि िोिे के पिले उपगत िर्ों का;
(ङ) कायचिासियों में क्रकए गए सिसशष्ट उपायों िे िंबंसित िर्ों का;
(र्) कायचिासियों के क्रकिी िुसिन्ि िाग िे िंबंसित िर्ों का; और
(छ) क्रकिी सिसश्र्त तारीि िे या सिसश्र्त तारीि तक के िर्ों पर ब्याज का,
िंदाय करिा िोगा ।]
[35क. समथ्या या तंग करिे िाले दािों या प्रसतरिाओं के सलए प्रसतकरात्मक िर्े—(1) यक्रद क्रकिी िाद में या अन्य
1

कायचिािी में 2[सजिके अन्तगचत सिष्पादि कायचिािी आती िै क्रकन्तु 3[अपील या पुिरीिर् ििीं आता िै]] कोई पिकार दािे या प्रसतरिा
के बारे में इि आिार पर आिेप करता िै क्रक दािा या प्रसतरिा या उिका कोई िाग, जिां तक िि आिेपकताच के सिरुद्ध िै, ििां तक
उि पिकार के ज्ञाि में समथ्या या तंग करिे िाला िै, सजिके द्वारा िि क्रकया गया िै, और तत्पश्र्ात यक्रद ऐिा दािा या ऐिी प्रसतरिा
ििां तक पपर्चतः या िागतः िामंजरप , पटरत्यक्त या प्रत्याहृत की जाती िै जिां तक िि आिेपकताच के सिरुद्ध िै, तो न्यायालय, 4[यक्रद िि
ठीक िमझे तो,] ऐिे दािे या प्रसतरिा को समथ्या या तंग करिे िाली ठिरािे के सलए अपिे कारर्ों को असिसलसित करिे के पश्र्ात

1
1922 के असिसियम िं० 9 की िारा 2 द्वारा िारा 35क का अन्तःस्थापि क्रकया गया था, सजिे उिकी िारा 1 (2) के अिीि क्रकिी िी राज्य में क्रकिी सिसिर्दचष्ट तारीि
को राज्य िरकार द्वारा प्रिृत्त क्रकया जा िके गा । इिे मुम्बई, बंगाल, िंयुक्त प्रान्त, पंजाब, सबिार, मध्य प्रान्त, अिम, उडीिा और मद्राि में इि प्रकार प्रिृत्त क्रकया
गया िै ।
2
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 4 द्वारा “जो अपील ििीं िै” शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० की 104 िारा 14 द्वारा (1-2-1977 िे) “सजिमें िे अपील अपिर्जचत िै” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1956 के असिसियम िं० की 66 िारा 4 द्वारा कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
13

यि आदेश कर िके गा क्रक आिेपकताच को प्रसतकर के रूप में िर्े का िंदाय िि पिकार करे सजिके द्वारा ऐिा दािा या प्रसतरिा की गई
िै ।]
1
* * * * *
(3) कोई िी व्यसक्त, सजिके सिरुद्ध इि िारा के अिीि आदेश क्रकया गया िै, इि कारर् िे कोई छप ट क्रकिी ऐिे आपरासिक
दासयत्ि िे ििीं पाएगा, जो उिके द्वारा क्रकए गए क्रकिी दािे या प्रसतरिा के िंबंि में िै ।
(4) क्रकिी समथ्या या तंग करिे िाले दािे या प्रसतरिा के िंबंि में इि िारा के अिीि असिसिर्ीत क्रकिी प्रसतकर की रकम को
ऐिे दािे या प्रसतरिा के िंबंि में िुकिािी या प्रसतकर के सलए क्रकए गए क्रकिी पश्र्ातिती िाद में सििाब में सलया जाएगा ।
[35ि. सिलम्ब काटरत करिे के सलए िर्ाच—(1) यक्रद क्रकिी िाद की िुििाई के सलए या उिमें कोई कायचिािी करिे के सलए
2

सियत क्रकिी तारीि को, िाद का कोई पिकार—


(क) कायचिािी करिे में, जो िि उि तारीि को इि िंसिता द्वारा या इिके अिीि करिे के सलए अपेसित था,
अिफल रिता िै ; अथिा
(ि) ऐिी कायचिािी करिे के सलए या िाक्ष्य पेश करिे के सलए या क्रकिी अन्य आिार पर स्थगि असिप्राप्त
करता िै,
तो न्यायालय ऐिे कारर्ों के आिार पर जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, ऐिे पिकार िे दपिरे पिकार को ऐिे िर्ों का, जो न्यायालय की
राय में दपिरे पिकार को उिके द्वारा उि तारीि को न्यायालय में िासजर िोिे में उपगत व्ययों की बाबत प्रसतपपर्तच करिे के सलए
युसक्तयुक्त रूप में पयाचप्त िों, िंदाय करिे की अपेिा करिे िाला आदेश कर िके गा और ऐिे आदेश की तारीि के ठीक बाद की तारीि
को ऐिे िर्ों का िंदाय—
(क) यक्रद िादी को ऐिे िर्ों का िंदाय करिे का आदेश क्रदया गया था तो िादी द्वारा िाद ;
(ि) यक्रद प्रसतिादी को ऐिे िर्ों का िंदाय करिे के सलए आदेश क्रदया गया था तो प्रसतिादी द्वारा प्रसतरिा में आगे
कायचिािी करिे के सलए पुरोिाव्य शतच िोगी ।
स्पष्टीकरर्—जिां प्रसतिाक्रदयों या प्रसतिाक्रदयों के िमपिों द्वारा पृथक-पृथक प्रसतरिाएं की गई िैं ििां ऐिे िर्ों का िंदाय,
ऐिे प्रसतिाक्रदयों या प्रसतिाक्रदयों के िमपिों द्वारा, सजन्िें न्यायालय द्वारा ऐिे िर्ों का िंदाय करिे का आदेश क्रदया गया िै, प्रसतरिा में
आगे कायचिािी करिे के सलए पुरोिाव्य शतच िोगी ।
(2) ऐिे िर्े, सजिका उपिारा (1) के अिीि िंदाय क्रकए जािे का आदेश क्रकया गया िै यक्रद उिका िंदाय कर क्रदया गया िै
तो, उि िाद में पाटरत सडिी में असिसिर्ीत क्रकए गए िर्ों में िसम्मसलत ििीं क्रकए जाएंगे ; क्रकन्तु यक्रद ऐिे िर्ों का िंदाय ििीं क्रकया
गया िै तो, ऐिे िर्ों की रकम और उि व्यसक्तयों के िाम और पते, सजिके द्वारा ऐिे िर्े िंदय े िैं, उपदर्शचत करिे िाला पृथक आदेश
क्रकया जाएगा और ऐिे तैयार क्रकए गए आदेश का ऐिे व्यसक्तयों के सिरुद्ध सिष्पादि क्रकया जा िके गा ।]
िाग 2

सिष्पादि
िािारर्
3[36.आदेशों को लागप िोिा—इि िंसिता के सडक्रियों के सिष्पादि िे िम्बसन्ित उपबन्िों के बारे में (सजिके अन्तगचत सडिी के
अिीि िंदाय िे िंबंसित उपबन्ि िी िैं) यिी िमझा जाएगा क्रक िे आदेशों के सिष्पादि को (सजिके अन्तगचत आदेश के अिीि िंदाय िी
िैं) ििां तक लागप िैं जिां तक क्रक िे उन्िें लागप क्रकए जा िकें गे ।]
37. सडिी पाटरत करिे िाले न्यायालय की पटरिाषा—जब तक क्रक कोई बात, सिषय या िंदिच में सिरुद्ध ि िो, सडक्रियों के
सिष्पादि के िम्बन्ि में “सडिी पाटरत करिे िाला न्यायालय” पद के या उि प्रिाि िाले शब्दों के बारे में यि िमझा जाएगा क्रक उिके
या उिके अन्तगचत—
(क) जिां सिष्पाक्रदत की जािे िाली सडिी अपीली असिकाटरता के प्रयोग में पाटरत की गई िै ििां प्रथम बार का
न्यायालय आता िै, तथा
(ि) जिां प्रथम बार का न्यायालय सिद्यमाि ििीं रि गया िै या उिे सिष्पाक्रदत करिे की असिकाटरता उिे ििीं रि
गई िै ििां िि न्यायालय आता िै जो, यक्रद िि िाद सजिमें सडिी पाटरत की गई िै, सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि देिे
के िमय िंसस्थत क्रकया जाता तो ऐिे िाद का सिर्ारर् करिे की असिकाटरता रिता ।

1
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 द्वारा और दपिरी अिुिपर्ी द्वारा लोप क्रकया गया ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 15 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 16 द्वारा (1-2-1977 िे) िारा 36 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
14

1[स्पष्टीकरर्—प्रथम
बार के न्यायालय की सडिी का सिष्पादि करिे की असिकाटरता के िल इि आिार पर िमाप्त ििीं िो
जाती क्रक उि िाद के िंसस्थत क्रकए जािे के पश्र्ात सजिमें सडिी पाटरत की गई थी या सडिी पाटरत क्रकए जािे के पश्र्ात उि
न्यायालय की असिकाटरता िे कोई िेत्र क्रकिी अन्य न्यायालय की असिकाटरता में अन्तटरत कर क्रदया गया िै क्रकन्तु ऐिे प्रत्येक मामले
में, ऐिे अन्य न्यायालय को िी सडिी के सिष्पादि की असिकाटरता िोगी यक्रद सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि करिे के िमय, उिे
उक्त िाद का सिर्ारर् करिे की असिकाटरता िोती ।]
िे न्यायालय सजिके द्वारा सडक्रियां सिष्पाक्रदत की जा िकें गी
38. िि न्यायालय सजिके द्वारा सडक्रियां सिष्पाक्रदत की जा िके गी—सडिी या तो उिे पाटरत करिे िाले न्यायालय द्वारा या
उि न्यायालय द्वारा, सजिे िि सिष्पादि के सलए िेजी गई िै, सिष्पाक्रदत की जा िके गी ।
39. सडिी का अन्तरर्—(1) सडिी पाटरत करिे िाला न्यायालय सडिीदार के आिेदि पर उिे 2[ििम असिकाटरता िाले
अन्य न्यायालय को] सिष्पादि के सलए िेजेगा :—
(क) यक्रद िि व्यसक्त, सजिके सिरुद्ध सडिी पाटरत की गई िै, ऐिे अन्य न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय
िीमाओं के िीतर िास्ति में और स्िेच्छा िे सििाि करता िै या कारबार करता िै या असिलाि के सलए स्ियं काम करता
िै ; अथिा
(ि) यक्रद ऐिे व्यसक्त की िम्पसत्त जो ऐिी सडिी की तुसष्ट के सलए पयाचप्त िो सडिी पाटरत करिे िाले न्यायालय
की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर ििीं िै और ऐिे अन्य न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के
िीतर िै ; अथिा
(ग) यक्रद सडिी उिे पाटरत करिे िाले न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के बािर सस्थत स्थािर
िम्पसत्त के सििय या पटरदाि का सिदेश देती िै ; अथिा
(घ) यक्रद सडिी पाटरत करिे िाला न्यायालय क्रकिी अन्य कारर् िे सजिे िि लेिबद्ध करे गा, यि सिर्ार करता िै
क्रक सडिी का सिष्पादि ऐिे अन्य न्यायालय द्वारा क्रकया जािा र्ासिए ।
(2) सडिी पाटरत करिे िाला न्यायालय स्िप्रेरर्ा िे उिे ििम असिकाटरता िाले क्रकिी िी अिीिस्थ न्यायालय को
सिष्पादि के सलए िेज िके गा ।
[(3) इि िारा के प्रयोजिों के सलए, क्रकिी न्यायालय को ििम असिकाटरता िाला न्यायालय िमझा जाएगा यक्रद, उि
3

न्यायालय को सडिी के अन्तरर् के सलए आिेदि करिे के िमय, ऐिे न्यायालय को उि िाद का सिर्ारर् करिे की असिकाटरता िोती
सजिमें ऐिे सडिी पाटरत की गई थी ।]
[(4) इि िारा की क्रकिी बात िे यि ििीं िमझा जाएगा क्रक िि उि न्यायालय को, सजििे सडिी पाटरत की िै, अपिी
4

असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के बािर ऐिी सडिी को, क्रकिी व्यसक्त या िंपसत्त के सिरुद्ध सिष्पादि के सलए प्रासिकृ त करती िै ।]
40. क्रकिी अन्य राज्य के न्यायालय को सडिी का अन्तरर्—जिां सडिी क्रकिी अन्य राज्य में सिष्पादि के सलए िेजी जाती िै
ििां िि ऐिे न्यायालय को िेजी जाएगी, और ऐिी रीसत िे सिष्पाक्रदत की जाएगी जो उि राज्य में प्रिृत्त सियमों द्वारा सिसित
की जाए ।
41. सिष्पादि कायचिासियों के पटरर्ाम का प्रमासर्त क्रकया जािा—िि न्यायालय, सजिे सडिी सिष्पादि के सलए िेजी जाती
िै ऐिी सडिी पाटरत करिे िाले न्यायालय को ऐिे सिष्पादि का तथ्य या जिां पपिच कसथत न्यायालय उिे सिष्पाक्रदत करिे में अिफल
रिता िै ििां ऐिी अिफलता की पटरसस्थसतयां प्रमासर्त करे गा ।
42. अन्तटरत सडिी के सिष्पादि में न्यायालय की शसक्तयां—5[(1)] अपिे को िेजी गई सडिी का सिष्पादि करिे िाले
न्यायालय को ऐिी सडिी के सिष्पादि में िे िी शसक्तयां िोंगी जो उिकी िोती यक्रद िि उिके िी द्वारा पाटरत की गई िोती । िे ििी
व्यसक्त, जो सडिी की अिज्ञा करते िैं या उिके सिष्पादि में बािा डालते िैं, ऐिे न्यायालय द्वारा उिी रीसत िे दण्डिीय िोंगे मािो
सडिी उििे िी पाटरत की िो और ऐिी सडिी के सिष्पादि में उिका आदेश अपील के बारे में उन्िीं सियमों के अिीि रिेगा मािो सडिी
उिके िी द्वारा पाटरत की गई िो ।
[(2) उपिारा (1) के उपबन्िों की व्यापकता पर प्रसतकप ल प्रिाि डाले सबिा, उि उपिारा के अिीि न्यायालय की शसक्तयों
6

के अन्तगचत सडिी पाटरत करिे िाले न्यायालय की सिम्िसलसित शसक्तयां िोंगी, अथाचत :—

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 17 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 18 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 18 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 2 द्वारा (1-7-2002 िे) अंतःस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 19 द्वारा (1-2-1977 िे) िारा 42 उिकी उपिारा (1) के रूप में पुिः िंखयांक्रकत ।
6
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 19 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
15

(क) िारा 39 के अिीि क्रकिी अन्य न्यायालय को सिष्पादि के सलए सडिी िेजिे की शसक्त ;
(ि) िारा 50 के अिीि मृत सिर्ीत-ऋर्ी के सिसिक प्रसतसिसि के सिरुद्ध सडिी का सिष्पादि करिे की शसक्त ;
(ग) सडिी को कु कच करिे का आदेश देिे की शसक्त ।
(3) उपिारा (2) में सिसिर्दचष्ट शसक्तयों के प्रयोग में आदेश पाटरत करिे िाला न्यायालय उिकी एक प्रसत सडिी पाटरत करिे
िाले न्यायालय को िेजेगा ।
(4) इि िारा की क्रकिी बात िे यि ििीं िमझा जाएगा क्रक िि उि न्यायालय को सजिको सडिी सिष्पादि के सलए िेजी गई
िै, सिम्िसलसित शसक्तयों में िे कोई शसक्त प्रदाि करती िै, अथाचत :—
(क) सडिी के अन्तटरती की प्रेरर्ा िे सिष्पादि का आदेश देिे की शसक्त ;
(ि) क्रकिी फमच के सिरुद्ध पाटरत सडिी की दशा में, आदेश 21 के सियम 50 के उपसियम (1) के िण्ड (ि) या िण्ड
(ग) में सिर्दचष्ट व्यसक्त िे सिन्ि क्रकिी व्यसक्त के सिरुद्ध ऐिी सडिी के सिष्पादि की इजाजत देिे की शसक्त ।]
1
[43. सजि स्थािों पर इि िंसिता का सिस्तार ििीं िै, ििां के सिसिल न्यायालयों द्वारा पाटरत सडक्रियों का सिष्पादि—यक्रद
कोई सडिी, जो क्रकिी ऐिे सिसिल न्यायालय द्वारा पाटरत की गई िै, जो िारत के क्रकिी ऐिे िाग में स्थासपत िै सजि पर इि िंसिता के
उपबन्िों का सिस्तार ििीं िै या क्रकिी ऐिे न्यायालय द्वारा पाटरत की गई िै जो के न्द्रीय िरकार के प्रासिकार द्वारा िारत के बािर
स्थासपत क्रकया गया िै या र्ालप रिा गया िै, उिे पाटरत करिे िाले न्यायालय की असिकाटरता के िीतर सिष्पाक्रदत ििीं की जा िकती,
तो इिमें उपबंसित रीसत िे िि उि राज्यिेत्रों के , सजि पर इि िंसिता का सिस्तार िै, क्रकिी िी न्यायालय की असिकाटरता के िीतर
सिष्पाक्रदत की जा िके गी ।]
2[44.सजि स्थािों पर इि िंसिता का सिस्तार ििीं िै, ििां के राजस्ि न्यायालयों द्वारा पाटरत सडक्रियों का सिष्पादि—राज्य
िरकार, राजपत्र में असििपर्िा द्वारा, यि घोसषत कर िके गी क्रक िारत के ऐिे क्रकिी िाग के , सजि पर इि िंसिता के उपबन्िों का
सिस्तार ििीं िै, क्रकिी राजस्ि न्यायालय की सडक्रियों का या ऐिी सडक्रियों के क्रकिी िगच का राज्य में ऐिे सिष्पादि क्रकया जा िके गा
मािो िे उि राज्य में के न्यायालय द्वारा पाटरत की गई थी ।]
3[44क. व्यसतकारी राज्यिेत्रों के न्यायालयों द्वारा पाटरत सडक्रियों का सिष्पादि—(1) जिां 4*** क्रकिी व्यसतकारी राज्यिेत्र
के िटरष्ठ न्यायालयों में िे क्रकिी की सडिी की प्रमासर्त प्रसत क्रकिी सजला न्यायालय में फाइल की गई िै ििां उि सडिी का 5[िारत] में
सिष्पादि ऐिे क्रकया जा िके गा मािो िि उि सजला न्यायालय द्वारा पाटरत की गई थी ।
(2) सडिी की प्रमासर्त प्रसत के िाथ ऐिे िटरष्ठ न्यायालय का ऐिा प्रमार्पत्र फाइल क्रकया जाएगा सजिमें उि सिस्तार का,
यक्रद कोई िो, उल्लेि िोगा सजि तक िि सडिी तुष्ट या िमायोसजत की गई िै, और ऐिा प्रमार्पत्र इि िारा के अिीि की
कायचिासियों के प्रयोजिों के सलए ऐिी तुसष्ट या िमायोजि के सिस्तार का सिश्र्ायक िबपत िोगा ।
(3) िारा 47 के उपबन्ि इि िारा के अिीि सडिी का सिष्पादि करिे िाले सजला न्यायालय की कायचिासियों को उि सडिी
की प्रमासर्त प्रसत के फाइल क्रकए जािे के िमय िे लागप िोंगे और यक्रद सजला न्यायालय को िमािािप्रद रूप में यि दर्शचत कर क्रदया
जाता िै क्रक सडिी िारा 13 के िण्ड (क) िे िण्ड (र्) तक में सिसिर्दचष्ट अपिादों में िे क्रकिी में आती िै तो िि न्यायालय ऐिी सडिी
का सिष्पादि करिे िे इं कार कर देगा ।
6[स्पष्टीकरर्
1—“व्यसतकारी राज्यिेत्रों” िे िारत के बािर का ऐिा देश या राज्यिेत्र असिप्रेत िै, सजिे के न्द्रीय िरकार इि
िारा के प्रयोजिों के सलए राजपत्र में असििपर्िा द्वारा व्यसतकारी राज्यिेत्र घोसषत करे ऐिे क्रकिी राज्यिेत्र के प्रसत सिदेश िे “िटरष्ठ
न्यायालय” िे ऐिे न्यायालय असिप्रेत िैं जो उक्त असििपर्िा में सिसिर्दचष्ट क्रकए जाएं ।
स्पष्टीकरर् 2—िटरष्ठ न्यायालय के प्रसत सिदेश िे प्रयुक्त “सडिी” शब्द िे ऐिे न्यायालय की ऐिी सडिी या सिर्चय असिप्रेत
िै, सजिके अिीि ऐिी ििरासश िंदय े िै जो करों या िमाि प्रकृ सत के अन्य प्रिारों के सलए अथिा जुमाचिे या अन्य शासस्त के बारे में
िंदये रासश ििीं िै, क्रकन्तु क्रकिी िी दशा में इिके अन्तगचत माध्यस्थम पंर्ाट ििीं िोगा, यद्यसप ऐिा पंर्ाट सडिी या सिर्चय के रूप में
प्रितचिीय िै ।]]
[45. िारत के बािर सडक्रियों का सिष्पादि—इि िाग की पपिचगामी िाराओं में िे उतिी िाराओं का, सजतिी न्यायालय को
7

क्रकिी अन्य न्यायालय में सिष्पादि के सलए सडिी िेजिे के सलए िशक्त करती िैं, यि अथच लगाया जाएगा क्रक िि क्रकिी राज्य में के

1
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 8 द्वारा िारा 43 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 9 द्वारा िारा 44 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1937 के असिसियम िं० 8 की िारा 2 द्वारा अंतःस्थासपत ।
4
1952 के असिसियम िं० 71 की िारा 2 द्वारा “यपिाइटेड ककं गडम या” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
5
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6
1952 के असिसियम िं० 71 की िारा 2 द्वारा स्पष्टीकरर् 1 िे 3 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
7
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा िारा 45 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
16

न्यायालय को के न्द्रीय िरकार के प्रासिकार द्वारा 1[िारत के बािर] स्थासपत 2*** क्रकिी ऐिे न्यायालय में सिष्पादि के सलए सडिी
िेजिे के सलए िशक्त करती िै, सजिके बारे में उि राज्य िरकार िे राजपत्र में असििपर्िा द्वारा यि घोसषत क्रकया िै क्रक उिे यि िारा
लागप िोगी ।]
46. आज्ञापत्र—(1) जब किी सडिी पाटरत करिे िाला न्यायालय सडिीदार के आिेदि पर ठीक िमझे तब िि क्रकिी ऐिे
अन्य न्यायालय को जो उि सडिी के सिष्पादि के सलए ििम िै, यि आज्ञापत्र सिकाल िके गा क्रक िि सिर्ीत-ऋर्ी की उिी आज्ञापत्र में
सिसिर्दचष्ट कोई िी िम्पसत्त कु कच कर ले ।
(2) िि न्यायालय, सजिे आज्ञापत्र िेजा जाता िै, उि िम्पसत्त को ऐिी रीसत िे कु कच करिे के सलए कायचिािी करे गा जो सडिी
के सिष्पादि में िम्पसत्त की कु की के सलए सिसित िै :
परन्तु जब तक क्रक कु की की अिसि सडिी पाटरत करिे िाले न्यायालय के आदेश द्वारा बढ़ा ि दी गई िो या जब तक क्रक कु की
के अििाि के पपिच सडिी कु की करिे िाले न्यायालय को अन्तटरत ि कर दी गई िो और सडिीदार िे ऐिी िम्पसत्त के सििय के आदेश के
सलए आिेदि ि कर क्रदया िो, आज्ञापत्र के अिीि कोई िी कु की दो माि िे असिक र्ालप ि रिेगी ।
प्रश्ि सजिका अििारर् सडिी का सिष्पादि करिे िाला न्यायालय करे गा
47. प्रश्ि सजिका अििारर् सडिी का सिष्पादि करिे िाला न्यायालय करे गा—(1) िे ििी प्रश्ि, जो उि िाद के पिकारों
के या उिके प्रसतसिसियों के बीर् पैदा िोते िैं, सजिमें सडिी पाटरत की गई थी और जो सडिी के सिष्पादि, उन्मोर्ि या तुसष्ट िे
िंबंसित िै, सडिी का सिष्पादि करिे िाले न्यायालय द्वारा, ि क्रक पृथक िाद द्वारा, अििाटरत क्रकए जाएंगे ।
3
* * * * *
(3) जिां यि प्रश्ि पैदा िोता िै क्रक कोई व्यसक्त क्रकिी पिकार का प्रसतसिसि िै या ििीं िै ििां ऐिा प्रश्ि उि न्यायालय
द्वारा इि िारा के प्रयोजिों के सलए अििाटरत क्रकया जाएगा ।
4
[स्पष्टीकरर् 1—िि िादी सजिका िाद िाटरज िो र्ुका िै और िि प्रसतिादी सजिके सिरुद्ध िाद िाटरज िो र्ुका िै इि
िारा के प्रयोजिों के सलए िाद के पिकार िैं ।
स्पष्टीकरर् 2—(क) सडिी के सिष्पादि के सलए सििय में िम्पसत्त का िे ता इि िारा के प्रयोजिों के सलए उि िाद का
पिकार िमझा जाएगा सजिमें िि सडिी पाटरत की गई िै ; और
(ि) ऐिी िम्पसत्त के िे ता को या उिके प्रसतसिसि को कब्जा देिे िे िंबंसित ििी प्रश्ि इि िारा के अथच में सडिी के
सिष्पादि, उन्मोर्ि या उिकी तुसष्ट िे िंबंसित प्रश्ि िमझे जाएंगे ।]
सिष्पादि के सलए िमय की िीमा
48. [कु छ मामलों में सिष्पादि सिर्जचत ।]—पटरिीमा असिसियम, 1963 (1963 का 36) की िारा 28 द्वारा (1 जििरी, 1964
िे) सिरसित ।
अन्तटरती और सिसिक प्रसतसिसि
49. अन्तटरती—सडिी का िर अन्तटरती, उिे उि िाम्याओं के (यक्रद कोई िों) अिीि रिते हुए िारर् करे गा सजन्िें सिर्ीत-
ऋर्ी मपल सडिीदार के सिरुद्ध प्रिर्तचत करा िकता था ।
50. सिसिक प्रसतसिसि—(1) जिां सडिी के पपर्चतः तुष्ट क्रकए जािे िे पिले सिर्ीत-ऋर्ी की मृत्यु िो जाती िै ििां सडिी का
िारक सडिी पाटरत करिे िाले न्यायालय में आिेदि कर िके गा क्रक िि उिका सिष्पादि मृतक के सिसिक प्रसतसिसि के सिरुद्ध करे ।
(2) जिां सडिी ऐिे सिसिक प्रसतसिसि के सिरुद्ध सिष्पाक्रदत की जाती िै ििां िि मृतक की िम्पसत्त के उि पटरमार् तक िी
दायी िोगा सजतिे पटरमार् तक िि िम्पसत्त उिके िाथ में आई िै और िम्यक रूप िे व्ययसित ििीं कर दी गई िै और सडिी सिष्पाक्रदत
करिे िाला न्यायालय ऐिा दासयत्ि असिसिसश्र्त करिे के प्रयोजि के सलए स्िप्रेरर्ा िे या सडिीदार के आिेदि पर ऐिे ले िाओं को,
जो िि न्यायालय ठीक िमझे, पेश करिे के सलए ऐिे सिसिक प्रसतसिसि को सििश कर िके गा ।
सिष्पादि-प्रक्रिया
51. सिष्पादि करािे की न्यायालय की शसक्तयां—ऐिी शतों और पटरिीमाओं के अिीि रिते हुए, जो सिसित की जाए,
न्यायालय सडिीदार के आिेदि पर आदेश दे िके गा क्रक सडिी का सिष्पादि—
(क) सिसिर्दचष्ट रूप िे सडिीत क्रकिी िम्पसत्त के पटरदाि द्वारा क्रकया जाए ;

1
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “क्रकिी िारतीय राज्य में” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
िारतीय स्ितंत्रता (के न्द्रीय असिसियमों और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा “या बिाए रिे गए” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 20 द्वारा (1-2-1977 िे) उपिारा (2) का लोप क्रकया गया ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 20 द्वारा (1-2-1977 िे) स्पष्टीकरर् के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
17

(ि) क्रकिी िम्पसत्त की कु की और सििय द्वारा या उिकी कु की के सबिा सििय द्वारा की जाए ;
(ग) 1[जिां िारा 58 के अिीि सगरफ्तारी और सिरोि अिुज्ञेय िै ििां सगरफ्तारी और ऐिी अिसि के सलए जो उि
िारा में सिसिर्दचष्ट अिसि िे असिक ि िो,] कारगार में सिरोि द्वारा क्रकया जाए ;
(घ) टरिीिर की सियुसक्त द्वारा क्रकया जाए ; अथिा
(ङ) ऐिी अन्य रीसत िे क्रकया जाए सजिकी क्रदए गए अिुतोष की प्रकृ सत अपेिा करे :
[परन्तु जिां सडिी िि के िंदाय के सलए िै ििां कारगार में सिरोि द्वारा सिष्पादि के सलए आदेश तब तक ििीं क्रदया जाएगा
2

जब तक क्रक सिर्ीत-ऋर्ी को इिके सलए िेतुक दर्शचत करिे का अििर देिे के पश्र्ात क्रक उिे कारगार को क्यों ि िुपुदच क्रकया जाए,
न्यायालय का असिसलसित कारर्ों िे यि िमािाि ििीं िो जाता िै क्रक—
(क) सिर्ीत-ऋर्ी इि उद्देश्य िे या यि पटरर्ाम पैदा करिे के सलए क्रक सडिी के सिष्पादि में बािा या
सिलम्ब िो,—
(i) न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं िे फरार िोिे िाला िै या उन्िें छोडिे िाला
िै, अथिा
(ii) उि िाद के िंसिप्त क्रकए जािे के पश्र्ात सजिमें िि सडिी पाटरत की गई थी अपिी िम्पसत्त के
क्रकिी िाग को बेईमािी िे अन्तटरत कर र्ुका िै, सछपा र्ुका िै या िटा र्ुका िै अथिा अपिी िम्पसत्त के िम्बन्ि में
अिदिािपपर्च कोई अन्य कायच कर र्ुका िै, अथिा
(ि) सडिी की रकम या उिके पयाचप्त िाग का िंदाय करिे के िािि सिर्ीत-ऋर्ी के पाि िैं या सडिी की तारीि
के पश्र्ात रि र्ुके िैं और िि उिे िंदत्त करिे िे इं कार या िंदत्त करिे में उपेिा करता िै या कर र्ुका िै,
(ग) सडिी उि रासश के सलए िै, सजिका लेिा देिे के सलए सिर्ीत-ऋर्ी िैश्िािासिक िैसियत में आबद्ध था ।
स्पष्टीकरर्—िण्ड (ि) के प्रयोजिों के सलए, सिर्ीत-ऋर्ी के िाििों की गर्िा करिे में, ऐिी िम्पसत्त गर्िा में िे छोड दी
जाएगी, जो सडिी के सिष्पादि में कु कच क्रकए जािे िे तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सिसि या सिसि का बल रििे िाली रूक्रढ़ द्वारा या उिके
अिीि छप ट-प्राप्त िै ।
52. सिसिक प्रसतसिसि के सिरुद्ध सडिी का प्रितचि —(1) जिां क्रकिी मृत व्यसक्त के सिसिक प्रसतसिसि के रूप में क्रकिी पिकार
के सिरुद्ध कोई सडिी पाटरत की गई िै और सडिी मृतक की िम्पसत्त में िे िि िंदत्त क्रकए जािे के सलए िै और ििां िि ऐिी क्रकिी िी
िम्पसत्त की कु की और सििय द्वारा सिष्पाक्रदत की जा िके गी ।
(2) जिां सिर्ीत-ऋर्ी के कब्जे में ऐिी कोई िम्पसत्त बाकी ि बर्ी िो और िि न्यायालय का यि िमािाि करिे में अिफल
रिता िै क्रक उििे मृतक की उि िम्पसत्त का िम्यक रूप िे उपयोजि कर क्रदया िै सजिका उिके कब्जे में आिा िासबत कर क्रदया गया िै
ििां सडिी सिर्ीत-ऋर्ी के सिरुद्ध उि िम्पसत्त के पटरमार् तक, सजिके िम्बन्ि में िि न्यायालय का िमािाि करिे में अिफल रिा िै,
उिी रीसत िे सिष्पाक्रदत की जा िके गी मािो िि सडिी िैयसक्तक रूप िे उिके सिरुद्ध पाटरत की गई थी ।
53. पैतृक िम्पसत्त का दासयत्ि—पुत्र या अन्य िंशज के िाथ में की ऐिी िम्पसत्त के बारे में, जो मृत पपिचज के ऐिे ऋर् के
र्ुकािे के सलए सिन्दप सिसि के अिीि दायी िैं, सजिके सलए सडिी पाटरत की जा र्ुकी िै, िारा 50 और िारा 52 के प्रयोजिों के सलए
यि िमझा जाएगा क्रक िि मृतक की ऐिी िम्पसत्त िै जो उिके सिसिक प्रसतसिसि के रूप में पुत्र या अन्य िंशज के िाथ में आई िै ।
54. िम्पदा का सििाजि या अंश का पृथककरर्—जिां सडिी क्रकिी ऐिी असििक्त िम्पदा के सििाजि के सलए िै, सजि पर
िरकार को क्रदए जािे के सलए राजस्ि सििाचटरत िै, या ऐिी िम्पदा के अंश के पृथक कब्जे के सलए िै ििां िम्पदा का सििाजि या अंश
का पृथककरर् कलक्टर या कलक्टर के ऐिे क्रकिी राजपसत्रत अिीिस्थ द्वारा, सजिे उििे इि सिसमत्त प्रसतसियु क्त क्रकया िो, ऐिी
िम्पदाओं के सििाजि या अंशों के पृथक कब्जे िे िम्बसन्ित तत्िमय प्रिृत्त सिसि (यक्रद कोई िो) के अिुिार क्रकया जाएगा ।
सगरफ्तारी और सिरोि
55. सगरफ्तारी और सिरोि—(1) सिर्ीत-ऋर्ी सडिी के सिष्पादि में क्रकिी िी िमय और क्रकिी िी क्रदि सगरफ्तार क्रकया जा
िके गा और यथािाध्य शीघ्रता िे न्यायालय के िमि लाया जाएगा और िि उि सजले के सिसिल कारागार में, सजिमें सिरोि का आदे श
देिे िाला न्यायालय सस्थत िै या जिां ऐिे सिसिल कारागार में उपयु क्त िाि-िुसििा ििीं िै ििां ऐिे क्रकिी अन्य स्थाि में, सजिे राज्य
िरकार िे ऐिे व्यसक्तयों के सिरोि के सलए सियत क्रकया िो, सजिके सिरुद्ध क्रकए जािे का आदेश ऐिे सजले के न्यायालयों द्वारा क्रदया
जाए, सिरुद्ध क्रकया जा िके गा :
परन्तु प्रथमतः इि िारा के अिीि सगरफ्तारी करिे के प्रयोजि के सलए क्रकिी िी सििाि-गृि में िपयाचस्त के पश्र्ात और
िपयोदय के पपिच प्रिेश ििीं क्रकया जाएगा :

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 21 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
2
1936 के असिसियम िं० 21 की िारा 2 द्वारा अंतःस्थासपत ।
18

परन्तु सद्वतीयतः सििाि-गृि का कोई िी बािरी द्वार तब तक तोड कर ििीं िोला जाएगा जब तक क्रक ऐिा सििाि-गृि
सिर्ीत-ऋर्ी के असििोग में ि िो और िि उि तक पहुंर् िोिे देिे िे मिा ि करता िो या पहुंर् िोिे देिा क्रकिी िांसत सििाटरत ि
करता िो, क्रकन्तु जबक्रक सगरफ्तार करिे के सलए प्रासिकृ त असिकारी िे क्रकिी सििाि-गृि में िस्यक रूप िे प्रिेश कर सलया िै, तब िि
क्रकिी ऐिे कमरे का द्वार तोड िके गा सजिके बारे में उिे यि सिश्िाि करिे का कारर् िै क्रक उिमें सिर्ीत-ऋर्ी िै :
परन्तु तृतीयतः यक्रद कमरा क्रकिी ऐिी स्त्री के िास्तसिक असििोग में िै जो सिर्ीत-ऋर्ी ििीं िै और जो देश की रूक्रढ़यों के
अिुिार लोगों के िामिे ििीं आती िै तो सगरफ्तारी करिे के सलए प्रासिकृ त असिकारी उिे यि िपर्िा देगा क्रक िि ििां िे िट जािे के
सलए स्ितंत्र िै और उिे िट जािे के सलए युसक्तयुक्त िमय अिुज्ञात करिे और िट जािे के सलए उिे युसक्तयुक्त िुसििा देिे के पश्र्ात
िि सगरफ्तारी करिे के प्रयोजि िे कमरे में प्रिेश कर िके गा :
परन्तु र्तुथचतः जिां िि सडिी, सजिके सिष्पादि में सिर्ीत-ऋर्ी को सगरफ्तार क्रकया गया िै, िि के िंदाय के सलए सडिी िै
और सिर्ीत-ऋर्ी सडिी की रकम और सगफ्तारी का िर्ाच उि असिकारी को िंदत्त कर देता िै, सजििे उिे सगफ्तार क्रकया िै ििां ऐिा
असिकारी उिे तुरन्त छोड देगा ।
(2) राज्य िरकार, राजपत्र में असििपर्िा द्वारा, यि घोषर्ा कर िके गी क्रक ऐिा कोई िी व्यसक्त या ऐिे व्यसक्तयों का िगच,
सजिकी सगरफ्तारी िे लोगों को ितरा या अिुसििा पैदा िो िकती िै, सडिी के सिष्पादि में ऐिी प्रक्रिया िे सिन्ि प्रक्रिया के अिुिार
जो राज्य िरकार इि सिसमत्त सिसित करे , सगरफ्तारी क्रकए जािे के दासयत्ि के अिीि ििीं िोगा ।
(3) जिां सिर्ीत-ऋर्ी िि के िंदाय के सलए सडिी के सिष्पादि में सगरफ्तार क्रकया जाता िै और न्यायालय के िमि लाया
जाता िै ििां न्यायालय उिे यि बताएगा क्रक िि क्रदिासलया घोसषत क्रकए जािे के सलए आिेदि कर िकता िै और यक्रद उििे आिेदि
की सिषय-िस्तु के िंबंि में कोई अिदिािपपर्च कायच ििीं क्रकया िै और यक्रद िि तत्िमय प्रिृत्त क्रदिाला-सिसि के उपबन्िों का अिुपालि
करता िै तो िि 1[उन्मोसर्त क्रकया जा िके गा] ।
(4) जिां सिर्ीत-ऋर्ी क्रदिासलया घोसषत क्रकए जािे के सलए आिेदि करिे का अपिा आशय प्रकट करता िै और न्यायालय
को िमािािप्रद प्रसतिपसत इि बात के सलए दे देता िै क्रक िि ऐिा आिेदि एक माि के िीतर करे गा और िि आिेदि-िंबंिी या उि
सडिी-िंबंिी सजिके सिष्पादि में िि सगरफ्तार क्रकया गया था, क्रकिी कायचिािी में बुलाए जािे पर उपिंजात िोगा ििां न्यायालय उिे
सगरफ्तारी िे 2[छोड िके गा] और यक्रद िि ऐिे आिेदि करिे और उिंजात िोिे में अिफल रिता िै तो न्यायालय सडिी के सिष्पादि में
या तो प्रसतिपसत आप्त करिे का या उि व्यसक्त को सिसिल कारागार को िुपुदच क्रकए जािे का सिदेश दे िके गा ।
56. िि की सडिी के सिष्पादि में सस्त्रयों की सगरफ्तारी या सिरोि का सिषेि —इि िाग में क्रकिी बात के िोते हुए िी,
न्यायालय िि के िंदाय की सडिी के सिष्पादि में स्त्री को सगरफ्तार करिे और सिसिल कारगार में सिरुद्ध करिे के सलए आदेश ििीं
देगा ।
57. जीिि-सििाचि ित्ता—राज्य िरकार सिर्ीत-ऋसर्यों के जीिि-सििाचि के सलए िंदय
े मासिक ित्तों के मापमाि, उिकी
पंसक्त, मपलिंश और रासष्िकता के अिुिार श्रेर्ीबद्ध करके सियत कर िके गी ।
58. सिरोि और छोडा जािा—(1) सडिी के सिष्पादि में सिसिल कारागार में सिरुद्ध िर व्यसक्त,—
(क) जिां सडिी 3[4[पांर् िजार रुपए]] िे असिक ििरासश का िंदाय करिे के सलए िै 3[ििां तीि माि िे अिसिक
अिसि के सलए, और]
[(ि) जिां सडिी दो िजार रुपए िे असिक क्रकन्तु पांर् िजार रुपए िे अिसिक ििरासश का िंदाय करिे के सलए िै
5

ििां छि िप्ताि िे अिसिक अिसि के सलए],


सडिी के सिष्पादि के सलए सिरुद्ध क्रकया जाएगा ।
शंकाओं को दपर करिे के सलए यि घोसषत क्रकया जाता िै क्रक जिां सडिी की कु ल रकम 7[दो िजार रुपए] िे असिक
6[(1क)

ििीं िै ििां िि के िंदाय की सडिी के सिष्पादि में सिर्ीत-ऋर्ी को सिसिल कारागार में सिरुद्ध करिे के सलए कोई आदेश ििीं क्रकया
जाएगा ।]
(2) इि िारा के अिीि सिरोि में िे छोडा गया सिर्ीत-ऋर्ी अपिे छोडे जािे के कारर् िी अपिे ऋर् िे उन्मोसर्त ििीं िो
जाएगा, क्रकन्तु िि सजि सडिी के सिष्पादि में सिसिल कारागार में सिरुद्ध क्रकया गया था, उिके सिष्पादि में पुिः सगरफ्तार ििीं क्रकया
जा िके गा ।

1
1921 के असिसियम िं० 3 की िारा 2 द्वारा “उन्मोसर्त क्रकया जाएगा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1921 के असिसियम िं० 3 की िारा 2 द्वारा “सिमुचक्त कर देगा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 22 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 5 द्वारा (1-7-2002 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 5 द्वारा (1-7-2002 िे) िण्ड (ि) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 22 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
7
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 5 द्वारा (1-7-2002 िे) “पांर् िौ रुपए” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
19

59. रुग्र्ता के आिार पर छोडा जािा—(1) न्यायालय सिर्ीत-ऋर्ी की सगरफ्तारी के सलए िारण्ट सिकाले जािे के पश्र्ात
क्रकिी िी िमय उिकी गंिीर रुग्र्ता के आिार पर उि िारण्ट को रद्द कर िके गा ।
(2) जिां सिर्ीत-ऋर्ी सगरफ्तार क्रकया जा र्ुका िै ििां, यक्रद न्यायालय की यि राय िै क्रक उिका स्िास्थ्य इतिा ठीक ििीं
िै क्रक उिे सिसिल कारागार में सिरुद्ध क्रकया जाए तो, िि उिे छोड िके गा ।
(3) यक्रद सिर्ीत-ऋर्ी को सिसिल कारागार के िुपुदच कर क्रदया गया िै तो उिको ििां िे —
(क) राज्य िरकार क्रकिी िंिामक या िांिर्गचक रोग िोिे के आिार पर छोड िके गी, अथिा
(ि) िुपुदच करिे िाला न्यायालय या ऐिा कोई न्यायालय, सजिके अिीिस्थ िि न्यायालय िै, उि सिर्ीत-ऋर्ी के
क्रकिी गम्िीर रुग्र्ता िे पीसडत िोिे के आिार पर छोड िके गा ।
(4) इि िारा के अिीि छोडा गया सिर्ीत-ऋर्ी पुिः सगरफ्तार क्रकया जा िके गा, क्रकन्तु सिसिल कारागार में उिके सिरोि
की कु ल अिसि िारा 58 द्वारा सिसित अिसि िे असिक ििीं िोगी ।
कु की
1
60. िि िम्पसत्त, जो सडिी के सिष्पादि में कु कच और सििय की जा िके गी—(1) सिम्िसलसित िम्पसत्त सडिी के सिष्पादि में
कु कच और सििय की जा िके गी अथाचत िपसम, गृि या अन्य सिमाचर्, माल, िि, बैंक-िोट, र्ैक, सिसिमय-पत्र, हुण्डी, िर्िपत्र, िरकारी
प्रसतिपसतयां, िि के सलए बन्िपत्र या अन्य प्रसतिपसतयां, ऋर्, सिगम-अंश और उिके सििाय जैिा इिमें इिके पश्र्ात िर्र्चत िै, सििय
की जा िकिे िाली अन्य ऐिी ििी जंगम या स्थािर िम्पसत्त, जो सिर्ीत-ऋर्ी की िै या सजि पर या सजिके लािों पर िि ऐिी
व्ययि शसक्त रिता िै सजिे िि अपिे फायदे के सलए प्रयोग कर िकता िो, र्ािे िि सिर्ीत-ऋर्ी के िाम में िाटरत िो या क्रकिी अन्य
व्यसक्त द्वारा उिके सलए न्याि में या उिकी ओर िे िाटरत िो :
परन्तु सिम्िसलसित सिसशष्ट िस्तुएं, ऐिे कु कच और सििय ििीं की जा िकें गी, अथाचत :—
(क) सिर्ीत-ऋर्ी, उिकी पत्िी और उिके बच्र्ों के पिििे के आिश्यक िस्त्र, िोजि पकािे के बतचि, र्ारपाई
और सबछौिे और ऐिे सिजी आिपषर् सजन्िें कोई स्त्री िार्मचक प्रथा के अिुिार अपिे िे अलग ििीं कर िकती ;
(ि) सशल्पी के औजार, और जिां सिर्ीत-ऋर्ी कृ षक िै ििां उिके िेती के उपकरर् और ऐिे पशु और बीज, जो
न्यायालय की राय में उिे िैिी िैसियत में अपिी जीसिका का उपाजचि करिे के सलए िमथच बिािे के सलए आिश्यक िै और
कृ सष-उपज का या कृ सष-उपज के क्रकिी िगच का ऐिा िाग जो ठीक अगली िारा के उपबंिों के अिीि दासयत्ि िे मु क्त घोसषत
कर क्रदया गया िै ;
(ग) िे गृि और अन्य सिमाचर् (उिके मलबों और आस्थािों के तथा उििे अव्यिसित रूप िे अिुल ग्ि और उिके
उपिोग के सलए आिश्यक िपसम के िसित) जो 2[कृ षक या श्रसमक या घरे लप िौकर के िैं और उिके ] असििोग में िैं ;
(घ) लेिा बसियां ;
(ङ) िुकिािी के सलए िाद लािे का असिकारमात्र ;
(र्) िैयसक्तक िेिा करािे का कोई असिकार ;
(छ) िे िृसत्तकाएं और उपदाि जो िरकार के 3[या क्रकिी स्थािीय प्रासिकारी के या क्रकिी अन्य सियोजक के ] पेंशि
िोसगयों को अिुज्ञात िैं या ऐिी क्रकिी िेिा कु टु म्ब पेंशि सिसि में िे, जो 4[के न्द्रीय िरकार या राज्य िरकार] द्वारा राजपत्र में
5असििपर्िा द्वारा इि सिसमत्त असििपसर्त की गई िै, िंदय
े िै और राजिैसतक पेंशिें ;
6(ज) श्रसमकों और घरे लप िौकरों की मजदपरी र्ािे िि िि में या िस्तु के रूप में िंदेय िो 7***;
[(झ) 9[िरर्पोषर् की सडिी िे सिन्ि क्रकिी सडिी के सिष्पादि में] िेति के
8 10प्रथम 11[एक िजार रुपए] और
बाकी का दो-सतिाई] ;

1
पपिी पंजाब को लागप िोिे में िारा 60 के िंशोििों के सलए देसिए 1940 के पंजाब असिसियम िं० 12 और 1942 के पंजाब असिसियम िं० 6 द्वारा यथािंशोसित पंजाब
टरलीफ आफ इन्डेटेडिेि ऐक्ट, 1934 (1934 का पंजाि असिसियम िं० 7) की िारा 35 ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 23 द्वारा (1-2-1977 िे) “कृ षक के या उिके ” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 23 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
4
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िपटरषद गििचर जिरल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
उक्त असििपर्िा के सलए, िारत का राजपत्र (अंग्रेजी), 1909, िाग 1, पृ० 5 देसिए ।
6
1937 के असिसियम िं० 9 की िारा 2 द्वारा िण्ड (ज) और (झ) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत । 1 जपि, 1937 के पिले िंसस्थत िाद िे उद्िपत क्रकन्िीं कायचिासियों के बारे में
उि िारा द्वारा क्रकए गए िंशोिि का कोई प्रिाि ििीं िोगा ; 1937 के असिसियम िं० 9 की िारा 3 देसिए ।
7
1943 के असिसियम िं० 5 की िारा 2 द्वारा “तथा िेति के प्रथम एक िौ रुपए और ऐिे िेति के बाकी का आिा” शब्दों को लोप क्रकया गया ।
8
1943 के असिसियम िं० 5 की िारा 2 द्वारा िण्ड (झ) और परन्तुक के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
9
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 6 द्वारा अंतःस्थासपत ।
10
1963 के असिसियम िं० 26 की िारा 2 द्वारा “प्रथम िौ रुपए” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
11
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 6 द्वारा (1-7-2002 िे) “र्ार िौ रुपए” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
20

[परन्तु जिां ऐिे िेति के प्रिाग का जो कु कच क्रकया जा िकता िै, कोई िाग, कु ल समलाकर र्ौबीि माि की अिसि
1

तक लगातार या आंतरासयक रूप िे कु कच रिा िै ििां जब तक आगे की बारि माि की अिसि िमाप्त ि िो जाए तब तक ऐिे
िाग को कु की िे छप ट प्राप्त िोगी और जिां ऐिी कु की एक िी सडिी के सिष्पादि में की गई िै ििां कु ल समलाकर र्ौबीि माि
की अिसि तक कु की र्ालप रििे के पश्र्ात, ऐिे िाग को उि सडिी के सिष्पादि में कु की िे असन्तम रूप िे छप ट प्राप्त िोगी,]
2
[(झक) िरर्पोषर् की सडिी के सिष्पादि में िेति का एक-सतिाई ;]
[(ञ) ऐिे व्यसक्तयों के िेति और ित्ते सजन्िें िायु िेिा असिसियम, 1950 (1950 का 45) या िेिा असिसियम,
3

1950 (1950 का 46) या िौिेिा असिसियम, 1957 (1957 का 62) लागप िै ;]


(ट) क्रकिी िी ऐिी सिसि में के या उििे व्युत्पन्ि सजिे िसिष्य-सिसि असिसियम, 4[1925] (1925 का 19) तत्िमय
लागप िै, ििी असििायच सििेप और अन्य रासशयां जिां तक क्रक उिके बारे में उक्त असिसियम द्वारा यि घोसषत क्रकया गया िै
क्रक िे कु कच ििीं की जा िकें गी ;
5
[(टक) क्रकिी ऐिी सिसि में के या उििे व्युत्पन्ि सजिे लोक िसिष्य-सिसि असिसियम, 1968 (1968 का 23)
तत्िमय लागप िै, ििी सििेप और अन्य रासशयां, जिां तक क्रक उिके बारे में उक्त असिसियम द्वारा यि घोसषत क्रकया गया िै
क्रक िे कु कच ििीं की जा िकें गी ।
(टि) सिर्ीत-ऋर्ी के जीिि पर बीमा पासलिी के अिीि िंदय
े ििी िि ;
(टग) क्रकिी ऐिे सििाि ििि के पट्टेदार का सित सजिको िाटक और िाि-िुसििा के सियंत्रर् िे िंबंसित तत्िमय
प्रिृत्त क्रकिी सिसि के उपबंि लागप िैं ;]
[(ठ) 7[िरकार के क्रकिी िेिक] की या रे ल कम्पिी या स्थािीय प्रासिकारी के िेिक की उपलसब्ियों का िागरूप
6

ऐिा कोई ित्ता, सजिके बारे में 8[िमुसर्त िरकार] राजपत्र में असििपर्िा द्वारा घोसषत करे क्रक िि कु की िे छप ट-प्राप्त िै और
9
[ऐिे क्रकिी िेिक] को उिके सिलम्बि-काल में क्रदया गया कोई जीिि-सििाचि अिुदाि या ित्ता ;]
(ड) उत्तरजीसिता द्वारा उत्तरासिकार की प्रत्याशा अथिा अन्य के िल िमासश्रत या िम्िि असिकार या सित ;
(ढ) िािी िरर्पोषर् का असिकार ;
(र्) ऐिा ित्ता, सजिके बारे में 10[क्रकिी िारतीय सिसि] िे यि घोसषत क्रकया िै क्रक िि सडिी के सिष्पादि में कु की
या सििय के दासयत्ि िे छप ट-प्राप्त िै ;तथा
(त) जिां सिर्ीत-ऋर्ी कोई ऐिा व्यसक्त िै जो िप-राजस्ि के िंदाय के सलए दायी िै ििां कोई ऐिी जंगम िंपसत्त,
जो ऐिे राजस्ि की बकाया की ििपली के सलए सििय िे ऐिी सिसि के अिीि छप ट-प्राप्त िै जो उिे तत्िमय लागप िै ।
[स्पष्टीकरर् 1—िण्ड (छ), (ज), (झ), (झक), (ञ), (ठ) और (र्) में िर्र्चत िस्तुओं के िंबंि में िंदय
11
े िि को, उिके िस्तु तः
िंदय
े िोिे के पिले या उिके पश्र्ात कु की या सििय िे छप ट-प्राप्त िै और िेति की दशा में उिका कु की योग्य प्रिाग, उिके िस्तुतः
िंदये िोिे के पिले या उिके पश्र्ात कु कच क्रकया जा िकता िै ।]
[ [स्पष्टीकरर् 2—िण्ड (झ) और (झक) में] िेति में िे, ऐिे ित्तों को छोडकर जो िण्ड (ठ) के उपबन्िों के अिीि कु की िे
12 13

छप ट प्राप्त घोसषत क्रकए गए िैं, िे िमस्त मासिक उपलसब्ियां असिप्रेत िैं जो क्रकिी व्यसक्त को उिके सियोजि िे र्ािे िि कतचव्यारूढ़ िो
या छु ट्टी पर िो, व्युत्पन्ि िोती िै ।]
14
[स्पष्टीकरर् 15[3]—िण्ड (ठ) में “िमुसर्त िरकार” िे असिप्रेत िै—

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 23 द्वारा (1-2-1977 िे) परन्तुक के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 6 द्वारा अंत:स्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 23 द्वारा (1-2-1977 िे) िण्ड (ञ) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1937 के असिसियम िं० 9 की िारा 2 द्वारा “1897” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 23 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
6
1937 के असिसियम िं० 9 की िारा 2 द्वारा िण्ड (ठ) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत, पाद टटप्पर् 3 िी देसिए ।
7
1943 के असिसियम िं० 5 की िारा 2 द्वारा “लोक असिकारी” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
8
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िपटरषद गििचर जिरल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
9
1943 के असिसियम िं० 5 की िारा 2 द्वारा “ऐिे क्रकिी असिकारी या िेिक” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
10
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “इसण्डयि काउसन्िल्ि ऐक््ि, 1861 और 1892 के अिीि पाटरत क्रकिी सिसि” के स्थाि पर
प्रसतस्थासपत ।
11
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 23 द्वारा (1-2-1977 िे) स्पष्टीकरर् 1 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
12
1937 के असिसियम िं० 9 की िारा 2 द्वारा “िण्ड (ज) और (झ)” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत । 1 जपि, 1937 के पिले िंसस्थत िाद िे उद्िपत क्रकन्िीं कायचिासियों के
बारे में उि िारा द्वारा क्रकए गए िंशोिि का कोई प्रिाि ििीं िोगा ; 1937 के असिसियम िं० 9 की िारा 3 देसिए ।
13
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 23 द्वारा (1-2-1977 िे) “स्पष्टीकरर् 2—िण्ड (ज) और (झ) में” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
14
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा अंतःस्थासपत ।
15
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 23 द्वारा (1-2-1977 िे) “3” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
21

(i) के न्द्रीय िरकार की िेिा में क्रकिी 1[व्यसक्त] अथिा 2[रे ल प्रशािि] के या छाििी प्रासिकारी के या मिापत्ति के
पत्ति प्रासिकारी के क्रकिी िेिक के बारे में, के न्द्रीय िरकार ;
3
* * * * *
(iii) 1[िरकार के क्रकिी अन्य िेिक] या क्रकिी अन्य 4*** स्थािीय प्रासिकारी के िेिक के बारे में, राज्य िरकार ।]
[स्पष्टीकरर् 4—इि परन्तुक के प्रयोजिों के सलए, “मजदपरी” के अन्तगचत बोिि िै और “श्रसमक” के अन्तगचत कु शल, अकु शल
5

या अिचकुशल श्रसमक िै ।
स्पष्टीकरर् 5—इि परन्तुक के प्रयोजिों के सलए, “कृ षक” िे ऐिा व्यसक्त असिप्रेत िै जो स्ियं िेती करता िै और जो अपिी
जीसिका के सलए मुखयतः कृ सष-िपसम की आय पर सििचर िै र्ािे स्िामी के रूप में या असििारी, िागीदार या कृ सष श्रसमक के रूप में ।
स्पष्टीकरर् 6—स्पष्टीकरर् 5 के प्रयोजिों के सलए, कोई कृ षक स्ियं िेती करिे िाला िमझा जाएगा, यक्रद िि—
(क) अपिे श्रम द्वारा ; अथिा
(ि) अपिे कु टु म्ब के क्रकिी िदस्य के श्रम द्वारा ; अथिा
(ग) िकद या िस्तु के रूप में (जो उपज का अंश ि िो) या दोिों में िंदय
े मजदपटरयों पर िेिकों या श्रसमकों द्वारा,
िेती करता िै ।]
[(1क) तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी अन्य सिसि में क्रकिी बात के िोते िए िी, िि करार, सजिके द्वारा िि व्यसक्त इि िारा के
5

अिीि छप ट के फायदे का असित्यजि करिे का करार करता िै, शपन्य िोगा ।]


(2) इि िारा की क्रकिी िी बात के बारे में यि ििीं िमझा जाएगा क्रक िि 6*** क्रकन्िीं ऐिे गृिों या अन्य सिमाचर्ों को (उिके
मलबों और आस्थािों के तथा उििे अव्यिसित रूप िे अिुलग्ि और उिके उपिोग के सलए आिश्यक िपसम के िसित) ऐिे क्रकिी गृि,
सिमाचर्, आस्थाि या िपसम के िाटक के सलए सडक्रियों के सिष्पादि में कु की या सििय िे छप ट देती िै । 6***
6
* * * * *
61. कृ सष-उपज को िागतः छप ट—7*** राज्य िरकार राजपत्र में प्रकासशत िािारर् या सिशेष आदेश द्वारा यि घोषर्ा कर
िके गी क्रक कृ सष-उपज या कृ सष के क्रकिी िगच के ऐिे प्रिाग को सजिकी बाबत राज्य िरकार को यि प्रतीत िोता िै क्रक िि उि आगामी
फिल तक उि िपसम पर िम्यक िेती करिे के सलए तथा सिर्ीत-ऋर्ी और उिके कु टु म्ब के सििाचि के सलए उपबन्ि करिे के प्रयोजि के
सलए आिश्यक िै, ििी कृ षकों या कृ षकों के क्रकिी िगच की दशा में सडिी के सिष्पादि में कु की या सििय के दासयत्ि िे छप ट िोगी ।
62. सििाि-गृि में िम्पसत्त का असिग्रिर्—(1) कोई िी व्यसक्त इि िंसिता के अिीि जंगम िंपसत्त का असिग्रिर् सिर्दचष्ट या
प्रासिकृ त करिे िाली क्रकिी आदेसशका का सिष्पादि करते हुए क्रकिी सििाि-गृि में िपयाचस्त के पश्र्ात और िपयोदय के पपिच प्रिेश ििीं
करे गा ।
(2) सििाि-गृि का कोई िी बािरी द्वार तब तक तोडकर ििीं िोला जाएगा जब तक क्रक ऐिा सििाि-गृि सिर्ीत-ऋर्ी के
असििोग में ि िो और िि उि तक पहुंर् िोिे देिे िे मिा ि करता िो या पहुंर् िोिे देिा क्रकिी िांसत सििाटरत ि करता िो, क्रकन्तु
जबक्रक ऐिी क्रकिी आदेसशका का सिष्पादि करिे िाले व्यसक्त िे क्रकिी सििाि-गृि में िम्यक रूप िे प्रिेश कर सलया िै, तब िि क्रकिी
ऐिे कमरे का द्वार तोड िके गा सजिके बारे में उिे यि सिश्िाि करिे का कारर् िै क्रक उिमें ऐिी कोई िम्पसत्त िै ।
(3) जिां सििाि-गृि का कमरा क्रकिी ऐिी स्त्री के िास्तसिक असििोग में िै जो देश की रूक्रढ़यों के अिुिार लोगों के िामिे
ििीं आती िै ििां आदेसशका का सिष्पादि करिे िाला व्यसक्त ऐिी स्त्री को यि िपर्िा देगा क्रक िि ििां िे िट जािे के सलए स्ितंत्र िै
और उिे िट जािे के सलए युसक्तयुक्त िमय अिुज्ञात करिे और िट जािे के सलए उिे यु सक्तयुक्त िुसििा देिे के पश्र्ात और िाथ िी
उि िम्पसत्त के सछपा कर िटाए जािे के सििारर् करिे के सलए ऐिी िर एक पपिाचििािी बरत करके , जो इि उपबंिों िे िंगत िै, िि
िम्पसत्त के असिग्रिर् के प्रयोजि िे ऐिे कमरे में प्रिेश कर िके गा ।
63. कई न्यायालयों की सडक्रियों के सिष्पादि में कु कच की गई िम्पसत्त—(1) जिां िि िम्पसत्त, जो क्रकिी न्यायालय की
असिरिा में ििीं िै, एक िे असिक न्यायालयों की सडक्रियों के सिष्पादि में कु कच की हुई िै ििां िि न्यायालय, जो ऐिी िम्पसत्त को प्राप्त
या आप्त करे गा और उिके िंबंि में क्रकिी दािे का या उिकी कु की के िंबंि में क्रकिी आिेप का अििारर् करे गा, िि न्यायालय िोगा

1
1973 के असिसियम िं० 5 की िारा 2 द्वारा “लोक असिकारी” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
सिसि अिुकपलि आदेश 1950 द्वारा “फे डरल रे ल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
िारतीय स्ितंत्रता (के न्दीय असिसियमों और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा िण्ड (ii) का लोप क्रकया गया ।
4
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “रेल या” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 23 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
6
1914 के असिसियम िं० 10 की िारा 3 और अिुिपर्ी 2 द्वारा अिर और कोष्ठक “(क)”, शब्द “या” और िण्ड (ि) सिरसित ।
7
1920 के असिसियम िं० 38 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 के िाग 1 द्वारा “िपटरषद गििचर जिरल की पपिच मंजरप ी िे” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
22

जो उििे ऊंर्ी श्रेर्ी का िै या जिां ऐिे न्यायालयों के बीर् में श्रेर्ी का कोई अन्तर ििीं िै ििां िि न्यायालय िोगा, सजिकी सडिी के
अिीि िम्पसत्त िबिे पिले कु कच की गई थी ।
(2) इि िारा की कोई िी बात ऐिी सडक्रियों में िे एक का सिष्पादि करिे िाले न्यायालय द्वारा की गई क्रकिी कायचिािी को
असिसिमान्य करिे िाली ििीं िमझी जाएगी ।
[स्पष्टीकरर्—उपिारा (1) के प्रयोजिों के सलए, “न्यायालय द्वारा की गई क्रकिी कायचिािी” के अन्तगचत ऐिे सडिीदार को
1

सजििे सडिी के सिष्पादि में क्रकए गए सििय में िम्पसत्त का िय क्रकया िै, उिके द्वारा िंदय
े िय कीमत के बराबर मुजरा अिुज्ञात करिे
का आदेश ििीं िै ।]
64. कु की के पश्र्ात िम्पसत्त के प्राइिेट अन्य िंिामर् का शपन्य िोिा—2[(1)] जिां कु की की जा र्ुकी िै ििां कु कच की गई
िम्पसत्त या उिमें के क्रकिी सित का ऐिी कु की के प्रसतकप ल प्राइिेट अन्तरर् या पटरदाि और क्रकिी ऋर्, लािांश या अन्य िि का ऐिी
कु की के प्रसतकप ल सिर्ीत-ऋर्ी को िंदाय कु की के अिीि प्रितचिीय ििी दािों के मुकाबले में शपन्य िोगा ।
[(2) इि िारा की कोई बात, कु कच की गई िंपसत्त या उिमें क्रकिी सित के क्रकिी ऐिे प्राइिेट अंतरर् या पटरदाि को लागप ििीं
3

िोगी, जो कु की िे पिले ऐिे अंतरर् या पटरदाि की िंसिदा के अिुिरर् में क्रकया गया िो और रसजस्िीकृ त िो ।]
स्पष्टीकरर्—इि िारा के प्रयोजिों के सलए, कु की के अिीि प्रितचिीय ििी दािों के अन्तगचत आसस्तयों के आिुपासतक
सितरर् के दािे िी िैं ।
सििय
65. िे ता का िक—जिां क्रकिी सडिी के सिष्पादि में स्थािर िम्पसत्त का सििय क्रकया गया िै और ऐिा सििय आत्यसन्तक िो
गया िै ििां यि िमझा जाएगा क्रक िम्पसत्त उि िमय िे, जब उिका सििय क्रकया गया िै, ि क्रक उि िमय िे, जब सििय आत्यसन्तक
हुआ िै, िे ता में सिसित िो गई िै ।
4
* * * * *
67. िि के िंदाय की सडक्रियों के सिष्पादि में िपसम के सििय के बारे में सियम बिािे की राज्य िरकार की शसक्त—5[(1)]
6*** राज्य िरकार क्रकिी िी स्थािीय िेत्र के सलए ऐिे सियम, जो िि के िंदाय की सडक्रियों के सिष्पादि में िपसम में के सितों के क्रकिी

िगच के सििय की बाबत शतच असिरोसपत करते िों, राजपत्र में असििपर्िा द्वारा बिा िके गी यक्रद ऐिे सित इतिे असिसश्र्त या
अिििाटरत िों क्रक उिका मपल्य सियत करिा राज्य िरकार की राय में अिंिि िो ।
[(2) यक्रद उि तारीि को, सजि तारीि को यि िंसिता क्रकिी स्थािीय िेत्र में प्रितचि में आई थी, सडक्रियों के सिष्पादि में
7

िपसम के सििय के बारे में कोई सिशेष सियम ििां प्रिृत्त थे तो राज्य िरकार राजपत्र में असििपर्िा द्वारा ऐिे सियमों के बारे में यि
घोसषत कर िके गी क्रक िे प्रिृत्त िैं या 6*** िैिे िी असििपर्िा द्वारा उन्िें उपान्तटरत कर िके गी ।
ऐिे र्ालप रिे गए या ऐिे उपान्तटरत सियम, इि उपिारा द्वारा प्रदत्त शसक्तयों के प्रयोग में सिकाली गई िर असििपर्िा में
उपिर्र्चत िोंगे ।
8
[(3) इि िारा के अिीि बिाया गया प्रत्येक सियम, बिाए जािे के पश्र्ात, यथाशीघ्र राज्य सििाि-मंडल के िमि रिा
जाएगा ।]
स्थािर िम्पसत्त के सिरुद्ध सडक्रियों का सिष्पादि करिे की शसक्त का कलक्टर को प्रत्यायोजि
68—72. सिसिल प्रक्रिया िंसिता (िंशोिि) असिसियम, 1956 (1956 का 66) की िारा 7 द्वारा सिरसित ।
आसस्तयों का सितरर्
73. सिष्पादि-सििय के आगमों का सडिीदारों के बीर् आिुपासतक रूप िे सितटरत क्रकया जािा—(1) जिां आसस्तयां
न्यायालय द्वारा िाटरत िैं और ऐिी आसस्तयों की असिप्रासप्त के पपिच एक िे असिक व्यसक्तयों िे िि के िंदाय की ऐिी सडक्रियों के , जो
एक िी सिर्ीतऋर्ी के सिरुद्ध पाटरत िै, सिष्पादि के सलए आिेदि न्यायालय िे क्रकए िैं और उिकी तुसष्ट असिप्राप्त ििीं की िै, ििां
प्रापर् के िर्ों को काट लेिे के पश्र्ात िे आसस्तयां ऐिे ििी व्यसक्तयों के बीर् आिुपासतक रूप िे सितटरत की जाएंगी :

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 24 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
2
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 3 द्वारा (1-7-2002 िे) िारा 64 को उिकी उपिारा (1) के रूप में पुिःिंखयांक्रकत क्रकया गया ।
3
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 3 द्वारा (1-7-2002 िे) अंतःस्थासपत ।
4
1988 के असिसियम िं० 45 की िारा 7 द्वारा (19-5-1988 िे) िारा 66 का लोप क्रकया गया ।
5
1914 के असिसियम िं० 1 की िारा 3 द्वारा िारा 67 को उिकी उपिारा (1) के रूप में पुिःिंखयांक्रकत क्रकया गया ।
6
1920 के असिसियम िं० 38 की िारा 2 और अिुिपर्ी के िाग 1 द्वारा “िपटरषद गििचर जिरल की पपिच मंजरप ी िे” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
7
1914 के असिसियम िं० 1 की िारा 3 द्वारा जोडा गया ।
8
1983 के असिसियम िं० 20 की िारा 2 और अिुिपर्ी द्वारा (15-3-1984 िे) अंतःस्थासपत ।
23

परन्तु—
(क) जिां कोई िम्पसत्त बंिक या िार के अिीि सििय की गई िै ििां बन्िकदार या सिल्लंग मदार ऐिे सििय िे
पैदा क्रकिी असिशेष में िे अंश पािे के िकदार ििीं िोंगे ;
(ि) जिां सडिी के सिष्पादि में सििय के दासयत्िािीि कोई िम्पसत्त बन्िक या िार के अिीि िै ििां न्यायालय
बन्िकदार या सिल्लंगमदार की ििमसत िे और बन्िकदार या सिल्लंगम्दार को सििय के आगमों में ििी सित देते हुए, जो
उिका सििीत िम्पसत्त में था, िम्पसत्त को बन्िक या िार िे मु क्त रूप में सििय करिे के सलए आदेश दे िके गा ;
(ग) जिां कोई स्थािर िम्पसत्त ऐिी सडिी के सिष्पादि में सििय की जाती िै जो उि पर सिल्लंगम के उन्मोर्ि के
सलए उिके सििय क्रकए जािे का आदेश देती िै ििां सििय के आगम सिम्िसलसित के अिुिार उपयोसजत क्रकए जाएंगे—
प्रथमतः सििय के व्ययों को र्ुकािे में ;
सद्वतीयतः सडिी के अिीि शोध्य रकम के उन्मोर्ि में ;
तृतीयतः पासश्र्क सिल्लंगमों पर (यक्रद कोई िों) शोध्य ब्याज और मपलिि के उन्मोर्ि में ; तथा
र्तुथचतः सिर्ीतऋर्ी के सिरुद्ध िि के िंदाय की सडक्रियों के ऐिे िारकों के बीर् आिुपासतक रूप में,
सजन्िोंिे ऐिे सििय का आदेश देिे िाली सडिी पाटरत करिे िाले न्यायालय िे, िम्पसत्त के सििय के पपिच ऐिी
सडक्रियों के सिष्पादि के सलए आिेदि कर क्रदया िै और उिकी तुसष्ट असिप्राप्त ििीं की िै ।
(2) जिां िे ििी या कोई आसस्तयां जो इि िारा के अिीि आिुपासतक रूप िे सितटरत क्रकए जािे के सलए दायी िैं, ऐिे
व्यसक्त को दे दी जाती िैं जो उन्िें प्राप्त करिे का िकदार ििीं िै ििां ऐिा िकदार कोई िी व्यसक्त उि आसस्तयों का प्रसतदाय सििश
करिे के सलए ऐिे व्यसक्त के सिरुद्ध िाद ला िके गा ।
(3) इि िारा की कोई िी बात िरकार के क्रकिी िी असिकार पर प्रिाि ििीं डालेगी ।
सिष्पादि का प्रसतरोि
74. सिष्पादि का प्रसतरोि—जिां न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक स्थािर िम्पसत्त के कब्जे के सलए सडिी के
सिष्पादि में सििीत स्थािर िम्पसत्त का िे ता िम्पसत्त पर कब्जा असिप्राप्त करिे में सिर्ीत-ऋर्ी या उिकी ओर िे क्रकिी व्यसक्त के
द्वारा प्रसतरुद्ध या बासित क्रकया गया िै और ऐिा प्रसतरोि या बािा क्रकिी न्यायिंगत िेतुक के सबिा िै, ििां सडिीदार या िे ता की
प्रेरर्ा िे न्यायालय सिर्ीत-ऋर्ी या ऐिे अन्य व्यसक्त को ऐिी अिसि के सलए सिसिल कारागार में सिरुद्ध करिे का आदेश दे िके गा,
जो तीि क्रदि तक की िो िके गी और यि असतटरक्त सिदेश दे िके गा क्रक सडिीदार या सििे ता को िम्पसत्त का कब्जा क्रदलाया जाए ।
िाग 3

आिुषसं गक कायचिासियां
कमीशि
75. कमीशि सिकालिे की न्यायालय की शसक्त—ऐिी शतों और पटरिीमाओं के अिीि रिते हुए, जो सिसित की जाएं,
न्यायालय—
(क) क्रकिी व्यसक्त की परीिा करिे के सलए ;
(ि) स्थािीय अन्िेषर् करिे के सलए ;
(ग) लेिाओं की परीिा या उिका िमायोजि करिे के सलए ; अथिा
(घ) सििाजि करिे के सलए ;
1
[(ङ) कोई िैज्ञासिक, तकिीकी या सिशेषज्ञ अन्िेषर् करिे के सलए ;
(र्) ऐिी िम्पसत्त का सििय करिे के सलए जो शीघ्र और प्रकृ त्या ियशील िै और जो िाद का अििारर् लसम्बत
रििे तक न्यायालय की असिरिा में िै ;
(छ) कोई अिुिसर्िीय कायच करिे के सलए,]
कमीशि सिकाल िके गा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 26 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
24

76. अन्य न्यायालय को कमीशि—(1) क्रकिी व्यसक्त की परीिा करिे के सलए कमीशि उि राज्य िे, सजिमें उिे सिकालिे
िाला न्यायालय सस्थत िै, सिन्ि राज्य में सस्थत क्रकिी ऐिे न्यायालय को सिकाला जा िके गा (जो उच्र् न्यायालय ििीं िै और) जो उि
स्थाि में असिकाटरता रिता िै सजिमें िि व्यसक्त सििाि करता िै सजिकी परीिा की जािी िै ।
(2) उपिारा (1) के अिीि क्रकिी व्यसक्त की परीिा करिे के सलए कमीशि को प्राप्त करिे िाला िर न्यायालय उिके
अिुिरर् में उि व्यसक्त की परीिा करे गा या कराएगा और जब कमीशि िम्यक रूप िे सिष्पाक्रदत क्रकया गया िै तब िि, उिके अिीि
सलए गए िाक्ष्य िसित, उि न्यायालय को लौटा क्रदया जाएगा सजििे उिे सिकाला था, क्रकन्तु यक्रद कमीशि सिकालिे के आदेश द्वारा
अन्यथा सिक्रदष्ट क्रकया गया िै तो कमीशि ऐिे आदेश के सिबन्ििों के अिुिार लौटाया जाएगा ।
77. अिुरोि-पत्र—कमीशि सिकालिे के बदले न्यायालय ऐिे व्यसक्त की परीिा करिे के सलए अिुरोि-पत्र सिकाल िके गा
जो ऐिे स्थाि में सििाि करता िै जो 1[िारत] के िीतर ििीं िै ।
सिदेशी न्यायालयों द्वारा सिकाले गए कमीशि—ऐिी शतों और पटरिीमाओं के अिीि रिते हुए जो सिसित की जाएं,
2[78.

िासियों की परीिा करिे के सलए कमीशिों के सिष्पादि और लौटिे के िम्बन्ि रििे िाले उपबन्ि उि कमीशिों को लागप िोंगे जो,—
(क) िारत के उि िागों में सजि पर इि िंसिता का सिस्तार ििीं िै, सस्थत न्यायालयों द्वारा या उिकी प्रे रर्ा िे
सिकाले गए िों ; अथिा
(ि) के न्द्रीय िरकार के प्रासिकार द्वारा िारत िे बािर स्थासपत या र्ालप रिे गए न्यायालयों द्वारा या उिकी प्रेरर्ा
िे सिकाले गए िों ; अथिा
(ग) िारत िे बािर के क्रकिी राज्य या देश में के न्यायालयों द्वारा या उिकी प्रेरर्ा िे सिकाले गए िों ।]
िाग 4

सिसशष्ट मामलों में िाद


िरकार द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद या अपिी पदीय िैसियत में लोक असिकारी द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद
िरकार द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद—िरकार द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद में, यथासस्थसत, िादी या प्रसतिादी के रूप में
3[79.

िासमत क्रकया जािे िाला प्रासिकारी,—


(क) के न्दीय िरकार द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद की दशा में, 4[िारत िंघ] िोगा ; तथा
(ि) क्रकिी राज्य िरकार द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद की दशा में, िि राज्य िोगा ।]
80. िपर्िा—5[(1)] 6[उिके सििाय जैिा उपिारा (2) में उपबसन्ित िै, 7[िरकार के (सजिके अन्तगचत जम्मप-कश्मीर राज्य
की िरकार िी आती िै) सिरुद्ध] या ऐिे कायच की बाबत सजिके बारे में यि तात्पर्यचत िै क्रक िि ऐिे लोक असिकारी द्वारा अपिी पदीय
िैसियत में क्रकया गया िै, लोक असिकारी के सिरुद्ध 6[कोई िाद तब तक] 7[िंसस्थत ििीं क्रकया जाएगा] जब तक िाद-िेतुक का, िादी के
िाम, िर्चि और सििाि-स्थाि का और सजि अिुतोष का िि दािा करता िै उिका, कथि करिे िाली सलसित िपर्िा—
(क) के न्द्रीय िरकार के सिरुद्ध िाद की दशा में, 8[ििां के सििाय जिां िि रे ल िे िम्बसन्ित िै], उि िरकार के
िसर्ि को ;
[(ि)] के न्द्रीय िरकार के सिरुद्ध िाद की दशा में, जिां िि रे ल िे िंबंसित िै, उि रे ल के प्रिाि प्रबन्िक को ;]
9

[(िि) जम्मप-कश्मीर राज्य की िरकार के सिरुद्ध िाद की दशा में, उि िरकार के मुखय िसर्ि को या उि
10

िरकार द्वारा इि सिसमत्त प्रासिकृ त क्रकिी अन्य असिकारी को ;]


(ग) 11[क्रकिी अन्य राज्य िरकार] के सिरुद्ध िाद की दशा में, उि िरकार के िसर्ि को या सजले के कलक्टर
को, 1***

1
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 11 द्वारा िारा 78 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
िारतीय स्ितंत्रता (के न्दीय असिसियमों और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा िारा 79 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
सिसि अिुकपलि आदेश 1950 द्वारा “िारत डोसमसियि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 27 द्वारा (1-2-1977 िे) िारा 80 को उिकी उपिारा (1) के रूप में पुिः िंखयांक्रकत क्रकया गया ।
6
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 27 द्वारा (1-2-1977 िे) “कोई िाद तब तक िंसस्थत ििीं क्रकया जाएगा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
7
1963 के असिसियम िं० 26 की िारा 3 द्वारा (5-8-1964 िे) “िरकार के सिरुद्ध िंसस्थत ििीं क्रकया जाएगा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत । रे िांक्रकत शब्द सिसि अिुकपलि
आदेश, 1948 द्वारा “िाउि के सिरुद्ध िंसस्थत” शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
8
1948 के असिसियम िं० 6 की िारा 2 द्वारा अन्तःस्थासपत ।
9
1948 के असिसियम िं० 6 की िारा 2 द्वारा िण्ड (कक) अंतःस्थासपत और िारतीय स्ितंत्रता (के न्द्रीय असिसियम और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा
िण्ड (ि) के रूप में पुिः िंखयांक्रकत तथा पपिचिती िंड (ि) का लोप क्रकया गया ।
10
1963 के असिसियम िं० 26 की िारा 3 द्वारा (5-6-1964 िे) अंतःस्थासपत ।
11
1963 के असिसियम िं० 26 की िारा 3 द्वारा (5-6-1964 िे) “राज्य िरकार” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
25

2
* * * * * *
3
[पटरदत्त क्रकए जािे या उिके कायाचलय में छोडे जािे के ,] और लोक असिकारी की दशा में उिे पटरदत्त क्रकए जािे या उिके कायाचलय में
छोडे जािे के पश्र्ात दो माि का अििाि ि िो गया िो, और िादपत्र में यि कथि अन्तर्िच ष्ट िोगा क्रक ऐिी िपर्िा ऐिे पटरदत्त कर दी
गई िै या छोड दी गई िै ।
4
[(2) िरकार के (सजिके अन्तगचत जम्मप-कश्मीर राज्य की िरकार िी आती िै), सिरुद्ध या ऐिे कायच की बाबत सजिके बारे में
यि तात्पर्यचत िै क्रक िि ऐिे लोक असिकारी द्वारा अपिी पदीय िैसियत में क्रकया गया िै, लोक असिकारी के सिरुद्ध, कोई अत्यािश्यक
या तुरन्त अिुतोष असिप्राप्त करिे के सलए कोई िाद, न्यायालय की इजाजत िे, उपिारा (1) द्वारा यथाअपेसित क्रकिी िपर्िा की
तामील क्रकए सबिा, िंसस्थत क्रकया जा िके गा; क्रकन्तु न्यायालय िाद में अिुतोष, र्ािे अन्तटरम या अन्यथा, यथासस्थसत, िरकार या
लोक असिकारी को िाद में आिेक्रदत अिुतोष की बाबत िेतुक दर्शचत करिे का उसर्त अििर देिे के पश्र्ात िी प्रदाि करे गा,
अन्यथा ििीं :
परन्तु यक्रद न्यायालय का पिकारों को िुििे के पश्र्ात, यि िमािाि िो जाता िै क्रक िाद में कोई अत्यािश्यक या तुरन्त
अिुतोष प्रदाि करिे की आिश्यकता ििीं िै तो िि िाद-पत्र को िापि कर देगा क्रक उिे उपिारा (1) की अपेिाओं का पालि करिे के
पश्र्ात प्रस्तुत क्रकया जाए ।
(3) िरकार के सिरुद्ध या ऐिे कायच की बाबत सजिके बारे में यि तात्पर्यचत िै क्रक िि ऐिे लोक असिकारी द्वारा अपिी पदीय
िैसियत में क्रकया गया िै, लोक असिकारी के सिरुद्ध िंसस्थत क्रकया गया कोई िाद के िल इि कारर् िाटरज ििीं क्रकया जाएगा क्रक
उपिारा (1) में सिर्दचष्ट िपर्िा में कोई त्रुटट या दोष िै, यक्रद ऐिी िपर्िा में—
(क) िादी का िाम, िर्चि और सििाि-स्थाि इि प्रकार क्रदया गया िै जो िपर्िा की तामील करिे िाले व्यसक्त की
शिाखत करिे में िमुसर्त प्रासिकारी या लोक असिकारी को िमथच करे और ऐिी िपर्िा उपिारा (1) में सिसिर्दचष्ट िमुसर्त
प्रासिकारी के कायाचलय में पटरदत्त कर दी गई िै या छोड दी गई िै, तथा
(ि) िाद-िेतुक और िादी द्वारा दािा क्रकया गया अिुतोष िारतः उपदर्शचत क्रकया गया िै ।]
81. सगरफ्तारी और स्िीय उपिंजासत िे छप ट—ऐिे क्रकिी िी कायच के सलए, जो लोक असिकारी द्वारा उिकी पदीय िैसियत में
क्रकया गया तात्पर्यचत िै, उिके सिरुद्ध िंसस्थत क्रकए गए िाद में—
(क) सडिी के सिष्पादि में िे अन्यथा ि तो सगरफ्तार क्रकए जािे का दासयत्ि प्रसतिादी पर और ि कु कच क्रकए जािे का
दासयत्ि उिकी िम्पसत्त पर िोगा; तथा
(ि) जिां न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक प्रसतिादी लोक िेिा का अपाय क्रकए सबिा अपिे कतचव्य िे
अिुपसस्थत ििीं िो िकता ििां, िि उिे स्िीय उपिंजासत िे छप ट दे देगा ।
82. सडिी का सिष्पादि—5[(1) जिां िरकार द्वारा या उिके सिरुद्ध या ऐिे कायच की बाबत सजिके बारे में यि तात्पर्यचत िै
क्रक िि ऐिे लोक असिकारी द्वारा अपिी पदीय िैसियत में क्रकया गया िै, उिके द्वारा या उिके सिरुद्ध क्रकिी िाद में, यथासस्थसत, िारत
िंघ या क्रकिी राज्य या लोक असिकारी के सिरुद्ध सडिी पाटरत की जाती िै ििां ऐिी सडिी उपिारा (2) के उपबंिों के अिुिार िी
सिष्पाक्रदत की जाएगी, अन्यथा ििीं ।]
(2) 6[ऐिी सडिी] की तारीि िे िंगसर्त तीि माि की अिसि तक उि सडिी के तु ष्ट ि िोिे पर िी क्रकिी ऐिी सडिी के
सिष्पादि का आदेश सिकाला जाएगा ।
7
[(3) उपिारा (1) और उपिारा (2) के उपबन्ि क्रकिी आदेश या पंर्ाट के िम्बन्ि में ऐिे लागप िोंगे जैिे िे सडिी के िम्बन्ि
में लागप िोते िैं, यक्रद िि आदेश या पंर्ाट—
(क) 8[िारत िंघ] या क्रकिी राज्य के या यथापपिोक्त क्रकिी कायच के बारे में क्रकिी लोक असिकारी के सिरुद्ध, र्ािे
न्यायालय द्वारा या र्ािे क्रकिी अन्य प्रासिकारी द्वारा, क्रदया गया िो, तथा
(ि) इि िंसिता या तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी अन्य सिसि के उपबन्िों के अिीि ऐिे सिष्पाक्रदत क्रकए जािे के योग्य िो
मािो िि सडिी िो ।]

1
िारतीय स्ितंत्रता (के न्दीय असिसियमों और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा “और” शब्द का लोप क्रकया गया ।
2
िारतीय स्ितंत्रता (के न्दीय असिसियमों और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा िण्ड (घ) का लोप क्रकया गया ।
3
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िेिेटरी ऑफ स्टेट इि काउं सिल की दशा में, स्थािीय िरकार के िसर्ि को या सजले के कलक्टर को
पटरदत्त क्रकए जािे या उिके कायाचलय में छोडे जािे के ” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 27 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 28 द्वारा (1-2-1977 िे) उपिारा (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 28 द्वारा (1-2-1977 िे) “ऐिी टरपोटच” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
7
1949 के असिसियम िं० 32 की िारा 2 द्वारा अंतःस्थासपत ।
8
सिसि अिुकपलि आदेश 1950 द्वारा “िारत डोसमसियि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
26

1
[अन्य देसशयों द्वारा और सिदेशी शािकों, राजदपतों और दपतों द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद
83. अन्य देशीय कब िाद ला िकें गे—अन्य देशीय शत्रु, जो के न्द्रीय िरकार की अिुज्ञा िे िारत में सििाि कर रिे िैं, और
अन्य देशीय समत्र क्रकिी िी ऐिे न्यायालय में, जो िाद का सिर्ारर् करिे के सलए अन्यथा ििम िैं, उि प्रकार िाद ला िकें गे मािो िे
िारत के िागटरक िों, क्रकन्तु अन्य देशीय शत्रु, जो ऐिी अिुज्ञा के सबिा िारत में सििाि कर रिे िैं या जो सिदेश में सििाि कर रिे िैं
ऐिे क्रकिी िी न्यायालय में िाद ििीं लाएंगे ।
स्पष्टीकरर्—ऐिे िर व्यसक्त के बारे में जो ऐिे सिदेश में सििाि कर रिा िै सजिकी िरकार िारत िे युद्धसस्थसत में िै और
जो के न्द्रीय िरकार द्वारा इि सिसमत्त दी गई अिुज्ञसप्त के सबिा उि देश में कारबार कर रिा िै, इि िारा के प्रयोजिों के सलए यि
िमझा जाएगा क्रक िि ऐिा अन्य देशीय शत्रु िै जो सिदेश में सििाि कर रिा िै ।
84. सिदेशी राज्य कब िाद ला िकें गे—कोई सिदेशी राज्य क्रकिी िी ििम न्यायालय में िाद ला िके गा :
परन्तु यि तब जब क्रक िाद का उद्देश्य ऐिे राज्य के क्रकिी शािक में या ऐिे राज्य के क्रकिी असिकारी में उिकी लोक िैसियत
में सिसित प्राइिेट असिकार का प्रितचि करािा िो ।
85. सिदेशी शािकों की ओर िे असियोजि या प्रसतरिा करिे के सलए िरकार द्वारा सिशेष रूप िे सियुक्त क्रकए गए
व्यसक्त—(1) सिदेशी राज्य के शािक के अिुरोि पर या ऐिे शािक की ओर िे कायच करिे की के न्द्रीय िरकार की राय में ििम क्रकिी
व्यसक्त के अिुरोि पर, के न्द्रीय िरकार ऐिे शािक की ओर िे क्रकिी िाद का असियोजि करिे या प्रसतरिा करिे के सलए क्रकन्िीं
व्यसक्तयों को आदेश द्वारा सियुक्त कर िके गी और ऐिे सियुक्त क्रकए गए कोई िी व्यसक्त ऐिे मान्यताप्राप्त असिकताच िमझे जाएंगे जो
ऐिे शािकों की ओर िे इि िंसिता के अिीि उपिंजात िो िकें गे और कायच और आिेदि कर िकें गे ।
(2) इि िारा के अिीि सियुसक्त क्रकिी सिसिर्दचष्ट िाद के या अिेक सिसिर्दचष्ट िादों के प्रयोजि के सलए या ऐिे ििी िादों के
प्रयोजि के सलए की जा िके गी सजिका ऐिे शािक की ओर िे असियोजि या प्रसतरिा करिा िमय-िमय पर आिश्यक िो ।
(3) इि िारा के अिीि सियुक्त व्यसक्त ऐिे क्रकिी िाद या क्रकन्िी िादों में उपिंजात िोिे तथा आिेदि और कायच करिे के
सलए क्रकन्िीं अन्य व्यसक्तयों को ऐिे प्रासिकृ त या सियुक्त कर िके गा मािो िि स्ियं िी उिका या उिका पिकार िो ।
86. सिदेशी राज्यों, राजदपतों और दपतों के सिरुद्ध िाद—(1) सिदेशी राज्य 2*** पर कोई िी िाद क्रकिी िी न्यायालय में, जो
अन्यथा ऐिे िाद का सिर्ारर् करिे के सलए ििम िै, के न्द्रीय िरकार की ऐिी ििमसत के सबिा ििीं लाया जा िके गा जो उि िरकार
के क्रकिी िसर्ि द्वारा सलसित रूप में प्रमासर्त की गई िो :
परन्तु िि व्यसक्त, जो स्थािर िम्पसत्त के असििारी के तौर पर ऐिे 3[सिदेशी राज्य] पर, सजििे िि िम्पसत्त को िारर् करता
िै या िारर् करिे का दािा करता िै, यथापपिोक्त ििमसत के सबिा िाद ला िके गा ।
(2) ऐिी ििमसत सिसिर्दचष्ट िाद या अिेक सिसिर्दचष्ट िादों या क्रकिी या क्रकन्िीं सिसिर्दचष्ट िगच या िगों के िमस्त िादों के
बारे में दी जा िके गी और िि क्रकिी िाद या िादों के िगच की दशा में उि न्यायालय को िी सिसिर्दच ष्ट कर िके गी, सजिमें उि 3[सिदेशी
राज्य] के सिरुद्ध िाद लाया जा िके गा, क्रकन्तु िि तब तक ििीं दी जाएगी जब तक के न्द्रीय िरकार को यि प्रतीत ििीं िोता िै क्रक िि
3
[सिदेशी राज्य]—
(क) उि व्यसक्त के सिरुद्ध जो उि पर िाद लािे की िांछा करता िै, उि न्यायालय में िाद िंसस्थत कर र्ुका
िै, अथिा
(ि) स्ियं या क्रकिी अन्य व्यसक्त द्वारा उि न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर व्यापार
करता िै, अथिा
(ग) उि िीमाओं के िीतर सस्थत स्थािर िम्पसत्त पर कब्जा रिता िै और उिके सिरुद्ध ऐिी िम्पसत्त के बारे में या
उि िि के बारे में सजिका िार उि िम्पसत्त पर िै, िाद लाया जािा िै, अथिा
(घ) इि िारा द्वारा उिे क्रदए गए सिशेषासिकार का असित्यजि असिव्यक्त या सििसित रूप िे कर र्ुका िै ।
[(3) के न्द्रीय िरकार के िसर्ि द्वारा सलसित रूप में प्रमासर्त कोई सडिी सिदेशी राज्य की िम्पसत्त के सिरुद्ध के न्द्रीय िरकार
4

की ििमसत िे िी सिष्पाक्रदत की जाएगी अन्यथा ििीं ।]

1
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 12 द्वारा पपिचिती शीषच और िारा 83 िे 87 तक के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 29 द्वारा (1-2-1977 िे) “के क्रकिी िी शािक” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 29 द्वारा (1-2-1977 िे) “शािक” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 29 द्वारा (1-2-1977 िे) उपिारा (3) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
27

(4) इि िारा के पपिचिती उपबन्ि सिम्िसलसित के िम्बन्ि में िैिे िी लागप िोंगे 1[जैिे िे सिदेशी राज्य के िम्बन्ि में लागप
िोते िैं—]
2
[(क) सिदेशी राज्य का कोई शािक ;]
3
[(कक)] सिदेशी राज्य का कोई िी राजदपत या दपत ;
(ि) कामििेल्थ देश का कोई िी उच्र्ायुक्त ; तथा
(ग) 4[सिदेशी राज्य के कमचर्ाटरिृन्द का या सिदेशी राज्य के राजदपत या दपत के ] या कामििेल्थ देश के उच्र्ायुक्त
के कमचर्ाटरिृन्द या अिुर्र िगच का कोई िी ऐिा िदस्य सजिे के न्द्रीय िरकार िािारर् या सिशेष आदेश द्वारा इि सिसमत्त
सिसिर्दचष्ट करे ।
5
[(5) इि िंसिता के अिीि सिम्िसलसित व्यसक्त सगरफ्तार ििीं क्रकए जाएंगे, अथाचत :—
(क) सिदेशी राज्य का कोई शािक ;
(ि) सिदेशी राज्य का कोई राजदपत या दपत ;
(ग) कामििेल्थ देश का कोई उच्र्ायुक्त ;
(घ) सिदेशी राज्य के कमचर्ाटरिृन्द का या सिदेशी राज्य के शािक, राजदपत या दपत के या कामििेल्थ देश
के उच्र्ायुक्त के कमचर्ाटरिृन्द या अिुर्र िगच का कोई िी ऐिा िदस्य सजिे के न्द्रीय िरकार िािारर् या सिशेष
आदेश द्वारा इि सिसमत्त सिसिर्दचष्ट करे ।
(6) जिां के न्द्रीय िरकार को उपिारा (1) में सिसिर्दचष्ट ििसमत देिे का अिुरोि क्रकया जाता िै ििां के न्द्रीय िरकार ऐिे
अिुरोि को स्िीकार करिे िे पपर्चतः या िागतः इं कार करिे िे पिले अिुरोि करिे िाले व्यसक्त को िुििाई का उसर्त अििर देगी ।]
87. सिदेशी शािकों का िादों के पिकारों के रूप में असििाि—सिदेशी राज्य का शािक अपिे राज्य के िाम िे िाद ला
िके गा और उिके सिरुद्ध िाद उिके राज्य के िाम िे लाया जाएगा :
परन्तु िारा 86 में सिर्दचष्ट ििमसत देिे में के न्द्रीय िरकार शािक के सिरुद्ध िाद क्रकिी असिकताच के िाम िे या क्रकिी अन्य
िाम िे लाए जािे का सिदेश दे िके गी ।
87क. “सिदेशी राज्य” और “शािक” की पटरिाषाएं—(1) इि िाग में—
(क) “सिदेशी राज्य” िे िारत िे बािर का ऐिा कोई राज्य असिप्रेत िै जो के न्द्रीय िरकार द्वारा मान्यताप्राप्त
िै ; तथा
(ि) सिदेशी राज्य के िम्बन्ि में “शािक” िे ऐिा व्यसक्त असिप्रेत िै जो उि राज्य के असिपसत के रूप में के न्द्रीय
िरकार द्वारा तत्िमय मान्यताप्राप्त िै ।
(2) िर न्यायालय इि तथ्य की न्यासयक अिेिा करे गा क्रक—
(क) कोई राज्य के न्द्रीय िरकार द्वारा मान्यताप्राप्त िै या ििीं ;
(ि) कोई व्यसक्त राज्य के असिपसत के रूप में के न्द्रीय िरकार द्वारा मान्यताप्राप्त िै या ििीं ।
िपतपपिच िारतीय राज्यों के शािकों के सिरुद्ध िाद
87ि. िपतपपिच िारतीय राज्यों के शािकों को िारा 85 और िारा 86 का लागप िोिा—6[(1) क्रकिी िपतपपिच िारतीय राज्य के
शािक द्वारा या उिके सिरुद्ध क्रकिी िाद की दशा में जो पपर्चतः या िागतः ऐिे िाद िेतुक पर आिाटरत िै जो िंसििाि के प्रारम्ि िे पपिच
उद्िपत हुआ िै या ऐिे िाद िे उद्िपत िोिे िाली क्रकिी कायचिािी की दशा में िारा 85 और िारा 86 की उपिारा (1) और (3) के
उपबन्ि ऐिे शािक के िम्बन्ि में उिी प्रकार लागप िोंगे जैिे िे क्रकिी सिदेशी राज्य के शािक के िम्बन्ि में लागप िोते िैं ।]
(2) इि िारा में—

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 29 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 29 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 29 द्वारा (1-2-1977 िे) िंड (क) को िंड (कक) के रूप में पिः अिरांक्रकत क्रकया गया ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 29 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 29 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
6
1972 के असिसियम िं० 54 की िारा 3 द्वारा उपिारा (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
28

(क) “िपतपपिच िारतीय राज्य” िे िि िारतीय राज्य असिप्रेत िै सजिे के न्द्रीय िरकार, राजपत्र में असििपर्िा द्वारा,
इि िारा के प्रयोजिों के सलए सिसिर्दचष्ट करे ; 1***
2
[(ि) “िंसििाि का प्रारम्ि” िे 26 जििरी, 1950 असिप्रेत िै ; और
(ग) क्रकिी िपतपपिच िारतीय राज्य के िम्बन्ि में “शािक” का ििी अथच िै जो िंसििाि के अिुच्छेद 363 में िै ।]
अन्तरासििार्ी
88. अन्तरासििार्ी िाद किां िंसस्थत क्रकया जा िके गा—जिां दो या असिक व्यसक्त उि ऋर्, ििरासश या अन्य जंगम या
स्थािर िम्पसत्त के बारे में दपिरे के प्रसतकप ल दािा क्रकिी ऐिे अन्य व्यसक्त िे करते िैं जो प्रिारों या िर्ों िे सिन्ि क्रकिी सित का उिमें
दािा ििीं करता िै और जो असिकारिाि दािेदार को उिे देिे या पटरदत्त करिे के सलए तैयार िै ििां ऐिा अन्य व्यसक्त िमस्त ऐिे
दािेदारों के सिरुद्ध अन्तरासििार्ी िाद उि व्यसक्त के बारे में सजिे िंदाय या पटरदाि क्रकया जाएगा, सिसिश्र्य असिप्राप्त करिे और
अपिे सलए पटरत्रार् असिप्राप्त करिे के प्रयोजि िे िंसस्थत कर िके गा :
परन्तु जिां ऐिा कोई िाद लसम्बत िै सजिमें ििी पिकारों के असिकार उसर्त रूप िे सिसिसश्र्त क्रकए जा िकते िैं ििां ऐिा
कोई अन्तरासििार्ी िाद िंसस्थत ििीं क्रकया जाएगा ।
िाग 5

सिशेष कायचिासियां
माध्यस्थम
3[89.न्यायालय के बािर सििादों का सिपटारा—(1) जिां न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक क्रकिी िमझौते के ऐिे तवि
सिद्यमाि िैं, जो पिकारों को स्िीकायच िो िकते िैं ििां न्यायालय िमझौते के सिबंिि बिाएगा और उन्िें पिकारों को उिकी टीका-
टटप्पर्ी के सलए देगा और पिकारों की टीका-टटप्पर्ी प्राप्त करिे के पश्र्ात न्यायालय िंिि िमझौते के सिबंिि पुिः बिा िके गा
और उन्िें :—
(क) माध्यस्थम ;
(ि) िुलि ;
(ग) न्यासयक िमझौते सजिके अन्तगचत लोक अदालत के माध्यम िे िमझौता िी िै ; या
(घ) बीर्-बर्ाि के सलए,
सिर्दचष्ट करे गा ।
(2) जिां कोई सििाद—
(क) माध्यस्थम या िुलि के सलए सिर्दचष्ट क्रकया गया िै ििां माध्यस्थम और िुलि असिसियम, 1996 (1996 का
26) के उपबंि ऐिे लागप िोंगे मािो माध्यस्थम या िुलि के सलए कायचिासियां उि असिसियम के उपबंिों के अिीि िमझौते
के सलए सिर्दचष्ट की गई थीं ;
(ि) लोक अदालत को सिर्दचष्ट क्रकया गया िै, ििां न्यायालय उिे सिसिक िेिा प्रासिकरर् असिसियम, 1987
(1987 का 39) की िारा 20 की उपिारा (1) के उपबंिों के अिुिार लोक अदालत को सिर्दचष्ट करे गा और उि असिसियम के
ििी अन्य उपबंि लोक अदालत को इि प्रकार सिर्दचष्ट क्रकए गए सििाद के िंबंि में लागप िोंगे ;
(ग) न्यासयक िमझौता के सलए सिर्दचष्ट क्रकया गया िै, ििां न्यायालय उिे क्रकिी उपयु क्त िंस्था या व्यसक्त को
सिर्दचष्ट करे गा और ऐिी िंस्था या व्यसक्त को लोक अदालत िमझा जाएगा तथा सिसिक िेिा प्रासिकरर् असिसियम, 1987
(1987 का 39) के ििी उपबंि ऐिे लागप िोंगे मािो िि सििाद लोक अदालत को उि असिसियम के उपबंिों के अिीि
सिर्दचष्ट क्रकया गया था ;
(घ) बीर्-बर्ाि के सलए सिर्दचष्ट क्रकया गया िै, ििां न्यायालय पिकारों के बीर् िमझौता कराएगा और ऐिी
प्रक्रिया का अिुिरर् करे गा जो सिसित की जाए ।]
सिशेष मामला
90. न्यायालय की राय के सलए मामले का कथि करिे की शसक्त—जिां कोई व्यसक्त न्यायालय की राय के सलए क्रकिी मामले
का कथि करिे के सलए सलसित करार कर ले ििां न्यायालय सिसित रीसत िे उिका सिर्ारर् और अििारर् करे गा ।

1
1972 के असिसियम िं० 54 की िारा 3 द्वारा “और” शब्द का लोप क्रकया गया ।
2
1972 के असिसियम िं० 54 की िारा 3 द्वारा िण्ड (ि) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1940 के असिसियम िं० 10 की िारा 49 और अिुिपर्ी 3 द्वारा िारा 89 सिरसित और 1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 7 द्वारा (1-7-2002 िे) अंतःस्थासपत ।
29

1
[लोक न्यपिि
ें और लोक पर प्रिाि डालिे िाले अन्य दोषपपर्च कायच]
91. लोक न्यपिि
ें और लोक पर प्रिाि डालिे िाले अन्य दोषपपर्च कायच —2[(1) लोक न्यपिेंि या अन्य ऐिे दोषपपर्च कायच की
दशा में सजििे लोक पर प्रिाि पडता िै या प्रिाि पडिा िंिि िै, घोषर्ा और व्यादेश के सलए या ऐिे अन्य अिुतोष के सलए जो
मामले की पटरसस्थसतयों में िमुसर्त िो िाद,—
(क) मिासििक्ता द्वारा, या
(ि) दो या असिक व्यसक्तयों द्वारा, ऐिे लोक न्यपिेंि या अन्य दोषपपर्च कायच के कारर् ऐिे व्यसक्तयों को सिशेष
िुकिाि ि िोिे पर िी न्यायालय की इजाजत िे,
िंसस्थत क्रकया जा िके गा ।]
(2) इि िारा की कोई िी बात िाद के क्रकिी ऐिे असिकार को पटरिीसमत करिे िाली या उि पर अन्यथा प्रिाि डालिे
िाली ििीं िमझी जाएगी, सजिका असस्तत्ि इिके उपबंिों िे स्ितंत्र िै ।
3
92. लोक पपतच कायच—(1) पपतच या िार्मचक प्रकृ सत के लोक प्रयोजिों के सलए िृष्ट क्रकिी असिव्यक्त या आन्िसयक न्याि के
क्रकिी असिकसथत िंग के मामले में, या जिां ऐिे क्रकिी न्याि के प्रशािि के सलए न्यायालय का सिदेश आिश्यक िमझा जाता िै ििां
मिासििक्ता या न्याि में सित रििे िाले ऐिे दो या असिक व्यसक्त, सजन्िोंिे 4[न्यायालय की इजाजत] असिप्राप्त कर ली िै, ऐिा िाद,
र्ािे िि प्रसतसिरोिात्मक िो या ििीं, आरसम्िक असिकाटरता िाले प्रिाि सिसिल न्यायालय में या राज्य िरकार द्वारा इि सिसमत्त
िशक्त क्रकए गए क्रकिी अन्य न्यायालय में सजिकी असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर न्याि की िम्पपर्च सिषय-िस्तु या उिका
कोई िाग सस्थत िै, सिम्िसलसित सडिी असिप्राप्त करिे के सलए िंसस्थत कर िकें गे—
(क) क्रकिी न्यािी को िटािे की सडिी ;
(ि) िए न्यािी को सियुक्त करिे की सडिी ;
(ग) न्यािी में क्रकिी िम्पसत्त को सिसित करिे की सडिी ;
[(गग) ऐिे न्यािी को जो िटाया जा र्ुका िै या ऐिे व्यसक्त को जो न्यािी ििीं रि गया िै, अपिे कब्जे में की
5

क्रकिी न्याि-िम्पसत्त का कब्जा उि व्यसक्त को जो उि िम्पसत्त के कब्जे का िकदार िै, पटरदत्त करिे का सिदेश देिे की
सडिी ;]
(घ) लेिाओं और जांर्ों को सिर्दचष्ट करिे की सडिी ;
(ङ) यि घोषर्ा करिे की सडिी क्रक न्याि-िम्पसत्त का या उिमें के सित का कौि िा अिुपात न्याि के क्रकिी
सिसशष्ट उद्देश्य के सलए आबंटटत िोगा ;
(र्) िम्पपर्च न्याि-िम्पसत्त या उिके क्रकिी िाग का पट्टे पर उठाया जािा, सििय क्रकया जािा, बन्िक क्रकया जािा
या सिसिमय क्रकया जािा प्रासिकृ त करिे की सडिी ;
(छ) स्कीम सस्थर करिे की सडिी ; अथिा
(ज) ऐिा असतटरक्त या अन्य अिुतोष अिुदत्त करिे की सडिी जो मामले की प्रकृ सत िे अपेसित िो ।
(2) उिके सििाय जैिा िार्मचक सिन्याि असिसियम, 1863 (1863 का 20) द्वारा 6[या 7[उि राज्यिेत्रों] में, 5[जो 1 ििम्बर,
1956 के ठीक पपिच िाग ि राज्यों में िमासिष्ट,] थे प्रिृत्त तत्िमाि क्रकिी सिसि द्वारा] उपबसन्ित िै, उपिारा (1) में सिसिर्दचष्ट
अिुतोषों में िे क्रकिी के सलए दािा करिे िाला कोई िी िाद ऐिे क्रकिी न्याि के िम्बन्ि में जो उिमें सिर्दच ष्ट िै, उि उपिारा के
उपबन्िों के अिुरूप िी िंसस्थत क्रकया जाएगा, अन्यथा ििीं ।
8[(3) न्यायालय, पपतच या िार्मचक प्रकृ सत के लोक प्रयोजिों के सलए िृष्ट क्रकिी असिव्यक्त या आन्िसयक न्याि के मपल प्रयोजिों
में पटरितचि कर िके गा और ऐिे न्याि की िम्पसत्त या आय को अथिा उिके क्रकिी िाग को सिम्िसलसित में िे एक या असिक
पटरसस्थसतयों में िमाि उद्देश्य के सलए उपयोसजत कर िके गा, अथाचत :—
(क) जिां न्याि के मपल प्रयोजि पपर्चतः या िागतः,—

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 30 द्वारा (1-2-1977 िे) पपिचिती शीषच के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 30 द्वारा (1-2-1977 िे) उपिारा (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
िारा 92 सबिार के क्रकिी िार्मचक न्याि को लागप ििीं िोगी, देसिए 1951 का सबिार असिसियम िं० 1 ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 31 द्वारा (1-2-1977 िे) “मिासििक्ता की सिसशष्ट िम्मसत” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 9 द्वारा अंतःस्थासपत ।
6
1951 के असिसियम िं० 3 की िारा 13 द्वारा अंतःस्थासपत ।
7
सिसि अिुकपलि (िं० 2) आदेश, 1956 द्वारा “िाग ि राज्य” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
8
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 31 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
30

(i) जिां तक िो िके पपरे िो गए िैं, अथिा


(ii) क्रियासन्ित क्रकए िी ििीं जा िकते िैं या न्याि को िृष्ट करिे िाले सलित में क्रदए गए सिदेशों के
अिुिार या जिां ऐिी कोई सलित ििीं िै ििां, न्याि की िाििा के अिुिार क्रियासन्ित ििीं क्रकए जा िकते िैं ,
अथिा
(ि) जिां न्याि के मपल प्रयोजिों में, न्याि के आिार पर उपलब्ि िम्पसत्त के के िल एक िाग के उपयोग के सलए िी
उपबन्ि िै ; अथिा
(ग) जिां न्याि के आिार पर उपलब्ि िम्पसत्त और िमाि प्रयोजि के सलए उपयोसजत की जा िकिे िाली अन्य
िम्पसत्त का न्याि की िाििा और िामान्य प्रयोजिों के सलए उिके उपयोजि को ध्याि में रिते हुए, क्रकिी अन्य प्रयोजि के
िाथ-िाथ असिक प्रिािी ढंग िे उपयोग क्रकया जा िकता िै और िि उि उद्देश्य िे क्रकिी अन्य प्रयोजि के सलए उपयु क्त
रीसत िे उपयोसजत की जा िकती िै ; अथिा
(घ) जिां मपल प्रयोजि पपर्चतः या िागतः, क्रकिी ऐिे िेत्र के बारे में बिाए गए थे जो ऐिे प्रयोजिों के सलए उि
िमय एक इकाई था क्रकन्तु अब ििीं रि गया िै ; अथिा
(ङ) जिां,—
(i) मपल प्रयोजिों को बिाए जािे के पश्र्ात, पपर्चतः या िागतः, अन्य िाििों िे पयाचप्त रूप िे व्यिस्था
कर दी िै ; अथिा
(ii) मपल प्रयोजि बिाए जािे के पश्र्ात, पपर्चतः या िागतः, िमाज के सलए अिुपयोगी या अपिासिकर
िोिे के कारर् िमाप्त िो गए िैं ; अथिा
(iii) मपल प्रयोजि बिाए जािे के पश्र्ात पपर्चतः या िागतः, सिसि के अिुिार पपतच ििीं रि गए िैं ;
अथिा
(iv) मपल प्रयोजि बिाए जािे के पश्र्ात, पपर्चतः या िागतः, न्याि की िाििा को ध्याि में रिते हुए,
न्याि के आिार पर उपलब्ि िम्पसत्त के उपयुक्त और प्रिािी उपयोग के सलए क्रकिी अन्य रीसत िे उपबन्ि ििीं
करते िैं ।]
93. प्रेसिडेंिी िगरों िे बािर मिासििक्ता की शसक्तयों का प्रयोग—मिासििक्ता को िारा 91 और िारा 92 द्वारा प्रदत्त
शसक्तयों का प्रयोग प्रेसिडेंिी िगरों िे बािर राज्य िरकार की पपिच मंजपरी िे कलक्टर या ऐिा असिकारी िी कर िके गा सजिे राज्य
िरकार इि सिसमत्त सियुक्त करे ।
िाग 6

अिुपरप क कायचिासियां
94. अिुपरप क कायचिासियां—न्यायालय न्याि के उद्देश्यों का सिफल क्रकया जािा सििाटरत करिे के सलए उि दशा में सजिमें
ऐिा करिा सिसित िो—
(क) प्रसतिादी को सगरफ्तार करिे के सलए और न्यायालय के िामिे उिको इि बात का िेतुक दर्शचत करिे के सलए
लाए जािे के सलए क्रक उिे अपिे उपिंजात िोिे के सलए प्रसतिपसत क्यों ििीं देिी र्ासिए, िारण्ट सिकाल िके गा और यक्रद िि
प्रसतिपसत के सलए क्रदए गए क्रकिी आदेश का अिुपालि करिे में अिफल रिता िै तो उिे सिसिल कारागार को िुपुदच कर
िके गा ;
(ि) प्रसतिादी को अपिी कोई िम्पसत्त पेश करिे के सलए प्रसतिपसत देिे का और उि िम्पसत्त को न्यायालय के
सियंत्रर्ािीि रििे का सिदेश दे िके गा या क्रकिी िम्पसत्त की कु की आक्रदष्ट कर िके गा ;
(ग) अस्थायी व्यादेश अिुदत्त कर िके गा और अिज्ञा की दशा में उिके दोषी व्यसक्त को सिसिल कारागार को िुपुदच
कर िके गा और आदेश दे िके गा क्रक उिकी िम्पसत्त कु कच की जाए और उिका सििय क्रकया जाए ;
(घ) क्रकिी िम्पसत्त का टरिीिर सियुक्त कर िके गा और उिकी िम्पसत्त को कु कच करके और उिका सििय करके
उिके कतचव्यों का पालि करा िके गा ;
(ङ) ऐिे अन्य अन्तिचती आदेश कर िके गा जो न्यायालय को न्यायिंगत और िुसििापपर्च प्रतीत िों ।
95. अपयाचप्त आिारों पर सगरफ्तारी, कु की या व्यादेश असिप्राप्त करिे के सलए प्रसतकर—(1) जिां क्रकिी िाद में, सजिमें
इिके ठीक पिले की िारा के अिीि कोई सगफ्तारी या कु की कर ली गई िै या अस्थायी व्यादेश क्रदया गया िै—
(क) न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक ऐिी सगरफ्तारी, कु की या व्यादेश के सलए आिेदि अपयाचप्त आिारों पर
क्रदया गया था, अथिा
31

(ि) िादी का िाद अिफल िो जाता िै और न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक उिके िंसस्थत क्रकए जािे के सलए
कोई युसक्तयुक्त या असििंिाव्य आिार ििीं था,
ििां प्रसतिादी न्यायालय िे आिेदि कर िके गा और न्यायालय ऐिे आिेदि पर अपिे आदेश द्वारा 1[पर्ाि िजार रुपए िे अिसिक]
इतिी रकम िादी के सिरुद्ध असिसिजीत कर िके गा सजतिा िि प्रसतिादी के सलए 2[उिके द्वारा क्रकए गए व्यय के सलए या उिे हुई िसत
के सलए (सजिके अन्तगचत प्रसतष्ठा की हुई िसत िी िै) ] युसक्तयुक्त प्रसतकर िमझे :
परन्तु न्यायालय, अपिी िि-िंबंिी असिकाटरता की पटरिीमाओं िे असिक रकम इि िारा के अिीि असिसिर्ीत
ििीं करे गा ।
(2) ऐिे क्रकिी आिेदि का अििारर् करिे िाला आदेश ऐिी सगरफ्तारी, कु की या व्यादेश के िंबंि में प्रसतकर के सलए क्रकिी
िी िाद का िजचि करे गा ।
िाग 7

अपीलें
मपल सडक्रियों की अपीलें
96. मपल सडिी की अपील—(1) ििां के सििाय जिां इि िंसिता के पाठ में या तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी अन्य सिसि द्वारा
असिव्यक्त रूप िे अन्यथा उपबसन्ित िै, ऐिी िर सडिी की, जो आरसम्िक असिकाटरता का प्रयोग करिे िाले क्रकिी न्यायालय द्वारा
पाटरत की गई िै, अपील उि न्यायालय में िोगी जो ऐिे न्यायालय के सिसिश्र्यों की अपीलों को िुििे के सलए प्रासिकृ त िै ।
(2) एकपिीय पाटरत मपल सडिी की अपील िो िके गी ।
(3) पिकारों की ििमसत िे जो सडिी न्यायालय िे पाटरत की िै उिकी कोई अपील ििीं िोगी ।
लघुिाद न्यायालयों द्वारा िंज्ञेय िाद में क्रकिी सडिी िे कोई अपील, यक्रद ऐिी सडिी की रकम या उिका मपल्य 4[दि
3[(4)

िजार रुपए] िे असिक ििीं िै तो, के िल सिसि के प्रश्ि के िंबंि में िी िोगी ।]
97. जिां प्रारसम्िक सडिी की अपील ििीं की गई िै ििां असन्तम सडिी की अपील—जिां इि िंसिता के प्रारम्ि के पश्र्ात
पाटरत प्रारसम्िक सडिी िे व्यसथत कोई पिकार ऐिी सडिी की अपील ििीं करता िै ििां िि उिकी शुद्धता के बारे में अंसतम सडिी के
सिरुद्ध की गई अपील में सििाद करिे िे प्रिाटरत रिेगा ।
98. जिां कोई अपील दो या असिक न्यायािीशों द्वारा िुिी जाए ििां सिसिश्र्य—(1) जिां कोई अपील दो या असिक
न्यायािीशों के न्यायपीठ द्वारा िुिी जाती िै ििां अपील का सिसिश्र्य ऐिे न्यायािीशों की या ऐिे न्यायािीशों की बहुिंखया की (यक्रद
कोई िो) राय के अिुिार िोगा ।
(2) जिां ऐिी बहुिंखया ििीं िै जो अपीसलत सडिी में फे रफार करिे या उिे उलटिे िाले सिर्चय के बारे में ििमत िै, ििां
ऐिी सडिी पुष्ट कर दी जाएगी :
परन्तु जिां 5[अपील िुििे िाले न्यायपीठ में दो या क्रकिी अन्य िमिंखया में न्यायािीश िैं और िे न्यायािीश ऐिे न्यायालय
के िैं सजि न्यायालय में उि न्यायपीठ के न्यायािीशों िे असिक िंखया में न्यायािीश िैं ] और न्यायपीठ के न्यायािीशों में क्रकिी सिसि के
प्रश्ि पर मतिेद िै ििां िे उि सिसि के प्रश्ि का कथि करें गे सजिके बारे में उिमें मतिेद िै और तब अपील को अन्य न्यायािीशों में िे
कोई एक या असिक के िल उि प्रश्ि के बारे में िुिेंगे और तब उि प्रश्ि का सिसिश्र्य अपील िुििे िाले न्यायािीशों की बहुिंखया की,
(यक्रद कोई िो), सजिके अन्तगचत िे न्यायािीश िी िैं सजन्िोंिे िि अपील ििचप्रथम िुिी थी, राय के अिुिार क्रकया जाएगा ।
इि िारा की कोई िी बात क्रकिी िी उच्र् न्यायालय के लेटिच पेटेन्ट के क्रकिी िी उपबन्ि का पटरितचि करिे िाली या
6[(3)

अन्यथा उि पर प्रिाि डालिे िाली ििीं िमझी जाएगी ।]


99. कोई िी सडिी ऐिी गलती या असियसमतता के कारर् सजििे गुर्ागुर् या असिकाटरता पर प्रिाि ििीं पडता िै ि तो
उलटी जाएगी और ि उपान्तटरत की जाएगी—पिकारों या िादिेतुकों के ऐिे कु िंयोजि 7[या अिंयोजि] के या बाद की क्रकन्िीं िी
कायचिासियों में ऐिी गलती, त्रुटट या असियसमतता के कारर् सजििे मामले के गुर्ागुर् या न्यायालय की असिकाटरता पर प्रिाि ििीं
पडता िै कोई िी सडिी अपील में ि तो उलटी जाएगी और ि उिमें िारिपत फे रफार क्रकया जाएगा और ि कोई मामला अपील में
प्रसतप्रेसषत क्रकया जाएगा :

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 8 द्वारा (1-7-2002 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 32 द्वारा (1-2-1977 िे) “उिके द्वारा क्रकए गए व्यय या उिे हुई िसत के सलए” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 33 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
4
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 9 द्वारा (1-7-2002 िे) “तीि िजार रुपए” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 34 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6
1928 के असिसियम िं० 18 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 द्वारा अन्तःस्थासपत ।
7
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 35 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
32

7
[परन्तु इि िारा की कोई िी बात क्रकिी आिश्यक पिकार के अिंयोजि को लागप ििीं िोगी ।]

िारा 47 के अिीि तब तक क्रकिी आदेश को उलटा ि जािा या उपान्तटरत ि क्रकया जािा जब तक मामले के
1[99क.

सिसिश्र्य पर प्रसतकप ल प्रिाि ििीं पडता िै—िारा 99 के उपबंिों की व्यापकता पर प्रसतकप ल प्रिाि डाले सबिा, िारा 47 के अिीि
कोई िी आदेश, ऐिे आदेश िे िंबंसित क्रकिी कायचिािी में क्रकिी गलती, त्रुटट या असियसमतता के कारर् तब तक ि तो उलटा जाएगा
और ि उिमें िारत फे रफार क्रकया जाएगा जब तक ऐिी गलती, त्रुटट या असियसमतता का मामले के सिसिश्र्य पर प्रसतकप ल प्रिाि ििीं
पडता िै ।]

अपीली सडक्रियों की अपीलें

[100. सद्वतीय अपील—(1) उिके सििाय जैिा इि िंसिता के पाठ में या तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी अन्य सिसि में असिव्यक्त रूप
2

िे उपबंसित िै, उच्र् न्यायालय के अिीिस्थ क्रकिी न्यायालय द्वारा अपील में पाटरत प्रत्येक सडिी की उच्र् न्यायालय में अपील िो
िके गी, यक्रद उच्र् न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक उि मामले में सिसि का कोई िारिाि प्रश्ि अन्तिचसलत िै ।

(2) एकपिीय पाटरत अपीली सडिी की अपील इि िारा के अिीि िो िके गी ।

(3) इि िारा के अिीि अपील में अन्तिचसलत सिसि के उि िारिाि प्रश्ि का अपील के ज्ञापि में प्रसमततः कथि क्रकया
जाएगा ।

(4) जिां उच्र् न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक क्रकिी मामले में िारिाि सिसि का प्रश्ि अन्तिचसलत िै तो िि उि
प्रश्ि को बिाएगा ।

(5) अपील इि प्रकार बिाए गए प्रश्ि पर िुिी जाएगी और प्रसतिादी को अपील की िुििाई में यि तकच करिे की अिु ज्ञा दी
जाएगी क्रक ऐिे मामले में ऐिा प्रश्ि अन्तिचसलत ििीं िै :

परन्तु इि िारा की क्रकिी बात के बारे में यि ििीं िमझा जाएगा क्रक िि, सिसि के क्रकिी अन्य ऐिे िारिाि प्रश्ि पर जो
न्यायालय के द्वारा ििीं बिाया गया िै, न्यायालय का यि िमािाि िो जािे पर क्रक उि मामले में ऐिा प्रश्ि अन्तिचसलत िै, न्यायालय
की कारर्ों को लेिबद्ध करके अपील िुििे की शसक्त िापि लेती िै या उिे न्यपि करती िै ।]

[100क. कसतपय मामलों में आगे अपील का ि िोिा—क्रकिी उच्र् न्यायालय के सलए क्रकिी लेटिच पेटेंट में या सिसि का बल
3

रििे िाली क्रकिी सलित में या तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी अन्य सिसि में क्रकिी बात के िोते हुए िी, जिां क्रकिी मपल या अपीली सडिी या
आदेश िे अपील की िुििाई और उिका सिसिश्र्य क्रकिी उच्र् न्यायालय के क्रकिी एकल न्यायािीश द्वारा क्रकया जाता िै ििां ऐिे
एकल न्यायािीश के सिर्चय और सडिी िे आगे कोई अपील ििीं िोगी ।]

101. सद्वतीय अपील का क्रकिी िी अन्य आिार पर ि िोिा—कोई िी सद्वतीय अपील िारा 100 में िर्र्चत आिारों पर िोगी,
अन्यथा ििीं ।

[102. कसतपय मामलों में आगे सद्वतीय अपील का ि िोिा—क्रकिी सडिी िे कोई सद्वतीय अपील ििीं िोगी जब मपल िाद की
4

सिषय िस्तु पच्र्ीि िजार रुपए िे असिक िि की ििपली के सलए ििीं िै ।]

[103. तथ्य-सििाद्यकों का अििारर् करिे की उच्र् न्यायालय की शसक्त—यक्रद असिलेि में का िाक्ष्य पयाचप्त िो तो क्रकिी
5

िी सद्वतीय अपील में उच्र् न्यायालय ऐिी अपील के सिपटारे के सलए आिश्यक कोई सििाद्यक अििाटरत कर िके गा, जो—

(क) सिर्ले अपील न्यायालय द्वारा या प्रथम बार के न्यायालय और सिर्ले अपील न्यायालय दोिों द्वारा अििाटरत
ििीं क्रकया गया िै, अथिा

(ि) िारा 100 में यथासिर्दचष्ट सिसि के ऐिे प्रश्ि के सिसिश्र्य के कारर् ऐिे न्यायालय या न्यायालयों द्वारा गलत
तौर पर अििाटरत क्रकया गया िै ।]

आदेशों की अपील

104. िे आदेश सजिकी अपील िोगी—(1) सिम्िसलसित आदेशों की अपील िोगी—


6
* * * * *
1
[(र्र्) िारा 35क के अिीि आदेश ;]

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 36 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 37 द्वारा (1-2-1977 िे) िारा 100 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 4 द्वारा (1-7-2002 िे) िारा 100क के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 5 द्वारा (1-7-2002 िे) िारा 10क के स्थाि पर अन्तःस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 40 द्वारा (1-2-1977 िे) िारा 103 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6
1940 के असिसियम िं० 10 की िारा 49 और अिुिपर्ी 3 द्वारा िण्ड (क) िे (र्) तक का लोप क्रकया गया ।
33

[(र्र्क) िारा 91 या िारा 92 के अिीि, यथासस्थसत, िारा 91 या िारा 92 में सिर्दचष्ट प्रकृ सत के िाद को िंसस्थत
2

करिे के सलए इजाजत देिे िे इं कार करिे िाला आदेश ;]


(छ) िारा 95 के अिीि आदेश ;
(ज) इि िंसिता के उपबंिों में िे क्रकिी के िी अिीि ऐिा आदेश, जो जुमाचिा असिरोसपत करता या क्रकिी व्यसक्त
की सगरफ्तारी या सिसिल कारागार में सिरोि सिर्दचष्ट करता िै, ििां के सििाय जिां क्रक ऐिी सगरफ्तारी या सिरोि क्रकिी
सडिी के सिष्पादि में िै ;
(झ) सियमों के अिीि क्रकया गया कोई ऐिा आदेश सजिकी अपील सियमों द्वारा असिव्यक्त रूप िे अिुज्ञात िै,
और इि िंसिता के पाठ में या तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सिसि द्वारा असिव्यक्त रूप िे अन्यथा उपबसन्ित के सििाय क्रकन्िीं िी अन्य आदेशों
की अपील ििीं िोगी :
[परन्तु िण्ड (र्र्) में सिसिर्दचष्ट क्रकिी िी आदेश की कोई िी अपील के िल इि आिार पर िी िोगी क्रक कोई आदेश क्रकया
3

िी ििीं जािा र्ासिए था या आदेश कम रकम के िंदाय के सलए क्रकया जािा र्ासिए था ।]
(2) इि िारा के अिीि अपील में पाटरत क्रकिी िी आदेश की कोई िी अपील ििीं िोगी ।
105. अन्य आदेश—(1) असिव्यक्त रूप िे अन्यथा उपबसन्ित के सििाय, क्रकिी न्यायालय द्वारा अपिी आरं सिक या अपीली
असिकाटरता के प्रयोग में क्रकए गए क्रकिी िी आदेश की कोई िी अपील ििीं िोगी, क्रकन्तु जिां सडिी की अपील की जाती िै ििां क्रकिी
आदेश में की ऐिी गलती, त्रुटट या असियसमतता, सजििे मामले के सिसिश्र्य पर प्रिाि पडता िै, अपील ज्ञापि में आिेप के आिार के
रूप में उपिर्र्चत की जा िके गी ।
(2) उपिारा (1) में अन्तर्िचष्ट क्रकिी बात के िोते हुए िी जिां 4*** प्रसतप्रेषर् के ऐिे आदेश िे, सजिकी अपील िोती िै,
व्यसथत कोई पिकार अपील ििीं करता िै ििां िि उिके पश्र्ात उिकी शुद्धता पर सििाद करिे िे प्रिाटरत रिेगा ।
106. कौि िे न्यायालय अपील िुिग ें े—जिां क्रकिी आदेश की अपील अिुज्ञात िै, ििां िि उि न्यायालय में िोगी, सजिमें उि
िाद की सडिी की अपील िोती िै सजिमें ऐिा आदेश क्रकया गया था, या जिां ऐिा आदेश अपीली असिकाटरता के प्रयोग में क्रकिी
न्यायालय द्वारा (जो उच्र् न्यायालय ििीं िै) क्रकया जाता िै ििां िि उच्र् न्यायालय में िोगी ।
अपील िम्बन्िी िािारर् उपबन्ि
107. अपील न्यायालय की शसक्तयां—(1) ऐिी शतों और पटरिीमाओं के अिीि रिते हुए, जो सिसित की जाएं, अपील
न्यायालय को यि शसक्त िोगी क्रक िि—
(क) मामले का अंसतम रूप िे अििारर् करे ;
(ि) मामले का प्रसतप्रेषर् करे ;
(ग) सििाद्यक सिरसर्त करे और उन्िें सिर्ारर् के सलए सिदेसशत करे ;
(घ) असतटरक्त िाक्ष्य ले या ऐिे िाक्ष्य का सलया जािा अपेसित करे ।
(2) पपिोक्त के अिीि रिते हुए, अपील न्यायालय को िे िी शसक्तयां िोंगी और िि जिां तक िो िके उन्िीं कतचव्यों का पालि
करे गा, जो आरं सिक असिकाटरता िाले न्यायालयों में िंसस्थत िादों के बारे में इि िंसिता द्वारा उन्िें प्रदत्त और उि पर असिरोसपत क्रकए
गए िैं ।
108. अपीली सडक्रियों और आदेशों की अपीलों में प्रक्रिया—मपल सडक्रियों की अपीलों िे िम्बसन्ित इि िाग के उपबन्ि जिां
तक िो िके ,—
(क) अपीली सडक्रियों की अपीलों को लागप िोंगे, तथा
(ि) उि आदेशों की अपीलों को लागप िोंगे जो इि िंसिता के अिीि या ऐिी क्रकिी सिशेष या स्थािीय सिसि के
अिीि क्रकए गए िैं सजिमें कोई सिन्ि प्रक्रिया उपबसन्ित ििीं की गई िै ।
उच्र्तम न्यायालय में अपीलें
[109. उच्र्तम न्यायालय में अपीलें कब िोंगी—िंसििाि के िाग 5 के अध्याय 4 के उपबन्िों के और ऐिे सियमों के जो,
5

िारत के न्यायालयों िे अपीलों के िंबंि में उच्र्तम न्यायालय द्वारा िमय-िमय पर बिाए जाएं और इिमें इिके पश्र्ात अन्तर्िचष्ट
उपबंिों के अिीि रिते हुए क्रकिी उच्र् न्यायालय की सिसिल कायचिािी में के क्रकिी सिर्चय, सडिी या असन्तम आदेश की अपील
उच्र्तम न्यायालय में िोगी यक्रद उच्र् न्यायालय यि प्रमासर्त कर देता िै क्रक—

1
1922 के असिसियम िं० 9 की िारा 3 द्वारा अन्तःस्थासपत । पपिोक्त िारा 35क का पाद-टटप्पर् िी देिें ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 41 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
3
1922 के असिसियम िं० 9 की िारा 3 द्वारा अन्तःस्थासपत । पपिोक्त िारा 35क का पाद-टटप्पर् िी देिें ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 42 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों का लोप क्रकया गया ।
5
1973 के असिसियम िं० 49 की िारा 2 द्वारा 109 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
34

(i) मामले में व्यापक मित्ि का कोई िारिाि सिसिक प्रश्ि अन्तिचसलत िै ; तथा
(ii) उच्र् न्यायालय की राय में उि प्रश्ि का उच्र्तम न्यायालय द्वारा सिसिश्र्य आिश्यक िै ।
1
* * * * *
111. [कु छ अपीलों का िजचि ।]—सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा सिरसित ।
2
[111क. [फे डरल न्यायालयों को अपीलें]—फे डरल न्यायालय असिसियम, 1941 (1941 का 21) की िारा 2 द्वारा
सिरसित ]।
112. व्यािृसत्तयां—3[(1) इि िंसिता में अन्तर्िचष्ट क्रकिी िी बात के बारे में यि ििीं िमझा जाएगा क्रक िि—
(क) िंसििाि के अिुच्छे द 136 या अन्य क्रकिी उपबन्ि के अिीि उच्र्तम न्यायालय की शसक्तयों पर प्रिाि
डालती िै, अथिा
(ि) उच्र्तम न्यायालय में अपीलों को उपसस्थत करिे के सलए या उिके िामिे उिके िंर्ालि के सलए उि
न्यायालय द्वारा बिाए गए और तत्िमय प्रिृत्त क्रकन्िीं सियमों में िस्तिेप करती िै ।]
(2) इिमें अन्तर्िचष्ट कोई िी बात क्रकिी िी दासण्डक या िािसिकरर् सिषयक या उपिािसिकरर् सिषयक असिकाटरता के
सिषय को अथिा प्राइज न्यायालयों के आदेशों और सडक्रियों की अपीलों को लागप ििीं िोती ।
िाग 8

सिदेश, पुिर्िचलोकि और पुिरीिर्


113. उच्र् न्यायालय को सिदेश—उि शतों और पटरिीमाओं के अिीि रिते हुए, जो सिसित की जाएं, कोई िी न्यायालय
मामले का कथि करके उिे उच्र् न्यायालय की राय के सलए सिदेसशत कर िके गा और उच्र् न्यायालय उि पर ऐिा आदेश कर िके गा
जो िि ठीक िमझे :
4
[परन्तु जिां न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक उिके िमि लंसबत मामले में क्रकिी असिसियम, अध्यादेश या
सिसियम अथिा क्रकिी असिसियम, अध्यादेश या सिसियम में अन्तर्िचष्ट क्रकिी उपबंि की सिसिमान्यता के बारे में ऐिा प्रश्ि अन्तिचसलत
िै, सजिका अििारर् उि मामले को सिपटािे के सलए आिश्यक िै और उिकी यि राय िै क्रक ऐिा असिसियम, अध्यादेश, सिसियम या
उपबंि असिसिमान्य या अप्रितचिशील िै, क्रकन्तु उि उच्र् न्यायालय द्वारा सजिके िि न्यायालय अिीिस्थ िै, या उच्र्तम न्यायालय
द्वारा इि प्रकार घोसषत ििीं क्रकया गया िै, ििां न्यायायलय अपिी राय और उिके कारर्ों को उपिर्र्चत करते हुए मामले का कथि
करे गा और उिे उच्र् न्यायालय की राय के सलए सिदेसशत करे गा ।
स्पष्टीकरर्—इि िारा में “सिसियम” िे बंगाल, मुम्बई या मद्राि िंसिता का कोई सिसियम या िािारर् िण्ड असिसियम,
1897 (1897 का 10) में या क्रकिी राज्य के िािारर् िण्ड असिसियम में पटरिासषत कोई िी सिसियम असिप्रेत िै ।]
114. पुिर्िचलोकि—पपिोक्त के अिीि रिते हुए कोई व्यसक्त, जो—
(क) क्रकिी ऐिे सडिी या आदेश िे सजिकी इि िंसिता द्वारा अपील अिुज्ञात िै, क्रकन्तु सजिकी कोई अपील ििीं की
गई िै,
(ि) क्रकिी ऐिे सडिी या आदेश िे सजिकी इि िंसिता द्वारा अपील अिुज्ञात ििीं िै, अथिा
(ग) ऐिे सिसिश्र्य िे जो लघुिाद न्यायालय के सिदेश पर क्रकया गया िै,
अपिे को व्यसथत मािता िै िि सडिी पाटरत करिे िाले या आदेश करिे िाले न्यायालय िे सिर्चय के पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि कर
िके गा और न्यायालय उि पर ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
115. पुिरीिर्—5[(1)] उच्र् न्यायालय क्रकिी िी ऐिे मामले के असिलेि को मंगिा िके गा सजिका ऐिे उच्र् न्यायालय के
अिीिस्थ क्रकिी न्यायालय िे सिसिश्र्य क्रकया िै और सजिकी कोई िी अपील ििीं िोती िै और यक्रद यि प्रतीत िोता िै क्रक—
(क) ऐिे अिीिस्थ न्यायालय िे ऐिी असिकाटरता का प्रयोग क्रकया िै जो उिमें सिसि द्वारा सिसित ििीं िै, अथिा
(ि) ऐिा अिीिस्थ न्यायालय ऐिी असिकाटरता का प्रयोग करिे में अिफल रिा िै जो इि प्रकार सिसित
िै, अथिा

1
1973 के असिसियम िं० 49 की िारा 3 द्वारा िारा 110 का लोप क्रकया गया ।
2
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा अन्तःस्थासपत ।
3
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा पपिचती उपिारा (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1951 के असिसियम िं० 24 की िारा 2 द्वारा जोडा गया ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 43 द्वारा (1-2-1977 िे) िारा 115 को उपिारा (1) के रूप में पुिःिंखयांक्रकत क्रकया गया ।
35

(ग) ऐिे अिीिस्थ न्यायालय िे अपिी असिकाटरता का प्रयोग करिे में अिैि रूप िे या तासविक असियसमतता िे
कायच क्रकया िै,
तो उच्र् न्यायालय उि मामले में ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे :
1
[परन्तु उच्र् न्यायालय, क्रकिी िाद या अन्य कायचिािी के अिुिम में इि िारा के अिीि क्रकए गए क्रकिी आदेश में या कोई
सििाद्यक सिसिश्र्य करिे िाले क्रकिी आदेश में तिी फे रफार करे गा या उिे उलटे गा जब ऐिा आदेश यक्रद िि पुिरीिर् के सलए
आिेदि करिे िाले पिकार के पि में क्रकया गया िोता तो िाद या अन्य कायचिािी का अंसतम रूप िे सिपटारा कर देता ।]
2
[(2) उच्र् न्यायालय इि िारा के अिीि क्रकिी ऐिी सडिी या आदेश में, सजिके सिरुद्ध या तो उच्र् न्यायालय में या उिके
अिीिस्थ क्रकिी न्यायालय में अपील िोती िै, फे रफार ििीं करे गा अथिा उिे ििीं उलटे गा ।]
[(3) न्यायालय के िमि िाद या अन्य कायचिािी में कोई पुिरीिर् रोक के रूप में प्रिािी ििीं िोगी सििाय ििां के जिां
3

ऐिे िाद या अन्य कायचिािी को उच्र् न्यायालय द्वारा रोका गया िै ।


स्पष्टीकरर्—इि िारा में “ऐिे मामले के असिलेि को मंगिा िके गा सजिका ऐिे उच्र् न्यायालय के अिीिस्थ क्रकिी
न्यायालय िे सिसिश्र्य क्रकया िै” असिव्यसक्त के अन्तगचत क्रकिी िाद या अन्य कायचिािी के अिुिम में क्रकया गया कोई आदेश या कोई
सििाद्यक सिसिसश्र्त करिे िाला कोई आदेश िी िै ।]
िाग 9
2
[ऐिे उच्र् न्यायालयों] के िम्बन्ि में सिशेष जो 4[न्यासयक आयुक्त के न्यायालय ििीं] िैं
116. इि िाग का कु छ उच्र् न्यायालयों को िी लागप िोिा—यि िाग ऐिे उच्र् न्यायालयों को िी लागप िोगा जो 5[न्यासयक
आयुक्त के न्यायालय ििीं] िैं ।
117. िंसिता का उच्र् न्यायालयों को लागप िोिा—उिके सििाय जैिा इि िाग में या िाग 10 में या सियमों में उपबसन्ित
िै, इि िंसिता के उपबंि ऐिे उच्र् न्यायालयों को लागप िोंगे ।
118. िर्ों के असिसिश्र्य के पपिच सडिी का सिष्पादि—जिां ऐिा कोई उच्र् न्यायालय यि आिश्यक िमझता िै क्रक उिकी
अपिी आरं सिक सिसिल असिकाटरता के प्रयोग में पाटरत कोई सडिी िाद में के िर्ों की रासश का सिसििाचरर् द्वारा असिसिश्र्य क्रकए
जािे के पपिच सिष्पाक्रदत की जािी र्ासिए ििां िि न्यायालय यि आदेश दे िके गा क्रक सडिी के उतिे िाग के सििाय सजतिा िर्ों िे
िम्बसन्ित िै, उि सडिी का सिष्पादि तुरन्त क्रकया जाए ;
और उिके उतिे िाग के बारे में सजिका िर्ों िे िंबंि िै, यि आदेश दे िके गा क्रक जैिे िी िर्े सिसििाचरर् द्वारा
असिसिसश्र्त िो जाएं, िि सडिी िैिे िी सिष्पाक्रदत की जा िके गी ।
119. अप्रासिकृ त व्यसक्त न्यायालय को िंबोसित ििीं कर िकें गे—इि िंसिता की क्रकिी िी बात के बारे में यि ििीं िमझा
जाएगा क्रक िि क्रकिी व्यसक्त को ििां के सििाय जिां क्रक न्यायालय िे अपिे र्ाटचर द्वारा प्रदत्त शसक्त के प्रयोग में उि व्यसक्त को ऐिा
करिे के सलए प्रासिकृ त कर क्रदया िै, दपिरे व्यसक्त की ओर िे उि न्यायालय को उिकी आरसम्िक सिसिल असिकाटरता के प्रयोग में
िंबोसित करिे को या िासियों की परीिा करिे को प्रासिकृ त करती िै, या असििक्ताओं, िकीलों और अटर्िचयों के िंबंि में सियम
बिािे की उि उच्र् न्यायालय की शसक्त में िस्तिेप करती िै ।
120. आरं सिक सिसिल असिकाटरता में उच्र् न्यायालयों को उपबन्िों का लागप ि िोिा—(1) सिम्िसलसित उपबन्ि, अथाचत
िारा 16, िारा 17 और िारा 20 उच्र् न्यायालय को उिकी आरसम्िक सिसिल असिकाटरता का प्रयोग करिे में लागप ििीं िोंगे ।
6
* * * * *
िाग 10
सियम
121. प्रथम अिुिर्
प ी में के सियमों का प्रिाि—प्रथम अिुिपर्ी में के सियम, जब तक क्रक िे इि िाग के उपबन्िों के अिुिार
बासतल या पटरिर्तचत ि कर क्रदए जाएं, ऐिे प्रिािशील िोंगे, मािो िे इि िंसिता के पाठ में असिसियसमत िों ।
122. सियम बिािे की कु छ उच्र् न्यायालयों की शसक्त—7[ऐिे उच्र् न्यायालय, जो 8[न्यासयक आयुक्त के न्यायालय ििीं]
िैं,] 1*** अपिी स्ियं की प्रक्रिया और अपिे अिीिर् के अिीि आिे िाले सिसिल न्यायालयों की प्रक्रिया का सिसियमि करिे के सलए

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 12 द्वारा (1-7-2002 िे) परन्तुक के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 43 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
3
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 12 द्वारा (1-7-2002 िे) अंतःस्थासपत ।
4
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 14 द्वारा “र्ाटचडच उच्र् न्यायालयों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
सिसि अिुकपलि (िं० 2) आदेश, 1956 द्वारा “िाग क राज्यों और िाग ि राज्यों के सलए” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6
1909 के असिसियम िं० 3 की िारा 127 और अिुिपर्ी 3 द्वारा उपिारा (2) सिरसित ।
7
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “ऐिे न्यायालय जो िारत शािि असिसियम 1935, के प्रयोजिों के सलए उच्र् न्यायालय िैं” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
8
सिसि अिुकपलि (िं० 2) आदेश, 1956 द्वारा “िाग क राज्यों और िाग ि राज्यों के सलए” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत । काले शब्द 1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 15
द्वारा अंतःस्थासपत क्रकए गए थे ।
36

सियम, पपिच प्रकाशि के पश्र्ात िमय-िमय पर बिा िकें गे और िे ऐिे सियमों द्वारा प्रथम अिुिपर्ी में के ििी सियमों को या उिमें िे
क्रकिी को बासतल या पटरिर्तचत कर िकें गे अथिा उि ििी में या उिमें िे क्रकिी में पटरििचि कर िकें गे ।
123. कु छ राज्यों में सियम-िसमसतयों का गठि—(1) 2[ऐिे िगर में, जो िारा 122 में सिर्दचष्ट उच्र् न्यायालय 3*** में िे िर
एक की बैठक का प्रासयक स्थाि िै,] एक िसमसत गटठत की जाएगी सजिका िाम सियम-िसमसत िोगा ।
(2) ऐिी िर एक िसमसत सिम्िसलसित व्यसक्तयों िे समलकर गटठत िोगी, अथाचत :—
(क) ऐिे िगर में, जिां ऐिी िसमसत का गठि हुआ िै, स्थासपत उच्र् न्यायालय के तीि न्यायािीश, सजिमें िे कम
िे कम एक ऐिा िोगा सजििे सजला न्यायािीश या 4*** िण्ड न्यायािीश के रूप में तीि िषच िेिा की िै,
5[(ि) दो सिसि-व्यििायी, सजिके िाम उि न्यायालय में दजच िों,]
6[(ग)] उि उच्र् न्यायालय के अिीिस्थ सिसिल न्यायालय का एक न्यायािीश, 7***
8
* * * * *
(3) ऐिी िर िसमसत के िदस्य 9[उच्र् न्यायालय] द्वारा सियुक्त क्रकए जाएंगे, जो उिके िदस्यों में िे एक को ििापसत िी
िामसिदेसशत करे गा ।
10
* * * * *
(4) क्रकिी ऐिी िसमसत का िर एक िदस्य ऐिी अिसि के सलए पद िारर् करे गा जो 8[उच्र् न्यायालय] द्वारा इि सिसमत्त
सिसित की जाए और जब किी कोई िदस्य िेिासििृत्त िो जाए, पदत्याग कर दे, उिकी मृत्यु िो जाए या िि उि राज्य में सजिमें
िसमसत का गठि हुआ िै, सििाि करिा छोड दे या िसमसत के िदस्य के रूप में कायच करिे के सलए अिमथच िो जाए, तब उक्त 8[उच्र्
न्यायालय] उिके स्थाि पर अन्य व्यसक्त को िदस्य सियुक्त कर िके गा ।
(5) िर एक ऐिी िसमसत का एक िसर्ि िोगा जो 8[उच्र् न्यायालय] द्वारा सियुक्त क्रकया जाएगा और ऐिा पाटरश्रसमक
पाएगा, जो 11[राज्य िरकार द्वारा] इि सिसमत्त उपबसन्ित क्रकया जाए ।
124. िसमसत उच्र् न्यायालय को टरपोटच करे गी—िर एक सियम-िसमसत, उि िगर में जिां उिका गठि हुआ िै, स्थासपत
उच्र् न्यायालय को प्रथम अिुिपर्ी में के सियमों को बासतल, पटरिर्तचत या पटरिर्िचत करिे की या िए सियम बिािे की क्रकिी िी
प्रस्थापिा के बारे में टरपोटच करे गी और िारा 122 के अिीि क्रकन्िीं िी सियमों को बिािे िे पपिच िि उच्र् न्यायालय ऐिी टरपोटच पर
सिर्ार करे गा ।
125. सियम बिािे की अन्य उच्र् न्यायालयों की शसक्त—िारा 122 में सिसिर्दचष्ट न्यायालयों िे सिन्ि उच्र् न्यायायल उि
िारा द्वारा प्रदत्त शसक्तयों को प्रयोग ऐिी रीसत िे और ऐिी शतों के अिीि रिते हुए कर िकें गे 12[जो 13[राज्य िरकार] अििाटरत
करे ]:
परन्तु ऐिा कोई िी उच्र् न्यायालय ऐिे क्रकन्िीं िी सियमों का जो क्रकिी अन्य उच्र् न्यायालय द्वारा बिाए गए िैं, अपिी
असिकाटरता की स्थीिीय िीमाओं के िीतर सिस्तारर् करिे के सलए सियम, पपिच प्रकाशि के पश्र्ात बिा िके गा ।
[126. सियमों का अिुमोदि के अिीि िोिा—पपिचगामी उपबन्िों के अिीि बिाए गए सियम उि राज्य िरकार के पप िच
14

अिुमोदि के , सजिमें िि न्यायालय सजिकी प्रक्रिया का सिसियमि िे सियम करते िैं , सस्थत िै या यक्रद िि न्यायालय क्रकिी राज्य में
सस्थत ििीं िै तो, 15[के न्द्रीय िरकार] के पपिच अिुमोदि के अिीि रिेंगे ।]

1
1923 के असिसियम िं० 11 की िारा 3 और अिुिपर्ी 2 द्वारा “और लोअर बमाच का मुखय न्यायालय” शब्द सिरसित ।
2
1916 के असिसियम िं० 13 की िारा 2 और अिुिपर्ी द्वारा “कलकत्ता, मद्राि, मुम्बई, इलािाबाद, लािौर और रंगपि के िगरों में िे प्रत्येक िगर,” के स्थाि पर
प्रसतस्थासपत ।
3
1923 के असिसियम िं० 11 की िारा 3 और अिुिपर्ी 2 द्वारा “और मुखय न्यायालय” शब्दों का लोप क्रकया गया । 1925 के असिसियम िं० 32 द्वारा इि शब्दों का पुिः
अन्तःस्थापि क्रकया गया था और तत्पश्र्ात इिका स्ितंत्रता (के न्द्रीय असिसियमों और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा लोप क्रकया गया ।
4
1923 के असिसियम िं० 11 की िारा 3 और अिुिपर्ी 2 द्वारा “(बमाच में)” कोष्ठक और शब्द सिरसित ।
5
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 16 द्वारा मपल िण्ड (ि) और (ग) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 16 द्वारा िण्ड (घ) को (ग) के रूप में पुिःअिरांक्रकत क्रकया गया ।
7
1978 के असिसियम िं० 38 की िारा 3 और दपिरी अिुिपर्ी द्वारा अन्त में आिे िाले शब्द “तथा” का लोप क्रकया गया ।
8
1978 के असिसियम िं० 38 की िारा 3 और दपिरी अिुिपर्ी द्वारा िण्ड (घ) का लोप क्रकया गया ।
9
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 44 द्वारा (1-2-1977 िे) “मुखय न्यायमपर्तच या मुखय न्यायािीश” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
10
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 44 द्वारा (1-2-1977 िे) परन्तुक का लोप क्रकया गया ।
11
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “यथासस्थसत, िपटरषद गििचर जिरल द्वारा या स्थािीय स्िशािि द्वारा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
12
1920 के असिसियम िं० 38 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 के िाग 1 द्वारा “जैिी िपटरषद गििचर जिरल अिाटरत करे ” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
13
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “कु गच के न्यासयक आयुक्त के न्यायालय की दशा में, िपटरषद गििचर जिरल और अन्य दशाओं में स्थािीय
स्िशािि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
14
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा िारा 126 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
15
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “गििचर जिरल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
37

127. सियमों का प्रकाशि—इि प्रकार बिाए गए और 1[अिुमोक्रदत क्रकए गए] सियम 2[राजपत्र] में प्रकासशत क्रकए जाएंगे और
प्रकाशि की तारीि िे या ऐिी अन्य तारीि िे जो सिसिर्दचष्ट की जाए, उि उच्र् न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के
िीतर सजििे उन्िें बिाया िै, ििी बल और प्रिाि रिेंगे मािो िे प्रथम अिुिपर्ी में अन्तर्िच ष्ट थे ।
128. िे सिषय सजिके सलए सियम उपबन्ि कर िकें गे—(1) ऐिे सियम इि िंसिता के पाठ में के उपबंिों िे अिंगत ििीं िोंगे
क्रकन्तु उिके अिीि रिते हुए, सिसिल न्यायालयों की प्रक्रिया िे िम्बसन्ित क्रकन्िीं िी सिषयों के सलए उपबंि कर िकें गे ।
(2) सिसशष्टतया और उपिारा (1) द्वारा प्रदत्त शसक्तयों की व्यापकता पर प्रसतकप ल प्रिाि डाले सबिा, ऐिे सियम
सिम्िसलसित ििी सिषयों या उिमें िे क्रकिी के सलए उपबंि कर िकें गे, अथाचत :—
(क) िमिों, िपर्िाओं और अन्य आदेसशकाओं की िािारर्तः या क्रकन्िीं सिसिर्दच ष्ट िेत्रों में डाक द्वारा या क्रकिी
अन्य प्रकार िे तामील और ऐिी तामील का िबपत ;
(ि) सजतिे िमय पशु-िि और अन्य जंगम िम्पसत्त कु की के अिीि रिे, उतिे िमय उिका िरर्-पोषर् और
असिरिा, ऐिे िरर्-पोषर् और असिरिा के सलए फीि और ऐिे पशु-िि और िम्पसत्त का सििय और ऐिे सििय के आगम ;
(ग) प्रसतदािे के रूप में क्रकए गए िादों में की प्रक्रिया और असिकाटरता के प्रयोजिों के सलए ऐिे िादों का
मपल्यांकि ;
(घ) ऋर्ों की कु की और सििय के असतटरक्त या बदले में गारसिशी आदेशों और िारर् आदेशों की प्रक्रिया ;
(ङ) जिां प्रसतिादी क्रकिी व्यसक्त के सिरुद्ध र्ािे िि िाद का पिकार िो या ििीं, असिदाय या िसतपपर्तच के सलए
िकदार िोिे का दािा करे ििां प्रक्रिया ;
(र्) उि िादों में िंसिप्त प्रक्रिया—
(i) सजिमें िादी क्रकिी असिव्यक्त या सििसित िंसिदा िे अथिा क्रकिी असिसियसमसत िे उि दशा में
सजिमें िि रासश, सजिकी ििपली र्ािी गई िै सियत ििरासश िै या शासस्त िे सिन्ि कोई ऋर् िै, अथिा क्रकिी
प्रत्यािपसत िे उि दशा में सजिमें मपल ऋर्ी के सिरुद्ध दािा क्रकिी ऋर् या पटरसििाचटरत मांग के सलए िी िै, अथिा
क्रकिी न्याि िे उद्िपत ऋर् या पटरसििाचटरत मांग को, जो प्रसतिादी द्वारा िि के रूप में िं दय
े िै, ब्याज िसित या
सबिा ब्याज के ििपल करिा र्ािता िै ; अथिा
(ii) जो िाटक या अन्तःकालीि लािों के सलए दािों के िसित या सबिा स्थािर िम्पसत्त के प्रत्युद्ध रर् के
सलए िप-स्िामी द्वारा ऐिे असििारी के सिरुद्ध िै, सजिकी अिसि का अििाि िो गया िै, या सजिकी अिसि का
पयचििाि िाली कर देिे की िपर्िा द्वारा िम्यक रूप िे कर क्रदया गया िै या सजिकी अिसि िाटक के अिंदाय के
कारर् िमपिरर्ीय िो गई िै, अथिा ऐिे असििारी िे व्यु त्पन्ि असिकार के अिीि दािा करिे िाले व्यसक्तयों के
सिरुद्ध िै ;
(छ) ओटरसजिेटटंग िमि के रूप में प्रक्रिया ;
(ज) िादों, अपीलों और अन्य कायचिासियों का िमेकि ;
(झ) न्यायालय के क्रकिी रसजस्िार, प्रोथोिोटरी, मास्टर या अन्य पदिारी को क्रकन्िीं न्यासयक, न्यासयक-कल्प या
न्यासयके तर कतचव्यों का प्रत्यायोजि ; तथा
(ञ) ऐिे ििी प्ररूप, रसजस्टर, पुस्तकें , प्रसिसष्टयां और लेिे, जो सिसिल न्यायालयों के कारबार के िंव्यििार के
सलए आिश्यक या िांछिीय िों ।

129. अपिी आरसम्िक सिसिल प्रक्रिया के िम्बन्ि में सियम बिािे की उच्र् न्यायालयों की शसक्त—इि िंसिता में क्रकिी बात
के िोते हुए िी, कोई ऐिा उच्र् न्यायालय 3[जो न्यासयक आयुक्त का न्यायालय ििीं िै] ऐिे सियम बिा िके गा जो उिकी स्थापिा
करिे िाले लेटिच पेटेन्ट 4[या आदेश] 5[या अन्य सिसि] िे अिंगत ि िो और जो िि अपिी आरसम्िक सिसिल असिकाटरता के प्रयोग में
अपिी प्रक्रिया का सिसियमि करिे के सलए ठीक िमझे और इिमें अन्तर्िच ष्ट कोई िी बात क्रकन्िीं ऐिे सियमों की सिसिमान्यता पर
प्रिाि ििीं डालेगी जो इि िंसिता के प्रारं ि के िमय प्रिृत्त िैं ।
[130. प्रक्रिया िे सिन्ि सिषयों के िम्बन्ि में सियम बिािे की अन्य उच्र् न्यायालयों की शसक्त—िि उच्र् न्यायालय 1[जो
6

ऐिा उच्र् न्यायालय ििीं िै सजिे िारा 129 लागप िोती िै,] प्रक्रिया िे सिन्ि क्रकिी िी सिषय के िंबंि में कोई ऐिा सियम राज्य

1
1917 के असिसियम िं० 24 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 द्वारा “मंजपर क्रकए गए” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “यथासस्थसत, िारत के राजपत्र या स्थािीय राजपत्र” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत । ििी अथच में यि
प्रसतस्थापि “यथासस्थसत, राजपत्र या राजपत्र” पढ़ा जाएगा, क्रकन्तु पश्र्ातिती शब्दों को अिािश्यक िमझकर उिका लोप कर क्रदया गया िै ।
3
सिसि अिुकपलि (िं० 2) आदेश, 1956 द्वारा “िाग क राज्य या िाग ि राज्य के सलए” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा अन्तःस्थासपत ।
5
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 17 द्वारा अन्तःस्थासपत ।
6
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा िारा 130 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
38

िरकार के पपिच अिुमोदि िे बिा िके गा सजिे 2[क्रकिी 3*** राज्य का] उच्र् न्यायालय अपिी असिकाटरता के अिीि राज्यिेत्रों के
क्रकिी ऐिे िाग के सलए, जो प्रेसिडेन्िी िगर की िीमाओं के अन्तगचत ििीं िै, 4[िंसििाि के अिुच्छे द 227] के अिीि ऐिे क्रकिी सिषय
के सलए बिा िकता िै ।
131. सियमों का प्रकाशि—िारा 129 या िारा 130 के अिुिार बिाए गए सियम 5[राजपत्र] में प्रकासशत क्रकए जाएंगे और
प्रकाशि की तारीि िे या ऐिी अन्य तारीि िे जो सिसिर्दचष्ट की जाए, सिसि का बल रिेंगे ।
िाग 11

प्रकीर्च
132. कु छ सस्त्रयों को स्िीय उपिंजासत िे छप ट—(1) जो सस्त्रयां देश की रूक्रढ़यों और रीसतयों के अिुिार लोगों के िामिे आिे
के सलए सििश ििीं की जािी र्ासिएं उन्िें न्यायालय में स्िीय उपिंजासत िे छप ट िोगी ।
(2) इिमें अन्तर्िचष्ट कोई िी बात ऐिे क्रकिी मामले में सजिमें स्त्री की सगरफ्तारी इि िंसिता द्वारा सिसषद्ध ििीं िै, सिसिल
आदेसशका के सिष्पादि में क्रकिी स्त्री को सगरफ्तारी िे छप ट देिे िाली ििीं िमझी जाएगी ।
133. अन्य व्यसक्तयों को छप ट—6[(1) सिम्िसलसित व्यसक्त न्यायालय में स्िीय उपिंजासत िे छप ट पािे के िकदार िोंगे,
अथाचत :—
(i) िारत का राष्िपसत ;
(ii) िारत का उपराष्िपसत ;
(iii) लोक ििा का अध्यि ;
(iv) िंघ के मंत्री ;
(v) उच्र्तम न्यायालय के न्यायािीश ;
(vi) राज्यों के राज्यपाल और िंघ राज्यिेत्रों के प्रशािक ;
(vii) राज्य सििाि ििाओं के अध्यि ;
(viii) राज्य सििाि पटरषदों के ििापसत ;
(ix) राज्यों के मंत्री ;
(x) उच्र् न्यायालयों के न्यायािीश ; तथा
(xi) िे व्यसक्त सजन्िें िारा 87क लागप िोती िै ।]
7
* * * * *
(3) जिां 8*** कोई व्यसक्त ऐिी छप ट के सिशेषासिकार का दािा करता िै और उिके पटरर्ामस्िरूप उिकी परीिा कमीशि
द्वारा करिा आिश्यक िै ििां यक्रद उिके िाक्ष्य की अपेिा करिे िाले पिकार िे कमीशि का िर्ाच ििीं क्रदया िै तो िि व्यसक्त उिका
िर्ाच देगा ।
134. सडिी के सिष्पादि में की जािे िे अन्यथा सगरफ्तारी—िारा 55, िारा 57 और िारा 59 के उपबन्ि इि िंसिता के
अिीि सगरफ्तार क्रकए गए ििी व्यसक्तयों को, जिां तक िो िके , लागप िोंगे ।
135. सिसिल आदेसशका के अिीि सगरफ्तारी िे छप ट—(1) कोई िी न्यायािीश, मसजस्िेट या अन्य न्यासयक असिकारी उि
िमय सिसिल आदेसशका के अिीि सगरफ्तार ििीं क्रकया जा िके गा जब िि अपिे न्यायालय को जा रिा िो, उिमें पीठािीि िो या ििां
िे लौट रिा िो ।
(2) जिां कोई मामला क्रकिी ऐिे असिकरर् के िमि लंसबत िै सजिकी उिमें असिकाटरता िै, या सजिके बारे में िि
िद्भािपपिचक यि सिश्िाि करता िै क्रक उिमें उिकी ऐिी असिकाटरता िै ििां उि मामले के पिाकार, उिके प्लीडर, मुखतार, राजस्ि

1
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “जो लेटिच पेटेन्ट द्वारा सिज मजेस्टी द्वारा गटठत ििीं िै” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “इि प्रकार गटठत” शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
सिसि अिुकपलि (िं० 2) आदेश, 1956 द्वारा “िाग क” शब्द और अिर का लोप क्रकया गया ।
4
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “िारत शािि असिसियम, 1935 की िारा 224” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “यथासस्थसत, िारत के राजपत्र या स्थािीय राजपत्र” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत । ििी अथच में, यि
प्रसतस्थापि “यथासस्थसत, राजपत्र या राजपत्र” पढ़ा जाएगा, क्रकन्तु कु छ शब्दों को अिािश्यक िमझकर उिका लोप कर क्रदया गया िै ।
6
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 12 उपिारा (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
7
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 12 उपिारा (2) का लोप क्रकया गया ।
8
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 12 “इि प्रकार छप ट प्राप्त” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
39

असिकताच और मान्यताप्राप्त असिकताच और उिके िे िािी जो िमि के आज्ञािुितचि में कायच कर रिे िैं, ऐिी आदेसशका िे, जो ऐिे
असिकरर् िे न्यायालय के अिमाि के सलए सिकाली िैं सिन्ि सिसिल आदेसशका के अिीि सगरफ्तार क्रकए जािे िे उि िमय छप ट-प्राप्त
रिेंगे जब िे ऐिे मामले के प्रयोजि के सलए ऐिे असिकरर् को जा रिे िों या उिमें िासजर िों और जब िे ऐिे असिकरर् िे लौट
रिे िों ।
(3) उपिारा (2) की कोई िी बात सिर्ीत-ऋर्ी को तुरंत सिष्पादि के आदेश के अिीि या जिां ऐिा सिर्ीत-ऋर्ी इि बात
का िेतुक दर्शचत करिे के सलए िासजर हुआ िै क्रक सडिी के सिष्पादि में उिे कारागार में क्यों ि िुपुदच क्रकया जाए ििां सगरफ्तारी िे छप ट
का दािा करिे के सलए िमथच ििीं बिाएगी ।
[135क. सििायी सिकायों के िदस्यों को सिसिल आदेसशका के अिीि सगरफ्तार क्रकए जािे और सिरुद्ध क्रकए जािे िे
1

छप ट— [(1) कोई व्यसक्त—


2

(क) यक्रद िि—


(i) िंिद के क्रकिी िदि का, या
(ii) क्रकिी राज्य की सििाि ििा या सििाि पटरषद का, या
(iii) क्रकिी िंघ राज्यिेत्र की सििाि ििा का,
िदस्य िै तो, यथासस्थसत, िंिद के क्रकिी िदि के अथिा सििाि ििा या सििाि पटरषद के क्रकिी असििेशि के र्ालप रििे के
दौराि ;
(ि) यक्रद िि—
(i) िंिद के क्रकिी िदि की, या
(ii) क्रकिी राज्य या िंघ राज्यिेत्र की सििाि ििा की, या
(iii) क्रकिी राज्य की सििाि पटरषद की,
क्रकिी िसमसत का िदस्य िै तो ऐिी िसमसत के क्रकिी असििेशि के र्ालप रििे के दौराि ;
(ग) यक्रद िि—
(i) िंिद के क्रकिी िदि का, या
(ii) क्रकिी ऐिे राज्य की सििाि ििा या सििाि पटरषद का सजिमें ऐिे दोिों िदि िैं,
िदस्य िै तो, यथासस्थसत, िंिद के िदिों या राज्य सििाि मण्डल के िदिों की िंयुक्त बैठक, असििेशि, िम्मेलि या िंयुक्त
िसमसत के र्ालप रििे के दौराि,
और ऐिे असििेशि, बैठक या िम्मेलि के र्ालीि क्रदि पपिच और पश्र्ात सिसिल आदेसशका के अिीि सगरफ्तार या कारागार में सिरुद्ध
ििीं क्रकया जा िके गा ।]
(2) उपिारा (1) के अिीि सिरोि िे छोडा गया व्यसक्त, उक्त उपिारा के उपबन्िों के अिीि रिते हुए पुिः सगरफ्तारी और
उतिी असतटरक्त अिसि के सलए सिरुद्ध क्रकया जा िके गा सजतिी अिसि के सलए िि सिरुद्ध रिता यक्रद िि उपिारा (1) के उपबन्िों के
अिीि छोडा ििीं गया िोता ।]
136. जिां सगरफ्तार क्रकया जािे िाला व्यसक्त या कु कच की जािे िाली िम्पसत्त सजले िे बािर िै ििां प्रक्रिया—(1) जिां यि
आिेदि क्रकया जाता िै क्रक इि िंसिता के क्रकिी ऐिे उपबन्ि के अिीि, जो सडक्रियों के सिष्पादि िे िम्बसन्ित ििीं िै, कोई व्यसक्त
सगरफ्तार क्रकया जाए या कोई िम्पसत्त कु कच की जाए और सजि न्यायालय िे ऐिा आिेदि क्रकया जाए, उिकी असिकाटरता की स्थािीय
िीमाओं िे बािर ऐिा व्यसक्त सििाि करता िै या ऐिी िम्पसत्त सस्थत िै ििां न्यायालय स्िसििेकािुिार सगरफ्तारी का िारं ट सिकाल
िके गा या कु की का आदेश कर िके गा और सजले के उि न्यायालय को, सजिकी असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर ऐिा व्यसक्त
सििाि करता िै या ऐिी िम्पसत्त सस्थत िै िारं ट या आदेश की एक प्रसत सगरफ्तारी या कु की के िर्ों की असििंिाव्य रकम के िसित
िेज िके गा ।
(2) सजला न्यायालय ऐिी प्रसत और रकम की प्रासप्त पर अपिे असिकाटरयों द्वारा या अपिे अिीिस्थ न्यायालय द्वारा
सगरफ्तारी या कु की करिाएगा, और सजि न्यायालय िे सगरफ्तारी या कु की का ऐिा िारं ट सिकाला था या आदेश क्रकया था उिको
इसत्तला िेजेगा ।

1
1925 के असिसियम िं० 23 की िारा 3 द्वारा अन्तःस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 45 द्वारा (1-2-1977 िे) उपिारा (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
40

(3) इि िारा के अिीि सगरफ्तारी करिे िाला न्यायालय सगरफ्तार क्रकए गए व्यसक्त को उि न्यायालय को िेजेगा, सजििे
सगरफ्तारी का िारं ट सिकाला था, क्रकन्तु यक्रद सगरफ्तार क्रकया गया व्यसक्त पपिचकसथत न्यायालय को िमािाि प्रदाि करिे िाला िेतुक
इि बात के सलए दर्शचत कर दे क्रक उिे पश्र्ातकसथत न्यायालय को क्यों ि िेजा जाए अथिा पश्र्ातकसथत न्यायालय के िमि अपिी
उपिंजासत के सलए या ऐिी क्रकिी सडिी की तुसष्ट के सलए, जो उि न्यायालय द्वारा उिके सिरुद्ध पाटरत की जाए, पयाचप्त प्रसतिपसत दे दे
तो इि दोिों दशाओं में िे िर एक में िि न्यायालय, सजििे सगरफ्तारी की िै, उिे छोड देगा ।
(4) जिां इि िारा के अिीि सगरफ्तार क्रकया जािे िाला व्यसक्त या कु कच की जािे िाली जंगम िम्पसत्त बंगाल के फोटच
सिसलयम, या मद्राि के या मुम्बई के उच्र् न्यायालय की 1*** मामपली आरसम्िक सिसिल असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर िै
ििां सगरफ्तारी के िारं ट की या कु की के आदेश की प्रसत और सगरफ्तारी या कु की के िर्ों की असििंिाव्य रकम, यथासस्थसत, कलकत्ता,
मद्राि 2[या मुम्बई] के लघुिाद न्यायालय को िेजी जाएगी और िि न्यायालय उि प्रसत और उि रकम के प्राप्त िोिे पर ऐिे अग्रिर
िोगा मािो िि सजला न्यायालय िो ।
137. अिीिस्थ न्यायालयों की िाषा—(1) िि िाषा जो इि िंसिता के प्रारं ि पर उच्र् न्यायालय के अिीिस्थ क्रकिी
न्यायालय की िाषा िै, उि अिीिस्थ न्यायालय की िाषा तब तक बिी रिेगी जब तक राज्य िरकार अन्यथा सिदेश ि दे ।
(2) राज्य िरकार यि घोषर्ा कर िके गी क्रक क्रकिी िी ऐिे न्यायालय की िाषा क्या िोगी और क्रकि सलसप में ऐिे
न्यायालयों को आिेदि और उिमें की कायचिासियां सलिी जाएंगी ।
(3) जिां यि िंसिता िाक्ष्य के असिलेिि िे सिन्ि क्रकिी बात का क्रकिी ऐिे न्यायालय में सलित रूप में क्रकया जािा अपेसित
या अिुज्ञात करती िै ििां ऐिा लेिि अंग्रेजी में क्रकया जा िके गा, क्रकन्तु यक्रद कोई पिकार या उिका प्लीडर अंग्रेजी ििीं जािता िै तो
न्यायालय की िाषा में अिुिाद उिकी प्राथचिा पर उिे क्रदया जाएगा और न्यायालय ऐिे अिुिाद के िर्ों के िंदाय के िम्बन्ि में ऐिा
आदेश करे गा जो िि ठीक िमझे ।
3138. िाक्ष्य के अंग्रज
े ी में असिसलसित क्रकए जािे की अपेिा करिे की उच्र् न्यायालय की शसक्त—(1) 4[उच्र् न्यायालय],
राजपत्र में असििपर्िा द्वारा, ऐिी असििपर्िा में सिसिर्दचष्ट या उिमें क्रदए हुए िर्चि िाले क्रकिी न्यायािीश के बारे में सिदेश दे िके गा
क्रक उि मामलों में, सजिमें अपील अिुज्ञात िै, िाक्ष्य अंग्रेजी िाषा में और सिसित रीसत िे उिके द्वारा सलिा जाएगा ।
(2) जिां न्यायािीश उपिारा (1) के अिीि सिदेश का अिुपालि करिे िे क्रकिी पयाचप्त कारर् िे सििाटरत िो जाता िै ििां
िि उि कारर् को असिसलसित करे गा और िुले न्यायालय में बोलकर िाक्ष्य सलििाएगा ।
139. शपथ-पत्र के सलए शपथ क्रकिके द्वारा क्रदलाई जाएगी—इि िंसिता के अिीि क्रकिी िी शपथ-पत्र की दशा में,—
(क) कोई िी न्यायालय या मसजस्िे ट, अथिा
5[(कक) िोटेरी असिसियम, 1952 (1952 का 53) के अिीि सियुक्त िोटेरी, अथिा]
(ि) ऐिा कोई िी असिकारी या अन्य व्यसक्त, सजिे उच्र् न्यायालय इि सिसमत्त सियुक्त करे , अथिा
(ग) क्रकिी अन्य न्यायालय द्वारा, सजिे राज्य िरकार िे इि सिसमत्त िािारर्तया या सिशेष रूप िे िशक्त क्रकया
िै, सियुक्त क्रकया गया कोई िी असिकारी,
असििािी को शपथ क्रदला िके गा ।
140. उद्धारर्, आक्रद के मामलों में अिेिर—(1) िािसिकरर् या उपिािसिकरर् सिषयक ऐिे मामले में जो उद्धारर्,
अिुकषचर् या टक्कर का िै, न्यायालय र्ािे िि अपिी आरसम्िक असिकाटरता का प्रयोग कर रिा िो या अपीली असिकाटरता का,
अपिी ििायता के सलए ऐिी रीसत िे, जो िि सिर्दचष्ट करे या जो सिसित की जाए, दो ििम अिेिरों को, यक्रद िि ठीक िमझे, िमि
कर िके गा और ऐिे मामले में के पिकारों में िे क्रकिी के सििेदि पर िमि करे गा और तद्िुिार ऐिे अिेिर िासजर िोंगे और
ििायता करें गे ।
(2) िर ऐिा अिेिर अपिी िासजरी के सलए ऐिी फीि पाएगा जो पिकारों में िे ऐिे पिकार द्वारा िंदत्त की जाएगी जो
न्यायालय सिर्दचष्ट करे या जो सिसित की जाए ।
141. प्रकीर्च कायचिासियां—उि प्रक्रिया का जो िादों के सिषय में इि िंसिता में उपबसन्ित िै, सिसिल असिकाटरता िाले
क्रकिी िी न्यायालय में की ििी कायचिासियों में ििां तक अिुिरर् क्रकया जाएगा जिां तक िि लागप की जा िके ।
[स्पष्टीकरर्—इि िारा में, “कायचिािी” शब्द के अन्तगचत आदेश 9 के अिीि कायचिािी िै, क्रकन्तु इिके अन्तगचत िंसििाि के
1

अिुच्छेद 226 के अिीि कायचिािी ििीं िै ।]

1
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “या लोअर बमाच के मुखय न्यायालय की” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
2
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “मुम्बई या रंगपि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
अिम को यथा लागप िारा 138 के सलए देसिए सिसिल प्रोिीजर (अिम अमेंडमेंट) ऐक्ट, 1941 (1941 का अिम असिसियम िं० 2) की िारा 2 ।
4
1914 के असिसियम िं० 4 की िारा 2 और अिुिपर्ी के िाग 1 द्वारा “स्थािीय स्िशािि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 46 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
41

142. आदेशों और िपर्िाओं का सलसित िोिा—िे ििी आदेश और िपर्िाएं, सजिकी तामील इि िंसिता के अिीि क्रकिी
व्यसक्त पर की जाए या जो उिे दी जाएं, सलसित रूप में िोगी ।
143. डाक मििपल—जिां इि िंसिता के अिीि सिकाली गई और डाक द्वारा प्रेसषत क्रकिी िपर्िा, िमि या पत्र पर डाक
मििपल प्रिायच िै ििां ऐिा डाक मििपल और उिके रसजस्िीकरर् की फीि उि िमय के िीतर िंदत्त की जाएगी जो उि पत्र-व्यििार के
सलए क्रकए जािे के पपिच सियत क्रकया जाएगा :
परन्तु राज्य िरकार 2*** ऐिे डाक मििपल या फीि िे या दोिों िे छप ट दे िके गी या उिके बदले में उदग्रिर्ीय न्यायालय
फीि का मापमाि सिसित कर िके गी ।
144. प्रत्यास्थापि के सलए आिेदि—(1) जिां क्रक और जिां तक क्रक क्रकिी सडिी 3[या आदेश] में 4[क्रकिी अपील, पिुरीिर्
या अन्य कायचिािी में फे रफार क्रकया जाए या उिे उलटा जाए अथिा उिको इि प्रयोजि के सलए िंसस्थत क्रकिी िाद में अपास्त क्रकया
जाए या उपान्तटरत क्रकया जाए ििां और ििां तक िि न्यायालय सजििे सडिी या आदेश पाटरत क्रकया था], उि पिकार के आिेदि पर
जो प्रत्यास्थापि द्वारा या अन्यथा कोई फायदा पािे का िकदार िै, ऐिे प्रत्यास्थापि कराएगा सजििे पिकार, जिां तक िो िके , उि
सस्थसत में िो जाएंगे सजिमें िे िोते यक्रद िि सडिी 2[या आदेश] या 3[उिका िि िाग सजिमें फे रफार क्रकया गया िै या सजिे उलटा गया
िै या अपास्त क्रकया गया िै या उपान्तटरत क्रकया गया िै], ि क्रदया गया िोता और न्यायालय इि प्रयोजि िे कोई ऐिे आदेश सजिके
अन्तगचत िर्ों के प्रसतदाय के सलए और ब्याज, िुकिािी, प्रसतकर और अन्तःकालीि लािों के िंदाय के सलए आदेश िोंगे, कर िके गा जो
3
[उि सडिी या आदेश को ऐिे फे रफार करिे, उलटिे, आपस्त करिे या उपान्तरर् के उसर्त रूप में पाटरर्ासमक िै ]।
[स्पष्टीकरर्—इि िारा के प्रयोजिों के सलए, “िि न्यायालय सजििे सडिी या आदेश पाटरत क्रकया था” पद के बारे में यि
5

िमझा जाएगा क्रक उिके अन्तगचत सिम्िसलसित िैं :—


(क) जिां सडिी या आदेश में फे रफार या उलटाि अपीली या पुिरीिर् असिकाटरता के प्रयोग में क्रकया गया िै ििां
प्रथम बार का न्यायालय ;]
(ि) जिां सडिी या आदेश पृथक िाद में अपास्त क्रकया गया िै ििां प्रथम बार का िि न्यायालय सजििे ऐिी सडिी
या आदेश पाटरत क्रकया था ;
(ग) जिां प्रथम बार न्यायालय सिद्यमाि ििीं रिा िै या उिकी उिे सिष्पाक्रदत करिे की असिकाटरता ििीं रिी िै
ििां िि न्यायलय सजिे ऐिे िाद का सिर्ारर् करिे की असिकाटरता िोती यक्रद िि िाद सजिमें सडिी या आदेश पाटरत
क्रकया गया था, इि िारा के अिीि प्रत्यास्थापि के सलए आिेदि क्रकए जािे के िमय िंसस्थत क्रकया गया िोता ।]
(2) कोई िी िाद ऐिा कोई प्रत्यास्थापि या अन्य अिुतोष असिप्राप्त करिे के प्रयोजि िे िंसस्थत ििीं क्रकया जाएगा जो
उपिारा (1) के अिीि आिेदि द्वारा असिप्राप्त क्रकया जा िकता था ।
145. प्रसतिप के दासयत्ि का प्रितचि—6[जिां क्रकिी व्यसक्त िे]—
(क) क्रकिी सडिी या उिके क्रकिी िाग के पालि के सलए, अथिा
(ि) सडिी के सिष्पादि में ली गई क्रकिी िम्पसत्त के प्रत्यास्थापि के सलए, अथिा
(ग) क्रकिी िाद में या उिके पटरर्ामस्िरूप क्रकिी कायचिािी में न्यायालय के क्रकिी आदेश के अिीि क्रकिी िि के
िंदाय के सलए या क्रकिी व्यसक्त पर उिके अिीि असिरोसपत क्रकिी शतच की पपर्तच के सलए,
[प्रसतिपसत या प्रत्यािपसत दे दी िै ििां िि सडिी या आदेश, सडक्रियों के सिष्पादि के सलए इिमें उपबसन्ित रीसत िे सिष्पाक्रदत क्रकया
5

जाएगा, अथाचत :—
(i) यक्रद उििे अपिे को व्यसक्तगत रूप िे दायी बिाया िै तो उिके सिरुद्ध उि सिस्तार तक ;
(ii) यक्रद उििे प्रसतिपसत के रूप में कोई िम्पसत्त दी िै तो ऐिी प्रसतिपसत के सिस्तार तक िम्पसत्त के सििय द्वारा ;
(iii) यक्रद मामला िण्ड (i) और (ii) दोिों के अिीि आता िै तो उि िण्डों के सिसिर्दचष्ट सिस्तार तक,
और ऐिे व्यसक्त के बारे में यि िमझा जाएगा क्रक िि िारा 47 के अथच में पिकार िै :]
परन्तु यि तब जब क्रक ऐिी िपर्िा, जो न्यायालय िर एक मामले में पयाचप्त िमझे, प्रसतिप को दी जा र्ुकी िो ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 47 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
2
1920 के असिसियम िं० 38 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 के िाग 1 द्वारा “िपटरषद गििचर जिरल की मंजरप ी िे” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
3
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 13 द्वारा अन्तःस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 48 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 48 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
6
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 49 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
42

146. प्रसतसिसियों द्वारा या उिके सिरुद्ध कायचिासियां—उिके सििाय जैिा इि िंसिता द्वारा या तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सिसि
द्वारा अन्यथा उपबसन्ित िै, जिां क्रकिी व्यसक्त द्वारा या उिके सिरुद्ध कोई कायचिािी की जा िकती िै या आिेद ि क्रकया जा िकता िै
ििां उििे व्युत्पन्ि असिकार के अिीि दािा करिे िाले क्रकिी िी व्यसक्त द्वारा या उिके सिरुद्ध िि कायचिािी की जा िके गी या
आिेदि क्रकया जा िके गा ।
147. सियोग्यता के अिीि व्यसक्तयों द्वारा ििमसत या करार—उि ििी िादों में, सजिमें सियोग्यता के अिीि कोई व्यसक्त
पिकार िै, क्रकिी िी कायचिािी के िम्बन्ि में कोई िी ििमसत या करार, यक्रद िि उिके िाद-समत्र या िादाथच िंरिक द्वारा न्यायालय
की असिव्यक्त इजाजत िे दी जाए या क्रकया जाए तो िि ऐिा िी बल या प्रिाि रिेगी या रिेगा मािो ऐिा व्यसक्त क्रकिी सियोग्यता
के अिीि ििीं था और उििे ऐिी ििमसत दी थी या ऐिा करार क्रकया था ।
148. िमय का बढ़ाया जािा—जिां न्यायालय िे इिे िंसिता द्वारा सिसित या अिुज्ञात कोई कायच करिे के सलए कोई अिसि
सियत या अिुदत्त की िै ििां न्यायालय ऐिी अिसि को स्िसििेकािुिार िमय-िमय पर बढ़ा िके गा, 1[जो कु ल समलाकर तीि क्रदि िे
असिक ि िो], यद्यसप पिले सियत या अिुदत्त अिसि का अििाि िो र्ुका िो ।
[148क. के सिटर दायर करिे का असिकार—(1) जिां क्रकिी न्यायालय में िंसस्थत या शीघ्र िी िंसस्थत िोिे िाले क्रकिी िाद
2

या कायचिािी में क्रकिी आिेदि का क्रकया जािा प्रत्यासशत िै या कोई आिेदि क्रकया गया िै ििां कोई व्यसक्त जो ऐिे आिेदि की
िुििाई में न्यायालय के िमि उपसस्थत िोिे के असिकार का दािा करता िै उिके बारे में के सियट दायर कर िके गा ।
(2) जिां उपिारा (1) के अिीि कोई के सियट दायर क्रकया गया िै ििां िि व्यसक्त सजिके द्वारा के सियट दायर क्रकया गया िै
(सजिे इिमें इिके पश्र्ात के सियटकताच किा गया िै), उि व्यसक्त पर सजिके द्वारा उपिारा (1) के अिीि आिेदि क्रकया गया िै या
क्रकए जािे की प्रत्याशा िै, के सियट के िपर्िा की तामील रिीदी रसजस्िी डाक द्वारा करे गा ।
(3) जिां उपिारा (1) के अिीि कोई के सियट दायर क्रकए जािे के पश्र्ात क्रकिी िाद या कायचिािी में कोई आिेदि फाइल
क्रकया जाता िै ििां न्यायालय आिेदि की िपर्िा के सियटकताच को देगा ।
(4) जिां आिेदक पर क्रकिी के सियट की िपर्िा की तामील की गई िै ििां उिके द्वारा क्रकए गए आिेदि की और उि आिेदि
के िमथचि में उिके द्वारा फाइल क्रकए गए या फाइल जािे िाले क्रकिी कागज या दस्तािेज की प्रसतयां के सियटकताच के िर्े पर
के सियटकताच को तुरन्त देगा ।
(5) जिां उपिारा (1) के अिीि कोई के सियट दायर क्रकया गया िै ििां ऐिा के सियट उि तारीि िे सजिको िि दायर क्रकया
गया था, िब्बे क्रदि के अििाि के पश्र्ात प्रिृत्त ििीं रिेगा जब तक क्रक उपिारा (1) में सिर्दचष्ट आिेदि उक्त अिसि के अििाि के पपिच
ििीं क्रकया गया िो ।]
149. न्यायालय-फीि की कमी को पपरा करिे की शसक्त—जिां न्यायालय िे िम्बसन्ित तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सिसि द्वारा
क्रकिी दस्तािेज के सलए सिसित पपरी फीि या उिका कोई िाग िंदत्त ििीं क्रकया गया िै ििां सजि व्यसक्त द्वारा ऐिी फीि िंदय
े िै उिे
न्यायालय क्रकिी िी प्रिम में स्िसििेकािुिार अिुज्ञात कर िके गा क्रक िि, यथासस्थसत, ऐिी पपरी न्यायालय-फीि या उिका िि िाग
िंदत्त करे और ऐिा िंदाय क्रकए जािे पर उि दस्तािेज का, सजिकी बाबत िि फीि िंदय े िै, ििी बल और प्रिाि िोगा मािो ऐिी
फीि पिली बार िी िंदत्त कर दी गई िो ।
150. कारबार का अन्तरर्—उिके सििाय जैिा अन्यथा उपबसन्ित िै, जिां क्रकिी न्यायालय का कारबार क्रकिी अन्य
न्यायालय को अन्तटरत कर क्रदया गया िै ििां सजि न्यायालय को कारबार इि प्रकार अन्तटरत क्रकया गया िै उिकी िे िी शसक्तयां
िोंगी और िि उन्िीं कतचव्यों का पालि करे गा जो उि न्यायालय को और उि पर इि िंसिता द्वारा या इिके अिीि िमशः प्रदत्त और
असिरोसपत थे सजििे कारबार इि प्रकार अन्तटरत क्रकया गया था ।
151. न्यायालय की अन्तर्िचसित शसक्तयों की व्यािृसत्त—इि िंसिता की क्रकिी िी बात के बारे में यि ििीं िमझा जाएगा क्रक
िि ऐिे आदेशों के देिे की न्यायालय की अन्तर्िचसित शसक्त को पटरिीसमत या अन्यथा प्रिासित करती िै, जो न्याय के उद्दे श्यों के सलए
या न्यायालय की आदेसशका के दुरुपयोग का सििारर् करिे के सलए आिश्यक िै ।
152. सिर्चयों, सडक्रियों या आदेशों का िंशोिि—सिर्चयों, सडक्रियों या आदेशों में की लेिि या गसर्त िम्बन्िी िपलें या क्रकिी
आकसस्मक िपल या लोप िे उिमें हुई गलसतयां न्यायालय द्वारा स्िप्रेरर्ा िे या पिकारों में िे क्रकिी के आिेदि पर क्रकिी िी िमय शुद्ध
की जा िकें गी ।
153. िंशोिि करिे की िािारर् शसक्त—न्यायालय क्रकिी िी िमय और िर्च-िम्बन्िी ऐिी शतों पर या अन्यथा जो िि
ठीक िमझे, िाद की क्रकिी िी कायचिािी में की क्रकिी िी त्रुटट या गलती को िंशोसित कर िके गा, और ऐिी कायचिािी द्वारा उठाए गए
या उि पर अिलंसबत िास्तसिक प्रश्ि या सििाद्यक के अििारर् के प्रयोजि के सलए ििी आिश्यक िंशोिि क्रकए जाएंगे ।

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 13 द्वारा (1-7-2002 िे) अन्तःस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 50 द्वारा (1-5-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
43

[153क. जिां अपील िंिप


1
े तः िाटरज की जाती िै ििां सडिी या आदेश का िंशोिि करिे की शसक्त—जिां अपील
न्यायालय आदेश 41 के सियम 11 के अिीि कोई अपील िाटरज करता िै ििां िारा 152 के अिीि उि न्यायालय की उि सडिी या
आदेश को सजिके सिरुद्ध अपील की गई िै, िंशोसित करिे की शसक्त का प्रयोग उि न्यायालय द्वारा सजििे प्रथम बार सडिी या आदेश
पाटरत क्रकया गया िै, इि बात के िोते हुए िी क्रकया जा िके गा क्रक अपील के िाटरज क्रकए जािे का प्रिाि, प्रथम बार के न्यायालय
द्वारा पाटरत, यथासस्थसत, सडिी या आदेश की पुसष्ट में हुआ िै ।
153ि. सिर्ारर् के स्थाि को िुला न्यायालय िमझा जािा—िि स्थाि जिां क्रकिी क्रकिी िाद के सिर्ारर् के प्रयोजि के
सलए कोई सिसिल न्यायालय लगता िै, िुला न्यायालय िमझा जाएगा और उिमें िािारर्तः जिता की ििां तक पहुंर् िोगी जिां तक
जिता इिमें िुसििापपिचक िमा िके :
परन्तु यक्रद पीठािीि न्यायािीश ठीक िमझे तो िि क्रकिी सिसशष्ट मामले की जांर् या सिर्ारर् के क्रकिी िी प्रिम पर यि
आदेश दे िकता िै क्रक िािारर्तः जिता या क्रकिी सिसशष्ट व्यसक्त की न्यायालय द्वारा प्रयुक्त कमरे या ििि तक पहुंर् ििीं िोगी या
िि उिमें ििीं आएगा या िि ििीं रिेगा ।]
154. [अपील के ितचमाि असिकार की व्यािृसत्त ।]—सिरिि और िंशोिि असिसियम, 1952 (1952 का 48) की िारा 2 और
अिुिपर्ी 1 द्वारा सिरसित ।
155. [कु छ असिसियमों का िंशोिि ।]—सिरिि और िंशोिि असिसियम, 1952 (1952 का 48) की िारा 2 और अिुिपर्ी 1
द्वारा सिरसित ।
156. [सिरिि ।]—सद्वतीय सिरिि और िंशोिि असिसियम, 1914 (1914 का 17) की िारा 3 और अिुिपर्ी 2 द्वारा
सिरसित ।
157. सिरसित असिसियसमसतयों के अिीि आदेशों का र्ालप रििा—1859 के असिसियम 8 या क्रकिी िी सिसिल प्रक्रिया
िंसिता या उिका िंशोिि करिे िाले क्रकिी िी असिसियम या एतदद्वारा सिरसित क्रकिी िी अन्य असिसियसमसत के अिीि प्रकासशत
असििपर्िाएं, की गई घोषर्ाएं और बािाए गए सियम, सियत क्रकए गए स्थाि, फाइल क्रकए गए करार, सिसित मापमाि, सिरसर्त
प्ररूप, की गई सियुसक्तयां और प्रदत्त शसक्तयां जिां तक िे इि िंसिता िे िंगत िैं, ििी बल और प्रिाि रिेंगी मािो िे इि िंसिता के
अिीि और इिके द्वारा इि सिसमत्त िशक्त प्रासिकारी द्वारा िमशः प्रकासशत की गई, बिाए गए, सियत क्रकए गए, फाइल क्रकए गए,
सिसित क्रकए गए, सिरसर्त क्रकए गए और प्रदत्त की गई िों ।
158. सिसिल प्रक्रिया िंसिता और अन्य सिकसित असिसियसमसतयों के प्रसत सिदेश —इि िंसिता के प्रारं ि के पपिच पाटरत या
सिकाली गई ऐिी िर एक असिसियसमसत या असििपर्िा में, सजिमें 1859 के असिसियम 8 या क्रकिी िी सिसिल प्रक्रिया िंसिता या
उिका िंशोिि करिे िाले क्रकिी िी असिसियम या एतदद्वारा सिरसित क्रकिी िी अन्य असिसियसमसत के प्रसत या उिके क्रकिी िी
अध्याय या िारा के प्रसत सिदेश क्रकया गया िै, ऐिे सिदेश को, जिां तक िो िके , इि िंसिता या इिके तत्स्थािी िाग, आदे श, िारा या
सियम के प्रसत सिदेश मािा जाएगा ।

पिली अिुिपर्ी
आदेश 1

िादों के पिकार
सियम
1. िाक्रदयों के रूप में कौि िंयोसजत क्रकए जा िकें गे ।
2. पृथक सिर्ारर् का आदेश करिे की न्यायालय की शसक्त ।
3. प्रसतिाक्रदयों के रूप में कौि िंयोसजत क्रकए जा िकें गे ।
3क. जिां प्रसतिाक्रदयों के िंयोजि िे उलझि या सिर्ारर् में सिलंब िो िकता िै ििां पृथक सिर्ारर् का आदेश देिे
की शसक्त ।
4. न्यायालय, िंयुक्त पिकारों में िे एक या असिक के पि में या उिके सिरुद्ध सिर्चय दे िके गा ।
5. दािाकृ त िम्पपर्च अिुतोष में प्रसतिादी का सितबद्ध िोिा आिश्यक ििीं िै ।
6. एक िी िंसिदा के आिार पर दायी पिकारों का िंयोजि ।
7. जब िादी को िंदेि िै क्रक क्रकििे प्रसततोष र्ािा गया िै ।
8. एक िी सित में ििी व्यसक्तयों की ओर िे एक व्यसक्त िाद ला िके गा या प्रसतरिा कर िके गा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 51 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
44

सियम
8क. न्यायालय की कायचिािी में राय देिे या िाग लेिे के सलए क्रकिी व्यसक्त या व्यसक्तयों के सिकाय को अिुज्ञात करिे
की शसक्त ।
9. कु िंयोजि और अिंयोजि ।
10. गलत िादी के िाम िे िाद ।
न्यायालय पिकारों का िाम काट िके गा या जोडा िके गा ।
जिां प्रसतिादी जोडा जाए ििां िादपत्र का िंशोिि क्रकया जािा ।
10क. न्यायालय की उिको िम्बोसित करिे के सलए क्रकिी प्लीडर िे अिुरोि करिे की शसक्त ।
11. िाद का िंर्ालि ।
12. कई िाक्रदयों या प्रसतिाक्रदयों में िे एक का अन्यों के सलए उपिंजात िोिा ।
13. अिंयोजि या कु िंयोजि के बारे में आिेप ।
आदेश 2

िाद की सिरर्िा
1. िाद की सिरर्िा ।
2. िाद के अन्तगचत िम्पपर्च दािा िोगा ।
दािे के िाग का त्याग ।
कई अिुतोषों में िे एक के सलए िाद लािे का लोप ।
3. िाद-िेतुकों का िंयोजि ।
4. स्थािर िम्पसत्त के प्रत्युद्धरर् के सलए के िल कु छ दािों का िंयोसजत क्रकया जािा ।
5. सिष्पादक, प्रशािक या िाटरि द्वारा या उिके सिरुद्ध दािे ।
6. पृथक सिर्ारर् का आदेश देिे की न्यायालय की शसक्त ।
7. कु िंयोजि के बारे में आिेप ।
आदेश 3

मान्यताप्राप्त असिकताच और प्लीडर


1. उपिंजासतयां, आक्रद स्ियं या मान्यताप्राप्त असिकताच द्वारा या प्लीडर द्वारा की जा िकें गी ।
2. मान्यताप्राप्त असिकताच ।
3. मान्यताप्राप्त असिकताच पर आदेसशका की तामील ।
4. प्लीडर की सियुसक्त ।
5. प्लीडर पर आदेसशका की तामील ।
6. असिकताच तामील का प्रसतग्रिर् करे गा ।
सियुसक्त सलसित में िोगी और न्यायालय में फाइल की जाएगी ।
आदेश 4

िादों का िंसस्थत क्रकया जािा


1. िादपत्र द्वारा िाद प्रारं ि िोगा ।
2. िादों का रसजस्टर ।
45

सियम
आदेश 5

िमिों का सिकाला जािा और उिकी तामील


िमिों का सिकाला जािा
1. िमि ।
2. िमिों िे उपाबद्ध िादपत्र की प्रसत ।
3. न्यायालय प्रसतिादी या िादी को स्ियं उपिंजात िोिे के सलए आदेश दे िके गा ।
4. क्रकिी िी पिकार को स्ियं उपिंजात िोिे के सलए तब तक आदेश ििीं क्रकया जाएगा जब तक क्रक िि क्रकन्िीं सिसश्र्त
िीमाओं के िीतर सििािी ि िो ।
5. िमि या तो सििाद्यकों के सस्थरीकरर् के सलए या असन्तम सिपटारे के सलए िोगा ।
6. प्रसतिादी की उपिंजासत के सलए क्रदि सियत क्रकया जािा ।
7. िमि प्रसतिादी को यि आदेश देगा क्रक िि िे दस्तािेजें पेश करे सजि पर िि सििचर करता िै ।
8. अंसतम सिपटारे के सलए िमि सिकाले जािे पर प्रसतिादी को यि सिदेश िोगा क्रक िि अपिे िासियों को पेश करे ।
िमि की तामील
9. न्यायालय द्वारा िमि का पटरदाि ।
9क. तामील के सलए िादी को िमि का क्रदया जािा ।
10. तामील का ढंग ।
11. अिेक प्रसतिाक्रदयों पर तामील ।
12. जब िाध्य िो तब िमि की तामील स्ियं प्रसतिादी पर, अन्यथा उिके असिकताच पर की जाएगी ।
13. उि असिकताच पर तामील सजिके द्वारा प्रसतिादी कारबार करता िै ।
14. स्थािर िम्पसत्त के िादों में िारिािक असिकताच पर तामील ।
15. जिां तामील प्रसतिादी के कु टु म्ब के ियस्क िदस्य पर की जा िके गी ।
16. िि व्यसक्त सजि पर तामील की गई िै, असिस्िीकृ सत िस्तािटरत करे गा ।
17. जब प्रसतिादी तामील का प्रसतग्रिर् करिे िे इं कार करे या ि पाया जाए, तब प्रक्रिया ।
18. तामील करिे के िमय और रीसत का पृष्ठांकि ।
19. तामील करिे िाले असिकारी की परीिा ।
19क. [सिरसित ।]
20. प्रसतस्थासपत तामील ।
प्रसतस्थासपत तामील का प्रिाि ।
जिां तामील प्रसतस्थासपत की गई िो ििां उपिंजासत के सलए िमय का सियत क्रकया जािा ।
20क. [सिरसित ।]
21. जिां प्रसतिादी क्रकिी अन्य न्यायालय की असिकाटरता के िीतर सििाि करता िै ििां िमि की तामील ।
22. बािर के न्यायालयों द्वारा सिकाले गए िमि की प्रेसिडेंिी िगरों में तामील ।
23. सजि न्यायालय को िमि िेजा गया िै उिका कतचव्य ।
24. कारागार में प्रसतिादी पर तामील ।
25. ििां तामील, जिां प्रसतिादी िारत के बािर सििाि करता िै और उिका कोई असिकताच ििीं िै ।
26. राजिीसतक असिकताच या न्यायालय की माफच त सिदेशी राज्यिेत्र में तामील ।
26क. सिदेशों के असिकाटरयों को िमि का िेजा जािा ।
46

सियम
27. सिसिल लोक असिकारी पर या रे ल कम्पिी या स्थािीय प्रासिकारी के िेिक पर तामील ।
28. िैसिकों, िौिेसिकों या िायुिैसिकों पर तामील ।
29. उि व्यसक्त का कतचव्य सजिको िमि तामील के सलए पटरदत्त क्रकया जाए या िेजा जाए ।
30. िमि के बदले पत्र का प्रसतस्थासपत क्रकया जािा ।
आदेश 6

असििर्ि िािरर्तः
1. असििर्ि ।
2. असििर्ि में तासविक तथ्यों का, ि क्रक िाक्ष्य का, कथि िोगा ।
3. असििर्ि का प्ररूप ।
4. जिां आिश्यक िो ििां सिसशसष्टयों का क्रदया जािा ।
5. [सिरसित ।]
6. पुरोिाव्य शतच ।
7. फे रबदल ।
8. िंसिदा का प्रत्याखयाि ।
9. दस्तािेज के प्रिाि का कथि क्रकया जािा ।
10. सिद्वेष, ज्ञाि, आक्रद ।
11. िपर्िा ।
12. सििसित िंसिदा या िम्बन्ि ।
13. सिसि की उपिारर्ाएं ।
14. असििर्ि का िस्तािटरत क्रकया जािा ।
14क. िपर्िा की तामील के सलए पता ।
15. असििर्ि का ित्यापि ।
16. असििर्ि का काट क्रदया जािा ।
17. असििर्िों का िंशोिि ।
18. आदेश के पश्र्ात िंशोिि करिे में अिफल रििा ।
आदेश 7

िादपत्र
1. िादपत्र में अन्तर्िचष्ट की जािे िाली सिसशसष्टयां ।
2. िि के िादों में ।
3. जिां िाद की सिषयिस्तु स्थािर िम्पसत्त िै ।
4. जब िादी प्रसतसिसि के रूप में िाद लाता िै ।
5. प्रसतिादी के सित और दासयत्ि का दर्शचत क्रकया जािा ।
6. पटरिीमा सिसि िे छप ट के आिार ।
7. अिुतोष का सिसिर्दचष्ट रूप िे कथि ।
8. पृथक आिारों पर आिाटरत अिुतोष ।
9. िादपत्र ग्रिर् करिे पर प्रक्रिया ।
47

सियम
10. िादपत्र का लौटाया जािा ।
िादपत्र के लौटाए जािे पर प्रक्रिया ।
10क. जिां िादपत्र उिके लौटाए जािे के पश्र्ात फाइल क्रकया जािा िै ििां न्यायालय में उपिंजासत के सलए तारीि सियत
करिे की न्यायालय की शसक्त ।
10ि. िमुसर्त न्यायालय को िाद अन्तटरत करिे की अपील न्यायालय की शसक्त ।
11. िादपत्र का िामंजपर क्रकया जािा ।
12. िादपत्र के िामंजपर क्रकए जािे पर प्रक्रिया ।
13. जिां िादपत्र की िामंजपरी िे िए िादपत्र का उपसस्थत क्रकया जािा प्रिाटरत ििीं िोता ।

िे दस्तािेजें सजि पर िादपत्र में सििचर क्रकया गया िै


14. उि दस्तािेजों की प्रस्तुसत सजि पर िादी िाद लाता िै या सििचर करता िै ।
15. [सिरसित ।]
16. िोई हुई परिाम्य सलितों के आिार पर िाद ।
17. दुकाि का बिी िाता पेश करिा ।
मपल प्रसिसष्ट का सर्हिांक्रकत क्रकया जािा और लौटाया जािा ।
18. [सिरसित ।]
आदेश 8

सलसित कथि, मुजरा और प्रसतदािा


1. सलसित कथि ।
1क. प्रसतिादी को िे दस्तािेज पेश करिे का कतचव्य सजि पर उिके द्वारा अिुतोष का दािा क्रकया गया िै या सििचर क्रकया
गया िै ।
2. िए तथ्यों का सिशेष रूप िे असििर्ि करिा िोगा ।
3. प्रत्याखयाि सिसिर्दचष्टतः िोगा ।
4. िाग्छलपपर्च प्रत्याखयाि ।
5. सिसिर्दचष्टतः प्रत्याखयाि ।
6. मुजरा की सिसशसष्टयां सलसित कथि में दी जाएंगी ।
मुजरा का प्रिाि ।
6क. प्रसतिादी द्वारा प्रसतदािा ।
6ि. प्रसतदािे का कथि क्रकया जािा ।
6ग. प्रसतदािे का अपिजचि ।
6घ. िाद के बन्द कर क्रदए जािे का प्रिाि ।
6ङ. प्रसतदािे का उत्तर देिे में िादी द्वारा व्यसतिम ।
6र्. जिां प्रसतदािा िफल िोता िै ििां प्रसतिादी को अिुतोष ।
6छ. सलसित कथि िंबंिी सियमों का लागप िोिा ।
7. पृथक आिारों पर आिाटरत प्रसतरिा या मुजरा ।
8. प्रसतरिा का िया आिार ।
48

सियम
8क. [सिरसित ।]
9. पश्र्ातिती असििर्ि ।
10. जब न्यायालय द्वारा अपेसित सलसित कथि को उपसस्थत करिे में पिकार अिफल रिता िै तब प्रक्रिया ।
आदेश 9

पिकारों की उपिंजासत और उिकी अिुपिंजासत का पटरर्ाम


1. पिकार उि क्रदि उपिंजात िोंगे जो प्रसतिादी के उपिंजात िोिे और उत्तर देिे के सलए िमि में सियत िै ।
2. जिां िमिों की तामील, िर्े देिे में िादी के अिफल रििे के पटरर्ामस्िरूप ििीं हुई िै ििां िाद का िाटरज
क्रकया जािा ।
3. जिां दोिों में िे कोई िी पिकार उपिंजात ििीं िोता िै ििां िाद का िाटरज क्रकया जािा ।
4. िादी िया िाद ला िके गा या न्यायालय िाद को फाइल पर प्रत्यािर्तचत कर िके गा ।
5. जिां िादी, िमि तामील के सबिा लौटिे के पश्र्ात एक माि तक िए िमि के सलए आिेदि करिे में अिफल रिता िै
ििां िाद का िाटरज क्रकया जािा ।
6. जब के िल िादी उपिंजात िोता िै तब प्रक्रिया ।
जब िमि की तामील िम्यक रूप िे की गई िै ।
जब िमि की तामील िम्यक रूप िे ििीं की गई िै ।
जब िमि की तामील तो हुई िो, क्रकन्तु िम्यक िमय में ििीं की गई िो ।
7. जिां प्रसतिादी स्थसगत िुििाई के क्रदि उपिंजात िोता िै और पपिच अिुपिंजासत के सलए अच्छा िेतुक क्रदिाता िै ििां
प्रक्रिया ।
8. जिां के िल प्रसतिादी उपिंजात िोता िै ििां प्रक्रिया ।
9. व्यसतिम के कारर् िादी के सिरुद्ध पाटरत सडिी िए िाद का िजचि करती िै ।
10. कई िाक्रदयों में िे एक या असिक की गैरिासजरी की दशा में प्रक्रिया ।
11. कई प्रसतिाक्रदयों में िे एक या असिक की गैरिासजरी की दशा में प्रक्रिया ।
12. स्ियं उपिंजात िोिे के सलए आक्रदष्ट पिकार के पयाचप्त िेतुक दर्शचत क्रकए सबिा गैरिासजर रििे का पटरर्ाम ।

एकपिीय सडक्रियों को अपास्त करिा


13. प्रसतिादी के सिरुद्ध एकपिीय सडिी को अपास्त करिा ।
14. कोई िी सडिी सिरोिी पिकार को िपर्िा के सबिा अपास्त ििीं की जाएगी ।
आदेश 10

न्यायालय द्वारा पिकारों की परीिा


1. यि असिसिश्र्य करिा क्रक असििर्िों में के असिकथि स्िीकृ त िैं या प्रत्याखयात िैं ।
1क. िैकसल्पक सििाद िमािाि के क्रकिी एक तरीके के सलए सिकल्प देिे के सलए न्यायालय का सिदेश ।
1ि. िुलि मंर् या प्रासिकरर् के िमि उपिंजात िोिा ।
1ग. िुलि के प्रयािों के अिफल िोिे के पटरर्ामस्िरूप न्यायालय के िमि उपिंजात िोिा ।
2. पिकार की या पिकार के िाथी की मौसिक परीिा ।
3. परीिा का िार सलिा जाएगा ।
4. उत्तर देिे िे प्लीडर के इं कार का या उत्तर देिे में उिकी अिमथचता का पटरर्ाम ।
49

सियम
आदेश 11

प्रकटीकरर् और सिरीिर्
1. पटरप्रश्िों द्वारा प्रकटीकरर् करािा ।
2. सिसशष्ट पटरप्रश्िों का क्रदया जािा ।
3. पटरप्रश्िों के िर्े ।
4. पटरप्रश्िों का प्ररूप ।
5. सिगम ।
6. पटरप्रश्िों के िंबंि में उत्तर द्वारा आिेप ।
7. पटरप्रश्िों का अपास्त क्रकया जािा और काट क्रदया जािा ।
8. उत्तर में क्रदए गए शपथपत्र का फाइल क्रकया जािा ।
9. उत्तर में क्रदए गए शपथपत्र का प्ररूप ।
10. कोई आिेप ििीं क्रकया जाएगा ।
11. उत्तर देिे के या असतटरक्त उत्तर देिे के सलए आदेश ।
12. दस्तािेजों के प्रकटीकरर् के सलए आिेदि ।
13. दस्तािेजों िंबंिी शपथपत्र ।
14. दस्तािेजों का पेश क्रकया जािा ।
15. असििर्िों या शपथपत्र में सिर्दचष्ट दस्तािेजों का सिरीिर् ।
16. पेश करिे की िपर्िा ।
17. जब िपर्िा दी गई िै तब सिरीिर् के सलए िमय ।
18. सिरीिर् के सलए आदेश ।
19. ित्यासपत प्रसतयां ।
20. िमयपपिच प्रकटीकरर् ।
21. प्रकटीकरर् के आदेश का अििुपालि ।
22. पटरप्रश्िों के उत्तरों का सिर्ारर् में उपयोग ।
23. आदेश अियस्क को लागप िोगा ।
आदेश 12

स्िीकृ सतयां
1. मामले की स्िीकृ सत की िपर्िा ।
2. दस्तािेजों की स्िीकृ सत के सलए िपर्िा ।
2क. यक्रद दस्तािेजों की स्िीकृ सत के सलए िपर्िा की तामील के पश्र्ात उििे इं कार ििीं क्रकया जाता तो उन्िें स्िीकृ त
िमझा जािा ।
3. िपर्िा का प्ररूप ।
3क. स्िीकृ सत के असिलेिि की न्यायालय की शसक्त ।
4. तथ्यों को स्िीकृ त करिे की िपर्िा ।
5. स्िीकृ सतयां का प्ररूप ।
6. स्िीकृ सतयों पर सिर्चय ।
50

सियम
7. िस्तािर के बारे में शपथपत्र ।
8. दस्तािेजों को पेश करिे के सलए िपर्िा ।
9. िर्े ।
आदेश 13

दस्तािेजों का पेश क्रकया जािा, पटरबद्ध क्रकया जािा और लौटाया जािा


1. मपल दस्तािेजों का सििाद्यकों के सस्थरीकरर् के िमय या उिके पपिच पेश क्रकया जािा ।
2. [सिरसित ।]
3. सििंगत या आग्राह्य दस्तािेजों का िामंजपर क्रकया जािा ।
4. िाक्ष्य में गृिीत दस्तािेजों पर पृष्ठांकि ।
5. बसियों, लेिाओं और असिलेिों में की गृिीत प्रसिसष्टयों की प्रसतयों पर पृष्ठांकि ।
6. िाक्ष्य में आग्राह्य िोिे के कारर् िामंजपर दस्तािेजों पर पृष्ठांकि ।
7. गृिीत दस्तािेजों का असिलेि में िसम्मसलत क्रकया जािा और िामंजपर की गई दस्तािेजों का लौटाया जािा ।
8. न्यायालय क्रकिी दस्तािेज के पटरबद्ध क्रकए जािे का आदेश दे िके गा ।
9. गृिीत दस्तािेजों का लौटाया जािा ।
10. न्यायालय स्ियं अपिे असिलेिों में िे या अन्य न्यायालयों के असिलेिों में िे कागज मंगा िके गा ।
11. दस्तािेजों िे िंबंसित उपबन्िों का िौसतक पदाथों को लागप िोिा ।
आदेश 14

सििाद्यकों का सस्थरीकरर् और सिसि सििाद्यकों के आिार पर या उि सििाद्यकों के आिार पर सजि पर


रजामन्दी िो गई िै िाद का अििारर्
1. सििाद्यकों की सिरर्िा ।
2. न्यायालय द्वारा ििी सििाद्यकों पर सिर्चय िुिाया जािा ।
3. िि िामग्री सजििे सििाद्यकों की सिरर्िा की जा िके गी ।
4. न्यायालय सििाद्यकों की सिरर्िा करिे के पिले िासियों की या दस्तािेजों की परीिा कर िके गा ।
5. सििाद्यकों का िंशोिि और उन्िें काट देिे की शसक्त ।
6 तथ्य के या सिसि के प्रश्ि करार द्वारा सििाद्यकों के रूप में कसथत क्रकए जा िकें गे ।
7. यक्रद न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक करार का सिष्पादि िदिािपपिचक हुआ था तो िि सिर्चय िुिा िके गा ।
आदेश 15

प्रथम िुििाई में िाद का सिपटारा


1. जब पिकारों में कोई सििाद ििीं िै ।
2. जब कई प्रसतिाक्रदयों में िे क्रकिी एक का सििाद ििीं िै ।
3. जब पिकारों में सििाद िै ।
4. िाक्ष्य पेश करिे में अिफलता ।
आदेश 16

िासियों को िमि करिा और उिकी िासजरी


1. िासियों की िपर्ी और िासियों को िमि ।
51

सियम
1क. िमि के सबिा िासियों का पेश क्रकया जािा ।
2. िमि के सलए आिेदि करिे पर, िािी के व्यय न्यायालय में जमा कर क्रदए जाएंगे ।
सिशेषज्ञ ।
व्ययों का मापमाि ।
व्ययों का िासियों को िीिे िंदाय क्रकया जािा ।
3. िािी को व्ययों का सिसिदाि ।
4. जिां अपयाचप्त रासश जमा की गई िै ििां प्रक्रिया ।
एक क्रदि िे असिक रोके जािे पर िासियों के व्यय ।
5. िासजरी के िमय, स्थाि और प्रयोजि का िमि में सिसिर्दचष्ट क्रकया जािा ।
6. दस्तािेज पेश करिे के सलए िमि ।
7. न्यायालय में उपसस्थत व्यसक्तयों को िाक्ष्य देिे या दस्तािेज पेश करिे के सलए अपेसित करिे की शसक्त ।
7क. तामील के सलए पिकार को िमि का क्रदया जािा ।
8. िमि की तामील कै िे िोगी ।
9. िमि की तामील के सलए िमय ।
10. जिां िािी िमि का अिुपालि करिे में अिफल रिता िै ििां प्रक्रिया ।
11. यक्रद िािी उपिंजात िो जाता िै तो कु की प्रत्याहृत की जा िके गी ।
12. यक्रद िािी उपिंजात िोिे में अिफल रिता िै तो प्रक्रिया ।
13. कु की करिे का ढंग ।
14. जो व्यसक्त िाद में परव्यसक्त िैं उन्िें न्यायालय िासियों के रूप में स्िप्रेरर्ा िे िमि कर िके गा ।
15. उि व्यसक्तयों का कतचव्य जो िाक्ष्य देिे या दस्तािेज पेश करिे के सलए िमि क्रकए गए िैं ।
16. िे कब प्रस्थाि कर िकें गे ।
17. सियम 10 िे सियम 13 तक का लागप िोिा ।
18. जिां पकडा गया िािी िाक्ष्य ििीं दे िकता या दस्तािेज पेश ििीं कर िकता ििां प्रक्रिया ।
19. जब तक क्रक कोई िािी क्रकन्िीं सिसश्र्त िीमाओं के िीतर का सििािी ि िो िि स्ियं िासजर िोिे के सलए आक्रदष्ट ििीं
क्रकया जाएगा ।
20. न्यायालय द्वारा बुलाए जािे पर िाक्ष्य देिे िे पिकार के इं कार का पटरर्ाम ।
21. िासियों सिषयक सियम िमसित पिकारों को लागप िोंगे ।
आदेश 16क

कारागार में पटररुद्ध या सिरुद्ध िासियों की िासजरी


1. पटरिाषाएं ।
2. िाक्ष्य देिे के सलए बंक्रदयों को िासजर करिे की अपेिा करिे की शसक्त ।
3. न्यायालय में व्यय का िंदत्त क्रकया जािा ।
4. सियम 2 में प्रितचि िे कु छ व्यसक्तयों की अपिर्जचत करिे की राज्य िरकार की शसक्त ।
5. कारागार के िारिािक असिकारी का कु छ मामलों में आदेश को कायाचसन्ित ि करिा ।
6. बन्दी का न्यायालय में असिरिा में लाया जािा ।
7. कारागार में िािी की परीिा के सलए कमीशि सिकालिे की शसक्त ।
52

सियम
आदेश 17

स्थगि
1. न्यायालय िमय दे िके गा और िुििाई स्थसगत कर िके गा ।
स्थगि के िर्े ।
2. यक्रद पिकार सियत क्रदि पर उपिंजात िोिे में अिफल रिते िैं तो प्रक्रिया ।
3. पिकारों में िे क्रकिी पिकार के िाक्ष्य, आक्रद पेश करिे में अिफल रििे पर िी न्यायालय आगे कायचिािी कर िके गा ।
आदेश 18

िाद की िुििाई और िासियों की परीिा


1. आरम्ि करिे का असिकार ।
2. कथि और िाक्ष्य का पेश क्रकया जािा ।
3. जिां कई सििाद्यक िैं ििां िाक्ष्य ।
3क. पिकार का अन्य िासियों िे पिले उपिंजात िोिा ।
4. िाक्ष्य का असिलेिि ।
5. सजि मामलों की अपील िो िकती िै उिमें िाक्ष्य कै िा सलिा जाएगा ।
6. असििाक्ष्य का िाषान्तर कब क्रकया जाएगा ।
7. िारा 138 के अिीि िाक्ष्य ।
8. जब िाक्ष्य न्यायािीश द्वारा ििीं सलिा गया िो तब ज्ञापि ।
9. िाक्ष्य अंग्रेजी में कब सलिा जा िके गा ।
10. कोई सिसशष्ट प्रश्ि और उत्तर सलिा जा िके गा ।
11. िे प्रश्ि सजि पर आिेप क्रकया गया िै और जो न्यायालय द्वारा अिुज्ञात क्रकए गए िैं ।
12. िासियों की िाििंगी के बारे में टटप्पसर्यां ।
13. सजि मामलों में अपील ििीं िो िकती िै उि मामलों में िाक्ष्य का ज्ञापि ।
14. [सिरसित ।]
15. क्रकिी अन्य न्यायािीश के िामिे सलए गए िाक्ष्य का उपयोग करिे की शसक्त ।
16. िािी की तुरन्त परीिा करिे की शसक्त ।
17. न्यायालय िािी को पुिः बुला िके गा और उिकी परीिा कर िके गा ।
17क. [सिरसित ।]
18. सिरीिर् करिे की न्यायालय की शसक्त ।
19. कथि को कमीशि द्वारा असिसलसित करािे की शसक्त ।
आदेश 19

शपथपत्र
1. क्रकिी बात के शपथपत्र द्वारा िासबत क्रकए जािे के सलए आदेश देिे की शसक्त ।
2. असििािी की प्रसतपरीिा के सलए िासजर करािे का आदेश देिे की शसक्त ।
3. िे सिषय सजि तक शपथपत्र िीसमत िोंगे ।
53

सियम
आदेश 20

सिर्चय और सडिी
1. सिर्चय कब िुिाया जाएगा ।
2. न्यायािीश के पपिचिती द्वारा सलिे गए सिर्चय को िुिािे की शसक्त ।
3. सिर्चय िस्तािटरत क्रकया जाएगा ।
4. लघुिाद न्यायालयों के सिर्चय ।
अन्य न्यायालयों के सिर्चय ।
5. न्यायालय िर एक सििाद्यक पर अपिे सिसिश्र्य का कथि करे गा ।
5क. सजि मामलों में पिकारों का प्रसतसिसित्ि प्लीडरों द्वारा ि क्रकया गया िो उिमें न्यायालय द्वारा पिकारों को इि बात
की इसत्तला देिा क्रक अपील किां की जा िके गी ।
6. सडिी की अन्तिचस्तु ।
6क. सडिी तैयार करिा ।
6ि. सिर्चयों की प्रसतयां कब उपलब्ि करिाई जाएंगी ।
7. सडिी की तारीि ।
8. जिां न्यायािीश िे सडिी पर िस्तािर करिे िे पपिच अपिा पद टरक्त कर क्रदया िै ििां प्रक्रिया ।
9. स्थािर िम्पसत्त के प्रत्युद्धरर् के सलए सडिी ।
10. जंगम िम्पसत्त के पटरदाि के सलए सडिी ।
11. सडिी क्रकस्तों द्वारा िंदाय के सलए सिदेश दे िके गी ।
सडिी के पश्र्ात क्रकस्तों में िंदाय का आदेश ।
12. कब्जा और अन्तःकालीि लािों के सलए सडिी ।
12क. स्थािर िम्पसत्त के सििय या पट्टे की िंसिदा के सिसिर्दचष्ट पालि के सलए सडिी ।
13. प्रशािि-िाद में सडिी ।
14. शुफा के िाद में सडिी ।
15. िागीदारी के सिघटि के सलए िाद में सडिी ।
16. मासलक और असिकताच के बीर् लेिा के सलए लाए गए िाद में सडिी ।
17. लेिाओं के िंबंि में सिशेष सिदेश ।
18. िम्पसत्त के सििाजि के सलए या उिमें के अंश पर पृथक कब्जे के सलए िाद में सडिी ।
19. जब मुजरा या प्रसतदािा अिुज्ञात क्रकया जाए तब सडिी ।
मजुरा या प्रसतदािा िंबंिी सडिी की अपील ।
20.सिर्चय और सडिी की प्रमासर्त प्रसतयों का क्रदया जािा ।
आदेश 20क

िर्े
1. कु छ मदों के बारे में उपबन्ि ।
2. उच्र् न्यायालय द्वारा बिाए गए सियमों के अिुिार िर्ों का असिसिर्ीत क्रकया जािा ।
54

सियम
आदेश 21

सडक्रियों और आदेशों का सिष्पादि


सडिी के अिीि िंदाय
1. सडिी के अिीि िि के िंदाय की रीसतयां ।
2. सडिीदार को न्यायालय के बािर िंदाय ।
सडक्रियां सिष्पादि करिे िाले न्यायालय
3. एक िे असिक असिकाटरता में सस्थत िपसम ।
4. लघुिाद न्यायालय को अन्तरर् ।
5. अन्तरर् की रीसत ।
6. जिां न्यायालय यि र्ािता िै क्रक उिकी अपिी सडिी क्रकिी अन्य न्यायालय द्वारा सिष्पाक्रदत की जाए ििां प्रक्रिया ।
7. सडिी आक्रद की प्रसतयां प्राप्त करिे िाला न्यायालय उन्िें िबपत के सबिा फाइल कर लेगा ।
8. सडिी या आदेश का उि न्यायालय द्वारा सिष्पादि सजिे िि िेजा गया िै ।
9. अन्य न्यायालय द्वारा अन्तटरत सडिी का उच्र् न्यायालय द्वारा सिष्पादि ।
सिष्पादि के सलए आिेदि
10. सिष्पादि के सलए आिेदि ।
11. मौसिक आिेदि ।

सलसित आिेदि ।
11क. सगरफ्तारी के सलए आिेदि में आिारों का कसथत िोिा ।
12. ऐिी जंगम िम्पसत्त की कु की के सलए आिेदि जो सिर्ीत-ऋर्ी के कब्जे में ििीं िै ।
13. स्थािर िम्पसत्त की कु की के आिेदि में कु छ सिसशसष्टयों का अन्तर्िचष्ट िोिा ।
14. कलक्टर के रसजस्टर में िे प्रमासर्त उद्धरर्ों को कु छ दशाओं में अपेसित करिे की शसक्त ।
15. िंयुक्त सडिीदार द्वारा सिष्पादि के सलए आिेदि ।
16. सडिी के अन्तटरती द्वारा सिष्पादि के सलए आिेदि ।
17. सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि प्राप्त िोिे पर प्रक्रिया ।
18. प्रसत-सडक्रियों की दशा में सिष्पादि ।
19. एक िी सडिी के अिीि प्रसतदािों की दशा में सिष्पादि ।
20. बंिक-िादों में प्रसत-सडक्रियां और प्रसतदािे ।
21. एक िाथ सिष्पादि ।
22. कु छ दशाओं में सिष्पादि के सिरुद्ध िेतुक दर्शचत करिे की िपर्िा ।
22क. सििय िे पपिच क्रकन्तु सििय की उदघोषर्ा की तामील के पश्र्ात सिर्ीत-ऋर्ी की मृत्यु पर सििय का अपास्त
ि क्रकया जािा ।
23. िपर्िा के सिकाले जािे के पश्र्ात प्रक्रिया ।
सिष्पादि के सलए आदेसशका
24. सिष्पादि के सलए आदेसशका ।
55

सियम
25. आदेसशका पर पृष्ठांकि ।
सिष्पादि का रोका जािा
26. न्यायालय सिष्पादि को कब रोक िके गा ।
सिर्ीत-ऋर्ी िे प्रसतिपसत अपेसित करिे या उि पर शतें असिरोसपत करिे की शसक्त ।
27. उन्मोसर्त सिर्ीत ऋर्ी का दासयत्ि ।
28. सडिी पाटरत करिे िाले न्यायालय का या अपील न्यायालय का आदेश उि न्यायालय के सलए आबद्धकर िोगा
सजििे आिेदि क्रकया गया िै ।
29. सडिीदार और सिर्ीत-ऋर्ी के बीर् िाद लसम्बत रििे तक सिष्पादि का रोका जािा ।
सिष्पादि की रीसत
30. िि के िंदाय की सडिी ।
31. सिसिर्दचष्ट जंगम िंपसत्त के सलए सडिी ।
32. सिसिर्दचष्ट पालि के सलए दाम्पत्य असिकारों के प्रत्यास्थापि के सलए या व्यादेश के सलए सडिी ।
33. दाम्पत्य असिकारों के प्रत्यास्थापि की सडक्रियों का सिष्पादि करिे में न्यायालय का सििेकासिकार ।
34. दस्तािेज के सिष्पादि या परिाम्य सलित के पृष्ठांकि के सलए सडिी ।
35. स्थािर िम्पसत्त के सलए सडिी ।
36. जब स्थािर िम्पसत्त असििारी के असििोग में िै तब ऐिी िम्पसत्त के पटरदाि के सलए सडिी ।
सगरफ्तारी और सिसिल कारागार में सिरोि
37. कारागार में सिरुद्ध क्रकए जािे के सिरुद्ध िेतुक दर्शचत करिे के सलए सिर्ीत-ऋर्ी को अिुज्ञा देिे की िैिेक्रकक
शसक्त ।
38. सगरफ्तारी के िारण्ट में सिर्ीत-ऋर्ी के लाए जािे के सलए सिदेश िोगा ।
39. जीिि-सििाचि ित्ता ।
40. िपर्िा के आज्ञािुितचि में या सगरफ्तारी के पश्र्ात सिर्ीत-ऋर्ी के उपिंजात िोिे पर कायचिासियां ।
41. सिर्ीत-ऋर्ी की अपिी िम्पसत्त के बारे में उिकी परीिा ।
42. िाटक या अन्त:कालीि लािों या तत्पश्र्ात अन्य बातों के सलए, सजिकी रकम िाद में अििाटरत िोिी िै,
सडिी की दशा में कु की ।
43. सिर्ीत-ऋर्ी के कब्जे में की ऐिी जंगम िम्पसत्त की कु की जो कृ सष उपज िे सिन्ि िै ।
43क. जंगम िम्पसत्त की असिरिा ।
44. कृ सष उपज की कु की ।
45. कु कच की गई कृ सष उपज के बारे में उपबन्ि ।
46. ऐिे ऋर्, अंश या अन्य िम्पसत्त की कु की जो सिर्ीत-ऋर्ी के कब्जे में ििीं िै ।
46क. गारसिशी को िपर्िा ।
46ि. गारसिशी के सिरुद्ध आदेश ।
46ग. सििादग्रस्त प्रश्िों का सिर्ारर् ।
46घ. जिां ऋर् अन्य व्यसक्त का िो ििां प्रक्रिया ।
46ङ. अन्य व्यसक्त के बारे में आदेश ।
46र्. गारसशिी द्वारा क्रकया गया िंदाय सिसिमान्य उन्मोर्ि िोगा ।
56

सियम
46छ. िर्े ।
46ज. अपीलें ।
46झ. परिाम्य सलितों को लागप िोिा ।
47. जंगम िम्पसत्त में अंश की कु की ।
48. िरकार या रे ल कम्पिी या स्थािीय प्रासिकारी के िेिक के िेति या ित्तों की कु की ।
48क. प्राइिेट कमचर्ाटरयों के िेति या ित्तों की कु की ।
49. िागीदारी की िम्पसत्त की कु की ।
50. फमच के सिरुद्ध सडिी का सिष्पादि ।
51. परिाम्य सलितों की कु की ।
52. न्यायालय या लोक असिकारी की असिरिा में की िम्पसत्त की कु की ।
53. सडक्रियों की कु की ।
54. स्थािर िम्पसत्त की कु की ।
55. सडिी की तुसष्ट पर कु की का उठाया जािा ।
56. सडिी के अिीि िकदार पिकार को सिक्के या करें िी िोटों का िंदाय क्रकए जािे का आदेश ।
57. कु की का पयचििाि ।
दािों और आिेपों का न्यायसिर्चयि
58. कु कच की गई िम्पसत्त पर दािों का और ऐिी िम्पसत्त की कु की के बारे में आिेपों का न्यायसिर्चयि ।
59. सििय को रोकिा ।
सििय िािारर्त:
64. कु कच की गई िम्पसत्त के सििय क्रकए जािे और उिके आगम िकदार व्यसक्त को क्रदए जािे के सलए आदेश करिे
की शसक्त ।
65. सििय क्रकिके द्वारा िंर्ासलत क्रकए जाएं और कै िे क्रदए जाएं ।
66. लोक िीलाम द्वारा क्रकए जािे िाले सिियों की उदघोषर्ा ।
67. उदघोषर्ा करिे की रीसत ।
68. सििय का िमय ।
69. सििय का स्थगि या रोका जािा ।
70. [सिरसित ।]
71. व्यसतिम करिे िाला िे ता पुिर्िचिय में हुई िासि के सलए उत्तरदायी िोगा ।
72. अिुज्ञा के सबिा सडिीदार िम्पसत्त के सलए ि बोली लगाएगा और ि उिका िय करे गा ।
जिां सडिीदार िय करता िै ििां सडिी की रकम िंदाय मािी जा िके गी ।
72क. बंिकदार द्वारा न्यायालय की इजाजत के सबिा सििय में बोली का ि लगाया जािा ।
73. असिकाटरयों द्वारा बोली लगािे या िय करिे पर सिबचन्िि ।
जंगम िम्पसत्त का सििय
74. कृ सष उपज का सििय ।
75. उगती फिलों के िम्बन्ि में सिशेष उपबन्ि ।
57

सियम
76. परिाम्य सलितें और सिगमों के अंश ।
77. लोक िीलाम द्वारा सििय ।
78. असियसमतता सििय को दपसषत ििीं करे गी क्रकन्तु कोई िी व्यसक्त, सजिे िसत हुई िै, िाद ला िके गा ।
79. जंगम िम्पसत्त, ऋर्ों और अंशों का पटरदाि ।
80. परिाम्य सलितों और अंशों का अन्तरर् ।
81. अन्य िम्पसत्त की दशा में सिसित करिे िाला आदेश ।
स्थािर िंपसत्त का सििय
82. कौि िे न्यायालय सिियों के सलए आदेश कर िकें गे ।
83. सििय का इिसलए मुल्तिी क्रकया जािा क्रक सिर्ीत-ऋर्ी सडिी की रकम जुटा िके ।
84. िे ता द्वारा सििेप और उिके व्यसतिम पर पुिर्िचिय ।
85. िय िि के पपरे िंदाय के सलए िमय ।
86. िंदाय में व्यसतिम िोिे पर प्रक्रिया ।
87. पुिर्िचिय पर असििपर्िा ।
88. िि-अंशिारी की बोली को असिमाि प्राप्त िोगा ।
89. सििेप करिे पर सििय को अपास्त करािे के सलए आिेदि ।
90. सििय को असियसमतता या कपट के आिार पर अपास्त करािे के सलए आिेदि ।
91. सििय का इि आिार पर अपास्त करािे के सलए िे ता द्वारा आिेदि क्रक उिमें सिर्ीत-ऋर्ी का कोई सििय
सित ििीं था ।
92. सििय कब आत्यसन्तक िो जाएगा या अपास्त कर क्रदया जाएगा ।
93. कु छ दशाओं में िय िि की िापिी ।
94. िे ता को प्रमार्-पत्र ।
95. सिर्ीत-ऋर्ी के असििोग में की िम्पसत्त का पटरदाि ।
96. असििारी के असििोग में की िम्पसत्त का पटरदाि ।
सडिीदार या िे ता को कब्जा पटरदत्त क्रकए जािे में प्रसतरोि
97. स्थािर िम्पसत्त पर कब्जा करिे में प्रसतरोि या बािा ।
98. न्यायसिर्चयि के पश्र्ात आदेश ।
99. सडिीदार या िे ता द्वारा बेकब्जा क्रकया जािा ।
100. बेकब्जा क्रकए जािे का पटरिाद करिे िाले आिेदि पर पाटरत क्रकया जािे िाला आदेश ।
101. अििाटरत क्रकए जािे िाले प्रश्ि ।
102. िादकालीि अन्तटरती को इि सियमों का लागप ि िोिा ।
103. आदेशों को सडिी मािा जािा ।
104. सियम 101 या सियम 103 के अिीि आदेश लसम्बत िाद के पटरर्ाम के अिीि िोगा ।
105. आिेदि की िुििाई ।
106. एकपिीय रूप िे पाटरत आदेशों, आक्रद का अपास्त क्रकया जािा ।
58

सियम
आदेश 22

पिकारों की मृत्यु, उिका सििाि और क्रदिाला


1. यक्रद िाद लािे का असिकार बर्ा रिता िै तो पिकार की मृत्यु िे उिका उपशमि ििीं िो जाता ।
2. जिां कई िाक्रदयों या प्रसतिाक्रदयों में िे एक की मृत्यु िो जाती िै और िाद लािे का असिकार बर्ा रिता िै
ििां प्रक्रिया ।
3. कई िाक्रदयों में िे एक या एकमात्र िादी की मृत्यु की दशा में प्रक्रिया ।
4. कई प्रसतिाक्रदयों में िे एक या एकमात्र प्रसतिादी की मृत्यु की दशा में प्रक्रिया ।
4क. सिसिक प्रसतसिसि ि िोिे की दशा में प्रक्रिया ।
5. सिसिक प्रसतसिसि के बारे में प्रश्ि का अििारर् ।
6. िुििाई के पश्र्ात मृत्यु िो जािे िे उपशमि ि िोिा ।
7. स्त्री पिकार के सििाि के कारर् िाद का उपशमि ि िोिा ।
8. िादी का क्रदिाला कब िाद का िजचि कर देता िै ।
जिां िमिुदसे शती िाद र्ालप रििे या प्रसतिपसत देिे में अिफल रिता िै ििां प्रक्रिया ।
9. उपशमि या िाटरज िोिे का प्रिाि ।
10. िाद में असन्तम आदेश िोिे के पपिच िमिुदश
े ि की दशा में प्रक्रिया ।
10क. न्यायालय को क्रकिी पिकार की मृत्यु िंिपसर्त करिे के सलए प्लीडर का कतचव्य ।
11. आदेश का अपीलों को लागप िोिा ।
12. आदेश का कायचिासियों को लागप िोिा ।
आदेश 23

िादों का प्रत्यािरर् और िमायोजि


1. िाद का प्रत्यािरर् या दािे के िाग का पटरत्याग ।
1क. प्रसतिाक्रदयों को िाक्रदयों के रूप में पिान्तरर् करिे की अिुज्ञा कब दी जाएगी ।
2. पटरिीमा सिसि पर पिले िाद का प्रिाि ििीं पडेगा ।
3. िाद में िमझौता ।
3क. िाद का िजचि ।
3ि. प्रसतसिसि िाद में कोई करार या िमझौता न्यायालय की इजाजत के सबिा प्रसिष्ट ि क्रकया जािा ।
4. सडक्रियों के सिष्पादि की कायचिासियों पर प्रिाि ि पडिा ।
आदेश 24

न्यायालय में जमा करिा


1. दािे की तुसष्ट में प्रसतिादी द्वारा रकम का सििेप ।
2. सििेप की िपर्िा ।
3. सििेप पर ब्याज िपर्िा के पश्र्ात िादी को अिुज्ञात ििीं क्रकया जाएगा ।
4. जिां िादी सििेप को िागत: तुसष्ट के तौर पर प्रसतगृिीत करता िै ििां प्रक्रिया ।
जिां िि उिे पपर्च तुसष्ट के तौर पर प्रसतगृिीत करता िै ििां प्रक्रिया ।
59

सियम
आदेश 25

िर्ों के सलए प्रसतिपसत


1. िादी के िर्ों के सलए प्रसतिपसत कब अपेसित की जा िकती िै ।
2. प्रसतिपसत में अिफल रििे का प्रिाि ।
आदेश 26
कमीशि
िासियों की परीिा करिे के सलए कमीशि
1. िे मामले सजिमें न्यायालय िािी की परीिा करिे के सलए कमीशि सिकाल िके गा ।
2. कमीशि के सलए आदेश ।
3. जिां िािी न्यायालय की असिकाटरता के िीतर सििाि करता िै ।
4. िे व्यसक्त सजिकी परीिा करिे के सलए कमीशि सिकाला जा िके गा ।
4क. न्यायालय की स्थािीय िीमाओं के िीतर सििाि करिे िाले क्रकिी व्यसक्त की परीिा के सलए कमीशि ।
5. जो िािी िारत के िीतर ििीं िै उिकी परीिा करिे के सलए कमीशि या अिुरोि-पत्र ।
6. कमीशि के अिुिरर् में न्यायालय िािी की परीिा करे गा ।
7. िासियों के असििाक्ष्य के िाथ कमीशि का लौटाया जािा ।
8. असििाक्ष्य कब िाक्ष्य में ग्रिर् क्रकया जा िके गा ।
स्थािीय अन्िेषर्ों के सलए कमीशि
9. स्थािीय अन्िेषर् करिे के सलए कमीशि ।
10. कसमश्िर के सलए प्रक्रिया ।
टरपोटच और असििाक्ष्य िाद में िाक्ष्य िोंगे ।
कसमश्िर की िैयसक्तक रूप िे परीिा की जा िके गी ।
िैज्ञासिक अन्िेषर्, अिुिसर्िीय कायच करिे और जंगम िंपसत्त के सििय के सलए कमीशि
10क. िैज्ञासिक अन्िेषर् के सलए कमीशि ।
10ि. अिुिसर्िीय कायच करिे के सलए कमीशि ।
10ग. जंगम िंपसत्त के सििय के सलए कमीशि ।
लेिाओं की परीिा करिे के सलए कमीशि
11. लेिाओं की परीिा या िमायोजि करिे के सलए कमीशि ।
12. न्यायालय कसमश्िर को आिश्यक अिुदश
े देगा ।
कायचिासियां और टरपोटच िाक्ष्य िोंगी । न्यायालय असतटरक्त जांर् सिक्रदष्ट कर िके गा ।
सििाजि करिे के सलए कमीशि
13. स्थािर िंपसत्त का सििाजि करिे के सलए कमीशि ।
14. कसमश्िर की प्रक्रिया ।
िािारर् उपबन्ि
15. कमीशि के व्यय न्यायालय में जमा क्रकए जाएंगे ।
16. कसमश्िरों की शसक्तयां ।
16क. िे प्रश्ि सजि पर कसमश्िर के िमि आिेप क्रकया जाता िै ।
60

सियम
17. कसमश्िर के िमि िासियों की िासजरी और उिकी परीिा ।
18. पिकारों का कसमश्िर के िमि उपिंजात िोिा ।
18क. सिष्पादि कायचिासियों को आदेश का लागप िोिा ।
18ि. न्यायालय द्वारा कमीशि के लौटाए जािे के सलए िमय सियत क्रकया जािा ।
सिदेशी असिकरर्ों की प्रेरर्ा पर सिकाले गए कमीशि
19. िे मामले सजिमें उच्र् न्यायालय िािी की परीिा करिे के सलए कमीशि सिकाल िके गा ।
20. कमीशि सिकलिािे के सलए आिेदि ।
21. कमीशि क्रकिके िाम सिकाला जा िके गा ।
22. कमीशि का सिकाला जािा, सिष्पादि और लौटाया जािा और सिदेशी न्यायालय को िाक्ष्य का पारे षर् ।
आदेश 27

िरकार के या अपिी पदीय िैसियत में लोक असिकाटरयों द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद
1. िरकार द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद ।
2. िरकार के सलए कायच करिे के सलए प्रासिकृ त व्यसक्त ।
3. िरकार द्वारा या उिके सिरुद्ध िादों में िादपत्र ।
4. आदेसशका प्राप्त करिे के सलए िरकार का असिकताच ।
5. िरकार की ओर िे उपिंजासत के सलए क्रदि सियत क्रकया जािा ।
5क. लोक असिकारी के सिरुद्ध िाद में िरकार को पिकार के रूप में िंयोसजत क्रकया जािा ।
5ि. िरकार या लोक असिकारी के सिरुद्ध िादों में सिपटारा करािे में ििायता करिे के सलए न्यायालय का कतचव्य ।
6. िरकार के सिरुद्ध िाद िे िंबंि रििे िाले प्रश्िों का उत्तर देिे योग्य व्यसक्त की िासजरी ।
7. िमय का इिसलए बढ़ाया जािा क्रक लोक असिकारी िरकार िे सिदेश करके पपछ िके ।
8. लोक असिकारी के सिरुद्ध िादों में प्रक्रिया ।
8क. कु छ मामलों में िरकार िे या लोक असिकारी िे कोई प्रसतिपसत अपेसित ि की जाएगी ।
8ि. “िरकार” और “िरकारी प्लीडर” की पटरिाषाएं ।
आदेश 27क

िे िाद सजिमें िंसििाि के सििचर्ि या क्रकिी कािपिी सलित की सिसिमान्यता िंबि


ं ी कोई िारिपत सिसि प्रश्ि
अन्तग्रचस्त िों
1. मिान्यायिादी या मिासििक्ता को िपर्िा ।
1क. उि िादों में प्रक्रिया सजिमें क्रकिी कािपिी सलित की सिसिमान्यता अन्तग्रचस्त िै ।
2. न्यायालय िरकार को पिकार के रूप में जोड िके गा ।
2क. क्रकिी कािपिी सलित की सिसिमान्यता िंबंिी िाद में िरकार या अन्य प्रासिकारी को प्रसतिादी के रूप में जोडिे की
न्यायालय की शसक्त ।
3. िर्े ।
4. इि आदेश का अपीलों को लागप िोिा ।
आदेश 28

िैसिक या िौिैसिक या िायुिसै िक द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद


1. आक्रफिर, िैसिक, िौिैसिक या िायुिैसिक, जो छु ट्टी असिप्राप्त ििीं कर िकते अपिी ओर िे िाद लािे या प्रसतरिा करिे
के सलए क्रकिी व्यसक्त को प्रासिकृ त कर िकें गे ।
61

सियम
2. इि प्रकार प्रासिकृ त व्यसक्त स्ियं कायच कर िके गा या प्लीडर सियुक्त कर िके गा ।
3. इि प्रकार प्रासिकृ त व्यसक्त पर या इिके प्लीडर पर की गई तामील उसर्त तामील िोगी ।
आदेश 29

सिगमों द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद


1. असििर्ि पर िस्तािर क्रकया जािा और उिका ित्यापि ।
2. सिगम पर तामील ।
3. सिगम के असिकारी की स्िीय िासजरी अपेसित करिे की शसक्त ।
आदेश 30

फमों के या अपिे िामों िे सिन्ि िामों में कारबार र्लािे िाले व्यसक्तयों द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद
1. िागीदारों का फमच के िाम िे िाद लािा ।
2. िागीदारों के िामों का प्रकट क्रकया जािा ।
3. तामील ।
4. िागीदार की मृत्यु पर िाद का असिकार ।
5. िपर्िा की तामील क्रकि िैसियत में की जाएगी ।
6. िागीदारों की उपिंजासत ।
7. िागीदारों द्वारा िी उपिंजासत िोगी अन्यथा ििीं ।
8. अभ्यापसत्तपपिचक उपिंजासत ।
9. िििागीदारों के बीर् में िाद ।
10. स्ियं अपिे िाम िे सिन्ि िाम िे कारबार र्लािे िाले व्यसक्त के सिरुद्ध िाद ।
आदेश 31

न्यासियों, सिष्पादकों और प्रशािकों द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद


1. न्यासियों, आक्रद में सिसित िम्पसत्त िे िम्पृक्त िादों में सितासिकाटरयों का प्रसतसिसित्ि ।
2. न्यासियों, सिष्पादकों और प्रशािकों का िंयोजि ।
3. सििासिता सिष्पाक्रदका का पसत िंयोसजत ििीं िोगा ।
आदेश 32

अियस्कों और सिकृ तसर्त्त व्यसक्तयों द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद


1. अियस्क िाद-समत्र द्वारा िाद लाएगा ।
2. जिां िाद-समत्र के सबिा िाद िंसस्थत क्रकया जाए ििां िादपत्र फाइल िे सिकाल क्रदया जाएगा ।
2क. िाद-समत्र द्वारा प्रसतिपसत का तब क्रदया जािा जब इि प्रकार आक्रदष्ट क्रकया जाए ।
3. अियस्क प्रसतिादी के सलए न्यायालय द्वारा िादाथच िंरिक की सियुसक्त ।
3क. अियस्क के सिरुद्ध सडिी का तब तक अपास्त ि क्रकया जािा जब तक क्रक उिके सितों पर प्रसतकप ल प्रिाि ि पडा िो ।
4. कौि िाद-समत्र की िैसियत में कायच कर िके गा या िादाथच िंरिक सियुक्त क्रकया जा िके गा ।
5. िाद-समत्र या िादाथच िंरिक द्वारा अियस्क का प्रसतसिसित्ि ।
6. अियस्क की ओर िे िाद-समत्र या िादाथच िंरिक को सडिी के अिीि िम्पसत्त की प्रासप्त ।
7. िाद-समत्र या िादाथच िंरिक द्वारा करार या िमझौता ।
62

सियम
8. िाद-समत्र की सििृसत्त ।
9. िाद-समत्र का िटाया जािा ।
10. िाद-समत्र के िटाए जािे, आक्रद पर कायचिासियों का रोका जािा ।
11. िादाथच िंरिक की सििृसत्त, िटाया जािा या मृत्यु ।
12. अियस्क िादी या आिेदक द्वारा ियस्क िोिे पर अिुिरर् की जािे िाली र्याच ।
13. जिां अियस्क िििादी, ियस्क िोिे पर िाद का सिराकरर् करिे की िांछा करता िै ।
14. अयुसक्तयुक्त या अिुसर्त िाद ।
15. सियम 1 िे सियम 14 तक का (सजिमें सियम 2क िसम्मसलत ििीं िै) सिकृ तसर्त्त िाले व्यसक्तयों को लागप िोिा ।
16. व्यािृसत्तयां
आदेश 32क

कु टुम्ब िे िंबि
ं रििे िाले सिषयों िे िंबसं ित िाद
1. आदेश का लागप िोिा ।
2. कायचिासियों का बन्द कमरे में क्रकया जािा ।
3. सिपटारे के सलए प्रयत्ि करिे का न्यायालय का कतचव्य ।
4. कल्यार् सिशेषज्ञ िे ििायता ।
5. तथ्यों की जांर् करिे का कतचव्य ।
6. “कु टु म्ब” का अथच ।
आदेश 33
सििचि व्यसक्तयों द्वारा िाद
1. सििचि व्यसक्तयों द्वारा िाद िंसस्थत क्रकए जा िकें गे ।
1क. सििचि व्यसक्तयों िे िाििों की जांर् ।
2. आिेदि की सिषय-िस्तु ।
3. आिेदि का उपस्थापि ।
4. आिेदक की परीिा ।
यक्रद आिेदि असिकताच द्वारा उपस्थासपत क्रकया जाता िै तो न्यायालय आदेश दे िके गा क्रक आिेदक की परीिा कमीशि द्वारा
की जाए ।
5. आिेदि का िामंजपर क्रकया जािा ।
6. आिेदक की सििचिता के बारे में िाक्ष्य लेिे के क्रदि की िपर्िा ।
7. िुििाई में प्रक्रिया ।
8. यक्रद आिेदि ग्रिर् कर सलया जाए तो प्रक्रिया ।
9. सििचि व्यसक्त के रूप में िाद लािे की अिुज्ञा का प्रत्यािरर् ।
9क. सजि सििचि व्यसक्त का प्रसतसिसित्ि ि िो उिके सलए न्यायालय द्वारा प्लीडर सियत क्रकया जािा ।
10. जिां सििचि व्यसक्त िफल िोता िै ििां िर्े ।
11. प्रक्रिया जिां सििचि व्यसक्त अिफल िो जाता िै ।
11क. सििचि व्यसक्त के िाद के उपशमि पर प्रक्रिया ।
12. राज्य िरकार न्यायालय-फीि के िंदाय के सलए आिेदि कर िके गा ।
63

सियम
13. राज्य िरकार का पिकार िमझा जािा ।
14. न्यायालय-फीि की रकम की ििपली ।
15. सििचि व्यसक्त के रूप में िाद लािे के सलए आिेदि को अिुज्ञा देिे िे इं कार के कारर् िैिी िी प्रकृ सत के पश्र्ातिती
आिेदि का िजचि ।
15क. न्यायालय-फीि के िंदाय के सलए िमय का क्रदया जािा ।
16. िर्े ।
17. सििचि व्यसक्त द्वारा प्रसतिाद ।
18. सििचि व्यसक्तयों के सलए मुफ्त सिसिक िेिाओं की व्यिस्था करिे की के न्द्रीय िरकार की शसक्त ।
आदेश 35

स्थािर िम्पसत्त के बन्िकों के िंबि


ं में िाद
1. पुरोबन्ि, सििय और मोर्ि के िादों के पिकार ।
2. पुरोबन्ि िाद में प्रारसम्िक सडिी ।
3. पुरोबन्ि िाद में असन्तम सडिी ।
4. सििय के िाद में प्रारसम्िक सडिी ।
पुरोबन्ि िाद में सििय की सडिी करिे की शसक्त ।
5. सििय के िाद में असन्तम सडिी ।
6. सििय के िाद में बन्िक पर शोध्य बाकी रकम की ििपली ।
7. मोर्ि के िाद में प्रारसम्िक सडिी ।
8. मोर्ि के िाद में असन्तम सडिी ।
8क. मोर्ि के िाद में बन्िक पर शोध्य बाकी रकम की ििपली ।
9. सडिी जिां कु छ िी शोध्य ििीं पाया जाए या जिां बंिकदार को असतिंदाय कर क्रदया गया िो ।
10. बन्िकदार के िर्े जो सडिी के पश्र्ात हुए िैं ।
10क. अन्त:कालीि लाि का िंदाय करिे के सलए बन्िकदार को सिदेश देिे की न्यायालय की शसक्त ।
11. ब्याज का िंदाय ।
12. पपर्िचक बन्िक के अिीि िम्पसत्त का सििय ।
13. आगमों का उपयोजि ।
14. बन्िक िम्पसत्त का सििय करािे के सलए आिश्यक सििय का िाद ।
15. िक सिलेिों के सििेप द्वारा बन्िक और िार ।
आदेश 35

अन्तरासििार्ी
1. अन्तरासििार्ी िाद में िादपत्र ।
2. दािाकृ त र्ीज का न्यायालय में जमा क्रकया जािा ।
3. प्रक्रिया जिां प्रसतिादी िादी पर िाद र्ला रिा िै ।
4. पिली िुििाई में प्रक्रिया ।
5. असिकताच और असििारी अन्तरासििार्ी िाद िंसस्थत ििीं कर िकें गे ।
6. िादी के िर्ों का िार ।
64

सियम
आदेश 36

सिशेष मामला
1. न्यायालय की राय के सलए मामले का कथि करिे की शसक्त ।
2. सिषय-िस्तु का मपल्य किां कसथत करिा िोगा ।
3. करार िाद के रूप में फाइल क्रकया जाएगा और रसजस्टर में र्ढ़ाया जाएगा ।
4. पिकार न्यायालय की असिकाटरता के अिीि िोंगे ।
5. मामले की िुििाई और सिपटारा ।
6. सियम 5 के अिीि पाटरत सडिी की अपील ि िोिा ।
आदेश 37

िंसिप्त प्रक्रिया
1. िे न्यायालय और िादों के िगच सजन्िें यि आदेश लागप िोिा िै ।
2. िंसिप्त िादों का िंसस्थत क्रकया जािा ।
3. प्रसतिादी की उपिंजासत के सलए प्रक्रिया ।
4. सडिी को अपास्त करिे की शसक्त ।
5. सिसिमय-पत्र, आक्रद को न्यायालय के असिकारी के पाि जमा करिे का आदेश देिे की शसक्त ।
6. अिादृत सिसिमय-पत्र या िर्िपत्र के अप्रसतग्रिर् का टटप्पर् करिे के िर्च की ििपली ।
7. िादों में प्रक्रिया
आदेश 38

सिर्चय के पिले सगरफ्तारी और कु की


सिर्चय के पिले सगरफ्तारी
1. उपिंजासत के सलए प्रसतिपसत देिे की मांग प्रसतिादी िे कब की जा िके गी ।
2. प्रसतिपसत ।
3. उन्मोसर्त क्रकए जािे के सलए प्रसतिप के आिेदि पर प्रक्रिया ।
4. जिां प्रसतिादी प्रसतिपसत देिे में या िई प्रसतिपसत लािे में अिफल रिता िै ििां प्रक्रिया ।
सिर्चय के पिले कु की
5. िम्पसत्त पेश करिे के सलए प्रसतिपसत देिे की अपेिा प्रसतिादी िे कब की जा िके गी ।
6. जिां िेतुक दर्शचत ििीं क्रकया जाता या प्रसतिपसत ििीं दी जाती ििां कु की ।
7. कु की करिे की रीसत ।
8. सिर्चय के पपिच कु कच की गई िम्पसत्त के दािे का न्यायसिर्चयि ।
9. प्रसतिपसत दे दी जािे पर या िाद िाटरज कर कर क्रदए जािे पर कु की का िटा सलया जािा ।
10. सिर्चय िे पिले की गई कु की िे ि तो पर-व्यसक्तयों के असिकार प्रिासित िोंगे और ि सििय के सलए आिेदि करिे िे
सडिीदार िर्जचत िोगा ।
11. सिर्चय िे पिले कु कच की गई िम्पसत्त सडिी के सिष्पादि में पुि: कु कच ििीं की जाएगी ।
11क. कु की को लागप िोिे िाले उपबंि ।
12. कृ सष-उपज सिर्चय के पपिच कु कच ििीं िोगी ।
13. लघुिाद न्यायालय स्थािर िम्पसत्त को कु कच ििीं करे गा ।
65

सियम
आदेश 39

अस्थायी व्यादेश और अन्तिचती आदेश


अस्थायी व्यादेश
1. िे दशाएं सजिमें अस्थायी व्यादेश क्रदया जा िके गा ।
2. िंग की पुिरािृसत्त या जारी रििा अिरुद्ध करिे के सलए व्यादेश ।
2क. व्यादेश की अिज्ञा या िंग का पटरर्ाम ।
3. व्यादेश देिे िे पिले न्यायालय सिदेश देगा क्रक सिरोिी पिकार को िपर्िा दे दी जाए ।
3क. व्यादेश के सलए आिेदि का न्यायालय द्वारा तीि क्रदि के िीतर सिपटाया जािा ।
4. व्यादेश के आदेश को प्रिािोन्मुक्त, उिमें फे रफार या उिे अपास्त क्रकया जा िके गा ।
5. सिगम को सिर्दचष्ट व्यादेश उिके असिकाटरयों पर आबद्धकर िोगा ।
अन्तिचती आदेश
6. अन्तटरम सििय का आदेश देिे की शसक्त ।
7. िाद की सिषय-िस्तु का सिरोि, पटररिर्, सिरीिर्, आक्रद ।
8. ऐिे आदेशों के सलए आिेदि िपर्िा के पश्र्ात क्रकया जाएगा ।
9. जो िपसम िाद की सिषय-िस्तु िै उि पर पिकार का तुरन्त कब्जा कब कराया जा िके गा ।
10. न्यायालय में िि, आक्रद का जमा क्रकया जािा ।
आदेश 40

टरिीिरों की सियुसक्त
1. टरिीिरों की सियुसक्त ।
2. पाटरश्रसमक ।
3. कतचव्य ।
4. टरिीिर के कतचव्यों को प्रिर्तचत करािा ।
5. कलक्टर कब टरिीिर सियुक्त क्रकया जा िके गा ।
आदेश 41

मपल सडक्रियों की अपीलें


1. अपील का प्ररूप । ज्ञापि के िाथ क्या-क्या क्रदया जाएगा ।
ज्ञापि की अन्तिचस्तु ।
2. आिार जो अपील में सलए जा िकें गे ।
3. ज्ञापि का िामंजपर क्रकया जािा या िंशोिि ।
3क. सिलंब की माफी के सलए आिेदि ।
4. कई िाक्रदयों या प्रसतिाक्रदयों में िे एक पपरी सडिी को उलटिा िके गा जिां िि ऐिे आिार पर दी गई िै जो उि ििी के
सलए िामान्य िै ।
कायचिासियों का और सिष्पादि का रोका जािा
5. अपील न्यायालय द्वारा रोका जािा ।
सजि न्यायालय िे सडिी पाटरत की थी उिके द्वारा रोका जािा ।
6. सडिी के सिष्पादि के सलए आदेश की दशा में प्रसतिपसत ।
66

सियम
7. [सिरसित ।]
8. सडिी के सिष्पादि में क्रकए गए आदेश की अपील में शसक्तयों का प्रयोग ।
अपील के ग्रिर् पर प्रक्रिया
9. अपीलों के ज्ञापि का रसजस्टर में र्ढ़ाया जािा ।
अपीलों का रसजस्टर ।
10. अपील न्यायालय अपीलाथी िे िर्ों के सलए प्रसतिपसत देिे की अपेिा कर िके गा जिां अपीलाथी िारत के बािर सििाि
करता िै ।
11. सिर्ले न्यायालय को िपर्िा िेजे सबिा अपील िाटरज करिे की शसक्त ।
11क. िमय सजिके िीतर सियम 11 के अिीि िुििाई िमाप्त िो जािी र्ासिए ।
12. अपील की िुििाई के सलए क्रदि ।
13. अपील न्यायालय उि न्यायालय को िपर्िा देगा सजिको सडिी की अपील की गई िै ।
अपील न्यायालय को कागजों का पारे षर् ।
उि न्यायालय में के सजिकी सडिी की अपील की गई िै, प्रदशों की प्रसतयां ।
14. अपील की िुििाई के क्रदि की िपर्िा का प्रकाशि और तामील ।
अपील न्यायालय स्ियं िपर्िा की तामील करिा िके गा ।
15. िपर्िा की अन्तिचस्तु ।
िुििाई की प्रक्रिया
16. शुरू करिे का असिकार ।
17. अपीलाथी के व्यसतिम के सलए अपील का िाटरज क्रकया जािा ।
अपील की एकपिीय िुििाई ।
18. जिां िर्ों का सििेप करिे में अपीलाथी के अिफल रििे के पटरर्ामस्िरूप िपर्िा की तामील ििीं हुई िै ििां अपील
का िाटरज क्रकया जािा ।
19. व्यसतिम के सलए िाटरज की गई अपील को पुि: ग्रिर् करिा ।
20. िुििाई को स्थसगत करिे और ऐिे व्यसक्तयों को जो सितबद्ध प्रतीत िोते िों, प्रत्यथी बिाए जािे के सलए सिक्रदष्ट करिे
की शसक्त ।
21. उि प्रत्यथी के आिेदि पर पुि: िुििाई सजिके सिरुद्ध एकपिीय सडिी की गई िै ।
22. िुििाई में प्रत्यथी सडिी के सिरुद्ध ऐिे आिेप कर िके गा मािो उििे पृथक अपील की िो ।
आिेप का प्ररूप और उिको लागप िोिे िाले उपबन्ि ।
23. मामले का अपील न्यायालय द्वारा प्रसतप्रेषर् ।
23क. अन्य मामलों में प्रसतप्रेषर् ।
24. जिां असिलेि में का िाक्ष्य पयाचप्त िै ििां अपील न्यायालय मामले का असन्तम रूप िे अििारर् कर िके गा ।
25. अपील न्यायालय किां सििाद्यकों की सिरर्िा कर िके गा और उन्िें उि न्यायालय को सिर्ारर् के सलए सिर्दचष्ट कर
िके गा सजिकी सडिी की अपील की गई िै ।
26. सिष्कषच और िाक्ष्य का असिलेि में िसम्मसलत क्रकया जािा ।
सिष्कषच पर आिेप ।
अपील का अििारर् ।
26क. प्रसतप्रेषर् के आदेश में अगली िुििाई का उल्लेि क्रकया जािा ।
67

सियम
27. अपील न्यायालय में असतटरक्त िाक्ष्य का पेश क्रकया जािा ।
28. असतटरक्त िाक्ष्य लेिे की रीसत ।
29. सिषय-सबन्दुओं का पटरिासषत और लेिबद्ध क्रकया जािा ।
अपील का सिर्चय
30. सिर्चय कब और किां िुिाया जाएगा ।
31. सिर्चय की अन्तिचस्तु, तारीि और िस्तािर ।
32. सिर्चय क्या सिदेश दे िके गा ।
33. अपील न्यायालय की शसक्त ।
34. सििम्मसत का लेिबद्ध क्रकया जािा ।
अपील में की सडिी
35. सडिी की तारीि और अन्तिचस्तु ।
सिर्चय िे सििम्मत न्यायािीश के सलए सडिी पर िस्तािर करिा आिश्यक ििीं ।
36. पिकारों को सिर्चय और सडिी की प्रसतयों का क्रदया जािा ।
37. सडिी की प्रमासर्त प्रसत उि न्यायालय को िेजी जाएगी सजिकी सडिी की अपील की गई थी ।
आदेश 42

अपीली सडक्रियों की अपीलें


1. प्रक्रिया ।
2. न्यायालय की यि सिदेश देिे की शसक्त क्रक उिके द्वारा बिाए गए प्रश्ि पर अपील िुिी जाए ।
3. आदेश 41 के सियम 14 का लागप िोिा ।
आदेश 43

आदेशों की अपीलें
1. आदेशों की अपीलें ।
1क. सडक्रियों के सिरुद्ध अपील में के ऐिे आदेशों पर आिेप करिे का असिकार सजिकी अपील ििीं की जा िकती ।
2. प्रक्रिया ।
आदेश 44

सििचि व्यसक्तयों द्वारा अपीलें


1. सििचि व्यसक्त के रूप में कौि अपील कर िके गा ।
2. न्यायालय फीि के िंदाय के सलए िमय क्रदया जािा ।
3. इि प्रश्ि के बारे में जांर् क्रक आिेदक सििचि व्यसक्त िै या ििीं ।
आदेश 45

उच्र्तम न्यायालय में अपीलें


1. “सडिी” की पटरिाषा ।
2. उि न्यायालय िे आिेदि सजिकी सडिी पटरिाक्रदत िै ।
3. मपल्य या औसर्त्य के बारे में प्रमार्पत्र ।
4. [सिरसित ।]
68

सियम
5. [सिरसित ।]
6. प्रमार्पत्र देिे िे इं कार का प्रिाि ।
7. प्रमार्पत्र क्रदए जािे पर अपेसित प्रसतिपसत और सििेप ।
8. अपील का ग्रिर् और उि पर प्रक्रिया ।
9. प्रसतिपसत के प्रसतग्रिर् का प्रसतिंिरर् ।
9क. मृत पिकारों की दशा में िपर्िा क्रदए जािे िे असिमुसक्त देिे की शसक्त ।
10. असतटरक्त प्रसतिपसत या िंदाय का आदेश देिे की शसक्त ।
11. आदेश का अिुपालि करिे में अिफलता का प्रिाि ।
12. सििेप की बाकी की िापिी ।
13. अपील लंसबत रििे तक न्यायालय की शसक्तयां ।
14. अपयाचप्त पाए जािे पर प्रसतिपसत का बढ़ाया जािा ।
15. उच्र्तम न्यायालय के आदेशों को प्रिृत्त करािे की प्रक्रिया ।
16. सिष्पादि िंबंिी आदेश की अपील ।
17. [सिरसित ।]
आदेश 46

सिदेश
1. उच्र् न्यायालय को प्रश्ि का सिदेश ।
2. न्यायालय ऐिी सडिी पाटरत कर िके गा जो उच्र् न्यायालय के सिसिश्र्य पर िमासश्रत िै ।
3. उच्र् न्यायालय का सिर्चय पारे सषत क्रकया जाएगा और मामला तदिुिार सिपटाया जाएगा ।
4. उच्र् न्यायालय को क्रकए गए सिदेश के िर्े ।
4क. िारा 113 के परन्तुक के अिीि उच्र् न्यायालय को सिदेश ।
5. सिदेश करिे िाले न्यायालय की सडिी को पटरिर्तचत करिे आक्रद की शसक्त ।
6. लघुिादों में असिकाटरता िंबंिी प्रश्िों को उच्र् न्यायालय को सिदेसशत करिे की शसक्त ।
7. लघुिादों में असिकाटरता िंबि
ं ी िपल के अिीि की गई कायचिासियों को पुि रीिर् के सलए सििेक्रदत करिे की सजला
न्यायालय की शसक्त ।
आदेश 47

पुिर्िचलोकि
1. सिर्चय में पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि ।
2. [सिरसित ।]
3. पुिर्िचलोकि के आिेदिों का प्ररूप ।
4. आिेदि कब िामंजपर क्रकया जाएगा ।
आिेदि कब मंजपर क्रकया जाएगा ।
5. दो या असिक न्यायािीशों िे गटठत न्यायालय में पुिर्िचलोकि का आिेदि ।
6. आिेदि कब िामंजपर क्रकया जाएगा ।
7. िामंजपरी का आदेश अपीलिीय ि िोगा । आिेदि की मंजपरी के आदेश पर आिेप ।
8. मंजपर क्रकए गए आिेदि का रसजस्टर में र्ढ़ाया जािा और क्रफर िे िुििाई के सलए आदेश ।
69

सियम
9. कु छ आिेदिों का िजचि ।
आदेश 48

प्रकीर्च
1. आदेसशका की तामील उिे सिकलिािे िाले पिकार के व्यय पर की जाएगी ।
तामील के िर्े ।
2. आदेशों और िपर्िाओं की तामील कै िे की जाएगी ।
3. पटरसशष्टों में क्रदए गए प्ररूपों का उपयोग ।
आदेश 49

र्ाटचटरत उच्र् न्यायालय


1. उच्र् न्यायालयों की आदेसशकाओं की तामील कौि कर िके गा ।
2. र्ाटचटरत उच्र् न्यायालय के बारे में व्यािृसत्त ।
3. सियमों का लागप िोिा ।
आदेश 50

प्रान्तीय लघुिाद न्यायालय


1. प्रान्तीय लघुिाद न्यायालय ।
आदेश 51

प्रेसिडेन्िी लघुिाद न्यायालय


1. प्रेसिडेन्िी लघुिाद न्यायालय ।

पिली अिुिपर्ी के पटरसशष्ट


प्ररूप
क—असििर्ि ।
1. िादों के शीषचक ।
2. सिसशष्ट मामलों में पिकारों का िर्चि ।
3. िादपत्र ।
4. सलसित कथि ।
ि—आदेसशका ।
ग—प्रकटीकरर्, सिरीिर् और स्िीकृ सत ।
घ—सडियां ।
ङ—सिष्पादि ।
र्—अिुपपरक कायचिासियां ।
छ—अपील, सिदेश और पुिर्िचलोकि ।
ज—प्रकीर्च ।
70

पिली अिुिपर्ी
आदेश 1

िादों के पिकार
1[1. िाक्रदयों के रूप में कौि िंयोसजत क्रकए जा िकें गे—िे ििी व्यसक्त िाक्रदयों के रूप में एक िाद में िंयोसजत क्रकए जा
िकें गे, जिां,—
(क) एक िी कायच या िंव्यििार या कायों या िंव्यििारों की आिली के बारे में या उििे पैदा िोिे िाले अिुतोष
पािे का असिकार उिमें िंयुक्तत: या पृथकत: या अिुकल्पत: ितचमाि िोिा असिकसथत िै; और
(ि) यक्रद ऐिे व्यसक्त पृथक-पृथक िाद लाते तो, सिसि या तथ्य का िामान्य प्रश्ि पैदा िोता ।]
2. पृथक सिर्ारर् का आदेश करिे की न्यायालय की शसक्त—जिां न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक िाक्रदयों के क्रकिी
िंयोजि िे िाद के सिर्ारर् में, उलझि या सिलंब िो िकता िै ििां न्यायालय िाक्रदयों िे सििाचर्ि करिे को कि िके गा या पृथक
सिर्ारर् का या ऐिा अन्य आदेश दे िके गा जो िमीर्ीि िो ।
1
[3. प्रसतिाक्रदयों के रूप में कौि िंयोसजत क्रकए जा िकें गे—िे ििी व्यसक्त प्रसतिाक्रदयों के रूप में एक िाद में िंयोसजत क्रकए
जा िकें गे जिां,—
(क) एक िी कायच या िंव्यििार या कायों या िंव्यििारों की आिली के बारे में या उििे पैदा िोिे िाले अिुतोष
पािे का कोई असिकार उिके सिरुद्ध िंयुक्तत: या पृथकत: या अिुकल्पत: ितचमाि िोिा असिकसथत िै; और
(ि) यक्रद ऐिे व्यसक्तयों के सिरुद्ध पृथक-पृथक िाद लाए जाते तो, सिसि या तथ्य का िामान्य प्रश्ि पैदा िोता ।]
[3क. जिां प्रसतिाक्रदयों के िंयोजि िे उलझि या सिर्ारर् में सिलम्ब िो िकता िै ििां पृथक सिर्ारर् का आदेश देिे
2

की शसक्त—जिां न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक प्रसतिाक्रदयों के िंयोजि िे िाद के सिर्ारर् में उलझि या सिलम्ब िो िकता िै
ििां न्यायालय पृथक सिर्ारर् का आदेश या ऐिा अन्य आदेश दे िके गा जो न्याय के सित में िमीर्ीि िो ।]
4. न्यायालय, िंयक्
ु त पिकारों में िे एक या असिक के पि में या उिके सिरुद्ध सिर्चय दे िके गा—(क) िाक्रदयों में िे जो एक
या असिक िादी अिुतोष के िकदार पाए जाएं उिके या उिके पि में , उि अिुतोष के सलए, सजिके िि या िे िकदार िों;
(ि) प्रसतिाक्रदयों में िे जो एक या असिक प्रसतिादी दायी पाए जाएं उिके या उिके सिरुद्ध उिके अपिे -अपिे दासयत्िों के
अिुिार, सिर्चय क्रकिी िंशोिि के सबिा क्रदया जा िके गा ।
5. दािाकृ त िम्पपर्च अिुतोष में प्रसतिादी का सितबद्ध िोिा आिश्यक ििीं िै—यि आिश्यक ििीं िोगा क्रक िर प्रसतिादी
अपिे सिरुद्ध क्रकिी िाद में दािाकृ त िम्पपर्च अिुतोष के बारे में सितबद्ध िो ।
6. एक िी िंसिदा के आिार पर दायी पिकारों का िंयोजि—िादी क्रकिी िी एक िंसिदा के आिार पर पृथकत: या
िंयुक्तत: और पृथकत: दायी ििी या क्रकन्िीं व्यसक्तयों को, सजिके अन्तगचत सिसिमय-पत्रों, हुसण्डयों और िर्िपत्रों के पिकार िी िैं,
एक िी िाद के पिकारों के तौर पर अपिे सिकल्प के अिुिार िंयोसजत कर िके गा ।
7. जब िादी को िंदेि िै क्रक क्रकििे प्रसततोष र्ािा गया िै—जिां िादी को इि बारे में िंदि े िै क्रक िि व्यसक्त कौि िै, सजििे
प्रसततोष असिप्राप्त करिे का िि िकदार िै ििां िि दो या असिक प्रसतिाक्रदयों को इिसलए िंयोसजत कर िके गा क्रक ििी पिकारों के
बीर् इि प्रश्ि के बारे में अििाटरत क्रकया जा िके क्रक प्रसतिाक्रदयों में िे कौि और क्रकि सिस्तार तक दायी िै ।
[8. एक िी सित में ििी व्यसक्तयों की ओर िे एक व्यसक्त िाद ला िके गा या प्रसतरिा कर िके गा—(1) जिां एक िी िाद में
3

एक िी सित रििे िाले बहुत िे व्यसक्त िैं ििां,—


(क) इि प्रकार सितबद्ध ििी व्यसक्तयों की ओर िे या उिके फायदे के सलए न्यायालय की अिुज्ञा िे ऐिे व्यसक्तयों
में िे एक या असिक व्यसक्त िाद ला िकें गे या उिके सिरुद्ध िाद लाया जा िके गा या िे ऐिे िाद में प्रसतरिा कर िकें गे;
(ि) न्यायालय यि सिदेश दे िके गा क्रक इि प्रकार सितबद्ध ििी व्यसक्तयों की ओर िे या उिके फायदे के सलए ऐिे
व्यसक्तयों में िे एक या असिक व्यसक्त िाद ला िकें गे या उिके सिरुद्ध िाद लाए जा िकें गे या िे ऐिे िाद में प्रसतरिा कर
िकें गे ।
(2) न्यायालय ऐिे प्रत्येक मामले में जिां उपसियम (1) के अिीि अिुज्ञा या सिदेश क्रदया गया िै, इि प्रकार सितबद्ध ििी
व्यसक्तयों को या तो िैयसक्तक तामील कराकर या जिां व्यसक्तयों की िंखया या क्रकिी अन्य कारर् िे ऐिी तामील युसक्तयुक्त रूप िे

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 52 द्वारा (1-2-1977 िे) िमश: सियम 1 और 3 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 52 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 52 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 8 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
71

िाध्य ििीं िै ििां लोक सिज्ञापि द्वारा, जैिा िी न्यायालय िर एक मामले में सिक्रदष्ट करे , िाद के िंसस्थत क्रकए जािे की िपर्िा िादी
के िर्े पर देगा ।
(3) कोई व्यसक्त सजिकी ओर िे या सजिके फायदे के सलए उपसियम (1) के अिीि कोई िाद िंसस्थत क्रकया जाता िै या ऐिे
िाद में प्रसतरिा की जाती िै, उि िाद में पिकार बिाए जािे के सलए न्यायालय को आिेदि कर िके गा ।
(4) आदेश 23 के सियम 1 के उपसियम (1) के अिीि ऐिे िाद में दािे के क्रकिी िाग का पटरत्याग ििीं क्रकया जाएगा और उि
आदेश के सियम 1 के उपसियम (3) के अिीि ऐिे िाद का प्रत्यािरर् ििीं क्रकया जाएगा और उि आदेश के सियम 3 के अिीि ऐिे िाद
में कोई करार, िमझौता या तुसष्ट असिसलसित ििीं की जाएगी जब तक क्रक न्यायालय िे इि प्रकार सितबद्ध ििी व्यसक्तयों को
उपसियम (2) में सिसिर्दचष्ट रीसत िे िपर्िा िादी के िर्े पर ि दे दी िो ।
(5) जिां ऐिे िाद में िाद लािे िाला या प्रसतरिा करिे िाला कोई व्यसक्त िाद या प्रसतरिा में िम्यक तत्परता िे कायचिािी
ििीं करता िै ििां न्यायालय उि िाद में िैिा िी सित रििे िाले क्रकिी अन्य व्यसक्त को उिके स्थाि पर रि िके गा ।
(6) इि सियम के अिीि िाद में पाटरत सडिी उि ििी व्यसक्तयों पर आबद्धकर िोगी सजिकी ओर िे या सजिके फायदे के
सलए, यथासस्थसत, िाद िंसस्थत क्रकया गया िै या ऐिे िाद में प्रसतरिा की गई िै ।
स्पष्टीकरर्—इि बात का अििारर् करिे के प्रयोजि के सलए क्रक िे व्यसक्त जो िाद ला रिे िैं या सजिके सिरुद्ध िाद लाया
गया िै या जो ऐिे िाद में प्रसतरिा कर रिे िैं, क्रकिी एक िाद में िैिा िी सित रिते िैं या ििीं, यि िासबत करिा आिश्यक ििीं िै क्रक
ऐिे व्यसक्तयों का ििी िादिेतुक िै जो उि व्यसक्तयों का िै सजिकी ओर िे या सजिके फायदे के सलए, यथासस्थसत, िे िाद ला रिे िैं या
उिके सिरुद्ध िाद लाया जा रिा िै या िे ऐिे िाद में प्रसतरिा कर रिे िैं ।]
[8क. न्यायालय की कायचिािी में राय देिे या िाग लेिे के सलए क्रकिी व्यसक्त या व्यसक्तयों के सिकाय को अिुज्ञात करिे की
1

शसक्त—यक्रद िाद का सिर्ारर् करते िमय न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक कोई व्यसक्त या व्यसक्तयों का सिकाय क्रकिी
ऐिी सिसि के प्रश्ि में सितबद्ध िै जो क्रकिी िाद में प्रत्यित: या िारत: सििाद्य िै और ऐिे व्यसक्त या व्यसक्तयों के सिकाय को उि
सिसि के प्रश्ि पर अपिी राय देिे के सलए अिुज्ञात करिा लोकसित में आिश्यक िै तो िि ऐिे व्यसक्त या व्यसक्तयों के सिकाय को ऐिी
राय देिे के सलए और िाद की कायचिासियों में ऐिे िाग लेिे के सलए अिुज्ञात कर िके गा जो न्यायालय सिसिर्दचष्ट करे ।]
9. कु िंयोजि और अिंयोजि—कोई िी िाद पिकारों के कु िंयोजि या अिंयोजि के कारर् सिफल ििीं िोगा और न्यायालय
िर िाद में सििादग्रस्त सिषय का सिपटारा ििां तक कर िके गा जिां तक उि पिकारों के , जो उिके िस्तुत: िमि िै, असिकारों और
सितों का िम्बन्ि िै :
1
[परं तु इि सियम की कोई बात क्रकिी आिश्यक पिकार के अिंयोजि को लागप ििीं िोगी ।]
10. गलत िादी के िाम िे िाद—(1) जिां कोई िाद िादी के रूप में गलत व्यसक्त के िाम िे िंसस्थत क्रकया गया िै, या जिां
यि िंदेिपपर्च िै क्रक िि ििी िादी के िाम में िंसस्थत क्रकया गया िै ििां यक्रद िाद के क्रकिी िी प्रिम में न्यायालय का यि िमािाि िो
जाता िै क्रक िाद िद्भासिक िपल िे िंसस्थत क्रकया गया िै और सििाद में के िास्तसिक सिषय के अििारर् के सलए ऐिा करिा आिश्यक
िै तो, िि ऐिे सिबन्ििों पर, जो िि न्यायिंगत िमझे, िाद के क्रकिी िी प्रिम में क्रकिी अन्य व्यसक्त को िादी के रूप में प्रसतस्थासपत
क्रकए जािे या जोडे जािे का आदेश दे िके गा ।
(2) न्यायालय पिकारों का िाम काट िके गा या जोड िके गा—न्यायालय कायचिासियों के क्रकिी िी प्रिम में या तो दोिों
पिकारों में िे क्रकिी के आिेदि पर या उिके सबिा और ऐिे सिबन्ििों पर जो न्यायालय को न्यायिंगत प्रतीत िों, यि आदेश दे िके गा
क्रक िादी के रूप में या प्रसतिादी के रूप में अिुसर्त तौर पर िंयोसजत क्रकिी िी पिकार का िाम काट क्रदया जाए और क्रकिी व्यसक्त का
िाम सजिे िादी या प्रसतिादी के रूप में ऐिे िंयोसजत क्रकया जािा र्ासिए था या न्यायालय के िामिे सजिकी उपसस्थसत िाद में
अन्तिचसलत ििी प्रश्िों का प्रिािी तौर पर और पपरी तरि न्यायसिर्चयि और सिपटारा करिे के सलए न्यायालय को िमथच बिािे की
दृसष्ट िे आिश्यक िो, जोड क्रदया जाए ।
(3) कोई िी व्यसक्त, िाद-समत्र के सबिा िाद लािे िाले िादी के रूप में अथिा उि िादी के , जो क्रकिी सियोग्यता के अिीि
िै, िाद-समत्र के रूप में उिकी ििमसत के सबिा जोडा जाएगा ।
(4) जिां प्रसतिादी जोडा जाए ििां िादपत्र का िंशोिि क्रकया जािा—जिां कोई प्रसतिादी जोडा जाता िै ििां जब तक
न्यायालय अन्यथा सिर्दचष्ट ि करे िादपत्र का इि प्रकार िंशोिि क्रकया जाएगा, जैिा आिश्यक िो, और िमि की और िादपत्र की
िंशोसित प्रसतयों की तामील िए प्रसतिादी पर, और यक्रद न्यायालय ठीक िमझे तो मपल प्रसतिादी पर की जाएगी ।
(5) 2[इसण्डयि सलसमटेशि ऐक्ट, 1877 (1877 का 15)] की िारा 22 के उपबन्िों के अिीि रिते हुए, प्रसतिादी के रूप में
जोडे गए क्रकिी िी व्यसक्त के सिरुद्ध कायचिािी िमि की तामील पर िी प्रारं ि की गई िमझी जाएगी ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 52 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
अब पटरिीमा असिसियम, 1963 (1963 का 36) की िारा 21 देसिए ।
72

[10क. न्यायालय की उिको िंबोसित करिे के सलए क्रकिी प्लीडर िे अिुरोि करिे की शसक्त—यक्रद क्रकिी िाद या
1

कायचिािी में सििाद्य सिषय पर न्यायालय के सिसिश्र्य का क्रकिी सित पर प्रिाि पडिा िंिि िै और उि पिकार का जो ऐिा सित
रिता िै सजिका इि प्रकार प्रिासित िोिा िंिि िै, क्रकिी प्लीडर द्वारा प्रसतसिसित्ि ििीं क्रकया जाता िै तो न्यायालय,
स्िसििेकािुिार प्लीडर िे यि अिुरोि कर िके गा क्रक िि ऐिे सित के बारे में उिे िम्बोसित करे ।]
11. िाद का िंर्ालि—न्यायालय 2[क्रकिी िाद] का िंर्ालि ऐिे व्यसक्त को िौंप िके गा सजिे िि ठीक िमझे ।
12. कई िाक्रदयों या प्रसतिाक्रदयों में िे एक का अन्यों के सलए उपिंजात िोिा—(1) जिां एक िे असिक िादी िैं ििां उिमें िे
क्रकिी एक या असिक को उिमें िे कोई अन्य िादी क्रकिी िी कायचिािी में उि अन्य के सलए उपिंजात िोिे, असििर्ि करिे या कायच
करिे के सलए प्रासिकृ त कर िके गा और उिी प्रकार िे, जिां एक िे असिक प्रसतिादी िैं ििां उिमें िे एक या असिक को उिमें िे कोई
अन्य प्रसतिादी क्रकिी िी कायचिािी में उि अन्य के सलए उपंिजात िोिे, असििर्ि करिे या कायच करिे के सलए प्रासिकृ त कर िके गा ।
(2) िि प्रासिकार सलसित रूप में िोगा और उिे देिे िाले पिकार द्वारा िस्तािटरत िोगा और न्यायालय में फाइल क्रकया
जाएगा ।
13. अिंयोजि या कु िंयोजि के बारे में आिेप—पिकारों के अिंयोजि या कु िंयोजि के आिार पर ििी आिेप यथािंिि
शीघ्रतम अििर पर क्रकए जाएंगे और ऐिे ििी मामलों में सजिमें सििाद्य सस्थत क्रकए जाते िैं, ऐिे सस्थरीकरर् के िमय या उििे पिले
क्रकए जाएंगे, जब तक क्रक आिेप का आिार पीछे पैदा ि हुआ िो और यक्रद आिेप ऐिे ििीं क्रकया जाता िै तो िि आिेप असित्यक्त कर
क्रदया गया िमझा जाएगा ।
आदेश 2
िाद की सिरर्िा
1. िाद की सिरर्िा—िर िाद की सिरर्िा याित्िाध्य ऐिे की जाएगी क्रक सििादग्रस्त सिषयों पर अंसतम सिसिश्र्य करिे के
सलए आिार प्राप्त िो जाए और उििे िम्पृक्त असतटरक्त मुकदमेबाजी का िी सििारर् िो जाए ।
2. िाद के अन्तगचत िंपर्प च दािा िोगा—(1) िर िाद के अन्तगचत िि पपरा दािा िोगा सजिे उि िाद-िेतुक के सिषय में करिे
का िादी िकदार िै, क्रकन्तु िादी िाद को क्रकिी न्यायालय की असिकाटरता के िीतर लािे की दृसष्ट िे अपिे दािे के क्रकिी िाग का
त्याग कर िके गा ।
(2) दािे के िाग का त्याग—जिां िादी अपिे दािे के क्रकिी िाग के बारे में िाद लािे का लोप करता िै या उिे िाशय त्याग
देता िै ििां उिके पश्र्ात िि इि प्रकार लोप क्रकए गए या त्यक्त िाग के बारे में िाद ििीं लाएगा ।
(3) कई अिुतोषों में िे एक के सलए िाद लािे का लोप—एक िी िाद-िेतुक के बारे में एक िे असिक अिुतोष पािे का िकदार
व्यसक्त ऐिे ििी अिुतोषों या उिमें िे क्रकिी के सलए िाद ला िके गा, क्रकन्तु यक्रद िि ऐिे ििी अिुतोषों के सलए िाद लािे का लोप
न्यायालय की इजाजत के सबिा करता िै तो उिके पश्र्ात िि इि प्रकार लोप क्रकए गए क्रकिी िी अिुतोष के सलए िाद ििीं लाएगा ।
स्पष्टीकरर्—इि सियम के प्रयोजिों के सलए, कोई बाध्यता और उिके पालि के सलए िांपाश्चस िक प्रसतिपसत और उिी
बाध्यता के अिीि उद्िपत उत्तरोत्तर दािों के बारे में यि िमझा जाएगा क्रक िे िमश: एक िी िाद-िेतु गटठत करते िैं ।
दृष्टांत
क एक घर ि को 1,200 रु० िार्षचक िाटक के पट्टे पर देता िै । िि 1905, 1906 और 1907 इि ििी पपरे िषों का िाटक
शोध्य िै और क्रदया ििीं गया िै । क िि 1908 में ि पर के िल िि 1906 के शोध्य िाटक के सलए िाद लाता िै । ि के ऊपर क उिके
पश्र्ात िि 1905 या 1907 के शोध्य िाटक के सलए िाद ििीं लाएगा ।
3. िाद-िेतुकों का िंयोजि—(1) उिके सििाय जैिा अन्यथा उपबसन्ित िै, िादी उिी प्रसतिादी या िंयुक्तत: उन्िीं
प्रसतिाक्रदयों के सिरुद्ध कई िाद-िेतुक एक िी िाद में िंयोसजत कर िके गा और ऐिे िाद-िेतुक रििे िाले कोई िी िादी सजिमें िे उिी
प्रसतिादी या िंयुक्तत: उन्िीं प्रसतिाक्रदयों के सिरुद्ध िंयुक्तत: सितबद्ध िों, ऐिे िाद-िेतुकों को एक िी िाद में िंयोसजत कर िकें गे ।
(2) जिां िाद-िेतुक िंयोसजत क्रकए जाते िैं, ििां िाद के िम्बन्ि में न्यायालय की असिकाटरता िंकसलत सिषय-िस्तुओं की
उि रकम या मपल्य पर सििचर िोगी जो िाद के िंसस्थत क्रकए जािे की तारीि पर िै ।
4. स्थािर िम्पसत्त के प्रत्युद्धरर् के सलए के िल कु छ दािों का िंयोसजत क्रकया जािा—जब तक क्रक न्यायालय की इजाजत ि
िो स्थािर िम्पसत्त के प्रत्युद्धरर् के सलए िाद में सिम्िसलसित के सििाय कोई िी िाद-िेतुक िंयोसजत ििीं क्रकया जाएगा—
(क) उि दािाकृ त िम्पसत्त या उिके क्रकिी िाग के अन्त:कालीि लािों या िाटक की बकाया के सलए दािे;
(ि) सजि िंसिदा के अिीि िि िंपसत्त या उिका कोई िाग िाटरत िै उिके िंग के सलए िुकिािी के सलए
दािे; तथा

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 52 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 52 द्वारा (1-2-1977 िे) “िाद” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
73

(ग) िे दािे सजिमें र्ािा गया अिुतोष उिी िाद-िेतुक पर आिाटरत िै :


परन्तु इि सियम की क्रकिी िी बात के बारे में यि ििीं िमझा जाएगा क्रक यि पुरोबन्ि या मोर्ि के क्रकिी िाद में के क्रकिी
िी पिकार को यि मांग करिे िे सििाटरत करती िै क्रक बन्िक-िम्पसत्त का उिे कब्जा क्रदलाया जाए ।
5. सिष्पादक, प्रशािक या िाटरि द्वारा या उिके सिरुद्ध दािे—क्रकिी सिष्पादक, प्रशािक या िाटरि द्वारा या उिके सिरुद्ध
उिका उि िैसियत में लाया गया कोई िी दािा िैयसक्तक रूप िे उिके द्वारा या उिके सिरुद्ध लाए गए उि दािों िे तब तक िंयोसजत
ििीं क्रकया जाएगा जब तक क्रक असन्तम िर्र्चत दािों के बारे में यि असिकथि ि क्रकया गया िो क्रक िे उि िम्पदा के बारे में पैदा हुए िैं
सजिके बारे में सिष्पादक, प्रशािक या िाटरि की िैसियत में िादी िाद लाया िै या प्रसतिादी पर िाद लाया गया िै या जब तक क्रक
असन्तम िर्र्चत दािे ऐिे ि िों सजिके सलए िि उि मृत व्यसक्त के िाथ, सजिका िि प्रसतसिसित्ि करता िै, िंयुक्तत: िकदार या
दायी था ।
[6. पृथक सिर्ारर् का आदेश देिे की न्यायालय की शसक्त—जिां न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक एक िी िाद में िाद-
1

िेतुकों के िंयोजि िे सिर्ारर् में उलझि या सिलम्ब िो जाएगा या ऐिा करिा अन्यथा अिुसििाजिक िोगा ििां न्यायालय पृथक
सिर्ारर् का आदेश दे िके गा या ऐिा अन्य आदेश दे िके गा जो न्याय के सित में िमीर्ीि िो ।]
7. कु िंयोजि के बारे में आिेप—िाद-िेतुकों के कु िंयोजि के आिार पर ििी आिेप यथािंिि शीघ्रतम अििर पर क्रकए
जाएंगे और ऐिे ििी मामलों में सजिमें सििाद्यक सस्थर क्रकए जाते िैं, ऐिे सस्थरीकरर् के िमय या उििे पिले क्रकए जाएंगे, जब तक क्रक
आिेप का आिार पीछे पैदा ि हुआ िो और यक्रद ऐिे आिेप क्रकया जाता िै तो िि आिेप असित्यक्त कर क्रदया गया िमझा जाएगा ।
आदेश 3

मान्यताप्राप्त असिकताच और प्लीडर


1. उपिंजासतयां, आक्रद स्ियं या मान्यताप्राप्त असिकताच द्वारा या प्लीडर द्वारा की जा िकें गी—क्रकिी िी न्यायालय में या
उििे कोई िी ऐिी उपिंजासत, आिेदि या कायच, सजिे ऐिे न्यायालय में करिे के सलए कोई पिकार सिसि द्वारा अपेसित या प्रासिकृ त
िै, ििां के सििाय जिां तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सिसि द्वारा असिव्यक्त रूप िे अन्यथा उपबसन्ित िो, पिकार द्वारा स्ियं या उिके
मान्यताप्राप्त असिकताच द्वारा या उिकी ओर िे, 2[यथासस्थसत, उपिंजात िोिे िाले, आिेदि करिे िाले या कायच करिे िाले] उिके
प्लीडर द्वारा क्रकया जा िके गा :
परन्तु यक्रद न्यायालय ऐिा सिक्रदष्ट करे तो ऐिी उपिंजासत स्ियं पिकार द्वारा की जाएगी ।
2. मान्यताप्राप्त असिकताच—पिकारों के सजि मान्यताप्राप्त असिकताचओं द्वारा ऐिी उपिंजासतयां, आिेदि और कायच क्रकए
जा िकें गे िे सिम्िसलसित िैं :—
(क) ऐिे मुखतारिामे िाटरत करिे िाले व्यसक्त सजिमें उन्िें ऐिे पिकारों की ओर िे ऐिी उपिंजासतयां, आिेदि
और कायच करिे के सलए प्रासिकृ त क्रकया गया िै;
(ि) जिां कोई िी अन्य असिकताच ऐिी उपिंजासतयों, आिेदिों और कायों को करिे के सलए असिव्यक्त रूप िे
प्रासिकृ त ििीं िै ििां ऐिे व्यसक्त जो उि पिकारों के सलए और उिके िाम िे व्यापार या कारबार करते िैं, जो पिकार उि
न्यायालय की असिकाटरता की उि स्थािीय िीमाओं में सििाि ििीं करते िैं सजि िीमाओं के िीतर ऐिी उपिंजासत, आिेदि
या कायच ऐिे व्यापार या कारबार की िी बाबत क्रकया जाता िै ।
3. मान्यताप्राप्त असिकताच पर आदेसशका की तामील—(1) जब तक न्यायालय अन्यथा सिक्रदष्ट ििीं करता, क्रकिी पिकार के
मान्यताप्राप्त असिकताच पर तामील की गई आदेसशकाएं िैिे िी प्रिािी िोंगी मािो उिकी तामील स्ियं पिकार पर की गई िो ।
(2) जो उपबन्ि िाद के क्रकिी पिकार पर आदेसशका की तामील के सलए िैं िे उिके मान्यताप्राप्त असिकताच पर आदेसशका
की तामील को लागप िोंगे ।
[4. प्लीडर की सियुसक्त—(1) कोई िी प्लीडर क्रकिी िी न्यायालय में क्रकिी िी व्यसक्त के सलए कायच ििीं करे गा जब तक
3

क्रक िि उि व्यसक्त द्वारा ऐिी सलसित दस्तािेज द्वारा इि प्रयोजि के सलए सियुक्त ि क्रकया गया िो जो उि व्यसक्त द्वारा या उिके
मान्यताप्राप्त असिकताच द्वारा या ऐिी सियुसक्त करिे के सलए मुखतारिामे द्वारा या उिके अिीि िम्यक रूप िे प्रासिकृ त क्रकिी अन्य
व्यसक्त द्वारा िस्तािटरत िै ।
(2) िर ऐिी सियुसक्त 4[न्यायालय में फाइल की जाएगी और उपसियम (1) के प्रयोजिों के सलए] तब तक प्रिृत्त िमझी
जाएगी जब तक िि न्यायालय की इजाजत िे ऐिे लेि द्वारा पयचिसित ि कर दी गई िो जो, यथासस्थसत, मुिसक्कल या प्लीडर द्वारा

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 53 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 6 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1926 के असिसियम िं० 22 की िारा 2 द्वारा “कायच करिे के सलए िम्यक रूप िे सियुक्त” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1926 के असिसियम िं० 22 की िारा 2 द्वारा सियम 4 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 54 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
74

िस्तािटरत िै और न्यायालय में फाइल कर क्रदया गया िै या जब तक मुिसक्कल या प्लीडर की मृत्यु ि िो गई िो या जब तक िाद में की
उि मुिसक्कल िे िंबंसित िमस्त कायचिासियों का अन्त ि िो गया िो ।
1
[स्पष्टीकरर्—इि उपसियम के प्रयोजिों के सलए, सिम्िसलसित को िाद में की कायचिािी िमझा जाएगा,—
(क) िाद में सडिी या आदेश के पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि;
(ि) िाद में की गई क्रकिी सडिी या आदेश के िम्बन्ि में इि िंसिता की िारा 144 या िारा 152 के
अिीि आिेदि;
(ग) िाद में की क्रकिी सडिी या आदेश की अपील; और
(घ) िाद में पेश की गई या फाइल की गई दस्तािेजों की प्रसतयां या उि दस्तािेजों की िापिी असिप्राप्त करिे या
िाद के िम्बन्ि में न्यायालय में जमा क्रकए गए ििों का प्रसतदाय असिप्राप्त करिे के प्रयोजि के सलए आिेदि या कायच ।]
2[(3) उपसियम (2) की क्रकिी बात का यि अथच ििीं लगाया जाएगा क्रक िि—
(क) प्लीडर और उिके मुिसक्कल के बीर् उि अिसि का सिस्तार करती िै सजिके सलए प्लीडर मुकरच र क्रकया
गया िै, या
(ि) उि न्यायालय िे सिन्ि सजिके सलए प्लीडर मुकरच र क्रकया गया था, क्रकिी न्यायालय द्वारा जारी की गई क्रकिी
िपर्िा या दस्तािेज को प्लीडर पर उि दशा को छोडकर तामील करिा प्रासिकृ त करती िै सजिमें मुिसक्कल उपसियम (1) में
सिर्दचष्ट दस्तािेज में ऐिी तामील के सलए असिव्यक्त रूप िे ििमत िो गया िै ।]
(4) उच्र् न्यायालय िािारर् आदेश द्वारा यि सिदेश दे िके गा क्रक जिां िि व्यसक्त सजिके द्वारा प्लीडर सियुक्त क्रकया जाता
िै, अपिा िाम सलििे में अिमथच िै ििां प्लीडर को सियुक्त करिे िाली दस्तािेज पर उिका सर्हि ऐिे व्यसक्त के द्वारा और ऐिी रीसत
िे अिुप्रमासर्त क्रकया जाएगा जो उि आदेश द्वारा सिसिर्दचष्ट की जाए ।
(5) जो कोई प्लीडर के िल असििर्ि करिे के प्रयोजि िे मुकरच र क्रकया गया िै िि क्रकिी पिकार की ओर िे तब तक
असििर्ि ििीं करे गा जब तक उििे स्ििस्तािटरत और सिम्िसलसित का कथि करिे िाला उपिंजासत का ज्ञापि न्यायालय में फाइल
ि कर क्रदया िो—
(क) िाद के पिकारों के िाम,
(ि) उि पिकार का िाम, सजिके सलए िि उपिंजात िो रिा िै, तथा
(ग) उि व्यसक्त का िाम सजिके द्वारा िि उपिंजात िोिे के सलए प्रासिकृ त क्रकया गया िै :
परन्तु इि उपसियम की कोई िी बात ऐिे क्रकिी प्लीडर को लागप ििीं िोगी जो क्रकिी पिकार की ओर िे असििर्ि करिे के
सलए ऐिे क्रकिी अन्य प्लीडर द्वारा मुकरच र क्रकया गया िै सजिे ऐिे पिकार की ओर िे न्यायालय में कायच करिे के सलए िम्यक रूप िे
सियुक्त क्रकया गया िै ।]
5. प्लीडर पर आदेसशका की तामील—3[क्रकिी आदेसशका के बारे में, सजिकी तामील ऐिे प्लीडर पर कर दी गई िै सजिे क्रकिी
पिकार की ओर िे न्यायालय में कायच करिे के सलए िम्यक रूप िे सियुक्त क्रकया गया िै] या जो ऐिे प्लीडर के कायाचलय में या उि
स्थाि में जिां िि मामपली तौर िे सििाि करता िै, छोड दी गई िै र्ािे िि पिकार की स्िीय उपिंजासत के सलए िो या ििीं, यि
उपिारर्ा की जाएगी क्रक िि उि पिकार को िम्यक रूप िे िंिपसर्त कर दी गई िै और ज्ञात करा दी गई िै, सजिका प्रसतसिसित्ि िि
प्लीडर करता िै, और जब तक न्यायालय अन्यथा सिर्दचष्ट ि करे तब तक िि िमस्त प्रयोजिों के सलए िैिे िी प्रिािी िोगी मािो स्ियं
पिकार को िि दी गई थी या स्ियं पिकार पर उिकी तामील की गई थी ।
6. असिकताच तामील का प्रसतग्रिर् करे गा—(1) सियम 2 में िर्र्चत मान्यताप्राप्त असिकताचओं के असतटरक्त ऐिा कोई व्यसक्त
जो न्यायालय की असिकाटरता के िीतर सििाि करता िै, आदेसशका की तामील का प्रसतग्रिर् करिे के सलए असिकताच सियुक्त क्रकया
जा िके गा ।
(2) सियुसक्त सलसित में िोगी और न्यायालय में फाइल की जाएगी—ऐिी सियुसक्त सिशेष या िािारर् िो िके गी और ऐिी
सलित द्वारा की जाएगी जो मासलक द्वारा िस्तािटरत िो और ऐिी सलित या यक्रद सियुसक्त िािारर् िै तो उिकी प्रमासर्त प्रसत
न्यायालय में फाइल की जाएगी ।
[(3) न्यायालय, िाद के क्रकिी ऐिे पिकार को सजिका कोई ऐिा मान्यताप्राप्त असिकताच ििीं िै जो न्यायालय की
1

असिकाटरता के िीतर सििाि करता िै अथिा सजिका कोई ऐिा प्लीडर ििीं िै जो उिकी ओर िे न्यायालय में कायच करिे के सलए

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 54 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 54 द्वारा (1-2-1977 िे) उपसियम (3) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 54 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत /
75

िम्यक रूप िे सियुक्त क्रकया गया िै, िाद के क्रकिी िी प्रिम पर यि आदेश दे िके गा क्रक िि अपिी ओर िे आदेसशका की तामील का
प्रसतग्रिर् करिे के सलए सिसिर्दचष्ट िमय के िीतर ऐिा असिकताच सियुक्त करे जो न्यायालय की असिकाटरता के िीतर सििाि
करता िै ।]
आदेश 4

िादों का िंसस्थत क्रकया जािा


1. िादपत्र द्वारा िाद प्रारम्ि िोगा—(1) िर िाद न्यायालय को या उिके द्वारा इि सिसमत्त सियुक्त क्रकिी असिकारी को
1
[दो प्रसतयों में िादपत्र उपसस्थत करके ] िंसस्थत क्रकया जाएगा ।
(2) िर िादपत्र आदेश 6 और 7 में अन्तर्िचष्ट सियमों का ििां तक अिुपालि करे गा जिां तक िे लागप क्रकए जा िकते िैं ।
[(3) िादपत्र तब तक िम्यक रूप िे िंसस्थत क्रकया गया ििीं िमझा जाएगा जब तक िि उपसियम (1) और उपसियम (2) में
2

सिसिर्दचष्ट अपेिाओं का अिुपालि ििीं करता िै ।]


2. िादों का रसजस्टर—न्यायालय िर िाद की सिसशसष्टयों को, उि प्रयोजि के सलए रिी गई पुस्तक में जो सिसिल िादों का
रसजस्टर किलाएगी, प्रसिष्ट कराएगा । ऐिी प्रसिसष्टयां िर िषच उिी िम में िंखयांक्रकत िोंगी सजिमें िादपत्र गिर् क्रकए िैं ।
अध्याय 5

िमिों का सिकाला जािा और उिकी तामील


िमिों का सिकाला जािा
1. िमि—3[(1) जब िाद िम्यक रूप में िंसस्थत क्रकया जा र्ुका िो तब, उि प्रसतिादी पर, िमि के तामील की तारीि िे
तीि क्रदि के िीतर उपिंजात िोिे और दािे का उत्तर देिे तथा अपिी प्रसतरिा का सलसित कथि, यक्रद कोई िो, फाइल करिे के सलए,
िमि सिकाला जा िके गा :
परन्तु जब प्रसतिादी, िाद-पत्र के उपसस्थत क्रकए जािे पर िी उपिंजात िो जाए और िादी का दािा स्िीकार कर ले तब कोई
िमि ििीं सिकाला जाएगा :
[परं तु यि और क्रक जिां प्रसतिादी तीि क्रदि की उक्त अिसि के िीतर सलसित कथि फाइल करिे में अिफल रिता िै ििां
4

उिे ऐिे क्रकिी अन्य क्रदि को सलसित कथि फाइल करिे के सलए अिुज्ञात क्रकया जाएगा जो न्यायालय द्वारा, उिके कारर्ों को लेिबद्ध
करके और ऐिे िर्े का, जो न्यायालय ठीक िमझे, िंदाय करिे पर सिसिर्दचष्ट क्रकया जाए, ककं तु जो िमि के तामील की तारीि िे एक
िौ बीि क्रदि के बाद का ििीं िोगा और िमि की तामील की तारीि िे एक िौ बीि क्रदि की िमासप्त पर प्रसतिादी सलसित कथि
फाइल करिे का असिकार िो देगा और न्यायालय सलसित कथि असिलेि पर लेिे के सलए अिुज्ञात ििीं करे गा ।]
(2) िि प्रसतिादी, सजिके िाम उपसियम (1) के अिीि िमि सिकाला गया िै—
(क) स्ियं, अथिा
(ि) ऐिे प्लीडर द्वारा, जो िम्यक रूप िे अिुक्रदष्ट िो और िाद िे िंबंसित ििी िारिाि प्रश्िों का उत्तर देिे के
सलए िमथच िो, अथिा
(ग) ऐिे प्लीडर द्वारा, सजिके िाथ ऐिा कोई व्यसक्त िै जो ऐिे ििी प्रश्िों का उत्तर देिे के सलए िमथच िै,
उपिंजात िो िके गा ।
(3) िर ऐिा िमि न्यायािीश या ऐिे असिकारी द्वारा, जो िि सियुक्त करे , िस्तािटरत िोगा और उि पर न्यायालय की
मुद्रा लगी िोगी ।
5
[2. िमिों िे उपाबद्ध िादपत्र की प्रसत—प्रत्येक िमि के िाथ िादपत्र की एक प्रसत िोगी ।]
3. न्यायालय प्रसतिादी या िादी को स्ियं उपिंजात िोिे के सलए आदेश दे िके गा—(1) जिां न्यायालय के पाि प्रसतिादी की
स्िीय उपिंजासत अपेसित करिे के सलए कारर् िो ििां िमि द्वारा यि आदेश क्रकया जाएगा क्रक िमि में सिसिर्दचष्ट तारीि को िि
न्यायालय में स्ियं उपिंजात िो ।

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 14 द्वारा (1-7-2002 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 14 द्वारा (1-7-2002 िे) अंत:स्थासपत ।
3
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 6 द्वारा (1-7-2002 िे) उपसियम (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा प्रसतस्थासपत ।
5
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 14 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 2 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
76

(2) जिां न्यायालय के पाि िादी की उिी क्रदि स्िीय उपिंजासत अपेसित करिे के सलए कारर् िो ििां िि ऐिी उपिंजासत
के सलए आदेश करे गा ।
4. क्रकिी िी पिकार को स्ियं उपिंजात िोिे के सलए तब तक आदेश ििीं क्रकया जाएगा जब तक क्रक िि क्रकन्िीं सिसश्र्त
िीमाओं के िीतर सििािी ि िो—क्रकिी िी पिकार को स्ियं उपिंजात िोिे के सलए के िल तिी आदेश क्रकया जाएगा जब िि—
(क) न्यायालय की मामपली आरसिक असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर सििाि करता िै, अथिा
(ि) ऐिी िीमाओं के बािर क्रकन्तु ऐिे स्थाि में सििाि करता िै जो न्यायिदि िे पर्ाि मील िे कम या (जिां उि
स्थाि के जिां िि सििाि करता िै और उि स्थाि के जिां न्यायालय सस्थत िै, बीर् पंर्षष्ठांश दपरी तक रे ल या स्टीमर
िंर्ार या अन्य स्थासपत लोक प्रििर् िै ििां) दो िौ मील िे कम दपर िै ।
5. िमि या तो सििाद्यकों के सस्थरीकरर् के सलए या अंसतम सिपटारे के सलए िोगा—न्यायालय िमि सिकालिे के िमय यि
अििाटरत करे गा क्रक क्या िि के िल सििाद्यकों के सस्थरीकरर् के सलए िोगा या िाद के असन्तम सिपटारे के सलए िोगा और िमि में
तदिुिार सिदेश अन्तर्िचष्ट िोगा :
परन्तु लघुिाद न्यायालय द्वारा िुिे जािे िाले िर िाद में िमि िाद के अंसतम सिपटारे के सलए िोगा ।
6. प्रसतिादी की उपिंजासत के सलए क्रदि सियत क्रकया जािा—1[सियम 1 के उपसियम (1) के अिीि] क्रदि, न्यायालय के र्ालप
कारबार, प्रसतिादी के सििाि-स्थाि और िमि की तामील के सलए आिश्यक िमय के प्रसत सिदेश िे सियत क्रकया जाएगा और िि क्रदि
ऐिे सियत क्रकया जाएगा क्रक प्रसतिादी को ऐिे क्रदि उपिंजात िोिे और उत्तर देिे को िमथच िोिे के सलए पयाचप्त िमय समल जाए ।
7. िमि प्रसतिादी को यि आदेश देगा क्रक िि िे दस्तािेजें पेश करे सजि पर िि सििचर करता िै—उपिंजासत और उत्तर के
सलए िमि में प्रसतिादी को आदेश िोगा क्रक िि अपिे कब्जे या शसक्त में की ऐिी 1[आदेश 8 के सियम 1क में सिसिर्दचष्ट िब दस्तािेजों
या उिकी प्रसतयों] को पेश करे सजि पर अपिे मामले के िमथचि में सििचर करिे का उिका आशय िै ।
8. अंसतम सिपटारे के सलए िमि सिकाले जािे पर प्रसतिादी को यि सिदेश िोगा क्रक िि अपिे िासियों को पेश करे —जिां
िमि िाद के अंसतम सिपटारे के सलए िै ििां उिमें प्रसतिादी को यि सिदेश िी िोगा क्रक सजि िासियों के िाक्ष्य पर अपिे मामले के
िमथचि में सििचर करिे का उिका आशय िै उि िब को उिी क्रदि पेश करे जो उिकी उपिंजासत के सलए सियत िै ।
िमि की तामील
न्यायालय द्वारा िमय का पटरदाि—(1) जिां प्रसतिादी उि न्यायालय की असिकाटरता के िीतर सििाि करता िै,
2[9.

सजिमें िाद िंसस्थत क्रकया गया िै या उि असिकाटरता के िीतर सििाि करिे िाला उिका ऐिा असिकताच िै, जो िमि की तामील का
प्रसतग्रिर् करिे के सलए िशक्त िै, ििां िमि जब तक क्रक न्यायालय अन्यथा सिदेश ि करे उसर्त असिकारी को, उिके द्वारा या उिके
अिीिस्थों में िे एक या ऐिी कप टरयर िेिा द्वारा, जो न्यायालय द्वारा अिुमोक्रदत िो तामील क्रकए जािे के सलए पटरदत्त क्रकया या
िेजा जाएगा ।
(2) उसर्त असिकारी उि न्यायालय िे सिन्ि, सजिमें िाद िंसस्थत क्रकया गया िै, क्रकिी न्यायालय का असिकारी िो िके गा
और जिां िि ऐिा असिकारी िै ििां िमि उिे ऐिी रीसत िे िेजा जा िके गा जो न्यायालय सिदेश दे ।
(3) िमि की तामील, प्रसतिादी या तामील का प्रसतग्रिर् करिे के सलए िशक्त क्रकए गए उिके क्रकिी असिकताच को िंबोसित
रिीदी रसजस्िी डाक द्वारा अथिा स्पीड पोस्ट द्वारा अथिा ऐिी कप टरयर िेिा द्वारा, जो उच्र् न्यायालय या उपसियम (1) में सिर्दचष्ट
न्यायालय द्वारा अिुमोक्रदत िो, अथिा उच्र् न्यायालय द्वारा बिाए गए सियमों में यथा उपबंसित दस्तािेजों (सजिके अंतगचत फै क्ि
िंदशे या इलेक्िासिक डाक िेिा िी िै) के पारे षर् के क्रकिी अन्य िािि द्वारा उिकी एक प्रसत के पटरदाि या पारे षर् द्वारा की
जा िके गी :
परन्तु यि क्रक इि उपसियम के अिीि िमि की तामील िादी के िर्च पर की जाएगी ।
(4) उपसियम (1) में क्रकिी बात के िोते हुए िी, जिां कोई प्रसतिादी उि न्यायालय की असिकाटरता के बािर सििाि करता
िै, सजिमें िाद िंसस्थत क्रकया गया िै और न्यायालय यि सिदेश देता िै क्रक उि प्रसतिादी को िमिों की तामील ऐिे माध्यम िे की जाए,
जैिा क्रक उपसियम (3) में सिर्दचष्ट िै, रिीदी रसजस्िीकृ त डाक िे सिन्ि), ििां सियम 21 के उपबंि लागप ििीं िोंगे ।
(5) जब कोई असिस्िीकृ सत या अन्य पािती, सजि पर प्रसतिादी या उिके असिकताच द्वारा िस्तािर िोिे तात्पर्यचत िैं,
न्यायालय द्वारा प्राप्त की जाती िै अथिा डाक िस्तु, सजिमें िमि अन्तर्िचष्ट िैं, न्यायालय द्वारा िापि प्राप्त क्रकए जाते िैं सजि पर
डाक कमचर्ारी या कप टरयर िेिा द्वारा प्रासिकृ त क्रकिी व्यसक्त द्वारा क्रकया गया इि आशय का पृष्ठांकि तात्पर्यचत िै क्रक प्रसतिादी या
उिके असिकताच िे जब िमि उिे िेजे गए या पारे सषत क्रकए गए थे तो उि डाक िस्तु का पटरदाि लेिे िे इं कार कर क्रदया िै सजिमें
िमि अन्तर्िचष्ट थे अथिा उपसियम (3) में सिसिर्दचष्ट क्रकिी अन्य िािि िे लेिे िे इं कार कर क्रदया िै, तो िमि सिकालिे िाला
न्यायालय यि घोषर्ा करे गा क्रक िमि िम्यक रूप िे प्रसतिादी पर तामील कर क्रदए गए िैं :

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 15 द्वारा (1-7-2002 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 6 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 9 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
77

परन्तु जिां िमि उसर्त रूप में पता सलिकर, उि पर पपिच िंदाय करके और रिीदी रसजस्िी डाक द्वारा िम्यक रूप िे िेजा
गया था, ििां इि उपसियम में सिर्दचष्ट घोषर्ा इि तथ्य के िोते हुए िी की जाएगी क्रक असिस्िीकृ सत िो जािे या इिर-उिर िो जािे
या क्रकिी अन्य कारर् िे िमि सिकालिे की तारीि िे तीि क्रदि के िीतर न्यायालय द्वारा प्राप्त ििीं हुई िै ।
(6) यथासस्थसत, उच्र् न्यायालय या सजला न्यायािीश, उपसियम (1) के प्रयोजिों के सलए कप टरयर असिकरर्ों का एक पैिल
तैयार करे गा ।
9क. तामील के सलए िादी को िमि का क्रदया जािा—(1) न्यायालय, सियम 9 के अिीि िमि की तामील के असतटरक्त,
िादी के आिेदि पर, प्रसतिादी के उपिंजात िोिे के सलए िमि जारी करिे के सलए ऐिे िादी को ऐिे प्रसतिादी पर ऐिे िमिों को
तामील करिे के सलए अिुज्ञात कर िके गा और ऐिे क्रकिी मामले में ऐिे िादी को तामील के सलए िमि का पटरदाि करे गा ।
(2) न्यायालय के न्यायािीश या ऐिे असिकारी द्वारा, जो िि इि सिसमत्त सियुक्त करे , िस्तािटरत और न्यायालय की मुद्रा िे
मुद्रांक्रकत ऐिे िमिों की तामील, ऐिे िादी द्वारा या उिकी ओर िे उिकी एक प्रसत िैयसक्तक रूप िे प्रसतिादी को देकर या सिसिदाि
करके की जाएगी या तामील की ऐिी पद्धसत िे की जाएगी जो सियम 9 के उपसियम (3) में उसल्लसित िै ।
(3) सियम 16 और सियम 18 के उपबंि इि सियम के अिीि िैयसक्तक रूप िे तामील क्रकए गए िमिों पर उिी प्रकार लागप
िोंगे मािो तामील करिे िाला व्यसक्त एक तामील करिे िाला असिकारी था ।
(4) यक्रद ऐिे िमिों को, उिके सिसिदत्त क्रकए जािे पर, प्राप्त करिे िे इं कार क्रकया जाता िै या तामील क्रकया गया व्यसक्त
तामील की असिस्िीकृ सत पर िस्तािर करिे िे इं कार करता िै या क्रकिी कारर्िश ऐिा िमि व्यसक्तगत रूप िे तामील ििीं क्रकया जा
िकता िै तो न्यायालय, पिकार के आिेदि पर, न्यायालय द्वारा प्रसतिादी को तामील की जािे िाली रीसत िे तामील क्रकए जािे के
सलए िमिों को पुि: जारी करे गा ।]
10. तामील का ढंग—िमि की तामील उिकी ऐिी प्रसत के पटरदाि या सिसिदाि द्वारा की जाएगी जो न्यायािीश या ऐिे
असिकारी द्वारा जो िि इि सिसमत्त सियुक्त करे , िस्तािटरत िो और सजि पर न्यायालय की मुद्रा लगी िो ।
11. अिेक प्रसतिाक्रदयों पर तामील—अन्यथा सिसित के सििाय जिां एक िे असिक प्रसतिादी िैं, ििां िमि की तामील िर
एक प्रसतिादी पर की जाएगी ।
12. जब िाध्य िो तब िमि की तामील स्ियं प्रसतिादी पर, अन्यथा उिके असिकताच पर की जाएगी—जिां किीं िी यि
िाध्य िो ििां तामील स्ियं प्रसतिादी पर की जाएगी क्रकन्तु यक्रद तामील का प्रसतग्रिर् करिे के सलए िशक्त उिका कोई असिकताच िै तो
उि पर उिकी तामील पयाचप्त िोगी ।
13. उि असिकताच पर तामील सजिके द्वारा प्रसतिादी कारबार करता िै —(1) क्रकिी कारबार या काम िे िंबंसित क्रकिी ऐिे
िाद में जो क्रकिी ऐिे व्यसक्त के सिरुद्ध िै, जो उि न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर सििाि ििीं करता िै
सजििे िमि सिकाला िै, क्रकिी िी ऐिे प्रबन्ि या असिकताच पर तामील ठीक तामील िमझी जाएगी जो तामील के िमय ऐिी िीमाओं
के िीतर ऐिे व्यसक्त के सलए स्ियं ऐिा कारबार या काम करता िै ।
(2) पोत के मास्टर के बारे में इि सियम के प्रयोजि के सलए यि िमझा जाएगा क्रक िि स्िामी या िाडे पर लेिे िाले व्यसक्त
का असिकताच िै ।
14. स्थािर िम्पसत्त के िादों में िारिािक असिकताच पर तामील—जिां स्थािर िम्पसत्त की बाबत अिुतोष या उिके प्रसत
क्रकए गए दोष के सलए प्रसतकर असिप्राप्त करिे के िाद में तामील स्ियं प्रसतिादी पर ििीं की जा िकती और प्रसतिादी का उि तामील
का प्रसतग्रिर् करिे के सलए िशक्त कोई असिकताच ििीं िै ििां तामील प्रसतिादी के क्रकिी ऐिे असिकताच पर की जा िके गी जो उि
िम्पसत्त का िारिािक िै ।
[15. जिां तामील प्रसतिादी के कु टु म्ब के ियस्क िदस्य पर की जा िके गी—जिां क्रकिी िाद में प्रसतिादी अपिे सििाि-स्थाि
1

िे उि िमय अिुपसस्थत िै जब उि पर िमि की तामील उिके सििाि-स्थाि पर की जािी िै और युसक्तयुक्त िमय के िीतर उिके
सििाि-स्थाि पर पाए जािे की िंिाििा ििीं िै और िमि की तामील का उिकी ओर िे प्रसतग्रिर् करिे के सलए िशक्त उिका कोई
असिकताच ििीं िै ििां तामील प्रसतिादी के कु टु म्ब के ऐिे क्रकिी ियस्क िदस्य पर, र्ािे िि स्त्री िो या पुरूष, की जा िके गी जो उिके
िाथ सििाि कर रिा िै ।
स्पष्टीकरर्—इि सियम के अथच में िेिक कु टु म्ब का िदस्य ििीं िै ।]
16. िि व्यसक्त सजि पर तामील की गई िै, असिस्िीकृ सत िस्तािटरत करे गा—जिां तामील करिे िाला असिकारी िमि की
प्रसत स्ियं प्रसतिादी को, या उिके सिसमत्त असिकताच को या क्रकिी अन्य व्यसक्त को, पटरदत्त करता िै या सिसिदत्त करता िै ििां सजि
व्यसक्त को प्रसत ऐिे पटरदत्त या सिसिदत्त की गई िै उििे िि यि अपेिा करे गा क्रक िि मपल िमि पर पृष्ठांक्रकत तामील की
असिस्िीकृ सत पर अपिे िस्तािर करे ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 55 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 15 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
78

17. जब प्रसतिादी तामील का प्रसतग्रिर् करिे िे इं कार करे या ि पाया जाए, तब प्रक्रिया—जिां प्रसतिादी या उिका
असिकताच या उपरोक्त जैिा अन्य व्यसक्त असिस्िीकृ सत पर िस्तािर करिे िे इं कार करता िै, या जिां तामील करिे िाला असिकारी
ििी िम्यक और युसक्तयुक्त तत्परता बरतिे के पश्र्ात ऐिे प्रसतिादी को ि पा िके , 1[जो अपिे सििाि-स्थाि िे उि िमय अिुपसस्थत
िै, जब उि पर िमि की तामील उिके सििाि-स्थाि पर की जािी िै और युसक्तयुक्त िमय के िीतर उिके सििाि-स्थाि पर पाए
जािे की िंिाििा ििीं िै] और ऐिा कोई असिकताच ििीं िै जो िमि की तामील का प्रसतग्रिर् उिकी ओर िे करिे के सलए िशक्त िै
और ि कोई ऐिा अन्य व्यसक्त िै सजि पर तामील की जा िके ििां तामील करिे िाला असिकारी उि गृि के , सजिमें प्रसतिादी मामपली
तौर िे सििाि करता िै या कारबार करता िै या असिलाि के सलए स्ियं काम करता िै, बािरी द्वार पर या क्रकिी अन्य ििजदृश्य िाग
पर िमि की एक प्रसत लगाएगा और तब िि मपल प्रसत को उि पर पृष्ठां क्रकत या उििे उपाबद्ध ऐिी टरपोटच के िाथ, सजिमें यि कसथत
िोगा क्रक उििे प्रसत को ऐिे लगा क्रदया िै और िे कौि िी पटरसस्थसतयां थीं सजिमें उििे ऐिा क्रकया, कसथत िोंगी, और सजिमें उि
व्यसक्त का (यक्रद कोई िो) िाम और पता कसथत िोगा सजििे गृि पिर्ािा था और सजिकी उपसस्थसत में प्रसत लगाई गई थी, उि
न्यायालय को लौटाएगा सजििे िमि सिकाला था ।
18. तामील करिे के िमय और रीसत का पृष्ठां कि—तामील करिे िाला असिकारी उि ििी दशाओं में, सजिमें िमि की
तामील सियम 16 के अिीि की गई िै उि िमय को जब और उि रीसत को सजििे िमि की तामील की गई थी और यक्रद ऐिा कोई
व्यसक्त िै सजििे उि व्यसक्त को, सजि पर तामील की गई िै, पिर्ािा था और जो िमि के पटरदाि या सिसिदाि का िािी रिा था तो
उिका िाम और पता कसथत करिे िाली सििरर्ी मपल िमि पर पृष्ठां क्रकत करे गा या कराएगा या मपल िमि िे उपाबद्ध करे गा
या कराएगा ।
19. तामील करिे िाले असिकारी की परीिा—जिां िमि सियम 17 के अिीि लौटा क्रदया गया िै ििां तामील करिे िाले
असिकारी की परीिा उिकी अपिी कायचिासियों की बाबत न्यायालय स्ियं या क्रकिी अन्य न्यायालय द्वारा उि दशा में करे गा या
कराएगा सजिमें उि सियम के अिीि सििरर्ी तामील करिे िाले असिकारी द्वारा शपथपत्र द्वारा ित्यासपत ििीं की गई िै और उि
दशा में कर िके गा या करा िके गा सजिमें िि ऐिे ित्यासपत की गई िै और उि मामले में ऐिी असतटरक्त जांर् कर िके गा जो िि ठीक
िमझे और या तो िि घोसषत करे गा क्रक िमि की तामील िम्यक रूप िे िो गई िै या ऐिी तामील का आदेश करे गा जो िि
ठीक िमझे ।
2
* * * * *
20. प्रसतस्थासपत तामील—(1) जिां न्यायालय का िमािाि िो जाता िै क्रक यि सिश्िाि करिे के सलए कारर् िै क्रक
प्रसतिादी इि प्रयोजि िे क्रक उि पर तामील ि िोिे पाए, िामिे आिे िे बर्ता िै या िमि की तामील मामपली प्रकार िे क्रकिी अन्य
कारर् िे ििीं की जा िकती ििां न्यायालय आदेश देगा क्रक िमि की तामील उिकी एक प्रसत न्यायिदि के क्रकिी ििजदृश्य स्थाि में
लगाकर और (यक्रद ऐिा कोई गृि िो) तो उि गृि के , सजिमें प्रसतिादी का असन्तम बार सििाि करिा या कारबार करिा या असिलाि
के सलए स्ियं काम करिा ज्ञात िै, क्रकिी ििजदृश्य िाग पर िी लगा कर या ऐिी अन्य रीसत िे, जो न्यायालय ठीक िमझे, की जाए ।
[(1क) जिां उपसियम (1) के अिीि कायच करिे िाला न्यायालय िमार्ारपत्र में सिज्ञापि द्वारा तामील का आदेश करता िै
3

ििां िि िमार्ारपत्र ऐिा दैसिक िमार्ारपत्र िोगा सजिका पटरर्ालि उि स्थािीय िेत्र में िोता िै, सजिमें प्रसतिादी का असन्तम बार
िास्ति में और स्िेच्छा िे सििाि करिा या कारबार करिा या असिलाि के सलए स्ियं काम करिा ज्ञात िै ।]
(2) प्रसतस्थासपत तामील का प्रिाि— न्यायालय के आदेश द्वारा प्रसतस्थासपत तामील इि प्रकार प्रिािी िोगी मािो िि स्ियं
प्रसतिादी पर की गई िो ।
(3) जिां तामील प्रसतस्थासपत की गई िो ििां उपिंजासत के सलए िमय का सियत क्रकया जािा—जिां तामील न्यायालय के
आदेश द्वारा प्रसतस्थासपत की गई िै ििां न्यायालय प्रसतिादी को उपिंजासत के सलए ऐिा िमय सियत करे गा जो उि मामले में
अपेसित िो ।
[20क. डाक द्वारा िमि की तामील ।]—सिसिल प्रक्रिया िंसिता (िंशोिि) असिसियम, 1976 (1976 का 104) की िारा 55
4

द्वारा (1-2-1977 िे) सिरसित ।


21. जिां प्रसतिादी क्रकिी अन्य न्यायालय की असिकाटरता के िीतर सििाि करता िै ििां िमि की तामील—िमि को िि
न्यायालय, सजििे उिे सिकाला िै, अपिे असिकाटरयों में िे क्रकिी द्वारा 5[या डाक द्वारा या ऐिी कप टरयर िेिा द्वारा जो उच्र् न्यायालय
द्वारा अिुमोक्रदत िो, फै क्ि िंदश
े द्वारा या इलेक्िासिक डाक िेिा या ऐिे क्रकन्िीं अन्य िािि द्वारा सजिका उपबंि उच्र् न्यायालय द्वारा
बिाए गए सियमों द्वारा क्रकया जाए] राज्य के िीतर या बािर ऐिे क्रकिी न्यायालय को िेज िके गा (जो उच्र् न्यायालय ि िो) सजिकी
उि स्थाि में असिकाटरता िै जिां प्रसतिादी सििाि करता िै ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 55 द्वारा (1-2-1977 िे) अंत:स्थासपत ।
2
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 15 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 19क का लोप क्रकया गया ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 55 द्वारा (1-2-1977 िे) अंत:स्थासपत ।
4
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 14 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
5
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 15 द्वारा (1-7-2002 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
79

22. बािर के न्यायालयों द्वारा सिकाले गए िमि की प्रेसिडेंिी िगरों में तामील—जिां कलकत्ता, मद्राि 1[और मुम्बई] िगरों
की िीमाओं िे परे स्थासपत क्रकिी न्यायालय द्वारा सिकाले गए िमि की तामील ऐिी िीमाओं में िे क्रकिी िीमा के िीतर की जािी िै
ििां िि उि लघुिाद न्यायालय को िेजा जाएगा सजिकी असिकाटरता के िीतर उिकी तामील की जािी िै ।
23. सजि न्यायालय को िमि िेजा गया िै उिका कतचव्य—िि न्यायालय, सजिको िमि सियम 21 या सियम 22 के अिीि
िेजा गया िै, उिकी प्रासप्त पर इि िांसत अिर िोगा मािो िि उिी न्यायालय द्वारा सिकाला गया था और तब िि उििे िम्बसन्ित
अपिी कायचिासियों के असिलेि के (यक्रद कोई िो) िसित िमि उिे सिकालिे िाले न्यायालय को िापि िेज देगा ।
24. कारागार में प्रसतिादी पर तामील—जिां प्रसतिादी कारागार में पटररुद्ध िै ििां िमि कारागार के िारिािक असिकारी
को प्रसतिादी पर तामील के सलए पटरदत्त क्रकया जाएगा या 2[डाक द्वारा या ऐिी कप टरयर िेिा द्वारा जो उच्र् न्यायालय द्वारा
अिुमोक्रदत िो, फै क्ि िंदश
े द्वारा या इलेक्िासिक डाक िेिा द्वारा या क्रकिी अन्य िािि द्वारा सजिका उपबंि उच्र् न्यायालय द्वारा
बिाए गए सियमों द्वारा क्रकया जाए] िेजा जाएगा ।
25. ििां तामील, जिां प्रसतिादी िारत के बािर सििाि करता िै और उिका कोई असिकताच ििीं िै —जिां प्रसतिादी
3
[िारत] के बािर सििाि करता िै और उिका 3[िारत] में ऐिा कोई असिकताच ििीं िै जो तामील प्रसतगृिीत करिे के सलए िशक्त िै
ििां, यक्रद ऐिे स्थाि और उि स्थाि के बीर् जिां न्यायालय सस्थत िै, डाक द्वारा िंर्ार िै तो, िमि उि प्रसतिादी को उि स्थाि के पते
पर, जिां िि सििाि कर रिा िै 2[या डाक द्वारा या ऐिी कप टरयर िेिा द्वारा जो उच्र् न्यायालय द्वारा अिुमोक्रदत िो, फै क्ि िंदश े
द्वारा या इलेक्िासिक डाक िेिा द्वारा या क्रकिी अन्य िािि द्वारा सजिका उपबंि उच्र् न्यायालय द्वारा बिाए गए सियमों द्वारा क्रकया
जाए] :
4
[परन्तु जिां ऐिा प्रसतिादी 5[बंगलादेश या पाक्रकस्ताि में सििाि करता िै] ििां िमि उिकी एक प्रसत के िसित, प्रसतिादी
पर तामील के सलए उि देश के क्रकिी ऐिे न्यायालय को िेजा जा िके गा (जो उच्र् न्यायालय ि िो) सजिकी उि स्थाि में असिकाटरता
िै जिां प्रसतिादी सििाि करता िै :
परन्तु यि और क्रक जिां ऐिा कोई प्रसतिादी 6[बंगलादेश या पाक्रकस्ताि में का लोक असिकारी िै (जो, यथासस्थसत, बंगलादेश
या पाक्रकस्ताि की िेिा, िौिेिा या िायु िेिा का ििीं िै)] या उि देश में की रे ल कम्पिी या स्थािीय प्रासिकारी का िेिक िै ििां िमि
उिकी एक प्रसत के िसित, उि प्रसतिादी पर तामील के सलए उि देश के ऐिे असिकारी या प्रासिकारी को िेजा जा िके गा सजिे के न्द्रीय
िरकार, राजपत्र में असििपर्िा द्वारा, इि सिसमत्त सिसिर्दचष्ट करे ।]
7
[26. राजिीसतक असिकताच या न्यायालय की माफच त सिदेशी राज्यिेत्र में तामील—जिां—
(क) के न्द्रीय िरकार में सिसित क्रकिी िैदेसशक असिकाटरता के प्रयोग में, क्रकिी ऐिे सिदेशी राज्यिेत्र में, सजिमें
प्रसतिादी िास्ति में और स्िेच्छा िे सििाि करता िै, कारबार करता िै या असिलाि के सलए स्ियं काम करता िै, ऐिा
राजिीसतक असिकताच सियुक्त क्रकया गया िै या न्यायालय स्थासपत क्रकया गया िै या र्ालप रिा गया िै सजिे उि िमि की
तामील करिे की शसक्त िै, जो इि िंसिता के अिीि न्यायालय द्वारा सिकाला जाए, अथिा
(ि) के न्द्रीय िरकार िे क्रकिी ऐिे न्यायालय के बारे में जो क्रकिी ऐिे राज्यिेत्र में सस्थत िै और पपिोक्त जैिी क्रकिी
असिकाटरता के प्रयोग में स्थासपत ििीं क्रकया गया या र्ालप ििीं रिा गया िै, राजपत्र में असििपर्िा द्वारा घोषर्ा की िै क्रक
न्यायालय द्वारा इि िंसिता के अिीि सिकाले गए िमि की ऐिे न्यायालय द्वारा तामील सिसिमान्य मिझी जाएगी,
ििां िमि ऐिे राजिीसतक असिकताच या न्यायालय को प्रसतिादी पर तामील क्रकए जािे के प्रयोजि के सलए डाक द्वारा या अन्यथा या
यक्रद के न्द्रीय िरकार द्वारा इि प्रकार सिदेश क्रदया जाए तो उि िरकार के सिदेशी मामलों िे िम्बसन्ित मंत्रालय की माफच त या ऐिी
अन्य रीसत िे जो के न्द्रीय िरकार द्वारा सिसिर्दचष्ट की जाए, िेजा जा िके गा और यक्रद राजिीसतक असिकताच या न्यायालय िमि को ऐिे
राजिीसतक असिकताच द्वारा या उि न्यायालय के न्यायािीश या अन्य प्रासिकारी द्वारा क्रकए गए तात्पर्यचत इि आशय िे पृष्ठांकि के
िसित लौटा देता िै क्रक िमि की तामील प्रसतिादी पर इिमें इिके पपिच सिक्रदष्ट रीसत िे की जा र्ुकी िै तो ऐिा पृष्ठां कि तामील का
िाक्ष्य िमझा जाएगा ।
26क. सिदेशों के असिकाटरयों को िमि का िेजा जािा—जिां के न्द्रीय िरकार िे राजपत्र में असििपर्िा द्वारा क्रकिी सिदेशी
राज्यिेत्र के बारे में यि घोषर्ा की िै क्रक उि सिदेशी राज्यिेत्र में िास्ति में और स्िेर्छा िे सििाि करिे िाले या कारबार करिे िाले
या असिलाि के सलए स्ियं काम करिे िाले प्रसतिाक्रदयों पर तामील क्रकए जािे िाले िमि सिदेशी राज्यिेत्र की िरकार के ऐिे
असिकारी को जो के न्द्रीय िरकार द्वारा सिसिर्दचष्ट क्रकया जाए, िेजे जा िकें गे ििां िमि ऐिे असिकारी को िारत िरकार के सिदेशी
मामलों िे िम्बसन्ित मंत्रालय की माफच त या ऐिी अन्य रीसत िे जो के न्द्रीय िरकार द्वारा सिसिर्दचष्ट की जाए, िेजे जा िकें गे और यक्रद

1
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “मुम्बई और रंगपि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 15 द्वारा (1-7-2002 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1951 के असिसियम िं० 19 की िारा 2 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 55 द्वारा (1-2-1977 िे) “पाक्रकस्ताि में सििाि करता िै” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 55 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
7
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 55 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 26 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
80

ऐिा असिकारी क्रकिी ऐिे िमि को उिके द्वारा क्रकए गए तात्पर्यचत इि पृष्ठांकि के िसित लौटा देता िै क्रक िमि की तामील प्रसतिादी
पर की जा र्ुकी िै तो ऐिा पृष्ठांकि तामील का िाक्ष्य िमझा जाएगा ।]
27. सिसिल लोक असिकारी पर या रे ल कं पिी या स्थािीय प्रासिकारी के िेिक पर तामील—जिां प्रसतिादी लोक असिकारी
िै (जो 1[िारतीय] िेिा, 2[िौिेिा या िायुिेिा] 3*** का ििीं िै) या रे ल कं पिी या स्थािीय प्रासिकारी का िेिक िै ििां, यक्रद
न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक िमि की तामील अत्यन्त िुसििापपिचक ऐिे की जा िकती िै तो िि उिे उिकी उि प्रसत के िसित
जो प्रसतिादी द्वारा रि ली जािी िै, उि कायाचलय के प्रिाि को सजिमें प्रसतिादी सियोसजत िै, प्रसतिादी पर तामील के सलए िेज
िके गा ।
28. िैसिकों, िौिैसिकों या िायुिसै िकों पर तामील—जिां प्रसतिादी िैसिक, 4[िौिैसिक] या 5[िायुिैसिक] िै ििां न्यायालय
िमि को, उिकी उि प्रसत के िसित जो प्रसतिादी द्वारा रि ली जािी िै, उिके कमाि आक्रफिर को तामील के सलए िेजेगा ।
29. उि व्यसक्त का कतचव्य सजिको िमि तामील के सलए पटरदत्त क्रकया जाए या िेजा जाए—(1) जिां तामील के सलए क्रकिी
व्यसक्त को सियम 24, सियम 27 या सियम 28 के अिीि पटरदत्त क्रकया गया िै या िेजा गया िै ििां ऐिा व्यसक्त, उिकी तामील, यक्रद
िंिि िो, करिे के सलए और अपिे िस्तािर करके प्रसतिादी की सलसित असिस्िीकृ सत के िाथ लौटािे के सलए आबद्ध िोगा और ऐिे
िस्तािर तामील के िाक्ष्य िमझे जाएंगे ।
(2) जिां क्रकिी कारर् िे तामील अिंिि िो ििां िमि ऐिे कारर् के और तामील करािे के सलए की गई कायचिासियों के पपर्च
कथि के िाथ न्यायालय को लौटा क्रदया जाएगा और ऐिा कथि तामील ि िोिे का िाक्ष्य िमझा जाएगा ।
30. िमि के बदले पत्र का प्रसतस्थासपत क्रकया जािा—(1) इिमें इिके पपिच अन्तर्िचष्ट क्रकिी बात के िोते हुए िी, जिां
न्यायालय की यि राय िै क्रक प्रसतिादी ऐिी पंसक्त का िै जो इि बात का िकदार बिाती िै क्रक उिके प्रसत ऐिा िम्मािपपर्च बताचि क्रकया
जाए ििां िि िमि के बदले ऐिा पत्र, प्रसतस्थासपत कर िके गा जो न्यायािीश द्वारा या ऐिे असिकारी द्वारा, जो िि इि सिसमत्त
सियुक्त करे , िस्तािटरत िोगा ।
(2) उपसियम (1) के अिीि प्रसतस्थासपत पत्र में िे िब सिसशसष्टयां अन्तर्िचष्ट िोंगी सजिका िमि में कसथत िोिा अपेसित िै
और उपसियम (3) के उपबन्िों के अिीि रिते हुए िि िर तरि िे िमि मािा जाएगा ।
(3) ऐिा प्रसतस्थासपत पत्र प्रसतिादी को डाक द्वारा या न्यायालय द्वारा र्ुिे गए सिशेष िंदश
े -िािक द्वारा या क्रकिी ऐिी अन्य
रीसत िे जो न्यायालय ठीक िमझे, िेजा जा िके गा और जिां प्रसतिादी का ऐिा असिकताच िो जो तामील प्रसतगृ िीत करिे के सलए
िशक्त िै ििां िि पत्र ऐिे असिकताच को पटरदत्त क्रकया जा िके गा या िेजा जा िके गा ।
आदेश 6

असििर्ि िािारर्त:
1. असििर्ि—“असििर्ि” िे िादपत्र या सलसित कथि असिप्रेत िोगा ।
6
[2. असििर्ि में तासविक तथ्यों का, ि क्रक िाक्ष्य का, कथि िोगा—(1) िर असििर्ि में उि तासविक तथ्यों का, सजि पर
असििर्ि करिे िाला पिकार, यथासस्थसत, अपिे दािे या अपिी प्रसतरिा के सलए सििचर करता िै और के िल उि तथ्यों का, ि क्रक उि
िाक्ष्य का सजिके द्वारा िे िासबत क्रकए जािे िैं, िंसिप्त कथि अन्तर्िचष्ट िोगा ।
(2) िर असििर्ि आिश्यकतािुिार पैराओं में सििक्त क्रकया जाएगा, जो यथािम िंखयांक्रकत क्रकए जाएंगे । िर असिकथि
िुसििािुिार पृथक पैरा में क्रकया जाएगा ।
(3) असििर्ि में तारीिें, रासशयां और िंखयाएं अंकों और शब्दों में िी असिव्यक्त की जाएंगी ।]
3. असििर्ि का प्ररूप—जब िे लागप िोि योग्य िों तब पटरसशष्ट क में के प्ररूप और जिां िे लागप िोिे योग्य ि िों ििां जिां
तक िो िके , लगिग िैिे िी प्ररूप ििी असििर्िों के सलए प्रयुक्त क्रकए जाएंगे ।
[3क. िासर्सज्यक न्यायालयों में असििर्ि के प्ररूप—क्रकिी िासर्सज्यक सििाद में, जिां ऐिे िासर्सज्यक सििादों के
7

प्रयोजिों के सलए बिाए गए उच्र् न्यायालय सियमों या सिसि व्यििाय सिदेशों के अिीि असििर्िों के प्ररूप सिसित क्रकए गए िैं ,
असििर्ि उि प्ररूपों में िोंगे ।]

1
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “सिज मजेस्टी की” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1927 के असिसियम िं० 10 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 द्वारा “या िौिेिा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1934 के असिसियम िं० 35 की िारा 2 और अिुिपर्ी द्वारा “या सिज मजेस्टी की िारतीय िमुद्री िेिा” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
4
1934 के असिसियम िं० 35 की िारा 2 और अिुिपर्ी द्वारा अन्त:स्थासपत ।
5
1927 के असिसियम िं० 10 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
6
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 56 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 2 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
7
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा अंत:स्थासपत ।
81

4. जिां आिश्यक िो ििां सिसशसष्टयों का क्रदया जािा—उि ििी मामलों में सजिमें असििर्ि करिे िाला पिकार क्रकिी
दुव्यचपदेशि, कपट, न्याि-िंग, जािबपझकर क्रकए गए व्यसतिम या अिम्यक अिर के असििाक पर सििचर करता िै, और अन्य ििी
मामलों में, सजिमें उि सिसशसष्टयों के अलािा सिसशसष्टयां जो पपिोक्त प्ररूपों में उदािरर्स्िरूप दर्शचत की गई िैं, आिश्यक िों
असििर्ि में िे सिसशसष्टयां (यक्रद आिश्यक िो तो तारीिें और मदों के िसित) कसथत की जाएंगी ।
1
* * * * *
6. पुरोिाव्य शतच—सजि क्रकिी पुरोिाव्य शतच के पालि का या घटटत िोिे का प्रसतिाद करिा आशसयत िो िि, यथासस्थसत,
िादी या प्रसतिादी द्वारा अपिे असििर्ि में स्पष्टत: सिसिर्दचष्ट की जाएगी और उिके अिीि रिते हुए िादी या प्रसतिादी के पि के
सलए आिश्यक ििी पुरोिाव्य शतों के पालि या घटटत िोिे का प्रकथि उिके असििर्ि में सििसित िोगा ।
7. फे रबदल—क्रकिी िी असििर्ि में दािे का कोई िया आिार या तथ्य का कोई असिकथि, जो उिका असििर्ि करिे
िाले पिकार के पपिचति असििर्िों िे अिंगत िो, सबिा िंशोिि क्रकए ि तो उठाया जाएगा और ि अन्तर्िचष्ट िोगा ।
8. िंसिदा का प्रत्याखयाि—जिां क्रकिी असििर्ि में क्रकिी िंसिदा का असिकथि िै ििां सिरोिी पिकार द्वारा क्रकए गए
उिके कोरे प्रत्याखयाि का यि अथच लगाया जाएगा क्रक िि के िल असिव्यक्त िंसिदा का, जो असिकसथत की गई िै, या उि तथ्यों की
बातों का, सजििे िि िंसिदा सििसित की जा िके , प्रत्याखयाि िै, ि क्रक ऐिी िंसिदा की िैिता या सिसि की दृसष्ट में पयाचप्तता
का प्रत्याखयाि ।
9. दस्तािेज के प्रिाि का कथि क्रकया जािा—जिां किीं क्रकिी दस्तािेज की अन्तिचस्तु तासविक िै ििां उिे िम्पपर्चत: या
उिके क्रकिी िाग को उपिर्र्चत क्रकए सबिा उिके प्रिाि को यथािंिि िंसिप्त रूप में असििर्ि में कसथत कर देिा पयाचप्त िोगा, जब
तक क्रक दस्तािेज के या उिके क्रकिी िाग के यथाित शब्द िी तासविक ि िों ।
10. सिद्वेष, ज्ञाि, आक्रद—जिां किीं क्रकिी व्यसक्त के सिद्वेष, कपटपपर्च आशय, ज्ञाि या सर्त्त की अन्य दशा का असिकथि
करिा तासविक िै, ििां उि पटरसस्थसतयों को उपिर्र्चत क्रकए सबिा सजििे उिका अिुमाि क्रकया जािा िै, उिे तथ्य के रूप में
असिकसथत करिा पयाचप्त िोगा ।
11. िपर्िा—जिां किीं यि असिकथि करिा तासविक िै क्रक क्रकिी तथ्य, बात या िस्तु की िपर्िा क्रकि व्यसक्त की थी ििां
जब तक क्रक ऐिी िपर्िा का प्ररूप या उिके यथाित शब्द या िे पटरसस्थसतयां, सजििे ऐिी िपर्िा का अिुमाि क्रकया जािा िै, तासविक
ि िों, ऐिी िपर्िा को तथ्य के रूप में असिकसथत करिा पयाचप्त िोगा ।
12. सििसित िंसिदा या िम्बन्ि—जब किी पत्रों की या िाताचलापों की आिली िे या अन्यथा कई पटरसस्थसतयों िे क्रकन्िीं
व्यसक्तयों के बीर् में की कोई िंसिदा या अन्य िम्बन्ि सििसित क्रकया जािा िै तब ऐिी िंसिदा या िम्बन्ि को तथ्य के रूप में
असिकसथत करिा और ऐिे पत्रों, िाताचलापों या पटरसस्थसतयों को ब्यौरे िार उपिर्र्चत क्रकए सबिा उिके प्रसत िािारर्तया सिदेश करिा
पयाचप्त िोगा । और ऐिी दशा में यक्रद ऐिे असििर्ि करिे िाला व्यसक्त ऐिी पटरसस्थसतयों िे सििसित की जािे िाली एक िंसिदा या
िम्बन्ि िे असिक िंसिदाओं या िम्बन्िों पर अिुकल्पत: सििचर करिा र्ािता िै तो िि उिका कथि अिुकल्पत: कर िके गा ।
13. सिसि की उपिारर्ाएं —क्रकिी तथ्य की बात को, सजिकी सिसि क्रकिी पिकार के पि में उपिारर्ा करती िै या सजिके
िबपत का िार प्रसतपि पर िै, पिकारों में िे क्रकिी के द्वारा क्रकिी िी असििर्ि में असिकसथत करिा तब तक आिश्यक ि िोगा जब
तक क्रक पिले िी उिका प्रत्याखयाि सिसिर्दचष्ट रूप िे ि कर क्रदया गया िो (उदािरर्ाथच जिां िादी दािे के िारिपत आिार के रूप में
सिसिमय-पत्र पर ि क्रक उिके प्रसतफल के सलए िाद लाता िै ििां सिसिमय-पत्र का प्रसतफल) ।
14. असििर्ि का िस्तािटरत क्रकया जािा—िर असििर्ि पिकार द्वारा और यक्रद उिका कोई प्लीडर िै तो उिके द्वारा
िस्तािटरत क्रकया जाएगा : परन्तु जिां असििर्ि करिे िाला पिकार अिुपसस्थसत के कारर् या क्रकिी अन्य अच्छे िेतुक िे असििर्ि
पर िस्तािर करिे में अिमथच िै ििां िि ऐिे व्यसक्त द्वारा िस्तािटरत क्रकया जा िके गा जो उिकी ओर िे उिे िस्तािटरत करिे के
सलए या िाद लािे या प्रसतरिा करिे के सलए उिके द्वारा िम्यक रूप िे प्रासिकृ त िै ।
[14क. िपर्िा की तामील के सलए पता—(1) पिकार द्वारा फाइल क्रकए जािे िाले िर असििर्ि के िाथ पिकार के पते के
2

बारे में सिसित प्ररूप में कथि, सियम 14 में उपबसन्ित रूप में िस्तािटरत करके देिा िोगा ।
(2) ऐिे पते को, न्यायालय में िम्यक रूप िे िरे गए प्ररूप और ित्यासपत यासर्का के िाथ पिकार के िए पते का कथि
दासिल करके , िमय-िमय पर पटरिर्तचत क्रकया जा िके गा ।
(3) उपसियम (1) के अिीि क्रकए गए कथि में क्रदए गए पते को पिकार का “रसजस्िीकृ त पता” किा जाएगा और जब तक
पपिोक्त रूप में िम्यकत: पटरिर्तचत ि क्रकया गया िो तब तक िि िाद में या उिमें दी गई क्रकिी सडिी या क्रकए गए क्रकिी आदेश की
क्रकिी अपील में ििी आदेसशकाओं की तामील के प्रयोजिों के सलए और सिष्पादि के प्रयोजि के सलए पिकार का पता िमझा जाएगा
और पपिोक्त के अिीि रिते हुए इि मामले या सिषय के असन्तम सििाचरर् के पश्र्ात दो िषों की अिसि के सलए ििी पता
मािा जाएगा ।

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 16 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 5 का लोप क्रकया गया ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 56 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
82

(4) क्रकिी आदेसशका की तामील पिकार पर ििी बातों के बारे में उिके रसजस्िीकृ त पते पर इि प्रकार की जा िके गी मािो
िि पिकार ििां सििाि करता रिा िो ।
(5) जिां न्यायालय को यि पता र्लता िै क्रक क्रकिी पिकार का रसजस्िीकृ त पता अिपरा, समथ्या या काल्पसिक िै ििां
न्यायालय या तो स्िप्रेरर्ा िे या क्रकिी पिकार के आिेदि पर,—
(क) ऐिे मामले में जिां ऐिा रसजस्िीकृ त पता िादी द्वारा क्रदया गया था ििां िाद के रोके जािे का आदेश दे
िके गा, अथिा
(ि) ऐिे मामले में जिां ऐिा रसजस्िीकृ त पता प्रसतिादी द्वारा क्रदया गया था ििां उिकी प्रसतरिा काट दी जाएगी
और िि उिी सस्थसत में रिा जाएगा मािो उििे प्रसतरिा पेश ििीं की िो ।
(6) जिां उपसियम (5) के अिीि क्रकिी िाद को रोक क्रदया जाता िै या प्रसतरिा काट दी जाती िै, ििां यथासस्थसत, िादी या
प्रसतिादी अपिा ििी पता देिे के पश्र्ात न्यायालय िे, यथासस्थसत, रोक-आदेश या प्रसतरिा काटिे के आदेश को अपास्त करिे िाले
आदेश के सलए आिेदि कर िके गा ।
(7) यक्रद न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक पिकार उसर्त िमय पर अपिा ििी पता फाइल करिे में क्रकिी पयाचप्त
कारर् िे रोक क्रदया गया था, तो िि रोक-आदेश या प्रसतरिा काटिे के आदेश को िर्ों और अन्य बातों के बारे में ऐिे सिबन्ििों पर जो
िि ठीक िमझे, अपास्त कर िके गा और, यथासस्थसत, िाद या प्रसतरिा की कायचिािी के सलए क्रदि सियत करे गा ।
(8) इि सियम की कोई बात न्यायालय को आदेसशका की तामील क्रकिी अन्य पते पर क्रकए जािे का सिदेश देिे िे, यक्रद िि
क्रकिी कारर् िे ऐिा करिा ठीक िमझे तो, ििीं रोके गी ।]
15. असििर्ि का ित्यापि—(1) उिके सििाय जैिा क्रक तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सिसि द्वारा अन्यथा उपबसन्ित िै, िर
असििर्ि उिे करिे िाले पिकार द्वारा या पिकारों में िे एक के द्वारा या क्रकिी ऐिे अन्य व्यसक्त द्वारा, सजिके बारे में न्यायालय को
िमािािप्रद रूप में िासबत कर क्रदया गया िै क्रक िि मामले के तथ्यों िे पटरसर्त िै, उिके पाद-िाग में ित्यासपत क्रकया जाएगा ।
(2) ित्यापि करिे िाला व्यसक्त असििर्ि के िंखयांक्रकत पैराओं का सिदेश करते हुए यि सिसिर्दचष्ट करे गा क्रक कौि-िा पैरा
िि अपिे सिजी ज्ञाि के आिार पर ित्यासपत करता िै और कौि-िा पैरा िि ऐिी जािकारी के आिार पर ित्यासपत करता िै जो उिे
समली िै और सजिके बारे में उिका यि सिश्िाि िै क्रक िि ित्य िै ।
(3) ित्यापि करिे िाले व्यसक्त द्वारा िि ित्यापि िस्तािटरत क्रकया जाएगा और उिमें उि तारीि का सजिको और उि
स्थाि का जिां िि िस्तािटरत क्रकया गया था कथि क्रकया जाएगा ।
1
[(4) असििर्िों का ित्यापि करिे िाला व्यसक्त अपिे असििर्िों के िमथचि में शपथपत्र िी प्रस्तुत करे गा ।]
2
[15क. िासर्सज्यक सििाद में असििर्िों का ित्यापि—सियम 15 में अंर्िचष्ट क्रकिी बात के िोते हुए िी, क्रकिी िासर्सज्यक
सििाद में प्रत्येक असििर्ि इि अिुिपर्ी के पटरसशष्ट में सिसित रीसत और प्ररूप में शपथपत्र द्वारा ित्यासपत क्रकया जाएगा ।
(2) उपरोक्त उपसियम (1) के अिीि कोई शपथपत्र कायचिासियों के पिकार द्वारा या पिकारों में िे एक के द्वारा या ऐिे
पिकार या पिकारों की ओर िे क्रकिी अन्य व्यसक्त द्वारा, सजिके बारे में न्यायालय को िमािािप्रद रूप में िासबत कर क्रदया जाता िै
क्रक िि मामले के तथ्यों िे पटरसर्त िै और ऐिे पिकार या पिकारों द्वारा िम्यक रूप िे प्रासिकृ त िै, िस्तािटरत क्रकया जाएगा ।
(3) जिां क्रकिी असििर्ि में िंशोिि क्रकया जाता िै, ििां जब तक न्यायालय अन्यथा आदेश ि दे, िंशोििों को उपसियम
(1) में सिर्दचष्ट प्ररूप और रीसत िे ित्यासपत क्रकया जाएगा ।
(4) जिां क्रकिी असििर्ि को उपसियम (1) के अिीि उपबंसित रीसत िे ित्यासपत ििीं क्रकया जाता िै, ििां पिकार को
िाक्ष्य के रूप में ऐिे असििर्ि पर या उिमें उपिर्र्चत सिषयों में िे क्रकिी पर सििचर िोिे के सलए अिुज्ञात ििीं क्रकया जाएगा ।
(5) न्यायालय, क्रकिी ऐिे असििर्ि को, सजिे ित्यता के कथि अथाचत इि अिुिपर्ी के पटरसशष्ट में उपिर्र्चत शपथपत्र द्वारा
ित्यासपत ििीं कर क्रदया जाता िै, काट िके गा ।]
[16. असििर्ि का काट क्रदया जािा—न्यायालय कायचिासियों के क्रकिी िी प्रिम में आदेश दे िके गा क्रक क्रकिी िी असििर्ि
3

में की कोई िी ऐिी बात काट दी जाए या िंशोसित कर दी जाए,—


(क) जो अिािश्यक, कलंकात्मक, तुच्छ या तंग करिे िाली िै, अथिा
(ि) जो िाद के ऋजु सिर्ारर् पर प्रसतकप ल प्रिाि डालिे िाली या उिमें उलझि डालिे िाली या सिलं ब करिे
िाली िै, अथिा

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 16 द्वारा (1-7-2002 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा अंत:स्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 56 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 16 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
83

(ग) जो अन्यथा न्यायालय की प्रक्रिया का दुरुपयोग िै ।]


[17. असििर्िों का िंशोिि—न्यायालय कायचिासियों के क्रकिी िी प्रिम पर, क्रकिी िी पिकार को, ऐिी रीसत िे और ऐिे
1

सिबंििों पर, जो न्यायिंगत िों, अपिे असििर्िों को पटरिर्तचत या िंशोसित करिे के सलए अिुज्ञात कर िके गा और िे ििी िंशोिि
क्रकए जाएंगे जो दोिों पिकारों के बीर् सििाद के िास्तसिक प्रश्िों के अििारर् के प्रयोजि के सलए आिश्यक िों :
परं तु सिर्ारर् प्रारं ि िोिे के पश्र्ात िंशोिि के सलए क्रकिी आिेदि को तब तक अिुज्ञात ििीं क्रकया जाएगा जब तक क्रक
न्यायालय इि सिर्चय पर ि पहुंर्े क्रक िम्यक तत्परता बरतिे पर िी िि पिकार, सिर्ारर् प्रारं ि िोिे िे पपिच िि सिषय ििीं उठा
िकता था ।
18. आदेश के पश्र्ात िंशोिि करिे में अिफल रििा—यक्रद कोई पिकार, सजििे िंशोिि करिे की इजाजत के सलए आदेश
प्राप्त कर सलया िै, उि आदेश द्वारा उि प्रयोजि के सलए पटरिीसमत िमय के िीतर या यक्रद उिके द्वारा कोई िमय पटरिीसमत ििीं
क्रकया गया िै तो आदेश की तारीि िे र्ौदि क्रदि के िीतर तदिुिार, िंशोिि ििीं करता िै तो, उिे, यथासस्थसत, यथापपिोक्त
पटरिीसमत िमय के या ऐिे र्ौदि क्रदि के अििाि के पश्र्ात िंशोिि करिे के सलए तब तक अिुज्ञात ििीं क्रकया जाएगा जब तक क्रक
न्यायालय द्वारा िमय ि बढ़ाया जाए ।]
आदेश 7

िादपत्र
1. िादपत्र में अन्तर्िचष्ट की जािे िाली सिसशसष्टयां—िादपत्र में सिम्िसलसित सिसशसष्टयां िोंगी—
(क) उि न्यायालय का िाम सजिमें िाद लाया गया िै;
(ि) िादी का िाम, िर्चि और सििाि-स्थाि;
(ग) जिां तक असिसिसश्र्त क्रकए जा िके , प्रसतिादी का िाम, िर्चि और सििाि-स्थाि;
(घ) जिां िादी या प्रसतिादी अियस्क या सिकृ त-सर्त्त व्यसक्त िै ििां उि िाि का कथि;
(ङ) िे तथ्य सजििे िाद-िेतुक गटठत िै और िि कब पैदा हुआ;
(र्) यि दर्शचत करिे िाले तथ्य क्रक न्यायालय को असिकाटरता िै;
(छ) िि अिुतोष सजिका िादी दािा करता िै;
(ज) जिां िादी िे कोई मुजरा अिुज्ञात क्रकया िै या अपिे दािे का कोई िाग त्याग क्रदया िै ििां ऐिी अिुज्ञात की
गई या त्यागी गई रकम; तथा
(झ) असिकाटरता के और न्यायालय-फीि के प्रयोजिों के सलए िाद की सिषय-िस्तु के मपल्य का ऐिा कथि उि
मामले में क्रकया जा िकता िै ।
2. िि के िादों में—जिां िादी िि की ििपली र्ािता िै ििां दािा की गई ठीक रकम िादपत्र में कसथत की जाएगी :
क्रकन्तु जिां िादी अन्त:कालीि लािों के सलए या ऐिी रकम के सलए जो उिके और प्रसतिादी के बीर् सििाब क्रकए जािे पर
उिको शोध्य पाई जाए, 2[या प्रसतिादी के कब्जे में की जंगम िस्तुओं के सलए या ऐिे ऋर्ों के सलए सजिका मपल्य िि युसक्तयुक्त
तत्परता िे िी प्राक्कसलत ििीं कर िकता िै, िाद लाता िै ििां दािाकृ त रकम या मपल्य िादपत्र में लगिग मात्रा में कसथत
क्रकया जाएगा] ।
[2क. जिां िाद में ब्याज ईसप्ित िै—(1) जिां िादी ब्याज की ईप्िा करता िै, ििां िादपत्र में उपसियम (2) और उपसियम
3

(3) के अिीि उपिर्र्चत ब्यौरे के िाथ उि प्रिाि का एक कथि अंतर्िचष्ट क्रकया जाएगा ।
(2) जिां िादी ब्याज की ईप्िा करता िै, ििां िादपत्र में यि कथि क्रकया जाएगा क्रक क्या िादी सिसिल प्रक्रिया िंसिता,
1908 (1908 का 5) की िारा 34 के अथाचन्तगचत क्रकिी िासर्सज्यक िंव्यििार के िंबंि में ब्याज की ईप्िा कर रिा िै और इिके
असतटरक्त, यक्रद िादी, ऐिा क्रकिी िंसिदा के सिबंििों के अिीि या क्रकिी असिसियम के अिीि कर रिा िै , तो उि दशा में िादपत्र में
उि असिसियम को सिसिर्दचष्ट क्रकया जाएगा या यक्रद िि ऐिा क्रकिी अन्य आिार पर कर रिा िै तो उि आिार का कथि क्रकया
जाएगा ।
(3) असििर्िों में सिम्िसलसित का िी कथि क्रकया जाएगा,—
(क) ऐिी दर, सजि पर ब्याज का दािा क्रकया गया िै;

1
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 7 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 17 और 18 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 57 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा अंत:स्थासपत ।
84

(ि) ऐिी तारीि, सजििे उिका दािा क्रकया गया िै;


(ग) ऐिी तारीि, सजिको उिकी िंगर्िा की गई िै;
(घ) िंगर्िा की तारीि को दािा क्रकए गए ब्याज की कु ल रकम; और

(ङ) दैसिक दर, सजि पर उि तारीि के पश्र्ात ब्याज प्रोद्िपत िोता िै ।]

3. जिां िाद की सिषय-िस्तु स्थािर िम्पसत्त िै—जिां िाद की सिषय-िस्तु स्थािर िम्पसत्त िै ििां िादपत्र में िम्पसत्त का
ऐिा िर्चि िोगा जो उिकी पिर्ाि करािे के सलए पयाचप्त िै और उि दशा में सजिमें ऐिी िम्पसत्त की पिर्ाि िप-व्यिस्थापि या
ििेिर् िंबंिी असिलेि में की िीमाओं या िंखयांकों द्वारा की जा िकती िै, िादपत्र में ऐिी िीमाएं या िंखयांक सिसिर्दचष्ट िोंगे ।
4. जब िादी प्रसतसिसि के रूप में िाद लाता िै —जिां िादी प्रसतसिसि की िैसियत में िाद लाता िै ििां िादपत्र में ि के िल
यि दर्शचत िोगा क्रक उिका सिषय-िस्तु में िास्तसिक सिद्यमाि सित िै, िरि यि िी दर्शचत िोगा क्रक उििे िम्पृक्त िाद के िंसस्थत
करिे के सलए उिको िमथच बिािे के सलए आिश्यक कदम (यक्रद कोई िो) िि उठा र्ुका िै ।
5. प्रसतिादी के सित और दासयत्ि का दर्शचत क्रकया जािा—िादपत्र में यि दर्शचत क्रकया जाएगा क्रक प्रसतिादी सिषय-िस्तु में
सित रिता िै या रििे का दािा करता िै और िि िादी की मांग का उत्तर देिे के सलए अपेसित क्रकए जािे का दायी िै ।
6. पटरिीमा सिसि िे छप ट के आिार—जिां िाद पटरिीमा सिसि द्वारा सिसित अिसि के अििाि के पश्र्ात िंसस्थत क्रकया
जाता िै ििां िादपत्र में िि आिार दर्शचत क्रकया जाएगा सजि पर ऐिी सिसि िे छप ट पािे का दािा क्रकया गया िै :
[परन्तु न्यायालय िादी को िाद में ि क्रदए गए क्रकिी आिार पर, यक्रद ऐिा आिार िाद में उपिर्र्चत आिारों िे अिंगत ििीं
1

िै तो पटरिीमा सिसि िे छप ट का दािा करिे की अिुमसत दे िके गा ।]


7. अिुतोष का सिसिर्दचष्ट रूप िे कथि—िर िादपत्र में उि अिुतोष का सिसिर्दचष्ट रूप िे कथि िोगा सजिके सलए िादी
िामान्यत: या अिुकल्पत: दािा करता िै और यि आिश्यक ििीं िोगा क्रक ऐिा कोई िािारर् या अन्य अिुतोष मांगा जाए, जो
न्यायालय न्यायिंगत िमझे जो ििचदा िी उिी सिस्तार तक ऐिे क्रदया जा िके गा मािो िि मांगा गया िो, और यिी सियम प्रसतिादी
द्वारा अपिे सलसित कथि में दािा क्रकए गए क्रकिी अिुतोष को िी लागप िोगा ।
8. पृथक आिारों पर आिाटरत अिुतोष—जिां िादी कई िुसिन्ि दािों या िाद-िेतुकों के बारे में जो पृथक और िुसिन्ि
आिारों पर आिाटरत िै, अिुतोष र्ािता िै ििां िे जिां तक िो िके पृथकत: और िुसिन्ित: कसथत क्रकए जाएंगे ।
2
[9. िादपत्र ग्रिर् करिे पर प्रक्रिया—जिां न्यायालय यि आदेश करता िै क्रक प्रसतिाक्रदयों पर िमिों की तामील आदेश 5 के
सियम 9 में उपबंसित रीसत िे की जाए ििां िि, िादी को ऐिे आदेश की तारीि िे िात क्रदि के िीतर िादा कागज पर िाद पत्र की
उतिी प्रसतयां, सजतिे क्रक प्रसतिादी िैं, प्रसतिाक्रदयों पर िमिों की तामील के सलए अपेसित फीि के िाथ प्रस्तु त करिे का सिदेश
दे िके गा ।]
10. िादपत्र का लौटाया जािा—(1) 4[सियम 10क के उपबन्िों के अिीि रिते हुए, िादपत्र] िाद के क्रकिी िी प्रिम में उि
3

न्यायालय में उपसस्थत क्रकए जािे के सलए लौटा क्रदया जाएगा सजिमें िाद िंसस्थत क्रकया जािा र्ासिए था ।
[स्पष्टीकरर्—शंकाओं को दपर करिे के सलए इिके द्वारा यि घोसषत क्रकया जाता िै क्रक अपील या पुिरीिर् न्यायालय, िाद
5

में पाटरत सडिी को अपास्त करिे के पश्र्ात, इि उपसियम के अिीि िादपत्र के लौटाए जािे का सिदेश दे िके गा ।]
(2) िादपत्र के लौटाए जािे पर प्रक्रिया—न्यायािीश िादपत्र के लौटाए जािे पर, उि पर उिके उपसस्थत क्रकए जािे की और
लौआए जािे की तारीि, उपसस्थत करिे िाले पिकार का िाम और उिके लौटाए जािे के कारर्ों का िंसिप्त कथि पृष्ठांक्रकत करे गा ।
[10क. जिां िादपत्र उिके लौटाए जािे के पश्र्ात फाइल क्रकया जािा िै ििां न्यायालय में उपिंजासत के सलए तारीि सियत
5

करिे की न्यायालय की शसक्त—(1) जिां क्रकिी िाद में प्रसतिादी के उपिंजात िोिे के पश्र्ात न्यायालय की यि राय िै क्रक िादपत्र
लौटाया जािा र्ासिए ििां िि ऐिा करिे के पपिच िादी को अपिे सिसिश्र्य की िपर्िा देगा ।
(2) जिां िादी को उपसियम (1) के अिीि िपर्िा दी गई िो ििां िादी न्यायालय िे—
(क) उि न्यायालय को सिसिर्दचष्ट करते हुए सजिमें िि िादपत्र के लौटाए जािे के पश्र्ात प्रस्तुत करिे की
प्रस्थापिा करता िै,
(ि) यि प्राथचिा करते हुए क्रक न्यायालय उक्त न्यायालय में पिकारों की उपिंजासत के सलए तारीि सियत
करे , और

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 57 द्वारा (1-2-1977 िे) जोडा गया ।
2
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 8 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 9 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
यि सियम छोटा िागपुर टेिेन्िी ऐक्ट, 1908 ( 1908 का बंगाल असिसियम िं० 6) की िारा 265 के अिीि िाटक की ििपली के सलए िाद को लागप क्रकया गया िै ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 57 द्वारा (1-7-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 57 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
85

(ग) यि अिुरोि करते हुए क्रक इि प्रकार सियत तारीि की िपर्िा उिे और प्रसतिादी को दी जाए, आिेदि
कर िके गा ।
(3) जिां िादी द्वारा उपसियम (2) के अिीि आिेदि क्रकया जाता िै ििां न्यायालय िादपत्र लौटाए जािे के पपिच और इि बात
के िोते हुए िी क्रक उिके द्वारा िादपत्र के लौटाए जािे का आदेश इि आिार पर क्रकया गया था क्रक उिे िाद का सिर्ारर् करिे की
असिकाटरता ििीं थी,—
(क) उि न्यायालय में सजिमें िादपत्र के उपसस्थत क्रकए जािे की प्रस्थापिा िै, पिकारों की उपिंजासत के सलए
तारीि सियत करे गा, और
(ि) उपिंजासत की ऐिी तारीि की िपर्िा िादी और प्रसतिादी को देगा ।
(4) जिां उपसियम (3) के अिीि उपिंजासत की तारीि की िपर्िा दी जाती िै ििां—
(क) उि न्यायालय के सलए सजिमें िादपत्र उिके लौटाए जािे के पश्र्ात उपसस्थत क्रकया जाता िै, तब तक यि
आिश्यक ििीं िोगा क्रक िि बाद में उपिंजासत के सलए िमि प्रसतिादी पर तामील करे , जब तक क्रक िि न्यायालय,
असिसलसित क्रकए जािे िाले कारर्ों िे, अन्यथा सिदेश ि दे, और
(ि) उक्त िपर्िा, उि न्यायालय में सजिमें िादपत्र को लौटािे िाले न्यायालय द्वारा इि प्रकार सियत तारीि को
िादपत्र उपसस्थत क्रकया जाता िै, प्रसतिादी की उपिंजासत के सलए िमि िमझी जाएगी ।
(5) जिां न्यायालय िादी द्वारा उपसियम (2) के अिीि क्रकए गए आिेदि को मंजपर कर लेता िै ििां िादी िादपत्र लौटाए
जािे के आदेश के सिरुद्ध अपील करिे का िकदार ििीं िोगा ।
10ि. िमुसर्त न्यायालय को िाद अन्तटरत करिे की अपील न्यायालय की शसक्त—(1) जिां िादपत्र के लौटाए जािे के
आदेश के सिरुद्ध अपील में अपील की िुििाई करिे िाला न्यायालय ऐिे आदेश की पुसष्ट करता िै ििां अपील न्यायालय, यक्रद िादी
आिेदि द्वारा ऐिी िांछा करे तो िादपत्र लौटाते िमय िादी को यि सिदेश दे िके गा क्रक िि िादपत्र को उि न्यायालय में सजिमें िाद
िंसस्थत क्रकया जािा र्ासिए था (र्ािे ऐिा न्यायालय उि राज्य के िीतर िो या बािर सजिमें अपील की िुििाई करिे िाला न्यायालय
सस्थत िै), पटरिीमा असिसियम, 1963 (1963 का 36) के उपबन्िों के अिीि रिते हुए, फाइल करे और उि न्यायालय में सजिमें िादपत्र
फाइल क्रकए जािे का सिदेश क्रदया जाता िै, पिकारों की उपिंजासत के सलए तारीि सियत कर िके गा और जब इि प्रकार तारीि सियत
कर दी जाती िै तब उि न्यायालय के सलए सजिमें िादपत्र फाइल क्रकया गया िै, िाद में उपिंजासत के सलए िमि प्रसतिादी पर तामील
करिा तब तक आिश्यक ििीं िोगा जब तक क्रक िि न्यायालय सजिमें िादपत्र फाइल क्रकया गया िै, असिसलसित क्रकए जािे िाले
कारर्ों िे, अन्यथा सिदेश ि दे ।
(2) न्यायालय द्वारा उपसियम (1) के अिीि क्रकए गए क्रकिी सिदेश िे पिकारों के उि असिकारों पर प्रसतकप ल प्रिाि ििीं
पडेे़गा जो उि न्यायालय की सजिमें िादपत्र फाइल क्रकया गया िै िाद का सिर्ारर् करिे की असिकाटरता को प्रश्िगत करिे के
िंबंि में िैं ।]
11. िादपत्र का िामंजरप क्रकया जािा—िादपत्र सिम्िसलसित दशाओं में िामंजपर कर क्रदया जाएगा—
(क) जिां िि िाद-िेतुक प्रकट ििीं करता िै;
(ि) जिां दािाकृ त अिुतोष का मपल्यांकि कम क्रकया गया िै और िादी मपल्यांकि को ठीक करिे के सलए न्यायालय
द्वारा अपेसित क्रकए जािे पर उि िमय के िीतर जो न्यायालय िे सियत क्रकया िै, ऐिा करिे में अिफल रिता िै;
(ग) जिां दािाकृ त अिुतोष का मपल्यांकि ठीक िै क्रकन्तु िादपत्र अपयाचप्त स्टाम्प-पत्र पर सलिा गया िै और िादी
अपेसित स्टाम्प-पत्र के देिे के सलए न्यायालय द्वारा अपेसित क्रकए जािे पर उि िमय के िीतर, जो न्यायालय िे सियत क्रकया
िै, ऐिा करिे में अिफल रिता िै;
(घ) जिां िादपत्र में के कथि िे यि प्रतीत िोता िै क्रक िाद क्रकिी सिसि द्वारा िर्जचत िै;
1
[(ङ) जिां यि दो प्रसतयों में फाइल ििीं क्रकया जाता िै;]
2
[(र्) जिां िादी सियम 9 के उपबंिों का अिुपालि करिे में अिफल रिता िै :]
3[परन्तु
मपल्यांकि की शुसद्ध के सलए या अपेसित स्टाम्प-पत्र के देिे के सलए न्यायालय द्वारा सियत िमय तब तक ििीं बढ़ाया
जाएगा जब तक क्रक न्यायालय का, असिसलसित क्रकए जािे िाले कारर्ों िे यि िमािाि ििीं िो जाता िै क्रक िादी क्रकिी अिािारर्
कारर् िे, न्यायालय द्वारा सियत िमय के िीतर, यथासस्थसत, मपल्यांकि की शुसद्ध करिे या अपेसित स्टाम्प-पत्र के देिे िे रोक क्रदया गया
था और ऐिे िमय के बढ़ािे िे इं कार क्रकए जािे िे िादी के प्रसत गंिीर अन्याय िोगा ।]

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 17 द्वारा (1-7-2002 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 8 द्वारा (1-7-2002 िे) उपिंड (र्) और (छ) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 57 द्वारा (1-2-1977 िे) जोडा गया ।
86

12. िादपत्र के िामंजरप क्रकए जािे पर प्रक्रिया—जिां िादपत्र िामंजपर क्रकया जाता िै ििां न्यायालय इि िाि का आदेश
कारर्ों िसित असिलसित करे गा ।
13. जिां िादपत्र की िामंजरप ी िे िए िादपत्र का उपसस्थत क्रकया जािा प्रिाटरत ििीं िोता—इिमें इिके पपिच िर्र्चत आिारों
में िे क्रकिी पर िी िादपत्र के िामंजपर क्रकए जािे पर के िल िामंजपरी के िी कारर् िादी उिी िाद-िेतुक के बारे में िया िादपत्र
उपसस्थत करिे िे प्रिाटरत ििीं िो जाएगा ।
िे दस्तािेजें सजि पर िादपत्र में सििचर क्रकया गया िै
1
[14. उि दस्तािेजों की प्रस्तुसत सजि पर िादी िाद लाता िै या सििचर करता िै —(1) जिां िादी क्रकिी दस्तािेज के आिार
पर िाद लाता िै या अपिे दािे के िमथचि में अपिे कब्जे या शसक्त में की दस्तािेज पर सििचर करता िै ििां िि उि दस्तािेजों को एक
िपर्ी में प्रसिष्ट करे गा और उिके द्वारा िादपत्र उपसस्थत क्रकए जािे के िमय िि उिे न्यायालय में पेश करे गा और उिी िमय दस्तािेज
और उिकी प्रसत को िादपत्र के िाथ फाइल क्रकए जािे के सलए पटरदत्त करे गा ।
(2) जिां ऐिी कोई दस्तािेज िादी के कब्जे या शसक्त में ििीं िै ििां िि जिां तक िंिि िो िके यि कथि करे गा क्रक िि
क्रकिके कब्जे में या शसक्त में िै ।
[(3) ऐिा दस्तािेज सजिे िादी द्वारा न्यायालय में तब प्रस्तुत क्रकया जािा र्ासिए जब िादपत्र प्रस्तु त क्रकया जाता िै, या
2

िादपत्र में जोडी जािे िाली या उपाबद्ध की जािे िाली िपर्ी में प्रसिष्ट क्रकया जािा िै, ककं तु तदिुिार, प्रस्तुत या प्रसिष्ट ििीं क्रकया
जाता िै तो उिे न्यायालय की अिुमसत के सबिा िाद की िुििाई के िमय उिकी ओर िे िाक्ष्य में ग्रिर् ििीं क्रकया जाएगा ।
(4) इि सियम की कोई बात ऐिी दस्तािेजों को लागप ििीं िोगी जो िादी के िासियों की प्रसतपरीिा के सलए पेश क्रकए गए
िों या क्रकिी िािी को के िल उिकी स्मृसत को ताजा करिे के सलए क्रदए गए िों ।]
15. [दस्तािेजें िादी के कब्जे या शसक्त में ि िोिे की दशा में कथि]—1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 17 द्वारा (1-7-
2002 िे) लोप क्रकया गया ।
16. िोई हुई परिाम्य सलितों के आिार पर िाद—जिां िाद परिाम्य सलित पर आिाटरत िै और यि िासबत कर क्रदया
जाता िै क्रक सलित िो गई िै और िादी ऐिी सलित पर आिाटरत क्रकिी अन्य व्यसक्त के दािों के सलए िसतपपर्तच, न्यायालय को
िमािािप्रद रूप में कर देता िै ििां न्यायालय ऐिी सडिी पाटरत कर िके गा जो िि पाटरत करता यक्रद िादी िे उि िमय जब िादपत्र
उपसस्थत क्रकया गया था, उि सलित को पेश क्रकया िोता और उि सलित की प्रसत िादपत्र के िाथ फाइल क्रकए जािे के सलए उिी िमय
पटरदत्त कर दी िोती ।
17. दुकाि का बिी िाता पेश करिा—(1) ििां तक के सििाय जिां तक क्रक बैंककार बिी िाक्ष्य असिसियम, 1891 (1891
का 18) द्वारा अन्यथा उपबसन्ित िै, उि दशा में सजिमें क्रक िि दस्तािेज सजिके आिार पर िादी िाद लाता िै, दुकाि के बिी िाते या
अन्य लेिे में की जो उिके अपिे कब्जे या शसक्त में िै, प्रसिसष्ट िै, िादी उि प्रसिसष्ट की सजि पर िि सििचर करता िै, प्रसत के िसित उि
बिी िाते या लेिे को िादपत्र के फाइल क्रकए जािे के िमय पेश करे गा ।
(2) मपल प्रसिसष्ट का सर्न्िांक्रकत क्रकया जािा और लौटाया जािा—न्यायालय या ऐिा असिकारी सजिे िि इि सिसमत्त
सियुक्त करे तत्िर् दस्तािेज को उिकी पिर्ाि के प्रयोजि के सलए सर्न्िांक्रकत करे गा और प्रसत की परीिा और मपल िे तुलिा करिे के
पश्र्ात यक्रद िि ििी पाई जाए तो यि प्रमासर्त करे गा क्रक िि ऐिी िै और बिी िाता िादी को लौटाएगा और प्रसत को फाइल
कराएगा ।
18. [िादपत्र फाइल करते िमय ि पेश की गई दस्तािेज की अग्राह्यता ।]—2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 8 द्वारा
(1-7-2002 िे) लोप क्रकया गया ।
आदेश 8
3
[सलसित कथि, मुजरा और प्रसतदािा]
सलसित कथि—प्रसतिादी, उि पर िमि तामील क्रकए जािे की तारीि िे तीि क्रदि के िीतर, अपिी प्रसतरिा का
4[1.

सलसित कथि प्रस्तुत करे गा :]


[परं तु जिां प्रसतिादी तीि क्रदि की उक्त अिसि के िीतर सलसित कथि फाइल करिे में अिफल रिता िै ििां उिे ऐिे क्रकिी
5

अन्य क्रदि को सलसित कथि फाइल करिे के सलए अिुज्ञात क्रकया जाएगा जो न्यायालय द्वारा, उिके कारर्ों को लेिबद्ध करके और ऐिे
िर्ों का, जो न्यायालय ठीक िमझे, िंदाय करिे पर सिसिर्दचष्ट क्रकया जाए, ककं तु जो िमि के तामील की तारीि िे एक िौ बीि क्रदि

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 17 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 14 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 8 द्वारा (1-7-2002 िे) उपसियम (3) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 58 द्वारा (1-7-1977 िे) पपिि च ती शीषच के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 9 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 1 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा प्रसतस्थासपत ।
87

के बाद का ििीं िोगा और िमि की तामील की तारीि िे एक िौ बीि क्रदि की िमासप्त पर प्रसतिादी सलसित कथि फाइल करिे का
असिकार िो देगा और न्यायालय सलसित कथि असिलेि पर लेिे के सलए अिुज्ञात ििीं करे गा ।]
1
[1क. प्रसतिादी को िे दस्तािेज पेश करिे का कतचव्य सजि पर उिके द्वारा अिुतोष का दािा क्रकया गया िै या सििचर क्रकया
गया िै—(1) जिां प्रसतिादी अपिी प्रसतरिा का आिार क्रकिी ऐिे दस्तािेज को बिाता िै या मुजरा या प्रसतदािा के सलए अपिी
प्रसतरिा या दािे का िमथचि क्रकिी ऐिे दस्तािेज पर सििचर करता िै जो उिके कब्जे या शसक्त में िै, ििां िि ऐिे दस्तािेज को िपर्ी में
प्रसिष्ट करे गा और उिे िि उिके द्वारा सलसित कथि उपस्थासपत क्रकए जािे के िमय न्यायालय में पेश करे गा उिी िमय दस्तािेज और
उिकी एक प्रसत िि सलसित कथि के िाथ फाइल क्रकए जािे के सलए पटरदत्त करे गा ।
(2) जिां ऐिी कोई दस्तािेज प्रसतिादी के कब्जे या शसक्त में ििीं िै, ििां िि, जिां तक िंिि िो िके यि कथि करे गा क्रक
िि क्रकिके कब्जे में या शसक्त में िै ।
2
[(3) ऐिा दस्तािेज सजिे इि सियम के अिीि प्रसतिादी द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत क्रकया जािा र्ासिए, क्रकन्तु इि
प्रकार प्रस्तुत ििीं क्रकया जाता िै, न्यायालय की इजाजत के सबिा, िाद की िुििाई के िमय उिकी ओर िे िाक्ष्य में ग्रिर् ििीं
क्रकया जाएगा ।]
(4) इि सियम की कोई बात ऐिे दस्तािेजों को लागप ििीं िोंगी जो—
(क) िादी के िासियों की प्रसतपरीिा के सलए पेश क्रकए जाएं ; या
(ि) िािी को के िल अपिी स्मृसत ताजा करिे के सलए िौंपे जाएं ।]
2. िए तथ्यों का सिशेष रूप िे असििर्ि करिा िोगा—प्रसतिादी को अपिे असििर्ि द्वारा िे िब बातें उठािी िोंगी सजििे
यि दर्शचत िोता िै क्रक िाद या सिसि की दृसष्ट िे िि िंव्यििार शपन्य िै या शपन्यकरर्ीय िै और प्रसतरिा के िब ऐिे आिार उठािे िोंगे
जो ऐिे िैं क्रक यक्रद िे ि उठाए गए तो यि िंिाव्य िै क्रक उिके िििा िामिे आिे िे सिरोिी पिकार र्क्रकत िो जाएगा या सजििे तथ्य
के ऐिे सििाद्यक पैदा िो जाएंगे जो िादपत्र िे पैदा ििीं िोते िैं । उदािरर्ाथच कपट, पटरिीमा, सिमुसच क्त, िंदाय, पालि या अिैिता
दर्शचत करिे िाले तथ्य ।
3. प्रत्याखयाि सिसिर्दचष्टत: िोगा—प्रसतिादी के सलए यि पयाचप्त ििीं िोगा क्रक िि अपिे सलसित कथि में उि आिारों का
िािारर्त: प्रत्याखयाि कर दे जो िादी द्वारा असिकसथत िैं, क्रकन्तु प्रसतिादी के सलए यि आिश्यक िै क्रक िि िुकिािी के सििाय ऐिे
तथ्य िंबंिी िर एक असिकथि का सिसिर्दचष्टत: सििेर्ि करे सजिकी ित्यता िि स्िीकार ििीं करता िै ।
[3क. उच्र् न्यायालय के िासर्सज्यक प्रिाग का िासर्सज्यक न्यायालय के िमि िादों में प्रसतिादी द्वारा
3

प्रत्याखयाि—(1) इि सियम के उपसियम (2), उपसियम (3), उपसियम (4) और उपसियम (5) में उपबंसित रीसत िे प्रत्याखयाि क्रकया
जाएगा ।
(2) प्रसतिादी अपिे सलसित कथि में यि कथि करे गा क्रक िादपत्र की सिसशसष्टयों में क्रकि असिकथिों का िि प्रत्याखयाि
करता िै, क्रकि असिकथिों को िि स्िीकार करिे या उिका प्रत्याखयाि करिे में अिमथच िै ककं तु सजिको िि िादी िे िासबत करिे की
अपेिा करता िै और क्रकि असिकथिों को िि स्िीकार करता िै ।
(3) जिां प्रसतिादी िादपत्र में के तथ्य के क्रकिी असिकथि का प्रत्याखयाि करता िै, ििां उिे ऐिा करिे के अपिे कारर्ों का
कथि करिा िोगा और यक्रद उिका आशय िादी द्वारा जो घटिाओं का सििरर् क्रदया गया िै, उििे सिन्ि सििरर् पेश करिे का िै तो
उिे अपिे स्ियं के सििरर् का कथि करिा िोगा ।
(4) यक्रद प्रसतिादी न्यायालय की असिकाटरता के प्रसत सििाद करता िै तो उिे ऐिा करिे के कारर्ों का कथि करिा िोगा
और यक्रद िि िमथच िै तो इि बारे में उिे अपिा स्ियं का कथि करिा िोगा क्रक क्रकि न्यायालय की असिकाटरता िोिी र्ासिए ।
(5) यक्रद प्रसतिादी िादी के िाद के मपल्यांकि के प्रसत सििाद करता िै तो उिे ऐिा करिे के कारर्ों का कथि करिा िोगा और
यक्रद िि िमथच िै तो उिे िाद के मपल्य के बारे में अपिा स्ियं का कथि करिा िोगा ।]
4. िाग्छलपपर्च प्रत्याखयाि—जिां प्रसतिादी िाद में के क्रकिी तथ्य के असिकथि का प्रत्याखयाि करता िै ििां उिे िैिा
िाग्छलपपर्च तौर पर ििीं करिा र्ासिए, िरि िार की बात का उत्तर देिा र्ासिए । उदािरर्ाथच, यक्रद यि असिकसथत क्रकया जाता िै क्रक
उििे एक सिसश्र्त िि की रासश प्राप्त की तो यि प्रत्याखयाि क्रक उििे िि सिसशष्ट रासश प्राप्त ििीं की पयाचप्त ििीं िोगा िरि उिे
यि र्ासिए क्रक िि प्रत्याखयाि करे क्रक उििे िि रासश या उिका कोई िाग प्राप्त ििीं क्रकया या क्रफर यि उपिर्र्चत करिा र्ासिए क्रक
उििे क्रकतिी रासश प्राप्त की और यक्रद असिकथि सिसिन्ि पटरसस्थसतयों िसित क्रकया गया िै तो उि पटरसस्थसतयों िसित उि
असिकथि का प्रत्याखयाि कर देिा पयाचप्त ििीं िोगा ।

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 18 द्वारा (1-7-2002 िे) अंत:स्थासपत ।
2
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 9 द्वारा (1-7-2002 िे) उपसियम (3) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा अंत:स्थासपत ।
88

5. सिसिर्दचष्टत: प्रत्याखयाि—1[(1)] यक्रद िादपत्र में के तथ्य िंबंिी िर असिकथि का सिसिर्दचष्टत: यि आिश्यक सिििा िे
प्रत्याखयाि ििीं क्रकया जाता िै या प्रसतिादी के असििर्ि में यि कथि क्रक िि स्िीकार ििीं क्रकया जाता तो जिां तक सियोग्यतािीि
व्यसक्त को छोडकर क्रकिी अन्य व्यसक्त का िम्बन्ि िै िि स्िीकार कर सलया गया मािा जाएगा :
परन्तु ऐिे स्िीकार क्रकए गए क्रकिी िी तथ्य के ऐिी स्िीकृ सत के अलािा अन्य प्रकार िे िासबत क्रकए जािे की अपेिा
न्यायालय स्िसििेकािुिार कर िके गा :
[परं तु यि और क्रक िादपत्र में तथ्य के प्रत्येक असिकथि को, यक्रद इि आदेश के सियम 3क के अिीि उपबंसित रीसत िे
2

उिका प्रत्याखयाि ििीं क्रकया जाता िै, तो सियोग्यता के अिीि के क्रकिी व्यसक्त के सिरुद्ध असिकथि िोिे के सििाय, स्िीकार क्रकया
जािे िाला मािा जाएगा ।]
[(2) जिां प्रसतिादी िे असििर्ि फाइल ििीं क्रकया िै ििां न्यायालय के सलए िादपत्र में अन्तर्िचष्ट तथ्यों के आिार पर
3

सिर्चय िुिािा, जिां तक सियोग्यतािीि व्यसक्त को छोडकर क्रकिी अन्य व्यसक्त का िम्बन्ि िै, सिसिपपर्च िोगा, क्रकन्तु न्यायालय क्रकिी
ऐिे तथ्य को िासबत क्रकए जािे की अपेिा स्िसििेकािुिार कर िके गा ।
(3) न्यायालय उपसियम (1) के परन्तुक के अिीि या उपसियम (2) के अिीि अपिे सििेकासिकार का प्रयोग करिे में इि
तथ्य पर िम्यक ध्याि देगा क्रक क्या िादी क्रकिी प्लीडर को सियुक्त कर िकता था या उििे क्रकिी प्लीडर को सियुक्त क्रकया िै ।
(4) इि सियम के अिीि जब किी सिर्चय िुिाया जाता िै तब ऐिे सिर्चय के अिुिार सडिी तैयार की जाएगी और ऐिी सडिी
पर ििी तारीि दी जाएगी सजि तारीि को सिर्चय िुिाया गया था ।]
6. मुजरा की सिसशसष्टयां सलसित कथि में दी जाएंगी—(1) जिां तक िि की ििपली के िाद में प्रसतिादी न्यायालय की
असिकाटरता की िि-िंबंिी िीमाओं िे अिसिक िि की कोई असिसिसश्र्त रासश जो िि िादी िे िैि रूप िे ििपल कर िकता िै िादी
की मांग के सिरुद्ध मुजरा करिे का दािा करता िै और दोिों पिकार ििी िैसियत रिते िैं जो िादी के िाद में उिकी िै ििां प्रसतिादी
मुजरा के सलए र्ािी गई ऋर् की सिसशसष्टयां देते हुए सलसित कथि िाद की पिली िुििाई पर उपसस्थत कर िके गा, क्रकन्तु उिके
पश्र्ात तब तक उपसस्थत ििीं कर िके गा जब तक क्रक न्यायालय द्वारा उिे अिुज्ञा ि दे दी गई िो ।
मुजरा का प्रिाि—(2) सलसित कथि का प्रिाि प्रतीपिाद में के िादपत्र के प्रिाि के िमाि िी िोगा सजिे न्यायालय मपल
दािे और मुजरा दोिों के िम्बन्ि में असन्तम सिर्चय िुिािे के सलए िमथच िो जाए, क्रकन्तु सडिीत रकम पर प्लीडर को सडिी के अिीि
देय िर्ों के बारे में उिके िारर्ासिकार पर इििे प्रिाि ििीं पडेगा ।
(3) प्रसतिादी द्वारा क्रदए गए सलसित कथि िम्बन्िी सियम मुजरा के दािे के उत्तर में क्रदए गए सलसित कथि को िी लागप
िोते िैं ।
दृष्टांत
(क) ि को क 2,000 रुपए ििीयत करता िै और ग को अपिा सिष्पादक और अिसशष्टीय ििीयतदार सियुक्त करता िै । ि
मर जाता िै और ि की र्ीजबस्त का प्रशािि पत्र घ प्राप्त करता िै । घ के प्रसतिप के रूप में ग 1,000 रुपए देता िै । तब ग पर ििीयत
के सलए घ िाद लाता िै । ग ििीयत के सिरुद्ध, 1,000 रुपए के ऋर् का मुजरा ििीं कर िकता क्योंक्रक ििीयत के िम्बन्ि में ि तो ग
और ि घ की िैिी िैसियत िै जैिी उिकी 1,000 रुपए के िंदाय के िम्बन्ि में िै ।
(ि) क सििचिीयती मर जाता िै । उि िमय िि ि के प्रसत ऋर्ी िै । क की र्ीजबस्त का प्रशािि पत्र ग प्राप्त करता िै और
ि र्ीजबस्त का िाग ग िे मोल लेता िै । ग के द्वारा ि के सिरुद्ध लाए गए िय िि के िाद में ि मपल्य के मुकाबले में ऋर् का मुजरा
ििीं कर िकता िै क्योंक्रक ग की दो िैसियतें िैं, एक तो ि के प्रसत सििे ता की िैसियत सजििे िि ि पर िाद लाता िै और दपिरी क के
प्रसतसिसि की िैसियत ।
(ग) ि पर सिसिमय-पत्र के आिार पर क िाद लाता िै । ि असिकथि करता िै क्रक क िे ि के माल का बीमा करािे में िदोष
उपेिा की िै और क उिे प्रसतकर देिे के सलए दायी िै, सजिकी मुजराई का दािा ि करता िै यि रकम असिसिसश्र्त ि िोिे िे मुजरा
ििीं की जा िकती ।
(घ) क 500 रुपए के सिसिमय-पत्र के आिार पर ि पर िाद लाता िै । क के सिरुद्ध 1,000 रुपए के सलए सिर्चय ि के पाि िै ।
ये दोिों दािे सिसश्र्त िि-िम्बन्िी मांगें िोिे िे मुजरा क्रकए जा िकें गे ।
(ङ) क असतर्ार की बाबत प्रसतकर के सलए ि पर िाद लाता िै । ि के पाि क का 1,000 रुपए का िर्ि-पत्र िै और ि यि
दािा करता िै क्रक यि रकम ऐिी क्रकिी रासश िे , जो िाद में क को असिसिर्ीत की जाए, मुजरा कर दी जाए । ि ऐिा कर िके गा,
क्योंक्रक जैिे िी क के िक में असिसिर्चय िो जाता िै िैिे िी दोिों रासशयां सिसश्र्त िि-िम्बन्िी मांगें िो जाती िैं ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 58 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 5 को उपसियम (1) के रूप में पुि:िंखयांक्रकत क्रकया गया ।
2
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा अंत:स्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 58 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
89

(र्) क और ि 1,000 रुपए के सलए ग के सिरुद्ध िाद लाते िैं । ग उि ऋर् को मुजरा ििीं कर िकता जो के िल क द्वारा उिे
शोध्य िै ।
(छ) ि और ग के सिरुद्ध 1,000 रुपए के सलए क िाद लाता िै । ि अपिे उि ऋर् का मुजरा ििीं कर िकता जो अके ले उिे
िी क िे शोध्य िै ।
(ज) क को ि और ग की िागीदारी फमच को 1,000 रुपए देिे िैं । ग को उत्तरजीिी छोडकर ि मर जाता िै । ग पर उिकी
पृथक िैसियत िे 1,500 रुपए के एक ऋर् के सलए क दािा लाता िै । ग 1,000 रुपए के ऋर् का मुजरा कर िके गा ।
[6क. प्रसतिादी द्वारा प्रसतदािा—(1) िाद में प्रसतिादी सियम 6 के अिीि मुजरा के असििर्ि के अपिे असिकार के
1

असतटरक्त िादी के दािे के सिरुद्ध प्रसतदािे के रूप में क्रकिी ऐिे असिकार या दािे को, जो िादी के सिरुद्ध प्रसतिादी को, िाद फाइल
क्रकए जािे के पपिच या पश्र्ात क्रकन्तु प्रसतिादी द्वारा अपिी प्रसतरिा पटरदत्त क्रकए जािे के पपिच या अपिी प्रसतरिा पटरदत्त क्रकए जािे के
सलए पटरिीसमत िमय का अििाि िो जािे के पपिच, क्रकिी िाद-िेतुक के बारे में प्रोद्िपत हुआ िो, उठा िके गा र्ािे ऐिा प्रसतदािा
िुकिािी के दािे के रूप में िो या ि िो :
परन्तु ऐिा प्रसतदािा न्यायालय की असिकाटरता की िि-िंबंिी िीमाओं िे असिक ििीं िोगा ।
(2) ऐिे प्रसतदािे का प्रिाि प्रसतिाद के प्रिाि के िमाि िी िोगा सजििे न्यायालय एक िी िाद में मपल दािे और प्रसतदािे
दोिों के िम्बन्ि में असन्तम सिर्चय िुिािे के सलए िमथच िो जाए ।
(3) िादी को इि बात की स्ितन्त्रता िोगी क्रक िि प्रसतिादी के प्रसतदािे के उत्तर में सलसित कथि ऐिी अिसि के िीतर जो
न्यायालय द्वारा सियत की जाए, फाइल करे ।
(4) प्रसतदािे को िादपत्र के रूप में मािा जाएगा और उिे ििी सियम लागप िोंगे जो िादपत्रों को लागप िोते िैं ।
6ि. प्रसतदािे का कथि क्रकया जािा—जिां कोई प्रसतिादी, प्रसतदािे के असिकार का िमथचि करिे िाले क्रकिी आिार पर
सििचर करता िै ििां िि अपिे सलसित कथि में यि सिसिर्दचष्टत: कथि करे गा क्रक िि ऐिा प्रसतदािे के रूप में कर रिा िै ।
6ग. प्रसतदािे का अपिजचि —जिां प्रसतिादी कोई प्रसतदािा उठाता िै और िादी यि दलील देता िै क्रक उिके द्वारा उठाए गए
दािे का सिपटारा प्रसतदािे के रूप में ििीं िरि स्ितंत्र िाद में क्रकया जािा र्ासिए, ििां िादी प्रसतदािे के िम्बन्ि में सििाद्यकों के तय
क्रकए जािे के पपिच क्रकिी िी िमय न्यायालय िे इि आदेश के सलए आिेदि कर िके गा क्रक ऐिे प्रसतदािे का अपिजचि क्रकया जाए और
न्यायालय ऐिे आिेदि की िुििाई करिे पर ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
6घ. िाद के बन्द कर क्रदए जािे का प्रिाि—यक्रद क्रकिी ऐिे मामले में सजिमें प्रसतिादी कोई प्रसतदािा उठाता िै , िादी का
िाद रोक क्रदया जाता िै, बन्द या िाटरज कर क्रदया जाता िै तो ऐिा िोिे पर िी प्रसतदािे पर कायचिािी की जा िके गी ।
6ङ. प्रसतदािे का उत्तर देिे में िादी द्वारा व्यसतिम—यक्रद िादी प्रसतिादी द्वारा क्रकए गए प्रसतदािे का उत्तर प्रस्तु त करिे में
व्यसतिम करता िै तो न्यायालय िादी के सिरुद्ध उि प्रसतदािे के िम्बन्ि में जो उिके सिरुद्ध क्रकया गया िै, सिर्चय िुिा िके गा या
प्रसतदािे के िम्बन्ि में ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
6र्. जिां प्रसतदािा िफल िोता िै ििां प्रसतिादी को अिुतोष—जिां क्रकिी िाद में िादी के दािे के सिरुद्ध प्रसतरिा के रूप में
मुजरा या प्रसतदािा सिद्ध कर क्रदया जाता िै और कोई ऐिा असतशेष पाया जाता िै जो, यथासस्थसत, िादी या प्रसतिादी को शोध्य िै
ििां न्यायालय ऐिे पिकार के पि में जो ऐिे असतशेष के सलए िकदार िो, सिर्चय दे िके गा ।
6छ. सलसित कथि िंबि ं ी सियमों का लागप िोिा—प्रसतिादी द्वारा क्रदए गए सलसित कथि िे िम्बसन्ित सियम प्रसतदािे के
उत्तर में फाइल क्रकए गए सलसित कथि को िी लागप िोंगे ।
7. पृथक आिारों पर आिाटरत प्रसतरिा या मुजरा—जिां प्रसतिादी पृथक और िुसिन्ि तथ्यों पर आिाटरत प्रसतरिा के या
मुजरा के 1[या प्रसतदािे के ] कई िुसिन्ि आिारों पर सििचर करता िै ििां उिका कथि जिां तक िो िके , पृथकत: और िुसिन्ित:
क्रकया जाएगा ।
8. प्रसतरिा का िया आिार—प्रसतरिा का कोई िी ऐिा आिार जो िाद के िंसस्थत क्रकए जािे के या मुजरा का दािा करिे
िाले सलसित कथि 1[या प्रसतदािे के ] के उपसस्थत क्रकए जािे के पश्र्ात पैदा हुआ िै, यथासस्थसत, प्रसतिादी या िादी द्वारा अपिे
सलसित कथि में उठाया जा िके गा ।
8क. [प्रसतिादी का उि दस्तािेजों को पेश करिे का कतचव्य सजिके आिार पर उििे अिुतोष का दािा क्रकया िै]—1999 के
असिसियम िं० 46 की िारा 18 द्वारा (1-7-2002 िे) लोप क्रकया गया ।
[9. पश्र्ातिती असििर्ि—प्रसतिादी के सलसित कथि के पश्र्ात कोई िी असििर्ि, जो मुजरा के या प्रसतदािे के सिरुद्ध
2

प्रसतरिा िे सिन्ि िो, न्यायालय की इजाजत िे िी और ऐिे सिबंििों पर, जो न्यायालय ठीक िमझे, उपसस्थत क्रकया जाएगा, अन्यथा

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 58 द्वारा (1-2-1977) िे अन्त:स्थासपत ।
2
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 9 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 9 और 10 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
90

ििीं, क्रकन्तु न्यायालय, पिकारों में क्रकिी िे िी सलसित कथि या असतटरक्त सलसित कथि क्रकिी िी िमय अपेसित कर िके गा और
उिे उपसस्थत करिे के सलए तीि क्रदि िे अिसिक का िमय सियत कर िके गा ।
10. जब न्यायालय द्वारा अपेसित सलसित कथि को उपसस्थत करिे में पिकार अिफल रिता िै तब प्रक्रिया—जिां ऐिा कोई
पिकार, सजििे सियम 1 या सियम 9 के अिीि सलसित कथि अपेसित िै, उिे, न्यायालय द्वारा, यथासस्थसत, अिुज्ञात या सियत िमय
के िीतर उपसस्थत करिे में अिफल रिता िै ििां न्यायालय, उिके सिरुद्ध सिर्चय िुिाएगा या िाद के िंबंि में ऐिा आदेश करे गा जो
िि ठीक िमझे और ऐिा सिर्चय िुिाए जािे के पश्र्ात सडिी तैयार की जाएगी ।]
[परं तु यि और क्रक कोई न्यायालय, सलसित कथि फाइल करिे के सलए इि आदेश के सियम 1 के अिीि उपबंसित िमय
1

बढ़ािे का आदेश ििीं करे गा ।]


आदेश 9

पिकारों की उपिंजासत और उिकी अिुपिंजासत का पटरर्ाम


1. पिकार उि क्रदि उपिंजात िोंगे जो प्रसतिादी के उपिंजात िोिे और उत्तर देिे के सलए िमि में सियत िै —जो क्रदि
प्रसतिादी के उपिंजात िोिे और उत्तर देिे के सलए िमि में सियत िै उि क्रदि पिकार स्ियं या अपिे-अपिे प्लीडरों द्वारा न्याय िदि में
िासजर रिेंगे और, तब के सििाय जबक्रक िुििाई न्यायालय द्वारा सियत क्रकिी िसिष्यिती क्रदि के सलए स्थसगत कर दी जाएगी िाद उि
क्रदि िुिा जाएगा ।
[2. जिां िमिों की तामील, िर्े देिे में िादी के अिफल रििे के पटरर्ामस्िरूप ििीं हुई िै ििां िाद का िाटरज क्रकया
2

जािा—जिां ऐिे सियत क्रदि को यि पाया जाए क्रक प्रसतिादी पर िमि की तामील इिसलए ििीं हुई िै क्रक न्यायालय फीि या डाक
मििपल, यक्रद कोई िो, जो ऐिी तामील के सलए प्रिायच िै, देिे में या आदेश 7 के सियम 9 द्वारा अपेसित िाद-पत्र की प्रसतयां उपसस्थत
करिे में िादी अिफल रिा िै ििां न्यायालय यि आदेश कर िके गा क्रक िाद िाटरज कर क्रदया जाए :
परं तु ऐिी अिफलता के िोते हुए िी, यक्रद प्रसतिादी उि क्रदि, जो उिके उपिंजात िोिे और उत्तर देिे के सलए सियत िै, स्ियं
या जब िि असिकताच के द्वारा उपिंजात िोिे के सलए अिुज्ञात िै, असिकताच के द्वारा उपिंजात िो जाता िै तो ऐिा कोई आदे श ििीं
क्रकया जाएगा ।]
3. जिां दोिों में िे कोई िी पिकार उपिंजात ििीं िोता िै ििां िाद का िाटरज क्रकया जािा—जिां िाद की िुििाई के
सलए पुकार िोिे पर दोिों में िे कोई िी पिकार उपिंजात ििीं िोता िै ििां न्यायालय यि आदेश दे िके गा क्रक िाद िाटरज कर
क्रदया जाए ।
4. िादी िया िाद ला िके गा या न्यायालय िाद को फाइल पर प्रत्यािर्तचत कर िके गा—जिां िाद सियम 2 या सियम 3 के
अिीि िाटरज कर क्रदया जाता िै ििां िादी िया िाद (पटरिीमा सिसि के अिीि रिते हुए) ला िके गा या िि उि िाटरजी को अपास्त
करािे के आदेश के सलए आिेदि कर िके गा और यक्रद िि न्यायालय का िमािाि कर देता िै क्रक 3[यथासस्थसत, सियम 2 में सिर्दचष्ट
अिफलता के सलए] या उिकी अपिी अिुपिंजासत के सलए पयाचप्त िेतुक था तो न्यायालय िाटरजी को अपास्त करिे के सलए आदेश
करे गा और िाद में आगे कायचिािी करिे के सलए क्रदि सियत करे गा ।
5. जिां िादी, िमि तामील के सबिा लौटािे के पश्र्ात एक माि तक िए िमि के सलए आिेदि करिे में अिफल रिता िै
ििां िाद का िाटरज क्रकया जािा—4[(1) जिां िमि प्रसतिादी या कई प्रसतिाक्रदयों में िे एक के िाम सिकाले जािे और तामील के सबिा
लौटाए जािे के पश्र्ात उि तारीि िे 5[िात क्रदि] की अिसि तक, सजिकी न्यायालय को उि असिकारी िे सििरर्ी दी िै, जो तामील
करिे िाले असिकाटरयों द्वारा दी जािे िाली सििरसर्यों को न्यायालय को मामपली तौर िे प्रमासर्त करता िै, िादी न्यायालय िे िए
िमि सिकालिे के सलए आिेदि करिे में अिफल रिता िै ििां न्यायालय यि आदेश करे गा क्रक िाद ऐिे प्रसतिादी के सिरुद्ध िाटरज कर
क्रदया जाए क्रकन्तु यक्रद िादी िे न्यायालय का यि िमािाि उक्त अिसि के िीतर कर क्रदया िै क्रक—
(क) सजि प्रसतिादी पर तामील ििीं हुई िै उिके सििाि-स्थाि का पता र्लािे में िि अपिे ििोत्तम प्रयाि करिे
के पश्र्ात अिफल रिा िै, अथिा
(ि) ऐिा प्रसतिादी आदेसशका की तामील िोिे देिे िे अपिे को बर्ा रिा िै, अथिा
(ग) िमय को बढ़ािे के सलए कोई अन्य पयाचप्त कारर् िै,
तो ऐिा आिेदि करिे के सलए िमय को न्यायालय इतिी असतटरक्त अिसि के सलए बढ़ा िके गा सजतिी िि ठीक िमझे ।]
(2) ऐिी दशा में िादी (पटरिीमा सिसि के अिीि रिते हुए) िया िाद ला िके गा ।

1
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा अंत:स्थासपत ।
2
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 10 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 2 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 59 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1920 के असिसियम िं० 24 की िारा 2 द्वारा उपसियम (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 19 द्वारा (1-7-2002 िे) “एक माि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
91

6. जब के िल िादी उपिंजात िोता िै तब प्रक्रिया(1) जिां िादी की िुििाई के सलए पुकार िोिे पर िादी उपिंजात िोता
िै और प्रसतिादी उपिंजात ििीं िोता िै ििां
जब िमि की तामील िम्यक रूप िे की गई िैयक्रद यि िासबत िो जाता िै क्रक िमि की तामील िम्यक
1[(क)

रूप िे की गई थी तो न्यायालय आदेश कर िके गा क्रक िाद की एकपिीय िुििाई की जाए ;]


(ि) जब िमि की तामील िम्यक रूप िे ििीं की गई िैयक्रद यि िासबत ििीं िोता िै क्रक िमि की तामील
िम्यक रूप िे की गई थी तो न्यायालय आदेश देगा क्रक दपिरा िमि सिकाला जाए और उिकी तामील प्रसतिादी पर
की जाए ;
(ग) जब िमि की तामील तो हुई क्रकन्तु िम्यक िमय में ििीं हुई िोयक्रद यि िासबत िो जाता िै क्रक िमि की
तामील तो प्रसतिादी पर हुई थी क्रकन्तु ऐिे िमय पर ििीं हुई थी क्रक िमि में सियत क्रदि को उपिंजात िोिे और उत्तर देिे
को उिे िमथच करिे के सलए उिे पयाचप्त िमय समल जाता, तो न्यायालय िाद की िुििाई को न्यायालय द्वारा सियत क्रकए
जािे िाले क्रकिी िसिष्यिती क्रदि के सलए मुल्तिी करे गा और सिदेश देगा क्रक ऐिे क्रदि की िपर्िा प्रसतिादी को दी जाए ।
(2) जिां िमि की िम्यक रूप िे तामील या पयाचप्त िमय के िीतर तामील िादी के व्यसतिम के कारर् ििीं हुई िै ििां
न्यायालय िादी को आदेश देगा क्रक मुल्तिी िोिे के कारर् िोिे िाले िर्ों को िि दे ।
7. जिां प्रसतिादी स्थसगत िुििाई के क्रदि उपिंजात िोता िै और पपिच अिुपिंजासत के सलए अच्छा िेतक ु क्रदिाता िै ििां
प्रक्रियाजिां न्यायालय िे एकपिीय रूप िे िाद की िुििाई स्थसगत कर दी िै और प्रसतिादी ऐिी िुििाई के क्रदि या पिले
उपिंजात िोता िै और अपिी पपिच अिुपिंजासत के सलए अच्छा िेतुक क्रदिाता िै ििां ऐिे सिबन्ििों पर, जो न्यायालय िर्ों और अन्य
बातों के बारे में सिक्रदष्ट करे , उिे िाद के उत्तर में उिी िांसत िुिा जा िके गा मािो िि अपिी उपिंजासत के सलए सियत क्रकए गए क्रदि
को उपिंजात हुआ था ।
8. जिां के िल प्रसतिादी उपिंजात िोता िै ििां प्रक्रियाजिां िाद की िुििाई के सलए पुकार िोिे पर प्रसतिादी उपिंजात
िोता िै और िादी उपिंजात ििीं िोता िै ििां न्यायालय यि आदेश करे गा क्रक िाद को िाटरज क्रकया जाए । क्रकन्तु यक्रद प्रसतिादी दािे
या उिके िाग को स्िीकार कर लेता िै तो न्यायालय ऐिी स्िीकृ सत पर प्रसतिादी के सिरुद्ध सडिी पाटरत करे गा और जिां दािे का के िल
िाग िी स्िीकार क्रकया गया िो ििां िि िाद को ििां तक िाटरज करे गा जिां तक उिका िम्बन्ि अिसशष्ट दािे िे िै ।
9. व्यसतिम के कारर् िादी के सिरुद्ध पाटरत सडिी िए िाद का िजचि करती िै (1) जिां िाद सियम 8 के अिीि पपर्चत: या
िागत: िाटरज कर क्रदया जाता िै ििां िादी उिी िाद िेतुक के सलए िया िाद लािे िे प्रिाटरत िो जाएगा । क्रकन्तु िि िाटरजी को
अपास्त करिे के आदेश के सलए आिेदि कर िके गा और यक्रद िि न्यायालय का िमािाि कर देता िै क्रक जब िाद की िुििाई के सलए
पुकार पडी थी उि िमय उिकी अिुपंजासत के सलए पयाचप्त िेतुक था तो न्यायालय िर्ों या अन्य बातों के बारे में ऐिे सिबन्ििों पर जो
िि ठीक िमझे, िाटरजी को अपास्त करिे का आदेश करे गा और िाद में आगे कायचिािी करिे के सलए क्रदि सियत करे गा ।
(2) इि सियम के अिीि कोई आदेश तब तक ििीं क्रकया जाएगा जब तक क्रक आिेदि की िपर्िा की तामील सिरोिी पिकार
पर ि कर दी गई िो ।
10. कई िाक्रदयों में िे एक या असिक की गैरिासजरी की दशा में प्रक्रियाजिां एक िे असिक िादी िैं और उिमें िे एक या
असिक उपिंजात िोते िैं और अन्य उपिंजात ििीं िोते िैं ििां न्यायालय उपिंजात िोिे िाले िादी या िाक्रदयों की प्रेरर्ा पर िाद को
ऐिे आगे र्लिे दे िके गा मािो ििी िादी उपिंजात हुए िों, या ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
11. कई प्रसतिाक्रदयों में िे एक या असिक की गैरिासजरी की दशा में प्रक्रियाजिां एक िे असिक प्रसतिादी िैं और उिमें िे
एक या असिक उपिंजात िोते िैं और अन्य उपिंजात ििीं िोते िैं ििां िाद आगे र्लेगा और न्यायालय सिर्चय िुिािे के िमय उि
प्रसतिाक्रदयों के िम्बन्ि में जो उपिंजात ििीं हुए िैं, ऐिा आदेश करे गा जो िि ठीक िमझे ।
12. स्ियं उपिंजात िोिे के सलए आक्रदष्ट पिकार के पयाचप्त िेतक ु दर्शचत क्रकए सबिा गैरिासजर रििे का पटरर्ामजिां
कोई िादी या प्रसतिादी, सजिे स्ियं उपिंजात िोिे के सलए आदेश क्रकया गया िै, स्ियं उपिंजात ििीं िोता िै या ऐिे उपिंजात िोिे िे
अिफल रििे के सलए पयाचप्त िेतुक न्यायालय को िमािािप्रद रूप में दर्शचत ििीं करता िै ििां िि पपिचगामी सियमों के उि ििी
उपबन्िों के अिीि िोगा जो ऐिे िाक्रदयों और प्रसतिाक्रदयों को जो उपिंजात ििीं िोते िैं, यथासस्थसत, लागप िोते िैं ।
एकपिीय सडक्रियों को अपास्त करिा
13. प्रसतिादी के सिरुद्ध एकपिीय सडिी को अपास्त करिाक्रकिी ऐिे मामले में सजिमें सडिी क्रकिी प्रसतिादी के सिरुद्ध
एकपिीय पाटरत की गई िै, िि प्रसतिादी उिे अपास्त करिे के आदेश के सलए आिेदि उि न्यायालय में कर िके गा सजिके द्वारा िि
सडिी पाटरत की गई थी और यक्रद िि न्यायालय का यि िमािाि कर देता िै क्रक िमि की तामील िम्यक रूप िे ििीं की गई थी या
िि िाद की िुििाई के सलए पुकार िोिे पर उपिंजात िोिे िे क्रकिी पयाचप्त िेतुक िे सििाटरत रिा था तो िर्ों के बारे में, न्यायालय में

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 59 द्वारा (1-2-1977 िे) िण्ड (क) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
92

जमा करिे के या अन्यथा ऐिे सिबन्ििों पर जो िि ठीक िमझे, न्यायालय यि आदेश करे गा क्रक जिां तक सडिी उि प्रसतिादी के सिरुद्ध
िै ििां तक िि अपास्त कर दी जाए, और िाद में आगे कायचिािी करिे के सलए क्रदि सियत करे गा :
परन्तु जिां सडिी ऐिी िै क्रक िि के िल ऐिे प्रसतिादी के सिरुद्ध अपास्त ििीं की जा िकती ििां िि अन्य ििी प्रसतिाक्रदयों
या उिमें िे क्रकिी या क्रकन्िीं के सिरुद्ध िी अपास्त की जा िके गी :
1[परन्तु
यि और क्रक यक्रद क्रकिी न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक प्रसतिादी को िुििाई की तारीि की िपर्िा थी
और उपिंजात िोिे के सलए और िादी के दािे का उत्तर देिे के सलए पयाचप्त िमि था तो िि एकपिीय पाटरत सडिी को के िल इि
आिार पर अपास्त ििीं करे गा क्रक िमि की तामील में असियसमतता हुई थी ।]
2[स्पष्टीकरर्जिां इि सियम के अिीि एकपिीय पाटरत सडिी के सिरुद्ध अपील की गई िै और अपील का सिपटारा इि

आिार िे सिन्ि क्रकिी आिार पर कर क्रदया गया िै क्रक अपीलाथी िे अपील िापि ले ली िै ििां उि एकपिीय सडिी को अपास्त करिे
के सलए इि सियम के अिीि कोई आिेदि ििीं िोगा ।]
14. कोई िी सडिी सिरोिी पिकार को िपर्िा के सबिा अपास्त ििीं की जाएगीकोई िी सडिी पपिोक्त जैिे क्रकिी िी
आिेदि पर तब तक अपास्त ििीं की जाएगी जब तक क्रक उिकी िपर्िा की तामील सिरोिी पिकार पर ि कर दी गई िो ।
आदेश 10

न्यायालय द्वारा पिकारों की परीिा


1. यि असिसिश्र्य करिा क्रक असििर्िों में के असिकथि स्िीकृ त िैं या प्रत्याखयात िैंन्यायालय िर एक पिकार िे या
उिके प्लीडर िे िाद की प्रथम िुििाई में यि असिसिसश्र्त करे गा क्रक क्या िि तथ्य के उि असिकथिों को जो िादपत्र में या यक्रद
सिरोिी पिकार का कोई सलसित कथि िै तो उिमें क्रकए गए िैं जो और उि पिकार द्वारा सजिके सिरुद्ध िे क्रकए गए िैं, असिव्यक्त
रूप िे या आिश्यक सिििा िे स्िीकार या प्रत्याखयात ििीं क्रकए गए िैं, स्िीकार करता िै या प्रत्याखयात करता िै । न्यायालय ऐिी
स्िीकृ सतयों और प्रत्याखयािों को लेिबद्ध करे गा ।
3[1क. िैकसल्पक सििाद िमािाि के क्रकिी एक तरीके के सलए सिकल्प देिे के सलए न्यायालय का सिदेशस्िीकृ सतयों और
प्रत्याखयािों को असिसलसित करिे के पश्र्ात, न्यायालय िाद के पिकारों को िारा 89 की उपिारा (1) में सिसिर्दचष्ट रूप िे न्यायालय
के बािर िमझौते के क्रकिी िी तरीके का सिकल्प देिे के सलए सिदेश देगा । पिकारों के सिकल्प पर न्यायालय ऐिे मंर् या प्रासिकरर् के
िमि, जो पिकारों द्वारा सिकल्प क्रदया जाए, उपिंजात िोिे की तारीि सियत करे गा ।
1ि. िुलि मंर् या प्रासिकरर् के िमि उपिंजात िोिाजिां कोई िाद सियम 1क के अिीि सिसिर्दचष्ट क्रकया जाता िै ििां
पिकार िाद के िुलि के सलए ऐिे मंर् या प्रासिकरर् के िमि उपिंजात िोंगे ।
1ग. िुलि के प्रयािों के अिफल िोिे के पटरर्ामस्िरूप न्यायालय के िमि उपिंजात िोिा जिां कोई िाद सियम 1क के
अिीि सिर्दचष्ट क्रकया जाता िै और िुलि मंर् या प्रासिकरर् के पीठािीि असिकारी का यि िमािाि िो जाता िै क्रक मामले में आगे
कायचिािी करिा न्याय के सित में उसर्त ििीं िोगा तो िि न्यायालय को पुि: मामला सिर्दचष्ट करे गा और पिकारों को उिके द्वारा
सियत तारीि को न्यायालय के िमि उपिंजात िोिे के सलए सिदेश देगा ।]
4[2. पिकार की या पिकार के िाथी की मौसिक परीिा(1) न्यायालय िाद की प्रथम िुििाई में
(क) पिकारों में िे ऐिे पिकारों की जो न्यायालय में स्ियं उपिंजात िैं या उपसस्थत िैं, िाद में सििादग्रस्त बातों
के सिशदीकरर् की दृसष्ट िे मौसिक परीिा करे गा जो िि ठीक िमझे ; और
(ि) िाद िे िंबंसित क्रकन्िीं तासविक प्रश्िों के उत्तर देिे में िमथच ऐिे क्रकिी व्यसक्त की, जो न्यायालय में स्ियं
उपिंजात या उपसस्थत पिकार या उिके प्लीडर के िाथ िैं, मौसिक परीिा कर िके गा ।
(2) न्यायालय क्रकिी पश्र्ातिती िुििाई में, न्यायालय में स्ियं उपिंजात या उपसस्थत पिकार की या िाद िे िंबंसित
क्रकन्िीं तासविक प्रश्िों के उत्तर देिे में िमथच ऐिे क्रकिी व्यसक्त की, जो ऐिे पिकार या उिके प्लीडर के िाथ िै, मौसिक परीिा कर
िके गा ।
(3) यक्रद न्यायालय ठीक िमझे तो िि दोिों पक्ष् ाकारों में िे क्रकिी के िी द्वारा िुझाए गए प्रश्िों को इि सियम के अिीि
क्रकिी परीिा के दौराि पपछ िके गा ।]
5
3. परीिा का िार सलिा जाएगापरीिा का िार न्यायािीश द्वारा सलिा जाएगा और िि असिलेि का िाग िोगा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 59 द्वारा (1-2-1977 िे) जोडा गया ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 59 द्वारा (1-2-1977 िे) अंत:स्थासपत ।
3
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 20 द्वारा (1-7-2002 िे) अंत:स्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 60 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 2 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
यि सियम अिि के मुखय न्यायालय को लागप ििीं िोता िै । देसिए अिि को्िच ऐक्ट, 1925 (1925 का यप० पी० असिसियम िं० 4) की िारा 16(2) ।
93

4. उत्तर देिे िे प्लीडर के इन्कार का या उत्तर देिे में उिकी अिमथचता का पटरर्ाम(1) जिां प्लीडर द्वारा उपिंजात िोिे
िाले पिकार का प्लीडर, या प्लीडर के िाथ िाला ऐिा व्यसक्त जो सियम 2 में सिर्दचष्ट िै, िाद िे िंबंसित क्रकिी ऐिे तासविक प्रश्ि का
उत्तर देिे िे इं कार करता िै या उत्तर देिे में अिमथच रिता िै, सजिके बारे में न्यायालय की राय िै क्रक उिका उत्तर उि पिकार को देिा
र्ासिए सजिका िि प्रसतसिसिति करता िै और यि िंिि िै क्रक यक्रद स्ियं पिकार िे पटरप्रश्ि क्रकया जाए तो िि उिका उत्तर देिे में
िमथच िोगा, ििां न्यायालय 1[िाद की िुििाई क्रकिी ऐिे क्रदि के सलए जो पिली िुििाई की तारीि िे िात क्रदि िे पश्र्ात का ि िो,
मुल्तिी कर िके गा] और सिदेश दे िके गा क्रक ऐिा पिकार उि क्रदि स्ियं उपिंजात िो ।
(2) यक्रद ऐिे सियत क्रदि पर ऐिा पिकार सिसिपपर्च प्रसतिेतु के सबिा स्ियं उपिंजात िोिे में अिफल रिता िै तो न्यायालय
उिके सिरुद्ध सिर्चय िुिा िके गा या िाद के िम्बन्ि में ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
2[आदेश 11

उच्र् न्यायालय के िासर्सज्यक प्रिाग या िासर्सज्यक न्यायालय के िमि िादों में दस्तािेजों का प्रकटि,
प्रकटीकरर् और सिरीिर्
1. दस्तािेजों का प्रकटि और प्रकटीकरर्(1) िादी, िादपत्र के िाथ िाद िे िंबद्ध ऐिे ििी दस्तािेजों की िपर्ी और ऐिे
ििी दस्तािेजों की फोटोप्रसतयां फाइल करे गा, जो उिकी शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा में िैं, सजिके अंतगचत
सिम्िसलसित िी िैं,
(क) ऐिे दस्तािेज, जो िादी द्वारा िादपत्र में सिर्दचष्ट क्रकए गए िैं और सजि पर उििे सििचर क्रकया िै ;
(ि) कायचिासियों में प्रश्िगत क्रकिी सिषय िे िंबंसित दस्तािेज, जो िादपत्र फाइल क्रकए जािे की तारीि को िादी
की शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा में िै, इि बात पर सिर्ार क्रकए सबिा क्रक िि िादी के पिकथि के िमथचि में िै या
उिके प्रसतकप ल िै ;
(ग) इि सियम में की कोई बात िाक्रदयों द्वारा पेश क्रकए गए दस्तािेजों को और ऐिे दस्तािेजों को लागप ििीं िोगी
जो के िल,
(i) प्रसतिादी के िासियों की प्रसतपरीिा के सलए िुिंगत िैं ; या
(ii) िादपत्र फाइल क्रकए जािे के पश्र्ात प्रसतिादी द्वारा क्रकए गए क्रकिी पिकथि का उत्तर देिे के सलए
िुिंगत िैं ; या
(iii) क्रकिी िािी को उिकी स्मृसत को ताजा करिे के सलए िैं ।
(2) िादपत्र के िाथ फाइल क्रकए गए दस्तािेजों की िपर्ी में यि सिसिर्दचष्ट क्रकया जाएगा क्रक क्या ऐिे दस्तािेज, जो िादी की
शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा में िैं, मपल दस्तािेज िैं अथिा कायाचलय प्रसतयां िैं या फोटोप्रसतयां िैं और िपर्ी में प्रत्येक दस्तािेज के
पिकारों के ब्यौरे , प्रत्येक दस्तािेज के सिष्पादि, जारी करिे या उिकी प्रासप्त के ढंग और उिकी असिरिा की पंसक्त को िी िंिेप में
उपिर्र्चत क्रकया जाएगा ।
(3) िादपत्र में िादी की ओर िे िशपथ यि घोषर्ा अंतर्िचष्ट िोगी क्रक िादी द्वारा आरं ि की गई कायचिासियों के तथ्यों और
पटरसस्थसतयों िे िंबंसित ऐिे ििी दस्तािेजों का, जो उिकी शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा में िैं, प्रकटि कर क्रदया गया िै और
उिकी प्रसतयां िादपत्र के िाथ िंलग्ि कर दी गई िैं और िादी के पाि उिकी शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा में कोई अन्य
दस्तािेज ििीं िै ।
स्पष्टीकरर्इि उपसियम के अिीि िशपथ घोषर्ा पटरसशष्ट में यथा उपिर्र्चत ित्यता के कथि में अंतर्िचष्ट िोगी ।
(4) िादी शपथ-पत्र के अजेन्ट फाइल क्रकए जािे की दशा में, उिका उपरोक्त घोषर्ा के िागरूप और न्यायालय द्वारा ऐिी
इजाजत क्रदए जािे के अिीि रिते हुए असतटरक्त दस्तािेजों पर सििचर करिे की इजाजत की ईप्िा कर िके गा और िादी, न्यायालय में
ऐिे असतटरक्त दस्तािेज िशपथ ऐिी घोषर्ा के िाथ क्रक िादी द्वारा आरं ि की गई कायचिासियों के तथ्यों और पटरसस्थसतयों िे िंबंसित
उिकी शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा में के ििी दस्तािेज पेश कर क्रदए गए िैं और िादी की शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा
में कोई अन्य दस्तािेज ििीं िै, िाद फाइल क्रकए जािे के तीि क्रदि के िीतर फाइल करे गा ।
(5) िादी को न्यायालय की इजाजत के सििाय, ऐिे दस्तािेजों पर सििचर रििे के सलए अिुज्ञात ििीं क्रकया जाएगा, जो िादी
की शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा में थे और उिका िादपत्र के िाथ या ऊपर उपिर्र्चत सिस्ताटरत अिसि के िीतर प्रकटि ििीं
क्रकया गया था और ऐिी इजाजत के िल िादी को िादपत्र के िाथ अप्रकटि के युसक्तयुक्त कारर् सिद्ध क्रकए जािे पर िी दी जाएगी ।

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 20 द्वारा (1-7-2002 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा प्रसतस्थासपत ।
94

(6) िादपत्र में ऐिे दस्तािेजों के ब्यौरों को उपिर्र्चत क्रकया जाएगा सजिके बारे में िादी को यि सिश्िाि िै क्रक िे प्रसतिादी
की शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा में िैं और सजि पर िादी सििचर करिा र्ािता िै और सजिको उक्त प्रसतिादी द्वारा उिके पेश
क्रकए जािे की इजाजत की ईप्िा करता िै ।
(7) प्रसतिादी, िाद िे िंबद्ध ऐिे ििी दस्तािेजों की िपर्ी और ऐिे ििी दस्तािेजों की फोटोप्रसतयां, जो उिकी शसक्त, कब्जे,
सियंत्रर् या असिरिा में िैं, सलसित कथि के िाथ या उिके प्रसतदािे के िाथ, यक्रद कोई िो, फाइल करे गा, सजिके अंतगचत सिम्िसलसित
िी िैं,
(क) ऐिे दस्तािेज, जो प्रसतिादी द्वारा सलसित कथि में सिर्दचष्ट क्रकए गए िैं और सजि पर िि सििचर करता िै ;
(ि) कायचिािी में प्रश्िगत क्रकिी सिषय िे िंबंसित ऐिे ििी दस्तािेज, जो प्रसतिादी की शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या
असिरिा में िैं इि बात पर सिर्ार क्रकए सबिा क्रक िे प्रसतिादी की प्रसतरिा के िमथचि में िैं या उिके प्रसतकप ल ;
(ग) इि सियम की कोई बात प्रसतिाक्रदयों द्वारा पेश क्रकए गए दस्तािेजों को और ऐिे दस्तािेजों को लागप ििीं िोगी
जो के िल,
(i) िादी के िासियों की प्रसतपरीिा के सलए िुिंगत िैं ; या
(ii) िादपत्र फाइल क्रकए जािे के पश्र्ात िादी द्वारा क्रकए गए क्रकिी पिकथि का उत्तर देिे के सलए
िुिंगत िैं ; या
(iii) क्रकिी िािी को उिकी स्मृसत को ताजा करिे के सलए िैं ।
(8) सलसित कथि या प्रसतदािे के िाथ फाइल क्रकए गए दस्तािेजों की िपर्ी में यि सिसिर्दचष्ट क्रकया जाएगा क्रक क्या ऐिे
दस्तािेज, जो प्रसतिादी की शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा में िैं, मपल दस्तािेज िैं, कायाचलय प्रसतयां िैं या फोटोप्रसतयां िैं और िपर्ी
में प्रसतिादी द्वारा पेश क्रकए गए प्रत्येक दस्तािेज के पिकारों के ब्यौरे , प्रत्येक दस्तािेज के सिष्पादि, जारी करिे या उिकी प्रासप्त के
ढंग, और उिकी असिरिा की पंसक्त को िी िंिेप में उपिर्र्चत क्रकया जाएगा ।
(9) असििािी द्वारा सलसित कथि या प्रसतदािे में िशपथ यि घोषर्ा अंतर्िचष्ट िोगी क्रक उि दस्तािेजों के सििाय, जो
उपरोक्त उपसियम (7)(ग)(iii) में उपिर्र्चत िैं, ऐिे ििी दस्तािेजों का, जो प्रसतिादी की शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा में िैं,
िादी द्वारा आरं ि की गई कायचिासियों या प्रसतदािे में के तथ्यों और पटरसस्थसतयों िे िंबंसित िैं, प्रकटि कर क्रदया गया िै और उिकी
प्रसतयां सलसित कथि या प्रसतदािे के िाथ िंलग्ि कर दी गई िैं और यि क्रक प्रसतिादी की शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा में कोई
अन्य दस्तािेज ििीं िैं ।
(10) प्रसतिादी को उपसियम (7)(ग)(iii) के सििाय, ऐिे दस्तािेजों पर न्यायालय की इजाजत के सििाय, सििचर रििे के सलए
अिुज्ञात ििीं क्रकया जाएगा, जो प्रसतिादी की शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा में थे और सजिका सलसित कथि या प्रसतदािे के िाथ
प्रकटि ििीं क्रकया गया था और ऐिी इजाजत के िल प्रसतिादी द्वारा सलसित कथि या प्रसतदािे के िाथ अप्रकटि के युसक्तयुक्त कारर्
सिद्ध क्रकए जािे पर िी दी जाएगी ।
(11) सलसित कथि या प्रसतदािे में ऐिे दस्तािेजों के ब्यौरों को उपिर्र्चत क्रकया जाएगा जो िादी की शसक्त, कब्जे, सियंत्रर्
या असिरिा में िैं और सजि पर प्रसतिादी सििचर करिा र्ािता िै और सजिका िादपत्र में प्रकटि ििीं क्रकया गया िै और सजिकी िादी
द्वारा उन्िें पेश क्रकए जािे की मांग की गई िै ।
(12) ऐिे दस्तािेजों के प्रकटि का कतचव्य, जो क्रकिी पिकार की जािकारी में आते िैं, िाद का सिपटारा िोिे तक
बिा रिेगा ।
2. पटरप्रश्िों द्वारा प्रकटीकरर् करिा(1) क्रकिी िी िाद में िादी या प्रसतिादी सिरोिी पिकारों या ऐिे पिकारों में िे
क्रकिी एक या असिक की परीिा करिे के सलए सलसित पटरप्रश्ि न्यायालय की इजाजत िे पटरदत्त कर िके गा और पटरदत्त क्रकए जाते
िमय पटरप्रश्िों में यि पाद टटप्पर् िोगा क्रक ऐिे व्यसक्तयों में िे िर एक ऐिे पटरप्रश्िों में िे क्रकिका उत्तर देिे के सलए अपेसित िै :
परं तु कोई िी पिकार एक िी पिकार को पटरप्रश्ि के एक िंिगच िे असिक उि प्रयोजि के सलए आदेश के सबिा पटरदत्त
ििीं करे गा :
परं तु यि और क्रक िे पटरप्रश्ि जो िाद में प्रश्िगत क्रकन्िीं सिषयों िे िंबसित ििीं िैं, इि बात के िोते हुए िी सििंगत िमझे
जाएंगे क्रक िािी की मौसिक प्रसतपरीिा करिे में िे ग्राह्य िोते ।
(2) पटरप्रश्िों के पटरदाि के सलए इजाजत के सलए आिेदि पर िे सिसशष्ट पटरप्रश्ि, सजिका पटरदाि क्रकए जािे की प्रस्थापिा
िै, न्यायालय के िमि रिे जाएंगे और िि न्यायालय उक्त आिेदि के फाइल क्रकए जािे के क्रदि िे िात क्रदि के िीतर सिसिश्र्य करे गा,
ऐिे आिेदि पर सिसिश्र्य करिे में न्यायालय क्रकिी ऐिी प्रस्थापिा पर िी सिर्ार करे गा जो उि पिकार िे सजििे पटरप्रश्ि क्रकया
जािा िै, प्रश्िगत बातों या उिमें िे क्रकिी िे िंबंसित सिसशष्टयों को पटरदत्त करिे या स्िीकृ सतयां करिे या दस्तोिजें पेश करिे के सलए
की िों और उिके िमि रिे गए पटरप्रश्िों में िे के िल ऐिे पटरप्रश्िों के िंबंि में इजाजत दी जाएगी सजन्िें न्यायालय या तो िाद के
ऋजु सिपटारे के सलए या िर्ों में बर्त करिे के सलए आिश्यक िमझे ।
95

(3) िाद के िर्ों का िमायोजि करिे में ऐिे पटरप्रश्िों के प्रदशचि के औसर्त्य के िंबंि में जांर् क्रकिी पिकार की प्रेरर्ा पर
की जाएगी और यक्रद सिसििाचरक असिकारी या न्यायालय की राय, जांर् के सलए आिेदि पर या ऐिे आिेदि के सबिा, यि िो क्रक ऐिे
पटरप्रश्ि अयुसक्तयुक्तत: तंग करिे के सलए या अिुसर्त सिस्तार के िाथ पेश क्रकए गए िैं तो उक्त पटरप्रश्िों और उिके उत्तरों के कारर्
हुए िर्े क्रकिी िी सस्थसत में उि पिकार द्वारा क्रदए जाएंगे, सजििे यि किपर क्रकया िै ।
(4) पटरप्रश्ि सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 (1908 का 5) के पटरसशष्ट ग के प्ररूप िंखयांक 2 में क्रदए गए प्ररूप में ऐिे
फे रफार के िाथ िोंगे, जो पटरसस्थसतयों में अपेसित िों ।
(5) जिां िाद का कोई पिकार सिगम या व्यसक्तयों का ऐिा सिकाय िै, र्ािे िि सिगसमत िो या ििीं, जो सिसि द्वारा
िशक्त िै क्रक स्ियं अपिे िाम िे या क्रकिी असिकारी के या अन्य व्यसक्त के िाम िे िाद ला िके या उि पर िाद लाया जा िके ििां
कोई िी सिरोिी पिकार ऐिे सिगम या सिकाय के क्रकिी िी िदस्य या असिकारी को पटरप्रश्ि पटरदत्त करिे के सलए अपिे को अिुज्ञा
देिे िाले आदेश के सलए आिेदि कर िके गा और आदेश तद्िुिार क्रकया जा िके गा ।
(6) क्रकिी िी पटरप्रश्ि का उत्तर देिे की बाबत इि आिार पर क्रक िि पटरप्रश्ि कलंकात्मक या सििंगत िै या िाद के प्रयोजि
के सलए िदिािपपर्च प्रदर्शचत ििीं क्रकया गया िै या िे सिषय, सजिके बारे में पपछताछ की गई िै, उि प्रिम में पयाचप्त रूप िे तासविक
ििीं िैं, या सिशेषासिकार के आिार पर या क्रकिी अन्य आिार पर कोई िी आपेि उत्तर में क्रदए गए शपथपत्र में क्रकया जा िके गा ।
(7) कोई िी पटरप्रश्ि इि आिार पर अपास्त क्रकए जा िकें गे क्रक िे अयुसक्तयुक्तत: या तंग करिे के सलए प्रदर्शचत क्रकए गए िैं
या इि आिार पर काट क्रदए जा िकें गे क्रक िे असतसिस्तृत, पीडा पहुंर्ािे िाले, अिािश्यक या कलंकात्मक िैं और इि प्रयोजि के सलए
कोई िी आिेदि पटरप्रश्िों की तामील के पश्र्ात िात क्रदि के िीतर क्रकया जा िके गा ।
(8) पटरप्रश्िों का उत्तर शपथपत्र द्वारा क्रदया जाएगा, जो दि क्रदि के िीतर या ऐिे अन्य िमय के िीतर, जो न्यायालय
अिुज्ञात करे , फाइल क्रकया जाएगा ।
(9) पटरप्रश्िों के उत्तर में क्रदया गया शपथ-पत्र सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 (1908 का 5) के पटरसशष्ट ग के प्ररूप िंखयांक
3 में क्रदए गए प्ररूप में ऐिे फे रफार के िाथ िोगा जो पटरसस्थसतयों में अपेसित िो ।
(10) उत्तर में क्रदए गए क्रकिी शपथ-पत्र पर कोई िी आिेप ििीं क्रकए जाएंगे, क्रकन्तु ऐिे क्रकिी शपथ-पत्र पर के अपयाचप्त
िोिे का आिेप क्रकए जािे पर उिका पयाचप्त िोिा या ि िोिा न्यायालय द्वारा अििाटरत क्रकया जाएगा ।
(11) जिां कोई व्यसक्त सजििे पटरप्रश्ि क्रकया गया िै उत्तर देिे का लोप करता िै या अपयाचप्त उत्तर देता िै ििां पटरप्रश्ि
करिे िाला पिकार न्यायालय िे इि आदेश के सलए आिेदि कर िके गा क्रक उि पिकार िे यि अपेिा की जाए क्रक िि, यथासस्थसत,
उत्तर दे या असतटरक्त उत्तर दे और उििे यि अपेिा करिे िाला आदेश क्रकया जा िके गा क्रक िि, न्यायालय द्वारा जैिा िी सिदेश क्रदया
जाए, या तो शपथ-पत्र द्वारा या मौसिक परीिा द्वारा उत्तर दे या असतटरक्त उत्तर दे ।
3. सिरीिर्(1) ििी पिकार प्रकट क्रकए गए ििी दस्तािेजों का सिरीिर्, सलसित कथि फाइल करिे या प्रसतदािे का
सलसित कथि फाइल करिे की तारीि िे, इिमें िे जो पश्र्ातिती िो, तीि क्रदि के िीतर पपरा करें गे । न्यायालय आिेदि क्रकए जािे पर
इि िमय-िीमा को अपिे सििेकािुिार बढ़ा िके गा, क्रकन्तु क्रकिी िी दशा में ऐिा सिस्तार तीि क्रदि िे असिक का ििी िोगा ।
(2) कायचिासियों का कोई िी पिकार, कायचिासियों के क्रकिी िी प्रिम पर, अन्य पिकार िे ऐिे दस्तािेजों को, सजिके
सिरीिर् के सलए उि पिकार द्वारा इं कार कर क्रदया गया िै या उि दस्तािेजों को उन्िें पेश क्रकए जािे की िपर्िा जारी क्रकए जािे के
बािजपद पेश ििीं क्रकया गया िै, उिका सिरीिर् करिे या पेश करिे के सलए न्यायालय िे सिदेश की ईप्िा कर िके गा ।
(3) ऐिे क्रकिी आिेदि के िंबंि में आदेश, ऐिा आिेदि फाइल क्रकए जािे के , सजिके अन्तगचत उत्तर और प्रत्युत्तर (यक्रद
न्यायालय अिुज्ञात करे ) फाइल करिा और उिकी िुििाई िी िै, तीि क्रदि के िीतर क्रकया जाएगा ।
(4) यक्रद उपरोक्त आिेदि अिुज्ञात क्रकया जाता िै तो ऐिे आदेश के पांर् क्रदि के िीतर ईप्िा करिे िाले पिकार को
सिरीिक और उिकी प्रसतयां पेश क्रकए जाएंगे ।
(5) क्रकिी िी पिकार को, न्यायालय की इजाजत के सििाय, ऐिे क्रकिी दस्तािेज पर सििचर िोिे की अिुज्ञा ििीं दी जाएगी,
सजिे िि प्रकट करिे में अिफल रिा िै या सजिका सिरीिर् ििीं करिे क्रदया गया िै ।
(6) न्यायालय क्रकिी ऐिे व्यसतिमी पिकार के सिरुद्ध, जो जािबपझकर या उपेिापपिचक क्रकिी िाद िे िंबंसित ऐिे मामले में
सिसिश्र्य के सलए आिश्यक ििी दस्तािेजों को प्रकट करिे में अिफल रिा िै और जो उिकी शसक्त, कब्जे, सियंत्रर् या असिरिा के
अिीि थे या जिां कोई न्यायालय यि असिसििाचटरत करता िै क्रक क्रकन्िी दस्तािेजों के सिरीिर् या उिकी प्रसतयां को गलत तौर पर या
अयुसक्तयुक्त रूप िे सििाटरत क्रकया गया िै या उििे इं कार क्रकया गया िै, सिदशाचत्मक िर्े असिरोसपत कर िके गा ।
4. दस्तािेजों को स्िीकृ सत और प्रत्याखयाि(1) प्रत्येक पिकार उि ििी दस्तािेजों को, जो प्रकटटत िैं और सजिका सिरीिर्
पपरा िो गया िै, सिरीिर् पपरा िोिे की तारीि के पन्द्रि क्रदि के िीतर या न्यायालय द्वारा यथा सियत क्रकिी पश्र्ातिती तारीि को
स्िीकृ सतयों या प्रत्याखयािों का एक सििरर् िेजेगा ।
96

(2) स्िीकृ सतयों और प्रत्याखयािों के सििरर् में िुस्पष्ट रूप िे यि उपिर्र्चत िोगा क्रक क्या ऐिे पिकार िे सिम्िसलसित की
स्िीकृ सत दी िै या उिका प्रत्याखयाि क्रकया िै,
(क) दस्तािेज की अंतिचस्तु की शुद्धता ;
(ि) दस्तािेज का असस्तत्ि ;
(ग) दस्तािेज का सिष्पादि ;
(घ) दस्तािेज का जारी िोिा या प्रासप्त ;
(ङ) दस्तािेज की असिरिा ।
स्पष्टीकरर्उपसियम (2)(ि) के अिुिार दस्तािेज के असस्तत्ि की स्िीकृ सत या प्रत्याखयाि िे िंबंसित सििरर् में दस्तािेज
की अंतिचस्तुओं की स्िीकृ सत या उिका प्रत्याखयाि िसम्मसलत िोगा ।
(3) प्रत्येक पिकार उपरोक्त में िे क्रकिी आिार पर दस्तािेज के प्रत्याखयाि के कारर्ों को उपिर्र्चत करे गा और कोरे और
अिमर्थचत प्रत्याखयाि को क्रकिी दस्तािेज का प्रत्याखयाि ििीं िमझा जाएगा और ऐिे दस्तािेजों के िबपत िे न्यायालय के सििेकािुिार
असिमुसक्त प्रदाि की जा िके गी ।
(4) तथासप, कोई पिकार कोरे प्रत्याखयाि क्रकिी ऐिे अन्य पिकार के दस्तािेजों के सलए पेश कर िके गा सजिकी प्रत्याखयाि
कर रिे पिकार को क्रकिी िी प्रकार िे, क्रकिी रीसत में उिकी कोई सिजी जािकारी ििीं िै, और सजिमें प्रत्याखयाि कर रिा पिकार
कोई पिकार ििीं िै ।
(5) स्िीकृ सतयों और प्रत्याखयािों के सििरर् के िमथचि में एक शपथ-पत्र सििरर् की अंतिचस्तुओं की शुद्धता की पुसष्ट करते
हुए फाइल क्रकया जाएगा ।
(6) यक्रद न्यायालय यि असिसििाचटरत करता िै क्रक क्रकिी पिकार िे उपरोक्त मािदंडों में िे क्रकिी के अिीि क्रकिी दस्तािेज
को ग्रिर् करिे िे अिम्यक रूप िे इं कार क्रकया िै, तो क्रकिी दस्तािेज की ग्राह्यता का सिसिश्र्य करिे के सलए न्यायालय द्वारा उि
पिकार पर िर्े (सजिमें सिदशाचत्मक िर्े िी िैं) असिरोसपत क्रकए जा िकें गे ।
(7) न्यायालय, गृिीत दस्तािेजों के , सजिके अंतगचत उि पर और िबपत का असित्यजि या क्रकन्िीं दस्तािेजों का अस्िीकार
करिा िी िै, आदेश पाटरत कर िके गा ।
5. दस्तािेजों का पेश क्रकया जािा(1) क्रकिी कायचिािी का कोई पिकार क्रकिी िाद के लंसबत रििे के दौराि क्रकिी िी
िमय क्रकिी पिकार या व्यसक्त द्वारा, ऐिे दस्तािेजों को, जो उि पिकार या व्यसक्त के कब्जे में िै, ऐिे िाद के क्रकिी प्रश्िगत सिषय के
िंबंि में पेश करिे की ईप्िा कर िके गा या न्यायालय ऐिा आदेश कर िके गा ।
(2) ऐिे दस्तािेज को पेश करिे की िपर्िा सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 (1908 का 5) के पटरसशष्ट ग के प्ररूप िं० 7 में
उपबंसित प्ररूप में जारी की जाएगी ।
(3) क्रकिी िी ऐिे पिकार या व्यसक्त को, सजिे दस्तािेज पेश करिे की िपर्िा जारी की गई िै, ऐिे दस्तािेज को पेश करिे
या ऐिे दस्तािेज को पेश करिे की अपिी अिमथचता बतािे के सलए िात क्रदि िे अन्यपि और पन्द्रि क्रदि िे अिसिक का िमय क्रदया
जाएगा ।
(4) न्यायालय, दस्तािेज पेश करिे की िपर्िा जारी िोिे के पश्र्ात, ऐिे दस्तािेज को पेश करिे िे इं कार करिे िाले और
जिां इि प्रकार दस्तािेज पेश ि करिे के सलए पयाचप्त कारर् ििीं क्रदए गए िैं, क्रकिी पिकार के सिरुद्ध प्रसतकप ल सिष्कषच सिकाल िके गा
और िर्ों के बारे में आदेश कर िके गा ।
6. इलेक्िासिक असिलेि(1) इलेक्िासिक असिलेिों के प्रकटि और सिरीिर् की दशा में [िपर्िा प्रौद्योसगकी असिसियम,
2000 (2000 का 21) में यथा पटरिासषत] मुक्रद्रत प्रसत देिा, उपयुचक्त उपबंिों की अिुपालिा के सलए पयाचप्त िोगा ।
(2) पिकारों के सििेक पर या जिां अपेसित िो (जब पिकार दृश्य-श्रव्य अंतिचस्तु पर सििचर करिे के इच्छु क िों) इलेक्िासिक
असिलेिों की प्रसतयां या तो मुक्रद्रत प्रसत के असतटरक्त या उिके बदले में इलेक्िासिक रूप में दी जा िकें गी ।
(3) जिां इलेक्िासिक असिलेि प्रकटटत दस्तािेजों के िागरूप िैं, ििां क्रकिी पिकार द्वारा फाइल की जािे िाली िशपथ
घोषर्ा में सिम्िसलसित सिसिर्दचष्ट िोंगे,
(क) ऐिे इलेक्िासिक असिलेि के पिकार ;
(ि) िि रीसत, सजिमें ऐिा इलेक्िासिक असिलेि पेश क्रकया गया था और क्रकिके द्वारा पेश क्रकया गया था ;
(ग) ऐिे प्रत्येक इलेक्िासिक असिलेि के तैयार क्रकए जािे या िंडारर् या जारी अथिा प्राप्त क्रकए जािे की तारीि
और िमय ;
97

(घ) ऐिे इलेक्िासिक असिलेि का स्रोत और िि तारीि और िमय, जब इलेक्िासिक असिलेि मुक्रद्रत क्रकया
गया था ;
(ङ) ई-मेल आईडी की दशा में, ऐिे ई-मेल आईडी के स्िासमत्ि, असिरिा और पहुंर् के ब्यौरे ;
(र्) क्रकिी कं प्यपटर या कं प्यपटर स्रोत पर िंडाटरत (सजिके अंतगचत बाह्यििचर या क्लाउड िी िै) दस्तािेजों की दशा
में, कं प्यपटर या कं प्यपटर स्रोत पर ऐिे डाटा के स्िासमत्ि, असिरिा और पंहुर् के ब्यौरे ;
(छ) असििािी की अंतिचस्तुओं की और अंतिचस्तुओं की ित्यता की जािकारी ;
(ज) क्या ऐिे दस्तािेज या डाटा को तैयार करिे या प्राप्त करिे या िंडाटरत करिे के सलए प्रयुक्त कं प्यपटर या
कं प्यपटर स्रोत उसर्त रूप िे कायच कर रिा था या अपक्रिया की दशा में ऐिी अपक्रिया िे िंडाटरत दस्तािेज की अंतिचस्तुएं
प्रिासित ििीं हुई ;
(झ) दी गई मुक्रद्रत प्रसत या प्रसत मपल कं प्यपटर या कं प्यपटर स्रोत िे ली गई थी ;
(4) क्रकिी इलेक्िासिक असिलेि की मुक्रद्रत प्रसत या इलेक्िासिक रूप में प्रसत पर सििचर करिे िाले पिकारों िे इलेक्िासिक
असिलेि के सिरीिर् कराए जािे की अपेिा ििीं की जाएगी, परं तु यि तब, जब ऐिे पिकार द्वारा यि घोषर्ा कर दी गई िै क्रक ऐिी
प्रत्येक प्रसत, जो पेश की गई िै, मपल इलेक्िासिक असिलेि िे बिाई गई िै ।
(5) न्यायालय कायचिासियों के क्रकिी िी प्रिम पर इलेक्िासिक असिलेि की ग्राह्यता के सलए सिदेश दे िके गा ।
(6) कोई िी पिकार न्यायालय िे सिदेश की ईप्िा कर िके गा और न्यायालय अपिी स्िप्रेरर्ा पर क्रकिी इलेक्िासिक
असिलेि का, सजिके अंतगचत मेटाडाटा या लॉग्ि िी िै, इलेक्िासिक असिलेि के ग्रिर् क्रकए जािे के पपिच असतटरक्त िबपत पेश करिे का
सिदेश जारी कर िके गा ।
7. सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के कसतपय उपबंिों का लागप ि िोिाशंकाओं को दपर करिे के सलए यि स्पष्ट क्रकया जाता
िै क्रक सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 (1908 का 5) का आदेश 13, सियम 1, आदेश 7, सियम 14 और आदेश 8, सियम 1क उच्र्
न्यायालय के िासर्सज्यक प्रिागों या िासर्सज्यक न्यायालयों के िमि िादों या आिेदिों को लागप ििीं िोंगे ।]
आदेश 12
स्िीकृ सतयां
1. मामले की स्िीकृ सत की िपर्िािाद का कोई िी पिकार अपिे सलसित असििर्ि द्वारा या अन्यथा सलसित रूप में
िपर्िा दे िके गा क्रक िि क्रकिी अन्य पिकार के पपरे मामले की या उिके क्रकिी िाग की ित्यता को स्िीकार करता िै ।
2. दस्तािेजों की स्िीकृ सत के सलए िपर्िादोिों पिकारों में िे कोई िी पिकार दपिरे पिकार िे यि अपेिा कर िके गा क्रक
िि 1[क्रकिी दस्तािेज को ििी न्यायिंगत अपिादों को छोडकर िपर्िा की तामील की तारीि िे 2[िात] क्रदि के िीतर स्िीकार कर ले]
और ऐिी िपर्िा के पश्र्ात स्िीकृ त करिे िे इन्कार या उपेिा करिे की दशा में, जब तक क्रक न्यायालय अन्यथा सिदेश ि करे क्रकिी िी
ऐिी दस्तािेज को िासबत करिे के िर्च ऐिी उपेिा या इन्कार करिे िाले पिकार द्वारा क्रदए जाएंगे र्ािे िाद का पटरर्ाम कु छ िी िो
और जब तक क्रक ऐिी िपर्िा ििीं दे दी गई िो क्रकिी दस्तािेज को िासबत करिे का कोई िी िर्च के िल तिी अिुज्ञात क्रकया जाएगा
जब ऐिी िपर्िा ि देिा न्यायालय की राय में व्यय की बर्त िै ।
3[2क. यक्रद दस्तािेजों की स्िीकृ सत के सलए िपर्िा की तामील के पश्र्ात उििे इं कार ििीं क्रकया जाता तो उन्िें स्िीकृ त
िमझा जािा(1) ऐिी िर दस्तािेज, सजिको स्िीकार करिे की मांग पिकार िे की जाती िै, उि पिकार द्वारा असििर्ि में या
दस्तािेजों की स्िीकृ सत की िपर्िा के अपिे उत्तर में सिसिर्दचष्टत: या आिश्यक सिििा िे प्रत्याखयात ििीं की जाती िै या उिको
स्िीकार ि क्रकए जािे का कथि ििीं क्रकया जाता िै, सििाय ऐिे व्यसक्त के सिरुद्ध जो सियोग्यतािीि िै, स्िीकृ त िमझी जाएगी :
परन्तु न्यायालय स्िसििेकािुिार और लेिबद्ध क्रकए जािे िाले कारर्ों िे यि अपेिा कर िके गा क्रक इि प्रकार स्िीकृ त कोई
दस्तािेज ऐिी स्िीकृ सत िे सिन्ि रूप िे िासबत की जाए ।
(2) जिां पिकार दस्तािेजों की स्िीकृ सत की िपर्िा की तामील अपिे पर क्रकए जािे के पश्र्ात क्रकिी दस्तािेज को स्िीकार
करिे में अयुसक्तयुक्त रूप िे उपेिा करता िै या इं कार करता िै ििां न्यायालय उिे दपिरे पिकार को प्रसतकर के रूप में िर्ाच देिे का
सिदेश दे िके गा ।]
3. िपर्िा का प्ररूपदस्तािेजों को स्िीकृ त करिे की िपर्िा पटरसशष्ट ग के प्ररूप िंखयांक 9 में ऐिे फे रफार के िाथ िोगी जो
पटरसस्थसतयों िे अपेसित िो ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 62 द्वारा (1-2-1977 िे) “क्रकिी दस्तािेज को िब न्यायिंगत अपिादों को छोडकर स्िीकार कर ले” शब्दों के स्थाि पर
प्रसतस्थासपत ।
2
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 22 द्वारा (1-7-2002 िे) “पन्द्रि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 62 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
98

स्िीकृ सत के असिलेिि की न्यायालय की शसक्तदस्तािेजों को स्िीकार करिे के सलए िपर्िा सियम 2 के अिीि ि दी
1[3क.

जािे पर िी न्यायालय अपिे िमि िाली कायचिािी के क्रकिी िी प्रिम में स्ियं अपिी प्रेरर्ा िे क्रकिी िी पिकार िे कोई दस्तािेज
स्िीकार करिे की अपेिा कर िके गा और ऐिी दशा में यि असिलेिि करे गा क्रक क्या पिकार ऐिी दस्तािेज को स्िीकार करता िै या
स्िीकार करिे िे इं कार करता िै या स्िीकार करिे की उपेिा करता िै ।]
4. तथ्यों को स्िीकृ त करिे की िपर्िाकोई िी पिकार क्रकिी िी अन्य पिकार िे िुििाई के सलए सियत क्रदि िे कम िे कम
िौ क्रदि पिले क्रकिी िी िमय सलसित िपर्िा द्वारा अपेिा कर िके गा क्रक िि ऐिी िपर्िा में िर्र्चत क्रकिी या क्रकन्िीं सिसिर्दचष्ट तथ्य या
तथ्यों को के िल िाद के प्रयोजिों के सलए स्िीकार कर ले । और ऐिी िपर्िा की तामील के पश्र्ात छि क्रदि के िीतर या ऐिे असतटरक्त
िमय के िीतर जो न्यायालय द्वारा अिुज्ञात क्रकया जाए उिको या उिको स्िीकृ त करिे िे इं कार या उपेिा करिे की दशा में तथ्य या
तथ्यों के िासबत करिे का िर्ाच जब तक क्रक न्यायालय अन्यथा सिदेश ि करे , इि प्रकार उपेिा करिे या इं कार िाले पिकार द्वारा क्रदया
जाएगा र्ािे िाद का पटरर्ाम कु छ िी क्यों ि िो :
परन्तु ऐिी िपर्िा के अिुिरर् में की गई क्रकिी िी स्िीकृ सत के बारे में यि िमझा जाएगा क्रक िि उि सिसशष्ट िाद के
प्रयोजिों के सलए िी की गई िै और िि ऐिी स्िीकृ सत ििीं िमझी जाएगी सजिका उि पिकार के सिरुद्ध क्रकिी अन्य अििर पर या
िपर्िा देिे िाले पिकार िे सिन्ि क्रकिी व्यसक्त के पि में उपयोग क्रकया जा िकता िै :
2* * * * *
5. स्िीकृ सतयों का प्ररूपतथ्यों को स्िीकार करिे के सलए िपर्िा पटरसशष्ट ग के प्ररूप िंखयांक 10 में और तथ्यों की
स्िीकृ सतयां पटरसशष्ट ग के प्ररूप िंखयांक 11 में ऐिे फे रफार के िाथ िोंगी जो पटरसस्थसतयों िे अपेसित िो ।
स्िीकृ सतयों पर सिर्चय(1) जिां असििर्ि में या अन्यथा, र्ािे मौसिक रूप िे या सलसित रूप में तथ्य की स्िीकृ सतयां
3[6.

की जा र्ुकी िैं ििां न्यायालय िाद के क्रकिी प्रिम में या तो क्रकिी पिकार के आिेदि पर या स्िप्रेरर्ा िे और पिकारों के बीर् क्रकिी
अन्य प्रश्ि के अििारर् की प्रतीिा क्रकए सबिा ऐिी स्िीकृ सतयों को ध्याि में रिते हुए ऐिा आदेश या ऐिा सिर्चय कर िके गा जो िि
ठीक िमझे ।
(2) जब किी उपसियम (1) के अिीि सिर्चय िुिाया जाता िै तब सिर्चय के अिुिार सडिी तैयार की जाएगी और सडिी में
ििी तारीि दी जाएगी सजि तारीि को उक्त सिर्चय िुिाया गया था ।]
7. िस्तािर के बारे में शपथपत्रयक्रद दस्तािेजों या तथ्यों को स्िीकार करिे की क्रकिी िपर्िा के अिुिरर् में की गई
स्िीकृ सतयों के िम्यक िस्तािर की बाबत िाक्ष्य की अपेिा की जाती िै तो प्लीडर या उिके सलसपक का ऐिी स्िीकृ सतयों के बारे में
शपथपत्र पयाचप्त िाक्ष्य िोगा ।
8. दस्तािेजों को पेश करिे के सलए िपर्िादस्तािेजों को पेश करिे के सलए िपर्िा पटरसशष्ट ग के प्ररूप िंखयांक 12 में ऐिे
फे रफार के िाथ िोगी जो पटरसस्थसतयों िे अपेसित िो । पेश करिे के सलए क्रकिी िपर्िा की तामील के बारे में और उि िमय के बारे में
जब उिकी तामील की गई थी, प्लीडर या उिके सलसपक का शपथपत्र उिे पेश करिे की िपर्िा की प्रसत के िसित ििी दशाओं में िपर्िा
की तामील के बारे में और उि िमय के बारे में जब उिकी तामील की गई थी, पयाचप्त िाक्ष्य िोगा ।
9. िर्ेयक्रद स्िीकृ सत या पेश करिे की िपर्िा ऐिी दस्तािेजों को सिसिर्दचष्ट करती िै जो आिश्यक ििीं िै तो उिके कारर्
हुए िर्े ऐिी िपर्िा देिे िाले पिकार द्वारा ििि क्रकए जाएंगे ।
आदेश 13

दस्तािेजों का पेश क्रकया जािा, पटरबद्ध क्रकया जािा और लौटाया जािा


मपल दस्तािेजों का सििाद्यकों के सस्थरीकरर् के िमय या उिके पपिच पेश क्रकया जािा(1) पिकार या उिके प्लीडर मपल
4[1.

ििी दस्तािेजी िाक्ष्य जिां उिकी प्रसतयां िादपत्र या सलसित कथि के िाथ फाइल की गई िैं, सििाद्यकों के सस्थरीकरर् के िमय या
उिके पपिच पेश करे गा ।
(2) न्यायालय इि प्रकार पेश की गई दस्तािेजों को ले लेगा :
परन्तु यि तब जब क्रक उिके िाथ ऐिे प्ररूप में तैयार की गई एक ििी-ििी िपर्ी िो जो उच्र् न्यायालय िे सिक्रदष्ट
क्रकया िो ।
(3) उपसियम (1) की कोई िी बात ऐिे दस्तािेजों को लागप ििीं िोगी, जो
(क) दपिरे पिकारों के िासियों की प्रसतपरीिा करिे के सलए पेश क्रकए गए िैं, अथिा

1
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 14 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
2
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 22 द्वारा (1-7-2002 िे) दपिरे परन्तुक का लोप क्रकया गया ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 62 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 6 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 23 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 1 और 2 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
99

(ि) क्रकिी िािी को के िल उिकी स्मृसत को ताजा करिे के सलए क्रदए गए िैं ।]
3. सििंगत या अग्रािी दस्तािेजों का िामंजरप क्रकया जािान्यायालय िाद के क्रकिी िी प्रिम में ऐिी क्रकिी िी दस्तािेज
को, सजिे िि सििंगत या अन्यथा अग्राह्य िमझता िै, ऐिे िामंजपर करिे के आिारों को असिसलसित करके िामंजपर कर िके गा ।
4. िाक्ष्य में गृिीत दस्तािेजों पर पृष्ठांकि(1) ठीक आगामी उपसियम के उपबंिों के अिीि रिते हुए, िर ऐिी दस्तािेज
पर, जो िाद में िाक्ष्य में ग्रिर् कर ली िै, सिम्िसलसित सिसशसष्टयां पृष्ठांक्रकत की जाएंगी, अथाचत :
(क) िाद का िंखयांक और शीषचक ;
(ि) दस्तािेज को पेश करिे िाले व्यसक्त का िाम ;
(ग) िि तारीि सजिको िि पेश की गई थी ; तथा
(घ) उिके इि प्रकार ग्रिर् क्रकए जा र्ुकिे का कथि,
और पृष्ठांकि न्यायािीि द्वारा िस्तािटरत या आद्यिटरत क्रकया जाएगा ।
(2) जिां इि प्रकार गृिीत दस्तािेज क्रकिी बिी, लेिा या असिलेि में की प्रसिसष्ट िै और ठीक आगामी सियम के अिीि मपल
प्रसत के स्थाि में उिकी एक प्रसत रि दी गई िै ििां पपिोक्त सिसशसष्टयों का पृष्ठांकि उि प्रसत पर क्रकया जाएगा और उि पर का
पृष्ठांकि न्यायािीि द्वारा िस्तािटरत या अद्यािटरत क्रकया जाएगा ।
5. बसियों, लेिाओं और असिलेिों में की गृिीत प्रसिसष्टयों की प्रसतयों पर पृष्ठांकि(1) ििां तक के सििाय जिां तक क्रक
बैंककार बिी िाक्ष्य असिसियम, 1891 (1891 का 18) द्वारा अन्यथा उपबसन्ित िै, उि दशा में सजिमें िाद के िाक्ष्य में गृिीत दस्तािेज
डाकबिी या दुकािबिी या अन्य लेिा में की, जो र्ालप उपयोग में रिता िै, प्रसिसष्ट िै िि पिकार, सजिकी ओर िे िि बिी या लेिा
पेश क्रकया गया िै, उि प्रसिसष्ट की प्रसत दे िके गा ।
(2) जिां ऐिी दस्तािेज लोक कायाचलय में िे या लोक असिकारी द्वारा पेश क्रकए गए लोक असिलेि में की प्रसिसष्ट िै या सजि
पिकार की ओर िे िि बिी या लेिा पेश क्रकया गया िै उििे सिन्ि व्यसक्त की बिी या लेिा में की प्रसिसष्ट िै ििां न्यायालय अपेिा
कर िके गा क्रक उि प्रसिसष्ट की प्रसत
(क) जिां िि असिलेि, बिी या लेिापिकार की ओर िे पेश क्रकया गया िै ििां उि पिकार द्वारा दी जाए, अथिा
(ि) जिां िि असिलेि, बिी या लेिा ऐिे आदेश के अिुपालि में पेश क्रकया गया िै जो स्िप्रेरर्ा पर कायच करते
हुए न्यायालय िे क्रदया िै ििां दोिों पिकारों या क्रकिी िी पिकार द्वारा दी जाए ।
(3) जिां प्रसिसष्ट की प्रसत इि सियम के पपिचगामी उपबंिों के अिीि दे दी गई िै ििां न्यायालय आदेश 7 के सियम 17 में
िर्र्चत रीसत िे प्रसत की परीिा और तुलिा और प्रसत को प्रमासर्त करािे के पश्र्ात प्रसिसष्ट को सर्सहित करे गा और उि बिी, लेिा या
असिलेि को सजिमें िि िै, उिे पेश करिे िाले व्यसक्त को लौटिा देगा ।
6. िाक्ष्य में अग्राह्य िोिे के कारर् िामंजरप दस्तािेजों पर पृष्ठांकिजिां उि दस्तािेज को सजि पर िाक्ष्य के रूप में दोिों
पिकारों में िे कोई सििचर करता िै, न्यायालय िाक्ष्य में अग्राह्य ठिरा देता िै ििां सियम 4 के उपसियम (1) के िंड (क), (ि) और (ग)
में िर्र्चत सिसशसष्टयां इि कथि के िसित क्रक िे िामंजपर कर दी गई िैं, उि पर पृष्ठांक्रकत की जाएंगी और पृष्ठांकि न्यायािीश द्वारा
िस्तािटरत या आद्यिटरत क्रकया जाएगा ।
7. गृिीत दस्तािेजों का असिलेि में िसम्मसलत क्रकया जािा और िामंजपर की गई दस्तािेजों का लौटाया जािा(1) िर ऐिी
दस्तािेज जो िाक्ष्य में ग्रिर् कर ली गई िै या जिां सियम 5 के अिीि मपल प्रसत के स्थाि में उिकी प्रसत रिी गई िै ििां उिकी प्रसत
िाद के असिलेि का िाग िोगी ।
(2) दस्तािेजें जो िाक्ष्य में ग्रिर् ििीं की गई िैं, असिलेि का िाग ििीं िोंगी और िे, यथासस्थसत, उि व्यसक्तयों को लौटा दी
जाएंगी सजन्िोंिे उन्िें पेश क्रकया था ।
8. न्यायालय क्रकिी दस्तािेज के पटरबद्ध क्रकए जािे का आदेश दे िके गायक्रद न्यायालय को इि बात के सलए पयाचप्त, िेतुक
क्रदिाई दे तो िि क्रकिी िाद में अपिे िमि पेश की गई क्रकिी िी दस्तािेज या बिी के , इि आदेश के सियम 5 या 7 में या आदेश 7 के
सियम 17 में क्रकिी बात के िोते हुए िी ऐिी अिसि के सलए और ऐिी शतों के अिीि जो न्यायालय ठीक िमझे, पटरबद्ध क्रकए जािे और
न्यायालय के क्रकिी असिकारी की असिरिा में रिे जािे के सलए सिदेश दे िके गा ।
9. गृिीत दस्तािेजों का लौटाया जािा(1) िाद में अपिे द्वारा पेश की गई और असिलेि में िसम्मसलत की गई क्रकिी
दस्तािेज को िापि लेिे की िांछा करिे िाला कोई िी व्यसक्त, र्ािे िि िाद का पिकार िो या ि िो, उि दस्तािेज को, जब तक क्रक
िि सियम 8 के अिीि पटरबद्ध ि कर दी गई िो, िापि प्राप्त करिे का िकदार 
(क) जिां िाद ऐिा िै सजिमें अपील अिुज्ञात ििीं िै ििां उि िमय िोगा जब िाद का सिपटारा िो गया िै , तथा
100

(ि) जिां िाद ऐिा िै क्रक उिमें अपील अिुज्ञात िै ििां उि िमय िोगा जब न्यायालय का िमािाि िो जाता िै
क्रक अपील करिे का िमय बीत र्ुका िै और अपील ििीं की गई िै या यक्रद अपील की गई िै तो उि िमय िोगा जब अपील
सिपटा दी गई िो :
[परन्तु इि सियम द्वारा सिसित िमय िे पपिचतर क्रकिी िी िमय दस्तािेज लौटाया जा िके गा यक्रद उिकी िापिी के सलए
1

आिेदि करिे िाला व्यसक्त


(क) िमुसर्त असिकारी िो
(i) िाद के पिकार की दशा में मपल के स्थाि पर रििे के सलए प्रमासर्त प्रसत पटरदत्त करता िै, और
(ii) क्रकिी अन्य व्यसक्त की दशा में ऐिी मामपली प्रसत पटरदत्त करता िै, जो आदेश 7 के सियम 17 के
उपसियम (2) में िर्र्चत रीसत िे परीसित, समलाि की गई और प्रमासर्त िै, और
(ि) यि िर्ि देता िै क्रक यक्रद उििे ऐिी अपेिा की गई तो िि मपल को पेश कर देगा :]
परन्तु यि और िी क्रक ऐिी कोई दस्तािेज ििीं लौटाई जाएगी जो सडिी के बल िे पपर्चतया शपन्य या सिरुपयोगी िो गई िै ।
(2) िाक्ष्य में गृिीत दस्तािेज की िापिी पर उिे प्राप्त करिे िाले व्यसक्त द्वारा रिीद दी जाएगी ।
10. न्यायालय स्ियं अपिे असिलेिों में िे या अन्य न्यायालयों के असिलेिों में िे कागज मंगा िके गा(1) न्यायालय
स्िप्रेरर्ा िे या िाद के पिकारों में िे क्रकिी के आिेदि पर स्िसििेकािुिार अपिे असिलेिों में िे या क्रकिी अन्य न्यायालय के
असिलेिों में िे क्रकिी अन्य िाद या कायचिािी का असिलेि मंगा िके गा और उिका सिरीिर् कर िके गा ।
(2) इि सियम के अिीि क्रकया गया िर आिेदि का (जब तक क्रक न्यायालय अन्यथा सिदेश ि करे ) एक ऐिे शपथपत्र द्वारा
िमथचि क्रकया जाएगा सजिमें यि दर्शचत िोगा क्रक उि िाद में , सजिमें आिेदि क्रकया गया िै, िि असिलेि कै िे तासत्िक िै और यि क्रक
आिेदि अयुसक्तयुक्त सिलम्ब या व्यय के सबिा उि असिलेि की या उिके ऐिे िाग की सजिकी उिे आिश्यकता िै, िम्यक रूप िे
असिप्रमार्ीकृ त प्रसत असिप्राप्त ििीं कर िकता िै या यि असिलेि क्रक मपल की पेशी न्याय के प्रयोजिों के सलए आिश्यक िै ।
(3) इि सियम की कोई िी बात क्रकिी िी ऐिी दस्तािेज को, जो िाद में िाक्ष्य की सिसि के अिीि अग्राह्य िोती, िाक्ष्य में
उपयोग करिे के सलए, न्यायालय को िमथच बिािे िाली ििीं िमझी जाएगी ।
11. दस्तािेजों िे िम्बसन्ित उपबन्िों का िौसतक पदाथों को लागप िोिादस्तािेजों के िम्बन्ि में इिमें अन्तर्िचष्ट उपबन्ि
िाक्ष्य के रूप में पेश क्रकए जािे योग्य ििी अन्य िौसतक पदाथों को जिां तक िो िके , लागप िोंगे ।
2
आदेश 13क

िंसिप्त सिर्चय
1. ऐिे िादों की व्यासप्त और िगच, सजिको यि आदेश लागप िोता िै(1) इि आदेश में िि प्रक्रिया उपिर्र्चत िै, सजिके द्वारा
कोई न्यायालय मौसिक िाक्ष्य असिसलसित क्रकए सबिा क्रकिी िासर्सज्यक सििाद िे िंबंसित क्रकिी दािे का सिसिश्र्य कर िके गा ।
(2) इि आदेश के प्रयोजिों के सलए, “दािा” शब्द के अंतगचत सिम्िसलसित िोंगे
(क) क्रकिी दािे का िाग ;
(ि) कोई सिसशष्ट प्रश्ि, सजि पर दािा (र्ािे पपर्च रूप िे या िागत:) सििचर िै ; या
(ग) यथासस्थसत, कोई प्रसतदािा ।
(3) इि आदेश के अिीि िंसिप्त सिर्चय के सलए कोई आिेदि, क्रकिी प्रसतकप ल बात के िोते हुए िी, क्रकिी िासर्सज्यक सििाद
की बाबत क्रकिी ऐिे िाद में ििीं क्रकया जाएगा, जो मपल रूप िे आदेश 37 के अिीि क्रकिी िंसिप्त िाद के रूप में फाइल क्रकया गया िै ।
2. िंसिप्त सिर्चय के सलए आिेदि का प्रिमआिेदक, प्रसतिादी पर िमि की तामील क्रकए जािे के पश्र्ात क्रकिी िी िमय
िंसिप्त सिर्चय के सलए आिेदि कर िके गा :
परं तु ऐिे आिेदक द्वारा, िंसिप्त सिर्चय के सलए कोई आिेदि िाद के िंबंि में न्यायालय द्वारा सििाद्यक सिरसर्त क्रकए जािे
के पश्र्ात ििीं क्रकया जाएगा ।
3. िंसिप्त सिर्चय के सलए आिारन्यायालय क्रकिी दािे पर क्रकिी िादी या प्रसतिादी के सिरुद्ध िंसिप्त सिर्चय दे िके गा
यक्रद उिका यि सिर्ार िै क्रक,

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 63 द्वारा (1-2-1977 िे) परन्तुक के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा अंत:स्थासपत ।
101

(क) यथासस्थसत, िादी की दािे पर िफल िोिे की िास्तसिक िंिाििा ििीं िै या प्रसतिादी द्वारा दािे का
िफलतापपिचक प्रसतिाद करिे की िास्तसिक िंिाििा ििीं िै; और
(ि) इि बात का कोई अन्य बाध्यकारी कारर् ििीं िै क्रक दािे का मौसिक िाक्ष्य असिसलसित करिे के पिले
सिपटारा क्यों ििीं क्रकया जािा र्ासिए ।
4. प्रक्रिया(1) न्यायालय को िंसिप्त सिर्चय के सलए क्रकए गए क्रकिी आिेदि में, ऐिे क्रकन्िीं सिषयों के असतटरक्त, सजन्िें
आिेदक िुिंगत िमझे, इिके अंतगचत िीर्े िर्र्चत उपिंड (क) िे उपिण्ड (र्) में िर्र्चत सिषय िोंगे
(क) आिेदि में इि बात का कथि अिश्य अंतर्िचष्ट िोिा र्ासिए क्रक यि आिेदि इि आदेश के अिीि िंसिप्त
सिर्चय के सलए क्रकया गया िै ;
(ि) आिेदि में प्रसमतत: ििी तासविक तथ्य अिश्य प्रकट क्रकए जािे र्ासिएं और सिसि के प्रश्ि, यक्रद कोई िों, की
पिर्ाि की जािी र्ासिए ;
(ग) यक्रद आिेदक, क्रकिी दस्तािेजी िाक्ष्य पर सििचर करिे की ईप्िा करता िै, तो आिेदक द्वारा अिश्य
(i) अपिे आिेदि में ऐिे दस्तािेजी िाक्ष्य िसम्मसलत क्रकए जािे र्ासिएं ; और
(ii) ऐिे दस्तािेजी िाक्ष्य की िुिग
ं त अन्तिचस्तु की पिर्ाि की जािी र्ासिए सजि पर आिेदक सििचर
करता िै ;
(घ) आिेदि में अिश्य इि बात के कारर् बताएगा क्रक, यथासस्थसत, दािे में िफल िोिे या दािे का प्रसतिाद करिे
की िस्तुत: कोई िंिाििाएं क्यों ििीं िैं ;
(ङ) आिेदि में अिश्यक इि बात का उल्लेि क्रक आिेदक क्रकि अिुतोष की ईप्िा कर रिा िै और उिमें ऐिे
अिुतोष की ईप्िा करिे का िंसिप्त कथि क्रकया जािा र्ासिए ।
(2) जिां िंसिप्त सिर्चय के सलए कोई कोई िुििाई सियत कर दी जाती िै, ििां प्रत्यथी को कम िे कम तीि क्रदि की िपर्िा
सिम्िसलसित के बारे में अिश्य दी जािी र्ासिए
(क) िुििाई के सलए सियत तारीि ; और
(ि) दािा, सजिका ऐिी िुििाई में न्यायालय द्वारा सिसिश्र्य क्रकया जािा प्रस्तासित िै ।
(3) प्रत्यथी, िंसिप्त सिर्चय के आिेदि की िपर्िा या िुििाई की िप र्िा की प्रासप्त (जो िी पपिचतर िो) के तीि क्रदि के िीतर
ऐिे क्रकन्िीं अन्य सिषयों के असतटरक्त, सजन्िें प्रत्यथी िुिंगत िमझता िै िीर्े िर्र्चत िंड (क) िे िंड (र्) में िर्र्चत सिषयों के प्रसत उत्तर
दे िके गा
(क) उत्तर में प्रसमतत:
(i) ििी तासविक तथ्य अिश्य प्रकट क्रकए जािे र्ासिएं ; और
(ii) सिसि के प्रश्ि की, यक्रद कोई िो, अिश्य पिर्ाि की जाएगी ; और
(iii) िे कारर् अिश्य बताए जािे र्ासिएं क्रक आिेदक द्वारा ईसप्ित अिुतोष क्यों मुजपर ििीं क्रकया जािा
र्ासिए ;
(ि) यक्रद प्रत्यथी अपिे उत्तर में क्रकिी दस्तािेजी िाक्ष्य पर सििचर करिे की ईप्िा करता िै तो प्रत्यथी द्वारा
अिश्य,
(i) अपिे उत्तर में ऐिे दस्तािेजी िाक्ष्य िसम्मसलत क्रकए जािे र्ासिएं ; और
(ii) ऐिे दस्तािेजी िाक्ष्य की िुिंगत अन्तिचस्तु की पिर्ाि की जािी र्ासिए सजि पर प्रत्यथी सििचर
करता िै ;
(ग) उत्तर में इि बात के कारर् अिश्य बताए जािे र्ासिएं क्रक, यथासस्थसत, दािे में िफल िोिे या दािे का
प्रसतिाद करिे की िस्तुत: कोई िंिाििाएं क्यों ििीं िैं ;
(घ) उत्तर में प्रसमतत: उि सििाद्यकों का कथि अिश्य िोिा र्ासिए, जो सिर्ारर् के सलए सिर्टरत क्रकए जािे
र्ासिएं ;
(ङ) उत्तर में इि बात की पिर्ाि अिश्य की जािी र्ासिए क्रक सिर्ारर् पर ऐिा कौि िा असतटरक्त िाक्ष्य
असिलेि पर लाया जाएगा जो िंसिप्त सिर्चय के प्रिम पर असिलेि पर ििीं लाया जा िका ; और
102

(र्) उत्तर में यि अिश्य कथि िोिा र्ासिए क्रक असिलेिबद्ध िाक्ष्य या िामग्री, यक्रद कोई िो, के प्रकाश में
न्यायालय को िंसिप्त सिर्चय की कायचिािी क्यों ििीं करिी र्ासिए ।
5. िंसिप्त सिर्चय की िुििाई के सलए िाक्ष्य(1) इि आदेश में क्रकिी बात िोते हुए िी, यक्रद प्रत्यथी िंसिप्त सिर्चय के
क्रकिी आिेदि में िुििाई के दौराि असतटरक्त दस्तािेजी िाक्ष्य पर सििचर करिे की इच्छा करता िै, तो प्रत्यथी को—
(क) ऐिा दस्तािेजी िाक्ष्य आिश्य फाइल करिा र्ासिए, और
(ि) ऐिे दस्तािेजी िाक्ष्य की प्रसतयां, आिेदि के प्रत्येक अन्य पिकार पर, िुििाई की तारीि िे कम िे कम पन्द्रि
क्रदि पपिच, अिश्य तामील करिी र्ासिए ।
(2) इि आदेश में क्रकिी बात के िोते हुए िी, यक्रद िंसिप्त सिर्चय के सलए आिेदक, प्रसतिादी के दस्तािेजी िाक्ष्य के उत्तर में
दस्तािेजी िाक्ष्य पर सििचर करिे की इच्छा करता िै, तो आिेदक को—
(क) उत्तर में ऐिा दस्तािेजी िाक्ष्य अिश्य फाइल करिा र्ासिए ; और
(ि) ऐिे दस्तािेजी िाक्ष्य की प्रसत की प्रत्यथी पर, िुििाई की तारीि िे कम िे कम पांर् क्रदि पपिच, अिश्य तामील
करिी र्ासिए ।
(3) तत्प्रसतकप ल क्रकिी बात के िोते हुए िी, उपसियम (1) और उपसियम (2) में, दस्तािेजी िाक्ष्य
(क) फाइल क्रकया जािा अपेसित ििीं िोगा यक्रद ऐिा दस्तािेजी िाक्ष्य पिले िी फाइल क्रकया जा र्ुका िै ; या
(ि) उि पिकार पर तामील करिा अपेसित ििीं िोगा सजि पर उिकी पिले िी तामील की जा र्ुकी िै ।
6. आदेश, जो न्यायालय द्वारा क्रकए जा िकें गे(1) इि आदेश के अिीि क्रकए गए क्रकिी आिेदि पर, न्यायालय, ऐिे आदेश
कर िके गा जो िि स्िसििेकािुिार उसर्त िमझे, सजिमें सिम्िसलसित िी िैं,
(क) दािे पर सिर्चय का आदेश ;
(ि) इिमें िीर्े िर्र्चत सियम 7 के अिुिार िशतच आदेश ;
(ग) आिेदि को िाटरज करिे का आदेश ;
(घ) दािे के िाग को िाटरज करिे का और दािे के िाग पर सिर्चय का आदेश जो क्रक िाटरज ििीं क्रकया गया िै ;
(ङ) असििर्िों को (र्ािे पपर्चत: या िागत:) िटािे का आदेश ; या
(र्) आदेश 15क के अिीि िाद प्रबंिि के सलए कायचिािी करिे के और सिदेश देिे का आदेश ।
(2) जिां न्यायालय उपसियम (1) (क) िे उपसियम (1) (र्) में िे कोई आदेश करता िै, ििां न्यायालय ऐिा आदेश करिे के
अपिे कारर् असिसलसित करे गा ।
7. िशतच आदेश(1) जिां न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक इि बात की िंिाििा िै क्रक दािा या प्रसतिाद िफल िो
जाए ककं तु यि अिसििंिाव्य िै क्रक िि ऐिा करे गा, ििां न्यायालय सियम 6(1) (ि) में यथा उपिर्र्चत कोई िशतच आदेश कर िके गा ।
(2) जिां न्यायालय कोई िशतच आदेश करता िै, ििां िि
(क) ऐिा सिम्िसलसित ििी शतों या उिमें िे क्रकिी के अिीि रिते हुए कर िके गा :
(i) पिकार िे न्यायालय में ििरासश जमा करिे की अपेिा करिा ;
(ii) पिकार िे, यथासस्थसत, दािे या प्रसतिाद के िंबंि में सिसिर्दचष्ट कदम उठािे की अपेिा करिा ;
(iii) पिकार िे िर्ों को िापि करिे के सलए, यथासस्थसत, ऐिी प्रसतिपसत देिे या ऐिे प्रसतिप की
व्यिस्था करिे की अपेिा करिा, जो न्यायालय ठीक और उसर्त िमझे ;
(iv) ऐिी अन्य शतें असिरोसपत करिा, सजिके अंतगचत ऐिी िासियों की िसतपपर्तच के सलए, जो क्रकिी
पिकार को िाद के लंसबत रििे के दौराि िोिे की िंिाििा िै, ऐिी प्रसतिपसत देिा, जो न्यायालय स्िसििेकािुिार
ठीक िमझे ; और
(ि) िशतच आदेश के अिुपालि में अिफल रििे के पटरर्ामों को सिसिर्दचष्ट कर िके गा सजिके अन्तगचत ऐिे पिकार
के सिरुद्ध सिर्चय पाटरत करिा िी िै सजिमें िशतच आदेश का अिुपालि ििीं क्रकया िै ।
8. िर्े असिरोसपत करिे की शसक्तन्यायालय, िंसिता की िारा 35 और िारा 35क के उपबंिों के अिुिार िंसिप्त सिर्चय
के क्रकिी आिेदि में िर्ों के िंदाय का आदेश कर िके गा ।]
103

आदेश 14

सििाद्यकों का सस्थरीकरर् और सिसि सििाद्यकों के आिार पर या उि सििाद्यकों के आिार पर सजि पर रजामन्दी


िो गई िै िाद का अििारर्
1. सििाद्यकों की सिरर्िा(1) सििाद्यक तब पैदा िोते िैं जब क्रक तथ्य या सिसि की कोई तासविक प्रसतपादिा एक पिकार
द्वारा प्रसतज्ञात और दपिरे पिकार द्वारा प्रत्याखयात की जाती िै ।
(2) तासविक प्रसतपादिाएं सिसि या तथ्य की िे प्रसतपादिाएं िैं सजन्िें िाद लािे का अपिा असिकार दर्शचत करिे के सलए
िादी को असिकसथत करिा िोगा या अपिी प्रसतरिा गटठत करिे के सलए प्रसतिादी को असिकसथत करिा िोगा ।
(3) एक पिकार द्वारा प्रसतज्ञात और दपिरे पिकार द्वारा प्रत्याखयात िर एक तासविक प्रसतपादिा एक िुसिन्ि सििाद्यक का
सिषय िोगी ।
(4) सििाद्यक दो क्रकस्म के िोते िैं :
(क) तथ्य सििाद्यक,
(ि) सिसि सििाद्यक ।
(5) न्यायालय िाद की प्रथम िुििाई में िादपत्र को और यक्रद कोई सलसित कथि िो तो उिे पढ़िे के पश्र्ात और 1[आदेश
10 के सियम 2 के अिीि परीिा करिे के पश्र्ात तथा पिकारों या उिके प्लीडरों की िुििाई करिे के पश्र्ात] यि असिसिसश्र्त करे गा
क्रक तथ्य की या सिसि की क्रकि तासविक प्रसतपादिाओं के बारे में पिकारों में मतिेद िै और तब िि उि सििाद्यकों की सिरर्िा और
असिलेिि करिे के सलए अग्रिर िोगा सजिके बारे में यि प्रतीत िोता िै क्रक मामले का ठीक सिसिश्र्य उि पर सििचर करता िै ।
(6) इि सियम की कोई िी बात न्यायालय िे यि अपेिा ििीं करती क्रक िि उि दशा में सििाद्यक सिरसर्त और असिसलसित
करे जब प्रसतिादी िाद की पिली िुििाई में कोई प्रसतरिा ििीं करता ।
2[2.न्यायालय द्वारा ििी सििाद्यकों का सिर्चय िुिाया जािा(1) इि बात के िोते हुए िी क्रक िाद का सिपटारा प्रारसम्िक
सििाद्यक पर क्रकया जा िके गा, न्यायालय उपसियम (2) के उपबन्िों के अिीि रिते हुए ििी सििाद्यकों पर सिर्चय िुिाएगा ।
(2) जिां सिसि सििाद्यक और तथ्य सििाद्यक दोिों एक िी िाद में पैदा हुए िैं और न्यायालय की यि राय िै क्रक मामले या
उिके क्रकिी िाग का सिपटारा के िल सिसि सििाद्यक के आिार पर क्रकया जा िकता िै ििां यक्रद िि सििाद्यक
(क) न्यायालय की असिकाटरता, अथिा
(ि) तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सिसि द्वारा िृष्ट िाद के िजचि,
िे िम्बसन्ित िै तो िि पिले उि सििाद्यक का सिर्ारर् करे गा और उि प्रयोजि के सलए यक्रद िि ठीक िमझे तो, िि अन्य सििाद्यकों
का सिपटारा तब तक के सलए मुल्तिी कर िके गा जब तक क्रक उि सििाद्यक का अििारर् ि कर क्रदया गया िो और उि िाद की
कायचिािी उि सििाद्यक के सिसिश्र्य के अिुिार कर िके गा ।]
3. िि िामग्री सजििे सििाद्यकों की सिरर्िा की जा िके गीन्यायालय सिम्िसलसित ििी िामग्री िे या उिमें िे क्रकिी िे
सििाद्यकों की सिरर्िा कर िके गा
(क) पिकारों द्वारा या उिकी ओर िे उपसस्थत क्रकन्िीं व्यसक्तयों द्वारा ऐिे पिकारों के प्लीडरों द्वारा शपथ पर
क्रकए गए असिकथि ;
(ि) असििर्िों या िाद में पटरदत्त पटरप्रश्िों के उत्तरों में क्रकए गए असिकथि ;
(ग) दोिों पिकारों में िे क्रकिी के द्वारा पेश की गई दस्तािेजों की अन्तिचस्तु ।
4. न्यायालय सििाद्यकों की सिरर्िा करिे के पिले िासियों की या दस्तािेजों की परीिा कर िके गाजिां न्यायालय की
यि राय िै क्रक क्रकिी ऐिे व्यसक्त की परीिा क्रकए सबिा जो न्यायालय के िामिे ििीं िै, या क्रकिी ऐिी दस्तािेज का सिरीिर् क्रकए
सबिा जो िाद में पेश ििीं की गई िै, सििाद्यकों की ठीक-ठीक सिरर्िा ििीं की जा िकती िै ििां 3[िि सििाद्यकों की सिरर्िा क्रकिी
ऐिे क्रदि के सलए स्थसगत कर िके गा जो िात क्रदि के पश्र्ात का ि िो] और (तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सिसि के अिीि रिते हुए) िमि या
अन्य आदेसशका द्वारा सििश करके क्रकिी व्यसक्त की िासजरी करा िके गा या उि व्यसक्त द्वारा क्रकिी दस्तािेज को पेश करा िके गा
सजिके कब्जे या शसक्त में िि दस्तािेज िै ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 64 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 64 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 2 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 24 द्वारा (1-7-2002 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
104

सििाद्यकों का िंशोिि और उन्िें काट देिे की शसक्त(1) न्यायालय सडिी पाटरत करिे िे पपिच क्रकिी िी िमय ऐिे
1[5.

सिबन्ििों पर जो िि ठीक िमझे, सििाद्यकों में िंशोिि कर िके गा या असतटरक्त सििाद्यकों की सिरर्िा कर िके गा और ििी ऐिे
िंशोिि या असतटरक्त सििाद्यक जो पिकारों के बीर् सििादग्रस्त बातों के अििारर् के सलए आिश्यक िों, इि प्रकार िंशोसित क्रकए
जाएंगे या सिरसर्त क्रकए जाएंगे ।
(2) न्यायालय सडिी पाटरत करिे िे पपिच क्रकिी िी िमय ऐिे क्रकन्िीं सििाद्यकों को काट िके गा सजिके बारे में उिे प्रतीत
िोता िै क्रक िे गलत तौर पर सिरसर्त या पुर: स्थासपत क्रकए गए िैं ।]
6. तथ्य के या सिसि के प्रश्ि करार द्वारा सििाद्यकों के रूप में कसथत क्रकए जा िकें गे जिां िाद के पिकार तथ्य के या सिसि
के ऐिे प्रश्ि के बारे में रजामंद िो गए िैं जो उिके बीर् सिसिसश्र्त क्रकया जािा िै ििां िे उिका सििाद्यक के रूप में कथि कर िकें गे
और सलसित रूप में यि करार कर िकें गे क्रक ऐिे सििाद्यक पर न्यायालय के िकारात्मक या िकारात्मक सिष्कषच पर
(क) ऐिी ििरासश जो करार में सिसिर्दचष्ट िै या न्यायालय द्वारा या ऐिी रीसत िे जो न्यायालय सिदेश करे ,
असिसिसश्र्त की जािी िै, पिकारों में िे एक द्वारा उिमें िे दपिरे को िंदत्त की जाएगी या उिमें िे एक पिकार ऐिे क्रकिी
असिकार का िकदार या ऐिे क्रकिी दासयत्ि के अिीि घोसषत क्रकया जाएगा जो करार में सिसिर्दचष्ट िै ;
(ि) कोई िम्पसत्त जो करार में सिसिर्दचष्ट िै और िाद में सििादग्रस्त िै, पिकारों में िे एक द्वारा उिमें िे दपिरे को
या ऐिे पटरदत्त की जाएंगी जैिे क्रक िि दपिरा सिदेश करे ; अथिा
(ग) पिकारों में िे एक या असिक पिकार करार में सिसिर्दचष्ट और सििादग्रस्त बात िे िम्बसन्ित कोई सिसशष्ट
कायच करें गे या करिे िे सिरत रिेंगे ।
7. यक्रद न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक करार का सिष्पादि िदिािपपिचक हुआ था तो िि सिर्चय िुिा
िके गाजिां न्यायालय का ऐिी जांर् करिे के पश्र्ात जो िि उसर्त िमझे, यि िमािाि िो जाता िै क्रक
(क) करार पिकारों द्वारा िम्यक रूप िे सिष्पाक्रदत क्रकया गया था ;
(ि) पपिोक्त प्रश्ि के सिसिश्र्य में उिका िारिाि सित िै; तथा
(ग) िि इि योग्य िै क्रक उिका सिर्ारर् और सिसिश्र्य क्रकया जाए,
ििां िि उि सििाद्यक को असिसलसित करिे और उिका सिर्ारर् करिे के सलए अग्रिर िोगा,
और उि पर अपिे सिष्कषच या सिसिश्र्य उिी रीसत िे कथि करे गा मािो उि सििाद्यक की सिरर्िा न्यायालय द्वारा की गई िो, और
ऐिे सििाद्यक के सिष्कषच या सिसिश्र्य के आिार पर िि करार के सिबन्ििों के अिुिार सिर्चय िुिाएगा और इि प्रकार िुिाए गए
सिर्चय के अिुिरर् में सडिी िोगी ।
2
* * * * *
3
[आदेश 15क

मामला प्रबंिि िुििाई


1. प्रथम मामला प्रबंिि िुििाईन्यायालय प्रथम मामला प्रबंिि िुििाई, िाद के ििी पिकारों द्वारा दस्तािेजों की
स्िीकृ सत का या उिके प्रत्याखयाि का शपथ-पत्र फाइल करिे की तारीि िे र्ार िप्ताि के अपश्र्ात करे गा ।
2. मामला प्रबंिि िुििाई में पाटरत क्रकए जािे िाले आदेश मामला प्रबंिि िुििाई में, पिकारों को िुििे के पश्र्ात और
जब न्यायालय का यि सिष्कषच िै क्रक इिमें ऐिे तथ्य और सिसि सिषयक सििाद्यक िैं, सजि पर सिर्ारर् क्रकया अपेसित िै, तो िि
(क) असििर्िों, दस्तािेजों और उिके िमि पेश क्रकए गए दस्तािेजों की परीिा करिे के पश्र्ात और सिसिल
प्रक्रिया िंसिता, 1908 (1908 का 5) के आदेश 10 के सियम 2 के अिीि न्यायालय द्वारा की गई परीिा पर, यक्रद अपेसित िो,
आदेश 14 के अिुिार पिकारों के बीर् सििाद्यकों को सिर्टरत करिे िाला ;
(ि) उि िासियों को, सजिकी पिकारों द्वारा परीिा की जािी िै, िपर्ीबद्ध करिे िाला ;
(ग) िि तारीि सियत करिे िाला, सजि तक िाक्ष्य का शपथ-पत्र पिकारों द्वारा फाइल क्रकया जािा िै ;
(घ) िे तारीिें सियत करिे िाला, सजिको पिकारों के िासियों का िाक्ष्य असिसलसित क्रकया जािा िै ;
(ङ) िि तारीि सियत करिे िाला, सजि तक पिकारों द्वारा सलसित तकच न्यायालय के िमि फाइल क्रकए जािे िैं ;
(र्) िि तारीि सियत करिे िाला, सजिको मौसिक बिि न्यायालय द्वारा िुिी जािी िैं ; और

1
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 11 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 5 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा आदेश 15 का लोप क्रकया गया ।
3
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा प्रसतस्थासपत ।
105

(छ) मौसिक बिि करिे के सलए पिकारों और उिके असििक्ताओं के सलए िमय िीमाएं तय करिे िाला,
आदेश पाटरत कर िके गा ।
3. सिर्ारर् पपरा करिे की िमय िीमाइि आदेश के सियम 2 के प्रयोजिों के सलए तारीिें सियत करिे या िमय िीमाएं
तय करिे में न्यायालय यि िुसिसश्र्त करे गा क्रक बिि प्रथम मामला प्रबंिि िुििाई की तारीि िे छि माि तक पपरी िो जाए ।
4. क्रदि प्रसतक्रदि आिार पर मौसिक िाक्ष्य का असिसलसित क्रकया जािान्यायालय यथािंिि यि िुसिसश्र्त करे गा क्रक
िाक्ष्य का असिलेिि क्रदि प्रसतक्रदि आिार पर तब तक क्रकया जाएगा, जब तक क्रक ििी िासियों की प्रसतपरीिा पपरी ििीं िो जाती िै ।
5. सिर्ारर् के दौराि मामला प्रबंिि िुििाईन्यायालय, यक्रद आिश्यक िो, िमुसर्त आदेश जारी करिे के सलए सिर्ारर्
के दौराि क्रकिी िी िमय मामला प्रबंिि िुििाइयां िी कर िके गा सजििे सियम 2 के अिीि सियत तारीिों का पिकारों द्वारा पालि
िुसिसश्र्त क्रकया जा िके और िाद के त्िटरक सिपटाि को िुकर बिाया जा िके ।
6. मामला प्रबंिि िुििाई में न्यायालय की शसक्तयां(1) इि आदेश के अिीि हुई क्रकिी मामला प्रबंिि िुििाई में,
न्यायालय को सिम्िसलसित के सलए शसक्त िोगी
(क) सििाद्यकों को सिरसर्त करिे िे पपिच, आदेश 13क के अिीि पिकारों द्वारा फाइल क्रकए गए लंसबत आिेदि पर
िुििाई करिा तथा उि पर सिसिसश्र्य करिा ;
(ि) ऐिे दस्तािेजों या असििर्िों के िंकलि को, जो सििाद्यकों को सिरसर्त करिे के सलए िुिंगत तथा आिश्यक
िों, फाइल करिे के सलए पिकारों को सिदेश देिा ;
(ग) क्रकिी पद्धसत, सिदेश या न्यायालय आदेश का अिुपालि करिे के सलए िमय बढ़ािा या उिे कम करिा, यक्रद
उिे ऐिा करिे के सलए पयाचप्त कारर् क्रदिाई पडता िै ;
(घ) िुििाई को स्थसगत करिा या अग्रिीत करिा, यक्रद न्यायालय को ऐिा करिे के सलए पयाचप्त कारर् क्रदिाई
पडता िै ;
(ङ) आदेश 10 के सियम 2 के अिीि परीिा के प्रयोजिों के सलए पिकार को न्यायालय में िासजर िोिे के सलए
सिदेश देिा ;
(र्) कायचिासियों को िमेक्रकत करिा ;
(छ) क्रकिी िािी के िाम अथिा ऐिे िाक्ष्य को िटािा, सजिे िि सिरसर्त सििाद्यकों के प्रसत अिंगत िमझे ;
(ज) क्रकिी सििाद्यक के पृथक सिर्ारर् का सिदेश देिा ;
(झ) ऐिे आदेश का सिसिश्र्य करिा, सजिमें सििाद्यकों पर सिर्ारर् क्रकया जाएगा ;
(ञ) क्रकिी सििाद्यक को उि पर सिर्ार क्रकए जािे िे अपिर्जचत करिा ;
(ट) प्रारं सिक सििाद्यक पर सिसिश्र्य के पश्र्ात क्रकिी दािे को िाटरज करिा या उि पर सिर्चय देिा ;
(ठ) आदेश 26 के अिुिार, जिां आिश्यक िो, क्रकिी कमीशि द्वारा िाक्ष्य को असिसलसित क्रकए जािे का सिदेश
देिा ;
(ड) पिकारों द्वारा फाइल क्रकए गए ऐिे िाक्ष्य के क्रकिी शपथ-पत्र को, सजिमें अिंगत, अग्राह्य या तकाचत्मक
िागग्री अन्तर्िचष्ट िै, िामंजपर करिा ;
(ढ) पिकारों द्वारा फाइल क्रकए गए िाक्ष्य के शपथ-पत्र के क्रकिी िाग को सजिमें अिंगत, अग्राह्य या तकाचत्मक
िामग्री अन्तर्िचष्ट िै, िटािा ;
(र्) िाक्ष्य के असिलेिि कायच इि प्रयोजि के सलए न्यायालय द्वारा सियुक्त ऐिे प्रासिकारी को प्रत्यायोसजत
करिा ;
(त) क्रकिी कमीशि या क्रकिी अन्य प्रासिकारी द्वारा िाक्ष्य असिलेिि को मािीटर करिे िे िंबंसित कोई आदेश
पाटरत करिा ;
(थ) क्रकिी पिकार को िर्े के बजट को फाइल करिे तथा उिका आदाि-प्रदाि करिे के सलए आदेश देिा ;
(द) मामले का प्रबंिि करिे और िाद के दितापपिचक सिपटाि को िुसिसश्र्त करिे के अध्यारोिी उद्देश्य को अग्रिर
करिे के प्रयोजि के सलए सिदेश जारी करिा या कोई आदेश पाटरत करिा ।
(2) जब न्यायालय इि आदेश के अिीि अपिी शसक्तयों का प्रयोग करते हुए आदेश पाटरत करता िै तो िि,
106

(क) ऐिा आदेश, ऐिी शतों के अिीि रिते हुए, सजिमें एक शतच न्यायालय में ििरासश का िंदाय करिे की िी िै,
कर िके गा ; और
(ि) आदेश या क्रकिी शतच का अिुपालि करिे में अिफल रििे के पटरर्ाम को सिसिर्दचष्ट कर िके गा ।
(3) मामला प्रबंिि िुििाई की तारीि सियत करते िमय, यक्रद न्यायालय का यि मत िै क्रक पिकारों के बीर् िमझौते की
िंिाििा िै तो िि ऐिी मामला प्रबंिि िुििाई में पिकारों को िी उपसस्थत रििे का सिदेश दे िके गा ।
7. मामला प्रबंिि िुििाई का स्थगि(1) न्यायालय मात्र इि कारर् िे क्रक क्रकिी पिकार की ओर िे उपिंजात िोिे िाला
असििक्ता उपसस्थत ििीं िै, मामला प्रबंिि िुििाई स्थसगत ििीं करे गा :
परन्तु यक्रद िुििाई के स्थगि की ईप्िा, असग्रम में आिेदि करके की जाती िै, तो न्यायालय ऐिे आिेदि करिे िाले पिकार
द्वारा ऐिे िर्े के िंदाय पर, जो िि ठीक िमझे, िुििाई को क्रकिी अन्य तारीि तक स्थसगत कर िके गा ।
(2) इि सियम में अन्तर्िचष्ट क्रकिी बात के िोते हुए िी, यक्रद न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक असििक्ता की
अिुपसस्थसत का न्यायोसर्त कारर् िै तो िि ऐिे सिबंििों और शतों पर, जो िि ठीक िमझे, िुििाई को क्रकिी अन्य तारीि तक
स्थसगत कर िके गा ।
8. आदेशों के अििुपालि के पटरर्ामजिां कोई पिकार मामला प्रबंिि िुििाई में पाटरत न्यायालय के आदेश का
अिुपालि करिे में अिफल रिता िै, ििां न्यायालय को सिम्िसलसित की शसक्त िोगी,--
(क) न्यायालय को िर्ों के िंदाय पर, ऐिे अििुपालि को माफ करिा ;
(ि) सिर्ारर् में, यथासस्थसत, अिुपालि ि करिे िाले पिकार के शपथ-पत्र फाइल करिे, िासियों की प्रसतपरीिा
करिे, सलसित सििेदि फाइल करिे, मौसिक बिि करिे या आगे और तकच देिे के असिकार को पुरोबंि करिा ; या
(ग) जिां ऐिा अििुपालि जािबपझकर क्रकया गया िै, पुि: क्रकया गया िै और िर्े का असिरोपर्, अिुपालि
िुसिसश्र्त करिे के सलए पयाचप्त ििीं िै, ििां िादपत्र को िाटरज करिा या िाद को मंजपर करिा ।]
आदेश 16

िासियों को िमि करिा और उिकी िासजरी


[1. िासियों की िपर्ी और िासियों को िमि(1) ऐिी तारीि को या इिके पपिच जो न्यायालय सियत करे और जो
1

सििाद्यकों का सिपटारा कर क्रदए जािे िे पन्द्रि क्रदि पश्र्ात ि िो, पिकार न्यायालय में ऐिे िासियों की िपर्ी पेश करें गे सजन्िें िे या
तो िाक्ष्य देिे के सलए या दस्तािेजों को पेश करिे के सलए बुलािे की प्रस्थापिा करते िैं और न्यायालय में ऐिे व्यसक्तयों की िासजरी के
सलए उिके िाम िमि असिप्राप्त करें गे ।
(2) यक्रद कोई पिकार क्रकिी व्यसक्त की िासजरी के सलए कोई िमि असिप्राप्त करिा र्ािता िै तो िि पिकार न्यायालय में
आिेदि उिमें उि प्रयोजि का कथि करते हुए फाइल करे गा सजिके सलए िािी को िमि क्रकया जािा प्रस्थासपत िै ।
(3) न्यायालय कारर् असिसलसित करते हुए पिकार को क्रकिी ऐिे िािी की जो उपसियम (1) में सिर्दचष्ट िपर्ी में िर्र्चत
िामों िे सिन्ि िो, र्ािे न्यायालय की माफच त िमि द्वारा या अन्यथा बुलािे की अिुमसत के िल तिी दे िके गा जब ऐिा पिकार उक्त
िपर्ी में ऐिे िािी के िाम का िर्चि करिे में लोप के सलए पयाचप्त कारर् दर्शचत कर दे ।
(4) उपसियम (2) के उपबन्िों के अिीि रिते हुए, इि सियम में सिर्दचष्ट िमि पिकारों द्वारा न्यायालय िे या ऐिे असिकारी
िे जो 2[उपसियम (1) के अिीि िासियों की िपर्ी प्रस्तुत करिे के पांर् क्रदि के िीतर न्यायालय द्वारा इि सिसमत्त] सियुक्त क्रकया जाए,
आिेदि करके असिप्राप्त क्रकए जा िकें गे ।]
[1क. िमि के सबिा िासियों का पेश क्रकया जािासियम 1 के उपसियम (3) के उपबंिों के अिीि रिते हुए, िाद का कोई
3

पिकार सियम (1) के अिीि िमि के सलए आिेदि क्रकए सबिा क्रकिी िािी को िाक्ष्य देिे या दस्तािेजें पेश करिे के सलए ला िके गा ।]
2. िमि के सलए आिेदि करिे पर, िािी के व्यय न्यायालय में जमा कर क्रदए जाएंगे(1) िमि के सलए आिेदि करिे िाला
पिकार िमि के अिुदत्त क्रकए जािे के पिले और उि अिसि के िीतर जो सियत की जाए 4[जो सियम 1 के उपसियम (4) के अिीि
आिेदि करिे की तारीि िे िात क्रदि के पश्र्ात की ि िो] ऐिी रासश न्यायालय में जमा करे गा जो िमसित व्यसक्त के उि न्यायालय
तक सजिमें िासजर िोिे की अपेिा उििे की गई िै, आिे और ििां िे जािे के यात्रा िम्बन्िी और अन्य व्ययों और एक क्रदि की िासजरी
के व्ययों को र्ुकािे के सलए न्यायालय को पयाचप्त प्रतीत िो ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 66 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 1 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 25 द्वारा (1-7-2002 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 66 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 1क के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 25 द्वारा (1-7-2002 िे) अंत:स्थासपत ।
107

(2) सिशेषज्ञइि सियम के अिीि देय रकम का अििारर् करिे में न्यायालय, सिशेषज्ञ के िाते िाक्ष्य देिे के सलए िमसित
क्रकिी व्यसक्त की दशा में उि िमय के सलए युसक्तयुक्त पाटरश्रसमक अिुज्ञात करे गा जो िाक्ष्य देिे में और मामले के सलए आिश्यक
सिशेषज्ञीय स्िरूप के क्रकिी कायच के करिे में लगा िो ।
(3) व्ययों का मापमािजिां न्यायालय उच्र् न्यायालय के अिीिस्थ िै ििां ऐिे व्ययों का मापमाि सियत करिे में उि
सियमों का ध्याि रिा जाएगा जो उि सिसमत्त बिाए गए िैं ।
[(4) व्ययों का िासियों को िीिे िंदाय क्रकया जािाजिां पिकार द्वारा िमि िािी पर िीिे तामील क्रकया जाता िै ििां
1

उपसियम (1) में सिर्दचष्ट व्यय िािी को पिकार या उिके असिकताच द्वारा िंदत्त क्रकया जाएगा ।]
3. िािी को व्ययों का सिसिदाियक्रद िमि की तामील िमसित व्यसक्त पर िैयसक्तक रूप िे की जा िकती िै तो िमि की
तामील करते िमय िि रासश जो न्यायालय में ऐिे जमा की गई िै, िमसित व्यसक्त को सिसिदत्त की जाएगी ।
4. जिां अपयाचप्त रासश जमा की गई िै ििां प्रक्रिया(1) जिां न्यायालय को या ऐिे असिकारी को सजिे िि इि सिसमत्त
सियुक्त करता िै यि प्रतीत िोता िै क्रक न्यायालय में जमा की गई रासश ऐिे व्ययों या युसक्तयुक्त पाटरश्रसमक को पपरा करिे के सलए
पयाचप्त ििीं िै ििां न्यायालय िमसित व्यसक्त को ऐिी असतटरक्त रासश के क्रदए जािे के सलए सिदेश दे िके गा जो उि िद्धे आिश्यक
प्रतीत िोती िो और िंदाय करिे में व्यसतिम की दशा में यि आदेश दे िके गा क्रक ऐिी रासश िमि करिे िाले पिकार की जंगम िंपसत्त
की कु की और सििय के द्वारा उदगृिीत की जाए या न्यायालय िमसित व्यसक्त िे िाक्ष्य देिे की अपेिा क्रकए सबिा उिे उन्मोसर्त कर
िके गा या ऐिे उदग्रिर् का और ऐिे व्यसक्त के यथापपिोक्त उन्मोर्ि दोिों का आदेश दे िके गा ।
(2) एक क्रदि िे असिक रोके जािे पर िासियों के व्ययजिां िमसित व्यसक्त को एक क्रदि िे असिक अिसि के सलए रोक
रििा आिश्यक िै ििां न्यायालय िमय-िमय पर उि पिकार को सजिकी प्रेरर्ा पर िि िमसित क्रकया गया था, न्यायालय में ऐिी
रासश जमा करिे का आदेश दे िके गा जो ऐिी असतटरक्त अिसि के सलए उिके रोक रििे के व्ययों को र्ुकािे के सलए पयाचप्त िो और
ऐिे सििेप करिे में व्यसतिम िोिे पर आदेश दे िके गा क्रक ऐिी रासश ऐिे पिकार की जंगम िंपसत्त की कु की और सििय के द्वारा
उदगृिीत की जाए या न्यायालय िमसित व्यसक्त िे िाक्ष्य देिे की अपेिा क्रकए सबिा उिे उन्मोसर्त कर िके गा या ऐिे उदग्रिर् का और
ऐिे व्यसक्त के यथापपिोक्त उन्मोर्ि दोिों का आदेश दे िके गा ।
5. िासजरी के िमय, स्थाि और प्रयोजि का िमि में सिसिर्दचष्ट क्रकया जािािाक्ष्य देिे या दस्तािेज पेश करिे को क्रकिी
व्यसक्त की िासजरी के सलए िर िमि में िि िमय और स्थाि सिसिर्दचष्ट िोगा सजिमें िि िासजर िोिे के सलए अपेसित िै और यि िी
सिसिर्दचष्ट िोगा क्रक उिकी िासजरी िाक्ष्य देिे के प्रयोजि के सलए या दस्तािेज पेश करिे के प्रयोजि के सलए या दोिों प्रयोजिों के सलए
अपेसित िै और ऐिी कोई सिसशष्ट दस्तािेज सजिे पेश करिे की िमसित व्यसक्त िे अपेिा की गई िै, िमि में युसक्तयुक्त शुद्धता के
िाथ िर्र्चत िोगी ।
6. दस्तािेज पेश करिे के सलए िमिकोई िी व्यसक्त िाक्ष्य देिे के सलए िमि क्रकए सबिा, दस्तािेज पेश करिे के सलए
िमि क्रकया जा िके गा और के िल दस्तािेज पेश करिे के सलए िी िमसित कोई व्यसक्त, यक्रद उिे पेश करिे के सलए स्ियं िासजर िोिे के
बदले ऐिी दस्तािेज को पेश करिा देता िै तो उिके बारे में यि िमझा जाएगा क्रक उििे िमि का अिुपालि कर क्रदया िै ।
7. न्यायालय में उपसस्थत व्यसक्तयों को िाक्ष्य देिे या दस्तािेज पेश करिे के सलए अपेसित करिे की शसक्तन्यायालय में
उपसस्थत क्रकिी िी व्यसक्त िे न्यायालय यि अपेिा कर िके गा क्रक िि व्यसक्त िाक्ष्य दे या ऐिी कोई दस्तािेज पेश करे , जो उि िमय
और ििां उिके कब्जे या शसक्त में िै ।
[7क. तामील के सलए पिकार को िमि का क्रदया जािा(1) न्यायालय क्रकिी व्यसक्त की िासजरी के सलए िमि सिकालिे
1

के सलए क्रकिी पिकार के आिेदि पर, ऐिे पिकार को उि व्यसक्त पर िमि की तामील करिे के सलए अिुज्ञा दे िके गा और ऐिी दशा
में उि पिकार को तामील के सलए िमि पटरदत्त करे गा ।
(2) ऐिे िमि की तामील ऐिे पिकार द्वारा या उिकी ओर िे िािी की िैयसक्तक रूप िे उिकी प्रसत जो न्यायािीश द्वारा
या न्यायालय के ऐिे असिकारी द्वारा सजिे िि इि सिसमत्त सियुक्त करे , िस्तािटरत िो और जो न्यायालय की मुद्रा िे मुद्रांक्रकत िो,
पटरदत्त या सिसिदत्त करके की जाएगी ।
(3) आदेश 5 के सियम 16 और सियम 18 के उपबन्ि इि असिसियम के अिीि िैयसक्तक रूप िे तामील क्रकए गए िमि को
इि प्रकार लागप िोंगे मािो तामील करिे िाला व्यसक्त तामील करिे िाला असिकारी िो ।
(4) यक्रद ऐिा िमि सिसिदत्त क्रकए जािे के िमय अगृिीत कर क्रदया जाता िै या िि व्यसक्त सजि पर तामील की गई िै,
तामील की असिस्िीकृ सत पर िस्तािर करिे िे इं कार कर देता िै या क्रकिी कारर् िे ऐिा िमि िैयसक्तक रूप िे तामील ििीं क्रकया जा
िकता िै तो न्यायालय पिकार के आिेदि पर ऐिा िमि उिी रीसत िे न्यायालय द्वारा तामील क्रकए जािे के सलए सजििे प्रसतिादी को
िमि तामील क्रकया जाता िै, पुि: सिकालेगा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 66 द्वारा (1-2-1977 िे) अंत:स्थासपत ।
108

(5) जिां इि सियम के अिीि पिकार द्वारा िमि तामील क्रकया जाता िै ििां पिकार िे ऐिी फीि िंदत्त करिे की अपे िा
ििीं की जाएगी जो िमि की तामील के सलए अन्यथा प्रिायच िोती । ]
8. िमि की तामील कै िे िोगी1[इि आदेश के अिीि िर िमि की तामील जो सियम 7क के अिीि पिकार को तामील के
सलए पटरदत्त िमि ििीं िै,] जिां तक िंिि िो िके , िैिी िी रीसत िे की जाएगी जैिी प्रसतिादी के िाम सिकाले गए िमि की तामील
की जाती िै और आदेश 5 के िे सियम जो तामील के िबपत िे िम्बसन्ित िैं, उि ििी िमिों की दशा में लागप िोंगे सजिकी तामील इि
सियम के अिीि की गई िै ।
9. िमि की तामील के सलए िमयििी दशाओं में तामील उि िमय िे पयाचप्त िमय पपिच की जाएगी जो िमसित व्यसक्त
की िासजरी के सलए िमि में सिसिर्दचष्ट िो, सजििे उिे तैयारी करिे के सलए और उि स्थाि तक जिां पर उिकी िासजरी अपेसित िै,
यात्रा करिे के सलए युसक्तयुक्त िमय समल िके ।
10. जिां िािी िमि का अिुपालि करिे में अिफल रिता िै ििां प्रक्रिया2[(1) जिां िि व्यसक्त सजिके िाम िाक्ष्य देिे
को िासजर िोिे के सलए या दस्तािेज पेश करिे के सलए िमि सिकाला गया िै, ऐिे िमि के अिुपालि में िासजर िोिे या दस्तािेज पेश
करिे में अिफल रिता िै ििां न्यायालय
(क) यक्रद तामील करिे िाले असिकारी का प्रमार्पत्र शपथपत्र द्वारा ित्यासपत ििीं क्रकया गया िै या यक्रद िमि की
तामील पिकार या उिके असिकताच द्वारा कराई गई िै तो, यथासस्थसत, तामील करिे िाले ऐिे असिकारी या पिकार या
उिके असिकताच की सजििे शपथपत्र की तामील कराई थी, िमि की तामील िोिे या ि िोिे के बारे में शपथपत्र करे गा या
क्रकिी न्यायालय द्वारा उिकी इि प्रकार परीिा कराएगा ; अथिा
(ि) यक्रद तामील करिे िाले असिकारी का प्रमार्पत्र इि प्रकार ित्यासपत क्रकया गया िै तो, यथासस्थसत, तामील
करिे िाले ऐिे असिकारी या पिकार या उिके असिकताच की सजििे शपथपत्र की तामील कराई थी, िमि की तामील िोिे
या ि िोिे के बारे में शपथपत्र पर परीिा कर िके गा या क्रकिी न्यायालय द्वारा उिकी इि प्रकार परीिा करा िके गा ।]
(2) जिां न्यायालय को यि सिश्िाि करिे के सलए कारर् क्रदिाई देता िै क्रक ऐिा िाक्ष्य या ऐिा पेश क्रकया जािा तासविक िै
और ऐिे िमि के अिुपालि में िासजर िोिे या ऐिी दस्तािेज पेश करिे में ऐिा व्यसक्त सिसिपपर्च प्रसतिेतु के सबिा अिफल रिा िै या
उििे तामील िे अपिे को िाशय बर्ाया िै ििां िि उििे यि अपेिा करिे िाली उद घोषर्ा सिकाल िके गा क्रक िि उिमें िासमत
िमय और स्थाि में िाक्ष्य देिे या दस्तािेज पेश करिे के सलए िासजर िो और ऐिी उदघोषर्ा की प्रसत उि गृि के बािर द्वार पर या
अन्य ििजदृश्य िाग पर लगाई जाएगी सजिमें िि मामपली तौर िे सििाि करता िै ।
(3) न्यायालय ऐिे व्यसक्त की सगरफ्तारी के सलए िारं ट प्रसतिपसत के िसित या सबिा ऐिी उद घोषर्ा के बदले में या उिे
सिकालिे के िमय या तत्पश्र्ात क्रकिी िी िमय, स्िसििेकािुिार सिकाल िके गा और उिकी िम्पसत्त की कु की के सलए आदेश ऐिी
कु की के िर्ों की और सियम 12 के अिीि असिरोसपत क्रकए जािे िाले क्रकिी जुमाचिे की रकम िे अिसिक ऐिी रकम के सलए कर िके गा
जो िि ठीक िमझे :
परन्तु कोई िी लघुिाद न्यायालय स्थािर िम्पसत्त की कु की के सलए आदेश ििीं करे गा ।
11. यक्रद िािी उपिंजात िो जाता िै तो कु की प्रत्याहृत की जा िके गीजिां ऐिा व्यसक्त अपिी िम्पसत्त की कु की के
पश्र्ात क्रकिी िमय उपिंजात िो जाता िै और
(क) न्यायालय का िमािाि कर देता िै क्रक िमि का अिुपालि करिे में िि सिसिपपर्च प्रसतिेतु के सबिा अिफल
ििीं रिा िै या उििे तामील िे अपिे को िाशय ििीं बर्ाया िै, तथा
(ि) जिां िि असन्तम पपिचिती सियम के अिीि सिकाली गई उदघोषर्ा में िासमत िमय और स्थाि में िासजर िोिे
में अिफल रिा िै ििां न्यायालय का िमािाि कर देता िै क्रक ऐिी उदघोषर्ा की कोई िपर्िा उिे ऐिे िमय पर ििीं हुई थी
क्रक िि िासजर िो िकता,
ििां न्यायालय यि सिदेश देगा क्रक िम्पसत्त कु की िे सिमुचक्त की जाए और कु की के िर्ों के िम्बन्ि में िि ऐिा आदेश करे गा जो िि
ठीक िमझे ।
12. यक्रद िािी उपिंजात िोिे में अिफल रिता िै तो प्रक्रिया3[(1)] जिां ऐिा व्यसक्त उपिंजात ििीं िोता िै या
उपिंजात तो िोता िै क्रकन्तु न्यायालय का िमािि करिे में अिफल रिता िै ििां न्यायालय उिकी िांिाटरक सस्थसत और मामले की
ििी पटरसस्थसतयों को ध्याि में रिते हुए पांर् िौ रुपए िे अिसिक ऐिा जुमाचिा उि पर असिरोसपत कर िके गा जो िि ठीक िमझे
और इि प्रयोजि िे क्रक यक्रद कोई युक्त जुमाचिा िो तो उि जुमाचिे की रकम के िसित ऐिी कु की के ििी िर्ों को र्ुकाया जो िके यि
आदेश दे िके गा क्रक उिकी िम्पसत्त या उिका कोई िाग कु कच क्रकया जाए और उिका सििय क्रकया जाए या यक्रद िि पिले िी सियम 10
के अिीि कु कच क्रकया जा र्ुका िै तो उिका सििय क्रकया जाए :

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 66 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 66 द्वारा (1-2-1977 िे) उपसियम (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 66 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 12 को उपसियम (1) के रूप में पुि:िंखयांक्रकत क्रकया गया ।
109

परन्तु यक्रद िि व्यसक्त सजिकी िासजरी अपेसित िै उक्त िर्ों और जुमाचिे को न्यायालय में जमा कर देता िै तो न्यायालय
िम्पसत्त को कु की िे सिमुचक्त क्रकए जािे का आदेश देगा ।
[(2) इि बात के िोते हुए िी क्रक न्यायालय िे ि तो सियम 10 के उपसियम (2) के अिीि उदघोषर्ा सिकाली िै, और ि उि
1

सियम के उपसियम (3) के अिीि िारं ट सिकाला िै और ि कु की का आदेश क्रकया िै, न्यायालय ऐिे व्यसक्त को यि िेतुक दर्शचत करिे के
सलए िपर्िा देिे के पश्र्ात क्रक जुमाचिा क्यों ििीं असिरोसपत क्रकया जािा र्ासिए, इि सियम के उपसियम (1) के अिीि जुमाचिा
असिरोसपत कर िके गा ।]
13. कु की करिे का ढंगसडिी के सिष्पादि में िम्पसत्त की कु की और सििय के बारे में उपबन्ि जिां तक क्रक िे लागप िोिे
योग्य िों, इि आदेश के अिीि क्रकिी कु की और सििय को उिी प्रकार लागप िमझे जाएंगे मािो िि सजिकी िम्पसत्त इि प्रकार कु कच की
गई िै, सिर्ीतऋर्ी िो ।
14. जो व्यसक्त िाद में पर व्यसक्त िैं उन्िें न्यायालय िासियों के रूप में स्िप्रेरर्ा िे िमि कर िके गािासजरी और
उपसस्थसत के बारे में इि िंसिता के उपबन्िों और तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सिसि के अिीि रिते हुए, जिां न्यायालय क्रकिी िी िमय यि
आिश्यक िमझता िै क्रक 2[क्रकिी ऐिे व्यसक्त की परीिा की जाए सजिके अन्तगचत िाद का पिकार िी िै] और जो िाद के पिकार द्वारा
िािी के रूप में ििीं बुलाया गया िै ििां न्यायालय स्िप्रेरर्ा िे ऐिे व्यसक्त को, ऐिे क्रदि जो सियत क्रकया जाएगा, िाक्ष्य देिे के सलए
या अपिे कब्जे में की कोई दस्तािेज पेश करिे के सलए िािी के रूप में िमि करिा िके गा और िािी के रूप में उिकी परीिा कर
िके गा या उििे ऐिी दस्तािेज पेश करिे के सलए अपेिा कर िके गा ।
15. उि व्यसक्तयों का कतचव्य जो िाक्ष्य देिे या दस्तािेज पेश करिे के सलए िमि क्रकए गए िैंठीक ऊपर िाले सियम के
अिीि रिते हुए कोई व्यसक्त जो क्रकिी िाद में उपिंजात िोिे और िाक्ष्य देिे के सलए िमि क्रकया जाता िै िि उि प्रयोजि के सलए
िमि में िासमत िमय और स्थाि में िासजर िोगा और कोई व्यसक्त जो दस्तािेज पेश करिे के सलए िमि क्रकया जाता िै िि ऐिे िमय
पर और ऐिे स्थाि में या तो उिे पेश करिे के सलए िासजर िोगा या उिे पेश कराएगा ।
16. िे कब प्रस्थाि कर िकें गे(1) इि प्रकार िमसित और िासजर िोिे िाला व्यसक्त, जब तक क्रक न्यायालय अन्यथा सिदेश
ि करे , िर एक िुििाई में तब तक िासजर िोता रिेगा जब तक क्रक िाद का सिपटारा ि िो जाए ।
(2) दोिों पिकारों में िे क्रकिी िी आिेदि पर और न्यायालय की माफच त िमस्त आिश्यक व्ययों के (यक्रद कोई िों) िंदत्त क्रकए
जािे पर, न्यायालय इि प्रकार िमसित और िासजर िोिे िाले क्रकिी िी व्यसक्त िे अपेिा कर िके गा क्रक िि अगली या क्रकिी अन्य
िुििाई में या तब तक, जब तक क्रक िाद का सिपटारा ि िो जाए, िासजर िोिे के सलए प्रसतिपसत दे और ऐिी प्रसतिपसत देिे में उिके
व्यसतिम करिे पर आदेश कर िके गा क्रक उिे सिसिल कारगार में सिरुद्ध क्रकया जाए ।
17. सियम 10 िे सियम 13 तक का लागप िोिासियम 10 िे सियम 13 तक के उपबन्िों के बारे में जिां तक क्रक िे लागप िोिे
योग्य िैं, यि िमझा जाएगा क्रक िे क्रकिी िी ऐिे व्यसक्त को लागप िोते िैं, जो िमि के अिुपालि में िासजर िोिे पर, सियम 16 के
उल्लंघि में सिसिपपर्च प्रसतिेतु के सबिा प्रस्थाि कर गया िै ।
18. जिां पकडा गया िािी िाक्ष्य ििीं दे िकता या दस्तािेज पेश ििीं कर िकता ििां प्रक्रियाजिां िारं ट के अिीि
सगरफ्तार क्रकया गया कोई व्यसक्त न्यायायलय के िमि असिरिा में लाया जाता िै और पिकारों की या उिमें िे क्रकिी की अिुपसस्थसत
के कारर् िि ऐिा िाक्ष्य ििीं दे िकता िै या ऐिी दस्तािेज पेश ििीं कर िकता िै सजिे देिे या पेश करिे के सलए िि िमि क्रकया गया
िै ििां न्यायालय उििे यि अपेिा कर िके गा क्रक िि ऐिे िमय और ऐिे स्थाि में जो न्यायालय ठीक िमझे, अपिी उपिंजासत के सलए
युसक्तयुक्त जमाित या अन्य प्रसतिपसत दे और ऐिी जमाित या प्रसतिपसत के क्रदए जािे पर उिे सिमुचक्त कर िके गा और उिके ऐिी
जमाित या प्रसतिपसत देिे में व्यसतिम करिे पर आदेश दे िके गा क्रक उिे सिसिल कारागार में सिरुद्ध क्रकया जाए ।
19. जब तक क्रक कोई िािी क्रकन्िीं सिसश्र्त िीमाओं के िीतर का सििािी ि िो िि स्ियं िासजर िोिे के सलए आक्रदष्ट ििीं
क्रकया जाएगाक्रकिी िी व्यसक्त को स्ियं िासजर िोिे के सलए के िल तिी आदेश क्रकया जाएगा जब िि
(क) न्यायालय की मामपली आरसम्िक असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर, अथिा
(ि) ऐिी िीमाओं के बािर क्रकन्तु ऐिे स्थाि में जो न्याय-िदि िे 3[एक िौ क्रकलोमीटर] िे कम या (जिां उि
स्थाि के जिां िि सििाि करता िै और उि स्थाि के जिां न्यायालय सस्थत िै, बीर् पंर्षष्टांश दपरी तक रे ल या स्टीमर
िंर्ार या अन्य स्थासपत लोक प्रििर् िै ििां) 4[पांर् िौ क्रकलोमीटर] िे कम दपर िै,
सििाि करता िै :
[परन्तु जिां इि सियम में िर्र्चत दोिों स्थािों के बीर् िायु मागच द्वारा यातायात उपलब्ि िै और िािी को िायु मागच का
1

यात्री िाडा िंदत्त क्रकया गया िै, ििां उिे स्ियं िासजर िोिे का आदेश क्रकया जा िके गा ।]

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 66 द्वारा (1-2-1977 िे) अंत:स्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 66 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 66 द्वारा (1-2-1977 िे) “पर्ाि मील” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 66 द्वारा (1-2-1977 िे) “दो िौ मील” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
110

20. न्यायालय द्वारा बुलाए जािे पर िाक्ष्य देिे िे पिकार के इं कार का पटरर्ामजिां िाद का ऐिा पिकार जो न्यायालय
में उपसस्थत िै, न्यायालय द्वारा अपेिा क्रकए जािे पर, िाक्ष्य देिे िे या ऐिे दस्तािेज को जो उि िमय और ििीं उिके कब्जे या शसक्त
में िै, पेश करिे िे इं कार सिसिपपर्च प्रसतिेतु के सबिा करता िै ििां न्यायालय उिके सिरुद्ध सिर्चय िुिा िके गा या िाद के िम्बन्ि में ऐिा
आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
21. िासियों सिषयक सियम िमसित पिकारों को लागप िोंगेजिां िाद के क्रकिी पिकार िे िाक्ष्य देिे या दस्तािेज पेश
करिे के सलए अपेिा की गई िै ििां उिे िासियों सिषयक उपबन्ि ििां तक लागप िोंगे जिां तक क्रक िे लागप िोिे योग्य िों ।
1
[आदेश 16क

कारागार में पटररुद्ध या सिरुद्ध िासियों की िासजरी


1. पटरिाषाएंइि आदेश में,
(क) “सिरुद्ध” के अन्तगचत सििारक सिरोि के सलए उपबन्ि करिे िाली क्रकिी सिसि के अिीि सिरुद्ध िी िै ;
(ि) “कारागार” के अन्तगचत सिम्िसलसित िी िैं :
(i) ऐिा कोई स्थाि सजिे राज्य िरकार िे िािारर् या सिशेष आदेश द्वारा असतटरक्त जेल घोसषत क्रकया
िै, और
(ii) कोई िुिारालय, बोस्टचि िंस्था या इिी प्रकार की कोई अन्य िंस्था ।
2. िाक्ष्य देिे के सलए बंक्रदयों को िासजर करिे की अपेिा करिे की शसक्तजिां न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक राज्य के
िीतर कारागार में पटररुद्ध या सिरुद्ध व्यसक्त का िाक्ष्य िाद में तासविक िै ििां न्यायालय कारगार के िारिािक असिकारी िे यि
अपेिा करिे िाला आदेश कर िके गा क्रक िि उि व्यसक्त को िाक्ष्य देिे के सलए न्यायालय के िमि पेश करे :
परन्तु यक्रद कारागार िे न्याय-िदि की दपरी पच्र्ीि क्रकलोमीटर िे असिक िै तो ऐिा आदेश तब तक ििीं क्रकया जाएगा जब
तक न्यायालय का यि िमािाि ििीं िो जाता िै क्रक कमीशि द्वारा ऐिे व्यसक्त की परीिा पयाचप्त ििीं िोगी ।
3. न्यायालय में व्यय का िंदत्त क्रकया जािा(1) न्यायालय सियम (2) के अिीि कोई आदेश करिे के पपिच उि पिकार िे,
सजिकी प्रेरर्ा पर या सजिके फायदे के सलए आदेश सिकाला जािा िै, यि अपेिा करे गा क्रक िि न्यायालय में ऐिी ििरासश िंदत्त करे
जो न्यायालय को आदेश के सिष्पादि के व्ययों को र्ुकािे के सलए सजिके अन्तगचत िािी को क्रदए गए अिुरिक के यात्रा व्यय और अन्य
व्यय िी िैं, पयाचप्त प्रतीत िोती िै ।
(2) जिां न्यायालय उच्र् न्यायालय के अिीिस्थ िै ििां ऐिे व्ययों का मापमाि सियत करिे में, इि सिसमत्त उच्र् न्यायालय
द्वारा बिाए गए क्रकन्िीं सियमों को ध्याि में रिा जाएगा ।
4. सियम 2 के प्रितचि िे कु छ व्यसक्तयों को अपिर्जचत करिे की राज्य िरकार की शसक्त(1) राज्य िरकार उपसियम (2) में
सिसिर्दचष्ट बातों को ध्याि में रिते हुए क्रकिी िी िमय िािारर् या सिशेष आदेश द्वारा, यि सिदेश दे िके गी क्रक क्रकिी व्यसक्त या िगच
के व्यसक्तयों को ऐिे कारागार िे ििीं िटाया जाएगा सजिमें उिे या उन्िें पटररुद्ध या सिरुद्ध क्रकया गया िै और जब तक आदेश प्रिृत्त
रिता िै तब तक सियम 2 के अिीि क्रकया गया कोई आदेश, र्ािे िि राज्य िरकार द्वारा क्रकए गए आदेश की तारीि के पपिच या उिके
पश्र्ात क्रकया गया िो, ऐिे व्यसक्त या ऐिे िगच के व्यसक्तयों के बारे में प्रिािी ििीं िोगा ।
(2) राज्य िरकार उपसियम (1) के अिीि आदेश करिे िे पपिच सिम्िसलसित बातों को ध्याि में रिेगी, अथाचत :
(क) उि अपराि का स्िरूप सजिके सलए या िे आिार सजि पर उि व्यसक्त को या िगच के व्यसक्तयों को कारागार
में पटररुद्ध या सिरुद्ध करिे का आदेश क्रदया गया िै ;
(ि) यक्रद उि व्यसक्त को या उि िगच के व्यसक्तयों को कारागार िे िटािे की अिुज्ञा दी जाती िै तो लोक व्यिस्था
में सिघ्ि की िंिाव्यता, और
(ग) िािारर्तया लोकसित ।
5. कारागार के िारिािक असिकारी का कु छ मामलों में आदेश को कायाचसन्ित ि करिाजिां िि व्यसक्त सजिके िम्बन्ि में
सियम 2 के अिीि आदेश क्रकया गया िै,
(क) ऐिा व्यसक्त िै सजिकी बाबत कारागार िे िम्बद्ध सर्क्रकत्िा असिकारी िे यि प्रमासर्त क्रकया िै िि बीमारी
या अंगशैसथल्य के कारर् कारगार िे िटाए जािे के योग्य ििीं िै, अथिा
(ि) सिर्ारर् के सलए िुपुदचगी के अिीि िै या सिर्ारर् के लसम्बत रििे तक के सलए या प्रारसम्िक अन्िेषर् के
लसम्बत रििे तक के सलए प्रसतप्रेिर् के अिीि िै, अथिा

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 67 द्वारा (1-2-1977 िे) अंत:स्थासपत ।
111

(ग) ऐिी अिसि के सलए असिरिा में िै जो आदेश का अिुपालि करिे के सलए और उि कारागार में सजिमें िि
पटररुद्ध या सिरुद्ध िै िापि ले आिे के सलए अपेसित िमय के िमाप्त िोिे के पपिच िमाप्त िो जाएगी, अथिा
(घ) ऐिा व्यसक्त िै सजिको राज्य िरकार द्वारा सियम 4 के अिीि क्रकया गया आदेश लागप िोता िै,
ििां कारागार का िारिािक असिकारी न्यायालय के आदेश को कायाचसन्ित ििीं करे गा और ऐिा ि करिे के कारर्ों का सििरर्
न्यायालय को िेजेगा ।
6. बन्दी का न्यायालय में असिरिा में लाया जािाकारागार का िारिािक असिकारी, क्रकिी अन्य मामले में, न्यायालय का
आदेश पटरदत्त क्रकए जािे पर उिमें िासमत व्यसक्त को न्यायालय में सिजिाएगा सजििे िि उि आदेश में उसल्लसित िमय पर
उपसस्थत िो िके और उिे न्यायालय में या उिके पाि असिरिा में तब तक रििाएगा जब तक उिकी परीिा ि कर ली जाए या जब
तक न्यायालय उिको उि कारागार में सजिमें िि पटररुद्ध या सिरुद्ध िै, िापि ले जािे के सलए उिे प्रासिकृ त ि करे ।
7. कारागार में िािी की परीिा के सलए कमीशि सिकालिे की शसक्त(1) जिां न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक
कारागार में, र्ािे िि राज्य के िीतर िो या िारत में अन्यत्र िो, पटररुद्ध या सिरुद्ध व्यसक्त का िाक्ष्य िाद में तासविक िै, क्रकन्तु ऐिे
व्यसक्त की िासजरी इि आदेश के पपिचिती उपबन्िों के अिीि िुसिसश्र्त ििीं की जा िकती िै ििां न्यायालय उि व्यसक्त की परीिा
उि कारागार में सजिमें िि पटररुद्ध या सिरुद्ध िै, करिे के सलए कमीशि सिकाल िके गा ।
(2) आदेश 26 के उपबन्ि जिां तक िो िके कारागार में ऐिे व्यसक्त की कमीशि द्वारा परीिा के िम्बन्ि में िैिे िी लागप िोंगे
जैिे िे क्रकिी अन्य व्यसक्त की कमीशि द्वारा परीिा के िम्बन्ि में लागप िोते िैं ।]
आदेश 17

स्थगि
1. न्यायालय िमय दे िके गा और िुििाई स्थसगत कर िके गा1[(1) यक्रद िाद के क्रकिी िी प्रिम में पयाचप्त िेतुक दर्शचत
क्रकया जाता िै तो न्यायालय ऐिे कारर्ों िे जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे पिकारों या उिमें िे क्रकिी को िी िमय दे िके गा और िाद की
िुििाई को िमय-िमय पर स्थसगत कर िके गा :
परन्तु ऐिा कोई स्थगि िाद की िुििाई के दौराि क्रकिी पिकार को तीि बार िे असिक अिुदत्त ििीं क्रकया जाएगा ।]
(2) स्थगि के िर्ेन्यायालय ऐिे िर मामले में िाद की आगे की िुििाई के सलए क्रदि सियत करे गा और 2[ऐिे स्थगि के
कारर् हुए िर्ों या ऐिे उच्र्तर िर्ों के िंबंि में सजन्िें न्यायालय ठीक िमझे, ऐिे आदेश करे गा :]
3
[परन्तु
(क) यक्रद िाद की िुििाई प्रारम्ि िो गई िै तो जब तक न्यायालय उि आिािारर् कारर्ों िे जो उिके द्वारा
लेिबद्ध क्रकए जाएंग,े िुििाई का स्थगि अगले क्रदि िे परे के सलए करिा आिश्यक ि िमझे, िाद की िुििाई क्रदि-प्रसतक्रदि
तब तक जारी रिेगी जब तक ििी िासजर िासियों की परीिा ि कर ली जाए ;
(ि) क्रकिी पिकार के अिुरोि पर कोई िी स्थगि ऐिी पटरसस्थसतयों को छोडकर जो उि पिकार के सियंत्रर् के
बािर िो, मंजपर ििीं क्रकया जाएगा ;
(ग) यि तथ्य स्थगि के सलए आिार ििीं मािा जाएगा क्रक क्रकिी पिकार का प्लीडर दपिरे न्यायालय में व्यस्त िै ;
(घ) जिां प्लीडर की रुग्र्ता या दपिरे न्यायालय में उिके व्यस्त िोिे िे सिन्ि कारर् िे, मुकदमे का िंर्ालि करिे
में उिकी अिमथचता को स्थगि के सलए एक आिार के रूप में पेश क्रकया जाता िै ििां न्यायालय तब तक स्थगि मंजपर ििीं
करे गा जब तक उिका यि िमािाि ििीं िो जाता िै क्रक ऐिे स्थगि के सलए आिेदि करिे िाला पिकार िमय पर दपिरा
प्लीडर मुकरच र ििीं कर िकता था ;
(ङ) जिां कोई िािी न्यायालय में उपसस्थत िै क्रकन्तु पिकार या उिका प्लीडर उपसस्थत ििीं िै अथिा पिकार
या प्लीडर न्यायालय में उपसस्थत िोिे पर िी क्रकिी िािी की परीिा या प्रसतरिा करिे के सलए तैयार ििीं िै ििां
न्यायालय, यक्रद िि ठीक िमझे, तो, िािी का कथि असिसलसित कर िके गा और, यथासस्थसत, पिकार या उिके प्लीडर
द्वारा जो उपसस्थत ि िो अथिा पपिोक्त रूप में तैयार ि िो, िािी की मुखय परीिा या प्रसतपरीिा करिे को असिमुक्त करते
हुए ऐिे आदेश पाटरत कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।]
2. यक्रद पिकार सियत क्रदि पर उपिंजात िोिे में अिफल रिते िैं तो प्रक्रिया—िाद की िुििाई सजि क्रदि के सलए स्थसगत
हुई िै यक्रद उि क्रदि पिकार या उिमें िे कोई उपिंजात िोिे में अिफल रिते िैं तो न्यायालय आदेश 9 द्वारा उि सिसमत्त सिर्दचष्ट ढंगों
में िे एक िे िाद का सिपटारा करिे के सलए अग्रिर िो िके गा या ऐिा अन्य आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 26 द्वारा (1-7-2002 िे) उपसियम (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 26 द्वारा (1-7-2002 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 68 द्वारा (1-2-1977 िे) पपिि
च ती परन्तुक के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
112

[स्पष्टीकरर्—जिां क्रकिी पिकार का िाक्ष्य या िाक्ष्य का पयाचप्त िाग पिले िी असिसलसित क्रकया जा र्ुका िै और ऐिा
1

पिकार क्रकिी ऐिे क्रदि सजि क्रदि के सलए िाद की िुििाई स्थसगत की गई िै उपिंजात िोिे में अिफल रिता िै ििां न्यायालय
स्िसििेकािुिार उि मामले में इि प्रकार अग्रिर िो िके गा मािो ऐिा पिकार उपसस्थत िो ।]
3. पिकारों में िे क्रकिी पिकार के िाक्ष्य, आक्रद पेश करिे में अिफल रििे पर िी न्यायालय आगे कायचिािी कर
िके गा—जिां िाद का कोई ऐिा पिकार सजिे िमय अिुदत्त क्रकया गया िै, अपिा िाक्ष्य पेश करिे में या अपिे िासियों को िासजर
करािे में या िाद की आगे प्रगसत के सलए आिश्यक कोई ऐिा अन्य कायच करिे में सजिके सलए िमय अिुज्ञात क्रकया गया िै, अिफल
रिता िै 2[ििां न्यायालय ऐिे व्यसतिम के िोते हुए िी,—
(क) यक्रद पिकार, उपसस्थत िों तो िाद को तत्िर् सिसिसश्र्त करिे के सलए अग्रिर िो िके गा, अथिा
(ि) यक्रद पिकार या उिमें िे कोई अिुपसस्थत िों तो सियम 2 के अिीि कायचिािी कर िके गा ।]
आदेश 18

िाद की िुििाई और िासियों की परीिा


1. आरं ि करिे का असिकार—आरम्ि करिे का असिकार िादी को तब के सििाय िै जब क्रक िादी द्वारा असिकसथत तथ्यों को
प्रसतिादी स्िीकार कर लेता िै और यि तकच करता िै क्रक िादी सजि अिुतोष को र्ािता िै, उिके क्रकिी िाग को पािे का िि िकदार
या तो सिसि के प्रश्ि के कारर् या प्रसतिादी द्वारा असिकसथत कु छ असतटरक्त तथ्यों के कारर् ििीं िै और उि दशा में आरम्ि करिे का
असिकार प्रसतिादी को िोता िै ।
2. कथि और िाक्ष्य का पेश क्रकया जािा—(1) उि क्रदि जो िाद की िुििाई के सलए सियत क्रकया गया िो, या क्रकिी अन्य
क्रदि सजि क्रदि के सलए िुििाई स्थसगत की गई िो, िि पिकार सजिे आरम्ि करिे का असिकार िै, अपिे मामले का कथि करे गा और
उि सििाद्यकों के िमथचि में अपिा िाक्ष्य पेश करे गा सजन्िें िासबत करिे के सलए िि आबद्ध िै ।
(2) तब दपिरा पिकार अपिे मामले का कथि करे गा और अपिा िाक्ष्य (यक्रद कोई िो) पेश करे गा और तब पपरे मामले के बारे
में िािारर्तया न्यायालय को िम्बोसित कर िके गा ।
(3) तब आरम्ि करिे िाला पिकार िािारर्तया पपरे मामले के बारे में उत्तर दे िके गा ।
[(3क) कोई पिकार मौसिक बिि आरं ि िोिे िे पपिच र्ार िप्ताि के िीतर न्यायालय को अपिे मामले के िमथचि में िंसिप्त
3

रूप िे और िुसिन्ि शीषों के अिीि सलसित तकच पेश करे गा और ऐिे सलसित तकच असिलेि का िाग िोंगे ।
(3ि) सलसित तकों में तकों के िमथचि में उद्िृत की जा रिी सिसियों के उपबंिों तथा पिकार द्वारा सजि सिर्चयों के उद्धरर्ों
पर सििचर क्रकया जा रिा िै, उिको स्पष्टतया उपदर्शचत क्रकया जाएगा और उिमें पिकार द्वारा सििचर क्रकए जा रिे ऐिे सिर्चयों की
प्रसतयां िोंगी ।
(3ग) ऐिे सलसित तकों की प्रसत उिी िमय सिरोिी पिकार को दी जाएगी ।
(3घ) न्यायालय, यक्रद िि ठीक िमझता िै तो बिि के िमाप्त िो जािे पर, बिि की िमासप्त की तारीि के पश्र्ात एक
िप्ताि िे अिसिक की अिसि के िीतर पुिरीसित सलसित तकच फाइल करिे के सलए पिकारों को अिुज्ञात कर िके गा ।
(3ङ) सलसित तकच फाइल करिे के प्रयोजि के सलए कोई स्थगि तब तक मंजपर ििीं क्रकया जाएगा, जब तक क्रक उि कारर्ों के
सलए, जो लेिबद्ध क्रकए जाएं, ऐिा स्थगि मंजपर करिा िि आिश्यक ि िमझे ।
(3र्) न्यायालय मामले की प्रकृ सत और जटटलता को ध्याि में रिते हुए मौसिक सििेदिों के सलए िमय को िीसमत करिे के
सलए स्ितंत्र िोगा ।]
4
* * * * *
3. जिां कई सििाद्यक िैं ििां िाक्ष्य—जिां कई सििाद्यक िैं सजिमें िे कु छ को िासबत करिे का िार दपिरे पिकार पर िै ििां
आरम्ि करिे िाला पिकार अपिे सिकल्प पर या तो उि सििाद्यकों के बारे में अपिा िाक्ष्य पेश कर िके गा या दपिरे पिकार द्वारा पेश
क्रकए गए िाक्ष्य के उत्तर के रूप में पेश करिे के सलए उिे आरसित रि िके गा और पश्र्ात्कसथत दशा में, आरम्ि करिे िाला पिकार
दपिरे पिकार द्वारा उिका िमस्त िाक्ष्य पेश क्रकए जािे के पश्र्ात उि सिसिद्यकों पर अपिा िाक्ष्य पेश कर िके गा और तब दपिरा
पिकार आरम्ि करिे िाले पिकार के द्वारा इि प्रकार पेश क्रकए गए िाक्ष्य का सिशेषतया उत्तर दे िके गा, क्रकन्तु तब आरम्ि करिे
िाला पिकार पपरे मामले के बारे में िािारर्तया उत्तर देिे का िकदार िोगा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 68 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 68 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा अंतःस्थासपत ।
4
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 27 द्वारा (1-7-2002 िे) उपसियम (4) का लोप क्रकया गया ।
113

[3क. पिकार का अन्य िासियों िे पिले उपिंजात िोिा—जिां कोई पिकार स्ियं कोई िािी के रूप में उपिंजात िोिा
1

र्ािता िै ििां िि उिकी ओर िे क्रकिी अन्य िािी की परीिा क्रकए जािे के पिले उपिंजात िोगा, क्रकन्तु यक्रद न्यायालय ऐिे कारर्ों
िे, जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, उिे पश्र्ातिती प्रिम में स्ियं अपिे िािी के रूप में उपिंजात िोिे के सलए अिुज्ञात करे तो िि िाद में
उपसस्थत िो िके गा ।]
[4. िाक्ष्य का असिलेि—(1) प्रत्येक मामले में क्रकिी िािी की मुखय परीिा का िाक्ष्य शपथ-पत्र पर सलया जाएगा और
2

उिकी प्रसतयां उि पिकार द्वारा, जो उिे िाक्ष्य के सलए बुलाती िै, सिरोिी पिकार को दी जाएं गी :]
परं तु जिां दस्तािेज फाइल क्रकए गए िों और पिकार उि दस्तािेजों पर सििचर करते िों, ििां शपथ-पत्र के िाथ फाइल क्रकए
गए ऐिे दस्तािेजों का िबपत और ग्राह्यता न्यायालयों के आदेश के अिीि रिते हुए िोगी ।
[(1क) ििी िासियों के िाक्ष्य शपथ-पत्र, सजिका क्रकिी पिकार द्वारा िाक्ष्य क्रदया जािा प्रस्तासित िै, प्रथम मामला प्रबंिि
3

िुििाई में सिर्दचष्ट िमय पर उि पिकार द्वारा िमिामसयक रूप िे फाइल क्रकए जाएंगे ।
(1ि) कोई पिकार क्रकिी िािी का (सजिके अन्तगचत ऐिा िािी िी िै, जो पिले िी शपथ-पत्र फाइल कर र्ुका िै) शपथ-पत्र
द्वारा असतटरक्त िाक्ष्य तब तक पेश ििीं करे गा, जब तक उि प्रयोजि के सलए आिेदि में पयाचप्त कारर् ििीं क्रदया जाता िै और
न्यायालय द्वारा ऐिे असतटरक्त शपथ-पत्र को अिुज्ञात करिे का कारर् देते हुए आदेश पाटरत ििीं क्रकया जाता िै ।
(1ग) तथासप, क्रकिी पिकार को उि िािी की प्रसतपरीिा प्रारम्ि िोिे िे पिले क्रकिी िमय पर इि प्रकार फाइल क्रकए गए
क्रकन्िीं शपथ-पत्रों के ऐिे प्रत्यािरर् के आिार पर कोई प्रसतकप ल सिष्कषच सिकाले सबिा प्रत्यािरर् का असिकार िोगा :
परन्तु कोई अन्य पिकार िाक्ष्य देिे का िकदार िोगा और ऐिे प्रत्याहृत शपथ-पत्र में की गई क्रकिी स्िीकृ सत पर सििचर करिे
का िकदार िोगा ।]
(2) िासजर िािी का िाक्ष्य (प्रसत परीिा और पुिः परीिा), सजिका िाक्ष्य (मुखय परीिा) न्यायालय को शपथ-पत्र द्वारा
क्रदया गया िै या तो न्यायालय द्वारा या उिके द्वारा सियुक्त कसमश्िर द्वारा असिसलसित क्रकया जाएगा :
परन्तु न्यायालय, इि उपसियम के अिीि कमीशि सियुक्त करते िमय ऐिे िुिंगत कारर्ों को, जो िि ठीक िमझे, गर्िा में
लेिे पर सिर्ार करे गा ।
(3) यथासस्थसत, न्यायालय या कसमश्िर िाक्ष्य को, यथासस्थसत, न्यायािीश या कसमश्िर की उपसस्थसत में या तो सलसित रूप
िे या यांसत्रक रूप िे असिसलसित करे गा और जिां ऐिा िाक्ष्य कसमश्िर द्वारा असिसलसित क्रकया जाता िै, तो िि ऐिे िाक्ष्य को अपिी
सलसित और िस्तािटरत टरपोटच िसित उिे सियुक्त करिे िाले न्यायालय को िापि करे गा और उिके अिीि सलया गया िाक्ष्य िाद के
असिलेि का िाग िोगा ।
(4) कसमश्िर परीिा के िमय क्रकिी िािी की िाििंगी की बाबत ऐिे टटप्पर् लेिबद्ध करे गा जो िि तासविक िमझे :
परन्तु कसमश्िर के िमि िाक्ष्य लेिबद्ध क्रकए जािे के दौराि उठाए गए कोई आिेप उिके द्वारा लेिबद्ध क्रकए जाएंगे और
न्यायालय द्वारा बिि के प्रिम पर सिसिसश्र्त क्रकए जाएंगे ।
(5) कसमश्िर की टरपोटच, कमीशि सिकाले जािे की तारीि िे िाठ क्रदि के िीतर कमीशि सियुक्त करिे िाले न्यायालय को
प्रस्तुत की जाएगी सििाय तब के जब न्यायालय लेिबद्ध क्रकए जािे िाले कारर्ों िे िमय का सिस्तार कर दे ।
(6) यथासस्थसत, उच्र् न्यायालय या सजला न्यायािीश इि सियम के अिीि िाक्ष्य लेिबद्ध करिे के सलए कसमश्िरों का एक
पैिल तैयार करे गा ।
(7) न्यायालय िािारर् या सिशेष आदेश द्वारा कसमश्िर की िेिाओं के सलए पाटरश्रसमक के रूप में िंदत्त की जािे िाली रकम
सियत कर िके गा ।
(8) आदेश 26 के सियम 16, 16क, 17 और 18 के उपबंि, ििां तक जिां तक िे लागप िोते िैं, इि सियम के अिीि उि
कमीशि को सिकालिे, सिष्पादि और िापिी को लागप िोंगे ।]
[ 5. सजि मामलों की अपील िो िकती िै उिमें िाक्ष्य कै िे सलिा जाएगा—सजि मामलों में अपील अिुज्ञात की जाती िै उि
4 5

मामलों में िर एक िािी का िाक्ष्य,—


(क) न्यायालय की िाषा में,—

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 69 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
2
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 12 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 4 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा अंतःस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 69 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 5 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
सियम 5 के उपबंि, जिां तक िे िाक्ष्य लेिे की रीसत िे िंबंसित िैं, अिि के मुखय न्यायालय को लागप ििीं िोते िैं देसिए अिि कोटचि ऐक्ट, 1925 (1925 का यप०पी०
असिसियम िं० 4) की िारा 16 (2) ।
114

(i) न्यायािीश द्वारा या उिकी उपसस्थसत में और उिके िैयसक्तक सिदेशि और अिीिर् में सलिा
जाएगा ; या]
(ii) न्यायािीश के बोलिे के िाथ िी टाइपराइट पर टाइप क्रकया जाएगा ; या
(ि) यक्रद न्यायािीश असिसलसित क्रकए जािे िाले कारर्ों िे ऐिा सिदेश दे तो न्यायािीश की उपसस्थसत में
न्यायालय की िाषा में यंत्र द्वारा असिसलसित क्रकया जाएगा ।]
6. असििाक्ष्य का िाषान्तर कब क्रकया जाएगा—जिां िाक्ष्य उि िाषा िे सिन्ि िाषा में सलिा गया िै सजिमें िि क्रदया
1

गया िै और िािी उि िाषा को ििीं िमझता सजिमें िि सलिा गया िै ििां उि िाक्ष्य का, जैिा क्रक िि सलिा गया िै, उि िाषा में
िाषान्तर उिे िुिाया जाएगा सजिमें िि क्रदया गया था ।
7. िारा 138 के अिीि िाक्ष्य—िारा 138 के अिीि सलिा गया िाक्ष्य सियम 5 द्वारा सिसित प्ररूप में िोगा और िि पढ़कर
1

िुिाया जाएगा और िस्तािटरत क्रकया जाएगा और यक्रद अििर िे ऐिा अपेसित िो तो उिका िाषान्तर और शोिि उिी प्रकार क्रकया
जाएगा मािो िि उि सियम के अिीि सलिा गया िो ।
8. जब िाक्ष्य न्यायािीश द्वारा स्ियं ििीं सलिा गया िो तब ज्ञापि—जिां िाक्ष्य न्यायािीश द्वारा ििीं सलिा गया िै 2[या
1

िुले न्यायालय में उिके द्वारा बोलकर ििीं सलििाया गया िै या उिकी उपसस्थसत में यंत्र द्वारा असिसलसित ििीं क्रकया गया िै ] ििां
जैिे-जैिे िर एक िािी की परीिा िोती जाती िै िैिे -िैिे िर एक िाक्ष्य के असििाक्ष्य के िारांश का ज्ञापि बिािे के सलए न्यायािीश
आबद्ध िोगा और ऐिा ज्ञापि न्यायािीश द्वारा सलिा जाएगा और िस्तािटरत क्रकया जाएगा और असिलेि का िाग िोगा ।
[ 9. िाक्ष्य अंग्रज
3 1
े ी में कब सलिा जा िके गा—(1) जिां न्यायालय की िाषा अंग्रेजी ििीं िै क्रकन्तु िाद के िे ििी पिकार जो
स्ियं उपिंजात िैं, और उि पिकारों के जो प्लीडरों के द्वारा उपिंजात िैं, प्लीडर ऐिे िाक्ष्य के जो अंग्रेजी में क्रदया जाता िै, अंग्रे जी में
सलिे जािे पर आिेप ििीं करते िैं ििां न्यायािीश उिे उिी रूप में सलि िके गा या सलििा िके गा ।
(2) जिां िाक्ष्य अंग्रेजी में ििीं क्रदया जाता िै क्रकन्तु िे ििी पिकार जो स्ियं उपिंजात िैं और उि पिकारों के जो प्लीडरों
के द्वारा उपिंजात िैं, प्लीडर ऐिे िाक्ष्य के अंग्रज े ी में सलिे जािे पर आिेप ििीं करते िैं ििां न्यायािीश ऐिा िाक्ष्य अंग्रेजी में सलि
िके गा या सलििा िके गा ।]
10. कोई सिसशष्ट प्रश्ि और उत्तर सलिा जा िके गा—यक्रद ऐिा करिे के सलए कोई सिशेष कारर् प्रतीत िोता िै तो न्यायालय
क्रकिी सिसशष्ट प्रश्ि और उत्तर को या क्रकिी प्रश्ि के िम्बन्ि में क्रकिी आिेप को स्िप्रेरर्ा िे या क्रकिी पिकार या उिके प्लीडर के
आिेदि पर सलि िके गा ।
4
11. िे प्रश्ि सजि पर आिेप क्रकया गया िै और जो न्यायालय द्वारा अिुज्ञात क्रकए गए िैं —जिां क्रकिी िािी िे क्रकए गए
क्रकिी प्रश्ि पर क्रकिी पिकार या उिके प्लीडर द्वारा आिेप क्रकया गया िै और न्यायालय उिका पपछा जािा अिुज्ञात करता िै ििां
न्यायािीश उि प्रश्ि, उत्तर, आिेप और उिे करिे िाले व्यसक्त के िाम को उि पर न्यायालय के सिसिश्र्य के िसित सलिेगा ।
12. िासियों की िाििंगी के बारे में टटप्पसर्यां—न्यायालय िािी की परीिा क्रकए जाते िमय उिकी िाििंगी के बारे में
टटप्पसर्यां, सजन्िें िि तासविक िमझता िो, असिसलसित कर िके गा ।
5
[13. सजि मामलों में अपील ििीं िो िकती िै उि मामलों में िाक्ष्य का ज्ञापि—ऐिे मामले में, सजिमें अपील अिुज्ञात ििीं
िै, यि आिश्यक ििीं िोगा क्रक िासियों का िाक्ष्य सिस्तार िसित सलिा जाए या बोलकर सलििाया जाए या असिसलसित क्रकया जाए
क्रकन्तु न्यायािीश, जैिे-जैिे िर एक िािी की परीिा िोती िै िैिे-िैिे, उिके असििाक्ष्य के िार का ज्ञापि सलिेगा या बोलिे के िाथ
िी टाइपराइटर पर टाइप कराएगा या यंत्र द्वारा असिसलसित कराएगा और ऐिा ज्ञापि न्यायािीश द्वारा िस्तािटरत क्रकया जाएगा या
अन्यथा असिप्रमासर्त क्रकया जाएगा और असिलेि का िाग िोगा ।]
14. [ऐिा ज्ञापि बिािे में अिमथच न्यायािीश अपिी अिमथचता के कारर् असिसलसित करे गा ।]—सिसिल प्रक्रिया िंसिता
4

(िंशोिि) असिसियम, 1976 (1976 का 104) की िारा 69 द्वारा (1-2-1977 िे) सिरसित ।
15. क्रकिी अन्य न्यायािीश के िामिे सलए गए िाक्ष्य का उपयोग करिे की शसक्त—(1) जिां मृत्यु, स्थािान्तरर् या अन्य
4

कारर् िे न्यायािीश िाद के सिर्ारर् की िमासप्त करिे िे सििाटरत िो जाता िै ििां उिका उत्तरिती, पपिचगामी सियमों के अिीि
सलए गए क्रकिी िी िाक्ष्य या बिाए गए क्रकिी िी ज्ञापि का उिी प्रकार उपयोग कर िके गा मािो ऐिा िाक्ष्य या ज्ञापि उक्त सियमों

1
सियम 6, 7, 8, 9, 11, 13, 14 और 15 के उपबंि, जिां तक िे िाक्ष्य लेिे की रीसत िे िंबंसित िैं, अिि के मुखय न्यायालय को लागप ििीं िोते िैं देसिए अिि कोटच ि
ऐक्ट, 1925 (1925 का यप०पी० असिसियम िं० 4) की िारा 16 (2) ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 69 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 69 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 9 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
सियम 6, 7, 8, 9, 11, 13, 14 और 15 के उपबंि, जिां तक िे िाक्ष्य लेिे की रीसत िे िंबंसित िैं, अिि के मुखय न्यायालय को लागप ििीं िोते िैं देसिए अिि कोटच ि
ऐक्ट, 1925 (1925 का यप०पी० असिसियम िं० 4) की िारा 16 (2) ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 69 द्वारा (1-2-1977 िे) पपिि
च ती सियम के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
115

के अिीि उिी के द्वारा या उिके सिदेश के अिीि सलया गया था या बिाया गया था, और िि िाद में उि प्रिम िे अग्रिर िो िके गा
सजिमें उिे उिके पपिचिती िे छोडा था ।
(2) उपसियम (1) के उपबन्ि िारा 24 के अिीि अन्तटरत िाद में सलए गए िाक्ष्य को ििां तक लागप िमझे जाएंगे जिां तक िे
लागप क्रकए जा िकते िैं ।
16. िािी की तुरन्त परीिा करिे की शसक्त—(1) जिां िािी न्यायालय की असिकाटरता िे बािर जािे िाला िै या इि
1

बात का पयाचप्त कारर् न्यायालय को िमािािप्रद रूप में दर्शचत कर क्रदया जाता िै क्रक उिका िाक्ष्य तुरन्त क्यों सलया जािा र्ासिए
ििां न्यायालय िाद के िंसस्थत क्रकए जािे के पश्र्ात क्रकिी िी िमय ऐिे िािी का िाक्ष्य क्रकिी िी पिकार या उि िािी के आिेदि
पर उिी रीसत िे ले िके गा जो इिमें इिके पपिच उपबसन्ित िै ।
(2) जिां ऐिा िाक्ष्य तत्िर् िी और पिकारों की उपसस्थसत में ि सलया जाए ििां परीिा के सलए सियत क्रदि की ऐिी
िपर्िा, जो न्यायालय पयाचप्त िमझे, पिकारों को दी जाएगी ।
(3) ऐिे सलया गया िाक्ष्य िािी को पढ़कर िुिाया जाएगा और यक्रद िि स्िीकार करता िै क्रक िि शुद्ध िै तो िि उिके द्वारा
िस्तािटरत क्रकया जाएगा और न्यायालय उिे यक्रद आिश्यक िो तो शुद्ध करे गा और िस्तािटरत करे गा और तब उि िाद की क्रकिी िी
िुििाई में िि पढ़ा जा िके गा ।
17. न्यायालय िािी को पुिः बुला िके गा और उिकी परीिा कर िके गा—न्यायालय िाद के क्रकिी िी प्रिम में ऐिे क्रकिी
िी िािी को पुिः बुला िके गा सजिकी परीिा की जा र्ुकी िै और (तत्िमय प्रिृत्त िाक्ष्य की सिसि के अिीि रिते हुए) उििे ऐिे प्रश्ि
पपछ िके गा जो न्यायालय ठीक िमझे ।
17क. [ऐिे िाक्ष्य का पेश क्रकया जािा सजिकी िम्यक तत्परता के िोते हुए िी पिले जािकारी ििीं थी या जो पेश ििीं
क्रकया जा िका था ।]—सिसिल प्रक्रिया िंसिता (िंशोिि) असिसियम, 1999 (1999 का 46) की िारा 27 द्वारा (1-7-2002 िे) लोप
क्रकया गया ।
18. सिरीिर् करिे की न्यायालय की शसक्त—न्यायालय ऐिी क्रकिी िी िम्पसत्त या िस्तु का सिरीिर् िाद के क्रकिी िी
प्रिम में कर िके गा सजिके िम्बन्ि में कोई प्रश्ि पैदा िो 2[और जिां न्यायालय क्रकिी िम्पसत्त या िस्तु का सिरीिर् करता िै ििां िि
यथािाध्य शीघ्र, ऐिे सिरीिर् में देिे गए क्रकन्िीं िुिंगत तथ्यों का ज्ञापि बिाएगा और ऐिा ज्ञापि िाद के असिलेि का िाग िोगा ।]
[19. कथि को कमीशि द्वारा असिसलसित करािे की शसक्त—इि सियमों में क्रकिी बात िोते हुए िी, न्यायालय, िुले
3

न्यायालय में िासियों की परीिा करिे के बजाय आदेश 26 के सियम 4क के अिीि उिके कथि को कमीशि द्वारा असिसलसित क्रकए
जािे के सलए सिदेश दे िके गा ।]
आदेश 19

शपथपत्र
1. क्रकिी बात के शपथपत्र द्वारा िासबत क्रकए जािे के सलए आदेश देिे की शसक्त—कोई िी न्यायालय क्रकिी िी िमय पयाचप्त
कारर् िे आदेश दे िके गा क्रक क्रकिी िी सिसशष्ट तथ्य या क्रकन्िीं िी सिसशष्ट तथ्यों को शपथपत्र द्वारा िासबत क्रकया जाए या क्रकिी
िािी का शपथपत्र िुििाई में ऐिी शतों पर पढ़ा जाए जो न्यायालय युसक्तयुक्त िमझे :
परन्तु जिां न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक दोिों में िे कोई िी पिकार िदिाि िे यि र्ािता िै क्रक प्रसतपरीिा के सलए
िािी को पेश क्रकया जाए और ऐिा िािी पेश क्रकया जा िकता िै ििां ऐिे िािी का िाक्ष्य शपथपत्र द्वारा क्रदए जािे का प्रासिकार देिे
िाला आदेश ििीं क्रकया जाएगा ।
2. असििािी की प्रसतपरीिा के सलए िासजर करािे का आदेश देिे की शसक्त—(1) क्रकिी िी आिेदि पर िाक्ष्य शपथपत्र
द्वारा क्रदया जा िके गा, क्रकन्तु न्यायालय दोिों पिकारों में िे क्रकिी की िी प्रेरर्ा पर असििािी को आदेश दे िके गा क्रक िि प्रसतपरीिा
के सलए िासजर िो ।
(2) जब तक क्रक असििािी न्यायालय में स्िीय उपिंजासत िे छप ट ि पाया हुआ िो या न्यायालय अन्यथा सिदेश ि करे , ऐिी
िासजरी न्यायालय में िोगी ।
3. िे सिषय सजि तक शपथपत्र िीसमत िोंगे—(1) शपथपत्र ऐिे तथ्यों तक िी िीसमत िोंगे सजिको असििािी अपिे सिजी
ज्ञाि िे िासबत करिे में िमथच िै, क्रकन्तु अन्तिचती आिेदिों के शपथपत्रों में उिके सिश्िाि पर आिाटरत कथि ग्राह्य िो िकें गे:
परन्तु यि तब जब क्रक उिके सलए आिारों का कथि क्रकया गया िो ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 69 द्वारा (1-2-1977 िे) पपििच ती सियम के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 69 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
3
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 27 द्वारा (1-7-2002 िे) अंतःस्थासपत ।
116

(2) सजि शपथपत्र में अिुश्रत


ु या तार्कच क बातें या दस्तािेंजों की प्रसतयां या दस्तािेजों के उद्धरर् अिािश्यक रूप िे दजच क्रकए
गए िैं, ऐिे िर एक शपथपत्र के िर्े (जब तक क्रक न्यायालय अन्यथा सिदेश ि करे ) उन्िें फाइल करिे िाले पिकार द्वारा क्रदए जाएंगे ।
1
[4. न्यायालय िाक्ष्य सियंसत्रत कर िके गा—(1) न्यायालय, सिदेशों द्वारा, ऐिे सििाद्यकों के बारे में, सजिमें िाक्ष्य अपेसित
िै, िाक्ष्य को और ऐिे रीसत को, सजििे ऐिा िाक्ष्य न्यायालय के िमि पेश क्रकया जा िके गा, सिसियसमत कर िके गा ।
(2) न्यायालय, स्िसििेकािुिार और ऐिे कारर्ों िे, जो लेिबद्ध क्रकए जाएं, ऐिे िाक्ष्य को अपिर्जचत कर िके गा, जो
पिकारों द्वारा अन्यथा पेश क्रकया जाए ।
5. िाक्ष्य का िंशोिि या िाटरज क्रकया जािा—न्यायालय, स्िसििेकािुिार ऐिे कारर्ों िे, जो लेिबद्ध क्रकए जाएं,—
(i) मुखय परीिा शपथ-पत्र के ऐिे िाग का, सजििे उिकी दृसष्ट में िाक्ष्य का गठि ििीं िोता िै, िंशोिि कर
िके गा या िंशोिि करिे का आदेश कर िके गा; या
(ii) ऐिे मुखय परीिा शपथ-पत्र को, सजििे ग्राह्य िाक्ष्य का गठि ििीं िोता िै, िापि या िाटरज कर िके गा ।
6. िाक्ष्य के शपथ-पत्र का रूपसििाि और मागचदशचक सिद्धान्त—क्रकिी शपथ-पत्र में िीर्े क्रदए गए प्ररूप और अपेिाओं का
अिुपालि िोगा :—
(क) ऐिा शपथ-पत्र ऐिी तारीिों और घटिाओं तक, जो क्रकिी तथ्य या उििे िंबंसित क्रकिी अन्य सिषय को
िासबत करिे के सलए िुिंगत िैं, िीसमत िोगा और उिमें उि तारीिों और घटिाओं का कालािुिम अिुिार अिुिरर् करिा
िोगा जो क्रकिी तथ्य या उििे िंबंसित क्रकिी अन्य सिषय को िासबत करिे के सलए िुिंगत िै;
(ि) जिां न्यायालय का यि मत िै क्रक शपथ-पत्र के िल असििर्िों का पुिः पेश क्रकया जािा िै या उिमें क्रकन्िीं
पिकारों के पिकथिों के सिसिक आिार अन्तर्िचष्ट िैं, ििां न्यायालय, आदेश द्वारा शपथ-पत्र या शपथ-पत्र के ऐिे िागों को,
जो िि ठीक और उपयुक्त िमझे, काट िके गा;
(ग) शपथ-पत्र का प्रत्येक पैरा, यथािंिि, सिषय के िुसिन्ि िाग तक िीसमत िोिा र्ासिए;
(घ) शपथ-पत्र में यि कथि िोगा क्रक :—
(i) इिमें के कौि िे कथि असििािी िे सिजी ज्ञाि िे क्रकए गए िैं और कौि िे िपर्िा और सिश्िाि के
सिषय िैं; और
(ii) िपर्िा या सिश्िाि के क्रकन्िीं सिषयों के स्रोत का कथि िोगा;
(ङ) (i) शपथ-पत्र के पृष्ठों को पृथक दस्तािेज के रूप में (या क्रकिी एक फाइल में अंतर्िचष्ट सिसिन्ि दस्तािेजों को
एक रूप में) िमिती रूप िे िंखयांक्रकत िोिा र्ासिए;
(ii) शपथ-पत्र िंखयांक्रकत पैरा में सििासजत िोिा र्ासिए;
(iii) शपथ-पत्र में ििी िंखयाओं को, सजिके अन्तगचत तारीिें िी िैं, अंकों में असिव्यक्त क्रकया गया िोिा
र्ासिए; और
(iv) यक्रद शपथ-पत्र के पाठ में सिर्दचष्ट दस्तािेजों में िे क्रकिी को क्रकिी शपथ-पत्र या क्रकन्िीं अन्य असििर्िों िे
उपाबद्ध क्रकया जाता िै तो ऐिे उपाबंिों और ऐिे दस्तािेजों की, सजि पर सििचर क्रकया जाता िै, पृष्ठ िंखयाएं देिी र्ासिए ।]
आदेश 20

सिर्चय और सडिी
1. सिर्चय कब िुिाया जाएगा—2[(1) यथासस्थसत, िासर्सज्यक न्यायालय, िासर्सज्यक प्रिाग या िासर्सज्यक अपील प्रिाग,
बिि के िमाप्त िोिे के िब्बे क्रदि के िीतर सिर्चय िुिाएगा और सििाद के ििी पिकारों को इलेक्िासिक मेल के माध्यम िे या अन्यथा
उिकी प्रसतयां जारी करे गा ।]
[(2) जिां सलसित सिर्चय िुिाया जािा िै ििां यक्रद प्रत्येक सििाद्यक पर न्यायालय के सिष्कषों को और मामले में पाटरत
3

अंसतम आदेश को पढ़ क्रदया जाता िै तो िि पयाचप्त िोगा और न्यायालय के सलए यि आिश्यक ििीं िोगा क्रक िि िम्पपर्च सिर्चय को
पढ़कर िुिाए] 4*** ।

1
2016 के असिसियम िं० 4 की िारा 16 और अिुिपर्ी द्वारा अंतःस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 70 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 1 को उपसियम 1 के रूप में पुि:िंखयांक्रकत क्रकया गया और 2016 के असिसियम िं० 4 की िारा
16 और अिुिपर्ी द्वारा प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 70 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
4
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 28 द्वारा (1-7-2002 िे) लोप क्रकया गया ।
117

(3) सिर्चय िुले न्यायालय में आशुसलसपक को बोलकर सलिाते हुए के िल तिी िुिाया जा िके गा जब न्यायािीि उच्र्
न्यायालय द्वारा इि सिसमत्त सिशेष रूप िे िशक्त क्रकया गया िै :
परन्तु जिां सिर्चय िुले न्यायालय में बोलकर सलिाते हुए िुिाया जाता िै ििां इि प्रकार िुिाए गए सिर्चय की अिु सलसप
उिमें ऐिी शुसद्धयां करिे के पश्र्ात, जो आिश्यक िों, न्यायािीश द्वारा िस्तािटरत की जाएं गी, उि पर िि तारीि सलिी जाएगी
सजिको सिर्चय िुिाया गया था और िि असिलेि का िाग िोगी ।]
2. न्यायािीश के पपिचिती द्वारा सलिे गए सिर्चय को िुिािे की शसक्त—न्यायािीश ऐिे सिर्चय को 1[िुिाएगा] जो उिके
पपिचिती िे सलिा तो िै क्रकन्तु िुिाया ििीं िै ।
3. सिर्चय िस्तािटरत क्रकया जाएगा—सिर्चय िुिाए जािे के िमय न्यायािीश उि पर िुले न्यायालय में तारीि डालेगा और
2

िस्तािर करे गा और जब उि पर एक बार िस्तािर कर क्रदया गया िै तब िारा 152 द्वारा उपबसन्ित के सििाय या पुिर्िचलोकि के
सििाय उिके पश्र्ात उिमें ि तो कोई पटरितचि क्रकया जाएगा और ि कोई पटरििचि क्रकया जाएगा ।
2
4. लघुिाद न्यायालयों के सिर्चय—(1) लघुिाद न्यायालयों के सिर्चयों में अििायच प्रश्िों और उिके सिसिश्र्य िे असिक और
कु छ अन्तर्िचष्ट िोिा आिश्यक ििीं िै ।
(2) अन्य न्यायालयों के सिर्चयों—अन्य न्यायालयों के सिर्चयों के मामले का िंसिप्त कथि, अििायच प्रश्ि, उिका सिसिश्र्य
और ऐिे सिसिश्र्य के कारर् अन्तर्िचष्ट िोंगे ।
5. न्यायालय िर एक सििाद्यक पर अपिे सिसिश्र्य का कथि करे गा—उि िादों में, सजिमें सििाद्यक की सिरर्िा की गई
2

िै, जब तक क्रक सििाद्यकों में िे क्रकिी एक या असिक का सिष्कषच िाद के सिसिश्र्य के सलए पयाचप्त ि िो, न्यायालय िर एक पृथक
सििाद्यक पर अपिा सिष्कषच या सिसिश्र्य उि सिसमत्त कारर्ों के िसित देगा ।
[5क. सजि मामलों में पिकारों का प्रसतसिसित्ि प्लीडरों द्वारा ि क्रकया गया िो उिमें न्यायालय द्वारा पिकारों को इि बात
3

की इसत्तला क्रदया जािा क्रक अपील किां की जा िके गी—उि दशा के सििाय सजिमें दोिों पिकारों का प्रसतसिसित्ि प्लीडरों द्वारा क्रकया
गया िै, न्यायालय ऐिे मामलों में सजिकी अपील िो िकती िै, अपिा सिर्चय िुिाते िमय न्यायालय में उपसस्थत पिकारों को यि
इसत्तला देगा क्रक क्रकि न्यायालय में अपील की जा िकती िै और ऐिी अपील फाइल करिे के सलए परीिीमा काल क्रकतिा िै और
पिकारों को इि प्रकार दी गई इसत्तला को असिलेि में रिेगा ।]
6. सडिी की अन्तिचस्तु—(1) सडिी सिर्चय के अिुरूप िोगी, उिमें िाद का िंखयांक, 4[पिकारों के िाम और िर्चि, उिके
रसजस्िीकृ त पते] और दािे की सिसशसष्टयां अन्तर्िचष्ट िोंगी और अिुदत्त अिुतोष या िाद का अन्य अििारर् उिमें स्पष्टतया सिसिर्दचष्ट
िोगा ।
(2) िाद में उपगत िर्ों की रकम िी और यि बात िी क्रक ऐिे िर्े क्रकिके द्वारा या क्रकि िम्पसत्त में िे और क्रकिी अिुपात में
िंदत्त क्रकया जािे िैं, सडिी में कसथत िोगी ।
(3) न्यायालय सिदेश दे िके गा क्रक एक पिकार को दपिरे पिकार द्वारा िर्े क्रकिी ऐिी रासश के सिरुद्ध मुजरा क्रकए जाएं
सजिके बारे में यि स्िीकर क्रकया गया िै या पाया गया िै क्रक िि एक दपिरे को शोध्य िैं ।
[6क. सडिी तैयार करिा—(1) यि िुसिसश्र्त करिे के सलए िर प्रयाि क्रकया जाएगा क्रक सडिी जिां तक िं िि िो शीघ्रता िे
5

और क्रकिी िी दशा में उि तारीि िे पंद्रि क्रदि के िीतर सजिको सिर्चय िुिाया जाता िै, तैयार की जाए ।
(2) सडिी की प्रसत फाइल क्रकए सबिा सडिी के सिरुद्ध अपील की जा िके गी और क्रकिी ऐिी दशा में न्यायालय द्वारा पिकार
को उपलब्ि कराई गई प्रसत आदेश 41 के सियम 1 के प्रयोजिों के सलए सडिी मािी जाएगी । क्रकन्तु जैिे िी सडिी तैयार िो जाती िै,
सिर्चय सिष्पादि के प्रयोजिों के सलए या क्रकिी अन्य प्रयोजि के सलए सडिी का प्रिाि ििीं रिेगा ।
6ि. सिर्चयों की प्रसतयां कब उपलब्ि कराई जाएंगी—जिां सिर्चय िुिा क्रदया गया िै ििां सिर्चय की प्रसतयां पिकारों को
सिर्चय के िुिाए जािे के ठीक पश्र्ात अपील करिे के सलए ऐिे प्रिारों के िंदाय पर उपलब्ि कराई जाएंगी जो उच्र् न्यायालय द्वारा
बिाए गए सियमों में सिसिर्दचष्ट क्रकए जाएं ।]
7. सडिी की तारीि—सडिी में उि क्रदि की तारीि िोगी सजि क्रदि सिर्चय िुिाया गया था और न्यायािीश अपिा िमािाि
कर लेिे पर क्रक सडिी सिर्चय के अिुिार तैयार की गई िै सडिी पर िस्तािर करे गा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 70 द्वारा (1-2-1977 िे) “िुिा िके गा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
सियम 1, 2, 3, 4 और 5 के उपबंि, अिि के मुखय न्यायालय को लागप ििीं िोते िैं । देसिए अिि कोटच ि ऐक्ट, 1925 (1925 का यप०पी० असिसियम िं० 4) की िारा
16 (2) ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 70 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 1 को उपसियम 1 के रूप में पुि:िंखयांक्रकत क्रकया गया और 2016 के असिसियम िं० 4 की िारा
16 और अिुिपर्ी द्वारा प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 70 द्वारा (1-2-1977 िे) “पिकारों के िाम और पते” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 28 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 6क और 6ि के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
118

8. जिां न्यायािीश िे सडिी पर िस्तािर करिे िे पपिच अपिा पद टरक्त कर क्रदया िै ििां प्रक्रिया—जिां न्यायािीश के सिर्चय
िुिािे के पश्र्ात, क्रकन्तु सडिी पर िस्तािर क्रकए सबिा अपिा पद टरक्त कर क्रदया िै ििां ऐिे सिर्चय के अिुिार तैयार की गई सडिी
पर उिका उत्तरिती या यक्रद उि न्यायालय का असस्तत्ि िी िमाप्त िो गया िै तो ऐिे क्रकिी न्यायालय का न्यायािीश सजिके
अिीिस्थ ऐिा न्यायालय था, िस्तािर करे गा ।
9. स्थािर िम्पसत्त के प्रत्युद्धर् के सलए सडिी—जिां िाद की सिषयिस्तु स्थािर िम्पसत्त िै ििां सडिी में ऐिी िम्पसत्त का
ऐिा िर्चि अन्तर्िचष्ट िोगा जो उिकी पिर्ाि करिे के सलए पयाचप्त िो और जिां ऐिी िम्पसत्त िीमाओं द्वारा या िप -व्यिस्थापि या
ििेिर् के असिलेि के िंखयांकों द्वारा पिर्ािी जा िके ििां सडिी में ऐिी िीमाएं या िंखयांक सिसिर्दचष्ट िोंगे ।
10. जंगम िम्पसत्त के पटरदाि के सलए सडिी—जिां िाद जंगम िम्पसत्त के सलए िै और सडिी ऐिी िम्पसत्त के पटरदाि के सलए
िै ििां यक्रद पटरदाि ििीं कराया जा िकता िै तो सडिी में िि के उि पटरमार् का िी कथि क्रकया जाएगा जो अिुकल्पतः क्रदया
जाएगा ।
11. सडिी क्रकस्तों द्वारा िंदाय के सलए सिदेश दे िके गी—(1) यक्रद और जिां तक कोई सडिी िि के िंदाय के सलए िै तो और
ििां तक न्यायालय उि िंसिदा में, सजिके अिीि िि िंदय े िै, अन्तर्िचष्ट क्रकिी बात के िोते हुए िी 1[उि पिकारों को जो असन्तम
िुििाई में स्ियं या प्लीडर द्वारा उपिंजात थे, िुििे के पश्र्ात, सिर्चय के पपिच सडिी में क्रकिी पयाचप्त कारर् िे यि आदेश िसम्मसलत
कर िके गा] क्रक सडिीत रकम का िंदाय ब्याज के िसित या सबिा मुल्तिी क्रकया जाए या क्रकस्तों में क्रकया जाए ।
(2) सडिी के पश्र्ात क्रकस्तों में िंदाय का आदेश —ऐिी क्रकिी सडिी के पाटरत क्रकए जािे के पश्र्ात न्यायालय सिर्ीत-ऋर्ी
के आिेदि पर और सडिीदार की अिुमसत िे आदेश दे िके गा क्रक ब्याज के िंदाय-िंबंिी, सिर्ीत-ऋर्ी की िम्पसत्त की कु की-िम्बन्िी,
उििे प्रसतिपसत लेिे िम्बन्िी या अन्य ऐिे सिबन्ििों पर जो िि ठीक िमझे, सडिीत रकम का िंदाय मुल्तिी क्रकया जाए या क्रकस्तों में
क्रकया जाए ।
12. कब्जा और अन्तःकालीि लािों के सलए सडिी—(1) जिां िाद स्थािर िम्पसत्त के कब्जे का प्रत्युद्धर् करिे और िाटक या
अन्तःकालीि लािों के सलए िै ििां न्यायालय ऐिी सडिी पाटरत कर िके गा जो—
(क) िम्पसत्त के कब्जे के सलए िो ;
ऐिे िाटकों के सलए िो जो िाद के िंसस्थत क्रकए जािे के पपिच की क्रकिी अिसि में िम्पसत्त पर प्रोद्िपत हुए िों
2[(ि)

या ऐिे िाटक के बारे में जांर् करिे का सिदेश देती िो ;


(िक) अन्तःकालीि लािों के सलए िो या ऐिे अन्तःकालीि लािों के बारे में जांर् करिे का सिदेश देती िो ;]
(ग) िाद के िंसस्थत क्रकए जािे िे लेकर सिम्िसलसित में िे, अथाचत :—
(i) सडिीदार को कब्जे का पटरदाि,
(ii) सडिीदार को न्यायालय की माफच त िपर्िा िसित सिर्ीत-ऋर्ी द्वारा कब्जे का त्याग, अथिा
(iii) सडिी की तारीि िे तीि िषों की िमासप्त,
इिमें िे जो िी कोई घटिा पिले घटटत िो या उि तक के िाटक या अन्तःकालीि लािों के बारे में जांर् का सिदेश देती िो ।
(2) जिां िण्ड (ि) या िण्ड (ग) के अिीि जांर् का सिदेश क्रदया गया िै ििां िाटक या अन्तःकालीि लािों के िम्बन्ि में
असन्तम सडिी ऐिी जांर् के पटरर्ाम के अिुिार पाटरत की जाएगी ।
3
[12क. स्थािर िम्पसत्त के सििय या पट्टे की िंसिदा के सिसिर्दचष्ट पालि के सलए सडिी—जिां स्थािर िम्पसत्त के सििय या
पट्टे की क्रकिी िंसिदा के सिसिर्दचष्ट पालि के सलए क्रकिी सडिी में यि आदेश िै क्रक िय-िि या अन्य रासश िे ता या पट्टेदार द्वारा िंदत्त
की जाए ििां उिमें िि अिसि सिसिर्दचष्ट की जाएगी सजिके िीतर िंदाय करिा िोगा ।]
13. प्रशािि-िाद में सडिी—(1) जिां िाद क्रकिी िम्पसत्त के लेिा के सलए और न्यायालय की सडिी के अिीि उिके िम्यक
प्रशािि के सलए िै ििां न्यायालय असन्तम सडिी पाटरत करिे के पपिच ऐिे लेिाओं के सलए जािे और जांर्ों के क्रकए जािे का आदेश देिे
िाली और ऐिे अन्य सिदेश देिे िाली जो न्यायालय ठीक िमझे, प्रारसम्िक सडिी पाटरत करे गा ।
(2) क्रकिी मृत व्यसक्त की िम्पसत्त का न्यायालय द्वारा प्रशािि क्रकए जािे में, यक्रद ऐिी िम्पसत्त उिके ऋर्ों और दासयत्िों के
पपरे िंदाय के सलए अपयाचप्त िासबत िो तो, प्रसतिपत और अप्रसतिपत लेिदारों के अपिे -अपिे असिकारों के बारे में और ऐिे ऋर्ों और
दासयत्िों के बारे में जो िासबत क्रकए जा िकते िैं और िार्षचक्रकयों के और िािी और िमासश्रत दासयत्िों के मप ल्यांकि के बारे में िमशः
उन्िीं सियमों का अिुपालि क्रकया जाएगा जो न्यायसिर्ीत या घोसषत क्रदिासलया व्यसक्तयों की िम्पदाओं के बारे में उि न्यायालय की
स्थािीय िीमाओं के िीतर तत्िमय प्रिृत्त िों सजिमें प्रशािि-िाद लसम्बत िै और िे ििी व्यसक्त जो ऐिे क्रकिी मामले में ऐिी िम्पसत्त

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 70 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 70 द्वारा (1-2-1977 िे) िण्ड (ि) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 70 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
119

में िे िंदाय पािे के िकदार िोंगे, प्रारसम्िक सडिी के अिीि आ िकें गे और उि िम्पसत्त के सिरुद्ध ऐिे दािे कर िकें गे सजिके सलए िे इि
िंसिता के आिार पर िमशः िकदार िैं ।
14. शुफा के दािे में सडिी—(1) जिां न्यायालय िम्पसत्त के क्रकिी सिसशष्ट सििय के बारे में शुफा के दािे की सडिी देता िै
और िय-िि ऐिे न्यायालय में जमा ििीं क्रकया गया िै ििां सडिी में —
(क) ऐिा क्रदि सिसिर्दचष्ट िोगा सजि क्रदि या सजिके पपिच िय-िि ऐिे जमा क्रकया जाएगा, तथा
(ि) यि सिदेश िोगा क्रक िादी के सिरुद्ध सडिीत िर्ों के िसित (यक्रद कोई िों) ऐिे िय-िि को न्यायालय में उि
क्रदि या उि क्रदि के पपिच, जो िण्ड (क) में सिर्दचष्ट क्रकया गया िै, जमा कर क्रदए जािे पर प्रसतिादी िम्पसत्त का कब्जा िादी
को पटरदत्त कर देगा सजिका िक ऐिे जमा करिे की तारीि िे उि पर प्रोद्िपत हुआ िमझा जाएगा ; क्रकन्तु यक्रद िय-िि
और िर्े (यक्रद कोई िों) ऐिे जमा ििीं क्रकए जाएंगे तो िाद िर्ों के िसित िाटरज कर क्रदया जाएगा ।
(2) जिां न्यायालय िे शुफा के परस्पर सिरोिी दािों का न्यायसिर्चयि कर क्रदया िै ििां सडिी में यि सिक्रदष्ट िोगा क्रक—
(क) यक्रद और जिां तक सडिीत दािे िमाि कोटट के िैं तो और ििां तक उपसियम (1) के उपबन्िों का अिुपालि
करिे िाले िर एक शपफासिकारी का दािा उि िम्पसत्त के आिुपासतक अंश के बारे में प्रिािी िोगा, सजि िम्पसत्त के अन्तगचत
ऐिा कोई आिुपासतक अंश िी िोगा सजिके बारे में क्रकिी ऐिे शुफासिकारी का, जो उक्त उपबन्िों का अिुपालि करिे में
अिफल रिा िै, दािा ऐिा व्यसतिम ि िोिे पर प्रिािी िोता ; तथा
(ि) यक्रद और जिां तक सडिीत दािे सिसिन्ि कोटट िैं तो और ििां तक अिर शुफासिकारी का दािा तब तक
प्रिािी ििीं िोगा जब तक िटरष्ठ शुफासिकारी उक्त उपबंिों का अिुपालि करिे में अिफल ि िो गया िो ।
15. िागीदारी के सिघटि के सलए िाद में सडिी—जिां तक िाद िागीदारी के सिघटि के सलए या िागीदारी के लेिाओं के
सलए जािे के सलए िै ििां न्यायालय अंसतम सडिी देिे के पपिच ऐिी प्रारसम्िक सडिी पाटरत कर िके गा सजिमें पिकारों के आिुपासतक
अंश घोसषत िोंगे, िि क्रदि सियत िोगा सजिको िागीदारी सिघटटत िो जाएगी या सिघटटत हुई िमझी जाएगी, और ऐिे ले िाओं के
सलए जािे का और अन्य ऐिे कायच के , जो िि न्यायालय ठीक िमझे, क्रकए जािे का सिदेश िोगा ।
16. मासलक और असिकताच के बीर् लेिा के सलए लाए गए िाद में सडिी—मासलक और असिकताच के बीर् िि-िंबंिी
िंव्यििारों की बाबत लेिा के सलए िाद में, और ऐिे क्रकिी अन्य िाद में, सजिके सलए इिमें इिके पपिच उपबन्ि ििीं क्रकया गया िै, जिां
यि आिश्यक िो क्रक उि िि की रकम को, जो क्रकिी पिकार को या पिकार िे शोध्य िै, असिसिसश्र्त करिे के सलए लेिा सलया जािा
र्ासिए, न्यायालय अपिी असन्तम सडिी पाटरत करिे के पपिच ऐिी प्रारसम्िक सडिी पाटरत कर िके गा सजिमें ऐिे लेिाओं के सलए जािे
का सिदेश िोगा सजिका सलया जािा िि ठीक िमझे ।
17. लेिाओं के िम्बन्ि में सिशेष सिदेश —न्यायालय या तो लेिा सलए जािे के सलए सिदेश देिे िाली सडिी द्वारा या क्रकिी
पश्र्ातिती आदेश द्वारा उि ढंग के बारे में सिशेष सिदेश दे िके गा सजिमें लेिा सलया जािा िै या प्रमासर्त क्रकया जािा िै और
सिसशष्टतः यि सिदेश दे िके गा क्रक लेिा लेिे में उि लेिा बसियों को, सजिमें प्रश्िगत लेिा रिे गए िों, उि बातों की ित्यता के
प्रथमदृष्या िाक्ष्य के रूप में सलया जाएगा जो उिमें अन्तर्िचष्ट िैं । क्रकन्तु सितबद्ध पिकारों को यि स्ितंत्रता िोगी क्रक िे उि पर ऐिे
आिेप कर िकें गे जो िे ठीक िमझें ।
18. िम्पसत्त के सििाजि के सलए या उिमें के अंश पर पृथक कब्जे के सलए िाद में सडिी—जब न्यायालय िम्पसत्त के सििाजि
के सलए या उिमें के अंश पर पृथक कब्जे के सलए सडिी पाटरत करता िै तब—
(1) यक्रद और जिां तक सडिी ऐिी िम्पदा िे िम्बसन्ित िै सजि पर िरकार को िंदय े राजस्ि सििाचटरत िै तो और
ििां तक सडिी िम्पसत्त में सितबद्ध सिसिन्ि पिकारों के असिकारों की घोषर्ा करे गी, क्रकन्तु िि यि सिदेश देगी क्रक ऐिा
सििाजि या पृथक्करर् ऐिी घोषर्ा और िारा 54 के उपबन्िों के अिुिार कलक्टर द्वारा या उिके द्वारा इि सिसमत्त
प्रसतसियुक्त उिके क्रकिी ऐिे अिीिस्थ द्वारा क्रकया जाए जो राजपसत्रत िो ;
(2) यक्रद और जिां तक ऐिी सडिी क्रकिी अन्य स्थािर िम्पसत्त िे या जंगम िम्पसत्त िे िम्बसन्ित िै तो और ििां
तक न्यायालय यक्रद सििाजि या पृथक्करर् असतटरक्त जांर् के सबिा िुसििापपिचक ििीं क्रकया जा िकता तो िम्पसत्त में
सितबद्ध सिसिन्ि पिकारों के असिकारों की घोषर्ा करिे िाली और ऐिे असतटरक्त सिदेश देिे िाली जो अपेसित िो,
प्रारसम्िक सडिी पाटरत कर िके गा ।
19. जब मुजरा या प्रतीदािा अिुज्ञात क्रकया जाए तब सडिी—(1) जिां प्रसतिादी को िादी के दािे के सिरुद्ध मुजरा 1[या
प्रतीदािा] अिुज्ञात क्रकया गया िै ििां सडिी में यि कथि िोगा क्रक िादी को क्रकतिी रकम शोध्य िै और प्रसतिादी को क्रकतिी रकम
शोध्य िै और िि क्रकिी ऐिी रासश की ििपली के सलए िोगी जो दोिों पिकारों में िे क्रकिी को शोध्य प्रतीत िो ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 70 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
120

(2) मुजरा या प्रतीपदािा िम्बन्िी सडिी की अपील—क्रकिी ऐिे िाद में, सजिमें मुजरा का दािा 1[या प्रतीपदािा] क्रकया
गया िै पाटरत कोई िी सडिी अपील के बारे में उन्िीं उपबन्िों के अिीि िोगी सजिके अिीि िि िोती यक्रद क्रकिी मुजरा का दािा 1[या
प्रतीपदािा] ि क्रकया गया िोता ।
(3) इि सियम के उपबन्ि लागप िोंगे र्ािे मुजरा, आदेश 8 के सियम 6 के अिीि या अन्यथा अिुज्ञेय िो ।
20. सिर्चय और सडिी की प्रर्ासर्त प्रसतयों का क्रदया जािा—सिर्चय और सडिी की प्रमासर्त प्रसतयां पिकारों को न्यायालय
िे आिेदि करिे पर और उिके िर्च पर दी जाएंगी ।
2
[आदेश 20क

िर्े
1. कु छ मदों के बारे में उपबन्ि—िर्ों के बारे में इि िंसिता के उपबन्िों की व्यापकता पर प्रसतकप ल प्रिाि डाले सबिा,
न्यायालय सिम्िसलसित के िम्बन्ि में िर्े असिसिर्ीत कर िके गा, अथाचत :—
(क) िाद िंसस्थत करिे िे पपिच क्रकिी ऐिी िपर्िा के , जो सिसि द्वारा दी जािे के सलए अपेसित िै, क्रदए जािे के सलए
उपगत व्यय ;
(ि) क्रकिी ऐिी िपर्िा पर उपगत व्यय, जो सिसि द्वारा दी जािे के सलए अपेसित ि िोिे पर िी िाद के क्रकिी
पिकार द्वारा क्रकिी दपिरे पिकार को िाद िंसस्थत करिे िे पपिच दी गई िो ;
(ग) क्रकिी पिकार द्वारा फाइल क्रकए गए असििर्िों को टाइप करािे, सलििे या मुक्रद्रत करािे पर उपगत व्यय ;
(घ) िाद के प्रयोजिों के सलए न्यायालय के असिलेिों के सिरीिर् के सलए क्रकिी पिकार द्वारा िंदत्त प्रिार ;
(ङ) क्रकिी पिकार द्वारा िासियों को पेश करिे के सलए उपगत व्यय र्ािे िे न्यायालय के माध्यम िे िमि ि क्रकए
गए िों ; और
(र्) अपीलों की दशा में क्रकिी पिकार द्वारा सिर्चयों और सडक्रियों की प्रसतयां करिे में उपगत प्रिार, जो अपील के
ज्ञापि के िाथ फाइल की जािे के सलए अपेसित िै ।
2. उच्र् न्यायालय द्वारा बिाए गए सियमों के अिुिार िर्ों का असिसिर्ीत क्रकया जािा—इि सियम के अिीि िर्े ऐिे
सियमों के अिुिार असिसिर्ीत क्रकए जाएंगे जो उच्र् न्यायालय द्वारा इि सिसमत्त बिाए जाएं ।]
आदेश 21

सडक्रियों और आदेशों का सिष्पादि


सडिी के अिीि िंदाय
[1. सडिी के अिीि िि के िंदाय की रीसतयां—(1) सडिी के अिीि िंदय
3
े ििी िि का सिम्िसलसित रीसत िे िंदाय क्रकया
जाएगा, अथाचत:—
(क) उि न्यायालय में, सजिका कतचव्य उि सडिी का सिष्पादि करिा िै, जमा करके या उि न्यायालय को
मिीआडचर द्वारा अथिा बैंक के माध्यम िे िेजकर; या
(ि) न्यायालय के बािर, सडिीदार को मिीआडचर द्वारा या क्रकिी बैंक के माध्य िे या क्रकिी अन्य रीसत िे सजिमें
िंदाय का सलसित िाक्ष्य िो; या
(ग) अन्य रीसत िे जो िि न्यायालय सजििे सडिी दी, सिदेश दे ।
(2) जिां िंदाय उपसियम (1) के िण्ड (क) या िण्ड (ग) के अिीि क्रकया जाता िै ििां सिर्ीतऋर्ी सडिीदार को उिकी
िपर्िा न्यायालय के माध्यम िे देगा या रिीदी रसजस्िी डाक द्वारा िीिे देगा ।
(3) जिां िि का िंदाय उपसियम (1) के िण्ड (क) या िण्ड (ि) के अिीि मिीआडचर द्वारा या बैंक के माध्यम िे क्रकया जाता
िै ििां, यथासस्थसत, मिीआडचर में या बैंक के माध्यम िे क्रकए गए िंदाय में सिम्िसलसित सिसशसष्टयों का स्पष्ट रूप िे कथि िोगा,
अथाचत:—
(क) मपल िाद का िंखयांक;

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 70 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 71 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 1 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
121

(ि) पिकारों के या जिां दो िे असिक िादी या दो िे असिक प्रसतिादी िैं ििां, यथासस्थसत, पिले दो िाक्रदयों और
दो प्रसतिाक्रदयों के िाम;
(ग) प्रेसषत िि का िमायोजि क्रकि प्रकार क्रकया जािा िै, अथाचत िि िंदाय मपल के प्रसत, ब्याज के प्रसत या िर्ों के
प्रसत िै;
(घ) न्यायालय के सिष्पादि मामले का िंखयांक जिां ऐिा मामला लंसबत िै; और
(ङ) िंदायकताच का िाम और पता ।
(4) उपसियम (1) के िण्ड (ि) या िण्ड (ग) के अिीि िंदत्त क्रकिी रकम पर ब्याज, यक्रद कोई िो, उपसियम (2) में सिर्दचष्ट
िपर्िा की तामील की तारीि िे ििीं लगेगा ।
(5) उपसियम (1) के िण्ड (ि) के अिीि िंदत्त क्रकिी रकम पर ब्याज, यक्रद कोई िो, ऐिे िंदाय की तारीि िे ििीं लगेगाः
परन्तु जिां सडिीदार मिीआडचर या बैंक के माध्यम िे िंदाय स्िीकार करिे िे इं कार करता िै ििां ब्याज, उि तारीि िे,
सजिको िि उिे सिसिदत्त क्रकया गया था, ििीं लगेगा अथिा जिां िि मिीआडचर या बैंक के माध्यम िे क्रकए गए िंदाय को स्िीकार
करिे िे बर्ता िै, ििां ब्याज उि तारीि िे, सजिको िि उिे, यथासस्थसत, डाक प्रासिकाटरयों के या बैंक के कारबार के मामपली अिुिम
में क्रदया गया िोता, ििीं लगेगा ।]
2. सडिीदार को न्यायालय के बािर िंदाय—(1) जिां क्रकिी प्रकार की सडिी के अिीि िंदय े कोई िि न्यायालय के बािर
िंदत्त क्रकया गया िै [या क्रकिी प्रकार की पपरी सडिी या उिके क्रकिी िाग का िमायोजि सडिीदार को िमािािप्रद रूप में अन्यथा कर
1

क्रदया गया िै] ििां सडिीदार उि न्यायालय को, सजिका कतचव्य सडिी का सिष्पादि करिा िै, यि प्रमासर्त करे गा क्रक ऐिा िंदाय या
िमायोजि कर क्रदया िै और न्यायालय उिे तद्िुिार असिसलसित करे गा ।
(2) सिर्ीतऋर्ी 2[या कोई ऐिा व्यसक्त िी जो सिर्ीतऋर्ी के सलए प्रसतिप िै,] ऐिे िंदाय या िमायोजि की इसत्तला
न्यायालय को दे िके गा और न्यायालय िे आिेदि कर िके गा क्रक न्यायालय अपिे द्वारा सियत क्रकए जािे िाले क्रदि को िि िेतुक दर्शचत
करिे के सलए िपर्िा सडिीदार के िाम सिकाले क्रक ऐिे िंदाय या िमायोजि के बारे में यि क्यों ि असिसलसित कर सलया जाए क्रक िि
प्रमासर्त िै, और यक्रद सडिीदार ऐिी िपर्िा की तामील के पश्र्ात यि िेतुक दर्शचत करिे में अिफल रिता िै क्रक िंदाय या िमायोजि
के बारे में यि असिसलसित ििीं क्रकया जािा र्ासिए क्रक िि प्रमासर्त िै तो न्यायालय उिे तद्िुिार असिसलसित करे गा ।
2
[(2क) सिर्ीतऋर्ी की प्रेरर्ा पर कोई िी िंदाय या िमायोजि तब तक असिसलसित ििीं क्रकया जाएगा जब तक—
(क) िि िंदाय सियम 1 में उपबसन्ित रीसत िे ि क्रकया गया िो; या
(ि) िि िंदाय या िमायोजि दस्तािेजी िाक्ष्य द्वारा िासबत ि िो; या
(ग) िि िंदाय या िमायोजि सडिीदार द्वारा या उिकी ओर िे उि िपर्िा के उिके उत्तर में जो सियम 1 के
उपसियम (2) के अिीि दी गई िै या न्यायालय के िमि स्िीकार ि क्रकया गया िो ।]
3(3) िि िंदाय या िमायोजि जो पपिोक्त रीसत िे प्रमासर्त या असिसलसित ििीं क्रकया गया िै, सडिी सिष्पादि करिे िाले

क्रकिी न्यायालय द्वारा मान्य ििीं क्रकया जाएगा ।


सडक्रियां सिष्पादि करिे िाले न्यायालय
3. एक िे असिक असिकाटरता में सस्थत िपसम—जिां स्थािर िम्पसत्त दो या असिक न्यायालयों की असिकाटरता की स्थािीय
िीमाओं के िीतर सस्थत एक िम्पदा या िपिृसत के रूप में िै ििां पपरी िम्पदा या िपिृसत को ऐिे न्यायालयों में िे कोई िी एक न्यायालय
कु कच कर िके गा और उिका सििय कर िके गा ।
4. लघुिाद न्यायालय को अन्तरर्—जिां सडिी क्रकिी ऐिे िाद में पाटरत की गई िै, सजिका िादपत्र में उपिर्र्चत मपल्य दो
िजार रुपए िे असिक ििीं िै और जिां तक उिकी सिषय-िस्तु का िम्बन्ि िै िि या तो प्रेसिडेन्िी या प्रान्तीय लघुिाद न्यायालयों के
िंज्ञाि िे तत्िमय प्रिृत्त सिसि द्वारा अपिाक्रदत ििीं िै और िि न्यायालय सजििे उिे पाटरत क्रकया था यि र्ािता िै क्रक िि कलकत्ता,
मद्राि 4[या मुम्बई] में सिष्पाक्रदत की जाएं ििां ऐिा न्यायालय, यथासस्थसत, कलकत्ता, मद्राि 4[या मुम्बई] में के लघुिाद न्यायालय को
सियम 6 में िर्र्चत प्रसतयां और प्रमार्पत्र िेज िके गा और तब ऐिा लघुिाद न्यायालय उि सडिी का सिष्पादि ऐिे करे गा मािो िि
स्ियं उिके द्वारा पाटरत की गई िो ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
3
असिसियम के पंजाब को लागप करिे के सलए पंजाब टरलीफ आफ इन्डेटटडिेि ऐक्ट, 1934 (1934 का पंजाब असिसियम िं०7) की िारा 36 द्वारा उपसियम (3) सिरसित
क्रकया गया ।
4
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “मुम्बई या रंगपि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
122

[5. अन्तरर् की रीसत—जिां सडिी सिष्पादि के सलए दपिरे न्यायालय को िेजी जािी िै ििां िि न्यायालय सजििे ऐिी
1

सडिी पाटरत की िै सडिी को िीिे ऐिे दपिरे न्यायालय को िेजेगा र्ािे ऐिा दपिरा न्यायालय उिी राज्य में सस्थत िो या ि िो, क्रकन्तु
िि न्यायालय सजिको सडिी सिष्पादि के सलए िेजी गई िै उि दशा में सजिमें उिे सडिी को सिष्पाक्रदत करिे की असिकाटरता ििीं िै
ऐिे न्यायालय को िेजेगा सजिे ऐिी असिकाटरता िै ।]
6. जिां न्यायालय यि र्ािता िै क्रक उिकी अपिी सडिी क्रकिी अन्य न्यायालय द्वारा सिष्पाक्रदत की जाए ििां
प्रक्रिया—सडिी को सिष्पादि के सलए िेजिे िाला न्यायालय सिम्िसलसित िेजेगा, अथाचत:—
(क) सडिी की प्रसत;
(ि) यि उपिर्र्चत करिे िाला प्रमार्पत्र क्रक सडिी की तुसष्ट उि न्यायालय की असिकाटरता के िीतर सजििे उिे
पाटरत क्रकया था सिष्पादि द्वारा असिप्राप्त ििीं की गई िै या जिां सडिी का सिष्पादि िागतः हुआ िै ििां िि सिस्तार सजि
तक तुसष्ट असिप्राप्त कर ली गई िै और सडिी का जो िाग अतुष्ट रिा िै िि िाग उपिर्र्चत करिे िाला प्रमार्पत्र; तथा
(ग) सडिी के सिष्पादि के क्रकिी आदेश की प्रसत या यक्रद ऐिा कोई िी आदेश ििीं क्रकया गया िै तो उि िाि का
प्रमार्पत्र ।
7. सडिी आक्रद की प्रसतयां प्राप्त करिे िाला न्यायालय उन्िें िबपत के सबिा फाइल कर लेगा—िि न्यायालय सजिे सडिी ऐिे
िेजी गई िै, ऐिी प्रसतयों और प्रमार्पत्रों को उि सडिी या आदेश के जो सिष्पादि के सलए िै या उिकी प्रसतयों के क्रकिी असतटरक्त
िबपत के सबिा, फाइल कर लेगा यक्रद िि उि सिशेष कारर्ों िे, जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे और सजि पर न्यायािीश के िस्तािर िोंगे, ऐिे
िबपत की अपेिा ि करे ।
8. सडिी या आदेश का उि न्यायालय द्वारा सिष्दापि सजिे िि िेजा गया िै —जिां ऐिी प्रसतयां इि प्रकार फाइल कर ली
गई िैं ििां यक्रद िि न्यायालय सजिे िि सडिी या आदेश िेजा गया िै, सजला न्यायालय िै तो िि ऐिे न्यायालय द्वारा सिष्पाक्रदत क्रकया
जा िके गा या ििम असिकाटरता िाले क्रकिी अिीिस्थ न्यायालय को सिष्पादि के सलए अन्तटरत क्रकया जा िके गा ।
9. अन्य न्यायालय द्वारा अन्तटरत सडिी का उच्र् न्यायालय द्वारा सिष्पादि—जिां िि न्यायालय सजिे सडिी सिष्पादि के
सलए िेजी गई िै उच्र् न्यायालय िै ििां सडिी ऐिे न्यायालय द्वारा उिी रीसत िे सिष्पाक्रदत की जाएगी मािो िि ऐिे न्यायालय द्वारा
अपिी मामपली आरसम्िक सिसिल असिकाटरता के प्रयोग में पाटरत की गई थी ।
सिष्पादि के सलए आिेदि
10. सिष्पादि के सलए आिेदि—जिां सडिी का िारक उिका सिष्पादि करािा र्ािता िै ििां िि सडिी पाटरत करिे िाले
न्यायालय िे या इि सिसमत्त सियुक्त असिकारी िे (यक्रद कोई िो) या यक्रद सडिी क्रकिी अन्य न्यायालय को इिमें इिके पपिच अन्तर्िच ष्ट
उपबन्िों के अिीि िेजी गई िै तो उि न्यायालय िे या उिके उसर्त असिकारी िे आिेदि करे गा ।
11. मौसिक आिेदि—(1) जिां सडिी िि के िंदाय के सलए िै ििां, यक्रद सिर्ीतऋर्ी न्यायालय की पटरिीमाओं के िीतर िै
तो, न्यायालय सडिी पाटरत करिे के िमय सडिीदार द्वारा क्रकए गए मौसिक आिेदि पर आदेश दे िके गा क्रक िारण्ट की तैयारी के पपिच
सडिी का असिलम्ब सिष्पादि सिर्ीतऋर्ी की सगरफ्तारी द्वारा क्रकया जाए ।
(2) सलसित आिेदि—उिके सििाय जैिा उपसियम (1) द्वारा उपबसन्ित िै, सडिी के सिष्पादि के सलए िर आिेदि सलिा
हुआ और आिेदक या क्रकिी अन्य ऐिे व्यसक्त द्वारा, सजिके बारे में न्यायालय को िमािािप्रद रूप में िासबत कर क्रदया गया िै क्रक िि
मामले के तथ्यों िे पटरसर्त िै, िस्तािटरत और ित्यासपत िोगा और उिमें िारर्ीबद्ध रूप में सिम्ि सिसशसष्टयां िोंगी, अथाचत:—
(क) िाद का िंखयांक;
(ि) पिकारों के िाम;
(ग) सडिी का तारीि;
(घ) क्या सडिी के सिरुद्ध कोई अपील की गई िै;
(ङ) क्या सडिी के पश्र्ात पिकारों के बीर् कोई िंदाय या सििादग्रस्त बात का कोई अन्य िमायोजि हुआ िै और
(यक्रद कोई हुआ िै तो) क्रकतिा या क्या;
(र्) क्या सडिी के सिष्पादि के सलए कोई आिेदि पिले क्रकए गए िैं और (यक्रद कोई क्रकए गए िैं तो) कौि िे िैं और
ऐिे आिेदिों की तारीिें और उिके पटरर्ाम;
(छ) सडिी मद्धे शोध्य रकम, यक्रद कोई ब्याज िो तो उिके िसित, या उिके द्वारा अिुदत्त अन्य अिुतोष, क्रकिी
प्रसत-सडिी की सिसशसष्टयों के िसित र्ािे िि उि सडिी की तारीि के पपिच या पश्र्ात पाटरत की गई िो सजिका सिष्पादि
र्ािा गया िै;

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 5 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
123

(ज) असिसिर्ीत िर्ों की (यक्रद कोई िों) रकम;


(झ) उि व्यसक्त का िाम सजिके सिरुद्ध सडिी का सिष्पादि र्ािा गया िै; तथा
(ञ) िि ढंग सजिमें न्यायालय की ििायता अपेसित िै, अथाचत क्याः—
(i) क्रकिी सिसिर्दचष्टतः सडिी िम्पसत्त के पटरदाि द्वारा;
1
[(ii) क्रकिी िम्पसत्त की कु की द्वारा या कु की और सििय द्वारा या कु की के सबिा सििय द्वारा;]
(iii) क्रकिी व्यसक्त की सगरफ्तारी और कारागार में सिरोि द्वारा;
(iv) टरिीिर की सियुसक्त द्वारा;
(v) अन्यथा, जो अिुदत्त अिुतोष की प्रकृ सत िे अपेसित िै ।
(3) सजि न्यायालय िे उपसियम (2) के अिीि आिेदि क्रकया गया िै, िि आिेदक िे यि अपेिा कर िके गा क्रक िि सडिी की
एक प्रमासर्त प्रसत पेश करे ।
[11क. सगरफ्तारी के सलए आिेदि में आिारों का कसथत िोिा—जिां सिर्ीतऋर्ी की सगरफ्तारी और कारागार में सिरोि
2

के सलए आिेदि क्रकया जाता िै ििां उिमें उि आिारों का सजि पर सगरफ्तारी के सलए आिेदि क्रकया गया िै, कथि िोगा या उिके
िाथ एक शपथपत्र िोगा सजिमें उि आिारों का सजि पर सगरफ्तारी के सलए आिेदि क्रकया गया िै, कथि िोगा ।]
12. ऐिी जंगम िम्पसत्त की कु की के सलए आिेदि जो सिर्ीतऋर्ी के कब्जे में ििीं िै —जिां क्रकिी ऐिी जंगम िम्पसत्त की
कु की के सलए आिेदि क्रकया गया िै जो सिर्ीतऋर्ी की िै क्रकन्तु उिके कब्जे में ििीं िै ििां सडिीदार उि िम्पसत्त का सजिकी कु की की
जािी िै युसक्तयुक्त रूप िे यथाथच िर्चि अन्तर्िचष्ट करिे िाली एक िम्पसत्त तासलका आिेदि के िाथ उपाबद्ध करे गा ।
13. स्थािर िम्पसत्त की कु की के आिेदि में कु छ सिसशसष्टयों का अन्तर्िचष्ट िोिा—जिां सिर्ीतऋर्ी की क्रकिी स्थािर
िम्पसत्त की कु की के सलए आिेदि क्रकया जाता िै ििां उि आिेदि के पाद-िाग में सिम्िसलसित बातें अन्तर्िचष्ट िोंगी, अथाचत:—
(क) ऐिी िम्पसत्त का ऐिा िर्चि जो उिे पिर्ाििे के सलए पयाचप्त िै और उि दशा में सजिमें ऐिी िम्पसत्त
िीमाओं द्वारा या िप-व्यिस्थापि या ििेिर् के असिलेि के िंखयांकों के द्वारा पिर्ािी जा िकती िै, ऐिी िीमाओं या
िंखयांकों का सिसिदेश; तथा
(ि) सिर्ीतऋर्ी का ऐिी िम्पसत्त में, जो अंश या सित आिेदक के ििोत्तम सिश्िाि के अिुिार िै और जिां तक
िि उिका असिसिश्र्य कर पाया िो ििां तक उि अंश या सित का सिसिदेश ।
14. कलक्टर के रसजस्टर में िे प्रमासर्त उद्धरर्ों की कु छ दशाओं में अपेिा करिे की शसक्त—जिां क्रकिी ऐिी िपसम की कु की
के सलए आिेदि क्रकया जाता िै जो कलक्टर के कायचलय में रसजस्िीकृ त िै ििां न्यायालय आिेदक िे अपेिा कर िके गा क्रक िि उि िपसम
के स्ित्ििारी के रूप में या उि िपसम में या उिके राजस्ि में कोई अन्तरर्ीय सित रििे िाले के रूप में या उि िपसम के सलए राजस्ि देिे
के दायी के रूप में रसजस्टर में दजच व्यसक्तयों का और रसजस्टर में दजच स्ित्ििाटरयों के अंशों को सिसिर्दचष्ट करिे िाला प्रमासर्त उद्धरर्
ऐिे कायाचलय के रसजस्टर में िे पेश करे ।
15. िंयक्ु त सडिीदार द्वारा सिष्पादि के सलए आिेदि—(1) जिां सडिी एक िे असिक व्यसक्तयों के पि में िंयुक्त रूप िे
पाटरत की गई िै ििां, जब तक क्रक सडिी में इिके प्रसतकप ल कोई शतच असिरोसपत ि िो, पपरी सडिी के सिष्पादि के सलए आिे दि ऐिे
व्यसक्तयों में िे कोई एक या असिक अपिे ििी के फायदे के सलए या जिां उिमें िे क्रकिी की मृत्यु िो गई िै ििां मृतक के उत्तरजीसियों
और सिसिक प्रसतसिसियों के फायदे के सलए कर िके गा ।
(2) जिां न्यायालय सडिी का सिष्पादि इि सियम के अिीि क्रकए गए आिेदि पर अिुज्ञात करिे के सलए पयाचप्त िेतुक देिे
ििां िि ऐिा आदेश करे गा जो िि उि व्यसक्तयों के जो आिेदि करिे में िसम्मसलत ििीं हुए िैं, सितों के िंरिर् के सलए
आिश्यक िमझे ।
16. सडिी के अन्तटरती द्वारा सिष्पादि के सलए आिेदि—जिां क्रकिी सडिी का या, यक्रद कोई सडिी दो या असिक व्यसक्तयों
के पि में िंयुक्त रूप िे पाटरत की गई िै तो सडिी में क्रकिी सडिीदार के सित का अन्तरर् सलसित िमिुदश
े ि द्वारा या सिसि की क्रिया
द्वारा िो गया िै ििां अन्तटरती उि न्यायालय िे, सजििे सडिी पाटरत की थी सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि कर िके गा और सडिी
उिी रीसत िे और उन्िीं शतों के अिीि रिते हुए इि प्रकार सिष्पाक्रदत की जा िके गी मािो आिेदि ऐिे सडिीदार के द्वारा क्रकया गया
िोः

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) उपिण्ड (ii) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
124

परन्तु जिां सडिी के पपिोक्त जैिे सित का अन्तरर् िमिुदश


े ि द्वारा क्रकया गया िै ििां ऐिे आिेदि की िपर्िा अन्तरक और
सिर्ीतऋर्ी को दी जाएगी और जब तक न्यायालय िे सडिी के सिष्पादि के बारे में उिके आिेपों को (यक्रद कोई िों) ि िुि सलया िो
तब तक िि सिष्पाक्रदत ििीं की जाएगीः
परन्तु यि और िी क्रक जिां दो या असिक व्यसक्तयों के सिरुद्ध िि के िंदाय की सडिी उिमें िे एक को अन्तटरत की गई िै,
ििां िि अन्य व्यसक्तयों के सिरुद्ध सिष्पाक्रदत ििीं की जाएगी ।
[स्पष्टीकरर्—इि सियम की कोई बात िारा 146 उपबन्िों पर प्रिाि ििीं डालेगी और उि िम्पसत्त में जो िाद की
1

सिषयिस्तु िै, असिकारों का कोई अन्तटरती सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि, इि सियम द्वारा यथा अपेसित सडिी के पृथक
िमिुदश
े ि के सबिा, कर िके गा ।]
17. सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि प्राप्त िोिे पर प्रक्रिया—(1) सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि सियम 11 के
उपसियम (2) द्वारा उपबसन्ित रूप में प्राप्त िोिे पर न्यायालय यि असिसिसश्र्त करे गा क्रक क्या सियम 11 िे 14 तक की अपेिाओं में
िे उिका जो उि मामले में लागप िैं, अिुपालि क्रकया जा र्ुका िै और यक्रद उिका अिुपालि ििीं क्रकया गया िै 2[तो न्यायालय त्रुटट का
तिी और ििां िी या उि िमय के िीतर, जो उिके द्वारा सियत क्रकया जाएगा, दपर क्रकया जािा अिुज्ञात करे गा] ।
1
[(1क) यक्रद त्रुटट इि प्रकार दपर ििीं क्रक जाती िै तो न्यायालय आिेदि को िामंजपर करे गाः
परन्तु जिां न्यायालय की राय में, सियम 11 के उपसियम (2) के िण्ड (छ) और (ज) में सिर्दचष्ट रकम के बारे में कोई अशुसद्ध
िो ििां न्यायालय आिेदि को िामंजपर करिे के बजाय (कायचिासियों के दौराि रकम को असन्तम रूप िे सिसिसश्र्त करािे के पिकारों
के असिकार पर प्रसतकप ल प्रिाि डाले सबिा) अिसन्तम रूप िे रकम सिसिसश्र्त करे गा और इि प्रकार अिसन्तम रूप िे सिसिसश्र्त रकम
िाली सडिी के सिष्पादि के सलए आदेश करे गा ।]
(2) जिां आिेदि उपसियम (1) के उपबन्िों के अिीि िंशोसित क्रकया जाता िै ििां िि सिसि के अिुिार और उि तारीि
को, सजिको िि पिले पेश क्रकया गया था, पेश क्रकया गया िमझा जाएगा ।
(3) इि सियम के अिीि क्रकया गया िर िंशोिि न्यायािीश द्वारा िस्तािटरत या आद्यिटरत क्रकया जाएगा ।
(4) जब आिेदि ग्रिर् कर सलया जाए तब न्यायालय उसर्त रसजस्टर में आिेदि का टटप्पर् और िि तारीि सजि क्रदि िि
क्रदया गया था, प्रसिष्ट करे गा और इिमें इिके पश्र्ात अन्तर्िचष्ट उपबन्िों के अिीि रिते हुए, आिेदि की प्रकृ सत के अिुिार सडिी के
सिष्पादि के सलए आदेश देगाः
परन्तु िि के िंदाय के सलए सडिी की दशा में कु कच की गई िम्पसत्त का मपल्य सडिी के अिीि शोध्य रकम के यथाशक्य लगिग
बराबर िोगा ।
18. प्रसत-सडक्रियों की दशा में सिष्पादि—(1) जिां न्यायालय िे आिेदि ऐिी प्रसत-सडक्रियों के सिष्पादि के सलए क्रकए जाते
िैं जो दो रासशयों के िंदाय के सलए पृथक-पृथक िादों में उन्िीं पिकारों के बीर् पाटरत की गई िै और ऐिे न्यायालय द्वारा एक िी िमय
सिष्पादिीय िैं, ििां—
(क) यक्रद दोिों रासशयां बराबर िैं तो दोिों सडक्रियों में तुसष्ट की प्रसिसष्ट कर दी जाएगी; तथा
(ि) यक्रद दोिों रासशयां बराबर ििीं िै तो बडी रासश िाली सडिी के िारक द्वारा िी और के िल उतिी िी रासश के
सलए जो छोटी रासश को घटािे के पश्र्ात शेष रिती िैं, सिष्पादि कराया जा िके गा और बडी रासश िाली सडिी में छोटी
रासश की तुसष्ट की प्रसिसष्ट कर दी जाएगी और िाथ िी िाथ छोटी रासश िाली सडिी में िी तुसष्ट की प्रसिसष्ट कर
दी जाएगी ।
(2) इि सियम के बारे में यि िमझा जाएगा क्रक ये ििां लागप िैं जिां दोिों में िे कोई पिकार उि सडक्रियों में िे एक का
िमिुदसे शती िै और मपल िमिुदश
े क द्वारा शोध्य सिर्ीत-ऋर्ों के बारे में िी िैिे िी लागप िैं जैिे स्ियं िमिुदसे शती द्वारा शोध्य सिर्ीत-
ऋर्ों को ।
(3) इि सियम के बारे में यि ििीं िमझा जाएगा क्रक यि लागप िै जब तक क्रक—
(क) उि िादों में िे, सजिमें सडिीयां की गई िैं एक में का सडिीदार दपिरे में का सिर्ीतऋर्ी ि िो और िर एक
पिकार दोिों िादों में एक िी िी िैसियत ि रिता िो; तथा
(ि) सडक्रियों के अिीि शोध्य रासशयां सिसश्र्त ि िों ।
(4) कई व्यसक्तयों के सिरुद्ध िंयुक्ततः और पृथक्त: पाटरत सडिी का िारक अपिी सडिी को ऐिी सडिी के िम्बन्ि में जो ऐिे
व्यसक्तयों में एक या असिक पि में अके ले उिके सिरुद्ध पाटरत की गई िो प्रसत-सडिी के रूप में बरत िके गा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
125

दृष्ांत
(क) ि के सिरुद्ध 1,000 रुपए की सडिी क के पाि िै । क के सिरुद्ध 1,000 रुपए के िंदाय के सलए एक सडिी ि के पाि िै, जो
तब िंदय े िोगी जबक्रक क कसतपय माल क्रकिी िसिष्यिती क्रदि को पटरदाि करिे में अिफल रिे । ि अपिी सडिी को प्रसत-सडिी के
रूप में इि सियम के अिीि ििीं बरत िकता ।
(ि) िििादी ि और क 1,000 रुपए की सडिी ग के सिरुद्ध असिप्राप्त करते िैं और ि के सिरुद्ध ग 1,000 रुपए की सडिी
असिप्राप्त करता िै । इि सियम के अिीि ग अपिी सडिी को प्रसत-सडिी के रूप में ििीं बरत िकता ।
(ग) क 1,000 रुपए की सडिी ि के सिरुद्ध असिप्राप्त करता िै । ग जो ि का न्यािी िै ि की ओर िे क के सिरुद्ध 1,000 रुपए
की सडिी असिप्राप्त करता िै । ि इि सियम के अिीि ग की सडिी को प्रसत-सडिी के रूप में ििीं बरत िकता ।
(घ) क, ि, ग, घ और ङ िंयुक्ततः और पृथक्त: र् द्वारा असिप्राप्त सडिी के अिीि 1,000 रुपए के देिदार िैं । क अके ला र्
के सिरुद्ध 100 रुपए की सडिी असिप्राप्त करता िै और उि न्यायालय िे सिष्पादि के सलए आिेदि करता िै सजिमें िि िंयु क्त सडिी
सिष्पाक्रदत की जा रिी िै । र् इि सियम के अिीि अपिी िंयुक्त सडिी को प्रसत-सडिी के रूप में बरत िके गा ।
19. एक िी सडिी के अिीि प्रसतदािों की दशा में सिष्पादि—जिां न्यायालय िे आिेदि ऐिी सडिी के सिष्पादि के सलए
क्रकया गया िै सजिके अिीि दो पिकार एक दपिरे िे िि की रासशयां ििपल करिे के िकदार िैं, ििां —
(क) यक्रद दोिों रासशयां बराबर िैं तो दोिों के सलए तुसष्ट की प्रसिसष्ट सडिी में कर दी जाएगी; तथा
(ि) यक्रद दोिों रासशयां बराबर ििीं िैं तो बडी रासश के िकदार पिकार द्वारा िी और के िल उतिी िी रासश के
सलए जो छोटी रासश के घटािे के पश्र्ात शेष रिती िै, सिष्पादि कराया जा िके गा, और छोटी रासश की तुसष्ट की प्रसिसष्ट
सडिी में कर दी जाएगी ।
20. बंिक-िादों में प्रसत-सडक्रियां और प्रसतदािे—सियम 18 और सियम 19 में अन्तर्िचष्ट उपबन्ि, बन्िक या िार का प्रितचि
करािे में सििय की सडक्रियों को लोगप िोंगे ।
21. एक िाथ सिष्पादि—न्यायालय सिर्ीतऋर्ी के शरीर और िम्पसत्त के सिरुद्ध एक िाथ सिष्पादि करिे िे इं कार
स्िसििेकािुिार कर िके गा ।
22. कु छ दशाओं में सिष्पादि के सिरुद्ध िेतक
ु दर्शचत करिे की िपर्िा—(1) जिां सिष्पादि के सलए आिेदि—
(क) सडिी की तारीि के 1[दो िषच] के पश्र्ात क्रकया गया िै, अथिा
(ि) सडिी के पिकार के सिसिक प्रसतसिसि के सिरुद्ध क्रकया गया िै, 2[अथिा जिां िारा 44क के उपबन्िों के अिीि
फाइल की गई सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि क्रकया गया िै], 3[अथिा]
3
[(ग) जिां सडिी का पिकार क्रदिासलया न्यायसिर्ीत क्रकया गया िै ििां क्रदिाले में िमिुदसे शती या टरिीिर के
सिरुद्ध क्रकया गया िै,]
ििां सडिी सिष्पादि करिे िाला न्यायालय उि व्यसक्त के प्रसत, सजिके सिरुद्ध सिष्पादि के सलए आिेदि क्रकया गया िै, यि अपेिा
करिे िाली िपर्िा सिकालेगा क्रक िि उि तारीि को जो सियत की जाएगी, िेतुक दर्शचत करे क्रक सडिी उिके सिरुद्ध सिष्पाक्रदत क्यों ि
की जाएः
परन्तु ऐिी कोई िपर्िा ि तो सडिी की तारीि और सिष्पादि के सलए आिेदि की तारीि के बीर् 1[दो िषच] िे असिक बीत
जािे के पटरर्ामस्िरूप उि दशा में आिश्यक िोगी सजिमें क्रक सिष्पादि के सलए क्रकिी पपिचति आिेदि पर उि पिकार के सिरुद्ध,
सजिके सिरुद्ध सिष्पादि के सलए आिेदि क्रकया गया िै, क्रकए गए असन्तम आदेश की तारीि िे 1[दो िषच] के िीतर िी सिष्पादि के सलए
आिेदि कर क्रदया गया िै और ि सिर्ीतऋर्ी के सिसिक प्रसतसिसि के सिरुद्ध आिेदि क्रकए जािे के पटरर्ामस्िरूप उि दशा में
आिश्यक िोगी सजिमें क्रक उिी व्यसक्त के सिरुद्ध सिष्पादि के सलए पपिचति आिेदि पर न्यायालय उिके सिरुद्ध सिष्पादि र्ालप करिे का
आदेश दे र्ुका िै ।
(2) पपिचगामी उपसियम की कोई िी बात उि उपसियम द्वारा सिसित िपर्िा सिकाले सबिा सडिी के सिष्पादि में कोई
आदेसशका सिकालिे िे न्यायालय को प्रिाटरत करिे िाली ििीं िमझी जाएगी, यक्रद उि कारर्ों िे जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, उिका
सिर्ार िो क्रक ऐिी िपर्िा सिकालिे िे अयुसक्तयुक्त सिलम्ब िोगा या न्याय के उद्देश्य सिफल िो जाएंगे ।
3
[22क. सििय िे पपिच क्रकन्तु सििय की उदघोषर्ा की तामील के पश्र्ात सिर्ीतऋर्ी की मृत्यु पर सििय का अपास्त ि
क्रकया जािा—जिां क्रकिी िम्पसत्त का क्रकिी सडिी के सिष्पादि में सििय क्रकया जाता िै ििां के िल इि कारर् क्रक सििय की उद घोषर्ा
के जारी क्रकए जािे की तारीि और सििय की तारीि के बीर् सिर्ीतऋर्ी की मृत्यु िो गई िै और इि बात के िोते हुए िी सििय

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) “एक िषच” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1937 के असिसियम िं० 8 की िारा 3 द्वारा अंतःस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
126

अपास्त ििीं क्रकया जाएगा क्रक सडिीदार ऐिे मृत सिर्ीतऋर्ी के सिसिक प्रसतसिसि को उिके स्थाि पर रििे में अिफल रिा िै, क्रकन्तु
ऐिी अिफलता की दशा में न्यायालय सििय को उि दशा में अपास्त कर िके गा सजिमें उिका िमािाि िो जाता िै क्रक सििय का मृत
सिर्ीतऋर्ी के सिसिक प्रसतसिसि पर प्रसतकप ल प्रिाि पडा िै ।]
23. िपर्िा के सिकाले जािे के पश्र्ात प्रक्रिया—(1) जिां िि व्यसक्त, सजिके िाम 1[सियम 22] के अिीि के अिीि िपर्िा
सिकाली गई िै, उपिंजात ििीं िोता िै या न्यायालय को िमािािप्रद रूप में िेतुक दर्शचत ििीं करता िै क्रक सडिी का सिष्पादि क्यों ि
क्रकया जाए ििां न्यायालय आदेश देगा क्रक सडिी का सिष्पादि क्रकया जाए ।
(2) जिां ऐिा व्यसक्त सडिी के सिष्पादि के सिरुद्ध कोई आिेप पेश करता िै ििां न्यायालय ऐिे आिे प पर सिर्ार करे गा
और ऐिा आदेश करे गा जो िि ठीक िमझे ।
सिष्पादि के सलए आदेसशका
24. सिष्पादि के सलए आदेसशका—(1) जब पपिचगामी सियमों द्वारा अपेसित प्रारसम्िक उपाय (यक्रद कोई िों) क्रकए जा र्ुके िों
तब, जब तक क्रक न्यायालय को इिके प्रसतकप ल िेतुक क्रदिाई ि दे, िि उि सडिी के सिष्पादि के सलए अपिी आदेसशका सिकालेगा ।
(2) िर ऐिी आदेसशका में उि क्रदि की तारीि सलिी जाएगी सजि क्रदि िि सिकाली गई िै और िि न्यायािीश द्वारा या ऐिे
असिकारी द्वारा जो न्यायालय इि सिसमत्त सियुक्त करे , िस्तािटरत की जाएगी और न्यायालय की मुद्रा िे मुद्रांक्रकत की जाएगी और
सिष्पाक्रदत क्रकए जािे के सलए उसर्त असिकारी को पटरदत्त की जाएगी ।
[(3) िर ऐिी आदेसशका में िि क्रदि सिसिर्दचष्ट क्रकया जाएगा सजि क्रदि या सजिके पपिच िि सिष्पाक्रदत की जाएगी और िि
2

क्रदि िी सिसिर्दचष्ट क्रकया जाएगा सजि क्रदि या सजिके पपिच िि न्यायालय को िापि की जाएगी, क्रकन्तु कोई िी आदेसशका उि दशा में
शपन्य ििीं िमझी जाएगी सजिमें उिके लौटाए जािे के सलए कोई क्रदि उिमें सिसिर्दचष्ट ििीं क्रकया गया िो ।]
25. आदेसशका पर पृष्ठांकि—(1) िि असिकारी सजिे आदेसशका का सिष्पादि िौंपा गया िै, उि पर िि क्रदि जब, और िि
रीसत, सजििे िि सिष्पाक्रदत की गई िै, और यक्रद उिके लौटाए जािे के सलए आदेसशका में सिसिर्दचष्ट असन्तम क्रदि िे असिक िमय
सिकल गया िै तो सिलम्ब का कारर् या यक्रद िि सिष्पाक्रदत ििीं की गई थी तो िि कारर् सजििे उिका सिष्पादि ििीं क्रकया गया,
पृष्ठांक्रकत करे गा और उि आदेसशका को ऐिे पृष्ठांकि के िाथ न्यायालय को लौटाएगा ।
(2) जिां पृष्ठांकि इि िाि का िै क्रक ऐिा असिकारी आदेसशका का सिष्पादि करिे में अिमथच िै ििां न्यायालय उिकी
असिकसथत अिमथचता के बारे में उिकी परीिा करे गा और यक्रद िि ऐिा करिा ठीक िमझे तो ऐिी अिमथचता के बारे में िासियों को
िमि और उिकी परीिा कर िके गा और पटरर्ाम को असिसलसित करे गा ।
सिष्पादि का रोका जािा
26. न्यायालय सिष्पादि को कब रोक िके गा—(1) िि न्यायालय, सजिे सडिी सिष्पादि के सलए िेजी गई िै, ऐिी सडिी का
सिष्पादि पयाचप्त िेतुक दर्शचत क्रकए जािे पर युसक्तयुक्त िमय के सलए इिसलए रोके गा क्रक सिर्ीतऋर्ी िमथच िो िके क्रक िि सडिी
पाटरत करिे िाले न्यायालय िे या सडिी के या उिके सिष्पादि के बारे में अपीली असिकाटरता रििे िाले क्रकिी न्यायालय िे सिष्पादि
रोक देिे के आदेश के सलए आिेदि कर ले या सडिी या सिष्पादि िे िम्बसन्ित क्रकिी ऐिे अन्य आदेश के सलए आिेदि कर ले जो प्रथम
बार के न्यायालय द्वारा या अपील न्यायालय द्वारा क्रकया जाता यक्रद सिष्पादि उिके द्वारा जारी क्रकया गया िोता या यक्रद सिष्पादि के
सलए आिेदि उििे क्रकया गया िोता ।
(2) जिां सिर्ीतऋर्ी की िम्पसत्त या शरीर सिष्पादि के अिीि असिगृिीत कर सलया गया िै ििां िि न्यायालय, सजििे
सिष्पादि जारी क्रकया िै, ऐिे आिेदि का पटरर्ाम लसम्बत रििे तक ऐिी िम्पसत्त के प्रत्यास्थापि या ऐिे व्यसक्त के उन्मोर्ि के सलए
आदेश कर िके गा ।
(3) सिर्ीतऋर्ी िे प्रसतिपसत अपेसित करिे या उि पर शतें असिरोसपत करिे की शसक्त—न्यायालय सिष्पादि को रोकिे के
सलए या िम्पसत्त के प्रत्यास्थापि के सलए या सिर्ीतऋर्ी के उन्मोर्ि के सलए आदेश करिे िे पिले सिर्ीतऋर्ी िे 3[ऐिी प्रसतिपसत
अपेसित करे गा या उि पर ऐिी शतें असिरोसपत करे गा जो िि ठीक िमझे] ।
27. उन्मोसर्त सिर्ीतऋर्ी का दासयत्ि—सियम 26 के अिीि प्रत्यास्थापि या उन्मोर्ि का कोई िी आदेश सिष्पादि के
सलए िेजी गई सडिी के सिष्पादि में सिर्ीतऋर्ी की िम्पसत्त या शरीर को क्रफर िे असिगृिीत क्रकए जािे िे सििाटरत ििीं करे गा ।
28. सडिी पाटरत करिे िाले न्यायालय का या अपील न्यायालय का आदेश उि न्यायालय के सलए आबद्धकर िोगा सजििे
आिेदि क्रकया गया िै—सडिी पाटरत करिे िाले न्यायालय का या पपिोक्त जैिे अपील न्यायालय का ऐिी सडिी के सिष्पादि के िंबंि में
कोई आदेश उि न्यायालय के सलए आबद्धकर िोगा सजिे सडिी सिष्पादि के सलए िेजी गई िै ।

1
1978 के असिसियम िं० 38 की िारा 3 और दपिरी अिुिपर्ी द्वारा “इिके ठीक पिले के सियम” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) उपसियम (3) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
127

29. सडिीदार और सिर्ीतऋर्ी के बीर् िाद लसम्बत रििे तक सिष्पादि का रोका जािा—जिां उि व्यसक्त की ओर िे,
सजिके सिरुद्ध सडिी पाटरत की गई थी, कोई िाद ऐिे न्यायालय की सडिी के िारक के 1[या ऐिी सडिी के जो ऐिे न्यायालय द्वारा
सिष्पाक्रदत की जा रिी िै, िारक के ] सिरुद्ध क्रकिी न्यायालय में लसम्बत िै ििां न्यायालय प्रसतिपसत के बारे में या अन्यथा ऐिे सिबन्ििों
पर, जो िि ठीक िमझे, सडिी के सिष्पादि को तब तक के सलए रोक िके गा जब तक लसम्बत िाद का सिसिश्र्य ि िो जाएः
[परन्तु यक्रद सडिी िि के िंदाय के सलए िै तो न्यायालय उि दशा में सजिमें िि प्रसतिपसत अपेसित क्रकए सबिा उिका रोकिा
1

मंजपर करता िै, ऐिा करिे के अपिे कारर्ों को लेिबद्ध करे गा ।]


सिष्पादि की रीसत
30. िि के िंदाय की सडिी—िि के िंदाय की िर सडिी, सजिके अन्तगचत क्रकिी अन्य अिुतोष के अिुकल्प के रूप में िि के
िंदाय की सडिी िी आती िै, सिर्ीतऋर्ी िे सिसिल कारागार में सिरोि द्वारा या उिी िम्पसत्त की कु की और सििय द्वारा या दोिों
रीसत िे सिष्पाक्रदत की जा िके गी ।
31. सिसिर्दचष्ट जंगम िम्पसत्त के सलए सडिी—(1) जिां सडिी क्रकिी सिसिर्दचष्ट जंगम िस्तु के , या क्रकिी सिसिर्दचष्ट जंगम
िस्तु में के अंश के सलए िै ििां यक्रद जंगम िस्तु या अंश का असिग्रिर् िाध्य िो तो उि जंगम िस्तु के या अंश के असिग्रिर् द्वारा और
उि पिकार को सजिके पि में िि न्यायसिर्ीत क्रकया गया िै या ऐिे व्यसक्त को, सजिे िि अपिी ओर िे पटरदाि प्राप्त करिे के सलए
सियुक्त करे , पटरदाि द्वारा या सिर्ीतऋर्ी के सिसिल कारागार में सिरोि द्वारा या उिकी िम्पसत्त की कु की द्वारा या दोिों रीसत िे
सिष्पाक्रदत की जा िके गी ।
(2) जिां उपसियम (1) के अिीि की गई कोई कु की 2[तीि माि] के सलए प्रिृत्त रि र्ुकी िै ििां यक्रद सिर्ीतऋर्ी िे सडिी
का आज्ञािुितचि ििीं क्रकया िै और सडिीदार िे कु कच की गई िम्पसत्त के सििय क्रकए जािे के सलए आिेदि क्रकया िै तो ऐिी िम्पसत्त का
सििय क्रकया जा िके गा और आगमों में िे न्यायालय सडिीदार को उि दशाओं में, जिां जंगम िम्पसत्त के पटरदाि के अिुकल्पस्िरूप क्रदए
जािे के सलए कोई रकम सडिी द्वारा सिसश्र्त की गई िै, ऐिी रकम और अन्य दशाओं में ऐिा प्रसतकर, जो िि ठीक िमझे, दे िके गा
और बाकी (यक्रद कोई िो) सिर्ीतऋर्ी के आिेदि पर उिे देगा ।
(3) जिां सिर्ीतऋर्ी िे सडिी का आज्ञािुितचि कर क्रदया गया िै और उिका सिष्पादि करिे के सलए ििी िर्ों का िं दाय
कर क्रदया गया िै सजिका िंदाय करिे के सलए िि आबद्ध िै या जिां कु की की तारीि िे 2[तीि माि] का अन्त िोिे तक िम्पसत्त के
सििय क्रकए जािे के सलए कोई आिेदि ििीं क्रकया गया िै या यक्रद क्रकया गया िै तो िामंजपर कर क्रदया गया िै ििां कु की िमाप्त िो
जाएगी ।
32. सिसिर्दचष्ट पालि के सलए दाम्पत्य असिकारों के प्रत्यास्थापि के सलए या व्यादेश के सलए सडिी—(1) जिां उि पिकार
को, सजिके सिरुद्ध िंसिदा के सिसिर्दचष्ट पालि के सलए, या दाम्पत्य असिकारों के प्रत्यास्थापि के सलए या व्यादेश के सलए कोई सडिी
पाटरत की गई िै, उि सडिी के आज्ञािुितचि के सलए अििर समल र्ुका िै और उिका आज्ञािुितचि करिे में िि जािबप झकर अिफल रिा
िै ििां िि सडिी 3[दाम्पत्य असिकारों के प्रत्यास्थापि के सलए सडिी की दशा में, उिकी िम्पसत्त की कु की के द्वारा या िंसिदा के
सिसिर्दचष्ट पालि के सलए या व्यादेश के सलए सडिी की दशा में ] सिसिल कारागार में उिके सिरोि द्वारा या उिकी िम्पसत्त की कु की
द्वारा, या दोिों रीसत िे प्रिृत्त की जा िके गी ।
(2) जिां िि पिकार सजिके सिरुद्ध सिसिर्दचष्ट पालि के सलए या व्यादेश के सलए सडिी पाटरत की गई िै, कोई सिगम िै ििां
सडिी उि सिगम की िम्पसत्त की कु की द्वारा या न्यायालय की इजाजत िे उिके सिदेशकों या अन्य प्रिाि असिकाटरयों के सिसिल
कारागार में सिरोि द्वारा या कु की और सिरोि दोिों रीसत िे प्रिृत्त की जा िके गी ।
(3) जिां उपसियम (1) या उपसियम (2) के अिीि की गई कोई कु की 4[छि माि] के सलए प्रिृत्त रि र्ुकी िै ििां यक्रद
सिर्ीतऋर्ी िे सडकी का आज्ञािुितचि ििीं क्रकया िै और सडिीदार िे कु कच की गई िम्पसत्त के सििय क्रकए जािे के सलए आिेदि क्रकया िै
तो ऐिी िम्पसत्त का सििय क्रकया जा िके गा और आगमों में िे न्यायालय सडिीदार को ऐिा प्रसतकर दे िके गा जो िि ठीक िमझे और
बाकी (यक्रद कोई िो) सिर्ीतऋर्ी के आिेदि पर उिे देगा ।
(4) जिां सिर्ीतऋर्ी िे सडिी का आज्ञािुितचि कर क्रदया िै और उिका सिष्पादि करिे के सलए ििी िर्ों का िंदाय कर
क्रदया िै सजिका िंदाय करिे के सलए िि आबद्ध िै या जिां कु की की तारीि िे 4[छि माि] का अन्त िोिे तक िम्पसत्त के सििय क्रकए
जािे के सलए कोई आिेदि ििीं क्रकया गया िै या यक्रद क्रकया गया िै तो िामंजपर कर क्रदया गया िै ििां कु की ििीं रि जाएगी ।
(5) जिां िंसिदा के सिसिर्दचष्ट पालि की या व्यादेश की क्रकिी सडिी का आज्ञािुितचि ििीं क्रकया गया िै ििां न्यायालय
पपिोक्त ििी आदेसशकाओं के या उिमें िे क्रकिी के िी बदले में या उिके िाथ-िाथ सिदेश दे िके गा क्रक िि कायच, सजिके क्रकए जािे की
अपेिा की गई थी, जिां तक िो िके , सडिीदार द्वारा या न्यायालय द्वारा सियुक्त क्रकए गए क्रकिी अन्य व्यसक्त द्वारा सिर्ीतऋर्ी के

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) “छि माि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1923 के असिसियम िं० 29 की िारा 2 द्वारा अंतःस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) “एक िषच” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
128

िर्े पर क्रकया जा िके गा और कायच कर क्रदया जािे पर जो व्यय उपगत हुए िों िे ऐिी रीसत िे असिसिसश्र्त क्रकए जा िकें गे जो
न्यायालय सिक्रदष्ट करे और इि प्रकार ििपल क्रकए जा िकें गे मािो िे सडिी में िी िसम्मसलत िों ।
[स्पष्टीकरर्—शंकाओं को दपर करिे के सलए यि घोषर्ा की जाती िै क्रक “िि कायच सजिके क्रकए जािे की अपेिा की गई थी”
1

के अंतगचत प्रसतषेिात्मक तथा आज्ञापक आदेश आते िैं ।]


दृष्ांत
क, जो बहुत कम िम्पसत्त िाला व्यसक्त िै, एक ऐिा सिमाचर् िडा करता िै जो ि की कौटु सम्बक ििेली को मािि सििाि के
अयोग्य बिा देता िै । क, कारागार में सिरुद्ध क्रकए जािे और अपिी िम्पसत्त के कु कच िोिे पर िी ि के द्वारा उिके सिरुद्ध असिप्राप्त की
गई और अपिा सिमाचर् िटािे के सलए उिे सिर्दचष्ट करिे िाली सडिी का आज्ञािुितचि करिे िे इन्कार करता िै । न्यायालय की यि राय
िै क्रक क की िम्पसत्त के सििय द्वारा प्राप्त िोिे िाली कोई िी रासश इतिी ि िोगी क्रक िि ि की ििेली के मपल्य में अिियर् के सलए
उिको उिके सलए पयाचप्त प्रसतकर िो । ि, न्यायालय िे आिेदि कर िके गा क्रक िि सिमाचर् िटा क्रदया जाए और उिे िटािे के िर्े को
सिष्पादि कायचिासियों में क िे ििपल कर िके गा ।
33. दाम्पत्य असिकारों के प्रत्यास्थापि की सडक्रियों का सिष्पादि करिे में न्यायालय का सििेकासिकार—(1) सियम 32 में
क्रकिी बात के िोते हुए िी, न्यायालय दाम्पत्य असिकार के प्रत्यास्थापि की सडिी 2[पसत के सिरुद्ध] पाटरत करते िमय या तत्पश्र्ात
क्रकिी िी िमय, यि आदेश कर िके गा क्रक सडिी 3[इि सियम में उपबसन्ित रीसत िे सिष्पाक्रदत की जाएगी] ।
(2) जिां न्यायालय िे उपसियम (1) के अिीि कोई आदेश क्रकया िै 4*** ििां िि आदेश कर िके गा क्रक सडिी का
आज्ञािुितचि ऐिी अिसि के िीतर ि क्रकए जािे की दशा में जो इि सिसमत्त सियत की जाए, सिर्ीतऋर्ी सडिीदार को ऐिे कासलक
िंदाय करे गा जो न्यायिंगत िों और यक्रद न्यायालय यि ठीक िमझे तो िि सिर्ीतऋर्ी िे अपेिा करे गा क्रक िि न्यायालय के
िमािािप्रद रूप में सडिीदार को ऐिे कासलक िंदाय प्रसतिपत करे ।
(3) न्यायालय िि के कासलक िंदाय के सलए उपसियम (2) के अिीि क्रकए गए क्रकिी िी आदेश में फे रफार या उपान्तर िंदाय
के िमयों को पटरिर्तचत करके या रकम को बढ़ा या घटा करके िमय-िमय पर कर िके गा या इि प्रकार िंदाय क्रकए जािे के सलए
आक्रदष्ट पपरे िि या उिके क्रकिी िी िाग की बाबत उिे अस्थायी रूप िे सिलसम्बत कर िके गा और उिे पपर्चतः या िागतः ऐिे पुिः
प्रिर्तचत कर िके गा जो िि न्यायिंगत िमझे ।
(4) इि सियम के अिीि िंदत्त क्रकए जािे के सलए आक्रदष्ट कोई िी िि इि प्रकार ििपल क्रकया जा िके गा मािो िि िि के
िंदाय की सडिी के अिीि िंदय
े िो ।
34. दस्तािेज के सिष्पादि या परिाम्य सलित के पृष्ठांकि के सलए सडिी—(1) जिां सडिी क्रकिी दस्तािेज के सिष्पादि के
सलए या क्रकिी परिाम्य सलित के पृष्ठां कि के सलए िै और सिर्ीतऋर्ी सडिी का आज्ञािुितचि करिे में उपेिा करता िै या उिका
आज्ञािुितचि करिे िे इन्कार करता िै ििां सडिीदार सडिी के सिबन्ििों के अिुिार दस्तािेज या पृष्ठांकि का प्रारूप तैयार कर िके गा
और उिे न्यायालय को पटरदत्त कर िके गा ।
(2) तब न्यायालय सिर्ीतऋर्ी िे यि अपेिा करिे िाली िपर्िा के िाथ प्रारूप की तामील सिर्ीतऋर्ी पर कराएगा क्रक
िि अपिे आिेप (यक्रद कोई िों) इतिे िमय के िीतर करे सजतिा न्यायालय इि सिसमत्त सियत करे ।
(3) जिां सिर्ीतऋर्ी प्रारूप के िम्बन्ि में आिेप करता िै ििां उिके आिेप ऐिे िमय के िीतर सलसित रूप में कसथत क्रकए
जाएंगे और न्यायालय प्रारूप को अिुमोक्रदत या पटरिर्तचत करिे िाला ऐिा आदेश करे गा जो िि ठीक िमझे ।
(4) सडिीदार प्रारूप की एक प्रसत ऐिे पटरितचिों के िसित (यक्रद कोई िों), जो न्यायालय िे सिक्रदष्ट क्रकए िों, उसर्त स्टाम्प-
पत्र पर, यक्रद तत्िमय प्रिृत्त सिसि द्वारा ऐिा स्टाम्प अपेसित िो, न्यायालय को पटरदत्त करे गा, और न्यायािीश या ऐिा असिकारी जो
इि सिसमत्त सियुक्त क्रकया जाए, ऐिे पटरदत्त दस्तािेज को सिष्पाक्रदत करे गा ।
(5) इि सियम के अिीि दस्तािेज का सिष्पादि या परिाम्य सलित का पृष्ठांकि सिम्िसलसित प्ररूप में िो
िके गा, अथाचत:—
“ङ र् द्वारा क ि के सिरुद्ध िाद के क ि, की ओर िे ..............न्यायालय का न्यायािीश (या यथासस्थसत) ग घ”,
और उिका ििी प्रिाि िोगा जो उिे सिष्पादि करिे या पृष्ठांकि करिे के सलए आक्रदष्ट पिकार द्वारा दस्तािेज के सिष्पादि
या परिाम्य सलित के पृष्ठांकि का िोता ।
[(6) (क) जिां दस्तािेज का रसजस्िीकरर् तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सिसि के अिीि अपेसित िै ििां न्यायालय या न्यायालय का
5

ऐिा असिकारी जो न्यायालय द्वारा इि सिसमत्त प्रासिकृ त क्रकया जाए, ऐिी सिसि के अिुिार दस्तािेज का रसजस्िीकरर् कराएगा ।

1
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 14 द्वारा (1-7-2002 िे) अंतःस्थासपत ।
2
1923 के असिसियम िं० 29 की िारा 3 द्वारा अंतःस्थासपत ।
3
1923 के असिसियम िं० 29 की िारा 3 द्वारा “कारागार में सिरोि द्वारा सिष्पाक्रदत ििीं की जाएगी” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1923 के असिसियम िं० 29 की िारा 3 द्वारा “और सडिीदार पत्िी िै” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) उपसियम (6) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
129

(ि) जिां दस्तािेज का रसजस्िीकरर् इि प्रकार अपेसित ििीं िै क्रकन्तु सडिीदार उिका रसजस्िीकरर् करािा र्ािता िै ििां
न्यायालय ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
(ग) जिां न्यायालय क्रकिी दस्तािेज के रसजस्िीकरर् के सलए कोई आदेश करता िै ििां िि रसजस्िीकरर् के व्ययों के बारे में
ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।]
35. स्थािर िम्पसत्त के सलए सडिी—(1) जिां सडिी क्रकिी स्थािर िम्पसत्त के पटरदाि के सलए िै ििां उिका कब्जा उि
पिकार को सजिे िि न्यायसिर्ीत क्रकया गया िै या ऐिे व्यसक्त को सजिे िि अपिी ओर िे पटरदाि प्राप्त करिे के सलए सियुक्त करे ,
और यक्रद आिश्यक िो तो सडिी द्वारा आबद्ध क्रकिी ऐिे व्यसक्त को जो िम्पसत्त को िाली करिे िे इन्कार करता िै, िटा कर के पटरदत्त
क्रकया जाएगा ।
(2) जिां सडिी स्थािर िम्पसत्त के िंयुक्त कब्जे के सलए िै ििां िम्पसत्त में के क्रकिी ििजदृश्य स्थाि पर िारण्ट की प्रसत को
लगाकर और सडिी के िार को क्रकिी िुसििाजिक स्थाि पर डोंडी सपटिा कर या अन्य रूक्रढ़क ढंग िे उदघोसषत करके ऐिे कब्जे का
पटरदाि क्रकया जाएगा ।
(3) जिां क्रकिी सिमाचर् या अिाते के कब्जे का पटरदाि क्रकया जािा िै और कब्जा रििे िाला व्यसक्त सडिी द्वारा आबद्ध िोते
हुए ििां तक अबाि पहुंर् ििीं िोिे देता िै ििां न्यायालय देश की रूक्रढ़यों के अिुिार लोगों के िामिे ि आिे िाली स्त्री को युसक्तयुक्त
र्ेताििी देकर और िट जािे की िुसििा देिे के पश्र्ात अपिे असिकाटरयों के माध्यम िे क्रकिी ताले या र्टकिी को िटा िके गा या
िोल िके गा या क्रकिी द्वार को तोड कर िोल िके गा या सडिीदार को कब्जा देिे के सलए आिश्यक क्रकिी िी अन्य कायच को कर िके गा ।
36. जब स्थािर िम्पसत्त असििारी के असििोग में िै तब ऐिी िम्पसत्त के पटरदाि के सलए सडिी—जिां सडिी क्रकिी ऐिी
स्थािर िम्पसत्त के पटरदाि के सलए िै जो ऐिे असििारी या अन्य व्यसक्त के असििोग में िै जो उि पर असििोग रििे का िकदार िै
और सडिी द्वारा इि बात के सलए आबद्ध ििीं िै क्रक ऐिा असििोग त्याग दे ििां न्यायालय यि आदेश देगा क्रक िम्पसत्त में के क्रकिी
ििजदृश्य स्थाि पर िारण्ट की प्रसत को लगाकर और िम्पसत्त के िम्बन्ि में सडिी के िार को क्रकिी िुसििाजिक स्थाि पर डोंडी
सपटिा कर या अन्य रूक्रढ़क ढंग िे असििोगी को उदघोसषत करके पटरदाि क्रकया जाए ।
सगरफ्तारी और सिसिल कारागार में सिरोि
37. कारागार में सिरुद्ध क्रकए जािे के सिरुद्ध िेतुक दर्शचत करिे के सलए सिर्ीतऋर्ी को अिुज्ञा देिे की िैिक्रे कक
शसक्त—(1) इि सियमों में क्रकिी बात के िोते हुए िी, जिां िि के िंदाय के सलए सडिी का सिष्पादि ऐिे सिर्ीतऋर्ी की जो आिेदि
के अिुिरर् में सगरफ्तार क्रकए जािे के दासयत्ि के अिीि िै, सगरफ्तारी और सिसिल कारागार में सिरोि के द्वारा करिे के सलए आिेदि
िै ििां न्यायालय उिकी सगरफ्तारी के सलए िारण्ट सिकालिे के बदले उििे यि अपेिा करिे िाली िपर्िा उिके िाम 1[सिकालेगा] क्रक
उि क्रदि को जो उि िपर्िा में सिसिर्दचष्ट क्रकया जाएगा, िि न्यायालय में उपिंजात िो और िेतुक दर्शचत करे क्रक सिसिल कारागार को
उिे क्यों ि िुपुदच कर क्रदया जाएः
[परन्तु यक्रद न्यायालय का शपथपत्र द्वारा या अन्यथा यि िमािाि िो जाता िै क्रक यि िम्िाव्यता िै क्रक सिर्ीतऋर्ी सडिी
2

के सिष्पादि में सिलम्ब करिे के उद्देश्य िे फरार िो जाए या न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं को छोड दे या उिके ऐिा
करिे का पटरर्ाम यि िोगा क्रक सडिी के सिष्पादि में सिलम्ब िोगा तो ऐिी िपर्िा देिा आिश्यक ििीं िोगा ।]
(2) जिां िपर्िा के आज्ञािुिचति में उपिंजासत ि की जाए ििां यक्रद सडिीदार ऐिा अपेसित करे तो न्यायालय सिर्ीतऋर्ी
की सगरफ्तारी के सलए िारण्ट सिकालेगा ।
38. सगरफ्तारी के िारण्ट में सिर्ीतऋर्ी के लाए जािे के सलए सिदेश िोगा—सिर्ीतऋर्ी की सगरफ्तारी के िारण्ट में उि
असिकारी को सजिे उिका सिष्पादि न्यस्त क्रकया गया िै, यि सिदेश िोगा क्रक िि उिे न्यायालय के िमि िुसििािुिार पपर्च शीघ्रता िे
लाए यक्रद सिर्ीतऋर्ी िि रकम सजिे देिे के सलए िि आक्रदष्ट क्रकया गया िै, उि पर ऐिे ब्याज के और यक्रद कोई िर्ाच िो तो ऐिे िर्े
के िसित, सजिके सलए िि दायी िै, पिले िी िंदत्त ििीं कर देता िै ।
39. जीिि-सििाचि ित्ता—(1) जब तक और सजि िमय तक सडिीदार िे न्यायालय में ऐिी रासश जमा ि कर दी िो, जो
न्यायािीश सिर्ीतऋर्ी की सगरफ्तारी िे लेकर उिके न्यायालय के िमि लाए जा िकिे तक उिके जीिि-सििाचि के सलए पयाचप्त
िमझता िै, तब तक कोई सिर्ीतऋर्ी सडिी के सिष्पादि में सगरफ्तार ििीं क्रकया जाएगा ।
(2) जिां सिर्ीतऋर्ी सडिी के सिष्पादि में सिसिल कारागार को िुपुदच क्रकया जाता िै ििां न्यायालय उिके जीिि-सििाचि के
सलए ऐिा मासिक ित्ता सियत करे गा सजतिे के सलए िि िारा 57 के अिीि सियत मापमािों के अिुिार िकदार िै या जिां ऐिे कोई
मापमाि सियत ििीं क्रकए गए िैं ििां सजतिा उिके सिर्ार में उि िगच के बारे में पयाचप्त िो सजि िगच का सिर्ीतऋर्ी िै ।
(3) न्यायालय द्वारा सियत क्रकया गया मासिक ित्ता उि पिकार द्वारा, सजिके आिेदि पर सिर्ीतऋर्ी सगरफ्तार क्रकया
गया िै, असग्रम मासिक िंदायों द्वारा िर एक माि के प्रथम क्रदि के पपिच क्रदया जाएगा ।

1
1936 के असिसियम िं० 21 की िारा 3 द्वारा “सिकाल िके गा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1936 के असिसियम िं० 21 की िारा 3 द्वारा अंतःस्थासपत ।
130

(4) पिला िंदाय न्यायालय के उसर्त असिकारी को र्ालप माि के ऐिे िाग के सलए क्रकया जाएगा जो सिर्ीतऋर्ी के सिसिल
कारागार को िुपुदच क्रकए जािे के पपिच शे ष िै और पश्र्ातिती िंदाय (यक्रद कोई िो) सिसिल कारागार के िारिािक असिकारी को क्रकए
जाएंगे ।
(5) सिसिल कारागार में सिर्ीतऋर्ी के जीिि-सििाचि के सलए सडिीदार द्वारा िंसितटरत की गई रासशयां िाद के िर्े
िमझी जाएंगीः
परन्तु सिर्ीतऋर्ी ऐिे िंसितटरत की गई क्रकिी िी रासश के सलए ि तो सिसिल कारागार में सिरुद्ध क्रकया जाएगा और ि
सगरफ्तार क्रकया जाएगा ।
[40. िपर्िा के आज्ञािुितचि में या सगरफ्तारी के पश्र्ात सिर्ीतऋर्ी के उपिंजात िोिे पर कायचिासियां —(1) जब
1

सिर्ीतऋर्ी सियम 37 के अिीि सिकाली गई िपर्िा के आज्ञािुितचि में न्यायालय के िामिे उपिंजात िोता िै या िि के िंदाय की
सडिी के सिष्पादि में सगरफ्तार क्रकए जािे के पश्र्ात न्यायालय के िामिे लाया जाता िै तब न्यायालय सडिीदार को िुििे के सलए
अग्रिर िोगा और ऐिे ििी िाक्ष्य लेगा जो सिष्पादि के सलए अपिे आिेदि के िमथचि में उिके द्वारा पेश क्रकया जाए और तब
सिर्ीतऋर्ी को िेतुक दर्शचत करिे का अििर देगा क्रक िि सिसिल कारागार को क्यों ि िुपुदच कर क्रदया जाए ।
(2) उपसियम (1) के अिीि या तो जांर् की िमासप्त लसम्बत रििे तक न्यायालय स्िसििेकािुिार आदेश कर िके गा क्रक
सिर्ीतऋर्ी न्यायालय के असिकारी की असिरिा में सिरुद्ध क्रकया जाए या उिके द्वारा न्यायालय को िमािािप्रद रूप में इि बात की
प्रसतिपसत क्रदए जािे पर क्रक अपेसित क्रकए जािे पर िि उपिंजात िोगा न्यायालय उिे छोड िके गा ।
(3) उपसियम (1) के अिीि जांर् की िमासप्त पर न्यायालय िारा 51 के उपबन्िों और इि िंसिता के अन्य उपबन्िों के
अिीि रिते हुए सिर्ीतऋर्ी के सिसिल कारागार में सिरुद्ध क्रकए जािे का आदेश कर िके गा और उि दशा में जब िि पिले िे िी
सगरफ्तारी में ििीं िै उिे सगरफ्तार कराएगाः
परन्तु सिर्ीतऋर्ी को सडिी की तुसष्ट करिे का अििर देिे के सलए न्यायालय सिरोि का आदेश करिे के पिले सिर्ीतऋर्ी
को न्यायालय के असिकारी की असिरिा में पन्द्रि क्रदि िे अिसिक सिसिर्दचष्ट अिसि के सलए रििे दे िके गा या उिके सिसिर्दचष्ट अिसि
के अििाि पर उपिंजात िोिे के सलए, यक्रद सडिी की तुसष्ट उििे पिले िी ि कर दी गई िो तो, उिके द्वारा न्यायालय को िमािािप्रद
रूप में प्रसतिपसत क्रदए जािे पर उिे छोड िके गा ।
(4) इि सियम के अिीि छोड गया सिर्ीतऋर्ी पुिः सगरफ्तार क्रकया जा िके गा ।
(5) जब न्यायालय उपसियम (3) के असिि सिरोि का आदेश ि करे तब िि आिेदि को िामंजपर करे गा और यक्रद
सिर्ीतऋर्ी सगरफ्तारी में िो तो उिको छोडे जािे का सिदेश देगा ।]
िम्पसत्त की कु की
41. सिर्ीतऋर्ी की अपिी िम्पसत्त के बारे में उिकी परीिा—2[(1)] जिां सडिी िि के िंदाय के सलए िै ििां सडिीदार
न्यायालय िे इि आदेश के सलए आिेदि कर िके गा क्रक—
(क) सिर्ीतऋर्ी की, अथिा
(ि) 3[उि दशा में सजिमें सिर्ीतऋर्ी सिगम िो] उिके क्रकिी असिकारी की, अथिा
(ग) क्रकिी िी अन्य व्यसक्त की,
यि मौसिक परीिा की जाए क्रक क्या सिर्ीतऋर्ी को कोई ऋर् शोध्य िैं और िैं तो कौि िे िैं और क्या सिर्ीतऋर्ी की ऐिी कोई
अन्य िम्पसत्त या िािि िैं सजििे सडिी की तुसष्ट की जा िके और िैं तो कौि िे िैं और न्यायायलय ऐिे सिर्ीतऋर्ी या असिकारी या
अन्य व्यसक्त की िासजरी और उिकी परीिा के सलए और क्रकन्िीं बसियों या दस्तािेजों के पेश क्रकया जािे के सलए आदेश कर िके गा ।
[(2) जिां िि के िंदाय के सलए कोई सडिी तीि क्रदि की अिसि तक अतुष्ट रिी िै ििां न्यायालय, सडिीदार के आिेदि पर
4

और उपसियम (1) के अिीि अपिी शसक्तयों पर प्रसतकप ल प्रिाि डाले सबिा, आदेश द्वारा, सिर्ीतऋर्ी िे या जिां सिर्ीतऋर्ी सिगम
िै ििां उिके क्रकिी असिकारी िे यि अपेिा कर िके गा क्रक िि सिर्ीतऋर्ी की आसस्तयों की सिसशसष्टयों का कथि करिे िाला एक
शपथ-पत्र दे ।
(3) उपसियम (2) के अिीि क्रदए गए क्रकिी आदेश की अिज्ञा की दशा में, आदेश देिे िाला न्यायालय या कोई ऐिा न्यायालय
सजिे कायचिािी अन्तटरत की गई िै, सिदेश दे िके गा क्रक आदेश की अिज्ञा करिे िाले व्यसक्त को सिसिल कारागार में उतिी अिसि के
सलए जो तीि माि िे अिसिक की िो िके गी, तब तक सिरुद्ध क्रकया जाए जब तक क्रक ऐिी अिसि के अििाि िे पपिच न्यायालय उिको
छोडे जािे का सिदेश ि दे ।]

1
1936 के असिसियम िं० 21 की िारा 4 द्वारा सियम 40 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 41 को उपसियम (1) के रूप में पुिः िंखयांक्रकत क्रकया गया ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) “सियम की दशा में” के रूप में पुिः िंखयांक्रकत क्रकया गया ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
131

42. िाटक या अन्तःकालीि लािों या तत्पश्र्ात अन्य बातों के सलए, सजिकी रकम बाद में अििाटरत िोिी िै, सडिी की
दशा में कु की—जिां सडिी िाटक या अन्तःकालीि लािों या क्रकिी अन्य बात के सलए जांर् सिर्दचष्ट करती िै ििां सिर्ीतऋर्ी की
िम्पसत्त इिके पपिच क्रक सिर्ीतऋर्ी द्वारा शोध्य रकम असिसिसश्र्त कर ली गई िो ऐिे कु कच की जा िके गी जैिे िि के िंदाय की मामपली
सडिी की दशा में कु की की जा िकती िै ।
43. सिर्ीतऋर्ी के कब्जे में की ऐिी जंगम िम्पसत्त की कु की जो कृ सष उपज िे सिन्ि िै—जिां कु कच की जािे िाली िम्पसत्त
सिर्ीतऋर्ी के कब्जे में की कृ सष उपज िे सिन्ि जंगम िंपसत्त िै ििां कु की िास्तसिक असिग्रिर् के द्वारा की जाएगी और कु की करिे
िाला असिकारी िम्पसत्त को स्ियं अपिी असिरिा में या अपिे अिीिस्थों में िे एक की असिरिा में रिेगा और उिकी िम्यक असिरिा
के सलए उत्तरदायी िोगाः
परन्तु जब असिगृिीत िम्पसत्त शीघ्रतया और प्रकृ त्या ियशील िै या जब उिे असिरिा में रििे का व्यय उिके मपल्य िे ज्यादा
िोिा िंिाव्य िै तब कु कच करिे िाला असिकारी उिका तुरन्त िी सििय कर िके गा ।
[43क. जंगम िम्पसत्त की असिरिा—(1) जिां कु कच की गई िम्पसत्त पशुिि, कृ सष उपकरर् या अन्य ऐिी र्ीजें िैं जो
1

िुसििापपिचक िटाई ििीं जा िकती और कु कच करिे िाला असिकारी सियम 43 के परन्तुक के अिीि कायच ििीं कर िकता िै ििां िि,
सिर्ीतऋर्ी की या सडिीदार की या ऐिी िम्पसत्त में सितबद्ध िोिे का दािा करिे िाले क्रकिी अन्य व्यसक्त की प्रेरर्ा पर उिे उि गांि
या स्थाि में जिां उिकी कु की की गई िै, क्रकिी प्रसतसष्ठत व्यसक्त की असिरिा में (सजिे इिमें इिके पश्र्ात “असिरिक” किा गया िै)
छोड िके गा ।
(2) यक्रद असिरिक, िम्यक िपर्िा के पश्र्ात, ऐिी िम्पसत्त को न्यायालय द्वारा बताए गए स्थाि पर उि असिकारी के िमि
जो उि प्रयोजि के सलए प्रसतसियुक्त क्रकया जाए, पेश करिे में या उिे उि व्यसक्त को, सजिके पि में न्यायालय द्वारा प्रत्याितचि का
आदेश क्रकया गया िै, प्रत्यािर्तचत करिे में अिफल रिता िै या यक्रद िि िम्पसत्त इि प्रकार पेश या प्रत्यािर्तचत क्रकए जािे पर िैिी िी
दशा में ििीं िै सजि दशा में िि न्यस्त क्रकए जािे के िमय थी तो—
(क) असिरिक उि िासि िुकिाि के सलए जो उिके व्यसतिम िे हुआ िो, सडिीदार, सिर्ीतऋर्ी या क्रकिी अन्य
व्यसक्त को जो उिके प्रत्याितचि का िकदार पाया जाए, प्रसतकर िंदत्त करिे के दासयत्ि के अिीि िोगा, और
(ि) ऐिे दासयत्ि का प्रितचि—
(i) सडिीदार की प्रेरर्ा पर इि प्रकार क्रकया जा िके गा मािो असिरिक िारा 145 के अिीि प्रसतिप िो;
(ii) सिर्ीतऋर्ी या ऐिे अन्य व्यसक्त की प्रेरर्ा पर, सिष्पादि के सलए आिेदि क्रकए जािे पर, क्रकया जा
िके गा; तथा
(ग) ऐिे दासयत्ि का अििारर् करिे िाला कोई आदेश सडिी की तरि अपीलिीय िोगा ।]
44. कृ सष उपज की कु की—जिां कु कच की जािे िाली िम्पसत्त कृ सष उपज िै ििां कु की के िारण्ट की एक प्रसत—
(क) उि दशा में, सजिमें ऐिी उपज उगती फिल िै, उि िपसम पर लगाकर सजिमें ऐिी फिल उगी िै, अथिा
(ि) उि दशा में, सजिमें ऐिी उपज काटी जा र्ुकी िै या इकट्ठी की जा र्ुकी िै, िसलिाि में या अिाज गाििे के
स्थाि में या तदरूप स्थाि में या र्ारे के ढेर पर, सजि पर या सजिमें िि सिसिप्त की गई िै,
लगा कर और एक अन्य प्रसत उि गृि के , सजिमें सिर्ीतऋर्ी मामपली तौर िे सििाि करता िै, बािरी द्वार पर या क्रकिी अन्य
ििजदृश्य िाग पर लगाकर, या न्यायालय की इजाजत िे उि गृि के , सजिमें िि कारबार करता िै या असिलाि के सलए
स्ियं काम करता िै या सजिके बारे में यि ज्ञात िै क्रक ििां िि असन्तम बार सििाि करता था या कारबार करता था या
असिलाि के सलए स्ियं काम करता था, बािरी द्वार पर या उिके क्रकिी अन्य ििजदृश्य िाग पर लगाकर कु कच की जाएगी
और तब यि िमझा जाएगा क्रक उपज न्यायालय के कब्जे में आ गई िै ।
45. कु कच की गई कृ सष उपज के बारे में उपबन्ि—(1) जिां कृ सष उपज की कु की की गई िै ििां न्यायालय उिकी असिरिा के
सलए ऐिा इन्तजाम करे गा जो िि पयाचप्त िमझे और उगती फिल की कु की के सलए िर आिेदि में न्यायालय को ऐिे इन्तजाम करिे के
सलए िमथच करिे के प्रयोजि िे िि िमय सिसिर्दचष्ट िोगा जब यि िंिाव्यता िै क्रक िि काटे जािे या इकट्ठी की जािे के योग्य
िो जाएगी ।
(2) ऐिी शतों के अिीि रिते हुए जो कु की के आदेश में या क्रकिी पश्र्ातिती आदेश में न्यायालय द्वारा इि सिसमत्त
असिरोसपत की जाए, सिर्ीतऋर्ी उपज की देििाल कर िके गा, उिे काट िके गा, इकट्ठी कर िके गा, िण्डार में रि िके गा और उिके
पकािे या पटररिर् के सलए आिश्यक कोई अन्य कायच कर िके गा और यक्रद सिर्ीतऋर्ी ऐिे ििी कायों को या उिमें िे क्रकिी को करिे
में अिफल रिता िै तो सडिीदार न्यायालय की अिुज्ञा िे और ऐिी िी शतों के अिीि रिते हुए ििी कायों या उिमें िे क्रकिी को या तो

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
132

स्ियं कर िके गा या अपिे द्वारा इि सिसमत्त सियुक्त क्रकिी व्यसक्त द्वारा करा िके गा और सडिीदार द्वारा उपगत िर्े सिर्ीतऋर्ी िे
ऐिे ििपल क्रकए जा िकें गे मािो िे सडिी के अन्तगचत िों या उिके िागरूप िों ।
(3) उगती फिल के रूप में कु कच की गई उपज के बारे में के िल इि कारर् क्रक िि काट कर िरती िे अलग कर ली गई िै यि ि
िमझा जाएगा क्रक िि कु की के अिीि ििीं रि गई िै और ि उिके बारे में यि िमझा जाएगा क्रक उिकी पुिः कु की करिा अपेसित िै ।
(4) जिां उगती फिल की कु की के सलए आदेश फिल के काटे जािे या इकट्ठे क्रकए जािे के योग्य िोिे की िंिाव्यता के बहुत
िमय पपिच क्रदया गया िै ििां न्यायालय आदेश का सिष्पादि ऐिे िमय के सलए सिलसम्बत कर िके गा जो िि ठीक िमझे और कु की के
आदेश के सिष्पादि के लसम्बत रििे तक फिल के िटािे को प्रसतसषसद्ध करिे िाला असतटरक्त आदेश स्िसििेकािुिार कर िके गा ।
(5) िि उगती फलि जो अपिी प्रकृ सत के कारर् िण्डार में रििे योग्य ििीं िै, क्रकिी ऐिे िमय पर इि सियम के अिीि कु कच
ििीं की जाएगी जो उि िमय िे पपिच बीि क्रदि िे कम का िो सजि िमय पर उिके काटे जािे या इटठी क्रकए जािे के योग्य िोिे की
िंिाव्यता िै ।
46. ऐिे ऋर्, अंश या अन्य िम्पसत्त की कु की जो सिर्ीतऋर्ी के कब्जे में ििीं िैं —(1) (क) ऐिे ऋर् की दशा में जो
परिाम्य सलित के द्वारा प्रसतिपत ििीं िै,
(ि) क्रकिी सिगम की पपंजी में के अंश की दशा में,
(ग) क्रकिी न्यायालय में सिसिप्त या उिकी असिरिा में की िम्पसत्त के सििाय क्रकिी अन्य ऐिी जंगम िम्पसत्त की दशा में जो
सिर्ीतऋर्ी के कब्जे में ििीं िै,
कु की—
(i) ऋर् की दशा में जब तक क्रक न्यायालय का असतटरक्त आदेश ि िो, तब तक लेिदार को ऋर् की ििपली करिे
िे और ऋर्ी को उि ऋर् को र्ुकािे िे;
(ii) अंश की दशा में उि व्यसक्त को, सजिके िाम में अंश उि िमय दजच िै उिे अन्तटरत करिे िे या उि पर के
क्रकिी लािांश को प्राप्त करिे िे;
(iii) पपिोक्त को छोडकर अन्य जंगम िम्पसत्त की दशा में उि पर कब्जा रििे िाले व्यसक्त को उिे सिर्ीतऋर्ी को
देिे िे,
प्रसतसषद्ध करिे िाले सलसित आदेश द्वारा की जाएगी ।
(2) ऐिे आदेश की एक प्रसत न्याय-िदि के क्रकिी ििजदृश्य िाग पर लगाई जाएगी और एक अन्य प्रसत ऋर् की दशा में
ऋर्ी को, अंश की दशा में सिगम के उसर्त असिकारी को, और (पपिोक्त को छोडकर) अन्य जंगम िम्पसत्त की दशा में उि पर कब्जा
रििे िाले व्यसक्त को िेजी जाएगी ।
(3) उपसियम (1) के िण्ड (i) के अिीि प्रसतसषद्ध ऋर्ी अपिे ऋर् की रकम न्यायालय में जमा कर िके गा और ऐिे जमा
करिे िे िि िैिे िी प्रिािी तौर पर उन्मोसर्त िो जाएगा जैिे िि उिे पािे के िकदार पिकार को िंदाय करिे िे उन्मोसर्त
िो जाता ।
गाटरसिशी को िपर्िा—(1) न्यायालय (बन्िक या प्रिार द्वारा प्रसतिपत ऋर् िे सिन्ि) ऐिे ऋर् की दशा में, सजिकी
1[46क.

सियम 46 के अिीि कु की की गई िै, कु की करािे िाले लेिदार के आिेदि पर ऐिे ऋर् का िंदाय करिे के दासयत्िािीि गारसिशी को
िपर्िा दे िके गा सजिमें उििे यि अपेिा की जाएगी क्रक िि सिर्ीतऋर्ी को उिके द्वारा शोध्य ऋर् या उिका इतिा िाग सजतिा
सडिी और सिष्पादि के िर्ों को र्ुकािे के सलए पयाचप्त िो, न्यायालय में जमा करे या उपिंजात िो तथा कारर् दर्शचत करे क्रक उिे
िैिा क्यों ििीं करिा र्ासिए ।
(2) उपसियम (1) के अिीि कोई आिेदि शपथपत्र पर क्रकया जाएगा सजिमें असिकसथत तथ्य ित्यासपत िोंगे और यि कसथत
िोगा क्रक असििािी को सिश्िाि िै क्रक गारसिशी सिर्ीतऋर्ी का ऋर्ी िै ।
(3) जिां गारसिशी सिर्ीतऋर्ी को उिके द्वारा शोध्य रकम या उिका इतिा िाग सजतिा सडिी और सिष्पादि के िर्ों को
र्ुकािे के सलए पयाचप्त िै, न्यायालय में जमा कर देता िै ििां न्यायालय सिदेश दे िके गा क्रक िि रकम सडिी की तुसष्ट और सिष्पादि के
िर्ों को र्ुकािे के सलए सडिीदार को िंदत्त कर दी जाए ।
46ि. गारसिशी के सिरुद्ध आदेश—जिां गारसिशी सिर्ीतऋर्ी को उिके द्वारा शोध्य रकम या उिका इतिा िाग सजतिा
सडिी की तुसष्ट और सिष्पादि के िर्ों को र्ुकािे के सलए पयाचप्त िै तुरन्त न्यायालय में जमा ििीं करता िै और उपिंजात ििीं िोता िै
तथा िपर्िा के अिुिरर् में कारर् दर्शचत ििीं करता िै ििां न्यायालय गारसिशी को आदेश दे िके गा क्रक िि ऐिी िपर्िा के सिबन्ििों
का अिुपालि करे और ऐिे आदेश पर सिष्पादि इि प्रकार क्रकया जा िके गा मािो ऐिा आदेश उिके सिरुद्ध सडिी िो ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 46क िे 46झ तक अंतःस्थासपत ।
133

46ग. सििादग्रस्त प्रश्िों का सिर्ारर्—जिां गारसिशी दासयत्ि के बारे में सििाद करता िै ििां न्यायालय आदेश कर िके गा
क्रक दासयत्ि के अििारर् के सलए क्रकिी सििाद्यक या आिश्यक प्रश्ि का सिर्ारर् इि प्रकार क्रकया जाएगा मािो िि िाद में का
सििाद्यक िो और ऐिे सििाद्यक के अििारर् पर ऐिा आदेश या ऐिे आदेश करे गा जो िि ठीक िमझेः
परन्तु यक्रद िि ऋर्, सजिके िम्बन्ि में सियम 46क के अिीि आिेदि क्रकया गया िै, इतिी ििरासश के बारे में िै जो
न्यायालय की िििंबंिी असिकाटरता के बािर िै तो न्यायालय सिष्पादि के मामले को उि सजला न्यायािीश के न्यायालय को िेजेगा
सजिके उक्त न्यायालय अिीिस्थ िै और तब सजला न्यायािीश का न्यायालय या कोई अन्य ििम न्यायालय सजिे िि
सजला न्यायािीश द्वारा अंतटरत क्रकया जाए उिे उिी प्रकार सिपटाएगा मािो िि मामला प्रारम्ि में उिी न्यायालय में िंसस्थत क्रकया
गया िो ।
46घ. जिां ऋर् अन्य व्यसक्त का िो ििां प्रक्रिया—जिां यि िुझाया जाता िै या िंिाव्य प्रतीत िोता िै क्रक ऋर् क्रकिी अन्य
व्यसक्त का िै या ऐिे ऋर् पर क्रकिी अन्य व्यसक्त का िारर्ासिकार या प्रिार अथिा उिमें अन्य सित िै ििां न्यायालय ऐिे अन्य
व्यसक्त को आदेश दे िके गा क्रक िि उपिंजात िो और ऐिे ऋर् के बारे में अपिे दािे की प्रकृ सत और सिसशसष्टयां यक्रद कोई िों, कसथत
करे और उिे िासबत करे ।
46ङ. अन्य व्यसक्त के बारे में आदेश—ऐिे अन्य व्यसक्त और क्रकिी ऐिे व्यसक्त या व्यसक्तयों को सजन्िें तत्पश्र्ात उपिंजात
िोिे का आदेश क्रदया जाए, या जिां ऐिा अन्य या दपिरा व्यसक्त या दपिरे व्यसक्त ऐिा आदेश क्रदए जािे पर उपिंजात ििीं िोते िैं ििां
न्यायालय ऐिा आदेश कर िके गा जो इिमें इिके पपिच उपबंसित िै या ऐिे अन्य अथिा दपिरे व्यसक्त या व्यसक्तयों के , यथासस्थसत,
िारर्ासिकार, प्रिार या सित के िम्बन्ि में, ऐिे सिबन्ििों पर, यक्रद कोई िों, ऐिा अन्य आदेश या ऐिे अन्य आदेश दे िके गा जो िि
ठीक और उसर्त िमझे ।
46र्. गारसिशी द्वारा क्रकया गया िंदाय सिसिमान्य उन्मोर्ि िोगा—सियम 46क के अिीि िपर्िा पर या पपिोक्त क्रकिी
आदेश के अिीि गारसिशी द्वारा क्रकया गया िंदाय सिर्ीतऋर्ी और पपिोक्त रूप िे उपिंजात िोिे के सलए आक्रदष्ट क्रकिी अन्य व्यसक्त
के सिरुद्ध उि रकम के सलए जो िंदत्त की गई िो या उद्गृिीत की गई िो उिका सिसिमान्य उन्मोर्ि िोगा र्ािे िि सडिी सजिके
सिष्पादि में सियम 46क के अिीि आिेदि क्रकया गया था, या ऐिे आिेदि पर की गई कायचिासियों में पाटरत आदेश अपास्त कर क्रदया
जाए या उलट क्रदया जाए ।
46छ. िर्े—सियम 46क के अिीि क्रकए गए क्रकिी आिेदि के और उििे िोिे िाली क्रकिी कायचिािी के अथिा उिके
आिुषंसगक िर्े न्यायालय के सििेक के अिीि िोंगे ।
46ज. अपीलें—सियम 46ि, सियम 46ग या सियम 46ङ के अिीि क्रकया गया कोई आदेश सडिी के रूप में अपीलिीय िोगा ।
46झ. परिाम्य सलितों को लागप िोिा—सियम 46क िे 46ज तक के (सजिके अन्तगचत ये दोिों सियम िी िैं) उपबन्ि सियम
51 के अिीि कु कच की गई परिाम्य सलितों के िम्बन्ि में जिां तक िो िके िैिे िी लागप िोंगे जैिे िे ऋर्ों के िम्बन्ि में लागप िोते िैं ।]
47. जंगम िम्पसत्त में अंश की कु की—जिां कु कच की जािे िाली िम्पसत्त ऐिी जंगम िम्पसत्त में सिर्ीतऋर्ी के अंश या सित के
रूप में िै जो ििस्िासमयों के रूप में उिकी और क्रकिी अन्य की िै ििां कु की सिर्ीतऋर्ी को अपिे अंश या सित का अन्तरर् करिे िे
या उिे क्रकिी िी रूप में िाटरत करिे िे प्रसतसषसद्ध करिे िाली िपर्िा द्वारा की जाएगी ।
48. िरकार या रे ल कम्पिी या स्थािीय प्रासिकारी के िेिक के िेति या ित्तों की कु की—(1) जिां कु कच की जािे िाली िंपसत्त
1[िरकार के िेिक] या रे ल कम्पिी या स्थािीय प्रासिकारी के िेिक का 2[या क्रकिी व्यापार या उद्योग में लगे क्रकिी सिगम के जो
के न्द्रीय, प्रान्तीय या राज्य असिसियम द्वारा स्थासपत क्रकया गया िो, िेिक का या कम्पिी असिसियम, 1956 (1956 का 1) की िारा
617 में यथापटरिासषत क्रकिी िरकारी कम्पिी के िेिक का] िेति या ित्ता िै ििां न्यायालय, र्ािे सिर्ीतऋर्ी या िंसितरक
असिकारी ऐिे न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर िो या ििीं, यि आदेश कर िके गा क्रक िि रकम, िारा 60 के
उपबन्िों के अिीि रिते हुए, ऐिे िेति या ित्तों में िे या तो एक िंदाय में या मासिक क्रकस्तों में जैिा न्यायालय सिक्रदष्ट करे , सििाटरत
की जाएगी और ऐिे असिकारी को, जो 3[िमुसर्त िरकार, राजपत्र में असििपर्िा द्वारा,] 4[इि सिसमत्त] सियुक्त करे , इि आदेश की
िपर्िा िो जािे पर—
[(क) जिां ऐिा िेति या ित्ते उि स्थािीय िीमाओं के िीतर िंसितटरत क्रकए जािे िैं, सजि पर इि िंसिता का
4

तत्िमय सिस्तार िै ििां िि असिकारी या अन्य व्यसक्त सजिका कतचव्य उिका िंसितरर् करिा िै, यथासस्थसत, आदेश के
अिीि शोध्य रकम या मासिक क्रकस्तें सििाटरत करे गा और न्यायालय के पाि िेजेगा;
(ि) जिां ऐिा िेति या ऐिे ित्ते उक्त िीमाओं िे परे िंसितटरत क्रकए जािे िैं ििां उि िीमाओं के िीतर िाला
िि असिकारी या अन्य व्यसक्त, सजिका कतचव्य िंसितटरत क्रकए जािे िाले िेति या ित्तों की रकम की बाबत िंसितरक
प्रासिकारी को देिा िो, यथासस्थसत, आदेश के अिीि शोध्य रकम या मासिक क्रकस्तें न्यायालय के पाि िेजेगा और िंसितरक

1
1943 के असिसियम िं० 5 की िारा 3 द्वारा “लोक असिकारी” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
3
1942 के असिसियम िं० 25 की िारा 3 और अिुिपर्ी द्वारा “के न्द्रीय िरकार या प्रान्तीय िरकार उिके राजपत्र में असििपर्िा द्वारा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1939 के असिसियम िं० 26 की िारा 2 द्वारा प्रसतस्थासपत ।
134

प्रासिकारी को सिदेश देगा क्रक िि िमय-िमय पर िंसितटरत की जािे िाली रकमों के योग में िे उि रकमों के योग को घटा दे
जो न्यायालय के पाि िमय-िमय पर िेजी गई िों ।]
(2) जिां ऐिे िेति या ित्तों का कु की योग्य िाग कु की के क्रकिी पपिचति और अतुष्ट आदेश के अिुिरर् में पिले िे िी
सििाटरत क्रकया जा रिा िै और क्रकिी न्यायालय के पाि िेजा जा रिा िै ििां 1[िमुसर्त िरकार] द्वारा इि सिसमत्त सियुक्त असिकारी
पश्र्ातिती आदेश को तत्काल उि न्यायालय को सजििे उिे सिकाला िै, सिद्यमाि कु की की ििी सिसशसष्टयों के पपरे कथि के िसित
लौटा देगा ।
[(3) इि सियम के अिीि क्रकया गया िर आदेश, जब तक क्रक िि उपसियम (2) के उपबन्िों के अिुिरर् में लौटा ि क्रदया
2

जाए, असतटरक्त िपर्िा या अन्य आदेसशका के सबिा, उि िमय तक जब तक क्रक सिर्ीतऋर्ी उि स्थािीय िीमाओं के िीतर िै सजि
पर इि िंसिता का तत्िमय सिस्तार िै और यक्रद िि िारत की िंसर्त सिसि में िे या राज्य की िंसर्त सिसि में िे या िारत में क्रकिी रे ल
कम्पिी या स्थािीय प्रासिकारी या सिगम या िरकारी कम्पिी की सिसि में िे िंदये कोई िेति या ित्ते पा रिा िै तो उि िमय तक िी,
जब तक क्रक िि उि िीमाओं के परे िै, यथासस्थसत, िमुसर्त िरकार या रे ल कम्पिी या स्थािीय प्रासिकारी या सिगम या िरकारी
कम्पिी को आबद्ध करे गा और, यथासस्थसत, िमुसर्त िरकार या रे ल कम्पिी या स्थािीय प्रासिकारी या सिगम या िरकारी कम्पिी इि
सियम के उल्लंघि में िंदत्त की गई क्रकिी िी रासश के सलए दायी िोगी ।]
3
[स्पष्टीकरर्—इि सियम में “िमुसर्त िरकार” िे असिप्रेत िै,--
(i) के न्द्रीय िरकार की िेिा में के क्रकिी व्यसक्त के या रे ल प्रशािि के या छाििी प्रासिकारी के या मिापत्ति के
पत्ति प्रासिकारी के क्रकिी िेिक के या क्रकिी व्यापार या उद्योग में लगे क्रकिी सिगम के जो के न्द्रीय असिसियम द्वारा स्थासपत
क्रकया गया िो, क्रकिी िेिक के या ऐिी िरकारी कम्पिी के सजिमें शेयर पपंजी का कोई िाग के न्द्रीय िरकार द्वारा या एक िे
असिक राज्य िरकारों द्वारा या िागतः के न्द्रीय िरकार और िागतः एक या असिक राज्य िरकारों द्वारा िाटरत िो क्रकिी
िेिक के िम्बन्ि में, के न्द्रीय िरकार;
(ii) िरकार के क्रकिी अन्य िेिक के या क्रकिी अन्य स्थािीय प्रसिकारी के क्रकिी िेिक के या क्रकिी व्यापार या
उद्योग में लगे क्रकिी सिगम के जो प्रान्तीय या राज्य असिसियम द्वारा स्थासपत क्रकया गया िो, क्रकिी िेिक के या क्रकिी अन्य
िरकारी कम्पिी के क्रकिी िेिक के िम्बन्ि में, राज्य िरकार ।]
[48क. प्राइिेट कमचर्ाटरयों के िेति या ित्तों की कु की—(1) जिां कु कच की जािे िाली िम्पसत्त ऐिे िेिक िे सजिको सियम
4

48 लागप िोता िै, सिन्ि क्रकिी िेिक का िेति या ित्ता िै ििां न्यायालय उि दशा में सजिमें उि कमचर्ारी का िंसितरक असिकारी
न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर िै, यि आदेश कर िके गा क्रक िि रकम, िारा 60 के उपबन्िों के अिीि रिते
हुए, ऐिे िेति या ित्तों में िे या तो एक िंदाय में या मासिक क्रकस्तों में, जैिा न्यायालय सिक्रदष्ट करे , सििाटरत की जाएगी और ऐिे
िंसितरक असिकारी को इि आदेश की िपर्िा िो जािे पर, ऐिा िंसितरक असिकारी, यथासस्थसत, आदेश के अिीि शोध्य रकम या
मासिक क्रकस्तें न्यायालय के पाि िेजेगा ।
(2) जिां ऐिे िेति या ित्तों का कु की योग्य िाग कु की के क्रकिी पपिचति और अतुष्ट आदेश के अिुिरर् में पिले िे िी
सििाटरत क्रकया जा रिा िै या न्यायालय के पाि िेजा जा रिा िै ििां िंसितरक असिकारी पश्र्ातिती आदेश को तत्काल उि
न्यायालय को सजििे उिे सिकाला िै, सिद्यमाि कु की की ििी सिसशसष्टयों के पपरे कथि के िसित लौटा देगा ।
(3) इि सियम के अिीि क्रकया गया िर आदेश जब तक क्रक िि उपसियम (2) के उपबन्िों के अिुिरर् में लौटा ि क्रदया जाए,
असतटरक्त िपर्िा या अन्य आदेसशका के सबिा, उि िमय तक जब तक क्रक सिर्ीतऋर्ी उि स्थािीय िीमाओं के िीतर िै सजि पर इि
िंसिता का तत्िमय सिस्तार िै और यक्रद िि िारत के क्रकिी िाग में के क्रकिी सियोजक की सिसि में िे िंदय
े कोई िेति या ित्ते पा रिा
िै तो उि िमय तक िी जब तक क्रक िि उि िीमाओं िे परे िै, सियोजक को आबद्ध करे गा और सियोजक इि सियम के उल्लंघि में
िंदत्त की गई क्रकिी िी रासश के सलए दायी िोगा ।]
49. िागीदारी की िम्पसत्त की कु की—(1) इि सियम द्वारा अन्यथा उपबसन्ित के सििाय, क्रकिी िागीदारी की िम्पसत्त उि
फमच के सिरुद्ध या उि फमच के िागीदारों के सिरुद्ध उिकी उि िैसियत में पाटरत सडिी िे सिन्ि सडिी के सिष्पादि में कु कच ििीं की
जाएगी और ि उिका सििय क्रकया जाएगा ।
(2) न्यायालय क्रकिी िागीदार के सिरुद्ध सडिी के िारक के आिेदि पर आदेश कर िके गा क्रक सडिी के अिीि शोध्य रकम के
िंदाय का िार िागीदारी की िम्पसत्त में ऐिे िागीदार के सित और लाि पर डाल क्रदया जाए और उिी या पश्र्ातिती आदेश िे उि
लािों में (र्ािे िे पिले िी घोसषत क्रकए जा र्ुके िों या प्रोद्िपत िो रिे िों) ऐिे िागीदार के अंश का और ऐिे क्रकिी अन्य िि का, जो
िागीदारी मद्दे उिे समलता िो, टरिीिर सियुक्त कर िके गा और लेिाओं और जांर्ों के सलए सिदेश दे िके गा और ऐिे सित के के सििय

1
1942 के असिसियम िं० 25 की िारा 3 और अिुिपर्ी 2 द्वारा “यथासस्थसत, के न्द्रीय िरकार या प्रान्तीय िरकार” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) उपसियम (3) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) स्पष्टीकरर् के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
135

के सलए आदेश कर िके गा या ऐिे अन्य आदेश कर िके गा जो क्रकए जाते या सिर्दचष्ट क्रकए जाते यक्रद ऐिे िागीदार िे अपिे सित को
सडिीदार के पि में िाटरत कर क्रदया िोता या जैिे मामले की पटरसस्थसतयां अपेसित करें ।
(3) अन्य िागीदार या िागीदारों को यि स्ितंत्रता िोगी क्रक िे िाटरत सित का मोर्ि क्रकिी िी िमय कर लें या सििय के
सलए सिदेसशत क्रकए जािे की दशा में उिे िय कर लें ।
(4) उपसियम (2) के अिीि आदेश के सलए िर आिेदि की तामील सिर्ीतऋर्ी पर और उिके िागीदारों पर या उिमें िे
ऐिों पर, जो 1[िारत] के िीतर िों, की जाएगी ।
(5) सिर्ीत ऋर्ी के क्रकिी िी िागीदार द्वारा उपसियम (3) के अिीि क्रकए गए िर आिेदि की तामील सडिीदार पर और
सिर्ीतऋर्ी पर और अन्य िागीदारों में िे ऐिों पर, जो आिेदि में िसम्मसलत ििीं हुए िों और जो 1[िारत] के िीतर िों, की जाएगी ।
(6) उपसियम (4) या उपसियम (5) के अिीि की गई तामील ििी िागीदारों पर तामील िमझी जाएगी और ऐिे आिेदिों
पर क्रकए गए ििी आदेशों की तामील उिी प्रकार िोगी ।
50. फमच के सिरुद्ध सडिी का सिष्पादि—(1) जिां सडिी क्रकिी फमच के सिरुद्ध पाटरत की गई िै ििां सिष्पादि—
(क) िागीदारी की क्रकिी िम्पसत्त के सिरुद्ध;
(ि) क्रकिी ऐिे व्यसक्त के सिरुद्ध जो आदेश 30 के सियम 6 या सियम 7 के अिीि स्ियं अपिे िाम में उपिंजात
हुआ िै या सजििे अपिे असििर्ि में यि स्िीकार क्रकया िै क्रक िि िागीदार िै या जो िागीदार न्यायसिर्ीत क्रकया जा
र्ुका िै;
(ग) क्रकिी ऐिे व्यसक्त के सिरुद्ध सजि पर िमि द्वारा िागीदार के रूप में व्यसक्तगत तामील की गई िै और जो
उपिंजात िोिे में अिफल रिा िै,
अिुदत्त क्रकया जा िके गाः
परन्तु इि उपसियम की कोई िी बात 2[िारतीय िागीदारी असिसियम, 1932 (1932 का 9) की िारा 30] के उपबन्िों को
पटरिीसमत करिे िाली या उि पर अन्यथा प्रिाि डालिे िाली ििीं िमझी जाएगी ।
(2) जिां सडिीदार सडिी का सिष्पादि क्रकिी ऐिे व्यसक्त िे सिन्ि जो उपसियम (1) के िण्ड (ि) और (ग) में सिर्दचष्ट िै,
क्रकिी व्यसक्त के सिरुद्ध उिके फमच में िागीदार िोिे के िाते करािे का िकदार िोिे का दािा करता िै ििां िि सडिी पाटरत करिे िाले
न्यायालय िे इि इजाजत के सलए आिेदि कर िके गा और जिां ऐिे दासयत्ि के बारे में सििाद ििीं क्रकया जाता िै ििां ऐिा न्यायालय
ऐिी इजाजत दे िके गा या जिां ऐिे दासयत्ि के बारे में सििाद क्रकया जाता िै ििां आदेश कर िके गा क्रक ऐिे व्यसक्त के दासयत्ि का
सिर्ारर् और अििारर् क्रकिी ऐिी रीसत िे क्रकया जाए सजििे िाद का कोई सििाद्यक सिर्ाटरत और अििाटरत क्रकया जा िकता िै ।
(3) जिां क्रकिी व्यसक्त के दासयत्ि का सिर्ारर् और अििारर् उपसियम (2) के अिीि क्रकया गया िै ििां उि पर क्रकए गए
आदेश का ििीं बल िोगा और िि अपील के बारे में या अन्यथा उन्िीं शतों के अिीि रिेगा मािो िि सडिी िो ।
(4) िागीदार की क्रकिी िम्पसत्त के सिरुद्ध हुई सडिी को छोडकर, क्रकिी फमच के सिरुद्ध सडिी उि फमच में के क्रकिी िागीदार
को तिी सिमुचक्त करे गी, दायी बिाएगी, या उिमें के क्रकिी िागीदार पर प्रिाि डालेगी, जब क्रक उपिंजात िोते और उत्तर देिे के सलए
िमि की तामील उि पर िो र्ुकी िो ।
[(5) इि सियम की कोई बात आदेश 30 के सियम 10 के उपबन्िों के आिार पर क्रकिी सिन्दप असििक्त कु टु म्ब के सिरुद्ध
3

पाटरत क्रकिी सडिी को लागप ििीं िोगी ।]


51. परिाम्य सलितों की कु की—जिां िम्पसत्त ऐिी परिाम्य सलित िै जो न्यायालय में सिसिप्त ििीं िै और ि लोक
असिकारी की असिरिा में िै ििां कु की िास्तसिक असिग्रिर् द्वारा की जाएगी और सलित न्यायालय में लाई जाएगी और आगे
न्यायालय जो आदेश करे उिके अिीि िारर् की जाएगी ।
52. न्यायालय या लोक असिकारी की असिरिा में की िम्पसत्त की कु की—जिां कु कच की जािे िाली िम्पसत्त क्रकिी न्यायालय
या लोक असिकारी की असिरिा में िै ििां िि कु की ऐिे न्यायालय या असिकारी िे यि अिुरोि करिे िाली िपर्िा द्वारा की जाएगी
क्रक ऐिी िम्पसत्त और उि पर िंदेय िोिे िाला कोई ब्याज या लािांश उि न्यायालय के सजििे िि िपर्िा सिकाली िै, आगे क्रकए जािे
िाले आदेशों के अिीि िारर् की जाए :
परन्तु जिां ऐिी िम्पसत्त क्रकिी न्यायालय की असिरिा में िै ििां िक या पपर्िचकता के बारे में कोई ऐिा प्रश्ि जो सडिीदार के
और क्रकिी िमिुदश े ि के या कु की के आिार पर या अन्यथा ऐिी िम्पसत्त में सितबद्ध िोिे का दािा करिे िाले क्रकिी ऐिे अन्य व्यसक्त
के बीर् पैदा िो जो सिर्ीतऋर्ी ििीं िै, ऐिे न्यायालय द्वारा अििाटरत क्रकया जाएगा ।

1
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
136

53. सडक्रियों की कु की—(1) जिां कु कच की जािे िाली िम्पसत्त या तो िि के िंदाय की या बन्िक या िार के प्रितचि में सििय
की सडिी िै ििां कु की—
(क) यक्रद सडक्रियां उिी न्यायालय के द्वारा पाटरत की गई थीं तो, ऐिे न्यायालय के आदेश द्वारा की जाएगी, तथा
(ि) यक्रद िि सडिी सजिकी कु की र्ािी गई िै, क्रकिी अन्य न्यायालय द्वारा पाटरत की गई थी तो उि सडिी को
सजिका सिष्पादि र्ािा गया िै, पाटरत करिे िाले अन्य न्यायालय द्वारा ऐिे न्यायालय को यि अिुरोि करिे िाली िपर्िा
देकर की जाएगी क्रक िि अपिी सडिी का सिष्पादि तब तक के सलए रोक दे जब तक क्रक—
(i) सजि सडिी का सिष्पादि र्ािा गया िै उि सडिी को पाटरत करिे िाला न्यायालय िपर्िा को रद्द ि
कर दे, अथिा
1[(ii) (क) सजि सडिी का सिष्पादि र्ािा गया िै उि सडिी का िारक, या
(ि) ऐिे सडिीदार की सलसित पपिच ििमसत िे या कु कच करिे िाले न्यायालय की अिुज्ञा िे उिका
सिर्ीतऋर्ी,
ऐिी िपर्िा प्राप्त करिे िाले न्यायालय िे यि आिेदि ि करे क्रक िि कु कच की गई सडिी का सिष्पादि करे ।]
(2) जिां न्यायालय उपसियम (1) के िण्ड (क) के अिीि आदेश करता िै या उक्त उपसियम के िण्ड (ि) के उपशीषच (ii) के
अिीि आिेदि प्राप्त करता िै ििां उि लेिदार के सजििे सडिी कु कच कराई िै या उिके सिर्ीतऋर्ी के आिेदि पर िि कु कच की गई
सडिी का सिष्पादि करिे के सलए अग्रिर िोगा और शुद्ध आगमों को उि सडिी की तुसष्ट में लगाएगा सजिका सिष्पादि र्ािा गया िै ।
(3) सजि सडिी का सिष्पादि उपसियम (1) में सिसिर्दचष्ट प्रकृ सत की क्रकिी अन्य सडिी की कु की द्वारा र्ािा गया िै उि सडिी
के िारक के बारे में यि िमझा जाएगा क्रक िि कु कच की गई सडिी के िारक का प्रसतसिसि िै और कु कच की गई ऐिी सडिी का सिष्पादि
ऐिी क्रकिी िी रीसत िे करािे का िकदार िै जो उि सडिी के िारक के सलए सिसिपपर्च िो ।
(4) जिां सडिी के सिष्पादि में कु कच की जािे िाली िम्पसत्त उपसियम (1) में सिर्दचष्ट प्रकृ सत की सडिी िे सिन्ि सडिी िै, ििां
कु की, उि सडिी को सजिका सिष्पादि र्ािा गया िै, पाटरत करिे िाले न्यायालय द्वारा उि सडिी के िारक को सजिकी कु की र्ािी गई
िै, ऐिी िपर्िा देकर क्रक िि उिे क्रकिी िी प्रकार अन्तटरत या िाटरत ि करे और जिां ऐिी सडिी क्रकिी अन्य न्यायालय द्वारा पाटरत
की गई ििां ऐिे अन्य न्यायालय को िी यि िपर्िा िेजकर क्रक िि उि सडिी का सजिकी कु की र्ािी गई िै, सिष्पादि करिे िे तब तक
प्रसिरत रिे जब तक ऐिी िपर्िा को िि न्यायालय रद्द ि करे दे सजििे उिे िेजा िै, की जाएगी ।
(5) इि सियम के अिीि कु कच की गई सडिी का िारक सडकी का सिष्पादि करिे िाले न्यायालय को ऐिी जािकारी और
ििायता देगा जो युसक्तयुक्त रूप िे अपेसित की जाए ।
(6) सजि सडिी का सिष्पादि क्रकिी अन्य सडिी की कु की द्वारा र्ािा गया िै उि सडिी के िारक के आिेदि पर िि न्यायालय
जो इि सियम के अिीि कु की का आदेश करे , ऐिे आदेश की िपर्िा उि सिर्ीतऋर्ी को देगा जो कु कच की गई सडिी िे आबद्ध िै, और
कु कच की गई सडिी का कोई िी ऐिा िंदाय या िमायोजि जो ऐिे आदेश का उल्लंघि करके सिर्ीतऋर्ी 2[उिकी जािकारी रिते हुए
या] ऐिे आदेश की िपर्िा की प्रासप्त के पश्र्ात या तो न्यायालय की माफच त या अन्यथा करता िै, क्रकिी िी न्यायालय द्वारा उि िमय
तक मान्य ििीं क्रकया जाएगा जब तक कु की प्रिृत्त रिती िै ।
54. स्थािर िम्पसत्त की कु की—(1) जिां िम्पसत्त स्थािर िै, ििां कु की ऐिे आदेश द्वारा की जाएगी जो िम्पसत्त को क्रकिी िी
प्रकार िे अन्तटरत या िाटरत करिे िे सिर्ीतऋर्ी को और ऐिे अन्तरर् या िार िे कोई िी फायदा उठािे िे ििी व्यसक्तयों को
प्रसतसषद्ध करता िै ।
[(1क) आदेश में सिर्ीतऋर्ी िे यि अपेिा की जाएगी क्रक िि सििय की उद घोषर्ा के सिबन्ििों को तय करिे के सलए
2

सियत की जािे िाली तारीि की िपर्िा प्राप्त करिे के सलए क्रकिी सिसिर्दचष्ट तारीि को न्यायालय में िासजर िो ।]
(2) िि आदेश ऐिी िम्पसत्त में के या उिके पाश्िचस्थ क्रकिी स्थाि पर डोंडी सपटिा कर या अन्य रूक्रढ़क ढंग िे उदघोसषत
क्रकया जाएगा और ऐिे आदेश की प्रसत िम्पसत्त के क्रकिी ििजदृश्य िाग पर और तब न्यायिदि के क्रकिी ििजदृश्य िाग पर और जिां
िम्पसत्त िरकार को राजस्ि देिे िाली िपसम िै ििां उि सजले के सजिमें िि िपसम सस्थत िै, कलक्टर के कायाचलय में िी लगाई जाएगी
2
[और जिां िम्पसत्त क्रकिी गांि में सस्थत िपसम िै ििां उि गांि पर असिकाटरता रििे िाली ग्राम पंर्ायत के , यक्रद कोई िो, कायाचलय में
िी लगाई जाएगी] ।
55. सडिी की तुसष्ट पर कु की का उठाया जािा—जिां—
(क) सडिीत रकम िर्ों और क्रकिी िम्पसत्त की कु की के पाटरर्ासमक प्रिारों और व्ययों के िाथ न्यायालय में जमा
कर दी जाती िै, अथिा

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) उपिंड (ii) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
137

(ि) सडिी की तुसष्ट अन्यथा न्यायालय की माफच त कर दी जाती िै या न्यायालय को प्रमासर्त कर दी जाती
िै, अथिा
(ग) सडिी अपास्त कर दी जाती िै या उलट दी जाती िै,
ििां कु की प्रत्याहृत िमझी जाएगी और स्थािर िम्पसत्त की दशा में यक्रद सिर्ीतऋर्ी ऐिा र्ािे तो प्रत्यािरर् उिके व्यय पर
उदघोसषत क्रकया जाएगा और उदघोषर्ा की एक प्रसत असन्तम पपिचिती सियम द्वारा सिसित रीसत िे लगाई जाएगी ।
56. सडिी के अिीि िकदार पिकार को सिक्के या करे न्िी िोटों का िंदाय क्रकए जािे का आदेश —जिां कु कच की गई िम्पसत्त
र्ालप सिक्का िै या करे न्िी िोट िै ििां न्यायालय कु की के र्ालप रििे के दौराि क्रकिी िी िमय सिदेश दे िके गा क्रक ऐिा सिक्का या ऐिे
िोट या उिका उतिा िाग सजतिा सडिी की तुसष्ट के सलए पयाचप्त िो, उि पिकार को दे क्रदया जाए जो सडिी के अिीि उिे पािे का
िकदार िै ।
कु की का पयाचििाि—(1) जिां कोई िम्पसत्त क्रकिी सडिी के सिष्पादि में कु कच कर ली गई िै और न्यायालय क्रकिी
1[57.

कारर् िे सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि को िाटरज करिे का आदेश पाटरत करता िै ििां न्यायालय यि सिदेश देगा क्रक कु की जारी
रिेगी या िमाप्त िो जाएगी और िि अिसि सजि तक ऐिी कु की जारी रिेगी और िि तारीि सजिको कु की िमाप्त िो जाएगी, िी
उपदर्शचत करे गा ।
(2) यक्रद न्यायालय ऐिा सिदेश देिे में लोप करता िै तो यि िमझा जाएगा क्रक कु की िमाप्त िो गई िै ।]
2
[दािों और आिेपों का न्यायसिर्चयि
58. कु कच की गई िंपसत्त पर दािों का और ऐिी िंपसत्त की कु की के बारे में आिेपों का न्यायसिर्चयि—(1) जिां सडिी के
सिष्पादि में कु कच की गई क्रकिी िम्पसत्त पर कोई दािा या उिकी कु की के बारे में कोई आिेप इि आिार पर क्रकया जाता िै क्रक ऐिी
िम्पसत्त ऐिे कु कच क्रकए जािे के दासयत्ि के अिीि ििीं िै ििां न्यायालय ऐिे दािे या आिेप का न्यायसिर्चयि करिे के सलए इिमें
अन्तर्िचष्ट उपबन्िों के अिुिार अग्रिर िोगाः
परन्तु कोई ऐिा दािा या आिेप उि दशा में ग्रिर् ििीं क्रकया जाएगा सजिमें —
(क) दािा या आिेप करिे िे पपिच कु कच की गई िम्पसत्त का सििय कर क्रदया गया िै; या
(ि) न्यायालय का यि सिर्ार िै क्रक दािा या आिेप करिे में पटरकल्पिापपिचक या अिािश्यक रूप िे सिलम्ब क्रकया
गया िै ।
(2) इि सियम के अिीि कायचिािी के पिकारों के बीर् या उिके प्रसतसिसियों के बीर् पैदा िोिे िाले तथा दािे या आिेप के
न्यायसिर्चयि िे िुिंगत ििी प्रश्ि (सजिके अन्तगचत कु कच की गई िम्पसत्त में असिकार, िक या सित िे िम्बसन्ित प्रश्ि िी िैं) दािे या
आिेप के िम्बन्ि में कायचिासियां करिे िाले न्यायालय द्वारा अििाटरत क्रकए जाएंगे, ि क्रक पृथक िाद द्वारा ।
(3) उपसियम (2) में सिसिर्दचष्ट प्रश्िों के अििारर् पर, न्यायालय ऐिे अििारर् के अिुिार,—
(क) दािे या आिेप को अिुज्ञात करे गा और िम्पसत्त या तो पपर्चतः या उि सिस्तार तक जो िि ठीक िमझे, कु की िे
सिमुचक्त कर देगा; या
(ि) दािे या आिेप को अिुज्ञात करे गा; या
(ग) कु की को क्रकिी व्यसक्त के पि में क्रकिी बन्िक, िार या अन्य सित के अिीि जारी रिेगा; या
(घ) ऐिा आदेश पाटरत करे गा जो िि मामले की पटरसस्थसतयों में ठीक िमझे ।
(4) जिां क्रकिी दािे या आिेप पर न्यायसिर्चयि इि सियम के अिीि क्रकया गया िै ििां उि पर क्रकए गए आदेश का ििी बल
िोगा और िि अपील या अन्य बातों के बारे में िैिी िी शतों के अिीि िोिा मािो िि सडिी िो ।
(5) जिां कोई दािा या आिेप क्रकया जाता िै और न्यायालय उपसियम (1) के परन्तुक के अिीि उिे ग्रिर् करिे िे इन्कार
करता िै ििां िि पिकार सजिके सिरुद्ध ऐिा आदेश क्रकया जाता िै उि असिकार को सिद्ध करिे के सलए सजिके सलए िि सििादग्रस्त
िम्पसत्त में दािा करता िै, िाद िंसस्थत कर िके गा; क्रकन्तु ऐिे िाद के , यक्रद कोई िो, पटरर्ाम के अिीि रिते हुए दािे या आिेप को
ग्रिर् करिे िे इि प्रकार इन्कार करिे िाला आदेश सिश्र्ायक िोगा ।
59. सििय को रोकिा—जिां कु कच की गई िम्पसत्त दािे या आिेप के क्रकए जािे िे पपिच सििय के सलए सिज्ञासपत की जा र्ुकी
िै ििां न्यायालय—

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 57 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) शीषच और सियम 58 िे 63 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
138

(क) यक्रद िंपसत्त, जंगम िै तो दािे या आिेप न्यायसिर्चयि तक के सलए सििय को मुल्तिी करिे का आदेश दे
िके गा;
(ि) यक्रद िम्पसत्त स्थािर िै तो िि आदेश दे िके गा क्रक दािे या आिेप के न्यायसिर्चयि तक िम्पसत्त का सििय ििीं
क्रकया जाएगा या ऐिे न्यायसिर्चयि तक िम्पसत्त का सििय क्रकय जा िकता िै क्रकन्तु सििय को पुष्ट ििीं क्रकया जाएगा,
और ऐिा कोई आदेश प्रसतिपसत या अन्य बातों के बारे में ऐिे सिबन्ििों और शतों के अिीि क्रकया जा िके गा जो न्यायालय ठीक
िमझे ।]
सििय िािारर्तः
64. कु कच की गई िंपसत्त के सििय क्रकए जािे और उिके आगम िकदार व्यसक्त को क्रदए जािे के सलए आदेश करिे की शसक्त—
सडिी का सिष्पादि करिे िाला कोई िी न्यायालय आदेश कर िके गा क्रक उिके द्वारा कु कच की गई और सििय के दासयत्ि के अिीि क्रकिी
िी िम्पसत्त या उिके ऐिे िाग का जो सडिी की तुसष्ट के सलए आिश्यक प्रतीत िो, सििय क्रकया जाए और ऐिे सििय के आगम या
उिका पयाचप्त िाग उि पिकार को दे क्रदया जाए जो सडिी के अिीि उन्िें पािे का िकदार िै ।
65. सििय क्रकिके द्वारा िंर्ासलत क्रकए जाएं और कै िे क्रकए जाएं —जैिा अन्यथा सिसित िै उिे छोडकर, सडिी के सिष्पादि
में क्रकया जािे िाला िर सििय न्यायालय के असिकारी द्वारा या क्रकिी ऐिे अन्य व्यसक्त द्वारा सजिे न्यायालय इि सिसमत्त सियुक्त करे ,
िंर्ासलत क्रकया जाएगा और सिसित रीसत िे लोक िीलाम द्वारा क्रकया जाएगा ।
66. लोक िीलाम द्वारा क्रकए जािे िाले सिियों की उदघोषर्ा—(1) जिां क्रकिी िम्पसत्त का क्रकिी सडिी के सिष्पादि में लोक
िीलाम द्वारा सििय क्रकए जािे का आदेश क्रकया गया िै ििां न्यायालय आशसयत सििय की उद घोषर्ा उि न्यायालय की िाषा में
कराएगा ।
(2) ऐिी उदघोषर्ा सडिीदार और सिर्ीतऋर्ी को िपर्िा क्रदए जािे के पश्र्ात तैयार की जाएगी और उिमें सििय का
िमय और स्थाि कसथत िोगा और सिम्िसलसित बातें यथािंिि ऋजुता और यथाथचता िे सिसिर्दचष्ट िोंगी—
(क) िि िम्पसत्त सजिका सििय क्रकया जािा िै 1[या जिां िम्पसत्त का कोई िाग सडिी की तुसष्ट के सलए पयाचप्त
िोगा ििां िि िाग];
(ि) जिां िि िम्पसत्त सजिका सििय क्रकया जािा िै, िरकार को राजस्ि देिे िाली क्रकिी िम्पदा में या िम्पदा के
िाग में कोई सित िै ििां उि िम्पदा पर या िम्पदा के िाग पर सििाचटरत राजस्ि;
(ग) कोई सिल्लंगम सजिके सलए िि िम्पसत्त दायी िो;
(घ) िि रकम सजिकी ििपली के सलए सििय आक्रदष्ट क्रकया गया िै; तथा
(ङ) िर अन्य बात सजिके बारे में न्यायालय का सिर्ार िै क्रक िम्पसत्त की प्रकृ सत और मपल्य का सिर्चय करिे के सलए
उिकी जािकारी िे ता के सलए तासविक िैः
[परन्तु जिां उदघोषर्ा के सिबन्ििों को तय करिे की तारीि की िपर्िा सियम 54 के अिीि क्रकिी आदेश के माध्यम िे
1

सिर्ीतऋर्ी को दी गई िै ििां जब तक क्रक न्यायालय अन्यथा सिदेश ि दे सिर्ीतऋर्ी को इि सियम के अिीि िपर्िा देिा आिश्यक
ििीं िोगाः
परन्तु यि और क्रक इि सियम की क्रकिी बात का यि अथच ििीं लगाया जाएगा क्रक िि न्यायालय िे यि अपेिा करती िै क्रक
िि सििय की उदघोषर्ा में िम्पसत्त के मपल्य की बाबत अपिे प्राक्कलि प्रसिष्ट करें , क्रकन्तु उदघोषर्ा के अन्तगचत दोिों पिकारों या
उिमें िे क्रकिी के द्वारा क्रदया गया प्राक्कलि, यक्रद कोई िो, िोगा ।]
(3) इि सियम के अिीि सििय के आदेश के सलए िर आिेदि के िाथ एक ऐिा कथि िोगा, सजिे असििर्िों के िस्तािर
और ित्यापि के सलए इिमें इिके पपिच सिसित रीसत िे िस्तािटरत और ित्यासपत क्रकया गया िो और उद घोषर्ा में सिसिर्दचष्ट क्रकए
जािे के सलए उपसियम (2) द्वारा अपेसित बातें उिमें ििां तक अन्तर्िचष्ट िोंगी जिां तक क्रक ित्यापि करिे िाले व्यसक्त को िे ज्ञात िों
या उिके द्वारा असिसिसश्र्त की जा िकती िों ।
(4) न्यायालय उि बातों को असिसिसश्र्त करिे के प्रयोजि िे जो उदघोषर्ा में सिसिर्दचष्ट की जािी िै, क्रकिी िी ऐिे व्यसक्त
को िमि कर िके गा सजिे िि िमि करिा आिश्यक िमझे और िैिी क्रकन्िीं िी बातों के बारे में उिकी परीिा कर िके गा और उििे
अपेिा कर िके गा क्रक िि उििे िम्बसन्ित अपिे कब्जे या शसक्त में की क्रकिी दस्तािेज को पेश करे ।
67. उदघोषर्ा करिे की रीसत—(1) िर उदघोषर्ा, जिां तक िो िके , ऐिी रीसत िे की जाएगी और प्रकासशत की जाएगी जो
सियम 54 के उपसियम (2) द्वारा सिसित िै ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
139

(2) जिां न्यायालय ऐिा सिदेश देता िै ििां ऐिी उद घोषर्ा राजपत्र या स्थािीय िमार्ारपत्र में िी या दोिों में प्रकासशत
की जाएगी और ऐिे प्रकाशि के िर्े सििय के िर्े िमझे जाएंगे ।
(3) जिां िम्पसत्त पृथक रूप िे सििय क्रकए जािे के प्रयोजि िे लाटों में सििासजत की गई िै ििां िर एक लाट के सलए पृथक
उदघोषर्ा करिा तब तक आिश्यक ििीं िोगा जब तक क्रक न्यायालय की यि राय ि िो क्रक सििय की उसर्त िपर्िा अन्यथा ििीं दी
जा िकती ।
68. सििय का िमय—सियम 43 के परन्तुक में िर्र्चत क्रकस्म की िम्पसत्त की दशा में के सििाय, इिके अिीि कोई िी सििय
सिर्ीतऋर्ी की सलसित ििमसत के सबिा तब तक ि िोगा जब तक क्रक उि तारीि िे सजिको उद घोषर्ा की प्रसत सििय का आदेश देिे
िाले न्यायािीश के न्याि-िदि में लगाई गई िै, गर्िा करके स्थािर िम्पसत्त की दशा में कम िे कम 1[पन्द्रि क्रदि] का और जंगम
िम्पसत्त की दशा में कम िे कम 2[िात क्रदि] का अििाि ि िो गया िो ।
69. सििय का स्थगि या रोका जािा—(1) न्यायालय इिके अिीि सििय को क्रकिी िी सिसिर्दचष्ट क्रदि और घण्टे तक के
सलए स्िसििेकािुिार स्थसगत कर िके गा और ऐिे क्रकिी सििय का िंर्ालि करिे िाला असिकारी स्थगि के अपिे कारर्ों को लेिबद्ध
करते हुए सििय को स्िसििेकािुिार स्थसगत कर िके गाः
परन्तु जिां सििय न्याय-िदि में या उिकी प्रिीमाओं के िीतर क्रकया जाता िै ििां ऐिा कोई िी स्थगि न्यायालय की
इजाजत के सबिा ििीं क्रकया जाएगा ।
(2) जिां सििय 3[तीि क्रदि] िे असिक की अिसि के सलए उपसियम (1) के अिीि स्थसगत क्रकया जाता िै ििां, तब के सििाय
जब क्रक सिर्ीतऋर्ी उिका असित्यजि करिे के सलए अपिी ििमसत दे दे, सियम 67 के अिीि िई उदघोषर्ा की जाएगी ।
(3) यक्रद लाट के सलए बोली के िमाप्त िोिे िे पिले िी ऋर् और िर्े (सििय के िर्ों के िसित) सििय का िंर्ालि करिे
िाले असिकारी को सिसिदत्त कर क्रदए जाते िैं या उिको िमािािप्रद रूप में यि िबपत दे क्रदया जाता िै क्रक ऐिे ऋर् की रकम और िर्े
उि न्यायालय में जमा करा क्रदए गए िैं सजििे सििय के सलए आदेश क्रदया था तो ऐिा िर सििय रोक क्रदया जाएगा ।
70. [कु छ सिियों की व्यािृसत्त]—सिसिल प्रक्रिया िंसिता (िंशोिि) असिसियम, 1956 (1956 का 66) की िारा 14 द्वारा
सिरसित ।
71. व्यसतिम करिे िाला िे ता पुिर्िचिय में हुई िासि के सलए उत्तरदायी िोगा—िे ता के व्यसतिम के कारर् िोिे िाले
पुिर्िचिय में जो कमी कीमत में िो जाए, िि और ऐिे पुिर्िचिय में हुए िब व्यय उि असिकारी या अन्य व्यसक्त द्वारा जो सििय करता
िै, न्यायालय 4*** को प्रमासर्त क्रकए जाएंगे और िि व्यसतिम करिे िाले िे ता िे या तो सडिीदार या सिर्ीतऋर्ी की प्रेरर्ा पर उि
उपबन्िों के अिीि ििपलीय िोंगे जो िि के िंदाय की सडिी के सिष्पादि िे िम्बसन्ित िैं ।
72. अिुज्ञा के सबिा सडिीदार िम्पसत्त के सलए ि बोली लगाएगा और ि उिका िय करे गा—(1) सजि सडिी के सिष्पादि में
िम्पसत्त का सििय क्रकया जाता िै उि सडिी का कोई िी िारक न्यायालय की असिव्यक्त अिुज्ञा के सबिा िम्पसत्त के सलए ि तो बोली
लगाएगा और ि उिका िय करे गा ।
(2) जिां सडिीदार िय करता िै ििां सडिी की रकम िंदाय मािी जा िके गी—जिां सडिीदार ऐिी अिुज्ञा िे िय करता िै
ििां ियिि और सडिी मद्धे शोध्य रासश, िारा 73 के उपबन्िों के अिीि रिते हुए, एक दपिरे के सिरुद्ध मुजरा की जा िके गी और सडिी
का सिष्पादि करिे िाला न्यायालय सडिी की पपर्चतः या िागतः तुसष्ट की प्रसिसष्ट तद्िुिार करे गा ।
(3) जिां सडिीदार ऐिी अिुज्ञा के सबिा स्ियं या क्रकिी अन्य व्यसक्त के माध्यम िे िय करता िै ििां यक्रद न्यायालय
सिर्ीतऋर्ी के या क्रकिी अन्य व्यसक्त के सजिके सित सििय िे प्रिासित िोते िैं, आिेदि पर ऐिा करिा ठीक िमझे तो िि सििय को
आदेश द्वारा अपास्त कर िके गा, और ऐिे आिेदि और आदेश के िर्े और कीमत में की कोई कमी जो पुिर्िचिय पर िो, और ऐिे
पुिर्िचिय में हुए ििी व्यय सडिीदार द्वारा क्रदए जाएंगे ।
[72क. बंिकदार द्वारा न्यायालय की इजाजत के सबिा सििय में बोली का ि लगाया जािा—(1) सियम 72 में क्रकिी बात के
5

िोते हुए िी स्थािर िम्पसत्त का कोई बंिकदार, बन्िक पर सडिी के सिष्पादि में सििीत िम्पसत्त के सलए बोली ििीं लगाएगा या उिे
िय ििीं करे गा जब तक क्रक न्यायालय उिे उि िम्पसत्त के सलए बोली लगािे या उिे िय करिे की इजाजत ि दे दे;
(2) यक्रद ऐिे बन्िकदार को बोली लगािे की इजाजत दी जाती िै तो न्यायालय बन्िकदार के िम्बन्ि में कोई आरसित कीमत
सियत करे गा और जब तक क्रक न्यायालय अन्यथा सिदेश ि दे आरसित कीमत—
(क) यक्रद िम्पसत्त का सििय एक लाट में क्रकया जाता िै तो बंिक के िंबंि में मपलिि, ब्याज और िर्े मद्धे उि
िमय शोध्य रकम िे कम ििीं िोगी; और

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) “तीि क्रदि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) “पन्द्रि क्रदि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) “िात क्रदि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 14 द्वारा “या, यथासस्थसत, कलेक्टर या कलेक्टर के अिीिस्थ असिकारी” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
140

(ि) क्रकिी िम्पसत्त का सििय लाटों में क्रकए जािे की दशा में उतिी रासश िे कम ििीं िोगी सजतिी प्रत्येक लाट के
िम्बन्ि में न्यायालय को यि प्रतीत िो क्रक िि बन्िक पर मपलिि, ब्याज और िर्े मद्धे उि िमय शोध्य रकम के िम्बन्ि में
उि लाट के सलए उसर्त मािी जा िकती िै ।
(3) अन्य मामलों में, सियम 72 के उपसियम (2) और (3) के उपबन्ि उि सियम के अिीि सडिीदार द्वारा िय के िम्बन्ि में
लागप िोंगे ।]
73. असिकाटरयों द्वारा बोली लगािे या िय करिे पर सिबचन्िि—कोई िी असिकारी या अन्य व्यसक्त सजिे क्रकिी सििय के
िम्बन्ि में क्रकिी कतचव्य का पालि करिा िो, सििय की गई िम्पसत्त में के क्रकिी सित के सलए ि तो प्रत्यि और ि अप्रत्यि रूप िे बोली
लगाएगा और ि उिे अर्जचत करे गा और ि अर्जचत करिे का प्रयत्ि करे गा ।
जंगम िम्पसत्त का सििय
74. कृ सष उपज का सििय—(1) जिां सििय की जािे िाली िम्पसत्त कृ सष उपज िै ििां सििय—
(क) यक्रद ऐिी उपज उगती फिल िै तो उि िपसम पर या उिके पाि क्रकया जाएगा सजिमें ऐिी फिल उगी िै,
अथिा
(ि) यक्रद ऐिी उपज काटी जा र्ुकी िै या इकट्ठी की जा र्ुकी िै तो उि िसलिाि पर या अिाज गाििे के स्थाि या
तद्रपप स्थाि या र्ारे के ढेर पर या उिके पाि सजि पर या सजिमें िि सिसिप्त की गई िै, क्रकया जाएगाः
परन्तु यक्रद न्यायालय की यि राय िै क्रक िैिा करिे िे उपज का असिक फायदे पर सििय क्रकया जा िकता िै तो िि यि
सिदेश दे िके गा क्रक सििय लोक िमागम के सिकटतम स्थाि पर क्रकया जाए ।
(2) जिां उपज सििय के सलए पुरोिृत क्रकए जािे पर—
(क) सििय करिे िाले व्यसक्त के अिुमाि िे उिके सलए ऋजु मपल्य की बोली ििीं लगाई गई िै, तथा
(ि) उि उपज का स्िामी या उिकी ओर िे कायच करिे के सलए प्रासिकृ त व्यसक्त सििय को आगामी क्रदि तक या
यक्रद सििय के स्थाि पर िाट लगती िो तो अगली िाट लगिे के क्रदि तक के सलए मुल्तिी करिे के सलए आिेदि करता िै,
ििां सििय तद्िुिार मुल्तिी कर क्रदया जाएगा और तत्पश्र्ात उपज के सलए र्ािे कोई िी कीमत लगे सििय पपरा कर क्रदया जाएगा ।
75. उगती फिलों के िम्बन्ि में सिशेष उपबन्ि—(1) जिां सििय की जािे िाली िम्पसत्त उगती फिल िै और फिल अपिी
प्रकृ सत िे ऐिी िै जो िण्डार में रििे के योग्य िै क्रकन्तु तब तक िण्डार में ििीं रिी गई िै ििां सििय का क्रदि ऐिे सियत क्रकया जाएगा
क्रक उि क्रदि के आिे िे पिले िि िण्डार में रििे के योग्य िो जाए और सििय तब तक ििीं क्रकया जाएगा जब तक फिल काट ििीं ली
गई िै या इकट्ठी ििीं कर ली गई िै और िण्डार में रििे के योग्य ििीं िो गई िै ।
(2) जिां फिल अपिी प्रकृ सत िे ऐिी ििीं िै जो िण्डार में रििे के योग्य िै ििां उिका काटी जािे और इकट्ठी की जािे िे
पिले सििय क्रकया जा िके गा और िे ता िपसम पर प्रिेश करिे और उिकी देििाल करिे और काटिे या इकट्ठी करिे के प्रयोजि िे ििी
आिश्यक बातें करिे का िकदार िोगा ।
76. परिाम्य सलितें और सिगमों के अंश —जिां सििय की जािे िाली िम्पसत्त परिाम्य सलित या सिगम-अंश िै ििां
न्यायालय लोक िीलाम द्वारा सििय क्रकए जािे के सलए सिदेश देिे के बजाय यि प्रासिकृ त कर िके गा क्रक ऐिी सलित या अंश का सििय
क्रकिी दलाल की माफच त क्रकया जाए ।
77. लोक िीलाम द्वारा सििय—(1) जिां जंगम िम्पसत्त का लोक िीलाम द्वारा सििय क्रकया जाता िै ििां िर एक लाट का
मपल्य सििय के िमय पर िंदत्त क्रकया जाएगा या उिके पश्र्ात शीघ्र िी ऐिे िमय पर िंदत्त क्रकया जाएगा जो िि असिकारी या अन्य
व्यसक्त सिक्रदष्ट करे जो सििय कर रिा िै, और िंदाय में व्यसतिम िोिे पर िम्पसत्त का तत्िर् िी क्रफर सििय क्रकया जाएगा ।
(2) ियिि का िंदाय कर क्रदए जािे पर उिके सलए रिीद िि असिकारी या अन्य व्यसक्त देगा जो सििय कर रिा िै और
सििय आत्यसन्तक िो जाएगा ।
(3) जिां सििय की जािे िाली जंगम िम्पसत्त ऐिे माल में अंश िै जो माल सिर्ीतऋर्ी और क्रकिी िि-स्िामी का िै, और
दो या असिक व्यसक्त सजिमें िे एक ऐिा िि-स्िामी िै, िमशः ऐिी िम्पसत्त या उिके क्रकिी लाट के सलए एक िी िी रासश की बोली
लगाते िैं िि बोली उि िि-स्िामी की बोली िमझी जाएगी ।
78. असियसमतता सििय को दपसषत ििीं करे गी क्रकन्तु कोई िी व्यसक्त, सजिे िसत हुई िै, िाद ला िके गा—जंगम िम्पसत्त के
सििय के प्रकाशि या िंर्ालि में की कोई िी असियसमतता सििय को दपसषत ििीं करे गी क्रकन्तु सजि क्रकिी व्यसक्त को कोई िसत ऐिी
असियसमतता के कारर् क्रकिी अन्य व्यसक्त द्वारा हुई िै िि उिके सिरुद्ध प्रसतकर के सलए या (यक्रद िि अन्य व्यसक्त िे ता िै) तो उिी
सिसिर्दचष्ट िम्पसत्त के प्रत्युद्धरर् के सलए और ऐिे प्रत्युद्धरर् में व्यसतिम िोिे पर प्रसतकर के सलए िाद ला िके गा ।
141

79. जंगम िंपसत्त, ऋर्ों और अंशों का पटरदाि—(1) जिां सििय की गई िम्पसत्त ऐिी जंगम िम्पसत्त िै सजिका िास्तसिक
असिग्रिर् कर सलया गया िै ििां िि िे ता को पटरदत्त की जाएगी ।
(2) जिां सििय की गई िम्पसत्त सिर्ीतऋर्ी िे सिन्ि क्रकिी व्यसक्त के कब्जे में की जंगम िम्पसत्त िै ििां िे ता को उिका
पटरदाि कब्जा रििे िाले व्यसक्त को यि प्रसतषेि करिे िाली िपर्िा देकर क्रकया जाएगा क्रक िि उि पर कब्जा िे ता के सििाय क्रकिी
अन्य व्यसक्त को ि दे ।
(3) जिां सििय की गई िम्पसत्त ऐिा ऋर् िै जो क्रकिी परिाम्य सलित द्वारा प्रसतिपत ििीं िै या सिगम-अंश िै ििां उिका
पटरदाि न्यायालय के ऐिे सलसित आदेश द्वारा क्रकया जाएगा जो उि ऋर् को या उि मद्धे क्रकिी ब्याज को लेिे िे लेिदार को और
उिका िंदाय िे ता को करिे के सििाय क्रकिी अन्य व्यसक्त को करिे िे ऋर्ी को प्रसतसषद्ध करता िै या जो उि व्यसक्त को सजिके िाम
िि अंश उि िमय िै, अंश का कोई िी अन्तरर् िे ता को करिे के सििाय क्रकिी अन्य व्यसक्त को करिे िे या उि मद्धे क्रकिी िी लािांश
या ब्याज का िंदाय प्राप्त करिे िे और उि सिगम के प्रबंिक, िसर्ि या अन्य उसर्त असिकारी को ऐिे क्रकिी िी अन्तरर् के सलए
अिुज्ञा या ऐिा कोई िी िंदाय िे ता को देिे या करिे के सििाय क्रकिी िी अन्य व्यसक्त को देिे या करिे िे प्रसतसषद्ध करता िै ।
80. परिाम्य सलितों और अंशों का अन्तरर्—(1) जिां दस्तािेज का सिष्पादि या उि पिकार द्वारा पृष्ठांकि सजिके िाम में
िि परिाम्य सलित या सिगम-अंश उि िमय िै, ऐिी परिाम्य सलित के या अंश के अन्तरर् के सलए अपेसित िै ििां न्यायािीश या
ऐिा असिकारी सजिे िि इि सिसमत्त सियुक्त करे , ऐिी दस्तािेज का सिष्पादि कर िके गा या ऐिा पृष्ठांकि कर िके गा जो आिश्यक िो
और ऐिे सिष्पादि या पृष्ठांकि का ििी प्रिाि िोगा जो पिकार द्वारा क्रकए गए सिष्पादि या पृ ष्ठांकि का िोता िै ।
(2) ऐिा सिष्पादि या पृष्ठांकि सिम्िसलसित प्ररूप में क्रकया जा िके गा, अथाचत :—
क ि, के सिरुद्ध ङ र् द्वारा लाए गए िाद में क ि की ओर िे........न्यायालय का न्यायािीश (या यथासस्थसत)
गघ।
(3) न्यायालय ऐिी परिाम्य सलित या ऐिे अंश का अन्तरर् िोिे तक आदेश द्वारा क्रकिी व्यसक्त को इिसलए सियुक्त कर
िके गा क्रक िि उि पर शोध्य क्रकिी ब्याज या लािांश को प्राप्त करे और उिके सलए रिीद पर िस्तािर करे और इि प्रकार िस्तािटरत
कोई िी रिीद ििी प्रयोजिों के सलए ऐिे िी मान्य और प्रिािी िोगी मािो स्ियं पिकार िे उि पर िस्तािर क्रकए िों ।
81. अन्य िम्पसत्त की दशा में सिसित करिे िाला आदेश —क्रकिी ऐिी जंगम िम्पसत्त की दशा में सजिके सलए इिमें इिके पपिच
उपबन्ि ििीं क्रकया गया िै, न्यायालय ऐिी िम्पसत्त को िे ता में या जैिा सिदेश िे ता दे उिके अिुिार सिसित करिे िाला आदेश कर
िके गा और ऐिी िम्पसत्त तद्िुिार सिसित िोगी ।
स्थािर िम्पसत्त का सििय
82. कौि िे न्यायालय सिियों के सलए आदेश कर िकें गे —सडक्रियों का सिष्पादि करिे में स्थािर िम्पसत्त के सिियों के सलए
आदेश लघुिाद न्यायालय िे सिन्ि क्रकिी िी न्यायालय द्वारा क्रकया जा िके गा ।
83. सििय का इिसलए मुल्तिी क्रकया जािा क्रक सिर्ीतऋर्ी सडिी की रकम जुटा िके —(1) जिां स्थािर िम्पसत्त के सििय
के सलए आदेश क्रकया जा र्ुका िै ििां यक्रद सिर्ीतऋर्ी न्यायालय का िमािाि कर िके क्रक यि सिश्वाि करिे के सलए कारर् िै क्रक
सडिी का िि ऐिी िम्पसत्त या उिके क्रकिी िाग के , या सिर्ीतऋर्ी की क्रकिी अन्य स्थािर िम्पसत्त के , बंिक या पट्टे या प्राइिेट सििय
द्वारा जुटाया जा िकता िै तो उिके आिेदि करिे पर न्यायालय सििय के आदेश में िमासिष्ट िम्पसत्त के सििय को ऐिे सिबन्ििों पर
और ऐिी अिसि के सलए जो िि उसर्त िमझे, इिसलए मुल्तिी कर िके गा क्रक उि रकम को जुटािे में िि िमथच िो जाए ।
(2) ऐिी दशा में न्यायालय सिर्ीतऋर्ी को ऐिा प्रमार्पत्र देगा जो उिमें िर्र्चत अिसि के िीतर और िारा 64 में क्रकिी
बात के िोते हुए िी प्रस्थासपत बन्िक, पट्टा या सििय करिे के सलए उिे प्रासिकृ त करता िैः
परन्तु ऐिे बन्िक, पट्टे या सििय के अिीि िंदय
े ििी िि ििां तक के सििाय जिां तक क्रक सडिीदार ऐिे िि को सियम 72
के उपबन्िों के अिीि मुजरा करिे का िकदार िै न्यायालय को क्रदए जाएंगे, ि क्रक सिर्ीतऋर्ी कोः
परन्तु यि और िी क्रक इि सियम के अिीि कोई िी बन्िक, पट्टा या सििय तब तक आत्यसन्तक ििीं िोगा जब तक क्रक िि
न्यायालय द्वारा पुष्ट ि कर क्रदया जाए ।
(3) इि सियम की क्रकिी िी बात के बारे में यि ििीं िमझा जाएगा क्रक िि ऐिी िम्पसत्त के सििय को लागप िोती िै सजिके
बारे में ऐिी िम्पसत्त के बन्िक या उि िम्पसत्त पर के िार का प्रितचि करािे के सलए सििय की सडिी के सिष्पादि में सििय क्रकए जािे
का सिदेश क्रदया गया िै ।
84. िे ता द्वारा सििेप और उिके व्यसतिम पर पुिर्िचिय—(1) स्थािर िम्पसत्त के िर सििय पर िि व्यसक्त सजिका िे ता
िोिा घोसषत क्रकया गया िै, अपिे ियिि की रकम के पच्र्ीि प्रसतशत का सििेप सििय का िंर्ालि करिे िाले असिकारी या अन्य
व्यसक्त को ऐिी घोषर्ा के तुरन्त पश्र्ात देगा और ऐिा सििेप करिे में व्यसतिम िोिे पर उि िम्पसत्त का तत्िर् क्रफर सििय क्रकया
जाएगा ।
142

(2) जिां सडिीदार िे ता िै और ियिि को सियम 72 के अिीि मुजरा करिे का िकदार िै ििां न्यायालय इि सियम की
अपेिाओं िे असिमुसक्त दे िके गा ।
85. ियिि के पपरे िंदाय के सलए िमय—ियिि की िंदय
े पपरी रकम को िे ता इिके पपिच क्रक िम्पसत्त के सििय िे पन्द्रििें
क्रदि न्यायालय बन्द िो, न्यायालय में जमा कर देगाः
परन्तु न्यायालय में ऐिे जमा की जािे िाली रकम की गर्िा करिे में िे ता क्रकिी िी ऐिे मुजरा का फायदा उठा िके गा
सजिका िि सियम 72 के अिीि िकदार िो ।
86. िंदाय में व्यसतिम िोिे पर प्रक्रिया—असन्तम पपिचिती सियम में िर्र्चत अिसि के िीतर िंदाय करिे में व्यसतिम िोिे पर
सििेप, यक्रद न्यायालय ठीक िमझे तो सििय के व्ययों को काटिे के पश्र्ात िरकार को िमपहृत क्रकया जा िके गा और िम्पसत्त का क्रफर
िे सििय क्रकया जाएगा और उि िम्पसत्त पर या सजि रासश के सलए उिका तत्पश्र्ात सििय क्रकया जाए उिके क्रकिी िाग पर व्यसतिम
करिे िाले िे ता के ििी दािे िमपहृत िो जाएंगे ।
87. पुिर्िचिय पर असििपर्िा—स्थािर िम्पसत्त का िर पुिर्िचिय जो ियिि का िंदाय उि अिसि के िीतर करिे में जो ऐिे
िंदाय के सलए अिुज्ञात िै, व्यसतिम के कारर् िोिा िो, ऐिी रीसत िे और ऐिी अिसि के सलए जो सििय के सलए इिमें इिके पप िच
सिसित की गई िै, िई उदघोषर्ा सिकालिे के पश्र्ात क्रकया जाएगा ।
88. िि-अंशिारी की बोली को असिमाि प्राप्त िोगा—जिां सििीत िम्पसत्त असििक्त स्थािर िम्पसत्त का अंश िै, और दो
या असिक व्यसक्त सजिमें िे एक ऐिा िि-अंशिारी िै, िमशः ऐिी िम्पसत्त या उिके क्रकिी लाट के सलए एक िी िी रासश की बोली
लगाते िैं ििां िि बोली उि िि-अंशिारी की बोली िमझी जाएगी ।
89. सििेप करिे पर सििय को अपास्त करािे के सलए आिेदि—(1) जिां स्थािर िम्पसत्त का क्रकिी सडिी के सिष्पादि में
सििय क्रकया गया िै 1[ििां सििीत िम्पसत्त में सििय के िमय या आिेदि करिे के िमय क्रकिी सित का दािा करिे िाला अथिा ऐिे
व्यसक्त के सलए या उिके सित में कायच करिे िाला कोई व्यसक्त—]
(क) ियिि के पांर् प्रसतशत के बराबर रकम िे ता को िंदत्त क्रकए जािे के सलए, तथा
(ि) सििय की उदघोषर्ा में ऐिी रकम के रूप में सजिकी ििपली के सलए सििय का आदेश क्रदया गया था,
सिसिर्दचष्ट रकम उिमें िे िि रकम घटाकर जो सििय की उदघोषर्ा की तारीि िे लेकर तब तक सडिीदार को प्राप्त िो
र्ुकी िै, सडिीदार को िंदत्त क्रकए जािे के सलए,
न्यायालय में सिसिप्त करिे पर सििय को अपास्त करािे के सलए आिेदि कर िके गा ।
(2) जिां कोई व्यसक्त अपिी स्थािर िम्पसत्त के सििय को अपास्त करािे के सलए आिेदि सियम 90 के अिीि करता िै, ििां,
जब तक क्रक िि अपिा आिेदि लौटा ि ले, िि इि सियम के अिीि आिेदि देिे का या उिको आगे र्लािे का िकदार ििीं िोगा ।
(3) इि सियम की कोई िी बात सिर्ीतऋर्ी को ऐिे क्रकिी दासयत्ि िे अिमुक्त ििीं करे गी सजिके अिीि िि उि िर्ों और
ब्याज के िम्बन्ि में िो जो सििय की उदघोषर्ा के अन्तगचत ििीं आते ।
सििय को असियसमतता या कपट के आिार पर अपास्त करािे के सलए आिेदि—(1) जिां क्रकिी सडिी के सिष्पादि में
2[90.

क्रकिी स्थािर िम्पसत्त का सििय क्रकया गया िै ििां सडिीदार, या िे ता, या ऐिा कोई अन्य व्यसक्त जो आसस्तयों के आिुपासतक सितरर्
में अंश पािे का िकदार िै या सजिके सित सििय के द्वारा प्रिासित हुए िैं, सििय को उिके प्रकाशि या िंर्ालि में हुई तासविक
असियसमतता या कपट के आिार पर अपास्त करािे के सलए न्यायालय िे आिेदि कर िके गा ।
(2) उिके प्रकाशि या िंर्ालि में हुई असियसमतता या कपट के आिार पर कोई िी सििय तब तक अपास्त ििीं क्रकया
जाएगा जब तक िासबत क्रकए गए तथ्यों के आिार पर न्यायालय का यि िमािाि ििीं िो जाता िै क्रक ऐिी असियसमतता या कपट के
कारर् आिेदि को िारिाि िसत हुई िै ।
(3) इि सियम के अिीि सििय को अपास्त करािे के सलए कोई आिेदि ऐिे क्रकिी आिार पर ग्रिर् ििीं क्रकया जाएगा सजिे
आिेदक उि तारीि को या उििे पपिच आिार माि िकता था सजिको क्रक सििय की उदघोषर्ा तैयार की गई थी ।
स्पष्टीकरर्—सििीत िम्पसत्त की कु की का ि िोिा या कु की में त्रुटट अपिे आप में इि सियम के अिीि क्रकिी सििय को
अपास्त करिे के सलए कोई आिार ििीं िोगी ।]
91. सििय का इि आिार पर अपास्त करािे के सलए िे ता द्वारा आिेदि क्रक उिमें सिर्ीतऋर्ी का कोई सििय सित ििीं
था—सडिी के सिष्पादि में ऐिे क्रकिी िी सििय में का िे ता, सििय को अपास्त करािे के सलए आिेदि न्यायालय िे इि आिार पर कर
िके गा क्रक सििय की गई िम्पसत्त में सिर्ीतऋर्ी का कोई सििय सित ििीं था ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 90 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
143

92. सििय कब आत्यसन्तक िो जाएगा या अपास्त कर क्रदया जाएगा—(1) जिां सियम 89, सियम 90 या सिगम 91 के अिीि
कोई िी आिेदि ििीं क्रकया गया िै या जिां ऐिा आिेदि क्रकया गया िै और अििुज्ञात कर क्रदया गया िै ििां न्यायालय सििय को पु ष्ट
करिे िाला आदेश करे गा और तब सििय आत्यसन्तक िो जाएगा :
[परन्तु जिां क्रकिी िंपसत्त का, ऐिी िंपसत्त के क्रकिी दािे का असन्तम सिपटारा िोिे तक या उिकी कु की के सलए आिेप के
1

लंसबत रििे तक सडिी के सिष्पादि में सििय क्रकया गया िै ििां न्यायालय ऐिे सििय को ऐिे दािे या आिेप के अंसतम सिपटारे तक
पुष्ट ििीं करे गा ।]
(2) जिां ऐिा आिेदि क्रकया गया िै और अिुज्ञात कर क्रदया गया िै और जिां सियम 89 के अिीि आिेदि की दशा में िि
सििेप जो उि सियम द्वारा अपेसित िै, सििय की तारीि िे 2[िाठ क्रदि] के िीतर कर क्रदया गया िै 3[या उि दशा में सजिमें सियम 89
के अिीि सिसिप्त रकम, सििेपकताच की ओर िे हुई क्रकिी सलसपकीय या गसर्त िंबंिी िपल के कारर् कम पाई जाती िै और ऐिी कमी
इतिे िमय के िीतर पपरी कर दी जाती िै सजतिा न्यायालय द्वारा सियत क्रकया जाए ििां न्यायालय सििय को अपास्त करिे िाला
आदेश करे गाः]
परन्तु जब तक क्रक आिेदि की िपर्िा उिके द्वारा प्रिासित ििी व्यसक्तयों को ि दे दी गई िो, ऐिा कोई आदेश ििीं
क्रकया जाएगा ।
[परन्तु यि और क्रक इि उपसियम के अिीि सििेप, उि ििी मामलों में जिां तीि क्रदि की अिसि, सजिके िीतर सििे प
4

क्रकया जािा था, सिसिल प्रक्रिया िंसिता (िंशोिि) असिसियम, 2002 के प्रारं ि िे पिले िमाप्त ििीं हुई िै िाठ क्रदि के िीतर क्रकया
जा िके गा ।]
(3) इि सियम के अिीि क्रकए गए आदेश को अपास्त करािे के सलए कोई िी िाद ऐिे क्रकिी व्यसक्त द्वारा ििीं लाया जाएगा
सजिके सिरुद्ध ऐिा आदेश क्रकया गया िै ।
[(4) जिां कोई अन्य पिकार िीलाम-िे ता के सिरुद्ध िाद फाइल करके सिर्ीतऋर्ी के िक को र्ुिौती देता िै, ििां
5

सडिीदार और सिर्ीतऋर्ी िाद के आिश्यक पिकार िोंगे ।


(5) यक्रद उपसियम (4) में सिर्दचष्ट िाद की सडिी दे दी जाती िै तो न्यायालय सडिीदार को सिदेश देगा क्रक िि िीलाम-िे ता
को िि िापि कर दे और जिां ऐिा आदेश पाटरत क्रकया जाता िै ििां सिष्पादि की कायचिासियां सजिमें सििय क्रकया गया था, उि
दशा के सििाय सजिमें न्यायालय अन्यथा सिदेश देता िै, उि प्रिम पर पुिः प्रिर्तचत की जाएंगी सजि पर सििय का आदेश क्रकया गया
था ।]
93. कु छ दशाओं में ियिि की िापिी—जिां स्थािर िम्पसत्त का सििय सियम 92 के अिीि अपास्त कर क्रदया जाता िै ििां
िे ता अपिा ियिि ब्याज के िसित या रसित, जैिे िी न्यायालय सिर्दचष्ट करे , िापि पािे का आदेश उि व्यसक्त के सिरुद्ध प्राप्त करिे
का िकदार िोगा सजिे ियिि दे क्रदया गया िै ।
94. िे ता को प्रमार्पत्र—जिां स्थािर िम्पसत्त का सििय आत्यसन्तक िो गया िै ििां न्यायालय सििीत िम्पसत्त को और
सििय के िमय सजि व्यसक्त को िे ता घोसषत क्रकया गया िै उिके िाम को सिसिर्दचष्ट करिे िाला प्रमार्पत्र देगा । ऐिे प्रमार्पत्र में उि
क्रदि की तारीि िोगी सजि क्रदि सििय आत्यसन्तक हुआ था ।
95. सिर्ीतऋर्ी के असििोग में की िम्पसत्त का पटरदाि—जिां सििीत स्थािर िम्पसत्त सिर्ीतऋर्ी के या उिकी ओर िे
क्रकिी व्यसक्त के या ऐिे िक के अिीि सजिे सिर्ीतऋर्ी िे ऐिी िम्पसत्त की कु की िो जािे के पश्र्ात िृष्ट क्रकया िै, दािा करिे िाले
क्रकिी व्यसक्त के असििोग में िै और उिके बारे में प्रमार्पत्र सियम 94 के अिीि क्रदया गया िै ििां न्यायालय िे ता के आिेदि पर यि
आदेश करे गा क्रक उि िम्पसत्त पर ऐिे िे ता का या ऐिे क्रकिी व्यसक्त का सजिे िे ता अपिी ओर िे पटरदाि पािे के सलए सियुक्त करे ,
कब्जा करा कर और यक्रद आिश्यक िो तो ऐिे व्यसक्त को िटाकर जो उि िम्पसत्त को टरक्त करिे िे इन्कार करता िै, पटरदाि
क्रकया जाए ।
96. असििारी के असििोग में की िम्पसत्त का पटरदाि—जिां सििीत िम्पसत्त असििारी के या उि पर असििोग रििे के
िकदार अन्य व्यसक्त के असििोग में िै और उिके िम्बन्ि में प्रमार्पत्र सियम 94 के अिीि क्रदया गया िै ििां न्यायालय िे ता के
आिेदि पर आदेश करे गा क्रक सििय के प्रमार्पत्र की एक प्रसत िम्पसत्त के क्रकिी ििजदृश्य स्थाि पर लगा कर और क्रकिी िुसििापप र्च
स्थाि पर डोंडी सपटिा कर या अन्य रूक्रढ़क ढंग िे यि बात असििोगी को उदघोसषत करके क्रक सिर्ीतऋर्ी का सित िे ता को अं तटरत
िो गया िै, पटरदाि क्रकया जाए ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 14 द्वारा (1-7-2002 िे) “तीि क्रदि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) “ििां न्यायालय सििय को अपास्त करिे िाला आदेश करे गा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
2002 के असिसियम िं० 22 की िारा 14 द्वारा (1-7-2002 िे) अंतःस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
144

सडिीदार या िे ता को कब्जा पटरदत्त क्रकए जािे में प्रसतरोि


97. स्थािर िम्पसत्त पर कब्जा करिे में प्रसतरोि या बािा—(1) जिां स्थिार िम्पसत्त के कब्जे की सडिी के िारक का या
सडिी के सिष्पादि में सििय की गई ऐिी क्रकिी िम्पसत्त के िे ता का ऐिी िम्पसत्त पर कब्जा असिप्राप्त करिे में क्रकिी व्यसक्त द्वारा
प्रसतरोि क्रकया जाता िै या उिे बािा डाली जाती िै ििां िि ऐिे प्रसतरोि या बािा का पटरिाद करते हुए आिेदि न्यायालय िे कर
िके गा ।
[(2) जिां कोई आिेदि उपसियम (1) के अिीि क्रकया जाता िै ििां न्यायालय उि आिेदि पर न्यायसिर्चयि इिमें अन्तर्िचष्ट
1

उपबंिों के अिुिार करिे के सलए अग्रिर िोगा ।]


[98. न्यायसिर्चयि के पश्र्ात आदेश—(1) सियम 101 में सिर्दचष्ट प्रश्िों के अििारर् पर, न्यायालय ऐिे अििारर् के
2

अिुिार और उपसियम (2) के उपबंिों के अिीि रिते हुए,—


(क) आिेदि को मंजपर करते हुए और यि सिदेश देते हुए क्रक आिेदक को िम्पसत्त का कब्जा दे क्रदया जाए या आिेदि
को िाटरज करते हुए, आदेश करे गा; या
(ि) ऐिा अन्य आदेश पाटरत करे गा जो िि मामले की पटरसस्थसतयों में ठीक िमझे ।
(2) जिां ऐिे अििारर् पर, न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक सिर्ीतऋर्ी उिके उकिािे पर क्रकिी अन्य व्यसक्त
द्वारा या उिकी ओर िे या क्रकिी अन्तटरती द्वारा, उि दशा में सजिमें ऐिा अन्तरर् िाद या सिष्पादि की कायचिािी के लसम्बत रििे के
दौराि क्रकया गया था, प्रसतरोि क्रकया गया था या बािा डाली गई थी ििां िि सिदेश देगा क्रक आिेद क को िम्पसत्त पर कब्जा क्रदलाया
जाए और जिां इि पर िी कब्जा असिप्राप्त करिे में आिेदक का प्रसतरोि क्रकया जाता िै या उिे िािा डाली जाती िै ििां न्यायालय
सिर्ीतऋर्ी को या उिके उकिािे पर या उिकी ओर िे कायच करिे िाले व्यसक्त को ऐिी अिसि के सलए, जो तीि क्रदि तक की िो
िके गी, सिसिल कारागार में सिरुद्ध क्रकए जािे का आदेश िी आिेदक की प्रेरर्ा पर दे िके गा ।
99. सडिीदार या िे ता द्वारा बेकब्जा क्रकया जािा—(1) जिां सिर्ीतऋर्ी िे सिन्ि कोई व्यसक्त स्थािर िम्पसत्त पर कब्जे की
सडिी के िारक द्वारा या जिां ऐिी िम्पसत्त का सडिी के सिष्पादि में सििय क्रकया गया िै ििां, उिके िे ता द्वारा ऐिी िम्पसत्त पर िे
बेकब्जा कर क्रदया गया िो ििां ऐिे बेकब्जा क्रकए जािे का पटरिाद करते हुए न्यायालय िे आिेदि कर िके गा ।
(2) जिां ऐिा कोई आिेदि क्रकया जाता िै ििां न्यायालय उि आिेदि पर न्यायसिर्चयि इिमें अन्तर्िचष्ट उपबन्िों के अिुिार
करिे के सलए अग्रिर िोगा ।
100. बेकब्जा क्रकए जािे का पटरिाद करिे िाले आिेदि पर पाटरत क्रकया जािे िाला आदेश —सियम 101 में सिर्दचष्ट प्रश्िों
के अििारर् पर, न्यायालय ऐिे अििारर् के अिुिार—
(क) आिेदि को मंजपर करते हुए और यि सिदेश देते हुए क्रक आिेदक को िंपसत्त का कब्जा दे क्रदया जाए या आिेदि
को िाटरज करते हुए, आदेश करे गा; या
(ि) ऐिा अन्य आदेश पाटरत करे गा जो िि मामले की पटरसस्थसतयों में ठीक िमझे ।
101. अििाटरत क्रकए जािे िाले प्रश्ि—सियम 97 या सियम 99 के अिीि क्रकिी आिेदि पर क्रकिी कायचिािी के पिकारों के
बीर् या उिके प्रसतसिसियों के बीर् पैदा िोिे िाले और आिेदि के न्यायसिर्चयि िे िुिंगत ििी प्रश्ि (सजिके अन्तगचत िम्पसत्त में
असिकार, िक या सित िे िंबंसित प्रश्ि िी िैं), आिेदि के िंबंि में कायचिािी करिे िाले न्यायालय द्वारा अििाटरत क्रकए जाएंगे, ि क्रक
पृथक िाद द्वारा और इि प्रयोजि के सलए न्यायालय, तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी अन्य सिसि में क्रकिी प्रसतकप ल बात िोते हुए िी, ऐिे प्रश्िों
का सिसिश्र्य करिे की असिकाटरता रििे िाला िमझा जाएगा ।
102. िादकालीि अंतटरती को इि सियमों का लागप ि िोिा—सियम 98 और सियम 100 में कोई िी बात स्थािर िम्पसत्त के
कब्जे की सडिी के सिष्पादि में उि व्यसक्त द्वारा क्रकए गए प्रसतरोि या डाली गई बािा को या क्रकिी व्यसक्त के बेकब्जा क्रकए जािे को
लागप ििीं िोगी सजिे सिर्ीतऋर्ी िे िि िम्पसत्त उि िाद के सजिमें सडिी पाटरत की गई थी, िं सस्थत क्रकए जािे के पश्र्ात अन्तटरत
की िै ।
स्पष्टीकरर्—इि सियम में, “अन्तरर्” के अन्तगचत सिसि के प्रितचि द्वारा अन्तरर् िी िै ।
103. आदेशों को सडिी मािा जािा—जिां क्रकिी आिेदि पर न्यायसिर्चयि सियम 98 या सियम 100 के अिीि क्रकया गया िै
ििां उि पर क्रकए गए आदेश का ििी बल िोगा और िि अपील या अन्य बातों के बारे में िैिी िी शतों के अिीि िोगा मािो िि
सडिी िो ।]

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) उपसियम (2) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 98 िे 103 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
145

[104. सियम 101 या सियम 103 के अिीि आदेश लसम्बत िाद के पटरर्ाम के अिीि िोगा—सियम 101 या सियम 103 के
1

अिीि क्रकया गया प्रत्येक आदेश, उि कायचिािी के सजिमें ऐिा आदेश क्रकया जाता िै प्रारं ि की तारीि को लसम्बत क्रकिी िाद के
पटरर्ाम के अिीि उि दशा में िोगा सजिमें उि िाद में ऐिे पिकार द्वारा सजिके सिरुद्ध सियम 101 या सियम 103 के अिीि आदेश
क्रकया जाता िै, ऐिा असिकार स्थासपत करिा र्ािा गया िै सजिका क्रक िि उि िम्पसत्त के ितचमाि कब्जे की बाबत दािा करता िै ।
105. आिेदि की िुििाई—(1) िि न्यायालय सजिके िमि इि आदेश के पपिचगामी सियमों में िे क्रकिी सियम के अिीि कोई
आिेदि लसम्बत िै, उिकी िुििाई के सलए क्रदि सियत कर िके गा ।
(2) जिां सियत क्रदि या क्रकिी क्रदि सजि तक िुििाई स्थसगत की जाए मामले की िुििाई के सलए पुकार िोिे पर आिेदक
उपिंजात ििीं िोता िै ििां न्यायालय आदेश कर िके गा क्रक आिेदि िाटरज कर क्रदया जाए ।
(3) जिां आिेदक उपिंजात िोता िै और सिरोिी पिकार सजिको न्यायालय द्वारा िपर्िा दी गई िै, उपिंजात ििीं िोता िै
ििां न्यायालय आिेदि को एकपिीय रूप िे िुि िके गा और ऐिा आदेश पाटरत कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
स्पष्टीकरर्—उपसियम (1) में सिर्दचष्ट क्रकिी आिेदि के अन्तगचत सियम 58 के अिीि क्रकया गया कोई दािा या आिेप
िी िै ।
106. एकपिीय रूप िे पाटरत आदेशों, आक्रद का अपास्त क्रकया जािा—(1) आिेदक सजिके सिरुद्ध सियम 105 के उपसियम
(2) के अिीि कोई आदेश क्रकया जाता िै अथिा सिरोिी पिकार सजिके सिरुद्ध उि सियम के उपसियम (3) के अिीि या सियम 23 के
उपसियम (1) के अिीि कोई एकपिीय आदेश पाटरत क्रकया जाता िै उि आदेश को अपास्त करिे के सलए न्यायालय िे आिेदि कर
िके गा और यक्रद िि न्यायालय का िमािाि कर देता िै क्रक आिेदि की िुििाई के सलए पुकार िोिे पर उिके उपिंजात ि िोिे के सलए
पयाचप्त कारर् था तो न्यायालय िर्ों या अन्य बातों के बारे में ऐिे सिबंििों पर जो िि ठीक िमझे, आदेश अपास्त करे गा और आिेदि
की आगे िुििाई के सलए क्रदि सियत करे गा ।
(2) उपसियम (1) के अिीि आिेदि पर कोई आदेश तब तक ििीं क्रकया जाएगा जब तक उि आिेदि की िपर्िा की तामील
दपिरे पिकार पर ि कर दी गई िो ।
(3) उपसियम (1) के अिीि आिेदि आदेश की तारीि िे तीि क्रदि के िीतर क्रकया जाएगा या जिां एकपिीय आदेश की
दशा में, िपर्िा की िम्यक रूप िे तामील ििीं हुई थी ििां उि तारीि िे जब आिेदक को आदेश की जािकारी हुई थी, तीि क्रदि के
िीतर क्रकया जाएगा ।]
आदेश 22
पिकारों की मृत्यु, उिका सििाि और क्रदिाला
1. यक्रद िाद लािे का असिकार बर्ा रिता िै तो पिकार की मत्यु िे उिका उपशमि ििीं िो जाता—यक्रद िाद लािे का
असिकार बर्ा रिता िै तो िादी या प्रसतिादी की मृत्यु िे िाद का उपशमि ििीं िोगा ।
2. जिां कई िाक्रदयों या प्रसतिाक्रदयों में िे एक की मृत्यु िो जाती िै और िाद लािे का असिकार बर्ा रिता िै ििां
प्रक्रिया—जिां एक िे असिक िादी या प्रसतिादी िैं और उिमें िे क्रकिी की मृत्यु िो जाती िै और जिां िाद लािे का असिकार अके ले
उत्तरजीिी िादी या िाक्रदयों को या अके ले उत्तरजीिी प्रसतिादी या प्रसतिाक्रदयों के सिरुद्ध बर्ा रिता िै ििां न्यायालय असिलेि में उि
िाग की एक प्रसिसष्ट कराएगा और िाद उत्तरजीिी िादी या िाक्रदयों की प्रेरर्ा पर या उत्तरजीिी प्रसतिादी या प्रसतिाक्रदयों के सिरुद्ध
आगे र्लेगा ।
3. कई िाक्रदयों में िे एक या एकमात्र िादी की मृत्यु की दशा में प्रक्रिया—(1) जिां दो या असिक िाक्रदयों में िे एक की मृत्यु
िो जाती िै और िाद लािे का असिकार अके ले उत्तरजीिी िादी को या अके ले उत्तरजीिी िाक्रदयों को बर्ा ििीं रिता िै, या एक मात्र
िादी या एक मात्र उत्तरजीिी िादी की मृत्यु िो जाती िै, और िाद लािे का असिकार बर्ा रिता िै ििां इि सिसमत्त आिेदि क्रकए जािे
पर न्यायालय मृत िादी के सिसिक प्रसतसिसि को पिकार बििाएगा और िाद में अग्रिर िोगा ।
(2) जिां सिसि द्वारा पटरिीसमत िमय के िीतर कोई आिेदि उपसियम (1) के अिीि ििीं क्रकया जाता िै ििां िाद का
उपशमि ििां तक िो जाएगा जिां तक मृत िादी का िंबंि िै और प्रसतिादी के आिेदि पर न्यायालय उि िर्ों को उिके पि में
असिसिर्ीत कर िके गा जो उििे िाद की प्रसतिा में उपगत क्रकए िों और िे मृत िादी की िम्पदा िे ििपल क्रकए जाएंगे ।
4. कई प्रसतिाक्रदयों में िे एक या एकमात्र प्रसतिादी की मृत्यु की दशा में प्रक्रिया—(1) जिां दो या असिक प्रसतिाक्रदयों में िे
एक की मृत्यु िो जाती िै और िाद लािे का असिकार अके ले उत्तरजीिी प्रसतिादी के या अके ले उत्तरजीिी प्रसतसिक्रदयों के सिरुद्ध बर्ा
ििीं रिता िै या एकमात्र प्रसतिादी या एकमात्र उत्तरजीिी प्रसतिादी का मृत्यु िो जाती िै और िाद लािे का असिकार बर्ा रिता िै
ििां उि सिसमत्त क्रकए गए आिेदि पर न्यायालय मृत प्रसतिादी के सिसिक प्रसतसिसि को पिकार बििाएगा और िाद में अग्रिर िोगा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 72 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
146

(2) इि प्रकार पिकार बिाया गया कोई िी व्यसक्त जो मृत प्रसतिादी के सिसिक प्रसतसिसि के िाते अपिी िैसियत के सलए
िमुसर्त प्रसतरिा कर िके गा ।
(3) जिां सिसि द्वारा पटरिीसमत िमय के िीतर कोई आिेदि उपसियम (1) के अिीि ििीं क्रकया जाता िै ििां िाद का, जिां
तक िि मृत प्रसतिादी के सिरुद्ध िै, उपशमि िो जाएगा ।
[(4) न्यायालय, जब किी िि ठीक िमझे, िादी को क्रकिी ऐिे प्रसतिादी के जो सलसित कथि फाइल करिे में अिफल रिा िै
1

या जो उिे फाइल कर देिे पर, िुििाई के िमय उपिंजात िोिे में और प्रसतिाद करिे में अिफल रिा िै, सिसिक प्रसतसिसि को
प्रसतस्थासपत करिे की आिश्यकता िे छप ट दे िके गा और ऐिे मामले में सिर्चय उक्त प्रसतिादी के सिरुद्ध उि प्रसतिादी की मृत्यु िो जािे
पर िी िुिाया जा िके गा और उिका ििी बल और प्रिाि िोगा मािो िि मृत्यु िोिे के पपिच िुिाया गया िो ।
(5) जिां—
(क) िादी, प्रसतिादी की मृत्यु िे अिसिज्ञ था और उि कारर् िे िि इि सियम के अिीि प्रसतिादी के सिसिक
प्रसतसिसि का प्रसतस्थापि करिे के सलए आिेदि, परीिीमा असिसियम, 1963 (1963 का 36) में सिसिर्दचष्ट अिसि के िीतर
ििीं कर िकता था और सजिके पटरर्ामस्िरूप िाद का उपशमि िो गया िै; और
(ि) िादी, परीिीमा असिसियम, 1963 (1963 का 36) में इिके सलए सिसिर्दचष्ट अिसि के अििाि के पश्र्ात,
उपशमि अपास्त करिे के सलए आिेदि करता िै और उि असिसियम की िारा 5 के अिीि उि आिेदि को इि आिार पर
ग्रिर् क्रकए जािे के सलए िी आिेदि करता िै क्रक ऐिी अिसिज्ञता के कारर् उक्त असिसियम में सिसिर्दचष्ट अिसि के िीतर
उिके आिेदि ि करिे के सलए उिके पाि पयाचप्त कारर् था,
ििां न्यायालय उक्त िारा 5 के अिीि आिेदि पर सिर्ार करते िमय ऐिी अिसिज्ञता के तथ्य पर, यक्रद िासबत िो जाता िै तो,
िम्यक ध्याि देगा ।]
[4क. सिसिक प्रसतसिसिक ि िोिे की दशा में प्रक्रिया—(1) यक्रद क्रकिी िाद में न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक ऐिे
1

क्रकिी पिकार का सजिकी मृत्यु िाद के लसम्बत रििे के दौराि िो गई िै, कोई सिसिक प्रसतसिसि ििीं िै तो न्यायालय िाद के क्रकिी
पिकार के आिेदि पर, मृत व्यसक्त की िम्पदा का प्रसतसिसित्ि करिे िाले व्यसक्त की अिुपसस्थसत में कायचिािी कर िके गा या आदेश
द्वारा, मिाप्रशािक या न्यायालय के क्रकिी असिकारी या क्रकिी ऐिे अन्य व्यसक्त को सजिको िि मृत व्यसक्त की िम्पदा का
प्रसतसिसित्ि करिे के सलए ठीक िमझता िै, िाद के प्रयोजि के सलए सियुक्त कर िके गा, और िाद में तत्पश्र्ात क्रदया गया कोई सिर्चय
या क्रकया गया कोई आदेश मृत व्यसक्त की िम्पदा को उिी िीमा तक आबद्ध करे गा सजतिा क्रक िि तब करता जब मृत व्यसक्त का सिजी
प्रसतसिसि िाद में पिकार रिा िोता ।
(2) न्यायालय इि असिसियम के अिीि आदेश करिे के पपिच,--
(क) यि अपेिा कर िके गा क्रक मृत व्यसक्त की िम्पदा में सित रििे िाले ऐिे व्यसक्तयों को (यक्रद कोई िों) सजिको
न्यायालय ठीक िमझता िै, आदेश के सलए आिेदि की िपर्िा दी जाए; और
(ि) यि असिसिसश्र्त करे गा क्रक सजि व्यसक्त को मृत व्यसक्त की िम्पदा का प्रसतसिसित्ि करिे के सलए सियुक्त
क्रकया जािा प्रस्थासपत िै, िि इि प्रकार सियुक्त क्रकए जािे के सलए रजामंद िै और िि मृत व्यसक्त के सित के प्रसतकप ल कोई
सित ििीं रिता िै ।]
5. सिसिक प्रसतसिसि के बारे में प्रश्ि का अििारर्—जिां इि िम्बन्ि में प्रश्ि उद्िपत िोता िै क्रक कोई व्यसक्त मृत िादी या
मृत प्रसतिादी का सिसिक प्रसतसिसि िै या ििीं ििां ऐिे प्रश्ि का अििारर् न्यायालय द्वारा क्रकया जाएगाः
[परन्तु जिां ऐिा प्रश्ि अपील न्यायालय के िमि उद्िपत िोता िै ििां िि न्यायालय प्रश्ि का अििारर् करिे के पपिच क्रकिी
1

अिीिस्थ न्यायालय को यि सिदेश दे िके गा क्रक िि उि प्रश्ि का सिर्ारर् करे और असिलेिों को, जो ऐिे सिर्ारर् के िमय
असिसलसित क्रकए गए िाक्ष्य के , यक्रद कोई िो, अपिे सिष्कषच के और उिके कारर्ों के िाथ िापि करे , और अपील न्यायालय उि प्रश्ि
का अििारर् करिे में उन्िें ध्याि में रि िके गा ।]
6. िुििाई के पश्र्ात मृत्यु िो जािे िे उपशमि ि िोिा—पपिचगामी सियमों में क्रकिी बात के िोते हुए िी, र्ािे िाद िेतुक
बर्ा िो या ि बर्ा िो, िुििाई की िमासप्त और सिर्चय के िुिािे के बीर् िाले िमय में क्रकिी िी पिकार की मृत्यु के कारर् कोई िी
उपशमि ििीं िोगा, क्रकन्तु ऐिी दशा में मृत्यु िो जािे पर िी, सिर्चय िुिाया जा िके गा और उिका ििी बल और प्रिाि िोगा मािो
िि मृत्यु िोिे के पपिच िुिाया गया िो ।
7. स्त्री पिकार के सििाि के कारर् िाद का उपशमि ि िोिा—(1) स्त्री िादी या स्त्री प्रसतिादी का सििाि िाद का
उपशमि ििीं करे गा, क्रकन्तु ऐिा िो जािे पर िी िाद सिर्चय तक अग्रिर क्रकया जा िके गा और जिां स्त्री प्रसतिादी के सिरुद्ध सडिी िै
ििां िि उि अके ली के सिरुद्ध सिष्पाक्रदत की जा िके गी ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 73 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
147

(2) जिां पसत अपिी पत्िी के ऋर्ों के सलए सिसि द्वारा दायी िै ििां सडिी न्यायालय की अिुज्ञा िे पसत के सिरुद्ध िी
सिष्पाक्रदत की जा िके गी, और पत्िी के पि में हुए सिर्चय की दशा में सडिी का सिष्पादि उि दशा में सजिमें क्रक पसत सडिी की
सिषयिस्तु के सलए सिसि द्वारा िकदार िै, ऐिी अिुज्ञा िे पसत के आिेदि पर क्रकया जा िके गा ।
8. िादी का क्रदिाला कब िाद का िजचि कर देता िै —(1) क्रकिी ऐिे िाद में सजिे िमिुदसे शती या टरिीिर िादी के लेिदारों
के फायदे के सलए र्ला िकता िै, िाद का उपशमि िादी के क्रदिाले िे उि दशा में के सििाय ििीं िोगा सजिमें क्रक ऐिा िमिुदसे शती
या टरिीिर ऐिे िाद को र्ालप रििे िे इन्कार कर दे या (जब तक क्रक न्यायालय क्रकिी सिशेष कारर् िे अन्यथा सिर्दचष्ट ि करे ) उि
िाद के िर्ों के सलए प्रसतिपसत ऐिे िमय के िीतर जो न्यायालय सिर्दचष्ट करे , देिे िे इन्कार कर दे ।
(2) जिां िमिुदसे शती िाद र्ालप रििे या प्रसतिपसत देिे में अिफल रिता िै ििां प्रक्रिया—जिां िमिुदसे शती या टरिीिर िाद
र्ालप रििे और ऐिे आक्रदष्ट िमय के िीतर ऐिी प्रसतिपसत देिे की उपेिा करता िै या देिे िे इन्कार करता िै ििां प्रसतिादी िाद को
िादी के क्रदिाले के आिार पर िाटरज करािे के सलए आिेदि कर िके गा और न्यायालय िाद को िाटरज करिे िाला और प्रसतिादी को
िे िर्े सजन्िें उििे अपिी प्रसतरिा करिे में उपगत क्रकया िै, असिसिर्ीत करिे िाला आदेश कर िके गा और ये िर्े ऋर् के तौर पर
िादी िंपदा के सिरुद्ध िासबत क्रकए जाएंगे ।
9. उपशमि या िाटरज िोिे का प्रिाि—(1) जिां िाद का इि आदेश के अिीि उपशमि िो जाता िै या िि िाटरज क्रकया
जाता िै ििां कोई िी िया िाद, उिी िाद िेतुक पर ििीं लाया जाएगा ।
(2) िादी या मृत िादी का सिसिक प्रसतसिसि िोिे का दािा करिे िाला व्यसक्त या क्रदिासलया िादी की दशा में उिका
िमिुदसे शती या टरिीिर, उपशमि या िाटरजी अपास्त करिे िाले आदेश के सलए आिेदि कर िके गा और यक्रद यि िासबत कर क्रदया
जाता िै क्रक िाद र्ालप रििे िे िि क्रकिी पयाचप्त िेतुक िे सििाटरत रिा था तो न्यायालय िर्े के बारे में ऐिे सिबन्ििों पर या अन्यथा
जो िि ठीक िमझे, उपशमि या िाटरजी अपास्त करे गा ।
(3) 1[इसण्डयि सलसमटेशि ऐक्ट, 1877 (1877 का 15) की िारा 5 के उपबन्ि उपसियम (2) के अिीि आिेदिों को
लागप िोंगे ।]
[स्पष्टीकरर्—इि सियम की क्रकिी बात का अथच ििीं लगाया जाएगा क्रक िि क्रकिी पश्र्ात्िती िाद में ऐिे तथ्यों पर
2

आिाटरत प्रसतरिा का िजचि करती िै जो उि िाद में िाद िेतुक बिते थे सजिका इि आदेश के अिीि उपशमि िो गया िै या जो
िाटरज कर क्रदया गया िै ।]
10. िाद में असन्तम आदेश िोिे के पपिच िमिुदेशि की दशा में प्रक्रिया—(1) िाद के लसम्बत रििे के दौराि क्रकिी सित के
िमिुदश े ि, िृजि या न्यागमि की अन्य दशाओं में, िाद न्यायालय की इजाजत िे उि व्यसक्त द्वारा या उिके सिरुद्ध र्ालप रिा जा
िके गा सजिको ऐिा सित प्राप्त या न्यागत हुआ िै ।
(2) क्रकिी सडिी की अपील के लसम्बत रििे के दौराि उि सडिी की कु की के बारे में यि िमझा जाएगा क्रक िि ऐिा सित िै
सजििे िि व्यसक्त सजििे ऐिी कु की कराई थी, उपसियम (1) का फायदा उठािे का िकदार िो गया िै ।
[10क. न्यायालय को क्रकिी पिकार की मृत्यु िंिसप र्त करिे के सलए प्लीडर का कतचव्य —िाद में पिकार की ओर िे
2

उपिंजात िोिे िाले प्लीडर को जब किी यि जािकारी प्राप्त िो क्रक उि पिकार की मृत्यु िो गई िै तो िि न्यायालय को इिकी
इसत्तला देगा और तब न्यायालय ऐिी मृत्यु की िपर्िा दपिरे पिकार को देगा और इि प्रयोजि के सलए प्लीडर और मृत पिकार के बीर्
हुई िंसिदा असस्तत्ि में मािी जाएगी ।]
11. आदेश का अपीलों को लागप िोिा—इि आदेश को अपीलों को लागप करिे में जिां तक िो िके , “िादी” शब्द के अन्तगचत
अपीलाथी, “प्रसतिादी” शब्द के अन्तगचत प्रत्यथी और “िाद” शब्द के अंतगचत अपील िमझी जाएगी ।
12. आदेश का कायचिासियों को लागप िोिा—सियम 3, सियम 4 और सियम 8 की कोई िी बात क्रकिी सडिी या आदेश के
सिष्पादि की कायचिासियों को लागप ििीं िोगी ।
आदेश 23

िादों का प्रत्यािरर् और िमायोजि


3
[1. िाद का प्रत्यािरर् या दािे के िाग का पटरत्याग—(1) िाद िंसस्थत क्रकए जािे के पश्र्ात क्रकिी िी िमय िादी ििी
प्रसतिाक्रदयों या उिमें िे क्रकिी के सिरुद्ध अपिे िाद का पटरत्याग या अपिे दािे के िाग का पटरत्याग कर िके गा :
परन्तु जिां िादी अियस्क िै या ऐिा व्यसक्त िै, सजिे आदेश 32 के सियम 1 िे सियम 14 तक के उपबन्ि लागप िोते िैं ििां
न्यायालय की इजाजत सबिा ि तो िाद का और ि दािे के क्रकिी िाग का पटरत्याग क्रकया जाएगा ।

1
अब पटरिीमा असिसियम, 1963 (1963 का 36) की िारा 4 और 5 देसिए ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 73 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 74 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 1 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
148

(2) उपसियम (1) के परन्तुक के अिीि इजाजत के सलए आिेदि के िाथ िाद-समत्र का शपथपत्र देिा िोगा और यक्रद
प्रस्थासपत अियस्क या ऐिे अन्य व्यसक्त का प्रसतसिसित्ि प्लीडर द्वारा क्रकया जाता िै तो, प्लीडर को इि आशय का प्रमार्पत्र िी देिा
िोगा क्रक पटरत्याग उिकी राय में अियस्क या ऐिे अन्य व्यसक्त के फायदे के सलए िै ।
(3) जिां न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक—
(क) िाद क्रकिी प्ररूसपक त्रुटट के कारर् सिफल िो जाएगा, अथिा
(ि) िाद की सिषय-िस्तु या दािे के िाग के सलए िया िाद िंसस्थत करिे के सलए िादी को अिु ज्ञात करिे के
पयाचप्त आिार िैं,
ििां िि ऐिे सिबन्ििों पर सजन्िें िि ठीक िमझे, िादी को ऐिे िाद की सिषय-िस्तु या दािे के ऐिे िाग के िम्बन्ि में िया िाद
िंसस्थत करिे की स्ितंत्रता रिते हुए ऐिे िाद िे या दािे के ऐिे िाग िे अपिे को प्रत्याहृत करिे की अिुज्ञा दे िके गा ।
(4) जिां िादी—
(क) उपसियम (1) के अिीि क्रकिी िाद का या दािे के िाग का पटरत्याग करता िै, अथिा
(ि) उपसियम (3) में सिर्दचष्ट अिुज्ञा के सबिा िाद िे या दािे के िाग िे प्रत्याहृत कर लेता िै,
ििां िि ऐिे िर्े के सलए दायी िोगा जो न्यायालय असिसिर्ीत करे और िि ऐिी सिषय-िस्तु या दािे के ऐिे िाग के बारे में कोई
िया िाद िंसस्थत करिे िे प्रिाटरत िोगा ।
(5) इि सियम की क्रकिी बात के बारे में यि ििीं िमझा जाएगा क्रक िि न्यायालय को अिेक िाक्रदयों में िे एक िादी को
उपसियम (1) के अिीि िाद या दािे के क्रकिी िाग का पटरत्याग करिे या क्रकिी िाद या दािे का अन्य िाक्रदयों की ििमसत के सबिा
उपसियम (3) के अिीि प्रत्यािरर् करिे की अिुज्ञा देिे के सलए प्रासिकृ त करती िै ।]
[1क. प्रसतिाक्रदयों को िाक्रदयों के रूप में पिान्तरर् करिे की अिुज्ञा कब दी जाएगी—जिां सियम 1 के अिीि िादी द्वारा
1

िाद का प्रत्यािरर् या पटरत्याग क्रकया जाता िै और प्रसतिादी आदेश 1 के सियम 10 के अिीि िादी के रूप में पिान्तटरत क्रकए जािे के
सलए आिेदि करता िै ििां न्यायालय, ऐिे आिेदि पर सिर्ार करते िमय इि प्रश्ि पर िम्यक ध्याि देगा क्रक क्या आिेदक का कोई
ऐिा िारिाि प्रश्ि िै जो अन्य प्रसतिाक्रदयों में िे क्रकिी के सिरुद्ध सिसिश्र्य क्रकया जािा िै ।]
2. पटरिीमा सिसि पर पिले िाद का प्रिाि ििीं पडेगा—असन्तम पपिचिती सियम के अिीि दी गई अिुज्ञा पर िंसस्थत क्रकिी
िी िए िाद में िादी पटरिीमा सिसि द्वारा उिी रीसत िे आबद्ध िोगा मािो प्रथम िाद िंसस्थत ििीं क्रकया गया िो ।
3. िाद में िमझौता—जिां न्यायालय को िमािािप्रद रूप में यि िासबत कर क्रदया जाता िै क्रक िाद 2[पिकारों द्वारा
सलसित और िस्तािटरत क्रकिी सिसिपपर्च करार या िमझौते के द्वारा] पपर्चतः या िागतः िमायोसजत क्रकया जा र्ुका िै या जिां
प्रसतिादी िाद की पपरी सिषय-िस्तु के या उिके क्रकिी िाग के िम्बन्ि में िादी की तुसष्ट कर देता िै ििां न्यायालय ऐिे करार, िमझौते
या तुसष्ट के असिसलसित क्रकए जािे का आदेश करे गा और 2[जिां तक क्रक िि िाद के पिकारों िे िम्बसन्ित िै, र्ािे करार, िमझौते या
तुसष्ट की सिषय-िस्तु ििी िो या ि िो जो क्रक िाद की सिषय-िस्तु िै ििां तक तद्िुिार सडिी पाटरत करे गाः]
[परन्तु जिां एक पिकार द्वारा यि असिकथि क्रकया जाता िै और दपिरे पिकार द्वारा यि इं कार क्रकया जाता िै क्रक कोई
1

िमायोजि या तुसष्ट तय हुई थी ििां न्यायालय इि प्रश्ि का सिसिश्र्य करे गा, क्रकन्तु इि प्रश्ि के सिसिश्र्य के प्रयोजि के सलए क्रकिी
स्थगि की मंजपरी तब तक ििीं दी जाएगी जब तक क्रक न्यायालय, ऐिे कारर्ों िे जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, ऐिा स्थगि मंजपर करिा
ठीक ि िमझे ।]
[स्पष्टीकरर्—कोई ऐिा करार या िमझौता जो िारतीय िंसिदा असिसियम, 1872 (1872 का 9) के अिीि शपन्य या
1

शपन्यकरर्ीय िै, इि सियम के अथच में सिसिपपर्च ििीं िमझा जाएगा ।]


[3क. िाद का िजचि—कोई सडिी अपास्त करिे के सलए कोई िाद इि आिार पर ििीं लाया जाएगा क्रक िि िमझौता सजि
1

पर सडिी आिाटरत िै, सिसिपपर्च ििीं था ।


3ि. प्रसतसिसि िाद में कोई करार या िमझौता न्यायालय की इजाजत के सबिा प्रसिष्ट ि क्रकया जािा—(1) प्रसतसिसि िाद में
कोई करार या िमझौता न्यायालय की ऐिी इजाजत के सबिा जो कायचिािी में असिव्यक्त रूप िे असिसलसित िो, ििीं क्रकया जाएगा
और न्यायालय की इि प्रकार िे असिसलसित इजाजत के सबिा क्रकया गया ऐिा कोई करार या िमझौता शपन्य िोगा ।
(2) ऐिी इजाजत मंजपर करिे के पपिच न्यायालय ऐिी रीसत िे िपर्िा सजिे िि ठीक िमझे, ऐिे व्यसक्तयों को देगा सजिके बारे
में उिे यि प्रतीत िो क्रक िे िाद में सितबद्ध िैं ।
स्पष्टीकरर्—इि सियम में “प्रसतसिसि िाद” िे असिप्रेत िै,--

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 74 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 74 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
149

(क) िारा 91 या िारा 92 के अिीि िाद,


(ि) आदेश 1 के सियम 8 के अिीि िाद,
(ग) िि िाद सजिे सिन्दप असििक्त कु टु म्ब का कताच, कु टु म्ब के अन्य िदस्यों का प्रसतसिसित्ि करते हुए, र्लाता िै
या उिके सिरुद्ध र्लाया जाता िै,
(घ) कोई अन्य िाद सजिमें पाटरत सडिी इि िंसिता के या तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी अन्य सिसि के उपबन्िों के आिार
पर क्रकिी ऐिे व्यसक्त को, जो िाद में पिकार के रूप में िासमत ििीं िै, आबद्ध करता िो ।]
4. सडक्रियों के सिष्पादि की कायचिासियों पर प्रिाि ि पडिा—इि आदेश की कोई िी बात सडिी या आदेश के सिष्पादि की
कायचिासियों को लागप ििीं िोगी ।
आदेश 24

न्यायालय में जमा करिा


1. दािे की तुसष्ट में प्रसतिादी द्वारा रकम का सििेप—ऋर् या िुकिािी की ििपली के क्रकिी िी िाद में प्रसतिादी िाद के
क्रकिी िी प्रिम में न्यायालय में िि की ऐिी रासश का सििेप कर िके गा जो उिके सिर्ार में दािे की पपर्च तुसष्ट िो ।
2. सििेप की िपर्िा—सििेप की िपर्िा प्रसतिादी न्यायालय की माफच त िादी को देगा और सििेप की रकम (जब तक क्रक
न्यायालय अन्यथा सिर्दचष्ट ि करे ) िादी को उिके आिेदि पर दी जाएगी ।
3. सििेप पर ब्याज िपर्िा के पश्र्ात िादी को अिुज्ञात ििीं क्रकया जाएगा—प्रसतिादी द्वारा सिसिप्त की गई क्रकिी िी
रासश पर िादी को कोई िी ब्याज ऐिी िपर्िा की प्रासप्त की तारीि िे अिुज्ञात ििीं क्रकया जाएगा र्ािे सिसिप्त की गई रासश दािे की
पपर्च तुसष्ट करती िो या उििे कम िो ।
4. जिां िादी सििेप को िागतः तुसष्ट के तौर पर प्रसतगृिीत करता िै ििां प्रक्रिया—(1) जिां िादी ऐिी रकम को अपिे दािे
के के िल िाग की तुसष्ट के तौर पर प्रसतगृिीत करता िै ििां िि बाकी के सलए अपिा िाद आगे र्ला िके गा और यक्रद न्यायालय यि
सिसिश्र्य करता िै क्रक प्रसतिादी द्वारा क्रकया गया सििेप िादी के दािे की पपर्च तुसष्ट करता था तो सििेप के पश्र्ात िाद में उपगत
िर्ों को और उििे पपिच उपगत िर्ों को ििां तक िादी देगा जिां तक क्रक िे िादी के दािे में आसिक्य के कारर् हुए िैं ।
(2) जिां िि उिे पपर्च तुसष्ट के तौर पर प्रसतगृिीत करता िै ििां प्रक्रिया—जिां िादी ऐिी रकम को अपिे दािे की पपर्च तुसष्ट
के तौर पर प्रसतगृिीत करता िै ििां िि न्यायालय के िमि उि िाि का कथि उपसस्थत करे गा और ऐिा कथि फाइल क्रकया जाएगा
और न्यायालय तद्िुिार सिर्चय िुिाएगा और यि सिक्रदष्ट करिे में क्रक िर एक पिकार के िर्े क्रकिके द्वारा क्रदए जािे िैं न्यायालय इि
पर सिर्ार करे गा क्रक पिकारों में िे कौि िा पिकार मुकदमें के सलए ििाचसिक दोष का िागी िै ।
दृष्ांत
(क) क को ि के 100 रुपए देिे िैं । ि िे िंदाय के सलए कोई मांग ििीं की िै और िि यि सिश्वाि करिे का कारर् ि रिते
हुए क्रक मांग करिे िे जो देरी िोगी उििे िि असितकर सस्थसत में पड जाएगा, क पर ि उि रकम के सलए िाद लाता िै । िादपत्र
फाइल क्रकए जािे पर क न्यायालय में िि जमा कर देता िै । ि उिे अपिे दािे की पपर्च तुसष्ट के तौर पर प्रसतगृिीत करता िै क्रकन्तु
न्यायालय को उिे कोई िर्े अिुज्ञात ििीं करिे र्ासिएं, क्योंक्रक यि उपिारर्ा की जा िकती िै क्रक उिकी ओर िे िि मुकदमा
सिरािार था ।
(ि) दृष्ांत (क) में िर्र्चत पटरसस्थसतयों के अिीि ि पर क िाद लाता िै । िादपत्र के फाइल क्रकए जािे पर क दािे के सिरुद्ध
सििाद करता िै उिके पश्र्ात क न्यायालय में िि जमा करता िै । ि उिे अपिे दािे को पपर्च तुसष्ट के तौर पर प्रसतगृिीत करता िै ।
न्यायालय को र्ासिए क्रक िि ि को उिके िाद के िर्े क्रदलाए, क्योंक्रक क के आर्रर् िे दर्शचत िै क्रक मुकदमा आिश्यक था ।
(ग) क को ि के 100 रुपए देिे िैं और िि िाद के सबिा िि रासश उिे देिे को तैयार िै । ि 150 रुपए का दािा करता िै और
क पर उि रकम के सलए िाद लाता िै । िादपत्र के फाइल क्रकए जािे पर क 100 रुपए न्यायालय में जमा कर देता िै शेष 50 रुपए देिे
के अपिे दासयत्ि के बारे में िी सििाद करता िै । ि अपिे दािे की पपर्च तुसष्ट के तौर पर 100 रुपए प्रसतगृिीत करता िै । न्यायालय को
र्ासिए क्रक िि उिे क के िर्े देिे के सलए आदेश दे ।
आदेश 25
िर्ों के सलए प्रसतिपसत
[1. िादी िे िर्ों के सलए प्रसतिपसत कब अपेसित की जा िकती िै —(1) िाद के क्रकिी प्रिम में न्यायालय या तो स्ियं अपिी
1

प्रेरर्ा िे या क्रकिी प्रसतिादी के आिेदि पर, ऐिे कारर्ों िे जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, यि आदेश िादी को दे िके गा क्रक िि क्रकिी िी

1
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 14 द्वारा सियम 1 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
150

प्रसतिादी द्वारा उपगत और िंिितः उपगत क्रकए जािे िाले ििी िर्ों के िंदाय के सलए प्रसतिपसत न्यायालय द्वारा सिसश्र्त िमय के
िीतर देः
परन्तु ऐिा आदेश उि ििी मामलों में क्रकया जाएगा सजिमें न्यायालय को यि प्रतीत िो क्रक एकमात्र िादी या (जिां एक िे
असिक िादी िों ििां) ििी िादी िारत के बािर सििाि करते िों और ऐिे िादी के पाि या ऐिे िाक्रदयों में िे क्रकिी के िी पाि िारत
के िीतर िादान्तगचत िंपसत्त िे सिन्ि कोई िी पयाचप्त स्थािर िंपसत्त ििीं िै ।
(2) जो कोई िारत िे ऐिी पटरसस्थसतयों में र्ला जाता िै सजििे यि युसक्तयुक्त असििंिाव्यता िै क्रक जब किी उिे िर्े देिे
के सलए बुलाया जाएगा िि ििीं समलेगा तो उिके बारे में यि िमझा जाएगा क्रक िि उपसियम (1) के परन्तुक के अथच में िारत के बािर
सििाि करता िै ।]
2. प्रसतिपसत देिे में अिफल रििे का प्रिाि—(1) उि दशा में, सजिमें क्रक सियत िमय के िीतर ऐिी प्रसतिपसत ििीं दी जाती
िै, न्यायालय िाद को िाटरज करिे िाला आदेश करे गा, जब तक क्रक िादी या िाक्रदयों को उििे प्रत्याहृत िो जािे के सलए अिुज्ञा ि दे
दी गई िो ।
(2) जिां िाद इि सियम के अिीि िाटरज कर क्रदया गया िै ििां िादी िाटरजी अपास्त करािे के आदेश के सलए आिेदि कर
िके गा और यक्रद न्यायालय को िमािािप्रद रूप में यि िासबत कर क्रदया जाता िै क्रक िि अिुज्ञात िमय के िीतर प्रसतिपसत देिे िे क्रकिी
पयाचप्त िेतुक िे सििाटरत रिा िै तो न्यायालय प्रसतिपसत और िर्े िंबंिी ऐिे सिबन्ििों पर या अन्यथा, जो िि ठीक िमझे, िाटरजी
अपास्त करे गा और िाद में अग्रिर िोिे के सलए क्रदि सियत करे गा ।
(3) जब तक क्रक ऐिे आिेदि की िपर्िा की तामील प्रसतिादी पर ि कर दी गई िो िाटरजी अपास्त ििीं की जाएगी ।
आदेश 26

कमीशि
िासियों की परीिा करिे के सलए कमीशि
1. िे मामले सजिमें न्यायालय िािी की परीिा करिे के सलए कमीशि सिकाल िके गा—कोई िी न्यायालय क्रकिी िी िाद में
अपिी असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर सििाि करिे िाले क्रकिी ऐिे व्यसक्त की पटरप्रश्िों द्वारा या अन्यथा परीिा करिे के
सलए कमीशि सिकाल िके गा सजिे न्यायालय में िासजर िोिे िे इि िंसिता के अिीि छप ट समली िो या जो बीमारी या अंगशैसथल्य के
कारर् उिमें िासजर िोिे में अिमथच िोः
[परन्तु पटरप्रश्िों द्वारा परीिा के सलए कमीशि तब तक ििीं सिकाला जाएगा जब तक क्रक न्यायालय ऐिे कारर्ों िे जो
1

लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, ऐिा करिा आिश्यक ि िमझे ।


स्पष्टीकरर्—न्यायालय इि सियम के प्रयोजि के सलए, ऐिे प्रमार्पत्र को जो क्रकिी व्यसक्त की बीमारी या अंगशैसथल्य के
िाक्ष्य के रूप में क्रकिी रसजस्िीकृ त सर्क्रकत्िा व्यििायी द्वारा िस्तािर क्रकया गया तात्पर्यचत िै, सर्क्रकत्िा व्यििायी को िािी के रूप में
आहूत क्रकए सबिा स्िीकार कर िके गा ।]
2. कमीशि के सलए आदेश —िािी की परीिा करिे के सलए कमीशि सिकाले जािे के सलए आदेश न्यायालय या तो स्िप्रेरर्ा
िे या िाद के क्रकिी पिकार के या उि िािी के सजिकी परीिा की जािी िै, ऐिे आिेदि पर जो शपथपत्र द्वारा या अन्यथा िमर्थचत
िो, क्रकया जा िके गा ।
3. जिां िािी न्यायालय की असिकाटरता के िीतर सििाि करता िै —जो व्यसक्त कमीशि सिकालिे िाले न्यायालय की
असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर सििाि करता िै उिकी परीिा करिे के सलए कमीशि क्रकिी ऐिे व्यसक्त के िाम सिकाला
जा िके गा सजिे न्यायालय उिका सिष्पादि करिे के सलए ठीक िमझे ।
4. िे व्यसक्त सजिकी परीिा करिे के सलए कमीशि सिकाला जा िके गा—(1) कोई िी न्यायालय—
(क) अपिी असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं िे परे सििािी क्रकिी िी व्यसक्त की;
(ि) क्रकिी िी ऐिे व्यसक्त की जो ऐिी िीमाओं को उि तारीि िे पिले छोडिे िाला िै सजिको न्यायालय में
परीिा की जािे के सलए िि अपेसित िै; तथा
(ग) 2[िरकार की िेिा के क्रकिी िी ऐिे व्यसक्त] की सजिके बारे में न्यायालय की राय िै क्रक िि लोक िेिा का
अपाय क्रकए सबिा िासजर ििीं िो िकता,
3
[पटरप्रश्िों द्वारा या अन्यथा परीिा करिे के सलए] कमीशि क्रकिी िी िाद में सिकाल िके गाः

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 75 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
2
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िरकार के क्रकिी ऐिे सिसिल या िैसिक असिकारी” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 75 द्वारा (1-2-1977 िे) “परीिा करिे के सलए” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
151

जिां क्रकिी व्यसक्त को आदेश 16 के सियम 19 के अिीि न्यायालय में स्ियं िासजर िोिे के सलए मजबपर ििीं क्रकया
1[परन्तु

जा िकता िै ििां, उिका यक्रद िाक्ष्य न्याय के सित में आिश्यक िमझा जाए तो, उिकी परीिा के सलए कमीशि सिकाला जाएगाः
परन्तु यि और क्रक पटरप्रश्िों द्वारा ऐिे व्यसक्त की परीिा के सलए कमीशि तब तक ििीं सिकाला जाएगा जब तक क्रक
न्यायालय ऐिे कारर्ों िे जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे ऐिा करिा आिश्यक ि िमझे ।]
(2) ऐिा कमीशि उच्र् न्यायालय िे सिन्ि क्रकिी िी ऐिे न्यायालय के िाम सजिकी असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के
िीतर ऐिा व्यसक्त सििाि करता िै या क्रकिी िी प्लीडर या अन्य व्यसक्त के िाम, सजिे कमीशि सिकालिे िाला न्यायालय सियुक्त
करे , सिकाला जा िके गा ।
(3) न्यायालय कोई िी कमीशि इि सियम के अिीि सिकालिे पर यि सिदेश देगा क्रक कमीशि उि न्यायालय को या क्रकिी
अिीिस्थ न्यायालय को लौटाया जाएगा ।
2
[4क. न्यायालय की स्थािीय िीमाओं के िीतर सििाि करिे िाले क्रकिी व्यसक्त की परीिा के सलए कमीशि—इि सियमों
में क्रकिी बात के िोते हुए िी, कोई न्यायालय क्रकिी िाद में न्याय के सित में या मामले को शीघ्र सिपटािे के सलए या क्रकिी अन्य कारर्
िे अपिी असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर सििाि करिे िाले क्रकिी व्यसक्त की पटरप्रश्ि पर या अन्यथा परीिा के सलए
कमीशि सिकाल िके गा और इि प्रकार असिसलसित िाक्ष्य को िाक्ष्य में पढ़ा जाएगा ।]
5. जो िािी िारत के िीतर ििीं िै उिकी परीिा करिे के सलए कमीशि या अिुरोिपत्र—जिां क्रकिी ऐिे न्यायालय का
सजिको क्रकिी ऐिे स्थाि में सििाि करिे िाले व्यसक्त की जो 3[िारत] के िीतर का स्थाि ििीं िै, परीिा करिे का कमीशि सिकालिे
के सलए आिेदि क्रकया गया िै, िमािाि िो जाता िै क्रक ऐिे व्यसक्त का िाक्ष्य आिश्यक िै ििां न्यायालय ऐिा कमीशि सिकाल िके गा
या अिुरोिपत्र िेज िके गा ।
6. कमीशि के अिुिरर् में न्यायालय िािी की परीिा करे गा—क्रकिी व्यसक्त की परीिा करिे के सलए कमीशि प्राप्त करिे
िाला िर न्यायालय उिके अिुिरर् में उि व्यसक्त की परीिा करे गा या कराएगा ।
7. िासियों के असििाक्ष्य के िाथ कमीशि का लौटाया जािा—जिां कमीशि का िम्यक रूप िे सिष्पादि कर क्रदया गया िै
ििां िि उिके अिीि सलए गए िाक्ष्य िसित उि न्यायालय को सजििे उिे सिकाला था, उि दशा के सििाय लौटा क्रदया जाएगा सजिमें
क्रक कमीशि सिकालिे िाले आदेश द्वारा अन्यथा सिर्दचष्ट क्रकया गया िो और उि दशा में कमीशि ऐिे आदेश के सिबन्ििों के अिुिार
लौटाया जाएगा और कमीशि और उिके िाथ िाली सििरर्ी और उिके अिीि क्रदया गया िाक्ष्य 4[(सियम 8 के उपबन्िों के अिीि
रिते हुए)] िाद के असिलेि का िाग िोंगे ।
8. असििाक्ष्य कब िाक्ष्य में ग्रिर् क्रकया जा िके गा—कमीशि के अिीि सलया गया िाक्ष्य िाद में िाक्ष्य के तौर पर उि
पिकार की ििमसत के सबिा सजिके सिरुद्ध िि क्रदया गया िै, उि दशा के सििाय ग्रिर् ििीं क्रकया जाएगा, सजिमें क्रक—
(क) िि व्यसक्त सजििे िाक्ष्य क्रदया िै, न्यायालय की असिकाटरता के परे िै या उिकी मृत्यु िो गई िै या िि
बीमारी या अगंशैसथल्य के कारर् िैयसक्तक रूप िे परीिा की जािे के सलए िासजर िोिे में अिमथच िै या न्यायालय में स्िीय
उपिंजासत िे छप ट पाया हुआ िै या 5[िरकार की िेिा में का ऐिा व्यसक्त] िै सजिके बारे में न्यायालय की राय िै क्रक िि लोक
िेिा का अपाय क्रकए सबिा िासजर ििीं िो िकता; अथिा
(ि) न्यायालय िण्ड (क) में िर्र्चत पटरसस्थसतयों में िे क्रकिी के िासबत क्रकए जािे िे असिमुसक्त स्िसििेकािुिार दे
देता िै और क्रकिी व्यसक्त के िाक्ष्य को िाद में िाक्ष्य के तौर पर ग्रिर् क्रकया जािा, इि िबपत के िोते हुए िी क्रक कमीशि के
माध्यम द्वारा ऐिा िाक्ष्य लेिे का िेतुक उिके ग्रिर् क्रकए जािे के िमय जाता रिा िै, प्रासिकृ त कर देता िै ।
स्थािीय अन्िेषर्ों के सलए कमीशि
9. स्थािीय अन्िेषर् करिे के सलए कमीशि—क्रकिी िी िाद में सजिमें न्यायालय सििाद में के क्रकिी सिषय के सिशदीकरर् के
या क्रकिी िंपसत्त के बाजार-मपल्य के या क्रकन्िीं अन्तःकालीि लािों या िुकिािी या िार्षचक शुद्ध लािों की रकम के असिसिश्र्यि के
प्रयोजि के सलए स्थािीय अन्िेषर् करिा, अपेिर्ीय या उसर्त िमझता िै, न्यायालय ऐिे व्यसक्त के िाम सजिे िि ठीक िमझे, ऐिा
अन्िेषर् करिे के सलए और उि पर न्यायालय को टरपोटच देिे के सलए उिे सिदेश देते हुए कमीशि सिकाल िके गाः
परन्तु जिां राज्य िरकार िे उि व्यसक्तयों के बारे में सियम बिा क्रदए िैं सजिके िाम ऐिा कमीशि सिकाला जा िके गा ििां
न्यायालय ऐिे सियमों िे आबद्ध िोगा ।
10. कसमश्िर के सलए प्रक्रिया—(1) कसमश्िर ऐिे स्थािीय सिरीिर् के पश्र्ात जो िि आिश्यक िमझे और अपिे द्वारा सलए
गए िाक्ष्य को लेिबद्ध करिे के पश्र्ात अपिे द्वारा िस्तािटरत अपिी सलसित टरपोटच िसित ऐिे िाक्ष्य को न्यायालय को लौटाएगा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 75 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
2
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 29 द्वारा (1-7-2002 िे) अंतःस्थासपत ।
3
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 75 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िरकार का कोई ऐिा सिसिल या िैसिक असिकारी” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
152

(2) टरपोटच और असििाक्ष्य िाद में िाक्ष्य िोंगे—कसमश्िर की टरपोटच और उिके द्वारा सलया गया िाक्ष्य (ि क्रक िाक्ष्य टरपोटच
के सबिा) िाद में िाक्ष्य िोगा और असिलेि का िाग िोगा, क्रकन्तु न्यायालय या न्यायालय की अिुज्ञा िे िाद में के पिकारों में िे कोई
िी पिकार, कसमश्िर की िैयसक्तक रूप िे परीिा िुले न्यायालय में उि बातों में िे क्रकिी के बारे में जो उिे सिदेसशत की गई थी या
सजिका िर्चि उिकी टरपोटच के बारे में या उि रीसत के बारे में सजिमें उििे अन्िेषर् क्रकया िै, कर िके गा ।
(3) कसमश्िर की िैयसक्तक रूप िे परीिा की जा िके गी—जिां न्यायालय क्रकिी कारर् िे कसमश्िर की कायचिासियों िे
अिंतुष्ट िै ििां िि ऐिी असतटरक्त जांर् करिे के सलए सिदेश दे िके गा जो िि ठीक िमझे ।
1
[िैज्ञासिक अन्िेषर्, अिुिसर्िीय कायच करिे और जंगम िम्पसत्त के सििय के सलए कमीशि
10क. िैज्ञासिक अन्िेषर् के सलए कमीशि—(1) जिां िाद में उद्िपत िोिे िाले क्रकिी प्रश्ि में कोई ऐिा िैज्ञासिक अन्िेषर्
अन्तग्रचस्त िै जो न्यायालय की राय में न्यायालय के िमि िुसििापपिचक ििीं क्रकया जा िकता िै ििां न्यायालय, यक्रद िि न्याय के सित
में ऐिा करिा आिश्यक या िमीर्ीि िमझे तो ऐिे व्यसक्त के िाम सजिे िि ठीक िमझे, कमीशि उिे यि सिदेश देते हुए सिकाल
िके गा क्रक िि ऐिे प्रश्ि की जांर् करे और उिकी टरपोटच न्यायालय को दे ।
(2) इि आदेश के सियम 10 के उपबन्ि इि सियम के अिीि सियुक्त कसमश्िर के िम्बन्ि में जिां तक िो िके उिी प्रकार
लागप िोंगे सजि प्रकार िे सियम 9 के अिीि सियुक्त कसमश्िर के िम्बन्ि में लागप िोते िैं ।
10ि. अिुिसर्िीय कायच करिे के सलए कमीशि—(1) जिां िाद में उद्िपत िोिे िाले क्रकिी प्रश्ि में कोई ऐिा अिुिसर्िीय
कायच करिा अन्तग्रचस्त िै जो न्यायालय की राय में न्यायालय के िमि िुसििापपिचक ििीं क्रकया जा िकता िै, ििां न्यायालय, ऐिे कारर्ों
िे जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, यक्रद न्यायालय की यि राय िो क्रक न्याय के सित में ऐिा करिा आिश्यक या िमीर्ीि िै तो, ऐिे व्यसक्त के
िाम सजिे िि ठीक िमझे, कमीशि उिे यि सिदेश देते हुए सिकाल िके गा क्रक िि उि अिुिसर्िीय कायच को करे और उिकी टरपोटच
न्यायालय को दे ।
(2) इि आदेश के सियम 10 के उपबन्ि इि सियम के अिीि सियुक्त कसमश्िर के िम्बन्ि में उिी प्रकार लागप िोंगे सजि
प्रकार िे सियम 9 के अिीि सियुक्त कसमश्िर के िम्बन्ि में लागप िोते िैं ।
10ग. जंगम िंपसत्त के सििय के सलए कमीशि—(1) जिां क्रकिी िाद में क्रकिी ऐिी जंगम िंपसत्त का जो िाद के अििारर् के
लसम्बत रििे के दौराि न्यायालय की असिरिा में िै और जो िुसििापपिचक पटररसित ििीं की जा िकती िै सििय करिा आिश्यक िो
जाता िै, ििां न्यायालय ऐिे कारर्ों िे जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे यक्रद न्यायालय की यि राय िो क्रक न्याय के सित में ऐिा करिा
आिश्यक या िमीर्ीि िै तो, ऐिे व्यसक्त के िाम सजिे िि ठीक िमझे, कमीशि उिे यि सिदेश देते हुए सिकाल िके गा क्रक िि ऐिे
सििय का िंर्ालि करे और उिकी टरपोटच न्यायालय को दे ।
(2) इि आदेश के सियम 10 के उपबन्ि इि सियम के अिीि सियुक्त कसमश्िर के िम्बन्ि में उिी प्रकार लागप िोंगे सजि
प्रकार िे सियम 9 के अिीि सियुक्त कसमश्िर के िम्बन्ि में लागप िोते िैं ।
(3) ऐिा प्रत्येक सििय जिां तक िो िके सडिी के सिष्पादि में जंगम िंपसत्त के सििय के सलए सिसित प्रक्रिया के अिुिार
क्रकया जाएगा ।]
लेिाओं की परीिा करिे के सलए कमीशि
11. लेिाओं की परीिा या िमायोजि करिे के सलए कमीशि—न्यायालय ऐिे क्रकिी िी िाद में सजिमें लेिाओं की परीिा
या िमायोजि आिश्यक िै, ऐिी परीिा या िमायोजि करिे के सलए ऐिे व्यसक्त के िाम उिे सिदेश देते हुए सजिे िि ठीक िमझे
कमीशि सिकाल िके गा ।
12. न्यायालय कसमश्िर को आिश्यक अिुदश े देगा—(1) न्यायालय कसमश्िर को कायचिासियों को ऐिा िाग और ऐिे अिुदश े
देगा जो आिश्यक िों और ऐिे अिुदश े ों में यि स्पष्टतया सिसिर्दचष्ट िोगा क्रक क्या कसमश्िर के िल उि कायचिासियों को पारे सषत करे
सजन्िें िि ऐिी जांर् में करता िै या उि बात के बारे में अपिी राय की िी टरपोटच करे जो उिकी परीिा के सलए सिदेसशत की
गई िै ।
(2) कायचिासियां और टरपोटच िाक्ष्य िोंगी । न्यायालय असतटरक्त जांर् सिक्रदष्ट कर िके गा—कसमश्िर की कायचिासियां और
टरपोटच (यक्रद कोई िो) िाद में िाक्ष्य िोंगी, क्रकन्तु जिां न्यायालय के पाि उििे अिन्तुष्ट िोिे के सलए कारर् िैं ििां िि ऐिी असतटरक्त
जांर् सिक्रदष्ट कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
सििाजि करिे के सलए कमीशि
13. स्थािर िंपसत्त का सििाजि करिे के सलए कमीशि—जिां सििाजि करिे के सलए प्रारसम्िक सडिी पाटरत की गई िै ििां
न्यायालय क्रकिी िी मामले में सजिके सलए िारा 54 द्वारा उपबन्ि ििीं क्रकया गया िै, ऐिी सडिी में घोसषत असिकारों के अिु िार
सििाजि या पृथक्करर् करिे के सलए ऐिे व्यसक्त के िाम सजिे िि ठीक िमझे कमीशि सिकाल िके गा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 75 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
153

14. कसमश्िर की प्रक्रिया—(1) कसमश्िर ऐिी जांर् करिे के पश्र्ात जो आिश्यक िो, िम्पसत्त को उतिे अंशों में सििासजत
करे गा सजतिे उि आदेश द्वारा सिक्रदष्ट िों सजिके अिीि कमीशि सिकाला गया था और ऐिे अंशों का पिकारों में आिंटि कर देगा और
यक्रद उिे उक्त आदेश द्वारा ऐिा करिे के सलए प्रासिकृ त क्रकया जाता िै तो िि अंशों के मपल्य को बराबर करिे के प्रयोजि के सलए दी
जािे िाली रासशयां असिसिर्ीत कर िके गा ।
(2) तब िर एक पिकार का अंश सियत करके और (यक्रद उक्त आदेश द्वारा ऐिा करिे के सलए सिदेश क्रदया जाता िै) तो िर
एक अंश को माप और िीमांकि करके कसमश्िर अपिी टरपोटच तैयार और िस्तािटरत करे गा या (जिां कमीशि एक िे असिक व्यसक्तयों
के िाम सिकाला गया था और िे परस्पर ििमत ििीं िो िके िैं ििां) कसमश्िर पृथक-पृथक टरपोटच तैयार और िस्तािटरत करें गे । ऐिी
टरपोटच या ऐिी टरपोटें कमीशि के िाथ उपाबद्ध की जाएंगी और न्यायालय को पारे सषत की जाएंगी और पिकार जो कोई आिेप टरपोटच
या टरपोटों पर करे , न्यायालय उन्िें िुििे के पश्र्ात उिे या उन्िें पुष्ट, उिमें या उिमें फे रफार या उिे या उन्िें अपास्त करे गा ।
(3) जिां न्यायालय टरपोटच या टरपोटों को पुष्ट करता िै या उिमें या उिमें फे रफार करता िै ििां िि उिके पुष्ट या फे रफार
क्रकए गए रूप के अिुिार सडिी पाटरत करे गा क्रकन्तु जिां न्यायालय टरपोटच या टरपोटों को अपास्त कर देता िै ििां िि या तो िया
कमीशि सिकालेगा या ऐिा अन्य आदेश करे गा जो िि ठीक िमझे ।
िािारर् उपबन्ि
15. कमीशि के व्यय न्यायालय में जमा क्रकए जाएंगे—न्यायालय इि आदेश के अिीि कोई कमीशि सिकालिे िे पपिच आदेश दे
िके गा क्रक ऐिी रासश (यक्रद कोई िो) जो िि कमीशि के व्ययों के सलए युसक्तयुक्त िमझे, सियत क्रकए जािे िाले िमय के िीतर
न्यायालय में उि पिकार द्वारा जमा की जाए सजिकी प्रेरर्ा पर या सजिके फायदे के सलए कमीशि सिकाला जािा िै ।
16. कसमश्िरों की शसक्तयां—इि आदेश के अिीि सियुक्त कोई िी कसमश्िर उि दशा के सििाय सजिमें सियुसक्त के आदेश
द्वारा उिे अन्यथा सिक्रदष्ट क्रकया गया िो,--
(क) स्ियं पिकारों की और ऐिे िािी की सजिे िे या उिमें िे कोई पेश करे और क्रकिी ऐिे अन्य व्यसक्त की, सजिे
कसमश्िर अपिे को सिदेसशत मामले में िाक्ष्य देिे के सलए बुलािा ठीक िमझे, परीिा कर िके गा;
(ि) जांर् के सिषय िे िुिंगत दस्तािेजों और अन्य र्ीजों को मंगिा िके गा और उिकी परीिा कर िके गा;
(ग) आदेश में िर्र्चत क्रकिी िी िपसम में या सिमाचर् के िीतर क्रकिी युसक्तयुक्त िमय पर प्रिेश कर िके गा ।
[16क. िे प्रश्ि सजि पर कसमश्िर के िमि आिेप क्रकया जाता िै—(1) जिां इि आदेश के अिीि सियुक्त कसमश्िर के िमि
1

कायचिासियों में िािी िे पपछे गए क्रकिी प्रश्ि पर क्रकिी पिकार या उिके प्लीडर द्वारा आिेप क्रकया जाता िै, ििां कसमश्िर प्रश्ि,
उत्तर, आिेपों को और इि प्रकार आिेप करिे िाले, यथासस्थसत, पिकार या प्लीडर का िाम सलिेगाः
परन्तु कसमश्िर क्रकिी ऐिे प्रश्ि का सजि पर सिशेषासिकार के आिार पर आिेप क्रकया जाता िै, उत्तर ििीं सलिेगा क्रकन्तु िि
िािी की परीिा सिशेषासिकार का प्रश्ि न्यायालय द्वारा सिसिसश्र्त करािे के सलए पिकार पर छोडते हुए, जारी रि िकता िै और
जिां न्यायालय सिसिश्र्य करता िै क्रक सिशेषासिकार का कोई प्रश्ि ििीं िै ििां िािी को कसमश्िर द्वारा पुिः बुलाया जा िकता िै
और उिके द्वारा परीिा की जा िकती िै या न्यायालय द्वारा उि प्रश्ि की बाबत सजि पर आिेप सिशेषासिकार के आिार पर क्रकया
गया था, िािी की परीिा की जा िकती िै ।
(2) उपिसयम (1) के अिीि सलिे गए क्रकिी उत्तर को िाद में िाक्ष्य के रूप में न्यायालय के आदेश के सबिा ििीं
पढ़ा जाएगा ।]
17. कसमश्िर के िमि िासियों की िासजरी और उिकी परीिा—(1) िासियों को िमि करिे, िासियों की िासजरी और
िासियों की परीिा िम्बन्िी और िासियों के पाटरश्रसमक और उि पर असिरोसपत की जािे िाली शासस्तयों िम्बन्िी इि िंसिता के
उपबन्ि उि व्यसक्तयों को लागप िोंगे सजििे िाक्ष्य देिे की या दस्तािेजें पेश करिे की अपेिा इि आदेश के अिीि की गई िै, र्ािे िि
कमीशि सजिका सिष्पादि करिे में उििे ऐिी अपेिा की गई िै, 2[िारत] की िीमाओं के िीतर सस्थत न्यायालय द्वारा या 2[िारत] की
िीमाओं िे परे सस्थत न्यायालय द्वारा सिकाला गया िो और कसमश्िर के बारे में इि सियम के प्रयोजिों के सलए यि िमझा जाएगा क्रक
िि सिसिल न्यायालय िैः
[परन्तु जब कसमश्िर सिसिल न्यायालय का न्यायािीश ििीं िै तब िि शासस्तयां असिरोसपत करिे के सलए ििम ििीं िोगा,
1

क्रकन्तु ऐिे कसमश्िर के आिेदि पर ऐिी शासस्तयां उि न्यायालय द्वारा सजििे कमीशि सिकाला था, असिरोसपत की जा िकें गी ।]
(2) कसमश्िर कोई ऐिी आदेसशका सिकालिे के सलए, सजिे िि िािी के िाम या उिके सिरुद्ध सिकालिा आिश्यक िमझे,
ऐिे क्रकिी न्यायालय िे (जो उच्र् न्यायालय ििीं िै) और सजिकी असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर ऐिा िािी सििाि
करता िै, आिेदि कर िके गा और ऐिा न्यायालय स्िसििेकािुिार ऐिी आदेसशका सिकाल िके गा जो िि युसक्तयुक्त और
उसर्त िमझे ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 75 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
2
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
154

18. पिकारों का कसमश्िर के िमि उपिंजात िोिा—(1) जिां कमीशि इि आदेश के अिीि सिकाला जाता िै ििां
न्यायालय सिदेश देगा क्रक िाद के पिकार कसमश्िर के िमि या तो स्ियं या अपिे असिकताचओं के या प्लीडरों के द्वारा उपिंजात िों ।
(2) जिां ििी पिकार या उििें िे कोई इि प्रकार उपिंजात ि िों ििां कसमश्िर उिकी अिुपसस्थसत में कायचिािी
कर िके गा ।
[18क. सिष्पादि कायचिासियों को आदेश का लागप िोिा—इि आदेश के उपबन्ि सडिी या आदेश के सिष्पादि में कायचिासियों
1

को जिां तक िो िके लागप िोंगे ।


18ि. न्यायालय द्वारा कमीशि के लौटाए जािे के सलए िमय सियत क्रकया जािा—कमीशि सिकालिे िाला न्यायालय िि
तारीि सियत करे गा सजिको या सजिके पपिच कमीशि सिष्पादि के पश्र्ात उिको लौटाया जाएगा और इि प्रकार सियत की गई तारीि
बढ़ाई ििीं जाएगी सििाय उि दशा में सजिमें न्यायालय का, ऐिे कारर्ों िे जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, यि िमािाि िो जाता िै क्रक
तारीि बढ़ािे के सलए पयाचप्त िेतुक िै ।]
2
[सिदेशी असिकरर्ों की प्रेरर्ा पर सिकाले गए कमीशि
19. िे मामले सजिमें उच्र् न्यायालय िािी की परीिा करिे के सलए कमीशि सिकाल िके गा—(1) यक्रद क्रकिी उच्र्
न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक—
(क) क्रकिी सिदेश में सस्थत कोई सिदेशी न्यायालय अपिे िमि की क्रकिी कायचिािी में क्रकिी िािी का िाक्ष्य
असिप्राप्त करिा र्ािता िै,
(ि) कायचिािी सिसिल प्रकृ सत की िै, तथा
(ग) िािी उि उच्र् न्यायालय की अपीली असिकाटरता की िीमाओं के िीतर सििाि करता िै,
तो सियम 20 के उपबन्िों के अिीि रिते हुए ऐिे िािी की परीिा करिे के सलए कमीशि सिकाल िके गा ।
(2) उपसियम (1) के िण्ड (क), िण्ड (ि) और िण्ड (ग) में सिसिर्दचष्ट बातों का िाक्ष्य—
(क) िारत में उि सिदेश के उच्र्तम पंसक्त िाले कोन्िलीय आक्रफिर द्वारा िस्तािटरत और के न्द्रीय िरकार की
माफच त उच्र् न्यायालय को पारे सषत क्रकए गए प्रमार्पत्र के रूप में, अथिा
(ि) सिदेशी न्यायायलय द्वारा सिकाले गए और के न्द्रीय िरकार की माफच त उच्र् न्यायालय को पारे सषत अिुरोिपत्र
के रूप में, अथिा
(ग) सिदेशी न्यायालय द्वारा सिकाले गए और कायचिािी के पिकार द्वारा उच्र् न्यायालय के िमि पेश क्रकए गए
अिुरोि-पत्र के रूप में,
िो िके गा ।
20. कमीशि सिकलिािे के सलए आिेदि—उच्र् न्यायालय—
(क) सिदेशी न्यायालय के िमि की कायचिािी के पिकार के आिेदि पर, अथिा
(ि) राज्य िरकार के अिुदश
े ों के अिीि कायच करते हुए राज्य िरकार के सिसि असिकारी के आिेदि पर,
सियम 19 के अिीि कमीशि सिकाल िके गा ।
21. कमीशि क्रकिके िाम सिकाला जा िके गा—सियम 19 के अिीि कमीशि क्रकिी िी ऐिे न्यायालय के िाम सजिकी
असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के िीतर िािी सििािी करता िै या जिां 3*** िािी 4[उच्र् न्यायालय की मामपली आरसम्िक
सिसिल असिकाटरता] की स्थािीय िीमाओं के िीतर सििाि करता िै ििां क्रकिी ऐिे व्यसक्त के िाम सजिे न्यायालय कमीशि का
सिष्पादि करिे के सलए ठीक िमझे, सिकाला जा िके गा ।
22. कमीशि का सिकाला जािा, सिष्पादि और लौटाया जािा और सिदेशी न्यायालय को िाक्ष्य का पारे षर्—इि आदेश के
सियम 6, सियम 15, 5[सियम 16क के उपिसयम (1), सियम 17, सियम 18 और सियम 18ि] के उपबन्ि ऐिे कमीशिों के सिकाले जािे,
सिष्पादि या लौटाए जािे को ििां तक लागप िोंगे जिां जिां तक क्रक िे उन्िें लागप िो िकते िों, और जब क्रक ऐिा कोई कमीशि िम्यक

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 75 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
2
1932 के असिसियम िं० 10 की िारा 3 द्वारा अंतःस्थासपत ।
3
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “इसण्डयि िाई को्िच ऐक्ट, 1861 या िारत शािि असिसियम, 1915 के अिीि उच्र् न्यायालय स्थासपत
क्रकया जाता िै और” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
4
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “इिकी मामपली आरसम्िक सिसिल असिकाटरता” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 76 द्वारा (1-2-1977 िे) “16, 17 और 18” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
155

रूप िे सिष्पाक्रदत कर क्रदया गया िो तब िि उिके अिीि सलए गए िाक्ष्य के िसित उच्र् न्यायालय को लौटाया जाएगा जो उिे सिदेशी
न्यायालय को पारे सषत करिे के सलए अिुरोिपत्र िसित के न्द्रीय िरकार को अग्रेसषत कर देगा ।
आदेश 27

िरकार के या अपिी पदीय िैसियत में लोक असिकाटरयों


द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद
1. िरकार द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद—1[िरकार] के द्वारा या सिरुद्ध क्रकिी िी िाद में िादपत्र या सलसित कथि ऐिे व्यसक्त
द्वारा िस्तािटरत क्रकया जाएगा सजिे िरकार, िािारर् या सिशेष आदेश द्वारा, इि सिसमत्त सियुक्त करे और क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा
ित्यासपत क्रकया जाएगा सजिे िरकार इि प्रकार सियुक्त करे और जो मामलों के तथ्यों िे पटरसर्त िै ।
2. िरकार के सलए कायच करिे के सलए प्रासिकृ त व्यसक्त—क्रकिी िी न्यासयक कायचिािी के बारे में िरकार के सलए कायच करिे
के सलए पदेि या अन्यथा प्रासिकृ त व्यसक्त मान्यताप्राप्त असिकताच िमझे जाएंगे जो िरकार की ओर िे इि िंसिता के अिीि उपिंजात
िो िकें गे, कायच कर िकें गे और आिेदि कर िकें गे ।
3. िरकार द्वारा या उिके सिरुद्ध िादों में िादपत्र—िरकार द्वारा या 2[उिके सिरुद्ध] िादों में, िादपत्र में िादी या प्रसतिादी
का िाम, िर्चि और सििाि का स्थाि अन्तःस्थासपत करिे के बजाय 1[िि िमुसर्त िाम जो िारा 79 में उपबसन्ित िै] 3***
अन्तःस्थासपत करिा पयाचप्त िोगा ।
[4. आदेसशका प्राप्त करिे के सलए िरकार का असिकताच—क्रकिी िी न्यायालय में का िरकारी प्लीडर ऐिे न्यायालय द्वारा
4

िरकार के सिरुद्ध सिकाली गई आदेसशकाएं लेिे के प्रयोजि के सलए िरकार का असिकताच िोगा ।]
5. िरकार की ओर िे उपिंजासत के सलए क्रदि सियत क्रकया जािा—न्यायालय िि क्रदि सियत करते िमय सजि क्रदि िादपत्र
का उत्तर 1[िरकार] द्वारा क्रदया जािा िै, इतिा युसक्तयुक्त िमय अिुज्ञात करे गा सजतिा िरकार को आिश्यक िं िपर्िा उसर्त प्रर्ाली
द्वारा िेजिे के सलए और 5[िरकार] 6*** की ओर िे उपिंजात िोिे और उत्तर देिे के सलए 7[िरकारी प्लीडर] को अिुदश े देिे के सलए
आिश्यक िो और उि िमय को स्िसििेकािुिर बढ़ा िके गा, 8[क्रकन्तु इि प्रकार बढ़ाया गया िमय कु ल समलाकर दो माि िे असिक ििीं
िोगा ।]
[5क. लोक असिकारी के सिरुद्ध िाद में िरकार को पिकार के रूप में िंयोसजत क्रकया जािा—जिां लोक असिकारी के सिरुद्ध
8

िाद क्रकिी ऐिे कायच के बारे में सजिके िम्बन्ि में यि असिकसथत क्रकया गया िै क्रक िि उििे अपिी पदीय िैसियत में क्रकया िै, िुकिािी
या अन्य अिुतोष के सलए िंसस्थत क्रकया जाता िै ििां िरकार को िाद में पिकार के रूप में िंयोसजत क्रकया जाएगा ।
5ि. िरकार या लोक असिकारी के सिरुद्ध िादों में सिपटारा करािे में ििायता करिे के सलए न्यायालय का कतचव्य —(1) ऐिे
प्रत्येक िाद या कायचिािी में सजिमें िरकार या अपिी पदीय िैिीयत में कायच करिे िाला लोक असिकारी पिकार िै, न्यायालय का यि
कतचव्य िोगा क्रक िि िाद की सिषय-िस्तु के बारे में सिपटारा करािे में पिकारों की ििायता करिे के सलए िर प्रयाि प्रथमतः करे जिां
ऐिा करिा मामले की प्रकृ सत और पटरसस्थसतयों िे िुिंगत िो ।
(2) यक्रद क्रकिी ऐिे िाद या कायचिािी के क्रकिी प्रिम में न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक पिकारों के बीर् सिपटारा िोिे
की युसक्तयुक्त िम्िाििा िै तो न्यायालय कायचिािी को ऐिी अिसि के सलए जो िि ठीक िमझे, स्थसगत कर िके गा सजििे क्रक ऐिा
सिपटारा करािे के सलए प्रयत्ि क्रकए जा िकें ।
(3) उपसियम (2) के अिीि प्रदत्त शसक्त कायचिासियों को स्थसगत करिे के सलए न्यायालय की क्रकिी अन्य शसक्त के
असतटरक्त िै ।]
6. िरकार के सिरुद्ध िाद िे िंबंि रििे िाले प्रश्िों का उत्तर देिे योग्य व्यसक्त की िासजरी—न्यायालय क्रकिी ऐिे मामले में
सजिमें [िरकारी प्लीडर] के िाथ 1[िरकार] की ओर िे ऐिा कोई व्यसक्त ििीं िै जो िाद िम्बन्िी क्रकन्िीं िी तासविक प्रश्िों का उत्तर
7

देिे में िमथच िो, ऐिे व्यसक्त की िासजरी के सलए िी सिदेश दे िके गा ।
7. िमय का इिसलए बढ़ाया जािा क्रक लोक असिकारी िरकार िे सिदेश करके पपछ िके —(1) जिां प्रसतिादी कोई लोक
असिकारी िै और िमि समलिे पर िि यि उसर्त िमझता िै क्रक िादपत्र का उत्तर देिे िे पपिच िि बात िरकार को सिदेसशत की जाए

1
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िारत के िेिेटरी ऑफ स्टेट इि काउसन्िल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िारत के िेिेटरी ऑफ स्टेट इि काउसन्िल के सिरुद्ध” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
िारतीय स्ितंत्रता (के न्द्रीय असिसियमों और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा ‘या यक्रद िाद िेिेटरी ऑफ स्टेट के सिरुद्ध िै तो “िेिेटरी ऑफ स्टेट” शब्द’
शब्दों का लोप क्रकया गया ।
4
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा सियम 4 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िारत के उक्त िेिेटरी ऑफ स्टेट इि काउसन्िल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6
िारत शािि (के न्द्रीय असिसियमों और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा “या िरकार” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
7
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िरकारी प्लीडर” के सलए रिे गए “िाउि प्लीडर” के स्थाि पर सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा
प्रसतस्थासपत ।
8
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 76 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
156

ििां िि न्यायालय िे आिेदि कर िके गा क्रक िमि में सियत िमय उिके सलए इतिा बढ़ा क्रदया जाए सजतिा उिे उसर्त प्रर्ाली द्वारा
ऐिा सिदेश करिे के और उि पर आदेश प्राप्त करिे के सलए आिश्यक िै ।
(2) न्यायालय ऐिे आिेदि पर उि िमय को उतिा बढ़ा देगा सजतिा उिे आिश्यक प्रतीत िो ।
8. लोक असिकारी के सिरुद्ध िादों में प्रक्रिया—(1) जिां क्रकिी लोक असिकारी के सिरुद्ध क्रकिी िाद की प्रसतरिा करिे का
सजम्मा िरकार लेती िै ििां 1[िरकारी प्लीडर] उपिंजात िोिे और िादपत्र का उत्तर देिे का प्रासिकार क्रदए जािे पर न्यायालय िे
आिेदि करे गा और न्यायालय ऐिे आिेदि पर उिके प्रासिकार का टटप्पर् सिसिल िादों के रसजस्टर में प्रसिष्ट कराएगा ।
(2) जिां उि क्रदि को जो प्रसतिादी के उपिंजात िोिे और उत्तर देिे के सलए िपर्िा में सियत िै, या उि क्रदि के पपिच कोई
आिेदि 1[िरकारी प्लीडर] द्वारा उपसियम (1) के अिीि ििीं क्रकया जाए ििां मामला ऐिे र्लेगा जैिे िि प्राइिेट पिकारों के बीर्
र्लता िैः
परन्तु प्रसतिादी की सगरफ्तारी या उिकी िम्पसत्त की कु की सडिी के सिष्पादि में िी की जा िके गी अन्यथा ििीं ।
2
[8क. कु छ मामलों में9 िरकार िे या लोक असिकारी िे कोई प्रसतिपसत अपेसित ि की जाएगी—िरकार िे या जिां िरकार
िे िाद की प्रसतरिा का सजम्मा सलया िै ििां क्रकिी ऐिे लोक असिकारी िे सजि पर क्रकिी ऐिे कायच के बारे में िाद लाया गया िै सजिके
िम्बन्ि में यि असिकसथत क्रकया गया िै क्रक िि उििे अपिी पदीय िैसियत में क्रकया िै आदेश 41 के सियम 5 और सियम 6 में
यथािर्र्चत प्रसतिपसत की अपेिा ििीं की जाएगी ।
8ि. “िरकार” और “िरकारी प्लीडर” की पटरिाषाएं—इि आदेश में 3[जब तक क्रक असिव्यक्त रूप िे अन्यथा उपबसन्ित ि
िो,] िरकार और 1[िरकारी प्लीडर] िे िमशः—
(क) ऐिे िाद के िम्बन्ि में जो 4*** के न्द्रीय िरकार द्वारा या उिके सिरुद्ध िै या उि िरकार की िेिा में के क्रकिी
लोक असिकारी के सिरुद्ध िै, के न्द्रीय िरकार और ऐिा प्लीडर असिप्रेत िै जो िि िरकार, र्ािे िािारर्तः या सिशेषतः,
इि आदेश के प्रयोजिों के सलए सियुक्त करे ;
5
* * * *
(ग) ऐिे िाद के िम्बन्ि में जो राज्य िरकार द्वारा या उिके सिरुद्ध िै या राज्य की िेिा में के लोक असिकारी के
सिरुद्ध िै, राज्य िरकार और 3[िारा 2 के िण्ड (7) में यथापटरिासषत] िरकारी प्लीडर या ऐिा अन्य प्लीडर असिप्रेत िै जो
राज्य िरकार, र्ािे िािारर्तः, या सिशेषतः इि आदेश के प्रयोजिों के सलए सियुक्त करे ।]
6
[आदेश 27क
िे िाद सजिमें 7[िंसििाि के सििचर्ि 8[या क्रकिी कािपिी सलित की सिसिमान्यता िम्बन्िी] कोई िारिपत सिसि-प्रश्ि अन्तग्रचस्त िों
1. मिान्यायिादी या मिासििक्ता को िपर्िा—क्रकिी िी ऐिे िाद में सजिमें न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक
9[10[िंसििािके अिुच्छेद 147 के िाथ पटठत अिुच्छे द 132 के िण्ड (1) में] यथासिर्दचष्ट कोई प्रश्ि] अन्तग्रचस्त िै, न्यायालय उि प्रश्ि
का अििारर् करिे के सलए तब तक अग्रिर ििीं िोगा जब तक, यक्रद िि सिसि-प्रश्ि के न्द्रीय िरकार िे िम्बसन्ित िै तो 11[िारत के
मिान्यायिादी] को और यक्रद िि सिसि-प्रश्ि क्रकिी राज्य िरकार िे िम्बसन्ित िै तो उि राज्य के मिासििक्ता को िपर्िा ि दे दी
गई िो ।
[1क. उि िादों में प्रक्रिया सजिमें क्रकिी कािपिी सलित की सिसिमान्यता अन्तग्रचस्त िै —क्रकिी ऐिे िाद में सजिमें न्यायालय
8

को यि प्रतीत िोता िै क्रक क्रकिी कािपिी सलित की सिसिमान्यता के िम्बन्ि में कोई ऐिा प्रश्ि अन्तग्रचस्त िै जो सियम 1 में िर्र्चत प्रकृ सत
का प्रश्ि ििीं िै, न्यायालय,—
(क) यक्रद िि प्रश्ि िरकार िे िम्बसन्ित िै तो, िरकारी प्लीडर को, अथिा
(ि) यक्रद िि प्रश्ि िरकार िे सिन्ि क्रकिी प्रासिकारी िे िम्बसन्ित िै तो, उि प्रासिकारी को सजििे कािपिी सलित
जारी की थी,

1
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा और सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “िाउि प्लीडर” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा सियम 8क और 8ि अन्तःस्थासपत ।
3
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा अंतःस्थासपत ।
4
िारतीय स्ितंत्रता (के न्द्रीय असिसियमों और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा ‘िेिेटरी ऑफ स्टेट या” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
5
िारतीय स्ितंत्रता (के न्द्रीय असिसियमों और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा िण्ड (ि) का लोप क्रकया गया ।
6
1942 के असिसियम िं० 23 की िारा 2 द्वारा अंतःस्थासपत ।
7
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “िारत शािि असिसियम, 1935 या तदिीि क्रकए गए पटरषद के क्रकिी आदेश” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
8
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 77 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
9
िारतीय स्ितंत्रता (के न्द्रीय असिसियमों और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा ‘िारत शािि असिसियम, 1935 या तद्धीि क्रकए गए पटरषद के क्रकिी आदेश
का सििचर्ि िम्बन्िी कोई िारिपत सिसि-प्रश्न” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
10
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “िारत शािि असिसियम, 1935 की िारा 205 की उपिारा (1) में” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
11
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “िारत के मिासििक्ता” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
157

िपर्िा क्रदए सबिा प्रश्ि का अििारर् करिे के सलए अग्रिर ििीं िोगा ।]
2. न्यायालय िरकार को पिकार के रूप में जोड िके गा—क्रकिी िी ऐिे िाद में सजिमें 1[2[िंसििाि के अिुच्छेद 147 के
िाथ पटठत अिुच्छेद 132 के िण्ड (1) में] यथासिर्दचष्ट कोई प्रश्ि] अन्तग्रचस्त िै, यक्रद, यथासस्थसत, 3[िारत का मिान्यायिादी] या राज्य
का मिासििक्ता सियम 1 के अिीि िपर्िा की प्रासप्त पर या अन्यथा, यथासस्थसत, के न्द्रीय िरकार या राज्य िरकार को िाद में
प्रसतिादी के रूप में जोडे जािे के सलए न्यायालय िे आिेदि करता िै और न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै क्रक अन्तग्रचस्त सिसि-
प्रश्ि के िमािािप्रद अििारर् के सलए ऐिा जोडा जािा आिश्यक िै या िांछिीय िै, तो िि िाद के क्रकिी िी प्रिम में यि आदेश कर
िके गा क्रक िि िरकार ऐिे िाद में प्रसतिादी के रूप में जोड ली जाए ।
4[2क. क्रकिी कािपिी सलित की सिसिमान्यता िम्बन्िी िाद में िरकार या अन्य प्रासिकारी को प्रसतिादी के रूप में जोडिे की
न्यायालय की शसक्त—न्यायालय क्रकिी ऐिे िाद में सजिमें कोई ऐिा प्रश्ि जो सियम 1क में सिर्दचष्ट िै, अन्तग्रचस्त िै, कायचिासियों के
क्रकिी प्रिम में यि आदेश कर िके गा क्रक िरकार या अन्य प्रासिकारी को प्रसतिादी के रूप में जोडा जाएगा, यक्रद, यथासस्थसत, िरकारी
प्लीडर द्वारा या ऐिे प्रासिकारी की ओर िे सजििे सलित जारी की थी, मामले में उपिंजात िोिे िाले प्लीडर द्वारा, र्ािे सियम 1क के
अिीि िपर्िा प्राप्त करिे पर या अन्यथा, ऐिे जोडे जािे के सलए आिेदि क्रकया जाता िै और न्यायालय का यि िमािाि िो जाता िै
क्रक प्रश्ि के िमािािप्रद अििारर् के सलए ऐिा जोडा जािा आिश्यक िै या िांछिीय िै ।]
5
[3. िर्े—जिां िरकार या कोई अन्य प्रासिकारी िाद में प्रसतिादी के रूप में सियम 2 या सियम 2क के अिीि जोडा जाता िै
ििां मिान्यायिादी, मिासििक्ता या िरकारी प्लीडर या िरकार या अन्य प्रासिकारी उि न्यायालय में सजििे जोडे जािे का आदेश
क्रकया था, तब तक िर्े के सलए िकदार या दासयत्िािीि ििीं िोगा जब तक क्रक न्यायालय मामले की ििी पटरसस्थसतयों को ध्याि में
रिते हुए क्रकिी सिशेष कारर् िे अन्यथा आदेश ि करे ।]
4. इि आदेश का अपीलों को लागप िोिा—अपीलों को इि आदेश को लागप करिे में “प्रसतिादी” शब्द के अन्तगचत प्रत्यथी और
“िाद” शब्द के अन्तगचत अपील िमझी जाएगी ।
[स्पष्टीकरर्—इि आदेश में “कािपिी सलित” िे क्रकिी असिसियसमसत के अिीि सिसिर्दचष्ट रूप में बिाया गया सियम,
4

असििपर्िा, उपसिसि, आदेश, स्कीम या प्ररूप असिप्रेत िै ।]]


आदेश 28
िैसिक 6[या िौिैसिक] या 7[िायुिसै िक] द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद
1. आक्रफिर, िैसिक, िौिैसिक या िायुिसै िक, जो छु ट्टी असिप्राप्त ििीं कर िकते अपिी ओर िे िाद लािे या प्रसतरिा करिे
के सलए क्रकिी व्यसक्त को प्रासिकृ त कर िकें गे—(1) जिां कोई ऐिा आक्रफिर, 8[िैसिक, िौिैसिक या िायुिैसिक] जो 9[िैिी] िैसियत में
10[िरकार के अिीि] िस्तुतः 10[िेिा कर रिा िै,] क्रकिी िाद का पिकार िै और स्ियं िाद के असियोसजत करिे या िाद में प्रसतरिा

करिे के प्रयोजि के सलए अिुपसस्थसत छु ट्टी असिप्राप्त ििीं कर िकता िै ििां िि अपिे बदले िाद लािे या प्रसतरिा करिे के सलए क्रकिी
िी व्यसक्त को प्रासिकृ त कर िके गा ।
(2) िि प्रासिकार सलसित िोगा और उि आक्रफिर, 11[िैसिक, िौिैसिक या िायुिैसिक] द्वारा (क) अपिे कमाि आक्रफिर के
या यक्रद पिकार स्ियं कमाि आक्रफिर िै तो ठीक सिर्ले अिीिस्थ आक्रफिर के िमि, या (ि) जिां आक्रफिर 11[िैसिक, 6[िौिैसिक] या
िायुिैसिक,] िेिा, 6[िौिेिा] 7[या िायुिेिा] के स्टाफ सियोजि में िेिा कर रिा िै ििां उि कायाचलय के सजिमें िि सियोसजत िै,
प्रिाि या अन्य िटरष्ठ आक्रफिर के िमि, िस्तािटरत क्रकया जाएगा; ऐिा कमाि या अन्य आक्रफिर उि प्रासिकार को प्रसतिस्तािटरत
करे गा जो न्यायालय में फाइल क्रकया जाएगा ।
(3) प्रासिकार के इि प्रकार फाइल क्रकए जािे पर, प्रसतिस्तािर इि बात के सलए पयाचप्त िबपत िोगा क्रक प्रासिकार िम्यक
रूप िे सिष्पाक्रदत क्रकया गया था और िि उि आक्रफिर, 11[िैसिक, 11[िौिैसिक] या िायुिसै िक] सजिके द्वारा िि प्रासिकार क्रदया गया
िै, स्ियं िाद के असियोसजत करिे या िाद में प्रसतरिा करिे के प्रयोजि के सलए अिुपसस्थसत छु ट्टी असिप्राप्त ििीं कर िका ।

1
िारतीय स्ितंत्रता (के न्द्रीय असिसियमों और अध्यादेशों का अिुकपलि) आदेश, 1948 द्वारा ‘िारत शािि असिसियम, 1935 या तद्धीि क्रकए गए पटरषद के क्रकिी आदेश
का सििचर्ि िम्बन्िी कोई िारिपत सिसि-प्रश्न” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “िारत शािि असिसियम, 1935 की िारा 205 की उपिारा (1) में” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “िारत के मिासििक्ता” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 77 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 77 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 3 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6
1934 के असिसियम िं० 35 की िारा 2 और अिुिपर्ी द्वारा अंतःस्थासपत ।
7
1927 के असिसियम िं० 10 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 द्वारा अंतःस्थासपत ।
8
1927 के असिसियम िं० 10 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 द्वारा “या िैसिक” तथा “या कोई िैसिक” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
9
1934 के असिसियम िं० 35 की िारा 2 और अिुिपर्ी द्वारा “िेिा या िायु िेिा” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
10
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िरकारी िेिा में िै” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
11
1927 के असिसियम िं० 10 की िारा 2 और अिुिपर्ी 2 द्वारा “या िैसिक” तथा “या कोई िैसिक” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
158

स्पष्टीकरर्—इि आदेश में “कमाि आक्रफिर” पद िे ऐिा आक्रफिर असिप्रेत िै जो उि रे सजमेंट, कोर, 1[पोत,] टु कडी या
सडपो का तत्िमय िास्तसिक िमादेशि करता िै सजिमें िि आक्रफिर, 2[िैसिक, 1[िौिैसिक] या िायुिसै िक] िै ।
2. इि प्रकार प्रासिकृ त व्यसक्त स्ियं कायच कर िके गा या प्लीडर सियुक्त कर िके गा—आक्रफिर, 3[िैसिक, 1[िौिैसिक] या
िायुिैसिक] द्वारा उिकी अपिी ओर िे िाद के असियोसजत करिे या िाद में प्रसतरिा करिे के सलए प्रासिकृ त कोई िी व्यसक्त स्ियं उिे
ऐिे असियोसजत कर िके गा या उिमें ऐिे प्रसतरिा कर िके गा जैिे िि आक्रफिर, 2[िैसिक, 3[िौिेसिक] या िायुिैसिक] करता यक्रद िि
उपसस्थत िोता या िि उि आक्रफिर 2[िैसिक, 3[िौिैसिक] या िायुिैसिक] की ओर िे िाद असियोसजत करिे या िाद में प्रसतरिा करिे
के सलए प्लीडर सियुक्त कर िके गा ।
3. इि प्रकार प्रासिकृ त व्यसक्त पर या उिके प्लीडर पर की गई तामील उसर्त तामील िोगी—क्रकिी आक्रफिर 3[िैसिक,
1
[िौिैसिक] या िायुिैसिक] द्वारा सियम 1 के अिीि प्रासिकृ त क्रकए गए क्रकिी िी व्यसक्त पर या ऐिे व्यसक्त द्वारा पपिोक्त रीसत िे
सियुक्त क्रकिी िी प्लीडर पर तामील की गई आदेसशकाएं िैिे िी प्रिािी िोंगी मािो उिकी तामील स्ियं पिकार पर की गई िो ।
आदेश 29
सिगमों द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद
1. असििर्ि पर िस्तािर क्रकया जािा और उिका ित्यापि—क्रकिी सिगम द्वारा या उिके सिरुद्ध िादों में कोई िी
असििर्ि उि सिगम की ओर िे उि सिगम के िसर्ि या क्रकिी सिदेशक या अन्य प्रिाि असिकारी द्वारा, जो मामले के तथ्यों के बारे में
असििाक्ष्य देिे योग्य िो, िस्तािटरत और ित्यासपत क्रकया जा िके गा ।
2. सिगम पर तामील—आदेसशका की तामील का सिसियमि करिे िाले क्रकिी िी कािपिी उपबन्ि के अिीि रिते हुए, जिां
िाद क्रकिी सिगम के सिरुद्ध िै ििां िमि की तामील—
(क) उि सिगम के िसर्ि या क्रकिी िी सिदेशक या अन्य प्रिाि असिकारी पर की जा िके गी, अथिा
(ि) उिके रसजस्िीकृ त कायाचलय में या यक्रद कोई रसजस्िीकृ त कायाचलय ििीं िै तो उि स्थाि पर जिां सिगम
कारबार र्लाता िै, छोडकर या िमि को ऐिे कायाचलय या स्थाि के पते िे सिगम को िम्बोसित करके डाक द्वारा िेजकर की
जा िके गी ।
3. सिगम के असिकारी की स्िीय िासजरी अपेसित करिे की शसक्त—िाद के क्रकिी िी प्रिम में न्यायालय यि अपेिा कर
िके गा क्रक सिगम का िसर्ि या कोई सिदेशक या अन्य प्रिाि असिकारी, जो िाद िे िम्बसन्ित िारिाि प्रश्िों का उत्तर देिे योग्य िै,
स्ियं उपिंजात िो ।
आदेश 30

फमों के या अपिे िामों िे सिन्ि िामों में कारबार र्लािे िाले व्यसक्तयों द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद
1. िागीदारों का फमच के िाम िे िाद लािा—(1) कोई िी दो या असिक व्यसक्त, जो िागीदारों की िैसियत में दािा करते िैं
या दायी िैं और 4[िारत] में कारबार र्लाते िैं, या उि पर उि फमच के िाम िे (यक्रद उिका कोई िाम िो) सजिके क्रक ऐिे व्यसक्त िाद
िेतुक के प्रोद्िपत िोिे के िमय िागीदार थे, िाद ला िकें गे या उि पर िाद लाया जा िके गा और िाद का कोई िी पिकार ऐिे मामले
में न्यायालय िे आिेदि कर िके गा क्रक उि व्यसक्तयों के जो िाद-िेतुक के प्रोद्िपत िोिे के िमय ऐिी फमच में िागीदार थे, िामों और
पतों का कथि ऐिी रीसत िे क्रकया जाए और ित्यासपत क्रकया जाए जो न्यायालय सिक्रदष्ट करे ।
(2) जिां उिकी फमच के िाम में िागीदारों की िैसियत में िाद उपसियम (1) के अिीि कोई व्यसक्त लाते िैं या उि पर लाया
जाता िै ििां क्रकिी असििर्ि या अन्य दस्तािेज की दशा में सजिका िादी या प्रसतिादी द्वारा िस्तािटरत, ित्यासपत या प्रमासर्त
क्रकया जािा इि िंसिता द्वारा या इिके अिीि अपेसित िै, यि पयाचप्त िोगा क्रक ऐिा असििर्ि या अन्य दस्तािेज ऐिे व्यसक्तयों में िे
क्रकिी िी एक द्वारा िस्तािटरत, ित्यासपत या प्रमासर्त कर दी जाए ।
2. िागीदारों के िामों का प्रकट क्रकया जािा—(1) जिां कोई िाद िागीदारों द्वारा अपिी फमच के िाम में िंसस्थत क्रकया जाता
िै ििां िादी या उिका प्लीडर क्रकिी िी प्रसतिादी द्वारा या उिकी ओर िे सलसित मांग की जािे पर उि फमच को गटठत करिे िाले
ििी व्यसक्तयों के िामों और सििाि के स्थािों की सलसित घोषर्ा तत्िर् करे गा सजिकी ओर िे िाद िंसस्थत क्रकया गया िै ।
(2) जिां िादी या उिका प्लीडर उपसियम (1) के अिीि की गई क्रकिी मांग को पपरा करिे में अिफल रिता िै ििां िाद की
िारी कायचिासियां उि प्रयोजि के सलए क्रकए गए आिेदि पर ऐिे सिबन्ििों पर रोकी जा िकें गी जो न्यायालय सिक्रदष्ट करे ।

1
1934 के असिसियम िं० 35 की िारा 2 और अिुिपर्ी द्वारा अंतःस्थासपत ।
2
1934 के असिसियम िं० 35 की िारा 2 और अिुिपर्ी द्वारा “या िैसिक” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1934 के असिसियम िं० 35 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 द्वारा “या क्रकिी िैसिक” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
159

(3) जिां िागीदारों के िाम उपसियम (1) में सिर्दचष्ट रीसत िे घोसषत कर क्रदए जाते िैं ििां िाद उिी प्रकार अग्रिर िोगा
और ििी दृसष्टयों िे िे िी पटरर्ाम िोंगे मािो िे िाक्रदयों के रूप में िादपत्र में िासमत थेः
[परन्तु िारी कायचिासियां तब िी फमच के िाम में र्ालप रिेंगी क्रकन्तु उपसियम (1) में सिसिर्दचष्ट रीसत िे प्रकट क्रकए गए
1

िागीदारों के िाम सडिी में प्रसिष्ट क्रकए जाएंगे ।]


3. तामील—जिां व्यसक्तयों पर िागीदारों के िाते उिकी फमच की िैसियत में िाद लाया जाता िै ििां िमि की तामील
न्यायालय द्वारा क्रदए जािे िाले सिदेश के अिुिार या तो—
(क) िागीदारों में िे क्रकिी एक के या असिक पर की जाएगी, अथिा
(ि) उि प्रिाि स्थाि में सजिमें 2[िारत] के िीतर िागीदारी का कारबार र्लता िै, क्रकिी ऐिे व्यसक्त पर की
जाएगी सजिके िाथ में ििां िागीदारी के कारबार का सियंत्रर् या प्रबन्ि तामील के िमय िै,
और ऐिी तामील के बारे में यि िमझा जाएगा क्रक सजि फमच पर िाद लाया गया िै उि पर िि ििी तामील िै, र्ािे ििी िागीदार
या उिमें िे कोई 2[िारत] के िीतर या बािर िोः
परन्तु ऐिी िागीदारी की दशा में सजिके बारे में िादी को िाद िंसस्थत करिे िे पिले िी यि जािकारी िो क्रक िि सिघटटत
की जा र्ुकी िै, िमि की तामील 2[िारत] के िीतर के ऐिे िर व्यसक्त पर की जाएगी सजिे दायी बिािा र्ािा गया िै ।
4. िागीदार की मृत्यु पर िाद का असिकार—(1) िारतीय िंसिदा असिसियम, 1872 (1872 का 9) की िारा 45 में क्रकिी
बात के िोते हुए िी, जिां फमच के िाम में िाद पपिचगामी उपबन्िों के अिीि दो या असिक व्यसक्त लाते िैं या उि पर लाया जाता िै और
र्ािे क्रकिी िाद के िंसस्थत क्रकए जािे के पपिच या उिके लसम्बत रििे के दौराि ऐिे व्यसक्तयों में िे क्रकिी की मृत्यु िो जाती िै ििां यि
आिश्यक ििीं िोगा क्रक मृतक के सिसिक प्रसतसिसि को िाद के पिकार की िैसियत में िंयोसजत क्रकया जाए ।
(2) उपसियम (1) की कोई िी बात ऐिे मृतक के सिसिक प्रसतसिसि के क्रकिी िी ऐिे असिकार को पटरिीसमत या अन्यथा
प्रिासित ििीं करे गी जो उिका—
(क) उि िाद का पिकार बिाए जािे के सलए आिेदि करिे के सलए िो, अथिा
(ि) क्रकिी दािे को उत्तरजीिी या उत्तरजीसियों के सिरुद्ध प्रिृत्त करािे के सलए िो ।
5. िपर्िा की तामील क्रकि िैसियत में की जाएगी—जिां िमि फमच के िाम सिकाला गया िै और उिकी तामील सियम 3
द्वारा उपबसन्ित रीसत िे की गई िै ििां ऐिे िर व्यसक्त को सजि पर उिकी तामील की गई िै, ऐिी तामील के िमय दी गई सलसित
िपर्िा द्वारा यि जािकारी दी जाएगी क्रक क्या उि पर तामील िागीदार की िैसियत में या िागीदार के कारबार का सियंत्रर् या प्रबन्ि
करिे िाले व्यसक्त की िैसियत में या दोिों िैसियतों में की जा रिी िै और ऐिी िपर्िा देिे में व्यसतिम िोिे पर उि व्यसक्त के बारे में
सजि पर तामील की गई िै, यि िमझा जाएगा क्रक उि पर तामील िागीदार की िैसियत में की गई िै ।
6. िागीदारों की उपिंजासत—जिां व्यसक्तयों पर िागीदारों की िैसियत में उिकी फमच के िाम में िाद लाया जाता िै ििां िे
स्ियं अपिे-अपिे िाम िे व्यसष्टतः उपिंजात िोंगे, क्रकन्तु पश्र्ात्िती ििी कायचिासियां तब िी फमच के िाम िे र्ालप रिेंगी ।
7. िागीदारों द्वारा िी उपिंजासत िोगी अन्यथा ििीं—जिां िमि की तामील ऐिे व्यसक्त पर सजिके िाथ में िागीदारी के
कारबार का सियंत्रर् या प्रबन्ि िै, सियम 3 द्वारा उपबसन्ित रीसत िे की गई िै ििां जब तक क्रक िि उि फमच का सजि पर िाद लाया
गया िै, िागीदार ि िो उिका उपिंजात िोिा आिश्यक ििीं िोगा ।
[8. अभ्यापसत्तपपिचक उपिंजासत—(1) िि व्यसक्त, सजि पर िमि की तामील िागीदार की िैसियत में सियम 3 के अिीि की
3

गई िै, यि प्रत्याखयाि करते हुए क्रक िि क्रकिी तासविक िमय पर िागीदार था, अभ्यापसत्तपपिचक उपिंजात िो िके गा ।
(2) ऐिी उपिंजासत की जािे पर या तो िादी या उपिंजात िोिे िाला व्यसक्त िाद की िुििाई और असन्तम सिपटारे के सलए
सियत तारीि के पपिच क्रकिी िी िमय न्यायालय िे इि बात का अििारर् करिे के सलए आिेदि कर िके गा क्रक क्या िि व्यसक्त फमच का
िागीदार था और उि िैसियत में दासयत्िािीि था ।
(3) यक्रद ऐिे आिेदि पर न्यायालय यि असिसििाचटरत करता िै क्रक िि तासविक िमय पर िागीदार था तो यि बात उि
व्यसक्त को प्रसतिादी के सिरुद्ध दािे के रूप में फमच के दासयत्ि का प्रत्याखयाि करते हुए प्रसतरिा पाइल करिे िे प्रिाटरत ििीं करे गी ।
(4) क्रकन्तु यक्रद न्यायालय यि असिसििाचटरत करता िै क्रक ऐिा व्यसक्त फमच का िागीदार ििीं था और उि िैसियत में
दासयत्िािीि ििीं था तो यि बात िादी को फमच पर िमि की अन्यथा तामील करिे िे और िाद आगे र्लािे िे प्रिाटरत ििीं करे गी,
क्रकन्तु उि दशा में िादी क्रकिी ऐिी सडिी के सिष्पादि में जो फमच के सिरुद्ध पाटरत की जाए, फमच के िागीदार की िैसियत में उि
व्यसक्त के दासयत्ि का असिकथि करिे िे प्रिाटरत िो जाएगा ।]

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 78 द्वारा (1-2-1977 िे) परन्तुक के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 78 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 8 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
160

9. िििागीदारों के बीर् में िाद—यि आदेश फमच और उिके एक या असिक िागीदारों के बीर् के िादों को और ऐिे िादों
को, जो उि फमों के बीर् िैं, सजिके एक या असिक िागीदार िििागीदार िैं, लागप िोगा, क्रकन्तु ऐिे िादों में कोई िी सिष्पादि
न्यायालय की इजाजत के सबिा जारी ििीं क्रकया जाएगा और ऐिे सिष्पादि को जारी करिे की इजाजत के सलए आिेदि क्रकए जािे पर
ऐिे ििी लेिाओं का सलया जािा और जांर् की जािी सिक्रदष्ट की जा िके गी और ऐिे सिदेश क्रदए जा िकें गे जो न्यायिंगत िों ।
[10. स्ियं अपिे िाम िे सिन्ि िाम िे कारबार र्लािे िाले व्यसक्त के सिरुद्ध िाद—अपिे िाम िे सिन्ि िाम या असििाम
1

िे कारबार र्लािे िाले क्रकिी िी व्यसक्त पर या क्रकिी िाम िे कारबार र्लािे िाले सिन्दप असििक्त कु टु म्ब पर िाद उिी िाम या
असििाम में इि प्रकार लाया जा िके गा मािो िि फमच का िाम िो और इि आदेश के ििी सियम ििां तक लागप िोंगे जिां तक क्रक उि
मामले की प्रकृ सत िे अिुज्ञात िो ।]
आदेश 31
न्यासियों, सिष्पादकों और प्रशािकों द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद
1. न्यासियों, आक्रद में सिसित िम्पसत्त िे िम्पृक्त िादों में सितासिकाटरयों का प्रसतसिसित्ि—क्रकिी न्यािी, सिष्पादक या
प्रशािक में सिसित िम्पसत्त िे िम्पृक्त ऐिे ििी िादों में सजिमें क्रक ऐिी िम्पसत्त में फायदा पािे िाले के रूप में सितबद्ध व्यसक्तयों के
और क्रकिी पर-व्यसक्त के बीर् प्रसतसिरोि िै, न्यािी, सिष्पादक या प्रशािक इि प्रकार सितबद्ध व्यसक्तयों का प्रसतसिसित्ि करे गा और
उन्िें िाद में पिकार बिािा, मामपली तौर िे आिश्यक ििीं िोगा, क्रकन्तु यक्रद न्यायालय ठीक िमझे तो िि आदेश दे िके गा क्रक उन्िें या
उिमें िे क्रकिी को पिकार बिाया जाए ।
2. न्यासियों, सिष्पादकों और प्रशािकों का िंयोजि—जिां कोई न्यािी, सिष्पादक या प्रशािक िो ििां ऐिे िाद में जो उिमें
िे एक या असिक के सिरुद्ध िों, िे ििी पिकार बिाए जाएंगे :
परन्तु सजन्िोंिे अपिे ििीयतकताच की सिल को िासबत ििीं क्रकया िै, ऐिे सिष्पादकों को और 2[िारत] िे बािर के न्यासियों,
सिष्पादकों और प्रशािकों को पिकार बिािा आिश्यक ििीं िोगा ।
3. सििासिता सिष्पाक्रदका का पसत िंयोसजत ििीं िोगा—जब तक क्रक न्यायालय अन्यथा सिदेश ि दे सििासिता न्यािी,
प्रशासिका या सिष्पाक्रदका का पसत िोिे के िाते िी ऐिे िाद में पिकार ि िोगा जो उि स्त्री द्वारा या उिके सिरुद्ध लाया गया िो ।
आदेश 32
अियस्कों और सिकृ तसर्त्त व्यसक्तयों द्वारा या उिके सिरुद्ध िाद
1. अियस्क िाद-समत्र द्वारा िाद लाएगा—अियस्क द्वारा िर िाद उिके िाम में ऐिे व्यसक्त द्वारा िंसस्थत क्रकया जाएगा जो
ऐिे िाद में अियस्क का िाद-समत्र किलाएगा ।
[स्पष्टीकरर्—इि आदेश में “अियस्क” िे िि व्यसक्त सजििे िारतीय अियस्कता असिसियम, 1875 (1875 का 9) की
3

िारा 3 के अथच में अपिी ियस्कता प्राप्त ििीं की िै, असिप्रेत िै जिां िाद उि असिसियम की िारा 2 के िण्ड (क) और िण्ड (ि) में
िर्र्चत सिषयों में िे क्रकिी सिषय या क्रकिी अन्य सिषय के िम्बन्ि में िै ।]
2. जिां िाद-समत्र के सबिा िाद िंसस्थत क्रकया जाए ििां िादपत्र फाइल िे सिकाल क्रदया जाएगा—(1) जिां अियस्क द्वारा
या उिकी ओर िे िाद, िाद-समत्र के सबिा िंसस्थत क्रकया जाता िै ििां प्रसतिादी यि आिेदि कर िके गा क्रक िादपत्र फाइल िे सिकाल
क्रदया जाए और िर्े उि प्लीडर या अन्य व्यसक्त द्वारा क्रदए जाएं सजििे उिे उपसस्थत क्रकया था ।
(2) ऐिे आिेदि की िपर्िा ऐिे व्यसक्त को दी जाएगी और उिके आिेप (यक्रद कोई िों) िुििे के पश्र्ात न्यायालय उि
सिषय में ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
[10क. िाद-समत्र द्वारा प्रसतिपसत का तब क्रदया जािा जब इि प्रकार आक्रदष्ट क्रकया जाए—(1) जिां अियस्क की ओर िे
3

उिके िाद-समत्र द्वारा िाद िंसस्थत क्रकया जाता िै ििां न्यायालय िाद के क्रकिी िी प्रिम में या तो स्िप्रेरर्ा िे या क्रकिी प्रसतिादी के
आिेदि पर और ऐिे कारर्ों िे जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, िाद-समत्र को यि आदेश दे िके गा क्रक िि प्रसतिादी द्वारा उपगत या उपगत
क्रकए जािे िंिाव्य ििी िर्ों के िंदाय के सलए प्रसतिपसत दे ।
(2) जिां सििचि व्यसक्त द्वारा ऐिा िाद िंसस्थत क्रकया जाता िै ििां प्रसतिपसत के अन्तगचत िरकार को िंदय
े न्यायालय फीि
िी िोगी ।
(3) जिां न्यायालय इि सियम के अिीि प्रसतिपसत देिे का सिदेश देते हुए आदेश करता िै ििां आदेश 25 के सियम 2 के
उपबन्ि िाद को, जिां तक िो िके , लागप िोंगे ।]

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 78 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 10 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 79 द्वारा (1-2-1977 िे) अंतःस्थासपत ।
161

3. अियस्क प्रसतिादी के सलए न्यायालय द्वारा िादाथच िंरिक की सियुसक्त—(1) जिां प्रसतिादी अियस्क िै ििां न्यायालय
उिकी अियस्कता के तथ्य के बारे में अपिा िमािाि िो जािे पर उसर्त व्यसक्त को ऐिे अियस्क के सलए िादाथच िंरिक सियुक्त
करे गा ।
(2) िादाथच िंरिक की सियुसक्त के सलए आदेश अियस्क के िाम में और उिकी ओर िे या िादी द्वारा क्रकए गए आिेदि पर
असिप्राप्त क्रकया जा िके गा ।
(3) ऐिा आिेदि इि तथ्य को ित्यासपत करिे िाले शपथपत्र द्वारा िमर्थचत िोगा क्रक सित अियस्क का िै उि सित के
प्रसतकप ल कोई सित प्रस्थासपत िंरिक का ििीं िै और िि ऐिे सियुक्त क्रकए जािे के सलए ठीक व्यसक्त िै ।
(4) कोई िी आदेश इि सियम के अिीि क्रकए गए आिेदि पर तब के सििाय ििीं क्रकया जाएगा जब क्रक 1*** अियस्क के
क्रकिी ऐिे िंरिक को जो ऐिे प्रासिकारी द्वारा सियुक्त या घोसषत क्रकया गया िै जो इि सिसमत्त ििम िै या जिां ऐिा िंरिक ििीं िै
ििां 2[अियस्क के सपता को या जिां सपता ििीं िै ििां माता को या जिां सपता या माता ििीं िै ििां अन्य िैिर्गचक िंरिक को] या
जिां 2[सपता, माता या अन्य िैिर्गचक िंरिक ििीं] िै ििां उि व्यसक्त को सजिकी देि-रे ि में अियस्क िै, 2[िपर्िा दी गई िै] और सजि
क्रकिी व्यसक्त पर इि उपसियम के अिीि िपर्िा की तामील की गई िै, उि व्यसक्त की ओर िे क्रकया गया कोई िी आिेप िुि सलया
गया िै ।
3
[(4क) यक्रद न्यायालय क्रकिी मामले में ठीक िमझे तो िि अियस्क को िी उपसियम (4) के अिीि िपर्िा दे िके गा ।]
[(5) जो व्यसक्त अियस्क के सलए िादाथच िंरिक उपसियम (1) के अिीि सियुक्त क्रकया गया िै, यक्रद उिकी सियुसक्त का
4

पयचििाि सििृसत्त, िटाए जािे या मृत्यु के कारर् ि िो गया िो तो, िि उि िाद में उद्िपत िोिे िाली ििी कायचिासियों के पपरे दौराि
में सजिके अन्तगचत अपील न्यायालय या पुिरीिर् न्यायालय में की गई कायचिासियां और सडिी के सिष्पादि की कायचिासियां आती िैं
उिी िैसियत में बिा रिेगा ।]
[3क. अियस्क के सिरुद्ध सडिी का तब तक अपास्त ि क्रकया जािा जब तक क्रक उिके सितों पर प्रसतकप ल प्रिाि ि पडा
3

िो—(1) अियस्क के सिरुद्ध पाटरत कोई सडिी के िल इि आिार पर अपास्त ििीं क्रक जाएगी क्रक अिस्यक के िाद के सलए िाद-समत्र या
िंरिर् िाद की सिषयिस्तु में अियस्क के सित के प्रसतकप ल कोई सित रिता िै, क्रकन्तु यि तथ्य क्रक िाद के सलए िाद-समत्र या िंरिक के
ऐिे प्रसतकप ल सित के कारर् अियस्क के सितों पर प्रसतकप ल प्रिाि पडा िै, सडिी अपास्त करिे के सलए आिार िोगा ।
(2) इि सियम की कोई बात अियस्क को, िाद के सलए िाद-समत्र या िंरिक की ओर िे ऐिे अिर्ार या घोर उपेिा के
कारर् सजिके पटरर्ामस्िरूप अियस्क के सित पर प्रसतकप ल प्रिाि पडा िै, सिसि के अिीि उपलभ्य कोई अिुतोष असिप्राप्त करिे िे
प्रिाटरत ििीं करे गी ।]
4. कौि िाद-समत्र की िैसियत में कायच कर िके गा या िादाथच िंरिक सियुक्त क्रकया जा िके गा—(1) जो व्यसक्त स्िस्थसर्त्त िै
और ियस्क िै िि अियस्क के िाद-समत्र या िादाथच िंरिक की िैसियत में कायच कर िके गाः
परन्तु यि तब जब क्रक ऐिे व्यसक्त का सित अियस्क के सित के प्रसतकप ल ि िो और िाद-समत्र की दशा में िि प्रसतिादी ि िो
या िादाथच िंरिक की दशा में िि िादी ि िो ।
(2) जिां अियस्क का ऐिा िंरिक िै जो ििम प्रासिकारी द्वारा सियुक्त या घोसषत क्रकया गया िै ििां जब तक क्रक न्यायालय
का उि कारर्ों िे, जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, िि सिर्ार ि िो क्रक अियस्क का इिमें कल्यार् िै क्रक दपिरे व्यसक्त को उिके िाद-समत्र की
िैसियत में कायच करिे के सलए अिुज्ञात क्रकया जाए या उिको िादाथच िंरिक सियुक्त क्रकया जाए, ऐिे िंरिक िे सिन्ि कोई व्यसक्त,
यथासस्थसत, ि तो इि प्रकार कायच करे गा और ि इि प्रकार सियुक्त क्रकया जएगा ।
(3) कोई िी व्यसक्त अपिी 3[सलसित] ििमसत के सबिा िादाथच िंरिक सियुक्त ििीं क्रकया जाएगा ।
(4) जिां िादाथच िंरिक की िैसियत में कायच करिे के सलए कोई िी अन्य व्यसक्त योग्य और रजामन्द ििीं िै ििां न्यायालय
अपिे असिकाटरयों में िे क्रकिी को ऐिा िंरिक िोिे के सलए सियुक्त कर िके गा और सिदेश दे िके गा क्रक ऐिे िंरिक की िैसियत में
अपिे कतचव्यों के पालि में ऐिे असिकारी द्वारा उपगत िर्े या तो िाद के पिकारों द्वारा या पिकारों में िे क्रकिी एक या असिक के
द्वारा न्यायालय में की क्रकिी ऐिी सिसि में िे सजिमें अियस्क सितबद्ध िै 3[या अियस्क की िम्पसत्त में िे], क्रदए जाएंगे और ऐिे िर्ों के
प्रसतिंदाय या उिके अिुज्ञात क्रकए जािे के सलए ऐिे सिदेश दे िके गा जो न्याय और मामले की पटरसस्थसतयों िे अपेसित िों ।
5. िाद-समत्र या िादाथच िंरिक द्वारा अियस्क का प्रसतसिसित्ि(1) अियस्क की ओर िे िर ऐिा आिेदि जो सियम 10 के
उपसियम (2) के अिीि आिेदि िे सिन्ि िै, उिके िाद-समत्र या उिके िादाथच िंरिक द्वारा क्रकया जाएगा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 79 द्वारा (1-2-1977 िे) “अियस्क को और” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 79 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 79 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्तःस्थासपत ।
4
1937 के असिसियम िं० 16 की िारा 2 द्वारा अन्तःस्थासपत ।
162

(2) जिां अियस्क का प्रसतसिसित्ि, यथासस्थसत, िाद-समत्र या िादाथच िंरिक द्वारा ििीं हुआ िै ििां िर आदेश जो न्यायालय
के िमि के िाद में या आिेदि पर क्रकया गया िै और सजििे ऐिा अियस्क क्रकिी प्रकार िम्बसन्ित िै या सजिके द्वारा उि पर क्रकिी
प्रकार प्रिाि पडता िै, अपास्त क्रकया जा िके गा और उि दशा में िर्े िसित अपास्त क्रकया जा िके गा सजिमें उि पिकार का सजिकी
प्रेरर्ा पर ऐिा आदेश असिप्राप्त क्रकया गया था, प्लीडर ऐिी अियस्कता के तथ्य को जािता था या युसक्तयुक्त रूप िे जाि िकता था,
जो िर्ाच उि प्लीडर द्वारा क्रकया जाएगा ।
6. अियस्क की ओर िे िाद-समत्र या िादाथच िंरिक को सडिी के अिीि िम्पसत्त की प्रासप्त(1) िाद-समत्र या िादाथच
िंरिक न्यायालय की इजाजत के सबिा ि तो
(क) सडिी या आदेश के पपिच िमझौते के तौर पर, और ि
(ि) अियस्क के पि में सडिी या आदेश के अिीि,
क्रकिी िी िि या अन्य जंगम िम्पसत्त को अियस्क की ओर िे प्राप्त करे गा ।
(2) जिां िाद-समत्र या िादाथच िंरिक अियस्क की िम्पसत्त का िंरिक िोिे के सलए िमि प्रासिकारी द्वारा सियुक्त या
घोसषत ििीं क्रकया गया िै या ऐिे सियु क्त या घोसषत क्रकए जािे पर िि या अन्य जंगम िम्पसत्त को प्राप्त करिे के सलए ऐिी क्रकिी
सियोग्यता के अिीि िै जो न्यायालय को ज्ञात िै ििां, यक्रद न्यायालय िम्पसत्त प्राप्त करिे के सलए उिे इजाजत देता िै तो, िि ऐिी
प्रसतिपसत अपेसित करे गा और ऐिे सिदेश देगा सजििे न्यायालय की राय में िम्पसत्त की दुव्यचय िे पयाचप्त रूप िे िंरिा िोगी और उिका
उसर्त उपयोजि िुसिसश्र्त िोगा :
1[परन्तु
न्यायालय िाद-समत्र या िादाथच िंरिक को सडिी या आदेश के अिीि िि या अन्य जंगम िम्पसत्त प्राप्त करिे की
इजाजत देते िमय ऐिे कारर्ों िे जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, ऐिी प्रसतिपसत देिे िे उि दशा में असिमुक्त कर िके गा सजिमें ऐिा िाद-
समत्र या िंरिक
(क) सिन्दप असििक्त कु टु म्ब का कताच िै और सडिी या आदेश कु टु म्ब की िम्पसत्त या कारबार के िम्बन्ि
में िै ; अथिा
(ि) अियस्क का माता या सपता िै ।]
7. िाद-समत्र या िादाथच िंरिक द्वारा करार या िमझौता(1) कोई िी िाद-समत्र या िादाथच िंरिक अियस्क की ओर िे
कोई करार या िमझौता उि िाद के बारे में सजिमें िाद-समत्र या िंरिक की िैसियत में िि कायच करता िै, न्यायालय की इजाजत के
सबिा ििीं करे गा जो इजाजत कायचिासियों में स्पष्ट रूप िे असिसलसित की जाएगी ।
[(1क) उपसियम (1) के अिीि इजाजत के सलए आिेदि के िाथ, यथासस्थसत, िाद-समत्र या िादाथच िंरिक का शपथपत्र
1

िोगा और यक्रद अियस्क का प्रसतसिसित्ि प्लीडर द्वारा क्रकया जाता िै तो, प्लीडर का इि आशय का प्रमार्पत्र िी िोगा क्रक प्रस्थासपत
करार या िमझौता उिकी राय में अियस्क के फायदे के सलए िै :
परन्तु शपथपत्र में या प्रमार्पत्र में इि प्रकार असिव्यक्त की गई राय, न्यायालय को यि जांर् करिे िे प्रिाटरत ििीं करे गी
क्रक क्या प्रस्थासपत करार या िमझौता अियस्क के फायदे के सलए िै ।]
(2) न्यायालय की इि प्रकार असिसलसित इजाजत के सबिा क्रकया गया कोई िी करार या िमझौता अियस्क िे सिन्ि ििी
पिकारों के सिरुद्ध शपन्यकरर्ीय िोगा ।
8. िाद-समत्र की सििृसत्त(1) जब तक क्रक न्यायालय द्वारा अन्यथा आक्रदष्ट ि क्रकया जाए िाद-समत्र अपिे स्थाि में रिे जािे
िाले योग्य व्यसक्त को पिले उपाप्त क्रकए सबिा, और उपगत िर्ों के सलए प्रसतिपसत क्रदए सबिा सििृत्त ििीं िोगा ।
(2) िए िाद-समत्र की सियुसक्त के सलए आिेदि यि दर्शचत करिे िाले शपथपत्र द्वारा िमर्थचत िोगा क्रक प्रस्थासपत व्यसक्त
ठीक िै और और अियस्क के सित के प्रसतकप ल उिका कोई सित ििीं िै ।
9. िाद-समत्र का िटाया जािा(1) जिां अियस्क के िाद-समत्र का सित अियस्क के सित के प्रसतकप ल िै या जिां उि
प्रसतिादी िे सजिका सित अियस्क के सित के प्रसतकप ल िै, उिकी ऐिी िंिसक्त िै सजििे यि अिंिाव्य िो जाता िै क्रक अियस्क के सित
की िंरिा िि उसर्त रूप िे करे गा या जिां िि अपिा कतचव्य ििीं करता िै या िाद के लसम्बत रििे के दौराि 2[िारत] के िीतर
सििाि करिा छोड देता िै ििां या क्रकिी िी अन्य पयाचप्त कारर् िे उिके िटाए जािे के सलए आिेदि अियस्क की ओर िे या क्रकिी
प्रसतिादी द्वारा क्रकया जा िके गा और यक्रद िमिुक्रदष्ट िेतुक की पयाचप्तता के बारे में न्यायालय का िमािाि िो जाता िै तो, िि िाद-
समत्र के तद्िुिार िटाए जािे के सलए आदेश कर िके गा और िर्ों के िम्बन्ि में ऐिा अन्य आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
(2) जिां िाद समत्र इि सिसमत्त ििम प्रसिकारी द्वारा सियुक्त या घोसषत िंरिक ििीं िै और ऐिे सियुक्त या घोसषत िंरिक
द्वारा जो यि िांछा करता िै क्रक िि िाद-समत्र के स्थाि में सियुक्त क्रकया जाए, आिेदि क्रकया जाता िै ििां जब तक क्रक न्यायालय का

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 79 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
163

उि कारर्ों िे जो उिके द्वारा लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, यि सिर्ार ि िो क्रक िंरिक को अियस्क का िाद-समत्र सियुक्त ििीं क्रकया जािा
र्ासिए, िि िाद-समत्र को िटा देगा और तब िाद-समत्र िोिे के सलए उिके स्थाि में आिेदक की सियुसक्त िाद में पिले उपगत िर्ों के
िम्बन्ि में ऐिे सिबन्ििों पर करे गा जो िि ठीक िमझे ।
10. िाद-समत्र के िटाए जािे, आक्रद पर कायचिासियों का रोका जािा(1) अियस्क के िाद-समत्र की सििृसत्त, िटाए जािे या
मृत्यु पर आगे की कायचिासियां तब तक रोक रिी जाएंगी जब तक उिके स्थाि में िाद-समत्र की सियुसक्त ि िो जाए ।
(2) जिां ऐिे अियस्क का प्लीडर िए िाद-समत्र के सियुक्त क्रकए जािे के सलए युसक्तयुक्त िमय के िीतर कायचिािी करिे का
लोप करता िे ििां उि अियस्क में या सििादग्रस्त बात में सित रििे िाला कोई िी व्यसक्त न्यायालय िे आिेदि कर िके गा क्रक िाद-
समत्र सियुक्त क्रकया जाए और न्यायालय ऐिे व्यसक्त की सियुसक्त कर िके गा सजिे िि ठीक िमझे ।
11. िादाथच िंरिक की सििृसत्त, िटाया जािा या मृत्यु(1) जिां िादाथच िंरिक सििृत्त िोिे की िांछा करता िै, या अपिा
कतचव्य ििीं करता या जिां अन्य पयाचप्त आिार क्रदिाया जाता िै ििां न्यायालय ऐिे िंरिक को सििृत्त िोिे के सलए अिुज्ञा दे िके गा
या उिे िटा िके गा और िर्ों के िम्बन्ि में ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
(2) जिां िादाथच िंरिक िाद के लसम्बत रििे के दौराि सििृत्त िो जाता िै, उिकी मृत्यु िो जाती िै या िि न्यायालय द्वारा
िटा क्रदया जाता िै ििां न्यायालय उिके स्थाि में िया िंरिक सियुक्त करे गा ।
12. अियस्क िादी या आिेदक द्वारा ियस्क िोिे पर अिुिरर् की जािे िाली र्याच(1) अियस्क िादी या िि अियस्क जो
िाद में पिकार तो ििीं िै क्रकन्तु सजिकी ओर िे आिेदि लसम्बत िै, ियस्क िोिे पर यि सििाचसर्त करे गा क्रक िि िाद या आिेदि आगे
र्लाएगा या ििीं ।
(2) जिां िि िाद या आिेदि आगे र्लािे का सििाचर्ि करता िै ििां िि िाद-समत्र के उन्मोर्ि के आदेश के सलए और स्ियं
अपिे िाम िे आगे कायचिािी र्लािे की इजाजत के सलए आिेदि करे गा ।
(3) ऐिी दशा में उि िाद या आिेदि का शीषचक इि िांसत शुद्ध क्रकया जाएगा क्रक उिका रूप तत्पश्र्ात सिम्ि प्रकार
का िो जाए
“क ि, िपतपपिच अियस्क अपिे िाद-समत्र ग घ, द्वारा, क्रकन्तु जो अब ियस्क िै ।”
(4) जिां िि िाद या आिेदि का पटरत्याग करिे का सििाचर्ि करता िै ििां, यक्रद िि एकमात्र िादी या एकमात्र आिेदक िै
तो, िि इि आदेश के सलए आिेदि करे गा क्रक जो िर्ाच प्रसतिादी या सिरोिी पिकार द्वारा उपगत क्रकया गया िै या जो उिके िाद-समत्र
द्वारा क्रदया गया िै, उि िर्च के प्रसतिंदाय पर िाद या आिेदि िाटरज कर क्रदया जाए ।
(5) इि सियम के अिीि कोई आिेदि एकपिीय क्रकया जा िके गा, क्रकन्तु िाद-समत्र को उन्मोसर्त करिे िाला और अियस्क
िादी को स्ियं अपिे िाम िे आगे कायचिािी करिे के सलए अिुज्ञा देिे िाला कोई िी आिेदि िाद-समत्र को िपर्िा क्रदए सबिा ििीं क्रकया
जाएगा ।
13. जिां अियस्क िििादी, ियस्क िोिे पर िाद का सिराकरर् करिे की िांछा करता िै(1) जिां अियस्क िििादी,
ियस्क िोिे पर िाद का सिराकरर् करिे की िांछा करता िै ििां िि यि आिेदि करे गा क्रक िििादी की िैसियत िे उिका िाम काट
क्रदया जाए और यक्रद न्यायालय का यि सिष्कषच िो क्रक िि आिश्यक पिकार ििीं िै तो न्यायालय िर्ों के िम्बन्ि में या अन्यथा ऐिे
सिबन्ििों पर जो िि ठीक िमझे, उिे िाद िे िाटरज कर देगा ।
(2) आिेदि की िपर्िा की तामील िाद-समत्र पर, क्रकिी िििादी पर और प्रसतिादी पर की जाएगी ।
(3) ऐिे आिेदि के ििी पिकारों के और िाद में क्रक तब तक की गई ििी या क्रकन्िीं कायचिासियों के िर्े ऐिे व्यसक्तयों द्वारा
क्रदए जाएंगे सजन्िें न्यायालय सिक्रदष्ट करे ।
(4) जिां आिेदक िाद का आिश्यक पिकार िै ििां न्यायालय उिे प्रसतिादी बिाए जािे का सिदेश दे िके गा ।
14. अयुसक्तयुक्त या अिुसर्त िाद(1) यक्रद अियस्क एक-मात्र िादी िै तो िि ियस्क िोिे पर आिेदि कर िके गा क्रक
उिके िाम में उिके िाद-समत्र द्वारा िंसस्थत िाद इि आिार पर िाटरज कर क्रदया जाए क्रक िि अयुसक्तयुक्त या अिुसर्त था ।
(2) इि आिेदि की िपर्िा की तामील िंबद्ध ििी पिकारों पर की जाएगी और ऐिी अयुसक्तयुक्तता या अिौसर्त्य के बारे
में अपिा िमािाि िो जािे पर न्यायालय आिेदि को मंजपर कर िके गा और आिेदि के िम्बन्ि में ििी पिकारों के िर्ों का और िाद
में की गई क्रकिी बात में हुए िर्ों को देिे के सलए आदेश िाद-समत्र को दे िके गा या ऐिा अन्य आदेश दे िके गा जो िि ठीक िमझे ।
सियम 1 िे सियम 14 तक का (सजिमें सियम 2क िसम्मसलत ििीं िै) सिकृ तसर्त्त िाले व्यसक्तयों को लागप िोिा
1[15.

सियम 1 िे सियम 14 तक (सजिमें सियम 2क िसम्मसलत ििीं िै) ऐिे व्यसक्तयों को, जिां तक िो िके , लागप िोंगे जो िाद के लसम्बत
रििे के पपिच या उिके दौराि सिकृ तसर्त्त के न्यायसिर्ीत क्रकए जाते िैं और ऐिे व्यसक्तयों को िी लागप िोंगे जो यद्यसप ऐिे न्यायसिर्ीत

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 79 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 15 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
164

ििीं क्रकए जाते िैं, क्रकन्तु जब िे िाद लाते िैं या उिके सिरुद्ध िाद लाया जाता िै तब िे न्यायालय द्वारा जांर् क्रकए जािे पर क्रकिी
मािसिक दौबचल्य के कारर् अपिे सित की िंरिा करिे में अिमथच पाए जाते िैं ।]
व्यािृसत्तयां(1) इि आदेश की कोई बात सिदेशी राज्य के ऐिे शािक को लागप ििीं िोगी जो अपिे राज्य के िाम िे
1[16.

िाद लाता िै या सजिके सिरुद्ध उिके राज्य के िाम िे िाद लाया जाता िै या के न्द्रीय िरकार के सिदेश िे सजिके सिरुद्ध असिकताच के
िाम िे या क्रकिी अन्य िाम िे िाद लाया जाता िै ।
(2) इि आदेश की क्रकिी बात का यि अथच ििीं लगाया जाएगा क्रक िि अियस्कों द्वारा या उिके सिरुद्ध अथिा पागलों या
सिकृ तसर्त्त िाले अन्य व्यसक्तयों द्वारा या उिके सिरुद्ध िादों के िम्बन्ि में क्रकिी तत्िमय प्रिृत्त स्थािीय सिसि के उपबन्िों पर प्रिाि
डालती िै या क्रकिी रूप में उन्िें अल्पीकृ त करती िै ।]
2
[आदेश 32क
कु टु म्ब िे िंबंि रििे िाले सिषयों िे िम्बसन्ित िाद
1. आदेश का लागप िोिा(1) इि आदेश के उपबन्ि कु टु म्ब िे िम्बन्ि रििे िाले सिषयों िे िम्बसन्ित िादों या कायचिासियों
को लागप िोंगे ।
(2) सिसशष्टतया और उपसियम (1) के उपबन्िों की व्यापकता पर प्रसतकप ल प्रिाि डाले सबिा, इि आदेश के उपबन्ि कु टु म्ब िे
िम्बसन्ित सिम्िसलसित िादों या कायचिासियों को लागप िोंगे, अथाचत :
(क) सििाि-सिषयक अिुतोष के सलए कोई िाद या कायचिािी सजिके अन्तगचत क्रकिी व्यसक्त के सििाि की या
सििाि-सिषयक प्रासस्थसत की सिसिमान्यता के बारे में घोषर्ा के सलए िाद या कायचिािी िी िै ;
(ि) क्रकिी व्यसक्त के िमचजत्ि के बारे में घोषर्ा के सलए िाद या कायचिािी ;
(ग) क्रकिी व्यसक्त की िंरिता या कु टु म्ब के क्रकिी अियस्क या अन्य सि:शक्त िदस्य की असिरिा के बारे में कोई
िाद या कायचिािी ;
(घ) िरर्पोषर् के सलए कोई िाद या कायचिािी ;
(ङ) दत्तकग्रिर् की सिसिमान्यता या प्रिाि के बारे में कोई िाद या कायचिािी ;
(र्) सिल, सििचिीयतता और उत्तरासिकार के बारे में कु टु म्ब के क्रकिी िदस्य द्वारा िंसस्थत क्रकया गया कोई
िाद या कायचिािी ;
(छ) क्रकिी ऐिे अन्य सिषय के बारे में कोई िाद या कायचिािी सजिके िम्बन्ि में पिकार अपिी स्िीय सिसि के
अिीि िै ।
(3) इि आदेश का उतिा िाग सजतिा क्रकिी ऐिे िाद या कायचिािी िे िम्बन्ि रििे िाली क्रकिी सिशेष सिसि द्वारा
उपबसन्ित सिषय के िम्बन्ि में िै, उि िाद या कायचिािी को लागप ििीं िोगा ।
2. कायचिासियों का बन्द कमरे में क्रकया जािाऐिे प्रत्येक िाद या कायचिािी में सजिे यि आदेश लागप िोता िै, यक्रद
न्यायालय ऐिी िांछा करे तो, कायचिासियां बन्द कमरे में की जा िकें गी और यक्रद दोिों पिकारों में िे कोई ऐिी िांछा करे तो
कायचिासियां बन्द कमरे में की जाएंगी ।
3. सिपटारे के सलए प्रयत्ि करिे का न्यायालय का कतचव्य(1) ऐिे प्रत्येक िाद या कायचिािी में सजिे यि आदेश लागप िोता
िै, न्यायालय िाद की सिषय-िस्तु के बारे में सिपटारा करािे में पिकारों की ििायता करिे के सलए िर मामले में जिां ऐिा करिा
मामले में प्रकृ सत और पटरसस्थसतयों िे िुिंगत िंिि िो, प्रथमत: प्रयाि करे गा ।
(2) यक्रद ऐिे क्रकिी िाद या कायचिािी के क्रकिी प्रिम में न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक पिकारों के बीर् सिपटारे की
युसक्तयुक्त िंिाििा िै तो न्यायालय कायचिािी को ऐिी अिसि के सलए, जो िि ठीक िमझे, स्थसगत कर िके गा क्रक ऐिा सिपटारा
करिे के सलए प्रयत्ि क्रकए जा िकें ।
(3) उपसियम (2) द्वारा प्रदत्त शसक्त, कायचिासियां स्थसगत करिे की न्यायालय की क्रकिी अन्य शसक्त के असतटरक्त िोगी, ि
क्रक उिके अल्पीकरर् में ।
4. कल्यार् सिशेषज्ञ िे ििायताऐिे प्रत्येक िाद या कायचिािी में सजिे यि आदेश लागप िोता िै न्यायालय को इि आदेश के
सियम 3 द्वारा असिरोसपत कृ त्यों के सििचिि में न्यायालय की ििायता के प्रयोजि के सलए ऐिे व्यसक्त की िेिाएं (सिशेषकर मसिला की
िेिा, यक्रद उपलभ्य िो) र्ािे िि पिकारों का िातेदार िो या ि िो, इिके अन्तगचत कु टु म्ब के कल्यार् की प्रोन्िसत में िृसत्तक तौर पर
लगा हुआ व्यसक्त िी िै सजिे न्यायालय ठीक िमझे, प्राप्त करिे की स्ितंत्रता िोगी ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 79 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 15 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 80 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
165

5. तथ्यों की जांर् करिे का कतचव्यऐिे प्रत्येक िाद या कायचिािी में सजिे यि आदेश लागप िोता िै, न्यायालय का यि कतचव्य
िोगा क्रक िि िादी द्वारा असिकसथत तथ्यों की और प्रसतिादी द्वारा असिकसथत क्रकन्िीं तथ्यों की जांर् ििां तक करे जिां तक क्रक िि
युसक्तयुक्त रूप िे कर िकता िै ।
6. “कु टु म्ब” का अथचइि आदेश के प्रयोजिों के सलए सिम्िसलसित व्यसक्तयों में िे प्रत्येक के बारे में यि िमझा जाएगा क्रक
उििे समलकर कु टु म्ब बिता िै, अथाचत :
(क) (i) एक िाथ रििे िाले पुरुष और उिकी पत्िी ;
(ii) कोई बालक जो उिकी या ऐिे पुरुष की या ऐिी पत्िी की िंताि िो या िों ;
(iii) कोई बालक सजिका या सजिका िरर्पोषर् ऐिे पुरुष और पत्िी द्वारा क्रकया जाता िै ;
(ि) ऐिा पुरुष, सजिकी पत्िी ि िो या जो अपिी पत्िी के िाथ ि रिता िो, कोई बालक जो उिकी िंताि िो या
िों और कोई बालक सजिका िरर्पोषर् उिके द्वारा क्रकया जाता िै ;
(ग) ऐिी स्त्री, सजिका पसत ि िो या जो अपिे पसत के िाथ ि रिती िो, कोई बालक, जो उिकी िंताि िो या िों
और कोई बालक सजिका िरर्पोषर् उिके द्वारा क्रकया जाता िै ;
(घ) कोई पुरुष या स्त्री और उि पुरुष या स्त्री का िाई, बसिि, पपिचज या पारम्पटरक िंशज जो उिके िाथ
रिता िो ; और
(ङ) इि सियम के िण्ड (क), िण्ड (ि), िण्ड (ग) या िण्ड (घ) में सिसिर्दचष्ट िगों में िे एक या असिक का कोई
िमुच्र्य ।
स्पष्टीकरर्शंकाओं को दपर करिे के सलए यि घोसषत क्रकया जाता िै क्रक सियम 6 के उपबन्िों िे क्रकिी स्िीय सिसि में या
तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी अन्य सिसि में “कु टु म्ब” की िारर्ा पर प्रसतकप ल प्रिाि ििीं पडेगा ।]
आदेश 33
1
[सििचि व्यसक्तयों द्वारा िाद]
1. सििचि व्यसक्त द्वारा िाद िंसस्थत क्रकए जा िकें गेसिम्िसलसित उपबन्िों के अिीि रिते हुए कोई िी
िाद 2[सििचि व्यसक्तयों] द्वारा िंसस्थत क्रकया जा िके गा ।
3[स्पष्टीकरर् 1कोई व्यसक्त सििचि व्यसक्त तब िै
(क) जब उिके पाि इतिा पयाचप्त िािि (सडिी के सिष्पादि में कु की िे छप ट प्राप्त िंपसत्त िे और िाद की
सिषय-िस्तु िे सिन्ि) ििीं िै क्रक िि ऐिे िाद में िाद-पत्र के सलए सिसि द्वारा सिसित फीि दे िके ; अथिा
(ि) जिां ऐिी कोई फीि सिसित ििीं िै ििां , तब िि एक िजार रुपए के मपल्य की ऐिी िम्पसत्त का, जो सडिी के
सिष्पादि में कु की िे छप ट प्राप्त िम्पसत्त िे और िाद की सिषय-िस्तु िे सिन्ि िै, िकदार ििीं िै ।
स्पष्टीकरर् 2इि प्रश्ि पर सिर्ार करिे में क्रक आिेदक सििचि व्यसक्त िै या ििीं, क्रकिी ऐिी िम्पसत्त को ध्याि में रिा
जाएगा सजिको उििे सििचि व्यसक्त के रूप में िाद र्लािे की अिुज्ञा के सलए अपिा आिेदि प्रस्तुत करिे के पश्र्ात और आिेदि का
सिसिश्र्य िोिे के पपिच अर्जचत क्रकया िै ।
स्पष्टीकरर् 3जिां िादी प्रसतसिसि की िैसियत में िाद लाता िै ििां इि प्रश्ि का अििारर् क्रक िि सििचि व्यसक्त िै, उि
िाििों के प्रसत सिदेश िे क्रकया जाएगा जो ऐिी िैसियत में उिके पाि िैं ।]
[1क. सििचि व्यसक्तयों के िाििों की जांर्इि प्रश्ि की िर जांर् क्रक कोई व्यसक्त सििचि व्यसक्त िै या ििीं जब तक क्रक
4

न्यायालय अन्यथा सिदेश ि दे तब तक, प्रथम बार में न्यायालय के मुखय सलसपक िगीय असिकारी द्वारा की जाएगी और न्यायालय ऐिे
असिकारी की टरपोटच को अपिे सिष्कषच के रूप में माि िके गा या न्यायालय उि प्रश्ि की जांर् स्ियं कर िके गा ।]
2. आिेदि की सिषयिस्तु2[सििचि व्यसक्त] के रूप में िाद लािे की अिुज्ञा के िर आिेदि में िादों में के िाद-पत्रों के िम्बन्ि
में अपेसित सिसशसष्टयां अन्तर्िचष्ट िोंगी, आिेदि की जंगम या स्थािर िम्पसत्त की अिुिपर्ी उि िम्पसत्त के प्राक्कसलत मपल्य के िसित
उििे उपाबद्ध िोगी, और िि उि रीसत िे िस्तािटरत और ित्यासपत िोगा जो असििर्िों के िस्तािरर् और ित्यापि के सलए
सिसित िैं ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) “अककं र्िों द्वारा िाद” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) “अककं र्ि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) स्पष्टीकरर् के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) अंत:स्थासपत ।
166

3. आिेदि का उपस्थापिइि सियमों के क्रकिी बात के िोते हुए िी, आिेदि स्ियं आिेदक द्वारा न्यायालय में उपस्थासपत
क्रकया जाएगा क्रकन्तु यक्रद न्यायालय में उपिंजात िोिे िे उिे छप ट दे दी गई िो तो आिेदि ऐिे प्रासिकृ त असिकताच द्वारा उपस्थासपत
क्रकया जा िके गा, जो आिेदि िे िम्बसन्ित ििी िारिाि प्रश्िों का उत्तर दे िकता िो और सजिकी उिी रीसत िे परीिा की जा िके गी
जैिे उि पिकार की जाती सजिका प्रसतसिसित्ि िि कर रिा िै, यक्रद िि पिकार स्ियं उपिंजात हुआ िोता :
1[परन्तु जिां एक िे असिक िादी िैं ििां, यक्रद आिेदि उि िाक्रदयों में िे क्रकिी एक द्वारा उपस्थासपत क्रकया जाता िै तो, यि
पयाचप्त िोगा ।]
4. आिेदक की परीिा(1) जिां आिेदि उसर्त प्ररूप में िै और िम्यक रूप िे उपस्थासपत क्रकया गया िै ििां यक्रद न्यायालय
ठीक िमझे तो िि आिेदक की या जब आिेदक असिकताच द्वारा उपिंजात िोिे के सलए अिुज्ञात िै तब उिके ऐिे असिकताच की परीिा
दािे के गुर्ागुर् और आिेदक की िम्पसत्त के बारे में कर िके गा ।
(2) यक्रद आिेदि असिकताच द्वारा उपस्थासपत क्रकया जाता िै तो न्यायालय आदेश दे िके गा क्रक आिेदक की परीिा कमीशि
द्वारा की जाएजिां आिेदि असिकताच द्वारा उपस्थासपत क्रकया जाता िै ििां यक्रद न्यायालय ठीक िमझे तो िि आदेश दे िके गा क्रक
आिेदक की परीिा कमीशि द्वारा उि रीसत िे की जाए जैिे अिुपसस्थत िािी की, की जा िकती िै ।
5. आिेदि का िामंजपर क्रकया जािा2[सििचि व्यसक्त] के रूप में िाद लािे की अिुज्ञा के सलए आिेदि न्यायालय ििां
िामंजपर कर देगा
(क) जिां सियम 2 और सियम 3 में सिसित रीसत िे उिकी सिरर्िा ििीं की गई िै और िि उपस्थासपत ििीं क्रकया
गया िै, अथिा
(ि) जिां आिेदक 2[सििचि व्यसक्त] ििीं िै, अथिा
(ग) जिां उििे आिेदि उपस्थासपत करिे के ठीक पिले िाले दो माि के िीतर कपटपपिचक या इिसलए क्रक
िि 2[सििचि व्यसक्त] के रूप में िाद लािे की अिुज्ञा के सलए आिेदि कर िके , क्रकिी िंपसत्त का व्ययि कर क्रदया िै :
[परन्तु यक्रद आिेदक द्वारा व्ययसित िंपसत्त के मपल्य को सििाब में लेिे पर िी आिेदक सििचि व्यसक्त के रूप में िाद
1

लािे का िकदार िो तो क्रकिी आिेदि को िामंजपर ििीं क्रकया जाएगा,] अथिा


(घ) जिां उिके असिकथिों िे िाद-िेतुक दर्शचत ििीं िोता, अथिा
(ङ) जिां उििे प्रस्थासपत िाद की सिषय-िस्तु के बारे में कोई ऐिा करार क्रकया िै सजिके अिीि क्रकिी अन्य
व्यसक्त िे ऐिी सिषय-िस्तु में सित असिप्राप्त कर सलया िै, 1[अथिा]
1
[(र्) जिां आिेदि में आिेदक द्वारा क्रकए गए असिकथिों िे यि दर्शचत िोता िै क्रक िाद तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी सिसि
द्वारा िर्जचत िै, अथिा
(छ) जिां क्रकिी अन्य व्यसक्त िे मुकदमेबाजी के सित्तपोषर् के सलए उिके िाथ करार करार क्रकया िै ।]
6. आिेदक की सििचिता के बारे में िाक्ष्य लेिे के क्रदि की िपर्िाजिां न्यायालय को आिेदि को सियम 5 में कसथत आिारों
में िे क्रकिी पर िामंजपर करिे के सलए कोई कारर् ििीं िै ििां िि ऐिे िाक्ष्य को, जो आिेदक अपिी सििचिता के िबपत में दे, लेिे के
सलए और ऐिे िाक्ष्य की िुििाई के सलए जो उिको िािासबत करिे के सलए क्रदया जाए, क्रदि सियत करे गा (सजिकी कम िे कम पपरे दि
क्रदि की िपर्िा सिरोिी पिकार और िरकारी प्लीडर को दी जाएगी) ।
िुििाई में प्रक्रिया(1) ऐिे सियत क्रदि को या उिके पश्र्ात यथाशीघ्र िुसििािुिार न्यायालय दोिों पिकारों द्वारा पेश
37.

क्रकए गए िासियों की (यक्रद कोई िों) परीिा करे गा और आिेदक या उिके असिकताच की परीिा कर िके गा और 4[उिके िाक्ष्य का पपर्च
असिलेि तैयार करे गा] ।
[(1क) उपसियम (1) के अिीि िासियों की परीिा सियम 5 के िण्ड (ि), िण्ड (ग) और िण्ड (ङ) में सिसिर्दचष्ट सिषयों
1

तक िी िीसमत रिी जाएगी, क्रकन्तु आिेदक या उिके असिकताच की परीिा सियम 5 में सिसिर्दचष्ट सिषयों में िे क्रकिी के िंबंि में िो
िके गी ।]
(2) न्यायालय ऐिा तकच िी िुिेगा सजिे पिकार इि प्रश्ि पर देिा र्ािे क्रक क्या आिेदि के या ऐिे िाक्ष्य के (यक्रद कोई िो)
जो न्यायालय िे 4[सियम 6 के अिीि या इि सियम के अिीि] सलया िो, देिते िी यि प्रकट िै क्रक आिेदक सियम 5 में सिसिर्दचष्ट
प्रसतषेिों में िे क्रकिी के अिीि िै या ििीं िै ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) अंत:स्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) “अककं र्ि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
इि सियम के उपबन्ि, जिां तक िे ज्ञापि तैयार करिे िे िंबंसित िैं, अिि के उच्र् न्यायालय को लागप ििीं िोंगे, अिि को्िच ऐक्ट, 1925 (1925 का िं० प्रा०
असिसियम िं० 4) की िारा 16(2) देसिए ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
167

(3) तब न्यायालय आिेदक को 1[सििचि व्यसक्त] के रूप में िाद लािे के सलए अिुज्ञात करे गा या अिुज्ञा करिे िे इं कार
करे गा ।
8. यक्रद आिेदि ग्रिर् कर सलया जाए तो प्रक्रियाजिां आिेदि मंजपर क्रकया जाता ििां िि िंखयांक्रकत और रसजस्िीकृ त
क्रकया जाएगा और उि िाद में िाद-पत्र िमझा जाएगा और अन्य ििी बातों में िि िाद मामपली रीसत िे िंसस्थत िाद के रूप में आगे
र्लेगा, सििाय इिके क्रक िादी क्रकिी यासर्का, प्लीडर की सियुसक्त या िाद िे िंिक्त अन्य कायचिािी के िंबंि में कोई न्यायालय-फीि
2[या आदेसशका की तामील के सलए देय फीि] देिे का दायी ििीं िोगा ।

9. सििचि व्यसक्त के रूप में िाद लािे की अिुज्ञा का प्रत्यािरर्प्रसतिादी या िरकारी प्लीडर के आिेदि पर, सजिकी पपरे
िात क्रदि की सलसित िपर्िा िादी को दे दी गई िो, न्यायालय यि आदेश दे िके गा क्रक िादी को सििचि व्यसक्त के रूप में िाद लािे के
सलए दी गई अिुज्ञा सिम्िसलसित दशाओं में प्रत्याहृत कर ली जाए, अथाचत :
(क) यक्रद िादी िाद के दौराि तंग करिे िाले या अिुसर्त आर्रर् का दोषी िै ;
(ि) यक्रद यि प्रतीत िोता िै क्रक िादी के िािि ऐिे िैं क्रक 1[सििचि व्यसक्त] के रूप में उिे िाद ििीं करते रििा
र्ासिए ; अथिा
(ग) यक्रद िादी िे िाद की सिषय-िस्तु के बारे में ऐिा कोई करार क्रकया िै सजिके अिीि क्रकिी अन्य व्यसक्त िे ऐिी
सिषय-िस्तु में कोई सित असिप्राप्त कर सलया िै ।
3[9क.सजि सििचि व्यसक्त का प्रसतसिसित्ि ि िो उिके सलए न्यायालय द्वारा प्लीडर सियत क्रकया जािा(1) जिां क्रकिी ऐिे
व्यसक्त का सजिे सििचि व्यसक्त के रूप में िाद लािे की अिुज्ञा दी गई िै, प्रसतसिसित्ि प्लीडर द्वारा ििीं क्रकया जाता िै ििां न्यायालय
उिके सलए प्लीडर तब सियत कर िके गा जब मामले की पटरसस्थसतयों में ऐिा क्रकया जािा अपेसित िो ।
(2) उच्र् न्यायालय राज्य िरकार के पपिच अिुमोदि िे सिम्िसलसित का उपबन्ि करिे के सलए सियम बिा िके गा, अथाचत :
(क) उपसियम (1) के अिीि सियत क्रकए जािे िाले प्लीडर के र्यि की रीसत ;
(ि) न्यायालय द्वारा ऐिे प्लीडरों को दी जािे िाली िुसििाएं ;
(ग) कोई अन्य सिषय जो उपसियम (1) के उपबन्िों को प्रिािी करिे के सलए सियमों द्वारा अपेसित िो या
उपबसन्ित क्रकया जाए ।]
10. जिां सििचि व्यसक्त िफल िोता िै ििां िर्ेजिां िादी िाद में िफल िो जाता िै, ििां न्यायालय फीि की उि रकम
की िंगर्िा करे गा जो यक्रद उिे 1[सििचि व्यसक्त] के रूप में िाद लािे के सलए अिुज्ञा ि दी गई िोती तो िादी द्वारा िंदत्त की जाती,
ऐिी रकम 4[राज्य िरकार] द्वारा उि पिकार िे ििपलीय िोगी जो उिे िंदत्त करिे के सलए सडिी द्वारा आक्रदष्ट िै और िि िाद की
सिषय-िस्तु पर प्रथम िार िोगी ।
11. प्रक्रिया जिां सििचि व्यसक्त अिफल िो जाता िैजिां िादी िाद में अिफल िो जाता िै या सििचि व्यसक्त के रूप में िाद
लािे के सलए दी गई अिुज्ञा प्रत्याहृत कर ली गई िै या जिां िाद प्रत्याहृत कर सलया जाता िै या इि कारर् िे िाटरज कर क्रदया जाता
िै क्रक
(क) उपिंजात िोिे और उत्तर देिे के सलए प्रसतिादी के िाम िमि की तामील प्रसतिादी पर इि बात के
पटरर्ामस्िरूप ििीं िो पाई क्रक िादी ऐिी तामील के सलए प्रिायच न्यायालय-फीि या डाक िििपल को (यक्रद कोई िों) देिे
में 3[या िाद-पत्र की या िंसिप्त कथि की प्रसतयां उपसस्थत करिे में] अिफल रिा िै, अथिा
(ि) जब िाद की िुििाई के सलए पुकार हुई तब िादी उपिंजात ििीं हुआ, ििां न्यायालय िादी को, या िाद में
िििादी के तौर पर जोडे गए क्रकिी िी व्यसक्त को आदेश देगा क्रक िि ऐिी न्यायालय-फीि दे जो यक्रद
िादी 1[सििचि व्यसक्त] के रूप में िाद लािे के सलए अिुज्ञात ििीं क्रकया गया िोता तो िादी द्वारा दी जाती ।
5[11क. सििचि व्यसक्त के िाद के उपशमि पर प्रक्रियाजिां िाद का उपशमि िादी की या िििादी के तौर पर जोडे गए
क्रकिी व्यसक्त की मृत्यु के कारर् िो जाता िै ििां न्यायालय आदेश देगा क्रक न्यायालय-फीिों की िि रकम जो यक्रद
िादी 1[सििचि व्यसक्त] के रूप में िाद लािे के सलए अिुज्ञात ििीं क्रकया गया िोता तो िादी द्वारा दी जाती, मृत िादी की िम्पदा िे
राज्य िरकार द्वारा ििपलीय िोगी ।]

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) “अककं र्ि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) अंत:स्थासपत ।
4
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िरकार” के सलए रिे गए “प्रान्तीय िरकार” के स्थाि पर सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा
प्रसतस्थासपत ।
5
1942 के असिसियम िं० 24 की िारा 2 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
168

12. राज्य िरकार न्यायालय-फीि के िंदाय के सलए आिेदि कर िके गी1[राज्य िरकार] को यि असिकार िोगा क्रक िि
न्यायालय िे क्रकिी िमय सियम 10, 2[सियम 11 या सियम 11क] के अिीि न्यायालय फीि के िंदाय का आदेश क्रकए जािे के सलए
आिेदि करे ।
13. राज्य िरकार का पिकार िमझा जािा1[राज्य िरकार] और िाद के क्रकिी िी पिकार के बीर् सियम 10,
सियम 11, 2[सियम 11क] या सियम 12 के अिीि पैदा िोिे िाली ििी बातें िाद के पिकारों के बीर् िारा 47 के अथच में पैदा िोिे िाले
प्रश्ि िमझी जाएंगी ।
न्यायालय-फीि की रकम की ििपलीजिां सियम 10, सियम 11 या सियम 11क के अिीि आदेश क्रकया जाता िै ििां
3[14.

न्यायालय सडिी या आदेश की एक प्रसत तत्िर् िी कलक्टर को सिजिाएगा; ििपली के क्रकिी अन्य ढंग पर प्रसतकप ल प्रिाि डाले सबिा,
कलक्टर उिमें सिसिर्दचष्ट न्यायालय-फीिों की रकम िंदत्त करिे के सलए दायी व्यसक्त या िम्पसत्त िे ऐिी रकम को िैिे िी ििपल कर
िके गा मािो िि िप-राजस्ि की बकाया िो ।]
15. सििचि व्यसक्त के रूप में िाद लािे के सलए आिेदक को अिुज्ञा देिे िे इं कार के कारर् िैिी िी प्रकृ सत के पश्र्ातिती
आिेदि का िजचि4[सििचि व्यसक्त] के रूप में िाद लािे के सलए आिेदक को अिुज्ञा देिे िे इन्कार करिे िाला आदेश, िाद लािे के
उिी असिकार के सलए उिके द्वारा िैिी िी प्रकृ सत के क्रकिी िी पश्र्ातिती आिेदि के सलए िजचि िोगा, क्रकन्तु उिी असिकार के िंबंि
में मामपली रीसत िे िाद िंसस्थत करिे के सलए आिेदक स्ितन्त्र िोगा :
5[परन्तु
यक्रद िि सििचि व्यसक्त के रूप में िाद लािे की इजाजत के सलए अपिे आिेदि का सिरोि करिे में 1[राज्य िरकार]
द्वारा और सिरोिी पिकार द्वारा उपगत क्रकए गए िर्ों का (यक्रद कोई िों) िाद िंसस्थत क्रकए जािे के िमय या उिके पश्र्ात ऐिे िमय
के िीतर जो न्यायालय अिुज्ञात करे , िंदाय ििीं करता िै तो िाद-पत्र िामंजपर कर क्रदया जाएगा] ।
6
[15क. न्यायालय-फीि के िंदाय के सलए िमय का क्रदया जािासियम 5, सियम 7 या सियम 15 की कोई बात न्यायालय
को सियम 5 के अिीि आिेदि को िामंजपर या सियम 7 के अिीि आिेदि को अिुज्ञप्त करिे िे इं कार करते िमय इि बात िे ििीं
रोके गी क्रक िि आिेदक को अपेसित न्यायालय-फीि का ऐिे िमय के िीतर िंदाय करिे के सलए िमय दे, जो न्यायालय द्वारा सियत
क्रकया जाए या िमय-िमय पर उिके द्वारा बढ़ाया जाए और ऐिा िंदाय क्रकया जािे पर और सियम 15 7*** में सिर्दचष्ट िर्ों का उि
िमय के िीतर िंदाय क्रकए जािे पर यि िमझा जाएगा क्रक िाद उि तारीि को िंसस्थत क्रकया गया था सजि तारीि को सििचि व्यसक्त
के रूप में िाद लािे की अिुज्ञा के सलए आिेदि उपस्थासपत क्रकया गया था ।]
16. िर्े4[सििचि व्यसक्त] के रूप में िाद लािे की अिुज्ञा के सलए आिेदि के और सििचिता की जांर् करिे के िर्े िाद के
िर्े िोंगे ।
6
[17. सििचि व्यसक्त द्वारा प्रसतिादक्रकिी ऐिे प्रसतिादी को जो मुजरा या प्रसतपदािे का असििर्ि करिे की िांछा करता
िै, सििचि व्यसक्त के रूप में ऐिा दािा असिकसथत करिे की अिुज्ञा दी जा िके गी और इि आदे श में अन्तर्िचष्ट सियम, जिां तक िो िके ,
उिे इि प्रकार लागप िोंगे, मािो िि िादी िो और उिका सलसित कथि िादपत्र िो ।
18. सििचि व्यसक्तयों के सलए मुफ्त सिसिक िेिाओं की व्यिस्था करिे की के न्द्रीय िरकार की शसक्त(1) इि आदेश के
उपबन्िों के अिीि रिते हुए, के न्द्रीय िरकार या राज्य िरकार उि व्यसक्तयों के सलए, सजन्िें सििचि व्यसक्तयों के रूप में िाद लािे की
अिुज्ञा दी गई िै, मुफ्त सिसिक िेिाओं की व्यिस्था करिे के सलए ऐिे अिुपपरक उपबन्ि बिा िके गी जो िि ठीक िमझे ।
(2) उच्र् न्यायालय उपसियम (1) में सिर्दचष्ट सििचि व्यसक्तयों के सलए सिसिक िेिाओं की व्यिस्था करिे के सलए के न्द्रीय
िरकार या राज्य िरकार द्वारा बिाए गए अिुपपरक उपबन्िों को कायाचसन्ित करिे के सलए राज्य िरकार के पपिच अिुमोदि िे सियम बिा
िके गा और ऐिे सियमों के अन्तगचत ऐिी सिसिक िेिाओं की ऐिी प्रकृ सत तथा सिस्तार और िे शतें िी िोंगी सजिके अिीि ऐिी िेिाएं
उपलभ्य की जा िकें गी तथा िे सिषय िोंगे सजिके बारे में और िे असिकरर् िी िोंगे सजिके माध्यम िे, ऐिी िेिाएं की जाएंगी ।]
आदेश 34
स्थािर िम्पसत्त के बन्िकों के िम्बन्ि में िाद
1. पुरोबन्ि, सििय और मोर्ि के िादों के पिकारइि िंसिता के उपबन्िों के अिीि रिते हुए, बन्िक प्रसतिपसत में या
मोर्ि के असिकार में सितबद्ध ििी व्यसक्त क्रकिी िी िाद में, जो बन्िक िे िम्बसन्ित िों, पिकारों के तौर पर िंयोसजत क्रकए जाएंगे ।

1
िारत शािि (िारतीय सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िरकार” के सलए रिे गए “प्रान्तीय िरकार” के स्थाि पर सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा
प्रसतस्थासपत ।
2
1942 के असिसियम िं० 24 की िारा 2 द्वारा “या सियम 11” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1942 के असिसियम िं० 24 की िारा 2 द्वारा सियम 14 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) “अककं र्ि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 81 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
7
1988 के असिसियम िं० 19 की िारा 3 और दपिरी अिुिपर्ी द्वारा लोप क्रकया गया ।
169

स्पष्टीकरर्पपर्िचक बन्िकार को िाद का पिकार बिाए सबिा पासश्र्क बन्िकार पुरोबन्ि के सलए या सििय के सलए िाद
ला िके गा और पासश्र्क बन्िक का मोर्ि करािे के िाद में पपर्िचक बन्िकदार को िंयोसजत करिा आिश्यक ििीं िै ।
[2. पुरोबन्ि िाद में प्रारसम्िक सडिी(1) पुरोबन्ि िाद में यक्रद िादी िफल िो जाता िै तो न्यायालय ऐिी प्रारसम्िक
1

सडिी पाटरत करे गा जो


(क) यि आदेश देगी क्रक
(i) बन्िक पर के मपल िि और ब्याज मद्दे,
(ii) िाद के ऐिे िर्ों मद्दे, यक्रद कोई िों, जो उिके पि में असिसिर्ीत क्रकए गए िों, तथा
(iii) अपिी बन्िक प्रसतिपसत की बाबत उि तारीि तक उिके द्वारा उसर्त रूप िे उपगत अन्य िर्ों,
प्रिारों और व्ययों मद्दे उि पर ब्याज िसित,
जो कु छ िादी को ऐिी सडिी की तारीि पर शोध्य िै उिका लेिा सलया जाए; अथिा
(ि) ऐिी रकम घोसषत करे गी जो उि तारीि पर शोध्य िै; तथा
(ग) यि सिदेश देगी क्रक
(i) यक्रद प्रसतिादी ऐिे शोध्य पाई गई या शोध्य घोसषत रकम न्यायालय में, यथासस्थसत, उि तारीि िे
सजिको न्यायालय िे िण्ड (क) के अिीि सलए गए लेिा को पुष्ट और प्रसतिस्तािटरत क्रकया िै या उि तारीि िे
सजिको न्यायालय िे िण्ड (ि) के अिीि ऐिी रकम को घोसषत क्रकया िै, छि माि के िीतर की उि तारीि को
सजिे न्यायालय सियत करे , या उिके पपिच जमा कर देता िै और तत्पश्र्ात ऐिी रकम जो सियम 10 में यथा
उपबसन्ित पश्र्ातिती िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत की जाए और ऐिी रासशयों पर ऐिे
पासश्र्क ब्याज के िसित जो सियम 11 में उपबसन्ित िै, न्यायालय में जमा कर देता िै, तो िादी प्रसतिादी को उि
व्यसक्त को सजिे प्रसतिादी सियुक्त करे , बन्िक िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं,
पटरदत्त कर दे और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की जाए तो िि उि बन्िक िे और िादी द्वारा, या उििे व्युत्पन्ि
असिकार के अिीि दािा करिे िाले क्रकिी िी व्यसक्त द्वारा या जिां िादी व्युत्पन्ि िक के आिार पर दािा करता
िै ििां उि द्वारा सजििे व्युत्पन्ि असिकार के अिीि िि दािा करता िै, िृष्ट बन्िक और ििी सिल्लंगमों िे मुक्त
करके िि िंपसत्त प्रसतिादी को उिके िर्े पर प्रसत अन्तटरत कर दे और यक्रद आिश्यक िो, तो प्रसतिादी का कब्जा
िी िम्पसत्त पर करा दे, तथा
(ii) यक्रद प्रारसम्िक सडिी के अिीि या उिके द्वारा शोध्य पाई गई या शोध्य घोसषत रकम का िंदाय इि
प्रकार सियत की गई तारीि को या उिके पपिच ििीं क्रकया जाता िै या प्रसतिादी पश्र्ातिती िर्ों, प्रिारों, व्ययों
और ब्याज की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत रकम को ऐिे िमय के िीतर जो न्यायालय सियत करे , िंदत्त करिे में
अिफल रिता िै तो िादी िम्पसत्त का मोर्ि करािे के ििी असिकारों िे प्रसतिादी को सििर्जचत करिे िाली
असन्तम सडिी के सलए आिेदि करिे का िकदार िोगा ।
(2) उपसियम (1) के अिीि शोध्य पाई गई या शोध्य घोसषत रकम के या पश्र्ातिती िर्ों, प्रिारों, व्ययों और ब्याज की
बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत रकम के िंदाय के सलए सियत िमय को, असन्तम सडिी पाटरत करिे के पपिच क्रकिी िी िमय न्यायालय अच्छा
िेतुक दर्शचत क्रकए जािे पर और ऐिे सिबन्ििों पर जो न्यायालय द्वारा सियत क्रकए जाएं, िमय-िमय पर बढ़ा िके गा ।
(3) पुरोबन्ि िाद में जिां पासश्र्क बन्िकार या िे व्यसक्त सजन्िें क्रकन्िीं ऐिे बन्िकदारों िे िक व्युत्पन्ि हुआ िै या जो क्रकन्िीं
ऐिे बन्िकदारों के असिकारों में प्रत्यािीि िैं, पिकारों के तौर पर िंयोसजत क्रकए गए िै ििां प्रारसम्िक सडिी िाद के पिकारों के
अपिे-अपिे असिकारों और दासयत्िों के न्यायसिर्चयि के सलए उपबन्ि उि रीसत िे और उि प्ररूप में जो पटरसशष्ट घ में के , यथासस्थसत,
प्ररूप िंखयांक 9 या प्ररूप िंखयांक 10 में उपिर्र्चत िैं, ऐिे फे रफारों िसित करे गी जो उि मामले की पटरसस्थसतयों िे अपेसित िों ।
3. पुरोबन्ि िाद में असन्तम सडिी(1) जिां बन्िक िम्पसत्त का मोर्ि करािे के ििी असिकारों िे प्रसतिादी को सििर्जचत
करिे िाली असन्तम सडिी पाटरत क्रकए जािे के पपिच प्रसतिादी सियम 2 के उपसियम (1) के अिीि अपिे द्वारा शोध्य ििी रकमें
न्यायालय में जमा कर देता िै ििां न्यायालय ऐिी असन्तम सडिी प्रसतिादी के इि सिसमत्त क्रकए गए आिेदि पर पाटरत करे गा जो
(क) प्रारसम्िक सडिी में सिर्दचष्ट दस्तािेजों को पटरदत्त करिे के सलए आदेश िादी को देगी,
और यक्रद आिश्यक िो तो
(ि) उक्त सडिी में यथासिर्दचष्ट बन्िक िम्पसत्त को प्रसतिादी के िर्े पर प्रसत-अन्तटरत करिे के सलए आदेश िादी
को देगी,

1
1929 के असिसियम िं० 21 की िारा 4 द्वारा सियम 2 िे 8 तक के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
170

और यक्रद आिश्यक िो तो


(ग) प्रसतिादी का कब्जा िम्पसत्त पर करािे के सलए िी आदेश िादी को देगी ।
(2) जिां उपसियम (1) के अिुिार िंदाय ििीं क्रकया गया िै ििां िादी द्वारा इि सिसमत्त क्रकए गए आिेदि पर न्यायालय यि
घोषर्ा करिे िाली क्रक प्रसतिादी और उििे व्युत्पन्ि असिकार के द्वारा या उिके अिीि दािा करिे िाले ििी व्यसक्त बन्िक िम्पसत्त
का मोर्ि करािे के ििी असिकार िे सििर्जचत क्रकए जाते िैं और यक्रद आिश्यक िो तो प्रसतिादी को यि आदेश िी देिे िाली क्रक िि
िम्पसत्त पर कब्जा िादी को दे दे, असन्तम सडिी पाटरत करे गा ।
(3) उपसियम (2) के अिीि असन्तम सडिी के पाटरत क्रकए जािे पर िे ििी दासयत्ि, सजिके अिीि प्रसतिादी बन्िक की
बाबत िै या िाद के कारर् िैं, उन्मोसर्त कर क्रदए गए िमझे जाएंगे ।
4. सििय के िाद में प्रारसम्िक सडिी(1) सििय के िाद में यक्रद िादी िफल िो जाता िै तो, न्यायालय ऐिी प्रारसम्िक
सडिी पाटरत करे गा जो सियम 2 के उपसियम (1) के िण्ड (क), िण्ड (ि) और िण्ड (ग) (i) में िर्र्चत प्रिाि िाली िोगी और यि
असतटरक्त सिदेश देगा क्रक उिमें िर्र्चत रीसत िे िंदाय करिे में प्रसतिादी िे व्यसतिम िोिे पर िादी यि सिदेश देिे िाली अंसतम सडिी
के सलए आिेदि करिे का िकदार िोगा क्रक बन्िक िंपसत्त या उिके पयाचप्त िाग का सििय क्रकया जाए और सििय के आगम (उिमें िे
सििय के व्ययों को काटिे के पश्र्ात) न्यायालय में जमा कराए जाएं और जो कु छ िादी को प्रारसम्िक सडिी के अिीि या उिके द्वारा
शोध्य पाया गया या शोध्य घोसषत क्रकया गया िै उिका ऐिी रकम िसित जो पश्र्ातिती िर्ों, प्रिारों, व्ययों और ब्याज की बाबत
शोध्य न्यायसिर्ीत की गई िो, िंदाय करिे में उपयोसजत की जाएं और यक्रद कु छ बाकी रिे तो उिे प्रसतिादी को या ऐिे अन्य व्यसक्तयों
को दे क्रदया जाए जो उिे प्राप्त करिे के िकदार िों ।
(2) उपसियम (1) के अिीि शोध्य पाई गई या शोध्य घोसषत रकम की या पश्र्ातिती िर्ों, प्रिारों, व्ययों और ब्याज की
बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत रकम के िंदाय के सलए सियत िमय को, सििय के सलए असन्तम सडिी पाटरत करिे के पपिच क्रकिी िी िमय
न्यायालय अच्छा िेतुक दर्शचत क्रकए जािे पर और ऐिे सिबन्ििों पर जो न्यायालय द्वारा सियत क्रकए जाएं, िमय-िमय पर
बढ़ा िके गा ।
(3) पुरोबन्ि िाद में सििय की सडिी करिे की शसक्तपुरोबन्ि िाद में यक्रद िादी िफल िो जाता िै तो सिलिर् बन्िक की
दशा में न्यायालय िाद के क्रकिी िी पिकार या बन्िक-प्रसतिपसत या मोर्ि के असिकार में सितबद्ध क्रकिी िी अन्य व्यसक्त की प्रेरर्ा
पर (पुरोबन्ि की सडिी के बदले), िैिी िी सडिी ऐिे सिबन्ििों पर पाटरत कर िके गा जो िि ठीक िमझे और उि सिबन्ििों के अन्तगचत
सििय के व्ययों की पपर्तच के सलए और सिबन्ििों का पालि िुसिसश्र्त करिे के सलए न्यायालय द्वारा सिसश्र्त युसक्तयुक्त रकम का
न्यायालय में सििेप िी आता िै ।
(4) जिां पासश्र्क बन्िकार या िे व्यसक्त सजन्िें क्रकन्िीं ऐिे बन्िकदारों िे िक व्युत्पन्ि हुआ िै या जो क्रकन्िीं ऐिे बन्िकदारों
के असिकारों में प्रत्यािीि िैं, सििय के सलए िाद में या पुरोबन्ि के िाद में, सजिमें सििय का आदेश क्रदया गया िै, पिकारों के तौर पर
िंयोसजत क्रकए गए िैं ििां उपसियम (1) में सिर्दचष्ट प्रारसम्िक सडिी िाद के पिकारों के अपिे-अपिे असिकारों और दासयत्िों के
न्यायसिर्चयि के सलए उपबन्ि उि रीसत िे और उि प्ररूप में जो पटरसशष्ट घ में के , यथासस्थसत, प्ररूप िंखयांक 9, प्ररूप िंखयांक 10 या
प्ररूप िंखयांक 11 में उपिर्र्चत िैं, ऐिे फे रफारों िसित करे गी जो उि मामले की पटरसस्थसतयों िे अपेसित िों ।
5. सििय के िाद में असन्तम सडिी(1) जिां सियत क्रदि को या उिके पपिच या इि सियम के उपसियम (3) के अिीि पाटरत
असन्तम सडिी के अिुिरर् में क्रकए गए सििय की पुसष्ट क्रकए जािे के पपिच क्रकिी िी िमय प्रसतिादी सियम 4 के उपसियम (1) के अिीि
अपिे द्वारा शोध्य ििी रकमें न्यायालय में जमा कर देता िै ििां न्यायालय असन्तम सडिी या यक्रद ऐिी सडिी पाटरत कर दी गई िै तो,
आदेश प्रसतिादी के इि सिसमत्त क्रकए गए आिेदि पर पाटरत करे गा जो
(क) प्रारसम्िक सडिी में सिर्दचष्ट दस्तािेजों को पटरदत्त करिे के सलए आदेश िादी को देगा,
और यक्रद आिश्यक िो तो
(ि) उक्त सडिी में यथासिर्दचष्ट बन्िक िम्पसत्त को अन्तटरत करिे के सलए आदेश िादी को देगा,
और यक्रद आिश्यक िो तो
(ग) प्रसतिादी का कब्जा िम्पसत्त पर करािे के सलए िी आदेश िादी को देगा ।
(2) जिां बन्िक िम्पसत्त या उिके क्रकिी िाग का इि सियम के उपसियम (3) के अिीि पाटरत सडिी के अिुिरर् में सििय
कर क्रदया गया िै ििां जब तक क्रक प्रसतिादी उपसियम (1) में िर्र्चत रकम के असतटरक्त ऐिी रासश जो िय िि की उि रकम के पांर्
प्रसतशत के बराबर िो सजिे िे ता िे न्यायालय में जमा क्रकया िै, िे ता को देिे के सलए न्यायालय में सिसिप्त ििीं कर देता, न्यायालय इि
सियम के उपसियम (1) के अिीि आदेश पाटरत ििीं करे गा ।
जिां ऐिा सिदेश कर क्रदया गया िै ििां िे ता ियिि की उि रकम के जो उििे न्यायालय में जमा की थी, पांर् प्रसतशत के
बराबर रासश के िसित उि रकम के प्रसतिंदाय के आदेश का िकदार िोगा ।
171

(3) जिां उपसियम (1) के अिुिार िंदाय ििीं क्रकया गया िै ििां न्यायालय िादी द्वारा इि सिसमत्त क्रकए गए आिेदि पर यि
सिदेश देिे िाली असन्तम सडिी पाटरत करे गा क्रक बंिक िम्पसत्त या उिके पयाचप्त िाग का सििय कर क्रदया जाए और सििय के आगमों
िे ऐिी रीसत िे बरता जाए जो सियम 4 के उपसियम (1) में उपबसन्ित िै ।
6. सििय के िाद में बन्िक पर शोध्य बाकी रकम की ििपलीजिां 1[सियम 5] के अिीि क्रकए गए क्रकिी िी सििय के शुद्ध
आगम िादी को शोध्य रकम का िंदाय करिे के सलए अपयाचप्त पाए जाते िैं ििां, यक्रद बाकी रकम सििीत िम्पसत्त के असतटरक्त
प्रसतिादी िे अन्यथा िैि रूप िे ििपलीय िै तो, न्यायालय िादी द्वारा क्रकए गए आिेदि पर ऐिी बाकी रकम के सलए सडिी पाटरत कर
िके गा ।
7. मोर्ि के िाद में प्रारसम्िक सडिी(1) मोर्ि के िाद में यक्रद िादी िफल िो जाता िै तो न्यायालय ऐिी प्रारसम्िक सडिी
पाटरत करे गा जो
(क) यि आदेश देगी क्रक
(i) बन्िक पर के मपलिि और ब्याज मद्धे,
(ii) िाद के ऐिे िर्ों मद्धे, यक्रद कोई िों, जो उिके पि में असिसिर्ीत क्रकए गए िों, तथा
(iii) अपिी बन्िक-प्रसतिपसत की बाबत उि तारीि तक उिके द्वारा उसर्त रूप िे उपगत अन्य िर्ों,
प्रिारों और व्ययों मद्धे उि पर ब्याज िसित,
जो कु छ प्रसतिादी को ऐिी सडिी की तारीि पर शोध्य िै उिका लेिा सलया जाए ; अथिा
(ि) ऐिी रकम घोसषत करे गी जो उि तारीि पर शोध्य िै ; तथा
(ग) यि सिदेश देगी क्रक
(i) यक्रद िादी ऐिे शोध्य पाई गई या शोध्य घोसषत रकम न्यायालय में, यथासस्थसत, उि तारीि िे
सजिको न्यायालय िे िण्ड (क) के अिीि सलए गए लेिा को पुष्ट और प्रसतिस्तािटरत क्रकया िै या उि तारीि िे
सजिको न्यायालय िे िण्ड (ि) के अिीि ऐिी रकम को घोसषत क्रकया िै, छि माि के िीतर की उि तारीि को
सजिे न्यायालय सियत करे या उिके पपिच जमा कर देता िै और तत्पश्र्ात ऐिी रकम जो सियम 10 में यथा
उपबसन्ित पश्र्ातिती िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत की जाए और ऐिी रासशयों पर ऐिे
पासश्र्क ब्याज िसित जो सियम 11 में उपबसन्ित िै, न्यायालय में जमा कर देता िै तो प्रसतिादी िादी को या उि
व्यसक्त को सजिे िादी सियुक्त करे , बन्िक िम्पसत्त िंबंिी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं, पटरदत्त
कर दे और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की जाए तो िि उि बन्िक िे और प्रसतिादी द्वारा या उििे व्युत्पन्ि असिकार
के अिीि दािा करिे िाले क्रकिी िी व्यसक्त द्वारा, या जिां प्रसतिादी व्युत्पन्ि िक के आिार पर दािा करता िै,
ििां उि द्वारा सजििे व्युत्पन्ि असिकार के अिीि िि दािा करता िै, िृष्ट बन्िक और ििी सिल्लंगमों िे मुक्त
करके िम्पसत्त िादी को उिके िर्े पर प्रसत-अन्तटरत कर दे और यक्रद आिश्यक िो तो िादी का कब्जा िी िम्पसत्त
पर करा दे; तथा
(ii) यक्रद प्रारसम्िक सडिी के अिीि या उिके द्वारा शोध्य पाई गई या शोध्य घोसषत रकम का िंदाय इि
प्रकार सियत की गई तारीि को या उिके पपिच ििीं क्रकया जाता िै या िादी पश्र्ातिती िर्ों, प्रिारों, व्ययों और
ब्याज की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत रकम को ऐिे िमय के िीतर जो न्यायालय सियत करे , िंदत्त करिे में अिफल
रिता िै तो प्रसतिादी
(क) िोगबन्िक, िशतच सििय द्वारा बन्िक या ऐिे सिलिर् बन्िक िे, सजिके सिबन्िि के िल
पुरोबन्ि के सलए ि क्रक सििय के सलए, उपबन्ि करते िैं, सिन्ि क्रकिी बन्िक की दशा में इि असन्तम
सडिी के सलए आिेदि करिे का िकदार िोगा क्रक बन्िक िम्पसत्त का सििय कर क्रदया जाए, अथिा
(ि) िशतच सििय द्वारा बन्िक या पपिोक्त जैिे सिलिर् बन्िक की दशा में इि असन्तम सडिी
के सलए आिेदि करिे का िकदार िोगा क्रक िादी िम्पसत्त का मोर्ि करािे के ििी असिकारों िे
सििर्जचत कर क्रदया जाए ।
(2) उपसियम (1) के अिीि शोध्य पाई गई या शोध्य घोसषत रकम के या पश्र्ातिती िर्ों, प्रिारों, व्ययों और ब्याज की
बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत रकम के िंदाय के सलए सियत िमय को, यथासस्थसत, पुरोबन्ि या सििय के सलए असन्तम सडिी पाटरत करिे
के पपिच क्रकिी िी िमय न्यायालय अच्छा िेतुक दर्शचत क्रकए जािे पर और ऐिे सिबन्ििों पर जो न्यायालय द्वारा सियत क्रकए जाएं,
िमय-िमय पर बढ़ा िके गा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 82 द्वारा (1-2-1977 िे) “असन्तम पपिचिती सियम” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
172

8. मोर्ि के िाद में असन्तम सडिी(1) जिां बन्िक िम्पसत्त के मोर्ि करािे के ििी असिकारों िे िादी को सििर्जचत करिे
िाली अंसतम सडिी पाटरत क्रकए जािे के पपिच या इि सियम के उपसियम (3) के अिीि पाटरत असन्तम सडिी के अिुिरर् में क्रकए गए
सििय के पुष्ट क्रकए जािे के पपिच िादी सियम 7 के उपसियम (1) के अिीि अपिे द्वारा शोध्य ििी रकमें न्यायालय में जमा कर देता िै
ििां न्यायालय असन्तम सडिी या यक्रद ऐिी सडिी पाटरत कर दी गई िै, तो आदेश िादी के इि सिसमत्त क्रकए गए आिेदि पर पाटरत
करे गा, जो
(क) प्रारसम्िक सडिी में सिर्दचष्ट दस्तािेजों को पटरदत्त करिे के सलए आदेश प्रसतिादी को देगा,
और यक्रद आिश्यक िो तो
(ि) उक्त सडिी में यथासिर्दचष्ट बन्िक िम्पसत्त को िादी के िर्े पर प्रसत-अन्तटरत करिे के सलए आदेश प्रसतिादी
को देगा,
और यक्रद आिश्यक िो तो
(ग) िादी का कब्जा िम्पसत्त पर करािे के सलए िी आदेश प्रसतिादी को देगा ।
(2) जिां बन्िक िम्पसत्त या उिके क्रकिी िाग का इि सियम के उपसियम (3) के अिीि पाटरत सडिी के अिुिरर् में सििय
कर क्रदया गया िै ििां जब तक क्रक िादी उपसियम (1) में िर्र्चत रकम के असतटरक्त ऐिी रासश जो ियिि की उि रकम के पांर्
प्रसतशत के बराबर िो सजिके िे ता िे न्यायालय में जमा क्रकया िै, िे ता को देिे के सलए न्यायालय में सिसिप्त ििीं कर देता, न्यायालय
इि सियम के उपसियम (1) के अिीि आदेश पाटरत ििीं करे गा ।
जिां ऐिा सििेप कर क्रदया गया िै ििां िे ता ियिि की उि रकम के जो उििे न्यायालय में जमा की थी, पांर् प्रसतशत के
बराबर रासश के िसित उि रकम के प्रसतिंदाय के आदेश का िकदार िोगा ।
(3) जिां उपसियम (1) के अिुिार िंदाय ििीं क्रकया गया िै ििां न्यायालय, प्रसतिादी द्वारा इि सिसमत्त क्रकए गए
आिेदि पर,
(क) िशतच सििय द्वारा बन्िक की दशा में या ऐिे सिलिर् बन्िक की दशा में जो इिमें इिके पपिच सियम 7 में
सिर्दचष्ट क्रकया गया िै, यि घोषर्ा करिे िाली क्रक िादी और उििे व्युत्पन्ि असिकार के अिीि दािा करिे िाले ििी व्यसक्त
बन्िक िम्पसत्त का मोर्ि करािे के ििी असिकार िे सििर्जचत क्रकए जाते िैं और यक्रद आिश्यक िो तो िादी को यि आदेश
िी देिे िाली क्रक िि बन्िक िम्पसत्त पर कब्जा प्रसतिादी को दे दे, असन्तम सडिी पाटरत करे गा ; अथिा
(ि) ऐिे क्रकिी अन्य बन्िक की दशा में जो िोगबन्िक ििीं िैं, यि असन्तम सडिी पाटरत करे गा क्रक बन्िक िम्पसत्त
या उिके पयाचप्त िाग का सििय क्रकया जाए और सििय के आगम (उिमें िे सििय के व्ययों को काटिे के पश्र्ात) न्यायालय
में जमा कराए जाएं और जो कु छ प्रसतिादी को शोध्य पाया गया िै उिका िंदाय करिे में उपयोसजत क्रकए जाएं और यक्रद कु छ
बाकी रिे तो उिे िादी को या ऐिे अन्य व्यसक्तयों को दे क्रदया जाए जो उिे प्राप्त करिे के िकदार िों ।
1[8क. मोर्ि के िाद में बन्िक पर शोध्य बाकी रकम की ििपलीजिां 2[सियम 8] के अिीि क्रकए गए क्रकिी िी सििय के

शुद्ध आगम प्रसतिादी को शोध्य रकम का िंदाय करिे के सलए अपयाचप्त पाए जाते िैं ििां यक्रद बाकी रकम सििीत िम्पसत्त के असतटरक्त
िादी िे अन्यथा िैि रूप िे ििपलीय िै तो न्यायालय 3[प्रसतिादी द्वारा सिष्पादि में क्रकए गए आिेदि पर] ऐिी बाकी रकम के सलए
सडिी पाटरत कर िके गा ।]
9. सडिी जिां कु छ िी शोध्य ििीं पाया जाए या जिां बंिकदार को असतिंदाय कर क्रदया गया िोयक्रद सियम 7 में सिर्दचष्ट
लेिा लेिे पर यि प्रतीत िो क्रक प्रसतिादी को कु छ िी शोध्य ििीं िै या उिे असतिंदाय कर क्रदया गया िै तो न्यायालय इिमें इिके पपिच
क्रकिी बात के िोते हुए िी यि सिदेश देिे िाली सडिी पाटरत करे गा क्रक प्रसतिादी, यक्रद उििे ऐिी अपेिा की जाए तो, िम्पसत्त को
प्रसत-अन्तटरत करे और िादी को िि रकम दे जो उिको शोध्य पाई जाए और यक्रद आिश्यक िो तो िादी का कब्जा बन्िक िम्पसत्त पर
करा क्रदया जाएगा ।
बन्िकदार के िर्े जो सडिी के पश्र्ात हुए िैंपुरोबन्ि, सििय या मोर्ि की दशा में जो रकम बन्िकदार को दी
4[10.

जािी िै उिका असन्तम रूप िे िमायोजि करिे में न्यायालय तब के सििाय जब क्रक िाद में के िर्े की दशा में उिका आर्रर्
ऐिा रिा िै जो उिे उिके सलए सििचक्रकत कर देता िै ऐिे िाद के िर्े और अन्य िर्े, प्रिार और व्यय, जो पुरोबन्ि, सििय या मोर्ि के
सलए प्रारसम्िक सडिी की तारीि िे िास्तसिक िंदाय के िमय तक उिके द्वारा िमुसर्त रूप िे उपगत क्रकए गए िैं, बन्िक िि में जोड
देगा :

1
1929 के असिसियम िं० 21 की िारा 5 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 82 द्वारा (1-2-1977 िे) “असन्तम पपिचिती सियम” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 82 द्वारा (1-2-1977 िे) “उिके द्वारा क्रकए गए आिेदि पर” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1929 के असिसियम िं० 21 की िारा 6 द्वारा सियम 10 और 11 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
173

1[परन्तु
जिां बन्िककताच बन्िक पर शोध्य रकम या ऐिी रकम जो न्यायालय की राय में िारत: कम ििीं िै िाद के िंसस्थत
क्रकए जािे के पपिच या के िमय सिसिदत्त या सिसिप्त कर देता िै ििां उिे बन्िकदार को िाद के िर्े देिे का आदेश ििीं क्रदया जाएगा
और बन्िककताच िाद के अपिे िर्े को बन्िकदार िे ििपल करिे के सलए तब तक िकदार रिेगा जब तक क्रक न्यायालय ऐिे कारर्ों िे
जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे, अन्यथा सिदेश ि दे ।]
[10क. अन्त:कालीि लाि का िंदाय करिे के सलए बन्िकदार को सिदेश देिे की न्यायालय की शसक्तजिां पुरोबन्ि के
1

िाद में बन्िककताच िे बन्िक पर शोध्य रासश या ऐिी रासश जो न्यायालय की राय में िारत: कम ििीं िै, िाद के िंसस्थत क्रकए जािे के
पपिच या के िमय सिसिदत्त या सिसिप्त कर दी िै ििां न्यायालय बन्िकदार को यि सिदेश देगा क्रक िि बन्िककताच को िाद िंसस्थत क्रकए
जािे िे प्रारम्ि िोिे िाली अिसि के सलए अन्त:कालीि लाि का िंदाय करे ।]
11. ब्याज का िंदायपुरोबन्ि, सििय या मोर्ि के िाद में पाटरत क्रकिी िी सडिी में न्यायालय जिां ब्याज िैि रूप िे
ििपलीय िो, यि आदेश दे िके गा क्रक बन्िकदार को सिम्िसलसित ब्याज क्रदया जाए, अथाचत :
(क) प्रारसम्िक सडिी के अिीि शोध्य पाई गई या शोध्य घोसषत रकम सजि तारीि को या सजि तारीि के पपिच
बन्िककताच द्वारा या क्रकिी अन्य व्यसक्त द्वारा जो बन्िक का मोर्ि करा रिा िै िंदत्त की जाती िै, उि तारीि तक का
(i) उि दर िे, जो मपलिि पर िंदय
े िै या जिां ऐिी दर सियत ििीं िै ििां ऐिी दर िे जो न्यायालय
युसक्तयुक्त िमझे, उि मपलिि की रकम पर जो बन्िक पर शोध्य पाई गई िै, या शोध्य घोसषत की गई िै, ब्याज,
2
* * * *
(iii) उि दर िे जो पिकारों में करार पाई गई िै या ऐिी दर के अिाि में 3[छि प्रसतशत प्रसतिषच िे
अिसिक ऐिी दर िे जो न्यायालय युसक्तयुक्त िमझे,] उि िर्ों, प्रिारों और व्ययों मद्धे जो बन्िक-प्रसतिपसत की
बाबत बन्िकदार िे प्रारसम्िक सडिी की तारीि तक उसर्त रूप िे उपगत क्रकए िों और जो बन्िक िि में जोड क्रदए
गए िों, बन्िकदार को शोध्य न्यायसिर्ीत रकम पर ब्याज; तथा
[(ि) ऐिी दर िे जो न्यायालय युसक्तयुक्त िमझे, उि मपल रासशयों के जो िण्ड (क) में सिसिर्दचष्ट िैं, उि िण्ड के
4

अिुिार िंगसर्त योग पर ििपली की या िास्तसिक िंदाय की तारीि का पासश्र्क ब्याज ।]]
12. पपर्िचक बन्िक के अिीि िम्पसत्त का सिियजिां कोई िम्पसत्त सजिका सििय इि आदेश के अिीि सिक्रदष्ट क्रकया गया
िै, पपर्िचक बन्िक के अिीि िै ििां न्यायालय पपर्िचक बन्िकदार की ििमसत िे यि सिदेश दे िके गा क्रक ऐिे पपर्िचक बन्िकदार को सििय
के आगमों में ििी सित देकर जो सििीत िम्पसत्त में उिका था, उि िम्पसत्त का उि बन्िक िे मुक्त करके सििय क्रकया जाए ।
13. आगमों का उपयोजि(1) ऐिे आगम न्यायालय में लाए जाएंगे और सिम्ि प्रकार िे उपयोसजत क्रकए जाएंगे,
प्रथमत:, सििय िे आिुषंसगक या क्रकिी प्रयसतत सििय में उसर्त रूप िे उपगत व्ययों का िंदाय करिे में ;
सद्वतीयत:, पपर्िचक बन्िक मद्धे जो कु छ पपर्िचक बन्िकदार को शोध्य िैं उिका और उिके बारे में उसर्त रूप में उपगत
िर्ों का िंदाय करिे में ;
तृतीयत:, सजि बन्िक के पटरर्ामस्िरूप सििय सिर्दचष्ट क्रकया गया था उि मद्धे शोध्य ििी ब्याज का और उि
िाद में के सजिमें क्रक सििय का सिदेश देिे िाली सडिी पाटरत की गई थी, िर्ों का िंदाय करिे में ;
र्तुथचत: उि बन्िक मद्धे शोध्य मपलिि का िंदाय करिे में ; तथा
अन्तत:, यक्रद कु छ अिसशष्ट रिे तो िि उि व्यसक्त को जो यि िासबत कर दे क्रक सििीत िम्पसत्त में िि सितबद्ध िै,
या यक्रद ऐिे व्यसक्त एक िे असिक िैं तो ऐिे व्यसक्तयों को, उि िम्पसत्त में अपिे-अपिे सितों के अिुिार या उिकी िंयुक्त
रिीद पर दे दी जाएगी ।
(2) इि सियम की या सियम 12 की क्रकिी िी बात के बारे में यि ििीं िमझा जाएगा क्रक िि िम्पसत्त अन्तरर् असिसियम,
1882 (1882 का 4) की िारा 57 द्वारा प्रदत्त शसक्तयों पर प्रिाि डालती िै ।
14. बन्िक िम्पसत्त का सििय करािे के सलए आिश्यक सििय का िाद(1) जिां बन्िकदार िे बन्िक के अिीि उद्िपत िोिे
िाले दािे की तुसष्ट में िि के िंदाय के सलए सडिी असिप्राप्त कर ली िै ििां िि बन्िक के प्रितचि के सलए सििय का िाद िंसस्थत करके
िी बन्िक िम्पसत्त का सििय करािे का िकदार िोगा, अन्यथा ििीं और िि आदेश 2 के सियम 2 में अन्तर्िचष्ट क्रकिी बात के िोते हुए
िी ऐिा िाद िंसस्थत कर िके गा ।
(2) उपसियम (1) की कोई िी बात उि राज्यिेत्रों को लागप ििीं िोगी सजि पर िम्पसत्त अन्तरर् असिसियम, 1882 (1882
का 4) का सिस्तारर् ििीं क्रकया गया िै ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 82 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 14 द्वारा उपिण्ड (ii) का लोप क्रकया गया ।
3
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 14 द्वारा कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 14 द्वारा िण्ड (ि) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
174

1[15.िक सिलेिों के सििेप द्वारा बंिक और िार2[(1)] इि आदेश के िे ििी उपबन्ि जो िािारर् बन्िक को लागप िैं,
िम्पसत्त अन्तरर् असिसियम, 1882 (1882 का 4) की िारा 58 के अथच में िक सिलेिों के सििेप द्वारा बन्िक को और िारा 100 के अथच
में िार को, जिां तक िो िके , लागप िोंगे ।
[(2) जिां सडिी में िि िंदाय करिे का आदेश क्रदया जाता िै और उिके िंदाय में व्यसतिम क्रकए जािे पर उि सडिी को
3

स्थािर िम्पसत्त पर िाटरत क्रकया जाता िै ििां िि रकम उि सडिी के सिष्पादि में उि िम्पसत्त के सििय द्वारा ििपल की
जा िके गी ।]]
आदेश 35
अन्तरासििार्ी
1. अन्तरासििार्ी िाद में िादपत्रिर एक अन्तरासििार्ी िाद के िादपत्रों में, िादपत्रों के सलए आिश्यक अन्य कथिों के
असतटरक्त,
(क) यि कथि िोगा क्रक िादी प्रिारों या िर्ों के सलए दािा करिे िे सिन्ि क्रकिी सित का दािा सििाद की सिषय-
िस्तु में ििीं करता िै ;
(ि) प्रसतिाक्रदयों द्वारा पृथक्त: क्रकए गए दािे कसथत िोंगे ; तथा
(ग) यि कथि िोगा क्रक िादी और प्रसतिाक्रदयों में िे क्रकिी िी प्रसतिादी के बीर् कोई दुस्िसन्ि ििीं िै ।
2. दािाकृ त र्ीज का न्यायालय में जमा क्रकया जािाजिां दािाकृ त र्ीज ऐिी िै क्रक िि न्यायालय में जमा की जा िकती िै
या न्यायालय की असिरिा में रिी जा िकती िै ििां िादी िे अपेिा की जा िके गी क्रक िि िाद में क्रकिी िी आदेश का िकदार िो
िकिे के पपिच उिे ऐिे जमा कर दे या रि दे ।
3. प्रक्रिया जिां प्रसतिादी िादी पर िाद र्ला रिा िै जिां अन्तरासििार्ी िाद के प्रसतिाक्रदयों में िे कोई प्रसतिादी, िादी
पर ऐिे िाद की सिषय-िस्तु की बाबत िास्ति में िाद र्ला रिा िै ििां िि न्यायालय सजिमें िादी के सिरुद्ध िाद लसम्बत िै, उि
न्यायालय द्वारा सजिमें अन्तरासििार्ी िाद िंसस्थत क्रकया गया िै, इसत्तला क्रदए जािे पर िादी के सिरुद्ध कायचिासियों को रोक देगा और
ऐिे रोके गए िाद में िादी के जो िर्े हुए िों िे ऐिे िाद में उपबसन्ित क्रकए जा िकें गे, क्रकन्तु यक्रद और जिां तक िे उि िाद में
उपबसन्ित ििीं क्रकए जाते िैं तो और ििां तक अन्तरासििार्ी िाद में उपगत उिके िर्ों में जोडे जा िकें गे ।
4. पिली िुििाई में प्रक्रिया(1) पिली िुििाई में न्यायालय
(क) घोसषत कर िके गा क्रक िादी दािाकृ त र्ीज के िंबंि में प्रसतिाक्रदयों के प्रसत ििी दासयत्ि िे उन्मोसर्त िो गया
िै, उिे उिके िर्े असिसिर्ीत कर िके गा और िाद में िे उिे िाटरज कर िके गा ; अथिा
(ि) यक्रद यि िमझता िै क्रक न्याय या िुसििा की दृसष्ट िे ऐिा करिा अपेसित िै तो िि िाद का असन्तम सिपटारा
िो जािे तक ििी पिकारों को बिाए रि िके गा ।
(2) जिां न्यायालय का यि सिष्कषच िै क्रक पिकारों की स्िीकृ सतयां या अन्य िाक्ष्य उिे ऐिा करिे के योग्य कर देते िैं ििां िि
दािाकृ त र्ीज पर के िक का न्यायसिर्चयि कर िके गा ।
(3) जिां पिकारों की स्िीकृ सतयां न्यायालय को ऐिे न्यायसिर्चयि करिे के योग्य ििीं कर देती ििां िि सिदेश
दे िके गा क्रक
(क) पिकारों के बीर् सििाद्यक या सििाद्यकों की सिरर्िा की जाए और उिका सिर्ारर् क्रकया जाए, तथा
(ि) मपल िादी के बदले में या उिके असतटरक्त क्रकिी दािेदार को िादी बिा क्रदया जाए,
और िाद का मामपली रीसत िे सिर्ारर् करिे के सलए अग्रिर िोगा ।
5. असिकताच और असििारी अन्तरासििार्ी िाद िंसस्थत ििीं कर िकें गेइि आदेश की क्रकिी िी बात के बारे में यि ििीं
िमझा जाएगा क्रक िि असिकताचओं को अपिे मासलकों पर, या असििाटरयों को अपिे िप-स्िासमयों पर, इि प्रयोजि िे िाद लािे को
िमथच करती िै क्रक िे मासलक या िप-स्िामी ऐिे क्रकन्िीं व्यसक्तयों िे जो ऐिे मासलकों या िप-स्िासमयों िे व्युत्पन्ि असिकार के अिीि
दािा करिे िाले व्यसक्तयों िे सिन्ि िों, अन्तरासििर्ि करिे के सलए सििश क्रकए जाएं ।

1
1929 के असिसियम िं० 21 की िारा 7 द्वारा सियम 15 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 82 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 15 को उपसियम (1) के रूप में पुि: िंखयांक्रकत क्रकया गया ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 82 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
175

दृष्टांत
(क) आिपषर्ों का बक्ि अपिे असिकताच के रूप में ि के पाि क सिसिप्त करता िै । ग का यि असिकथि िै क्रक आिपषर् क िे
उििे िदोष असिप्राप्त क्रकए थे और िि उन्िें ि िे लेिे के सलए दािा करता िै । क और ग के सिरुद्ध अन्तरासििार्ी िाद ि िंसस्थत
ििीं कर िकता ।
(ि) आिपषर् का एक बक्ि अपिे असिकताच के रूप में ि के पाि क सिसिप्त करता िै । तब िि इि प्रयोजि िे ग को सलिता
िै क्रक ग को जो ऋर् उि द्वारा शोध्य िै उिकी प्रसतिपसत िि उि आिपषर्ों को बिा ले । क तत्पश्र्ात यि असिकथि करता िै क्रक ग के
ऋर् की तुसष्ट कर दी गई िै और ग इिके सिपरीत असिकथि करता िै । दोिों ि िे आिपषर् लेिे का दािा करते िैं । क और ग के
सिरुद्ध अन्तरासििार्ी िाद ि िंसस्थत कर िके गा ।
6. िादी के िर्ों का िारजिां िाद उसर्त रूप िे िंसस्थत क्रकया गया िै ििां न्यायालय मपल िादी के िर्ों के सलए उपबन्ि
दािाकृ त र्ीज पर उिका िार डाल कर अन्य प्रिािी तौर पर कर िके गा ।
आदेश 36
सिशेष मामला
1. न्यायालय की राय के सलए मामले का कथि करिे की शसक्त(1) जो पिकार तथ्य या सिसि के क्रकिी प्रश्ि के सिसिश्र्य
में सितबद्ध िोिे का दािा करते िैं िे ऐिा सलसित करार कर िकें गे सजिमें ऐिे प्रश्ि का मामले के रूप में कथि न्यायालय की राय के
सलए िोगा और यि उपबन्ि िोगा क्रक ऐिे प्रश्ि के बारे में न्यायालय के सिष्कषच पर
(क) िि ििरासश जो पिकारों द्वारा सियत की गई िै या न्यायालय द्वारा अििाटरत की जाए पिकारों में िे एक के
द्वारा उिमें िे दपिरे को दी जाएगी ; अथिा
(ि) करार में सिसिर्दचष्ट कोई िम्पसत्त, र्ािे िि जंगम िो या स्थािर, पिकारों में िे एक के द्वारा उिमें िे दपिरे को
पटरदत्त की जाएगी ; अथिा
(ग) पिकारों में िे एक या असिक पिकार करार में सिसिर्दचष्ट कोई दपिरा सिसशष्ट कायच करें गे या करिे
िे सिरत रिेंगे ।
(2) इि सियम के अिीि कसथत िर मामला िमिती िंखयां क्रकत पैराओं में बांटा जाएगा और उिमें ऐिे तथ्यों का िंसिप्त
कथि िोगा और ऐिी दस्तािेजों का सिसिदेश िोगा जो न्यायालय का उिके द्वारा उठाए गए प्रश्ि का सिसिश्र्य करिे में िमथच बिािे के
सलए आिश्यक िों ।
2. सिषय-िस्तु का मपल्य किां कसथत करिा िोगाजिां करार क्रकिी िम्पसत्त के पटरदाि के सलए या क्रकिी सिसशष्ट कायच को
करिे िे सिरत रििे के सलए िै ििां जो िम्पसत्त पटरदत्त की जािी िै या सजिके प्रसत सिसिर्दचष्ट कायच का सिदेश िै, उिका प्राक्कसलत
मपल्य करार में कसथत क्रकया जाएगा ।
3. करार िाद के रूप में फाइल क्रकया जाएगा और रसजस्टर में र्ढ़ाया जाएगा(1) यक्रद करार इिमें इिके पपिच अन्तर्िचष्ट
सियमों के अिुिार सिरसर्त क्रकया गया िै 1[तो िि उि न्यायालय में आिेदि के िाथ फाइल क्रकया जा िके गा सजिको] ऐिा िाद ग्रिर्
करिे की असिकाटरता िो, सजि िाद की रकम या सिषय-िस्तु का मपल्य करार में की रकम या सिषय-िस्तु के मपल्य के बराबर िै ।
(2) जब 2[आिेदि] इि प्रकार फाइल कर क्रदया जाता िै तब िि िादी या िाक्रदयों के तौर पर सितबद्ध िोिे का दािा करिे
िाले पिकारों में िे एक या असिक और प्रसतिादी या प्रसतिाक्रदयों के तौर पर सितबद्ध उिमें िे अन्य या अन्यों के बीर् के िाद के रूप में
िंखयांक्रकत क्रकया और रसजस्टर में र्ढ़ाया जाएगा और उि पिकार या उि पिकारों िे सिन्ि, सजििे या सजन्िोंिे 3[आिेदि उपस्थासपत
क्रकया िै,] करार के ििी पिकारों को िपर्िा दी जाएगी ।
4. पिकार न्यायालय की असिकाटरता के अिीि िोंगेजिां करार इि प्रकार फाइल कर क्रदया गया िै ििां उिमें के पिकार
न्यायालय की असिकाटरता के अिीि िोंगे और उिमें अन्तर्िचष्ट कथिों िे आबद्ध िोंगे ।
5. मामले की िुििाई और सिपटारा(1) िि मामला मामपली रीसत िे िंसस्थत िाद के रूप में िुििाई के सलए रिा जाएगा
और ऐिे िाद को इि िंसिता के उपबन्ि ििां तक लागप िोंगे जिां तक क्रक िे लागप िोिे योग्य िैं ।
(2) जिां पिकारों की परीिा करिे के पश्र्ात या ऐिा िाक्ष्य लेिे के पश्र्ात, जो न्यायालय ठीक िमझे, न्यायालय का
िमािाि िो जाता िै क्रक
(क) करार उिके द्वारा िम्यक रूप िे सिष्पाक्रदत क्रकया गया था,

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 83 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 83 द्वारा (1-2-1977 िे) “करार” के स्व्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 83 द्वारा (1-2-1977 िे) “उिे उपस्थासपत क्रकया िै” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
176

(ि) उिमें कसथत प्रश्ि में उिका िदिािपपर्च सित िै, तथा
(ग) िि सिसिसश्र्त क्रकए जािे योग्य िै,
ििां न्यायालय उि पर अपिा सिर्चय िुिािे के सलए ऐिी रीसत िे अग्रिर िोगा जो िि मामपली िाद में िोता िै और ऐिे िुिाए गए
सिर्चय के अिुिार सडिी िोगी ।
1[6. सियम 5 के अिीि पाटरत सडिी की अपील ि िोिासियम 5 के अिीि पाटरत सडिी की कोई अपील ििीं िोगी ।]
आदेश 37
2***िंसिप्त प्रक्रिया
[1. िे न्यायालय और िादों के िगच सजन्िें यि आदेश लागप िोिा िै(1) यि आदेश सिम्िसलसित न्यायालयों को लागप
3

िोगा, अथाचत
(क) उच्र् न्यायालय, िगर सिसिल न्यायालय और लघुिाद न्यायालय ; और
(ि) अन्य न्यायालय :
परन्तु उच्र् न्यायालय िण्ड (ि) में सिर्दचष्ट न्यायालयों के बारे में, राजपत्र में असििपर्िा द्वारा, इि आदेश के प्रितचि को
िादों के के िल ऐिे प्रिगों तक सिबचसन्ित कर िके गा, जो िि उसर्त िमझे और इि आदेश के प्रितचि के अिीि लाए जािे िाले िादों के
प्रिगों को िमय-िमय पर, राजपत्र में असििपर्िा द्वारा, मामले की पटरसस्थसतयों में यथा अपेसित और सिबचसन्ित कर िके गा, बढ़ा
िके गा या उिमें फे रफार कर िके गा जो िि उसर्त िमझे ।
(2) उपसियम (1) के उपबन्िों के अिीि रिते हुए यि आदेश सिम्िसलसित िादों के िगों को लागप िोता िै, अथाचत :
(क) सिसिमय-पत्रों, हुसण्डयों और िर्ि-पत्रों के आिार पर िाद ;
(ि) ऐिे िाद सजिमें िादी, प्रसतिादी द्वारा िंदय
े ऋर् या िि के रूप में पटरसििाचटरत मांग को ब्याज िसित या
ब्याज के सबिा के िल ििपल करिा र्ािता िै जो सिम्िसलसित के आिार पर उद्िपत िोता िै, अथाचत :
(i) सलसित िंसिदा ;
(ii) ऐिी असिसियसमसत सजिमें ििपल की जािे िाली रासश कोई सियत ििरासश िै या क्रकिी शासस्त िे
सिन्ि ऋर्स्िरूप िै, अथिा
(iii) ऐिी प्रत्यािपसत सजिमें के िल क्रकिी ऋर् या पटरसििाचटरत मांग के बारे में मपल िि के सलए दािा
क्रकया गया िै ;
4[(iv) प्राप्तिय के क्रकिी िमिुदसे शती द्वारा प्राप्तियों की ििपली के सलए िंसस्थत कोई िाद ।]
[2. िंसिप्त िादों का िंसस्थत क्रकया जािा(1) यक्रद िादी क्रकिी ऐिे िाद को सजिे यि आदेश लागप िोता िै , इिके अिीि
5

आगे र्लािे की िांछा करता िै तो िि ऐिा िादपत्र करके उपस्थासपत करके िंसस्थत क्रकया जा िके गा, सजिमें सिम्िसलसित बातें िोंगी,
अथाचत :
(क) इि आशय का सिसिर्दचष्ट प्रकथि क्रक िाद इि आदेश के अिीि फाइल क्रकया जाता िै ;
(ि) ऐिे क्रकिी अिुतोष का दािा िादपत्र में ििीं क्रकया गया िै, जो इि सियम के सिस्तार के अन्तगचत ििीं आता
िै ; और
(ग) िाद के शीषचक में िाद के िंखयांक के ठीक िीर्े सिम्िसलसित अन्तलेिि क्रकया गया िै, अथाचत :
“(सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 37 के अिीि)” ।
(2) िाद का िमि पटरसशष्ट ि के प्ररूप िंखयांक 4 में या क्रकिी ऐिे अन्य प्ररूप में िोगा जो िमय-िमय पर सिसित
क्रकया जाए ।
(3) प्रसतिाद उपसियम (1) में सिर्दचष्ट िाद की प्रसतरिा तब तक ििीं करे गा जब तक क्रक िि उपिंजात ििीं िोता िै और
उपिंजात िोिे में व्यसतिम िोिे पर िादपत्र में के असिकथि स्िीकृ त कर सलए गए िमझे जाएंगे और िादी सिसिर्दचष्ट दर पर, यक्रद

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 83 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 84 द्वारा (1-2-1977 िे) “परिाम्य सलित पर” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 84 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 1 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
2012 के असिसियम िं० 12 की िारा 35 और अिुिपर्ी द्वारा अंत:स्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 84 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 2 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
177

कोई िो, सडिी की तारीि तक के ब्याज िसित क्रकिी ऐिी रासश के सलए जो िमि में िर्र्चत रासश िे असिक ि िो और िर्े की ऐिी
रासश के सलए तो उच्र् न्यायालय उि सिसमत्त बिाए गए सियमों द्वारा िमय-िमय पर अििाटरत करे , सडिी पािे का िकदार िोगा और
ऐिी सडिी तत्काल सिष्पाक्रदत की जा िके गी ।]
[3. प्रसतिादी की उपिंजासत के सलए प्रक्रिया(1) क्रकिी ऐिे िाद में सजिे यि आदेश लागप िोता िै, िादी प्रसतिादी पर
1

िादपत्र और उिके उपाबन्िों की एक प्रसत सियम 2 के अिीि िमि के िाथ तामील करे गा और प्रसतिादी ऐिी तामील के दि क्रदि के
िीतर क्रकिी िी िमय स्ियं या प्लीडर द्वारा उपिंजात िो िके गा और दोिों दशाओं में िि उि पर िपर्िाओं की तामील के सलए पता
न्यायालय में फाइल करे गा ।
(2) जब तक अन्यथा आदेश ि क्रदया गया िो तब तक ऐिे ििी िमि, िपर्िाएं और अन्य न्यासयक आदेसशकाएं जो प्रसतिादी
पर तामील क्रकए जािे के सलए अपेसित िों, उि पर िम्यक रूप िे तामील की गई तब िमझी जाएंगी जब िे उि पते पर छोड दी गई िों
जो ऐिी तामील के सलए उिके द्वारा क्रदया गया था ।
(3) उपिंजात िोिे के क्रदि ऐिी उपिंजासत की िपर्िा प्रसतिादी द्वारा िादी के प्लीडर को या यक्रद िादी स्ियं िाद लाता िै
तो स्ियं िादी को, ऐिी िपर्िा पटरदत्त करके या पिले िे डाक मििपल क्रदए गए, पत्र द्वारा, यथासस्थसत, िादी के प्लीडर के या िादी के
पते पर िेजकर की जाएगी ।
(4) यक्रद प्रसतिादी उपिंजात िोता िै तो उिके पश्र्ात िादी प्रसतिादी पर सिर्चय के सलए िमि पटरसशष्ट ि के प्ररूप
िंखयांक 4क में या ऐिे अन्य प्ररूप में जो िमय-िमय पर सिसित क्रकया जाए, तामील करे गा । ऐिा िमि तामील की तारीि िे दि क्रदि
िे अन्यपि िमय में िापि क्रकए जािे िाला िोगा और सजिका िमथचि िाद-िेतुक और दािाकृ त रकम का ित्यापि करिे िाले शपथपत्र
द्वारा क्रकया जाएगा और उिमें यि कथि क्रकया गया िोगा क्रक उिके सिश्िाि में िाद में इि सिसमत्त कोई प्रसतरिा ििीं िै ।
(5) प्रसतिादी सिर्चय के सलए ऐिे िमि की तामील िे दि क्रदि के िीतर क्रकिी िी िमय शपथपत्र द्वारा या अन्यथा ऐिे तथ्य
प्रकट करते हुए जो प्रसतरिा करिे के सलए उिे िकदार बिािे के सलए पयाचप्त िमझे जाएं, ऐिे िाद की प्रसतरिा की इजाजत के सलए
ऐिे िमि के आिार पर आिेदि कर िके गा और उिे प्रसतरिा करिे की इजाजत सबिा शतच या ऐिे सिबंििों पर जो न्यायालय या
न्यायािीश को न्यायिंगत प्रतीत िों, मंजपर की जा िके गी :
परन्तु प्रसतरिा की इजाजत तब तक िामंजपर ििीं की जाएगी जब तक न्यायालय का यि िमािाि ििीं िो जाता िै क्रक
प्रसतिादी द्वारा प्रकट क्रकए गए तथ्य यि उपदर्शचत ििीं करते िैं क्रक उिके द्वारा कोई िारिाि प्रसतरिा की जािी िै या प्रसतिादी द्वारा
की जािे के सलए आशसयत प्रसतरिा तुच्छा या तंग करिे िाली िै :
परन्तु यि और क्रक जिां िादी द्वारा दािाकृ त रकम का कोई िाग प्रसतिादी द्वारा उििे शोध्य िोिा स्िीकार कर सलया जाता
िै तो िाद की प्रसतरिा की इजाजत तब तक मंजपर ििीं की जाएगी जब तक शोध्य िोिे के सलए इि प्रकार स्िीकार की गई रकम
प्रसतिादी द्वारा न्यायालय में जमा ि कर दी जाए ।
(6) सिर्चय के सलए ऐिे िमि की िुििाई के िमय
(क) यक्रद प्रसतिादी िे प्रसतरिा करिे की इजाजत के सलए आिेदि ििीं क्रकया िै या यक्रद ऐिा आिेदि क्रकया गया िै
और िामंजपर कर क्रदया गया िै तो िादी तत्काल सिर्चय का िकदार िो जाएगा ; अथिा
(ि) यक्रद प्रसतिादी को पपर्च दािे या उिके क्रकिी िाग की प्रसतरिा करिे की अिुज्ञा दी जाती िै तो न्यायालय या
न्यायािीश उिे सिदेश दे िके गा क्रक िि ऐिी प्रसतिपसत ऐिे िमय के िीतर दे जो न्यायालय या न्यायािीश द्वारा सियत क्रकया
जाए, और न्यायालय या न्यायािीश द्वारा सिसिर्दचष्ट िमय के िीतर ऐिी प्रसतिपसत देिे में या ऐिे अन्य सिदेशों का पालि
करिे में जो न्यायालय या न्यायािीश द्वारा क्रदए गए िों अिफल िोिे पर िादी तत्काल सिर्चय का िकदार िो जाएगा ।
(7) न्यायालय या न्यायािीश, प्रसतिादी द्वारा पयाचप्त कारर् दर्शचत क्रकए जािे पर, प्रसतिादी को उपिंजात िोिे या िाद की
प्रसतरिा करिे की इजाजत के सलए आिेदि करिे में सिलम्ब के सलए माफी दे िके गा ।]
4. सडिी को अपास्त करिे की शसक्तसडिी देिे के पश्र्ात यक्रद न्यायालय को सिशेष पटरसस्थसतयों के अिीि ऐिा करिा
युसक्तयुक्त लगे तो िि ऐिे सिबन्ििों पर जो न्यायालय ठीक िमझे, सडिी को अपास्त कर िके गा और यक्रद आिश्यक िो तो उिका
सिष्पादि रोक िके गा या अपास्त कर िके गा और िमि पर उपिंजात िोिे और िाद में प्रसतरिा करिे की प्रसतिादी को इजाजत दे
िके गा ।
5. सिसिमय-पत्र, आक्रद को न्यायालय के असिकारी के पाि जमा करिे का आदेश देिे की शसक्तइि आदेश के अिीि क्रकिी
िी कायचिािी में न्यायालय आदेश दे िके गा क्रक िि सिसिमय-पत्र, हुण्डी या िर्ि-पत्र, सजि पर िाद आिाटरत िै, न्यायालय के
असिकारी के पाि तत्काल जमा कर क्रदया जाए और यि असतटरक्त आदेश दे िके गा क्रक ििी कायचिासियां तब तक के सलए रोक दी जाएं
जब तक िादी उिके िर्ों के सलए प्रसतिपसत ि दे दे ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 84 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 3 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
178

6. अिादृत सिसिमय-पत्र या िर्ि-पत्र के अप्रसतग्रिर् का टटप्पर् करिे के िर्च की ििपलीिर अिादृत सिसिमय-पत्र या
िर्ि-पत्र के िारक को ऐिे अिादरर् के कारर् उिके अप्रसतग्रिर् या अिंदाय का टटप्पर् करािे में या अन्यथा उपगत व्ययों की ििपली
के सलए ििी उपर्ार िोंगे जो उिे ऐिे सिसिमय-पत्र या िर्ि-पत्र की रकम की ििपली के सलए इि आदेश के अिीि िैं ।
7. िादों में प्रक्रियाइि आदेश द्वारा जैिा उपबसन्ित िै उिके सििाय, इिके अिीि िादों में प्रक्रिया ििी िोगी जो मामपली
रीसत िे िंसस्थत क्रकए गए िादों में िोती िै ।
आदेश 38

सिर्चय के पिले सगरफ्तारी और कु की


सिर्चय के पिले सगरफ्तारी
1. उपिंजासत के सलए प्रसतिपसत देिे की मांग प्रसतिादी िे कब की जा िके गीजिां िारा 16 के िण्ड (क) िे िण्ड (घ) तक में
सिर्दचष्ट प्रकृ सत के िाद िे सिन्ि िाद के क्रकिी िी प्रिम में न्यायालय का शपथ-पत्र द्वारा या अन्यथा यि िमािाि िो जाता िै क्रक
(क) प्रसतिादी िादी को सिलसम्बत करिे के या न्यायालय की क्रकिी आदेसशका िे बर्िे के या ऐिी क्रकिी सडिी के
जो उिके सिरुद्ध पाटरत की जाए सिष्पादि को बासित या सिलसम्बत करिे के आशय िे
(i) न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं िे फरार िो गया िै या उन्िें छोड गया िै, अथिा
(ii) न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं िे फरार िोिे िी िाला िै या उन्िें छोडिे िी िाला
िै, अथिा
(iii) अपिी िम्पसत्त को या उिके क्रकिी िाग को व्ययसित कर र्ुका िै या न्यायालय की असिकाटरता की
स्थािीय िीमाओं िे िटा र्ुका िै, अथिा
(ि) प्रसतिादी ऐिी पटरसस्थसतयों के अिीि 1[िारत] छोडिे िाला िै, सजििे यि यसक्तयुक्त असििम्िाव्यता िै क्रक
िादी क्रकिी ऐिी सडिी के जो िाद में प्रसतिादी के सिरुद्ध पाटरत की जाए, सिष्पादि में उिके द्वारा बासित या सिलसम्बत
िोगा या िो िके गा,
ििां न्यायालय, प्रसतिादी की सगरफ्तारी के सलए और न्यायालय के िमि उिे इिसलए लाए जािे के सलए क्रक िि यि िेतुक दर्शचत करे
क्रक िि अपिी उपिंजासत के सलए प्रसतिपसत क्यों ि दे, िारण्ट सिकाल िके गा :
परन्तु यक्रद प्रसतिादी कोई ऐिी रकम जो िादी के दािे को तुष्ट करिे के सलए पयाचप्त िोिे के तौर पर िारण्ट में सिसिर्दचष्ट िै,
उिी असिकारी को, सजिे िारण्ट का सिष्पादि न्यस्त क्रकया गया िै, दे देता िै िि सगरफ्तार ििीं क्रकया जाएगा और ऐिी रकम
न्यायालय द्वारा तब तक जमा रिी जाएगी जब तक िाद का सिपटारा ि िो जाए या जब तक न्यायालय का आगे और आदेश ि
िो जाए ।
2. प्रसतिपसत(1) जिां प्रसतिादी ऐिा िेतुक दर्शचत करिे में अिफल रिता िै ििां न्यायालय या तो उिे अपिे सिरुद्ध दािे के
उत्तर के सलए पयाचप्त िि या अन्य िम्पसत्त न्यायालय में जमा करिे के सलए या उि िमय तक जब तक िाद लसम्बत रिता िै और जब
तक ऐिी क्रकिी सडिी की जो उि िाद में उिके सिरुद्ध पाटरत की जाए, तुसष्ट ििीं की जाती, बुलाए जािे पर क्रकिी िी िमय अपिी
उपिंजासत के सलए प्रसतिपसत देिे के सलए आदेश दे िके गा या उि रासश की बाबत जो प्रसतिादी िे असन्तम पपिचिती सियम के परन्तुक के
अिीि जमा कर दी िो ऐिा आदेश कर िके गा जैिा िि ठीक िमझे ।
(2) प्रसतिादी की उपिंजासत के सलए िर प्रसतिप अपिे को आबद्ध करे गा क्रक िि ऐिी उपिंजासत में व्यसतिम िोिे पर िि की
ऐिी रासश देगा सजिे देिे के सलए प्रसतिादी िाद में आक्रदष्ट क्रकया जाए ।
3. उन्मोसर्त क्रकए जािे के सलए प्रसतिप के आिेदि पर प्रक्रिया(1) प्रसतिादी की उपिंजासत के सलए प्रसतिप उि न्यायालय िे
सजिमें िि ऐिा प्रसतिप हुआ िै, अपिी बाध्यता िे उन्मोसर्त क्रकए जािे के सलए क्रकिी िी िमय आिेदि कर िके गा ।
(2) ऐिा आिेदि क्रकए जािे पर न्यायालय प्रसतिादी को उपिंजात िोिे के सलए िमि करे गा या यक्रद िि ठीक िमझे तो
उिकी सगरफ्तारी के सलए प्रथम बार िी िारण्ट सिकाल िके गा ।
(3) िमि या िारण्ट के अिुिरर् में प्रसतिादी को उपिंजात िोिे पर या उिके स्िे च्छया अभ्यपचर् करिे पर न्यायालय प्रसतिप
को उिकी बाध्यता िे उन्मोसर्त करिे के सलए सिदेश देगा और िई प्रसतिपसत लािे को अपेिा प्रसतिादी िे करे गा ।
4. जिां प्रसतिादी प्रसतिपसत देिे में या प्रसतिपसत लािे में अिफल रिता िै ििां प्रक्रियाजिां प्रसतिादी सियम 2 या सियम 3
के अिीि क्रकिी आदेश का अिुपालि करिे में अिफल रिता िै ििां न्यायालय उिे सिसिल कारागार को तब तक के सलए िुपुदच कर
िके गा जब तक िाद का सिसिश्र्य ि िो जाए या जिां प्रसतिादी के सिरुद्ध सडिी पाटरत कर दी गई िै ििां जब तक सडिी तुष्ट ि कर
दी जाए :

1
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्य” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
179

परन्तु कोई िी व्यसक्त कारागार में इि सियम के अिीि क्रकिी िी दशा में छि माि िे असिक की अिसि के सलए और यक्रद
िाद की सिषय-िस्तु की रकम या मपल्य पर्ाि रुपए िे असिक ििीं िै तो छि िप्ताि िे असिक की अिसि के सलए सिरुद्ध ििीं क्रकया
जाएगा :
परन्तु यि िी क्रक ऐिे आदेश का उिके द्वारा अिुपालि कर क्रदए जािे के पश्र्ात कोई िी व्यसक्त इि सियम के अिीि
कारागार में सिरुद्ध ििीं रिा जाएगा ।
सिर्चय के पिले कु की
5. िम्पसत्त पेश करिे के सलए प्रसतिपसत देिे की अपेिा प्रसतिादी िे कब की जा िके गी(1) जिां िाद के क्रकिी िी प्रिम में
न्यायालय का शपथपत्र द्वारा या अन्यथा यि िमािाि िो जाता िै क्रक प्रसतिादी ऐिी क्रकिी सडिी के जो उिके सिरुद्ध पाटरत की जाए,
सिष्पादि को बासित या सिलसम्बत करिे के आशय िे
(क) अपिी पपरी िम्पसत्त या उिके क्रकिी िाग को व्ययसित करिे िी िाला िै, अथिा
(ि) अपिी पपरी िम्पसत्त या उिके क्रकिी िाग को न्यायालय की असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं िे िटा देिे
िी िाला िै,
ििां न्यायालय, प्रसतिादी को सिदेश दे िके गा क्रक उि िमय के िीतर जो न्यायालय द्वारा सियत क्रकया जाएगा या तो िि उक्त िम्पसत्त
को या उिके मपल्य को या उिके ऐिे िाग को जो सडिी को तुष्ट करिे के सलए पयाचप्त िो, अपेिा की जािे पर पेश करिे के सलए और
न्यायालय िे व्ययिािीि रििे के सलए, ऐिी रासश की जो आदेश में सिसिर्दचष्ट की जाए, प्रसतिपसत दे या उपिंजात िो और यि िेतुक
दर्शचत करे क्रक उिे प्रसतिपसत क्यों ि देिी र्ासिए ।
(2) सजि िम्पसत्त की कु की की अपेिा की गई िै, उिको और उिके प्राक्कसलत मपल्य को, जब तक न्यायालय अन्यथा सिक्रदष्ट
ि करे , िादी सिसिर्दचष्ट करे गा ।
(3) न्यायालय आदेश में यि सिदेश िी दे िके गा क्रक इि प्रकार सिसिर्दचष्ट की गई पपरी िम्पसत्त या उिके क्रकिी िाग की िशतच
कु की की जाए ।
1(4) यक्रद इि सियम के उपसियम (1) के उपबंिों का अिुपालि क्रकए सबिा कु की का आदेश क्रकया जाता िै तो ऐिी कु की शपन्य
िोगी ।]
6. जिां िेतक
ु दर्शचत ििीं क्रकया जाता या प्रसतिपसत ििीं दी जाती ििां कु की(1) जिां प्रसतिादी न्यायालय द्वारा सियत
िमय के िीतर यि िेतुक दर्शचत करिे में अिफल रिता िै क्रक उिे प्रसतिपसत क्यों ििीं देिी र्ासिए या अपेसित प्रसतिपसत देिे में अिफल
रिता िै ििां न्यायालय यि आदेश दे िके गा क्रक सिसिर्दचष्ट िम्पसत्त या उिका ऐिा िाग जो क्रकिी ऐिी सडिी को तुष्ट करिे के सलए
पयाचप्त प्रतीत िोता िै जो िाद में पाटरत की जाए, कु कच कर सलया जाए ।
(2) जिां प्रसतिादी ऐिा िेतुक दर्शचत करता िै या अपेसित प्रसतिपसत दे देता िै और सिसिर्दचष्ट िम्पसत्त या उिका कोई िाग
कु कच कर सलया गया िै ििां न्यायालय कु की का प्रत्यािरर् क्रकए जािे के सलए आदेश देगा या ऐिा अन्य आदेश देगा जो िि ठीक िमझे ।
7. कु की करिे की रीसतअसिव्यक्त रूप िे जैिा उपबसन्ित िै उिके सििाय, कु की उि रीसत िे की जाएगी जो सडिी के
सिष्पादि में िम्पसत्त की कु की के सलए उपबंसित िै ।
सिर्चय के पपिच कु कच की गई िम्पसत्त के दािे का न्यायसिर्चयिजिां कोई दािा सिर्चय के पपिच कु कच की गई िम्पसत्त के सलए
2[8.

क्रकया गया िै ििां ऐिे दािे का न्यायसिर्चयि उि रीसत िे क्रकया जाएगा जो िि के िंदाय के सलए सडिी के सिष्पादि में कु कच की गई
िम्पसत्त के दािों के न्यायसिर्चयि के सलए इिमें इिके पपिच उपबसन्ित िै ।]
9. प्रसतिपसत दे दी जािे पर या िाद िाटरज कर क्रदए जािे पर कु की का िटा सलया जािाजिां सिर्चय के पपिच कु की के सलए
आदेश क्रकया जाता िै ििां जब प्रसतिादी अपेसित प्रसतिपसत, उि प्रसतिपसत के िसित जो कु की के िर्ों के सलए िो, दे देता िै या जब िाद
िासजर कर क्रदया जाता िै तब न्यायालय कु की के प्रत्यािरर् के सलए आदेश देगा ।
10. सिर्चय िे पिले की गई कु की िे ि तो पर व्यसक्तयों के असिकार प्रिासित िोंगे और ि सििय के सलए आिेदि करिे िे
सडिीदार िर्जचत िोगासिर्चय िे पिले की गई कु की िे ि तो उि व्यसक्तयों के जो िाद के पिकार ििीं िैं, असिकारों पर जो कु की के
पपिच िी सिद्यमाि थे, प्रिाि पडेगा और ि प्रसतिादी के सिरुद्ध सडिी िारर् करिे िाला कोई व्यसक्त ऐिा कु की के अिीि िम्पसत्त का
सििय ऐिी सडिी के सिष्पादि में करािे का आिेदि करिे िे िर्जचत िोगा ।
11. सिर्चय िे पिले कु कच की गई िम्पसत्त सडिी के सिष्पादि में पुि: कु कच ििीं की जाएगीजिां िम्पसत्त इि आदेश के उपबंिों
के आिार पर की गई कु की के अिीि िो और िादी के पि में तत्पश्र्ात सडिी पाटरत कर दी जाए ििां ऐिी सडिी के सिष्पादि के सलए
क्रकए गए आिेदि में उि िम्पसत्त को पुि: कु कच करिे के सलए आिेदि करिा आिश्यक ििीं िोगा ।

1
1976 के असिसियम िं०104 की िारा 85 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं०104 की िारा 85 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 8 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
180

1[11क. कु की को लागप िोिे िाले उपबन्ि(1) इि िंसिता के ऐिे उपबंि जो सडिी के सिष्पादि में की गई कु की को लागप
िोते िैं, सिर्चय के पपिच की गई ऐिी कु की को, जिां तक िो िके , लागप िोंगे जो सिर्चय के पश्र्ात सियम 11 के उपबंिों के आिार पर जारी
रिती िै ।
(2) क्रकिी ऐिे िाद में जो व्यसतिम में कारर् िाटरज कर क्रदया जाता िै, सिर्चय के पपिच की गई कु की के िल इि तथ्य के कारर्
पुि: प्रिर्तचत ििीं िोगी क्रक व्यसतिम के कारर् िाद िाटरज करिे का आदेश अपास्त कर क्रदया गया िै और िाद प्रत्यािर्तचत कर क्रदया
गया िै ।]
12. कृ सष-उपज सिर्चय के पपिच कु कच ििीं िोगीइि आदेश की कोई िी बात क्रकिी कृ षक के कब्जे में की क्रकिी कृ सष-उपज की
कु की के सलए आिेदि करिे की िादी को प्रासिकृ त करिे िाली या ऐिी उपज को कु कच करिे या पेश करिे का आदेश देिे को न्यायालय
को िशक्त करिे िाली ििीं िमझी जाएगी ।
लघुिाद न्यायालय स्थािर िम्पसत्त को कु कच ििीं करे गाइि आदेश की कोई िी बात स्थािर िम्पसत्त की कु की के सलए
2[13.

आदेश करिे को क्रकिी लघुिाद न्यायालय को िशक्त करिे िाली ििीं िमझी जाएगी ।]
आदेश 39

अस्थायी व्यादेश और अन्तिचती आदेश


अस्थायी व्यादेश
1. िे दशाएं सजिमें अस्थायी व्यादेश क्रदया जा िके गाजिां क्रकिी िाद में शपथपत्र द्वारा या अन्यथा यि िासबत कर क्रदया
जाता िै क्रक
(क) िाद में सििादग्रस्त क्रकिी िम्पसत्त के बारे में यि ितरा िै क्रक िाद का कोई िी पिकार उिका दुव्यचयि करे गा,
उिे िुकिाि पहुंर्ाएगा या अन्य िंिांत करे गा या सडिी के सिष्पादि में उिका िदोष सििय कर क्रदया जाएगा, अथिा
(ि) प्रसतिादी अपिे लेिदारों को कपट-िंसर्त करिे की दृसष्ट िे अपिी िम्पसत्त को िटािे या व्ययसित करिे की
िमकी देता िै या आशय रिता िै, अथिा
3[(ग) प्रसतिादी िादी को िाद में सििादग्रस्त क्रकिी िम्पसत्त िे बेकब्जा करिे की या िादी को उि िम्पसत्त के
िम्बन्ि में अन्यथा िसत पहुंर्ािे की िमकी देता िै,]
ििां न्यायालय ऐिे कायच को अिरुद्ध करिे के सलए आदेश द्वारा अस्थायी व्यादेश दे िके गा या िम्पसत्त को दुव्यचसयत क्रकए जािे, िुकिाि
पहुंर्ाए जािे, अन्य िंिान्त क्रकए जािे, सििय क्रकए जािे, िटाए जािे या व्ययसित क्रकए जािे िे अथिा 3[िादी को िाद में सििादग्रस्त
िम्पसत्त िे बेकब्जा करिे या िादी को उि िम्पसत्त के िम्बन्ि में अन्यथा िसत पहुंर्ाि िे] रोकिे और सििाटरत करिे के प्रयोजि िे ऐिे
अन्य आदेश जो न्यायालय ठीक िमझे, तब तक के सलए कर िके गा जब तक उि िाद का सिपटारा ि िो जाए या जब तक असतटरक्त
आदेश ि दे क्रदए जाएं ।
2. िंग की पुिरािृसत्त या जारी रििा अिरुद्ध करिे के सलए व्यादेश(1) िंसिदा िंग करिे िे या क्रकिी िी प्रकार की अन्य
िसत करिे िे प्रसतिादी को अिरुद्ध करिे के क्रकिी िी िाद में , र्ािे िाद में प्रसतकर का दािा क्रकया गया िो या ि क्रकया गया िो, िादी
प्रसतिादी को पटरिाक्रदत िंसिदा िंग या िसत करिे िे या कोई िी िंसिदा िंग करिे िे या तदरूप िसत करिे िे, जो उिी िंसिदा िे
उद्िपत िोती िो या उिी िम्पसत्त या असिकार िे िम्बसन्ित िो, अिरुद्ध करिे के अस्थायी व्यादेश के सलए न्यायालय िे आिेदि, िाद
प्रारम्ि िोिे के पश्र्ात क्रकिी िी िमय और सिर्चय के पिले या पश्र्ात कर िके गा ।
(2) न्यायालय ऐिा व्यादेश, ऐिे व्यादेश की अिसि के बारे में, लेिा रििे के बारे में, प्रसतिपसत देिे के बारे में ऐिे सिबन्ििों
पर, या अन्यथा, जो न्यायालय ठीक िमझे, आदेश द्वारा दे िके गा ।
4* * * * *
[2क. व्यादेश की अिज्ञा या िंग का पटरर्ाम(1) सियम 1 या सियम 2 के अिीि क्रदए गए क्रकिी व्यादेश या क्रकए गए
3

अन्य आदेश की अिज्ञा की दशा में या सजि सिबन्ििों पर व्यादेश क्रदया गया था या आदेश क्रकया गया था उिमें िे क्रकिी सिबन्िि के
िंग के दशा में व्यादेश देिे िाला या आदेश करिे िाला न्यायालय या ऐिा कोई न्यायालय, सजिे िाद या कायचिािी अन्तटरत की गई िै,
यि आदेश दे िके गा क्रक ऐिी अिज्ञा या िंग करिे के दोषी व्यसक्त की िम्पसत्त कु कच की जाए और यि िी आदेश दे िके गा क्रक िि व्यसक्त
तीि माि िे अिसिक अिसि के सलए सिसिल कारागार में तब तक सिरुद्ध क्रकया जाए जब तक क्रक इि बीर् में न्यायालय उिकी
सिमुचसक्त के सलए सिदेश ि दे दे ।

1
1976 के असिसियम िं०104 की िारा 85 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1926 के असिसियम िं०1 की िारा 4 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं०104 की िारा 86 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं०104 की िारा 86 द्वारा (1-2-1977 िे) उपसियम (3) और (4) का लोप क्रकया गया ।
181

(2) इि असिसियम के अिीि की गई कोई कु की एक िषच िे असिक िमय के सलए प्रिृत्त ििीं रिेगी, सजिके ित्म िोिे पर यक्रद
अिज्ञा या िंग जारी रिे तो कु कच की गई िम्पसत्त का सििय क्रकया जा िके गा और न्यायालय आगमों में िे ऐिा प्रसतकर जो िि ठीक
िमझे उि पिकार को क्रदलिा िके गा सजिकी िसत हुई िो, और यक्रद कु छ बाकी रिे तो उिे उिके िकदार पिकार को देगा ।]
3. व्यादेश देिे िे पिले न्यायालय सिदेश देगा क्रक सिरोिी पिकार को िपर्िा दे दी जाएििां के सििाय जिां यि प्रतीत
िोता िै क्रक व्यादेश देिे का उद्देश्य सिलम्ब द्वारा सिष्फल िो जाएगा, न्यायालय िब मामलों में व्यादेश देिे िे पपिच यि सिदेश देगा क्रक
व्यादेश के आिेदि की िपर्िा सिरोिी पिकार को दे दी जाए :
1[परन्तु
जिां यि प्रस्थापिा की जाती िै क्रक सिरोिी पिकार को आिेदि की िपर्िा क्रदए सबिा व्यादेश दे क्रदया जाए ििां
न्यायालय अपिी ऐिी राय के सलए क्रक सिलम्ब द्वारा व्यादेश देिे का उद्देश्य सिफल िो जाएगा, कारर् असिसलसित करे गा और आिेदक
िे यि अपेिा कर िके गा क्रक िि
(क) व्यादेश देिे िाला आदेश क्रकए जािे के तुरन्त पश्र्ात व्यादेश के सलए आिेदि की प्रसत सिम्िसलसित के िाथ
(i) आिेदि के िमथचि में फाइल क्रकए गए शपथपत्र की प्रसत ;
(ii) िादपत्र की प्रसत ; और
(iii) उि दस्तािेजों की प्रसतयां, सजि पर आिेदक सििचर करता िै,
सिरोिी पिकार को दे या उिे रसजस्िीकृ त डाक द्वारा िेजे, और
(ि) उि तारीि को सजिको ऐिा व्यादेश क्रदया गया िै या उि क्रदि के ठीक अगले क्रदि को यि कथि करिे िाला
शपथपत्र फाइल करे क्रक पपिोक्त प्रसतयां इि प्रकार दे दी गई िैं या िेज दी गई िैं ।]
[3क. व्यादेश के सलए आिेदि का न्यायालय द्वारा तीि क्रदि के िीतर सिपटाया जािाजिां कोई व्यादेश सिरोिी पिकार
1

को िपर्िा क्रदए सबिा क्रदया गया िै ििां न्यायालय आिेदि को ऐिी तारीि िे सजिको व्यादेश क्रदया गया था, तीि क्रदि के िीतर
सिपटािे का प्रयाि करे गा और जिां िि ऐिा करिे में अिमथच िै ििां िि ऐिी अिमथचता के सलए कारर् असिसलसित करे गा ।]
4. व्यादेश के आदेश को प्रिािोन्मुक्त, उिमें फे रफार या उिे अपास्त क्रकया जा िके गाव्यादेश के क्रकिी िी आदेश को उि
आदेश िे अिन्तुष्ट क्रकिी पिकार द्वारा न्यायालय िे क्रकए गए आिेदि पर उि न्यायालय द्वारा प्रिािोन्मुक्त, उिमें फे रफार या उिे
अपास्त क्रकया जा िके गा :
[परन्तु यक्रद अस्थायी व्यादेश के सलए क्रकिी आिेदि में या ऐिे आिेदि का िमथचि करिे िाले क्रकिी शपथपत्र में क्रकिी
1

पिकार िे क्रकिी तासविक सिसशसष्ट के िम्बन्ि में जािते हुए समथ्या या भ्रामक कथि क्रकया िै और सिरोिी पिकार को िपर्िा क्रदए
सबिा व्यादेश क्रदया गया था तो न्यायालय व्यादेश को उि दशा में रद्द कर देगा सजिमें िि असिसलसित क्रकए जािे िाले कारर्ों िे यि
िमझता िै क्रक न्याय के सित में ऐिा करिा आिश्यक ििीं िै :
परन्तु यि और क्रक जिां क्रकिी पिकार को िुििाई का अििर क्रदए जािे के पश्र्ात व्यादेश के सलए आदेश पाटरत क्रकया गया
िै ििां ऐिे आदेश को उि पिकार के आिेदि पर तब तक प्रिािोन्मु क्त, उिमें फे रफार या अपास्त ििीं क्रकया जाएगा जब तक
पटरसस्थसतयों के बदले जािे िे ऐिा प्रिािोन्मुक्त, फे रफार या अपास्त क्रकया जािा आिश्यक ि िो गया िो या जब तक न्यायालय का
यि िमािाि ििीं िो जाता िै क्रक आदेश िे उि पिकार को अिम्यक कष्ट हुआ िै ।]
5. सिगम को सिर्दचष्ट व्यादेश उिके असिकाटरयों पर आबद्धकर िोगाक्रकिी सिगम को सिर्दचष्ट व्यादेश ि के िल सिगम पर
िी आबद्धकर िोगा बसल्क सिगम के उि ििी िदस्यों और असिकाटरयों पर िी आबद्धकर िोगा सजिके िैयसक्तक कायच को अिरुद्ध करिे
के सलए िि र्ािा गया िै ।
अंतिचती आदेश
6. अन्तटरम सििय का आदेश देिे की शसक्तन्यायालय िाद के क्रकिी िी पिकार के आिेदि पर ऐिे आदेश में िासमत क्रकिी
िी व्यसक्त द्वारा और ऐिी रीसत िे और ऐिे सिबन्ििों पर जो न्यायालय ठीक िमझे, क्रकिी िी ऐिी जंगम िम्पसत्त के सििय का आदेश
दे िके गा, जो ऐिे िाद की सिषय-िस्तु िै या ऐिे िाद में सिर्चय के पिले कु कच की गई िै और जो शीघ्रतया और प्रकृ त्या ियशील िै या
सजिकी बाबत क्रकिी अन्य न्यायिंगत और पयाचप्त िेतुक िे यि िांछिीय िो क्रक उिका तुरन्त सििय कर क्रदया जाए ।
7. िाद की सिषय-िस्तु का सिरोि, पटररिर्, सिरीिर् आक्रद(1) न्यायालय िाद के क्रकिी िी पिकार के आिेदि पर और
ऐिे सिबन्ििों पर जो िि ठीक िमझे,
(क) क्रकिी िी ऐिी िम्पसत्त के , जो ऐिे िाद की सिषय-िस्तु िै या सजिके बारे में उि िाद में कोई प्रश्ि उद्िपत िो
िकता िो, सिरोि, पटररिर् या सिरीिर् के सलए आदेश कर िके गा ;

1
1976 के असिसियम िं०104 की िारा 86 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
182

(ि) ऐिे िाद के क्रकिी िी अन्य पिकार के कब्जे में की क्रकिी िी िपसम या ििि में पपिोक्त ििी या क्रकन्िीं
प्रयोजिों के सलए प्रिेश करिे को क्रकिी िी व्यसक्त को प्रासिकृ त कर िके गा ; तथा
(ग) पपिोक्त ििी या क्रकन्िीं प्रयोजिों के सलए क्रकन्िीं िी ऐिे िमपिों का सलया जािा या क्रकिी िी ऐिे प्रेिर् या
प्रयोग का क्रकया जािा, जो पपरी जािकारी या िाक्ष्य असिप्राप्त करिे के प्रयोजि के सलए आिश्यक या िमीर्ीि प्रतीत िो,
प्रासिकृ त कर िके गा ।
(2) आदेसशका के सिष्पादि-िम्बन्िी उपबन्ि प्रिेश करिे के सलए इि सियम के अिीि प्रासिकृ त व्यसक्तयों को यथािश्यक
पटरितचि िसित लागप िोंगे ।
8. ऐिे आदेशों के सलए आिेदि िपर्िा के पश्र्ात क्रकया जाएगा(1) िादी द्वारा सियम 6 और सियम 7 के अिीि आदेश के
सलए आिेदि िाद के िंसस्थत क्रकए जािे के पश्र्ात क्रकिी िी िमय 1*** क्रकया जा िके गा ।
(2) प्रसतिादी द्वारा ऐिे िी आदेश के सलए आिेदि उपिंजात िोिे के पश्र्ात क्रकिी िी िमय 2*** क्रकया जा िके गा ।
इि प्रयोजि के सलए क्रकए गए आिेदि पर सियम 6 या सियम 7 के अिीि आदेश करिे के पपिच न्यायालय उिकी िपर्िा
3[(3)

सिरोिी पिकार को देिे का सिदेश ििां के सििाय देगा जिां यि प्रतीत िो क्रक ऐिा आदेश करिे का उद्देश्य सिलम्ब के कारर्
सिष्फल िो जाएगा ।]
9. जो िपसम िाद की सिषय-िस्तु िै उि पर पिकार का तुरन्त कब्जा कब कराया जा िके गाजिां िरकार को राजस्ि देिे
िाली िपसम या सििय के दासयत्ि के अिीि िप-िृसत िाद की सिषय-िस्तु िै ििां, यक्रद िि पिकार जो ऐिी िपसम या िप-िृसत पर कब्जा
रिता िै, यथसस्थसत, िरकारी राजस्ि या िप-िृसत के स्ित्ििारी को शोध्य िाटक देिे में उपेिा करता िै और पटरर्ामत: ऐिी िपसम या
िप-िृसत के सििय के सलए आदेश क्रदया गया िै तो उि िाद के क्रकिी िी अन्य पिकार का जो ऐिी िपसम या िप-िृसत में सितबद्ध िोिे का
दािा करता िै, उि िपसम या िप-िृसत पर तुरन्त कब्जा सििय के पिले के शोध्य राजस्ि या िाटक का िंदाय कर क्रदए जािे
पर (और न्यायालय के सििेकािुिार प्रसतिपसत िसित या रसित) कराया जा िके गा ;
और इि प्रकार िंदत्त रकम को उि पर ऐिी दर िे ब्याज िसित जो न्यायालय ठीक िमझे, न्यायालय अपिी सडिी में
व्यसतिमी के सिरुद्ध असिसिर्ीत कर िके गा या इि प्रकार िंदत्त रकम को उि पर ऐिी दर िे ब्याज िसित जो न्यायालय आदेश करे ,
लेिाओं के क्रकिी ऐिे िमायोजि में, जो िाद में पाटरत सडिी द्वारा सिक्रदष्ट क्रकया गया िो, प्रिाटरत कर िके गा ।
10. न्यायालय में िि, आक्रद का जमा क्रकया जािाजिां िाद की सिषय-िस्तु िि या कोई ऐिी अन्य र्ीज िै, सजिका
पटरदाि क्रकया जा िकता िै, और उिका कोई िी पिकार यि स्िीकार करता िै क्रक िि ऐिे िि या ऐिी अन्य र्ीज को क्रकिी अन्य
पिकार के न्यािी के रूप में िारर् क्रकए हुए िै या यि अन्य पिकार की िै या अन्य पिकार को शोध्य िै ििां न्यायालय अपिे
असतटरक्त सिदेश के अिीि रिते हुए यि आदेश दे िके गा क्रक उिे न्यायालय में जमा क्रकया जाए या प्रसतिपसत िसित या रसित ऐिे
असन्तम िासमत पिकार को पटरदत्त क्रकया जाए ।
आदेश 40
टरिीिरों की सियुसक्त
1. टरिीिरों की सियुसक्त(1) जिां न्यायालय को यि न्यायिंगत और िुसििापपर्च प्रतीत िोता िै ििां न्यायालय
आदेश द्वारा
(क) क्रकिी िंपसत्त का टरिीिर र्ािे सडिी के पिले या पश्र्ात सियुक्त कर िके गा ;
(ि) क्रकिी िंपसत्त पर िे क्रकिी व्यसक्त का कब्जा या असिरिा िटा िके गा ;
(ग) उिे टरिीिर के कब्जे, असिरिा या प्रबन्ि के िुपुदच कर िके गा ; तथा
(घ) िादों के लािे और िादों में प्रसतरिा करिे के बारे में और िंपसत्त के आपि, प्रबन्ि, िंरिर्, पटररिर् और
िुिार, उिके िाटकों और लािों के िंग्रिर्, ऐिे िाटकों और लािों के उपयोजि और व्ययि तथा दस्तािेजों के सिष्पादि के
सलए ििी ऐिी शसक्तयां जो स्ियं स्िामी की िैं, या उि शसक्तयों में िे ऐिी शसक्त जो न्यायालय ठीक िमझे, टरिीिर को
प्रदत्त कर िके गा ।
(2) इि सियम की क्रकिी िी बात िे न्यायालय को यि प्रासिकार ििीं िोगा क्रक िि क्रकिी ऐिे व्यसक्त का िंपसत्त पर िे,
कब्जा या असिरिा िटा दे सजिे ऐिे िटािे का ितचमाि असिकार िाद के क्रकिी िी पिकार को ििीं िै ।
2. पाटरश्रसमकन्यायालय टरिीिर की िेिाओं के सलए पाटरश्रसमक के रूप में दी जािे िाली रकम को िािारर् या सिशेष
आदेश द्वारा सियत कर िके गा ।

1
1976 के असिसियम िं०104 की िारा 86 द्वारा (1-2-1977 िे) “प्रसतिादी को िपर्िा देिे के पश्र्ात” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
2
1976 के असिसियम िं०104 की िारा 86 द्वारा (1-2-1977 िे) “िादी को िपर्िा देिे के पश्र्ात” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
3
1976 के असिसियम िं०104 की िारा 86 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
183

3. कतचव्यइि प्रकार सियुक्त क्रकया गया िर टरिीिर


(क) िंपसत्त की बाबत िि जो कु छ प्राप्त करे गा उिका िम्यक रूप िे लेिा देिे के सलए ऐिी
प्रसतिपसत (यक्रद कोई िो) देगा जो न्यायालय ठीक िमझे ।
(ि) अपिे लेिाओं को ऐिी अिसियों पर और ऐिे प्ररूप में देगा जो न्यायालय सिक्रदष्ट करे ,
(ग) अपिे द्वारा शोध्य रकम ऐिे िंदत्त करे गा जो न्यायालय सिक्रदष्ट करे , तथा
(घ) अपिे जािबपझकर क्रकए गए व्यसतिम या अपिी घोर उपेिा िे िंपसत्त को हुई क्रकिी िासि के सलए
उत्तरदायी िोगा ।
4. टरिीिर के कतचव्यों को प्रिर्तचत करािाजिां टरिीिर
(क) अपिे लेिाओं को ऐिी अिसियों पर और ऐिे प्ररूप में जो न्यायलय सिक्रदष्ट करे , देिे में अिफल
रिता िै, अथिा
(ि) अपिे द्वारा शोध्य रकम ऐिे देिे में अिफल रिता िै जो न्यायालय सिक्रदष्ट करे , तथा
(ग) अपिे जािबपझकर क्रकए गए व्यसतिम या अपिी घोर उपेिा िे िंपसत्त की िासि िोिे देता िै,
ििां न्यायालय उिकी िंपसत्त के कु कच क्रकए जािे के सलए सिदेश दे िके गा और ऐिी िंपसत्त का सििय कर िके गा और आगमों का
उपयोजि उिके द्वारा शोध्य पाई गई क्रकिी िी रकम की या उिके द्वारा की गई क्रकिी िी िासि की प्रसतपप र्तच करिे के सलए कर िके गा
और यक्रद कु छ बाकी रिे तो उिे टरिीिर को देगा ।
5. कलक्टर कब टरिीिर सियुक्त क्रकया जा िके गाजिां िंपसत्त िरकार को राजस्ि देिे िाली िपसम िै या ऐिी िपसम िै
सजिके राजस्ि का िमिुदश े ि या मोर्ि कर क्रदया गया िै और न्यायालय का यि सिर्ार िै क्रक िम्बसन्ित व्यसक्तयों के सितों की
असििृसद्ध कलक्टर के प्रबन्ि द्वारा िोगी ििां न्यायालय कलक्टर की ििमसत िे उिे ऐिी िम्पसत्त का टरिीिार सियुक्त कर िके गा ।
आदेश 41
मपल सडक्रियों की अपीलें
1. अपील का प्ररूप । ज्ञापि के िाथ क्या-क्या क्रदया जाएगा(1) िर अपील अपीलाथी या उिके प्लीडर द्वारा िस्तािटरत
ज्ञापि के रूप में की जाएगी और न्यायालय में या ऐिे असिकारी के िमि जो न्यायालय इि सिसमत्त सियुक्त करे , उपस्थासपत की
जाएगी । 1[ज्ञापि के िाथ सिर्चय की प्रसत िोगी] :
2[परन्तु
जिां दो या दो िे असिक िादों का िाथ-िाथ सिर्ारर् क्रकया गया िै और उिके सलए एक िी सिर्चय क्रदया गया िै और
उि सिर्चय के अन्तगचत क्रकिी सडिी के सिरुद्ध र्ािे उिी अपीलाथी द्वारा या सिन्ि अपीलार्थचयों द्वारा दो या दो िे असिक अपीलें फाइल
की गई िैं ििां अपील न्यायालय एक िे असिक प्रसतयां फाइल करिे िे असिमुसक्त दे िके गा ।]
(2) ज्ञापि की अंतिचस्तुएंउि सडिी पर सजिकी अपील की जाती िै, आिेप के आिार, ज्ञापि में क्रकिी तकच या सििरर् के
सबिा िंसिप्त : और िुसिन्ि शीषचकों में उपिर्र्चत िोंगे और ऐिे आिार िम िे िंखयांक्रकत िोंगे ।
[(3) जिां अपील, िि के िंदाय के सलए क्रकिी सडिी के सिष्पादि में क्रकए गए क्रकिी आदेश के सिरुद्ध िै ििां अपीलाथी इतिे
1

िमय के िीतर सजतिा अपील न्यायालय अिुज्ञात करे , अपील में सििादग्रस्त रकम सिसिप्त करे गा या उिके िम्बन्ि में ऐिी प्रसतिपसत
देगा जो न्यायालय ठीक िमझे ।]
2. आिार जो अपील में सलए जा िकें गेअपीलाथी, न्यायालय की इजाजत के सबिा, आिेप के क्रकिी िी ऐिे आिार को जो
अपील के ज्ञापि में उपिर्र्चत ििीं िै, ि तो पेश करे गा और ि उिके िमथचि में िुिा िी जाएगा, क्रकन्तु अपील न्यायालय अपील का
सिसिश्र्य करिे में आिेप के उि आिारों तक िी िीसमत ि रिेगा जो अपील के ज्ञापि में उपिर्र्च त िैं या जो न्यायालय की इजाजत िे
इि सियम के अिीि क्रकए गए िैं :
परन्तु न्यायालय अपिे सिसिश्र्य को, क्रकिी अन्य आिार पर तब तक आिाटरत ििीं करे गा जब तक उि पिकार को सजि
पर इिके द्वारा प्रिाि पडता िै उि आिार पर मामले का प्रसतिाद करिे का पयाचप्त अििर ि समल गया िो ।
3. ज्ञापि का िामंजरप क्रकया जािा या िंशोिि(1) जिां अपील का ज्ञापि इिमें इिके पपिच सिसित रीसत िे सलिा ििीं गया
िै ििां िि िामंजपर क्रकया जा िके गा या अपीलाथी को ऐिे िमय के िीतर िंशोसित क्रकए जािे के प्रयोजि िे जो न्यायालय द्वारा सियत
क्रकया जाएगा, लौटाया जा िके गा या तिी और ििां िी िंशोसित क्रकया जा िके गा ।
(2) जिां न्यायालय क्रकिी ज्ञापि को िामंजपर करे ििां िि ऐिी िामंजपरी के कारर्ों को लेिबद्ध करे गा ।

1
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 31 द्वारा (1-7-2002 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 87 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
184

(3) जिां अपील के ज्ञापि का िंशोिि क्रकया जाता िै ििां न्यायािीश या ऐिा असिकारी जो उििे इि सिसमत्त सियुक्त क्रकया
िो, उि िंशोिि को िस्तािटरत या आद्यिटरत करे गा ।
सिलम्ब की माफी के सलए आिेदि(1) जब कोई अपील उिके सलए सिसित पटरिीमाकाल के पश्र्ात उपस्थासपत की
1[3क.

जाती िै, तब उिके िाथ ऐिे शपथपत्र द्वारा िमर्थचत आिेदि िोगा सजिमें िे तथ्य उपिर्र्चत िोंगे सजि पर अपीलाथी न्यायालय का यि
िमािाि करिे के सलए सििचर करता िै क्रक ऐिी अिसि के िीतर अपील ि करिे के सलए उिके पाि पयाचप्त कारर् था ।
(2) यक्रद न्यायालय यि िमझता िै क्रक प्रत्यथी को िपर्िा जारी क्रकए सबिा आिेदि को िामंजपर करिे का कोई कारर् ििीं िै
तो उिकी िपर्िा प्रत्यथी को जारी की जाएगी और, यथासस्थसत, सियम 11 या सियम 13 के अिीि अपील को सिपटािे के सलए अग्रिर
िोिे के पपिच न्यायालय द्वारा उि मामले का असन्तम रूप िे सिसिश्र्य क्रकया जाएगा ।
(3) जिां उपसियम (1) के अिीि कोई आिेदि क्रकया गया िै ििां न्यायालय उि सडिी के सजिके सिरुद्ध अपील फाइल क्रकए
जािे की प्रस्थापिा िै, सिष्पादि, को रोकिे के सलए आदेश उि िमय तक ििीं करे गा जब तक न्यायालय सियम 11 के अिीि िुििाई के
पश्र्ात अपील िुििे का सिसिश्र्य ििीं कर लेता िै ।]
4. कई िाक्रदयों या प्रसतिाक्रदयों में िे एक पपरी सडिी को उलटिा िके गा जिां िि ऐिे आिार पर दी गई िै जो उि ििी के
सलए िामान्य िैजिां िाद में एक िे असिक िादी या प्रसतिादी िैं और िि सडिी सजिकी अपील की जाती िै, क्रकिी ऐिे आिार पर दी
गई िै जो ििी िाक्रदयों या ििी प्रसतिाक्रदयों के सलए िामान्य िै ििां िाक्रदयों या प्रसतिाक्रदयों में िे कोई िी एक पपरी सडिी की अपील
कर िके गा और अपील न्यायालय तब उि सडिी को, यथासस्थसत, ििी िाक्रदयों के या प्रसतिाक्रदयों के पि में उलट िके गा या उिमें
फे रफार कर िके गा ।
कायचिासियों का और सिष्पादि का रोका जािा
5. अपील न्यायालय द्वारा रोका जािा(1) अपील का प्रिाि सजि सडिी या आदेश की अपील की गई िै, उिके अिीि की
कायचिासियों को रोकिा ििीं िोगा, क्रकन्तु यक्रद अपील न्यायालय आदेश दे तो कायचिासियां रोकी जा िकें गी । के िल इि कारर् िे क्रक
सडिी िे अपील की गई िै, सडिी का सिष्पादि ििीं िो जाएगा, क्रकन्तु अपील न्यायालय ऐिी सडिी के सिष्पादि के रोके जािे के सलए
आदेश पयाचप्त िेतुक िे दे िके गा ।
[स्पष्टीकरर्सडिी के सिष्पादि को रोकिे के सलए अपील न्यायालय का आदेश प्रथम बार के न्यायालय को ऐिे आदेश की
1

िंिपर्िा की तारीि िे प्रिािी िोगा, क्रकन्तु सिष्पादि को रोकिे के सलए आदेश की या उिके प्रसतकप ल क्रकिी आदेश की, अपील
न्यायालय िे प्रासप्त िोिे तक प्रथम बार का न्यायालय अपीलाथी की उिकी िैयसक्तक जािकारी पर आिाटरत ऐिे शपथपत्र पर
कायचिािी करे गा सजिमें यि कसथत िो क्रक सडिी के सिष्पादि को रोकिे के सलए अपील न्यायालय द्वारा आदेश दे क्रदया गया िै ।]
(2) सजि न्यायालय िे सडिी पाटरत की थी उिके द्वारा रोका जािाजिां क्रकिी अपीलिीय सडिी के सिष्पाउि के रोके जािे
के सलए आिेदि उि िमय के अििाि िे पपिच जो उिकी अपील करिे के सलए अिुज्ञात िै, क्रकया जाता िै ििां सडिी पाटरत करिे िाला
न्यायालय सिष्पादि के रोके जािे के सलए आदेश पयाचप्त िेतुक दर्शचत क्रकए जािे पर दे िके गा ।
(3) सिष्पादि रोके जािे के सलए कोई िी आदेश उपसियम (1) या उपसियम (2) के अिीि तब तक ििीं क्रकया जाएगा जब
तक उिे देिे िाले न्यायालय का यि िमािाि ििीं िो जाता क्रक
(क) यक्रद िि आदेश ि क्रकया गया तो पटरर्ाम यि िो िकता िै क्रक सिष्पादि के रोके जािे का आिेदि करिे िाले
पिकार को िारिाि िासि िो ;
(ि) आिेदि अयुसक्तयुक्त सिलम्ब के सबिा क्रकया गया िै ; तथा
(ग) आिेदक िे ऐिी सडिी या आदेश के िम्यक रूप िे पालि के सलए जो अन्त में उिके सलए आबद्धकर िो,
प्रसतिपसत दे दी िै ।
(4) 2[उपसियम (3) के उपबन्िों के अिीि रिते हुए] न्यायालय आिेदि की िुििाई लसम्बत रििे तक सिष्पादि के रोके जािे
के सलए एकपिीय आदेश कर िके गा ।
[(5) पपिचगामी उपसियमों में अन्तर्िचष्ट क्रकिी बात के िोते हुए िी, जिां अपीलाथी सियम 1 के उपसियम (3) में सिसिर्दचष्ट
1

सििेप करिे में या प्रसतिपसत देिे में अिफल रिता िै ििां न्यायालय सडिी का सिष्पादि रोकिे िाला आदेश ििीं करे गा ।]
6. सडिी के सिष्पादि के सलए आदेश की दशा में प्रसतिपसत(1) जिां ऐिी सडिी के सिष्पादि के सलए आदेश क्रकया गया िै
सजिकी अपील लसम्बत िै ििां सडिी पाटरत करिे िाला न्यायालय अपीलाथी द्वारा पयाचप्त िेतुक दर्शचत क्रकए जािे पर क्रकिी ऐिी
िम्पसत्त के प्रत्यास्थापि के सलए जो सडिी के सिष्पादि में ली जाए या ले ली गई िै या ऐिी िम्पसत्त के मपल्य को देिे के सलए और अपील
न्यायालय की सडिी या आदेश के िम्यक पालि के सलए प्रसतिपसत का सलया जािा अपेसित करे गा या िैिे िी िेतुक के सलए यि सिदेश
अपील न्यायालय सडिी पाटरत करिे िाले न्यायालय को दे िके गा क्रक िि ऐिी प्रसतिपसत ले ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 87 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 87 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
185

(2) जिां सडिी के सिष्पादि में स्थािर िम्पसत्त के सििय का आदेश कर क्रदया गया िै और ऐिी सडिी की अपील लसम्बत िै
ििां उि न्यायालय िे सजििे आदेश क्रकया था, सिर्ीत-ऋर्ी के आिेदि करिे पर सििय को प्रसतिपसत देिे के बारे में या अन्यथा ऐिे
सिबन्ििों पर जो न्यायालय ठीक िमझे, तब तक के सलए रोक क्रदया जाएगा जब तक अपील का सिपटारा ि िो जाए ।
7. 1[कु छ मामलों में िरकार िे या लोक असिकारी िे कोई प्रसतिपसत अपेसित ि की जाए।]िारत शािि (िारतीय सिसि
अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा सिरसित ।
8. सडिी के सिष्पादि में क्रकए गए आदेश की अपील में शसक्तयों का प्रयोगजिां अपील सडिी के सिरुद्ध ििीं बसल्क सडिी के
सिष्पादि में क्रकए गए आदेश के सिरुद्ध की जाए या की गई िै ििां सियम 5 और सियम 6 द्वारा प्रदत्त शसक्तयों का प्रयोग क्रकया जा
िके गा ।
अपील के ग्रिर् पर प्रक्रिया
2[9.अपीलों के ज्ञापि का रसजस्टर में र्ढ़ाया जािा(1) िि न्यायालय सजिकी सडिी के सिरुद्ध अपील िोती िै, अपील के
ज्ञापि को ग्रिर् करे गा और उि पर उिके उपस्थासपत क्रकए जािे की तारीि पृष्ठांक्रकत करे गा और अपील को उि प्रयोजि के सलए रिी
जािे िाली पुस्तक में र्ढ़ाएगा ।
(2) ऐिी पुस्तक अपीलों का रसजस्टर किलाएगी ।]
10. अपील न्यायालय अपीलाथी िे िर्ों के सलए प्रसतिपसत देिे की अपेिा कर िके गा(1) अपील न्यायालय या तो प्रत्यथी
के उपिंजात िोिे और उत्तर देिे के सलए बुलाए जािे के पिले या तत्पश्र्ात प्रत्यथी के आिेदि पर अपील के या मपल िाद के या दोिों के
िर्ों के सलए प्रसतिपसत अपीलाथी िे स्िसिकािुिार मांग िके गा :
जिां अपीलाथी िारत के बािर सििाि करता िैपरन्तु न्यायालय उि ििी मामलों में ऐिी प्रसतिपसत की मांग करे गा सजिमें
अपीलाथी 3[िारत] के बािर सििाि करता िै और उिके पाि अपील िे िंबंसित िंपसत्त िे (यक्रद कोई िो) सिन्ि 3[िारत] के िीतर कोई
पयाचप्त स्थािर िंपसत्त ििीं िै ।
(2) जिां ऐिी प्रसतिपसत ऐिे िमय के िीतर ि दी जाए जो न्यायालय िे आक्रदष्ट क्रकया िै ििां न्यायालय अपील
िामंजपर कर देगा ।
11. सिर्ले न्यायालय को िपर्िा िेजे सबिा अपील िाटरज करिे की शसक्त4[(1) अपील न्यायालय, अपीलाथी या उिके
प्लीडर को िुििे के सलए क्रदि सियत करिे के पश्र्ात और यक्रद िि उि क्रदि उपिंजात िोता िै तो तद्िुिार उिे िुििे के पश्र्ात
अपील को िाटरज कर िके गा] ।
(2) यक्रद सियत क्रदि को या क्रकिी अन्य क्रदि को सजिके सलए िुििाई स्थसगत की गई िो, अपीलाथी अपील की िुििाई के
सलए पुकार िोिे पर उपिंजात ि िो तो न्यायालय आदेश कर िके गा क्रक अपील िाटरज कर दी जाए ।
(3) इि सियम के अिीि अपील का िाटरज क्रकया जािा उि न्यायालय को असििपसर्त क्रकया जाएगा सजिकी सडिी की
अपील की गई िै ।]
[(4) जिां कोई अपील न्यायालय जो उच्र् न्यायालय ि िो, उपसियम (1) के अिीि क्रकिी अपील को िाटरज करता िै ििां
5

िि िैिा करिे के सलए अपिे आिारों को िंिेप में लेिबद्ध करते हुए सिर्चय देगा और सिर्चय के अिुिार सडिी सलिी जाएगी ।]
[11क. िमय सजिके िीतर सियम 11 के अिीि िुििाई िमाप्त िो जािी र्ासिएप्रत्येक अपील सियम 11 के अिीि
5

यथािंिि शीघ्रता िे िुिी जाएगी और ऐिी िुििाई को उि तारीि िे सजिको अपील का ज्ञापि फाइल क्रकया गया िै, िाठ क्रदि के
िीतर िमाप्त करिे का प्रयाि क्रकया जाएगा ।]
12. अपील की िुििाई के सलए क्रदि(1) यक्रद अपील न्यायालय सियम 11 के अिीि अपील को िाटरज ि कर दे तो िि
अपील की िुििाई के सलए क्रदि सियत करे गा ।
6[(2) ऐिा क्रदि न्यायालय के र्ालप कारबार को ध्याि में रिते हुए सियत क्रकया जाएगा ।]
7* * * * *
14. अपील की िुििाई के क्रदि की िपर्िा का प्रकाशि और तामील(1) सियम 12 के अिीि सियत क्रकए गए क्रदि की िपर्िा
अपील न्याय-िदि में लगाई जाएगी और िैिी िी िपर्िा अपील न्यायालय द्वारा उि न्यायालय को िेजी जाएगी सजिकी सडिी की

1
उपरोक्त आदेश 27 का सियम 8क देसिए ।
2
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 31 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 9 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 3 द्वारा “राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 31 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 87 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
6
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 31 द्वारा (1-7-2002 िे) उपसियम (2) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
7
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 31 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 13 का लोप क्रकया गया ।
186

अपील की गई िै और प्रत्यथी पर या अपील न्यायालय में उिके प्लीडर पर उिकी तामील उि रीसत िे की जाएगी जो उपिंजात िोिे
और उत्तर देिे के सलए िमिों की प्रसतिादी पर तामील के सलए उपबंसित िै, और ऐिे िमि को और उिकी तामील सिषयक
कायचिासियों को लागप ििी उपबन्ि ऐिी िपर्िा की तामील को लागप िोंगे ।
(2) अपील न्यायालय स्ियं िपर्िा की तामील करिा िके गासजि न्यायालय की सडिी की अपील की गई िै उिे िपर्िा
िेजिे के बजाय अपील न्यायालय प्रत्यथी पर या उिके प्लीडर पर िपर्िा की तामील ऊपर सिर्दचष्ट उपबंिों के अिीि स्ियं करिा
िके गा ।
1
[(3) प्रत्यथी पर तामील की जािे िाली िपर्िा के िाथ अपील के ज्ञापि की एक प्रसत िोगी ।]
(4) उपसियम (1) में क्रकिी प्रसतकप ल बात के िोते हुए िी, क्रकिी अपील की आिुषंसगक क्रकिी कायचिािी की िपर्िा की
तामील अपील न्यायालय में प्रथम बार पिकार बिाए गए व्यसक्त िे सिन्ि क्रकिी प्रत्यथी पर करिी आिश्यक ििीं िोगी जब तक क्रक
प्रथम बार के न्यायालय में िि उपिंजात ि हुआ िो और उििे तामील के सलए कोई पता फाइल ि क्रकया िो या िि अपील में उपिंजात
ि हुआ िो ।
(5) उपसियम (4) की कोई िी बात अपील में सिर्दचष्ट प्रत्यथी को उिका प्रसतिाद करिे िे िर्जचत ििीं करे गी ।]
2* * * * *
िुििाई की प्रक्रिया
16. शुरू करिे का असिकार(1) सियत क्रदि को या ऐिे क्रकिी अन्य क्रदि को सजिके सलए िुििाई स्थसगत की गई िो,
अपीलाथी को अपील के िमथचि में िुिा जाएगा ।
(2) तब यक्रद न्यायालय अपील को तुरन्त िाटरज ि कर दे तो िि अपील के सिरुद्ध प्रत्यथी को िुिेगा और ऐिी दशा में
अपीलाथी उत्तर देिे का िकदार िोगा ।
17. अपीलाथी के व्यसतिम के सलए अपील का िाटरज क्रकया जािा(1) जिां सियत क्रदि को या क्रकिी अन्य क्रदि को, सजिके
सलए िुििाई स्थसगत की गई िै, अपीलाथी अपील की िुििाई के सलए पुकार िोिे पर उपिंजात ििीं िोता िै ििां न्यायालय आदेश कर
िके गा क्रक अपील िाटरज की जाए ।
[स्पष्टीकरर्इि उपसियम की क्रकिी बात का यि अथच ििीं लगाया जाएगा क्रक िि न्यायालय को गुर्ागुर् के आिार पर
1

अपील िाटरज करिे के सलए िशक्त करती िै ।]


(2) अपील की एकपिीय िुििाईजिां अपीलाथी उपिंजात िो और प्रत्यथी उपिंजात ि िो ििां अपील एकपिीय िुिीं
जाएगी ।
3* * * * *
19. व्यसतिम के सलए िाटरज की गई अपील को पुि: ग्रिर् करिाजिां अपील सियम 11 के उपसियम (2) या
सियम 17 4*** के अिीि िाटरज की जाती िै ििां अपीलाथी अपील न्यायालय में अपील के पुि: ग्रिर् क्रकए जािे के सलए आिेदि कर
िके गा और जिां यि िासबत कर क्रदया जाता िै क्रक िि अपील की िुििाई के सलए पुकार िोिे पर उपिंजात िोिे िे या ऐिी अपेसित
रासश सिसिप्त करिे िे क्रकिी पयाचप्त िेतुक िे सििाटरत िो गया था ििां न्यायालय िर्े िम्बन्िी या अन्यथा ऐिे सिबन्ििों पर जो िि
ठीक िमझे, अपील को पुि: ग्रिर् करे गा ।
20. िुििाई को स्थसगत करिे और ऐिे व्यसक्तयों को जो सितबद्ध प्रतीत िोते िों, प्रत्यथी बिाए जािे के सलए सिर्दचष्ट करिे
की शसक्त5[(1)] जिां िुििाई में न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक कोई व्यसक्त उि न्यायालय में िाद में पिकार था सजिकी
सडिी की अपील की गई िै क्रकन्तु जो अपील में पिकार ििीं बिाया गया िै, अपील के पटरर्ाम में सितबद्ध िै, ििां िुििाई को
न्यायालय अपिे द्वारा सियत क्रकए जािे िाले िसिष्यिती क्रदि के सलए स्थसगत कर िके गा और यि सिदेश दे िके गा क्रक ऐिा व्यसक्त
प्रत्यथी बिाया जाए ।
[(2) अपील के सलए पटरिीमाकाल की िमासप्त के पश्र्ात इि सियम के अिीि कोई प्रत्यथी ििीं जोडा जाएगा जब तक क्रक
1

न्यायालय, ऐिे कारर्ों िे जो लेिबद्ध क्रकए जाएंगे िर्े िम्बन्िी ऐिे सिबन्ििों पर जो िि ठीक िमझे, िैिा करिे की अिुज्ञा ििीं दे
देता ।]
21. उि प्रत्यथी के आिेदि पर पुि: िुििाई सजिके सिरुद्ध एकपिीय सडिी की गई िैजिां अपील एकपिीय िुिी जाती िै
और प्रत्यथी के सिरुद्ध सिर्चय िुिा क्रदया जाता िै ििां िि अपील न्यायालय िे अपील को पुि: िुििे के सलए आिेदि कर िके गा और

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 87 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 31 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 13 का लोप क्रकया गया ।
3
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 31 द्वारा (1-7-2002 िे) सियम 18 का लोप क्रकया गया ।
4
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 31 द्वारा (1-7-2002 िे) “या सियम 18” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
5
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 87 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 20 को उिके उपसियम (1) के रूप में पुि: िंखयांक्रकत क्रकया गया ।
187

यक्रद िि न्यायालय का िमािाि कर देता िै क्रक िप र्िा की तामील िम्यक रूप िे ििीं की गई थी िि अपील की िुििाई के सलए पुकार
िोिे पर उपिंजात िोिे िे पयाचप्त िेतुक िे सििाटरत िो गया था तो न्यायालय िर्े िम्बन्िी या अन्यथा ऐिे सिबन्ििों पर जो प्रत्यथी
पर असिरोसपत करिा िि ठीक िमझे, उि अपील को पुि: िुिेगा ।
22. िुििाई में प्रत्यथी सडिी के सिरुद्ध ऐिे आिेप कर िके गा मािो उििे पृथक अपील की िो(1) कोई िी प्रत्यथी, यद्यसप
उििे सडिी के क्रकिी िाग के सिरुद्ध अपील ि की िो, 1[ि के िल सडिी का िमथचि कर िके गा बसल्क यि कथि िी कर िके गा क्रक सिर्ले
न्यायालय में उिके सिरुद्ध क्रकिी सििाद्यक की बाबत सिर्चय उिके पि में िोिा र्ासिए था और सडिी के सिरुद्ध कोई ऐिा प्रत्यािेप िी
कर िके गा] जो िि अपील द्वारा कर िकता था :
परन्तु यि तब जब क्रक उििे ऐिा आिेप अपील न्यायालय में उि तारीि िे एक माि के िीतर सजिको उि पर या उिके
प्लीडर पर अपील की िुििाई के सलए सियत क्रदि की िपर्िा की तामील हुई थी, या ऐिे असतटरक्त िमय के िीतर सजिे अिुज्ञात करिा
अपील न्यायालय ठीक िमझे, फाइल कर क्रदया िो ।
[स्पष्टीकरर्कोई प्रत्यथी जो सिर्चय में उि न्यायालय के क्रकिी ऐिे सिष्कषच िे सजि पर सडिी आिाटरत िै सजिके सिरुद्ध
2

अपील की गई िै इि सियम के अिीि प्रत्यािेप, जिां तक क्रक िि सडिी उि सिष्कषच पर आिाटरत िै, इि बात के िोते हुए िी फाइल
कर िके गा क्रक न्यायालय के क्रकिी अन्य सिष्कषच पर जो उि िाद के सिसिश्र्य के सलए पयाचप्त िै सिसिश्र्य के कारर् िि सडिी पपर्चत:
या िागत: उि प्रत्यथी के पि में िै ।]
(2) आिेप का प्ररूप और उिको लागप िोिे िाले उपबन्िऐिा प्रत्यािेप ज्ञापि के प्रारूप में िोगा और सियम 1 के उपबन्ि
उिे ििां तक लागप िोंगे जिां तक िे अपील के ज्ञापिों के प्रारूप और अन्तिचस्तु िे िम्बसन्ित िैं ।
3* * * * *
(4) जिां क्रकिी ऐिे मामले में सजिमें आिेप के ज्ञापि को प्रत्यथी िे इि सियम के अिीि फाइल कर क्रदया िै, मपल अपील
प्रत्याहृत कर ली जाती िै या व्यसतिम के सलए िाटरज कर दी जाती िै ििां ऐिा िोिे पर िी िि आिेप जो ऐिे फाइल क्रकया गया िै,
अन्य पिकारों को ऐिी िपर्िा के पश्र्ात जो न्यायालय ठीक िमझे, िुिा और अििाटरत क्रकया जा िके गा ।
(5) सििचि व्यसक्तयों द्वारा अपीलों िे िम्बसन्ित उपबन्ि इि सियम के अिीि आिेप को िी ििां तक लागप िोंगे जिां तक िे
लागप क्रकए जा िकते िैं ।
23. मामले का अपील न्यायालय द्वारा प्रसतप्रेषर्जिां उि न्यायालय िे सजिकी सडिी की अपील की गई िै, िाद का
सिपटारा क्रकिी प्रारसम्िक बात पर कर क्रदया िै और सडिी अपील में उलट दी गई िै ििां यक्रद अपील न्यायालय ऐिा करिा ठीक िमझे
तो िि मामले का आदेश द्वारा प्रसतप्रेषर् कर िके गा और यि असतटरक्त सिदेश दे िके गा क्रक ऐिे प्रसतप्रेसषत मामले में कौि िे सििाद्यक
या सििाद्यकों का सिर्ारर् क्रकया जाए और अपिे सिर्चय और आदेश की प्रसत उि न्यायालय को सजिको सडिी की अपील की गई िै, इि
सिदेशों के िाथ िेजेगा क्रक िि िाद, सिसिल िादों के रसजस्टर में अपिे मपल िंखयांक पर पुि: ग्रिर् क्रकया जाए और िाद के अििारर् के
सलए आगे कायचिािी की जाए, और यक्रद कोई िाक्ष्य मपल सिर्ारर् के दौराि में असिसलसित कर सलया गया था तो िि ििी न्यायिंगत
अपिादों के अिीि रिते हुए, प्रसतप्रेषर् के पश्र्ात िाले सिर्ारर् के दौराि में िाक्ष्य िोगा ।
[23क. अन्य मामलों में प्रसतप्रेषर्जिां उि न्यायालय िे सजिकी सडिी की अपील की गई िै मामले का सिपटारा क्रकिी
2

प्रारसम्िक बात पर करिेिे अन्यथा कर क्रदया िै और सडिी अपील में उलट दी गई िै और पुिर्िचर्ारर् आिश्यक िमझा गया िै ििां
अपील न्यायालय की ििी शसक्तयां िोंगी जो उिकी सियम 23 के अिीि िैं ।]
24. जिां असिलेि में का िाक्ष्य पयाचप्त िै ििां अपील न्यायालय मामले का असन्तम रूप िे अििारर् कर िके गाजिां
असिलेि में का िाक्ष्य अपील न्यायालय द्वारा सिर्चय िुिाए जािे के सलए पयाचप्त िै ििां अपील न्यायालय, यक्रद आिश्यक िो,
सििाद्यकों का पुि: सस्थरीकरर् करिे के पश्र्ात िाद का इि बात के िोते हुए िी असन्तम रूप िे अििारर् कर िके गा क्रक उि
न्यायालय का सिर्चय सजिकी सडिी की अपील की गई िै, पपर्चत: उि आिार िे सिन्ि आिार पर क्रकया गया िै सजि आिार पर अपील
न्यायालय िे कायचिािी की िै ।
25. अपील न्यायालय किां सििाद्यकों की सिरर्िा कर िके गा और उन्िें उि न्यायालय को सिर्ारर् के सलए सिर्दचष्ट कर
िके गा सजिकी सडिी की अपील की गई िैजिां उि न्यायालय िे सजिकी सडिी की अपील की गई िै, ऐिे क्रकिी सििाद्यक की
सिरर्िा या सिर्ारर् में या क्रकिी ऐिे तथ्य के प्रश्ि के अििारर् में लोप क्रकया िै जो अपील न्यायालय को िाद के गुर्ागुर् पर ठीक
सिसिश्र्य के सलए परमािश्यक प्रतीत िोता िै ििां यक्रद आिश्यक िो तो अपील न्यायालय सििाद्यकों की सिरर्िा कर िके गा और उन्िें
उि न्यायालय को सिर्ारर् के सलए सिर्दचष्ट कर िके गा सजिकी सडिी की अपील की गई िै और ऐिी दशा में ऐिे न्यायालय को
अपेसित असतटरक्त िाक्ष्य लेिे के सलए सिदेश देगा,

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 87 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 87 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
3
1999 के असिसियम िं० 46 की िारा 31 द्वारा (1-7-2002 िे) उपसियम (3) का लोप क्रकया गया ।
188

और ऐिा न्यायालय ऐिे सििाद्यकों के सिर्ारर् के सलए अग्रिर िोगा और िाक्ष्य को उि पर अपिे सिष्कषों के िसित और
उिके सलए अपिे कारर्ों के िसित 1[ऐिे िमय के िीतर जो अपील न्यायालय द्वारा सियत क्रकया जाए या उिके द्वारा िमय-िमय पर
बढ़ाया जाए,] अपील न्यायालय को लौटा देगा ।
26. सिष्कषच और िाक्ष्य का असिलेि में िसम्मसलत क्रकया जािा । सिष्कषच पर आिेप(1) ऐिा िाक्ष्य और ऐिे सिष्कषच िाद
के असिलेि का िाग िोंगे और दोिों पिकारों में िे कोई िी ऐिे िमय के िीतर जो अपील न्यायालय द्वारा सियत क्रकया जाएगा, क्रकिी
िी सिष्कषच के प्रसत आिेपों का ज्ञापि उपस्थासपत कर िके गा ।
(2) अपील का अििारर्ऐिे ज्ञापि के उपस्थासपत क्रकए जािे के सलए इि प्रकार सियत की गई अिसि के अििाि के
पश्र्ात अपील न्यायालय अपील का अििारर् करिे के सलए अग्रिर िोगा ।
[26क. प्रसतप्रेषर् के आदेश में अगली िुििाई का उल्लेि क्रकया जािाजिां अपील न्यायालय सियम 23 या सियम 23क के
1

अिीि मामला प्रसतप्रेसषत करता िै या सियम 25 के अिीि सििाद्यकों की सिरर्िा करता िै और उन्िें सिर्ारर् के सलए सिर्दचष्ट करता
िै ििां िि उि मामले में आगे कायचिािी के बारे में उि न्यायालय के सजिकी सडिी की अपील की गई थी, सिदेश प्राप्त करिे के प्रयोजि
के सलए उि न्यायालय के िमि पिकारों की उपिंजासत के सलए तारीि सियत करे गा ।]
27. अपील न्यायालय में असतटरक्त िाक्ष्य का पेश क्रकया जािा(1) अपील के पिकार अपील न्यायालय में असतटरक्त िाक्ष्य
र्ािे िि मौसिक िो या दस्तािेजी, पेश करिे के िकदार ििीं िोंगे क्रकन्तु यक्रद
(क) उि न्यायालय िे सजिकी सडिी की अपील की गई िै, ऐिा िाक्ष्य ग्रिर् करिे िे इन्कार कर क्रदया िै जो ग्रिर्
क्रकया जािा र्ासिए था, अथिा
[(कक) िि पिकार जो असतटरक्त िाक्ष्य पेश करिा र्ािता िै यि सिद्ध कर देता िै क्रक िि िम्यक तत्परता का
1

प्रयोग करिे के बािजपद ऐिे िाक्ष्य की जािकारी ििीं रिता था या उिे उि िमय पेश ििीं कर िकता था जब िि सडिी
पाटरत की गई थी सजिके सिरुद्ध अपील की गई िै, अथिा]
(ि) अपील न्यायालय क्रकिी दस्तािेज के पेश क्रकए जािे की या क्रकिी िािी की परीिा की जािे की अपेिा या तो
स्ियं सिर्चय िुिािे के िमथच िोिे के सलए या क्रकिी अन्य िारिाि िेतुक के सलए करे ,
तो अपील न्यायालय ऐिे िाक्ष्य का सलया जािा या दस्तािेज का पेश क्रकया जािा या िािी की परीिा का क्रकया जािा अिुज्ञात कर
िके गा ।
(2) जिां किीं असतटरक्त िाक्ष्य पेश करिे के सलए अपील न्यायालय अिुज्ञा दे देता िै ििां न्यायलय ऐिे िाक्ष्य के ग्रिर् क्रकए
जािे के कारर्ों को लेिबद्ध करे गा ।
28. असतटरक्त िाक्ष्य लेिे की रीसतजिां किी असतटरक्त िाक्ष्य पेश करिे की अिुज्ञा दी जाती िै ििां अपील न्यायालय
ऐिा िाक्ष्य स्ियं ले िके गा या उि न्यायालय को सजिकी सडिी की अपील की गई िै या क्रकिी अन्य अिीिस्थ न्यायालय को ऐिा िाक्ष्य
लेिे के सलए और उिके ले सलए जािे पर अपील न्यायालय को उिे, िेजिे के सलए सिदेश दे िके गा ।
29. सिषय-सबन्दुओं का पटरिासषत और लेिबद्ध क्रकया जािाजिां असतटरक्त िाक्ष्य लेिे का सिदेश क्रदया जाता िै या अिुज्ञा
दी जाती िै ििां अपील न्यायालय उि सिषय-सबन्दुओं को सिसिर्दचष्ट करे गा सजि तक िाक्ष्य को िीसमत रििा िै, और अपिी
कायचिासियों में उि सिषय-सबन्दुओं को लेिबद्ध करे गा जो इि प्रकार सिसिर्दचष्ट क्रकए गए िैं ।
अपील का सिर्चय
30. सिर्चय कब और किां िुिाया जाएगा2[(1)] अपील न्यायालय पिकारों को या उिके प्लीडरों को िुििे के पश्र्ात
और अपील की या उि न्यायालय की सजिकी सडिी की अपील की गई िै, कायचिासियों के ऐिे क्रकिी िाग का अिलोकि करिे के
पश्र्ात सजिका अिलोकि करिा आिश्यक िमझा जाए िुले न्यायालय में तुरंत या क्रकिी िसिष्यिती क्रदि को सजिकी िपर्िा पिकारों
को या उिके प्लीडरों को दी जाएगी, सिर्चय िुिाएगा ।
[(2) जिां कोई सलसित सिर्चय िुिाया जािा िै ििां अििायच प्रश्ि, उि पर सिसिश्र्य और अपील में पाटरत असन्तम आदेश
1

को पढ़ा जािा पयाचप्त िोगा और न्यायालय के सलए िम्पपर्च सिर्चय को पढ़िा आिश्यक ििीं िोगा, क्रकन्तु पिकारों या उिके प्लीडरों को
पटरशीलि के सलए िम्पपर्च सिर्चय की प्रसत सिर्चय िुिाए जािे के तुरंत पश्र्ात उपलब्ि कराई जाएगी ।]
31. सिर्चय की अन्तिचस्तु, तारीि और िस्तािरअपील न्यायालय का सिर्चय सलसित िोगा और उिमें
(क) अििायच प्रश्ि ;
(ि) उि पर सिसिश्र्य ;

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 87 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 87 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 30 को उिके उपसियम (1) के रूप में पुि: िंखयांक्रकत क्रकया गया ।
189

(ग) सिसिश्र्य के सलए कारर् ; तथा


(घ) जिां िि सडिी सजिकी अपील की गई िै उलट दी जाती िै या उिमें फे रफार क्रकया जाता िै ििां िि अिुतोष
सजिका अपीलाथी िकदार िै, कसथत िोगा,
और िि न्यायािीश द्वारा या उिमें ििमत न्यायािीशों द्वारा उि िमय जब िि िुिाया जाए, िस्तािटरत और क्रदिांक्रकत क्रकया
जाएगा ।
32. सिर्चय क्या सिदेश दे िके गासिर्चय उि सडिी को सजिकी अपील की गई िै, पुष्ट करिे, उिमें फे रफार करिे या उिे
उलटिे के सलए िो िके गा या यक्रद अपील के पिकार अपील की सडिी के प्ररूप के बारे में या अपील में क्रकए जािे िाले आदेश के बारे में
ििमत िो जाएं तो अपील न्यायालय तद्िुिार सडिी पाटरत कर िके गा या आदेश कर िके गा ।
33. अपील न्यायालय की शसक्तअपील न्यायालय की यि शसक्त िोगी क्रक िि कोई ऐिी सडिी पाटरत करे या कोई ऐिा
आदेश करे जो पाटरत की जािी र्ासिए थी या जो क्रकया जािा र्ासिए था, और ऐिा या असतटरक्त या अन्य सडिी या आदेश पाटरत
करे , जो मामले में अपेसित िो, और उि शसक्त का प्रयोग न्यायालय द्वारा इि बात के िोते हुए िी क्रकया जा िके गा क्रक अपील सडिी के
के िल िाग के बारे में िै और यि शसक्त ििी प्रत्यर्थचयों या पिकारों या उिमें िे क्रकिी के िी पि में प्रयोग की जा िके गी, यद्यसप ऐिे
प्रत्यर्थचयों या पिकारों िे कोई िी अपील या आिेप फाइल ि क्रकया िो 1[और जिां प्रतीपिादों में सडक्रियां हुई िों या जिां एक िाद में
दो या असिक सडक्रियां पाटरत की गई िों ििां यि शसक्त ििी सडक्रियों या उिमें िे क्रकिी के बारे में प्रयोग की जा िके गी, यद्यसप ऐिी
सडक्रियों के सिरुद्ध अपील फाइल ि की गई िो] :
[परन्तु अपील न्यायालय िारा 35क के अिीि कोई िी आदेश क्रकिी ऐिे आिेप के अिुिरर् में ििीं करे गा सजि पर उि
2

न्यायालय िे सजिकी सडिी की अपील की गई िै, ऐिा आदेश ििीं क्रकया िै या ऐिा आदेश करिे िे इन्कार क्रकया िै ।]
दृष्टांत
क यि दािा करता िै क्रक ि या म िे उिे एक ििरासश शोध्य िै और दोिों के सिरुद्ध िाद में ि के सिरुद्ध सडिी असिप्राप्त कर
लेता िै । ि अपील करता िै और क और म प्रत्यथी िैं । अपील न्यायालय ि के पि में सिसिश्र्य करता िै । उिकी यि शसक्त िै क्रक िि
ि के सिरुद्ध सडिी पाटरत करे ।
34. सििम्मसत का लेिबद्ध क्रकया जािाजिां अपील एक िे असिक न्यायािीशों द्वारा िुिी जाती िै ििां न्यायालय के सिर्चय
िे सििम्मत कोई िी न्यायािीश उि सिसिश्र्य या आदेश का जो िि िमझता िै क्रक अपील में पाटरत क्रकया जािा र्ासिए, सलसित रूप
में कथि करे गा और िि उिके सलए अपिे कारर्ों का कथि कर िके गा ।
अपील में की सडिी
सडिी की तारीि और अन्तिचस्तु(1) अपील न्यायालय की सडिी पर उि क्रदि की तारीि िोगी सजि क्रदि सिर्चय
335.

िुिाया गया था ।
(2) सडिी में अपील के िंखयांक, अपीलाथी और प्रत्यथी के िाम और िर्चि, तथा क्रदया गया अिुतोष या क्रकए गए अन्य
न्यायसिर्चयि का स्पष्ट सिसिदेश अन्तर्िचष्ट िोंगे ।
(3) अपील में उपगत िर्ों की रकम िी और यि बात िी क्रक ऐिे िर्े और िाद के िर्च क्रकिके द्वारा या क्रकि िम्पसत्त में िे
और क्रकि अिुपात में क्रदए जाएंगे, सडिी में कसथत िोंगी ।
(4) सडिी उि न्यायािीश या उि न्यायािीशों द्वारा सजििे या सजन्िोंिे उिे पाटरत क्रकया िो, िस्तािटरत और क्रदिांक्रकत की
जाएगी ।
सिर्चय िे सििम्मत न्यायािीश के सलए सडिी पर िस्तािर करिा आिश्यक ििींपरन्तु जिां एक िे असिक न्यायािीश िों
और उिमें मतिेद िो ििां न्यायालय के सिर्चय िे सििम्मत क्रकिी िी न्यायािीश के सलए यि आिश्यक ििीं िोगा क्रक िि सडिी पर
िस्तािर करे ।
36. पिकारों को सिर्चय और सडिी की प्रसतयों का क्रदया जािाअपील के सिर्चय और सडिी की प्रमासर्त प्रसतयां पिकारों
को अपील न्यायालय िे आिेदि करिे पर और उिके व्यय पर दी जाएंगी ।
37. सडिी की प्रमासर्त प्रसत उि न्यायालय को िेजी जाएगी सजिकी सडिी की अपील की गई थीसिर्चय और सडिी की एक
प्रसत अपील न्यायालय द्वारा या ऐिे असिकारी द्वारा जो िि इि सिसमत्त सियुक्त करे , प्रमासर्त की जाकर उि न्यायालय को िेजी

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 87 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1922 के असिसियम िं० 9 की िारा 4 द्वारा अन्त:स्थासपत, सजिे उक्त असिसियम की िारा 1(2) के अिीि क्रकिी िी सिसिर्दचष्ट तारीि को क्रकिी राज्य में राज्य
िरकार द्वारा प्रिृत्त क्रकया जा िके गा । यि असिसियम मुम्बई, बंगाल, िंयुक्त प्रान्त, पंजाब, सबिार, मध्य प्रान्त, अिम, उडीिा और तसमलिाडु में प्रिृत्त क्रकया गया िै ।
3
यि सियम अिि के मुखय न्यायालय की अपीली असिकाटरता के प्रयोग में लागप ििीं िोता िै । देसिए अिि को्िच ऐक्ट, 1925 (1925 का यप०पी० असिसियम िं० 4)
की िारा 16(3) ।
190

जाएगी सजिके द्वारा िि सडिी पाटरत की गई थी सजिकी अपील की गई िै और िाद की मपल कायचिासियों के िाथ फाइल की जाएगी
और अपील न्यायालय के सिर्चय की प्रसिसष्ट सिसिल िादों के रसजस्टर में की जाएगी ।
आदेश 42
अपीली सडक्रियों की अपीलें
1. प्रक्रियाआदेश 41 के सियम अपीली सडक्रियों की अपीलों को, जिां तक िो िके , लागप िोंगे ।
1[2. न्यायालय की यि सिदेश देिे की शसक्त क्रक उिके द्वारा बिाए गए प्रश्ि पर अपील िुिी जाएआदेश 41 के सियम 11
के अिीि सद्वतीय अपील की िुििाई के सलए आदेश क्रकए जािे के िमय, न्यायालय िारा 100 द्वारा यथा अपेसित िारिाि सिसि-प्रश्ि
बिाएगा और ऐिा करिे में न्यायालय सिदेश कर िके गा क्रक सद्वतीय अपील इि प्रकार बिाए गए प्रश्ि पर िुिी जाएगी और अपीलाथी
न्यायालय की इजाजत के सबिा जो िारा 100 के उपबन्िों के अिुिार दी गई िो, अपील में कोई अन्य आिार सििेक्रदत करिे के सलए
स्ितंत्र ििीं िोगा ।
3. आदेश 41 के सियम 14 का लागप िोिाआदेश 41 के सियम 14 के उपसियम (4) में प्रथम बार के न्यायालय के प्रसत
सिदेशों का क्रकिी अपीली सडिी या आदेश की अपील की दशा में यि अथच लगाया जाएगा क्रक िे उि न्यायालय के प्रसत सिदेश िैं सजिमें
मपल सडिी या आदेश की अपील की गई थी ।
आदेश 43
आदेशों की अपीलें
1. आदेशों की अपीलेंिारा 104 के उपबन्िों के अिीि सिम्िसलसित आदेशों की अपील िोगी, अथाचत :
(क) िादपत्र के उसर्त न्यायालय में उपसस्थत क्रकए जािे के सलए लौटािे का आदेश जो आदेश 7 के सियम 10 के
अिीि क्रदया गया िो, 2[सििाय उि दशा के जब आदेश 7 के सियम 10क में सिसिर्दचष्ट प्रक्रिया का अिुिरर् क्रकया गया िो] ;
3
* * * *
(ग) िाद की िाटरजी को अपास्त करिे के आदेश के सलए (ऐिे मामले में सजिमें अपील िोती िै) आिेदि को
िामंजपर करिे का आदेश जो आदेश 9 के सियम 9 के अिीि क्रदया गया िो ;
(घ) एकपिीय पाटरत सडिी को अपास्त करिे के आदेश के सलए (ऐिे मामले में सजिमें अपील िोती िै) आिेदि के
िामंजपर करिे का आदेश जो आदेश 9 के सियम 13 के अिीि क्रदया गया िो ;
3
* * * *
(र्) आदेश 11 के सियम 21 के अिीि आदेश ;
3
* * * *
(झ) दस्तािेज के या पृष्ठांकि के प्रारूप पर क्रकए गए आिेप पर आदेश जो आदेश 21 के सियम 34 के अिीि
क्रदया गया िो ;
(ञ) सििय को अपास्त करिे का या अपास्त करिे िे इं कार करिे का आदेश जो आदेश 21 के सियम 72 या सियम
92 के अिीि क्रदया गया िो ;
[(ञक) आिेदि को िामंजपर करिे का आदेश जो आदेश 21 के सियम 106 के उपसियम (1) के अिीि क्रकया गया िो
2

परन्तु मपल आिेदि पर अथाचत उि आदेश के सियम 105 के उपसियम (1) में सिर्दचष्ट आिेदि पर आदेश अपीलिीय िै ;]
(ट) िाद के उपशमि या िाटरजी को अपास्त करिे िे इं कार करिे का आदेश जो आदेश 22 के सियम 9 के अिीि
क्रदया गया िो ;
(ठ) इजाजत देिे का या इजाजत देिे िे इं कार करिे का आदेश जो आदेश 22 के सियम 10 के अिीि क्रदया गया िो ;
3
* * * *
(ढ) िाद की िाटरजी को अपास्त करिे िे इं कार करिे का आदेश के सलए (ऐिे मामले में सजिमें अपील िोती िै)
आिेदि को िामंजपर करिे का आदेश जो आदेश 25 के सियम 2 के अिीि क्रदया गया िो ;
[(ढक) सििचि व्यसक्त के रूप में िाद लािे की अिुज्ञा के सलए आिेदि को िामंजपर करिे का आदेश जो आदेश 33 के
2

सियम 5 या सियम 7 के अिीि क्रदया गया िो ;]

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 88 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 89 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 89 द्वारा (1-2-1977 िे) िण्ड (ि), (ङ), (छ), (ज), (ड), (र्), और (फ) का लोप क्रकया गया ।
191

1* * * *
(त) अन्तरासििार्ी िादों में आदेश जो आदेश 35 के सियम 3, सियम 4 या सियम 6 के अिीि क्रदया गया िो ;
(थ) आदेश 38 के सियम 2, सियम 3 या सियम 6 के अिीि आदेश ;
(द) आदेश 39 के सियम 1, सियम 2, 2[सियम 2क], सियम 4 या सियम 10 के अिीि आदेश ;
(ि) आदेश 40 के सियम 1 या सियम 4 के अिीि आदेश ;
(ि) अपील को आदेश 41 के सियम 19 के अिीि पुि: ग्रिर् करिे या आदेश 41 के सियम 21 के अिीि पुि: िुििे िे
इं कार करिे का आदेश ;
(प) जिां अपील न्यायालय की सडिी की अपील िोती िो ििां मामले को प्रसतप्रेसषत करिे का आदेश जो आदेश 41
के सियम 23 2[या सियम 23क] के अिीि क्रदया गया िो ;
1
* * * *
(ब) पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि मंजपर करिे का आदेश जो आदेश 47 के अिीि क्रदया गया िो ।
[1क. सडक्रियों के सिरुद्ध अपील में के ऐिे आदेशों पर आिेप करिे का असिकार सजिकी अपील ििीं की जा
2

िकती(1) जिां इि िंसिता के अिीि कोई आदेश क्रकिी पिकार के सिरुद्ध क्रकया जाता िै और तदुपरान्त सिर्चय ऐिे पिकार के
सिरुद्ध िुिाया जाता िै और सडिी तैयार की जाती िै ििां ऐिा पिकार सडिी के सिरुद्ध अपील में यि प्रसतिाद कर िके गा क्रक ऐिा
आदेश ििीं क्रकया जािा र्ासिए था और सिर्चय ििीं िुिाया जािा र्ासिए था ।
(2) ऐिी सडिी के सिरुद्ध अपील में जो िमझौता असिसलसित करिे के पश्र्ात या िमझौता असिसलसित क्रकया जािा
िामंजपर करिे के पश्र्ात िाद में पाटरत की गई िै, अपीलाथी को इि आिार पर सडिी का प्रसतिाद करिे की स्ितंत्रता िोगी क्रक
िमझौता असिसलसित क्रकया जािा र्ासिए था या ििीं क्रकया जािा र्ासिए था ।]
2. प्रक्रियाआदेश 41 के सियम, आदेशों की अपीलों को, जिां तक िो िके , लागप िोंगे ।
आदेश 44
3
[सििचि व्यसक्तयों द्वारा अपीलें]
1. 4[सििचि व्यसक्त के रूप में] कौि अपील कर िके गा5[(1)] अपील करिे का िकदार कोई िी व्यसक्त जो अपील के ज्ञापि
के सलए अपेसित फीि देिे में अिमथच िै, अपील के ज्ञापि के िाथ आिेदि उपसस्थत कर िके गा और ििी बातों में सजिके अन्तगचत ऐिे
आिेदि को उपसस्थत करिा िी िै, उि उपबन्िों के जो 6[सििचि व्यसक्तयों] द्वारा िादों के िम्बन्ि में िैं ििां तक अिीि रिते हुए जिां
तक ऐिे उपबन्ि लागप करिे योग्य िैं, 6[सििचि व्यसक्त] के रूप में अपील करिे के सलए अिुज्ञात क्रकया जा िके गा :
7* * * *
8* * * *
न्यायालय फीि के िंदाय के सलए िमय क्रदया जािाजिां आिेदि को सियम 1 के अिीि िामंजपर क्रकया जाता िै ििां
9[2.

न्यायालय आिेदि िामंजपर करते िमय आिेदक को यि अिुज्ञा दे िके गा क्रक िि अपेसित न्यायालय फीि ऐिे िमय के िीतर जो
न्यायालय द्वारा सियत क्रकया जाए या उिके द्वारा िमय-िमय पर बढ़ाया जाए, िंदत्त करे और ऐिा िंदाय कर देिे पर उि अपील के
ज्ञापि का सजिके िंबंि में फीि िंदय
े िै, ििी बल और प्रिाि िोगा मािो िि फीि प्रथम बार में िंदत्त कर दी गई िो ।
3. इि प्रश्ि के बारे में जांर् क्रक आिेदक सििचि व्यसक्त िै या ििीं(1) जिां सियम 1 में सिर्दचष्ट आिेदक को उि न्यायालय
में सजिकी सडिी की अपील की गई िै, सििचि व्यसक्त के रूप में िाद लािे या अपील करिे के सलए अिुज्ञात क्रकया गया था ििां , यक्रद
आिेदक िे यि कथि करते हुए शपथपत्र क्रदया िै क्रक िि उि सडिी की तारीि िे सजिकी अपील की गई िै, सििचि व्यसक्त ि रििे िे
पटरसिरत ििीं हुआ िै तो, इि प्रश्ि के बारे में क्रक िि सििचि व्यसक्त िै या ििीं, कोई असतटरक्त जांर् आिश्यक ििीं िोगी, क्रकन्तु यक्रद
िरकारी प्लीडर या प्रत्यथी ऐिे शपथपत्र में क्रकए गए कथि पर सििाद करता िै तो पपिोक्त प्रश्ि की जांर् अपील न्यायालय द्वारा या
अपील न्यायालय के आदेशों के अिीि उिी न्यायालय के असिकारी द्वारा की जाएगी ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 89 द्वारा (1-2-1977 िे) िण्ड (ि), (ङ), (छ), (ज), (ड), (र्), और (फ) का लोप क्रकया गया ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 89 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 90 द्वारा (1-2-1977 िे) “अककं र्ि अपीलों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 90 द्वारा (1-2-1977 िे) “अककं र्ि के रूप में” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
5
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 14 द्वारा सियम 1 को उपसियम (1) के रूप में पुि: िंखयांक्रकत क्रकया गया ।
6
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 90 द्वारा (1-2-1977 िे) िमश: “अककं र्िों” और “अककं र्ि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
7
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 14 द्वारा परन्तुक का लोप क्रकया गया ।
8
1956 के असिसियम िं० 66 की िारा 14 द्वारा अन्त:स्थासपत उपसियम (2) का 1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 90 द्वारा (1-2-1977 िे) लोप क्रकया गया ।
9
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 90 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 2 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
192

(2) जिां सियम 1 में सिर्दचष्ट आिेदक के बारे में यि असिकथि क्रकया जाता िै क्रक िि उि सडिी की तारीि िे सजिकी अपील
की गई िै, सििचि व्यसक्त िो गया िै ििां इि प्रश्ि की जांर् क्रक िि सििचि व्यसक्त िै या ििीं, अपील न्यायालय द्वारा या अपील
न्यायालय के आदेशों के अिीि उिी न्यायालय के असिकारी द्वारा उि दशा में की जाएगी सजिमें अपील न्यायालय मामले की
पटरसस्थसतयों में यि आिश्यक ििीं िमझता क्रक जांर् ऐिे न्यायालय द्वारा की जािी र्ासिए सजिके सिसिश्र्य की अपील की गई िै ।]
आदेश 45
1
[उच्र्तम न्यायालय] में अपीलें
1. “सडिी” की पटरिाषाइि आदेश में, जब तक क्रक सिषय या िंदिच में कोई बात सिरुद्ध ि िो, “सडिी” पद के अन्तगचत
असन्तम आदेश िी आएगा ।
2. उि न्यायालय िे आिेदि सजिकी सडिी पटरिाक्रदत िै2[(1)] जो कोई 3[उच्र्तम न्यायालय] में अपील करिा र्ािता िै
िि उि न्यायालय में अजी द्वारा आिेदि करे गा सजिकी सडिी पटरिाक्रदत िै ।
उपसियम (1) के अिीि िर अजी की िुििाई यथािंिि शीघ्रता िे की जाएगी और आिेदि के सिपटारे को उि तारीि
4[(2)

िे सजिको िि अजी उपसियम (1) के अिीि न्यायालय में उपस्थासपत की जाती िै, िाठ क्रदि के िीतर िमाप्त करिे का प्रयाि क्रकया
जाएगा ।]
3. मपल्य या औसर्त्य के बारे में प्रमार्पत्र5[(1) िर अजी में अपील के आिार कसथत िोंगे और ऐिे प्रमार्पत्र के सलए
प्राथचिा िोगी क्रक
(i) मामले में िामान्य मित्ि का िारिाि सिसि-प्रश्ि अन्तग्रचस्त िै, तथा
(ii) न्यायालय की राय में उक्त प्रश्ि का सिसिश्र्य उच्र्तम न्यायालय द्वारा क्रकया जािा आिश्यक िै ।]
(2) न्यायालय ऐिी अजी की प्रासप्त पर सिदेश देगा क्रक सिरोिी पिकार पर इि िपर्िा की तामील की जाए क्रक िि यि िेतुक
दर्शचत करे क्रक उक्त प्रमार्पत्र क्यों ि दे क्रदया जाए ।
4. [िादों का िमेकि ।]सिसिल प्रक्रिया िंसिता (िंशोिि) असिसियम, 1973 (1973 का 49) की िारा 4 द्वारा सिरसित ।
5. [प्रथम बार के न्यायालय को सििाद का पुि: िेजा जािा ।]सिसिल प्रक्रिया िंसिता (िंशोिि) असिसियम, 1973 (1973
का 49) की िारा 4 द्वारा सिरसित ।
6. प्रमार्पत्र देिे िे इं कार का प्रिािजिां ऐिा प्रमार्पत्र देिे िे इं कार कर क्रदया जाता िै ििां अजी िाटरज की जाएगी ।
7. प्रमार्पत्र क्रदए जािे पर अपेसित प्रसतिपसत और सििेप (1) जिां प्रमार्पत्र दे क्रदया जाता िै ििां आिेदक पटरिाक्रदत
सडिी की तारीि िे 6[िब्बे क्रदि या िेतुक दर्शचत क्रकए जािे पर न्यायालय द्वारा अिुज्ञात की जािे िाली िाठ क्रदि िे अिसिक असतटरक्त
अिसि] के िीतर या प्रमार्पत्र क्रदए जािे की तारीि िे छि िप्ताि की अिसि के िीतर जो िी तारीि पश्र्ातिती िो,
(क) प्रत्यथी के िर्ों के सलए प्रसतिपसत 7[िकद या िरकारी प्रसतिपसतयों में] देगा, तथा
(ि) िि रकम सिसिप्त करे गा जो िाद में के पपरे असिलेि को अिुिाद करािे, अिुसलसप करािे, अिुिमसर्का तैयार
करिे, 8[मुद्रर्] और उिकी शुद्ध प्रसत के 3[उच्र्तम न्यायालय] को पारे षर् के व्ययों की पपर्तच के सलए अपेसित िो क्रकन्तु
सिम्िसलसित के सलए रकम सिसिप्त ििीं कराई जाएगी :
(1) िे प्ररूसपक दस्तािेजें सजिका अपिर्जचत क्रकया जािा 9[उच्र्तम न्यायालय के ] तत्िमय प्रिृत्त क्रकिी
िी [सियम] द्वारा सिर्दचष्ट िो ;
9

(2) ऐिे कागज सजन्िें पिकार अपिर्जचत करिे के सलए ििमत िो जाएं ;
(3) ऐिे लेिा या लेिाओं के प्रिाग, सजन्िें न्यायालय द्वारा इि प्रयोजि के सलए िशक्त असिकारी
अिािश्यक िमझे और सजिके बारे में पिकारों िे सिसिर्दचष्ट रूप में मांग ििीं की िै क्रक िे िसम्मसलत क्रकए जाएं ;
तथा

1
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “ककं ग-इि-काउं सिल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 91 द्वारा (1-2-1977 िे) सियम 2 को उिके उपसियम (1) के रूप में पुि:िंखयांक्रकत क्रकया गया ।
3
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “सिज मैजेस्टी इि काउसन्िल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 91 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
5
1973 के असिसियम िं० 49 की िारा 4 द्वारा उपसियम (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
6
1920 के असिसियम िं० 26 की िारा 3 द्वारा “छि माि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
7
1920 के असिसियम िं० 26 की िारा 3 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
8
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
9
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “सिज मैजेस्टी इि काउसन्िल के आदेश” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
193

(4) ऐिी अन्य दस्तािेजें सजन्िें अपिर्जचत करिे के सलए उच्र् न्यायालय सिदेश दे :
[परन्तु न्यायालय प्रमार्पत्र देिे के िमय क्रकिी ऐिे सिरोिी पिकार को जो उपिंजात िो, िुििे के पश्र्ात
1

सिशेष कष्ट के आिार पर यि आदेश दे िके गा क्रक प्रसतिपसत क्रकिी अन्य रूप में दी जाए :
परन्तु यि और क्रक ऐिी प्रसतिपसत की प्रकृ सत के िंबंि में प्रसतिाद करिे के सलए सिरोिी पिकार को कोई िी स्थगि
ििीं क्रदया जाएगा ।
2* * * *
8. अपील का ग्रिर् और उि पर प्रक्रियाजिां न्यायालय को िमािािप्रद रूप में ऐिी प्रसतिपसत दे दी गई िै और सििेप कर
क्रदया गया िै ििां न्यायालय
(क) यि घोसषत करे गा क्रक अपील ग्रिर् कर ली गई िै,
(ि) उिकी िपर्िा प्रत्यथी को देगा,
(ग) उक्त असिलेि की यथापपिोक्त के सििाय शुद्ध प्रसत न्यायालय की मुद्रा िसित 3[उच्र्तम न्यायालय] को
पारे सषत करे गा ; तथा
(घ) दोिों में िे क्रकिी िी पिकार को िाद के कागजों में िे क्रकिी िी कागज की एक या असिक असिप्रमार्ीकृ त
प्रसतयां उिके सलए उिके द्वारा आिेदि क्रकए जािे पर और उिकी तैयारी में उपगत युसक्तयुक्त व्ययों के िंदत्त क्रकए
जािे पर देगा ।
9. प्रसतिपसत के प्रसतग्रिर् का प्रसतिंिरर्न्यायालय अपील के ग्रिर् क्रकए जािे के पपिच क्रकिी िी िमय िेतुक दर्शचत क्रकए
जािे पर क्रकिी ऐिी प्रसतिपसत के प्रसतग्रिर् का प्रसतिंिरर् कर िके गा और उिके बारे में असतटरक्त सिदेश दे िके गा ।
मृत पिकारों की दशा में िपर्िा क्रदए जािे िे असिमुसक्त देिे की शसक्तइि सियमों की क्रकिी िी बात के बारे में जो
4[9क.

सिरोिी पिकार या प्रत्यथी पर क्रकिी िी िपर्िा की तामील या क्रकिी िपर्िा का उिे क्रदया जािा अपेसित करती िै यि ििीं िमझा
जाएगा क्रक िि मृत सिरोिी पिकार या मृत प्रत्यथी के सिसिक प्रसतसिसि पर क्रकिी िपर्िा की तामील या उिे ऐिी क्रकिी िपर्िा का
क्रदया जािा उि दशा में िी अपेसित करती िै सजिमें ऐिा सिरोिी पिकार या प्रत्यथी उि न्यायालय में सजिकी सडिी पटरिाक्रदत िै,
िुििाई के िमय या उि न्यायालय की सडिी िे पश्र्ातिती क्रकन्िीं कायचिासियों में उपिंजात ििीं हुआ िै :
परन्तु सियम 3 के उपसियम (2) के अिीि और सियम 8 के अिीि िपर्िाएं उि सजले के न्यायािीश के न्याय िदि में सजि
सजले में िाद मपलत: लाया गया था, क्रकिी ििज-दृश्य स्थाि में लगा कर दी जाएगी और ऐिे िमार्ार-पत्रों में जो न्यायालय सिक्रदष्ट
करे , प्रकाशि द्वारा दी जाएगी ।]
10. असतटरक्त प्रसतिपसत या िंदाय का आदेश देिे की शसक्तजिां अपील के ग्रिर् क्रकए जािे के पश्र्ात क्रकन्तु यथापपिोक्त के
सििाय असिलेि की प्रसत 3[उच्र्तम न्यायालय] को पारे सषत क्रकए जािे के पपिच क्रकिी िी िमय ऐिी प्रसतिपसत अपयाचप्त प्रतीत िो,
अथिा यथापपिोक्त के सििाय असिलेि के अिुिाद करािे, अिुसलसप करािे, मुद्रर्, अिुिमसर्का तैयार करिे या उिकी प्रसत
का पारे षर् करिे के प्रयोजि के सलए असतटरक्त िंदाय अपेसित िो,
ििां न्यायालय अपीलाथी को आदेश दे िके गा क्रक िि अन्य और पयाचप्त प्रसतिपसत उि िमय के िीतर दे जो न्यायालय द्वारा
सियत क्रकया जाएगा या उतिे िी िमय के िीतर िि िंदाय करे जो अपेसित िै ।
11. आदेश का अिुपालि करिे में अिफलता का प्रिािजिां अपीलाथी ऐिे आदेश का अिुपालि करिे में अिफल रिता िै
ििां कायचिासियां रोक दी जाएंगी,
और अपील में 3[उच्र्तम न्यायालय] के इि सिसमत्त आदेश के सबिा आगे कायचिािी ििीं की जाएगी,
और सजि सडिी की अपील की गई िै उिका सिष्पादि इि बीर् ििीं रोका जाएगा ।
12. सििेप की बाकी की िापिीजब यथापपिोक्त के सििाय असिलेि की प्रसत 3[उच्र्तम न्यायालय] को पारे सषत कर दी
गई िै तब अपीलाथी सियम 7 के अिीि उिके द्वारा सििेप की गई रकम की बाकी को, यक्रद कोई िो, िापि ले िके गा ।
13. अपील लंसबत रििे तक न्यायालय की शसक्तयां(1) जब तक न्यायालय अन्यथा सिक्रदष्ट ि करे तब तक उि सडिी का
सजिकी अपील की गई िै, सबिा शतच सिष्पादि क्रकिी अपील के ग्रिर् के सलए प्रमार्पत्र के दे क्रदए जािे पर िी क्रकया जाएगा ।

1
1920 के असिसियम िं० 26 की िारा 3 द्वारा जोडा गया ।
2
सिसि अिुकपलि आदेश 1950 द्वारा उपसियम 3 का लोप क्रकया गया ।
3
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “सिज मैजेस्टी इि काउसन्िल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
1920 के असिसियम िं० 26 की िारा 4 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
194

(2) यक्रद न्यायालय ठीक िमझे तो िि ऐिे सिशेष िेतुक िे जो िाद में सितबद्ध क्रकिी पिकार द्वारा दर्शचत क्रकया गया िो या
न्यायालय को अन्यथा प्रतीत हुआ िो
(क) सििादग्रस्त क्रकिी िी जंगम िम्पसत्त को या उिके क्रकिी िी िाग को पटरबद्ध कर िके गा, अथिा
(ि) प्रत्यथी िे ऐिी प्रसतिपसत लेकर जो न्यायालय क्रकिी ऐिे आदेश के िम्यक पालि के सलए ठीक
िमझे जो, 1[उच्र्तम न्यायालय] अपील में करे , उि सडिी का सजिकी अपील की गई िै, सिष्पादि अिुज्ञात कर िके गा,
अथिा
(ग) अपीलाथी िे ऐिी प्रसतिपसत लेकर जो उि सडिी के सजिकी अपील की गई िै या ऐिी 2[क्रकिी सडिी या आदेश]
के जो [उच्र्तम न्यायालय] अपील में करे , िम्यक पालि के सलए न्यायालय ठीक िमझे उि सडिी का सजिकी अपील की गई
1

िै, सिष्पादि रोक िके गा, अथिा


(घ) न्यायालय की ििायता मांगिे िाले क्रकिी िी पिकार पर ऐिी शतों का असिरोपर् या अपील की सिषय-िस्तु
के बारे में ऐिे सिदेश जो न्यायालय ठीक िमझे, टरिीिर की सियुसक्त द्वारा या अन्यथा कर िके गा ।
14. अपयाचप्त पाए जािे पर प्रसतिपसत का बढ़ाया जािा(1) जिां दोिों में िे क्रकिी िी पिकार द्वारा की गई प्रसतिपसत
अपील के लसम्बत रििे के दौराि में क्रकिी िी िमय अपयाचप्त प्रतीत िो ििां न्यायालय दपिरे पिकार के आिेदि पर असतटरक्त
प्रसतिपसत अपेसित कर िके गा ।
(2) न्यायालय द्वारा यथा अपेसित असतटरक्त प्रसतिपसत के क्रदए जािे में व्यसतिम िोिे पर
(क) उि दशा में सजिमें मपल प्रसतिपसत अपीलाथी द्वारा दी गई थी, न्यायालय उि सडिी का सजिकी अपील की गई
िै, सिष्पादि प्रत्यथी के आिेदि पर ऐिे कर िके गा मािो अपीलाथी िे ऐिे प्रसतिपसत ि दी िो ;
(ि) उि दशा में सजिमें मपल प्रसतिपसत प्रत्यथी द्वारा दी गई थी, न्यायालय सडिी का असतटरक्त सिष्पादि जिां तक
िंिि िो िके , रोक देगा और पिकारों को उिी सस्थसत में ले आएगा सजिमें िे उि िमय थे जब िि प्रसतिपसत दी गई थी जो
अपयाचप्त प्रतीत िोती िै या अपील की सिषय-िस्तु की बाबत ऐिा सिदेश देगा जो िि ठीक िमझे ।
15. उच्र्तम न्यायालय के आदेशों को प्रिृत्त करािे की प्रक्रिया(1) जो कोई 1[उच्र्तम न्यायालय] की 2[क्रकिी सडिी या
आदेश] का सिष्पादि करािा र्ािता िै िि उि सडिी की जो अपील में पाटरत की गई थी या उि आदेश की जो अपील में क्रकया गया
था, और सजिका सिष्पादि र्ािा गया िै, प्रमासर्त प्रसत के िसित अजी द्वारा उि न्यायालय िे आिेदि करे गा सजिकी अपील
1
[उच्र्तम न्यायालय] में की गई थी ।
(2) ऐिा न्यायालय 1[उच्र्तम न्यायालय] की 3[सडिी या आदेश] को उि न्यायालय को पारे सषत करे गा सजिमें िि पिली
सडिी सजिकी अपील की गई िै, पाटरत की थी या ऐिे अन्य न्यायालय को पारे सषत करे गा जो 1[उच्र्तम न्यायालय] ऐिी 3[सडिी या
आदेश] द्वारा सिक्रदष्ट करे और (दोिों पिकारों में िे क्रकिी िी पिकार के आिेदि पर) ऐिे सिदेश देगा जो उिके सिष्पादि के सलए
अपेसित िों, और िि न्यायालय सजिे उक्त 3[सडिी या आदेश] ऐिे पारे सषत क्रकया गया िै; तद्िुिार उिका सिष्पादि उि रीसत िे और
उि उपबन्िों के अिुिार करे गा जो उिकी अपिी मपल सडक्रियों के सिष्पादि को लागप िोते िैं ।
4* * * * *
[(4) 6[जब तक क्रक उच्र्तम न्यायालय अन्यथा सिदेश ि दे उि न्यायालय की कोई िी सडिी या आदेश] इि आिार पर
5

अप्रितचिीय ि िोगा क्रक क्रकिी मृत सिरोिी पिकार या मृत प्रत्यथी के सिसिक प्रसतसिसि पर क्रकिी ऐिे मामले में सजिमें ऐिा सिरोिी
पिकार या प्रत्यथी िुििाई के िमय उि न्यायालय में सजिकी सडिी पटरिाक्रदत िै या उि न्यायालय की सडिी की पश्र्ातिती क्रकन्िीं
िी कायचिासियों में उपिंजात ििीं हुआ था, क्रकिी िपर्िा की तामील ििीं की गई थी या उिे ऐिी िपर्िा ििीं दी गई थी क्रकन्तु ऐिे
आदेश का ििीं बल ओर प्रिाि िोगा मािो िि आदेश मृत्यु िोिे िे पपिच क्रदया गया िो ।]
16. सिष्पादि िम्बन्िी आदेश की अपील1[उच्र्तम न्यायालय] की 2[सडिी या आदेश] का सिष्पादि जो न्यायालय करता
िै उि न्यायालय द्वारा ऐिे सिष्पादि के िम्बन्ि में क्रकए गए आदेश उिी रीसत िे और उन्िीं सियमों के अिीि अपीलिीय िोंगे सजि
रीसत िे और सजिके अिीि उि न्यायालय की अपिी सडक्रियों के सिष्पादि िम्बन्िी आदेश अपीलिीय िोते िैं ।
[17. फे डरल न्यायालय में अपील ।]फे डरल न्यायालय असिसियम, 1941 (1941 का 21) की िारा 2 द्वारा सिरसित ।

1
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “सिज मैजेस्टी इि काउसन्िल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “क्रकिी आदेश” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “आदेश” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
4
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा उपसियम (3) का लोप क्रकया गया ।
5
1920 के असिसियम िं० 26 की िारा 5 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
6
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “जब तक क्रक सिज मैजेस्टी इि काउसन्िल अन्यथा सिदेश ि दे, सिज मैजेस्टी इि काउसन्िल का कोई आदेश” के स्थाि पर
प्रसतस्थासपत ।
195

आदेश 46
सिदेश
1. उच्र् न्यायालय को प्रश्ि का सिदेशजिां ऐिे िाद या अपील की सजिमें सडिी की अपील ििीं िोती, िुििाई के पपिच या
िुििाई में अथिा जिां क्रकिी ऐिी सडिी के सिष्पादि में क्रकिी सिसि का या सिसि का बल रििे िाली प्रथा का कोई ऐिा प्रश्ि उत्पन्ि
िोता िै सजिके बारे में िि न्यायालय जो िाद या अपील का सिर्ारर् कर रिा िै या सडिी का सिष्पादि कर रिा िै, युसक्तयुक्त शंका
रिता िै ििां िि न्यायालय स्िप्रेरर्ा िे या पिकारों में िे क्रकिी के आिेदि पर, मामले के तथ्यों का और उिे सिषय-सबन्दु का सजिके
बारे में शंका िै, कथि तैयार कर िके गा और ऐिे कथि को उि सिषय-सबन्दु के बारे में अपिी राय के िसित उच्र् न्यायालय के
सिसिश्र्य के सलए सिर्दचष्ट कर िके गा ।
2. न्यायालय ऐिी सडिी पाटरत कर िके गा जो उच्र् न्यायालय के सिसिश्र्य पर िमासश्रत िैन्यायालय कायचिासियों को
रोक िके गा या ऐिे सिदेश के क्रकए जािे पर िी मामले में अग्रिर िो िके गा और उच्र् न्यायालय की सिर्दचष्ट क्रकए गए सिषय-सबन्दु के
सिसिश्र्य पर िमासश्रत सडिी पाटरत कर िके गा या आदेश कर िके गा ;
क्रकन्तु क्रकिी िी ऐिे मामले में सजिमें ऐिा सिदेश क्रकया गया िै, कोई िी सडिी या आदेश सिष्पाक्रदत ििीं क्रकया जाएगा जब
तक क्रक उि सिदेश पर उच्र् न्यायालय के सिर्चय की प्रसत प्राप्त ि िो जाए ।
3. उच्र् न्यायालय का सिर्चय पारे सषत क्रकया जाएगा और मामला तद्िुिार सिपटाया जाएगायक्रद पिकार उपिंजात िों
और िुििाई की िांछा करें तो उच्र् न्यायालय उन्िें िुििे के पश्र्ात इि प्रकार सिर्दचष्ट क्रकए गए सिषय-सबन्दु का सिसिश्र्य करे गा
और अपिे सिर्चय की रसजस्िार द्वारा िस्तािटरत प्रसत उि न्यायालय को पारे सषत करे गा सजििे सिदेश क्रकया था और ऐिा न्यायालय
उिकी प्रासप्त उि मामले को उच्र् न्यायालय के सिसिश्यर् के अिुरूप सिपटािे के सलए अग्रिर िोगा ।
4. उच्र् न्यायालय को क्रकए गए सिदेश के िर्ेउच्र् न्यायालय के सिसिश्र्य के सलए क्रकए गए सिदेश के पटरर्ामस्िरूप
िर्े (यक्रद कोई िों) मामले के िर्ें िोंगे ।
िारा 113 के परन्तुक के अिीि उच्र् न्यायालय को सिदेशन्यायालय द्वारा िारा 113 के परन्तुक के अिीि क्रकए गए
1[4क.

क्रकिी िी सिदेश को सियम 2, सियम 3 और सियम 4 के उपबन्ि िैिे िी लागप िोंगे जैिे िे सियम 1 के अिीि क्रकए गए सिदेश को लागप
िोते िैं ।]
5. सिदेश करिे िाले न्यायालय की सडिी को पटरिर्तचत करिे आक्रद की शसक्तजिां उच्र् न्यायालय को क्रकिी मामले का
सिदेश सियम 1 के अिीि 1[या िारा 113 के परन्तुक के अिीि] क्रकया जाता िै ििां उच्र् न्यायालय मामले को िंशोिि के सलए लौटा
िके गा और क्रकिी ऐिी सडिी या आदेश को पटरिर्तचत , रद्द या अपास्त कर िके गा सजिे सिदेश करिे िाले न्यायालय िे उि मामले में
क्रकया िै या पाटरत क्रकया िै सजिमें िे सिदेश उठा था और ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
6. लघुिादों में असिकाटरता िम्बन्िी प्रश्िों को उच्र् न्यायालय को सिदेसशत करिे की शसक्त(1) जिां सिर्चय के पपिच क्रकिी
िी िमय िि न्यायालय सजिमें िाद िंसस्थत क्रकया गया िै यि शंका करता िै क्रक क्या िि िाद लघुिाद न्यायालय द्वारा िंज्ञेय िै या इि
प्रकार िंज्ञेय ििीं िै ििां िि िाद की प्रकृ सत के बारे में शंका के सलए अपिे कारर्ों के कथि िसित असिलेि को उच्र् न्यायालय को
सििेक्रदत कर िके गा ।
(2) असिलेि और कथि के प्राप्त िोिे पर, उच्र् न्यायालय उि न्यायालय को िाद में अग्रिर िोिे के सलए या िादपत्र के ऐिे
अन्य न्यायालय में उपसस्थत क्रकए जािे के सलए सजिके बारे में िि अपिे आदेश द्वारा घोसषत करे क्रक िि न्यायालय िाद का िंज्ञाि करिे
के सलए ििम िै, लौटािे के सलए आदेश दे िके गा ।
7. लघुिादों में असिकाटरता िम्बन्िी िपल के अिीि की गई कायचिासियों को पुिरीिर् के सलए सििेक्रदत करिे की सजला
न्यायालय की शसक्त(1) जिां सजला न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक उिका अिीिस्थ न्यायालय यि गलत िारर्ा करिे के
कारर् क्रक िाद लघुिाद न्यायालय द्वारा िंज्ञेय िै या इि प्रकार िंज्ञेय ििीं िै अपिे में सिसि द्वारा सिसित की गई असिकाटरता का प्रयोग
करिे में अिफल रिा िै या इि प्रकार सिसित ि की गई असिकाटरता का प्रयोग कर र्ुका िै ििां सजला न्यायालय इि बारे में क्रक िाद
की प्रकृ सत की बाबत अिीिस्थ न्यायालय की राय गलत िै अपिे कारर्ों के कथि िसित असिलेि को उच्र् न्यायालय को सििेक्रदत कर
िके गा और यक्रद पिकार द्वारा अपेसित क्रकया जाए तो सििेक्रदत करे गा ।
(2) असिलेि और कथि की प्रासप्त पर उच्र् न्यायालय मामले में ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
(3) ऐिे मामले में जो उच्र् न्यायालय को इि सियम के अिीि सििेक्रदत क्रकया गया िै, सडिी की पश्र्ातिती क्रकन्िीं िी
कायचिासियों के बारे में उच्र् न्यायालय ऐिा आदेश कर िके गा जो पटरसस्थसतयों में उिे न्यायिंगत और उसर्त प्रतीत िों ।
(4) सजला न्यायालय का अिीिस्थ न्यायालय ऐिी अध्यपेिा का अिुपालि करे गा जो सजला न्यायालय इि सियम के
प्रयोजिों के सलए क्रकिी असिलेि या जािकारी के सलए करे ।

1
1951 के असिसियम िं० 24 की िारा 2 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
196

आदेश 47
पुिर्िचलोकि
1. सिर्चय के पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि(1) जो कोई व्यसक्त
(क) क्रकिी ऐिी सडिी या आदेश िे सजिकी अपील अिुज्ञात िै क्रकन्तु सजिकी कोई अपील ििीं की गई िै,
(ि) क्रकिी ऐिी सडिी या आदेश िे सजिकी अपील अिुज्ञात ििीं िै, अथिा
(ग) लघुिाद न्यायालय द्वारा क्रकए गए सिदेश पर सिसिश्र्य िे,
अपिे को व्यसथत िमझता िै और जो ऐिी िई और मित्िपपर्च बात या िाक्ष्य के पता र्लिे िे जो िम्यक तत्परता के प्रयोग के पश्र्ात
उि िमय जब सडिी पाटरत की गई थी या आदेश क्रकया गया था, उिके ज्ञाि में ििीं था या उिके द्वारा पेश ििीं क्रकया जा िकता था,
या क्रकिी िपल या गलती के कारर् जो असिलेि के देििे िे िी प्रकट िोती िो या क्रकिी अन्य पयाचप्त कारर् िे िि र्ािता िै क्रक उिके
सिरुद्ध पाटरत सडिी या क्रकए गए आदेश का पुि र्िचलोकि क्रकया जाए िि उि न्यायालय िे सिर्चय के पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि कर
िके गा सजििे िि सडिी पाटरत की थी या िि आदेश क्रकया था ।
(2) िि पिकार जो सडिी या आदेश की अपील ििीं कर रिा िै, सिर्चय के पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि इि बात के िोते हुए
िी क्रकिी अन्य पिकार द्वारा की गई अपील लंसबत िै ििां के सििाय कर िके गा जिां ऐिी अपील का आिार आिेदक और अपीलाथी
दोिों के बीर् िामान्य िै या जिां प्रत्यथी िोते हुए िि अपील न्यायालय में िि मामला उपसस्थत कर िकता िै सजिके आिार पर िि
पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि करता िै ।
1[स्पष्टीकरर्यि तथ्य क्रक क्रकिी सिसि-प्रश्ि का सिसिश्र्य सजि पर न्यायालय का सिर्चय आिाटरत िै, क्रकिी अन्य मामले
में िटरष्ठ न्यायालय के पश्र्ातिती सिसिश्र्य द्वारा उलट क्रदया गया िै या उपान्तटरत कर क्रदया गया िै, उि सिर्चय के पुिर्िचलोकि के
सलए आिार ििीं िोगा ]
2. [पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि क्रकिको क्रकए जाएंगे ।]सिसिल प्रक्रिया िंसिता (िंशोिि) असिसियम, 1956 (1956 का
66) की िारा 14 द्वारा सिरसित ।
3. पुिर्िचलोकि के आिेदिों का प्ररूपिे उपबन्ि जो अपील करिे के प्ररूप के बारे में िै, पुिर्िचलोकि के आिेदिों को
यथािश्यक पटरितचि िसित लागप िोंगे ।
4. आिेदि कब िामंजरप क्रकया जाएगा(1) जिां न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक पुिर्िचलोकि के सलए पयाचप्त आिार
ििीं िै ििां िि आिेदि को िामंजपर कर देगा ।
(2) आिेदि कब मंजरप क्रकया जाएगाजिां न्यायालय की राय िै क्रक पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि मंजपर क्रकया जािा र्ासिए
ििां िि उिे मंजपर करे गा :
परन्तु
(क) ऐिा कोई िी आिेदि सिरोिी पिकार को ऐिी पपििती िपर्िा क्रदए सबिा मंजपर ििीं क्रकया जाएगा सजििे
िि उपिंजात िोिे और उि सडिी या आदेश के सजिके पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि क्रकया गया िै, िमथचि में िुिे जािे के
सलए िमथच िो जाएं ; तथा
(ि) ऐिा कोई िी आिेदि ऐिी िई बात या िाक्ष्य के पता र्लिे के आिार पर सजिके बारे में आिेदक असिकथि
करता िै, क्रक िि उि िमय जब सडिी पाटरत की गई थी या आदेश क्रकया गया था, उिके ज्ञाि में ििीं थी या उिके द्वारा पेश
ििीं क्रकया जा िकता था, ऐिे असिकथि के पपर्च िबपत के सबिा मंजपर ििीं क्रकया जाएगा ।
5. दो या असिक न्यायािीशों िे गटठत न्यायालय में पुिर्िचलोकि का आिेदिजिां िि न्यायिीश या िे न्यायिीश या उि
न्यायिीशों में िे कोई एक, सजििे या सजन्िोंिे िि सडिी पाटरत की थी या आदेश क्रकया था सजिके पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि क्रकया
गया िै, उि न्यायालय में उि िमय सियुक्त िै या िैं जब क्रक पुिर्िचलोकि के सलए आिेदि उपसस्थत क्रकया जाता िै और आिेदि िे
अगले छि माि की अिसि तक उि सडिी या आदेश पर सिर्ार करिे िे सजिके बारे में िि आिेदि िै, अिुपसस्थसत या अन्य िेतुक िे
प्रिाटरत ििीं िै या ििीं िैं ििां ऐिा न्यायािीश या ऐिे न्यायािीश या उिमें िे कोई िी उि आिेदि को िुिेगा या ििेंगे और उि
न्यायालय का या के कोई िी अन्य न्यायािीश उिे ििीं िुिेगा या ििीं िुिेंगे ।
6. आिेदि कब िामंजरप क्रकया जाएगा(1) जिां पुिर्िचलोकि का आिेदि एक िे असिक न्यायािीशों द्वारा िुिा जाता िै और
न्यायालय राय में बराबर बंटा िो ििां आिेदि िामंजपर क्रकया जाएगा ।
(2) जिां बहुमत िै ििां सिसिश्र्य बहुमत की राय के अिुिार िोगा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 92 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
197

7. िामंजरप ी का आदेश अपीलिीय ि िोगा । आिेदि की मंजपरी के आदेश पर आिेप 1[(1) आिेदि को िामंजपर करिे िाले
न्यायालय का आदेश अपीलिीय ििीं िोगा ; क्रकन्तु आिेदि मंजपर करिे िाले आदेश पर आिेप, आिेदि मंजपर करिे िाले आदेश की
अपील द्वारा या िाद में असन्तम रूप िे पाटरत सडिी या क्रकए गए आदेश की अपील में, तुरन्त क्रकया जा िके गा ।]
(2) जिां आिेदि, आिेदक के उपिंजात िोिे में अिफल रििे के पटरर्ामस्िरूप िामंजपर कर क्रदया गया िै, ििां िि िामंजपर
क्रकए गए आिेदि को फाइल पर लाए जािे के आदेश के सलए आिेदि कर िके गा और जिां न्यायालय को िमािािप्रद रूप में यि िासबत
कर क्रदया जाता िै क्रक आिेदक उि िमय जब ऐिे आिेदि की िुििाई के सलए पुकार हुई थी, उपिंजात िोिे िे क्रकिी पयाचप्त िेतुक
द्वारा सििाटरत िो गया था ििां न्यायालय िर्ों िम्बन्िी ऐिे सिबन्ििों पर या अन्यथा जो िि ठीक िमझे, उिके फाइल पर लाए जािे
का आदेश करे गा और उिकी िुििाई के सलए क्रदि सियत करे गा ।
(3) जब तक आिेदि की िपर्िा की तामील सिरोिी पिकार पर ि िो गई िो कोई िी आदेश उपसियम (2) के अिीि ििीं
क्रकया जाएगा ।
8. मंजरप क्रकए गए आिेदि का रसजस्टर में र्ढ़ाया जािा और क्रफर िे िुििाई के सलए आदेश यक्रद पुिर्िचलोकि का आिेदि
मंजरप कर सलया जाता िै तो उिका टटप्पर् रसजस्टर में क्रकया जाएगा और न्यायालय मामले को तुरन्त क्रफर िुि िके गा या क्रफर िे
िुििाई के बारे में ऐिा आदेश कर िके गा जो िि ठीक िमझे ।
9. कु छ आिेदिों का िजचि पुिर्िचलोकि के आिेदि पर क्रकए गए आदेश के या पुिर्िचलोकि में पाटरत सडिी या क्रकए गए
आदेश के पुिर्िचलोकि के सलए कोई िी आिेदि ग्रिर् ििीं क्रकया जाएगा ।
आदेश 48
प्रकीर्च
1. आदेसशका की तामील उिे सिकलिािे िाले पिकार के व्यय पर की जाएगी(1) जब तक क्रक न्यायालय अन्यथा सिर्दचष्ट
ि करे इि िंसिता के अिीि सिकाली गई िर आदेसशका की तामील उि पिकार के व्यय पर की जाएगी सजिकी ओर िे िि सिकाली
गई िै ।
(2) तामील के िर्ेऐिी तामील के सलए प्रिायच न्यायालय फीि उि िमय के िीतर िंदत्त की जाएगी जो आदेसशका के
सिकाले जािे के पपिच सियत क्रकया जाएगा ।
2. आदेशों और िपर्िाओं की तामील कै िे की जाएगीउि ििी आदेशों, िपर्िाओं और अन्य दस्तािेजों की तामील सजिका
क्रकिी व्यसक्त को क्रदया जािा या क्रकिी व्यसक्त पर तामील क्रकया जािा इि िंसिता द्वारा अपेसित िै, उि रीसत िे की जाएगी जो िमि
की तामील के सलए उपबसन्ित िै ।
3. पटरसशष्टों में क्रदए गए प्ररूपों का उपयोगपटरसशष्टों में क्रदए गए प्ररूप ऐिे फे रफार िसित जो िर एक मामले में
पटरसस्थसतयों िे अपेसित िों, उि प्रयोजिों के सलए जो उिमें िर्र्चत िैं, उपयोग में लाए जाएंगे ।
आदेश 49
र्ाटचटरत उच्र् न्यायालय
1. उच्र् न्यायालयों की आदेसशकाओं की तामील कौि कर िके गाप्रसतिाक्रदयों को िमि, सिष्पादि-टरटों और प्रत्यर्थचयों को
दी जािे िाली िपर्िाओं को छोडकर दस्तािेजों को पेश करिे के सलए सिकाली गई िपर्िा की, उि िमिों की जो िासियों को िों और
िर अन्य न्यासयक आदेसशका की जो उच्र् न्यायालय की आरसम्िक सिसिल असिकाटरता के और उिकी सििाि सिषयक, ििीयतीय और
सििचिीयतीय असिकाटरता के प्रयोग में सिकाले गए िैं, या सिकाली गई िैं, तामील िादों में अटर्िचयों द्वारा या उिके द्वारा सियोसजत
व्यसक्तयों द्वारा या ऐिे अन्य व्यसक्तयों द्वारा की जा िके गी जो उच्र् न्यायालय क्रकिी सियम या आदेश द्वारा सिक्रदष्ट करे ।
2. र्ाटचटरत उच्र् न्यायालयों के बारे में व्यािृसत्तइि अिुिपर्ी की क्रकिी िी बात के बारे में यि ििीं िमझा जाएगा क्रक िि
र्ाटचटरत उच्र् न्यायालय द्वारा क्रकिी िाक्ष्य के सलए जािे के या सिर्चयों और आदेशों के असिसलसित क्रकए जािे के ऐिे क्रकन्िीं िी सियमों
को जो इि िंसिता के प्रारम्ि पर प्रिृत्त थे, पटरिीसमत या अन्यथा प्रिासित करती िै ।
3. सियमों का लागप िोिाक्रकिी िी र्ाटचटरत उच्र् न्यायलय को उिकी मामपली या गैर-मामपली आरसम्िक सिसिल
असिकाटरता का प्रयोग करिे में सिम्िसलसित सियम लागप ििीं िोंगे, अथाचत :
(1) आदेश 7 के सियम 10 और सियम 11 के िण्ड (ि) और िण्ड (ग) ;
(2) आदेश 10 का सियम 3 ;
(3) आदेश 16 का सियम 2 ;

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 92 द्वारा (1-2-1977 िे) उपसियम (1) के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
198

(4) आदेश 18 के सियम 5, 6, 8, 9, 10, 11, 13, 14, 15 और 16 (जिां तक िे िाक्ष्य लेिे की रीसत िे
िम्बसन्ित िैं) ;
(5) आदेश 20 के सियम 1 िे 8 तक के सियम ; तथा
(6) आदेश 33 का सियम 7 (जिां तक िि ज्ञापि बिािे िे िम्बसन्ित िै) ;
और आदेश 41 का सियम 35 उिकी अपीली असिकाटरता के प्रयोग में क्रकिी िी ऐिे उच्र् न्यायालय को लागप ििीं िोगा ।
आदेश 50
प्रान्तीय लघुिाद न्यायालय
1. प्रान्तीय लघुिाद न्यायालयइिमें इिके पश्र्ात सिसिर्दचष्ट उपबन्िों का सिस्तार प्रान्तीय लघुिाद न्यायालय असिसियम,
1887 (1887 का 9) 1[या बरार लघुिाद न्यायालय सिसि, 1905 के अिीि] गटठत न्यायालयों पर या 2[उक्त असिसियम, या सिसि के
अिीि] लघुिाद न्यायालय की असिकाटरता का प्रयोग करिे िाले न्यायालयों पर 3[या 4[िारत के क्रकिी िी िाग] में 4[सजि पर उक्त
असिसियम का सिस्तार ििीं िै,] िमरूपी असिकाटरता का प्रयोग करिे िाले न्यायालयों पर] ििीं िोगा, अथाचत :
(क) इि अिुिपर्ी का उतिा िाग सजतिा
(i) लघुिाद न्यायालय के िंज्ञाि िे अपिाक्रदत िादों िे या िैिे िादों की सडक्रियों के सिष्पादि िे,
(ii) स्थािर िम्पसत्त के सिरुद्ध सडक्रियों के सिष्पादि िे या िागीदारी िम्पसत्त के क्रकिी िागीदार के
सित िे,
(iii) सििाद्यकों के सस्थरीकरर् िे,
िम्बसन्ित िै ; तथा
(ि) सिम्िसलसित सियम और आदेश :
आदेश 2 का सियम 1 (िाद की सिरर्िा) ;
आदेश 10 का सियम 3 (पिकारों की परीिा का असिलेि) ;
आदेश 15, सियम 4 के उतिे िाग के सििाय सजतिा सिर्चय के तुरन्त िुिाए जािे के सलए उपबन्ि
करता िै ;
आदेश 18 के सियम 5 िे लेकर 12 तक के सियम (िाक्ष्य) ;
आदेश 41 िे लेकर 45 तक के आदेश (अपीलें) ;
आदेश 47 के सियम 2, 3, 5, 6, 7 (पुिर्िचलोकि) ;
आदेश 51 ।
आदेश 51
प्रेसिडेन्िी लघुिाद न्यायालय
1. प्रसिडेन्िी लघुिाद न्यायालयआदेश 5 के सियम 22 और सियम 23, आदेश 21 के सियम 4 और सियम 7 और आदेश 26
के सियम 4 में और प्रेसिडेन्िी लघुिाद न्यायालय असिसियम, 1882 (1882 का 15) द्वारा यथा उपबसन्ित के सििाय, इि अिुिपर्ी का
सिस्तार कलकत्ता, मद्राि और मुम्बई िगरों में स्थासपत क्रकिी िी लघुिाद न्यायालय में के क्रकिी िी िाद या कायचिािी पर ििीं िोगा ।
पटरसशष्ट क
असििर्ि

(1) िादों के शीषचक


...........................................................................................................................................................के न्यायालय
में क ि (िर्चि और सििाि-स्थाि िी सलसिए).........................................................................................................िादी

1
1941 के असिसियम िं० 4 की िारा 2 और तीिरी अिुिपर्ी द्वारा अन्त:स्थासपत ।
2
1941 के असिसियम िं० 4 की िारा 2 और तीिरी अिुिपर्ी द्वारा “उक्त असिसियम के अिीि” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
1951 के असिसियम िं० 2 की िारा 18 द्वारा अन्त:स्थासपत ।
4
सिसि अिुकपलि (िं० 2) आदेश, 1956 द्वारा “िाग ि राज्यों” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
199

बिाम
ग घ (िर्चि और सििाि-स्थाि िी सलसिए)........................................................................................................प्रसतिादी
(2) सिसशष्ट मामलों में पिकारों का िर्चि
1[यथासस्थसत, िारत िंघ या.........................................................]राज्य ।
...............................................................................................................का मिासििक्ता
...............................................................................................................का कलक्टर
...............................................................................................................राज्य ।
क ि कम्पिी, सलसमटेड, सजिका रसजस्िीकृ त कायाचलय......................................................................में िैं ।
ग घ कम्पिी का लोक असिकारी क ि ।
क ि (िर्चि और सििाि-स्थाि पर िी सलसिए) अपिी ओर िे और मृत ग घ (िर्चि और सििाि-स्थाि िी सलसिए) के िब
अन्य लेिदारों की ओर िे । –––––––––––––––
क ि (िर्चि और सििाि-स्थाि िी सलसिए) अपिी ओर िे और ……………………………………………......कम्पिी
सलसमटेड द्वारा पुरोिृत सडबेन्र्रों के अन्य िब िारकों की ओर िे ।
–––––––––––––––
शािकीय टरिीिर ।
क ि, अियस्क (िर्चि और सििाि-स्थाि िी सलसिए) अपिे िाद-समत्र ग घ द्वारा (या प्रसतपाल्य असिकरर् द्वारा) ।
––––––––––––––
क ि (िर्चि और सििाि-स्थाि िी सलसिए) सिकृ तसर्त्त या दुबचलसर्त्त (व्यसक्त, अपिे िाद-समत्र ग घ द्वारा ।
–––––––––––––––––
क ि,.................................में िागीदार में कारोबार करिे िाली फमच ।
–––––––––––––––––
क ि (िर्चि और सििाि-स्थाि िी सलसिए) अपिे सियत अटिी ग घ (िर्चि और सििाि-स्थाि िी सलसिए) द्वारा ।
––––––––––––––––––
क ि (िर्चि और सििाि-स्थाि िी सलसिए) ठाकु र जी का िेिायत ।
––––––––––––––––––
क ि (िर्चि और सििाि-स्थाि िी सलसिए) मृतक ग घ का सिष्पादक ।
–––––––––––––––––––
क ि (िर्चि और सििाि-स्थाि िी सलसिए) मृतक ग घ का िाटरि ।
–––––––––––––––––––
(3) िादपत्र

िंखयांक 1
उिार क्रदया गया िि
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०.......................................को उििे प्रसतिादी को..............................................
रुपए उिार क्रदए थे जो ता०.......................................को प्रसतिंदय
े थे ।
2. प्रसतिादी िे....................................रुपयों के सििाय सजिका िंदाय ता०...................................को क्रकया गया,
उि रकम का िंदाय ििीं क्रकया िै ।
[यक्रद िादी क्रकिी पटरिीमा सिसि िे छप ट का दािा करता िै तो सलसिए :]
3. िादी ता०....................................िे ता०....................................तक अियस्क या [या उन्मत्त] था ।
4. [िे तथ्य सजििे यि दर्शचत िोता िै क्रक िाद-िेतुक कब पैदा हुआ और यि क्रक न्यायालय को असिकाटरता िै ।]

1
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “यथासस्थसत, िेिेटरी आफ इं सडया या फे डरे शि आफ इसण्डया या ………प्रांत” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
200

5. िाद की सिषयिस्तु का मपल्य असिकाटरता के प्रयोजि के सलए.................................रुपए िै और न्यायालय फीि के


प्रयोजि के सलए……………………………………रुपए िै ।
6. िादी ता०.........................................िे................................प्रसतशत ब्याज िसित...............................रुपयों
का दािा करता िै ।

िंखयांक 2
असतिंदत्त िि
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. र्ांदी की…………………...............छडें....................................आिे प्रसत तोला पटरष्कृ त र्ांदी की दर िे िरीदिे
के सलए िादी िे और बेर्िे के सलए प्रसतिादी िे ता०...........................................को करार क्रकया ।
2. िादी िे उक्त छडों को ङर् द्वारा परिािे के सलए उपाप्त क्रकया ; प्रसतिादी िे उि परि के सलए ङर् को पाटरश्रसमक क्रदया
और ङर् िे यि घोसषत क्रकया क्रक िर छड में 1,500 तोले पटरष्कृ त र्ांदी िै; और िादी िे प्रसतिादी को तदिुिार
..............................रुपयों का िंदाय क्रकया ।
3. उक्त छडों में िे िर एक में के िल 1,200 तोले पटरष्कृ त र्ांदी थी, और जब िादी िे िंदाय क्रकया उि िमय िि इि तथ्य िे
अिसिज्ञ था ।
4. प्रसतिादी िे इि असतिंदत्त रासश का अिी तक प्रसतिंदाय ििीं क्रकया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै।]

िंखयांक 3
सियत कीमत पर सििय क्रकया गया और पटरदत्त माल
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०..............................को ङर् िे [आटे के एक िौ बोरे या इििे उपाबद्ध अिुिपर्ी में िर्र्चत माल या सिसिि माल]
प्रसतिादी को सििय क्रकया और पटरदत्त क्रकया ।
2. प्रसतिादी िे उि माल के सलए..................................रुपए पटरदाि पर [या ता०................................को, िादपत्र
फाइल क्रकए जािे िे पिले क्रकिी क्रदि] देिे का िर्ि क्रदया था ।
3. उििे िे रुपए अिी तक ििीं क्रदए िैं ।
4. ङर् की मृत्यु ता०..............................को हुई । अपिे असन्तम सिल िे उििे अपिे िाई अथाचत िादी को अपिा
सिष्पादक सियुक्त क्रकया ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
7. ङर् के सिष्पादक के िाते िादी [िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै] का दािा करता िै ।

िंखयांक 4
युसक्तयुक्त कीमत पर सििय क्रकया गया और पटरदत्त माल
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०………………………….को िादी िे प्रसतिादी को [घरे लप फिीर्र की सिसिि िस्तुएं] सििय की और पटरदत्त की
क्रकन्तु कीमत के बारे में कोई असिव्यक्त करार ििीं क्रकया गया ।
2. इि माल का युसक्तयुक्त मपल्य…………………………………………………………………रुपए था ।
3. प्रसतिादी िे इि िि का िंदाय ििीं क्रकया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]
201

िंखयांक 5
प्रसतिादी की प्राथचिा पर बिाया गया, क्रकन्तु स्िीकार ि क्रकया गया माल
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०…………………………….को ङ र् िे िादी िे यि करार क्रकया था क्रक िादी उिके सलए [छि मेजें और पर्ाि
कु र्िचयां] बिाए और ङ र् माल के पटरदाि पर उिके सलए……………………………………रुपयों का िंदाय करे ।
2. िादी िे यि माल बिाया और ता०…………………………………..को ङ र् को उिका पटरदाि करिे की प्रस्थापिा
की, और िादी ऐिा करिे के सलए तब िे बराबर तैयार और रजामन्द रिा िै ।
3. ङ र् िे उि माल को स्िीकार ििीं क्रकया िै और ि उिके सलए िंदाय क्रकया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 6
[िीलाम में सििय क्रकए गए माल के ] पुिर्िचिय में हुई कमी
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०..........................को िादी िे सिसिि [माल] इि शतच पर िीलाम पर र्ढ़ाया क्रक सििय के पश्र्ात [दि क्रदि] के
िीतर िे ता िे सजि माल के सलए िंदाय ििीं क्रकया और सजिे िटाया ििीं उि िब माल का उि िे ता के लेिे िीलाम द्वारा पुिर्िच िय
कर क्रदया जाएगा, और इि शतच की िपर्िा प्रसतिादी को थी ।
2. प्रसतिादी िे [र्ीिी के बतचिों का एक िे ट] उि िीलाम में...........................................रुपए कीमत पर िय क्रकया ।
3. प्रसतिादी को माल का पटरदाि करिे के सलए िादी सििय की तारीि को और उिके पश्र्ात [दि क्रदि] तक तैयार और
रजामन्द रिा ।
4. प्रसतिादी िे सजि माल का िय क्रकया उिे िि सििय के पश्र्ात [दि क्रदि] के िीतर ओर बाद में ि तो ले गया और ि
उिके सलए उििे िंदाय क्रकया ।
5. ता०..................................को िादी िे प्रसतिादी के लेिे उि [र्ीिी के बतचिों का िे ट] का लोक िीलाम
द्वारा...............................रुपए में पुिर्िचिय क्रकया ।
6. उि पुिर्िचिय पर.................................रुपए का व्यय हुआ ।
7. ऐिे हुई......................................रुपयों की कमी का िंदाय प्रसतिादी िे अब तक ििीं क्रकया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 7
युसक्तयुक्त दर पर िेिाएं
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०....................................और ता०............................के बीर्...................................में, िादी िे प्रसतिादी
की प्राथचिा पर उिके सलए [सिसिि रे िासर्त्र, रूपांकि और आरे ि तैयार क्रकए] ; क्रकन्तु इि िेिाओं के सलए दी जािे िाली रासश के बारे
में कोई असिव्यक्त करार ििीं क्रकया गया था ।
2. इि िेिाओं का युसक्तयुकत मपल्य.........................................रुपए था ।
3. प्रसतिादी िे इि िि का िंदाय ििीं क्रकया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]
202

िंखयांक 8
युसक्तयुक्त दाम पर िेिाएं और िामग्री
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०..................................................को........................................में िादी िे प्रसतिादी की प्राथचिा पर उिके
सलए एक गृि का सिमाचर् क्रकया [जो...........................................में,..................................................................िंखयांक के
गृि के िाम िे ज्ञात िै] और उिके सलए िामग्री जुटाई, क्रकन्तु इि काम और िामग्री के सलए दी जािे िाली रकम के बारे में कोई
असिव्यक्त करार ििीं क्रकया गया था ।
2. क्रकए गए काम और प्रदत्त िामग्री का युसक्तयुक्त मपल्य....................................................रुपए था ।
3. प्रसतिादी िे उि िि का िंदाय ििीं क्रकया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 9
उपयोग और असििोग
(शीषचक)
उक्त िादी क ि जो मृतक ि म की सिल का सिष्पादक िै, यि कथि करता िै क्रक
1. प्रसतिादी िे उक्त ि म की अिुज्ञा िे [………………………………गली में.................................िंखयांक िाला
गृि] ता०...........................िे ता०.................................तक अपिे असििोग में रिा और उक्त पटरिर के उपयोग के सलए
िंदाय के बारे में कोई करार ििीं क्रकया गया था ।
2. उक्त पटरिर के उक्त अिसि के सलए उपयोग का युसक्तयुक्त मपल्य..........................................रुपए था ।
3. प्रसतिादी िे इि िि का िंदाय ििीं क्रकया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै।]
4. ि म के सिष्पादक के िाते िादी यि दािा करता िै क्रक........................................[िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया
गया िै ।]

िंखयांक 10
पंर्ाट पर
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. िादी की प्रसतिादी में [उि मांग के , जो िादी िे तेल के दि पीपों की कीमत के सलए की थी और सजिका िंदाय करिे िे
प्रसतिादी िे इन्कार कर क्रदया था,] िंबंि में मतिेद िोिे पर िादी और प्रसतिादी िे उि मतिेद को ङ र् और छ ज के माध्यस्थम के
सलए प्रस्तुत करिे का सलसित करार ता०..........................................................को क्रकया था और मपल दस्तािेज इिके िाथ
उपाबद्ध िै ।
2. ता०.............................को मध्यस्थों िे यि पंर्ाट क्रदया क्रक प्रसतिादी [िादी को.....................................रुपए दे] ।
3. प्रसतिादी िे उि िि का िंदाय ििीं क्रकया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 11
सिदेशी सिर्चय पर
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
203

1. ता०...............................को..........................राज्य [या डोसमसियम] के ........................................में उि राज्य


[या डोसमसियम] के …………………………..न्यायालय िे, उि िाद में जो िादी और प्रसतिादी के बीर् उि न्यायालय में लसम्बत
था, िम्यक रूप िे न्यायसिर्ीत क्रकया था क्रक प्रसतिादी, िादी को.................................रुपए उक्त तारीि िे ब्याज िसित दे ।
2. प्रसतिादी िे उि िि का िंदाय ििीं क्रकया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 12
िाटक के िंदाय के सलए प्रसतिप के सिरुद्ध
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०.................................को ङ र् िे िादी िे [.....................................गली में.................................िंखयां क
िाला गृि]………………………..रुपए िार्षचक िाटक पर, जो [प्रसतमाि] िंदय े था,........................................................िषच
की अिसि के सलए िाडे पर सलया ।
2. पटरिर का पट्टा ङ र् के िाम क्रकए जािे के प्रसतफलस्िरूप प्रसतिादी िे िाटक के यथािमय िंदाय की प्रत्यािपसत देिे का
करार क्रकया ।
3. .......................................माि के िाटक का, सजिकी रकम...................................................................रुपए
िै, िंदाय ििीं क्रकया गया िै ।
[यक्रद करार के सिबन्ििों द्वारा यि अपेसित िै क्रक प्रसतिप को िपर्िा दी जाए तो सलसिए :]
4. ता०..................................को िादी िे प्रसतिादी को िाटक का िंदाय ि क्रकए जािे की िपर्िा दी और उिके िंदाय की
मांग की ।
5. प्रसतिादी िे उिका िंदाय ििीं क्रकया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 13
िपसम िय करिे के करार का िंग
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०..........................................को िादी और प्रसतिादी िे एक करार क्रकया, सजिकी मपल दस्तािेज इिके िाथ
उपाबद्ध िै ।
[या, ता०................................को िादी और प्रसतिादी िे परस्पर करार क्रकया क्रक िादी.......................ग्राम में र्ालीि
बीघा िपसम का.......................................रुपए में सििय प्रसतिादी को करे गा और प्रसतिादी िादी िे उिका िय करे गा ।]
2. ता०....................................को िादी िे, जो तब िम्पसत्त का आत्यसन्तक स्िामी था [और िि िम्पसत्त िब प्रकार के
सिल्लंगमों िे मुक्त थी ऐिा प्रसतिादी को प्रतीत कराया गया था], करार की गई ििरासश के प्रसतिादी द्वारा क्रदए जािे पर अन्तरर् की
एक पयाचप्त सलित प्रसतिादी को सिसिदत्त की थी [या उिे प्रसतिादी को एक पयाचप्त सलित द्वारा अन्तटरत करिे के सलए तैयार और
रजामन्द था और अब िी तैयार और रजामन्द िै और इि बात की प्रस्थापिा कर र्ुका िै ।]
3. प्रसतिादी िे उि िि का िंदाय ििीं क्रकया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 14
सििय क्रकए गए माल का पटरदाि ि क्रकया जािा
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
204

1. ता०.......................................को िादी और प्रसतिादी िे परस्पर करार क्रकया क्रक प्रसतिादी [आटे के िौ बोरों का]
िादी को ता०....................................को पटरदाि करे गा और िादी, पटरदाि पर उिके सलए..........................................रुपयों
का िंदाय करे गा ।
2. [उक्त] क्रदि उक्त माल के पटरदाि पर िादी उक्त रासश का प्रसतिादी को िंदाय करिे के सलए तैयार और रजामन्द था और
उििे िि रासश देिे की प्रस्थापिा की ।
3. प्रसतिादी िे माल का पटरदाि ििीं क्रकया िै और िादी उि लािों िे िंसर्त रिा िै जो ऐिे पटरदाि िे उिे प्रोद्िपत िोते ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 15
िदोष पदच्युसत
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०………………………..को िादी और प्रसतिादी िे परस्पर करार क्रकया क्रक िादी, प्रसतिादी की िेिा [लेिापाल के
या फोरमैि या क्रकिी अन्य के रूप में] करे गा और प्रसतिादी िादी को [एक िषच] की अिसि के सलए उि रूप में सियोसजत रिेगा और
उिकी िेिाओं के सलए उिे.................................रुपए [प्रसतमाि] देगा ।
2. ता०.......................................को िादी प्रसतिादी की िेिा में प्रसिष्ट हुआ और उक्त िषच की शेष अिसि के दौराि
ऐिी िेिा में रििे के सलए तब िे बराबर तैयार और रजामन्द रिा िै और अब िी िै और इि बात की िपर्िा प्रसतिादी को िदैि रिी िै

3. ता०..................................को प्रसतिादी िे िादी को िदोष िेिोन्मुक्त कर क्रदया और उक्त रूप में िेिा करिे िे िादी
को अिुज्ञा देिे िे या उिकी िेिा के सलए उिे िंदाय करिे िे इन्कार कर क्रदया ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 16
िेिा करिे की िंसिदा का िंग
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०..................................को िादी और प्रसतिादी िे परस्पर करार क्रकया क्रक िादी......................................रुपए
के [िार्षचक] िेति पर प्रसतिादी को सियोसजत करे गा और प्रसतिादी [कलाकार] के रूप में िादी की िेिा [एक िषच] की अिसि के सलए
करे गा ।
2. िादी करार के अपिे िाग का पालि करिे के सलए िदैि तैयार और रजामन्द रिा िै [और ता०.............................को
उििे ऐिा करिे की प्रस्थापिा की] ।
3. प्रसतिादी उक्त क्रदि िादी की िेिा में [प्रसिष्ट हुआ] क्रकन्तु तत्पश्र्ात उििे िादी की उक्त रूप में िेिा करिे िे
ता०.....................................को इन्कार कर क्रदया ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 17
त्रुटटपपर्च कमचकौशल के सलए सिमाचर्कताच के सिरुद्ध
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०...............................को िादी और प्रसतिादी िे एक करार क्रकया, सजिका मपल दस्तािेज इिके िाथ उपाबद्ध िै [या
िंसिदा का तात्पयच सलसिए] ।
[2. िादी िे करार के अपिे िाग की िब शतों का िम्यक रूप िे पालि कर क्रदया िै ।]
3. प्रसतिादी िे [करार में सिर्दचष्ट गृि का सिमाचर् बुरे प्रकार िे और अकु शलता िे क्रकया िै ]।
205

[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 18
सलसपक की सिश्िस्तता के बन्िपत्र पर
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०......................................को िादी िे र् छ को सलसपक के रूप में अपिी िेिा में सियोसजत क्रकया ।
2. उिके प्रसतफलस्िरूप प्रसतिादी िे िादी िे ता०............................................को करार क्रकया क्रक यक्रद सलसपक के रूप
में र् छ िादी के प्रसत अपिे कतचव्यों का पालि सिष्ठापपिचक ििीं करे गा या यक्रद िि उि िब िि, ऋर् के िाक्ष्यों या अन्य िम्पसत्त का,
जो उिे िादी के उपयोग के सलए प्राप्त हुई िै, लेिा िादी को देिे में अिफल रिेगा तो उि कारर् िादी जो िी िासि उठाए उिके सलए
प्रसतिादी िादी को.....................................................रुपए िे अिसिक का िंदाय करे गा ।
[या 2. उिके प्रसतफलस्िरूप प्रसतिादी िे उिी तारीि के अपिे बन्िपत्र द्वारा िादी को....................................रुपए की
शासस्तक रासश देिे के सलए इि शतच पर अपिे को आबद्ध क्रकया क्रक यक्रद सलसपक और रोकसडए के रूप में र् छ िादी के प्रसत अपिे
कतचव्यों का पालि सिष्ठापपिचक करे गा और यक्रद िि उि िब िि, ऋर् के िाक्ष्यों या अन्य िम्पसत्त का सजिे िि िादी के सलए क्रकिी िी
िमय न्याित: िाटरत करे , लेिा न्यायिंगत रूप में िादी को दे देगा तो बन्िपत्र शपन्य िोगा ।]
[या 2. उिके प्रसतफलस्िरूप उिी तारीि को प्रसतिादी िे िादी के पि में एक बन्िपत्र सिष्पाक्रदत क्रकया, सजिकी मपल
दस्तािेज इिके िाथ उपाबद्ध िै ।]
3. ता०.....................................और ता०.............................के बीर् र् छ को िादी के उपयोग के सलए िि और अन्य
िम्पसत्त, सजिका मपल्य..........................रुपए िै, प्राप्त हुई और इि रासश का लेिा उििे िादी को ििीं क्रदया िै और िि अब तक
शोध्य िै और उिका िंदाय ििीं क्रकया गया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 19
उि असििारी द्वारा सजिे सिशेष िुकिाि हुआ िै, िप-स्िामी के सिरुद्ध
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०..........................................को प्रसतिादी िे िादी को रसजस्िीकृ त सलित द्वारा [...............................गली में
......................................िंखयांक िाला गृि]........................................िषच की अिसि के सलए िादी िे यि िंसिदा करके पट्टे
पर क्रदया था क्रक िि, अथाचत िादी, और उिके सिसिक प्रसतसिसि उिके कब्जे का शासन्तपपर्च उपिोग उक्त अिसिपयंत करें गे ।
2. िब शतें पपरी कर दी गई और ऐिी िब आिश्यक बातें घटटत हुई िैं सजििे िादी यि िाद र्लािे का िकदार िो जाता िै ।
3. उक्त अिसि के दौराि में ता०..................................को र् छ िे जो उक्त गृि का सिसिपपर्च स्िामी िै, िादी को ििां िे
सिसिपपिचक बेदिल कर क्रदया और अब िी उििे उिका कब्जा िादी को देिे िे रोक रिा िै ।
4. िादी इि बात िे [उक्त स्थाि में दजी के रूप में अपिा कारबार र्लािे िे सििाटरत िो गया, ििां िे िटकर दपिरी जगि
जािे में उिे.....................................रुपए व्यय करिे पडे और ऐिे िट जािे के कारर् उिे ज झ और ट ठ की ग्रािकी की िासि िो
गई ।]
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 20
िसतपपर्तच के करार पर
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०.................................को िादी और प्रसतिादी िे, जो क ि और ग घ असििाम िे क्रकए जािे िाले व्यापार में
िागीदार िैं, अपिी िागीदारी का सिघटि कर क्रदया और परस्पर करार क्रकया क्रक प्रसतिादी िागीदारी की िब िम्पसत्त ले लेगा और
206

रिेगा, फमच के िब ऋर् र्ुकाएगा और फमच की ऋसर्ता मद्धे िादी के सिरुद्ध जो दािे क्रकए जाएं उि िब दािों के सलए िादी की
िसतपपर्तच करे गा ।
2. िादी िे करार के अपिे िाग की िब शतों का िम्यक रूप िे पालि कर क्रदया ।
3. ता०......................................को [फमच द्वारा र् छ को शोध्य ऋर् मद्धे एक सिर्चय र् छ द्वारा ...........................के
उच्र् न्यायालय में िादी और प्रसतिादी के सिरुद्ध प्राप्त कर सलया गया और ता०...................................को] िादी िे [उिकी तुसष्ट
में]..............................................रुपए का िंदाय क्रकया ।
4. प्रसतिादी िे िादी को उि रकम का िंदाय ििीं क्रकया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िैं ।]

िंखयांक 21
कपट द्वारा िंपसत्त उपाप्त करिा
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. प्रसतिादी िे िादी को इि बात के सलए उत्प्रेटरत करिे प्रयोजि िे क्रक िि प्रसतिादी का कु छ माल बेर्े ता०................को
िादी िे यि व्यपदेशि क्रकया क्रक [िि अथाचत प्रसतिादी शोििम िै और उिकी अपिे िब दासयत्िों िे....................................रुपए
असिक की मासलयत िै ।]
2. इििे िादी........................................रुपए मपल्य की [िपिी िस्तुएं] प्रसतिादी को बेर्िे [और उिका पटरदाि करिे] के
सलए उत्प्रेटरत िो गया ।
3. उक्त व्यपदेशि समथ्या थे [यिां सिसशष्ट समथ्या बातों का कथि कीसजए] और उिका ऐिा िोिा प्रसतिादी को
तब ज्ञात था ।
4. प्रसतिादी िे माल के सलए िंदाय ििीं क्रकया िै [या, यक्रद माल का पटरदाि ििीं क्रकया गया िै तो] िादी िे उि माल को
तैयार करिे और पोत द्वारा िेजिे और उिका प्रत्याितचि करािे में............................................रुपए व्यय क्रकए ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 22
अन्य व्यसक्त को उिार पर क्रदया जािा, कपटपपिक
च उपाप्त करिा
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ता०...........................................को प्रसतिादी िे िादी िे व्यपक्रदष्ट क्रकया क्रक र् छ शोििम िै और उिकी अच्छी
िाि िै तथा उिकी अपिे िब दासयत्िों िे.........................................रुपए असिक की मासलयत िै [या क्रक र् छ उत्तरदासयत्िपपर्च
ओिदे पर िै और अच्छी पटरसस्थसतयों में िै और उिार पर माल देिे के सलए उिका पपरा सिश्िाि क्रकया जा िकता िै ।]
2. इि पर िादी र् छ को.......................................रुपए मपल्य का [र्ािल]..................................[माि के उिार
पर] बेर्िे के सलए उत्प्रेटरत िो गया ।
3. उक्त व्यपदेशि समथ्या थे और उिका ऐिा िोिा प्रसतिादी को तब ज्ञात था और िे उिके द्वारा िादी िे प्रिंर्िा और कपट
करिे के [या िादी िे प्रिंर्िा करिे और उिे िसत पहुर्ािे के ] आशय िे क्रकए गए थे ।
4. र् छ िे [उक्त उिार की अिसि के िमाप्त िोिे पर उक्त माल के सलए िंदाय ििीं क्रकया, या] उििे उक्त र्ािल के सलए
िंदाय ििीं क्रकया और िादी को उि िारे र्ािल की िासि िो गई िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 23
िादी की िपसम के िीर्े के जल को प्रदपसषत करिा
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
207

1. …..............................िाम िे ज्ञात और...................................में सस्थत कु छ िपसम और उिमें कु आं और उि कु एं


का जल िादी के कब्जे में िै और इिमें आगे उसल्लसित िब िमयों पर था और िादी उि कु एं के और उिके जल के उपयोग और फायदे
का तथा जल के कु छ स्रोतों और िाराओं के , जो उि कु एं में बि कर आती िैं और उिे जल पहुंर्ाती िैं । कलुसषत या प्रदपसषत क्रकए गए
सबिा बिते रििे क्रदए जािे का िकदार िै ।
2. ता०....................................को प्रसतिादी िे कु एं और उिके जल को और जो स्रोत और िाराएं कु एं में बि कर आती
थीं उिको दोषपपिचक कलुसषत और प्रदपसषत क्रकया ।
3. पटरर्ामस्िरूप कु एं का जल अशुद्ध तथा घरे लप और अन्य आिश्यक प्रयोजिों के सलए अिुपयुक्त िो गया और िादी और
उिका कु टु म्ब कु एं और जल के उपयोग और फायदे िे िंसर्त िो गए ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 24
अपायकर सिसिमाचर् र्लािा
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. ….......................िाम िे ज्ञात और........................................में सस्थत कु छ िपसमयां िादी के कब्जे में िैं और इिमें
आगे सलसित िब िमयों पर थीं ।
2. ता०........................िे बराबर प्रसतिादी कु छ प्रगालि िंकमों िे सजन्िें प्रसतिादी र्ला रिा िै, बडी मात्रा में क्लेशकर
और अस्िास्थकर िुआं तथा अन्य िाष्प और अपायकर पदाथच दोषपपिचक सिकाल रिा िै, जो उक्त िपसमयों के ऊपर फै ल जाते िैं और
सजन्िोंिे िायु को भ्रष्ट कर क्रदया िै और जो िपसम तल पर जम गए िैं ।
3. िादी के उि िपसमयों में उगिे िाले िृिों, झासडयों, िटरयाली और फिल को उििे िुकिाि हुआ और उिके मपल्य में कमी िो
गई और उि िपसमयों पर िादी के ढोर और जीििि अस्िस्थ िो गए िैं और उिमें िे बहुत िे सिषाक्त िोकर मर गए ।
4. िादी ढोरों और िेडों को उि िपसमयों पर िैिे र्रािे में अिमथच रिा जैिे िि अन्यथा उन्िें र्रा िकता था और िि अपिे
ढोरों, िेडों और कृ सष-िि को ििां िे िटािे के सलए सििश िो गया और िपसमयों का िैिा फायदाप्रद और अच्छा उपयोग और असििोग
करिे िे सििाटरत रिा जैिा िि अन्यथा कर िकता था ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 25
मागाचसिकार में बािा डालिा
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक
1. िादी का कब्जा [……………………ग्राम में के एक गृि पर] िै और इिमें आगे उसल्लसित िमय पर था ।
2. िादी िषच में िब िमयों पर [गृि] िे लोक राजमागच तक अमुक िेत में िोकर [यािों में या पैदल] जािे के सलए और लोक
राजमागच िे उि िेत िे िोकर उि गृि तक [यािों में या पैदल] लौट कर आिे के सलए स्ियं और अपिे िेिकों के सलए मागाचसिकार का
िकदार था ।
3. ता०...............................को प्रसतिादी िे उक्त मागच को दोषपपिचक बासित कर क्रदया सजििे िादी [यािों में या पैदल या
क्रकिी प्रकार िे] उि रास्ते पर िोकर ि जा िका [और िि उिे तब िे बराबर दोषपपिचक बासित क्रकए हुए िै] ।
4. (यक्रद कोई सिशेष िुकिाि हुआ िो तो िि सलसिए ।)
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 26
राजमागच में बािा डालिा
(शीषचक)
1. प्रसतिादी……………………िे............................को जािे िाले लोक राजमागच में दोषपपिचक एक िाई िोद दी िै
और उि पर समट्टी और पत्थर ऐिे जमा कर क्रदए िैं सजििे िि बासित िो गया िै ।
208

2. उक्त लोक राजमागच िे सिसिपपिचक जाते हुए िादी उि बािा के कारर् उक्त समट्टी और पत्थरों पर [या उक्त िाई में] सगर
पडा और उिकी बांि टप ट गई और उिे बहुत पीडा िििी पडी और बहुत िमय तक िि अपिे कारबार की देििाल ििीं कर िका और
उिे अपिी सर्क्रकत्िा-पटरर्याच में व्यय उपगत करिा पडा ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 27
जल-िरर्ी को मोडिा
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. िादी का कब्जा……..……………….सजले के ……………………..ग्राम में………………………..िाम िे ज्ञात
(िारा) पर सस्थत समल पर िै और इिमें आगे उसल्लसित िमय पर था ।
2. ऐिे कब्जे के कारर् िादी अपिी समल को र्लािे के सलए उि िारा के प्रिाि का िकदार था ।
3. ता०………………………………को प्रसतिादी िे िारा के क्रकिारे को काटकर उिके जल को दोषपपिचक मोड क्रदया
सजििे िादी की समल में पािी कम आिे लगा ।
4. इि कारर् िादी प्रसतक्रदि……………………………िे असिक बोरे पीििे में अिमथच रिा िै जब क्रक जल के उक्त मोडे
जािे के पपिच िि प्रसतक्रदि…………………………..बोरे पीि लेता था ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 28
जल का लिंर्ाई के सलए उपयोग करिे के असिकार में बािा डालिा
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. िादी का कब्जा…………………………इत्याक्रद में सस्थत कु छ िपसमयों पर िै और इिमें आगे उसल्लसित िमय पर था
और िादी अमुक िारा के जल का एक िाग उक्त िपसमयों की लिंर्ाई के सलए लेिे और उपयोग में लािे का िकदार िै और इिमें आगे
उसल्लसित िमय पर था ।
2. ता०…………………………..को प्रसतिादी िे उक्त िारा को दोषपपिचक बासित करके तथा उिे मोडकर िादी को उक्त
जल के उक्त िाग को उक्त रूप में लेिे और उपयोग में लािे िे रोक क्रदया ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 29
रे ल-पथ पर उपेिा िे हुई िसतयां
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. ता०…………………………..को प्रसतिादी…………………………..और……………………………के बीर्
रे ल द्वारा यासत्रयों को ले जािे के सलए िामान्य िािक थे ।
2. उि क्रदि िादी उक्त रे ल-पथ पर प्रसतिादी के सडब्बों में िे एक में यात्री था ।
3. जब िि ऐिा यात्री था तब………………………….में (या…………………………के स्टेशि के सिकट
या………………………और………………………….स्टेशिों के बीर्) प्रसतिाक्रदयों के िेिकों की उपेिा और अकौशल के कारर्
उक्त रे ल पर टक्कर िो गई, सजििे िादी को अपिी टांग टप ट जािे, अपिा सिर फट जािे इत्याक्रद िे और यक्रद कोई सिशेष िुकिाि हुआ
िो तो सलसिए) बहुत िसत हुई और उिे अपिी सर्क्रकत्िीय-पटरर्याच पर व्यय उपगत करिा पडा और िि सबिीकताच के रूप में अपिा
पपिचिती कारबार करिे िे स्थायी रूप िे अशक्त िो गया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]
209

[या इि िांसत—2. उि क्रदि प्रसतिाक्रदयों िे इं जि और उििे िंलग्ि सडब्बों की रे लगाडी को प्रसतिाक्रदयों की रे ल की लाइि
पर सजिको िादी सिसिपपिचक उि िमय पार कर रिा था, अपिे िेिकों के द्वारा ऐिी उपेिा और अकौशल िे र्लाया और उिका
िंर्ालि क्रकया क्रक उक्त ईंजि और रे लगाडी आगे बढ़कर िादी िे टकरा गई सजिके कारर्……………………………….इत्याक्रद
जैिा क्रक पैरा 3 में िै ।]

िंखयांक 30
उपेिापपिक
च गाडी र्लािे िे हुई िसतयां
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. िादी जपता बिािे िाला िै और अपिा कारबार………...……………………………………में करता िै ।
प्रसतिादी……………………का व्यापारी िै ।
2. ता०....…………………………को लगिग 3 बजे अपराहि में िादी कलकत्ता िगर में र्ौरं गी में दसिर् की ओर जा
रिा था । उिे समसडलटि स्िीट पार करिी पडी जो र्ौरं गी िे िमकोर् पर समलती िै । जब िि उि स्िीट को पार कर रिा था, और
इििे ठीक पिले क्रक िि उिकी दपिरी ओर िाले पाद पथ पर पहुंर्े , दो घोडों द्वारा िींर्ी जािे िाली प्रसतिादी की गाडी, जो प्रसतिादी
के िेिकों के िारिािि और सियंत्रर् में थी िििा और क्रकिी र्ेताििी के सबिा बडी तेजी िे और ख़तरिाक गसत िे समसडलटि स्िीट िे
र्ौरं गी में उपेिापपिचक मुडी । गाडी का बम िादी िे टकराया और िादी िीर्े सगर पडा और घोडों के पांि िे कु र्ल गया ।
3. टक्कर लगिे और सगरिे और पािों के िीर्े कु र्ले जािे िे िादी की बाईं बांि टप ट गई और उिकी बगल में और पीठ पर
िील पड गए और िसत पहुंर्ी और िाथ िी उिे िीतरी िसत िी हुई और उिके पटरर्ामस्िरूप िादी र्ार माि तक रोगग्रस्त रिा और
कष्ट िोगता रिा और अपिे कारबार की देििाल करिे में अिमथच रिा, और उिे िारी सर्क्रकत्िीय और अन्य व्यय उपगत करिे पडे
तथा उिे कारबार और लािों की बडी िासि िििी पडी ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 31
सिद्वेषपपर्च असियोजि के सलए
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. ता०………………………….को प्रसतिादी िे……………………….िे (जो उक्त िगर का मसजस्िे ट िै या जो
सस्थसत िो िि सलसिए)……………………….के आरोप पर सगरफ्तारी का िारण्ट असिप्राप्त क्रकया और उिके बल पर िादी
सगरफ्तार क्रकया गया और…………………………….(क्रदिों या घण्टों के सलए) कारािासित रिा और (अपिी सिमुचसक्त के सलए
उििे………………….रुपयों की जमाित दी ।)
2. ऐिा करिे में प्रसतिादी िे सिद्वेषपपिचक और युसक्तयुक्त या असििम्िाव्य िेतुक के सबिा कायच क्रकया ।
3. ता०………………………को मसजस्िेट िे प्रसतिादी का पटरिाद िाटरज कर क्रदया और िादी को दोषमुक्त कर क्रदया ।
4. अिेक व्यसक्तयों िे, सजिके िाम िादी को अज्ञात िैं, सगरफ्तारी की बात िुिकर और िादी को अपरािी अिुमाि करके
उिके िाथ कारबार करिा छोड क्रदया िै; या ङर् के सलसपक के रूप में अपिे पद को िादी उक्त सगरफ्तारी के पटरर्ामस्िरूप िो बैठा;
या पटरर्ामस्िरूप िादी को शरीर और मि की पीडा िििी पडी और िि अपिा कारबार करिे िे सििाटरत रिा और उिकी िाि को
िसत पहुंर्ी, और उक्त कारािाि िे सिमुचक्त िोिे के सलए और उक्त पटरिाद के सिरुद्ध अपिी प्रसतरिा करिे के सलए उिे व्यय उपगत
करिा पडा ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै, और िि अिुतोष सजिका दािा क्रकया गया िै ।]

िंखयांक 32
जंगम माल का िदोष सिरोि
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
210

1. ता०……………………….……को िादी इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में िर्र्चत माल का (या माल का िर्चि
कीसजए), सजिका प्राक्कसलत मपल्य…………………………..रुपए िै, स्िामी था [या िे तथ्य सलसिए सजििे कब्जे का असिकार
दर्शचत िोता िै ।]
2. उि क्रदि िे इि िाद के प्रारम्ि िोिे तक प्रसतिादी िे उि माल को िादी िे रोक रिा िै ।
3. िाद आरम्ि िोिे िे पिले, अथाचत ता०……………………….को, िादी िे प्रसतिादी िे माल मांगा, क्रकन्तु उििे माल
का पटरदाि करिे िे इं कार क्रकया ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
6. िादी यि दािा करता िै क्रक—
(1) उक्त माल का पटरदाि कराया जाए, या यक्रद उिका पटरदाि ििीं कराया जा िकता
तो……………..……..रुपए क्रदलाए जाएं;
(2) उिको रोक रिे जािे के प्रसतकरस्िरूप……………………….रुपए क्रदलाए जाएं ।

अिुिपर्ी
िंखयांक 33
कपटी सििे ता और उिकी िपर्िा िसित अन्तटरती के सिरुद्ध
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. ता०……………………………..को प्रसतिादी ग घ िे िादी को उिे कु छ माल बेर्िे के सलए उत्प्रे टरत करिे के प्रयोजि
िे िादी िे यि व्यपक्रदष्ट क्रकया क्रक [िि शोििम िै और उिकी उिके िब दासयत्िों िे……………………..रुपए असिक की मासलयत
िै ।]
2. इििे िादी ग घ को [र्ाय के एक िौ बक्िे] बेर्िे और उिका पटरदाि करिे के सलए उत्प्रेटरत हुआ । इिका प्राक्कसलत
मपल्य……………………………रुपए िै ।
3. उक्त व्यपदेशि समथ्या थे और गघ को उिका समथ्या िोिा तब ज्ञात था [या उक्त व्यपदेशि करिे के िमय, ग घ
क्रदिासलया था और िि अपिी यि सस्थसत जािता था ।]
4. ग घ िे तत्पश्र्ात उक्त माल प्रसतिादी र् छ को क्रकिी प्रसतफल के सबिा [या र् छ को सजिे व्यपदेशि के समथ्या िोिे की
िपर्िा थी], अन्तटरत कर क्रदया ।
[जैिा प्ररूप िं० 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
5. [कब िाद-िेतुक उत्पन्ि हुआ था और क्रकि न्यायालय की असिकाटरता िै, को दशाचिे िाले तथ्य………………………]
6. असिकाटरता के प्रयोजि के सलए िाद की सिषय-िस्तु का मपल्य…………………रुपए िै और न्यायालय फीि के प्रयोजि
के सलए………………..रुपए िै ।
7. िादी यि दािा करता िै क्रक—
(1) उक्त माल का पटरदाि कराया जाए, या यक्रद उिका पटरदाि ििीं कराया जा िकता
तो……………………रुपए क्रदलाए जाएं ।
(2) उि माल को रोक रििे के प्रसतकरस्िरूप…………………………रुपए क्रदलाए जाएं ।

िंखयांक 34
िंसिदा का िपल के आिार पर सििण्डि
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. ता०………………………….को प्रसतिादी िे िादी िे व्यपक्रदष्ट क्रकया क्रक अमुक िप-िण्ड, जो प्रसतिादी का िै
और…………………………में सस्थत िै [दि बीघे] का िै ।
211

2. इििे िादी उिे…….....…………….रुपए की कीमत पर इि सिश्िाि पर िरीदिे के सलए उत्प्रेटरत िो गया क्रक उक्त
व्यपदेशि ित्य िै और उििे एक करार पर िस्तािर क्रकए सजिकी मपल प्रसत इिके िाथ उपाबद्ध िै । क्रकन्तु िपसम उिे अन्तटरत ििीं की
गई िै ।
3. ता०………………………….को िादी िे प्रसतिादी को ियिि के िाग रूप………………………….रुपए दे क्रदए ।
4. उक्त िप-िण्ड िास्ति में के िल [पांर् बीघे] का िै ।
[जैिा प्ररूप िं० 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
5. [कब िाद-िेतुक उत्पन्ि हुआ था और क्रकि न्यायालय की असिकाटरता िै, को दशाचिे िाले तथ्य………..]
6. असिकाटरता के प्रयोजि के सलए िाद की सिषय-िस्तु का मपल्य……………रुपए िै और न्यायालय फीि के प्रयोजि के
सलए…………..रुपए िै ।
7. िादी यि दािा करता िै क्रक—
(1) ता०…………………………िे ब्याज िसित……………………….रुपए क्रदलाए जाएं;
(2) उक्त करार लौटाया जाए और रद्द कर क्रदया जाए ।

िंखयांक 35
दुव्यचय रोकिे के सलए व्यादेश
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. िादी [िम्पसत्त का िर्चि कीसजए] का आत्यसन्तक स्िामी िै ।
2. प्रसतिादी का उि पर कब्जा िादी िे सलए गए पट्टे के अिीि िै ।
3. प्रसतिादी िे िादी की ििमसत के सबिा [सििय के प्रयोजि के सलए कई मपल्यिाि िृि काट डाले िैं और अन्य बहुत िे काट
डालिे की िमकी दे रिा िै ।]
[जैिा प्ररूप िं० 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
4. [कब िाद-िेतुक उत्पन्ि हुआ था और क्रकि न्यायालय की असिकाटरता िै, को दशाचिे िाले तथ्य…………………]
5. असिकाटरता के प्रयोजि के सलए िाद की सिषय-िस्तु का मपल्य……………….रुपए िै और न्यायालय फीि के प्रयोजि के
सलए………………..रुपए िै ।
6. िादी यि दािा करता िै क्रक प्रसतिादी को उक्त पटरिर में कोई असतटरक्त दुव्यचय करिे या करिे देिे िे व्यादेश द्वारा
अिरुद्ध क्रकया जाए ।
[िि के रूप में प्रसतकर का िी दािा क्रकया जा िकता िै ।]

िंखयांक 36
न्यपिि
ें रोकिे के सलए व्यादेश
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. िादी [कलकत्ता की……………………..स्िीट के ……………………………िंखयांक िाले गृि] का आत्यसन्तक
स्िामी िै और इिमें आगे उसल्लसित िब िमयों पर था ।
2. प्रसतिादी [उिी…………………………स्िीट में एक िप-िण्ड] का आत्यसन्तक स्िामी िै और उक्त िब िमयों पर था ।
3. ता०………………………….को प्रसतिादी िे अपिे उक्त िप-िण्ड में एक ििशाला सिर्मचत की और उिे िि अब िी
बिाए हुए िै और उि क्रदि िे आज तक िि बराबर ििां ढोर मंगिा कर उन्िें मरिा डालता िै [और रक्त और ओझडी को िादी के उक्त
गृि के िामिे िाली गली में कफं किा देता िै ।]
[4. पटरर्ामत: िादी उक्त गृि का पटरत्याग करिे के सलए सििश िो गया िै और उिे िाटक पर ििीं उठा िका िै ।]
5. [कब िाद-िेतुक उत्पन्ि हुआ था और क्रकि न्यायालय की असिकाटरता िै, को दशाचिे िाले तथ्य………………………]
212

6. असिकाटरता के प्रयोजि के सलए िाद की सिषय-िस्तु का मपल्य…………….रुपए िै और न्यायालय फीि के प्रयोजि के


सलए…………………रुपए िै ।
7. िादी दािा करता िै क्रक प्रसतिादी को और न्यपिेन्ि करिे या करिे देिे िे व्यादेश द्वारा अिरुद्ध क्रकया जाए ।

िंखयांक 37
लोक न्यपिि
ें
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. प्रसतिादी िे……………………की लोक िडक पर, जो…………………….गली के िाम िे ज्ञात िै, समट्टी और पत्थर
का ढेर दोषपपिचक ऐिे लगा क्रदया िै क्रक उि िडक पर लोगों को आिे -जािे में बािा पडती िै और िि यि िमकी दे रिा िै क्रक उिका यि
आशय िै क्रक जब तक उिे ऐिा करिे िे अिरुद्ध ििीं क्रकया जाता िै िि उक्त दोषपपर्च कायच को र्ालप रिेगा और उिे दुिराता रिेगा ।
1[*2. िादी िे न्यायालय की इजाजत इि िाद को िंसस्थत करिे के सलए असिप्राप्त कर ली िै ।
*जिां िाद मिासििक्ता द्वारा िंसस्थत क्रकया जाता िै ििां पर यि लागप ििीं िै ।]
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
5. िादी यि दािा करता िै क्रक—
(1) यि घोषर्ा की जाए क्रक प्रसतिादी उक्त लोक िडक पर लोगों के आिे-जािे में बािा डालिे का िकदार ििीं िै;
(2) उक्त लोक िडक पर लोगों के आिे-जािे में बािा डालिे िे प्रसतिादी को अिरुद्ध करिे िाला और पपिोक्त रूप
िे दोषपपिचक इकट्ठी की गई समट्टी और पत्थरों को िटािे के सलए प्रसतिादी को सिदेश देिे िाला व्यादेश सिकाला जाए ।

िंखयांक 38
जल-िरर्ी मोडिे के सिरुद्ध व्यादेश
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
[जैिा प्ररूप िंखयांक 27 में िै ।]
िादी दािा करता िै क्रक पपिोक्त जल-िरर्ी को मोडिे िे प्रसतिादी व्यादेश द्वारा अिरुद्ध क्रकया जाए ।

िंखयांक 39
उक्त जंगम िंपसत्त के प्रत्याितचि के सलए सजिके सििाश की िमकी दी जा रिी िै, और व्यादेश के सलए
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. िादी (अपिे सपतामि के रूपसर्त्र का, जो एक प्रसिद्ध सर्त्रकार द्वारा बिाया गया था) स्िामी िै और इिमें आगे उसल्लसित
िब िमयों पर था और उि रूपसर्त्र की दपिरी प्रसत सिद्यमाि ििीं िै [या िे तथ्य सलसिए सजििे यि दर्शचत िोता िै क्रक िम्पसत्त इि
प्रकार की िै क्रक उिकी पपर्तच िि िे ििीं की जा िकती िै ।]
2. ता०…………………………को उििे उिे प्रसतिादी के पाि िुरसित रूप िे रििे के सलए सिसिप्त क्रकया था ।
3. ता०…………………………को उििे प्रसतिादी िे उिे िापि मांगा और उिे िण्डार में रििे के िब युसक्तयुक्त
प्रिारों को देिे की प्रस्थापिा की ।
4. प्रसतिादी उि रूपसर्त्र का िादी को पटरदाि करिे िे इन्कार करता िै और यि िमकी दे रिा िै क्रक यक्रद उििे उिका
पटरदाि करिे की अपेिा की गई तो िि उिे सछपा देगा या उिका व्ययि कर देगा या उिे काट देगा या ित कर देगा ।
5. उि [रं गसर्त्र] की िासि के सलए िादी को कोई ििीय प्रसतकर पयाचप्त प्रसतकर ििीं िोगा ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 93 द्वारा (1-2-1977 िे) पैरा 2 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
213

8. िादी दािा करता िै क्रक—


(1) प्रसतिादी को उक्त [रं गसर्त्र] का व्ययि करिे, उिे ित करिे या सछपािे िे व्यादेश द्वारा अिरुद्ध क्रकया जाए;
(2) उिे सििश क्रकया जाए क्रक उिका पटरदाि िादी को कर दे ।

िंखयांक 40
अन्तरासििार्ी
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. इिमें आगे उसल्लसित दािों की तारीि के पिले ज झ िे िादी के पाि [िम्पसत्त का िर्चि कीसजए] को [िुरसित रूप िे
रििे के सलए] सिसिप्त क्रकया था ।
2. प्रसतिादी ग घ [ज झ िे उिके असिकसथत िमिुदश
े ि के अिीि] उिका दािा करता िै ।
3. प्रसतिादी र् छ िी [ज झ के ऐिे आदेश के अिीि, सजिके द्वारा िि उिे अन्तटरत की गई थी] उिका दािा करता िै ।
4. िादी, प्रसतिाक्रदयों के अपिे-अपिे असिकारों के बारे में अिसिज्ञ िै ।
5. उिका उि िम्पसत्त पर, प्रिारों और िर्ों िे सिन्ि, कोई दािा ििीं िै और िि उिका उि व्यसक्तयों को पटरदाि करिे के
सलए तैयार और रजामन्द िै सजन्िें देिे का न्यायालय सिदेश दे ।
6. यि िाद दोिों प्रसतिाक्रदयों में िे क्रकिी के िाथ दुस्िसन्ि करिे के बाद ििीं लाया गया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
9. िादी दािा करता िै क्रक—
(1) प्रसतिादी को िादी के सिरुद्ध उिके िम्बन्ि में कोई कायचिािी करिे िे व्यादेश द्वारा अिरुद्ध कर क्रदया जाए;
(2) उििे अपेिा की जाए क्रक िे उक्त िम्पसत्त पर अपिे दािों के बारे में परस्पर अन्तरासििर्ि करे ;
[(3) इि मुकदमे के लसम्बत रििे तक उक्त िम्पसत्त को प्राप्त करिे के सलए क्रकिी व्यसक्त को प्रासिकृ त क्रकया जाए;]
(4) उिका ऐिे [व्यसक्तयों] को पटरदाि कर देिे पर िादी उिके िम्बन्ि में प्रसतिाक्रदयों में िे क्रकिी के िी प्रसत िब
दासयत्ि में उन्मोसर्त क्रकया जाए ।

िंखयांक 41
लेिदार द्वारा अपिी ओर िे और िब लेिदारों की ओर िे प्रशािि
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. मृत ङर्, जो………………………….का था, अपिी मृत्यु के िमय िादी के प्रसत……………………[यिां ऋर् की
प्रकृ सत और यक्रद कोई प्रसतिपसत िो तो उिका उल्लेि कीसजए] की रासश का ऋर्ी था और उिकी िम्पदा अिी तक उि ऋर् िे िाटरत
िै ।
2. ङर् की मृत्यु ता०.............................को या उिके लगिग हुई थी । उििे तारीि……………………की अपिी
असन्तम सिल द्वारा ग घ को अपिा सिष्पादक सियुसक्त क्रकया (या, यथासस्थसत, उििे अपिी िम्पदा न्याि के रूप में ििीयत द्वारा दी,
इत्याक्रद या िि सििचिीयती मर गया) ।
3. सिल ग घ द्वारा िासबत की गई [या प्रशािि-पत्र अिुदत्त क्रकए गए, इत्याक्रद ।]
4. प्रसतिादी िे ङर् की जंगम िम्पसत्त [और स्थािर िम्पसत्त या स्थािर िम्पसत्त के आगमों] पर अपिा कब्जा कर सलया िै और
िादी को उिका ऋर् ििीं र्ुकाया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
7. िादी दािा करता िै क्रक मृत ङर् की जंगम [और स्थािर] िम्पसत्त का लेिा सलया जाए और न्यायालय की सडिी के अिीि
उिका प्रशािि क्रकया जाए ।
214

िंखयांक 42
सिसिर्दचष्ट ििीयतदार द्वारा प्रशािि
(शीषचक)
[प्ररूप िंखयांक 41 को इि प्रकार पटरिर्तचत कीसजए]
[पैरा 1 छोड दीसजए और पैरा 2 इि प्रकार आरम्ि कीसजए] मृत ङर् की जो, …………………………का था, मृत्यु
ता०……………………को या उिके लगिग हुई । उििे ता०…………………………..की अपिी अंसतम सिल द्वारा ग घ को
अपिा सिष्पादक सियुक्त क्रकया और िादी को [यिां सिसिर्दचष्ट ििीयत िम्पदा सलसिए] ििीयत की ।
पैरा 4 के स्थाि पर यि सलसिए क्रक—
प्रसतिादी ङर् की जंगम िम्पसत्त पर कब्जा रिता िै और अन्य र्ीजों के िाथ [यिां सिसिर्दचष्ट ििीयत की सिषय-
िस्तु का िाम दीसजए] पर िी कब्जा रिता िै ।
पैरा 7 के प्रारम्ि के स्थाि पर यि सलसिए क्रक—
िादी दािा करता िै क्रक प्रसतिादी को आदेश क्रदया जाए क्रक िि [यिां सिसिर्दचष्ट ििीयत की सिषय-िस्तु का िाम दीसजए]
िादी को पटरदत्त करे या क्रक, इत्याक्रद ।

िंखयांक 43
ििीय ििीयतदार द्वारा प्रशािि
(शीषचक)
[प्ररूप िंखयांक 41 को इि प्रकार पटरिर्तचत कीसजए]
[पैरा 1 छोड दीसजए और पैरा 2 के स्थाि पर यि सलसिए क्रक] मृत ङर् की, जो……………………….का था, मृत्यु
तारीि…………………………को या उिके लगिग हुई । उििे तारीि……………………..की अपिी असन्तम सिल द्वारा ग घ
को अपिा सिष्पादक सियुक्त क्रकया और िादी को……………………….रुपए की ििीयत की ।
पैरा 4 में “उिका ऋर् ििीं र्ुकाया िै” शब्दों के स्थाि पर “उिकी ििीयत िम्पदा का िंदाय ििीं क्रकया िै” शब्द
प्रसतस्थासपत कीसजए ।

दपिरा प्ररूप
(शीषचक)
उक्त िादी ङर् यि कथि करता िै क्रक—
1. क ि की जो,………………………..…में ट क था, तारीि…………………………को मृत्यु हुई । उििे
तारीि.........................की अपिी असन्तम सिल द्वारा प्रसतिादी को और ड ढ को [सजिकी मृत्यु ििीयतकताच के जीिि काल में िी िो
गई थी] अपिा सिष्पादक सियुक्त क्रकया और अपिी िम्पसत्त र्ािे िि जंगम थी या स्थािर, अपिे सिष्पादकों को इि न्याि पर क्रक िे
उिके िाटक और आय िादी को उिके जीििपयचन्त देते रिें, और िादी की मृत्यु के पश्र्ात और उिके ऐिा पुत्र ि िोिे पर, जो इक्कीि
िषच की आयु प्राप्त कर ले या ऐिी पुत्री ि िोिे पर, जो िि आयु प्राप्त कर ले या सििाि कर ले, अपिी स्थािर िम्पसत्त उि व्यसक्त के
पि में न्याि पर, जो ििीयतकताच का सिसििा िाटरि िोगा और अपिी जंगम िम्पसत्त उि व्यसक्तयों के पि में न्याि पर जो यक्रद िादी
की मृत्यु के िमय ििीयतकताच सििचिीयत मरता और िादी के ऐिी िन्ताि ि िोती, सजिका उल्लेि ऊपर क्रकया गया िै तो ििीयतकताच
के सिकटतम कु ल्य िोते, ििीयत की थी ।
2. प्रसतिादी िे सिल ता०…………………को िासबत कर दी थी । िादी िे सििाि ििीं क्रकया िै ।
3. ििीयतकताच अपिी मृत्यु के िमय जंगम और स्थािर िम्पसत्त का िकदार था; प्रसतिादी िे स्थािर िम्पसत्त के िाटक प्राप्त
करिा आरम्ि कर क्रदया िै और जंगम िम्पसत्त अपिे कब्जे में कर ली िै; उििे स्थािर िम्पसत्त का कु छ िाग बेर् क्रदया िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
6. िादी दािा करता िै क्रक—
(1) क ि की जंगम और स्थािर िम्पसत्त का प्रशािि इि न्यायालय में क्रकया जाए और उि प्रयोजि के सलए िब
उसर्त सिदेश क्रदए जाएं और लेिा सलए जाएं;
(2) ऐिा असतटरक्त या अन्य अिुतोष क्रदया जाए जैिा मामले की प्रकृ सत िे अपेसित िो ।
215

िंखयांक 44
न्यािों का सिष्पादि
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. िि ता०………………………या उिके लगिग की तारीि की व्यिस्थापि सलित के अिीि, जो व्यिस्थापि
प्रसतिादी के सपता और माता ङर् और छ ज के सििाि के अििर पर क्रकया गया था [या प्रसतिादी ग घ के और ङर् के अन्य लेिदारों के
फायदे के सलए ङर् की िम्पदा और र्ीजबस्त के अन्तरर् की सलित के अिीि], न्यासियों में िे एक िै ।
2. क ि िे उक्त न्याि का िार अपिे ऊपर सलया िै और उक्त सलित द्वारा अन्तटरत जंगम और स्थािर िम्पसत्त [या उिके
आगम] उिके कब्जे में िै ।
3. ग घ सलित के अिीि फायदाप्रद सित का िकदार िोिे का दािा करता िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
6. िादी उक्त स्थािर िम्पसत्त के िब िाटकों और लािों का [और उक्त स्थािर िम्पसत्त के या उिके िाग के सििय के आगमों
का या जंगम िम्पसत्त का या उक्त जंगम िम्पसत्त के या उिके िाग के सििय के आगमों का या उक्त न्याि के सिष्पादि में िे न्यािी के
रूप में िादी को प्रोद्िपत िोिे िाले लािों का] लेिा देिा र्ािता िै, और प्राथचिा करता िै क्रक न्यायालय उक्त न्याि का लेिा ले, और
यि िी क्रक उक्त िम्पपर्च न्याि िम्पदा का इि न्यायालय में प्रशािि प्रसतिादी ग घ के और उि िब अन्य व्यसक्तयों के , जो ऐिे प्रशािि
में सितबद्ध िों फायदे के सलए ग घ की और इि प्रकार सितबद्ध अन्य ऐिे व्यसक्तयों की, सजन्िें न्यायालय सिक्रदष्ट करे , उपसस्थसत में क्रकया
जाए या क्रक ग घ इिके प्रसतकप ल अच्छा िेतुक दर्शचत करें ।
[कृ पया ध्याि दें—जिां िाद सितासिकारी द्वारा िै ििां िादपत्र ििीयतदार के िादपत्र के िमपिे पर, आिश्यक पटरितचि
िसित, तैयार क्रकया जाए ।]

िंखयांक 45
पुरोबन्ि या सििय
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. िादी प्रसतिादी की िपसमयों का बन्िकदार िै ।
2. बन्िक की सिसशसष्टयां सिम्िसलसित िैं—
(क) (तारीि);
(ि) (बन्िककताच और बन्िकदार के िाम);
(ग) (प्रसतिपसत रासश);
(घ) (ब्याज की दर);
(ङ) (बन्िक के अिीि िम्पसत्त);
(र्) (अब शोध्य रकम);
(छ) (यक्रद िादी का िक अन्य िे व्युत्पन्ि िै तो सजि अन्तरर्ों या न्यागमि के अिीि िि दािा करता िै िे िंिेप
में सलसिए ।)
(यक्रद िादी िकब्जा बन्िकदार िै तो यि सलसिए—)
3. िादी िे बन्िक िम्पसत्त का कब्जा ता०……………………को सलया और िि िकब्जा बन्िकदार के रूप में उि िमय िे
लेिा देिे के सलए तैयार िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
6. िादी दािा करता िै क्रक—
(1) उिे िंदाय क्रकया जाए या उिमें व्यसतिम िोिे पर [सििय या] पुरोबन्ि क्रकया जाए [और कब्जा क्रदलाया
जाए];
216

[जिां आदेश 34 का सियम 6 लागप िो]


(2) यक्रद सििय के आगम िादी को शोध्य रकम के िंदाय के सलए अपयाचप्त पाए जाएं, तो िादी की यि स्ितंत्रता
आरसित रिी जाए क्रक िि 1[बाकी के सलए आदेश] का आिेदि कर िके गा ।

िंखयांक 46
मोर्ि
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. िादी उि िपसमयों का बन्िककताच िै सजिका बन्िकदार प्रसतिादी िै ।
2. बन्िक की सिसशसष्टयां सिम्िसलसित िैं—
(क) (तारीि);
(ि) (बन्िककताच और बन्िकदार के िाम);
(ग) (प्रसतिपत रासश);
(घ) (ब्याज की दर);
(ङ) (बन्िक के अिीि िम्पसत्त);
(र्) (यक्रद िादी का िक अन्य िे व्युत्पन्ि िै तो सजि अन्तरर्ों या न्यागमि के अिीि िि दािा करता िै िे िंिेप में
सलसिए) ।
[यक्रद प्रसतिादी िकब्जा बन्िकदार िै तो यि सलसिए—]
3. प्रसतिादी िे बन्िक िम्पसत्त का कब्जा ले सलया िै (या उिका िाटक प्राप्त कर सलया िै) ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
6. िादी उक्त िम्पसत्त के मोर्ि का और 2[अन्त:कालीि लाि के िाथ] उिे अपिे को िापि िस्तांतटरत करािे का (और उि
पर कब्जा प्राप्त करिे का) दािा करता िै ।

िंखयांक 47
सिसिर्दचष्ट पालि (िंखयांक 1)
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. तारीि…………………………के और प्रसतिादी द्वारा िस्तािटरत करार द्वारा प्रसतिादी िे उिमें िर्र्चत और सिर्दचष्ट
कु छ स्थािर िम्पसत्त…………………………रुपयों में िादी िे िरीदिे की (या िादी को बेर्िे की) िंसिदा की थी ।
2. िादी िे प्रसतिादी िे आिेदि क्रकया क्रक िि करार के अपिे िाग का सिसिर्दचष्ट पालि करे , क्रकन्तु प्रसतिादी िे ऐिा ििीं
क्रकया िै ।
3. िादी करार के अपिे िाग का सिसिर्दचष्ट पालि करिे के सलए तैयार और रजामन्द रिा िै और अब िी िै, सजिकी िपर्िा
प्रसतिादी को िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
6. िादी दािा करता िै क्रक न्यायालय प्रसतिादी को करार का सिसिर्दचष्ट पालि करिे के सलए, और उक्त िम्पसत्त का िादी को
पपरा कब्जा क्रदलािे के सलए िब आिश्यक कायच करिे के सलए [या उक्त िम्पसत्त का अन्तरर् और कब्जा प्रसतगृिीत करिे के सलए,] और
िाद के िर्े देिे के सलए आदेश दे ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 93 द्वारा (1-2-1977 िे) “बाकी के सलए सडिी” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 93 द्वारा (1-2-1977 िे) जोडा गया ।
217

िंखयांक 48
सिसिर्दचष्ट पालि (िंखयांक 2)
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. तारीि………....……………को िादी और प्रसतिादी िे सलसित करार क्रकया, सजिकी मपल दस्तािेज इिके िाथ
उपाबद्ध िै ।
प्रसतिादी करार में िर्र्चत स्थािर िम्पसत्त का आत्यंसतक रूप िे िकदार था ।
2. ता०……………………………को िादी िे प्रसतिादी को…….………………………..रु० प्रस्तुत क्रकए और उक्त
िम्पसत्त का अन्तरर् पयाचप्त सलित द्वारा क्रकए जािे की मांग की ।
3. ता०…………………………को िादी िे ऐिा अन्तरर् क्रकए जािे की क्रफर मांग की [या प्रसतिादी िे उिे िादी को
अन्तटरत करिे िे इन्कार कर क्रदया ।]
4. प्रसतिादी िे कोई अन्तरर् सलित सिष्पाक्रदत ििीं की िै ।
5. िादी उक्त िंपसत्त का ियिि प्रसतिादी को देिे के सलए अब िी तैयार और रजामन्द िै ।
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
8. िादी दािा करता िै क्रक—
(1) प्रसतिादी (करार के सिबन्ििों के अिुिार) उक्त िम्पसत्त िादी को पयाचप्त सलित द्वारा अन्तटरत कर दे;
(2) उि िम्पसत्त को रोक रििे के सलए उिे………………………रुपए प्रसतकर दे ।

िंखयांक 49
िागीदारी
(शीषचक)
उक्त िादी क ि यि कथि करता िै क्रक—
1. िि और प्रसतिादी ग घ सपछले…………………………..िषच (या माि) िे िागीदारी के सलसित अिुच्छे दों के अिीि
[या सिलेि के अिीि या मौसिक करार के अिीि] इकट्ठे कारबार करते रिे िैं ।
2. ऐिे िागीदारों के रूप में िादी और प्रसतिादी के बीर् ऐिे कई सििाद और मतिेद व्युत्पन्ि हुए िैं सजिके कारर् िागीदारी
का कारबार िागीदारों के फायदाप्रद रूप में र्लािा अिम्िि िो गया िै । [या प्रसतिादी िे िागीदारी के अिुच्छेदों के सिम्िसलसित िंग
क्रकए िैं—
(1)
(2)
(3) ।]
[जैिा प्ररूप िंखयांक 1 के पैरा 4 और 5 में िै ।]
5. िादी दािा करता िै क्रक—
(1) िागीदारी का सिघटि क्रकया जाए;
(2) लेिा सलया जाए;
(3) टरिीिर सियुक्त क्रकया जाए ।
[कृ पया ध्याि दें—क्रकिी िी िागीदारी के पटरिमापि के िादों में, सिघटि के सलए दािा छोड क्रदया जाए, और उिके स्थाि
पर एक पैरा जोड क्रदया जाए, सजिमें िागीदारी का सिघटि कर क्रदए जािे के तथ्य कसथत िों ।]
218

(4) सलसित कथि

िािारर् प्रसतरिाएं
इं कार—प्रसतिादी इि बात िे इन्कार करता िै क्रक (तथ्य सलसिए) ।
प्रसतिादी यि स्िीकार ििीं करता िै क्रक (तथ्य सलसिए) ।
प्रसतिादी स्िीकार करता िै क्रक………………...……………..क्रकन्तु उिका कििा िै क्रक.........................................।
प्रसतिादी इि बात िे इन्कार करता िै क्रक िि……………………………िाली प्रसतिादी की फमच में िागीदार िै ।
अभ्यापसत्त—प्रसतिादी इि बात िे इन्कार करता िै क्रक उििे िादी िे असिकसथत िंसिदा या कोई िंसिदा की ।
प्रसतिादी इि बात िे इन्कार करता िै क्रक उििे िादी िे असिकसथत रूप में िंसिदा या कोई िी िंसिदा की ।
प्रसतिादी आसस्तयों को स्िीकार करता िै क्रकन्तु िादी के दािे को स्िीकार ििीं करता ।
प्रसतिादी इि बात िे इं कार करता िै क्रक िादी िे िादपत्र में िर्र्चत माल या उिमें िे कोई िी माल प्रसतिादी को बेर्ा ।
पटरिीमा—िाद, इसण्डयि सलसमटेशि ऐक्ट, 1877 (1877 का 15)1 की सद्वतीय अिुिपर्ी के
अिुच्छेद………………………या अिुच्छेद……………………………द्वारा िर्जचत िै ।
असिकाटरता—िाद की िुििाई की असिकाटरता न्यायालय को इि आिार पर ििीं िै क्रक (आिार सलसिए) ।
असिकसथत िाद िेतुक के उन्मोर्ि में ता०…………………………..को प्रसतिादी िे एक िीरे की अंगपठी िादी को पटरदत्त
की थी और िादी िे उिे प्रसतगृिीत क्रकया था ।
क्रदिाला—प्रसतिादी क्रदिासलया न्यायसिर्ीत कर क्रदया गया िै ।
िादी िाद के िंसस्थत क्रकए जािे िे पिले क्रदिासलया न्यायसिर्ीत कर क्रदया गया था और िाद करिे का असिकार टरिीिर में
सिसित िो गया था ।
अियस्कता—प्रसतिादी असिकसथत िंसिदा की जािे के िमय अियस्क था ।
न्यायालय में जमा करिा—प्रसतिादी िे पपरे दािे की रकम (या, यथासस्थसत, दािाकृ त िि के
िागरूप……………………रुपए) की बाबत न्यायालय में…………………रुपए जमा कर क्रदए िैं और उिका कििा िै क्रक यि
रासश िादी के दािे की [या उपयुचक्त िाग की] तुसष्ट के सलए पयाचप्त िै ।
पालि का पटरिार—असिकसथत िर्ि के पालि का पटरिार (तारीि)…………………………….को कर क्रदया था ।
सििण्डि—िंसिदा िादी और प्रसतिादी के बीर् हुए करार द्वारा सििसण्डत कर दी गई थी ।
पपि-च न्याय—िादी का दािा (यिां सिदेश दीसजए) िाद की सडिी द्वारा िर्जचत िै ।
सिबन्ि—िादी (यिां िि कथि सलसिए सजिके बारे में सिबन्ि का दािा िै) की ित्यता िे इन्कार करिे िे इिसलए सिबद्ध िै
क्रक (यिां िे तथ्य सलसिए सजि पर सििचर इिसलए क्रकया गया िै क्रक उििे सिबन्ि का िृजि िोता िै) ।
िाद के िंसस्थत क्रकए जािे का पश्र्ात्िती प्रसतरिा का आिार—िाद के िंसस्थत क्रकए जािे के पश्र्ात,
अथाचत……………….को (यिां तथ्य सलसिए) ।

िंखयांक 1
सििय क्रकए गए और पटरदत्त माल के सलए िादों में प्रसतरिा
1. प्रसतिादी िे माल के सलए आदेश ििीं क्रदया था ।
2. माल का पटरदाि प्रसतिादी को ििीं क्रकया गया था ।
3. कीमत………………………रुपए ििीं थी ।
[या]
4. 1.
5. ...…………………रुपए के बारे के सििाय ििी प्रसतरिा िै जो 2. में िै ।
6. 3.

1
अब पटरिीमा असिसियम, 1963 (1963 का 36) देसिए ।
219

7. प्रसतिादी [या प्रसतिादी के असिकताच कि] िे दािे की तुसष्ट िाद के पपिच िादी [या िादी के असिकताच ग घ] को
ता०…………………को िंदाय करके कर दी थी ।
8. प्रसतिादी िे दािे की तुसष्ट िाद के पश्र्ात िादी को ता०................................को िंदाय करके कर दी थी ।

िंखयांक 2
बन्िपत्रों पर िादों में प्रसतरिा
1. बन्िपत्र प्रसतिादी का बन्िपत्र ििीं िै ।
2. प्रसतिादी िे बन्िपत्र की शतों के अिुिार सियत क्रदि पर िादी को िंदाय कर क्रदया था ।
3. प्रसतिादी िे बन्िपत्र में िर्र्चत मपलिि और ब्याज का िंदाय िादी को िासमत क्रदि के पश्र्ात और िाद के पपिच कर
क्रदया था ।

िंखयांक 3
प्रत्यािपसतयों पर िादों में प्रसतरिा
1. मपल ऋर्ी िे दािे की तुसष्ट िाद के पपिच िंदाय करके कर दी थी ।
2. िादी िे मपल ऋर्ी को एक आबद्धकर करार के अिुिरर् में िमय क्रदया था और उििे प्रसतिादी सिमुक्
च त िो गया था ।

िंखयांक 4
ऋर् के क्रकिी िी िाद में प्रसतरिा
1. दािा क्रकए गए िि के 200 रुपए की बाबत प्रसतिादी उि माल के सलए जो उििे िादी को बेर्ा और पटरदत्त क्रकया िै ,
मुजराई का िकदार िै—
सिसशसष्टयां सिम्िसलसित िैं :
रुपए
25 जििरी, 1907…………………………………………………………. 150
1 फरिरी, 1907………………………………………………………….… 50
जोड 200
2. पपरी रकम की [या दािा क्रकए गए िि के िागरूप........................................रुपए की] बाबत प्रसतिादी िे िाद के
पपि…
च ….……..रुपए सिसिदत्त क्रकए और उन्िें न्यायालय में जमा कर क्रदया िै ।

िंखयांक 5
उपेिापपिक
च गाडी र्लािे िे हुई िसतयों के सलए िादों में प्रसतरिा
1. प्रसतिादी इि बात िे इन्कार करता िै क्रक िादपत्र में िर्र्चत गाडी प्रसतिादी की गाडी थी और िि प्रसतिादी के िेिकों के
िारिािि या सियंत्रर् में थी । गाडी……………………….गली, कलकत्ता के ……………………………की थी, जो िाडे पर
घोडा देिे के सलए अस्तबल र्लाते िैं तथा सजन्िें प्रसतिादी को गासडयों और घोडों का प्रदाय करिे के सलए प्रसतिादी िे सियोसजत क्रकया
िै और िि व्यसक्त सजिके िारिािि और सियंत्रर् में उक्त गाडी थी उक्त………………………का िेिक था ।
2. प्रसतिादी यि स्िीकार ििीं करता िै क्रक उक्त गाडी समसडलटि स्िीट िे या तो उपेिापपिचक, िििा या र्ेताििी क्रदए सबिा
या तेज या ितरिाक गसत िे मोडी गई ।
3. प्रसतिादी का कििा िै क्रक युसक्तयुक्त िाििािी और तत्परता बरत कर िादी उक्त गाडी को अपिी ओर आते हुए देि
िकता था और उििे टक्कर बर्ा िकता था ।
4. प्रसतिादी िादपत्र के पैरा 3 में अंतर्िचष्ट कथिों को स्िीकार ििीं करता ।

िंखयांक 6
दोषों के सलए ििी िादों में प्रसतरिा
1. सिसिन्ि कायों [या बातों] का सजिके िंबंि में पटरिाद क्रकया गया िै, प्रत्याखयाि ।
220

िंखयांक 7
माल के सिरोि के िादों में प्रसतरिा
1. माल िादी की िंपसत्त ििीं थी ।
2. माल उि िारर्ासिकार िे सिरुद्ध क्रकया गया था सजिका प्रसतिादी िकदार था । सिसशसष्टयां सिम्िसलसित िैं—
3 मई, 1907—क्रदल्ली िे कलकत्ता को दािाकृ त माल के ििि की बाबत—
2 रुपए प्रसत मि की दर िे 45 मि की बाबत……………………… 90 रुपए ।

िंखयांक 8
प्रसतसलप्यसिकार के असतलंघि के िादों में प्रसतरिा
1. िादी लेिक [िमिुदसे शती, इत्याक्रद] ििीं िै ।
2. पुस्तक रसजस्िीकृ त ििीं थी ।
3. प्रसतिादी िे असतलंघि ििीं क्रकया ।

िंखयांक 9
व्यापार-सर्हि के असतलंघि के िादों में प्रसतरिा
1. व्यापार-सर्हि िादी का ििीं िै ।
2. असिकसथत व्यापार-सर्हि व्यापार-सर्हि ििीं िै ।
3. प्रसतिादी िे असतलंघि ििीं क्रकया ।

िंखयांक 10
न्यपिि
ें िंबि
ं ी िादों में प्रसतरिा
1. िादी के प्रकाश मागच प्रार्ीि ििीं िैं [या उिके अन्य असिकसथत सर्रिोगासिकारों का प्रत्याखयाि कीसजए ।]
2. िादी के प्रकाश में प्रसतिादी के सिमाचर्ों िे तवित: बािा ििीं पहुंर्ेगी ।
3. प्रसतिादी इि बात का प्रत्याखयाि करता िै क्रक िि या उिके िेिक जल को प्रदपसषत करते िैं [या िि करते िैं सजिका
पटरिाद क्रकया गया िै ।]
[यक्रद प्रसतिादी दािा करता िै क्रक सजि बात का पटरिाद क्रकया गया िै िि करिे का असिकार उिे सर्रिोग द्वारा या अन्यथा
प्राप्त िै तो उिे ऐिा कििा र्ासिए और अपिे दािे के आिारों का कथि करिा र्ासिए अथाचत यि कथि करिा र्ासिए क्रक िे असिकार
सर्रिोग या अिुदाि द्वारा िैं या क्रकि आिार पर िैं ।]
4. िादी असतसिलम्ब का दोषी रिा िै सजिकी सिसशसष्टयां सिम्िसलसित िैं—
1870 में िादी की समल िे काम शुरू क्रकया ।
1871 में िादी का कब्जा हुआ ।
1883 में पिला पटरिाद क्रकया गया ।
5. िुकिािी के सलए िादी के दािे की बाबत प्रसतिादी प्रसतरिा के उक्त आिारों पर सििचर करे गा और उिका यि कििा िै
क्रक पटरिाक्रदत कायों िे िादी को कोई िुकिाि ििीं हुआ िै । [यक्रद अन्य आिारों पर सििचर क्रकया जाता िै तो उिका, जैिे िपतकासलक
िुकिाि के बारे में पटरिीमा, इत्याक्रद, का कथि करिा र्ासिए ।]

िंखयांक 11
पुरोबन्ि के िाद में प्रसतरिा
1. प्रसतिादी िे बन्िक सिष्पाक्रदत ििीं क्रकया था ।
2. बन्िक िादी को अन्तटरत ििीं क्रकया गया था [यक्रद एक िे असिक अन्तरर्ों का असिकथि क्रकया गया िै तो यि बताइए
क्रक क्रकि अन्तरर् का प्रत्याखयाि क्रकया जाता िै] ।
221

3. िाद इसण्डयि सलसमटेशि ऐक्ट, 18771 (1877 का 15) की सद्वतीय अिुिपर्ी के अिुच्छे द………………………….द्वारा
िर्जचत िै ।
4. सिम्िसलसित िंदाए क्रकए गए िैं, अथाचत :—
रुपए
[यिां तारीि सलसिए]………………………………………………………………. 1,000
[यिां तारीि सलसिए]…………………………………………………………….… 500
5. िादी िे ता०……………………को कब्जा सलया था और िि तब िे बराबर िाटक प्राप्त करता रिा िै ।
6. िादी िे ता०……………………को ऋर् का सिमोर्ि कर क्रदया था ।
7. प्रसतिादी िे अपिा िब सित ता०………………………..की दस्तािेज द्वारा क ि को अन्तटरत कर क्रदया था ।

िंखयांक 12
मोर्ि के िाद में प्रसतरिा
1. िादी का मोर्ि असिकार इसण्डयि सलसमटेशि ऐक्ट, 1877 (1877 का 15)1 की सद्वतीय अिुिपर्ी के
अिुच्छेद……………………………द्वारा िर्जचत िै ।
2. िादी िे िम्पसत्त में अपिा िब सित क ि को अन्तटरत कर क्रदया ।
3. प्रसतिादी िे ता०………………………..की दस्तािेज द्वारा बन्िक ऋर् में तथा बन्िक में िमासिष्ट िम्पसत्त में अपिा
िब सित क ि को अन्तटरत कर क्रदया था ।
4. प्रसतिादी िे बन्िक िम्पसत्त का कब्जा किी ििीं सलया था और ि उिका िाटक प्राप्त क्रकया िै ।
[यक्रद प्रसतिादी के िल कु छ िमय के सलए कब्जा स्िीकार करता िै तो उिे उि िमय का उल्लेि करिा र्ासिए और जो कु छ
िि स्िीकार करता िै उिके परे के कब्जे का प्रत्याखयाि करिा र्ासिए ।]

िंखयांक 13
सिसिर्दचष्ट पालि के िाद में प्रसतरिा
1. प्रसतिादी िे करार ििीं क्रकया था ।
2. क ि प्रसतिादी का असिकताच ििीं था [यक्रद ऐिा असिकथि िादी द्वारा क्रकया गया िो ।]
3. िादी िे सिम्िसलसित शतों का पालि ििीं क्रकया—[शतें]
4. प्रसतिादी िे [िासगक पालि के असिकसथत कायच] ििीं क्रकए ।
5. उि िम्पसत्त में, सजिके बेर्िे का करार हुआ था, िादी का िक ऐिा ििीं िै क्रक सिम्िसलसित बातों के कारर् प्रसतिादी उिे
स्िीकार करिे के सलए आबद्ध िो [कारर् सलसिए ।]
6. करार सिम्िसलसित बातों के बारे में असिसश्र्त िै—[िे बातें सलसिए ।]
7. [या] िादी सिलम्ब का दोषी रिा िै ।
8. [या] िादी कपट या [दुव्यचपदेशि] का दोषी रिा िै ।
9. [या] करार अिुसर्त िै ।
10. [या] करार िपल िे क्रकया गया था ।
11. (7), (8), (9), (10) [या जैिी सस्थसत िो] उिकी सिसशसष्टयां सिम्िसलसित िैं ।
12. करार का सििण्डि सििय की शतच िंखयांक 11 के अिीि [या परस्पर करार द्वारा] कर क्रदया गया था ।
[उि मामलों में, सजिमें िुकिािी का दािा क्रकया गया िै और प्रसतिादी िुकिािी की बाबत अपिे दासयत्ि के बारे में सििाद
करता िै उिे करार का या असिकसथत िंगों का प्रत्याखयाि करिा र्ासिए, या प्रसतरिा के सजि दपिरे आिार पर सििचर करिे का िि
आशा रिता िै उिे दर्शचत करिा र्ासिए, उदािरर्ाथच िारतीय पटरिीमा असिसियम1 ििमसत और तुसष्ट, सिमोर्ि, कपट, इत्याक्रद ।]

1
अब पटरिीमा असिसियम, 1963 (1963 का 36) देसिए ।
222

िंखयांक 14
ििीय ििीयतदार द्वारा लाए गए प्रशािि िाद में प्रसतरिा
1. क ि की सिल में ऋर्-िार अन्तर्िचष्ट था । जब उिकी मृत्यु हुई तब िि क्रदिासलया था । अपिी मृत्यु के िमय िि कु छ
स्थािर िम्पसत्त का िकदार था सजिे प्रसतिादी िे बेर् क्रदया और सजििे…………………………रुपए की शुद्ध रासश का आगम हुआ,
और ििीयतकताच की कु छ जंगम िम्पसत्त थी, सजि पर प्रसतिादी िे कब्जा क्रकया और सजििे………………………रुपए की शुद्ध
रासश का आगम हुआ ।
2. प्रसतिादी िे उक्त िब रासशयों का और……………………….…….रुपए की रासश का जो प्रसतिादी को स्थािर
िम्पसत्त के िाटकों के रूप में प्राप्त हुई, उपयोजि ििीयतकताच की अन्त्येसष्ट और ििीयती व्ययों का और ऋर्ों में िे कु छ का िंदाय
करिे में क्रकया ।
3. प्रसतिादी िे अपिे लेिाओं को पपरा करके उिकी एक प्रसत िादी को ता०……………………….को िेज दी थी और यि
प्रस्थापिा की थी क्रक उि लेिाओं का ित्यापि करिे के सलए िादी िाउर्रों को अबाि रूप िे देि िकता िै क्रकन्तु उििे प्रसतिादी की
प्रस्थापिा का फायदा उठािे िे इं कार कर क्रदया ।
4. प्रसतिादी का यि सििेदि िै क्रक इि िाद के िर्े िादी द्वारा क्रदए जािे र्ासिएं ।

िंखयांक 15
ित्यसिष्ठ प्ररूप में ििीयत का प्रोबेट
1. मृतक की उक्त सिल और िोडपत्र इं सडयि िक्िेशि ऐक्ट, 18651 (1865 का 10) [या सिन्दप सिल्ज ऐक्ट, 18701] (1870 का
21) के उपबन्िों के अिुिार िम्यक रूप िे सिष्पाक्रदत ििीं क्रकए गए थे ।
2. सजि िमय िमश: उक्त सिल और िोडपत्र का सिष्पादि क्रकया जािा तात्पर्यचत िै उि िमय मृतक स्िस्थ सर्त्त, स्मृसत और
बोि का ििीं था ।
3. उक्त सिल और िोडपत्र का सिष्पादि िादी के (और उिके िाथ कायच करिे िाले अन्य लोगों के , सजिके िाम इि िमय
प्रसतिादी को ज्ञात ििीं िैं) अिम्यक अिर िे असिप्राप्त क्रकया गया था ।
4. उक्त सिल और िोडपत्र का सिष्पादि िादी के कपट िे असिप्राप्त क्रकया गया था । जिां तक उि कपट की प्रसतिादी को
इि िमय जािकारी िै िि (कपट की प्रकृ सत सलसिए) ।
5. उक्त सिल और िोडपत्र का सिष्पादि करते िमय मृतक को उिकी अन्तिचस्तु की [या, यथासस्थसत, उक्त सिल के
अिसशष्टीय िण्ड की अन्तिचस्तुओं की] जािकारी ििीं थी और उििे उिका अिुमोदि ििीं क्रकया था ।
6. मृतक िे अपिी ििी असन्तम सिल 1 जििरी, 1873 को की और उििे उििे प्रसतिादी को उिका एकमात्र सिष्पादक
सियुक्त क्रकया था ।
प्रसतिादी दािा करता िै क्रक—
(1) न्यायालय िादी द्वारा प्रसतपाक्रदत सिल और िोडपत्र के सिरुद्ध सिर्चय िुिाए;
(2) न्यायालय मृतक की 1 जििरी, 1873 की सिल के सिसि सिसित ित्यसिष्ठ प्ररूप में प्रोबेट की सडिी दे ।

िंखयांक 16
सिसशसष्टयां (आदेश 6 का सियम 5)
(िाद का शीषचक)
सिसशसष्टयां—ता०……………………..के आदेश के अिुिरर् में पटरदत्त [यिां िे बातें सलसिए सजिके बारे में सिसशसष्टयां
देिे का आदेश क्रदया गया िै] की सिसशसष्टयां सिम्िसलसित िैं—
(यिां आक्रदष्ट सिसशसष्टयों को, यक्रद आिश्यक िो तो पैराओं में सलसिए)

1
अब िारतीय उत्तरासिकार असिसियम, 1925 (1925 का 39) देसिए ।
223

पटरसशष्ट ि
आदेसशका
िंखयांक 1
िाद सिपटारे के सलए िमि (आदेश 5 के सियम 1 और 5)
(शीषचक)
प्रेसषती—
............................
(िाम, िर्चि और सििाि-स्थाि)
........................िे आपके सिरुद्ध…………………..के सलए िाद िंसस्थत क्रकया िै । आपको इि न्यायालय में
तारीि……………….को क्रदि में………………..बजे दािे का उत्तर देिे के सलए उपिंजात (िासजर) िोिे के सलए िमि क्रकया जाता
िै आप न्यायालय में स्ियं या क्रकिी ऐिे प्लीडर द्वारा उपिंजात िो िकते िैं सजिे िम्यक अिुदश
े क्रदए गए िों और जो इि िाद िे
िंबंसित ििी िारिाि प्रश्िों का उत्तर दे िके या सजिके िाथ ऐिा कोई व्यसक्त िो जो ऐिे िब प्रश्िों का उत्तर दे िके । न्यायालय में
आपकी उपिंजासत के सलए जो क्रदि सियत क्रकया गया िै िि इि िाद के अंसतम सिपटारे के सलए सियत क्रदि िै । इिसलए आपको उि
क्रदि अपिे उि िब िासियों को या उि िब दस्तािेजों को पेश करिे के सलए तैयार रििा र्ासिए सजि पर आप अपिी प्रसतरिा के सलए
सििचर रििा र्ािते िैं ।
आपको िपसर्त क्रकया जाता िै क्रक यक्रद आप ऊपर बताई गई तारीि को इि न्यायालय में उपिंजात ििीं िोंगे तो िाद की
िुििाई और उिका सिपटारा आपकी अिुपसस्थसत में क्रकया जाएगा ।
यि आज तारीि…………………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया िै ।
न्यायािीश
कृ पया ध्याि दें—1. यक्रद आपको यि आशंका िै क्रक आपके िािी अपिी मजी िे िासजर ििीं िोंगे तो आप क्रकिी िािी को
िासजर िोिे के सलए सििश करिे के सलए और ऐिी कोई दस्तािेज पेश करािे के सलए, सजिे पेश करिे के सलए िािी िे अपेिा करिे का
आपको असिकार िै, िमि इि न्यायालय िे आिेदि करके और आिश्यक व्ययों की रकम जमा करके ले िकते िैं ।
2. यक्रद आप दािे को स्िीकार करते िैं तो आपको र्ासिए क्रक िाद के िर्े के िाथ उि दािे का िि न्यायालय में जमा कर दें
सजििे क्रक सडिी का सिष्पादि स्ियं आपके या आपकी िम्पसत्त या दोिों के सिरुद्ध ि करिा पडे ।

िंखयांक 2
सििाद्यकों के सस्थरीकरर् के सलए िमि (आदेश 5 के सियम 1 और 5)
(शीषचक)
प्रेसषती—
.........................................................
(िाम, िर्चि और सििाि-स्थाि)
..................................िे आपके सिरुद्ध…………….……………..के सलए िाद िंसस्थत क्रकया िै । आपको इि
न्यायालय में तारीि………..……………….को क्रदि में…..……………….…..बजे दािे का उत्तर देिे के सलए उपिंजात (िासजर)
िोिे के सलए िमि क्रकया जाता िै । आप न्यायालय में स्ियं या क्रकिी ऐिे प्लीडर द्वारा उपिंजात िो िकते िैं सजिे िम्यक अिुदश
े क्रदए
गए िों और जो इि िाद िे िंबंसित ििी िारिाि प्रश्िों का उतर दे िके या सजिके िाथ ऐिा कोई व्यसक्त िो जो ऐिे िब प्रश्िों का
उत्तर दे िके । 1[आपको यि सिदेश िी क्रदया जाता िै क्रक आप उि क्रदि अपिी प्रसतरिा का सलसित कथि दासिल करें और उि क्रदि
ऐिी िब दस्तािेजें जो आपके कब्जे या शसक्त में िैं पेश करें सजि पर आपकी प्रसतरिा या मुजराई का दािा या प्रसतदािा आिाटरत िै ।
और यक्रद आप क्रकिी अन्य दस्तािेज पर, र्ािे िि आपके कब्जे या शसक्त में िो या ि िो, अपिी प्रसतरिा या मुजराई के दािे या
प्रसतदािे के िमथचि में िाक्ष्य के रूप में सििचर करते िैं तो आप ऐिी दस्तािेजों की, सलसित कथि के िाथ उपाबद्ध की जािे िाली िपर्ी
में प्रसिसष्ट करें ] ।
आपको िपसर्त क्रकया जाता िै क्रक यक्रद आप ऊपर बताई गई तारीि को इि न्यायालय में उपिंजात ििीं िोंगे तो िाद की
िुििाई और उिका सिपटारा आपकी अिुपसस्थसत में क्रकया जाएगा ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 94 द्वारा (1-2-1977 िे) कसतपय शब्दों के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
224

यि आज ता०…………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया िै ।


न्यायािीश
कृ पया ध्याि दें—1. यक्रद आपको आशंका िै क्रक आपके िािी अपिी मजी िे िासजर ििीं िोंगे तो आप क्रकिी िािी को िासजर
िोिे के सलए सििश करिे के सलए और ऐिी कोई दस्तािेज पेश करािे के सलए, सजिे पेश करिे के सलए िािी िे अपेिा करिे का आपको
असिकार िै, िमि इि न्यायालय िे आिेदि करके और आिश्यक िर्ों की रकम जमा करके ले िकते िैं ।
2. यक्रद आप दािे को स्िीकार करते िैं तो आपको र्ासिए क्रक िाद के िर्े के िाथ उि दािे का िि न्यायालय में जमा कर दें
सजििे क्रक सडिी का सिष्पादि स्ियं आपके या आपकी िम्पसत्त या दोिों के सिरुद्ध ि करिा पडे ।

िंखयांक 3
स्ियं उपिंजात िोिे के सलए िमि (आदेश 5 का सियम 3)
(शीषचक)
प्रेसषती—
.........................................................
(िाम, िर्चि और सििाि-स्थाि)
.............................िे आपके सिरुद्ध…….……………..के सलए िाद िंसस्थत क्रकया िै । आपको इि न्यायालय में
तारीि………..…………….को क्रदि में…..……………..बजे दािे का उत्तर देिे के सलए उपिंजात िोिे के सलए िमि क्रकया जाता
िै । आपको सिदेश क्रदया जाता िै क्रक आप उि क्रदि उि िब दस्तािेजों को पेश करें सजि पर अपिी प्रसतरिा के सलए सििचर रििा र्ािते
िैं ।
आपको िपसर्त क्रकया जाता िै क्रक यक्रद आप ऊपर बताई गई तारीि को इि न्यायालय में उपिंजात ििीं िोंगे तो िाद की
िुििाई और उिका अििारर् आपकी अिुपसस्थसत में क्रकया जाएगा ।
यि आज तारीि…………………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया िै ।
न्यायािीश
1
[िंखयांक 4
िंसिप्त िाद में िमि
(आदेश 37 का सियम 2)
(शीषचक)
प्रेसषती—
..................................................
(िाम, िर्चि और सििाि-स्थाि)
.............................िे सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 37 के अिीि आपके सिरुद्ध…….……………..रुपयों और
ब्याज के सलए िाद िंसस्थत क्रकया िै । आपको िमि क्रकया जाता िै क्रक आप इि िमि की तामील िोिे की तारीि िे दि क्रदि के िीतर
उपिंजात (िासजर) िों । यक्रद आप ऐिा ििीं करें गे तो दि क्रदि की उक्त अिसि के बीत जािे के पश्र्ात िादी
को……......……………….रुपयों िे अिसिक रासश के सलए और िर्ों की बाबत……………........………रुपयों की रासश के
सलए ऐिे ब्याज िसित, यक्रद कोई िों, जैिा न्यायालय आक्रदष्ट करे , सडिी असिप्राप्त करिे का िक िोगा ।
यक्रद आप उपिंजात िोते िैं तो िादी तत्पश्र्ात आपको सिर्चय के सलए िमि तामील करे गा सजिकी िुििाई के िमय आपको
िाद की प्रसतरिा करिे की इजाजत के सलए न्यायालय िे िमािेदि करिे का िक िोगा ।
यक्रद आप शपथपत्र द्वारा या अन्यथा न्यायालय का यि िमािाि कर देते िैं क्रक िाद की प्रसतरिा गुर्ागुर् के आिार पर की
जा िकती िै या यि युसक्तयुक्त िै क्रक आपको प्रसतरिा करिे के सलए अिुज्ञा दी जािी र्ासिए तो प्रसतरिा करिे की इजाजत दी जा
िके गी ।
यि आज ता०……………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया िै ।
न्यायािीश]

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 94 द्वारा (1-2-1977 िे) प्ररूप 4 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
225

1
[िंखयांक 4क
िंसिप्त िाद में सिर्चय के सलए िमि
(आदेश 37 का सियम 3)
(शीषचक)
…..………………....में………..……………….के न्यायालय में 19.............................का िाद
िंखयांक………………..
िमय िादी
बिाम
किग प्रसतिादी
न्यायालय िादी के शपथपत्र को पढ़िे के उपरांत सिम्िसलसित आदेश करता िै, अथाचत :—
िम्बद्ध ििी पिकार, यथासस्थसत, न्यायालय या न्यायािीश के िमि तारीि……………..…को पपिाचहि
में…..……….…बजे िादी के इि आिेदि की िुििाई के सलए िासजर िों क्रक िि प्रसतिादी के सिरुद्ध (या यक्रद एक या कु छ या कई
प्रसतिादी िों तो उिका या उिके िाम सलिें) ……………………..रुपए के सलए और ब्याज तथा िर्े के सलए इि िाद में सिर्चय
प्राप्त करिे के सलए स्ितंत्र िोगा ।
तारीि……………………….]
न्यायािीश

िंखयांक 5
उि व्यसक्त को िपर्िा सजिके बारे में न्यायालय िमझता िै क्रक उिे िििादी के रूप में जोडा जािा र्ासिए
(आदेश 1 का सियम 10)
(शीषचक)
प्रेसषती—
..................................................
(िाम, िर्चि और सििाि-स्थाि)
.............................िे……………………के सिरुद्ध…………………….के सलए िाद िंसस्थत क्रकया िै और यि
आिश्यक प्रतीत िोता िै क्रक उक्त िाद में आपको िादी के रूप में इिसलए जोडा जाए क्रक न्यायालय उििे जुडेे़ हुए िब प्रश्िों का प्रिािी
तौर पर और पपर्च रूप िे न्यायसिर्चयि कर िके और उन्िें सिपटा िके ।
आपको िपसर्त क्रकया जाता िै क्रक आप ता०……………………को या उिके पपिच इि न्यायालय को बताएं क्रक क्या आप इि
प्रकार जोडे जािे के सलए ििमत िैं ।
यि आज ता०…………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई िै ।
न्यायािीश

िंखयांक 6
मृतक प्रसतिादी के सिसिक प्रसतसिसि को िमि
(आदेश 22 का सियम 4)
(शीषचक)
प्रेसषती—
.....................................................................................

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 94 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
226

……………………………….िादी िे इि न्यायालय में


ता०……………………को………………………प्रसतिादी के सिरुद्ध िाद िंसस्थत क्रकया था । प्रसतिादी की अब मृत्यु िो र्ुकी िै
और उक्त िादी िे यि असिकथि करते हुए इि न्यायालय में आिेदि क्रकया िै क्रक आप उक्त…………………..मृतक के सिसिक
प्रसतसिसि िैं और यि इच्छा प्रकट की िै क्रक आपको उिके बदले में प्रसतिादी बिाया जाए ।
आपको िमि क्रकया जाता िै क्रक आप उक्त िाद में प्रसतरिा करिे के सलए ता०……………………को……………….बजे
पपिाचहि इि न्यायालय में िासजर िों और यक्रद आप ऊपर बताई गई तारीि को उपिंजात ििीं िोंगे तो िाद की िुििाई और उिका
अििारर् आपकी अिुपसस्थसत में क्रकया जाएगा ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 7
अन्य न्यायालय की असिकाटरता में तामील क्रकए जािे के सलए िमि के पारे षर् का आदेश
(आदेश 5 का सियम 21)
(शीषचक)
यि कथि क्रकया गया िै क्रक…………………….जो क्रक उक्त िाद में प्रसतिादी/िािी िै, आजकल…………………में
सििाि कर रिा िै । यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक ता०………………………...को लौटाया जािे िाला िमि और इि कायचिािी की
दपिरी प्रसत…………………..के …………………न्यायालय को उक्त प्रसतिादी/िािी पर तामील क्रकए जािे के सलए िेज दी जाए ।
िमि की बाबत प्रिायच…………………………की न्यायालय फीि स्टाम्पों के रूप में इि न्यायालय में ििपल कर ली गई
िै । ता०………………….19…………………..
न्यायािीश

िंखयांक 8
कै दी पर तामील क्रकए जािे के सलए िमि के पारे षर् का आदेश
(आदेश 5 का सियम 25)
(शीषचक)
प्रेसषती—
……………………की जेल का अिीिक ।
सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 5 के सियम 24 के उपबन्िों के अिीि दो प्रसतयों में
िमि………………………….……प्रसतिादी पर जो…………..……………….जेल में कै दी िै तामील के सलए िेजा जा रिा िै
। आपिे अिुरोि िै क्रक उक्त िमि की एक प्रसत की तामील उक्त प्रसतिादी पर करा दें और उक्त प्रसतिादी द्वारा िस्तािटरत मपल प्रसत,
आप उि पर तामील का कथि स्ियं पृष्ठांक्रकत करके , इि न्यायालय को लौटा दें ।
न्यायािीश

िंखयांक 9
लोक िेिक या िैसिक पर तामील क्रकए जािे के सलए िमि के पारे षर् का आदेश
(आदेश 5 के सियम 27 और 28)
(शीषचक)
प्रेसषती—
………………………………………..
सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 5 के सियम 27 [या यथासस्थसत सियम 28] के उपबन्िों के अिीि दो प्रसतयों में
िमि………………………प्रसतिादी पर, सजिके बारे में यि कथि क्रकया गया िै क्रक िि आपके अिीि िेिा कर रिा िै, तामील के
सलए इिके िाथ िेजा जा रिा िै । आपिे अिुरोि िै क्रक उक्त िमि की एक प्रसत की तामील उक्त प्रसतिादी पर करा दें और उक्त
प्रसतिादी द्वारा िस्तािटरत मपल प्रसत, आप उि पर तामील का कथि स्ियं पृष्ठांक्रकत करके , इि न्यायालय को लौटा दें ।
न्यायािीश
227

िंखयांक 10
दपिरे न्यायालय के िमि को लौटािे का प्ररूप
(आदेश 5 का सियम 23)
(शीषचक)
…………………..न्यायालय की उि कायचिासियों को पक्रढ़ए सजिके द्वारा उि न्यायालय के ……………………िंखयांक
िाले िाद में………………………पर तामील के सलए…………………….िेज गया िै ।
तामील करिे िाले असिकारी के उि पृष्ठांकि को पक्रढ़ए सजिमें किा गया िै क्रक………………………...और उक्त का
िबपत……………………और…………………..की शपथ पर मेरे द्वारा िम्यक रूप िे ले सलए जािे पर यि आदेश क्रदया जाता िै
क्रक……………………….इि कायचिािी की एक प्रसत के िाथ…………………को लौटा क्रदया जाए ।
न्यायािीश
कृ पया ध्याि दें—यि प्ररूप िमि िे सिन्ि ऐिी आदेसशका को िी लागप िोगा सजिकी तामील उिी प्रकार िे की जािी िो ।

िंखयांक 11
आदेसशका-तामीलकताच का शपथपत्र जो िमि या िपर्िा की सििरर्ी के िाथ िेजा जाएगा
(आदेश 5 का सियम 18)
(शीषचक)
…………………….के पुत्र…………………….का शपथपत्र ।
शपथ लेता हूं
मैं....................................... और यि कथि करता हूं क्रक :—
प्रसतज्ञाि करता हूं

(1) मैं इि न्यायालय का एक आदेसशका-तामीलकताच हूं ।


(2)…………………..के न्यायालय द्वारा उक्त न्यायालय के 19….……………….…के …………………………...…
………………………………………………………………………………………………………..…..िंखयांक िाले िाद
सिकाला गया
में ता०………………………………………………………………………………………………
सिकाली गई

का िमि
………………………………………………………………………………………………पर तामील के
की िपर्िा
के सलए मुझे ता०……………………………………………………………………को प्राप्त हुआ था ।
हुई थी ।

(3) उक्त…………………………………………………को मैं उि िमय िैयसक्तक रूप िे जािता था और मैंिे उक्त


िमि
की तामील उि पर तारीि……………………..…………………………को लगिग………...…....…………….बजे
िपर्िा
पपिाचहि में उिकी प्रसत उिको सिसित्त करके और मपल िमि पर उिके िस्तािर की अपेिा करके की थी ।
अपराहि िपर्िा
(क)
(ि)
(क) यिां यि सलसिए क्रक क्या उि व्यसक्त िे, सजि पर तामील की गई आदेसशका पर िस्तािर क्रकया था या िस्तािर करिे िे
इन्कार क्रकया था और उििे क्रकिकी उपसस्थसत में ऐिा क्रकया था ।
(ि) आदेसशका-तामीलकताच के िस्तािर ।
अथिा
228

(3) उक्त………………………..को मैं िैयसक्तक रूप िे ििीं जािता था, इिसलए…………………………………मेरे


िाथ……………………………………….को गया और उििे मुझे एक व्यसक्त क्रदिलाया सजिके बारे में उििे बताया क्रक िि

उक्त....................................िै और मैंिे उक्त िमि की तामील पर तारीि……………….को लगिग….………. बजे


िपर्िा
पपिाचहि में उिकी एक प्रसत उिको सिसिदत्त करके और मपल पर िमि उिके िस्तािर की अपेिा करके की थी ।
अपराहि िपर्िा
(क)
(ि)
(क) यिां यि सलसिए क्रक क्या उि व्यसक्त िे, सजि पर तामील की गई आदेसशका पर िस्तािर क्रकया था या िस्तािर करिे िे
इन्कार क्रकया था और उििे क्रकिकी उपसस्थसत में ऐिा क्रकया था ।
(ि) आदेसशका-तामीलकताच के िस्तािर ।
अथिा
(3) उक्त……………………….को और उि गृि को, सजिमें िि मामपली तौर पर सििाि करता िै, मैं िैयसक्तक रूप िे
पपिाचहि
जािता हूं और……………..में मैं उक्त गृि गया और ििां तारीि……………………को लगिग बजे में मैंिे उक्त
अपराहि
…………………………….को ििीं पाया
(क)
(ि)
(क) आदेसशका की तामील सजि रीसत िे की गई उिे आदेश 5 के सियम 15 और 17 के प्रसत सिशेष सिदेश िे पपरी तरि िे और
यथाित सलसिए ।
(ि) आदेसशका-तामीलकताच के िस्तािर ।
अथिा
(3) एक व्यसक्त……………….………………..……मेरे िाथ………..………….………………..तक गया और मुझे
ििां……………………..……क्रदिलाया, सजिके बारे में उििे किा क्रक िि ििी गृि िै, सजिमें…………………..मामपली तौर पर
सििाि करता िै । मैंिे उक्त…….................को ििां ििीं पाया ।
(क)
(ि)
(क) आदेसशका की तामील सजि रीसत िे की गई उिे आदेश 5 के सियम 15 और 17 के प्रसत सिशेष सिदेश िे पपरी तरि िे और
यथाित सलसिए ।
(ि) आदेसशका-तामीलकताच के िस्तािर ।
अथिा
यक्रद प्रसतस्थासपत तामील के सलए आदेश क्रदया गया िै तो सजि रीसत िे िमि की तामील की गई थी उिे प्रसतस्थासपत तामील
के सलए आदेश के सिबन्ििों के प्रसत सिशेष सिदेश िे पपरी तरि िे और यथाित सलसिए ।
आज तारीि………………………………………..को उक्त…………………………………………………िे मेरे

शपथ ली ।
िमि ।
प्रसतज्ञाि क्रकया
असििासियों को शपथ क्रदलािे के सलए
सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की िारा 139 के अिीि िशक्त ।
229

िंखयांक 12
प्रसतिादी को िपर्िा (आदेश 9 का सियम 6)
(शीषचक)
प्रेसषती—
…………………………………………………………………………..
(िाम, िर्चि और सििाि-स्थाि)
उक्त िाद की िुििाई के सलए आज का क्रदि सियत क्रकया गया था और आपके िाम िमि सिकाला गया था । िादी इि
न्यायालय में उपिंजात हुआ िै और आप उपिंजात ििीं हुए िैं । िासजर की सििरर्ी िे न्यायालय को िमािािप्रद रूप में यि िासबत
िो गया िै क्रक उक्त िमि की तामील आप पर हुई थी क्रकन्तु िि तामील इतिे पयाचप्त िमय में ििीं हुई क्रक आप उक्त िमि में सियत
क्रदि उपिंजात िोकर उत्तर दे िकें ।
आपको िपसर्त क्रकया जाता िै क्रक िाद की िुििाई आज स्थसगत कर दी गई िै और उिकी िुििाई के सलए अब
तारीि…………………………सियत की गई िै । यक्रद आप उक्त तारीि को उपिंजात ििीं िोंगे तो िाद की िुििाई और उिका
सिपटारा आपकी अिुपसस्थसत में क्रकया जाएगा ।
यि आज तारीि…………………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगा कर दी गई िै ।

न्यायािीश
िंखयांक 13
िािी को िमि (आदेश 16 के सियम 1 और 5)
(शीषचक)
प्रेसषती—
......................................................................................
उक्त िाद में………………………..की ओर िे आपकी िासजरी……………………..के सलए अपेसित िै । आपिे अपेिा
की जाती िै क्रक आप तारीि……………………को…………………………बजे पपिाचहि इि न्यायालय के िमि [स्ियं] उपिंजात
िों और अपिे िाथ…………………………लाएं (या इि…………………………न्यायालय को िेजें) ।
आपकी यात्रा और अन्य िर्ों के और एक क्रदि के सििाचि ित्ते के रूप में………………………..रुपए की रासश इिके िाथ
िेजी जाती िै । यक्रद आप इि आदेश का अिुपालि करिे में सिसिपपर्च प्रसतिेतु के सबिा अिफल रिेंगे तो आपको गैर -िासजरी के िे
पटरर्ाम िोगिे िोंगे जो सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 16 के सियम 12 में असिकसथत िैं ।
यि आज तारीि……………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।

न्यायािीश
िपर्िा—(1) यक्रद अपको के िल दस्तािेज पेश करिे के सलए, ि क्रक िाक्ष्य देिे के सलए िमि क्रकया गया िै और आप िि
दस्तािेज पपिोक्त क्रदि और िमय इि न्यायालय में पेश करिा देते िैं तो यि िमझा जाएगा क्रक आपिे िमि का अिुपालि कर क्रदया िै ।
(2) यक्रद आपको पपिोक्त क्रदि के पश्र्ात िी रोक सलया जाता िै तो सिसिर्दचष्ट क्रदि के पश्र्ात की प्रसतक्रदि की िासजरी के
सलए आपको……………………………रुपए की रासश सिसिदत्त की जाएगी ।

िंखयांक 14
िािी िे िासजर िोिे की अपेिा करिे िाली उदघोषर्ा (आदेश 16 का सियम 10)
(शीषचक)
प्रेसषती—
......................................................................................
230

तामील करिे िाले असिकारी की शपथ पर परीिा करिे िे यि प्रतीत िोता िै क्रक िािी पर िमि की तामील सिसि द्वारा
सिसित प्रकार िे ििीं की जा िकी । यि िी प्रतीत िोता िै क्रक उि िािी का िाक्ष्य तासविक िै और िि िमि की तामील िे बर्िे के
प्रयोजि िे फरार िो गया िै और िामिे आिे िे बर्ता िै । अत: यि उदघोषर्ा सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 16 के सियम
10 के अिीि सिकाली जाती िै और िािी िे अपेिा की जाती िै क्रक िि ता०………………………को……………………….बजे
पपिाचहि में, और जब तक उिे प्रस्थाि करिे की इजाजत ि दे दी जाए तब तक क्रदि प्रसतक्रदि, इि न्यायालय में िासजर िो । यक्रद िि
िािी पपिोक्त क्रदि और िमय पर िासजर िोिे में अिफल रिता िै तो उिके िाथ सिसि के अिुिार बरता जाएगा ।
यि आज ता०……………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।

न्यायािीश
िंखयांक 15
िािी िे िासजर िोिे की अपेिा करिे िाली उदघोषर्ा (आदेश 16 का सियम 10)
(शीषचक)
प्रेसषती—
......................................................................................
तामील करिे िाले असिकारी की शपथ पर परीिा करिे िे यि प्रतीत िोता िै क्रक िािी पर िमि की तामील िम्यक रूप िे
िो र्ुकी िै । यि िी प्रतीत िोता िै क्रक उि िािी का िाक्ष्य तासविक िै और िि उि िमि के अिुपालि में िासजर िोिे में अिफल रिा
िै । अत: यि उदघोषर्ा सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 16 के सियम 10 के अिीि सिकाली जाती िै और िािी िे अपेिा की
जाती िै क्रक िि ता०………………..को……………….बजे पपिाचहि में, और जब तक उिे प्रस्थाि करिे की इजाजत ि दे दी जाए
तब तक क्रदि प्रसतक्रदि, इि न्यायालय में िासजर िो । यक्रद िि िािी उक्त क्रदि और िमय पर िासजर िोिे में अिफल रिता िै तो उिके
िाथ सिसि के अिुिार बरता जाएगा ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।

न्यायािीश
िंखयांक 16
िािी की िंपसत्त की कु की का िारं ट (आदेश 16 का सियम 10)
(शीषचक)
प्रेसषती—
न्यायालय का बेसलफ ।
………………द्वारा िासमत िािी……………………उिकी िासजरी के सलए सिकाली गई उदघोषर्ा में सिसिर्दचष्ट
अिसि के बीतिे के पश्र्ात इि न्यायालय में उपिंजात ििीं हुआ िै अत: आपको सिदेश क्रदया जाता िै क्रक आप उक्त िािी
की……………….तक मपल्य की…………………….िम्पसत्त कु कच करके रिें और उिकी तासलका के िसित
सििरर्ी…………………….क्रदि के िीतर िेज दें ।
यि आज ता०…………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।

न्यायािीश
िंखयांक 17
िािी की सगरफ्तारी का िारंट (आदेश 16 का सियम 10)
(शीषचक)
प्रेसषती—
न्यायालय का बेसलफ ।
231

……………………पर िमि की िम्यक रूप िे तामील िो र्ुकी िै, क्रकन्तु िि िासजर िोिे में अिफल रिा िै । (िमि की
तामील िे बर्िे के प्रयोजि िे फरार िो गया िै और िामिे आिे िे बर्ता िै) अत: आपको आदेश क्रदया जाता िै क्रक आप
उक्त……………………को सगरफ्तार करके न्यायालय के िमि लाए ।
आपको यि िी आदेश क्रदया जाता िै क्रक आप इि िारण्ट को िि क्रदि सजिको, और िि रीसत, सजििे इिका सिष्पादि क्रकया
गया िै या िि कारर् सजििे यि सिष्पाक्रदत ििीं क्रकया गया िै, प्रमासर्त करिे िाले पृष्ठांकि के िसित
ता०……………………….को या उिके पपिच लौटा दें ।
यि आज ता०…………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।

न्यायािीश
िंखयांक 18
िुपुदग
च ी का िारण्ट (आदेश 16 का सियम 16)
(शीषचक)
प्रेसषती—
……………………(स्थाि) की जेल का िारिािक असिकारी ।
िादी (या प्रसतिादी) िे ऊपरिासमत िाद में इि न्यायालय िे आिेदि क्रकया िै क्रक ता०………………………को िाक्ष्य देिे
के सलए (या दस्तािेज पेश करिे के सलए)………………………….की उपिंजासत के सलए प्रसतिपसत ली जाए और न्यायालय िे
उक्त…………………..िे ऐिे प्रसतिपसत देिे की अपेिा की िै, और िि ऐिा करिे में अिफल रिा िै; अत: आप िे अपेिा की जाती िै
क्रक आप उक्त………………………….को सिसिल कारागार में अपिी असिरिा में ले लें और उिे इि न्यायालय के िमि उक्त
क्रदि…………………….बजे या ऐिे अन्य क्रदि या क्रदिों को सजिका या सजिका बाद में आदेश क्रदया जाए पेश करे ।
यि आज ता०………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।

न्यायािीश
िंखयांक 19
िुपुदग
च ी का िारण्ट (आदेश 16 का सियम 18)
(शीषचक)
प्रेसषती—
……………………(स्थाि) की जेल का िारिािक असिकारी ।
…………………….को, सजिकी िासजरी इि न्यायालय में ऊपर सलिे हुए िाद में िाक्ष्य देिे के सलए (या दस्तािेज पेश
करिे के सलए) अपेसित िै, सगरफ्तार कर सलया गया िै और इि न्यायालय के िमि असिरिा में लाया गया िै, और िादी (या
प्रसतिादी) की अिुपसस्थसत के कारर् उक्त…………………..ऐिा िाक्ष्य ििीं दे िकता (या ऐिे दस्तािेज पेश ििीं कर िकता), और
न्यायालय िे उक्त……………………..िे ता०……………………को………………….बजे उिकी उपिंजासत के सलए प्रसतिपसत
देिे की अपेिा की थी, सजिे देिे में िि अिफल रिा िै । अत: आप िे यि अपेिा की जाती िै क्रक आप उक्त……………………….को
सिसिल कारागार में अपिी असिरिा में ले लें और ता०…………………….को……………………..बजे उिे इि न्यायालय के
िमि पेश करें ।
यि आज ता०………………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।

न्यायािीश
पटरसशष्ट ग
प्रकटीकरर्, सिरीिर् और स्िीकृ सत
िंखयांक 1
पटरप्रश्िों के पटरदाि के सलए आदेश (आदेश 11 का सियम 1)
……………………के न्यायालय में
232

19…………………….का सिसिल िाद िंखयांक……………………..


क ि…………………………………………………………………………………………..िादी,
बिाम
ग घ र् और ज ……………………………………………………………………………………………प्रसतिादी
……………………….को िुििे और…………………के उि शपथपत्र को, जो ता०……………को फाइल क्रकया गया
था, पढ़िे के पश्र्ात यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक………………………सलसित पटरप्रश्ि……………………….को पटरदत्त करिे
के सलए स्ितन्त्र िै और उक्त…………………………पटरप्रश्ि के उत्तर उि रीसत में दे जो आदेश 11 के सियम 8 में सिसित िै और
इि आिेदि के िर्े…………………………….िोंगे ।

िंखयांक 2
पटरप्रश्ि (आदेश 11 का सियम 4)
(शीषचक, जैिा पपिचिती िंखयांक 1 में िै)
उक्त (िादी या प्रसतिादी ग घ) की ओर िे उक्त (प्रसतिादी र् छ और ज झ या िादी) की परीिा करिे के सलए पटरप्रश्ि ।
1. क्या उििे इत्याक्रद, इत्याक्रद ििीं क्रकया ।
2. क्या……………………इत्याक्रद, इत्याक्रद ििीं िै ।
…………………………इत्याक्रद………………………इत्याक्रद…………………….इत्याक्रद ।
[प्रसतिादी र् छ िे अपेिा की जाती िै क्रक िि…………………………िंखयांक िाले पटरप्रश्िों का उत्तर दे ।]
[प्रसतिादी ज झ िे अपेिा की जाती िै क्रक िि…………………………िंखयांक िाले पटरप्रश्िों का उत्तर दे ।]

िंखयांक 3
पटरप्रश्िों का उत्तर (आदेश 11 का सियम 9)
(शीषचक, जैिा पपिचिती िंखयांक 1 में िै)
उक्त िादी द्वारा उक्त प्रसतिादी र् छ की परीिा करिे के सलए पटरप्रश्िों का उक्त प्रसतिादी र् छ द्वारा उत्तर,
उक्त पटरप्रश्िों के उत्तर में, मैं उक्त र् छ शपथ लेता हूं और यि कथि करता हूं क्रक :—
1.

पटरप्रश्िों के उत्तर लगातार िंखयांक्रकत पैराओं में सलसिए ।


2.

3. मैं…………………………िंखयांक िाले पटरप्रश्िों का उत्तर देिे में इि आिार पर आिेप करता हूं क्रक [आिेप के
आिार सलिए ।]

िंखयांक 4
दस्तािेजों की बाबत शपथपत्र के सलए आदेश (आदेश 11 का सियम 12)
(शीषचक, जैिा पपिचिती िंखयांक 1 में िै)
..........................को िुििे के पश्र्ात यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक..........................इि आदेश की तारीि िे
........................क्रदि के िीतर शपथपत्र पर उत्तर दे सजिमें यि बताया गया िो क्रक इि िाद में प्रश्िगत बातों िे िम्बद्ध
कौि िी दस्तािेजें उिकी शसक्त या कब्जे में िैं या रिी िैं और इि आिेदि के िर्े..................िोंगे ।

िंखयांक 5
दस्तािेजों की बाबत शपथपत्र (आदेश 11 का सियम 13)
(शीषचक, जैिा पपिचिती िंखयांक 1 में िै)
मैं उक्त प्रसतिादी ग घ शपथ लेता हूं और यि कथि करता हूं क्रकः—
233

1. इि िाद में प्रश्िगत बातों िे िंबंसित िे दस्तािेजें मेरे कब्जे या शसक्त में िैं सजिका उल्लेि इिकी प्रथम अिुिपर्ी के पिले
और दपिरे िाग में क्रकया गया िै ।
2. मैं इिकी प्रथम अिुिपर्ी के दपिरे िाग में उसल्लसित उक्त दस्तािेजों को पेश करिे के बारे में आिेप करता हूं (आिेप के
आिार सलसिए) ।
3. िाद में प्रश्िगत बातों िे िंबंसित िे दस्तािेजें, सजिका उल्लेि इिकी सद्वतीय अिुिपर्ी में क्रकया गया िै, मेरे कब्जे या
शसक्त में थी, क्रकन्तु अब ििीं िैं ।
4. असन्तम िर्र्चत दस्तािेजें मेरे कब्जे या शसक्त में असन्तम बार (यिां िमय सलसिए और यि सलसिए क्रक उिका क्या हुआ
और िे क्रकिके कब्जे में िैं) ।
5. मेरे ििोत्तम ज्ञाि, जािकारी और सिश्िाि के अिुिार उि दस्तािेजों को छोडकर जो इिकी उक्त प्रथम और सद्वतीय
अिुिपर्ी में उसल्लसित िैं, ऐिा कोई लेिा, लेिा पुस्तक, िाउर्र, रिीद, पत्र, ज्ञापि, कागज या लेि, या ऐिी क्रकिी दस्तािेज की कोई
प्रसत या उद्धरर्, या कोई ऐिी अन्य दस्तािेज, जो इि िाद में प्रश्िगत बातों िे या उिमें िे क्रकिी िे िंबंसित िो या सजिमें ऐिी बातों
के या उिमें िे क्रकिी के िंबंि में कोई प्रसिसष्ट की गई िो, मेरे कब्जे, असिरिा या शसक्त में या मेरे प्लीडर या असिकताच के कब्जे,
असिरिा या शसक्त में या मेरी ओर िे क्रकिी अन्य व्यसक्त के कब्जे, असिरिा या शसक्त में ि अब िै और ि किी थी ।

िंखयांक 6
सिरीिर् के सलए दस्तािेजें पेश करिे का आदेश (आदेश 11 का सियम 14)
(शीषचक, जैिा पपिचिती िंखयांक 1 में िै)
....................को िुििे और...................के शपथपत्र को, जो ता०........................को फाइल क्रकया गया था, पढ़िे के
पश्र्ात, यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक..........................युसक्तयुक्त िपर्िा क्रदए गए जािे पर, िब युसक्तयुक्त िमयों
पर...........................में सस्थत......................................में सिम्िसलसित दस्तािेजें, अथाचत..............................पेश करे ,
और...................................को, ऐिे पेश की गई दस्तािेजों का सिरीिर् करिे और पटरशीलि करिे की और उिकी अन्तिचस्तुओं को
सलि लेिे की स्ितंत्रता िोगी । यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक इि बीर् में िब असतटरक्त कायचिासियां रोक दी जाएं, और इि आिेदि के
िर्े..........................िोंगे ।

िंखयांक 7
दस्तािेजों के पेश करिे के सलए िपर्िा (आदेश 11 का सियम 16)
(शीषचक, जैिा पपिचिती िंखयांक 1 में िै)
आपको िपसर्त क्रकया जाता िै क्रक (िादी या प्रसतिादी) आपिे अपेिा करता िै क्रक आप ता०.................................के अपिे
(िादपत्र या सलसित कथि या शपथपत्र में) सिर्दचष्ट सिम्िसलसित दस्तािेजों को उिके सिरीिर् के सलए पेश करें :
[यिां अपेसित दस्तािेजों का िर्चि कीसजए ।]
.................................का प्लीडर ि म ।
...............................के प्लीडर य को ।

िंखयांक 8
दस्तािेजों के सिरीिर् के सलए िपर्िा (आदेश 11 का सियम 17)
(शीषचक, जैिा पपिचिती िंखयांक 1 में िै)
आपको िपसर्त क्रकया जाता िै क्रक आप ता०.................................की अपिी िपर्िा में िर्र्चत दस्तािेजों का (उि िपर्िा में
िंखयांक.....................................के िामिे सलिी दस्तािेजों को छोडकर) अगले बृिस्पसतिार ता०...........................को 12 बजे
और 4 बजे क्रदि के बीर् (यिां सिरीिर् का स्थाि सलसिए) में सिरीिर् कर िकते िैं ।
या, (िादी या प्रसतिादी) ता०...........................को अपिी िपर्िा में िर्र्चत दस्तािेजों का आपको सिरीिर् करिे देिे के
बारे में इि आिार पर आिेप करता िै क्रक (आिार सलसिए) ।
234

िंखयांक 9
दस्तािेजों को स्िीकार करिे के सलए िपर्िा (आदेश 12 का सियम 3)
(शीषचक, जैिा पपिचिती िंखयांक 1 में िै)
आपको िपसर्त क्रकया जाता िै क्रक िादी (या प्रसतिादी) इिमें आगे सिसिर्दचष्ट अिेक दस्तिेजों को इि िाद में िाक्ष्य में देिे की
प्रस्थापिा करता िै और प्रसतिादी (या िादी), उिके प्लीडर या असिकताच द्वारा................................(तारीि)
को.............................(िमय) के बीर्................................(स्थाि) में उिका सिरीिर् क्रकया जा िकता िै । प्रसतिादी (या िादी)
िे यि अपेिा की जाती िै क्रक िि, िाद में िाक्ष्य के रूप में इि िब दस्तािेजों की ग्राह्यता के बारे में िब न्यायिंगत अपिादों के
छोडकर, असन्तम िर्र्चत िमय िे अडतालीि घंटों के िीतर यि स्िीकार कर ले क्रक उक्त दस्तािेजों में िे ऐिी दस्तािेजें सजिके बारे में
यि सिसिर्दचष्ट िै क्रक िे मपल दस्तािेजें िैं िमशः ऐिे सलिी, िस्तािटरत या सिष्पाक्रदत की गई थीं जैिे उिका िमशः सलिा जािा,
िस्तािटरत क्रकया जािा या सिष्पाक्रदत क्रकया जािा तात्पर्यचत िै क्रक उिमें िे सजिके बारे में यि सिसिर्दचष्ट िै क्रक िे प्रसतयां िैं, िे ििी
प्रसतयां िैं और सजि दस्तािेजों के बारे में यि कसथत िै क्रक उिकी तामील की गई या उन्िें िेजा गया या पटरदत्त क्रकया गया, उिकी ऐिी
तामील की गई या उन्िें ऐिे िेजा गया या पटरदत्त क्रकया गया ।
ज झ, िादी (या प्रसतिादी) का प्लीडर (या असिकताच) ।
प्रसतिादी (या िादी) के प्लीडर (या असिकताच) र् छ को ।
(यिां दस्तािेजों का िर्चि कीसजए और िर एक दस्तािेज के बारे में यि सिसिर्दचष्ट कीसजए क्रक िि मपल दस्तािेज िै या
दस्तािेज की प्रसत िै) ।

िंखयांक 10
तथ्यों को स्िीकार करिे के सलए िपर्िा (आदेश 12 का सियम 5)
(शीषचक, जैिा पपिचिती िंखयांक 1 में िै)
आपको िपसर्त क्रकया जाता िै क्रक िादी (या प्रसतिादी) इि िाद में प्रसतिादी (या िादी) िे अपेिा करता िै क्रक िि इिमें आगे
िमशः सिसिर्दचष्ट अिेक तथ्यों को के िल इि िाद के प्रयोजिों के सलए स्िीकार कर ले, और प्रसतिादी (या िादी) िे यि अपेिा की जाती
िै क्रक िि, इि िाद में िाक्ष्य के रूप में ऐिे तथ्यों की ग्राह्यता के बारे में िब न्यायिंगत अपिादों को छोडकर, इि िप र्िा की तामील िे
छि क्रदि के िीतर उक्त सिसिन्न तथ्यों को स्िीकार कर ले ।
ज झ, िादी (या प्रसतिादी) का प्लीडर (या असिकताच) ।
प्रसतिादी (या िादी) के प्लीडर (या असिकताच) र् छ को ।
िे तथ्य सजिका स्िीकार क्रकया जािा अपेसित िै, सिम्िसलसित िैं, अथाचत:—
1. यि क्रक ड की मृत्यु पिली जििरी, 1890 को हुई ।
2. यि क्रक िि सििचिीयती मरा ।
3. यि क्रक ढ उिका एकमात्र िमचज पुत्र था ।
4. यि क्रक र् की मृत्यु पिली अप्रैल, 1896 को हुई ।
5. यि क्रक र् का सििाि किी ििीं हुआ ।

िंखयांक 11
िपर्िा के अिुिरर् में तथ्यों की स्िीकृ सत (आदेश 12 का सियम 5)
(शीषचक, जैिा पपिचिती िंखयांक 1 में िै)
इि िाद में प्रसतिादी (या िादी) इिमें आगे िमशः सिसिर्दचष्ट अिेक तथ्यों को, इि िाद में िाक्ष्य के रूप में क्रकन्िीं ऐिे तथ्यों
की या उिमें िे क्रकन्िीं की ग्राह्यता के बारे में िब न्यायिंगत अपिादों को छोडकर, इिमें आगे यक्रद कोई सिशेषक या पटरिीमाएं
सिसिर्दचष्ट िैं तो उिके अिीि रिते हुए, के िल इि िाद के प्रयोजिों के सलए स्िीकार करता िैः
परन्तु यि स्िीकृ सत के िल इि िाद के प्रयोजिों के सलए की गई िै, और यि ऐिी स्िीकृ सत ििीं िै जो प्रसतिादी (या िादी) के
सिरुद्ध क्रकिी अन्य अििर पर अथिा िादी (या प्रसतिादी या स्िीकृ सत की अपेिा करिे िाले पिकार) िे सिन्न क्रकिी व्यसक्त द्वारा
प्रयुक्त की जा िके ।
ङ र्, प्रसतिादी (या िादी) का प्लीडर (या असिकताच) ।
िादी (या प्रसतिादी) के प्लीडर (या असिकताच) छ ज को ।
235

स्िीकृ त तथ्य िे सिशेषक या पटरिीमाएं, यक्रद कोई िों, सजिके अिीि रिते हुए
िे स्िीकार क्रकए गए िैं

1. यि क्रक ड की मृत्यु पिली जििरी, 1890 को हुई । 1.


2. यि क्रक िि सििचिीयती मरा । 2.
3. यि क्रक ढ उिका िमचज पुत्र था । 3. क्रकन्तु यि ििीं क्रक िि उिका एकमात्र िमचज पुत्र था ।
4. यि क्रक र् मर गया । 4. क्रकन्तु यि ििीं क्रक उिकी मृत्यु पिली अप्रैल, 1896 को हुई ।
5. यि क्रक र् का सििाि किी ििीं हुआ । 5.

िंखयांक 12
पेश करिे के सलए िपर्िा (िािारर् प्ररूप) (आदेश 12 का सियम 8)
(शीषचक, जैिा पपिचिती िंखयांक 1 में िै)
आपको िपसर्त क्रकया जाता िै क्रक आपिे अपेिा की जाती िै क्रक आप िब पुस्तकें , कागज, पत्र, पत्रों की प्रसतयां और अन्य लेि
और दस्तािेज, जो आपकी असिरिा, कब्जे या शसक्त में िैं और सजिमें इि िाद में प्रश्िास्पद बातों िे िंबंसित कोई प्रसिसष्ट, ज्ञापि या
कायचिृत्त अन्तर्िचष्ट िै, इि िाद की पिली िुििाई में न्यायालय के िमि पेश करें और न्यायालय को क्रदिाएं और सिशेष रूप
िे.........................।
छ ज िादी (या प्रसतिादी) का प्लीडर (या असिकताच) ।
प्रसतिादी (या िादी) के प्लीडर (या असिकताच) ङ र् को ।

पटरसशष्ट घ
सडक्रियां
िंखयांक 1
मपल िाद में सडिी (आदेश 20 के सियम 6 और 7)
(शीषचक)
.................................के सलए दािा ।
िादी की ओर िे.............................की और प्रसतिादी की ओर िे..................................की उपसस्थसत में इि िाद के
आज तारीि.........................को...........................के िमि असन्तम सिपटारे के सलए पेश िोिे पर, आदेश क्रकया जाता िै और
सडिी दी जाती िै क्रक..............................और इि िाद के िर्े लेिे..........................रुपए की रासश, आज की तारीि िे ििपली
की तारीि तक उि पर.....................प्रसतशत प्रसतिषच की दर िे ब्याज िसित.............................द्वारा…….………………..को
दी जाए ।
यि आज ता०.................................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश
िाद के िर्े

िादी प्रसतिादी
रु० आ० पा० रु० आ० पा०
1. िादपत्र के सलए स्टाम्प शसक्तपत्र के सलए स्टाम्प
2. शसक्तपत्र के सलए स्टाम्प अजी के सलए स्टाम्प
3. प्रदशों के सलए स्टाम्प प्लीडर की फीि
4. ............रुपए पर प्लीडर की िासियों के सलए सििाचि-व्यय
फीि
236

5. िासियों के सलए सििाचि-व्यय आदेसशका की तामील


6. कसमश्िर की फीि कसमश्िर की फीि
7. आदेसशका की तामील
जोड जोड

िंखयांक 2
िादी िि-सडिी (िारा 34)
(शीषचक)
.....................के सलए दािा ।
िादी की ओर िे.........................की और प्रसतिादी की ओर िे...................................की उपसस्थसत में इि िाद के
आज तारीि.............................को.........................के िमि असन्तम सिपटारे के सलए पेश िोिे पर, आदेश क्रकया जाता िै
क्रक...........................को........................रुपए की रासश............................िे उक्त रासश की ििपली की तारीि
तक......................प्रसतशत प्रसतिषच की दर िे उि पर ब्याज िसित दे और िाद के िर्च के ..............................रुपए, आज की
तारीि िे ििपली की तारीि तक..........................प्रसतशत प्रसतिषच की दर िे उि पर ब्याज िसित दे ।
यिा आज ता०..............................को मेरे िस्तािर िे और न्यायायलय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश
िाद के िर्े

िादी प्रसतिादी

रु० आ० पा० रु० आ० पा०


1. िादपत्र के सलए स्टाम्प शसक्तपत्र के सलए स्टाम्प
2. शसक्तपत्र के सलए स्टाम्प अजी के सलए स्टाम्प
3. प्रदशों के सलए स्टाम्प प्लीडर की फीि
4. ............रुपए पर प्लीडर की िासियों के सलए सििाचि-व्यय
फीि
5. िासियों के सलए सििाचि-व्यय आदेसशका की तामील
6. कसमश्िर की फीि कसमश्िर की फीि
7. आदेसशका की तामील

जोड जोड
1
[िंखयांक 3
पुरोबन्ि के सलए प्रारसम्िक सडिी
(आदेसशका 34 का सियम 2—जिां लेिा सलए जािे का सिदेश क्रदया गया िै)
(शीषचक)
इि िाद के आज......................................को पेश िोिे पर आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक
यि..........................................को कसमश्िर के रूप में सिम्िसलसित लेिा लेिे के सलए सिदेसशत क्रकया जाए—
(i) िादपत्र में िर्र्चत अपिे बन्िक पर मपलिि और ब्याज मद्धे आज की तारीि को िादी को जो कु छ शोध्य िै
उिका लेिा (ऐिे ब्याज की िंगर्िा उि दर िे की जाएगी जो मप लिि पर िंदय े िै या जिां ऐिी दर सियत ििीं िै ििां
ब्याज छि प्रसतशत प्रसतिषच की दर िे या ऐिी दर िे, जो न्यायालय युसक्तयुक्त िमझे, िंगसर्त क्रकया जाएगा);

1
1929 के असिसियम िं० 21 की िारा 8 और अिुिपर्ी द्वारा मपल प्ररूप 3 िे 11 तक के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
237

(ii) बन्िक-िंपसत्त की जो आय िादी द्वारा, या िादी के आदेश िे या िादी के उपयोग के सलए क्रकिी अन्य व्यसक्त
द्वारा, आज की तारीि तक प्राप्त की गई िै, या जो तब प्राप्त िो िकती थी जब िादी िे या ऐिे व्यसक्त िे जािबपझकर
व्यसतिम ि क्रकया िोता, उि आय का लेिा;
(iii) बन्िक प्रसतिपसत की बाबत (िाद के िर्ों िे सिन्न) िर्ों, प्रिारों और व्ययों के सलए आज की तारीि तक िादी
द्वारा जो ििरासशयां उसर्त रूप िे उपगत की गई िैं उि िब का, उि पर ब्याज िसित, लेिा (ऐिा ब्याज पिकारों के बीर्
करार की गई दर िे या ऐिी दर के अिाि में उि दर िे, जो मपलिि पर िंदय े िै, या ऐिी दोिों दरों के अिाि में िौ प्रसतशत
प्रसतिषच की दर िे िंगसर्त क्रकया जाएगा);
(iv) बन्िक-िम्पसत्त को िादी के क्रकिी ऐिे कायच या लोप द्वारा, जो िम्पसत्त के सलए सििाशक या स्थायी रूप िे
िसतकर िै, या उि पर क्रकिी िी तत्िमय-प्रिृत्त-सिसि द्वारा या बन्िक-सिलेि के सिबन्ििों द्वारा असिरोसपत कतचव्यों में िे
क्रकिी का पालि करिे में उिकी अिफलता िे जो िासि या िुकिाि इि तारीि िे पिले पहुंर्ा िै , उिका लेिा ।
2. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक उक्त िण्ड (ii) के अिीि प्राप्त या िण्ड (iv) के अिीि शोध्य
न्यायसिर्ीत कोई रकम, उि पर ब्याज िसित पिले उि रासशयों के प्रसत िमायोसजत की जाएगी सजिका िंदाय िादी िे िण्ड (iii) के
अिीि क्रकया िै और उि रासशयों में उि पर ब्याज िी िसम्मसलत िोगा, और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो उिे बन्िक-िि में जोड क्रदया
जाएगा या, यथासस्थसत, शोध्य न्यायसिर्ीत मपल रासश पर ब्याज मद्धे िादी को जो रकम शोध्य िै उिको घटािे के सलए और तत्पश्र्ात
मपलिि को घटािे या उन्मोसर्त करिे के सलए सिकसलत (डेसबट) क्रकया जाएगा ।
3. यि िी आदेश क्रकया जाता िै क्रक उक्त कसमश्िर िि लेिा, उिमें ििी न्यायिंगत मोक देिे के पश्र्ात िुसििािुिार
शीघ्रता िे ता०...............................................को या उिके पपिच इि न्यायालय में प्रस्तुत करे गा और कसमश्िर की ऐिी टरपोटच के
प्राप्त िोिे पर िि ऐिे उपान्तरों के िाथ पुष्ट और प्रसतिस्तािटरत की जाएगी जैिे क्रक िाद के पिकारों के ऐिे आिेपों पर, जो िे करें ,
सिर्ार करिे के पश्र्ात आिश्यक िों ।
4. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
(i) प्रसतिादी ता०...................................को या उिके पपिच या ऐिी क्रकिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके
पपिच, सजि तक िंदाय करिे के सलए िमय न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया जाए, ऐिी रासश, जैिी न्यायालय शोध्य पाए, और िाद
के उि िर्ों के सलए जो िादी को असिसिर्ीत क्रकए गए िैं.............................................रुपए की रासश न्यायालय में
जमा कर दे;
(ii) ऐिे जमा कर क्रदए जािे पर और तत्पश्र्ात ऐिी तारीि के पपिच जो न्यायालय सियत करे , ऐिी रकम जो
न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की, और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि
िंदय े िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित जमा
कर दी जािे पर िादी िादपत्र में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं, न्यायालय
में लाएगा और ऐिी िब दस्तािेजें प्रसतिादी को या ऐिे व्यसक्त को, सजिे िि सियुक्त करे , पटरदत्त की जाएंगी, और यक्रद
िादी िे ऐिी अपेिा की जाए तो िि उक्त िम्पसत्त को उक्त बन्िक िे मुक्त करके और िादी द्वारा, या ऐिे क्रकिी व्यसक्त
द्वारा, जो उििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि दािा करता िै, या ऐिे क्रकिी व्यसक्त द्वारा, सजििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि
िादी दािा करता िै, िृष्ट िब सिल्लंगमों िे रसित और मुक्त करके तथा इि बन्िक या इि िाद िे, जो कोई दासयत्ि उद्िपत
िोते िैं, उि िब िे मुक्त करके प्रसत िस्तान्तटरत या प्रसतअन्तटरत करे गा, और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की जाए तो िि
प्रसतिादी को उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा ।
5. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पपिोक्त रूप में रकम जमा करिे में व्यसतिम िोिे पर िादी
न्यायालय िे इि असन्तम सडिी के सलए आिेदि कर िके गा क्रक तत्पश्र्ात प्रसतिादी इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में िर्र्चत बन्िक-
िम्पसत्त का मोर्ि करािे के िब असिकारों िे पपर्चतः सििर्जचत और पुरोबसन्ित िोगा और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की जाए तो िि िादी
को उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा और पिकार िमय-िमय पर न्यायालय िे आिश्यकतािुिार आिेदि
कर िकें गे और न्यायालय ऐिे आिेदि पर या अन्यथा ऐिे सिदेश दे िके गा जैिे ठीक िमझे ।
अिुिपर्ी
बन्िक िम्पसत्त का िर्चि
िंखयांक 3क
पुरोबन्ि के सलए प्रारसम्िक सडिी
(आदेश 34 का सियम 2—जिां न्यायालय शोध्य रकम घोसषत करता िै)
(शीषचक)
िादी.................................................इत्याक्रद की उपसस्थसत में इि िाद के आज ता०..................................को पेश
िोिे पर, यि घोसषत क्रकया जाता िै क्रक िादपत्र में िर्र्चत िादी के बन्िक पर िादी को आज ता०.........................................तक
238

िंगसर्त शोध्य रकम मपलिि मद्धे.........................रुपए की रासश, उक्त मपलिि पर ब्याज मद्धे...............................रुपए की
रासश (िाद के िर्ों िे सिन्न) उि िर्ों, प्रिारों और व्ययों के सलए, जो बन्िक प्रसतिपसत की बाबत िादी िे उसर्त रूप में उपगत क्रकए
िैं, उि पर ब्याज के िसित.....................................रुपए की रासश, और इि िाद के , जो िर्े िादी को असिसिर्ीत क्रकए गए िैं ,
उि िर्ों के सलए......................रुपए की रासश, कु ल समलाकर........................रुपए की रासश िोती िै ।
2. यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
(i) प्रसतिादी ता०...................................को या उिके पपिच या क्रकिी ऐिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके
पपिच, सजि तक िंदाय के सलए िमय न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया जाए.................................रुपए की उक्त रासश न्यायालय
में जमा कर दे;
(ii) ऐिे जमा कर क्रदए जािे पर और तत्पश्र्ात ऐिी तारीि के पपिच जो न्यायालय सियत करे , ऐिी रकम जो
न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की, और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि
िंदय े िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित जमा
कर दी जािे पर िादी िादपत्र में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं न्यायालय
में लाएगा और ऐिी िब दस्तािेजें प्रसतिादी को या ऐिे व्यक्त को, सजिे िि सियुक्त करे , पटरदत्त की जाएंगी और यक्रद िादी
िे ऐिी अपेिा की जाए तो िि उक्त िम्पसत्त को बन्िक िे मुक्त करके और िादी द्वारा, या क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा, जो उििे
व्युत्पन्न असिकार के अिीि दािा करता िै, या क्रकिी ऐिे व्यक्त द्वारा, सजििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि िादी दािा करता
िै, िृष्ट िब सिल्लंगमों िे रसित और मुक्त करके तथा इि बन्िक या इि िाद िे जो कोई दासयत्ि उद्िपत िोते िैं उि िब िे
मुक्त करके प्रसतिस्तान्तटरत या प्रसतअन्तटरत करे गा और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की जाए तो िि प्रसतिादी को उक्त िम्पसत्त
का सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा ।
3. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पपिोक्त रूप में रकम जमा करिे में व्यसतिम िोिे पर
िादी न्यायालय िे इि असन्तम सडिी के सलए आिेदि कर िके गा क्रक तत्पश्र्ात प्रसतिादी इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में
िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त का मोर्ि करािे के िब असिकारों िे पपर्च रूप िे सििर्जचत और पुरोबसन्ित िोगा, और यक्रद उििे ऐिी
अपेिा की जाए तो िि िादी को उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा और पिकार िमय-िमय पर
न्यायालय िे अपिी आिश्यकतािुिार आिेदि कर िकें गे और न्यायालय ऐिे आिेदि पर या अन्यथा ऐिे सिदेश दे िके गा जैिे
िि ठीक िमझे ।

अिुिपर्ी

बन्िक िम्पसत्त का िर्चि


िंखयांक 4

पुरोबन्ि के सलए असन्तम सडिी


(आदेश 34 का सियम 3)
(शीषचक)
इि िाद में ता०.........................................को पाटरत प्रारसम्िक सडिी को और ता०..........................................के
असतटरक्त आदेशों को (यक्रद कोई िों) और असन्तम सडिी के सलए िादी के ता०...........................................के आिेदि को पढ़िे पर
और पिकारों को िुििे के पश्र्ात और यि प्रतीत िोिे पर क्रक उक्त सडिी और आदेशों द्वारा सिक्रदष्ट िंदाय प्रसतिादी द्वारा या उिकी
ओर िे क्रकिी व्यसक्त द्वारा या उक्त बन्िक का मोर्ि करािे के िकदार क्रकिी अन्य व्यसक्त द्वारा ििीं क्रकया गया िै ।
यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक प्रसतिादी और उििे व्युत्पन्न असिकार के द्वारा या अिीि दािा करिे
िाले िब व्यसक्त पपिोक्त प्रारसम्िक सडिी में िर्र्चत िम्पसत्त के और उिमें मोर्ि के िब असिकार िे इिके द्वारा पपर्च तः सििर्जचत और
पुरोबसन्ित िोंगे और क्रकए जाते िैं; [और (यक्रद प्रसतिादी का उक्त बन्िक-िम्पसत्त पर कब्जा िै तो) प्रसतिादी उक्त बन्िक-िम्पसत्त का
सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा िादी को पटरदत्त करे गा ।]
2. यि िी घोसषत क्रकया जाता िै क्रक िादपत्र में िर्र्चत उक्त बन्िक िे या इि िाद िे उद्िपत जो िी दासयत्ि प्रसतिादी का
आज तक िै िि िब इिके द्वारा उन्मोसर्त और सििाचसर्त क्रकया जाता िै ।


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239

िंखयांक 5
सििय के सलए प्रारसम्िक सडिी
(आदेश 34 का सियम 4—जिां लेिा सलए जािे का सिदेश क्रदया गया िै)
(शीषचक)
िादी......................................इत्याक्रद की उपसस्थसत में इि िाद के आज ता०............................................को पेश
िोिे पर, यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक यि...........................................को कसमश्िर के रूप में सिम्िसलसित
लेिा लेिे के सलए सिदेसशत क्रकया जाए—
(i) िादपत्र में िर्र्चत अपिे बन्िक पर मपलिि और ब्याज मद्धे आज की तारीि को िादी को जो कु छ शोध्य िै
उिका लेिा (ऐिे ब्याज की िंगर्िा उि दर िे की जाएगी जो मपलिि पर िंदय े िै या जिां क्रक ऐिी दर सियत ि िो ििां,
ब्याज छि प्रसतशत प्रसतिषच की दर िे या ऐिी दर िे, जो न्यायालय युक्तयुक्त िमझे, िंगसर्त क्रकया जाएगा);
(ii) बन्िक-िम्पसत्त की जो आय िादी द्वारा, या िादी के आदेश में या िादी के उपयोग के सलए क्रकिी अन्य व्यसक्त
द्वारा, आज की तारीि तक प्राप्त की गई िै, या जो तब प्राप्त िो िकती थी जब िादी िे या ऐिे व्यक्त िे जािबपझकर
व्यसतिम ि क्रकया िोता, उि आय का लेिा;
(iii) बन्िक प्रसतिपसत की बाबत (िाद के िर्ों िे सिन्न) िर्ों, प्रिारों और व्ययों के सलए आज की तारीि तक िादी
द्वारा जो ििरासशयां उसर्त रूप िे उपगत की गई िैं उि िब का, उि पर ब्याज िसित, ले िा (ऐिा ब्याज, पिकारों के बीर्
करार की गई दर िे या ऐिी दर के अिाि में उि दर िे जो मपलिि पर िंदय े िै, या ऐिी दोिों दरों के अिाि में िौ प्रसतशत
प्रसतिषच की दर िे िंगसर्त क्रकया जाएगा);
(iv) बन्िक िम्पसत्त को िादी के क्रकिी ऐिे कायच या लोप द्वारा, जो िम्पसत्त के सलए सििाशक या स्थायी रूप िे
िसतकर िै, या उि पर क्रकिी िी तत्िमय-प्रिृत्त सिसि द्वारा या बन्िक सिलेि के सिबन्ििों द्वारा असिरोसपत कतचव्यों में िे
क्रकिी का पालि करिे में उिकी अिफलता िे जो िासि या िुकिाि इि तारीि िे पिले पहुंर्ा िै, उिका लेिा ।
2. यि िी आदेश क्रकया जाता िै क्रक उक्त िण्ड (ii) के अिीि प्राप्त या िण्ड (iv) के अिीि शोध्य न्यायसिर्ीत कोई रकम,
उि पर ब्याज िसित, पिले उि क्रकन्िीं रासशयों के प्रसत िमायोसजत की जाएंगी सजिका िंदाय िादी िे िण्ड (iii) के अिीि क्रकया िै,
और उि रासशयों में उि पर ब्याज िी िसम्मसलत िोगा, और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो उिे बन्िक-िि में जोड क्रदया जाएगा या,
यथासस्थसत, शोध्य न्यायसिर्ीत मपल रासश पर ब्याज मद्धे िादी को जो रकम शोध्य िै उिको घटािे के सलए और तत्पश्र्ात मपलिि को
घटािे या उन्मोसर्त करिे के सलए सिकसलत (डेसबट) क्रकया जाएगा ।
3. यि िी आदेश क्रकया जाता िै क्रक उक्त कसमश्िर िमस्त न्यायिंगत मोक देिे के पश्र्ात उि लेिा को िुसििािुिार शीघ्रता
िे ता०................................................को या उिके पपिच इि न्यायालय में प्रस्तुत करे और कसमश्िर की ऐिी टरपोटच के प्राप्त िोिे
पर िि ऐिे उपान्तरों के िाथ पुष्ट और प्रसत िस्तािटरत की जाएगी जैिे क्रक िाद के पिकारों के ऐिे आिेपों पर, जो िे करें , सिर्ार
करिे के पश्र्ात आिश्यक िों ।
4. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
(i) िादी ता०.........................................को या उिके पपिच या क्रकिी ऐिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके
पपिच, सजि तक िंदाय करिे के सलए िमय न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया जाए, ऐिी रासश, जैिी न्यायालय शोध्य पाए, और िाद
के उि िर्ों के सलए, जो िादी को असिसिर्ीत क्रकए गए िैं...................................रुपए की रासश न्यायालय में जमा कर
दें;
(ii) ऐिे जमा कर क्रदए जािे पर और तत्पश्र्ात ऐिी तारीि के पपिच, जो न्यायालय सियत करे , ऐिी रकम, जो
न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि
िंदये ऐिे िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित
जमा कर दी जािे पर, िादी िादपत्र में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें न्यायालय में लाएगा जो उिके कब्जे
या शसक्त में िैं और ऐिी िब दस्तािेजें प्रसतिादी को या ऐिे व्यसक्त को, सजिे िि सियुक्त करे , पटरदत्त की जाएंगी, और यक्रद
िादी िे ऐिी अपेिा की जाए तो िि उक्त िम्पसत्त को बन्िक िे मुक्त करके और िादी द्वारा या क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा, जो
उििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि दािा करता िै या क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा, सजििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि िादी दािा
करता िै, िृष्ट िब सिल्लंगमों िे रसित और मुक्त करके प्रसत-िस्तान्तटरत या प्रसत-अन्तटरत करे गा, और यक्रद उििे ऐिी
अपेिा की जाए तो िि प्रसतिादी को उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा ।
5. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पपिोक्त रूप में रकम जमा करिे में व्यसतिम िोिे पर िादी
न्यायालय िे बन्िक-िम्पसत्त के सििय के सलए असन्तम सडिी के सलए आिेदि कर िके गा, और ऐिा आिेदि क्रकए जािे पर बन्िक-
240

िम्पसत्त के या उिके पयाचप्त िाग के सििय का सिदेश क्रदया जाएगा और ऐिे सििय के प्रयोजिों के सलए िादी बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी
िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं, न्यायालय के िमि या उि असिकारी के िमि, सजिे िि सियुक्त करे , पेश करे गा ।
6. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि न्यायालय में जमा क्रकया जाएगा और
(सििय के व्ययों को उिमें िे काटकर) िि िादी को इि सडिी के अिीि और ऐिे क्रकन्िीं असतटरक्त आदेशों के अिीि, जैिे इि िाद में
पाटरत क्रकए जाएं, िंदय
े रकम का िंदाय करिे में और ऐिी रकम का, जैिी न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की और सिसिल प्रक्रिया िंसिता,
1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि िंदय े िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत िादी को शोध्य न्यायसिर्ीत
करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित, िंदाय करिे में िम्यक रूप िे उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद कु छ बाकी
बर्े तो िि प्रसतिादी को या अन्य व्यसक्तयों को, जो उिे प्राप्त करिे के िकदार िों, क्रदया जाएगा ।
7. यि िी आदेश क्रकया जाता िै क्रक और सडिी दी जाती िै क्रक यक्रद ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि िादी को पपिोक्त रूप में
िंदये रकम के पपर्च िंदाय के सलए पयाचप्त ि िो तो िादी (जिां क्रक ऐिा उपर्ार उिके सलए बन्िक के सिबन्ििों के अिीि प्राप्त िै और
क्रकिी तत्िमय-प्रिृत्त-सिसि द्वारा िर्जचत ििीं िै) प्रसतिादी के सिरुद्ध बाकी की रकम के सलए िैयसक्तक सडिी के सलए आिेदि कर
िके गा; और पिकार िमय-िमय पर न्यायालय िे अपिी आिश्यकतािुिार आिेदि कर िकें गे और न्यायालय ऐिे आिेदि पर या
अन्यथा ऐिे सिदेश दे िके गा जैिे िि ठीक िमझे ।

अिुिपर्ी
बन्िक िम्पसत्त का िर्चि
िंखयांक 5क
सििय के सलए प्रारसम्िक सडिी (आदेश 34 का सियम 4—जिां न्यायालय शोध्य रकम घोसषत करता िै)
(शीषचक)
िादी......................................इत्याक्रद की उपसस्थसत में इि िाद के आज ता०..............................को पेश िोिे पर,
यि घोसषत क्रकया जाता िै क्रक िादपत्र में िर्र्चत बन्िक पर िादी को आज ता०.........................................तक िंगसर्त शोध्य
रकम मपलिि मद्धे........................................रुपए की रासश, उक्त मपलिि पर ब्याज मद्धे........................................रुपए की
रासश (िाद के िर्ों िे सिन्न) उि िर्ों, प्रिारों और व्ययों के सलए, जो बन्िक प्रसतिपसत की बाबत िादी िे उसर्त रूप में उपगत क्रकए
िैं, उि पर ब्याज के िसित.................................................रुपए की रासश, और इि िाद के जो िर्े िादी को असिसिर्ीत क्रकए
गए िैं, उि िर्ों के सलए........................................रुपए की रासश कु ल समलाकर.....................................रुपए की रासश िोती
िै ।
2. यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
(i) प्रसतिादी ता०.......................................को या उिके पपिच या क्रकिी ऐिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके
पपिच, सजि तक िंदाय के सलए िमय न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया जाए..............................................रुपए की उक्त रासश
न्यायालय में जमा कर दें;
(ii) ऐिे जमा कर क्रदए जािे पर और तत्पश्र्ात ऐिी तारीि के पपिच, जो न्यायालय सियत करे , ऐिी रकम जो
न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की और सिसिल प्रक्रकया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि
िंदय े िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित जमा
कर दी जािे पर, िादी िादपत्र में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजों जो उिके कब्जे या शसक्त में िै न्यायालय
में लाएगा और ऐिी िब दस्तािेजें प्रसतिादी को या ऐिे व्यसक्त को सजिे िि सियुक्त करे , पटरदत्त की जाएंगी और यक्रद िादी
िे ऐिी अपेिा की जाए तो िि उक्त िम्पसत्त को बन्िक िे मुक्त करके और िादी द्वारा या ऐिे क्रकिी व्यसक्त द्वारा, जो उििे
व्युत्पन्न असिकार के अिीि दािा करता िो या ऐिे क्रकिी व्यसक्त द्वारा, सजििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि िादी दािा करता
िै, िृष्ट िब सिल्लंगमों िे रसित और मुक्त करके प्रसत-िस्तान्तटरत या प्रसत-अन्तटरत करे गा और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की
जाए तो िि प्रसतिादी को उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा ।
3. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पपिोक्त रूप में रकम जमा करिे में व्यसतिम िोिे पर िादी
न्यायालय िे बन्िक-िम्पसत्त के सििय के सलए असन्तम सडिी के सलए आिेदि कर िके गा और ऐिा आिेदि क्रकए जािे पर बन्िक-
िम्पसत्त के या उिके पयाचप्त िाग के सििय का सिदेश क्रदया जाएगा और ऐिे सििय के प्रयोजिों के सलए िादी बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी
ऐिी िब दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं न्यायालय के िमि या उि असिकारी के िमि, सजिे िि सियुक्त करे , पेश करे गा ।
4. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि न्यायालय में जमा क्रकया जाएगा और
(सििय के व्ययों को उिमें िे काटकर) िि िादी को इि सडिी के और क्रकन्िीं ऐिे असतटरक्त आदेशों के अिीि, जैिे इि िाद में पाटरत
क्रकए जाएं, िंदय
े रकम का िंदाय करिे में और ऐिी रकम का, जैिी न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की और सिसिल प्रक्रकया िंसिता, 1908
की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि िंदय े िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत िादी को शोध्य न्यायसिर्ीत करे ,
241

सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित, िंदाय करिे में िम्यक रूप िे उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो
िि प्रसतिादी को या अन्य व्यसक्तयों को, जो उिे प्राप्त करिे के िकदार िों, क्रदया जाएगा ।
5. यि िी आदेश क्रदया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक यक्रद ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि िादी को पपिोक्त रूप में िंदय े
रकम का पपर्च िंदाय करिे के सलए पयाचप्त ि िो तो िादी (जिां क्रक ऐिा उपर्ार उिके सलए बन्िक के सिबन्ििों के अिीि अिु ज्ञात िै
और क्रकिी तत्िमय-प्रिृत्त-सिसि द्वारा िर्जचत ििीं िै) प्रसतिादी के सिरुद्ध बाकी की रकम के सलए िैयसक्तक सडिी के सलए आिेदि कर
िके गा, और पिकार िमय-िमय पर न्यायालय िे अपिी आिश्यकतािुिार आिेदि कर िकें गे और न्यायालय ऐिे आिेदि पर या
अन्यथा ऐिे सिदेश दे िके गा जैिे िि ठीक िमझे ।

अिुिपर्ी
बन्िक िम्पसत्त का िर्चि
िंखयांक 6
सििय के सलए असन्तम सडिी (आदेश 34 का सियम 5)
(शीषचक)
इि िाद में ता०....................................को पाटरत प्रारसम्िक सडिी को और ता०...........................................के
असतटरक्त आदेशों को (यक्रद कोई िों) और असन्तम सडिी के सलए िादी के ता०...........................................के आिेदि को, पढ़िे पर
और पिकारों को िुििे के पश्र्ात और यि प्रतीत िोिे पर क्रक उक्त सडिी और आदेशों द्वारा सिर्दचष्ट िंदाय प्रसतिादी द्वारा या उिकी
ओर िे क्रकिी व्यसक्त द्वारा या उक्त बन्िक का मोर्ि करािे के िकदार क्रकिी अन्य व्यसक्त द्वारा ििीं क्रकया गया िै;
यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पपिोक्त प्रारसम्िक सडिी में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त का या उिके पयाचप्त
िाग का सििय कर क्रदया जाए और ऐिे सििय के प्रयोजिों के सलए िादी बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें या उिके कब्जे या
शसक्त में िैं, न्यायालय के िमि या उि असिकारी के िमि, सजिे िि सियुक्त करे , पेश करे गा ।
2. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि न्यायालय में जमा क्रकया जाएगा और
(सििय के व्ययों को उिमें िे काटकर) िि िादी को पपिोक्त प्रारसम्िक सडिी के और क्रकन्िीं ऐिे असतटरक्त आदेशों के अिीि, जैिे इि
िाद में पाटरत क्रकए गए िों, िंदय
े रकम का िंदाय करिे में, और ऐिी रकम का, जैिी न्यायालय इि आिेदि के िर्ों के िसित िाद के
ऐिे िर्ों की और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि िंदय े िर्ों, प्रिारों और व्ययों
की बाबत िादी को शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित, िंदाय करिे में िम्यक रूप िे उयोसजत
क्रकया जाएगा और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो िि प्रसतिादी को या अन्य व्यसक्तयों को, जो उिे प्राप्त करिे के िकदार िों, क्रदया जाएगा ।

िंखयांक 7
जिां क्रक बन्िककताच द्वारा िंदाय में व्यसतिम िोिे पर पुरोबन्ि के सलए सडिी पाटरत की जाती िै ििां मोर्ि के
सलए प्रारसम्िक सडिी (आदेश 34 का सियम 7—जिां लेिा सलए जािे का सिदेश क्रकया गया िै)
(शीषचक)
िादी................................इत्याक्रद की उपसस्थसत में इि िाद के आज ता०...................................को पेश िोिे पर,
यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक यि........................................को कसमश्िर के रूप में सिम्िसलसित लेिा लेिे
के सलए सिदेसशत क्रकया जाए—
(i) िादपत्र में िर्र्चत बन्िक पर मपलिि और ब्याज मद्धे आज की तारीि को प्रसतिादी को जो कु छ शोध्य िै उिका
लेिा (ऐिे ब्याज की िंगर्िा उि दर िे की जाएगी जो मपलिि पर िंदय े िै या जिां ऐिी दर सियत ि िो ििां, ब्याज छि
प्रसतशत प्रसतिषच की दर िे या ऐिी दर िे, जो न्यायालय युक्तयुक्त िमझे, िंगसर्त क्रकया जाएगा);
(ii) बन्िक-िम्पसत्त की जो आय प्रसतिादी द्वारा, या प्रसतिादी के आदेश िे या प्रसतिादी के उपयोग के सलए क्रकिी
अन्य व्यसक्त द्वारा, आज की तारीि तक प्राप्त की गई िै, या जो तब प्राप्त िो िकती थी जब िादी िे या ऐिे व्यसक्त िे
जािबपझकर व्यसतिम ि क्रकया िोता, उि आय का लेिा;
(iii) बन्िक प्रसतिपसत की बाबत (िाद के िर्ों िे सिन्न) िर्ों, प्रिारों और व्ययों के सलए आज की तारीि तक
प्रसतिादी द्वारा जो ििरासशयां उसर्त रूप िे उपगत की गई िैं उि िब का, उि पर ब्याज िसित लेिा(ऐिा ब्याज, पिकारों
के बीर् करार की गई दर िे या ऐिी दर के अिाि में उि दर िे, जो मपलिि पर िंदय े िै, या ऐिी दोिों दरों के अिाि में िौ
प्रसतशत प्रसतिषच की दर िे िंगसर्त क्रकया जाएगा);
242

(iv) बन्िक िम्पसत्त को प्रसतिादी के ऐिे क्रकिी कायच या लोप द्वारा, जो िम्पसत्त के सलए सििाशक या स्थायी रूप िे
िसतकर िै या उि पर क्रकिी िी तत्िमय-प्रिृत्त सिसि द्वारा या या बन्िक सिलेि के सिबन्ििों द्वारा असिरोसपत कतचव्यों में िे
क्रकिी का पालि करिे में उिकी अिफलता िे जो िासि या िुकिाि इि तारीि िे पिले पहुंर्ा िै, उिका लेिा ।
2. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक उक्त िण्ड (ii) के अिीि प्राप्त या िण्ड (iv) के अिीि शोध्य
न्यायसिर्ीत कोई रकम, उि पर ब्याज िसित, पिले उि क्रकन्िीं रासशयों के प्रसत िमायोसजत की जाएगी सजिका िंदाय प्रसतिादी िे
िण्ड (iii) के अिीि क्रकया िै, और सजि रासशयों में उि पर ब्याज िी िसम्मसलत िोगा, और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो उिे बन्िक-िि में
जोड क्रदया जाएगा, या, यथासस्थसत, शोध्य न्यायसिर्ीत मपल रासश पर ब्याज मद्धे प्रसतिादी को जो रकम शोध्य िै उिको घटािे के सलए
और तत्पश्र्ात मपलिि को घटािे या उन्मोसर्त करिे के सलए सिकसलत क्रकया जाएगा ।
3. यि िी आदेश क्रकया जाता क्रक उक्त कसमश्िर िि लेिा, उिमें ििी न्यायिंगत मोक देिे के पश्र्ात िुसििािुिार शीघ्रता
िे ता०.........................................को या उिके पपिच इि न्यायालय में प्रस्तुत करे गा और कसमश्िर की ऐिी टरपोटच प्राप्त िोिे पर
िि ऐिे उपान्तरों के िाथ पुष्ट और प्रसतिस्तािटरत की जाएगी जैिी क्रक िाद के पिकारों के ऐिे अिेपों पर, जो िे करें , सिर्ार करिे के
पश्र्ात आिश्यक िों ।
4. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
(i) िादी ता०..................................को या उिके पपिच या क्रकिी ऐिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके पपिच,
सजि तक िंदाय करिे के सलए िमय न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया जाए, ऐिी रासश, जैिी न्यायालय शोध्य पाए, और िाद के
उि िर्ों के सलए जो प्रसतिादी को असिसिर्ीत क्रकए गए िैं...........................................रुपए की रासश न्यायालय में
जमा कर दे;
(ii) ऐिे जमा कर क्रदए जािे पर और तत्पश्र्ात ऐिी तारीि के पपिच, जो न्यायालय सियत करे , ऐिी रकम जो
न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की, और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अििपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि
िंदये ऐिे िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित
जमा कर दी जािे पर, प्रसतिादी िादपत्र में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं,
न्यायालय में लाएगा और ऐिी िब दस्तािेजें िादी को या ऐिे व्यसक्त को, सजिे िि सियुक्त करे , पटरदत्त की जाएंगी और
यक्रद प्रसतिादी िे ऐिी अपेिा की जाए तो िि उक्त िम्पसत्त को उक्त बन्िक िे मुक्त करके और प्रसतिादी द्वारा या ऐिे क्रकिी
व्यसक्त द्वारा जो उििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि दािा करता िै या क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा, सजििे व्युत्पन्न असिकार के
अिीि प्रसतिादी दािा करता िै, िृष्ट िब सिल्लंगमों िे रसित, और मुक्त करके तथा इि बन्िक िे या इि िाद िे जो कोई
दासयत्ि उद्िपत िोते िैं, उि िब िे मुक्त करके , प्रसत-िस्तान्तटरत या प्रसत-अन्तटरत करे गा और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की
जाए तो िि िादी को उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा ।
5. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पपिोक्त रूप में रकम जमा करिे में व्यसतिम िोिे पर प्रसतिादी
न्यायालय िे इि असन्तम सडिी के सलए आिेदि कर िके गा क्रक तत्पश्र्ात िादी इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त
का मोर्ि करािे के िब असिकारों िे पपर्चतः सििर्जचत और पुरोबसन्ित िोगा और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की जाए तो िि प्रसतिादी को
उक्त िम्पसत्त पर सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा और पिकार िमय-िमय पर न्यायालय िे आिश्यकतािुिार आिेदि कर
िकें गे और न्यायालय ऐिे आिेदि पर या अन्यथा ऐिे सिदेश दे िके गा जैिे क्रक िि ठीक िमझे ।

अिुिपर्ी
बन्िक-िम्पसत्त का िर्चि
िंखयांक 7क
जिां क्रक बन्िककताच द्वारा िंदाय में व्यसतिम िोिे पर सििय के सलए सडिी पाटरत की जाती िै ििां मोर्ि के
सलए प्रारसम्िक सडिी (आदेश 34 का सियम 7—जिां लेिा सलए जािे का सिदेश गया जाता िै)
(शीषचक)
िादी.............................इत्याक्रद की उपसस्थसत में इि िाद के आज ता०...........................को पेश िोिे पर, यि आदेश
क्रकया जाता िै और सडिी क्रद जाती िै क्रक यि..................................को कसमश्िर के रूप में सिम्िसलसित लेिा लेिे के सलए सिदेसशत
क्रकया जाए—
(i) िादपत्र में िर्र्चत बन्िक पर मपलदि और ब्याज मद्धे आज की तारीि को प्रसतिादी को जो कु छ शोध्य िै उिका
लेिा (ऐिे ब्याज की िंगर्िा उि दर िे की जाएगी जो मपलिि पर िंदय े िै या जिां ऐिी दर सियत ि िो ििां, ब्याज छि
प्रसतशत प्रसतिषच की दर िे या ऐिी अन्य दर िे, जो न्यायालय युक्तयुक्त िमझे, िंगसर्त क्रकया जाएगा);
243

(ii) बन्िक-िम्पसत्त की जो आय प्रसतिादी द्वारा, या प्रसतिादी के आदेश िे या प्रसतिादी के उपयोग के सलए क्रकिी
अन्य व्यसक्त द्वारा आज की तारीि तक प्राप्त की गई िै या जो तब प्राप्त िो िकती थी जब प्रसतिादी िे या ऐिे व्यसक्त िे
जािबपझकर व्यसतिम ि क्रकया िोता, उि आय का लेिा;
(iii) बन्िक प्रसतिपसत की बाबत (िाद के िर्ों िे सिन्न) िर्ों, प्रिारों और व्ययों के सलए आज की तारीि तक
प्रसतिादी द्वारा जो ििरासशयां उसर्त रूप िे उपगत की गई िैं उि िब का, उि पर ब्याज िसित, लेिा (ऐिा ब्याज,
पिकारों के बीर् करार की गई दर िे या ऐिी दर के अिाि में उि दर िे, जो मपलिि पर िंदय े िै, या ऐिी दोिों दरों के
अिाि में िौ प्रसतशत प्रसतिषच की दर िे, िंगसर्त क्रकया जाएगा);
(iv) बन्िक-िम्पसत्त को प्रसतिादी के ऐिे क्रकिी कायच या लोप द्वारा, जो िम्पसत्त के सलए सििाशक या स्थायी रूप िे
िसतकर िै, या उि पर क्रकिी िी तत्िमय-प्रिृत्त सिसि द्वारा या बन्िक सिलेि के सिबन्ििों द्वारा असिरोसपत कतचव्यों में िे
क्रकिी का पालि करिे में उिकी अिफलता िे जो िासि या िुकिाि इि तारीि िे पिले पहुंर्ा िै, उिका लेिा ।
2. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक उक्त िण्ड (ii) के अिीि प्राप्त या िण्ड (iv) के अिीि शोध्य
न्यायसिर्ीत कोई रकम, उि पर ब्याज िसित, पिले उि क्रकन्िीं रासशयों के प्रसत िमायोसजत की जाएंगी सजिका िंदाय प्रसतिादी िे
िण्ड (iii) के अिीि क्रकया िै, और सजि रासशयों में उि पर ब्याज िी िसम्मसलत िोगा, और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो उिे बन्िक-िि में
जोड क्रदया जाएगा या, यथासस्थसत, शोध्य न्यायसिर्ीत मपल रासश पर ब्याज मद्दे प्रसतिादी को जो रकम शोध्य िै उिको घटािे के सलए
और तत्पश्र्ात मपलिि को घटािे या उन्मोसर्त करिे के सलए सिकसलत (डेसबट) क्रकया जाएगा ।
3. यि िी आदेश क्रकया जाता िै क्रक उक्त कसमश्िर िि लेिा, उिमें ििी न्यायिंगत मोक देिे के पश्र्ात िुसििािुिार
शीघ्रता िे ता०..............................को या उिके पपिच इि न्यायालय में प्रस्तुत करे गा और कसमश्िर को ऐिी टरपोटच के प्राप्त िोिे पर
िि ऐिे उपान्तरों के िाथ पुष्ट और प्रसतिस्तािटरत की जाएगी जैिे क्रक िाद के पिकारों के ऐिे आिेपों पर, जो िे करें , सिर्ार करिे के
पश्र्ात आिश्यक िों ।
4. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
(i) िादी ता०............................को या उिके पपिच या क्रकिी ऐिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके पपिच, सजि
तक िंदाय करिे के सलए िमय न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया जाए, ऐिी रासश, जैिी न्यायालय शोध्य पाए, और िाद के उि
िर्ों के सलए जो प्रसतिादी को असिसिर्ीत क्रकए गए िैं...............................रुपए की रासश न्यायालय में जमा कर दें;
(ii) ऐिे जमा कर क्रदए जािे पर और तत्पश्र्ात ऐिी तारीि के पपिच, जो न्यायालय सियत करे , ऐिी रकम जो
न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की, और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि
िंदये ऐिे िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित
जमा कर दी जािे पर, प्रसतिादी िादपत्र में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें, जो उिके कब्जे या शसक्त में िै,
न्यायालय में लाएगा और ऐिी िब दस्तािेजें िादी को या ऐिे व्यसक्त को, सजिे िि सियुक्त करे , पटरदत्त की जाएंगी, और
यक्रद प्रसतिादी िे ऐिी अपेिा की जाए तो िि उक्त िम्पसत्त को उक्त बन्िक िे मुक्त करके और प्रसतिादी द्वारा या क्रकिी ऐिे
व्यसक्त द्वारा, जो उििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि दािा करता िै या क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा, सजििे व्युत्पन्न असिकार के
अिीि प्रसतिादी दािा करता िै, िृष्ट िब सिल्लंगमों िे रसित और मुक्त करके प्रसत िस्तान्तटरत या प्रसत अन्तटरत करे गा,
और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की जाए तो िि िादी को उक्त िम्पसत्त पर सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा ।
5. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पपिोक्त रूप में रकम जमा करिे में व्यसतिम िोिे पर प्रसतिादी
न्यायालय िे बन्िक-िम्पसत्त के सििय के सलए असन्तम सडिी के सलए आिेदि कर िके गा, और ऐिा आिेदि क्रकए जािे पर बन्िक-
िम्पसत्त के या उिके पयाचप्त िाग के सििय का सिदेश क्रदया जाएगा और ऐिे सििय के प्रयोजिों के सलए प्रसतिादी बन्िक-िम्पसत्त
िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं, न्यायालय के िमि या उि असिकारी के िमि, सजिे िि सियुक्त करे , पेश
करे गा ।
6. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि न्यायालय में जमा क्रकया जाएगा और
(सििय के व्ययों को उिमें िे काटकर) िि प्रसतिादी को इि सडिी के अिीि और ऐिे क्रकन्िीं असतटरक्त आदेशों के अिीि, जैिे इि िाद
में पाटरत क्रकए जाएं, िंदय
े रकम का िंदाय करिे में और ऐिी रकम का, जैिी न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की और सिसिल प्रक्रिया
िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि िंदय े ऐिे िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत प्रसतिादी को शोध्य
न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदये पासश्र्क ब्याज के िसित, िंदाय करिे में िम्यक रूप िे उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद
कु छ बाकी बर्े तो िि िादी को या अन्य व्यसक्तयों को, जो उिे प्राप्त करिे के िकदार िों, क्रदया जाएगा ।
7. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक यक्रद ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि प्रसतिादी को पपिोक्त रूप में
िंदय
े रकम के पपर्च िंदाय के सलए पयाचप्त ि िो तो प्रसतिादी (जिां क्रक ऐिा उपर्ार उिके सलए बन्िक के सिबन्ििों के अिीि प्राप्त िै
और क्रकिी तत्िमय-प्रिृत्त-सिसि द्वारा िर्जचत ििीं िै) िादी के सिरुद्ध बाकी की रकम के सलए िैयसक्तक सडिी के सलए आिेदि कर
िके गा; और पिकार िमय-िमय पर न्यायालय िे आिश्यकतािुिार आिेदि कर िकें गे और न्यायालय ऐिे आिेदि पर या अन्यथा ऐिे
सिदेश दे िके गा जैिे िि ठीक िमझे ।
244

अिुिपर्ी
बन्िक िम्पसत्त का िर्चि
िंखयांक 7ि
जिां बन्िककताच द्वारा िंदाय में व्यसतिम करिे पर पुरोबन्ि के सलए सडिी पाटरत की जाती िै ििां मोर्ि के
सलए प्रारं सिक सडिी
(आदेश 34 का सियम 7—जिां न्यायालय शोध्य रकम घोसषत करता िै)
(शीषचक)
िादी.................................इत्याक्रद की उपसस्थसत में इि िाद के आज ता०.................................को पेश िोिे पर, यि
घोसषत क्रकया जाता िै क्रक िादपत्र में िर्र्चत बन्िक पर प्रसतिादी को आज ता०........................तक िंगसर्त शोध्य रकम मपलिि
मद्दे...................रुपए की रासश, उक्त मपल िि पर ब्याज मद्दे.............................रुपए की रासश (िाद के िर्ों िे सिन्न), उि िर्ों,
प्रिारों और व्ययों के सलए जो बन्िक प्रसतिपसत की बाबत प्रसतिादी िे उसर्त रूप में उपगत क्रकए िैं, उि पर ब्याज के
िसित………………………..रुपए की रासश और इि िाद के जो िर्ें प्रसतिादी को असिसिर्ीत क्रकए गए िैं उि िर्ों के
सलए..............................रुपए की रासश, कु ल समलाकर...........................रुपए की रासश िोती िै ।
2. यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
(i) िादी ता०...........................को या उिके पपिच या क्रकिी ऐिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके पपिच, सजि तक
िंदाय के सलए िमय न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया जाए.......................रुपए की उक्त रासश न्यायालय में जमा कर दें;
(ii) ऐिे जमा कर क्रदए जािे पर और तत्पश्र्ात ऐिी तारीि िे पपिच, जो न्यायालय सियत करे , ऐिी रकम, जो
न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की, और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि
िंदये िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित, जमा
कर दी जािे पर, प्रसतिादी िादपत्र में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी ऐिी िब दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं
न्यायालय में लाएगा और ऐिी िब दस्तािेजें िादी को या ऐिे व्यसक्त को, सजिे िि सियुक्त करे , पटरदत्त की जाएंगी, और
यक्रद प्रसतिादी िे ऐिी अपेिा की जाए तो िि उक्त िम्पसत्त को उक्त बन्िक िे मुक्त और प्रसतिादी द्वारा या क्रकिी ऐिे
व्यसक्त द्वारा, जो उिमें व्युत्पन्न असिकार के अिीि दािा करता िै, या क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा, सजिे व्युत्पन्न असिकार के
अिीि प्रसतिादी दािा करता िै, िृष्ट िब सिल्लंगमों िे रसित और मुक्त करके तथा इि बन्िक या इि िाद िे जो कोई
दासयत्ि उद्िपत िोते िैं उि िबिे मुक्त करके प्रसतिस्तान्तटरत या प्रसत अन्तटरत करे गा, और यक्रद उििे ऐि अपेिा की जाए
तो िि िादी को उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा ।
3. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पपिोक्त रूप में रकम जमा करिे में व्यसतिम िोिे पर प्रसतिादी
न्यायालय िे इि असन्तम सडिी के सलए आिेदि कर िके गा क्रक तत्पश्र्ात िादी इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में िर्र्चत बन्िक िम्पसत्त
का मोर्ि करािे के िब असिकारों िे पपर्चतः सििर्जचत और पुरोबसन्ित िोगा और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की जाए तो िि प्रसतिादी को
उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा और पिकार िमय-िमय पर न्यायालय िे आिश्यकतािुिार आिेदि कर
िकें गे और न्यायालय ऐिे आिेदि पर या अन्यथा ऐिे सिदेश दे िके गा जैिे िि ठीक िमझे ।

अिुिपर्ी
बन्िक िम्पसत्त का िर्चि
िंखयांक 7ग
जिां बन्िककताच द्वारा िंदाय में व्यसतिम िोिे पर सििय के सलए सडिी पाटरत की जाती िै ििां मोर्ि के सलए
प्रारसम्िक सडिी
(आदेश 34 का सियम 7—जिां न्यायालय शोिक रकम घोसषत करता िै)
(शीषचक)
िादी..................................इत्याक्रद की उपसस्थसत में इि िाद के आज तारीि...........................को पेश िोिे पर, यि
घोसषत क्रकया जाता िै क्रक िादपत्र में िर्र्चत बन्िक पर प्रसतिादी को आज ता०..................................तक िंगसर्त शोध्य रकम मपल
िि मद्दे.....................रुपए की रासश, उक्त मपल िि पर ब्याज मद्दे..............................रुपए की रासश (िाद के िर्ों िे सिन्न), उि
िर्ों, प्रिारों और व्ययों के सलए, जो बन्िक प्रसतिपसत की बाबत प्रसतिादी िे उसर्त रूप में उपगत क्रकए िैं, उि पर ब्याज
245

िसित......................रुपए की रासश और िाद के जो िर्े प्रसतिादी को असिसिर्ीत क्रकए गए िैं उि िर्ों


के .............................रुपए की रासश, कु ल समलाकर...........................रुपए की रासश िोती िै .
2. यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
(i) िादी ता०...............................को या उिके पपिच, या क्रकिी ऐिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके पपिच,
सजि तक िंदाय के सलए िमय न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया जाए.............................रुपए की उक्त रासश न्यायालय में जमा
करे दें;
(ii) ऐिे जमा कर क्रदए जािे पर और तत्पश्र्ात ऐिी तारीि के पपिच जो न्यायालय सियत करे , ऐिी रकम, जो
न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की, और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि
िंदये ऐिे िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित,
जमा कर दी जािे पर प्रसतिादी िादपत्र में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं, न्यायालय
में लाएगा और ऐिी दस्तािेजें िादी को ऐिी व्यसक्त को, सजिे िि सियुक्त करे , पटरदत्त की जाएंगी, और यक्रद प्रसतिादी िे
ऐिी अपेिा की जाए तो िि उक्त िम्पसत्त को उक्त बन्िक िे मुक्त करके और प्रसतिादी द्वारा, या क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा जो
उििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि दािा करता िो, या क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा सजििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि प्रसतिादी
दािा करता िै, िृष्ट िब सिल्लंगमों िे रसित और मुक्त करके प्रसतिस्तान्तटरत या प्रसत अन्तटरत करे गा, और यक्रद उििे ऐिी
अपेिा की जाए तो िि िादी को उक्त िम्पसत्त पर सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा ।
3. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पपिोक्त रूप में रकम जमा करिे में व्यसतिम िोिे पर प्रसतिादी
न्यायालय िे बन्िक-िम्पसत्त के सििय के सलए अंसतम सडिी के सलए आिेदि कर िके गा, और ऐिा आिेदि क्रकए जािे पर बन्िक-
िम्पसत्त के या उिके पयाचप्त िाग के सििय के सलए सिदेश क्रदया जाएगा और ऐिे सििय के प्रयोजिों के सलए प्रसतिादी बन्िक-िम्पसत्त
िंबिं ी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं न्यायालय के िमि या उि असिकारी के िमि, सजिे िि सियुक्त करे , पेश
करे गा ।
4. यि िी आदेश क्रकया जाता िै क्रक और सडिी दी जाती िै क्रक ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि न्यायालय में जमा क्रकया जाएगा
और (सििय के व्ययों को उिमें िे काटकर) िि प्रसतिादी को इि सडिी के अिीि और ऐिे क्रकन्िीं असतटरक्त आदेशों के अिीि, जैिे इि
िाद में पाटरत क्रकए जाएं, िंदय
े रकम का िंदाय करिे में और ऐिी रकम का, जैिी न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की, और सिसिल प्रक्रिया
िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सिमय 10 के अिीि िंदय े ऐिे िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत प्रसतिादी को शोध्य
न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित िंदाय करिे में िम्यक रूप िे उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद
कु छ बाकी बर्े तो िि िादी को या अन्य व्यसक्तयों को, जो उिे प्राप्त करिे के िकदार िों, क्रदया जाएगा ।
5. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक यक्रद ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि प्रसतिादी की पपिोक्त रूप में
िंदये रकम के पपर्च िंदाय के सलए पयाचप्त ि िो तो प्रसतिादी (जिां ऐिा उपर्ार उिके सलए बन्िक के सिबन्ििों के अिीि प्राप्त िै और
क्रकिी तत्िमय-प्रिृत्त-सिसि द्वारा िर्जचत ििीं िै) िादी के सिरुद्ध बाकी की रकम के सलए िैयसक्तक सडिी के सलए आिेदि कर िके गा
और पिकार िमय-िमय पर न्यायालय िे आिश्यकतािुिार आिेदि कर िकें गे और न्यायालय ऐिे आिेदि पर या अन्यथा ऐिे सिदेश
दे िके गा और जैिे िि ठीक िमझे ।
अिुिपर्ी
बन्िक-िम्पसत्त का िर्चि
िंखयांक 7घ
बन्िककताच द्वारा िंदाय में व्यसतिम िोिे पर मोर्ि िाद में पुरोबन्ि के सलए असन्तम सडिी
(आदेश 34 का सियम 8)
(शीषचक)
इि िाद में ता०............................को पाटरत प्रारं सिक सडिी को और ता०...................................के असतटरक्त
आदेशों को (यक्रद कोई िों) और अंसतम सडिी के सलए प्रसतिादी के ता०..........................के आिेदि को पढ़िे पर और पिकारों को
िुििे के पश्र्ात और यि प्रतीत िोिे पर क्रक उक्त सडिी और आदेशों द्वारा सिर्दचष्ट िंदाय िादी द्वारा या उिकी ओर िे क्रकिी व्यसक्त
द्वारा या उक्त बन्िक का मोर्ि करािे के िकदार क्रकिी अन्य व्यसक्त द्वारा ििीं क्रकया गया िै;
यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक िादी और उििे व्युत्पन्न असिकार के द्वारा या अिीि दािा करिे िाले
िब व्यसक्त पपिोक्त प्रारं सिक सडिी में िर्र्चत िम्पसत्त के और उिमें मोर्ि के िब असिकारों िे पपर्चतः सििर्जचत और पुरोबसन्ित िों और
क्रकए जाते िैं [और (यक्रद िादी का उक्त बन्िक-िम्पसत्त पर कब्जा िै तो) िादी उक्त बन्िक-िम्पसत्त का सिबाचि और शांसतपपर्च कब्जा
प्रसतिादी को पटरदत्त करे गा ।]


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246

2. यि िी घोसषत क्रकया जाता िै क्रक िादपत्र में िर्र्चत उक्त बन्िक िे या इि िाद िे उद्िपत जो िी दासयत्ि िादी का आज
तक िै िि िब इिके द्वारा उन्मोसर्त और सििाचसपत क्रकया जाता िै ।

िंखयांक 7ङ
बन्िककताच द्वारा िंदाय में व्यसतिम िोिे पर मोर्ि िाद में सििय के सलए असन्तम सडिी
(आदेश 34 का सियम 8)
(शीषचक)
इि िाद में ता०.............................को पाटरत प्रारं सिक सडिी को और ता०..........................के असतटरक्त आदेशों को
(यक्रद कोई िों) और अंसतम सडिी के सलए प्रसतिादी के ता०..................................के आिेदि को पढ़िे पर और पिकारों को िुििे के
पश्र्ात और यि प्रतीत िोिे पर क्रक उक्त सडिी और आदेशों द्वारा सिर्दचष्ट िंदाय िादी द्वारा या उिकी ओर िे क्रकिी व्यसक्त द्वारा या
उक्त बन्िक का मोर्ि करािे के िकदार क्रकिी अन्य व्यसक्त द्वारा ििीं क्रकया गया िै;
यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पपिोक्त प्रारं सिक सडिी में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त या उिके पयाचप्त िाग
का सििय कर क्रदया जाए और ऐिे सििय के प्रयोजिों के सलए प्रसतिादी बन्िक-िम्पसत्त िंबंिी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या
शसक्त में िैं न्यायालय के िमि या उि असिकारी के िमि, सजिे िि सियुक्त करे , पेश करे गा ।
2. यि िी आदेश क्रदया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि न्यायालय में जमा क्रकया जाएगा और
(सििय के व्ययों को उिमें िे काटकर) िि प्रसतिादी को पपिोक्त प्रारं सिक सडिी के अिीि और ऐिे क्रकन्िीं असतटरक्त आदेशों के अिीि
जैिे इि िाद में पाटरत क्रकए गए िों, िंदय
े रकम का िंदाय करिे में, और ऐिी रकम का, जैिी न्यायालय इि आिेदि के िर्ों के िसित
िाद के ऐिे िर्ों की और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि िंदय े ऐिे िर्ों,
प्रिारों और व्ययों की बाबत प्रसतिादी को शोध्य न्यायसिर्ीत करे सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित, िंदाय करिे में
िम्यक रूप िे उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो िि िादी को या अन्य व्यसक्तयों को, जो उिे प्राप्त करिे के सलए
िकदार िों, क्रदया जाएगा ।

िंखयांक 7र्
पुरोबन्ि, सििय या मोर्ि के िाद में जिां बन्िककताच सडिी की रकम दे दे ििां असन्तम सडिी
(आदेश 34 का सियम 3, 5, और 8)
(शीषचक)
यि िाद और आगे सिर्ार के सलए आज ता०.................................को पेश िोिे पर और यि प्रतीत िोिे पर क्रक बन्िकताच
िे या...................................िे, जो मोर्ि करािे का िकदार व्यसक्त िै, िि िब रकम, जो ता०.............................की प्रारं सिक
सडिी के अिीि बन्िकदार को शोध्य िै, ता०................................को न्यायालय में जमा कर दी िै;
यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
(i) बन्िकदार पपिोक्त प्रारं सिक सडिी में िर्र्चत िम्पसत्त का प्रसतिस्तान्तरर् सिलेि बन्िककताच *(या
यथासस्थसत,...................के सजििे िम्पसत्त का मोर्ि कराया िै) पि में सिष्पाक्रदत कर दे या अपिे को शोध्य रकम की
असिस्िीकृ सत उिके पि में सिष्पाक्रदत कर दे;
(ii) बन्िकदार िाद में की बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं न्यायालय
में लाए ।
यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक बन्िकदार द्वारा प्रसतिस्तान्तरर् सिलेि या असिस्िीकृ सत पपिोक्त
रीसत िे सिष्पाक्रदत क्रकए जािे पर,—
(i) ..........................रुपए की उक्त रासश बन्िकदार को न्यायालय में िे दे दी जाए;
(ii) न्यायालय में लाए गए उक्त सिलेि और दस्तािेजें न्यायालय में िे बन्िककताच को *(या िंदाय करिे िाले
व्यसक्त को) पटरदत्त कर दी जाएं और यक्रद बन्िकदार िे ऐिी अपेिा की जाए तो िि बन्िककताच *(या िंदाय करिे िाले अन्य
व्यसक्त) के िर्े पर उक्त प्रसतिस्तान्तरर् सिलेि या असिस्िीकृ सत को....................के उपरसजस्िार के कायाचलय में
रसजस्िीकृ त करिे के सलए ििमत िो; तथा
(iii) (यक्रद, यथासस्थसत, बन्िकदार, िादी या प्रसतिादी बन्िक-िम्पसत्त पर कब्जा रिता िै तो) बन्िकदार पपिोक्त
प्रारं सिक सडिी में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त पर कब्जा बन्िककताच को *(या यथापपिोक्त व्यसक्त को, सजििे िंदाय क्रकया िै)
तुरन्त पटरदत्त कर दे ।


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247

िंखयांक 8
बन्िक-िम्पसत्त के सििय के पश्र्ात बाकी रकम के सलए बन्िककताच के सिरुद्ध िैयसक्तक सडिी
(आदेश 34 का सियम 6 और 8क)
(शीषचक)
बन्िकदार (यथासस्थसत, िादी या प्रसतिादी) के आिेदि को पढ़िे पर और िाद में ता०............................को पाटरत अंसतम
सडिी को पढ़िे पर, और न्यायालय का यि िमािाि िो जािे पर क्रक पपिोक्त अंसतम सडिी के अिीि क्रकए गए सििय के शुद्ध
आगम...............................रुपए थे और िे ता०............................को न्यायालय में िे आिेदक को दे क्रदए गए िैं और पपिोक्त
सडिी के अिीि अब उिको शोध्य...................................रुपए बाकी िैं;
और न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक उक्त रकम स्ियं बन्िककताच (यथासस्थसत, िादी या प्रसतिादी) िे िैि रूप िे
ििपलीय िै;
अतः यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
बन्िककताच (यथासस्थसत, िादी या प्रसतिादी) बन्िकदार (यथासस्थसत, प्रसतिादी या िादी) को...........................रुपए की
उक्त रासश, ता०...................................(न्यायालय में िे उि िंदाय की तारीि सजिके प्रसत ऊपर सिदेश क्रकया गया िै) िे उक्त
रासश की ििपली की तारीि तक छि प्रसतशत प्रसतिषच की दर िे असतटरक्त ब्याज और इि आिेदि के िर्ों के िसित, दे ।

िंखयांक 9
पुरोबन्ि या सििय के सलए प्रारं सिक सडिी
[िादी...................................................................पिला बन्िकदार,
बिाम
पिला प्रसतिादी.........................................................बन्िककताच,
दपिरा प्रसतिादी..........................................................दपिरा बन्िकदार ।]
(आदेश 34 के सियम 2 और 4)
(शीषचक)
िादी.............................आक्रद की उपसस्थसत में इि िाद के आज ता०...................................को पेश िोिे पर, यि
घोसषत क्रकया जाता िै क्रक िादपत्र में िर्र्चत बन्िक पर िादी की आज ता०....................................तक िंगसर्त शोध्य रकम
मपलिि मद्धे............................रुपए की रासश, उक्त मपलिि पर ब्याज मद्धे………………................................रुपए की रासश
(िाद के िर्ों िे सिन्न), उि िर्ों, प्रिारों और व्ययों के सलए, जो बन्िक प्रसतिपसत की बाबत िादी िे उपगत क्रकए िैं, उि पर ब्याज
िसित,.............................................................रुपए की रासश, और िाद के जो िर्े िादी को असिसिर्ीत क्रकए गए िैं उि िर्ों के
सलए...............................रुपए की रासश, कु ल समलाकर...........................रुपए की रासश िोती िै ।
(यक्रद दपिरे प्रसतिादी को अपिे बन्िक की बाबत बन्िक-िि िाद की तारीि पर िंदय
े िो गया िै तो दपिरे प्रसतिादी को उिके
बन्िक पर शोध्य रकम की बाबत िी ऐिी िी घोषर्ाएं सलिी जाएंगी)
2. यि िी घोसषत क्रकया जाता िै क्रक िादी अपिे को शोध्य रकम का िंदाय दपि रे प्रसतिादी िे पपिच पािे का िकदार िै । *[या
(यक्रद कई पासश्र्क बन्िकदार िैं तो) इिके सिसिन्न पिकार अपिे को शोध्य रासशयों के िंदाय के सलए सिम्िसलसित िमािुिार िकदार
िै—]
3. यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
(i) (क) िादी को शोध्य....................................................रुपए की उक्त रासश प्रसतिादी या उिमें िे कोई एक
ता०........................................को या उिके पपिच या क्रकिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके पपिच, सजि तक िंदाय के सलए
िमय न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया गया िै, न्यायालय में जमा करा दे; तथा
(ि) दपिरे प्रसतिादी को शोध्य....................................रुपए की उक्त रासश पिला प्रसतिादी
ता०.........................को या उिके पपिच या ऐिी क्रकिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके पपिच, सजि तक िंदाय के सलए िमय
न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया गया िै, न्यायालय में जमा कर दे; तथा
(ii) िादी को शोध्य घोसषत रासश िण्ड (i) (क) में सिसित रीसत िे प्रसतिाक्रदयों द्वारा या उिमें िे क्रकिी एक द्वारा
जमा कर दी जािे पर और तत्पश्र्ात ऐिी तारीि के पपिच, जैिी न्यायालय सियत करे , ऐिी रकम, जैिी न्यायालय िाद के ऐिे
248

िर्ों की बाबत और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि िंदय े ऐिे िर्ों,
प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित जमा कर दी जािे
पर िादी िादपत्र में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं, न्यायालय में लाएगा,
और ऐिी िब दस्तािेजें.................................प्रसतिादी को (सजििे रासश जमा की िै) या ऐिे व्यसक्त को, सजिे िि
सियुक्त करे , पटरदत्त की जाएंगी, और यक्रद िादी िे ऐिी अपेिा की जाए तो िि उक्त िम्पसत्त को उक्त बन्िक िे मुक्त करके
और िादी द्वारा या क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा, जो उििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि दािा करता िै, या क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा
सजििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि िादी दािा करता िै, िृष्ट िब सिल्लंगमों िे रसित और मुक्त करके और इि बन्िक िे या
इि िाद िे जो कोई दासयत्ि उद्िपत िोते िैं उि िबिे मुक्त करके प्रसतिस्तान्तटरत या प्रसत अन्तटरत करे गा और यक्रद उििे
ऐिी अपेिा की जाए तो..........................प्रसतिादी को (सजििे रासश जमा की िै) उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शासन्तपपर्च
कब्जा पटरदत्त करे गा ।
(यक्रद पिला प्रसतिादी दपिरे प्रसतिादी को शोध्य पाई गई या घोसषत रकम दे देता िै तो ऐिी िी घोषर्ाएं, ऐिे फे रफार के
िसित जैिे उिके बन्िक की प्रकृ सत को देिते हुए आिश्यक िों, सलिी जाएंगी) ।
4. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक िादी को शोध्य रकम के यथापपिोक्त िंदाय में व्यसतिम िोिे पर
िादी न्यायालय िे इि अंसतम सडिी के सलए आिेदि कर िके गा क्रक—
(i) [िशतच सििय द्वारा बन्िक या सिलिर् बन्िक की दशा में सजिमें क्रक बन्िक सिलेि में उपबसन्ित एकमात्र
उपर्ार सििय ििीं बसल्क पुरोबन्ि िै] प्रसतिादी इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त का मोर्ि करािे के
िब असिकारों िे, िंयुक्ततः और पृथक्तः तथा पपर्चतः सििर्जचत और पुरोबसन्ित िोंगे, और यक्रद उििे अपेिा की जाए तो उक्त
िम्पसत्त का सिबाचि और शांसतपपर्च कब्जा िादी को पटरदत्त करें गे; अथिा
(ii) *[क्रकिी अन्य बन्िक की दशा में] बन्िक-िम्पसत्त का या उिके पयाचप्त िाग का सििय कर क्रदया जाएगा और
िादी ऐिे सििय के प्रयोजिों के सलए िादी बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं,
न्यायालय के िमि या उि असिकारी के िमि, सजिे िि न्यायालय सियुक्त करे , पेश करे गा; तथा
(iii) *[उि दशा में सजिमें क्रक ऊपर के िण्ड 4 (ii) के अिीि सििय का आदेश क्रकया जाता िै] ऐिे सििय िे ििपल
हुआ िि न्यायालय में जमा क्रकया जाएगा और (उिमें िे सििय के व्यय को काटकर) िि िादी को, इि सडिी के अिीि और
ऐिे क्रकन्िीं असतटरक्त आदेशों के , जैिे इि िाद में पाटरत क्रकए गए िों, अिीि िंदय
े रकम का िंदाय करिे में और ऐिी क्रकिी
रकम का, जैिी न्यायालय िाद के िर्ों की और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सिमय 10
के अिीि िंदय े ऐिे िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े ऐिे पासश्र्क
ब्याज के िसित, िंदाय करिे में िम्यक रूप िे उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो िि दपिरे प्रसतिादी को
शोध्य रकम का िंदाय करिे में उपयोसजत क्रकया जाएगा और, यक्रद क्रफर िी कु छ बाकी बर्े तो िि पिले प्रसतिादी को या
अन्य व्यसक्तयों को, जो उिे प्राप्त करिे के िकदार िों, क्रदया जाएगा; तथा
(iv) यक्रद ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि िादी और दिपरे प्रसतिादी को शोध्य रकम के पपर्च िंदाय के सलए पयाचप्त ि
िो तो, यथासस्थसत, िादी या दपिरा प्रसतिादी या िे दोिों (जिां ऐिा उपर्ार उिके अपिे बन्िकों के सिबन्ििों के अिीि
अिुज्ञात िै और क्रकिी तत्िमय-प्रिृत्त-सिसि द्वारा िर्जचत ििीं िै) पिले प्रसतिादी के सिरुद्ध उि रकम के सलए, जो िमशः
उिको शोध्य रि गई िो, िैयसक्तक सडिी के सलए आिेदि कर िकें गे ।
5. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै—
(क) यक्रद दपिरा प्रसतिादी इि िाद में िि रकम न्यायालय में जमा कर देता िै सजिके बारे में यि न्यायसिर्ीत
क्रकया गया िै क्रक िि िादी को शोध्य िै, क्रकन्तु पिला प्रसतिादी उक्त रकम के िंदाय में व्यसतिम करता िै तो दपिरा प्रसतिादी
न्यायालय िे यि आिेदि क्रक िादी का बन्िक मेरे फायदे के सलए जीसित रिा जाए और [उिी रीसत िे सजििे क्रक ऊपर के
िण्ड (4) के अिीि िादी आिेदि कर िकता था] इि अंसतम सडिी के सलए आिेदि कर िके गा क्रक—
*
[(i) पिला प्रसतिादी इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त के मोर्ि के िब असिकारों
िे तत्पश्र्ात पपर्चतः सििर्जचत और पुरोबसन्ित िोगा, और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की जाए तो िि दपिरे प्रसतिादी
को उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शांसतपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा;] अथिा
[(ii)] बन्िक-िम्पसत्त का या उिके पयाचप्त िाग का सििय क्रकया जाएगा और ऐिे सििय के प्रयोजिों के
*

सलए दपिरा प्रसतिादी बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं, न्यायालय के िमि
या उि असिकारी के िमि, सजिे िि न्यायालय सियुक्त करे , पेश करे गा;] तथा


अिपेसित शब्द काट क्रदए जाएं ।
249

(ि) (यक्रद दपिरे प्रसतिादी के आिेदि पर पुरोबन्ि के सलए ऐिी असन्तम सडिी पाटरत की जाती िै तो) िादी के
बन्िक िे या दिपरे प्रसतिादी के बन्िक िे या इि िाद िे उद्िपत पिले प्रसतिादी के िब दासयत्िों के बारे में यि िमझा जाएगा
क्रक िे उन्मोसर्त और सििाचसपत कर क्रदए गए िैं ।
6. (जिां क्रक ऊपर के िण्ड 5 के अिीि सििय का आदेश क्रकया गया िैं, ििा) यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी
जाती िै क्रक—
(i) ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि न्यायालय में जमा क्रकया जाएगा और (सििय के व्ययों को उिमें िे काटकर) िि
िबिे पिले िादी के बन्िक की बाबत दपिरे प्रसतिादी द्वारा दी गई रकम का और उििे िम्बसन्ित िाद के िर्ों का िं दाय
करिे में और ऐिी क्रकिी रकम का, जैिी न्यायालय उक्त रकम पर पासश्र्क ब्याज की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , िंदाय
करिे में िम्यक रूप िे उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो िि दपिरे प्रसतिादी को अपिे बन्िक की बाबत
इि सडिी के अिीि और ऐिे क्रकन्िीं असतटरक्त आदेशों के , जो पाटरत क्रकए जाएं, अिीि शोध्य न्यायसिर्ीत की गई रकम का
िंदाय करिे में और ऐिी रकम का, जो न्यायालय इि िाद के ऐिे िर्ों की और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम
अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि िंदय े ऐिे िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम
11 के अिीि िंदय े ऐिे पासश्र्क ब्याज के िसित, िंदाय करिे में उपयोसजत क्रकया जाएगा, और यक्रद क्रफर िी कु छ बाकी बर्े
तो िि पिले प्रसतिादी को या ऐिे अन्य व्यसक्तयों को, जो उिे प्राप्त करिे के िकदार िों, क्रदया जाएगा; तथा
(ii) यक्रद ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि िादी के बन्िक या दपिरे प्रसतिादी के बन्िक की बाबत शोध्य रकम का पपर्च
िंदाय करिे के सलए पयाचप्त ि िो तो दपिरा प्रसतिादी (जिां ऐिा उपर्ार उिके बन्िक के सिबन्ििों के अिीि उिके सलए
अिुज्ञात िै और क्रकिी तत्िमय-प्रिृत्त सिसि द्वारा िर्जचत ििीं िै) पिले प्रसतिादी के सिरुद्ध बाकी की रकम के सलए िै यसक्तक
सडिी के सलए आिेदि कर िके गा ।
7. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पिकार िमय-िमय पर इि न्यायालय िे आिश्यकतािुिार
आिेदि कर िकें गे और न्यायालय ऐिे आिेदि पर या अन्यथा ऐिे सिदेश दे िके गा जैिे िि ठीक िमझे ।

अिुिपर्ी
बन्िक-िम्पसत्त का िर्चि
िंखयांक 10
पपर्िचक बन्िक के मोर्ि के सलए और पासश्र्क बन्िक पर पुरोबन्ि या सििय के सलए प्रारसम्िक सडिी
[िादी.................................................................................................दपिरा बन्िकदार,
बिाम
पिला प्रसतिादी....................................................................................बंिककताच
दपिरा प्रसतिादी....................................................................................पिला बन्िकदार ।]
(आदेश 34 के सियम 2, 4 और 7)
(शीषचक)
िादी..................................इत्याक्रद की उपसस्थसत में इि िाद के आज...............................को पेश िोिे पर, यि
घोसषत क्रकया जाता िै क्रक िादपत्र में िर्र्चत बन्िक पर दपिरे प्रसतिादी को आज ता०..................................तक िंगसर्त शोध्य
रकम, मपलिि मद्धे...........................रुपए की रासश, उक्त मपलिि पर ब्याज मद्धे..............................रुपए की रासश, (िाद के
िर्ों िे सिन्न) उि िर्ों, प्रिारों और व्ययों के सलए, जो बन्िक प्रसतिपसत की बाबत दपिरे प्रसतिादी िे उसर्त रूप में उपगत क्रकए िैं, उि
पर ब्याज के िसित,........................रुपए की रासश, और इि िाद के जो िर्े दपिरे प्रसतिादी को असिसिर्ीत क्रकए गए िैं उि िर्ों के
सलए....................................रुपए की रासश कु ल समलाकर....................................रुपए की रासश िोती िै ।
(यक्रद िादी को अपिे बन्िक की बाबत बन्िक-िि िाद तारीि पर िंदय
े िो गया िो तो उिे पिले प्रसतिादी िे शोध्य रकम
की बाबत िी ऐिी िी घोषर्ाएं सलिी जाएंगी)
2. यि िी घोसषत क्रकया जाता िै क्रक दपिरा प्रसतिादी अपिे को शोध्य रकम का िंदाय िादी िे पपिच पािे का िकदार िै
*[या (यक्रद कई पासश्र्क बन्िकदार िों तो) इिके सिसिन्न पिकार अपिे को शोध्य रासशयों के िंदाय के सिम्िसलसित िमािुिार िकदार
िै—] ।
3. यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—


अिपेसित शब्द काट क्रदए जाएं ।
250

(i) (क) दपिरे प्रसतिादी को शोध्य...............................रुपए की उक्त रासश िादी या पिला प्रसतिादी या उिमें
िे कोई एक ता०......................................को या उिके पपिच या ऐिी क्रकिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके पपिच, सजि
क्रदि तक िंदाय के सलए िमय न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया गया िै, न्यायालय में जमा कर दे ; तथा
(ि) िादी को शोध्य...............................रुपए की उक्त रासश पिला प्रसतिादी
ता०.................................को या उिके पपिच, या ऐिी क्रकिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके पपिच, सजि तक िंदाय के
सलए िमय न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया गया िै, न्यायालय में जमा कर दे; तथा
(ii) दपिरे प्रसतिादी को शोध्य घोसषत रासश िण्ड (i) (क) में सिसित रीसत िे िादी और पिले प्रसतिादी या उिमें िे
क्रकिी एक द्वारा जमा कर दी जािे पर और तत्पश्र्ात ऐिी तारीि के पपिच, जो न्यायालय सियत करे , ऐिी रकम, जो
न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि
िंदये िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित, जमा
कर दी जािे पर, दपिरा प्रसतिादी िादपत्र में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे, या शसक्त में िैं
न्यायालय में लाएगा और ऐिी िब दस्तािेजें िादी या प्रसतिादी को (सजििे िी रासश जमा की िै) या ऐिे व्यसक्त को, सजिे
िि सियुक्त करे , पटरदत्त की जाएंगी और यक्रद दपिरे प्रसतिादी िे अपेिा की जाए तो िि उक्त िम्पसत्त को उक्त बन्िक िे
मुक्त करके और दपिरे प्रसतिादी द्वारा या क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा, जो उििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि दािा करता िै या
क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा, सजििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि प्रसतिादी दािा करता िै, िृष्ट िब सिल्लंगमों िे रसित और मुक्त
करके और इि बन्िक िे या इि िाद िे कोई दासयत्ि उद्िपत िोते िैं उि िबिे मुक्त करके प्रसतिस्तान्तटरत या प्रसत अन्तटरत
करे गा और यक्रद उििे अपेिा की जाए तो उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा िादी या पिले प्रसतिादी को
(सजििे िी रासश जमा की िै) पटरदत्त करे गा ।
(यक्रद पिला प्रसतिादी िादी को शोध्य पाई गई या घोसषत रकम दे देता िै तो ऐिी िी घोषर्ाएं ऐिे फे रफार के िसित, जैिे
क्रक उिके बन्िक की प्रकृ सत को देिते हुए आिश्यक िों, सलिी जाएंगी ।)
4. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक दपिरे प्रसतिादी को शोध्य रकम के यथापपिोक्त िंदाय में व्यसतिम
िोिे पर दपिरा प्रसतिादी न्यायालय िे िाद के िाटरज क्रकए जािे के सलए या इि असन्तम सडिी के सलए आदेश कर िके गा क्रक—
(i) *(िशतच सििय द्वारा बन्िक या सिलिर् बन्िक की दशा में, सजिमें क्रक बन्िक सिलेि में उपबसन्ित एकमात्र
उपर्ार सििय ििीं बसल्क पुरोबन्ि िै) िादी और पिला प्रसतिादी िंयुक्ततः और पृथक्तः इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में
िर्र्चत बन्िक िम्पसत्त के मोर्ि करािे के िब असिकारों िे तत्पश्र्ात िंयुक्ततः और पृथक्तः तथा पपर्चतः सििर्जचत और
पुरोबसन्ित िोंगे, और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की जाए तो उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा दपिरे प्रसतिादी को
पटरदत्त करे गा; अथिा
(ii) (क्रकिी अन्य बन्िक की दशा में) बन्िक िम्पसत्त का या उिके पयाचप्त िाग का सििय कर क्रदया जाएगा और
दपिरा प्रसतिादी ऐिे सििय के प्रयोजिों के सलए बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं
न्यायालय के िमि या उि असिकारी के िमि, सजिे िि न्यायालय सियुक्त करे , पेश करे गा; तथा
(iii) *[उि दशा में सजिमें क्रक ऊपर के िण्ड 4 (ii) के अिीि सििय का आदेश क्रकया जाता िै] ऐिे सििय िे ििपल
हुआ िि न्यायालय में जमा क्रकया जाएगा और (उिमें िे सििय के व्ययों को काटकर) िि दपिरे प्रसतिादी को इि सडिी के
अिीि और ऐिे क्रकन्िीं असतटरक्त आदेशों के , जैिे इि िाद में पाटरत क्रकए जाएं, अिीि िंदये रकम का िंदाय करिे में और
ऐिी क्रकिी रकम का जैिी न्यायालय िाद के िर्ों की और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के
सियम 10 के अिीि िंदाय ऐिे िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े
पासश्र्क ब्याज के िसित, िंदाय करिे में िम्यक रूप िे उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो िि िादी को
शोध्य रकम का िंदाय करिे में उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद क्रफर िी कु छ बाकी बर्े तो िि पिले प्रसतिादी को या
अन्य व्यसक्तयों को, जो उिे प्राप्त करिे के िकदार िों क्रदया जाएगा; तथा
(iv) यक्रद ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि दपिरे प्रसतिादी और िादी को शोध्य रकम के पपर्च िंदाय के सलए पयाचप्त ि
िो तो, यथासस्थसत, दपिरा प्रसतिादी या िादी या िे दोिों (जिां क्रक ऐिा उपर्ार उिके अपिे बन्िकों के सिबन्ििों के अिीि
अिुज्ञात िै और क्रकिी तत्िमय-प्रिृत्त-सिसि द्वारा िर्जचत ििीं िै) पिले प्रसतिादी के सिरुद्ध उि रकम के सलए जो िमशः
उिको शोध्य रि गई िो, िैयसक्तक सडिी के सलए आिेदि कर िकें गे ।
5. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
(क) यक्रद िादी इि िाद में िि रकम न्यायालय में जमा कर देता िै सजिके बारे में न्यायसिर्ीत क्रकया गया िै क्रक
िि दपिरे प्रसतिादी को शोध्य िै क्रकन्तु पिला प्रसतिादी उक्त रकम का िंदाय करिे में व्यसतिम करता िै तो िादी न्यायालय
िे यि आिेदि क्रक दपिरे प्रसतिादी का बन्िक मेरे फायदे के सलए जीसित रिा जाए और [उिी रीसत िे सजििे क्रक ऊपर के
िण्ड (4) के अिीि दपिरा प्रसतिादी आिेदि कर िकता था] इि असन्तम सडिी के सलए आिेदि कर िके गा क्रक—


अिपेसित शब्द काट क्रदए जाएं ।
251

[(i) पिला प्रसतिादी इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में िर्र्चत बन्िक-िम्पसत्त के मोर्ि के िब असिकारों

िे तत्पश्र्ात पपर्त
च ः सििर्जचत और पपरोबसन्ित िोगा और यक्रद उििे ऐिी अपेिा की जाए तो िि िादी को उक्त
िम्पसत्त का सिबाचि और शासन्तपपर्च कब्जा पटरदत्त करे गा;] अथिा
[(ii) बन्िक-िम्पसत्त का या उिके पयाचप्त िाग का सििय क्रकया जाएगा और ऐिे सििय के प्रयोजिों के
*

सलए िादी बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं न्यायालय के िमि या उि
असिकारी के िमि; सजिे िि न्यायालय सियुक्त करे , पेश करे गा;] तथा
(ि) (यक्रद दपिरे प्रसतिादी के आिेदि पर पुरोबन्ि के सलए ऐिी असन्तम सडिी पाटरत की जाती िै तो) िादी के
बन्िक िे या दपिरे प्रसतिादी के बन्िक िे या इि िाद िे उद्िपत पिले प्रसतिादी के िब दासयत्िों के बारें में यि िमझा जाएगा
क्रक िे उन्मोसर्त और सििाचसपत कर क्रदए गए िैं ।
6. (जिां क्रक ऊपर के िण्ड 5 के अिीि सििय का आदेश क्रदया गया िै ििां) यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती
िै क्रक—
(i) ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि न्यायालय में जमा क्रकया जाएगा और (सििय के व्ययों को उिमें िे कटाकर) िि
िबिे पिले दपिरे प्रसतिादी के बन्िक की बाबत िादी द्वारा दी गई रकम का, और उििे िंबंसित िाद के िर्ों का िंदाय करिे
में और ऐिी क्रकिी रकम का, जैिी न्यायालय उक्त रकम पर पासश्र्क ब्याज की बाबत शोध्य न्यासिर्ीत करे , िंदाय करिे में
िम्यक रूप िे उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो िि िादी को अपिे बन्िक की बाबत इि सडिी के अिीि
और ऐिे क्रकन्िीं असतटरक्त आदेशों के , जो पाटरत क्रकए जाएं, अिीि शोध्य न्यायसिर्ीत की गई रकम का िंदाय करिे में और
ऐिी रकम का, जो न्यायालय इि िाद के ऐिे िर्ों की और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के
सियम 10 के अिीि िंदय े ऐिे िर्ों, प्रिारों और व्ययों की बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदये ऐिे
पासश्र्क ब्याज के िसित, िंदाय करिे में उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद क्रफर िी कु छ बाकी बर्े तो िि पिले प्रसतिादी
को या ऐिे अन्य व्यसक्तयों को, जो उिे प्राप्त करिे के िकदार िों, िंदत्त क्रकया जाएगा; तथा
(ii) यक्रद ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि दपिरे प्रसतिादी के बन्िक या िादी के बन्िक की बाबत शोध्य रकम का पपर्च
िंदाय करिे के सलए पयाचप्त ि िो तो दपिरा प्रसतिादी (जिां क्रक ऐिा उपर्ार उिके बन्िक के सिबन्ििों के अिीि उिके सलए
अिुज्ञात िै ओर क्रकिी तत्िमय-प्रिृत्त-सिसि द्वारा िर्जचत ििीं िै) पिले प्रसतिादी के सिरुद्ध बाकी की रकम के सलए िैयसक्तक
सडिी के सलए आिेदि कर िके गा ।
7. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पिकार िमय-िमय पर इि न्यायालय िे आिश्यकतािुिार
आिेदि कर िकें गे और न्यायालय ऐिे आिेदि पर या अन्यथा ऐिे सिदेश दे िके गा जैिे िि ठीक िमझे ।

अिुिपर्ी
बन्िक-िम्पसत्त का िर्चि
िंखयांक 11
सििय के सलए प्रारसम्िक सडिी
[िादी..................................................................अिुबन्िकदार या व्युत्पन्न बन्िकदार;
बिाम
पिला प्रसतिादी..........................................................................बन्िककताच,
दपिरा प्रसतिादी.............................................................................मपल बन्िकदार ।]

(आदेश 34 का सियम 4)
(शीषचक)
िादी............................इत्याक्रद की उपसस्थसत में इि िाद के आज.............................को पेश िोिे पर, यि घोसषत
क्रकया जाता िै क्रक दपिरे प्रसतिादी को उिके बन्िक पर आज तारीि..................................तक िंगसर्त शोध्य रकम मपलिि
मद्धे......................रुपए की रासश, उक्त मपलिि पर ब्याज मद्धे............................रुपए की रासश (िाद के िर्ों िे सिन्न), उि
िर्ें, प्रिारों और व्ययों के सलए जो बन्िक प्रसतिपसत की बाबत िैं उि पर ब्याज िसित.................................रुपए की रासश, और


अिपेसित शब्द काट क्रदए जाएं ।
252

िाद के जो िर्ों दपिरे प्रसतिादी को असिसिर्ीत क्रकए गए िैं उि िर्ों के सलए.............................रुपए की रासश, कु ल
समलाकर...............................रुपए की रासश िोती िै ।
(िादी को उिके बन्िक की बाबत दपिरे प्रसतिादी िे शोध्य रकम की बाबत ऐिी िी घोषर्ाएं सलिी जाएंगी) ।
2. यि आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक—
(i) दपिरे प्रसतिादी को शोध्य..............................रुपए की उक्त रासश पिला प्रसतिादी
तारीि........................को या उिके पपिच या ऐिी क्रकिी पश्र्ातिती तारीि को या उिके पपिच, सजि क्रदि तक िंदाय के
सलए िमय न्यायालय द्वारा बढ़ा क्रदया गया िै, न्यायालय में जमा कर दे ।
(िादी को शोध्य रकम की बाबत ऐिी िो घोषर्ाएं सलििी िोंगी, ऐिी रकम का िंदाय करिे के सलए दपिरा प्रसतिादी
स्ितंत्र िोगा) ।
(ii) दपिरे प्रसतिादी को शोध्य घोसषत रासश िण्ड 2 (i) में सिसित रीसत िे पिले प्रसतिादी द्वारा जमा कर दी जािे
पर और तत्पश्र्ात ऐिी तारीि के पपिच, जो न्यायालय सियत करे , ऐिी रकम जो न्यायालय िाद के ऐिे िर्ों की, और
सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि िंदय े िर्ों, प्रिारों और व्ययों की
बाबत शोध्य न्यायसिर्ीत करे , सियम 11 के अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज के िसित, जमा कर दी जािे पर िादी ओर दपिरा
प्रसतिादी िादपत्र में िर्र्चत बन्िक िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं, न्यायालय में लाएगा
और (उि दस्तािेजों को छोडकर जो अिुबन्िक के िी िम्बन्ि में िो) ऐिी िब दस्तािेजें पिले प्रसतिादी या ऐिे व्यसक्त को
सजि िि सियुक्त करे , पटरदत्त की जाएंगी, और यक्रद दपिरे प्रसतिादी िे अपेिा की जाए तो िि उक्त िम्पसत्त को उक्त बन्िक
िे मुक्त करके और दपिरे प्रसतिादी द्वारा या क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा, जो उििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि दािा करता िै, या
क्रकिी ऐिे व्यसक्त द्वारा, सजििे व्युत्पन्न असिकार के अिीि िि दािा करता िै, िृ ष्ट िब सिल्लंगमों िे रसित और मुक्त करके
और इि बन्िक िे या इि िाद िे जो दासयत्ि उद्िपत िोते िैं उि िबिे मुक्त करके पिले प्रसतिादी को प्रसतिस्तान्तटरत या
प्रसत अन्तटरत करे गा, और यक्रद उििे अपेिा की जाए, तो िि उक्त िम्पसत्त का सिबाचि और शांसतपपर्च कब्जा पिले प्रसतिादी
को पटरदत्त करे गा; तथा
(iii) दपिरे प्रसतिादी को शोध्य रकम पिले प्रसतिादी द्वारा न्यायालय में जमा की जािे पर िादी अपिे को शोध्य
घोसषत रासश, िाद के क्रकन्िीं पश्र्ातिती िर्ों के , और सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के
सियम 10 के अिीि िंदय े ऐिे अन्य िर्ों, प्रिारों और व्ययों के सियम 11 के अिीि िंदय
े ऐिे पासश्र्क ब्याज िसित, अपिे
को क्रदए जािे के सलए आिेदि कर िके गा और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो िि तब दपिरे प्रसतिादी को क्रदया जाएगा, और यक्रद
न्यायालय में जमा की गई रकम िादी को शोध्य रासश के पपर्च िंदाय के सलए पयाचप्त ि िो तो िादी (यक्रद ऐिा उपर्ार बन्िक
के सिबन्ििों द्वारा उिके सलए अिुज्ञात िै और क्रकिी तत्िमय-प्रिृत्त-सिसि द्वारा िर्जचत ििीं िै) दपिरे प्रसतिादी के सिरुद्ध
बाकी की रकम के सलए िैयसक्तक सडिी के सलए आिेदि कर िके गा ।
3. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक यक्रद दपिरा प्रसतिादी, िादी को शोध्य न्यायसिर्ीत रकम इि
िाद में न्यायालय में जमा कर देता िै तो िादी िब दस्तािेजें न्यायालय में लाएगा, इत्याक्रद, इत्याक्रद [जैिा क्रक िण्ड 2 के उपिण्ड (ii)
में िै ।]
4. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पिले और दपिरे प्रसतिादी द्वारा पपिोक्त रीसत िे जमा करिे में
व्यसतिम िोिे पर िादी न्यायालय िे सििय की अंसतम सडिी के सलए आिेदि कर िके गा और ऐिा आिेदि क्रकए जािे पर बन्िक
िम्पसत्त या उिके पयाचप्त िाग के सििय का सिदेश क्रदया जाएगा और ऐिे सििय के प्रयोजिों के सलए िादी और दपिरा प्रसतिादी
बन्िक-िम्पसत्त िम्बन्िी िे ििी दस्तािेजें जो उिके कब्जे या शसक्त में िैं न्यायालय के िमि या ऐिे असिकारी के िमि, सजिे िि
सियुक्त करे , पेश करे गा ।
5. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि न्यायालय में जमा क्रकया जाएगा और
(सििय के व्ययों को उिमें िे काटकर) िि िबिे पिले िादी को उक्त िण्ड (i) में सिसिर्दचष्ट शोध्य रकम का और सिसिल प्रक्रिया
िंसिता, 1908 की प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 34 के सियम 10 के अिीि िंदय े िाद के िर्ों और अन्य प्रिारों और व्ययों का सियम 11 के
अिीि िंदय े पासश्र्क ब्याज िसित, िंदाय करिे में िम्यक रूप िे उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद कु छ बाकी बर्े तो िि दपिरे
प्रसतिादी को शोध्य रकम का िंदाय करिे में उपयोसजत क्रकया जाएगा और यक्रद क्रफर िी कु छ बाकी बर्े तो िि पिले प्रसतिादी को या
ऐिे अन्य व्यसक्तयों को जो उिे प्राप्त करिे के िकदार िों, क्रदया जाएगा ।
6. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक यक्रद ऐिे सििय िे ििपल हुआ िि िादी को दपिरे प्रसतिादी को
िंदय े रकमों का पपरा िंदाय करिे के सलए पयाचप्त ि िो तो, (यक्रद तो उपर्ार उिके अपिे बन्िकों के अिीि अिुज्ञात िै और क्रकिी
तत्िमय-प्रिृत्त-सिसि द्वारा िर्जचत ििीं िै) यथासस्थसत, िादी या दपिरा प्रसतिादी या िे दोिों (यथासस्थसत) दपिरे प्रसतिादी या पिले
प्रसतिादी के सिरुद्ध बाकी की रकम के सलए िैयसक्तक सडिी के सलए आिेदि कर िकें गे ।
7. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक यक्रद दपिरा प्रसतिादी को शोध्य न्यायसिर्ीत रकम इि िाद में
न्यायालय में जमा कर देता िै क्रकन्तु पिला प्रसतिादी दपिरे प्रसतिादी को शोध्य रकम का िंदाय करिे में व्यसतिम करता िै तो दपिरा
253

प्रसतिादी (यथासस्थसत) पुरोबन्ि या सििय के सलए असन्तम सडिी के सलए न्यायालय िे आिेदि कर िके गा—(दपिरे प्रसतिादी के बन्िक
की प्रकृ सत के और उिके अिीि उिे अिुज्ञात उपर्ारों के अिुिार घोषर्ाएं मामपली प्ररूप में सलिी जाएंगी) ।
8. यि िी आदेश क्रकया जाता िै और सडिी दी जाती िै क्रक पिकार न्यायालय िे आिश्यकतािुिार आिेदि कर िकें गे और
ऐिे आिेदि पर या अन्यथा न्यायालय ऐिे सिदेश दे िके गा जैिे िि ठीक िमझे ।

अिुिपर्ी
बन्िक-िम्पसत्त का िर्चि
िंखयांक 12
सलसित की पटरशुसद्ध की सडिी
(शीषचक)
यि घोसषत क्रकया जाता िै क्रक तारीि...........................की.................................उि............................के पिकारों
के आश्य को ठीक-ठीक व्यक्त ििीं करती िै ।
यि सडिी दी जाती िै क्रक उक्त............................की पटरशुसद्ध..............................करे ।

िंखयांक 13
लेिदारों िे कपट करिे के सलए क्रकया गए अन्तरर् को अपास्त करिे की सडिी
(शीषचक)
यि घोसषत क्रकया जाता िै क्रक..................................और.................................के बीर् क्रकया गया
तारीि..............................का..................................ििां तक शपन्य िै जिां तक िि िादी के और प्रसतिादी के अन्य लेिदारों के ,
यक्रद कोई िों, सिरुद्ध िै ।

िंखयांक 14
प्राइिेट न्यपिन्े ि के सिरुद्ध व्यादेश
(शीषचक)
प्रसतिादी.........................., उिके असिकताच, िेिक और कमचकार प्रसतिादी के िपिण्ड में, जो उपाबद्ध रे िांक में ि सर्ह्र िे
सर्सह्रत िै, ईंट पकािे या पकिािे िे, जो उि सििाि गृि या बाग के , सजिके बारे में िादपत्र में िर्र्चत िै क्रक िि िादी का िै या िादी के
असििोग में िै, स्िामी या असििोगी के रूप में िादी के सलए न्यपिेन्ि करिे िाला िो, शाश्ितकाल के सलए अिरुद्ध रिे ।

िंखयांक 15
पुरािी ऊंर्ाई िे असिक ऊंर्ाई का सिमाचर् करिे के सिरुद्ध व्यादेश
(शीषचक)
प्रसतिादी........................................, उिके ठे केदार, असिकताच और कमचकार......................................के अपिे
पटरिर में उि ऊंर्ाई िे असिक ऊंर्ाई का, जो उिके अपिे उक्त पटरिर में पिले िडे उि सिमाचर्ों की थी जो िाल में िी सगरा क्रदए गए
िैं, क्रकिी गृि या सिमाचर् का बिाया जािा ऐिे या ऐिी रीसत िे र्ालप रििे में शाश्ितकाल के सलए अिरुद्ध रिें, जैिे या सजििे िादी के
उक्त पटरिर की सिडक्रकयां, जो उिके प्रार्ीि प्रकाशमागच िैं, अंिेरी, िसतग्रस्त या बासित िो जाएं ।

िंखयांक 16
प्राइिेट मागच के उपयोग का अिरोि करिे िाला व्यादेश
(शीषचक)
प्रसतिादी....................................., उिके असिकताच, िेिक और कमचकार..................................गली के क्रकिी िी
िाग का, सजिकी तल-िपसम िादी की िै, उपाबद्ध रे िांक में ि सर्ह्र िे सर्सह्रत िपसम तक ठे लों, गासडयों या अन्य यािों के जािे या ििां िे
आिे के सलए रास्ते के रूप में या क्रकिी अन्य प्रयोजि के सलए उपयोग करिे या उपयोग करिे की अिुज्ञा देिे िे शाश्वत्काल के सलए
अिरुद्ध रिे ।
254

िंखयांक 17
प्रशािि-िाद में प्रारसम्िक सडिी
(शीषचक)
यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक सिम्िसलसित लेिा सलए जाएं और जांर् की जाए, अथाचत:—

लेिदार के िाद में—


1. इिका लेिा सलया जाए क्रक िादी को और मृतक के अन्य िब लेिदारों को क्या शोध्य िै ।

ििीयदारों द्वारा िादों में—


2. ििीयतकताच की सिल द्वारा दी गई ििीयत-िंपदा का लेिा सलया जाए ।

सिकटतम कु ल्यों द्वारा िाद में—


3. इिकी जांर् की जाए और लेिा सलया जाए क्रक सििचिीयती व्यसक्त के सिकटतम कु ल्य (या सिकटतम कु ल्यों में िे एक) के
रूप में िादी क्रकतिे का या क्रकतिे अंश का, यक्रद कोई िो, िकदार िै ।
[सडिी में पिले पैरा के पश्र्ात, जिां िी आिश्यक िो, लेिदार के िाद में ििीयतदारों, सिसििा िाटरिों और सिकटतम
कु ल्यों के सलए जांर् करिे और लेिा लेिे के सलए आदेश क्रदया जाएगा । लेिदारों िे सिन्न दािेदारों के िाद में पिले पैरा के पश्र्ात िब
मामलों में लेिदारों की जांर् करिे और रे िा लेिे के सलए आदेश िोगा और अन्य पैराओं में िे िे, जो आिश्यक िों, प्रारसम्िक प्ररूसपक
शब्दों को छोडकर क्रदए जाएंगे । आगे यि प्ररूप िैिा िी िोगा जैिा लेिदार के िाद में िोता िै ।]
4. अंत्येसष्ट और ििीयती व्ययों का लेिा ।
5. मृतक की जो जंगम िम्पसत्त प्रसतिादी के िाथ में या उिके आदेश द्वारा या उिके उपयोग के सलए क्रकिी अन्य व्यसक्त के
िाथ में आई िै उिका लेिा ।
6. इि बात की जांर् क्रक मृतक की जंगम िम्पसत्त का कौि-िा िाग (यक्रद कोई िै) परादेय िै और ऐिा िै सजिका व्ययि ििीं
हुआ िै ।
7. यि िी आदेश क्रदया जाता िै क्रक प्रसतिादी आगामी तारीि..............................................को या उिके पपिच न्यायालय
में िे िब ििरासशयां जमा कर दें सजिके बारे में यि पाया जाए क्रक िे उिके िाथ में आई िैं या उिके आदेश द्वारा या उिके उपयोग के
सलए क्रकिी व्यसक्त के िाथ में आई िैं ।
8. यक्रद िाद के उद्देश्यों की पपर्तच के सलए .............................................को यि आिश्यक मालपम िो क्रक मृतक की जंगम
िम्पसत्त के क्रकिी िाग का सििय कर क्रदया जाए तो तद्िुिार उिका सििय कर क्रदया जाए और उिके आगम न्यायालय में जमा कर
क्रदए जांए ।
9. श्री र् छ िाद (या कायचिािी) में टरिीिर िों और मृतक के िब परादेय ऋर्ों और परादेय जंगम िम्पसत्त को प्राप्त और
ििपल करें और उिे..............................................................................................* को दे दें (और अपिे कतचव्यों के िम्यक पालि
के सलए...................................................रुपए की रकम की प्रसतिपसत बन्िपत्र द्वारा दें) ।
10. यि िी आदेश क्रदया जाता िै क्रक यक्रद मृतक की जंगम िम्पसत्त िाद के उद्देश्यों की पपर्तच के सलए अपयाचप्त पाई जाए तो
सिम्िसलसित असतटरक्त जांर् की जाए और लेिा सलया जाए, अथाचत:—
(क) इि बात की जांर् क्रक मृतक की मृत्यु के िमय उिके पाि कौि-िी स्थािर िम्पसत्त थी या कौि-िी स्थािर
िम्पसत्त का िि िकदार था;
(ि) इि बात की जांर् क्रक मृतक की स्थािर िम्पसत्त या उिके क्रकिी िाग पर प्रिाि डालिे िाले कौि-िे सिल्लंगम
(यक्रद कोई िों) िैं,
(ग) यथािंिि इिका लेिा क्रक क्रकि-क्रकि सिल्लंगमदारों को क्या-क्या शोध्य िै, और इिके अन्तगचत उि
सिल्लंगमदारों की पपर्िचकताओं का सििरर् िोगा जो इिमें आगे सिर्दचष्ट सििय के सलए अपिी ििमसत दें ।
11. मृतक की स्थािर िम्पसत्त का या उिके उतिे िाग का सििय जो िाद के उद्देश्य की पपर्तच के सलए न्यायालय में पयाचप्त
सिसि पपरी करिे के सलए आिश्यक िो, उि सिल्लंगमदारों के , जो सििय के सलए आपिी ििमसत दें, सिल्लंगमों िे मुक्त रूप में और जो
ऐिी ििमसत ि दें उिके सिल्लंगमों के अिीि रिते हुए, न्यायािीश के अिुमोदि िे कर क्रदया जाए ।


यिां उसर्त असिकारी का िाम सलसिए ।
255

12. यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक ज झ स्थािर िम्पसत्त के सििय का िंर्ालि करे गा और सििय की शतों और िंसिदाओं
को.......................................... के अिुमोदि के अिीि रिते हुए तैयार करे गा और यक्रद कोई शंका या कटठिाई पैदा िो तो उिे तय
करिे के सलए न्यायािीश के पाि कागज िेजे जाएंगे ।
13. यि िी आदेश क्रदया जाता िै क्रक इिमें इिके पपिच सिक्रदष्ट जांर्ों के प्रयोजि के सलए *..............................िमार्ारपत्रों
में इि न्यायालय को पद्धसत के अिुिार सिज्ञापि कराएगा या क्रकिी ऐिी अन्य रीसत िे ऐिी जांर् करे गा सजिकी
बाबत.................................. * यि प्रतीत िो क्रक उििे ऐिी जांर्ों का उपयोगी प्रर्ार असिकतम िोगा ।
14. यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक तारीि.......................................... * के पपिच िे जांर्ें कर ली जाएं और िे लेिा ले सलए
जाएं सजिका उल्लेि ऊपर क्रकया गया िै और िे िब कायच पपरे कर सलए जाएं सजिके क्रकए जािे के सलए आदेश क्रदया गया िै और
*
................................जांर्ों और लेिाओं के पटरर्ाम को और यि क्रक िब अन्य आक्रदष्ट कायच पपरे कर क्रदए गए िैं प्रमासर्त करे और
अपिा उि सिसमत्त प्रमार्पत्र तारीि..................................को पिकारों के सिरीिर् के सलए तैयार रिे ।
15. अन्त में यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक यि िाद (या कायचिािी) असन्तम सडिी करिे के सलए तारीि...........................के
सलए स्थसगत रिे ।
(इि सडिी का के िल िि िाग उपयोग में लाया जाए जो सिसशष्ट मामले में लागप िो)
िंखयांक 18
ििीयतदार द्वारा लाए गए प्रशािि-िाद में असन्तम सडिी
(शीषचक)
1. यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक प्रसतिादी.......................................... * ििीयतकताच..........................................की
िम्पदा के लेिे उि बाकी की, जो उक्त प्रमार्पत्र द्वारा उक्त प्रसतिादी िे शोध्य पाई गई िै, ......................................रुपए की
रासश और तारीि.................................................िे तारीि....................................तक.....................................प्रसतशत
प्रसतिषच की दर िे ब्याज
मद्धे..........................................................................................................................................रुपए की रासश िी,
कु ल समलाकर............................................रुपए की रासश न्यायालय में तारीि...............................................को या उिके
पपिच जमा कर दे ।
2. उक्त न्यायालय का *....................................इि िाद में िादी और प्रसतिादी के िर्ों का सिसििाचरर् करे और जब
उक्त िर्े ऐिे सिसििाचटरत कर क्रदए गए िों तब उिकी रकम न्यायालय में पपिोक्त रूप में जमा क्रकए जािे के सलए
आक्रदष्ट...........................................रुपए की उक्त रासश में िे सिम्िसलसित रीसत िे दी जाए, अथाचत:—
(क) िादी के िर्े उिके अटिी (या प्लीडर) श्री................................................................ को और
प्रसतिादी के िर्े उिके अटिी (या प्लीडर) श्री...........................................................को क्रदए जाएं;
(ि) और (यक्रद कोई ऋर् शोध्य िै तो) िादी और प्रसतिादी के िर्ों के उक्त िंदाय के पश्र्ात उक्त रासश में िे
अिसशष्ट....................................रुपयों में िे उि रासशयों का जो *.............................................................के
प्रमार्पत्र की.......................................................................................अिुिपर्ी में सिसिन्न िर्र्चत लेिदारों को
शोध्य पाई गई िै, उि ऋर्ों पर सजि पर ब्याज लगता िै पासश्र्क ब्याज के िसित िंदाय कर क्रदया जाए और ऐिे िंदाय के
पश्र्ात...............................................अिुिपर्ी में िर्र्चत सिसिन्न ििीयतदारों को समलिे िाली रकम पासश्र्क ब्याज
के िसित (जो पपिोक्त रूप में ित्यासपत क्रकया जाएगा) उन्िें दे दी जाए ।
3. यक्रद तब कु छ अिसशष्ट रिे तो यि अिसशष्टीय ििीयतदार को दे क्रदया जाए ।

िंखयांक 19
जिां सिष्पादक ििीयत-िम्पदा के िंदाय के सलए िैयसक्तक रूप िे दायी पाया गया िै ििां ििीयतदार के
प्रशािि-िाद में प्रारसम्िक सडिी
(शीषीक)
1. यि घोसषत क्रकया जाता िै क्रक प्रसतिादी िादी को ििीयत की गई *............................................................रुपए
की ििीयत िम्पदा के िंदाय के सलए िैयसक्तक रूप िे दायी िै ।
2. यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक उक्त ििीयत-िंपदा लेिे मपलिि और ब्याज मद्धे जो शोध्य िैं उिका लेिा सलया जाए ।


यिां उसर्त असिकारी का िाम सलसिए ।
256

3. यि िी आदेश क्रदया जाता िै क्रक प्रसतिादी........................................................................के प्रमार्पत्र की तारीि


के पश्र्ात…………………………………...............................................................िप्ताि के िीतर ििादी को यि रकम
दे सजिे.............................................िे मपलिि और ब्याज मद्दे प्रमासर्त क्रकया िै ।
4. यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक प्रसतिादी को िादी उिके िाद के िर्े दे दे और यक्रद पिकारों में िर्ों के बारे में मतिेद िो
तो िे सिसििाचटरत क्रकए जाएं ।

िंखयांक 20
सिकटतम कु ल्य द्वारा प्रशािि-िाद में असन्तम सडिी
(शीषचक)
1. उक्त न्यायालय का................................................................................... * इि िाद में िादी प्रसतिादी के िर्ों
को सिसििाचटरत करे और जब उक्त िादी के िर्े ऐिे सिसििाचटरत कर क्रदए जाएं तब उक्त प्रमार्पत्र द्वारा सििचिीयती व्यसक्त र् छ की
िैयसक्तक िम्पदा लेिे उक्त प्रसतिादी िे शोध्य पाई गई बाकी की................................................रुपए की रासश में िे िादी को
िर्े उक्त *.......................................................................द्वारा उक्त िर्ों के सिसििाचरर् के पश्र्ात एक िप्ताि के िीतर
प्रसतिादी द्वारा िंदत्त क्रकए जाएं और जब प्रसतिादी के िर्े सिसििाचटरत िो जाएं तब प्रसतिादी उिकी रकम उक्त रासश में िे अपिे
उपयोग के सलए रिे रिे ।
2. यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक िादी और प्रसतिादी के िर्ों का िंदाय पपिोक्त प्रकार िे करिे के पश्र्ात
...............................................रुपए की उक्त रासश की अिसशष्ट रासश प्रसतिादी द्वारा सिम्िसलसित रूप िे िंदत्त और उपयोसजत
की जाए ।
(क) प्रसतिादी *.....................................................................द्वारा उक्त िर्ों के पपिोक्त रूप में
सिसििाचरर् के पश्र्ात एक िप्ताि के िीतर उक्त अिसशष्ट रासश का तृतीयांश िादी क ि को और उिकी पत्नी ग घ को उक्त
सििचिीयती व्यसक्त र् छ की बसिि और सिकटतम कु ल्यों में िे एक िोिे के िाते, िंदत्त कर दे ।
(ि) प्रसतिादी उक्त सििचिीयती व्यसक्त र् छ की माता और सिकटतम कु ल्यों में िे एक िोिे के िाते उक्त अिसशष्ट
रासश का अन्य तृतीयांश अपिे उपयोग के सलए रिे रिे ।
(ग) प्रसतिादी *.............................................द्वारा उक्त िर्ों के पपिोक्त रूप िे सिसििाचरर् के पश्र्ात एक
िप्ताि के िीतर उक्त अिसशष्ट रासश का शेष तृतीयांश उक्त सििचिीयती व्यसक्त र् छ के िाई और अन्य सिकटतम कु ल्य िोिे
के िाते ज झ को िंदत्त कर दे ।

िंखयांक 21
िागीदारी के सिघटि और िागीदारी के लेिा लेिे के िाद में प्रारसम्िक सडिी
(शीषचक)
यि घोसषत क्रकया जाता िै क्रक िागीदारी के पिकारों के आिुपासतक अंश सिम्िसलसित िैं:
यि घोसषत क्रकया जाता िै क्रक यि िागीदारी तारीि ………......................................................................िे
सिघटटत िो जाएगी (या सिघटटत कर दी गई िमझी जाएगी) और यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक उिका उि क्रदि िे सिघटि
..............................................................राजपत्र, इत्याक्रद में सिज्ञासपत क्रकया जाए ।
यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक...........................................इि िाद में िागीदारी िम्पदा और र्ीजबस्त का टरिीिर िो
और िागीदारी के िब बिी-ऋर्ों और दािों को, जो परादेय िों, ििपल करे ।
यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक सिम्िसलसित लेिा सलए जाएं, अथाचत:—
1. उक्त िागीदारी के ितचमाि जमा पाििों, िम्पसत्त और र्ीजबस्त का लेिा;
2. उक्त िागीदारी के ऋर्ों और दासयत्िों का लेिा;
3. िादी और प्रसतिादी के बीर् हुए िब लेि-देिों और िंव्यििारों का लेिा जो इि िाद में प्रदर्शचत और (क) सर्ह्र
िे सर्ह्रांक्रकत सस्थरीकृ त लेिाओं की अंसतम मद के पश्र्ात के िों और यि लेिा लेिे में क्रकन्िीं पश्र्ातिती सस्थरीकृ त लेिाओं
में िस्तिेप ि क्रकया जाए ।


यिां उसर्त असिकारी का िाम सलसिए ।
257

यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक िादी और प्रसतिादी द्वारा िादपत्र में िर्र्च त रीसत िे अब तक क्रकए जािे िाले कारबार
की गुडसिल और व्यापार स्टाक का सििय उिके पटरिर पर िी कर क्रदया जाए और .........................................ऐिे
सििय के िब लाटों या इिमें िे क्रकिी के सलए आरसित बोली पिकारों में िे क्रकिी के आिेदि पर सियत कर िके गा और
दोिों पिकारों को सििय में बोली लगािे की स्ितंत्रता िोगी ।
यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक तारीि *.................................के पपिच उक्त लेिा ले सलए जाएं और िे िब कायच
पपरे कर सलए जाएं सजिका क्रकया जािा अपेसित िै और *...................................लेिाओं के पटरर्ाम को और यि क्रक िब
अन्य कायच पपरे कर क्रदए गए िैं, प्रमासर्त करे और अपिा उि सिसमत्त प्रमार्पत्र तारीि...............................को पिकारों
के सिरीिर् के सलए तैयार रिे ।
अन्त में यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक यि िाद असन्तम सडिी पाटरत करिे के सलए तारीि........................के सलए
स्थसगत रिे ।

िंखयांक 22
िागीदारी के सिघटि और िागीदारी के लेिा लेिे के िाद में असन्तम सडिी
(शीषचक)
यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक....................................रुपए की जो सिसि अब न्यायालय में िै िि सिम्िसलसित रीसत िे
उपयोसजत की जाए—
1. *......................................के प्रमार्पत्र में दजच िागीदारी द्वारा शोध्य ऋर्ों का, जो कु ल
समलाकर................................रुपए िोते िैं, िंदाय करिे में ।
2. इि िाद के िब पिकारों के िर्ों का, जो कु ल समलाकर............................रुपए िोते िैं, िंदाय करिे में । (ये
िर्े सडिी के तैयार क्रकए जािे के पपिच असिसिसश्र्त कर सलए जािे र्ासिएं ।)
3. िादी को िागीदारी की आसस्तयों में उिके अंश के रूप में....................................रुपए की रासश का, जो
न्यायालय में अब प्रसतिादी को िागीदारी की आसस्तयों में उिके अंश के रूप में..............................................रुपए की
रासश का, जो न्यायालय में अब जमा...............................................रुपए की उक्त रासश की अिसशष्ट रासश िै, िंदाय
करिे में ।
[या, और........................................................रुपए की उक्त रासश का शेष उक्त िादी (या प्रसतिादी)
को...............................रुपए की उि रासश का िासगक िंदाय करिे में, जो िागीदारी लेिाओं की बाबत उिे शोध्य
प्रमासर्त की गई िैं, िंदत्त क्रकया जाए ।]
4. और प्रसतिादी (या िादी) िादी (या प्रसतिादी) को उिे शोध्य..................................रुपए की उक्त रासश की
बाकी.....................................रुपए की रासश जो तब िी शोध्य रि गई िो, तारीि..................................को या
उिके पपिच िंदत्त करे ।

िंखयांक 23
िपसम और अन्तःकालीि लािों की ििपली के सलए सडिी
(शीषचक)
इिके द्वारा सिम्िसलसित सडिी दी जाती िै—
1. प्रसतिादी इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में सिसिर्दचष्ट िम्पसत्त पर िादी का कब्जा करा दे ।
2. प्रसतिादी उि अन्तःकालीि लािों मद्दे, जो िाद के िंसस्थत क्रकए जािे के पपिच शोध्य िो र्ु के िैं..................रुपए
की रासश, ििपली की तारीि तक...................................प्रसतशत प्रसतिषच की दर िे उि पर ब्याज िसित, िादी को
िंदत्त करे ।
या
2. उि अन्तःकालीि लािों की रकम के बारे में जांर् की जाए जो िाद के िंसस्थत क्रकए जािे के पपिच शोध्य िो
र्ुके िैं ।


यिां उसर्त असिकारी का िाम सलसिए ।
258

3. िाद के िंसस्थत क्रकए जािे की तारीि िे (सडिीदार को कब्जा पटरदत्त क्रकए जािे तक) (सडिीदार को न्यायालय
के माध्यम िे िपर्िा देकर सिर्ीतऋर्ी द्वारा कब्जे के त्याग तक) (सडिी की तारीि िे तीि िषच के अििाि तक) के
अन्तःकालीि लािों की रकम के बारे में जांर् की जाए ।

अिुिपर्ी
पटरसशष्ट ङ
सिष्पादि
िंखयांक 1
इि बात का िेतक
ु दर्शचत करिे के सलए िपर्िा क्रक िंदाय या िमायोजि को प्रमासर्त के रूप में क्यों ि
असिसलसित कर सलया जाए ।
(आदेश 21 का सियम 2)
(शीषचक)
प्रेसषती—
उक्त िाद की सडिी के सिष्पादि में......................................िे इि न्यायालय िे आिेदि क्रकया िै क्रक उि सडिी के अिीि
ििपलीय...................रुपए की रासश िंदत्त कर दी गई िै और िि प्रमासर्त की गई असिसलसित की जाए, अतः आपको
िमायोसजत कर ली
यि िपर्िा दी जाती िै क्रक आप इि बात का िेतुक दर्शचत करिे के सलए क्रक उक्त िंदाय/िमायोजि/प्रमासर्त के रूप में क्यों ि
असिसलसित क्रकया जाए ता०.................................को इि न्यायालय के िमि उपिंजात िों ।
यि आज ता०..............................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश
िंखयांक 2
आज्ञापत्र (िारा 46)
(शीषचक)
सडिीदार को िुििे के पश्र्ात यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक यि आज्ञापत्र.........................के ............................न्यायालय
को सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की िारा 46 के अिीि इि सिदेश के िाथ िेजा जाए क्रक िि न्यायालय उपाबद्ध अिुिपर्ी में
सिसिर्दचष्ट िम्पसत्त को कु कच कर ले और ऐिे क्रकिी आिेदि के क्रकए जािे तक उिे कु कच रिे, जो सडिी के सिष्पादि के सलए सडिीदार द्वारा
क्रकया जाए ।

अिुिपर्ी
ता०................................
न्यायािीश

िंखयांक 3
दपिरे न्यायालय को सिष्पादि के सलए सडिी िेजिे का आदेश
(आदेश 21 का सियम 6)
(शीषचक)
उक्त िाद में सडिीदार िे यि असिकथि करते हुए क्रक............................के ..............................न्यायालय की
असिकाटरता की स्थािीय िीमाओं के अन्दर सिर्ीतऋर्ी सििाि करता िै या उिकी िम्पसत्त िै इि न्यायालय िे यि आिेदि क्रकया िै
क्रक उक्त न्यायालय को प्रमार्पत्र उक्त िाद की सडिी का उक्त न्यायालय द्वारा सिष्पादि क्रकए जािे के सलए िेजा जाए और सिसिल
प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 21 के सियम 6 के अिीि प्रमार्पत्र उक्त न्यायालय को िेजिा आिश्यक और उसर्त िमझा गया िै,
अतः यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक.................................
सडिी की और ऐिे क्रकिी आदेश की, जो उिके सिष्पादि के सलए क्रदया गया िो, प्रसत के िसित और तुसष्ट ि िोिे के प्रमार्पत्र
के िसित इि आदेश की प्रसत....................................को िेजी जाए ।
259

ता०..................................
न्यायािीश

िंखयांक 4
सडिी की तुसष्ट ि िोिे का प्रमार्पत्र
(आदेश 21 का सियम 6)
(शीषचक)
यि प्रमासर्त क्रकया जाता िै क्रक 19...............................के ............................िंखयां क िाले िाद में इि न्यायालय की
उि सडिी की, सजिकी प्रसत इिके िाथ िंलग्ि िै, तुसष्ट इि न्यायालय की असिकाटरता के अन्दर सिष्पादि द्वारा ििीं 1हुई िै ।
ता०....................................
न्यायािीश

िंखयांक 5
दपिरे न्यायालय को अन्तटरत सडिी के सिष्पादि का प्रमार्पत्र
(आदेश 21 का सियम 6)
(शीषचक)
ििपल की गई रकम
िाद का पिकारों सिष्पादि सिष्पादि कौि-कौि सिष्पादि िर्े मामले टटप्पसर्यां
िंखयांक के िाम के सलए मामले आदेसशकाएं का
और उि आिेदि का सिकाली गई सिपटा
न्यायालय की िंखयांक और उिकी रा कै िे
का िाम तारीि तामील हुआ
सजििे क्रकि-क्रकि
सडिी तारीि को
पाटरत की हुई
थी
1 2 3 4 5 6 7 8 9
रु. आ. पा. रु. आ. पा.

िारिािक मोिर्रच र के िस्तािर


न्यायािीश के िस्तािर

1
यक्रद िासगक तुसष्ट हुई िै तो “ििीं” शब्द काट दीसजए और यि सलसिए क्रक क्रकतिी तुसष्ट हुई िै ।
260

िंखयांक 6
सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि-पत्र
(आदेश 21 का सियम 11)
.............................................के न्यायालय में
मैं........................................., सडिीदार, इिके द्वारा िीर्े दी गई सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि करता हूं :
1897 का 789 1 िाद का िंखयांक

कििादी, 2 पिकारों का िाम


गघप्रसतिादी
11 अक्तपबर, 1897 3 सडिी की तारीि

ििीं 4 क्या सडिी की कोई अपील की गई िै

कोई ििीं 5 यक्रद कोई िंदाय या िमायोजि क्रकया गया िै तो िि िंदाय या


िमायोजि
तारीि 4 मार्च, 1899 को आिेदि क्रकया गया और उि पर 6 यक्रद पिले कोई आिेदि क्रकया गया िै तो उिकी तारीि और
असिसलसित 72 रु० 4 आिे ििपल हुए पटरर्ाम

314 रु० 8 आिे 2 पाई मपल िि (सडिी की तारीि िे िंदाय 7 सडिी की रकम, उि पर शोध्य ब्याज के िसित या एतदद्वारा
तक 6 प्रसतशत िार्षचक ब्याज) अिुदत्त अन्य अिुतोष प्रसत सडिी की सिसशसष्टयों के िसित
रु. आ. पा. 8 यक्रद िर्ों मद्धे कोई रकम असिसिर्ीत की गई िै तो िि रकम
सडिी में असिसिर्ीत क्रकए गए 47 10 4

तत्पश्र्ात उपगत 8 2 0

जोड 55 12 4

प्रसतिादी गघ के सिरुद्ध 9 क्रकिके सिरुद्ध सिष्पादि क्रकया जाए

[जब आशय यि िो क्रक जंगम िम्पसत्त की कु की और उिका 10 िि ढंग सजििे न्यायालय की ििायता अपेसित िै
सििय क्रकया जाए ।]
मैं प्राथचिा करता हूं क्रक मपलिि पर (िंदाय की तारीि तक
ब्याज के िसित) कु ल रु०.....................की रकम और यि
सिष्पादि करािे के िर्े प्रसतिादी की उि जंगम िंपसत्त की,
जो उपाबद्ध िपर्ी में दजच िै, कु की और सििय द्वारा ििपल
क्रकए जाएं और मुझे क्रदए जाएं ।
[जब आशय यि िो क्रक स्थािर िम्पसत्त की कु की और उिका
सििय क्रकया जाए]
मैं प्राथचिा करता हूं क्रक मपलिि पर (िंदाय की तारीि तक
ब्याज के िसित) कु ल...........................रु० की रकम और
यि सिष्पादि करािे के िर्े प्रसतिादी की उि सिसिर्दचष्ट
स्थािर िम्पसत्त की, जो इि आिेदि-पत्र के पाद िाग में
सिसिर्दचष्ट िै, कु की और सििय द्वारा ििपल क्रकए जाएं और
मुझे क्रदए जाएं ।
मैं............................................घोषर्ा करता हूं क्रक इिमें जो िी सलिा गया िै , िि मेरे ििोत्तम ज्ञाि और सिश्िाि के
अिुिार ित्य िै ।
ता०.............................
िस्तािर..............................
सडिीदार
261

[जब आशय यि िो क्रक स्थािार िम्पसत्त की कु की और सििय क्रकया जाए]


िम्पसत्त का िर्चि और सिसिदेश
.................................ग्राम में सस्थत गृि में सिर्ीतऋर्ी का असििक्त तृतीयांश सजिका मपल्य 40रु० िै और सजिकी
र्ौिद्दी सिम्िसलसित िै :
पपिच में छ का गृि, पसश्र्म में ज का गृि, दसिर् में लोक मागच, उत्तर में प्राइिेट गली और म का गृि ।
मैं.................................घोषर्ा करता हूं क्रक उक्त िर्चि में जो िी सलिा गया िै िि मेरे ििोत्तम ज्ञाि और सिश्िाि के
अिुिार और जिां तक मैं उिमें सिसिर्दचष्ट िम्पसत्त में प्रसतिादी के सित का असिसिश्र्य करिे में िमथच हुआ हूं, ित्य िै ।
िस्तािर..............................
सडिीदार

िंखयांक 7
इि बात का िेतक
ु दर्शचत करिे के सलए िपर्िा क्रक सिष्पादि क्यों ि क्रकया जाए 1[(आदेश 21 का सियम 16)]
(शीषचक)
प्रेसषती
……………………िे 19 ........................के ...................िंखयांक िाले िाद की सडिी के सिष्पादि के सलए
इि न्यायालय िे आिेदि यि असिकथि करते हुए क्रकया िै क्रक उक्त सडिी उिे िमिुदश े ि द्वारा 2[या िमिुदश
े ि के सबिा] अंतटरत कर
दी गई िै, अत: आप को यि िपर्िा दी जाती िै क्रक आप इि बात का िेतुक दर्शचत करिे के सलए क्रक सिष्पादि क्यों ि मंजपर क्रकया जाए
ता०............................को इि न्यायालय के िमि उपिंजात िों ।
यि आज ता०………………………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िंखयांक 8
िि की सडिी के सिष्पादि में जंगम िम्पसत्त की कु की का िारण्ट (आदेश 21 का सियम 66)
(शीषचक)
प्रेसषती
न्यायालय का बेसलफ ।
19…………….............……..के ......................................िंखयांक िाले िाद में ता०.....................................को पाटरत
इि न्यायालय की सडिी द्वारा.............................................को यि आदेश क्रदया गया था क्रक िि पाश्िच में दजच ................... रुपए
की रासश का िंदाय िादी को करे और...............................................रुपए की उक्त रासश का
सडिी
िंदाय ििीं क्रकया गया िै, अंत: आपको यि िमादेश क्रदया जाता िै क्रक उक्त............................की
मपल.................................. िि जंगम िंपसत्त, जो इििे उपाबद्ध अिुिपर्ी में दजच िै, या जो आपको
उक्त..................................................................द्वारा क्रदिाई जाए कु कच कर लें और जब तक
ब्याज...............................
क्रक उक्त…………....................................आपको .............................................रुपए की
सिष्पादि के िर्ें.................. उक्त रासश का इि कु की के िर्ों की बाबत.......................................................रुपए की रासश
िसित िंदाय ि कर दे उि िम्पसत्त को इि न्यायालय के अगले आदेशों तक कु कच रिें ।
असतटरक्त ब्याज...................
जोड

आपको यि िी िमादेश क्रदया जाता िै क्रक आप इि िारण्ट को िि क्रदि सजिको और िि रीसत, सजििे, यि सिष्पाक्रदत क्रकया गया िो या
िि कारर् सजििे यि सिष्पाक्रदत ििीं क्रकया गया प्रमासर्त करिे िाले पृष्ठां कि िसित ता०...................................को या उिके पपिच
लौटा दें ।
यि आज ता०............................को मेरे िस्तािर और न्यायालय की मुिर लगाकर क्रदया गया ।

1
1914 के असिसियम िं० 10 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 द्वारा “(आदेश 21 का सियम 22)” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 95 द्वारा (1-2-1977 िे) अंत:स्थासपत ।
262

अिुिपर्ी
न्यायािीश

िंखयांक 9
सडिी द्वारा न्यायसिर्ीत सिसिर्दचष्ट जंगम िम्पसत्त के असिग्रिर् के सलए िारण्ट
(आदेश 21 का सियम 31)
(शीषचक)
प्रेसषती
न्यायालय का बेसलफ ।
19….................के .....................िंखयांक िाले िाद में ता०........................को पाटरत इि न्यायालय की सडिी
द्वारा............................को आदेश क्रदया गया था क्रक िि इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में सिसिर्दचष्ट जंगम िम्पसत्त (या जंगम िम्पसत्त
में..........................अंश) िादी को पटरदत्त करे और उक्त िम्पसत्त (या अंश) पटरदत्त ििीं क्रकया गया िै ।
अत: आपको यि िमादेश क्रदया जाता िै क्रक आप उक्त जंगम िम्पसत्त को (या उक्त जंगम िम्पसत्त
के ................अंश को) असिगृिीत कर लें और उिे िादी को या ऐिे व्यसक्त को, सजिे िि इि सिसमत्त सियुक्त करे , पटरदत्त कर दें ।
यि आज ता०............................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।

अिुिपर्ी
न्यायािीश

िंखयांक 10
दस्तािेज के प्रारूप के बारे में आिेपों का कथि करिे के सलए िपर्िा
(आदेश 21 का सियम 34)
(शीषचक)
प्रेसषती
आपकों यि िपर्िा दी जाती िै क्रक ता०...................को सडिीदार िे उक्त िाद में इि न्यायालय के िमि यि आिेदि
उपस्थासपत क्रकया था क्रक न्यायालय इिमें िीर्े सिसिर्दचष्ट स्थािर िम्पसत्त का...................................सिलेि, सजिका प्रारूप इिके
िाथ उपाबद्ध िै, आपकी ओर िे सिष्पाक्रदत करे और ता०.............................उक्त आिेदि की िुििाई के सलए सियत िै और आप
उक्त क्रदि उपिंजात िोिे के सलए और उि प्रारूप के सिरुद्ध आिेप सलसित रूप में देिे के सलए स्ितंत्र िैं ।

िम्पसत्त का िर्चि
यि आज ता०..................................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िंखयांक 11
िपसम इत्याक्रद का कब्जा क्रदलािे का बेसलफ को िारण्ट
(आदेश 21 का सियम 35)
(शीषचक)
प्रेसषती
न्यायालय का बेसलफ ।
इिमें आगे िर्र्चत िम्पसत्त जो....................के असििोग में िै इि िाद के िादी........................को सडिीत िै , अत:
आपको सिदेश क्रदया जाता िै क्रक आप उक्त.....................................को उिका कब्जा क्रदला दें और आपको प्रासिकृ त क्रकया जाता िै
क्रक आप सडिी िे आबद्ध ऐिे क्रकिी व्यसक्त को, जो उिे िाली करिे िे इं कार करे , ििां िे िटा दें :
यि आज ता०...........................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
263

अिुिपर्ी
न्यायािीश

िंखयांक 12
इि बात का िेतक
ु दर्शचत करिे के सलए िपर्िा क्रक सगरफ्तारी का िारण्ट क्यों ि सिकाला जाए
(आदेश 21 का सियम 37)
(शीषचक)
प्रेसषती
……………………िे 19.........................के .............................िंखयांक िाले िाद में सडिी का सिष्पादि आपको
सगरफ्तार कराकर और कारगार में रििा कर करािे के सलए आिेदि इि न्यायाल िे क्रकया िै, अत: आपिे अपेिा की जाती िै क्रक आप
इि बात का िेतुक दर्शचत करिे के सलए क्रक आपको उक्त सडिी के सिष्पादि में सिसिल कारगार के िुपुदच क्यों ि क्रकया जाए,
ता०.............................को इि न्यायालय के िमि उपिंजात िों ।
यि आज ता०.......................................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िंखयांक 13
सिष्पादि में सगरफ्तारी का िारण्ट
(आदेश 21 का सियम 38)
(शीषचक)
प्रेसषती
....................................न्यायालय का बेसलफ ।

सडिी 19.....................के ......................िंखयांक िाले िाद में तारीि .................की इि न्यायालय


की सडिी द्वारा..................................के बारे में यि न्यायसिर्ीत क्रकया गया था क्रक िि पाश्िच में
मपल..................................
दजच........................रुपए की रासश सडिीदार को दे और..................................रुपए की उक्त
ब्याज............................... रासश उक्त सडिीदार को उक्त सडिी की तुसष्ट में ििीं दी गई िै, अत: आपको यि िमादेश क्रदया
जाता िै क्रक आप उक्त सिर्ीतऋर्ी को सगरफ्तार कर लें और, जब तक उक्त सिर्ीतऋर्ी
सिष्पादि के िर्ें..................
आपको...........................................रुपए की उक्त रासश, इि आदेसशका के सिष्पादि के िर्ों के
जोड सलए....................रुपए के िसित ि दे । उक्त प्रसतिादी को िुसििािुिार शीघ्रता िे इि न्यायालय
के िमि लाएं । आपको यि और िमादेश क्रदया जाता िै क्रक आप इि िारण्ट को िि क्रदि सजिको,
और िि रीसत सजििे, यि सिष्पाक्रदत क्रकया गया िै या िि कारर् सजििे यि सिष्पाक्रदत ििीं क्रकया गया प्रमासर्त करिे िाले पृष्ठांकि
िसित ता०........................को या उिके पपिच लौटा दें ।
यि आज ता०.............................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 14
सिर्ीतऋर्ी को जेल िुपद
ु च करिे का िारण्ट
(आदेश 21 का सियम 40)
(शीषचक)
प्रेसषती
…………………………की जेल का िारिािक असिकारी ।
..............................जो ता०...........................को इि न्यायालय द्वारा की गई और िुिाई गई उि सडिी के ,
सजि सडिी द्वारा उक्त...........................को आदेश क्रदया गया था क्रक िि......................................को..........................दे,
सिष्पादि में िारण्ट के अिीि आज ता०...........................को इि न्यायालय के िमि लाया गया िै और उक्त.........................िे
264

सडिी का आज्ञािुितचि ििीं क्रकया िै और ि न्यायालय का यि िमािाि क्रकया िै क्रक िि असिरिा िे उन्मोसर्त क्रकए जािे का
िकदार िै ; अत: आपको 1*** िमादेश क्रदया जाता िै और आपिे अपेिा की जाती िै क्रक आप उक्त....................................को
सिसिल कारगार में ले लें और स्िीकार करें और ििां.......................................िे अिसिक अिसि के सलए या तब तक, जब तक की
उक्त सडिी की पपरी तुसष्ट ि कर दी जाए या जब तक की उक्त………..........……..सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 की िारा 58 के
सिबन्ििों और उपबन्िों के अिुिार सिमुचक्त क्रकए जािे का अन्यथा िकदार ि िो जाए, उिे कारिासित रिें; और िुपुदचगी के इि िारण्ट
के अिीि उक्त......................................के पटररुद्ध रििे के दौराि उिके जीििसििाचि के सलए मासिक ित्ता 2*** प्रसत क्रदि की दर
िे न्यायालय सियत करता िै ।
यि आज ता०.......................................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 15
सडिी के सिष्पादि में कारािासित व्यसक्त की सिमुसच क्त का आदेश
(िारा 58, 59)
(शीषचक)
प्रेसषती
..................................की जेल का िारिािक असिकारी ।
आज पाटरत आदेशों के अिीि आपको सिदेश क्रदया जाता िै क्रक आप..............................सिर्ीतऋर्ी को, जो इि िमय
आपकी असिरिा में िै, मुक्त कर दें ।
ता० ............................
न्यायािीश

िंखयांक 16
सिष्पादि में कु की
जिां कु कच की जािे िाली िम्पसत्त ऐिी जंगम िम्पसत्त िै सजिका प्रसतिादी क्रकिी अन्य व्यसक्त के िारर्ासिकार
या उि पर तत्काल कब्जा करिे के असिकार के अिीि रिते हुए िकदार िै ििां प्रसतषेिात्मक आदेश
(आदेश 21 का सियम 46)
(शीषचक)
प्रेसषती
..............................19 के ...........................िंखयांक िाले िाद में ता०....................................को...................के
सिरुद्ध और..............................के पि में............................रुपए के सलए पाटरत सडिी की तुसष्ट करिे में......................अिफल
रिा िै, अत: यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक जब तक इि न्यायालय का अगला आदेश ि िो, प्रसतिादी उक्त...................................के
कब्जे की सिम्िसलसित िम्पसत्त अथाचत...................................., सजिका क्रक प्रसतिादी उक्त...............................................के
क्रकिी दािे के अिीि रिते हुए िकदार िै, प्राप्त करिे िे प्रसतसषद्ध और अिरुद्ध िोगा और उिे प्रसतसषद्ध और अिरुद्ध क्रकया जाता िै और
जब तक न्यायालय का अगला आदेश ि िो उक्त िम्पसत्त क्रकिी व्यसक्त या क्रकन्िीं व्यसक्तयों को, र्ािे िे कोई िी िों, पटरदत्त करिे िे
उक्त......................................प्रसतसषद्ध और अिरुद्ध क्रकया जाता िै ।
यि आज ता०.............................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश
3
[िंखयांक 16क
सिर्ीतऋर्ी द्वारा आसस्तयों के बारे में शपथपत्र क्रदया जािा
[आदेश 21 का सियम 41 (2)]

1
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “िारत के िम्राट के िाम में” शब्दों का लोप क्रकया गया ।
2
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 95 द्वारा (1-2-1977 िे) “आिे” शब्द का लोप क्रकया गया ।
3
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 95 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
265

............................................के न्यायालय में


कि सडिीदार
बिाम
ग सिर्ीत-ऋर्ी
.......................................................का मैं ............................................................................................
शपथ
पर सिम्िसलसित रूप में कथि करता हूं :
ित्यसिष्ठ प्रसतज्ञाि

1. मेरा पपरा िाम................................................िै ।


(स्पष्ट अिरों में)
2. मैं.....................................................में सििाि करता हूं ।

3. मै सििासित हूं
असििासित हूं
सििुर (सिििा) हूं
सिसछन्ि सििाि हूं,
4. सिम्िसलसित व्यसक्त मुझ पर आसश्रत िैं :
5. मेरे सियोजि, व्यापार या व्यििाय............................................................................................................िै
जो मैं............................................................................में करता हूं ।
मैं सिम्िसलसित कं पसियों का सिदेशक हूं :
6. मेरी ितचमाि िार्षचक/मासिक/िाप्तासिक आय, आय-कर देिे के पश्र्ात सिम्िसलसित िै
(क) मेरे सियोजि, व्यापार या व्यििाय िे, ....................................रुपए
(ि) अन्य स्रोतों िे....................................रुपए
*7. (क) मैं उि गृि का स्िामी हूं सजिमें मैं सििाि करता हूं; उिका मपल्य.......................................................रुपए िै ।
मैं रे ट, बंिक, ब्याज इत्याक्रद के रूप में...............................रु० की िार्षचक रासश देिदाटरयों के रूप में देता हूं ;
(ि) मैं िाटक के रूप में...................................रुपए की िार्षचक रासश देता हूं ।
8. मेरे पाि सिम्िसलसित र्ीजें िैं
(क) बैंक में िाता ।
(ि) स्टाक और शेयर ।
(ग) जीिि और सिन्याि पासलसियां ।
सिसशसष्टयां दीसजए
(घ) गृि िम्पसत्त ।
(ङ) अन्य िंपसत्त ।
(र्) अन्य प्रसतिपसतयां ।
9. मुझे सिम्िसलसित ऋर् शोध्य िैं
(सिसशसष्टयां दीसजए)
(क) ............................................................िे..........................................................रु०
(ि) ............................................................िे......................................................रु० (इत्याक्रद)
मेरे िमि शपथ सलया गया इत्याक्रद ।]


अिपेसित शब्द काट क्रदए जाएं ।
266

िंखयांक 17
सिष्पादि में कु की
जिां िम्पसत्त ऐिे ऋर्ों के रूप में िै जो परिाम्य सलितों िे प्रसतिपत ििीं िै ििां प्रसतषेिात्मक ओदश
(आदेश 21 का सियम 46)
(शीषचक)
प्रेसषती
………………..उि सडिी की तुसष्ट करिे में अिफल रिा िै जो 19............................के .......................िंखयांक िाले
िाद में……..........................को.................................के सिरुद्ध....................................और....................................के
पि में..................................रुपए के सलए पाटरत की गई थी ; अत: यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक जब तक इि न्यायालय का अगला
आदेश ि िो प्रसतिादी आपिे िि ऋर्, सजिके बारे में यि असिकसथत िै क्रक िि उक्त प्रसतिादी को आपके द्वारा इि िमय शोध्य िै,
अथाचत.......................................का ऋर्, प्राप्त करिे िे प्रसतसषद्ध और अिरुद्ध िो और क्रकया जाता िै और जब तक न्यायालय का
अगला आदेश ि िो उक्त ऋर् या उिके क्रकिी िाग को क्रकिी व्यसक्त को, र्ािे िि कोई िी िो, या इि न्यायालय में जमा करािे िे
अन्यथा, देिे िे आप उक्त (िाम)...............................प्रसतसषद्ध और अिरुद्ध रिे और क्रकए जाते िैं ।
यि आज ता०...............................................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 18
सिष्पादि में कु की
जिां क्रक िम्पसत्त क्रकिी सिगम की पपज
ं ी में अंशों के रूप में िै ििां प्रसतषेिात्मक आदेश
(आदेश 21 का सियम 46)
(शीषचक)
प्रेसषती
प्रसतिादी..................................और........................सिगम के िसर्ि............................................................. ।
.............................उि सडिी की तुसष्ट करिे में अिफल रिा िै जो 19.........................को..........................िंखयांक
िाले िाद में…........................................को……............................के सिरुद्ध और.............................................के पि में
....................... रुपए के सलए पाटरत की गई थी ; अत: यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक जब तक इि न्यायालय का अगला आदेश ि िो
आप, प्रसतिादी, उक्त सिगम में अथाचत.................................में..............................अंशों का कोई अन्तरर् करिे या उि पर
क्रकन्िीं लािांशों का िंदाय लेिे िे प्रसतसषद्ध और अिरुद्ध रिें और क्रकए जाते िैं और आप..........................., उक्त सिगम के िसर्ि,
क्रकिी ऐिे अन्तरर् की अिुज्ञा देिे या कोई िी ऐिा िंदाय करिे िे प्रसतसषद्ध और अिरुद्ध क्रकए जाते िैं ।
यि आज ता०............................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 19
लोक असिकारी या रे ल कम्पिी या स्थािीय प्रासिकरर् के िेिक के िेति की कु की का आदेश
(आदेश 21 का सियम 48)
(शीषचक)
प्रेसषती
…………………….., उक्त मामले में सिर्ीतऋर्ी (सिर्ीतऋर्ी के पद का िर्चि कीसजए) िै जो अपिा िेति (या ित्ते)
आपिे पा रिा िै; और उक्त मामले में सडिीदार................................िे सडिी के अिीि अपिे को शोध्य............................तक
उक्त..............................के िेति (या ित्तों) की कु की के सलए इि न्यायालय में आिेदि क्रकया िै; अत: आपिे अपेिा की जाती िै क्रक
आप........................रुपए की उक्त रासश..............................के िेति में िे,.........................की मासिक क्रकस्तों में सििाटरत
कर लें और उक्त रासश (या मासिक क्रकस्त) इि न्यायालय को िेज दें ।
267

यि आज ता०................................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।


न्यायािीश

िंखयांक 20
परिाम्य सलित की कु की के सलए आदेश
(आदेश 21 का सियम 51)
(शीषचक)
प्रेसषती
न्यायालय का बेसलफ ।
ता०................................को........................की कु की के सलए आदेश इि न्यायालय द्वारा पाटरत क्रकया गया िै ; अत:
आपको सिदेश क्रदया जाता िै क्रक आप उक्त..............................को असिगृिीत कर लें और इि न्यायालय में ले जाए ।
यि आज ता०.......................................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 21
कु की
जिां िम्पसत्त, न्यायालय या 1[लोक असिकारी] की असिरिा में िि या क्रकिी प्रसतिपसत के रूप में िै ििां
प्रसतषेिात्मक आदेश
(आदेश 21 का सियम 52)
(शीषचक)
प्रेसषती
मिोदय,
िादी िे ऐिे कु छ िि की कु की के सलए सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 21 के सियम 52 के अिीि आिेदि क्रकया िै
जो िि इि िमय आपके पाि जमा िै (यिां यि सलसिए क्रक यि क्यों अिुमाि िै क्रक िि िम्बोसित व्यसक्त के पाि जमा िै, क्रकि लेिे
जमा िै, (इत्याक्रद) ; अत: मैं आपिे प्राथचिा करता हूं क्रक आप इि न्यायालय के अगले आदेशों के अिीि रिते हुए उक्त िि को अपिे पाि
िाटरत रिें ।
ता० ..................................
ििदीय
न्यायािीश

िंखयांक 22
कु की
सडिी की कु की की उि न्यायालय को िपर्िा सजििे सडिी पाटरत की िै
(आदेश 21 का सियम 53)
(शीषचक)
प्रेसषती
...........................................के न्यायालय का न्यायािीश ।
मिोदय,
मुझे आपको यि जािकारी देिी िै क्रक 19.........................के िंखयांक..........................िाले िाद में ता०...................

1
िारत शािि (सिसि अिुकपलि) आदेश, 1937 द्वारा “िरकारी असिकारी” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
268

को....................................द्वारा आपके न्यायालय में असिप्राप्त की गई िि सडिी, सजिमें िि………...................................था


और...........................था, ऊपर सिसिर्दचष्ट िाद में........................के आिेदि पर इि न्यायालय द्वारा कु कच कर ली गई िै । अत:
आपिे प्राथचिा िै क्रक जब तक आपको इि न्यायालय िे यि प्रज्ञापि प्राप्त ि िो क्रक यि िपर्िा रद्द कर दी गई िै या जब तक उि सडिी
के , सजिके सिष्पादि की अब इच्छा की गई िै, िारक द्वारा या सिर्ीतऋर्ी द्वारा उक्त सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि ि क्रकया गया
िो, अपिे न्यायालय की उक्त सडिी का सिष्पादि रोक दें ।
ता० ...................................
ििदीय
न्यायािीश

िंखयांक 23
सडिी की कु की की सडिी के िारक को िपर्िा
(आदेश 21 का सियम 53)
(शीषचक)
प्रेसषती
उक्त िाद में सडिीदार द्वारा इि न्यायालय में उि सडिी की कु की के सलए आिेदि क्रकया गया िै जो आपिे 19...................
के ...............................िंखयांक िाले िाद में.........................................के न्यायालय में तारीि.....................................को
असिप्राप्त की थी और सजिमें.................................था और ....................................था ; अत: यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक जब
तक इि न्यायालय का अगला आदेश ि िो उिे क्रकिी रीसत िे अन्तटरत या िाटरत करिे िे आप उक्त.................................प्रसतसषद्ध
और अिरुद्ध रिें और क्रकए जाते िैं ।
यि आज ता०...........................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िंखयांक 24
सिष्पादि में कु की
जिां िम्पसत्त स्थािर िम्पसत्त के रूप में िै ििां प्रसतषेिात्मक आदेश
(आदेश 21 का सियम 54)
(शीषचक)
प्रेसषती
...................................प्रसतिादी ।
आप उि सडिी की तुसष्ट करिे में अिफल रिे िैं जो 19.…..........................के ...................................िंखयांक िाले
िाद में ता०...............................को............................के पि में...................................रुपए के सलए आपके सिरुद्ध पाटरत
की गई थी; अत: यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक जब तक इि न्यायालय का अगला आदेश ि िो, इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में
सिसिर्दचष्ट िम्पसत्त को सििय या दाि द्वारा या अन्यथा अन्तटरत या िाटरत करिे िे आप उक्त..............................प्रसतसषद्ध और
अिरुद्ध रिें और क्रकए जाते िैं, और िब व्यसक्त उिे िय या दाि द्वारा या अन्यथा प्राप्त करिे िे प्रसतसषद्ध रिें और क्रकए जाते िैं ।
1[यि िी आदेश क्रदया जाता िै क्रक आप सििय की उदघोषर्ा के सिबंििों को तय करिे के सलए सियत तारीि की िपर्िा
प्राप्त करिे के सलए तारीि..................................को न्यायालय में िासजर िों ।]
यि आज ता०.............................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 95 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
269

अिुिपर्ी
िंखयांक 25
उि िि आक्रद का जो पर-व्यसक्त के िाथ में िै िंदाय िादी आक्रद को करिे का आदेश
(आदेश 21 का सियम 56)
(शीषचक)
प्रेसषती
सिम्िसलसित िम्पसत्त अथाचत.........................................उि सडिी के सिष्पादि में कु कच की गई िै, जो 19...................के
…………………………िंखयांक िाले िाद में ता०...............................को...................................के पि में..............रुपए
के सलए पाटरत की गई थी; अत: यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक आप उक्त..................................ऐिे कु कच की गई िम्पसत्त,
जो.........................रुपए के सिक्कों और.................................के करे न्िी िोटों िे समलकर बिी िै, या उक्त सडिी की तुसष्ट करिे
के सलए उिका पयाचप्त िाग...............................को दे दें ।
यि आज ता०.............................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 26
कु की करािे िाले लेिदार को िपर्िा
(आदेश 21 का सियम 58)
(शीषचक)
प्रेसषती
…………………………..िे........................19....................................के .......................िंखयांक िाले िाद की
सडिी के सिष्पादि में आपकी प्रेरर्ा पर.............................की कु की को, उठा लेिे के सलए इि न्यायालय िे आिेदि क्रकया िै, अत:
आपको यि िपर्िा दी जाती िै क्रक आप या तो स्ियं या न्यायालय के ऐिे प्लीडर द्वारा सजिे िम्यक अिुदश े समला हुआ िो, कु की करािे
िाले लेिदार के रूप में अपिे दािे का िमथचि करिे के सलए ता०.............................को इि न्यायालय के िमि उपिंजात िों ।
यि आज ता०.............................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िंखयांक 27
िि की सडिी के सिष्पादि में िम्पसत्त की कु की का िारण्ट
(आदेश 21 का सियम 66)
(शीषचक)
प्रेसषती
न्यायालय का बेसलफ ।
आपको यि िमादेश क्रदया जाता िै क्रक आप 19…............................के ....................................िंखयांक िाले िाद
में...................................के पि की सडिी के सिष्पादि में ता०.............................के इि न्यायालय के िारण्ट के अिीि
कु कच .................................िम्पसत्त का, या उक्त िम्पसत्त में िे उतिी का सििय, सजतिी िे...........................रुपए की रासश ििपल
िो जाए, जो रासश उक्त सडिी और िर्ों की अब तक अतुष्ट बर्ी रकम िै........................................क्रदिों की पपिच िपर्िा इि
न्याय-िदि में लगाकर और िम्यक उदघोषर्ा के पश्र्ात िीलम द्वारा कर दें ।
आपको यि िी िमादेश क्रदया जाता िै क्रक आप िि रीसत, सजििे यि िारण्ट सिष्पाक्रदत क्रकया गया िै या िि कारर् सजििे
यि सिष्पाक्रदत ििीं क्रकया गया िै प्रमासर्त करिे िाले पृष्ठांकि िसित इि िारण्ट को तारीि...............................को या उिके पपिच
लौटा दें ।
यि आज ता०................................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश
270

िंखयांक 28
सििय उदघोषर्ा तय करिे के सलए सियत क्रदि की िपर्िा
(आदेश 21 का सियम 66)
(शीषचक)
प्रेसषती
.............................सिर्ीताऋर्ी
उक्त िाद में...............................सडिीदार िे........................................के सििय के सलए आिेदि क्रकया िै, अत:
आपको यि इसत्तला दी जाती िै क्रक ता०.....................................सििय की उदघोषर्ा के सिबन्ििों को तय करिे के सलए सियत की
गई िै ।
यि ता०...........................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िंखयांक 29
सििय की उदघोषर्ा (आदेश 21 का सियम 66)
(शीषचक)
(1)...........................के .....................द्वारा सिसिसश्र्त 19........................के ........................िंखयांक िाला िाद
सजिमें.......................िादी था और...............................प्रसतिादी था ।
यि िपर्िा दी जाती िै क्रक इि न्यायालय िे उपाबद्ध अिुिपर्ी में िर्र्चत कु कच िम्पसत्त का, पाश्िच में िर्र्चत िाद (1) में
सडिीदार के दािे की, जो िर्ों और सििय की तारीि तक के ब्याज िसित.............................रुपए की रासश का िै, तुसष्ट में सििय
करिे के सलए सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 21 के सियम 64 के अिीि आदेश क्रदया िै ।
सििय लोक िीलाम द्वारा क्रकया जाएगा और िम्पसत्त अिुिपर्ी में सिसिर्दचष्ट लाटों में सििय के सलए रिी जाएगी । सििय
उकत सिर्ीतऋसर्यों की उि िम्पसत्त का िोगा जो सिम्िसलसित अिुिपर्ी में िर्र्चत िै, और उक्त िम्पसत्त िे िंलग्ि दासयत्ि और दािे,
जिां तक क्रक उिका असिसिश्र्य क्रकया जा िका िै, िे िैं जो िर एक लाट के िामिे अिुिपर्ी में सिसिर्दचष्ट िैं ।
जब तक मुल्तिी करिे का आदेश ि क्रकया जाए यि सििय ता०………................................को............................बजे
.................में प्रारम्ि िोिे िाले मासिक सििय में................................द्वारा क्रकया जाएगा । क्रकन्तु यक्रद ऊपर सिसिर्दचष्ट ऋर् और
सििय के िर्े क्रकिी लाट के सलए बोली असन्तम िोिे के पपिच सिसिदत्त या िंदत्त कर क्रदए जाते िैं तो सििय बन्द कर क्रदया जाएगा ।
सििय में ििचिािारर् को या तो स्ियं या िम्यक रूप िे प्रासिकृ त असिकताच द्वारा बोली लगािे के सलए सिमंसत्रत क्रकया जाता
िै । क्रकन्तु उपटरिर्र्चत सिर्ीत लेिदारों द्वारा या उिके सिसमत्त लगाई गई कोई िी बोली स्िीकार ििीं की जाएगी और न्यायालय द्वारा
पिले िे दी गई असिव्यक्त अिुज्ञा के सबिा उिको क्रकया गया सििय सिसिमान्य ि िोगा ।सििय की असतटरक्त शतें सिम्िसलसित िैं :

सििय की शतें
1. सिम्िसलसित अिुिपर्ी में सिसिर्दचष्ट सिसशसष्टयां न्यायालय की ििोत्तम जािकारी के अिुिार सलिी गई िैं, क्रकन्तु इि
उदघोषर्ा में क्रकिी गलती, अशुद्ध कथि या लोप के सलए न्यायालय उत्तरदायी ििीं िोगा ।
2. िि रकम सजतिी िे बोसलयां बढ़ाई जािी िैं सििय िंर्ासलत करिे िाले असिकारी द्वारा अििाटरत की जाएंगी । यक्रद
लगाई गई बोली की रकम के बारे में या बोली लगािे िाले के बारे में कोई सििाद पैदा िोता िै तो िि लाट तु रन्त पुि: िीलाम पर
र्ढ़ाया जाएगा ।
3. क्रकिी िी लाट की िबिे ऊंर्ी बोली लगािे िाला व्यसक्त उि लाट का िे ता घोसषत क्रकया जाएगा, परन्तु यि तब जब क्रक
िि बोली लगािे के सलए िि िैि रूप िे अर्िचत िो, यि बात न्यायालय के या सििय करिे िाले असिकारी के सििेकासिकार में िोगी क्रक
िि िबिे ऊंर्ी बोली को स्िीकार करिे िे उि दशा में इन्कार कर दे सजिमें लगाई गई कीमत स्पष्टत: इतिी अपयाचप्त प्रतीत िो क्रक
ऐिे इन्कार करिा िांछिीय िो जाता िै ।
4. सििय िंर्ासलत करिे िाले असिकारी के सििेकासिकार में यि बात िोगी क्रक ऐिे कारर्ों िे, जो असिसलसित क्रकए जाएंगे
िि सििय को आदेश 21 के सियम 69 के उपबन्िों के अिीि रिते हुए स्थसगत कर दें ।
271

5. जंगम िम्पसत्त की दशा में िर एक लाट की कीमत सििय के िमय या उिके इतिे शीघ्र पश्र्ात, सजतिा सििय करिे िाला
असिकारी सिर्दचष्ट करे , दी जाएगी और िंदाय में व्यसतिम िोिे पर िम्पसत्त तत्काल पुि: िीलाम पर र्ढ़ाई जाएगी और उिका पुि:
सििय क्रकया जाएगा ।
6. स्थािर िम्पसत्त की दशा में, िि व्यसक्त, जो िे ता घोसषत क्रकया गया िै उि घोषर्ा के पश्र्ात असिलम्ब अपिे ियिि की
रकम का पच्र्ीि प्रसतशत सििय िंर्ासलत करिे िाले असिकारी के पाि सिसिप्त कर देगा और ऐिा सििेप करिे में व्यसतिम िोिे पर
िम्पसत्त तत्काल पुि: िीलाम पर र्ढ़ाई जाएगी और उिका पुि: सििय क्रकया जाएगा ।
7. िे ता द्वारा ियिि की पपरी रकम िम्पसत्त के िय क्रदि को छोडकर िम्पसत्त के सििय के पश्र्ात पन्द्रििें क्रदि या यक्रद
पन्द्रििां क्रदि इतिार िो या अन्य अिकाश क्रदि िो तो पन्द्रििें क्रदि के पश्र्ात कायाचलय िुलिे के पिले क्रदि न्यायालय के बन्द िोिे के
पपिच िंदत्त कर दी जाएगी ।
8. ियिि की बाकी रकम का िंदाय अिुज्ञात अिसि के अन्दर करिे में व्यसतिम िोिे पर िम्पसत्त का पुि: सििय, सििय की
िई असििपर्िा सिकाली जािे के पश्र्ात क्रकया जाएगा । यक्रद न्यायालय ठीक िमझे तो सििेप, उिमें िे सििय के व्ययों को काट लेिे के
पश्र्ात िरकार के पि में िमपह्रत कर सलया जाएगा और व्यसतिम करिे िाले िे ता के िम्पसत्त पर या सजि रासश के सलए िि िम्पसत्त
बाद में बेंर्ी जाए उि रासश के क्रकिी िी िाग पर िब दािे िमपह्रत िो जाएंगे ।
यि आज ता०...............................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर जारी की गई ।
न्यायािीश

िम्पसत्त की अिुिर्
प ी
लाट का उि िंपसत्त का िर्चि यक्रद िि िम्पसत्त िम्पसत्त सजि िम्पसत्त के बारे 1
[सडिीदार द्वारा सिर्ीतऋर्ी
िंखयांक सजिका सििय क्रकया सजिका सििय सिल्लंगमों के में क्रकए गए दािे यथा कसथत द्वारा यथा-
जािा िै, और जिां एक क्रकया जािा िै, दासयत्ि के (यक्रद कोई िै) िम्पसत्त का मपल्य कसथत िंपसत्त
िे असिक सिर्ीतऋर्ी िै िरकार को अिीि िै और उिकी का मपल्य]]
ििां उिके िाथ िर एक राजस्ि देिे िाली उिका ब्यौरा प्रकृ सत और मपल्य
स्िामी का िाम । िम्पदा या पर प्रिाि
िम्पदा के िाग डालिे िाली
में सित िै तो कोई अन्य ज्ञाि
िंपदा या िम्पदा सिसशसष्टयां
के िाग पर
सििाचटरत राजस्ि

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 95 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त: स्थासपत ।
272

िंखयांक 30
सििय की उदघोषर्ा की तामील करािे के सलए िासजर को आदेश (आदेश 21 का सियम 66)
(शीषचक)
प्रेसषती
न्यायालय का िासजर ।
सिर्ीतऋर्ी की उि िम्पसत्त के सििय के सलए, जो इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में सिसिर्दचष्ट िै, आदेश क्रदया गया िै और
तारीि..............................उक्त िम्पसत्त के सििय के सलए सियत की गई िै ; अत: सििय की उदघोषर्ा की...........................
प्रसतया इि िारण्ट द्वारा आपके ििाले की जाती िै और आपको आदेश क्रदया जाता िै क्रक आप उक्त अिुिपर्ी में सिसिर्दचष्ट िम्पसत्तयों में
िे िर एक पर डोंडी सपटिा कर इि उदघोषर्ा को प्रकासशत करें , उक्त उदघोषर्ा की एक प्रसत उक्त िम्पसत्तयों में िे िर एक के
ििजदृश्य िाग में और तत्पश्र्ात न्याय-िदि में लगाएं और क्रफर िे तारीिें सजिको, और िि रीसत, सजििे उदघोषर्ा का प्रकाशि
क्रकया गया िै, दर्शचत करिे िाली टरपोटच इि न्यायालय को िेजें ।
ता० ................................
न्यायािीश

अिुिपर्ी
िंखयांक 31
िे ता के व्यसतिम के कारर् िम्पसत्त के पुिर्िचिय में कीमत में हुई कमी का सििय करिे िाले असिकारी द्वारा
प्रमार्पत्र
(आदेश 21 का सियम 71)
(शीषचक)
यि प्रमासर्त क्रकया जाता िै क्रक उक्त िाद में की सडिी के सिष्पादि में हुई िम्पसत्त के उि पुिर्िचिय में जो..................िे ता
के व्यसतिम के पटरर्ामस्िरूप क्रकया गया, उक्त िम्पसत्त की कीमत में.............................रुपए की कमी रिी िै और उि पुिर्िचिय
के िम्बन्ि में...............................रुपए व्यय हुए और यि रकम कु ल...........................रुपए िोती िै जो व्यसतिम करिे िाले िे
ििपलीय िै ।
ता० .............................
सििय करिे िाला असिकारी

िंखयांक 32
सिष्पादि में बेर्ी गई जंगम िम्पसत्त पर कब्जा रििे िाले व्यसक्त को िपर्िा
(आदेश 21 का सियम 79)
(शीषचक)
प्रेसषती
...........................उक्त िाद में की सडिी के सिष्पादि में हुए लोक सििय में...........................का, जो अब आपके कब्जे
में िै, िे ता िो गया िै, अत: उक्त..................................पर कब्जा उक्त..............................के सििाय क्रकिी व्यसक्त को पटरदत्त
करिे िे आपको प्रसतसषद्ध क्रकया जाता िै ।
यि आज ता० ........................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश
273

िंखयांक 33
सिष्पादि में बेर्े गए ऋर्ों का िंदाय िे ता िे सिन्ि क्रकिी व्यसक्त को करिे के सिरुद्ध प्रसतषेिात्मक आदेश
(आदेश 21 का सियम 79)
(शीषचक)
प्रेसषती..............................और...............................
......................................................................उक्त िाद में की सडिी के सिष्पादि में हुए लोक सििय में उक्त ऋर् का,
जो आप/.........................के द्वारा आप/........................................को शोध्य िै, िे ता िो गया िै, अत: यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक
आप..................................................उक्त ऋर् को ििपल करिे िे और आप………….............................उक्त ऋर् का िंदाय
उक्त.......................................के सििाय क्रकिी व्यसक्त या व्यसक्तयों को करिे िे प्रसतसषद्ध रिें और क्रकए जाते िैं ।
यि आज ता०........................................को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 34
सिष्पादि में बेर्े गए अंशों के अन्तरर् के सिरुद्ध प्रसतषेिात्मक आदेश
(आदेश 21 का सियम 79)
(शीषचक)
प्रेसषती
..............................और .....................................सिगम के िसर्ि.............................
.........................................उक्त िाद में की सडिी के सिष्पादि में हुए लोक सििय में उक्त सिगम के कु छ अंशों का अथाचत
......................................का, जो क्रक आप…..........................के िाम में दजच िैं, िे ता िो गया िै, अत: यि आदेश क्रदया जाता िै
क्रक आप..........................उक्त अंशों को पपिोक्त िे ता उक्त....................................के सििाय क्रकिी व्यसक्त को अन्तटरत करिे िे
या उि पर कोई लािांश प्राप्त करिे िे और उक्त सिगम के िसर्ि आप………………………क्रकिी ऐिे अन्तरर् के सलए अिुज्ञा देिे
िे या पपिोक्त िे ता उक्त………………………के सििाय क्रकिी व्यसक्त को ऐिा िंदाय करिे िे प्रसतसषद्ध रिें और क्रकए जाते िैं ।
यि आज ता०…………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 35
िम्पसत्त को बंिक रििे, पट्टे पर देिे या उिका सििय करिे के सलए सिर्ीतऋर्ी को प्रासिकृ त करिे के सलए
प्रमार्पत्र
(आदेश 21 का सियम 83)
(शीषचक)
उक्त िाद में पाटरत सडिी के सिष्पादि में………………………………………….सिर्ीतऋर्ी की िीर्े सलसि िम्पसत्त
के सििय के सलए ता०…………………………को आदेश क्रदया गया था और न्यायालय िे, उक्त सिर्ीतऋर्ी के आिेदि पर, उक्त
सििय को मुल्तिी कर क्रदया िै सजििे क्रक िि उक्त िम्पसत्त या उिके क्रकिी िाग के बन्िक, पट्टे या प्राइिेट सििय द्वारा सडिी की रकम
प्राप्त कर िके ।
अत: यि प्रमासर्त क्रकया जाता िै क्रक न्यायालय िे इि प्रमार्पत्र की तारीि िे………………….की अिसि के िीतर
प्रस्थासपत बन्िक, पट्टा या सििय करिे के सलए सिर्ीतऋर्ी को प्रासिकृ त कर क्रदया िै, परन्तु बन्िक, पट्टे या सििय के अिीि िंदय
े िब
िि इि न्यायालय को, ि क्रक उक्त सिर्ीतऋर्ी को, क्रदए जाएंगे ।
िम्पसत्त का िर्चि
यि आज ता०……………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश
274

िंखयांक 36
इि बात का िेतक
ु दर्शचत करिे के सलए िपर्िा क्रक सििय क्यों अपास्त ि कर क्रदया जाए
(आदेश 21 के सियम 90 और 92)
(शीषचक)
प्रेसषती
िीर्े सलिी िम्पसत्त का सििय उक्त िाद में पाटरत सडिी के सिष्पादि में ता०……………………..को क्रकया गया था
और……………………………सडिीदार िे (या सिर्ीतऋर्ी िे) उक्त िम्पसत्त के सििय को सििय के प्रकाशि या िंर्ालि में
सिम्िसलसित तासविक असियसमतता (या कपट) के आिार पर अपास्त करिे के सलए इि न्यायालय िे आिेदि क्रकया िै,
अथाचत…………………………..
अत: आपको यि िपर्िा दी जाती िै क्रक यक्रद आपके पाि कोई ऐिा िेतुक दर्शचत करिे को िै सजििे उक्त आिेदि मंजपर ििीं
क्रकया जािा र्ासिए तो आप अपिे िबपतों के िसित इि न्यायालय में ता०………………………को, जब उक्त आिेदि िुिा और
अििाटरत क्रकया जाएगा, उपिंजात िों ।
यि आज ता०………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िम्पसत्त का िर्चि
िंखयांक 37
इि बात का िेतक
ु दर्शचत करिे के सलए िपर्िा क्रक सििय अपास्त क्यों ि कर क्रदया जाए
(आदेश 21 के सियम 91 और 92)
(शीषचक)
प्रेसषती
उक्त िाद में पाटरत सडिी के सिष्पादि में ता०………………………………को बेर्ी गई िीर्े सलिी िम्पसत्त के
िे ता…………………….िे उि िम्पसत्त का सििय इि आिार पर अपास्त करिे के सलए इि न्यायालय िे आिेदि क्रकया िै क्रक
सिर्ीतऋर्ी……………………………….का उिमें कोई सििे य सित ििीं था ।
अत: आपको यि िपर्िा दी जाती िै क्रक यक्रद आपके पाि कोई ऐिा िेतुक दर्शचत करिे को िै सजििे उक्त आिेदि मंजपर ििीं
क्रकया जािा र्ासिए तो आप अपिे िबपतों के िसित इि न्यायालय में ता०……………………….को, जब उक्त आिेदि िुिा और
अििाटरत क्रकया जाएगा, उपिंजात िों ।
यि आज ता०………………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िम्पसत्त का िर्चि
िंखयांक 38
िपसम के सििय का प्रमार्पत्र
(आदेश 21 का सियम 94)
(शीषचक)
यि प्रमासर्त क्रकया जाता िै क्रक इि िाद में की सडिी के सिष्पादि में ता०…………………………को लोक िीलाम द्वारा
क्रकए गए………………………..के सििय में………………………िे ता घोसषत कर क्रदया गया िै और उक्त सििय की पुसष्ट इि
न्यायालय िे िम्यक रूप िे कर दी िै ।
यि आज ता०……………………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश
275

िंखयांक 39
सिष्पादि में सििीत िपसम का पटरदाि प्रमासर्त िे ता को करिे के सलए आदेश
(आदेश 21 का सियम 95)
(शीषचक)
प्रेसषती
न्यायालय का बेसलफ ।
19………………………….के ………………………िंखयांक िाले िाद में की सडिी के सिष्पादि में क्रकए गए सििय
में……………………………….का प्रमासर्त िे ता…………………………िो गया िै; अत: आपको आदेश क्रदया जाता िै क्रक
आप उक्त…………………………..को, जो यथापपिोक्त प्रमासर्त िे ता िै, उिका कब्जा क्रदला दें ।
यि आज ता०………………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 40
सडिी के सिष्पादि में बािा डालिे के आरोप पर उपिंजात िोिे और आरोप का उत्तर देिे के सलए िमि
(आदेश 21 का सियम 97)
(शीषचक)
प्रेसषती
उक्त िाद में सडिीदार………………………………िे इि न्यायालय में पटरिाद क्रकया िै क्रक आपिे कब्जे के सलए िारण्ट
के सिष्पादि के िारिािक असिकारी का प्रसतरोि क्रकया (या उिको बािा पहुंर्ाई); अत: आपको उक्त पटरिाद का उत्तर देिे के सलए
ता०…………………………को……………………….बजे पपिाचहि में इि न्यायालय में उपिंजात िोिे के सलए िमि क्रकया
जाता िै ।
यि आज ता०………………………………………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया
गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 41
िुपुदग
च ी िारण्ट
(आदेश 21 का सियम 98)
(शीषचक)
प्रेसषती
........................................की जेल का िारिािक असिकारी ।
िीर्े सलिी िम्पसत्त के सलए सडिी इि िाद के िादी…………………………….के पि में कर दी गई िै और न्यायालय का
यि िमािाि िो गया िै क्रक……………………….उक्त………………………………….को िम्पसत्त पर कब्जा असिप्राप्त करिे
िे……………………क्रकिी न्यायिंगम िेतुक के सबिा प्रसतरुद्ध (या बासित) करता रिा िै और अब िी प्रसतरुद्ध (या बासित कर रिा
िै, और उक्त……………………………िे इि न्यायालय िे आिेदि क्रकया िै क्रक उक्त……………………………सिसिल
कारागार को िुपुदच क्रकया जाए ।
अत: आपको िमादेश क्रकया जाता िै और आपिे अपेिा की जाती िै क्रक आप उक्त…………………………को सिसिल
कारागार में लें और प्राप्त करें और उिे ििां………………………………………क्रदिों की अिसि के सलए कै द रिें ।
यि आज ता०………………………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश
276

िंखयांक 42
िपसम के लोक सििय को रोकिे के सलए कलक्टर का प्रासिकरर् (िारा 72)
(शीषचक)
प्रेसषती
श्री………………………..के कलक्टर,
मिोदय,
आपके …………….…………………………िंखयांक और तारीि……………………………………के उि पत्र के
उत्तर में, सजिमें आपिे यि व्यपक्रदष्ट क्रकया था क्रक इि िाद की सडिी के सिष्पादि में…………………………………िपसम का, जो
आपके सजले के अन्दर सस्थत िै, सििय आपसत्तजिक िै, मुझे आपको यि जािकारी देिा िै क्रक उक्त सडिी की पुसष्ट के सलए उि रीसत िे
व्यिस्था करिे के सलए आपको प्रासिकृ त क्रकया जाता िै क्रक सजि रीसत िे व्यिस्था करिे की आपिे सिफाटरश की िै ।
ििदीय
न्यायािीश

पटरसशष्ट र्
अिुपरप क कायचिासियां
िंखयांक 1
सिर्चय िे पपिच सगरफ्तारी का िारण्ट
(आदेश 38 का सियम 1)
(शीषचक)
प्रेसषती
न्यायालय का बेसलफ ।
उक्त िाद में िादी………………………………………………पाश्िच में अंक्रकत……………………………………..रुपए की

रासश का दािा करता िै और उििे न्यायालय को िमाििप्रद रूप में


मपल यि िासबत कर क्रदया िै क्रक यि सिश्िाि करिे के सलए असििम्िाव्य
िेतुक िै क्रक……………………………………………प्रसतिादी
ब्याज ……………………………………….िी िाला िै; अत: आपको
िमादेश क्रदया जाता िै क्रक आप िादी के दािे की तुसष्ट के सलए पयाचप्त
रकम के रूप में……………………………………..रुपए की रासश
उक्त………………...…………िे मांगे और प्राप्त करें और जब तक
िर्च क्रक…………………………………………...रुपए की उक्त रासश
योग उक्त………………………द्वारा या उिकी ओर िे आपको तत्काल
पटरदत्त ि कर दी जाए आप उक्त…………………….को अपिी
असिरिा में ले लें और उिे इि न्यायालय के िमि इिसलए लाएं

क्रक िि िेतुक दर्शचत करे क्रक िि तब तक के सलए जब तक उक्त िाद पपर्चत: और असन्तम रूप िे सिपटा ि क्रदया जाए और जब तक ऐिी
सडिी की तुसष्ट ि िो जाए तो इि िाद में उिके सिरुद्ध पाटरत की जाए, इि न्यायालय में स्ियं अपिी उपिंजासत के
सलए…………………रुपए की रकम की प्रसतिपसत क्यों ि दे ।
यि आज ता०…………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश
277

िंखयांक 2
सिर्चय िे पपिच सगरफ्तार क्रकए गए प्रसतिादी की उपिंजासत के सलए प्रसतिपसत
(आदेश 38 का सियम 2)
(शीषचक)
उक्त िाद में िादी……………………………की प्रेरर्ा पर प्रसतिादी………………………..सगरफ्तार क्रकया गया िै
और इि न्यायालय के िमि लाया गया िै;
उक्त प्रसतिादी के इि बात का िेतुक दर्शचत करिे में अिफल रििे पर क्रक अपिी उपिंजासत के सलए िि प्रसतिपसत क्यों ि दे
न्यायालय िे क्रकिी प्रसतिपसत देिे का उिे आदेश क्रदया िै;
अत: मैं……………………………….स्िेच्छया प्रसतिप बि गया हूं और इिके द्वारा अपिे को तथा अपिे िाटरिों और
सिष्पादकों को उक्त न्यायालय के प्रसत आबद्ध करता हूं क्रक उक्त प्रसतिादी िाद के लसम्बत रििे के दौराि और ऐिी क्रकिी सडिी की
तुसष्ट िोिे तक, जो उक्त िाद में उिके सिरुद्ध पाटरत की जाए, क्रकिी िी िमय बुलाए जािे पर उपिंजात िोगा; और ऐिी उपिंजासत
में व्यसतिम िोिे पर उि न्यायालय को उिके आदेश पर ऐिी कोई ििरासश, जो उक्त िाद में उक्त प्रसतिादी के सिरुद्ध न्यायसिर्ीत की
जाए, देिे के सलए मैं अपिे को तथा अपिे िाटरिों और सिष्पादकों को आबद्धकर करता हूं ।
मैंिे आज ता०………………………..को…………………………….में िस्तािर क्रकए ।
िािी (िस्तािटरत)
1.
2.

िंखयांक 3
प्रसतिप के अपिे उन्मोर्ि के सलए आिेदि पर प्रसतिादी को उपिंजात िोिे के सलए िमि
(आदेश 38 का सियम 3)
(शीषचक)
प्रेसषती
………………………………
………………………………िे, जो उक्त िाद में आपकी उपिंजासत के सलए ता०……………………..को प्रसतिप बिा
था, अपिी बाध्यता िे उन्मोसर्त क्रकए जािे के सलए इि न्यायालय िे आिेदि क्रकया िै;
अत: आपको ता०…………………….को……………………….बजे पपिाचहि में, जब उक्त आिेदि िुिा और अििाटरत
क्रकया जाएगा, इि न्यायालय में स्ियं उपिंजात िोिे के सलए िमि क्रकया जाता िै ।
यि आज ता०…………………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 4
िुपुदग
च ी का आदेश
(आदेश 38 का सियम 4)
(शीषचक)
प्रेसषती
………………………………
इि िाद में िादी……………………………िे, इि न्यायालय में आिेदि क्रकया िै क्रक प्रसतिादी…………………िे, इि
िाद में उिके सिरुद्ध जो कोई सिर्चय क्रदया जाए उिके बारे में उत्तरदासयत्ि का सििाचि करिे के सलए उिकी उपिंजासत के सलए प्रसतिपसत
ली जाए, और न्यायालय िे प्रसतिादी िे अपेिा की िै क्रक िि ऐिी प्रसतिपसत दे या प्रसतिपसत के बदले में पयाचप्त सििेप प्रस्थासपत करे
और िैिा करिे में िि अिफल रिा िै । अत: यि आदेश क्रदया जाता िै क्रक उक्त प्रसतिादी……………………………….इि बात
278

सिसिश्र्य िोिे तक या यक्रद उिके सिरुद्ध सिर्चय िुिाया जाए तो सडिी की तुसष्ट क्रकए जािे तक के सलए सिसिल कारागार के िुपुदच
क्रकया जाए ।
यि आज ता०…………………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 5
सडिी की तुसष्ट के सलए प्रसतिपसत की अपेिा करिे के आदेश के िसित सिर्चय िे पपिच कु की
(आदेश 38 का सियम 5)
(शीषचक)
प्रेसषती
न्यायालय का बेसलफ ।
………………….…………………िे न्यायालय को िमािािप्रद रूप में यि िासबत कर क्रदया िै क्रक उक्त िाद में
प्रसतिादी…………………………...;
अत: आपको यि िमादेश क्रदया जाता िै क्रक आप उक्त प्रसतिादी………………………….िे यि अपेिा करें क्रक िि या तो
…………………………………को या उिके मपल्य को या उि मपल्य के ऐिे िाग को, उि सडिी की तुसष्ट के सलए पयाचप्त िो जो
उिके सिरुद्ध पाटरत की जाए उि िमय जब उििे ऐिा करिे की अपेिा की जाए इि न्यायालय में पेश करिे और न्यायालय के
व्ययिािीि रििे के सलए………………………..रुपए की रासश की प्रसतिपसत ता०………………….को या उिके पपिच दे; या
उपिंजात िो और इि बात का िेतुक दर्शचत करे क्रक उिे ऐिी प्रसतिपसत क्यों ििीं देिी र्ासिए । आपको यि आदेश िी क्रदया जाता िै क्रक
आप उक्त…………………को कु कच कर लें और, जब तक न्यायालय का अगला आदेश ि िो, उिे अपिी िुरसित असिरिा में रिे और
आपको यि िमादेश िी क्रदया जाता िै क्रक आप इि िारण्ट को िि क्रदि सजिको, और िि रीसत सजििे, यि सिष्पाक्रदत क्रकया गया िै या
िि कारर्, सजििे यि सिष्पाक्रदत ििीं क्रकया गया, प्रमासर्त करिे िाले पृष्ठांकि के िसित ता०………………………..को या उिके
पपिच लौटा दें ।
यि आज ता०…………………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 6
िम्पसत्त पेश करिे के सलए प्रसतिपसत
(आदेश 38 का सियम 5)
(शीषचक)
उक्त िाद में िादी……………………………की प्रेरर्ा पर इि न्यायालय िे प्रसतिादी…………………..को यि सिदेश
क्रदया िै क्रक िि इििे उपाबद्ध अिुिपर्ी में सिसिर्दचष्ट िंपसत्त को न्यायालय के िमि पेश करिे और न्यायालय के व्ययिािीि रििे के
सलए………………………….रुपए की प्रसतिपसत दे;
अत: मैं…………………………….स्िेच्छया प्रसतिप बि गया हूं और इिके द्वारा अपिे को तथा अपिे िाटरिों और
सिष्पादकों को उक्त न्यायालय के प्रसत आबद्ध करता हूं क्रक उक्त प्रसतिादी उक्त अिुिपर्ी में सिसिर्दचष्ट िंपसत्त को या उिके मपल्य को या
उिके ऐिे िाग को, जो सडिी की तुसष्ट के सलए पयाचप्त िो, उि िमय, जबक्रक उििे ऐिा करिे की अपेिा की जाए, न्यायालय के िमि
पेश करे गा और न्यायालय के व्ययिािीि रिेगा, और प्रसतिादी के ऐिा करिे में व्यसतिम करिे पर उक्त न्यायालय को उि न्यायालय
के आदेश पर…………………………रुपए की उक्त रासश या उक्त रासश िे अिसिक ऐिे रासश, जो उक्त न्यायालय न्यायसिर्ीत
करे , देिे के सलए मैं अपिे को तथा अपिे िाटरिों और सिष्पादकों को आबद्ध करता हूं ।

अिुिपर्ी
मैंिे आज ता०…………………………को…………………………..में िस्तािर क्रकए ।
िािी (िस्तािटरत)
1.
2.
279

िंखयांक 7
प्रसतिपसत देिे में अिफलता िासबत क्रकए जािे पर सिर्चय िे पपिच कु की
(आदेश 38 का सियम 6)
(शीषचक)
प्रेसषती
न्यायालय का बेसलफ ।
इि िाद में िादी………………………िे इि न्यायालय िे आिेदि क्रकया िै क्रक िि प्रसतिादी………………………..िे
अपेिा करे क्रक प्रसतिादी ऐिी क्रकिी सडिी की तुसष्ट के सलए प्रसतिपसत दे जो इि िाद में उिके सिरुद्ध पाटरत की जाए और न्यायालय िे
ऐिी प्रसतिपसत देिे के सलए उक्त………………………………िे अपेिा की सजिे देिे में िि अिफल रिा िै ।
अत: आपको यि िमादेश क्रदया जाता िै क्रक आप उक्त…………………………….की िम्पसत्त……………………..को
कु कच कर लें और जब तक न्यायालय का अगला आदेश ि िो उिे िुरसित असिरिा में रिे । आपको यि िमादेश िी क्रदया जाता िै क्रक
आप इि िारण्ट को, िि तारीि सजिको, और िि रीसत सजििे इिका सिष्पादि क्रकया गया िै या िि कारर्, सजििे इिका सिष्पादि
ििीं क्रकया गया, प्रमासर्त करिे िाले पृष्ठांकि के िसित ता०……………………………..को या उिके पपिच लौटा दें ।
यि आज ता०…………………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 8
अस्थायी व्यादेश
(आदेश 39 का सियम 1)
(शीषचक)
िादी क ि के प्लीडर या (काउन्िेल)………………………..…….द्वारा इि न्यायालय िे प्रस्ताि क्रकए जािे पर और उक्त
िाद के इि मामले में (आज) फाइल की गई अजी को (या इि िाद में ता०……………..………………….को फाइल क्रकए गए
िादपत्र को या उक्त िादी के ता०…………….………………….को फादल क्रकए गए सलसित कथि को) पढ़िे के पश्र्ात और उिके
िमथचि में………………………………….…के और………….…….………………..के िाक्ष्य को िुििे के पश्र्ात (यक्रद
िपर्िा के पश्र्ात प्रसतिादी उपिंजात ि हुआ िो तो यि िी सलसिए, और इि आिेदि की िपर्िा की तामील प्रसतिादी ग घ पर िोिे के
बारे में……………………....….के िाक्ष्य को िी िुििे के पश्र्ात), यि न्यायालय आदेश देता िै क्रक िादी के उक्त िाद में िादपत्र में
िर्र्चत (या िादी के सलसित कथि या अजी में और इि आिेदि की िुििाई पर िाक्ष्य में िर्र्चत)……………………….ताल्लुका में
सिन्दपपुर के गांिी मागच के िंखयांक………………….िाले गृि को सगरािे या सगरा देिे िे और सजि िामग्री िे उक्त गृि बिा हुआ िै
उिको बेर्िे िे तब तक के सलए, जब तक इि िाद की िुििाई ि िो जाए या जब तक न्यायालय का अगला आदेश ि िो, प्रसतिादी ग
घ को तथा उिके िेिकों, असिकताचओं और कमचकारों को अिरुद्ध करिे के सलए व्यादेश मंजपर क्रकया जाए ।
ता०………………………………
न्यायािीश
[जिां िर्ि-पत्र या सिसिमयपत्र के परिामर् को अिरुद्ध करिे के सलए व्यादेश र्ािा गया िै ििां आदेश के आदेशक िाग का
रूप इि प्रकार िो िकता िै]

िादी के िादपत्र (या अजी) में और इि प्रस्ताि की िुििाई में क्रदए गए िाक्ष्य में िर्र्चत..................................के या के
लगिग की तारीि के प्रश्िास्पद िर्ि-पत्र (या सिसिमयपत्र) को अपिी या अपिे में िे क्रकिी की असिरिा िे सिलग करिे िे या
पृष्ठांक्रकत करिे या िमिुक्रदष्ट करिे या परिामर् करिे िे तब तक के सलए जब तक इि िाद की िुििाई ि िो जाए या जब तक
न्यायालय का अगला आदेश ि िो, प्रसतिाक्रदयों…………………………………और………………………….……,इत्याक्रद को
अिरुद्ध करिे के सलए ।
(प्रसतसलप्यसिकार के मामलों में)
…………………………….िामक पुस्तक को या उिके क्रकिी िाग को मुक्रद्रत करिे, प्रकासशत करिे या बेर्िे िे तब तक
के सलए, जब तक…………………………………प्रसतिादी ग घ को तथा उिके िेिकों, असिकताचओं या कमचकारों को अिरुद्ध करिे
के सलए, इत्याक्रद ।
280

(जिां क्रकिी पुस्तक के िाग मात्र के सिषय में अिरुद्ध करिा िै) िादपत्र में (या अजी और िाक्ष्य इत्याक्रद में) सजि पुस्तक के
बारे में यि िर्र्चत िै क्रक िि प्रसतिादी द्वारा प्रकासशत की गई िै उि पुस्तक के इिमें आगे सिसिर्दचष्ट ऐिे िागों को, अथाचत उक्त पुस्तक
के उि िाग को सजिका शीषचक………………………िै और उि िाग को िी सजिका शीषचक…………………………िै (या जो
पृष्ठ…………………….िे पृष्ठ……………………तक में, सजिके अन्तगचत ये दोिों पृष्ठ िी आते िैं, अन्तर्िचष्ट िैं) मुक्रद्रत करिे,
प्रकासशत करिे, बेर्िे या अन्यथा व्ययसित करिे िे तब तक के सलए, जब तक………………………….इत्याक्रद प्रसतिाक्रद ग घ को
तथा उिके िेिकों, असिकताचओं या कमचकारों को अिरुद्ध करिे के सलए ।
(पेटेण्ट के मामलों में)
िादी के िादपत्र (या अजी, इत्याक्रद का सलसित कथि, इत्याक्रद) में िर्र्चत और िाक्रदयों के या उिमें िे क्रकिी के उदिििों के
सिद्धान्त पर कोई सछक्रद्रत ईंटे (या यथासस्थसत) िादी के िादपत्र (या यथासस्थसत) में िर्र्चत पेटेन्ट की िसमक अिसियों के अिसशष्ट काल
के दौराि बिािे या बेर्िे िे और उि उदिििों का या उिमें िे क्रकिी का िी कप टरकरर्, िकल या िादृष्टया करिे िे या उिमें कु छ
बढ़ािे िे या उिमें िे कोई कमी करिे िे तब तक के सलए, जब तक िुििाई ि िो जाए, इत्याक्रद प्रसतिादी ग घ को तथा उिके
असिकताचओं, िेिकों और कमचकारों को अिरुद्ध करिे के सलए, इत्याक्रद ।
(व्यापार सर्न्िों के मामलों में)
कोई िंरर्िा या स्यािी (या यथासस्थसत) ऐिी बोतलों में सजि पर िादी के िादपत्र (या अजी, इत्याक्रद) में िर्र्चत जैिे लेसबल
या अन्य ऐिे लेसबल लगे हुए िैं जो समलती जुलती िकल के कारर् या अन्यथा इि रूप के बिे िैं, या ऐिे असिव्यंजिापपर्च िैं क्रक उििे
यि व्यपक्रदष्ट िोता िै क्रक प्रसतिादी द्वारा बेर्ी जािे िाली िंरर्िा या स्यािी ििीं िंरर्िा या स्यािी (या यथासस्थसत) िै सजिके बारे में
यि िर्र्चत िै या तात्पर्यचत िै क्रक िि िादी क ि द्वारा सिसिर्मचत स्यािी िै, बेर्िे िे या सििय के सलए असिदर्शचत करिे िे या बेर्िे के
सलए उपाप्त करिेिे और ऐिे व्यापार-काडों का उपयोग करिे िे, जो ऐिे बिाए गए िैं या ऐिी असिव्यंजिापपर्च िै क्रक उििे यि
व्यपक्रदष्ट िोता िै क्रक प्रसतिादी द्वारा बेर्िी जािे िाली या बेर्े जािे के सलए प्रस्थासपत कोई िंरर्िा या स्यािी ििी िंरर्िा या स्यािी
ििीं िंरर्िा या स्यािी िै जो िादी क ि द्वारा सिसिर्मचत की या बेर्ी जाती िै तब तक के सलए, जब तक
क्रक……………………………इत्याक्रद, प्रसतिादी ग घ को, उिके िेिकों, या असिकताचओं या कमचकारों को अिरुद्ध करिे के सलए ।
(कारबार में क्रकिी प्रकार िे िस्तिेप करिे िे िागीदार को अिरुद्ध करिे के सलए)
ि और घ की िागीदारी फमच के िाम में कोई ऐिी िंसिदा करिे िे और कोई सिसिमयपत्र, िर्ि-पत्र या सलसित प्रसतिपसत
प्रसतगृसित करिे, सलििे, पृष्ठांक्रकत करिे या, परिासमत करिे िे और उक्त ि और घ की िागीदारी फमच के िाम में या प्रत्यय पर ऐिे
कोई ऋर् लेिे िे, कोई माल िरीदिे और बेर्िे िे और कोई मौसिक या सलसित िर्ि, करार या िर्िबन्ि करिे िे और कोई ऐिा
कायच करिे या करािे िे, सजििे उक्त िागीदारी फमच क्रकिी रीसत िे क्रकिी िि रासश के िंदाय के सलए या क्रकिी िंसिदा, िर्ि या
िर्िबन्ि का पालि करिे के दासयत्ि के अिीि िो िकती िै या िो जाए या की जा िकती िै या कर दी जाए तब तक के सलए, जब
तक……………………प्रसतिादी ग घ को तथा उिके असिकताचओं और िेिकों को अिरुद्ध करिे के सलए, इत्याक्रद ।

िंखयांक 1[9]
टरिीिर की सियुसक्त
(आदेश 40 का सियम 1)
(शीषचक)
प्रेसषती………………………………………………………….
उक्त िाद में ता०………………………………..को………..……………………के पि में पाटरत सडिी के सिष्पादि
में…………………..कु कच कर ली गई िै; अत: (इि बात के अिीि रिते हुए क्रक आप न्यायालय को िमािािप्रद रूप में प्रसतिपसत दे दें)
आपको उक्त िम्पसत्त का टरिीिर, सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 40 के उपबन्िों के अिीि की िब शसक्तयों िसित उक्त
आदेश के अिीि सियुक्त क्रकया जाता िै ।
आपिे अपेिा की जाती िै क्रक आप उक्त िम्पसत्त की बाबत अपिी िब प्रासप्तयों और व्ययों का िम्यक और उसर्त लेिा
ता०…………………….को दे दें इि सियुसक्त के प्रासिकार के अिीि अपिी प्रासप्तयों पर आप…………………………प्रसतशत
की दर िे पाटरश्रसमक पािे के िकदार िोंगे ।
यि आज ता०……………………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया िै ।
न्यायािीश

1
प्ररूप का िंखयांक, जो मपल िे 6 के रूप में गलत छप गया था और 6 था, 1914 के असिसियम िं० 10 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 द्वारा ठीक कर क्रदया गया था ।
281

िंखयांक 1[10]
टरिीिर द्वारा क्रदया जािे िाला बन्िपत्र
(आदेश 40 का सियम 3)
(शीषचक)
यि िब को ज्ञात िो क्रक िम…….………….............और…………………….……और………………….के न्यायालय
के ………………………..को या उिके तत्िमय पद उत्तरिती को………………………….रुपए देिे के सलए
उक्त……………………….के प्रसत िंयुक्तत: और पृथक्त: आबद्ध िैं । इिका पपर्च िंदाय करिे के सलए िम इि सिलेि द्वारा अपिे को
और अपिे में िे िर एक को और अपिे में िे िर एक के िाटरिों, सिष्पादकों और प्रशािकों को िंयुक्तत: और पृथक्त: आबद्ध करते िैं ।
ता०…………………………….
………………………………िे……………………….के सिरुद्ध न्यायालय में…………………….(यिां िाद का
उद्देश्य सलसिए) के प्रयोजिाथच िादपत्र फाइल क्रकया िै;
उक्त न्यायालय के आदेश द्वारा उक्त……………………………..को िादपत्र में िासमत………………………की
स्थािर िम्पसत्त के िाटक और लाि प्राप्त करिे के सलए और उिकी परादेय जंगम िम्पसत्त ले लेिे के सलए सियुक्त क्रकया गया िै;
इि बाध्यता की शतच यि िै क्रक यक्रद उक्त रूप में आबद्ध व्यसक्त…………………….उि िब ििरासश और उि िब
ििरासशयों में िे िर एक का िम्यक रूप िे लेिा, जो िि उक्त………………………..की स्थािर िम्पसत्त के िाटकों और लािों की
बाबत और उिकी जंगम िम्पसत्त की बाबत प्राप्त करे ऐिी अिसियों में, जो न्यायालय द्वारा सियुक्त की जाएं, दे देगा और िे बाकी
रकमें, सजिके बारे में िमय-िमय पर प्रमासर्त क्रकया जाए क्रक िे उिके द्वारा शोध्य िैं, ऐिे दे दें जैिे उक्त न्यायालय िे सिर्दचष्ट क्रकया िै
या उक्त न्यायालय इिके पश्र्ात सिक्रदष्ट करे तो यि बाध्यता शपन्य िोगी अन्यथा यि पपर्चत: प्रिृत्त रिेगी ।
उक्त रूप में आबद्ध व्यसक्त िे इि पर………………………….की उपसस्थसत में िस्तािर क्रकए और पटरदाि क्रकया ।
टटप्पर्यक्रद िि का सििेप क्रकया जाता िै तो उिका ज्ञापि बन्िपत्र की शतच की िाषा के अिुिार िोिा र्ासिए ।

पटरसशष्ट छ
अपील, सिदेश और पुिर्िचलोकि
िंखयांक 1
अपील का ज्ञापि
(आदेश 41 का सियम 1)
(शीषचक)
उक्त………………………के ………………िंखयांक िाले िाद में ता०……………………..की………………..की
सडिी की अपील……………………..में के ………………………..न्यायालय में करता िै और सजि सडिी की अपील की जा रिी िै
उिके सिरुद्ध आिेप के सिम्िसलसित आिार उपिर्र्चत करता िै, अथाचत :

िंखयांक 2
सडिी का सिष्पादि रोकिे का आदेश क्रकए जािे पर क्रदया जािे िाला प्रसतिपसत-बन्िपत्र
(आदेश 41 का सियम 5)
(शीषचक)
प्रेसषती
………………………………………..
सडिी का सिष्पादि रोक क्रदए जािे पर……………………………द्वारा सिष्पाक्रदत यि प्रसतिपसत-बन्िपत्र सिम्िसलसित का
िाक्ष्य िै :

1
प्ररूप का िंखयांक, जो मपल िे 7 के रूप में गलत छप गया था और 7 था, 1914 के असिसियम िं० 10 की िारा 2 और अिुिपर्ी 1 द्वारा ठीक कर क्रदया गया था ।
282

…………………….द्वारा, जो………………………के िंखयांक िाले िाद में िादी िै, प्रसतिादी…………………पर


इि न्यायालय में िाद र्लाए जािे पर और ता०………………………………..को िादी के पि में सडिी पाटरत की जािे पर और
उक्त सडिी की अपील…………………..न्यायालय में प्रसतिादी द्वारा की जािे पर, उक्त अपील अब तक लसम्बत िै ।
अब िादी सडिीदार िे सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि क्रकया िै और प्रसतिादी िे सिष्पादि रोकिे की प्राथचिा करिे िाला
आिेदि क्रदया िै और उिकी प्रसतिपसत देिे की अपेिा की गई िै । तद्िु िार मैं अपिी स्ितंत्र इच्छा िे…………………….रुपए को
प्रसतिपसत देता हूं और उिके सलए इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में सिसिर्दचष्ट िम्पसत्तयों को बन्िक करता हूं और यि प्रिंसिदा करता हूं
क्रक यक्रद अपील न्यायालय द्वारा प्रथम न्यायालय की सडिी पुष्ट कर दी जाती िै या उिमें फे रफार कर क्रदया जाता िै तो उक्त प्रसतिादी
अपील न्यायालय की सडिी के अिुिार िम्यक रूप िे कायच करे गा और जो कु छ उिके अिीि उिके द्वारा िंदेय िोगा िि उिका िंदाय
करे गा और यक्रद िि ऐिा करिे में अिफल रिेगा तो ऐिे िंदाय की कोई िी रकम इिके द्वारा बन्िक की गई िम्पसत्त िे ििपल कर ली
जाएगी, और यक्रद उक्त िम्पसत्तयों के सििय के आगम शोध्य रकम के िंदाय के सलए अपयाचप्त िों तो मैं और मेरे सिसिक प्रसतसिसि बाकी
रकम देिे के सलए िैयसक्तक रूप िे दायी िोंगे । इि आशय का यि प्रसतिपसत-बन्िक मैं आज ता०……………………………….को
सिष्पाक्रदत करता हूं ।

अिपिपर्ी
िािी (िस्तािटरत)
1.
2.

िंखयांक 3
अपील लसम्बत रििे के दौराि क्रदया जािे िाला प्रसतिपसत-बंिपत्र
(आदेश 41 का सियम 6)
(शीषचक)
प्रेसषती
………………………………………..
सडिी का सिष्पादि रोक क्रदए जािे पर……………………………द्वारा सिष्पाक्रदत यि प्रसतिपसत-बन्िपत्र सिम्िसलसित का
िाक्ष्य िै
………………………….द्वारा, जो 19…………………के िंखयांक िाले िाद मेंिादी िै,
प्रसतिादी…………………पर इि न्यायालय में िाद र्लाए जािे पर और ता०................................को िादी के पि में सडिी
पाटरत की जािे पर और उक्त सडिी की अपील……………………….न्यायालय में प्रसतिादी द्वारा की जािे पर उक्त अपील अब तक
लसम्बत िै ।
अब िादी सडिीदार िे उक्त सडिी के सिष्पादि के सलए आिेदि क्रकया िै और उििे प्रसतिपसत देिे की अपे िा की िै । तद्िुिार
मैं अपिी स्ितन्त्र इच्छा िे……………………………………….रुपए तक की प्रसतिपसत देता हूं और उिके सलए इिके िाथ
उपाबद्ध अिुिपर्ी में सिसिर्दचष्ट िम्पसत्तयों को बन्िक करता हूं और यि प्रिंसिदा करता हूं क्रक यक्रद प्रथम न्यायालय की सडिी अपील
न्यायालय द्वारा उलट दी जाती िै या उिमें फे रफार कर क्रदया जाता िै तो िादी उि िम्पसत्त का प्रत्याितचि कर देगा जो उक्त सडिी के
सिष्पादि में ली जाए या ले ली गई िै और िि अपील न्यायालय की सडिी के अिुिार िम्यक रूप िे कायच करे गा और जो कु छ उिके
अिीि उिके द्वारा िंदय े िोगा िि उिका िंदाय करे गा और यक्रद िे ऐिा करिे में अिफल रिेगा तो ऐिे िंदाय की कोई िी रकम इिके
द्वारा बन्िक की गई िम्पसत्तयों िे ििपल कर ली जाएगी और यक्रद उक्त िम्पसत्तयों के सििय के आगम शोध्य रकम के िंदाय के सलए
अपयाचप्त िो तो मैं और मेरे सिसिक प्रसतसिसि बाकी रकम देिे के सलए िैयसक्तक रूप िे दायी िोंगे । इि आशय का यि प्रसतिपसत
बन्िपत्र मैं आज ता०…………..............को सिष्पाक्रदत करता हूं ।

अिपिपर्ी
िािी
(िस्तािटरत)
1.
2.
283

िंखयांक 4
अपील के िर्ों के सलए प्रसतिपसत
(आदेश 41 का सियम 10)
(शीषचक)
प्रेसषती
अपील के िर्ों के सलए……………………………..द्वारा सिष्पाक्रदत यि प्रसतिपसत बन्िपत्र सिम्िसलसित का िाक्ष्य िै :
अपीलाथी िे 19…………..……………………के ……………………………...िंखयांक िाले िाद की सडिी की
अपील प्रत्यथी के सिरुद्ध की िै और अपीलाथी िे प्रसतिपसत देिे की अपेिा की गई िै । तद्िु िार मैं अपिी स्ितंत्र इच्छा िे अपील के
िर्ों के सलए प्रसतिपसत देता हूं और उिके सलए इिके िाथ उपाबद्ध अिुिपर्ी में सिसिर्दचष्ट िम्पसत्तयों को बन्िक करता हूं । मैं उक्त
िम्पसत्तयों को या उिक क्रकिी िी िाग को अन्तटरत ििीं करूंगा और अपीलाथी की ओर िे कोई व्यसतिम क्रकए जािे की दशा में ऐिे
क्रकिी िी आदेश का िम्यक रूप िे पालि करूंगा जो अपील के िर्ों के िंदाय की बाबत मेरे सिरुद्ध क्रदया जाए । ऐिे िंदाय की कोई
रकम इिके द्वारा बन्िक की गई िम्पसत्तयों िे ििपल कर ली जाएगी और यक्रद उक्त िम्पसत्त के सििय के आगम शोध्य रकम के िंदाय के
सलए अपयाचप्त िों तो मैं और मेरे सिसिक प्रसतसिसि बाकी रकम देिे के सलए िैयसक्तक रूप िे दायी िोंगे । इि आशय का यि प्रसतिपसत
बन्िपत्र मैं आज ता०……………………..को सिष्पाक्रदत करता हूं ।
(िस्तािटरत)

अिपिपर्ी
िािी
1.
2.

िंखयांक 5
अपील ग्रिर् की जािे की सिर्ले न्यायालय को प्रज्ञापिा
(आदेश 41 का सियम 13)
(शीषचक)
प्रेसषती
आपको सिदेश क्रदया जाता िै क्रक आप यि िपर्िा लें क्रक उक्त िाद में…………………………श्री……………………..िे
उि सडिी की जो आपिे उि िाद में ता०…………………………..को पाटरत की थी, अपील इि न्यायालय में की िै ।
आपिे प्राथचिा िै क्रक आप िमस्त शीघ्रता िे िाद के िब तासविक कागज िेज दें ।
ता०…………………………….
न्यायािीश

िंखयांक 6
अपील की िुििाई के सलए सियत क्रदि की प्रत्यथी को िपर्िा
(आदेश 41 का सियम 14)
(शीषचक)
……………………………..के न्यायालय की तारीि……………………….की………………………की अपील ।
प्रेसषती
आपको िपर्िा दी जाती िै क्रक इि मामले में…………………की सडिी की अपील…………………द्वारा उपस्थासपत की
गई िै और इि न्यायालय में रसजस्टर कर ली गई िै और इि अपील की िुििाई के सलए इि न्यायालय द्वारा ता०…………सियत की
गई िै ।
284

यक्रद इि अपील में आपकी ओर िे आप स्ियं या आपके प्लीडर या आपके सलए कायच करिे के सलए सिसििा प्रासिकृ त कोई
व्यसक्त उपिंजात ििीं िोगा तो यि आपकी अिुपसस्थसत में िुिी और सिसिसश्र्त की जाएगी ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश
[टटप्पर्यक्रद सिष्पादि रोक देिे का आदेश दे क्रदया गया िै तो इि तथ्य की प्रज्ञापिा इि िपर्िा में दी जािी र्ासिए ।]

िंखयांक 7
िाद के उि पिकार की िपर्िा जो अपील में पिकार ििीं बिाया गया िै क्रकन्तु न्यायालय द्वारा प्रत्यथी के रूप में
िंयोसजत कर सलया गया िै
(आदेश 41 का सियम 20)
(शीषचक)
प्रेसषती
आप…………………..…………………..के न्यायालय में………………………………..के िंखयांक िाले िाद में
पिकार थे, और……………………………………िे उक्त िाद में अपिे सिरुद्ध पाटरत सडिी की अपील इि न्यायालय में की िै
और इि न्यायालय को यि प्रतीत िोता िै क्रक आप अपील के पटरर्ाम में सितबद्ध िैं,
अत: आपको िपर्िा दी जाती िै क्रक उक्त अपील में आपके प्रत्यथी बिाए जािे के सलए इि न्यायालय िे सिदेश क्रदया िै और
इि अपील की िुििाई ता०……………………..को………………….बजे पपिाचहि के सलए स्थसगत कर दी िै । यक्रद उक्त क्रदि और
उक्त िमय आपकी ओर िे उपिंजासत ििीं हुई तो अपील आपकी अिुपसस्थसत में िुिी और सिसिसश्र्त की जाएगी ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िंखयांक 8
प्रत्यािेप का ज्ञापि
(आदेश 41 का सियम 22)
(शीषचक)
…………………..िे 19……………………के ………………….....िंखयांक िाले िाद में……………………….की
ता०………………..की सडिी की अपील………………………….में के ………………….न्यायालय में की िै, और अपील की
िुििाई के सलए सियत क्रदि की िपर्िा की तामील………………………..पर ता०………………………को िो गई थी, अत:
…………………..सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 41 के सियम 22 के अिीि प्रत्यािेप का यि ज्ञापि फाइल करता िै और
उि सडिी पर, सजिकी अपील की गई िै आिेप के सिम्िसलसित आिार उपिर्र्चत करता िै, अथाचत :

िंखयांक 9
अपील में सडिी
(आदेश 41 का सियम 35)
(शीषचक)
ता०……………………की………………न्यायालय की सडिी की अपील िंखयांक………………19………………
अपील का ज्ञापि
…………………………….…िादी ।
…………………………..प्रसतिादी ।
उक्त……………………………..उपयुचक्त िाद में……………………….की ता०…………….…………..की सडिी
की अपील…………………………न्यायालय में सिम्िसलसित कारर्ों िे करता िै, अथाचत:
285

यि अपील ता०……….………………..……..को अपीलाथी की ओर िे………..…………………..की और प्रत्यथी


की ओर िे………………….……………...की उपसस्थसत में…………………….….के िमि िुििाई के सलए आिे पर यि आदेश
क्रदया जाता िै क्रक…………………………..
इि अपील के िर्े, सजिका ब्यौरा िीर्े क्रदया गया िै, और सजिकी रकम…………………रुपए िैं,……………………
द्वारा क्रदए जािे िैं । मपल िाद के िर्े……………………………….द्वारा क्रदए जािे िैं ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश
अपील के िर्े
अपीलाथी रकम प्रत्यथी रकम

1. अपील के ज्ञापि के सलए स्टाम्प रु० आ० पा० शसक्तपत्र के सलए स्टाम्प रु० आ० पा०
2. शसक्तपत्र के सलए स्टाम्प अजी के सलए स्टाम्प
3. आदेसशकाओं की तामील आदेसशकाओं की तामील
4. …………………. रुपए पर …………….रुपए पर प्लीडर
प्लीडर की फीि की फीि
जोड जोड

िंखयांक 10
अककं र्ि के रूप में अपील करिे के सलए आिेदि
(आदेश 44 का सियम 1)
(शीषचक)
मैं उक्त……………………उक्त िाद की सडिी की अपील का िंलग्ि ज्ञापि उपस्थासपत करता हूं और आिेदि करता हूं क्रक
मुझे अककं र्ि के रूप में अपील करिे की अिुज्ञा दी जाए ।
इिके िाथ मेरी िब जंगम और स्थािर िम्पसत्त की पपरी और ठीक अिुिपर्ी उि िम्पसत्त के प्राक्कसलत मपल्य के िसित
उपाबद्ध िै ।
ता०……………………….
(िस्तािटरत)
टटप्पर्जिां आिेदि िादी द्वारा क्रकया गया िै ििां उिे यि िी सलििा र्ासिए क्रक क्या उििे प्रथम बार के न्यायालय में
अककं र्ि के रूप में िाद करिे के सलए आिेदि क्रकया था और उिे उि रूप में िाद करिे की अिुज्ञा दी गई थी ।

िंखयांक 11
अककं र्ि के रूप में अपील की िपर्िा
(आदेश 44 का सियम 1)
(शीषचक)
उक्त………………………….िे उक्त िाद में ता०………………………..की सडिी की अपील अककं र्ि के रूप में
करिे की अिुज्ञा दी जािे के सलए आिेदि क्रकया िै, और आिेदि की िुििाई के सलए ता०………………………..सियत की गई िै,
अत: आपको िपर्िा दी जाती िै यक्रद आप इि बात का िेतुक दर्शचत करिा र्ािते िैं क्रक आिेदक को अककं र्ि के रूप में अपील करिे की
अिुज्ञा ि दी जाए तो ऐिा करिे का अििर आपको पपिोक्त तारीि को क्रदया जाएगा ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश
286

िंखयांक 12
इि बात का िेतक
ु दर्शचत करिे के सलए िपर्िा क्रक 1[उच्र्तम न्यायालय] में अपील करिे के सलए प्रमार्पत्र क्यों
ि अिुदत्त क्रकया जाए
(आदेश 45 का सियम 3)
(शीषचक)
प्रेसषती
…………………………
2
[आपको यि िपर्िा दी जाती िै क्रक………………………….….िे इि न्यायालय में इि प्रमार्पत्र के सलए आिेदि क्रकया
िै क्रक
(i) इि मामले में िािचजसिक मित्ि का िारिाि सिसि-प्रश्ि जुडा िै; और
(ii) इि न्यायालय की राय में यि आिश्यक िै क्रक इि प्रश्ि का सिसिश्र्य उच्र्तम न्यायालय द्वारा क्रकया जाए ।]
यि दर्शचत करिे के सलए क्रक न्यायालय िि प्रमार्पत्र क्यों ि दे जो मांगा गया िै, आप के सलए ता०…………………सियत
की गई िै ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
रसजस्िार

िंखयांक 13
1
[उच्र्तम न्यायालय] में की गई अपील ग्रिर् की जािे की प्रत्यथी को िपर्िा
(आदेश 45 का सियम 8)
(शीषचक)
प्रेसषती
उक्त मामले में………………………….िे सिसिल प्रक्रिया िंसिता, 1908 के आदेश 45 के सियम 7 द्वारा अपेसित
प्रसतिपसत दे दी िै और सििेप कर क्रदया िै;
अत: आपको यि िपर्िा दी जाती िै क्रक 3[उच्र्तम न्यायालय] उक्त……………..…..की अपील ता०…………………को
ग्रिर् कर ली गई िै ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
रसजस्िार

िंखयांक 14
इि बात का िेतक
ु दर्शचत करिे के सलए िपर्िा क्रक पुिर्िचलोकि क्यों ि मंजरप क्रकया जाए
(आदेश 47 का सियम 4)
(शीषचक)
प्रेसषती
आपको िपर्िा दी जाती िै क्रक………………………………..िे उक्त मामले में ता०………………………को पाटरत
इि न्यायालय की सडिी के पुिर्िचलोकि के सलए इि न्यायालय में आिेदि क्रकया िै । इि बात का िेतुक दर्शचत करिे के सलए क्रक इि
मामले में अपिी सडिी की पुिर्िचलोकि न्यायालय क्यों ि मंजपर करे आपके सलए ता०……………………………सियत की गई िै ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

1
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “ककं ग इि काउं सिल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
2
1973 के असिसियम िं० 49 की िारा 4 द्वारा पपिचिती पैरा के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
3
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “सिज मैजेस्टी इि काउं सिल” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
287

पटरसशष्ट ज
प्रकीर्च

िंखयांक 1
सिर्ारर् क्रकए जािे िाले सििाद्यकों की बाबत पिकारों का करार
(आदेश 14 का सियम 6)
(शीषचक)
िम, जो उक्त िाद में पिकार िैं, अपिे बीर् सिसिसश्र्त क्रकए जािे िाले तथ्य के (या सिसि के ) प्रश्ि की बाबत ििमत िैं और
िमारे बीर् सििादास्पद प्रश्ि यि िै क्रक ता०………………………..के और उक्त िाद में प्रदशच………………………के रूप में
फाइल क्रकए गए बन्िपत्र पर आिाटरत दािा पटरिीमा कािपि के परे िै या ििीं िै (या जो िी प्रश्ि सििादास्पद िो िि यिां सलसिए);
अत: िम अपिे को पृथक्त: आबद्ध करते िैं क्रक इि सििाद्यक पर न्यायालय के िकारात्मक (या िकारात्मक) सिष्कषच
पर…………………..उक्त…………………..को……………………..रुपए की रासश (या ऐिी रासश जैिी न्यायालय उि पर
शोध्य ठिराए) देंगे, और बन्िकपत्र पर अपिे दािे की पपरी तुसष्ट में मैं उक्त……………………………रुपयों की उक्त रासश (या
ऐिी रासश जेिी न्यायालय शोध्य ठिराए) स्िीकार करूंगा (या ऐिे सिष्कषच पर मैं उक्त……………………….करूंगा या करिे िे
प्रसिरत रहूंगा, इत्याक्रद, इत्याक्रद) ।
िादी
प्रसतिादी
िािी :
1.
2.
ता०………………………

िंखयांक 2
सिर्ारर् के सलए िाद का अन्तरर् दपिरे न्यायालय को करािे के सलए आिेदि की िपर्िा
(िारा 24)
………………………..के सबिा न्यायािीश के न्यायालय में 19…………..का िंखयांक………………………..।
प्रेसषती
…………………के …………………...न्यायालय में अब लसम्बत िै 19…………………के ………………..िंखयांक
िाले िाद में, सजिमें………………………िादी िै और…….……………………प्रसतिादी िै............................िे सिर्ारर् के
सलए िाद का अन्तरर्……………………….के ……………………..न्यायालय को करिे के सलए ता०……………………का
आिेदि इि न्यायालय में क्रदया िै;
अत: आपको इसत्तला दी जाती िै क्रक आिेदि की िुििाई के सलए ता०……………………..सियत की गई िै और यक्रद आप
उिके सिरुद्ध कोई आिेप करिा र्ािते िैं तो उि क्रदि आपकी िुििाई की जाएगी ।
यि आज ता०……………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश
1[िंखयांक 2क
िादी/प्रसतिादी द्वारा आहूत क्रकए जािे के सलए प्रस्थासपत िासियों की िपर्ी
(आदेश 16 का सियम 1)
उि पिकार का िाम जो िािी को आहूत िािी का िाम और पता टटप्पर्ी]
करिे की प्रस्थापिा करता िै ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 96 द्वारा (1-2-1977 िे) अन्त:स्थासपत ।
288

िंखयांक 3
न्यायालय में जमा कर क्रदए जािे की िपर्िा
(आदेश 24 का सियम 2)
(शीषचक)
आपको यि िपर्िा दी जाती िै क्रक प्रसतिादी िे……………………………..रुपए न्यायालय में जमा कर क्रदए िैं और िि
किता िै क्रक िादी के दािे के पपर्च िंदाय के सलए यि रासश पयाचप्त िै ।
िादी के प्लीडर य को ।
ि म, प्रसतिादी का प्लीडर

िंखयांक 4
िेतक
ु दर्शचत करिे के सलए िपर्िा (िािारर् प्ररूप)
(शीषचक)
प्रेसषती
उक्त………………………….िे इि न्यायालय में यि आिेदि क्रकया िै क्रक…………………..;
अत: आपको र्ेताििी दी जाती िै क्रक आप उि आिेदि के सिरुद्ध िेतुक दर्शच त करिे के सलए
ता०………………………को…………………..……पपिाचहि में स्ियं या अपिे प्लीडर द्वारा सजिे िम्यक रूप िे अिुदश े क्रदया
गया िो, उपिंजात िो । यक्रद आप ऐिा करिे में अिफल रिेंगे तो उक्त आिेदि की िुििाई और उिका सिपटारा एकपिीय रूप िे
क्रकया जाएगा ।
यि आज ता०……………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िंखयांक 5
िादी/प्रसतिादी द्वारा पेश की गई दस्तािेजों की िपर्ी
प्रसतिादी
(आदेश 13 का सियम 1)
(शीषचक)
िंखयांक दस्तािेज का िर्चि यक्रद दस्तािेज पर कोई तारीि पडी पिकार या प्लीडर के िस्तािर
िै तो िि तारीि
1 2 3 4

िंखयांक 6
जो िािी असिकाटरता िे बािर जािे िी िाला िै उिकी परीिा करिे के सलए सियत क्रदि की पिकारों को िप र्िा
(आदेश 18 का सियम 16)
(शीषचक)
प्रेसषती
………………………..िादी (या प्रसतिादी)
289

………………………..िे उक्त िाद में न्यायालय िे आिेदि क्रकया िै क्रक उक्त………………………..द्वारा अपेसित
िािी…………………………की परीिा तुरन्त कर ली जाए और न्यायालय को िमािािप्रद रूप में यि बात दर्शचत कर दी गई िै
क्रक उक्त िािी न्यायालय की असिकाटरता को छोडकर बािार जािे िी िाला िै (या कोई अन्य अच्छा और पयाचप्त िेतुक सलसिए);
अत: आपको िपर्िा दी जाती िै क्रक उक्त िािी………………………की इि न्यायालय में परीि ता०………………को
की जाएगी ।
ता०………………………….
न्यायािीश

िंखयांक 7
अिुपसस्थत िािी की परीिा करिे के सलए कमीशि
(आदेश 26 का सियम 4 और 18)
(शीषचक)
प्रेसषती
…………………………का िाक्ष्य को उक्त िाद में………………………द्वारा अपेसित िै, और…………………..
अत: आपिे सििेदि िै क्रक आप या तो पटरप्रश्िों द्वारा (या मौसिक रूप िे) उि िािी……………………..का िाक्ष्य ले लें
और इि प्रयोजि के सलए आपको कमीश्िर सियुक्त क्रकया जाता िै । यक्रद पिकार या उिके असिकताच िासजर िों तो उिकी उपसस्थसत में
िाक्ष्य सलया जाएगा और सिसिर्दचष्ट बातों के बारे में िािी में िे प्रश्ि पपछिे की उन्िें स्ितंत्रता िोगी, और आपिे यि िी सििेदि िै क्रक
आप ऐिा िाक्ष्य उिके सलए जािे के पश्र्ात तुरन्त यिां िेज दें ।
िािी की िासजरी सििश करािे के सलए आदेसशका आपके आिेदि पर असिकाटरता रििे िाले क्रकिी न्यायालय द्वारा सिकाली
जाएगी ।
ऊपर िर्र्चत के सलए आपकी फीि की बाबत………………………रुपए की रासश इिके िाथ िेजी जाती िै ।
यि आज ता०……………………………को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 8
अिुरोि पत्र
(आदेश 26 का सियम 5)
(शीषचक)
(शीषचक :इत्याक्रद, इत्याक्रद, के अध्यि और न्यायािीशों को, या यथासस्थसत)
…………………………में एक िाद, सजिमें क ि िादी िैं और ग घ प्रसतिादी िैं, इि िमय लसम्बत िै और उक्त िाद में
िादी दािा करता िै क्रक……………………………
(दािे का िार)
और उक्त न्यायालय िे यि व्यपक्रदष्ट क्रकया गया िै क्रक न्याय के प्रयोजिों के सलए और पिकारों के बीर् सििादग्रस्त बातों के
िम्यक अििारर् के सलए ऐिी बातों के बारे में शपथ पर िािी के रूप में सिम्िसलसित व्यसक्तयों की, अथाचत :
………………………….के र् छ
…………………………….के ज झ और
………………………….के ट ठ
की परीिा करिा आिश्यक िै और यि प्रतीत िोता िै क्रक ये िािी आपके माििीय न्यायालय के असिकाटरता के अन्दर
सििाि करते िैं ।
अत: उक्त न्यायालय के ………………………के रूप में मुझे………………………को अिुरोि करिा िै और मैं इिके
द्वारा यि अिुरोि करता हूं क्रक पपिोक्त कारर्ों िे और उक्त न्यायालय की ििायता के सलए आप उक्त……….……………..के
अध्यि और न्यायािीशों के रूप में या आप में िे कोई एक या असिक उक्त िािी को (और ऐिे अन्य िासियों को सजन्िें िमि करिे के
290

सलए आप िे उक्त िादी और प्रसतिादी के असिकताच सििम्रता िे सलसित प्राथचिा करें ) अपिे में िे एक या असिक के िमि या ऐिे अन्य
व्यसक्त के िमि, जो आपके न्यायालय की प्रक्रिया के अिुिार िासियों की परीिा करिे के सलए ििम िो, ऐिे िमय और ऐिे स्थाि में,
जो आप सियुक्त करें , िासजर िोिे के सलए िमि करिे की कृ पा करें और इि अिुरोि-पत्र के िाथ िेजे जा रिे पटरप्रश्िों द्वारा (या
मौसिक रूप िे) िादी और प्रसतिादी के असिकताचओं की, या उिमें िे उिकी जो िम्यक िपर्िा क्रदए जािे पर ऐिी परीिा में उपसस्थत
िों, उपसस्थसत में उक्त प्रश्िगत बातों के बारे में ऐिे िासियों की परीिा करिाएं ।
आपिे यि िी अिुरोि िै क्रक उक्त िासियों के उत्तरों को लेिबद्ध करािे की आप कृ पा करें और ऐिी परीिा में पेश की गई
िब पुस्तकों, सर्टट्ठयों कागज-पत्रों और दस्तािेजों की पिर्ाि के सलए उन्िें िम्यक रूप िे सर्सन्ित कराएं और ऐिी परीिा को अपिे
असिकरर् की मुद्रा द्वारा या ऐिी अन्य रीसत िे जो आपकी प्रक्रिया के अिुिार िो, असिप्रमार्ीकृ त कराएं और अन्य िासियों की परीिा
करिे के सलए ऐिी सलसित प्राथचिा के िाथ, यक्रद कोई िो, उिे उक्त न्यायालय को लौटा दें ।
टटप्पर्यक्रद अिुरोि सिदेशी न्यायालय िे क्रकया जाता िै तो 1[“िारत िरकार के सिदेश मंत्रालय] की माफच त पारे सषत क्रकए
जािे के सलए” ये शब्द इि प्ररूप की असन्तम पंसक्त में “उक्त न्यायालय को” के पश्र्ात जोड दीसजए ।)

िंखयांक 9
स्थािीय अन्िेषर् के सलए या लेिाओं की परीिा के सलए कमीशि
(आदेश 26 का सियम 6 और 11)
(शीषचक)
प्रेसषती
इि िाद के प्रयोजिो के सलए यि अपेसित िमझा गया िै क्रक……………………………….के सलए कमीशि सिकाला
जाए; अत: आपको……………………………………के प्रयोजिों के सलए कसमश्िर सियुक्त क्रकया जाता िै ।
ऐिे क्रकन्िीं िासियों को आपके िमि िासजर करिे के सलए या ऐिी क्रकन्िीं दस्तािेजों को आपके िमि पेश करािे के सलए,
सजिकी परीिा या सजिका सिरीिर् आप करिा र्ािें, आदेसशका, असिकाटरता रििे िाले क्रकिी िी न्यायालय द्वारा आपके आिेदि पर
सिकाली जाएगी ।
उपयुचक्त के सलए आपकी फीि की बाबत……………………………रुपए की रासश इिके िाथ िेजी जाती िै ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।
न्यायािीश

िंखयांक 10
सििाजि करिे के सलए कमीशि
(आदेश 26 का सियम 13)
(शीषचक)
प्रेसषती
इि िाद के प्रयोजिों के सलए यि अपेसित िमझा गया िै क्रक इि न्यायालय की तारीि………………………की सडिी में
सिसिर्दचष्ट िम्पसत्त का सििाजि या पृथक्करर् उक्त सडिी में घोसषत असिकारों के अिुिार करिे के सलए कमीशि सिकाला जाए; अत:
उक्त प्रयोजि के सलए आपको कसमश्िर सियुक्त क्रकया जाता िै, और आपको सिदेश क्रदया जाता िै क्रक आप ऐिी जांर् के पश्र्ात जैिी
आिश्यक िो, उक्त िम्पसत्त को उक्त सडिी में दजच अंशों में अपिे ििोत्तम कौशल और सिर्चय के अिुिार सििक्त कर दें, और सिसिन्ि
पिकारों को ऐिे अंश आबंटटत कर दें । अंशों के मपल्यों को िमतुल्य करिे के प्रयोजि िे जो रासश क्रकिी एक पिकार द्वारा क्रकिी दपिरे
पिकार को िंदय े िो िि रासश असिसिर्ीत करिे के सलए आपको प्रासिकृ त क्रकया जाता िै ।
ऐिे क्रकिी िािी को आपके िमि िासजर करािे के सलए या ऐिी क्रकिी दस्तािेज को आपके िमि पेश करािे के सलए,
सजिकी परीिा या सजिका सिरीिर् आप करिा र्ािें, आदेसशका, असिकाटरता रििे िाले क्रकिी िी न्यायालय द्वारा आपके आिेदि पर
सिकाली जाएगी ।
उपयुचक्त के सलए आपकी फीि की बाबत…………………….रुपए की रासश इिके िाथ िेजी जाती िै ।
यि आज ता०………………………..को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर क्रदया गया ।

1
सिसि अिुकपलि आदेश, 1950 द्वारा “सिदेश कायच के सलए सिज मैजेस्टी के िेिेटरी आफ स्टेट” के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।
291

न्यायािीश
1
[िंखयांक 11
प्रमार्पत्र प्राप्त, िैिर्गचक या िास्तसिक िंरिर् को िपर्िा
(आदेश 32 का सियम 3)
(शीषचक)
प्रेसषती
(प्रमार्पत्र प्राप्त, िैिर्गचक या िास्तसिक िंरिक)
उक्त िाद में िादी की ओर िे/अियस्क प्रसतिादी की ओर िे*, अियस्क प्रसतिादी……………………………..के सलए
िादाथच िंरिक की सियुसक्त के सलए आिेदि क्रकया गया िै, अत: आपको (यिां न्यायालय द्वारा सियुक्त या घोसषत िंरिक या िैिर्गचक
िंरिक या सजि व्यसक्त की देि-रे ि में अियस्क िै, उि व्यसक्त का िाम सलसिए) िपर्िा दी जाती िै क्रक यक्रद आप न्यायालय के िमि
मामले की िुििाई के सलए सियत और उपाबद्ध िमि में कसथत क्रदि को या उिके पपिच उपिंजात ििीं िोते िैं और अियस्क के सलए
िादाथच िंरिक के रूप में कायच करिे के सलए अपिी ििमसत असिव्यक्त ििीं करते िैं तो न्यायालय क्रकिी अन्य व्यसक्त को उक्त िाद के
प्रयोजिों के सलए, अियस्क के िंरिक के रूप में कायच करिे के सलए सियुक्त करिे के सलए अग्रिर िोगा ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िंखयांक 11क
अियस्क प्रसतिादी को िपर्िा
(आदेश 32 का सियम 3)
(शीषचक)
प्रेसषती
अियस्क प्रसतिादी
उक्त िाद में िादी की ओर िे, आप अियस्क प्रसतिादी के सलए…………………………*की िादाथच िंरिक के रूप में
सियुसक्त के सलए आिेदि उपसस्थत क्रकया गया िै । अत: आपको िपर्िा दी जाती िै और आपिे अपेिा की जाती िै क्रक आप इि आिेदि
के सिरुद्ध िेतुक दर्शचत करिे के सलए इि न्यायालय में ता०………………………को……………………बजे पपिाचहि में स्ियं
उपिंजात िों । यक्रद आप ऐिा करिे में अिफल रिेंगे तो उक्त आिेदि की िुििाई और उिका अििारर् एकपिीय रूप िे क्रकया
जाएगा ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िंखयांक 12
अककं र्िता के िाक्ष्य की िुििाई के सलए सियत क्रदि की सिरोिी पिकार को िपर्िा
(आदेश 33 का सियम 6)
(शीषचक)
प्रेसषती
…………………………….िे इि न्यायालय िे……………………………..के सिरुद्ध िाद सिसिल प्रक्रिया िंसिता,
1908 के आदेश 33 के अिीि अककं र्ि के रूप में िंसस्थत करिे की अिुज्ञा के सलए आिेदि क्रकया िै, और न्यायालय को इि आिेदि को
िामंजपर करिे का कोई कारर् ििीं क्रदिाई देता िै, और ऐिी क्रकिी िाक्ष्य को लेिे के सलए, जो आिेदक अपिी अंक्रकर्िता िासबत करिे
के सलए दे और ऐिे क्रकिी िाक्ष्य को िुििे के सलए, जो उिको िािासबत करिे के सलए क्रदया जाए ता०………………………..सियत
की गई िै ।

1
1976 के असिसियम िं० 104 की िारा 96 द्वारा (1-2-1977 िे) प्ररूप 11 के स्थाि पर प्रसतस्थासपत ।

अिपेसित शब्द काट क्रदए जाएं ।
292

अत: आपको आदेश 33 के सियम 6 के अिीि िपर्िा दी जाती िै क्रक यक्रद आप आिेदक की अककं र्िता को िािासबत करिे के
सलए कोई िाक्ष्य पेश करिा र्ािें तो आप इि न्यायालय में उक्त ता०………………………………को उपिंजात िोकर ऐिा कर
िकते िैं ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश

िंखयांक 13
प्रसतिप को सडिी के अिीि उिके दासयत्ि की िपर्िा
(िारा 145)
(शीषचक)
प्रेसषती
आप………………….…..क्रकिी ऐिी सडिी के पालि के सलए जो उक्त िाद में प्रसतिादी उक्त……………………..के
सिरुद्ध पाटरत की जाए प्रसतिप के रूप में ता०……………………………को दायी हुए थे, और……………………………के
िंदाय के सलए सडिी उक्त प्रसतिादी के सिरुद्ध ता०……………………………………..को पाटरत की गई थी, तथा उक्त सडिी को
आपके सिरुद्ध सिष्पाक्रदत करिे के सलए आिेदि क्रकया गया िै ।
अत: आपको िपर्िा दी जाती िै क्रक आपिे अपेसित िै क्रक आप इि बात का िेतुक क्रक उक्त सडिी आपके सिरुद्ध सिष्पाक्रदत
क्यों ि दी जाए ता०………………………………..को या उिके पपिच दर्शचत करें और यक्रद सिसिर्दचष्ट िमय के अन्दर न्यायालय को
िमािािप्रद रूप में पयाचप्त िेतुक दर्शचत ििीं क्रकया गया तो उक्त आिेदि के सिबन्ििों के अिुिार सिष्पादि के सलए आदेश तुरन्त
सिकाल क्रदया जाएगा ।
यि आज ता०……………………….को मेरे िस्तािर िे और न्यायालय की मुद्रा लगाकर दी गई ।
न्यायािीश
293

न्यायालय में जमा की गई रकम

सिष्पादि की सििरर्ी
सगरफ्तार क्रकया गया

िंदाय या सगरफ्तारी

िृत्त और िर एक
िे सिन्ि सििरर्ी के

सििरर्ी की तारीि

टटप्पर् : जिां क्रक अिेक िादी या अिेक प्रसतिादी िैं ििां, यथासस्थसत, के िल प्रथम िादी या प्रथम प्रसतिादी का िाम रसजस्टर में प्रसिष्ट क्रकया जाए ।
आिेदि की तारीि

आदेश की तारीि
सिष्पादि

क्रकिके सिरुद्ध
क्रकि बात के सलए या यक्रद िि के सलए िै तो क्रकि
रकम के सलए
………….सस्थत……………………..का न्यायालय
िषच 19………………का सिसिल िादों का रसजस्टर

िर्ों की रकम

अपील के सिसिश्र्य की तारीि


अपील

अपील में सिर्चय


सिसिल िादों का रसजस्टर
(आदेश 4 का सियम 2)

तारीि
िंखयांक 14

सिर्चय

क्रकिके पि में क्रदया गया

क्रकि बात के सलए या क्रकि रकम के सलए क्रदया गया

पिकारों के उपिंजात िोिे का क्रदि


उपिंजासत

िादी

प्रसतिादी

सिसशसष्टयां
दािा

रकम का मपल्य

िाद िेतुक कब प्रोद्िपत हुआ

सििाि-स्थाि
प्रसतिादी

िर्चि

िाम

सििाि-स्थाि
िादी

िर्चि
िाम
िाद िंखयांक
िाद पत्र उपस्थासपत करिे की तारीि
294

क्रकि बात या रकम के सलए


पुष्ट क्रकया गया, उलट क्रदया गया या उिमें

सिर्चय
फे रफार क्रकया गया
तारीि

प्रत्यथी
िषच 19………………की सडक्रियों की अपीलों का रसजस्टर

उपिंजासत अपीलाथी
………….सस्थत न्यायालय [या उच्र् न्यायालय]

पिकारों के उपिंजात िोिे का क्रदि


रकम का मपल्य
(आदेश 41 का सियम 9)

अपील की गई िै
सडिी सजिकी
अपीलों का रसजस्टर

सिसशसष्टयां
िंखयांक 15

मपल िाद का िंखयांक

क्रकि न्यायालय की िै
सििाि-स्थाि
प्रत्यथी

िर्चि
िाम

सििाि-स्थाि
अपीलाथी

िर्चि
िाम

अपील का िंखयांक

ज्ञापि की तारीि

दपिरी अिुिर्
प ी[माध्यस्थम ।] माध्यस्थम असिसियम, 1940 (1940 का 10) की िारा 49 (1) और तीिरी अिुिपर्ी द्वारा
सिरसित ।

तीिरी अिुिपर्ी[कलक्टरों द्वारा सडक्रियों का सिष्पादि ।] सिसिल प्रक्रकया िंसिता (िंशोिि) असिसियम, 1956 (1956
का 66) की िारा 15 द्वारा सिरसित ।

र्ौथी अिुिपर्ी[असिसियसमसतयां िंशोसित ।] सिरिि और िंशोिि असिसियम, 1952 (1952 का 548) की िारा 2 और
पिली अिुिपर्ी द्वारा सिरसित ।

पांर्िीं अिुिपर्ी[असिसियसमसतयां सिरसित ।] सद्वतीय सिरिि और िंशोिि असिसियम, 1914 (1914 का 17) की
िारा 3 और दपिरी अिुिपर्ी द्वारा सिरसित ।

_______

उपाबंि
सिसिल प्रक्रिया िंसिता (िंशोिि) असिसियम, 1976
(1976 का असिसियम िंखयांक 104)
* * * * *
अध्याय 5

सिरिि और व्यािृसत्त
295

97. सिरिि और व्यािृसत्त(1) इि असिसियम के प्रारम्ि के पपिच क्रकिी राज्य सििाि-मण्डल या उच्र् न्यायालय द्वारा मपल
असिसियम में क्रकया गया कोई िंशोिि या अंत:स्थासपत कोई उपबन्ि, ििां तक के सििाय जिां तक क्रक ऐिा िंशोिि या उपबन्ि इि
असिसियम द्वारा यथािंशोसित मपल असिसियम के उपबन्िों िे िंगत िै, सिरसित िो जाएगा ।
(2) इि बात के िोते हुए िी क्रक इि असिसियम के उपबन्ि प्रिृत्त िो गए िैं, या उपिारा (1) के अिीि सिरिि प्रिािी िो
गया िै और िािारर् िण्ड असिसियम, 1897 (1897 का 10) की िारा 6 के उपबन्िों की व्यापकता पर प्रसतकप ल प्रिाि डाले सबिा,
(क) इि असिसियम की िारा 3 द्वारा मपल असिसियम की िारा 2 के िण्ड (2) में क्रकया गया िंशोिि क्रकिी ऐिी
अपील पर प्रिाि ििीं डालेगा जो िारा 47 में सिर्दचष्ट क्रकिी प्रश्ि के अििारर् के सिरुद्ध की गई िै और प्रत्येक ऐिी अपील
िे ऐिे बरता जाएगा मािो उक्त िारा 3 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(ि) इि असिसियम की िारा 7 द्वारा यथािंशोसित मपल असिसियम की िारा 20 के उपबंि क्रकिी ऐिे िाद को जो
उक्त िारा 7 के प्रारम्ि के ठीक पपिच लंसबत था, लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेंगे; और ऐिे िर िाद का
सिर्ारर् ऐिे क्रकया जाएगा मािो िारा 7 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(ग) इि असिसियम की िारा 8 द्वारा यथािंशोसित मपल असिसियम की िारा 21 के उपबन्ि क्रकिी ऐिे िाद को जो
उक्त िारा 8 के प्रारम्ि के ठीक पपिच लसम्बत था, लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेंगे; और ऐिे िर िाद का
सिर्ारर् ऐिे क्रकया जाएगा मािो िारा 8 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(घ) इि असिसियम की िारा 11 द्वारा यथाप्रसतस्थासपत मपल असिसियम की िारा 25 के उपबन्ि क्रकिी ऐिे िाद,
अपील या अन्य कायचिािी को सजिमें उक्त िारा 11 के प्रारम्ि के पपिच िारा 25 के उपबन्िों के अिीि कोई टरपोटच की गई िै,
लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेंगे; और ऐिे िर िाद, अपील या अन्य कायचिािी िे ऐिे बरता जाएगा मािो
उक्त िारा 11 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(ङ) इि असिसियम की िारा 13 द्वारा यथािंशोसित मपल असिसियम की िारा 34 के उपबन्ि उि दर पर प्रिाि
ििीं डालेंगे सजि दर पर ब्याज क्रकिी ऐिे िाद में जो उक्त िारा 13 के प्रारम्ि के पपिच िंसस्थत क्रकया गया था, सडिी पर
अिुज्ञात क्रकया जा िके गा और ऐिे िाद में पाटरत सडिी पर ब्याज िारा 34 के उपबन्िों के सजि रूप में िे इि असिसियम की
िारा 13 के प्रारम्ि के पपिच थे, अिुिार ऐिे आक्रदष्ट क्रकया जाएगा मािो उक्त िारा 13 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(र्) इि असिसियम की िारा 14 द्वारा यथािंशोसित मपल असिसियम की िारा 35क के उपबन्ि पुिरीिर् की
क्रकिी ऐिी कायचिािी को जो उक्त िारा 14 के प्रारम्ि के पपिच लसम्बत थी, लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेंग;े
और ऐिी िर कायचिािी िे ऐिे बरता जाएगा और उिका सिपटारा इि प्रकार क्रकया जाएगा मािो उक्त िारा 14 प्रिृत्त ििीं
हुई िो;
(छ) इि असिसियम की िारा 23 द्वारा यथािंशोसित मपल असिसियम की िारा 60 के उपबन्ि ऐिी क्रकिी कु की को
जो उक्त िारा 23 के प्रारम्ि के पपिच की गई िै, लागप ििीं िोंगे;
(ज) इि असिसियम की िारा 27 द्वारा मपल असिसियम की िारा 80 का िंशोिि क्रकिी ऐिे िाद को जो उक्त िारा
27 के प्रारम्ि के पपिच िंसस्थत क्रकया गया था, लागप ििीं िोगा या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेगा; और प्रत्येक ऐिे िाद िे
ऐिे बरता जाएगा मािो उक्त िारा 27 द्वारा िारा 80 का िंशोिि ििीं क्रकया गया िो;
(झ) इि असिसियम की िारा 28 द्वारा यथािंशोसित मपल असिसियम की िारा 82 के उपबन्ि क्रकिी ऐिी सडिी को
लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेंगे जो, यथासस्थसत, िारत िंघ या क्रकिी राज्य या लोक असिकारी के सिरुद्ध
उक्त िारा 28 के प्रारम्ि के पपिच पाटरत की गई थी या ऐिी क्रकिी सडिी के सिष्पादि को लागप ििीं िोंगे; और ऐिी िर सडिी
या सिष्पादि िे ऐिे बरता जाएगा, मािो उक्त िारा 28 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(ञ) इि असिसियम की िारा 30 द्वारा यथािंशोसित मपल असिसियम की िारा 91 के उपबंि क्रकिी ऐिे िाद,
अपील या कायचिािी को जो उक्त िारा 30 के प्रारं ि के पपिच िंसस्थत या फाइल की गई थी, लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई
प्रिाि ििीं डालेंगे; और ऐिे िर िाद, अपील या कायचिािी का सिपटारा इि प्रकार क्रकया जाएगा मािो उक्त िारा 30 प्रिृत्त
ििीं हुई िो;
(ट) इि असिसियम की िारा 31 द्वारा यथािंशोसित मपल असिसियम की िारा 92 के उपबन्ि ऐिे क्रकिी िाद,
अपील या कायचिािी को, जो उक्त िारा 31 के प्रारम्ि के पपिच िंसस्थत या फाइल की गई थी, लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई
प्रिाि ििीं डालेंगे; और ऐिे िर िाद, अपील या कायचिािी का सिपटारा इि प्रकार क्रकया जाएगा मािो उक्त िारा 31 प्रिृत्त
ििीं हुई िो;
(ठ) इि असिसियम की िारा 33 द्वारा यथािंशोसित मपल असिसियम की िारा 96 के उपबन्ि क्रकिी ऐिी अपील
को, जो उक्त िारा 33 के प्रारम्ि के पपिच िंसस्थत क्रकिी िाद में पाटरत सडिी के सिरुद्ध की गई िै, लागप ििीं िोंगे या उि पर
कोई प्रिाि ििीं डालेंगे; और ऐिी िर अपील िे ऐिे बरता जाएगा मािो िारा 33 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
296

(ड) इि असिसियम की िारा 37 द्वारा यथाप्रसतस्थासपत मपल असिसियम की िारा 100 के उपबन्ि अपीली सडिी
या आदेश की क्रकिी ऐिी अपील को, जो उक्त िारा 37 के प्रारम्ि के पपिच आदेश 41 के सियम 11 के अिीि िुििाई के पश्र्ात
ग्रिर् की गई थी, लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेंगे; और ऐिे ग्रिर् की गई िर अपील िे ऐिे बरता जाएगा
मािो उक्त िारा 37 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(ढ) इि असिसियम की िारा 38 द्वारा मपल असिसियम में यथा अन्त:स्थासपत िारा 100क क्रकिी लेटिच पेटेन्ट के
अिीि उच्र् न्यायालय के एकल न्यायािीश के सिसिश्र्य के सिरुद्ध क्रकिी ऐिी अपील को जो उक्त िारा 38 के प्रारम्ि के
पपिच ग्रिर् की गई थी, लागप ििीं िोगी या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेगी; और ऐिी िर अपील का सिपटारा इि प्रकार
क्रकया जाएगा मािो उक्त िारा 38 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(र्) इि असिसियम की िारा 43 द्वारा मपल असिसियम की िारा 115 का िंशोिि पुिरीिर् की क्रकिी ऐिी
कायचिािी को, जो उक्त िारा 43 के प्रारम्ि के पपिच, प्रारसम्िक िुििाई के पश्र्ात ग्रिर् की गई थी, लागप ििीं िोगा या उि
पर कोई प्रिाि ििीं डालेगा; और पुिरीिर् की ऐिी िर कायचिािी का सिपटारा इि प्रकार क्रकया जाएगा मािो उक्त िारा
43 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(त) इि असिसियम की िारा 47 द्वारा यथािंशोसित मपल असिसियम की िारा 141 के उपबंि क्रकिी ऐिी
कायचिािी को जो उक्त िारा 47 के प्रारम्ि के ठीक पपिच लसम्बत थी, लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालें गे; और
ऐिी िर कायचिािी िे ऐिे बरता जाएगा मािो उक्त िारा 47 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(थ) इि असिसियम की िारा 72 द्वारा, यथासस्थसत, यथािंशोसित या प्रसतस्थासपत या अन्त:स्थासपत प्रथम
अिुिपर्ी के आदेश 21 के सियम 31, 32, 48क, 57 िे 59 तक, 90 और 97 िे 103 तक के उपबंि सिम्िसलसित को लागप ििीं
िोंगे या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेंगे :
(i) उक्त िारा 72 के प्रारम्ि के ठीक पपिच सिद्यमाि कोई कु की; अथिा
(ii) कोई िाद जो ऐिे प्रारम्ि के पपिच पपिोक्त सियम 63 के अिीि कु कच की गई िम्पसत्त में असिकार
स्थासपत करिे के सलए या पपिोक्त सियम 103 के अिीि कब्जा स्थासपत करिे के सलए िंसस्थत क्रकया गया था;
अथिा
(iii) क्रकिी स्थािर िम्पसत्त का सििय अपास्त करिे के सलए कोई कायचिािी,
और ऐिी िर कु की, िाद या कायचिािी इि प्रकार र्ालप रिी जाएगी मािो उक्त िारा 72 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(द) इि असिसियम की िारा 73 द्वारा यथा प्रसतस्थासपत प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 22 के सियम 4 के उपबंि उक्त
िारा 73 के प्रारम्ि के पपिच क्रकए गए क्रकिी उपशमि आदेश को लागप ििीं िोंगे;
(ि) इि असिसियम की िारा 74 द्वारा प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 23 में क्रकए गए िंशोिि या प्रसतस्थापि क्रकिी ऐिे
िाद या कायचिािी को जो उक्त िारा 74 के प्रारम्ि के पपिच लसम्बत िो, लागप ििीं िोंगे;
(ि) इि असिसियम की िारा 76 द्वारा यथा अन्त:स्थासपत आदेश 27 के सियम 5क और 5ि के उपबंि क्रकिी ऐिे
िाद को जो उक्त िारा 76 के प्रारम्ि के ठीक पपिच िरकार या क्रकिी लोक असिकारी के सिरुद्ध लसम्बत था, लागप ििीं िोंगे;
और ऐिे िर िाद िे ऐिे बरता जाएगा मािो उक्त िारा 76 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(प) इि असिसियम की िारा 77 द्वारा, यथासस्थसत, यथा अन्त:स्थासपत या प्रसतस्थासपत आदेश 27क के सियम 1क,
2क और 3 के उपबंि क्रकिी ऐिे िाद को जो उक्त िारा 77 के प्रारम्ि के पपिच लंसबत था, लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई
प्रिाि ििीं डालेंगे;
(फ) इि असिसियम की िारा 79 द्वारा, यथासस्थसत, यथािंशोसित या प्रसतस्थासपत प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 32 के
सियम 2क, 3क और 15 क्रकिी ऐिे िाद को जो उक्त िारा 79 के प्रारम्ि के िमय लंसबत था, लागप ििीं िोंगे, और ऐिे िर
िाद िे ऐिे बरता जाएगा और उिका सिपटारा इि प्रकार क्रकया जाएगा मािो उक्त िारा 79 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(ब) इि असिसियम की िारा 81 द्वारा यथािंशोसित प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 33 के उपबंि क्रकिी ऐिे िाद या
कायचिािी को जो उक्त िारा 81 के प्रारम्ि के पपिच अककं र्ि के रूप में िाद लािे की अिुज्ञा के सलए लसम्बत थी, लागप ििीं िोंगे
या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेंगे; और ऐिे िर िाद या कायचिािी िे ऐिे बरता जाएगा और उिका सिपटारा इि प्रकार
क्रकया जाएगा मािो उक्त िारा 81 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(ि) इि असिसियम की िारा 84 द्वारा यथािंशोसित प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 37 के उपबंि क्रकिी ऐिे िाद को जो
उक्त िारा 84 के प्रारम्ि के पपिच लसम्बत था, लागप ििीं िोंगे, और ऐिे िर िाद िे ऐिे बरता जाएगा और उिका सिपटारा इि
प्रकार क्रकया जाएगा मािो उक्त िारा 84 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
297

(म) इि असिसियम की िारा 86 द्वारा यथािंशोसित प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 39 के उपबंि क्रकिी ऐिे व्यादेश को
जो उक्त िारा 86 के प्रारम्ि के ठीक पपिच सिद्यमाि था, लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेंगे; और ऐिा िर
व्यादेश और ऐिे व्यादेश की अिज्ञा के सलए कायचिािी िे ऐिे बरता जाएगा मािो उक्त िारा 86 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(य) इि असिसियम की िारा 87 द्वारा यथािंशोसित प्रथम अिुिपर्ी के आदेश 41 के उपबंि क्रकिी ऐिी अपील को,
जो उक्त िारा 87 के प्रारम्ि के ठीक पपिच लसम्बत थी, लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेंगे; और ऐिी िर अपील
का सिपटारा इि प्रकार क्रकया जाएगा मािो उक्त िारा 87 प्रिृत्त ििीं हुई िो ।
(यक) इि असिसियम की िारा 88 द्वारा यथािंशोसित प्रथम अिुिर् प ी के आदेश 42 के उपबंि क्रकिी ऐिी अपीली
सडिी या आदेश की क्रकिी अपील को, जो उक्त िारा 88 के प्रारम्ि के पपिच आदेश 41 के सियम 11 के अिीि िुििाई के
पश्र्ात ग्रिर् की गई थी, लागप ििीं िोंगे या उि पर कोई प्रिाि ििीं डालेंगे; और ऐिे ग्रिर् की गई िर अपील िे ऐिे बरता
जाएगा मािो उक्त िारा 88 प्रिृत्त ििीं हुई िो;
(यि) इि असिसियम की िारा 89 द्वारा यथािंशोसित पिली अिुिर् प ी के आदेश 43 के उपबंि क्रकिी ऐिी अपील
को जो उक्त िारा 89 के प्रारम्ि के ठीक पपिच लसम्बत क्रकिी आदेश के सिरुद्ध की गई थी, लागप ििीं िोंगे; और ऐिी िर अपील
का सिपटारा इि प्रकार क्रकया जाएगा मािो उक्त िारा 89 प्रिृत्त ििीं हुई िो ।
(3) उपिारा (2) में जैिा उपबंसित िै उिके सििाय, इि असिसियम द्वारा यथािंशोसित मपल असिसियम के उपबंि ऐिे िर
िाद, कायचिािी, अपील या आिेदि को जो इि असिसियम के आरम्ि पर लसम्बत था अथिा ऐिे प्रारम्ि के पश्र्ात िंसस्थत या फाइल
क्रकया गया िै, इि बात के िोते हुए िी लागप िोंगे क्रक सजि असिकार या िादिेतुक के अिुिरर् में ऐिा िाद, कायचिािी, अपील या
आिेदि िंसस्थत या फाइल क्रकया जाता िै, िि ऐिे प्रारम्ि के पपिच अर्जचत क्रकया गया था या प्रोद्िपत हुआ था ।
* * * * *

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