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भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण सं धन की लिस्ट (Important Amendments of Indian Constitution

धनशो
List in Hindi) एक यूपीएससी एस्पिरेंट को याद रखनी बहुत जरूरी है। क्योंकि ये सं धन धनशो
परीक्षा के
धनों
दृष्टि को ण से बहुत म ह त् व पू र्ण है। भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण प्रमुख सं धनों (Important Major
शो
Amendments of Indian Constitution) की प्रक्रिया क्या है? संविधान में सं धन धनशो(Amendments in
Constitution in Hindi) करने का अधिकार किसे है? इस लेख में आगे इन सभी प्रनों श्नों के उत्तर
आप जानेंगे।

o संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संविधान में सं धन धनशोका प्रावधान है।


o अनुच्छेद 368 (Article 368) भाग XX , संसद को भारतीय संविधान में सं धन धनशो
करने की शक्ति
देता है
o सं धनधनशो
से संबंधित विभिन्न विषयों में सं धनधनशो विधेयक को पारित करने के लिए विभिन्न
कता
प्रकार के बहुमत की आवयकता श्य
होती है।
o धनशो
अस्थायी प्रावधान सं धन के लिए बहुत लचीले हैं और संसद के साधारण बहुमत द्वारा पारित
किए जाते हैं।
o ष बहुमत या संसद के वि षशे
दूसरों को संसद के दो सदनों के वि षशे ष बहुमत के साथ-साथ राज्य
विधानसभाओं के आधे हिस्से की सहमति की आवयकता कताश्य
होती है।
o संविधान में सं धनधनशो ष बहुमत के अलावा संवैधानिक आयोग या अलग
के लिए संसद में वि षशे
निकाय जैसी किसी बाहरी एजेंसी की आवयकता कता श्य
नहीं है।
o संसद से पारित होने के बाद सं धन धनशोविधेयक राष्ट्रपति को जाता है, जिसके बाद यह एक
अधिनियम बन जाता है।
o भारतीय संविधान में अब तक (जनवरी 2023) 105 सं धन धनशोहो चुके हैं । आइए उन पर एक
संक्षिप्त नज़र डालें।

भारतीय संविधान में प्रमुख संशोधन (यूपीएससी राजनीति नोट्स): यहां पीडीएफ डाउनलोड करें!

की सूची |
धनशो
भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण सं धन
Important Amendments of Indian Constitution list
संशोधन परिवर्तन पेश किए गए
पहला संशोधन अधिनियम, o राज्य को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के
1951 विकास के लिए वि षशे ष प्रावधान करने का अधिकार प्रदान
किया गया।
o जमींदारी विरोधी कानूनों को न्यायिक समीक्षा से बचाने के
लिए संविधान में नौवीं अनुसूची जोड़ी गई।
o भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंधों
के लिए अतिरिक्त आधार के रूप में सार्वजनिक आदेश,
विदे शो! राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध और अपराध के
लिए उकसाना जोड़ा गया साथ ही इसे इसे न्यायोचित
(justiciable) भी बनाया।
o प्रथम संविधान सं धन धनशोयह प्रावधान करता है कि राज्य
व्यापार और किसी भी व्यवसाय का राष्ट्रीयकरण व्यापार या
व्यवसाय के अधिकार के खिलाफ नहीं माना जाएगा।

7 वां संशोधनअधिनियम, 1956 o राज्य पुनर्गठन अधिनियम के माध्यम से 14 राज्यों और 6


केंद्र सितसितशा
प्रदे शोका गतःन किया गया।
o धनशो
संविधान की दूसरी और सातवीं अनुसूची में सं धन किया गया।
o दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक उच्च न्यायालय का
प्रावधान किया गया।
o इसी संविधान सं धन धनशो
के माध्यम से
सर्वप्रथम केंद्र सितसितशाप्रदे शोका उल्लेख किया गया।

10 वां संशोधन अधिनियम, o इस संविधान सं धनधनशो


के माध्यम से पुर्तगाल से
1961 सितशा
केंद्र सित प्रदेश के रूप में दादरा, नगर और हवेली का
अधिग्रहण किया।
o इसके माध्यम से संविधान के अनुच्छेद 240 में सं धन धनशो
किया गया।

24 वां संशोधन अधिनियम, o इस सं धनधनशो


के माध्यम से यह स्पष्ट हो गया की संसद
1971 अनुच्छेद 368 का उपयोग करके अनुच्छेद 13 सहित
संविधान के किसी भी हिस्से में सं धन धनशो
कर सकती है,
अर्थात् संसद को मौलिक अधिकारमें सं धन धनशो
करने की शक्ति
दी गई।
o इन संवैधानिक सं धनोंधनोंशो
पर राष्ट्रपतिकी सहमती देना
अनिवार्य कर दिया गया।
o यह सं धनधनशो
अधिनियम गोलकनाथ मामले (1967) के बाद
लाया गया था।

25 वां संशोधन अधिनियम, o राज्य के नीति निदेशक तत्वों और मौलिक अधिकारों के बीच
1971 संबंध से संबंधित अनुच्छेद 31C संविधान में जोड़ा
गया।
o इस संविधान सं धन धनशो
ने यह स्पष्ट किया कि अनुच्छेद 39
(बी) या (सी) के के अंतर्गत आने वाले राज्य के नीति
निदेशक तत्वों के प्रावधानों को पूरा करने के लिए बनाए
गए कानून को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती है कि
यह अनुच्छेद 14, 19 और 31 में दिए गए मौलिक अधिकारों
का उल्लंघन करता है।
o संपत्ति के मौलिक अधिकार को कम कर दिया गया।

26 वां संशोधन अधिनियम, o रियासतों के शासकों को दिए जाने वाले प्रिवी पर्स और
1971 षाधिकारों
वि षाधिकारोंशे
को समाप्त कर दिया गया।

34 वां संशोधन अधिनियम, o इस संविधान सं धनधनशो


द्वारा विभिन्न राज्य विधानमंडलों द्वारा
1974 बनाए गए 20 और कातकारी
कारी श्त
व भूमि सुधार क़ानूनों को
संविधान की नौंवीं अनुसूची में शामिल किया गया।

38 वां संशोधन अधिनियम, o राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा को किसी भी अदालत में
1975 चुनौती नहीं दी जा सकती है।
o राज्यों/केंद्र शासित प्रदे शोके उप-राज्यपाल, राज्यपालों
सकों
और प्र सकों शा
द्वारा अध्यादेशों की घोषणा को कानून की अदालत
में चुनौती नहीं दी जा सकती
o राष्ट्रपति को एक साथ विभिन्न आधारों पर राष्ट्रीय
आपातकाल की विभिन्न उद्घोषणाओं की घोषणा करने का
अधिकार था।

42 वांसं धनअधिनियम
धनअधिनियमशो
, o इस संविधान सं धन धनशो धनशो
द्वारा प्रस्तावना में सं धन करके
1976 ‘समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और अखंडता’ शब्द जोड़ा गया।
o संसदऔर राज्य विधानमंडल : लोकसभा और राज्य
विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष से बढ़ाकर 6 वर्ष कर
दिया गया।
(लघु संविधान) o इसने ट्रेड यूनियन गतिविधि को कम करने की शक्ति वाले
प्रावधान पर रोक लगाया।
o इस संविधान सं धन धनशो
द्वारा संवैधानिक सं धन धनशो
पर न्यायिक
समीक्षा को प्रतिबंधित किया गया।
o मंत्रिपरिषद की सलाह को इस सं धन धनशो
के तहत राष्ट्रपति
के लिए बाध्यकारी बनाया गया।
o शिक्षा, वन, वजन और माप, वन्य जीवों और पक्षियों का संरक्षण,
न्याय का प्र सन सनशा
जैसे पांच विषयों को राज्य सूची से
समवर्ती सूची में स्थानांतरित किया गया।
o राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह के अनुसार कार्य
करेगा। (अनुच्छेद 74)
o अनुच्छेद 329 क के तहत लोकसभा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री
को कुछ वि षशे ष विवेकाधीन शक्तियां दी गयीं।
o न्यायपालिका: न्यायपालिका की न्यायिक समीक्षा और रिट
क्षेत्राधिकार की शक्ति को सीमित किया गया।
o अनुच्छेद 226 क और 228 क के अनुसार, इस सं धन धनशो
ने
केवल उच्च न्यायालयों को राज्य विधान की वैधता
पर शासन करने की अनुमति दी।
o इसी प्रकार अनुच्छेद 131 क के माध्यम से सर्वोच्च
न्यायालय को वि षशे ष अधिकार प्रदान किया गया की वह
इस तथ्य पर विचार कर सकता है कि कोई केंद्रीय
कानून कानूनी है या नहीं।
o संघवाद : अनुच्छेद 257 क– केंद्र को किसी भी राज्य में कानून
और व्यवस्था की किसी भी गंभीर स्थिति से निपटने के
लिए संघ के किसी भी सशस्त्र बल को तैनात करने में
सक्षम बनाने का प्रावधान किया गया।
o मौलिक अधिकार और निर्देशक सिद्धांत : अनुच्छेद 14, 19 या 31 में
निहित मौलिक अधिकारों पर सभी निदेशक सिद्धांतों को
प्रधानता दी गई थी।
o मौलिक कर्तव्य : स्वर्ण सिंह समिति की सिफारि शोपर भाग IV-
A के तहत नागरिकों के लिए मौलिक कर्तव्य (अनुच्छेद 51-क)
निर्धारित किया गए।
o आपातकाल : राष्ट्रपति को देश के किसी भी हिस्से में
आपातकाल की घोषणा करने का अधिकार था।
o भाग XIV क को जोड़कर, यह अन्य मामलों के लिए
सनि
प्र सनिक कशान्यायाधिकरणों और न्यायाधिकरणों के लिए
प्रावधान करता है।

44 वांसं धनअधिनियम
धनअधिनियमशो
, o लोकसभाऔर राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल पूर्व की तरह
1978 पुनः 5 साल कर दिया गया।
o यह भी प्रावधान किया गया की राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की
सलाह को पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकता है।
o आपातकाल की स्थिति में “आंतरिक अ ति ति ” के शब्द को
शां
“सशस्त्र विद्रोह” से प्रतिस्थापित कर दिया गया।
o राष्ट्रीय आपातकाल की अवधि एक बार में 6 माह से
अधिक नहीं बढ़ाई जानी चाहिए और मंत्रिपरिषद की
लिखित सिफारिश पर ही राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल
लगया जाना चाहिए।
o संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद की सूची
से हटाकर विधिक अधिकार की श्रेणी में शामिल करते हुए
संविधान में अनुच्छेद 300 (क) जोड़ा गया।
o राष्ट्रपति, राज्यपाल और लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव की
न्यायिक समीक्षा का प्रावधान किया गया।
o राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकार के अनुच्छेद
20 (पराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण)
और अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण) को
निलम्बित नहीं किया जा सकता है।

51 वां संशोधन अधिनियम, o मेघालय, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम में


1984 अनुसूचित जनजातियों के लिए लोकसभा में सीटों के
आरक्षण का प्रावधान करने के लिए संविधान के
अनुच्छेद 330 और नागालैंड की विधानसभाओं में समान
आरक्षण प्रदान करने के लिए अनुच्छेद 332 में सं धन
धनशो
करने का प्रस्ताव किया गया।

52 वां संशोधन अधिनियम, o दल बदल के खिलाफ कानून बनाकर संविधान में दसवीं
1985 अनुसूची जोड़ी गयी।

61 वां संशोधन अधिनियम, o लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की उम्र 21


1989 साल से घटाकर 18 साल की गई।

65 वां संशोधन अधिनियम, o अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजातिके लिए एक राष्ट्रीय


1990 आयोग को शामिल करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 338
धनशो
में सं धन किया गया।

69 वां संशोधन अधिनियम, o 70 सदस्यीय विधानसभा और दिल्ली के लिए 7 सदस्यीय


1991 मंत्रिपरिषद के प्रावधान के साथ दिल्ली को ‘राष्ट्रीय
राजधानी क्षेत्र दिल्ली’ बनाया।

73 वां संशोधन अधिनियम, o पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया
1992 गया।
o संविधान में भाग- IX और 11 वीं अनुसूची जोड़ी गयी।
o पंचायती राज के त्रिस्तरीय मॉडल के प्रावधान, अनुसूचित
जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए उनकी आबादी के
अनुपात में सीटों का आरक्षण और महिलाओं के लिए
सीटों का एक तिहाई आरक्षण प्रदान किया गया।

74 वां संशोधन अधिनियम, o इस संवैधानिक सं धनधनशो


के माध्यम से शहरी स्थानीय
1992 निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया और संविधान
में भाग IX-क और 12 वीं अनुसूची जोड़ी गई।

76 वां संशोधन अधिनियम, o पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित


1994 जनजातियों के लिए शैक्षिक संस्थानों में सीटों के
आरक्षण और एक राज्य के तहत सेवाओं में नियुक्तियों
या पदों से संबंधित प्रावधान इस सं धनधनशोके माध्यम से
किये गए हैं।

(नोट: सुप्रीम कोर्ट ने 1992 को फैसला सुनाया था कि संविधान


के अनुच्छेद 16(4) के तहत कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं
होना चाहिए।)
77 वां संशोधन अधिनियम, o अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के पक्ष में
1995 सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण की तत्कालीन
नीति को जारी रखने का प्रावधान।

80 वां संशोधन अधिनियम, o संघ और राज्य के बीच करों के बंटवारे के लिए एक


2000 वैकल्पिक योजना बनाई गई।

85 वां संशोधन अधिनियम, o अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के शासकीय
2001 सेवकों की पदोन्नति के मामले में वरिष्ठता का प्रावधान
किया गया।

86 वां संशोधन अधिनियम, o अनुच्छेद 21A के तहत 6 से 14 वर्ष के समूह के बच्चों


2002 के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को मौलिक
अधिकार के रूप में शामिल किया गया।

91 वां संशोधन अधिनियम, o केंद्र और राज्यों में मंत्रिपरिषद का सीमित किया गया।
2003 o प्रावधान किया गया कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद में
प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों की कुल संख्या लोकसभा की
कुल सदस्य संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी
चाहिए और किसी राज्य में मंत्रियों की कुल संख्या
मुख्यमंत्री सहित उस राज्य की विधानसभा की कुल सदस्य
संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
o यद्यपि इस शर्त के साथ यह भी प्रावधान किया गया की किसी
राज्य में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की न्यूनतम संख्या
12 से कम भी नहीं होनी चाहिए।
93 वां संशोधन अधिनियम, o संविधान के अनुच्छेद-15 (5) के तहत निजी गैर सहायता
2005 प्राप्त शिक्षण संस्थानों में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से
पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण।

(नोट: इसमें अल्पसंख्यकों के शिक्षण संस्थान शामिल नहीं हैं।)


97 वां संशोधन अधिनियम, o “सहकारी समितियों” का प्रावधान करने के लिए संविधान
2012 में भाग IX-B जोड़ा गया।
o भाग IV के तहत सहकारी समितियों के निर्माण को
प्रोत्साहित किया गया।
o सहकारी समितियों के निर्माण को अनुच्छेद 19 के तहत
मौलिक अधिकार बनाया गया।
o संविधान में बदलाव करके सहकारी समितियों को संरक्षण
देने के लिए अनुच्छेद 19(1)(सी) में सं धन
धनशो
किया गया है
और उनसे संबंधित अनुच्छेद 43 बी (डीपीएसपी) जोड़ा
गया है।

99 वां संशोधन अधिनियम, o कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर एक नए निकायराष्ट्रीय


2014 न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) की स्थापना का प्रावधान किया
गया।
o हालाँकि बाद में इसे एससी द्वारा असंवैधानिक और शून्य
घोषित करके पुनः कॉलेजियम प्रणाली को बहाल कर दिया
गया।

100 वां संशोधन) अधिनियम, o भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि सीमा समझौते का
2015 अनुसमर्थन वाला सं धन। धन।शो
o 1974 के द्विपक्षीय भूमि सीमा समझौते के अनुसार, दोनों देशों के
कब्जे वाले विवादित क्षेत्रों का आदान-प्रदान करने के
लिए भारतीय संविधान की पहली अनुसूची में सं धन धनशो किया
गया था।

101 वां संशोधन अधिनियम, o माल और सेवा कर (जीएसटी)की शुरुआत की गयी।


2017
102 वां संशोधन अधिनियम, o राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान
2018 किया।
o संविधान में अनुच्छेद 338 तथा 338(A) के साथ 388(B) को
शामिल किया गया।

103 वां संशोधन अधिनियम, o अनुच्छेद 15 के खंड (4) और (5) में वर्णित वर्गों के अलावा
2019 अन्य वर्गों के नागरिकों के आर्थिक रूप से कमजोर
वर्गों के लिए 10% आरक्षण प्रदान किया गया।

104 वां संशोधन अधिनियम, o लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में एससी और


2020 एसटी के लिए सीटों की समाप्ति की समय सीमा 70 साल से
बढ़ाकर 80 साल कर दी गई है।
o लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एंग्लो-इंडियन
समुदाय के लिए आरक्षित सीटों के प्रावधान को हटा दिया
गया है।

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