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परिचयः- 1889 के मेजी संविधान को इसके लेखकों ने “दाय ननहोन िेइकोक” अथिा जापान

साम्राज्य का संविधान की संज्ञा दी। यह एक ऐसी िाजनीनिक व्यिस्था थी जजसने िोकुगािा के


पिन एिं मेजी पन
ु स्थाापना से उत्पन्न अजस्थििा को समाप्ि ककया। इसे अपनाने में 20 िर्ा
लगे क्योंकक कुछ नेिाओं का मि था कक उदाििादी संिैधाननक व्यिस्था को अपनाया जाए िाकक
आम जनिा की महत्िाकांक्षा को पूिा ककया जा सके। दस
ू िी औि िह नेिा थे जो चाहिे थे कक
केंद्रीय सिकाि का गठन हो जो आंिरिक शजक्ियों के साथ-साथ बाहिी साम्राज्यिादी िाकिों का
मक
ु ाबला कि सके। 1889 के मेजी संविधान में ऊपि ललखी दोनों विचािधािाओं की झलक मौजद

थी।इस संविधान को िैयाि किने का श्रेय जमान विद्िान “हमान िोस्लि” को जािा है। इस
संविधान को सम्राट द्िािा 11 फिििी 1889 को प्रजा को िोहफे के रूप में ददया गया। इसमें
76 अनुच्छे द थे।संविधान के अनुसाि द्विसदन संसद का गठन हुआ। जजसे अंग्रेजी में डायट की
संज्ञा दी गई। इसमें दो सदन थे उच्च सदन िथा ननम्न सदन। उच्च सदन में उच्च िगा, ननम्न
िगा के ननिााचचि सदस्य िथा कुछ सम्राट द्िािा मनोनीि व्यजक्ि होिे थे। ननम्न सदन में
सदस्यों का ननिााचन उन मिदािाओं द्िािा ककया जािा था जो लसफा बाललक परु
ु र् थे औि जो
15 येन या अचधक कि दे िे थे।इस संविधान से सम्राट शजक्िशाली हो गया। विधायी शजक्ियों
का प्रयोग सम्राट के अचधकाि में आ गया जजनके ललए िह सांसद की सहमनि लेिा था। बजट
िथा स्थाई कानूनों के संदर्ा में दोनों सदनों की पूर्ा सहमनि आिश्यक थी िथा कानून में
संशोधन की प्रकिया केिल सम्राट ही आिं र् कि सकिा था। सम्राट को संसद के सत्र में होने की
दशा में अध्यादे श जािी किने के कानून का अचधकाि प्राप्ि था। सम्राट ककसी र्ी समय संसद
का सत्रािसान कि सकिा था या ननम्न सदन को र्ंग कि सकिा था िाकक चन
ु ाि कफि से हो
सके।

कायापाललका के क्षेत्र में सम्राट को पूर्ा अचधकाि प्राप्ि था िथा मंत्री परिर्द का प्रत्येक सदस्य
सम्राट के प्रनि उत्तिदाई था। प्रधानमंत्री की ननयुजक्ि सम्राट िाजनेिाओं औि “गैनिो िगा” की
सलाह से कििा था क्योंकक इस िगा का मेजी पुनस्थाापना के समय िाजनीनिक क्षेत्र में काफी
प्रर्ाि था। प्रधानमंत्री उस मंत्रत्रपरिर्द का प्रमुख था जजसमें विलर्न्न विर्ाध्यक्ष थे। यह मंत्रीगर्
सम्राट को सलाह दे िे थे औि साथ साथ अपने विर्ागों का प्रशासन र्ी दे खिे थे। प्रधानमंत्री को
सम्राट की आज्ञा से मंत्री परिर्द के चयन का अचधकाि था।इस सबके अनिरिक्ि सम्राट सेना एिं
नौ सेना का सिोच्च शासक था। सेना िथा नौसेना के प्रमुख सम्राट के प्रनि उत्तिदाई थे न कक
सांसद या मंत्रत्रपरिर्द के प्रनि। न्याय मंत्रालय मंत्रीमंडल की दे खिे ख कििा था। संविधान में कई
जनाचधकािो का उल्लेख था जैसे धालमाक प्रकाशन, अलर्व्यजक्ि जनसर्ा का आयोजन किने की
स्ििंत्रिा, िथा संपवत्त का अचधकाि आदद।

विधानपाललका िथा कायापाललका की ििह न्यायपाललका र्ी सम्राट के अधीन थी। पिं िु इसका
कायाान्िय न्यायालय द्िािा सम्राट के नाम पि होिा था। न्यायालयों की स्थापना कानन
ू के िहि
होिी थी ना कक िाजकीय अध्यादे श के द्िािा। न्यायालयों को चाि र्ागों में बांटा जा सकिा है,
एक सिोच्च न्यायालय, साि अपील के न्यायालय, एक प्रशासन संबंधी न्यायालय, िथा जजला
न्यायालय। कई विशेर् न्यायालय का गठन ककया गया था जैसे सैननक िथा नौसैननक न्यायालय
िथा िाणर्ज्य दि
ू संबंधी न्यायालय इत्यादद।

सम्राट की सहायिा के ललए िीन संस्थाएं थी जजनपि न डायट न ही मंत्रत्रमंडल का अचधकाि था।
पहली संस्था में िह थे जजन लोगों ने 1868 के पन
ु ः स्थापन िथा संविधान ननमाार् के आिं लर्क
काल में अहम र्लू मका ननर्ाई थी। इनकी सहायिा सम्राट हि ननर्ाय में ललया कििा था। दस
ू िी
संस्था सलाहकाि प्रलसद्ध परिर्द थी। जजसमें एक अध्यक्ष िथा एक उपाध्यक्ष ि 24 पार्ाद थे
औि उनकी ननयुजक्ि सम्राट द्िािा की जािी थी। यह िि
ृ ीय विधान पाललका के रूप में काम
कििी थी। इसका प्रथम प्रमुख काया शाही घिे लू मामले जैसे उत्तिाचधकाि इत्यादद विर्य पि
दे खिे ख किना था। इसका दस
ू िा काया संविधान के संिक्षक के रूप में था। इसके अनिरिक्ि जब
संसद का सत्र नहीं हो िहा होिा था िब यह सिकाि को सलाह देिी थी िथा संचधयों पि अपनी
सहमनि व्यक्ि कििी थी। िीसिी संस्था शाही परििाि मंत्रालय थी जजसका प्रमुख एक मंत्री था।
उसका मख्
ु य काया सम्राट िथा उसके परििाि संबंधी मामलों की दे खिे ख किना था।

मेजी संविधान में प्रशासन सम्राट में केंदद्रि था। इसे कुछ लोगों ने धमािंत्रत्रय वपि ृ िंत्रात्मक
संविधान की संज्ञा दी है। मेजी संविधान ना रूद़ििादी था ना ही उदाििादी। इस संविधान को
सत्तािाद औि लोकिंत्र का लमश्रर् कहा जा सकिा है। उदाहिर्ि सम्राट को असीलमि अचधकाि दे
ददए गए थे पिं िु उसके ककसी र्ी आदे श पि िाज्य के मंत्री का हस्िाक्षि अननिाया था। अथााि ्
सिकाि का संचालन सम्राट मंत्रत्रयों के सहयोग से कििा था। सम्राट के विशेर्ाचधकाि का अथा
मंत्री मंडल का िचास्ि बनकि िह गया। मंत्रत्रमंडल को संसद में र्ी चन
ु ौिी नहीं दी जा सकिी
थी। यदद बजट को संसद की स्िीकृनि नहीं लमलिी िो संविधान में ऐसा अचधकाि था जजसे
वपछले िर्ा के बजट को अपनाया जा सके। मंत्रत्रमंडल के ककसी र्ी सही या गलि ननर्ाय को
िैधाननक रुप से सम्राट के विशेर्ाचधकाि के रूप में देखा जा सकिा है। अंििः सत्तारू़ि सिकाि
अपनी इच्छाओं के अनुरूप काया कििी थी।

सम्राट सेना औि नौसेना के ललए मंत्रत्रयों की सलाह के ललए बाध्य नहीं था। लेककन सम्राट ने
िाष्ट्र की शान औि संप्रर्ुिा के नाम पि कई ऐसे फैसले ललए जजससे जापान को आहाि पहुंचा।
इससे संविधान में ननदहि असमानिाएं उर्ि कि सामने आ गई। जैसे कक प्रधानमंत्री का चन
ु ाि
ककसके द्िािा ककया जाए। प्रधानमंत्री के चन
ु ाि के दािेदािो की संख्या अचधक थी। फलस्िरुप
मंत्रत्रमंडल दलगि िाजनीनि का अखाडा बन गया।

ककं िु मेजी संविधान केिल सत्तािादी नहीं था। इसमें कई उदाििादी विचािों का समागम र्ी था।
जैसे विधान शजक्ियों का प्रयोग सम्राट संसद की स्िीकृनि से ही कि सकिा था जजसके त्रबना
यह कानून नहीं बन सकिा था। संसद का दस
ू िा काया सम्राट को संबोचधि किना िथा जनिा से
आिेदन प्राप्ि किना इत्यादद था। िीसिा, संसद के दोनों सदनों को संविधान के प्रािधानों के
अलािा र्ी ननयम बनाने का अचधकाि था। संसद को सिकाि से प्रश्न किने िथा दस्िािेज प्राप्ि
किने का अचधकाि था। न्यायपाललका का मुख्य आधाि कानन
ू माना गया िथा न्यायपाललका,
कायापाललका से स्ििंत्र होकि काम कििी थी। न्यायाधीशों की ननयुजक्ि उनके जीिन काल िक
कि दी गई।

शाही प्रर्ुसत्ता को धालमाक लसद्धांि से िक्षक्षि ककया गया। इसके अनुसाि समूचा िाष्ट्र एक शिीि
के समान है जजसका लसि सम्राट है। इसके अनुसाि जापान एक वपिस
ृ त्तात्मक िाज्य है। जजसमें
सर्ी लोग एक दस
ू िे से जड
ु े हैं िथा शाही घि मख्
ु य परििाि है। सम्राट श्रेष्ट्ठ वपिा है िथा उसके
प्रनि ननष्ट्ठा िथा िाष्ट्रीयिा सबसे बडा किाव्य। मेजी संविधान ने न केिल सम्राट को प्रर्ूसत्ता
प्रदान की बजल्क इसने सम्राट के पद को विश्िसनीयिा र्ी प्रदान की जजसका आधाि सददयों
पुिाना था।

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