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वििेकानंदइं स्टिट्यू ट

भारतीय राजनीतत और
सतं िधान

वििेकानंद इंस्टिट्यूि Mob – 9993259075, 8815894728


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1. भारत का संिैधातनक तिकास
1757 इ. की प्लासी की लड़ाइ और 1764 इ. बक्सर के युद्ध को ऄंग्रेजों द्वारा जीत तलए जाने के बाद
बंगाल पर तितिश इस्ि आतं िया कंपनी ने शासन का तशकंजा कसा. आसी शासन को ऄपने ऄनुकूल बनाए
रखने के तलए ऄंग्रेजों ने समय-समय पर कइ एक्ि पाररत तकए, जो भारतीय संतिधान के तिकास की
सीत़ियां बनीं. िे तनम्न हैं:
 ऄध्ययन की सुतिधा के तलए भारतीय संतिधान के तिकास को 6 चरणों में तिभातजत तकया जाता
है: –

प्रथम चरण (1773-


1857 ई. तक)

द्वितीय चरण
षष्ठम ् चरण (1950 (1858-1909 ई.
ई. से आज तक) तक)

ऩंचम ् चरण (1947- तत


ृ ीय चरण (1910-
1950 ई. तक) 1939 ई. तक)

चतुथथ चरण (1940-


1947 ई. तक)

प्रथम चरण (1773-1857 इ. तक)

1. 1773 इ. का रेग्यूलेतिंग एक्ि:

आस एक्ट के ऄतं गगत कलकत्ता प्रेतसिेंसी में एक ऐसी सरकार स्थातपत की गइ, जिसमें
गिननर जनरल और ईसकी पररषद के चार सदस्य थे , िो ऄपनी सत्ता का ईपयोग सयं क्त ु रूप से करते
थे. आसकी मख्ु य बातें आस प्रकार हैं -
(i) कंपनी के शासन पर संसदीय तनयंत्रण स्थातपत तकया गया.
(ii) बगं ाल के गिननर को तीनों प्रेतसिेंतसयों का जनरल तनयुक्त तकया गया.
(iii) कलकत्ता में एक सुप्रीम कोिन की स्थापना की गइ.

2. 1784 इ. का तपि्स आतं िया एक्ि:

आस एक्ट के द्वारा दोहरे प्रशासन का प्रारंभ हुअ-

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(i) कोिन ऑफ़ िायरेक्िसन - व्यापाररक मामलों के तलए
(ii) बोिन ऑफ़ कंट्रोलर- राजनीततक मामलों के तलए.

3. 1793 इ. का चािनर ऄतधतनयम:

आसके द्वारा तनयंत्रण बोिन के सदस्यों तथा कमनचाररयों के िेतन अजद को भारतीय राजस्ि में से देने
की व््िस्थायकी गइ.

4. 1813 इ. का चािनर ऄतधतनयम:

आसके द्वारा
(i) कंपनी के ऄतधकार-पत्र को 20 सालों के तलए ब़िा जदया गया.
(ii) कंपनी के भारत के साथ व्यापर करने के एकातधकार को छीन तलया गया. लेजकन ईसे चीन के
साथ व्यापर और पूिी देशों के साथ चाय के व्यापार के संबंध में 20 सालों के तलए एकातधकार
प्राप्त रहा.
(iii) कुछ सीमाओ ं के ऄधीन सभी तितिश नागररकों के तलए भारत के साथ व्यापार खोल तदया
गया.
5. 1833 इ. का चािनर ऄतधतनयम:

आसके द्वारा
(i) कंपनी के व्यापाररक ऄतधकार पूणनतः समाप्त कर जदए गए.
(ii) ऄब कंपनी का कायन तितिश सरकार की ओर से मात्र भारत का शासन करना
रह गया
(iii) बंगाल के गिननर जरनल को भारत का गिननर जनरल कहा िाने लगा.
(iv) भारतीय काननू ों का िगीकरण तकया गया तथा आस कायन के तलए तितध अयोग
की तनयुतक्त की व्यिस्था की गइ.

6. 1853 इ. का चािनर ऄतधतनयम:

आस ऄजधजनयम के द्वारा सेिाओ ं में नामजदगी का तसद्धांत समाप्त कर कंपनी के महत्िपूणन


पदों को प्रततयोगी परीक्षाओ ं के अधार पर भरने की व्यवस्था की गइ.

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7. 1858 इ. का चािनर ऄतधतनयम:

(i) भारत का शासन कंपनी से लेकर तितिश क्राईन के हाथों सौंपा गया.
(ii) भारत में मंत्री-पद की व्यिस्था की गइ.
(iii) 15 सदस्यों की भारत-पररषद का सृजन हुअ.
(iv) भारतीय मामलों पर तितिश सस ं द का सीधा तनयंत्रण स्थातपत तकया गया.

तद्वतीय चरण (1858-1909 इ. तक)

8. 1861 इ. का भारत शासन ऄतधतनयम:

(i) गवनगर िनरल की कायगकाररणी पररषद का जवस्तार जकया गया,


(ii) तिभागीय प्रणाली का प्रारंभ हुअ,
(iii) गिननर जनरल को पहली बार ऄध्यादेश जारी करने की शतक्त प्रदान की गइ.

9.1892 इ. का भारत शासन ऄतधतनयम:

(i) ऄप्रत्यक्ष चुनाि-प्रणाली की शुरुअत हुइ,


(ii) आसके द्वारा राजस्ि एिं व्यय ऄथिा बजि पर बहस करने तथा कायनकाररणी से प्रश्न
पूछने की शतक्त दी गइ.
10. 1909 इ० का भारत शासन ऄतधतनयम [माले -तमंिो सुधार] -
(i) पहली बार मुतस्लम समुदाय के तलए पथ ृ क प्रतततनतधत्ि का ईपबधं जकया गया.
(ii) भारतीयों को भारत सजिव एवं गवनगर िनरल की कायनकाररणी पररषदों में तनयुतक्त की
गइ.
(iii) कें द्रीय और प्रांतीय तिधान-पररषदों को पहली बार बजि पर िाद-तििाद करने,
सािनजतनक तहत के तिषयों पर प्रस्ताि पेश करने, पूरक प्रश्न पूछने और मत देने का
ऄतधकार तमला.
(iv) प्रांतीय तिधान पररषदों की सख् ं या में िृतद्ध की गइ.

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तृतीय चरण (1910-1939) इ.

11. 1919 इ० का भारत शासन ऄतधतनयम [मांिेग्यू चेम्सफोिन सध


ु ार] -

(i) कें द्र में तद्वसदनात्मक तिधातयका की स्थापना की गइ- प्रथम राज्य पररषद तथा दूसरी
कें द्रीय तिधान सभा. राज्य पररषद के सदस्यों की संख्या 60 थी; जिसमें 34 तनिानतचत
होते थे और ईनका कायनकाल 5 िषों का होता था. कें द्रीय तिधान सभा के सदस्यों की
संख्या 145 थी, जिनमें 104 तनिातचनत तथा 41 मनोनीत होते थे. आनका कायनकाल 3 िषों
का था. दोनों सदनों के ऄतधकार समान थे. आनमें तसफन एक ऄंतर था जक बजि पर
स्िीकृतत प्रदान करने का ऄतधकार तनचले सदन को था.
(ii) प्रांतो में द्वैध शासन प्रणाली का प्रितनन तकया गया. आस योिना के ऄनसु ार प्रांतीय
तिषयों को दो ईपिगों में तिभातजत जकया गया- अरतक्षत तथा हस्तांतररत.

12. 1935 इ० का भारत शासन ऄतधतनयम:

1935 इ० के ऄतधतनयम में 451 धाराएं और 15 पररतशष्ट. थे. आस ऄतधतनयम की मुख्य


तिशेषताएं आस प्रकार हैं:
(i) ऄतखल भारतीय संघ: यह संघ 11 तितिश प्रांतो, 6 चीफ कतमश्नर के क्षेत्रों और ईन
देशी ररयासतों से तमलकर बनना था, िो स्वेच्छा से सघं में सम्मजलत हों. प्रांतों के तलए
संघ में सतम्मतलत होना ऄतनिायन था, जकंतु देशी ररयासतों के तलय यह एतछछक था. देशी
ररयासतें संघ में सतम्मतलत नहीं हुइ ंऔर प्रस्ताजवत संघ की स्थापना संबंधी घोषणा-पत्र िारी
करने का ऄवसर ही नहीं अया.
(ii) प्रांतीय स्िायत्ता: आस ऄजधजनयम के द्वारा प्रांतो में द्वैध शासन व्यिस्था का ऄंत कर
ईन्हें एक स्व्तत्रं और स्वशाजसत सवं धै ाजनक अधार प्रदान जकया गया .
(iii) कें द्र में द्वैध शासन की स्थापना: कुछ सघं ीय तिषयों [सरु क्षा, वैदजे शक सबं धं , धाजमगक
मामलें] को गिननर जनरल के हाथों में सुरतक्षत रखा गया. ऄन्य संघीय तिषयों की व्यवस्था
के जलए गिननर- जनरल को सहायता एिं परामशन देने हेतु मंतत्रमंिल की व्यिस्था की गइ,
िो मंतत्रमंिल व्यिस्थातपका के प्रतत ईत्तरदायी था.
(iv) संघीय न्यायालय की व्यिस्था: आसका ऄजधकार क्षेत्र प्रांतों तथा ररयासतों तक
जवस्तृत था. आस न्यायलय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा दो ऄन्य न्यायाधीशों की
व्यिस्था की गइ. न्यायालय से संबंजधत ऄंततम शतक्त तप्रिी काईंतसल [लंदन] को प्राप्त थी.
(v) तितिश सस ं द की सिोछचता: आस ऄजधजनयम में जकसी भी प्रकार के पररवतगन का
ऄजधकार जिजटश संसद के पास था. प्रांतीय जवधान मडं ल और संघीय व्यवस्थाजपका: आसमें

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जकसी प्रकार का पररवतगन नहीं कर सकते थे. (vi) भारत पररषद का ऄंत : आस ऄजधजनयम के
द्वारा भारत पररषद का ऄतं कर जदया गया.
(vii) सांप्रदातयक तनिानचन पद्धतत का तिस्तार: सघं ीय तथा प्रातं ीय व्यवस्थाजपकाओ ं में
तितभन्न सम्प्रदायों को प्रतततनतधत्ि देने के तलए सांप्रदातयक तनिानचन पद्धतत को जारी
रखा गया और ईसका तिस्तार अग्ं ल भारतीयों - भारतीय इसाआयों, यूरोतपयनों और
हररजनों के तलए भी तकया गया.
(viii) आस ऄजधजनयम में प्रस्तावना का ऄभाव था.
(xi) आसके द्वारा बमान को भारत से ऄलग कर तदया गया, ऄदन को आग्ं लैंड के
औपजनवेजशक कायागलय के ऄधीन कर जदया गया और बरार को मध्य प्रातं में शाजमल कर जलया
गया

नेहरू ररपोिन (28 ऄगस्त 1928 इ.)

 लॉिन बकन नहेि (भारत सतचि) ने साआमन कमीशन की तनयुतक्त करने के साथ ही राष्ट्ट्रीय नेतृत्ि को
एक ऐसा संतिधान बनाने की चुनौती भी थी जो देश के सभी समुदायों और िगों को स्िीकार हो।
 ऄंततः मोतीलाल नेहरू की ऄध्यक्षता िाली एक सतमतत में 28 ऄगस्त 1928 इ. को ऄपनी ररपोिन
प्रस्तुत की तजसे लखनउ में अयोतजत सिनदलीय सम्मेलन में स्िीकार कर तलया गया।

प्रांतीय चुनाि िषन 1937

 िषन 1935 इ. के भारत शासन के अधार पर फरिरी 1937 इ. में चुनाि हुए, तजसमें कांग्रेस को
बड़ी सफलता तमली।
 11 प्रांतों मद्रास, कें द्रीय मध्य प्रांत, तबहार, ईड़ीसा, संयुक्त प्रांत, मुंबइ, ऄसम, ईत्तर पतिम सीमा
प्रांत, बगं ाल, पज ं ाब एिं तसध ं में चुनाि हुए।
 कांग्रेस ने 5 प्रांतों मद्रास, संयुक्त प्रांत, मध्य प्रांत, तबहार ईड़ीसा में पूणन बहुमत प्राप्त तकए।
 मुंबइ, ऄसम , ईत्तर पतिमी सीमा प्रांत में िह सबसे बड़ी पािी के रूप में ईभरी।
 के िल बगं ाल, पज ं ाब, तथा तसध ं में ही कांग्रेस बहुमत से ितं चत रह गइ।
 पंजाब में मुतस्लम लीग तथा यूतनयतनस्ि पािी ने संयुक्त सरकार बनाइ।
 बंगाल में कृषक प्रजा पािी तथा मुतस्लम लीग ने संयुक्त सरकार बनाइ।
 तसंध में तसंध यूनाआिे ि पािी के ऄधीन संयुक्त सरकार का गठन हुअ।

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तक्रप्स तमशन (1942 इ.)

 तितिश प्रधानमंत्री चतचनल ने तितिश सस ं द सदस्य तथा मजदूर नेता सर स्िै नफोिन तक्रप्स के नेतृत्ि
में माचन 1942 में एक तमशन भारत भेजा।
 कांग्रेस तथा मुतस्लम लीग दोनों ने तक्रप्स प्रस्ताि को स्िीकार नहीं तकया।

 गांधीजी ने तक्रप्स प्रस्ताि को ईत्तरतततथय चे क (पोस्ि िेिेि चे क ) कहा।(जिाहरलाल नेहरू ने

आसमें अगे “ऐसा बैंक जो िूि रहा है।“ जोड़ तदया।)


तक्रप्स तमशन के प्रमुख प्रािधान तनम्नतलतखत थे:-
1. युद्ध के बाद भारतीय संघ क तनमान ण का प्रयत्न करना।

2. भारत को िोतमतनयन स्िे ि का दजान देना।

3. युद्ध के तत्काल बाद एक संतिधान तनमान त्री सभा का गठन करना तजसमें तितिश भारत और

देशी रजिाड़े के प्रतततनतध शातमल हो।

िेिेल योजना (1945 इ.)

 ऄक्िूबर 1945 इ. में तलनतलथगो की जगह िेिेल िायसराय बने।


 आन्होंने शांतत लाने के ईद्देश्य से कांग्रेस कायनसतमतत के सदस्यों को ररहा कर तदया।
 4 जून 1945 इ. को िेिेल ने एक योजना रखी

तजसमें तनम्न बातें थी:-


1. कें द्र में नइ कायन पररषद का गठन तकया जाएगा।

2. पररषद में िायसराय तथा सैन्य प्रमुख के ऄततररक्त शेष सभी सदस्य भारतीय होंगे। प्रततरक्षा

तिभाग िायसराय के ऄधीन होगा।


3. कायन काररणी में मुसलमानों की सख् ं या सिणन तहदं ु ओ ं के बराबर होगी।
4. गिननर जनरल मंतत्रयों की सलाह पर िीिों या तनषे धातधकार का प्रयोग करे गा।

 तितभन्न प्रस्ताि पर तिचार तिमशन के तलए 25 जून 1945 को तशमला में सम्मे लन

अयोतजत तकया गया तजसमें कांग्रेस के साथ लीग को बराबरी का दजान तदया गया।
 तजन्ना की मांग थी तक िायसराय की पररषद के सभी मुतस्लम सदस्य लीग से तलए जाएँ
क्योंतक मुतस्लम लीग ही मुसलमानों की एकमात्र प्रतततनतध है।
 तजन्ना की यही मांग तशमला सम्मे लन की ऄसफलता का कारण बनी है।

 आस सम्मे लन में कांग्रेस ने ऄपना प्रतततनतध मौलाना ऄबुल कलाम अजाद को तनयुक्त

तकया।

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 िायसराय ने ऄपनी कायनकाररणी में 14 सदस्य रखने का तनणनय तलया तजसमें 5 कांग्रेस की
5 मुतस्लम लीग के तथा 4 ऄन्य सदस्य थे।

भारत में अम चुनाि (1945इ.)

 तििे न में तिंस्िन चतचनल की कंजरिेतिि पािी की पराजय के बाद लेबर पािी के नेता तक्लमेंि
एिली तििे न के प्रधानमंत्री बने।
 ईसने सर पैतथक लोरेंस को भारत सतचि तनयुक्त तकया तजसने भारत में अम चुनाि करिाए।ं
 कें द्रीय तिधानमंिल की 102 सीिों में कांग्रेस 57 सीिों पर सफल हुइ।
 प्रांतीय चुनािों में कांग्रेस को बंगाल तसंध और पंजाब के ऄलािा शेष स्थानों पर बहुमत प्राप्त हुइ।
 मद्रास, बम्बइ, सयं ुक्त प्रांत, तबहार, ईड़ीसा, ऄसम और मध्य प्रांत में कांग्रेस ने ऄपनी सरकारों का
गठन तकया।
 मुतस्लम लीग को के िल बंगाल और तसंध में ही बहुमत तमला।

कै तबनेि तमशन योजना (1946 इ.)

 जनिरी 1946 इ. में एिली ने भारतीय नेताओ ं से औपचाररक स्तर पर बातचीत करने के तलए एक
सस ं दीय दल को भारत भेजने का तनणनय तलया तजसे कै तबनेि तमशन कहा गया।
 29 माचन 1946 इ. कै तबनेि तमशन भारत अया।
 कै तबनेि तमशन के सदस्यों में सर स्िैनफोिन तक्रप्स, ए िी ऄलेक्जेंिर तथा पैतथक लोरेंस शातमल
थे।

कै तबनेि तमशन योजना के मुख्य तबंदु:-


1. भारत एक अतधराज्य होगा तजसमें तितिश भारत के प्रांत और देसी राज्य दोनों शातमल होंगे।

2. तिदेशी मामले प्रततरक्षा तथा सच ं ार साधन कें द्रीय सरकार के ऄधीन होंगे।
3. मुतस्लम लीग की पातकस्तान मांग को आस अधार पर ठुकरा तदया गया था तक आससे

सांप्रदातयक ऄल्पसंख्यकों की समस्या का समाधान नहीं होगा।


4. प्रांतों को तीन श्रेतणयों को क, ख और ग में बांिा गया

भाग क मुंबइ, तबहार, मध्य प्रांत, मद्रास, ईड़ीसा और संयुक्त प्रांत


भाग ख पतिमोत्तर सीमा प्रांत तसंध और पंजाब
भाग ग ऄसम बगं ाल
5. संघीय तिषयों को छोड़कर शेष तिषय और ऄितशष्ट शतक्तयां प्रांतों में तनतहत होंगी।

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6. संतिधान तनमानत्री सभा का गठन प्रांतीय तिधानसभाओ ं तथा देशी ररयासतों के प्रतततनतधयों द्वारा
तकया जाएगा तथा प्रत्येक प्रांत को ईसकी जनसंख्या के ऄनुपात में सामान्यत: 10 लाख की
अबादी पर एक प्रतततनतध के ऄनपु ात में सीिों की कुल सख्
ं या अितं ित की जाएगं ी।
 6 जून 1946 इ. को मुतस्लम लीग ने तथा 24 जून 1946 इ. को कांग्रेस ने आसे स्िीकार कर
तलया।
 मुतस्लम लीग ने 29 जुलाइ 1946 इ. को ऄपनी स्िीकृतत िापस ले ली और पातकस्तान के
तलए सीधी कायनिाही शरू ु की।

ऄंतररम सरकार का गठन (2 तसतंबर 1946 इ.)

 कांग्रेस द्वारा िायसराय की निीनतम प्रस्तािों को स्िीकार कर लेने के बाद ऄगस्त 1946 इ. को
िेिेल ने कांग्रेस ऄध्यक्ष जिाहरलाल नेहरू को ऄंतररम सरकार के गठन के तलए अमंतत्रत तकया।
 20 निंबर 1946 इ. को लॉिन िेिेल ने संतिधान सभा की प्रथम बैठक के सदस्यों को अमंतत्रत
तकया।
 9 तदसंबर 1946 इ. को संतिधान सभा की प्रथम बैठक हुइ तजसमें िॉ. सतछचदानंद तसन्हा को
ऄस्थाइ ऄध्यक्ष चुना गया।
 11 तदसबं र 1946 इ. को िॉ राजेंद्र प्रसाद को सतं िधान का स्थाइ ऄध्यक्ष चुना गया।
 13 तदसंबर को नेहरू जी ने ईद्देश्य प्रस्ताि पेश तकया।

ऄंतररम सरकार का मंतत्रमंिल

सदस्य तिभाग
जिाहरलाल नेहरू कायनकारी पररषद के ईपाध्यक्ष, तिदेश मामले एिं राष्ट्ट्र मंिल से
सबं तं धत मामले
सरदार बल्लभ भाइ पिेल गृह सूचना एिं प्रसारण तिभाग तथा ररयासत संबंधी मामले
बलदेि तसहं रक्षा तिभाग
जॉन मथाइ ईद्योग एिं अपूततन तिभाग
सी राजगोपालाचारी तशक्षा तिभाग
सी एच भाभा कायन ,खान तथा बंदरगाह
िॉ राजेंद्र प्रसाद खाद्य एिं कृतष तिभाग
असफ ऄली रेल तिभाग
जगजीिन राम श्रम तिभाग
तलयाकत ऄली खान तित्त तिभाग

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माईंिबेिन योजना

 20 फरिरी 1947 इ. को तितिश प्रधानमंत्री लॉिन एिली ने हाईस ऑफ कॉमंस में बयान तदया तक
जून 1948 इ. तक भारतीयों को सत्ता सौंपकर ऄंग्रेज भारत छोड़ देंगे।
 िेिेल के स्थान पर 24 माचन 1947 इ. को माईंिबेिन गिननर जनरल बन कर भारत अया।
 3 जून को माईंिबेिन ने भारत के तिभाजन के साथ सत्ता हस्तांतरण की योजना प्रस्तुत की।

आस योजना के तनम्नतलतखत तबंदु थे:-


1. 15 ऄगस्त 1947 इ. को भारत में दो अतधराज्यों की स्थापना की जाएगी और सभी

शतक्तयां आन्हें हस्तांतररत कर दी जाएगी।


2. भारतीय राजिाड़ों को भारत या पातकस्तान में शातमल होने की आजाजत दी गइ। ईन्हें स्ितंत्र

रहने का तिकल्प नहीं तदया गया।


3. ईत्तर पतिम सीमा प्रांत तथा ऄसम के तसलहि तजले में जनमत सग्र
ं ह के द्वारा पता लगाया
जाना था तक िह तकसके साथ रहना चाहते हैं।

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भारतीय स्ितंत्रता ऄतधतनयम (1947 इ.)

 माईंिबेिन योजना के अधार पर 4 जुलाइ 1947 इ. को तितिश सस ं द में भारतीय स्ितंत्रता


तिधेयक पेश तकया गया।
 15 जुलाइ को यह हाईस ऑफ कॉमंस में तथा 16 जुलाइ 1947 इ. को तितिश सम्राि के द्वारा
स्िीकार कर तलया गया।
 आस ऄतधतनयम के अधार पर 14 ऄगस्त को पातकस्तान तथा 15 ऄगस्त को भारत स्ितंत्र हो
गया।
 मोहम्मद ऄली तजन्ना पातकस्तान के गिननर जनरल तथा तलयाकत ऄली प्रधानमंत्री बने।
 भारत में लॉिन माईंिबेिन प्रथम गिननर जनरल तथा पतं ित जिाहरलाल नेहरू प्रथम प्रधानमंत्री
बने।

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2. भारतीय संतिधान सभा का गठन

 भारत में सतं िधान सभा के गठन का तिचार सिनप्रथम 1934 में िामपथ ं ी नेता एमएन रॉय द्वारा रखा
गया।
 वषग 1934 में ही स्िराज्य पािी द्वारा सजं वधान सभा के गठन का प्रस्ताव रखा गया।
 तितिश सरकार के द्वारा 1942 में तक्रप्स तमशन संतिधान तनमानण हेतु भारत भेजा गया जिसे
मुतस्लम लीग ने ऄस्िीकार कर जदया।
 जिप्स जमशन की ऄसफलता के बाद 1946 में तीन सदस्यीय कै तबनेि तमशन पैतथक लोरेंस, सर
स्िैनफोिन तक्रप्स और ए िी. एलेग्जेंिर को भारत भेिा गया।
 कै तबनेि तमशन के एक प्रस्ताि द्वारा सतं िधान सभा का गठन जकया गया।

सतं िधान सभा की कायनतितध


(PROCEEDING OF THE CONSTITUENT ASSEMBLY)

 संतिधान सभा की प्रथम बैठक 9 तदसंबर 1946 को हुइ।


 प्रथम ऄजधवेशन में सिनमान्य रूप से िॉ सतछचदानदं तसन्हा को ऄस्थाइ ऄध्यक्ष िनु ा गया।
 मुतस्लम लीग द्वारा आस बैठक का बतहष्ट्कार जकया गया।
 11 तदसंबर 1946 को िॉ राजेंद्र प्रसाद को संतिधान सभा का स्थाइ ऄध्यक्ष और एचसी मुखजी
को ईपाध्यक्ष िनु ा गया।
 सर B.N.RAO को संिैधातनक सलाहकार के रूप में तनयुक्त जकया गया।

ईद्देश्य प्रस्ताि (OBJECTIVE RESOLUTION)

 13 तदसंबर 1946 को संतिधान सभा में जिाहरलाल नेहरू द्वारा ईद्देश्य प्रस्ताि प्रस्तुत जकया गया।
 आस प्रस्ताि को 22 जनिरी 1947 को सिनमान्य रूप से स्िीकार जकया गया।
 आस प्रस्ताि ने सतं िधान के स्िरूप और प्रस्तािना के जनमागण में मुख्य भूतमका ऄदा की।

संतिधान सभा द्वारा तकए गए ऄन्य कायन


कब क्या ऄपनाया / सत्यातपत तकया
22 जुलाइ 1947 राष्ट्ट्रीय ध्िज
मइ 1949 राष्ट्ट्रमंिल में भारत की सदस्यता सत्यातपत
24 जनिरी 1950 राष्ट्ट्रीय गीत और राष्ट्ट्रीय गान

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24 जनिरी 1950 िॉ राजेंद्र प्रसाद का प्रथम राष्ट्ट्रपतत के रूप में चुनाि
24 जनिरी 1950 को संतिधान सभा की ऄंततम बैठक हुइ।

 2 िषन 11 महीने और 18 तदनों में सजं वधान सभा ने लगभग 60 देशों के संतिधान का ऄिलोकन कर
भारतीय संजवधान का प्रारूप तैयार जकया।
 26 जनिरी 1950 से 1951 – 52 में हुए अम चुनाि के बाद बनने वाली नइ संसद के तनमानण तक
भारत की ऄंतररम संसद के रूप में कायन तकया।

संतिधान सभा की संतिधान तनमानण से संबंतधत कायन सतमततयाँ

बड़ी सतमततयां ऄध्यक्ष


सघं शतक्त सतमतत जिाहरलाल नेहरू
संघीय संतिधान सतमतत जिाहरलाल नेहरू
राज्यों के तलए सतमतत जिाहरलाल नेहरू
प्रांतीय संतिधान सतमतत सरदार िल्लभभाइ पिेल
मूल ऄतधकारों एिं ऄल्पसंख्यकों संबंधी सरदार िल्लभभाइ पिेल
परामशन सतमतत
मूल ऄतधकार ईप सतमतत जे बी कृपलानी
ऄल्पसख् ं यक ईप सतमतत एचसी मुखजी
प्रारूप सतमतत िॉ भीमराि ऄंबेिकर
प्रतक्रया तनयम सतमतत िॉ राजेंद्र प्रसाद
संचालन सतमतत िॉ राजेंद्र प्रसाद

छोिी सतमततयां ऄध्यक्ष


संतिधान सभा के कायन संबंधी सतमतत जीिी मािलंकर
कायन सच ं ालन सतमतत िॉ के एम मुंशी
सदन सतमतत पट्टाबी सीतारमै्या
राष्ट्ट्रीय ध्िज संबंधी तदथन सतमतत िॉ राजेंद्र प्रसाद

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प्रारूप सतमतत (DRAFTING COMMITTEE)
1. प्रारूप सतमतत का गठन 29 ऄगस्त 1947 को िॉ भीमराि ऄम्बेिकर की ऄध्यक्षता में हुइ।
2. प्रारूप सतमतत में 7 सदस्य थे।
3. भीमराि ऄंबेिकर का तनिानचन बंगाल प्रांत से हुअ था लेजकन तिभाजन के कारण िह क्षेत्र पूिी
पातकस्तान में िला गया और भीमराव ऄबं ेडकर का पुनः तनिानचन मुंबइ से हुअ।

प्रारूप सतमतत के सदस्य


(MEMBERS OF DRAFTING COMMITTEE)
1. िॉ भीमराि ऄंबेिकर (सदस्य)
2. एन गोपाल स्िामी अयंगर
3. ऄल्लादी कृष्ट्णस्िामी ऄ्यर
4. िॉ के एम मुंशी
5. सैयद मोहम्मद सादुल्लाह
6. एन माधिराि (बीएल तमत्र की जगह HEALTH ISSUE)
7. िीिी कृष्ट्णमाचारी (िीपी खेतान की जगह DEATH)

भारतीय संतिधान पर ऄन्य देशों से ग्रहण तकए गए स्रोतों का तििरण

देश प्रािधान
तििेन संसदीय शासन प्रणाली, संसदीय तिशेषातधकार, तितध का शासन, संिैधातनक रूप से
राष्ट्ट्रपतत की तस्थतत, तिधाइ प्रतक्रया, एकल नागररकता, मंतत्रमंिल प्रणाली,
प्ररमातधकार लेख
USA मूल ऄतधकार, न्यातयक पुनरािलोकन, संतिधान की सिोछचता, तनिानतचत राष्ट्ट्रपतत ि
महातभयोग, ईपराष्ट्ट्रपतत का पद
कनािा एक सशक्त कें द्र के साथ ऄधन सघं सरकार का स्िरूप, ऄितशष्ट शतक्तयां कें द्र के पास,
संघ एिं राज्य के बीच शतक्त तिभाजन, राज्यपाल की तनयुतक्त, ईछचतम न्यायालय का
परामशी न्याय तनणनयन
दतक्षण सतं िधान सश ं ोधन की प्रतक्रया, राज्यसभा सदस्यों के तनिानचन प्रतक्रया
ऄफ्रीका
फ्रांस स्ितंत्रता, समानता और बंधुत्ि का तसद्धांत, गणतंत्रात्मक व्यिस्था

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अयरलैंि राज्य के नीतत तनदेशक तसद्धांत, राष्ट्ट्रपतत द्वारा राज्यसभा में सातहत्य कला तिज्ञान तथा
समाज सेिा अतद क्षेत्र में ख्यातत प्राप्त व्यतक्तयों का मनोनयन, राष्ट्ट्रपतत की तनिानचन
सबं ध
ं ी प्रतक्रया
ऑस्ट्रेतलया समिती सूची का प्रािधान, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक
जमननी अपातकाल के दौरान मूल ऄतधकारों का तनलबं न
जापान तितध द्वारा स्थातपत प्रतक्रया
USSR मूल कतनव्य, प्रस्तािना में सामातजक अतथनक राजनीततक न्याय का अदशन।

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3. संतिधान की प्रस्तािना
PREAMBLE OF CONSTITUTION

हम भारत के लोग, भारत को एक संप्रभुत्ि संपन्न, समाजिादी, पंथ तनरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य
बनाने के तलए तथा ईसके समस्त नागररकों को
सामातजक, अतथनक और राजनीततक न्याय
तिचार, ऄतभव्यतक्त, तिश्वास, धमन और ईपासना की स्ितंत्रता
प्रततष्ठा और ऄिसर की समता
प्राप्त कराने के तलए तथा ईन सब में व्यतक्त की गररमा और राष्ट्ट्र की एकता और ऄखिं ता सतु नतित करने
िाली बंधुता ब़िाने के तलए दृ़ि संकल्प होकर ऄपनी आस संतिधान सभा में अज तारीख 26 निंबर
1949 इ. (मीतत मागनशीषन शुक्ल सप्तमी संित 2006 तिक्रमी) को एतद् द्वारा आस संतिधान को ऄंगीकृत,
ऄतधतनयतमत और अत्मातपनत करते हैं।

 प्रतसद्ध न्यायतिद् ि संतिधान तिशेषज्ञ एन ए पालकी िाला ने प्रस्तावना को संतिधान के पररचय


पत्र की सज्ञं ा दी है।
 भारतीय संजवधान की प्रस्तािना को 13 तदसंबर 1946 को संजवधान सभा में ईद्देश्य प्रस्ताि के नाम से
लाया गया।
 प्रस्तािना ऄमेररकी संतिधान से ली गइ है लेजकन प्रस्तािना की भाषा पर ऑस्ट्रेतलयाइ संतिधान
की प्रस्तािना का प्रभाि है।
 42 िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1976 द्वारा प्रस्तािना में समाजिादी, पंथतनरपेक्ष और
ऄखंिता शब्द शाजमल जकए गए।

प्रस्तािना के मुख्य तत्ि


संतिधान का स्रोत हम भारत के लोग ऄथानत जनता
संतिधान का स्िरूप समप्रभुत्ि संपन्न, समाजिादी, पंथतनरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य
न्याय – सामातजक, अतथनक और राजनैततक स्ितंत्रता – तिचार,
ऄतभव्यतक्त, तिश्वास, धमन ि ईपासना
संतिधान का ईद्देश्य समानता – प्रततष्ठा और ऄिसर की
व्यतक्त की गररमा
राष्ट्ट्र की एकता और ऄखिं ता, बध ं तु ा

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प्रस्तािना पररितननीय संशोधनीय है या नहीं
प्रस्तािना में संशोधन (ऄनुछछे द 368 के तहत) से संबंतधत िाद
संशोधनीय है संशोधनीय नहीं है
के शिानंद भारती बनाम के रल राज्य 1973 बेरूबारी संघ के 1960
ऄनुछछे द 368 के तहत संशोधनीय लेतकन मूल संशोधन नहीं क्योंतक संतिधान का भाग नहीं है।
ढांचे से संबंतधत तिषयों में संशोधन संभि नहीं।

4. भारत संघ एिं ईसका राज्य क्षेत्र तथा राज्यों का पुनगनठन

 सजं वधान के ऄनुछछे द 1 में तनधानररत जकया गया है जक भारत ऄथानत आतं िया राज्यों का संघ होगा।
 जिसमें भारत शब्द देश का नाम और संघ शब्द शासन प्रणाली को दशान ता है।

भारत के राज्य क्षेत्र में तनम्नतलतखत क्षेत्र समातिष्ट हैं


1. राज्यों के राज्य क्षेत्र

2. पहली ऄनुसूची में तितनतदनष्ट संघ राज्य क्षेत्र

3. ऐसे ऄन्य राज्य क्षेत्र जो ऄतजन त तकए जाए।ं

 कोइ भी राज्य भारत से ऄलग होने के तलए स्ितंत्र नहीं है ऄथागत भारत तिनाशी राज्यों का

ऄतिनाशी संघ है।


 ऄनछु छे द 2 के ऄधीन सस ं द को दो प्रकार की शतक्त प्राप्त है
1. नए राज्यों को संघ में शातमल करने की शतक्त

2. नए राज्यों को स्थातपत करने की शतक्त।

 36 िें संतिधान संशोधन 1975 द्वारा जसजक्कम को भारत संघ में सजम्मजलत जकया गया।
1. ऄनुछछे द 3 के द्वारा भारत की संसद को यह शतक्त प्राप्त है संसद नए राज्यों का तनमान ण

कर सकती है
2. ितन मान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओ ं या नामों में पररितन न कर सकती हैं।

 आस प्रकार की तितध को ऄनछ ु छे द 368 के प्रयोजन के तलए सतं िधान का सश ं ोधन नहीं समझा
िाएगा।
 संघीय क्षेत्रों को संसद के दोनों सदनों में प्रतततनतधत्ि प्राप्त है।

 भारत में सघं राज्यों का प्रशासन राष्ट्ट्रपतत के द्वारा होता है।


 भारत के राज्य क्षेत्र और संघ राज्य क्षेत्रों का संबंध संजवधान की पहली ऄनुसूची से है।

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देसी ररयासतों का एकीकरण

 स्ितंत्रता प्रातप्त से पिू न भारतीय राज्य क्षेत्र 2 िगों में जवभक्त था


1) तितिश भारत और 2) देशी ररयासतें
 तितिश भारत 9 प्रांत और लगभग 552 देशी ररयासतें थी।
 जूनाग़ि, हैदराबाद तथा जम्मू कश्मीर को भारत में क्रमशः जनमत संग्रह, पुतलस कायनिाही,
(ऑपरेशन पोलो) एिं तिलय पत्र पर हस्ताक्षर करके जमलाया गया।
 शेष देसी ररयासतों को जवलय पत्र पर हस्ताक्षर करके भारत सघं में सजम्मजलत जकया गया।
 1949 के मूल संतिधान में भारत के संपूणन क्षेत्र को 4 िगों में बांिा गया था

राज्य पुनगनठन अयोग/ धर अयोग


STATE REORGANISATION COMMISSION

 जून 1948 में भारत सरकार द्वारा एस. के . धर की ऄध्यक्षता में भाषाइ प्रांतीय अयोग का गठन हुअ।
 तदसंबर 1948 में अयोग ने ऄपनी ररपोिन प्रस्तुत की।
 आसमें राज्यों के पनु गनठन का अधार भाषाइ न रखकर प्रशासतनक सतु िधा को रखने की ऄनश ु सं ा
की गइ
 धर अयोग की ररपोिन के बाद जदसबं र 1948 में जिाहरलाल नेहरू, िल्लभ भाइ पिेल और पट्टाबी
सीता रमैया के नेतत्ृ व में जेिीपी सतमतत गतठत की गइ।
 आस सजमजत ने ऄप्रैल 1949 में ऄपनी ररपोिन सौंपी तथा आसमें भी भाषा के अधार पर राज्यों के
पुनगनठन की मांग स्िीकार नहीं तकया गया।
 1953 में पोट्टी श्रीरामलू के तनधन के कारण मद्रास को भाषाइ अधार पर तिभातजत कर तेलगु ु
भाषी पृथक राज्य के रूप में अध्र ं प्रदेश का गठन जकया गया।

िषन 1953 में राज्य पुनगनठन अयोग ररपोिन

 ऄध्यक्ष – फजल ऄली


 ऄन्य सदस्य – के एम पतणकर, एचएन कुंजरु
 अयोग की ररपोिन 1955
 भाषा के अधार पर राज्यों के पनु गनठन को स्िीकार तकया
 एक भाषा एक राज्य के तसद्धांत को ऄस्िीकार कर जदया।
 7 िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1956 के द्वारा संपूणन भारतीय राज्य क्षेत्र को दो िगों में
जवभाजित जकया गया

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1) राज्य एिं 2) संघ राज्य क्षेत्र
 संघ राज्य क्षेत्र में अमतौर पर िही राज्य शातमल जकए गए िो भाग ग और घ के राज्यों में शातमल
थे।
 ितनमान में भारत में 28 राज्य और 9 कें द्र शातसत प्रदेश हैं।
 जम्मू और कश्मीर को 2 कें द्र शातसत राज्यों में तिभातजत कर जदया गया जम्मू और लद्दाख।

भाग भारतीय संघ शातमल राज्य


भाग तितिश प्रांत जहां गिननर का ऄसम, तबहार, मुंबइ, मध्य प्रदेश, मद्रास, ईड़ीसा, पंजाब,
क शासन था सयं ुक्त प्रांत, पतिम बगं ाल
भाग बड़े अकार की देशी ररयासतें हैदराबाद, जम्मू और कश्मीर, मध्य भारत, मैसूर, पतियाला,
ख पूिी पंजाब, राजस्थान, सौराष्ट्ट्र, त्रािणकोर, कोचीन, तिंध्य
प्रदेश
भाग मुख्य अयुक्त के शासन (कुछ ऄजमेर, भोपाल, तबलासपुर, कूचतबहार, कुगन, तदल्ली,
ग ऐसा ही शासन िाले छोिी तहमाचल, प्रदेश, कछछ, मतणपुर तत्रपुरा
ररयासतें)
भाग तिदेशों से ऄतजनत राज्य ऄंिमान और तनकोबार द्वीप समूह।

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5. नागररकता

 भारतीय संजवधान के भाग 2 में ऄनछु छे द 5 से 11 तक नागररकता का प्रािधान जकया गया है।
 भारत के संतिधान में एकल नागररकता का प्रािधान है ऄथागत भारत में ऄलग-ऄलग राज्यों के
ऄनुसार नागररकता का प्रािधान नहीं है।
 ऄमेररका में दोहरी नागररकता का प्रािधान है।
 सस
ं द को नागररकता सबं ध ं ी काननू बनाने का ऄतधकार है।

ऄनछु छे द प्रािधान
ऄनुछछे द 5 संतिधान के प्रारंभ पर नागररकता
ऄनुछछे द 6 पातकस्तान से भारत अने िाले कुछ व्यतक्तयों के नागररकता के ऄतधकार
ऄनुछछे द 7 पातकस्तान को प्रव्रजन करने िाले कुछ व्यतक्तयों के नागररकता के ऄतधकार है
ऄनुछछे द 8 भारतीय मूल के व्यतक्तयों के ऄतधकार
ऄनछु छे द 9 तिदेशी राज्य की नागररकता स्िेछछा से ऄतजनत करने िाले व्यतक्तयों का नागररक
ना होना
ऄनछु छे द 10 नागररकों के ऄतधकारों का बना रहना
ऄनुछछे द 11 संसद द्वारा नागररकता के ऄतधकार का तितध द्वारा तितनयमन तकया जाना।

नागररकता ऄतधतनयम 1955 में तकए गए प्रमुख संशोधन


1. नागररकता (संशोधन) ऄतधतनयम – 1986
2. नागररकता (संशोधन) ऄतधतनयम – 1992
3. नागररकता (संशोधन) ऄतधतनयम – 2003
4. नागररकता (संशोधन) ऄतधतनयम – 2005
5. नागररकता (संशोधन) ऄतधतनयम – 2015

1. ऄनुछछे द 15, 16, 19, 29, 30 में जदए गए मूल ऄतधकार तसफन भारतीय नागररकों को ही प्राप्त हैं।
2. ऄनछु छे द 14, 20, 21, 21(A), 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28 में जदए गए मूल ऄतधकार भारतीय
नागररकों के साथ साथ तिदेतशयों को भी प्राप्त है।
3. लोकसभा एिं राज्य तिधानसभा के तनिानचन हेतु मत देने का ऄतधकार तथा संसद एिं राज्य
तिधानमंिल की सदस्यता का ऄतधकार के िल भारतीय नागररकों को प्राप्त है।

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4. राष्ट्ट्रपतत, ईपराष्ट्ट्रपतत, ईछचतम न्यायालय के न्यायाधीश, ईछच न्यायालय के न्यायाधीश,
महान्यायिादी, राज्यपाल, ऄतधिक्ता िैसे प्रमख ु पदों पर के िल भारतीय नागररक तनयुतक्त के पात्र
होते हैं।
 भारत में नागररकता को पांच प्रकार से प्राप्त तकया जा सकता है
नागररकता का ऄजनन (ACQUISITION OF CITIZENSHIP)
1. जन्म से BY BIRTH
2. िंशानुगत BY DESCENT
3. पंजीकरण द्वारा BY REGISTRATION
4. देसी ऄकड़न द्वारा BY NATURALIZATION
5. क्षेत्र सतम्मतलत होने पर INCORPORATION OF TERRITORY

नागररकता की समातप्त (TERMINATION OF CITIZENSHIP)


1. नागररकता का पररत्याग RENUNCIATION
2. बखान स्तगी TERMINATION
 तकसी भी भारतीय नागररक द्वारा स्िेछछा से ऄन्य देश की नागररकता ग्रहण करने पर ईसकी
नागररकता स्ित: ही समाप्त हो जाएगी।
3. िंतचत तकए जाने पर DEPRIVATION

 जो व्यतक्त पातकस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूिान, ऄफगातनस्तान या चीन के नागररक हैं
या कभी भी रहे हैं िह भारतीय मूल के व्यतक्त िगन (POI) में शातमल नहीं हो सकते हैं।

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6. मूल ऄतधकार
FUNDAMENTAL RIGHTS

 भारत में पहली बार मूल ऄतधकार का प्रािधान नेहरू ररपोिन 1928 में की गइ थी।
 1921 के कराची ऄतधिेशन में सरदार िल्लभ भाइ पिेल की ऄध्यक्षता में कांग्रेस ने एक घोषणा
पत्र में मूल ऄतधकारों की मांग की थी।
 करािी ऄजधवेशन के मूल ऄतधकारों का प्रारूप (DRAFT) जिाहरलाल नेहरू द्वारा बनाया गया
था।
 भारतीय संजवधान के भाग 3 में ऄनछु छे द 12 से 35 तक आसका ईल्लेख है।
 संजवधान के भाग 3 को भारत का मैग्नाकािान की संज्ञा दी गइ है।
 सजं वधान के भाग 3 को न्यायालय द्वारा संरक्षण प्राप्त है।

ऄनछु छे द तिषय िस्तु


12 राज्य की पररभाषा भारत की सरकार और संसद राज्य की सरकारें और तिधान मंिल
सभी स्थानीय प्रातधकारी और ऄन्य प्रातधकारी
13 मूल ऄतधकारों से ऄसंगत कानूनों तनयमों ईप तनयमों परंपरा आत्यातद का तनमनूलन या
ऄल्पी करण
समानता का ऄतधकार
14 तितध या कानून के समक्ष समानता
15 धमन मूल िश
ं जातत तलगं या जन्म स्थान के अधार पर भेदभाि का तनषेध
16 लोक तनयोजन (PUBLIC EMPLOYMENT) या नौकरी के तिषय में ऄिसर की
समानता
17 ऄस्पृश्यता (UNTOUCHABILITY) का ऄंत
18 ईपातधयों का ऄंत
स्ितंत्रता का ऄतधकार
19 िाक् एिं ऄतभव्यतक्त की स्ितंत्रता
20 ऄपराधों के तलए दोष तसतद्ध के सबं ध ं में सरं क्षण
21 प्राण एिं दैतहक स्ितंत्रता का संरक्षण
21(क) प्रारंतभक तशक्षा का ऄतधकार (86 िा CA 2002)
22 कुछ दशाओ ं में तगरफ्तारी और तनरोध से संरक्षण।
शोषण के तिरुद्ध ऄतधकार

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23 मानि के बेगार, बलात श्रम और दुव्यानपार (HUMAN TRAFFICKING) का
प्रततषेध
24 कारखानों अतद में बालकों के तनयोजन का प्रततषेध
धमन की स्ितंत्रता का ऄतधकार 25 से 28
25 ऄंतःकरण की और धमन को ऄबाध रूप से मानने अचरण और प्रचार करने की
स्ितंत्रता
26 धातमनक कायों के प्रबंधन की स्ितंत्रता
27 तकसी तिशेष धमन को संपोतषत करने िाले करो के ऄदायगी के बारे में स्ितंत्रता
28 कुछ तशक्षा संस्थाओ ं में धातमनक तशक्षा या धातमनक ईपासना में ईपतस्थत होने के बारे में
स्ितंत्रता।

 मूल संतिधान में मौतलक ऄतधकारों की संख्या 7 थी परंतु ितनमान में के िल 6 मूल ऄतधकार है।
 ं ोधन 1978 द्वारा सपं तत्त के मूल ऄतधकार को आस सच
44 िें सतं िधान सश ू ी से हिा कर ऄनछु छे द
300(क) में कानूनी ऄतधकार बना जदया गया।
 मूल ऄतधकार स्थायी नहीं है ऄथागत संसद ऄनुछछे द 368 के ऄंतगनत संतिधान संशोधन की शतक्त
के माध्यम से आनको घिा – ब़िा सकती है।
 राष्ट्ट्रीय अपातकाल (NATIONAL EMERGENCY) ऄनुछछे द 352 के दौरान ऄनुछछे द 20
और 21 को छोड़कर समस्त मूल ऄतधकार तनलंतबत तकए जा सकते हैं।

ऄनुछछे द तिषय िस्तु


संस्कृतत और शैतक्षक ऄतधकार 29 30
29 ऄल्पसख्ं यक िगों धातमनक और भाषायी के तहतों का सरं क्षण
30 तशक्षा संस्थाओ ं की स्थापना एिं प्रशासन करने का ऄल्पसंख्यक िगों का ऄतधकार
सिं ैधातनक ईपचारों का ऄतधकार ऄनछु छे द 32

 आस भाग द्वारा प्रदत्त ऄतधकारों को सिोछच न्यायालय द्वारा संरक्षण प्राप्त है।
 ऄनछु छे द 32 आसके तहत ईछचतम न्यायालय मूल ऄतधकारों के ईल्लघं न होने पर सरं क्षण प्रदान
करता है।
 ऄनुछछे द 226 ईछच न्यायालयों को मूल ऄतधकारों के ईल्लंघन के संबंध में जकसी जवजध को
सिं ैधातनक या ऄसिं ैधातनक घोतषत करने की शतक्त प्रदान करता है।
 के शिानंद भारती बनाम के रल राज्य िाद के ऄनसु ार सिोछच न्यायालय मूल ऄतधकारों में
संशोधन कर सकती है परंतु संतिधान की अधारभूत संरचना को पररिततनत नहीं कर सकती।

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 के शिानंद भारती बनाम के रल राज्य िाद 1973 में संतिधान की अधारभूत संरचना की
ऄिधारणा को सवोच्ि न्यायालय ने प्रस्ततु जकया।
 ऄनछु छे द 13, 32 तथा 226 के माध्यम से भारतीय न्यायपातलका को न्यातयक पनु तिनलोकन की
शजक्त प्राप्त है।
 ऄनुछछे द 17 और ऄनुछछे द 35 संसद को यह शतक्त प्रदान करता है जक वह ऄस्पृश्यता के अचरण
हेतु दिं की तितध का तनमानण करें।
 सस ं द द्वारा 1955 में ऄस्पश्ृ यता तनरोधक ऄतधतनयम का जनमागण जकया गया और 1976 में आस
ऄतधतनयम में संशोधन कर आसका नाम तसतिल ऄतधकार संरक्षण ऄतधतनयम 1955 रखा गया।
 30 जनिरी 1990 को ऄनुसूतचत जातत एिं ऄनुसूतचत जनजातत (ऄत्याचार तनिारण) ऄतधतनयम
1989 ऄजस्तत्व में अया। आसे एट्रोतसिीज एक्ि के नाम से भी जाना िाता है।

ऄनुछछे द स्ितंत्रता का ऄतधकार ऄनुछछे द युतक्त युक्त तनबंधन का अधार


19 (1) भाषण और ऄतभव्यतक्त की स्ितंत्रता 19.2 भारत की सुरक्षा और सप्रं भुता न्यायालय
(क) की ऄिमानना (CONTEMPT)
मानहातन लोक व्यिस्था तिदेशी राज्यों
के साथ मैत्रीपूणन संबंध तशष्टाचार एिं
सदाचार ऄपराध ईद्दीपन
19 (1) शांततपूणन और हतथयार रतहत 19.3 भारत की संप्रभुता और ऄखंिता लोक
(ख) सम्मेलन का ऄतधकार व्यिस्था
19 (1) संघ या सहकारी सतमतत बनाने का 19.4 सदाचार लोक व्यिस्था भारत की
(ग) ऄतधकार संप्रभुता और ऄखंिता
19 (1) भारत के राज्य क्षेत्र में ऄबाध सच
ं रण 19.5 साधारण जनता के तहत में तकसी
(घ) का ऄतधकार ऄनुसूतचत जनजातत के तहतों के संरक्षण
19 (1) भारत के तकसी भी भाग में तनिास के तलए
(ङ) करने और बसने का ऄतधकार
19 (1) कोइ िृतत्त ईपजीतिका व्यिसाय या 19.6 साधारण जनता के तहत में तकसी िृतत्त या
(छ) व्यापार करने का ऄतधकार व्यापार के तलए तकनीक ऄहनताएं
तनधानररत करना

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ऄनुछछे द 20 ऄपराधों के तलए दोष तसतद्ध के संबंध में संरक्षण

 आसके ऄंतगनत तनम्नतलतखत प्रािधान है


1. अपरातधक कृत्य के संबंध में तकसी व्यतक्त को तकसी ऄपराध के तलए तब तक दोषी नहीं

माना जाएगा जब तक तक ईसने कोइ कायन करते समय तकसी प्रिृत्त तितध का ईल्लंघन नहीं
तकया है।
2. न्यातयक संदभन में तकसी व्यतक्त को एक ऄपराध के तलए एक से ऄतधक बार ऄतभयोतजत

और दतं ित नहीं तकया जाएगा।


3. ऄपरातधक कृत्य के सब ं में तकसी व्यतक्त को ऄपने तिरुद्ध गिाही देने हेतु बाध्य नहीं
ं ध
तकया जा सकता है।

ऄनछु छे द 21 प्राण एिं दैतहक स्ितत्रं ता का सरं क्षण

1. तकसी व्यतक्त को ईसके प्राण एिं दैतहक स्ितंत्रता से तितध द्वारा स्थातपत प्रतक्रया के
ऄनुसार ही िंतचत तकया जा सकता है ऄन्यथा नहीं।
2. तितध द्वारा स्थातपत प्रतक्रया (PROCEDURE ESTABLISHED BY LAW) तितिश
संतिधान की तिशेषता है।
3. तनजता का ऄतधकार एक मूल ऄतधकार है।

ऄनुछछे द 22 कुछ दशकों में तगरफ्तारी और तनरोध से संरक्षण

 आसके ऄतं गगत तकसी व्यतक्त को सामान्य दिं तितध के ऄधीन तगरफ्तार करने पर ईसके तनम्न
ऄतधकार बताए गए हैं
1. ऄपनी तगरफ्तारी का कारण जानने का ऄतधकार

2. ऄपनी रुतच के िकील से मामला कोिन में प्रस्तुत कराने का ऄतधकार

3. 24 घंिे के ऄंदर मतजस्ट्रे ि के समक्ष प्रस्तुतत का ऄतधकार । आन 24 घंिों में ऄिकाश यात्रा में

लगा समय शातमल नहीं है।


4. ऄनुछछे द 26 धातमन क कायों के प्रबंध की स्ितंत्रता पर लोक व्यिस्था, सदाचार और

स्िास््य के अधार पर युतक्त युक्त तनबंधन लगाया िा सकता है।

ऄनुछछे द 29 ऄल्पसंख्यक िगों के तहतों का संरक्षण

 भारत के प्रत्येक नागररक को तजसकी ऄपनी तितशष्ट, भाषा तलतप, संस्कृतत है ईसे बनाए रखने का
ऄजधकार होगा।

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 ऄल्पसंख्यक शब्द को संतिधान में कहीं भी पररभातषत नहीं जकया गया है।

ऄनछु छे द 31 सपं तत्त का ऄतनिायन ऄजनन

संपतत्त के ऄतधकार को 44 िें संतिधान संशोधन 1978 द्वारा मूल ऄतधकारों की श्रेणी
से हिाकर ऄनुछछे द 300 क के तहत एक तितध तकया कानूनी ऄतधकार के ऄंतगनत शातमल
तकया गया है।

ऄनुछछे द 32 संिैधातनक ईपचारों (CONSTITUTIONAL REMEDIES) का ऄतधकार

 िॉ. भीमराि ऄंबेिकर ने आस ऄनच्ु छे द को सतं िधान की अत्मा और ईसका रृदय कहा है।
 ऄनुछछे द 32 के तहत सिोछच न्यायालय को और ऄनुछछे द 226 के तहत ईछच न्यायालय को मूल
ऄतधकारों के ईल्लंघन पर पांच प्रकार के ररि जारी करने का ऄतधकार है।

ररि तिषय िस्तु


बंदी 1. न्यायालय बंदी करता व्यतक्त को यह अदेश देता है तक िह ईक्त व्यतक्त को
प्रत्यक्षीकरण 24 घंिे के भीतर न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करें।
HABEAS 2. यह लोग ऄतधकारी और तनजी व्यतक्त दोनों के तिरुद्ध जारी होती है
CORPUS
3. आसके माध्यम से न्यायालय तकसी लोक ऄतधकारी सरकारी व्यतक्त को
परमादेश अदेश दे सकता है तक िह ईस कायन को करें तजस कायन को करने हेतु बाध्य
MANDAMUS है।
4. राष्ट्ट्रपतत और राज्यपाल के तिरुद्ध या लागू नहीं होता है।

ररि तिषय िस्तु


1. यह तकसी भी न्यातयक या ऄधन न्यातयक संस्था के तिरुद्ध जारी की हो

प्रततषेध सकता है।


PROHIBITION 2. आस ररि का मुख्य ईद्देश्य तकसी ऄधीनस्थ न्यायालय को ऄपने
ऄतधकाररता का ऄततक्रमण करने से रोकना है।
3. तिधातयका, कायन पातलका या तकसी तनजी व्यतक्त या तनजी संस्था के

तखलाफ आसका प्रयोग नहीं होता।


ईत्प्रेषण यह तकसी िररष्ठ न्यायालय द्वारा तकसी ऄधीनस्थ न्यायालय या न्यातयक
CERTIORARI तनकाय जो ऄपनी ऄतधकाररता का ईल्लंघन कर रहा है को रोकने के ईद्देश्य से

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जारी की जाती है।
ऄतधकार पृछछा 1. आसका ऄथन “अपका क्या प्रातधकार है” होता है।

QUO 2. ऄिैधातनक रूप से तकसी सािनजतनक पद पर असीन व्यतक्त के तिरुद्ध

WARRANTO जारी तकया जाता है।

 भारत में न्यायाधीश पीएन भगिती को जनतहत यातचका का जनक माना िाता है।
 ऄनुछछे द 33 संसद को यह शतक्त प्रदान करता है जक िह सशस्त्र बलों, खुतफया एजेंतसयों एवं ऄन्य
के मूल ऄतधकारों पर युतक्त युक्त प्रततबंध लगा सके ।
 ऄनछु छे द 34 के ऄंतगनत भारत के तकसी क्षेत्र में यतद सैन्य ऄतधतनयम लागू है तो संसद को यह शतक्त
है जक िह मूल ऄतधकारों पर प्रततबंध लगा सकती है।
 ऄनुछछे द 35 के तहत संसद को के िल कुछ जवशेष मूल ऄतधकार प्रभािी बनाने के तलए कानून
बनाने की शतक्त प्राप्त है जकंतु यह ऄतधकार राज्य तिधानमंिल को प्राप्त नहीं है।

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7. राज्य के नीतत तनदेशक तत्ि
DIRECTIVE PRINCIPLE OF STATE

 सजं वधान सभा के सलाहकार बी एन राि द्वारा सलाह दी गइ थी की ऄतधकारों को 2 िगन में बांिा
जाना चातहए
1. िे ऄतधकार जो न्यायालय द्वारा प्रिततनत कराए जा सकते हैं ऄथानत मूल ऄतधकार
2. िे ऄतधकार जो न्यायालय द्वारा प्रितननीय (ENFORCEABLE) नहीं है ऄथानत राज्य के नीतत
तनदेशक तत्ि
 राज्य के नीतत तनदेशक तत्ि संजवधान की प्रस्तािना में ईद्धृत सामातजक, अतथन क और राजनीततक

न्याय तथा स्ितंत्रता समानता और बंधुत्ि की भािना पर अधाररत है।


 राज्य के नीतत तनदेशक तत्िों का ईद्देश्य लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करता है।

 संजवधान के भाग 4 में ऄनछ ु छे द 36 से 51 तक नीतत तनदेशक तत्िों का िणनन जकया गया है।
 नीजत जनदेशक तत्वों का प्रािधान अयरलैंि के संतिधान से तलया गया है।

नीतत तनदेशक तत्िों का िगीकरण


तत्ि ऄनुछछे द
गांधीिादी तत्ि 40, 43, 43 (ख), 46, 47, 48
समाजिादी तत्ि 38, 39, 39 (क) 41, 42, 43, 43 (क), 47
ईदारिादी तत्ि 44, 45, 48, 48 (क), 49, 50, 51

राज्य के नीतत तनदेशक तत्िों में तकए गए संशोधन

 42 िें सतं िधान सश


ं ोधन ऄतधतनयम 1976 के माध्यम से ऄनछु छे द 39( क), 43 (क), तथा 48 (क)
को शातमल तकया गया।
 44 िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1978 के माध्यम से ऄनुछछे द 38 की भाषा में पररितनन तकया
गया।
 86 िें सतं िधान सश
ं ोधन 2002 के द्वारा ऄनछु छे द 45 में सश
ं ोधन तकया गया।
 57 िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 2011 के माध्यम से ऄनुछछे द 43 ख में सहकारी सतमतत शब्द
को जोड़ा गया।

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संतिधान के भाग 4 में ईतल्लतखत नीतत तनदेशक तत्ि ऄनुछछे द 36 से 51

ऄनछु छे द मूल तिषय िस्तु


36 नीतत तनदेशक तत्िों के संबंध में राज्य की पररभाषा
37 नीतत तनदेशक तत्ि को न्यायालय द्वारा प्रितननीय ना होते हुए भी देश के शासन में
मूलभूत माना गया है तथा तितध बनाने में आन तसद्धांतों को लागू करना राज्य का कतनव्य
होगा
38 सामातजक, अतथनक और राजनीततक न्याय से पररपण ू न व्यिस्था की स्थापना हो सके
अय प्रततष्ठा सुतिधाओ ं तथा ऄिसर की ऄसमानताओ ं को समाप्त करने का प्रयास
करना।

39 राज्य द्वारा ऄनुसरण कुछ नीतत तत्ि है


1. परुु ष और स्त्री सभी नागररकों को अजीतिका के पयानप्त साधन प्राप्त करने का ऄतधकार
2. समुदाय के भौततक संसाधनों का ईतचत तितरण एिं स्िातमत्ि

3. ईत्पादन के साधनों का तिकें द्रीकरण

4. तस्त्रयों और परु
ु षों को समान कायन के तलए समान िेतन।
5. पुरुष और स्त्री कमन कारों के स्िास््य और शतक्त का तथा बालकों की सुकुमार ऄिस्था का

दुरुपयोग ना हो।
6. बालकों को स्ितंत्र और गररमामय िातािरण में स्िस्थ तिकास के ऄिसर और सुतिधा दी

जाए।
39 क समान ऄिसर के अधार पर न्याय देना और तन:शुल्क कानूनी सहायता ईपलब्ध कराना
(39th CA)

40 ग्राम पंचायतों का संगठन


कुछ दशाओ ं में तिशेषत: बुढापे, बेरोजगारी, बीमारी ऄशक्त्ता अतद की दशा में काम
तशक्षा और लोक सहायता पाने का ऄतधकार सुतनतित करने के तलए राज्य प्रभािी
41 प्रािधान करेगा।
42 कायन की न्याय संगत और माननीय दशाओ ं का तथा मातृत्ि सुरक्षा हेतु सहायता का
ईपबंध
43 कमनचाररयों को तनिानह मजदूरी एिं कुिीर ईद्योगों का तिकास
43 क ईद्योगों के प्रबंध में मजदूरों की भागीदारी के तलए ईपयुक्त तिधान (42th CA)

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44 नागररकों के तलए एक समान नागररक संतहता लागू करने का प्रयास करना
45 6 िषन से कम अयु के बछचों को तशक्षा तथा ईनकी देखभाल (86th CA 2002)
ऄनुसूतचत जाततयों, ऄनुसूतचत जनजाततयों और ऄन्य दुबनल िगों के तशक्षा और ऄथन
46 संबंधी तहतों की ऄतभिृतद्ध और सामातजक न्याय सुतनतित करना
लोगों के पोषाहार जीिन स्तर को उंचा करने तथा लोक स्िास््य के सध ु ार को प्राथतमक
47 कतनव्य मानना और मादक पेयों ि हातनकारक नशीले पदाथों के सेिन का प्रततषेध करने
का प्रयास करना।
कृतष तथा पशपु ालन का सगं ठन, अधतु नक िैज्ञातनक प्रणातलयों के ऄनस ु ार करना तथा
गाय, बछड़ों और ऄन्य दुधारू या िाहक पशुओ ं की नस्ल का परीक्षण और सुधार करना
48 ईनकी िध का प्रततषेध करने के तलए कदम ईठाना।
48 क पयानिरण के सरं क्षण और सिं धनन तथा िन और िन्य जीिो की रक्षा का प्रयास करना
(42 िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1976)
49 राष्ट्ट्रीय महत्ि के स्मारकों स्थानों और िस्तुओ ं का संरक्षण करना
50 राज्य की लोक सेिाओ ं में कायनपातलका से न्यायपातलका के पृथक्करण हेतु राज्य द्वारा
कदम ईठाना
ऄंतरानष्ट्ट्रीय शांतत एिं सरु क्षा की ऄतभितृ द्ध राष्ट्ट्रों के बीच न्याय सगं त और सम्मान पण ू न
51 संबंधों तथा ऄंतरराष्ट्ट्रीय तििादों को मध्यस्थता से तनपिाने के तलए प्रोत्साहन देने का
प्रयास करना।
 ितनमान में गोिा राज्य में समान नागररक संतहता लागू है।

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8. मूल कतनव्य
FUNDAMENTAL DUTIES

 भारत के प्रत्येक नागररक का यह कतनव्य होगा तक िह


1. संजवधान का पालन करें और ईसके अदशों संस्थाओ ं राष्ट्रध्वि और राष्ट्रगान का अदर करें ।

2. स्वतंत्रता के जलए हमारे राष्ट्रीय अद ं ोलन को प्रेररत करने वाले ईच्ि अदशों को हृदय में संिोए रखें और
ईसका पालन करें ।
3. भारत की संप्रभुता एकता और ऄखंिता की रक्षा करें और ईसे ऄक्षण् ु ण बनाए रखें।
4. देश की रक्षा करे और अवाहन जकए िाने पर राष्ट्र की सेवा करे ।

5. भारत के सभी लोगों में समरसता और सामान भ्रातृत्ि की भािना का तनमान ण करें िो धमग भाषा और

प्रदेश या वगग पर अधाररत सभी भेदभाव से परे हो ऐसी प्रथाओ ं का त्याग करें जो तस्त्रयों के सम्मान के
तिरुद्ध हो।
6. हमारी सामाजसक संस्कृ जत की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और ईसका परररक्षण करें ।

7. प्राकृततक पयान िरण की जिसके ऄंतगनत झील, नदी और िन्य जीि है रक्षा करें और ईसका संिधनन

करें तथा प्राणी मात्र के प्रतत दया भाि रखें।


8. िैज्ञातनक दृतष्टकोण, मानििाद और ज्ञानाजन न तथा सुधार की भािना का तिकास करें ।

9. सावगिजनक संपजत्त को सरु जक्षत रखें और जहस ं ा से दरू रहे।


10. व्यजक्त और सामजू हक गजतजवजधयों के सभी क्षेत्रों में ईत्कषग की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करें जिससे राष्ट्र

जनरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और ईपलजधधयों की नइ उंिाआयों को छू ले।


11. माता-जपता या संरक्षक का कतगव्य होगा जक िह 6 से 14 िषन के बीच की अयु के ऄपने बछचे या

प्रजतपाल्य को जशक्षा प्राप्त करने का ऄवसर प्रदान करें ।


 मूल सतं िधान में मूल कतन व्य नहीं थे।

 1975 में बनी सरदार स्िणन तसंह कमे िी की ररपोटग की ऄनश ु सं ा पर आसे 42 िें संतिधान संशोधन
1976 द्वारा सजं वधान में सजम्मजलत जकया गया।
 42 िें सतं िधान सश ं ोधन ऄतधतनयम 1976 द्वारा भारतीय सतं िधान में भाग 4 (क) जोड़ा गया और
ऄनुछछे द 51 (क) के तहत 10 मूल कतनव्यों की सूची का समािेश जकया गया।
 86 िें संतिधान संशोधन 2002 के द्वारा एक और मूल कतन व्य जोड़ा गया।

 भारत में मूल कतन व्य को भूतपूिन सोतियत संघ के संतिधान से ऄपनाया गया है।

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 11 में मूल कतनव्य में यह प्रािधान है तक 6 से 14 िषन की अयु के बछचों के माता-तपता या
संरक्षकों का यह कतनव्य होगा तक िे स्ियं पर अतश्रत बछचों को तशक्षा प्राप्त करने का ऄिसर
प्रदान करें।
 भारत सरकार द्वारा मूल कतनव्यों के प्रचालन के (OPERATIONALISATION OF
FUNDAMENTAL DUTIES) संबंध में िमान सतमतत 1999 गतठत की गइ।
 मूल कतनव्य न्यायालय द्वारा प्रिृत्त नहीं कराए जा सकते हैं ऄथानत तकसी नागररक द्वारा ऄपने मूल
कतनव्य का पालन नहीं तकया जा रहा हो तो न्यायालय द्वारा ईसे दतं ित नहीं तकया जा सकता।

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9. कायनपातलका
EXECUTIVE

संसदीय सरकार की व्यिटथा

संघ की कायथऩालऱका राज्य की कायथऩालऱका

तनमाथण तनमाथण

राष्रऩतत राज्यऩाऱ
उऩराष्रऩतत

प्रधानमंत्री
मख्
ु यमंत्री
मंत्रत्रऩररषद मंत्रत्रऩररषद

महान्यायिादी महाधधिक्ता

सघं की कायनपातलका

EXECUTIVE OF UNION
भाग 5 (ऄनुछछे द 52 – 78)

1. भारत का राष्ट्ट्रपतत (PRESIDENT OF INDIA)

 सजं वधान में संघ की कायनपातलका शतक्तयां राष्ट्ट्रपतत को प्राप्त है परंतु िास्ततिक
शतक्तयां प्रधानमंत्री एवं ईसकी मंतत्रपररषद में जनजहत है।

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2. राष्ट्ट्रपतत का तनिानचन

राष्ट्ट्रपतत का तनिानचन मंिल


शातमल होने िाले सदस्य शातमल न होने िाले सदस्य
संसद के दोनों सदनों के तनिानतचत सदस्य संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य
राज्य की तिधानसभाओ ं के तनिानतचत राज्य तिधानसभा के मनोनीत सदस्य
सदस्य
कें द्र शातसत प्रदेश तदल्ली और पुिुचेरी राज्य तिधान पररषद के तनिानतचत एिं मनोनीत
तिधानसभा के तनिानतचत सदस्य सदस्य तदल्ली एिं पुिुचेरी तिधानसभा के
मनोनीत सदस्य।
राष्ट्ट्रपतत चुनाि संबंधी सभी तििाद ईछचतम न्यायालय द्वारा तनपिाया जाता है एिं ईसका
तनणनय ऄंततम होता है।

3. राष्ट्ट्रपतत की पदाितध

1. पद धारण करने की तततथ से 5 िषन तक


2. राष्ट्ट्रपतत ऄपनी पदाितध में तकसी भी समय ऄपना त्यागपत्र ईपराष्ट्ट्रपतत को दे
सकता है।
3. राष्ट्ट्रपतत को ईसके कायनकाल पूरा होने से पूिन महातभयोग की प्रतक्रया द्वारा ही पद
से हिाया जा सकता है।

4. राष्ट्ट्रपतत के तलए ऄहनताएँ

 कोइ व्यतक्त राष्ट्ट्रपतत तभी तनिानतचत होगा जब िह


1. भारत का नागररक हो

2. 35 िषन की अयु पूणन कर चुका हो

3. लोकसभा का सदस्य तनिान तचत होने की योग्यता रखता है

4. तकसी लाभ के पद पर ना हो।

5. राष्ट्ट्रपतत के चुनाि के नामांकन के तलए ईम्मीदिारों के तलए कम से कम 50

प्रस्तािक एिं 50 ऄनुमोदक होने चातहए ऄन्यथा िह ऄपनी ईम्मीदिारी खो देगा।

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5. राष्ट्ट्रपतत के तलए शतें

 वह व्यजक्त िो संसद के तकसी भी सदन का सदस्य ऄथिा राज्य तिधानसभा का


सदस्य है राष्ट्ट्रपतत तनिानतचत होने पर ईसे सदन की सदस्यता छोड़नी पड़ती है।
 वह कोइ ऄन्य लाभ का पद धारण नहीं करेगा
 राष्ट्रपजत को संसद द्वारा तनधानररत ईपलजधधयां, भत्ते और जवशेषाजधकार प्राप्त होंगे।
 ईसकी ईपलतब्धयां और भत्ते ईसकी पदाितध के दौरान कम नहीं तकए िाएगं ।े
 राष्ट्ट्रपतत को ईछचतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा पद और गोपनीयता की
शपथ तदलाइ िाती है।
 यजद मुख्य न्यायाधीश नहीं है तो ऐसी तस्थतत में ईछचतम न्यायालय के ही िररष्ठतम
न्यायाधीश द्वारा आस कायग को सपं न्न जकया िाता है।

6. राष्ट्ट्रपतत पर महातभयोग (IMPEACHMENT)

 भारतीय संतिधान के ऄनुछछे द 61 में “संतिधान का ऄततक्रमण करने” पर संसद


को यह शतक्त है तक िह महातभयोग की प्रतक्रया द्वारा राष्ट्ट्रपतत को हिा सकता है।
 महातभयोग संबंधी अरोप संसद के तकसी भी सदन में लगाया िा सकता है लेजकन
शतें तसफन आतनी होती है जक ऐसा करने के तलए 14 तदन पूिन राष्ट्ट्रपतत को नोतिस
देना होता है और यह नोतिस सदन की कुल सख् ं या के कम से कम एक चौथाइ
सदस्यों द्वारा हस्ताक्षररत होने िाजहए।
 ऐसी जस्थजत में तजस सदन में अरोप लगाया िाता है ईसमें सदन की कुल सदस्य
ं या के दो ततहाइ बहुमत से सक
सख् ं ल्प पाररत कर ऄगले सदन में भेज तदया िाता है
जिससे आन अरोपों की िांि हो सके ।
 दूसरे सदन में राष्ट्ट्रपतत ऄपना पक्ष रख सकता है
 यजद दूसरे सदन में आन अरोपों को सही पाया िाता है तो ईस सदन की कुल सदस्य
संख्या के दो ततहाइ बहुमत से प्रस्ताि पाररत कर तदया जाता है।
 आस प्रकार महातभयोग की प्रतक्रया पूरी होती है एवं राष्ट्ट्रपतत को प्रस्ताि पाररत होने
की तततथ से पद से हि जाना पड़ता है।
 राष्ट्ट्रपतत पर महातभयोग की प्रतक्रया में के िल और के िल सस ं द के दोनों सदनों के
तनिानतचत एिं मनोनीत सदस्य ही भाग ले सकते हैं राज्य जवधानसभाओ ं के सदस्य नहीं।
 ऄभी तक जकसी भी राष्ट्रपजत पर महाजभयोग नहीं िलाया गया है।
 महातभयोग एक ऄधन न्यातयक प्रतक्रया है।

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7. राष्ट्ट्रपतत के पद की ररक्तता

1. 5 िषन के कायनकाल समातप्त पर


2. राष्ट्ट्रपतत के त्यागपत्र देने पर
3. राष्ट्ट्रपतत की मृत्यु पर
4. महातभयोग प्रतक्रया द्वारा हिाए जाने पर
5. पद के ग्रहण करने की ऄहनता न रखने पर तनिानचन ऄिैध घोतषत होने पर।

8. पद ररक्तता की तस्थतत में राष्ट्ट्रपतत के कायों का तनिनहन

 राष्ट्ट्रपतत की बीमारी ऄनुपतस्थतत या ऄन्य कारणों से ऄपने पद पर कायन करने की


ऄसमथनता के कारण ईपराष्ट्ट्रपतत द्वारा कायों का तनष्ट्पादन तकया जाता है ऄगर
ईपराष्ट्ट्रपतत भी ईपतस्थत ना हो तो ऐसी तस्थतत में मुख्य न्यायाधीश कायनिाहक
राष्ट्ट्रपतत के रूप में कायन करेगा।
 भारत के मुख्य न्यायाधीश की गैर हातजरी में ईछचतम न्यायालय का िररष्ठतम
न्यायाधीश कायनिाहक राष्ट्ट्रपतत के रूप में कायग करे गा।
 ईपराष्ट्ट्रपतत, राष्ट्ट्रपतत के पुनः पद ग्रहण करने तक कायनिाहक राष्ट्ट्रपतत के रूप में
कायन करता है।

9. भारत के राष्ट्ट्रपतत द्वारा तनयुक्त तकए जाने िाले लोग

1. प्रधानमंत्री तथा सघं के ऄन्य मंत्री


2. महान्यायिादी
3. महातनयंत्रक ि महालेखा परीक्षक
4. ईछचतम न्यायालय और ईछच न्यायालय के न्यायाधीश
5. मुख्य चुनाि अयुक्त एिं ऄन्य चुनाि अयुक्त
6. संघ लोक सेिा अयोग के ऄध्यक्ष और सदस्य
7. राज्य के राज्यपाल और ईपराज्यपाल एिं प्रशासक
8. तित्त अयोग के ऄध्यक्ष और सदस्य
राष्ट्ट्रपतत की शतक्तयां
1. कायनकारी शतक्त (EXECUTIVE POWER)

 संघ की कायनपातलका शतक्त राष्ट्ट्रपतत में तनतहत है जिसे िह स्ियं ऄथिा ऄपने
ऄधीनस्थ ऄतधकाररयों द्वारा प्रयुक्त करता है।

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 राष्ट्ट्रपतत को मंत्रणा या सलाह देने के तलए एक मंत्री पररषद का प्रावधान जकया गया
है तजसका प्रधान प्रधानमंत्री होता है – ऄनुछछे द 74 (1)
 राष्ट्ट्रपतत प्रधानमंत्री की तनयुतक्त करता है और ऄन्य मंतत्रयों की तनयुतक्त प्रधानमंत्री
की सलाह से करता है।
 राष्ट्ट्रपतत ऄंतरानज्यीय पररषद का गठन करता है।
 राष्ट्ट्रपतत, ऄनुसूतचत क्षेत्र तथा ऄनुसूतचत जनजातीय क्षेत्रों की प्रशासकीय शतक्त
रखता है एवं िह तकसी भी क्षेत्र को ऄनस ु तू चत क्षेत्र घोतषत कर सकता है।
 राष्ट्ट्रपतत तित्त अयोग और ऄन्य अयोग (जैसे ऄनुसूतचत जातत ऄनुसूतचत
जनजातत एिं ऄन्य तपछड़ा िगों) के तलए अयोग का गठन कर सकता है।
 राष्ट्रपजत, जवधाजयका के प्रस्ताव एवं संघ के प्रशासजनक कायों से संबंजधत िानकारी की
मांग प्रधानमत्रं ी से कर सकता है।
2. तिधायी शतक्तयां LEGISLATIVE POWER

 राष्ट्रपजत संसद की बैठक को बुला सकता है और सत्रािसान कर सकता है।


 लोकसभा का तिघिन कर सकता है एवं संसद के संयुक्त ऄतधिेशन का अिाहन
कर सकता है।
 प्रत्येक िषन संसद के प्रथम ऄतधिेशन और प्रत्येक ने चुनाि के बाद राष्ट्ट्रपतत संसद
को संबोतधत करता है।
 संसद में कुछ तिशेष प्रकार के तिधायकों को प्रस्तुत करने के जलए राष्ट्ट्रपतत की पिू न
ऄनुमतत की अिश्यकता होती है। िैसे – धन तिधेयक और राज्यों के नाम और
सीमा पररितनन से संबंतधत तिधेयक।
 यजद कोइ जवधेयक सस ं द द्वारा पाररत होकर राष्ट्ट्रपतत के पास भेजा जाता है तो वह ईसे
1. स्िीकृतत दे सकता है,

2. ऄपनी स्िीकृतत सुरतक्षत रह सकता है,

3. तिधेयक को सस ं द के पनु तिनचार के तलए लौिा सकता है।


 धन तिधेयक को राष्ट्ट्रपतत संसद के पुनतिनचार के तलए नहीं लौिा सकता है।
 ऄनुछछे द 123 के तहत ऄध्यादेश जारी कर सकता है।
 तनयंत्रक महालेखा परीक्षक, संघ लोक सेिा अयोग, तित्त अयोग और ऄन्य की
ररपोिन सस ं द के समक्ष रखता है।

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3. न्यातयक शतक्तयां (JUDICIAL POWER)

 राष्ट्रपजत ईछचतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एवं ऄन्य न्यायाधीशों की तनयुतक्त


करता है साथ ही राज्य के ईछच न्यायालयों के न्यायाधीशों की तनयुतक्त करता है।
 राष्ट्ट्रपतत ईछचतम न्यायालय से सलाह ले सकता है परंतु न्यायालय का सलाह
राष्ट्ट्रपतत पर बाध्यकारी नहीं होती है।
 ऄनुछछे द 72 के तहत राष्ट्ट्रपतत तकसी ऄपराध के तलए दोष तसद्ध व्यतक्त को क्षमा
ऄथागत दिं ादेश का तनलंबन, प्राणदिं , स्थगन, राहत और माफी प्रदान कर सकता है।
 अपातकालीन शतक्तया, अपातकालीन जस्थजत, से जनपटने के जलए भारत के राष्ट्ट्रपतत
को तीन पररतस्थततयों में सत्या प्रदान की गइ
1. राष्ट्ट्रीय अपात के संदभन में ऄनुछछे द – 352

2. राष्ट्ट्रपतत शासन के सद
ं भन में ऄनछु छे द – 356 – 365
3. तित्तीय अपात के संदभन में ऄनुछछे द – 360

4. राष्ट्ट्रपतत की िीिो शतक्त (VETO POWER)

 संतिधान के ऄनुछछे द 111 के ऄंतगनत तिधेयक के सदं भग में राष्ट्ट्रपतत के पास तीन
तिकल्प होते हैं
1. ऄपनी सहमतत दे दे

2. ऄपनी सहमतत को सुरतक्षत रख ले

3. तिधेयक धन तिधेयक को छोड़कर पुनतिनचार के तलए

सस
ं द को िापस लौिा दे। ऐसी तस्थतत में यतद सस ं द तिधेयक में सश ं ोधन तकये ऄथिा तबना
संशोधन तिधेयक राष्ट्ट्रपतत के पास भेजती है तो राष्ट्ट्रपतत को ईस पर ऄपनी सहमतत देनी ही
पड़ती है। - तनलंबनकारी िीिो

5. ऄध्यादेश (ORDINANCE) की ऄितध

 ऄध्यादेश संसद की पुनः बैठक होने पर दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत जकया िाता है।
 यजद ससं द के दोनों सदन ऄध्यादेश को पाररत कर देते हैं तो ऄध्यादेश काननू का
रूप ले लेता है।
 यतद संसद द्वारा आस पर कारनिाइ नहीं की जाती है तो संसद की दोबारा बैठक के 6
सप्ताह बाद यह ऄध्यादेश समाप्त हो िाएगा
 यजद संसद के दोनों सदन ऄध्यादेश पर तनरनुमोदन कर दें तो यह जनधागररत 6 सप्ताह की
ऄितध से पहले ही समाप्त हो िाएगा।

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 जकसी ऄध्यादेश की ऄतधकतम ऄितध 6 महीने तक हो सकती है एवं संसद की
मंजूरी न तमलने पर छह हफ्तों की होती है।

6. राष्ट्ट्रपतत की क्षमादान करने की शतक्त

भारतीय संजवधान के ऄनुछछे द 72 के ऄंतगनत राष्ट्ट्रपतत ने दोषी करार तदए गए व्यतक्त की


सजा को क्षमा कर सकता है


1. संघीय तितध के तिरुद्ध दतं ित व्यतक्त को

2. सैन्य न्यायालय द्वारा दतं ित व्यतक्त को

3. मृत्युदिं पाए हुए व्यतक्त को


राष्ट्ट्रपतत की क्षमादान शतक्त
लघु करण सजा की प्रकृतत को बदलना जैसे –
COMMUTE मृत्यु दिं को कठोर कारािास में पररिततनत करना
पररहार सजा की मात्रा को बदलना जैसे –
REMIT 2 िषन के कठोर कारािास को 1 िषन में बदलना
तिराम तिशेष पररतस्थततयों की िजह से सजा कम करना
RESPITE जैसे - मतहलाओ ं की गभानिस्था की ऄितध के कारण
प्रातिलबं न तकसी दिं को कुछ समय के तलए िालने की प्रतक्रया
SUSPEND जैसे – फांसी के संदभन में फांसी को िालने के तलए
क्षमा पूणनतः माफ कर देना

राष्ट्ट्रपतत से संबंतधत महत्िपूणन ऄनुछछे द


ऄनछु छे द मूल तिषय िस्तु
53 संघ की कायनपातलका शतक्त
55 राष्ट्ट्रपतत की तनिानचन पद्धतत
60 राष्ट्ट्रपतत द्वारा शपथ ग्रहण
61 राष्ट्ट्रपतत पर महातभयोग चलाने की प्रतक्रया
72 राष्ट्ट्रपतत की क्षमादान की शतक्त
74 मंत्री पररषद का राष्ट्ट्रपतत को सलाह एिं सहयोग प्रदान करना
111 संसद द्वारा पाररत तिधेयक पर सहमतत प्रदान करना िीतियो की शतक्त
112 िातषनक तित्तीय तििरण
123 ऄध्यादेश जारी करने की शतक्त

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143 राष्ट्ट्रपतत की सिोछच न्यायालय से सलाह लेने की शतक्त

भारत के राष्ट्ट्रपतत
तिजयी ईम्मीदिार तनिानचन िषन
िॉ राजेंद्र प्रसाद 1952
िॉ राजेंद्र प्रसाद 1957
िॉ एस राधाकृष्ट्णन 1962
िॉ जातकर हुसैन 1967
िीिी तगरी 1969
फखरुद्दीन ऄली ऄहमद 1974
नीलम संजीि रेि्िी 1977
ज्ञानी जैल तसहं 1982
अर िेंकिरमन 1987
िॉ शक ं र दयाल शमान 1992
के अर नारायणन 1997
िॉ एपीजे ऄब्दुल कलाम 2002
िॉक्िर श्रीमती प्रततभा पातिल 2007
प्रणि मुखजी 2012
रामनाथ कोतिंद 2017

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भारत का ईपराष्ट्ट्रपतत
VICE PRESIDENT OF INDIA

 भारतीय कायगपाजलका व्यवस्था के ऄतं गगत ईपराष्ट्ट्रपतत का पद ऄमेररका के संतिधान से प्रेररत है।
 ऄतधकारी क्रम में ईपराष्ट्ट्रपतत का पद राष्ट्ट्रपतत के बाद दूसरा सिोछच पद है।
 ईपराष्ट्ट्रपतत राज्यसभा का पदेन सभापतत होता है।
 ऄब तक कुल 13 ईपराष्ट्ट्रपतत हुए हैं।

1. ईपराष्ट्ट्रपतत बनने की ऄहनताएँ

1. 35 िषन की अयु पूणन कर चुका हो


2. भारत का नागररक हो एिं
3. राज्यसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो
4. कें द्र सरकार या राज्य सरकार के ऄंतगनत तकसी लाभ के पद पर ना हो।
5. ईपराष्ट्ट्रपतत के पद नामांकन के तलए कम से कम 20 प्रस्तािक तथा 20 ऄनुमोदक
की अिश्यकता होती है।

2. ईपराष्ट्ट्रपतत का तनिानचन

 ईपराष्ट्रपजत का तनिानचन राष्ट्ट्रपतत की भांतत ऄप्रत्यक्ष तनिानचन के माध्यम से होता


है।
 आसके तनिानचक मंिल में संसद के तनिानतचत एिं मनोनीत सदस्य भाग लेते हैं।
 राज्य तिधान सभा के सदस्य शातमल नहीं होते।
 ईपराष्ट्ट्रपतत और राष्ट्ट्रपतत का चुनाि अनुपाततक प्रतततनतधत्ि के अधार पर
एकल संक्रमणीय मत द्वारा

3. ईपराष्ट्ट्रपतत की पदाितध

i. पद ग्रहण करने से लेकर 5 िषन तक


ii. तकसी भी समय िह ऄपना त्यागपत्र राष्ट्ट्रपतत को दे सकता
iii. राज्यसभा द्वारा संकल्प पाररत कर पूणन बहुमत द्वारा हिाया जा सकता है आसके तलए
शतन तसफन आतनी होती है तक 14 तदन पूिन नोतिस तदया गया हो।

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4. ईपराष्ट्ट्रपतत पद की ररक्तता

i) पदाितध 5 िषन समातप्त पर


ii) त्यागपत्र देने पर
iii) बखानस्त तकए जाने पर मृत्यु पर तनिानचन की िैधता पर

5. ईप राष्ट्ट्रपतत की शतक्तयां एिं कायन

 राज्यसभा के पदेन सभापतत के रूप में ईसकी शतक्तयां एिं कायन लोकसभा ऄध्यक्ष की
तरह होती है।
 राष्ट्ट्रपतत के रूप में िब ईपराष्ट्ट्रपतत को कायन करने का ऄिसर प्राप्त होता है वह
कायनिाहक राष्ट्ट्रपतत के रूप में कायन करता है राज्यसभा के सभापतत के रूप में कायन
नहीं करता।
 कायनिाहक राष्ट्ट्रपतत के रूप में िह ऄतधकतम 6 माह की ऄितध तक कायन कर सकता
है क्योंजक तब तक नए राष्ट्रपजत का जनवागिन होना तय रहता है।
 ईपराष्ट्ट्रपतत को जो िेतन जमलता है वह राज्यसभा के पदेन सभापतत होने की िजह से
तमलता है।
 ईपराष्ट्ट्रपतत के चुनाि संबंधी तििादों का तनपिारा भारत के सिोछच न्यायालय द्वारा
जकया िाता है एवं न्यायालय का तनणनय सिनमान्य होता है

. ईपराष्ट्ट्रपतत से संबंतधत महत्िपूणन ऄनुछछे द


ऄनुछछे द तिषय िस्तु
63 भारत का ईपराष्ट्ट्रपतत
64 ईपराष्ट्ट्रपतत का राज्यसभा का पदेन सभापतत होना
69 ईपराष्ट्ट्रपतत द्वारा शपथ ग्रहण
70 ईपराष्ट्ट्रपतत द्वारा राष्ट्ट्रपतत के कतनव्यों का तनिनहन से

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भारत का प्रधानमंत्री
PRIME MINISTER OF INDIA

 ऄनछु छे द 75(1) राष्ट्ट्रपतत द्वारा प्रधानमंत्री की तनयुतक्त का प्रािधान करता है।


 लोकसभा के जनवागिन के बाद राष्ट्रपजत बहुमत प्राप्त दल के नेता को प्रधानमंत्री तनयुक्त करता है एवं
स्पष्ट बहुमत न होने की तस्थतत में राष्ट्ट्रपतत ऄपने तििेक का प्रयोग करते हुए सबसे बड़े दल के
तकसी नेता को प्रधानमंत्री तनयुक्त कर सकता है।
 ऄब तक कुल 16 प्रधानमंत्री हुए हैं।
िे प्रधानमंत्री जो राज्यसभा के सदस्य होते हुए प्रधानमंत्री बने ईनका नाम तनम्नतलतखत है
 आतं दरा गांधी (1966) एच िी देिगौड़ा (1996) िॉ मनमोहन तसहं (2004 और 2009) में राज्यसभा
के सदस्य थे।
 प्रधानमंत्री को पद एिं गोपनीयता की शपथ राष्ट्ट्रपतत जदलाता है
 प्रधानमंत्री राष्ट्ट्रपतत के प्रसादपयंत कायन करता है परंतु आसका ऄथग यह नहीं है जक प्रधानमत्रं ी को िब
िाहा कभी बखागस्त कर जदया िाए।
 राष्ट्ट्रपतत ऐसा तभी कर सकता है जब प्रधानमंत्री लोकसभा में ऄपना बहुमत खो दे।
 आसके ऄलािा प्रधानमंत्री का कायनकाल सामान्यतः 5 िषन का होता है और ईसके पहले यतद
प्रधानमंत्री चाहे तो ऄपना त्यागपत्र देकर ऄपना पद छोड़ सकता है।
 ऐसी तस्थतत में पूरे मंत्री पररषद को बखानस्त होना पड़ता है।
 यजद प्रधानमंत्री की मृत्यु हो जाए तो भी पूरी मंत्री पररषद बखानस्त हो जाती है
 भारतीय सतं िधान में प्रधानमंत्री की शतक्तयों का ईल्लेख नहीं है।

िे प्रधानमंत्री जो मुख्यमंत्री रह चुके हैं


मुख्यमंत्री राज्य
मोरारजी देसाइ मुंबइ
चौधरी चरण तसहं ऄतिभातजत ईत्तर प्रदेश (दो बार)
िीपी तसंह ईत्तर प्रदेश
पी िी नरतसम्हा राि अध्रं प्रदेश
एच िी देिगौड़ा कनानिक
नरेंद्र मोदी गुजरात

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प्रधानमंत्री की प्रमुख शतक्तयां एिं कायन तनम्नतलतखत हैं

1. मंत्री पररषद के संदभन में नीतत तनमानता के रूप में

1. प्रधानमंत्री भी एक मंत्री होता है परंतु वह ऄपने समकक्ष मंतत्रयों में प्रधान होता है
2. प्रधानमत्रं ी मंत्रीपररषद की बैठक की ऄध्यक्षता करता है एवं ईजित जदशा जनदेश देता है
3. प्रधानमत्रं ी तकसी भी मंत्री को त्यागपत्र देने ऄथवा राष्ट्ट्रपतत से ईस को बखानस्त करने की
सलाह दे सकता है।
4. प्रधानमत्रं ी स्ियं त्यागपत्र देकर पूरी मंत्री पररषद को बखानस्त कर सकता है।
2. राष्ट्ट्रपतत के सदं भन में

 सघं के प्रशासन और जवधान से संबंजधत ऐसी सिू नाओ ं को प्रदान करें जिसकी राष्ट्रपजत मांग करें ।
 प्रधानमत्रं ी राष्ट्ट्रपतत को सलाह एिं परामशन देकर तितभन्न ऄतधकाररयों की तनयुतक्त करवाता
है िैसे
1. भारत का महान्यायिादी

2. महातनयंत्रक एिं महालेखा परीक्षक

3. संघ लोक सेिा अयोग का ऄध्यक्ष एिं ईसके सदस्य

4. तित्त अयोग के ऄध्यक्ष एिं ईसके सदस्य

3. सस
ं द के सबं ध
ं में

 प्रधानमत्रं ी लोकसभा का नेता होता है।


 राष्ट्रपजत को सत्र अहूत करने एिं सत्रािसान करने संबंधी प्ररामशग देता है।

 लोकसभा के तिघिन की तसफाररश प्रधानमंत्री द्वारा तकसी भी समय राष्ट्ट्रपतत से की जा

सकती है।
तनम्नतलतखत का ऄध्यक्ष होता है
1. प्रधानमंत्री नीतत अयोग

2. राष्ट्ट्रीय तिकास पररषद


3. ऄंतरान ज्यीय पररषद

4. राष्ट्ट्रीय जल संसाधन पररषद एिं

5. राष्ट्ट्रीय एकता पररषद

 प्रधानमत्र ं ी सेनाओ ं का राजनीततक प्रमुख होता है िबजक राष्ट्ट्रपतत तीनों सेनाओ ं का सिोछच
कमांिर होता है

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 अपातकाल के दौरान रािनीजतक स्तर पर अपदा प्रबंधन का सिे सिान प्रधानमंत्री होता है।
मंत्री पररषद
COUNCIL OF MINISTERS
संिैधातनक प्रािधान

 ऄनछु छे द 74 – राष्ट्ट्रपतत को सहायता और सलाह देने के तलए मंत्री पररषद


 ऄनुछछे द 75 – मंतत्रयों के बारे में ऄन्य ईपबंध
 मंत्री पररषद के सदस्यों की कुल सख् ं या लोकसभा की कुल सख् ं या के 15% से ऄतधक नहीं हो
सकती (91 िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 2003)।
 प्रधानमत्रं ी भी आसी 15% में शाजमल है।
 दल बदल के अधार पर सस ं द सदस्य की ऄयोग्यता की तस्थतत में मंत्री पद के तलए भी िह मंत्री
ऄयोग्य हो िाता है।
 राष्ट्ट्रपतत द्वारा मंतत्रयों को पद एिं गोपनीयता की शपथ जदलाइ िाती है एवं यह मंत्री राष्ट्ट्रपतत के
प्रसादपयंत कायन करते हैं।

1. ऄनुछछे द 88 –

सदन में मंतत्रयों के ऄतधकार


 मत्रं ी के पास तकसी भी सदन में बोलने एवं कायनिाही में भाग लेने का ऄतधकार होता है।
 ईछच सदन की संयुक्त बैठक तथा संसदीय सतमतत तजसका ईसे सदस्य बनाया गया हो की

बैठक में भाग लेने का ऄजधकार होता है।


2. मंतत्रयों का ईत्तरदातयत्ि

सामूतहक ईत्तरदातयत्ि व्यतक्तगत ईत्तरदातयत्ि तितधक ईत्तरदातयत्ि


लोकसभा के प्रतत राष्ट्ट्रपतत के प्रतत कोइ तितधक ईत्तरदातयत्ि नहीं

3. मंत्री पररषद की संरचना

 मंत्री पररषद में मंतत्रयों की तीन श्रेतणयां होती है


 कै तबनेि मंत्री, राज्य मंत्री, ईप मंत्री।

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भारत का महान्यायिादी
ATTORNEY GENERAL OF INDIA

 संतिधान के ऄनुछछे द 76 के ऄतं गगत भारत के महान्यायिादी के पद का प्रािधान जकया गया है।
 राष्ट्ट्रपतत द्वारा महान्यायिादी की तनयुतक्त होती है एवं यह राष्ट्ट्रपतत के प्रसादपयंत पद धारण करता
है।
 यह देश का सिोछच काननू ी ऄतधकारी होता है जो ईछचतम न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यता
रखता है।
 यह भारत सरकार को तितध मामले में ऐसे तिषयों पर सलाह देता है जो राष्ट्ट्रपतत द्वारा सौंपे गए हैं।
 क्योंजक यह राष्ट्ट्रपतत के प्रसादपयंत पद धारण करता है तो आसके कायनकाल की कोइ तनतित ऄितध
नहीं है।

शतक्तयां

 भारत के तकसी भी ऄदालत में सुनिाइ का ऄतधकार रखता है


 संसद के दोनों सदनों एिं सतमततयों में जा सकता है (मतदान देने का ऄतधकार नहीं है।)
 महान्यायिादी को संसदीय तिशेषातधकार ऄथागत सांसदों को तमलने िाले सारे ऄतधकार जमलते हैं।

कायनकाल की समातप्त

 राष्ट्ट्रपतत द्वारा हिाए जाने पर राष्ट्ट्रपतत को त्यागपत्र देकर सरकार मंत्री पररषद द्वारा त्यागपत्र देने
पर।
शपथ एिं त्यागपत्र
पद शपथ त्यागपत्र
राष्ट्ट्रपतत मुख्य न्यायाधीश ईपराष्ट्ट्रपतत
ईपराष्ट्ट्रपतत राष्ट्ट्रपतत राष्ट्ट्रपतत
राज्यपाल राज्य ईछच न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश राष्ट्ट्रपतत
मुख्य न्यायाधीश राष्ट्ट्रपतत राष्ट्ट्रपतत
प्रधानमंत्री राष्ट्ट्रपतत राष्ट्ट्रपतत
लोकसभा ऄध्यक्ष शपथ नहीं होता है ईपाध्यक्ष

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राज्य की कायनपातलका

A. राज्यपाल

 सजं वधान के भाग 6 में ऄनुछछे द 153 से 167 के ऄंतगनत राज्य की कायनपातलका के बारे में प्रािधान
है।
 राष्ट्रपजत की तरह राज्यपाल राज्य का प्रमुख होता है और राज्य के मुतखया मुख्यमंत्री की सलाह से
कायन करता है।
 संजवधान के ऄनछु छे द 154 में प्रािधान है तक राज्य की कायनपातलका शतक्त राज्यपाल में तनतहत
होगी तथा वह शजक्त का प्रयोग स्वयं या ऄपने ऄधीनस्थ ऄजधकाररयों के द्वारा करे गा।
 सजं वधान के ऄनुछछे द 155 के ऄंतगनत राज्यपाल की तनयुतक्त राष्ट्ट्रपतत करता है।
 राज्यपाल राज्य का प्रमुख होने के साथ-साथ कें द्र के प्रतततनतध के रूप में कायन करता है।
 संजवधान के ऄनस ु ार एक व्यतक्त को दो या दो से ऄतधक राज्यों का राज्यपाल तनयुक्त तकया िा
सकता है।
1. योग्यताएं

1. भारत का नागररक हो
2. 35 िषन की अयु परू ी कर चुका हो
3. तकसी राज्य ऄथिा संघ सरकार के ऄंतगनत लाभ का पद ना धारण करता हो
4. िह संसद ऄथिा तिधानसभा का सदस्य नहीं होना चातहए।

2. शपथ

 सजं वधान के ऄनुछछे द 159 के ऄनुसार राज्यपाल को शपथ ईस राज्य के ईछच न्यायालय के
मुख्य न्यायाधीश के समक्ष लेनी होती है।
 संजवधान के ऄनुछछे द 156 के ऄनुसार राज्यपाल राष्ट्ट्रपतत के प्रसादपयंत पद धारण करेगा।

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1. राज्यपाल की शतक्तयां एिं कायन
कायनकारी शतक्तयां

 राज्य सरकार के सभी कायनकारी कायन औपचाररक रूप से राज्यपाल के नाम से होते हैं।
 वह मुख्यमंत्री एिं मंत्री पररषद के सदस्यों को तनयुक्त करता है।
 राज्य लोक सेिा अयोग के ऄध्यक्ष एिं सदस्य राज्य के महातधिक्ता राज्य के तनिानचन अयोग
के ऄध्यक्ष की तनयुतक्त राज्य तित्त अयोग राज्य के तिश्वतिद्यालयों के कुलपतत की तनयुतक्त
राज्यपाल द्वारा की जाती है।
 राज्य लोक सेिा अयोग के ऄध्यक्ष एिं सदस्यों को हिाने की शतक्त राज्यपाल के पास नहीं
ऄतपतु राष्ट्ट्रपतत के पास है।
 राज्यपाल राष्ट्ट्रपतत से राज्य में संिैधातनक अपातकाल के जलए जसफाररश कर सकता है।

2. तित्तीय शतक्तयां

 राज्यपाल पच
ं ायतों एिं नगरपातलकाओ ं की तित्तीय तस्थतत की समीक्षा के जलए प्रत्येक 5 िषन राज्य
पर तित्त अयोग का गठन करता है।
 राज्यपाल के तबना पूिन ऄनुमतत के धन तिधेयक को राज्य तिधानसभा में प्रस्तुत नहीं तकया जा
सकता।

3. न्यातयक शतक्तयां

 ू ी के जवषय पर क्षमादान की शतक्तयां प्राप्त है।


राज्यपाल को राष्ट्ट्रपतत की भांतत राज्य सच
 राज्यपाल जकसी दोषी व्यतक्त के दिं को कम कर सकता है दिं की प्रकृतत में पररितनन कर सकता है।
 राज्यपाल ईछच न्यायालय के साथ तिचार कर तजला न्यायाधीशों की तनयुतक्त स्थानांतरण और
प्रोन्नतत कर सकता है।

4. तििेकाधीन शतक्तयां
1. तकसी तिधेयक को राष्ट्ट्रपतत के तिचाराथन अरतक्षत करना।
2. राज्य में राष्ट्ट्रपतत शासन की तसफाररश करना।
3. राज्य के तिधान मंिल एिं प्रशासतनक मामलों में मुख्यमंत्री से जानकारी मांगना।
4. मंत्री पररषद के ऄल्पमत में अने पर राज्य तिधानसभा को तिघतित करना।

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5. राज्यपाल की िीिो शतक्त

1. तिधेयक को स्िीकृतत प्रदान कर दे


2. तिधेयक पर ऄपनी स्िीकृतत सुरतक्षत रख ले
3. तिधेयक को पुनतिनचार के तलए तिधानमंिल के पास िापस भेज दे। यतद तिधान मंिल द्वारा
तिधेयक में संशोधन तकये ऄथिा तबना तकए पुनः राज्यपाल के पास भेज तदया जाता है तो ऐसी
तस्थतत में राज्यपाल ऄपनी स्िीकृतत देने के तलए बाध्य है।
4. राज्यपाल कुछ पररतस्थततयों में तिधेयक को राष्ट्ट्रपतत के तलए सुरतक्षत रख सकता है।

राज्यपाल से संबंतधत महत्िपूणन ऄनुछछे द


ऄनुछछे द तिषय िस्तु
153 राज्यों में राज्यपाल
154 राज्य की कायनपातलका शतक्त
155 राज्य में राज्यपाल की तनयुतक्त
161 क्षमा अतद की और कुछ मामलों में दिं ा देश के तनलंबन पररहार या लघु करण की
राज्यपाल की शतक्त।
163 मंत्री पररषद द्वारा राज्यपाल को सलाह एिं सहयोग देना
200 तिधेयक पर ऄनुमतत देना रोकना या राष्ट्ट्रपतत के तिचार के तलए अरतक्षत करना
201 राष्ट्ट्रपतत के तिचार के तलए अरतक्षत तिधेयक पर राष्ट्ट्रपतत द्वारा ऄनुमतत देना या रोक
लेना
213 राज्यपाल की ऄध्यादेश जारी करने की शतक्त।

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B. मख्
ु यमत्रं ी

 ऄनछु छे द 164 में प्रावधान है जक राज्य के मुख्यमंत्री की तनयुतक्त राज्य का राज्यपाल करेगा।
 ससं दीय व्यवस्था में राज्यपाल राज्य तिधानसभा से बहुमत प्राप्त दल के नेता को मुख्यमंत्री तनयुक्त
करता है।
 मुख्यमंत्री को ईसके पद एिं गोपनीयता की शपथ राज्यपाल तदलिाता है।
 मुख्यमंत्री का कायनकाल तनतित नहीं होता परंतु सामान्यतः 5 िषन तक राज्यपाल के प्रसादपयंत
ऄपने कतनव्यों एिं दातयत्िों का तनिनहन करता है।
 राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को तभी बखानस्त जकया िा सकता है िब मुख्यमंत्री तिधानसभा में ऄपना
बहुमत खो दें।
 मुख्यमंत्री के िेतन एिं भत्ते का तनधानरण राज्य तिधानमंिल करती है।

2. मुख्यमंत्री की शतक्तयां एिं कायन


मंत्री पररषद के सदं भन में

1. मंत्री पररषद की बैठक की ऄध्यक्षता करता है।


2. मुख्यमंत्री मंतत्रयों के तिभागों का तितरण एिं फे रबदल करता है तथा तनगरानी भी करता है।
3. मतभेद की तस्थतत में िह तकसी भी मंत्री से ईसका त्यागपत्र ले सकता है ऄथिा राज्यपाल को
सलाह देकर ईसे बखानस्त करिा सकता है।
4. मुख्यमंत्री ऄपना त्यागपत्र देकर परू ी मंत्री पररषद को बखानस्त कर सकता है

3. राज्यपाल के संबंध में

 राज्यपाल को मंत्री पररषद के सभी तनणनय और आससे संबंतधत जानकारी जो राज्यपाल मांग करें
ईसे देता है।
 मुख्यमंत्री राज्य के महातधिक्ता राज्य लोक सेिा अयोग के ऄध्यक्ष एिं सदस्यों की तनयुतक्त के
संबंध में राज्यपाल को परामशन देता है।

4. राज्य तिधान मंिल के संदभन में

 राज्यपाल को तिधानसभा का सत्र बुलाने एिं ईसे स्थतगत करने के संदभन में सलाह देना
 मुख्यमंत्री द्वारा तिधानसभा को तकसी भी समय तिघतित करने की तसफाररश करना
 सभा पिल पर सरकारी नीततयों की घोषणा करना

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5. ऄन्य

1. मुख्यमंत्री राज्य योजना बोिन का ऄध्यक्ष होता है।


2. मुख्यमंत्री ऄंतर राज्य पररषद और राष्ट्ट्रीय तिकास पररषद का सदस्य होता है तजसकी ऄध्यक्षता
प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
3. िह संबंतधत क्षेत्रीय पररषद के क्रमिार ईपाध्यक्ष के रूप में कायन करता है तजसका कायनकाल 1
िषन का होता है।
4. ि राज्य सरकार का मुख्य प्रिक्ता होता है।

C. राज्य मंत्री पररषद


 राज्यपाल के परामशन तथा सहायता के तलए भारतीय संतिधान में मंत्री पररषद की व्यिस्था की गइ
है।
 मंत्री पररषद की संरचना

 कै तबनेि मंत्री
 राज्य मंत्री
 ईप मंत्री
 मंत्री पररषद का कायन काल 5 िषन का होता है परंतु तिधानसभा में ऄपना बहुमत होने के पिात

मंत्री पररषद ऄपनी तनतित ऄितध से पहले ही तिघतित हो िाता है।


 ऄनछ ु छे द 365 के तहत जब राज्य में राष्ट्ट्रपतत शासन लगता है तो मंत्री पररषद भंग हो जाती है।
 मुख्यमंत्री के ऄनुरोध पर राज्यपाल द्वारा मंत्री पररषद को भंग तकया जा सकता है।

मंत्री पररषद से संबंतधत महत्िपूणन ऄनुछछे द


ऄनुछछे द तिषय िस्तु
163 राज्यपाल को सलाह एिं सहायता के तलए मंत्री पररषद के गठन का प्रािधान
166 राज्य सरकार के कायन का सच ं ालन
167 मुख्यमंत्री का राज्यपाल को सूचना देने का कतनव्य

D. महातधिक्ता
 भारतीय संजवधान के ऄनछु छे द 165 के ऄनसु ार राज्यपाल द्वारा महातधिक्ता की तनयुतक्त की िाती है।
 राज्य का सिोछच तितध ऄतधकारी महातधिक्ता होता है।
 महातधिक्ता राज्यपाल के प्रसादपयंत कायन करता है।

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 महाजधवक्ता ईछच न्यायालय का न्यायाधीश होने की ऄहनता रखता है।
ईत्तरदातयत्ि

 राज्य सरकार को तितध संबंधी तिषयों पर सलाह देना िो राज्यपाल को सौंपी गए हैं।
 राज्य का महातधिक्ता तिधानसभा की कायनिाही में भाग ले सकता है बोल सकता है परंतु मतदान में
का ऄतधकार नहीं होता।
 ईसे भी सभी तिशेषातधकार तथा िेतन और भत्ते तदए जाते हैं जो तिधानमंिल के तकसी सदस्य को
तमलते हैं।

10. तिधातयका

संघीय विधातयका राज्य विधातयका

संसद राज्य विधानमंडऱ

राष्रऩतत राज्यसभा ऱोकसभा राज्यऩाऱ विधानसभा विधान ऩररषद


(उच्च सदन) (तनम्न
सदन

संघीय तिधातयका
FEDERAL LEGISLATURE

 संसदीय शासन व्यिस्था के ऄतं गगत कें द्र में तद्वसदनीय व्यिस्था को ऄपनाया गया है।
 कें द्र में दो सदन होते हैं राज्यसभा (ईछच सदन) और लोकसभा (तनम्न सदन)
 लोकसभा के सदस्यों का तनिानचन प्रत्यक्ष रूप से िनता करती है और यह एक ऄस्थाइ सदन है।
 लोकसभा को कभी भी भंग तकया जा सकता है।
 राज्यसभा एक स्थाइ सदन है ऄथागत आसका तिघिन नहीं होता है।

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 लोकसभा संपणू ग भारत के लोगों का प्रजतजनजधत्व करती है तो राज्यसभा कें द्र में राज्यों और कें द्र शाजसत
प्रदेशों का प्रजतजनजधत्व करती है।

1. राज्यसभा
 भारतीय संजवधान का ऄनुछछे द 80 राज्य सभा के गठन का प्रावधान करता है।
 राज्य सभा के सदस्यों की ऄतधकतम संख्या 250 हो सकती है परंतु ितनमान में यह 245 है।
 आनमें से राष्ट्ट्रपतत द्वारा सातहत्य, तिज्ञान, कला और समाज सेिा के संबंध में जवशेष ज्ञान रखने िाले
12 सदस्यों को मनोनीत तकया जाता है।
 प्रत्येक राज्य से जकतने सदस्य होंगे आसका जनधागरण राज्य जवशेष की िनसंख्या के अधार पर होता है।
 वतगमान समय में ईत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्यों की संख्या सिानतधक (31) है।
राज्यसभा के सदस्य होने की ऄहनता

भारत का नागररक हो
1.

2. 30 िषन की अयु पण ू न कर चुका हो


3. तकसी लाभ के पद पर ना हो

4. तिकृत मतस्तष्ट्क का ना हो।

 राज्यसभा एक स्थाइ सदन है ऄथागत राज्यसभा का तिघिन कभी नहीं होता है।
 राज्यसभा के सदस्यों का कायन काल तनतित होता है आस सदन का प्रत्ये क सदस्य 6 िषन के तलए चुना

जाता है एवं प्रत्येक 2 िषन के बाद एक ततहाइ सदस्य सेिातनिृत्त हो िाते हैं।
 भारत का ईप राष्ट्ट्रपतत राज्यसभा का पदेन सभापतत होता है जो राज्यसभा का सदस्य नहीं होता है।

 राज्यसभा के सभापतत को हिाने के तलए 14 तदन पूिन सूचना के साथ राज्यसभा में प्रस्ताि पास

तकया जाता है।

राज्यसभा की शतक्तयां एिं कायन

 गैर तित्तीय तिधेयक के सदं भग में लोकसभा की भांतत राज्यसभा को भी ईतनी ही शतक्त प्राप्त है। ऐसे
तिधेयक दोनों सदनों की सहमतत के बाद ही काननू बनते हैं।
 संतिधान संशोधन तिधेयकों के संदभग में राज्यसभा की शतक्तयां लोकसभा की शतक्तयों के बराबर
है।
 धन तिधेयक के सदं भन में राज्यसभा को 14 तदनों के भीतर तिचार करके ऄपनी राय लोकसभा को
भेजनी होती है।

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 ऄनुछछे द 249 के ऄतं गगत राज्यसभा राज्य सूची में शातमल तकसी तिषय को राष्ट्ट्रीय महत्ि का
घोतषत कर सकती है।
 ऄनुछछे द 312 के तहत राज्यसभा ईपतस्थत और मतदान करने िाले दो ततहाइ सदस्यों के समथनन से
कोइ नइ ऄतखल भारतीय सेिा स्थातपत कर सकती है।

2. लोकसभा
 भारतीय संजवधान का ऄनुछछे द 81 लोकसभा के गठन का प्रािधान करता है।
 लोकसभा में ऄतधकतम सदस्यों की सख् ं या 552 हो सकती है।
 ऄनुछछे द 331 के तहत यजद राष्ट्ट्रपतत की राय में अग्ं ल भारतीय समुदाय का प्रतततनतधत्ि पयानप्त
नहीं है तो वह ईस समुदाय की ऄतधकतम दो प्रतततनतधयों को मनोनीत कर सकता है।
 लोकसभा के सदस्यों का चुनाि प्रादेतशक प्रतततनतधत्ि प्रणाली के अधार पर एकल तनिानचन क्षेत्र
में जनता द्वारा प्रत्यक्ष तनिानचन से होता है।
 लोकसभा के सदस्यों का तनिानचन सािनभौतमक व्यस्क मतातधकार (18 िषन) के अधार पर होता है।
लोकसभा के सदस्यों की ऄहनता
1. िह भारत का नागररक हो
2. 25 िषन की अयु पूणन कर चुका हो

3. भारत सरकार या राज्य सरकार के ऄधीन तकसी लाभ के पद पर ना हो।


 लोकसभा की ऄितध 5 िषन की होती है।
 लोकसभा राज्यसभा की तरह स्थाइ सदन नहीं है ऄथागत आस का तिघिन 5 िषन या आससे पहले हो
सकता है।
 प्रधानमंत्री या मंत्री पररषद द्वारा राष्ट्ट्रपतत को सलाह देने पर राष्ट्ट्रपतत लोकसभा को तनतित
ऄितध से पहले ही भंग कर सकता है।

लोक सभा के पदातधकारी


 लोकसभा का ऄध्यक्ष लोकसभा का सदस्य होता है।
 लोकसभा ऄध्यक्ष की ऄलग से तकसी शपथ की व्यिस्था का प्रािधान नहीं है वह लोकसभा
सदस्य के रूप में शपथ लेता है।
 यजद लोकसभा ऄध्यक्ष का पद ररक्त हो तो ईपाध्यक्ष ईसकी भजू मका का जनवागह करता है।
 लोकसभा में मतभेद की ऄिस्था में ऄध्यक्ष का तनणनय ऄंततम होता है।
 कोइ तिधेयक, धन तिधेयक है या नहीं आसका तनधानरण लोकसभा ऄध्यक्ष द्वारा तकया जाता है।

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 दोनों सदनों में जकसी तिधेयक के संदभन में गततरोध की तस्थतत में सदनों की संयुक्त बैठक की
ऄध्यक्षता लोकसभा ऄध्यक्ष करता
 जकसी प्रस्ताि के पक्ष और तिपक्ष में बराबर मत पड़ने पर लोकसभा ऄध्यक्ष ऄपना तनणानयक मत
दे सकता है।
 दल बदल तिरोधी कानून के तहत लोकसभा ऄध्यक्ष को यह ऄतधकार है जक वह तकसी सदस्य के
संबंध में दल बदल संबंधी तशकायत तमलने पर ईसकी तनरनहता पर फै सला करें ।
 लोक सभा की बैठक के जलए गणपतू तन कुल सदस्य सख् ं या का कम से कम 1 / 10 होता है जिसे कोरम
कहते हैं।
 प्रोिेम स्पीकर की तनयुतक्त राष्ट्ट्रपतत द्वारा की िाती है िो सामान्यतः लोकसभा का सबसे िररष्ठ
सदस्य होता है।
 प्रोिेम स्पीकर नितनिानतचत लोकसभा सदस्यों का शपथ ग्रहण करिाता है तत्पश्चात आसका पद
स्ित: समाप्त हो जाता है।
 लोकसभा महासतचि को चुनने और तनयुक्त करने का ऄतधकार लोकसभा ऄध्यक्ष को है।
 महासतचि एक प्रशासतनक पद होता है िो सदन से संबंतधत सभी प्रशासतनक कायनिाही का
संचालन करता है

लोकसभा की शतक्तयां एिं कायन


 सभी प्रकार के तिधेयकों के मामले में लोकसभा को राज्यसभा के समान या ईससे ज्यादा
शतक्तयां प्राप्त है।
 धन तिधेयक (ऄनुछछे द 110) तथा तित्त तिधेयक प्रकार एक तसफन लोकसभा में ही प्रस्तातित जकए
िा सकते हैं।
 तकसी तिधेयक के संदभन में दोनों सदनों में गततरोध होने की तस्थतत में संयुक्त बैठक बुलाइ िाती है
जिसकी ऄध्यक्षता लोकसभा ऄध्यक्ष करता है।
 सयं ुक्त बैठक का प्रािधान ऄनछु छे द 108 में है।
 संतिधान संशोधन तथा धन तिधेयक को छोड़कर ऄन्य सभी मामलों में संयुक्त बैठक बुलाए जाने
का प्रािधान है।
 कायनपातलका पर लोकसभा का प्रभािी तनयंत्रण होता है।
 कोइ तिधेयक धन तिधेयक है ऄथिा नहीं आसका तनधानरण लोकसभा ऄध्यक्ष द्वारा तकया जाता
है।
 सिोछच न्यायालय या ईछच न्यायालय के न्यायाधीशों को पद से हिाने के तलए लोकसभा की
सहमजत अवश्यक है।

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 लोकसभा राष्ट्ट्रपतत, ईपराष्ट्ट्रपतत के तनिानचन में भाग लेती है तथा राष्ट्ट्रपतत पर महातभयोग संबंधी
प्रस्ताि पाररत कर सकती है।

सस
ं द में नेता
 सदन के नेता से ऄजभप्राय सामान्यतः प्रधानमंत्री से होता है परंतु प्रधानमत्रं ी सदन के नेता के रूप में
जकसी मत्रं ी को भी जनयक्त
ु कर सकता है।
 संतिधान में आस पद का कोइ ईल्लेख नहीं है।
 सदन के तनयम एिं सतं ितध में ईल्लेख है।
 संसद के दोनों सदनों में एक-एक तिपक्ष का नेता होता है।
 लोकसभा के तिपक्ष के नेता का पद लोकसभा के स्पीकर द्वारा जदया िाता है।
 तिपक्ष के नेता का दिाग प्राप्त करने के जलए प्रत्येक सदन में कुल सदस्य सख् ं या का 1/10 होना
अिश्यक है।
 लोकपाल, मानिातधकार अयोग, कें द्रीय सतकन ता अयोग और मुख्य सूचना अयुक्त की तनयुतक्त
के जलए जवपक्ष के नेता की सहमजत अवश्यक होती है।
 प्रत्येक राजनीततक दल का संसद में ऄपना तव्हप होता है िाहे वह सत्ता में हो ऄथिा तिपक्ष में।
 आसकी जनयजु क्त रािनीजतक दलों द्वारा सदन में के सहायक नेता के रूप में की िाती है।
 आस पद का ईल्लेख ना तो संतिधान में है और ना ही संसद के तनयम एिं संतितध में।

संसद के सत्र
 भारत में साधारणतः वषग में 3 बार संसद के सत्र अयोजित होते हैं
1. बजि सत्र (फरिरी से मइ)

2. मानसन ू सत्र (जुलाइ से ऄगस्त)


3. शीतकालीन सत्र (निंबर से तदसंबर)

 सस ं द के दो सत्रों के मध्य तकसी भी तस्थतत में 6 माह से ऄतधक का ऄंतराल नहीं होना िाजहए।
 सस ं द के सत्र को राष्ट्ट्रपतत समय-समय पर अहूत करता है।
 लोकसभा के चुनाि के पिात पहले सत्र की शुरुअत पर एिं प्रत्ये क तित्तीय िषन के पहले सत्र

की शुरुअत पर राष्ट्ट्रपतत दोनों सदनों को संयुक्त रूप से संबोतधत करता है।


 वतगमान लोकसभा के िे सदस्य जो नइ लोकसभा हेतु तनिान तचत नहीं हो पाते हैं लेम िक कहलाते
हैं।
 स्थगन (ADJOURNMENT) द्वारा सदन को कुछ तमनि घंिों या कुछ तदनों के तलए तनलंतबत

तकया जाता है।


 सदन को स्थतगत करने का ऄतधकार पीठासीन ऄतधकारी के पास होता है।

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 स्थगन द्वारा के िल बैठक को तनलंतबत जकया िाता है संसद के सत्र को नहीं।
 सस ं द के जकसी सत्र का समाप्त होना सत्रािसान कहलाता है।
 सत्रािसान (PROROGATION) राष्ट्ट्रपतत द्वारा घोतषत जकया िाता है पीठासीन ऄतधकारी द्वारा
नहीं।
 तिघिन (DISSOLUTION) सदन को ही समाप्त कर देता है।

 लोकसभा को तिघतित करने की शतक्त राष्ट्ट्रपतत के पास होती है

 लोकसभा का तिघिन तनम्नतलतखत दो कारणों से हो सकता है


1. यतद लोकसभा का कायन काल पूरा हो गया हो

2. यतद राष्ट्ट्रपतत तकसी तिशेष कारण से कायन काल पूरा होने के पहले लोकसभा को तिघतित करने

का तनणनय करें। यह तस्थतत प्रायः तब अती है जब सरकार लोकसभा में ऄपना बहुमत खो दें।

तिघिन का तिधायकों पर प्रभाि


 लोकसभा के तिघिन से तितभन्न प्रस्ताि, संकल्प, नोतिस आत्याजद समाप्त हो जाते हैं।
 िो तिधेयक लोकसभा में लतं बत हैं ऄथवा लोकसभा से पाररत हो चुके हैं जकंतु राज्यसभा में लतं बत

है ऐसे सारे तिधेयक लोकसभा के तिघिन से समाप्त हो िाते हैं।


 िो तिधेयक राज्यसभा से शुरू हुअ और राज्यसभा में ही लंतबत है जकंतु लोकसभा द्वारा पाररत

नहीं जकया गया है यह तिधेयक समाप्त नहीं होते हैं।


 राष्ट्ट्रपतत के पास भे जा गया तिधेयक यजद राष्ट्ट्रपतत द्वारा पुनतिनचार के तलए िापस लौिाया गया

हो तो ऐसे तिधेयक लोकसभा के तिघिन के पिात समाप्त नहीं होते।


 जकसी तिधेयक पर संसद के दोनों सदनों के गततरोध की तस्थतत में यजद संयुक्त बैठक बुलाइ गइ हो

तो भी लोकसभा के तिघिन पर तिधेयक समाप्त नहीं होता है।


 तिधेयक के प्रकार
1. साधारण तिधेयक

2. धन तिधेयक ऄनछ ु छे द 110


3. तित्त तिधेयक ऄनुछछे द 117

4. संतिधान संशोधन तिधेयक ऄनुछछे द 368

 सतं िधान सश ं ोधन तिधेयक के जलए राष्ट्ट्रपतत की पिू न ऄनमु तत की अिश्यकता नहीं होती।
 यह तिधेयक दोनों सदनों में से तकसी भी सदन में प्रारंभ जकया िा सकता है।

 यह तिधेयक दोनों सदनों में से तकसी भी सदन में प्रारंभ तकया िा सकता है।

 धन तिधेयक हो तसफन लोकसभा में ही लाया जा सकता है।

 तितनयोग तिधेयक एक प्रकार का धन तिधेयक है।

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बजि पाररत करने की प्रतक्रया
1. बजि का प्रस्तुतीकरण
2. अम बजि
3. तिभागीय सतमततयों द्वारा जांच
4. ऄनुदान की मांग पर मतदान
5. तितनयोग तिधेयक को पाररत होना
6. तित्त तिधेयक का पाररत होना।

बजि में व्यय का िगीकरण


1. भारत की संतचत तनतध पर भाररत व्यय
 आसके संबंध में सदन में के िल चचान की जा सकती है मतदान नहीं।
 संिैधातनक पदों पर असीन व्यतक्तयों के िेतन और भत्ते आसी तनतध से तदए जाते हैं।
2. भारत की संतचत तनतध से तकए जाने िाले व्यय
 सदन में चचान भी की जा सकती है एवं आसका लोकसभा में मतदान द्वारा पाररत होना भी जरूरी है।

तितभन्न प्रकार की तनतधयां


1. भारत की संतचत तनतध
 आसका ईल्लेख ऄनुछछे द 266 में जकया गया है।
 भारत सरकार को प्राप्त होने वाला सारा धन आसी में िमा होता है।
2. भारत का लोक लेखा
 आसका ईल्लेख संतिधान के ऄनुछछे द 266 में जकया गया है।
 सामान्यतः आसका सबं ध ं बैंक जमा रातशयों, बचत, भतिष्ट्य तनतध जमा रातशयों अतद से होता है।
3. भारत की अकतस्मक तनतध
 आसका ईल्लेख संतिधान के ऄनुछछे द 267 में जकया गया है।
 राष्ट्रपजत की ओर से भारत सरकार का तित्त सतचि आसका सच ं ालन करता है।

संसदीय सतमततयां
 भारत में मोंिे ग्यू चेम्सफोिन सुधार के अधार पर 1921 में संसदीय सतमततयां ऄतस्तत्ि में अइ थी।
 ससं दीय सतमततयों के प्रकार
1. स्थाइ सतमतत
 तित्तीय सतमतत या ऄन्य स्थाइ सतमततयां

 लोक लेखा सतमतत

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 प्राक्कलन सतमतत
 लोक ईपक्रम सतमतत

 ऄनस ु तू चत जाततयों और ऄनस ु तू चत जनजाततयों के कल्याण सबं ध


ं ी सतमतत
 कायन मंत्रणा सतमतत

 तिशेषातधकार सतमतत

 तिभागीय सतमतत

2. ऄस्थाइ या तदथन सतमतत


 तकसी तिशेष प्रयोजन के तलए तदथन सतमतत का तनमान ण तकया जाता है और जब कायन

पूरा हो जाता है तो यह सतमतत समाप्त हो जाती है।


 जांच सतमततया,ं सलाहकार सतमततयां

प्रमुख स्थाइ सतमततयां

1. लोक लेखा सतमतत (PUBLIC ACCOUNT COMMITTEE)

 यह भारत की सबसे पुरानी तित्तीय सतमतत है जिसमें कुल 22 सदस्य होते हैं।
 आसके सदस्यों में 15 सदस्य लोकसभा एिं 7 सदस्य राज्यसभा से होते हैं जकस का कायनकाल 1
िषन का होता है।
 यह सजमजत सरकार के िातषनक लेखों की जांच कर सरकार को सस ं द के प्रतत ईत्तरदाइ बनाती
है।
 यह सजमजत भारत सरकार के लेखों के संदभन में तनयंत्रक महालेखा परीक्षक द्वारा दी गइ
ररपोिन पर तिचार करती है।
 आस सतमतत का ऄध्यक्ष कोइ तिपक्षी दल का नेता िनु ा िाता है जिसका चुनाि लोकसभा
ऄध्यक्ष करता है।
 आस सतमतत को प्राक्कलन सतमतत की जुड़िा बहन कहते हैं।
2. प्राक्कलन सतमतत (ESTIMATE COMMITTEE)

 स्वतत्रं ता के पश्चात पहली बार जॉन मथाइ की तसफाररश पर 1950 में पहली प्राक्कलन
सतमतत का गठन जकया गया।
 आसके सदस्यों की संख्या 30 होती है िो लोकसभा से होते हैं।
 आसे स्थाइ जमतव्यजयता सजमजत भी कहा िाता है।

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 यह सजमजत सरकार के जवत्तीय कामकाि से संबंजधत है जिसका प्रमख
ु कायग वाजषगक ऄनदु ान की
िािं करना है।
3. लोक ईपक्रम सतमतत

 आस सजमजत का गठन पहली बार 1964 में कृष्ट्ण मेनन सतमतत के सझु ाव पर जकया गया।
 आसके सदस्यों की संख्या 22 होती है जिसमें 15 सदस्य लोकसभा से एिं 7 सदस्य राज्यसभा
से चुने िाते हैं।
 प्रत्येक सजमजतयों के सदस्यों का चुनाि एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है
4. तिभागीय स्थाइ सतमततयां

 आस प्रकार की सतमततयों की सख्


ं या कुल 24 है।
 प्रत्येक तिभागीय सतमततयों में ऄतधकतम 31 सदस्य होते हैं जिसमें 21 का मनोनयन
लोकसभा ऄध्यक्ष द्वारा एिं 10 का मनोनयन राज्यसभा के सभापतत द्वारा जकया िाता है।
 कुल 24 सतमततयों में से 16 सतमततयां लोकसभा के ऄंतगनत एवं अठ सतमततयां राज्यसभा
के ऄंतगनत कायन करती है।

तिधानमंिल
तिधान पररषद

 तिधान पररषद राज्य तिधानमंिल का ईछच सदन होता है।


 ऄनुछछे द 169 के ऄनुसार जकसी राज्य की तिधानसभा ऄपने कुल सदस्यों के पूणन बहुमत तथा
ईपतस्थत और मतदान करने िाले सदस्यों के दो ततहाइ बहुमत से प्रस्ताव पाररत करें तो संसद ईस
राज्य में तिधान पररषद स्थातपत कर सकती है ऄथिा ईसका लोप कर सकती है।
 ं प्रदेश और तेलंगाना में
ितनमान में के िल 6 राज्य ईत्तर प्रदेश, कनानिक, महाराष्ट्ट्र, तबहार अध्र
तिधान पररषद में तिद्यमान है।
 तिधान पररषद की कुल सदस्यों की संख्या ईस राज्य की तिधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या
की एक ततहाइ से ऄतधक नहीं हो सकती है। जकंतु तकसी भी ऄिस्था में तिधान पररषद के सदस्यों
की कुल सख् ं या 40 से कम नहीं होगी।
 तिधान पररषद का सदस्य बनने के तलए न्यूनतम अयु 30 िषन
 जवधान पररषद के प्रत्येक सदस्य का कायनकाल 6 िषन का होता है जकंतु प्रजत दूसरे िषन एक ततहाइ
सदस्य ऄिकाश ग्रहण करते हैं और ईनके स्थान पर निीन सदस्य तनिानतचत होते हैं।

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 जवधान पररषद के सदस्यों का तनिानचन अनुपाततक प्रतततनतधत्ि की एकल संक्रमणीय मत पद्धतत
द्वारा होती है।

सदस्यों का तनिानचन मंिल

1/3 = राज्य की स्थानीय स्िशासन संस्थाओ ं द्वारा


1.

2. 1/3 = राज्य की तिधान सभा के सदस्यों द्वारा

3. 1/12 = स्न्नातकों को द्वारा

4. 1/12 = ऄध्यापकों के द्वारा जो उंची तशक्षण संस्थाओ ं में कायन कर रहे हो

5. 1/6 = राज्यपाल द्वारा मनोनीत

 तिधान पररषद की तकसी भी बैठक के तलए जवधान पररषद के कुल सदस्यों का 1/10 गणपूततन होगा।

 तिधान पररषद ऄपने सदस्यों में से 2 को क्रमश: सभापतत एिं ईपसभापतत चुनती है।

तिधानसभा

 जवधानसभा का कायनकाल 5 िषन है जकंतु जवशेष पररजस्थजतयों में राज्यपाल को यह ऄतधकार है जक वह


आससे पिू न भी तिधानसभा को भी गतठत कर सकता है।
 जवधानसभा के सत्रािसान के अदेश राज्यपाल के द्वारा जदए िाते हैं।
 जवधानसभा में तनिानतचत होने के तलए न्यूनतम अयु 25 िषन है।
 प्रत्येक राज्य की तिधानसभा में कम से कम 60 और ऄतधक से ऄतधक 500 सदस्य होते हैं।
ऄपिाद – गोिा (40), तमजोरम (40) तसतक्कम 32
 जवधानसभा में जनसंख्या के अधार पर ऄनुसूतचत जाततयों और जनजाततयों के तलए स्थानों का
अरक्षण जकया िाता है (ऄनुछछे द 332)।
 तिधान सभा की ऄध्यक्षता करने के जलए एक ऄध्यक्ष का चुनाि करने का ऄतधकार सदन को प्राप्त
है।
 साधारणतया जवधानसभा ऄध्यक्ष सदन में मतदान नहीं करता जकंतु यजद सदन में मत बराबरी में बँि जाए
तो िह तनणानयक मत देता है।
 िब कभी ऄध्यक्ष को ईसके पद से हिाने का प्रस्ताि तिचाराधीन हो ईस समय िह सदन की बैठक
की ऄध्यक्षता नहीं करता है।
 जकसी तिधेयक को धन तिधेयक माना जाए ऄथिा नहीं आसका तनणनय तिधानसभा ऄध्यक्ष ही करता
है।
 मजं त्रपररषद सामूतहक रूप से तिधानसभा के प्रतत ईत्तरदायी होते हैं।

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 संघीय स्िरूप को प्रभातित करने िाला कोइ भी संतिधान संशोधन तिधेयक यतद संसद के दोनों
सदनों के द्वारा पाररत हो िाता है तो अधे से ऄतधक राज्यों के तिधान मंिलों द्वारा ईसकी पुतष्ट
अिश्यक है।
 राष्ट्ट्रपतत के तनिानचन में जितना मताजधकार संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को प्राप्त है ईतना ही राज्यों
की जवधानसभाओ ं के जनवागजित सदस्यों को प्राप्त है।
 नोि : - जवजभन्न प्रकार के तिधेयकों के संबंध में राज्य जवधान मडं ल में तिधान पररषद और
तिधानसभा की शतक्तयां िैसे ही तिभातजत है िैसे सघं ीय व्यिस्था में क्रमशः राज्यसभा और
लोकसभा के बीच शतक्तयों का तितरण है

सदस्यों की कुल संख्या


राज्य लोकसभा राज्यसभा तिधान सभा तिधान पररषद
ईत्तर प्रदेश 80 31 403 99
महाराष्ट्ट्र 48 19 288 78
पतिम बंगाल 42 16 294
तबहार 40 16 243 75
ततमल नािु 39 18 234
मध्य प्रदेश 29 11 230
कनानिक 28 12 224 75
गजु रात 26 11 182
राजस्थान 25 10 200
अध्रं प्रदेश 25 11 175 50
ईड़ीसा 21 10 147
के रल 20 9 140
तेलंगना 17 7 119 40
झारखंि 14 6 81
ऄसम 14 7 126
पंजाब 13 7 117
छत्तीसग़ि 11 5 90
हररयाणा 10 5 90
ईत्तराखंि 5 3 70
तहमाचल प्रदेश 4 3 68

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मेघालय 2 1 60
ऄरुणाचल 2 1 60
प्रदेश
गोिा 2 1 40
मतणपरु 2 1 60
तत्रपुरा 2 1 60
तसतक्कम 1 1 32
नागालैंि 1 1 40
तमजोरम 1 1 60
कें द्रशातसत प्रदेश
तदल्ली 3 7 70
पदु ु चेरी 1 1 30
जम्मू 6
लद्दाख

11. न्यायपातलका

सिोच्च न्यायाऱय उच्च न्यायाऱय

सिोछच न्यायालय

 भारत की न्याय व्यिस्था एकीकृत है जिस के सिोछच तशखर पर भारत का ईछचतम न्यायालय हैं।
 ईछचतम न्यायालय तदल्ली में तस्थत है।
 ईच्ितम न्यायालय की स्थापना, गठन, ऄतधकाररता, शतक्तयों के तितनयमन से संबंतधत तितध
तनमानण की शतक्त भारतीय संसद को प्राप्त है।
 ईछचतम न्यायालय का गठन सबं ध ं ी प्रािधान ऄनछु छे द 124 में जदया गया है।
 ईछचतम न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश तथा 32 ऄन्य न्यायाधीश होते हैं।

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 न्यायाधीशों की तनयुतक्त राष्ट्ट्रपतत के द्वारा होती है।
 ईच्ितम न्यायालय की न्यायाधीश बनने के तलए न्यूनतम अयु सीमा तनधानररत नहीं की गइ है।
 एक बार तनयुतक्त होने के बाद आनकी ऄिकाश ग्रहण करने की अयु सीमा 65 िषन है।
 ईच्ितम न्यायालय के न्यायाधीश सातबत कदाचार तथा ऄसमथनता के अधार पर संसद के प्रत्येक
सदन में तिशेष बहुमत से पाररत समािेदन के अधार पर राष्ट्ट्रपतत द्वारा हिाए जा सकते हैं।
 भारतीय न्यातयक पद्धतत में PIL के जनक पीएन भगिती को माना िाता है।

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ईछचतम न्यायालय के न्यायाधीश के तलए योग्यताएं

1. िह भारत का नागररक हो
2. िह तकसी ईछच न्यायालय ऄथिा दो या दो से ऄतधक न्यायालयों में लगातार कम से कम 5
िषों तक न्यायाधीश के रूप में कायन कर चुका हो।
3. या तकसी ईछच न्यायालय या न्यायालयों में लगातार 10 िषों तक ऄतधिक्ता रह चुका हो।
4. या राष्ट्ट्रपतत की दृतष्ट में कानून का ईछच कोति का ज्ञाता हो।
 ईच्ितम न्यायालय के न्यायाधीश ऄिकाश प्राप्त करने के बाद भारत के तकसी भी न्यायालय या
तकसी भी ऄतधकारी के सामने िकालत नहीं कर सकते हैं।
 ईच्ितम न्यायालय के न्यायाधीश को पद एिं गोपनीयता की शपथ राष्ट्ट्रपतत जदलाता है।

ईछचतम न्यायालय का क्षेत्रातधकार

 प्रारंतभक क्षेत्रातधकार

 ऄनुछछे द 131 में आसका ईल्लेख है।


 आस मामले में तकसी िाद की शुरुअत सिोछच न्यायालय में ही हो सकती है।
 आसके ऄंतगनत सिोछच न्यायालय तीन प्रकार के मामलों की सनु वाइ कर सकता है
1. ऐसे तििाद तजनमें एक तरफ भारत सरकार तथा दूसरी तरफ एक या एक से ऄतधक

राज्य की सरकारें हो या भारत सरकार बनाम राज्य सरकार या सरकारें


2. दो या ऄतधक राज्यों के बीच

3. एक ओर भारत सरकार तथा एक या एकातधक राज्य तथा दूसरी तरफ एक या

एकातधक राज्य हो।

 ररि ऄतधकाररता

 सजं वधान के ऄनुछछे द 32 में सिोछच न्यायालय को ररि ऄतधकाररता दी गइ है।


 नागररकों के मूल ऄतधकारों की रक्षा के तलए सवोच्ि न्यायालय पांच प्रकार की ररि जारी करता है।
1. बंदी प्रत्यक्षीकरण HABEAS CORPUS

2. परमादेश MANDAMUS

3. प्रततषे ध PROHIBITION

4. ईत्प्रेषण CERTIORARI

5. ऄतधकार पृछछा QUO WARRANTO

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 ऄपीलीय ऄतधकाररता

 सजं वधान के ऄनुछछे द 132, 133, 134 तथा 136 में सिोछच न्यायालय की ऄपीलीय ऄतधकाररता
ईल्लेख है।
 सिोछच न्यायालय तसतिल तथा ऄपरातधक सभी तरह के मामलों में ऄपील का ऄंततम
न्यायालय है।
 सवोच्ि न्यायालय की ऄपीलीय क्षेत्रातधकार चार प्रकार के हैं
1. संिैधातनक तिषयों से जुड़ी ऄपीले

2. तसतिल मामलों से जुड़ी ऄपीले

3. ऄपरातधक मामलों से जुड़ी ऄपीले

4. तिशेष ऄनुमतत की ऄपीलें

 आन सब में ऄगर तितध का सारिान प्रश्न तनतहत हो तब यह ऄपील की जाती है।

 सलाहकारी ऄतधकाररता

 ऄनछु छे द 143 द्वारा सिोछच न्यायालय को सलाहकारी ऄतधकाररता दी गइ है।


 आसके ऄतं गगत राष्ट्ट्रपतत तकसी तिषय पर सिोछच न्यायालय से सलाह मांग सकता है परंतु यह
जरूरी नहीं तक यह सलाह राष्ट्ट्रपतत के तलए बाध्य हो।

 ऄतभलेख न्यायालय की शतक्तयां

 भारतीय संजवधान के ऄनुछछे द 129 में यह प्रािधान है जक सिोछच न्यायालय ऄतभलेख न्यायालय
होगा और ईसको ऄपने ऄिमानना के तलए दिं देने की शतक्त होगी।
 सवोच्ि न्यायालय के सभी तनणनय, अदेश तथा तनदेश अतद ऄस्थाइ स्मृतत में सरु तक्षत रखे जाते हैं
ताजक सभी ऄधीनस्थ न्यायालय ईन्हें पूिन ईदाहरण के रूप में प्रयोग कर सकें ।

 न्यातयक पुनरािलोकन की शतक्त

 आसका प्रयोग संतिधान में कहीं भी नहीं जकया गया है परंतु ऄनुछछे द 13 32 131 से 136 143 145
226 246 372 अतद के ईपबंध से सिोछच न्यायालय को या शतक्त प्राप्त होती है।
 न्यातयक पनु तिनलोकन से तात्पयन न्यायपाजलका की शजक्त से है जिसके ऄंतगनत तिधान पातलका द्वारा
बनाए तकसी कानून या कायनपातलका द्वारा जारी तकए गए तकसी भी अदेश को संजवधान के
प्रावधानों के प्रजतकूल होने पर न्यायपाजलका जनरस्त कर सकती है तथा ऄपने तनणनयों की समीक्षा भी कर
सकती हैं।

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 सजं वधान के ऄनुछछे द 137 के ऄनुसार सवोच्ि न्यायालय को यह ऄजधकार प्राप्त है जक िह स्ियं द्वारा
तदए गए अदेश या तनणनय पर पुनतिनचार कर सकें ।

ईछच न्यायालय

 सजं वधान के ऄनसु ार प्रत्येक राज्य के तलए ईछच न्यायालय होगा (ऄनुछछे द 214)।
 संसद तितध द्वारा दो या दो से ऄतधक राज्यों और संघ राज्य क्षेत्र के तलए एक ही ईछच न्यायालय
स्थातपत कर सकती है
 ितनमान में पंजाब एिं हररयाणा, ऄसम, नागालैंि, तमजोरम तथा ऄरुणाचल प्रदेश; महाराष्ट्ट्र,
गोिा, दादर और नगर हिेली, दमन और दीि, और पतिम बगं ाल, ऄंिमान तनकोबार दीप समूह
अतद के जलए एक ही ईछच न्यायालय है।
 वतगमान में भारत में 24 ईछच न्यायालय है।
 कें द्र शातसत प्रदेश से के िल तदल्ली में ईछच न्यायालय हैं।
 ईच्ि न्यायालय के न्यायाधीशों की तनयुतक्त भारत के मुख्य न्यायाधीश की सलाह पर राष्ट्ट्रपतत द्वारा
की जाती है।

ईछच न्यायालय के न्यायाधीशों के तलए योग्यताएं

1. भारत का नागररक हो
2. कम से कम 10 िषन तक न्यातयक पद धारण कर चुका हो ऄथिा ईछच न्यायालय में या एक से

ऄतधक ईछच न्यायालयों में लगातार 10 िषों तक ऄतधिक्ता रहा हो।


 ईछच न्यायालय के न्यायाधीश को ईस राज्य जिसमें ईच्ि न्यायालय जस्थत है का राज्यपाल ईसके पद

की शपथ तदलाता है।


 ईच्ि न्यायालय के न्यायाधीशों का ऄिकाश ग्रहण करने की ऄतधकतम ईम्र सीमा 62 िषन है।

 ईच्ि न्यायालय के न्यायाधीश ऄपने पद से राष्ट्ट्रपतत को संबोतधत कर कभी भी त्यागपत्र दे सकता

है।
 ईच्ि न्यायालय के न्यायाधीश को ईसी प्रकार ऄपदस्थ तकया जा सकता है जिस प्रकार ईछचतम

न्यायालय के न्यायाधीश पद मुक्त तकया जाता है।


 राष्ट्ट्रपतत अिश्यकता ऄनुसार जकसी भी ईछच न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या में िृतद्ध कर

सकता है ऄथवा ऄततररक्त न्यायाधीशों की तनयुतक्त कर सकता है।


 राष्ट्ट्रपतत ईछच न्यायालय के जकसी ऄिकाश प्राप्त न्यायाधीश को भी ईछच न्यायालय के

न्यायाधीश के रूप में कायन करने का ऄनरु ोध कर सकता है।


 ईछच न्यायालय एक ऄतभलेख न्यायालय होता है।

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 भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामशन कर राष्ट्ट्रपतत ईछच न्यायालय के तकसी न्यायाधीश का
स्थानांतरण तकसी दूसरे ईछच न्यायालय में कर सकता है।

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12. कें द्र राज्य संबंध

 भारतीय संजवधान में कें द्र तथा राज्य के मध्य तिधायी, प्रशासतनक तथा तित्तीय शतक्तयों का
तिभाजन तकया गया है लेजकन न्यायपाजलका को जवभािन की पररजध से बाहर रखा गया है।
 भारतीय संतिधान की सातिीं ऄनुसूची में कें द्र एिं राज्य की शतक्तयों के बंििारे के संबंध में तीन
सचू ी दी गइ है
संघ सूची, राज्य सूची, समिती सूची।

1. संघ सूची

 सघं सिू ी में ईन तिषयों को शातमल तकया गया है जो राष्ट्ट्रीय महत्ि के हैं।
 सघं सिू ी के जवषयों पर काननू बनाने का एकमात्र ऄतधकार कें द्रीय तिधातयका ऄथानत सस
ं द
को है।
 आस सूची में कुल 100 तिषय हैं (मूलतः 97)।
2. राज्य सूची

 आसमें ईन तिषयों को शातमल जकया गया है िो स्थानीय महत्ि के हैं।


 आन पर काननू बनाने का एकमात्र ऄतधकार राज्य तिधानमंिल को है।
 कुछ तिशेष पररतस्थततयों में संसद भी कानून बना सकती है।
 आस सिू ी में शातमल तिषयों की संख्या आस समय 61 है (मूलतः 66)।
 जिसमें प्रमख
ु है लोकसेिा, कृतष, िन, कारागार, भू राजस्ि, लोक व्यिस्था, पतु लस, लोक
स्िास््य, स्थानीय शासन, क्रय तिक्रय एिं तसंचाइ।

3. समिती सूची

 आसमें शातमल तिषयों पर संसद तथा राज्य तिधान मंिल दोनों द्वारा कानून बनाया िाता है।
 यजद दोनों कानूनों में तिरोध हो तो संसद द्वारा तनतमनत कानून लागू होगा।
 आस में आस समय 52 तिषय हैं (मूलत: 47)।
 जैसे – राष्ट्ट्रीय जलमागन, पररिार तनयोजन, जनसंख्या तनयंत्रण, समाचार पत्र, कारखाना,
तशक्षा, अतथनक तथा सामातजक योजना।

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ऄितशष्ट तिधायी शतक्त

 जिन जवषयों को सघं सच


ू ी, राज्य सच ू ी में नहीं शातमल तकया गया है ईन पर
ू ी और समिती सच
कानून बनाने का ऄतधकार संसद को प्रदान तकया गया है।

 सजं वधान के ऄनुछछे द 249 में यह प्रािधान है जक यजद राज्यसभा ऄपनी ईपतस्थतत था मतदान करने
िाले सदस्यों के दो ततहाइ बहुमत से यह पाररत कर दें जक राष्ट्ट्रीय तहत को ध्यान में रखकर सस
ं द राज्य
सूची के तिषय पर कानून बनाएं तो संसद को राज्य सूची में ितणनत तिषयों पर कानून बनाने की
शतक्त प्राप्त हो िाती है।
 राष्ट्ट्रीय अपात एवं राष्ट्ट्रपतत शासन के समय भी सस
ं द को राज्य सच ू ी पर काननू बनाने का
ऄतधकार होता है।
 राज्यों की सहमतत से भी संसद राज्य सूची पर कानून बना सकती है।

कें द्र राज्य संबंध पर गतठत प्रमुख सतमतत

1. सरकाररया अयोग

 गठन िषन – 1983


 ररपोिन – ऄक्िूबर 1987 कुल 247 तसफाररशें
 ऄध्यक्ष – न्यायाधीश अर एस सरकाररया
 ऄन्य सदस्य – िी. तशिरामन और एम अर सेन

2. पुंछी अयोग

 गठन – ऄप्रैल 2007


 ररपोिन – 2010
 ऄध्यक्ष – न्यायाधीश मदन मोहन पूंछी
 ऄन्य सदस्य – धीरेंद्र तसंह, तिनोद कुमार, प्रोफे सर एन अर माधि मेनन, िॉ ऄमरेश बागची

ऄंतरानज्य पररषद

 सजं वधान के ऄनुछछे द 263 के ऄंतगनत कें द्र एिं राज्यों के बीच समन्िय स्थातपत करने के जलए
राष्ट्ट्रपतत एक ऄंतर राज्य पररषद की स्थापना कर सकता है।
 सरकाररया अयोग की तसफाररश के अधार पर
 पहली बार जून 1990 में ऄंतर राज्य पररषद का गठन जकया गया।

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 आसमें तनम्न सदस्य होते हैं
1. प्रधानमंत्री – ऄध्यक्ष

2. प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत 6 कै तबनेि स्तर के मंत्री

3. सभी राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्यमंत्री

4. संघ राज्य क्षेत्रों के प्रशासक।

 िषन में 3 बार आसकी बैठक की िाती है जिसके तलए कम से कम 10 सदस्य ऄिश्य ईपतस्थत होने
िाजहए।

ऄंतरानज्य नदी जल तििाद

 सजं वधान के ऄनुछछे द 262 में नदी जल तििादों के समाधान से संबंतधत ईपबंध जकए गए हैं।
 संसद द्वारा आस संबंध में 1956 में दो ऄतधतनयम पाररत जकए गए
1. नदी बोिन ऄतधतनयम 1956

2. ऄंतरान ज्यीय नदी जल तििाद ऄतधतनयम 1956

 ऄंतर राज्य नदी जल तििाद ऄतधतनयम 1956 कें द्र सरकार को यह शतक्त देता है जक िह
ऄतधकरण का गठन कर सके ।
 ऄतधकरण द्वारा तदए गए तनणनय राजपत्र में प्रकातशत होने के बाद सबं तं धत राज्यों को तनणनय मानने
के तलए बाध्य होना पड़ता है।
 राज्य से जशकायत प्राप्त होने पर कें द्र सरकार 1 वषग के ऄदं र ऄजधकरण का गठन करे गी और 3 वषग के भीतर
ऄजधकरण ऄपना जनणगय देगा।
 ऄभी तक 8 बार ऄंतर राज्य नदी जल तििाद ऄतधकरण का गठन तकया गया है।

क्षेत्रीय पररषदें

 यह संिैधातनक तनकाय नहीं है बजल्क सांतितधक तनकाय हैं क्योंजक आनका गठन संसद के
ऄतधतनयम के तहत जकया गया है।
 राज्य पनु गनठन ऄतधतनयम 1956 के माध्यम से क्षेत्रीय पररषदों का गठन तकया गया है एवं परू े देश
को पांच क्षेत्रों में बांिा गया था –
 5 क्षेत्रीय पररषदों का ितनमान िगीकरण

क्षेत्रीय मुख्यालय शातमल राज्य और संघ राज्य


पररषद
ईत्तरी नइ तदल्ली जम्मू कश्मीर, तहमाचल प्रदेश, पज
ं ाब हररयाणा, राजस्थान, चंिीग़ि, तदल्ली

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कें द्रीय आलाहाबाद ईत्तर प्रदेश, ईत्तराखंि, मध्य प्रदेश तथा छत्तीसग़ि
पूिी कोलकाता तबहार, झारखंि, पतिम बंगाल ईड़ीसा, तसतक्कम
पतिमी मुंबइ गुजरात, महाराष्ट्ट्र, गोिा, दादर एिं नागर हिेली, दमन एिं दीि
दतक्षणी चेन्नइ अध्रं प्रदेश, कनानिक, ततमलनािु के रल तथा पुिुचेरी

पिू ोत्तर पररषद

 ससं द द्वारा पूिोत्तर पररषद ऄतधतनयम 1971 पाररत जकया गया।


 पूिोत्तर पररषद में 8 राज्य सतम्मतलत हैं
 आन पररषदों में 8 राज्यों के राज्यपाल एिं मुख्यमंत्रीयों के ऄलावा भारत के राष्ट्ट्रपतत द्वारा मनोनीत
एक ऄध्यक्ष तथा तीन ऄन्य सदस्य शातमल होते हैं।

कुछ राज्यों के तलए तिशेष ईपबध


ं है

 संजवधान के भाग 21 में ऄनुछछे द 371 के ऄंतगनत कुछ राज्यों के तलए तिशेष प्रबंध जकए गए हैं।

ऄनछु छे द तिशेष ईपबध ं


371 महाराष्ट्ट्र, गुजरात के तलए तिशेष ईपबंध
371 A नागालैंि के तलए तिशेष ईपबध ं
371 B ऄसम के तलए तिशेष ईपबंध
371 C मतणपुर के तलए तिशेष ईपबंध
371 D अध्र
ं प्रदेश के तलए तिशेष ईपबंध
371 E अध्र
ं प्रदेश के तलए तिशेष ईपबंध
371 F तसतक्कम के तलए तिशेष ईपबध ं
371 G तमजोरम के तलए तिशेष ईपबंध
371 H ऄरुणाचल प्रदेश के तलए तिशेष ईपबध ं
371 I गोिा के तलए तिशेष ईपबंध
371 J कनानिक के तलए तिशेष ईपबंध

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ऄनुसूतचत एिं जनजातीय क्षेत्र

 भारतीय संजवधान के भाग 10 में ऄनछु छे द 244 के तहत ऄनस ु तू चत तथा जनजातीय क्षेत्रों के
प्रशासन के तिषय में ईपबंध जकए गए हैं।
1. सजं वधान की पांचिी ऄनुसूची में राज्यों के ऄनुसूतचत क्षेत्र िह ऄनुसूतचत जनजाततयों के प्रशासन

और तनयंत्रण के बारे में ििाग की गइ है।


 ऄसम, तत्रपुरा, मे घालय, तमजोरम के ऄलावा जकसी ऄन्य राज्य के राज्य क्षेत्र को राष्ट्ट्रपतत द्वारा

ऄनुसूतचत क्षेत्र घोतषत जकया िा सकता है।


 ऐसे क्षेत्रों में राष्ट्ट्रपतत के तनदेश से जनजातीय सलाहकार पररषद का गठन जकया िाता है।

 राज्यपाल को पररषद के ऄध्यक्ष और सदस्यों की तनयुतक्त करने का ऄजधकार है।

 आन क्षेत्रों िाले राज्यों के राज्यपाल के तलए अवश्यक है जक वह प्रततिषन एिं जब राष्ट्ट्रपतत चाहे ईन्हें

ऄनुसूतचत क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में ररपोिन सौंपे।


 राज्यपाल कोइ तितनयमन तब तक नहीं बना पाएगा िब तक ईसने िनिाजत सलाहकार पररषद से

परामशग ना कर जलया हो।


2. संतिधान की छठी ऄनुसूची में ऄसम, मेघालय, तत्रपुरा, तमजोरम के जनजातीय क्षेत्रों के बारे में
पथ ृ क व्यिस्था की गइ है और ईनके प्रशासन के जलए ईपबंध जकए गए हैं।
 ऄगर जकसी तजला में तितभन्न ऄनुसूतचत जनजाततयां तनिास करती हो तो राज्यपाल ऐसे क्षेत्रों को

स्िायत्त क्षेत्रों के रूप में तिभातजत कर सके गा।


 आन क्षेत्रों में तजला पररषद तथा प्रादेतशक क्षेत्रीय पररषद का गठन तकया जाता है।

 ऄनुछछे द 339 ऄनुसूतचत क्षेत्रों के प्रशासन और ऄनुसूतचत जनजाततयों के कल्याण के तिषय पर

संघ या कें द्र सरकार का तनयंत्रण।

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13. भाषा सबं ध
ं ी ईपबध

 संतिधान के ऄधीन तकसी भाषा को राष्ट्ट्रीय भाषा के रूप में नहीं ऄपनाया गया है आसके ऄधीन
तहदं ी को के िल राजभाषा के रूप में रखा गया है।
 भारतीय संजवधान के भाग 17 ईतल्लतखत ऄनुछछे द 343 – 351 में राजभाषा संबंधी प्रािधान है।

ऄनुछछे द तिषय िस्तु


सघं की भाषा
343 संघ की राजभाषा
344 राजभाषा के संबंध में अयोग और सतमतत
प्रादेतशक भाषाएं
345 राज्य की राजभाषा या राज भाषाएं
346 एक राज्य से दूसरे राज्य ऄथिा राज्य एिं सघं के बीच पत्राचार के तलए राज भाषा
ईछचतम न्यायालय और ईछच न्यायालय की भाषा से संबंतधत
348 सिोछच न्यायालय तथा ईछच न्यायालयों की भाषा
350 तशकायत तनिारण के तलए ऄभ्यािेदन में प्रयुक्त भाषा
350 प्राथतमक स्तर पर मातृ भाषा में तशक्षण के तलए सुतिधाएं
(क)
350 भाषाइ ऄल्पसंख्यकों के तलए तिशेष पदातधकारी
(ख)
351 तहदं ी भाषा के तिकास के तलए तनदेश

भारतीय राज्य व्यिस्था में िरीयता ऄनुक्रम


1. राष्ट्ट्रपतत
2. ईपराष्ट्ट्रपतत
3. प्रधानमंत्री
4. राज्यों के राज्यपाल ऄपने राज्यों में
5. भूतपूिन राष्ट्ट्रपतत
5 (क) ईप प्रधानमंत्री
6. भारत का मुख्य न्यायाधीश तथा लोकसभा ऄध्यक्ष

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7. कें द्रीय कै तबनेि मंत्री
राज्य के मुख्यमंत्री ऄपने-ऄपने राज्यों में
योजना अयोग का ईपाध्यक्ष
पूिन प्रधानमंत्री तथा संसद के तिपक्ष का नेता
7 (क) भारत रत्न सम्मान के धारक
8. राजदूत
9. ईछचतम न्यायालय के न्यायाधीश
9 (क) मुख्य तनिानचन अयुक्त
भारत का तनयंत्रक महालेखा परीक्षक
10. राज्यसभा का ईपसभापतत
लोकसभा का ईपाध्यक्ष
योजना अयोग के सदस्य तथा कें द्र में राज्य मंत्री।

 मूल सतं िधान में 14 भाषाएं थी


 21 िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1967 द्वारा तसंधी को िोड़ा गया।
 71िां संतिधान संशोधन 1992 द्वारा कोंकणी, मतणपुर और नेपाली को िोड़ा गया।
 92 सतं िधान सश ं ोधन 2003 द्वारा मैतथली, िोगरी, बोिो, सथं ाली भाषाओ ं को िोड़ा गया।
 संतिधान की अठिीं ऄनुसूची में 22 भाषाओ ं का ईल्लेख है जो तनम्न है
1. ऄसतमया 2. बंगला 3. गुजराती 4. तहदं ी
5. कन्नड़ 6. कश्मीरी 7. मलयालम 8. मराठी

9. ओतड़या 10. पंजाबी 11. संस्कृत 12. ततमल

13. ते लग
ु ू 14. ईदून 15. तसध ं ी 16. कोंकणी

17. मतणपुर 18. नेपाली 19. मै तथली 20. संथाली

21. िोगरी 22. बोिो 23. 24.

 कुछ भारतीय भाषाओ ं की प्राचीन सातहतत्यक परंपरा का संरक्षण और संिधनन के तलए भारत
सरकार द्वारा ईन्हें शास्त्रीय भाषा का दजान प्रदान तकया जाता रहा है।
शास्त्रीय भाषा िषन शास्त्रीय भाषा िषन
ततमल 2004 कन्नड़ 2008
सस्ं कृत 2005 मलयालम 2013
तेलुगू 2008 ईतड़या 2014

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14. अपात ईपबध

 भारतीय संतिधान के भाग 18 में ऄनुछछे द 352 से 360 तक अपातकाल से संबंतधत ईपबंध
ईजल्लजखत है।
 भारतीय संजवधान सामान्य पररतस्थततयों में संघात्मक स्िरूप के ऄनसु ार कायग करता है वही
अपातकालीन पररतस्थततयों में यह एकात्मक स्िरूप ग्रहण कर लेता है।
 अपात ईपबंध एिं प्रशासतनक तििरण से संबंतधत प्रािधान भारत शासन ऄतधतनयम 1935 से
जलए गए हैं।
 िबजक अपातकाल के समय मूल ऄतधकारों के स्थगन सबं ध ं ी प्रािधान जमननी के िाआमर
संतिधान से जलए गए।

अपात ईपबध
ं ों का िगीकरण

 भारतीय संजवधान में अपात ईपबंधों तीन भागों में बांिा गया
1. राष्ट्ट्रीय अपात – ऄनुछछे द 352
2. राज्यों में सिं ैधातनक तंत्र की तिफलता या राष्ट्ट्रपतत शासन - ऄनछु छे द 356
3. तित्तीय अपात – ऄनुछछे द 360

राष्ट्ट्रीय अपात ऄनुछछे द 352

 आसकी घोषणा तनम्नतलतखत में से तकसी भी अधार पर राष्ट्ट्रपतत के द्वारा की िाती है


1. युद्ध

2. बाहरी अक्रमण

3. सशस्त्र तिद्रोह

 राष्ट्रीय अपात की घोषणा राष्ट्ट्रपतत मंतत्रमंिल की तलतखत तसफाररश पर करता है।


 राष्ट्रीय अपात की ईद्घोषणा को न्यायालय में प्रश्नगत तकया जा सकता है।
ईद्घोषणा की प्रतक्रया एिं ऄितध

 राष्ट्रपजत द्वारा की गइ अपात की ईद्घोषणा एक माह तक प्रितनन में रहती है और यजद आस दौरान आसे
संसद के दो ततहाइ बहुमत से ऄनुमोतदत करिा तलया जाता है वह 6 माह तक प्रितनन में रहती है
सस ं द आसे पनु ः एक बार में 6 महीने तक ब़िा सकती है।

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प्रभाि

 44 िें संतिधान संशोधन द्वारा ऄनुछछे द 352 के ऄधीन ईद्घोषणा संपूणन भारत में या ईसके तकसी भी
भाग में की िा सकती है।
 राष्ट्ट्रीय अपात के समय राज्य सरकार तनलंतबत नहीं की िाती है ऄजपतु वह संघ की कायनपातलका
के पूणन तनयंत्रण में अ जाती है।
 िब ऄनुछछे द 352 प्रभािी होता है तो ऄनुछछे द 358 के ईपबंध स्ित: प्रभािी हो िाते हैं जिसके
ऄनसु ार ऄनुछछे द 19 में तदए गए मूल ऄतधकारों का तनलंबन स्ियं हो जाता है।
 ऄनछु छे द 359 के ऄनस ु ार राष्ट्ट्रपतत राष्ट्ट्रीय अपात के समय ऄनछु छे द 20 एिं 21 में प्रदत्त मूल
ऄतधकारों को छोड़कर ऄन्य मूल ऄतधकारों को तनलंतबत कर सकता है।

ईद्घोषणा की समातप्त

1. राष्ट्ट्रपतत कभी भी ऐसी ईद्घोषणा को िापस ले सकता है।


2. संसद द्वारा ऄनुमोदन न तकए जाने पर
3. लोक सभा साधारण बहुमत से प्रस्ताि पाररत कर घोषणा को िापस ले सकती है।

ऄभी तक की गइ राष्ट्ट्रीय अपात की घोषणा

ऄब तक तीन बार राष्ट्ट्रीय अपात की घोषणा की जा चुकी है



1. ऄक्िूबर 1962 – जनिरी 1968 तक – भारत चीन युद्ध

2. तदसबं र 1971 – माचन 1977 तक – पातकस्तान द्वारा भारत के तिरुद्ध ऄघोतषत युद्ध
3. जून 1975 – माचन 1977 – अत ं ररक ऄशांतत के अधार पर
 44 िें संतिधान संशोधन 1978 द्वारा ऄनुछछे द 352 में संशोधन कर अत ं ररक ऄशांतत की जगह
सशस्त्र तिद्रोह का प्रािधान जकया गया।

राष्ट्ट्रपतत शासन ऄनुछछे द 356

ईद्घोषणा

 ऄनछु छे द 356 – यजद कोइ राज्य सरकार जानबझ ू कर सतं िधान के तनदेशों का ईल्लघं न करें ऄथवा
राज्य में ऐसी तस्थतत खड़ी हो जाए जहां सरकार संतिधान के ऄनुरूप शासन न चला पाए तो ऐसे
तो दो अधारों पर राष्ट्ट्रपतत शासन लगाया जाता है
1. ऄनुछछे द 356 के ऄनुसार राष्ट्ट्रपतत को राज्यपाल की ररपोिन के अधार पर या आसके तबना है
समाधान हो जाए तक राज्य का शासन सतं िधान के ईप बध ु ार नहीं चलाया जा सकता है।
ं ों के ऄनस

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2. ऄनुछछे द 365 सरकार के तनदेशों का राज्य सरकार द्वारा पालन करने में ऄसमथनता

ईद्घोषणा की प्रतक्रया एिं ऄितध

राष्ट्रपजत शासन की ईद्घोषणा 2 माह तक लागू रहती है ऄगर 2 माह के भीतर संसद के दोनों सदन

ऄलग-ऄलग साधारण बहुमत से आसका ऄनमु ोदन कर देते हैं तो यह घोषणा 6 माह के तलए ब़ि
जाती है।
 आसी प्रजिया से अगे भी बढ़ाया िा सकता है लेजकन 1 िषन से ऄतधक समय के तलए ब़िाने हेतु 2 शतें

हैं
1. सप
ं ण ू न भारत में या ईसके तकसी तहस्से में राष्ट्ट्रीय अपात लागू हो
2. भारत का चुनाि अयोग यह प्रमातणत कर दें तक ईस प्रांत में चुनाि नहीं करिाए जा सकते हैं।

 ईपरोक्त शते पूरी होने के बाद भी तकसी राज्य ऄपात या राष्ट्ट्रपतत शासन की ऄतधकतम ऄितध 3

िषन से ही हो सकती है।

प्रभाि

 देश का संघात्मक तंत्र एकात्मक बन िाता है।


 राज्य के प्रशासतनक तंत्र पर राष्ट्ट्रपतत तथा ईसके प्रतततनतध का तनयंत्रण।
 राज्य की तिधानसभा तनलंतबत हो सकती है और संसद राज्य सूची के तिषय पर कानून बना
सकती है ऄथवा राष्ट्ट्रपतत राज्य सच ू ी के तिषय पर ऄध्यादेश जारी कर सकता है।
 तित्तीय शतक्तयों का प्रयोग और अचरण संबंधी तनदेश संसद दे सकती है।
 ऄपिाद – ईछच न्यायालय की शतक्तयां नहीं ली जा सकती।

ईद्घोषणा की समातप्त

1. राष्ट्ट्रपतत स्ियं ऄपनी घोषणा द्वारा अदेश कभी भी िापस ले सकता है।
2. ऐसा करने के तलए संसद की ऄनुमोदन की अिश्यकता नहीं है।

तित्तीय अपात ऄनछु छे द 360

 ऄनछु छे द 360 के तहत तित्तीय अपात की ईद्घोषणा राष्ट्ट्रपतत द्वारा तब की िाती है िब ईसे तिश्वास
हो जाए जक ऐसी जस्थजत जवद्यमान है तजसके कारण भारत के तित्तीय स्थातयत्ि या साख को खतरा
है।
 जवत्तीय अपात की घोषणा को 2 महीने के भीतर संसद के दोनों सदनों के सम्मुख रखना तथा
ईसकी स्िीकृतत प्राप्त करना अिश्यक है।

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 जवत्तीय अपात की घोषणा ईस समय की जाती है जब लोकसभा तिघतित हो तो 2 महीने के भीतर
राज्यसभा की स्िीकृतत तमलने के ईपरांत िह अगे भी लागू रहेगी।
 जकंतु नितनिानतचत लोकसभा द्वारा ईसकी प्रथम बैठक के अरंभ से 30 तदन के भीतर ऐसी घोषणा
की स्िीकृतत अिश्यक है।
 आसकी ऄतधकतम समय सीमा तनधानररत नहीं की गइ है।
 राष्ट्ट्रपतत तित्तीय अपात की घोषणा को तकसी समय िापस ले सकता है।
 ऄभी तक देश में एक भी बार राष्ट्ट्रीय अपात की घोषणा नहीं की गइ है।

ऄनुछछे द संबंतधत प्रािधान


352 राष्ट्ट्रीय अपात की ईद्घोषणा
353 अपात की ईद्घोषणा का प्रभाि
354 अपात की ईद्घोषणा प्रितनन में है तब राजस्ि के तितरण संबंधी ईपबंधों को लागू करना
355 बाहरी अक्रमण और अतं ररक ऄशांतत से राज्य की रक्षा करने का संघ का कतनव्य
356 राज्यों में सिं ैधातनक तंत्र की तिफलता पर ईपबध ं
357 ऄनुछछे द 356 के ऄधीन की गइ ईद्घोषणा के तहत तिधायी शतक्तयों का प्रयोग
358 अपात के दौरान ऄनुछछे द 19 के ईप बध ं ों का तनलबं न
359 अपात के दौरान भाग 3 द्वारा प्रदत्त ऄतधकारों की प्रितनन का तनलंबन
360 तित्तीय अपात के संबंध में ईप बंध।

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15. स्थानीय स्िशासन
LOCAL SELF GOVERNMENT

 स्थानीय स्वशासन में तिकें द्रीकृत शासन व्यिस्था (DECENTRALIZED GOVERNMENT


SYSTEM) तथा सहभातगता मूलक लोकतंत्र (PARTICIPATORY DEMOCRACY) का
अदशन ऄंततननतहत है।
 लॉिन ररपन को स्थानीय स्िशासन का तपता कहा िाता है।
 लॉिन ररपन ने 1882 में स्थानीय स्िशासन संबंधी प्रस्ताि जदया जिसे स्थानीय स्िशासन संस्थाओ ं
का मैग्नाकािान कहा िाता है।
 1919 के भारत शासन ऄतधतनयम के तहत प्रांतों में दोहरी शासन की व्यिस्था की गइ तथा स्थानीय
स्िशासन को हस्तांतररत तिषय सूची में रखा गया।
 2 ऄक्िूबर 1959 को राजस्थान के नागौर जिले में तत्कालीन प्रधानमत्रं ी पंजडत िवाहरलाल नेहरू द्वारा
देश की पहली तत्रस्तरीय पंचायत का ईद्घािन तकया गया।
 11 ऄक्िूबर 1959 को अध्र ं प्रदेश पंचायती राज व्यिस्था को ऄपनाने िाला दूसरा राज्य बना।
 ं ायती राज व्यिस्था का प्रावधान बलितं राय मेहता सतमतत की तसफाररशों
भारत में तत्रस्तरीय पच
के अधार पर की गइ।

भारत में पच
ं ायती राज से सबं तं धत प्रमुख सतमततयां
 सजमजत गठन वषग ररपोटग जसफाररशें
1. बलिंत राय मेहता सतमतत 1957 (NOV)
 ररपोिन – 1957 पंचायत की तत्रस्तरीय ढांचा बनाए जाने की तसफाररश
A. ग्राम स्तर पर – ग्राम पच
ं ायत
B. खंि या ब्लॉक स्तर पर – पंचायत सतमतत
C. तजला स्तर पर – तजला पररषद

2. ऄशोक मेहता सतमतत 1977


 ररपोिन – ऄगस्त 1978
 पंचायत व्यिस्था हेतु तद्वस्तरीय मॉिल
 पहली स्तर पर मंिल पंचायत दूसरे स्तर पर तजला पंचायत

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3. जीिीके राि सतमतत 1985
A. ईद्देश्य ग्रामीण तिकास एिं तनधननता ईन्मूलन कायनक्रम से संबंतधत प्रशासतनक ढांचे की समीक्षा
करना
B. तजला स्तर पर तजला तिकास अयुक्त नामक पद सृजन

4. लक्ष्मी मल तसघं िी सतमतत 1986

 पचं ायती राज व्यिस्था को सिं ैधातनक दजान तदया जाना चातहए
 तत्रस्तरीय ग्राम खंि और तजला पंचायतों का गठन
 दलगत व्यिस्था को पंचायती चुनाि में नहीं ऄपनाना चातहए

73िां सतं िधान सश


ं ोधन ऄतधतनयम 1992

 ऄजधजनयम 20 ऄप्रैल 1993


 24 ऄप्रैल 1993 से 73 िा संतिधान संशोधन ऄतधतनयम लागू हुअ।
 24 ऄप्रैल को राष्ट्ट्रीय पंचायत तदिस के रूप में मनाया िाता है।
 73वें संजवधान संशोधन ऄजधजनयम के माध्यम से पंचायती राज व्यिस्था को संिैधातनक दजान तदया
गया।
 73िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयम द्वारा संतिधान में भाग 9 जोड़ा गया।
 भाग 9 में पंचायत नामक शीषनक के तहत 243 – 243ण (243-243 O) तक पंचायती राज से
सबं तं धत ईपबधं है।
 73 वें संजवधान संशोधन द्वारा संतिधान में 11िीं ऄनुसूची जोड़ी गइ जिसके तहत पंचायतों के तलए
29 तिषयों की सूची की व्यवस्था की गइ है।

73 िें सतं िधान सश


ं ोधन के प्रमुख ईपबध

 ऄनुछछे द 243 (क) में ग्राम सभा की शतक्तयों और कायों का िणनन जकया गया है।

पंचायतों की संरचना ऄनुछछे द 243 (ग)


स्तर सरं चना ऄतधकारी तनिानचन
ग्राम स्तर ग्राम पंचायत प्रधान/ मुतखया/ सरपंच तिधान मंिल द्वारा तनधानररत प्रतक्रया
खंि /ब्लॉक स्तर क्षेत्र पंचायत प्रमुख ऄप्रत्यक्ष
तजला स्तर तजला पंचायत ऄध्यक्ष चेयरमैन ऄप्रत्यक्ष

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ऄहनताएँ तनिानचन एिं पद मुतक्त

A. व्यस्क मतातधकार के अधार पर प्रत्येक 5िें िषन तनिानचन राज्य तनिानचन अयोग द्वारा कराए
जाते हैं।
B. चुनाि लड़ने की न्यूनतम अयु 21 िषन
C. ऄगर राज्य तिधानमंिल से कोइ तितध पाररत हुइ हो और ईसकी ईपबंध के ऄंतगनत तकसी
पंचायत की सदस्यता के तलए व्यतक्त ऄयोग्य घोतषत कर तदया गया है।

अरक्षण

 ऄनछु छे द 243 घ में पंचायतों में अरक्षण से संबंतधत प्रािधान


 मतहलाओ ं के तलए प्रत्येक पंिायत क्षेत्र में कम से कम एक ततहाइ स्थान अरतक्षत होना चातहए यजद
तिधानमंिल चाहे तो आसे ब़िा सकती है लेतकन कम नहीं कर सकती।
 ऄनुसूतचत जाततयों और ऄनुसूतचत जनजाततयों के जलए प्रत्येक पंचायत क्षेत्र में ईनकी जनसंख्या
के ऄनुपात में स्थान अरजक्षत जकए िाएगं ।े
 ऄनुसूतचत जाततयों तथा ऄनुसूतचत जनजाततयों के तलए अरजक्षत स्थानों में से कम से कम एक
ततहाइ ऄस्थान ईसी िगन की मतहलाओ ं के तलए अरतक्षत होंगे।
 राज्य की राज्यपाल को प्रत्येक 5 िषन में राज्य तित्त अयोग के गठन की शतक्त दी गइ है।

राज्य तनिानचन अयोग

 राज्य तनिानचन अयोग का प्रावधान सतं िधान के ऄनछु छे द 243 (K) मे की गइ है।
 राज्य तनिान चन अयुक्त की तनयुतक्त राज्यपाल द्वारा की िाती है तथा ईसकी सेिा शतें और पदाितध

का तनधानरण राज्य तिधान मंिल द्वारा जकया िाता है।


 राज्य तनिान चन अयुक्त को ईसी रीतत और ईन्हीं अधारों पर हिाया जा सके गा िैसे जक ईछच

न्यायालय के तकसी न्यायाधीश को हिाया जाता है।


 राज्य तनिान चन अयोग पि ं ायतों के सभी चुनाि के तलए मतदाता सूची तैयार करने तथा पंचायत के
सभी चुनाि के संचालन के तलए ईत्तरदायी होता है।
2. संसद में 1996 में पच
ं ायत (ईपबध ं ऄनस ु तू चत क्षेत्रों का तिस्तार) तिधेयक प्रस्तुत तकया गया।
 जदसंबर 1996 में दोनों सदनों से पाररत होने के ईपरांत 24 तदसंबर को राष्ट्ट्रपतत की सहमतत के पिात

पेसा ऄतधतनयम ऄतस्तत्ि में अया।


 वतगमान में पेसा ऄतधतनयम के ऄंतगनत 10 राज्य अते हैं

तहमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसग़ि, ईड़ीसा झारखंि, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्ट्र, अध्र ं
प्रदेश तथा तेलंगाना।

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 ऄनुसूतचत क्षेत्रों के ऄध्ययन के तलए जून 1994 में सरकार ने भूररया सतमतत का गठन जकया था।

नगर पातलका

 भारतीय सजं वधान में 74 िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1992 द्वारा नगर पातलकाओ ं को
संिैधातनक दजान जदया गया।
 आस संशोधन के माध्यम से संतिधान में भाग 9 (क) जोड़ा गया।

 74 िा संतिधान संशोधन 1 जून 1993 से प्रभािी हुअ।

 ऄनुछछे द 243 त – 243 य (छ) (243 P - 243 ZG) में नगरपातलकाओ ं से संबंतधत ईपबंध है ।

 आस संशोधन द्वारा सतं िधान में 12िीं ऄनस ु चू ी जोड़ी गइ जिसके ऄतं गगत नगर पातलकाओ ं को 18
तिषयों की सूची तितनतदनष्ट है।
 प्रत्ये क 5 िषन पर तनिान चन कराए जाएग ं े।
 जनवागिन के जलए कम से कम 21 िषन की अयु अिश्यक।

 नगर पातलका से संबंतधत चुनाि कराने की तजम्मे िारी राज्य तनिान चन अयोग की होती है।

 राज्य तिधान मंिल को चुनाि के संबंध में तितध बनाने का ऄतधकार है।

नगर पातलका की सरं चना


नगर पंचायत नगर पातलका पररषद नगर तनगम
संक्रमणशील क्षेत्रों में गतठत छोिे शहरों ऄथिा लघु नगरीय बड़े नगरीय क्षेत्रों महानगरों में
की जाती है जो गांि से क्षेत्रों में गतठत की जाती हैं। गतठत की जाती है।
शहरों में पररिततनत हो रहे हैं।

 प्रत्येक पांचिी िषन तित्त अयोग का गठन।


नगर पातलकाओ ं में अरक्षण

A. जनसंख्या के ऄनुपात में ऄनुसूतचत जातत और ऄनुसूतचत जनजाततयों के तलए स्थान अरतक्षत
होते हैं।
B. मतहलाओ ं के तलए 1/3 स्थान के अरक्षण का प्रािधान।

पंचायतों से संबंतधत ऄनुछछे द (243 – 243 O)


ऄनछु छे द तिषय िस्तु
243 पररभाषाएं
243 A ग्राम सभा
243 B पच ं ायतों का गठन

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243 C पचं ायतों की संरचना
243 D स्थानों का अरक्षण
243 E पंचायत की ऄितध
243 F सदस्यता के तलए ऄयोग्यताएं
243 I राज्य तित्त अयोग का गठन
243 J पंचायतों के लेखकों की संपरीक्षा
243 K पच ं ायतों के तलए तनिानचन
243 O तनिानचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का िजनन

नगर पातलकाओ ं से संबंतधत ऄनुछछे द ( 243 P – 243 ZG)


ऄनछु छे द तिषय िस्तु
243 P पररभाषाएं
243 Q नगर पातलकाओ ं का गठन
243 R नगर पातलकाओ ं की सरं चना
243 T स्थानों का अरक्षण
243 Y तित्त अयोग
243 ZA नगर पातलकाओ ं के तलए तनिानचन
243 ZD तजला योजना के तलए सतमतत
243 ZE महानगर योजना के तलए सतमतत
243 ZG तनिानचन संबंधी मामलों में न्यायालयों की हस्तक्षेप का िजनन।

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16. भारत में तनिानचन एिं दलीय व्यिस्था
 भारतीय सतं िधान के भाग 15 में ऄनछु छे द 324 – 329 तक तनिानचन से सबं तं धत ईपबध
ं ों का
ईल्लेख है।
 सजं वधान के ऄनुछछे द 324 में चुनाि अयोग संस्था का ईल्लेख जकया गया है।
 भारत में तनिानचन प्रणाली व्यस्त मतातधकार पर अधाररत है जिसमें भारत का प्रत्येक नागररक
तजसकी अयु 18 िषन से कम ना हो ऄपने मतातधकार का प्रयोग कर सकता है।

भारत में तनिानचन प्रणाली


 तनिानचन प्रणाली के प्रकार
 भारत में जनवागिन के सब ं धं में मुख्यतः दो प्रकार की पद्धततयां ऄपनाइ िाती है।
A. लोकसभा एिं राज्य में तिधानसभा चुनाि हेतु फस्िन पास्ि द पोस्ि तसस्िम।

B. राष्ट्ट्रपतत, ईपराष्ट्ट्रपतत, राज्य सभा एिं राज्य तिधान पररषद के तनिान चन हेतु एकल संक्रमणीय

अनुपाततक प्रतततनतधत्ि प्रणाली ऄपनाइ गइ है।

चुनाि सुधार से संबंतधत सतमततयां


सतमतत िषन संबंतधत तिषय
संयुक्त संसदीय 1972 चुनाि कानून में संशोधन
तारकुंिे/जेपी 1974 चुनाि सुधार (गैर सरकारी)
तदनेश गोस्िामी 1990 चुनाि सधु ार
िोहरा सतमतत 1993 ऄपराध और राजनीतत के बीच सांठगांठ की जांच के तलए
आद्रं जीत गुप्ता 1998 सरकार द्वारा चुनाि खचन िहन करने पर गतठत सतमतत
तनखा सतमतत 2010 चुनाि कानूनों एिं चुनाि सुधारों से जुड़े तमाम मामलों की जांच
जेएस िमान 2013 ऄपरातधक कानून में संशोधन पर गतठत सतमतत।
 61 िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1988 के माध्यम से लोकसभा एिं राज्य तिधानसभाओ ं के
चुनाि में िोि िालने की ईम्र 21 िषन से घिाकर 18 िषन तकया गया।
भारत में दलों का िगीकरण
राष्ट्ट्रीय दल क्षेत्रीय दल स्थानीय एिं साम्यिादी तदथन दल लघु दल
दल
 कांग्रेस  तशरोमतण ऄकाली दल  झारखंि मुतक्त मोचान के रल कांग्रेस तहदं ू
 BJP  िीएमके एिं  तमजो राष्ट्ट्रीय फ्रंि बगं ाल महासभा
 CPI (M) एअइिीएमके  गोरखा लीग कांग्रेस लोक जनता पािी

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 CPI  तशिसेना  मतणपुर पीपुल्स पािी शतक्त पािी प्रजा
 BSP  तेलगु ू देशम पािी  ऄरुणाचल कांग्रेस राष्ट्ट्रीय लोक समाजिादी
 NSP  ररपतब्लक पािी ऑफ दल पािी।
 ऑल आतं िया आतं िया
तृणमूल कांग्रेस  ऄसम गण पररषद
 नेशनल पीपल्ु स  हररयाणा कांग्रेस
पािी(NNP)

राष्ट्ट्रीय दलों के रूप में मान्यता के तलए दशाएं

 ितनमान में तकसी दल को राष्ट्ट्रीय दल के रूप में तभी मान्यता दी जा सकती है जब िह


1. लोकसभा ऄथिा तिधानसभा के अम चुनाि में 4 ऄथिा ऄतधक राज्यों में िैध मतों का 6%

मत प्राप्त करता है एिं आसके साथ ही तकसी राज्य या राज्यों से लोकसभा में 4 सीि प्राप्त करता है
ऄथिा
2. यतद िह लोकसभा में 2% स्थान जीता है एिं यह सदस्य तीन तितभन्न राज्यों से चुने जाते हैं

ऄथिा
3. यतद कोइ दल कम से कम चार राज्यों में राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त हो

महत्िपण
ू न त्य

ं ोधन ऄतधतनयम 1985 में यह व्यवस्था की गइ जक सांसदों तथा जवधायकों द्वारा एक


1. 52 िें सतं िधान सश
रािनीजतक दल से दसू रे रािनीजतक दल में दल पररितनन के अधार पर कुछ शतों को देखते हुए ईन्हें
ऄयोग्य घोतषत तकया िा सकता है।
2. गोिा तिधानसभा चुनाि में पहली बार पूरे राज्य में आलेक्ट्रॉतनक िोतिंग मशीन का प्रयोग जकया
गया।
3. नोिा (NOTA) का प्रािधान ईच्ितम न्यायालय के जनदेशानसु ार िनु ाव अयोग द्वारा जकया गया
तजसका ऄथन है ईपयुक्त में से कोइ नहीं।
4. िोिर िेरीफाआि पेपर ऑतिि ट्रेल (VVPAT) का प्रथम प्रयोग 2013 में नागालैंि तिधान सभा
चुनाि में तकया गया था।

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17. अयोग/ पररषद /ऄतधकरण COMMISSION/
COUNCIL/ TRIBUNAL

संिैधातनक तनकाय (CONSTITUTIONAL BODY)

 भारतीय संतिधान में तितभन्न ऄनुछछे दों के तहत तजस तनकाय का ईल्लेख है ईन्हें संिैधातनक
तनकाय माना िाता है।
 आन तनकायों के सदस्यों की तनयुतक्त राष्ट्ट्रपतत द्वारा की िाती है।
 ईन्हें पयानप्त पद सरु क्षा प्रदान की गइ है और ईन्हें सतं िधान में तनतदनष्ट तितधयों के ऄततररक्त तकसी
ऄन्य तरीके से ऄपने पद से नहीं हिाया जा सकता है।
 आनकी ररपोिन को संसद के दोनों सदनों में रखा जाता है।
1. तित्त अयोग ( FINANCE COMMISSION)

 तित्त अयोग एक ऄधन न्यातयक एिं सलाहकारी तनकाय है।


 जवत्त अयोग के संबंध में ऄनुछछे द 280 और 281 में ईल्लेख है।
 जवत्त अयोग एक ऄध्यक्ष और चार ऄन्य सदस्य होते हैं िो राष्ट्ट्रपतत द्वारा तनयुक्त जकए िाते हैं।

 अयोग ऄपनी ररपोिन राष्ट्ट्रपतत को सौंपता है जिसे वह संसद के दोनों सदनों के समक्ष
रखिाता है।
 तित्त अयोग द्वारा की गइ तसफाररशें सलाहकारी प्रिृतत्त की होती है आसे मानना या ना मानना

सरकार पर जनभगर करता है।


 जवत्त अयोग का गठन प्रत्ये क 5 िषन पर तकया जाता है।

 प्रथम तित्त अयोग की स्थापना 1951 में हुइ जिसके ऄध्यक्ष के . सी. तनयोगी थे ।

 के संथानम, ए. के . चंदा, िॉ. पी. िी. राजमन्नार िमश: तद्वतीय तृतीय और चतुथन तित्त

अयोग के ऄध्यक्ष थे।


 सी रंगराजन, तिजय के लकर, िाइ. िी. रे ि्िी और एन.के . तसंह क्रमशः 12िीं 13िीं 14िीं

और 15 में तित्त अयोग के ऄध्यक्ष थे।


ऄनछु छे द सबं तं धत तनकाय
280 तित्त अयोग
315 – 323 संघ लोक सेिा अयोग / राज्य लोक सेिा अयोग
148 भारत का तनयंत्रक एिं महालेखा परीक्षक(CAG)
323 A कें द्रीय प्रशासतनक ऄतधकरण

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338 राष्ट्ट्रीय ऄनुसूतचत जातत अयोग
338 A राष्ट्ट्रीय ऄनुसूतचत जनजातत अयोग
324 तनिानचन अयोग

2. पररसीमन अयोग (DELIMITATION COMMISSION)

 आसका ईल्लेख संतिधान के ऄनुछछे द 82 में है।


 ं द प्रत्येक जनगणना के पिात काननू द्वारा एक पररसीमन अयोग का गठन करे गी।
सस
 ऄब तक चार पररसीमन अयोग का गठन जकया िा िक ु ा है
1. प्रथम पररसीमन अयोग 1952

2. तद्वतीय पररसीमन अयोग 1962

3. तृतीय पररसीमन अयोग 1972

4. चतुथन पररसीमन अयोग 2002।

3. संघ लोक सेिा अयोग (UPSC / SPSC)

 भारतीय संतिधान के भाग 14 में ऄनुछछे द 315 के तहत संघ लोक सेिा अयोग का प्रािधान
जकया गया है।
 अयोग के ऄध्यक्ष और सदस्य पद ग्रहण की तारीख से 6 िषन की ऄितध या 65 िषन की अयु
(िो भी पहले हो) तक पद धारण करते हैं।
 आनकी तनयुतक्त राष्ट्ट्रपतत द्वारा की िाती है।
 ऄध्यक्ष और सदस्य जकसी भी समय राष्ट्ट्रपतत को संबोतधत करते त्यागपत्र दे सकते हैं।
 ऄध्यक्ष और सदस्यों को दुव्यनिहार और कदाचार के अधार पर भी पद से हटाया िा सकता है
4. राज्य लोक सेिा अयोग (SPSC)

 राज्य लोक सेवा अयोग का प्रावधान संतिधान के भाग 14 में ऄनुछछे द 315 से 323 में तकया
गया है।
 आसके ऄध्यक्ष और सदस्यों की तनयुतक्त राज्यपाल द्वारा की िाती है।
 ऄध्यक्ष और सदस्यों का कायनकाल 6 िषन या 62 िषन की अयु (िो भी पहले हो) होती है।

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5. भारत का तनयंत्रक एिं महालेखा परीक्षक (COMPTROLLER AND AUDITOR
GENERAL OF INDIA)

 भारतीय संजवधान का ऄनुछछे द 148 – 151 भारत के तनयंत्रक और महालेखा परीक्षक से


संबंजधत है।
 आसकी तनयुतक्त राष्ट्ट्रपतत द्वारा की िाती है।
 आसका कायनकाल 6 िषन या 65 िषन (िो भी पहले हो)
 आसके द्वारा भारत की संतचत तनतध, लोक लेखा तनतध, के साथ-साथ अकतस्मकता तनतध के
सभी प्रकार के व्यय का लेखा परीक्षण तकया जाता है।
 कै ग की ररपोिन – राष्ट्ट्रपतत/ राज्यपाल – सस ं द के प्रत्येक सदन या तिधानमंिल – लोक
लेखा सतमतत – तनष्ट्कषन

लोक सेिा अयोग से सबं तं धत ऄनछु छे द


ऄनछु छे द तिषय िस्तु
315 संघ एिं राज्यों के तलए लोक सेिा अयोग
316 सदस्यों की तनयुतक्त एिं कायनकाल
317 PSC के सदस्य की बखानस्तगी और तनलंबन
320 लोक सेिा अयोग के कायन
322 लोक सेिा अयोग का खचन
323 लोक सेिा अयोग का प्रततिेदन

6. राष्ट्ट्रीय ऄनुसूतचत जातत अयोग

 भारतीय संतिधान का ऄनुछछे द 338 ऄनुसूतचत जाततयों एिं जनजाततयों के तलए एक तिशेष
ऄतधकारी की तनयुतक्त का ईपबंध करता है।
 आस अयोग में एक ऄध्यक्ष एक ईपाध्यक्ष और तीन ऄन्य सदस्य होते है।
 आनकी सेिा शतें एिं कायनकाल राष्ट्ट्रपतत द्वारा ही तनधानररत जकए िाते हैं।
 तनयमानुसार आनका कायनकाल 3 िषन का होता है।
 यह ऄपना ररपोिन राष्ट्ट्रपतत या संबंतधत राज्य के राज्यपाल को सौपता है।

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18. अधारभतू महत्ि के सतं िधान सश
ं ोधन

पहला सतं िधान सश


ं ोधन ऄतधतनयम 1951

 नौिीं ऄनुसूची जोड़ी गइ।


 सपं जत्त के ऄजधकार को सीजमत करने के जलए ऄनच्ु छे द 31 में दो नए खडं िोड़े गए 31 क और 31 ख।
 नौिीं ऄनुसूची के तिषय को न्यातयक समीक्षा से परे रखा गया।

7 िां संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1956

 राज्य पुनगनठन अयोग (STATE REORGANISATION COMMISSION) की ररपोिन को


लागू करने के जलए यह संशोधन ऄजधजनयम पाररत जकया गया।
 क ख ग तथा घ श्रेणी के राज्यों का िगीकरण समाप्त कर पूरे भारत को 14 राज्यों और 6 संघ
शातसत क्षेत्रों में बांिा गया।

16 िां संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1963

 ऄनछु छे द 19 में तदए गए तीन ऄतधकारों पर युतक्तयुक्त तनबंधन (REASONABLE


RESTRICTION) लगाने की शतक्त राज्य को दे दी गइ।

21 िां संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1967

 आसके द्वारा संतिधान की अठिीं ऄनुसूची में शाजमल भाषाओ ं में तसंधी को सतम्मतलत कर जलया गया
24 िां संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1971

 ऄनछु छे द 13 (2) में संशोधन कर प्रावधान जकया गया जक ऄनुछछे द 368 के तहत पाररत की गइ कोइ
भी तितध ऄनुछछे द 13 (2) में प्रयुक्त तितध शब्द में शातमल नहीं मानी जाएगी।
 राष्ट्ट्रपतत संतिधान संशोधन तिधेयक पर ऄनुमतत देने के तलए बाध्य होगा।

26 िां संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1971

 आसके ऄतं गगत भूतपूिन देसी राज्यों के शासकों को जवशेष ईपाजधयों एवं ईनके तप्रिी पसन को समाप्त कर
तदया गया

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36 िां संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1975

 आसके ऄतं गगत तसतक्कम को भारत का 22 िां राज्य बनाया गया।


42िां संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1976

a) संतिधान की प्रस्तािना में समाजिादी, धमनतनरपेक्ष एिं एकता और ऄखंिता शब्द जोड़े गए
b) सभी नीतत तनदेशक तसद्धांतों को मूल ऄतधकारों पर सिोछच का सुतनतित की गइ।
c) आसके ऄंतगनत सतं िधान में 10 मौतलक कतनव्यों को ऄनछु छे द 51 (क) भाग 4 (क) के ऄंतगनत जोड़ा
गया।
d) संतिधान को न्यातयक परीक्षण से मुक्त तकया गया।
e) लोकसभा एिं तिधानसभा ओ ं की ऄितध को 5 से 6 िषन कर तदया गया।
f) आसके द्वारा िन, संपदा, तशक्षा, जनसंख्या, तनयंत्रण, अतद तिषयों को राज्य सूची से समिती सूची
के ऄंतगनत कर तदया गया।
g) आसके ऄंतगनत तनधानररत तकया गया तक राष्ट्ट्रपतत मंत्री पररषद एिं ईसके प्रमुख प्रधानमंत्री की
सलाह के ऄनुसार कायन करेगा।
h) आस ने संसद को राष्ट्ट्र तिरोधी गतततितधयों से तनपिने के तलए कानून बनाने के ऄतधकार तदए एिं
सिोछचता स्थातपत

44 िां सतं िधान सश


ं ोधन ऄतधतनयम 1978

 आसके ऄतं गगत राष्ट्ट्रीय अपात तस्थतत लागू करने के तलए अतं ररक ऄशांतत के स्थान पर सैन्य
तिद्रोह का अधार
 संपतत्त के ऄतधकार को मौतलक ऄतधकार से हिाकर तितधक ऄतधकार की श्रेणी में रखा गया।
 लोकसभा तथा राज्य तिधानसभा की ऄितध 6 िषन से घिाकर 5 िषन कर दी गइ।
 ईछचतम न्यायालय को राष्ट्रपजत तथा ईपराष्ट्रपजत के जनवागिन संबंधी तििाद को हल करने की
ऄतधकाररता प्रदान की गइ।

52 िा संतिधान संशोधन 1985

 आस संशोधन के द्वारा राजनीततक दल बदल पर ऄंकुश लगाने का लक्ष्य रखा गया।


 दल बदल तिरोधी आन प्रािधानों को सतं िधान की दसिीं ऄनसु च
ू ी के ऄंतगनत रखा गया।

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61 िा संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1989

 आसके द्वारा मतदान के तलए अयु सीमा 21 िषन से घिाकर 18 िषन लाने का प्रस्ताि था।
65 िां संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1990

 आसके द्वारा ऄनुछछे द 338 में संशोधन करके ऄनुसूतचत जातत तथा जनजातत अयोग के गठन की
व्यिस्था की गइ।

69 िां सतं िधान सश


ं ोधन 1991

 तदल्ली को राष्ट्ट्रीय राजधानी क्षेत्र बनाया गया तथा


 तदल्ली संघ राज्य क्षेत्र के तलए तिधानसभा और मंत्री पररषद का ईपबंध तकया गया।

70 िां संतिधान संशोधन 1992

 तदल्ली और पुदुचेरी संघ राज्य क्षेत्रों की तिधानसभाओ ं के सदस्यों को राष्ट्ट्रपतत के तलए तनिानचक
मंिल में सतम्मतलत जकया गया।

71िां सतं िधान सश


ं ोधन 1992

 अठिीं ऄनस ू ी में कोंकणी, मतणपरु ी और नेपाली भाषा को सतम्मतलत तकया गया।
ु च

73 िा संतिधान संशोधन 1992 – 93

 आसके ऄतं गगत संतिधान में 11 िीं ऄनुसूची जोड़ी गइ।


 आस ऄनुसूची में 29 तिषयों का प्रािधान है।
 आसमें पंचायती राज संबंधी प्रािधानों को सतम्मतलत जकया गया
 आस संशोधन के द्वारा संतिधान में भाग 9 िोड़ा गया।
74 िां संतिधान संशोधन 1993

 आसके ऄंतगनत संतिधान में 12िीं ऄनुसूची को जोड़ा गया।


 आस ऄनुसूची में 18 तिषयों का प्रािधान है।
 जिसमें नगर पातलका, नगर तनगम, और नगर पररषद से सबं तं धत प्रािधान जकए गए।
 आस संशोधन के द्वारा संतिधान में भाग 9(क) जोड़ा गया।

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86 िा संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 2002

 आस ऄजधजनयम के द्वारा देश में 6 से 14 िषन तक के बछचों के तलए ऄतनिायन एिं तनशुल्क तशक्षा को
मौतलक ऄतधकार के रूप में मान्यता जदया गया।
 आस प्रावधान को ऄनुछछे द 21 (क) के ऄंतगनत जोड़ा गया।
 आस ऄजधजनयम द्वारा संतिधान के ऄनुछछे द 45 तथा ऄनुछछे द 51(क) संशोधन तकए जाने का
प्रािधान है।

89 िा संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 2003

 ऄनसु जू ित िनिाजत के जलए पृथक राष्ट्ट्रीय अयोग की स्थापना की व्यिस्था।


91 िां सतं िधान सश
ं ोधन ऄतधतनयम 2003

 दलबदल व्यिस्था में सश ं ोधन


 के िल संपूणन दल के तिलय को मान्यता
 कें द्र तथा राज्य में मंत्री पररषद के सदस्य संख्या क्रमशः लोकसभा तथा तिधानसभा की सदस्य
संख्या का 15% होगा।

92 िां सतं िधान सश


ं ोधन ऄतधतनयम 2003

 सतं िधान की अठिीं ऄनस ू ी में बोिो, सथ


ु च ं ाली, मैतथली और सथ
ं ाली भाषाओ ं का समािेश।

97 िां संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 2011

 सजं वधान में एक नया भाग 9(ख) जोड़ा गया तजसका नाम सहकारी सतमततयां है।
 आसके ऄतं गगत सजं वधान के ऄनुछछे द 243 यज (ZH) से 243 यन (ZT) जोड़ा गया।
 नीतत तनदेशक तत्िों के ऄंतगनत 43 B जोड़ा गया।
 ऄनुछछे द 19.1 (ग) में संघ बनाने की स्ितंत्रता के साथ सहकारी सतमतत बनाने का ऄतधकार
शब्द शाजमल जकया गया।

99 िां संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 2014

 सिोछच न्यायालय और ईछच न्यायालय में जजों की तनयुतक्त के जलए राष्ट्ट्रीय न्यातयक तनयुतक्त
अयोग (NJAC) का प्रािधान करता है।

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100 िां संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 2015

 यह संशोधन भारत बांग्लादेश के मध्य भूतम सीमा समझौते से संबंजधत है।


101 िां संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 2016

 िस्तु एिं सेिा कर ऄतधतनयम जीएसिी


 छठी एिं सातिीं ऄनुसूची में भी संशोधन तकया गया।

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19. भारतीय संतिधान एक नजर में

भाग तिषय सबं तं धत ऄनछु छे द


1 संघ और ईसका राज्य क्षेत्र 1–4
2 नागररकता 5 – 11
3 मूल ऄतधकार 12 – 35
4 राज्य के नीतत तनदेशक तत्ि 36 – 51
4 (क) मूल कतनव्य 51 A
संघ 52 – 151
ऄध्याय 1 कायनपातलका 52 – 78
ऄध्याय 2 संसद 79 – 122
5 ऄध्याय 3 राष्ट्ट्रपतत की तिधायी शतक्तयां 123
ऄध्याय 4 संघ की न्यायपातलका 124 – 147
ऄध्याय 5 भारत का तनयंत्रक महालेखा परीक्षक 148 – 151
राज्य 152 – 237
ऄध्याय 1 साधारण 152
ऄध्याय 2 कायनपातलका 153 – 167
6 ऄध्याय 3 राज्य का तिधान मंिल 168 – 212
ऄध्याय 4 राज्यपाल की तिधायी शतक्त 213
ऄध्याय 5 राज्यों के ईछच न्यायालय 214 – 232
ऄध्याय 6 ऄधीनस्थ न्यायालय 233 – 237
7 पहली ऄनुसूची के भाग ख राज्य 7 िें संतिधान 238 (तनरतसत)
सशं ोधन द्वारा तनरतसत
8 संघ राज्य क्षेत्र 239 – 242
9 पचं ायतें 243 – 243 O
9 (क) नगर पातलकाएँ 243 P – 243 ZG
9 (ख) सरकारी सतमततयां 243 ZH – 243 ZT
10 ऄनुसूतचत और जनजातीय क्षेत्र 244 – 244 A
संघ और राज्यों के बीच संबंध 245 – 263
11 ऄध्याय 1 तिधायी सबं ध ं 245 – 255
ऄध्याय 2 प्रशासतनक संबंध 256 – 263
12 तित्त संपतत्त संतिधान और िाद 264 – 300

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13 भारत के राज्य क्षेत्र के भीतर व्यापार िातणज्य और 301 – 307
समागम
14 संघ और राज्यों के ऄधीन सेिाएं 308 – 323
ऄध्याय 1 सेिाएं 308 – 314
ऄध्याय 2 लोक सेिा अयोग 315 – 323
14 (क) ऄतधकरण 323 A – 323 B
15 तनिानचन 324 – 329 A
16 कुछ िगों से सबं तं धत तिशेष प्रािधान 330 – 342
राजभाषा 343 – 351
ऄध्याय 1 संघ की भाषा 343 – 344
17 ऄध्याय 2 प्रादेतशक भाषाएं 345 – 347
ऄध्याय 3 सिोछच न्यायालय ईछच न्यायालय अतद 348 – 349
की भाषा 350 – 351
ऄध्याय 4 तिशेष तनदेश
18 अपात ईपबंध 352 – 360
19 प्रकीणन 361 – 367
20 संतिधान का संशोधन 368
21 ऄस्थाइ संक्रमणशील और तिशेष ईपबंध 369 – 392
22 संतक्षप्त नाम, प्रारंभ, तहदं ी में प्रातधकृत पाठ और तनरसन 393 – 395

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20. सतं िधान में ईतल्लतखत ऄनस
ु तू चयां

ऄनस ु च
ू ी तिषय सबं तं धत ऄनछु छे द
प्रथम राज्य संघ राज्य क्षेत्र 1–4
सिं ैधातनक पदों पर असीन ऄतधकाररयों की पररलतब्धयां 59(3),65(3),75(6)
1. भारत के राष्ट्ट्रपतत 97,125,148(3) 158(3)
2. राज्यों के राज्यपाल 164(5),186,221
3. लोकसभा के ऄध्यक्ष और ईपाध्यक्ष
4. राज्यसभा के सभापतत और ईपसभापतत
दूसरी 5. राज्य तिधान सभा के ऄध्यक्ष और ईपाध्यक्ष
6. राज्य तिधान पररषद के सभापतत और ईपसभापतत
7. सिोछच न्यायालय के न्यायाधीश
8. ईछच न्यायालय के न्यायाधीश
9. भारत के तनयंत्रक एिं महालेखा परीक्षक
तितभन्न ईम्मीदिारों द्वारा ली जाने िाली शपथ का प्रारूप 75(4),84 A, 99,
1. संघ के मंत्री संसद के तलए तनिानचन हेतु ऄभ्यथी 124(6), 148(2),
2. संसद के सदस्य 164(3),173 A ,
3. सिोछच न्यायालय के न्यायाधीश 188, 219
तीसरी 4. भारत के तनयंत्रक एिं महालेखा परीक्षक
5. राज्यों के मंत्री
6. राज्य तिधान मंिल के तनिानचन के तलए ऄभ्यथी
7. राज्य तिधान मंिल के सदस्य
8. ईछच न्यायालय के न्यायाधीश
चौथी राज्यों और कें द्र शातसत प्रदेशों के तलए राज्यसभा में सीिों का 4(1), 80(2)
अिंिन
पांचिी ऄनुसूतचत जातत और जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन तथा तनयंत्रण 244(1)
के बारे में ईपबध

छठी ऄसम, मेघालय, तत्रपुरा और तमजोरम राज्यों के जनजातीय क्षेत्रों 244(2), 275(1)
के प्रशासन के बारे में ईपबंध
सघं सच ू ी (मूल रूप से 97 ितनमान में 100 तिषय) राज्य सच ू ी 246
सातिीं (मूल रूप से 66 ितनमान में 61 तिषय) तथा समिती सूची (मूल
रूप से 47 ितनमान में 52 तिषय) के संदभन में राज्य और कें द्र के

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मध्य शतक्तयों का तिभाजन
अठिीं संतिधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएं (मूल रूप से 14 ितनमान में 344(1), 351
22)
 भूतम सुधारों और जमीदारी प्रथा के ईन्मूलन एिं ऄन्य 31 B
नौिीं मामलों से संबंतधत
 ितनमान में 284 प्रतितष्टयां
 पहले संतिधान संशोधन ऄतधतनयम से जोड़ा गया
 दल बदल के अधार पर संसद और तिधान सभा के 102(2), 191(2)
दसिीं सदस्यों की ऄयोग्यता के बारे में ईपबध
ं ।
 52 िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयम 1985 द्वारा जोड़ा
गया।
 पंचायत की शतक्तयां प्रातधकार और तजम्मेदाररयां। 243 G
ग्यारहिीं  आसमें 29 तिषय है।
 आस ऄनस ु च
ू ी को 73िें सतं िधान सश
ं ोधन ऄतधतनयम
1992 द्वारा जोड़ा गया।
 नगर पातलकाओ ं की शतक्तयां प्रातधकार और 243 W
बारहिीं तजम्मेदाररयां
 आस ऄनुसूची को 74 िें संतिधान संशोधन ऄतधतनयम
1992 द्वारा जोड़ा गया
 तजसमें 18 तिषय हैं

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राष्ट्रीय एवं प्रादेशिक सवं ैधाशनक /
सांशवशधक सस्ं थाएं

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1. शनवााचन अयोग (ELECTION COMMISSION)
संवैधाशनक प्रावधान –

 भारतीय संशवधान के भाग 15 के ऄनुच्छे द 324 से 329 तक शनवााचन अयोग तथा शनवााचन से
सबं शं धत प्रावधान है।
 शनवााचन अयोग एक ऄशखल भारतीय शनकाय है जो कें द्र और राज्य सरकारों के शलए चुनाव
संबंधी शदिाशनदेि का काया करती है।

अयोग की संरचना
 शनवााचन अयोग में एक मुख्य चुनाव अयुक्त और दो ऄन्य अयुक्त होते हैं।
 मुख्य चुनाव अयुक्त और ऄन्य शनवााचन अयुक्तों की शनयुशक्त राष्ट्रपशत द्वारा की जाती है।
 राष्ट्रपशत शनवााचन अयोग की सलाह पर प्रादेशिक अयुक्तों की शनयुशक्त करता है शजसे वह
शनवााचन अयोग की सहायता के शलए अवश्यक समझे।
 शनवााचन अयुक्तों और क्षेत्रीय अयुक्तों की सेवा ितों और कायाकाल का शनधाारण राष्ट्रपशत
करता है।

पद से हटाने की शवशध
 मुख्य शनवााचन अयुक्त का कायाकाल शनशित है। ईसे ईसके पद से ईसी रीती से हटाया जा सकता
है जैसे सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीि को हटाया जाता है (ऄथाात कदाचार और दुर्वयावहार का
दोषी पाए जाने पर)।
 भारत में शनवााचन अयुक्त राष्ट्रपशत के प्रसादपयंत पद धारण नहीं करता है।
 ऄन्य शनवााचन अयुक्त या प्रादेशिक अयुक्त को मुख्य शनवााचन अयुक्त की शसफाररि पर ही
हटाया जा सकता है ऄन्यथा नहीं।

शनवााचन अयुक्त का कायाकाल


 मुख्य शनवााचन अयुक्त और ऄन्य शनवााचन अयुक्त का कायाकाल राष्ट्रपशत द्वारा (6 वषा या 65
वषा की ईम्र तक जो भी पहले हो) शनधााररत शकया गया है।

मुख्य काया
1. शनवााचक नामावली तैयार करना योग्य मतदाताओ ं को पंजीकृत करना।

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2. शनवााचन क्षेत्रों का पररसीमन या सीमांकन चुनाव शतशथयों का शनधाारण करना और नामांकन
पक्षों की जांच करना।
3. राजनीशतक दलों को मान्यता व चुनाव शचन्ह अवशं टत करने तथा शववाद शनपटारे हेतु न्यायालय
का काया करना।
4. राजनीशतक दलों हेतु अचार संशहता तैयार करना।
5. चुनाव प्रशिया में सुधार व प्रादेशिक चुनाव अयुक्तों की शनयुशक्त हेतु राष्ट्रपशत को सलाह देना।

2. राज्य शनवााचन अयोग (STATE ELECTION COMMISSION)

 संशवधान के ऄनुच्छे द 243 त में राज्य शनवााचन अयोग का प्रावधान शकया गया है।
 प्रत्येक राज्य के शलए राज्य शनवााचन अयोग होगा शजसमें एक राज्य शनवााचन अयुक्त होगा।
 राज्य शनवााचन अयुक्त की शनयुशक्त राज्यपाल द्वारा होती है।
 राज्यपाल को ऄशधकार होगा शक वह राज्य शनवााचन अयुक्त की सेवा ितें तथा पदावशध का
शनधाारण करें।
 राज्य शनवााचन अयुक्त को ईसी रीशत और ईन्हीं अधारों पर हटाया जा सके गा जैसे शक ईच्च
न्यायालय के शकसी न्यायाधीि को हटाया जाता है।
 राज्य शनवााचन अयोग पंचायतों पंचायतों की सभी चुनाव के शलए मतदाता सूची तैयार करने
तथा पच ं ायतों के सभी चुनाव के सच ं ालन के शलए ईत्तरदाइ होता है।

संघ लोक सेवा अयोग (UNION PUBLIC SERVICE


COMMISSION)

सवं ैधाशनक प्रावधान


 भारतीय संशवधान के भाग 14 में ऄनुच्छे द 315 के तहत एक स्वायत्त व संवैधाशनक संस्था के रूप
में संघ लोक सेवा अयोग का प्रावधान शकया गया है।
 ऄनुच्छे द 315 से 323 तक अयोग के संगठन सदस्यों की शनयुशक्त एवं पद मुशक्त स्वतंत्रता िशक्त व
कायों का वणान शकया गया है।

संरचना/ गठन/ कायाकाल

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 संघ लोक सेवा अयोग एक ऄध्यक्ष और कुछ ऄन्य सदस्यों द्वारा शमलकर गशठत होती है सदस्य
संख्या शनधााररत नहीं।
 सदस्य सख्ं या को शनधााररत करने का ऄशधकार राष्ट्रपशत को है।
 अयोग के अधे सदस्यों के शलए भारत सरकार ऄथवा राज्य सरकार के ऄधीन काया का कम से
कम 10 वषा का ऄनुभव होना अवश्यक है।
 ऄध्यक्ष व ऄन्य सदस्यों की सेवा ितें राष्ट्रपशत द्वारा शनधााररत की जाती हैं।
 अयोग के ऄध्यक्ष व सदस्य पद ग्रहण की तारीख से 6 वषा की ऄवशध या 65 वषा की अयु
आनमें जो भी पहले हो तक पद धारण करते हैं।

बखाास्त एवं शनलबं न


1. स्वेच्छा से शकसी भी समय राष्ट्रपशत को संबोशधत कर पद त्याग सकते हैं।
2. कायाकाल से पूवा राष्ट्रपशत द्वारा सदस्य को शनम्न प्रशिया द्वारा हटाया जा सकता है
 यशद ईसे शदवाशलया घोशषत शकया जाता है
 यशद वह पद ऄवशध के दौरान शकसी ऄन्य वैतशनक शनयोजन में लगा हो।
 राष्ट्रपशत की दृशि में मानशसक एवं िारीररक ऄक्षमता के कारण काया शनवाहन न कर सके ।
 ऄध्यक्ष व सदस्यों को दुर्वयावहार और कदाचार के अधार पर भेजें पद से हटाया जा सकता है
ऐसे मामलों की जांच के ईपरांत ईच्चतम न्यायालय हटाने का प्रमाण दे सकती है जो राष्ट्रपशत
के शलए बाध्यकारी है।

काया एवं िशक्तयां


 यह ऄशखल भारतीय सेवाओ ं कें द्रीय सेवाओ ं और कें द्र िाशसत क्षेत्रों की लोक सेवाओ ं में
शनयुशक्त के शलए परीक्षाओ ं का अयोजन करता है।
 अयोग परीक्षा के पाठ्यिम एवं परीक्षा प्रशिया का शनधाारण करता है।
 सरकारी सेवकों की भती के तरीकों के संबंध में मामलों पर पदोन्नशत व ऄनुिासनात्मक
मामलों पर तथा काननू ी खचा की प्रशतपशू ता पर व िासकीय सेवाओ ं के दौरान घायल होने पर
पेंिन के मामलों पर परामिा देता है।

ऄन्य तथ्य
 संघ लोक सेवा अयोग भारत में कें द्रीय भती ऄशधकरण है।
 संसद के द्वारा आसकी काया क्षेत्र में वृशि की जा सकती है।
 ऄध्यक्ष को या सदस्य को पनु ः शनयुक्त ऄथवा दूसरे कायाकाल के शलए चुना जा सकता है।

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 संघ लोक सेवा अयोग के ऄध्यक्ष एवं सदस्यों के वेतन एवं भत्ते भारत की संशचत शनशध पर
भाररत होती है।

4. राज्य लोक सेवा अयोग (STATE PUBLIC SERVICE


COMMISSION )

संवैधाशनक प्रावधान
 संशवधान के भाग 14 में ऄनुच्छे द 315 से 323 तक राज्य लोक सेवा अयोग की स्वतंत्रता िशक्त
गठन व सदस्यों की शनयुशक्त तथा बखाास्तगी के बारे में ईल्लेख है।

संरचना गठन कायाकाल वेतन भत्ते


 राज्य के राज्यपाल द्वारा एक ऄध्यक्ष व ऄन्य सदस्यों की शनयुशक्त की जाती है।
 अयोग के अधे सदस्यों को कें द्र ऄथवा राज्य सरकार के ऄधीन न्यूनतम 10 वषा काया करने का
ऄनुभव होना अवश्यक है।
 ऄध्यक्ष व ऄन्य सदस्य पद ग्रहण की तारीख से 6 वषा या 62 वषा की अयु तक पद धारण कर
सकते हैं।
 ऄध्यक्ष की ऄनुपशस्थशत में राज्यपाल द्वारा शनयुक्त कायावाहक ऄध्यक्ष द्वारा काया संपन्न होता है।
 राज्य लोक सेवा अयोग के ऄध्यक्ष व सदस्यों के वेतन एवं भत्ते राज्यों की संशचत शनशध भाररत
होते हैं।

सदस्यों को हटाने की प्रशिया


 ऄध्यक्ष व सदस्य कभी भी राज्यपाल को त्यागपत्र सौंप सकते हैं।
 अयोग के ऄध्यक्ष व सदस्यों की शनयुशक्त राज्यपाल करता है लेशकन पद से के वल राष्ट्रपशत ही
हटा सकता है।
 राष्ट्रपशत ईसी रीशत से ऄध्यक्ष व सदस्यों को पद से हटाता है शजस रीशत से सघं लोक सेवा
अयोग के ऄध्यक्ष व सदस्यों को।
 कदाचार के अधार पर पद से हटाने संबंधी मामले में राष्ट्रपशत ईच्चतम न्यायालय से सलाह
लेता है यह सलाह बाध्यकारी है।

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5. भारत का शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (COMPTROLLER AND
AUDITOR GENERAL OF INDIA)

संवैधाशनक प्रावधान
 भारतीय संशवधान का ऄनुच्छे द 148 – 151 भारत के शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से संबंशधत
है।
 यह लोक शवत्त का संरक्षक एवं लेखा परीक्षण व लेखा शवभाग का मुशखया होता है।
 साथ ही आसका शनयंत्रण कें द्र व राज्य दोनों स्तरों पर पाया जाता है।
 डॉ. ऄंबेडकर ने शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को भारतीय संशवधान के ऄंतगात सवााशधक
महत्वपूणा पदाशधकारी की संज्ञा दी है।

शनयुशक्त/ योग्यता/ पद शवमुशक्त/ वेतन – भत्ते


 शनयुशक्त राष्ट्रपशत द्वारा व कायाकाल 6 वषा या 65 वषा तक
 त्यागपत्र राष्ट्रपशत को
 सशं वधान में योग्यता का ईल्लेख नहीं सस ं द द्वारा कानून बनाकर योग्यता का शनधाारण शकया
गया है।
 पद शवमुशक्त सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीि को पद से हटाने की शवशध के समान।ऄतः संसद
के दोनों सदनों द्वारा शविेष बहुमत के साथ ईसके दुर्वयावहार या ऄयोग्यता पर प्रस्ताव पास कर
ईसे हटाया जा सकता है।
 सवोच्च न्यायालय के न्यायाधीि के बराबर वेतन।
 आसका वेतन भत्ता और पेंिन भारत की संशचत शनशध भाररत होता है।

काया एवं िशक्तयां


 ऄनच्ु छे द 149 के तहत शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के काया एवं िशक्तयों के बारे में प्रावधान
शकया गया है शक
 आसके द्वारा भारत की संशचत शनशध, लोक लेखा शनशध के साथ साथ अकशस्मकता शनशध के सभी
प्रकार के र्वयय का लेखा परीक्षण शकया जाता है।
 खचा होने वाले धन का लेखा परीक्षण करने के दो अधार हैं
1. ईद्देश्य शजस ईद्देश्य से सरकारी धन शनगात हुअ है ईसी के शलए खचा शकया गया है ऄथवा

नहीं

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2. ऄशत र्वययता सरकारी धन खचा करने में धन के ऄत्यशधक दुरुपयोग पर कै ग जांच के बाद
ररपोटा तैयार करता है।
कै ग की ररपोटा ---- राष्ट्रपशत या राज्यपाल ---- सस
ं द/ शवधान मंडल के प्रत्येक सदन ----- लोक लेखा
सशमशत ----- शनष्ट्कषा

ऄन्य तथ्य
 र्वयवहार में कै ग की ररपोटा भ्रिाचार रोकने का प्रमुख साधन है आस ररपोटा के अधार पर
न्यायालय में कायावाही की जा सकती है।
 भारत में शनयंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को लोक लेखा सशमशत के शमत्र, दािाशनक एवं पथ
प्रदिाक की संज्ञा दी जाती है।

6. नीशत अयोग (NATIONAL INSTITUTE


FOR TRANSFORMING INDIA)

 नीशत अयोग का गठन कें द्र सरकार द्वारा 1 जनवरी 2015 को योजना अयोग के स्थान पर
शकया गया
 यह सरकार के शथंक टैंक के रूप में सेवाएं देगा और कें द्र व राज्य सरकारों की नीशत शनधाारण के
सबं ध
ं में प्रासशं गक, महत्वपण
ू ा एवं तकनीक परामिा ईपलब्ध कराएगा।

संरचना
 भारत के प्रधानमंत्री ऄध्यक्ष, गवशनंग काईंशसल में सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और सघं राज्य
क्षेत्रों के ईपराज्यपाल
 शजन कें द्र िाशसत प्रदेिों में शवधानसभा है वहां के मुख्यमंत्री
 शवशिि मुद्दों और ऐसे अकशस्मक मामले की शजनका सबं ध ं एक से ऄशधक राज्य या क्षेत्र से हो
को देखने के शलए क्षेत्रीय पररषदें
 शविेष अमंशत्रत सदस्य शवशभन्न क्षेत्रों के शविेषज्ञ प्रधानमंत्री द्वारा नाशमत
 पूणाकाशलक संगठनात्मक ढांचे में प्रधानमंत्री के ऄध्यक्ष होने के ऄलावा शनम्न होंगे
 ईपाध्यक्ष प्रधानमंत्री द्वारा शनयुक्त

 सदस्य पूणाकाशलक

 ऄंिकाशलक सदस्य ऄग्रणी शवश्वशवद्यालय, िोध संस्थानों और ऄन्य सुसंगत संस्थाओ ं

से ऄशधकतम दो पदेन सदस्य

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 ऄंिकाशलक सदस्य बारी के अधार पर होंगे
 पदेन सदस्य कें द्रीय मंत्री पररषद से ऄशधकतम 4 सदस्य प्रधानमंत्री द्वारा नाशमत

 मुख्य काया कारी ऄशधकारी भारत सरकार के सशचव स्तर का ऄशधकारी शनशित
कायाकाल हेतु प्रधानमंत्री द्वारा शनयुक्त
 सशचवालय का गठन अवश्यकता के ऄनुसार शकया जाएगा।

ईद्देश्य / काया
 शवकास प्रशिया में शनदेि और रणनीशतक परामिा देना
 सहयोगात्मक सघं वाद का शवकास करना।
 ग्राम स्तर पर र्वयावहाररक योजना बनाने में सहयोग एवं योजनाओ ं के ईत्तरोत्तर शवकास में मदद
करना।
 कायािमों और नीशतयों के कायाान्वयन हेतु प्रौद्योशगकी व क्षमता शनमााण का शवकास करना।
 दीघाकालीन योजना कायािम शनमााण और समयानस ु ार अवश्यक पररवतान अशद करना।

7. राष्ट्रीय मानवाशधकार अयोग (NATIONAL


HUMAN RIGHTS COMMISSION)

सामान्य पररचय
 राष्ट्रीय मानवाशधकार अयोग का गठन मानव ऄशधकार संरक्षण ऄशधशनयम 1993 के तहत शकया
गया।
 यह एक सांशवशधक स्वायत्त शनकाय है।
 आसका गठन संसदीय ऄशधशनयम के माध्यम से शकया गया है।
 ईद्देश्य मानवाशधकार संरक्षण के प्रयासों को सिक्त एवं शनष्ट्पक्ष बनाना, व एक स्वतंत्र संस्था के
रूप में मानवाशधकारों के ईल्लघं न से जुडे मुद्दों पर सरकार का ध्यान अकृि करना।
 आसका प्रधान कायाालय शदल्ली में शस्थत है।
 यह अयोग ईन मामलों की जांच कर सकता है शजन्हें घशटत हुए 1 वषा से कम समय हुअ हो।
 प्रशतवषा 10 शदसंबर को ऄंतरराष्ट्रीय मानवाशधकार शदवस के रुप में मनाया जाता है।

अयोग की संरचना तथा अयोग के ऄध्यक्ष व ऄन्य सदस्यों की शनयुशक्त


 अयोग एक बहु सदस्यीय सस्ं था है शजनमें शनम्नशलशखत सदस्य िाशमल शकए जाते
 एक ऄध्यक्ष जो ईच्चतम न्यायालय (SC) का मुख्य न्यायमूशता रहा हो

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 एक सदस्य जो ईच्चतम न्यायालय का न्यायाधीि है या रहा है
 एक सदस्य जो शकसी ईच्च न्यायालय (HC) का मुख्य न्यायमूशता है या रहा है

 2 सदस्य जो ऐसे र्वयशक्तयों में से शनयुक्त शकए जाएग ं े शजन्हें मानवाशधकारों से सबं शं धत शवषयों
का ज्ञान या र्वयावहाररक ऄनुभव है।
 आन स्थाइ सदस्यों के ऄशतररक्त राष्ट्रीय मानवाशधकार अयोग के चार पदेन सदस्य भी होते हैं जो आस

प्रकार हैं
1. राष्ट्रीय ऄल्पसख् ं यक अयोग का ऄध्यक्ष
2. राष्ट्रीय मशहला अयोग के ऄध्यक्ष

3. राष्ट्रीय ऄनुसूशचत जाशत अयोग का ऄध्यक्ष


4. राष्ट्रीय ऄनसु शू चत जनजाशत अयोग का ऄध्यक्ष।
 अयोग के सदस्यों और ऄध्यक्ष की शनयुशक्त राष्ट्रपशत द्वारा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में गशठत 6 सदस्य
सशमशत की शसफाररि पर की जाती है
 आस चयन सशमशत में

1. प्रधानमंत्री,

2. लोकसभा ऄध्यक्ष,

3. राज्यसभा ईपसभापशत,

4. दोनों सदनों में शवपक्षी नेता और कें द्रीय गृह मंत्री होते हैं।

अयोग के काया
मानवाशधकार के ईल्लंघन से संबंशधत मामलों की जांच करना।
 शजलों एवं बंदी गृहों में जाकर वहां की शस्थशत देखना व सुधार हेतु ऄनुिंसा करना।
 मानव ऄशधकार से संबंशधत ऄंतरराष्ट्रीय संशध समझौतों का प्रभावी शियान्वयन ।
 मानवाशधकार संरक्षण हेतु शवशधक ईपायों के प्रशत जन जागरूकता पैदा करना।

 न्यायालयों में लंशबत मानवाशधकारों जै से शहस ं ा संबंधी मामलों में हस्तक्षेप करना।
 मानवाशधकारों के क्षेत्र में कायारत गैर सरकारी संगठनों के प्रयासों की सराहना करना।
 जांच के सबं ध
ं में काया
1. गवाहों को ऄपने पास बुला कर परीक्षण करना

2. शकसी भी दस्तावेज को ऄपने समक्ष मंगवाना

3. न्यायालय के ऄशभलेख ररकॉडा मंगा सकता है

4. िपथपत्र पर गवाही ले सकता है।

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वेतन/ कायाकाल/ पद मुशक्त
 ऄध्यक्ष व सदस्यों का कायाकाल 5 वषा या 70 वषा की ईम्र तक होता है।
 काया काल समाशि के बाद कें द्रीय या राज्य सरकार के ऄधीन शकसी पद के योग्य नहीं।

 वेतन भत्ते कें द्र सरकार द्वारा शनधाा ररत एवं

 ऄध्यक्ष या सदस्य की शनयुशक्त के पिात वेतन भत्तों एवं सेवा ितों अशद में कोइ ऄलाभकारी

पररवतान नहीं।
 ऄध्यक्ष या सदस्य को कदाचार या क्षमता के अधार पर राष्ट्रपशत हटा सकता है लेशकन ऐसा करने

से पहले वह ईच्चतम न्यायालय में जांच हेतु मामलों को सौंपेगा। जांच की पशु ि होने पर पद मुक्त
शकया जा सकता है।

8. राष्ट्रीय मशहला अयोग (NATIONAL


WOMEN COMMISSION)

सामान्य पररचय
 राष्ट्रीय मशहला अयोग एक सांशवशधक शनकाय हैं। आसका गठन जनवरी 1992 में मशहला
सिशक्तकरण को प्रभावी बनाने हेतु राष्ट्रीय मशहला अयोग ऄशधशनयम 1990 के तहत शकया
गया।
 अयोग की पहली ऄध्यक्ष श्रीमती जयंती पटनायक थी।
 भारत सरकार का मशहला एवं बाल शवकास मंत्रालय आस अयोग का नोडल मंत्रालय है।
 अयोग का मुख्य ईद्देश्य मशहलाओ ं के शलए संवैधाशनक और कानूनी सुरक्षा ईपायों की समीक्षा
करना व ईपचारात्मक शवधायी, ईपायों की शसफाररि तथा शिकायतों के शनवारण में वृशि करना
है।

संरचना
 यह अयोग बहु सदस्यीय है आसमें एक ऄध्यक्ष 5 सदस्य तथा एक सदस्य सशचव होता है।
 ऄध्यक्ष सदस्य और सशचव का नामांकन मशहला एवं बाल शवकास मंत्रालय द्वारा शकया जाता
है।
 वेतन भत्ते पेंिन तथा सेवा ितों का शनधाारण कें द्र सरकार द्वारा शकया जाता है।

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कायाकाल
 ऄध्यक्ष और सदस्यों का कायाकाल 3 वषा का होता है शकंतु स्वेच्छा से भी कें द्र सरकार को ऄपना
त्यागपत्र दे सकते हैं।
 पदच्युशत
 कें द्र सरकार ऄध्यक्ष या ईसके शकसी सदस्य को ईसके पद से हटा सकती है यशद वह

र्वयशक्त
 शदवाशलया घोशषत शकया गया हो ।

 सक्षम ऄदालत द्वारा मानशसक रूप से ऄस्वस्थ घोशषत शकया गया हो।

 काया करने में ऄक्षम हो।

 शकसी ऄपराध हेतु दोष शसि हो गया हो ऄथवा कें द्र सरकार की नजर में ऄनैशतक हो।

 अयोग की लगातार तीन बैठकों में ऄनुपशस्थत रहा हो।

काया एवं िशक्तयां


 मशहलाओ ं के शलए ईपलब्ध कराए गए सवं ैधाशनक ऄशधकारों हेतु सुरक्षा ईपाय करना वह ईसके
संबंध में सरकार को सलाह देना।
 मशहलाओ ं संबंधी वतामान कानूनों की समीक्षा करना तथा अवश्यक संिोधन हेतु सुझाव देना।
 कायास्थल पर यौन ईत्पीडन या िोषण जैसी र्वयशक्तगत शिकायतों की जांच के संदभा में ईपयुक्त
ऄशधकारी को सशू चत करना।
 बहुसंख्यक मशहलाओ ं को प्रभाशवत करने वाले प्रश्नों से संबंशधत मुकदमों के शलए धन ईपलब्ध
कराना।
 यह अयोग शसशवल न्यायालय की िशक्तयां धारण करता है यह शकसी भी र्वयशक्त या ऄशधकारी
को सम्मन जारी कर सकता है।

9. राष्ट्रीय बाल ऄशधकार सरं क्षण अयोग (NATIONAL


CHILD RIGHT PROTECTION COMMISSION)

 बाल ऄशधकार संरक्षण ऄशधशनयम 2005 के तहत माचा 2007 में राष्ट्रीय बाल ऄशधकार संरक्षण
अयोग की स्थापना की गइ।
 ऄशधशनयम के ऄंतगात संयुक्त राष्ट्र संघ समझौता (20 नवंबर 1989) द्वारा बच्चों के ऄशधकारों को
िाशमल शकया गया है।

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 अयोग के ऄध्यक्ष का पद ईस र्वयशक्त के शलए अरशक्षत होता है शजसने बालकल्याण संवधान के
शलए ईत्कृि काया शकया हो।
 ऄध्यक्ष का चुनाव करने वाली सशमशत में
1. प्रधानमंत्री,

2. दोनों सदनों के शवपक्ष के नेता,

3. गृह मंत्री एवं

4. मानव सस ं ाधन शवकास मंत्री होते हैं।


 ऄध्यक्ष के ऄलावा 6 सदस्य, शजनमें कम से कम 2 मशहलाओ ं का होना अवश्यक
 शजसकी शनयुशक्त कें द्र सरकार द्वारा प्रशतशित, सक्षम, आमानदार, ख्याशत प्राि तथा ऄनुभव रखने
वाले र्वयशक्तयों में से की जाती है
1. शिक्षा

2. बाल स्वास्थ्य देखभाल कल्याण और बाल शवकास

3. शकिोर न्याय या ईपेशक्षत या वशं चत बच्चों की देखभाल या शनिक्त बच्चे

4. बाल श्रम या बच्चों में तनाव का ईन्मूलन


5. बाल मनोशवज्ञान या सामाशजक शवज्ञान और
6. बच्चों से सबं शं धत कानून।

कायाकाल एवं पदच्युशत


 ऄध्यक्ष व सदस्यों का कायाकाल 3 वषा है एवं दो से ऄशधक कायाकाल हेतु शनयुशक्त नहीं।
 ऄध्यक्ष 65 वषा व सदस्य 60 वषा तक पद पर बने रहते हैं।
 ऄध्यक्ष या सदस्य कें द्र सरकार को सुरक्षा से ऄपना त्यागपत्र दे सकते हैं।
 कदाचार एवं ऄक्षमता के अधार पर सरकार पद से हटा सकती है।

10. राष्ट्रीय ऄल्पसंख्यक अयोग NATIONAL


MINORITY COMMISSION

ऄशधशनयम एवं सरं चना


 राष्ट्रीय ऄल्पसंख्यक अयोग ऄशधशनयम 1992 के द्वारा राष्ट्रीय ऄल्पसंख्यक अयोग का गठन
वषा 1993 में शकया गया।

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 यह ऄशधशनयम ऄल्पसंख्यक िब्द को पररभाशषत नहीं करता शकंतु कें द्र सरकार को िशक्त प्रदान
करता है शक वह ऄल्पसंख्यकों को ऄशधसूशचत करें।
 अयोग में एक ऄध्यक्ष एक ईपाध्यक्ष व पांच ऄन्य सदस्य सशम्मशलत होते हैं।
 1993 में 5 धाशमाक समुदाय मुशस्लम, इसाइ, शसख, बौि व पारसी तथा जनवरी 2014 में जैन
समुदाय को भी ऄल्पसंख्यक वगा में िाशमल शकया गया।

कायाकाल एवं पदच्युशत


1. ऄध्यक्ष व सदस्यों का कायाकाल 3 वषा तक का होता है।
2. ऄध्यक्ष या सदस्य कें द्र सरकार को सबं ोशधत करते अग पत्र दे सकते हैं।
3. कायाकाल से पूवा शदवाशलया मानशसक रूप से ऄस्वस्थ काया करने में ऄक्षम ऄपराध शसि
अशद की शस्थशत में पाए जाने पर हटाया जा सकता है।
4. अयोग की लगातार तीन बैठकों में ऄनुपशस्थत होने पर।

अयोग की िशक्तया एवं काया


 सघं एवं राज्यों के ऄल्पसख् ं यकों के शवकास की प्रगशत का मूल्यांकन करना।
 संशवधान द्वारा प्रदत्त ईपायों और संसद द्वारा पाररत कानूनों एवं राज्य शवधान मंडल द्वारा ईपलब्ध
कराए गए सुरक्षा ईपायों के काम की शनगरानी करना।
 ऄल्पसंख्यकों के ऄशधकारों एवं संरक्षा से ईनको वंशचत करने के मामले पर शवचार करना व
सबं शं धत प्राशधकारी के समक्ष रखना।
 ऄल्पसंख्यकों के प्रशत भेदभाव से जुडी समस्याओ ं का ऄध्ययन करना तथा समाधान हेतु ईपाय
सुझाना।
 सबं शं धत मामलों की जांच हेतु शसशवल ऄदालत की िशक्तयां प्राि होती है शजसमें शकसी र्वयशक्त को
हाशजर करना िपथ पत्र पर साक्ष्य प्राि करना ऄदालत से सावाजशनक ररकॉडा की मांग करना
अशद िाशमल है।

11. राष्ट्रीय शपछडा वगा अयोग (NATIONAL


COMMISSION FOR BACKWARD CLASSES)

ऄशधशनयम एवं संरचना


 ऄशधशनयम के तहत गशठत

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 ईच्चतम न्यायालय के शनदेि पर भारत सरकार द्वारा 1993 में राष्ट्रीय शपछडा वगा अयोग
ऄशधशनयम के तहत राष्ट्रीय शपछडा वगा अयोग का गठन शकया गया।
 एक ऄध्यक्ष जो सवोच्च न्यायालय या ईच्च न्यायालय का न्यायाधीि होता है।
 एक समाज शवज्ञानी, शपछडे वगों के बारे में शविेष जानकारी रखने वाले 2 सदस्य तथा 1 सदस्य
सशचव जो भारत सरकार के सशचव स्तर का कें द्र सरकार का ऄशधकारी होता है।

ऄध्यक्ष और सदस्यों की पदावशध और सेवा की ितें


 प्रत्येक सदस्य ऄपने पद ग्रहण की तारीख से 3 वषा की ऄवशध तक पर धारण करता है।
 सदस्य शकसी भी समय कें द्र सरकार को सबं ोशधत ऄपने हस्ताक्षर सशहत लेख द्वारा यथाशस्थशत
ऄध्यक्ष या सदस्य का पद त्याग सके गा।
 कें द्र सरकार शकसी र्वयशक्त को सदस्य के पद से हटा देगी यशद वह र्वयशक्त
 शदवाशलया हो जाता है
 शकसी न्यायालय के द्वारा ईसे दशं डत शकया जाता है ऄथवा शकसी सक्षम न्यायालय के द्वारा ईसे
मानशसक ऄस्वस्थ गोशषत कर शदया जाता है।
 यशद ऄनुमशत के शबना अयोग की बैठकों में भाग न ले रहा हो ऄथवा ईसका पद पर बने रहना
शपछडे वगों के शहतों के प्रशतकूल हो।

काया एवं िशक्तयां


 शपछडे वगा के शलए सवं ैधाशनक सरं क्षण भली-भांशत रूप से लागू हो रहा है या नहीं आसकी जांच
करना आनके भली-भांशत शियान्वयन के शलए सरकार को शसफाररि करना।
 कौन सी जाशत शपछडे वगा में सशम्मशलत होगी और कौन सी नहीं आस मामले में सरकार को परामिा
देना।
 शपछडे वगों के कल्याण के शलए चलाए जा रहे कायािमों की जांच करना तथा ईनके भली-भांशत
संचालन के शलए सरकार को परामिा देना।
 िीमी लेयर की धन सीमा के बारे में सरकार को परामिा देना।
 शपछडे वगों में ऄशधकारों के प्रशत जागरूकता ईत्पन्न करना।
 ऄनुच्छे द 340 (2) के ऄनुसार कायों का वाशषाक प्रशतवेदन अयोग राष्ट्रपशत को देगा और
राष्ट्रपशत आस प्रशतवेदन को संसद के समक्ष रखेगा।

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12. राष्ट्रीय ऄनुसशू चत जाशत अयोग (NATIONAL
COMMISSION FOR SCHEDULED CASTE)

संवैधाशनक प्रावधान
 भारतीय संशवधान का ऄनुच्छे द 338 ऄनुसूशचत जाशतयों के शलए एक शविेष ऄशधकारी की
शनयुशक्त का ईपबंध करता हैजो ऄनुसूशचत जाशतयों एवं जनजाशतयों के संवैधाशनक संरक्षण से
संबंशधत सभी मामलों का शनरीक्षण करें तथा ईससे संबंशधत प्रशतवेदन राष्ट्रपशत के समक्ष प्रस्तुत
करें।
 वषा 1978 में कै शबनेट प्रस्ताव द्वारा ऄनुसूशचत जाशत एवं ऄनुसूशचत जनजाशत अयोग की स्थापना
की गइ शफर 1987 में सरकार ने अयोग के कायों में संिोधन शकया तथा अयोग का नाम
बदलकर राष्ट्रीय ऄनस ु शू चत जाशत एवं ऄनसु शू चत जनजाशत अयोग कर शदया।
 बाद में 65 वें संशवधान संिोधन ऄशधशनयम 1990 द्वारा ऄनुसूशचत जाशतयों एवं जनजाशतयों के
शलए एक शविेष ऄशधकारी के स्थान पर एक ईच्च स्तरीय बहु सदस्यीय राष्ट्रीय ऄनुसूशचत जाशत
एवं ऄनुसूशचत जनजाशत अयोग की स्थापना की गइ।
 89 वें संशवधान संिोधन ऄशधशनयम 2003 के द्वारा आसे पुन: दो भागों में बांट शदया गया और
पृथक पृथक दो अयोग िमिः
1. राष्ट्रीय ऄनुसूशचत जाशत ऄनुच्छे द 338 और

2. राष्ट्रीय ऄनस ु शू चत जनजाशत अयोग ऄनच्ु छे द 338 (क) ऄशस्तत्व में अए।
3. ऄशधशनयम वषा 2004 से प्रभावी हुअ।

सदस्यों का कायाकाल
 आस अयोग में एक ऄध्यक्ष एक ईपाध्यक्ष व तीन ऄन्य सदस्य होते हैं शजनकी शनयुशक्त राष्ट्रपशत
द्वारा होती है।
 आनकी सेवा ितें एवं कायाकाल राष्ट्रपशत द्वारा शनधााररत शकए जाते हैं।
 शनयमानुसार आनका कायाकाल 3 वषा का होता है।

अयोग के काया
 संशवधान में ऄनुसूशचत जाशतयों से संबंशधत प्रावधानों के साथ समय-समय पर ईनके शलए बनाए
गए कानूनों का शियान्वयन करना व आनका शनरीक्षण ऄधीक्षण व समीक्षा भी करना।

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 ऄनस ु ूशचत जाशतयों के संरक्षण एवं ईनके ऄशधकारों के ईल्लंघन से संबंशधत शकन्हीं शविेष
शिकायतों की जांच करना।
 सरं क्षण हेतु शकए गए कायों की वाशषाक ररपोटा राष्ट्रपशत को सौंपना।
 संरक्षण कल्याण एवं सामाशजक अशथाक शवकास हेतु ऄन्य ईपायों की शसफाररि करना।
 ऄत्याचार एवं ईत्पीडन के मामलों में स्वत: संज्ञान के माध्यम से कायावाही िुरू करना।

अयोग की िशक्तयां
 अयोग को शसशवल कोटा की िशक्तयां प्राि है। आससे संबंशधत शनम्नशलशखत ऄशधकार प्राि है
1. भारत के शकसी भी भाग में शकसी र्वयशक्त को सम्मन जारी करना।

2. शकसी साक्षी की खोज करवाना एवं ईसे पेि करवाना।

3. िपथ पत्रों पर साक्ष्य ग्रहण करना।

4. शकसी न्यायालय या कायाा लय से शकसी लोक ऄशभलेख या ईसकी प्रशत को प्राि करना।

5. गवाहों एवं दस्तावेजों के परीक्षण के शलए सम्मन जारी करना।

 राष्ट्रपशत द्वारा शवशध के माध्यम से शनधाा ररत कोइ ऄन्य मामला।


1. अयोग की ररपोटा ----- राष्ट्रपशत----- संसद के प्रत्ये क सदन------ स्वीकृशत/ऄस्वीकृत कानूनों

को स्पि करने वाले ज्ञापन सशहत।


राज्य सरकार संबंधी ररपोटा ------ संबंशधत राज्य के राज्यपाल------- राज्य शवधानमंडल के समक्ष -------
-- स्वीकृशत/ऄस्वीकृत करने का कारण सशहत ज्ञापन।

13. राष्ट्रीय ऄनुसशू चत जनजाशत अयोग (NATIONAL


COMMISSION FOR SCHEDULED TRIBE)

सवं ैधाशनक प्रावधान


 65 वें संशवधान संिोधन ऄशधशनयम 1990 द्वारा ऄनुसूशचत जाशत एवं ऄनुसूशचत जनजाशतयों के
शलए एक पृथक अयोग की स्थापना की गइ।
 89 वें संशवधान संिोधन 2003 द्वारा ऄनुच्छे द 338 में संिोधन कर ऄनुच्छे द 338 क लाया गया।

अयोग की संरचना एवं सदस्यों का कायाकाल


 आस अयोग का गठन एक ऄध्यक्ष व ईपाध्यक्ष व तीन ऄन्य सदस्यों से शमलकर होता है।
 अयोग के सभी सदस्य राष्ट्रपशत के अदेि एवं मुहर लगे अदेि द्वारा शनयुक्त शकए जाते हैं।

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 सेवा ितों का कायाकाल का शनधाारण भी राष्ट्रपशत द्वारा शकया जाता है।
 वतामान में आसमें सशम्मशलत सदस्य शनम्नशलशखत हैं
1. ऄध्यक्ष श्री नदं कुमार साइ ं
2. ईपाध्यक्ष श्रीमती ऄनुसुआया ईआके

अयोग के काया
 जनजाशतयों को प्राि संवैधाशनक संरक्षण की समीक्षा करना।
 जनजाशतयों को संशवधान में शदए गए ऄशधकार शकस प्रकार से प्राि हो ईसके बारे में सरकार को
परामिा देना।
 जनजाशतयों के ऄशधकारों के हनन की शस्थशत की जांच करना।
 राष्ट्रपशत को जनजाशतयों के ऄशधकारों व शवकास के बारे में प्रशतवषा ररपोटा देना।

ऄन्य काया
 वन क्षेत्र की शनवासी जनजाशतयों को लघु वनोपज पर स्वाशमत्व का ऄशधकार देना।
 कानून द्वारा जनजातीय समुदायों के खशनज तथा जल सस ं ाधनों अशद पर ऄशधकार को सुरशक्षत
रखने के ईपाय करना।
 जनजाशतयों के शवकास तथा वन्य अजीशवका हेतु रणनीशतयों का शनधाारण करना।
 ऐसे समुदाय में वन सुरक्षा व सामाशजक वाशनकी में ऄशधक सहयोग के ईपाय करना।
 पेिा ऄशधशनयम 1996 का परू ी कायाान्वयन सशु नशित करना।
 जनजातीय समूहों के पुनवाास संबंधी कायों को प्रभावी बनाना।

अयोग की िशक्तयां
 आस अयोग की िशक्तयां भी शसशवल कोटा के ही समान है।
 आस अयोग की िशक्तयां राष्ट्रीय ऄनुसूशचत जाशत अयोग से ही समान है।

अयोग की ररपोटा -------- राष्ट्रपशत-------- सस


ं द के प्रत्येक सदन--------- स्वीकृत या ऄस्वीकृत
कानूनों को स्पि करने वाले ज्ञापन सशहत
राज्य सरकार संबंधी ररपोटा -------- संबंशधत राज्य के राज्यपाल---------- राज्य शवधानमंडल के समक्ष---
------- स्वीकृत या ऄस्वीकृत करने वाले कारणों का स्पि ज्ञापन।

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14. कें द्रीय सतका ता अयोग (CENTRAL VIGILANCE
COMMISSION)

सांशवशधक प्रावधान
 भ्रिाचार रोकने के शलए कें द्र सरकार द्वारा बनाइ गइ संथानम सशमशत की शसफाररि पर 1964 में
कें द्र सरकार द्वारा संबंशधत प्रस्ताव पाररत कर अयोग की स्थापना की गइ।
 ईच्चतम न्यायालय के शनणाय ऄनुसार अयोग को कें द्रीय सतका ता अयोग ऄध्यादेि 1998 के
द्वारा सांशवशधक दजाा शदया गया है।
 आससे संबंशधत शवधेयक 2003 में संसद के दोनों सदनों द्वारा पाररत शकया गया व राष्ट्रपशत की
मंजूरी शमलने के पिात या अयोग ऄशधशनयम प्रभाव में अया।
 भारत सरकार द्वारा 2004 में आस अयोग को नाशमत एजेंसी के रूप में ऄशधकृत शकया गया है।

संरचना
 यह एक बहु सदस्यीय सस्ं था है आसमें ऄध्यक्ष के रूप में एक कें द्रीय सतका ता अयुक्त व दो या दो
से कम सतका ता अयुक्त होते हैं।
 ऄध्यक्ष व सदस्यों की शनयुशक्त राष्ट्रपशत द्वारा एक सशमशत की शसफाररि के अधार पर की जाती

है।
 चयन सशमशत में शनम्नशलशखत सदस्य होते हैं
1. प्रधानमंत्री

2. कें द्रीय गृह मंत्री तथा

3. लोकसभा में शवपक्ष का नेता।

कायाकाल एवं वेतन भत्ते


 ऄध्यक्ष तथा सदस्यों का कायाकाल 4 वषा या 65 वषा तक का होता है।
 कायाकाल की समाशि के पिात ऄध्यक्ष व सदस्य पुन: शनयुशक्त के पात्र नहीं होते हैं।
 ऄध्यक्ष व सदस्य का ऄशखल भारतीय सेवा में या सघं की शकसी शसशवल सेवा में शसशवल पद
पर रह चुके होने का अवश्यक ऄनुभव ऄशनवाया है।
 कें द्रीय सतका ता अयुक्त तथा सतका ता अयुक्त के वेतन, भत्ते एवं ऄन्य सेवा ितें संघ लोक सेवा
अयोग के ऄध्यक्ष व सदस्यों के समान होती है।

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 शनयुशक्त के पिात वेतन भत्तों में ऄलाभकारी पररवतान नहीं शकया जा सकता है।

पदच्युशत के अधार
 राष्ट्रपशत कें द्रीय सतका ता अयुक्त या ऄन्य शकसी भी सतका ता अयुक्त को ईसके पद से शकसी भी
समय शनम्नशलशखत पररशस्थशतयों में हटा सकते हैं
 यशद वह शदवाशलया घोशषत हो या
 नैशतक चररत्र हीनता के अधार पर शकसी ऄपराध में दोषी पाया गया हो या
 ऄपनी पद ऄवशध के दौरान ऄपने पद के कतार्वयों से बाहर शकसी वेतन पाने वाले शनयोजन में
लगा हुअ हो या
 ईसने ऐसे शवत्तीय या ऄन्य शहत ऄशजात शकए हो शजससे ईसके कें द्रीय सतका ता अयुक्त के रूप में
कृत्यों पर प्रशतकूल प्रभाव पडने की संभावना हो।

काया एवं िशक्तयां


 यह अयोग ऐसे सभी शिकायतों के संबंध में जांच करता है शजसमें शकसी िासकीय ऄशधकारी पर
ऄनुशचत ईद्देश्य या भ्रि अचरण का अरोप लगाया गया हो।
 जनशहत प्रकटीकरण तथा मुखशबर संरक्षण के ऄंतगात प्राि शिकायतों की जांच करना तथा ईशचत
कायावाही हेतु शसफाररि करना।
 भ्रिाचार शनवारण ऄशधशनयम 1988 के ऄधीन शकए गए ऄपराधों के संबंध में शदल्ली शविेष
पशु लस स्थापना (CBI) द्वारा शकए गए कायों की प्रगशत व समीक्षा करना।
 राजपशत्रत ऄशधकाररयों तथा ईसके समानांतर कशमायों के भ्रिाचार से संबंशधत मामलों की जांच
करना।
 कें द्र सरकार के मंत्रालयों व प्राशधकरण के सतका ता प्रिासन पर नजर रखना।

ररपोटा
 कें द्रीय सतका ता अयोग ऄपनी वाशषाक कायाकलापों की ररपोटा राष्ट्रपशत को सकता है और
राष्ट्रपशत आस ररपोटा को संसद के प्रत्येक सदन में प्रस्तुत करता है।
 अयोग द्वारा भ्रिाचार शनवारण हेतु शवज अइ (VIGEYE) नामक पोटाल का प्रारंभ शकया गया
है यह एक शिकायत दजा कराने वाला पोटाल है।

शवसलब्लोऄर प्रोटक्िन एक्ट 2011


 लोकशहत में गोपनीय सच ू नाओ ं को प्रकट करने वाले र्वयशक्तयों को सरं क्षण प्रदान करने के
ईद्देश्य से यह एक्ट लाया गया।

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 मइ 2014 में राष्ट्रपशत की मंजूरी शमलने के पिात संपूणा भारत में ऄशधशनयम लागू शकया गया
जम्मू कश्मीर को छोडकर।
 आस ऄशधशनयम द्वारा जनशहत के शलए सरकारी कमाचाररयों द्वारा शकए गए शकसी प्रकार के
भ्रिाचार का खुलासा करने वाले र्वयशक्तयों को संरक्षण प्रदान शकया गया है।

15. कें द्रीय सच


ू ना अयोग (CENTRAL INFORMATION
COMMISSION)

सांशवशधक प्रावधान एवं संरचना


 सूचना का ऄशधकार ऄशधशनयम 2005 द्वारा कें द्रीय सूचना अयोग की स्थापना की गइ।
 12 ऄक्टूबर 2005 को सच ू ना का ऄशधकार ऄशधशनयम काननू ी रूप में अया।
 प्रत्ये क लोक पदाशधकारी के काया करण में पारदशिाता और ईत्तरदाशयत्व की भावना के शवकास

हेतु या ऄशधशनयम लाया गया।


 यह अयोग एक मुख्य सूचना अयुक्त और 10 से ऄनशधक सूचना अयुक्तों से शमलकर बनता है।

 मुख्य सूचना अयुक्त व ऄन्य अयुक्तों की शनयुशक्त राष्ट्रपशत एक सशमशत की शसफाररि पर करता
है शजसमें शनम्न सदस्य होते हैं
1. प्रधानमंत्री

2. लोकसभा से शवपक्ष के नेता

3. प्रधानमंत्री द्वारा नाशमत संघ / मंशत्रमंडल का एक मंत्री

पदावशध एवं सेवा ितें


 मुख्य सूचना अयुक्त तथा ऄन्य अयुक्त पद ग्रहण से 5 वषा या 65 वषा की ईम्र तक पर धारण
करते हैं।
 ऄध्यक्ष व सदस्य पनु शनायुशक्त के पात्र नहीं होते हैं।
 अयोग का ऄध्यक्ष या सदस्य बनने हेतु सावाजशनक जीवन का पयााि ऄनुभव होना चाशहए
तथा ईन्हें शवशध शवज्ञान एवं तकनीक सामाशजक सेवा प्रबंधन पत्रकाररता जनसंचार या प्रिासन
अशद का शविेष ऄनभ ु व होना चाशहए।
 ऄध्यक्ष व सदस्य राजनीशतक दल से संबंशधत कोइ लाभ के पद या लाभ के र्वयापार में भी
संलग्न ना हो।

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पद मुशक्त या त्यागपत्र तथा वेतन – भत्ते
 मुख्य सच ू ना अयुक्त के वेतन भत्ते एवं ऄन्य सेवा ितें मुख्य शनवााचन अयुक्त के समान व ऄन्य
सूचना अयुक्त के वेतन भत्ते एवं सेवा ितें शनवााचन अयुक्त के समान होते हैं।
 सेवाकाल के दौरान वेतन भत्तों में कोइ ऄलाभकारी पररवता न नहीं शकया जा सकता है।

 राष्ट्रपशत को सब ं ोशधत कर त्याग पत्र दे सकते हैं।


 राष्ट्रपशत मुख्य सूचना अयुक्त एवं ऄन्य अयुक्तों को शनम्न प्रकार से ईनके पद से हटा सकता है

 यशद वह शदवाशलया घोशषत हो या

 कें द्र सरकार की नजर में नैशतक चररत्र हीनता के अधार पर शकसी ऄपराध में दोषी पाया गया हो

या
 राष्ट्रपशत की राय में मानशसक व िारीररक िैशथल्य के कारण पद पर बने रहने की ऄयोग्य हो या

 शकसी ऐसे लाभ को प्राि करते हुए पाया जाता है शजससे ईसका काया या शनष्ट्पक्षता प्रभाशवत

होती है।
 साशबत कदाचार एवं ऄसमथा ता के अधार पर भी राष्ट्रपशत ईन्हें पद से हटा सकता है बिते

पहले ईच्चतम न्यायालय में राष्ट्रपशत द्वारा शदए गए शनदेि के ऄनुरूप जांच के बाद ऐसी ररपोटा
दी गइ हो।

काया एवं िशक्तयां


 अयोग का कतार्वय है शक वह शकसी ऐसे र्वयशक्त की शिकायत प्राि करें और ईसकी जांच करे जो
 लोक सूचना ऄशधकारी की शनयुशक्त न हो पाने के कारण शकसी सूचना को पाने के शलए अवेदन
करने में ऄसमथा रहा हो।
 शजसे आस ऄशधशनयम के ऄधीन शकसी जानकारी को देने से आनकार शकया गया हो।
 समय सीमा के ऄंतगात प्रत्युत्तर न पाने वाले र्वयशक्त।
 यशद र्वयशक्त को प्रदान की गइ सूचना ऄपूणा भ्रामक एवं शमथ्या हो।
 ऐसी फीस की रकम ऄदा करने की ऄपेक्षा की गइ हो जो वह ऄनशु चत समझता हो।
 कें द्रीय सूचना अयोग को शसशवल कोटा के समान िशक्तयां प्राि है । यह शकसी र्वयशक्त को सम्मन
जारी कर सकती है।

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16. राष्ट्रीय हररत ऄशधकरण (NATIONAL GREEN
TRIBUNAL)

प्रावधान एवं सरं चना


 राष्ट्रीय हररत ऄशधकरण 2010 के तहत 18 ऄक्टूबर 2010 को राष्ट्रीय हररत ऄशधकरण का गठन
शकया गया
 यह एक सांशवशधक और ऄधा न्याशयक शनकाय है शजसका ईद्देश्य पयाावरण सरं क्षण व प्राकृशतक
संसाधनों से जुडे मामलों का प्रभावी व तीव्र शनस्तारण करना है।
 आसका मुख्यालय नइ शदल्ली में है तथा आसकी चार सहयोगात्मक पीठें भोपाल, पुणे, कोलकाता
और चेन्नइ में है।
 आसमें ऄशधकतम 20 पण ू ाकाशलक सदस्य शनयुशक्त कें द्र सरकार द्वारा होते हैं शजसमें 10 सदस्य न्याय
क्षेत्र से और 10 सदस्य पयाावरण के शवशभन्न क्षेत्रों के शविेषज्ञ होते हैं।
 ऄध्यक्ष शकसी शवशिि ज्ञान वाले र्वयशक्त को ऄशधकरण में अमंशत्रत कर सकता है।

ऄध्यक्ष व सदस्यों की योग्यता व पदच्युशत का अधार


 ऄध्यक्ष पद हेतु कोइ र्वयशक्त जो सवोच्च न्यायालय का न्यायाधीि या ईच्च न्यायालय का मुख्य
न्यायाधीि रहा हो चुना जा सकता है।
 ऄन्य न्याशयक सदस्य ईच्च न्यायालयों के सेवाशनवृत्त न्यायाधीि होते हैं।
 ऄशधकरण के शविेषज्ञ सदस्यों हेतु पयाावरण या वन संरक्षण एवं संबंशधत शवषयों से स्नातकोत्तर
या आन क्षेत्रों में 5 वषा के र्वयावहाररक सशहत 15 वषा का ऄनभ
ु व अवश्यक है।
 ऄध्यक्ष व सदस्य पद ग्रहण तारीख से 5 वषा तक पद पर बने रह सकते हैं एवं पुनशनायुशक्त के पात्र
नहीं होते हैं।
 ऄध्यक्ष व सदस्य को तब तक नहीं हटाया जाएगा जब तक सप्रु ीम कोटा में एक न्यायधीि की
जांच के बाद कें द्र सरकार पद से हटाने का अदेि ना दे दे।
 जांच के दौरान ईशचत सुनवाइ का ऄशधकार होगा।

ऄशधकरण की िशक्तयां
 शसशवल प्रशिया संशहता 1908 के तहत ऄशधकरण को शसशवल कोटा का दजाा शदया गया है
 आसके तहत ऄशधकरण की िशक्तयां हैं
1. शकसी र्वयशक्त के शखलाफ समन जारी करना

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2. ईसकी ईपशस्थशत बाध्यतामुलक बनाना और
3. िपथ पर ईसका परीक्षण करना।

4. दस्तावेजों की खोज करना

5. हलफनामे पर साक्ष्य प्राि करना।

6. ऄपने शनणा यों की समीक्षा करना।

7. गवाहों एवं दस्तावेजों का परीक्षण करना

 यह ऄशधकरण शसशवल प्रशिया संशहता 1908 से बंधा नहीं होगा बशल्क यह प्राकृशतक न्याय के
शसिांतों द्वारा शनदेशित होगा।

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ऄथथशास्त्र

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1. ऄथथव्यवस्था के प्रकार और क्षेत्रक
मुख्यतः ऄथथशास्त्र के दो प्रकार होते है:

1. व्यष्टि ऄथथशास्त्र: इसमे व्यष्टि और ईसके अष्टथथक व्यवहार का ऄध्ययन ष्टकया जाता है। जैसे: व्यक्ति
की आय, उसकी आवश्यकताए, उसकी इच्छाएँ, उसके खर्च करने का तरीका आक्तद का अध्ययन।
2. सष्टमष्टि ऄथथशास्त्र: इसमे देश की सम्पूणथ ऄथथव्यवस्था के अष्टथथक व्यवहार का ऄध्ययन क्तकया जाता
है। जैसे: देश की प्रक्तत व्यक्ति आय, सकल घरे लू उत्पाद, सकल राष्ट्रीय उत्पाद, देश की मागां एवां पक्तू तच का
अध्ययन, वृक्ति दर, बेरोजगारी दर आक्तद का अध्ययन।

ऄथथव्यवस्था के प्रकार
क्तनजी क्षेत्र और बाजार के सापेक्ष राज्य व सरकार की भक्तू मका के आधार पर अथचव्यवस्था की तीन श्रेक्तणयाां हैं-

1. समाजवादी ऄथथव्यवस्थाः–

 ये अथचव्यवस्था समाजवादी, समाज की स्थापना की ईद्देश्य से प्रेररत होती है।


 ऐसी अथचव्यवस्था में संसाधनों पर सावथजष्टनक स्वाष्टमत्व की ऄवधारणा लागू होती है।
 ऐसी अथचव्यवस्था में राज्य व सरकार का हस्तक्षेप ज्यादा होता है।
 मााँग और पूष्टतथ (ष्टनजी क्षेत्र के साथ बाजार कारक) की भूष्टमका नगण्य होती है।
 अपनी ष्टनयंत्रणकारी प्रकृष्टत के कारण समाजवादी ऄथथव्यवस्था ष्टनयंष्टत्रत ऄथथव्यवस्था कहलाती है।
 ईदाहरण – चीन, क्यूबा, ईत्तर कोररया,

2. पूंजीवादी ऄथथव्यवस्था:-

 पज ूं ीवादी ऄथथव्यवस्था में मााँग व पूष्टतथ (ष्टनजी क्षेत्र व बाजार) कारकों की भूष्टमका प्रभावकारी होती
है।
 ऐसी अथचव्यवस्था में राज्य व सरकार की भूष्टमका सीष्टमत
 ऐसी अथचव्यवस्था ऄहस्तक्षेप के ष्टसद्धान्त पर अधाररत
 पूंजीवादी ऄथथव्यवस्था में जहां लाभ पर जोर होता है वहीं समाजवादी ऄथथव्यवस्था कल्याणकारी
राज्य की सक ं ल्पना से प्रेररत होती है।

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3. ष्टमष्टित ऄथथव्यवस्था:-

 ऐसी अथचव्यवस्था में समाजवादी एवं पूंजीवादी दोनों के लक्षण पाये जाते हैं।
 भारत की ऄथथव्यवस्था ष्टमष्टित ऄथथव्यवस्था का ईदाहरण है।

ष्टवकास की रणनीष्टत के अधार पर ऄथथव्यवस्था की दो िेष्टणयां हैं-

1. योजनाबद्ध िेणी:- एक व्यवक्तस्थत रणनीक्तत के साथ क्तवकास की सांकल्पना को स्वीकार करने वाले
अथचव्यवस्था योजनाबि अथचव्यवस्था की श्रेणी में आती है।
2. गैर योजनाबद्ध िेणी:- ऐसी अथचव्यवस्था जो आयोजन की सक ां ल्पना को स्वीकार नहीं करती, गैर
योजनाबि अथचव्यवस्था कहलाती है।
 वतथमान वैष्टिक पररदृश्य में सभी ऄथथव्यवस्थायें योजनाबद्ध ऄथथव्यवस्था की िेणी में अती हैं।

ष्टवकास के ष्टवष्टभन्न ऄवस्थाओ ं के अधार पर ऄथथव्यवस्था की तीन िेष्टणयां हैं-

1. ष्टवकष्टसत ऄथथव्यवस्था:-

 जहाँ औद्योगीकरण की प्रष्टिया औद्योष्टगक िाष्टन्त के पहले व दूसरे चरण में शुरू हुई थी और आज
ष्टवकास की ईच्च ऄवस्था तक पहुर्ँ र्क ु ी हैं।
 ऐसी अथचव्यवस्था ष्टवकष्टसत ऄथथव्यवस्था की िेणी में आती हैं। ऄमेररका व ऄष्टधकांश यूरोपीय
देशों की अथचव्यवस्थायें क्तवकक्तसत अथचव्यवस्था की श्रेणी में रखी जाती हैं।
 क्तवकक्तसत अथचव्यवस्थाओ ां की जी0डी0पी0 में सेवा क्षेत्र का महत्व ऄष्टधक होता है और ये आक्तथचक
क्तवकास के तीसरे र्रण में प्रवेश कर र्क
ु ी हैं।

2. ष्टवकासशील ऄथथव्यवस्था:-

 ऐसी अथचव्यवस्थायें अपने सांसाधनों का समक्तु र्त दोहन नही कर पायी। यहाँ पर औद्योगीकरण की प्रक्तिया देर
से शरू
ु हुई।
 1940-50 के दशक में औपष्टनवेष्टशक स्वतंत्रता प्राप्त करने वाली ऄष्टधकांश देशों की ऄथथव्यवस्थायें
इसी श्रेणी की हैं।

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 ऐसी अथचव्यवस्था के जी0डी0पी0 में कृष्टष क्षेत्र का भाग कम हो रहा होता है और औद्योष्टगक एवं सेवा
क्षेत्र का भाग बढ़ रहा होता है।
 ये अथचव्यवस्थायें अष्टथथक ष्टवकास के दूसरे चरण में हैं।

3. ऄल्प ष्टवकष्टसत ऄथथव्यवस्था:-

 ऐसी अथचव्यवस्थायें जो अपने सांसाधनों का दोहन अभी तक नहीं कर पायी हैं तथा अभी वे ष्टवकास के
अरष्टम्भक चरण में हैं, ऄल्प ष्टवकष्टसत ऄथथव्यवस्था कहलाती हैं।
 ऐसी अथचव्यवस्थायें अपनी आवश्यकताओ ां की पक्तू तच के क्तलए अन्य देशों व अन्तराचष्ट्रीय सगां ठनों के अनदु ान
पर क्तनभचर होती हैं।
 ऐसी अथचव्यवस्था वाले देशों के जी0डी0पी0 में प्राथष्टमक क्षेत्र की भूष्टमका ऄभी भी महत्वपूणथ बनी
हुइ है।

शेष ष्टवि के साथ ऄन्तर सम्बन्धों के अधार पर ऄथथव्यवस्था की दो िेष्टणयां हैं-

1. बन्द ऄथथव्यवस्था:- ऐसी अथचव्यवस्था जो अत्मष्टनभथरता पर बल देती हैं और शेष ष्टवि के साथ
अष्टथथक ष्टियाओ ं के प्रष्टत ईदासीन रहती हैं। बन्द अथचव्यवस्था कहलाती हैं। 1991 के पवू च भारतीय
अथचव्यवस्था बहुत हद तक इसी श्रेणी में थी।
2. खुली ऄथथव्यवस्था:- ऐसी अथचव्यवस्था प्रष्टतस्पधाथत्मक व्यवस्था को प्रोत्साहन एवं संरक्षणवाद को
हतोत्साष्टहत करती है। खलु ी अथचव्यवस्था वाले देश शेष क्तवश्व के साथ आक्तथचक क्तियाओ ां को प्रोत्साक्तहत करते हैं।
इनका स्वरूप बहुत हद तक ष्टनयंत्रण मुि होता है। 1991 के बाद भारतीय अथचव्यवस्था खल ु ी अथचव्यवस्था के
रूप में अग्रसर हुई।

ऄथथव्यवस्था के क्षेत्रक (SECTOR OF ECONOMY)

 सामान्यतः सांपणू च अथचव्यवस्था की आक्तथचक गक्ततक्तवक्तधयों को लेखाांक्तकत करने के क्तलए तीन क्षेत्रकों में
ष्टवभाष्टजत क्तकया गया है-
प्राथष्टमक क्षेत्रक (PRIMARY SECTOR)

 इसके अतां गचत ऄथथव्यवस्था के प्राकृष्टतक क्षेत्रों का लेखांकन क्तकया जाता है इसके ऄंतगथत ष्टनम्न क्षेत्रों
को सष्टम्मष्टलत क्तकया जाता है

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 जैसे – कृष्टष, वाष्टनकी, मत्स्यन (मछली पकड़ना ), खनन (उध्वाथधर खदु ाइ) एवं ईत्खनन (क्षैष्टतक
खुदाइ)

ष्टितीयक क्षेत्रक (SECONDARY SECTOR)

 इस क्षेत्रक के अतां गचत मुख्यतः ऄथथव्यवस्था की ष्टवष्टनष्टमथत वस्तुओ ं के ईत्पादन का लेखांकन क्तकया
जाता है –
1. ष्टनमाथण, जहाां क्तकसी स्थाई पररसांपक्ति का क्तनमाचण क्तकया जाए: जैसे -भवन- |
2. ष्टवष्टनमाथण जहाां क्तकसी वस्तु का उत्पादन हो: जैसे -कपड़ा ब्रेड आक्तद-
3. ष्टवद्यतु गैस एवं जल अपष्टू तथ आत्याष्टद से सबां क्तां धत कायच |

तत्त
ृ ीय या सेवा क्षेत्रक (THIRD OR SERVICE SECTOR)

 यह क्षेत्र ऄथथव्यवस्था के प्राथष्टमक और ष्टितीयक क्षेत्र को ऄपनी ईपयोगी सेवा प्रदान करता है
 इसके अतां गचत पररवहन एवं संचार, बैंष्टकंग, बीमा, भंडारण, व्यापार, सामुदाष्टयक सेवा आक्तद

संगष्टित क्षेत्रक (ORGANIZED SECTOR)

 इसके अतां गचत वे सभी इकाइयाां आ जाती है, जो ऄपने अष्टथथक कायथकलापों का ष्टनयष्टमत लेखांकन
करती है,
 भारतीय अथचव्यवस्था में लगभग 9 प्रष्टतशत आस क्षेत्र से है |

ऄसंगष्टित क्षेत्रक (UNORGANIZED SECTOR)

 इसके अतां गचत सभी इकाइयाां आ जाती है जो ऄपने अष्टथथक कायथकलापों का कोइ लेखा जोखा नहीं
रखती है;
 जैसे – रेहड़ी, खोमचे , सब्जी की खुदरा दुकानें, दैष्टनक मजदूर
 भारतीय अथचव्यवस्था में आसका योगदान लगभग 91 प्रष्टतशत है |

वििेकानंद इंस्टिट्मूि
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अष्टथथक संवृष्टद्ध एवं ष्टवकास (ECONOMIC GROWTH AND DEVELOPMENT)

 क्तनक्तित समयावक्तध में ष्टकसी ऄथथव्यवस्था में होने वाली वास्तष्टवक अय की वृष्टद्ध, अष्टथथक समृष्टद्ध है।
 यह एक भौक्ततक अवधारणा है।
 यक्तद, राष्ट्रीय उत्पाद, सकल घरे लू उत्पाद तथा प्रक्तत व्यक्ति आय में वृक्ति हो रही है, तो माना जाता है क्तक
अष्टथथक सवं ष्टृ द्ध हो रही है।
 अष्टथथक ष्टवकास की धारणा आक्तथचक सवां क्तृ ि की धारणा से अक्तधक व्यापक है।
 अष्टथथक सवं ृष्टद्ध ईत्पादन की वृष्टद्ध से सबां क्तां धत है, जबक्तक अष्टथथक ष्टवकास ईत्पादन की वृष्टद्ध के साथ-
साथ, सामाष्टजक, सांस्कृष्टतक, अष्टथथक गुणात्मक एवं पररणात्मक सभी पररवतथनों से सम्बष्टन्धत है।
 आक्तथचक सांवक्तृ ि वस्तक्तु नष्ट है जबक्तक आक्तथचक क्तवकास व्यक्तिक्तनष्ठ।
 अष्टथथक ष्टवकास के माप में प्रष्टत व्यष्टि अय के जीवन की गण ु वत्ता को सही माप नही माना जाता
है।
 इसकी माप में ऄनेक चारों को सष्टम्मष्टलत ष्टकया जाता है जैसे-आक्तथचक, राजनैक्ततक तथा सामाक्तजक
सस्ां थाओ ां के स्वरूप में पररवतचन, क्तशक्षा तथा साक्षरता दर, जीवन प्रत्याशा, पोषण का स्तर, स्वास््य सेवायें
प्रक्तत व्यक्ति क्तिकाऊ उपभोग वस्तु आक्तद।
 अष्टथथक सवं ष्टृ द्ध = के वल पररमाणात्मक पररवतथन
 अष्टथथक ष्टवकास = पररणात्मक तथा गण ु ात्मक पररवतथन

अष्टथथक ष्टवकास की माप

ष्टवष्टभन्न देशों के अष्टथथक ष्टवकास की तुलनात्मक ष्टस्थष्टत ज्ञात करने के ष्टलए पााँच दृष्टिकोण हैं-;

(A) अधारभूत अवश्यक प्रत्यागम – (BASIC NEEDS APPROACHES) आस दृष्टिकोण का


प्रष्टतवादन-1970 में ष्टवि बैंक ने ष्टकया।
(B) जीवन की भौष्टतक गुणवत्ता ष्टनदेशांक (PHYSICAL QUALITY OF LIFE INDEXT -
PQLI) –
 इस INDEX के जान ष्टिनवजथन एवं माररश डी0 माॅररश ने प्रस्तुत ष्टकया। च्फस्प् के अन्तगचत अष्टथथक
ष्टवकास के मापन के ष्टलए तीन सूचकांक का प्रयोग क्तकया जाता है।
1. जीवन प्रत्याशा(LIFE EXPECTANCY)
2. बाल मृत्युदर (INFANT MORTALITY)
3. साक्षरता (LITERARY)

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(C) ष्टनवल अष्टथथक कल्याण (NET ECONOMIC WELFARE) मापक -क्तवक्तलयम नोरधस तथा जेम्स
िोक्तबन ने जीवन की गणु विा में सधु ार जो आक्तथचक क्तवकास की मापक है, की माप के क्तलए मजां र आफ इकनाक्तमक
वेलफे यर (MEW) की धारणा क्तवकक्तसत की क्तजसे बाद में सेमएु लसन और सांशोक्तधत क्तकया तथा इसे (NEW)
मापक रहा।
NEW =G.N.P (सकल राष्ट्रीय ईत्पाद)-(ईत्पादन प्रत्यक्ष लागत तथा अधुष्टनक नागररक की हाष्टनयां
तथा गृहष्टणयों की सीमायें।)
(D) िय शष्टि समता ष्टवष्टध (PURCHASING POWER PARITY METHOD):-
 आस ष्टवष्टध का प्रष्टतपादन जी0अर0 कै सेल ने क्तकया।

 इसके अन्तगचत क्तकसी देश की सकल राष्ट्रीय आय के क्तकसी पव ू च क्तनक्तित अन्तराचष्ट्रीय क्तवदेशाीी क्तवक्तनमय दर
पर व्यि न करे , उस देश के भीतर मद्रु ा की ियशक्ति के आधार पर व्यि क्तकया जाता है।
 वतचमान के क्तवश्व बैंक इसी क्तवक्तध का प्रयोग क्तवक्तभन्न देशों के रहन-सहन की तल ु ना के क्तलए कर रहा है।
 मानव ष्टवकास के स्तर का पता ष्टनम्न चार सूचकांकों के सदभ ं थ में लगाया जाता है।
1. मानव ष्टवकास सूचकांक (HDI)
2. आनआक्वष्टलिी एडजस्िे ड मानव ष्टवकास सच ू कांक(EAHDI)
3. लैष्टगंक ष्टवषमता सूचकांक (GII)
4. मल्िी डायमेंसनल पविी आडं ेक्स (MPI)

मानव ष्टवकास सूचकांक (HDI)

 मानव क्तवकास सर्ू काांक की ऄवधारणा का ष्टवकास पाष्टकस्तानी ऄथथशास्त्री महबूब ईल हक िारा
क्तकया गया।
 पहला मानव ष्टवकास सूचकांक वषथ 1990 में जारी क्तकया गया।
 इसको प्रष्टतवषथ संयुि राष्ट्र ष्टवकास कायथिम िारा जारी क्तकया जाता है।
 सूचकांक की गणना 3 प्रमुख संकेतकों-
1. जीवन प्रत्याशा,
2. स्कूली ष्टशक्षा के ऄपेष्टक्षत वषथ, (ष्टशक्षा के औसत वषथ) और
3. प्रष्टत व्यष्टि सकल राष्ट्रीय अय के ऄंतगथत की जाती है।

लैंष्टगक ष्टवषमता सूचकांक (GII):-

 वैष्टिक लैंष्टगक ऄंतराल सूचकांक ष्टवि अष्टथथक मंच िारा जारी की जाती है।
 लैंक्तगक अतां राल/असमानता का तात्पयच ‚लैंक्तगक आधार पर मक्तहलाओ ां के साथ भेद-भाव से है।

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 परांपरागत रूप से समाज में मक्तहलाओ ां को कमज़ोर वगच के रूप में देखा जाता रहा है क्तजससे वे समाज में
शोषण, अपमान और भेद-भाव से पीक्तड़त होती हैं।
 ‛वैक्तश्वक लैंक्तगक अतां राल सर्ू काांक ष्टनम्नष्टलष्टखत चार क्षेत्रों में लैंष्टगक ऄंतराल का परीक्षण करता है:
1. अष्टथथक भागीदारी और ऄवसर (ECONOMIC PARTICIPATION AND
OPPORTUNITY)
2. शैष्टक्षक ऄवसर (EDUCATIONAL ATTAINMENT)
3. स्वास््य एवं ईत्तरजीष्टवता (HEALTH AND SURVIVAL)
4. राजनीष्टतक सशिीकरण और भागीदारी (POLITICAL EMPOWERMENT)
 यह सर्ू काक
ां 0 से 1 के मध्य क्तवस्ताररत है।
 इसमें 0 का अथच पणू च क्तलगां असमानता तथा 1 का अथच पणू च लैंक्तगक समानता है।
 पहली बार लैंक्तगक अतां राल सर्ू काकां वषच 2006 में जारी क्तकया गया था।

बहुअयमी ष्टनधथनता सूचकांक (M.P.I):-

 इस सूचकांक को संयुि राष्ट्र ष्टवकास कायथिम (United Nations Development


Programme- UNDP) और ऑक्सफोडथ गरीबी एवं मानव ष्टवकास पहल ( Oxford Poverty
and Human Development Initiative- OPHI) िारा ष्टवकष्टसत क्तकया गया है।
 बहुआयामी गरीबी’ के ष्टनधाथरण में अय ही एक मात्र संकेतक नहीं होता बक्तल्क अन्य सर्ू कों जैसे -
खराब स्वास््य, काम की खराब गणु विा और क्तहसां ा के ख़तरों पर भी ध्यान क्तदया जाता है।
MPI में दस सक ं े तक शाष्टमल हैं:
1. ष्टशक्षा: स्कूली ष्टशक्षा के वषथ और बच्चों का नामांकन

2. स्वास््य: बाल मृत्यु दर और पोषण

3. जीवन स्तर: ष्टबजली, घर, पेय जल, शौचालय, खाना पकाने का इधन ं और सपं ष्टत्त
 प्रत्येक क्तशक्षा और स्वास््य सांकेतक में 1/6 भार होता है
 प्रत्येक मानक जीवन स्तर सक ां े तक में 1/18 भार होता है।
 मानव ष्टवकास का ऄष्टधकतम मान 1 और न्यूनतम मान 0 होता है।
 अथाचत 1 अक्तधकतम मानव क्तवकास की क्तस्थक्तत को दशाचता है और शन्ू य न्यनू तम मानव क्तवकास की क्तस्थक्तत
को।

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वैष्टिक खुशहाली ररपोिथ

 यह ररपोिच प्रत्येक वषच सतत् क्तवकास समाधान नेिवकच (Sustainable Development Solution
Network- SDSN) द्वारा प्रकाक्तशत की जाती है।
 वैष्टिक खुशहाली ररपोिथ का प्रकाशन वषथ 2012 से शुरू हुआ था।
 खश ु हाली को अाँकने के ष्टलये सच ू कांक में
1. प्रष्टत व्यष्टि सकल घरे लू ईत्पाद,

2. कष्टिन समय में व्यष्टि को सामाष्टजक सुरक्षा,

3. स्वस्थ जीवन की प्रत्याशा,

4. सामाष्टजक सरोकार,

5. व्यष्टिगत स्वतंत्रता तथा

6. भ्रिाचार और ईदारता की ऄवधारणा को अधार बनाया जाता है।

(SUSTAINABLE DEVELOPMENT SOLUTION NETWORK- SDSN)

 सयां ि
ु राष्ट्र के तत्त्वाधान में सयां ि
ु राष्ट्र सतत् क्तवकास समाधान नेिवकच 2012 से काम कर रहा है।
 SDSN सतत् क्तवकास हेतु व्यावहाररक समाधान को बढ़ावा देने के क्तलये वैक्तश्वक वैज्ञाक्तनक और तकनीकी
क्तवशेषज्ञता जिु ाता है, क्तजसमें सतत् क्तवकास लक्ष्यों (एसडीजी) और पेररस जलवायु समझौते का कायाचन्वयन
भी शाक्तमल है।
 SDSN सांयिु राष्ट्र एजेंक्तसयों, बहुपक्षीय क्तविपोषण सांस्थानों, क्तनजी क्षेत्र और नागररक समाज के साथ
क्तमलकर काम करता है।

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2. राष्ट्रीय अय (National Income)
 राष्ट्रीय अय से तात्पयथ क्तकसी देश की अथचव्यवस्था द्वारा पूरे वषथ के दौरान उत्पाक्तदत ऄष्टन्तम वस्तुओ ं व
सेवाओ ं के शुद्ध मूल्य के योग से होता है, इसमें ष्टवदेशों से ऄष्टजथत शुद्ध अय भी शाष्टमल होती है।
राष्ट्रीय अय के ऄध्ययन के कारण:- क्तकसी भी देश में राष्ट्रीय आय का क्तवश्लेषण अथवा राष्ट्रीय आय का
लेखाांकन कई कारणों से महत्वपणू च होता है-
1. देश की आक्तथचक क्तवकास की गक्तत की माप के क्तलए राष्ट्रीय आय और प्रक्तत व्यक्ति आय में होने वाली वृक्ति
का क्तवश्लेषण क्तकया जाता है।
2. दो या दो से अक्तधक देशों के बीर् आक्तथचक क्तवकास की गक्तत की तल
ु ना करने के क्तलए राष्ट्रीय आय का
क्तवश्लेषण अक्तनवायच होता है।
3. राष्ट्रीय आय क्तवश्लेषण के माध्यम से क्षेत्रीय क्तवकास की समीक्षा की जा सकती है और यह पता लगाया जा
सकता है क्तक कौन सा क्षेत्र अक्तधक क्तवकक्तसत है और कौन सा कम क्तवकक्तसत है।
4. . राष्ट्रीय आय के क्तवश्लेषण द्वारा क्तकसी अथचव्यवस्था में प्राथक्तमक क्षेत्र, क्तद्वतीयक क्षेत्र और तृतीयक क्षेत्र के
योगदान का क्तवश्लेषण क्तकया जा सकता है।
5. क्तकसी देश की समक्तष्टभावी आक्तथचक नीक्तत का क्तनधाचरण राष्ट्रीय आय क्तवश्लेषण के आधार पर ही क्तकया जा
है।
राष्ट्रीय अय गणना की ष्टवष्टधयााँ :— राष्ट्रीय आय आक
ां लन के क्तलये मुख्य रूप से तीन ष्टवष्टधयों का प्रयोग
क्तकया जाता है-
1. ईत्पाद ष्टवष्टध

2. अय ष्टवष्टध

3. व्यय ष्टवष्टध

 भारत में राष्ट्रीय अय की गणना के ष्टलये व्यय ष्टवष्टध का प्रयोग नहीं ष्टकया जाता है।
 के वल उत्पाद एवां आय क्तवक्तध का प्रयोग क्तकया जाता है।
A. ईत्पाद ष्टवष्टध
 उत्पाद क्तवक्तध द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना करते समय 1 वषच के भीतर ष्टवष्टभन्न क्षेत्रों जैसे प्राथष्टमक,
ष्टितीयक तथा तृतीयक क्षेत्र में ईत्पाष्टदत समस्त वस्तुओ ं के बाजार मूल्य की गणना करते हैं
 प्राथष्टमक क्षेत्र में कृ क्तष वाक्तनकी, मत्स्य पालन, खनन को शाक्तमल क्तकया जाता है।
 ष्टितीयक क्षेत्र में क्तनमाचण एवां क्तवक्तनमाचण में क्तबजली गैस एवां जलापक्तू तच को शाक्तमल क्तकया जाता है।
 तृतीयक क्षेत्र के अन्तगचत पररवहन सांर्ार सेवा क्षेत्र इत्याक्तद को शाक्तमल क्तकया जाता है।

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B. अय ष्टवष्टध
 आय क्तवक्तध के अन्तगचत राष्ट्रीय आय की गणना करते समय क्तकसी क्तदये गये वषच में मजदूरी एवं वेतन, लगान
एवं ष्टकराया, ब्याज, लाभ, लाभांश एवं रायल्िी के समग्र योग को ज्ञात कर ष्टलया जाता है। क्तजसमें
समग्र योग आय को सकल राष्ट्रीय आय (GNI) कहते हैं।

भारत में राष्ट्रीय अय:-


 भारत में राष्ट्रीय अय का ऄनमु ान सवथप्रथम वषथ 1868 इ0 में दादाभाइ नौरोजी ने लगाया था और
 इनके अनसु ार तत्कालीन भारत में प्रष्टत व्यष्टि अय 20 रू वाष्टषथक थी।
 भारत में राष्ट्रीय अय का सवथप्रथम वैज्ञाष्टनक ऄनमु ान प्रो0 बी0के 0अर0वी0 राव िारा 1925 ई0 एवां
1931 में क्तकया था।
 स्वतंत्रता के बाद 1950 इ0 में पी0सी0 महालोष्टबस की ऄध्यक्षता में राष्ट्रीय प्रष्टतदसथ सवेक्षण
(NSSO) की स्थापना की गयी। क्तजसे अब एनएसओ के नाम से जाना जाता है।
 वषच 1949 इ0 में एक राष्ट्रीय अय सष्टमष्टत का भी गिन क्तकया गया था क्तजसके ऄध्यक्ष पी0सी0
महालोष्टबस थे।
 जबक्तक बी0के 0 अर0बी0 राव और गाडष्टगल आसके सदस्य थे।
 इस सष्टमष्टत ने 1951 से 1954 तक भारत में राष्ट्रीय अय का ऄनुमान लगाया था।
 इसके बाद के न्रीय सांष्टख्यकी संगिन (सीएसओ) भारत मे राष्ट्रीय अय का ऄनुमान लगाता है और
 वतचमान समय में भी यही सस्ां था राष्ट्रीय आय सम्बन्धी आक
ां ड़े प्रस्ततु करती हैं।
 के न्रीय साष्टख्यकी संगिन साष्टख्यकी एवं कायथिम ष्टियान्वयन मंत्रालय का एक भाग है।
 साआमन कुजनेि्स को राष्ट्रीय अय लेखांकन का जन्मदाता माना जाता है।

साधन लागत (FACTOR COST)

 यह मल ू तः क्तनवेश की गई लागत होती है क्तजसे उत्पादक उत्पादन प्रक्तिया के दौरान लगाता है।
 जैसे पांजू ी की लागत, ऋणों पर ब्याज, श्रम, क्तकराया, क्तबजली कच्र्ा माल,
 साधन लागत में सरकार को भुगतान ष्टकए गए कर को शाष्टमल नहीं ष्टकया जाता है जबष्टक कोइ
ऄनदु ान प्राप्त हो तो ईसे शाष्टमल ष्टकया जाता है।

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बाजार लागत (MARKET COST)

 बाजार लागत वह मल्ू य है क्तजसे एक उपभोिा द्वारा क्तकसी वस्तु एवां सेवा को खरीदते समय क्तकसी क्तविे ता
को अदा करता है।
 बाजार लागत वस्तु एवं सेवा की साधन लागत पर ऄप्रत्यक्ष कर जोड़ने के बाद ष्टनकाली जाती
है।
 सरकार िारा दी गइ ऄनुदान को साधन लागत में से घिाकर बाजार लागत की गणना की जाती
है।
 ष्टस्थर कीमतों पर राष्ट्रीय अय को वास्तष्टवक राष्ट्रीय अय कहा जाता है।
 ष्टकसी देश के अष्टथथक ष्टवकास का सही सूचक ष्टस्थर कीमत पर राष्ट्रीय अय है।
 क्तकसी भी देश की राष्ट्रीय अय में ष्टनम्न को शाष्टमल नहीं ष्टकया जाता है
A. मध्यवती वस्तुओ ं के मूल्य को
B. पुरानी वस्तुओ ं के मूल्य को
C. घरेलू सेवाओ ं ऄथवा कायथ को ष्टवत्तीय पररसंपष्टत्तयों जैसे ऄंशपत्र ऊण पत्र अष्टद के िय
ष्टविय को
D. हस्तांतरण पेंशन वजीफा भुगतान को
E. ष्टवदेशों से प्राप्त ईपहार।
 राष्ट्रीय आय की गणना के क्तलए उत्पाद पिक्तत और आय पिक्तत दोनों का सहारा क्तलया जाता है।

राष्ट्रीय अय की ऄवधारणा (CONCEPTS OF NATIONAL INCOME)

 राष्ट्रीय आय की माप-करने के क्तलए अनेक धारणाओ ां का प्रयोग क्तकया जाता हैं क्तजसमें से महत्वपूणथ
ऄवधारणाएं क्तनम्नक्तलक्तखत हैं-
सकल राष्ट्रीय ईत्पादन (G.N.P) :-

 क्तकसी देश में एक वषच के भीतर उस देश के नागररकों िारा ईत्पाष्टदत समस्त ऄष्टन्तम वस्तुओ ं एवं
ु अय भी शाष्टमल हो, सकल राष्ट्रीय
सेवाओ ं में मौष्टरक मूल्य ष्टजसमें ष्टवदेशों से ष्टमलने वाली शद्ध
उत्पादन कहलाती हैं।
 GNP = C+I +G+ (X-M)
यहााँ C= ईपभोिा वस्तुओ ं एवं सेवाओ ं को
I= घरेलू ष्टनवेश

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G= सरकारी व्यय
(X-M) = शुद्ध ष्टवदेशी अय के ष्टनयाथतों एवं अयातों के ऄन्तर को
शुद्ध राष्ट्रीय ईत्पाद (NET NATIONAL PRODUCT) (NNP)

 इसकी गणना के क्तलए सकल राष्ट्रीय ईत्पाद में से मूल्य ह्रास (ष्टघसावि व्यय) को घिा देते हैं।
 NNP = GNP- मूल्य ह्रास
 GNP = NNP + मूल्य ह्रास

सकल घरे लू ईत्पादन (GROSS DOMESTIC PRODUCT -GDP)

 इसके अन्तगचत क्तकसी देश की सीमा के भीतर एक वषच के दौरान उत्पाक्तदत समस्त वस्तओ
ु ां एवां
सेवाओ ां के बाजार या मौक्तद्रक मल्ू य को शाक्तमल क्तकया जाता है।
 GDP = GNP – ष्टवदेशो से प्राप्त शद्ध ु अय
 GNP = GDP + ष्टवदेशों से प्राप्त शद्ध ु अय
 GDP के अन्तगचत मजदरू ी और वेतन लगान एवां क्तकराया व्याज लाभ एवां लाभाांस अक्तवतररत कम्पनी काम,
क्तमक्तश्रत आय इत्याक्तद को शाक्तमल क्तकया जाता है।

शुद्ध घरे लू ईत्पादन (NET DOMESTIC PRODUCT – NDP)

 सकल घरे लू उत्पादन में से मल्ू य ह्नास (क्तघसावि व्यय) को घिा देते हैं।
 NDP = GDP- मूल्य ह्नास
 GDP = NDP मूल्य ह्नास

प्रष्टत व्यष्टि अय (PER CAPITA INCOME -P.C.I.) :-.

 प्रक्तत व्यक्ति आय क्तकसी वषच देश की औसत आय होती है। इसकी गणना के क्तलये देश की राष्ट्रीय आय में उस
वषच की जनसख्ां या से भाग दे देते हैंI
 प्रष्टत व्यष्टि अय ष्टकसी ष्टनष्टित वषथ से सम्बष्टन्धत होती है।

साधन लागत और बाजार कीमत पर GDP की गणना:-


 GDPMP = GDPFC + करारोपण – ऄनदु ान
 GDP FC = GDPMP – करारोपण

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 वैयष्टिक अय (P.I.) यह देशवाक्तसयों को वास्तव में प्राप्त होने वाली आय हैं क्तजसे क्तनम्न सत्रू से प्राप्त करते
हैं
 वैयष्टिक अय = राष्ट्रीय अय - ष्टनगमों को ष्टवतररत लाभांश - ष्टनगम कर - सामाष्टजक सुरक्षा
योजना के ष्टलए ष्टकए गए भुगतान + सरकारी हस्तांतरण भुगतान + व्यापाररक हस्तांतरण भुगतान

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3. अष्टथथक अयोजन
 भारत में अष्टथथक अयोजन संबंधी प्रस्ताव सवथप्रथम सन 1934 में ष्टविेिरैया की पुस्तक ‗पलांड
आकोनामी फॉर आष्टं डया‘ में आई थी।
 1938 में भारतीय राष्ट्रीय काांग्रेस ने जवाहरलाल नेहरू की ऄध्यक्षता में राष्ट्रीय ष्टनयोजन सष्टमष्टत का
गिन क्तकया।
 1944 ई. में बम्बइ के 8 ईद्योगपष्टतयों िारा बम्बे पलान प्रस्ततु क्तकया गया।
 बम्बे प्लान 15 वषीय पत्रु वध योजना थे बम्बे पलान के सूत्रधार सर अदेष्टशर दलाल थे।
 1944 ई. में भारत सरकार ने ष्टनयोजन एवं ष्टवकास ष्टवभाग नामक नया ष्टवभाग खोला।
 इसी वषच िीमन्नारायण ने गांधीवादी योजना बनाई।
 1945 में श्री एमएन राय ने जन योजना बनाई।
 1950 ई. में जयप्रकाश नारायण ने सवोदय योजना प्रकाष्टशत की।
 प्रथम योजना अयोग के ऄध्यक्ष प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एवं ईपाध्यक्ष गुलजारीलाल नंदा
थे
 15 ऄगस्त 2014 इ. को योजना अयोग को समाप्त कर ष्टदया गया।
 भारत में अब तक 12 पांर्वषीय योजनाएां लागू की जा र्क ु ी है।
प्रथम पंचवषीय योजना (1951-56):

 यह योजना हैरोड-डोमर मॉडल पर अधाररत थी।


 इसने कृ क्तष, प्रोडक्शसां , क्तसांर्ाई, मल्ू य क्तस्थरता, क्तबजली और पररवहन के सधु ार पर जोर क्तदया।
 यह योजना सफल साक्तबत हुई क्योंक्तक इस योजना के कारण कृ क्तष उत्पादन में 3.6% की दर से बढ़ोिरी हुई थी।
 भाखड़ा-नंगल, हीराकुंड और मेट्टूर बांध की प्रमुख बांध पररयोजनाएां इस योजना अवक्तध के दौरान शरू ु
की गई थीं।
 इस योजना अवक्तध के अतां तक, 1956 में, पांच भारतीय प्रौद्योष्टगकी संस्थान (अइअइिी) भी शुरू
ष्टकए गए थे।
 सामुदाष्टयक ष्टवकास पररयोजना शरू ु की गई थी।
ष्टितीय पंचवषीय योजना (1956-61):

 यह योजना ―महालनोष्टबस मॉडल‖ पर अधाररत थी।


 इस योजना ने औद्योष्टगक ईत्पादों और तेजी से औद्योष्टगकीरण के घरेलू ईत्पादन पर जोर क्तदया।
 ष्टभलाइ, दुगाथपुर और राईरके ला में आस्पात संयंत्र की शुरूअत इस योजना के तहत ही की गयी थी।

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 इस योजना की लक्तक्षत क्तवकास दर 4.5% और वास्तक्तवक क्तवकास दर 4.27% थी।
 क्तद्वतीय पर्
ां वषीय योजना का ईद्देश्य समाजवादी समाज की स्थापना करना था।
तीसरी पंचवषीय योजना (1961-66):

 तीसरी पांर्वषीय योजना ने कृष्टष और ईद्योग की वृष्टद्ध पर जोर क्तदया गया।


 इसे ―गाडष्टगल योजना‖ के रूप से भी जाना जाता है।
 इस योजना का ईद्देश्य राष्ट्रीय अय व कृष्टष ईत्पादन में 30% तक की वृष्टद्ध करना था।
 लेक्तकन 1962 में चीन व 1965 में पाष्टकस्तान के साथ युद्ध तथा खराब मौसम के कारण भारत ऄपना
यह लक्ष्य हाष्टसल नहीं कर पाया था।
 इस योजना की लक्तक्षत क्तवकास दर 5.6% थी लेक्तकन वास्तक्तवक वृक्ति दर 2.4% थी।
पलान हॉष्टलडे (1966-69):

 तीसरी योजना की क्तवफलता व भारत पाक्तकस्तान के बीर् हुए बड़े यि


ु के कारण सरकार ―पलान हॉष्टलडे‖
घोक्तषत करने के क्तलए मजबरू थी।
 इस अवक्तध के दौरान तीन वाष्टषथक योजनाएं तैयार की गई।
 कृ क्तष, इसकी सांबि गक्ततक्तवक्तधयों और औद्योक्तगक क्षेत्र को समान प्राथक्तमकता दी गई थी।

चौथी पच
ं वषीय योजना (1969-74):

 इस योजना ने कृष्टष ष्टवकास और भारत में हररतिांष्टत पर जोर क्तदया।


 14 भारतीय बैंकों का राष्ट्रीयकरण ष्टकया गया।
 इस योजना की लक्ष्य वृक्ति दर 5.6%थी लेक्तकन वास्तक्तवक वृक्ति दर 3.3 % थी।.
पांचवीं पंचवषीय योजना (1974-78):

 इस योजना के तहत के रोजगार को बढ़ावा, मद्रु ास्फीक्तत की जाांर्, गरीबी ईन्मूलन (गरीबी हिाओ) और
न्याय पर ज़ोर क्तदया।
 योजना का मसौदा प्रमुख राजनष्टयक ―डी.पी.धर‖ िारा तैयार क्तकया गया था।
 यह कृ क्तष उत्पादन और रक्षा में अत्मष्टनभथरता पर कें ष्टरत था।
 भारतीय राष्ट्रीय राजमागथ प्रणाली की शुरूअत की गयी।

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 ―न्यूनतम अवश्यकता कायथिम‖ लॉन्च क्तकया गया।
 जनता पािी के सरकार में आते ही इस योजना को र्ौथे वषच में ही समाप्त कर क्तदया गया याक्तन क्तक 1978 में।
 इसकी लक्तक्षत वृक्ति दर 4.4% थी और वास्तक्तवक वृक्ति 4.4% थी।
रोष्टलंग पलान (1978-80):

 जनता पािी सरकार ने पांचवीं पंचवषीय योजना को खाररज कर क्तदया और नई छठी पांर्वषीय योजना(1978-
1983) पेश की।
 इसके बाद राष्ट्रीय काांग्रेस सरकार ने 1980 में सिा में आने के बाद इस योजना को क्तफर से खाररज कर क्तदया और
एक नई छठी योजना बनाई।
 पहली वाली योजना रोक्तलांग योजना के नाम से जानी जाती थी।
 रोष्टलंग पलान की ऄवधारणा ―गुन्नार ष्टमडथल‖ द्वारा बनाई गयी थी।
छिी पच
ं वषीय योजना (1980-85):

 इस पर्ां वषीय योजना से अष्टथथक ईदारीकरण की शुरूअत हुई।


 यह योजना बक्तु नयादी ढाांर्े में बदलाव व कृ क्तष पर समान रूप से कें क्तद्रत थी।
 छठी पांर्वषीय भारतीय अथचव्यवस्था के क्तलए एक बड़ी सफलता थी।
 इसकी लक्तक्षत वृक्ति दर 5.2% थी और वास्तक्ततक वृक्ति दर 5.4% थी।
सातवीं पंचवषीय योजना (1985-90):

 इस पांर्वषीय योजना का मुख्य ईद्देश्य अष्टथथक व ऄनाज की ईत्पादकता में वृष्टद्ध के साथ-साथ
रोजगार के ऄवसर पैदा करना था।
 इस योजना के तहत 1989 में जवाहर रोजगार योजना लॉन्च की गयी।
 यह योजना सफल रही तथा इसका लक्तक्षत वृक्ति दर 5.0% और वास्तक्तवक वृक्ति दर 6.01% थी।
वाष्टषथक योजनाएं (1989-91और 1991-92):

 राजनीक्ततक अक्तस्थरता के कारण इस अवक्तध के दौरान कोई पाांर् वषीय योजना लागू नहीं की गयी थी।
 1990 और 1992 के बीर् अवक्तध के ष्टलए ष्टसफथ वाष्टषथक योजनाएं ही लागू की गयी थी।
 1991 में भारत को ष्टवदेशी मुरा भंडार के संकि का सामना करना पड़ा, उस वि के वल 1 अरब
अमेररकी डॉलर के भडां ार देश के पास बर्े थे।

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 उस समय डॉ.मनोमहन ष्टसंह ने मुि बाजार सुधार को लॉन्च ष्टकया, क्तजसने लगभग राष्ट्र को क्तदवाक्तलया
होने के कगार से वापस ले आया।
 यहीं से भारत में ष्टनजीकरण और ईदारीकरण की शरू
ु अत हुई।
अिवीं पंचवषीय योजना (1992-97):

 इस योजना ने उद्योगों के आधक्तु नकीरण की क्तदशा में काम क्तकया।


 इस योजना का मुख्य ईद्देश्य जनसंख्या वृष्टद्ध पर ष्टनयंत्रण, गरीबी में कमी, रोजगार के ऄवसर पैदा
करना व बष्टु नयादी ढांचे को मजबतू करना था।
 इस योजना की लक्तक्षत वृक्ति दर 5.6% थी और वास्तक्तवक वृक्ति दर 6.8% थी।
नौवीं पंचवषीय योजना (1997-2002):

 इस पांर्वषीय योजना ने पयाथप्त रोजगार के ऄवसर पैदा करने, गरीबी कम करने, कृष्टष ईत्पादकता में
बढ़ोत्तरी के साथ-साथ ग्रामीण ष्टवकास को प्राथष्टमकता दी।
 इसके अलावा न्याय व समानता के साथ क्तवकास पर भी जोर क्तदया गया।
 क्तस्थर कीमतों के माध्यम से अथचव्यवस्था की क्तवकास दर में तेजी लाई गयी।
 सभी लोगों को भोजन व पोषण सरु क्षा सक्तु नक्तित करना। जनसख्ां या पर क्तनयत्रां ण करना।
 इस योजना की लक्तक्षत वृक्ति दर 6.5% व वास्तक्तवक वृक्ति दर 5.40% थी।
दसवी पच
ं वषीय योजना (2002-07):

 दसवीं पांर्वषीय योजना (2002- 07) में जीडीपी वृक्ति दर 7.7 प्रक्ततशत रही.
 इस योजना का ईद्देश्य ―देश में गरीबी और बेरोजगारी समाप्त करना‖ तथा ―ऄगले दस वषों में प्रष्टत
व्यष्टि अय दोगुनी करना‖ था.
 योजना के दौरान प्रक्ततवषच 7-5 अरब डालर के प्रत्यक्ष क्तवदेशी क्तनवेश का लक्ष्य रखा गया.
 योजना अवक्तध में पाांर् करोड़ रोजगार अवसर सृजन सक्तहत साक्षरता, क्तशशु मृत्य-दर, वन क्तवकास के बड़े लक्तक्ष्य
रखे गए.
 दसवीं पर्ां वषीय योजना को इस क्तलहाज से भी उल्लेक्तीखनीय माना जा सकता है क्तक भारत उच्र्क
(सात प्रक्ततशत
से अक्तधक) वृक्ति दर यानी ग्रोथ रे ि की पिरी पर आ गया.
 इस योजना में 7.7 प्रष्टतशत की औसत सालाना वृष्टद्ध दर ऄब तक ष्टकसी योजना में ―सवोच्च वृष्टद्ध
दर‖ थी.

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 लक्तक्षत वृक्ति दर 8.1% थी और वास्तक्तवक वृक्ति दर 7.3% थी।
ग्यारहवीं पच
ं वषीय योजना (2007-12):

 इस योजना का मख्ु य लक्ष्य सकल घरे लू उत्पाद वृक्ति दर को 8% से बढ़ाकर 10% तक करना था तथा 12 वीं
योजना में इसे 10% बनाए रखना था ताक्तक 2016 तक प्रक्तत व्यक्ति आय दोगनु ी हो सके ।
 राजीव GANDHI स्वास््य योजना शरू
ु की गई।
 70 लाख नए रोजगार के नए अवसर पैदा क्तकए गए।
 क्तशक्तक्षत बेरोजगारी को 5% से कम करना था।

 5% से कम क्तशक्तक्षत बेरोजगारी को कम करना।


 5% से ऄष्टधक वनावरण में वृष्टद्ध।

 0 से 6 वषच की आयु तक के बच्र्ों के क्तलांगानपु ात की दर को 2011 तक 935 करना और इसे 2016-17 तक


इजाफा करते हुए 950 तक पहुर्ँ ाना।
बारहवीं पच
ं वषीय योजना (2012-17):

 इस पंचवषीय योजना का ईद्देश्य तेजी से, अक्तधक समावेशी और सतत क्तवकास के उद्देश्य के साथ 8.2%
की वृक्ति हाक्तसल करना था।
 इसका ईद्देश्य कृष्टष में 4 प्रष्टतशत की वृष्टद्ध हाष्टसल करना और गरीबी को 10 प्रक्ततशत तक कम करना
करना था।
 स्वास््य, क्तशक्षा और कौशल क्तवकास, पयाचवरण और प्राकृ क्ततक सांसाधन और आधारभतू सांरर्ना क्तवकास इस
योजना का मख्ु य कें द्र थे।

नए भारत के ष्टलए योजना अयोग की जगह नीष्टत अयोग का गिन-

 कें द्र सरकार ने योजना अयोग के प्रष्टतस्थापन के रुप में 1 जनवरी 2015 को नीष्टत अयोग(नेशनल
आस्ं िीि्यूि फॉर रांसफारष्टमंग आष्टं डया) की स्थापना की।

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 नीक्तत आयोग, योजना आयोग के क्तवपरीत एक ष्टथंक िैंक या फोरम की तरह कायथ करे गा, ष्टजसने पांच
साल की योजनाओ ं को लागू ष्टकया है और अष्टथथक लक्ष्य ष्टनधाथररत करने के ष्टलए संसाधनों को
अवंष्टित करेगा।
 नीष्टत अयोग के पररषद में भारत के 29 राज्यों और सात कें र शाष्टसत प्रदेशों के मुख्य कायथकारी
ऄष्टधकारी- एक ष्टडपिी चेयरमैन, ष्टवशेषज्ञों की िीम होगी
 जो सीधे प्रधान मंत्री से संपकथ करे गी। जो नीष्टत अयोग के ऄध्यक्ष हैं।
 योजना अयोग,नीष्टत अयोग के ष्टवपरीत, राष्ट्रीय ष्टवकास पररषद को ररपोिच करता था।
 नीक्तत आयोग व योजना आयोग में सबसे बड़ा अतां र यह है क्तक योजना आयोग प्रत्येक राज्य के बीर् सामान्य
दृक्तष्टकोण था व सभी शक्तियाां कें द्रीकृ त थी, नीक्तत आयोग ने जमीनी स्तर पर कायच करने का क्तनणचय क्तलया व
वहीं राज्यों की भागीदरी भी बढ़ाई।

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4. ग़रीबी
गरीबी को एक ऐसे हालात के रूप में देखा जाता है ष्टजसमें व्यष्टि के पास जीवन ष्टनवाथह के ष्टलये
बष्टु नयादी ज़रूरतें मसलन रोिी, कपड़ा और मकान भी नहीं होती हैं। आस हालत को चरम गरीबी भी कहा
जाता है।
 एमडीजी (mellinium development goal) के मुताष्टबक़, जो लोग एक ष्टदन में $1.25 से कम

कमाते हैं, वे ग़रीब की श्रेणी में आते हैं।


भारत में गरीबी के स्तर का अकलन
 भारत में ईपभोग और अय दोनों के अधार पर गरीबी के स्तर का अकलन क्तकया जाता है।
 उपभोग की गणना उस धन के आधार पर की जाती है जो एक पररवार द्वारा आवश्यक वस्तओ ु ां पर खर्च
क्तकया जाता है।
 आय की गणना उस पररवार द्वारा अक्तजतच आय के अनसु ार की जाती है।
ग़रीबी रे खा

 गरीबी रे खा भारत में गरीबी के अकलन के ष्टलये एक बेंचमाकथ की तरह काम करती है। गरीबी रे खा
आय के उस न्यनू तम स्तर को कहते हैं क्तजससे कम आमदनी होने पे इसां ान अपनी बक्तु नयादी ज़रूरतों को परू ा
करने में असमथच होता है। भारत में समय-समय पर इस ग़रीबी रे खा को तय क्तकया जाता है।
 साल 2014 में, ग्रामीण आलाकों में 32 रुपए प्रष्टतष्टदन और कस्बों/शहरों में 47 रुपए प्रष्टतष्टदन के क्तहसाब
से गरीबी रे खा तय की गई थी।
 ग़रीबी रे खा को लेकर अलग-अलग सक्तमक्ततयों की अलग अलग राय है।
 तेंदुलकर फॉम्यथुले में 22 फीसदी अबादी को गरीब बताया गया था जबष्टक सी. रंगराजन फॉम्यथुले ने
29.5 फीसदी अबादी को गरीबी रेखा से नीचे माना था।
 ग़रीब कौन हैं और क्तकतने हैं - यहीं स्पष्ट नहीं है।

ग़रीबी रे खा ष्टनधाथरण से जडु ी सष्टमष्टतयां

 लॉरें ज वि और क्तगनी गणु ाांक का सांबांध सापेक्ष गरीबी मापन से है।


 साल 1970 के मध्य में पहली बार आस तरह की गरीबी रेखा का ष्टनधाथरण योजना अयोग िारा क्तकया
गया था।
 इसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में िमश: एक वयस्क के ष्टलए 2,400 और 2,100 कै लोरी की न्यूनतम
दैष्टनक ज़रुरत को अधार बनाया गया था।

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 नीष्टत अयोग भारत सरकार की आक्तधकाररक एजेंसी है, जो राज्यों में और परू े देश के ष्टलए समग्र रूप से
गरीबी रेखा से नीचे के लोगों का अकलन करने का काम करती है।
1. ऄलघ सष्टमष्टत (1979)

2. लकड़ावाला सष्टमष्टत (1993)

3. तें दुलकर सष्टमष्टत (2009)

4. रंगराजन सष्टमष्टत (2012)

ग़रीबी के ऄहम् कारण

सामान्य तौर पर बताए जाने वाले कारण

जनसंख्या ष्टवस्फोि

 सीष्टमत संसाधन

 सम्बष्टं धत सस्
ं थाओ ं की ऄक्षमता
 भ्रिाचार

 ऄष्टशक्षा

 ग़ल ु ामी का ऄसर
ऄसल कारण
 लोग ग़रीब इसक्तलए हैं क्योंक्तक उन्हें क्तवकल्प र्नु ने की परू ी आक्तथचक आज़ादी नहीं है।
 हमारे यहाँ ग़रीबी की असल प्रकृ क्तत क्या है, इसी की समझ नहीं है।
 ग़रीबी राजनीक्तत का मद्दु ा बनकर रह गई है। कोई भी राजनीक्ततक पािी इस 'मद्दु 'े को परू ी तरह ख़त्म नहीं
करना र्ाहती।
 उदासीन राजनीक्ततक और सामाक्तजक ढाँर्े मसलन जाक्तत और धमच के बांधन।
 सांसाधनों का परू ी तरह से दोहन न हो पाना।
 कृ क्तष में कम उत्पादकता।
कुछ योजनाओ ं पर एक नज़र –

 प्रधानमंत्री जन धन योजना: इस योजना के तहत आक्तथचक रूप से वक्तां र्त लोगों को तमाम क्तविीय
सेवाएँ महु य्ै या कराई जाती हैं। इसमें बर्त खाता, बीमा, ज़रुरत के मतु ाक्तबक़ क़ज़च और पेंशन जैसी
सेवाएँ शाक्तमल हैं।
 ष्टकसान ष्टवकास पत्र योजना: एक तरह का प्रमाण पत्र होता है, क्तजसे कोई भी व्यक्ति खरीद सकता
है। इसे बॉन्ड की तरह प्रमाण पत्र के रूप में जारी क्तकया जाता है। इस पर एक तय शुदा ब्याज

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क्तमलती है। इसके ज़ररए क्तकसान 1000, 5000 तथा 10,000 रुपए मल्ू यवगच में क्तनवेश कर सकते हैं।
इससे जमाकत्ताथओ ं का धन क़रीब 100 महीनों में दोगुना हो सकता है।
 दीन दयाल ईपाध्याय ग्राम ज्योष्टत योजना: ये योजना ग्रामीण क्षेत्रों को क्तबजली की क्तनरांतर
आपक्तू तच देने के क्तलए शरू
ु क्तकया गया है।
 महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंिी ऄष्टधष्टनयम 2005: इस योजना के तहत देश भर
के गाँवों में लोगों को 100 क्तदनों के काम की गारांिी दी गई है। ग्रामीण इलाक़ों में ग़रीबी कम करने में
ये योजना काफी मददगार साक्तबत हुई है।
 नरे गा की शरुु आत 2 फरवरी 2006 को आध्रां प्रदेश के बादां ावली क्तजले के अनतां परु गावां से हुआ।
 2 अक्िूबर 2009 को इसका नाम पररवक्ततचत करके मनरे गा महात्मा गाांधी रोजगार गारांिी योजना कर
क्तदया गया।
 इसके नीक्तत क्तनमाचता ज्याां द्रेज बेक्तल्जयम के अथचशास्त्री है।
 इस योजना के तहत कें द्र तथा राज्य सरकारों के मध्य 90:10 के अनपु ात में क्तविीय सहयोग दी जाती
है
 मनरे गा ग्रामीण गरीबों को सरां क्तक्षत करने की क्तदशा में प्रायोक्तजत क्तत्रक्तवधा मनरे गा खाद्य सरु क्षा तथा
ग्रामीण स्वास््य क्तमशन में से एक है।
 प्रधानमंत्री अवास योजना: इस योजना का उद्देश्य 2022 तक सभी को घर उपलब्ध करना है। इस
के क्तलए सरकार 20 लाख घरो का क्तनमाचण करवाएगी, क्तजसमें 65% ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।
 राष्ट्रीय मातृत्व लाभ योजना: इस योजना के तहत गरीबी रे खा से नीर्े की क्तजदां गी बसर करने
वाले पररवार की गभचवती मक्तहलाओ ां को लाभ के रूप में एकमश्ु त राक्तश प्रदान की जाती है।
 स्वच्छ भारत ऄष्टभयान: इस अक्तभयान के तहत 2019 तक यानी महात्मा गाांधी की 150वीं जयांती
तक भारत को स्वच्छ बनाने का लक्ष्य क्तकया गया है।
 प्रधानमंत्री मुरा योजना: इस योजना का मख्ु य उद्देश्य था पढ़े-क्तलखे नौजवानों को रोजगार प्रदान
करना।
 अयुष्ट्मान भारत: इस योजना के ज़ररए 10 करोड़ से ज्यादा पररवारों के लगभग 50 करोड़ लोगों
को मफ्ु त इलाज क्तमल सके गा।
 प्रधानमंत्री ष्टकसान सम्मान ष्टनष्टध: पीएम क्तकसान योजना के तहत क्तकसानों को 3 क्तकश्त में 6 हजार
रुपए की रकम दी जाती है।
 ऄन्नपूणाथ योजना इस योजना का प्रारांभ 2 अक्िूबर 2000 को उिर प्रदेश के गाष्टजयाबाद ष्टजले
के ष्टसखोड़ा ग्राम से हुआ
 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा ऄष्टधष्टनयम 2013 यह अक्तधक्तनयम 12 क्तसतांबर 2013 से प्रभावी हुआ।
 इसका मख्ु य उद्देश्य लोगों को पयाचप्त मात्रा में गणु विापणू च खाद की उक्तर्त मल्ू य पर आपक्तू तच करना है।

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 इसके अतां गचत लाभ प्राप्त कताच को 5 क्तकलो र्ावल, गेहां या मोिे अनाज िमश 3,2 तथा 1 रुपए प्रक्तत
क्तकलोग्राम प्राप्त करने का काननू ी अक्तधकार प्राप्त है।

गरीबी दूर करने के ष्टलए नीष्टत अयोग ने क्या सुझाया?

साल 2017 में नीक्तत आयोग ने गरीबी दरू करने को लेकर एक 'क्तवज़न डॉक्यमू िें ' पेश क्तकया था। इसमें
2032 तक गरीबी दरू करने की योजना तय की गई थी। आयोग के मतु ाक्तबक़ -
 देश में गरीबों की सही तादाद का पता लगाया जाए। और लागू की जाने वाली योजनाओ ां की मॉनीिररांग या
क्तनरीक्षण व्यवस्था को बेहतर बनाया जाए।
 आयोग द्वारा गक्तठत एक सक्तमक्तत ने अपनी ररपोिच में कहा क्तक सामाक्तजक-आक्तथचक जाक्ततगत जनगणना को
आधार बनाकर देश में गरीबों के तादाद का आकलन क्तकया जाना र्ाक्तहए।
 आयोग ने गरीबी दरू करने के क्तलये दो क्षेत्रों पर ध्यान देने का सझु ाव क्तदया-पहला योजनाएँ और दसू रा
MSME और कृ क्तष।
 देश के कुल वकच फोसच का 65 प्रक्ततशत क्तहस्सा महज़ MSME और कृ क्तष क्षेत्र में काम करता है। वकच फोसच का
यह क्तहस्सा काफी गरीब है और गरीबी में जीवन यापन कर रहा है। यक्तद इन्हें सांसाधन महु यै ा कराए जाएँ,
इनकी आय दोगनु ी हो जाए और मागां आधाररत क्तवकास पर ध्यान क्तदया जाए तो शायद देश से गरीबी ख़त्म
हो सकती है।

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5. बेरोजगारी
 यक्तद क्तकसी सक्षम व्यष्टि को मांगने पर रोजगार नहीं ष्टमलता है तो आस ष्टस्थष्टत को बेरोजगारी कहा
जाता है. इसका यह अथच हुआ क्तक ऄनैष्टच्छक बेरोजगारी, बेरोजगारी है
 यक्तद कोई व्यष्टि रोजगार की तलाश में नहीं है तो उसे बेरोजगारों की िेणी में सष्टम्मष्टलत नहीं क्तकया
जाएगा
 सक्षमता के सांदभच में न्यनू तम रूप से लोगों की आयु को देखा जाता है उनकी अयु कायथशील ईम्र से
संबंष्टधत होना र्ाक्तहए, भारत में NSSO और ऄंतरराष्ट्रीय स्तर पर UNDP 15 से 59 वषथ को
कायथशील ईम्र मानता है
 यक्तद क्तकसी राष्ट्र की जनसांख्या में कायचशील उम्र से सांबांक्तधत लोगों की प्रधानता होती है तो इस ष्टस्थष्टत को
डेमोग्राष्टफक ष्टडष्टवडेंड कहा जाता है.
 भारत में यही क्तस्थक्तत है लेक्तकन कुशलता क्तवकास पर ध्यान नहीं देना रोजगार में कमी आक्तद के कारण इसका
ठीक से लाभ नहीं क्तमल पा रहा है.

ष्टवकासशील देशों में बेरोजगारी के प्रकार

1. मौसमी बेरोजगारी (SEASONAL UNEMPLOYMENT):


 इस प्रकार की बेरोजगारी कृ क्तष क्षेत्र में पाई जाती है. कृ क्तष में लगे लोगों को कृ क्तष की जतु ाई, बोवाई,
किाई आक्तद कायों के समय तो रोजगार क्तमलता है लेक्तकन जैसे ही कृ क्तष कायच ख़त्म हो जाता है तो कृ क्तष
में लगे लोग बेरोजगार हो जाते हैं.
2. प्रच्छन्न बेरोजगारी (DISGUISED UNEMPLOYMENT):
 प्रच्छन्न बेरोजगारी उस बेरोजगारी को कहते हैं क्तजसमे कुछ लोगों की ईत्पादकता शून्य होती है
अथाचत यष्टद आन लोगों को ईस काम में से हिा भी ष्टलया जाये तो भी ईत्पादन में कोइ ऄंतर नही
अएगा
 जैसे यक्तद क्तकसी फै क्री में 100 जतू ों का क्तनमाचण 10 लोग कर रहे हैं और यक्तद इसमें से 3 लोग बाहर
क्तनकाल क्तदए जाएँ तो भी 100 जतू ों का क्तनमाचण हो जाये तो इन हिाये गए 3 लोगों को प्रच्छन्न रूप से
बेरोजगार कहा जायेगा
 भारत की कृ क्तष में इस प्रकार की बेरोजगारी बहुत बड़ी समस्या है.
3. सांरर्नात्मक बेरोजगारी (STRUCTURAL UNEMPLOYMENT):
 सरां र्नात्मक बेरोजगारी तब प्रकि होती है जब बाजार में दीघचकाक्तलक क्तस्थक्ततयों में बदलाव आता है.

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 ईदाहरण के ष्टलए: भारत में स्कूिर का उत्पादन बदां हो गया है और कार का उत्पादन बढ़ रहा है. इस
नए क्तवकास के कारण स्कूिर के उत्पादन में लगे क्तमस्त्री बेरोजगार हो गए और कार बनाने वालों की माांग
बढ़ गयी है.
 इस प्रकार की बेरोजगारी देश की आक्तथचक सरां र्ना में पररवतचन के कारण पैदा होती है.

ष्टवकष्टसत देशों में आन दो प्रकार की बेरोजगारी पाइ जाती है


चिीय बेरोजगारी (CYCLICAL UNEMPLOYMENT):

 इस प्रकार की बेरोजगारी अथचव्यवस्था में र्िीय उतार-र्ढ़ाव के कारण पैदा होती है.
 जब अथचव्यवस्था में समृक्ति का दौर होता है तो उत्पादन बढ़ता है रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं
और जब अथचव्यवस्था में मदां ी का दौर आता है तो उत्पादन कम होता है और कम लोगों की जरुरत
होती है क्तजसके कारण बेरोजगारी बढती है.
प्रष्टतरोधात्मक या घषथण जष्टनत बेरोजगारी (FRICTIONAL UNEMPLOYMENT):

 ऐसा व्यक्ति जो एक रोजगार को छोड़कर क्तकसी दसू रे रोजगार में जाता है, तो दोनों रोजगारों के बीर् की
ऄवष्टध में वह बेरोजगार हो सकता है, या
 ऐसा हो सकता है क्तक नयी िेक्नोलॉजी के प्रयोग के कारण एक व्यक्ति एक रोजगार से क्तनकलकर या
क्तनकाल क्तदए जाने के कारण रोजगार की तलाश कर रहा हो , तो
 परु ानी नौकरी छोड़ने और नया रोजगार पाने की अवक्तध की बेरोजगारी को घषचणजक्तनत बेरोजगारी कहते
हैं.
बेरोजगारी के ऄन्य प्रकार आस प्रकार हैं

1. ऐष्टच्छक बेरोजगारी (VOLUNTARY UNEMPLOYMENT):


 ऐसा व्यक्ति जो बाजार में प्रचष्टलत मजदूरी दर पर काम करने को तैयार नही है अथाचत वह ज्यादा मजदरू ी
की मागां कर रहा है जो क्तक उसको क्तमल नही रही है इस कारण वह बेरोजगार है.

2. खुली या ऄनैष्टच्छक बेरोजगारी ( OPEN OR INVOLUNTARY UNEMPLOYMENT):


 ऐसा व्यक्ति जो बाजार में प्रचष्टलत मजदूरी दर पर काम करने को तैयार है लेक्तकन क्तफर भी उसे काम नही
क्तमल रहा है तो उसे अनैक्तच्छक बेरोजगार कहा जायेगा.

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 इसके अलावा कुछ ऐसे बेरोजगार भी होते हैं क्तजनको मजदरू ी भी ठीक क्तमल सकती है लेक्तकन क्तफर भी ये लोग
काम नही करना चाहते हैं जैसे: ष्टभखारी, साधू और ऄमीर बाप के बेिे आत्याष्टद.

रोजगार सृजन कायथिम

 प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कायथिम: क्तवक्तनमाचण क्षेत्र के क्तलये 25 लाख रुपए एवां सेवा क्षेत्र के क्तलये
10 लाख रुपए की िे क्तडि या ऋण सीमा प्रदान की गई है।
 कौशल ष्टवकास कायथिम: इसके तहत 2022 तक 500 क्तमक्तलयन कुशल काक्तमक च तैयार करने का
लक्ष्य है।
 महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंिी कानून 2005 (मनरेगा): यह क्तकसी क्तविीय वषच में
प्रत्येक ग्रामीण पररवार के सभी वयस्क सदस्य, जो अकुशल श्रम के क्तलये तैयार हो, के क्तलये 100 क्तदनों
के रोजगार की गारांिी प्रदान करता है। लाभाक्तथचयों में कम-से-कम 33 प्रक्ततशत मक्तहलाएँ होनी र्ाक्तहये।
 मेक आन आष्टं डया: औद्योक्तगक इकाइयों के क्तवकास हेतु इसे लाया गया, क्तजसका बल व्यापार सगु मता,
सरल लाइसेंक्तसांग, तकनीकों का बेहतर प्रयोग आक्तद पर है।
 दीनदयाल ईपाध्याय ―िमेव जयते‖ कायथिम: यह श्रम सक्तु वधा पोिचल, आकक्तस्मक क्तनरीक्षण,
यक्तू नवसचल खाता सांख्या, प्रक्तशक्षु प्रोत्साहन योजना, पनु गचक्तठत राष्ट्रीय स्वास््य बीमा योजना सांबांधी
क्तवषयों पर कें क्तद्रत है।
 प्रधानमंत्री युवा योजना: 2016 से 2021 तक की अवक्तध में 7 लाख से अक्तधक प्रक्तशक्षओ ु ां को
उद्यमशीलता प्रक्तशक्षण और क्तशक्षा उपलब्ध कराना।
 के न्द्र सरकार ने उद्योगों की माँग के अनरू ु प श्रम बल को क्तवकक्तसत करने के क्तलए साल 2015 में
ष्टस्कल आष्टं डया प्रोग्राम की शरू ु आत की।
 देश में अक्तधक से अक्तधक रोजगार के अवसर क्तवकक्तसत करने के क्तलए ―स्िैण्डऄप तथा स्िािथ ऄप
आष्टं डया प्रोग्राम‖की शरू ु आत की गयी है।
 के न्द्र सरकार ने औद्योक्तगक इकाइयों के क्तवकास के क्तलए ―मेक आन आष्टं डया‖कायथिम शुरू क्तकया है
क्तजसके द्वारा व्यापार सगु मता, सरल लाइसेंक्तसांग, तकनीकों का बेहतर प्रयोग आक्तद पर बल क्तदया जा रहा
है।
 स्वयां का व्यवसाय शरू ु करने हेतु सरकार मुरा योजना के तहत सूक्ष्म ऊण ईपलब्ध करा रही है।
 देश के लॉक्तजक्तस्िक क्षेत्र, श्रम सधु ार, क्तसांगल क्तवडां ो क्तसस्िम, ऊजाच उपलब्धता इत्याक्तद में सधु ार करके
सरकार ने सन् 2016 से लगातार क्तवश्व बैंक के ईज ऑफ डूईगां क्तबजनेस इडां ेक्स में अपनी रैं क को बेहतर
बनाया है।
 सरकार द्वारा श्रम बल में मक्तहलाओ ां की भागीदारी बढ़ाने के क्तलए स्वयां सहायता समहू ों का क्तवकास
क्तकया जा रहा है और उन्हें सस्ती दरों पर क़ज़च उपलब्ध कराया जा रहा है।

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 इसी तरह सरकार राष्ट्रीय ग्रामीण अजीष्टवका ष्टमशन िारा ग्रामीण पररवार की कम से कम एक
मष्टहला सदस्य को स्वयं सहायता नेिवकथ समूह में लाया जा रहा है।
 ग़ौरतलब है क्तक जम्मू कश्मीर के युवाओ ं के ष्टलये ―ष्टहमायत‖तथा वामपथ ं ी ईग्रवाद से प्रभाष्टवत
युवाओ ं के ष्टलये ―रोशनी‖योजना शरूु की गई है। क्तजससे क्तक वहाँ के यवु ाओ ां को रोजगार क्तमल सके ।

गरीबी तथा बेरोजगारी ईन्मूलन से संबंष्टधत योजनाएं तथा ईनके प्रारंभ वषथ

योजनाएं प्रारंभ वषथ


मरुभूष्टम ष्टवकास कायथिम 1977 – 78
काम के बदले ऄनाज कायथिम 1977 – 78
ऄंत्योदय योजना कायथिम 1977 – 78
रायसेम (TRYSEM) 1979
एकीकृत ग्रामीण ष्टवकास कायथिम 1980
जवाहर रोजगार कायथिम 1989
नेहरू रोजगार कायथिम 1989
आष्टं दरा अवास योजना 1985 – 86
प्रधानमंत्री रोजगार योजना 1993
स्वणथ जयंती शहरी रोजगार योजना 1997
स्वणथ जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना 1999
जवाहर ग्राम समृष्टद्ध योजना 1999
प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना 2000 – 2001
ऄन्नपूणाथ योजना 2000
जनिी बीमा योजना 2000
ऄंत्योदय ऄन्न योजना 2000
जेपी रोजगार गारंिी योजना 2002
भारत ष्टनमाथण कायथिम 2005
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंिी कायथिम 2006

मोदी सरकार िारा घोष्टषत कुछ योजनाएं


योजना घोषणा की ष्टतष्टथ
ष्टडष्टजिल आष्टं डया 21 ऄगस्त 2014
प्रधानमंत्री जन धन योजना 28 ऄगस्त 2014

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दीनदयाल ईपाध्याय ऄंत्योदय योजना 25 ष्टसतंबर 2014
स्वच्छ भारत ष्टमशन 2 ऄक्िूबर 2014
सांसद अदशथ ग्राम योजना 11 ऄक्िूबर 2014
िमेव जयते 16 ऄक्िूबर 2014
ष्टमशन आरं धनुष (िीकाकरण) 25 ष्टदसंबर 2014
नीष्टत अयोग 1 जनवरी 2015
रृदय (समृद्ध सांस्कृष्टतक सरं क्षण व कायाकल्प) 21 जनवरी 2015
बेिी बचाओ बेिी पढ़ाओ 22 जनवरी 2015
सुकन्या समृष्टद्ध योजना 22 जनवरी 2015
मृदा स्वास््य काडथ 19 फरवरी 2015
प्रधानमंत्री कौशल ष्टवकास 20 फरवरी 2015
जननी सरु क्षा योजना 12 ऄप्रैल 2015
प्रधानमंत्री जीवन ज्योष्टत बीमा योजना 9 मइ 2015
प्रधानमंत्री सरु क्षा बीमा योजना 9 मइ 2015
ऄिल पेंशन योजना 9 मइ 2015
ईस्ताद (ऄल्पसंख्यक कारीगर) 14 मइ 2015
कायाकल्प (जन स्वास््य) 15 मइ 2015
हाईष्टसंग फॉर ऑल 25 जून 2015
ऄिल ष्टमशन फॉर ररजूवनेशन एडं ऄबथन रांसफॉरमेशन (ऄमूतथ) 25 जून 2015
स्मािथ ष्टसिी ष्टमशन 25 जून 2015

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6. नइ अष्टथथक नीष्टत
 नई आक्तथचक नीक्तत का उद्देश्य उत्पाक्तदता में सधु ार नई तकनीक को आत्मसात करना तथा समग्र रूप से
क्षमता के पणू तच ः प्रयोग से है।
 नई आक्तथचक सधु ार की रूपरेखा सवथप्रथम राजीव गांधी के प्रधानमंत्री काल में सन 1985 में शुरू
की गई ।
 नई आक्तथचक सधु ार की दूसरी लहर पीवी नरष्टसम्हा राव की सरकार के काल में 1991 में आई।
 नई आक्तथचक सधु ार नीक्तत को शुरू करने का प्रमुख कारण खाड़ी युद्ध तथा भारत के भुगतान संतुलन
की समस्या थी।
 नइ अष्टथथक नीष्टत के तीन प्रमुख अयाम थे
ष्टनजीकरण, ईदारीकरण और ष्टविव्यापीकरण।

 नइ सुधार नीष्टत 1991 के मुख्य क्षेत्र थे


1. राजकोषीय नीष्टत
2. मौष्टरक नीष्टत
3. मूल्य ष्टनधाथरण नीष्टत
4. ष्टवदेश नीष्टत
5. औद्योष्टगक नीष्टत
6. ष्टवदेशी ष्टवष्टनयोग नीष्टत
7. व्यापार नीष्टत
8. सावथजष्टनक क्षेत्र नीष्टत

 राजकोषीय नीष्टत 1991 के तहत मुख्यतः चार कदम ईिाए गए

सावथजष्टनक व्यय को सख्ती से ष्टनयंष्टत्रत करना


1.

2. कर एवं कर ष्टभन्न राजस्व को बढ़ाना

3. कें र तथा राज्य सरकारों पर राजकोषीय ऄनुशासन लागू करना

4. ऄनुदान राष्टश में किौती करना।

 मौक्तद्रक नीक्तत 1991 के तहत क्तस्फक्ततकारी दबाव के क्तलए प्रक्ततबांधात्मक उपाय क्तकए गए।

 औद्योष्टगक सुधार नीष्टत 1991 के ऄधीन ष्टजन ईपायों को लागू ष्टकया गया वह हैं
1. 18 ईद्योगो की सूची को छोड़ ऄन्य सभी ईद्योगों के ष्टलए लाआसेंस हिा ष्टदए गए।

2. सावथजष्टनक क्षेत्र के ष्टलए अरष्टक्षत ष्टियाओ ं का दायरा सीष्टमत कर ष्टदया गया तथा ष्टनजी क्षेत्र

को ऄनुमष्टत दी गइ।

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3. व्यापार नीष्टत 1991 के तहत ऄथथव्यवस्था के ऄंतर राष्ट्रीय एकीकरण को पूणथ करने हेतु ईद्योगों
को प्राप्त ऄत्यष्टधक व ष्टववेकपूणथ संरक्षण धीरे-धीरे समाप्त करने की ष्टदशा में कदम ईिाए गए।
 आरक्तक्षत उद्योगों की सांख्या घिाकर आठ कर दी गई (वतचमान में के वल 2 उद्योग)।
 जीणच उद्योगों के पनु रुत्थान का कायच औद्योक्तगक एवां क्तविीय पनु क्तनचमाचण बोडच को सौंप क्तदया गया
 सावचजक्तनक उद्यमों के क्तनष्ट्पादन में उन्नक्तत के क्तलए उद्यमों की बोध ज्ञापन के माध्यम से मजबतू क्तकया गया।
 क्तवदेशी पांजू ी के क्तनवेश को बढ़ाया गया।
 नवरत्न वैसी कांपक्तनयाां हैं जो क्तवश्वस्तरीय कांपक्तनयों के रूप में उभर रहे हैं तथा क्तजसे सरकार ने प्रोत्साक्तहत
करने के उद्देश्य से पणू च स्वायिता प्रदान की है।
 ऐसी कुल 23 कांपक्तनयाां है क्तजसमें आठ कांपक्तनयों को महारत्न का दजाच क्तदया गया है।
िे ष्टडि रेष्टिंग एजेंसी क्या होती है?

 िे क्तडि रे क्तिांग के ज़ररये क्तकसी भी सस्ां था की कजच लेने या उसे र्क ु ाने की क्षमता का मल्ू याकां न क्तकया जाता
है।
 िे क्तडि रे क्तिांग एजेंक्तसयाां परोक्ष रूप से यह बतातीं है क्तक कोई भी सांस्था आक्तथचक रूप से क्तकतना मजबतू है
और उसको कजच देना क्तकतना जोक्तखम भरा होगा।
 रे क्तिांग करते वक़्त ये एजेंक्तसयाां कांपक्तनयों के क्तविीय उत्पादों मसलन बाडां , सावक्तध जमा खाता और कुछ
अन्य छोिी अवक्तध के ऋण दस्तावेजों का आकलन करती हैं।
 मौजदू ा वक़्त में भारत में 4 प्रमुख िे ष्टडि रेष्टिंग एजेंष्टसयां काम कर रही हैं। इनमें
1. ष्टिष्टसल (CRISIL),

2. आिा (ICRA),

3. के ऄर (CARE) और

4. डीसीअर आष्टं डया (DCR India) शाक्तमल है।

 इसी तरह अतां रराष्ट्रीय स्तर पर भी कई िे क्तडि रे क्तिांग एजेंक्तसयाां काम कर रही हैं।
 इस समय रे क्तिांग की दुष्टनया में तीन बड़े नाम हैं –
1. स्िै ण्डडथ एड ं पूऄर,
2. मूडीज़ और

3. ष्टफ़च।

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ष्टवत्तीय ष्टस्थरता और ष्टवकास पररषद (FSDC)
 इसका गठन क्तदसांबर 2010 में क्तकया गया था।
 आसकी ऄध्यक्षता कें रीय ष्टवत्त मंत्री द्वारा की जाती है।
 आसके सदस्यों में शाष्टमल होते हैं:
1. भारतीय ररज़वथ बैंक के गवनथर,

2. ष्टवत्त सष्टचव,

3. अष्टथथक मामलों के ष्टवभाग के सष्टचव,

4. ष्टवत्तीय सेवा ष्टवभाग के सष्टचव,

5. मुख्य अष्टथथक सलाहकार,

6. ष्टवत्त मंत्रालय,

7. सेबी के ऄध्यक्ष,

8. आरडा के ऄध्यक्ष,

9. पी.एफ.अर.डी.ए. के ऄध्यक्ष

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7.भारतीय ष्टवत्त व्यवस्था
 भारतीय ष्टवत्त व्यवस्था से तात्पयथ ऐसी व्यवस्था से है इसमें व्यक्तियों, क्तविीय सांस्थाओ,ां बैंक में
औद्योक्तगक कांपक्तनयों तथा सरकार द्वारा क्तवि की माांग होती है तथा इसकी पक्तू तच की जाती है।
 भारतीय ष्टवत्त व्यवस्था के दो पक्ष में पहला माांग पक्ष दसू रा पक्तू तच पक्ष।
 भारतीय ष्टवत्त व्यवस्था को दो भागों में बांिा गया है
भारतीय मुरा बाजार
1.

2. भारतीय पज ूं ी बाजार।
 भारतीय मुरा बाजार को तीन भागों में बांिा गया है

1. ऄसंगष्टित क्षेत्र
2. संगष्टित क्षेत्र में बैंष्टकंग क्षेत्र तथा

3. मुरा बाजार

 ऄसग ं ष्टित क्षेत्र के अतां गचत देसी बैंक, साहूकार और महाजन अष्टद परंपरागत स्रोत आते हैं।ग्रामीण
तथा कृ क्तष साख में अब भी इसकी महत्वपणू च भक्तू मका होती है।
 संगष्टित क्षेत्र में भारतीय ररजवथ बैंक शीषथ संस्था है तथा आसके ऄष्टतररि सावथजष्टनक क्षेत्र के बैंक ,

ष्टनजी क्षेत्र के बैंक, ष्टवदेशी बैंक तथा ऄन्य ष्टवत्तीय सस्ं थाएं अती है।
 आरबीआई देश के मौक्तद्रक गक्ततक्तवक्तधयों के क्तनयमन का क्तनयांत्रण करता है।

 भारतीय ररजवथ बैंक के दो प्रकार के कायथ हैं


1. सामान्य कें रीय बैंष्टकंग कायथ

2. ष्टवकास संबंधी और प्रवतथ न कायथ ।

 सामान्य कें रीय बैंष्टकंग कायथ के ऄधीन भारतीय ररजवच बैंक के द्वारा क्तनम्नक्तलक्तखत कायच क्तकए जाते हैं
1. करेंसी का ष्टनगथमन
2. सरकारी बैंक का काम
3. बैंकों के बैंक का काम
4. ष्टवदेशी ष्टवष्टनयम को ष्टनयंष्टत्रत करना
5. साख ष्टनयंत्रण
6. अक ं ड़ों का सग्रं हण और प्रकाशन।

 ष्टवकास संबंधी एवं प्रवतथन कायथ के ऄधीन भारतीय ररजवच बैंक के कायच क्तनम्नक्तलक्तखत हैं
1. मुरा बाजार पर प्रष्टतबंधात्मक ष्टनयंत्रण
2. बचतों को बैंकों व ऄन्य ष्टवत्तीय संस्थाओ ं के माध्यम से ईत्पादन के ष्टलए ईपलब्ध कराना

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3. लोगों में बैंष्टकंग की अदत बढ़ाने के ष्टलए प्रयास करना
 बैंक्तकांग की आदत बढ़ाने के उद्देश्य से ही सन 1964 में भारतीय यूष्टनि रस्ि की स्थापना की गई।
 सांस्थागत कृ क्तष साख की सक्तु वधाओ ां की व्यवस्था और क्तवस्तार ररजवच बैंक के एक अन्य महत्वपणू च
क्तजम्मेदारी है और इसी उद्देश्य के तहत 1963 इ. में कृष्टष पुनष्टवथत्त एवं ष्टवकास ष्टनगम की स्थापना की
गई।
 बैंकों के ग्राहकों की क्तशकायतों का क्तनदान कराने के क्तलए बैंक्तकांग लोकपाल योजना भारत में ररजवथ बैंक में
14 जून 1995 इ. से लागू ष्टकया था।

 भारतीय ररजवथ बैंक िारा साख पर ष्टनयंत्रण ष्टनम्नष्टलष्टखत तरीकों से क्तकया जाता है
1. बैंक दर नीष्टत िारा
2. खुले बाजार की ष्टियाओ ं िारा ―
3. बैंकों की नकद सबं ध ं ी अवश्यकताओ ं में पररवतथन करके
4. तरलता संबंधी वैधाष्टनक अवश्यकताओ ं को पूरा करके
5. ष्टवभेदक ब्याज दरों की प्रणाली ऄपनाकर
6. चयनात्मक साख ष्टनयंत्रण नीष्टत से
7. नैष्टतक प्रभाव की नीष्टत िारा
बैंष्टकंग क्षेत्र की प्रमुख ब्याज दरें और प्रचष्टलत शब्दावली

1. रेपो रेि – ऄल्पकालीन अवश्यकताओ ं की पूष्टतथ हेतु क्तजस ब्याज दर पर कमष्टशथयल बैंक ररजवथ बैंक
से नकदी ऊण प्राप्त करते हैं क्तडपॉक्तजि कहलाती है।
2. ररवसथ रेपो रेि – ऄल्पकाष्टलक ऄवष्टध के ष्टलए ररजवथ बैंक िारा कमष्टशथयल बैंकों से क्तजस ब्याज दर पर
नकदी प्राप्त की जाती है ररवसच रे पो रे ि कहलाती है।
 सामान्यतः बाजार में मुरा की अपूष्टतथ बढ़ जाने पर उस में कमी लाने के उद्देश्य से ररजवथ बैंक िारा बढ़ी
हुइ ब्याज दरों पर कमष्टशथयल बैंकों को ऄल्पावष्टध के ष्टलए नकदी ररजवथ बैंक में जमा करने हेतु
प्रोत्साक्तहत क्तकया जाता है।
3. बैंक रेि – क्तजस सामान्य ब्याज दर पर ररजवथ बैंक िारा वाष्टणष्टज्यक बैंकों को पैसा ईधार ष्टदया जाता है
बैंक दर कहलाती है
 इसके माध्यम से ररजवच बैंक द्वारा साख क्तनयांत्रण या िे क्तडि कांरोल क्तकया जाता है।
4. बचत बैंक दर – बैंक ग्राहकों की छोिी-छोिी बातों पर बैंक द्वारा दी जाने वाली ब्याज दर को बर्त बैंक दर
कहा जाता है।
5. नकद अरक्षी ऄनपु ात (CRR) – क्तकसी वाष्टणष्टज्यक बैंक में कुल जमा राष्टश का वह (प्रक्ततशत) भाग
ष्टजसे ररजवथ बैंक के पास ऄष्टनवायथ रूप से जमा करना पड़ता है नकद आरक्षी अनपु ात कहा जाता है।

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 इसकी दर क्तजतनी ऊांर्ी होती है बैंकों की साख सृजन क्षमता उतनी ही कम होती है।
6. वैधाष्टनक तरलता ऄनुपात (SLR) – क्तकसी भी वाक्तणक्तज्यक बैंक में कुल जमा राष्टश का वह (प्रक्ततशत)
भाग जो नकद स्वणथ या ष्टवदेशी मुरा के रूप में ईसे ऄपने पास ऄष्टनवायथ रूप से रखना पड़ता है
वैधाक्तनक तरलता अनपु ात कहलाता है।
 बैंकों को क्तविीय सक ां ि का सामना करने हेतु ररजवच बैंक द्वारा ऐसी व्यवस्था की गई है।
7. प्राआम लेंष्टडगं रेि – क्तकसी भी बैंक के क्तलए प्राइम लेंक्तडांग रे ि वह ब्याज दर है ष्टजस पर बैंक ईस ग्राहक हो
ष्टजस के सबं ध ं में जोष्टखम शन्ू य है को देने को तैयार है।
8. अधार दर प्रणाली – आरबीआई ने PLR आधाररत उधार देय प्रणाली के स्थान पर जल ु ाई 2010 से
आधार दर प्रणाली लागू क्तकया कोई भी बैंक इससे नीर्ी ब्याज दर पर क्तकसी को उधार नहीं देगा।

भारत में पत्र मुरा

 1935 में पत्र मद्रु ा का क्तनगचमन का दाक्तयत्व आरबीआई को क्तदया गया।


 1987 में सबसे पहले महात्मा गांधी के ष्टचत्र वाले ฀500 के नोि अए।
 1996 में सभी नोिों पर ऄशोक के स्तंभ के ष्टचत्रों के स्थान पर महात्मा गांधी के ष्टचत्र वाले नोि

अए।
 ररजवच बैंक ऑफ इक्तां डया के गवनचर वाईवी रे ड्डी के कायचकाल के दौरान 2005 ष्टनगथष्टमत होने वाले नोिों

पर नोिों के ष्टनगथमन वषथ छपना शुरू हुआ।


 ฀1 का नोि ष्टवत्त मंत्रालय िारा जारी क्तकया जाता है क्तजस पर ष्टवत्त सष्टचव के हस्ताक्षर होते हैं जबक्तक

฀1 से अक्तधक के नोिों का क्तनगचमन ररजवच बैंक के द्वारा होता है तथा इन नोिों पर हस्ताक्षर ररजवच बैंक के
गवनचर के होते हैं।
 भारतीय रुपया 1957 तक 16 आनो में क्तवभाक्तजत था और 1957 में मुरा की दशमलव प्रणाली अपनाई

गई और एक रुपए को 100 सामान पैसों में बाांिा गया।


 ररजवथ बैंक िारा ष्टनगथष्टमत सभी नोिों पर ष्टहद ं ी तथा ऄंग्रेजी को ष्टमलाकर कुल 17 भाषाओ ं में
क्तलखा हुआ है।
 कॉल मनी माके ि यह अत्यतां ही ऄल्प ऄवष्टध वाले फंड का बाजार होता है क्तजसमें क्तबना क्तकसी
प्रत्याभक्तू त के फांड का उधार लेना तथा देना होता है सामान्यतः आसकी ऄवष्टध 1 से 14 ष्टदन की होती
है।
 जब ईधारी 1 ष्टदन की होती है तो उसे कॉल मनी कहते हैं पर जब ईधारी 1 ष्टदन से ऄष्टधक होती है तो
उसे कॉल नोष्टिस करते हैं।
3. रेजरी क्तबल्स यह ऄल्पावष्टध की प्रष्टतभूष्टतयां होती है क्तजसके माध्यम से सरकार ईधार लेती है इसका
ष्टनगथमन सरकार के ष्टलए ररजवथ बैंक द्वारा क्तकया जाता है।

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 वतचमान में अरबीअइ 91 एवं 364 ष्टदन की रेजरी ष्टबल्स ष्टनगथष्टमत करता है इसकी न्यनू तम राक्तश
฀25000 तथा इसी गणु क में होती है।
 भारत में रेजरी ष्टबल्स पहली बार 1917 में ष्टनगथत की गई।
 एडहॉक रेजरी ष्टबल्स यह सरकार की अत्यतां ही अस्थाई फांड सबां धां ी आवश्यकता की पक्तू तच के क्तलए
क्तनगचक्तमत की जाती है।
 यह ररजवथ बैंक के नाम से ष्टनगथष्टमत होती है भारत में इसकी शरुु अत 1955 में की गई थी लेक्तकन 1997
– 98 के बजि से इसे बांद कर क्तदया गया।
 तरलता की दृष्टि से प्रष्टतभूष्टतयों एवं ऊणों का ऄनुिम
नकद > एडहॉक रेजरी ष्टबल्स > रेजरी ष्टबल्स > कॉल मनी।

पूंजी बाजार

 पांजू ी बाजार मद्रु ा बाजार से इस बात में क्तभन्न है की मद्रु ा बाजार ऄल्पावष्टध की ष्टवत्तीय व्यवस्था का
बाजार है जबक्तक पूंजी बाजार में मध्यम तथा दीघथकाल के कोषों का आदान प्रदान क्तकया जाता है।
 भारतीय पूंजी बाजार को मोिे तौर पर दो भागों में बािां ा जाता
1. ष्टगल्ि एज्ड बाजार

2. औद्योष्टगक प्रष्टतभूष्टत बाजार।

 क्तगल्ि एज्ड बाजार में सरकारी और ऄधथ सरकारी प्रष्टतभूष्टतयों का मूल्य ष्टस्थर जाता है और इस क्षेत्र
की अन्य प्रक्ततभक्तू तयों के समान इन में अक्तस्थरता नहीं होती है।
 औद्योष्टगक प्रष्टतभूष्टत बाजार में नए स्थाक्तपत होने वाले या पहले से स्थाक्तपत औद्योक्तगक उपिमों के शेयरों
और ष्टडवेंचरों का िय ष्टविय क्तकया जाता है।
 पूंजी बाजार दो प्रकार के होते हैं
1. प्राथष्टमक पूंजी बाजार और

2. ष्टितीयक पूंजी बाजार।

 भारतीय यूष्टनि रस्ि भारत की सबसे बड़ी म्युचुऄल फंड संस्था है।
 स्िॉक एक्सर्ेंज एक ऐसी व्यवस्था का बाजार है क्तजसमें छोिे ष्टनवेशक असानी से ष्टनवेश कर सकते हैं
तथा मौजूद प्रष्टतभूष्टतयों का असानी से िय ष्टविय कर सकते हैं।
 भारतीय प्रक्ततभक्तू त एवां क्तवक्तनमय बोडच (सेबी) की स्थापना 12 ऄप्रैल 1988 को की गई।
 यह पज ूं ी बाजार के ष्टनयंत्रक का कायथ करता है।
 30 जनवरी 1992 को सेबी को म्युचुऄल फंड एवं स्िॉक माके ि के ष्टनयंत्रण का अक्तधकार क्तदया गया।
 सेबी का मख्ु यालय मबांु ई में बनाया गया जबक्तक इसके क्षेत्रीय कायाचलय कोलकाता, क्तदल्ली तथा र्ेन्नई में
भी स्थाक्तपत क्तकए गए।
 राष्ट्रीय शेयर बाजार की स्थापना फे रवानी सष्टमष्टत की संस्तुष्टत के अधार पर 1992 में की गई।

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Mob – 9993259075, 8815894728
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 मुंबइ स्िॉक एक्सचेंज की स्थापना 1875 में की गई।

भारतीय ष्टवत्त व्यवस्था से जड़ु े कुछ महत्वपण


ू थ त्य

 ररजवथ बैंक की स्थापना 1 ऄप्रैल 1935 को की गइ थी तथा 1 जनवरी 1949 को आस का


राष्ट्रीयकरण क्तकया गया।
 ररजवच बैंक भारत का कें द्रीय बैंक है क्तजसका मख्ु यालय मबांु ई में है।
 भारत में मौष्टरक एवं साख नीष्टत ररजवथ बैंक िारा ही बनाइ जाती है और लागू की जाती है।
 ररजवच बैंक ऑफ इक्तां डया के प्रथम गवनथर सर ॲस्बोनथ ष्टस्मथ थे।
 प्रथम भारतीय एवं स्वतंत्र भारत के प्रथम अरबीअइ गवनथर सीडी देशमुख थे।
 बैंकों के राष्ट्रीयकरण के समय एलके झा आरबीआई के गवनचर थे।
 ष्टहल्िन यंग अयोग पहला अयोग था क्तजसने कें द्रीय बैंक के रूप में ररजवच बैंक ऑफ इक्तां डया की
सस्ां तक्तु त की थी।
 1 जुलाइ 2011 से देश में 25 पैसे वहीं से कम मल्ू य के सभी क्तसक्के प्रर्लन में औपर्ाररक रूप से
अमान्य हो गए।
 भारत में पहला व्यापाररक बैंक जनरल बैंक ऑफ आष्टं डया था क्तजसे 1786 में खोला गया था ।
 इसके बाद 1790 में बैंक ऑफ ष्टहदं ु स्तान खोला गया यह सभी बैंक यरू ोक्तपयन थे।
 भारतीयों द्वारा प्रबांक्तधत सीक्तमत दाक्तयत्व का प्रथम भारतीय ऄवध कमष्टशथयल बैंक था क्तजसे 1881
में स्थाष्टपत क्तकया गया था इसके बाद 1894 में पंजाब नेशनल बैंक स्थाक्तपत क्तकया गया जो पणू च रूप
से भारतीयों द्वारा प्रबक्तां धत था।
 1921 में तीन प्रमुख प्रेष्टसडेंसी बैंक को क्तमलाकर भारतीय आपं ीररयल बैंक की स्थापना की गई ।
 1959 इ में 8 क्षष्टत्रय बैंकों को राष्ट्रीयकृत करें स्िेि बैंक के सहायक का दजाथ क्तदया गया।
 19 जुलाइ 1969 इ. को 14 बड़े व्यवसाष्टयक बैंक तथा 15 ऄप्रैल 1980 इ. को छह ऄन्य
ऄनुसूष्टचत बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर क्तदया गया।
 जीवन बीमा क्षेत्र में प्रवेश करने वाला देश का पहला वाक्तणक्तज्यक बैंक भारतीय स्िेि बैंक है।
 ष्टवदेशों में भारतीय स्िेि बैंक के सवाथष्टधक कायाथलय है।
 स्िेि बैंक ऑफ इक्तां डया द्वारा देश का पहला तैरता एिीएम कोष्टच्च में 2004 में लांच क्तकया गया।
 ग्रामीण बैंकों की स्थापना 2 ऄक्िूबर 1975 को हुई।
 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में कें र सरकार राज्य सरकार तथा प्रवतथक बैंक 50: 15 :35 के ऄनुपात में
पूंजी लगाते हैं।
 बैंक्तकांग प्रणाली की पनु ः सांरर्ना के सांबांध में सझु ाव देने हेतु 1991 में नरष्टसहं म सष्टमष्टत का गिन
क्तकया गया।

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 राष्ट्रीय कृ क्तष तथा ग्रामीण क्तवकास बैंक नाबाडच देश में कृ क्तष एवां ग्रामीण क्तवकास हेतु क्तवि उपलब्ध
कराने वाली शीषच सस्ां था है।
 नाबाडथ की स्थापना ष्टशव रमन कमेिी की सस्ं तुष्टत पर की गई इसका मख्ु यालय मबांु ई में है।
 ष्टकसान िे ष्टडि काडथ योजना की शरुु आत ऄगस्त 1998 में तत्कालीन ष्टवत्त मंत्री यशवंत ष्टसन्हा
िारा की गई थी।
 राष्ट्रीय कृ क्तष सहकारी क्तवपणन भारतीय सांघ नेशनल एग्रीकल्र्र कोऑपरे क्तिव माके क्तिांग फे डरे शन ऑफ
इक्तां डया (NAFED) की स्थापना 2 ऄक्िूबर 1958 को हुई।
 यह राष्ट्रीय स्तर पर एक शीषच सहकारी सांगठन है।
 इसका प्रमख ु कायच र्नु ी हुई कृ क्तष वस्तओ
ु ां को प्राप्त करना क्तवतरण क्तनयाचत तथा आयात करना है।
 भारतीय जनजाष्टत सहकारी ष्टवपणन ष्टवकास पररषद (TRYFED) की स्थापना 1987 में हुई थी।
 भूष्टम ष्टवकास बैंक मूलतः दीघथकालीन शाख ईपलब्ध कराती है।
 भक्तू म क्तवकास बैंक का आरांभ भक्तू म बधां क बैंक के रूप में 1919 ई. में हुई थी।
 भारतीय औद्योष्टगक ष्टवकास बैंक की स्थापना 1 फरवरी 1964 को की गई।
 भारतीय औद्योक्तगक पनु क्तनचमाचण बैंक की स्थापना अस्वस्थ औद्योक्तगक इकाइयों के पनु क्तनचमाचण के उद्देश्य
से 20 मार्च 1985 में की गई।
 भारतीय जीवन बीमा क्तनगम का मख्ु यालय मबांु ई में है इस समय इसके सात जोनल कायाचलय और 100
क्षेत्रीय कायाचलय हैं
 भारतीय जीवन बीमा क्तनगम की स्थापना 1956 में की गई थी।
 भारतीय साधारण बीमा क्तनगम की स्थापना सन 1972 ईस्वी में की गई थी।
 भारतीय बीमा ष्टवष्टनयामक और ष्टवकास प्राष्टधकरण आरडा का मुख्यालय हैदराबाद में है।

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प्रमुख ष्टवत्तीय संस्थाएं

प्रमुख ष्टवत्तीय संस्थाएं स्थापना वषथ प्रमुख ष्टवत्तीय संस्थाएं स्थापना वषथ
आपं ीररयल बैंक ऑफ आष्टं डया 1921 कृष्टष एवं ग्रामीण ष्टवकास हेतु राष्ट्रीय बैंक 12 जुलाइ 1982
भारतीय ररजवथ बैंक 1 ऄप्रैल 1935 भारतीय औद्योष्टगक पनु ष्टनथमाथण बैंक 20 माचथ 1985
भारतीय औद्योष्टगक ष्टनगम 1948 भारतीय लघु ईद्योग ष्टवकास बैंक (ष्टसडबी) ऄप्रैल 1990
(लखनउ)
भारतीय स्िेि बैंक 1 जुलाइ 1955 भारतीय ष्टनयाथत अयात बैंक 1 जनवरी 1983
भारतीय यूष्टनि रस्ि 1 फरवरी 1964 राष्ट्रीय अवास बैंक जुलाइ 1988
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक 2 ऄक्िूबर 1975 भारतीय जीवन बीमा ष्टनगम ष्टसतंबर 1956
भारतीय साधारण बीमा ष्टनगम 1 नवंबर 1972 राष्ट्रीय कृष्टष तथा ग्रामीण ष्टवकास बैंक 12 जुलाइ 1982

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8. बजि
 भारत में बजि प्रणाली की शुरुअत का िेय वायसराय कै ष्टनंग को जाता है।
 भारत में बजि प्रणाली का सस्ं थापक जेम्स ष्टवल्सन को माना जाता है।
 सांक्तवधान के ऄनुच्छे द 112 के अतां गचत प्रत्येक क्तविीय वषच के क्तलए कें द्र सरकार की अनमु ाक्तनत प्राक्तप्तयाां
तथा व्यय का एक क्तववरण ससां द के सामने रखना आवश्यक होता है इस वाक्तषक च क्तविीय क्तववरण को कें द्र
सरकार का बजि कहा जाता है।
 राष्ट्रपष्टत िारा ष्टनदेष्टशत ष्टतष्टथ पर लोकसभा में बजि पेश की जाती है।
 प्रारांभ में रे ल बजि और आम बजि एक साथ ही प्रस्ततु क्तकया जाता था लेक्तकन 1921 में ष्टनयुि एक्वथथ
कमेिी की ष्टसफाररशों के आधार पर 1924 में यह ष्टनणथय ष्टलया गया क्तक रे ल बजि को आम बजि से
अलग प्रस्ततु क्तकया जाए।
 स्वतत्रां भारत का पहला बजि 26 नवंबर 1947 को पहले ष्टवत्त मंत्री अर के षणमुखम् शेठ्ठी द्वारा
पेश क्तकया गया था।
 जॉन मथाइ को वषच 1950 में गणतांत्र भारत का पहला कें रीय बजि पेश करने का गौरव प्राप्त हुआ।
 भारत में अभी तक सबसे ऄष्टधक बार बजि पेश करने वाले ष्टवत्त मंत्री मोरारजी देसाइ थे उन्होंने
कुल 10 बजि पेश ष्टकए जबष्टक पी ष्टचदबं रम ने 8:00 बजि पेश की है।
 क्तवि मत्रां ी के रूप में वषच 1991 में डॉ मनमोहन क्तसांह ने देश में अष्टथथक ईदारीकरण की नीष्टत लागू करने
की घोषणा की।
 भारत में बजि सामान्यतः ष्टनम्नष्टलष्टखत ऄनुमानों को व्यि करता है ष्टवगत वषथ की वास्तष्टवक
प्राष्टप्तयां तथा व्यय चालू ष्टवत्त वषथ के बजि ऄनमु ान और सश ं ोष्टधत ऄनमु ान अगामी वषथ के
प्रस्ताष्टवत बजि ऄनुमान
 इस प्रकार भारत में बजि प्रस्तुतीकरण का संबंध 3 वषों के अक ं ड़ों से होता है।

प्रत्यक्ष कर
 प्रत्यक्ष कर (आयकर, सांपक्ति कर, क्तनगम िैक्स आक्तद) के मामले में, बोझ सीधे करदाता पर पड़ता है।
 ये वह कर है क्तजनको करदाताओ ां द्वारा दसू रों पर स्थानाांतररत नहीं क्तकया जा सकता है।
अयकर
 आयकर अक्तधक्तनयम 1961, के अनसु ार वह हर व्यक्ति, जो एक कर दाता है और क्तजनकी कुल आय
अक्तधकतम छूिसीमा से अक्तधक है।
 क्तवि अक्तधक्तनयम में क्तनधाचररत दर से आयकर के दायरे में आता है।
 इस तरह आयकर क्तपछले वषच की कुल आय पर भगु तान क्तकया जाता है।

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ष्टनगम कर
 यह कर कांपनी की शि ु आय पर लगाया जाता है।
 क्तववरण:- वे कांपक्तनयाां (क्तनजी और सावचजक्तनक) दोनों जो भारत में कांपनी अक्तधक्तनयम 1956 के तहत पजां ीकृ त
है वे सभी कर का भगु तान करने के क्तलए उिरदायी हैं।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसिी)
 एक ऐक्ततहाक्तसक कर बदलाव के रूप में वस्तु एवां सेवा कर 1 जल ु ाई, 2017 से लागू हुआ है।
 कें द्र व राज्य दोनों स्तरीय अक्तधभारों को समेिते हुए GST सहकारी सघां वाद को सरकारों द्वारा क्तनयक्तां त्रत क्तकया
जाता है।
 101वें सांक्तवधान सांशोधन अक्तधक्तनयम, 2016 के द्वारा अनच्ु छे द 366 में एक नया खडां (12A) जोड़ा गया,
क्तजसके अनसु ार, ‘वस्तु एवां सेवा कर’ का अथच है- मानव उपभोग के क्तलये मादक पेय पदाथों की आपक्तू तच पर
लगने वाले कर को छोड़कर वस्तओ ु ां या सेवाओ ां या दोनों की आपक्तू तच पर लगने वाला कर ।

बायत भें कयाधान प्रणारी

प्रत्मक्ष कय अप्रत्मक्ष कय

आमकय – विदोस््डंग िै क्स, व्मस्क्तगत आमकय ननगभ कय एक्साइज ड्मि


ू ी
1. 1.
2. कॉयऩोये ि सेक्िय िै क्स – मभननभभ अ्ियनेटिि िै क्स, फ्रं ज 2. कटिभ ड्मूिी
फेननफ्पि िै क्स, डडविडेंड डडसिीब्मश
ू न िै क्स, 3. सवििस िै क्स
3. मसक्मोरयिीज ट्ांजैक्शन िै क्स, 4. सेंट्र से्स ड्मूिी
4. िे्थ िै क्स, 5. िै्मू ऐडेड िै क्स।
5. कैवऩिर गेन िै क्स

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गंतव्य अधाररत खपत करः

 जीएसिी एक गतां व्य आधाररत कर होगा।


 इसका अथच है क्तक सभी एसजीएसिी को आमतौर पर राज्य में वहाां से एकत्र क्तकया जाएगा जहाां
उपभोिाओ ां को वस्तएु ां या सेवाएां बेर्ी जा रही हैं।

के न्रीय करों शाष्टमल हैं:


1. सेंरल एक्साआज ड्यूिी
2. ऄष्टतररि ईत्पाद शुल्क
3. औषधीय और प्रसाधन ऄष्टधष्टनयम के तहत अबकारी शल्ु क लगाया जाता है।
4. सेवा कर
5. ऄष्टतररि सीमा शुल्क,
6. सामान्यतः प्रष्टतकारी शुल्क (सीवीडी) के रूप में जाना जाता है
7. सीमा शल्ु क पर 4% का ऄष्टतररि ष्टवशेष शल्ु क (एसएडी)माल और
8. सेवाओ ं की अपूष्टतथ के संबंध में ईपकर और

ऄष्टधभारराज्य करों में शाष्टमल हैं:


1. वैि / ष्टबिी कर
2. के न्रीय ष्टबिी कर (कें र की ओर से लगाया जाता है और राज्य िारा एकत्र ष्टकया जाता है)
3. मनोरंजन कर
4. चुंगी और एरं ी िैक्स (सभी रूपों में)
5. खरीद कर
6. लक्जरी िैक्स
7. लॉिरी, शतथ और जुए पर कर
8. माल और सेवाओ ं की अपूष्टतथ के संबंध में राज्यों का ईपकर और ऄष्टधभार।
 मानव ईपभोग के ष्टलए शराब को छोड़कर, सभी वस्तुओ ं और सेवाओ ं को जीएसिी के दायरे में
लाया जाएगा।

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भारतीय ष्टवत्तीय प्रणाली के घिक

भारतीय क्तविीय प्रणाली के अहम् घिक है:


बैंक: बैंक भारत में सस्ां थागत क़ज़च का सबसे अहम् ज़ररया हैं और इनमें अनसु क्तू र्त वाक्तणक्तज्यक बैंक, क्षेत्रीय
ग्रामीण बैंक, सहकारी बैंक, क्तवदेशी बैकों सक्तहत क्तनजी क्षेत्र के बैंक शाक्तमल हैं।

ष्टवत्तीय सस्ं थाए:ं राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तरों पर कई क्तविीय सस्ां थाएां बनाई गई हैं। ये सस्ां थाएां उद्योग
जगत की कई क्तविीय ज़रुरतों को परू ा करती हैं। इनमें अक्तखल भारतीय क्तवकास बैंक, क्तवक्तशष्ट क्तविीय
सस्ां थाए,ां क्तनवेश सस्ां थाए,ां राज्य क्तवि क्तनगम तथा राज्य औद्योक्तगक क्तवकास क्तनगम शाक्तमल हैं।

गैर-बैंष्टकंग ष्टवत्तीय कंपष्टनयां (NBFCs): गैर-बैंक्तकांग क्तवि कांपक्तनयाां ऐसी सस्ां थाएां होती हैं जो कांपनी
अक्तधक्तनयम 1956 के तहत रक्तजस्िडच होती हैं और क्तजनका मख्ु य काम उधार देना और क्तवक्तभन्न प्रकार के
शेयरों, प्रक्ततभक्तू तयों, बीमा कारोबार और क्तर्िफांड से जड़ु े कामों में क्तनवेश करना है।

जोष्टखम पूंजी कंपष्टनयां और ईद्यम पूंजी कंपष्टनयां: जोक्तखम पांजू ी कांपक्तनयाां नये उद्यक्तमयों को
दीघचकालीन प्रारांक्तभक पजांू ी उपलब्ध कराती हैं। वही ँ उद्यम पजांू ी, लघु और मध्यम उद्यमों के गठन के क्तलए
और उनके क्तवकास के प्रारक्तम्भक र्रणों में फांक्तडांग का अहम् ज़ररया है।

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9. औद्योष्टगक नीष्टत और मुरास्फीष्टत
 आजादी के बाद देश की प्रथम औद्योक्तगक नीक्तत की घोषणा 6 अप्रैल 1948 ई. को तत्कालीन कें द्रीय
उद्योग मत्रां ी श्यामा प्रसाद मख
ु जी द्वारा की गई थी।
 नइ औद्योष्टगक नीष्टत की घोषणा 24 जुलाइ 1991 इ.को की गई क्तजसमें व्यापक स्तर पर उदारवादी
कदमों की घोषणा की गई।
 इस नइ औद्योष्टगक नीष्टत में 18 प्रमुख ईद्योगों को छोड़कर ऄन्य सभी ईद्योगों को लाआसेंस से मुि
कर क्तदया गया।
 बाद में 13 और ईद्योगों को लाआसेंस की अवश्यकता से मुि कर ष्टदया गया।

लाआसेंष्टसंग की अवश्यकता से युि ईद्योग

1. ऄल्कोहल युि पेयों का अह्वान व आनसे शराब बनाना


2. तंबाकू के ष्टसगार एवं ष्टसगरेि तथा ष्टवष्टनष्टमथत तंबाकू के ऄन्य ईत्पाद
3. आलेक्रॉष्टनक्स, एयरोस्पेस तथा रक्षा ईपकरण
4. डेिोनेष्टिंग, फ्यूज, सेफ्िी फ्यूज, गन पाईडर, नाआरोसैलूलोज तथा माष्टचस सष्टहत औद्योष्टगक
ष्टवस्फोिक सामग्री
5. खतरनाक रसायन
 नवरत्न का दजाथ कें रीय लोक ईद्यम ष्टवभाग िारा ष्टदया जाता है 1997 में यह दजाथ मूलतः नौ

कंपष्टनयों के ष्टलए सृष्टजत की गइ थी।

भारत की महारत्न कंपष्टनयां

1. राष्ट्रीय ताप ष्टवद्यतु ष्टनगम (NTPC)


2. तेल एवं प्राकृष्टतक गैस ष्टनगम (ONGC)
3. भारतीय आस्पात प्राष्टधकरण ष्टलष्टमिेड (SAIL)
4. भारतीय तेल ष्टनगम (IOC)
5. कोल आष्टं डया ष्टलष्टमिेड
6. भारत हेवी आलेष्टक्रकल्स ष्टलष्टमिेड (BHEL)
7. गैस ऄथॉररिी ऑफ़ आष्टं डया ष्टलष्टमिेड (GAIL)
8. भारत पैरोष्टलयम कॉरपोरेशन ष्टलष्टमिेड (BPCL)

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व्यापाररक संगिन

 ऄंतरराष्ट्रीय मुरा कोष की स्थापना 27 ष्टदसबं र 1945 इ. में ब्रेिनवडु सम्मेलन के ष्टनणथय के अधार
पर क्तकया गया।
 अइएमएफ का कायथ सदस्य राष्ट्रों के मध्य ष्टवत्तीय और औद्योष्टगक सहयोग को बढ़ावा देना तथा
ष्टवि व्यापार का सतं ुष्टलत ष्टवस्तार करना है।
 IBRD ऄथाथत पुनष्टनथमाथण एवं ष्टवकास के ष्टलए ऄंतराथष्ट्रीय बैंक की स्थापना सन 1945 में हुई।
 IBRD को ही ऄन्य संस्थाओ ं के साथ ष्टमलाकर ष्टवि बैंक के नाम से पुकारा जाता है
 इन सांस्थाओ ां में ऄंतरराष्ट्रीय ष्टवत्त ष्टनगम, ऄंतरराष्ट्रीय ष्टवकास सघं तथा बहुपक्षीय ष्टवष्टनयोग गारंिी
ऄष्टभकरण है।
 इसका उद्देश्य क्तवश्व यि
ु से जजचर हुई अथचव्यवस्था का प्रारांक्तभक पनु क्तनचमाचण तथा अल्प क्तवकक्तसत देशों के
क्तवकास में योगदान देना है।
 इस समय यह सदस्य देशों में पांजू ी क्तनवेश में सहायता तथा अतां रराष्ट्रीय व्यापार के दीघचकालीन सांतक्तु लत
क्तवकास को प्रोत्साक्तहत करने में लगा है।
 GATT प्रशुल्क और व्यापार पर सामान्य समझौता 30 ऄक्िूबर 1947 को हुअ तथा 1 जनवरी
1948 से लागू हुआ।
 12 ष्टदसंबर 1995 को GATT का ऄष्टस्तत्व समाप्त कर ष्टदया गया तथा 1 जनवरी 1995 इ. को
आसका स्थान WTO ऄथाथत ष्टवि व्यापार संगिन ने ले ष्टलया।
 डब्ल्यूिीओ का मुख्यालय ष्टजनेवा में है।

ऄथथशास्त्र प्रमुख पुस्तक

पस्ु तक लेखक
वेल्थ ऑफ नेशन्स एडम ष्टस्मथ
फाईंडेशन ऑफ आकोनाष्टमक एनाष्टलष्टसस सैमुऄल्सन
ष्टप्रंष्टसपल्स ऑफ़ आकोनॉष्टमक्स माशथल
दास कै ष्टपिल कालथ माक्सथ
द ्योरी ऑफ एपं लॉयमेंि आिं रेस्ि एडं मनी कीन्स
हाई िू पे फॉर वार कीन्स

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प्रमुख ष्टसद्धांत और प्रष्टतपादक

प्रमुख ष्टसद्धांत प्रष्टतपादक


ष्टवकास का ष्टसद्धांत दादा भाइ नौरोजी
गरीबी का दुष्ट्चि दृष्टिकोण प्रच्छन्न बेरोजगारी ष्टसद्धांत रेगनर नक्सथ
पलाष्टनंग एडं द पुऄर वीएस ष्टमन्हास
एन आक्ं वायरी आन िू द क्वाष्टलिी ऑफ नेशस ं गनु ार ष्टमडथल
ऄसंतुष्टलत ष्टवकास ष्टसद्धांत हशथमैन
सोशल वेलफे यर एडं कलेष्टक्िव चॉआस ए के सेन
भुगतान साम्यथ दृष्टिकोण एडम ष्टस्मथ
आितम करारोपण का ष्टसद्धांत अथथर लाफर
िोष्टबन कर जेम्स िोष्टबन
मूल्य वष्टधथत कर प्रथम प्रष्टतपादक F वान सीमेंस
न्यूनतम त्याग का ष्टसद्धांत जे एस ष्टमल
जीरो बेस्ड बजष्टिंग पीिर पायर
क्षष्टतपूरक राजकोषीय ष्टसद्धांत जॉन मेनाडथ कीन्स

मुरा के मूल्य में पररवतथन

 मद्रु ा मल्ू य में होने वाले पररवतथनों के मुख्य चार रूप होते हैं
1. मुरा स्फीष्टत - ------- (आन्फ्लेशन)

2. ऄवस्फीष्टत तथा मुरा संकुचन -------- (ष्टडफ्लेशन)

3. मुरासस् ं फीष्टत --------- (ररफ्लेशन)


4. मुरा ऄपस्फीष्टत--------- (ष्टडसआन्फ्लेशन)

मुरास्फीष्टत –

 मद्रु ास्फीक्तत वही क्तस्थक्तत है क्तजसमें कीमत स्तर में वृक्ति होती है तथा मद्रु ा का मल्ू य क्तगरता है।
 वस्तओ ु ां एवां सेवाओ ां की तेजी से बढ़ती मागां और फल स्वरुप तेजी से बढ़ती मद्रु ा की सक्तियता के कारण
बढ़ने वाली कीमतें माांग प्रेररत क्तस्थक्तत उत्पन्न करती है।

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 वस्तओ ु ां की उत्पादन लागत बढ़ जाने के कारण जब वस्तओ
ु ां की कीमतों को बढ़ाया जाता है तब इसे
लागत प्रेररत स्फीक्तत कहा जाता है।
मुरास्फीष्टत का प्रभाव
1. ईत्पादक वगथ (कृषक, ईद्योगपष्टत, व्यापारी) को लाभ होता है ऊणी को लाभ तथा ऊणदाता को
हाष्टन होती है।
2. ष्टनष्टित अय वाले वगथ को हाष्टन होती है जबष्टक पररवष्टतथत अय वाले वगथ को लाभ होता है।

3. समाज में अष्टथथक ष्टवषमताएाँ बढ़ जाती हैं धनी वगथ और धनी तथा ष्टनधथन वगथ और ष्टनधथन होता

चला जाता है।


मुरा प्रसार के ष्टलए ईत्तरदाइ सरकार की नीष्टतयां
A. हीनाथथ प्रबंधन,
B. ऄष्टतररि मुरा ष्टनगथमन,

C. ईदार ऊण एवं साख नीष्टत,

D. युद्ध जष्टनत ऄनुत्पादक व्यय,

E. प्रष्टतगामी कराधान नीष्टत,

F. प्रशुल्क एवं व्यापार नीष्टत,

G. किोर ईद्योग नीष्टत

मुरा नीष्टत को ष्टनयंष्टत्रत करने के ईपाय


1. राजकोषीय ईपाय
a) सतं ुष्टलत बजि बनाना
b) सावथजष्टनक व्यय पर ष्टनयंत्रण
c) प्रगष्टतशील करारोपण
d) सावथजष्टनक ऊण में वष्टृ द्ध करना
e) बचत को प्रोत्साष्टहत करना
f) ईत्पादन में वृष्टद्ध करना
2. मौक्तद्रक उपाय
1. मुरा ष्टनगथमन के ष्टनयमों को किोर बनाना
2. मुरा की मात्रा को सक ं ु ष्टचत करना
3. किोर साख नीष्टत ऄपनाना

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मुरा संकुचन ऄथवा मुरा ऄवस्फीष्टत

 यह मुरास्फीष्टत की ष्टवपरीत ऄवस्था है आसमें मुरा का मूल्य बढ़ता है और वस्तुओ ं एवं सेवाओ ं
का मूल्य घिता है।
 मुरा संकुचन ष्टनम्न पररष्टस्थष्टतयों में दृष्टिगोचर होता है
1. मौष्टरक अय यथावत ऄथवा ष्टगरती रहे पर वस्तुओ ं का ईत्पादन बढ़े
2. मौष्टरक अय तथा ईत्पादन दोनों घिे परंतु मौष्टरक अय में कमी ऄष्टधक हो

3. मौष्टरक अय तथा ईत्पादन दोनों बढ़े परंतु ईत्पादन में वृष्टद्ध ऄपेक्षाकृत ऄष्टधक हो

4. ईत्पादन यथावत रहे परंतु मौष्टरक अय घिे जब वस्तु की पूष्टतथ मांग से ऄष्टधक हो।

मुरा संकुचन रोकने के ईपाय


1. मौष्टरक ईपाय
A. मुरा का ऄष्टधक ष्टनगथमन,
B. साख मुरा का ष्टवस्तार
2. राजकोषीय उपाय
1. सावथजष्टनक व्यय में वृष्टद्ध
2. करारोपण में कमी
3. ऊणों का भुगतान
4. अष्टथथक सहायता एवं ऄनुदान में वृष्टद्ध
 ष्टनयाथत में वष्टृ द्ध तथा अयात में कमी
 पूष्टतथ पर ष्टनयंत्रण।

स्िै गफ्लेशन ऄथवा ष्टनस्पंद ष्टस्थष्टत

 यह उस क्तस्थक्तत का द्योतक है जब अथचव्यवस्था में तो एक और कीमतें बढ़ती है तथा दसू री ओर आक्तथचक


क्तवकास अवरुि होकर अथचव्यवस्था में क्तनक्तष्ट्ियता और जड़ता की क्तस्थक्तत उत्पन्न हो जाती है।
 इसमें मद्रु ास्फीक्तत महगां ाई बेरोजगारी तथा उत्पादन में जड़ता साथ-साथ क्तवद्यमान होती है।

ष्टनस्पदं ष्टस्थष्टत ईत्पन्न होने के कारण

1. मुरा की मात्रा में तेजी से वृष्टद्ध


2. मजदूरी दरों में तीव्र वृष्टद्ध
3. प्राकृष्टतक प्रकोप

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4. ष्टवदेशी व्यापार में घािा
5. ईत्पादन लागत में वृष्टद्ध
6. लबं े समय तक मुरास्फीष्टत की ष्टस्थष्टत का बने रहना।

प्रमुख वि

1. लॉरेंज वि – अय के ष्टवतरण में व्याप्त ष्टवषमताओ ं को प्रदक्तशतच करने वाला वि यह आक्तथचक क्तवषमता
की माप करता है।
2. ष्टगनी गुणांक – अय या संपष्टत्त के ष्टवतरण में व्याप्त ऄसमानता की साक्तां ख्यकी माप क्तगनी गणु ाक ां
कहलाता है।
 क्तगनी गणु ाांक का मान क्तजतना अक्तधक होगा समाज में क्तवषमता भी उतनी अक्तधक होगी।
3. कुजनेि्स वि – simon-कुजनेि्स के अनसु ार प्रष्टत व्यष्टि अय की वृष्टद्ध के साथ प्रारंभ में अय की
ष्टवषमता बढ़ती है तथा बाद में अय की वृष्टद्ध के साथ अए ष्टवतरण की ष्टवषमानता कम होने लगती
है
 यक्तद हम इन दोनों के सांबांधों को वि द्वारा प्रदक्तशतच करें तो यह उल्िी U आकार की प्राप्त
होती है इस वि को ही कुजनेि्स वि कहते हैं।
4. ष्टफष्टलपस वि – क्तकसी भी ऄथथव्यवस्था में ष्टफष्टलपस वि िारा बेरोजगारी की दर एवं मुरास्फीष्टत के
व्युत्िम सांबांधों को दशाचया जाता है।
 यक्तद क्तकसी भी देश में बेरोजगारी की दर कम है तो मजदरू ी दर अक्तधक होगी एवां यक्तद
बेरोजगारी की दर अक्तधक है तो मजदरू ी दर कम होगी।
5. लाफर वि – यक्तद करारोपण की दरों को कम कर ष्टदया जाए तो सरकार को प्राप्त होने वाले राजस्व
में वृष्टद्ध होगी लेष्टकन यह वृष्टद्ध एक सीमा से ऄष्टधक कमी कर ष्टदए जाने पर करागत राजस्व में कमी
अएगी।
6. ष्टफशर प्रभाव – यह अवधारणा मुरास्फीष्टत तथा ब्याज दर के बीच संबंध को दशाचता है।

महत्वपण
ू थ सष्टमष्टतयां

स्वामीनाथन सष्टमष्टत जनसंख्या नीष्टत


जानकी रमन सष्टमष्टत प्रष्टतभूष्टत घोिाला
दांत वाला सष्टमष्टत बेरोजगारी के ऄनुमान
रेखी सष्टमष्टत ऄप्रत्यक्ष कर
सरकाररया सष्टमष्टत कें र राज्य सबं धं
गोस्वामी सष्टमष्टत औद्योष्टगक रुग्णता

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महालनोष्टबस सष्टमष्टत राष्ट्रीय अय
रंगराजन सष्टमष्टत भुगतान संतुलन
राजा चेलैया सष्टमष्टत कर सुधार
मल्होत्रा सष्टमष्टत बीमा क्षेत्र में सुधार
खुसरो सष्टमष्टत कृष्टष साख
भूरेलाल सष्टमष्टत मोिर वाहन करों में वृष्टद्ध
नरष्टसम्हन सष्टमष्टत ष्टवत्तीय बैंष्टकंग सधु ार
भंडारी सष्टमष्टत क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की पुनर संरचना
सच्चर सष्टमष्टत मुसलमानों की सामाष्टजक अष्टथथक और शैक्षष्टणक ष्टस्थष्टत
का ऄध्ययन
सुरेश तेंदुलकर सष्टमष्टत गरीबी
एस तारापोर सष्टमष्टत रुपए की पज ूं ी खाते पर पररवतथष्टनयत्ता
अष्टबद हुसैन सष्टमष्टत लघु ईद्योग
डॉ कीष्टतथ एस पाररख पेरोष्टलयम ईत्पादों के मूल्य प्रणाली पर सुझाव
बीएस व्यास सष्टमष्टत कृष्टष एवं ग्रामीण साख ष्टवस्तार
महाजन सष्टमष्टत चीनी ईद्योग
सत्यम सष्टमष्टत वस्त्र नीष्टत
मीरा सेि सष्टमष्टत हथकरघा के ष्टवकास

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10. भुगतान शेष (BLANCE OF PAYMENT)

 भगु तान शेष क्तकसी देश का अन्य देशों के साथ होने वाले समस्त आक्तथचक लेन देन का लेखा होता है। क्तजसमें
दोहरी प्रक्तवक्तष्ट की जाती है।
भगु तान संतुलन के ऄवयव
(COMPONENTS OF BLANCE OF PAYMENT)
 भगु तान शेष में र्ालू खाता एवां पजांू ी खाता होतें हैं।
 र्ालू खाते में वस्तुगत व्यापार एवं ऄदृश्य व्यापार अथवा वस्तुगत खाता एवं ऄदृश्य खाता पाया जाता
है।
 वस्तुगत खातें में वस्तुओ ं के व्यापार को शाक्तमल क्तकया जाता है जबक्तक ऄदृश्य खाते में सवायें अय
तथा ऄन्तरण को शाक्तमल क्तकया जाता है।
 पजूं ी खाते में सभी प्रकार के ष्टवत्तीय लेन-देन का शाक्तमल क्तकया जाता है।
 यक्तद जमा पक्ष एवां माांग पक्ष बराबर है तो भगु तान शेष सांतल
ु न में रहता है।
 यक्तद जमा पक्ष उधार पक्ष से अक्तधक है तो भगु तान शेष अनक ु ू ल होता है।
 यक्तद उधार पक्ष अक्तधक है तो भगु तान शेष प्रक्ततकूल हो जाता है। और प्रक्ततकूल भगु तान सांतल
ु न देश के क्तवकास
में बाधक होता है।

 भारत की प्रमख्ु य आक्तथचक समस्या में एक महत्वपणू च समस्या र्ालू खाते का घािा है।
 भुगतान शेष में ऄसंतुलन के ष्टलए कइ कारण क्तजम्मेदार होते हैं।
1. जब क्तकसी देश की क्तवकास की प्रक्तिया र्ल रही हा तो क्तवकासात्मक व्यय अक्तधक होता है। आयातों पर
क्तनभचरता बढ़ जाती है। और भगु तान शेष प्रक्ततकूल हो जाता है।
2. भगु तान शेष के प्रक्ततकूल होने का दसू रा कारण अथचव्यवस्था की स्थायी एवां दीघचकालीन प्रवृक्तियाी होती हैं।
लागते अक्तधक होने के कारण क्तनयाचतों में वृक्ति नहीं हो पाती है।
3. व्यापार र्िों में होने वाला पररवतचन भी भगु तान शेष की क्तस्थक्तत को प्रभाक्तवत करता है।
4. क्तकसी देश की अथचव्यवस्था में होने वाले सांरर्नात्मक पररवतचन के कारण उत्पन्न होने वाले असांतल ु न से भी
भगु तान शेष असतां क्तु लत हो जाता है।

 प्रक्ततकूल भगु तान सांतल


ु न को सधु ारने के क्तलए मौक्तद्रक, राजकोषीय एवां व्यापाररक उपाय क्तकये जाते हैं।

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 मौष्टरक ईपायों में मौक्तद्रक सक ां ु र्न एवां क्तवस्तार, अवमल्ू यन, क्तवक्तनमय क्तनयत्रां ण क्तवदेशी क्तवक्तनमय दर में
पररवतचन इत्याक्तद का प्रयोग क्तकया जाता है।
 घरे लू मद्रु ा की कीमत को अन्य क्तवदेशी मद्रु ाओ ां की तल ु ना में जान बझू कर कम करना अवमल्ू यन कहलाता है।
 अवमल्ू यन से क्तनयाचतों में वृक्ति एवां आयातों में कमी पायी जाती है। क्तजससे भगु तान शेष की प्रक्ततकूलता में कमी
पायी जाती है।
सुधारने के ईपाय

मौष्टरक ईपाय-

i. मौष्टरक सक ं ु चन ष्टवस्तार
ii. ऄवमूल्यन ष्टवष्टनमय ष्टनयंत्रण
iii. ष्टवदेशी ष्टवष्टनमय दर मे पररवतथन

राजकोषीय ईपाय-
1. सावथजष्टनक अय
2. सावथजष्टनक व्यय
3. व्यापाररक ईपाय-
a) अयात प्रष्टतस्थापन एवं ष्टनयाथत संवधथन
b) प्रशल्ु क
c) कोिा

ऄन्य ईपाय-
A. ष्टवदेशी ऊण सहायता
B. पयथिन सेवाओ ं का ष्टवस्तार
C. ष्टवदेशी ष्टनवेश को बढ़ावा।

 भारत में ऄब तक तीन बार ऄवमूल्यन ष्टकया जा र्क


ु ा है
1. पहली बार1949 इ0 में
2. दूसरी बार 1966 इ0 में
3. तीसरी बार जुलाइ 1991 इ0 में।

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 क्तवदेशी क्तवक्तनमय दर में सरकारी स्तर क्षेत्र ष्टवनमय ष्टनयंत्रण कहलाता है और ऐसे में देश का के न्रीय बैंक
समस्त ष्टवदेशी मुरा भंडार को ऄपने पास रख लेता है और ष्टवदेशी मुरा की पूष्टतथ स्वयं ष्टनधाथररत
करता है।
 जब सरकार ष्टवदेशी ष्टवष्टनमय दर को क्तनधाचररत करें तो खुले बाजार में ष्टनधाथ ररत दरों का प्रयोग बांद कर
क्तदया जाय तो इसे ष्टवदेशी ष्टवष्टनमय दर में पररवतथन कहते है।
 भग ु तान शेष की प्रक्ततकूलता को सधु ारने के क्तलए सरकार मौष्टरक संकुचन का भी सहारा लेती है।
 इसके अन्तगचत साख क्तनयांत्रण की प्रक्तिया को अपना कर साख मद्र ु ा कीपक्तू तच में कमी लाकर आयातों को
प्रभाक्तवत क्तकया जाता है।
 भगु तान शेष की प्रक्ततकूलता को दर करने के क्तलए राजकोषीय ईपाय के रूप में सरकार सावथजष्टनक अय
के राजस्व को बढ़ाने का प्रयास करती हैं
 जबक्तक दसू री तरफ सावथजष्टनक व्यय में कमी लाने का प्रयास करती है।
 भगु तान से इसकी प्रक्ततकूलता को दरू करने के क्तलए व्यापाररक ईपाय भी प्रयोग में लाये जाते हैं और

 इसके अन्तगचत सरकार अयात प्रष्टतस्थापन और ष्टनयाथत सवं द्धथन की नीष्टत ऄपनानी है अथाचत क्तजन
वस्तओु ां को पहले अयात ष्टकया जा रहा था ईन्हें घरेलू ईत्पादों से प्रष्टतस्थाष्टपत करने का प्रयास
ष्टकया जाता है जबक्तक ष्टनयाथतों को प्रोत्साष्टहत करके ऄथवा ईन्हें सहयोग देकर ष्टनयाथतों के संवधथन का
प्रयास क्तकया जाता है।
 इस प्रकार आयातों में कमी लाकर एवां क्तनयाचतों को बढ़ाकर भगु तान शेष की प्रक्ततकूलता को दरू करना आयात
प्रक्ततथापन क्तनयाचत सांवधचन क्तवक्तध कहलाता है।

 अयातों पर लगने वाले कर को प्रशुल्क या ति कर कहा जाता है। इसके लगने से अयातों की कीमतें
बढ़ जाती है। और उनकी मात्रा में कमी अ जाती है। क्तजससे भगु तान शेष सांतक्तु लत होता है।
 प्रशल्ु क लगाने से जहाां एक तरफ आयाक्ततत वस्तओ
ु ां की कीमतें बढ़ती हैं वहीं दसू री तरफ आयातों की मात्रा
में कमी पायी जाती है। तथा घरेलू ईत्पादन बढ़ जाता है।

1. िै ररफ

 यह राष्ट्रों के मध्य होने वाले व्यापाररक अयात या ष्टनयाथत पर लगने वाला सीमा शल्ु क है।
 यह व्यापार के क्षेत्र में बढ़ती वैष्टिक प्रष्टतस्पद्धाथ से घरेलू ईद्योग को सरु ष्टक्षत रखने हेतु ष्टवदेशी
ईत्पादों पर लगाया जाने वाला कर है।

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2. गैर-िै ररफ बाधाएाँ
 वे सभी शल्ु क जो क्तक अयात या ष्टनयाथत शुल्क नहीं है, गैर-िैररफ की श्रेणी में आते हैं।
 ईदाहरण के तौर पर अयात कोिा, सष्टब्सडी, तकनीकी बाधाएाँ या अयात लाआसेंष्टसंग, सीमा
शल्ु क पर माल के मूल्यांकन के ष्टलये ष्टनयम, पवू थ ष्टशपमेंि ष्टनरीक्षण आत्याष्टद।

3. काईंिर वेष्टलगं ड्यूिी (CVD)


 यह अयाष्टतत वस्तुओ ं पर लगाया जाने वाला एक कर है
 इसका प्रयोग अयाष्टतत वस्तुओ ं पर दी जाने वाली सष्टब्सडी के प्रभाव को न्यून करने के ष्टलये
होता है।
 इस कर का ईद्देश्य अयाष्टतत वस्तु के संदभथ में क्तकसी समान प्रकृ क्तत के घरेलू ईत्पाद को मूल्य
प्रष्टतस्पद्धाथ में ष्टपछड़ने से बचाना है।
 यह एक प्रकार का एिं ी-डष्टं पगं िैक्स होता है।
 डष्टं पंग अथाचत् जब कोई वस्तु/ईत्पाद ष्टकसी देश िारा दूसरे देश को ईसके सामान्य मूल्य से कम
कीमत पर ष्टनयाथत क्तकया जाता है।
 यह एक ऄनुष्टचत व्यापार ऄभ्यास है जो ऄंतराथष्ट्रीय व्यापार पर एक ष्टवकृत प्रभाव डाल सकता
है।

डष्टं पगं और एिं ी-डष्टं पगं शुल्क का ऄथथ

प्रायः डांक्तपांग शब्द का प्रयोग सवाचक्तधक अतां राचष्ट्रीय व्यापार काननू के सांदभच में ही क्तकया जाता है, जहाँ डांक्तपांग
का अक्तभप्राय क्तकसी देश के एक क्तनमाचता द्वारा क्तकसी उत्पाद को या तो इसकी घरे लू कीमत से नीर्े या
इसकी उत्पादन लागत से कम कीमत पर क्तकसी दसू रे देश में क्तनयाचत करने करने से होता है।
 डष्टं पंग, अयात करने वाले देश में ईस वस्तु की कीमत को प्रभाष्टवत करने के साथ-साथ
वहााँ के घरेलू ईद्योग के लाभ को कम करती हैं।
 वैष्टिक व्यापार मानदडं ों के ऄनुसार, एक देश को ऄपने घरेलू ष्टनमाथताओ ं की रक्षा करने
और ईन्हें एक समान ऄवसर प्रदान करने के ष्टलये आस प्रकार की डष्टं पंग पर शुल्क लगाने
की ऄनुमष्टत है।
 हालाँक्तक यह शुल्क ष्टकसी ऄद्धथ-न्याष्टयक ष्टनकाय जैसे- भारत में व्यापार ईपचार
महाष्टनदेशालय (DGTR) िारा गहन जााँच के बाद ही ऄष्टधरोष्टपत ष्टकया जा सकता है।

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क्तवश्व व्यापार सांगठन (WTO-World Trade Organisation) की स्वीकृ क्तत से, जनरल एग्रीमेंि ऑन
िैररफ एडां रेड General Agreement on Tariff & Trade-GATT) का अनच्ु छे द VI देशों को डांक्तपगां
के क्तखलाफ कारच वाई करने का क्तवकल्प र्नु ने की अनमु क्तत देता है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं क्तक जब कोई देश अपने घरे लू उद्योगों की रक्षा करने और उनके नक ु सान को
कम करने के क्तलये क्तनयाचतक देश में उत्पाद की लागत और अपने यहाँ उत्पाद के मल्ू य के अतां र के बराबर
शल्ु क लगा दे तो इसे ही डांक्तपगां रोधी शल्ु क यानी एिां ी-डांक्तपगां शल्ु क कहा जाता है।

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