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H1955 25hh
H1955 25hh
(1955 काअहिहियमसंखय
ांक 25)1
[18मई, 1955]
हिन्दओं
ु के हििािसेसंबहं ितहिहिको
संशोहितऔरसंहिताबद्ध
करिेके हिए
अहिहियम
भारतगणराज्यके छठे िर्षमेंसंसद्द्वाराहिम्िहिहितरूपमेंयिअहिहियहमतिो:––
प्रारहम्भक
1.संहिप्तिामऔरहिस्तार––(1)यिअहिहियमहिन्दू हििािअहिहियम,1955किाजासके गा।
(2)इसकाहिस्तार2*** सम्पूणषभारतपरिैऔरयिउिराज्यिेत्रोंमें,हजिपरइसअहिहियमकाहिस्तारिै,अहििहसत
उिहिन्दओं
ु कोभीिागूिैजोउक्तराज्यिेत्रोंके बािरिों।
2.अहिहियमकािागूिोिा––(1)यिअहिहियमिागूिै––
(क) ऐसे ककसी भी व्यहक्त को जो हिन्दू िमष के ककसी भी रूप या हिकास के अिुसार, हजसके अन्त गषत िीरशैि,
लिंगायतअथिाब्राह्मोसमाज,प्राथषिासमाजयाआयषसमाजके अिुयागीभीआतेिैं,िमषत:हिन्दू िो;
(ि)ऐसेककसीभीव्यहक्तकोजोिमषत:जैि,बौद्धयाहसक्ििो;तथा
(ग)ऐसे ककसीभीअन्यव्यहक्तजोउिराज्यिेत्रोंमें,हजिपरइसअहिहियमकाहिस्तारिै,अहििहसतिोऔर
िमषत:मुहस्िम,किहियि,पारसीयायहूदीििो,जबतकककयिसाहबतिकरकदयजाएककयकदयिअहिहियमपाररत
ि ककया गया िोता तो ऐसा कोई भी व्यहक्त एतहस्मि् उपबहन्ित ककसी भी बात के बारे में हिन्दू हिहि या उस हिहि के
भागरूपककसीरूक़ियाप्रथाद्वाराशाहसतििोता।
स्पष्टीकरण––हिम्िहिहितव्यहक्तिमषत:यथाहस्थहत,हिन्द,ू बौद्ध,जैियाहसक्खाािै:––
(क)कोईभीअपत्य,िमषजयाअिमषज,हजसके माता-हपतादोिोंिीिमषत:हिन्द,ू बौद्ध,जैियाहसक्खाािों,
(ि)कोईभीअपत्य,िमषजयाअिमषज,हजसके माता-हपतामें से कोईएकिमषत:हिन्द ,ू बौद्ध,जैियाहसक्ििो
और जो उस जिजाहत, समुदाय, समूि या कु टुंब के सदस्य के रूप में पिा िो हजसका िि माता या हपता सदस्य िै
याथा,तथा
(ग)कोईभीऐसाव्यहक्तजोलिंद,ू बौद्ध,जैियाहसक्ििमषमेंसंपररिर्तषतयाप्रहतसंपररिर्तषतिोगयािो।
(2)उपिारा (1)में अंतर्िषष्टककसीबातके िोते हुएभीइसअहिहियममें अंतर्िषष्ट कोईभीबातककसीऐसीजिजाहतके
सदस्योंकोजोसंहििािके अिुच्छेद366के िंड (25)के अथष के अंतगषतअिुसूहितजिजाहतिो,िागू ििोगीजबतकककके न्रीय
सरकारशासकीयराजपत्रमेंअहिसूििाद्वाराअन्यथाहिर्दषष्टिकरदे।
(3)इसअहिहियमके ककसीभीप्रभागमेंआएहुए“लिंद”ू पदकाऐसाअथषिगायाजाएगामािोउसके अंतगषतऐसाव्य हक्त
आतािोजो,यद्यहपिमषत:लिंदू ििींिै तथाहपऐसाव्य हक्तिै हजसे यिअहिहियमइसिाराके अंतर्िषष्टउपबंिोंके आिारपरिागू
िोतािै।
3. पररभार्ाएं––इसअहिहियममें,जबतकककसंदभषसेअन्यथाअपेहितििो,––
(क) “रूक़ि” और “प्रथा”, पद ऐसे ककसी भी हियम का संज्ञाि कराते िैं हजसिे दीर्षकाि तक हिरन्तर और
एकरूपतासेअिुपाहितककएजािेके कारणककसीस्थािीयिेत्र,जिजाहत,समुदाय,समूियाकु टुं बके हिन्दओंु मेंहिहिका
बिअहभप्राप्तकरहियािो:
परन्तुयितबजबककििहियमहिहितिो,औरअयुहक्तयुक्तयािोकिीहतके हिरुद्धििो:तथा
परं तुयिऔरभीककऐसेहियमकीदशामेंजोएककु टुंबकोिीिागूिो,उसकीहिरं तरताउसकु टुं बद्वाराबंदि
करदीगईिो;
1
इसअहिहियमका,1963के हिहियमसं०6कीिारा 2औरअिुसूिीद्वारा (1-7-1965से)दादराऔरिागरििेिीपर,और 1963के हिहियमसं० 7 कीिारा3 और
अिुसूिी1द्वारा (1-10-1963से)उपांतरोंसहितपांहडिेरीपरहिस्तारककयागया।
2
2019के अहिहियमसं०34कीिारा95औरपांििीअिुसूिीद्वारा(31-10-2019से) “जम्मू-कमीर राज्यके हसिाय” शब्दोंकािोपककयागया।
2
(ि) “हजिा न्यायािय” से अहभप्रेत िै ऐसे ककसी िेत्र में, हजसके हिए कोई िगर हसहिि न्यायािय िो, िि
न्यायाियऔरअन्यककसीिेत्रमेंआरं हभकअहिकाररताकाप्रिािहसहििन्यायाियतथाइसके अंतगषतऐसाकोईभीअन्य
हसहििन्यायाियआतािैहजसेराज्यसरकारशासकीयराजपत्रमेंअहिसूििाद्वाराइसअहिहियममेंव्य िहृतबातोंके बारे
मेंअहिकाररतायुक्त
हिहिर्दषष्टकरदे;
(ग) “पूणषरक्त”और “अिषरक्त”––कोईभीदोव्यहक्तएकदूसरे सेपूणषरक्तसेसंबंहिततबकिेजातेिैंजबककिे
एकिीपूिषजसे एकिीपत्िीद्वाराअिजहितिोंऔरअिष रक्तसे तबजबककििएकिीपूिषजसे ककन्तु हभन्िपहत्ियों
द्वाराअिजहितिों;
(र्) “एकोदररक्त”––दोव्यहक्तएकसेएकोदररक्तसेसंबंहिततबकिेजातेिैंजबककिेएकिीपूिषजासेककन्तु
हभन्िपहतयोंद्वाराअिजहितिों।
स्पष्टीकरण––िंड (ग)और (र्)में “पूिषज”के अंतगषतहपताऔर “पूिषजा”के अंतगषतमाताआतीिै;
(ङ) “हिहित”सेअहभप्रेतिैइसअहिहियमके अिीिबिाएगएहियमोंद्वाराहिहित;
(ि) (i) “सलपंडिातेदारी”जबहिदेशककसीव्यहक्तके प्रहतिोतो,माताके माध्यमसे उसकीऊपरिीओरकी
परं परा में तीसरी पी़िी तक (हजसके अंतगषत तीसरी पी़िी भी आती िै) और हपता के माध्यम से उसकी ऊपरिी ओर की
परं परामेंपांििींपी़िीतक (हजसके अंतगषतपांििींपी़िीभीआतीिै),जातीिै,िरएकदशामेंिंशपरं परासम्पृक्तव्यहक्त
से,हजसेपििेपी़िीकाहगिाजाएगा,ऊपरकीओरििेगी;
(ii) दो व्यहक्त एक दूसरे के “सलपंड” तब किे जाते िैं जबकक या तो एक उिमें से दूसरे का सलपंडिातेदारी की
सीमाओंके भीतरपूिषपुरुर्िोयाजबककउिकाऐसाकोईएकिीपारं पररकपूिषपुरुर्,जो,हिदेशउिमेंसेहजसककसीके भी
प्रहतिो,उससेसलपंडिातेदारीकीसीमाओंके भीतरिो;
(छ) “प्रहतहर्द्धिातेदारीकीहडहियां”––दोव्यहक्तप्रहतहर्द्धिातेदारीकीहडहियोंके भीतरकिेजातेिैं––
(i)यकदएकउिमेंसेदूसरे कापारं पाररकपूिषपुरुर्िो;या
(ii)यकदएकउिमेंसेदूसरे के पारं पररकपूिषपुरुर्यािंशजकीपत्िीयापहतरिािो,या
(iii)यकदएकउिमेंसेदूसरे के भाईकीयाहपताअथिामाताके भाईकी,याहपतामिअथिाहपतामिी
के भाईकीयामातामिअथिामातामिीके भाईकीपत्िीरिीिो;या
(iv) यकद िे भाई और बहिि, ताया, िािा और भतीजी,मामा और भांजी, फू फी और भतीजा, मौसी
औरभांजायाभाई-बहििके अपत्य,भाई-भाईके अपत्यअथिाबहिि-बहििके अपत्यिों।
स्पष्टीकरण––िण्ड (ि) और(छ)के प्रयोजिोंके हिए “िातेदारी”के अन्तगषतआतीिै––
(i)पूणषरक्तकीिातेदारी,तथैिअिषयाएकोदररक्तकीिातेदारी;
(ii) िमषजरक्तकीिातेदारी,तथैिअिमषजरक्तकीिातेदारी;
(iii)रक्तजन्यिातेदारी,तथैिदत्तकिातेदारी;
औरउििंडोंमेंिातेदारीसंबंिीसभीपदोंकाअथषतदिुसारिगायाजाएगा।
4.अहिहियमकाअध्यारोिीप्रभाि––इसअहिहियममेंअहभव्यक्तरूपसेअन्यथाउपबंहितके हसिाय––
(क)लिंदू हिहिकाकोईऐसाशास्त्रिाक्य,हियमयाहििषिियाउसहिहिकीभागरूपकोईभीरूक़ियाप्रथाजो
इसअहिहियमके प्रारं भके अव्य िहितपूिष प्रिृत्त रिी िोऐसे ककसीभीहिर्यके बारे में,हजसके हिएइसअहिहियममें
उपबन्िककयागयािै,प्रभाििीििोजाएगी;
(ि)इसअहिहियमके प्रारं भके अव्यिहितपूिष प्रिृत्तकोईभीअन्यहिहि,ििां तकप्रभाििीििोजाएगीजिां
तकककििइसअहिहियममेंअंतर्िषष्टउपबंिोंमेंसेककसीसेभीअसंगतिो।
हिन्दू हििाि
5.हिन्दू हििािके हिएशतें––दोलिंदओं
ू के बीिहििािअिुष्ठाहपतककयाजासके गायकदहिम्िहिहितशतें पूरीिोजाएं,
अथाषत्:––
(i)हििािके समयदोिोंपिकारोंमेंसे,ितोिरकीकोईजीहितपत्िीिोऔरिििूकाकोईजीहितपहतिो;
1
[(ii)हििािके समयदोिोंपिकारोंमेंसेकोईपिकार––
1
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 2 द्वारािण्ड(ii)के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
3
दाम्पत्यअहिकारोंकाप्रत्यास्थापिऔरन्याहयकपृथक् क
रण
9. दाम्पत्य अहिकारों का प्रत्यास्थापिा–– 5*** जब कक पहत यापत्िी िे अपिे को दूसरे के सािियष से ककसी युहक्तयुक्त
प्रहतिेतुके हबिाप्रत्याहृतकरहियािोतबव्यहथतपिकारदाम्पत्यअहिकारोंके प्रत्यास्थापिके हिएहजिान्यायाियमेंअजीद्वारा
आिेदिकरसके गाऔरन्यायाियऐसीअजीमें ककएगएकथिोंके सत्य के बारे में तथाइसबातके बारे में ककइसके हिएकोईिैि
आिारििींिै ककआिेदिमंजूरक्योंिकरहियाजाएअपिासमािाििोजािे परदाम्प त्यअहिकारोंकाप्रत्यास्थापिहडिीकर
सके गा।
6
[स्पष्टीकरण––जिां यि प्रि उठता िै कक क्या सािियष के प्रत्यािरण के हिए युहक्तयुक्त
प्रहतिेतु िै, ििां युहक्तयुक्त
प्रहतिेतुसाहबतकरिेकाभारउसव्यहक्तपरिोगाहजसिेसािियषसेप्रत्यािरणककयािै।]
1
1999के अहिहियमसं० 39कीिारा 2 द्वारा“याहमरगी”शब्दोंकािोपककयागया।
2
1978के अहिहियमसं० 2कीिारा 6 औरअिुसूिीद्वारा(1-10-1978से)“अठारििर्ष”के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
3
1978के अहिहियमसं० 2कीिारा 6 औरअिुसूिीद्वारा(1-10-1978से)“पन्रििर्ष”के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
4
1978के अहिहियमसं० 2कीिारा 2 औरअिुसूिीद्वारा(1-10-1978से) िण्ड(vi) कािोपककयागया।
5
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 3 द्वाराकोष्ठकऔरअंक“(1)”कािोपककयागया।
6
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 3 द्वारा अन्त:स्थाहपत।
4
1
* * * * * * *
10. न्याहयक पृथक्करण––2[(1) हििाि का कोई पिकार, िािे िि हििाि इस अहिहियम के प्रारम्भ के पूिष या पिात्
अिुष्ठाहपतहुआिो,िारा 13कीउपिारा (1)में हिहिर्दषष्टककसीआिारपरऔरपत्िीकीदशामें उक्त िाराकीउपिारा (2)में
हिहिर्दषष्टककसीआिारपरभी,हजसपरहििाि-हिच्छेदके हिएअजीपेशकीजासकतीथी,न्याहयकपृथक्करणकीहडिीके हिए
प्राथषिाकरतेहुएअजीपेशकरसके गा।]
(2)जिांककन्याहयकपृथक्करणकीहडिीपाररतिोगईिो,ििांअजीदारपरइसबातकीबाध्य ताििोगीककििप्रत्यथी
के साथ सििास करे , ककन्तु दोिों पिकारों में से ककसी के भी अजी द्वारा आिेदि करिे पर तथा ऐसी अजी में ककए गए कथिों की
सत्यता के बारे में अपिा समािाि िो जािे पर न्यायािय, यकद िि ऐसा करिा न्यायसंगत और युहक्तयुक्त समझे तो, हडिी को
हििहण्डतकरसके गा।
हििािकीअकृ तताऔरहििाि-हिच्छेद
11.शून्य
हििाि––इसअहिहियमके प्रारम्भााके पिात् अिुष्ठाहपतकोईभीहििाि,यकदिििारा5के िण्ड(i), (iv)
और (v)में हिहिर्दषष्टशतोंमें से ककसीएककाभीउल्िंर्िकरतािोतो,अकृ तऔरशून्यिोगाऔरहििािके ककसीपिकारद्वारा
3[दूसरे पिकारके हिरुद्ध]उपस्थाहपतअजीपरअकृ तताकीहडिीद्वाराऐसार्ोहर्तककयाजासके गा।
12.शून्य
करणीयहििाि––(1)कोईभीहििाि,ििइसअहिहियमके प्रारम्भ के िािेपूिषअिुष्ठाहपतहुआिोिािेपिात्,
हिम्िहिहितआिारोंमेंसेककसीपरभीशून्यकरणीयिोगाऔरअकृ तताकीहडिीद्वाराबाहतिककयाजासके गा:––
4
[(क)ककप्रत्यथीकीिपुंसकताके कारणहििािोत्तरसंभोगििींहुआिै;या]
(ि)ककहििाििारा 5के िण्ड (ii)मेंहिहिर्दषष्टशतोंकाउल्िंर्िकरतािै;या
(ग) कक अजीदार की सम्महत्त या, जिां कक 5[िारा 5 हजस रूप में बाि हििाि अिरोि (संशोिि) अहिहियम,
1978 (1978का 2)के प्रारम्भके ठीकपूिष हिद्यमािथीउसरूपमें उसके अिीिअजीदारके हििािाथष संरिककीसम्महत्त
अपेहितिो] ििांऐसेसंरिककीसम्पहत्त,बिप्रयोगद्वारा 6[याकमषकाण्डकीप्रकृ हतके बारे मेंयाप्रत्यथीसेसंबंहितककसी
ताहविकतथ्ययापररहस्थहतके बारे मेंकपटद्वारा]अहभप्राप्तकीगईथी;या
(र्)ककप्रत्यथीहििािके समयअजीदारसेहभन्िककसीव्यहक्तद्वारागभषितीथी।
(2)उपिारा (1) मेंककसीबातके िोतेहुएभी,हििािके बाहतिीकरणकीकोईअजी––
(क)उपिारा (1)के िण्ड (ग)मेंहिहिर्दषष्टआिारपरििणिकीजाएगी,यकद––
(i)अजी,यथाहस्थहत,बिप्रयोगके प्रितषििीििोजािे याकपटकापताििजािे के एकाहिकिर्ष के
पिात्दीजाए;या
(ii)अजीदार,यथाहस्थहत,बिप्रयोगके प्रितषििीििोजािे के याकपटकापताििजािे के पिात्
हििािके दूसरे पिकारके साथअपिीपूणषसम्महत्तसेपहतयापत्िीके रूपमेंरिायारिीिै;
(ि)उपिारा (1)के िण्ड (र्)मेंहिहिर्दषष्टआिारपरतबतकििणिकीजाएगीजबतकककन्यायाियकायि
समािािििोजाए,कक––
(i)अजीदारहििािके समयअहभकहथततथ्योंसेअिीभज्ञथा;
(ii)कायषिािी,इसअहिहियमके प्रारम्भके पूिष अिुष्ठाहपतहििािकीदशामें,ऐसे प्रारम्भके एकिर्ष
के भीतर और ऐसे प्रारम्भ के पिात् अिुष्ठाहपत हििािों की दशा में, हििाि की तारीि से एक िर्ष के भीतर
संहस्थतकीगईिै;और
(iii) 7[उक्तआिार]के अहस्तत्िकाअजीदारकोपतािििे के समयसे अजीदारकीसम्महतसे कोई
िैिाहिकसंभोगििींहुआिै।
1
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 3द्वाराउपिारा (2)कािोपककयागया।
2
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 4द्वाराउपिारा (1)के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
3
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 5द्वाराअन्त:स्थाहपत।
4
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 6द्वारािंड(क)के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
5
1978के अहिहियमसं० 2 कीिार6औरअिुसूिीद्वारा (1-10-1978से) “िारा5के अिीिअजीदारके हििािाथषसंरिककीसम्महतअपेहितिो”के स्थािपर
प्रहतस्थाहपत।
6
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 6द्वारा“याकपटद्वारा”के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
7
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 6द्वारा“हडिीके आिारों”के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
5
(vi)दूसरापिकारककसीिार्मषकपंथके अिुसारप्रव्रज्याििणकरिुकािै;या
(vii)दूसरापिकारजीहितिैयाििींइसके बारे मेंसातिर्षयाउससेअहिककीकािािहिके भीतरउन्िोंिेकु छ
ििींसुिािैहजन्िोंिेउसके बारे मेंयकदििपिकारजीहितिोतातोस्िभाहिकत:सुिािोता।4***
4
* * * * * * *
5
[स्पष्टीकरण––इसउपिारामें “अहभत्यजि”पदसे हििािके दूसरे पिकारद्वाराअजीदारकाऐसाअहभत्य जिअहभप्रेतिै
जोयुहक्तयुक्त
कारणके हबिाऔरऐसेपिकारकीसम्महतके हबिायाइच्छाके हिरुद्धिोऔरइसके अन्तगषतहििािके दूसरे पिकार
द्वाराजािबूझकरअजीदारकीउपेिाकरिाभीिै औरइसपदके व्याकररणकरूपभेदोंतथासजातीयपदोंके अथष तदिुसारिगाए
जाएंगे।]
[(1क)हििािकाकोईभीपिकार,हििािइसअहिहियमके प्रारं भके िािेपूिषअिुष्ठाहपतहुआिोिािेपिात्,हििाि-
6
1
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 7द्वारािंड(i)के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
2
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 7द्वारािण्ड(iii)के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
3
2019के अहिहियमसं०6कीिारा5द्वारािोपककयागया।
4
1964के अहिहियमसं० 44कीिारा 2द्वारािंड(viii) औरिंड(ix)कािोपककयागया।
5
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 7द्वाराअंत:स्थाहपत।
6
1964के अहिहियमसं० 44कीिारा 2द्वाराअंत:स्थाहपत।
7
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 7द्वारा “दोिर्ष”के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
6
(i)ककइसअहिहियमके प्रारं भके पूिष अिुष्ठाहपतहििािकीदशामें,पहतिे ऐसे प्रारं भके पूिष कफरहििािकर
हियाथायाककअजीदारके हििािके अिुष्ठािके समयपहतकीकोईऐसीदूसरीपत्िीजीहितथीहजसके साथउसका
हििािऐसेप्रारं भके पूिषहुआथा:
परन्तुयितबजबककदोिोंदशाओंमेंदूसरीपत्िीअजीके उपस्थािके समयजीहितिो;या
(ii)ककपहतहििािके अिुष्ठापिके पिात्बिात्संग,गुदामैथुियापशुगमिका 1[दोर्ीरिािै;या]
[(iii)ककहिन्दू दत्तकतथाभरण-पोर्णअहिहियम, 1956 (1956 का78)कीिारा18के अिीििादमेंयादण्ड
2
प्रकियासंहिता, 1973 (1974 का 2)कीिारा 125के अिीि [यादण्डप्रकियासंहिता, 1898 (1898 का5)कीतत्समाि
िारा488के अिीि]कायषिािीमें,पत्िीकोभरण-पोर्णकदििािे के हिएपहतके हिरुद्ध,यथाहस्थहत,हडिीयाआदेशइस
बातके िोते हुएभीपाररतककयागयािै ककििअिगरितीथीऔरऐसीहडिीयाआदेशके पाररतककएजािे के समयसे
एकिर्षयाउससेऊपरकीकािािहिभरपिकारोंके बीिसििासकापुिरारम्भििींहुआिै;
(iv) कक उसका हििाि (िािे हििािोत्तर संभोग हुआ िो या ििीं) उसकी पन्रि िर्ष की आयु िो जािे के पूिष
अिुष्ठाहपतककयागयाथाऔरउसिेपन्रििर्षकीआयुप्राप्तकरिेके पिात्ककन्तुअठारििर्षकीआयुप्राप्तकरिेके पूिष
हििािकाहिराकरणकरकदयािै।
स्पष्टीकरण––यि िण्ड उस हििाि को भी िागू िोगा जो हििाि हिहि (संशोिि) अहिहियम, 1976 (1976 का 68) के
प्रारं भके पूिषयाउसके पिात्अिुष्ठाहपतककयागयािै।]
[13क. हििाि-हिच्छेद की कायषिाहियों में प्रत्यथी को िैकहल्पक अिुतोर्––इस अहिहियम के अिीि ककसी कायषिािी में
3
1
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 7द्वारा “दोर्ीरिािै”के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
2
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 7द्वाराअंत:स्थाहपत।
3
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 8द्वारा अंत:स्थाहपत।
4
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 9द्वारा कहतपयशब्दोंके स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
7
15.कबहििाि-हिच्छेदप्राप्तव्यहक्तपुि:हििािकरसकें गे––जबककहििाि-हिच्छेदकीहडिीद्वाराहििािहिर्रटतकर
कदयागयािोऔरयातोहडिीके हिरुद्धअपीिकरिेकाकोईअहिकारिीििोयायकदअपीिकाऐसाअहिकारिोतोअपीिकरिे
के समयकाकोईअपीिउपस्थाहपतहुएहबिाअिसाििोगयािोयाअपीिकीतोगईिोककन्तुिाररजकरदीगईिोतबहििािके
ककसीपिकारके हिएपुि:हििािकरिाहिहिपूणषिोगा।
1
* * * * * * *
[16.शून्य
2
औरशून्य
करणीयहििािोंके अपत्योंकीिमषजता––(1)इसबातके िोते हुएभीककहििाििारा 11के ,अिीि
अकृ तऔरशून्यिै,ऐसेहििािकाऐसाअपत्यिमषजिोगा,जोहििािके हिहिमान्यिोिेकीदशामें िमषजिोतािािेऐसेअपत्य का
जन्महििािहिहि (संशोिि)अहिहियम, 1976के प्रारं भसे पूिष याउसके पिात् हुआिोऔरिािे उसहििािके संबंिमें अकृ तता
कीहडिीइसअहिहियमके अिीिमंजूरकीगईिोयाििींऔरिािे ििहििािइसअहिहियमके अिीिअजीसे हभन्ि आिारपर
शून्यअहभहििाषररतककयागयािोयाििीं।
(2)जिांिारा 12के अिीिशून्यकरणीयहििािके संबंिमेंअकृ तताकीहडिीमंजूरकीजातीिैििांहडिीकीजािेसेपूिष
जहितयागभाषहितऐसाकोईअपत्य,जोयकदहििािहडिीकीतारीिकोअकृ तककएजािे कीबजायहिर्रटतकरकदयागयािोता
तोहििािके पिकारोंकािमषजअपत्यिोता,अकृ तताकीहडिीिोतेहुएभीउिकािमषजअपत्यसमझाजाएगा।
(3)उपिारा (1)याउपिारा (2)कीककसीबातकायिअथष ििींिगायाजाएगाककििऐसे हििािके ककसीऐसे अपत्य
को,जोअकृ तऔरशून्यिै याहजसे िारा 12के अिीिअकृ तताकीहडिीद्वाराअकृ तककयागयािै,उसके माता-हपतासे हभन्िककसी
व्यहक्तकीसम्पहत्तमें यासम्पहत्तके हिएकोईअहिकारककसीऐसीदशामें प्रदािकरतीिै हजसमें ककयकदयिअहिहियमपाररति
ककया गया िोता तो िि अपत्य अपिे माता-हपता का िमषज अपत्य ि िोिे के कारण ऐसा कोई अहिकार रििे या अर्जषत करिे में
असमथषिोता।]
17. हद्वहििाि के हिए दंड––यकद इस अहिहियम के प्रारं भ के पिात् दो हिन्दओं
ु के बीि अिुष्ठाहपत ककसी हििाि की
तारीिपरऐसे हििािके ककसीपिकारकापहतयापत्िीजीहितथायाथीतोऐसाहििािशून्य िोगाऔरभारतीयदंडसंहिता
(1860 का45)कीिारा 494और 495के उपबन्िउसेतदिुसारिागूिोंगे।
18.हिन्दू हििािकीकहतपयअन्यशतोंके उल्िंर्िके हिएदण्ड––िरव्यहक्तजोअपिाकोईऐसाहििािउपाप्तकरे गाजो
िारा5 के िण्ड(iii), (iv) 3[और(v)]मेंहिहिर्दषष्टशतोंके उल्िंर्िमेंइसअहिहियमके अिीिअिुष्ठाहपतककयागयािोिि––
[(क)िारा 5के िंड (iii)में हिहिर्दषष्टशतष के उल्िंर्िकीदशामें,कठोरकारािाससे,हजसकीअिहिदोिर्ष
4
अहिकाररताऔरप्रकिया
[19.ििन्यायाियहजसमेंअजीउपस्थाहपतकीजाएगी––इसअहिहियमके अिीििरअजीउसहजिान्यायाियके समि
6
1
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 10द्वारा परन्तक ु कािोपककयागया।
2
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 11द्वारा िारा16के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
3
1978के अहिहियमसं० 2कीिारा 6औरअिुसूिीद्वारा“(v)और (vi)”के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
4
2007के अहिहियमसं० 6कीिारा 20द्वारा प्रहतस्थाहपत।
5
1978के अहिहियमसं० 2कीिारा 6औरअिुसूिीद्वारा(1-10-1978 से) “और”शब्दकािोपककयागया।
6
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 12द्वारा िारा19के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
7
2003के अहिहियमसं० 50कीिारा 4द्वारा अंत:स्थाहपत।
8
20.अर्जषयोंकीअन्तिषस्त
ु औरसत्यापि––(1)इसिाराके अिीिउपस्थाहपतिरअजीउितथ्योंकोहजिपरअिुतोर्का
दािाआिाररतिोइतिे स्पष्टतौरपरकहथतकरे गीहजतिाउसमामिे कीप्रकृ हतअिुज्ञातकरे 1[औरिारा11के अिीिअजीको
छो़िकर]ऐसीिरअजी1[यिभीकहथतकरे गी] ककअजीदारऔरहििािके दूसरे पिके बीिकोईसहन्िििींिै।
(2)इसअहिहियमके अिीिदीजािे िािीिरअजीमें अन्त र्िषष्टकथििादपत्रोंके सत्यापिके हिएहिहिद्वाराअपेहित
रीहतसेअजीदारयाअन्यसिमव्यहक्तद्वारासत्याहपतककएजाएंगेऔरसुििाईके समयसाक्ष्यके रूपमेंिाह्यिोंगे।
21.1908के अहिहियमसंखय
ांक5 कािागू िोिा––इसअहिहियममें अन्तर्िषष्टअन्यउपबन्िोंके औरउिहियमोंके जो
उच्िन्यायाियइसहिहमत्तबिाए,अध्यिीियििैककइसअहिहियमके अिीिसबकायषिाहियांजिांतकिोसके गाहसहििप्रकिया
संहिता, 1908द्वाराहिहियहमतिोंगी।
2
[21क.कु छमामिोंमेंअर्जषयोंकोअन्तररतकरिेकीशहक्त––(1)जिां––
(क)इसअहिहियमके अिीिकोईअजीअहिकाररतारििे िािे हजिान्यायाियमें हििािके ककसीपक्ष्ााकार
द्वारा िारा 10 के अिीि न्याहयक पृथक्करण की हडिी के हिए या िारा 13 के अिीि हििाि-हिच्छेद की हडिी के हिए
प्राथषिाकरतेहुएपेशकीगईिै;और
(ि)उसके पिात् इसअहिहियमके अिीिकोईदूसरीअजीहििािके दूसरे पक्ष्ााकारद्वाराककसीआिारपर
िारा 10के अिीिन्याहयकपृथक्करणकीहडिीके हिएयािारा 13के अिीिहििाि-हिच्छेदकीहडिीके हिएप्राथषिा
करते हुए,िािे उसीहजिान्यायाियमें अथिाउसीराज्यके याककसीहभन्िराज्यके ककसीहभन्िहजिान्यायाियमें पेश
कीगईिै,
ििांऐसीअर्जषयोंके संबंिमेंउपिारा(2) मेंहिहिर्दषष्टरीहतसेकायषिािीकीजाएगी।
(2)ऐसेमामिेमेंहजसेउपिारा(1) िागूिोतीिै,––
(क) यकद ऐसी अर्जषयां एक िी हजिा न्यायािय में पेश की जाती िैं तो दोिों अर्जषयों का हििार और उिकी
सुििाईउसहजिान्यायाियद्वाराएकसाथकीजाएगी;
(ि) यकद ऐसी अर्जषयां हभन्ि-हभन्ि हजिा न्यायाियों में पेश की जाती िैं तो बाद िािी पेश की गई अजी उस
हजिा न्यायािय को अन्तररत की जाएगी हजसमें पििे िािी अजी पेश की गई थी, और दोिों अर्जषयों की सु ििाई और
उिाकाहिपटाराउसहजिान्यायाियद्वाराएकसाथककयाजाएगाहजसमेंपििेिािीअजीपेशकीगईथी।
(3) ऐसे मामिे में,हजसे उपिारा(2)कािंड (ि)िागू िोतािै,यथाहस्थहत,ििन्यायािययासरकार,जोककसीिादया
कायषिािीकोउसहजिान्यायाियसे,हजसमें बादिािीअजीपेशकीगईिै,उच्ि न्यायाियकोहजसमेंपििेिािीअजीिहम्बतिै,
अन्तररतकरिेके हिएहसहििप्रकियासंहिता, 1908 (1908का 5)के अिीिसिमिै,ऐसीिादिािीअजीकाअन्तरणकरिेके हिए
अपिीशहक्तयोंकािैसेिीप्रयोगकरे गीमािोििउक्तसंहिताके अिीिऐसाकरिेके हिएसशक्तकीगईिै।
21ि. इस अहिहियम के अिीि अर्जषयों के हििारण और हिपटारे से सम्बहन्ित हिशेर् उपबन्ि––(1) इस अहिहियम के
अिीि अजी का हििारण, जिां तक कक न्याय के हित से संगत रिते हुए उस हििारण के बारे से साध्य िो, कदि प्रहतकदि तब तक
हिरन्तरिािू रिेगाजबतकककििसमाप्तििोजाएककन्तु उसदशामें ििींहजसमें न्यायाियहििारणकाअगिे कदिसे परे के
हिएस्थ्ाागिउिकारणोंसेआियकसमझेजोिेिबद्धककएजाएंगे।
(2)इसअहिहियमके अिीििरअजीकाहििारणजिां तकसंभििोशीघ्रककयाजाएगाऔरप्रत्य थीपरअजीकीसूििा
कीतामीििोिेकीतारीिसेछिमासके अन्दरहििारणसमाप्तकरिेकाप्रयासककयाजाएगा।
(3) इसअहिहियमके अिीििरअपीिकीसुििाईजिां तकसंभििोशीघ्रकीजाएगीऔरप्रत्य थीपरअपीिकीसूििा
कीतामीििोिेकीतारीिसेतीिमासके अंदरसुििाईसमाप्त करिेकाप्रयासककयाजाएगा।
21ग. दस्तािेजी साक्ष्य––ककसी अहिहियहमहत में ककसी प्रहतकू ि बात के िोते हुए भी यि िै कक इस अहिहियम के अिीि
अजीके हििारणकोककसीकायषिािीमें कोईदस्तािेजसाक्ष्यमें इसआिारपरअिाह्यििींिोगीककििसम्यक् रूपसे स्टाहम्पतया
रहजस्रीकृ तििींिै।]
[22.कायषिाहियोंकाबन्दकमरे में िोिाऔरउन्िें मुकरतयाप्रकाहशतिककयाजािा––(1)इसअहिहियमके अिीििर
3
1
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 13द्वारा “औरिियिऔरभीकहथतकरेगी”के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
2
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 14द्वारा अन्त:स्थाहपत।
3
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 15द्वारािारा 22के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
9
असयमक् अहभयोहजतििींकीजातीिै,और]
(ग) 3[अजी (जो िारा 11 के अिीि पेश की गई अजी ििीं िै)] प्रत्यथी के साथ दुस्सहन्ि करके उपस्थाहपत या
अहभयोहजतििींकीजातीिै,और
(र्)कायषिािीसंहस्थतकरिेमेंकोईअिाियकयाअिुहितहििम्बििींहुआिै,और
(ङ) अिुतोर् अिुदत्त ि करिे के हिए कोई अन्य िैि आिार ििीं िै, तो ऐसी िी दशा में, ककन्तु अन्यथा ििीं,
न्यायाियतद्िुसारऐसाअिुतोर्हडिीकरदेगा।
(2)इसअहिहियमके अिीिकोईअिुतोर्अिुदत्तकरिेके हिएअिसरिोिेके पूिष ,यिन्यायाियकाप्रथमत:कतषव्यिोगा
ककििऐसीिरदशामें,जिां ककमामिे कीप्रकृ हतऔरपररहस्थ हतयोंसे संगतरिते हुएऐसाकरिासम्भििोपिकारोंके बीिमेि
हमिापकरािेकापूणषप्रयासकरे :
[परन्तु इसउपिाराकीकोईबातककसीऐसीकायषिािीकोिागू ििींिोगीहजमसें िारा13 कीउपिारा(1) के िंड(ii),
1
अहिकारों के प्रत्यास्थापि के हिए ककसी कायषिािी में प्रत्यथी अजीदार के जारकमष, िू रता या अहित्यजि के आिार पर िािे गए
अिुतोर्कािके ििहिरोिकरसके गाबहल्कििउसआिारपरइसअहिहियमके अिीिककसीअिुतोर्के हिएप्रहतदािाभीकर
सके गाऔरयकदअजीदारकाजारकमष,िू रतायाअहभत्य जिसाहबतिोजातािै तोन्यायाियप्रत्यथीकोइसअहिहियमके अिीि
कोईऐसाअिुतोर्दे सके गाहजसके हिएििउसदशामें िकदारिोतायािोतीहजसमें उसिे उसआिारपरऐसे अिुतोर्कीमांग
करतेहुएअजीउपस्थाहपतकीिोती।]
24. िाद िहम्बत रिते भरण-पोर्ण और कायषिाहियों के व्यय––जिां कक इस अहिहियम के अिीि िोिे िािी ककसी
कायषिािी में न्यायािय को यि प्रतीत िो कक, यथाहस्थहत, पहत या पत्िी की ऐसी कोई स्ितंत्र आय ििीं िै जो उसके संभाि और
कायषिािीके आियकव्ययोंके हिएपयाषप्त िोििांििपहतयापत्िीके आिदेिपरप्रत्यथीकोयिआदेशदेसके गाककअजीदारको
कायषिािीमें िोिे िािे व्ययतथाकायषिािीके दौरािमें प्रहतमासऐसीराहशसंदत्तकरे जोअजीदारकीअपिीआयतथाप्रत्य थीकी
आयकोदेितेहुएन्यायाियकोयुहक्तयुक्त प्रतीतिोतीिो:
1
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 16द्वाराअन्त:स्थाहपत।
2
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 16द्वारा कहतपयशब्दोंकािोपककयागया।
3
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 16द्वारा “अजी”के स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
4
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 17द्वाराअन्त:स्थाहपत।
10
1
[परन्तुकायषिािीके व्ययोंऔरकायषिािीके दौरािऐसीमाहसकराहशके संदायके हिएआिेदिकोयथासंभि,यथाहस्थहत,
पत्िीयापहतपरसूििाकीतामीिकीतारीिसे,साठकदिके भीतरहिपटायाजाएगा।]
25.स्थायीहििाषहिकाऔरभरण-पोर्ण––(1)इसअहिहियमके अिीिअहिकाररताकाप्रयोगकररिाकोईभीन्यायािय,
हडिीपाररतकरिे के समययाउसके पिात् ककसीभीसमय,यथाहस्थहत,पहतयापत्िीद्वाराइसप्रयोजिसे ककएगएआिेदिपर,
यिआदेशदे सके गाककप्रत्यथी 2***उसके भरण-पोर्णऔरसंभािके हिएऐसीकु िराहशयाऐसीमाहसकअथिाकाहिकराहश,
जोप्रत्यथीकीअपिीआयऔरअन्यसम्पहत्तको,यकदकोईिोआिेदकयाआिेकदकाकीआयऔरअन्य सम्पहत्तको 3[तथापिकारोंके
आिारणऔरमामिेकीअन्यपररहस्थहतयोंकोदेितेहुए]न्यायाियकोन्यायसंगतप्रतीतिो,आिेदकयाआिेकदकाके जीिि-कािसे
अिहिकअिहिके हिएसंदत्तकरे औरऐसाकोईभीसंदाययकदयिकरिाआिय किोतो,प्रत्यथीकीस्थािरसम्पहत्तपरभारद्वारा
प्रहतभूतककयाजासके गा।
(2) यकदन्यायाियकासमािाििोजाएककउसके उपिारा(1)के अिीिआदेशकरिे के पिात् पिकारोंमें से ककसीकी
भीपररहस्थहतयोंमेंतब्दीिीिोगईिैतोििककसीभीपिकारकीप्रेरणापरऐसीरीहतसेजोन्यायाियकोन्यायसंगतप्रतीतिोऐसे
ककसीआदेशमेंफे रफारकरसके गायाउसेउपान्तररतअथिाहििहण्डतकरसके गा।
(3) यकदन्यायाियकासमािाििोजाएककउसपिकारिे हजसके पिमें इसिाराके अिीिकोईआदेशककयागयािै
पुिर्िषिािकरहियािै यायकदऐसापिकारपत्िीिै तोििपहतव्रताििींरिगईिै,यायकदऐसापिकारपहतिै तोउसिे ककसी
स्त्री के साथ हििािबाह्य मैथुि ककया िै, 2[तो िि दूसरे पिकार की प्रेरणा पर ऐसे ककसी आदेश को ऐसी रीहत में, जो न्यायािय
न्यायसंगतसमझे,पररिर्तषत,उपांतररतयाहििंहडतकरसके गा।]
26. अपत्यों की अहभरिा––इस अहिहियम के अिीि िोिे िािी ककसी भी कायषिािी में न्यायािय अप्राप्ति अपत्यों की
अहभरिा,भरण-पोर्णऔरहशिाके बारे में,यथासंभिउिकीइच्छाके अिुकूि,समय-समयपरऐसे आदेशपाररतकरसके गाऔर
हडिीमें ऐसे उपबन्िकरसके गाहजन्िें ििन्यायसंगतऔरउहितसमझे औरहडिीके पिात् इसप्रयोजिसे अजीद्वाराककएगए
आिेदिपरऐसे अपत्यकीअहभरिा,भरण-पोर्णऔरहशिाके बारे में समय-समयपरऐसे आदेशऔरउपबन्िकरसके गाजोऐसी
हडिीअहभप्राप्तकरिेकीकायषिािीके िहम्बतरितेऐसीहडिीयाअन्तररमआदेशद्वाराककएजासकतेथेऔरन्यायाियपूिषतिककए
गएऐसेककसीआदेशयाउपबंिकोसमय-समयपरप्रहतसंहृतयाहििंहबतकरसके गाअथिाउसमेंफे र-फारकरसके गा:
[परं तु ऐसी हडिी अहभप्राप्त करिे के हिए कायषिािी िंहबत रििे तक अप्राप्तिय अपत्यों के भरण-पोर्ण और हशिा की
4
बाबतआिेदिकोयथासंभि,प्रत्यथीपरसूििाकीतामीिकीतारीिसे,साठकदिके भीतरहिपटायाजाएगा।]
27.सम्पहत्तकाव्ययि––इसअहिहियमके अिीििोिेिािीककसीभीकायषिािीमें,न्यायाियऐसीसम्पहत्तके बारे में,जो
हििािके अिसरपरयाउसके आसपासउपिारमें दीगईिोऔरसंयुक्त त:पहतऔरपत्िीदोिोंकीिो,हडिीमें ऐसे उपबहन्ितकर
सके गाहजन्िें ििन्यायसंगतऔरउहितसमझे।
[28. हडकियों और आदेशों की अपीिें––(1) इस अहिहियम के अिीि ककसी कायषिािी में न्यायािय द्वारा दी गई सभी
5
1
2001के अहिहियमसं० 49कीिारा 8द्वाराअन्त:स्थाहपत।
2
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 18द्वारा“जबतकआिेदकयाआिेकदकाअहििाहितरिेतबतक”शब्दोंकािोपककयागया।
3
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 18द्वाराकहतपयशब्दोंके स्थािपरप्रहतस्थाहपत।
4
2001के अहिहियमसं० 49कीिारा 9द्वाराअन्त:स्थाहपत।
5
1976के अहिहियमसं० 68कीिारा 19द्वाराप्रहतस्थाहपत।
6
2003के अहिहियमसं० 50कीिारा 5द्वाराप्रहतस्थाहपत।
11
व्यािृहत्तयांऔरहिरसि
29.व्यािृहत्तयां––(1)इसअहिहियमके प्रारं भके पूिष हिन्दओं
ु के बीि,अिुष्ठाहपतऐसाहििाि,जोअन्यथाहिहिमान्यिो,
के ििइसतथ्यके कारण,अहिहिमान्ययाकभीअहिहिमान्यरिाहुआिसमझाजाएगाककउसके पिकारएकिीगोत्रयाप्रिरके थे
अथिा,हिहभन्ििमों,जाहतयोंयाएकिीजाहतकीहिहभन्िउपजाहतयोंके थे।
(2) इसअहिहियममें अंतर्िषष्टकोईभीबातरूक़िसे मान्यताप्राप्तयाककसीहिशेर्अहिहियहमहतद्वाराप्रदत्तककसीऐसे
अहिकारपरप्रभािडाििे िािीिसमझीजाएगीजोककसीहिन्द ू हििािकाििइसअहिहियमके प्रारं भके िािे पूिष अिुष्ठाहपत
हुआिोिािेपिात्,हिर्टिअहभप्राप्तकरिेकाअहिकारिो।
(3)इसअहिहियममें अन्तर्िषष्टकोईभीबाततत्समय-प्रिृत्तककसीहिहिके अिीििोिे िािीककसीऐसीकायषिािीपर
प्रभाििडािेगीजोककसीहििािकोबाहतिऔरशून्य र्ोहर्तकरिे के हिएयाककसीहििािकोबाहतिअथिाहिर्रटतकरिे के
हिएयान्याहयकपृथक्करणके हिएिोऔरइसअहिहियमके प्रारं भपरिहम्ब तिोऔरऐसीकोईभीकायषिािीिितीरिेगीऔर
अििाररतकीजाएगीमािोयिअहिहियमपाररतिीिहुआिो।
(4) इस अहिहियम में अन्तर्िषष्ट कोई भी बात हिशेर् हििाि अहिहियम, 1954 (1954 का 43) में अन्तर्िषष्ट ककसी ऐसे
उपबन्ि पर प्रभाि ि डािेगी जो हिन्दओं
ु के बीि उस अहिहियम के अिीि, इस अहिहियम के प्रारं भ के िािे पूिष िािे पिात्
अिुष्ठाहपतहििािोंके संबंिमेंिो।
30. [हिरसि।]––ररपीलिंगएण्डअमेंलडंगऐक्ट, 1960 (1960का 58)कीिारा2औरप्रथमअिुसूिीद्वाराहिरहसत।
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