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VPO Exam Special Classes

पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-01

आततहास में पंचायतीराज व्यवस्था-प्राचीनकाल एवं मध्यकाल


हम सब जानते हैं कक भारत गााँवों का देश है। भारत की अकधकाश ां जनता गााँवों में ही कनवास करती है। प्राचीन काल से
ही भारत के प्रत्येक गााँव में पचां ायती राज चलता आ रहा है। पच
ां ायत द्वारा ही गााँव के भीतर की समस्याओ ां का
समाधान ढूाँढा जाता था।
पांचायती राज स्थानीय स्व-शासन की एक व्यवस्था है और भारत में स्थानीय स्व-शासन की सांकल्पना कोई नई नहीं है।
वैकदक काल से लेकर किकिश काल तक ग्रामीण समदु ायों ने इस व्यवस्था को जीवतां बनाए रखा। इस समय काल में
कई साम्राज्य बने और ध्वस्त हुए, लेककन इन ग्रामीण समदु ायों ने अपने पांचायती अकस्तत्व एवां भावना को सदैव कायम
रखा।
पच
ं ायतीराज व्यवस्था क्या है
एक ऐसी व्यवस्था है कजसके अन्तगगत शकि का कवके न्रीकरण ककया जाता है तथा सत्ता तथा प्रशासकनक शकियों को
कवकभन्न क्षेत्रों में कवभाकजत ककया जाता है। इसमें नीकत-कनमागण और उसका कियान्वयन करने के साथ-साथ कवत्तीय व
राजनैकतक अकधकार भी पांचायतों को सौंप कदए जाते हैं।
पचां ायतीराज व्यवस्था स्थानीय स्वशासन का एक प्रकार है।

स्थानीय स्वशासन क्या है


स्थानीय स्वशासन से तात्पयग शासन की कजम्मेदाररयों को के वल के न्रीय सत्ता के हाथों में ना रखकर उन्हें स्थानीय स्तरों
को देना है। इसका उद्देश्य आम लोगों की शासन में भागीदारी को सकु नकित करना तथा उन्हें अपने अकधकारों व शासन
व्यवस्था के प्रकत जागरूक करना है।

लोकतांतिक तवके न्द्रीकरण क्या है


लोकतांत्र का मल
ू आधार नागररक होते हैं। नागररकों को शासन व्यवस्था की प्रकिया में शाकमल करना व सत्ता को
उच्चस्तर से स्थानीयस्तर की ओर हस्तान्तररत करना, लोकताकां त्रक कवके न्रीकरण कहलाता है।
सवगप्रथम इसकी शरू ु आत बलवांतराय मेहता सकमकत की कसफाररश पर हुई थी।

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पच
ं ायत का ऄथथ
पांचायत सांस्कृ त भाषा के शब्द "पांचायतन" से बना है, कजसका अथग पााँच व्यकियों का समहू होता है।

भारत में पंचायती राज व्यवस्था का आततहास


प्राचीनकाल में
वैतदककाल में पंचायतीराज
प्राचीन सांस्कृ त ग्रांथों में “पंचायतन” शब्द का उल्लेख कमलता है । कजसका तात्पयग है कक एक आध्याकत्मक व्यकि को
कमलाकर 5 व्यकियों का समहू । कुछ समय पिात इन समहू ों में एक आध्याकत्मक व्यकि को स्थान देने की अवधारणा
समाप्त हो गई।

वैकदक यगु में स्थानीय शासन इकाइयों का उल्लेख कमलता है। ऋग्वेद में “सभा”, “सकमकत” और “कवदथ” के रूप में
स्थानीय सकमकतयों को उल्लेकखत ककया गया है। ये स्थानीय स्तर पर मौजदू लोकताांकत्रक कनकाय या सांस्थाएां थी। राजा
को कुछ कायग करने करने के कलए इन सांस्थाओ ां या कनकायों की स्वीकृ कत प्राप्त करनी होती थी।

इस काल में गाांव का प्रबन्ध गाांव के 'मकु खया' द्वारा होता था कजसे 'ग्राकमणी' कहा जाता था। गाांव की चौपाल पर बैठकर
कवमशग हुआ करता था। चौपाल पर जो सभा होती थी। उसमें सभी स्थानीय नागररक भाग लेते थे।

मनस्ु मृकत में ग्रामीण शासन के कलए जो कमगचारी उत्तरदायी होता था उसे 'ग्रामीक' कहा जाता था। ग्रामीण का प्रमख

कायग लोगों से 'करो' को वसल ू ी करना था। साथ-ही-साथ ग्रामीक राजा के कलए कवकभन्न सामाकजक परम्पराओ ां का
पालन करना जरूरी था। इसके आधार पर ही कवकभन्न वगों को अपने कलए कनयम बनाने का अकधकार होता था।

सभा, सतमतत और तवदथ के बारे में


सभा और सकमकत राजा को सलाह देने वाली सांस्था थी.
सभा-सभा श्रेष्ठ और सांभ्रात लोगों की सांस्था थी। इसमें साधारण कवषयों को देखा जाता था। इसमें कियों को भी प्रवेश
कदया जाता था।
सतमतत-सकमकत सामान्य जनता का प्रकतकनकधत्व करती थी। यह सावगजाकनक कवषयों हेतु कनकमगत एक कें रीय प्रशासकीय
सस्ां था थी। सकमकत का महत्वपणू ग कायग राजा का चनु ाव करना था. सकमकत का प्रधान ईशान या पकत कहलाता था.
तवदथ -कवदथ सबसे प्राचीन सस्ां था थी. ऋग्वेद में सबसे ज्यादा कवदथ का 122 बार कजि हुआ है. कवदथ में िी और परू ु ष
दोनों सम्मकलत होते थे. नववधओ ु ां का स्वागत, धाकमगक अनष्ठु ान जैसे सामाकजक कायग कवदथ में होते थे.
अथवगवेद में सभा और सकमकत को प्रजापकत की दो पकु त्रयाां कहा गया है.

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महाकाव्य यगु में पच ं ायतीराज
रामायण और महाभारत यगु में भी स्थानीय स्वशासन की सांकल्पना के सांकेत प्राप्त होते हैं। रामायण काल में प्रशासन
दो भागों में कवभाकजत था-
 परु
 जनपद

राज्य में एक जातत पंचायत के अकस्तत्व के सांकेत भी कमले हैं । कजसमें जाकत पांचायत द्वारा चनु ा गया व्यकि या
कनवागकचत व्यकि राजा के मांत्री पररषद में सदस्य होता था।
महाभारत के “शाांकत पवग” में भी ग्रामों के स्थानीय स्वशासन से सांबांकधत पयागप्त साक्ष्य कमले हैं। महाभारत के अनसु ार
ग्राम के ऊपर 10, 20, 100, 1000 ग्राम समहू की इकाइयाां कवद्यमान होती थी।
ग्राम का मख्ु य अकधकारी “ग्रातमक” कहलाता था।
10 ग्रामों का प्रमख
ु “दशप” कहलाता था।
20 ग्रामों का प्रमखु तवश्ं य ऄतधपतत
100 ग्रामों का प्रमखु शत ग्राम ऄध्यक्ष
1000 ग्रामों का प्रमखु ग्राम पतत
ये लोग अपने ग्रामों की रक्षा के कलये उत्तरदायी थे।

दतक्षण भारत या सगं म काल में पच ं ायतीराज


"भारत में सवगप्रथम व्यवकस्थत स्वायत्तशासी ग्रामीण व्यवस्था का प्रारांभ चोल राजवांश द्वारा ही हुआ था।
चोल साम्राज्य में मुख्यतः तीन प्रकार के गााँव होते थे
 सामान्य गााँव,
 िह्मादेय गााँव (िाह्मणों को अनदु ान में कदए गए गााँव)
 देवदान गााँव (मकां दरों को अनदु ान में कदए गए गााँव)
ग्रामीण स्तर पर प्रशासन ग्राम सभा द्वारा सांचाकलत ककया जाता था। ये ग्राम सभाएाँ तीन प्रकार की होती थीं-
उर, सभा एवां महासभा ।

सभा एवां महासभा में 30 सदस्य होते थे, कजनका कनवागचन करने के कलए आवश्यक योग्यताएाँ- गााँव का स्थायी कनवासी
हो, 35 से 70 वषग की आयु हो, कम से कम 1 / 4 वेकल (डेढ़ एकड़) भकू म का स्वामी हो, स्वयां का भवन हो, वैकदक
मांत्रों का ज्ञाता हो आकद । ग्राम सभाओ ां की जानकारी परान्तक कद्वतीय के उत्तरमेरू अकभलेख से प्राप्त होती है। ऐसी
योग्यताओ ां को धारण करने वाले व्यकियों के नाम अलग-अलग ताड़-पत्रों में कलखकर उन्हें ककसी बड़े पात्र में डाल

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कदया जाता था। तत्पिात् उसे अच्छी तरह कमलाकर एक अबोध बालक द्वारा 30 सदस्यों को चनु ा जाता था। इस प्रकार
कनवागकचत ककए गए 30 व्यकि कवकभन्न सकमकतयों के माध्यम से कायग करते थे।
सदस्यों का कायथकाल तीन वषों का होता था ।
ग्राम, शासन की सबसे छोिी इकाई थी।
कई ग्राम कमलकर 'कुरथम' कहे जाते थे।
सम्पणू ग कजला 'नाडू' कहा जाता था ।
ग्राम सभाओ ां का आयोजन यथासमय ककया जाता था । प्रत्येक ग्राम की अपनी सभा होती थी, कजस पर के न्र का
कनयन्त्रण नहीं होता था। इस काल में स्वतन्त्र ग्रामीण स्वशासन की स्थापना हुई थी ।

बौद्धकाल में पच ं ायतीराज


इस काल में भी पांचायतों के बारे में जातक कथाओ ां के अध्ययन से पता चलता है कक गाांव के शासक को 'ग्राम
भोजक' कहा जाता था। सभा ग्राम सांगठन का एक मनोरांजक और महत्वपणू ग अांग थी। इस सभा में गाांव के वृद्ध लोग
बैठते थे, जो पररवार में सबसे बूढ़े या बड़े होते थे। इस काल में ग्राम सभा के मख्ु य कायग न्याय करना, गावां की
आांतररक सरु क्षा, सरकारी मकान, घाि, मांकदर, काँु ए, तालाब, कर वसल ू ी व कशक्षा आकद थे।

मौयथकाल में पच ं ायतीराज


इस काल में ग्रामीण व्यवस्था अत्यांत उत्कृ ष्ट अवस्था में थी। इस काल में ग्राम में ग्राम, सांघ या ग्राम सांस्था होती थी। ये
ग्राम सघां अपराकधयों को दडां देती थी और जमु ागना भी वसल ू करती थी।
कौकिल्य (चाणक्य) ने भी अपनी पस्ु तक 'अथगशाि' में ग्राम पांचायतों की स्थानीय शासन व न्याय-व्यवस्था के बारे में
उल्लेख ककये हैं। उसमें उन्होंने कहा है कक स्थानीय कववादों का कनणगय ग्राम के वृद्धों व सामांतो द्वारा ककया जाता था।
उन्होंने एक गाांव के मकु खया को ग्राम वद्ध
ृ ,
पााँच गाांव के मकु खया को पंचग्रामी कहा था।
इससे पत्ता चलता है कक अथगशाि में लोकताांकत्रक कवकें रीकरण अथवा पांचायती व्यवस्था को ससु ांगकठत ढांग से
उल्लेकखत ककया गया था।

मौयग तथा मौयोत्तर काल में भी वद्ध ृ ों की एक पररषद (Council of Elders) की सहायता से ग्राम का मकु खया ग्राम
के कायों में एक महत्त्वपणू ग भकू मका का कनवगहन करता रहा।

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इस प्रकार, प्राचीन भारत में स्थानीय शासन कवद्यमान थी जो कक परांपराओ ां और रीकत-ररवाजों के आधार पर सांचाकलत
होती थी। पर इस व्यवस्था में मकहलाओ ां की भकू मका सांकदग्ध है क्योंकक आमतौर पर साक्ष्य यही बताते हैं कक वैकदक
काल के बाद धीरे -धीरे समाज परुु ष प्रधान होता चला गया।

गुप्तकाल में पंचायतीराज


इस काल में ग्राम पचां ायत का अत्यकधक महत्व था। जबकक राजतांत्र होते हुए भी शासन का कवकें रीकरण कई स्तरों पर
ककया गया था। ग्रामीण मामलों के प्रबन्ध के कलए पदसोपानीय व्यवस्था बनाई गई थी।
जैसे-
दस गाांवों के गुि या समहू को सगं ृहण कुमारगुप्त के दामोदरपरु ताम्रपत्र के अनसु ार ग्रामसभा प्रमख

200 गाांवों को कमलाकर खरवाततक अकधकारी कनम्न थे-
400 गाांवों के समहू को रोणमख ु महत्तर-पांचायत के सदस्य
800 गाांवों के समहू को महाग्राम कहा जाता था। ऄष्टकुलातधकारी-भकू म सबां ांधी िय-कविय का अकधकारी
ग्रातमक-ग्राम का मकु खया
कुटुतबबन-कुिुम्ब अथागत् पररवार का सदस्य

महाग्राम के बाद जनपद होता था। इसके मकु खया को स्थातनक कहा जाता था। इस काल में गाांवो की तरह ही नगरों के
कलए भी प्रबन्ध व्यवस्था थी। नगरों के मकु खया को नागररक कहा जाता था। जो गोप व स्थाकनक की सहायता से नगर
प्रबन्ध की व्यवस्था देखता था व प्रशासन चलाता था। उि प्रमख ु की कनवागचन गाांवों की जनता द्वारा सम्पन्न होता था।
चनु ाव ताड़-पत्रों पर उम्मीदवारों का नाम कलखकर उन्हें बतगन में डाला जाता था। इसके बाद इस बतगन में से एक बालक
द्वारा इन ताड़-पत्रों (मतपत्रों) को कनकाला जाता था। इस पद्धकत को 'कुडबोलाइ' पद्धतत कहा जाता था गुप्तकाल के
बाद के कालों में भी सधु ारात्मक रवैया अपनाते हुए कमोबेश धीरे -धीरे पांचायती राज सदृु ढ़ होते गयी।

तवजय नगर साम्राज्य में पच ं ायतीराज


कवजय नगर में ग्रामीण प्रशासन से सांबांकधत अकधकारी के पद वांशानगु त होते थे, कजन्हें स्वशासन सांबांधी अकधकार प्राप्त
होते थे। कवजय नगर में ग्रामीण प्रशासन से सांबांकधत एक महत्वपणू ग व्यवस्था "अयंकार व्यवस्था" थी।
आयांकार व्यवस्था के अन्तगगत ग्रामीण प्रशासन 12 अकधकाररयों द्वारा सांचाकलत ककया जाता था। इनमें से प्रमख ु
अकधकारी कनरूकनक्कर (कसांचाई का कवकास करने वाला), महानायकाचायग (के न्र का प्रशासकनक अकधकारी) आकद थे।
पचां ायतीराज

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मध्यकाल में
मगु लकाल में पच ं ायती राज
इस काल में पहले से चली आ रही पांचायत व्यवस्था में ककसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं ककया गया। लेककन अफगान
और कुछ मगु ल शासक इस ओर कवशेष ध्यान कें करत ककया था और कहा था कक भारतीय ग्रामीण व्यवस्था एवां उसकी
प्रथाओ ां में से ककसी भी प्रकार का हस्तक्षेप न ककया जाए। पररणामस्वरूप भारतीय जीवन का आकथगक व सामाकजक
ढाांचा पहले की तरह ही कायम रहा।
शेरशाह सरू ी के कालखांड में भी स्थानीय शासन की इकाई गाांव ही था कजसका प्रमख ु मुतखया या मुकद्दम कहलाता
था।
अकबर के कालखांड में पांचायती राज सांस्थाओ ां को काफी हद तक नैकतक व प्रशासकनक सहयोग प्राप्त था। इस काल में
प्रत्येक गाांव के प्रशासन के कलए ग्राम पांचायतें होती थी। पांचायतों को चलाने के कलए कनयम सदृु ढ़ थे। इनका अपना
क्षेत्राकधकार था। लेककन आगे चलकर भकू म सबां ांधी कायग पच ां ायतों से हिा कलए जाने के कारण पच
ां ायत की कस्थकत
कमजोर होती गई। अथागत् इस काल में भी पांचायत व्यवस्था थी।

सल्तनतकाल में प्रान्तों का कवभाजन तशक में तथा कशक का कवभाजन परगना (तजला) में ककया गया था तथा
सबसे आकखरी में गााँव आता था। गााँव में वांशानगु त अकधकारी होते थे, कजन्हें खतु , मक
ु द्दम व चौधरी कहा जाता था।

मध्यकाल में स्थानीय स्वशासन के अनेक साक्ष्य या सांकेत प्राप्त होते हैं । जैसे कक सल्तनत काल के दौरान राज्यो को
प्राांतों में कवभाकजत ककया गया था। कजन्हें “तवलायत” नाम से सांबोकधत ककया जाता था। ग्राम स्तर पर शासन के कलए
तीन महत्वपूणथ ऄतधकाररयों का ईल्लेख तमलता है-
 मुकद्दम , गााँव अकधकारी प्रशासन के कलए।
 पटवारी , राजस्व सांग्रह के कलए।
 चौधरी , पांचों की सहायता प्राप्त करके कववादों का समाधान करता था।

मगु ल शासकों का क्षेत्र कवस्तृत व कवशाल होने के कारण इन्होंने राजस्व एककत्रत करने व ग्रामों पर अपनी पकड़ मजबूत
करने के कलए जागीरदारी प्रणाली के माध्यम से स्थानीय शासन को कनयकन्त्रत ककया। इस काल में जागीरदारी प्रणाली
ने ग्रामीणों का शोषण करना प्रारांभ कर कदया था ।

प्रशासन की सबसे छोिी इकाई गााँव होती थी। गााँव का प्रमखु अकधकारी मक ु द्दम तथा पिवारी होते थे। मक ु द्दम गााँव का
सबसे प्रकतकष्ठत व्यकि होता था, जो वेतन नहीं लेता था। मक
ु द्दम का प्रमख
ु कायग गााँव में शाकन्त व सव्ु यवस्था स्थाकपत

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करना, भ-ू राजस्व वसल ू करना तथा न्याय करना होता था, जबकक पिवारी भ-ू राजस्व से सांबांकधत लेखा-जोखा रखता
था।
गावां ों में पयागप्त शकियाां हुआ करती थी, क्योंकक उनके क्षेत्र में स्व-शासन होता था। राज्य के राजस्व में गााँवों से हो रहा
कृ कष उत्पादन एक मख्ु य स्रोत होता था।
मध्यकाल में जब भारत में मगु ल शासन स्थाकपत था तब जाकतवाद और सामांतवादी व्यवस्था के कारण ग्रामीण
स्वशासन को कवशेष आघात लगा।
इनके कारण ग्रामीण स्वशासन प्रणाली धीरे -धीरे नष्ट होने की ओर अग्रसर होते हुए नष्ट हो गयी।
मगु ल शासन के दौरान सामांतवादी ताकतों के बढ़ने से स्थानीय स्वशासन प्रणाली कमजोर होता गया।

ग्राम पंचायतों के तवषय में


डॉ. सरयप्रू साद चौबे ने कहा है-आयों के भारत आने से पवू ग यहााँ ग्राम राज्य तथा ग्राम-पचां ायत का पणू ग कवकास हो
गया था। प्रत्येक ग्राम में एक ग्राम-पांचायत होती थी कजसमें एक मकु खया तथा अन्य प्रकतकनकध सदस्य होते थे। आयों के
आगमन के पिात् भारतवषग में जाकत व्यवस्था का पणू ग कवकास हुआ और ग्राम को शासन की प्राथकमक इकाई के रूप
में स्वीकार ककया गया कजससे सामाकजक व्यवस्था का आगमन हुआ।

डॉ. ऄल्टे कर ने तलखा है-ये ग्राम पांचायतें ग्राम की रक्षा का प्रबन्ध करती थीं और राज्य का कर एककत्रत करती थीं
तथा नए कर लगाती थीं।

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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-02
ब्रिब्रिशकाल में पच
ं ायतीराज व्यवस्था-(लार्ड ररपन काल)
मध्यकाल में जब भारत में मगु ल शासन स्थापित था तब जापतवाद और सामंतवादी व्यवस्था के कारण ग्रामीण
स्वशासन को पवशेष आघात लगा। इनके कारण ग्रामीण स्वशासन प्रणाली धीरे -धीरे नष्ट होने की ओर अग्रसर होते हुए
नष्ट हो गयी।

यह सबसे महत्वपर्
ू ड चैप्िर है क्योंब्रक यहीं से स्थानीय स्वशासन की आधब्रु नक भारत में शुरुआत होती है,
अथाडत पुरानी पंचायतीराज व्यवस्था ब्रिर से पुनजीब्रवत होती है।

पिपिश शासन के अंतगगत ग्राम िंचायतों की स्वायत्तता समाप्त हो गई और वे कमजोर हो गए।


जब अंग्रेज भारत आए तो उस समय ग्रामीण शासन िद्धपत कायम थी हालांपक पस्थपत अच्छी नहीं थी। चार्लसग मेिकाफ
ने इस व्यवस्था की सराहना की और िचं ायतों को लघु गणराज्य कहा। अग्रं ेजों ने अिने शासन पवस्तार के पलए इस
ग्रामीण व्यवस्था का खबू इस्तेमाल पकया और उसकी स्वायत्ता को खत्म कर पदया, इस तरह के पिपिश हस्तक्षेि के
फलस्वरूि िंचायतों के प्रपत लोग अिनी आस्था खोने लगे।

वषग 1857 के पवद्रोह के बाद पस्थपत थोड़ी बदलने लगी, शाही राजकोष िर दबाव बढ़ता गया और इस तरह से पिपिश
सरकार ने पवके न्द्द्रीकरण की नीपत को अिनाया।

1870 में ‚मेयो प्रस्ताव‛ ने स्थानीय सस्ं थाओ ं की शपि और उत्तरदापयत्व में वृपद्ध करने का कायग पकया। पजसने
स्थानीय संस्था के पवकास को गपत प्रदान की। इसी वषग नगर िापलकाओ ं में पनवागपचत प्रपतपनपधयों की संकर्लिना को
प्रस्तुत पकया गया।

लार्ग ररिन द्वारा 1882 में स्थानीय संस्थाओ ं को लोकतांपिक ढांचा प्रदान पकया गया। इसे ही भारत में स्थानीय
स्वशासन का मैग्नाकािाग कहा जाता है।
इसके द्वारा सभी बोर्ों में पनवागपचत गैर अपधकाररयों के दो पतहाई बहुमत को अपनवायग बना पदया गया और पनकायों के
अध्यक्ष का चयन भी गैर अपधकाररयों में से ही होना था।

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लार्ड ररपन का काल महत्वपर्
ू ड क्यों है
लॉर्ग ररिन (Lord Ripon) एक ऐसे व्यपि थे पजन्द्होंने स्थानीय भारतीयों के जीवन को बढ़ाने और देश की पशक्षा
प्रणाली को बढ़ाने और मजबूत करने की मांग की। ग्लैर्स्िोन एजेंि के रूि में भारत में अिनी प्रपतष्ठा के बावजदू लॉर्ग
ररिन (Lord Ripon) एक उदारवादी और एक सक्षम प्रशासक सापबत हुए हैं।
लॉर्ग ररिन 1880 से 1884 तक भारत के वायसराय थे। ग्लेर्स्िोन ने सत्ता में आने के बाद ररिन को चनु ा और उन्द्हें
वायसराय के रूि में भारत भेजा। इसपलए, ररिन ग्लेर्स्िोन का प्रपतपनपध था। उन्द्हें लाईसे-फे यर, शांपत के गुण, और
स्व-शासन में पवश्वास था।

लॉर्ग ररिन का भारत के प्रपत अन्द्य वाइसराय की तलु ना में एक अलग दृपष्टकोण था। ग्लैर्स्िोन ने भारत के प्रपत अिनी
नीपत को समझाया-
‘हमारा भारत में होना िहली शतग िर पनभगर करता है, पक हमारा वहां होना भारतीय मल ू पनवापसयों के पलए लाभदायक
है; और दसू री शतग िर, पक हम उन्द्हें लाभदायक देखने और समझने के पलए बना सकते हैं’

स्थानीय स्वशासन की शुरुआत


1882 में, लॉर्ग ररिन ने स्थानीय स्वशासन की शरुु आत की। इस योजना ने नगरिापलका सस्ं थानों को पवकपसत पकया,
जो भारत में पिपिश क्राउन के कब्जे में आने के बाद से देश में बढ़ रहे थे।
स्थानीय स्वशासन ग्रामीण और शहरी पनकायों को पदया गया और ऐपच्छक लोगों को कुछ व्यािक अपधकार प्राप्त हुए।
यह पकसी अपधपनयम द्वारा अपधपनयपमत नहीं पकया गया था। यह 1882 में िाररत एक प्रस्ताव था।
इस प्रस्ताव के अनुसार ब्रनम्नब्रलब्रखत कायडक्रम प्रस्तुत ब्रकया गया-
 देश में नगरिापलकाओ,ं पजला िररषदों और स्थानीय पनकायों की स्थािना की गई।
 इन स्थानीय संस्थाओ ं को स्वास््य, सफाई, पशक्षा आपद स्थानीय पवषय सौंि पदए गए और प्रान्द्तीय सरकारों
को कहा गया पक वे उन्द्हें राजस्व का एक पनपित भाग सौंि दें।
 इन नगर िापलकाओ ं तथा स्थानीय संस्थाओ ं को अिने सम्बद्ध क्षेिों में यथासम्भव स्वतन्द्िता प्रदान की गई।
उनके अपधकाश ं सदस्य गैर-सरकारी होते थे। इस िर भी बल पदया जाता था पक इन सस्ं थाओ ं के अध्यक्ष भी
गैर-सरकारी हों। ऐसी आशा की गई पक इन संस्थाओ ं में यथासम्भव चनु ाव प्रणाली लागू की
 स्थानीय संस्थाओ ं के कायों में कम-से-कम सरकारी हस्तक्षेि पकया

इस प्रकार लॉर्ग ररिन के प्रयत्नों से भारत के प्रमख


ु नगरों में नगर िापलकाओ ं और स्थानीय पनकायों एवं बोर्ों का
जाल पबछ गया। स्थानीय स्वशासन के क्षेि में अिने सधु ारों के कारण लॉर्ड ररपन को 'भारत में स्थानीय स्वशासन
का जनक' कहा जाता है।

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ब्रवत्तीय ब्रवकें द्रीकरर् की नीब्रत
सावगजपनक पवत्त के पवकें द्रीकरण की पदशा में प्रथम प्रयास मेयो ने पकया और ररपन ने इसका पवस्तार पकया।
लॉर्ग ररिन ने प्रांतों की पवत्तीय पजम्मेदाररयों को बढ़ाने का फै सला पकया।

राजस्व के स्रोतों को तीन वगों में ब्रवभाब्रजत ब्रकया गया था-


इपं ीररयल: सीमा शर्लु क, िद, और िेलीग्राफ, रे लवे, अफीम, नमक, िकसाल, सैन्द्य प्रापप्तयां, भपू म राजस्व, आपद से
राजस्व शाही प्रमख ु में शापमल थे। इनकी समस्त आय के न्द्द्र को जाती थी। कें द्र सरकार को इस राजस्व से कें द्रीय
प्रशासन के खचों को िरू ा करने की उम्मीद थी।
प्रांतीय: जेल से राजस्व, मेपर्कल स्लाइस, पप्रपं िंग, सड़क, सामान्द्य प्रशासन, आपद प्रातं ीय प्रमख
ु ों में शापमल थे। जैसा
पक प्रांतीय प्रमख
ु ों से आय प्रांतीय खचों के पलए अियागप्त थी, भपू म राजस्व का एक पहस्सा प्रांतों को आवंपित पकया
गया था।
ब्रवभक्त: आबकारी, पिकिें, वन, िजं ीकरण, आपद से प्राप्त राजस्व को समान अनिु ात में कें द्र और प्रातं ीय सरकारों के
बीच पवभापजत पकया गया था। ररिन द्वारा शरू ु की गई पवभि प्रमख ु ों की प्रणाली 1919 के सधु ारों द्वारा िररवपतगत
होने तक सचं ापलत रही।

Mind Refresher
पचं ायत शब्द दो शब्दों 'िचं ' और 'आयत' के मेल से बना है. पचं का अथड है पांच और आयत का अथड है सभा.
िंचायत को िांच सदस्यों की सभा कहा जाता है जो स्थानीय समदु ायों के पवकास और उत्थान के पलए काम करते हैं और
स्थानीय स्तर िर कई पववादों का हल पनकालते हैं. िच ं ायती राज व्यवस्था का जनक लॉर्ग ररिन को माना जाता है. ररिन
ने 1882 में स्थानीय संस्थाओ ं को उनका लोकतांपिक ढांचा प्रदान पकया था. अगर देश में पकसी गांव की हालत खराब
है तो उस गांव को सशि और पवकसीत बनाने के पलए ग्राम िंचायत उपचत कदम उठाती है. बलवंत राय मेहता सपमपत
के सझु ावों के बाद तत्कालीन प्रधानमंिी िंपर्त जवाहरलाल नेहरू ने सबसे िहले 2 अक्िूबर 1959 को राजस्थान के
नागौर पजले में िचं ायती राज व्यवस्था को लागू पकया था. इसके कुछ पदनों के बाद आध्रं प्रदेश में भी इसकी शरुु आत हुई
थी.
लॉर्ड ररपन के बारे में
लॉर्ग ररिन का जन्द्म 24 अक्िूबर, 1827 को हुआ था। वह प्रधानमिं ी एफजे लॉर्ग ररिन के दसू रे ििु थे। लॉर्ग ररिन
(Lord Ripon) ग्लैर्स्िोन के शासनकाल में भारत के वायसराय बने। ग्लैर्स्िोन की पलबरल िािी के सत्ता में आने के
साथ पििेन में प्रशासन का िररवतगन भारत की शीषग कायगकाररणी में बदलाव के साथ हुआ। लॉर्ग ररिन को भारत का
गवनगर जनरल और वायसराय पनयि ु पकया गया था, जो िहले दो मौकों िर भारत कायागलय में प्रमख ु िदों िर रहे थे।
9 जलु ाई 1909 को इनका पनधन हो गया।

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लार्ड ररपन द्वारा अन्य सध
ु ार कायड

प्रथम कारखाना अब्रधब्रनयम, 1881


 1875 में, देश में कारखाने के काम की पस्थपतयों की जांच के पलए एक सपमपत पनयि ु की गई थी। इस सपमपत
ने कारखानों में कुछ महत्विणू ग िररवतगन लाए।
 1881 में लॉर्ग ररिन ने िहला कारखाना अपधपनयम िाररत पकया। इस अपधपनयम ने सात वषग से कम उम्र के
बच्चों मजदरू ी िर रोक लगा दी। बारह से कम उम्र के बच्चों के पलए काम के घंिे सीपमत कर पदया गया। यह
भी आवश्यक था पक खतरनाक मशीनो को घेरा जाये।
 इस अपधपनयम ने काम की अवपध के दौरान एक घंिे का आराम और श्रपमकों के पलए एक महीने में चार पदन
की छुट्टी प्रदान की। इन उिायों के कायागन्द्वयन की पनगरानी के पलए पनरीक्षकों को भी पनयि
ु पकया गया था।

ब्रवत्तीय ब्रवकें द्रीकरर्, 1882


हमने ऊिर िढ़ पलया है।

वनाडक्यूलर प्रेस एक्ि का ब्रनरसन,1882


 लॉर्ग ररिन,लॉर्ग पलिन के वनागक्यल
ू र प्रेस एक्ि के पवरोध में थे, पजसने स्थानीय भाषाओ ं में प्रकापशत
प्रकाशनों को स्वतंिता दी।
 ररिन की उदार नीपतयों का एक बार पफर पवरोध हुआ जब 1882 में उन्द्होंने पववादास्िद स्थानीय भाषा प्रेस
अपधपनयम (1878) को पनरस्त कर पदया। पजसके पलए भारतीय समाचार ििों के संिादकों को या तो सरकार
को आिपत्तजनक पकसी भी मामले को प्रकापशत नहीं करने या प्रकाशन से िहले पनरीक्षण के पलए प्रफ ू शीि
जमा करने का वचन देना होता था।
 देशी प्रेस ने उनके कायों की सराहना की, जबपक एंग्लो-इपं र्यन प्रेस और समदु ाय स्वदेशी ििकाररता की
स्वतंिता की अनमु पत देने के पवरोध में थे।
 हालांपक ररिन की नस्लीय भेदभाव के पबना सभी को प्रेस की स्वतंिता देने की धारणा की जीत हुई।

स्थानीय स्वशासन, 1882


हमने ऊिर ह िढ़ पलया है।

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लार्ड ररपोन द्वारा हंिर ब्रशक्षा आयोग 1882-83
 1882 में, लॉर्ग ररिन ने पवपलयम पवर्लसन हिं र के नेतत्ृ व में हिं र कमीशन की पनयपु ि की।
 पवपलयम पवर्लसन हिं र सापं ययकीपवद,् एक सक
ं लक और भारतीय पसपवल सेवा के सदस्य थे, जो बाद में
रॉयल एपशयापिक सोसाइिी के उिाध्यक्ष बने।
 हिं र कमीशन ने देश में प्राथपमक और माध्यपमक पशक्षा की चक ू को सामने लाया। आयोग ने पसफाररश पकया
पक: प्राथपमक पशक्षा के पलए पजम्मेदारी स्थानीय बोर्ों और नगरिापलकाओ ं को दी जानी चापहए।

इलबिड ब्रबल, 1884


1883 में लॉर्ग ररिन ने इलबिग पबल िेश पकया। इस पबल का नाम कौिगन िेरेग्रीन इर्लबिग के नाम िर रखा गया, जो
भारत की िररषद के काननू ी सलाहकार थे।

1883 में लॉर्ग ररिन ने इलबिग पबल िेश पकया। इस पबल का नाम कॉिेन िेरेग्रीन इलबिग के नाम िर रखा गया, जो
भारत की िररषद के काननू ी सलाहकार थे।

इस पवधेयक का उद्देश्य भारतीय दंर् संपहता से नस्लीय िवू ागग्रह को समाप्त करना था। ररिन ने देश में मौजदू ा काननू ों के
पलए एक संशोधन की िेशकश की थी और भारतीय न्द्यायाधीशों और मपजस्रेिों को पजला स्तर िर आिरापधक
मामलों में पिपिश अिरापधयों के पखलाफ मक ु दमा चलाने की अनमु पत दी थी। ऐसा िहले कभी नहीं हुआ।
भारत में रहने वाले यरू ोिीय इसे अिमान के रूि में देखते थे। इस पवधेयक को तीव्र पवरोध का सामना करना िड़ा और
1884 में इसे वािस ले पलया गया।
संशोपधत पवधेयक में प्रावधान थे पक यरू ोिीय अिरापधयों को यरू ोिीय और भारतीय पजला मपजस्रेि और सि
न्द्यायाधीशों िर समान रूि से पदए जाएगं े।

हालापं क, सभी मामलों में एक प्रपतवादी को जरू ी द्वारा िरीक्षण का दावा करने का अपधकार होगा, पजसमें कम से कम
आधे सदस्य यरू ोिीय होने चापहए। इस प्रकार, इस अपधपनयम ने कहा पक यरू ोिीय अिरापधयों को भारतीय न्द्यायाधीशों
द्वारा ‚यरू ोिीय न्द्यायाधीशों‛ के मदद से सनु ा जाएगा।

इस पवधेयक के िाररत होने से भारतीयों की आख ं ें खल


ु ीं और अग्रं ेजों और भारतीयों के बीच नफरत बढ़ी। िररणाम
व्यािक राष्ट्रवाद और 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थािना थी।

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अन्य
मैसरू का प्रब्रतसमपडर्
1831 में लॉर्ग बेंपिक ने कुशासन का आरोि लगाते हुए मैसरू राज्य िर कब्जा कर पलया।
बाद में यह िता चला पक कुशासन के आरोिों को बहुत बढ़ा-चढ़ाकर िेश पकया गया था।
ररिन ने गलत को सही करने का सक ं र्लि पलया और राज्य के शासन को अिदस्थ राजा के दत्तक ििु को लौिा पदया

नागररक सेवाओ ं में सध


ु ार -
लॉर्ग ररिन को आई. सी. एस. (I.C.S.) िरीक्षा में बैठने वाले अभ्यपथगयों की आयु सीमा 22 वषग कराने में सफलता
पमली।

लॉर्ग ररिन अिने सधु ारवादी कायों के द्वारा भारतीयों में बहुत लोकपप्रय हो गया था और वे उसे 'सज्जन लॉर्ड ररपन'
(Ripon the good and virtuous) के नाम से स्मरण करते थे।
फ्लोरें स नाइपिंगेल ने लॉर्ग ररिन को भारत के उद्धारक की सज्ञं ा दी है।
सरु ेन्द्रनाथ बनजी के अनस ु ार, "लॉर्ग ररिन को इसपलए स्मरण नहीं पकया जाता पक उसने बहुत सफलता प्राप्त की,
अपितु इसपलए पक उसके उद्देश्य िपवि थे, उसके ध्येय ऊँचे, उसकी नीपत शद्ध ु थी और वह जातीय भेदभाव से घृणा
करता था।"

आगामी चैप्िसड
Next चै प्िर में पढ़ेंगे-पिपिशकाल में िंचायतीराज व्यवस्था से सम्बंपधत अपधपनयम
Next चै प्िर में पढ़ेंगे-स्वतंिता के बाद िंचायतीराज व्यवस्था
Next चै प्िर में पढ़ेंगे-िंचायतीराज हेतु गपठत सपमपतयां

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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-03
ब्रिब्रिशकाल में पच
ं ायतीराज व्यवस्था से सम्बब्रं धत अब्रधब्रनयम
(1919 और 1935 का अब्रधब्रनयम)
मेयो द्वारा उठाए गए कदमों का अनसु रण करते हुए लॉर्ड ररपन ने वषड 1882 में इन स्थानीय सस्ं थाओ ं को उनका अत्यतं
आवश्यक लोकतात्रं िक ढााँचा प्रदान त्रकया।
सभी बोर्ों (जो उस समय अत्रस्तत्व में थे) में त्रनवाडत्रचत गैर-अत्रधकाररयों के दो-त्रतहाई बहुमत को अत्रनवायड कर त्रदया
गया और इन त्रनकायों के अध्यक्ष को भी त्रनवाडत्रचत गैर-अत्रधकाररयों में से ही चनु ा जाना था।
इसे भारत में स्थानीय स्वशासन का मैग्ना कार्ाड माना जाता है।
लॉर्ड ररपन के द्वारा त्रकए गए सधु ारों को वतडमान में भी स्वशासन का आधार माना जाता है।

ईस्र् इत्रं र्या कम्पनी द्वारा सवडप्रथम मद्रास में नगर त्रनगम की स्थापना की गयी।
1773 के रे ग्यल ु ेत्रर्ंग एक्र् द्वारा प्रेत्रसर्ेंर्ी नगरों में 'जत्रस्र्स ऑफ़ पीस' की स्थापना की गयी।

वषड 1907 में स्थानीय स्वशासन सस्ं थाओ ं को सी.ई.एच. होबहाउस की अध्यक्षता में ‘कें द्रीकरण पर रॉयल कमीशन’
(Royal Commission on Centralisation) के गठन से अत्यंत बल त्रमला।
इस कमीशन/आयोग ने ग्राम स्तर पर पंचायतों के महत्त्व को त्रचत्रित त्रकया।
इसका कायड के न्द्द्र, प्रान्द्त तथा इसके अत्रधनस्थ इकाइयों के मध्य त्रवत्तीय व प्रशासत्रनक सम्बन्द्धों का अध्ययन करना
था। आयोग ने स्थानीय स्वशासन के त्रवषय का गहन अध्ययन त्रकया तथा इनकी त्रवफलता के त्रलए त्रनम्न त्रनष्कषड
त्रनकाले अत्यत्रधक सरकारी त्रनयंिण; मतात्रधकार का अत्रधकार का संकुत्रचत होना; अत्यल्प संसाधन: त्रशक्षा और
प्रशीक्षण का अभाव: योग्य और समत्रपडत लोगों की कमी सेवाओ ं पर स्थानीय त्रनकायों का अपयाडप्त त्रनयंिण। रॉयल
कमीशन ने ररपोर्ड में त्रलखा त्रक धन का अभाव ही स्थानीय सस्ं थाओ ं के प्रभावशाली ढंग से काम न करने में प्रमख ु
बांधा बनी हुई है। आयोग ने स्थानीय स्वशासन की इकाइयों को मजबूत बनाने हेतु अनेक सझु ाव त्रदए।

28 अप्रैल 1915 के प्रस्ताव में भारत सरकार ने इन सझु ावों के क्रत्रमक कायडन्द्वयन का सझु ाव त्रदया। पजं ाब वह पहला
प्रांत था त्रजसने सवडप्रथम रॉयल आयोग की त्रसफाररशों के आधार पर सन् 1911 में नगरपात्रलका अत्रधत्रनयम पाररत
त्रकया।

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इसी प्रकार अन्द्य प्रान्द्तों ने भी अत्रधत्रनयम पाररत त्रकए। इस अत्रधत्रनयम के तहत नगरपात्रलकाओ ं पर सरकारी त्रनयंिण
को कम करने, चनु ाव की प्रत्रक्रया को अपनाने तथा चनु ाव के माध्यम से अध्यक्ष को चनु ने की व्यवस्था की गई थी।
परन्द्तु व्यवहार में नगरीय शासन में कोई त्रवशेष पररवतडन नहीं आया क्यों त्रक यह भी प्रयास त्रकया गया था त्रक इसके पवू ड
के अत्रधत्रनयमों के प्रावधानों को पणू ड रूप से न खाररज त्रकया जाए। 1908 से लेकर 1918 तक चनु े गए प्रत्रतत्रनत्रधयों की
संख्या में बढोत्तरी तो दरू की बात थी, बत्रल्क इसमें कमी आने लगी थी।

1909 का अब्रधब्रनयम (माले-ब्रमंिो सध


ु ार अब्रधब्रनयम)
1909 में त्रवधान पररषदों में साम्प्रदात्रयक मतदान की व्यवस्था की गई थी। 1910 में मत्रु स्लम लीग ने स्थानीय चनु ावों में
भी साम्प्रदात्रयक आधार पर मतदान करवाने की मागं की। कई मामलों में साम्प्रदात्रयक मतदान को स्वीकार भी कर
त्रलया गया परन्द्तु इसने स्थानीय शासन की व्यवस्था पर प्रत्रतकूल प्रभाव र्ाला त्रजससे इसका त्रवकास अवरूद्ध हो गया।

वषड 1919 के 'मांर्ेग्य-ू चेम्सफोर्ड सधु ार' ने स्थानीय सरकार के त्रवषय को प्रांतों के अत्रधकार क्षेि में स्थानांतररत कर
त्रदया।
भारत सरकार अब्रधब्रनयम 1919 (मांिेग्यू-चे म्सफोर्ड सध
ु ार अब्रधब्रनयम)
त्रित्रर्श सरकार द्वारा पंचायती राज व्यवस्था में नए रक्त का संचार करने का प्रयास जो 1907 में शरू
ु त्रकया गया था
उसमें 1919 में पहली बार भारत सरकार अत्रधत्रनयम में शात्रमल त्रकया गया। लेत्रकन इसे भी राजनैत्रतक और प्र्शासत्रनक
हस्तक्षेप के कारण अत्रधक दरू तक नहीं ले जाया जा सका। लेत्रकन भारतीय नेताओ ं ने इस त्रसरे को हाथ से नहीं जाने
त्रदया और 1922 में देशबंधु त्रचतरंजन दास ने ग्राम पंचायतों को महत्व देने की बात उठाई। इसी बात को 1931 के
गोलमेज़ सम्मेलन में गांधी जी ने ग्राम पंचायतों के पनु गडठन की मांग को परु जोर तरीके से रखा।

वषड 1918 में राज्य सत्रचव एर्त्रवन सेमअ


ु ल मांर्ेग्यू (Edwin Samuel Montagu) और वायसराय लॉर्ड चेम्सफोर्ड ने
संवैधात्रनक सधु ारों की अपनी योजना तैयार की, त्रजसे मांर्ेग्य-ू चेम्सफोर्ड (या मोंर्-फोर्ड) सधु ार के रूप में जाना जाता
है, त्रजसके कारण वषड 1919 के भारत शासन अत्रधत्रनयम को अत्रधत्रनयत्रमत त्रकया गया।

वषड 1921 में मांर्ेग्य-ू चेम्सफोर्ड सधु ारों को लागू त्रकया गया।
 इस अत्रधत्रनयम का एकमाि उद्देश्य भारतीयों का शासन में प्रत्रतत्रनत्रधत्व सत्रु नत्रित करना था।
 अत्रधत्रनयम ने कें द्र के साथ-साथ प्रांतीय स्तरों पर शासन में सधु ारों की शरुु आत की।

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भारत शासन अत्रधत्रनयम 1919 ने द्वैध-शासन व्यवस्था को स्थात्रपत त्रकया। इस अत्रधत्रनयम के तहत करों की एक सचू ी तैयार की गई त्रजसे
के वल स्थानीय त्रनकाय ही आरोत्रपत कर सकते थे तथा वे कर के वल स्थानीय त्रनकायों के त्रलए ही लगाए जा सकते थे। इससे स्थानीय त्रनकायों
को और भी अत्रधक स्वायत्तता प्राप्त हो गई। कई प्रान्द्तों में नगरपात्रलका अत्रधत्रनयमों में सश ं ोधन भी त्रकया गया त्रजसके द्वारा इन स्थानीय
त्रनकायों को और भी अत्रधक स्वायत्तता प्रदान की गई, त्रनकायों को और भी अत्रधक प्रत्रतत्रनत्रधक बनाया गया और गैर-सरकारी अध्यक्षों की
व्यवस्था भी सत्रु नत्रित की गई। इन प्रयासों ने त्रनिःसंदेह स्थानीय स्वशासन को और भी अत्रधक लोकतांत्रिक बनाया परन्द्तु प्रशासत्रनक
कायडकुशला पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगा। कई नगरपात्रलकाओ ं पर भ्रष्टाचार के मामले चलने लगे। यह महससू त्रकया गया त्रक स्थानीय
स्वशासन की इकाइयों में भ्रष्टाचार और कायडकुशला में त्रगरावर् का मख्ु य कारण यह था त्रक जब इन त्रनकायों को सलाह, मागडदशडन और
त्रनयंिण की आवश्यकता सबसे अत्रधक थी, तब इन्द्हें सरकारी त्रनयंिण से मक्त ु कर त्रदया गया। अतिः प्रशासत्रनक कायडकुशलता को बढाने और
भ्रष्टाचार पर आवश्यक अंकुश लगाने हेतु प्रांतीय सरकारों को नगरपात्रलका कायडकारी अत्रधकारी का पद सृत्रजत करने के त्रलए कहा गया।
1920 में 1919 के भारत सरकार अत्रधत्रनयम लागू होने पर स्थानीय शासन हस्तातं ररत त्रवषय बन गया त्रजसका त्रनयिं ण लोकत्रप्रय शत्रक्तयों के
अधीन हो गया। के न्द्द्रीय सरकार ने प्रांतीय सरकारों को इस त्रवषय में त्रनदेश देने बंद कर त्रदए और प्रत्येक प्रांत को अपनी-अपनी आवश्यकता
अनसु ार स्वयत्त संस्थाओ ं का त्रवकास करने की अनमु त्रत त्रमल गई। स्थानीय करों व प्रांतीय कारों की सचू ी को अलग कर त्रदया गया। परन्द्तु
त्रवत्त अभी भी आरत्रक्षत त्रवषय था, अतिः भारतीय मिं ी इस त्रवषय में कुछ नहीं कर सके । स्वशासन की इस त्रक्रयात्रन्द्वत्रत का मल्ू याक ं न 1930 में
साइमन आयोग ने त्रकया और इस तथ्य की ओर ध्यान आकत्रषडत त्रकया त्रक उत्तर प्रदेश, बंगाल व मद्रास के अत्रतररक्त तथा ग्राम पंचायतों के
क्षेि में इन संस्थाओ ं में कोई उन्द्नत्रत देखने को नहीं त्रमली। स्वायत्त संस्थाओ ं की दशा 1919 के बाद त्रबगड़ गई है। अतिः आयोग ने सझु ाव त्रदया
त्रक इन स्वायत्त सस्ं थाओ ं पर सरकार का त्रनयिं ण बढा देना चात्रहए। इस काल में प्रान्द्तों द्वारा जो त्रवत्रभन्द्न अत्रधत्रनयम बनाये उनमें मख्ु य रूप से
त्रनम्नत्रलत्रखत त्रवशेषताएं थीं- स्थानीय संस्थाओ ं का गठन प्रायिः पणू डरूप से त्रनवाडचन के आधार पर रखते हुए त्रनवाडचक मण्र्ल का भी त्रवस्तार
त्रकया गया; स्थानीय स्वायत्त संस्थाओ ं के अध्यक्ष पद पर गैर-सरकारी व्यत्रक्त की त्रनयत्रु क्त को स्वकृ त्रत दे दी गयी।

1919 अब्रधब्रनयम की अन्य ब्रवशे षताएं


कें द्र स्तरीय सरकार
ऐसे मामले जो राष्रीय महत्त्व के थे या एक से अत्रधक प्रांतों से संबंत्रधत थे, कें द्र स्तरीय सरकार द्वारा शात्रसत थे, जैसे:
त्रवदेश मामले, रक्षा, राजनीत्रतक सबं ंध, सावडजत्रनक ऋण, नागररक और आपरात्रधक काननू , सच ं ार सेवाएं आत्रद।
इस अत्रधत्रनयम द्वारा कें द्रीय त्रवधात्रयका को अत्रधक शत्रक्तशाली और जवाबदेह बनाया गया।
कायडपाब्रलका
इस अत्रधत्रनयम ने गवनडर-जनरल को मख्ु य कायडकारी प्रात्रधकारी बनाया।
वायसराय की कायडकारी पररषद में आठ सदस्यों को शात्रमल करने का प्रावधान त्रकया गया त्रजसमें तीन भारतीय
सदस्यों को शात्रमल करना था। गवनडर जनरल को अनदु ानों में कर्ौती करने का अत्रधकार था, वह कें द्रीय त्रवधात्रयका
द्वारा लौर्ा त्रदये गए त्रबलों को प्रमात्रणत कर सकता था तथा अध्यादेश जारी कर सकता था।

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ब्रवधानमर्ं ल में सध ु ार
त्रद्वसदनीय त्रवधानमंर्ल: अत्रधत्रनयम में त्रद्वसदनीय त्रवधात्रयका की शरुु आत की गई त्रजसमें त्रनम्न सदन या कें द्रीय
त्रवधानसभा (Lower House or Central Legislative Assembly) और उच्च सदन या राज्य पररषद (Upper
House or Council of State) शात्रमल थी।

नए सधु ारों के तहत अब कें द्रीय त्रवधानमर्ं ल के सदस्य को सरकार से प्रश्न पछ


ू ने, परू क प्रश्न करने, स्थगन प्रस्ताव
पाररत करने तथा बजर् के त्रहस्से पर मतदान करने का अत्रधकार था लेत्रकन अभी भी बजर् के 75% त्रहस्से पर
मतदान का अत्रधकार प्राप्त नहीं था। त्रवधात्रयका का गवनडर जनरल और उसकी कायडकारी पररषद पर वस्तुतिः कोई
त्रनयंिण नहीं था।

ब्रनम्न सदन की सरं चना: त्रनम्न सदन में 145 सदस्य थे, जो या तो मनोनीत थे या अप्रत्यक्ष रूप से प्रातं ों से चनु े गए थे।
इसका कायडकाल 3 वषड था।
 41 मनोनीत (26 आत्रधकाररक और 15 गैर-सरकारी सदस्य)
 104 त्रनवाडत्रचत (52 जनरल, 30 मत्रु स्लम, 2 त्रसख, 20 त्रवशेष)।

उच्च सदन की सरं चना: उच्च सदन में 60 सदस्य थे। इसका कायडकाल 5 वषड का था और इस सदन में के वल परुु ष
सदस्य को ही शात्रमल त्रकया गया था।
 26 मनोनीत
 34 त्रनवाडत्रचत (20 जनरल, 10 मत्रु स्लम, 3 यरू ोपीय और 1 त्रसख सदस्य)

वायसराय की शब्रियां
वायसराय को त्रवधात्रयका को संबोत्रधत करने का अत्रधकार था।
उसे बैठकों को आहूत करने, स्थत्रगत करने या त्रवधानमंर्ल को त्रनरस्त या खंत्रर्त करने का अत्रधकार प्राप्त रहा।
त्रवधात्रयका का कायडकाल 3 वषड का था, त्रजसे वायसराय अपने अनसु ार बढा सकता था।

कें द्रीय ब्रवधानमंर्ल की शब्रियां


कें द्र सरकार को प्रातं ीय सरकारों पर अप्रत्रतबंत्रधत त्रनयिं ण प्राप्त था।
कें द्रीय त्रवधात्रयका को संपणू ड भारत के त्रलये, सभी अत्रधकाररयों और आम लोगों हेतु काननू बनाने के त्रलये अत्रधकृ त
त्रकया गया था, चाहे वे भारत में हों या नहीं।

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कें द्रीय ब्रवधाब्रयका पर प्रब्रतबध

त्रवधात्रयका पर कुछ प्रत्रतबंध लगाए गए थे-
त्रकसी त्रवधेयक को पेश करने हेतु गवनडर जनरल की अनमु त्रत प्राप्त करना आवश्यक था, जैसे- मौजदू ा काननू में
संशोधन या गवनडर जनरल के अध्यादेश में संशोधन, त्रवदेशी संबंध और भारतीय राज्यों, सशस्त्र बलों के साथ संबंध के
मामले। भारतीय त्रवधात्रयका भारत के संबंध में त्रित्रर्श संसद द्वारा पाररत त्रकसी भी काननू को बदल या उलर् नहीं
सकती थी।

प्रांत स्तरीय सरकार


इसमें वे मामले शात्रमल थे जो एक त्रवत्रशष्ट प्रातं से सबं ंत्रधत थे जैसे:सावडजत्रनक स्वास्थ्य, स्थानीय स्वशासन, त्रशक्षा,
सामान्द्य प्रशासन, त्रचत्रकत्सा सत्रु वधाएंँाँ, भत्रू म-राजस्व, जल आपत्रू तड, अकाल राहत, काननू और व्यवस्था, कृ त्रष
आत्रद।

द्वैध शासन की शुरुआत


इस अत्रधत्रनयम ने प्रांतीय स्तर पर कायडपात्रलका हेतु द्वैध शासन प्रणाली (दो व्यत्रक्तयों/पात्रर्डयों का शासन) की शरुु आत
की। द्वैध शासन (Diarchy) को आठ प्रातं ों में लागू त्रकया गया था त्रजसमें
असम, बंगाल, त्रबहार और उड़ीसा, मध्य प्रांत, संयक्त ु प्रांत, बॉम्बे, मद्रास और पंजाब प्रांत शात्रमल थे।
द्वैध शासन व्यवस्था के तहत प्रांतीय सरकारों को अत्रधक अत्रधकार प्रदान त्रकये गए थे।
गवनडर प्रातं का कायडकारी प्रमख ु था।

ब्रवषयों का ब्रवभाजन
त्रवषयों को दो सत्रू चयों में त्रवभात्रजत त्रकया गया था: 'आरत्रक्षत' और 'स्थानांतररत'। आरब्रित सच
ू ी में शात्रमल त्रवषयों
का प्रशासन गवनडर द्वारा नौकरशाहों की कायडकारी पररषद के माध्यम से त्रकया जाना था।
इसमें काननू और व्यवस्था, त्रवत्त, भ-ू राजस्व, त्रसंचाई आत्रद जैसे त्रवषय शात्रमल थे।
सभी महत्त्वपणू ड त्रवषय को प्रांतीय कायडकाररणी के आरत्रक्षत त्रवषयों में शात्रमल त्रकया गया।

हस्तांतररत ब्रवषयों को त्रवधान पररषद के त्रनवाडत्रचत सदस्यों में से मनोनीत मत्रं ियों द्वारा प्रशात्रसत त्रकया जाना था।
इसमें त्रशक्षा, स्वास्थ्य, स्थानीय सरकार, उद्योग, कृ त्रष, उत्पाद शल्ु क आत्रद त्रवषय शात्रमल थे।
प्रातं में सवं ैधात्रनक तंि के त्रवफल होने की त्रस्थत्रत में गवनडर हस्तातं ररत त्रवषयों का प्रशासन भी अपने हाथ में ले सकता
था।

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हस्तिेप पर प्रब्रतबध ं
भारत के राज्य सत्रचव और गवनडर जनरल आरत्रक्षत त्रवषयों (Reserved Subjects) के संबंध में हस्तक्षेप कर सकते
थे, जबत्रक स्थानातं ररत त्रवषयों (Transferred Subjects) के सबं ंध में उन्द्हें हस्तक्षेप करने का अत्रधकार प्राप्त नहीं था।

ब्रवधानमंर्ल में सध ु ार
प्रातं ीय त्रवधान पररषदों का और अत्रधक त्रवस्तार त्रकया गया तथा 70% सदस्यों का चनु ाव त्रकया जाना था।
सांप्रदात्रयक (Communal) और वगीय मतदाताओ ं (class electorates) की व्यवस्था को और मज़बूत त्रकया गया।
मत्रहलाओ ं को भी वोर् देने का अत्रधकार त्रदया गया।
त्रवधान पररषदें बजर् को अस्वीकार कर सकती थी लेत्रकन यत्रद आवश्यक हो तो गवनडर इसे पनु िः बहाल कर सकता
था। त्रवधायकों (Legislators) को बोलने की स्वतंिता थी।

गवनडर की शब्रियां
गवनडर त्रजन्द्हें वह आवश्यक समझे, मत्रं ियों को त्रकसी भी आधार पर बखाडस्त कर सकता था। साथ ही उसने त्रवत्त पर
पणू ड त्रनयंिण बनाए रखा।
त्रवधान पररषदें काननू त्रनमाडण की प्रत्रक्रया शरू
ु कर सकती थीं लेत्रकन उसके त्रलये गवनडर की सहमत्रत की आवश्यकता
थी।
गवनडर को त्रवधेयक पर वीर्ो शत्रक्त का अत्रधकार था तथा वह अध्यादेश जारी कर सकता था।

1919 अब्रधब्रनयम का महत्त्व


भारतीयों में जागृब्रत- इस अत्रधत्रनयम के माध्यम से भारतीयों को प्रशासन के बारे में गुप्त सचू ना त्रमली और वे अपने
कतडव्यों के प्रत्रत जागरूक हुए। इससे भारतीयों में राष्रवाद और जागृत्रत की भावना पैदा हुई और वे स्वराज के लक्ष्य
(Goal of Swaraj) को प्राप्त करने की त्रदशा में आगे बढे।
मतदान के अब्रधकारों का ब्रवस्तार- भारत में चनु ाव क्षेिों का त्रवस्तार हुआ त्रजससे लोगों में मतदान के महत्त्व के प्रत्रत
समझ बढी।
प्रांतों में स्वशासन- इस अब्रधब्रनयम ने भारत में प्रांतीय स्वशासन की शुरुआत की।

इस अत्रधत्रनयम ने लोगों को प्रशासन करने का अत्रधकार प्रदान त्रकया त्रजससे सरकार पर प्रशासत्रनक दबाव बहुत कम
हो गया। इसने भारतीयों को प्रांतीय प्रशासन में त्रज़म्मेदाररयों का त्रनवडहन करने हेतु तैयार त्रकया।

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1919 अब्रधब्रनयम के पररणाम
सावडजत्रनक प्रत्रतत्रक्रया: कॉन्द्ग्रेस ने अगस्त 1918 में हसन इमाम की अध्यक्षता में बॉम्बे में एक त्रवशेष सि में बैठक की
और सधु ारों को "ब्रनराशाजनक" एवं “असतं ोषजनक” घोत्रषत त्रकया तथा इसके स्थान पर प्रभावी स्वशासन की
मांग की।
बाल गंगाधर त्रतलक (Bal Gangadhar Tilak) द्वारा मोंर्फोर्ड सधु ारों को "अयोग्य और त्रनराशाजनक - एक धपू
रत्रहत सबु ह" कहा गया था।
एनी बेसेंर् ने सधु ारों को "इग्ं लैंर् के प्रस्ताव के योग्य और भारत को स्वीकार करने के त्रलये अयोग्य" पाया।
सरु ें द्रनाथ बनजी (Surendranath Banerjea) के नेतत्ृ व में वयोवृद्ध कॉन्द्ग्रेसी नेता सरकारी प्रस्तावों को स्वीकार
करने के पक्ष में थे।

अत्रधत्रनयम ने भारतीयों और अग्रं ेज़ों दोनों में सत्ता के त्रलये सघं षड को प्रोत्सात्रहत त्रकया। पररणामस्वरूप बड़ी सख्ं या में
सांप्रदात्रयक दंगे हुए जो वषड 1922 से 1927 तक जारी रहे।
वषड 1923 में स्वराज पार्ी (Swaraj Party) की स्थापना हुई तथा उसने चनु ावों में मद्रास को छोड़कर पयाडप्त संख्या में
सीर्ें जीती। जबत्रक पार्ी बंबई और मध्य प्रातं ों में मत्रं ियों के वेतन के साथ अन्द्य वस्तओ ु ं की आपत्रू तड को अवरुद्ध करने
में सफल रही।
रॉलेि एक्ि अब्रधब्रनयमन भारतीयों को शांत करने के त्रलये भारत सरकार दमन के त्रलये तैयार थी।
परू े यद्ध
ु के दौरान राष्रवात्रदयों का दमन जारी रहा। क्रात्रं तकाररयों का दमन त्रकया गया, उन्द्हें फासं ी दी गई और जेल में
र्ाल त्रदया गया। मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (Maulana Abul Kalam Azad) जैसे कई अन्द्य राष्रवात्रदयों को
भी जेल में र्ाल त्रदया।

सरकार ने अब खदु को और अत्रधक दरू गामी शत्रक्तयों से लैस करने का फै सला त्रकया, जो काननू के शासन के स्वीकृ त
त्रसद्धांतों के त्रखलाफ थी, तात्रक उन राष्रवात्रदयों की आवाज को दबाया जा सके जो सरकारी सधु ारों से संतुष्ट नहीं थे।
इस अत्रधत्रनयम ने सरकार को राजनीत्रतक गत्रतत्रवत्रधयों को दबाने के त्रलये अत्रधकार प्रदान त्रकये और दो साल तक
त्रबना त्रकसी मक ु दमे के राजनीत्रतक कै त्रदयों को त्रहरासत में रखने की अनमु त्रत दी।।
इस अत्रधत्रनयम ने सरकार को बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) के अत्रधकार को त्रनलंत्रबत करने का अत्रधकार
प्रदान त्रकया त्रजसने त्रिर्ेन में नागररक स्वतंिता की नींव रखी।

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भारत सरकार अब्रधब्रनयम-1935
पचं ायती राज व्यवस्था में यह अत्रधत्रनयम एक खल ु ी हवा की तरह प्रतीत होता है। इस अत्रधत्रनयम में पहली बार भारत
में प्रांतीय स्वायतत्ता को स्वीकार करते हुए उसे सांत्रवधात्रनक रूप प्रदान त्रकया गया। इस अत्रधत्रनयम के पररणामस्वरूप
समचू े भारत में स्थानीय संस्थाओ ं के रूप में ग्रामीण पंचायत के अत्रस्तत्व को स्वीकार त्रकया गया। इसके साथ ही इस
अत्रधत्रनयम में त्रजला बोर्ों को भी अत्रधक अत्रधकार देते हुए उनके कायडक्षेि में त्रवस्तार क्या गया। 1935 के अत्रधत्रनयम
में पहली बार मतदाता के अत्रधकार को लोकतांत्रिक अत्रधकार के रूप में मान्द्यता प्रदान की गई। ग्रामीण पंचायत जैसी
स्थानीय संस्थाओ ं को बजर् बनाने की भी आज़ादी दी गई।

इस प्रकार कहा जा सकता है की भारत को जमीनी आजादी 1935 के अत्रधत्रनयम से त्रमलनी शरू ु हो गई थी। इसके
बाद त्रनरंतर होने वाले सधु ारों में ग्राम पंचायत के अत्रस्तत्व और महत्व को खल
ु े मन से स्वीकार त्रकया गया और आज
भारत में 9891 ग्राम पंचायतें, 295 पंचायत सत्रमत्रतयां और 33 त्रजला पररषद् पंचायतीराज व्यवस्था का त्रहस्सा बनी
हुई हैं।

अगस्त सन 1935 में त्रित्रर्श ससं द द्वारा भारत सरकार अत्रधत्रनयम, 1935 पाररत त्रकया गया था. यह उस समय त्रित्रर्श
संसद द्वारा पाररत अत्रधत्रनयमों में से सबसे त्रवस्तृत अत्रधत्रनयम था. भारत सरकार अत्रधत्रनयम 1935 को दो अलग-
अलग अत्रधत्रनयमों में त्रवभात्रजत त्रकया गया था
1. भारत सरकार अत्रधत्रनयम 1935
2. बमाड सरकार अत्रधत्रनयम 1935

भारत सरकार अब्रधब्रनयम-1935


उद्देश्य-भारत सरकार के त्रलए और प्रावधान करने के त्रलए एक अत्रधत्रनयम.
िेत्रीय ब्रवस्तार-त्रित्रर्श त्रनयंिण के अधीन क्षेि
अब्रधब्रनयमन-यनू ाइर्ेर् त्रकंगर्म की ससं द द्वारा अत्रधत्रनयत्रमत
शाही सहमती-24 जल ु ाई 1935
प्रारम्भ-1 अप्रैल 1937 को शरू ु हुआ
ब्रस्थब्रत-भारत में 26 जनवरी 1950 को त्रनरस्त कर त्रदया गया

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भारत सरकार अब्रधब्रनयम, 1935-पृष्ठभूब्रम
भारतीय नेताओ ं द्वारा भारत में संवैधात्रनक सधु ारों की मांग बढती जा रही थी.
प्रथम त्रवश्व यद्ध
ु में त्रिर्ेन को भारत का समथडन त्रमलने के बाद त्रित्रर्शों को भी इस बात की अनभु त्रू त हुई थी त्रक उन्द्हें
अपने देश के प्रशासन में अत्रधक भारतीयों को शात्रमल करने की आवश्यकता है.

यह अब्रधब्रनयम आधाररत था-


 साइमन कमीशन की ररपोर्ड
 गोलमेज सम्मेलनों की त्रसफाररशें
 1933 में त्रित्रर्श सरकार द्वारा प्रकात्रशत श्वेत पि (तीसरे गोलमेज सम्मेलन पर आधाररत)
 सयं क्त
ु प्रवर सत्रमत्रतयों की ररपोर्ड पर

अब्रखल भारतीय सघं का ब्रनमाड ण


अत्रखल भारतीय संघ त्रित्रर्श भारत और ररयासतों से त्रमलकर बना था.
त्रित्रर्श भारत के प्रांतों के त्रलए संघ में शात्रमल होना अत्रनवायड था लेत्रकन ररयासतों के त्रलए यह अत्रनवायड नहीं था.
आवश्यक सख्ं या में ररयासतों से समथडन की कमी के कारण यह सघं कभी भी अमल में नहीं आया.

भारत सरकार अब्रधब्रनयम 1935 ने शब्रियों को कै से ब्रवभाब्रजत ब्रकया


इस अत्रधत्रनयम ने कें द्र और प्रांतों के बीच शत्रक्तयों को त्रवभात्रजत त्रकया
प्रत्येक सरकार के अधीनस्थ त्रवषयों के त्रलए तीन सत्रू चयााँ थीं –
 संघीय सचू ी (कें द्र)
 प्रातं ीय सचू ी (प्रांत)
 समवती सचू ी (दोनों)

वायसराय को अवत्रशष्ट शत्रक्तयााँ प्राप्त थीं

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भारत सरकार अब्रधब्रनयम-1935-ब्रवशे षताएं
प्रांतीय स्वायत्तता
 इस अत्रधत्रनयम ने प्रांतों को अत्रधक स्वायत्तता प्रदान की.
 प्रातं ीय स्तरों पर द्वैध शासन को समाप्त कर त्रदया गया.
 राज्यपाल कायडपात्रलका का प्रमख ु होता था.
 उन्द्हें सलाह देने के त्रलए एक मंत्रिपररषद थी. मंिी प्रांतीय त्रवधात्रयकाओ ं के प्रत्रत उत्तरदायी थे जो उन्द्हें त्रनयंत्रित
करती थी. त्रवधात्रयका मत्रं ियों को हर्ा भी सकती थी.
 हालांत्रक, राज्यपालों के पास अभी भी त्रवशेष आरत्रक्षत शत्रक्तयों को बरकरार रखा गया था.
 त्रित्रर्श अत्रधकारी अभी भी एक प्रांतीय सरकार को त्रनलंत्रबत कर सकते थे.

कें द्र में द्वैध शासन


 संघीय सचू ी के तहत त्रवषयों को दो भागों में बांर्ा गया था: आरत्रक्षत और स्थानांतररत.
 आरत्रक्षत त्रवषयों को गवनडर-जनरल द्वारा त्रनयंत्रित त्रकया जाता था जो उनके द्वारा त्रनयक्त ु तीन परामशडदाताओ ं
की सहायता से उन्द्हें प्रशात्रसत करते थे. वे त्रवधात्रयका के प्रत्रत उत्तरदायी नहीं थे. इन त्रवषयों में रक्षा, चचड
संबंधी मामले, त्रवदेश मामले, प्रेस, पत्रु लस, कराधान, न्द्याय, शत्रक्त संसाधन और आत्रदवासी मामले शात्रमल
थे.
 हस्तातं ररत त्रवषयों को गवनडर-जनरल द्वारा अपनी मत्रं िपररषद (10 से अत्रधक नहीं) के साथ प्रशात्रसत त्रकया
जाता था. पररषद को त्रवधात्रयका के साथ गोपनीयता से कायड करना था. इस सचू ी के त्रवषयों में स्थानीय
सरकार, वन, त्रशक्षा, स्वास्थ्य आत्रद शात्रमल थे.
 हालााँत्रक, गवनडर-जनरल के पास हस्तातं ररत त्रवषयों में भी हस्तक्षेप करने के त्रलए 'त्रवशेष शत्रक्तयााँ' थीं.

ब्रद्वसदनीय ब्रवधानमंर्ल
 एक त्रद्वसदनीय संघीय त्रवधात्रयका की स्थापना की जाएगी.
 ये दो सदन सघं ीय त्रवधानसभा (त्रनचला सदन) और राज्य पररषद (उच्च सदन) थे.
 संघीय सभा का कायडकाल पााँच वषड का होता था.
 दोनों सदनों में देशी ररयासतों के प्रत्रतत्रनत्रध भी थे. ररयासतों के प्रत्रतत्रनत्रधयों को शासकों द्वारा मनोनीत त्रकया
जाना था न त्रक त्रनवाडत्रचत त्रकया जाना था. त्रित्रर्श भारत के प्रत्रतत्रनत्रधयों को त्रनवाडचन द्वारा चनु ा जाना था.
और कुछ को गवनडर-जनरल द्वारा मनोनीत त्रकया जाना था.
 बंगाल, मद्रास, बॉम्बे, त्रबहार, असम और संयक्त ु प्रांत जैसे कुछ प्रांतों में भी त्रद्वसदनीय त्रवधात्रयकाएं पेश की
गई ंथीं.

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सघं ीय न्यायालय
प्रांतों के बीच के त्रववाद और कें द्र और प्रांतों के बीच के त्रववादों के समाधान के त्रलए त्रदल्ली में एक संघीय अदालत
की स्थापना की गई थी.
इसमें 1 मख्ु य न्द्यायाधीश होना था और अत्रधकतम 6 न्द्यायाधीश होने थे.

भारतीय पररषद
भारतीय पररषद को समाप्त कर त्रदया गया.
इसके बजाय भारत के राज्य सत्रचव के पास सलाहकारों की एक र्ीम होने का प्रावधान त्रकया गया.

मताब्रधकार
इस अत्रधत्रनयम ने पहली बार भारत में प्रत्यक्ष चनु ाव की शरुु आत की.

पुनब्रनडमाडण
 त्रसंध को बॉम्बे प्रेसीर्ेंसी से अलग कर त्रदया गया.
 त्रबहार और उड़ीसा को अलग कर त्रदया गया.
 बमाड को भारत से अलग कर त्रदया गया था.
 अदन को भी भारत से अलग कर एक क्राउन कॉलोनी बना त्रदया गया.

अन्य मख्
ु य बातें
 त्रित्रर्श संसद ने प्रांतीय और संघीय दोनों तरह की भारतीय त्रवधात्रयकाओ ं पर अपना वचडस्व बरकरार रखा.
 भारतीय रे लवे को त्रनयंत्रित करने के त्रलए एक संघीय रे लवे प्रात्रधकरण की स्थापना की गई थी.
 इस अत्रधत्रनयम ने भारतीय ररजवड बैंक की स्थापना के त्रलए राह प्रशस्त की.
 इस अत्रधत्रनयम में सघं ीय, प्रातं ीय और सयं क्त
ु लोक सेवा आयोगों की स्थापना का भी प्रावधान था.
 यह अत्रधत्रनयम भारत में एक त्रजम्मेदार संवैधात्रनक सरकार के त्रवकास में एक मील का पत्थर सात्रबत हुआ.
 भारत सरकार अत्रधत्रनयम 1935 को स्वतंिता के बाद भारत के संत्रवधान द्वारा प्रत्रतस्थात्रपत त्रकया गया था.
 भारतीय नेता इस अत्रधत्रनयम के बारे में उत्सात्रहत नहीं थे क्योंत्रक प्रातं ीय स्वायत्तता देने के बावजदू राज्यपालों
और वायसराय के पास काफी 'त्रवशेष शत्रक्तयां' थीं.
 पृथक सांप्रदात्रयक त्रनवाडचक मंर्ल एक ऐसा उपाय था त्रजसके माध्यम से अंग्रेज यह सत्रु नत्रित करना चाहते थे
त्रक काग्रं ेस पार्ी कभी भी अपने दम पर भारत में शासन न कर सके . यह लोगों को त्रवभात्रजत रखने का एक
तरीका भी था.

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आगामी चैप्िसड
Next चै प्िर में पढ़ेंगे-स्वतंिता के बाद पचं ायतीराज व्यवस्था
Next चै प्िर में पढ़ेंगे-पंचायतीराज हेतु गत्रठत सत्रमत्रतयां

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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-04
स्वतत्रं ता के बाद पच
ं ायतीराज व्यवस्था
(सामुदाययक यवकास काययक्रम)
वषष 1919 के ‘म टां ेग्य-ू चेम्सफोडष सधु र’ ने स्थ नीय स्व-श सन के ववषय को प् तां ों के अवधक र क्षेत्र में स्थ न तां ररत कर
वदय । इसक अथष ये है वक स्थ नीय स्व-श सन अब प् न्तों में भ रतीय मवां त्रयों के वनयत्रां ण में थ ।

सगां ठन त्मक और र जकोषीय ब ध ओ ां के क रण इसे बड़े पैम ने पर जीवांत सांस्थ के रूप में पररणत नहीं वकय ज
सक वफर भी वषष 1925 तक आठ प्ांतों ने पांच यत अवधवनयमों को प ररत कर विय थ और वषष 1926 तक छह
देशी ररय सतों ने पांच यत क ननू प ररत कर विय थ ।

1947 में आज दी वमिने के स थ ही र ज्यों में अतां ररम सरक र क गठन हुआ। इसके तरु ां त ब द सबसे उत्तरप्देश में
और उसके ब द वबह र में स्थ नीय स्वश सन को सशक्त बन ने, ग ाँव के िोगों की उसमें भ गीद री बढ़ ने कल्य णक री
योजन ओ ां में गवत ि ने तथ स्थ नीय स्तर पर छोटे-छोटे ववव दों के आपस में सि
ु झ ने के उद्देश्य से पांच यतीर ज
अवधवनयम 1947 क गठन हुआ। इसे सवषप्थम 1948 में वबह र र ज्य में ि गू वकय गय । पर ये उस तरह क व्यवस्थ
नहीं थ वजसे हम आज ज नते है।

जब भ रत आज द हुआ तो सबसे पहिे सवां वध न बन ने के विए सवां वध न सभ क गठन वकय गय , वजसमें देश को
प्गवत के र स्ते पर िे ज ने के विए कई क ननू बने। सांववध न में ग ाँधी जी के स्वर ज के सपने को सांववध न वनम षत ओ ां
ने र ज्य के नीवत-वनदेशक तत्वों में स्थ न देकर ग ाँधीव द के प्वत अपनी वनष्ठ जत ई। परन्तु ग्र म-स्वर ज को क ननू ी
म न्यत नहीं वमि सकी, वजससे स्वश सन की मि ू भ वन स्थ वपत नहीं हो सकी।
गांधी जी के अनस ु ार पचं ायती राज- मह त्म ग धां ी जी की सक ां ल्पन र मर ज्य बन ने की है वजसमें शवक्तयों क
के न्र ग ांवों को बन य । न्य य करन , योजन बन न , उसको ि गू करन हो, प्श सन करन हो आवद श वक्तय ां ग ांव के
प स होनी च वहए, यह क म ग वां ों के िोग ही करें गे।
मह त्म ग ांधी जी के प्भ व के क रण ही भ रतीय सांववध न के अनच्ु छे द-40 में पांच यती र ज की व्यवस्थ की गयी।

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सवां वध न के भ ग-4 में अनच्ु छे द 40 में ग्र म पांच यतों के गठन और उन्होंने शवक्तय ां प्द न करने की ब त की िेवकन
सांवैधवनक दज ष नहीं वमि ।

आज दी के ब द एहस स हुआ वक ग ांवों के ववक स से ही देश क ववक स होग , इसी को ध्य न में रखते हुए 1952 में
स मदु वयक ववक स क यषक्रम च िू वकये गये, एवां 1953 में इसी क ववस्त र रूप ‘र ष्ट्रीय ववस्त र सेव ’ की शरू
ु आत
की गयी।

सन् 1952 में भ रत सरक र ने ग्र मीण ववक स (rural devlopment) पर ववशेष ध्य न वदय और इसके विए के न्र में
पचां यती र ज एवां स मदु वयक ववक स मत्रां िय की स्थ पन की गई। देश में पच
ां यती र ज को सशक्त बन ने, व्यववस्थत
ववक स की वजम्मेद री देने और इसे िोकवप्य बन ने के विए कई कवमवटयों क गठन वकय गय ।

इनमें सव षवधक महत्वपणू ष बिवांत र य मेहत सवमवत, अशोक मेहत सवमवत, वसांधवी सवमवत और वी.एन ग डवगि
सवमवत थी, वजनकी वसफ ररशें आगे चिकर पांच यती र ज अवधवनयम-1992 के बनने में महत्वपणू ष भवू मक अद की।
आज दी के ब द से ग्र मीण जनत क जीवन स्तर सधु रने के विए कें र सरक र और र ज्य सरक रों ने ग्र मीण ववक स
के विए कई क यषक्रम चि ए।

जैसे-
2 अक्टूबर, 1952 को इस उद्देश्य के स थ स मदु वयक ववक स क यषक्रम प् रम्भ वकय गय । इस क यषक्रम के अधीन
खण्ड(ब्िॉक) को इक ई म नकर इसके ववक स हेतु सरक री कमषच ररयों के स थ स म न्य जनत को ववक स की
प्वक्रय से जोड़ने क प्य स तो वकय , िेवकन जनत को अवधक र नहीं वदय गय , वजससे यह सरक री अवधक ररयों
तक ही सीवमत रह गय ।
इसके ब द 2 अक्टूबर, 1953 को र ष्ट्रीय प्स र सेव को प् रम्भ वकय गय । यह क यषक्रम भी असफि रह वजसके
ब द समय-समय पर ग्र म पांच यतों के ववक स के विए वववभन्न सवमवतयों क गठन वकय गय ।
1957 में वनव षवचत प्वतवनवधयों को भ गीद री देने तथ प्श सन की भवू मक के वि क ननू ी सि ह देने तक सीवमत
रखने से सम्बवन्धत सझु व वदए। पांच यती र ज क शभु रम्भ भी यहीं से म न ज त है जब िोगों को स्थ नीय श सन में
भ गीद री देने की ब त की गई।

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आधवु नक भ रत में र जस्थ न को पहि र ज्य होने क गौरव है, जह ाँ पहिी ब र पांच यती र ज की स्थ पन की गई। 2
वसतांबर 1959 को र जस्थ न सरक र ने ‘पांच यत सवमवत एवां वजि पररषद अवधवनयम-1959’ प ररत कर पांच यती
र ज व्यवस्थ की शरू ु आत की।
पांच यती र ज व्यवस्थ क उद्घ टन तत्क िीन प्ध नमांत्री जव हरि ि नेहरू ने 2 अक्टूबर 1959 को न गौर वजिे के
बगदरी ग ाँव से की।
भ रत में के वि नग िैंड को छोड़कर िगभग सभी र ज्यों में पच ां यती र ज प्ण िी सचु रू रुप से चि रही है। कहीं
एक-स्तरीय, कहीं वि-स्तरीय, तो कहीं वत्र-स्तरीय, पांच यती र ज प्ण िी चि रही है।

जैसे-आांध्र प्देश, वबह र, गुजर त, मध्यप्देश, उत्तरप्देश, मह र ष्ट्र, उड़ीस , इत्य वद र ज्यों में वत्र-स्तरीय पांच यती र ज
व्यवस्थ सचां वित की ज रही है। उड़ीस , हररय ण , तवमिन डु में िस्तरीय पच ां यती र ज व्यवस्थ ि गू है। जबवक
के रि, मवणपरु , वसवक्कम, वत्रपरु जैसे र ज्यों में एक स्तरीय ग्र म पांच यतें ि गू है।

नोट- मेघ िय, नग िैंड और वमजोरम जैसे र ज्यों में एक स्तरीय जनज तीय पररषद् ि गू है।

स्वतांत्र भ रत में पांच यती र ज पर विए सझु व देने हेतु अनेक सवमवतय ां बनी। वजसमें सबसे पहिे वषष 1957 में योजन
आयोग के ि र ‘स मदु वयक ववक स क यषक्रम’ और ‘र ष्ट्रीय ववस्त र सेव क यषक्रम’ के अध्ययन के विये ‘बिवतां
र य मेहत सवमवत’ क गठन वकय गय ।

भ रत के स्वतांत्र होने के िगभग 45 स ि ब द पांच यती र ज व्यवस्थ को 73व ां सांववध न सांशोधन अवधवनयम 1992
के म ध्यम से एक सांवैध वनक दज ष वदय गय । हम भ रत में पांच यती र ज के ऐवतह वसक पृष्ठभवू म को पहिे ही समझ
चकु े हैं।

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सामदु ाययक यवकास काययक्रम क्या था
योजन आयोग (Planning Commission) के प्वतवेदन में स मदु वयक ववक स के अथष को स्पष्ट करते हुए कह
गय वक ‘‘स मदु वयक ववक स एक ऐसी योजन है वजसके ि र नवीन स धनों की खोज करके ग्र मीण सम ज के
स म वजक एवां आवथषक जीवन में पररवतषन ि य ज सकत है।

प्ो.ए.आर.देसाई के अनुसार ‘‘स मदु वयक ववक स योजन एक ऐसी पद्धवत है वजसके ि र पच ां वश्रय् योजन ओ ां में
वनध षररत ग्र मों के स म वजक तथ आवथषक जीवन में रूप न्तरण की प्वक्रय प् रम्भ करने क प्यत्न वकय ज त है।
इनक त त्पयष है वक स मदु वयक ववक स एक म ध्यम है वजसके ि र पच ां वश्रय् योजन ओ ां ि र वनध षररत ग्र मीण प्गवत
के िक्ष्य को प् प्त वकय ज सकत है।

रैना (R.N. Raina) का कथन है यक ‘‘स मदु वयक ववक स एक ऐस समवन्वत क यषक्रम है जो ग्र मीण जीवन से
सभी पहिओ ु ां से है तथ धमष, ज वत स म वजक अथव आवथषक असम नत ओ ां को वबन कोई महत्व वदये, यक सम्पणू ष
ग्र मीण समदु य पर ि गू होत है।

उपयषक्त
ु पररभ ष ओ ां से स्पष्ट होत है वक स मदु वयक ववक स एक समवन्वत प्ण िी है वजसके ि र ग्र मीण जीवन के
ववक स के विए प्यत्न वकय ज त है। इस योजन में वशक्ष , प्वशक्षण, स्व स््य, कुटीर उद्योगों के ववक स, कृ वष सांच र
तथ सम ज सधु र पर बि वदय ज त है।

सामदु ाययक यवकास काययक्रम-सरक री और गैर-सरक री एजेंवसयों की सवक्रय भ गीद री के स थ जीवन के वववभन्न
पहिओ ु ां में सधु र करने के विए प् कृ वतक और म नव सांस धनों को जटु ने में, स्थ नीय स्व-सह यत ग्र म समहू ों को
बढ़ व वदय ज त है और ग वां , मोहल्िे, टोिे के ववक स में सवक्रय रूप से श वमि वकय ज त है।

इन स मदु वयक ववक स क यषक्रमों क उद्देश्य कुछ िक्ष्यों को प् प्त करन है जैसे वक-
 समदु यों के स थ क म करके स म वजक पररवतषन और न्य य ि ने के विए स मवू हक रूप से क म करन ।
 उनकी जरूरतों, अवसरों, अवधक रों और वजम्मेद ररयों की पहच न करन ।
 योजन बन न , व्यववस्थत करन और क रष व ई करन ।
 क रष व ई की प्भ वशीित और प्भ व क मल्ू य ांकन करन ।
 उत्पीड़न को चनु ौती देन और असम नत ओ ां से वनपटन ।

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Imp Points
 भ रत सरक र ने स मदु वयक ववक स क यषक्रम (CDP) के म ध्यम से समदु य के ववक स की पहि की।
 स मदु वयक ववक स क यषक्रम 2 अक्टूबर 1952 को शरू ु वकय गय थ ।
 55 स मदु वयक पररयोजन ओ ां क शभु रांभ वकय गय ।
 स मदु वयक ववक स क यषक्रम ग्र मीण क्षेत्रों के ववक स पर कें वरत थे।
 समदु य के सदस्य समदु य से सांबांवधत वकसी भी मद्दु े से सांबांवधत वनणषय िेने और हि करने में श वमि थे।
 क यषक्रम ने सांच र प्ण वियों में सधु र, देश के कृ वष क यषक्रम में पय षप्त वृवद्ध, ग्र मीण स्व स््य, स्वच्छत और
वशक्ष आवद में सधु र प्द न वकय ।
 स मदु वयक ववक स क यषक्रम क प् थवमक उद्देश्य स मदु वयक क रष व ई को बढ़ व देन , बन ए रखन , बन ए
रखन और समथषन करन थ ।
 क यषक्रम क मख्ु य उद्देश्य ग वां के िोगों के जीवन स्तर में सधु र करन थ ।
 ग ाँव के िोगों को अपने कृ वष उत्प दन को बेहतर बन ने के विए उद्योगों, वववभन्न रोजग र सवु वध ओ,ां और
प्वशक्षण स्थ वपत करने के अवसर प्द न वकए गए हैं।
 यह वसद्ध तां ों में एक समग्र दृवष्टकोण थ ।

सामुदाययक यवकास के पांच यसद्ांत थे:


 स म वजक न्य य
 आत्मवनणषय
 अवधक ररत
 म नव अवधक र
 स मवू हक क यष।

भारत सरकार के सामुदाययक यवकास मंत्रालय द्वारा इस योजना के 8 उद्देश्यों को स्पष्ट यकया गया है। ये
उद्देश्य इस प्कार हैं: -
1. ग्र मीण जनत के म नवसक दृवष्टकोण में पररवतषन ि न ।
2. ग ाँवों में उत्तरद यी तथ कुशि नेतत्ृ व क ववक स करन ।
3. सम्पणू ष ग्र मीण जनत को आत्मवनभषर एवां प्गवतशीि बन न ।
4. ग्र मीण जनत के आवथषक स्तर को ऊाँच उठ ने के विए एक ओर कृ वष क आधवु नकीकरण करन तथ दसू री
ओर ग्र मीण उद्योगों को ववकवसत करन ।
5. इन सधु रों को व्य वह ररक रूप देने के विए ग्र मीण वियों एवां पररव रों की दश में सधु र करन ।

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6. र ष्ट्र के भ वी न गररकों के रूप में यवु कों के समवु चत व्यवक्तत्व क ववक स करन ।
7. ग्र मीण वशक्षकों के वहतों को सरु वक्षत रखन ।
8. ग्र मीण समदु य के स्व स््य की रक्ष करन ।

सामुदाययक यवकास काययक्रम


भ रत में स मदु वयक ववक स क यषक्रम को ग्र मीण जीवन के ववक स के विए अब एक आवश्यक शतष के रूप में देख
ज ने िग है। यद्यवप ववगत कुछ वषों से योजन की सफित के ब रे में तरह-तरह की आशांक एाँ की ज ने िगी थीं
िेवकन इस योजन की उपिवब्धयों को देखते हुए धीरे -धीरे ऐसी आशक ां ओ ां क सम ध न होत ज रह है। इस कथन
की सत्यत इसी त्य से आाँकी ज सकती है वक सन् 1952 में इस समय सम्पणू ष भ रत में इन ववक स खण्ड़ों की सांख्य
5,304 है तथ इनके ि र आज देश की िगभग सम्पणू ष ग्र मीण जनसांख्य को वववभन्न सवु वध एाँ सवु वध एाँ प्द न की
ज रही है।
स मदु वयक ववक स क यषक्रम के वतषम न द वयत्वों तथ उपिवब्धयों को समझन आवश्यक हो ज त है-

1. समयववत ग्रामीण यवकास काययक्रम


समवन्वत ग्र मीण ववक स क यषक्रम स मदु वयक ववक स खण्डों ि र परू वकय ज ने व ि सबसे अवधक महत्चपणू ष
क यषक्रम है। इसी को अक्सर समवन्वत स मदु वयक ववक स क यषक्रम’ भी कह वदय ज त है।

2. राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार काययक्रम


ग ाँवों में बेरोजग री की समस्य क मख्ु य सम्बन्ध मौसमी तथ अद्धष-बेरोजग री से है। इसके विए वकस नों को एक ओर
कृ वष के अवतररक्त स धन उपिब्ध कर ने की आवश्यकत है तो दसू री ओर अवधक वनधषन वकस नों को ख िी समय में
रोजग र के नये अवसर देन आवश्यक है। आरम्भ में ‘काम के बदले अनाज’ योजन के ि र इस आवश्यकत को
परू करने क प्यत्न वकय गय थ िेवकन सन् 1981 से इसके स्थ न पर ‘र ष्ट्रीय ग्र मीण रोजग र क यषक्रम’ आरम्भ
वकय गय । इस क यषक्रम क मख्ु य उद्देश्य ख िी समय में कृ शकों को रोजग र के अवतररक्त अवसर देन ; उन्हें कृ वष के
उन्नत उपकरण उपिब्ध कर न तथ ग्र मीणों की आवथषक दश में सधु र करन है।

3. सखू ा-ग्रस्त क्षेत्रों के यलए काययक्रम


हम रे देश में अनेक वहस्से ऐसे हैं जहॉ अक्सर सख
ू े की समस्य उत्पन्न होती रहती है। ऐसे क्षेत्रों के विए उपयषक्त

क यषक्रम इस उद्देश्य से आरम्भ वकय गय है वक वकस नों को कम प नी में भी उत्पन्न होने व िी फसिों की ज नक री
दी ज सके , जि िोतों क अवधक वधक उपयोग वकय ज सके , वृक्ष रोपण में वृवद्ध की ज सके तथ पशओ ु ां की
अच्छी नस्ि को ववकवसत करके ग्र मीण वनधषनत को कम वकय ज सके ।

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5. मरूस्थल यवकास काययक्रम
भ रत में स मदु वयक ववक स खण्डों के म ध्यम से यह क यषक्रम सन् 1977-78 से आरम्भ वकय गय । इसक उद्देश्य
रे वगस्त नी, बांजर तथ बीहड़ क्षेत्रों की भवू म पर अवधक से अवधक हररय िी िग न , जि-स्रोतों को ढूांढकर उनक
उपयोग करन , ग्र मों में वबजिी देकर ट्यबू -वैि को प्ोत्स हन देन तथ पश-ु धन और ब गव नी क ववक स करन है।

6. जनजातीय यवकास की अग्रगामी योजना


इस योजन के अन्तगषत आन्ध्र प्रेश, मध्य प्रेश,वबह र तथ उड़ीस के कुछ आवदव सी बहुि क्षेत्रों में जनज तीय
ववक स के प्यत्न वकये गये हैं। इसके ि र आवथषक ववक स, सांच र, प्श सन, कृ वष तथ सम्बवन्धत क्षेत्रों में जनज तीय
समस्य ओ ां क गहन अध्ययन करके कल्य ण क यषक्रमों को ि गू वकय ज रह है।

7. पवयतीय यवकास की अग्रगामी योजना


पवषतीय क्षेत्र के वकस नों क सव ांगीण ववक स करने तथ उनके रहन-सहन के स्तर में सधु र करने के विए वहम चि
प्देश, उत्तर प्देश तथ तवमिन डु में यह क यषक्रम आरम्भ वकय गय । आरम्भ में इसे के वि पॉचवी पांचवश्रा
् ाीय
योजन की अववध तक ही च िू रखने क प् वध न थ िेवकन ब द में इस क यषक्रम पर छठी योजन की अववध में भी
क यष वकय गय ।

8. पौयष्टक आहार काययक्रम


यह क यषक्रम ववश्व स्व स््य सांगठन तथ यनू ीसेफ की सह यत से के न्र सरक र ि र सांच वित वकय ज त है। इसक
उद्देश्य पौवष्टक आह र के उन्नत तरीकों से ग्र मीणों को पररवचत कर न तथ प् थवमक स्तर पर स्कूिी बच्चों के विए
वदन में एक ब र पौवष्टक आह र की व्यवस्थ करन है।

9. पशु पालन
पशओु ां की नस्िों में सधु र करने तथ ग्र मीणों के विए अच्छी नस्ि के पशओ ु ां की आपवू तष करने में भी ववक स खण्डों
क योगद न वनरन्तर बढ़त ज रह है। अब प्त्येक ववक स खण्ड ि र औसतन एक वशष में उन्नत वकसत के 20
पशओ ु ां तथ िगभग 400 मवु गषयों की सप्ि ई की ज ती है तथ वशष में औसतन 530 पशओ ु ां क उन्नत तरीकों से
गभ षध न कर य ज त है। इससे ग्र मीण क्षेत्रों में पशओ
ु ां की नस्ि में वनरन्तर सधु र हो रह है।

10. ऐयछिक सगं ठनों को प्ोत्साहन


स मदु वयक ववक स क यषक्रम की सफित क मख्ु य आध र इस योजन में ऐवच्छक सगां ठनों क अवधक वधक सहभ ग
प् प्त होन है। इस क यष के विए ऐवच्छक सांगठनों के पांजीकरण के वनयमों को सरि बन न , क यषक ररणी के सदस्यों को
प्वशक्षण देन , ववशेष क यषक्रमों के वनध षरण में सह यत देन , रख-रख व के विए अनदु न देन , उनकी क यषप्ण िी क
अविोकन करन , मवहि मण्डिों को प्ेरण परु स्क र देन तथ कुछ चनु ी हुई ग्र मीण मवहि ओ ां को नेतत्ृ व क
प्वशक्षण देन आवद वे सवु वध ऐ ां हैं वजससे ऐवच्छक सांगठन ग्र मीण ववक स के विए सबसे अवधक महत्वपणू ष भवू मक
वनभ सकते हैं।

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11. स्वास््य तथा पररवार यनयोजन
ग्र मीणों में छोटे आक र के पररव रों के प्वत ज गरूकत उत्पन्न करने तथ उनके स्व स््य के स्तर में सधु र करने के
विए स मदु वयक ववक स खण्डों ने ववशेष सफित प् प्त की है। जनू 1997 तक हम रे देश में 22,000 प् थवमक
स्व स््य के न्रों तथ 1.36 ि ख से भी अवधक उपके न्रों के ि र ग्र मीण जनसख्य के स्व स््य में सधु र करने क
प्यत्न वकय गय थ । अब ववक स खण्डों ि र ग्र मीण ववस्त र सेव ओ ां के अन्तगषत ग्र मीणों को जनसांख्य सम्बन्धी
वशक्ष देने क क यष भी वकय ज ने िग है।

12. यशक्षा तथा प्यशक्षण


स मदु वयक ववक स योजन के ि र ग्र मीण वशक्ष के व्य पक प्यत्न वकये गये इसके विए ग ांवों में मवहि मण्डि,
कृ शक दि तथ यवु क मगां ि दि स्थ वपत वकये गये। समय-समय पर प्दशषवनयों, उत्सवों तथ ग्र मीण नेत ओ ां के विए
प्वशक्षण वशववरों क आयोजन करके उन्हें कृ वष और दस्तक री की व्य वह ररक वशक्ष दी ज ती है।

आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-पांच यतीर ज हेतु गवठत सवमवतय ां

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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-05
पच
ं ायतीराज हेतु गठित सठमठतयां

भारत में पंचायती राज शब्द का ऄभभप्राय ग्रामीण स्थानीय स्वशासन पद्धभत से है। यह भारत के सभी राज्यों में, जमीनी
स्तर पर लोकतंत्र के भनमााण हेतु राज्य भवधानसभाओ ं द्वारा स्थाभपत भकया गया है।

सत्ता के भवके न्द्रीकरण की भदशा में ये सबसे महत्वपणू ा कदम है। आस व्यवस्था ने ग्रामीण भवकास की भदशा और दशा
बदल के रख दी। पर स्वतंत्र भारत में आसकी शरुु अत कुछ ऄच्छी नहीं रही ढेरों सभमभतयां बनायी गइ, हजारों भसफ़ाररशें
की गइ। अगे आन्द्हीं भसफाररशों के अधार पर सभवधं ान में पच ं ायतीराज को दजाा प्राप्त हो सका।

भारत के स्वतंत्र होने के लगभग 45 साल बाद पच


ं ायती राज व्यवस्था को ‘73वां सभं वधान सश
ं ोधन ऄभधभनयम
1992’ के माध्यम से एक संवैधाभनक दजाा भदया गया।

कें र स्तर पर पचं ायती राज भनकायों से सबं ंभधत मामलों की देख-रे ख ग्रामीण भवकास मत्रं ालय द्वारा की जाती है ।
भारतीय संघीय प्रणाली में कें र और राज्यों के बीच शभियों के बााँटवारे की योजना के ऄंतगात ‘स्थानीय शासन’ का
भवषय राज्यों को भदया गया है । आस प्रकार संभवधान की सातवीं अनुसच ू ी में वभणात राज्य सचू ी में पााँचवी प्रभवभि
‘स्थानीय शासन’ से सबं ंभधत है ।

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पच
ं ायतीराज सबं ध
ं ी प्रमख
ु सठमठतयां-Committees of Panchayati Raj
वषा 1957 से पचं ायती राज्य प्रणाली की कायाप्रणाली के भवभभन्द्न पक्षों की जााँच के भलए कइ ऄध्ययन दल सभमभतयााँ
और कायादलों का गठन हुअ ।
महत्वपूर्ण सठमठतयां स्थापना वषण कायण/अध्ययन
बलवंत राय मेहता सभमभत 1957 सामदु ाभयक भवकास कायाक्रम के कायाान्द्वयन की समीक्षा।
वी.के . राव सभमभत 1960 पंचायत संबंधी सांभययकी की तका संगतता
एस.डी. भमश्र ऄध्ययन दल 1961 पंचायत एवं सहकाररता का ऄध्ययन
वी. इश्वरन ऄध्ययन दल 1961 पंचायत राज प्रशासन का ऄध्ययन
जी.अर. राजगोपाल ऄध्ययन दल 1962 न्द्याय पंचायत के गठन का ऄध्ययन
भदवाकर सभमभत 1963 ग्राम सभा की भस्थभत की समीक्षा
एम. रामा कृ ष्णनैया ऄध्ययन दल 1963 पच ं ायती राज सस्ं थाओ ं की अय-व्यय गणना का ऄध्ययन
के . संथानम सभमभत 1963 पंचायती राज संस्थाओ ं को भवत्तीय प्रावधान एवं भस्थभत की
समीक्षा
के . संथानम सभमभत 1965 पंचायती राज संस्थाओ ं के भनवााचन की रुपरे खा सम्बन्द्धी
ऄध्ययन
अर.के . खन्द्ना ऄध्ययन दल 1965 पंचायती राज संस्थाओ ं के लेखा एवं ऄंकेक्षण।
जी. रामचंरन सभमभत 1966 पंचायतों के भलए प्रभशक्षण कें रों की अवश्यकता पर ऄध्ययन।
वी. रामानाथन ऄध्ययन दल 1969 भभू म सधु ार ईपायों के कायाान्द्वयन में सामदु ाभयक भवकास
ऄभभकरण एवं पच ं ायती राज सस्ं थाओ ं की सभं लप्तता एवं भभू मका।
एम. रामा कृ ष्णनैया ऄध्ययन दल 1972 पाच ं वीं पचं वषीय योजना में सामदु ाभयक भवकास एवं पचं ायती
राज को प्रमख ु ईद्देश्य के रूप में रखना।
दया चौबे सभमभत 1976 सामदु ाभयक भवकास एवं पंचायती राज की समीक्षा।
ऄशोक मेहता सभमभत 1977 पंचायती राज के मल ू एवं प्रशासभनक ढांचे संबंधी तत्व।
दातं ेवाला सभमभत 1978 खण्ड स्तर पर योजना स्वरूप
हनमु तं राव सभमभत 1984 भजला स्तरीय योजना का स्वरूप
जी.वी.के . राव सभमभत 1985 ग्रामीण भवकास के भलए प्रशासभनक समायोजन एवं गरीबी
भनवारण कायाक्रम।
एल.एम. भसंघवी सभमभत 1986 लोकतंत्र एवं भवकास के भलए पंचायती राज संस्थाओ ं का
पनु साशिीकरण।
पी.के . थगु ंन सभमभत 1988 स्थानीय भनकायों की संवैधाभनक मान्द्यता की ऄनश ु ंसा।
गाडभगल सभमभत 1988
64वााँ संशोधन भवधेयक 1989
वी.पी.भसंह सरकार व नरभसम्हा राव सरकार 1991

यहााँ पर हम परीक्षा की दृष्टी से महत्वपूर्ण सठमठतयों के बारे में ठवस्तृत अध्ययन करेंगे
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1-बिवतं राय मेहता सठमठत
सामदु ाभयक भवकास कायाक्रम (1952) और राष्रीय भवस्तार सेवा (नेशनल एक्सटेंशन सभवास 1953) की कायाप्रणाली
की जााँच करने और आन कायाप्रणाली में सधु ार लाने संबंधी ईपाय के भलए जनवरी 1957 में भारत सरकार ने बलवंत
रायजी मेहता की ऄध्यक्षता में एक सभमभत भनयि ु की ।
सामदु ाभयक भवकास कायाक्रम (1952) और राष्रीय भवस्तार सेवा (नेशनल एक्सटेंशन सभवास 1953) के भवषय में
हमलोगों ने भपछले चैप्टर में पढ़ा
आस सभमभत ने ऄपनी ररपोटा नवबं र 1957 में प्रस्तुत की भजसमें ‘जनताभं त्रक भवकें रीकरण’ योजना स्थाभपत करने की
भसफाररश की गइ थी । आसे बाद में ‘पंचायती राज’ कहा जाने लगा था ।

सठमठत द्वारा की गई प्रमुख ठसफाररशें इस प्रकार है-


 तीन स्तरीय पचं ायती राज प्रणाली की स्थापना ऄथाात ग्राम स्तर पर ग्राम पच ं ायत, ब्लाक स्तर पर
पंचायत सठमठत और भजला स्तर पर ठजिा पररषद । आन तीनों स्तरों को एक-दसू रे के साथ जोड़े रखने के
भलए ऄप्रत्यक्ष चनु ावों को माध्यम बनाया जाना चाभहए ।
 ग्राम पंचायतों का गठन प्रत्यक्ष रूप से चनु े गए प्रभतभनभधयों को शाभमल करके भकया जाना चाभहए; जबभक
पच ं ायत सभमभत और भजला पररषद का गठन ऄप्रत्यक्ष रूप से चनु े गए प्रभतभनभधयों को शाभमल करके भकया
जाना चाभहए ।
 आन भनकायों को भनयोजन और भवकास से जड़ु े सभी काया सौंपे जाने चाभहए ।
 पच ं ायत सभमभत को कायाकारी भनकाय तथा भजला पररषद को परामशी समन्द्वयक और पयावेक्षी भनकाय
बनाया जाना चाभहए ।
 भजलाधीश को भजला पररषद का ऄध्यक्ष बनाया जाना चाभहए ।
 आन जनताभं त्रक भनकायों को अवश्यक शभियााँ और भजम्मेदारी सौंपी जानी चाभहए ।
 आनके कायों और भजम्मेदाररयों के भनवाहन के भलए आन भनकायों को पयााप्त संसाधन ईपलब्ध कराए जाने चाभहए
 आन्द्हें भभवष्य में ऄभधक ऄभधकार भदए जाने के ईपाय भी भकए जाने चाभहए ।

सभमभत की ये भसफाररशें राष्ट्रीय ठवकास पररषद द्वारा जनवरी 1958 में स्वीकार कर ली गइ थीं । पररषद ने एक
ऄके ले ऄनन्द्य पैटना पर ऄड़े रहने के बजाय पैटना का भनधाारण स्थानीय पररभस्थभतयों के ऄनसु ार करने का काया राज्यों
पर छोड़ भदया भकंतु यह भी स्पि कर भदया भक मल ू भसद्धातं और व्यापक अधार परू े देश में एक समान रहेंगे ।
सवाप्रथम पंचायती राज प्रणाली राजस्थान राज्य में कायम हुइ । तत्कालीन प्रधानमंत्री प. जवाहरलाल नेहरु ने 2
ऄक्टूबर, 1959 को नागौर भजले में आसका ईद्घाटन भकया था । आसके बाद 11ऄक्टूबर, 1959 अंध्रप्रदेश में यह
प्रणाली ऄपनाइ गइ । बाद में ऄभधकांश राज्यों ने आस प्रणाली को ऄपना भलया ।

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यद्यभप ऄभधकांश राज्यों ने पंचायती राज प्रणाली को वषा 1960 के मध्य तक ऄपना भलया था भकंतु भभन्द्न-भभन्द्न राज्यों
में स्तरों की संयया सभमभत और पररषद की परस्पर भस्थभत, ईनके कायाकाल, संरचना, काया तथा भवत्तीय प्रबंध अभद
की दृभि से समानता नहीं थी ।

उदाहरर्ाथण- राजस्थान ने तीन स्तरीय प्रणाली ऄपनाइ तो दसू री ओर तभमलनाडु ने दो स्तरीय और पभिम बंगाल ने
चार स्तरीय प्रणाली स्वीकार की । आसके ऄभतररि राजस्थान-अध्रं प्रदेश पैटना में पच
ं ायत सभमभत शभिशाली थी
क्योंभक ब्लाक ही भनयोजन और भवकास काया से जड़ु ी आकाइ थी ।
महाराष्र-गुजरात पैटना में भजला पररषद शभिशाली थी क्योंभक भनयोजन और भवकास काया से जड़ु ी आकाइ भजला ही
था। कुछ राज्यों ने छोटे-छोटे दीवानी और अपराभधक मामलों को भनपटाने के भलए न्द्याय पंचायत भी गभठत की ।

अशोक मेहता सठमठत


जनता पाटी की सरकार ने भदसंबर 1977 में पंचायती राज संस्थाओ ं के संबंध में ऄशोक मेहता की ऄध्यक्षता में एक
सभमभत भनयि ु की । आस सभमभत ने ऄपनी ररपोटा ऄगस्त 1978 में दी थी तथा ऄपनी ररपोटा में पतनोन्द्मख
ु पंचायती राज
प्रणाली के पनु रोद्धार और ईसे सदृु ढ़ता प्रदान करने से संबंभधत 132 भसफाररशें की थीं ।

आनमें से प्रमख ु भसफाररशें आस प्रकार हैं:


1. तीन स्तरीय पंचायती राज प्रणाली के स्थान पर दो स्तरीय प्रणाली होनी चाभहए ऄथाात भजला स्तर पर
भजला पररषद तथा आसके नीचे मंडल पंचायत भजसमें 15 हजार से 20 हजार की अबादी वाल गांवों को
शाभमल भकया जाए ।
2. राज्य स्तर से नीचे भजले को बेहतर पयावेक्षण के तहत भवक्रेंरीकरण का प्रथम भबंदु माना जाना चाभहए ।
3. भजला पररषद को कायाकारी भनकाय होना चाभहए तथा भजला स्तर के भनयोजन के भलए भजले को ही जवाबदेह
बनाया जाना चाभहए ।
4. पच ं ायत चनु ावों में राजनीभतक दलों की अभधकाररक भागीदारी होनी चाभहए ।
5. पंचायती राज संस्थाओ ं के पास कराधान संबंधी ऄभनवाया शभियााँ होनी चाभहएाँ ताभक ये ऄपने भलए भवत्तीय
ससं ाधनों को जटु ा सकें ।
6. भजला स्तर की एजेंसी और भवधायकों की सभमभत द्वारा पंचायती राज संस्थाओ ं के लेखा की लेखापरीक्षा
भनयभमत रूप से सबके समक्ष की जानी चाभहए ताभक यह पता लगाया जा सके भक सामाभजक और अभथाक
रूप से कमजोर वगा के भलए अबंभटत धनराभशयों को आन वगा के लोगों के भलए ही खचा भकया गया है या नहीं।
7. राज्य सरकार को पंचायती राज संस्थाओ ं का ऄभधक्रमण नहीं करना चाभहए । यभद यह भकया ही जाता है तो
ऄभधक्रमण की भतभथ से 6 माह के भीतर चनु ाव कराने चाभहए ।
8. न्द्याय पंचायतों को पंचायती भनकायों से ऄलग रखना चाभहए तथा आन न्द्याय पंचायतों की ऄध्यक्षता योग्य
न्द्यायाधीश को करनी चाभहए ।

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9. राज्य के मयु य चनु ाव ऄभधकारी को मयु य चनु ाव अयि ु की सलाह से पंचायती राज चनु ावों का अयोजन
कराना चाभहए ।
10. भवकास से जड़ु े काया भजला पररषदों को सौंप भदए जाने चाभहए और आन कायों से संबंभधत कमाचाररयों को
भजला पररषद के भनयंत्रण और पयावेक्षण में काया करना चाभहए ।
11. पंचायती राज के भलए लोगों का समथान जटु ाने में स्वयंसेवी एजेंभसयों को महत्वपणू ा भभू मका भनभानी चाभहए ।
12. राज्य की मंभत्रपररषद में, पंचायती राज संस्थाओ ं के कायों की देखरे ख के भलए पंचायती राज मंत्री भी भनयि

होना चाभहए ।
13. ऄनसु भू चत जाभत और ऄनसु भू चत जनजाभत के भलए ईनकी जनसंयया के अधार पर सीटें अरभक्षत होनी
चाभहए ।

जनता पाटी की सरकार समय से पहले भगर जाने के कारण ऄशोक मेहता सभमभत की भसफाररशों पर कें र स्तर पर कोइ
कायावाही नहीं हो सकी थी, भफर भी ऄशोक मेहता सभमभत की भसफाररशों के अलोक में कनाणटक, पठिम बगं ाि
और आध्रं प्रदेश-तीन राज्यों ने पंचायती राज प्रणाली को पनु जीभवत करने के प्रयास भकए थे ।

जी.वी.के . राव सठमठत


योजना अयोग ने वषा 1985 में ‘ग्रामीण भवकास और भनधानता ईन्द्मलू न कायाक्रमों के भलए प्रशासभनक प्रबंध’ भवषय
पर जी.वी.के . राव की ऄध्यक्षता में एक सभमभत गभठत की । सभमभत का मानना था भक भवकास धीरे -धीरे प्रभक्रया का
नौकरशाहीकरण है भजससे पंचायती राज प्रणाली के भवकास में बाधा पड़ी है ।

प्रजाताभं त्रकीकरण की बजाय भवकासात्मक प्रशासन पर नौकरशाही की छाप पड़ने से पच


ं ायती राज सस्ं थाएाँ कमजोर
हुइ हैं तथा आनकी भस्थभत ‘ठबना जड़ की घास’ की हो गइ हैं ।

पंचायती राज प्रर्ािी को सदृु ढ़ता प्रदान करने की दृठष्ट से इस सठमठत ने ठनम्नठिठखत ठसफाररशें की थीं-
 आस सभमभत ने 4 स्तरीय ढााँचे को बताया भजसमे राज्य स्तर पर राज्य भवकास पररषद,् भजला स्तर पर भजला
पररषद, मडं ल स्तर पर मडं ल पचं ायत तथा ग्राम स्तर पर ग्राम पच
ं ायत।
 भजला और भनचले स्तर पर पंचायती राज संस्थानों को ग्रामीण भवकास कायाक्रमों की देखरे ख, कायाान्द्वयन
और भनयोजन के संबंध में महत्वपणू ा भभू मका दी जानी चाभहए ।

 राज्य स्तर के भनयोजन के कुछ कायों को प्रभावी भवकें रीकृ त भजला भनयोजन के भलए भजला स्तर की भनयोजन
आकाआयों को सौंप भदया जाना चाभहए ।

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 भजला भवकास अयि ु का पद सृभजत होना चाभहए भजसे भजला पररषद के मयु य कायाकारी ऄभधकारी और
भजला स्तर पर भवकास काया से जड़ु े सभी भवभागों का प्रभारी बनाया जाना चाभहए ।
 पंचायती राज संस्थानों के भलए भनयभमत चनु ाव होने चाभहए । सभमभत ने पाया था भक एक या एक से ऄभधक
चरण के चनु ाव 11 राज्यों में कराए जाने शेष थे ।

आस प्रकार सभमभत ने फील्ड प्रशासन की भवकें रीकृ त प्रणाली की ऄपनी योजना के ऄंतगात स्थानीय भनयोजन और
भवकास काया में पंचायती राज को ऄग्रणी भभू मका प्रदान की । आस संदभा में जी. वी.के .राव सभमभत की ररपोटा (1986),
ब्लाक स्तर के भनयोजन से सबं ंभधत दातं वाला सभमभत की ररपोटा (1978) से तथा भजला स्तर के भनयोजन से सबं ंभधत
हनमु ंतराव सभमभत की ररपोटा (1984) से भभन्द्न है ।

दोनों सभमभतयों ने सझु ाव भदया था भक मल ू भतू भवकें रीकृ त भनयोजन का काया भजला स्तर पर भकया जाना चाभहए ।
हनमु ंतराव सभमभत ने मंत्री ऄथवा भजलाधीश के भनयंत्रण में पृथक भजला भनयोजन भनकायों की वकालत की थी । दोनों
मॉडलों में भवकें रीकृ त भनयोजन में भजलाधीश को महत्त्वपणू ा भभू मका भनभानी चाभहए, हााँलाभक सभमभत ने यह भी कहा
था भक पचं ायती राज सस्ं थाओ ं को भी भवकें रीकृ त भनयोजन की आस प्रभक्रया में शाभमल भकया जाना चाभहए ।

सभमभत ने भसफाररश की थी भक भजलाधीश को भजला स्तर पर भवकास और भनयोजन से जड़ु ी सभी गभतभवभधयों के
मध्य समन्द्वय स्थाभपत करना चाभहए । आस प्रकार आस सदं भा में हनमु तराव सभमभत की भसफाररशें बलवतं राय मेहता
सभमभत भारतीय प्रशासभनक सधु ार अयोग ऄशोक मेहता सभमभत और ऄंततः जी.वी.के .राव सभमभत की भसफाररशों से
भभन्द्न हैं क्योंभक आन सभमभतयों ने भजलाधीश की भवकास कायों से जड़ु ी भभू मका में कमी लाने और भवकासात्मक
प्रशासन में पचं ायती राज को बड़ी भभू मका सौंपी जाने की भसफाररश की थी ।

जी.वी.के . राव सभमभत ने भी ऄपनी भसफ़ाररश में भनयोजन एवं भवकास की ईभचत आकाइ भजला को माना और
भजला पररषद को भवकास कायाक्रमों के प्रबंधन के भलए मयु य भनकाय बनाए जाने की भसफ़ाररश की।

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एि.एम. ठसध
ं वी सठमठत
राजीव गांधी सरकार ने वषा 1986 में रीवाआटलाआजेशन अफ पचायती राज आस्ं टीट्यश
ू न फॉर डेमोक्रेसी एंड डेवलपमेंट
भवषय पर एक सभमभत एल.एम.भसंघवी की ऄध्यक्षता में गभठत की थी ।
इस सठमठत ने ठनम्नठिठखत ठसफाररशें कीं-
 पच ं ायती राज सस्ं थाओ ं को सवं ैधाभनक मान्द्यता और सरु क्षा भमलनी चाभहए ईन्द्हें बनाए रखना चाभहए और
आसके भलए संभवधान में एक नया ऄध्याय जोड़ा जाना चाभहए । आससे पंचायती राज संस्थाओ ं की पहचान
और ऄखंडता को यथोभचत और काफी हद तक बनाए रखा जा सके गा । सभमभत ने यह भी सझु ाव भदया भक
पच ं ायती राज भनकायों के भनयभमत स्वतंत्र और भनष्पक्ष चनु ावों के भलए सभं वधान में प्रावधान भी भकए जाने
चाभहए ।
 कइ ग्राम समहू ों के भलए न्द्याय पंचायतें स्थाभपत की जानी चाभहए ।
 ग्राम पचं ायतों को ऄभधक व्यवहाया बनाने के भलए गााँवों को पनु गभठा त भकया जाना चाभहए । सभमभत ने ग्राम
सभा के महत्व पर भी बल भदया तथा आसे प्रत्यक्ष जनतंत्र का प्रतीक बताया था ।
 ग्राम पंचायतों के पास ऄभधक भवत्तीय संसाधन होने चाभहए ।
 पच ं ायती राज सस्ं थानों के चनु ावों ईन्द्हें भगं करने और ईनकी कायाप्रणाली से जड़ु े भववादों के न्द्याभयक
समाधान के भलए प्रत्येक राज्य में न्द्याभयक ऄभधकरणों की स्थापना की जानी चाभहए ।

थगुं न सठमठत
1988 में, संसद की सलाहकार सभमभत की एक ईप सभमभत पी. के . थंगु न की ऄध्यक्षता में राजनीभतक और प्रशासभनक
ढांचे की जांच करने के ईद्देश्य से गभठत की गइ। आन्द्होने भी पंचायती राज्य संस्थाओ ं को संवैधाभनक मान्द्यता की बात
कही। साथ ही गााँव, प्रखंड तथा भजला स्तरों पर ठि-स्तरीय पंचायती राज को ईपयि ु बताया अभद।

गाडठगि सठमठत
1988 में वी. एन. गाडभगल की ऄध्यक्षता में एक नीभत एंव कायाक्रम सभमभत का गठन कााँग्रेस पाटी ने भकया था। आस
सभमभत से आस प्रश्न पर भवचार करने के भलए कहा गया भक पच ं ायती राज सस्ं थाओ ं (Panchayati Raj System) को
प्रभावकारी कै से बनाया जा सकता। आस सभमभत ने भी ऄपनी ररपोटा में वहीं बातें दोहराइ जैसे भक-
1. पंचायती राज संस्थाओ ं को संवैधाभनक दजाा भदया जाए।
2. गााँव, प्रखडं तथा भजला स्तर पर ठि- स्तरीय पच ं ायती राज होना चाभहए।
3. पंचायती राज संस्थाओ ं का कायाकाल पााँच वषा सभु नभित कर भदया जाए आत्याभद।
ऄतं तः गाडभगल सभमभत की ये ऄनश ु सं ाएाँ एक सश
ं ोधन भवधेयक के भनमााण का अधार बनी। और पच ं ायती राज
व्यवस्था (Panchayati Raj System) को संवैधाभनक दजाा तथा सरु क्षा देने की कवायद शरू ु हुइ।

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पच
ं ायतीराज का सठं वधानीकरर् (Constitutionalisation of Panchayati Raj)
64वााँ सशं ोधन ठवधेयक
ठसध ं वी और थगुं न सभमभत की ईि भसफाररशों की प्रभतभक्रयास्वरूप राजीव गाधं ी की सरकार जल
ु ाइ 1989 में
लोकसभा में 64वााँ संभवधान (संशोधन) भवधेयक लाइ ताभक पंचायती राज संस्थानों को ऄभधक शभियों और अधार
प्रदान भकया जा सके और ईन्द्हें सवं ैधाभनक दजाा भदया जा सके ।
यद्यभप लोकसभा ने आस भवधेयक को ऄगस्त 1989 में पाररत कर भदया था भकंतु राज्यसभा ने आसे ऄनमु ोभदत नहीं भकया
था क्योंभक भवपक्ष ने आसका भवरोध आस अधार पर भकया भक आससे संघीय प्रणाली के कें रीयकरण को बढ़ावा भमलेगा ।

वी.पी.ठसहं सरकार:
नवंबर 1989 में प्रधानमंत्री वी.पी.भसंह के नेतत्ृ व में राष्रीय मोचाा की सरकार ने सत्ता संभालते ही घोषणा की भक वह
पंचायती राज संस्थाओ ं को सदृु ढ़ता प्रदान करने की भदशा में कदम ईठाएगी । पंचायती राज संस्थाओ ं को सदृु ढ़ता
प्रदान करने सबं ंधी मदु द् ों पर चचाा के भलए वी.पी.भसहं की ऄध्यक्षता में मयु यमभं त्रयों का दो-भदवसीय सम्मेलन जनू
1990 में हुअ ।
आस सम्मेलन में नए भसरे से संभवधान संशोधन भवधेयक लाने के प्रस्ताव के प्रभत सहमभत बनी । फलस्वरूप भसतंबर
1990 में सभं वधान सश ं ोधन भवधेयक लोकसभा में प्रस्ततु हुअ था भकंतु सरकार भगरने के कारण भवधेयक भी कहीं का
नहीं रहा ।

नरठसम्हा राव सरकार:


पी.वी. नरभसम्हा राव के प्रधानमंभत्रत्व में कांग्रेस सरकार ने भी पंचायती राज संस्थाओ ं को संवैधाभनक दजाा देने के मद्दु े
पर भवचार भकया । आस सरकार ने प्रस्तावों में संशोधन कर भववादास्पद मद्दु ों को हटा भदया । ऄंततः आस सरकार ने
भसतंबर 1991 में संभवधान संशोधन भवधेयक लोकसभा में पेश भकया । यह ठवधेयक िोकसभा में 22 ठदसबं र,
1991 को और राज्यसभा में 23 ठदसबं र, 1992 को पाररत हुआ था ।
बाद में आसे 17 राज्यों की भवधानसभाओ ं ने ऄनमु ोभदत भकया और आस पर राष्रपभत ने ऄपनी सहमभत 20 ऄप्रैल,
1993 को दी । आस प्रकार आस भवधेयक ने संभवधान के 73वें (संशोधन) ऄभधभनयम 1992 का रूप ले भलया और 24
ऄप्रैल 1993 से ऄभधभनयभमत और प्रभावी हो गया ।

73वां सश
ं ोधन अठधठनयम 1992 (73rd Amendment Act of 1992)
आस ऄभधभनयम द्वारा भारतीय संभवधान में भाग IX को जोड़ भदया गया भजसका शीषाक ‘पंचायत’ रखा गया । आसमें
ऄनच्ु छे द 243 से लेकर ऄनच्ु छे द 243 ओ तक में कइ प्रावधान भकए गए हैं । आसके ऄभतररि सभं वधान में ग्यारहवीं
ऄनसु चू ी भी जोड़ी गइ है। आसमें पंचायतों के काया हेतु 29 मद हैं और ऄनच्ु छे द 243 जी से संबंभधत हैं ।

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आस ऄभधभनयम ने संभवधान के ऄनच्ु छे द 40 को व्यावहाररक रूप भदया । आस ऄनच्ु छे द में ईल्लेख है ”ग्राम पंचायतों
को संगभठत करने के भलए राज्य कदम ईठाएगा और ईनको ऐसी शभियााँ प्रदान करे गा जो ईन्द्हें स्वायत्त शासन की
आकाआयों के रूप में काया करने योग्य बनाने के भलए अवश्यक हों । यह ऄनच्ु छे द राज्य की नीभत-भनदेशक भसद्धातं ों का
एक ऄंग है ।
आस ऄभधभनयम द्वारा पंचायती राज संस्थाओ ं को संवैधाभनक दजाा भमला । पंचायती राज संस्थाएाँ संभवधान के ऄभधकार
क्षेत्र में अइ ऄथाात राज्य सरकारें नइ पचं ायती राज प्रणाली को ऄभधभनयम के प्रावधानों के ऄनसु ार ऄपनाने के भलए
संवैधाभनक तौर पर बाध्य हुइ । फलस्वरूप, पंचायतों का गठन और भनयभमत ऄंतराल पर चनु ावों का अयोजन ऄब
राज्य सरकारों की आच्छा पर भनभार नहीं रहा है ।
आस ऄभधभनयम के प्रावधानों को दो श्रेभणयों में बााँट सकते हैं- ऄभनवाया और स्वैभच्छक । ऄभधभनयम के ऄभनवाया
प्रावधानों को ईन राज्यों के काननू में शाभमल भकया जाना होगा जो नइ पच ं ायती राज प्रणाली का गठन कर रहे हों ।
दसू री ओर स्वैभच्छक प्रावधानों को काननू में राज्य के भववेकानसु ार शाभमल भकया जाना होगा । आस प्रकार स्वैभच्छक
प्रावधानों के तहत नइ पंचायती राज प्रणाली ऄपनाते समय राज्य को यह ऄभधकार होगा भक वह स्थानीय तत्वों जैसे
भौगोभलक, राजनीभतक, प्रशासभनक और ऄन्द्य तथ्यों का ध्यान रखे और ईन पर भवचार कर ऄपने भववेक से काननू में
ईन्द्हें स्थान दे ।
दसू रे शब्दों में, आस ऄभधभनयम से भारतीय संघीय प्रणाली में कें र और राज्यों के मध्य संवैधाभनक संतुलन पर कोइ
प्रभाव नहीं पड़ा । यद्यभप यह राज्य के भवषय से सबं ंभधत कें रीय काननू है (जैसा भक स्थानीय सरकार को सभं वधान की
सातवीं ऄनसु चू ी के ऄंतगात राज्य सचू ी में शाभमल भकया गया है) भफर भी यह ऄभधभनयम ईन राज्यों के ऄभधकार क्षेत्र
का ईल्लंघन नहीं करता है भजन्द्हें पंचायत के संबंध में पयााप्त भववेकाधीन शभियों दी गइ हैं ।

अठनवायण प्रावधान (Mandatory Provision)


(1) एक गााँव या गााँव के समहू में ग्राम सभा का गठन
(2) गााँव स्तर पर, माध्यभमक स्तर एवं भजला स्तर पर पंचायतों की स्थापना
(3) माध्यभमक और भजला स्तर के प्रमख ु ों के भलए ऄप्रत्यक्ष चनु ाव
(4) पंचायतों में चनु ाव लड़ने के भलए न्द्यनू तम अयु 21 वषा होनी चाभहए
(5) सभी स्तरों पर ऄनसु भू चत जाभत एवं जनजभतयों के भलए अरक्षण सभी स्तरों पर एक-भतहाइ पद मभहला के भलए
अरभक्षत
(6) पंचायतों के साथ ही मध्यवती एवं भजला भनकायों का कायाकाल पााँच वषा होनी चाभहए
(7) पंचायती राज संस्थाओ ं में चनु ाव कराने के भलए राज्य भनवााचन अयोग की स्थापना
(9) पचं ायतों की भवत्तीय भस्थभत का समीक्षा करने के भलए प्रत्येक पााँच वषा बाद एक राज्य भवत्त अयोग की स्थापना
की जानी चाभहए।

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स्वैठछिक प्रावधान (Optional Provision)
(1) भवधानसभाओ ं एवं संसदीय भनवााचन क्षेत्र भवशेष के ऄंतगात अने वाली सभी पंचायती राज संस्थाओ ं में संसद
और भवधानमडं ल के प्रभतभनभधयों को शाभमल भकया जाना।
(2) पंचायत के भकसी भी स्तर पर भपछड़े वगा के भलए स्थानों का अरक्षण
(3) पंचायतें स्थानीय सरकार के रूप में काया कर सकें , आस हेतु ईन्द्हे ऄभधकार एवं शभियााँ देना
(4) पचं ायतों को सामाभजक न्द्याय एवं अभथाक भनकाय के भलए योजनाएाँ तैयार करने के भलए शभियों और दाभयत्वों
का प्रत्यायन और संभवधान की 11वीं ऄनसु चू ी के 29 प्रकायाातम् क, में से सभी ऄथवा कुछ को सम्पन्द्न करना
(5) पंचायतों को भवत्तीय ऄभधकार देना, ऄथाात ईन्द्हे ईभचत कर, पथकर और शल्ु क अभद के अरोपण और संग्रहण
के भलए प्राभधकृ त करना। अभद।

यह ऄभधभनयम देश में सबसे भनचले स्तर की जनतांभत्रक संस्थाओ ं के क्रभमक भवकास की भदशा में महत्त्वपणू ा ईपलभब्ध
का द्योतक है । आसके फलस्वरूप प्रभतभनभधपरक जनतंत्र का स्थान भागीदाररता पर अधाररत जनतंत्र ने ले भलया । यह
देश में सबसे भनचले स्तर पर जनतंत्र भनमााण की क्राभं तकारी धारणा है ।
इस अठधठनयम की ठवशे षताएं इस प्रकार हैं-
ग्रामसभा:
ऄभधभनयम के तहत पचं ायती राज प्रणाली के अधार के रूप में ग्रामसभा का प्रावधान है । ग्रामसभा एक भनकाय है
भजसके तहत पंचायत क्षेत्र में अने वाले गााँवों की मतदाना सचू ी में पंजीकृ त व्यभि शाभमल होते हैं । आस प्रकार
ग्रामसभा गााँवों का संगठन है भजसमें भकसी पंचायत क्षेत्र के सभी पंजीकृ त मतदाता शाभमल होते हैं ग्रामसभा राज्य के
भवधान द्वारा भनधााररत गााँव स्तर के सभी कायों का भनष्पादन और शभियों का प्रयोग करती है ।

तीन स्तरीय प्रर्ािी


ऄभधभनयम में प्रत्येक राज्य में तीन स्तरीय प्रणाली का प्रावधान है- ऄथाात ग्राम मध्यवती और भजला स्तर पर पंचायत
प्रणाली ।
अठधठनयम में इन सभी शब्दों को इस प्रकार पररभाठषत ठकया गया है-
 पंचायत का अशय है ग्रामीण क्षेत्रों के भलए स्वशासन की संस्था ईसका नाम जो भी हो ।
 ग्राम का अशय ईस ग्राम से है भजसे राज्यपाल ने पंचायत के प्रयोजन से सावाजभनक ऄभधसचू ना में ग्राम या
ग्राम समहू के रूप में शाभमल भकया है ।
 मध्यवती स्तर का अशय ईस स्तर से है भजसे राज्यपाल ने सावाजभनक ऄभधसचू ना के द्वारा आस प्रयोजन से
गांव और भजला स्तर के मध्य भनधााररत भकया है ।
 भजला का अशय राज्य के भकसी भजले से है ।

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सीटों का आरक्षर्
ऄनच्ु छे द 243(D) के तहत यह ऄभधभनयम प्रत्येक पंचायत में ऄनसु भू चत जाभत एवं जनजाभत को ईनकी संयया के
कुल जनसयया के ऄनपु ात में सीटों पर अरक्षण ईपलब्ध कराता है। राज्य भवधानमडं ल गााँव या ऄन्द्य स्तर पर
पंचायतों में ऄनसु भू चत जाभत एवं जनजाभत के भलए ऄध्यक्ष के पद के भलए अरक्षण भी प्रदान करे गा।

आस प्रकार, आस ऄभधभनयम के द्वारा देशभर में पच


ं ायती राज की सरं चना में एकरूपता बनाए रखी गइ है । यह
ईल्लेखनीय है भक 20 लाख से कम की अबादी वाला राज्य मध्यवती स्तर की पंचायत गभठत नहीं कर सकता है ।
राष्रीय भवकास पररषद क्या है

73वां संशोधन की भवशेषताओ ं और ऄनच्ु छे दों का भवस्ततृ ऄध्ययन हम ऄगले चैप्टर में करें गे

राष्ट्रीय ठवकास पररषद- National Development Council (NDC)


राष्रीय भवकास पररषद हमारे संघीय लोकतंत्र में एक ऄभद्वतीय काया करती है। यह भवकास से संबंभधत भवषयों पर
भवचार-भवमशा करने और भनणाय लेने के भलए सवोच्च स्तर की संस्था है। सरकार के एक प्रस्ताव द्वारा 6 अगस्त,
1952 ई० को राष्रीय भवकास पररषद का गठन हुअ था । राष्रीय भवकास पररषद (एनडीसी) एक कायाकारी भनकाय है।
पंचवषीय योजना के माध्यम से देश के सवाांगीण भवकास हेतु योजना अयोग का गठन भकया गया था।
योजना अयोग द्वारा भनभमात पंचवषीय योजना के ऄनमु ोदन हेतु एनडीसी का गठन भकया गया।

प्रधानमत्रं ी, राष्रीय भवकास पररषद के ऄध्यक्ष होते है । भारतीय सघं के सभी राज्यों के मयु यमत्रं ी एवं योजना अयोग
(ऄब नीभत अयोग) के सभी सदस्य आसके पदेन सदस्य होते हैं।

राष्ट्रीय ठवकास पररषद की सरं चना


राष्रीय भवकास पररषद में भनम्नभलभखत सदस्य शाभमल होते है:
(1) भारत के प्रधानमंत्री (ऄध्यक्ष)
(2) सभी राज्यों के मयु यमत्रं ी
(3) सभी कें र शाभसत प्रदेशों के प्रशासक
(4) सभी कै भबनेट मंत्री
(5) योजना अयोग(नीभत अयोग) के सदस्य

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राष्ट्रीय ठवकास पररषद के उद्देश्य
राष्रीय भवकास पररषद पहले योजना अयोग के भलए एक सलाहकारी भनकाय एवं योजनाओ ं का ऄनमु ोदनकताा के
रूप मे था। देश के भवकास को प्रभाभवत करने वाले प्रमख
ु सामाभजक और अभथाक नीभतगत मद्दु ों पर भवचार करना।
Key Points-
 राष्रीय भवकास पररषद (NDC) पंचवषीय योजनाओ ं को मंजरू ी देने के भलए भारत की सवोच्च संस्था है,
भजसकी स्थापना 6 ऄगस्त, 1952 को हुइ थी।
 प्रधानमत्रं ी राष्रीय भवकास पररषद की ऄध्यक्षता करते हैं।
 राष्रीय भवकास पररषद (NDC) का मयु यालय नइ भदल्ली में है।
 पहली पंचवषीय योजना राष्रीय भवकास पररषद की स्वीकृ भत के भबना ऄपनाइ गइ एकमात्र योजना थी।
 जवाहरलाल नेहरू ने नवबं र 1952 में NDC की पहली बैठक की ऄध्यक्षता की।

राष्रीय भवकास पररषद के भवषय में और हम एक वीभडयो में ऄलग से भवस्ततृ रूप में कवर करें गे।

आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्राम पचं ायत, पचं ायत सभमभत, भजला पररषद् के सदस्य, कायाकाल, चनु ाव, अरक्षण आत्याभद
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-73वां और 74वां संशोधन, भाग-9 और आनसे सम्बंभधत ऄनच्ु छे द

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VPO Exam Special Classes
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ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-06
73वां सववधं ान ससं ोधन अवधवनयम
भाग-9-अनुच्छे द-243-243(A) to 243(O)
Part-01

73व ां सववांध न सांसोधन के ववषय में हमने विछले चैप्टर में भी िढ़ थ । ाऄवनव यय और स्वेवछछक ववषय देखें थे।
ग्र म िचां यतों के गठन क स्तर िढ़ थ ।

73वें सांववध न सांशोधन ाऄवधवनयम (73rd Amendment Act) के तहत भ ग-9 को जोड़ गय और ाआसक शीषयक
िचां यत रख गय । भ ग-9 के दो ाईिभ ग भी है। ाआस प्रक र-
भाग-9-पच ं ायत- अनच्ु छे द 243 A (क) से 243 O(ण)
भाग-9-(क)-नगरपाविकाए-ं अनुच्छे द 243 P(त) से 243 ZG(य छ)
भाग-9-(ख)-सहकारी सवमवतयां-अनुच्छे द 243(य ज) से 243(य न)

हम र ववषय िांचयतों से सम्बांवधत है ाऄताः हम यह ाँ िांच यतों एवां ाआसके सभी ाऄनछु छे दों को ववस्तृत रूि से िढ़ेंगे।

सववधां न की भ ष में

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भारतीय सवं वधान का 73वां सश
ं ोधन (73rd Amendment of the Indian Constitution)
73व ां सांववध न सांशोधन ाऄवधवनयम 1992 के तहत िांच यत सांस्थ ओ ां को सांवैध वनक दज य प्रद न वकय गय थ ।
ाआस ससां श
ां ोधन ाऄवधवनयम के तहत वनम्न प्र वध न वकये गए थे-
 सांववध न में 73वें सांववध न सांशोधन ाऄवधवनयम (73rd Amendment Act) के तहत भ ग IX क शीषयक
िांच यत रख गय ।
 भ ग IX में ाऄनछु छे द 243(A) से 243(O) के प्र वध न सवम्मवलत वकये गए।
 सांववध न में एक नयी 11वीं ाऄनसु चू ी जोड़ी गाइ वजसमें 29 क ययक री ववषय श वमल करके िांच यतों को ाईन
िर क यय करने की शवि प्रद न की गाइ।

73वें सवं वधान सश


ं ोधन अवधवनयम से सबं ंवधत अनुच्छे द
73वें सांववध न सांशोधन ाऄवधवनयम ने भ रतीय सांववध न में एक नय भ ग IX सवम्मवलत वकय है। ाआसक ाईल्लेख
िांच यतों के रूि में वकय गय थ और ाऄनछु छे द 243 से 243 (ओ) के प्र वध नों को श वमल वकय गय वजनक
ाईल्लेख नीचे वकय गय है|
 ाऄनछु छे द 243 –िररभ ष एाँ
 ाऄनछु छे द 243 क (A) – ग्र मसभ
 ाऄनछु छे द 243 ख (B) – ग्र म िांच यतों क गठन
 ाऄनछु छे द 243 ग (C) – िांच यतों की सांरचन
 ाऄनछु छे द 243 घ (D) – स्थ नों क ाअरक्षण
 ाऄनछु छे द 243 ङ (E) – िांच यतों की क ययक ल
 ाऄनछु छे द 243 च (F) – सदस्यत के वलए ाऄयोग्यत एाँ
 ाऄनछु छे द 243 छ (G) – िचां यतों की शविय ाँ , प्र वधक र और ाईत्तरद वयत्व
 ाऄनछु छे द 243 ज (H) – िांच यतों द्व र कर लग ने की शविय ाँ और ाईनकी वनवधय ाँ
 ाऄनछु छे द 243 झ (I) – ववत्तीय वस्थवत के िनु ववयलोकन के वलए ववत्त ाअयोग क गठन
 ाऄनछु छे द 243 ञ (J) – िांच यतों की लेख ओ ां की सांिरीक्ष
 ाऄनछु छे द 243 ट (K) – िचां यतों के वलए वनव यचन
 ाऄनछु छे द 243 ठ (L) – सांघ र ज्यों क्षेत्रों को ल गू होन
 ाऄनछु छे द 243 ड (M) – ाआस भ ग क कवतिय क्षेत्रों को ल गू न होन
 ाऄनछु छे द 243 ढ (N) – ववद्यम न वववधयों और िच ां यतों क बन रहन
 ाऄनछु छे द 243 ण (O) – वनव यचन सम्बन्धी म मलों में न्य य लयों के हस्तक्षेि क वणयन

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11वीं अनस ु च ू ी में शावमि ववषय-(29)
1. कृ वष (कृ वष ववस्त र श वमल)।
2. भवू म ववक स, भवू म सधु र क य यन्वयन, चकबांदी और भवू म सरां क्षण।
3. लघु वसांच ाइ, जल प्रबांधन और जल-ववभ जक क्षेत्र क ववक स।
4. िशिु लन, डेयरी ाईद्योग और कुक्कुट ि लन।
5. मत्स्य ाईद्योग।
6. स म वजक व वनकी और फ मय व वनकी।
7. लघु वन ाईिज।
8. लघु ाईद्योग वजसके ाऄांतगयत ख द्य प्रसांस्करण ाईद्योग भी श वमल हैं।
9. ख दी, ग्र म ाईद्योग एवां कुटीर ाईद्योग।
10. ग्र मीण ाअव सन।
11. िेयजल।
12. ाइधन ां और च र ।
13. सड़कें , िवु लय , िल ु , फे री, जलम गय और ाऄन्य सांच र स धन।
14. ग्र मीण ववद्यतु ीकरण, वजसके ाऄांतगयत ववद्यतु क ववतरण श वमल है।
15. ाऄि रांिररक ाउज य स्रोत।
16. गरीबी ाईन्मल ू न क ययक्रम।
17. वशक्ष , वजसके ाऄांतगयत प्र थवमक और म ध्यवमक ववद्य लय भी हैं।
18. तकनीकी प्रवशक्षण और व्य वस वयक वशक्ष ।
19. प्रौढ़ और ाऄनौिच ररक वशक्ष ।
20. िस्ु तक लय।
21. स ांस्कृ वतक वक्रय कल ि।
22. ब ज र और मेले।
23. स्व स््य और स्वछछत (ाऄस्ित ल, प्र थवमक स्व स््य कें द्र और औषध लय)।
24. िररव र कल्य ण।
25. मवहल और ब ल ववक स।
26. सम ज कल्य ण (वदव्य ांग और म नवसक रूि से मांद व्यवियों क कल्य ण)।
27. दबु यल वगों क तथ वववशष्टतय ाऄनसु वू चत ज वत और ाऄनसु वू चत जनज वत क कल्य ण।
28. स वयजवनक ववतरण प्रण ली।
29. स मदु वयक ाअवस्तयों क ाऄनरु क्षण।

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243-पररभाषाएं
(क) वकसी र ज्य क वजल
(ख) ग्र म सभ -वनव यचक न म वली में रवजस्रीकॄत व्यवियों से वमलकर बन वनक य
(ग) मध्यवती स्तर
(घ) िांच यत से ग्र मीण क्षेत्रों के वलए ाऄनछु छे द 243ख के ाऄधीन गवठत स्व यत्त श सन की कोाइ सांस्थ
(ङ) िच ां यत क्षेत्र-िचां यत क प्र देवशक क्षेत्र
(च) जनसांख्य
(छ) ग्र म-ाआसके ाऄांतगयत ाआस प्रक र वववनवदयष्ट ग्र मों क समहू भी है

243A(क)-ग्राम सभा
ग्र म सभ , ग्र म स्तर िर ऐसी शवियों क प्रयोग और ऐसे कॄत्यों क ि लन कर सके गी, जो वकसी र ज्य के ववध न-
मांडल द्व र , वववध द्व र , ाईिबांवधत वकए ज एां ।

243B(ख)-पच ं ायतों का गठन


(1) प्रत्येक र ज्य में ग्राम, मध्यवती और वजिा स्तर िर ाआस भ ग के ाईिबांधों के ाऄनसु र िांच यतों क गठन वकय
ज एग ।
(2) खडां (1) में वकसी ब त के होते हुए भी, मध्यवती स्तर िर िच
ां यत क ाईस र ज्य में गठन नहीं वकय ज सके ग
वजसकी जनसांख्य 20 ल ख से ाऄनवधक है ।

243C(ग)-पच ं ायतों की सरं चना


(1) ाआस भ ग के ाईिबांधों के ाऄधीन रहते हुए, वकसी राज्य का ववधान-मडं ि, वववध द्व र , िच ां यतों की सरां चन की
ाईिबांध कर सके ग
िरांतु वकसी भी स्तर िर िचां यत के प्र देवशक क्षेत्र की जनसख्ां य क ऐसी िच ां यत में वनव यचन द्व र भरे ज ने व ले
स्थ नों की सांख्य से ाऄनिु त समस्त र ज्य में यथ स ध्य एक ही हो ।
(2) वकसी िांच यत के सभी स्थ न, िांच यत क्षेत्र में प्र देवशक वनव यचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष वनव यचन द्व र चनु े हुए व्यवियों
से भरे ज एगां े और ाआस प्रयोजन के वलए, प्रत्येक िच ां यत क्षेत्र को प्र देवशक वनव यचन-क्षेत्रों में ऐसी रीवत से ववभ वजत
वकय ज एग वक प्रत्येक वनव यचन-क्षेत्र की जनसांख्य क ाईसको ाअबांवटत स्थ नों की सांख्य से ाऄनिु त समस्त
िांच यत क्षेत्र में यथ स ध्य एक ही हो ।

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(3) वकसी राज्य का ववधान-मडं ि, वववध द्वारा(Imp)
(क) ग्र म स्तर िर िांच यतों के ाऄध्यक्षों क मध्यवती स्तर िर िांच यतों में य ऐसे र ज्य की दश में, जह ां मध्यवती स्तर
िर िच ां यतें नहीं हैं, वजल स्तर िर िचां यतों में
(ख) मध्यवती स्तर िर िांच यतों के ाऄध्यक्षों क वजल स्तर िर िांच यतों में,
(ग) लोक सभ के ऐसे सदस्यों क और र ज्य की ववध न सभ के ऐसे सदस्यों क , जो ाईन वनव यचन क्षेत्रों क
प्रवतवनवधत्व करते हैं वजनमें ग्र म स्तर से वभन्न स्तर िर कोाइ िच
ां यत क्षेत्र िणु यताः य भ गताः सम ववष्ट है, ऐसी िचां यत
में;
(घ) र ज्य सभ के सदस्यों क और र ज्य की ववध न िररषद् के सदस्यों क , जह ां वे
मध्यवती स्तर िर वकसी िांच यत क्षेत्र के भीतरवनव यचकों के रूि में रवजस्रीकॄत है, मध्यवती स्तर पर पंचायत में
वजल स्तर िर वकसी िांच यत क्षेत्र के भीतर वनव यचकों के रूि में रवजस्रीकॄत हैं, वजिा स्तर पर पंचायत में,
प्रवतवनवधत्व करने के वलए ाईिबांध कर सके ग ।

(4) वकसी िांच यत के ाऄध्यक्ष और वकसी िांच यत के ऐसे ाऄन्य सदस्यों को, च हे वे िांच यत क्षेत्र में प्र देवशक
वनव यचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष वनव यचन द्व र चनु े गए हों य नहीं , िांच यतों के ाऄवधवेशनों में मत देने क ाऄवधक र होग ।

(5)(क) ग्र म स्तर िर वकसी िांच यत के ाऄध्यक्ष क वनव यचन ऐसी रीवत से, जो र ज्य के ववध न-मांडल द्व र , वववध
द्व र , ाईिबांवधत कीज ए, वकय ज एग और
(ख) मध्यवती स्तर य वजल स्तर िर वकसी िांच यत के ाऄध्यक्ष क वनव यचन, ाईसके वनव यवचत सदस्यों द्व र ाऄिने में
से वकय ज एग ।

243D(घ)-स्थानों का आरक्षण
(1) प्रत्येक िांच यत में
(क) ाऄनसु वू चत ज वतयों और
(ख) ाऄनसु वू चत जनज वतयों, के वलए स्थ न ाअरवक्षत रहेंगे और ाआस प्रक र ाअरवक्षत स्थ नों की सांख्य क ाऄनिु त ,
ाईस िांच यत में प्रत्यक्ष वनव यचन द्व र भरे ज ने व ले स्थ नों की कुल सांख्य से यथ शकक़्य वही होग जो ाईस िांच यत
क्षेत्र में ाऄनसु वू चत ज वतयों की ाऄथव ाईस िचां यत क्षेत्र में ाऄनसु वू चत जनज वतयों की जनसख्ां य क ाऄनिु त ाईस क्षेत्र
की कुल जनसांख्य से है और ऐसे स्थ न वकसी िांच यत में वभन्न-वभन्न वनव यचन क्षेत्रों को चक्र नक्र ु म से ाअबांवटत वकए
ज सकें गे ।
(2) खांड (1) के ाऄधीन ाअरवक्षत स्थ नों की कुल सांख्य के कम से कम एक-वतह ाइ स्थ न, यथ वस्थवत, ाऄनसु वू चत
ज वतयों य ाऄनसु वू चत जनज वतयों की वियों के वलए ाअरवक्षत रहेंगे ।

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(3) प्रत्येक िांच यत में प्रत्यक्ष वनव यचन द्व र भरे ज ने व ले स्थ नों की कुल सांख्य के कम से कम एक-वतह ाइ स्थ न
(वजनके ाऄतां गयत ाऄनसु वू चत ज वतयों और ाऄनसु वू चत जनज वतयों की वियों के वलए ाअरवक्षत स्थ नों की सख्ां य भी है)
वियों के वलए ाअरवक्षत रहेंगे और ऐसे स्थ न वकसी िांच यत में वभन्न-वभन्न वनव यचन-क्षेत्रों को चक्र नक्र
ु म से ाअबांवटत
वकए ज सकें गे ।

(4) ग्र म य वकसी ाऄन्य स्तर िर िचां यतों में ाऄध्यक्षों के िद ाऄनसु वू चत ज वतयों, ाऄनसु वू चत जनज वतयों और वियों
के वलए ऐसी रीवत से ाअरवक्षत रहेंग,े जो र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र , ाईिबांवधत करे

िरांतु वकसी र ज्य में प्रत्येक स्तर िर िचां यतों में ाऄनसु वू चत ज वतयों और ाऄनसु वू चत जनज वतयों के वलए ाअरवक्षत
ाऄध्यक्षों के िदों की सांख्य क ाऄनिु त, प्रत्येक स्तर िर ाईन िांच यतों में ऐसे िदों की कुल सांख्य से यथ शक्य वही
होग , जो ाईस र ज्य में ाऄनसु वू चत ज वतयों की ाऄथव ाईस र ज्य में ाऄनसु वू चत जनज वतयों की जनसांख्य क ाऄनिु त
ाईस र ज्य की कुल जनसख्ां य से है
िरांतु यह और वक प्रत्येक स्तर िर िांच यतों में ाऄध्यक्षों के िदों की कुल सांख्य के कम से कम एक-वतह ाइ िद वियों
के वलए ाअरवक्षत रहेंगे

िरांतु यह भी वक ाआस खांड के ाऄधीन ाअरवक्षत िदों की सांख्य प्रत्येक स्तर िर वभन्न-वभन्न िांच यतों को चक्र नक्र
ु म से
ाअबांवटत की ज एगी ।

(5) खांड (1) और खांड (2) के ाऄधीन स्थ नों क ाअरक्षण और खांड (4) के ाऄधीन ाऄध्यक्षों के िदों क ाअरक्षण
(जो वियों के वलए ाअरक्षण से वभन्न है) ाऄनछु छे द 334 में वववनवदयष्ट ाऄववध की सम वि िर प्रभ वी नहीं रहेग ।

(6) ाआस भ ग की कोाइ ब त वकसी र ज्य के ववध न-मांडल को विछड़े हुए न गररकों के वकसी वगय के िक्ष में वकसी स्तर
िर वकसी िांच यत में स्थ नों के य िांच यतों में ाऄध्यक्षों के िदों के ाअरक्षण के वलए कोाइ ाईिबांध करने से वनव ररत
नहीं करे गी ।
To Be Continue…

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243E(ङ)-पच ं ायतों की अववध
1) प्रत्येक िांच यत, यवद तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध के ाऄधीन िहले ही ववघवटत नहीं कर दी ज ती है तो, ाऄिने
प्रथम ाऄवधवेशन के वलए वनयत त रीख से ि चां वषय तक बनी रहेगी, ाआससे ाऄवधक नहीं ।

(2) तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध के वकसी सांशोधन से वकसी स्तर िर ऐसी िांच यत क , जो ऐसे सांशोधन के ठीक िवू य
क यय कर रही है, तब तक ववघटन नहीं होग जब तक खडां (1) में वववनवदयष्ट ाईसकी ाऄववध सम ि नहीं हो ज ती ।

(3) वकसी िांच यत क गठन करने के वलए वनव यचन,


(क) खांड (1) में वववनवदयष्ट ाईसकी ाऄववध की सम वि के िवू य
(ख) ाईसके ववघटन की त रीख से छह म स की ाऄववध की सम वि के िवू ,य िरू वकय ज एग

िरांतु जह ां वह शेष ाऄववध, वजसके वलए कोाइ ववघवटत िच


ां यत बनी रहती, छह म स से कम है वह ां ऐसी ाऄववध के
वलए ाईस िचां यत क गठन करने के वलए ाआस खांड के ाऄधीन कोाइ वनव यचन कर न ाअवश्यक नहीं होग ।

(4) वकसी िचां यत की ाऄववध की सम वि के िवू य ाईस िच


ां यत के ववघटन िर गवठत की गाइ कोाइ िचां यत, ाईस ाऄववध
के के वल शेष भ ग के वलए बनी रहेगी वजसके वलए ववघवटत िच ां यत खडां (1) के ाऄधीन बनी रहती, यवद वह ाआस
प्रक र ववघवटत नहीं की ज ती ।

243F(च)-सदस्यता के विए वनरहहताएं


(1) कोाइ व्यवि वकसी िांच यत क सदस्य चनु े ज ने के वलए और सदस्य होने के वलए वनरवहयत होग ,–

(क) यवद वह सांबांवधत र ज्य के ववध न-मांडल के वनव यचनों के प्रयोजनों के वलए तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध द्व र य
ाईसके ाऄधीन ाआस प्रक र वनरवहयत कर वदय ज त है :
िरांतु कोाइ व्यवि ाआस ाअध र िर वनरवहयत नहीं होग वक ाईसकी ाअयु फछचीस वषय से कम है, यवद ाईसने 21 वषय की
ाअयु प्र ि कर ली है
(ख) यवद वह र ज्य के ववध न-मडां ल द्व र बन ाइ गाइ वकसी वववध द्व र य ाईसके ाऄधीन ाआस प्रक र वनरवहयत कर वदय
ज त है ।

(2) यवद यह प्रश्न ाईठत है वक वकसी िांच यत क कोाइ सदस्य खांड (1) में व वणयत वकसी वनरहयत से ग्रस्त हो गय है य
नहीं तो वह प्रश्न ऐसे प्र वधक री को, और ऐसी रीवत से, जो र ज्यक ववध न-मडां ल, वववध द्व र , ाईिबांवधत करे,
वववनश्चय के वलए वनदेवशत वकय ज एग ।

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243G(छ)-पच ं ायतों की शवियां , प्रावधकार और उत्तरदावयत्व
सांववध न के ाईिबांधों के ाऄधीन रहते हुए , वकसी र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र , िांच यतों को ऐसी शविय ां
और प्र वधक र प्रद न कर सके ग , जो ाईन्हें स्व यत्त श सन की सस्ां थ ओ ां के रूि में क यय करने में समथय बन ने के वलए
ाअवश्यक हों और ऐसी वववध में िांच यतों को ाईियि ु स्तर िर, ऐसी शतों के ाऄधीन रहते हुए , जो ाईसमें वववनवदयष्ट
की ज एां , वनम्नवलवखत के सांबांध में शविय ां और ाईत्तरद वयत्व न्य गत करने के वलए ाईिबांध वकए ज सकें गे, ाऄथ यत्
(क) ाअ वथयक ववक स और स म वजक न्य य के वलए योजन एां तैय र करन
(ख) ाअ वथयक ववक स और स म वजक न्य य की ऐसी स्कीमों को, जो ाईन्हें सौिीं ज ए,ां वजनके ाऄांतगयत वे स्कीमें भी
हैं, जो ग्य रहवीं ाऄनसु चू ी में सचू ीबद्ध ववषयों के सांबांध में हैं, क य यवन्वत करन ।

243H(ज)-पच ं ायतों द्वारा कर अवधरोवपत करने की शवियां और उनकी वनवधयां


वकसी र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र ,–
(क) ऐसे कर, शल्ु क, िथकर और फीसें ाईद्गहॄ ीत, सगां हॄ ीत और वववनयोवजत करने के वलए वकसी िच
ां यत को, ऐसी
प्रवक्रय के ाऄनसु र और ऐसे वनबंधनों के ाऄधीन रहते हुए , प्र वधकॄत कर सके ग ;

(ख) र ज्य सरक र द्व र ाईद्गहॄ ीत और सगां हॄ ीत ऐसे कर, शल्ु क, िथकर और फीसें वकसी िच
ां यत को, ऐसे प्रयोजनों के
वलए , तथ ऐसी शतों और वनबंधनों के ाऄधीन रहते हुए , समनवु दष्ट कर सके ग ;

(ग) र ज्य की सवां चत वनवध में से िचां यतों के वलए ऐसे सह यत -ाऄनदु न देने के वलए ाईिबांध कर सके ग ;और

(घ) िांच यतों द्व र य ाईनकी ओर से क्रमशाः प्र ि वकए गए सभी धनों को जम करने के वलए ऐसी वनवधयों क
गठन करने और ाईन वनवधयों में से ऐसे धनों को वनक लने के वलए भी ाईिबांध कर सके ग , जो वववध में वववनवदयष्ट वकए
ज एां ।

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243I(झ)-ववत्तीय वस्थवत के पनु ववहिोकन के विए ववत्त आयोग का गठन
(1) र ज्य क र ज्यि ल, सांववध न (वतहत्तरव ां सांशोधन) ाऄवधवनयम, 1992 के प्र रांभ से एक वषय के भीतर यथ शीघ्र,
और तत्िश्च त, प्रत्येक ि चां वें वषय की सम वि िर, ववत्त ाअयोग क गठन करे ग जो िचां यतों की ववत्तीय वस्थवत क
िनु ववयलोकन करे ग , और जो

(क)(त)् र ज्य द्व र ाईद्गहॄ ीत करों, शल्ु कों, िथकरों और फीसों के ऐसे शद्ध
ु ाअगमों के र ज्य और िच
ां यतों के बीच, जो
ाआस भ ग के ाऄधीन ाईनमें ववभ वजत वकए ज एां , ववतरण को और सभी स्तरों िर िांच यतों के बीच ऐसे ाअगमों के
तत्सांबांधी भ ग के ाअबांटन को ;
(त्त)् ऐसे करों, शल्ु कों, िथकरों और फीसों के ाऄवध रण को, जो िांच यतों को समनवु दष्ट की ज सकें गी य ाईनके द्व र
वववनयोवजत की ज सकें गी ;
(त्त्त)् र ज्य की सांवचत वनवध में से िांच यतों के वलए सह यत ाऄनदु न को, श वसत करने व ले वसद्ध ांतों के ब रे में ;

(ख) िच
ां यतों की ववत्तीय वस्थवत को सधु रने के वलए ाअवश्यक ाऄध्यिु यों के ब रे में ;

(ग) िांच यतों के सदृु ढ़ ववत्त के वहत में र ज्यि ल द्व र ववत्त ाअयोग को वनवदयष्ट वकए गए वकसी ाऄन्य ववषय के ब रे में,
र ज्यि ल को वसफ ररश करे ग ।

(2) र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र , ाअयोग की सांरचन क , ाईन ाऄहयत ओ ां क , जो ाअयोग के सदस्यों के रूि में
वनयवु ि के वलए ाऄिेवक्षत होंगी, और ाईस रीवत क , वजससे ाईनक चयन वकय ज एग , ाईिबांध कर सके ग ।

(3) ाअयोग ाऄिनी प्रवक्रय ाऄवध ररत करे ग और ाईसे ाऄिने कॄत्यों के ि लन में ऐसी शविय ां होंगी जो र ज्य क
ववध न-मांडल, वववध द्व र , ाईसे प्रद न करे ।

(4) र ज्यि ल ाआस ाऄनछु छे द के ाऄधीन ाअयोग द्व र की गाइ प्रत्येक वसफ ररश को, ाईस िर की गाइ क रय व ाइ के
स्िवष्टक रक ज्ञ फन सवहत, र ज्य के ववध न-मांडल के समक्ष रखव एग ।

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243J(ञ)-पच ं ायतों के िेखाओ ं की सपं रीक्षा
वकसी र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र , िांच यतों द्व र लेखे रखे ज ने और ऐसे लेख ओ ां की सांिरीक्ष करने के ब रे
में ाईिबांध कर सके ग ।

243K(ट)-पच ं ायतों के विए वनवाह चन


(1) िांच यतों के वलए कर ए ज ने व ले सभी वनव यचनों के वलए वनव यचक न म वली तैय र कर ने क और ाईन सभी
वनव यचनों के सांच लन क ाऄधीक्षण, वनदेशन और वनयांत्रण एक र ज्य वनव यचन ाअयोग में वनवहत होग , वजसमें एक
र ज्य वनव यचन ाअयि ु होग , जो र ज्यि ल द्व र वनयि
ु वकय ज एग ।

(2) वकसी र ज्य के ववध न-मांडल द्व र बन ाइ गाइ वकसी वववध के ाईिबांधों के ाऄधीन रहते हुए, र ज्य वनव यचन ाअयि

की सेव की शतें और िद ववध ऐसी होंगी जो र ज्यि ल वनयम द्व र ाऄवध ररत करे

िरांतु र ज्य वनव यचन ाअयि


ु को ाईसके िद से ाईसी रीवत से और ाईन्हीं ाअध रों िर ही हट य ज एग , वजस रीवत से
और वजन ाअध रों िर ाईछचन्य य लय के न्य य धीश को हट य ज त है, ाऄन्यथ नहीं और र ज्य वनव यचन ाअयि ु
की सेव की शतों में ाईसकी वनयवु ि के िश्च त् ाईसके वलए ाऄल भक री िररवतयन नहीं वकय ज एग ।

(3) जब र ज्य वनव यचन ाअयोग ऐस ाऄनरु ोध करे तब वकसी र ज्य क र ज्यि ल, र ज्य वनव यचन ाअयोग को ाईतने
कमयच ररवांदॄ ाईिलब्ध कर एग वजतने खांड (1) द्व र र ज्य वनव यचन ाअयोग को ाईसे सौिें गए कॄत्यों के वनवयहन के वलए
ाअवश्यक हों ।

(4) ाआस सवां वध न के ाईिबांधों के ाऄधीन रहते हुए, वकसी र ज्य क ववध न-मडां ल, वववध द्व र , िच
ां यतों के वनव यचनों से
सांबांवधत य सांसि सभी ववषयों के सांबांध में ाईिबांध कर सके ग ।

243L(ठ)-सघं राज्यक्षेत्रों को िागू होना


ाआस भ ग के ाईिबांध सांघ र ज्यक्षेत्रों को ल गू होंगे और वकसी सांघ र ज्यक्षेत्र को ाईनके ल गू होने में ाआस प्रक र प्रभ वी
होंगे म नो वकसी र ज्य के र ज्यि ल के प्रवत वनदेश, ाऄनछु छे द 239 के ाऄधीन वनयि ु सघां र ज्यक्षेत्र के प्रश सक के
प्रवत वनदेश हों और वकसी र ज्य के ववध न-मांडल य ववध न सभ के प्रवत वनदेश, वकसी ऐसे सांघ र ज्यक्षेत्र के सांबांध
में, वजसमें ववध न सभ है, ाईस ववध न सभ के प्रवत वनदेश हों :
िरांतु र ष्ट्रिवत , लोक ाऄवधसचू न द्व र , यह वनदेश दे सके ग वक ाआस भ ग के ाईिबांध वकसी सघां र ज्यक्षेत्र य ाईसके
वकसी भ ग को ऐसे ाऄिव दों और ाईिन्त रणों के ाऄधीन रहते हुए , ल गू होंगे, जो वह ाऄवधसचू न में वववनवदयष्ट करे ।

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243M(ड)-इस भाग का कवतपय क्षेत्रों को िागू न होना
ाआस भ ग की कोाइ ब त ाऄनछु छे द 244 के
खंड (1) में वनवदयष्ट ाऄनसु वू चत क्षेत्रों और ाईसके खांड (2) में वनवदयष्ट जनज वत क्षेत्रों को ल गू नहीं होगी ।

(2) ाआस भ ग की कोाइ ब त वनम्नवलवखत को ल गू नहीं होगी, ाऄथ यत्


(क) न ग लैंड, मेघ लय और वमजोरम र ज्य
(ख) मवणफुर र ज्य में ऐसे िवयतीय क्षेत्र वजनके वलए तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध के ाऄधीन वजल िररषदें ववद्यम न हैं

(3) ाआस भ ग की
(क) कोाइ ब त वजल स्तर िर िचां यतों के सबां ांध में िवश्चमी बांग ल र ज्य के द वजयवलगां वजले के ऐसे िवयतीय क्षेत्रों को
ल गू नहीं होगी वजनके वलए तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध के ाऄधीन द वजयवलांग गोरख िवयतीय िररषद् ववद्यम न है
(ख) वकसी ब त क यह ाऄथय नहीं लग य ज एग वक वह ऐसी वववध के ाऄधीन गवठत द वजयवलांग गोरख िवयतीय
िररषद् के कॄत्यों और शवियों िर प्रभ व ड लती है ।

ाऄनसु वू चत ज वतयों के वलए स्थ नों के ाअरक्षण से सांबांवधत ाऄनछु छे द 243घ की कोाइ ब त ाऄरुण चल प्रदेश र ज्य को
ल गू नहीं होगी ।

(4) ाआस सांववध न में वकसी ब त के होते हुए भी


(क) खडां (2) के ाईिखडां (क) में वनवदयष्ट वकसी र ज्य क ववध न-मडां ल,वववध द्व र , ाआस भ ग क ववस्त र, खडां (1) में
वनवदयष्ट क्षेत्रों के वसव य, यवद कोाइ हों, ाईस र ज्यिर ाईस दश में कर सके ग जब ाईस र ज्य की ववध न सभ ाआस ाअशय
क एक सांकल्ि ाईस सदन की कुल सदस्य सांख्य के बहुमत द्व र तथ ाईस सदन के ाईफ वस्थत और मत देने व ले
सदस्यों के कम से कम दो-वतह ाइ बहुमत द्व र ि ररत कर देती है ;

(ख) सांसद, वववध द्व र , ाआस भ ग के ाईिबांधों क ववस्त र, खांड (1) में वनवदयष्ट ाऄनसु वू चत क्षेत्रों और जनज वत क्षेत्रों िर,
ऐसे ाऄिव दों और ाईिन्त रणों के ाऄधीन रहते हुए, कर सके गी, जो ऐसी वववध में वववनवदयष्ट वकए ज एां और ऐसी वकसी
वववध को ाऄनछु छे द 368 के प्रयोजनों के वलए ाआस सवां वध न क सश ां ोधन नहीं समझ ज एग ।

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243N(ढ)-ववद्यमान वववधयों और पच ं ायतों का बना रहना
ाआस भ ग में वकसी ब त के होते हुए भी, सांववध न (वतहत्तरव ां सांशोधन) ाऄवधवनयम, 1992 के प्र रांभ के ठीक िवू य वकसी
र ज्य में प्रवत्तॄ िचां यतों से सबां ांवधत वकसी वववध क कोाइ ाईिबांध , जो ाआस भ ग के ाईिबांधों से ाऄसगां त है, जब तक
सक्षम ववध न-मांडल द्व र य ाऄन्य सक्षम प्र वधक री द्व र ाईसे सांशोवधत य वनरवसत नहीं कर वदय ज त है य जब तक
ऐसे प्र रांभ से एक वषय सम ि नहीं हो ज त है, ाआनमें से जो भी िहले हो, तब तक प्रवत्तॄ बन रहेग :

िरांतु ऐसे प्र रांभ के ठीक िवू य ववद्यम न सभी िांच यतें, यवद ाईस र ज्य की ववध न सभ द्व र य ऐसे र ज्य की दश में,
वजसमें ववध न िररषद् है, ाईस र ज्य के ववध न-मांडल के प्रत्येक सदन द्व र ि ररत ाआस ाअशय के सांकल्ि द्व र िहले ही
ववघवटत नहीं कर दी ज ती हैं तो, ाऄिनी ाऄववध की सम वि तक बनी रहेंगी ।

243O(ण)-वनवाहचन सबं ध ं ी मामिों में न्यायाियों के हस्तक्षेप का वजहन


ाआस सवां वध न में वकसी ब त के होते हुए भी,–
(क) ाऄनछु छे द 243ट के ाऄधीन बन ाइ गाइ य बन ाइ ज ने के वलए त त्िवययत वकसी ऐसी वववध की वववधम न्यत , जो
वनव यचन-क्षेत्रों के िररसीमन य ऐसे वनव यचन-क्षेत्रों को स्थ नों के ाअबांटन से सांबांवधत है, वकसी न्य य लय में प्रश्नगत
नहीं की ज एगी ;

(ख) वकसी िचां यत के वलए कोाइ वनव यचन, ऐसी वनव यचन ाऄजी िर ही प्रश्नगत वकय ज एग जो ऐसे प्र वधक री को
और ऐसी रीवत से प्रस्तुत की गाइ है, वजसक वकसी र ज्य के ववध न-मांडल द्व र बन ाइ गाइ वकसी वववध द्व र य ाईसके
ाऄधीन ाईिबांध वकय ज ए, ाऄन्यथ नहीं ।

आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्र म सभ / ग्र म िांच यत के क यय
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्र म िचां यत, िचां यत सवमवत, वजल िररषद् के सदस्य, क ययक ल, चनु व, ाअरक्षण ाआत्य वद

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पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-07
73वां सववधं ान ससं ोधन अवधवनयम
भाग-9-अनुच्छे द-243-243(A) to 243(O)
Part-02

73व ां सववांध न सांसोधन के ववषय में हमने विछले चैप्टर में भी िढ़ थ । ाऄवनव यय और स्वेवछछक ववषय देखें थे।
ग्र म िचां यतों के गठन क स्तर िढ़ थ ।

73वें सांववध न सांशोधन ाऄवधवनयम (73rd Amendment Act) के तहत भ ग-9 को जोड़ गय और ाआसक शीषयक
िचां यत रख गय । भ ग-9 के दो ाईिभ ग भी है। ाआस प्रक र-
भाग-9-पच ं ायत- अनच्ु छे द 243 A (क) से 243 O(ण)
भाग-9-(क)-नगरपाविकाए-ं अनुच्छे द 243 P(त) से 243 ZG(य छ)
भाग-9-(ख)-सहकारी सवमवतयां-अनुच्छे द 243(य ज) से 243(य न)

हम र ववषय िांचयतों से सम्बांवधत है ाऄताः हम यह ाँ िांच यतों एवां ाआसके सभी ाऄनछु छे दों को ववस्तृत रूि से िढ़ेंगे।

सववधां न की भ ष में

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भारतीय सवं वधान का 73वां सश
ं ोधन (73rd Amendment of the Indian Constitution)
73व ां सांववध न सांशोधन ाऄवधवनयम 1992 के तहत िांच यत सांस्थ ओ ां को सांवैध वनक दज य प्रद न वकय गय थ ।
ाआस ससां श
ां ोधन ाऄवधवनयम के तहत वनम्न प्र वध न वकये गए थे-
 सांववध न में 73वें सांववध न सांशोधन ाऄवधवनयम (73rd Amendment Act) के तहत भ ग IX क शीषयक
िांच यत रख गय ।
 भ ग IX में ाऄनछु छे द 243(A) से 243(O) के प्र वध न सवम्मवलत वकये गए।
 सांववध न में एक नयी 11वीं ाऄनसु चू ी जोड़ी गाइ वजसमें 29 क ययक री ववषय श वमल करके िांच यतों को ाईन
िर क यय करने की शवि प्रद न की गाइ।

73वें सवं वधान सश


ं ोधन अवधवनयम से सबं ंवधत अनुच्छे द
73वें सांववध न सांशोधन ाऄवधवनयम ने भ रतीय सांववध न में एक नय भ ग IX सवम्मवलत वकय है। ाआसक ाईल्लेख
िांच यतों के रूि में वकय गय थ और ाऄनछु छे द 243 से 243 (ओ) के प्र वध नों को श वमल वकय गय वजनक
ाईल्लेख नीचे वकय गय है|
 ाऄनछु छे द 243 –िररभ ष एाँ
 ाऄनछु छे द 243 क (A) – ग्र मसभ
 ाऄनछु छे द 243 ख (B) – ग्र म िांच यतों क गठन
 ाऄनछु छे द 243 ग (C) – िांच यतों की सांरचन
 ाऄनछु छे द 243 घ (D) – स्थ नों क ाअरक्षण
 ाऄनछु छे द 243 ङ (E) – िांच यतों की क ययक ल
 ाऄनछु छे द 243 च (F) – सदस्यत के वलए ाऄयोग्यत एाँ
 ाऄनछु छे द 243 छ (G) – िचां यतों की शविय ाँ , प्र वधक र और ाईत्तरद वयत्व
 ाऄनछु छे द 243 ज (H) – िांच यतों द्व र कर लग ने की शविय ाँ और ाईनकी वनवधय ाँ
 ाऄनछु छे द 243 झ (I) – ववत्तीय वस्थवत के िनु ववयलोकन के वलए ववत्त ाअयोग क गठन
 ाऄनछु छे द 243 ञ (J) – िांच यतों की लेख ओ ां की सांिरीक्ष
 ाऄनछु छे द 243 ट (K) – िचां यतों के वलए वनव यचन
 ाऄनछु छे द 243 ठ (L) – सांघ र ज्यों क्षेत्रों को ल गू होन
 ाऄनछु छे द 243 ड (M) – ाआस भ ग क कवतिय क्षेत्रों को ल गू न होन
 ाऄनछु छे द 243 ढ (N) – ववद्यम न वववधयों और िच ां यतों क बन रहन
 ाऄनछु छे द 243 ण (O) – वनव यचन सम्बन्धी म मलों में न्य य लयों के हस्तक्षेि क वणयन

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11वीं अनस ु च ू ी में शावमि ववषय-(29)
1. कृ वष (कृ वष ववस्त र श वमल)।
2. भवू म ववक स, भवू म सधु र क य यन्वयन, चकबांदी और भवू म सरां क्षण।
3. लघु वसांच ाइ, जल प्रबांधन और जल-ववभ जक क्षेत्र क ववक स।
4. िशिु लन, डेयरी ाईद्योग और कुक्कुट ि लन।
5. मत्स्य ाईद्योग।
6. स म वजक व वनकी और फ मय व वनकी।
7. लघु वन ाईिज।
8. लघु ाईद्योग वजसके ाऄांतगयत ख द्य प्रसांस्करण ाईद्योग भी श वमल हैं।
9. ख दी, ग्र म ाईद्योग एवां कुटीर ाईद्योग।
10. ग्र मीण ाअव सन।
11. िेयजल।
12. ाइधन ां और च र ।
13. सड़कें , िवु लय , िल ु , फे री, जलम गय और ाऄन्य सांच र स धन।
14. ग्र मीण ववद्यतु ीकरण, वजसके ाऄांतगयत ववद्यतु क ववतरण श वमल है।
15. ाऄि रांिररक ाउज य स्रोत।
16. गरीबी ाईन्मल ू न क ययक्रम।
17. वशक्ष , वजसके ाऄांतगयत प्र थवमक और म ध्यवमक ववद्य लय भी हैं।
18. तकनीकी प्रवशक्षण और व्य वस वयक वशक्ष ।
19. प्रौढ़ और ाऄनौिच ररक वशक्ष ।
20. िस्ु तक लय।
21. स ांस्कृ वतक वक्रय कल ि।
22. ब ज र और मेले।
23. स्व स््य और स्वछछत (ाऄस्ित ल, प्र थवमक स्व स््य कें द्र और औषध लय)।
24. िररव र कल्य ण।
25. मवहल और ब ल ववक स।
26. सम ज कल्य ण (वदव्य ांग और म नवसक रूि से मांद व्यवियों क कल्य ण)।
27. दबु यल वगों क तथ वववशष्टतय ाऄनसु वू चत ज वत और ाऄनसु वू चत जनज वत क कल्य ण।
28. स वयजवनक ववतरण प्रण ली।
29. स मदु वयक ाअवस्तयों क ाऄनरु क्षण।

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243-पररभाषाएं
(क) वकसी र ज्य क वजल
(ख) ग्र म सभ -वनव यचक न म वली में रवजस्रीकॄत व्यवियों से वमलकर बन वनक य
(ग) मध्यवती स्तर
(घ) िांच यत से ग्र मीण क्षेत्रों के वलए ाऄनछु छे द 243ख के ाऄधीन गवठत स्व यत्त श सन की कोाइ सांस्थ
(ङ) िच ां यत क्षेत्र-िचां यत क प्र देवशक क्षेत्र
(च) जनसांख्य
(छ) ग्र म-ाआसके ाऄांतगयत ाआस प्रक र वववनवदयष्ट ग्र मों क समहू भी है

243A(क)-ग्राम सभा
ग्र म सभ , ग्र म स्तर िर ऐसी शवियों क प्रयोग और ऐसे कॄत्यों क ि लन कर सके गी, जो वकसी र ज्य के ववध न-
मांडल द्व र , वववध द्व र , ाईिबांवधत वकए ज एां ।

243B(ख)-पच ं ायतों का गठन


(1) प्रत्येक र ज्य में ग्राम, मध्यवती और वजिा स्तर िर ाआस भ ग के ाईिबांधों के ाऄनसु र िांच यतों क गठन वकय
ज एग ।
(2) खडां (1) में वकसी ब त के होते हुए भी, मध्यवती स्तर िर िच
ां यत क ाईस र ज्य में गठन नहीं वकय ज सके ग
वजसकी जनसांख्य 20 ल ख से ाऄनवधक है ।

243C(ग)-पच ं ायतों की सरं चना


(1) ाआस भ ग के ाईिबांधों के ाऄधीन रहते हुए, वकसी राज्य का ववधान-मडं ि, वववध द्व र , िच ां यतों की सरां चन की
ाईिबांध कर सके ग
िरांतु वकसी भी स्तर िर िचां यत के प्र देवशक क्षेत्र की जनसख्ां य क ऐसी िच ां यत में वनव यचन द्व र भरे ज ने व ले
स्थ नों की सांख्य से ाऄनिु त समस्त र ज्य में यथ स ध्य एक ही हो ।
(2) वकसी िांच यत के सभी स्थ न, िांच यत क्षेत्र में प्र देवशक वनव यचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष वनव यचन द्व र चनु े हुए व्यवियों
से भरे ज एगां े और ाआस प्रयोजन के वलए, प्रत्येक िच ां यत क्षेत्र को प्र देवशक वनव यचन-क्षेत्रों में ऐसी रीवत से ववभ वजत
वकय ज एग वक प्रत्येक वनव यचन-क्षेत्र की जनसांख्य क ाईसको ाअबांवटत स्थ नों की सांख्य से ाऄनिु त समस्त
िांच यत क्षेत्र में यथ स ध्य एक ही हो ।

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(3) वकसी राज्य का ववधान-मडं ि, वववध द्वारा(Imp)
(क) ग्र म स्तर िर िांच यतों के ाऄध्यक्षों क मध्यवती स्तर िर िांच यतों में य ऐसे र ज्य की दश में, जह ां मध्यवती स्तर
िर िच ां यतें नहीं हैं, वजल स्तर िर िचां यतों में
(ख) मध्यवती स्तर िर िांच यतों के ाऄध्यक्षों क वजल स्तर िर िांच यतों में,
(ग) लोक सभ के ऐसे सदस्यों क और र ज्य की ववध न सभ के ऐसे सदस्यों क , जो ाईन वनव यचन क्षेत्रों क
प्रवतवनवधत्व करते हैं वजनमें ग्र म स्तर से वभन्न स्तर िर कोाइ िच
ां यत क्षेत्र िणु यताः य भ गताः सम ववष्ट है, ऐसी िचां यत
में;
(घ) र ज्य सभ के सदस्यों क और र ज्य की ववध न िररषद् के सदस्यों क , जह ां वे
मध्यवती स्तर िर वकसी िांच यत क्षेत्र के भीतरवनव यचकों के रूि में रवजस्रीकॄत है, मध्यवती स्तर पर पंचायत में
वजल स्तर िर वकसी िांच यत क्षेत्र के भीतर वनव यचकों के रूि में रवजस्रीकॄत हैं, वजिा स्तर पर पंचायत में,
प्रवतवनवधत्व करने के वलए ाईिबांध कर सके ग ।

(4) वकसी िांच यत के ाऄध्यक्ष और वकसी िांच यत के ऐसे ाऄन्य सदस्यों को, च हे वे िांच यत क्षेत्र में प्र देवशक
वनव यचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष वनव यचन द्व र चनु े गए हों य नहीं , िांच यतों के ाऄवधवेशनों में मत देने क ाऄवधक र होग ।

(5)(क) ग्र म स्तर िर वकसी िांच यत के ाऄध्यक्ष क वनव यचन ऐसी रीवत से, जो र ज्य के ववध न-मांडल द्व र , वववध
द्व र , ाईिबांवधत कीज ए, वकय ज एग और
(ख) मध्यवती स्तर य वजल स्तर िर वकसी िांच यत के ाऄध्यक्ष क वनव यचन, ाईसके वनव यवचत सदस्यों द्व र ाऄिने में
से वकय ज एग ।

243D(घ)-स्थानों का आरक्षण
(1) प्रत्येक िांच यत में
(क) ाऄनसु वू चत ज वतयों और
(ख) ाऄनसु वू चत जनज वतयों, के वलए स्थ न ाअरवक्षत रहेंगे और ाआस प्रक र ाअरवक्षत स्थ नों की सांख्य क ाऄनिु त ,
ाईस िांच यत में प्रत्यक्ष वनव यचन द्व र भरे ज ने व ले स्थ नों की कुल सांख्य से यथ शकक़्य वही होग जो ाईस िांच यत
क्षेत्र में ाऄनसु वू चत ज वतयों की ाऄथव ाईस िचां यत क्षेत्र में ाऄनसु वू चत जनज वतयों की जनसख्ां य क ाऄनिु त ाईस क्षेत्र
की कुल जनसांख्य से है और ऐसे स्थ न वकसी िांच यत में वभन्न-वभन्न वनव यचन क्षेत्रों को चक्र नक्र ु म से ाअबांवटत वकए
ज सकें गे ।
(2) खांड (1) के ाऄधीन ाअरवक्षत स्थ नों की कुल सांख्य के कम से कम एक-वतह ाइ स्थ न, यथ वस्थवत, ाऄनसु वू चत
ज वतयों य ाऄनसु वू चत जनज वतयों की वियों के वलए ाअरवक्षत रहेंगे ।

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(3) प्रत्येक िांच यत में प्रत्यक्ष वनव यचन द्व र भरे ज ने व ले स्थ नों की कुल सांख्य के कम से कम एक-वतह ाइ स्थ न
(वजनके ाऄतां गयत ाऄनसु वू चत ज वतयों और ाऄनसु वू चत जनज वतयों की वियों के वलए ाअरवक्षत स्थ नों की सख्ां य भी है)
वियों के वलए ाअरवक्षत रहेंगे और ऐसे स्थ न वकसी िांच यत में वभन्न-वभन्न वनव यचन-क्षेत्रों को चक्र नक्र
ु म से ाअबांवटत
वकए ज सकें गे ।

(4) ग्र म य वकसी ाऄन्य स्तर िर िचां यतों में ाऄध्यक्षों के िद ाऄनसु वू चत ज वतयों, ाऄनसु वू चत जनज वतयों और वियों
के वलए ऐसी रीवत से ाअरवक्षत रहेंग,े जो र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र , ाईिबांवधत करे

िरांतु वकसी र ज्य में प्रत्येक स्तर िर िचां यतों में ाऄनसु वू चत ज वतयों और ाऄनसु वू चत जनज वतयों के वलए ाअरवक्षत
ाऄध्यक्षों के िदों की सांख्य क ाऄनिु त, प्रत्येक स्तर िर ाईन िांच यतों में ऐसे िदों की कुल सांख्य से यथ शक्य वही
होग , जो ाईस र ज्य में ाऄनसु वू चत ज वतयों की ाऄथव ाईस र ज्य में ाऄनसु वू चत जनज वतयों की जनसांख्य क ाऄनिु त
ाईस र ज्य की कुल जनसख्ां य से है
िरांतु यह और वक प्रत्येक स्तर िर िांच यतों में ाऄध्यक्षों के िदों की कुल सांख्य के कम से कम एक-वतह ाइ िद वियों
के वलए ाअरवक्षत रहेंगे

िरांतु यह भी वक ाआस खांड के ाऄधीन ाअरवक्षत िदों की सांख्य प्रत्येक स्तर िर वभन्न-वभन्न िांच यतों को चक्र नक्र
ु म से
ाअबांवटत की ज एगी ।

(5) खांड (1) और खांड (2) के ाऄधीन स्थ नों क ाअरक्षण और खांड (4) के ाऄधीन ाऄध्यक्षों के िदों क ाअरक्षण
(जो वियों के वलए ाअरक्षण से वभन्न है) ाऄनछु छे द 334 में वववनवदयष्ट ाऄववध की सम वि िर प्रभ वी नहीं रहेग ।

(6) ाआस भ ग की कोाइ ब त वकसी र ज्य के ववध न-मांडल को विछड़े हुए न गररकों के वकसी वगय के िक्ष में वकसी स्तर
िर वकसी िांच यत में स्थ नों के य िांच यतों में ाऄध्यक्षों के िदों के ाअरक्षण के वलए कोाइ ाईिबांध करने से वनव ररत
नहीं करे गी ।
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243E(ङ)-पच ं ायतों की अववध
1) प्रत्येक िांच यत, यवद तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध के ाऄधीन िहले ही ववघवटत नहीं कर दी ज ती है तो, ाऄिने
प्रथम ाऄवधवेशन के वलए वनयत त रीख से ि चां वषय तक बनी रहेगी, ाआससे ाऄवधक नहीं ।

(2) तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध के वकसी सांशोधन से वकसी स्तर िर ऐसी िांच यत क , जो ऐसे सांशोधन के ठीक िवू य
क यय कर रही है, तब तक ववघटन नहीं होग जब तक खडां (1) में वववनवदयष्ट ाईसकी ाऄववध सम ि नहीं हो ज ती ।

(3) वकसी िांच यत क गठन करने के वलए वनव यचन,


(क) खांड (1) में वववनवदयष्ट ाईसकी ाऄववध की सम वि के िवू य
(ख) ाईसके ववघटन की त रीख से छह म स की ाऄववध की सम वि के िवू ,य िरू वकय ज एग

िरांतु जह ां वह शेष ाऄववध, वजसके वलए कोाइ ववघवटत िच


ां यत बनी रहती, छह म स से कम है वह ां ऐसी ाऄववध के
वलए ाईस िचां यत क गठन करने के वलए ाआस खांड के ाऄधीन कोाइ वनव यचन कर न ाअवश्यक नहीं होग ।

(4) वकसी िचां यत की ाऄववध की सम वि के िवू य ाईस िच


ां यत के ववघटन िर गवठत की गाइ कोाइ िचां यत, ाईस ाऄववध
के के वल शेष भ ग के वलए बनी रहेगी वजसके वलए ववघवटत िच ां यत खडां (1) के ाऄधीन बनी रहती, यवद वह ाआस
प्रक र ववघवटत नहीं की ज ती ।

243F(च)-सदस्यता के विए वनरहहताएं


(1) कोाइ व्यवि वकसी िांच यत क सदस्य चनु े ज ने के वलए और सदस्य होने के वलए वनरवहयत होग ,–

(क) यवद वह सांबांवधत र ज्य के ववध न-मांडल के वनव यचनों के प्रयोजनों के वलए तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध द्व र य
ाईसके ाऄधीन ाआस प्रक र वनरवहयत कर वदय ज त है :
िरांतु कोाइ व्यवि ाआस ाअध र िर वनरवहयत नहीं होग वक ाईसकी ाअयु फछचीस वषय से कम है, यवद ाईसने 21 वषय की
ाअयु प्र ि कर ली है
(ख) यवद वह र ज्य के ववध न-मडां ल द्व र बन ाइ गाइ वकसी वववध द्व र य ाईसके ाऄधीन ाआस प्रक र वनरवहयत कर वदय
ज त है ।

(2) यवद यह प्रश्न ाईठत है वक वकसी िांच यत क कोाइ सदस्य खांड (1) में व वणयत वकसी वनरहयत से ग्रस्त हो गय है य
नहीं तो वह प्रश्न ऐसे प्र वधक री को, और ऐसी रीवत से, जो र ज्यक ववध न-मडां ल, वववध द्व र , ाईिबांवधत करे,
वववनश्चय के वलए वनदेवशत वकय ज एग ।

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243G(छ)-पच ं ायतों की शवियां , प्रावधकार और उत्तरदावयत्व
सांववध न के ाईिबांधों के ाऄधीन रहते हुए , वकसी र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र , िांच यतों को ऐसी शविय ां
और प्र वधक र प्रद न कर सके ग , जो ाईन्हें स्व यत्त श सन की सस्ां थ ओ ां के रूि में क यय करने में समथय बन ने के वलए
ाअवश्यक हों और ऐसी वववध में िांच यतों को ाईियि ु स्तर िर, ऐसी शतों के ाऄधीन रहते हुए , जो ाईसमें वववनवदयष्ट
की ज एां , वनम्नवलवखत के सांबांध में शविय ां और ाईत्तरद वयत्व न्य गत करने के वलए ाईिबांध वकए ज सकें गे, ाऄथ यत्
(क) ाअ वथयक ववक स और स म वजक न्य य के वलए योजन एां तैय र करन
(ख) ाअ वथयक ववक स और स म वजक न्य य की ऐसी स्कीमों को, जो ाईन्हें सौिीं ज ए,ां वजनके ाऄांतगयत वे स्कीमें भी
हैं, जो ग्य रहवीं ाऄनसु चू ी में सचू ीबद्ध ववषयों के सांबांध में हैं, क य यवन्वत करन ।

243H(ज)-पच ं ायतों द्वारा कर अवधरोवपत करने की शवियां और उनकी वनवधयां


वकसी र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र ,–
(क) ऐसे कर, शल्ु क, िथकर और फीसें ाईद्गहॄ ीत, सगां हॄ ीत और वववनयोवजत करने के वलए वकसी िच
ां यत को, ऐसी
प्रवक्रय के ाऄनसु र और ऐसे वनबंधनों के ाऄधीन रहते हुए , प्र वधकॄत कर सके ग ;

(ख) र ज्य सरक र द्व र ाईद्गहॄ ीत और सगां हॄ ीत ऐसे कर, शल्ु क, िथकर और फीसें वकसी िच
ां यत को, ऐसे प्रयोजनों के
वलए , तथ ऐसी शतों और वनबंधनों के ाऄधीन रहते हुए , समनवु दष्ट कर सके ग ;

(ग) र ज्य की सवां चत वनवध में से िचां यतों के वलए ऐसे सह यत -ाऄनदु न देने के वलए ाईिबांध कर सके ग ;और

(घ) िांच यतों द्व र य ाईनकी ओर से क्रमशाः प्र ि वकए गए सभी धनों को जम करने के वलए ऐसी वनवधयों क
गठन करने और ाईन वनवधयों में से ऐसे धनों को वनक लने के वलए भी ाईिबांध कर सके ग , जो वववध में वववनवदयष्ट वकए
ज एां ।

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243I(झ)-ववत्तीय वस्थवत के पनु ववहिोकन के विए ववत्त आयोग का गठन
(1) र ज्य क र ज्यि ल, सांववध न (वतहत्तरव ां सांशोधन) ाऄवधवनयम, 1992 के प्र रांभ से एक वषय के भीतर यथ शीघ्र,
और तत्िश्च त, प्रत्येक ि चां वें वषय की सम वि िर, ववत्त ाअयोग क गठन करे ग जो िचां यतों की ववत्तीय वस्थवत क
िनु ववयलोकन करे ग , और जो

(क)(त)् र ज्य द्व र ाईद्गहॄ ीत करों, शल्ु कों, िथकरों और फीसों के ऐसे शद्ध
ु ाअगमों के र ज्य और िच
ां यतों के बीच, जो
ाआस भ ग के ाऄधीन ाईनमें ववभ वजत वकए ज एां , ववतरण को और सभी स्तरों िर िांच यतों के बीच ऐसे ाअगमों के
तत्सांबांधी भ ग के ाअबांटन को ;
(त्त)् ऐसे करों, शल्ु कों, िथकरों और फीसों के ाऄवध रण को, जो िांच यतों को समनवु दष्ट की ज सकें गी य ाईनके द्व र
वववनयोवजत की ज सकें गी ;
(त्त्त)् र ज्य की सांवचत वनवध में से िांच यतों के वलए सह यत ाऄनदु न को, श वसत करने व ले वसद्ध ांतों के ब रे में ;

(ख) िच
ां यतों की ववत्तीय वस्थवत को सधु रने के वलए ाअवश्यक ाऄध्यिु यों के ब रे में ;

(ग) िांच यतों के सदृु ढ़ ववत्त के वहत में र ज्यि ल द्व र ववत्त ाअयोग को वनवदयष्ट वकए गए वकसी ाऄन्य ववषय के ब रे में,
र ज्यि ल को वसफ ररश करे ग ।

(2) र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र , ाअयोग की सांरचन क , ाईन ाऄहयत ओ ां क , जो ाअयोग के सदस्यों के रूि में
वनयवु ि के वलए ाऄिेवक्षत होंगी, और ाईस रीवत क , वजससे ाईनक चयन वकय ज एग , ाईिबांध कर सके ग ।

(3) ाअयोग ाऄिनी प्रवक्रय ाऄवध ररत करे ग और ाईसे ाऄिने कॄत्यों के ि लन में ऐसी शविय ां होंगी जो र ज्य क
ववध न-मांडल, वववध द्व र , ाईसे प्रद न करे ।

(4) र ज्यि ल ाआस ाऄनछु छे द के ाऄधीन ाअयोग द्व र की गाइ प्रत्येक वसफ ररश को, ाईस िर की गाइ क रय व ाइ के
स्िवष्टक रक ज्ञ फन सवहत, र ज्य के ववध न-मांडल के समक्ष रखव एग ।

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243J(ञ)-पच ं ायतों के िेखाओ ं की सपं रीक्षा
वकसी र ज्य क ववध न-मांडल, वववध द्व र , िांच यतों द्व र लेखे रखे ज ने और ऐसे लेख ओ ां की सांिरीक्ष करने के ब रे
में ाईिबांध कर सके ग ।

243K(ट)-पच ं ायतों के विए वनवाह चन


(1) िांच यतों के वलए कर ए ज ने व ले सभी वनव यचनों के वलए वनव यचक न म वली तैय र कर ने क और ाईन सभी
वनव यचनों के सांच लन क ाऄधीक्षण, वनदेशन और वनयांत्रण एक र ज्य वनव यचन ाअयोग में वनवहत होग , वजसमें एक
र ज्य वनव यचन ाअयि ु होग , जो र ज्यि ल द्व र वनयि
ु वकय ज एग ।

(2) वकसी र ज्य के ववध न-मांडल द्व र बन ाइ गाइ वकसी वववध के ाईिबांधों के ाऄधीन रहते हुए, र ज्य वनव यचन ाअयि

की सेव की शतें और िद ववध ऐसी होंगी जो र ज्यि ल वनयम द्व र ाऄवध ररत करे

िरांतु र ज्य वनव यचन ाअयि


ु को ाईसके िद से ाईसी रीवत से और ाईन्हीं ाअध रों िर ही हट य ज एग , वजस रीवत से
और वजन ाअध रों िर ाईछचन्य य लय के न्य य धीश को हट य ज त है, ाऄन्यथ नहीं और र ज्य वनव यचन ाअयि ु
की सेव की शतों में ाईसकी वनयवु ि के िश्च त् ाईसके वलए ाऄल भक री िररवतयन नहीं वकय ज एग ।

(3) जब र ज्य वनव यचन ाअयोग ऐस ाऄनरु ोध करे तब वकसी र ज्य क र ज्यि ल, र ज्य वनव यचन ाअयोग को ाईतने
कमयच ररवांदॄ ाईिलब्ध कर एग वजतने खांड (1) द्व र र ज्य वनव यचन ाअयोग को ाईसे सौिें गए कॄत्यों के वनवयहन के वलए
ाअवश्यक हों ।

(4) ाआस सवां वध न के ाईिबांधों के ाऄधीन रहते हुए, वकसी र ज्य क ववध न-मडां ल, वववध द्व र , िच
ां यतों के वनव यचनों से
सांबांवधत य सांसि सभी ववषयों के सांबांध में ाईिबांध कर सके ग ।

243L(ठ)-सघं राज्यक्षेत्रों को िागू होना


ाआस भ ग के ाईिबांध सांघ र ज्यक्षेत्रों को ल गू होंगे और वकसी सांघ र ज्यक्षेत्र को ाईनके ल गू होने में ाआस प्रक र प्रभ वी
होंगे म नो वकसी र ज्य के र ज्यि ल के प्रवत वनदेश, ाऄनछु छे द 239 के ाऄधीन वनयि ु सघां र ज्यक्षेत्र के प्रश सक के
प्रवत वनदेश हों और वकसी र ज्य के ववध न-मांडल य ववध न सभ के प्रवत वनदेश, वकसी ऐसे सांघ र ज्यक्षेत्र के सांबांध
में, वजसमें ववध न सभ है, ाईस ववध न सभ के प्रवत वनदेश हों :
िरांतु र ष्ट्रिवत , लोक ाऄवधसचू न द्व र , यह वनदेश दे सके ग वक ाआस भ ग के ाईिबांध वकसी सघां र ज्यक्षेत्र य ाईसके
वकसी भ ग को ऐसे ाऄिव दों और ाईिन्त रणों के ाऄधीन रहते हुए , ल गू होंगे, जो वह ाऄवधसचू न में वववनवदयष्ट करे ।

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243M(ड)-इस भाग का कवतपय क्षेत्रों को िागू न होना
ाआस भ ग की कोाइ ब त ाऄनछु छे द 244 के
खंड (1) में वनवदयष्ट ाऄनसु वू चत क्षेत्रों और ाईसके खांड (2) में वनवदयष्ट जनज वत क्षेत्रों को ल गू नहीं होगी ।

(2) ाआस भ ग की कोाइ ब त वनम्नवलवखत को ल गू नहीं होगी, ाऄथ यत्


(क) न ग लैंड, मेघ लय और वमजोरम र ज्य
(ख) मवणफुर र ज्य में ऐसे िवयतीय क्षेत्र वजनके वलए तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध के ाऄधीन वजल िररषदें ववद्यम न हैं

(3) ाआस भ ग की
(क) कोाइ ब त वजल स्तर िर िचां यतों के सबां ांध में िवश्चमी बांग ल र ज्य के द वजयवलगां वजले के ऐसे िवयतीय क्षेत्रों को
ल गू नहीं होगी वजनके वलए तत्समय प्रवत्तॄ वकसी वववध के ाऄधीन द वजयवलांग गोरख िवयतीय िररषद् ववद्यम न है
(ख) वकसी ब त क यह ाऄथय नहीं लग य ज एग वक वह ऐसी वववध के ाऄधीन गवठत द वजयवलांग गोरख िवयतीय
िररषद् के कॄत्यों और शवियों िर प्रभ व ड लती है ।

ाऄनसु वू चत ज वतयों के वलए स्थ नों के ाअरक्षण से सांबांवधत ाऄनछु छे द 243घ की कोाइ ब त ाऄरुण चल प्रदेश र ज्य को
ल गू नहीं होगी ।

(4) ाआस सांववध न में वकसी ब त के होते हुए भी


(क) खडां (2) के ाईिखडां (क) में वनवदयष्ट वकसी र ज्य क ववध न-मडां ल,वववध द्व र , ाआस भ ग क ववस्त र, खडां (1) में
वनवदयष्ट क्षेत्रों के वसव य, यवद कोाइ हों, ाईस र ज्यिर ाईस दश में कर सके ग जब ाईस र ज्य की ववध न सभ ाआस ाअशय
क एक सांकल्ि ाईस सदन की कुल सदस्य सांख्य के बहुमत द्व र तथ ाईस सदन के ाईफ वस्थत और मत देने व ले
सदस्यों के कम से कम दो-वतह ाइ बहुमत द्व र ि ररत कर देती है ;

(ख) सांसद, वववध द्व र , ाआस भ ग के ाईिबांधों क ववस्त र, खांड (1) में वनवदयष्ट ाऄनसु वू चत क्षेत्रों और जनज वत क्षेत्रों िर,
ऐसे ाऄिव दों और ाईिन्त रणों के ाऄधीन रहते हुए, कर सके गी, जो ऐसी वववध में वववनवदयष्ट वकए ज एां और ऐसी वकसी
वववध को ाऄनछु छे द 368 के प्रयोजनों के वलए ाआस सवां वध न क सश ां ोधन नहीं समझ ज एग ।

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243N(ढ)-ववद्यमान वववधयों और पच ं ायतों का बना रहना
ाआस भ ग में वकसी ब त के होते हुए भी, सांववध न (वतहत्तरव ां सांशोधन) ाऄवधवनयम, 1992 के प्र रांभ के ठीक िवू य वकसी
र ज्य में प्रवत्तॄ िचां यतों से सबां ांवधत वकसी वववध क कोाइ ाईिबांध , जो ाआस भ ग के ाईिबांधों से ाऄसगां त है, जब तक
सक्षम ववध न-मांडल द्व र य ाऄन्य सक्षम प्र वधक री द्व र ाईसे सांशोवधत य वनरवसत नहीं कर वदय ज त है य जब तक
ऐसे प्र रांभ से एक वषय सम ि नहीं हो ज त है, ाआनमें से जो भी िहले हो, तब तक प्रवत्तॄ बन रहेग :

िरांतु ऐसे प्र रांभ के ठीक िवू य ववद्यम न सभी िांच यतें, यवद ाईस र ज्य की ववध न सभ द्व र य ऐसे र ज्य की दश में,
वजसमें ववध न िररषद् है, ाईस र ज्य के ववध न-मांडल के प्रत्येक सदन द्व र ि ररत ाआस ाअशय के सांकल्ि द्व र िहले ही
ववघवटत नहीं कर दी ज ती हैं तो, ाऄिनी ाऄववध की सम वि तक बनी रहेंगी ।

243O(ण)-वनवाहचन सबं ध ं ी मामिों में न्यायाियों के हस्तक्षेप का वजहन


ाआस सवां वध न में वकसी ब त के होते हुए भी,–
(क) ाऄनछु छे द 243ट के ाऄधीन बन ाइ गाइ य बन ाइ ज ने के वलए त त्िवययत वकसी ऐसी वववध की वववधम न्यत , जो
वनव यचन-क्षेत्रों के िररसीमन य ऐसे वनव यचन-क्षेत्रों को स्थ नों के ाअबांटन से सांबांवधत है, वकसी न्य य लय में प्रश्नगत
नहीं की ज एगी ;

(ख) वकसी िचां यत के वलए कोाइ वनव यचन, ऐसी वनव यचन ाऄजी िर ही प्रश्नगत वकय ज एग जो ऐसे प्र वधक री को
और ऐसी रीवत से प्रस्तुत की गाइ है, वजसक वकसी र ज्य के ववध न-मांडल द्व र बन ाइ गाइ वकसी वववध द्व र य ाईसके
ाऄधीन ाईिबांध वकय ज ए, ाऄन्यथ नहीं ।

आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्र म सभ / ग्र म िांच यत के क यय
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्र म िचां यत, िचां यत सवमवत, वजल िररषद् के सदस्य, क ययक ल, चनु व, ाअरक्षण ाआत्य वद

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पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-08
ग्राम सभा और ग्राम पच
ं ायत क्या है
गठन, कायय व अधधकार
(Gram Sabha and Gram Panchayat-Formation, Functions and Rights)
भारत में पच
ं ायती राज व्यवस्था का शभु ारंभ सबसे पहले वववधवत तरीके से राजस्थान में वकया गया था। देश में सबसे
पहले पंचायती राज व्यवस्था का ईद्घाटन 2 ऄक्टूबर, 1959 को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा
राजस्थान के नागौर वजले में वकया गया था। पंचायती राज व्यवस्था महात्मा गांधी के राजनीवतक ववकें द्रीकरण के दशशन
का एक महत्वपणू श घटक था। महात्मा गाधं ी पचं ायती राज व्यवस्था को स्थावपत करने के प्रबल समथशक रहे थे।

अजादी के बाद वववभन्न सरकारें पंचायती राज व्यवस्था को संवैधावनक स्वरूप देने के संदभश में वववभन्न सवमवतयां
गवित करती रही थी। ऄवधकाश ं सवमवतयों ने पच
ं ायती राज व्यवस्था को सवं वधावनक दजाश प्रदान करने की बात कही
थी। आसके पररणाम स्वरूप ऄंततः वषश 1992 में भारतीय संसद ने 73 वााँ संववधान संशोधन ऄवधवनयम पाररत वकया
था और आसके माध्यम से पंचायती राज व्यवस्था को संवैधावनक दजाश प्रदान कर वदया गया था।

आस 73 वें संववधान संशोधन ऄवधवनयम के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था को संवैधावनक दजाश
प्रदान वकया गया था। आसके तहत ग्रामीण स्तर पर ग्राम सभा और ग्राम पंचायत, ब्लॉक स्तर पर पंचायत सवमवत और
वजला स्तर पर वजला पररषद के गिन का प्रावधान वकया गया था।

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ग्राम सभा
ग्राम सभा ग्रामीण स्तर पर पंचायती राज व्यवस्था की सबसे छोटी आकाइ है। 73 वें संववधान संशोधन ऄवधवनयम के
ऄतं गशत ग्राम सभा को पररभावषत वकया गया है। सववधं ान के भाग-09 के अनच्ु छे द-243 में ग्राम सभा को एक ऐसे
वनकाय के रूप में पररभावषत वकया गया है, जो ग्रामीण क्षेत्र में 18 वषश की अयु परू ी कर चक
ु े समस्त मतदाताओ ं से
वमलकर वनवमशत होता है। यह वनकाय कभी भी घवटत नहीं होता है। आसका ऄथश है वक यह एक स्थाइ वनकाय होता है।

सरल शब्दों में कहें, तो 18 वषश से उपर के सभी मतदाता ग्राम सभा के सदस्य होते हैं और आन सभी मतदाताओ ं के
समहू को ही ग्राम सभा कहा जाता है।
ग्राम सभा के यह सदस्य ही ग्रामीण स्तर पर ऄपने प्रवतवनवधयों का चनु ाव करते हैं। यह लोग पच
ं , सरपच
ं आत्यावद
प्रवतवनवधयों का प्रत्यक्ष चनु ाव करते हैं।

ग्राम सभा की धवशे षताएँ


 ग्राम सभा मख्ु यतः एक वनगरानी वनकाय होता है। यह ग्राम पंचायत द्वारा वकए जाने वाले कायों पर नज़र रखती
है।
 यह स्थाई धनकाय कभी भंग नहीं होता है और समस्त मतदाता आसके अजीवन सदस्य होते हैं।
 प्रत्येक ग्राम सभा के वलए ग्रामीण ववकास मंत्रालय द्वारा एक ग्राम धवकास अधधकारी(VDO) वनयक्त ु
वकया जाता है। यह ऄवधकारी ग्राम सभा के सदस्यों के प्रवत ईत्तरदाइ होता है।
ग्रामसभा को ‘गावं की सरकार’ कहते हैं।

ग्राम पच
ं ायत-(Village Council)
‘ग्राम पंचायत’ पंचायती राज व्यवस्था की सबसे छोटी वनवाशवचत आकाइ होती है। ग्राम पंचायत के सदस्यों का वनवाशचन
ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा वकया जाता है। ग्राम पच
ं ायत के सदस्यों का चनु ाव 5 वषों के वलए होता है। पच
ं ायती राज
व्यवस्था के वलए चनु ाव संपन्न कराने की वजम्मेदारी राज्य चनु ाव अयोग की होती है। वास्तव में, प्रत्येक राज्य में
‘राज्य चनु ाव अयोग’ का गिन पंचायती राज चनु ावों को संपन्न कराने के वलए ही वकया गया है।
प्रत्येक ग्राम पंचायत का हेड एक सरपंच/मुधखया/ग्राम प्रधान होता है। (Age-21)
वववभन्न राज्यों में सरपंच का पद नाम ऄलग ऄलग हो सकता है।
आसके ऄलावा, ग्राम पंचायत को वववभन्न वार्श में ववभक्त वकया जाता है। वार्श की संख्या का वनधाशरण गांव की
जनसंख्या के अधार पर वकया जाता है। प्रत्येक वार्श का प्रवतवनवधत्व एक पंच के द्वारा वकया जाता है। ग्राम पंचायत
स्तर पर समस्त पचं ों का मवु खया सरपचं होता है।
पच ं और सरपच ं दोनों का ही चुनाव प्रत्यक्ष धनवायचन के माध्यम से धकया जाता है। ऄतः सभी वार्श पच ं ों और
सरपंच से वमलकर ग्राम पंचायत का गिन होता है।
आस प्रकार सरपचं , ईपसरपचं और सभी वार्श पच
ं ों को वमलाकर ग्राम पच
ं ायत का गिन होता है।
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ग्राम पच
ं ायत की धवशे षताएँ
 ग्राम पंचायत ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से वनवाशवचत संस्था है। यह ग्राम सभा के प्रवत ईत्तरदाइ
होती है।
 आसके सदस्यों का कायशकाल 5 वषों का होता है। यह सस्ं था ग्रामीण ववकास सबं ंधी योजनाओ ं का वियान्वयन
करती है। यवद वकसी कारणवश ग्राम पंचायत 5 वषश का कायशकाल परू ा होने से पहले ही भंग हो जाती है और
ऄगली ग्राम पंचायत के चनु ाव होने में 6 माह से ऄवधक का समय शेष रहता है, तो ऐसी वस्थवत में, ग्राम
पच ं ायत के भगं होने की वतवथ से 6 माह की ऄववध के भीतर सबं ंवधत राज्य वनवाशचन अयोग को ईन्हें चनु ाव
कराना होता है और नवगवित ग्राम पंचायत के वल शेष कायशकाल के वलए ही ऄवस्तत्व में रहती है। नवगवित
ग्राम पंचायत का कायशकाल 5 वषों का नहीं होता है।
 ग्राम पंचायत के वलए पंचायती राज ववभाग (or राज्य सरकार) द्वारा ग्राम पंचायत
अधधकारी(VPO)/पच ं ायत सधचव वनयक्त ु वकए जाते हैं। जो ग्राम पच
ं ायत के प्रवत जवाबदेह होता है।

Exampl-ववधान सभा/पररषद् मंवत्रपररषद


ग्राम सभा और ग्राम पंचायत के कायय
ग्राम सभा के कायय
 ग्राम सभा मख्ु य रूप से ग्राम पचं ायत द्वारा वकए जाने वाले सभी कायों की वनगरानी करती है। आसका मख्ु य
ईद्देश्य ग्राम पंचायत द्वारा गांव के ववकास के वलए वकए जाने वाले कायों का पयशवेक्षण करना होता है।
 ग्राम सभा के सदस्य ग्राम पंचायत, पंचायत सवमवत और वजला पररषद के वलए ऄपने प्रवतवनवधयों का चनु ाव
भी करते हैं।
 आसका कायश ग्रामीण स्तर पर गांव के ववकास के वलए चनु ी गइ सरकारों को ववकास पररयोजनाओ ं व
कायशिमों संबंधी सझु ाव देना होता है।
 आसका कायश ववकास पररयोजनाओ ं के वलए पात्र ऄभ्यवथशयों की पहचान करना और ईन्हें योजनाओ ं का लाभ
वदलाना होता है।
 ग्राम सभा ग्राम पंचायत से ईसकी अय और व्यय का ब्यौरा मांग सकती है।
 ऄनेक ऄवसरों पर ग्राम सभा ववकास पररयोजनाओ ं में श्रमदान करके ग्रामीण ववकास को गवत प्रदान करती
है।
 ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा ग्राम पंचायत द्वारा वकए गए ववकास कायों की वनगरानी करने के वलए एक वनगरानी
सवमवत बनाइ जाती है। ग्रामसभा ईसकी ररपोटश पर ववचार ववमशश करती है और ईससे सबं ंवधत ऄपनी
वसफाररशें देती है।
 आसके ऄलावा ग्राम सभा स्वास््य, वशक्षा, पररवार कल्याण अवद के संबंध में भी ग्राम पंचायत का सहयोग
करती है।

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ग्राम पंचायत के कायय
 ग्राम पंचायत एक कायशकारी संस्था है। आसका मख्ु य कायश सरकार द्वारा अवंवटत वकए गए बजट का ईपयोग
करके ग्रामीण ववकास को सवु नवित करना होता है।
 73 वें संववधान संशोधन ऄवधवनयम, 1992 के माध्यम से ग्राम पंचायत को 29 ववषय सौंपे गए हैं। आसके
तहत ग्रामीण सड़कों को पक्का करना, गंदे पानी के वनकास की व्यवस्था करना, घरे लू ईपयोग और पशओ ु ं के
वलए पेयजल की व्यवस्था करना, तालाबों का रखरखाव व वसच ं ाइ के साधनों की व्यवस्था करना अवद
शावमल हैं।
 आसके ऄलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में मेल,े हाट, खेलों अवद के वलए सावशजवनक स्थल की व्यवस्था करना, ग्रामीण
चौपाल व गवलयों में प्रकाश का प्रबंध करना, जन्म-मृत्य,ु वववाह अवद का ररकॉर्श रखना, सावशजवनक
शौचालय बनवाना, प्राथवमक वशक्षा को बढावा देना अवद भी ग्राम पंचायत के प्रमख ु कायश हैं।
 वकसी योजना को लागू करने हेतु गााँव के योग्य लाभावन्वत होने वालों की पहचान करना (यवद ग्राम सभा नहीं
कर पाती है तो) |
 गााँव के भीतर रोजगार, वशक्षा व स्वास््य सम्बन्धी ववषयों पर कायश करना |
 गााँव में ईजाश, सड़क व ग्राम ववकास से जड़ु े सभी मद्दु ों पर कायश करना या ईवचत स्तर पर सरकार के समक्ष
रखना |
 पशधु न ववकास सम्बंधी कायश |
 गााँव के योग्य बालक व बावलकाओ में छात्रवृवतका स्वीकरण और अवंटन करना |
 गााँव के गरीब पररवार व बजु गो के वलए पेंशन और ऄन्य सवु वधा का लाभ देना |
 राशन या सावशजावनक ववतरण प्रणाली द्वारा सस्ते मल्ू य पर खाद्य का लाभ देना |
 प्रावधानानसु ार ग्राम सभा की वनयवमत बैिक बुलाना |

धनगरानी सधमधत
ग्राम पंचायत की वनगरानी का कायश ग्राम सभा की सवमवतयों द्वारा वकया जाता है | आसके वलए ग्राम सभा के ऐसे सदस्य
जो ग्राम पंचायत के सदस्य नहीं है, सवमवत द्वारा ग्राम पंचायत के कायश पर नज़र रखते है और वकसी भी प्रकार की
ऄवनयवमतता को रोकते है | यही सवमवत ग्राम सभा में ऄपनी ररपोटश प्रस्तुत करती है वजस पर खल ु कर चचाश की जाती है

ग्रामसभा की काययपाधिका-ग्राम पंचायत होती है।

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ग्राम सभा की बैठक
 प्रत्येक वषश ग्राम सभा की कम से कम दो बैिकें होती हैं।
 प्रत्येक ग्राम सभा प्रत्येक वषश में दो अम बैिकें अयोवजत करे गी, एक खरीफ फसल की कटाइ के तुरंत बाद
(बाद में खरीफ बैिक कहा जाता है) और दसू री रबी फसल की कटाइ के तुरंत बाद (आसके बाद रबी बैिक
कहा जाता है) वजसकी ऄध्यक्षता सबं ंवधत ग्राम पच ं ायत के प्रधान द्वारा की जानी जाएगी।
 ग्राम सभा की वकसी भी बैिक के वलए सदस्यों की संख्या का पांचवा वहस्सा कोरम तैयार करे गा
 कोरम के वलए स्थवगत बैिक के वलए कोइ कोरम अवश्यक नहीं होगा।
 राज्य सरकार, ऄनसु वू चत जावतयों, ऄनसु वू चत जनजावतयों और वपछड़े वगों के वलए प्रधानों के अरवक्षत
कायाशलयों द्वारा अदेश देगी।

ग्राम सभा की बैिक वषश में दो बार होनी अवश्यक है। आस बारे में सदस्यों को सचू ना बैिक से 15 वदन पवू श नोवटस से देनी होती है। ग्राम
सभा की बैिक को बुलाने का ऄवधकार ग्राम प्रधान को है। वह वकसी समय असामान्य बैिक का भी अयोजन कर सकता है।

वज़ला पंचायत राज ऄवधकारी या क्षेत्र पंचायत द्वारा वलवखत रूप से मांग करने पर ऄथवा ग्राम सभा के सदस्यों की मांग पर ऄथवा
पचं ायत सवचव के कहने पर प्रधान द्वारा 30 वदनों के भीतर बैिक बल ु ाया जाएगा। यवद ग्राम प्रधान बैिक अयोवजत नहीं करता है तो यह
बैिक ईस तारीख़ के 60 वदनों के भीतर होगी, वजस तारीख़ को प्रधान से बैिक बल ु ाने की मागं की गइ है। ग्राम सभा की बैिक के वलए
कुल सदस्यों की संख्या के 5वें भाग की ईपवस्थवत अवश्यक होती है। वकन्तु यवद गणपवू तश (कोरम) के ऄभाव के कारण बैिक न हो सके
तो आसके वलए दबु ारा बैिक का अयोजन वकया जा सकता है। दरबार बैिक के वलए 5वें भाग की ईपवस्थवत अवश्यक नहीं होती है।
प्रत्येक ग्राम सभा में एक ऄध्यक्ष होगा, जो ग्राम प्रधान, सरपच
ं ऄथवा मवु खया कहलाता है, तथा कुछ ऄन्य सदस्य होंगे।

आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्राम पंचायत, पंचायत सवमवत, वजला पररषद् के सदस्य, अय,ु कायशकाल, चनु ाव, अरक्षण
आत्यावद
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ईत्तर प्रदेश में पचं ायतीराज व्यवस्था, ईत्तर प्रदेश पच
ं ायती राज ऄवधवनयम 1947
VPO Exam 2023 के धिए Complete Course & Test Series
WhatsApp-9807342092
Course Fee-Rs-299/-Only
WhatsApp for UPPSC RO ARO, APS, VPO, LEKHPAL, JUNIOR ASSISTANT,
AHC RO/ARO & Group C
Courses and Test Series
CSE Exam India No-9807342092
VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-09
उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज व्यवस्था
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1947, उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1961
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज कानून अधधधनयम-1994, पंचायती राज धवभाग
Part-01
(District Panchayat, Area Panchayat & Gram Panchayat-Formation, Functions and Rights in U.P.)
अभी तक क्या पढ़ा
Chapter Name Related Topics in Syllabus
1 आततहास में पंचायतीराज व्यवस्था-प्राचीनकाल एवं मध्यकाल Topic(i)
2 तितटशकाल में पचं ायतीराज व्यवस्था-(लाडड ररपन काल) Topic(i)
3 तितटशकाल में पंचायतीराज व्यवस्था से सम्बंतधत ऄतधतनयम Topic(i)
(1919 और 1935 का ऄतधतनयम)
4 स्वतंत्रता के बाद पचं ायतीराज व्यवस्था All Topics
(सामदु ातयक तवकास कायडक्रम)
5 पंचायतीराज हेतु गतठत सतमततयां Topic(i) + Topic(ii)
6 73वां सतवंधान संसोधन ऄतधतनयम Topic(i)
भाग-9-ऄनच्ु छे द-243-243(A) to 243(O)
Part-01
7 73वां सतवधं ान ससं ोधन ऄतधतनयम Topic(i)
भाग-9-ऄनच्ु छे द-243-243(A) to 243(O)
Part-02
8 ग्राम सभा और ग्राम पचं ायत क्या है Topic(ii) & Others
गठन, कायड व ऄतधकार
9 ईत्तर प्रदेश पंचायतीराज व्यवस्था Base for Topic(ii)
ईत्तर प्रदेश पचं ायतीराज ऄतधतनयम-1947, ईत्तर प्रदेश
पंचायतीराज ऄतधतनयम-1961
ईत्तर प्रदेश पंचायतीराज काननू ऄतधतनयम-1994, पंचायती राज
तवभाग Part-01

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पचं ायती राज व्यवस्था (ई० प्र०) में ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत, और तजला पंचायत अते हैं। पंचायती राज व्यवस्था
अम ग्रामीण जनता की लोकतंत्र में प्रभावी भागीदारी का सशक्त माध्यम है। 73वााँ संतवधान संशोधन द्वारा एक
सतु नयोतजत पचं ायती राज व्यवस्था स्थातपत करने का मागड प्रशस्त तकया गया है। 73वां सतं वधान सश ं ोधन ऄतधतनयम
के लागू होते ही प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के पंचायत राज ऄतधतनयमों ऄथाडत् ई.प्र. पंचायत राज ऄतधतनयम-1947
एवम् ई.प्र. क्षेत्र पंचायत तथा तजला पंचायत ऄतधतनयम-1961 में ऄपेतक्षत संशोधन कर संवैधातनक व्यवस्था को
मतू डरूप तदया गया।

भारत देश में शासन का स्तर

भारत सरकार (कें द्र में)

राज्य सरकार (राज्यों में)

स्थानीय सरकार (पंचायतो के माध्यम से)

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उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज अधधधनयम-1947( भाग और अनच्ु छे द)
सतवधं ान में ससं ोधन होने से पवू ड ही ईत्तर प्रदेश में ऄपने स्तर की एक पच
ं ायती राज प्रणाली लागू थी। जब सतवधं ान में
संसोधन हुअ और पंचायती राज प्रणाली को सवैंधातनक दजाड तदया गया ईसके बाद ईत्तर प्रदेश में भी तनयतमत
सवैंधातनक पंचायती राज व्यवस्था को लागू तकया गया।
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1947 में
 कुल ऄध्याय-09
 कुल धाराएं-119
 कुल ऄनसु चू ी-01
भाग नाम अनच्ु छे द
1 प्रारंतभक ऄनच्ु छे द- 1 व 2
2 ग्राम सभा- ऄनच्ु छे द- 3 व 5
ग्राम सभा की स्थापना
ग्राम सभा का संघटन
2A ग्राम पंचायत- ऄनच्ु छे द- 5A-10
ग्राम पंचायत के सदस्यों की ऄनहताड
ग्राम पचं ायत हेतु तनवाडचक नामावली

3 ग्राम सभा- ऄनच्ु छे द-11


ग्राम सभा की बैठक
ग्राम सभा के कायड
3A ग्राम पचं ायत ऄनच्ु छे द-11A-14
4 ग्राम पंचायत की शतक्तयां ऄनच्ु छे द-15-31
ग्राम पंचायत के कतडव्य
ग्राम पच ं ायत का प्रशासन
5 भतू म का ऄजडन ऄनच्ु छे द-32-41
गावं की तनतध का गठन एवं समापन
6 न्याय पंचायत ऄनच्ु छे द-42-94A
7 बाह्य तनयंत्रण ऄनच्ु छे द-95-96A
8 शतक्तयां एवं प्रतक्रया ऄनच्ु छे द-97-109A
9 तनयम, ईपतवतधयााँ एवं तनरसन ऄनच्ु छे द-110-119

सभी भागों और ऄनच्ु छे दों को हम अगे के Chapters में तवस्ततृ रूप में पढ़ेंगे

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हमलोगों ने तपछले चैप्टसड में पंचायतीराज व्यवस्था के बारे में पढ़ा है, तजसमे पंचायतों के तनयक्त
ु सतमततयां, 73वां
सतवंधान संसोधन ऄतधतनयम 1993 एवं आसके तवतभन्न ऄनच्ु छे दों को पढ़ा था। यहााँ पर हम आन्हीं को थोड़ा संक्षेप में
देखते है, ईसके बाद ईत्तर प्रदेश में पचं ायतीराज व्यवस्था को पढ़ेंगे और तिर ईत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज ऄतधतनयम-
1947 को पढ़ेंगे।

भारत में पच
ं ायती राज व्यवस्था का धवकास
लाडड ररपन को भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक माना जाता है। वषड 1882 में ईन्होंने स्थानीय स्वशासन संबंधी
प्रस्ताव तदया तजसे स्थानीय स्वशासन संस्थाओ ं का ‘मैग्नाकाटाड’ कहा जाता है। वषड 1919 के भारत शासन ऄतधतनयम
के तहत प्रांतों में दोहरे शासन की व्यवस्था की गइ तथा स्थानीय स्वशासन को हस्तांतररत तवषयों की सचू ी में रखा
गया।

1950 सतं वधान में राज्य के नीतत तनदेशक तत्वों के ऄनच्ु छे द-


40 में यह तनदेश तदये गये हैं तक राज्य पंचायतों की
स्थापना के तलए अवश्यक कदम ईठायें और ग्रामीण स्तर
पर सभी प्रकार के कायड एवं ऄतधकार ईन्हें देने का प्रयत्न
करें ।
1952 सामुदाधयक धवकास कायडक्रम की शुरुआत(CDP-Community Development Programme)
सामदु ातयक तवकास कायडक्रम की शरुु अत(community development programme)-सामदु ातयक तवकास
कायडक्रम 2 ऄक्टूबर 1952 को शरू ु तकया गया था।
55 सामदु ातयक पररयोजनाओ ं का शभु ारंभ तकया गया।
सामदु ातयक तवकास कायडक्रम ग्रामीण क्षेत्रों के तवकास पर कें तद्रत थे।
समदु ाय के सदस्य समदु ाय से संबंतधत तकसी भी मद्दु े से संबंतधत तनणडय लेने और हल करने में शातमल थे।
राष्ट्रीय तवस्तार सेवा कायडक्रम की शरुु अत(national extension service)
इसको हमने धपछले चैप्टसड में अच्छे से Cover धकया है
1953 राष्ट्रीय धवस्तार सेवा कायडक्रम की शुरुआत(NES-National Extension Service)
राष्ट्रीय तवस्तार सेवा कायडक्रम ऄप्रैल 1953 में तैयार तकया गया था और आसका ईद्घाटन 2 ऄक्टूबर, 1953 को हुअ
था।
आसका गठन तब तकया गया था जब भारत सरकार ने महससू तकया तक सामदु ातयक तवकास कायडक्रम, तजसे 1952 में
बनाया गया था, धन की कमी के कारण परू े भारत में लागू नहीं तकया जा सका।
1956 आन योजनाओ ं की मलू यांकन की जरुरत पड़ी
स्वतंत्रता के पश्चात् वषड 1957 में योजना अयोग (ऄब नीतत अयोग) द्वारा सामदु ातयक तवकास कायडक्रम (वषड 1952)
और राष्ट्रीय तवस्तार सेवा कायडक्रम (वषड 1953) के ऄध्ययन के तलये बलवतं राय मेहता सधमधत का गठन तकया

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गया।
1957 वषड 1957 में ‘बलवतं राय मेहता सधमधत’ का गठन
तकया गया। नवंबर 1957 में सतमतत ने ऄपनी ररपोटड सौंपी
तजसमें तत्र-स्तरीय पच
ं ायती राज व्यवस्था- ग्राम स्तर,
मध्यवती स्तर एवं तिला स्तर लागू करने का सझु ाव
तदया।

1959 1958 में राष्ट्रीय तवकास पररषद ने बलवंत राय मेहता


सतमतत की तसिाररशें स्वीकार की तथा 2 ऄक्तूबर, 1959
को राजस्थान के नागौर तिले में तत्कालीन प्रधानमत्रं ी
जवाहरलाल नेहरू द्वारा देश की पहली तत्र-स्तरीय
पच
ं ायत का ईद्घाटन तकया गया।
ईसी वषड आसे अाँध्रप्रदेश राज्य में भी लागू तकया गया।
1961 आसे ईत्तर प्रदेश में भी लागू तकया गया। (पहले तत्रस्तरीय
नहीं था-In 1947 Amnd)
वषड 1960 से पंचायती राज्य प्रणाली की कायडप्रणाली के धवधभन्न पक्षों की जााँच के धलए कई अध्ययन दल
सधमधतयााँ और कायडदलों का भी गठन हुआ
(i) 1960 – कमेटी ऑन रे शनलाआजेशन ऑि पंचायत स्टेतटतस्टक्स (वी.अर.राव)
(ii) 1961 – वतकिं ग ग्रपु ऑन पंचायत एंड कोअपरे तटव्स (एस.डी.तमश्रा)
(iii) 1961 – स्टडी टीम ऑन पंचायती राज एडतमतनस्रेशन (वी. इश्वरन)
(iv) 1962 – स्टडी टीम ऑन न्याय पचं ायत्स (जी.अर.राजगोपाल)
(v) 1963 – स्टडी टीम ऑन पोतजशन ऑि ग्रामसभा आन पंचायती राज मवू मंट (अर.अर.तदवाकर)
(vi) 1963 – स्टडी टीम ऑन बजतटंग एंड एकाईंतटंग प्रोतसजर ऑि पंचायती राज आस्ं टीट्यश ू न (एम.राम.कृ ष्ट्णैथ्या)
(vii) 1963 – स्टडी टीम ऑन पंचायती राज िाआनेंसेज (के . संथानम)
(viii) 1965 – कमेटी ऑन पंचायती राज आलेक्शन्स (के . संथानम)
(ix) 1965 – स्टडी टीम ऑन पचं ायती ऑतडट एडं एकाईंट्स ऑि पच ं ायती राज बॉडीज (अर.के .खन्ना)
(x) 1966 – कमेटी ऑन पंचायती राज रेतनंग सेंटसड (जी. रामचंद्रन)
(xi) 1969 – स्टडी टीम ऑन आन्वालवमेंट ऑि डेवलपमेंट एजेंसी एंड पंचायती राज आस्ं टीट्यश ू न आन तद
आतम्पतलमेंटेशन ऑि बेतसक लैंड ररिॉमड मेजसड (वी.रामनाथन)
(xii) 1972 – वतकिं ग ग्रपु िॉर िामडल
ु ेशन ऑि तिफ्थ इयर प्लान ऑन कम्यतू नटी डेवलपमेंट एंड पंचायती राज
(एन.रामाकृ ष्ट्णैथ्या)
(xiii) 1976 – कमेटी ऑन कम्यआू नटी डेवलपमेंट एंड पंचायती राज (श्रीमती दया चौबे)
1977-1978 अशोक मेहता सधमधत का गठन
सतमतत की ररपोटड ऄगस्त 1978 में प्रस्तुत की गइ थी

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आसने 132 तसिाररशें प्रस्तुत की
क्योंतक आस समय ईत्तर प्रदेश में सरकार बदल गयी। ऄतः
पहले से लागू तत्रस्तरीय प्रणाली की जगह तद्वस्तरीय
प्रणाली लागू हुयी
अशोक मेहता सधमधत की महत्वपूणड धसफाररशें थी:
 तीन स्तरीय प्रणाली के बजाय दो स्तरीय प्रणाली
की तसिाररश की।
 पचं ायती राज सस्ं थाओ ं के पास कराधान की
ऄतनवायड शतक्त होनी चातहए।
 एक तनयतमत सामातजक ऄंकेक्षण होना चातहए।
 पच ं ायती राज के तलए एक मत्रं ी तनयक्त
ु तकया
जाना चातहए।
1985 जी.वी.के . राव सधमधत
जीवीके राव सतमतत का गठन 25 माचड, 1985 को योजना
अयोग द्वारा तकया गया।
 जी. वी. के . राव सतमतत ने "तजले" को योजना
की मलू आकाइ बनाने की तसिाररश की।
 1985 में जी. वी. के . राव सतमतत का गठन
तकया गया था।
 जी. वी. के . राव सतमतत ने तनयतमत चनु ाव कराने
की भी तसिाररश की।
1986 एल.एम. धसघं वी सधमधत
1986 में एल. एम. तसघं वी सतमतत का गठन तकया गया
था।
एल. एम. तसंघवी सतमतत ने पंचायतों को और ऄतधक
तवत्तीय संसाधन और संवैधातनक दजाड प्रदान करने की
तसिाररश की तातक ईन्हें समथड तकया जा सके ।
1988 पी.के . थुगंन सधमधत
1989 में पी.के . थन्ु गन सतमतत ने स्थानीय सरकारी
तनकायों के तलए सवं ैधातनक मान्यता की तसिाररश की।
स्थानीय सरकारी संस्थानों को अवतधक चनु ावों के तलए
प्रदान करने के तलए एक संवैधातनक संशोधन, और धन

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के साथ ईन्हें ईपयक्त
ु कायों की सचू ी की तसिाररश की
गइ थी।

1989-64वााँ संशोधन तवधेयक पी.के . थगु ंन सतमतत के सझु ाव के अधार पर 1989 मे 64


सतं वधान ससं ोधन तवधेयक प्रस्ततु तकया गया। परन्तु
राज्यसभा में बहुमत न होने की वजह से यह तवधेयक
पाररत नही हो सका।
1991 वी.पी.तसहं सरकार व नरतसम्हा राव सरकार
1992 73वां सशं ोधन अधधधनयम 1992 (73rd Amendment Act of 1992)
आस ऄतधतनयम द्वारा भारतीय संतवधान में भाग-09 को जोड़ तदया गया तजसका शीषडक ‘पंचायत’ रखा गया । आसमें
ऄनच्ु छे द 243 से लेकर ऄनच्ु छे द 243A-243O तक में कइ प्रावधान तकए गए हैं । आसके ऄततररक्त संतवधान में
ग्यारहवीं अनुसच ू ी भी जोड़ी गइ है। आसमें पंचायतों के कायड हेतु 29 मद हैं ।
आस ऄतधतनयम ने संतवधान के ऄनच्ु छे द 40 को व्यावहाररक रूप तदया ।
आसे 24 ऄप्रैल 1993 को लागू तकया गया ।

 आसके तहत देश में तत्रस्तरीय पचं ायतीराज प्रणाली को लागू तकया गया।
 भाग-09 में ऄनच्ु छे द 243 से लेकर ऄनच्ु छे द 243A-243O तक को जोड़ा गया।
 ग्यारहवीं ऄनसु चू ी भी जोड़ी गइ, तजसमें 29 तवषय शातमल तकये गए। (सतवंधान में कुल ऄनसु तू चयााँ-12)
ऄनच्ु छे द 243 क (A) – ग्रामसभा
ऄनच्ु छे द 243 ख (B) – ग्राम पंचायतों का गठन बारहवीं अनस ु चू ी: यह ऄनसु चू ी 74वें
ऄनच्ु छे द 243 ग (C) – पंचायतों की संरचना सवं ैधातनक सश ं ोधन (1993) के द्वारा जोड़ी गइ
ऄनच्ु छे द 243 घ (D) – स्थानों का अरक्षण है आसमें शहरी क्षेत्र की स्थानीय स्वशासन
ऄनच्ु छे द 243 ङ (E) – पंचायतों की कायडकाल सस्ं थाओ ं को कायड करने के तलय 18 तवषय
ऄनच्ु छे द 243 च (F) – सदस्यता के तलए ऄयोग्यताएाँ प्रदान तकए गए हैं.
ऄनच्ु छे द 243 छ (G) – पचं ायतों की शतक्तयााँ, प्रातधकार और ईत्तरदातयत्व
ऄनच्ु छे द 243 ज (H) – पंचायतों द्वारा कर लगाने की शतक्तयााँ और ईनकी तनतधयााँ
ऄनच्ु छे द 243 झ (I) – तवत्तीय तस्थतत के पनु तवडलोकन के तलए तवत्त अयोग का गठन
ऄनच्ु छे द 243 ञ (J) – पंचायतों की लेखाओ ं की संपरीक्षा
ऄनच्ु छे द 243 ट (K) – पंचायतों के तलए तनवाडचन
ऄनच्ु छे द 243 ठ (L) – सघं राज्यों क्षेत्रों को लागू होना
ऄनच्ु छे द 243 ड (M) – आस भाग का कततपय क्षेत्रों को लागू न होना
ऄनच्ु छे द 243 ढ (N) – तवद्यमान तवतधयों और पच ं ायतों का बना रहना
ऄनच्ु छे द 243 ण (O) – तनवाडचन सम्बन्धी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वणडन
आस साल 24 ऄप्रैल 2023 को 14वां राष्ट्रीय पंचायती तदवस मनाया गया है।
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1992 के अधधधनयम के तहत (in U.P.)
ईत्तर प्रदेश में ईत्तर प्रदेश पचं ायती क़ाननू ऄतधतनयम-1994 पास हुअ
यह 22 ऄप्रैल 1994 को लागू हुअ।
आसी के तहत पंचायतों के चनु ाव हेतु 23 अप्रैल 1994 को राज्य धनवाड चन आयोग का गठन तकया गया।
ईत्तर प्रदेश में पंचायतों की तत्रस्तरीय व्यवस्था लागू की गयी- धजला पंचायत, क्षेत्र पंचायत, ग्राम पंचायत
 ईत्तर प्रदेश में कुल तजला पंचायत-75 तजला स्तर ब्लॉक स्तर ग्राम स्तर
 ईत्तर प्रदेश में कुल क्षेत्र पचं ायत-826
 ईत्तर प्रदेश में कुल ग्राम पंचायत-58194

उत्तर प्रदेश में धजला पंचायत


ईत्तर प्रदेश में कुल 75 तजलें हैं ऄतः 75 तजला पंचायत है।
आनके सदस्यों का चनु ाव प्रत्यक्ष चनु ाव द्वारा होता है।
सदस्यों द्वारा ही ऄपने में से एक को ऄध्यक्ष एवं ईपाध्यक्ष चनु ा जाता है।
धजला पंचायत का सधचव-तजले का मख्ु य तवकास ऄतधकारी (CDO-Chief Development Officer) ऄथवा
तजला पंचायत राज ऄतधकारी (DPRO) होता है।
धजला पंचायत 6 सधमधतओ ं द्वारा अपने कायों का सच ं ालन करती है-
 पचं ायत सतमतत
 तनमाडण कायड सतमतत
 तनयोजन व तवकास सतमतत
 स्वास्थ्य एवं कलयाण सतमतत
 तशक्षा सतमतत
 जल सतमतत
उत्तर प्रदेश में क्षेत्र पंचायत
एक या ऄतधक ग्रामों को तमलाकर बनती है।
आसके सदस्यों का चनु ाव ग्राम सभा के व्यतक्तयों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से तकया जाता है।
ये सदस्य ऄप्रत्यक्ष वोतटंग द्वारा ऄपने में से एक प्रमख ु व एक ईपप्रमख ु का चनु ाव करते है।
क्षेत्र पचं ायत का सधचव-खडं तवकास ऄतधकारी (BDO) कहलाता है।
क्षेत्र पंचायत भी 6 सतमततओ ं द्वारा ऄपने कायों का संचालन करती है।
प्रमख ु के तवरुद्ध ऄतवश्वास प्रस्ताव सदस्यों द्वारा 1 वषड के ऄदं र नहीं लाया जा सकता।

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उत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत
धारा-12 के तहत ग्राम पंचायत के गठन का प्रावधान तकया गया
ग्राम सभा द्वार आसके सभी सदस्यों और मतु खया का चनु ाव प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से होता है।
ग्राम पंचायत का सधचव-ग्राम पंचायत ऄतधकारी (VPO) होता है।
ग्राम पंचायत के सतचव को ग्राम सेवक के रूप में जाना जाता है।
ग्राम पंचायत ऄतधकारी का काम गांव में सरकार की योजनाओ ं के तक्रयान्वयन, गांव के तवकास और धन से संबंतधत
सभी ऄतभलेखों का ऄतभलेख रखना होता है।

ग्राम पच ं ायत के सधचव को कै से हटाया जा सकता है-


समय से पहले पदमक्त ु करने के तलए एक तलतखत सचू ना तजला पंचायत राज ऄतधकारी को दी जानी चातहए, तजसमे
ग्राम पचं ायत के अधे सदस्यों के हस्ताक्षर होने िरूरी होते हैं। सचू ना में पदमक्त
ु करने के सभी कारणों का ईललेख
होना चातहए।

ग्राम पंचायत के सदस्यों की सख्ं या-


1000 की जनसाँख्या पर- 9 सदस्य
1001-2000 की जनसाँख्या पर- 11 सदस्य
2001-3000 की जनसाँख्या पर- 13 सदस्य
3000+ की जनसाँख्या पर- 15 सदस्य

ग्रामसभा की बैठक
सामान्य बैठक
ग्रामसभा की बैठक वषड में दो बार ऄतनवायड हैं पर दो से ऄतधक बार भी बैठक हो सकती है।
ग्राम सभा की प्रथम बैठक रबी के िसल कटने के तरु ं त बाद होती है तजसे रबी की बैठक कहा जाता है । दसू री बैठक
खरीि की िसल कटने के तुरंत बाद होती है तजसे खरीि की बैठक कहा जाता है।
यह दो सामान्य बैठक हैं।

धवशे ष बैठक
ग्राम सभा के 1/5 सदस्यों की मांग पर ग्राम प्रधान को ग्राम सभा की बैठक बुलानी पड़ती है ।
तवशेष बैठक मख्ु य रूप से तवत्तीय तस्थतत ररपोटड लेखा जोखा व सम्बंतधत ग्रामीण योजनाओ ं से सम्बंतधत कायों एवं
ऄन्य जरुरी तनणडयों हेतु की जाती है।

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ग्राम सभा की बैठक के धलये कोरम-
कोरम वह न्यनू तम संख्या होती है जो तकसी बैठक या कायड के तलये अवश्यक होती है।ग्राम सभा की बैठक के तलये
कोरम ग्राम सभा सदस्यों का 1/5 तनधाडररत तकया गया है ।ऄथाडत बैठक में ग्राम सभा के 1/5 सदस्य ईपतस्थत होना
ऄतनवायड है ।कोरम के अभाव में बैठक स्थतगत कर दी जाती है। एक तनतश्चत ऄवतध के बाद बैठक दबु ारा बुलाइ
जाती है ।एक बार कोरम के अभाव में स्थतगत बैठक के तलये दसू री बार कोरम की अवश्यकता नहीं होती है।

ध्यान दें-ग्राम पंचायत के गठन के 30 तदन के ऄंदर प्रथम बैठक करनी होती है।

ग्राम प्रधान/मुधखया को हटाने की प्रधक्रया


पचं ायतीराज ऄतधतनयम की धारा-14 ग्रामीणों को ऄपने गावं के प्रधान/ईपप्रधान को हटाने की शतक्त प्रदान करती है ।
तकसी भी ग्राम प्रधान या सरपंच को हटाने के दो तरीके होते हैं-
 प्रथम अधवश्वास प्रस्ताव
 तद्वतीय यतद ग्राम प्रधान सरकारी आदेशों की अवहेलना करे तो राज्य सरकार प्रधान पर कायडवाही कर
ईसे पदमक्त
ु कर सकती है ।

अधवश्वास प्रस्ताव कै से लाया जाता है-


ग्राम प्रधान के तवरुद्ध ऄतवश्वास प्रस्ताव की प्रतक्रया बड़ी सरल है ।यतद ग्रामीण ऄपने ग्राम प्रधान के कायों से ऄसंतुष्ट
है ,ईसके ऄन्याय और भ्रष्टाचार से परे शान हैं तो ग्रामसभा के आधे से अधधक सदस्यों के हस्ताक्षर सधहत एक
अवेदन तजसमे ग्राम पचं ायत के तीन सदस्यों ऄथाडत पच ं ों के हस्ताक्षर भी होने ऄतनवायड हैं को तजला पच
ं ायत राज
ऄतधकारी ( डी पी अर ओ )के समक्ष प्रस्तुत करना होता है ।तजला पंचायत राज ऄतधकारी के समक्ष अवेदन प्रस्तुत
करते समय यह जरूरी है तक ग्रामपंचायत के तीन सदस्य तजन्होंने अवेदन पर हस्ताक्षर तकए थे तजला
पचं ायतराजऄतधकारी को ऄतवश्वासप्रस्ताव का अवेदन देते समय ऄतनवायड रूप से ईपतस्थत होना पड़ता।

तजला पंचायत राज ऄतधकारी(DPRO) 30 तदनों के ऄंदर-ऄंदर ग्राम सभा की बैठक बुलाते हैं तजसकी सचू ना 15
तदन पवू ड ग्राम पंचायत कायाडलय में चस्पा दी जाती है या मनु ादी या डुग्गी द्वारा ग्रामसभा को दे दी जाती है। डी पी अर
ओ की ईपतस्थतत में ग्राम सभा की बैठक होती है तजसमे ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा ऄतवश्वास प्रस्ताव लाया जाता है।
ऄतवश्वास प्रस्ताव लाये जाने के बाद गुप्त मतदान होता है । ग्राम सभा की बैठक में ईपतस्थत एवं मत देने वाले सदस्यों
का दो धतहाई(2/3) मत पड़ना अवश्यक होता है । यतद दो ततहाइ मत पड़ जाते हैं तब प्रधान ऄपना आस्तीिा दे देता
है.

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अधवश्वास प्रस्ताव के धनयम-
 ऄतवश्वास प्रस्ताव सम्बन्धी प्राथडनापत्र ग्रामसभा के अधे सदस्यों व 3 पंचायत सदस्यों द्वारा डी पी अर ओ
के समक्ष प्रस्तुत करना होता है।
 डी पी अर ओ 30 तदनों के ऄदं र ग्राम सभा की बैठक बल ु ाता है तजसकी सचू ना 15 तदन पहले कर दी जाती
है।
 ग्राम सभा की बैठक में कोरम के तलये 1/5 सदस्य ऄतनवायड होते हैं। कोरम के अभाव में बैठक स्थतगत हो
जाती है व ऄतवश्वास प्रस्ताव खाररज हो जाता है । कोरम के अभाव में खाररज हुये ऄतवश्वास प्रस्ताव के
चलते ऄगला ऄतवश्वास प्रस्ताव एक साल बाद ही लाया जाता है।
 तकसी प्रधान के तवरुद्ध समान्यता ऄतवश्वास प्रस्ताव ईसके प्रारतम्भक दो वषड के कायडकाल तक नहीं लाया
जाता है।
 ग्राम सभा की बैठक में ईपतस्थत व मतदान देने वाले सदस्यों का दो ततहाइ मत ऄतवश्वास प्रस्ताव के तलये
अवश्यक है।

उपप्रधान के धवरुद्ध अधवश्वास प्रस्ताव -


ईपप्रधान के तवरुद्ध ऄतवश्वास प्रस्ताव लाने की वही प्रतक्रया है जो प्रधान के तवरुद्ध ऄतवश्वास प्रस्ताव लाने की है, बस
ऄतं र के वल यह है तक जहााँ ग्राम प्रधान के तवरुद्ध ऄतवश्वास प्रस्ताव ग्राम सभा के अधे सदस्य व ग्रामपच ं ायत के
सदस्य तमलकरलाते हैं वहीं ईपप्रधान के तवरुद्ध ऄतवश्वास प्रस्ताव ग्राम पंचायत के सदस्य द्वारा ही लाया जाता है।

ग्राम प्रधान को हटाने का धद्वतीय प्रावधान


ग्राम प्रधान के तवरुद्ध यतद कोइ तवत्तीय ऄतनयतमतता या भ्रष्टाचार सम्बन्धी मामला है तब राज्य सरकार ग्राम प्रधान के
तवरुद्ध कायडवाही कर सकती है एवं ईसे पदमक्त ु कर सकती है।

ग्राम प्रधान या सरपंच का वेतन


ग्राम प्रधान या सरपंच को मानदेय के रूप वेतन तमलता है। ग्राम प्रधान का मानदेय ऄलग-ऄलग राज्यों में ऄलग-
ऄलग है। ईत्तर प्रदेश सरकार ने ग्राम प्रधानों का मानदेय ऄब 5000 (पहले 3500) रुपये मातसक तनधाडररत तकया है
साथ ही ईसे कइ ऄन्य भत्ते भी प्रदान तकये जाते हैं।

यह सच है तक ग्राम प्रधानों को बहुत मामल


ू ी मानदेय प्राप्त होते हैं जबतक वह तदन रात जन सेवा में लगे रहते है। कहीं न
कहीं ग्राम प्रधानों का यह कम मानदेय ही पंचयतों में भ्रष्टाचार का एक कारण भी है।

उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज अधधधनयम-1947 से सम्बधं धत सभी धाराओ ं को Next Chapter में पढ़ेंगे

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उत्तर प्रदेश पंचायती राज धवभाग
1948 में, पंचायती राज तवभाग को पंचायती राज ऄतधतनयम, 1947 के प्रावधानों के तहत बनाया गया था।
पंचायती राज तवभाग की स्थापना ग्राम पंचायतों के कामकाज के तनयमन और तनगरानी के तलए की गइ थी।
नतीजतन, यपू ी क्षेत्र पचं ायत और तजला पचं ायत ऄतधतनयम, 1961 को मध्यवती और तजला स्तर पर स्थानीय
प्रशासन को चलाने के तलए पाररत तकया गया था।
ईपयडक्त
ु ऄतधतनयम के माध्यम से, क्षेत्र पंचायतों और तजला पंचायतों की स्थापना की गइ थी।
वतडमान में, 75 तजला पचं ायतें और 826 क्षेत्र पच
ं ायतें हैं, और ईत्तर प्रदेश में स्थानीय प्रशासन की तत्रस्तरीय सरं चना है
 तजला स्तर पर तजला पंचायत
 मध्यवती पचं ायत स्तर पर क्षेत्र पचं ायत
 ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत

Extra Facts-ईत्तर प्रदेश में कुल 17 नगर तनगम, 198 नगर पातलका और 493 नगर पंचायत है

आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ईत्तर प्रदेश में पचं ायतीराज व्यवस्था, ईत्तर प्रदेश पच
ं ायती राज ऄतधतनयम 1947(प्रमख
ु धाराएं)
VPO Exam 2023 के धलए Complete Course & Test Series
WhatsApp-9807342092
Course Fee-Rs-299/-Only
WhatsApp for UPPSC RO ARO, APS, VPO, LEKHPAL, JUNIOR ASSISTANT,
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No-9807342092

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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-10
उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज व्यवस्था
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1947, उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1961
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज कानून अधधधनयम-1994, पंचायती राज धवभाग
Part-02
(District Panchayat, Area Panchayat & Gram Panchayat-Formation, Functions and Rights in U.P.)
उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज अधधधनयम-1947( भाग और धारा)
आसे सयं क्त
ु प्रतं पचं रयतीररज ऄधधधनयम 1947 भी कहर जरतर है। ईत्तर प्देश धिधरन सभर ने 5 जनू , 1947 को तथर
ईत्तर प्देश धिधरन पररषद् ने 16 धसतम्बर, सन् 1947 को परररत धकयर। गिननमेंट ऑफ आधं डयर ऐक्ट, 1935 की धररर
76 के ऄधीन डोमीधनयन अफ आधं डयर के गिननर जनरल की स्िीकृ धत 7 धदसम्बर, 1947 को प्रप्त हुइ
य०ू पी० गिननमेंट गजट में धदनरंक 27 धदसम्बर, 1947 को प्करधशत धकयर गयर। आसी धदन से लरगू हुअ
उत्तर प्रदेश पच ं ायतीराज अधधधनयम-1947 में
 कुल ऄध्यरय-09
 कुल धरररएं-119
 कुल ऄनसु चू ी-01
भाग नाम धाराएं
1 प्ररंधभक धररर- 1 ि 2
2 ग्ररम सभर- धररर- 3 ि 5
ग्ररम सभर की स्थरपनर
ग्ररम सभर कर संघटन
2A ग्ररम पंचरयत- धररर- 5A-10
ग्ररम पचं रयत के सदस्यों की ऄनहतरन
ग्ररम पंचरयत हेतु धनिरनचक नरमरिली
3 ग्ररम सभर- धररर-11
ग्ररम सभर की बैठक
ग्ररम सभर के करयन
3A ग्ररम पंचरयत धररर-11A-14

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4 ग्ररम पंचरयत की शधक्तयरं धररर-15-31
ग्ररम पचं रयत के कतनव्य
ग्ररम पंचरयत कर प्शरसन
5 भधू म कर ऄजनन धररर-32-41
गरिं की धनधध कर गठन एिं समरपन
6 न्यरय पंचरयत धररर-42-94A
7 बरह्य धनयंत्रण धररर-95-96A
8 शधक्तयरं एिं प्धियर धररर-97-109A
9 धनयम, ईपधिधधयराँ एिं धनरसन धररर-110-119
अपके परीक्षर में प्श्न धरररओ ं से सम्बंधधत ही अएंगे, ऄतः हम आसे ही पढ़ेंगे
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1947(सभी धाराए)ं
धारा 1. सधं िप्त शीषषक, धवस्तार और प्रारंभ
धारा 2. पररभाषाएँ

ग्राम सभा
धारा 3. ग्राम सभा
धारा 4. हटाया गया
धारा 5. ग्राम सभा की सदस्यता(हटाया गया)

ग्राम पंचायत
धररर 5ए. ग्ररम पंचरयत सदस्यतर की ऄयोग्यतर
धररर 5बी. प्धरन कर पद सभं रलने के धलए योग्यतर
धारा 6. सदस्यता की समाधप्त
धररर 6ए. ऄयोग्यतर के संबंध में प्श्न पर धनणनय
धारा 7. हटा धदया गया
धारा 8. जनसख्ं या में पररवतषन का प्रभाव या ग्राम पच ं ायत के िेत्र को नगर पाधिकाओ ं आधद में शाधमि
करना।
धारा 9. प्रत्येक प्रादेधशक धनवाषचन िेत्र के धिए मतदाता सच ू ी
धररर 9ए. िोट देने कर ऄधधकरर अधद.
धारा 10. ग्राम सभा की स्थापना तथा ग्राम पच ं ायत के कामकाज में कधिनाई को दूर करना

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ग्राम सभा
धारा 11. ग्राम सभा की बैिक एवं कायष

ग्राम पच
ं ायत
धररर 11ए. ग्ररम पंचरयत के प्धरन और ईपप्धरन
धररर 11बी. प्धरन कर चनु रि
धररर 11सी. ईपप्धरन कर चनु रि एिं ईसकर करयनकरल
धररर 11डी. कुछ पदों को एक सरथ धररण करने पर प्धतबंध
धररर 11इ. एक सरथ दो करयरनलय रखने पर भी रोक
धररर 11एफ. पचं रयत क्षेत्र की घोषणर
धारा 12. ग्राम पचं ायत
धररर 12ए. चनु रि कर तरीकर
धररर 12एए. प्धरन, ईपप्धरन एिं सदस्यों को भत्ते
धररर 12बी. ग्ररम पंचरयत की बैठकें
धररर 12बीबी. चनु रि कर ऄधीक्षण अधद
धररर 12बीसी. चनु रि कररने से सबं ंधधत ऄन्य प्रिधरन
धररर 12बीसीए. चनु रि प्योजनों के धलए पररसर िरहनों अधद की मरंगें
धररर 12बीसीबी. मअ ु िजे कर भगु तरन
धररर 12 बीसीसी. सचू नर प्रप्त करने की शधक्त
धररर 12बीसीडी. पररसर में प्िेश और धनरीक्षण अधद की शधक्त.
धररर 12बीसीइ. ऄधधग्रहीत पररसर से बेदखली
धररर 12बीसीएफ. पररसर को मरंग से मक्त ु करनर
धररर 12बीडी. चनु रि के सबं ंध में अधधकरररक कतनिय् कर ईल्लघं न
धररर 12सी. चनु रि पर सिरल ईठरने के धलए अिेदन
धररर 12डी. धररर 12-सी के प्रिधरन
धररर 12इ. पदों की शपथ
धररर 12एफ. पंजीकरण
धारा 12जी. आम चुनाव(हटाया गया)
धररर 12एच. अकधस्मक िैकेंसी
धररर 12अइ. चनु रिी मरमलों में धसधिल न्यरयरलयों कर क्षेत्ररधधकरर िधजनत

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धररर 12 जे. कुछ मरमलों में ऄस्थरयी व्यिस्थर
धारा 12K. प्रधान एवं उपप्रधान के पद का कायषकाि(हटाया गया)
धारा 13. आय एवं व्यय का वाधषषक अनुमान(हटाया गया)
धारा 14. प्रधान को हटाना
धररर 14ए. ऄधभलेख अधद सौंपने में धिफलतर के धलए दंड.
धररर 14बी. ईपप्धरन को हटरयर जरनर

धारा 15. ग्राम पंचायत के कायष


धररर 15ए. योजनर की तैयररी
धारा 16. कायष जो ग्राम पंचायत को सौंपे जा सकते हैं
धररर 16ए. ऄधधकरर क्षेत्र के बरहर संगठनों अधद के धलए योगदरन करने की शधक्त
धारा 17. सावषजधनक सड़कों, जिमागों और अन्य मामिों के सबं ंध में ग्राम पंचायतों की शधि
धारा 18. स्वच्छता में सध ु ार
धारा 19. स्कूिों और अस्पतािों का रखरखाव और सध ु ार
धारा 19ए. हटाए गए
धररर 20. ग्ररम पचं रयतों के समहू के धलए प्रथधमक धिद्यरलय, ऄस्पतरल औषधरलय, सड़क यर पल ु की स्थरपनर
धररर 21. सरकररी सेिकों को सहरयतर
धररर 22. ग्ररम पंचरयतों द्वररर प्धतधनधधत्ि एिं धसफरररशें
धररर 23. कुछ ऄधधकरररयों के कदरचरर के बररे में जरच ं करने और ररपोटन करने की शधक्त
धररर 24. स्िरधमयों के धलए करों और ऄन्य देयों की िसल ू ी के धलए ऄनबु ंध करने की शधक्त
धररर 25. कमनचररी
धररर 25ए. सधचि
धररर 26. व्यधक्तगत सदस्यों कर ऄधधकरर
धररर 27. ऄधधभरर
धारा 28. सदस्यों और सेवकों का िोक सेवक होना
धररर 28ए. भधू म प्बंधक सधमधत
धररर 28बी. भधू म प्बंधक सधमधत के करयन
धररर 28सी. सदस्यों और ऄधधकरररयों को भधू म प्बंधक सधमधत के सरथ ऄनबु ंध अधद में रुधच नहीं लेनी चरधहए
धारा 29. सधमधतयाँ
धारा 30. सयं िु सधमधत
धारा 31. प्रधतधनधधमंडि

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धारा 32. गाँव धनधध
धररर 32ए. धित्त अयोगएम
धारा 33. भूधम अधधग्रहण करने की शधि
धररर 34. सम्पधत्त ग्ररम पंचरयत में धनधहत
धररर 35. दरिों कर धनपटरन
धररर 36. ईधरर लेने की शधक्त
धारा 37. करों और उपकरों का अधधरोपण
धररर 37ए. कर, दर यर शल्ु क लगरने के धिरुद्ध ऄपील
धररर 37बी. भ-ू ररजस्ि के बकरयर के रूप में िसल ू ी योग्य कर और देय ररधशयराँ
धररर 37सी. कर, दर यर शल्ु क कर सश ं ोधन
धररर 38. मृत्यु की िसल ू ी, धनधधयों और खरतों की ऄधभरक्षर
धररर 39. न्यरय पंचरयत के व्यय कर ग्ररम धनधध पर भरर होनर
धररर 40. लेखरपरीक्षर
धररर 41. ग्ररम पंचरयत कर बजट

न्याय पंचायत
धररर 42. न्यरय पंचरयत की स्थरपनर
धररर 43. पंचों की धनयधु क्त और ईनकर करयनकरल
धररर 44. सरपचं यर सहरयक सरपचं कर चनु रि
धररर 45. पंच की ऄिधध
धारा 46. हटाया गया
धररर 47. पंचों कर त्यरगपत्र
धारा 48. हटाया गया
धररर 49. न्यरय पंचरयत की न्यरयपीठ
धररर 50. अकधस्मक ररधक्तयों को भरनर
धररर 50ए. सहरयक सरपचं की शधक्तयरं
धररर 51. प्रदेधशक क्षेत्ररधधकरर
धररर 52. न्यरय पंचरयतों द्वररर संज्ञेय ऄपररध
धररर 53. शरधं त बनरए रखने के धलए सरु क्षर
धररर 54. दंड

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धररर 55. मरमलों कर संज्ञरन
धररर 56. न्यरयरलयों द्वररर मरमलों कर न्यरय पंचरयतों को स्थरनरंतरण
धररर 57. धशकरयत कर सधं क्षप्त धनररकरण
धररर 58. न्यरय पंचरयत द्वररर मरमलों कर न्यरयरलयों में स्थरनरंतरण
धररर 59. कुछ व्यधक्तयों पर न्यरय पंचरयत द्वररर मक ु दमर न चलरयर जरनर
धररर 60. धशकरयतकतरनओ ं को मअ ु िजर
धररर 61. ऄधभयक्त ु को मअ
ु िजर
धररर 62. ऄपररधधयों को पररिीक्षर पर ररहर करनर
धररर 63. मधजस्रेट द्वररर ऄग्रेधषत मरमलों में जराँच
धररर 64. धसधिल मरमलों में ऄधधकरररतर कर धिस्तरर
धररर 65. पक्षों की सहमधत से क्षेत्ररधधकरर कर धिस्तरर
धररर 66. न्यरय पंचरयत के ऄधधकरर क्षेत्र कर बधहष्करर
धररर 67. धसधिल मरमले में सपं णू न दरिर शरधमल होगर
धररर 68. पररसीमर
धररर 69. न्यरय पंचरयत के धनणनय कर प्भरि
धररर 70. ई0प्0 भ-ू ररजस्ि ऄधधधनयम, 1901 के ऄन्तगनत करयनिरही
धररर 71. पनु रीक्षण
धररर 72. न्यरधयक करयनिरही और लंधबत मरमले
धररर 73. धररर 70 के तहत मरमलों के धलए प्धियर
धारा 74. समवती िेत्राधधकार
धररर 74-ए. धकसी धसधिल मरमले में कररन िरइ कर कररण एक से ऄधधक सधकन लों में ईत्पन्न होने पर मक
ु दमर चलरयर
जरतर है
धररर 74-बी. परीक्षण जहरं ऄपररध कर दृश्य ऄधनधित है यर के िल एक सकन ल में नहीं है यर जहरं ऄपररध जररी है यर
कइ कृ त्यों से यक्त
ु है
धररर 75. धसधिल मरमलों और अपररधधक मरमलों कर संस्थन
धररर 76. अिेदन को न्यरयपीठ के समक्ष प्स्ततु धकयर जरनर
धररर 77. धकसी पीठ कर ऄध्यक्ष
धररर 77-ए. बेंच से एक पंच की ऄनपु धस्थधत
धररर 78. सबं ंधधत पक्ष की ऄनपु धस्थधत में धसधिल मरमलों और अपररधधक मरमलों को खरररज करनर
धररर 79. न्यरय पंचरयत द्वररर ऄपने धनणनय की समीक्षर यर पनु रीक्षण न करनर

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धररर 80. धिधध व्यिसरयी कर न्यरय पंचरयत के समक्ष ईपधस्थत न होनर
धररर 81. व्यधक्तगत रूप से यर प्धतधनधध द्वररर ईपधस्थधत
धररर 82. कुछ मरमलों में धिशेष क्षेत्ररधधकरर
धररर 83. सत्य सधु नधित करने की प्धियर और शधक्त
धररर 84. बहुमत कर प्बल होनर
धररर 85. न्यरय पचं रयत से मरमले स्थरनरतं ररत करने की िररष्ठ न्यरयरलय की शधक्त
धररर 86. गिरहों को समन जररी करनर
धररर 87. न्यरय पंचरयत के समक्ष ईपधस्थत न होने पर दंड
धररर 88. दीिरनी मक ु दमों को खरररज करनर अधद.
धररर 89. सश ं ोधन
धररर 90. प्धतिरदी यर ऄधभयक्त ु व्यधक्तयों को समन
धररर 91. िररंट
धररर 92. धडिी कर भगु तरन यर समरयोजन दजन धकयर जरनर
धररर 93. धडिी कर धनष्परदन
धररर 94. जमु रनने की िसलू ी
धररर 94-ए. न्यरय पचं रयत की ऄिमरननर

बाह्य धनयंत्रण
धररर 95. धनरीक्षण
धररर 95-ए. ररज्य सरकरर की शधक्त
धररर 96. कधतपय करयनिरधहयों कर धनषेध
धररर 96-ए. ररज्य सरकरर द्वररर शधक्तयों कर प्त्यरयोजन

शधियां एवं प्रधिया


धररर 97. ऄधधधनयम के प्रिधरनों के ईल्लंघन के धलए जमु रननर
धररर 97-ए. मरगं के सबं ंध में धकसी भी अदेश के ईल्लघं न के धलए जमु रननर
धररर 98. धनयमों और ईपधनयमों कर ईल्लंघन
धररर 99. ग्ररम पंचरयत की संपधत्त से छे ड़छरड़ पर जमु रननर
धररर 100. जररी धकये गये नोधटस की ऄिज्ञर
धररर 101. नोधटस कर ऄमरन्य न होनर

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धररर 102. ऄपील
धररर 103. कुछ मरमलों में ऄधभयोजन कर धनलंबन
धररर 104. ऄपररधों कर शमन करने की शधक्त
धररर 105. प्िेश और धनरीक्षण
धररर 106. ग्ररम सभरओ,ं ग्ररम पंचरयतों, ईनके ऄधधकरररयों यर न्यरय पंचरयत के ऄधधकरररयों और सेिकों के धिरुद्ध
मक
ु दमर
धररर 107. ग्ररम पंचरयत एिं न्यरय पंचरयत को संरक्षण
धररर 107-ए. करयनिरही की िैधतर
धररर 108..ऄपररधों के संबंध में पधु लस की शधक्तयरं और कतनव्य तथर पंचरयतों को सहरयतर
धररर 109. क्षेत्ररधधकरर के बररे में धििरद
धररर 109-ए. ऄधभलेखों की ऄधभरक्षर और प्मरण कर तरीकर

धनयम, उपधवधधयाँ एवं धनरसन


धररर 110. धनयम बनरने की ररज्य सरकरर की शधक्तयराँ
धररर 111. ईपधिधध बनरने की धजलर पंचरयत की शधक्तयराँ
धररर 112. ईपधिधध बनरने की ग्ररम पचं रयत की शधक्तयराँ
धररर 113. धनरसन और क्षणभंगुर प्रिधरन
धररर 114. कुछ मरमलों में अकधस्मक ररधक्तयों को ऄधरू र छोड़ धदयर जरनर
धररर 115. कुछ मरमलों में सपं धत्त, सपं धत्त, ऄधधकरर देनदरररयों और दरधयत्िों कर ईत्तररधधकरर
धररर 116. देय रकम
धररर 117. ऊण, दरधयत्ि, ऄनबु ंध और लंधबत करयनिरही
धररर 118. ग्ररम पंचरयत के गठन तक प्रिधरन
धररर 119. कधठनरआयों को दरू करने की शधक्त

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धारा 1. सधं िप्त शीषषक, धवस्तार और प्रारभ ं
आस ऄधधधनयम को ईत्तररंचल धत्रस्तरीय पंचरयत ररज संशोधन ऄधधधनयम, 2002 कहर जर सकतर है। आसकर धिस्तरर
सपं णू न ईत्तररचं ल ररज्य पर है। यह तत्करल प्भरि से लरगू होगर।

धारा 2. पररभाषाएँ
इस अधधधनयम में, जब तक धक धवषय या सदं भष में कोई प्रधतकूि बात न हो-
क) न्याय पच ं ायत कर ऄरथ् धररर 42 के तहत स्थरधपत न्यरय पच ं रयत है और आसमें ईसकी एक पीठ भी शरधमल है
ख) 'वयस्क' कर ऄथन िह व्यधक्त है धजसने 21 िषन की अयु प्रप्त कर ली है
(ग) दाधडडक कायषवाही-से तरत्पयन ऐसी दरधडडक करयनिरही से है जो ऐसे ऄपररध के सम्बन्ध में की जरये धजसकी
सनु िरइ न्यरय पचं रयत कर सकती है और ईसके ऄन्तगनत धररर 53 के ऄधीन कोइ करयनिरही भी है
(घ)मडडि (Circle)- से तरत्पयन ऐसे क्षेत्र से है धजसके भीतर कोइ न्यरय पच ं रयत धररर 42 के ऄधीन ऄपने ऄधधकरर
क्षेत्र (Jurisdiction) कर प्योग करे ।
(ङ)किेक्टर, "धजिा मधजस्रे ट" ि "सब-धडिीजनल मधजस्रेट कर तरत्पयन यह है धक िह धकसी ग्ररम सभर के
सम्बन्ध में यथरधस्थधत, ईस धजले यर परगने कर धजसमें ऐसी ग्ररम सभर संगधठत की गइ हों, "कलेक्टर", "धजलर
मधजस्रेट" यर "सब-धडिीजनल मधजस्रेट" से है और शब्द "कलेक्टर" में "एधडशनल कलेक्टर" "धजलर मधजस्रेट" में
"एडीशनल धजलर मधजस्रेट" और "सब-धडिीजनल मधजस्रेट" में "एडीशनल मधजस्रेट" भी सधम्मधलत है
(ङङ) 'धनवाषचक रधजस्रीकरण अधधकारी' कर तरत्पयन धकसी ऐसे ऄधधकररी से है धजसे धकसी धजले में धनिरनचक
नरमरिली को तैयरर और पनु रीधक्षत करने के धलये ररज्य सरकरर के पररमशन से ररज्य धनिरनचन अयोग द्वररर आस रूप में
पदरधभधहत यर नरम धनधदनष्ट धकयर गयर हो
(ङङङ) ' सहायक धनवाषचक रधजस्रीकरण अधधकारी ऄधधकरर" कर तरत्पयन धकसी ऐसे व्यधक्त से है धजसे एक यर
ईससे ऄधधक पंचरयत क्षेत्रों के धलये धनिरनचक रधजस्रीकरण ऄधधकररी द्वररर आस रूप में धनयक्त ु धकयर गयर हो;
(च) "धजिा पंचायत" कर िही तरत्पयन होगर जो ईत्तर प्देश क्षेत्र पंचरयत तथर धजलर पंचरयत ऄधधधनयम, 1961 की
धररर 2 के खडड (11) के ऄधीन आसके धलये धदयर गयर है
(छ) ग्राम सभा कर तरत्पयन धकसी ग्ररम पचं रयत के क्षेत्र के भीतर समरधिष्ट धकसी ग्ररम की धनिरनचक नरमरिली में
रधजस्रीकृ त व्यधक्तयों से गधठत और धररर 3 के ऄधीन स्थरधपत धकसी धनकरय से है
(ज) ग्राम पंचायत कर तरत्पयन धररर 12 के ऄधीन संघधटत' ग्ररम पंचरयत से है
(जज)धवत्त आयोग कर तरत्पयन सधं िधरन के ऄनच्ु छे द 243-(झ) के ऄधीन सगं धठत धित्त अयोग से है
(जजज) "िेत्र पंचायत " कर िही तरत्पयन होगर जो ईत्तर प्देश क्षेत्र पंचरयत तथर धजलर पंचरयत ऄधधधनयम, 1961
की धररर 2 के खडड (6) के ऄधीन आसके धलये धदयर गयर है

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(ट)धकसी न्यरय पचं रयत के धनदेश में, "मधु न्सफ" और "न्याधयक मधजस्रे ट" कर तरत्पयन, यथरधस्थधत, ईस मधु न्सफ
से यर मधजस्रेट से है धजसकी ऐसे न्यरय पंचरयत के सधकन ल में िमशः धसधिल अपररधधक िरदों के सम्बन्ध में स्थरनीय
ऄधधकरररतर है
(टट) "राज्य धनवाष चन आयोग" कर तरत्पयन सधं िधरन के ऄनच्ु छे द 243–ट में धिधनधदनष्ट ररज्य धनिरनचन अयोग से है
(टटट ) मुख्य धनवाषचन अधधकारी (पंचायत) कर तरत्पयन ररज्य सरकरर के ऐसे ऄधधकररी से है धजसे ररज्य धनिरनचन
अयोग द्वररर, ररज्य सरकरर के पररमशन से, आस रूप में पदरधभधहत यर नरम धनधदनष्ट धकयर गयर हो
(ठ) जनसख्ं या कर तरत्पयन ऐसे ऄधन्तम पिू निती जनगणनर में ऄधभधनधित की गइ जनसख्ं यर से है धजसके ससु गं त
अंकड़े प्करधशत हो गये है;
(ठठ) पंचायत िेत्र कर तरत्पयन धररर 11- च की ईपधररर (1) के ऄधीन आस रूप में घोधषत धकसी ग्ररम पंचरयत के
प्रदेधशक क्षेत्र से है
(डड)सावषजधनक सम्पधत्त (Public Property ) तथर " सावषजधनक भूधम (Public Land ) से तरत्पयन ऐसे
सरिनजधनक भिन, बरग, बगीचर ऄथिर ऄन्य स्थरन से है, जहराँ तत्समय जनतर चरहे कोइ भगु तरन करके ऄथिर ऄन्य
प्करर से जर सकती हो ऄथिर िहराँ जरने की ऄनमु धत प्रप्त हो
(ढ)जनसेवक ( Public Servant) से तरत्पयन भररतीय दडड धिधरन एक्ट स0ं 45, सन् 1860 की धररर 21 में दी
गयी पररभरषर के ऄनसु रर जनसेिक से है;
(ण)सावषजधनक सड़क ( Public Street) से तरत्पयन ऐसे मरगन, सड़क, गली, चौक, सहन तंग गली यर ररस्ते से है
धजससे होकर जनतर को अने जरने कर ऄधधकरर हो और आसके ऄन्तगनत दोनों तरफ की गन्दे परनी की नरधलयॉ यर
मोररयॉ और ईनसे धमली हुइ सम्पधत्त की धनयत सीमर तक की कोइ भधू म है, भले ही धकसी बररमदे यर दसू री उपर की
सड़क, पल ु गली, चौक, सहन, तंग गली यर ररस्तर सधम्मधलत नहीं है जो ररज्य सरकरर यर के न्रीय सरकरर यर धकसी
ऄन्य स्थरनीय ऄधधकररी के स्िरधमत्ि में हो, ईसके द्वररर संधरररत (Maintained) धकयर जरतर हो ऄथिर ईसके द्वररर
ईसकी मरम्मत की जरती हो
(त)धवधहत (Prescribed ) धनयमों द्वररर धिधहत से है ; आससे तरत्पयन आस एक्ट ऄथिर आसके ऄधीन बनरये गये
(ध)दीवानी का मुकदमा (Civil Case ) से तरत्पयन दीिरनी के ऐसे मक ु दमें से है धजसकी सनु िरइ न्यरय पंचरयत कर
सकती है;
(धध) 'सब-धडवीजनि अफसर' - में ऐसर एडीशनल सब-धडिीजनल ऄफसर भी सधम्मधलत है धजसको धक ईपयक्त ु
ऄधधकररी ने एडीशनल सब-धडिीजनल ऄफसर के रूप में नरमरधं कत यर धनयक्त ु धकयर हो
(न)ग्राम- से तरत्पयन ऐसे स्थरनीय क्षेत्र से है जो ईस धजले के , धजसमें िह धस्थत हो ररजस्ि ऄधभलेखों में (Revenue
Records ) ग्ररम के रूप में दजन हो और ईसमें ऐसर क्षेत्र भी सधम्मधलत है धजसे ररज्य सरकरर ने सरधररण / ऄसरधररण
अदेश द्वररर आस करननू के ऄधभप्रय के धलये ग्ररम घोधषत कर धदयर हो।
(भ)भूधम प्रबध ं क सधमधत-ऐसी सधमधत जो धररर 28 (क) के तहत स्थरधपत हो

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धारा 3. ग्राम सभा
ररज्य सरकरर, अधधकरररक ररजपत्र में ऄधधसचू नर द्वररर, धकसी गरिं यर गरिं ों के समहू के धलए ऐसे नरम से एक ग्ररम
सभर की स्थरपनर करे गी, जो धनधदनष्ट धकयर जर सकतर है; बशते धक जहरं गरंिों के समहू के धलए ग्ररम सभर की स्थरपनर
की जरती है, िहरं सबसे बड़ी अबरदी िरले गरंि कर नरम ग्ररम सभर के नरम के रूप में धनधदनष्ट धकयर जरएगर।

धारा 5ए. सदस्यता की अयोग्यता


धकसी व्यधक्त को ग्ररम पचं रयत के प्धरन यर सदस्य के रूप में चनु े जरने और होने के धलए ऄयोग्य घोधषत धकयर जरएगर,
यधद िह –
 ररज्य धिधरनमंडल द्वररर ऄयोग्य घोधषत हो
 िह ग्ररम पचं रयत यर धकसी न्यरय पचं रयत कर िैतधनक सेिक हो
 िह धकसी ररज्य सरकरर यर के न्र सरकरर यर ग्ररम पंचरयत यर न्यरय पंचरयत से धभन्न धकसी स्थरनीय
प्रधधकररी यर धकसी ररज्य सरकरर यर के न्रीय सरकरर के स्िरधमत्िरधीन यर धनयंत्रणरधीन धकसी बोडन, धनकरय
यर धनगम] , के ऄधीन लरभ कर कोइ पद धररण करतर हो
 िह धकसी ररज्य सरकरर, के न्रीय सरकरर यर धकसी स्थरनीय प्रधधकररी यर धकसी न्यरय पंचरयत की सेिर से
दरु रचरण के कररण पदच्यतु कर धदयर गयर हो
 ईस पर ऐसी ऄिधध के धलये जैसी धनयत की जरये, ग्ररम पच ं रयत, क्षेत्र पच
ं रयत यर धजलर पच
ं रयत कर कोइ
कर, फीस, शल्ु क यर कोइ ऄन्य देय बकरयर हो, यर िह ग्ररम पंचरयत, न्यरय पंचरयत, क्षेत्र पंचरयत यर धजलर
पंचरयत के ऄधीन कोइ पद धररण करने के कररण प्रप्त ईसके धकसी ऄधभलेख यर सम्पधत्त को ईसे देने में,
ईसके द्वररर ऐसर धकये जरने की ऄपेक्षर धकये जरने पर भी धिफल रहर हो
 िह ऄनन्ु मोधचत धदिरधलयर हो
 िह नैधतक ऄधमतर के धकसी ऄपररध के धलये दोषधसद्ध ठहररयर गयर हो
 ईसे अिश्यक िस्तु ऄधधधनयम, 1955 के ऄधीन धदये गये धकसी अदेश कर ईल्लघं न करने के कररण तीन
मरस से ऄधधक की ऄिधध के करररिरस कर दडड धदयर गयर हो;
 ईसे एसेंधशयल सप्लरआज (टेम्पोरे री परिसन) ऐक्ट, 1946 यर य०ू पी० कन्रोल अफ सप्लरइ (टेम्पोरे री परिसन)
ऐक्ट, 1947 के ऄधीन धदये गये धकसी अदेश कर ईल्लघं न करने के कररण छः मरस से ऄधधक की ऄिधध
के करररिरस कर यर धनिरनसन कर दडड धदयर गयर हो;
 ईसे संयक्तु प्रन्त अबकररी ऄधधधनयम, 1910 के ऄधीन तीन मरस से ऄधधक की ऄिधध के करररिरस कर
दडड धदयर गयर हो
 ईसे स्िरपक औषधध और मनःप्भरिी पदरथन ऄधधधनयम, 1985 के ऄधीन धकसी ऄपररध के धलये दोषधसद्ध
ठहररयर गयर हो
 ईसे धनिरनचन सम्बन्धी धकसी ऄपररध के धलये दोषधसदध् ठहररयर गयर हो

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 ईसे संयक्त
ु प्रन्त सरमरधजक धनयोग्यतरओ ं कर धनररकरण ऄधधधनयम, 1947 यर धसधिल ऄधधकरर संरक्षण
ऄधधधनयम, 1955 के ऄधीन दोषधसद्ध ठहररयर गयर हो

धारा 6. सदस्यता की समाधप्त


(1) ग्ररम पंचरयत के 2 सदस्य ऐसे सदस्य नहीं रहेंगे यधद ईस सदस्य से संबंधधत प्धिधष्ट ग्ररम पंचरयत के प्रदेधशक
धनिरनचन क्षेत्र के धलए मतदरतर 2 सचू ी से हटर दी जरती है।
(2) जहरं कोइ भी व्यधक्त ईप-धररर (1) के तहत 3 ग्ररम पच ं रयत कर सदस्य नहीं रह जरतर है, तो िह धकसी भी पद को
धररण करनर बंद कर देगर, धजसके धलए िह धनिरनधचत, नरमरंधकत यर धनयक्त ु धकयर गयर हो, क्योंधक िह ईसकर सदस्य
है।

धारा 6ए. अयोग्यता के सबं ंध में प्रश्न पर धनणषय


यधद कोइ प्श्न ईठतर है धक क्यर कोइ व्यधक्त धररर 5-ए यर धररर 6 की ईप-धररर (1) में ईधल्लधखत धकसी ऄयोग्यतर के
ऄधीन हो गयर है, तो प्श्न को ईसके धनणनय के धलए धनधरनररत प्रधधकररी को भेजर जरएगर और ईसकर धनणनय होगर,
धकसी भी ऄपील के पररणरम के ऄधीन, जैसर धक धनधरनररत धकयर जर सकतर है, ऄधं तम होगर।

धारा 8. जनसख्ं या में पररवतषन का प्रभाव या ग्राम पंचायत के िेत्र को नगर पाधिकाओ ं आधद में शाधमि
करना।
यधद ग्ररम पंचरयत कर संपणू न क्षेत्र धकसी शहर, नगर परधलकर, छरिनी, ऄधधसधू चत क्षेत्र यर 2 नगर पंचरयत में शरधमल
हो जरतर है तो ग्ररम पंचरयत समरप्त हो जरएगी और ईसकी संपधत्त और देनदरररयों कर धनपटरन धनधरनररत तरीके से धकयर
जरएगर। यधद ऐसे क्षेत्र की धकसी परटी को आसमें शरधमल धकयर जरतर है तो ईसकर क्षेत्ररधधकरर ईस धहस्से से कम हो
जरएगर।

धारा 9. प्रत्येक प्रादेधशक धनवाषचन िेत्र के धिए मतदाता सच ू ी


ग्ररम पचं रयत के प्त्येक क्षेत्रीय धनिरनचन क्षेत्र के धलए, और मतदरतर सचू ी आस ऄधधधनयम 3 के प्रिधरनों और ररज्य
चनु रि अयोग के ऄधीक्षण, धनदेशन और धनयंत्रण के तहत बनरए गए धनयमों के ऄनसु रर तैयरर की जरएगी।

धारा 9ए. वोट देने का अधधकार आधद


आस ऄधधधनयम द्वररर यर आसके तहत ऄन्यथर प्दरन धकए जरने के ऄलरिर, प्त्येक व्यधक्त धजसकर नरम ग्ररम पंचरयत की
क्षेत्रीय धस्थरतर 3 के धलए मतदरतर सचू ी में शरधमल है, धकसी भी चनु रि में मतदरन करने कर हकदरर होगर और चनु रि
के धलए परत्र होगर, कोइ नरमरंकन यर ईस ग्ररम पंचरयत यर संबंधधत न्यरय पंचरयत में धकसी पद पर धनयधु क्त धकये जरने
के धलए परत्र होगर

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धारा 10. ग्राम सभा की स्थापना तथा ग्राम पच ं ायत के कामकाज में कधिनाई को दूर करना
यधद, ग्ररम सभर की स्थरपनर में यर ग्ररम पंचरयत के करमकरज में, और आस ऄधधधनयम के धकसी प्रिधरन यर ईसके
तहत बनरए गए धकसी धनयम की व्यरख्यर यर ऐसी व्यरख्यर से ईत्पन्न होने िरले यर ईससे संबंधधत धकसी मरमले यर
धकसी मरमले के सबं ंध में कधठनरइ कर कोइ धििरद ईत्पन्न होतर है। आस ऄधधधनयम में प्रिधरन नहीं है, तो आसे ररज्य
सरकरर को भेजर जरएगर धजसकर धनणनय ऄंधतम और धनणरनयक होगर।

धारा 11. ग्राम सभा की बैिक एवं कायष


प्त्येक ग्ररम सभर प्त्येक िषन दो अम बैठकें अयोधजत करे गी, एक ख़रीफ फसल की कटरइ के तुरंत बरद (बरद में आसे
ख़रीफ बैठक कहर जरएगर) और दसू री रबी फसल की कटरइ के तरु ं त बरद (आसके बरद आसे रबी बैठक कहर जरएगर) जो
धक होगी ऄध्यक्षतर संबंधधत ग्ररम पंचरयत के प्धरन ने की।

धारा 11ए. ग्राम पंचायत के प्रधान और उपप्रधान


ग्ररम पंचरयत कर एक प्धरन होगर, जो ईसकर ऄध्यक्ष होगर।
ररज्य सरकरर, अदेश द्वररर, प्धरनों के पद ऄनसु धू चत जरधत, ऄनसु धू चत जनजरधत और धपछड़े िगों के धलए अरधक्षत
करे गी
 ईपधररर (2) के ऄधीन अरधक्षत प्धरनों के पदों की कुल संख्यर के एक-धतहरइ से ऄन्यनू पद यथरधस्थधत,
ऄनसु धू चत जरधतयों, ऄनसु धू चत जनजरधतयों और धपछड़े िगों की मधहलरओ ं के धलये अरधक्षत होंगे ।
 प्धरनों के पदों की कुल संख्यर के एक-धतहरइ से ऄन्यनू पद, धजसमें ईपधररर (3) के ऄधीन अरधक्षत प्धरनों
के पदों की सख्ं यर सधम्मधलत है, मधहलरओ ं के धलये अरधक्षत होंगे।
 आस धररर के ऄधीन अरधक्षत प्धरनों के पद धभन्न-धभन्न ग्ररम पच ं रयतों में चिरनिु म द्वररर ऐसे िम में, जैसर
धनयत हो, अिंधटत धकये जरयेंगे ।
 आस धररर के ऄधीन ऄनसु धू चत जरधतयों और ऄनसु धू चत जनजरधतयों के धलये प्धरनों के पदों कर अरक्षण
संधिधरन के ऄनच्ु छे द 334 में धिधनधदनष्ट ऄिधध की समरधप्त पर प्भरिी नहीं रहेगर।

यह स्पष्ट धकयर जरतर है धक आस धररर में कोइ बरत ऄनसु धू चत जरधतयों, ऄनसु धू चत जनजरधतयों, धपछड़े िगों के व्यधक्तयों
और मधहलरओ ं को ऄनररधक्षत स्थरनों से धनिरनचन लड़ने से नहीं रोके गी ।

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धारा 11बी. प्रधान का चुनाव
(1) ग्ररम पंचरयत के प्धरन कर चनु रि पंचरयत क्षेत्र के प्रदेधशक धनिरनचन क्षेत्रों की मतदरतर सचू ी में पंजीकृ त व्यधक्तयों
द्वररर ऄपने में से धकयर जरएगर।
(2) यधद धकसी ग्ररम पंचरयत के अम चनु रि में प्धरन धनिरनधचत नहीं होतर है, और ग्ररम पंचरयत के कुल सदस्यों की
दो-धतहरइ से कम संख्यर धनिरनधचत होती है, तो ररज्य सरकरर यर ईसके द्वररर आस संबंध में ऄधधकृ त कोइ ऄधधकररी
धनिरनधचत हो सकतर है। , अदेश द्वररर, यर तो धनयक्त ु करें - (i) एक प्शरसधनक सधमधत धजसमें ग्ररम पच ं रयत के सदस्यों
के रूप में चनु े जरने के धलए योग्य व्यधक्तयों की आतनी संख्यर शरधमल होगी, धजतनी िह धिचरर कर सकती है

धारा 11सी. उपप्रधान का चुनाव एवं उसका कायषकाि


ईप-प्धरन कर चनु रि ग्ररम पचं रयत के सदस्यों द्वररर ऄपने में से ऐसी रीधत से धकयर जरएगर, जो धनधरनररत की जरए।

धारा 11डी. कुछ पदों को एक साथ धारण करने पर प्रधतबंध


कोइ भी व्यधक्त एक सरथ –
(ए) ग्ररम पंचरयत कर प्धरन और न्यरय पंचरयत कर पंच नहीं होगर, यर
(बी) एक से ऄधधक क्षेत्रीय धनिरनचन क्षेत्र के धलए ग्ररम पंचरयत कर सदस्य नहीं होगर, यर
(सी) धकसी कर सदस्य नहीं होगर ग्ररम पचं रयत और न्यरय पच ं रयत कर एक पच
ं , यर
(डी) एक से ऄधधक ग्ररम पंचरयत यर न्यरय पंचरयत में कोइ पद धररण करतर है, और धनयम ईन पदों को भरने के धलए
चनु े गए धकसी भी व्यधक्त द्वररर एक को छोड़कर सभी पद खरली करने कर प्रिधरन कर सकते हैं, धजन्हें िह धररण नहीं
कर सकतर है।

धारा 11ई. एक साथ दो पद धारण पर भी रोक


कोइ व्यधक्त ग्ररम पंचरयत के प्धरन यर सदस्य यर न्यरय पंचरयत के पंच के रूप में धनिरनधचत होने यर ईसकर पद धररण
करने के धलए ऄयोग्य होगर, यधद िह -
(क) संसद कर यर ररज्य धिधरन मडडल कर सदस्य है, यर
(ख)धकसी क्षेत्र पचं रयत कर सदस्य प्मख
ु यर ईप–प्मखु है, यर
(ग)धकसी धजलर पंचरयत कर सदस्य यर ईपरध्यक्ष है, यर
(घ)धकसी सहकररी संस्थर कर ऄध्यक्ष यर ईपरध्यक्ष है।

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धारा 11एफ. पच ं ायत िेत्र की घोषणा
ररज्य सरकरर, ऄधधसचू नर द्वररर, गरंिों के समहू िरले धकसी भी क्षेत्र को, जहरं तक संभि हो, एक हजरर की अबरदी
िरलर, आस ऄधधधनयम के प्योजनों के धलए आस तरह के नरम से पच ं रयत क्षेत्र घोधषत कर सकती है।

धारा 12. ग्राम पंचायत


(ए) प्त्येक पचं रयत क्षेत्र के धलए एक ग्ररम पचं रयत कर गठन धकयर जरएगर, धजसकर नरम पच
ं रयत क्षेत्र होगर।
(बी) प्त्येक ग्ररम पंचरयत एक कॉपोरे ट धनकरय होगी।
(सी) एक ग्ररम पंचरयत में एक प्धरन शरधमल होगर

धारा 12ए. चुनाव का तरीका


प्धरन यर ईप प्धरन ग्ररम पंचरयत के सदस्य के पद कर चनु रि धनधरनररत तरीके से गुप्त मतदरन द्वररर धकयर जरएगर।

धारा 12एए. प्रधान, उपप्रधान एवं सदस्यों को भत्ते


ग्ररम पंचरयत के प्धरन और ईपप्धरन को ऐसे भत्ते और मरनदेय प्रप्त होंगे जो धनधरनररत धकए जर सकते हैं।
प्धरन और ईप-प्धरन के ऄलरिर ग्ररम पंचरयत के सदस्य को ऐसे भत्ते प्रप्त होंगे जो धनधरनररत धकए जर सकते हैं।

धारा 12बी. ग्राम पच ं ायत की बैिकें


ग्ररम पंचरयतें अम तौर पर करमकरज के लेन-देन के धलए हर महीने कम से कम एक बरर बैठक करें गी लेधकन दो
बैठकों के बीच दो मरह कर ऄतं र नहीं होनर चरधहए

धारा 12बीबी. चुनाव का अधीिण आधद


प्धरन, ईप-प्धरन यर ग्ररम पंचरयत के सदस्य के चनु रि के संचरलन कर ऄधीक्षण, धनदेशन और धनयंत्रण ररज्य चनु रि
अयोग में धनधहत होगर।

धारा 12बीसी. चुनाव कराने से सबं ंधधत अन्य प्रावधान


ररज्य चनु रि अयोग की देखरे ख और धनयत्रं ण के ऄधीन, धजलर मधजस्रेट धजले में प्धरनों, ईप प्धरनों और ग्ररम
पंचरयतों के सदस्यों के सभी चनु रिों के संचरलन की धनगररनी करे गर।

धारा 12बीसीए. चुनाव प्रयोजनों के धिए पररसर, वाहनों आधद की मांगें


धजलर मधजस्रेट द्वररर चनु रि प्योजनों के धलए पररसर एिं िरहनों की मरंग

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धारा 12बीसीबी. मआ ु वजे का भुगतान
जब भी धररर 12-बीसीए के ऄनसु रण में धजलर मधजस्रेट धकसी पररसर की मरंग करतर है, तो आच्छुक व्यधक्तयों को
मअ
ु िजे कर भगु तरन धकयर जरएगर, धजसकी ररधश ध्यरन में रखते हुए धनधरनररत की जरएगी

धारा 12 बीसीसी. सच ू ना प्राप्त करने की शधि


धजलर मधजस्रेट, धररर 12-बीसीए के तहत धकसी भी संपधत्त की मरंग करने यर अदेश द्वररर धररर 12-बीसीबी के तहत
देय मअ
ु िजे कर धनधरनरण करने की दृधष्ट से, धकसी भी व्यधक्त को ऐसे प्रधधकररी को प्स्तुत करने की अिश्यकतर कर
सकतर है जो अदेश में धनधदनष्ट धकयर जर सकतर है, ईसके कब्जे में ऐसी जरनकररी ऐसी संपधत्त से संबंधधत जो आस
प्करर धनधदनष्ट की जर सकती है।

धारा 12बीसीडी. पररसर में प्रवेश और धनरीिण आधद की शधि


धजलर मधजस्रेट द्वररर आस संबंध में ऄधधकृ त कोइ भी व्यधक्त धकसी भी पररसर में प्िेश कर सकतर है और ऐसे पररसर
और ईसमें धकसी भी िरहन, जहरज यर जरनिर कर धनरीक्षण यह धनधरनररत करने के ईद्देश्य से कर सकतर है धक क्यर,
और यधद हरं, तो धकस तरीके से, धररर 12 के तहत अदेश धदयर जरएगर- बीसीए ऐसे पररसर िरहन, जहरज यर जरनिर
के संबंध में, यर ईस धररर के तहत धकए गए धकसी भी अदेश कर ऄनपु रलन सधु नधित करने की दृधष्ट से बनरयर जरनर
चरधहए। आस खडं में ऄधभव्यधक्त 'पररसर' और 'िरहन' कर िही ऄथन है जो धररर 12-बीसीए में है।

धारा 12बीसीई. अधधग्रहीत पररसर से बेदखिी


धररर 12-बीसीए के तहत धदए गए धकसी भी अदेश के ईल्लघं न में धकसी भी ऄपेधक्षत पररसर के कब्जे में रहने िरले
धकसी भी व्यधक्त को आस संबंध में धजलर मधजस्रेट द्वररर सशक्त धकसी भी ऄधधकररी द्वररर पररसर से बेदखल धकयर जर
सकतर है।
आस प्करर ऄधधकरर प्रप्त कोइ भी ऄधधकररी, सरिनजधनक रूप से ईपधस्थत न होने िरली धकसी भी मधहलर को ईधचत
चेतरिनी और सधु िधर देने के बरद धकसी भी तरले यर बोल्ट को हटरने, हटरने यर खोलने यर धकसी भी आमररत के धकसी
भी दरिरजे को तोड़ने यर ऐसे धनष्करसन को प्भरिी करने के धलए अिश्यक कोइ ऄन्य करयन कर सकतर है।

धारा 12बीसीएफ. पररसर को मांग से मुि करना


जब धररर 12-बीसीए के तहत मरंगे गए धकसी भी पररसर को मरंग से मक्त ु धकयर जरनर है, तो ईसकर कब्जर ईस व्यधक्त
को सौंप धदयर जरएगर धजससे ईसकर कब्जर ईस व्यधक्त को धदयर जरएगर, धजस समय 28 पररसरों की मरंग की गइ थी,
यर यधद धजलर मधजस्रेट द्वररर ऐसे पररसर के मरधलक के रूप में समझे जरने िरले व्यधक्त के परस ऐसर कोइ व्यधक्त नहीं
थर, और कब्जे की ऐसी धडलीिरी धजलर मधजस्रेट की ऐसी धडलीिरी के संबंध में सभी दरधयत्िों से पणू न मधु क्त होगी,
लेधकन धकसी भी तरह कर पिू रनग्रह नहीं होगर पररसर के संबंध में ऄधधकरर, धजसे कोइ ऄन्य व्यधक्त करननू की ईधचत
प्धियर द्वररर ईस व्यधक्त के धिरुद्ध लरगू करने कर हकदरर हो सकतर है, धजसे पररसर कर कब्जर आस प्करर धदयर गयर है।

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धारा 12बीडी. चुनाव के सबं ध ं में आधधकाररक कतषव्य का उल्िघं न
यधद कोइ व्यधक्त धजस पर यह धररर लरगू होती है, धबनर ईधचत कररण के ऄपने अधधकरररक कतनव्य के ईल्लंघन में
धकसी करयन यर चक ू कर दोषी है, तो िह जमु रनने से दडं नीय होगर जो परच
ं सौ रुपये तक बढ़ सकतर है।

धारा 12सी. चुनाव पर सवाि उिाने के धिए आवेदन


धकसी व्यधक्त कर प्धरन ग्ररम पचं रयत के सदस्य के रूप में चनु रि, धजसमें धररर 43 के तहत न्यरय पच
ं रयत के पचं के
रूप में धनयक्त
ु व्यधक्त कर चनु रि भी शरधमल है, को प्स्तुत धकए गए अिेदन के ऄलरिर प्श्न में नहीं बुलरयर जरएगर।
ऐसर प्रधधकररी ऐसे समय के भीतर और ऐसी रीधत से जैसर धक आस अधरर पर धनधरनररत धकयर जर सकतर है धक

धारा 12डी. धारा 12-सी के प्रावधान


यह धनयम यथोधचत पररितननों के सरथ 2 ग्ररम पंचरयत के ईपप्धरन, न्यरय पंचरयत के सरपंच यर सहरयक सरपंच के
रूप में व्यधक्त के चनु रि पर लरगू होगर।

धारा 12ई. पदों की शपथ


प्त्येक व्यधक्त, धररर (11-ए, 12), 43 यर 44 में धनधदनष्ट धकसी भी करयरनलय में प्िेश करने से पहले, ऐसे प्रधधकररी के
समक्ष शपथ यर प्धतज्ञरन पर हस्तरक्षर करे गर जो धनधरनररत धकयर जर सकतर है।

धारा 12एफ. पदत्याग /पंजीकरण


एक प्धरन, ईप-प्धरन यर ग्ररम पचं रयत कर सदस्य, धनधरनररत प्रधधकररी को ऄपने हस्तरक्षर से धलधखत रूप में ऄपने
पद से आस्तीफर दे सकतर है और ईसके बरद ईसकर पद ररक्त हो जरएगर।

धारा 12एच. आकधस्मक वैकेंसी


यधद ग्ररम पचं रयत के प्धरन, ईप प्धरन यर सदस्य कर पद ईसकी मृत्य,ु पद से हटरए जरने, त्यरगपत्र देन,े ईसके चनु रि
रद्द होने यर पद की शपथ लेने से आक
ं रर करने के कररण ररक्त होतर है, तो ईसे पद की समरधप्त से पहले भरर जरएगर। ऐसी
ररधक्त की तररीख से छह महीने की ऄिधध, ईसके शेष करयनकरल के धलए, जहरं तक संभि हो, धररर 11-बी, 11-सी,
यर 12, जैसर भी मरमलर हो, में प्दरन धकयर गयर है

धारा 12आई. चुनावी मामिों में धसधवि न्यायाियों का िेत्राधधकार वधजषत


धकसी भी धसधिल न्यरयरलय को आस ऄधधधनयम के तहत चनु रिों के संचरलन के संबंध में धनयक्त
ु धकसी ऄधधकररी यर
प्रधधकररी द्वररर की गइ धकसी भी कररन िरइ यर धदए गए धकसी धनणनय की िैधतर पर सिरल ईठरने कर ऄधधकरर क्षेत्र नहीं
होगर।

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धारा 12 जे. कुछ मामिों में अस्थायी व्यवस्था
जहरं प्धरन कर पद मृत्य,ु धनष्करसन, त्यरगपत्र यर धकसी ऄन्य कररण से ररक्त है यर जहरं प्धरन ऄनपु धस्थधत, बीमररी यर
धकसी भी कररण से करयन करने में ऄसमथन है,

धारा 14. प्रधान को हटाना


ग्ररम सभर आस प्योजन के धलए धिशेष रूप से बल
ु रइ गइ बैठक में, धजसकी कम से कम 15 धदन पहले सचू नर दी
जरएगी, प्धरन को ग्ररम सभर के ईपधस्थत और मतदरन करने िरले सदस्यों के दो-धतहरइ बहुमत से हटर सकती है।

धारा 14ए. अधभिेख आधद सौंपने में धवफिता के धिए दडं


यधद कोइ व्यधक्त प्धरन, सरपचं यर सहरयक सरपच ं के रूप में करयन करनर बंद करके , धनधरनररत प्रधधकररी द्वररर ऐसर
करने की ऄपेक्षर के बरिजदू , 4 ग्ररम सभर, ग्ररम पंचरयत यर न्यरय पंचरयत के सभी ऄधभलेख, धन यर ऄन्य संपधत्त को
सौंपने में जरनबूझकर धिफल रहतर है। मरमलर चरहे ईसके ईत्तररधधकरररयों कर हो यर धनधरनररत प्रधधकररी द्वररर आस
सबं ंध में प्रधधकृ त धकसी व्यधक्त कर हो, ईसे करररिरस से, धजसे तीन िषन तक बढ़रयर जर सकतर है, यर जमु रनने से यर
दोनों से दंधडत धकयर जर सकतर है।

धारा 14बी. उपप्रधान को हटाया जाना


ग्ररम पचं रयत आस ईद्देश्य के धलए धिशेष रूप से बुलरइ गइ बैठक में और धजसकी कम से कम पंरह धदन पहले सचू नर दी
जरएगी, ग्ररम पंचरयत के दो-धतहरइ सदस्यों के बहुमत से ईप-प्धरन को हटर सकती है।

आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे- ईत्तर प्देश पंचरयती ररज ऄधधधनयम 1947(प्मख
ु धरररएं)
VPO Exam 2023 के धिए Complete Course & Test Series
WhatsApp-9807342092
Course Fee-Rs-299/-Only
WhatsApp for UPPSC RO ARO, APS, VPO, LEKHPAL, JUNIOR ASSISTANT,
AHC RO/ARO & Group C
Courses and Test Series
No-9807342092

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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-11
उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज व्यवस्था
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1947, उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1961
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज कानून अधधधनयम-1994, पंचायती राज धवभाग
Part-03
(District Panchayat, Area Panchayat & Gram Panchayat-Formation, Functions and Rights in U.P.)
उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज अधधधनयम-1947( भाग और धारा)
इसे सयं क्त
ु प्रतं पचं रयतीररज अधधधनयम 1947 भी कहर जरतर है। उत्तर प्देश धिधरन सभर ने 5 जनू , 1947 को तथर
उत्तर प्देश धिधरन पररषद् ने 16 धसतम्बर, सन् 1947 को परररत धकयर। गिननमेंट ऑफ इधं डयर ऐक्ट, 1935 की धररर
76 के अधीन डोमीधनयन आफ इधं डयर के गिननर जनरल की स्िीकृ धत 7 धदसम्बर, 1947 को प्रप्त हुई
य०ू पी० गिननमेंट गजट में धदनरंक 27 धदसम्बर, 1947 को प्करधशत धकयर गयर। इसी धदन से लरगू हुआ
उत्तर प्रदेश पच ं ायतीराज अधधधनयम-1947 में
 कुल अध्यरय-09
 कुल धरररएं-119
 कुल अनसु चू ी-01
भाग नाम धाराएं
1 प्ररंधभक धररर- 1 ि 2
2 ग्ररम सभर- धररर- 3 ि 5
ग्ररम सभर की स्थरपनर
ग्ररम सभर कर संघटन
2A ग्ररम पंचरयत- धररर- 5A-10
ग्ररम पचं रयत के सदस्यों की अनहतरन
ग्ररम पंचरयत हेतु धनिरनचक नरमरिली
3 ग्ररम सभर- धररर-11
ग्ररम सभर की बैठक
ग्ररम सभर के करयन
3A ग्ररम पंचरयत धररर-11A-14

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4 ग्ररम पंचरयत- धररर-15-31
ग्ररम पचं रयत की शधक्तयरं
ग्ररम पंचरयत के कतनव्य
ग्ररम पंचरयत कर प्शरसन
5 भधू म कर अजनन धररर-32-41
गरिं की धनधध कर गठन एिं समरपन
6 न्यरय पंचरयत धररर-42-94A
7 बरह्य धनयंत्रण धररर-95-96A
8 शधक्तयरं एिं प्धियर धररर-97-109A
9 धनयम, उपधिधधयराँ एिं धनरसन धररर-110-119

Chapter-04
धारा 15. ग्राम पंचायत के कायय
ररज्य सरकरर द्वररर समय-समय पर धनधदनष्ट शतों के अधीन, एक ग्ररम पच ं रयत धनम्नधलधखत करयन करे गी-
1-कृधष और कृधष धवस्तार
बरगिरनी कर धिकरस और प्ोन्नधत,
बंजर भधू म और चरररगरह भधू म कर धिकरस और उनके अनधधकृ त संिमण और प्योग की रोकथरम करनर ।
2-भूधम धवकास, भूधम सध ु ार का कायायन्वयन, चकबन्दी और भूधम सरं क्षण
भधू म धिकरस, भधू म सधु रर और भधू म संरक्षण में सरकरर और अन्य एजेंधसयों की सहरयतर करनर ।
भधू म चकबन्दी में सहरयतर करनर ।
3-लघु धसच ं ाई, जल व्यवस्था और जल आच्छादन धवकास
लघु धसंचरई पररयोजनरओ ं कर धनमरनण, मरम्मत और अनरु क्षण, धसंचरई उद्देश्य से जलपधू तन कर धिधनयमन ।
4-पशुपालन, दुग्ध उद्योग और कुक्कुट पालन
परलतू जरनिरों, कुक्कुट और अन्य पशधु नों की नस्लों कर सधु रर करनर,
5-गत्सस्य पालन
6-सामाधजक और कृधष वाधनकी
सड़कों और सरिनजधनक भधू म के धकनररों पर िृक्षररोपण और परररक्षण,
सरगरधजक और कृ धष परधनकी और रे शग उत्परदन कर धिकरस और प्ोन्नधत ।
7-लघु वन उत्सपाद
लघु िन उत्परदों की प्ोन्नधत और धिकरस ।
8-लघु उद्योग-लघु उद्योगों के धिकरस में सहरयतर करनर,

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स्थरनीय व्यरपररों की प्ोन्नधत ।
9-कुटीर और ग्राम उद्योग
कृ धष और िरधणधज्यक उद्योगों के धिकरस में सहरयतर करनर,
कुटीर उद्योगों की प्ोन्नधत ।
10-ग्रामीण आवास
ग्ररमीण आिरस करयनिगों कर करयरनन्ियन,
11-पेयजल - आिरस स्थलों कर धिरण और उनसे सम्बधन्धत अधभलेखों कर अनरु क्षण।
पीने, कपड़र धोने, स्नरन करने के प्योजनों के धलये जल ररम्भरण के धलये सरिनजधनक फंु ओ,ं तरलरबों और पोखरों कर
धनमरनण, गरम्गत और अनरु क्षण और पीने के प्योजनों के धलये जल सम्भरण के स्त्रोतों कर धिधनयमन ।
12-ईधन ं और चारा भूधम
ईधनं और चररर भधू ग से सम्बधन्धत बॉरर और पौधों कर धिकरस, चररर भधू म के अधनयधगत अन्तरण पर धनयंत्रण।
13-सड़क, पुधलयााँ, नौकाघाट, जलमागों का अनुरक्षण
सरिनजधनक स्थरनों पर से अधतिमण को हटरनर।
14-ग्रामीण धवद्यतु ीकरण
सरिनजधनक मरगों और अन्य स्थरनों पर प्करश उपलब्ध कररनर और अनरु क्षण करनर।
15-गैर-पारम्पररक उजाय स्त्रोत
ग्ररम में गैर-पररम्पररक उजरन स्त्रोतों के करयनिमों कर धिकरस और प्ोन्नधत और उनकर अनरु क्षण।
16-गरीबी उपशमन काययक्रम -
गरीबी उपशमन करयनिमों की प्ोन्नधत और करयरनन्चयन ।
17-धशक्षा, धजसके अन्तगयत प्रारधम्भक और माध्यधमक धवद्यालय भी हैं -
धशक्षर के बररे में सरिनजधनक चेतनर ।
18-तकनीकी प्रधशक्षण और व्यवसाधयक धशक्षा
ग्ररमीण कलर और धशल्पकररों की प्ोन्नधत ।
19-प्रौढ़ और अनौपचाररक धशक्षा
प्ौढ़ सरक्षरतर की प्ोन्नधत ।
20-पुस्तकालय
21-सामाधजक और सांस्कृधतक धक्रया-कलापों की प्रोन्नधत,
धिधभन्न त्योहररों पर सरंस्कृ धतक संगोधियों कर आयोजन, खेलकूद के धलये ग्ररमीण क्लबों की स्थरपनर और अनरु क्षण।
बरजरर और मेलर
22-पच ं ायत क्षेत्रों में मेलों, बाजारों और हाटों का धवधनयमन ।

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23-धचधकत्ससा और स्वच्छता
ग्ररमीण स्िच्छतर को प्ोन्नधत,
मनष्ु य और पशु टीकरकरण के करयनिम,
छुट्टर पशु और पशधु न के धिरूद्ध धनिररक करयनिरही,
जन्म, मृत्यु और धििरह कर रधजस्रीकरण ।
24-पररवार कल्याण
पररिरर कल्यरण करयनिमों की प्ोन्नधत और धियरन्ियन ।
25-आधथयक धवकास के धलये योजना -
ग्ररम पंचरयत के क्षेत्र के आधथनक धिकरस के धलये योजनर तैयरर करनर।
26-प्रसधू त और बाल धवकास
ग्ररम पंचरयत स्तर पर मधहलर एिं बरल धिकरस करयनिमों के धियरन्ियन में भरग लेनर.
बरल स्िरस््य और पोषण करयनिमों को प्ोन्नधत ।
27-समाज कल्याण धजसके अन्तगयत धवकलांगों और मानधसक रूप से मंद व्यधियों का कल्याण भी है
िृद्धरिस्थर और धिभिर पेंशन योजनरओ ं में सहरयतर करनर,
धिकलरंगों और मरनधसक रूप से मन्द व्यधक्तयों के कल्यरण को सधम्मधलत करते हुये समरज कल्यरण करयनिमों में भरग
लेनर।
28-कमजोर वगों और धवधशष्टतया अनुसधू चत जाधतयों और अनुसधू चत जनजाधतयों का कल्याण
अनसु धू चत जरधतयों, अनसु धू चत जनजरधतयों और समरज के अन्य कमजोर िगों के धलये धिधशष्ट करयनिमों के
करयरनन्चयन में भरग लेनर,
सरमरधजक न्यरय के धलये योजनरओ ं की तैयररी और करयरनन्ियन ।
29-सावयजधनक धवतरण प्रणाली -अत्यरिश्यक िस्तओ ु ं के धितरण के सम्बन्ध में सरिनजधनक चेतनर की प्ोन्नधत,
सरिनजधनक धितरण प्णरली कर अनश्रु िण |
30-सामुदाधयक आधस्तयों का अनुरक्षण-सरमदु रधयक आधस्तयों कर पररक्षण और अनरु क्षण।

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धारा 15ए. योजना की तैयारी
एक ग्ररम पंचरयत हर सरल पंचरयत क्षेत्र के धलए एक धिकरस संयंत्र तैयरर करे गी और इसे संबंधधत क्षेत्र पंचरयत को
ऐसी तररीख से पहले और ऐसे प्ररूप और तरीके से प्स्ततु करे गी जो धनधरनररत धकयर जर सकतर है।

धारा 16. कायय जो ग्राम पंचायत को सौंपे जा सकते हैं


ररज्य सरकरर, अधधसचू नर द्वररर और उसमें धनधदनष्ट शतों के अधीन, ग्ररम पंचरयत को धनम्नधलधखत में से कोई एक यर
सभी करयन सौंप सकती है, अथरनत् -

धारा 16ए. अधधकार क्षेत्र के बाहर सगं ठनों आधद के धलए योगदान करने की शधि
ग्ररम पंचरयत ग्ररम पंचरयत के अधधकरर क्षेत्र से बरहर ऐसे संगठनों, संस्थरनों और करयों के धलए इतनी ररधश कर
योगदरन कर सकती है धजतनी ररज्य सरकरर सरमरन्य यर धिशेष आदेश की अनमु धत दे सकती है।

धारा 17. सावयजधनक सड़कों, जलमागों और अन्य मामलों के सबं ध ं में ग्राम पच
ं ायतों की शधि
एक ग्ररम पंचरयत के परस उत्तरी भररत नहर और जल धनकरसी अधधधनयम, 1873 की धररर 3 की उप-धररर (1) में
पररभरधषत नहरों के अलरिर अन्य सरिनजधनक सड़कों, जल-मरगों पर धनयत्रं ण होगर, जो उसके अधधकरर क्षेत्र में धस्थत
हैं, जो एक धनजी सड़क नहीं है। यर जलमरगन और ररज्य सरकरर यर 2 धजलर पंचरयत यर ररज्य सरकरर द्वररर धनधदनष्ट
धकसी अन्य प्रधधकररी के धनयंत्रण में नहीं है और उसके रखरखरि और मरम्मत के धलए सभी आिश्यक चीजें कर
सकतर है

धारा 18. स्वच्छता में सध ु ार


स्िच्छतर में सधु रर के धलए, एक ग्ररम पंचरयत, नोधटस द्वररर, धकसी भी भधू म यर भिन के मरधलक यर कब्जेदरर को
उसकी धित्तीय धस्थधत को ध्यरन में रखते हुए और उसके अनपु रलन के धलए उधचत समय देने कर धनदेश दे सकती है -

धारा 19. स्कूलों और अस्पतालों का रखरखाव और सध ु ार


ग्ररम पचं रयत - (ए) ऐसे धनयमों के अधीन, जो धशक्षकों के परठ्यिम, रोजगरर और योग्यतर और स्कूल की देखरे ख के
संबंध में धनधरनररत धकए जर सकते हैं, भिनों और फनीचर सधहत धकसी भी मौजदू र प्रथधमक धिद्यरलय कर रखरखरि
करे गी और इसके उधचत करमकरज के धलए धजम्मेदरर होगी और इसी तरह एक नए स्कूल की स्थरपनर और रखरखरि
कर सकतर है यर धकसी मौजदू र स्कूल में सधु रर कर सकतर है

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धारा 20. ग्राम पच ं ायतों के समहू के धलए प्राथधमक धवद्यालय, अस्पताल औषधालय, सड़क या पल ु की
स्थापना
ग्ररम पचं रयत के धकसी समहू के परस कोई प्रथधमक धिद्यरलय यर आयिु ेधदक, होम्योपैधथक यर यनू रनी अस्पतरल यर
औषधरलय नहीं है, यर उसे अपने सरमरन्य लरभ के धलए सड़क यर पल ु की आिश्यकतर है, िहरं की ग्ररम पंचरयतें,
यधद धनधरनररत प्रधधकररी द्वररर ऐसर धनदेश धदयर जरए, तो धमलकर करम करें गी। ऐसे स्कूल, अस्पतरल यर औषधरलय
की स्थरपनर और रखरखरि करनर, यर ऐसी सड़क यर पल ु कर धनमरनण और रखरखरि करनर, और इसे धनधरनररत तरीके
से प्बंधधत और धित्तपोधषत धकयर जरएगर। ररज्य सरकरर और धजलर पंचरयत ऐसे स्कूल, अस्पतरल, औषधरलय,
सड़क यर पल ु के धलए धनधरनररत अनदु रन देगी।

धारा 21. सरकारी सेवकों को सहायता


एक ग्ररम पंचरयत, यधद ररज्य सरकरर द्वररर ऐसर धनधरनररत धकयर गयर हो और जहरं तक संभि हो, अपने क्षेत्र के भीतर
धकसी भी सरकररी कमनचररी को उसके कतनव्यों के परलन में सहरयतर करे गी।

धारा 22. ग्राम पंचायतों द्वारा प्रधतधनधधत्सव एवं धसफ़ाररशें


एक ग्ररम पंचरयत उधचत प्रधधकररी को दे सकती है - (ए) उसके अधधकरर क्षेत्र में रहने िरले व्यधक्तयों के कल्यरण से
संबंधधत कोई भी प्धतधनधधत्ि, और (बी) धसंचरई धिभरग, पटिररी (यर) की धनयधु क्त, स्थरनरंतरण यर गश्त की
बखरनस्तगी के बररे में कोई धसफरररश

धारा 23. कुछ अधधकाररयों के कदाचार के बारे में जांच करने और ररपोटय करने की शधि
ग्ररम पंचरयत के अधधकरर क्षेत्र में रहने िरले धकसी भी व्यधक्त से धकसी अमीन, प्ोसेस-सिनर, िैक्सीनेटर करंस्टेबल,
ग्ररम चौकीदरर, पटिररी, गश्ती दल और धसचं रई के ट्यबू िेल ऑपरे टर द्वररर अपने आधधकरररक कतनव्यों के धनिनहन में
धकसी भी कदरचरर के बररे में धशकरयत प्रप्त होने पर धिभरग, िन रक्षक, िन चौकीदरर, प्रथधमक धिद्यरलय के धशक्षक,
तरलरब की रखिरली करने िरलर, गराँि कर पशपु रलक यर धकसी सरकररी धिभरग कर चपररसी, ऐसी पंचरयत, यधद
प्थम दृष्टयर सरक्ष्य हो, तो धशकरयत को अपनी ररपोटन के सरथ उधचत प्रधधकररी को भेज सकती है।

धारा 24. स्वाधमयों के धलए करों और अन्य देयों की वसल ू ी के धलए अनुबंध करने की शधि
एक ग्ररम पचं रयत, धनधरनररत अनसु रर और अपने अधधकरर क्षेत्र के भीतर धकसी भी क्षेत्र के सबं ंध में अनबु ंध कर सकती
है

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धारा 25ए. सधचव
ररज्य सरकरर, यर ऐसर अधधकररी यर प्रधधकररी धजसे इस संबंध में अधधकरर धदयर जर सकतर है, धररर 25 की उप-धररर
(1) यर उप-धररर (2) के खडं (बी) में धनधदनष्ट कमनचरररयों में से एक सधचि धनयक्त
ु करे गर।

धारा 26. व्यधिगत सदस्यों का अधधकार


ग्ररम पचं रयत कर कोई भी सदस्य धकसी भी बैठक में कोई भी प्स्तरि पेश कर सकतर है और धनधरनररत तरीके से ग्ररम
पंचरयत के प्शरसन से जड़ु े मरमलों पर प्धरन और उप-प्धरन से सिरल पछ ू सकतर है।

धारा 27. अधधभार


ग्ररम पंचरयत के प्त्येक प्धरन यर उपप्धरन, ग्ररम पंचरयत के प्त्येक सदस्य यर संयक्त
ु सधमधत यर इस अधधधनयम के
तहत गधठत धकसी अन्य सधमधत और न्यरय पंचरयत के प्त्येक सरपंच, सहरयक सरपंच यर पंच अधधभरर के धलए
उत्तरदरयी होंगे।

धारा 28. सदस्यों और सेवकों का लोक सेवक होना


न्यरय पंचरयत, ग्ररम पंचरयत, संयक्त
ु सधमधत यर इस अधधधनयम के तहत गधठत धकसी अन्य सधमधत के प्त्येक सदस्य
को भररतीय दंड संधहतर की धररर 21 के अथन के तहत एक लोक सेिक मरनर जरएगर।

धारा 28ए. भूधम प्रबध ं क सधमधत


ग्ररम पंचरयत की भधू म प्बंधक सधमधत भी होगी और इस प्करर उत्तर प्देश जमींदररी उन्मल ू न की धररर 117 के तहत
ग्ररम पचं रयत से सबं ंधधत यर उसमें धनधहत यर धरररत सभी सपं धत्त के रखरखरि, सरु क्षर और पयनिेक्षण के कतनव्यों कर
धनिनहन करे गी।

धारा 29. सधमधतयााँ


इस अधधधनयम यर इसके तहत बनरए गए धनयमों के धकसी भी अन्य प्रिधरन में धकसी भी धिपरीत बरत के बरिजदू ,
प्त्येक ग्ररम पंचरयत ऐसी सधमधत यर सधमधतयों कर गठन करे गी जो ररज्य सरकरर द्वररर समय-समय पर अधधसधू चत की
जरए, तरधक ग्ररम पचं रयत को करयन धनष्परदन में सहरयतर धमल सके । अपने सभी यर धकसी भी करयन और ऐसी सधमधत
यर सधमधतयों को अपनी ऐसी शधक्तयरं यर करयन सौंप सकतर है जो िह उधचत समझे।

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धारा 30. सयं ि ु सधमधत
ऐसे धनयमों के अधीन, जो धनधरनररत धकए जर सकते हैं, दो यर दो से अधधक ग्ररम पंचरयतें धकसी भी व्यिसरय को
चलरने के उद्देश्य से, धजसमें िे सयं क्त
ु रूप से रुधच रखते हैं, अन्य प्धतधनधधयों से यक्त
ु एक सयं क्त
ु सधमधत धनयक्त
ु करने
के धलए एक धलधखत दस्तरिेज के मरध्यम से एकजटु हो सकती हैं

Chapter-05
धारा 32. गााँव धनधध
प्त्येक 2 ग्ररम पंचरयत के धलए एक गराँि धनधध होगी और धररर 41 के तहत परररत आय और व्यय के िरधषनक अनमु रन
के प्रिधरनों के अधीन इसकर उपयोग ग्ररम सभर यर ग्ररम पर लगरए गए कतनव्यों यर दरधयत्िों को परू र करने के धलए
धकयर जरएगर।

धारा 32ए. धवत्त आयोग


ररज्यपरल, यथरशीघ्र, संधिधरन (धतहत्तरिरं संशोधन) अधधधनयम, 1992 के प्ररंभ से एक िषन के भीतर और उसके बरद
प्त्येक परंचिें िषन की समरधप्त पर, ग्ररम की धित्तीय धस्थधत की समीक्षर के धलए एक धित्त आयोग कर गठन करें गे।

धारा 33. भूधम अधधग्रहण करने की शधि


जहरं एक ग्ररम पंचरयत यर कई ग्ररम पंचरयतें जो धररर 20 यर 30 के प्रिधरनों के तहत संयक्तु हैं, उन्हें इस अधधधनयम
के धकसी भी उद्देश्य को परू र करने के धलए धकसी भधू म की आिश्यकतर होती है, तो िे पहले धनजी बरतचीत द्वररर भधू म
प्रप्त करने कर प्यरस करें गे और यधद संबंधधत पक्ष धकसी समझौते पर पहुचं ने में धिफल रहते हैं, तो ऐसी ग्ररम पंचरयत
यर ग्ररम पचं रयतें भधू म अधधग्रहण के धलए कलेक्टर को धनधरनररत प्पत्र में कोई भी आिेदन कर सकती हैं और कलेक्टर
ऐसी ग्ररम पंचरयत के धलए ऐसी भधू म कर अधधग्रहण कर सकतर है।

धारा 34. सम्पधत्त ग्राम पच ं ायत में धनधहत


ररज्य सरकरर द्वररर धकए गए धकसी धिशेष आरक्षण के अधीन, ग्ररम पंचरयत के अधधकरर क्षेत्र के भीतर धस्थत सभी
सरिनजधनक सपं धत्त ग्ररम पचं रयत में धनधहत होगी और उसकी होगी और अन्य सभी सपं धत्त के सरथ, जो ग्ररम पच
ं रयत में
धनधहत हो सकती है

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धारा 35. दावों का धनपटान
जहरं ग्ररम पंचरयत और धकसी व्यधक्त के बीच धररर 34 में उधल्लधखत धकसी संपधत्त के स्िरधमत्ि के संबंध में कोई
धििरद उत्पन्न होतर है, तो ग्ररम पचं रयत ऐसे व्यधक्त को सनु िरई कर उधचत अिसर देगी और धफर धनणनय लेगी धक उक्त
संपधत्त को उसकी संपधत्त मरनर जरए यर नहीं।

धारा 36. उधार लेने की शधि


ग्ररम पंचरयत ररज्य सरकरर से यर धनधरनररत प्रधधकररी की पिू न मंजरू ी के सरथ और ऐसी शतों के अधीन धन उधरर ले
सकती है जो करननू द्वररर स्थरधपत धकसी धित्तीय धनगम यर धकसी अनसु धू चत बैंक यर उत्तर प्देश सहकररी बैंक यर ए से
धनधरनररत की जर सकती हैं। इस अधधधनयम के धकसी भी उद्देश्य को परू र करने के धलए धजलर सहकररी बैंक यर धकसी
अन्य ग्ररम पच
ं रयत से।

धारा 37. करों और उपकरों का अधधरोपण


ग्ररम पचं रयत खडं (ए) और (बी) में िधणनत कर लगरएगी

धारा 37ए. कर, दर या शुल्क लगाने के धवरुद्ध अपील


ग्ररम पचं रयत द्वररर कर, दर यर शल्ु क लगरने के धखलरफ अपील धनधरनररत प्रधधकररी के परस की जरएगी।
जहरं धनधरनररत प्रधधकररी के ध्यरन में यह लरयर जरतर है धक कोई कर, दर यर शल्ु क धकसी ऐसे व्यधक्त पर नहीं लगरयर
गयर है धजस पर इसे लगरयर जरनर चरधहए थर, तो िह ग्ररम पंचरयत को इसे उस व्यधक्त पर लगरने कर धनदेश दे सकतर है

धारा 37बी. भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसल ू ी योग्य कर और देय राधशयााँ
इस अधधधनयम के तहत ग्ररम पंचरयत पर लगरए गए करों और देय अन्य ररधशयों के सभी बकरयर को भ-ू ररजस्ि के
बकरयर के रूप में दजन धकयर जरएगर यधद संबंधधत ग्ररम पंचरयत मल्ू यरंकन की तररीख से तीन महीने के भीतर इस
आशय कर एक प्स्तरि परररत करती है; बशते धक जहरं कोई ग्ररम पच ं रयत तीन महीने की उक्त अिधध के भीतर ऐसर
प्स्तरि परररत करने में धिफल रहती है, तो धनधरनररत प्रधधकररी बकरयर करों की िसलू ी को भ-ू ररजस्ि के बकरयर के
रूप में अधधकृ त करे गर।

धारा 37सी. कर, दर या शुल्क का सश ं ोधन


ररज्य सरकरर यपू ी पंचरयत ररज (संशोधन) अधधधनयम, 1954 के प्ररंभ होने यर उसके बरद की अिधध के संबंध में
ग्ररम पचं रयत द्वररर लगरए गए धकसी भी कर, दर यर शल्ु क को परू र यर आधं शक रूप से मरफ कर सकती है।

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धारा 38. मत्सृ यु की वसलू ी, धनधधयों और खातों की अधभरक्षा
ग्ररम पंचरयत, जैसर धक धनधरनररत है, पंचरयत करों और देय ररधश की िसल
ू ी, उसके धन की अधभरक्षर और खरतों के
रखरखरि की व्यिस्थर करे गी।

धारा 39. न्याय पंचायत के व्यय का ग्राम धनधध पर भार होना


न्यरय पचं रयत कर व्यय ग्ररम धनधध यर मडं ल में शरधमल ग्ररम पच
ं रयत की गरिं धनधध से ऐसे अनपु रत में धलयर जरएगर
जो धनधरनररत प्रधधकररी द्वररर धनधरनररत धकयर जर सकतर है। (2) इस अधधधनयम के तहत धकसी आधदिरसी मरमले में
अदरलती फीस यर जमु रनने के रूप में प्रप्त सभी रकमें ररज्य सरकरर को जमर की जरएंगी, लेधकन ररज्य सरकरर इस तरह
िसल ू की गई रकम में से अनदु रन के रूप में भगु तरन करे गी

धारा 40. लेखापरीक्षा


प्त्येक ग्ररम पंचरयत और न्यरय पंचरयत के खरतों कर ऑधडट हर सरल 2 बरर इस तरह से और 3 बरर ऐसे शल्ु क के
भगु तरन पर धकयर जरएगर जो धनधरनररत धकयर जर सकतर है।

धारा 41. ग्राम पंचायत का बजट


प्त्येक ग्ररम पच
ं रयत ऐसी अिधध के भीतर और ऐसी रीधत से, जो धनधरनररत की जरए, अगले अप्ैल के पहले धदन से
शरूु होने िरले धित्तीय िषन के धलए ग्ररम पंचरयत की अनमु रधनत प्रधप्तयों और व्यय कर धििरण तैयरर करे गी, धजसे ग्ररम
पंचरयत द्वररर परररत धकयर जरएगर। ग्ररम पंचरयत की बैठक में उपधस्थत और मतदरन करने िरले सदस्यों के सरधररण
बहुमत से और ऐसी बैठक के धलए कोरम ग्ररम पच ं रयत के सदस्यों की कुल सख्ं यर के आधे से अधधक होगर।

आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे- उत्तर प्देश पचं रयती ररज अधधधनयम 1947(प्मख
ु धरररएं)
VPO Exam 2023 के धलए Complete Course & Test Series
WhatsApp-9807342092
Course Fee-Rs-299/-Only
WhatsApp for UPPSC RO ARO, APS, VPO, LEKHPAL, JUNIOR ASSISTANT,
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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-12
उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज व्यवस्था
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1947, उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1961
उत्तर प्रदेश पंचायतीराज कानून अधधधनयम-1994, पंचायती राज धवभाग
Part-04
(District Panchayat, Area Panchayat & Gram Panchayat-Formation, Functions and Rights in U.P.)
उत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज अधधधनयम-1947( भाग और धारा)
इसे सयं क्त
ु प्रतं पचं रयतीररज अधधधनयम 1947 भी कहर जरतर है। उत्तर प्देश धिधरन सभर ने 5 जनू , 1947 को तथर
उत्तर प्देश धिधरन पररषद् ने 16 धसतम्बर, सन् 1947 को परररत धकयर। गिननमेंट ऑफ इधं डयर ऐक्ट, 1935 की धररर
76 के अधीन डोमीधनयन आफ इधं डयर के गिननर जनरल की स्िीकृ धत 7 धदसम्बर, 1947 को प्रप्त हुई
य०ू पी० गिननमेंट गजट में धदनरंक 27 धदसम्बर, 1947 को प्करधशत धकयर गयर। इसी धदन से लरगू हुआ
उत्तर प्रदेश पच ं ायतीराज अधधधनयम-1947 में
 कुल अध्यरय-09
 कुल धरररएं-119
 कुल अनसु चू ी-01
भाग नाम धाराएं
1 प्ररंधभक धररर- 1 ि 2
2 ग्ररम सभर- धररर- 3 ि 5
ग्ररम सभर की स्थरपनर
ग्ररम सभर कर संघटन
2A ग्ररम पंचरयत- धररर- 5A-10
ग्ररम पचं रयत के सदस्यों की अनहतरन
ग्ररम पंचरयत हेतु धनिरनचक नरमरिली
3 ग्ररम सभर- धररर-11
ग्ररम सभर की बैठक
ग्ररम सभर के करयन
3A ग्ररम पंचरयत धररर-11A-14

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4 ग्ररम पंचरयत- धररर-15-31
ग्ररम पचं रयत की शधक्तयरं
ग्ररम पंचरयत के कतनव्य
ग्ररम पंचरयत कर प्शरसन
5 भधू म कर अजनन धररर-32-41
गरिं की धनधध कर गठन एिं समरपन
6 न्यरय पंचरयत धररर-42-94A
7 बरह्य धनयंत्रण धररर-95-96A
8 शधक्तयरं एिं प्धियर धररर-97-109A
9 धनयम, उपधिधधयराँ एिं धनरसन धररर-110-119
Chapter-06-न्याय पंचायत
धारा 42. न्याय पच ं ायत की स्थापना
ररज्य सरकरर यर धिधहत प्रधधकररी एक धजले को मडं लों में धिभरधजत करे गर, प्त्येक मडं ल में ग्ररम पच
ं रयत के
अधधकरर क्षेत्र के अधीन उतने क्षेत्र शरधमल होंगे, धजतने समीचीन हो सकते हैं, और ऐसे प्त्येक मंडल के धलए न्यरय
पचं रयत की स्थरपनर करे गर

न्यरय पंचरयत ग्ररमीण स्तर पर धििरदों के धनपटररर करने की एक ग्ररमीण न्यरय प्णरली हैं। इसी कर धिकधसत रूप
ितनमरन समय की न्यरय व्यिस्थर हैं। इसे ही धिधटश शरसन करल में 'ग्ररम कचहरी' कहर जरतर थर। इसी ग्ररम कचहरी में
पंचों द्वररर ग्ररमीण धििदों कर धनपटररर धकयर जरतर थर।

उत्तर-प्देश में, उत्तर-प्देश पंचरयत ररज अधधधनयम की धररर 42 के तहत न्यरय पंचरयत कर गठन होतर है। इस के
अनसु रर न्यरय पंचरयत में न्यनू तम 10 सदस्य और अधधकतम 25 सदस्य हो सकते हैं। जो भी धनधरनररत धकयर जरय।
करयनकरल 5 िषन होंगे। एक सरपचं और उपसरपच ं होंगे। दीिरनी और छोटे-छोटे अन्य मक
ु दमें सनु ने कर अधधकरर
होगर। न्यरय पंचरयत ग्ररम पंचरयत की न्यरयपरधलकर है।

Points-
1-न्यरय पंचरयत को ग्ररम पंचरयत की न्यरयपरधलकर कहर जरतर है, क्योधक यह न्यरय कर करयन करती है, गरिं में होने
िरले धििरदों कर पक्षपरत धकये धबनर धनपटररर करती है।
2-न्यरय पंचरयत में एक सरपंच और उपसरपंच होते है।
3-न्यरय पंचरयत में कम से कम 10 यर अधधक से अधधक 25 तक सदस्य होते है।
4-न्यरय पचं रयत परचं ो कर करयनकरल 5 िषन के धलए होतर है।
5-न्यरयपंचरयत को दीिरनी और मरल के छोटे मक ु दमे सनु ने कर अधधकरर है।
6-न्यरय पच ं रयत को करररिरस कर दडं देने कर अधधकरर नहीं होतर है।
7-न्यरय पंचरयत को अधधकतम 250 रुपये तक कर जमु रननर लगरने कर अधधकरर प्रप्त होतर है

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न्याय पंचों की धनयुधि
उत्तर प्देश पंचरयत ररज अधधधनयम की धररर 43 के तहत न्यरय पंचरयत के पंचो की धनयधु क्त कर प्रिधरन धकयर गयर
है, धजसके तहत ग्ररम पंचरयत के सदस्यों में से धिधहत प्रधधकररी (अधधकररी ) धजतने धनयत धकये जरये, न्यरय पंचरयत
के पचं की धनयधु क्त करे गर और उसके बरद इस प्करर जो व्यधक्त पचं के धलए धनयक्त
ु धकये जरयेंगे

उत्तर प्देश पंचरयत ररज अधधधनयम की धारा 43 के तहत न्यरय पंचरयत के पंचो की धनयधु क्त कर प्रिधरन धकयर गयर
है, धजसके तहत ग्ररम पचं रयत के सदस्यों में से धिधहत प्रधधकररी (अधधकररी ) धजतने धनयत धकये जरये, न्यरय पच
ं रयत
के पंच की धनयधु क्त करे गर और उसके बरद इस प्करर जो व्यधक्त पंच के धलए धनयक्त
ु धकये जरयेंगे

न्याय पच
ं ायत का स्थानीय क्षेत्राधधकार
उत्तर प्देश पंचरयत ररज अधधधनयम धररर 51 में न्यरय पंचरयत की उस स्थरनीय अधधकरररतर कर उल्लेख धकयर गयर है
धजसके अतं गनत दीिरनी और फौजदररी के मक़ ु दमे दरधखल धकये जरते है जैसे धक:-
दंड प्धियर संधहतर, 1973 में धकसी बरत के होते हुए भी, फौजदररी कर ऐसर हर एक मक ु दमर जो न्यरय पंचरयत के द्वररर
धिचररणीय हो उस मंडल के न्यरय पंचरयत के सरपंच के समक्ष दरयर धकये जरयेंगे धजस मण्डल में ऐसर अपररध धकयर
गयर है।
धसधिल प्धियर संधहतर, 1908 में धकसी बरत के होते हुए भी, उत्तर प्देश पंचरयत ररज अधधधनयम के अधीन दरयर
दीिरनी कर हर एक मक ु दमर उस मंडल की न्यरय पंचरयत के सरपंच के समक्ष दरयर धकयर जरयेगर, धजसमे प्धतिरदी
एक हो यर अधधक हो, तो सभी प्धतिरदी धसधिल मक ु दमर दरयर होने के समय सरमरन्य रूप से जहराँ धनिरस करते हो यर
व्यरपर करते हो, भले ही मलू िरद कहीं भी उत्पन्न हुआ हो।

उत्तर प्रदेश पंचायत राज अधधधनयम धारा 52 के तहत यह प्रावधान धकया गया है धक न्याय पंचायत धनम्न
अपराधों का सज्ञं ान लेने के धलए सशि है-
(क) भररतीय दंड संधहतर के अंतगनत अपररध
ख) पशओ ु ं द्वररर अनरधधकरर प्िेश अधधधनयम 1871 की धररर 24 ि् धररर 26 के अतं गनत अपररध।
(ग) उत्तर प्देश धडधस्िक्ट बोडन प्रइमरी धशक्षर अधधधनयम, 1926 की धररर 10 उपधररर 1 के अंतगनत अपररध।
(घ) सरिनजरधनक जआ ु अधधधनयम 1867 की धररर 3, धररर 4, धररर 7 धररर 13 के अंतगनत अपररध।
(ड) पिू ोक्त धिधध अथिर धकसी अन्य धिधध के अतं गनत कोई ऐसर अन्य अपररध धजसे ररज्य सरकरर सरकररी गजट में
धिज्ञधप्त प्करधशत करके न्यरय पंचरयत द्वररर हस्तक्षेप घोधषत करे ।
(च) उत्तर प्देश पचं रयत ररज अधधधनयम यर उसके अधीन बनरये गए धकसी धनयम के अतं गनत कोई भी अपररध।

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धारा 43. पच ं ों की धनयधु ि और उनका काययकाल
धनधरनररत प्रधधकररी द्वररर ग्ररम पंचरयत के सदस्यों में से उतनी संख्यर में व्यधक्तयों की धनयधु क्त की जरएगी, धजतनी न्यरय
पचं रयत के पचं ों के धलए धनधरनररत की जर सकती है और उसके बरद इस प्करर धनयक्त ु सदस्य ग्ररम पच ं रयत के सदस्य
नहीं रहेंगे।
धारा 44. सरपंच या सहायक सरपंच का चुनाव
धररर 43 के तहत धनयक्त ु पचं , धनधरनररत तरीके से और अिधध के भीतर, अपने बीच से दो व्यधक्तयों कर चनु रि करें गे जो
करयनिरही को ररकॉडन करने में सक्षम हों, एक सरपंच के रूप में और दसू रर सहरयक सरपंच के रूप में; बशते धक यधद
पंच उपरोक्तरनसु रर सरपंच यर सहरयक कर चनु रि करने में धिफल रहते हैं तो धनधरनररत प्रधधकररी सरपंच यर सहरयक
सरपंच की धनयधु क्त कर सकतर है।

धारा 45. पच ं की अवधध


न्यरय पंचरयत के प्त्येक पंच कर करयनकरल उसकी धनयधु क्त की तररीख से शरू
ु होगर
धारा 47. पंचों का त्यागपत्र
एक पंच, एक सरपंच यर सहरयक सरपच धनधरनररत प्रधधकररी को अपने हस्तरक्षर से धलधखत रूप में अपने पद से
इस्तीफर दे सकतर है और उसके बरद उसकर पद ररक्त हो जरएगर।
धारा 49. न्याय पंचायत की न्यायपीठ
न्यरय पंचरयत के समक्ष आने िरले मरमलों और जरंचों के धनपटररे के धलए सरपंच परंच-परंच पंचों की बेंच बनरएगर।

Chapter-7-बाह्य धनयंत्रण
धारा 95. धनरीक्षण
ररज्य सरकरर धकसी ग्ररम पंचरयत, यर संयक्त
ु सधमधत यर न्यरय पंचरयत के स्िरधमत्ि िरली यर उसके कब्जे िरली धकसी
अचल संपधत्त यर ऐसी ग्ररम पंचरयत यर संयक्त
ु सधमधत यर उसके धनदेशन में चल रहे धकसी करयन कर धनरीक्षण कर
सकती है।
धारा 95-ए. राज्य सरकार की शधि
यधद धकसी भी समय ररज्य सरकरर को यह प्तीत होतर है धक ग्ररम सभर यर ग्ररम पंचरयत ने इस यर धकसी अन्य
अधधधनयम के तहत उस पर लगरए गए कतनव्य को परू र करने में चक ू की है, तो ररज्य सरकरर धलधखत आदेश द्वररर
इसके धलए एक अिधध तय कर सकती है।
धारा 96-ए. राज्य सरकार द्वारा शधियों का प्रत्यायोजन
ररज्य सरकरर इस अधधधनयम के तहत अपनी सभी यर धकसी भी शधक्त को अपने अधीनस्थ धकसी भी अधधकररी को
ऐसी शतों और प्धतबंधों के अधीन सौंप सकती है धजन्हें िह लगरनर उधचत समझे।

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Chapter-8-शधियां एवं प्रधिया
धारा 97. अधधधनयम के प्रावधानों के उल्लंघन के धलए जुमायना
जो कोई भी धररर 12-बीसीए यर धररर 12-बीसीसी के प्रिधरनों को छोड़कर इस अधधधनयम के धकसी भी प्रिधरन
कर उल्लघं न करतर है, िह दडं नीय होगर, जब तक धक अन्यथर धनधरनररत न हो, जमु रनने से, जो परच
ं सौ रुपये तक
बढरयर जर सकतर है और जब उल्लंघन जररी रहतर है। अधतररक्त जमु रननर जो पहली सजर के बरद हर धदन के धलए 450
रुपये तक बढरयर जर सकतर है, धजसके दौररन अपररधी कर अपररध जररी रखनर सरधबत हो जरतर है।

धारा 97-ए. मांग के सबं ंध में धकसी भी आदेश के उल्लंघन के धलए जुमायना
जो कोई भी धररर 12-बीसीए यर धररर 12-बीसीसी के तहत धदए गए धकसी भी आदेश कर उल्लंघन करे गर, उसे एक
िषन तक की कै द यर जमु रननर यर दोनों से दंधडत धकयर जर सकतर है।

धारा 98. धनयमों और उपधनयमों का उल्लघं न


धनयम बनरते समय ररज्य सरकरर और उपधिधध बनरते समय ग्ररम पच ं रयत धिधहत प्रधधकररी की मजं रू ी से यह धनदेश दे
सकती है धक इसकर उल्लंघन करने पर जमु रनने से दंडनीय होगर जो परंच सौ रुपये तक हो सकतर है और उल्लंघन होने
पर यह अधतररक्त जमु रनने के सरथ जररी रहेगर, जो पहली सजर की तररीख के बरद हर धदन के धलए पचरस रुपये तक
बढरयर जर सकतर है, धजसके दौररन अपररधी कर पद पर बने रहनर सरधबत हो जरतर है।

धारा 99. ग्राम पंचायत की सपं धत्त से छे ड़छाड़ पर जुमायना


जो कोई सरिनजधनक सड़क के धकसी फुटपरथ, नरली यर अन्य सरमग्री, यर धकसी बरड़, दीिरर यर पोस्ट, यर लैंप पोस्ट
यर िैकेट, धदशर पोस्ट, स्टैंड पोस्ट, हरइड्रेंट, यर अन्य को हटरतर है यर पररितनन करतर है यर अन्यथर हस्तक्षेप करतर है।
ग्ररम पंचरयत की ऐसी संपधत्त धबनर धलधखत मंजरू ी यर अन्य िैध प्रधधकररी के परए जरने पर जमु रनने से दंडनीय होगर जो
एक हजरर रुपये तक हो सकतर है।

धारा 101. नोधिस का अमान्य न होना


कोई भी नोधटस उसके प्ररूप में धकसी दोष यर चक
ू के कररण अमरन्य नहीं होगर।

धारा 102. अपील


अधधधनयम के तहत यर धकसी धनयम यर उप-करननू के तहत ग्ररम पंचरयत द्वररर धदए गए आदेश यर धनदेश से व्यधथत
कोई भी व्यधक्त, जब तक धक अन्यथर धनधरनररत न हो, ऐसे धनदेश यर आदेश की तररीख से 30 धदनों के भीतर, प्रप्त
करने के धलए आिश्यक समय को छोड़कर, कर सकतर है। उसकी एक प्धत धनधरनररत प्रधधकररी को अपील कर
सकती है जो उक्त आदेश यर धनदेश को बदल सकती है, रद्द कर सकती है यर पधु ि कर सकती है और अपील दरयर
करने िरले व्यधक्त को यर उसके धखलरफ जमु रननर भी लगर सकती है।

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धारा 107. ग्राम पचं ायत एवं न्याय पच
ं ायत को सरं क्षण
न्यरधयक अधधकररी सरं क्षण अधधधनयम, 1850 के प्रिधरन न्यरय पच
ं रयत के सदस्यों पर लरगू होंगे। इस अधधधनयम के
तहत सद्भरिनर से धकए गए यर धकए जरने िरले धकसी भी करयन के संबंध में धकसी भी ग्ररम पंचरयत यर उसके धकसी
सदस्य यर अधधकररी यर उसके धनदेश के तहत करम करने िरले धकसी भी व्यधक्त के धखलरफ धकसी भी अदरलत में
कोई नरगररक मरमलर यर अधभयोजन नहीं चलरयर जरएगर।

धारा 108. अपराधों के सबं ंध में पुधलस की शधियां और कतयव्य तथा पंचायतों को सहायता
प्त्येक पधु लस अधधकररी अपनी जरनकररी में आने िरले धकसी अपररध की ग्ररम पंचरयत को तत्करल सचू नर देगर जो
इस अधधधनयम यर उसके तहत बनरए गए धकसी धनयम यर उपधिधध के धिरुद्ध धकयर गयर है और ग्ररम पच ं रयत और
न्यरय पंचरयत के सभी सदस्यों और सेिकों को इस करयन में सहरयतर करे गर।

Chapter-09-धनयम, उपधवधधयााँ एवं धनरसन


धारा 110. धनयम बनाने की राज्य सरकार की शधियााँ
ररज्य सरकरर, ररजपत्र में अधधसचू नर द्वररर इस अधधधनयम के उद्देश्यों को परू र करने के धलए धनयम बनर सकती है।
धिशेष रूप से और पिू नगरमी शधक्त की व्यरपकतर पर प्धतकूल प्भरि डरले धबनर ऐसे धनयम प्दरन कर सकते हैं

धारा 111. उपधवधध बनाने की धजला पंचायत की शधियााँ


धनधरनररत प्रधधकररी, ररज्य सरकरर द्वररर अपेधक्षत होने पर, अपने अधधकरर क्षेत्र के भीतर ग्ररम पंचरयत के धलए
अधधधनयम और उसके तहत बनरए गए धनयमों के अनरू ु प उप-करननू बनर सकतर है तरधक िहरं रहने िरले व्यधक्तयों के
स्िरस््य, सरु क्षर और सधु िधर को बढरिर देने यर बनरए रखर जर सके ।

धारा 112. उपधवधध बनाने की ग्राम पंचायत की शधियााँ


इस अधधधनयम के प्रिधरनों और उसके तहत बनरए गए धनयमों और धनधरनररत प्रधधकररी द्वररर बनरए गए उप-करननू ों,
यधद कोई हो, के अधीन, एक ग्ररम पंचरयत उप-करननू बनर सकती है
आगामी चैप्िर
Next चै प्िर में पढ़ेंगे- पंचरयतों के धित्तीय स्रोत, धित्त आयोग
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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-13
पच
ं ायत समिमतयां और पच ं ायतों का चुनाव
राज्य मनवाा चन आयोग
हमने पढ़ा-Chapter-09-12-ईत्तर प्रदेश पचं ायतीराज व्यवस्था (ईत्तर प्रदेश पच
ं ायतीराज ऄधधधनयम-1947)

पच
ं ायतो िें आरक्षण
ऄनच्ु छे द 243(D)- पचं ायतो में ऄध्यक्ष पद-1/3 मधहला and 1/3 Sc/St (By Rotation)
ऄनच्ु छे द -334-Sc/St अरक्षण 1/3 of Sc/St मधहला

ग्राि पंचायत-ग्राम सभा द्वार आसके सभी सदस्यों और मधु खया का चनु ाव प्रत्यक्ष मतदान के माध्यम से होता है।
ग्राम पंचायत के सदस्यों की संख्या-
1000 की जनसँख्या पर- 9 सदस्य
1001-2000 की जनसँख्या पर- 11 सदस्य
2001-3000 की जनसँख्या पर- 13 सदस्य
3000+ की जनसँख्या पर- 15 सदस्य

ग्राि पंचायत सदस्य हेतु आयु 21 वषा होनी चामहए।

क्षेत्र पंचायत/पंचायत समिमत-आसके सदस्यों का चनु ाव ग्राम सभा के व्यधियों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से धकया जाता है।
ये सदस्य ऄप्रत्यक्ष वोध ंग द्वारा ऄपने में से एक प्रमख
ु व एक ईपप्रमख
ु का चनु ाव करते है।

मजला पंचायत-आनके सदस्यों का चनु ाव प्रत्यक्ष चनु ाव द्वारा होता है।


सदस्यों द्वारा ही ऄपने में से एक को ऄध्यक्ष एवं ईपाध्यक्ष चनु ा जाता है।

आन तीनों के बारें में हम धवस्तृत रूप से धपछले चैप् सस में पढ़ चक


ु े है।

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ग्राि प्रधान (काया एवं अमधकार)
ईत्तर प्रदेश पंचायतीराज ऄधधधनयम-1947 की धारा 11(B) के तहत प्रधान का चनु ाव होता है। ग्राम सभा के सदस्यों
द्वारा प्रत्यक्ष धनवासचन प्रणाली द्वारा
ग्राम प्रधान को दो तरीकों से ह ाया जा सकता है आसके बारें में हम पहले ही पढ़ चक
ु े है।
ग्राि प्रधान की तनख्वाह- माधसक मानदेय + यातायात भत्ता
Rs-5000/- + RS-15000/- =Rs-20000/-

ग्राम प्रधान के वही कायस होते है जो लगभग ग्राम पच


ं ायत के होते है। ग्राम प्रधान के धवस्तृत कायस Extra Pdf-03 में
धदया गया है।

पच
ं ायत समिमतयां
ईत्तर प्रदेश में पंचायत के 3 स्तर है। तीनो स्तर पर आनकी सधमधतयां है जो आनके कायों का प्रधतपादन करती है।

ग्रािपच
ं ायत समिमतयां
ग्रामपचं ायत गाँव की कायसपाधलका ऄथासत मधरिमण्डल होती है और पच ं ायत सधमधतयां एक प्रकार का मिं ालय होती
हैं जो ग्राम पंचायत के 29 धवषयों (कायों) के धियारवयन के धलये बनाइ जाती हैं ताधक ग्राम पंचायत सहभाधगता एवं
जनभागीदारी के साथ सचु ारू रूप से कायस कर सके । ईत्तर प्रदेश में ग्राम पंचायत सधमधतयों का गठन 2002 की
धनयमावली के ऄनरू ु प होता है।

उत्तरप्रदेश िें ग्राि पच


ं ायत समिमतयों की सख्ं या 6 मनधााररत की गई है-
 धनयोजन एवं धवकास सधमधत
 धनमासण कायस सधमधत
 धशक्षा सधमधत
 प्रशासधनक सधमधत
 स्वास््य एवं कल्याण सधमधत
 जल प्रबंधन सधमधत

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1-मनयोजन एवं मवकास समिमत
धनयोजन एवं धवकास सधमधत छः सधमधतयों में से एक महत्वपणू स सधमधत होती । यह सधमधत ऄरय सधमधतयों के
धनयोजन में भी सहयोग करती है।

मनयोजन एवं मवकास समिमत का गठन -


 आस सधमधत का धनमासण या गठन कुल 7 सदस्यों से होता जो आस प्रकार है
 प्रधान आस सधमधत का सभापधत होता है।
 छः ऄरय सदस्य होते हैं धजनमे से एक ऄनसु धू चत जाधत या जनजाधत का सदस्य होना ,एक मधहला सदस्य का
होना व एक धपछड़ा वगस का सदस्य होना ऄधनवायस है।
 प्रत्येक सधमधत में ऄधधकतम 7 धवशेष अमंधित सदस्य होते हैं। धवशेष अमंधित सदस्य सधमधतयों की बैठक
में भाग ले सकते है ,चचास कर सकते हैं ऄपने धवचार प्रक कर सकते हैं पर मतदान में धहस्सा नहीं ले सकते
हैं।

मनयोजन एवं मवकास समिमत के काया-


 यह सधमधत ग्राम धवकास की योजना बनाती है।
 कृ धष,पशपु ालन एवं गरीबी ईरमल
ू न कायसिमों का सच
ं ालन आस सधमधत के द्वारा धकया जाता है।
 यह सधमधत सभी ऄरय सधमधतयों के धनयोजन धनमासण में भागीदारी करती है।
 धनयोजन एवं धवकास सधमधत ही ग्राम सभा की बैठक में लाभाधथसयों का सही चयन सधु नधित करती है।

3-मनिााण काया समिमत


धनमासण सधमधत एक महत्वपणू स सधमधत होती है।यह एक तरह से ग्राम पच
ं ायत द्वारा कराए जा रहे धनमासण कायों का
धनरीक्षण करती है।

मनिााण समिमत का गठन -


 आस सधमधत का सभापधत वाडस सदस्य द्वारा ऄपने बीच से चनु ा जाएगा।
 आस सधमधत का सभापधत वाडस सदस्य ऄथासत पच ं होता है।
 छः ऄरय सदस्य होते हैं धजनमे एक ऄनसु धू चत जाधत या जनजाधत का होना ,एक मधहला सदस्य का होना व
एक धपछड़ावगस का सदस्य होना ऄधनवायस है।
 ऄधधकतम 7 धवशेष अमधं ित सदस्य हो सकते हैं।

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मनिााण समिमत के काया -
 सधमधत ग्राम पंचायत में कराए जा रहे सभी धनमासण कायों की देखरे ख करती है।
 यह सधमधत धनगरानी का कायस करती है।
 ग्राम पचं ायत म कराए जा रहे कायों का धनरीक्षण करती है।सधमधत की धनरीक्षण ररपो स के अधार पर ही कायस
के धलये धनराधश का भगु तान धकया जाता है।

1-मशक्षा समिमत
यह सधमधत ग्राम पंचायत की धशक्षा व्यवस्था की धनगरानी करती है ।

मशक्षा समिमत का गठन -


 आस सधमधत का भी सभापधत प्रधान होता है।
 छः ऄरय सदस्य होते हैं धजनमें से एक ऄनसु धू चत जाधत या जनजाधत का होना ,एक मधहला सदस्य का होना
और एक धपछड़ावगस का सदस्य होना ऄधनवायस है।
 आस सधमधत में भी ऄधधकतम 7 धवशेष अमंधित सदस्य होते हैं।

मशक्षा समिमत के काया -


 प्राथधमक धवद्यालयों में धवद्याधथसयों एवं धशक्षकों की ईपधस्थधत सधु नधित करना ।
 पढ़ाइ की गुणवत्ता की जाँच करना ।
 धवद्याधथसयों की छािवृधत्त की जाँच करना।
 प्राथधमक धवद्यालयों में पढ़ाइ के स्तर को सधु ारने के धलये अधारभतू सधु वधाओ ं जैसे भवन,जल ,धकताबें
और शौचालयों को प्रदान करने हेतु योजना तैयार करती है एवं ग्राम पंचायत की बैठक में प्रस्तुत करती है।
 यधद स्कूल सम्बरधी कायों में धकसी प्रकार समस्या अ रही है तो आसकी धलधखत रूप से धशकायत बेधसक
धशक्षा ऄधधकारी को करती है।

यह सधमधत पच
ं ायत में गुणवत्तापणू स प्राथधमक धशक्षा हेतु एक ऄनक
ु ू ल वातावरण को तैयार करती है।
यह सधमधत ईधचत वातावरण धनमासण हेतु धवद्याधथसयों, ऄधभभावकों एवं धशक्षकों के बीच समरवय स्थाधपत करती है।

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5. प्रशासमनक समिमत
यह सधमधत प्रशासन सम्बरधी कायस देखती है।

प्रशासमनक समिमत का गठन -


 आस सधमधत का सभापधत ग्राम प्रधान होता है।
 छः ऄरय सदस्य होते है धजनमे से एक ऄनसु धू चत जाधत या जनजाधत का होना ,एक मधहला सदस्य का होना
और एक धपछड़ावगस का सदस्य होना ऄधनवायस है।
 ऄधधकतम 7 धवशेष अमंधित सदस्य होते हैं।

प्रशासमनक समिमत के काया -


 यह सधमधत राशन की दक ु ानों की धनगरानी करती है। यह देखती है धक को ेदार सही से राशन धवतरण कर रहा
है या नहीं।
 ग्रामपंचायत के कमसचाररयों की धनगरानी करती है।
 प्रशासधनक सधमधत पर ही गाँव मे शाधं त व्यवस्था बनाये रखने की धजम्मेदारी होती है।
 यह सधमधत ग्राम पंचायत में लगने वाले हा ,बाजार और मेलों पर ैक्स लगाती है।

4-स्वास््य एवं कल्याण समिमत


यह सधमधत ग्राम पंचायत में स्वास््य सम्बरधी कायस देखती है

स्वास््य एवं कल्याण समिमत का गठन -


 आस सधमधत का सभापधत वाडस सदस्य ऄथासत पंच होता है।धजसे वाडस सदस्यों के द्वारा ऄपने मध्य से ही चनु ा
जाता है।
 छः ऄरय सदस्य होते हैं धजनमे से एक ऄनसु धू चत जाधत या जनजाधत का ,एक मधहला सदस्य का होना व एक
धपछड़ावगस सदस्य का होना ऄधनवायस है।
 ऄधधकतम 7 धवशेष अमधं ित सदस्य होते हैं।

स्वास््य एवं कल्याण समिमत के काया-


 बच्चों एवं माताओ ं के ीकारण हेतु व्यवस्था करना।
 स्वास््य कायसकिी एवं अगं नबाड़ी कायसकिी के साथ समरवय स्थाधपत करना ।

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 ग्राम पंचायतके बीमाररयों की जानकारी एवं कारण का पता करना ।
 मौसमी बीमाररयों से धनप ने की तैयारी करना ।
 मधहला एवं बाल कल्याण योजनायें धियाधरवत करना।
 ग्राम पंचायत में साफ सफाइ की व्यवस्था करना।
 पष्टु ाहार पर नजर रखना एवं ईसकी गुणवत्ता सधु नधित करना।
 प्राथधमक स्वास््य कें द्रों पर दवाओ ं की ईपलब्धता सधु नधित करना।
 कोइ बीमारी फै ल रही है तो ईस पररधस्थधत से धनप ने की तैयारी करना ।
 स्वास््य सम्बरधी धनयोजन करना

6-जल प्रबंधन समिमत


यह सधमधत ग्राम पचं ायत में सरु धक्षत जल व्यवस्था की देख रे ख करती है।

जलप्रबध
ं न समिमत का गठन -
 आस सधमधत का सभापधत वाडस मेम्बर ऄथासत पच
ं होता है धजसका चनु ाव वाडस मेम्बरों द्वारा ऄपने बीच से
धकया जाता है।
 छः ऄरय सदस्य होते हैं धजनमे एक सदस्य ऄनसु धू चत जाधत या जनजाधत का होना,एक मधहला सदस्य का
होना व एक सदस्य धपछड़ावगस का होना ऄधनवायस है।
 ऄधधकतम 7 धवशेष अमंधित सदस्य होते हैं।

जलप्रबध
ं न समिमत के काया -
 ग्राम पंचायत में शद्ध
ु पेयजल की व्यवस्था करना ।
 ग्राम पंचायत में हैंडपंप का रखरखाव रखना।
 लघु धसंचाइ की व्यवस्था करना।
 जल स्रोतों की सचू ी तैयार करना व ईनके बेहतर प्रबंधन हेतु पच
ं ायतों को सझु ाव देना।
 जल से सम्बंधधत समस्याओ ं का धनयोजन करना।

नोट
ग्राम पचं ायत का सधचव ही प्रत्येक सधमधत का सधचव होता है।
प्रत्येक सधमधत माह में एक बैठक ऄवश्य करती है।
सधमधत बैठक की ररपो स ग्राम पंचायत के समक्ष प्रस्तुत करती है।
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ग्राि पच
ं ायत के काया
 कृ धष सबं ंधी कायस(धसचं ाइ के साधन की व्यवस्था)
 ग्राम्य धवकास संबंधी कायस(गाँव के रोड को पक्का करना, ईनका रख रखाव करना, गाँव में स्वच्छता बनाये
रखना, गाँव के सावसजधनक स्थानों पर लाआ ् स का आतं जाम करना, गाँव की सड़कों और सावसजधनक स्थान पर
पेड़ लगाना
 प्राथधमक धवद्यालय, ईच्च प्राथधमक धवद्यालय व ऄनौपचाररक धशक्षा के कायस(गरीब बच्चों के धलए मफ्ु त
धशक्षा की व्यवस्था, अंगनबाड़ी कें द्र को सचु ारू रूप से चलाने में मदद करना)
 यवु ा कल्याण सम्बंधी कायस(खेल का मैदान व खेल को बढ़ावा देना)
 राजकीय नलकूपों की मरम्मत व रखरखाव
 धचधकत्सा एवं स्वास््य सम्बंधी कायस
 मधहला एवं बाल धवकास सम्बंधी कायस
 पशधु न धवकास सम्बंधी कायस (पशु पालन व्यवसाय को बढ़ावा देना, दधू धबिी कें द्र और डेयरी की व्यवस्था
करना, मछली पालन को बढ़ावा देना)
 समस्त प्रकार की पेंशन को स्वीकृ त करने व धवतरण का कायस
 समस्त प्रकार की छािवृधत्तयों को स्वीकृ धत करने व धवतरण का कायस
 राशन की दक ु ान का अवं न व धनरस्तीकरण
 पंचायती राज सम्बंधी ग्राम्यस्तरीय कायस अधद।
 जरम मृत्यु धववाह अधद का ररकॉडस रखना

ग्राि न्यायालय
12 ऄप्रैल-2007 को कें द्र सरकार के एक धनणसय के ऄनसु ार ग्रामीण भारत के धनवाधसयों को पंचायत स्तर पर ही रयाय
धदलाने के धलए प्रत्येक पचं ायत स्तर पर एक ग्राम रयायालय की स्थापना की जाएगी। आस पर प्रत्येक वषस 325 करोड़
रुपये खचस धकए जाएंगे। कें द्र सरकार एवं राज्य सरकारें तीन वषस तक आन रयायालयों पर अने वाला खचस वहन करें गी।
ग्राम रयायालयों की स्थापना से ऄरय ऄदालतों में मक ु दमों की संख्या कम करने में मदद धमलेगी।

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राज्य मनवाा चन आयोग
धजस प्रकार देश में ससं दीय एवं राज्यों के धवधान सभा चनु ावों की धजम्मेदारी को धनभाने के धलए भारतीय चनु ाव
अयोग (Election Commission of India- ECI) की स्थापना की गइ है ईसी प्रकार राज्यों में होने वाले पंचायत
चनु ावों को संपरन कराने के धलए प्रत्येक राज्य में राज्य चनु ाव/ धनवासचन अयोग (State Election Commission)
की स्थापना की गइ है । राज्य चनु ाव अयि ु भारत के चनु ाव अयोग से स्वतंि रूप से काम करते हैं और प्रत्येक का
ऄपना कायसक्षेि होता है ।

राज्य मनवााचन आयोग के काया इस प्रकार हैं:


 राज्य चनु ाव अयोग का सबसे ऄहम कायस है पंचायती राज संस्थानों (PRIs) के चनु ाव को संपरन कराना ।
 मतदाता सचू ी तैयार करना ।
 नामांकन के धलए धतधथयों की धनयधु ि
 चनु ाव की सावसजधनक सचू ना ।
 चनु ाव के धलए ईम्मीदवारों का नामाक
ं न।
 चनु ाव लड़ने वाले ईम्मीदवारों की सचू ी का प्रकाशन ।
 मतदान के धलए समय धनधासरण ।
 वो ों की धगनती और चनु ाव पररणाम की घोषणा ।

मनवाा चन आयोग के बारे िें


भाग-15 के ऄनच्ु छे द 324 में
धनवासचन अयि ु -ऄनच्ु छे द-324(ख) में By राष्ट्रपधत
कायसकाल- 6 वषस या 65 साल की अयु तक - No सपथ
ईस धवधध से ह ाया जाएगा धजस धवधध से ईच्चतम रयायालय का रयायाधीश

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राज्य मनवााचन आयोग
सधवंधान के ऄनच्ु छे द 243( ) के तहत आसका गठन प्रत्येक राज्य द्वारा धकया जाता है।

राज्य मनवााचन आयुक्त


राज्य धनवासचन अयि ु (state election commissioner) की धनयधु ि संबंधधत राज्य का राज्यपाल करता है ।
कायसकाल- 6 वषस या 65 साल की अयु तक
ऄनच्ु छे द 243 के ऄनसु ार राज्यपाल, जब राज्य चनु ाव अयोग द्वारा ऐसा ऄनरु ोध धकया जाता है, तो राज्य चनु ाव
अयोग को ऐसे कमसचारी ईपलब्ध कराते हैं जो राज्य धनवासचन अयोग को प्रदत्त कायों के धनवसहन के धलए अवश्यक
हो सकते हैं । संधवधान के तहत, स्थानीय स्वशासन संस्थानों की स्थापना राज्यों की धजम्मेदारी है ।
राज्य चनु ाव अयि ु के पास एक ईच्च रयायालय के रयायाधीश का दजास, वेतन और भत्ता होता है और
ईच्च रयायालय के रयायाधीश के समान ईसे पद से नहीं ह ाया जा सकता है ।

उत्तर प्रदेश िें मनवाा चन


राज्य धनवासचन अयोग, उ0 प्र0 में धिस्तरीय पंचायतों एवं नगरीय धनकायों के धनवासचनों के सकुशल एवं धनष्ट्पक्ष
धनवासचन का संवैधाधनक दाधयत्व मा0 राज्य धनवासचन अयि ु का है। अयिु (अमतौर पर भारतीय प्रशासधनक सेवा
(अइ0ए0एस0) के एक सेवाधनवृत्त ऄधधकारी) की धनयधु ि प्रदेश के राज्यपाल द्वारा की जाती हैl ईत्तर प्रदेश में राज्य
धनवासचन अयि ु का कायसकाल 6 वषस ऄथवा जब तक वह 68 वषस की अयु प्राप्त नहीं कर लेता, जो भी पहले हो,
धनधासररत धकया गया हैl
ऄहतास-सेवाधनवृत्त IAS ऄधधकारी
राज्य धनवासचन अयि ु को ईसके पद से ईसी रीधत से और ईरही अधारों पर ही ह ाया जा सकता है, धजस रीधत से और
धजन अधारों पर मा0 ईच्च रयायालय के रयायाधीश को ह ाया जाता है ऄरयथा नहीं।

ईत्तर प्रदेश राज्य के वतसमान चनु ाव अयि


ु (मख्ु य) 1982 बैच के सेवाधनवृत्त यपू ी कै डर के अइएएस ऄधधकारी
िनोज कुिार हैं।

िुख्य मनवााचन अमधकारी-धजला स्तर पर धनयि ु धजलाधधकारी ऄथवा राज्य धनवासचन अयोग द्वारा धनयि
ु एक
ऄधधकारी
काया-धनवासचक नामावली तैयार करना व प्रकाधशत करना

मनवााचन अमधकारी-ग्राम पंचायत क्षेिों के धलए धजलाधधकारी द्वारा धनयि


ु ।

सहायक मनवाा चन अमधकारी-ग्राम पंचायत क्षेिों के धलए धनवासचन ऄधधकारी की सहायता हेतु धजलाधधकारी द्वारा
धनयि
ु ।

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ितदान अध्यक्ष (पीठासीन अमधकारी)-प्रत्येक मतदान स्थल के धलए धनवासचक ऄधधकारी द्वारा धनयि

ितदान अमधकारी (पोमलंग ऑमिसर)-मतदान ऄध्यक्ष की सहायता हेतु धनवासचक ऄधधकारी द्वारा धनयि

इलेक्शन एजेंट (मनवाा चन अमिकताा)-धनवासचन ईम्मीदवार द्वारा धनयि


ु (सचू ना-धनवासचन ऄधधकारी को देनी होगी)

आगािी चैप्टर
Next चै प्टर िें पढ़ेंगे- ग्राम पंचायतों के ऄधधकार एवं कतसव्य, पंचायतीराज की चनु ैधतयाँ और समाधान
Next चै प्टर िें पढ़ेंगे- पचं ायतों के धवत्तीय स्रोत एवं कायस योजना, धवत्त अयोग

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UPSSSC VPO Exam 2023
पंचायतीराज व्यवस्था-टे स्ट सीरीज़-02
(Best 30 Objective Questions)
MM:30 Time-25 Min

1-भारतीय सवं िधान में पचं ायतों के विए वनिााचन वकस अनच्ु छे द में शावमि है-
a) अनच्ु छे द 243 घ (D)
b) अनच्ु छे द 243 ज (H)
c) अनच्ु छे द 243 ट (K)
d) अनच्ु छे द 243 ण (O)

Ans-c

2-प्रत्येक पंचायत का कायाकाि वकस वतवथ से पांच िर्ा के विए होगा?


a) इसकी पहिी बैठक से
b) चनु ाि पररणामों की घोर्णा से
c) पंचायत चनु ाि कराने की जारी अवधसचू ना से
d) मवु खया वनयवु ि के वदन से

Ans-a
पंचायती राज संस्थाओ ं का कायाकाि 5 िर्ा का होता है। अनच्ु छे द 243E पंचायतों की अिवध से संबंवधत है।
प्रत्येक पंचायत अपनी पहिी बैठक की वतवथ से 5 िर्ा तक बनी रहेगी।

3-उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अवधवनयम-1947 में ग्राम 'पंचायत की बैठकें ' वकस धारा के अंतगात शावमि है-
a) धारा 11
b) धारा 12बी
c) धारा 12डी
d) धारा 12आई

Ans-b

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4-िोकतावं िक विके न्द्रीकरण/ स्थानीय स्िशासन के सम्बन्द्ध में सत्य कथन है-
1. सत्ता को उच्चस्तर से स्थानीयस्तर की ओर हस्तान्द्तररत करना, िोकतांविक विके न्द्रीकरण कहिाता है।
2. पंचायतीराज व्यिस्था स्थानीय स्िशासन का एक प्रकार है।
3. सिाप्रथम िोकतावं िक विके न्द्रीकरण की शरूु आत बिितं राय मेहता सवमवत की वसफाररश पर हुई थी।

a) के िि 2
b) 1 और 2
c) 2 और 3
d) 1, 2 और 3

Ans-d

5-िैवदक काि में ग्रामीण प्रशासन का प्रमख


ु अवधकारी कौन था
a) ग्रामणी
b) ग्राम रक्षक
c) ग्राम पवत
d) ग्रामीण

Ans-a
व्याख्या िैवदक काि में ग्रामीण प्रशासन का प्रमख ु अवधकारी 'ग्रामणी' होता था। 'ग्रामणी' का मख्ु य काया गााँि को
चोर, डाकुओ ं एिं राज्य के भ्रष्ट कमाचाररयों से वपतृित्त रक्षा करना था। उसे ग्राम सभा की बैठकों को बुिाने तथा गााँि
के िोगों पर अथा दण्ड िगाने का अवधकार था। डॉ. बनजी के अनसु ार िैवदक काि में मौविक रूप से गााँि
स्िायत्तशासी सस्ं था थी और िह के न्द्रीय वनयन्द्िण से मिु थी।

6-वित्त आयोग से प्राप्त पचं ायती राज सस्ं थाओ ं के विए सहायता अनदु ान वकसके द्वारा प्राप्त की जाती है?
a) वजिा पररर्द
b) पंचायत सवमवत
c) ग्राम पंचायत
d) किेक्टर

Ans-c

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ववत्त आयोग:
वित्त आयोग एक संिैधावनक वनकाय है, जो अनच्ु छे द 280 के तहत कें र से राज्यों को वित्तीय संसाधनों के हस्तांतरण
की वसफाररश करने के विए प्रत्येक पााँच िर्ा में वनवमात वकया जाता है।
आयोग उन वसद्ांतों को भी तय करता है वजन पर राज्यों को अनदु ान वदया जाएगा।
15िें वित्त आयोग का गठन 27 निंबर, 2017 को वकया गया था, और श्री एन.के . वसंह इसके प्रमख ु थे।
राज्य ववत्त आयोग:
यह भारत में राज्य/उप-राज्य-स्तरीय राजकोर्ीय संबंधों को तका संगत बनाने और व्यिवस्थत करने के विए 73िें और
74िें संिैधावनक संशोधन द्वारा बनाई गई संस्था है।
संविधान के अनच्ु छे द 243I में राज्य के राज्यपाि को प्रत्येक पांच िर्ा में एक वित्त आयोग का गठन करने के विए
कहा गया है।
संविधान के अनच्ु छे द 243Y में कहा गया है वक अनच्ु छे द 243I के तहत गवठत वित्त आयोग नगरपाविकाओ ं की
वित्तीय वस्थवत की भी समीक्षा करे गा और राज्यपाि को वसफाररशें देगा।

7-कथन-1-रामायण काि में प्रशासन दो भाग परु और जनपद थे


कथन-2-संगम काि में ग्राम सभाएाँ तीन प्रकार की होती थीं-उर, सभा एिं महासभा
a) के िि 1 कथन सही है
b) के िि 2 कथन सही है
c) कथन 1 और 2 दोनों सही है
d) इनमे कोई कथन सही नहीं है

Ans-c

8-पच
ं ायती सवमवत में मख्ु य अवधकारी कौन होता है
a) प्रसार अवधकारी
b) खंड विकास अवधकारी
c) वजिावधकारी
d) कायाािय अधीक्षक

Ans-b

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1992 में 73िें संिैधावनक संशोधन अवधवनयम पाररत वकया गया, वजसने पंचायती राज संस्थाओ ं को संिैधावनक दजाा
वदया।
 वजिा पंचायत का सीईओ एक आईएएस अवधकारी(DM) होता है।
 बीडीओ जनपद पंचायत का मख्ु य अवधकारी होता है।
 ग्राम स्तर पर सवचि/ग्राम पचं ायत अवधकारी की वनयवु ि की जाती है, िह ग्राम सभा को बि
ु ाता है और
अपनी कायािाही का ररकॉडा रखता है।

9-वजिा पररर्द को कौन भंग कर सकता है


a) वजिा पचं ायत अध्यक्ष
b) राज्य सरकार
c) के न्द्रीय सरकार
d) पचं ायत सवमवत के अध्यक्ष

Ans-b
 वजिा पररर्द को पंचायती राज व्यिस्था का तीसरा स्तर माना जाता है।
 पचं ायती राज व्यिस्था में िोगों की भागीदारी का विचार जनपद पंचायत और वजिा पररर्द नामक दो
अिग-अिग स्तरों तक फै िा हुआ है।
 वजिा पररर्द सभी ग्राम पचं ायतों के बीच धन वितरण को वनयवं ित करता है।
 यह पंचायती राज व्यिस्था में चनु ािों के माध्यम से बनता है।
 राज्य सरकार के पास वजिा पररर्द को भंग करने की शवि है
 राज्य और कें र सरकार की विवभन्द्न विकास गवतविवधयों और कल्याणकारी योजनाओ ं को वजिा पररर्द के
माध्यम से कायाावन्द्ित वकया जाता है।

10-गुप्तकाि में पंचायतीराज व्यिस्था के अंतगात 200 गांिों का समहू कहिाता था-
a) संगहृ ण
b) रोणमख ु
c) महाग्राम
d) खरिावतक

Ans-d

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11-राज्य वित्त आयोग एक-
a) काननू ी वनकाय है
b) गैर-सावं िवधक वनकाय है
c) संिैधावनक वनकाय है
d) इनमे से कोई भी नहीं

Ans-c
राज्य वित्त आयोग एक संिैधावनक वनकाय है, क्योंवक यह 73िें संिैधावनक संशोधन अवधवनयम 1992 के तहत बना
है। अनच्ु छे द 280 के तहत, कें र के वित्त आयोग की तजा पर 1993 से भारत के सभी राज्यों में राज्य वित्त आयोग की
स्थापना की गयी थी।
उद्देश्य: पचं ायतों की वित्तीय वस्थवत की समीक्षा करना।
भारतीय संविधान के अनच्ु छे द 243 I के अनसु ार, राज्य वित्त आयोग को राज्यपाि द्वारा 5 िर्ों की अिवध के विए
वनयि ु वकया जाता है।

12-वनम्नविवखत में से वकसे पंचायती राज व्यिस्था का उद्देश्य माना जाता है?
a) ग्रामीण समृवद्
b) ग्रामीण विकास
c) राजनीवतक विकास
d) उपरोि सभी

Ans-d

13-मध्यकाि में मकु द्दम कौन होता था-


a) गााँि प्रशासन के विए एक अवधकारी
b) राजस्ि संग्रह करने हेतु एक अवधकारी
c) पचं ों की सहायता द्वारा वििादों का समाधान करने िािा
d) भ-ू राजस्ि से संबंवधत िेखा-जोखा रखने िािा

Ans-a

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14-उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अवधवनयम-1947 में प्रधान का चनु ाि वकस धारा के अंतगात आता है-
a) धारा 11बी
b) धारा 9ए
c) धारा 6ए
d) धारा 12ए

Ans-a

15-खंड स्तर (Block level) पर पंचायत सवमवत एक ... है


a) प्रशासवनक प्रावधकरण
b) सिाहकार वनकाय
c) परामशादािी सवमवत
d) इनमें से कोई नहीं

Ans-a

16-पचं ायतों के द्वारा कौन - सा कर िसि


ू ा जाता है ?
a) स्थानीय मेिों का कर
b) वबक्री कर
c) भ-ू राजस्ि
d) सीमा कर

Ans-a

17-पचं ायती राज के कायाक्षेि में नहीं आता है -


a) ग्रामीण सड़कें
b) ग्रामोद्योग
c) कृ वर् उत्पादन
d) माध्यवमक वशक्षा

Ans-d

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18-पचं ायत सवमवत के सदस्य
a) खंड विकास पदावधकारी द्वारा मनोनीत वकये जाते हैं
b) वजिा पंचायत अध्यक्ष द्वारा मनोनीत वकये जाते हैं
c) प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा वनिाावचत वकये जाते हैं
d) ग्राम पंचायत के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से वनिाावचत वकये जाते हैं

Ans-c

19-वनम्नविवखत में से भारत में पहिा नगर वनगम कहााँ स्थावपत हुआ था ?
a) किकत्ता
b) चेन्द्नई
c) मम्ु बई
d) वदल्िी

Ans-b

20-अशोक मेहता सवमवत के सम्बन्द्ध में असत्य कथन है-


a) इन्द्होने तीन स्तरीय पंचायती राज प्रणािी के स्थान पर दो स्तरीय प्रणािी की व्यिस्था की
b) राज्य स्तर से नीचे वजिे को बेहतर पयािेक्षण के तहत विक्रेंरीकरण का प्रथम वबंदु माना जाना चावहए ।
c) पंचायत चनु ािों में राजनीवतक दिों की आवधकाररक भागीदारी होनी चावहए ।
d) ग्राम पंचायतों का गठन प्रत्यक्ष रूप से चनु े गए प्रवतवनवधयों को शावमि करके वकया जाना चावहए

Ans-d

21-भारत के 'पचं ायती राज ियिस्था का िास्तक


ु ार' (वशल्पी) वकसे कहा जाता है ?
a) बी. आर. मेहता
b) एि. एम. वसंघिी
c) जी. बी. के राि
d) आचाया नरें र देि

Ans-a

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22-राष्ट्रीय विकास पररर्द का गठन हुआ था-
a) 6 अगस्त, 1952 ई०
b) 10 अगस्त, 1952 ई०
c) 6 जि ु ाई, 1953 ई०
d) 10 अगस्त, 1953 ई०

Ans-a

23-भारतीय सवं िधान की 73िें सश


ं ोधन के सदं भा में वनम्नविवखत में से कौन सा कथन सही है?
1. इसमें पंचायतों को स्िशासन की संस्था स्िीकार वकया गया
2. इसमें शहरी स्थानीय सरकार को स्िशासन की संस्था स्िीकार वकया गया
नीचे वदए गए कुट से सही उत्तर चुवनए-
a) ना तो 1 और ना ही 2
b) 1 तथा 2 दोनों
c) के िि 2
d) के िि 1

Ans-d

24-ग्राम सभा का अवभप्राय है?


a) पच ं ायतों के सदस्य
b) वजिा अवधकारी से अवधसवू चत विवशष्ट िोग
c) एक पंचायत क्षेि के िोग
d) ग्राम स्तर के पचं ायत क्षेि के वनिााचक नामाििी में पजं ीकृ त िोग

Ans-d

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25-भारत में पंचायती राज प्रवतवनवधत्ि करता है?
a) िोगों की वहस्सेदारी
b) सामदु ावयक विकास
c) शवियों का विकें रीकरण
d) ये सभी

Ans-d

26-थगंु न सवमवत और गाडवगि सवमवत का गठन वकस िर्ा हुआ-


a) 1985
b) 1986
c) 1988
d) 1990

Ans-c

27-राष्ट्रीय विकास पररर्द का अध्यक्ष होता है-


a) भारत का राष्ट्रपवत
b) भारत का प्रधानमिं ी
c) राज्य का मख्ु यमंिी
d) नीवत आयोग का उपाध्यक्ष

Ans-b

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28-पचं ायती राज का प्रधान िक्ष्य है?
a) चनु ाि में िड़ने के विए ग्राम िावसयों को प्रवशक्षण देना
b) ग्राम िावसयों के बीच प्रवतद्ववं दता को बढाना
c) ग्राम िावसयों में शवि का विकें रीकरण
d) इनमें से कोई नहीं

Ans-c

29-बिितं राय मेहता सवमवत की प्रजातावं िक विकें रीकरण की वसफाररश के अनसु ार?
a) के िि वजिा स्तर पर वजिा पररर्द का गठन प्रस्तावित वकया गया था।
b) वजिा, ब्िॉक एिं ग्राम स्तरों पर विस्तरीय प्रजातावं िक पच
ं ायती राज्य सस्ं थाओ ं का गठन होना था।
c) के िि वजिा एिं मंडि स्तर पर वद्व स्तरीय पंचायती राज संस्थाओ ं का गठन होना था।
d) इनमें से कोई भी नहीं

Ans-b

30-पचं ायती राज से संबंवधत वनम्न सवमवतयों को कािक्रम से व्यिवस्थत कीवजए और नीचे वदए गए कूट से सही उत्तर
चवु नए?
1. जी. िी. के . राि सवमवत
2. एि. एम. वसघं िी सवमवत
3. बी. आर. मेहता सवमवत
4. अशोक मेहता सवमवत

a) 3 , 2, 1 और 4
b) 3, 4, 1 और 2
c) 1, 3, 4 और 2
d) 3, 4, 2 और 1

Ans-b

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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-14
ग्राम पच
ं ायतों के अधधकार एवं कततव्य
पंचायतीराज की चुनैधतयााँ और समाधान

ग्राम पंचायतों के अधधकार


ग्राम पंचायतों को धनम्नधिधखत अधधकार धदए गए हैं-
 ग्राम पंचायत की भमू म को अमजित करने का अमधकार
 ग्राम सभा की भमू म पट्टे पर देने का अमधकार
 ग्राम सभा के तालाब / जलाशय को मत्स्य पालन हेतु पट्टे पर देने का अमधकार
 ्थानीय मेलों एवं अन्य व्यव्था आमद पर कर आरोमपत करने का अमधकार
 ग्राम सभा की बैठक आयोमजत करने का अमधकार
 बाह्य संगठनों को चन्दा देने की शमि

उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1947 की धाराओ ं के तहत उत्तर प्रदेश के ग्राम पंचायतों के अधधकार-
धारा-16 (A)-बाहरी सगं ठन को चंदा देने की शधि
ग्राम पंचायत अपने क्षेत्र की अमधकाररता बाहर के ऐसे संगठनों को उनके ऐसे कामों के मलए अंशदान के रूप में ऐसी
धनरामश दे सकती है, जैसा की राज्य सरकार सामान्य या मवशेष आदेश द्वारा अनमु मत दे।
धारा-17-सावतजधनक सड़क आधद का प्रबंध करना ।
धारा-23-कुछ कमतचाररयों के अनैधतक व्यवहार की जांच करना और ररपोर्त करना
ग्राम पंचायत के क्षेत्रामधकार में रहने वाले मकसी व्यमि से जैसे मकसी अमीन, पमु लस, ग्राम चौकीदार, प्राइमरी
अध्यापक, पटवारी आमद द्वारा अपने सरकारी कतिव्यों के पालन में मकसी कदाचार संबंमधत मशकायत प्राप्त होने पर
यमद प्रत्सयक्ष साक्ष्य उपलब्ध है, तो ग्राम पचं ायत अपनी ररपोटि के साथ मशकायत को सममु चत प्रामधकारी के पास
भेजेगी। प्रामधकारी ऐसी और जांच करने के बाद जो सही हो, सममु चत कायिवाही करे गी और ग्राम पंचायत को उसके
पररणाम की सचू ना भेज देगा।
धारा-33-ग्राम पंचायत द्वारा गांव की भूधम को अधजतत करने की शधि ।

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ग्राम पच
ं ायतों के कततव्य
ग्राम पंचायत के कुछ कततव्य ये हैं-
 कृ मष संबंधी कायि
 ग्राम मवकास सबं ंधी कायि
 प्राथममक मवद्यालय, उच्च प्राथममक मवद्यालय और अनौपचाररक मशक्षा के कायि
 यवु ा कल्याण संबंधी कायि
 राजकीय नलकूपों की मरम्मत और रखरखाव
 मचमकत्ससा और ्वा््य सबं ंधी कायि
 ममहला एवं बाल मवकास संबंधी कायि
 पशधु न मवकास संबंधी कायि
 ग्राम पचं ायत के कुछ अन्य कतिव्य ये हैं:
 पंचायत क्षेत्र के मवकास के मलए वामषिक योजना बनाना
 वामषिक बजट बनाना
 प्राकृ मतक सक ं ट में सहायता कायि करना
 लोक सम्पमि से अमतक्रमण हटाना
 ग्राम पंचायत के ममु खया और वाडि सद्यों के कुछ कतिव्य ये हैं:
 ग्राम पंचायत और सभा की बैठकों का आयोजन करना और उनकी अध्यक्षता करना
 ग्राम पचं ायत में होने वाले कायों की देखरे ख करना
 कें द्र और राज्य सरकार की योजनाओ ं को ग्राम पंचायत में लागू करना
 साविजमनक क्षेत्र के मलए योजना तैयार कर कायों को करवाना

उत्तर प्रदेश पंचायतीराज अधधधनयम-1947 की धारा-15 के तहत ग्राम पंचायत के कततव्य


(1) कृधष एवं कृधष का धवस्तार
(i) कृ मष और बागवानी का मवकास (Development) और प्रोन्नमत (Promotion) ।
(ii) बंजर भमू म और चरागाह भमू म का मवकास और उनके अनमधकृ त संक्रमण और प्रयोग की रोकथाम करना ।

(2) भूधम धवकास, भूधम सध ु ार का कायातन्वयन, चकबन्दी और भूधम सरं क्षण


(i) भमू म मवकास, भमू म सधु ार और भमू म संरक्षण में सरकार और अन्य एजेंमन्सयों की सहायता करना ।
(ii) भमू म चकबन्दी में सहायता करना।

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(3) िघु धसच ं ाई, जि व्यवस्था और जि आच्छादन धवकास
(i) लघु मसचं ाई पररयोजनाओ ं से जल मवतरण में प्रबन्ध और सहायता करना।
(ii) लघु मसंचाई पररयोजनाओ ं का मनमािण, मरम्मत और अनरु क्षण, मसंचाई के उद्देश्य से जलापमू ति का मवमनयमन।

(4) पशुपािन, दुग्ध उद्योग और कुक्कुर् पािन


(i) पालतू जानवरों, कुक्कुटों और अन्य पशधु नों की न्लों का सधु ार करना ।
(ii) दग्ु ध उद्योग, गााँवों में मत्स्य पालन का मवकास

(5) मत्सस्य पािन


गााँवों में मत्स्य पालन का मवकास ।

(6) सामाधजक और कृधष वाधनकी


(i) सड़कों और साविजमनक भमू म के मकनारों पर वृक्षारोपण और परररक्षण ।
(ii) सामामजक व कृ मष वामनकी और रे शम उत्सपादन का मवकास और प्रोन्नमत।

(7) िघु वन उत्सपाद


लघु वन उत्सपादों की प्रोन्नमत और मवकास ।

(8) िघु उद्योग


(i) लघु उद्योगों के मवकास में सहायता करना ।
(ii) ्थानीय व्यापारों की प्रोन्नमत ।

(9) कुर्ीर और ग्राम उद्योग


(i) कृ मष और वामणमज्यक उद्योगों के मवकास में सहायता करना।
(ii) कुटीर उद्योगों की प्रोन्नमत ।

(10) ग्रामीण आवास


(i) ग्रामीण आवास कायिक्रमों का कायािन्वयन ।
(ii) आवास ्थलों का मवतरण और उनसे संबंमधत अमभलेखों का अनरु क्षण।

(11) पेयजि
पीने, कपड़ा धोने, ्नान करने के प्रयोजनों के मलए जल संभरण के मलए साविजमनक कुओ,ं तालाबों और पोखरों का
मनमािण, मरम्मत और अनरु क्षण और पीने के प्रयोजन के मलए जल सभं रण के स्रोतों का मवमनयमन ।

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(12) ईधनं और चारा भूधम
(i) ईधन
ं और चारा भमू म से सबं ंमधत घास और पौधों का मवकास।
(ii) चारा भमू म के अमनयममत अंतरण पर मनयन्त्रण |

(13) सड़कें , पुधिया, पुिों, नौकाघार्, जिमागत और सच ं ार के अन्य साधन


(i) ग्राम की सड़कों, पमु लयों, पल
ु ों और नौकाघाटों का मनमािण और अनरु क्षण।
(ii) जलमागों का अनरु क्षण।
(iii) साविजमनक ्थानों पर से अमतक्रमण को हटाना।

(14) ग्रामीण धवद्युतीकरण


साविजमनक मागों और अन्य ्थानों पर प्रकाश उपलब्ध कराना और अनरु क्षण करना ।

(15) गैर - पारम्पररक ऊजात स्रोत


ग्राम में गैर पारम्पररक ऊजाि स्रोतों के कायिक्रमों का मवकास, प्रोन्नमत और उनका अनरु क्षण |

(16) गरीबी उपशमन (Poverty alleviation) कायतक्रम


गरीबी उपशमन कायिक्रमों की प्रोन्नमत और कायािन्वयन ।
(17) धशक्षा
मजसके अन्तगित प्रारमम्भक और माध्यममक मवद्यालय भी समम्ममलत हैं
मशक्षा के बारे में साविजमनक चेतना।

(18) तकनीकी प्रधशक्षण और व्यावसाधयक धशक्षा


ग्रामीण कला और मशल्पकारी की प्रोन्नमत ।

(19) प्रौढ़ और अनौपचाररक धशक्षा


प्रौढ़ साक्षरता की प्रोन्नमत

(20) पुस्तकािय
प्ु तकालयों और वाचनालयों की ्थापना और अनरु क्षण।

(21) खेिकूद और सांस्कृधतक कायत


(i) सामामजक और सां्कृ मतक मक्रयाकलापों की प्रोन्नमत ।
(ii) मवमभन्न त्सयोहारों पर सा्ं कृ मतक सगं ोमियों का आयोजन।
(iii) खेलकूद के मलए ग्रामीण क्लबों की ्थापना और अनरु क्षण।

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(22) बाजार और मेिे
पचं ायत क्षेत्रों में मेलों, बाजारों और हाटों का मवमनयमन ।

(23) धचधकत्ससा और स्वच्छता


(i) ग्रामीण ्वच्छता की प्रोन्नमत ।
(ii) महामाररयों के मवरुद्ध रोकथाम |
(iii) मनष्ु य और पशु टीकाकरण के कायिक्रम
(iv) छुट्टा पशओु ं के मवरुद्ध मनवारक कायिवाही।
(v) जन्म, मृत्सयु और मववाह का रमज्रीकरण |

(24) पररवार कल्याण


पररवार कल्याण कायिक्रमों की प्रोन्नमत और मक्रयान्वयन

(25) आधथतक धवकास के धिए योजना


ग्राम पचं ायत के क्षेत्र के आमथिक मवकास के मलए योजना तैयार करना।

(26) प्रसधू त और बाि धवकास


(i) ग्राम पच
ं ायत ्तर पर ममहला एवं बाल मवकास कायिक्रमों के मक्रयान्वयन में भाग लेना ।
(ii) बाल ्वा््य और पोषण कायिक्रमों की प्रोन्नमत।

(27) समाज कल्याण


मजसके अन्तगित मवकलांगों और मानमसक रूप से मन्द व्यमियों का कल्याण भी समम्ममलत हैं
(i) वृद्धाव्था और मवधवा पेंशन योजनाओ ं में सहायता करना।
(ii) मवकलांगों और मानमसक रूप से मन्द व्यमियों के कल्याण को समम्ममलत करते हुए समाज कल्याण कायिक्रमों में
भाग लेना।

(28) कमजोर वगों और धवधशष्टतया अनस ु धू चत जाधतयों और अनस


ु धू चत जनजाधतयों का कल्याण
(i) अनसु मू चत जामतयों, अनसु मू चत जनजामतयों और समाज के अन्य कमजोर वगों के मलए मवमशष्ट कायिक्रमों के
कायािन्वयन में भाग लेना ।
(ii) सामामजक न्याय के मलए योजनाओ ं की तैयारी और कायािन्वयन ।

(29) सावतजधनक धवतरण प्रणािी


(i) अत्सयावश्यक व्तुओ ं के मवतरण के संबंध में साविजमनक चेतना की प्रोन्नमत ।
(ii) साविजमनक मवतरण प्रणाली का अनश्रु वण (Monitoring)

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(30) सामदु ाधयक अधस्तयों का अनरु क्षण
सामदु ामयक आम्तयों (Assets) का परररक्षण और अनरु क्षण ।

ग्राम पच
ं ायतों के दाधयत्सव
1.्वच्छता सम्बन्धी कायि तथा अपमशष्ट का सममु चत मनपटान।
2.साविजमनक तालाबों, कुओ ं का मनमािण,मरम्मत और संरक्षण करना।
3.पीने की पानी, नहाने,और पशओ ु ं के पीने की पानी तथा उसके स्त्रोतों की रखरखाव व मनमािण करना।
4.सड़को तथा अन्य साविजमनक जगहों पर प्रकाश की व्यव्था करना।
5.सड़कों, पमु लयों,बांधों, नामलयों का मनमािण व साफसफाई करना।
6.ग्राम पंचायत के सम्पिी की सरु क्षा करना।
7.मनोरंजन,खेलों,दक ु ानों,भोजन गृहों, फल ,ममठाई तथा अन्य व्तओ ु ं का मवमनयमन करना और मनयत्रं ण करना।
8.कचरा डम्प करने की ्थानों की व्यव्था करना ।
9.कााँजी हाउस का मनमािण,रखरखाव,पशओ ु ं से सम्बंमधत अमभलेखों का रखरखाव।
10.बाजारों,मेलों की ्थापना,प्रबन्धन और मवमनयमन करना।
11.जन्म, मृत्सयु तथा मववाहों का ररकाडि रखना।
12.रोगों के रोकथाम के उपाय करना।
13.शासन द्वारा लागू मकये गए योजनाओ ं का मक्रयान्वयन करना।
14.मनबिलों व मनरामश्रतों की सहायता करना।
15.यवु ा कल्याण,पररवार कल्याण के कायि करना।
17.वृक्षारोपण तथा पेंड़ पौधों को कटने से बचाना।
18.समाज मे प्रचमलत कुरीमतयों को दरू करना।
19.लोगों को मशक्षा ,्वा््य के मलए ्कूल ्वा््य के न्द्र का मनमािण करना।
20.साविजमनक मवतरण प्रणाली के अंतगित उमचत मल्ू य की दक ु ान की ्थापना, मनगरानी करना।
21.ग्राम सभा मे पास मकए गए अनश ु सं ाओ ं को लागू करना।
22.्थानीय संसाधनों का व्यय व मनयंत्रण करना।
23.कें द्र, राज्य, मजला,जनपद द्वारा सौपे गए पररयोजनाओ ं का मनष्पादन करना।

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पच
ं ायतीराज चुनौधतयााँ और समाधान

पच
ं ायती राज की चुनौधतयां

1-कमतचाररयों का अभाव- पंचायतें, संवैधामनक तौर पर सरकार के रूप में अपने क्षेत्र के लोगों के मलए जवाबदेह
होती हैं। ऐसे में जरुरी है मक उनके पास अपने कायो के मनष्पादन हेतु पयािप्त संख्या में कमिचारी हों। कमिचाररयों का
अभाव एक बड़ी सम्या रही है। ग्राम पंचायत के मलए कमिचाररयों की आदशि व्यव्था मकस तरह की हो, इसका
मनदान पचं ायती राज मत्रं ालय के अमखल भारतीय सन्दभि में तैयार मकये गए रोडमैप में सझु ाया गया है। लेमकन आमतौर
पर मबहार एवं झारखडं में पचं ायत समचवों की घोर कमी है मजससे पच ं ायतों का काम समय से सपं ामदत नहीं हो पाता।

2- योग्य प्रशासकों एवं धवशे षज्ञों की चुनौती- हम सभी जानते है मक योग्य प्रशासकों एवं मवशेषज्ञों के अभाव में
मनयोजन कायि असफल हो जाता है। पंचवषीय योजनाओ ं के समय में मवशेषज्ञ व प्रशासक प्रशासन में आये लेमकन जो
्थान उन्हें ममलना चामहए वह ्थान उन्हें नहीं ममल पाया। अत: वे अपने आप को मनराश व हतास अनभु व करते है
एवं साथ-साथ उनका कायि करने का मनोबल मनरन्तर मगरता जाता है तथा वे कायिरत ्थान को छोड़कर अन्यत्र ्थानों
में कायि शरू
ु कर देते हैं। यमद संयोग से कोई दक्ष प्रशासक या मवशेषज्ञ अपनी इमानदारी, लगन, पररश्रम के साथ
मवकासात्समक कायि करने का प्रयास भी करता है तो उसमें राजनीमतक एवं हाई कमान के दबावों से दबाव में आकर वह
मवकासात्समक कायि चाह कर भी नहीं कर सकता मजससे मदन-ब-मदन प्रशासकों एवं मवशेषज्ञों का अभाव बढ़ता ही जा
रहा है ।

3-क्षमता एवं प्रधशक्षण का अभाव- धनप्रवाह में देरी, भमू मकाओ ं की समझ का अभाव और मनवािमचत प्रमतमनमधयों
की मजम्मेदाररयां अमधकारीयों पर भारी पड़ती हैं। राजनीमतक ह्तक्षेप, प्रमशक्षण की कमी, अमशक्षा जैसे कई कारणों से
पंचायत की योजना एवं कायि सही तरीके से नहीं चल पाते हैं। दृमष्ट फाउंडेशन के एक अध्ययन में बताया गया है मक
मबहार में 72.2 % पंचायत प्रमतमनमधयों को मकसी तरह का प्रमशक्षण नहीं मदया गया है और मजन लोगों को यह
प्रमशक्षण ममला भी है, उन्हें भी मसफि के न्द्रीय योजनाओ ं पर ही मदया गया है। 86.3% पंचायतों ने कहा की उन्हें भमवष्य
में प्रमशक्षण की आवश्यकता है। इन सब के अभावों के कारण पच ं ायत के कायों और योजनाओ ं में ज़मीनी ्तर पर
मक्रयान्वयन में चनु ौमतयां पेश आती हैं तथा इससे लाभामथियों को योजना का लाभ समय से नहीं ममल पाता।

4-धवकास गधतधवधध-योजना और बजट- ज़्यादातर मनमािण सम्बंमधत गमतमवमधयां ग्राम पंचायत द्वारा ही की जाती हैं
लेमकन देखने को ममलता है मक इनमें आम लोगों की भागीदारी के मलए बढ़ावा नहीं मदया जाता है। आमतौर पर ग्राम
प्रधान और ग्राम पंचायत सद्यों में इच्छाशमि और पहल की कमी देखने को ममलती है मजससे ्वा््य, मशक्षा,
आजीमवका जैसे अन्य आवश्यक मवकासात्समक गमतमवमधयों से मनपटने के मलए कोई योजना नहीं बनाते हैं, बमल्क
सड़क, वाटरशेड से सम्बमन्धत कायिक्रमों पर ही अमधक ज़ोर देते हैं।

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5-सही व धवश्वासनीय तथ्यों की कमी- मबना त्यों एवं आकड़े के न कोई योजना बन सकती और न ही कोई
वा्तमवक कल्पना की जा सकती क्योंमक प्रशासन के पास आकड़ों का मनराभाव है। आकड़े तो सभी मवषयों में ममल
जाते हैं परंन्तु वे सही व मवश्वासनीय नहीं प्राप्त होते है। उदाहरणाथि – मवधवा पेंशन योजना अथवा ग्रामीण आवास
योजना। जब तक प्रशासन को सही व मवश्वासनीय त्यों के आकड़े नहीं प्राप्त होंगें तब तक ग्रामीण मवकास के
मवकासात्समक कायों की योजना बनाना एवं उनके मक्रयान्वयन व वा्तमवक पररणामों की कल्पना करना व्यथि होगा ।

6-िोगों की भागीदारी का अभाव-ममहलाओ,ं एससी/ एसटी जैसे मपछड़ी जामतयों का प्रमतमनमधत्सव, के वल कागज़ों
पर ही देखने को ममलता है। मवमभन्न जामतयों समहू ों एवं गुटबाजी के कारण पंचायतों के कामकाज में बाधा रहती है।
आज भी ममहलाओ ं को प्रधान या पंचायत सद्य के रूप में भले ही चनु ा जाता है लेमकन उनके फै सले आमतौर पर
परुु ष ही लेते हैं। इन सब चनु ौमतयों के कारण योजनाओ ं के कायि और मक्रयान्वयन में मदक्कतें पेश आती हैं। इन सब
चनु ौमतयों और सम्याओ ं को दरू करने के मलए पच ं ायतों के महतधारकों की क्षमता मनमािण की ज़रुरत है। इसके मलए
पंचायत ्तर पर बौटम टू –अप अप्रोच होनी चामहए मजसके तहत पंचायत के सद्यों के कौशल और ज्ञान मनमािण के
मलए पाटिनरमशप, सामदु ामयक आयोजन मकये जाने चामहए मजसमें सद्यों की अमधक से अमधक भागीदारी हो।

7-धवकासात्समक योजनाओ ं के धक्रयान्वयन में अधनयधमतता-पंचायती राज एवं मजला मनयोजन पररषदों में
अमधकांश रामश योजनाकारों की जेब में चली जाती है एवं शेष बची हुई रामश प्रशासकीय अमधकाररयों एवं राजनैमतक
पदामधकाररयों की जेबों में चली जाती है और बची हुई रामश को मवकासात्समक कायों में लगाया जाता है, जो लगभग
20 प्रमतशत ही होती है। इस बची रामश के आधार पर मवकास की योजना एवं कायिक्रम बनाये जाते हैं, और रामश आधे
कायिक्रम में समाप्त हो जाती है।

8-िािफीताशाही का बढ़ता प्रभाव-लालफीताशाही के प्रभाव में वृमध्द के कारण मवकासात्समक कायों को परू ा
करने में अनावश्यक मवलंब होता है। कभी-कभी मवकासात्समक योजनाओ ं की फाइलें महीनों तक प्रलंमवत पड़ी रह
जाती है। मजससे आम आदमी मवकास के फलों से बंमचत रह जाता है। उदाहरणाथि -भवन मनमािण, रोड मनमाणि आमद
हेतु प्र्तुत पत्र यमद मजला पररषद या महानगरपामलका में भेजा जाता है, तो वह महीनों तक प्रलंमवत पड़ी रह जाती है।
इतना ही नहीं प्रलंमवत कायि के मलए बार-बार चक्कर लगाने पड़ते हैं, मजसके कारण घसू खोरी, भ्रष्टाचार को बढ़ावा
ममलता है।

9-योजना के धक्रयान्वयन में ढीिाप- मकसी भी क्षेत्र के मवकास के मलए मवकासात्समक योजनाओ ं के मनमािण से कायि
खत्सम नहीं हो जाता। मकसी योजना का वा्तमवक अथि व महत्सव उसके सफल मक्रयान्वयन से होता है। के न्द्र, राज्य एवं
्थानीय सरकार द्वारा मवकासात्समक योजनाएं तो ढेर सारी लंबी-चौड़ी बनाई जाती हैं। कायि अथाित उन योजनाओ ं का
मक्रयान्वयन कायि आरंभ ही नहीं होता, मजससे ग्रामीण क्षेत्रों में आवश्यक कायिक्रमों व योजनाओ ं के मक्रयान्वयन के
ढीलेपन के कारण उस क्षेत्र का मवकास के वल कल्पनात्समक रह जाता है।

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10-योजनाओ ं के धक्रयान्वयन में स्पाइि पद्वधत (Spoil Method) /व्यधिवाद-मकसी भी ्थानीय योजना का
मनमािण एवं उसका मक्रयान्वयन व्यमिगत महतों, ्वाथों को मद्दे नजर रखते हुए मकया जाता है ्थानीय मवकास अथाित
मजला मनयोजन के मलए योजनाओ ं का मनमािण एवं मक्रयान्वयन में व्यमिगत ्वाथि के साथ-साथ अमधकाररयों का
पवू ािग्रह, संसाधनों का दरू
ु पयोग, भाई- भतीजावाद इत्सयामद गंभीर सम्याएं हैं, मजससे मजले का मनयोजन सममु चत ढंग
से नहीं हो पाता और न ही उसका मक्रयान्वयन।

11-प्रशासधनक मशीनरी में जनतात्रीकरण का अभाव-मजला योजनाओ ं के मनमािण एवं मक्रयान्वयन करने वाली
प्रशासमनक मशीनरी में जनतात्रीकरण का आभाव है, मजसके पररणाम्वरूप प्रशासमनक मशीनरी अपने लक्ष्यों को प्राप्त
करने में असफल रही है।

12-जनसवं ाद का अभाव- जनसंवाद के कारण ग्रामीण मवकास की योजनाओ ं को शासन ग्रामीण जनता तक पहुचं ाने
में असफल रही है, मजससे ग्रामीण जनता को योजनाओ ं का सही ढंग से पता ही नहीं लगता और वे योजनाएं बनकर
मक्रयामन्वत कर दी जाती है तथा ग्रामीण गरीब, अमशमक्षत व असहाय जनता योजना के आने के इन्तजार में अपना
सारा समय व्यथि में बवािद कर देती है एवं वे योजनाओ ं के लाभ से वमं चत रह जाते हैं ।

13-आधथतक सस ं ाधन का अभाव-ग्राम पचं ायत हो या मजला पररषद, उनके पास धन की सम्या शरू ु से ही रही है।
इन स्ं थाओ ं को ्वतंत्र आमथिक स्रोत या तो मदये नहीं गये या मफर जो भी मदए गये वे अथि शन्ू य हैं।
पररणामत: शासकीय अनदु ानों पर ही जीमवत रहना पड़ता है।

चुनौधतयों का समाधान
1. अमधकाररयों एवं आम जनता को योजनाओ ं के सफल मक्रयान्वयन में सहयोग देना चामहए, तामक ग्रामीण मवकास
के मलए प्रशासन को सहयोग ममल सके ।
2. मवकासात्समक कायों को करने के मलए प्रशासकों एवं मवशेषज्ञों को ्वतंत्रता होने से वे अपने अनभु वों एवं
कायिकुशलता के आधार पर कायि कर सके गें।
3. संबंमधत सम्या के वा्तमवक आकड़े व त्य प्रशासन को प्राप्त कराने में संबंमधत व्यमि को सहयोग प्रदान करना
चामहए।
4. अमधकाररयों एवं कमिचाररयों को प्र्तामवत फाइलों की यथोमचत कायिवाही के साथ एक मनमित अवमध के अदं र
पणू ि करना चामहए।
5. राजनीमतक दल व हाई कमानों का मनयंत्रण समय-समय पर होना चामहए तामक उनका मनोबल, लगन एवं इमानदारी
से कायि करते रहें, इससे भ्रष्टाचार को बढ़वा नहीं ममलेगा। यह बात मकसी से छुपी नहीं है मक ज्यादा मनयत्रं ण ही
भ्रष्टाचार का दसू रा नाम है।

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6. मवकास कायों का मनयोजन, मक्रयान्वयन एवं उसका मल्ू यांकन समय-समय पर मकया जाना चामहए, मजससें मपछड़े
हुए क्षेत्रों का मवकास तीव्र गमत से हो सके गा।
7. व्यमिगत महतों को ध्यान रखकर योजनाएं नहीं बनानी चामहए वमल्क जनमहत को ध्यान रखकर योजनाओ ं का
मनमािण व मक्रयान्वयन करना चामहए।
8. आय के पयािप्त एवं ्वतंत्र स्रोत पंचायती राज सं्थाओ ं को मदये जाने चामहए, तामक उनकी आमथिक म्थमत सदृु ढ़
बन सके
9. मजला ्तर के योजनाकार क्षेत्रों में जाकर ग्रामीण वा्तमवकताओ ं को जानने के मलए अपने समय का उमचत अंश
गांव में गुजारें । यह न के वल आयोजन को कम गूढ़ व अमधक अथिवान बनाएगा बमल्क अमधक अच्छे मक्रयान्वयन की
संभावना होगी।

कुछ ऐसे समाधान हैं धजनके द्वारा पच


ं ायतें बेहतर प्रदशतन कर सकती हैं-
 ्थानीय शासन व मवकास मनयोजन में जन भागीदारी बढ़ाने व ग्राम सभाओ ं को समक्रय बनाने पर ज़ोर मदया
जाना चामहए।
 नागररक सेवाओ ं की बेहतर उपलब्धता हेतू पच ं ायतों की जवाबदेही को अमधक बढ़ाना आवश्यक है।
 मवमभन्न ्तरों से धन आवटं न और व्यय में जरूरत के अनसु ार उपयोग हेतु सधु ार मकया जाना चामहए।
 समदु ाय/ग्राम सभा के प्रमत पंचायतें अमधक पारदशी व्जवाबदेह बनें, इसके मलए समय-समय पर सामामजक
अंकेक्षण एवं पंचायत लेखांकन के संदभि में मनयममत रूप से बल मदया जाना चामहए और साथ में सचू ना के
अमधकार अमधमनयम के बारे में भी जानकारी होना आवश्यक है।
 समय-समय पर ग्राम पंचायतों के लोगों की क्षमता व मवकास हो तामक एक सक्षम वातावरण बने।

आगामी चैप्र्र
Next चै प्र्र में पढ़ेंगे- पचं ायतों के मविीय स्रोत एवं कायि योजना, मवि आयोग
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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-15 (Syllabus Topic-(iii)
पच
ं ायतों के ववत्तीय स्रोत एवं कायय योजना
कें द्र और राज्य ववत्त आयोग
(Part-01)
कें द्रीय ववत्त आयोग
वित्त अयोग के संबंध में भारतीय संविधान के ऄनच्ु छे द 280 और 281 में ईल्लेख वकया गया है।
वित्त अयोग एक ऄर्द्धन्यावयक एिं सलाहकारी वनकाय है।
भारतीय सवं िधान के ऄनच्ु छे द 280(1) के ऄतं गधत यह प्रािधान है वक सवं िधान के प्रारंभ से दो िर्ध के भीतर और
ईसके बाद प्रत्येक पााँच िर्ध की समावि पर या पहले ईस समय पर, वजसे राष्ट्रपवत अिश्यक समझते हैं, एक वित्त
अयोग का गठन वकया जाएगा। ऄभी तक 15 वित्त अयोग गवठत वकए जा चक ु े हैं।
पहला वित्त अयोग 22 निबं र 1951 को ऄवततत्ि में अया और आसके ऄध्यक्ष वक्षवतज चद्रं नेगी (के .सी. नेगी) थे।
2017 में 15िां वित्त अयोग एन के वसहं (नदं वकशोर वसहं ) (भारतीय योजना अयोग के भतू पिू ध सदतय) की
ऄध्यक्षता में गवठत वकया गया था। अरववदं मेहता वतयमान ववत्त आयोग के सवचव हैं।
भारत में वित्त अयोग का गठन वित्त अयोग ऄवधवनयम 1951 के ऄतं गधत वकया गया है।
ववत्त आयोग का मुख्यालय नई वदल्ली में है।

सरं चना/गठन
ऄनच्ु छे द 280(1) के तहत ईपबंध है वक वित्त अयोग राष्ट्रपवत द्वारा वनयक्त्ु त्त वकये जाने िाले 1 अध्यक्ष और 4
अन्य सदस्यों(सदस्यों में 2 सदस्य पर्
ू य कालीन सदस्य जबवक 2 सदस्य अंशकालीन सदस्य) से वमलकर
बनेगा।
ऄनच्ु छे द 280(2) के तहत ससं द को शवि प्राि है वक िह वित्त अयोग की वनधाधररत करे ।
73िें संविधान संशोधन 1993 से भारत के सभी राज्यों में राज्य वित्त अयोग का गठन करने का प्रािधान है।
वित्त अयोग एक संिैधावनक वनकाय है जो कें द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच वित्तीय संबंधों को पररभावर्त करता है।
वित्त अयोग का गठन एक संिैधावनक वनकाय के रूप में ऄनच्ु छे द 280 के ऄंतगधत भारत के राष्ट्रपवत द्वारा वकया जाता है।
वित्त अयोग का कायधकाल 5 िर्ध होता है। परन्तु 5 िर्ध से पिू ध भी राष्ट्रपवत वित्त अयोग को समाि कर नए वित्त अयोग का
गठन कर सकता है। यह एक ऄधध न्यावयक संतथा है। वित्त अयोग एक संिैधावनक वनकाय है।
भारत के संविधान का ऄनच्ु छे द 280 वित्त अयोग से संबंवधत है और ऄनच्ु छे द 243I राज्य वित्त अयोग से संबंवधत है।
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ववत्त आयोग में एक अध्यक्ष एवं चार अन्य सदस्य होते हैं वजनकी योग्यताएँ वनम्न है –
अध्यक्ष: एक ऐसा व्यवि हो वजसे लोक मामलों का सम्पर्ू ध ज्ञान हो।
सदतय: 1. एक ऐसा व्यवि जो ईच्च न्यायालाय का न्यायाधीश बनने की योग्यता रखता हो।
सदतय: 2. एक ऐसा व्यवि जो सरकार के वित्त और लेखाओ ं का विशेर् ज्ञान रखता हो।
सदतय: 3. एक ऐसा व्यवि जो वित्तीय विर्यों और प्रशासन के बारे में व्यापक ऄनभु ि रखता हो।
सदतय: 4. एक ऐसा व्यवि वजसे ऄथधशास्त्र का विशेर् ज्ञान हो।

15वें ववत्त आयोग का गठन


कें द्रीय मंविमंडल ने 22 निंबर, 2017 को 15िें वित्त अयोग के गठन को मंजरू ी प्रदान की।
15िें वित्त अयोग का कायधकाल 2020-25 तक होगा। ऄभी तक 14 वित्त अयोगों का गठन वकया जा चक ु ा है। 14िें
वित्त अयोग की वसफाररशें वित्तीय िर्ध 2019-20 तक के वलये िैध हैं।
प्रथम ववत्त आयोग के अध्यक्ष के .सी. नेगी थे।
27 निम्बर, 2017 को श्री एन.के . वसंह को 15िें वित्त अयोग का ऄध्यक्ष वनयि ु वकया गया है।
श्री एन.के . वसहं भारत सरकार के पिू ध सवचि एिं िर्ध 2008-2014 तक वबहार से राज्य सभा के सदतय भी रह चक ु े हैं।

15वें ववत्त आयोग के चार अन्य सदस्यों का वववरर् वनम्नवत है-


 शविकांत दास (भारत सरकार के पिू ध सवचि)
 डॉ. ऄनपू वसंह (सहायक प्रोफे सर, जॉजधटाईन विश्वविद्यालय, िावशंगटन डी.सी., ऄमेररका)
 डॉ. ऄशोक लावहड़ी (ऄध्यक्ष,बंधन बैंक) (ऄशंकावलक)
 डॉ. रमेश चद्रं (सदतय, नीवत अयोग) (ऄश ं कावलक)

ववत्त आयोग के कायय


 भारत के राष्ट्रपवत को यह वसफाररश करना वक संघ एिं राज्यों के बीच करों की शर्द् ु प्रावियों को कै से वितररत
वकया जाए एिं राज्यों के बीच ऐसे अगमों का अिटं न।
 ऄनच्ु छे द 275 के तहत संवचत वनवध में से राज्यों को ऄनदु ान/सहायता वदये जाना चावहये।
 राज्य वित्त अयोग द्वारा की गइ वसफाररशों के अधार पर पंचायतों एिं नगरपावलकाओ ं के संसाधनों की
अपवू तध हेतु राज्य की सवं चत वनवध में सिं र्द्धन के वलये अिश्यक क़दमों की वसफाररश करना।
 राष्ट्रपवत द्वारा प्रदत्त ऄन्य कोइ विवशष्ट वनदेश, जो देश के सदृु ढ़ वित्त के वहत में हों।
 वसविल प्रविया संवहता 1908 के ऄनसु ार, वित्त अयोग के पास वसविल कोटध की सभी शवियााँ हैं। यह
गिाहों को बल ु ा सकता है, वकसी कायाधलय या ऄदालत से सािधजवनक दततािेज़ या ररकॉडध पेश करने के
वलए कह सकता है।

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आयोग का यह कतयव्य है वक वह वनम्न ववषयों पर राष्ट्रपवत को वसफाररश करता है-
 अय कर और ऄन्य करों से प्राि रावश का कें द्र और राज्य सरकारों के बीच वकस ऄनपु ात में बाँटिारा वकया
जाये।
 राष्ट्रपवत द्वारा अयोग को सौंपे गए ऄन्य विर्य के बारे में अयोग राष्ट्रपवत को वसफाररश करता है।
 राष्ट्रपवत वित्त अयोग की संततुवतयों को संसद के समक्ष रखता है.
 संविधान के ऄनच्ु छे द 280 के मतु ावबक़ वित्त अयोग वजन मद्दु ों पर राष्ट्रपवत को परामशध देता है, ईनमें टैक्त्स
से कुल प्रावियों का कें द्र और राज्यों में बाँटिारा, भारत की सवं चत वनवध से राज्य सरकार को दी जाने िाली
सहायता/ऄनदु ान के सम्बन्ध में वसफाररशें शावमल होती हैं।

वित्त अयोग द्वारा की गइ वसफाररशें सलाहकारी प्रिृवत की होती हैं आसे मानना या न मानना सरकार पर वनभधर करता है।

कें द्र और राज्य सम्बन्ध


सवं िधान के ऄनच्ु छे द 275 (1) के तहत ससं द काननू के जररये जरुरत पड़ने पर राज्यों को ऄनदु ान के तौर पर पैसा दे
सकती है। यह ऄनदु ान वकतना होगा ये वित्त अयोग के वसफाररशों के बाद तय होगा।
आसके ऄलािा ऄनच्ु छे द 282 के तहत कें द्र और राज्य दोनों वकसी सािधजवनक ईद्देश्य के वलए ऄनदु ान दे सकते हैं.
लेवकन आसे वित्त अयोग के वनर्धय क्षेि से बाहर रखा गया है। पंचायतों और नगर पावलकाओ ं की वित्तीय वतथवत की
समीक्षा के वलए राज्यपाल हर पाचं िर्ध में वित्त अयोग का गठन करता है।

ववत्त आयोग की आवश्यकता क्यों


भारत की संघीय प्रर्ाली कें द्र और राज्यों के बीच शवि और कायों के विभाजन की ऄनमु वत देती है और आसी अधार
पर कराधान की शवियों को भी कें द्र और राज्यों के बीच विभावजत वकया जाता है।
राज्य विधावयका को ऄवधकार है वक िह तथानीय वनकायों को ऄपनी कराधान शवियों में से कुछ ऄवधकार दे सकते
हैं। कें द्र कर राजति का ऄवधकांश वहतसा एकि करता है और कुछ वनवित करों के संग्रह के माध्यम से बड़े पैमाने पर
ऄथधव्यितथा में योगदान देता है।
तथानीय मद्दु ों और ज़रूरतों को वनकटता से जानने के कारर् राज्यों की यह वज़म्मेदारी है वक राज्य ऄपने क्षेिों में
लोकवहत का ध्यान रखें। हालााँवक आन सभी कारर्ों से कभी-कभी राज्य का खचध ईनको प्राि होने िाले राजति से कहीं
ऄवधक हो जाता है। आसके ऄलािा, विशाल क्षेिीय ऄसमानताओ ं के कारर् कुछ राज्य दसू रों की तुलना में पयाधि
संसाधनों का लाभ ईठाने में ऄसमथध हैं। आन ऄसंतुलनों को दरू करने के वलये, वित्त अयोग राज्यों के साथ साझा वकये
जाने िाले कें द्रीय वनवधयों की सीमा की वसफाररश करता है।

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15वें ववत्त आयोग के अनदु ान
पच ं ायती राज सस्ं थाओ ं को अनुदान
पन्द्रहिें वित्त अयोग की ऄिवध िर्ध 2021-22 से 2025-26 तक (5 िर्ध) है ।
6िें राज वित्त अयोग की वसफाररशों के ऄनसु ार रावश पंचायती राज संतथाओ ं यथा वजला पररर्द,् पंचायत सवमवत एिं
ग्राम पचं ायत में िमशः 5:20:75 के ऄनपु ात में िर्ध 2011 की जनसख्ं या एिं प्रततावित वजलेिार भाराक
ं के अधार
पर वितररत की जायेगी।
15िें वित्त अयोग ने 2021-22 से 2025-26 की ऄिवध के दौरान पंचायतों को 'जल अपवू तध और तिच्छता' के वलये
1 लाख 42 हज़ार करोड़ रुपए से ऄवधक की रावश अिवं टत करने की वसफाररश की है।

बद्ध अनदु ान-पचं ायती राज (Panchayati Raj) सतं थाओ ं के वलये अिवं टत कुल सहायता ऄनदु ान (grants) में से
60 प्रवतशत बंधन या बर्द् ऄनदु ान ((Tied Grants) है।
कें द्र प्रायोवजत योजनाओ ं के तहत खल
ु े में शौच मि
ु (ODF) वतथवत की तिच्छता और रखरखाि में सधु ार, पेयजल
की अपवू तध, िर्ाध जल संचयन और जल पनु चधिर् के वलये कें द्र द्वारा अिंवटत धन के ऄलािा ग्रामीर् तथानीय
वनकायों को ऄवतररि धन की ईपलब्धता सवु नवित करने हेतु बर्द् ऄनदु ान प्रदान वकया जाता है।

खलु ा अनुदान-शेर् 40 प्रवतशत ‘ऄनटाआड ग्रांट या खल ु ा ऄनदु ान है और िेतन के भगु तान को छोड़कर, तथान
विवशष्ट ज़रूरतों के वलये पंचायती राज संतथानों के तिवििेक पर आसका ईपयोग वकया जाता है।
 15िें वित्त अयोग ने राज्यों के बीच ऄनदु ानों के पारतपररक वितरर् हेतु अबादी के वलए 90% और क्षेिफल
के वलए 10% भाराक ं वनधाधररत वकया है।
 15िें वित्त अयोग ने तथानीय शासनों के वलए 2021-26 की ऄिवध हेतु कुल 436361 करोड़ रूपए ऄनदु ान
की ऄनश ु ंसा की है।
 15िें वित्त अयोग ने ग्रामीर् तथानीय वनकायों के वलए 202126 हेतु कुल 236805 करोड़ रुपए की
ऄनश ु ंसा की है। 15िें वित्त अयोग ने शहरी तथानीय वनकायों के वलए 202126 हेतु कुल 121055 करोड़
रुपए की ऄनश ु ंसा की है।
 15 िें वित्त अयोग ने तथानीय वनकायों को करो के विभाजय् पल ू के ऄनपु ात के बजाए ईन्हें तथायी रावश
वदये जाने की ऄनश ु ंसा की है।

तीनों स्तर के शासनों के वलए वनवधयों के की रेंज


वितरर् के वलए रें ज ग्राम पचं ायत ब्लाक पच
ं ायत वजला पच
ं ायत
न्यनू तम 70% 10% 5%
ऄवधकतम 85% 25% 15%

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वपछले ववत्त आयोगों से सम्बवं धत तथ्य
12वें ववत्त आयोग ने यह ऄनश ु ंसा की थी वक-
पंचायतों द्वारा ऄनदु ानों का ईपयोग जलापवू तध एिं तिच्छता से संबंवधत सेिा को प्रदान वकए जाने के ततर में सधु ार लाने
के वलए वकया जाना चावहए।
ग्रामीर् एिं शहरी तथानीय वनकायों से यह ऄपेक्षा की गइ थी वक िे अधवु नक प्रौद्योवगकी एिं प्रबंधन प्रर्ावलयों के
ईपयोग के माध्यम से लेखाओ ं के रखरखाि एिं वित्तों पर डाटाबेस सृवजत करने के वलए व्यय करने पर ईच्च
प्राथवमकता दें।

13वें ववत्त आयोग ने प्रदशधन ऄनदु ान प्राि करने के वलए ग्रामीर् तथानीय वनकायों के वलए 6 शतें और शहरी तथानीय
वनकायों के वलए 9 शतें वनवदधष्ट की थीं।
13िें वित्त अयोग ने संविधान के भाग IX एिं IX-A से बाहर वकए गए क्षेिों के वलए एक विशेर् क्षेि ऄनदु ान का
प्रािधान वकया था। आस ऄनदु ान के दो घटक थे
 विशेर् क्षेि मल ू ऄनदु ान (Basic grant)
 विशेर् क्षेि प्रदशधन ऄनदु ान (Performance grant)
विशेर् क्षेि प्रदशधन ऄनदु ान प्राि करने के वलए 4 शतों को परू ा वकया जाना था।

14वें ववत्त आयोग ने ऄनदु ानों की ऄनश


ु सं ा दो भागों में की थी
 शतध रवहत मलू ऄनदु ान (basic grant)
 सशतध प्रदशधन ऄनदु ान ( performance grant)

विवधित रूप से गवठत पंचायतों के वलए शतध रवहत मल ू ऄनदु ान और सशतध प्रदशधन ऄनदु ान के बीच ऄनपु ात 90:10
था और नगरपावलकाओ ं के वलए यह 80:20 था।
मलू ऄनदु ान का ईपयोग विवनवदधष्ट मल ू भतू नागररक सेिाओ ं की वतथवत में सधु ार लाने के वलए वकया जाना था। प्रदशधन
ऄनदु ान राजति में सधु ार अने के अधार पर था वजसके वलए मानदंड को राज्य सरकारों द्वारा वनधाधररत वकया जाना था।
इसके अवतररक्त पच ं ायती राज मत्रं ालय ने प्रदशयन अनदु ानों को प्राप्त करने के वलए कुछ और शतें रखी जैसे-
 सेक्त्टर-िार व्यय को एक डैशबोडध में प्रदवशधत करना
 तियं के राजति स्रोत में प्रवतशत िृवर्द्
 ग्राम पंचायतों की खल ु े में शौच से मवु ि (ओडीएफ) की वतथवत
 ग्राम पचं ायतों में टीकाकरर् ततर के अधार पर ईनके वलए तकोर वनधाधररत करने जैसे कायों को परू ा करना ।

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राज्य ववत्त आयोग
राज्य वित्त अयोग एक संिैधावनक वनकाय है, क्त्योंवक यह 73िें संिैधावनक संशोधन ऄवधवनयम 1992 के तहत बना
है। ऄनच्ु छे द 280 के तहत, कें द्र के वित्त अयोग की तजध पर 1993 से भारत के सभी राज्यों में राज्य वित्त अयोग की
तथापना की गयी थी।
भारतीय संविधान के ऄनच्ु छे द 243(I) के ऄनसु ार, राज्य वित्त अयोग को राज्यपाल द्वारा 5 िर्ों की ऄिवध के वलए
वनयिु वकया जाता है। राज्यपाल अयोग के वलए ऄन्य सदतयों (ऄवधकतम 4) की वनयवु ि भी करता है।
राज्य ववत्त आयोग के सदस्य अपना त्यागपत्र राज्यपाल को सौपतें है। ये पुनवनययुवक्त के पात्र होते है।
इसका उद्देश्य पंचायतों की ववत्तीय वस्थवत की समीक्षा करना और इसके वलए वनम्न रूपों में वसफाररश
करना होता है -
 आसका ईद्देश्य पचं ायतों की वित्तीय वतथवत की समीक्षा करना है।
 राज्य द्वारा लगाये गये करों, शल्ु कों, टोल और फीस की विशर्द्
ु अय का पंचायतों तथा राज्य के बीच
अिटं न करना वजसे दोनों के मध्य विभावजत वकया जा सकता है और पच ं ायत के विवभन्न ततरों पर खचध या
अिंवटत वकया जा सकता है।
 पंचायतों को वकतने कर, शल्ु क, टोल और फीस सौंपी जा सकती है, का वनधाधरर् करना;
 पचं ायतों को ऄनदु ान सहायता

राज्य ववत्त आयोग के वनम्नवलवखत कायय


 राज्य में वतथत विवभन्न पचं ायती राज सतं थाओ ं और नगर वनकायों की अवथधक वतथवत की समीक्षा करना।
 राज्य में वतथत विवभन्न नगर वनकायों और पंचायती राज्य संतथाओ ं की वित्तीय वतथवत को सधु ारने के वलए
विवभन्न कदम ईठाना।
 राज्य की सवं चत वनवध से राज्य में वतथत विवभन्न पच ं ायती राज सतं थाओ ं और नगर वनकायों को धन अिवं टत
करना।
 वित्तीय मद्दु ों के संबंध में कें द्र और राज्य सरकारों के बीच एक मध्यतथ के रूप में कायध करना।
 कें द्र सरकार द्वारा राज्य सरकार को प्रदान की जानी िाली धनरावश का सदपु योग करना।
 राज्य सरकार द्वारा लगाये गये करों, शल्ु कों, टोल, और ऄवधशल्ु कों का राज्य में वतथत विवभन्न नगर वनकायों
और पंचायती राज संतथाओ ं की बीच अिंटन करना।
 कर, टोल, शल्ु क, और फीस, वजसे राज्य में विवभन्न पच ं ायती राज सतं थाओ ं और नगर वनकायों द्वारा लगाया
जा सकता है, का वनधाधरर् करना।
संविधान के ऄनच्ु छे द 243(I) का संबंध वित्त अयोग है जो पंचायतों के विशेर् मल्ू यांकन के वलए वित्तीय वतथवत
समीक्षा करता है। भारत में पचं ायती राज सतं था की ऄिधारर्ा और अकाक्ष ं ा को ईपयोग में लाने के वलए राज्य वित्त
अयोग की भवू मका बहुत महत्तिपर्ू ध है।

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राज्य ववत्त आयोग के सकारात्मक पक्ष
 लोकतंि के विचार को बढ़ाबा देना
 सरकार और शासन के िृहद विकासिादी पहल।ू
 तथानीय लोगों और तथानीय नेताओ ं का सशविकरर्।
 दरू तथ क्षेिों के वलए धनरावश का सही मािा और समय पर पहुचं ना

राज्य ववत्त आयोग के नकारात्मक पक्ष


 राज्य ऄपने वित्तीय ऄवधकारों का प्रय़ोग करने में ऄवनच्छुक रहे हैं।
 राज्य वित्त अयोग तिायत्तता में बहुत ऄवधक हततक्षेप और ऄवतिमर् का कायध कर रहा है
 राज्यों के पास तिंय के खचे के वलए पयाधि धन नहीं है वजस िजह से धन रावश को साझा करने के कारर्
मामल ू ी धनरावश का राज्य सरकार द्वारा हमेशा विरोध वकया जाता है
 ऄभी तक राज्य वित्त अयोग के विचार को सच्ची भािना में लागू नहीं वकया जा सका है।

उत्तर प्रदेश में पंचम राज्य ववत्त आयोग


ईत्तर प्रदेश में 5िें वित्त अयोग का गठन 2015 में हुअ तथा आसने 2018 में ऄपनी ररपोटध प्रततुत की।
ईत्तर प्रदेश के पाचं िे वित्त अयोग की वसफाररशों को ऄप्रैल 2020 से लागू वकया गया है।
उत्तर प्रदेश के 5वें राज्य ववत्त आयोग के अध्यक्ष ररटायडय आईएएस अवधकारी आनदं वमश्रा है।

पंचम राज्य ववत्त आयोग के कायों में शावमल हैं-


 ठोस कचरा प्रबंधन
 गवलयों और सड़कों पर प्रकाश व्यितथा
 शिदाह और कविततान का रख-रखाि
 पेयजल अपवू तध
 तिच्छता और सफ़ाइ व्यितथा

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भारत की सवं चत वनवध/राज्य की सवं चत वनवध (राज्य की समेवकत वनवध)
सवं िधान का अनुच्छे द 266(1) भारत के वलए और भारत के राज्यों के वलए संवचत वनवध की व्यितथा करता है।
भारत के संदभध में, यह भारत की सिाधवधक बडी वनवध है जो वक संसद के ऄधीन रखी गयी है यानी वक कोइ भी धन
आसमे वबना संसद की पिू ध तिीकृ वत के वनकाला/जमा या भाररत नहीं वकया जा सकता है।

आसी तरह राज्य के संदभध में, ये राज्य की सबसे बड़ी वनवध होती है जो वक राज्य विधानमंडल के ऄधीन होती है, और
कोइ भी धन आसमें वबना विधानमंडल की पिू ध तिीकृ वत के वनकाला/जमा या भाररत नहीं वकया जा सकता है।
सवं चत वनवध में से सरकारें जो भी पैसा वनकालती है ईसे एक ईधारी की तरह समझा जाता है वजसे सरकार को िापस
ईसमें जमा करिाना पड़ता है। सवं चत वनवध से धन वनकालने के वलए वजस विधेयक का प्रयोग वकया जाता है ईसे
विवनयोग विधेयक (Appropriation Bill) कहा जाता है।

भारत की सवं चत वनवध पर भाररत व्यय


आसके वलए संसद में मतदान नहीं होता है क्त्योंवक संसद को ये पता होता है वक ये धन खचध करनी ही पड़ेगी। ऐसा
आसीवलए क्त्योंवक ये पहले से संसद द्वारा तय कर वदया गया होता है। हालांवक ईस पर चचाध जरूर होती है।
भाररत व्यय में वनम्नवलवखत व्यय अते हैं-
1. राष्ट्रपवत की पररलवब्धयााँ एिं भत्ते तथा ईसके कायाधलय के ऄन्य व्यय
2. ईपराष्ट्रपवत, लोकसभा ऄध्यक्ष, राज्यसभा के ईपसभापवत, लोकसभा के ईपाध्यक्ष के िेतन एिं भत्ते
3. ईच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के िेतन, भत्ते एिं पेंशन
4. ईच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेंशन (यहााँ ये याद रवखए वक ईच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का िेतन ईस
राज्य के संवचत वनवध पर भाररत होता है।)
5. भारत के वनयंिक एिं महालेखा परीक्षक के िेतन, भत्ते एिं पेंशन
6. सघं लोक सेिा अयोग के ऄध्यक्ष एिं सदतयों के िेतन, भत्ते एिं पेंशन
7. ईच्चतम न्यायालय, भारत के वनयंिक एिं महालेखा परीक्षक के कायाधलय एिं संघ लोक सेिा अयोग के
कायाधलय के प्रशासवनक व्यय, वजनमें आन कायाधलयों में कायधरत कवमधयों के िेतन, भत्ते एिं पेंशन भी शावमल होते हैं
8. ऐसे ऋर् भार, वजनका दावयत्ि भारत सरकार पर है, वजनके ऄतं गधत ब्याज, वनक्षेप, वनवध भार और तथा ईधार लेने
और ऋर् सेिा और ऋर् मोचन (Debt redemption) से संबवन्धत ऄन्य व्यय हैं,
9. वकसी न्यायालय के वनर्धय, वडिी या पंगर की तुवष्ट के वलए ऄपेवक्षत रावशयााँ
10. ससं द द्वारा विवहत कोइ ऄन्य व्यय
11-सामान्य व्यय या सवं चत वनवध से वकए गए व्यय-आस तरह के व्यय के वलए ससं द में मतदान होता है ईसके बाद
पाररत होने पर ही आसे जारी वकया जा सकता है।

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भारत की आकवस्मक वनवध/राज्य की आकवस्मक वनवध
अनच्ु छे द 267(1) के तहत भारत की अकवतमकता वनवध की व्यितथा की गइ है। आसी तरह अनुच्छे द 267(2) के
तहत भारत के राज्यों के वलए अकवतमकता वनवध की व्यितथा की गइ है।

1951 में भारत में एक अकवतमकता वनवध ऄवधवनयम पाररत वकया गया। वजसके तहत एक अकवतमकता वनवध का
वनमाधर् वकया गया। ितधमान समय में ये वनवध 500 करोड़ रुपए का है जो वक संवचत वनवध से आसमें डाला जाता है।

तपष्ट है ये अकवतमक पररवतथवतयों के वलए होता है; जहां जल्दी पैसों की जरूरत हो यानी वक संसद में आसके वलए
मतदान होने तक रुकने का िि न हो। ऐसी वतथवत में कायधपावलका आसमें से शीघ्र धन की वनकासी कर सकता है।

भारत का लोकलेखा (Public Accounts of India)


अनच्ु छे द 266(2) के तहत, भारत और भारत के राज्यों के वलए आसकी व्यितथा की गइ है।
लोक लेखा (Public Accounts) एक ऐसा कोर् है वजसमें ईन धनरावशयों को रखा जाता है जो सरकार की अय का
प्रमख
ु स्रोत नहीं है। ये सरकार के पास एक धरोहर एिं जमानत के रूप में रखा गया होता है।
उदाहरर् के वलए; कमधचारी भविष्ट्य वनवध (Employee provident fund) – ये पवब्लक का पैसा होता है जो
सरकार के पास लोक लेखा में जमा होता है, समय अने पर ईसे लौटना पड़ता है। आसी तरह कुछ ऄन्य ईदाहरर्ों को
भी ले सकते हैं जैसे वक बचत पि (Savings certificate), न्यायालय द्वारा िसल ू ा गया जमु ाधना अवद।
यह वनवध कायधपावलका के ऄधीन होता है। आससे व्यय धन CAG द्वारा जााँचा जाता है।

भारत का वनयत्रं क महालेखा परीक्षक


भारत के वनयंिक और महालेखा परीक्षक (CAG-Comptroller and Auditor General of India)
भारतीय संविधान का सबसे महत्त्िपर्ू ध ऄवधकारी होता है। भारतीय संविधान के अनुच्छे द 148 में 'कै ग' का प्रािधान
है, जो यह देखता है वक ससं द द्वारा ऄनमु न्य वकए गए खचों की सीमा से ऄवधक धन खचध ना हो पाए या वफर ससं द
द्वारा विवनयोग ऄवधवनयम में वनधाधररत वकए हए मदों पर ही धन खचध वकया जाए।
 CAG का कायधकाल 6 साल या 65 साल की ईम्र, जो भी पहले हो, के वलए होता है. CAG की वनयवु ि
राष्ट्रपवत द्वारा की जाती है.
 वी. नारहारी राव तितंि भारत के पहले वनयंिक और महालेखा परीक्षक थे।
 8 ऄगतत, 2020 से भारत के वनयंिक और महालेखा परीक्षक (CAG) वगरीश चंद्र ममु धू हैं।

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वनयत्रं क महालेखा परीक्षक के वलए सवं ैधावनक प्रावधान
 ऄनच्ु छे द 148-CAG की वनयवु ि, शपथ और सेिा की शतों से संबंवधत है।
 ऄनच्ु छे द 149-भारत के वनयंिक और महालेखा परीक्षक के कत्तधव्यों और शवियों से संबंवधत है।
 ऄनच्ु छे द 150-संघ और राज्यों को खातों का वििरर् राष्ट्रपवत के ऄनसु ार (CAG की सलाह पर) रखना
होगा।
 ऄनच्ु छे द 151-संघ के खातों से संबंवधत CAG की ररपोटध राष्ट्रपवत को सौंपी जाएगी, जो संसद के प्रत्येक
सदन के पटल पर रखी जाएगी।
 ऄनच्ु छे द 279- शर्द् ु अय की गर्ना CAG द्वारा प्रमावर्त की जाती है, वजसका प्रमार्पि ऄंवतम माना
जाता है।
वकसी राज्य के लेखाओ ं के सबं ंध में भारत के वनयिं क-महालेखापरीक्षक की ररपोटध राज्य के राज्यपाल को प्रतततु की
जाएगी, जो ईन्हें राज्य के विधानमंडल के समक्ष रखेगा।

वनयंत्रक महालेखा परीक्षक के कायय


 CAG भारत की संवचत वनवध और प्रत्येक राज्य, कें द्रशावसत प्रदेश वजसकी विधानसभा होती है, की संवचत
वनवध से सबं ंवधत खातों के सभी प्रकार के खचों का परीक्षर् करता है।
 भारत की अकवतमक वनवध और भारत के सािधजवनक खाते के साथ-साथ प्रत्येक राज्य की अकवतमक वनवध
और सािधजवनक खाते से होने िाले सभी खचों का परीक्षर् करता है।
 कें द्र सरकार और राज्य सरकारों के वकसी भी विभाग के सभी रेवडंग, विवनमाधर्, लाभ- हावन खातों, बैलेंस
शीट और ऄन्य ऄवतररि खातों का ऑवडट करता है।
 संबंवधत काननू ों द्वारा अिश्यक होने पर िह कें द्र या राज्यों के राजति से वित्तपोवर्त होने िाले सभी वनकायों,
प्रावधकरर्ों, सरकारी कंपवनयों, वनगमों और वनकायों की अय-व्यय का परीक्षर् करता है।
 राष्ट्रपवत या राज्यपाल द्वारा ऄनशु ंवसत वकये जाने पर वकसी ऄन्य प्रावधकरर् के खातों का ऑवडट करता है,
जैसे- कोइ तथानीय वनकाय।
 कें द्र और राज्यों के खाते वजस प्रारूप में रखे जाएगं ,े ईसके सबं ंध में राष्ट्रपवत को सलाह देता है।
 कें द्र के खातों से संबंवधत ऄपनी ऑवडट ररपोटध को राष्ट्रपवत को सौंपता है, जो संसद के दोनों सदनों के पटल
पर रखी जाती है।
 वकसी राज्य के खातों से सबं ंवधत ऄपनी ऑवडट ररपोटध राज्यपाल को सौंपता है, जो राज्य विधानमडं ल के
समक्ष रखी जाती है।
 संसद की लोक लेखा सवमवत (Public Accounts Committee) के मागधदशधक, वमि और सलाहकार के
रूप में भी कायध करता है।

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वनयत्रं क महालेखा परीक्षक सबं ध
ं ी अन्य तथ्य-
 CAG राष्ट्रपवत की सील और िारंट द्वारा वनयि ु वकया जाता है और आसका कायधकाल 6 िर्ध या 65 िर्ध की
अयु तक होता है। ( दोनों में से जो भी पहले हो)
 CAG को राष्ट्रपवत द्वारा के िल सवं िधान में दजध प्रविया के ऄनसु ार हटाया जा सकता है जो वक सिोच्च
न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के तरीके के समान है।
 एक बार CAG के पद से सेिावनिृत्त होने/आततीफा देने के बाद िह भारत सरकार या वकसी भी राज्य सरकार
के ऄधीन वकसी भी कायाधलय का पदभार नहीं ले सकता।
 CAG के कायाधलय का प्रशासवनक व्यय, वजसमें सभी िेतन, भत्ते और पेंशन शावमल हैं, भारत की संवचत
वनवध पर भाररत होते हैं वजन पर संसद में मतदान नहीं हो सकता।
 CAG का िेतन और ऄन्य सेिा शतें वनयवु ि के बाद कम नहीं की जा सकतीं।

आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे- पंचायतों के वित्तीय स्रोत एिं कायध योजना, वित्त अयोग
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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-16-Syllabus Topic-(iii)
पचं ायतों के ववत्तीय स्रोत एवं कायय योजना
ववत्तीय सशविकरण हेतु कदम
(Part-02)
ग्राम पंचायत ववकास योजना(जी.पी.डी.पी.)-UP
थीम-“हमारी योजना हमारा विकास
ग्राम पंचायतों के समग्र एिं समेवकत विकास हेतु ग्राम पंचायत विकास योजना (जी.पी.डी.पी.) हमारी योजना हमारा
ववकास की प्रविया को ईत्तर प्रदेश की सभी ग्राम पच ं ायतों में िर्ष 2015-16 से लागू वकया गया है। ग्राम पच
ं ायतों
द्वारा सहभागी वनयोजन से तैयार की गइ िावर्षक कायषयोजना, ससं ाधनों के बेहतर प्रबंधन एिं विवभन्न ससं ाधनों के
ऄवभसरण (कनिजेन्स) पर अधाररत है।
ग्राम पंचायतो की विकास योजना का ईद्धेश्य ग्राम पंचायतो को सामावजक, अवथषक एिं िैयविक विकास की वदशा में
प्रगवतशील करना एिं समदु ाय को वनणषय लेने में सक्षम बनाना है।
ग्राम पचं ायत ववकास योजना की जरुरत
 ग्राम पचं ायतों का समान सामावजक, अवथषक एिं िैयविक विकास
 समदु ाय को वनणषय लेने हेतु सक्षम बनाना।
 विकास कायो में पारदवशषता एिं ईत्तरदावयत्िों में बढ़ोत्तरी।
 सहयोगी वनयोजन एिं ससं ाधनों के ऄवभसरण को बढ़ािा।
 िंवचत िगो की अिश्यकता के साथ सामावजक सरु क्षा को प्रमख ु ता से सवममवलत करते हुए ऄनसु वू चत
जनजावत ि ऄनसु वू चत जावत के कल्याण को प्राथवमकता।
 वनयोजन की प्रविया को मागं अधाररत बनाना।

ग्राम पचं ायत ववकास योजना वनमाय ण के पांच चरण


1. पहला चरण- िातािरण वनमाषण।
2. दसू रा चरण- पाररवथथवतकीय विशलेर्ण।
3. तीसरा चरण- अिश्यकताओ/समथयाओ
ं ं की पहचान एिं प्राथवमकता वनधाषरण।
4. चैथा चरण- ग्राम पंचायत विकास योजना के वलये संसाधनों का वनधाषरण एिं ड्राफ्ट प्लान का विकास।
5. पांचिा चरण- तकनीकी एिं प्रशासवनक थिीकृ वत।

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ग्राम पचं ायत ववकास योजना की तैयारी
ग्राम पंचायत विकास योजना (जी.पी.डी.पी.) के ऄन्तगषत ग्राम सभाओ ं की बैठक के माध्यम से जनसमदु ाय की
अिश्यकताओ ं का वचन्हीकरण एिं प्राथवमकीकरण कर, विवभन्न स्त्रोतों एिं योजनाओ ं से ईपलब्ध होने िाले
संसाधनों को समेवकत कर सहभागी वनयोजन द्वारा िावर्षक एिं पंचिर्ीय कायष योजना तैयार की जाती है। आस प्रकार
तैयार की गइ िावर्षक कायषयोजनाओ ं को पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार के साफ्टिेयर-‘प्लान-प्लस’ पर ऄंवकत
जाता है। तत्पश्चात वियान्ियन से समबवन्धत साफ्टिेयर- ‘एक्शन –साफ्ट पर प्रत्येक िकष अइ.डी. के सापेक्ष तकनीकी
एिं प्रशासवनक ऄनमु ोदन के ईपरान्त भौवतक एिं वित्तीय प्रगवत ऄंवकत की जानी है।

योजना के महत्वपूणय घटक


 ईत्तर प्रदेश पंचायत राज ऄवधवनयम 1947 के ऄन्तगषत ग्राम पंचायतों को वनमन अधारभतू कायों /
ईत्तरदावयत्िों का हथतान्तरण वकया गया है-
 ग्राम पेयजल योजनाओ ं का पररचालन एिं रख-रखाि । गरीबी ईन्मल ू न कायषिम । मध्याह्न भोजन ।
 ग्रामीण वकसान बाजारों एिं पशु हाटों का पररचालन तथा रख रखाि।
 ग्रामीण थिच्छता कायषिम ।
 पशु वचवकत्सालयों का पयषिेक्षण एिं ऄनरु क्षण
 ऄनसु वू चत जावत, जनजावत एिं समाज के ऄन्य कमजोर िगों के वलये कल्याणकारी कायषिम यथा पेंशन
अवद हेतु लाभावथषयों का चयन।
 खाद्य एिं नागररक अपवू तष सािषजवनक वितरण प्रणाली का पयषिेक्षण।
 पंचायत क्षेत्र में सृवजत थथायी पररसचमपवत्तयों का रख रखाि । ग्रामीण पथु तकालय ।
 ग्राम थतर पर यिु ा कल्याण कायषिम
 ग्रामीण अिास योजनायें लाभावथषयों का चयन
 मख्ु य वचवकत्सावधकारी एिं ईप मख्ु य वचवकत्सावधकारी द्वारा िमशः सामदु ावयक थिाथ्य के न्रों एिं
प्राथवमक थिाथ्य के न्रों की वनरीक्षण ररपोटष का प्रमख
ु एिं प्रधान द्वारा सत्यापन
 लघु वसंचाइ लाभावथषयों का चयन
 उसर भवू म सधु ार योजना के ऄन्तगषत सृवजत पररसमपवत्तयों का रख-रखाि

ग्राम पंचायत विकास योजना के संबंध में यह व्यिथथा की जायेगी वक ग्राम पंचायतों में ईपलब्ध संसाधनों के पश्चात् ही
ऄन्य कायों यथा पथु तकालय, िृक्षारोपण, बाल विकास, सहकारी सवमवतयों, अपदा प्रबन्धन को सवममवलत वकया
जायेगा।

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ग्राम पच ं ायत योजना हेतु ववत्तीय सस ं ाधन
ग्राम पचं ायतों को वित्त अयोग द्वारा धनरावश प्राप्त होगी, आसके ऄवतररि ग्राम पच
ं ायतों में ईपलब्ध धनरावश
वनमनवलवखत मदों में प्राप्त होती है-
 थियं के संसाधन से (कर अवद लगाये जाने से प्राप्त धनरावश)
 परं हिें वित्त अयोग से प्राप्त होने िाली धनरावश
 राज्य वित्त अयोग से प्राप्त होने िाली धनरावश
 राजीि गााँधी पंचायत सशिीकरण ऄवभयान के ऄन्तगषत ईपलब्ध होने िाली धनरावश
 थिच्छ भारत वमशन (ग्रामीण) के ऄन्तगषत प्राप्त होने िाली धनरावश
 ऄंत्येवि थथलों के विकास योजना के ऄन्तगषत प्राप्त धनरावश
 C.C. Road एिं K.C. Drain योजना के ऄन्तगषत प्राप्त धनरावश
 ऄन्य संसाधन से प्राप्त होने िाली धनरावश
ग्राम पंचायतों को प्राप्त होने वाली धनरावश की सच ू ना उपलब्ध कराना
 राज्य पी०अर० पोटषल ि जनपद की सरकारी िेबसाआट पर ईपयषि ु सचू ना को ऄपलोड वकया जायेगा ।
प्रत्येक सहायक विकास ऄवधकारी (प०ं ) को इ-मेल के द्वारा सचू ना ईपलब्ध करायी जायेगी, जो िे पचं ायत
सवचिों को ईपलब्ध करायेंगे।
 पंचायत भिनों ि थकूलों में सचू ना प्रकावशत करने के वलए पंचायत सवचि वजममेदार होंगे।
 समथत विभागों के थतर से सभी जनपदों को शासनादेश वनगषत वकया जायेगा, वजसके माध्यम से 15िें एिं
चतुथष राज्य वित्त अयोग एिं समथत योजनाओ ं द्वारा ग्राम पंचायतों को ईपलब्ध करायी जा रही धनरावश का
वििरण ग्राम पंचायतों को प्राप्त हो सके गा। ग्राम पंचायत द्वारा विवभन्न योजनाओ ं के ऄन्तगषत प्राप्त धनरावश
को पचं ायत घर या ऄनय् सामदु ावयक भिनों आत्यावद पर दीिार लेखन के माध्यम से जन सामान्य को सचू ना
प्रदान करने हेतु प्रदवशषत वकया जायेगा।

अवततम रूप में ग्राम पच


ं ायत ववकास योजना
 ग्राम सभा में अिश्यकताओ ं एिं कायों का प्राथमीकरण करने के ईपरान्त ग्राम पंचायत तकनीकी ग्रपु की
बैठक बुलाइ जायेगी, बैठक में सवचि एिं पंचायत ऄवधकाररयों के साथ साथ सभी संबंवधत विभागों के
पंचायत थतरीय कवमषयों द्वारा प्रवतभाग वकया जायेगा कुछ विशेर्ज्ञ पंचायत एिं थिशासीय वनकायों से भी
प्रवतभाग हेतु अमवं त्रत वकये जा सकते हैं।
 ग्राम पंचायत की बैठक बुलायी जायेगी एिं ग्राम सभा की प्राथवमकता तथा ररसोसष आन्िलप के ऄनसु ार ग्राम
पंचायत विकास योजना का एक ड्रॉफ्ट तैयार वकया जायेगा।
 ग्राम पचं ायत विकास योजना के ड्रॉफ्ट को ग्राम सभा के समक्ष चचाष एिं ऄनमु ोदन / थिीकृ वत के वलए रखा
जायेगा।

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 ग्राम सभा की थिीकृ वत के पश्चात् कायों को दो श्रेवणयों में विभावजत वकया जायेगा। एक श्रेणी में िह कायष
वकये जायेंगे जो ग्राम पचं ायत तकनीकी ग्रपु द्वारा तैयार वकये जायेंगे और दसू री श्रेणी में सभी ऄन्य कायष
ब्लॉक तकनीकी ग्रपु द्वारा तैयार वकये जायेंगे। यवद तकनीकी ऄवधकाररयों की कमी होती है तो राज्य सरकार
द्वारा तकनीकी संथथाओ ं का आनपैनलमेन्ट वकया जायेगा।
 ग्राम सभा द्वारा थिीकृ त ग्राम पचं ायत विकास योजना को प्रशासवनक थिीकृ वत हेतु ग्राम पच ं ायत के समक्ष
रखा जायेगा।
पच
ं ायत ववकास योजना की प्रशासवनक स्वीकृवत
 रु0 50,000 तक की कायषयोजना का ऄनमु ोदन थियं ग्राम पच
ं ायत द्वारा वकया जायेगा। कायषयोजना को
टुकडों में विभावजत नहीं वकया जायेगा।
 रु0 50,001 से रु0 250000 तक की कायषयोजना का ऄनमु ोदन सहायक विकास ऄवधकारी द्वारा वकया
जायेगा। रु0 250001 से रु0 500000 तक कायषयोजना का ऄनमु ोदन वजला पच ं ायत राज ऄवधकारी द्वारा
वकया जायेगा।
 रु0 500001 से उपर की कायषयोजना का ऄनमु ोदन वजलावधकारी द्वारा वकया जायेगा।
योजना हेतु ऑनलाइन प्रबतधन
 ग्राम पंचायत थतर पर वनयोजन तथा थिशासन हेतु पंचायती राज मंत्रालय भारत सरकार तथा विभाग द्वारा
मागषदवशषका तैयार कर ग्राम पचं ायतों को ईपलब्ध करा दी जायेगी।
 पंचायत थतर पर ईपलब्ध फंड का ईपयोग, फंड का प्रिाह तथा खचष का ब्यौरा तैयार करने संबंधी वदशा-
वनदेश जारी वकये जायेंगे। ग्राम पंचायत विकास योजना के वियान्ियन हेतु ग्राम पंचायत थतर पर विवभन्न
सवमवतयों को भी सविय भवू मका वनभानी होगी। सबं ंवधत विभाग द्वारा सभी ग्राम पच ं ायत कवमषयों को योजना
के वनमाषण एिं कायाषन्ियन में शावमल करने हेतु शासनादेश वनगषत वकया जायेगा तावक विवशि वजममेदाररयों
को ऄंवकत करते हुए ईनका मल्ू यांकन वकया जा सके ।
 प्लान प्लस सॉफ्टिेयर पर (www.planningonline.gov.in) ग्राम पच ं ायत विकास योजना को फीड कर
एक्शन सॉफ्टिेयर से ऄनश्रु िण वकया जायेगा। एक्शन सॉफ्ट सॉफ्टिेयर (www.reportingonline.gov.in)
पर हर एक कायष का वििरण फीड वकया जाना ऄवनिायष होगा। राज्य थतर पर एक हेल्प लाइन का गठन वकया
जायेगा जो पंचायतों को तकनीकी सहयोग प्रदान करे गी।
 राज्य सरकार द्वारा पंचायत थतर पर विवभन्न विभागों के कवमषयों को ग्राम पंचायत की तकनीकी सहायता,
प्रोजेक्ट बनाने एिं ग्राम पचं ायत विकास योजना बनाने में सहायता प्रदान करने के वलए शासनादेश जारी
वकया जायेगा।
 एक क्षेत्र पंचायत तकनीकी ग्रपु का गठन वकया जायेगा वजसका ईद्देश्य ग्राम पंचायतों को तकनीकी सहायता
प्रदान करना होगा । जनपद थतर पर एक कमेटी का गठन वकया जायेगा वजसकी ऄध्यक्षता वजलावधकारी
करें गे एिं संबंवधत विभाग के ऄवधकारी आसके सदथय होंगे।

सभी कायषिमों की धनरावश पंचायत को सीधे इ-ट्ांसफर से ईनके खाते में हथतांतररत करने की व्यिथथा राज्य सरकार द्वारा की जायेगी।

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सहभागी वनयोजन
सहभागी वनयोजन िह प्रविया है, वजसके द्वारा समदु ाय जागरूक होकर सामावजक ि अवथषक लक्ष्यों की पवू तष हेतु
समथयाओ ं का वनदान खोजेगा एिं आन समथयाओ ं का समाधान भी ढूढ़ेगा । वनयोजन की प्रविया का अरमभ जमीनी
थतर से हो विकास योजना थथानीय थतर पर मौजदू संसाधनों के अधार पर हो आस विकास प्रविया में थथानीय थतर की
सथं थाओ ं के साथ ग्राम पचं ायत, यिु ा, समदु ाय अधाररत सगं ठन, थियं सहायता समहू , धावमषक प्रवतवनवधयों आत्यावद
की महत्िपणू ष भवू मका होती है।
सहभागी वनयोजन वनम्न प्रकार से वकया जायेगा-
 िाडष सदथय द्वारा नागररकों हेतु िाडष थतरीय बैठक नक्ु कड सभाएाँ
 मवहलाओ ं द्वारा थियं सहायता समहू ों से समपकष वकया जाना दीिार लेखन एिं थपीकर से प्रचार प्रसार
 रै ली एिं पदयात्रा
 सबं ंवधत विभाग के कायषकताष जैसे अशा, ए0एन0एम0, अाँगनिाडी प्रेरकों अवद का ईपयोग वकया जायेगा।
 प्रांतीय रक्षादल यिु ाओ,ं नेहरू यिु ा के न्र कायषकताषओ ं एिं भारत वनमाषण थियं सेिकों का भी ईपयोग वकया
जायेगा।

पच
ं ायतों के ववत्तीय सशिीकरण हेतु
अनच्ु छे द 243(G) में पचं ायतों के अवथषक विकास और सामावजक न्याय के वलए योजनाएाँ तैयार करने और आन
योजनाओ ं (आनके ऄंतगषत िे योजनाएाँ भी शावमल हैं जो ग्यारहिीं ऄनसु चू ी में सचू ीबद्ध विर्यों के संबंध में है) को
कायाषवन्ित करने के वलए पंचायतों को शवि ि प्रावधकार प्रदान करने के वलए राज्य विधान मंडल विवध बना सके गा।
अनुच्छे द 243(H) के ऄनसु ार, राज्यों से बजटीय अिंटन, कुछ करों के राजथि की साझेदारी, करों का संग्रहण और
आससे प्राप्त राजथि का ऄिधारण, कें र सरकार के कायषिम और ऄनदु ान, कें रीय वित्त अयोग के ऄनदु ान अवद के
संबंध में ईपबंध वकए गए हैं।
अनुच्छे द 243(I) के ऄनसु ार, प्रत्येक राज्य में एक वित्त अयोग का गठन करना, तावक ईन वसद्धांतों का वनधाषरण
वकया जा सके वजनके अधार पर पंचायतों और नगरपावलकाओ ं के वलए पयाषप्त वित्तीय संसाधनों की ईपलब्धता
सवु नवश्चत की जाएगी। वित्त अयोग

15वें ववत्त आयोग में पच


ं ायतों के वलए
 15िें वित्त अयोग की संथतुवतयों के ऄंतगषत पंचायतीराज संथथाओ ं हेतु वित्तीय िर्ष 2020-21 में 975200
लाख रु० की धनरावश का अय-व्यय हेतु प्रािधान वकया गया था। आसमें 50 प्रवतशत कें र की वहथसेदारी है।
 वित्तीय िर्ष 2021-22 में 720800 लाख रु० का अय-व्यय का प्रािधान वकया गया था।

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उ०प्र० बजट 2023-24 में पच
ं ायतों के ववत्तीय सशविकरण हेतु
 थिच्छ भारत वमशन (ग्रामीण) योजनांतगषत िर्ष 2023-24 में 665473 व्यविगत शौचालय वनमाषण तथा
330 विकास खंडों में प्लावथटक मैनेजमेंट का लक्ष्य वनधाषररत वकया गया है। योजना हेतु 2288 करोड रु० की
व्यिथथा प्रथतावित है।
 राष्ट्ट्ीय ग्राम थिराज ऄवभयान योजना के ऄंतगषत पंचायतों के क्षमता संिद्धषन, प्रवशक्षण एिं पंचायतों में
संरचनात्मक ढााँचे की ईपलब्धता हेतु 622 करोड रु० की बजट व्यिथथा प्रथतावित है।
 मख्ु यमत्रं ी पचं ायत प्रोत्साहन योजना के ऄतं गषत 2478 ईत्कृ ि ग्राम पच
ं ायतों को प्रोत्सावहत करने हेतु 85
करोड रु० की व्यिथथा प्रथतावित है।
 गााँिों में इ-गिनेस विथतार करने हेतु डॉ० राम मनोहर लोवहया पंचायत सशविकरण योजना के वलए चार
करोड रु० की व्यिथथा प्रथतावित है।
 मैनऄ ु ल थकै िेंजर मृत्यु क्षवतपवू तष योजना हेतु एक करोड पैंसठ लाख रुपये की व्यिथथा प्रथतावित है।

पचं ायतों की अवथषक वथथवत त्िररत गवत से सदृु ढ़ करने के ईद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा राज्य वित्त अयोग की
संथतुवतयों के ऄनि
ु म में प्रदेश के कुल करों की शद्ध
ु अय का 5.5 प्रवतशत ऄंश पंचायतों को हथतांतररत करने का
वनणषय वलया गया है। वित्त िर्ष 2021-22 में राज्य वित्त अयोग के ऄंतगषत 660000 लाख रु० का अय-व्यय का
प्रािधान वकया गया था ।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वषय 2022-23 में ग्राम्य ववकास हेतु प्रयास
 मनरे गा योजनांतगषत िर्ष 2021-22 में 26 करोड मानि वदिस का सृजन वकया गया तथा वित्तीय िर्ष 2022-
23 में 32 करोड मानि वदिस सृजन वकए जाने का लक्ष्य रखा गया।
 मख्ु यमत्रं ी अिास योजना ग्रामीण के ऄतं गषत वित्तीय िर्ष 2018-19 से ऄब तक 1.02 लाख अिासों का
वनमाषण पणू ष कराया जा चक ु ा है।
 श्यामाप्रसाद मख ु जी रुबषन वमशन योजनांतगषत देशभर में 300 ग्रामीण विकास क्लथटरों का सृजन वकया जाना
है, वजसमें ईत्तर प्रदेश में तीन चरणों में कुल 16 जनपदों में 19 क्लथटर चयवनत कर वलए गए हैं।
 थिच्छ भारत वमशन (ग्रामीण) योजनांतगषत िर्ष 2022-23 में 6, 65, 473 व्यविगत शौचालय वनमाषण हेतु
12 हजार रुपये तथा 1460 सामदु ावयक शौचालयों हेतु 3 लाख रुपये तक ऄनदु ान वदए जाने की व्यिथथा है।
 राष्ट्ट्ीय ग्राम थिराज ऄवभयान योजनातं गषत पच ं ायतों के क्षमता सिं द्धषन, प्रवशक्षण एिं पच
ं ायतों में सरं चनात्मक
ढााँचे की ईपलब्धता हेतु कायष कराए जा रहे हैं।

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उत्तर प्रदेश में पंचायत सशिीकरण हेतु ग्राम्य ववकास के काययक्रम योजनाएँ
 महात्मा गााँधी राष्ट्ट्ीय ग्रामीण रोजगार गारंटी ऄवधवनयम (मनरे गा)
 ईत्तर प्रदेश ग्रामीण अजीविका वमशन (यपू ीएसअरएलएम)
 प्रधानमंत्री अिास योजना (ग्रामीण)
 मख्ु यमंत्री अिास योजना (ग्रामीण)
 प्रधानमंत्री ग्राम सडक योजना (पीएमजीएसिाइ)
 सामदु ावयक विकास योजना
 विधानमंडल क्षेत्र विकास वनवध (विधायक वनवध)
 बाबा साहब ऄंबेडकर रोजगार प्रोत्साहन योजना।

राम मनोहर लोवहया पच


ं ायत सशिीकरण योजना
डा. राम मनोहर लोवहया पंचायत सशिीकरण योजना, राज्य सरकार द्वारा िर्ष 2015-16 में पणू षतः राज्य सरकार के
वित्तीय सहयोग से पररकवल्पत (concieved) की गयी है।

योजना का उद्देश्य
 पचं ायतों में इ-गिनेन्स की थथापना करना।
 पंचायतों में इ-गिनेन्स की ईत्तरोत्तर िृवद्ध वकया जाना।
 पच ं ायतों की सशिीकरण हेतु तकनीकी सहायता प्रदान करना।
 पंचायतों का प्रवशक्षण के माध्यम से क्षमता विकास करना।

योजना के घटक/गवतवववधयाँ
 राज्य कायषिम प्रबन्धन आकाइ हेतु परामशी एिं कमी।
 जनपद कायषिम प्रबन्धन आकाआयों हेतु परामशी।
 जनपद कायषिम प्रबन्धन आकाइयां हेतु डेथकटॉप कमप्यटू र वसथटम।
 इ-गिषनेन्स के ऄन्तगषत विकवसत सॉफ्टिेयर पर प्रवशक्षण।

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योजना के सच ं ालन हेतु सवमवतयों का गठन
राज्य थतर पर वनमनवलवखत दो सवमवतयों के माध्यम से योजना का संचालन एिं ऄनश्रु िण वकया जाता है।
1-ई-पंचायत स्टे ट ररव्यू कमेटी:- शासन थतर पर ऄपर मख्ु य सवचि/प्रमख
ु सवचि, पंचायती राज विभाग, ई.प्र. की
ऄध्यक्षता में ‘इ-पंचायत थटेट ररव्यू कमेटी’ का गठन वकया गया है।
2-काययकारी सवमवत:-वनदेशालय थतर पर वनदेशक महोदय की ऄध्यक्षता में ‘कायषकारी सवमवत’ का गठन वकया गया
है।

आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-पंचायतीराज व्यिथथा को सशि करने के ईपाय, पंचायत वसटीजन चाटषर, कॉमन सविषस सेंटर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे पचं ायतों में इ-गिनेंस, पररिार रवजथटर, जन्म-मृत्यु पंजीकरण

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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-16-Syllabus Topic-(iii)
पच
ं ायतों के ववत्तीय स्रोत एवं कायय योजना
ववत्तीय सशविकरण हेतु कदम
(Part-02)
Extra Pdf-05
उपययि
ु Chapter के Complementary के रूप में इस वदए गए Pdf को भी पढ़
सकते हैं

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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-17-Syllabus Topic-(iv)
पच
ं ायतीराज व्यवस्था को सशक्त करने के उपाय
(Part-01)
पंचायत में ससटीजन चाटट र
पचं ायत में ससटीजन चाटटर एक दस्तावेज़ है, सजसमें नागररकों के असधकारों की जानकारी होती है. इसमें शासन से जडु ी
गसतसवसधयों, प्रसियाओ,ं सबं ंसधत असधकाररयों, समय-सीमा और सशकायत-प्रणाली की जानकारी होती है. ससटीजन
चाटटर का उद्देश्य शासन में जवाबदेही, उत्तरदासयत्व, शसु चता, समतव्यसयता और समयबद्धता ससु नसित करना है.

पंचायत में ससटीजन चाटटर की उपलब्धता का कायट नगर सनगम में संबंसधत जोन कायाटलयों, तथा
नगरपासलका पररषद, नगर पंचायत कायाटलय के कर एवं राजस्व सवभाग द्वारा सकया जाता है।

पच ं ायत हेतु ससटीजन चाटट र


इसे पंचायती राज मंत्रालय (MoPR) द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण सवकास और पंचायती राज संस्थान (National Institute
of Rural Development & Panchayati Raj- NIRDPR) के सहयोग से तैयार सकया गया है। NIRDPR,
कें द्रीय ग्रामीण सवकास मत्रं ालय के तहत एक स्वायत्त सगं ठन है।
पंचायतें भारतीय संसवधान के अनच्ु छे द 243(G) में सवसहत बुसनयादी सेवाओ ं सवशेषकर स्वास््य एवं स्वच्छता, सशक्षा,
पोषण, पेयजल की सपु दु टगी के सलये उत्तरदायी हैं।

नागररक घोषणापत्र (Citizen’s Charter)


यह एक स्वैसच्छक और सलसखत दस्तावेज़ है जो सेवा प्रदाता के नागररकों/ग्राहकों की ज़रूरतों को परू ा करने की प्रसतबद्धता पर ध्यान कें सद्रत
करने के सलये सकये गए प्रयासों को सदं सभटत करता है।
 यह सेवा प्रदाता और नागररकों/उपयोगकत्ताटओ ं के बीच सवश्वास को बरकरार रखता है।
 इसमें वह सामग्री शासमल है सजसके सलये नागररक, सकसी सेवा प्रदाता से आशा कर सकते हैं।
 इसमें यह प्रसिया भी शासमल है सक नागररक सकसी भी सशकायत का सनवारण कै से कर सकते हैं।
इस अवधारणा को पहली बार वषट 1991 में यनू ाइटेड सकंगडम में जॉन मेजर की कंजवेसटव सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय कायटिम के रूप में व्यक्त
और कायाटसववत सकया गया था। भारत में ससटीजन चाटटर की शरुु आत 1997 में हुई थी.
नागररक घोषणा-पत्र काननू ी रूप से लागू करने योग्य दस्तावेज़ नहीं हैं। ये के वल नागररकों को सेवा सवतरण बढाने के सलये सदशा-सनदेश देते हैं।
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भारत में ससटीजन चाटटर की शरुु आत 1997 में हुई थी. इसकी पहल भारत सरकार के प्रशाससनक सधु ार और लोक सशकायत सवभाग
ने की थी. ससटीजन चाटट र के ज़ररए-
 नागररकों को नगरीय सनकायों द्वारा दी जाने वाली सेवाओ ं के बारे में जानकारी दी जाती है.
 सेवाओ ं के स्तर और गुणवत्ता में सधु ार सकया जाता है.
 सेवाओ ं को उपलब्ध कराने के सलए सज़म्मेदारी तय की जाती है.
 पारदसशटता और नागररक सहभासगता ससु नसित की जाती है.

पच
ं ायत नागररक चाटट र को 7 भागों में बााँटा गया है-
1-ग्राम पच
ं ायतों को सवत्तीय सहायता 5- सवके वद्रीकरण कायटिम
2-ग्रामीण स्वच्छता कायटिम 6- ग्राम पंचायतों पर सनयंत्रण
3-पंचायतों का दासयत्व 7- पंचायत हेल्प लाइन की व्यवस्था
4-पंचायतों के प्रसत जनता का दासयत्व

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पंचायत नागररक चाटट र के लाभ-
1. बेहतर सेवा सवतरण 2. जनता के प्रसत असधकाररयों की जवाबदेही
3. सेवाओ ं के साथ सवशाल जन सतं सु ि 4. लोक सेवकों और सावटजसनक कायाटलयों की बेहतर जवाबदेही
5. बढी हुई पारदसशटता 6. यह नागररकों के कतटव्यों पर प्रकाश डालता है।
7. यह भी सनसदटि करता है सक सशकायत के मामलें में सकससे सपं कट करना है।
पच
ं ायत नागररक चाटट र के तहत कायाटलयों कायट
 सचू ना का असधकार असधसनयम-2005 के अवतगटत जनता द्वारा प्रेसषत सचू ना सम्बवधी प्राथटना पत्रों का
समयबद्ध 30 सदनों के अवदर सनस्तारण।
 मण्डल की काननू एवं शासवत व्यवस्था बनाये रखना। लोक सशकायत समीक्षा प्रणाली का सनवारण
 प्रसतमाह आयोसजत मण्डलीय बैठकों में राज्य सरकार द्वारा प्रसतपासदत योजनाओ ं का शत-प्रसतशत अनपु ालन
एवं सनस्तारण।
 भसू म असभलेखों के समय पर रखरखाव ससु नसित करना।
 भसू म राजस्व और राजस्व के सनपटान और अधीनस्थ कायाटलयों के समक्ष दायर आपरासधक मामलों का
संग्रहण पयटवेक्षण।
 अधीनस्थ कायाटलयों का वासषटक सनरीक्षण के संचालन और बेहतर कामकाज के सलये उवहें मागटदशटन प्रदान
करते हैं।
 सरकार द्वारा शरूु की सवसभवन नई योजनाओ ं के कायाटववयन को ससु नसित करना।
 आपदा प्रबवधन और राहत गसतसवसधयों में समववय और सम्पकट का काम।
 प्रसशक्षण और सरकार में काम कर रहे कसमटयों को प्रेरणा।
 प्रशासन में नये तकनीकी और अवय नवसवचारों का पररचय।
 सवसभवन सरकारी गसतसवसधयों में समववय और असभसरण।

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नागररक चाटट र सबल 2011
पंचायत नागररक चाटटर में काननू ी समथटन की कमी थी। इससलए, एक काननू ी ताकत लाने के सलए, 2011 में ससटीजन चाटटर
सबल लाया गया था। हालांसक सबल पाररत नहीं सकया जा सका।

UP की ग्राम पंचायतों में सससटजन चाटट र


उत्तर प्रदेश में पंचायतीराज सवभाग ससहत सभी सजलों को आदेश कर सदया गया है सक वे हर ग्राम पंचायत में सससटजन
चाटटर को लागू कराएँ। गाँवों का सवकास कराने के साथ ही ग्राम पच
ं ायतें जनससु वधाओ ं के प्रसत भी जवाबदेह होंगी।
उत्तर प्रदेश की सरकार सभी 58194 ग्राम पंचायतों में सससटजन चाटटर लागू करने जा रही है, इसमें संबंसधत ससु वधा का
समयबद्ध सनस्तारण हो सके गा। शासन ने माडल सससटजन चाटटर जारी कर सदया है।

ग्राम ससचवालय
सरकार हर ग्राम पंचायत में ग्राम ससचवालय बना रही है। सरकार ग्राम पंचायतों के माध्यम से सवकास के कायों के साथ
गावं के प्रत्येक नागररक को भागीदार बनाना चाहती है। प्रदेश सरकार ग्रामीणों की सभी समस्याओ ं का समाधान गावं
में कराने की योजना पर काम कर रही है। इसके द्वारा सरकार ग्राम स्वराज की पररकल्पना को भी साकार कर रही है।

वतटमान समय में प्रदेश की सभी ग्राम पचं ायतों में पच


ं ायत घर ग्राम ससचवालय के तौर पर सवकससत होंगे। ग्राम पचं ायत
ससचव, लेखपाल, ग्राम रोजगार सेवक एक ही छत के नीचे बैठकर काम करें गे। ग्राम ससचवालय में जन ससु वधा के वद्र
(CSC) भी स्थासपत सकया जाएगा सजससे सवसभवन योजनाओ ं के सलए ऑनलाइन आवेदन तथा सचू नाओ ं की फीसडंग
के सलए दरू न जाना पडे।

ग्राम पंचायतों के कायटलयों, उनकी बैठकों के आयोजन तथा ग्राम स्तर पर पंचायत ससचव की उपलब्धता ससु नसित
करने के उद्देश्य से उनके आवास की व्यवस्था को दृसिगत रखते हुए पंचायत भवनों का सनमाटण कराया जाता है।
वतटमान में एक पचं ायत भवन की लागत 17.46 लाख रुपाये हैं भवन में एक बैठक हाल, दो कायाटलय कक्ष, कमी
आवास, बरामदा व शौचालय खण्ड का सनमाटण होता है। सनमाटण ग्राम पंचायतें स्वयं करती हैं।

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ग्राम पच
ं ायत ससचव (Panchayat Secretary)
ग्राम पचं ायत के अतं गटत ग्राम पचं ायत ससचव का पद भी होता है यह परू ी तरह से सरकारी नौकरी होती है लगभग सभी
राज्यों में ग्राम पंचायत ससचव की सनयसु क्त करने का असधकार ग्राम पंचायत एवं ग्रामीण सवकास सवभाग के पास ही
होता है ग्रामीण सवकास सवभाग के द्वारा ही ग्राम पंचायत ससचव के ररक्त पदों की सचू ना कमटचारी चयन आयोग को
प्रदान की जाती है सचू ना कमटचारी चयन आयोग के द्वारा इस पद से सबं ंसधत परीक्षा का आयोजन सकया जाता है साथ
ही यह आयोग भती की प्रसिया को परू ा कराता है। यह सारे कायट सरकारी सनयम के अनसु ार होते है।

ग्राम पंचायत ससचव का पद बहुत ही सजम्मेदारी वाला पद होता है। इस प्रकार व्यसक्त के कायट पर सब की नजर होती है।
पंचायत का संपणू ट कायट उसकी दक्षता पर भी सनभटर करता है। सकसी कारण कई बार तो ऐसा भी होता है। सक ग्रामीण
पचं ायत ससचव को कई आरोपों का सामना करना पडता है। असधकतर ग्राम पच ं ायत ससचव पर उसकी मनमानी और
सरकारी रासश के बेसफजल ू उपयोग के आरोप लगते है।

पच
ं ायत ससचव के कायट
 ग्राम पचं ायत ससचव गावं के सवकास कायों के सलए प्रस्ताव बनाने में ग्राम पचं ायत की मदद करता है।
 ग्राम पंचायत ससचव के द्वारा सलसपकीय कायट और धन का लेखा जोखा रखने का भी कायट सकया जाता है।
 ग्राम पंचायत ससचव के द्वारा ऑसडट के सलए इस लेखे जोखे को महु यै ा कराना होता है।
 ग्राम पचं ायत ससचव कायाटलय का प्रभावी कहलाता है।
 ग्राम पंचायत ससचव के द्वारा ग्रामीणों के बीच सरकारी योजनाओ ं का प्रचार प्रसार करने का कायट सकया जाता
है।
 ग्राम ससचव ग्राम पचं ायत और सरकार के बीच की एक कडी होता है।
 ग्राम ससचव का मख्ु य कायट ग्राम पंचायत द्वारा पाररत प्रस्तावो का ररकॉडट रखना और उसे सियाववयन में मदद
करना होता है।
 ग्राम ससचव के द्वारा गावं में सवकास कायट हेतु आने वाली नई योजनाओ ं को लागू करने के साथ-साथ उनसे
समलने वाले लाभ के बारे लोगों को जागरुक करने का काम भी सकया जाता है।

पच
ं ायत ससचव के कतट व्य
 सरपचं के परामशट से ग्राम सभा के एजेंडे को असं तम रूप देना । ग्राम सभा की बैठक की सचू ना जारी करना ।
 ग्राम सभा बैठकों के सववरण, जो सक तारीख, समय और स्थल का व्यापक सवज्ञापन देना ।
 ग्राम सभा की सपछली बैठक के प्रस्तावों पर की गई कायटवाही की ररपोटट तैयार करना ।
 ग्राम सभा की मौजदू ा बैठक से पहले एजेंडे की मदों पर नोट्स तैयार करना।

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ग्राम सभा बैठकों के दौरान के कतटव्य
ग्राम सभा की बैठक में भाग लेने वाले सदस्यों के सववरणों की ररकॉसडिंग
ग्राम सभा की सपछली बैठक के प्रस्तावों पर की गई कायटवाही की ररपोटट पेश करना ।
एजेंडे के मतु ासबक ग्राम सभा की बैठक का आयोजन ससु नसित करना।
ग्राम सभा की बैठकों की कायटवाही का सववरण दजट करने में सरपंच की सहायता करना ।

ग्राम सभा बैठकों के बाद के कतट व्य


ग्राम पचं ायत की बैठकों ग्राम सभा के प्रस्तावों पर सवचार के सलए सरपच
ं तथा वाडट सदस्यों के साथ समववयन
ग्राम सभा की बैठक पर संबंसधत उच्च असधकाररयों को ररपोटट भेजना।

ग्राम पचं ायत ससचव अपना कायट स्वयं करता है। परंतु सबना सकसी की सहायता से वह अपना कायट नहीं कर सकता।
ग्राम ससचव का कायट करने में ग्राम पंचायत उसकी परू ी तरह मदद करती है। पंचायत सहायक द्वारा पंचायत ससचव के
कायट में मदद की जाती है। सजन कायट में ग्राम पंचायत ससचव की सहायता पंचायत सहायक करते हैं।

पंचायत सहायक (Pancnayat Assistant)


पचं ायत सहायक ग्राम प्रधान का एक कायटवाहक होता है। यह सरकारी कमटचारी होता है, सजसे ग्राम पंचायत के कायों
में सहायक के रूप में सनयक्त
ु सकया जाता है। राज्य सरकार द्वारा पच
ं ायत सहायक की सनयसु क्त की जाती है। सकवतु
वतटमान समय में राज्य कार पंचायत सहायकों की भती दो तरह से कर रही है।

इसमें स्थाई और दसू रा अस्थाई सनयसु क्त प्रसिया है-


अस्थायी सनयुसक्त- इस भती में कमटचाररयों को कुछ समय के सलए अनौपचाररक रूप से रखा जाता है। इसमें
कमटचाररयों को ससफट 11 महीने के सलए सनयक्त ु सकया जाता है, सजसे समय-समय पर बढा भी सकते हैं।

स्थायी सनयुसक्त-इस तरह की सनयसु क्त में कमटचाररयों की भती चयन आयोग द्वारा की जाती है। इवहें स्थाई तौर पर
सनयक्त
ु सकया जाता है, साथ ही समय समय पर इनका रांसफर कर दसू री ग्राम पंचायतों में भेज सदया जाता है।

ग्राम पंचायत सहायक के कायट


 सवकास के सनमाटण कायट में ग्राम पंचायत ससचव की सहायता।
 ग्राम पचं ायत के असभलेखों के रखरखाव में सहायता।

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 ग्राम सभा और ग्राम पंचायत की बैठक कराने में ग्राम ससचव की सहायता।
 ग्राम पंचायतों की संपसत्त के रखरखाव में सहायता।
 गाँव के लोगों की समस्याओ ं को सनु कर या सफर उनका मआ ु यना करके समस्याएँ प्रधान और ससचव तक
पहुचँ ाना। मनरे गा में कायट कर रहे व्यसक्तयों का लेखा-जोखा रखना और उनका कायट देखना।
 सकसी भी योजना के पात्र व्यसक्तयों का लेखा जोखा ससचव/सरकार को भेजना।
 सकसी ग्रामीण के साथ दघु टटना हो जाने पर उसे मआ ु वजा सदलाने में मदद करना ।
 प्रधान द्वारा सदए गए सनदेशों का पालन करना, और प्रधान का कच्चा लेखा-जोखा रखना ।
 इसके अलावा अब ग्राम पंचायतों में पंचायत सहायक को पंचायत भवन में कम््यटू र यासन की कम््यटू र
ऑपरे टर का भी काम सनपटाना होगा।
 ग्राम पंचायत के कायों के सववरण को व्यवसस्थत रखना ।
 ग्राम प्रधान द्वारा प्रस्तासवत कायों को ब्लॉक तक पहुचँ ाना।
 ग्रामसभा में हुई मीसटंग के ररकॉडट को रखना ।
 गाँव में हो रहे सवकास कायों की सनगरानी करना तथा उसे सही तरीके से पणू ट करवाना।
 सरकारी योजनाओ ं के सलए ग्रामीणों का फामट भरने में सहायता करना ।

आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे पचं ायतों में ई-गवनेंस, पररवार रसजस्टर, जवम-मृत्यु पजं ीकरण

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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-18-Syllabus Topic-(iv)
पच
ं ायतीराज व्यवस्था को सशक्त करने के ईपाय
(Part-02)
(कॉमन सर्विस सेंटर, इ- गवनेंस)

कॉमन सर्विस सेंटर-(CSC)


CSC Digital Seva के माध्यम से देश के सभी नागररको को विवभन प्रकार की सवु िधा प्रदान करने के विए शरुु
वकया गया है। अपको बता दे की CSC Centre Kaise Khole का फुि फॉमम Common Service Centre एिं
वहदं ी में आसे जन सेवा कें द्र के नाम से जाना जाता है। आस जन सेिा कें द्र के माध्यम से देश के नागररको के विवभन
प्रकार के दस्तािेज को तैयार वकया जाता है एिं आसी के साथ CSC Center Registration के माध्यम से विवभन
कायम भी वकये जाते है।

भारत सरकार ने कॉमन सविमस सेंटर योजना शरू ु की। यह राष्ट्रीय इ-शासन प्िान योजना के भाग के रूप में वकया गया
था। आसका ईद्देश्य भारत के नागररक के तहत ऄपने घर पर नागररकों को G2C (सरकार से नागररक) और B2C
(वबजनेस से नागररक) सेिाएं प्रदान करना है।

सीएससी के ईद्देश्य-
यह योजना पीपीपी (पवलिक प्राआिेट पाटमनरवशप) फ्रेमिकम में िागू की गइ है। आस योजना की कुछ प्रमख
ु विशेषताएं हैं-
 ग्रामीण क्षेत्रों में ईद्यवमता पर जोर
 वनजी क्षेत्र को भी सेिाएं प्रदान करना
 सामदु ावयक जरूरतों को विशेष महत्ि वदया जाता है
 ग्रामीण भारत के विकास में महत्िपणू म भवू मका वनभाते हुए और अजीविका प्रदान करते हैं
 कइ सरकारी और गैर सरकारी सेिाओ ं के विए एक एजेंट के रूप में कायम करने की पेशकश करता है
 विवभन्न G2C और B2C सेिाओ ं के विए एक-स्टॉप समाधान।
 एक सीएससी 6 गािं ों को किर करता है।

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सीएससी की सरं चना-
पीपीपी मॉडि 3- स्तरीय संरचना पर अधाररत होगा-
 राज्य वडजाआन प्रावधकरण परू े राज्य में सीएससी सेिाओ ं के प्रबंधन और कायामन्ियन के विए वजम्मेदार होगा।
 CSC के माविक के मागमदशमन में सेिा कें द्र एजेंसी (SCA) CSC की स्थापना करे गी और कॉमन सविमस
सेंटर के विए स्थान भी तय करे गी। यह कइ प्रचार ऄवभयानों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में सीएससी को
बढािा देने में एक भवू मका वनभाएगा, वजसे राज्य या स्थानीय स्तर पर वकया जाएगा।
 वििेज िेिि एंटरप्रेन्योर CSC ऑपरे टर है, 6 गााँि ईसके ऄधीन होंगे।

CSC रर्जस्रे शन हेतु योग्यता


 अिेदक को एक स्थानीय व्यवि होना चावहए।
 ईसकी अयु 18 िषम से ऄवधक होनी चावहए।
 अिेदक को कक्षा 10 पास होना चावहए।
 ईसे स्थानीय भाषा का ज्ञान होना चावहए
 ईसे ऄग्रं ेजी और कंप्यटू र कौशि का बवु नयादी ज्ञान होना चावहए।

सीएससी पंजीकरण के प्रकार


आस समय CSC में तीन प्रकार के पंजीकरण होते हैं-
 सीएससी VLE
 SHG स्ियं सहायता ग्रपु
 RDD (ग्रामीण विकास विभाग)

TEC प्रमाण पत्र


नागररक को कॉमन सविमस सेंटर खोिने के विए एक TEC प्रमाण पत्र प्राप्त करना ऄवनिायम है। यवद अपके पास TEC
प्रमाण पत्र है तभी अप सीएससी कें द्र के तहत ऑनिाआन अिेदन करने के पात्र समझे जाएगं े। आस TEC प्रमाण पत्र
को प्राप्त करने के विए नागररक को एक ऑनिाआन परीक्षा देनी होती है। परीक्षा के ईम्मीदिार ऄपने TEC (टेिीसेंटर
एंटरप्रेन्योर कोसम) प्रमाण पत्र ईपयोगकताम नाम एिं पासिडम के द्वारा प्राप्त कर सकते हैं। सीएससी VLE के तहत
पंजीकृ त हुए ईम्मीदिारों को टीइसी परीक्षा को पास करना अिश्यक है। TEC पंजीकरण की प्रविया को ऄवधकाररक
िेबसाआट के द्वारा ऑनिाआन ईपिलध वकया गया है ।यवद कोइ नागररक आस परीक्षा को देना चाहता है ऑनिाआन मोड
से कहीं पर भी या ऄपने घर से परीक्षा दे सकता है। आस परीक्षा में 10 मलू याक ं न को परू ा करना होता है। यह एक बहुत
ही असान परीक्षा होती है।

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नागररकों को सीएससी कें द्र द्वारा प्रदान की जाने वाली सर्ु वधाएं
सीएससी कें द्र द्वारा प्राप्त सवु िधाए-ं
 सभी प्रकार के प्रमाण पत्र बनाने की सवु िधा
 बैंवकंग सेिाएं
 वबजिी वबि भगु तान
 रे ििे वटके ट
 वशक्षा
 स्िास््य देखभाि सेिाएं
 पेंशन सेिाएं
 बीमा सेिाएं
 पासपोटम
 एिअइसी
 एसबीअइ
 अधार सेिाएं
 एिइडी एमएसयू
 कौशि विकास
 चनु ाि

CSC सेवाओ ं की सच
ू ी (र्वस्तार से)
1-सरकार से ईपभोक्ता (G2C)
 बीमा सेिाएाँ
 पासपोटम सेिा
 LIC, SBI, ICICI प्रडू ेंवशयि, AVIVA DHFL और ऄन्य जैसी बीमा कंपवनयों की प्रीवमयम संग्रह
सेिाएाँ
 इ-नगररक और इ- वजिा सेिाएं {जन्म / मृत्यु प्रमाण पत्र अवद}
 पेंशन सेिा
 एनअइओएस (NIOS) पंजीकरण

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 ऄपोिो टेिीमेवडवसन
 एनअइइएिअइटी (NIELIT) सेिाएाँ
 अधार मद्रु ण और नामाक
ं न
 पैन काडम
 चनु ािी सेिाएं
 इ-कोटम और पररणाम सेिाएाँ
 राज्य वबजिी और पानी वबि संग्रह सेिा
 MoUD की पररयोजना IHHL (स्िच्छ भारत)
 वडवजटाआज़ आवं डया
 साआबर ग्राम
 डाक विभाग की सेिाएं

2- व्यवसाय से ईपभोक्ता (B2C)


 ऑनिाआन विके ट कोसम
 अइअरसीटीसी, िायु और बस वटकट सेिाएाँ
 मोबाआि और डीटीएच ररचाजम
 आवं लिश स्पीवकंग कोसम
 इ-कॉमसम वबिी (पस्ु तक, आिेक्ट्रॉवनक्ट्स, घरे िू सामान, अवद)
 कृ वष सेिाएाँ
 सीएससी बाज़ार
 इ-िवनिंग

3-व्यवसाय से व्यवसाय (B2B)


 बाजार ऄनसु ंधान
 ग्रामीण बीपीओ (डेटा सग्रं ह, डेटा का वडवजटिीकरण)

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4-शैक्षर्णक सेवाएं
वयस्क साक्षरता- आस सेिा के माध्यम से, पढने, विखने, बोिने और सनु ने की सेिाओ ं को तारा ऄक्षर+ के माध्यम
से पेश वकया जाएगा
आग्नू सेवाए-ं छात्रों का प्रिेश, पाठ्यिमों की पेशकश के बारे में जानकारी, परीक्षा अिेदन पत्र, पररणाम घोषणा,
अवद सेिाएं सीएससी द्वारा प्रदान की जाएंगी।
र्िर्जटल साक्षरता- आस सेिा के माध्यम से, अशा और अंगनिाडी कायमकताम और ऄवधकृ त राशन काडम धारक के
अइटी कौशि को बढाने िािे कंप्यटू र पाठ्यिमों को प्रोत्सावहत वकया जाएगा। आसमें वनिेशक जागरूकता कायमिम
और नाबाडम वित्तीय साक्षरता कायमिम भी होंगे।
एमके सीएल सर्विसेज- महाराष्ट्र नॉिेज कॉपोरे शन विवमटेड (एमके सीएि) ऑनिाआन मोड के माध्यम से विवभन्न
व्यािसावयक और तकनीकी पाठ्यिमों की पेशकश करे गा।
एनअइइएलअइटी सेवाएँ- ऑनिाआन पजं ीकरण / शलु क सग्रं ह, ऑनिाआन परीक्षा फॉमम जमा करना और परीक्षा
की छपाइ।
एनअइओएस सेवाएँ- ग्रामीण क्षेत्रों में ओपन स्कूविंग, छात्रों का पंजीकरण, परीक्षा शलु क का भगु तान और पररणाम
की घोषणा NIOS सेिा के माध्यम से प्रोत्सावहत वकया जाएगा।

5-र्वत्तीय समावेशन
आसके तहत, वनम्नविवखत सेिाएं शावमि हैं:
बैंर्कंग- वडपॉवजट, विदड्रॉि, बैिेंस आन्क्ट्िायरी, स्टेटमेंट ऑफ ऄकाईंट्स, ररकररंग वडपॉवजट ऄकाईंट्स, ओिरड्राफ्ट,
ररटेि िोन, जनरि पपमस िे वडट काडम, वकसान िे वडट काडम, ईधारकतामओ ं को िे वडट सवु िधा जैसी कइ बैंवकंग सेिाएं
ग्रामीण क्षेत्रों में सीएससी के माध्यम से ईपिलध कराइ जाएंगी। आसने िगभग 42 सािमजवनक, वनजी सेिा क्षेत्र और
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के साथ समझौता वकया है।
बीमा- सीएससी प्रावधकृ त ग्राम स्तरीय ईद्यमी (िीएिइ) के माध्यम से बीमा सेिाएं भी प्रदान करे गा। कुछ विशेष
विशेषताओ ं में जीिन बीमा, स्िास््य बीमा, फसि बीमा, व्यविगत दघु मटना और मोटर बीमा शावमि हैं।
पेंशन- ग्रामीण और ऄधम-शहरी क्षेत्रों में राष्ट्रीय पेंशन प्रणािी को टीयर 1 और टीयर 2 खाते, जमा ऄश
ं दान अवद के
ईद्घाटन के माध्यम से बढािा वदया जाता है।

6-ऄन्य सेवाएं
कृर्ष- वकसान पंजीकरण होने के बाद, ईन्हें मौसम सचू ना, मृदा सचू ना पर विशेषज्ञ सिाह प्राप्त होगी।
भती- भारतीय नौसेना, भारतीय सेना और भारतीय िायु सेना में भती की ऄवधसचू ना को सशस्त्र बिों में शावमि होने
का ऄिसर देने के विए नागररकों के साथ साझा वकया जाता है।
अयकर फाआर्लंग- सीएससी के माध्यम से भी अयकर ररटनम दावखि वकया जा सकता है। मैनऄ ु ि VLE के विए
ऄंग्रेजी और वहदं ी में ईपिलध है।

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सीएससी 2.0:
आसे िषम 2015 में िॉन्च वकया गया था, वजसने देश के सभी ग्राम पचं ायतों में कायमिम की पहुचाँ का विस्तार वकया।
2.5 िाख ग्राम पंचायतों में से प्रत्येक में कम-से-कम एक सीएससी की पररकलपना की गइ है।

CSC 2.0 एक सेिा वितरण ईन्मख ु ईद्यवमता मॉडि है, जो वक स्टेट िाआड एररया नेटिकम (SWAN), स्टेट सविमस
वडिीिरी गेटिे (SSDG), इ-वडवस्रक्ट्ट (e-District), स्टेट डेटा सेंटर (SDC) और नेशनि ऑवप्टकि फाआबर
नेटिकम (NOFN)/ भारतनेट (BharatNet) के रूप में पहिे से वनवममत बुवनयादी ढााँचे के आष्टतम ईपयोग के माध्यम से
नागररकों के विये ईपिलध कराइ गइ सेिाओ ं का एक व्यापक मच ं है।

इ-गवनेंस-E-Governance
E Governance शलद में ‚E‛ शलद का सम्बन्ध ‘आलेक्ट्रॉर्नक सच ू ना एवं सच
ं ार प्रौद्योर्गकी’ ि
‚Governance‛ शलद का ऄथम शासन से है, ऄथामत इ गिनेंस शलद से तात्पयम वकसी देश के ऐसे शासन से है, जहााँ
सरकार ऄपने कायों को करने के विए सचू ना एिं संचार प्रौद्योवगकी तकनीक का ईपयोग करती है। आसका मि ू ईद्देश्य
सरकारी कायामियों तक अम जनता की पहुचं असान बनाकर ईनका कलयाण करना ि शासन में पारदवशमता िाना है।

इ-गिनेंस नागररकों, व्यिसायों और सरकारी एजेंवसयों को सचू ना और सेिाओ ं का आिेक्ट्रॉवनक वितरण है। यह सरकार
द्वारा सचू ना और संचार प्रौद्योवगकी (अइसीटी) का ईपयोग है जो ऄपने नागररकों को वदन में 24 घंटे, सप्ताह में सातों
वदन सरकारी सेिाएं प्रदान करने और सवु िधा प्रदान करने के विए है। इ-गिनेंस का प्राथवमक िक्ष्य भ्रष्टाचार को कम
करना और सरकार के भीतर सेिाओ ं और सचू ना के समय पर प्रशासन को सवु नवित करना है।
इ-गवनेंस के र्नम्नर्लर्ित 4 अधार स्तम्भ-
 प्रविया
 िोग
 तकनीक
 संसाधन

इ-गिनेंस या आिेक्ट्रॉवनक शासन एक सवु िधाजनक, प्रभािी और पारदशी तरीके से नागररकों के विए शासन को
बढाने के विए सरकार और सािमजवनक क्षेत्र के विवभन्न स्तरों के साथ-साथ आन सदं भों के बाहर सचू ना और सचं ार
प्रौद्योवगवकयों (अइसीटी) का ईपयोग है।
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इ-गवनेंस की सहभार्गताएँ-(Types)
 सरकार से नागररक (G2C)
 गिनममेंट टू गिनममेंट (G2G)
 सरकार से व्यिसाय (G2B)
 कममचाररयों के विए सरकार (G2E)
 सरकारी-से-एजेंवसयां (G2A)

1.G2C (Government to Citizen) – सरकार और नागररकों के बीच । यह नागररकों को सािमजवनक सेिाओ ं


की एक बडी श्ृंखिा के कुशि वितरण से िाभावन्ित करने में सक्षम बनाता है । सरकारी सेिाओ ं की पहुचं और
ईपिलधता का विस्तार करता है और सेिाओ ं की गणु ित्ता में भी सधु ार करता है । आसका प्राथवमक ईद्देश्य सरकार को
नागररक वहतैषी बनाना है ।

2.G2G (Government to Government) – विवभन्न सरकारी संस्थाओ ं के बीच वनबामध संपकम को सक्षम
बनाता है । आस तरह की बातचीत सरकार के भीतर विवभन्न विभागों और एजेंवसयों के बीच या कें द्र और राज्य सरकारों
जैसी दो सरकारों के बीच या राज्य सरकारों के बीच हो सकती है । आसका प्राथवमक ईद्देश्य दक्षता, प्रदशमन और
प्रवतफि को बढाना है ।

3.G2B (Government to Business) – सरकार और व्यिसाय के बीच । यह व्यापार समदु ाय को इ-गिनेंस टूि
का ईपयोग करके सरकार के साथ बातचीत करने में सक्षम बनाता है । आसका ईद्देश्य िािफीताशाही में कटौती करना
है वजससे समय की बचत हो और पररचािन िागत कम हो । यह सरकार के साथ व्यिहार करते समय ऄवधक
पारदशी कारोबारी माहौि भी बनाने पर जोर देता है । G2B पहि िाआसेंवसंग, खरीद, परवमट और राजस्ि संग्रह जैसी
सेिाओ ं में मदद करती है ।

4.G2E (Government to Employee) – आस तरह की सहभावगता सरकार और ईसके कममचाररयों के बीच होती
है । अइसीटी ईपकरण आन ऄंतःवियाओ ं को तेज और कुशि बनाने में मदद करते हैं और आस प्रकार कममचाररयों की
सतं वु ष्ट के स्तर को बढाते हैं ।

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E-governance के ईद्देश्य
इ-गिनेंस का मख्ु य ईद्देश्य देश को विकासशीि बनाना है। िेवकन आसके ऄिािा ओर भी बहुत सारे ईद्देश्य है, वजनके
विए कोइ देश इ-गिनेंस प्रणािी को ऄपनाता है-
 सरकारी कामकाजों को सरि बनाना।
 कम समय में सरकारी कामकाजों का वनपटारा करना।
 कम िागत में सरकारी कामकाजों का वनपटारा करना।
 देश के नागररकों को बेहतर सेिा प्रदान करना।
 सरकारी कामों में पारदवशमता िाना।
 सरकारी ढााँचों बढ रहे भ्रष्टाचार को रोकना।
 सचू ना एिं सम्प्रेषण प्रौद्योवगकी का विकास करना।
 सरकार के प्रवत िोगों के विश्वास में िृवि करना।
 सरकारी शासन दक्षता में सधु ार करना।
 सभी दस्तािेजों को सव्ु यिवस्थत रखना।
 जनता को दिाि ऄथिा वबचौवियों के शोषण से मि ु करना।

भारत में इ-गवनेंस पहलें


भारत में, इ-गिनेंस एक ऄपेक्षाकृ त नइ ऄिधारणा है। 1977 में, राष्ट्रीय सचू ना विज्ञान कें द्र (एनअइसी) ने देश के
सभी वजिा कायामियों को कम्प्यटू रीकृ त करने के विए वजिा सचू ना प्रणािी कायमिम शरू ु वकया।
1987 में, राष्ट्रीय ईपग्रह-अधाररत कंप्यटू र नेटिकम (NICENET) िॉन्च वकया गया था।
एनइजीपी ने कइ इ-गवनेंस पहलों को सक्षम र्कया है, र्जनमें शार्मल हैं-

र्िर्जटल आर्ं िया-Digital India


प्रौद्योवगकी के क्षेत्र में देश को वडवजटि रूप से सशि बनाने के विए 2015 में वडवजटि आवं डया की शरुु अत की गइ
थी। आसके प्राथवमक ईद्देश्य आस प्रकार हैं-
 एक सरु वक्षत और वस्थर वडवजटि बुवनयादी ढांचा तैयार करना।
 सरकारी सेिाओ ं को वडवजटि रूप से वितररत करने के विए।
 सािमभौवमक वडवजटि साक्षरता प्राप्त करने के विए।

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अधार-Aadhaar
अधार यअ ू इडीएअइ द्वारा जारी विवशष्ट पहचान संख्या है जो बायोमेवरक डेटा के अधार पर पहचान और पते के
प्रमाण के रूप में कायम करता है। अधार प्रणािी देश भर के वनिावसयों के विए ऑणिाआन और ऑनिाआन पहचान
सत्यापन के विए एकि वबंदु के रूप में कायम करती है।

Mygov.in
भारत सरकार ने जि ु ाइ 2014 में नागररक जडु ाि के विए MyGov प्िेटफॉमम की शरुु अत भारतीय नागररकों को
ऄपने राष्ट्र के शासन और विकास में सविय रूप से भाग िेने के विए प्रोत्सावहत करने के विए की थी।
छवि स्रोत: एनअइसी (राष्ट्रीय सचू ना विज्ञान कें द्र)

ईमगं -Umang
UMANG प्िेटफॉमम को निंबर 2017 में िॉन्च वकया गया था तावक सभी भारतीय नागररकों को कें द्र से िेकर
स्थानीय सरकारी वनकायों तक पैन-आवं डया इ-गिनेंस सेिाओ ं का ईपयोग करने के विए एक मच
ं प्रदान वकया जा सके ।

र्िर्जटल लॉकर- Digital Locker


वडवजिॉकर वडवजटि आवं डया की एक प्रमख
ु पहि है, वजसे जि ु ाइ 2015 में िॉन्च वकया गया था, वजसका िक्ष्य
नागररकों को माकम शीट, पैन, अधार और वडग्री सवटमवफके ट जैसे महत्िपणू म दस्तािेजों को वडवजटि रूप से स्टोर करने
की ऄनमु वत देकर भारत को वडवजटि रूप से सशि समाज में बदिना है।

भूर्म ऄर्भलेिों का र्िर्जटलीकरण


इ-सेवा-e-Seva
अंध्र प्रदेश सरकार विकास और शासन के सभी पहिओ ु ं में सचू ना प्रौद्योवगकी को शावमि करके राज्य को एक ज्ञानी
समाज में बदि रही है। इ-सेिा "सरकार से नागररक" और "इ-व्यिसाय से नागररक" दोनों सेिाएं प्रदान करता है।
ईपयोवगता वबिों के भगु तान के साथ-साथ प्रमाण पत्र, िाआसेंस और परवमट जारी करने की ऄनमु वत देता है।

िजाने-KHAJANE
खजाना राज्य की रेजरी प्रणािी को वडवजटि बनाने के विए कनामटक राज्य सरकार की एक प्रमख ु इ-गिनेंस पहि है।
यह एक सरकार-से-सरकार (G2G) इ-गिनेंस पहि है वजसका ईद्देश्य राज्य के वित्तीय प्रबंधन में सधु ार करना है।

भूर्म-Bhoomi
भवू म कनामटक के 6.7 वमवियन वकसानों को 20 वमवियन ग्रामीण भवू म ररकॉडम के कम्प्यटू रीकृ त वितरण के विए एक
अत्मवनभमर एकि-वखडकी इ-सरकार पोटमि है।

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इ-ऑर्फस-e-Office
इ-ऑवफस ऄवधक कुशि और पारदशी ऄंतर-सरकारी प्रवियाओ ं को सगु म बनाकर शासन की सहायता करना
चाहता है।
इ-ऑवफस का िक्ष्य सभी सरकारी कायामियों को ऄवधक कुशि, ईत्तरदायी, प्रभािी और पारदशी बनाना है।
ईत्पाद स्ितंत्र कायों और प्रणावियों को एक ढांचे में एकीकृ त करता है।

इ-कोटि-e-Courts
न्याय विभाग, काननू और न्याय मंत्रािय ने इ-कोटम शरू ु वकया है। इकोट्मस वमशन मोड प्रोजेक्ट्ट एक राष्ट्रीय इ-गिनेंस
प्रोजेक्ट्ट है वजसका ईद्देश्य देश के वजिा और ऄधीनस्थ न्यायाियों की सचू ना और संचार प्रौद्योवगकी (अइसीटी)
क्षमताओ ं में सधु ार करना है।

इ-र्िर्स्रक्ट्ट-e-District
इ-वडवस्रक्ट्ट राष्ट्रीय इ-गिनेंस योजना के तहत राज्य की वमशन मोड पररयोजनाओ ं और सरकार-से-ईपभोिा पहिों में
से एक है, वजसका ईद्देश्य अम सेिा कें द्रों (सीएससी) के माध्यम से आिेक्ट्रॉवनक रूप से पहचान की गइ बडी मात्रा में
नागररक-कें वद्रत सेिाएं प्रदान करना है। नेशनि इ-वडवस्रक्ट्ट सविमस रैकर, एंड्रॉआड प्िेटफॉमम पर बनाया गया एक
मोबाआि ऐप है, जो नागररकों को इ-वडवस्रक्ट्ट एवप्िके शन के साथ हैंड-हेलड (मोबाआि और टैबिेट) ईपकरणों के
माध्यम से बातचीत करने की ऄनमु वत देगा।

एमसीए 21
भारत सरकार के कॉपोरे ट मामिों के मत्रं ािय (MCA) ने MCA21 प्रोजेक्ट्ट िॉन्च वकया है, जो कॉपोरे ट सस्ं थाओ,ं
पेशेिरों और अम जनता को MCA सेिाओ ं तक असान और सरु वक्षत पहुचाँ प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
कंपनी ऄवधवनयम 1956 के तहत काननू ी अिश्यकताओ ं के प्रितमन और ऄनपु ािन से संबंवधत सभी प्रवियाएं
MCA21 पररयोजना के वहस्से के रूप में परू ी तरह से स्िचावित होंगी।

दपिण-DARPAN
दपमण एक सवं क्षप्त शलद है जो परू े देश में पररयोजनाओ ं की विश्लेषणात्मक समीक्षा के विए डैशबोडम के विए खडा है,
और यह जवटि सरकारी डेटा को अकषमक दृश्यों में बदि देता है।
यह िेब सेिाओ ं के माध्यम से कोवडंग या प्रोग्रावमंग के वबना िास्तविक समय, गवतशीि पररयोजना वनगरानी प्रदान
करने के विए अिश्यक ईपकरण के साथ तकनीकी प्रशासन प्रदान करता है।
यह कइ डेटा स्रोतों को एक कें द्रीकृ त, ईपयोगकताम के ऄनक ु ू ि प्िेटफॉमम में समेवकत करके विश्लेषणात्मक क्षमताओ ं में
सधु ार करता है।

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प्रगर्त-PRAGATI
25 माचम, 2015 को, भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने वडवजटि आवं डया कायमिम के वहस्से के रूप में महत्िाकांक्षी
बहुईद्देश्यीय और बहु-मॉडि मंच "प्रो-एवक्ट्टि गिनेंस एंड टाआमिी आम्प्िीमेंटेशन" (प्रगवत) का शभु ारंभ वकया।
आसके ऄिािा, यह िास्तविक समय ईपवस्थवत और विवनमय के माध्यम से प्रमख ु वहतधारकों के विए इ-पारदवशमता
और इ-जिाबदेही िाने के विए एक मजबूत प्रणािी है। यह पहि ऄंतर-विभागीय संचार ऄंतराि को कम करके और
आस प्रकार पररयोजना और योजना कायामन्ियन के विए अिश्यक समय को कम करके मद्दु ों को संबोवधत करने और
हि करने में प्रभािी सावबत हुइ है।

इ-क्ांर्त-e-Kranti
भारत सरकार प्रमख ु वडवजटि आवं डया कायमिम को प्राथवमकता देती है, जो देश को वडवजटि रूप से सशि समाज
और ज्ञान ऄथमव्यिस्था में बदिने के विए एक व्यापक कायमिम के रूप में कायम करता है।
इ-िांवत सीधे वडवजटि आवं डया कायमिम के स्तंभ 4 और 5 से जडु ी हुइ है
राष्ट्रीय इ-सरकार योजना 2.0-"रांसफॉवमिंग इ-गिनेंस फॉर रांसफॉवमिंग गिनेंस" इ-िांवत का विजन है।
इ-िावं त को िागू करना वडवजटि आवं डया और देश में इ-गिनेंस, असान गिनेंस और गडु गिनेंस देने के विए
महत्िपणू म है।

इ-शासन के मॉिल
सामान्य सच ू ना मॉिल (General Information model/Broad casting model)- यह इ-शासन का पहिा
चरण है वजसके द्वारा परम्परागत सरकार का रूपांतरण इ-शासन के रूप में हुअ। आसके द्वारा सरकार ने ऄपनी सचू नाओ ं
को आिेक्ट्रॉवनक रूप में ईपिलध करा वदया और यह ईलिेखनीय है वक यह सचू ना पहिे ही िोगों को प्राप्त थी । आस
मॉडि का यह ईद्देश्य है वक अम िोगों को सरकार की कायमप्रणािी के संबंध में सचू ना ईपिलध कराइ जाए।

र्क्र्टकल सच
ू ना मॉिल (Critical Information Model)- आसके ऄंतगमत सामान्य सचू नाओ ं के बजाय कुछ
विशेष और महत्िपणू म सचू नाओ ं की जानकारी दी जाती है वजसका ईद्देश्य समदु ाय विशेष ऄथिा समचू े समाज को
सचू ना ईपिलध कराना है।

प्रचार-प्रसार मॉिल (Advocacy model)- आसके द्वारा अम िोगों की सहभावगता को शासन में बढाया जा
सकता है और कुछ िोगों के ऄनसु ार सरकार के वनणमय वनमामण में िोगों की सहभावगता के विए वकसी ईत्प्रेरक के रूप
में माना जाता है ईदाहरण - समाज के िवं चत िोगों के शोषण के सबं ंध में सचू ना प्रकावशत करना ।

ऄंतः र्क्या मॉिल (Interaction Model)-यह मॉडि ईपरोि तीनों मॉडि का सामवू हक रूप है। आसमें सचू ना
का संचार दोहरा (2 ways information) होता है ।
आसके द्वारा अम िोग सरकार और ईसके ईनके प्रवतवनवधयों से सीधे जडु जाते हैं।

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इ-शासन को लागू करने के 6C मॉिल
(1) र्वषय वस्तु (Content)-इ-शासन को िागू करने के विए आिेक्ट्रॉवनक रूप में वनवममत सचू नाएाँ होनी चावहए।
(2) कुशलता (Competence)-इ-शासन को व्यिहाररक बनाने के विए प्रवशवक्षत और व्यिसावयक प्रवशक्षकों की
अिश्यकता है वजन्हें सचू ना तकनीकी के संबंध में जानकारी हो ।
(3) कनेर्क्ट्टर्वटी ( Connectivity)-इ-शासन के विए देश के समचू े भागों को ऑवप्टकि फाआबर (optical
fibre) से जोडना पडेगा तथा आटं रनेट की ईपिलधता की भी अिश्यकता है।
(4) साआबर र्वर्ध (Cyber method)-इ-शासन के विए साआबर विवध भी होना अिश्यक है वजससे आिेक्ट्रॉवनक्ट्स
कारोबार को िैधता प्रदान की जा सके । आसी संबंध में भारतीय सरकार द्वारा िषम 2000 में सचू ना तकनीकी ऄवधवनयम
का वनमामण वकया गया वजसके द्वारा आिेक्ट्रॉवनक मेि के िेन देन तथा आिेक्ट्रॉवनक संचार तथा आिेक्ट्रॉवनक िावणज्य
को िैधता को प्रदान कर दी ।
(5) नागररक ईन्मि ु / ऄतः र्क्या ( Citizen Interface)-साआबर तकनीक और अम िोगों के समझ के योलय
होने चावहए। और आस तकनीकी को बेहतर बना कर अम िोगों को सि ु भ वकया जा सकता है वजसका िे प्रभािी
प्रयोग करें ।
(6) पज ूं ी (Capital)-ईपरोि सभी प्रवियाओ ं को िागू करने के विए बडी मात्रा में पजंू ी की अिश्यकता है और
भारत जैसे विकासशीि देशों के समक्ष वित्त की समस्या एक बडी चनु ौती है।

इ-गवनेस के लाभ
 इ-गिनेस शासन में सधु ार है जो सचू ना और संचार प्रौद्योवगकी के संसाधन ईपयोग द्वारा सक्षम है।
 इ-गिनेस सभी नागररकों के विए सचू ना और ईत्कृ ष्ट सेिाओ ं की बेहतर पहुचाँ बनाता है।
 इ-गिनेस से व्यिसाय और नए ऄिसरों का सृजन हुअ है, आससे िाखों कॉमन सविमस सेंटर खि ु े हैं, वजससे
िाखों िोगों को रोजगार वमिा है।
 आसमें कम्प्यटू र अधाररत आन्टरनेट के माध्यम से ऑनिाआन काम होता है, वजससे समय ि धन दोनों की बचत
होती है। आसके साथ ही कम्प्यटू र अधाररत ऑनिाआन काम घर बैठे या कहीं से भी वकया जा सकता है।
 इ-गिनेस के माध्यम से कायम ि सेिाओ ं की दक्षता एिं गुणित्ता में सधु ार होता है।
 सरकार को सभी प्रकार की अंकडें (Data) असानी से ईपिलध हो जाती हैं।
 आससे भ्रष्टाचार कम होता है, वबचौवियों ि दिाि बीच में नहीं अ पाते हैं।
 िाभक ु के बैंक खाते में पेंशन की रावश, सरकारी अिास अवद रावश सीधे अ जाती है।
 इ-गिनेस से सश ु ासन को बि वमिता है।

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इ-गवनेस पर 25वां राष्ट्रीय सम्मेलन
26-27 निंबर, 2022 को कटरा, जम्मू कश्मीर में अयोवजत
र्कसके द्वारा-प्रशासवनक सधु ार और िोक वशकायत विभाग (DARPG) तथा आिेवक्ट्रॉवनकी और सचू ना प्रौद्योवगकी
मंत्रािय द्वारा & जम्म-ू कश्मीर राज्य सरकार के सहयोग से
र्वषय-‘नागररकों, ईद्योग और सरकार को समीप िाना'

इ-गवनेस पर 26वां राष्ट्रीय सम्मेलन


नागररकों को बेहतर सवु िधाएं ईपिलध कराने पर विचार-विमशम के विए इ-गिनेंस पर 26िां राष्ट्रीय सम्मेिन 24-25
ऄगस्त 2023 को आदं ौर में संपन्न हुअ। सम्मेिन का ईद्घाटन मप्र के सक्ष्ू म, िघु एिं मध्यम ईद्यम, विज्ञान एिं
प्रौद्योवगकी मत्रं ी ओम प्रकाश सखिेचा ने वकया।

पंचायती राज मंत्रालय की SVAMITVA योजना ने नागररक कें र्द्रत सेवाएं प्रदान करने के र्लए ईभरती
प्रौद्योर्गर्कयों के ऄनुप्रयोग के र्लए इ-गवनेंस 2023 (गोल्ि) का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता।

इ-पंचायत
इ-पच
ं ायत एक वडवजटि मंच है वजसका ईद्देश्य भारत में पंचायतों (ग्राम पररषदों) की दक्षता और पारदवशमता में सधु ार
करना है। इ-पंचायत एक क्ट्िाईड-अधाररत प्िेटणॉमम है वजसे िेब ब्राईज़र या मोबाआि ऐप के माध्यम से एक्ट्सेस वकया
जा सकता है। यह पंचायत सदस्यों, ऄवधकाररयों और नागररकों के विए ऑनिाआन सेिाओ ं की एक श्ृंखिा प्रदान
करता है, जैसे-
 पच
ं ायत ररकाडों और दस्तािेजों तक ऑनिाआन पहुचं
 वशकायतों और अिेदनों को ऑनिाआन दजम करना
 पचं ायत चनु ािों के विए ऑनिाआन िोवटंग
 कर और शलु क का ऑनिाआन भगु तान
 सरकारी योजनाओ ं एिं कायमिमों तक ऑनिाआन पहुचं

2006 में राष्ट्रीय इ-ऄितार योजना (एनइजेपी) के तहत, सरकार ने भारत में ग्राम पररयोजनाओ ं में सधु ार के विए
कायमशािा में भती की योजना बनाइ। 2018 में, आस ईद्देश्य को परू ा करने के विए वमशन मडू प्रोजेक्ट्ट्स (एमएमपी) के एक
घटक के रूप में, पंचायती राज मंत्रािय द्वारा इ-पंचायत वमशन शरू
ु वकया गया था।
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ग्राम पंचायतों में E-Governance Portal द्वारा दी जाने वाली ऑनलाआन सेवाएँ
नागररक सेवायें
 अधार काडम बनिाने हेतु अिेदन ऄथिा ईसमें बदिाि करना हो।
 ऑनिाआन पासपोटम के विए अिेदन
 ऑनिाआन पैन काडम के विए अिेदन ।
 ऑनिाआन अयकर ररटनम फाआि करना हो ।
 मतदाता सचू ी में ऄपना नाम जडु िाना हो या मतदाता सचू ी में ऄपना नाम खोजना हो ।
 मनरे गा के ऄंतगमत अिेदन

इ-शैर्क्षक सेवाएँ
 छात्र वकसी भी परीक्षा हेतु ऑनिाआन अिेदन कर सकते हैं। छात्र ऄपनी छात्रिृवत्त के विए भी ऑनिाआन
अिेदन कर सकते हैं।
 छात्र ऄपनी ईच्च वशक्षा के विए ऑनिाआन ऋण भी प्राप्त कर सकते हैं ।

इ-पररवहन सेवाएँ
 ऑनिाआन रे ि वटकट बुवकंग ।
 ऑनिाआन बस वटकट बुवकंग
 रे ि एस.एम.एस सेिा ।
 रे ि भाडा ि अरक्षण सवु िधा।
 पीएनअर वस्थवत की जााँच अवद ।

कृर्ष क्षेत्र में E-governance सेवाएँ


 वकसान मअ ु िजा
 बाजार या मडं ी में विवभन्न फसिों से सबं ंवधत बाजार भाि का पता कर सकते हैं।
 मोबाआि एप्प और ऑनिाआन पोटमि िॉन्च वकये हैं वजनके माध्यम से वकसान मौसम के बारे में जानकारी
प्राप्त कर सकते हैं।

इ-पचं ायत र्मशन की शुरुअत 2018 में हुइ थी. यह वमशन मोड प्रोजेक्ट्ट्स (एमएमपी) का एक वहस्सा है.
पच
ं ायती राज मत्रं ािय ने 24 ऄप्रैि, 2020 को इ-पच
ं ायत को बढािा देने के विए पीअरअइ के तहत इ-
ग्रामस्िराज नामक एक एवप्िके शन िॉन्च वकया था.
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इ-चौपाल
इ-चौपाि शलद की जडें 'चौपाि' शलद से वनकिी हैं, वजसका ऄथम है एक गााँि के खि ु े क्षेत्र में बैठक । इ-चौपाि,
अइटीसी विवमटेड की एक भारत-अधाररत व्यािसावयक पहि है. यह एक िेब-अधाररत पेज है, जो ग्रामीण
वकसानों को आटं रनेट ईपिलध कराता है. इ-चौपाि का ईद्देश्य वकसानों को सवू चत करना और सशि बनाना है, तावक
कृ वष िस्तओु ं की गणु ित्ता और वकसानों के जीिन स्तर में सधु ार हो
आसे आटं रनेशनि वबजनेस डेििपमेंट आवं डयन टोबैको कंपनी (ITC & IBD) द्वारा इ-चौपि का अरम्भ वकया गया।
आस पहि ने वकसानों को मध्यिती संस्थाओ ं की भागीदारी के वबना ऄपने ईत्पादों को सीधे ईपभोिाओ ं को बेचने में
सहायता की। आससे ऄतं तः वकसानों को प्रभावित हुए वबना ऄपना सही िाभ कमाने में सहायता वमिी। 1
इ-चौपाि जनू 2000 में शरू ु की गइ है और पहिे से ही ग्रामीण भारत में सभी आटं रनेट अधाररत हस्तक्षेपों में सबसे
बडी पहि है।
ितममान में, 'इ-चौपाि' िेबसाआट मध्य प्रदेश, हररयाणा, ईत्तराखंड, ईत्तर प्रदेश, राजस्थान, कनामटक, महाराष्ट्र, अंध्र
प्रदेश, और तवमिनाडु राज्यों के वकसानों को जानकारी प्रदान करती है।

इ-चौपाल के ज़ररए, र्कसान कायि कर सकते है-


 सोयाबीन, गेह,ं कॉणी और झींगा जैसे कृ वष और जिीय कृ वष ईत्पादों की खरीद कर सकते हैं
 तकनीकी जानकारी पा सकते हैं
 ऄपनी पसंद पर ऄवधक वनयंत्रण पा सकते हैं
 ऄपनी णसिों पर ऄवधक िाभ मावजमन पा सकते हैं

इ ग्राम स्वराज पोटि ल


इ ग्राम स्िराज पोटमि ग्राम पंचायतों के ऑनिाआन ररकॉडम को बनाए रखने के विए एक िेब-अधाररत पोटमि है, जो
पचं ायती राज सस्ं थानों के विए विकें द्रीकृ त योजना, प्रगवत ररपोवटिंग और कायम-अधाररत िेखाक ं न में पारदवशमता
सवु नवित करने पर ध्यान कें वद्रत करता है। इ ग्रामस्िराज पोटमि को पंचायतों में वडवजटिीकरण को मजबूत करने की
दृवष्ट से विकवसत वकया गया है। यह पंचायती राज के विए एक सरिीकृ त कायम अधाररत िेखा ऄनप्रु योग है।
यह इपचं ायत वमशन मोड प्रोजेक्ट्ट (एमएमपी) के तहत पच ं ायत एटं रप्राआज सटू (पीइएस) के वहस्से के रूप में विकवसत
ऄनप्रु योगों में से एक है।
पोटि ल की मुख्य र्वशे षताएँ-
पंचायत प्रोफाआल-चनु ाि वििरण, वनिामवचत सदस्यों अवद के साथ पंचायत प्रोफाआि को बनाए रखता है।
र्नयोजन-गवतविवधयों / कायों की योजना बनाने और योजना वनमामण को सगु म बनाता है।

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प्रगर्त ररपोर्टिं ग-ऄनमु ोवदत गवतविवधयों की भौवतक और वित्तीय प्रगवत को ररकॉडम करता है।
लेिांकन-पीएफएमएस एकीकरण के साथ कायमअधाररत िेखांकन और वनवध व्यय की वनगरानी की सवु िधा प्रदान
करता है ।
सपं र्त्त र्नदेर्शका-सभी ऄचि और चि सपं वत्तयों को सग्रं हीत करता है ।

इ-पच ं ायत र्मशन/ इ ग्राम स्वराज पोटि ल के लाभ


ऐसे राज्य में जहााँ पंचायत ग्राम पंचायत की सचू ी परू ी तरह से िागू है, ग्राम पंचायत के बारे में सभी डेटा और जानकारी
आटं रनेट के माध्यम से असानी से प्राप्त की जा सकती है। अंध्र प्रदेश और गोिा जैसे राज्यों में, जहााँ इ पंचायत कायमिम
कुछ हद तक िागू हो चक ु ा है, नागररक कुछ सवु िधाओ ं का िाभ ऑनिाआन ईठा सकते हैं। आनमें जन्म और मृत्यु
प्रमाण पत्र जारी करना, संपवत्त कर, पेंशन िाभ, ररयायती िाभ, इ-स्िास््य देखभाि, इ-िवनिंग और इ-कृ वष विस्तार
अवद शावमि हैं।

अगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-पररिार रवजस्टर एिं जन्म-मृत्यु पंजीकरण

VPO Exam 2023 के र्लए Complete Course & Test Series


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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-19-Syllabus Topic-(iv)
पच
ं ायतीराज व्यवस्था को सशक्त करने के उपाय
(Part-03)
(पररवार रजजस्टर एवं जन्म-मृत्यु पंजीकरण)

पररवार रजजस्टर एवं जन्म-मृत्यु पंजीकरण


पररवार रजजस्टर और जन्म-मृत्यु पजं ीकरण, 1969 के जन्म और मृत्यु पजं ीकरण ऄजधजनयम के तहत ऄजनवायय है.
आस ऄजधजनयम के तहत, पररवार में जकसी के जन्म या मृत्यु की सचू ना ऄपने क्षेत्र के जन्म-मृत्यु रजजस्रार कायायलय को
देनी होती है. ग्रामीण क्षेत्र में, यह सचू ना ग्राम पंचायत कायायलय को दी जाती है. शहरी क्षेत्र में, यह सचू ना नगर
पाजलका, नगर पररषद या नगर जनगम कायायलय को दी जाती है.
जन्म या मृत्यु का पंजीकरण कराने के जलए, राज्य या संघ शाजसत प्रदेश की सरकार को 21 जदन के ऄंदर सचू ना देनी
होती है.
जन्म-मृत्यु पंजीकरण के फायदे-
 जन्म पंजीकरण से नवजात बच्चे को एक स्थायी पहचान जमलती है.
 मृत्यु पंजीकरण से दसू रे का जीवन-यापन होता है.
 जन्म-मृत्यु के ऄजिलेख से व्यजि जवशेष की पहचान, नाम, पाररवाररक सम्बन्ध, जन्म का स्थान अजद की
जानकारी जमलती है.
 ईजचत जन्म पंजीकरण प्रणाली सरकार को ऄपने नागररकों की संख्या जानने, ईनकी ज़रूरतों और जवकास की
योजना बनाने और टीकाकरण की योजना बनाने में मदद करती है.
 मृत्यु प्रमाणपत्र व्यजिगत बीमा, संपजि और बैंक दावे प्राप्त करने के जलए अवश्यक है.

उत्तर प्रदेश पररवार रजजस्टर नकल 2023


ईिर प्रदेश पररवार रजजस्टर नकल यानी कुटुम्ब रजजस्टर नकल को ऄब इ जडजस्रक्ट की वेबसाआट पर ऑनलाआन जारी
कर जदया गया है। राज्य के सिी जनवासी ऄपने पररवार रजजस्टर की नकल को ऄब ऑनलाआन माध्यम से घर बैठे ही

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प्राप्त कर सकते है। पररवार रजजस्टर नकल (Parivar Register Nakal) का आस्तेमाल एक वैध दस्तावेज के रूप में
जकया जाता है। यह दस्तावेज एक अइडेंटी के रूप में कायय करती है।

पररवार रजजस्टर व कुटुंब रजजस्टर वह दस्तावेज हे जजसमें पररवार के सिी सदस्यों के नाम जलखे रहते है। पररवार में जब
िी जकसी का जन्म होता है, या मृत्यु होती है, तो आसकी जानकारी पररवार रजजस्टर में ऄपडेट कर दी जाती है। ईिर
प्रदेश सरकार द्वारा राज्य की जवजिन्न सरकारी योजनाओ ं का लाि लेने के जलए अपको पररवार रजजस्टर की नकल की
अवश्यकता पढ़ सकती है। आसके द्वारा जकसी िी पररवार के सदस्यों की पहचान का सत्यापन जकया जाता है।

पररवार रजजस्टर के लाभ-


 पररवार रजजस्टर का ईपयोग बहुत तरह के प्रमाण पत्र बनवाने में होता है।
 ईिर प्रदेश के छात्रों के जलए कॉलेज और स्कूलों में छात्रवृजि लेने के जलए पररवार रजजस्टर अवश्यक है।
 ईिर प्रदेश की सिी सरकारी योजनाओ ं और नौकररयों के जलए राज्य के नागररकों के जलए पररवार रजजस्टर
अवश्यक है। अय प्रमाण पत्र बनवाने एवं पेंशन का लाि लेने के जलए पररवार रजजस्टर ऄजत अवश्यक है।
 ईिर प्रदेश के सिी नागररक पररवार रजजस्टर के माध्यम से जकसी िी प्रकार के सरकारी कागजात बनवा
सकते हैं । ईिर प्रदेश के मलू जनवासी ही ईिर प्रदेश पररवार रजजस्टर से जमलने वाली सजु वधाओ ं का लाि ले
सकते हैं ।

जन्म-मत्ृ यु पज
ं ीकरण
जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण की प्रचजलत प्रणाली में रजजस्रार स्तर पर बहुत ऄजधक कागजी काययवाही करनी होती थी
जजससे रजजस्रार द्वारा सांजख्यकीय प्रजतवेदन िेजने का कायय प्रिाजवत होता था। आसके ईपाय हेतु िारत सरकार द्वारा
अदशय जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण प्रणाली जवकजसत की गयी जजसके अधार पर ई0प्र0 में नयी जनयमावली 2002 तैयार
की गयी है जो राजकीय राजपत्र में प्रकाशन की जतजथ 22 माचय, 2003 से प्रिावी है
जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण ऄजधजनयम, 1969 के प्रवृि होने के पश्चात् देश में जन्म मृत्यु तथा मृत-जन्म का रजजस्रीकरण
ऄजनवायय हो गया है। ऄजधजनयम के ऄन्तगयत के न्र तथा राज्य स्तर पर जवजिन्न पदाजधकाररयों का प्राजवधान जकया गया
है। िारत के महारजजस्रार की जनयजु ि के न्र सरकार द्वारा आस ऄजधजनयम के ऄतं गयत की जाती है तथा वे राज्यों तथा
संघ राज्य क्षेत्रों में जन्मों और मृत्यओ
ु ं के रजजस्रीकरण और ऄजधजनयम की कायय जवजध से संबंजधत मामलों में जनदेशन
एवं मागय दशयन करने वाले के न्रीय पदाजधकारी है। ईन्हें जवजिन्न राज्यों में ऄजधजनयम की कायय जवजध के संबंध में
के न्रीय सरकार को एक वाजषयक ररपोटय प्रस्ततु करनी होती है।
उत्तर प्रदेश राज्य में जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण जनयमावली 1976 के स्थान पर सश ं ोजधत उत्तर प्रदेश जन्म-मृत्यु
रजजस्रीकरण जनयमावली 2002 जनजमित की गयी है जो जक शासकीय राजपत्र में प्रकाशन के जदनांक 22
माचि, 2003 से पूरे उत्तर प्रदेश में प्रभावी है।

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जन्म-मृत्यु पंजीकरण एवं उसकी उपयोजगता
जन्म-मृत्यु के ऄजिलेख से व्यजि जवशेष की पहचान, नाम, पाररवाररक सम्बन्ध, जन्म का स्थान अजद की जो सचू ना
प्राप्त होती है वह राष्ट्रीयता जनधायररत करने का मख्ु य अधार है। जन्म प्रमाण पत्र की स्कूल में प्रवेश हेतु, अयु को
प्रमाजणत करने,, रोजगार प्राप्त करने ड्राआजवंग लाआसेन्स प्राप्त करने, काननू ी संजवदा करने, जववाह अजद के जलये
सामान्यतः अवश्यकता होती है, मृत्यु प्रमाण-पत्र ईिराजधकार जसद्ध करने, सम्पजि, बीमा तथा सामाजजक सरु क्षा के
लािों पर दावे साजबत करने में सामान्यतः अवश्यक होते हैं । प्रशासजनक प्रयोजनों में जन स्वास््य के काययक्रम, माता
व जशशु की प्रसव के बाद की देखिाल करने तथा टीके एवं प्रजतरक्षण टीके लगाने अजद के काययक्रमों के जलये जन्म के
ररकॉडय के अधार हैं। मृत्यु के ररकॉडय संक्रामक तथा महामाररक रोगों की व्याप्तता और आन्हें रोकने के जलये तत्काल
ईठाये जाने वाले कदमों के सक ं े तकों के रूप में ईपयोगी हैं।

जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण अजधजनयम, 1969 एवं राज्य जनयम


िारत में जन्म-मृत्यु का रजजस्रीकरण जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण ऄजधजनयम 1969 के प्राजवधानों के ऄन्तगयत जकया जाता
है। आस ऄजधजनयम ने लागू होने के जदनांक से सम्पणू य िारत में रजजस्रीकरण प्रणाली में एकरूपता स्थाजपत करते हुए
जन्म-मृत्यु की सचू ना और रजजस्रीकरण ऄजनवायय कर जदया है। ईिर प्रदेश सरकार द्वारा जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण
ऄजधजनयम के जक्रयान्वयन हेतु ईिर प्रदेश जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण जनयमावली, 1976 बनायी गइ थी, जो जदनांक
08.01.1977 से सम्पणू य प्रदेश में लागू थी।
आस जनयमावली के साथ सल ं ग्न प्रपत्रों पर जन्म-मृत्यु और मृत जन्म की घटनाओ ं की रजजस्रीकरण जकया जाता था।
आसके जनयमों में जवलजम्बत रजजस्रीकरण की प्रजक्रया, बच्चे के नाम का ऄंकन, प्रमाण पत्रों को जनगयत करना, मृत्यु के
कारणों का जचजकत्सकीय प्रमाणीकरण, प्रजवजि को ठीक या रद्द करना, ऄपराधों के प्रशमन की शजि, तथा ऄजिलेखों
की सरु क्षा एवं रख-रखाव, सचू नाओ ं का संग्रहण, संकलन तथा प्रेषण अजद प्राजवधाजनत था।

जन्म और मृत्यु पंजीकरण (Registration of Birth and Death- RBD) अजधजनयम, 1969
 िारत में जन्म और मृत्यु का पंजीकरण कराना जन्म और मृत्यु पंजीकरण ऄजधजनयम (RBD), 1969 के
ऄजधजनयमन के साथ ऄजनवायय है और आस प्रकार का पजं ीकरण घटना के स्थान के ऄनसु ार जकया जाता है।
 RBD ऄजधजनयम के तहत जन्म और मृत्यु का पंजीकरण करना राज्यों की जज़म्मेदारी है।
 राज्य सरकारों ने जन्म और मृत्यु के पंजीकरण तथा ईनका ररकॉडय सरु जक्षत रखने के जलये सजु वधा तंत्र स्थाजपत
जकया है।
 प्रत्येक राज्य में जनयि
ु एक मख्ु य रजजस्रार आस ऄजधजनयम के कायायन्वयन हेतु काययकारी प्राजधकारी होता है।
 ऄजधकाररयों का एक पदानक्र ु म जज़ला और ईससे जनचले स्तर पर यह काम करता है।
 आस ऄजधजनयम के तहत जनयि ु महापजं ीयक, RBD ऄजधजनयम के कायायन्वयन के समन्वय और एकीकरण
के जलये जज़म्मेदार होता है।
ईिर प्रदेश राज्य में जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण जनयमावली 1976 के स्थान पर संशोजधत ईिर प्रदेश जन्म-मृत्यु
रजजस्रीकरण जनयमावली 2002 जनजमयत की गयी है जो जक शासकीय राजपत्र में प्रकाशन के जदनाक ं 22 माचि, 2003 से
परू े ईिर प्रदेश में प्रिावी है।
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उत्तर प्रदेश में रजजस्टीकरण स्तर
राज्य स्तर
अपर मुख्य रजजस्रार-
उप मुख्य रजजस्रार-

मडं ल स्तर
अपर मुख्य रजजस्रार-मण्डलीय ऄपर जनदेशक, जचजकत्सा, स्वास््य एवं पररवार कल्याण

जजला स्तर
जजला रजजस्रार-मख्ु य जचजकत्सा ऄजधकारी।
अपर जजला रजजस्रार-ईप मख्ु य जचजकत्सा ऄजधकारी (नगरीय क्षेत्र)
जजला पंचायतराज ऄजधकारी (ग्रामीण क्षेत्र)

नगरीय एवं ग्रामीण स्तर पर


रजजस्रार-नगर स्वास््य ऄजधकारी-(नगर जनगम/नगरपाजलका पररषद)
ग्राम पंचायत जवकास अजधकारी-(ग्राम पंचायत क्षेत्र)

नगरीय एवं ग्रामीण स्तर पर जनयुक्त रजजस्रार के दाजयत्व-


 राज्य सरकार नगरपाजलका, पंचायत या ऄन्य स्थानीय प्राजधकारी की ऄजधकाररता के िीतर का क्षेत्र समाजवि
करने वाले प्रत्येक स्थानीय क्षेत्र के जलए या जकसी ऄन्य क्षेत्र के जलए या ईनमें से दो या ऄजधक के समच्ु चय
के जलए एक रजजस्रार जनयि ु कर सकें गी।
 राज्य सरकार जकसी नगरपाजलका, पंचायत या ऄन्य स्थानीय प्राजधकारी की दशा में ईसके जकसी ऄजधकारी
या ऄन्य कमयचारी को रजजस्रार के रूप में जनयि
ु कर सकें गी।
 प्रत्येक रजजस्रार ऄपनी ऄजधकाररता के िीतर होने वाले प्रत्येक जन्म और प्रत्येक मृत्यु के जवषय में स्वयं
जानकारी प्राप्त करने के जलए परू ी सावधानी से कदम ईठाएगा तथा रजजस्रीकरण के जलए ऄपेजक्षत जवजशियों
के ऄजिजनजश्चयन और रजजस्रीकरण के जलए िी कदम ईठाएगा।
 प्रत्येक रजजस्रार का कायायलय ईस स्थानीय क्षेत्र में होगा जजसके जलए वह जनयि
ु जकया गया हों
 प्रत्येक रजजस्रार जन्म और मृत्यु के रजजस्रीकरण के प्रयोजन के जलए ऄपने कायायलय में ऐसे जदनों और ऐसे
समयों पर जजनका मख्ु य रजजस्रार जनदेश दे, हाजजर रहेगा ।

रजजस्रीकरण
Note-जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण की प्रजियाएँ
अजधजनयम-1969 की प्रमख
ु धाराओ ं और उत्तर प्रदेश जन्म-मृत्यु
रजजस्रीकरण जनयमावली 2002 की प्रमखु जनयमों/धाराओ ं हेतु Extra Pdf देंख-ें
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बच्चे के नाम का रजजस्रीकरण-
बच्चे के जन्म का रजजस्रीकरण जबना नाम के जकया जा सकता है। जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण जनयमावली 2002 के
जनयम सख्ं या 10 के प्राजवधान के ऄनसु ार रजजस्रार नाम के जबना रजजस्रीकृ त जकये गये जन्म में बच्चे के नाम की
प्रजवि ईसके माता-जपता या संरक्षक की जलजखत ऄथवा मौजखक सचू ना के अधार पर रजजस्रीकरण जतजथ के एक वषय
के िीतर करे गा।

भारत से बाहर भारतीय नागररकों के जन्म और मृत्यु का रजजस्रीकर-


जवदेशों में रहने वाले िारतीय नागररकों से संबंजधत जन्म और मृत्यु की घटनाओ ं का रजजस्रीकरण नागररकता
ऄजधजनयम 1955 एवं तत्सम्बन्धी नागररकता (िारतीय कौजन्सल रजजस्रीकरण) जनयम 1956 में जनधायररत व्यवस्था के
ऄनसु ार िारतीय कौजन्सल द्वारा जकया जाता है तथा जन्म और मृत्यु का प्रमाण-पत्र जनगयत जकये जाते हैं। जन्म-मृत्यु
रजजस्रीकरण ऄजधजनयम 1969 की धारा 20 (2) के ऄनसु ार ऐसे िारतीय दम्पिी जो िारत में बसने की दृजि से वापस
अते हैं तो वे ऄपने बालक/बाजलका के िारत पहुचुँ ने की तारीख से 60 जदन के िीतर जकसी िी समय
बालक/बाजलका के जन्म का रजजस्रीकरण, जहाुँ वे सामानयतया रहते हैं, ईस क्षेत्र के स्थानीय रजजस्रार से करायेंगे।

गुमशुदा व्यजक्त की मृत्यु का रजजस्रीकरण-


मृत्यु के रजजस्रीकरण हेतु मृत्यु के जदनाक
ं एवं स्थान की सचू ना अवश्यक है परन्तु गमु शदु ा व्यजि के सबं ंध में मृत्यु की
सही जतजथ व स्थान का जनधायरण नहीं हो पाता है। साधारणतया सात वषि तक जजस व्यजि को सनु ा व देखा न गया हो
ईसे मृत माना जाता है तथा आस सम्बन्ध में जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण ऄजधजनयम 1969 में कुछ िी नहीं कहा गया है।
ऄतः आस प्रयोजन के जलये न्यायालय में दायर वाद में जलजखत ऄथवा मौजखक साक्ष्यों के अधार पर न्यायालय द्वारा
जनधायररत जतजथ व स्थान जनियर जकया जाता है।

रजजस्रीकृत गोद जलये गये बच्चों का रजजस्रीकरण-


बच्चे के गोद जलये जाने की जस्थजत में सम्बजन्धत मजजस्रेट द्वारा पाररत अदेशानसु ार बच्चे के माता-जपता का नाम
रजजस्रार मल
ू ऄजिलेख में संशोजधत करते जन्म प्रमाण हुए पत्र जारी करे गा।

भारत में मृत्यु जकतने जदन में पंजीकृत होती है?


िारत में काननू के ऄधीन (जन्म और मृत्यु पजं ीकरण ऄजधजनयम, 1969 के ऄनसु ार) प्रतय् ेक मृत्यु का आसके होने के
21 जदनों के िीतर संबंजधत राज्य/संघ क्षेत्र में पंजीकरण करना ऄजनवायय है।

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रजजस्रीकरण हेतु दण्ड प्रावधान
 जकसी िी व्यजि को 50 रुपये से ऄनजधक के जमु ायने से दजण्डत जकया जा सकता है। यह वह (क) धारा 8 व 9
के ऄन्तगयत ऄपेजक्षत जानकारी नहीं देता ऄथवा जदलवाता है जजसे वह जानता ऄथवा जवश्वास करता है जक
वह जवजशियाुँ जजन्हें जानना ऄथवा रजजस्रीकृ त जकया जाना ऄपेजक्षत है, जम्या है ऄथवा (ख) धारा 11 द्वारा
ऄपेजक्षत रूप से रजजस्टर में ऄपना नाम, वणयन और जनवास स्थान जलखने या ऄपना ऄगं ठू ा लगाने से आनकार
करता है।
 कोइ रजजस्रार ऄथवा ईपरजजस्रार जो ऄपनी ऄजधकाररता में होने वाले जकसी जन्म या मृत्यु के रजजस्रीकरण
में या धारा 19 की ईपधारा (1) द्वारा ऄपेजक्षत जववरजणयाुँ िेजने में ईपेक्षा करे गा ऄथवा ईससे आनकार करे गा
वह पचास रुपये तक के जमु ायने से दण्डनीय होगा।
 कोइ िी जचजकत्सा व्यवसायी जो धारा 10 (3) के ऄधीन मृत्यु के कारण का प्रमाण-पत्र देने में ईपेक्षा ऄथवा
ईससे आनकार करता है वह पचार रूपये तक के जमु ायने से दजं डत होगा।

भारत का महारजजस्रार/महापंजीयक
के न्रीय सरकार, शासकीय राजपत्र में ऄजधसचू ना द्वारा जकसी व्यजि को िारत के महारजजस्रार के रूप में जनयि
ु कर
सके गी। भारत के महारजजस्रार और जनगणना आयुक्त का कायाि लय, भारत सरकार के गृह मंत्रालय के
अधीन काम करता है.
िारत के महारजजस्रार और जनगणना अयि ु के कायायलय के कुछ कायय आस प्रकार हैं-
 जन्म और मृत्यु पजं ीकरण (अरबीडी) ऄजधजनयम, 1969 के तहत जन्म और मृत्यु के ऄजनवायय पजं ीकरण का
प्रावधान
 नवीनतम ईपलब्ध प्रौद्योजगकी को ऄपनाना
 सचू ना प्रौद्योजगकी (अइटी) प्रिाग के डेटा प्रसस्ं करण क्षमताओ ं का ईन्नयन और क्षमता जनमायण

महारजजस्रार ईन राज्य क्षेत्रों में जजन पर जन्म-मृत्यु रजजस्रीकरण ऄजधजनयम का जवस्तार है, जन्म और मृत्यु के
रजजस्रीकरण के जवषय में मख्ु य रजजस्रारों के जक्रयाकलाप के समन्वय और एकीकरण के जलए कदम ईठाएगा और ईि
राज्य क्षेत्रों में आस ऄजधजनयम के कायायन्वयन जवषयक वाजषयक ररपोटय के न्रीय सरकार को प्रस्तुत करे गा।
वतयमान में िारत के महापजं ीयक और जनगणना अयि
ु श्री मत्ृ यज
ुं य कुमार नारायण हैं।
िारत में जनगणना की शरुु अत 1872 में जिजटश वायसराय लॉडय मेयो के ऄधीन पहली बार कराइ गयी थी। पहली सतत या
समकाजलक जनगणना वषय 1881 में शरू ु हुइ और ईसके बाद 10 साल का चक्र चला। यह िारत के प्रथम महापंजीयक और
जनगणना अयि ु डब्ल्यस
ू ी प्लॉडेन के नेतत्ृ व में था । स्वतंत्र िारत की पहली जनगणना 1951 में अयोजजत की गइ थी,
और अयोजजत होने वाली नवीनतम जनगणना 2011 की थी।

राज्य सरकार भी शासकीय राजपत्र में अजधसच


ू ना द्वारा, जकसी राज्य के जलए एक मख्
ु य रजजस्रार जनयक्त
ु कर सकती है ।
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Note-जन्म-मत्ृ यु रजजस्रीकरण अजधजनयम-1969 की प्रमख ु धाराओ ं और उत्तर प्रदेश जन्म-मत्ृ यु रजजस्रीकरण
जनयमावली 2002 की प्रमख ु जनयमों/धाराओ ं हेतु Extra Pdf “Birth & Death” देंख-ें

आगामी चैप्टर
Next चै प्टर में पढ़ेंगे-ग्राम पंचायत ऄजधकाररयों की िजू मका

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VPO Exam Special Classes
पच
ं ायतीराज व्यवस्था
Chapter-20-Syllabus Topic-(v)
ग्रामीण ववकास योजनाएं और काययक्रम
(Part-01)
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अवभयान(RGSA) & स्वच्छ भारत वमशन योजना(SBM)

ग्रामीण ववकास का अथय


ग्रामीण विकास से अशय ग्रामीण क्षेत्रों के समग्र विकास से है। आसका ऄथथ है ग्रामीण क्षेत्र में वनिास कर रही जनता का
अवथथक, सामावजक एिं सास्ं कृ वतक ईत्थान करके ईसके जीिन-स्तर में सधु ार लाना।

ग्रामीण ववकास की आवश्यकता क्यों


 ग्रामीण लोगों की ईत्पादकता और मजदरू ी में सधु ार करना।
 बढी हुइ और त्िररत रोजगार संभािनाओ ं की गारंटी देना।
 बेरोजगारी को ध्िस्त करना और ऄल्परोजगार में ईल्लेखनीय वगरािट लाना।
 िंवित अबादी के जीिन स्तर को बढाने की गारंटी देना।

राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अवभयान(RGSA)


यह योजना देश के सभी राज्यों एिं सघं शावसत क्षेत्रों में िलाइ जायेगी। राष्ट्रीय ग्राम स्िराज ऄवभयान योजना के
ऄन्तगथत वदये गये मागथ-वनदेशों के ऄनसु ार ईक्त योजना में ईवल्लवखत विवभन्न कायों में से राज्य सरकार ऄपनी
अिश्यकताओ ं के ऄनसु ार प्रथम िर्थ के वलए िावर्थक कायथयोजना तथा 12िीं पंििर्ीय योजना काल हेतु दीघथयोजना
बनायेगी।
राष्ट्रीय ग्राम स्िराज ऄवभयान की शरुु रात 24 अप्रैल, 2018 को राष्ट्रीय पंचायत वदवस एिं अम्बेडकर जयंती के
ऄिसर पर पिं ायती राज मत्रं ालय (भारत सरकार) की एक छत्र योजना के रूप में शरू ु वकया गया था। आसी वदन आसका
ईद्घाटन प्रधानमंत्री नरें द्र मोदी द्वारा मध्य प्रदेश के मंडला वजले में वकया गया था। यह ग्रामीण क्षेत्रों में परू े भारत में
पंिायती राज प्रणाली को विकवसत और मजबूत करने के वलए प्रस्तावित एक ऄवद्वतीय योजना है। यह योजना कें द्रीय
मंवत्रमंडल द्वारा िर्थ 2018-19 से िर्थ 2021-22 तक की ऄिवध के वलये मंज़रू ी दी गइ थी।

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“सबका साथ, सबका गांव, सबका ववकास” थीम के नाम से शरू ु वकए गए आस ऄवभयान का ईद्देश्या सामावजक
सामंजस्य को बढािा देना, सरकार की गरीब समथथक पहलों के बारे में जागरुकता फै लाना, गरीब पररिारों तक पहुिं ना
तावक िे ऄपना नामाक
ं न करा सकें और साथ ही विवभन्न कल्याणकारी योजनाओ ं पर ईनकी प्रवतविया प्राप्त करना है।

अवथथक मामलों की मंवत्रमंडलीय सवमवत ने 1 अप्रैल, 2022 से 31 माचय, 2026 की ऄिवध के दौरान कायाथन्ियन
हेतु ‘राष्ट्रीय ग्राम स्िराज ऄवभयान’ (RGSA) को जारी रखने की मज़ं रू ी दी है। यह योजना अब 15वें ववत्त आयोग
की ररपोर्य की अववध के साथ समाप्त होगी।
योजना का मख् ु य उद्देश्य-पिं ायती राज सस्ं थाओ ं (PRI) की शासन क्षमताओ ं को विकवसत करना है।

राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अवभयान में कें द्र और राज्य


अरजीएसए को राज्य और कें द्रीय शेयरों के साथ 2018-19 से 2021-22 तक, िार साल के वलए एक कोर सेंरल
रूप से प्रायोवजत योजना (सीएसएस) के रूप में लागू करने का प्रस्ताि है। सामान्य राज्य के घटकों के वलए कें द्र और
राज्य साझाकरण ऄनपु ात 60:40 के ऄनपु ात में होगा।
पूवोत्तर(NE) और पहाड़ी राज्यों हेतु कें द्रीय और राज्य ऄनपु ात 90:10 होंगे। तथा कें द्र शावसत प्रदेशों में 100 %
कें द्र सरकार द्वारा पोवर्त वकया जाएगा।

राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अवभयान का उद्देश्य


 पि ं ायत प्रणाली के भीतर लोगों की भागीदारी, पारदवशथता और जिाबदेही के बुवनयादी मंि के रूप में प्रभािी
ढंग से कायथ करने के वलए ग्राम सभाओ ं को मजबूत बनाना।
 संविधान और पेसा ऄवधवनयम 1996 की भािना के ऄनसु ार पंिायतों को शवक्तयों और वजम्मेदाररयों के
हस्तातं रण को बढािा देना।
 सतत विकास लक्ष्य (SDG) को परू ा करने के वलए PRI की शासन क्षमताओ ं का विकास करना।
 राष्ट्रीय महत्ि के मद्दु ों को हल करने के वलए ईपलब्ध संसाधनों के आष्टतम ईपयोग और ऄन्य योजनाओ ं के
साथ ऄवभसरण पर ध्यान देने के साथ समािेशी स्थानीय शासन के वलए पंिायतों की क्षमताओ ं को बढाना।
 राजस्ि के ऄपने स्रोत जटु ाने के वलए पि ं ायतों की क्षमताओ ं को बढाना।
 सहभागी स्थानीय योजना, लोकतांवत्रक वनणथय लेन,े पारदवशथता और जिाबदेही के माध्यम से सश ु ासन और
SDG की प्रावप्त के वलए पंिायतों की क्षमता में िृवि।
 प्रशासवनक दक्षता, बेहतर सेिा वितरण और ऄवधक जिाबदेही प्राप्त करने के वलए पंिायत स्तर पर इ-शासन
और प्रौद्योवगकी संिावलत समाधानों का ईपयोग बढाना।
 पयाथप्त बवु नयादी सवु िधाओ,ं सवु िधाओ ं और मानि ससं ाधनों के साथ राष्ट्रीय, राज्य और वजला स्तर पर
क्षमता वनमाथण के वलए संस्थागत संरिना का वनमाथण।

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राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अवभयान के फायेदे
 क्षमता वनमाथण और प्रवशक्षण (CB & T)।
 ग्राम पिं ायत बवु नयादी ढािं ा।
 दरू स्थ वशक्षा के वलए और पंिायतों के इ-सक्षम के वलए आसका ईपयोग।
 निािारों के वलए संस्थागत समथथन।
 अवथथक विकास और अय िृवि का ऄतं र-भरना समथथन।
 पहिान वकए गए ऄंतराल के अधार पर मानि संसाधन (एिअर) सवहत तकनीकी सहायता।
 ग्राम पंिायत विकास योजना (GPDP) सत्रू ीकरण के वलए GPS को शैक्षवणक संस्थानों/ ईत्कृ ष्टता के
सस्ं थानों द्वारा हैंडहोवल्डंग समथथन।
 GP स्तर पर पयाथप्त जनशवक्त और तकनीकी जनशवक्त के वलए सहायता प्रदान करने के वलए।
 मंत्रालय द्वारा विकवसत पंिायत एंटरप्राआज सटू (PES) ऄनप्रु योगों पर जोर के साथ दक्षता और पारदवशथता
को बढाने के वलए इ-गिनेंस के वलए पि ं ायतों का इ-सक्षम।
 आलेक्ट्रॉवनक फंड रांसफर (EFT), पवब्लक फाआनेंस मैनेजमेंट वसस्टम (PFMS), ग्राम पंिायतों में संपवि का
ईपयोग और वजयोटैवगंग।

इस योजना के अन्य महत्वों में शावमल-


SDGs के प्रमख ु वसिांत, यानी वकसी को पीछे नहीं छोड़ना, सबसे पहले एिं सािथभौवमक किरे ज तक पहुिुँ ना,
लैंवगक समानता के साथ-साथ प्रवशक्षण, प्रवशक्षण मॉड्यल ू और सामग्री सवहत सभी क्षमता वनमाथण हस्तक्षेपों को
वडज़ाआन में शावमल वकया जाएगा।
मख्
ु य रूप से राष्ट्रीय महत्त्व के ववषयों को प्राथवमकता दी जाएगी-
 गाुँिों में गरीबी से मवु क्त एिं अजीविका में बढोतरी
 स्िस्थ गाुँि
 बच्िों के ऄनक ु ू ल गाुँि
 जल पयाथप्त गाुँि
 स्िच्छ और हरा-भरा गाुँि
 गाुँि में अत्मवनभथर बुवनयादी ढाुँिा
 सामावजक रूप से सरु वक्षत गाुँि
 सश ु ासन िाला गाुँि
 ग्राम विकास में बढोतरी।

2025-26 के वलए आस योजना का कुल व्यय 5911 करोड़ रूपये है वजसमे कें द्र का व्यय 3700 करोड़ और राज्यों का व्यय
2211 करोड़ रूपये है। RGSA की स्िीकृ त योजना से 2.78 लाख से ऄवधक ग्रामीण स्थानीय वनकायों को मदद वमलेगी।
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ई ग्राम स्वराज पोर्य ल और ई-ग्राम स्वराज मोबाइल ऐप
ई ग्राम स्वराज पोर्य ल-
इ ग्रामस्िराज पोटथल को पंिायतों में वडवजटलीकरण को मजबूत करने की दृवष्ट से विकवसत वकया गया है। यह पंिायती
राज के वलए एक सरलीकृ त कायथ अधाररत लेखा ऄनप्रु योग है। यह इ-पि ं ायत वमशन मोड प्रोजेक्ट्ट (एमएमपी) के
तहत पंिायत एंटरप्राआज सटू (पीइएस) के वहस्से के रूप में विकवसत ऄनप्रु योगों में से एक है।
पोटथल को सीएजी वदशावनदेशों के ऄनसु ार लेखा परीक्षा के वलए ऑनलाआन ऑवडट के साथ एकीकृ त वकया गया है,
पंिायती राज संस्थाओ ं द्वारा वकए गए व्यय के पारदवशथता और जिाबदेही सवु नवित करने और लाने के वलए ।

इ ग्रामस्िराज का ईद्देश्य विके न्द्रीकृ त रूपरे खा, योजना, भौवतक प्रगवत, ररपोवटिंग और कायथ-अधाररत लेखांकन के
माध्यम से देश भर के पंिायती राज संस्थानों (PRI) में बेहतर पारदवशथता लाना और इ-गिनेंस को मजबूत करना है। इ-
ग्राम स्िराज पोटथल और स्थानीय सरकार वनदेवशका (एलजीडी) के बीि प्रत्येक पीअरअइ को अिवं टत विवशष्ट कोड
के माध्यम से एक सहज एकीकरण है जो ऄन्य पीइएस के साथ ऄंतःवियाशीलता की सवु िधा देता है।

ई-ग्राम स्वराज मोबाइल ऐप-


मोबाआल फोन एवललके शन पंिायती राज संस्थानों (पीअरअइ) द्वारा वकए गए विवभन्न गवतविवधयों की प्रगवत को
दशाथता है। आसे भारत के नागररकों के वलए ऄवधक पारदवशथता और सिू ना तक पहुिं बढाने पर जोर देने के साथ
विकवसत वकया गया है। इ-ग्राम स्िराज मोबाआल एवललके शन इ-ग्राम स्िराज िेब पोटथल के स्िाभाविक विस्तार के रूप
में कायथ करता है।
इसके लवित उपयोगकताय-
 ग्रामीण स्थानीय वनकाय (ग्राम पंिायत, ब्लॉक पंिायत, वजला पंिायत और समकक्ष स्तर)
 राज्य जनसंपकथ विभाग
 नागररक

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स्वच्छ भारत वमशन (SBM-Swachh Bharat Mission)
सािथभौवमक स्िच्छता प्राप्त करने के वलए वकए जा रहे प्रयासों में तेजी लाने के वलए और महातम् ा गाधं ी के सि् िछ्
भारत के सि् पन् को परू ा करने के वलए स्िच्छता पर ध्यान कें वद्रत करने हेतु भारत के प्रधान मंत्री श्री नरें द्र मोदी द्वारा 2
ऄक्ट्टूबर 2014 को स्िच्छ भारत वमशन का अरंभ वकया था।
आसके साथ ही ऄगले 5 सालों में ऄथाथत 2019 तक महात्मा गाधं ी की 150 िीं जयतं ी तक भारत को स्िच्छ बनाने का
लक्ष्य वनधाथररत वकया गया।
यह महत्िाकांक्षी योजना दरऄसल पहले की सरकार के कें द्रीय ग्रामीण स्वच्छता काययक्रम (1986-1999) और
सपं ूणय स्वच्छता अवभयान (1999) का बदला हुअ रूप है. संपणू थ स्िच्छता ऄवभयान का नाम 2012 में बदल कर
वनमयल भारत अवभयान कर वदया गया था.
स्िच्छ भारत वमशन का मख्ु य ईद्देश्य वदनाक
ं 02 ऄक्ट्टूबर, 2019 तक स्िच्छ एिं खल ु े में शौच मक्त ु (ओडीएफ)
भारत की प्रावप्त करना एिं स्िच्छता, साफ-सफाइ तथा खल ु े में शौि के ईन्मलू न को बढािा देकर ग्रामीण क्षेत्रों में
जीिन की सामान्य गणु ििा में सधु ार लाना था।

स्वच्छ भारत वमशन के सबवमशन


 स्िच्छ भारत ऄवभयान- ग्रामीण (िरण-I & िरण-II)
 स्िच्छ भारत ऄवभयान- शहरी (िरण-I & िरण-II)

स्वच्छ भारत वमशन के उद्देश्य


 खल ु े में शौि की प्रथा को पणू थतया समाप्त करना।
 ऄस्िच्छ शौिालयों को स्िच्छ शौिालयों में पररिवतथत करना।
 ठोस ऄपवशष्ट प्रबंधन की अधवु नक ि िैज्ञावनक व्यिस्था सवु नवित करना।
 मैन्यऄू ल स्कै िैवन्जंग प्रथा का ईन्मल
ू न करना।
 लोगों के व्यिहार में बदलाि कर ऄच्छे स्िास््य के विर्य में जागरुक करना।
 जन-जागरुकता पैदा करने के वलये सािथजवनक स्िास्थय और साफ-सफाइ के कायथिम से लोगों को जोड़ना।
 सभी संिालनों के वलये पुँजू ीगत व्यय में वनजी क्षेत्रकों को भाग लेने के वलये जरुरी िातािरण और स्िच्छता
ऄवभयान से सबं ंवधत खिथ ईपलब्ध कराना।
 वनजी सहभावगता एिं पी.पी.पी. मोड पर कायों को कराये जाने का िातािरण तैयार करना।

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स्वच्छ भारत वमशन ग्रामीण (SBM-G)
आसे िर्थ 2014 में जल शवक्त मंत्रालय द्वारा सािथभौवमक स्िच्छता किरे ज प्राप्त करने के प्रयासों में तेज़ी लाने और
स्िच्छता पर ध्यान कें वद्रत करने के वलये लॉन्ि वकया गया था। आसका ईद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में खलु े में शौि को समाप्त
करना था।
स्वच्छ भारत वमशन (ग्रामीण) के उद्देश्य
 ग्रामीण क्षेत्रों में सामान्य जीिन स्तर में सधु ार करना।
 देश में सभी ग्राम पंिायतों द्वारा स्िच्छ वस्थवत प्राप्त करने के साथ 2019 तक स्िच्छ भारत वमशन (ग्रामीण)
के लक्ष्य को हावसल करने के वलए स्िच्छता किरे ज में तेजी लाना।
 जागरूकता सृजन और स्िास््य वशक्षा के माध्यम से स्थायी स्िच्छता सवु िधाओ ं को बढािा देने िाले
समदु ायों और पंिायती राज संस्थाओ ं को प्रोत्सावहत करना।
 पाररवस्थवतकीय रूप से सरु वक्षत और स्थायी स्िच्छता के वलए वकफायती तथा ईपयक्त ु प्रौद्योवगवकयों को
बढािा देना।
 ग्रामीण क्षेत्रों में संपणू थ स्िच्छता के वलए ठोस और तरल ऄपवशष्ट प्रबंधन पर विशेर् ध्यान देते हुए, समदु ाय
प्रबंवधत पयाथिरणीय स्िच्छता पिवत विकवसत करना।

स्वच्छ भारत वमशन (ग्रामीण) चरण-I


भारत में 2 ऄक्तूबर, 2014 को स्ििछ् भारत वमशन (ग्रामीण) की शरुु अत के समय ग्रामीण स्िच्छता किरे ज 38.7
प्रवतशत दजथ की गइ थी। आस वमशन के ऄंतगथत 10 करोड़ से ज़्यादा व्यवक्तगत शौिालयों का वनमाथण वकया गया
वजसके पररमाणस्िरूप सभी राज्यों के ग्रामीण क्षेत्रों ने स्ियं को 2 ऄक्तूबर, 2019 को ODF घोवर्त कर वदया।

स्वच्छ भारत वमशन (ग्रामीण) चरण-II


यह िरण I के तहत प्राप्त की गइ ईपलवब्धयों की वस्थरता और ग्रामीण भारत में ठोस/तरल और ललावस्टक ऄपवशष्ट
प्रबंधन (SLWM) के वलये पयाथप्त सवु िधाएुँ प्रदान करने पर ज़ोर देता है।
स्िच्छ भारत वमशन (ग्रामीण) िरण- II को िर्थ 2020-21 से 2024-25 तक की ऄिवध के वलये 1,40,881 करोड़
रुपए के कुल पररव्यय के साथ एक वमशन के रूप में कायाथवन्ित वकया जाएगा।
ODF प्लस के SLWM घर्क की वनगरानी वनम्नवलवखत चार सक ं े तकों के आधार पर की जाएगी-
 ललावस्टक ऄपवशष्ट प्रबंधन
 जैि ऄपघवटत ठोस ऄपवशष्ट प्रबंधन (वजसमें पशु ऄपवशष्ट प्रबंधन शावमल है)
 धसू र जल प्रबंधन
 मलयक्तु कीिड़ प्रबंधन

खल
ु े में शौि मक्त
ु (Open Defecation Free-ODF)
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स्वच्छ भारत वमशन ग्रामीण में शीषय प्रदशय न करने वाले राज्य
 तेलगं ाना (शत-प्रवतशत)
 कनाथटक (99.5 प्रवतशत)
 तवमलनाडु (97.8 प्रवतशत)
 ईिर प्रदेश (95.2 प्रवतशत)
 गोिा (95.3 प्रवतशत)
 छोटे राज्यों में वसवक्ट्कम (69.2 प्रवतशत)
अवद हैं जहाुँ ऄवधकतम गाुँिों को ODF ललस घोवर्त वकया गया है।

खलु े में शौच मक्त


ु वस्थवत
ODF -वकसी क्षेत्र को ODF के रूप में ऄवधसवू ित या घोवर्त वकया जा सकता है, यवद वदन के वकसी भी समय एक भी व्यवक्त खल ु े
में शौि करते हुए नहीं पाया जाता है।
ODF+ -यह दजाथ तब वदया जाता है जब वदन के वकसी भी समय, एक भी व्यवक्त खल ु े में शौि करते हुए नहीं पाया जाता है और सभी
सामदु ावयक तथा सािथजवनक शौिालय कायाथत्मक एिं ऄच्छी तरह से बनाए हुए हैं।
ODF++ -यह दजाथ तब वदया जाता है जब क्षेत्र पहले से ही ODF+ की वस्थवत है और मल कीिड़/सेलटेज तथा सीिेज को सरु वक्षत
रूप से प्रबंवधत एिं ईपिाररत वकया जाता है, वजसमें ऄनपु िाररत मल कीिड़ और सीिेज को खल ु ी नावलयों, जल वनकायों या क्षेत्रों में
छोड़ा या डंप नहीं वकया जाता है।

स्वच्छ भारत वमशन-शहरी (SBM-U)


प्रधान मंत्री श्री नरें द्र मोदी ने 2 अक्र्ूबर 2014 को महत्िाकांक्षी 'स्िच्छ भारत ऄवभयान' (स्िच्छ भारत वमशन) की
शरुु अत की।

स्वच्छ भारत वमशन (शहरी) चरण-I


स्िच्छ भारत वमशन (शहरी) के पहले िरण के तहत 4324 शहरी स्थानीय वनकायों को खल
ु े में शौि मक्त
ु घोवर्त
वकया गया है। स्िच्छ भारत वमशन का पहला िरण ऄक्ट्टूबर 2019 तक िला।
SBM-U 1.0 ऄपना लक्ष्य हावसल करने में सफल रहा और 100% शहरी भारत को ODF घोवर्त वकया गया।

स्वच्छ भारत वमशन (शहरी) चरण-II


प्रधानमंत्री नरे न्द्र मोदी ने गांधी जयंती के ईपलक्ष्य में 2 ऄक्ट्टूबर, 2021 'स्िच्छ भारत वमशन-शहरी (Swachh
Bharat Mission-Urban) के दसू रे िरण की शरुु अत की।
आसे 1.41 लाख करोड़ रुपए के पररव्यय के साथ िर्थ 2021 से िर्थ 2026 तक पांि िर्ों में लागू वकया जाएगा
SBM-U 2.0 की लागत लगभग 1.41 लाख करोड़ रुपये होने का ऄनमु ान है।

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SBM-U 2.0 का उद्देश्य
 सभी शहरों को ‘किरा मक्त ु ’ बनाकर शहरी क्षेत्रों में सरु वक्षत स्िच्छता के दृवष्टकोण को प्राप्त करना और ऄमृत
(AMRUT) द्वारा किर वकए गए शहरों के ऄलािा ऄन्य सभी शहरों में भरू े और काले पानी का प्रबंधन
सवु नवित करना है।
 आसका ईद्देश्य सभी शहरी स्थानीय वनकायों को ओडीएफ+ और 1 लाख से कम अबादी िाले ODF++
बनाना है।
 मैन्यऄ
ू ल स्कै िैवन्जंग प्रथा (हाथ से मैला ढोने की प्रथा) का ईन्मल ू न करना।
 प्रभािी ठोस ऄपवशष्ट प्रबंधन के वलए, वमशन 3Rs (Reduce, Reuse, Recycle) वसिातं ों का ईपयोग
करते हुए सभी प्रकार के नगरपावलका ठोस किरे के िैज्ञावनक प्रसंस्करण और परु ाने डंप साआटों के पनु िाथस
का ईपयोग करते हुए ठोस किरे के स्रोत पृथक्ट्करण पर ध्यान कें वद्रत करे गा।

स्वच्छ भारत वमशन-शहरी (SBM-U) के तहत प्रमख


ु पररयोजनाएँ
ODF, ODF+ और ODF++ प्रोर्ोकॉल:
ODF मानदडं के तहत सामदु ावयक ि सािथजवनक शौिालयों के वनयवमत आस्तेमाल के वलये ईनकी कायाथत्मकता और
ईवित रखरखाि को सवु नवित करते हुए आनके संिालन ि रख-रखाि पर ध्यान कें वद्रत वकया जाना िावहये।
ODF+ मानदडं के तहत व्यवक्त को खल ु े में शौि या मत्रू त्याग नहीं करना िावहये। सभी सामदु ावयक और सािथजवनक
शौिालयों का रखरखाि और साफ-सफाइ की जानी िावहये।
ODF++ मानदडं के तहत शौिालयों से मल और कीिड़ का सरु वक्षत वनस्तारण करने और यह सवु नवित करने पर
ध्यान वदया जाता है वक ऐसा कोइ भी ऄशोवधत कीिड़ खल ु े नालों, जल वनकायों या खल ु े में न बहा वदया जाए।
ऄब तक 819 शहरों को ODF+ और 312 शहरों को ODF++ से प्रमावणत वकया गया है।
वार्र+ हाल ही में अिास और शहरी मामलों के मत्रं ालय द्वारा (MoHUA) िाटर+ प्रोटोकॉल को यह सवु नवित
करने के वलये वडज़ाआन वकया गया वक वकसी भी ऄनपु िाररत ऄपवशष्ट जल को खल ु े िातािरण या जल वनकायों में न
बहाया जाए।
गूगल के साथ भागीदारी
MoHUA ने सभी सािथजवनक शौिालयों की मैवपंग करने के वलये Google के साथ भागीदारी की है तावक नागररकों
को स्िच्छता सवु िधाओ ं तक पहुिुँ ने में असानी हो।
ठोस अपवशष्ट प्रबंधन
ितथमान में 96% िाडों में डोर-टू-डोर संग्रह द्वारा कुल ईत्पन्न ऄपवशष्ट का लगभग 60% संसावधत वकया जा रहा है।
अपवशष्ट मुक्त शहरों के वलये स्र्ार रेवर्ंग प्रोर्ोकॉल
यह 12 मापदडं ों पर आधाररत है जो एक स्मार्य फ्रेमवकय का पालन करते हैं-
रे वटंग के ऄनसु ार 4 शहरों आदं ौर (मध्य प्रदेश), ऄंवबकापरु (छिीसगढ), निी मंबु इ (महाराष्ट्र) और मैसरू (कनाथटक) को
5-स्टार शहरों के रूप में प्रमावणत वकया गया है। 57 शहरों को 3-स्टार और 4 शहरों को 1-स्टार शहरों के रूप में
प्रमावणत वकया गया है।

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SBM-Urban 2.0 में कें द्र और राज्यों के बीच वनवध साझा करने का पैर्नय-
एक लाख से ऄवधक जनसख्ं या िाले शहर: 25:75
1-10 लाख के बीि जनसंख्या िाले शहर: 33:67
एक लाख से कम जनसंख्या िाले शहर: 50:50
विधावयका के वबना कें द्र शावसत प्रदेश: 100:0
विधावयका िाले कें द्र शावसत प्रदेश: 80:20
स्वच्छ भारत वमशन (ग्रामीण) के तहत शौचालय वनमाय ण हेतु प्रोत्साहन रावश-12000
प्राथवमकता क्रम-
गरीबी रे खा से नीिे के (BPL) पररिार
गरीबी रे खा से पर के (APL) पररिार
ऄनसु वू ित जावत/ऄनसु वू ित जनजावत
वदव्यागं जनों के पररिार
भवू महीन पररिार
लघु वकसान
सीमातं वकसान
मवहला प्रधान पररिार
स्वच्छ भारत वमशन (शहरी) के तहत शौचालय वनमाय ण हेतु प्रोत्साहन रावश-15000 से 20000 तक

आगामी चैप्र्र
Next चै प्र्र में पढ़ेंगे-ग्राम पंिायत ऄवधकाररयों की भवू मका

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