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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

ऐतिहातिक पृष्ठभूति

बक्सर के युद्ध में जीत के बाद ममले 'मदवानी अमिकार 'ों के नाम पर 1765 से भारतीय मामल ों में अोंग्रेज ों का
हस्तक्षे प शुरू ह गया था। इस लडाई के बाद, एक शीर्ष व्यापारी ह ने के कारण ईस्ट इों मिया कोंपनी एक
प्रशासमनक मनकाय बन गई। मिमिश सरकार ने शुरू में ईस्ट इों मिया कोंपनी क मवमनयममत करने और बाद में
भारत के शासन के मलए मवमभन्न अमिमनयम पाररत मकए। हालााँ मक, इनमें से क ई भी मुख्य रूप से भारतीय
अपेक्षाओों क पूरा नहीों करता था क् मों क वे एक मवदे शी शक्ति द्वारा लाए गए थे और उनका अोंमतम उद्दे श्य अपने
स्वयों के महत ों क पूरा करना था। 1773 से 1858 तक कोंपनी के शासन के बाद मिमिश ताज (crown) का सीिा
शासन 1947 तक चला। इन अमिमनयम ों के माध्यम से अोंग्रेज ों द्वारा मवमभन्न सोंवैिामनक और प्रशासमनक पररवतषन
मकए गए। यद्यमप उन्हें मिमिश साम्राज्यवादी मवचारिारा क प मर्त करने के उद्दे श्य से लाया गया था, वे अोंततः
भारतीय राजनीमतक और प्रशासमनक व्यवस्था में ल कतोंत्र तथा आिुमनक राज्य के मवमभन्न तत्त् ों के समावेश में
सहय गी हुए।

1773 का रे गुलेत िं ग एक्ट (REGULATING ACT OF 1773)


पृष्ठभूति :
अतितियि तिम्नतलखिि कारण िं िे पाररि तकया गया था:
● तित्तीय ििंक (Financial Distress) : ईस्ट इों मिया कोंपनी घ र मवत्तीय सोंकि में थी। कोंपनी मिमिश साम्राज्य
के मलए महत्त्पूणष थी क् मों क यह भारत और पूवष में एक एकामिकार युि व्यापाररक कोंपनी थी। कई
प्रभावशाली व्यक्ति इसके शेयरिारक थे । कोंपनी ने अपना एकामिकार बनाए रखने के मलए सरकार क
सालाना 40,000 पाउों ि का भुगतान मकया लेमकन वह 1768 से अपनी प्रमतबद्धताओों क पूरा करने में
असमथष थी। 1772 में कोंपनी ने मिमिश सरकार से 1 मममलयन पाउों ि का ऋण मााँ गा था। इस प्रकार, मिमिश
सरकार ने कोंपनी के मामल ों क मवमनयममत करने के मलए कदम उठाने का मनणषय मलया।
● अकुशल द्वै ि शािि (Inefficient Dual System) : बक्सर के युद्ध (1764) में अोंग्रेज ों की जीत के बाद
रॉबिष क्लाइव द्वारा बोंगाल में द्वै ि शासन की शुरुआत की गई थी। द्वै ि व्यवस्था में बोंगाल के नवाब के पास
मनजामत अथाष त् न्यामयक और राजनीमतक अमिकार थे तथा कोंपनी के पास दीवानी अथाष त् राजस्व अमिकार
थे। लेमकन न त नवाब और न ही कोंपनी के अमिकारी प्रशासन में समिय रुमच ले रहे थे। नतीजतन, मकसान ों
और आम जनता क नुकसान उठाना पडा क् मों क उनके कल्याण की उपेक्षा की गई।
● िराब प्रशािि (Poor administration) : कोंपनी के अमिकाररय ों पर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के
आर प लगे। खराब प्रशासन 1770 में बों गाल में पडे भीर्ण अकाल (Great Bengal famine) के प्रमु ख
कारण ों में से एक था। इस दौरान बोंगाल में व्यापक जनहामन हुई लेमकन कोंपनी ने ल ग ों क राहत प्रदान
करने के मलए क ई साथषक प्रयास नहीों मकया, जैसे- करािान में कमी आमद।
● िैिूर के तिरुद्ध पराजय (Defeat against Mysore) : प्रथम आों ग्ल-मै सूर युद्ध में है दर अली ने कोंपनी की
सेना क परामजत मकया था।

अतितियि (एक्ट) के प्राििाि:


● पदिाि (Designation) : बों गाल के गवनषर के पद क बों गाल के गवनषर जनरल के रूप में प्रमतस्थामपत कर
मदया गया। वारे न हे क्तस्टोंग्स क बोंगाल का प्रथम गवनष र जनरल मनयु ि मकया गया।
● काययकारी पररषद् (Executive Council) : बोंगाल के गवनषर जनरल के कायष में उनकी सहायता के मलए
एक चार सदस्यीय कायषकारी पररर्द् का गठन मकया गया।
● केंद्रीकरण (Centralisation) : बोंबई और मद्रास के गवनषर ों क बोंगाल के गवनषर-जनरल के अिीन कर
मदया गया। इसके साथ ही बोंबई और मद्रास के गवनष र की स्वायत्तता कम कर दी गई।
● ििोच्च न्यायालय (Supreme court) : कलकत्ता में एक सवोच्च न्यायालय की स्थापना की गई मजसमें एक
मुख्य न्यायािीश और तीन अन्य न्यायािीश शाममल थे।
● तिजी व्यापार पर प्रतिबिंि (Restriction on private trade) : अमिमनयम ने कोंपनी के अमिकाररय ों क
मनजी वामणज्य में शाममल ह ने या स्थानीय आबादी से ररश्वत और उपहार प्राप्त करने से र क मदया।

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● ईस्ट इिं तिया किंपिी की जिाबदे ही (Accountability of EIC) : इसने अमनवायष मकया मक कोंपनी का शासी
मनकाय (governing body) मनदे शक मोंिल या सोंचालक मोंिल (Court of Directors), राजस्व, नागररक
और सै न्य मामल ों समहत अपने सभी मामल ों क मिमिश सरकार के सामने प्रकि करे अथाष त् जानकारी दें ।

अतितियि (एक्ट) का िहत्त्व:


● किंपिी के िािल िं का तितियिि (Regulation of company affairs) : ईस्ट इों मिया कोंपनी के मामल ों
क मवमनयममत और मनयोंमत्रत करने के मलए मिमिश सोंसद द्वारा उठाया गया यह पहला कदम था।
● केंद्रीकृि प्रशािि (Centralised administration) : इसने बोंबई और मद्रास प्रेसीिें सी के गवनषर ों क
बोंगाल के गवनष र-जनरल के अिीन करके भारत में केंद्रीकृत प्रशासन की नीोंव रखी।
● आतिकाररक िान्यिा (Official recognition) : पहली बार भारत में कोंपनी के राजनीमतक और
प्रशासमनक कायों क आमिकाररक रूप से मान्यता दी गई।

अतितियि (एक्ट) िे ििंबिंतिि िुद्दे:


● क ई िी शखि िही िं (No veto power) : कायषकारी पररर्द् में गवनषर जनरल के पास क ई वीि शक्ति
नहीों थी।
● अपररभातषि (अस्पष्ट) शखियााँ (ill – defined powers) : सवोच्च न्यायालय की शक्तियााँ अच्छी तरह से
पररभामर्त नहीों थीों।
● ििन्वय की किी (Lack of coordination) : मद्रास और बोंबई के गवनषर ों ने बों गाल के गवनषर जनरल के
आदे श ों का पालन करने से स्वयों क र क मलया, मजसका सबसे बडा उदाहरण प्रथम आों ग्ल-मराठा यु द्ध
(1775-82) था।
● तिष्प्रभािी तियिंत्रण (Turned out to be ineffective) : कायषकारी पररर्द् में गवनषर-जनरल द्वारा भेजी
गई ररप िों का अध्ययन करने के मलए क ई तोंत्र नहीों था। इस प्रकार, कोंपनी की गमतमवमिय ों में मजस सों सदीय
मनयोंत्रण की मााँ ग की गई थी, वह मनष्प्रभावी सामबत हुआ। यह अमिमनयम कोंपनी के अमिकाररय ों के बीच
भ्रष्टाचार क र कने में भी असमथष रहा।

1781 का ििंश िि अतितियि (AMENDING ACT OF 1781)


पृष्ठभूति:
● इस अमिमनयम क 1773 के रे गुलेमिों ग एक्ट के द र् ों क दू र करने के मलए 5 जु लाई, 1781 क मिमिश
सोंसद द्वारा पाररत मकया गया था। इसे 1781 के समािान/समझौते का अमिमनयम (Act of
Settlement,1781) के रूप में भी जाना जाता है । रे गुलेमिों ग एक्ट द्वारा उत्पन्न सबसे बडी समस्या सवोच्च
न्यायालय और गवनष र जनरल की पररर्द् के बीच का मववाद था। इस मववाद क समाप्त करने के मलए, इस
अमिमनयम ने सवोच्च न्यायालय और गवनष र जनरल की पररर्द् के बीच सोंबोंि ों क सीमााँ मकत मकया। गवनषर
जनरल की पररर्द् के पक्ष में सवोच्च न्यायालय की कई शक्तिय ों क कम कर मदया गया।

अतितियि के प्राििाि:
अमिमनयम के कई प्राविान ों ने छूि प्रदान कर न्यायालय के क्षेत्रामिकार क सीममत करके सवोच्च न्यायालय की
शक्ति क कम कर मदया गया:
● आतिकाररक कायय (Official function) : गवनषर जनरल, इसकी पररर्द् और कोंपनी के कमषचाररय ों द्वारा
उनकी आमिकाररक क्षमता में मकए गए कायों क सवोच्च न्यायालय के क्षे त्रामिकार से मु ि कर मदया गया।
● राजस्व ििंबिंिी िािले (Revenue matters) : राजस्व से जुडे सभी मामल ों क भी सवोच्च न्यायालय के
क्षेत्रामिकार से बाहर कर मदया गया।
● अपीलीय क्षेत्रातिकार (Appellate Jurisdiction) : न्यायालय के अपीलीय क्षेत्रामिकार में भी किौती की
गई। प्राों तीय न्यायालय ों (Provincial Courts) से अपील गवनषर-जनरल की पररर्द् (Governor-General-
in-Council) में की जा सकती थी न मक सवोच्च न्यायालय में।
● तितियि (Regulations) : इस अमिमनयम ने गवनषर-जनरल की पररर्द् क प्राों तीय न्यायालय ों और पररर्द ों
के मलए मवमनयम बनाने का अमिकार मदया।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

● पररभातषि भौग तलक क्षेत्रातिकार (Defined Geographical Jurisdiction) : न्यायालय का भौग मलक
क्षेत्रामिकार कलकत्ता के सभी मनवामसय ों पर लागू था। महों दुओों पर महों दू कानून के अनु सार और मुसलमान ों
पर मुक्तिम कानून के अनुसार वाद या मामलें तय मकया जाना था।

अतितियि का िहत्व:
1781 का सोंश िन अमिमनयम न्यायपामलका से सोंबोंमित क्षेत्र ों क पररभामर्त करके कायषपामलका (executive)
क न्यायपामलका (judiciary) से अलग करने की मदशा में भारत में पहला प्रयास था।

1784 का तप ् ि इिं तिया एक्ट (PITT'S INDIA ACT OF 1784)


पृष्ठभूति:
1773 के रे गुलेमिों ग एक्ट की कममय ों क दू र करने के मलए मिमिश सोंसद द्वारा यह अमिमनयम पाररत मकया गया।
इस अमिमनयम का उद्दे श्य भारत में ईस्ट इों मिया कोंपनी के शासन क मिमिश सरकार के मनयोंत्रण में लाना था।
इस अमिमनयम के पररणामस्वरूप मिमिश सरकार और कोंपनी द्वारा भारत में मिमिश सों पमत्त पर द हरा मनयोंत्रण
मकया गया। हालााँ मक, अोंमतम प्रामिकार मिमिश सरकार के पास था।

अतितियि (एक्ट) के प्राििाि:


● शािि की द हरी (द्वै ि) प्रणाली (Double Government) : इसने भारत में द्वै ि शासन की शुरुआत की।
राजनीमतक मामल ों के प्रबोंिन के मलए एक मनयोंत्रण ब िष (Board of Control) बनाया गया और कोंपनी के
वामणक्तज्यक मामल ों के प्रबोंिन का दामयत्व मनदे शक मोंिल या सोंचालक मोंिल (Court of directors) क
सौोंपा गया था।
● प्रतितितित्व (Representation) : इस प्रणाली में मिमिश सरकार का प्रमतमनमित्व मनयों त्रण ब िष (ब िष ऑफ़
कन्ट्र ल) द्वारा मकया जाता था और कोंपनी का प्रमतमनमित्व मनदे शक मों िल (क िष ऑफ िायरे क्टसष) द्वारा
मकया जाता था। इस तरह भारत में एक तरफ कोंपनी का शासन त दू सरी तरफ मिमिश सरकार का
अप्रत्यक्ष शासन प्रारों भ हुआ।
● ििंरचिा या ििंघ ि िें पररिियि (Change in composition) : गवनष र-जनरल की पररर्द् में सदस्य ों की
सोंख्या क 4 से घिाकर 3 कर मदया गया। इन तीन में से एक स्थान भारत में मिमिश ताज की सेना के प्रिान
सेनापमत (Commander-in-Chief) क दे मदया गया।
● ििंपतत्त का िुलािा (Disclosure of Property) : सभी मसमवल और सै न्य अमिकाररय ों के मलए यह
अमनवायष कर मदया गया था मक वे सेवा में शाममल ह ने के द महीने के भीतर भारत और मििे न में अपनी
सोंपमत्त का खुलासा करें ।

अतितियि का िहत्व:
● कायों का िीिााँकि (Demarcation of Functions) : इस अमिमनयम ने ईस्ट इों मिया कोंपनी की
वामणक्तज्यक और राजनीमतक गमतमवमिय ों के बीच मवभेद मकया।
● तित श आतिपत्य (British possessions) : भारत में कोंपनी के क्षे त्र ों क पहली बार 'भारत में मिमिश
आमिपत्य का क्षेत्र' कहा गया।
● प्रत्यक्ष तियिंत्रण (Direct control) : मिमिश सरकार क भारतीय प्रशासन पर सीिा मनयोंत्रण मदया गया था।
इस प्रकार, कोंपनी मिमिश सरकार के अिीन ह गई।
● तित श िाज का अतिकार (Crown’s Authority) : मिमिश ताज का अमिकार उसके भारतीय क्षेत्र ों के
नागररक और सैन्य प्रशासन में स्थामपत मकया गया था। हालााँ मक, वामणक्तज्यक गमतमवमिय ों पर अभी भी कोंपनी
का एकामिकार था।
रे गुलेमिों ग एक्ट की कममय ों क दू र करने के मलए कई बदलाव लाने के बावजूद मपि् स इों मिया एक्ट की
अपनी कई कममयााँ भी थीों:
● स्पष्टिा का अभाि (Lack of clarity) : सरकारी मनयोंत्रण और कोंपनी की शक्तिय ों के बीच अोंतर स्पष्ट नहीों
था। साथ ही मनयोंत्रण ब िष (ब िष ऑफ कोंिर ल) और मिमिश ताज की मजम्मेदारी के बीच की सीमा स्पष्ट नहीों
थी।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

● द हरी जिाबदे ही (Dual accountability) : गवनष र-जनरल क ईस्ट इों मिया कोंपनी और मिमिश ताज द न ों
के मलये कायष करना था, यह ढााँ चा (सेि-अप) मवफलता-उन्मुखी था।

1786 का चा य र अतितियि (CHARTER ACT OF 1786)


पृष्ठभूति:
लॉिष कानषवामलस क गवनषर-जनरल के रूप में मनयु ि करने के मलए उसकी मााँ ग ों क पूरा करने हे तु यह
अमिमनयम पाररत मकया गया था।
अतितियि के प्राििाि -
● गिियर-जिरल का िशिीकरण (Empowerment of Governor–General) : इस अमिमनयम ने
गवनषर-जनरल क गवनष र-जनरल और प्रिान सेनापमत (कमाों िर-इन-चीफ) द न ों की शक्तिय ों के साथ
सशि बनाया। अथाष त् गवनष र-जनरल कमाों िर-इन-चीफ भी ह ग ों े।
● अिािारण शखि (Exceptional Power) : लॉिष कानषवामलस क मवशेर् मामल ों में पररर्द् के मनणषय क
रद्द करने की शक्ति दी गई। बाद में, यह शक्ति सभी गवनष र जनरल ों तक मवस्ताररत कर दी गई।

1793 का चा य र अतितियि (CHARTER ACT OF 1793)


पृष्ठभूति:
यह ईस्ट इों मिया कोंपनी के चािष र क नवीनीकृत करने के मलए मिमिश सोंसद द्वारा पाररत मकया गया था। इस
अमिमनयम ने अगले 20 वर्ों के मलए भारत के साथ व्यापार एकामिकार हे तु कोंपनी क अमिकृत मकया।

अतितियि के प्राििाि
● तिस्ताररि एकातिकार (Extended Monopoly) : भारत में कोंपनी का व्यापार एकामिकार अगले 20 वर्ों
के मलए बढा मदया गया।
● अतिभािी शखि (Overriding power) : लॉिष कानषवामलस क उनकी पररर्द् पर दी गई अमिभावी
शक्ति क भमवष्य के सभी गवनषर-जनरल और प्रेसीिें सी के गवनषर ों तक मवस्ताररत मकया गया।
● ित्ता का केंद्रीकरण (Centralisation of power) : अमिमनयम ने गवनषर-जनरल क मद्रास और बों बई के
अिीनस्थ प्रेसीिें सी पर व्यापक शक्तियााँ प्रदान की।
● अतििायय अिुि दि (Mandatory approval) : गवनष र-जनरल, गवनषर ों और कमाों िर-इन-चीफ की
मनयुक्ति के मलए शाही अनुम दन अमनवायष था।
● ईस्ट इिं तिया किंपिी की तित्तीय तजम्मेदारी (Financial responsibility of EIC) : कोंपनी क अब भारतीय
राजस्व से कमष चाररय ों और मनयोंत्रण ब िष के भुगतान के मलए मजम्मेदार बनाया गया, साथ ही, कोंपनी क प्रमत
वर्ष मिमिश सरकार क भारतीय राजस्व से 5 लाख रुपये का भुगतान करना था।
● कायों का पृथक्करण (Separation of Functions) : अमिमनयम ने कोंपनी के कायों क राजस्व प्रशासन
और न्यामयक कायों में मवभामजत कर मदया। इस प्रकार, माल अदालतें (राजस्व अदालतें) समाप्त ह गईों।

1813 का चा य र अतितियि (CHARTER ACT OF 1813)


पृष्ठभूति:
यूर प में नेप मलयन ब नापािष की महाद्वीपीय व्यवस्था (Continental System) ने मिमिश व्यापाररय ों और वमणक ों
के मलए कमठन चुनौती उत्पन्न कर दी थी। महाद्वीपीय व्यवस्था के तहत यू र प के फ्ाों सीसी सहय मगय ों में मिमिश
माल के आयात पर र क लगा दी गयी। पररणामस्वरूप मिमिश व्यापाररय ों द्वारा एमशया में मिमिश व्यापार में
महस्सा मदए जाने और ईस्ट इों मिया कोंपनी के एकामिकार क समाप्त करने की मााँ ग की जाने लगी। लेमकन ईस्ट
इों मिया कोंपनी इसका मवर ि कर रही थी। अोंत में, 1813 के चािष र अमिमनयम ने मिमिश व्यापाररय ों क भारत में
व्यापार करने की अनु ममत दी। लेमकन चीन के साथ व्यापार और चाय के व्यापार में, कोंपनी ने अभी भी अपना
एकामिकार बरकरार रखा। इसके अमतररि, अमिमनयम ने कोंपनी के चािष र क अगले 20 वर्ों के मलए
नवीनीकृत भी मकया और अपने शासन के साथ जारी रखा।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

अतितियि के प्राििाि:
● आिं तशक व्यापार एकातिकार (Partial Trade Monopoly) : इसने चाय के व्यापार और चीन के साथ
व्यापार क छ डकर कोंपनी के व्यापाररक एकामिकार क समाप्त कर मदया।
● ििंप्रभुिा (Sovereignty) : इसने भारत में मिमिश सोंपमत्त पर ताज की सों प्रभुता पर ज र मदया।
● िातियक गतितितियााँ (Religious Activities) : इसने ईसाई ममशनररय ों क भारत आने और िमाष तरण ाँ में
सोंलग्न ह ने की अनुममत दी।
● स्थािीय िरकार क िशि बिािा (Empowering local government) : इसने स्थानीय सरकार ों क
ल ग ों पर कर लगाने का अमिकार मदया, मजसमें कर ों का भुगतान न करने की क्तस्थमत में ल ग ों क दों मित
करना भी शाममल है ।
● तशक्षा (Education) : भारतीय ों की मशक्षा के मलए 1 लाख रुपये की रामश दी गई।

िहत्त्व:
इमतहासकार गौरी मवश्वनाथन ने अपनी पु स्तक "मास्क्स ऑफ कॉन्क्वेस्ट" (Masks of conquest) में द प्रमु ख
पररवतषन ों की पहचान की है ज मििे न और भारत के बीच सोंबोंि ों में इस अमिमनयम के पररणाम के रूप में आए:
पहला, अोंग्रेज ों द्वारा भारतीय ल ग ों की मशक्षा के मलए एक नई मजम्मेदारी ग्रहण करना; और, दू सरा, ममशनरी
गमतमवमि पर मनयोंत्रण में छूि। नई शैमक्षक मजम्मेदाररय ों के मलए इस प्र त्साहन का श्रे य मिमिश सोंसद क मदया
जाता है ।

1833 का चा य र अतितियि (CHARTER ACT OF 1833)


पृष्ठभूति :
अगले 20 वर्ों के मलए ईस्ट इों मिया कोंपनी (EIC) के चािष र क नवीनीकृत करने के मलए मिमिश सोंसद द्वारा यह
अमिमनयम पाररत मकया गया। 1833 के अमिमनयम क बाद में सेंि हे लेना अमिमनयम, 1833 के रूप में पुनः
नाममत मकया गया। इसने कोंपनी क उसके वामणक्तज्यक मवशेर्ामिकार ों (commercial privileges) से वोंमचत कर
मदया और मिमिश भारत के शासन के पु नगषठन के मलए भी कदम उठाए गए।

अतितियि के प्राििाि:
● प्रशाितिक तिकाय (Administrative body) : अब ईस्ट इों मिया कोंपनी मवशुद्ध रूप से एक प्रशासमनक
मनकाय बन गया। अमिमनयम ने प्राविान मकया मक भारत में कोंपनी के क्षे त्र मिमिश ताज की ओर से प्रशामसत
मकए जाएाँ गे ।
● पदिाि (Designation) : इसने बोंगाल के गवनषर जनरल क मिमिश भारत का गवनषर जनरल बना मदया।
सभी मवत्तीय, प्रशासमनक और सै न्य शक्तियााँ गवनषर जनरल की पररर्द् के हाथ ों में केंद्रीकृत कर दी गई।
लॉिष मवमलयम बेंमिक "मिमिश भारत के प्रथम गवनष र जनरल" बने।
● केंद्रीकरण (Centralisation) : इसने बोंबई और मद्रास के गवनषर ों क उनकी मविायी शक्तिय ों से वोंमचत
कर मदया। भारत के गवनष र-जनरल क सों पूणष मिमिश भारत के मलए मवशेर् मविायी शक्तियााँ प्रदान की गई।
● तिति आय ग (Law Commission) : इसने कानून ों के सोंमहताकरण के मलए एक भारतीय मवमि आय ग की
स्थापना का प्राविान मकया। लािष मैकाले क मवमि आय ग का अध्यक्ष बनाया गया।
● िुली प्रतिय तगिा (Open Competition) : इसने मसमवल सेवक ों के चयन के मलए खुली प्रमतय मगता
(भारतीय ों समहत) की एक प्रणाली शुरू करने का प्रयास मकया लेमकन क िष ऑफ िायरे क्टसष (मनदे शक
मोंिल या सोंचालक मोंिल) के मवर ि के कारण इसे लागू नहीों मकया जा सका।
● तििाि का अतिकार (Resident rights) : इसने अोंग्रेज ों क भारत में स्वतोंत्र रूप से बसने की अनुममत
दी।

अतितियि का िहत्व:
● केंद्रीकरण का उच्चिि स्तर (Peak of Centralization): भारत के गवनषर-जनरल के रूप में बोंगाल के
गवनषर जनरल की पद न्नमत के बाद भारतीय प्रशासन का केंद्रीकरण अपने चरम पर पहुाँ च गया।
● िाज का र स्टी (Trustee of crown) : प्रशासन के क्षेत्र में ईस्ट इों मिया कोंपनी क मिमिश ताज का िर स्टी
बनाया गया।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

● पहला तिति आय ग (1st Law commission) : भारत का पहला मवमि आय ग गमठत मकया गया ज
भारतीय दों ि सोंमहता (Indian Penal Code- IPC) का मसौदा तैयार करने के मलए मजम्मेदार था मजसे बाद
में 1860 में अमिमनयममत (लागू) मकया गया था।

1853 का चा य र अतितियि (CHARTER ACT OF 1853)


पृष्ठभूति:
यह अमिमनयम मुख्य रूप से ईस्ट इों मिया कोंपनी के 1833 के चािष र क नवीनीकृत करने के मलए पाररत मकया
गया था। इसके द्वारा भारत के गवनषर-जनरल क बोंगाल का गवनषर बने रहने के सों दभष में मचोंता प्रकि की गईों
क् मों क इससे बोंगाल के पक्ष में मनणषय मलए जाने की सों भावना थी। सत्ता के मवकेंद्रीकरण और भारतीय ों क
प्रशासन में शाममल करने का भी आह्वान मकया गया।

अतितियि के प्राििाि:
● क ई तितशष्ट ििय अिति िही िं (No specific time period) : इस अमिमनयम ने कोंपनी के शासन क
बढाया और उसे मिमिश ताज के मवश्वास के तहत भारतीय क्षेत्र ों पर मनयों त्रण बनाए रखने की अनु ममत दी।
लेमकन मपछले चािष सष के मवपरीत, इसमें क ई मवशेर् अवमि मनमदष ष्ट नहीों की गई थी।
● कायों का पृथक्करण (Separation of functions) : पहली बार गवनषर-जनरल की पररर्द् के मविायी
और कायषकारी कायों क पृथक् मकया गया।
● तििाि पररषद् का तिस्तार (Expansion of Legislative council) : एक अलग भारतीय (केंद्रीय) मविान
पररर्द् का गठन मकया गया मजसमें मविान पार्षद के रूप में 6 नए सदस्य शाममल मकये गए।
● काययकारी पररषद् का तिस्तार (Expansion of executive council) : मवमि सदस्य क गवनष र जनरल की
कायषकारी पररर्द् के पूणष सदस्य के रूप में पद न्नत मकया गया।
● िुली प्रतिय तगिा (Open competition) : सरकार क कानून मनमाष ण और उसे लागू करने में मदद करने
के मलए अच्छे मसमवल सेवक ों की आवश्यकता थी। इसमलए, इसने भारतीय ों समहत मसमवल सेवक ों के चयन
और भती की एक खुली प्रमतय मगता प्रणाली की शुरुआत की।
● स्थािीय प्रतितितित्व (Local Representation) : पहली बार बोंगाल, बोंबई, मद्रास और उत्तर पमिमी प्राों त ों
की स्थानीय सरकार ों से चार सदस्य ों के रूप में केन्द्रीय मविान पररर्द् में स्थानीय प्रमतमनमित्व की शुरुआत
की गई थीों।

अतितियि का िहत्व:
● ििंिदीय िरकार की िी िंि (Foundation of Parliamentary Government) : गवनषर-जनरल की पररर्द्
के मविायी शाखा ने मिमिश सोंसद के मॉिल पर कायष मकया। इस प्रकार, इस अमिमनयम ने सरकार के
आिुमनक सोंसदीय स्वरूप की नीोंव रखी।
● किंपिी के शािि का किज र ह िा (Weakened Company rule) : मपछले चािष र अमिमनयम ों के
मवपरीत, इस अमिमनयम ने कोंपनी के शासन क अमनमित काल के मलए बढा मदया। इस प्रकार, यह मकसी
भी समय मिमिश सरकार द्वारा अमिग्रमहत मकया जा सकता था। साथ ही, मनदे शक मोंिल (Board of
Directors) में अब 6 सदस्य मिमिश ताज द्वारा नाममत थे । इस प्रकार, इस अमिमनयम से कोंपनी का प्रभाव
और कम ह गया।
● भारिीय तितिल िेिाओिं का जन्म (Birth of Indian civil services) : इस अमिमनयम से भारतीय मसमवल
सेवाओों की शुरुआत हुई ज भारतीय ों समहत सभी के मलए खुली थी। इस प्रकार, मसफाररश द्वारा मनयुक्तिय ों
की प्रणाली क समाप्त कर मदया गया और खुली और मनष्पक्ष प्रमतय मगता की एक नई प्रणाली शुरू की गई।
● स्थािीय प्रतितितित्व (Local representation) : पहली बार केन्द्रीय मविान पररर्द् (legislative
council) में स्थानीय प्रमतमनमित्व की शुरुआत की गई।
● भारिीय िं क शातिल करिा (Inclusion of Indians) : यह भारतीय ों क प्रशासन और कानू न बनाने में
शाममल करने की मदशा में पहला कदम था।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

भारि शािि अतितियि, 1858 (GOVERNMENT OF INDIA ACT, 1858)


पृष्ठभूति :
इसे भारत के शासन में सुिार करने वाले अमिमनयम के रूप में भी जाना जाता है । यह अमिमनयम सरकार,
प्रशासन, राजस्व और क्षेत्र ों की शक्तिय ों क मिमिश ताज में स्थानाों तररत करने के मलए अमिमनयममत मकया गया
था। अमिमनयम का उद्दे श्य ईस्ट इों मिया कोंपनी क भों ग (समाप्त) करना था, मजसकी नीमतय ों क 1857 के
भारतीय मवद्र ह के मलए द र्ी ठहराया गया था।
अतितियि के प्राििाि :
भारिीय क्षेत्र िं का शािि:
इस अमिमनयम ने ईस्ट इों मिया कोंपनी क भों ग कर मदया और प्रशासन क सीिे मिमिश ताज के अिीन कर मदया
गया।
● भारतीय क्षेत्र ों क मिमिश महारानी (साम्राज्ञी) के नाम पर शामसत मकया जाना था।
● अमिमनयम ने मनदे शक मोंिल/सोंचालक मों िल (Court of Directors) और मनयोंत्रण ब िष (Board of
control) क समाप्त कर मदया।
● अमिमनयम ने मपि् स इों मिया अमिमनयम द्वारा शुरू की गई द्वै ि शासन की व्यवस्था क समाप्त कर मदया।
● व्यपगत का मसद्धान्त या हडप नीमत (Doctrine of Lapse) जैसी नीमतय ों क समाप्त कर मदया गया।
● भारतीय राजकुमार ों और प्रमुख ों के पास एक स्वतोंत्र क्तस्थमत ह गी बशते वे मिमिश आमिपत्य (British
suzerainty) क स्वीकार करें ।

भारि का राज्य ितचि (Secretary of state) :


● िए पद का िृजि (New office created) : मनदे शक मोंिल और मनयोंत्रण ब िष क खत्म कर मदया गया
और "भारत के राज्य समचव" (Secretary of State for India- SOS) नामक एक नया पद बनाया गया।
● िलाहकार पररषद् (Advisory council) : राज्य के समचव का सहय ग करने के मलए अमिमनयम द्वारा एक
15 सदस्यीय पररर्द् (भारत पररर्द् ) की स्थापना की गई, लेमकन यह पररर्द् एक सलाहकारी मनकाय थी।
● पदिाि (Designation) : अमिमनयम ने भारत के गवनषर-जनरल के पदनाम क बदलकर भारत का
वायसराय कर मदया गया। उन्हें एक कायषकारी पररर्द् (Executive Council) द्वारा सहायता प्रदान की जानी
थी। लािष कैमनोंग मिमिश भारत के प्रथम वायसराय बने।
● भारि ितचि (भारि के राज्य ितचि) की शखियााँ (Powers of Secretary of State) : इसका भारतीय
प्रशासन पर पू णष मनयोंत्रण और अमिकार था। यह राज्य समचव मिमिश कैमबनेि का सदस्य ह ता था ज अोंततः
मिमिश सोंसद के प्रमत उत्तरदायी था। वह मििे न में मिमिश सरकार और भारतीय प्रशासन के बीच सों चार का
माध्यम भी था।

अतितियि का िहत्व :
● प्रत्यक्ष शािि (Direct rule) : इस अमिमनयम ने भारत क एक प्रत्यक्ष मिमिश उपमनवेश (British colony)
बना मदया।
● प्रशाितिक िशीिरी पर ध्याि केंतद्रि (Focused on administrative machinery) : भारत शासन
अमिमनयम, 1858 द्वारा मकए गए अमिकाों श कायष इों ग्लैंि में प्रशासमनक तोंत्र में सुिार के मलए मकए गए थे।
इसका उद्दे श्य भारत सरकार क मनयोंत्रण में रखना था। हालााँ मक, भारत में प्रचमलत शासन प्रणाली में क ई
महत्त्पूणष पररवतषन नहीों लाया गया था।
● िया युग (New era) : इस अमिमनयम ने भारतीय इमतहास के एक नए दौर की शुरुआत की, मजससे भारत
में कोंपनी के शासन का अोंत हुआ। नए मिमिश राज का युग अगस्त 1947 में भारत के मवभाजन तक चला।
1853 के चािष र अमिमनयम में, भारतीय (केंद्रीय) मविान पररर्द् नामक एक नई मविान पररर्द् की शुरुआत की
गई। 1857 के स्वतों त्रता सोंग्राम के बाद, मिमिश सरकार ने स चा मक प्रशासन चलाने में भारतीय ों से सहायता
प्राप्त करना महत्वपूणष है । 1861, 1892 और 1909 में मिमिश सोंसद द्वारा इस ''सहय ग की नीमत'' (policy of
association) का पालन करने के मलए तीन अमिमनयम पाररत मकए गए। इन अमिमनयम ों क भारतीय पररर्द्
अमिमनयम (Indian Councils Act) के नाम से जाना जाता है ।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

भारिीय पररषद् अतितियि – 1861 (INDIAN COUNCILS ACT – 1861)


पृष्ठभूति :
1833 के चािष र एक्ट तक सत्ता का केंद्रीकरण अपने चरम त्कर्ष पर पहुाँ च गया। '1857 के मवद्र ह' के तुरोंत बाद,
मिमिश सोंसद ने 'भारत शासन अमिमनयम' 1858 पाररत मकया और सत्ता के मवकेंद्रीकरण की शुरुआत हुई। ताज
शासन (साम्राज्ञी/महारानी के अिीन) के तहत भारतीय भागीदारी के मबना भारत में सरकार स्थामपत करना
असोंभव था। इस हे तु अोंग्रेज ों क प्रशासन में भारतीय ों का सहय ग प्राप्त करना आवश्यक था। इस उद्दे श्य क
ध्यान में रखते हुए भारतीय पररर्द् अमिमनयम, 1861 क प्रस्तुत मकया गया।

अतितियि के प्राििाि :
● तिकेन्द्रीकरण (Decentralisation) : इस अमिमनयम से मवकेन्द्रीकरण की प्रमिया शु रू की गई। बों बई और
मद्रास प्रेसीिें सी क मफर से मविायी अमिकार (कानू नी हस्ताों तरण) मदए गए।
● प्रतितिति ििंस्थाि िं की शुरुआि (Introduced representative institutions) : भारतीय ों क कानून
बनाने की प्रमिया से ज डकर भारत में प्रमतमनमि सोंस्थान ों की शुरुआत की गई।
● गैर-िरकारी िदस्य (Non - official members) : इसने भारत के वायसराय क मवस्ताररत मविान
पररर्द् के गै र-सरकारी सदस्य ों के रूप में कुछ भारतीय ों क नाममत करने में सक्षम बनाया। 1862 में
वायसराय लॉिष कैमनोंग ने तीन भारतीय ों क अपनी मविान पररर्द् में रखा- बनारस के राजा, पमियाला के
महाराजा और सर मदनकर राव।
● िए तििायी तिकाय (New legislative bodies) : इसने बोंगाल, उत्तर-पमिमी सीमाों त प्राों त (NWFP) और
पोंजाब के मलए नए मविायी मनकाय ों के मनमाष ण का भी प्राविान मकया।
● अध्यादे श शखि (Ordinance power) : वायसराय क आपात क्तस्थमत के दौरान पररर्द् की सहममत के
मबना अध्यादे श जारी करने की शक्ति दी गई। ऐसा अध्यादे श छह महीन ों के बाद प्रभावहीन ह जाता था।
● प य फ तलय प्रणाली (तिभागीय प्रणाली) क िान्यिा (Recognised Portfolio system) : लॉिष कैमनोंग
द्वारा 1859 में शुरू की गई 'प िष फ मलय प्रणाली' क मान्यता दी गई। यह प्रणाली कुछ हद तक आिुमनक
समय की कैमबनेि प्रणाली के समान थी। कायषकारी पररर्द् के छह सदस्य ों ने कायष सोंचालन के मवमभन्न भाग ों
का प्रभार सों भाला।

अतितियि का िहत्व:
● प्रतितिति िूलक ििंस्थाि: इसने भारतीय ों क कानून बनाने की प्रमिया से ज डकर प्रमतमनमि मूलक
सोंस्थान ों की शुरुआत की।
● तिकेंद्रीकरण की शुरुआि: इसने कोंपनी के शासन के तहत केंद्रीकरण की नीमत क उलि मदया ज 1773
के मवमनयमन अमिमनयम द्वारा शुरू मकया गया और 1833 के चािष र अमिमनयम के तहत अपने चरम त्कर्ष
पर पहुाँ च गया था।

अतितियि की आल चिा:
इस अमिमनयम की मनम्नमलक्तखत कारण ों से ''िू थलेस िाइगर'' (दों तमवहीन बाघ) के रूप में आल चना की गई थी:
● िीतिि चचाय (Limited discussion) : सरकार की पूवष स्वीकृमत के मबना मविान पररर्द् में मकसी भी मवत्तीय
मामले पर चचाष नहीों की जा सकती थी।
● िीतिि दायरा/क्षेत्र (Limited scope) : बजि जैसे महत्त्पूणष मामले पररर्द् के मनयों त्रण से बाहर थे। साथ
ही, वे कायषपामलका के कायों पर चचाष करने में भी असमथष थे।
● िीतिि प्रतितितित्व (Limited representation) : गै र-अमिकारी या गैर-सरकारी सदस्य के रूप में
मनयुि भारतीय केवल अमभजात्य या कुलीन वगष के ल ग थे।
● िीतिि शखियााँ (Limited powers) : मविेयक क अोंमतम रूप से पाररत करने के मलए वायसराय की
स्वीकृमत आवश्यक थी। कानून क भारत के राज्य समचव द्वारा वीि मकया जा सकता था, भले ही इसे
वायसराय द्वारा स्वीकार कर मलया गया ह ।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

भारिीय पररषद् अतितियि – 1892 (INDIAN COUNCILS ACT – 1892)


पृष्ठभूति :
1861 के बाद दे श में सोंगमठत राजनीमतक गमतमवमिय ों में तेजी आई। पूना सावषजमनक सभा और मिमिश इों मियन
एस मसएशन जै से सोंगठन जनता के बीच राजनीमतक चेतना और राष्टरवाद की भावना क बढाने में समिय रूप से
लगे हुए थे। 1885 में, भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस का गठन ह चु का था, मजसने मविान पररर्द ों के सु िार ों और
पररर्द ों में सदस्य ों क मन नीत करने के बजाय मनवाष चन जैसी मााँ ग ों क प्रस्तुत मकया।

अतितियि के प्राििाि:
● गैर-िरकारी िदस्य िं की ििंख्या िें िृखद्ध (Increased non - official members) : केंद्रीय और प्राों तीय
मविान पररर्द ों के भारतीय (गैर-सरकारी) सदस्य ों की सोंख्या में वृक्तद्ध की गई। हालााँ मक, पररर्द् के
अमिकाों श सदस्य भारतीय नहीों थे।
● िशि तििाि पररषद् (Empowered legislative councils) : मविान पररर्द ों की भूममका का मवस्तार
मकया गया। इसने उन्हें बजि पर चचाष करने और कायषपामलका से प्रश्न पू छने की शक्ति प्रदान की। हालााँ मक,
वे बजि पर मतदान नहीों कर सकते थे एवों पूरक प्रश्न भी नहीों पूछ सकते थे।
● अिुशिंिा की शखि (Power of recommendation) : मजला ब िष , नगरपामलकाएाँ , मवश्वमवद्यालय,
जमीोंदार और व्यापार सोंघ की मसफाररश ों पर भारतीय ों क प्राों तीय पररर्द ों के गै र-सरकारी सदस्य के रूप
में मनयु ि मकया जा सकता था।
● चुिाि प्रतिया (Election process) : इस अमिमनयम ने केंद्रीय और प्राों तीय मविान पररर्द ों में कुछ गैर-
सरकारी सदस्य ों के मलए सीममत एवों पर क्ष रूप में चुनाव का प्राविान मकया। हालााँ मक, अमिमनयम में
"चुनाव" शब्द का उपय ग नहीों मकया गया था।

अतितियि का िहत्व :
एक बहुत ही सीममत अथष में इसने प्रमतमनमित्व के मसद्धाों त की शुरूआत की। इसके पररणामस्वरूप मविान
पररर्द ों में भारतीय ों की सोंख्या में वृक्तद्ध हुई। इसने ग पाल कृष्ण ग खले जैसे नेताओों क पररर्द ों में प्रवेश करने
और जनता के बीच राजनीमतक जागरूकता बढाने में सक्षम बनाया।

भारिीय पररषद् अतितियि - 1909 (िॉले-तििं िुिार) [INDIAN COUNCILS ACT – 1909
(MINTO-MORLEY REFORMS)]
पृष्ठभूति:
अमिमनयम मनम्नमलक्तखत कारण ों से पाररत मकया गया था:
● बिंगाल का तिभाजि (Partition of Bengal) : लॉिष कजष न ने 1905 में बोंगाल क द भाग ों में मवभामजत कर
मदया था, मजससे बोंगाल में एक बडी िाों मत हुई। इससे मिमिश शासक ों ने भारतीय ों के शासन में सुिार ों की
आवश्यकता क समझा।
● िािूली ररयायिें (Minor concessions) : काों ग्रेस के नेता सरकार द्वारा दी जा रही मामूली ररयायत ों से
नाखुश थे। 1892 के अमिमनयम ने सदस्य ों क बजि पर केवल बहस करने की अनु ममत दी , व ि दे ने की
नहीों। भारत के कडे मवर ि के बावजूद सरकार ने मविेयक पाररत करना जारी रखा। इस प्रकार, कई काों ग्रेस
नेताओों ने उदारवादी/नरमपों थी रणनीमत क द र् मदया और अपनी मााँ ग ों क पूरा करने के मलए अमिक मुखर
दृमष्टक ण का आह्वान मकया।
● कािंग्रेि की िााँगें (Demands of Congress) : भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस ने अमिक पररवतषन और भारतीय
स्वशासन (Indian self-government) के मलए दबाव िालना शुरू कर मदया। 1906 में, काों ग्रेस ने पहली
बार 'ह म रूल' (home rule) की मााँ ग की।
● तलबरल (उदारिादी) पा ी की जीि (Victory of Liberal party) : 1906 के आम चुनाव में मलबरल पािी
की जीत हुई। उदारवादी दाशषमनक जॉन मॉले राज्य समचव बने। इन्ह न ों े अवसर की समानता क लागू करने
का लक्ष्य रखा, मजसका वादा 1892 में मकया गया था। 1906 में, एक बजि भार्ण में मॉले ने वादा मकया था
मक वह सुिार के प्रस्ताव ों पर मवचार करे गा।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

● तशिला तशष्टििंिल (Simla Deputation) : मॉले की घ र्णा ने मुक्तिम नेताओों क कारष वाई के मलए प्रेररत
मकया और उन्ह न ों े मुक्तिम महत ों की वकालत करने के मलए मशमला मशष्टमोंिल भेजा। इस मशष्टमोंिल के
दौरान मुसलमान ों के मलए एक अलग मनवाष चक मोंिल की य जना का प्रस्ताव आगा खान द्वारा प्रस्तामवत
मकया गया था, जब वह मशमला में लॉिष ममोंि से ममले थे।
पररणामस्वरूप, भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस के नरमपोंमथय ों और मुसलमान ों क मिमिश प्रशासन के पक्ष में लाने के
मलए 1909 में यह अमिमनयम पाररत मकया गया था।

अतितियि के प्राििाि:
● तिस्ताररि तििाि पररर्द् (Enlarged Legislative council) : इसने केंद्रीय और प्राों तीय द न ों मविान
पररर्द ों में सीि ों की सोंख्या में वृक्तद्ध की।
❖ केंद्रीय मविान पररर्द् की सदस्य सों ख्या 16 से बढाकर 60 कर दी गई।
❖ प्राों तीय मविान पररर्द् में सदस्य ों की सोंख्या एक समान नहीों थी।
● पररषद िं िें बहुिि (Majority in councils) : केंद्रीय मविान पररर्द् में सरकारी बहुमत बनाए रखा गया,
जबमक प्राों तीय मविान पररर्द ों में गै र-सरकारी बहुमत की अनुममत दी गई।
● तििाि पररषद िं के अतिकार का तिस्तार (Enhanced Functions) : द न ों स्तर ों पर मविान पररर्द ों क
कायष करने का अमिक अमिकार मदया गया, मजसमें बजि प्रस्ताव ों क पाररत करने और पूरक प्रश्न पूछने की
शक्ति शाममल है ।
● काययकारी पररषद् िें भारिीय (Indians in executive council) : पहली बार वायसराय और गवनष र
भारतीय ों क कायषकारी पररर्द ों में शाममल कर सकते थे। वायसराय की कायषकारी पररर्द् में मनयु ि ह ने
वाले प्रथम भारतीय सत्येन्द्र प्रसाद मसन्हा थे।
● पृथक तििायचक ििंिल (Separate electorates) : इसने मुसलमान ों के मलए पृथक मनवाष चक मोंिल की
अविारणा पेश की। इसके तहत मुक्तिम सदस्य ों क मुक्तिम मतदाता ही मनयुि कर सकते थे। लॉिष ममोंि
(तत्कालीन भारत के वायसराय) क साों प्रदामयक मनवाष चन के जनक के रूप में जाना जाने लगा।
अतितियि का िहत्व:
● भागीदारी िें िृखद्ध (Increased participation) : भारतीय ों क पहली बार इों पीररयल लेमजिेमिव
काउों मसल (शाही मविान पररर्द् ) में सदस्यता प्रदान की गई।
● िाम्प्रदातयकिा (Communalism) : यह अमिमनयम अों ग्रेज ों की फूि िाल और राज कर की नीमत पर
आिाररत था। भारतीय समाज के भीतर मवभाजन पैदा करने के मलए मु सलमान ों के भीतर रूमढवादी वगों क
प्र त्सामहत करने हे तु ‘साों प्रदामयकता’ क वैद्यता प्रदान की गई। अों ततः यही भारत के मवभाजन के मलए
मजम्मेदार भी बना।

भारि शािि अतितियि -1919 (ि िं े ग्यू - चेम्सफ िय िुिार) [GOVERNMENT OF INDIA ACT -
1919 (MONTAGU – CHELMSFORD REFORMS]
पृष्ठभूति :
प्रथम मवश्व युद्ध के दौरान भारत ने मिमिश युद्ध प्रयास ों के मलए मानव, सामग्री और िन के रूप में पयाष प्त
सहायता प्रदान की थी। इस बमलदान के कारण भारतीय पक्ष की ओर से मजबूत मााँ गें प्रस्तुत की गई मजन्हें
अोंततः अोंग्रेज ों ने स्वीकार कर मलया। 1917 में, भारत के तत्कालीन राज्य समचव एिमवन सैमुअल म ि ों े ग्यू ने
1917 की ऐमतहामसक अगस्त घ र्णा या म ि ों े ग्यू सुिार क जारी मकया, मजसने भारत में मिमिश नीमतय ों की
स्थापना की। मिमिश प्रिानमों त्री िे मवि लॉयि जॉजष ने 20 अगस्त, 1917 क घ र्णा की थी मक भारत में
"उत्तरदायी प्रशासन की िममक स्थापना" की जाएगी। नतीजतन, आने वाले कानून ों क भारत शासन अमिमनयम
(GOI) के रूप में सोंदमभषत मकया गया। इस प्रकार, भारत शासन अमिमनयम, 1919 लाया गया ज मिमिश
प्रिानमोंत्री द्वारा भारत में उत्तरदायी प्रशासन स्थामपत करने की घ र्णा के अनुरूप था। मिमिश नीमत में यह
बदलाव 1916 के 'ह म रूल' आों द लन के कारण भी था मजसका नेतृत्व मतलक और एनी बेसेंि ने मकया था।

अतितियि के प्राििाि:
● तििायी शखियााँ (Legislative powers) : केंद्रीय और प्राों तीय मविामयकाएाँ एक-दू सरे से मभन्न मवर्य ों की
अपनी सूची पर कानून बना सकती हैं । गवनषर प्रान्त का कायषकारी प्रमु ख ह ता था।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

● बज का पृथक्करण (Separation of Budget) : पहली बार प्राों तीय बजि क केंद्रीय बजि से अलग
मकया गया। अब, प्राों तीय मविामयकाएाँ अपने बजि क अमिमनयममत कर सकती थीों।
● द्वै ि शािि प्रणाली की स्थापिा (Introduction of Dyarchy) : पहली बार प्रािंि िं िें द्वै ि शासन की
शुरुआत की गई मजसके तहत प्राों तीय मवर्य ों क आगे द श्रेमणय ों में मवभामजत मकया गया: हस्ताों तररत और
आरमक्षत मवर्य। सर मलय नेल कमिष स क द्वै ि शासन के जनक के रूप में जाना जाता है ।
❖ हस्ताों तररत मवर्य ों (Transferred subjects) का प्रशासन गवनषर द्वारा उन मोंमत्रय ों की सहायता से मकया
जाता था ज मविान पररर्द् के प्रमत उत्तरदायी थे। उदाहरण- मशक्षा, स्थानीय सरकार, स्वास्थ्य, उत्पाद
शुल्क, उद्य ग, ल क मनमाष ण आमद।
❖ आरमक्षत मवर्य ों (Reserved subjects) का प्रशासन गवनष र और उसकी कायषकारी पररर्द् द्वारा मकया
जाता था। वे मविान पररर्द् के प्रमत उत्तरदायी नहीों थे। उदाहरण- कानू न और व्यवस्था, मसोंचाई, मवत्त,
भू-राजस्व आमद।
● तद्विदिीय व्यिस्था की शुरुआि (Introduction of Bicameralism) : इस अमिमनयम ने मद्वसदनीय
व्यवस्था का प्रारों भ मकया। भारतीय मविान पररर्द् क एक उच्च सदन और एक मनम्न सदन द्वारा प्रमतस्थामपत
मकया गया था।
● प्रत्यक्ष चुिाि की शुरुआि (Introduced Direct election) : पहली बार दे श के ऊपरी और मनचले सदन ों
में सीिे चुनाव की शुरुआत हुई। द न ों सदन ों के अमिकाों श सदस्य प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चु ने जाते थे। सों पमत्त,
कर या मशक्षा के आिार पर सीममत सोंख्या में ल ग ों क मतदान का अमिकार मदया गया।
● िायिराय काययकारी (पररषद् Viceroy executive council) : इसने वायसराय की कायषकारी पररर्द् में
3 भारतीय सदस्य ों की मनयुक्ति की अनुममत दी (कमाों िर-इन-चीफ के अलावा)।
● िाम्प्रदातयक प्रतितितित्व का तिस्तार (Extension of communal representation) : भारत में मसख ,ों
ईसाइय ,ों आों ग्ल-भारतीय ों और अन्य यू र पीय ल ग ों के मलए पृथक मनवाष चक मोंिल का मवस्तार मकया गया।
● िया प्रातिकरण (New authority) : इसने लोंदन में भारत के उच्चायुि के मलए एक नया कायाष लय/पद
स्थामपत मकया और राज्य समचव के कतषव्य ों का महस्सा उसे स्थानाों तररत कर मदया।
● ल क िेिा आय ग (Public Service commissions) : इसने ल क सेवा आय ग के गठन का प्राविान
मकया। मसमवल सेवक ों की भती के मलए 1926 में आय ग की स्थापना की गई थी।
● िैिातिक आय ग (Statutory commission) : इसके तहत वायसराय मवमि के सोंचालन के दस वर्ों के
बाद कानून के प्रदशषन की जााँ च करने और ररप िष बनाने के मलए एक वैिामनक आय ग मनयुि करे गा।
● राज्य ितचि का िेिि (Salary of Secretary of State) : राज्य समचव का वेतन, ज पहले भारतीय
राजस्व से भुगतान मकया जाता था, अब मिमिश राजक र् द्वारा भुगतान मकया जाना था।

भारि शािि अतितियि, 1935 (GOVERNMENT OF INDIA ACT, 1935)


पृष्ठभूति :
प्रथम मवश्व युद्ध के बाद भारत की मााँ ग ों क पूरा करने के मलए आवश्यक सोंवैिामनक पररवतषन लाने हे तु भारत
शासन अमिमनयम -1919 क अोंग्रेज ों द्वारा पेश मकया गया था। अमिमनयम में उल्लेख मकया गया था मक इन
सोंवैिामनक व्यवस्थाओों की समीक्षा करने के मलए 10 वर्ों में एक आय ग मनयुि मकया जाएगा। इसके तहत
समय से पूवष साइमन कमीशन का गठन मकया गया, मजसकी ररप िष में कई मसफाररशें प्रस्तामवत की गई थीों जैसे
मक द्वै ि शासन क खत्म करना, प्राों त ों में बडे पररमाण में उत्तरदायी सरकार की शुरूआत, साों प्रदामयक मनवाष चक
मोंिल की मनरों तरता आमद। साइमन कमीशन की ररप िष क काों ग्रेस ने स्वीकार नहीों मकया। इस प्रकार, एक नए
सोंवैिामनक ढााँ चे क बनाने में भारतीय ों क पूरी तरह से शाममल करने के मलए, 1930 के दशक में ग लमेज
सम्मेलन ों की एक श्रृोंखला आय मजत की गई थी। इन सम्मेलन ों में मिमिश सरकार, मिमिश भारत और भारतीय
दे शी ररयासत ों के सदस्य शाममल थे। सम्मे लन ों की चचाष ओों के आिार पर एक 'सोंवैिामनक सुिार ों पर श्वेत पत्र'
का प्रारूप तै यार मकया गया और मिमिश सोंसद की सोंयुि प्रवर समममत क प्रस्तु त मकया गया। समममत की
मसफाररश ों क कुछ सोंश िन ों के साथ 1935 के भारत शासन अमिमनयम में शाममल मकया गया।

अतितियि के प्राििाि:
● प्रािंिीय स्वायत्तिा (Provincial autonomy) : इसने प्राों त ों में 'द्वै ि शासन' क समाप्त कर मदया और
'प्राों तीय स्वायत्तता' की शुरुआत की। प्राों त ों में उत्तरदायी सरकार की शुरुआत की गई अथाष त् गवनषर क

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

प्राों तीय मविामयका के प्रमत उत्तरदायी मोंमत्रय ों की सलाह पर कायष करना आवश्यक था। हालााँ मक, यह केवल
1937 से 1939 तक सोंचालन में था।
● केंद्र िें द्वै ि शािि (Dyarchy at the centre) : इसने केंद्र में द्वै ि शासन क अपनाने का प्राविान मकया,
अथाष त् सोंघीय मवर्य ों क 'हस्ताों तररत' (transferred) और 'आरमक्षत' (reserved) मवर्य ों में मवभामजत मकया
गया। हालााँ मक, यह कभी भी प्रचलन में नहीों आया।
● प्रािंि िं िें तद्विदिीयिा (Bicameralism in provinces) : इसने 11 प्राों त ों में से 6 में मद्वसदनात्मकता की
शुरुआत की। ये छह प्राों त थे -बोंगाल, बोंबई, मद्रास, असम, सोंयुि प्राों त और मबहार।
● शखिय िं का तिभाजि (Division of powers) : इसने शक्तिय ों क केंद्र और प्राों त ों के बीच तीन सूमचय ों में
मवभामजत मकया- केंद्रीय सूची, प्राों तीय सूची और समवती सूची। अवमशष्ट शक्तियााँ गवनष र में मनमहत थीों।
● अखिल भारिीय ििंघ (All - India Federation) : इकाइय ों के रूप में प्राों त ों और ररयासत ों क ममलाकर
एक अक्तखल भारतीय सोंघ की स्थापना के मलए प्राविान मकया गया। (हालााँ मक, सोंघ कभी अक्तस्तत्व में नहीों
आया क् मों क ररयासतें इसमें शाममल नहीों हुई थीों।)
● पृथक तििायचक ििंिल का तिस्तार (Extension of separate electorates) : इसने दमलत वगों
(अनुसूमचत जामतय )ों , ममहलाओों और श्रममक ों के मलए पृ थक मनवाष चन क्षेत्र ों का मवस्तार मकया।
● ििातिकार का तिस्तार (Extension of Franchise) : लगभग 10% जनसाँ ख्या क मतदान का अमिकार
ममला।
● ििंघीय न्यायालय (Federal court) : एक सोंघीय अदालत की स्थापना के मलए प्राविान मकया गया था मजसे
1937 में स्थामपत मकया गया था।
● भारिीय ररजिय बैंक (Reserve Bank of India) : दे श की मुद्रा और साख क मनयोंमत्रत करने के मलए एक
भारतीय ररजवष बैंक की स्थापना का प्राविान मकया गया।
● ल क िेिा आय ग का िृजि (Created Public service commissions) : सोंघीय ल क सेवा आय ग
(FPSC) और प्राों तीय ल क सेवा आय ग एवों द या अमिक राज्य ों के मलए सों युि ल क सेवा आय ग का सृ जन
मकया गया।

अतितियि का िहत्व :
भारत शासन अमिमनयम का उद्दे श्य मिमिश भारतीय प्राों त ों में पूरी तरह से उत्तरदायी सरकार लाना था।
अमिमनयम के प्राविान ों के अनुसार 1937 में सभी प्राों त ों में पहली बार बडे पै माने पर चुनाव भी आय मजत मकए
गए थे। अमिमनयम द्वारा अनुशोंमसत सोंघ अक्तस्तत्व में नहीों आया क् मों क इसे ररयासत ों द्वारा स्वीकार नहीों मकया
गया था। हालााँ मक, सोंमविान में कई प्राविान इस अमिमनयम से मलए गए हैं । इस प्रकार, यह मनष्कर्ष मनकाला जा
सकता है मक इस अमिमनयम ने भारत क सों सदीय ल कतोंत्र के मागष पर लाने में मदद की।

भारिीय स्वििंत्रिा अतितियि 1947 (INDIAN INDEPENDENCE ACT OF 1947)


पृष्ठभूति :
लॉिष माउों िबेिन भारतीय ों क सत्ता सौोंपने के मवमशष्ट कायष के साथ भारत आए थे। लेमकन काों ग्रेस (INC) और
मुक्तिम लीग मवभाजन के सवाल पर सहमत नहीों ह सके। अोंत में, माउों िबेिन अोंमतम य जना लेकर आए, मजसे
3 जून य जना या माउों िबेिन य जना के रूप में जाना जाता है , मजसे सभी पक्ष ों ने स्वीकार कर मलया। काों ग्रेस, ज
दे श के मकसी भी मवभाजन के मवर ि में थी, ने अोंततः इसे एक अपररहायष प्रमिया के रूप में स्वीकार कर मलया।
इस य जना क काों ग्रेस और मुक्तिम लीग द न ों ने स्वीकार कर मलया। इस प्रस्ताव क भारतीय स्वतोंत्रता
अमिमनयम (1947) के रूप में तत्काल प्रभाव से लागू मकया गया।

अतितियि के प्राििाि :
● तित श शािि का अिंि (End of British rule) : इसने भारत में मिमिश सत्ता क समाप्त कर मदया और
15 अगस्त, 1947 क भारत क एक स्वतोंत्र और सोंप्रभु राज्य (independent and sovereign state)
घ मर्त कर मदया।
● भारि का तिभाजि (Partition of India) : इसमें भारत के मवभाजन का प्राविान मकया गया, और द
अमिराज्य (dominions)- भारत और पामकस्तान, राष्टरमोंिल (Commonwealth) से अलग ह ने के
अमिकार के साथ बनाए गए थे।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

● तित श पद िं की ििाखि (Removed British offices) : इसने वायसराय और राज्य समचव के पद ों क


समाप्त कर मदया।
● तित श उत्तरदातयत्व ििाि (Ended British responsibility) : इसमें प्राविान था मक मिमिश सरकार
भारत या पामकस्तान की सरकार ों के मलए क ई उत्तरदामयत्व वहन नहीों करे गी। इसके बजाय, इसने द न ों
अमिराज्य ों की सोंमविान सभा क एक सोंमविान का मसौदा/प्रारूप तैयार करने और स्वीकृमत दे ने और
मिमिश सोंसद के मकसी भी अमिमनयम क रद्द करने का अमिकार मदया, मजसमें स्वयों स्वतोंत्रता अमिमनयम भी
शाममल था।
● तित श ििोच्चिा ििाि (Ended British paramountcy) : इसने 15 अगस्त, 1947 क भारतीय
ररयासत ों पर मिमिश वचषस्व की समाक्तप्त और आमदवासी क्षेत्र ों के साथ सोंमि सोंबोंि ों की समाक्तप्त की घ र्णा
की। इसने भारतीय ररयासत ों क भारत के अमिराज्य (Dominion) या पामकस्तान के अमिराज्य में शाममल
ह ने या स्वतोंत्र रहने का मवकल्प मदया।
● िाििात्र प्रिुि (Nominal heads) : इसने भारत के गवनषर-जनरल और प्राों तीय गवनषर ों क राज्य ों के
सोंवैिामनक (नाममात्र) प्रमुख ों के रूप में स्थामपत मकया। उन्हें सभी मवर्य ों पर अपने सोंबोंमित मोंमत्रस्तरीय
पररर्द ों की सलाह का पालन करने के मलए बाध्य मकया गया था।
● तितिल िेिाएाँ (Civil services) : इसने भारत के राज्य समचव द्वारा मसमवल सेवाओों में मनयुक्ति और पद ों के
आरक्षण क समाप्त कर मदया।
● शाही उपातिय िं िें बदलाि (Royal titles changed) : इसमें प्राविान था मक मिमिश सम्राि 'भारत के
सम्राि' की उपामि का उपय ग बोंद कर दें गे।
इस प्रकार, इस अमिमनयम ने भारतीय क्षे त्र ों क भारत और पामकस्तान में मवभामजत कर मदया। भारत और
पामकस्तान के बीच सीमा मनिाष रण के मलए सर मसररल रै िक्तक्लफ की अध्यक्षता में एक आय ग गमठत मकया गया
था। लॉिष माउों िबेिन क भारत के अमिराज्य के पहले गवनषर-जनरल के रूप में मनयुि मकया गया। उन्ह न ों े
जवाहर लाल नेहरू क दे श के प्रथम प्रिानमोंत्री के रूप में शपथ मदलाई। सी. राजग पालाचारी क सोंमविान
सभा द्वारा स्वतोंत्र भारत का गवनषर जनरल चुना गया। 1946 में स्थामपत भारत की सोंमविान सभा (Constituent
Assembly), भारतीय अमिराज्य की पहली सोंसद (Parliament) बनी।

ििंतििाि का तििायण (MAKING OF THE CONSTITUTION)


26 जनवरी, 1950 क भारत का सोंमविान लागू हुआ और भारतीय ि मममनयन(अमिराज्य) क भारत गणराज्य
(Republic of India) में बदल मदया गया। 1946 और 1949 के बीच सोंमविान सभा द्वारा इसका मसौदा/प्रारूप
तैयार मकया गया, इस पर चचाष की गई और इसे अोंमतम रूप मदया गया था। भारत की सोंमविान सभा का गठन
1946 के कैमबनेि ममशन की मसफाररश के आिार पर मकया गया था और इसकी पहली बैठक 9 मदसोंबर, 1946
क हुई थी। यह सोंमविान क लागू करने, सों मविान में उमचत प्राविान ों क शाममल करने , राष्टरीय ध्वज पर मनणषय
लेने और अोंत में भारत के सोंमविान क अपनाने के मलए मजम्मेदार थी।

ििंतििाि िभा की िााँग


● उत्पतत्त (Origin) : 1934 में, भारत में कम्युमनस्ट आों द लन के अग्रणी एम.एन.रॉय ने भारत में सोंमविान सभा
के गठन का मवचार रखा।
● कािंग्रेि द्वारा िााँग (Demand by Congress) : बाद में, 1935 में, भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस (INC) ने
आमिकाररक रूप से भारत के सोंमविान क तैयार करने के मलए एक सोंमविान सभा की स्थापना की मााँ ग
की। वयस्क मतामिकार के आिार पर सोंमविान सभा के गठन की यह मााँ ग 1938 में काों ग्रेस द्वारा द हराई
गई थी।
● अगस्त प्रस्ताि (August offer) : अोंततः मिमिश सरकार द्वारा मााँ ग क स्वीकार कर मलया गया मजसे 1940
के ''अगस्त प्रस्ताव'' के रूप में जाना जाता है ।
● तिप्स तिशि (Cripps Mission) : मद्वतीय मवश्व युद्ध की समाक्तप्त के बाद मिमिश कैमबनेि के सदस्य सर
स्टै फ िष मिप्स एक स्वतोंत्र सोंमविान के मनमाष ण के मलए एक प्रारूप प्रस्ताव (draft proposal) के साथ भारत
आए। हालााँ मक, इसके प्रस्ताव ों क मवशेर् रूप से मुक्तिम लीग द्वारा अस्वीकार कर मदया गया था, ज चाहते
थे मक भारत क अलग-अलग सोंमविान सभाओों के साथ द स्वायत्त राज्य ों (two autonomous state) में
मवभामजत मकया जाए।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

● कैतबिे तिशि (Cabinet Mission) : कैमबनेि ममशन य जना के अनु सार नवोंबर 1946 में सोंमविान सभा
का गठन मकया गया था।

ििंतििाि िभा का गठि (Formation of Constituent Assembly)


सोंमविान सभा का गठन नवोंबर 1946 में मकया गया। सोंमविान सभा का प्राथममक कायष भारत के मलए एक
सोंमविान तैयार करना था तामक मिमिश अमिकाररय ों से भारतीय नेतृत्व क सोंप्रभु शक्ति का उमचत हस्ताों तरण ह
सके। मवमभन्न वगों क पयाषप्त प्रमतमनमित्व दे ने के मलए, सभा में मौजू दा प्राों तीय मविानमोंिल ों (provincial
legislatures) और दे शी ररयासत ों (princely states) से प्रमतमनमित्व था।
● ििंघ ि/ििंरचिा (Composition) : सोंमविान सभा के गठन के मलए पू रे भारत से कुल 389 प्रमतमनमि तय
मकए गए थे। इसमें मिमिश भारत के 296 प्रमतमनमि शाममल थे और 93 सीिें दे शी ररयासत ों क आवोंमित की
गई थीों।
● िी िं का आििं ि (Allocation of seats) : प्रत्येक प्राों त और दे शी ररयासत ों क उनकी जनसों ख्या के
अनुपात में सीिें आवोंमित की जानी थी। म िे तौर पर प्रत्येक दस लाख की आबादी के मलए एक प्रमतमनमि
ह ना था। मिमिश प्राों त ों में, आवोंमित सीि ों क उनकी आबादी के अनुपात में तीन प्रमुख समुदाय ों - मुक्तिम,
मसख और सामान्य (मुसलमान ों और मसख ों क छ डकर सभी) के बीच मवभामजत मकया गया था।
● तििायचि/चुिाि का िरीका (Mode of election) : सोंमविान सभा क आों मशक रूप से मनवाष मचत (partly
elected) और आों मशक रूप से मन नीत (partly nominated) मनकाय ह ना था। इसके अलावा, सदस्य ों
क अप्रत्यक्ष रूप से प्राों तीय मविानसभाओों के सदस्य ों द्वारा मनवाष मचत मकया जाना था, ज स्वयों एक सीममत
मतामिकार द्वारा चुने गए थे।
● दे शी ररयािि िं की भागीदारी (Participation of princely states) : शुरुआत में, दे शी ररयासत ों ने
सोंमविान सभा में भाग नहीों मलया क् मों क वे मिमिश प्रशासन के भारत से जाने के बाद अपने स्वतोंत्र राज्य ों की
स्थापना और शासन करना चाहते थे।
● ििंतििाि िभा िें प्रतितितित्व (Representation in assembly) : सोंमविान सभा में महात्मा गाों िी क
छ डकर उस समय के सभी महत्त्पूणष व्यक्ति शाममल थे। इसने महों दू, मुक्तिम, मसख, पारसी, एाँ ग्ल -इों मियन,
भारतीय ईसाई, अनुसूमचत जामत, अनुसूमचत जनजामत और ममहलाओों समहत समाज के मवमभन्न वगों क
प्रमतमनमित्व मदया।
● चुिाि (Elections) : सोंमविान सभा (मिमिश भारतीय प्राों त ों क आवोंमित 296 सीि ों के मलए) के चु नाव
जुलाई-अगस्त 1946 में हुए थे। भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस ने 208 सीिें , मुक्तिम लीग ने 73 सीिें और छ िे
समूह ों और मनदष लीय उम्मीदवार ों ने शेर् 15 सीिें जीतीों।

िहत्त्वपूणय िथ्य (Important facts):


● ििंतििाि िभा की पहली बैठक (1st meeting of assembly) : सोंमविान सभा के सदस्य ों ने 9 मदसोंबर,
1946 क अपनी पहली बैठक की।
● अिंिररि (अस्थायी) अध्यक्ष (Interim President) : बैठक में केवल 211 सदस्य ों ने भाग मलया और
इसकी अध्यक्षता िॉ. सक्तच्चदानोंद मसन्हा ने की ज सोंमविान सभा के सबसे वररष्ठ सदस्य थे।
● तििायतचि अध्यक्ष (Elected President) : िॉ. राजेंद्र प्रसाद क सोंमविान सभा के अध्यक्ष के रूप में
मनवाष मचत मकया गया था।
● द उपाध्यक्ष (Two Vice Presidents) : सोंमविान सभा में द उपाध्यक्ष थे: एच.सी. मुखजी और वी.िी.
कृष्णामाचारी।
● अिंतिि प्रारूप िैयार करिा (Preparation of Final draft) : सोंमविान सभा क अपना कायष पूरा करने में
लगभग 2 वर्ष, 11 महीने और 18 मदन लगे।
● 26 िििंबर, 1949 : 26 नवोंबर, 1949 क भारत के ल ग ों ने सोंमविान सभा के माध्यम से भारत के सोंमविान
क अोंगीकृत (अपनाया), अमिमनयममत और आत्मामपषत मकया (स्वयों क मदया)।
भारिीय स्वििंत्रिा अतितियि, 1947 द्वारा पररिियि
● ििंप्रभु तिकाय (Sovereign body) : इसने सोंमविान सभा क पू री तरह से सोंप्रभु मनकाय और मविायी
मनकाय बनाया। इसका आशय यह था मक सभा मकसी भी सोंमविान क बना सकती थी और मिमिश सरकार
द्वारा बनाए गए मकसी भी कानून क मनरस्त या बदल सकती थी।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

● तििायी तिकाय (Legislative body) : एक मविायी मनकाय के रूप में, इसने द अलग-अलग कायष मकए:
1) सोंमविान तैयार करना और 2) स्वतोंत्र भारत के मलए सामान्य कानू न बनाना।
● स्वििंत्र भारि की पहली ििंिद (1st Parliament of free India) : सोंमविान सभा स्वतोंत्र भारत की पहली
सोंसद बनी। सों वैिामनक कायों क करने के मलए राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में और मविायी कायों क करने
के मलए जी.वी. मावलोंकर की अध्यक्षता में।
● अिंतिि िदस्य ििंख्या (Final strength) : दे श के मवभाजन के बाद, पामकस्तान ि मममनयन से सोंबद्ध
मुक्तिम लीग के सदस्य ों ने भारत के मलए सोंमविान सभा से अपना नाम वापस ले मलया। इस प्रकार,
मविानसभा की अोंमतम सों ख्या 389 (मूल रूप से कैमबने ि ममशन य जना के तहत मनिाष ररत) से घिकर 299
रह गई।

ििंतििाि िभा की काययप्रणाली (Working of Constituent Assembly)


● 13 मदसोंबर,1946 क सोंमविान सभा की तीसरी बै ठक में जवाहरलाल नेहरू ने 'उद्दे श्य प्रस्ताव'
(Objectives Resolution) पेश मकया। इस प्रस्ताव/सोंकल्प ने सोंवैिामनक ढााँ चे के अों तमनषमहत मसद्धाों त ों और
दशषन क मनिाष ररत मकया। प्रस्ताव का साराों श मनम्नानुसार है :
● भारत एक स्वतोंत्र सोंप्रभु गणराज्य (independent sovereign republic) है मजसके पास अपना सोंमविान
बनाने की शक्ति है ।
● मिमिश भारत में शाममल क्षे त्र, भारतीय राज्य ों में शाममल क्षे त्र और भारत से बाहर के इस प्रकार के सभी क्षे त्र
एवों अन्य क्षे त्र, ज इसमें शाममल ह ने के इच्छु क हैं , भारतीय सोंघ का महस्सा ह ग
ों े।
● भारत का गठन करने वाले सभी क्षेत्र सरकार और प्रशासन की सभी शक्तिय ों और कायों के साथ स्वायत्त
इकाइयााँ (autonomous units) ह ग ों े और मसवाय उन शक्तिय ों और कायों के ज सोंघ में मनमहत हैं या सौोंपे
गए हैं ।
● सोंप्रभु स्वतोंत्र भारत और उसके घिक भाग ों की सभी शक्ति और अमिकार का स्त्र त भारत की जनता हैं ।
● भारतीय सोंघ के सभी ल ग ों के मलए गारों िीकृत और सुरमक्षत न्याय (सामामजक, आमथषक और राजनीमतक);
अवसर की समता और कानून के समक्ष समता; मवचार, अमभव्यक्ति, मवश्वास, आस्था, पूजा, व्यवसाय, सोंघ
और कायष की स्वतोंत्रता तथा ल क नैमतकता की स्थापना सुमनमित की जाएगी।
● अल्पसों ख्यक ,ों मपछडे एवों जनजातीय क्षेत्र ों के मलए पयाष प्त सु रक्षा उपाय प्रदान मकए जाएाँ गे ।
● गणराज्य की क्षेत्रीय अखोंिता और भूमम, समुद्र एवों वायु पर उसके सोंप्रभु अमिकार ों क सभ्य राष्टर ों के न्याय
व कानून के अनुसार अक्षुण्ण बनाए रखा जाएगा।
● भारत मवश्व शाों मत और मानव जामत के कल्याण क बढावा दे ने के मलए अपना पूणष और स्वैक्तच्छक य गदान
दे गा।

सोंमविान सभा ने, सोंमविान बनाने के अलावा, अन्य कायों क भी मकया:


● दे श के सामान्य कानून ों क लागू करना।
● मई 1949 में राष्टरमोंिल में भारत की सदस्यता की पुमष्ट।
● 22 जुलाई, 1947 क राष्टरीय ध्वज क अपनाना।
● 24 जनवरी, 1950 क राष्टरगान और राष्टरीय गीत क अपनाना।
● 24 जनवरी, 1950 क िॉ. राजेंद्र प्रसाद क भारत के प्रथम राष्टरपमत के रूप में मनवाष मचत मकया जाना।
1951-52 के आम चुनाव के बाद पहली सों सद के गठन तक यह दे श की सोंसद के रूप में कायष करती रही।

ििंतििाि िभा की ितितियााँ (Committees of Constituent Assembly)


सोंमविान सभा ने नए भारतीय सोंमविान का प्रारूप तैयार करने की मजम्मेदारी लेने के मलए 22 समममतय ों का
गठन मकया। यहााँ मनम्नमलक्तखत महत्त्पूणष समममतयााँ हैं :

प्रिुि ितितियााँ- 8 प्रमुख समममतयााँ थीों-


समममत (Committee) अध्यक्ष (Head)
सोंघ शक्ति समममत जवाहर लाल ने हरू
सोंघ सोंमविान समममत जवाहर लाल ने हरू

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

राज्य समममत जवाहर लाल ने हरू


प्राों तीय सोंमविान समममत सरदार पिे ल
मौमलक अमिकार ,ों सरदार पिे ल
अल्पसों ख्यक ों और
जनजातीय तथा बमहष्कृत
क्षेत्र ों पर सलाहकार समममत
प्रमिया मनयम समममत िॉ. राजेंद्र प्रसाद
सोंचालन समममत िॉ. राजेंद्र प्रसाद

छ ी ितितियााँ
● सोंमविान सभा के कायों पर समममत की अध्यक्षता जी.वी. मावलोंकर
● कायष सोंचालन समममत की अध्यक्षता िॉ. के.एम. मुों शी
● सदन समममत की अध्यक्षता बी पट्टामभ सीतारमैय्या
● िॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में राष्टरीय ध्वज पर तदथष समममत
● जवाहरलाल ने हरू की अध्यक्षता में प्रारूप सोंमविान की जााँ च के मलए मवशेर् समममत
● अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर की अध्यक्षता में प्रत्यायक (Credentials) समममत
● िॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में मवत्त और कमषचारी (स्टाफ) समममत
● उर्ा नाथ सेन की अध्यक्षता में प्रेस दीघाष समममत
● 1947 के भारतीय स्वतोंत्रता अमिमनयम के प्रभाव की जााँ च करने के मलए समममत
● बी. पट्टामभ सीतारमैय्या की अध्यक्षता में मु ख्य आयु ि ों के प्राों त ों के मलये समममत
● भार्ाई प्राों त ों पर आय ग की अध्यक्षता एस.के. िर
● नमलनी रों जन सरकार की अध्यक्षता में मवत्तीय प्राविान ों पर मवशेर्ज्ञ समममत
● एस. वरदाचारी की अध्यक्षता में सवोच्च न्यायालय के मलये तदथष समममत
● एस वरदाचारी की अध्यक्षता में नागररकता पर तदथष समममत

ििंतििाि की प्रारूप ितिति (Drafting Committee of the Constitution)


29 अगस्त, 1947 क प्रारूप समममत नामक एक समममत की स्थापना की गई। यह सोंमविान सभा की सभी
समममतय ों में सबसे महत्त्पूणष थी। प्रारूप समममत का कायष नए सोंमविान का एक म िा प्रारूप तैयार करना था।
प्रारूप समममत में सात सदस्य (अध्यक्ष समहत) थे।
1. िॉ बी. आर. अम्बेिकर (अध्यक्ष)
2. एन. ग पालस्वामी अयोंगर
3. सैयद म हम्मद सादु ल्लाह
4. अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर
5. के.एम. मुों शी
6. एन मािव राव (इन्ह न ों े बी.एल. ममत्र की जगह ली, मजन्ह न ों े स्वास्थ्य कारण ों से त्याग-पत्र दे मदया था)
7. िी.िी. कृष्णामाचारी (इन्ह न ों े सन् 1948 में िी.पी. खेतान की मृत्यु के बाद उनकी जगह ली)

ििंतििाि का प्रभाि िें आिा


िॉ. अम्बेिकर के नेतृत्व वाली प्रारूप समममत ने "भारत के सोंमविान का प्रारूप" तैयार मकया।
● पहला िाचि (First Reading) : सोंमविान का अोंमतम प्रारूप, या पहला वाचन, 4 नवोंबर, 1948 क िॉ. बी
आर अोंबेिकर द्वारा सोंमविान सभा में प्रस्तुत मकया गया था।
● दू िरा िाचि : दू सरा वाचन या खोंि-दर-खों ि समीक्षा 15 नवोंबर, 1948 क शुरू हुई और 17 अक्टू बर,
1949 क समाप्त हुई। सदस्य ों ने सोंमविान सभा में प्रस्तामवत 7,635 में से 2,473 सोंश िन ों पर चचाष की
और मतदान मकया।
● िीिरा िाचि : नवोंबर 1949 में, मसौदे का तीसरा वाचन शुरू हुआ। िॉ. बी. आर. अोंबेिकर ने सोंमविान
क पाररत करने के मलए एक प्रस्ताव पेश मकया, मजस पर सोंमविान सभा ने सहममत जताई थी। सोंमविान के
प्रारूप पर मतदान 26 नवोंबर, 1949 क मकये जाने की घ र्णा की गई थी और 299 में से उपक्तस्थत 284

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

सदस्य ों ने 24 जनवरी, 1950 क इस पर हस्ताक्षर मकए थे । 26 नवोंबर, 1949 क लागू हुए सोंमविान में एक
प्रस्तावना, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूमचयााँ थीों। प्रस्तावना शेर् सोंमविान मलखे जाने के बाद मलखी गई थी।
नागररकता, चुनाव, अनोंमतम सोंसद, अस्थायी और सोंिमणकालीन प्राविान ों से सोंबोंमित सोंमविान के कुछ
प्राविान और अनुच्छेद 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 379, 380, 388, 391, 392 और 393 में
मनमहत लघु शीर्षक 26 नवोंबर, 1949 क ही लागू हुआ।

ििंतििाि का प्रिियि (Enforcement of the Constitution)


शेर् सोंमविान 26 जनवरी, 1950 क लागू हुआ। 1930 में इसी मदन पू णष स्वराज मदवस मनाया गया था, और
भारतीय राष्टरीय काों ग्रेस के लाहौर अमिवेशन (मदसोंबर 1929) में एक प्रस्ताव पाररत करने के बाद स्वतोंत्रता का
मतरों गा झोंिा फहराया गया था। 26 जनवरी के मदन क "सोंमविान के प्रारों भ की मतमथ" कहा जाता है और इसे
"गणतोंत्र मदवस" (Republic Day) के रूप में मनाया जाता है । भारत में ल ग ों ने 26 जनवरी, 1950 से भारत के
सोंमविान के तहत रहना शु रू मकया। सोंमविान सभा क समाप्त कर मदया गया। 1952 में एक नई सोंसद के
गठन तक यह भारत की अनोंमतम सोंसद बन गई। सोंमविान के प्रारों भ के साथ, 1947 का भारतीय स्वतोंत्रता
अमिमनयम और 1935 का भारत शासन अमिमनयम, साथ ही अन्य सभी कानून ज उन्हें बदलते या पूरक करते
हैं , क समाप्त कर मदया गया। दू सरी ओर, मप्रवी काउों मसल क्षेत्रामिकार अमिमनयम 1949 का उन्मूलन, यथावत
जारी रहा।

ििंतििाि िभा की आल चिा


आल चक ों ने मवमभन्न आिार ों पर सोंमविान सभा की आल चना इस प्रकार की है -
● गैर-प्रतितिति: सभी सदस्य सावषभौममक वयस्क मतामिकार के आिार पर भारत के ल ग ों द्वारा प्रत्यक्ष रूप
से नहीों चुने जाते थे जैसा मक आज मकया जाता है ।
● ििंप्रभु िही िं: आल चक ों के अनुसार, सोंमविान सभा एक सोंप्रभु मनकाय नहीों थी क् मों क इसका गठन मिमिश
सरकार के प्रस्ताव ों द्वारा मकया गया था। उन्ह न ों े आगे दावा मकया मक मिमिश सरकार ने सोंमविान सभा क
बैठक करने की अनुममत दी थी।
● कायय िें अत्यतिक ििय तलया: अमेररकी सोंमविान क अपना कायष पू रा करने में केवल चार सप्ताह लगे
जबमक सोंमविान सभा क सोंमविान बनाने में काफी समय लगा।
● कािंग्रेि का प्रभुत्व: आल चक ों का तकष है मक सोंमविान सभा में केवल काों ग्रेस का वचषस्व था। ग्रेनमवले
ऑक्तस्टन ने तकष मदया मक 'सोंमविान सभा अमनवायष रूप से एक-दलीय गणराज्य में एक-दलीय सभा थी।
सोंमविान सभा काों ग्रेस थी और काों ग्रेस भारत थी।"
● िकील िं - राजिेिाओिं का िचयस्व: आल चक ों का दावा है मक सोंमविान सभा में वकील ों और राजनेताओों
का वचषस्व था। समाज के अन्य वगों का पयाष प्त प्रमतमनमित्व नहीों था। यह उनके मवचार में सोंमविान के
स्थूलता और जमिलता का प्राथममक कारण है ।
● तहिं दू बहुल: आल चक ों का तकष है मक सोंमविान सभा में केवल एक प्रमुख समुदाय का प्रमतमनमित्व था ज मक
महों दू थे और अन्य ल ग ों का सों मविान सभा में पयाष प्त प्रमतमनमित्व नहीों था।

ििंतििाि का तहिं दी पाठ (तिषय-िस्तु)


मूल रूप से हमारा सोंमविान अों ग्रेजी भार्ा में ही मलखा गया था। बाद में, ल ग ों द्वारा सोंमविान के महों दी में
आमिकाररक अनुवाद की मााँ ग के कारण, सोंसद ने 1987 में 58वाों सोंवैिामनक सोंश िन अमिमनयम बनाया,
मजसने सोंमविान में भाग- XXII के तहत एक अनुच्छेद- 394-A क शाममल मकया। इसने राष्टरपमत क अपने
अमिकार के तहत भारतीय भार्ा में सोंमविान क प्रकामशत करने के मलए अमिकृत मकया। इसने अन्य प्राविान ों
क भी प्रदान मकया जैसे-
● 58वें सोंश िन तक सोंमविान में मकए गए हर पररवतषन/सोंश िन का महों दी भार्ा में अनुवाद भी मकया
जाएगा।
● सोंमविान के महों दी अनुवाद और हर सों श िन का वही अथष ह गा ज अोंग्रेजी भार्ा में मलखे गए मूल पाठ का
है ।
● अोंग्रेजी पाठ के साथ महों दी पाठ क भी आमिकाररक पाठ माना जाएगा।

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ऐतिहातिक पृष्ठभूति

ििंतििाि िे िम्बिंतिि िहत्त्वपूणय िथ्य


हाथी इसे सोंमविान सभा के प्रतीक (मुहर/मचह्न) के रूप में अपनाया गया था
सर बी.एन. राव सोंमविान सभा के कानूनी/सोंवैिामनक सलाहकार
एच.वी.आर. अयोंगर सोंमविान सभा के समचव
एस.एन. मुखजी सोंमविान सभा में सोंमविान के मुख्य प्रारूपकार
प्रेम मबहारी नारायण रायजादा भारतीय सोंमविान के सुलेखक

नोंद लाल ब स और तबउहर सोंमविान के मू ल सोंस्करण क सुश मभत मकया और सजाया


राममन हर मसन्हा
वसोंत कृष्ण वै द्य मूल सोंमविान के महन्दी सोंस्करण का सुलेखन मकया

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