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CSC Panchayati Raj
CSC Panchayati Raj
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-01
वैकदक यगु में स्थानीय शासन इकाइयों का उल्लेख कमलता है। ऋग्वेद में “सभा”, “सकमकत” और “कवदथ” के रूप में
स्थानीय सकमकतयों को उल्लेकखत ककया गया है। ये स्थानीय स्तर पर मौजदू लोकताांकत्रक कनकाय या सांस्थाएां थी। राजा
को कुछ कायग करने करने के कलए इन सांस्थाओ ां या कनकायों की स्वीकृ कत प्राप्त करनी होती थी।
इस काल में गाांव का प्रबन्ध गाांव के 'मकु खया' द्वारा होता था कजसे 'ग्राकमणी' कहा जाता था। गाांव की चौपाल पर बैठकर
कवमशग हुआ करता था। चौपाल पर जो सभा होती थी। उसमें सभी स्थानीय नागररक भाग लेते थे।
मनस्ु मृकत में ग्रामीण शासन के कलए जो कमगचारी उत्तरदायी होता था उसे 'ग्रामीक' कहा जाता था। ग्रामीण का प्रमख
ु
कायग लोगों से 'करो' को वसल ू ी करना था। साथ-ही-साथ ग्रामीक राजा के कलए कवकभन्न सामाकजक परम्पराओ ां का
पालन करना जरूरी था। इसके आधार पर ही कवकभन्न वगों को अपने कलए कनयम बनाने का अकधकार होता था।
राज्य में एक जातत पंचायत के अकस्तत्व के सांकेत भी कमले हैं । कजसमें जाकत पांचायत द्वारा चनु ा गया व्यकि या
कनवागकचत व्यकि राजा के मांत्री पररषद में सदस्य होता था।
महाभारत के “शाांकत पवग” में भी ग्रामों के स्थानीय स्वशासन से सांबांकधत पयागप्त साक्ष्य कमले हैं। महाभारत के अनसु ार
ग्राम के ऊपर 10, 20, 100, 1000 ग्राम समहू की इकाइयाां कवद्यमान होती थी।
ग्राम का मख्ु य अकधकारी “ग्रातमक” कहलाता था।
10 ग्रामों का प्रमख
ु “दशप” कहलाता था।
20 ग्रामों का प्रमखु तवश्ं य ऄतधपतत
100 ग्रामों का प्रमखु शत ग्राम ऄध्यक्ष
1000 ग्रामों का प्रमखु ग्राम पतत
ये लोग अपने ग्रामों की रक्षा के कलये उत्तरदायी थे।
सभा एवां महासभा में 30 सदस्य होते थे, कजनका कनवागचन करने के कलए आवश्यक योग्यताएाँ- गााँव का स्थायी कनवासी
हो, 35 से 70 वषग की आयु हो, कम से कम 1 / 4 वेकल (डेढ़ एकड़) भकू म का स्वामी हो, स्वयां का भवन हो, वैकदक
मांत्रों का ज्ञाता हो आकद । ग्राम सभाओ ां की जानकारी परान्तक कद्वतीय के उत्तरमेरू अकभलेख से प्राप्त होती है। ऐसी
योग्यताओ ां को धारण करने वाले व्यकियों के नाम अलग-अलग ताड़-पत्रों में कलखकर उन्हें ककसी बड़े पात्र में डाल
मौयग तथा मौयोत्तर काल में भी वद्ध ृ ों की एक पररषद (Council of Elders) की सहायता से ग्राम का मकु खया ग्राम
के कायों में एक महत्त्वपणू ग भकू मका का कनवगहन करता रहा।
महाग्राम के बाद जनपद होता था। इसके मकु खया को स्थातनक कहा जाता था। इस काल में गाांवो की तरह ही नगरों के
कलए भी प्रबन्ध व्यवस्था थी। नगरों के मकु खया को नागररक कहा जाता था। जो गोप व स्थाकनक की सहायता से नगर
प्रबन्ध की व्यवस्था देखता था व प्रशासन चलाता था। उि प्रमख ु की कनवागचन गाांवों की जनता द्वारा सम्पन्न होता था।
चनु ाव ताड़-पत्रों पर उम्मीदवारों का नाम कलखकर उन्हें बतगन में डाला जाता था। इसके बाद इस बतगन में से एक बालक
द्वारा इन ताड़-पत्रों (मतपत्रों) को कनकाला जाता था। इस पद्धकत को 'कुडबोलाइ' पद्धतत कहा जाता था गुप्तकाल के
बाद के कालों में भी सधु ारात्मक रवैया अपनाते हुए कमोबेश धीरे -धीरे पांचायती राज सदृु ढ़ होते गयी।
सल्तनतकाल में प्रान्तों का कवभाजन तशक में तथा कशक का कवभाजन परगना (तजला) में ककया गया था तथा
सबसे आकखरी में गााँव आता था। गााँव में वांशानगु त अकधकारी होते थे, कजन्हें खतु , मक
ु द्दम व चौधरी कहा जाता था।
मध्यकाल में स्थानीय स्वशासन के अनेक साक्ष्य या सांकेत प्राप्त होते हैं । जैसे कक सल्तनत काल के दौरान राज्यो को
प्राांतों में कवभाकजत ककया गया था। कजन्हें “तवलायत” नाम से सांबोकधत ककया जाता था। ग्राम स्तर पर शासन के कलए
तीन महत्वपूणथ ऄतधकाररयों का ईल्लेख तमलता है-
मुकद्दम , गााँव अकधकारी प्रशासन के कलए।
पटवारी , राजस्व सांग्रह के कलए।
चौधरी , पांचों की सहायता प्राप्त करके कववादों का समाधान करता था।
मगु ल शासकों का क्षेत्र कवस्तृत व कवशाल होने के कारण इन्होंने राजस्व एककत्रत करने व ग्रामों पर अपनी पकड़ मजबूत
करने के कलए जागीरदारी प्रणाली के माध्यम से स्थानीय शासन को कनयकन्त्रत ककया। इस काल में जागीरदारी प्रणाली
ने ग्रामीणों का शोषण करना प्रारांभ कर कदया था ।
प्रशासन की सबसे छोिी इकाई गााँव होती थी। गााँव का प्रमखु अकधकारी मक ु द्दम तथा पिवारी होते थे। मक ु द्दम गााँव का
सबसे प्रकतकष्ठत व्यकि होता था, जो वेतन नहीं लेता था। मक
ु द्दम का प्रमख
ु कायग गााँव में शाकन्त व सव्ु यवस्था स्थाकपत
डॉ. ऄल्टे कर ने तलखा है-ये ग्राम पांचायतें ग्राम की रक्षा का प्रबन्ध करती थीं और राज्य का कर एककत्रत करती थीं
तथा नए कर लगाती थीं।
यह सबसे महत्वपर्
ू ड चैप्िर है क्योंब्रक यहीं से स्थानीय स्वशासन की आधब्रु नक भारत में शुरुआत होती है,
अथाडत पुरानी पंचायतीराज व्यवस्था ब्रिर से पुनजीब्रवत होती है।
वषग 1857 के पवद्रोह के बाद पस्थपत थोड़ी बदलने लगी, शाही राजकोष िर दबाव बढ़ता गया और इस तरह से पिपिश
सरकार ने पवके न्द्द्रीकरण की नीपत को अिनाया।
1870 में ‚मेयो प्रस्ताव‛ ने स्थानीय सस्ं थाओ ं की शपि और उत्तरदापयत्व में वृपद्ध करने का कायग पकया। पजसने
स्थानीय संस्था के पवकास को गपत प्रदान की। इसी वषग नगर िापलकाओ ं में पनवागपचत प्रपतपनपधयों की संकर्लिना को
प्रस्तुत पकया गया।
लार्ग ररिन द्वारा 1882 में स्थानीय संस्थाओ ं को लोकतांपिक ढांचा प्रदान पकया गया। इसे ही भारत में स्थानीय
स्वशासन का मैग्नाकािाग कहा जाता है।
इसके द्वारा सभी बोर्ों में पनवागपचत गैर अपधकाररयों के दो पतहाई बहुमत को अपनवायग बना पदया गया और पनकायों के
अध्यक्ष का चयन भी गैर अपधकाररयों में से ही होना था।
लॉर्ग ररिन का भारत के प्रपत अन्द्य वाइसराय की तलु ना में एक अलग दृपष्टकोण था। ग्लैर्स्िोन ने भारत के प्रपत अिनी
नीपत को समझाया-
‘हमारा भारत में होना िहली शतग िर पनभगर करता है, पक हमारा वहां होना भारतीय मल ू पनवापसयों के पलए लाभदायक
है; और दसू री शतग िर, पक हम उन्द्हें लाभदायक देखने और समझने के पलए बना सकते हैं’
Mind Refresher
पचं ायत शब्द दो शब्दों 'िचं ' और 'आयत' के मेल से बना है. पचं का अथड है पांच और आयत का अथड है सभा.
िंचायत को िांच सदस्यों की सभा कहा जाता है जो स्थानीय समदु ायों के पवकास और उत्थान के पलए काम करते हैं और
स्थानीय स्तर िर कई पववादों का हल पनकालते हैं. िच ं ायती राज व्यवस्था का जनक लॉर्ग ररिन को माना जाता है. ररिन
ने 1882 में स्थानीय संस्थाओ ं को उनका लोकतांपिक ढांचा प्रदान पकया था. अगर देश में पकसी गांव की हालत खराब
है तो उस गांव को सशि और पवकसीत बनाने के पलए ग्राम िंचायत उपचत कदम उठाती है. बलवंत राय मेहता सपमपत
के सझु ावों के बाद तत्कालीन प्रधानमंिी िंपर्त जवाहरलाल नेहरू ने सबसे िहले 2 अक्िूबर 1959 को राजस्थान के
नागौर पजले में िचं ायती राज व्यवस्था को लागू पकया था. इसके कुछ पदनों के बाद आध्रं प्रदेश में भी इसकी शरुु आत हुई
थी.
लॉर्ड ररपन के बारे में
लॉर्ग ररिन का जन्द्म 24 अक्िूबर, 1827 को हुआ था। वह प्रधानमिं ी एफजे लॉर्ग ररिन के दसू रे ििु थे। लॉर्ग ररिन
(Lord Ripon) ग्लैर्स्िोन के शासनकाल में भारत के वायसराय बने। ग्लैर्स्िोन की पलबरल िािी के सत्ता में आने के
साथ पििेन में प्रशासन का िररवतगन भारत की शीषग कायगकाररणी में बदलाव के साथ हुआ। लॉर्ग ररिन को भारत का
गवनगर जनरल और वायसराय पनयि ु पकया गया था, जो िहले दो मौकों िर भारत कायागलय में प्रमख ु िदों िर रहे थे।
9 जलु ाई 1909 को इनका पनधन हो गया।
1883 में लॉर्ग ररिन ने इलबिग पबल िेश पकया। इस पबल का नाम कॉिेन िेरेग्रीन इलबिग के नाम िर रखा गया, जो
भारत की िररषद के काननू ी सलाहकार थे।
इस पवधेयक का उद्देश्य भारतीय दंर् संपहता से नस्लीय िवू ागग्रह को समाप्त करना था। ररिन ने देश में मौजदू ा काननू ों के
पलए एक संशोधन की िेशकश की थी और भारतीय न्द्यायाधीशों और मपजस्रेिों को पजला स्तर िर आिरापधक
मामलों में पिपिश अिरापधयों के पखलाफ मक ु दमा चलाने की अनमु पत दी थी। ऐसा िहले कभी नहीं हुआ।
भारत में रहने वाले यरू ोिीय इसे अिमान के रूि में देखते थे। इस पवधेयक को तीव्र पवरोध का सामना करना िड़ा और
1884 में इसे वािस ले पलया गया।
संशोपधत पवधेयक में प्रावधान थे पक यरू ोिीय अिरापधयों को यरू ोिीय और भारतीय पजला मपजस्रेि और सि
न्द्यायाधीशों िर समान रूि से पदए जाएगं े।
हालापं क, सभी मामलों में एक प्रपतवादी को जरू ी द्वारा िरीक्षण का दावा करने का अपधकार होगा, पजसमें कम से कम
आधे सदस्य यरू ोिीय होने चापहए। इस प्रकार, इस अपधपनयम ने कहा पक यरू ोिीय अिरापधयों को भारतीय न्द्यायाधीशों
द्वारा ‚यरू ोिीय न्द्यायाधीशों‛ के मदद से सनु ा जाएगा।
लॉर्ग ररिन अिने सधु ारवादी कायों के द्वारा भारतीयों में बहुत लोकपप्रय हो गया था और वे उसे 'सज्जन लॉर्ड ररपन'
(Ripon the good and virtuous) के नाम से स्मरण करते थे।
फ्लोरें स नाइपिंगेल ने लॉर्ग ररिन को भारत के उद्धारक की सज्ञं ा दी है।
सरु ेन्द्रनाथ बनजी के अनस ु ार, "लॉर्ग ररिन को इसपलए स्मरण नहीं पकया जाता पक उसने बहुत सफलता प्राप्त की,
अपितु इसपलए पक उसके उद्देश्य िपवि थे, उसके ध्येय ऊँचे, उसकी नीपत शद्ध ु थी और वह जातीय भेदभाव से घृणा
करता था।"
आगामी चैप्िसड
Next चै प्िर में पढ़ेंगे-पिपिशकाल में िंचायतीराज व्यवस्था से सम्बंपधत अपधपनयम
Next चै प्िर में पढ़ेंगे-स्वतंिता के बाद िंचायतीराज व्यवस्था
Next चै प्िर में पढ़ेंगे-िंचायतीराज हेतु गपठत सपमपतयां
ईस्र् इत्रं र्या कम्पनी द्वारा सवडप्रथम मद्रास में नगर त्रनगम की स्थापना की गयी।
1773 के रे ग्यल ु ेत्रर्ंग एक्र् द्वारा प्रेत्रसर्ेंर्ी नगरों में 'जत्रस्र्स ऑफ़ पीस' की स्थापना की गयी।
वषड 1907 में स्थानीय स्वशासन सस्ं थाओ ं को सी.ई.एच. होबहाउस की अध्यक्षता में ‘कें द्रीकरण पर रॉयल कमीशन’
(Royal Commission on Centralisation) के गठन से अत्यंत बल त्रमला।
इस कमीशन/आयोग ने ग्राम स्तर पर पंचायतों के महत्त्व को त्रचत्रित त्रकया।
इसका कायड के न्द्द्र, प्रान्द्त तथा इसके अत्रधनस्थ इकाइयों के मध्य त्रवत्तीय व प्रशासत्रनक सम्बन्द्धों का अध्ययन करना
था। आयोग ने स्थानीय स्वशासन के त्रवषय का गहन अध्ययन त्रकया तथा इनकी त्रवफलता के त्रलए त्रनम्न त्रनष्कषड
त्रनकाले अत्यत्रधक सरकारी त्रनयंिण; मतात्रधकार का अत्रधकार का संकुत्रचत होना; अत्यल्प संसाधन: त्रशक्षा और
प्रशीक्षण का अभाव: योग्य और समत्रपडत लोगों की कमी सेवाओ ं पर स्थानीय त्रनकायों का अपयाडप्त त्रनयंिण। रॉयल
कमीशन ने ररपोर्ड में त्रलखा त्रक धन का अभाव ही स्थानीय सस्ं थाओ ं के प्रभावशाली ढंग से काम न करने में प्रमख ु
बांधा बनी हुई है। आयोग ने स्थानीय स्वशासन की इकाइयों को मजबूत बनाने हेतु अनेक सझु ाव त्रदए।
28 अप्रैल 1915 के प्रस्ताव में भारत सरकार ने इन सझु ावों के क्रत्रमक कायडन्द्वयन का सझु ाव त्रदया। पजं ाब वह पहला
प्रांत था त्रजसने सवडप्रथम रॉयल आयोग की त्रसफाररशों के आधार पर सन् 1911 में नगरपात्रलका अत्रधत्रनयम पाररत
त्रकया।
वषड 1919 के 'मांर्ेग्य-ू चेम्सफोर्ड सधु ार' ने स्थानीय सरकार के त्रवषय को प्रांतों के अत्रधकार क्षेि में स्थानांतररत कर
त्रदया।
भारत सरकार अब्रधब्रनयम 1919 (मांिेग्यू-चे म्सफोर्ड सध
ु ार अब्रधब्रनयम)
त्रित्रर्श सरकार द्वारा पंचायती राज व्यवस्था में नए रक्त का संचार करने का प्रयास जो 1907 में शरू
ु त्रकया गया था
उसमें 1919 में पहली बार भारत सरकार अत्रधत्रनयम में शात्रमल त्रकया गया। लेत्रकन इसे भी राजनैत्रतक और प्र्शासत्रनक
हस्तक्षेप के कारण अत्रधक दरू तक नहीं ले जाया जा सका। लेत्रकन भारतीय नेताओ ं ने इस त्रसरे को हाथ से नहीं जाने
त्रदया और 1922 में देशबंधु त्रचतरंजन दास ने ग्राम पंचायतों को महत्व देने की बात उठाई। इसी बात को 1931 के
गोलमेज़ सम्मेलन में गांधी जी ने ग्राम पंचायतों के पनु गडठन की मांग को परु जोर तरीके से रखा।
वषड 1921 में मांर्ेग्य-ू चेम्सफोर्ड सधु ारों को लागू त्रकया गया।
इस अत्रधत्रनयम का एकमाि उद्देश्य भारतीयों का शासन में प्रत्रतत्रनत्रधत्व सत्रु नत्रित करना था।
अत्रधत्रनयम ने कें द्र के साथ-साथ प्रांतीय स्तरों पर शासन में सधु ारों की शरुु आत की।
ब्रनम्न सदन की सरं चना: त्रनम्न सदन में 145 सदस्य थे, जो या तो मनोनीत थे या अप्रत्यक्ष रूप से प्रातं ों से चनु े गए थे।
इसका कायडकाल 3 वषड था।
41 मनोनीत (26 आत्रधकाररक और 15 गैर-सरकारी सदस्य)
104 त्रनवाडत्रचत (52 जनरल, 30 मत्रु स्लम, 2 त्रसख, 20 त्रवशेष)।
उच्च सदन की सरं चना: उच्च सदन में 60 सदस्य थे। इसका कायडकाल 5 वषड का था और इस सदन में के वल परुु ष
सदस्य को ही शात्रमल त्रकया गया था।
26 मनोनीत
34 त्रनवाडत्रचत (20 जनरल, 10 मत्रु स्लम, 3 यरू ोपीय और 1 त्रसख सदस्य)
वायसराय की शब्रियां
वायसराय को त्रवधात्रयका को संबोत्रधत करने का अत्रधकार था।
उसे बैठकों को आहूत करने, स्थत्रगत करने या त्रवधानमंर्ल को त्रनरस्त या खंत्रर्त करने का अत्रधकार प्राप्त रहा।
त्रवधात्रयका का कायडकाल 3 वषड का था, त्रजसे वायसराय अपने अनसु ार बढा सकता था।
ब्रवषयों का ब्रवभाजन
त्रवषयों को दो सत्रू चयों में त्रवभात्रजत त्रकया गया था: 'आरत्रक्षत' और 'स्थानांतररत'। आरब्रित सच
ू ी में शात्रमल त्रवषयों
का प्रशासन गवनडर द्वारा नौकरशाहों की कायडकारी पररषद के माध्यम से त्रकया जाना था।
इसमें काननू और व्यवस्था, त्रवत्त, भ-ू राजस्व, त्रसंचाई आत्रद जैसे त्रवषय शात्रमल थे।
सभी महत्त्वपणू ड त्रवषय को प्रांतीय कायडकाररणी के आरत्रक्षत त्रवषयों में शात्रमल त्रकया गया।
हस्तांतररत ब्रवषयों को त्रवधान पररषद के त्रनवाडत्रचत सदस्यों में से मनोनीत मत्रं ियों द्वारा प्रशात्रसत त्रकया जाना था।
इसमें त्रशक्षा, स्वास्थ्य, स्थानीय सरकार, उद्योग, कृ त्रष, उत्पाद शल्ु क आत्रद त्रवषय शात्रमल थे।
प्रातं में सवं ैधात्रनक तंि के त्रवफल होने की त्रस्थत्रत में गवनडर हस्तातं ररत त्रवषयों का प्रशासन भी अपने हाथ में ले सकता
था।
ब्रवधानमंर्ल में सध ु ार
प्रातं ीय त्रवधान पररषदों का और अत्रधक त्रवस्तार त्रकया गया तथा 70% सदस्यों का चनु ाव त्रकया जाना था।
सांप्रदात्रयक (Communal) और वगीय मतदाताओ ं (class electorates) की व्यवस्था को और मज़बूत त्रकया गया।
मत्रहलाओ ं को भी वोर् देने का अत्रधकार त्रदया गया।
त्रवधान पररषदें बजर् को अस्वीकार कर सकती थी लेत्रकन यत्रद आवश्यक हो तो गवनडर इसे पनु िः बहाल कर सकता
था। त्रवधायकों (Legislators) को बोलने की स्वतंिता थी।
गवनडर की शब्रियां
गवनडर त्रजन्द्हें वह आवश्यक समझे, मत्रं ियों को त्रकसी भी आधार पर बखाडस्त कर सकता था। साथ ही उसने त्रवत्त पर
पणू ड त्रनयंिण बनाए रखा।
त्रवधान पररषदें काननू त्रनमाडण की प्रत्रक्रया शरू
ु कर सकती थीं लेत्रकन उसके त्रलये गवनडर की सहमत्रत की आवश्यकता
थी।
गवनडर को त्रवधेयक पर वीर्ो शत्रक्त का अत्रधकार था तथा वह अध्यादेश जारी कर सकता था।
इस अत्रधत्रनयम ने लोगों को प्रशासन करने का अत्रधकार प्रदान त्रकया त्रजससे सरकार पर प्रशासत्रनक दबाव बहुत कम
हो गया। इसने भारतीयों को प्रांतीय प्रशासन में त्रज़म्मेदाररयों का त्रनवडहन करने हेतु तैयार त्रकया।
अत्रधत्रनयम ने भारतीयों और अग्रं ेज़ों दोनों में सत्ता के त्रलये सघं षड को प्रोत्सात्रहत त्रकया। पररणामस्वरूप बड़ी सख्ं या में
सांप्रदात्रयक दंगे हुए जो वषड 1922 से 1927 तक जारी रहे।
वषड 1923 में स्वराज पार्ी (Swaraj Party) की स्थापना हुई तथा उसने चनु ावों में मद्रास को छोड़कर पयाडप्त संख्या में
सीर्ें जीती। जबत्रक पार्ी बंबई और मध्य प्रातं ों में मत्रं ियों के वेतन के साथ अन्द्य वस्तओ ु ं की आपत्रू तड को अवरुद्ध करने
में सफल रही।
रॉलेि एक्ि अब्रधब्रनयमन भारतीयों को शांत करने के त्रलये भारत सरकार दमन के त्रलये तैयार थी।
परू े यद्ध
ु के दौरान राष्रवात्रदयों का दमन जारी रहा। क्रात्रं तकाररयों का दमन त्रकया गया, उन्द्हें फासं ी दी गई और जेल में
र्ाल त्रदया गया। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (Maulana Abul Kalam Azad) जैसे कई अन्द्य राष्रवात्रदयों को
भी जेल में र्ाल त्रदया।
सरकार ने अब खदु को और अत्रधक दरू गामी शत्रक्तयों से लैस करने का फै सला त्रकया, जो काननू के शासन के स्वीकृ त
त्रसद्धांतों के त्रखलाफ थी, तात्रक उन राष्रवात्रदयों की आवाज को दबाया जा सके जो सरकारी सधु ारों से संतुष्ट नहीं थे।
इस अत्रधत्रनयम ने सरकार को राजनीत्रतक गत्रतत्रवत्रधयों को दबाने के त्रलये अत्रधकार प्रदान त्रकये और दो साल तक
त्रबना त्रकसी मक ु दमे के राजनीत्रतक कै त्रदयों को त्रहरासत में रखने की अनमु त्रत दी।।
इस अत्रधत्रनयम ने सरकार को बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) के अत्रधकार को त्रनलंत्रबत करने का अत्रधकार
प्रदान त्रकया त्रजसने त्रिर्ेन में नागररक स्वतंिता की नींव रखी।
इस प्रकार कहा जा सकता है की भारत को जमीनी आजादी 1935 के अत्रधत्रनयम से त्रमलनी शरू ु हो गई थी। इसके
बाद त्रनरंतर होने वाले सधु ारों में ग्राम पंचायत के अत्रस्तत्व और महत्व को खल
ु े मन से स्वीकार त्रकया गया और आज
भारत में 9891 ग्राम पंचायतें, 295 पंचायत सत्रमत्रतयां और 33 त्रजला पररषद् पंचायतीराज व्यवस्था का त्रहस्सा बनी
हुई हैं।
अगस्त सन 1935 में त्रित्रर्श ससं द द्वारा भारत सरकार अत्रधत्रनयम, 1935 पाररत त्रकया गया था. यह उस समय त्रित्रर्श
संसद द्वारा पाररत अत्रधत्रनयमों में से सबसे त्रवस्तृत अत्रधत्रनयम था. भारत सरकार अत्रधत्रनयम 1935 को दो अलग-
अलग अत्रधत्रनयमों में त्रवभात्रजत त्रकया गया था
1. भारत सरकार अत्रधत्रनयम 1935
2. बमाड सरकार अत्रधत्रनयम 1935
ब्रद्वसदनीय ब्रवधानमंर्ल
एक त्रद्वसदनीय संघीय त्रवधात्रयका की स्थापना की जाएगी.
ये दो सदन सघं ीय त्रवधानसभा (त्रनचला सदन) और राज्य पररषद (उच्च सदन) थे.
संघीय सभा का कायडकाल पााँच वषड का होता था.
दोनों सदनों में देशी ररयासतों के प्रत्रतत्रनत्रध भी थे. ररयासतों के प्रत्रतत्रनत्रधयों को शासकों द्वारा मनोनीत त्रकया
जाना था न त्रक त्रनवाडत्रचत त्रकया जाना था. त्रित्रर्श भारत के प्रत्रतत्रनत्रधयों को त्रनवाडचन द्वारा चनु ा जाना था.
और कुछ को गवनडर-जनरल द्वारा मनोनीत त्रकया जाना था.
बंगाल, मद्रास, बॉम्बे, त्रबहार, असम और संयक्त ु प्रांत जैसे कुछ प्रांतों में भी त्रद्वसदनीय त्रवधात्रयकाएं पेश की
गई ंथीं.
भारतीय पररषद
भारतीय पररषद को समाप्त कर त्रदया गया.
इसके बजाय भारत के राज्य सत्रचव के पास सलाहकारों की एक र्ीम होने का प्रावधान त्रकया गया.
मताब्रधकार
इस अत्रधत्रनयम ने पहली बार भारत में प्रत्यक्ष चनु ाव की शरुु आत की.
पुनब्रनडमाडण
त्रसंध को बॉम्बे प्रेसीर्ेंसी से अलग कर त्रदया गया.
त्रबहार और उड़ीसा को अलग कर त्रदया गया.
बमाड को भारत से अलग कर त्रदया गया था.
अदन को भी भारत से अलग कर एक क्राउन कॉलोनी बना त्रदया गया.
अन्य मख्
ु य बातें
त्रित्रर्श संसद ने प्रांतीय और संघीय दोनों तरह की भारतीय त्रवधात्रयकाओ ं पर अपना वचडस्व बरकरार रखा.
भारतीय रे लवे को त्रनयंत्रित करने के त्रलए एक संघीय रे लवे प्रात्रधकरण की स्थापना की गई थी.
इस अत्रधत्रनयम ने भारतीय ररजवड बैंक की स्थापना के त्रलए राह प्रशस्त की.
इस अत्रधत्रनयम में सघं ीय, प्रातं ीय और सयं क्त
ु लोक सेवा आयोगों की स्थापना का भी प्रावधान था.
यह अत्रधत्रनयम भारत में एक त्रजम्मेदार संवैधात्रनक सरकार के त्रवकास में एक मील का पत्थर सात्रबत हुआ.
भारत सरकार अत्रधत्रनयम 1935 को स्वतंिता के बाद भारत के संत्रवधान द्वारा प्रत्रतस्थात्रपत त्रकया गया था.
भारतीय नेता इस अत्रधत्रनयम के बारे में उत्सात्रहत नहीं थे क्योंत्रक प्रातं ीय स्वायत्तता देने के बावजदू राज्यपालों
और वायसराय के पास काफी 'त्रवशेष शत्रक्तयां' थीं.
पृथक सांप्रदात्रयक त्रनवाडचक मंर्ल एक ऐसा उपाय था त्रजसके माध्यम से अंग्रेज यह सत्रु नत्रित करना चाहते थे
त्रक काग्रं ेस पार्ी कभी भी अपने दम पर भारत में शासन न कर सके . यह लोगों को त्रवभात्रजत रखने का एक
तरीका भी था.
सगां ठन त्मक और र जकोषीय ब ध ओ ां के क रण इसे बड़े पैम ने पर जीवांत सांस्थ के रूप में पररणत नहीं वकय ज
सक वफर भी वषष 1925 तक आठ प्ांतों ने पांच यत अवधवनयमों को प ररत कर विय थ और वषष 1926 तक छह
देशी ररय सतों ने पांच यत क ननू प ररत कर विय थ ।
1947 में आज दी वमिने के स थ ही र ज्यों में अतां ररम सरक र क गठन हुआ। इसके तरु ां त ब द सबसे उत्तरप्देश में
और उसके ब द वबह र में स्थ नीय स्वश सन को सशक्त बन ने, ग ाँव के िोगों की उसमें भ गीद री बढ़ ने कल्य णक री
योजन ओ ां में गवत ि ने तथ स्थ नीय स्तर पर छोटे-छोटे ववव दों के आपस में सि
ु झ ने के उद्देश्य से पांच यतीर ज
अवधवनयम 1947 क गठन हुआ। इसे सवषप्थम 1948 में वबह र र ज्य में ि गू वकय गय । पर ये उस तरह क व्यवस्थ
नहीं थ वजसे हम आज ज नते है।
जब भ रत आज द हुआ तो सबसे पहिे सवां वध न बन ने के विए सवां वध न सभ क गठन वकय गय , वजसमें देश को
प्गवत के र स्ते पर िे ज ने के विए कई क ननू बने। सांववध न में ग ाँधी जी के स्वर ज के सपने को सांववध न वनम षत ओ ां
ने र ज्य के नीवत-वनदेशक तत्वों में स्थ न देकर ग ाँधीव द के प्वत अपनी वनष्ठ जत ई। परन्तु ग्र म-स्वर ज को क ननू ी
म न्यत नहीं वमि सकी, वजससे स्वश सन की मि ू भ वन स्थ वपत नहीं हो सकी।
गांधी जी के अनस ु ार पचं ायती राज- मह त्म ग धां ी जी की सक ां ल्पन र मर ज्य बन ने की है वजसमें शवक्तयों क
के न्र ग ांवों को बन य । न्य य करन , योजन बन न , उसको ि गू करन हो, प्श सन करन हो आवद श वक्तय ां ग ांव के
प स होनी च वहए, यह क म ग वां ों के िोग ही करें गे।
मह त्म ग ांधी जी के प्भ व के क रण ही भ रतीय सांववध न के अनच्ु छे द-40 में पांच यती र ज की व्यवस्थ की गयी।
आज दी के ब द एहस स हुआ वक ग ांवों के ववक स से ही देश क ववक स होग , इसी को ध्य न में रखते हुए 1952 में
स मदु वयक ववक स क यषक्रम च िू वकये गये, एवां 1953 में इसी क ववस्त र रूप ‘र ष्ट्रीय ववस्त र सेव ’ की शरू
ु आत
की गयी।
सन् 1952 में भ रत सरक र ने ग्र मीण ववक स (rural devlopment) पर ववशेष ध्य न वदय और इसके विए के न्र में
पचां यती र ज एवां स मदु वयक ववक स मत्रां िय की स्थ पन की गई। देश में पच
ां यती र ज को सशक्त बन ने, व्यववस्थत
ववक स की वजम्मेद री देने और इसे िोकवप्य बन ने के विए कई कवमवटयों क गठन वकय गय ।
इनमें सव षवधक महत्वपणू ष बिवांत र य मेहत सवमवत, अशोक मेहत सवमवत, वसांधवी सवमवत और वी.एन ग डवगि
सवमवत थी, वजनकी वसफ ररशें आगे चिकर पांच यती र ज अवधवनयम-1992 के बनने में महत्वपणू ष भवू मक अद की।
आज दी के ब द से ग्र मीण जनत क जीवन स्तर सधु रने के विए कें र सरक र और र ज्य सरक रों ने ग्र मीण ववक स
के विए कई क यषक्रम चि ए।
जैसे-
2 अक्टूबर, 1952 को इस उद्देश्य के स थ स मदु वयक ववक स क यषक्रम प् रम्भ वकय गय । इस क यषक्रम के अधीन
खण्ड(ब्िॉक) को इक ई म नकर इसके ववक स हेतु सरक री कमषच ररयों के स थ स म न्य जनत को ववक स की
प्वक्रय से जोड़ने क प्य स तो वकय , िेवकन जनत को अवधक र नहीं वदय गय , वजससे यह सरक री अवधक ररयों
तक ही सीवमत रह गय ।
इसके ब द 2 अक्टूबर, 1953 को र ष्ट्रीय प्स र सेव को प् रम्भ वकय गय । यह क यषक्रम भी असफि रह वजसके
ब द समय-समय पर ग्र म पांच यतों के ववक स के विए वववभन्न सवमवतयों क गठन वकय गय ।
1957 में वनव षवचत प्वतवनवधयों को भ गीद री देने तथ प्श सन की भवू मक के वि क ननू ी सि ह देने तक सीवमत
रखने से सम्बवन्धत सझु व वदए। पांच यती र ज क शभु रम्भ भी यहीं से म न ज त है जब िोगों को स्थ नीय श सन में
भ गीद री देने की ब त की गई।
जैसे-आांध्र प्देश, वबह र, गुजर त, मध्यप्देश, उत्तरप्देश, मह र ष्ट्र, उड़ीस , इत्य वद र ज्यों में वत्र-स्तरीय पांच यती र ज
व्यवस्थ सचां वित की ज रही है। उड़ीस , हररय ण , तवमिन डु में िस्तरीय पच ां यती र ज व्यवस्थ ि गू है। जबवक
के रि, मवणपरु , वसवक्कम, वत्रपरु जैसे र ज्यों में एक स्तरीय ग्र म पांच यतें ि गू है।
नोट- मेघ िय, नग िैंड और वमजोरम जैसे र ज्यों में एक स्तरीय जनज तीय पररषद् ि गू है।
स्वतांत्र भ रत में पांच यती र ज पर विए सझु व देने हेतु अनेक सवमवतय ां बनी। वजसमें सबसे पहिे वषष 1957 में योजन
आयोग के ि र ‘स मदु वयक ववक स क यषक्रम’ और ‘र ष्ट्रीय ववस्त र सेव क यषक्रम’ के अध्ययन के विये ‘बिवतां
र य मेहत सवमवत’ क गठन वकय गय ।
भ रत के स्वतांत्र होने के िगभग 45 स ि ब द पांच यती र ज व्यवस्थ को 73व ां सांववध न सांशोधन अवधवनयम 1992
के म ध्यम से एक सांवैध वनक दज ष वदय गय । हम भ रत में पांच यती र ज के ऐवतह वसक पृष्ठभवू म को पहिे ही समझ
चकु े हैं।
प्ो.ए.आर.देसाई के अनुसार ‘‘स मदु वयक ववक स योजन एक ऐसी पद्धवत है वजसके ि र पच ां वश्रय् योजन ओ ां में
वनध षररत ग्र मों के स म वजक तथ आवथषक जीवन में रूप न्तरण की प्वक्रय प् रम्भ करने क प्यत्न वकय ज त है।
इनक त त्पयष है वक स मदु वयक ववक स एक म ध्यम है वजसके ि र पच ां वश्रय् योजन ओ ां ि र वनध षररत ग्र मीण प्गवत
के िक्ष्य को प् प्त वकय ज सकत है।
रैना (R.N. Raina) का कथन है यक ‘‘स मदु वयक ववक स एक ऐस समवन्वत क यषक्रम है जो ग्र मीण जीवन से
सभी पहिओ ु ां से है तथ धमष, ज वत स म वजक अथव आवथषक असम नत ओ ां को वबन कोई महत्व वदये, यक सम्पणू ष
ग्र मीण समदु य पर ि गू होत है।
उपयषक्त
ु पररभ ष ओ ां से स्पष्ट होत है वक स मदु वयक ववक स एक समवन्वत प्ण िी है वजसके ि र ग्र मीण जीवन के
ववक स के विए प्यत्न वकय ज त है। इस योजन में वशक्ष , प्वशक्षण, स्व स््य, कुटीर उद्योगों के ववक स, कृ वष सांच र
तथ सम ज सधु र पर बि वदय ज त है।
सामदु ाययक यवकास काययक्रम-सरक री और गैर-सरक री एजेंवसयों की सवक्रय भ गीद री के स थ जीवन के वववभन्न
पहिओ ु ां में सधु र करने के विए प् कृ वतक और म नव सांस धनों को जटु ने में, स्थ नीय स्व-सह यत ग्र म समहू ों को
बढ़ व वदय ज त है और ग वां , मोहल्िे, टोिे के ववक स में सवक्रय रूप से श वमि वकय ज त है।
इन स मदु वयक ववक स क यषक्रमों क उद्देश्य कुछ िक्ष्यों को प् प्त करन है जैसे वक-
समदु यों के स थ क म करके स म वजक पररवतषन और न्य य ि ने के विए स मवू हक रूप से क म करन ।
उनकी जरूरतों, अवसरों, अवधक रों और वजम्मेद ररयों की पहच न करन ।
योजन बन न , व्यववस्थत करन और क रष व ई करन ।
क रष व ई की प्भ वशीित और प्भ व क मल्ू य ांकन करन ।
उत्पीड़न को चनु ौती देन और असम नत ओ ां से वनपटन ।
भारत सरकार के सामुदाययक यवकास मंत्रालय द्वारा इस योजना के 8 उद्देश्यों को स्पष्ट यकया गया है। ये
उद्देश्य इस प्कार हैं: -
1. ग्र मीण जनत के म नवसक दृवष्टकोण में पररवतषन ि न ।
2. ग ाँवों में उत्तरद यी तथ कुशि नेतत्ृ व क ववक स करन ।
3. सम्पणू ष ग्र मीण जनत को आत्मवनभषर एवां प्गवतशीि बन न ।
4. ग्र मीण जनत के आवथषक स्तर को ऊाँच उठ ने के विए एक ओर कृ वष क आधवु नकीकरण करन तथ दसू री
ओर ग्र मीण उद्योगों को ववकवसत करन ।
5. इन सधु रों को व्य वह ररक रूप देने के विए ग्र मीण वियों एवां पररव रों की दश में सधु र करन ।
9. पशु पालन
पशओु ां की नस्िों में सधु र करने तथ ग्र मीणों के विए अच्छी नस्ि के पशओ ु ां की आपवू तष करने में भी ववक स खण्डों
क योगद न वनरन्तर बढ़त ज रह है। अब प्त्येक ववक स खण्ड ि र औसतन एक वशष में उन्नत वकसत के 20
पशओ ु ां तथ िगभग 400 मवु गषयों की सप्ि ई की ज ती है तथ वशष में औसतन 530 पशओ ु ां क उन्नत तरीकों से
गभ षध न कर य ज त है। इससे ग्र मीण क्षेत्रों में पशओ
ु ां की नस्ि में वनरन्तर सधु र हो रह है।
आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-पांच यतीर ज हेतु गवठत सवमवतय ां
भारत में पंचायती राज शब्द का ऄभभप्राय ग्रामीण स्थानीय स्वशासन पद्धभत से है। यह भारत के सभी राज्यों में, जमीनी
स्तर पर लोकतंत्र के भनमााण हेतु राज्य भवधानसभाओ ं द्वारा स्थाभपत भकया गया है।
सत्ता के भवके न्द्रीकरण की भदशा में ये सबसे महत्वपणू ा कदम है। आस व्यवस्था ने ग्रामीण भवकास की भदशा और दशा
बदल के रख दी। पर स्वतंत्र भारत में आसकी शरुु अत कुछ ऄच्छी नहीं रही ढेरों सभमभतयां बनायी गइ, हजारों भसफ़ाररशें
की गइ। अगे आन्द्हीं भसफाररशों के अधार पर सभवधं ान में पच ं ायतीराज को दजाा प्राप्त हो सका।
कें र स्तर पर पचं ायती राज भनकायों से सबं ंभधत मामलों की देख-रे ख ग्रामीण भवकास मत्रं ालय द्वारा की जाती है ।
भारतीय संघीय प्रणाली में कें र और राज्यों के बीच शभियों के बााँटवारे की योजना के ऄंतगात ‘स्थानीय शासन’ का
भवषय राज्यों को भदया गया है । आस प्रकार संभवधान की सातवीं अनुसच ू ी में वभणात राज्य सचू ी में पााँचवी प्रभवभि
‘स्थानीय शासन’ से सबं ंभधत है ।
यहााँ पर हम परीक्षा की दृष्टी से महत्वपूर्ण सठमठतयों के बारे में ठवस्तृत अध्ययन करेंगे
CSE Exam India
1-बिवतं राय मेहता सठमठत
सामदु ाभयक भवकास कायाक्रम (1952) और राष्रीय भवस्तार सेवा (नेशनल एक्सटेंशन सभवास 1953) की कायाप्रणाली
की जााँच करने और आन कायाप्रणाली में सधु ार लाने संबंधी ईपाय के भलए जनवरी 1957 में भारत सरकार ने बलवंत
रायजी मेहता की ऄध्यक्षता में एक सभमभत भनयि ु की ।
सामदु ाभयक भवकास कायाक्रम (1952) और राष्रीय भवस्तार सेवा (नेशनल एक्सटेंशन सभवास 1953) के भवषय में
हमलोगों ने भपछले चैप्टर में पढ़ा
आस सभमभत ने ऄपनी ररपोटा नवबं र 1957 में प्रस्तुत की भजसमें ‘जनताभं त्रक भवकें रीकरण’ योजना स्थाभपत करने की
भसफाररश की गइ थी । आसे बाद में ‘पंचायती राज’ कहा जाने लगा था ।
सभमभत की ये भसफाररशें राष्ट्रीय ठवकास पररषद द्वारा जनवरी 1958 में स्वीकार कर ली गइ थीं । पररषद ने एक
ऄके ले ऄनन्द्य पैटना पर ऄड़े रहने के बजाय पैटना का भनधाारण स्थानीय पररभस्थभतयों के ऄनसु ार करने का काया राज्यों
पर छोड़ भदया भकंतु यह भी स्पि कर भदया भक मल ू भसद्धातं और व्यापक अधार परू े देश में एक समान रहेंगे ।
सवाप्रथम पंचायती राज प्रणाली राजस्थान राज्य में कायम हुइ । तत्कालीन प्रधानमंत्री प. जवाहरलाल नेहरु ने 2
ऄक्टूबर, 1959 को नागौर भजले में आसका ईद्घाटन भकया था । आसके बाद 11ऄक्टूबर, 1959 अंध्रप्रदेश में यह
प्रणाली ऄपनाइ गइ । बाद में ऄभधकांश राज्यों ने आस प्रणाली को ऄपना भलया ।
उदाहरर्ाथण- राजस्थान ने तीन स्तरीय प्रणाली ऄपनाइ तो दसू री ओर तभमलनाडु ने दो स्तरीय और पभिम बंगाल ने
चार स्तरीय प्रणाली स्वीकार की । आसके ऄभतररि राजस्थान-अध्रं प्रदेश पैटना में पच
ं ायत सभमभत शभिशाली थी
क्योंभक ब्लाक ही भनयोजन और भवकास काया से जड़ु ी आकाइ थी ।
महाराष्र-गुजरात पैटना में भजला पररषद शभिशाली थी क्योंभक भनयोजन और भवकास काया से जड़ु ी आकाइ भजला ही
था। कुछ राज्यों ने छोटे-छोटे दीवानी और अपराभधक मामलों को भनपटाने के भलए न्द्याय पंचायत भी गभठत की ।
जनता पाटी की सरकार समय से पहले भगर जाने के कारण ऄशोक मेहता सभमभत की भसफाररशों पर कें र स्तर पर कोइ
कायावाही नहीं हो सकी थी, भफर भी ऄशोक मेहता सभमभत की भसफाररशों के अलोक में कनाणटक, पठिम बगं ाि
और आध्रं प्रदेश-तीन राज्यों ने पंचायती राज प्रणाली को पनु जीभवत करने के प्रयास भकए थे ।
पंचायती राज प्रर्ािी को सदृु ढ़ता प्रदान करने की दृठष्ट से इस सठमठत ने ठनम्नठिठखत ठसफाररशें की थीं-
आस सभमभत ने 4 स्तरीय ढााँचे को बताया भजसमे राज्य स्तर पर राज्य भवकास पररषद,् भजला स्तर पर भजला
पररषद, मडं ल स्तर पर मडं ल पचं ायत तथा ग्राम स्तर पर ग्राम पच
ं ायत।
भजला और भनचले स्तर पर पंचायती राज संस्थानों को ग्रामीण भवकास कायाक्रमों की देखरे ख, कायाान्द्वयन
और भनयोजन के संबंध में महत्वपणू ा भभू मका दी जानी चाभहए ।
राज्य स्तर के भनयोजन के कुछ कायों को प्रभावी भवकें रीकृ त भजला भनयोजन के भलए भजला स्तर की भनयोजन
आकाआयों को सौंप भदया जाना चाभहए ।
आस प्रकार सभमभत ने फील्ड प्रशासन की भवकें रीकृ त प्रणाली की ऄपनी योजना के ऄंतगात स्थानीय भनयोजन और
भवकास काया में पंचायती राज को ऄग्रणी भभू मका प्रदान की । आस संदभा में जी. वी.के .राव सभमभत की ररपोटा (1986),
ब्लाक स्तर के भनयोजन से सबं ंभधत दातं वाला सभमभत की ररपोटा (1978) से तथा भजला स्तर के भनयोजन से सबं ंभधत
हनमु ंतराव सभमभत की ररपोटा (1984) से भभन्द्न है ।
दोनों सभमभतयों ने सझु ाव भदया था भक मल ू भतू भवकें रीकृ त भनयोजन का काया भजला स्तर पर भकया जाना चाभहए ।
हनमु ंतराव सभमभत ने मंत्री ऄथवा भजलाधीश के भनयंत्रण में पृथक भजला भनयोजन भनकायों की वकालत की थी । दोनों
मॉडलों में भवकें रीकृ त भनयोजन में भजलाधीश को महत्त्वपणू ा भभू मका भनभानी चाभहए, हााँलाभक सभमभत ने यह भी कहा
था भक पचं ायती राज सस्ं थाओ ं को भी भवकें रीकृ त भनयोजन की आस प्रभक्रया में शाभमल भकया जाना चाभहए ।
सभमभत ने भसफाररश की थी भक भजलाधीश को भजला स्तर पर भवकास और भनयोजन से जड़ु ी सभी गभतभवभधयों के
मध्य समन्द्वय स्थाभपत करना चाभहए । आस प्रकार आस सदं भा में हनमु तराव सभमभत की भसफाररशें बलवतं राय मेहता
सभमभत भारतीय प्रशासभनक सधु ार अयोग ऄशोक मेहता सभमभत और ऄंततः जी.वी.के .राव सभमभत की भसफाररशों से
भभन्द्न हैं क्योंभक आन सभमभतयों ने भजलाधीश की भवकास कायों से जड़ु ी भभू मका में कमी लाने और भवकासात्मक
प्रशासन में पचं ायती राज को बड़ी भभू मका सौंपी जाने की भसफाररश की थी ।
जी.वी.के . राव सभमभत ने भी ऄपनी भसफ़ाररश में भनयोजन एवं भवकास की ईभचत आकाइ भजला को माना और
भजला पररषद को भवकास कायाक्रमों के प्रबंधन के भलए मयु य भनकाय बनाए जाने की भसफ़ाररश की।
थगुं न सठमठत
1988 में, संसद की सलाहकार सभमभत की एक ईप सभमभत पी. के . थंगु न की ऄध्यक्षता में राजनीभतक और प्रशासभनक
ढांचे की जांच करने के ईद्देश्य से गभठत की गइ। आन्द्होने भी पंचायती राज्य संस्थाओ ं को संवैधाभनक मान्द्यता की बात
कही। साथ ही गााँव, प्रखंड तथा भजला स्तरों पर ठि-स्तरीय पंचायती राज को ईपयि ु बताया अभद।
गाडठगि सठमठत
1988 में वी. एन. गाडभगल की ऄध्यक्षता में एक नीभत एंव कायाक्रम सभमभत का गठन कााँग्रेस पाटी ने भकया था। आस
सभमभत से आस प्रश्न पर भवचार करने के भलए कहा गया भक पच ं ायती राज सस्ं थाओ ं (Panchayati Raj System) को
प्रभावकारी कै से बनाया जा सकता। आस सभमभत ने भी ऄपनी ररपोटा में वहीं बातें दोहराइ जैसे भक-
1. पंचायती राज संस्थाओ ं को संवैधाभनक दजाा भदया जाए।
2. गााँव, प्रखडं तथा भजला स्तर पर ठि- स्तरीय पच ं ायती राज होना चाभहए।
3. पंचायती राज संस्थाओ ं का कायाकाल पााँच वषा सभु नभित कर भदया जाए आत्याभद।
ऄतं तः गाडभगल सभमभत की ये ऄनश ु सं ाएाँ एक सश
ं ोधन भवधेयक के भनमााण का अधार बनी। और पच ं ायती राज
व्यवस्था (Panchayati Raj System) को संवैधाभनक दजाा तथा सरु क्षा देने की कवायद शरू ु हुइ।
वी.पी.ठसहं सरकार:
नवंबर 1989 में प्रधानमंत्री वी.पी.भसंह के नेतत्ृ व में राष्रीय मोचाा की सरकार ने सत्ता संभालते ही घोषणा की भक वह
पंचायती राज संस्थाओ ं को सदृु ढ़ता प्रदान करने की भदशा में कदम ईठाएगी । पंचायती राज संस्थाओ ं को सदृु ढ़ता
प्रदान करने सबं ंधी मदु द् ों पर चचाा के भलए वी.पी.भसहं की ऄध्यक्षता में मयु यमभं त्रयों का दो-भदवसीय सम्मेलन जनू
1990 में हुअ ।
आस सम्मेलन में नए भसरे से संभवधान संशोधन भवधेयक लाने के प्रस्ताव के प्रभत सहमभत बनी । फलस्वरूप भसतंबर
1990 में सभं वधान सश ं ोधन भवधेयक लोकसभा में प्रस्ततु हुअ था भकंतु सरकार भगरने के कारण भवधेयक भी कहीं का
नहीं रहा ।
73वां सश
ं ोधन अठधठनयम 1992 (73rd Amendment Act of 1992)
आस ऄभधभनयम द्वारा भारतीय संभवधान में भाग IX को जोड़ भदया गया भजसका शीषाक ‘पंचायत’ रखा गया । आसमें
ऄनच्ु छे द 243 से लेकर ऄनच्ु छे द 243 ओ तक में कइ प्रावधान भकए गए हैं । आसके ऄभतररि सभं वधान में ग्यारहवीं
ऄनसु चू ी भी जोड़ी गइ है। आसमें पंचायतों के काया हेतु 29 मद हैं और ऄनच्ु छे द 243 जी से संबंभधत हैं ।
यह ऄभधभनयम देश में सबसे भनचले स्तर की जनतांभत्रक संस्थाओ ं के क्रभमक भवकास की भदशा में महत्त्वपणू ा ईपलभब्ध
का द्योतक है । आसके फलस्वरूप प्रभतभनभधपरक जनतंत्र का स्थान भागीदाररता पर अधाररत जनतंत्र ने ले भलया । यह
देश में सबसे भनचले स्तर पर जनतंत्र भनमााण की क्राभं तकारी धारणा है ।
इस अठधठनयम की ठवशे षताएं इस प्रकार हैं-
ग्रामसभा:
ऄभधभनयम के तहत पचं ायती राज प्रणाली के अधार के रूप में ग्रामसभा का प्रावधान है । ग्रामसभा एक भनकाय है
भजसके तहत पंचायत क्षेत्र में अने वाले गााँवों की मतदाना सचू ी में पंजीकृ त व्यभि शाभमल होते हैं । आस प्रकार
ग्रामसभा गााँवों का संगठन है भजसमें भकसी पंचायत क्षेत्र के सभी पंजीकृ त मतदाता शाभमल होते हैं ग्रामसभा राज्य के
भवधान द्वारा भनधााररत गााँव स्तर के सभी कायों का भनष्पादन और शभियों का प्रयोग करती है ।
73वां संशोधन की भवशेषताओ ं और ऄनच्ु छे दों का भवस्ततृ ऄध्ययन हम ऄगले चैप्टर में करें गे
प्रधानमत्रं ी, राष्रीय भवकास पररषद के ऄध्यक्ष होते है । भारतीय सघं के सभी राज्यों के मयु यमत्रं ी एवं योजना अयोग
(ऄब नीभत अयोग) के सभी सदस्य आसके पदेन सदस्य होते हैं।
राष्रीय भवकास पररषद के भवषय में और हम एक वीभडयो में ऄलग से भवस्ततृ रूप में कवर करें गे।
आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्राम पचं ायत, पचं ायत सभमभत, भजला पररषद् के सदस्य, कायाकाल, चनु ाव, अरक्षण आत्याभद
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-73वां और 74वां संशोधन, भाग-9 और आनसे सम्बंभधत ऄनच्ु छे द
73व ां सववांध न सांसोधन के ववषय में हमने विछले चैप्टर में भी िढ़ थ । ाऄवनव यय और स्वेवछछक ववषय देखें थे।
ग्र म िचां यतों के गठन क स्तर िढ़ थ ।
73वें सांववध न सांशोधन ाऄवधवनयम (73rd Amendment Act) के तहत भ ग-9 को जोड़ गय और ाआसक शीषयक
िचां यत रख गय । भ ग-9 के दो ाईिभ ग भी है। ाआस प्रक र-
भाग-9-पच ं ायत- अनच्ु छे द 243 A (क) से 243 O(ण)
भाग-9-(क)-नगरपाविकाए-ं अनुच्छे द 243 P(त) से 243 ZG(य छ)
भाग-9-(ख)-सहकारी सवमवतयां-अनुच्छे द 243(य ज) से 243(य न)
हम र ववषय िांचयतों से सम्बांवधत है ाऄताः हम यह ाँ िांच यतों एवां ाआसके सभी ाऄनछु छे दों को ववस्तृत रूि से िढ़ेंगे।
सववधां न की भ ष में
243A(क)-ग्राम सभा
ग्र म सभ , ग्र म स्तर िर ऐसी शवियों क प्रयोग और ऐसे कॄत्यों क ि लन कर सके गी, जो वकसी र ज्य के ववध न-
मांडल द्व र , वववध द्व र , ाईिबांवधत वकए ज एां ।
(4) वकसी िांच यत के ाऄध्यक्ष और वकसी िांच यत के ऐसे ाऄन्य सदस्यों को, च हे वे िांच यत क्षेत्र में प्र देवशक
वनव यचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष वनव यचन द्व र चनु े गए हों य नहीं , िांच यतों के ाऄवधवेशनों में मत देने क ाऄवधक र होग ।
(5)(क) ग्र म स्तर िर वकसी िांच यत के ाऄध्यक्ष क वनव यचन ऐसी रीवत से, जो र ज्य के ववध न-मांडल द्व र , वववध
द्व र , ाईिबांवधत कीज ए, वकय ज एग और
(ख) मध्यवती स्तर य वजल स्तर िर वकसी िांच यत के ाऄध्यक्ष क वनव यचन, ाईसके वनव यवचत सदस्यों द्व र ाऄिने में
से वकय ज एग ।
243D(घ)-स्थानों का आरक्षण
(1) प्रत्येक िांच यत में
(क) ाऄनसु वू चत ज वतयों और
(ख) ाऄनसु वू चत जनज वतयों, के वलए स्थ न ाअरवक्षत रहेंगे और ाआस प्रक र ाअरवक्षत स्थ नों की सांख्य क ाऄनिु त ,
ाईस िांच यत में प्रत्यक्ष वनव यचन द्व र भरे ज ने व ले स्थ नों की कुल सांख्य से यथ शकक़्य वही होग जो ाईस िांच यत
क्षेत्र में ाऄनसु वू चत ज वतयों की ाऄथव ाईस िचां यत क्षेत्र में ाऄनसु वू चत जनज वतयों की जनसख्ां य क ाऄनिु त ाईस क्षेत्र
की कुल जनसांख्य से है और ऐसे स्थ न वकसी िांच यत में वभन्न-वभन्न वनव यचन क्षेत्रों को चक्र नक्र ु म से ाअबांवटत वकए
ज सकें गे ।
(2) खांड (1) के ाऄधीन ाअरवक्षत स्थ नों की कुल सांख्य के कम से कम एक-वतह ाइ स्थ न, यथ वस्थवत, ाऄनसु वू चत
ज वतयों य ाऄनसु वू चत जनज वतयों की वियों के वलए ाअरवक्षत रहेंगे ।
(4) ग्र म य वकसी ाऄन्य स्तर िर िचां यतों में ाऄध्यक्षों के िद ाऄनसु वू चत ज वतयों, ाऄनसु वू चत जनज वतयों और वियों
के वलए ऐसी रीवत से ाअरवक्षत रहेंग,े जो र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र , ाईिबांवधत करे
िरांतु वकसी र ज्य में प्रत्येक स्तर िर िचां यतों में ाऄनसु वू चत ज वतयों और ाऄनसु वू चत जनज वतयों के वलए ाअरवक्षत
ाऄध्यक्षों के िदों की सांख्य क ाऄनिु त, प्रत्येक स्तर िर ाईन िांच यतों में ऐसे िदों की कुल सांख्य से यथ शक्य वही
होग , जो ाईस र ज्य में ाऄनसु वू चत ज वतयों की ाऄथव ाईस र ज्य में ाऄनसु वू चत जनज वतयों की जनसांख्य क ाऄनिु त
ाईस र ज्य की कुल जनसख्ां य से है
िरांतु यह और वक प्रत्येक स्तर िर िांच यतों में ाऄध्यक्षों के िदों की कुल सांख्य के कम से कम एक-वतह ाइ िद वियों
के वलए ाअरवक्षत रहेंगे
िरांतु यह भी वक ाआस खांड के ाऄधीन ाअरवक्षत िदों की सांख्य प्रत्येक स्तर िर वभन्न-वभन्न िांच यतों को चक्र नक्र
ु म से
ाअबांवटत की ज एगी ।
(5) खांड (1) और खांड (2) के ाऄधीन स्थ नों क ाअरक्षण और खांड (4) के ाऄधीन ाऄध्यक्षों के िदों क ाअरक्षण
(जो वियों के वलए ाअरक्षण से वभन्न है) ाऄनछु छे द 334 में वववनवदयष्ट ाऄववध की सम वि िर प्रभ वी नहीं रहेग ।
(6) ाआस भ ग की कोाइ ब त वकसी र ज्य के ववध न-मांडल को विछड़े हुए न गररकों के वकसी वगय के िक्ष में वकसी स्तर
िर वकसी िांच यत में स्थ नों के य िांच यतों में ाऄध्यक्षों के िदों के ाअरक्षण के वलए कोाइ ाईिबांध करने से वनव ररत
नहीं करे गी ।
To Be Continue…
(2) तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध के वकसी सांशोधन से वकसी स्तर िर ऐसी िांच यत क , जो ऐसे सांशोधन के ठीक िवू य
क यय कर रही है, तब तक ववघटन नहीं होग जब तक खडां (1) में वववनवदयष्ट ाईसकी ाऄववध सम ि नहीं हो ज ती ।
(क) यवद वह सांबांवधत र ज्य के ववध न-मांडल के वनव यचनों के प्रयोजनों के वलए तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध द्व र य
ाईसके ाऄधीन ाआस प्रक र वनरवहयत कर वदय ज त है :
िरांतु कोाइ व्यवि ाआस ाअध र िर वनरवहयत नहीं होग वक ाईसकी ाअयु फछचीस वषय से कम है, यवद ाईसने 21 वषय की
ाअयु प्र ि कर ली है
(ख) यवद वह र ज्य के ववध न-मडां ल द्व र बन ाइ गाइ वकसी वववध द्व र य ाईसके ाऄधीन ाआस प्रक र वनरवहयत कर वदय
ज त है ।
(2) यवद यह प्रश्न ाईठत है वक वकसी िांच यत क कोाइ सदस्य खांड (1) में व वणयत वकसी वनरहयत से ग्रस्त हो गय है य
नहीं तो वह प्रश्न ऐसे प्र वधक री को, और ऐसी रीवत से, जो र ज्यक ववध न-मडां ल, वववध द्व र , ाईिबांवधत करे,
वववनश्चय के वलए वनदेवशत वकय ज एग ।
(ख) र ज्य सरक र द्व र ाईद्गहॄ ीत और सगां हॄ ीत ऐसे कर, शल्ु क, िथकर और फीसें वकसी िच
ां यत को, ऐसे प्रयोजनों के
वलए , तथ ऐसी शतों और वनबंधनों के ाऄधीन रहते हुए , समनवु दष्ट कर सके ग ;
(ग) र ज्य की सवां चत वनवध में से िचां यतों के वलए ऐसे सह यत -ाऄनदु न देने के वलए ाईिबांध कर सके ग ;और
(घ) िांच यतों द्व र य ाईनकी ओर से क्रमशाः प्र ि वकए गए सभी धनों को जम करने के वलए ऐसी वनवधयों क
गठन करने और ाईन वनवधयों में से ऐसे धनों को वनक लने के वलए भी ाईिबांध कर सके ग , जो वववध में वववनवदयष्ट वकए
ज एां ।
(क)(त)् र ज्य द्व र ाईद्गहॄ ीत करों, शल्ु कों, िथकरों और फीसों के ऐसे शद्ध
ु ाअगमों के र ज्य और िच
ां यतों के बीच, जो
ाआस भ ग के ाऄधीन ाईनमें ववभ वजत वकए ज एां , ववतरण को और सभी स्तरों िर िांच यतों के बीच ऐसे ाअगमों के
तत्सांबांधी भ ग के ाअबांटन को ;
(त्त)् ऐसे करों, शल्ु कों, िथकरों और फीसों के ाऄवध रण को, जो िांच यतों को समनवु दष्ट की ज सकें गी य ाईनके द्व र
वववनयोवजत की ज सकें गी ;
(त्त्त)् र ज्य की सांवचत वनवध में से िांच यतों के वलए सह यत ाऄनदु न को, श वसत करने व ले वसद्ध ांतों के ब रे में ;
(ख) िच
ां यतों की ववत्तीय वस्थवत को सधु रने के वलए ाअवश्यक ाऄध्यिु यों के ब रे में ;
(ग) िांच यतों के सदृु ढ़ ववत्त के वहत में र ज्यि ल द्व र ववत्त ाअयोग को वनवदयष्ट वकए गए वकसी ाऄन्य ववषय के ब रे में,
र ज्यि ल को वसफ ररश करे ग ।
(2) र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र , ाअयोग की सांरचन क , ाईन ाऄहयत ओ ां क , जो ाअयोग के सदस्यों के रूि में
वनयवु ि के वलए ाऄिेवक्षत होंगी, और ाईस रीवत क , वजससे ाईनक चयन वकय ज एग , ाईिबांध कर सके ग ।
(3) ाअयोग ाऄिनी प्रवक्रय ाऄवध ररत करे ग और ाईसे ाऄिने कॄत्यों के ि लन में ऐसी शविय ां होंगी जो र ज्य क
ववध न-मांडल, वववध द्व र , ाईसे प्रद न करे ।
(4) र ज्यि ल ाआस ाऄनछु छे द के ाऄधीन ाअयोग द्व र की गाइ प्रत्येक वसफ ररश को, ाईस िर की गाइ क रय व ाइ के
स्िवष्टक रक ज्ञ फन सवहत, र ज्य के ववध न-मांडल के समक्ष रखव एग ।
(2) वकसी र ज्य के ववध न-मांडल द्व र बन ाइ गाइ वकसी वववध के ाईिबांधों के ाऄधीन रहते हुए, र ज्य वनव यचन ाअयि
ु
की सेव की शतें और िद ववध ऐसी होंगी जो र ज्यि ल वनयम द्व र ाऄवध ररत करे
(3) जब र ज्य वनव यचन ाअयोग ऐस ाऄनरु ोध करे तब वकसी र ज्य क र ज्यि ल, र ज्य वनव यचन ाअयोग को ाईतने
कमयच ररवांदॄ ाईिलब्ध कर एग वजतने खांड (1) द्व र र ज्य वनव यचन ाअयोग को ाईसे सौिें गए कॄत्यों के वनवयहन के वलए
ाअवश्यक हों ।
(4) ाआस सवां वध न के ाईिबांधों के ाऄधीन रहते हुए, वकसी र ज्य क ववध न-मडां ल, वववध द्व र , िच
ां यतों के वनव यचनों से
सांबांवधत य सांसि सभी ववषयों के सांबांध में ाईिबांध कर सके ग ।
(3) ाआस भ ग की
(क) कोाइ ब त वजल स्तर िर िचां यतों के सबां ांध में िवश्चमी बांग ल र ज्य के द वजयवलगां वजले के ऐसे िवयतीय क्षेत्रों को
ल गू नहीं होगी वजनके वलए तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध के ाऄधीन द वजयवलांग गोरख िवयतीय िररषद् ववद्यम न है
(ख) वकसी ब त क यह ाऄथय नहीं लग य ज एग वक वह ऐसी वववध के ाऄधीन गवठत द वजयवलांग गोरख िवयतीय
िररषद् के कॄत्यों और शवियों िर प्रभ व ड लती है ।
ाऄनसु वू चत ज वतयों के वलए स्थ नों के ाअरक्षण से सांबांवधत ाऄनछु छे द 243घ की कोाइ ब त ाऄरुण चल प्रदेश र ज्य को
ल गू नहीं होगी ।
(ख) सांसद, वववध द्व र , ाआस भ ग के ाईिबांधों क ववस्त र, खांड (1) में वनवदयष्ट ाऄनसु वू चत क्षेत्रों और जनज वत क्षेत्रों िर,
ऐसे ाऄिव दों और ाईिन्त रणों के ाऄधीन रहते हुए, कर सके गी, जो ऐसी वववध में वववनवदयष्ट वकए ज एां और ऐसी वकसी
वववध को ाऄनछु छे द 368 के प्रयोजनों के वलए ाआस सवां वध न क सश ां ोधन नहीं समझ ज एग ।
िरांतु ऐसे प्र रांभ के ठीक िवू य ववद्यम न सभी िांच यतें, यवद ाईस र ज्य की ववध न सभ द्व र य ऐसे र ज्य की दश में,
वजसमें ववध न िररषद् है, ाईस र ज्य के ववध न-मांडल के प्रत्येक सदन द्व र ि ररत ाआस ाअशय के सांकल्ि द्व र िहले ही
ववघवटत नहीं कर दी ज ती हैं तो, ाऄिनी ाऄववध की सम वि तक बनी रहेंगी ।
(ख) वकसी िचां यत के वलए कोाइ वनव यचन, ऐसी वनव यचन ाऄजी िर ही प्रश्नगत वकय ज एग जो ऐसे प्र वधक री को
और ऐसी रीवत से प्रस्तुत की गाइ है, वजसक वकसी र ज्य के ववध न-मांडल द्व र बन ाइ गाइ वकसी वववध द्व र य ाईसके
ाऄधीन ाईिबांध वकय ज ए, ाऄन्यथ नहीं ।
आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्र म सभ / ग्र म िांच यत के क यय
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्र म िचां यत, िचां यत सवमवत, वजल िररषद् के सदस्य, क ययक ल, चनु व, ाअरक्षण ाआत्य वद
73व ां सववांध न सांसोधन के ववषय में हमने विछले चैप्टर में भी िढ़ थ । ाऄवनव यय और स्वेवछछक ववषय देखें थे।
ग्र म िचां यतों के गठन क स्तर िढ़ थ ।
73वें सांववध न सांशोधन ाऄवधवनयम (73rd Amendment Act) के तहत भ ग-9 को जोड़ गय और ाआसक शीषयक
िचां यत रख गय । भ ग-9 के दो ाईिभ ग भी है। ाआस प्रक र-
भाग-9-पच ं ायत- अनच्ु छे द 243 A (क) से 243 O(ण)
भाग-9-(क)-नगरपाविकाए-ं अनुच्छे द 243 P(त) से 243 ZG(य छ)
भाग-9-(ख)-सहकारी सवमवतयां-अनुच्छे द 243(य ज) से 243(य न)
हम र ववषय िांचयतों से सम्बांवधत है ाऄताः हम यह ाँ िांच यतों एवां ाआसके सभी ाऄनछु छे दों को ववस्तृत रूि से िढ़ेंगे।
सववधां न की भ ष में
243A(क)-ग्राम सभा
ग्र म सभ , ग्र म स्तर िर ऐसी शवियों क प्रयोग और ऐसे कॄत्यों क ि लन कर सके गी, जो वकसी र ज्य के ववध न-
मांडल द्व र , वववध द्व र , ाईिबांवधत वकए ज एां ।
(4) वकसी िांच यत के ाऄध्यक्ष और वकसी िांच यत के ऐसे ाऄन्य सदस्यों को, च हे वे िांच यत क्षेत्र में प्र देवशक
वनव यचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष वनव यचन द्व र चनु े गए हों य नहीं , िांच यतों के ाऄवधवेशनों में मत देने क ाऄवधक र होग ।
(5)(क) ग्र म स्तर िर वकसी िांच यत के ाऄध्यक्ष क वनव यचन ऐसी रीवत से, जो र ज्य के ववध न-मांडल द्व र , वववध
द्व र , ाईिबांवधत कीज ए, वकय ज एग और
(ख) मध्यवती स्तर य वजल स्तर िर वकसी िांच यत के ाऄध्यक्ष क वनव यचन, ाईसके वनव यवचत सदस्यों द्व र ाऄिने में
से वकय ज एग ।
243D(घ)-स्थानों का आरक्षण
(1) प्रत्येक िांच यत में
(क) ाऄनसु वू चत ज वतयों और
(ख) ाऄनसु वू चत जनज वतयों, के वलए स्थ न ाअरवक्षत रहेंगे और ाआस प्रक र ाअरवक्षत स्थ नों की सांख्य क ाऄनिु त ,
ाईस िांच यत में प्रत्यक्ष वनव यचन द्व र भरे ज ने व ले स्थ नों की कुल सांख्य से यथ शकक़्य वही होग जो ाईस िांच यत
क्षेत्र में ाऄनसु वू चत ज वतयों की ाऄथव ाईस िचां यत क्षेत्र में ाऄनसु वू चत जनज वतयों की जनसख्ां य क ाऄनिु त ाईस क्षेत्र
की कुल जनसांख्य से है और ऐसे स्थ न वकसी िांच यत में वभन्न-वभन्न वनव यचन क्षेत्रों को चक्र नक्र ु म से ाअबांवटत वकए
ज सकें गे ।
(2) खांड (1) के ाऄधीन ाअरवक्षत स्थ नों की कुल सांख्य के कम से कम एक-वतह ाइ स्थ न, यथ वस्थवत, ाऄनसु वू चत
ज वतयों य ाऄनसु वू चत जनज वतयों की वियों के वलए ाअरवक्षत रहेंगे ।
(4) ग्र म य वकसी ाऄन्य स्तर िर िचां यतों में ाऄध्यक्षों के िद ाऄनसु वू चत ज वतयों, ाऄनसु वू चत जनज वतयों और वियों
के वलए ऐसी रीवत से ाअरवक्षत रहेंग,े जो र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र , ाईिबांवधत करे
िरांतु वकसी र ज्य में प्रत्येक स्तर िर िचां यतों में ाऄनसु वू चत ज वतयों और ाऄनसु वू चत जनज वतयों के वलए ाअरवक्षत
ाऄध्यक्षों के िदों की सांख्य क ाऄनिु त, प्रत्येक स्तर िर ाईन िांच यतों में ऐसे िदों की कुल सांख्य से यथ शक्य वही
होग , जो ाईस र ज्य में ाऄनसु वू चत ज वतयों की ाऄथव ाईस र ज्य में ाऄनसु वू चत जनज वतयों की जनसांख्य क ाऄनिु त
ाईस र ज्य की कुल जनसख्ां य से है
िरांतु यह और वक प्रत्येक स्तर िर िांच यतों में ाऄध्यक्षों के िदों की कुल सांख्य के कम से कम एक-वतह ाइ िद वियों
के वलए ाअरवक्षत रहेंगे
िरांतु यह भी वक ाआस खांड के ाऄधीन ाअरवक्षत िदों की सांख्य प्रत्येक स्तर िर वभन्न-वभन्न िांच यतों को चक्र नक्र
ु म से
ाअबांवटत की ज एगी ।
(5) खांड (1) और खांड (2) के ाऄधीन स्थ नों क ाअरक्षण और खांड (4) के ाऄधीन ाऄध्यक्षों के िदों क ाअरक्षण
(जो वियों के वलए ाअरक्षण से वभन्न है) ाऄनछु छे द 334 में वववनवदयष्ट ाऄववध की सम वि िर प्रभ वी नहीं रहेग ।
(6) ाआस भ ग की कोाइ ब त वकसी र ज्य के ववध न-मांडल को विछड़े हुए न गररकों के वकसी वगय के िक्ष में वकसी स्तर
िर वकसी िांच यत में स्थ नों के य िांच यतों में ाऄध्यक्षों के िदों के ाअरक्षण के वलए कोाइ ाईिबांध करने से वनव ररत
नहीं करे गी ।
To Be Continue…
(2) तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध के वकसी सांशोधन से वकसी स्तर िर ऐसी िांच यत क , जो ऐसे सांशोधन के ठीक िवू य
क यय कर रही है, तब तक ववघटन नहीं होग जब तक खडां (1) में वववनवदयष्ट ाईसकी ाऄववध सम ि नहीं हो ज ती ।
(क) यवद वह सांबांवधत र ज्य के ववध न-मांडल के वनव यचनों के प्रयोजनों के वलए तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध द्व र य
ाईसके ाऄधीन ाआस प्रक र वनरवहयत कर वदय ज त है :
िरांतु कोाइ व्यवि ाआस ाअध र िर वनरवहयत नहीं होग वक ाईसकी ाअयु फछचीस वषय से कम है, यवद ाईसने 21 वषय की
ाअयु प्र ि कर ली है
(ख) यवद वह र ज्य के ववध न-मडां ल द्व र बन ाइ गाइ वकसी वववध द्व र य ाईसके ाऄधीन ाआस प्रक र वनरवहयत कर वदय
ज त है ।
(2) यवद यह प्रश्न ाईठत है वक वकसी िांच यत क कोाइ सदस्य खांड (1) में व वणयत वकसी वनरहयत से ग्रस्त हो गय है य
नहीं तो वह प्रश्न ऐसे प्र वधक री को, और ऐसी रीवत से, जो र ज्यक ववध न-मडां ल, वववध द्व र , ाईिबांवधत करे,
वववनश्चय के वलए वनदेवशत वकय ज एग ।
(ख) र ज्य सरक र द्व र ाईद्गहॄ ीत और सगां हॄ ीत ऐसे कर, शल्ु क, िथकर और फीसें वकसी िच
ां यत को, ऐसे प्रयोजनों के
वलए , तथ ऐसी शतों और वनबंधनों के ाऄधीन रहते हुए , समनवु दष्ट कर सके ग ;
(ग) र ज्य की सवां चत वनवध में से िचां यतों के वलए ऐसे सह यत -ाऄनदु न देने के वलए ाईिबांध कर सके ग ;और
(घ) िांच यतों द्व र य ाईनकी ओर से क्रमशाः प्र ि वकए गए सभी धनों को जम करने के वलए ऐसी वनवधयों क
गठन करने और ाईन वनवधयों में से ऐसे धनों को वनक लने के वलए भी ाईिबांध कर सके ग , जो वववध में वववनवदयष्ट वकए
ज एां ।
(क)(त)् र ज्य द्व र ाईद्गहॄ ीत करों, शल्ु कों, िथकरों और फीसों के ऐसे शद्ध
ु ाअगमों के र ज्य और िच
ां यतों के बीच, जो
ाआस भ ग के ाऄधीन ाईनमें ववभ वजत वकए ज एां , ववतरण को और सभी स्तरों िर िांच यतों के बीच ऐसे ाअगमों के
तत्सांबांधी भ ग के ाअबांटन को ;
(त्त)् ऐसे करों, शल्ु कों, िथकरों और फीसों के ाऄवध रण को, जो िांच यतों को समनवु दष्ट की ज सकें गी य ाईनके द्व र
वववनयोवजत की ज सकें गी ;
(त्त्त)् र ज्य की सांवचत वनवध में से िांच यतों के वलए सह यत ाऄनदु न को, श वसत करने व ले वसद्ध ांतों के ब रे में ;
(ख) िच
ां यतों की ववत्तीय वस्थवत को सधु रने के वलए ाअवश्यक ाऄध्यिु यों के ब रे में ;
(ग) िांच यतों के सदृु ढ़ ववत्त के वहत में र ज्यि ल द्व र ववत्त ाअयोग को वनवदयष्ट वकए गए वकसी ाऄन्य ववषय के ब रे में,
र ज्यि ल को वसफ ररश करे ग ।
(2) र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र , ाअयोग की सांरचन क , ाईन ाऄहयत ओ ां क , जो ाअयोग के सदस्यों के रूि में
वनयवु ि के वलए ाऄिेवक्षत होंगी, और ाईस रीवत क , वजससे ाईनक चयन वकय ज एग , ाईिबांध कर सके ग ।
(3) ाअयोग ाऄिनी प्रवक्रय ाऄवध ररत करे ग और ाईसे ाऄिने कॄत्यों के ि लन में ऐसी शविय ां होंगी जो र ज्य क
ववध न-मांडल, वववध द्व र , ाईसे प्रद न करे ।
(4) र ज्यि ल ाआस ाऄनछु छे द के ाऄधीन ाअयोग द्व र की गाइ प्रत्येक वसफ ररश को, ाईस िर की गाइ क रय व ाइ के
स्िवष्टक रक ज्ञ फन सवहत, र ज्य के ववध न-मांडल के समक्ष रखव एग ।
(2) वकसी र ज्य के ववध न-मांडल द्व र बन ाइ गाइ वकसी वववध के ाईिबांधों के ाऄधीन रहते हुए, र ज्य वनव यचन ाअयि
ु
की सेव की शतें और िद ववध ऐसी होंगी जो र ज्यि ल वनयम द्व र ाऄवध ररत करे
(3) जब र ज्य वनव यचन ाअयोग ऐस ाऄनरु ोध करे तब वकसी र ज्य क र ज्यि ल, र ज्य वनव यचन ाअयोग को ाईतने
कमयच ररवांदॄ ाईिलब्ध कर एग वजतने खांड (1) द्व र र ज्य वनव यचन ाअयोग को ाईसे सौिें गए कॄत्यों के वनवयहन के वलए
ाअवश्यक हों ।
(4) ाआस सवां वध न के ाईिबांधों के ाऄधीन रहते हुए, वकसी र ज्य क ववध न-मडां ल, वववध द्व र , िच
ां यतों के वनव यचनों से
सांबांवधत य सांसि सभी ववषयों के सांबांध में ाईिबांध कर सके ग ।
(3) ाआस भ ग की
(क) कोाइ ब त वजल स्तर िर िचां यतों के सबां ांध में िवश्चमी बांग ल र ज्य के द वजयवलगां वजले के ऐसे िवयतीय क्षेत्रों को
ल गू नहीं होगी वजनके वलए तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध के ाऄधीन द वजयवलांग गोरख िवयतीय िररषद् ववद्यम न है
(ख) वकसी ब त क यह ाऄथय नहीं लग य ज एग वक वह ऐसी वववध के ाऄधीन गवठत द वजयवलांग गोरख िवयतीय
िररषद् के कॄत्यों और शवियों िर प्रभ व ड लती है ।
ाऄनसु वू चत ज वतयों के वलए स्थ नों के ाअरक्षण से सांबांवधत ाऄनछु छे द 243घ की कोाइ ब त ाऄरुण चल प्रदेश र ज्य को
ल गू नहीं होगी ।
(ख) सांसद, वववध द्व र , ाआस भ ग के ाईिबांधों क ववस्त र, खांड (1) में वनवदयष्ट ाऄनसु वू चत क्षेत्रों और जनज वत क्षेत्रों िर,
ऐसे ाऄिव दों और ाईिन्त रणों के ाऄधीन रहते हुए, कर सके गी, जो ऐसी वववध में वववनवदयष्ट वकए ज एां और ऐसी वकसी
वववध को ाऄनछु छे द 368 के प्रयोजनों के वलए ाआस सवां वध न क सश ां ोधन नहीं समझ ज एग ।
िरांतु ऐसे प्र रांभ के ठीक िवू य ववद्यम न सभी िांच यतें, यवद ाईस र ज्य की ववध न सभ द्व र य ऐसे र ज्य की दश में,
वजसमें ववध न िररषद् है, ाईस र ज्य के ववध न-मांडल के प्रत्येक सदन द्व र ि ररत ाआस ाअशय के सांकल्ि द्व र िहले ही
ववघवटत नहीं कर दी ज ती हैं तो, ाऄिनी ाऄववध की सम वि तक बनी रहेंगी ।
(ख) वकसी िचां यत के वलए कोाइ वनव यचन, ऐसी वनव यचन ाऄजी िर ही प्रश्नगत वकय ज एग जो ऐसे प्र वधक री को
और ऐसी रीवत से प्रस्तुत की गाइ है, वजसक वकसी र ज्य के ववध न-मांडल द्व र बन ाइ गाइ वकसी वववध द्व र य ाईसके
ाऄधीन ाईिबांध वकय ज ए, ाऄन्यथ नहीं ।
आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्र म सभ / ग्र म िांच यत के क यय
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्र म िचां यत, िचां यत सवमवत, वजल िररषद् के सदस्य, क ययक ल, चनु व, ाअरक्षण ाआत्य वद
अजादी के बाद वववभन्न सरकारें पंचायती राज व्यवस्था को संवैधावनक स्वरूप देने के संदभश में वववभन्न सवमवतयां
गवित करती रही थी। ऄवधकाश ं सवमवतयों ने पच
ं ायती राज व्यवस्था को सवं वधावनक दजाश प्रदान करने की बात कही
थी। आसके पररणाम स्वरूप ऄंततः वषश 1992 में भारतीय संसद ने 73 वााँ संववधान संशोधन ऄवधवनयम पाररत वकया
था और आसके माध्यम से पंचायती राज व्यवस्था को संवैधावनक दजाश प्रदान कर वदया गया था।
आस 73 वें संववधान संशोधन ऄवधवनयम के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था को संवैधावनक दजाश
प्रदान वकया गया था। आसके तहत ग्रामीण स्तर पर ग्राम सभा और ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्तर पर पंचायत सवमवत और
वजला स्तर पर वजला पररषद के गिन का प्रावधान वकया गया था।
सरल शब्दों में कहें, तो 18 वषश से उपर के सभी मतदाता ग्राम सभा के सदस्य होते हैं और आन सभी मतदाताओ ं के
समहू को ही ग्राम सभा कहा जाता है।
ग्राम सभा के यह सदस्य ही ग्रामीण स्तर पर ऄपने प्रवतवनवधयों का चनु ाव करते हैं। यह लोग पच
ं , सरपच
ं आत्यावद
प्रवतवनवधयों का प्रत्यक्ष चनु ाव करते हैं।
ग्राम पच
ं ायत-(Village Council)
‘ग्राम पंचायत’ पंचायती राज व्यवस्था की सबसे छोटी वनवाशवचत आकाइ होती है। ग्राम पंचायत के सदस्यों का वनवाशचन
ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा वकया जाता है। ग्राम पच
ं ायत के सदस्यों का चनु ाव 5 वषों के वलए होता है। पच
ं ायती राज
व्यवस्था के वलए चनु ाव संपन्न कराने की वजम्मेदारी राज्य चनु ाव अयोग की होती है। वास्तव में, प्रत्येक राज्य में
‘राज्य चनु ाव अयोग’ का गिन पंचायती राज चनु ावों को संपन्न कराने के वलए ही वकया गया है।
प्रत्येक ग्राम पंचायत का हेड एक सरपंच/मुधखया/ग्राम प्रधान होता है। (Age-21)
वववभन्न राज्यों में सरपंच का पद नाम ऄलग ऄलग हो सकता है।
आसके ऄलावा, ग्राम पंचायत को वववभन्न वार्श में ववभक्त वकया जाता है। वार्श की संख्या का वनधाशरण गांव की
जनसंख्या के अधार पर वकया जाता है। प्रत्येक वार्श का प्रवतवनवधत्व एक पंच के द्वारा वकया जाता है। ग्राम पंचायत
स्तर पर समस्त पचं ों का मवु खया सरपचं होता है।
पच ं और सरपच ं दोनों का ही चुनाव प्रत्यक्ष धनवायचन के माध्यम से धकया जाता है। ऄतः सभी वार्श पच ं ों और
सरपंच से वमलकर ग्राम पंचायत का गिन होता है।
आस प्रकार सरपचं , ईपसरपचं और सभी वार्श पच
ं ों को वमलाकर ग्राम पच
ं ायत का गिन होता है।
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ग्राम पच
ं ायत की धवशे षताएँ
ग्राम पंचायत ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से वनवाशवचत संस्था है। यह ग्राम सभा के प्रवत ईत्तरदाइ
होती है।
आसके सदस्यों का कायशकाल 5 वषों का होता है। यह सस्ं था ग्रामीण ववकास सबं ंधी योजनाओ ं का वियान्वयन
करती है। यवद वकसी कारणवश ग्राम पंचायत 5 वषश का कायशकाल परू ा होने से पहले ही भंग हो जाती है और
ऄगली ग्राम पंचायत के चनु ाव होने में 6 माह से ऄवधक का समय शेष रहता है, तो ऐसी वस्थवत में, ग्राम
पच ं ायत के भगं होने की वतवथ से 6 माह की ऄववध के भीतर सबं ंवधत राज्य वनवाशचन अयोग को ईन्हें चनु ाव
कराना होता है और नवगवित ग्राम पंचायत के वल शेष कायशकाल के वलए ही ऄवस्तत्व में रहती है। नवगवित
ग्राम पंचायत का कायशकाल 5 वषों का नहीं होता है।
ग्राम पंचायत के वलए पंचायती राज ववभाग (or राज्य सरकार) द्वारा ग्राम पंचायत
अधधकारी(VPO)/पच ं ायत सधचव वनयक्त ु वकए जाते हैं। जो ग्राम पच
ं ायत के प्रवत जवाबदेह होता है।
धनगरानी सधमधत
ग्राम पंचायत की वनगरानी का कायश ग्राम सभा की सवमवतयों द्वारा वकया जाता है | आसके वलए ग्राम सभा के ऐसे सदस्य
जो ग्राम पंचायत के सदस्य नहीं है, सवमवत द्वारा ग्राम पंचायत के कायश पर नज़र रखते है और वकसी भी प्रकार की
ऄवनयवमतता को रोकते है | यही सवमवत ग्राम सभा में ऄपनी ररपोटश प्रस्तुत करती है वजस पर खल ु कर चचाश की जाती है
ग्राम सभा की बैिक वषश में दो बार होनी अवश्यक है। आस बारे में सदस्यों को सचू ना बैिक से 15 वदन पवू श नोवटस से देनी होती है। ग्राम
सभा की बैिक को बुलाने का ऄवधकार ग्राम प्रधान को है। वह वकसी समय असामान्य बैिक का भी अयोजन कर सकता है।
वज़ला पंचायत राज ऄवधकारी या क्षेत्र पंचायत द्वारा वलवखत रूप से मांग करने पर ऄथवा ग्राम सभा के सदस्यों की मांग पर ऄथवा
पचं ायत सवचव के कहने पर प्रधान द्वारा 30 वदनों के भीतर बैिक बल ु ाया जाएगा। यवद ग्राम प्रधान बैिक अयोवजत नहीं करता है तो यह
बैिक ईस तारीख़ के 60 वदनों के भीतर होगी, वजस तारीख़ को प्रधान से बैिक बल ु ाने की मागं की गइ है। ग्राम सभा की बैिक के वलए
कुल सदस्यों की संख्या के 5वें भाग की ईपवस्थवत अवश्यक होती है। वकन्तु यवद गणपवू तश (कोरम) के ऄभाव के कारण बैिक न हो सके
तो आसके वलए दबु ारा बैिक का अयोजन वकया जा सकता है। दरबार बैिक के वलए 5वें भाग की ईपवस्थवत अवश्यक नहीं होती है।
प्रत्येक ग्राम सभा में एक ऄध्यक्ष होगा, जो ग्राम प्रधान, सरपच
ं ऄथवा मवु खया कहलाता है, तथा कुछ ऄन्य सदस्य होंगे।
आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्राम पंचायत, पंचायत सवमवत, वजला पररषद् के सदस्य, अय,ु कायशकाल, चनु ाव, अरक्षण
आत्यावद
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ईत्तर प्रदेश में पचं ायतीराज व्यवस्था, ईत्तर प्रदेश पच
ं ायती राज ऄवधवनयम 1947
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पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-09
उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज व्यवस्था
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1947, उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1961
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज कानून अधधधनयम-1994, पंचायती राज धवभाग
Part-01
(District Panchayat, Area Panchayat & Gram Panchayat-Formation, Functions and Rights in U.P.)
अभी तक क्या पढ़ा
Chapter Name Related Topics in Syllabus
1 आततहास में पंचायतीराज व्यवस्था-प्राचीनकाल एवं मध्यकाल Topic(i)
2 तितटशकाल में पचं ायतीराज व्यवस्था-(लाडड ररपन काल) Topic(i)
3 तितटशकाल में पंचायतीराज व्यवस्था से सम्बंतधत ऄतधतनयम Topic(i)
(1919 और 1935 का ऄतधतनयम)
4 स्वतंत्रता के बाद पचं ायतीराज व्यवस्था All Topics
(सामदु ातयक तवकास कायडक्रम)
5 पंचायतीराज हेतु गतठत सतमततयां Topic(i) + Topic(ii)
6 73वां सतवंधान संसोधन ऄतधतनयम Topic(i)
भाग-9-ऄनच्ु छे द-243-243(A) to 243(O)
Part-01
7 73वां सतवधं ान ससं ोधन ऄतधतनयम Topic(i)
भाग-9-ऄनच्ु छे द-243-243(A) to 243(O)
Part-02
8 ग्राम सभा और ग्राम पचं ायत क्या है Topic(ii) & Others
गठन, कायड व ऄतधकार
9 ईत्तर प्रदेश पंचायतीराज व्यवस्था Base for Topic(ii)
ईत्तर प्रदेश पचं ायतीराज ऄतधतनयम-1947, ईत्तर प्रदेश
पंचायतीराज ऄतधतनयम-1961
ईत्तर प्रदेश पंचायतीराज काननू ऄतधतनयम-1994, पंचायती राज
तवभाग Part-01
सभी भागों और ऄनच्ु छे दों को हम अगे के Chapters में तवस्ततृ रूप में पढ़ेंगे
भारत में पच
ं ायती राज व्यवस्था का धवकास
लाडड ररपन को भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक माना जाता है। वषड 1882 में ईन्होंने स्थानीय स्वशासन संबंधी
प्रस्ताव तदया तजसे स्थानीय स्वशासन संस्थाओ ं का ‘मैग्नाकाटाड’ कहा जाता है। वषड 1919 के भारत शासन ऄतधतनयम
के तहत प्रांतों में दोहरे शासन की व्यवस्था की गइ तथा स्थानीय स्वशासन को हस्तांतररत तवषयों की सचू ी में रखा
गया।
आसके तहत देश में तत्रस्तरीय पचं ायतीराज प्रणाली को लागू तकया गया।
भाग-09 में ऄनच्ु छे द 243 से लेकर ऄनच्ु छे द 243A-243O तक को जोड़ा गया।
ग्यारहवीं ऄनसु चू ी भी जोड़ी गइ, तजसमें 29 तवषय शातमल तकये गए। (सतवंधान में कुल ऄनसु तू चयााँ-12)
ऄनच्ु छे द 243 क (A) – ग्रामसभा
ऄनच्ु छे द 243 ख (B) – ग्राम पंचायतों का गठन बारहवीं अनस ु चू ी: यह ऄनसु चू ी 74वें
ऄनच्ु छे द 243 ग (C) – पंचायतों की संरचना सवं ैधातनक सश ं ोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गइ
ऄनच्ु छे द 243 घ (D) – स्थानों का अरक्षण है आसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन
ऄनच्ु छे द 243 ङ (E) – पंचायतों की कायडकाल सस्ं थाओ ं को कायड करने के तलय 18 तवषय
ऄनच्ु छे द 243 च (F) – सदस्यता के तलए ऄयोग्यताएाँ प्रदान तकए गए हैं.
ऄनच्ु छे द 243 छ (G) – पचं ायतों की शतक्तयााँ, प्रातधकार और ईत्तरदातयत्व
ऄनच्ु छे द 243 ज (H) – पंचायतों द्वारा कर लगाने की शतक्तयााँ और ईनकी तनतधयााँ
ऄनच्ु छे द 243 झ (I) – तवत्तीय तस्थतत के पनु तवडलोकन के तलए तवत्त अयोग का गठन
ऄनच्ु छे द 243 ञ (J) – पंचायतों की लेखाओ ं की संपरीक्षा
ऄनच्ु छे द 243 ट (K) – पंचायतों के तलए तनवाडचन
ऄनच्ु छे द 243 ठ (L) – सघं राज्यों क्षेत्रों को लागू होना
ऄनच्ु छे द 243 ड (M) – आस भाग का कततपय क्षेत्रों को लागू न होना
ऄनच्ु छे द 243 ढ (N) – तवद्यमान तवतधयों और पच ं ायतों का बना रहना
ऄनच्ु छे द 243 ण (O) – तनवाडचन सम्बन्धी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वणडन
आस साल 24 ऄप्रैल 2023 को 14वां राष्ट्रीय पंचायती तदवस मनाया गया है।
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1992 के अधधधनयम के तहत (in U.P.)
ईत्तर प्रदेश में ईत्तर प्रदेश पचं ायती क़ाननू ऄतधतनयम-1994 पास हुअ
यह 22 ऄप्रैल 1994 को लागू हुअ।
आसी के तहत पंचायतों के चनु ाव हेतु 23 अप्रैल 1994 को राज्य धनवाड चन आयोग का गठन तकया गया।
ईत्तर प्रदेश में पंचायतों की तत्रस्तरीय व्यवस्था लागू की गयी- धजला पंचायत, क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत
ईत्तर प्रदेश में कुल तजला पंचायत-75 तजला स्तर ब्लॉक स्तर ग्राम स्तर
ईत्तर प्रदेश में कुल क्षेत्र पचं ायत-826
ईत्तर प्रदेश में कुल ग्राम पंचायत-58194
ग्रामसभा की बैठक
सामान्य बैठक
ग्रामसभा की बैठक वषड में दो बार ऄतनवायड हैं पर दो से ऄतधक बार भी बैठक हो सकती है।
ग्राम सभा की प्रथम बैठक रबी के िसल कटने के तरु ं त बाद होती है तजसे रबी की बैठक कहा जाता है । दसू री बैठक
खरीि की िसल कटने के तुरंत बाद होती है तजसे खरीि की बैठक कहा जाता है।
यह दो सामान्य बैठक हैं।
धवशे ष बैठक
ग्राम सभा के 1/5 सदस्यों की मांग पर ग्राम प्रधान को ग्राम सभा की बैठक बुलानी पड़ती है ।
तवशेष बैठक मख्ु य रूप से तवत्तीय तस्थतत ररपोटड लेखा जोखा व सम्बंतधत ग्रामीण योजनाओ ं से सम्बंतधत कायों एवं
ऄन्य जरुरी तनणडयों हेतु की जाती है।
ध्यान दें-ग्राम पंचायत के गठन के 30 तदन के ऄंदर प्रथम बैठक करनी होती है।
तजला पंचायत राज ऄतधकारी(DPRO) 30 तदनों के ऄंदर-ऄंदर ग्राम सभा की बैठक बुलाते हैं तजसकी सचू ना 15
तदन पवू ड ग्राम पंचायत कायाडलय में चस्पा दी जाती है या मनु ादी या डुग्गी द्वारा ग्रामसभा को दे दी जाती है। डी पी अर
ओ की ईपतस्थतत में ग्राम सभा की बैठक होती है तजसमे ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा ऄतवश्वास प्रस्ताव लाया जाता है।
ऄतवश्वास प्रस्ताव लाये जाने के बाद गुप्त मतदान होता है । ग्राम सभा की बैठक में ईपतस्थत एवं मत देने वाले सदस्यों
का दो धतहाई(2/3) मत पड़ना अवश्यक होता है । यतद दो ततहाइ मत पड़ जाते हैं तब प्रधान ऄपना आस्तीिा दे देता
है.
उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज अधधधनयम-1947 से सम्बधं धत सभी धाराओ ं को Next Chapter में पढ़ेंगे
Extra Facts-ईत्तर प्रदेश में कुल 17 नगर तनगम, 198 नगर पातलका और 493 नगर पंचायत है
आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ईत्तर प्रदेश में पचं ायतीराज व्यवस्था, ईत्तर प्रदेश पच
ं ायती राज ऄतधतनयम 1947(प्रमख
ु धाराएं)
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ग्राम सभा
धारा 3. ग्राम सभा
धारा 4. हटाया गया
धारा 5. ग्राम सभा की सदस्यता(हटाया गया)
ग्राम पंचायत
धररर 5ए. ग्ररम पंचरयत सदस्यतर की ऄयोग्यतर
धररर 5बी. प्धरन कर पद सभं रलने के धलए योग्यतर
धारा 6. सदस्यता की समाधप्त
धररर 6ए. ऄयोग्यतर के संबंध में प्श्न पर धनणनय
धारा 7. हटा धदया गया
धारा 8. जनसख्ं या में पररवतषन का प्रभाव या ग्राम पच ं ायत के िेत्र को नगर पाधिकाओ ं आधद में शाधमि
करना।
धारा 9. प्रत्येक प्रादेधशक धनवाषचन िेत्र के धिए मतदाता सच ू ी
धररर 9ए. िोट देने कर ऄधधकरर अधद.
धारा 10. ग्राम सभा की स्थापना तथा ग्राम पच ं ायत के कामकाज में कधिनाई को दूर करना
ग्राम पच
ं ायत
धररर 11ए. ग्ररम पंचरयत के प्धरन और ईपप्धरन
धररर 11बी. प्धरन कर चनु रि
धररर 11सी. ईपप्धरन कर चनु रि एिं ईसकर करयनकरल
धररर 11डी. कुछ पदों को एक सरथ धररण करने पर प्धतबंध
धररर 11इ. एक सरथ दो करयरनलय रखने पर भी रोक
धररर 11एफ. पचं रयत क्षेत्र की घोषणर
धारा 12. ग्राम पचं ायत
धररर 12ए. चनु रि कर तरीकर
धररर 12एए. प्धरन, ईपप्धरन एिं सदस्यों को भत्ते
धररर 12बी. ग्ररम पंचरयत की बैठकें
धररर 12बीबी. चनु रि कर ऄधीक्षण अधद
धररर 12बीसी. चनु रि कररने से सबं ंधधत ऄन्य प्रिधरन
धररर 12बीसीए. चनु रि प्योजनों के धलए पररसर िरहनों अधद की मरंगें
धररर 12बीसीबी. मअ ु िजे कर भगु तरन
धररर 12 बीसीसी. सचू नर प्रप्त करने की शधक्त
धररर 12बीसीडी. पररसर में प्िेश और धनरीक्षण अधद की शधक्त.
धररर 12बीसीइ. ऄधधग्रहीत पररसर से बेदखली
धररर 12बीसीएफ. पररसर को मरंग से मक्त ु करनर
धररर 12बीडी. चनु रि के सबं ंध में अधधकरररक कतनिय् कर ईल्लघं न
धररर 12सी. चनु रि पर सिरल ईठरने के धलए अिेदन
धररर 12डी. धररर 12-सी के प्रिधरन
धररर 12इ. पदों की शपथ
धररर 12एफ. पंजीकरण
धारा 12जी. आम चुनाव(हटाया गया)
धररर 12एच. अकधस्मक िैकेंसी
धररर 12अइ. चनु रिी मरमलों में धसधिल न्यरयरलयों कर क्षेत्ररधधकरर िधजनत
न्याय पंचायत
धररर 42. न्यरय पंचरयत की स्थरपनर
धररर 43. पंचों की धनयधु क्त और ईनकर करयनकरल
धररर 44. सरपचं यर सहरयक सरपचं कर चनु रि
धररर 45. पंच की ऄिधध
धारा 46. हटाया गया
धररर 47. पंचों कर त्यरगपत्र
धारा 48. हटाया गया
धररर 49. न्यरय पंचरयत की न्यरयपीठ
धररर 50. अकधस्मक ररधक्तयों को भरनर
धररर 50ए. सहरयक सरपचं की शधक्तयरं
धररर 51. प्रदेधशक क्षेत्ररधधकरर
धररर 52. न्यरय पंचरयतों द्वररर संज्ञेय ऄपररध
धररर 53. शरधं त बनरए रखने के धलए सरु क्षर
धररर 54. दंड
बाह्य धनयंत्रण
धररर 95. धनरीक्षण
धररर 95-ए. ररज्य सरकरर की शधक्त
धररर 96. कधतपय करयनिरधहयों कर धनषेध
धररर 96-ए. ररज्य सरकरर द्वररर शधक्तयों कर प्त्यरयोजन
धारा 2. पररभाषाएँ
इस अधधधनयम में, जब तक धक धवषय या सदं भष में कोई प्रधतकूि बात न हो-
क) न्याय पच ं ायत कर ऄरथ् धररर 42 के तहत स्थरधपत न्यरय पच ं रयत है और आसमें ईसकी एक पीठ भी शरधमल है
ख) 'वयस्क' कर ऄथन िह व्यधक्त है धजसने 21 िषन की अयु प्रप्त कर ली है
(ग) दाधडडक कायषवाही-से तरत्पयन ऐसी दरधडडक करयनिरही से है जो ऐसे ऄपररध के सम्बन्ध में की जरये धजसकी
सनु िरइ न्यरय पचं रयत कर सकती है और ईसके ऄन्तगनत धररर 53 के ऄधीन कोइ करयनिरही भी है
(घ)मडडि (Circle)- से तरत्पयन ऐसे क्षेत्र से है धजसके भीतर कोइ न्यरय पच ं रयत धररर 42 के ऄधीन ऄपने ऄधधकरर
क्षेत्र (Jurisdiction) कर प्योग करे ।
(ङ)किेक्टर, "धजिा मधजस्रे ट" ि "सब-धडिीजनल मधजस्रेट कर तरत्पयन यह है धक िह धकसी ग्ररम सभर के
सम्बन्ध में यथरधस्थधत, ईस धजले यर परगने कर धजसमें ऐसी ग्ररम सभर संगधठत की गइ हों, "कलेक्टर", "धजलर
मधजस्रेट" यर "सब-धडिीजनल मधजस्रेट" से है और शब्द "कलेक्टर" में "एधडशनल कलेक्टर" "धजलर मधजस्रेट" में
"एडीशनल धजलर मधजस्रेट" और "सब-धडिीजनल मधजस्रेट" में "एडीशनल मधजस्रेट" भी सधम्मधलत है
(ङङ) 'धनवाषचक रधजस्रीकरण अधधकारी' कर तरत्पयन धकसी ऐसे ऄधधकररी से है धजसे धकसी धजले में धनिरनचक
नरमरिली को तैयरर और पनु रीधक्षत करने के धलये ररज्य सरकरर के पररमशन से ररज्य धनिरनचन अयोग द्वररर आस रूप में
पदरधभधहत यर नरम धनधदनष्ट धकयर गयर हो
(ङङङ) ' सहायक धनवाषचक रधजस्रीकरण अधधकारी ऄधधकरर" कर तरत्पयन धकसी ऐसे व्यधक्त से है धजसे एक यर
ईससे ऄधधक पंचरयत क्षेत्रों के धलये धनिरनचक रधजस्रीकरण ऄधधकररी द्वररर आस रूप में धनयक्त ु धकयर गयर हो;
(च) "धजिा पंचायत" कर िही तरत्पयन होगर जो ईत्तर प्देश क्षेत्र पंचरयत तथर धजलर पंचरयत ऄधधधनयम, 1961 की
धररर 2 के खडड (11) के ऄधीन आसके धलये धदयर गयर है
(छ) ग्राम सभा कर तरत्पयन धकसी ग्ररम पचं रयत के क्षेत्र के भीतर समरधिष्ट धकसी ग्ररम की धनिरनचक नरमरिली में
रधजस्रीकृ त व्यधक्तयों से गधठत और धररर 3 के ऄधीन स्थरधपत धकसी धनकरय से है
(ज) ग्राम पंचायत कर तरत्पयन धररर 12 के ऄधीन संघधटत' ग्ररम पंचरयत से है
(जज)धवत्त आयोग कर तरत्पयन सधं िधरन के ऄनच्ु छे द 243-(झ) के ऄधीन सगं धठत धित्त अयोग से है
(जजज) "िेत्र पंचायत " कर िही तरत्पयन होगर जो ईत्तर प्देश क्षेत्र पंचरयत तथर धजलर पंचरयत ऄधधधनयम, 1961
की धररर 2 के खडड (6) के ऄधीन आसके धलये धदयर गयर है
धारा 8. जनसख्ं या में पररवतषन का प्रभाव या ग्राम पंचायत के िेत्र को नगर पाधिकाओ ं आधद में शाधमि
करना।
यधद ग्ररम पंचरयत कर संपणू न क्षेत्र धकसी शहर, नगर परधलकर, छरिनी, ऄधधसधू चत क्षेत्र यर 2 नगर पंचरयत में शरधमल
हो जरतर है तो ग्ररम पंचरयत समरप्त हो जरएगी और ईसकी संपधत्त और देनदरररयों कर धनपटरन धनधरनररत तरीके से धकयर
जरएगर। यधद ऐसे क्षेत्र की धकसी परटी को आसमें शरधमल धकयर जरतर है तो ईसकर क्षेत्ररधधकरर ईस धहस्से से कम हो
जरएगर।
यह स्पष्ट धकयर जरतर है धक आस धररर में कोइ बरत ऄनसु धू चत जरधतयों, ऄनसु धू चत जनजरधतयों, धपछड़े िगों के व्यधक्तयों
और मधहलरओ ं को ऄनररधक्षत स्थरनों से धनिरनचन लड़ने से नहीं रोके गी ।
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Next चै प्टर में पढ़ेंगे- ईत्तर प्देश पंचरयती ररज ऄधधधनयम 1947(प्मख
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Chapter-04
धारा 15. ग्राम पंचायत के कायय
ररज्य सरकरर द्वररर समय-समय पर धनधदनष्ट शतों के अधीन, एक ग्ररम पच ं रयत धनम्नधलधखत करयन करे गी-
1-कृधष और कृधष धवस्तार
बरगिरनी कर धिकरस और प्ोन्नधत,
बंजर भधू म और चरररगरह भधू म कर धिकरस और उनके अनधधकृ त संिमण और प्योग की रोकथरम करनर ।
2-भूधम धवकास, भूधम सध ु ार का कायायन्वयन, चकबन्दी और भूधम सरं क्षण
भधू म धिकरस, भधू म सधु रर और भधू म संरक्षण में सरकरर और अन्य एजेंधसयों की सहरयतर करनर ।
भधू म चकबन्दी में सहरयतर करनर ।
3-लघु धसच ं ाई, जल व्यवस्था और जल आच्छादन धवकास
लघु धसंचरई पररयोजनरओ ं कर धनमरनण, मरम्मत और अनरु क्षण, धसंचरई उद्देश्य से जलपधू तन कर धिधनयमन ।
4-पशुपालन, दुग्ध उद्योग और कुक्कुट पालन
परलतू जरनिरों, कुक्कुट और अन्य पशधु नों की नस्लों कर सधु रर करनर,
5-गत्सस्य पालन
6-सामाधजक और कृधष वाधनकी
सड़कों और सरिनजधनक भधू म के धकनररों पर िृक्षररोपण और परररक्षण,
सरगरधजक और कृ धष परधनकी और रे शग उत्परदन कर धिकरस और प्ोन्नधत ।
7-लघु वन उत्सपाद
लघु िन उत्परदों की प्ोन्नधत और धिकरस ।
8-लघु उद्योग-लघु उद्योगों के धिकरस में सहरयतर करनर,
धारा 16ए. अधधकार क्षेत्र के बाहर सगं ठनों आधद के धलए योगदान करने की शधि
ग्ररम पंचरयत ग्ररम पंचरयत के अधधकरर क्षेत्र से बरहर ऐसे संगठनों, संस्थरनों और करयों के धलए इतनी ररधश कर
योगदरन कर सकती है धजतनी ररज्य सरकरर सरमरन्य यर धिशेष आदेश की अनमु धत दे सकती है।
धारा 17. सावयजधनक सड़कों, जलमागों और अन्य मामलों के सबं ध ं में ग्राम पच
ं ायतों की शधि
एक ग्ररम पंचरयत के परस उत्तरी भररत नहर और जल धनकरसी अधधधनयम, 1873 की धररर 3 की उप-धररर (1) में
पररभरधषत नहरों के अलरिर अन्य सरिनजधनक सड़कों, जल-मरगों पर धनयत्रं ण होगर, जो उसके अधधकरर क्षेत्र में धस्थत
हैं, जो एक धनजी सड़क नहीं है। यर जलमरगन और ररज्य सरकरर यर 2 धजलर पंचरयत यर ररज्य सरकरर द्वररर धनधदनष्ट
धकसी अन्य प्रधधकररी के धनयंत्रण में नहीं है और उसके रखरखरि और मरम्मत के धलए सभी आिश्यक चीजें कर
सकतर है
धारा 23. कुछ अधधकाररयों के कदाचार के बारे में जांच करने और ररपोटय करने की शधि
ग्ररम पंचरयत के अधधकरर क्षेत्र में रहने िरले धकसी भी व्यधक्त से धकसी अमीन, प्ोसेस-सिनर, िैक्सीनेटर करंस्टेबल,
ग्ररम चौकीदरर, पटिररी, गश्ती दल और धसचं रई के ट्यबू िेल ऑपरे टर द्वररर अपने आधधकरररक कतनव्यों के धनिनहन में
धकसी भी कदरचरर के बररे में धशकरयत प्रप्त होने पर धिभरग, िन रक्षक, िन चौकीदरर, प्रथधमक धिद्यरलय के धशक्षक,
तरलरब की रखिरली करने िरलर, गराँि कर पशपु रलक यर धकसी सरकररी धिभरग कर चपररसी, ऐसी पंचरयत, यधद
प्थम दृष्टयर सरक्ष्य हो, तो धशकरयत को अपनी ररपोटन के सरथ उधचत प्रधधकररी को भेज सकती है।
धारा 24. स्वाधमयों के धलए करों और अन्य देयों की वसल ू ी के धलए अनुबंध करने की शधि
एक ग्ररम पचं रयत, धनधरनररत अनसु रर और अपने अधधकरर क्षेत्र के भीतर धकसी भी क्षेत्र के सबं ंध में अनबु ंध कर सकती
है
Chapter-05
धारा 32. गााँव धनधध
प्त्येक 2 ग्ररम पंचरयत के धलए एक गराँि धनधध होगी और धररर 41 के तहत परररत आय और व्यय के िरधषनक अनमु रन
के प्रिधरनों के अधीन इसकर उपयोग ग्ररम सभर यर ग्ररम पर लगरए गए कतनव्यों यर दरधयत्िों को परू र करने के धलए
धकयर जरएगर।
धारा 37बी. भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसल ू ी योग्य कर और देय राधशयााँ
इस अधधधनयम के तहत ग्ररम पंचरयत पर लगरए गए करों और देय अन्य ररधशयों के सभी बकरयर को भ-ू ररजस्ि के
बकरयर के रूप में दजन धकयर जरएगर यधद संबंधधत ग्ररम पंचरयत मल्ू यरंकन की तररीख से तीन महीने के भीतर इस
आशय कर एक प्स्तरि परररत करती है; बशते धक जहरं कोई ग्ररम पच ं रयत तीन महीने की उक्त अिधध के भीतर ऐसर
प्स्तरि परररत करने में धिफल रहती है, तो धनधरनररत प्रधधकररी बकरयर करों की िसलू ी को भ-ू ररजस्ि के बकरयर के
रूप में अधधकृ त करे गर।
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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-12
उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज व्यवस्था
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1947, उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1961
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज कानून अधधधनयम-1994, पंचायती राज धवभाग
Part-04
(District Panchayat, Area Panchayat & Gram Panchayat-Formation, Functions and Rights in U.P.)
उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज अधधधनयम-1947( भाग और धारा)
इसे सयं क्त
ु प्रतं पचं रयतीररज अधधधनयम 1947 भी कहर जरतर है। उत्तर प्देश धिधरन सभर ने 5 जनू , 1947 को तथर
उत्तर प्देश धिधरन पररषद् ने 16 धसतम्बर, सन् 1947 को परररत धकयर। गिननमेंट ऑफ इधं डयर ऐक्ट, 1935 की धररर
76 के अधीन डोमीधनयन आफ इधं डयर के गिननर जनरल की स्िीकृ धत 7 धदसम्बर, 1947 को प्रप्त हुई
य०ू पी० गिननमेंट गजट में धदनरंक 27 धदसम्बर, 1947 को प्करधशत धकयर गयर। इसी धदन से लरगू हुआ
उत्तर प्रदेश पच ं ायतीराज अधधधनयम-1947 में
कुल अध्यरय-09
कुल धरररएं-119
कुल अनसु चू ी-01
भाग नाम धाराएं
1 प्ररंधभक धररर- 1 ि 2
2 ग्ररम सभर- धररर- 3 ि 5
ग्ररम सभर की स्थरपनर
ग्ररम सभर कर संघटन
2A ग्ररम पंचरयत- धररर- 5A-10
ग्ररम पचं रयत के सदस्यों की अनहतरन
ग्ररम पंचरयत हेतु धनिरनचक नरमरिली
3 ग्ररम सभर- धररर-11
ग्ररम सभर की बैठक
ग्ररम सभर के करयन
3A ग्ररम पंचरयत धररर-11A-14
न्यरय पंचरयत ग्ररमीण स्तर पर धििरदों के धनपटररर करने की एक ग्ररमीण न्यरय प्णरली हैं। इसी कर धिकधसत रूप
ितनमरन समय की न्यरय व्यिस्थर हैं। इसे ही धिधटश शरसन करल में 'ग्ररम कचहरी' कहर जरतर थर। इसी ग्ररम कचहरी में
पंचों द्वररर ग्ररमीण धििदों कर धनपटररर धकयर जरतर थर।
उत्तर-प्देश में, उत्तर-प्देश पंचरयत ररज अधधधनयम की धररर 42 के तहत न्यरय पंचरयत कर गठन होतर है। इस के
अनसु रर न्यरय पंचरयत में न्यनू तम 10 सदस्य और अधधकतम 25 सदस्य हो सकते हैं। जो भी धनधरनररत धकयर जरय।
करयनकरल 5 िषन होंगे। एक सरपचं और उपसरपच ं होंगे। दीिरनी और छोटे-छोटे अन्य मक
ु दमें सनु ने कर अधधकरर
होगर। न्यरय पंचरयत ग्ररम पंचरयत की न्यरयपरधलकर है।
Points-
1-न्यरय पंचरयत को ग्ररम पंचरयत की न्यरयपरधलकर कहर जरतर है, क्योधक यह न्यरय कर करयन करती है, गरिं में होने
िरले धििरदों कर पक्षपरत धकये धबनर धनपटररर करती है।
2-न्यरय पंचरयत में एक सरपंच और उपसरपंच होते है।
3-न्यरय पंचरयत में कम से कम 10 यर अधधक से अधधक 25 तक सदस्य होते है।
4-न्यरय पचं रयत परचं ो कर करयनकरल 5 िषन के धलए होतर है।
5-न्यरयपंचरयत को दीिरनी और मरल के छोटे मक ु दमे सनु ने कर अधधकरर है।
6-न्यरय पच ं रयत को करररिरस कर दडं देने कर अधधकरर नहीं होतर है।
7-न्यरय पंचरयत को अधधकतम 250 रुपये तक कर जमु रननर लगरने कर अधधकरर प्रप्त होतर है
उत्तर प्देश पंचरयत ररज अधधधनयम की धारा 43 के तहत न्यरय पंचरयत के पंचो की धनयधु क्त कर प्रिधरन धकयर गयर
है, धजसके तहत ग्ररम पचं रयत के सदस्यों में से धिधहत प्रधधकररी (अधधकररी ) धजतने धनयत धकये जरये, न्यरय पच
ं रयत
के पंच की धनयधु क्त करे गर और उसके बरद इस प्करर जो व्यधक्त पंच के धलए धनयक्त
ु धकये जरयेंगे
न्याय पच
ं ायत का स्थानीय क्षेत्राधधकार
उत्तर प्देश पंचरयत ररज अधधधनयम धररर 51 में न्यरय पंचरयत की उस स्थरनीय अधधकरररतर कर उल्लेख धकयर गयर है
धजसके अतं गनत दीिरनी और फौजदररी के मक़ ु दमे दरधखल धकये जरते है जैसे धक:-
दंड प्धियर संधहतर, 1973 में धकसी बरत के होते हुए भी, फौजदररी कर ऐसर हर एक मक ु दमर जो न्यरय पंचरयत के द्वररर
धिचररणीय हो उस मंडल के न्यरय पंचरयत के सरपंच के समक्ष दरयर धकये जरयेंगे धजस मण्डल में ऐसर अपररध धकयर
गयर है।
धसधिल प्धियर संधहतर, 1908 में धकसी बरत के होते हुए भी, उत्तर प्देश पंचरयत ररज अधधधनयम के अधीन दरयर
दीिरनी कर हर एक मक ु दमर उस मंडल की न्यरय पंचरयत के सरपंच के समक्ष दरयर धकयर जरयेगर, धजसमे प्धतिरदी
एक हो यर अधधक हो, तो सभी प्धतिरदी धसधिल मक ु दमर दरयर होने के समय सरमरन्य रूप से जहराँ धनिरस करते हो यर
व्यरपर करते हो, भले ही मलू िरद कहीं भी उत्पन्न हुआ हो।
उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधधधनयम धारा 52 के तहत यह प्रावधान धकया गया है धक न्याय पंचायत धनम्न
अपराधों का सज्ञं ान लेने के धलए सशि है-
(क) भररतीय दंड संधहतर के अंतगनत अपररध
ख) पशओ ु ं द्वररर अनरधधकरर प्िेश अधधधनयम 1871 की धररर 24 ि् धररर 26 के अतं गनत अपररध।
(ग) उत्तर प्देश धडधस्िक्ट बोडन प्रइमरी धशक्षर अधधधनयम, 1926 की धररर 10 उपधररर 1 के अंतगनत अपररध।
(घ) सरिनजरधनक जआ ु अधधधनयम 1867 की धररर 3, धररर 4, धररर 7 धररर 13 के अंतगनत अपररध।
(ड) पिू ोक्त धिधध अथिर धकसी अन्य धिधध के अतं गनत कोई ऐसर अन्य अपररध धजसे ररज्य सरकरर सरकररी गजट में
धिज्ञधप्त प्करधशत करके न्यरय पंचरयत द्वररर हस्तक्षेप घोधषत करे ।
(च) उत्तर प्देश पचं रयत ररज अधधधनयम यर उसके अधीन बनरये गए धकसी धनयम के अतं गनत कोई भी अपररध।
Chapter-7-बाह्य धनयंत्रण
धारा 95. धनरीक्षण
ररज्य सरकरर धकसी ग्ररम पंचरयत, यर संयक्त
ु सधमधत यर न्यरय पंचरयत के स्िरधमत्ि िरली यर उसके कब्जे िरली धकसी
अचल संपधत्त यर ऐसी ग्ररम पंचरयत यर संयक्त
ु सधमधत यर उसके धनदेशन में चल रहे धकसी करयन कर धनरीक्षण कर
सकती है।
धारा 95-ए. राज्य सरकार की शधि
यधद धकसी भी समय ररज्य सरकरर को यह प्तीत होतर है धक ग्ररम सभर यर ग्ररम पंचरयत ने इस यर धकसी अन्य
अधधधनयम के तहत उस पर लगरए गए कतनव्य को परू र करने में चक ू की है, तो ररज्य सरकरर धलधखत आदेश द्वररर
इसके धलए एक अिधध तय कर सकती है।
धारा 96-ए. राज्य सरकार द्वारा शधियों का प्रत्यायोजन
ररज्य सरकरर इस अधधधनयम के तहत अपनी सभी यर धकसी भी शधक्त को अपने अधीनस्थ धकसी भी अधधकररी को
ऐसी शतों और प्धतबंधों के अधीन सौंप सकती है धजन्हें िह लगरनर उधचत समझे।
धारा 97-ए. मांग के सबं ंध में धकसी भी आदेश के उल्लंघन के धलए जुमायना
जो कोई भी धररर 12-बीसीए यर धररर 12-बीसीसी के तहत धदए गए धकसी भी आदेश कर उल्लंघन करे गर, उसे एक
िषन तक की कै द यर जमु रननर यर दोनों से दंधडत धकयर जर सकतर है।
धारा 108. अपराधों के सबं ंध में पुधलस की शधियां और कतयव्य तथा पंचायतों को सहायता
प्त्येक पधु लस अधधकररी अपनी जरनकररी में आने िरले धकसी अपररध की ग्ररम पंचरयत को तत्करल सचू नर देगर जो
इस अधधधनयम यर उसके तहत बनरए गए धकसी धनयम यर उपधिधध के धिरुद्ध धकयर गयर है और ग्ररम पच ं रयत और
न्यरय पंचरयत के सभी सदस्यों और सेिकों को इस करयन में सहरयतर करे गर।
पच
ं ायतो िें आरक्षण
ऄनच्ु छे द 243(D)- पचं ायतो में ऄध्यक्ष पद-1/3 मधहला and 1/3 Sc/St (By Rotation)
ऄनच्ु छे द -334-Sc/St अरक्षण 1/3 of Sc/St मधहला
ग्राि पंचायत-ग्राम सभा द्वार आसके सभी सदस्यों और मधु खया का चनु ाव प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से होता है।
ग्राम पंचायत के सदस्यों की संख्या-
1000 की जनसँख्या पर- 9 सदस्य
1001-2000 की जनसँख्या पर- 11 सदस्य
2001-3000 की जनसँख्या पर- 13 सदस्य
3000+ की जनसँख्या पर- 15 सदस्य
क्षेत्र पंचायत/पंचायत समिमत-आसके सदस्यों का चनु ाव ग्राम सभा के व्यधियों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से धकया जाता है।
ये सदस्य ऄप्रत्यक्ष वोध ंग द्वारा ऄपने में से एक प्रमख
ु व एक ईपप्रमख
ु का चनु ाव करते है।
पच
ं ायत समिमतयां
ईत्तर प्रदेश में पंचायत के 3 स्तर है। तीनो स्तर पर आनकी सधमधतयां है जो आनके कायों का प्रधतपादन करती है।
ग्रािपच
ं ायत समिमतयां
ग्रामपचं ायत गाँव की कायसपाधलका ऄथासत मधरिमण्डल होती है और पच ं ायत सधमधतयां एक प्रकार का मिं ालय होती
हैं जो ग्राम पंचायत के 29 धवषयों (कायों) के धियारवयन के धलये बनाइ जाती हैं ताधक ग्राम पंचायत सहभाधगता एवं
जनभागीदारी के साथ सचु ारू रूप से कायस कर सके । ईत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत सधमधतयों का गठन 2002 की
धनयमावली के ऄनरू ु प होता है।
1-मशक्षा समिमत
यह सधमधत ग्राम पंचायत की धशक्षा व्यवस्था की धनगरानी करती है ।
यह सधमधत पच
ं ायत में गुणवत्तापणू स प्राथधमक धशक्षा हेतु एक ऄनक
ु ू ल वातावरण को तैयार करती है।
यह सधमधत ईधचत वातावरण धनमासण हेतु धवद्याधथसयों, ऄधभभावकों एवं धशक्षकों के बीच समरवय स्थाधपत करती है।
जलप्रबध
ं न समिमत का गठन -
आस सधमधत का सभापधत वाडस मेम्बर ऄथासत पच
ं होता है धजसका चनु ाव वाडस मेम्बरों द्वारा ऄपने बीच से
धकया जाता है।
छः ऄरय सदस्य होते हैं धजनमे एक सदस्य ऄनसु धू चत जाधत या जनजाधत का होना,एक मधहला सदस्य का
होना व एक सदस्य धपछड़ावगस का होना ऄधनवायस है।
ऄधधकतम 7 धवशेष अमंधित सदस्य होते हैं।
जलप्रबध
ं न समिमत के काया -
ग्राम पंचायत में शद्ध
ु पेयजल की व्यवस्था करना ।
ग्राम पंचायत में हैंडपंप का रखरखाव रखना।
लघु धसंचाइ की व्यवस्था करना।
जल स्रोतों की सचू ी तैयार करना व ईनके बेहतर प्रबंधन हेतु पच
ं ायतों को सझु ाव देना।
जल से सम्बंधधत समस्याओ ं का धनयोजन करना।
नोट
ग्राम पचं ायत का सधचव ही प्रत्येक सधमधत का सधचव होता है।
प्रत्येक सधमधत माह में एक बैठक ऄवश्य करती है।
सधमधत बैठक की ररपो स ग्राम पंचायत के समक्ष प्रस्तुत करती है।
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ग्राि पच
ं ायत के काया
कृ धष सबं ंधी कायस(धसचं ाइ के साधन की व्यवस्था)
ग्राम्य धवकास संबंधी कायस(गाँव के रोड को पक्का करना, ईनका रख रखाव करना, गाँव में स्वच्छता बनाये
रखना, गाँव के सावसजधनक स्थानों पर लाआ ् स का आतं जाम करना, गाँव की सड़कों और सावसजधनक स्थान पर
पेड़ लगाना
प्राथधमक धवद्यालय, ईच्च प्राथधमक धवद्यालय व ऄनौपचाररक धशक्षा के कायस(गरीब बच्चों के धलए मफ्ु त
धशक्षा की व्यवस्था, अंगनबाड़ी कें द्र को सचु ारू रूप से चलाने में मदद करना)
यवु ा कल्याण सम्बंधी कायस(खेल का मैदान व खेल को बढ़ावा देना)
राजकीय नलकूपों की मरम्मत व रखरखाव
धचधकत्सा एवं स्वास््य सम्बंधी कायस
मधहला एवं बाल धवकास सम्बंधी कायस
पशधु न धवकास सम्बंधी कायस (पशु पालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, दधू धबिी कें द्र और डेयरी की व्यवस्था
करना, मछली पालन को बढ़ावा देना)
समस्त प्रकार की पेंशन को स्वीकृ त करने व धवतरण का कायस
समस्त प्रकार की छािवृधत्तयों को स्वीकृ धत करने व धवतरण का कायस
राशन की दक ु ान का अवं न व धनरस्तीकरण
पंचायती राज सम्बंधी ग्राम्यस्तरीय कायस अधद।
जरम मृत्यु धववाह अधद का ररकॉडस रखना
ग्राि न्यायालय
12 ऄप्रैल-2007 को कें द्र सरकार के एक धनणसय के ऄनसु ार ग्रामीण भारत के धनवाधसयों को पंचायत स्तर पर ही रयाय
धदलाने के धलए प्रत्येक पचं ायत स्तर पर एक ग्राम रयायालय की स्थापना की जाएगी। आस पर प्रत्येक वषस 325 करोड़
रुपये खचस धकए जाएंगे। कें द्र सरकार एवं राज्य सरकारें तीन वषस तक आन रयायालयों पर अने वाला खचस वहन करें गी।
ग्राम रयायालयों की स्थापना से ऄरय ऄदालतों में मक ु दमों की संख्या कम करने में मदद धमलेगी।
िुख्य मनवााचन अमधकारी-धजला स्तर पर धनयि ु धजलाधधकारी ऄथवा राज्य धनवासचन अयोग द्वारा धनयि
ु एक
ऄधधकारी
काया-धनवासचक नामावली तैयार करना व प्रकाधशत करना
सहायक मनवाा चन अमधकारी-ग्राम पंचायत क्षेिों के धलए धनवासचन ऄधधकारी की सहायता हेतु धजलाधधकारी द्वारा
धनयि
ु ।
ितदान अमधकारी (पोमलंग ऑमिसर)-मतदान ऄध्यक्ष की सहायता हेतु धनवासचक ऄधधकारी द्वारा धनयि
ु
आगािी चैप्टर
Next चै प्टर िें पढ़ेंगे- ग्राम पंचायतों के ऄधधकार एवं कतसव्य, पंचायतीराज की चनु ैधतयाँ और समाधान
Next चै प्टर िें पढ़ेंगे- पचं ायतों के धवत्तीय स्रोत एवं कायस योजना, धवत्त अयोग
1-भारतीय सवं िधान में पचं ायतों के विए वनिााचन वकस अनच्ु छे द में शावमि है-
a) अनच्ु छे द 243 घ (D)
b) अनच्ु छे द 243 ज (H)
c) अनच्ु छे द 243 ट (K)
d) अनच्ु छे द 243 ण (O)
Ans-c
Ans-a
पंचायती राज संस्थाओ ं का कायाकाि 5 िर्ा का होता है। अनच्ु छे द 243E पंचायतों की अिवध से संबंवधत है।
प्रत्येक पंचायत अपनी पहिी बैठक की वतवथ से 5 िर्ा तक बनी रहेगी।
3-उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अवधवनयम-1947 में ग्राम 'पंचायत की बैठकें ' वकस धारा के अंतगात शावमि है-
a) धारा 11
b) धारा 12बी
c) धारा 12डी
d) धारा 12आई
Ans-b
a) के िि 2
b) 1 और 2
c) 2 और 3
d) 1, 2 और 3
Ans-d
Ans-a
व्याख्या िैवदक काि में ग्रामीण प्रशासन का प्रमख ु अवधकारी 'ग्रामणी' होता था। 'ग्रामणी' का मख्ु य काया गााँि को
चोर, डाकुओ ं एिं राज्य के भ्रष्ट कमाचाररयों से वपतृित्त रक्षा करना था। उसे ग्राम सभा की बैठकों को बुिाने तथा गााँि
के िोगों पर अथा दण्ड िगाने का अवधकार था। डॉ. बनजी के अनसु ार िैवदक काि में मौविक रूप से गााँि
स्िायत्तशासी सस्ं था थी और िह के न्द्रीय वनयन्द्िण से मिु थी।
6-वित्त आयोग से प्राप्त पचं ायती राज सस्ं थाओ ं के विए सहायता अनदु ान वकसके द्वारा प्राप्त की जाती है?
a) वजिा पररर्द
b) पंचायत सवमवत
c) ग्राम पंचायत
d) किेक्टर
Ans-c
Ans-c
8-पच
ं ायती सवमवत में मख्ु य अवधकारी कौन होता है
a) प्रसार अवधकारी
b) खंड विकास अवधकारी
c) वजिावधकारी
d) कायाािय अधीक्षक
Ans-b
Ans-b
वजिा पररर्द को पंचायती राज व्यिस्था का तीसरा स्तर माना जाता है।
पचं ायती राज व्यिस्था में िोगों की भागीदारी का विचार जनपद पंचायत और वजिा पररर्द नामक दो
अिग-अिग स्तरों तक फै िा हुआ है।
वजिा पररर्द सभी ग्राम पचं ायतों के बीच धन वितरण को वनयवं ित करता है।
यह पंचायती राज व्यिस्था में चनु ािों के माध्यम से बनता है।
राज्य सरकार के पास वजिा पररर्द को भंग करने की शवि है
राज्य और कें र सरकार की विवभन्द्न विकास गवतविवधयों और कल्याणकारी योजनाओ ं को वजिा पररर्द के
माध्यम से कायाावन्द्ित वकया जाता है।
10-गुप्तकाि में पंचायतीराज व्यिस्था के अंतगात 200 गांिों का समहू कहिाता था-
a) संगहृ ण
b) रोणमख ु
c) महाग्राम
d) खरिावतक
Ans-d
Ans-c
राज्य वित्त आयोग एक संिैधावनक वनकाय है, क्योंवक यह 73िें संिैधावनक संशोधन अवधवनयम 1992 के तहत बना
है। अनच्ु छे द 280 के तहत, कें र के वित्त आयोग की तजा पर 1993 से भारत के सभी राज्यों में राज्य वित्त आयोग की
स्थापना की गयी थी।
उद्देश्य: पचं ायतों की वित्तीय वस्थवत की समीक्षा करना।
भारतीय संविधान के अनच्ु छे द 243 I के अनसु ार, राज्य वित्त आयोग को राज्यपाि द्वारा 5 िर्ों की अिवध के विए
वनयि ु वकया जाता है।
12-वनम्नविवखत में से वकसे पंचायती राज व्यिस्था का उद्देश्य माना जाता है?
a) ग्रामीण समृवद्
b) ग्रामीण विकास
c) राजनीवतक विकास
d) उपरोि सभी
Ans-d
Ans-a
Ans-a
Ans-a
Ans-a
Ans-d
Ans-c
19-वनम्नविवखत में से भारत में पहिा नगर वनगम कहााँ स्थावपत हुआ था ?
a) किकत्ता
b) चेन्द्नई
c) मम्ु बई
d) वदल्िी
Ans-b
Ans-d
Ans-a
Ans-a
Ans-d
Ans-d
Ans-d
Ans-c
Ans-b
Ans-c
29-बिितं राय मेहता सवमवत की प्रजातावं िक विकें रीकरण की वसफाररश के अनसु ार?
a) के िि वजिा स्तर पर वजिा पररर्द का गठन प्रस्तावित वकया गया था।
b) वजिा, ब्िॉक एिं ग्राम स्तरों पर विस्तरीय प्रजातावं िक पच
ं ायती राज्य सस्ं थाओ ं का गठन होना था।
c) के िि वजिा एिं मंडि स्तर पर वद्व स्तरीय पंचायती राज संस्थाओ ं का गठन होना था।
d) इनमें से कोई भी नहीं
Ans-b
30-पचं ायती राज से संबंवधत वनम्न सवमवतयों को कािक्रम से व्यिवस्थत कीवजए और नीचे वदए गए कूट से सही उत्तर
चवु नए?
1. जी. िी. के . राि सवमवत
2. एि. एम. वसघं िी सवमवत
3. बी. आर. मेहता सवमवत
4. अशोक मेहता सवमवत
a) 3 , 2, 1 और 4
b) 3, 4, 1 और 2
c) 1, 3, 4 और 2
d) 3, 4, 2 और 1
Ans-b
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1947 की धाराओ ं के तहत उत्तर प्रदेश के ग्राम पंचायतों के अधधकार-
धारा-16 (A)-बाहरी सगं ठन को चंदा देने की शधि
ग्राम पंचायत अपने क्षेत्र की अमधकाररता बाहर के ऐसे संगठनों को उनके ऐसे कामों के मलए अंशदान के रूप में ऐसी
धनरामश दे सकती है, जैसा की राज्य सरकार सामान्य या मवशेष आदेश द्वारा अनमु मत दे।
धारा-17-सावतजधनक सड़क आधद का प्रबंध करना ।
धारा-23-कुछ कमतचाररयों के अनैधतक व्यवहार की जांच करना और ररपोर्त करना
ग्राम पंचायत के क्षेत्रामधकार में रहने वाले मकसी व्यमि से जैसे मकसी अमीन, पमु लस, ग्राम चौकीदार, प्राइमरी
अध्यापक, पटवारी आमद द्वारा अपने सरकारी कतिव्यों के पालन में मकसी कदाचार संबंमधत मशकायत प्राप्त होने पर
यमद प्रत्सयक्ष साक्ष्य उपलब्ध है, तो ग्राम पचं ायत अपनी ररपोटि के साथ मशकायत को सममु चत प्रामधकारी के पास
भेजेगी। प्रामधकारी ऐसी और जांच करने के बाद जो सही हो, सममु चत कायिवाही करे गी और ग्राम पंचायत को उसके
पररणाम की सचू ना भेज देगा।
धारा-33-ग्राम पंचायत द्वारा गांव की भूधम को अधजतत करने की शधि ।
(11) पेयजि
पीने, कपड़ा धोने, ्नान करने के प्रयोजनों के मलए जल संभरण के मलए साविजमनक कुओ,ं तालाबों और पोखरों का
मनमािण, मरम्मत और अनरु क्षण और पीने के प्रयोजन के मलए जल सभं रण के स्रोतों का मवमनयमन ।
(20) पुस्तकािय
प्ु तकालयों और वाचनालयों की ्थापना और अनरु क्षण।
ग्राम पच
ं ायतों के दाधयत्सव
1.्वच्छता सम्बन्धी कायि तथा अपमशष्ट का सममु चत मनपटान।
2.साविजमनक तालाबों, कुओ ं का मनमािण,मरम्मत और संरक्षण करना।
3.पीने की पानी, नहाने,और पशओ ु ं के पीने की पानी तथा उसके स्त्रोतों की रखरखाव व मनमािण करना।
4.सड़को तथा अन्य साविजमनक जगहों पर प्रकाश की व्यव्था करना।
5.सड़कों, पमु लयों,बांधों, नामलयों का मनमािण व साफसफाई करना।
6.ग्राम पंचायत के सम्पिी की सरु क्षा करना।
7.मनोरंजन,खेलों,दक ु ानों,भोजन गृहों, फल ,ममठाई तथा अन्य व्तओ ु ं का मवमनयमन करना और मनयत्रं ण करना।
8.कचरा डम्प करने की ्थानों की व्यव्था करना ।
9.कााँजी हाउस का मनमािण,रखरखाव,पशओ ु ं से सम्बंमधत अमभलेखों का रखरखाव।
10.बाजारों,मेलों की ्थापना,प्रबन्धन और मवमनयमन करना।
11.जन्म, मृत्सयु तथा मववाहों का ररकाडि रखना।
12.रोगों के रोकथाम के उपाय करना।
13.शासन द्वारा लागू मकये गए योजनाओ ं का मक्रयान्वयन करना।
14.मनबिलों व मनरामश्रतों की सहायता करना।
15.यवु ा कल्याण,पररवार कल्याण के कायि करना।
17.वृक्षारोपण तथा पेंड़ पौधों को कटने से बचाना।
18.समाज मे प्रचमलत कुरीमतयों को दरू करना।
19.लोगों को मशक्षा ,्वा््य के मलए ्कूल ्वा््य के न्द्र का मनमािण करना।
20.साविजमनक मवतरण प्रणाली के अंतगित उमचत मल्ू य की दक ु ान की ्थापना, मनगरानी करना।
21.ग्राम सभा मे पास मकए गए अनश ु सं ाओ ं को लागू करना।
22.्थानीय संसाधनों का व्यय व मनयंत्रण करना।
23.कें द्र, राज्य, मजला,जनपद द्वारा सौपे गए पररयोजनाओ ं का मनष्पादन करना।
पच
ं ायती राज की चुनौधतयां
1-कमतचाररयों का अभाव- पंचायतें, संवैधामनक तौर पर सरकार के रूप में अपने क्षेत्र के लोगों के मलए जवाबदेह
होती हैं। ऐसे में जरुरी है मक उनके पास अपने कायो के मनष्पादन हेतु पयािप्त संख्या में कमिचारी हों। कमिचाररयों का
अभाव एक बड़ी सम्या रही है। ग्राम पंचायत के मलए कमिचाररयों की आदशि व्यव्था मकस तरह की हो, इसका
मनदान पचं ायती राज मत्रं ालय के अमखल भारतीय सन्दभि में तैयार मकये गए रोडमैप में सझु ाया गया है। लेमकन आमतौर
पर मबहार एवं झारखडं में पचं ायत समचवों की घोर कमी है मजससे पच ं ायतों का काम समय से सपं ामदत नहीं हो पाता।
2- योग्य प्रशासकों एवं धवशे षज्ञों की चुनौती- हम सभी जानते है मक योग्य प्रशासकों एवं मवशेषज्ञों के अभाव में
मनयोजन कायि असफल हो जाता है। पंचवषीय योजनाओ ं के समय में मवशेषज्ञ व प्रशासक प्रशासन में आये लेमकन जो
्थान उन्हें ममलना चामहए वह ्थान उन्हें नहीं ममल पाया। अत: वे अपने आप को मनराश व हतास अनभु व करते है
एवं साथ-साथ उनका कायि करने का मनोबल मनरन्तर मगरता जाता है तथा वे कायिरत ्थान को छोड़कर अन्यत्र ्थानों
में कायि शरू
ु कर देते हैं। यमद संयोग से कोई दक्ष प्रशासक या मवशेषज्ञ अपनी इमानदारी, लगन, पररश्रम के साथ
मवकासात्समक कायि करने का प्रयास भी करता है तो उसमें राजनीमतक एवं हाई कमान के दबावों से दबाव में आकर वह
मवकासात्समक कायि चाह कर भी नहीं कर सकता मजससे मदन-ब-मदन प्रशासकों एवं मवशेषज्ञों का अभाव बढ़ता ही जा
रहा है ।
3-क्षमता एवं प्रधशक्षण का अभाव- धनप्रवाह में देरी, भमू मकाओ ं की समझ का अभाव और मनवािमचत प्रमतमनमधयों
की मजम्मेदाररयां अमधकारीयों पर भारी पड़ती हैं। राजनीमतक ह्तक्षेप, प्रमशक्षण की कमी, अमशक्षा जैसे कई कारणों से
पंचायत की योजना एवं कायि सही तरीके से नहीं चल पाते हैं। दृमष्ट फाउंडेशन के एक अध्ययन में बताया गया है मक
मबहार में 72.2 % पंचायत प्रमतमनमधयों को मकसी तरह का प्रमशक्षण नहीं मदया गया है और मजन लोगों को यह
प्रमशक्षण ममला भी है, उन्हें भी मसफि के न्द्रीय योजनाओ ं पर ही मदया गया है। 86.3% पंचायतों ने कहा की उन्हें भमवष्य
में प्रमशक्षण की आवश्यकता है। इन सब के अभावों के कारण पच ं ायत के कायों और योजनाओ ं में ज़मीनी ्तर पर
मक्रयान्वयन में चनु ौमतयां पेश आती हैं तथा इससे लाभामथियों को योजना का लाभ समय से नहीं ममल पाता।
4-धवकास गधतधवधध-योजना और बजट- ज़्यादातर मनमािण सम्बंमधत गमतमवमधयां ग्राम पंचायत द्वारा ही की जाती हैं
लेमकन देखने को ममलता है मक इनमें आम लोगों की भागीदारी के मलए बढ़ावा नहीं मदया जाता है। आमतौर पर ग्राम
प्रधान और ग्राम पंचायत सद्यों में इच्छाशमि और पहल की कमी देखने को ममलती है मजससे ्वा््य, मशक्षा,
आजीमवका जैसे अन्य आवश्यक मवकासात्समक गमतमवमधयों से मनपटने के मलए कोई योजना नहीं बनाते हैं, बमल्क
सड़क, वाटरशेड से सम्बमन्धत कायिक्रमों पर ही अमधक ज़ोर देते हैं।
6-िोगों की भागीदारी का अभाव-ममहलाओ,ं एससी/ एसटी जैसे मपछड़ी जामतयों का प्रमतमनमधत्सव, के वल कागज़ों
पर ही देखने को ममलता है। मवमभन्न जामतयों समहू ों एवं गुटबाजी के कारण पंचायतों के कामकाज में बाधा रहती है।
आज भी ममहलाओ ं को प्रधान या पंचायत सद्य के रूप में भले ही चनु ा जाता है लेमकन उनके फै सले आमतौर पर
परुु ष ही लेते हैं। इन सब चनु ौमतयों के कारण योजनाओ ं के कायि और मक्रयान्वयन में मदक्कतें पेश आती हैं। इन सब
चनु ौमतयों और सम्याओ ं को दरू करने के मलए पच ं ायतों के महतधारकों की क्षमता मनमािण की ज़रुरत है। इसके मलए
पंचायत ्तर पर बौटम टू –अप अप्रोच होनी चामहए मजसके तहत पंचायत के सद्यों के कौशल और ज्ञान मनमािण के
मलए पाटिनरमशप, सामदु ामयक आयोजन मकये जाने चामहए मजसमें सद्यों की अमधक से अमधक भागीदारी हो।
7-धवकासात्समक योजनाओ ं के धक्रयान्वयन में अधनयधमतता-पंचायती राज एवं मजला मनयोजन पररषदों में
अमधकांश रामश योजनाकारों की जेब में चली जाती है एवं शेष बची हुई रामश प्रशासकीय अमधकाररयों एवं राजनैमतक
पदामधकाररयों की जेबों में चली जाती है और बची हुई रामश को मवकासात्समक कायों में लगाया जाता है, जो लगभग
20 प्रमतशत ही होती है। इस बची रामश के आधार पर मवकास की योजना एवं कायिक्रम बनाये जाते हैं, और रामश आधे
कायिक्रम में समाप्त हो जाती है।
8-िािफीताशाही का बढ़ता प्रभाव-लालफीताशाही के प्रभाव में वृमध्द के कारण मवकासात्समक कायों को परू ा
करने में अनावश्यक मवलंब होता है। कभी-कभी मवकासात्समक योजनाओ ं की फाइलें महीनों तक प्रलंमवत पड़ी रह
जाती है। मजससे आम आदमी मवकास के फलों से बंमचत रह जाता है। उदाहरणाथि -भवन मनमािण, रोड मनमाणि आमद
हेतु प्र्तुत पत्र यमद मजला पररषद या महानगरपामलका में भेजा जाता है, तो वह महीनों तक प्रलंमवत पड़ी रह जाती है।
इतना ही नहीं प्रलंमवत कायि के मलए बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं, मजसके कारण घसू खोरी, भ्रष्टाचार को बढ़ावा
ममलता है।
9-योजना के धक्रयान्वयन में ढीिाप- मकसी भी क्षेत्र के मवकास के मलए मवकासात्समक योजनाओ ं के मनमािण से कायि
खत्सम नहीं हो जाता। मकसी योजना का वा्तमवक अथि व महत्सव उसके सफल मक्रयान्वयन से होता है। के न्द्र, राज्य एवं
्थानीय सरकार द्वारा मवकासात्समक योजनाएं तो ढेर सारी लंबी-चौड़ी बनाई जाती हैं। कायि अथाित उन योजनाओ ं का
मक्रयान्वयन कायि आरंभ ही नहीं होता, मजससे ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक कायिक्रमों व योजनाओ ं के मक्रयान्वयन के
ढीलेपन के कारण उस क्षेत्र का मवकास के वल कल्पनात्समक रह जाता है।
11-प्रशासधनक मशीनरी में जनतात्रीकरण का अभाव-मजला योजनाओ ं के मनमािण एवं मक्रयान्वयन करने वाली
प्रशासमनक मशीनरी में जनतात्रीकरण का आभाव है, मजसके पररणाम्वरूप प्रशासमनक मशीनरी अपने लक्ष्यों को प्राप्त
करने में असफल रही है।
12-जनसवं ाद का अभाव- जनसंवाद के कारण ग्रामीण मवकास की योजनाओ ं को शासन ग्रामीण जनता तक पहुचं ाने
में असफल रही है, मजससे ग्रामीण जनता को योजनाओ ं का सही ढंग से पता ही नहीं लगता और वे योजनाएं बनकर
मक्रयामन्वत कर दी जाती है तथा ग्रामीण गरीब, अमशमक्षत व असहाय जनता योजना के आने के इन्तजार में अपना
सारा समय व्यथि में बवािद कर देती है एवं वे योजनाओ ं के लाभ से वमं चत रह जाते हैं ।
13-आधथतक सस ं ाधन का अभाव-ग्राम पचं ायत हो या मजला पररषद, उनके पास धन की सम्या शरू ु से ही रही है।
इन स्ं थाओ ं को ्वतंत्र आमथिक स्रोत या तो मदये नहीं गये या मफर जो भी मदए गये वे अथि शन्ू य हैं।
पररणामत: शासकीय अनदु ानों पर ही जीमवत रहना पड़ता है।
चुनौधतयों का समाधान
1. अमधकाररयों एवं आम जनता को योजनाओ ं के सफल मक्रयान्वयन में सहयोग देना चामहए, तामक ग्रामीण मवकास
के मलए प्रशासन को सहयोग ममल सके ।
2. मवकासात्समक कायों को करने के मलए प्रशासकों एवं मवशेषज्ञों को ्वतंत्रता होने से वे अपने अनभु वों एवं
कायिकुशलता के आधार पर कायि कर सके गें।
3. संबंमधत सम्या के वा्तमवक आकड़े व त्य प्रशासन को प्राप्त कराने में संबंमधत व्यमि को सहयोग प्रदान करना
चामहए।
4. अमधकाररयों एवं कमिचाररयों को प्र्तामवत फाइलों की यथोमचत कायिवाही के साथ एक मनमित अवमध के अदं र
पणू ि करना चामहए।
5. राजनीमतक दल व हाई कमानों का मनयंत्रण समय-समय पर होना चामहए तामक उनका मनोबल, लगन एवं इमानदारी
से कायि करते रहें, इससे भ्रष्टाचार को बढ़वा नहीं ममलेगा। यह बात मकसी से छुपी नहीं है मक ज्यादा मनयत्रं ण ही
भ्रष्टाचार का दसू रा नाम है।
आगामी चैप्र्र
Next चै प्र्र में पढ़ेंगे- पचं ायतों के मविीय स्रोत एवं कायि योजना, मवि आयोग
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पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-15 (Syllabus Topic-(iii)
पच
ं ायतों के ववत्तीय स्रोत एवं कायय योजना
कें द्र और राज्य ववत्त आयोग
(Part-01)
कें द्रीय ववत्त आयोग
वित्त अयोग के संबंध में भारतीय संविधान के ऄनच्ु छे द 280 और 281 में ईल्लेख वकया गया है।
वित्त अयोग एक ऄर्द्धन्यावयक एिं सलाहकारी वनकाय है।
भारतीय सवं िधान के ऄनच्ु छे द 280(1) के ऄतं गधत यह प्रािधान है वक सवं िधान के प्रारंभ से दो िर्ध के भीतर और
ईसके बाद प्रत्येक पााँच िर्ध की समावि पर या पहले ईस समय पर, वजसे राष्ट्रपवत अिश्यक समझते हैं, एक वित्त
अयोग का गठन वकया जाएगा। ऄभी तक 15 वित्त अयोग गवठत वकए जा चक ु े हैं।
पहला वित्त अयोग 22 निबं र 1951 को ऄवततत्ि में अया और आसके ऄध्यक्ष वक्षवतज चद्रं नेगी (के .सी. नेगी) थे।
2017 में 15िां वित्त अयोग एन के वसहं (नदं वकशोर वसहं ) (भारतीय योजना अयोग के भतू पिू ध सदतय) की
ऄध्यक्षता में गवठत वकया गया था। अरववदं मेहता वतयमान ववत्त आयोग के सवचव हैं।
भारत में वित्त अयोग का गठन वित्त अयोग ऄवधवनयम 1951 के ऄतं गधत वकया गया है।
ववत्त आयोग का मुख्यालय नई वदल्ली में है।
सरं चना/गठन
ऄनच्ु छे द 280(1) के तहत ईपबंध है वक वित्त अयोग राष्ट्रपवत द्वारा वनयक्त्ु त्त वकये जाने िाले 1 अध्यक्ष और 4
अन्य सदस्यों(सदस्यों में 2 सदस्य पर्
ू य कालीन सदस्य जबवक 2 सदस्य अंशकालीन सदस्य) से वमलकर
बनेगा।
ऄनच्ु छे द 280(2) के तहत ससं द को शवि प्राि है वक िह वित्त अयोग की वनधाधररत करे ।
73िें संविधान संशोधन 1993 से भारत के सभी राज्यों में राज्य वित्त अयोग का गठन करने का प्रािधान है।
वित्त अयोग एक संिैधावनक वनकाय है जो कें द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच वित्तीय संबंधों को पररभावर्त करता है।
वित्त अयोग का गठन एक संिैधावनक वनकाय के रूप में ऄनच्ु छे द 280 के ऄंतगधत भारत के राष्ट्रपवत द्वारा वकया जाता है।
वित्त अयोग का कायधकाल 5 िर्ध होता है। परन्तु 5 िर्ध से पिू ध भी राष्ट्रपवत वित्त अयोग को समाि कर नए वित्त अयोग का
गठन कर सकता है। यह एक ऄधध न्यावयक संतथा है। वित्त अयोग एक संिैधावनक वनकाय है।
भारत के संविधान का ऄनच्ु छे द 280 वित्त अयोग से संबंवधत है और ऄनच्ु छे द 243I राज्य वित्त अयोग से संबंवधत है।
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ववत्त आयोग में एक अध्यक्ष एवं चार अन्य सदस्य होते हैं वजनकी योग्यताएँ वनम्न है –
अध्यक्ष: एक ऐसा व्यवि हो वजसे लोक मामलों का सम्पर्ू ध ज्ञान हो।
सदतय: 1. एक ऐसा व्यवि जो ईच्च न्यायालाय का न्यायाधीश बनने की योग्यता रखता हो।
सदतय: 2. एक ऐसा व्यवि जो सरकार के वित्त और लेखाओ ं का विशेर् ज्ञान रखता हो।
सदतय: 3. एक ऐसा व्यवि जो वित्तीय विर्यों और प्रशासन के बारे में व्यापक ऄनभु ि रखता हो।
सदतय: 4. एक ऐसा व्यवि वजसे ऄथधशास्त्र का विशेर् ज्ञान हो।
वित्त अयोग द्वारा की गइ वसफाररशें सलाहकारी प्रिृवत की होती हैं आसे मानना या न मानना सरकार पर वनभधर करता है।
बद्ध अनदु ान-पचं ायती राज (Panchayati Raj) सतं थाओ ं के वलये अिवं टत कुल सहायता ऄनदु ान (grants) में से
60 प्रवतशत बंधन या बर्द् ऄनदु ान ((Tied Grants) है।
कें द्र प्रायोवजत योजनाओ ं के तहत खल
ु े में शौच मि
ु (ODF) वतथवत की तिच्छता और रखरखाि में सधु ार, पेयजल
की अपवू तध, िर्ाध जल संचयन और जल पनु चधिर् के वलये कें द्र द्वारा अिंवटत धन के ऄलािा ग्रामीर् तथानीय
वनकायों को ऄवतररि धन की ईपलब्धता सवु नवित करने हेतु बर्द् ऄनदु ान प्रदान वकया जाता है।
खलु ा अनुदान-शेर् 40 प्रवतशत ‘ऄनटाआड ग्रांट या खल ु ा ऄनदु ान है और िेतन के भगु तान को छोड़कर, तथान
विवशष्ट ज़रूरतों के वलये पंचायती राज संतथानों के तिवििेक पर आसका ईपयोग वकया जाता है।
15िें वित्त अयोग ने राज्यों के बीच ऄनदु ानों के पारतपररक वितरर् हेतु अबादी के वलए 90% और क्षेिफल
के वलए 10% भाराक ं वनधाधररत वकया है।
15िें वित्त अयोग ने तथानीय शासनों के वलए 2021-26 की ऄिवध हेतु कुल 436361 करोड़ रूपए ऄनदु ान
की ऄनश ु ंसा की है।
15िें वित्त अयोग ने ग्रामीर् तथानीय वनकायों के वलए 202126 हेतु कुल 236805 करोड़ रुपए की
ऄनश ु ंसा की है। 15िें वित्त अयोग ने शहरी तथानीय वनकायों के वलए 202126 हेतु कुल 121055 करोड़
रुपए की ऄनश ु ंसा की है।
15 िें वित्त अयोग ने तथानीय वनकायों को करो के विभाजय् पल ू के ऄनपु ात के बजाए ईन्हें तथायी रावश
वदये जाने की ऄनश ु ंसा की है।
13वें ववत्त आयोग ने प्रदशधन ऄनदु ान प्राि करने के वलए ग्रामीर् तथानीय वनकायों के वलए 6 शतें और शहरी तथानीय
वनकायों के वलए 9 शतें वनवदधष्ट की थीं।
13िें वित्त अयोग ने संविधान के भाग IX एिं IX-A से बाहर वकए गए क्षेिों के वलए एक विशेर् क्षेि ऄनदु ान का
प्रािधान वकया था। आस ऄनदु ान के दो घटक थे
विशेर् क्षेि मल ू ऄनदु ान (Basic grant)
विशेर् क्षेि प्रदशधन ऄनदु ान (Performance grant)
विशेर् क्षेि प्रदशधन ऄनदु ान प्राि करने के वलए 4 शतों को परू ा वकया जाना था।
विवधित रूप से गवठत पंचायतों के वलए शतध रवहत मल ू ऄनदु ान और सशतध प्रदशधन ऄनदु ान के बीच ऄनपु ात 90:10
था और नगरपावलकाओ ं के वलए यह 80:20 था।
मलू ऄनदु ान का ईपयोग विवनवदधष्ट मल ू भतू नागररक सेिाओ ं की वतथवत में सधु ार लाने के वलए वकया जाना था। प्रदशधन
ऄनदु ान राजति में सधु ार अने के अधार पर था वजसके वलए मानदंड को राज्य सरकारों द्वारा वनधाधररत वकया जाना था।
इसके अवतररक्त पच ं ायती राज मत्रं ालय ने प्रदशयन अनदु ानों को प्राप्त करने के वलए कुछ और शतें रखी जैसे-
सेक्त्टर-िार व्यय को एक डैशबोडध में प्रदवशधत करना
तियं के राजति स्रोत में प्रवतशत िृवर्द्
ग्राम पंचायतों की खल ु े में शौच से मवु ि (ओडीएफ) की वतथवत
ग्राम पचं ायतों में टीकाकरर् ततर के अधार पर ईनके वलए तकोर वनधाधररत करने जैसे कायों को परू ा करना ।
आसी तरह राज्य के संदभध में, ये राज्य की सबसे बड़ी वनवध होती है जो वक राज्य विधानमंडल के ऄधीन होती है, और
कोइ भी धन आसमें वबना विधानमंडल की पिू ध तिीकृ वत के वनकाला/जमा या भाररत नहीं वकया जा सकता है।
सवं चत वनवध में से सरकारें जो भी पैसा वनकालती है ईसे एक ईधारी की तरह समझा जाता है वजसे सरकार को िापस
ईसमें जमा करिाना पड़ता है। सवं चत वनवध से धन वनकालने के वलए वजस विधेयक का प्रयोग वकया जाता है ईसे
विवनयोग विधेयक (Appropriation Bill) कहा जाता है।
1951 में भारत में एक अकवतमकता वनवध ऄवधवनयम पाररत वकया गया। वजसके तहत एक अकवतमकता वनवध का
वनमाधर् वकया गया। ितधमान समय में ये वनवध 500 करोड़ रुपए का है जो वक संवचत वनवध से आसमें डाला जाता है।
तपष्ट है ये अकवतमक पररवतथवतयों के वलए होता है; जहां जल्दी पैसों की जरूरत हो यानी वक संसद में आसके वलए
मतदान होने तक रुकने का िि न हो। ऐसी वतथवत में कायधपावलका आसमें से शीघ्र धन की वनकासी कर सकता है।
आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे- पंचायतों के वित्तीय स्रोत एिं कायध योजना, वित्त अयोग
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ग्राम पंचायत विकास योजना के संबंध में यह व्यिथथा की जायेगी वक ग्राम पंचायतों में ईपलब्ध संसाधनों के पश्चात् ही
ऄन्य कायों यथा पथु तकालय, िृक्षारोपण, बाल विकास, सहकारी सवमवतयों, अपदा प्रबन्धन को सवममवलत वकया
जायेगा।
सभी कायषिमों की धनरावश पंचायत को सीधे इ-ट्ांसफर से ईनके खाते में हथतांतररत करने की व्यिथथा राज्य सरकार द्वारा की जायेगी।
पच
ं ायतों के ववत्तीय सशिीकरण हेतु
अनच्ु छे द 243(G) में पचं ायतों के अवथषक विकास और सामावजक न्याय के वलए योजनाएाँ तैयार करने और आन
योजनाओ ं (आनके ऄंतगषत िे योजनाएाँ भी शावमल हैं जो ग्यारहिीं ऄनसु चू ी में सचू ीबद्ध विर्यों के संबंध में है) को
कायाषवन्ित करने के वलए पंचायतों को शवि ि प्रावधकार प्रदान करने के वलए राज्य विधान मंडल विवध बना सके गा।
अनुच्छे द 243(H) के ऄनसु ार, राज्यों से बजटीय अिंटन, कुछ करों के राजथि की साझेदारी, करों का संग्रहण और
आससे प्राप्त राजथि का ऄिधारण, कें र सरकार के कायषिम और ऄनदु ान, कें रीय वित्त अयोग के ऄनदु ान अवद के
संबंध में ईपबंध वकए गए हैं।
अनुच्छे द 243(I) के ऄनसु ार, प्रत्येक राज्य में एक वित्त अयोग का गठन करना, तावक ईन वसद्धांतों का वनधाषरण
वकया जा सके वजनके अधार पर पंचायतों और नगरपावलकाओ ं के वलए पयाषप्त वित्तीय संसाधनों की ईपलब्धता
सवु नवश्चत की जाएगी। वित्त अयोग
पचं ायतों की अवथषक वथथवत त्िररत गवत से सदृु ढ़ करने के ईद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा राज्य वित्त अयोग की
संथतुवतयों के ऄनि
ु म में प्रदेश के कुल करों की शद्ध
ु अय का 5.5 प्रवतशत ऄंश पंचायतों को हथतांतररत करने का
वनणषय वलया गया है। वित्त िर्ष 2021-22 में राज्य वित्त अयोग के ऄंतगषत 660000 लाख रु० का अय-व्यय का
प्रािधान वकया गया था ।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वषय 2022-23 में ग्राम्य ववकास हेतु प्रयास
मनरे गा योजनांतगषत िर्ष 2021-22 में 26 करोड मानि वदिस का सृजन वकया गया तथा वित्तीय िर्ष 2022-
23 में 32 करोड मानि वदिस सृजन वकए जाने का लक्ष्य रखा गया।
मख्ु यमत्रं ी अिास योजना ग्रामीण के ऄतं गषत वित्तीय िर्ष 2018-19 से ऄब तक 1.02 लाख अिासों का
वनमाषण पणू ष कराया जा चक ु ा है।
श्यामाप्रसाद मख ु जी रुबषन वमशन योजनांतगषत देशभर में 300 ग्रामीण विकास क्लथटरों का सृजन वकया जाना
है, वजसमें ईत्तर प्रदेश में तीन चरणों में कुल 16 जनपदों में 19 क्लथटर चयवनत कर वलए गए हैं।
थिच्छ भारत वमशन (ग्रामीण) योजनांतगषत िर्ष 2022-23 में 6, 65, 473 व्यविगत शौचालय वनमाषण हेतु
12 हजार रुपये तथा 1460 सामदु ावयक शौचालयों हेतु 3 लाख रुपये तक ऄनदु ान वदए जाने की व्यिथथा है।
राष्ट्ट्ीय ग्राम थिराज ऄवभयान योजनातं गषत पच ं ायतों के क्षमता सिं द्धषन, प्रवशक्षण एिं पच
ं ायतों में सरं चनात्मक
ढााँचे की ईपलब्धता हेतु कायष कराए जा रहे हैं।
योजना का उद्देश्य
पचं ायतों में इ-गिनेन्स की थथापना करना।
पंचायतों में इ-गिनेन्स की ईत्तरोत्तर िृवद्ध वकया जाना।
पच ं ायतों की सशिीकरण हेतु तकनीकी सहायता प्रदान करना।
पंचायतों का प्रवशक्षण के माध्यम से क्षमता विकास करना।
योजना के घटक/गवतवववधयाँ
राज्य कायषिम प्रबन्धन आकाइ हेतु परामशी एिं कमी।
जनपद कायषिम प्रबन्धन आकाआयों हेतु परामशी।
जनपद कायषिम प्रबन्धन आकाइयां हेतु डेथकटॉप कमप्यटू र वसथटम।
इ-गिषनेन्स के ऄन्तगषत विकवसत सॉफ्टिेयर पर प्रवशक्षण।
आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-पंचायतीराज व्यिथथा को सशि करने के ईपाय, पंचायत वसटीजन चाटषर, कॉमन सविषस सेंटर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे पचं ायतों में इ-गिनेंस, पररिार रवजथटर, जन्म-मृत्यु पंजीकरण
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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-17-Syllabus Topic-(iv)
पच
ं ायतीराज व्यवस्था को सशक्त करने के उपाय
(Part-01)
पंचायत में ससटीजन चाटट र
पचं ायत में ससटीजन चाटटर एक दस्तावेज़ है, सजसमें नागररकों के असधकारों की जानकारी होती है. इसमें शासन से जडु ी
गसतसवसधयों, प्रसियाओ,ं सबं ंसधत असधकाररयों, समय-सीमा और सशकायत-प्रणाली की जानकारी होती है. ससटीजन
चाटटर का उद्देश्य शासन में जवाबदेही, उत्तरदासयत्व, शसु चता, समतव्यसयता और समयबद्धता ससु नसित करना है.
पंचायत में ससटीजन चाटटर की उपलब्धता का कायट नगर सनगम में संबंसधत जोन कायाटलयों, तथा
नगरपासलका पररषद, नगर पंचायत कायाटलय के कर एवं राजस्व सवभाग द्वारा सकया जाता है।
पच
ं ायत नागररक चाटट र को 7 भागों में बााँटा गया है-
1-ग्राम पच
ं ायतों को सवत्तीय सहायता 5- सवके वद्रीकरण कायटिम
2-ग्रामीण स्वच्छता कायटिम 6- ग्राम पंचायतों पर सनयंत्रण
3-पंचायतों का दासयत्व 7- पंचायत हेल्प लाइन की व्यवस्था
4-पंचायतों के प्रसत जनता का दासयत्व
ग्राम ससचवालय
सरकार हर ग्राम पंचायत में ग्राम ससचवालय बना रही है। सरकार ग्राम पंचायतों के माध्यम से सवकास के कायों के साथ
गावं के प्रत्येक नागररक को भागीदार बनाना चाहती है। प्रदेश सरकार ग्रामीणों की सभी समस्याओ ं का समाधान गावं
में कराने की योजना पर काम कर रही है। इसके द्वारा सरकार ग्राम स्वराज की पररकल्पना को भी साकार कर रही है।
ग्राम पंचायतों के कायटलयों, उनकी बैठकों के आयोजन तथा ग्राम स्तर पर पंचायत ससचव की उपलब्धता ससु नसित
करने के उद्देश्य से उनके आवास की व्यवस्था को दृसिगत रखते हुए पंचायत भवनों का सनमाटण कराया जाता है।
वतटमान में एक पचं ायत भवन की लागत 17.46 लाख रुपाये हैं भवन में एक बैठक हाल, दो कायाटलय कक्ष, कमी
आवास, बरामदा व शौचालय खण्ड का सनमाटण होता है। सनमाटण ग्राम पंचायतें स्वयं करती हैं।
ग्राम पंचायत ससचव का पद बहुत ही सजम्मेदारी वाला पद होता है। इस प्रकार व्यसक्त के कायट पर सब की नजर होती है।
पंचायत का संपणू ट कायट उसकी दक्षता पर भी सनभटर करता है। सकसी कारण कई बार तो ऐसा भी होता है। सक ग्रामीण
पचं ायत ससचव को कई आरोपों का सामना करना पडता है। असधकतर ग्राम पच ं ायत ससचव पर उसकी मनमानी और
सरकारी रासश के बेसफजल ू उपयोग के आरोप लगते है।
पच
ं ायत ससचव के कायट
ग्राम पचं ायत ससचव गावं के सवकास कायों के सलए प्रस्ताव बनाने में ग्राम पचं ायत की मदद करता है।
ग्राम पंचायत ससचव के द्वारा सलसपकीय कायट और धन का लेखा जोखा रखने का भी कायट सकया जाता है।
ग्राम पंचायत ससचव के द्वारा ऑसडट के सलए इस लेखे जोखे को महु यै ा कराना होता है।
ग्राम पचं ायत ससचव कायाटलय का प्रभावी कहलाता है।
ग्राम पंचायत ससचव के द्वारा ग्रामीणों के बीच सरकारी योजनाओ ं का प्रचार प्रसार करने का कायट सकया जाता
है।
ग्राम ससचव ग्राम पचं ायत और सरकार के बीच की एक कडी होता है।
ग्राम ससचव का मख्ु य कायट ग्राम पंचायत द्वारा पाररत प्रस्तावो का ररकॉडट रखना और उसे सियाववयन में मदद
करना होता है।
ग्राम ससचव के द्वारा गावं में सवकास कायट हेतु आने वाली नई योजनाओ ं को लागू करने के साथ-साथ उनसे
समलने वाले लाभ के बारे लोगों को जागरुक करने का काम भी सकया जाता है।
पच
ं ायत ससचव के कतट व्य
सरपचं के परामशट से ग्राम सभा के एजेंडे को असं तम रूप देना । ग्राम सभा की बैठक की सचू ना जारी करना ।
ग्राम सभा बैठकों के सववरण, जो सक तारीख, समय और स्थल का व्यापक सवज्ञापन देना ।
ग्राम सभा की सपछली बैठक के प्रस्तावों पर की गई कायटवाही की ररपोटट तैयार करना ।
ग्राम सभा की मौजदू ा बैठक से पहले एजेंडे की मदों पर नोट्स तैयार करना।
ग्राम पचं ायत ससचव अपना कायट स्वयं करता है। परंतु सबना सकसी की सहायता से वह अपना कायट नहीं कर सकता।
ग्राम ससचव का कायट करने में ग्राम पंचायत उसकी परू ी तरह मदद करती है। पंचायत सहायक द्वारा पंचायत ससचव के
कायट में मदद की जाती है। सजन कायट में ग्राम पंचायत ससचव की सहायता पंचायत सहायक करते हैं।
स्थायी सनयुसक्त-इस तरह की सनयसु क्त में कमटचाररयों की भती चयन आयोग द्वारा की जाती है। इवहें स्थाई तौर पर
सनयक्त
ु सकया जाता है, साथ ही समय समय पर इनका रांसफर कर दसू री ग्राम पंचायतों में भेज सदया जाता है।
आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे पचं ायतों में ई-गवनेंस, पररवार रसजस्टर, जवम-मृत्यु पजं ीकरण
भारत सरकार ने कॉमन सविमस सेंटर योजना शरू ु की। यह राष्ट्रीय इ-शासन प्िान योजना के भाग के रूप में वकया गया
था। आसका ईद्देश्य भारत के नागररक के तहत ऄपने घर पर नागररकों को G2C (सरकार से नागररक) और B2C
(वबजनेस से नागररक) सेिाएं प्रदान करना है।
सीएससी के ईद्देश्य-
यह योजना पीपीपी (पवलिक प्राआिेट पाटमनरवशप) फ्रेमिकम में िागू की गइ है। आस योजना की कुछ प्रमख
ु विशेषताएं हैं-
ग्रामीण क्षेत्रों में ईद्यवमता पर जोर
वनजी क्षेत्र को भी सेिाएं प्रदान करना
सामदु ावयक जरूरतों को विशेष महत्ि वदया जाता है
ग्रामीण भारत के विकास में महत्िपणू म भवू मका वनभाते हुए और अजीविका प्रदान करते हैं
कइ सरकारी और गैर सरकारी सेिाओ ं के विए एक एजेंट के रूप में कायम करने की पेशकश करता है
विवभन्न G2C और B2C सेिाओ ं के विए एक-स्टॉप समाधान।
एक सीएससी 6 गािं ों को किर करता है।
CSC सेवाओ ं की सच
ू ी (र्वस्तार से)
1-सरकार से ईपभोक्ता (G2C)
बीमा सेिाएाँ
पासपोटम सेिा
LIC, SBI, ICICI प्रडू ेंवशयि, AVIVA DHFL और ऄन्य जैसी बीमा कंपवनयों की प्रीवमयम संग्रह
सेिाएाँ
इ-नगररक और इ- वजिा सेिाएं {जन्म / मृत्यु प्रमाण पत्र अवद}
पेंशन सेिा
एनअइओएस (NIOS) पंजीकरण
5-र्वत्तीय समावेशन
आसके तहत, वनम्नविवखत सेिाएं शावमि हैं:
बैंर्कंग- वडपॉवजट, विदड्रॉि, बैिेंस आन्क्ट्िायरी, स्टेटमेंट ऑफ ऄकाईंट्स, ररकररंग वडपॉवजट ऄकाईंट्स, ओिरड्राफ्ट,
ररटेि िोन, जनरि पपमस िे वडट काडम, वकसान िे वडट काडम, ईधारकतामओ ं को िे वडट सवु िधा जैसी कइ बैंवकंग सेिाएं
ग्रामीण क्षेत्रों में सीएससी के माध्यम से ईपिलध कराइ जाएंगी। आसने िगभग 42 सािमजवनक, वनजी सेिा क्षेत्र और
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के साथ समझौता वकया है।
बीमा- सीएससी प्रावधकृ त ग्राम स्तरीय ईद्यमी (िीएिइ) के माध्यम से बीमा सेिाएं भी प्रदान करे गा। कुछ विशेष
विशेषताओ ं में जीिन बीमा, स्िास््य बीमा, फसि बीमा, व्यविगत दघु मटना और मोटर बीमा शावमि हैं।
पेंशन- ग्रामीण और ऄधम-शहरी क्षेत्रों में राष्ट्रीय पेंशन प्रणािी को टीयर 1 और टीयर 2 खाते, जमा ऄश
ं दान अवद के
ईद्घाटन के माध्यम से बढािा वदया जाता है।
6-ऄन्य सेवाएं
कृर्ष- वकसान पंजीकरण होने के बाद, ईन्हें मौसम सचू ना, मृदा सचू ना पर विशेषज्ञ सिाह प्राप्त होगी।
भती- भारतीय नौसेना, भारतीय सेना और भारतीय िायु सेना में भती की ऄवधसचू ना को सशस्त्र बिों में शावमि होने
का ऄिसर देने के विए नागररकों के साथ साझा वकया जाता है।
अयकर फाआर्लंग- सीएससी के माध्यम से भी अयकर ररटनम दावखि वकया जा सकता है। मैनऄ ु ि VLE के विए
ऄंग्रेजी और वहदं ी में ईपिलध है।
CSC 2.0 एक सेिा वितरण ईन्मख ु ईद्यवमता मॉडि है, जो वक स्टेट िाआड एररया नेटिकम (SWAN), स्टेट सविमस
वडिीिरी गेटिे (SSDG), इ-वडवस्रक्ट्ट (e-District), स्टेट डेटा सेंटर (SDC) और नेशनि ऑवप्टकि फाआबर
नेटिकम (NOFN)/ भारतनेट (BharatNet) के रूप में पहिे से वनवममत बुवनयादी ढााँचे के आष्टतम ईपयोग के माध्यम से
नागररकों के विये ईपिलध कराइ गइ सेिाओ ं का एक व्यापक मच ं है।
इ-गवनेंस-E-Governance
E Governance शलद में ‚E‛ शलद का सम्बन्ध ‘आलेक्ट्रॉर्नक सच ू ना एवं सच
ं ार प्रौद्योर्गकी’ ि
‚Governance‛ शलद का ऄथम शासन से है, ऄथामत इ गिनेंस शलद से तात्पयम वकसी देश के ऐसे शासन से है, जहााँ
सरकार ऄपने कायों को करने के विए सचू ना एिं संचार प्रौद्योवगकी तकनीक का ईपयोग करती है। आसका मि ू ईद्देश्य
सरकारी कायामियों तक अम जनता की पहुचं असान बनाकर ईनका कलयाण करना ि शासन में पारदवशमता िाना है।
इ-गिनेंस नागररकों, व्यिसायों और सरकारी एजेंवसयों को सचू ना और सेिाओ ं का आिेक्ट्रॉवनक वितरण है। यह सरकार
द्वारा सचू ना और संचार प्रौद्योवगकी (अइसीटी) का ईपयोग है जो ऄपने नागररकों को वदन में 24 घंटे, सप्ताह में सातों
वदन सरकारी सेिाएं प्रदान करने और सवु िधा प्रदान करने के विए है। इ-गिनेंस का प्राथवमक िक्ष्य भ्रष्टाचार को कम
करना और सरकार के भीतर सेिाओ ं और सचू ना के समय पर प्रशासन को सवु नवित करना है।
इ-गवनेंस के र्नम्नर्लर्ित 4 अधार स्तम्भ-
प्रविया
िोग
तकनीक
संसाधन
इ-गिनेंस या आिेक्ट्रॉवनक शासन एक सवु िधाजनक, प्रभािी और पारदशी तरीके से नागररकों के विए शासन को
बढाने के विए सरकार और सािमजवनक क्षेत्र के विवभन्न स्तरों के साथ-साथ आन सदं भों के बाहर सचू ना और सचं ार
प्रौद्योवगवकयों (अइसीटी) का ईपयोग है।
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इ-गवनेंस की सहभार्गताएँ-(Types)
सरकार से नागररक (G2C)
गिनममेंट टू गिनममेंट (G2G)
सरकार से व्यिसाय (G2B)
कममचाररयों के विए सरकार (G2E)
सरकारी-से-एजेंवसयां (G2A)
2.G2G (Government to Government) – विवभन्न सरकारी संस्थाओ ं के बीच वनबामध संपकम को सक्षम
बनाता है । आस तरह की बातचीत सरकार के भीतर विवभन्न विभागों और एजेंवसयों के बीच या कें द्र और राज्य सरकारों
जैसी दो सरकारों के बीच या राज्य सरकारों के बीच हो सकती है । आसका प्राथवमक ईद्देश्य दक्षता, प्रदशमन और
प्रवतफि को बढाना है ।
3.G2B (Government to Business) – सरकार और व्यिसाय के बीच । यह व्यापार समदु ाय को इ-गिनेंस टूि
का ईपयोग करके सरकार के साथ बातचीत करने में सक्षम बनाता है । आसका ईद्देश्य िािफीताशाही में कटौती करना
है वजससे समय की बचत हो और पररचािन िागत कम हो । यह सरकार के साथ व्यिहार करते समय ऄवधक
पारदशी कारोबारी माहौि भी बनाने पर जोर देता है । G2B पहि िाआसेंवसंग, खरीद, परवमट और राजस्ि संग्रह जैसी
सेिाओ ं में मदद करती है ।
4.G2E (Government to Employee) – आस तरह की सहभावगता सरकार और ईसके कममचाररयों के बीच होती
है । अइसीटी ईपकरण आन ऄंतःवियाओ ं को तेज और कुशि बनाने में मदद करते हैं और आस प्रकार कममचाररयों की
सतं वु ष्ट के स्तर को बढाते हैं ।
Mygov.in
भारत सरकार ने जि ु ाइ 2014 में नागररक जडु ाि के विए MyGov प्िेटफॉमम की शरुु अत भारतीय नागररकों को
ऄपने राष्ट्र के शासन और विकास में सविय रूप से भाग िेने के विए प्रोत्सावहत करने के विए की थी।
छवि स्रोत: एनअइसी (राष्ट्रीय सचू ना विज्ञान कें द्र)
ईमगं -Umang
UMANG प्िेटफॉमम को निंबर 2017 में िॉन्च वकया गया था तावक सभी भारतीय नागररकों को कें द्र से िेकर
स्थानीय सरकारी वनकायों तक पैन-आवं डया इ-गिनेंस सेिाओ ं का ईपयोग करने के विए एक मच
ं प्रदान वकया जा सके ।
िजाने-KHAJANE
खजाना राज्य की रेजरी प्रणािी को वडवजटि बनाने के विए कनामटक राज्य सरकार की एक प्रमख ु इ-गिनेंस पहि है।
यह एक सरकार-से-सरकार (G2G) इ-गिनेंस पहि है वजसका ईद्देश्य राज्य के वित्तीय प्रबंधन में सधु ार करना है।
भूर्म-Bhoomi
भवू म कनामटक के 6.7 वमवियन वकसानों को 20 वमवियन ग्रामीण भवू म ररकॉडम के कम्प्यटू रीकृ त वितरण के विए एक
अत्मवनभमर एकि-वखडकी इ-सरकार पोटमि है।
इ-कोटि-e-Courts
न्याय विभाग, काननू और न्याय मंत्रािय ने इ-कोटम शरू ु वकया है। इकोट्मस वमशन मोड प्रोजेक्ट्ट एक राष्ट्रीय इ-गिनेंस
प्रोजेक्ट्ट है वजसका ईद्देश्य देश के वजिा और ऄधीनस्थ न्यायाियों की सचू ना और संचार प्रौद्योवगकी (अइसीटी)
क्षमताओ ं में सधु ार करना है।
इ-र्िर्स्रक्ट्ट-e-District
इ-वडवस्रक्ट्ट राष्ट्रीय इ-गिनेंस योजना के तहत राज्य की वमशन मोड पररयोजनाओ ं और सरकार-से-ईपभोिा पहिों में
से एक है, वजसका ईद्देश्य अम सेिा कें द्रों (सीएससी) के माध्यम से आिेक्ट्रॉवनक रूप से पहचान की गइ बडी मात्रा में
नागररक-कें वद्रत सेिाएं प्रदान करना है। नेशनि इ-वडवस्रक्ट्ट सविमस रैकर, एंड्रॉआड प्िेटफॉमम पर बनाया गया एक
मोबाआि ऐप है, जो नागररकों को इ-वडवस्रक्ट्ट एवप्िके शन के साथ हैंड-हेलड (मोबाआि और टैबिेट) ईपकरणों के
माध्यम से बातचीत करने की ऄनमु वत देगा।
एमसीए 21
भारत सरकार के कॉपोरे ट मामिों के मत्रं ािय (MCA) ने MCA21 प्रोजेक्ट्ट िॉन्च वकया है, जो कॉपोरे ट सस्ं थाओ,ं
पेशेिरों और अम जनता को MCA सेिाओ ं तक असान और सरु वक्षत पहुचाँ प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
कंपनी ऄवधवनयम 1956 के तहत काननू ी अिश्यकताओ ं के प्रितमन और ऄनपु ािन से संबंवधत सभी प्रवियाएं
MCA21 पररयोजना के वहस्से के रूप में परू ी तरह से स्िचावित होंगी।
दपिण-DARPAN
दपमण एक सवं क्षप्त शलद है जो परू े देश में पररयोजनाओ ं की विश्लेषणात्मक समीक्षा के विए डैशबोडम के विए खडा है,
और यह जवटि सरकारी डेटा को अकषमक दृश्यों में बदि देता है।
यह िेब सेिाओ ं के माध्यम से कोवडंग या प्रोग्रावमंग के वबना िास्तविक समय, गवतशीि पररयोजना वनगरानी प्रदान
करने के विए अिश्यक ईपकरण के साथ तकनीकी प्रशासन प्रदान करता है।
यह कइ डेटा स्रोतों को एक कें द्रीकृ त, ईपयोगकताम के ऄनक ु ू ि प्िेटफॉमम में समेवकत करके विश्लेषणात्मक क्षमताओ ं में
सधु ार करता है।
इ-क्ांर्त-e-Kranti
भारत सरकार प्रमख ु वडवजटि आवं डया कायमिम को प्राथवमकता देती है, जो देश को वडवजटि रूप से सशि समाज
और ज्ञान ऄथमव्यिस्था में बदिने के विए एक व्यापक कायमिम के रूप में कायम करता है।
इ-िांवत सीधे वडवजटि आवं डया कायमिम के स्तंभ 4 और 5 से जडु ी हुइ है
राष्ट्रीय इ-सरकार योजना 2.0-"रांसफॉवमिंग इ-गिनेंस फॉर रांसफॉवमिंग गिनेंस" इ-िांवत का विजन है।
इ-िावं त को िागू करना वडवजटि आवं डया और देश में इ-गिनेंस, असान गिनेंस और गडु गिनेंस देने के विए
महत्िपणू म है।
इ-शासन के मॉिल
सामान्य सच ू ना मॉिल (General Information model/Broad casting model)- यह इ-शासन का पहिा
चरण है वजसके द्वारा परम्परागत सरकार का रूपांतरण इ-शासन के रूप में हुअ। आसके द्वारा सरकार ने ऄपनी सचू नाओ ं
को आिेक्ट्रॉवनक रूप में ईपिलध करा वदया और यह ईलिेखनीय है वक यह सचू ना पहिे ही िोगों को प्राप्त थी । आस
मॉडि का यह ईद्देश्य है वक अम िोगों को सरकार की कायमप्रणािी के संबंध में सचू ना ईपिलध कराइ जाए।
र्क्र्टकल सच
ू ना मॉिल (Critical Information Model)- आसके ऄंतगमत सामान्य सचू नाओ ं के बजाय कुछ
विशेष और महत्िपणू म सचू नाओ ं की जानकारी दी जाती है वजसका ईद्देश्य समदु ाय विशेष ऄथिा समचू े समाज को
सचू ना ईपिलध कराना है।
प्रचार-प्रसार मॉिल (Advocacy model)- आसके द्वारा अम िोगों की सहभावगता को शासन में बढाया जा
सकता है और कुछ िोगों के ऄनसु ार सरकार के वनणमय वनमामण में िोगों की सहभावगता के विए वकसी ईत्प्रेरक के रूप
में माना जाता है ईदाहरण - समाज के िवं चत िोगों के शोषण के सबं ंध में सचू ना प्रकावशत करना ।
ऄंतः र्क्या मॉिल (Interaction Model)-यह मॉडि ईपरोि तीनों मॉडि का सामवू हक रूप है। आसमें सचू ना
का संचार दोहरा (2 ways information) होता है ।
आसके द्वारा अम िोग सरकार और ईसके ईनके प्रवतवनवधयों से सीधे जडु जाते हैं।
इ-गवनेस के लाभ
इ-गिनेस शासन में सधु ार है जो सचू ना और संचार प्रौद्योवगकी के संसाधन ईपयोग द्वारा सक्षम है।
इ-गिनेस सभी नागररकों के विए सचू ना और ईत्कृ ष्ट सेिाओ ं की बेहतर पहुचाँ बनाता है।
इ-गिनेस से व्यिसाय और नए ऄिसरों का सृजन हुअ है, आससे िाखों कॉमन सविमस सेंटर खि ु े हैं, वजससे
िाखों िोगों को रोजगार वमिा है।
आसमें कम्प्यटू र अधाररत आन्टरनेट के माध्यम से ऑनिाआन काम होता है, वजससे समय ि धन दोनों की बचत
होती है। आसके साथ ही कम्प्यटू र अधाररत ऑनिाआन काम घर बैठे या कहीं से भी वकया जा सकता है।
इ-गिनेस के माध्यम से कायम ि सेिाओ ं की दक्षता एिं गुणित्ता में सधु ार होता है।
सरकार को सभी प्रकार की अंकडें (Data) असानी से ईपिलध हो जाती हैं।
आससे भ्रष्टाचार कम होता है, वबचौवियों ि दिाि बीच में नहीं अ पाते हैं।
िाभक ु के बैंक खाते में पेंशन की रावश, सरकारी अिास अवद रावश सीधे अ जाती है।
इ-गिनेस से सश ु ासन को बि वमिता है।
पंचायती राज मंत्रालय की SVAMITVA योजना ने नागररक कें र्द्रत सेवाएं प्रदान करने के र्लए ईभरती
प्रौद्योर्गर्कयों के ऄनुप्रयोग के र्लए इ-गवनेंस 2023 (गोल्ि) का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।
इ-पंचायत
इ-पच
ं ायत एक वडवजटि मंच है वजसका ईद्देश्य भारत में पंचायतों (ग्राम पररषदों) की दक्षता और पारदवशमता में सधु ार
करना है। इ-पंचायत एक क्ट्िाईड-अधाररत प्िेटणॉमम है वजसे िेब ब्राईज़र या मोबाआि ऐप के माध्यम से एक्ट्सेस वकया
जा सकता है। यह पंचायत सदस्यों, ऄवधकाररयों और नागररकों के विए ऑनिाआन सेिाओ ं की एक श्ृंखिा प्रदान
करता है, जैसे-
पच
ं ायत ररकाडों और दस्तािेजों तक ऑनिाआन पहुचं
वशकायतों और अिेदनों को ऑनिाआन दजम करना
पचं ायत चनु ािों के विए ऑनिाआन िोवटंग
कर और शलु क का ऑनिाआन भगु तान
सरकारी योजनाओ ं एिं कायमिमों तक ऑनिाआन पहुचं
2006 में राष्ट्रीय इ-ऄितार योजना (एनइजेपी) के तहत, सरकार ने भारत में ग्राम पररयोजनाओ ं में सधु ार के विए
कायमशािा में भती की योजना बनाइ। 2018 में, आस ईद्देश्य को परू ा करने के विए वमशन मडू प्रोजेक्ट्ट्स (एमएमपी) के एक
घटक के रूप में, पंचायती राज मंत्रािय द्वारा इ-पंचायत वमशन शरू
ु वकया गया था।
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ग्राम पंचायतों में E-Governance Portal द्वारा दी जाने वाली ऑनलाआन सेवाएँ
नागररक सेवायें
अधार काडम बनिाने हेतु अिेदन ऄथिा ईसमें बदिाि करना हो।
ऑनिाआन पासपोटम के विए अिेदन
ऑनिाआन पैन काडम के विए अिेदन ।
ऑनिाआन अयकर ररटनम फाआि करना हो ।
मतदाता सचू ी में ऄपना नाम जडु िाना हो या मतदाता सचू ी में ऄपना नाम खोजना हो ।
मनरे गा के ऄंतगमत अिेदन
इ-शैर्क्षक सेवाएँ
छात्र वकसी भी परीक्षा हेतु ऑनिाआन अिेदन कर सकते हैं। छात्र ऄपनी छात्रिृवत्त के विए भी ऑनिाआन
अिेदन कर सकते हैं।
छात्र ऄपनी ईच्च वशक्षा के विए ऑनिाआन ऋण भी प्राप्त कर सकते हैं ।
इ-पररवहन सेवाएँ
ऑनिाआन रे ि वटकट बुवकंग ।
ऑनिाआन बस वटकट बुवकंग
रे ि एस.एम.एस सेिा ।
रे ि भाडा ि अरक्षण सवु िधा।
पीएनअर वस्थवत की जााँच अवद ।
इ-पचं ायत र्मशन की शुरुअत 2018 में हुइ थी. यह वमशन मोड प्रोजेक्ट्ट्स (एमएमपी) का एक वहस्सा है.
पच
ं ायती राज मत्रं ािय ने 24 ऄप्रैि, 2020 को इ-पच
ं ायत को बढािा देने के विए पीअरअइ के तहत इ-
ग्रामस्िराज नामक एक एवप्िके शन िॉन्च वकया था.
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इ-चौपाल
इ-चौपाि शलद की जडें 'चौपाि' शलद से वनकिी हैं, वजसका ऄथम है एक गााँि के खि ु े क्षेत्र में बैठक । इ-चौपाि,
अइटीसी विवमटेड की एक भारत-अधाररत व्यािसावयक पहि है. यह एक िेब-अधाररत पेज है, जो ग्रामीण
वकसानों को आटं रनेट ईपिलध कराता है. इ-चौपाि का ईद्देश्य वकसानों को सवू चत करना और सशि बनाना है, तावक
कृ वष िस्तओु ं की गणु ित्ता और वकसानों के जीिन स्तर में सधु ार हो
आसे आटं रनेशनि वबजनेस डेििपमेंट आवं डयन टोबैको कंपनी (ITC & IBD) द्वारा इ-चौपि का अरम्भ वकया गया।
आस पहि ने वकसानों को मध्यिती संस्थाओ ं की भागीदारी के वबना ऄपने ईत्पादों को सीधे ईपभोिाओ ं को बेचने में
सहायता की। आससे ऄतं तः वकसानों को प्रभावित हुए वबना ऄपना सही िाभ कमाने में सहायता वमिी। 1
इ-चौपाि जनू 2000 में शरू ु की गइ है और पहिे से ही ग्रामीण भारत में सभी आटं रनेट अधाररत हस्तक्षेपों में सबसे
बडी पहि है।
ितममान में, 'इ-चौपाि' िेबसाआट मध्य प्रदेश, हररयाणा, ईत्तराखंड, ईत्तर प्रदेश, राजस्थान, कनामटक, महाराष्ट्र, अंध्र
प्रदेश, और तवमिनाडु राज्यों के वकसानों को जानकारी प्रदान करती है।
अगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-पररिार रवजस्टर एिं जन्म-मृत्यु पंजीकरण
पररवार रजजस्टर व कुटुंब रजजस्टर वह दस्तावेज हे जजसमें पररवार के सिी सदस्यों के नाम जलखे रहते है। पररवार में जब
िी जकसी का जन्म होता है, या मृत्यु होती है, तो आसकी जानकारी पररवार रजजस्टर में ऄपडेट कर दी जाती है। ईिर
प्रदेश सरकार द्वारा राज्य की जवजिन्न सरकारी योजनाओ ं का लाि लेने के जलए अपको पररवार रजजस्टर की नकल की
अवश्यकता पढ़ सकती है। आसके द्वारा जकसी िी पररवार के सदस्यों की पहचान का सत्यापन जकया जाता है।
जन्म-मत्ृ यु पज
ं ीकरण
जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण की प्रचजलत प्रणाली में रजजस्रार स्तर पर बहुत ऄजधक कागजी काययवाही करनी होती थी
जजससे रजजस्रार द्वारा सांजख्यकीय प्रजतवेदन िेजने का कायय प्रिाजवत होता था। आसके ईपाय हेतु िारत सरकार द्वारा
अदशय जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण प्रणाली जवकजसत की गयी जजसके अधार पर ई0प्र0 में नयी जनयमावली 2002 तैयार
की गयी है जो राजकीय राजपत्र में प्रकाशन की जतजथ 22 माचय, 2003 से प्रिावी है
जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण ऄजधजनयम, 1969 के प्रवृि होने के पश्चात् देश में जन्म मृत्यु तथा मृत-जन्म का रजजस्रीकरण
ऄजनवायय हो गया है। ऄजधजनयम के ऄन्तगयत के न्र तथा राज्य स्तर पर जवजिन्न पदाजधकाररयों का प्राजवधान जकया गया
है। िारत के महारजजस्रार की जनयजु ि के न्र सरकार द्वारा आस ऄजधजनयम के ऄतं गयत की जाती है तथा वे राज्यों तथा
संघ राज्य क्षेत्रों में जन्मों और मृत्यओ
ु ं के रजजस्रीकरण और ऄजधजनयम की कायय जवजध से संबंजधत मामलों में जनदेशन
एवं मागय दशयन करने वाले के न्रीय पदाजधकारी है। ईन्हें जवजिन्न राज्यों में ऄजधजनयम की कायय जवजध के संबंध में
के न्रीय सरकार को एक वाजषयक ररपोटय प्रस्ततु करनी होती है।
उत्तर प्रदेश राज्य में जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण जनयमावली 1976 के स्थान पर सश ं ोजधत उत्तर प्रदेश जन्म-मृत्यु
रजजस्रीकरण जनयमावली 2002 जनजमित की गयी है जो जक शासकीय राजपत्र में प्रकाशन के जदनांक 22
माचि, 2003 से पूरे उत्तर प्रदेश में प्रभावी है।
जन्म और मृत्यु पंजीकरण (Registration of Birth and Death- RBD) अजधजनयम, 1969
िारत में जन्म और मृत्यु का पंजीकरण कराना जन्म और मृत्यु पंजीकरण ऄजधजनयम (RBD), 1969 के
ऄजधजनयमन के साथ ऄजनवायय है और आस प्रकार का पजं ीकरण घटना के स्थान के ऄनसु ार जकया जाता है।
RBD ऄजधजनयम के तहत जन्म और मृत्यु का पंजीकरण करना राज्यों की जज़म्मेदारी है।
राज्य सरकारों ने जन्म और मृत्यु के पंजीकरण तथा ईनका ररकॉडय सरु जक्षत रखने के जलये सजु वधा तंत्र स्थाजपत
जकया है।
प्रत्येक राज्य में जनयि
ु एक मख्ु य रजजस्रार आस ऄजधजनयम के कायायन्वयन हेतु काययकारी प्राजधकारी होता है।
ऄजधकाररयों का एक पदानक्र ु म जज़ला और ईससे जनचले स्तर पर यह काम करता है।
आस ऄजधजनयम के तहत जनयि ु महापजं ीयक, RBD ऄजधजनयम के कायायन्वयन के समन्वय और एकीकरण
के जलये जज़म्मेदार होता है।
ईिर प्रदेश राज्य में जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण जनयमावली 1976 के स्थान पर संशोजधत ईिर प्रदेश जन्म-मृत्यु
रजजस्रीकरण जनयमावली 2002 जनजमयत की गयी है जो जक शासकीय राजपत्र में प्रकाशन के जदनाक ं 22 माचि, 2003 से
परू े ईिर प्रदेश में प्रिावी है।
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उत्तर प्रदेश में रजजस्टीकरण स्तर
राज्य स्तर
अपर मुख्य रजजस्रार-
उप मुख्य रजजस्रार-
मडं ल स्तर
अपर मुख्य रजजस्रार-मण्डलीय ऄपर जनदेशक, जचजकत्सा, स्वास््य एवं पररवार कल्याण
जजला स्तर
जजला रजजस्रार-मख्ु य जचजकत्सा ऄजधकारी।
अपर जजला रजजस्रार-ईप मख्ु य जचजकत्सा ऄजधकारी (नगरीय क्षेत्र)
जजला पंचायतराज ऄजधकारी (ग्रामीण क्षेत्र)
रजजस्रीकरण
Note-जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण की प्रजियाएँ
अजधजनयम-1969 की प्रमख
ु धाराओ ं और उत्तर प्रदेश जन्म-मृत्यु
रजजस्रीकरण जनयमावली 2002 की प्रमखु जनयमों/धाराओ ं हेतु Extra Pdf देंख-ें
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बच्चे के नाम का रजजस्रीकरण-
बच्चे के जन्म का रजजस्रीकरण जबना नाम के जकया जा सकता है। जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण जनयमावली 2002 के
जनयम सख्ं या 10 के प्राजवधान के ऄनसु ार रजजस्रार नाम के जबना रजजस्रीकृ त जकये गये जन्म में बच्चे के नाम की
प्रजवि ईसके माता-जपता या संरक्षक की जलजखत ऄथवा मौजखक सचू ना के अधार पर रजजस्रीकरण जतजथ के एक वषय
के िीतर करे गा।
भारत का महारजजस्रार/महापंजीयक
के न्रीय सरकार, शासकीय राजपत्र में ऄजधसचू ना द्वारा जकसी व्यजि को िारत के महारजजस्रार के रूप में जनयि
ु कर
सके गी। भारत के महारजजस्रार और जनगणना आयुक्त का कायाि लय, भारत सरकार के गृह मंत्रालय के
अधीन काम करता है.
िारत के महारजजस्रार और जनगणना अयि ु के कायायलय के कुछ कायय आस प्रकार हैं-
जन्म और मृत्यु पजं ीकरण (अरबीडी) ऄजधजनयम, 1969 के तहत जन्म और मृत्यु के ऄजनवायय पजं ीकरण का
प्रावधान
नवीनतम ईपलब्ध प्रौद्योजगकी को ऄपनाना
सचू ना प्रौद्योजगकी (अइटी) प्रिाग के डेटा प्रसस्ं करण क्षमताओ ं का ईन्नयन और क्षमता जनमायण
महारजजस्रार ईन राज्य क्षेत्रों में जजन पर जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण ऄजधजनयम का जवस्तार है, जन्म और मृत्यु के
रजजस्रीकरण के जवषय में मख्ु य रजजस्रारों के जक्रयाकलाप के समन्वय और एकीकरण के जलए कदम ईठाएगा और ईि
राज्य क्षेत्रों में आस ऄजधजनयम के कायायन्वयन जवषयक वाजषयक ररपोटय के न्रीय सरकार को प्रस्तुत करे गा।
वतयमान में िारत के महापजं ीयक और जनगणना अयि
ु श्री मत्ृ यज
ुं य कुमार नारायण हैं।
िारत में जनगणना की शरुु अत 1872 में जिजटश वायसराय लॉडय मेयो के ऄधीन पहली बार कराइ गयी थी। पहली सतत या
समकाजलक जनगणना वषय 1881 में शरू ु हुइ और ईसके बाद 10 साल का चक्र चला। यह िारत के प्रथम महापंजीयक और
जनगणना अयि ु डब्ल्यस
ू ी प्लॉडेन के नेतत्ृ व में था । स्वतंत्र िारत की पहली जनगणना 1951 में अयोजजत की गइ थी,
और अयोजजत होने वाली नवीनतम जनगणना 2011 की थी।
आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्राम पंचायत ऄजधकाररयों की िजू मका
अवथथक मामलों की मंवत्रमंडलीय सवमवत ने 1 अप्रैल, 2022 से 31 माचय, 2026 की ऄिवध के दौरान कायाथन्ियन
हेतु ‘राष्ट्रीय ग्राम स्िराज ऄवभयान’ (RGSA) को जारी रखने की मज़ं रू ी दी है। यह योजना अब 15वें ववत्त आयोग
की ररपोर्य की अववध के साथ समाप्त होगी।
योजना का मख् ु य उद्देश्य-पिं ायती राज सस्ं थाओ ं (PRI) की शासन क्षमताओ ं को विकवसत करना है।
2025-26 के वलए आस योजना का कुल व्यय 5911 करोड़ रूपये है वजसमे कें द्र का व्यय 3700 करोड़ और राज्यों का व्यय
2211 करोड़ रूपये है। RGSA की स्िीकृ त योजना से 2.78 लाख से ऄवधक ग्रामीण स्थानीय वनकायों को मदद वमलेगी।
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ई ग्राम स्वराज पोर्य ल और ई-ग्राम स्वराज मोबाइल ऐप
ई ग्राम स्वराज पोर्य ल-
इ ग्रामस्िराज पोटथल को पंिायतों में वडवजटलीकरण को मजबूत करने की दृवष्ट से विकवसत वकया गया है। यह पंिायती
राज के वलए एक सरलीकृ त कायथ अधाररत लेखा ऄनप्रु योग है। यह इ-पि ं ायत वमशन मोड प्रोजेक्ट्ट (एमएमपी) के
तहत पंिायत एंटरप्राआज सटू (पीइएस) के वहस्से के रूप में विकवसत ऄनप्रु योगों में से एक है।
पोटथल को सीएजी वदशावनदेशों के ऄनसु ार लेखा परीक्षा के वलए ऑनलाआन ऑवडट के साथ एकीकृ त वकया गया है,
पंिायती राज संस्थाओ ं द्वारा वकए गए व्यय के पारदवशथता और जिाबदेही सवु नवित करने और लाने के वलए ।
इ ग्रामस्िराज का ईद्देश्य विके न्द्रीकृ त रूपरे खा, योजना, भौवतक प्रगवत, ररपोवटिंग और कायथ-अधाररत लेखांकन के
माध्यम से देश भर के पंिायती राज संस्थानों (PRI) में बेहतर पारदवशथता लाना और इ-गिनेंस को मजबूत करना है। इ-
ग्राम स्िराज पोटथल और स्थानीय सरकार वनदेवशका (एलजीडी) के बीि प्रत्येक पीअरअइ को अिवं टत विवशष्ट कोड
के माध्यम से एक सहज एकीकरण है जो ऄन्य पीइएस के साथ ऄंतःवियाशीलता की सवु िधा देता है।
खल
ु े में शौि मक्त
ु (Open Defecation Free-ODF)
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स्वच्छ भारत वमशन ग्रामीण में शीषय प्रदशय न करने वाले राज्य
तेलगं ाना (शत-प्रवतशत)
कनाथटक (99.5 प्रवतशत)
तवमलनाडु (97.8 प्रवतशत)
ईिर प्रदेश (95.2 प्रवतशत)
गोिा (95.3 प्रवतशत)
छोटे राज्यों में वसवक्ट्कम (69.2 प्रवतशत)
अवद हैं जहाुँ ऄवधकतम गाुँिों को ODF ललस घोवर्त वकया गया है।
आगामी चैप्र्र
Next चै प्र्र में पढ़ेंगे-ग्राम पंिायत ऄवधकाररयों की भवू मका