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संघ और राज्य क्षेत्र

आखरी अपडेट SEP 2020

राजनीति

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संघ और राज्य क्षेत्र


• स्वतन्त्रता से पूर्व भारत ऐसा नहीं था जैसा र्तवमान में है। भारत वर्भभन्न ररयासतों और ब्रिटिश भारत में वर्भाब्रजत
था। स्वतन्त्रता के समय, इसे 2 भागों, भारत और पाटकस्तान, में वर्भाब्रजत कर भिया गया था। तत्कालीन
ररयासतों को उनके इच्छानुसार टकसी भी िेश में वर्लय के ललए स्वतंत्र थी।

• भारतीय संवर्धान के भाग I में अनुच्छेि 1 से 4 संघ और उसके राज्य क्षेत्र से संबंब्रधत है।

• इन अनुच्छेिों में भारतीय राज्यों और केंद्रशाब्रसत प्रिेशों के प्रबंधन, नामकरण, सीमाएँ और अन्य वर्र्रण शावमल
हैं।

अनुच्छेद

अनुच्छेद 1: संघ का नाम और राज्य क्षेत्र

• भारत, अथावत इं टिया, राज्यों का संघ होगा।

• राज्य और उनके राज्यक्षेत्र र्े होंगे जो पहली अनुसूची में वर्टनभिि ष्ट हैं।

• भारत के राज्यक्षेत्र में, —

 राज्यों के राज्यक्षेत्र,

 पहली अनुसूची में वर्टनभिि ष्ट संघ राज्यक्षेत्र, और

 ऐसे अन्य राज्यक्षेत्र जो अब्रजित टकए जाएँ , समावर्ष्ट होंगे।

• िेश के नाम को लेकर संवर्धान सभा में कई बहसें हुई। उनमें से कई लोगों ने आधुटनक नाम "इं टिया" का समथवन
टकया और कोई लोगों ने पुराने नाम "भारत" का समथवन टकया।

• इसललए संवर्धान सभा में "भारत अथावत, इं टिया" रखने का टनणवय ललया गया

• यह अनुच्छेि यह भी बताता है टक भारत राज्यों का एक संघ है।

• प्रथम अनुसूची में राज्यों और केंद्र शाब्रसत प्रिेशों के नाम पररभावित टकए गए हैं।

भूगोल | संघ और राज्य क्षेत्र पृष्ठ 2


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अनुच्छेद 2: नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना

• संसि, वर्ब्रध द्वारा, ऐसे टनबंधनों और शतों पर, जो र्ह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रर्ेश या उनकी स्थापना
कर सकेगी।

• संसि, वर्ब्रध द्वारा, ऐसे टनबंधनों और शतों पर, जो र्ह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रर्ेश या उनकी स्थापना
कर सकेगी।

अनुच्छेद 3: नए राज्यों का ननमााण और विामान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओ ं


या नामों में पररविान

संसि, वर्ब्रध द्वारा--

(क) टकसी राज्य में से उसका राज्यक्षेत्र अलग करके अथर्ा िो या अब्रधक राज्यों को या राज्यों के भागों को
वमलाकर अथर्ा टकसी राज्यक्षेत्र को टकसी राज्य के भाग के साथ वमलाकर नए राज्य का टनमावण कर
सकेगी;

(ख) टकसी राज्य का क्षेत्र बढा सकेगी;

(ग) टकसी राज्य का क्षेत्र घिा सकेगी;

(घ) टकसी राज्य की सीमाओ ं में पररर्तवन कर सकेगी;

(ङ) टकसी राज्य के नाम में पररर्तवन कर सकेगी:

[परंतु इस प्रयोजन के ललए कोई वर्धेयक राष्ट्रपवत की ब्रसफाररश के वबना और जहाँ वर्धेयक में अं तवर्ि ष्ट प्रस्थापना
का प्रभार् राज्यों में से टकसी के क्षेत्र, सीमाओ ं या नाम पर पड़ता है र्हाँ जब तक उस राज्य के वर्धान-मंिल द्वारा उस
पर अपने वर्चार, ऐसी अर्ब्रध के भीतर जो टनिेश में वर्टनभिि ष्ट की जाए या ऐसी अवतररक्त अर्ब्रध के भीतर जो राष्ट्रपवत
द्वारा अनुज्ञात की जाए, प्रकि टकए जाने के ललए र्ह वर्धेयक राष्ट्रपवत द्वारा उसे टनिेब्रशत नहीं कर भिया गया है और
इस प्रकार वर्टनभिि ष्ट या अनुज्ञात अर्ब्रध समाप्त नहीं हो गई है, संसि के टकसी सिन में पुनःस्थाभपत नहीं टकया
जाएगा।]

• इस अनुच्छेि के अनुसार, संसि के पास भौगोललक क्षेत्र, राज्य का नाम बिलने का एकमात्र अब्रधकार है।

भूगोल | संघ और राज्य क्षेत्र पृष्ठ 3


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 चूंटक, केंद्र शाब्रसत प्रिेश राज्य का भहस्सा नहीं है, लेटकन इस अनुच्छेि में िोनों समान हैं।

 इस अनुच्छेि के अनुसार पररर्तवन करने के ललए, वर्धेयक को केर्ल राष्ट्रपवत की ब्रसफाररश के ललए
पेश टकया जाता है।

 सबसे पहले, राष्ट्रपवत वर्धेयक को संबंब्रधत राज्य वर्धानमंिल में वर्चार वर्मशव के ललए भेजते हैं।

 भफर िी गई अर्ब्रध के भीतर राज्य वर्धानमंिल को वर्धेयक पर अपने वर्चारों को बताना होता है।

 उनके वर्चार अटनर्ायव नहीं होते हैं।

 तब वर्धेयक को संसि के िोनों सिनों में साधारण बहुमत से पाररत टकया जाता है।

अनुच्छेद 4: पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन िथा


अनुपूरक, आनुषंगिक और पाररणागमक तवषयों का उपबंध करने के ललए
अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 के अधीन बनाई िई तवतधयााँ

• अनुसूब्रचत और अनुपूरक, आनुिंवगक और पाररणावमक वर्ियों का उपबंध

• अनुच्छेि 2 या अनुच्छेि 3 में टनभिि ष्ट टकसी वर्ब्रध में पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन के ललए ऐसे
उपबंध अं तवर्ि ष्ट होंगे जो उस वर्ब्रध के उपबंधों को प्रभार्ी करने के ललए आर्श्यक हों तथा ऐसे अनुपूरक,
आनुिंवगक और पाररणावमक उपबंध भी (ब्रजनके अं तगवत ऐसी वर्ब्रध से प्रभावर्त राज्य या राज्यों के संसि में और
वर्धान-मंिल या वर्धान-मंिलों में प्रवतटनब्रधत्व के बारे में उपबंध हैं) अं तवर्ि ष्ट हो सकेंगे ब्रजन्हें संसि आर्श्यक
समझे।

• पूर्ोक्त प्रकार की कोई वर्ब्रध अनुच्छेि 368 के प्रयोजनों के ललए इस संवर्धान का संशोधन नहीं समझी जाएगी।

भूगोल | संघ और राज्य क्षेत्र पृष्ठ 4


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सारांश
अनुच्छेि वर्िय

अनुच्छेद 1 • संघ का नाम और राज्य क्षेत्र

अनुच्छेद 2 • नए राज्यों का प्रर्ेश या स्थापना

अनुच्छेद 3 • नए राज्यों का टनमावण और र्तवमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओ ं या नामों में पररर्तवन

• पहली अनुसूची और चौथी अनुसच


ू ी के संशोधन तथा अनुपूरक, आनुिंवगक और पाररणावमक
अनुच्छेद 4
वर्ियों का उपबंध करने के ललए अनुच्छेि 2 और अनुच्छेि 3 के अधीन बनाई गई वर्ब्रधयाँ

भूगोल | संघ और राज्य क्षेत्र पृष्ठ 5

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