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Lecture 1 Polity Historical Background Final Final File - 1692541035
Lecture 1 Polity Historical Background Final Final File - 1692541035
ऐतिहातिक पृष्ठभूति
बक्सर के युद्ध में जीत के बाद ममले 'मदवानी अमिकार 'ों के नाम पर 1765 से भारतीय मामल ों में अोंग्रेज ों का
हस्तक्षे प शुरू ह गया था। इस लडाई के बाद, एक शीर्ष व्यापारी ह ने के कारण ईस्ट इों मिया कोंपनी एक
प्रशासमनक मनकाय बन गई। मिमिश सरकार ने शुरू में ईस्ट इों मिया कोंपनी क मवमनयममत करने और बाद में
भारत के शासन के मलए मवमभन्न अमिमनयम पाररत मकए। हालााँ मक, इनमें से क ई भी मुख्य रूप से भारतीय
अपेक्षाओों क पूरा नहीों करता था क् मों क वे एक मवदे शी शक्ति द्वारा लाए गए थे और उनका अोंमतम उद्दे श्य अपने
स्वयों के महत ों क पूरा करना था। 1773 से 1858 तक कोंपनी के शासन के बाद मिमिश ताज (crown) का सीिा
शासन 1947 तक चला। इन अमिमनयम ों के माध्यम से अोंग्रेज ों द्वारा मवमभन्न सोंवैिामनक और प्रशासमनक पररवतषन
मकए गए। यद्यमप उन्हें मिमिश साम्राज्यवादी मवचारिारा क प मर्त करने के उद्दे श्य से लाया गया था, वे अोंततः
भारतीय राजनीमतक और प्रशासमनक व्यवस्था में ल कतोंत्र तथा आिुमनक राज्य के मवमभन्न तत्त् ों के समावेश में
सहय गी हुए।
● ईस्ट इिं तिया किंपिी की जिाबदे ही (Accountability of EIC) : इसने अमनवायष मकया मक कोंपनी का शासी
मनकाय (governing body) मनदे शक मोंिल या सोंचालक मोंिल (Court of Directors), राजस्व, नागररक
और सै न्य मामल ों समहत अपने सभी मामल ों क मिमिश सरकार के सामने प्रकि करे अथाष त् जानकारी दें ।
अतितियि के प्राििाि:
अमिमनयम के कई प्राविान ों ने छूि प्रदान कर न्यायालय के क्षेत्रामिकार क सीममत करके सवोच्च न्यायालय की
शक्ति क कम कर मदया गया:
● आतिकाररक कायय (Official function) : गवनषर जनरल, इसकी पररर्द् और कोंपनी के कमषचाररय ों द्वारा
उनकी आमिकाररक क्षमता में मकए गए कायों क सवोच्च न्यायालय के क्षे त्रामिकार से मु ि कर मदया गया।
● राजस्व ििंबिंिी िािले (Revenue matters) : राजस्व से जुडे सभी मामल ों क भी सवोच्च न्यायालय के
क्षेत्रामिकार से बाहर कर मदया गया।
● अपीलीय क्षेत्रातिकार (Appellate Jurisdiction) : न्यायालय के अपीलीय क्षेत्रामिकार में भी किौती की
गई। प्राों तीय न्यायालय ों (Provincial Courts) से अपील गवनषर-जनरल की पररर्द् (Governor-General-
in-Council) में की जा सकती थी न मक सवोच्च न्यायालय में।
● तितियि (Regulations) : इस अमिमनयम ने गवनषर-जनरल की पररर्द् क प्राों तीय न्यायालय ों और पररर्द ों
के मलए मवमनयम बनाने का अमिकार मदया।
● पररभातषि भौग तलक क्षेत्रातिकार (Defined Geographical Jurisdiction) : न्यायालय का भौग मलक
क्षेत्रामिकार कलकत्ता के सभी मनवामसय ों पर लागू था। महों दुओों पर महों दू कानून के अनु सार और मुसलमान ों
पर मुक्तिम कानून के अनुसार वाद या मामलें तय मकया जाना था।
अतितियि का िहत्व:
1781 का सोंश िन अमिमनयम न्यायपामलका से सोंबोंमित क्षेत्र ों क पररभामर्त करके कायषपामलका (executive)
क न्यायपामलका (judiciary) से अलग करने की मदशा में भारत में पहला प्रयास था।
अतितियि का िहत्व:
● कायों का िीिााँकि (Demarcation of Functions) : इस अमिमनयम ने ईस्ट इों मिया कोंपनी की
वामणक्तज्यक और राजनीमतक गमतमवमिय ों के बीच मवभेद मकया।
● तित श आतिपत्य (British possessions) : भारत में कोंपनी के क्षे त्र ों क पहली बार 'भारत में मिमिश
आमिपत्य का क्षेत्र' कहा गया।
● प्रत्यक्ष तियिंत्रण (Direct control) : मिमिश सरकार क भारतीय प्रशासन पर सीिा मनयोंत्रण मदया गया था।
इस प्रकार, कोंपनी मिमिश सरकार के अिीन ह गई।
● तित श िाज का अतिकार (Crown’s Authority) : मिमिश ताज का अमिकार उसके भारतीय क्षेत्र ों के
नागररक और सैन्य प्रशासन में स्थामपत मकया गया था। हालााँ मक, वामणक्तज्यक गमतमवमिय ों पर अभी भी कोंपनी
का एकामिकार था।
रे गुलेमिों ग एक्ट की कममय ों क दू र करने के मलए कई बदलाव लाने के बावजूद मपि् स इों मिया एक्ट की
अपनी कई कममयााँ भी थीों:
● स्पष्टिा का अभाि (Lack of clarity) : सरकारी मनयोंत्रण और कोंपनी की शक्तिय ों के बीच अोंतर स्पष्ट नहीों
था। साथ ही मनयोंत्रण ब िष (ब िष ऑफ कोंिर ल) और मिमिश ताज की मजम्मेदारी के बीच की सीमा स्पष्ट नहीों
थी।
● द हरी जिाबदे ही (Dual accountability) : गवनष र-जनरल क ईस्ट इों मिया कोंपनी और मिमिश ताज द न ों
के मलये कायष करना था, यह ढााँ चा (सेि-अप) मवफलता-उन्मुखी था।
अतितियि के प्राििाि
● तिस्ताररि एकातिकार (Extended Monopoly) : भारत में कोंपनी का व्यापार एकामिकार अगले 20 वर्ों
के मलए बढा मदया गया।
● अतिभािी शखि (Overriding power) : लॉिष कानषवामलस क उनकी पररर्द् पर दी गई अमिभावी
शक्ति क भमवष्य के सभी गवनषर-जनरल और प्रेसीिें सी के गवनषर ों तक मवस्ताररत मकया गया।
● ित्ता का केंद्रीकरण (Centralisation of power) : अमिमनयम ने गवनषर-जनरल क मद्रास और बों बई के
अिीनस्थ प्रेसीिें सी पर व्यापक शक्तियााँ प्रदान की।
● अतििायय अिुि दि (Mandatory approval) : गवनष र-जनरल, गवनषर ों और कमाों िर-इन-चीफ की
मनयुक्ति के मलए शाही अनुम दन अमनवायष था।
● ईस्ट इिं तिया किंपिी की तित्तीय तजम्मेदारी (Financial responsibility of EIC) : कोंपनी क अब भारतीय
राजस्व से कमष चाररय ों और मनयोंत्रण ब िष के भुगतान के मलए मजम्मेदार बनाया गया, साथ ही, कोंपनी क प्रमत
वर्ष मिमिश सरकार क भारतीय राजस्व से 5 लाख रुपये का भुगतान करना था।
● कायों का पृथक्करण (Separation of Functions) : अमिमनयम ने कोंपनी के कायों क राजस्व प्रशासन
और न्यामयक कायों में मवभामजत कर मदया। इस प्रकार, माल अदालतें (राजस्व अदालतें) समाप्त ह गईों।
अतितियि के प्राििाि:
● आिं तशक व्यापार एकातिकार (Partial Trade Monopoly) : इसने चाय के व्यापार और चीन के साथ
व्यापार क छ डकर कोंपनी के व्यापाररक एकामिकार क समाप्त कर मदया।
● ििंप्रभुिा (Sovereignty) : इसने भारत में मिमिश सोंपमत्त पर ताज की सों प्रभुता पर ज र मदया।
● िातियक गतितितियााँ (Religious Activities) : इसने ईसाई ममशनररय ों क भारत आने और िमाष तरण ाँ में
सोंलग्न ह ने की अनुममत दी।
● स्थािीय िरकार क िशि बिािा (Empowering local government) : इसने स्थानीय सरकार ों क
ल ग ों पर कर लगाने का अमिकार मदया, मजसमें कर ों का भुगतान न करने की क्तस्थमत में ल ग ों क दों मित
करना भी शाममल है ।
● तशक्षा (Education) : भारतीय ों की मशक्षा के मलए 1 लाख रुपये की रामश दी गई।
िहत्त्व:
इमतहासकार गौरी मवश्वनाथन ने अपनी पु स्तक "मास्क्स ऑफ कॉन्क्वेस्ट" (Masks of conquest) में द प्रमु ख
पररवतषन ों की पहचान की है ज मििे न और भारत के बीच सोंबोंि ों में इस अमिमनयम के पररणाम के रूप में आए:
पहला, अोंग्रेज ों द्वारा भारतीय ल ग ों की मशक्षा के मलए एक नई मजम्मेदारी ग्रहण करना; और, दू सरा, ममशनरी
गमतमवमि पर मनयोंत्रण में छूि। नई शैमक्षक मजम्मेदाररय ों के मलए इस प्र त्साहन का श्रे य मिमिश सोंसद क मदया
जाता है ।
अतितियि के प्राििाि:
● प्रशाितिक तिकाय (Administrative body) : अब ईस्ट इों मिया कोंपनी मवशुद्ध रूप से एक प्रशासमनक
मनकाय बन गया। अमिमनयम ने प्राविान मकया मक भारत में कोंपनी के क्षे त्र मिमिश ताज की ओर से प्रशामसत
मकए जाएाँ गे ।
● पदिाि (Designation) : इसने बोंगाल के गवनषर जनरल क मिमिश भारत का गवनषर जनरल बना मदया।
सभी मवत्तीय, प्रशासमनक और सै न्य शक्तियााँ गवनषर जनरल की पररर्द् के हाथ ों में केंद्रीकृत कर दी गई।
लॉिष मवमलयम बेंमिक "मिमिश भारत के प्रथम गवनष र जनरल" बने।
● केंद्रीकरण (Centralisation) : इसने बोंबई और मद्रास के गवनषर ों क उनकी मविायी शक्तिय ों से वोंमचत
कर मदया। भारत के गवनष र-जनरल क सों पूणष मिमिश भारत के मलए मवशेर् मविायी शक्तियााँ प्रदान की गई।
● तिति आय ग (Law Commission) : इसने कानून ों के सोंमहताकरण के मलए एक भारतीय मवमि आय ग की
स्थापना का प्राविान मकया। लािष मैकाले क मवमि आय ग का अध्यक्ष बनाया गया।
● िुली प्रतिय तगिा (Open Competition) : इसने मसमवल सेवक ों के चयन के मलए खुली प्रमतय मगता
(भारतीय ों समहत) की एक प्रणाली शुरू करने का प्रयास मकया लेमकन क िष ऑफ िायरे क्टसष (मनदे शक
मोंिल या सोंचालक मोंिल) के मवर ि के कारण इसे लागू नहीों मकया जा सका।
● तििाि का अतिकार (Resident rights) : इसने अोंग्रेज ों क भारत में स्वतोंत्र रूप से बसने की अनुममत
दी।
अतितियि का िहत्व:
● केंद्रीकरण का उच्चिि स्तर (Peak of Centralization): भारत के गवनषर-जनरल के रूप में बोंगाल के
गवनषर जनरल की पद न्नमत के बाद भारतीय प्रशासन का केंद्रीकरण अपने चरम पर पहुाँ च गया।
● िाज का र स्टी (Trustee of crown) : प्रशासन के क्षेत्र में ईस्ट इों मिया कोंपनी क मिमिश ताज का िर स्टी
बनाया गया।
● पहला तिति आय ग (1st Law commission) : भारत का पहला मवमि आय ग गमठत मकया गया ज
भारतीय दों ि सोंमहता (Indian Penal Code- IPC) का मसौदा तैयार करने के मलए मजम्मेदार था मजसे बाद
में 1860 में अमिमनयममत (लागू) मकया गया था।
अतितियि के प्राििाि:
● क ई तितशष्ट ििय अिति िही िं (No specific time period) : इस अमिमनयम ने कोंपनी के शासन क
बढाया और उसे मिमिश ताज के मवश्वास के तहत भारतीय क्षेत्र ों पर मनयों त्रण बनाए रखने की अनु ममत दी।
लेमकन मपछले चािष सष के मवपरीत, इसमें क ई मवशेर् अवमि मनमदष ष्ट नहीों की गई थी।
● कायों का पृथक्करण (Separation of functions) : पहली बार गवनषर-जनरल की पररर्द् के मविायी
और कायषकारी कायों क पृथक् मकया गया।
● तििाि पररषद् का तिस्तार (Expansion of Legislative council) : एक अलग भारतीय (केंद्रीय) मविान
पररर्द् का गठन मकया गया मजसमें मविान पार्षद के रूप में 6 नए सदस्य शाममल मकये गए।
● काययकारी पररषद् का तिस्तार (Expansion of executive council) : मवमि सदस्य क गवनष र जनरल की
कायषकारी पररर्द् के पूणष सदस्य के रूप में पद न्नत मकया गया।
● िुली प्रतिय तगिा (Open competition) : सरकार क कानून मनमाष ण और उसे लागू करने में मदद करने
के मलए अच्छे मसमवल सेवक ों की आवश्यकता थी। इसमलए, इसने भारतीय ों समहत मसमवल सेवक ों के चयन
और भती की एक खुली प्रमतय मगता प्रणाली की शुरुआत की।
● स्थािीय प्रतितितित्व (Local Representation) : पहली बार बोंगाल, बोंबई, मद्रास और उत्तर पमिमी प्राों त ों
की स्थानीय सरकार ों से चार सदस्य ों के रूप में केन्द्रीय मविान पररर्द् में स्थानीय प्रमतमनमित्व की शुरुआत
की गई थीों।
अतितियि का िहत्व:
● ििंिदीय िरकार की िी िंि (Foundation of Parliamentary Government) : गवनषर-जनरल की पररर्द्
के मविायी शाखा ने मिमिश सोंसद के मॉिल पर कायष मकया। इस प्रकार, इस अमिमनयम ने सरकार के
आिुमनक सोंसदीय स्वरूप की नीोंव रखी।
● किंपिी के शािि का किज र ह िा (Weakened Company rule) : मपछले चािष र अमिमनयम ों के
मवपरीत, इस अमिमनयम ने कोंपनी के शासन क अमनमित काल के मलए बढा मदया। इस प्रकार, यह मकसी
भी समय मिमिश सरकार द्वारा अमिग्रमहत मकया जा सकता था। साथ ही, मनदे शक मोंिल (Board of
Directors) में अब 6 सदस्य मिमिश ताज द्वारा नाममत थे । इस प्रकार, इस अमिमनयम से कोंपनी का प्रभाव
और कम ह गया।
● भारिीय तितिल िेिाओिं का जन्म (Birth of Indian civil services) : इस अमिमनयम से भारतीय मसमवल
सेवाओों की शुरुआत हुई ज भारतीय ों समहत सभी के मलए खुली थी। इस प्रकार, मसफाररश द्वारा मनयुक्तिय ों
की प्रणाली क समाप्त कर मदया गया और खुली और मनष्पक्ष प्रमतय मगता की एक नई प्रणाली शुरू की गई।
● स्थािीय प्रतितितित्व (Local representation) : पहली बार केन्द्रीय मविान पररर्द् (legislative
council) में स्थानीय प्रमतमनमित्व की शुरुआत की गई।
● भारिीय िं क शातिल करिा (Inclusion of Indians) : यह भारतीय ों क प्रशासन और कानू न बनाने में
शाममल करने की मदशा में पहला कदम था।
अतितियि का िहत्व :
● प्रत्यक्ष शािि (Direct rule) : इस अमिमनयम ने भारत क एक प्रत्यक्ष मिमिश उपमनवेश (British colony)
बना मदया।
● प्रशाितिक िशीिरी पर ध्याि केंतद्रि (Focused on administrative machinery) : भारत शासन
अमिमनयम, 1858 द्वारा मकए गए अमिकाों श कायष इों ग्लैंि में प्रशासमनक तोंत्र में सुिार के मलए मकए गए थे।
इसका उद्दे श्य भारत सरकार क मनयोंत्रण में रखना था। हालााँ मक, भारत में प्रचमलत शासन प्रणाली में क ई
महत्त्पूणष पररवतषन नहीों लाया गया था।
● िया युग (New era) : इस अमिमनयम ने भारतीय इमतहास के एक नए दौर की शुरुआत की, मजससे भारत
में कोंपनी के शासन का अोंत हुआ। नए मिमिश राज का युग अगस्त 1947 में भारत के मवभाजन तक चला।
1853 के चािष र अमिमनयम में, भारतीय (केंद्रीय) मविान पररर्द् नामक एक नई मविान पररर्द् की शुरुआत की
गई। 1857 के स्वतों त्रता सोंग्राम के बाद, मिमिश सरकार ने स चा मक प्रशासन चलाने में भारतीय ों से सहायता
प्राप्त करना महत्वपूणष है । 1861, 1892 और 1909 में मिमिश सोंसद द्वारा इस ''सहय ग की नीमत'' (policy of
association) का पालन करने के मलए तीन अमिमनयम पाररत मकए गए। इन अमिमनयम ों क भारतीय पररर्द्
अमिमनयम (Indian Councils Act) के नाम से जाना जाता है ।
अतितियि के प्राििाि :
● तिकेन्द्रीकरण (Decentralisation) : इस अमिमनयम से मवकेन्द्रीकरण की प्रमिया शु रू की गई। बों बई और
मद्रास प्रेसीिें सी क मफर से मविायी अमिकार (कानू नी हस्ताों तरण) मदए गए।
● प्रतितिति ििंस्थाि िं की शुरुआि (Introduced representative institutions) : भारतीय ों क कानून
बनाने की प्रमिया से ज डकर भारत में प्रमतमनमि सोंस्थान ों की शुरुआत की गई।
● गैर-िरकारी िदस्य (Non - official members) : इसने भारत के वायसराय क मवस्ताररत मविान
पररर्द् के गै र-सरकारी सदस्य ों के रूप में कुछ भारतीय ों क नाममत करने में सक्षम बनाया। 1862 में
वायसराय लॉिष कैमनोंग ने तीन भारतीय ों क अपनी मविान पररर्द् में रखा- बनारस के राजा, पमियाला के
महाराजा और सर मदनकर राव।
● िए तििायी तिकाय (New legislative bodies) : इसने बोंगाल, उत्तर-पमिमी सीमाों त प्राों त (NWFP) और
पोंजाब के मलए नए मविायी मनकाय ों के मनमाष ण का भी प्राविान मकया।
● अध्यादे श शखि (Ordinance power) : वायसराय क आपात क्तस्थमत के दौरान पररर्द् की सहममत के
मबना अध्यादे श जारी करने की शक्ति दी गई। ऐसा अध्यादे श छह महीन ों के बाद प्रभावहीन ह जाता था।
● प य फ तलय प्रणाली (तिभागीय प्रणाली) क िान्यिा (Recognised Portfolio system) : लॉिष कैमनोंग
द्वारा 1859 में शुरू की गई 'प िष फ मलय प्रणाली' क मान्यता दी गई। यह प्रणाली कुछ हद तक आिुमनक
समय की कैमबनेि प्रणाली के समान थी। कायषकारी पररर्द् के छह सदस्य ों ने कायष सोंचालन के मवमभन्न भाग ों
का प्रभार सों भाला।
अतितियि का िहत्व:
● प्रतितिति िूलक ििंस्थाि: इसने भारतीय ों क कानून बनाने की प्रमिया से ज डकर प्रमतमनमि मूलक
सोंस्थान ों की शुरुआत की।
● तिकेंद्रीकरण की शुरुआि: इसने कोंपनी के शासन के तहत केंद्रीकरण की नीमत क उलि मदया ज 1773
के मवमनयमन अमिमनयम द्वारा शुरू मकया गया और 1833 के चािष र अमिमनयम के तहत अपने चरम त्कर्ष
पर पहुाँ च गया था।
अतितियि की आल चिा:
इस अमिमनयम की मनम्नमलक्तखत कारण ों से ''िू थलेस िाइगर'' (दों तमवहीन बाघ) के रूप में आल चना की गई थी:
● िीतिि चचाय (Limited discussion) : सरकार की पूवष स्वीकृमत के मबना मविान पररर्द् में मकसी भी मवत्तीय
मामले पर चचाष नहीों की जा सकती थी।
● िीतिि दायरा/क्षेत्र (Limited scope) : बजि जैसे महत्त्पूणष मामले पररर्द् के मनयों त्रण से बाहर थे। साथ
ही, वे कायषपामलका के कायों पर चचाष करने में भी असमथष थे।
● िीतिि प्रतितितित्व (Limited representation) : गै र-अमिकारी या गैर-सरकारी सदस्य के रूप में
मनयुि भारतीय केवल अमभजात्य या कुलीन वगष के ल ग थे।
● िीतिि शखियााँ (Limited powers) : मविेयक क अोंमतम रूप से पाररत करने के मलए वायसराय की
स्वीकृमत आवश्यक थी। कानून क भारत के राज्य समचव द्वारा वीि मकया जा सकता था, भले ही इसे
वायसराय द्वारा स्वीकार कर मलया गया ह ।
अतितियि के प्राििाि:
● गैर-िरकारी िदस्य िं की ििंख्या िें िृखद्ध (Increased non - official members) : केंद्रीय और प्राों तीय
मविान पररर्द ों के भारतीय (गैर-सरकारी) सदस्य ों की सोंख्या में वृक्तद्ध की गई। हालााँ मक, पररर्द् के
अमिकाों श सदस्य भारतीय नहीों थे।
● िशि तििाि पररषद् (Empowered legislative councils) : मविान पररर्द ों की भूममका का मवस्तार
मकया गया। इसने उन्हें बजि पर चचाष करने और कायषपामलका से प्रश्न पू छने की शक्ति प्रदान की। हालााँ मक,
वे बजि पर मतदान नहीों कर सकते थे एवों पूरक प्रश्न भी नहीों पूछ सकते थे।
● अिुशिंिा की शखि (Power of recommendation) : मजला ब िष , नगरपामलकाएाँ , मवश्वमवद्यालय,
जमीोंदार और व्यापार सोंघ की मसफाररश ों पर भारतीय ों क प्राों तीय पररर्द ों के गै र-सरकारी सदस्य के रूप
में मनयु ि मकया जा सकता था।
● चुिाि प्रतिया (Election process) : इस अमिमनयम ने केंद्रीय और प्राों तीय मविान पररर्द ों में कुछ गैर-
सरकारी सदस्य ों के मलए सीममत एवों पर क्ष रूप में चुनाव का प्राविान मकया। हालााँ मक, अमिमनयम में
"चुनाव" शब्द का उपय ग नहीों मकया गया था।
अतितियि का िहत्व :
एक बहुत ही सीममत अथष में इसने प्रमतमनमित्व के मसद्धाों त की शुरूआत की। इसके पररणामस्वरूप मविान
पररर्द ों में भारतीय ों की सोंख्या में वृक्तद्ध हुई। इसने ग पाल कृष्ण ग खले जैसे नेताओों क पररर्द ों में प्रवेश करने
और जनता के बीच राजनीमतक जागरूकता बढाने में सक्षम बनाया।
भारिीय पररषद् अतितियि - 1909 (िॉले-तििं िुिार) [INDIAN COUNCILS ACT – 1909
(MINTO-MORLEY REFORMS)]
पृष्ठभूति:
अमिमनयम मनम्नमलक्तखत कारण ों से पाररत मकया गया था:
● बिंगाल का तिभाजि (Partition of Bengal) : लॉिष कजष न ने 1905 में बोंगाल क द भाग ों में मवभामजत कर
मदया था, मजससे बोंगाल में एक बडी िाों मत हुई। इससे मिमिश शासक ों ने भारतीय ों के शासन में सुिार ों की
आवश्यकता क समझा।
● िािूली ररयायिें (Minor concessions) : काों ग्रेस के नेता सरकार द्वारा दी जा रही मामूली ररयायत ों से
नाखुश थे। 1892 के अमिमनयम ने सदस्य ों क बजि पर केवल बहस करने की अनु ममत दी , व ि दे ने की
नहीों। भारत के कडे मवर ि के बावजूद सरकार ने मविेयक पाररत करना जारी रखा। इस प्रकार, कई काों ग्रेस
नेताओों ने उदारवादी/नरमपों थी रणनीमत क द र् मदया और अपनी मााँ ग ों क पूरा करने के मलए अमिक मुखर
दृमष्टक ण का आह्वान मकया।
● कािंग्रेि की िााँगें (Demands of Congress) : भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस ने अमिक पररवतषन और भारतीय
स्वशासन (Indian self-government) के मलए दबाव िालना शुरू कर मदया। 1906 में, काों ग्रेस ने पहली
बार 'ह म रूल' (home rule) की मााँ ग की।
● तलबरल (उदारिादी) पा ी की जीि (Victory of Liberal party) : 1906 के आम चुनाव में मलबरल पािी
की जीत हुई। उदारवादी दाशषमनक जॉन मॉले राज्य समचव बने। इन्ह न ों े अवसर की समानता क लागू करने
का लक्ष्य रखा, मजसका वादा 1892 में मकया गया था। 1906 में, एक बजि भार्ण में मॉले ने वादा मकया था
मक वह सुिार के प्रस्ताव ों पर मवचार करे गा।
● तशिला तशष्टििंिल (Simla Deputation) : मॉले की घ र्णा ने मुक्तिम नेताओों क कारष वाई के मलए प्रेररत
मकया और उन्ह न ों े मुक्तिम महत ों की वकालत करने के मलए मशमला मशष्टमोंिल भेजा। इस मशष्टमोंिल के
दौरान मुसलमान ों के मलए एक अलग मनवाष चक मोंिल की य जना का प्रस्ताव आगा खान द्वारा प्रस्तामवत
मकया गया था, जब वह मशमला में लॉिष ममोंि से ममले थे।
पररणामस्वरूप, भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस के नरमपोंमथय ों और मुसलमान ों क मिमिश प्रशासन के पक्ष में लाने के
मलए 1909 में यह अमिमनयम पाररत मकया गया था।
अतितियि के प्राििाि:
● तिस्ताररि तििाि पररर्द् (Enlarged Legislative council) : इसने केंद्रीय और प्राों तीय द न ों मविान
पररर्द ों में सीि ों की सोंख्या में वृक्तद्ध की।
❖ केंद्रीय मविान पररर्द् की सदस्य सों ख्या 16 से बढाकर 60 कर दी गई।
❖ प्राों तीय मविान पररर्द् में सदस्य ों की सोंख्या एक समान नहीों थी।
● पररषद िं िें बहुिि (Majority in councils) : केंद्रीय मविान पररर्द् में सरकारी बहुमत बनाए रखा गया,
जबमक प्राों तीय मविान पररर्द ों में गै र-सरकारी बहुमत की अनुममत दी गई।
● तििाि पररषद िं के अतिकार का तिस्तार (Enhanced Functions) : द न ों स्तर ों पर मविान पररर्द ों क
कायष करने का अमिक अमिकार मदया गया, मजसमें बजि प्रस्ताव ों क पाररत करने और पूरक प्रश्न पूछने की
शक्ति शाममल है ।
● काययकारी पररषद् िें भारिीय (Indians in executive council) : पहली बार वायसराय और गवनष र
भारतीय ों क कायषकारी पररर्द ों में शाममल कर सकते थे। वायसराय की कायषकारी पररर्द् में मनयु ि ह ने
वाले प्रथम भारतीय सत्येन्द्र प्रसाद मसन्हा थे।
● पृथक तििायचक ििंिल (Separate electorates) : इसने मुसलमान ों के मलए पृथक मनवाष चक मोंिल की
अविारणा पेश की। इसके तहत मुक्तिम सदस्य ों क मुक्तिम मतदाता ही मनयुि कर सकते थे। लॉिष ममोंि
(तत्कालीन भारत के वायसराय) क साों प्रदामयक मनवाष चन के जनक के रूप में जाना जाने लगा।
अतितियि का िहत्व:
● भागीदारी िें िृखद्ध (Increased participation) : भारतीय ों क पहली बार इों पीररयल लेमजिेमिव
काउों मसल (शाही मविान पररर्द् ) में सदस्यता प्रदान की गई।
● िाम्प्रदातयकिा (Communalism) : यह अमिमनयम अों ग्रेज ों की फूि िाल और राज कर की नीमत पर
आिाररत था। भारतीय समाज के भीतर मवभाजन पैदा करने के मलए मु सलमान ों के भीतर रूमढवादी वगों क
प्र त्सामहत करने हे तु ‘साों प्रदामयकता’ क वैद्यता प्रदान की गई। अों ततः यही भारत के मवभाजन के मलए
मजम्मेदार भी बना।
भारि शािि अतितियि -1919 (ि िं े ग्यू - चेम्सफ िय िुिार) [GOVERNMENT OF INDIA ACT -
1919 (MONTAGU – CHELMSFORD REFORMS]
पृष्ठभूति :
प्रथम मवश्व युद्ध के दौरान भारत ने मिमिश युद्ध प्रयास ों के मलए मानव, सामग्री और िन के रूप में पयाष प्त
सहायता प्रदान की थी। इस बमलदान के कारण भारतीय पक्ष की ओर से मजबूत मााँ गें प्रस्तुत की गई मजन्हें
अोंततः अोंग्रेज ों ने स्वीकार कर मलया। 1917 में, भारत के तत्कालीन राज्य समचव एिमवन सैमुअल म ि ों े ग्यू ने
1917 की ऐमतहामसक अगस्त घ र्णा या म ि ों े ग्यू सुिार क जारी मकया, मजसने भारत में मिमिश नीमतय ों की
स्थापना की। मिमिश प्रिानमों त्री िे मवि लॉयि जॉजष ने 20 अगस्त, 1917 क घ र्णा की थी मक भारत में
"उत्तरदायी प्रशासन की िममक स्थापना" की जाएगी। नतीजतन, आने वाले कानून ों क भारत शासन अमिमनयम
(GOI) के रूप में सोंदमभषत मकया गया। इस प्रकार, भारत शासन अमिमनयम, 1919 लाया गया ज मिमिश
प्रिानमोंत्री द्वारा भारत में उत्तरदायी प्रशासन स्थामपत करने की घ र्णा के अनुरूप था। मिमिश नीमत में यह
बदलाव 1916 के 'ह म रूल' आों द लन के कारण भी था मजसका नेतृत्व मतलक और एनी बेसेंि ने मकया था।
अतितियि के प्राििाि:
● तििायी शखियााँ (Legislative powers) : केंद्रीय और प्राों तीय मविामयकाएाँ एक-दू सरे से मभन्न मवर्य ों की
अपनी सूची पर कानून बना सकती हैं । गवनषर प्रान्त का कायषकारी प्रमु ख ह ता था।
● बज का पृथक्करण (Separation of Budget) : पहली बार प्राों तीय बजि क केंद्रीय बजि से अलग
मकया गया। अब, प्राों तीय मविामयकाएाँ अपने बजि क अमिमनयममत कर सकती थीों।
● द्वै ि शािि प्रणाली की स्थापिा (Introduction of Dyarchy) : पहली बार प्रािंि िं िें द्वै ि शासन की
शुरुआत की गई मजसके तहत प्राों तीय मवर्य ों क आगे द श्रेमणय ों में मवभामजत मकया गया: हस्ताों तररत और
आरमक्षत मवर्य। सर मलय नेल कमिष स क द्वै ि शासन के जनक के रूप में जाना जाता है ।
❖ हस्ताों तररत मवर्य ों (Transferred subjects) का प्रशासन गवनषर द्वारा उन मोंमत्रय ों की सहायता से मकया
जाता था ज मविान पररर्द् के प्रमत उत्तरदायी थे। उदाहरण- मशक्षा, स्थानीय सरकार, स्वास्थ्य, उत्पाद
शुल्क, उद्य ग, ल क मनमाष ण आमद।
❖ आरमक्षत मवर्य ों (Reserved subjects) का प्रशासन गवनष र और उसकी कायषकारी पररर्द् द्वारा मकया
जाता था। वे मविान पररर्द् के प्रमत उत्तरदायी नहीों थे। उदाहरण- कानू न और व्यवस्था, मसोंचाई, मवत्त,
भू-राजस्व आमद।
● तद्विदिीय व्यिस्था की शुरुआि (Introduction of Bicameralism) : इस अमिमनयम ने मद्वसदनीय
व्यवस्था का प्रारों भ मकया। भारतीय मविान पररर्द् क एक उच्च सदन और एक मनम्न सदन द्वारा प्रमतस्थामपत
मकया गया था।
● प्रत्यक्ष चुिाि की शुरुआि (Introduced Direct election) : पहली बार दे श के ऊपरी और मनचले सदन ों
में सीिे चुनाव की शुरुआत हुई। द न ों सदन ों के अमिकाों श सदस्य प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चु ने जाते थे। सों पमत्त,
कर या मशक्षा के आिार पर सीममत सोंख्या में ल ग ों क मतदान का अमिकार मदया गया।
● िायिराय काययकारी (पररषद् Viceroy executive council) : इसने वायसराय की कायषकारी पररर्द् में
3 भारतीय सदस्य ों की मनयुक्ति की अनुममत दी (कमाों िर-इन-चीफ के अलावा)।
● िाम्प्रदातयक प्रतितितित्व का तिस्तार (Extension of communal representation) : भारत में मसख ,ों
ईसाइय ,ों आों ग्ल-भारतीय ों और अन्य यू र पीय ल ग ों के मलए पृथक मनवाष चक मोंिल का मवस्तार मकया गया।
● िया प्रातिकरण (New authority) : इसने लोंदन में भारत के उच्चायुि के मलए एक नया कायाष लय/पद
स्थामपत मकया और राज्य समचव के कतषव्य ों का महस्सा उसे स्थानाों तररत कर मदया।
● ल क िेिा आय ग (Public Service commissions) : इसने ल क सेवा आय ग के गठन का प्राविान
मकया। मसमवल सेवक ों की भती के मलए 1926 में आय ग की स्थापना की गई थी।
● िैिातिक आय ग (Statutory commission) : इसके तहत वायसराय मवमि के सोंचालन के दस वर्ों के
बाद कानून के प्रदशषन की जााँ च करने और ररप िष बनाने के मलए एक वैिामनक आय ग मनयुि करे गा।
● राज्य ितचि का िेिि (Salary of Secretary of State) : राज्य समचव का वेतन, ज पहले भारतीय
राजस्व से भुगतान मकया जाता था, अब मिमिश राजक र् द्वारा भुगतान मकया जाना था।
अतितियि के प्राििाि:
● प्रािंिीय स्वायत्तिा (Provincial autonomy) : इसने प्राों त ों में 'द्वै ि शासन' क समाप्त कर मदया और
'प्राों तीय स्वायत्तता' की शुरुआत की। प्राों त ों में उत्तरदायी सरकार की शुरुआत की गई अथाष त् गवनषर क
प्राों तीय मविामयका के प्रमत उत्तरदायी मोंमत्रय ों की सलाह पर कायष करना आवश्यक था। हालााँ मक, यह केवल
1937 से 1939 तक सोंचालन में था।
● केंद्र िें द्वै ि शािि (Dyarchy at the centre) : इसने केंद्र में द्वै ि शासन क अपनाने का प्राविान मकया,
अथाष त् सोंघीय मवर्य ों क 'हस्ताों तररत' (transferred) और 'आरमक्षत' (reserved) मवर्य ों में मवभामजत मकया
गया। हालााँ मक, यह कभी भी प्रचलन में नहीों आया।
● प्रािंि िं िें तद्विदिीयिा (Bicameralism in provinces) : इसने 11 प्राों त ों में से 6 में मद्वसदनात्मकता की
शुरुआत की। ये छह प्राों त थे -बोंगाल, बोंबई, मद्रास, असम, सोंयुि प्राों त और मबहार।
● शखिय िं का तिभाजि (Division of powers) : इसने शक्तिय ों क केंद्र और प्राों त ों के बीच तीन सूमचय ों में
मवभामजत मकया- केंद्रीय सूची, प्राों तीय सूची और समवती सूची। अवमशष्ट शक्तियााँ गवनष र में मनमहत थीों।
● अखिल भारिीय ििंघ (All - India Federation) : इकाइय ों के रूप में प्राों त ों और ररयासत ों क ममलाकर
एक अक्तखल भारतीय सोंघ की स्थापना के मलए प्राविान मकया गया। (हालााँ मक, सोंघ कभी अक्तस्तत्व में नहीों
आया क् मों क ररयासतें इसमें शाममल नहीों हुई थीों।)
● पृथक तििायचक ििंिल का तिस्तार (Extension of separate electorates) : इसने दमलत वगों
(अनुसूमचत जामतय )ों , ममहलाओों और श्रममक ों के मलए पृ थक मनवाष चन क्षेत्र ों का मवस्तार मकया।
● ििातिकार का तिस्तार (Extension of Franchise) : लगभग 10% जनसाँ ख्या क मतदान का अमिकार
ममला।
● ििंघीय न्यायालय (Federal court) : एक सोंघीय अदालत की स्थापना के मलए प्राविान मकया गया था मजसे
1937 में स्थामपत मकया गया था।
● भारिीय ररजिय बैंक (Reserve Bank of India) : दे श की मुद्रा और साख क मनयोंमत्रत करने के मलए एक
भारतीय ररजवष बैंक की स्थापना का प्राविान मकया गया।
● ल क िेिा आय ग का िृजि (Created Public service commissions) : सोंघीय ल क सेवा आय ग
(FPSC) और प्राों तीय ल क सेवा आय ग एवों द या अमिक राज्य ों के मलए सों युि ल क सेवा आय ग का सृ जन
मकया गया।
अतितियि का िहत्व :
भारत शासन अमिमनयम का उद्दे श्य मिमिश भारतीय प्राों त ों में पूरी तरह से उत्तरदायी सरकार लाना था।
अमिमनयम के प्राविान ों के अनुसार 1937 में सभी प्राों त ों में पहली बार बडे पै माने पर चुनाव भी आय मजत मकए
गए थे। अमिमनयम द्वारा अनुशोंमसत सोंघ अक्तस्तत्व में नहीों आया क् मों क इसे ररयासत ों द्वारा स्वीकार नहीों मकया
गया था। हालााँ मक, सोंमविान में कई प्राविान इस अमिमनयम से मलए गए हैं । इस प्रकार, यह मनष्कर्ष मनकाला जा
सकता है मक इस अमिमनयम ने भारत क सों सदीय ल कतोंत्र के मागष पर लाने में मदद की।
अतितियि के प्राििाि :
● तित श शािि का अिंि (End of British rule) : इसने भारत में मिमिश सत्ता क समाप्त कर मदया और
15 अगस्त, 1947 क भारत क एक स्वतोंत्र और सोंप्रभु राज्य (independent and sovereign state)
घ मर्त कर मदया।
● भारि का तिभाजि (Partition of India) : इसमें भारत के मवभाजन का प्राविान मकया गया, और द
अमिराज्य (dominions)- भारत और पामकस्तान, राष्टरमोंिल (Commonwealth) से अलग ह ने के
अमिकार के साथ बनाए गए थे।
● कैतबिे तिशि (Cabinet Mission) : कैमबनेि ममशन य जना के अनु सार नवोंबर 1946 में सोंमविान सभा
का गठन मकया गया था।
● तििायी तिकाय (Legislative body) : एक मविायी मनकाय के रूप में, इसने द अलग-अलग कायष मकए:
1) सोंमविान तैयार करना और 2) स्वतोंत्र भारत के मलए सामान्य कानू न बनाना।
● स्वििंत्र भारि की पहली ििंिद (1st Parliament of free India) : सोंमविान सभा स्वतोंत्र भारत की पहली
सोंसद बनी। सों वैिामनक कायों क करने के मलए राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में और मविायी कायों क करने
के मलए जी.वी. मावलोंकर की अध्यक्षता में।
● अिंतिि िदस्य ििंख्या (Final strength) : दे श के मवभाजन के बाद, पामकस्तान ि मममनयन से सोंबद्ध
मुक्तिम लीग के सदस्य ों ने भारत के मलए सोंमविान सभा से अपना नाम वापस ले मलया। इस प्रकार,
मविानसभा की अोंमतम सों ख्या 389 (मूल रूप से कैमबने ि ममशन य जना के तहत मनिाष ररत) से घिकर 299
रह गई।
छ ी ितितियााँ
● सोंमविान सभा के कायों पर समममत की अध्यक्षता जी.वी. मावलोंकर
● कायष सोंचालन समममत की अध्यक्षता िॉ. के.एम. मुों शी
● सदन समममत की अध्यक्षता बी पट्टामभ सीतारमैय्या
● िॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में राष्टरीय ध्वज पर तदथष समममत
● जवाहरलाल ने हरू की अध्यक्षता में प्रारूप सोंमविान की जााँ च के मलए मवशेर् समममत
● अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर की अध्यक्षता में प्रत्यायक (Credentials) समममत
● िॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में मवत्त और कमषचारी (स्टाफ) समममत
● उर्ा नाथ सेन की अध्यक्षता में प्रेस दीघाष समममत
● 1947 के भारतीय स्वतोंत्रता अमिमनयम के प्रभाव की जााँ च करने के मलए समममत
● बी. पट्टामभ सीतारमैय्या की अध्यक्षता में मु ख्य आयु ि ों के प्राों त ों के मलये समममत
● भार्ाई प्राों त ों पर आय ग की अध्यक्षता एस.के. िर
● नमलनी रों जन सरकार की अध्यक्षता में मवत्तीय प्राविान ों पर मवशेर्ज्ञ समममत
● एस. वरदाचारी की अध्यक्षता में सवोच्च न्यायालय के मलये तदथष समममत
● एस वरदाचारी की अध्यक्षता में नागररकता पर तदथष समममत
सदस्य ों ने 24 जनवरी, 1950 क इस पर हस्ताक्षर मकए थे । 26 नवोंबर, 1949 क लागू हुए सोंमविान में एक
प्रस्तावना, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूमचयााँ थीों। प्रस्तावना शेर् सोंमविान मलखे जाने के बाद मलखी गई थी।
नागररकता, चुनाव, अनोंमतम सोंसद, अस्थायी और सोंिमणकालीन प्राविान ों से सोंबोंमित सोंमविान के कुछ
प्राविान और अनुच्छेद 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 379, 380, 388, 391, 392 और 393 में
मनमहत लघु शीर्षक 26 नवोंबर, 1949 क ही लागू हुआ।