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न्याय राजनीतिक तिद्धान्ि और राजनीतिक व्यवहार का केन्रीय तवषय है। न्याय तिद्धािंि के ििंबिंध में बाकशर के तव ार है, 'न्याय

ै, 'न्याय का अथश है प्रत्येक


पाश्चात्य और पवू ोत्य दोनों ही राजनीतिक दर्श नों में न्याय की धारणा को व्यति द्वारा उि किश व्य का पालन जो उिके प्राकृतिक गुणों और
बहु ि अतधक महत्वपण ू श स्थान तदया गया है। वस्िु तस्थति यह है तक न्याय ना िामातजक तस्थति के अनुकूल है नागररक की अपने धमश की ेिना िथा
केवल राजनीतिक बतकक नैतिक त िंिन का भी एक आवश्यक अिंग है और िावश जतनक जीवन में उिकी अतभव्यिंजना ही राज्य का न्याय है।" वास्िव
बहु ि अतधक महत्वपण ू श आधार भी। पाश्चात्य राजनीतिक त िंिन में न्याय का में प्लेटो ने अपने न्याय तिद्धािंि का प्रतिपादन एक कानन ू ी तिद्धािंि के
अध्ययन प्लेटो की तव ारधारा िे प्रारिं भ तकया जा िकिा है प्लेटों के प्रतिद्ध रूप में नहीं बतकक एक नैतिक तिद्धािंि के रूप में ही तकया है।
ग्रिंथ 'ररपतललक' का िबिे अतधक महत्वपण ू श तवषय 'न्याय की प्रकृति और
उिके तनवाि की खोज करना ही है। ररपतललक में उिकी न्याय ििंबिंधी
धारणा को इिना प्रमुख स्थान प्राप्त है तक ररपतललक का उपर्ीषश क न्याय िे न्याय अिंग्रेजी भाषा के जतस्टि (Justice) र्लद का तहन्दी रूपान्िर है।
ििंबिंतधि रखा गया है। . जतस्टि र्लद लेतटन भाषा के ‘जि’ (Jus) र्लद िे बना है तजिका
िात्पयश होिा है जोड़ना अथवा ििंयोतजि करना। र्ातलदक व्युत्पति के
जॉन रॉकि के न्याय तिद्धािंि के अनुिार प्रत्येक व्यति को दूिरों के तलए आधार पर न्याय का तव ार िमाज में व्यतियों के पारस्पररक िम्बन्धों
िमान स्वििंत्रिा के िाथ ििंगि िबिे व्यापक बुतनयादी स्वििंत्रिा का की उत ि व्यवस्था इि उद्दे श्य िे करिा है तजििे तक ििंगतिि
िमान अतधकार होना ातहए। िमान स्वििंत्रिा के तिद्धािंि के अनुिार, िामातजक इकाई के रूप में व्यति के अतधकारों में िामिंजस्य बना रहे
िमाज के िभी लोगों को कुछ ऐिी स्वििंत्रिाएिं दी जानी ातहए जो मानव एविं व्यति के व्यतिगि तवकाि िथा िामातजक तवकाि में िुििंबद्धिा
अतस्ित्व के तलए बुतनयादी हैं। बनी रहे ।
जॉन रॉल्स का न्याय ससद्धान्त (John Rawls Theory of Justice)
अपने तलिंग िे भी अनतभज्ञ हैं और वे यह भी नहीं जानिे तक वे तकि पीढी िे
अमरीकी तव ारक जॉन रॉकि (1921- 2002) बीिवीं र्िालदी के उन तव ारकों िम्बिंतधि हैं.
में िवश प्रमुख है, तजन्होंने न्याय पर अपने तव ार तदए हैं. न्याय तवषयक
िमकालीन त न्िन में जॉन रॉकि की पुस्िक A Theory of Justice' (1971 ) वे जानिे हैं तक जब आवरण हटेगा ये र्ुभ (Good) िे रू-ब-रू होंगे, वे यह जानेंगे तक
का अति महत्वपण ू श स्थान है। र्ुभ जीवन या िद्गुणी जीवन को प्राप्त करने के तलए ििंिाधन ातहए और ये
ििंिाधन अकप मात्रा में उपललध हैं. एक बार जब 'मलू तस्थति के अतभकिाश ओ िं के
इि पुस्िक का िारािंर् यह माना जा िकिा है तक रॉकि की दृति में न्याय का िमक्ष न्याय की उपललध धारणाएँ प्रस्िुि की जािी हैं, िो वे न्याय के तनम्नािंतकि
आधार तनष्पक्षिा का न्यायििंगति (Fairness) है दो तिद्धान्िों (Principles) अपनािे हैं-

रॉकि न्याय को िामातजक ििंस्थाओिं का प्रथम गुण मानिा है िीक उिी प्रकार
िे ित्य त न्िन का प्रथम गुण है (जॉन रॉकि ए तथयरी ऑफ जतस्टि) रॉकि I : प्रत्येक व्यति को अन्य व्यतियों के िमान बराबर मल
ू स्वििंत्रिाएँ प्राप्त होनी
प्रतियात्मक न्याय (Procedural Justice) के तिद्धान्ि का प्रतिपादन करिा है ातहए िथा
अथाश ि् न्याय की उत्पसि सनष्पक्ष प्रसिया के अनस ु रण से होती है.
II : िामातजक और आतथश क अिमानिाओिं को इि प्रकार िे ििंयोतजि तकया जाए
िामातजक ििंतवदा की परम्परा का अनुगमन करिे हु ए रॉकि एक काकपतनक तक एक और दिंड िमाज के बहृ ि् तहि में हो और दूिरी और वे िबके तलए खुले पदों
(Hypothetical) मल ू तस्थति (Onginal Position) की ाश करिा है तजिमे स्वििंत्र िे िम्बद्ध हो
और िमान पक्ष न्याय के तव ार का स्वीकार कर लेिे है िातक िमाज को
िुव्यवतस्थि ढिं ग िे लाया जा िके तनष्पक्षिा िुतनतश्चि करने के तलए यन रॉकि पहले तिद्धान्ि को प्राथतमकिा दे िा है और यह प्रतिपातदि करिा है तक. मल ू
अज्ञानिा के आवरण (Veil of Ignorance के राव िे तकया जािा है तजिमे दोनों स्वििंत्रिाओिं को स्वििंत्रिा के तलए ही पररिीतमि तकया जा िकिा है. वह दूिरे
पक्ष को अपने बारे में भी कुछ बािों की जानकारी नहीं होिी उनमें िे कायश भी तिद्धान्ि का पररमातजश ि करिे हु ए कहिा है तक अिमानिाएिं िभी वेध है जब वे
िमाज में अपने स्थान वगीय तस्थति अथवा िामातजक प्रतस्थति अपनी बुतद्ध िबिे छोटे लाभाथी को िबिे अतधक लाभ पहु ँ ािी हो न्याय के इन तिद्धान्िों को
िथा भतवष्य में िम्पति में अपने तहस्िे के तवषय में नहीं जानिा है।
रॉल्स पहले ससद्धान्त को प्राथसिकता देता है और यह प्रतिपातदि जॉन रॉल्स के न्याय ससद्धाांत की आलोचना
करिा है तक "मल ू स्वििंत्रिाओिं को स्वििंत्रिा के तलए ही पररिीतमि
तकया जा िकिा है। िाइकल सैण्डल द्वारा आलोचना - माइकल िैण्डल ने जॉन
वह दूिरे तिद्धान्ि को पररमातजश ि करिे हु ए कहिा है तक रॉकि के इि दावे को खाररज तकया है तक न्याय िामातजक
अिमानिाएँ िभी वैध है जब वे िबिे छोटे लाभाथी को िबिे अतधक ििंस्थाओिं का प्रथम िद्गुण है। भ्राित्ृ व का गुण न्याय िे अतधक या
लाभ पहु ँ ािी हों न्याय के इन तिद्धान्िों को अपनािे हु ए रॉकि एक िमान महत्वपण ू श होिा है। जहािं भ्राित्ृ व िथा परोपकाररिा का
उदारवादी ििंवधै ातनक लोकििंत्र का िमथश न करिा है। भाव होगा वहािं व्यतियों में ििंघषश नहीं होगा। वहािं पर न्याय की
कोई अपील नहीं होगी, भ्राित्ृ व की उपतस्थति न्याय की
तजिमे िरकार मौतलक स्वििंत्रिाओिं की रक्षा करिे हु ए ििंिाधनों का अतनवायश िा को िीतमि कर देिी है। इिी कारण िैण्डल ने तलखा
यथोत ि बँटवारा िुतनतश्चि करिी है. िन् 2001 में प्रकातर्ि अपनी है-’’न्याय िामातजक ििंस्थाओिं का प्रथम िद्गुण पण ू श रूप िे नहीं
पुस्िक 'Justice As Fairness : A Re- statement' में रॉकि ने यद्माण्यम है जैिा तक ित्य तिद्धािंिों का बोध होिा है। अतपिु यह िर्िश है
पँज
ू ीवादी (Laissezfaire Capitalism) और राज्य- िमाजवाद (State तक जैिे तक युद्ध क्षेत्र में र्ारीररक िाहि होिा है।’’
Capitalism) दोनों की तनन्दा की. क्योंतक ये िम्पतिधारक लोकिन्त्र
(Property owning Democracy) और उदारवादी िमाजवाद (Liberal
Socia- lism) के पक्ष में आदेर्ात्मक अथश व्यवस्था (Commanding
Economy) की नीति का अनुिरण करिे हैं.यद्यतप रॉकि एक पण ू श
िमिावादी िो नहीं है (क्योंतक वह िामातजक तहि में अिमानिा का
िमथश क है) तफर भी रॉकि वस्िुओ िं के अिमान बँटवारे का िमथश क है,
क्योंतक इिे प्राकृतिक या िामातजक दृति िे बेहिर तस्थति में
तवद्यमान लोगों को बल तमलिा है.
मतहलावादी/ नारीवादी आलो ना
उदारवासदयों द्वारा आलोचना - उदारवातदयों ने जॉन रॉकि के
िामातजक िमझौिे और मल ू तस्थति में अज्ञान के पदे की बाि को
िुिान मोलर ओतकन का िकश है तक रॉकि का न्याय का तिद्धािंि
गलि करार तदया है। जॉन रॉकि ने उदारवाद को तजि रूप में िे
िावश जतनक क्षेत्र िे ििंबिंतधि है और पाररवाररक ििंर नाओिं के
ििंर्ोतधि करने का प्रयाि तकया है। नोतजक ने जॉन रॉकि के ‘न्याय
भीिर मौजदू अिमानिाओिं के बारे में ुप है।
उत ििा के तिद्धािंि’ राज्य के कायश क्षेत्र के बाह नैतिक प्रतिमानों पर
ही आधाररि हो िकिा है। राज्य के कायश क्षेत्र में वतृ द्धन्याय की
• तनजी क्षेत्र में ििंर नाओिं का िावश जतनक क्षेत्र पर िीधा प्रभाव
अवधारणा के िवश था तवपरीि होिी है। इिी िरह कम लाभातन्वि
पड़िा है।
व्यतियों के तलए लाभातन्वि व्यतियों को भी िाधन की िरह प्रयुि
करना न्यायििंगि नहीं है।
• Ex: जब तपिा को पररवार का मुतखया माना जािा है और केवल
माँ को ही घर का िारा काम करना पड़िा है, िो ििंर नात्मक
रूप िे माँ को िावश जतनक क्षेत्र में भाग लेने िे प्रतिबिंतधि कर
जॉन रॉकि ने िमानिा पर अतधक जोर देकर मनुष्य की स्विन्त्रिा
तदया जािा है।
का भी बतलदान दे तदया है। ऐिे में िमाज की उन्नति की ककपना
बेकार है। इितलए जॉन रॉकि का न्याय का तिद्धािंि व्यति की गररमा
• न्याय के तिद्धािंिों िक पहु ँ ने के तलए रॉकि के तव ार प्रयोग
के तवरूद्ध और अबुतद्धििंगि है।
में, र्ातमल व्यति आमिौर पर पररवार के पुरुष मुतखया होिे हैं,
अथाश ि् तपिा, परू े पररवार का प्रतितनतधत्व करिे हैं।

• नारीवातदयों का िकश है तक यह स्वाभातवक रूप िे मतहलाओिं


को न्याय प्रणाली िक पहु िं ने की प्रतिया िे दूर कर देिा है।
जॉन रॉल्स के सवचारों की प्रासांसिकता

• रॉकि जीवन भर न्याय के तिद्धािंि की स्थापना में लगे रहे िथा उन्होंने िामातजक तवषमिा िे मुि िमानिा आधाररि िमाज की ििंककपना प्रस्िुि की।
• गौरिलब है तक भारिीय िमाज के तलये िमानिा का तव ार अत्यतधक प्राििंतगक है क्योंतक भारिीय िमाज में तवतवधिा होने के िाथ-िाथ तवषमिाएँ व्याप्त हैं।
• रॉकि के अनुिार, न्याय उिी प्रकार िामातजक ििंस्थाओिं का िवश प्रथम िद्गुण है, तजि प्रकार ित्य िभी न्याय व्यवस्थाओिं का गुण है।
• उनका कहना है तक कोई भी तिद्धािंि ाहे तकिना भी आकषश क एविं लाभकारी क्यों न हो, वह अित्य होने पर तनतश्चि ही खाररज एविं ििंर्ोतधि कर तदया जाएगा।
• उदाहरणस्वरूप कानन ू और ििंस्थाएँ बेर्क तकिनी भी कुर्ल िथा व्यवतस्थि क्यों न हो, यतद वे अस्थायी होंगे िो उन्हें ििंर्ोतधि अथवा िमाप्त कर तदया जाएगा।
• रॉकि कहिे हैं तक बेर्क िमाज में न्याय के अलावा भी और गण ु हो िकिे हैं तजनकी िमाज में प्रधानिा हो, परिं िु न्याय इन िब में िवोपरर होिा है।
• रॉकि का कहना है तक न्याय को िामातजक ििंस्थाओिं का मुख्य आधार होना ातहये।
• रॉकि ने मानविा को िवोपरर माना है। उनके अनुिार ‘तनरिं िर न्याय की भावना ही मानविा है।’ वे न्याय को मानव ककयाण के तलये महत्त्वपण
ू श मानिे हैं।
• उन्होंने न्याय एविं मानविा के तलये स्वििंत्रिा को महत्त्वपण
ू श माना है।
• रॉकि के अनुिार, ‘एक व्यति को दूिरों के तलये िमान स्वििंत्रिा के िाथ िबिे व्यापक बुतनयादी स्वििंत्रिा का िमान अतधकार होना ातहये।’
• रॉकि िे लोकिािंतत्रक मकू य, स्वििंत्रिा, िमानिा, न्याय के िाथ र्ािंतिपण
ू श िहअतस्ित्व, िहयोग, िमन्वय, बिंधुत्व, ितहष्णुिा, मानविा जैिे मकू यों की प्रेरणा तमलिी है।

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