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The Indira Gandhi National Open

University (IGNOU) 2019-20


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बी.पी.एस.सी. 132 : भारतीय सरकार एवं
राजनीतत स ीय कायय
स ीय कायय–ए
तन वयना मक े◌ ी के उ र लगभग 500श द ( येक ) म
दीजजए। येक 20अंक का है।
1. भारत क राजनीतत के अ ययन के ललए उदारवादी और
माकसयवादी दृज टको◌ म कया अंतर है?

उतर - काल मा ल ने अपने पीएचडी शोध- बंध के बाद लख गयी पह◌ ी


ब रचना म काफ़ गहनता ◌्◌े रा य क़ अवधारणा का ववश् ◌ेषण
ककया था। इ् रचना का शीषलक था : ' कटीक ऑफ हीगेल्◌् कफ◌ ॉ्फ़
ऑफ टेट' (1843)। बाद म मा ल ने अपने ऐततहा क ◌ ेखन म रा य पर
गहराई ◌्◌े ववचार ककया। इ् ◌्ंदल म 'क◌ ा् गर् इन फ़् ◌ां◌'् (1850),
'एटट थ ूमेर ऑफ ◌ ुई बोनापाटल' (1852) और ' ववर् वार इन फ़् ◌ां◌्'
(1871) का ववशेष प ◌्◌े उल् ◌ेख ककया जा ◌्कता है। एंगेल्◌् ने ◌ ी
एंटी- ुहररं ग (1878) और ऑररजजन ऑफ फै लम◌ ी (1894) म रा य पर
वव तार ◌्◌े चचाल क़ है। ◌ ेतनन ने बो शेववक ◌ांतत ◌्◌े ठीक पह◌ े
लख गये अपने बंध टेट ड रे वो यूशन म रा य के मा लवादी द्◌ांत क़
पुनवयाल या करने क़ कोलशश क़ । परवती मा लवादी चचंतक म
ा शी ने ◌ ी रा य क़ ◌ ूलमका पर गहराई ◌्◌े ववचार ककया। ◌ ेककन
दववतीय वव युदध के बाद मा लवाद म होने वा◌ े वाद-वववाद म रा य
पर कम यान ददये जाने का एक बडा कारण आचधकाररक या ◌्◌ोववयत
मा लवाद के ◌ ीतर तालनवाद का वचल व था। इ्के तहत कोलशश
रहती थी कक मा लवाद के ◌ ीतर ववल ेणणय के बारे म कक् ◌ी गहरे
वाद-वववाद को बढावा न ददया जाए। इ्के अ◌ ावा, मा लवाद पर अ
हावी होने वा◌ े आचथलक तनधालरणवाद के कारण ◌ ी रा य क़
अवधारणा क़ उपे ा क़ गयी। इ्के तहत मान लया गया था कक रा य
अचधरचना का ◌ ाग है, ज क़ परे खा और कृ तत हमेशा ही आचथलक
आधार दवारा तय होती है।

मा ल ने हीगेर् के राजनीततक दशलन क़ ◌्मी ा करते ए रा य के बारे


म अपने ववचार का ववका् ककया। हीगेर् ने कफ◌ ॉ्फ़ ऑफ राइट् म यह
बताया है कक ◌्◌ामाजजक जीवन के तीन तर होते ह : पररवार, नागर
◌्माज और रा य। पररवार के ◌ ीतर‘ववलश परमाथलवाद’ होता है,
ज म वयजकत अपने पररजन क़ र्◌ाई के लए अपने दहत को ◌ ी
कु बालन कर देता है। दूर् ी ओर, नागर ◌्माज‘◌्◌ावल◌ ौम अहंवाद’
(युतन लर् इगोइज़म) का े है। यहााँ हर वयजकत दूर् के दहत क़ तुना
म अपने दहत को यादा मह व देता है। नागर ◌्माज म ◌ ोग एक-दूर् े पर
तनलर ◌ ी होते ह। ◌ ेककन दूर् के तत उ्का वयवहार यां क और
वाथल ◌्◌े रा होता है। हीगेर् मानते ह कक रा य एक ऐ्◌ा दायरा है
जो‘◌्◌ावल◌ ौलमक परमाथलवाद’ (युतन लर् अल्◌ूइज़म) का
तततनचध व करता है। वे इ्◌े मानवीय चेतना का आि री और ◌्वो
पडाव मानते ह। उनक़ तनगाह म रा य हर वयजकत क़ इ छा को
तत बज बत करता है। मा ल पररवार और नागर ◌्माज के बारे म तो
हीगेर् के ववचार को वीकार करते ह, ◌ ेककन रा य के बारे म नह ।
मा ल का कहना है कक नागर ◌्माज म ववल वयजकतय और वग के
बीच होने वा◌ ी होड का वव तार रा य तक होता है। ◌ ु वशा◌ ी वगल
(पूाँजीवाद म पूाँजीपतत वगल) अपने दहत को पूरा करने और दूर् े वग पर
अपना ◌ ु व कायम करने के लए रा य का उपयोग करता है। अ् म,
मा ल के ◌ ेखन म पूाँजीवादी रा य के बारे म दो तरह के ववचार लमत ह।
आम तौर पर पह◌ े द्◌ांत क़ यादा चचाल होती ज का वणलन
क युतन ट मैतनफे टो (1848) म ककया गया है। इ्के अनु्ार, ‘आधुतनक
रा य क़ कायलपालका पूरे बू वाल माम◌ का बंधन करने वा◌ ी
◌्लमतत है।’ यहााँ रा य को शा्क वगल के एक यं के प म देखा गया है।
यानी पूाँजीवादी वयव था म पूाँजीपततय का इ् पर आचधप य होता है।
फ़् ◌ां◌्◌ी्ी ववदवान् ◌ुई अथु् ने ववचारधारा मक रा य-तं और
दमनकारी रा य-तं का ववचार ववक त ककया। अथु् ◌्ंरचनावादी ह।
उ ह ने इ् बात पर ज़ोर ददया कक ववचारधारा मक रा य-तं और
दमनकारी रा य-तं दोन ही शा्क वगल के दहत के अनु प वयव था
बनाये रखने का काम करते ह। ये दोन ◌्◌ाधन या तरीके अग- अग होने के
बावजूद आप् म जुडे ए ह। पह◌ ा, दमनकारी रा य-तं है, ज म कानून,
यायाय, पुल◌ ्, ◌्◌ेना और रा य क़ दूर् ी ◌्ं थाएाँ शालमर् ह। यदद कोई
वयजकत रा य के तनदेश का पान नह करता है तो उ् पर जुमालना गाकर
या उ्◌े जेर् ◌ ेजकर ◌्ज़ा दी जाती है। दूर् ा ववचारधारा मक रा य-तं है
जो ताकत क़ बजाय ववचारधारा के मा यम ◌्◌े काम करता है। इ्म वे े
शालमर् ह, जहााँ हम अपने वयजकतगत ववचार और आज़ादी हाल् करते
ह और उनका योग करते ह। अथु् प करते ह कक दमनकारी रा य-तं
फल बर्- योग पर ही आधाररत नह होता, बज क उ्◌े ◌ ी ववचारधारा
क़ मदद ◌ ेनी पडती है। न, ◌्◌ेना, यायाय आदद ◌ ी एक तर पर
कक् ◌ी ि◌़ा् ववचारधारा के अनु प ही काम करते ह। इ्◌ी तरह
ववचारधारा मक रा य-तं के अंतगलत आने वा◌ ी ◌्ं था , न चचल,
कू र् आदद म फल ववचारधारा का योग नह होता है बज क इ्म
◌्मय-◌्मय पर बर् योग ◌ ी ककया जाता है (जै्े कक कू र् म लमन
वा◌ ी ◌्ज़ा; चचल दवारा दी जाने धालमलक ◌्ज़ा आदद)। अथु् वैचाररक
रा य-तं म लश ा क़ ◌ ूलमका को काफ़ मह वपूणल मानते ह। ा शी
के ववपरीत वे इ्◌े फल मानक, मू य , ◌्माज क़ ◌्ंक पना आदद के ववका्
◌्◌े ही नह जोडते ह, बज क उनका मानना है कक यह म-वव◌ ाजन म
◌्ंजीदा ◌ ूलमका अदा करता है। अथाल यह ववलश ◌ ोग को ववलश
म के ◌ ायक बनाता है। बहरहार्, ा शी क़ तरह अथु् ◌ ी मानते ह कक
कोई ◌ ी शा्क वगल त◌ ी अपना वचल व कायम रख ◌्कता है जब वह
दमनकारी रा य-तं और ववचारधारा मक रा य-तं , दोन पर अपना
तनयं ण रखे। ा शी क़ तरह ही वे ◌ ी मानते ह कक ववचारधारा मक
तर पर शा्क वग को चुनौती देना आव यक है। अथु् और ा शी के
ववचार म कु छ ◌्मानताएाँ होने के बावजूद यह प है कक अथु् ने
◌्ंरचनावादी के प म अपने ववचार वयकत ककये और वयजकत क़
बजाय ◌्ंरचना क़ ◌ ूलमका को यादा तरजीह दी। उ ह ने ताववत
ककया कक मा ल क़ उ पादन णा◌ ी क़ अवधारणा म तीन ववलश
◌्ंरचाएाँ या तर होते ह (आचथलक, राजनीततक और ववचारधारा मक)।
ये तीन नज़दीक़ प ◌्◌े और आंतररक तौर पर जुड कर उ पादन
णा◌ ी क़ मैदरक् का तनमालण करते ह। कक् ◌ी ◌्◌ामाजजक वयव था
म आचथलक, राजनीततक और ववचारधारा मक म ◌्◌े कोई ◌ ी
◌ ु वशा◌ ी राजनीततक ◌्ंरचना हो ◌्कती है, ◌ ेककन आचथलक
◌्ंरचना हमेशा यह तय करती है कक इन तीन म ◌्◌े कौन ◌्ब्◌े
◌ ु वशा◌ ी होगा ।

2. राजनीतत के अ ययन क गााँधीवादी दृज टकोर् क ा या


क जजए और इसके मु य त व क पहचान

क जजए।

उतर - राजनीततशा वह वव ान है जो मानव के एक राजनीततक और


◌्◌ामाजजक ाणी होने के नाते उ्◌्◌े ◌्ंबंचधत रा य और ◌ कार दोन
◌्ं था का अ ययन करता है।। राजनीतत वव ान अ ययन का एक
वव तृत ववषय या े है। राजनीतत वव ान म ये तमाम बात शालमर् ह:
राजनीततक चचंतन,राजनीततक दधा त,राजनीततक दशलन,
राजनीततक ववचारधारा, ◌्ं थागत या ◌्ंरचनागत ढांचा,तुना मक
राजनीतत,◌ ोक शा्न,अंतराल ीय कानून और ◌्ंगठन आदद।

▪ गांधीवादी ववचारधारा : गांधीवादी ववचारधा महा मा गांधी दवारा


अपनाई और ववक त क़ गई उन धालमलक-◌्◌ामाजजक ववचार का
◌्मूह जो उ ह ने पह◌ ी बार वषल 1893 ◌्◌े 1914 तक द ण अ ऱीका
म तथा उ्के बाद कफर ◌ ारत म अपनाई थी।

▪ गांधीवादी दशलन न के वर् राजनीततक, नैततक और धालमलक है,


बज क पारं पररक और आधुतनक तथा ◌ र् एवं जदटर् ◌ ी है। यह कई
पज मी ◌ ाव का तीक है, जजनको गांधीजी ने उजागर ककया था,
◌ ेककन यह ाचीन ◌ ारतीय ◌्ं कृ तत म तनदहत है तथा
◌्◌ावल◌ ौलमक नैततक और धालमलक दधांत का पान करता है।
▪ यह दशलन कई तर आ याज मक या धालमलक, नैततक, राजनीततक,
आचथलक, ◌्◌ामाजजक, वयजकतगत और ◌्◌ामूदहक आदद पर मौजूद
है। इ्के अनु्ार-
o आ याज मक या धालमलक त व और ई र इ्के मूर् म ह।
o मानव व◌ ाव को मूर् प ◌्◌े ◌्दगुणी है।
o ◌् ◌ी वयजकत उ नैततक ववका् और ◌्◌ुधार करने के लय ◌् म ह।

▪ गांधीवादी ववचारधारा आदशलवाद पर नह , बज क वयावहाररक


आदशलवाद पर ज़ोर देती है।
▪ गांधीवादी दशलन एक दोधारी तवार है ज का उददे य ◌् य और
अदहं◌्◌ा के दधांत के अनु्ार वयजकत और ◌्माज

को एक ◌्◌ाथ बदना है।


▪ गांधीजी ने इन ववचारधारा को ववल ेरणादायक ोत जै-्े
गवदगीता, जैन धमल, बौदध धमल, बाइ बर्, गोपार्
कृ ण गोख◌ ,े टॉ ट य, जॉन रज कन आदद ◌्◌े ववक त ककया।
o टॉ ट य क़ पु तक 'द ककं गडम ऑफ गॉड इज यू इन यू' का महा मा गांधी
पर गहरा ◌ ाव था। o गांधीजी ने रज कन क़ पु तक 'अनटो दद् दद्
◌ ा ट' ◌्◌े '◌्वोदय' के दधांत को हण ककया और उ्◌े जीवन म उतारा।
▪ इन ववचार को बाद म "गांधीवाददय " दवारा ववक त ककया गया ह,
ववशेष प ◌्◌े, ◌ ारत म ववनोबा ◌ ावे और जय काश
नारायण तथा ◌ ारत के बाहर मादटलन ◌ ूथर ककं ग जूतनयर और अ य
◌ ोग दवारा।

मुख गांधीवादी ववचारधारा


स य और अहहंसा: गांधीवादी ववचारधारा के ये 2 आधार◌ ूत दधांत ह।
गांधी जी का मानना था कक जहााँ ◌् य है, वहााँ ई र है तथा नैततकता
(नैततक कानून और कोड) इ्का आधार है।
अहहंसा का अथल होता है ेम और उदारता क़ पराका ा। गांधी जी के
अनु्ार अदहं◌्क वयजकत कक् ◌ी दूर् े को क◌ ी ◌ ी मान क व शारीररक
पीडा नह प ाँचाता है।
स या ह: इ्का अथल है ◌् ◌ी कार के अ याय, उ पीडन और शोषण के
णख◌ ाफ शुदधतम आ मबर् का योग करना।
▪ यह वयजकतगत पीडा ◌्हन कर अचधकार को ◌्◌ुर त करने और दूर्
को चोट न प ाँचाने क़ एक ववचध है। ▪ ◌् या ह क़ उ पिव उपतनषद,
बुदध-महावीर क़ लश ा, टॉ ट य और रज कन ◌्दहत कई अ य महान
दशलन म लमर् ◌्कती है।
सवोदय- ◌्वोदय श द का अथल है 'यूतन लर् उ थान' या '◌् ◌ी क़
गतत'। यह श द पह◌ ी बार गांधी जी ने राजनीततक अथलवयव था पर
जॉन रज कन क़ पु तक "अनटो दद् दद् ◌ ा ट" पर पढा था।
वराज- हा◌ ााँकक वराज श द का अथल व-शा्न है, ◌ ेककन गांधी जी
ने इ्◌े एक ऐ्◌ी अल ◌ांतत क़ ◌्ं ा दी जो कक जीवन के ◌् ◌ी े को
◌्मादहत करती है।
▪ गांधी जी के लय वराज का मतब वयजकतय के वराज ( व-शा्न) ◌्◌े
था और इ्लय उ ह ने प ककया कक उनके लय वराज का मतब अपने
देशवा य हेतु वतं ता है और अपने ◌्ंपूणल अथ म वराज वतं ता ◌्◌े
कह अचधक है, यह व-शा्न है, आ म-◌्ंयम है और इ्◌े मो के बराबर
माना जा ◌्कता है।
स्ि◌ीलशप- र टीलशप एक ◌्◌ामाजजक-आचथलक दशलन है जज्◌े
गांधी जी दवारा ततपाददत ककया गया था।
▪ यह अमीर ◌ ोग को एक ऐ्◌ा मा यम दान करता है ज के दवारा वे
गरीब और अ्हाय ◌ ोग क़ मदद कर ◌्क । ▪ यह दधांत गांधी जी के
आ याज मक ववका् को दशालता है, जो कक चथयो्ोकफकर् लटरे चर और
गवदगीता के अ ययन ◌्◌े उनम ववक त आ था।

वदेशी: वदेशी श द ◌्ं कृ त ◌्◌े लया गया है और यह ◌्ं कृ त के 2 श द


का एक ◌्ंयोजन है। ' व' का अथल है वयं और 'देश' का अथल है देश। इ्लय
वदेश का अथल है अपना देश। वदेशी का अथल अपने देश ◌्◌े है,
◌ ेककन यादातर ◌्ंद◌ म इ्का अथल आ मतनलरता के प म लया जा
◌्कता है।

▪ वदेशी राजनीततक और आचथलक दोन तरह ◌्◌े अपने ◌्मुदाय के


◌ ीतर यान क दत करता है।
▪ यह ◌्मुदाय और आ मतनलरता क़ अ यो याच तता है।
▪ गांधी जी का मानना था कक इ्◌्◌े वतं ता ( वराज) को बढावा
लम◌ ेगा, कय कक ◌ ारत का दटश तनयं ण उनके वदेशी
उदयोग के तनयं ण म तनदहत था। वदेशी ◌ ारत क़ वतं ता क़ कुं जी
थी और महा मा गांधी के रचना मक कायिलम म चरखे दवारा इ्का
तततनचध व ककया गया था।

स ीय कायय – बी
तन म यम े◌ ी के उ र लगभग 250 श द ( येक) म दीजजए
। येक 10 अंक का है।

3. भारतीय संववधान म हदये ए मौललक कतय कया ह ?

उतर - भारत के नागररक का मौललक कतय कु छ इस कार है:


1.◌ दार वणल ल्ंह ◌्लमतत क़ अनुशं◌्◌ा पर ◌्ंववधान के 42व ◌्ंशोधन (1976
ई)० के दवारा मौलक कतलवय को ◌्ंववधान म जोडा गया. इ्◌े ् के ◌्ंववधान ◌्◌े
लया गया है.
2.इ्◌े ◌ ाग 4(क) म अनु छेद 51(क) के तहत रखा गया.

मौललक कतय क सं या 11है,जो इस कार है:


1. येक नागररक का यह कतलवय होगा कक वह ◌्ंववधान का पान करे और उ्के

आदश , ◌्ं था , रा वज और रा गान का आदर कर.


2. वतं ता के लए हमारे रा ीय आंदोन को ेररत करनेवा◌ े उ आदश को दय म

◌्ंजोए रखे और उनका पान करे .


3.◌ ारत क़ ◌ ुता, एकता और अखंडता क़ र ा करे और उ्◌े अ ु ण रखे 4. देश क़
र ा करे
5. ◌ ारत के ◌् ◌ी ◌ ोग म ◌्मता और ◌्मान ातृ व क़ ◌ ावना का तनमालण करे .
6.हमारी ◌्◌ामाजजक ◌्ं कृ तत क़ गौरवशा◌ ी परं परा का मह व ◌्मझे और उ्का

तनमालण करे .
7. ाकृ ततक पयालवरण क़ र ा और उ्का ◌्ंवधलन करे .
8.वै ातनक दृज कोण और ानाजलन क़ ◌ ावना का ववका् करे .
9.◌्◌ावलजतनक ◌्ंपिव को ◌्◌ुर त रखे.
10.वयजकतगत एवं ◌्◌ामूदहक गततववचधय के ◌् ◌ी े म उ कषल क़ ओर बढने
का ◌्तत या् करे . 11.माता-वपता या ◌्ंर क दवार 6 ◌्◌े 14 वषल के ब
हेतु ाथलमक लश ा दान करना (86वां ◌्ंशोधन).
4. रा य, सा दातयकता म ककस कार भूलमका तनभाता है।

उतर-सा दाियकता :- आप्◌ी मत ल ता को ◌् मान देने के बजाय


ववरोधा◌ ा् का उ प होना, अथवा ऐ्◌ी पररज थततय का उ प होना
जज्◌्◌े वयजकत कक् ◌ी अ य धमल के ववरोध म अपना वयकतवय तुत
करे ,सा दातयकता कह◌ ाता है। जब एक् ◌् दाय के दहत दूर् े ◌् दाय
◌्◌े टकराते ह तो ◌् दातयकता का उदय होता हे यह एक उ
ववचारधारा हे ज मे दूर् े ◌् दाय क़ आ◌ ोचना क़ जाती हॅइ्मे एक
◌् दाय दूर् े ◌् दाय को अपने ववका् म बाधक मान ◌ ेता है।
रा य : जब कक् ◌ी ◌्माज म ◌्◌ारे वयजकत कक् ◌ी तनददल ◌ ौगोलक ◌्◌ीमा के
अ दर अपने पार पररक ◌ ेद-◌ ाव को ◌ ु◌ ाकर ◌्◌ामूहीकरण क़ ◌ ावना ◌्◌े
ेररत होते ए एकता के ◌्◌ू ब ध जाते ह तो उ्◌े रा के नाम ◌्◌े पुकारा जाता है।
रा वादीय का मत है– “ वयजकत रा के लए है रा वयजकत के लए नह “ इ् दृज
◌्◌े येक वयजकत अपने रा का अल अंग होता है। रा ◌्◌े अग होकर उ्का कोई
अज त व नह होता है। अत: येक वयजकत का कलवय है कक वह रा क़ दृढता
तथा अखंडता को बनाये रखने म पूणल ◌्हयोग दान करे एवं रा को शजकतशा◌ ी
बनाने के लए रा ीयता क़ ◌ ावना परम आव यक है। व तुज थतत यह है कक
रा ीयता एक ऐ्◌ा ◌ ाव अथवा शजकत है जो वयजकतय को अपने वयजकतगत
दहतो को याग कर रा क याण के लए ेररत करती है। इ् ◌ ावना क़ ववक त हो
जाने ◌्◌े रा क़ ◌् ◌ी छोटी तथा बडी ◌्◌ामाजजक इकाइयां अपनी ◌्ंकुचती ◌्◌ीमा
के उपर उठकर अपने आपको ◌्म त रा का अंग ◌्मझने गती है। मरण रहे कक
रा ीयता तथा देश ेम का ाय: एक ही अथल गा लया जाता है। यह उचचत नह है।
देश ेम क़ ◌ ावना तो पचचलन कार् ◌्◌े ही पाई जाती है पर तुरजस्ि◌यता क़
◌ ावना का ज म के वर् 18व शताबदी म फ़् ◌ां◌् क़ महान ◌ांतत के प ात ही आ
है। देश- ेम का अथल उ् थान ◌्◌े ेम रखना है जहााँ वयजकत ज म ◌ ेता है। इ्के
ववपरीत रा ीयता एक उ प का ◌्◌ामाजजक ◌्ंगठन है जो एकता के ◌्◌ू म
ब धकर ◌ कार क़ नीतत को प् ◌ाररत करता है। यही नह , रा ीयता का अथल के
वर् रा य के तत अपार जकत ही नह अवपतुइ्का अल ाय रा य तथा उ्के धमल,
◌ ाषा, इततहा् तथा ◌्ं कृ तत म ◌ ी पूणल ददधा रखना है। ◌्ं ेप म रा ीयता का
◌्◌ार– रा के तत आपार जकत, आ ा पा◌ ान तथा कतलवयपरायणता एवं ◌्◌ेवा
है। बेकर ने रा ीयता क़ वया या करते ए लखा है– “ रा ीयता श द क़ दचध
पुनजालगरण तथा ववशेष प ◌्◌े फ़् ◌ां◌् क़ ◌ांतत के प ात ई है। यह ◌्◌ाधारण
प ◌्◌े देश- ेम क़ अपे ा देश-जकत ◌्◌े अचधक े क़ ओर ◌्ंके त करती है।
रा ीयता म थान के ◌् ब ध के अततररकत जातत, ◌ ाषा तथा ◌्ं कृ तत एवं
परमपरा के ◌ ी ◌् ब ध आ जाते ह।”

5. जडर आधाररत भेदभाव के मु य मु का वयन क जजए।


उतर- जडर क अवधार◌ ा और अ या से अन या :
जब मदह◌ ा ने अपनी ◌्◌ामाजजक ◌ ूलमका को ◌ ेकर ◌्◌ोचना-
ववचारना आरं र् ककया , वह ◌्◌े ी आंदोन, ी ववमशल और ी
अज मता जै्े ◌्ंद◌ पर ब शु ई । ी आंदोन म जहााँ एक ओर ज य
क़ ◌ ूलमका को ◌्◌ामने ◌ ाने का या् आ और उनक़ ◌्◌ामाजजक,
राजनैततक ◌ ागीदारी को वीकार ककया तो वह ी ववमशल ने ी को
ब के क ि◌ म ◌ ाने का या् ककया । ज म एक ओर ◌्माज म उ्क़ दोयम
दजे क़ ज थतत को बताया तो दूर् ी ओर उ्◌्◌े जुडे मुदद को ब के जररए
क ि◌ म रखा गया । ज म वतं ता, ◌्मानता और अज मता जै्े को
उठाया गया । जडर का अज मता के के ◌ ीतर ◌्◌े ही उरता है ,जो
ी को ी के नजररए ◌्◌े देखने क़ बात करता है । ी और पु ष क़
◌्◌ामाजजक ◌्ंरचना पर ◌्वार् खडा कर ◌्माज म ब क़ मांग करता है ।
◌्◌ादह य म वह ी दृज ◌्◌े ी के रचना ि◌म क़ आ◌ ोचना क़ बात
जडर के तहत क़ जाती है । जडर का ◌्ंबंध एक ओर पहचान ◌्◌े है तो दूर् ी
ओर ◌्◌ामाजजक ववका् क़ कया के तहत ी-पु ष क़ ◌ ूलमका ◌्◌े ।
जहााँ मनु य और मनु य के बीच अंतर ककया गया और एक ी और दूर् े
को पु ष कहा गया । जडर के ◌्ंबंध मं◌ु वव तार ◌्◌े बात करने ◌्◌े पह◌ े

कु छ बात ववमशल के ◌्ंदल म हो जाएं । ◌ र् श द म कहा जाए तो यह


एक इनफामेशन है जो ान के रा ते ◌्◌े होकर गुजरता है और हम ◌्◌ोचने
◌्मझने का नजररया देता है । दहंदी म ववमशल श द अं ेजी के ‘डड को्ल’
का पयालय है और ‘डड को्ल’ ◌ ेदटन श द ‘Discursus (डड ल्) का,
ज का अथल है ब , ◌्ंवाद, वाताल◌ ाप और ववचार का आदान- दान ।
ववमशल को थोडा ओर जानने का या् ककया जाए तो ‘ववककपीडडया’
के अनु्ार ‘The term Discourse describes a formal way of thinking
that can be expressed thought language’. ववचार को ◌्◌ीधे व ◌ र्
प म ◌ ाषा के मा यम ◌्◌े अल वयकत करना ववमशल ह । ‘ऑ फ डल
डडकशनरी’ म लणखत व मौणखक प म ववचार क़ अल वयजकत को
ववमशल माना तो अं ेजी वव कोश म मौणखक प म ववचार क़
अल वयजकत व बातचीत को । बृहत माणणक श दकोश के अनु्ार
‘ववमशल कक् ◌ी ज थतत के ◌्◌ुधार या वगल आदद के अ यु थान के लए
होने वा◌ ा वैचाररक मंथन है’। कोश ◌्◌े आगे देख तो ‘फू को’ लखते ह
ववमशल श द व ववचार क़ णा◌ ी है जो कृ तत थ (शांत) प ◌्◌े
ववचार, वयवहार, वव ा् और अ या् के दवारा वयवज थत ढंग ◌्◌े
तनलमलत होती है, जज्◌े बातचीत के दौरान हम इ तेमार् करते ह ।
(System of thoughts composed of ideas, attitude, courses of
action, beliefs and practices that systematically construct the
subject and worlds of which they speak.) ांल्◌् हेनरी और कै रोर्
टाटर (Frances Henry and Carol Tator) ववमशल के ◌्ंदल म कहते ह
ववमशल ऐ्◌ी ◌ ाषा है जो ◌्◌ामाजजक आधार पर ववषय के ऐततहा क
अथल को खोत है । यह ◌्◌ामाजजक पहचान क़ ◌ ाषा है । जो क◌ ी
‘ यूरर्’ नह होती है कय कक यह वयजकतक व ◌्◌ामाजजक प ◌्◌े जुडी
होती है । ‘Discourse is the way in which language is used socially
to convey broad historical meaning. It is language identified by
the social conditions of it use, by who is using it and under

what condition. Language can never be ‘neural’ because it


bridges our personal and social words.’ इ् कार ववमशल
◌्◌ामाजजक, ऐततहा क और आज के ◌्ंद◌ म ◌्◌ोचने, ब करने व
मौणखक ◌्ंचार का एक तरीका है
जो ◌ ाषा के मा यम ◌्◌े अल वयकत होता है । जडर का ◌ ी
ववमशल क़ इ्◌ी तकनीक को अपनाता है तथा जडर पर खु◌ ी
ब क़ मांग करता है ।
1940 से 60तक आते-आते सामाजजक ववभाजन क कया का यह ववचार
वैचाररक ववमशल को ज म देता है । ◌्◌ेक् और ◌्◌ेक् क़ ◌ ूलमका पर अब वैचाररक
प ◌्◌े ◌ ेखन होने गता है । ज म 1949 म मोन द बोउवार का‘द ◌्◌ेकं ड ◌्◌ेक्’,
1963म के ट लम◌ ेट क़ ‘द फे लमतनन लमज टक’, 1968म ◌्◌ु◌ ालमथ फायर टोन

क़ ‘डाय◌ ेजकटक ऑफ ◌्◌ेक्’, 1971म जूलयट लमशेर् क़ ‘वुमेन टेट’ जै्ी पु तक मु य


ह।

◌्◌ेक् और ◌्◌ेक् क़ ◌ ूलमका जै्े श द अब ◌्माज म परर◌ ावषत होने ग थे ◌ ेककन


जडर श द का योग अब ◌ ी ◌्◌ामाजजक कया म उ् प म नह देखा जा रहा था ।
1968 म मनोवै ातनक रोबटल टोर (Robert jesse stoller)ने अपने शोध
पररयोजना कायल के दौरान 85 मरीज का अ ययन ककया । इ् अ ययन का क ि◌
बंदकेु् ् और जडर के बीच के अंतर को जानना व जडर पहचान के वतं पर बात

Sex and Gender: The Development of Masculinity and


करना था । टोर
Femininity पु तक म ◌्◌ेक् और जडर के बीच के अंतर पर बात करते ह । टोर ने‘जडर का
अथल कृ तत ◌्◌े न मानकर मनोवै ातनक व ◌्◌ां कृ ततक ◌्ंद◌ ◌्◌े जोड कर देखा
और कहा कक ◌्◌ेक् का ◌्ंबंध ी और पु ष ◌्◌े है तो जडर का ◌्ंबंध ी व व पु ष व
◌्◌े । ये दोन ही श द लर्ंग क़ ाकृ ततक ◌्ंरचना ◌्◌े वतं अथल हण करते ह’
जडर और कामुकता के ◌्ंबंध म वह लखते ह‘Those aspects of sexuality that are called
gender are primarily

culturally determined; that is learn postnatal’. रोबटल टोर का यह अब तक का


पह◌ ा वतं अ ययन था ज म लर्ंग और जडर को अग-अग प म ◌्◌ामने ◌ ाया
गया । ◌्◌ाथ ही उ ह परर◌ ावषत ककया गया । इ्के ◌्◌ाथ ही जडर और ◌्◌ेक् को
◌ ेकर एक गहन चचंतन 70 के पा् शु होता है । 1972 म दटश ◌्माजशा ी व
नारीवादी ◌ ेणखका ऐना ओक◌ े (Ann Oakley) क़ पु तक sex, gender and
Society इ्◌ी चचंतन का आग़ाज थी । ऐना के अनु्ार जडर ◌्◌ामाजजक-◌्◌ां कृ ततक
◌्ंरचना है, जो ी व और पु ष व के गुण को गढने के ◌्◌ामाजजक तनयम व कानून
का तनधालरण करता है । 1980 म ऐना के ववचार ◌्◌े ◌्माजशा ी ववचारक Raewyn
Connell◌्हमत नजर आती ह ।‘कोनेर्’ ने ◌्माजजक दृज कोण ◌्◌े लर्ंग और जडर के

◌्◌ामाजजक ◌्ंबंध पर लखा । उनका मानना था क़ जडर ◌्◌ामाजजक तनलमलतत


है ज म वयजकत क़ पहचान गौण होती है और ◌्माज क़ ◌ ूलमका मु य ।

स ीय कायय – सी
तन लघु े◌ ी के उ र लगभग 100 श द ( येक) म दीजजए।
येक 6 अंक का है।

6. सामूहहक जज मेदारी कया है?


उतर- सामूहहक जज मेदारी : सामूहहक जज मेदारी (Collective security)◌्◌े आशय
ऐ्◌ी े ीय या वैज क ◌्◌ुर ा-वयव था ◌्◌े है ज का येक ◌्टक रा य यह
वीकारता है कक कक् ◌ी एक रा य क़ ◌्◌ुर ा ◌् ◌ी क़ चच ता का ववषय है। यह
मै ी ◌्◌ुर ा (alliance security)क़ णा◌ ी ◌्◌े अचधक मह वाकां ी णा◌ ी है।
शजकत वव तार व वव म युदध को रोकने का एक कारगर मा यम ◌्◌ामूदहक
जज मेदारी माना गया है। इ्के अंतगलत ◌्◌ुर ा का य ा करने हेतु रा दवारा
◌्◌ामूदहक या् करने क़ बात कही गई है। यदयवप यह दधा त थम वव युदध व
दववतीय वव युदध क़ ◌्माज के उपरा त थावपत राष् ं◌् एवं ◌्ंयुकत रा
◌्ंगठन के अंतगलत अपनाया गया, पर तु इ्क़ उपज थतत को 17व शता दी के कई
ववदवान के थ म पाया जाता है। 1648 क़ वे टफे लया क़ ◌्ज ध म ◌ ी यह
उल् ◌ेख था कक इ् ◌्ज ध पर ह ता र करने वा◌ े रा य को यह अचधकार है कक
कक् ◌ी के ◌ ी वव दध कदम उठाने व कायलवाही करने का अचधकार है जज्◌्◌े
शाज त क़ र ा क़ जा ◌्के । बाद म ओ जे ुक क़ ◌्ज ध म ◌ ी ◌्म् ◌ाववत श ु
के वव दध ◌्◌ामूदहक कायलवाही करने क़ बात कही गई थी। 19व शता दी म कई
◌ ेखक ने ◌ ी इ्का ◌्मथलन ककया, पर तु इ्को वयावहाररक प 20व शता दी म
राष् ं◌् एवं ◌्ंयुकत रा के अंतगलत ही ा आ।
आज हमारे ◌्माज म वृदध ◌ ोग को दोयम दजे के वयवहार का ◌्◌ामना करना पड
रहा है। देश म तेजी ◌्◌े ◌्◌ामाजजक पररवतलन का दौर चा◌ ूहै और इ् कारण
वृदध क़ ◌्म याएं ववकरार् प धारण कर रही ह। इ्का मु य कारण देश म उ पादक
एवं मृ युदर का ◌्टना एवं रा ीय एवं अंतररा ीय तर पर जन्ं या क़ गततशीता है।
देश म ज दी ही यह ववषमता आने वा◌ ी है कक वृदधजन, जो कक जन्ं या का
अनु पादक वगल है, वह शी ही उ पादक वगल ◌्◌े बडा होने वा◌ ा है।

• 7. सवो यायालय के यायाधीश के प म तनयुजकत के ललए आव यक


यो यताएं कया है?
उतर- ◌ ारत के मु य यायाधीश क़ तनयुजकत ◌ ारत के रा पतत दवारा ◌ ारतीय
◌्ंववधान के अधधतनयम सं या 124 के दूर् े ◌्◌ेकशन के अंतगलत होती है यह पद
◌ ारतीय गणतं का ◌्ब्◌े ऊाँ चा यातयक पद है. ◌्ंववधान म 30 यायधीश तथा 1
मु य यायाधीश क़ तनयुजकत का ावधान है

◌्वो यायाय के ◌् ◌ी यायाधीश क़ तनयुजकत ◌ ारत के रा पतत दवारा ◌्वो


यायाय के परामशालनु्ार क़ जाती है. ◌्वो यायाय के मु य यायाधीश इ् प् ंग म
रा पतत को परामशल देने ◌्◌े पूवल अतनवायल प ◌्◌े चार वरर तम यायाधीश
के ◌्मूह ◌्◌े परामशल ा करते ह तथा इ् ◌्मूह ◌्◌े ा परामशल के आधार पर
रा पतत को परामशल देते ह.
िनो:अनु छेद 124[2] के अनु्ार मु य यायाधीश क़ तनयुजकत करते ◌्मय रा पतत
अपनी इ छानु्ार ◌्वो यायाय के यायाधीश क़ ◌् ◌ाह ◌ ेगा. वह अ य जज क़
तनयुजकत के ◌्मय उ्◌े अतनवायल प ◌्◌े मु य यायाधीश क़ ◌् ◌ाह मानना
अतनवायल होगा.

इ् कया को ◌ ेकर कु छ अ य त य:

- ◌्वो यायाय के ◌ ावी मु य यायाधीश को ता कालक ◌्मय म ◌्◌ु ीम कोटल के


◌्◌ीतनयर जज म होना अतनवायल होता है. ◌्◌ाथ ही पुराने मु य यायाधीश के
◌्◌ेवा तन त और नये मु य यायाधीश क़ तनयुजकत के ◌्मय ◌ ारत के कानून मं ी
तथा जज ट् और कं पनी अफे ल का उपज थत होना ◌ ी अतनवायल होता है.

-कया आप जानते ह कक यदद कक् ◌ी ◌ ी तरह ◌्◌े कोई मु य यायाधीश अपने पद


क़ गररमा को बनाए रखने म नाकामयाब होता है अथवा इ् ववषय म , पैनर् के बाक़
जज के परामशल के ◌्◌ाथ ◌्ंववधान के 124 (2)अचधतनयम के तहत नए मु य
यायाधीश क़ तनयुजकत क़ जायेगी.कोई ◌्ंदह े होता है तो
-मु य यायाधीश के चयन के बाद जज ट् अफे ल और कानून मं ी ◌्◌ारा यौरा
◌ ारत के ता कालक धानमं ी के हाथ ◌्◌ पते ह. इ्के बाद धानमं ी, रा पतत को
मु य यायाधीश क़ तनयुजकत क़ माम◌ े म अपनी राय देते ह.
8.राजनीतत म जातत क भूलमका क ा या क जजए।
:उतर- राजनीतत म जातत
राजनीतत म जातत अनेक प ◌ े ◌्कती है।
1. जब पादटलयााँ चुनाव के लए उ मीदवार के नाम तय करती ह, तो चुनाव े ा के
मतदाता क़ जाततय का द ◌ाब यान म रखती ह ताकक उ ह चुनाव जीतने के
लए ज री वोट लम◌ ा जाए।
2. राजनीततक पादटलयााँ और उ मीदवार ◌्मथलन हाल् करने के लए जाततगत
◌ ावना को उक् ◌ाते ह।
3. ◌्◌ावल◌ ौम वय क मताचधकार और एक वयजकत एक वोट क़ वयव था ने

राजनीततक द◌ को वववश ककया कक वे राजनीततक ◌्मथलन पाने और ◌ ोग


को गोबद करने के लए ◌् कय ह ।
4. देश के कक् ◌ी ◌ ी एक ◌्ं◌्दीय चुनाव े ा म कक् ◌ी एक जातत के ◌ ोग को

ब मत नह है इ्लए हर पाटी और उ मीदवार को चुनाव जीतने के लए एक जातत और


एक ◌्मुदाय ◌्◌े यादा ◌ ोग का रो्ा हाल् करना पडता है।
5. कोइ ◌ ी पाटी कक् ◌ी एक जातत या ◌्मुदाय के ◌् ◌ी ◌ ोग का वोट हाल् नह

कर ◌्कती। जब ◌ ोग कक् ◌ी जातत ववशेष को कक् ◌ी एक पाटी का वोट बक कहते ह,


तो इ्का मतब यह होता है कक उ् जातत के यादातर ◌ ोग उ्◌ी पाटी को वोट देते ह।
6. अगर कक् ◌ी चुनाव े ा म एक जातत के ◌ ोग का ◌ ु व माना जा रहा हो, तो
अनेक पादटलय को उ्◌ी जातत का उ मीदवार खडा करने ◌्◌े को इरोक नह ◌्कता।
ऐ्◌े म कु छ मतदाता के ◌्◌ामने उनक़ जातत के एक ◌्◌े यादा उ मीदवार होते ह,
तो कक् ◌ी-कक् ◌ी जातत के मतदाता के ◌्◌ामने उनक़ जातत का एक ◌ ी
उ मीदवार नह होता।
7. हमारे देश म ◌्ि◌ा ढ दर्, वतलमान ◌्◌ां◌्द और ववधायक को अ हार का
◌्◌ामना करना पडता है। अगर जाततय और ◌्मुदाय

क़ राजनीततक प्ंद एक ही होती, तो ऐ्◌ा ◌्ंव नह हो पाता।


8 मतदाता अपनी जाततय ◌्◌े जजतना जुडाव रखते ह अ उ्◌्◌े यादा गहरा जुडाव
राजनीततक द◌ ◌्◌े रखते ह।
9. एक जातत या ◌्मुदाय के ◌ ीतर ◌ ी अमीर और गरीब ◌ ोग के दहत अग-अग
होते ह।
10. एक ही ◌्मुदाय के अमीर और गरीब ◌ ोग अ अग-अग पादटलय को वोट देते ह।
◌ कार के कामकाज के बारे म ◌ ोग क़ राय और नेता क़ ◌ ोकव यता का
चुनाव पर अ तनणलयक अ होता है
9.भारतीय संसद के सद य के ललए यो यता और अयो यता कया है? उतर-
रा पतत, ◌ ोक् ◌ा और रा य् ◌ा ◌्ं◌्द के मुख अंग है ◌ ोक् ◌ा और रा य् ◌ा के
◌्द य को ◌्ं◌्द ◌्द य अथालत ◌्◌ां◌्द कहा जाता है नागररकता ◌्ंबंधी शते:
◌्◌ां◌्द बनने क़ इ छा रखने वा◌ े वयजकत को अतनवायल प ◌्◌े ◌ ारत का
नागररक होना चादहए.

आयु्ंबंधी शते: उ्◌े कम ◌्◌े कम एक तनज त आयु्ीमा का होना चादहए. रा य् ◌ा के


◌्द य बनने हेतु यूनतम 30 वषल एवं ◌ ोक् ◌ा का ◌्द य बनने के लए यूनतम 25
वषल क़ आयुहोनी चादहए.
तन ा क़ शते: उ्◌े चुनाव आयोग दवारा तनयुकत ककये गए वयजकत के ◌्म
◌ ारतीय ◌्ंववधान के तत ◌् ी आ था और तन ा के ◌्◌ाथ-◌्◌ाथ ◌ ारत क़
◌्ं ◌ ुता एवं अखंडता को अ ु य रखने क़ शपथ ◌ ेनी होती है.
◌्ंववधान म कहा गया है क़ ◌्ं◌्द को यह अचधकार है क़ वह ◌्ं◌्द ◌्द य के
अहताल के ववषय म अततररकत तनयम-ववनयम बना ◌्कती है. इ् आधार
पर ◌्ं◌्द ने 1951 म जन तततनचध व अचधतनयम को बनाया. इ्म कु छ अहतालएं
तनधालररत क़ है, जो तन लणखत है.
कोई वयजकत जज् े ◌्◌े चुनाव डना चाहता है वहां का वह पंजीकृ त मतदाता होना
चादहए. यह ◌ ोक् ◌ा एवं रा य् ◌ा दोन के तनवालचन के लए अतनवायल था
◌ ेककन बाद म एक ◌्ं◌्◌ोधन दवारा इ् अतनवायलता ि◌़ म कर ददया गया यदद
कोई वयजकत आर त ◌्◌ीट पर चुनाव डना चाहता है तो
उ्◌े कक् ◌ी रा य या क ि◌शा त े म अनु्ूचचत जातत या जनजातत का ◌्द य होना
चादहए. हा◌ ााँकक अनु्ूचचत जातत या जनजातत के ◌्द य उन ◌्◌ीट के लए चुनाव
ड ◌्कते है जो उनके लए आर त नह है
10. भारत म ब दलीय व था के ववकास क ा या क जजए।
उतर- ब दलीय ◌ ाली एक णा◌ ी ह, ज म राजनीततक वणिलम के
पार ववल राजनीततक दर् रा ीय चुनाव डते ह, और ◌् ◌ी के पा् या तो
अके ◌ े म या गठब धन म, ◌ कारी पद ा करने क़ यो यता हो ।

◌ ारत के ◌्ंववधान के अनु्ार ◌ ारत म ◌्ं◌्◌ीय वयव था है जज् म नयी


ददल् ◌ी म के न्ि◌ ◌ कार तथा ववल रा य व के न्ि◌ शा त रा य के
लए रा य ◌ कार है। इ्◌ीलए, ◌ ारत म रा ीय व रा य
( े ीय),राजनीततक द◌ का वगीकरण उनके े म उनके ◌ ाव के
अनु्ार ककया जाता है। ◌ ारत म मा यता ा राजनीततक पादटलय क़
◌ ारत ◌ कार ◌्◌ूची तन है:

◌ ारत म ब दलीय ◌ ाली ब -द◌ ीय पाटी वयव था है ज म छोटे


े ीय दर् अचधक बर् ह। रा ीय पादटलयां वे ह जो चार या अचधक
रा य म मा यता ा ह। उ ह यह अचधकार ◌ ारत के चुनाव आयोग
दवारा ददया जाता है, जो ववल रा य म ◌्मय ◌्मय पर चुनाव
पररणाम क़ ◌्मी ा करता है। इ् मा यता क़ ◌्हायता ◌्◌े राजनीततक
दर् कु छ पहचान पर अपनी ज थतत क़ अग◌ ी ◌्मी ा तक ववलश
वालम व का दावा कर ◌्कते ह ।

रा ीय दर्[◌्ंपाददत कर]
यदद कोई पंजीकृ त दर् तन शत म कोई एक शतल पूरी करता है तो उ्◌े रा ीय तर
क़ मा यता ◌ ारतीय चुनाव आयोग देता है ;
1. कोई पंजीकृ त दर् तीन ववल रा य म कम ◌्◌े कम ◌ ोक ◌् ◌ा क़ कु र् ◌्◌ीट क़
२% ◌्◌ीट हाल् क़ ह ।
2. कोई दर् ४ अग अग रा य म ◌ ोक ◌् ◌ा या ववधान ◌् ◌ा चुनाव म कम ◌्◌े कम

६% मत पाये ह और ◌ ोक ◌् ◌ा म कम ◌्◌े कम ४ ◌्◌ीट हाल् क़ ह ।


3. कक् ◌ी ◌ ी दर् को कम ◌्◌े कम चार या उ्◌्◌े अचधक रा य म रा यीय दर् क़
मा यता ा हो।

The Indira Gandhi National Open


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