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Constitutional Development Regulating Act 1773 To Charter Act 1853 Hindi 54
Constitutional Development Regulating Act 1773 To Charter Act 1853 Hindi 54
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ननम्नलिखित महत्वपूणण अधिननयम, ननयम और ववकास हैं जो अांततः वतणमान भारतीय राजनीनत
के ववकास का कारण बने।
1726 का राजलेख
किकत्ता, बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी के गवनणरों को ववधि बनाने कक शक्तत प्रदान कक गयी.
इससे पहिे यह शक्तत इांग्िैंड क्स्थत ननदे शक मांडि में ननटहत थी.
कंपिी प्रशासि
(1). ‘गवनणर’ का पद अब ‘गवनणर-जनरि’ बना टदया गया और वॉरे न हे क्स्िां ग्स के रूप में पहिे
गवनणर-जनरि वािा पहिा प्राांत बांगाि था। चार सदस्यों की एक कायणकारी पररर्षद ने उनकी
सहायता की।
(4). एक मुख्य न्यायािीश और तीन अन्य न्यायािीशों के साथ किकत्ता में सवोच्च
न्यायािय स्थावपत ककया गया था। सर एलिजा इम्पे मुख्य न्यायािीश थे।
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(5). कोिण ऑफ डायरे तिसण (सीओडी), कांपनी का प्रशासननक ननकाय था। सीओडी ने कई
मामिों में ब्रिटिश सरकार को सूचना दी।
(6). इस एति के अांतगणत किकत्ता प्रेलसडेंसी में एक ऐसी सरकार स्थावपत की गई, क्जसमें
गवनणर जनरि और उसकी कायणकारी पररर्षद के चार सदस्य थे, जो अपनी सत्ता का
उपयोग सांयुतत रूप से करते थे.
1773 के ववननयमन अधिननयम को 1781 में सांशोिन ककया गया, क्जसे एक्र् ऑफ सेर्लमेंर्
के नाम से भी जाना जाता है । अधिननयम ने कांपनी के िोक सेवकों को उनकी आधिकाररक
क्षमता में सवोच्च न्यायािय के अधिकार क्षेत्र से छूि दी।
इस अधिननयम द्वारा, किकत्ता के गवनणर को बांगाि, ब्रबहार और उडीसा के लिए कानून बनाने के
लिए अधिकृत ककया गया था।
(1). भारत में राजनीनतक मामिों के प्रबांिन के लिए एक और ननकाय- ‘बोडण ऑफ कांट्रोि’
बनाया गया। हािाांकक कोिण ऑफ डायरे तिसण वाखणक्ययक मामिों का प्रबांिन करता
रहा (अथाणत दोहरी सरकार प्रणािी)।
(2). इस प्रकार, पहिी बार कांपनी की सांपवत्तयों को ‘भारत में ब्रिटिश सांपवत्तयाां' कहा गया
था।
(3). यह अधिननयम तत्कािीन ब्रिटिश प्रिान मांत्री ववलियम वपि द्वारा पेश ककया गया
था।
(4). इस बोडण में सेक्रेिरी ऑफ स्िे ि तथा ववत्त मांत्री के अनतररतत चार अन्य सदस्य रिे
गये, क्जनकी ननयक्ु तत ब्रिटिश ताज द्वारा होती थी।
1786 का अधधनियम:
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वपि ने 1786 का अधिननयम पाररत करवाया, क्जसका प्रमुि उद्दे श्य कानणवालिस को भारत के
गवनणर जनरि के पद के लिए तैयार करना था।
इस अधिननयम के तहत मुख्य सेनापनत की शक्ततयाां भी गवनणर जनरि में ननटहत कर दी गयी।
गवनणर जनरि ववशेर्ष अवस्था में पररर्षद के ननणणयों को रद्द कर सकता था, ननणणयों को िागू
भी कर सकता था।
भारत में ससववल सेवाओं के वपता - भारत में लसववि सेवाओां के आिुननकीकरण के प्रयासों के
मुख्य सेनापनत को गवनणर जनरि की पररर्षद् का स्वतः ही सदस्य होने का अधिकार समाप्त हो
गया।
(1). ब्रिटिश ईस्ि इांडडया कांपनी के व्यापाररक अधिकारों के एकाधिकार को समाप्त कर टदया
और अन्य कांपननयों को भारत के साथ व्यापाररक गनतववधियों में भाग िेने की अनम
ु नत
दी गई।
(2). हािााँकक, चीन के साथ व्यापार करने और भारत के साथ चाय का व्यापार करने के लिए
कांपनी का एकाधिकार बरकरार रिा गया था।
(3). इसने पहिी बार भारत में ब्रिटिश क्षेत्रों की सांवैिाननक क्स्थनत को पररभावर्षत ककया।
(4). भारतीयों को लशक्षक्षत करने के लिए कांपनी द्वारा 1 िाि रुपये अिग करने का
प्राविान ककया गया था ।
(4). इस अधिननयम के अांतगणत कानून बनाए गए क्जन्हें अधिननयमों के रूप में जाना जाता
था (पहिे इन्हें ववननयम कहा जाता था)।
(2). 06 वविान पार्षणदों के साथ गवनणर जनरि की एक अिग वविान पररर्षद की स्थापना।
(3). भारतीय वविान पररर्षद में स्थानीय प्रनतननधित्व का आरां भ ककया गया था, अथाणत इन 06
नए वविायी सदस्यों में से 04 को बांगाि, मद्रास, बॉम्बे और आगरा की स्थानीय सरकारों
द्वारा ननयुतत ककया गया था।
टर्प्पणी : भारत में नागररक सेवाओां को आिुननक बनाने के उनके प्रयासों के कारण िॉडण चार्लसण
कॉनणवॉलिस को भारत में नागररक सेवाओां का वपता कहा जाता है।