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जनजा तयाँ खानाबदोश और


बसे ए समुदाय

आपने उठा
अ याय और जब
और गर गया। म देयह
ख ाहोकरहा
कै से
थारानईय कला
होते ह श प और उ पादन ग त व धयां
क ब और गांव म फली फू ल । स दय से मह वपूण राजनी तक सामा जक और आ थक
वकास ए थे। ले कन सामा जक प रवतन हर जगह एक जैसा नह था य क अलग च
अलग तरह के समाज अलग अलग तरह से वक सत ए। यह कै से और य आ यह जनजातीय नृ य
संथाल च त ॉल।
समझना ज री है।

उपमहा प के बड़े ह से म समाज पहले से ही वण के नयम के


अनुसार बंटा आ था । ा ण ारा नधा रत इन नयम को बड़े
रा य के शासक ारा वीकार कया गया था। ऊँ च नीच और अमीर
©एनसीईआरट को पुन का शत नह कया जाना चा हए
गरीब का भेद बढ़ता गया। द ली के सु तान और मुगल के अधीन
सामा जक वग के बीच यह पदानु म और बढ़ गया।

बड़े शहर से परे जनजातीय


सोसायट
हालाँ क अ य कार के समाज भी थे। उपमहा प के कई समाज ने
ा ण ारा नधा रत सामा जक नयम और अनु ान का पालन नह
कया।

न ही वे अनेक असमान वग म बंटे ए थे। ऐसे समाज को अ सर


जनजा तयाँ कहा जाता है।

जनजा तयाँ खानाबदोश और


बसे ए समुदाय
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येक जनजा त के सद य र तेदारी के बंधन से एकजुट थे।


कई जनजा तय ने कृ ष से अपनी आजी वका ा त क ।
अ य शकारी सं हकता या चरवाहे थे। जस े म वे रहते थे उस े के ाकृ तक
संसाधन का पूण उपयोग करने के लए अ सर उ ह ने इन ग त व धय को संयो जत कया।
कु छ जनजा तयाँ खानाबदोश थ और एक ान से सरे ान पर चली जाती थ । एक
आ दवासी समूह संयु प से भू म और चरागाह को नयं त करता था और इ ह अपने
वयं के नयम के अनुसार घर म वभा जत करता था।

उपमहा प के व भ भाग म कई बड़ी जनजा तयाँ फली फू ल । वे आमतौर पर


उपमहा प के भौ तक
जंगल पहा ड़य रे ग तान और गम ान म रहते थे। कभी कभी वे अ धक श शाली
मान च पर उन े
जा त आधा रत समाज से टकराते थे।
क पहचान कर जनम
आ दवासी ह
व भ तरीक से जनजा तय ने अपनी वतं ता को बनाए रखा और अपनी अलग सं कृ त
लोग रह सकते ह।
को बनाए रखा।
ले कन जा त आधा रत और आ दवासी समाज भी अपनी व वध आव यकता के
लए एक सरे पर नभर थे। संघष और नभरता के इस संबंध ने धीरे धीरे दोन समाज
को बदलने का कारण बना।

आ दवासी लोग कौन थे


©एनसीईआरट समकालीन
को पुइनतहासकार
का औरशतया नह
ी आ दवा कया जाना
सय के बारे चाजानकारी
म ब त कम हए दे ते ह।
कु छ अपवाद को छोड़ द तो जनजातीय लोग ल खत अ भलेख नह रखते थे। ले कन
उ ह ने समृ री त रवाज और मौ खक परंपरा को बरकरार रखा। ये येक नई पीढ़
को पा रत कए गए थे। वतमान समय के इ तहासकार ने आ दवासी इ तहास लखने के
लए ऐसी मौ खक परंपरा का उपयोग करना शु कर दया है।

उपमहा प के लगभग हर े म जनजातीय लोग पाए जाते ह। एक जनजा त का े


और भाव अलग अलग समय म अलग अलग होता था। कु छ श शाली जनजा तय ने
बड़े दे श को नयं त कया। पंज ाब म खोखर जनजा त तेरहव और चौदहव शता द के
दौरान ब त भावशाली थी। बाद म ग खर का मह व और बढ़ गया। उनके मुख कमाल
खान ग खर को स ाट अकबर ारा एक महान मनसबदार बनाया गया था। मु तान और
सध म मुगल ारा अपने अधीन कए जाने से पहले लंगाह और अरघुन ापक े पर
हावी थे। बलूच एक और बड़े और श शाली थे

हमारे अतीत II
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मान च
कु छ मुख भारतीय
जनजा तय क त।

©एनसीईआरट को पुन का शत नह कया जाना चा हए


उ र प म म जनजा त। वे व भ मुख के अधीन कई छोटे छोटे कु ल म वभा जत
थे । प मी हमालय म ग क चरवाहा जनजा त रहती थी। उपमहा प के सु र उ र
कबीला
पूव भाग पर भी पूरी तरह से कबील नागा अहोम और कई अ य का भु व था।
एक कबीले प रवार या
प रवार का एक समूह है जो
एक सामा य पूवज से वंश
का दावा करता है। जनजातीय
संगठन अ सर र तेदारी या
वतमान बहार और झारखंड के कई े म बारहव शता द तक चेरो सरदार का
कबीले क वफादारी पर
उदय हो चुक ा था। अकबर के स सेनाप त राजा मान सह ने म चेर पर
आधा रत होता है।
हमला कया और उ ह हरा दया।

उनसे बड़ी मा ा म लूट क गई ले कन वे पूरी तरह से वश म नह थे। औरंगज़ेब के तहत


मुगल सेना ने कई चेरो कले पर क जा कर लया और जनजा त को अपने अधीन कर
लया। मुंडा और संताल अ य मह वपूण जनजा तय म से थे जो इस े म और उड़ीसा
और बंगाल म भी रहते थे।

जनजा तयाँ खानाबदोश और


बसे ए समुदाय
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महारा हाइलड् स और कनाटक कोली बेराड और


कई अ य लोग के घर थे। कोली गुज रात के कई इलाक
म भी रहते थे।

आगे द ण म कोरागा वेटार मारवार और कई अ य


लोग क बड़ी जनजातीय आबाद थी।

भील क बड़ी जनजा त प मी और म य भारत म


फै ली ई थी। सोलहव शता द के अंत तक उनम से कई
ायी कृ षक और कु छ ज़म दार भी बन गए थे। फर भी
कई भील वंश शकारी सं ाहक बने रहे। ग ड आज के
रा य छ ीसगढ़ म य दे श महारा और आं दे श म
बड़ी सं या म पाए जाते थे।

खानाबदोश और मोबाइल कै से

©एनसीईआरट को पुन का शतलोग


नहरहते थेकया जाना चा हए
खानाबदोश पशुपालक अपने पशु के साथ र र तक
चले जाते थे।
वे ध और अ य पशुचारण उ पाद पर जी वत रहते थे। वे
अनाज कपड़ा बतन और अ य उ पाद के लए ा पत
कृ षक के साथ ऊन घी आ द का आदान दान भी करते
थे।


भील रात म हरण का शकार करते ह।


मोबाइल ापा रय क एक ृंख ला ने भारत को बाहरी नया
से जोड़ा। यहाँ आप दे ख ते ह क मेवे बटोर कर ऊँ ट क पीठ
पर लादे जाते ह। म य ए शयाई ापारी इस तरह के सामान को
भारत लाते थे और बंज ारे और अ य ापारी इ ह ानीय बाजार
म ले जाते थे।

हमारे अतीत II
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वे इन सामान को खरीदते और बेचते थे जब वे एक ान से सरे ान पर जाते थे उ ह


अपने पशु पर ले जाते थे। खानाबदोश और घुमंतू

समूह घुमंतू लोग ह।

बंज ारे सबसे मह वपूण खानाबदोश ापारी थे। उनके कारवां को टांडा कहा जाता
था। सु तान अलाउ न खलजी अ याय ने बंज ार का इ तेमाल शहर के बाजार म
अनाज प च
ं ाने के लए कया। बादशाह जहाँगीर ने अपने सं मरण म लखा है क बंज ार उनम से ब त से पशुपालक ह
जो अपनी भेड़ बक रय और
ने व भ े से अपने बैल पर अनाज लाद कर शहर म बेचा। उ ह ने सै य अ भयान
गाय बैल के साथ एक चरागाह
के दौरान मुगल सेना के लए खा ा प ँचाया। एक बड़ी सेना के साथ बैल
से सरे चरागाह म घूमते ह।
अनाज ले जा सकते थे।

इसी कार श पकार फे रीवाले और


मनोरंज न करने वाले घुमंतू समूह अपने
वभ वसाय का अ यास करते
ए एक ान से सरे ान क या ा
करते ह।
बंज ार

स हव शता द क शु आत म भारत आए एक अं ेज ापारी पीटर मुंडी ने बंज ार का वणन कया है

दोन खानाबदोश और या ा करने


सुबह हम बैल के साथ बंज ार का एक टांडा मला।
वाले समूह अ सर हर साल एक ही
वे सभी गे ँ और चावल जैसे अनाज से लदे ए थे ... ान पर जाते ह।
ये बंज ारे अपने साथ अपने प रवार प नय और ब को भी ले जाते ह। एक टांडा म कई
©एनसीईआरट
प रवार होते ह। उनका जीवन जीनेको पुन
का तरीका काके समान
उन वाहक शतहै जोनह
एक ानकया
से सरे जाना चा हए
ान पर लगातार या ा करते रहते ह। वे अपने बैल के मा लक ह। उ ह कभी कभी ापा रय

ारा काम पर रखा जाता है ले कन आमतौर पर वे वयं ापारी होते ह। वे वहां अनाज खरीदते
ह जहां यह स ता उपल होता है और इसे उन जगह पर ले जाते ह जहां यह अ धक महंगा होता

है। वहां से वे फर से अपने बैल को ऐसी कसी भी चीज़ से भरते ह जसे अ य जगह पर
लाभ द प से बेचा जा सकता है ... एक टांडा म या सौ हो सकते ह ... वे एक दन

म या मील से अ धक या ा नह करते वह भी ठं डे मौसम म। अपने बैल को उतारने के


बाद वे उ ह चरने के लए वतं कर दे ते ह य क यहाँ पया त भू म है और कोई भी उ ह मना

करने वाला नह है।

पता कर क अनाज गाँव है शहर से कै से प ँचाया जाता है यह वतमान म या समान है।


बंज ार क काय णाली से कस कार या उससे भ
तरीके

जनजा तयाँ खानाबदोश और


बसे ए समुदाय
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कई चरवाहा जनजा तयाँ समृ लोग को पशु जैसे मवेशी और घोड़े पालती और
बेचती थ ।
छोटे मोटे फे रीवाल क व भ जा तय ने भी एक गाँव
से सरे गाँव क या ा क । वे र सयाँ नरकट
पुआ ल क चटाई और मोटे बोरे जैसे माल
बनाते और बेचते थे। कभी कभी भखारी
आवारा ापा रय के प म काम करते
थे। मनोरंज न करने वाल क जा तयाँ थ
जो अपनी आजी वका के लए व भ
क ब और गाँव म दशन करती थ ।

कां य मगरम कु टया
क ड जनजा त उड़ीसा।

बदलता समाज नई जा तयाँ और


पदानु म

जैसे जैसे अथ व ा और समाज क ज़ रत बढ़ नए कौशल वाले लोग क ज़ रत


पड़ी। छोट जा तयाँ या जा तयाँ वण के भीतर उभर । उदाहरण के लए ा ण के
बीच नई जा तयाँ सामने आ । सरी ओर कई जनजा तय और सामा जक समूह को
जा त आधा रत समाज म ले लया गया और जा तय का दजा दया गया ।

©एनसीईआरट व को पुन का
श कारीगर लोहार शत नहराज मकया
बढ़ई और ी को जाना
भी ा ण चा
ारा हए
अलग अलग
जा तय के प म मा यता द गई थी। वण के बजाय जा तयाँ समाज को संग ठत करने
का आधार बन ।

वचार वमश जारी जा त

त चराप ली वतमान म त मलनाडु म म उ यक डन उदै यार से बारहव शता द का एक शलालेख


वचार वमश का वणन करता है तालुक ा
सभा अ याय का
ा ण।

उ ह ने एक समूह क त पर वचार वमश कया जसे शा दक प से रथ नमाता के पम


rathakaras जाना जाता है। उ ह ने अपने वसाय नधा रत कए जनम वा तुक ला कोच
और रथ का नमाण मू तय के साथ मं दर के लए वेश ार बनाना ब लदान करने के लए लकड़ी के
उपकरण तैयार करना भवन नमाण शा मल थे।

मंडप राजा के लए गहने बनाना।

हमारे अतीत II
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य म यारहव और बारहव शता द तक नए राजपूत वंश श शाली हो गए। वे


अलग अलग वंश से संबं धत थे जैसे ण चंदेल चालु य और अ य। इनम से कु छ पहले
जनजा तयाँ भी थ । इनम से कई कु ल को राजपूत माना जाने लगा। उ ह ने धीरे धीरे पुराने
शासक का ान ले लया वशेषकर कृ ष े म। यहाँ एक वक सत समाज का उदय
हो रहा था और शासक ने अपने धन का उपयोग श शाली रा य बनाने के लए कया।

शासक क त म राजपूत वंश के उदय ने जनजातीय लोग के अनुसरण के लए


एक उदाहरण ा पत कया। धीरे धीरे ा ण के समथन से कई जनजा तयाँ जा त
व ा का ह सा बन ग । ले कन के वल मुख आ दवासी प रवार ही शासक वग म
शा मल हो सकते थे। एक बड़ा ब मत जा त समाज क नचली जा तय म शा मल हो
गया । सरी ओर पंज ाब सध और उ र प म सीमांत क कई मुख जनजा तय ने
काफ पहले ही इ लाम अपना लया था।

वे जा त व ा को अ वीकार करते रहे। ढ़वाद ह धम ारा नधा रत असमान


सामा जक व ा को इन े म ापक प से वीकार नह कया गया था।

रा य के उ व का जनजातीय लोग के बीच सामा जक प रवतन से गहरा संबंध है।


©एनसीईआरट को पुन का शत नह कया जाना चा
एक गहए
हमारे इ तहास के इस मह वपूण भाग के दो उदाहरण नीचे व णत ह।

ड म हला।

करीब से दे ख ने पर
झूम खेती
गड कसी वन े म
पेड़ और झा ड़य को पहले
ग ड ग डवाना नामक एक वशाल जंगली े म रहते थे या ग ड ारा बसा आ दे श । काट कर जला दया जाता है।
वे झूम खेती करते थे। बड़ी ग ड जनजा त आगे कई छोटे कु ल म वभा जत थी। येक फसल राख म बोई जाती है।
कबीले का अपना राजा या राय होता था। जस समय द ली के सु तान क श कम हो जब यह भू म अपनी उवरता
रही थी कु छ बड़े ग ड सा ा य छोटे ग ड मुख पर हावी होने लगे थे। अकबर के खो दे ती है तो भू म के सरे
भूख ंड को साफ करके उसी
शासनकाल के इ तहास अकबरनामा म गढ़ा कटं गा के ग ड सा ा य का उ लेख है जसम
तरह से लगाया जाता है।
गांव थे।

इन रा य क शास नक व ा क कृ त होती जा रही थी। सा ा य म वभा जत


कया गया था
जनजा तयाँ खानाबदोश और
बसे ए समुदाय
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गढ़। येक गढ़ एक वशेष ग ड कबीले ारा नयं त


कया जाता था। इसे चौरासी कहे जाने वाले गाँव
क इकाइय म वभा जत कया गया था । चौरासी को
बरहोट म वभा जत कया गया था जो येक गांव
से बना था।

बड़े रा य के उदय ने ग ड समाज के व प को


बदल दया। उनका मूल प से समान समाज धीरे धीरे
असमान सामा जक वग म वभा जत हो गया।

ा ण ने ग ड राजा से भू म अनुदान ा त कया


और अ धक भावशाली हो गए। ग ड मुख अब
राजपूत के प म पहचाने जाने क इ ा रखते थे।
इस लए गढ़ कटं गा के ग ड राजा अमन दास ने सं ाम
शाह क उपा ध धारण क । उनके पु दलपत ने महोबा
के चंदेल राजपूत राजा सलभान क पु ी राजकु मारी
गावती से ववाह कया।
मान च
ग डवाना।

©एनसीईआरट को पुन का शत नह कया जाना चा हए


हालाँ क दलपत क मृ यु ज द हो
च एक
गई। रानी गावती ब त स म थ और
न काशीदार दरवाजा।
ग ड जनजा त ब तर े उ ह ने अपने पांच वष य पु बीर नारायण
म य दे श। क ओर से शासन करना शु कया।
उसके अधीन रा य और भी ापक हो
गया। म आसफ खान के नेतृ व
म मुगल सेना ने गढ़ा कटं गा पर हमला
कया। रानी गावती ारा एक मजबूत
तरोध कया गया था। वह हार गई और
आ मसमपण करने के बजाय मरना पसंद
कया। उसका बेटा भी ज द ही लड़ते ए
मर गया।

हमारे अतीत II
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गढ़ कटं गा एक समृ रा य था। इसने जंगली हा थय को फं साकर और अ य रा य


म नयात करके ब त संप अ जत क । जब मुगल ने ग ड को हराया तो उ ह ने क मती
स क और हा थय क एक वशाल लूट पर क जा कर लया।
चचा कर य
मुगल क च थी
उ ह ने रा य का एक ह सा हड़प लया और बाक ह सा बीर नारायण के चाचा चं शाह को दे दया।
गढ़ कटं गा के पतन के बावजूद ग ड रा य कु छ समय तक जी वत रहे। हालाँ क वे ब त कमजोर हो गए
ग ड क भू म।
और बाद म मजबूत बुंदेल और मराठ के खलाफ असफल संघष कया।

अहोम

तेरहव शता द म अहोम वतमान यांमार से पु घाट म चले गए। उ ह ने भुइयां


जम दार क पुरानी राजनी तक व ा को दबा कर एक नए रा य का नमाण
कया। सोलहव शता द के दौरान उ ह ने छु टया और कोच हाजो
के रा य पर क जा कर लया और कई अ य जनजा तय को अपने अधीन कर लया।
अहोम ने एक बड़े रा य का नमाण कया और इसके लए उ ह ने के दशक
क शु आत म आ नेया का इ तेमाल कया। के दशक तक वे उ गुण व ा
वाले बा द और तोप भी बना सकते थे।

©एनसीईआरट
हालाँ क अहोम को द ण प मको
से कईपु
आनमणका शतकरनानह
पड़ा। कया
म मीर जाना चा हएक जनजा तयाँ।
न ा
का सामना जुमला पूव भारत
के तहत मुगल ने अहोम सा ा य पर हमला कया।

उनके बहा र बचाव के बावजूद अहोम हार गए। ले कन


इस े पर मुगल का सीधा नयं ण अ धक समय तक

नह रह सका।

अहोम रा य बेगार पर नभर था। रा य के लए काम


करने के लए मजबूर लोग को पैक कहा जाता था।
जनसं या क जनगणना क गई। येक गाँव को बारी बारी

से कई पैके भेज ने पड़ते थे । अ धक आबाद वाले े के


लोग को कम आबाद वाले े म ानांत रत कर दया
गया

जनजा तयाँ खानाबदोश और


बसे ए समुदाय
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ान। अहोम वंश इस कार टू ट गए। स हव शता द के पूवा तक शासन काफ


क कृ त हो गया।

यु के दौरान लगभग सभी वय क पु ष ने सेना म सेवा क । अ य समय म वे बांध


के नमाण सचाई णाली और अ य सावज नक काय म लगे ए थे। अहोम ने चावल क
खेती के नए तरीके भी पेश कए।

अहोम समाज कु ल या खेल म वभा जत था । कारीगर क ब त कम जा तयाँ थ


इस लए अहोम े म आसपास के रा य से कारीगर आते थे। एक खेल अ सर कई गांव

कान के आभूषण कोबोई नागा को नयं त करता था। कसान को उसके ाम समुदाय ारा भू म द जाती थी। यहां तक
जनजा त म णपुर। क राजा भी समुदाय क सहम त के बना इसे वापस नह ले सकता था।

मूल प से अहोम अपने आ दवासी दे वता क पूज ा करते थे। हालां क स हव


शता द के पूवा के दौरान ा ण का भाव बढ़ गया।

मं दर और ा ण को राजा ारा भू म दान क गई थी। सब सह के


शासनकाल म ह धम मुख धम बन गया। ले कन अहोम राजा ने ह धम अपनाने के
बाद अपनी पारंप रक मा यता को पूरी तरह से नह छोड़ा।

©एनसीईआरट को पुन का शत नह कया जाना चा हए


अहोम समाज ब त प र कृ त था। क वय और व ान को भू म अनुदान दया जाता
था। रंगमंच को ो साहन मला। सं कृ त क मह वपूण कृ तय का ानीय भाषा म अनुवाद
आप या सोचते ह क मुगल ने कस
कया गया। बुरांज ी के प म जानी जाने वाली ऐ तहा सक रचनाएं भी लखी ग पहले
दे श क भू म को जीतने का यास
अहोम भाषा म और फर अस मया म।
कया

अहो स

न कष
जस अव ध का हम परी ण कर रहे ह उस दौरान उपमहा प म उ लेख नीय सामा जक
प रवतन आ।
वण आधा रत समाज और आ दवासी लोग लगातार एक सरे के साथ बातचीत करते थे।
इस अंतः या ने दोन कार के समाज को अनुकू लन और प रवतन के लए े रत कया।
कई अलग अलग जनजा तयाँ थ और उ ह ने व वध आजी वकाएँ अपना ।

समय के साथ उनम से कई जा त आधा रत समाज म वलय हो गए। हालाँ क अ य लोग


ने जा त व ा और ढ़वाद ह धम दोन को खा रज कर दया। कु छ जनजा तय क
ापना क

हमारे अतीत II
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शासन क सु व त णा लय के साथ ापक रा य। इस कार वे राजनी तक प


से श शाली हो गए।
इसने उ ह बड़े और अ धक ज टल सा ा य और सा ा य के साथ संघष म ला दया।

मंगोल
अपने एटलस म मंगो लया का पता लगाएं। इ तहास म सबसे स चरवाहा और शकारी सं ाहक जनजा त मंगोल थे। उ ह ने
म य ए शया के घास के मैदान सी ढ़य और आगे उ र म वन े म नवास कया। तक चंगेज खान ने मंगोल और
तुक जनजा तय को एक श शाली सै य बल म एकजुट कर दया था। अपनी मृ यु के समय वह व तृत दे श का
शासक था। उनके उ रा धका रय ने एक बनाया
कह

वशाल सा ा य। अलग अलग समय म इसम स पूव यूरोप और चीन और प म ए शया के अ धकांश ह से शा मल थे।
मंगोल के पास सुसंग ठत सै य और शास नक व ा थी। ये व भ जातीय और धा मक समूह के समथन पर आधा रत थे।

क पना करना

©एनसीईआरट
आप एकको पुन समुका
खानाबदोश दाय शत नह
के सद य ह जो हरकया
तीन जाना चा हए
महीने म अपना घर बदलते ह। यह आपके जीवन को कै से
बदलेगा

आइए याद करते ह

. न न ल खत का मलान क जए

गढ़ टांडा खेल

चौरासी

मज र कारवां

वंश गढ़ कटं गा

सब सह अहोम रा य

गावती पाइक
जनजा तयाँ खानाबदोश और
बसे ए समुदाय
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. र ान क पू त कर

ए वण के भीतर उभरने वाली नई जा तयां थ


क वड बुलाया ।

बी अहोम ारा लखे गए ऐ तहा सक काय थे।


वण

जा त
सी द उ लेख है क गढ़ कटं गा
टांडा गाँव थे।

गढ़
d जैसे जैसे आ दवासी रा य बड़े और मजबूत होते गए उ ह ने भू म अनुदान दया
तथा
चौरासी ।

बरहोट
. सही या गलत बताएं

भुइयां
ए आ दवासी समाज म समृ मौ खक परंपराएं थ ।
पाइक
खेल बी उपमहा प के उ र प मी भाग म कोई आ दवासी समुदाय नह थे।

©एनसीईआरट
बुरांज ी
को पुन का शत नह कया जाना चा हए
सी ग ड रा य म चौरासी म कई शा मल थे
जनगणना
शहर ।

d भील उ र पूव भाग म रहते थे


उपमहा प।

. खानाबदोश पशुपालक और ायी कृ षक के बीच कस कार का आदान दान आ

आइए समझते ह

. अहोम रा य का शासन कस कार संग ठत था

. वण आधा रत समाज म या प रवतन ए

हमारे अतीत II
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. एक रा य के प म संग ठत होने के बाद जनजातीय समाज कै से बदले

चलो चचा करते ह

. या बंज ारे अथ व ा के लए मह वपूण थे

. ग ड का इ तहास अहोम के इ तहास से कस कार भ था या कोई समानता थी

चलो कर

. इस अ याय म व णत जनजा तय क त को मान च पर अं कत क जए। क ह दो के लए चचा कर


क या उनक आजी वका का तरीका भूगोल और उस े के वातावरण के अनुकू ल था जहां वे रहते
थे।

. आ दवासी आबाद के त वतमान सरकार क नी तय के बारे म पता कर और उनके बारे म एक चचा


©एनसीईआरट
आयो जत कर। को पुन का शत नह कया जाना चा हए

. उपमहा प म वतमान समय के खानाबदोश दे हाती समूह के बारे म अ धक जानकारी ा त कर। वे कौन
से जानवर रखते ह वे कौन से े ह जहां इन समूह का बार बार आना जाना होता है

जनजा तयाँ खानाबदोश और


बसे ए समुदाय

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