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Christian Ethics - Hindi
Christian Ethics - Hindi
I. परिचय
नीतिशास्त्र मानवीय व्यवहाि का क्रमानस
ु ािी अध्ययन है , व्यक्तिगि के साथ साथ संगठिि I
शब्द “नीतिशास्त्र” यूनानी भाषा के शब्द “एथथका” या एथोस से लिया गया है I इसका अथथ
िीति-रिवाज या आदि जो की एक ववशेष सभ्यिा के द्वािा स्त्वीकाि की जािी हैं I
शब्द ”नैतिकिा” का अथथ एकसा है I यह ििीनी भाषा के शब्द “मोिे स” से लिया गया है I
इसका अथथ भी अभ्यास या आदि होिा है , जो की ववशेष समाज द्वािा स्त्वीकाि ककए जािे हैं I
यह दस
ू िा -स्त्ििीय नैतिकिा हमािे रतिठदन के जीवनों के लिए यीशु की ओि से
मागथदशथन है I यह बाइबबि नैतिकिा के लिए आिाि भी है I
पिमार्ु बम, गभथ तनिोि जैसे ववषय बाइबि के समयों में नहीं थे I हम सझ
ु ावों के लिए यीशु मसीह
की लशक्षाओं औि पववर आत्मा की अगुवाई के उपि तनभथि है I हमािी मूि नैतिकिा नींव यीशु मसीह के
जीवन औि लशक्षा में है I यह हमें उत्िम रकाशन औि पिमेश्वि का स्त्वभाव औि इच्छा दे िे हैं I
मसीही नैतिकिा
III. मसीही नैतिकिा तया है ?
सामान्य नैतिकिा नैतिक अंि की औि तनदे लशि होिी हुए समस्त्ि मानव के व्यवहाि को
संबोथिि कििी है I यह रश्न उिािी है कक समस्त्ि मानवीय रयासों का अंतिम अंि, ववशेष या
उच्चिम भिाई तया है I यह नैतिक रयास को उच्च्िम अच्छाई या सम्प्
ु मम ु बोनम
ु (सम्प्
ु मम ु
बोनम
ु एक ऐसा शब्द है जो नैतिकिा में सबसे उत्िम अच्छाई या उच्चिम अच्छाई को रदलशथि
कििा है ) के साथ जोड़ना चाहिी है I
सामान्य नैतिकिा में समाक्जक नैतिकिा, दाशथतनक नैतिकिा समान रूप से सक्म्प्मलिि है
I समाक्जक नैतिकिा समाक्जक संबंिो के सभी दृक्ष्िकोर्ों को संबोथिि कििी है क्जसमे
आथथथकिा की नैतिकिा,िाजनीति, औि अंिििाष्रीय संबंि भी सक्म्प्मलिि है I
सामान्य नैतिकिा में हम सािी नैतिक रकक्रया का भाग हैं जो हमािे जन्म से पहिे चि
िही थी औि जो हमािे इस संसाि के दृश्य से चिे जाने के बाद िक िहे गा I हमने जो अिीि से
राप्ि ककया है , इसका इसका रयोग किे औि अगिी पीढ़ी को सौंप दे I कििे हैं औि पास कििे
हैं I रत्येक व्यक्ति दतु नया में चि िही नैतिक रकक्रया में योगदान दे िा है ।
सामान्य नैतिकिा ऐसे रश्नों के उत्िि नहीं ठदए हैं जैसे कक:
♦ ककसी व्यक्ति के लिए उच्चिम आदशथ तया है , ककसी के सही आचिर् के लिए सवथश्रेष्ि
मानक ?
♦ तया कुछ सबसे उच्चिम अच्छा है ?
♦ सही औि गिि है के लिए अंतिम अनुमति तया है ?
♦ तया कोई व्यक्ति अपने कायों के लिए क़्िम्प्मेदाि है ?
♦ सच्चा उद्देश्य औि जीवन का आखखिी अंि तया है ?
♦ ककसी व्यक्ति की नैतिक राक्प्ि के लिए सबसे अच्छा तया है ?
इन रश्नोंके उत्िि दे ने के रयत्न में पववचाि की रत्येक रर्ािी "अच्छाई" का अपना ववचाि
दे िी है ।
मसीही नैतिकिा
यन
ू ातनयों ने प्िेिो औि अरिस्त्िोिि को उनके आथिकारिक परु
ु षों के रूप में माना क्जनके
पास इन रश्नों के लिए उत्िि थे I वे दाशथतनक नैतिकिाएं सामने िेकि आए I
ठहंद ू िमथ, जोिाष्रतनज्म, बौि िमथ, यहूदी िमथ, मसीठहयि ने औि इस्त्िाम ने इन रश्नों का उत्िि
दे ने का रयत्न ककया है I हम उन्हें िालमथक नैतिकिा कहिे हैं ।
िलमि िववडड़यों ने सोचा था कक उनके थथरुकुिि में तिरुवल्िव
ु ाि के पास इन इन रश्नों के
उत्िि हैं। वे थथरुकुिि को "पोथम
ु ािई" के रूप में भी दावा कििे हैं क्जसका अथथ है समस्त्ि
नैतिकिा का अंतिम अंि।
िोगों के इच्छाओं औि
पिमेश्वि के स्त्वभाव जैसी
पिमेश्वि के स्त्वभाव जैसी सम्प्बक्न्िि
नैतिकिा I
नैतिकिा I
समद ु ाय के बहुसंख्या के
पववर आत्मा बाइबि औि
पववर आत्मा औि बाइबि द्वािा तनदे लशि I
किीलसया पि आिारिि I
का तनदे श I
(I) बाइबि में 66 पुत्कें है क्जसमें अिग अिग ठकस्त्म के साठहत्य, गि,इतिहास, भबवष्यवार्ी औि काव्य
काव्य औि ऐसा औि बहुि कुछ है I एक ओि हमािे द्वािा दस आज्ञाओं को औि पहाड़ी उपदे श को मानने
मानने में अंिि है औि दस
ू िी िैव्यव्यवस्त्था या बविापगीि की पुस्त्िकें I
2. बाइबि की व्याख्या किने में भी समस्त्याएं हैं। हम बाइबि की सच्चाइयों की व्याख्या
किने के लिए व्याख्यात्मक लसिान्िों का उपयोग कििे हैं I जैसे ही हम बाइबि को समझने का
ओि उसकी व्याख्या किने रयत्न कििे है बाइबि के िेखक अपने समय को रतिबबंबबि कि िहे
थे जैसे हम समझने की कोलशश कििे हैं I उदाहिर् के लिए, पौिसु पहिी शिाब्दी का यहूदी था
औि हम बीसवीं शिाब्दी हैं I आजकि की नैतिक समस्त्याओं में से कई यह हैं कक श्रलमक संघों
में भागीदािी किना,. गभथ तनिोिकों का रयोग, औि इसी ििह से मठहिाओं का अलभषेक (
तनयक्ु ति ) किना I तया पहिी शिाब्दी का पौिस
ु इन नैतिक समस्त्याओं के बािे में उत्िि दे
सकिा है ? हमें इन मामिों औि अन्य के उथचि उत्ििों के लिए बाइबि में से खोजना पड़ेगा जो
उथचि मसीठहयि नैतिकिा को आकाि दे िा है I
3. हम सांस्त्कृतिक रतिबंिी रूप से शिाब्दी मसीही हैं। यह बाइबि की व्याख्या बहुि साविान
रूप से किने के लिए अतनवायथ बना ठदया गया है I
कुछ मसीही अपनी किीलसया में संगीि के साजों का जैसे की वपयानो,थगिाि का रयोग नहीं
कििे तयोंकक वपयानो, थगिाि बाइबि में उनका उल्िेख नहीं है I िेककन वे अपनी किीलसया में
अन्य वस्त्िओ
ु ं का उपयोग कििे हैं क्जनका उल्िेख बाइबि में नहीं ककया गया है जैसे कक
वविि
ु ीय रकाश, माइक्रोफोन आठद I
िो हम तया किे ?
हमें स्त्वयं को बाइबि की पस्त्
ु िकों के िेखकों के समान-स्त्िि पि िखने की आवश्यकिा है,
तयोंकक यह वही पिमेश्वि है क्जसने उन्हें रेरिि ककया औि उनसे बाि की औि जो अभी भी
हमसे बािें कििा औि रेिर्ा दे िा है I इसके लिए, हमें बाइबि के िालमथक ढांचे को बनाने की
जरूिि है । िब हमें बाइबि के लशक्ष्र् को ध्यान में िखिे हु में इस ढांचे में हमािे ऐसे समरूप
नैतिक मुद्दों पि ववचाि किने की जरूिि है । हमािा िमथशास्त्रीय ज्ञान हमािा पिमेश्वि के रति
ज्ञान औि अनुभव पि आिारिि है I नैतिकिा के पीछे हमेशा एक िमथशास्त्र है ।
इसलिए बाइबि नैतिकिा, मसीही िमथशास्त्र का बहुि अथिक भाग है । यह हमें व्यवक्स्त्थि रूप
से यीशु से रेम किने के लिए, उडकि लिए जीने के लिए औि उसके पद थचन्हों पि चिने के
लिए सहायिा किे गा I
हमें नैतिकिा के लिए बाइबि का रयोग किना पड़ेगा जैसे हम इसे उपदे श औि आक्त्मकिा के
लिए रयोग कििे है I
इब्रा. 13:14 - "यहाां हमारे पास एक स्थायी नगर नह ां है , वरन हम आने वाले नगर की खोज में हैं
।"
औि हमें बाइबि को समझने के लिए हमािी नैतिक समस्त्याओं से संबंथिि किा को हमें
मसीही ववचािकों औि अगव
ु ों से सीखने की जरूिि है माठिथ न िथ
ू ि, जॉन वेस्त्िी औि बबिी ग्राहम
जैसे मसीही अगव
ु ों ने नैतिक समस्त्याओं से औि बाइबि को समझने से सम्प्बक्न्िि समस्त्याओं के
साथ संघषथ ककया है औि उथचि मसीही नैतिकिा की स्त्थापना की है I
हमें इस िथ्य को भी ध्यान में िखना चाठहए कक बाइबि हि क्स्त्थति औि हमािी सभी
नैतिक समस्त्याओं का रत्यक्ष उत्िि नहीं दे िी है I
हमािी नैतिक समस्त्याएं सीिे। बाइबबि उन परिक्स्त्थतियों से तनपिने के लिए उपकिर् रदान
कििा है क्जन्हें हम सामना कििे हैं I हमें बाइबबि के िमथशास्त्रीय मन ववकलसि किने की
आवश्यकिा है , हमें अपने रभु यीशु मसीह के रति गहिाई से समवपथि होने, औि ओि अथिक
परिपतव लशष्य बनने की आवश्यकिा है I हमािा नैतिक तनर्थय हमािे रभू यीशु मसीह के रति
तनष्िा पि तनभथि होना चाठहए I
मसीही जीवन में बाइबिीय नैतिकिा को समझिे, हमे तनम्प्नलिखखि बािें समझने की
आवश्यकिा है :
A . जीवन का उद्देश्य :
जीवन पिमेश्वि की ओि से एक दान है I इसलिए जीवन में एक उथचि उद्देश्य तनिाथरिि
किना आवश्यक है I
हमें अच्छा जीवन जीने की लिए नींव डािना चाठहए I उन्हें नीचे सूचीबि ककया गया है :
हमािी नैतिक क्जम्प्मेदारियों को हमािे लिए पिमेश्वि के बचन के रकाश में व्याख्या किने की
आवश्यकिा है । केवि पववर आत्मा वह कायथ कि सकिी है ।
जब एक मनुष्य नया जन्म िेिा है , िो पववर आत्मा का व्यक्ति उसके भीिि िहने के लिए
आिा है । मसीठहयि पिमेश्वि के साथ औि उसके पुर यीशु मसीह के साथ संगति किना है (
यहून्ना 5:26) I
पिमेश्वि के साथ संगति किने के लिए दो क्स्त्थतियां होनी चाठहए:
♦ मसीह के बािे में सही ववश्वास I
बाइबि स्त्पष्ि रूप से इसके बािे में 1 यहून्ना 3:23 औि 1 यहून्ना 1: 6 में इस बािे में लसखािी
है ।
1 यूहन्ना 3:23 - " उसकी आज्ञा यह है कक हम उसके पुर यीशु मसीह पि ववश्वास किें औि जैसा
उसने हमें आज्ञा दी है उसी के अनस
ु ाि एक दस
ू िे से रेम िखें ” I
1 यूहन्ना 1: 6 - " यठद हम कहें की उसके साथ हमािी सहभाथगिा है औि कफि अंिकाि में चिें,
िो हम झूिे हैं औि सत्य पि नहीं चििे I”
3. आत्मा का फि:
हमािे रतिठदन के जीवन में हमािे सभी कायथ नैतिक आचिर् की सीमा में आिे हैं। एक मसीह
हि एक सम्प्बन्ि में जो उसके पास है , उसके अंदरूनी, अन्य िोगों के साथ, पिमेश्वि के साथ
औि यहाँ िक कक दस
ू िी वस्त्िओ
ु ं के साथ भी, नैतिक समस्त्या में है I
यह पववर आत्मा का तनवास है जो उसे सभी नैतिक कायों में आत्मा के फि को उत्पन्न किने
में सक्षम बनािा है ।
यह यीशु मसीह के तनवास के माध्यम से है कक एक मसीही का जीवन िेजी से फिदायी हो
जािा है । एक
मसीह अपने जीवन को अपनी शक्ति से नहीं पिन्िु मसीह की शक्ति से जीिा है । वह न
केवि अपने संगी मसीह से रेम कििा है पिन्िु समाज से न बचे हुए मनुष्यों से भी I
यहून्ना 15: 5 - " मैं दाखििा हूँ : िुम डालियाँ हो I जो मुझमे बना िहिा है औि मैं उसमें , वह
बहुि फि फििा है , तयोंकक मुझसे अिग होकि िुम कुछ भी नहीं कि सकिे I”
1. आध्याक्त्मकिा औि सदाचिर्
बाइबि नैतिकिा औि मसीह जीवन की चचाथ में मानव आचिर् के लसिान्िों का ववश्िेषर्
ककया जाना चाठहए।
बाइबिीय नैतिकिा सदाचिर् का एक संकेि रस्त्िुि कििी है। मानव आचिर् के लसिान्िों में
तनम्प्नलिखखि दो बािें सक्म्प्मलिि हैं:
1 आक्त्मकिा औि आचिर्
2 सदाचिर् कक्रयाशीििा के लिए रेिर्ा
1. आक्त्मकिा औि सदाचिर्
हमािा मसीही जीवन दोगन
ु ा है । यह आध्याक्त्मक औि सदाचिर् है ।
a. आक्त्मकिा :
b. सदाचिर् :
मसीही सदाचिर् पिमेश्वि के साथ हमािे संबंिों पि आिारिि है । हमािा पिमेश्वि एक सदाचिर्
का पिमेश्वि है । इसलिए, हमसे एक सही ििह का जीवन जीने की आशा है ।
हमािे साथ पिमेश्वि का सम्प्बन्ि पिमेश्वि की "वाचा" औि "सक्ृ ष्ि" द्वािा थचरांकन ककया गया
है । वाचा
पिमेश्वि औि उसके छुडाए हुए िोगों के बीच पववर औि दृढ स्त्वीकृति है । क्जस संसाि में हम
िहिे हैं वह
पिमेश्वि के द्वािा बनाया औि आदे श ठदया गया है । हमें वाचा के, औि उसकी इच्छा के औि
यीशु के द्वािा दी गई नैतिक लशक्षा के अनस
ु ाि जीना चाठहए I
सदाचिर् आक्त्मकिा से संबथं िि है जो रेम, सत्य, ईमानदािी, भिाई, दया, ईमानदािी औि
शि
ु िा के माध्यम से थचरांकन की जािी है । हम अपने नैतिक तनर्थय औि कायथ के लिए
उत्ििदायी हैं।
एक मसीही आक्त्मकिा के उच्चिि स्त्िि में िहिे हुए िापिवाह औि असाविान नहीं हो
सकिा I यठद नैतिक जीवन आक्त्मकिा के साथ सहमति में नहीं है िो यह दोषपर्
ू थ होगा।
इसके अिावा, सदाचिर् आक्त्मकिा के बबना अपर्
ू थ है
जब मसीही पाप से समझौिा कििे हैं, नैतिक लसिान्िों का उल्िंघन कििे हैं, िापिवाही से
िहिे हैं या पववर आत्मा को बुझािे हैं i वे अपनी आध्याक्त्मकिा को नष्ि कि िहे हैं। यह उनके
नैतिक चरिर को कमजोि कििा है । मसीही नैतिकिा जीवन मसीही सदाचिर् है I हमें इसे
रतिठदन कायथ में िाना चाठहए I यीशु की ििह बनना औि यीशु मसीह की ििह लसि बनना ही
एक मसीही का वास्त्िववक िक्ष्य होना चाठहए I
यह नैतिकिा औि आध्याक्त्मकिा राप्ि किे गा। पौिुस पूर्ि
थ ा राप्ि किने का रयत्न कि
िहा था जैसा कफलिक्प्पयों में दे खा जािा है
कफि 3: 12 - " ऐसा नह ां है कक मैंने प्राप्त कर मलया है , या मसद्ध हो चुका हूँ ,पर पदाथथ को
पकड़ने के मलए दौड़ा जाता हूँ जजस के मलए मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था I I
1 यूहन्ना 3: 2-8 - हे वरयों, अभी हम पिमेश्वि की सन्िान हैं, औि अब िक यह रगि नहीं हुआ,
कक हम तया कुछ होंगे! इिना जानिे हैं, कक जब वह रगि होगा िो हम भी उसके समान होंगे,
तयोंकक उस को वैसा ही दे खेंगे जैसा वह है । औि जो कोई उस पि यह आशा िखिा है , वह अपने
आप को वैसा ही पववर कििा है , जैसा वह पववर है । जो कोई पाप कििा है , वह व्यवस्त्था का
वविोि कििा है ; ओि पाप िो व्यवस्त्था का वविोि है । औि िुम जानिे हो, कक वह इसलिये रगि
हुआ, कक पापों को हि िे जाए; औि उसके स्त्वभाव में पाप नहीं। जो कोई उस में बना िहिा है ,
वह पाप नहीं कििा: जो कोई पाप कििा है , उस ने न िो उसे दे खा है , औि न उस को जाना है ।
हे बािकों, ककसी के भिमाने में न आना; जो िमथ के काम कििा है , वही उस की नाईं िमी है । जो
कोई पाप कििा है , वह शैिान की ओि से है , तयोंकक शैिान आिम्प्भ ही से पाप कििा आया है :
पिमेश्वि का पर
ु इसलिये रगि हुआ, कक शैिान के कामों को नाश किे ।“
व्यवस्त्था 6: 5 - " िू रभु अपने पिमेश्वि को अपने पूिे ह्र्दय औि अपने पूिे रार् औि अपनी
पूिी शक्ति से रेम किना” I”
▪ िोम. 1 2:1 1 “रयत्न किने में आिसी न हो; आक्त्मक उन्माद में भिो िहो; रभु की सेवा
कििे िहो”।
जबकक उपिोति स्त्पष्ि रूप से दशाथया गया है , ऐसे अन्य मुद्दे हैं क्जनके लिए कोई सीिा
जवाब नहीं है :
▪ लसनेमाघिों में जाना
▪ िम्र
ू पान
▪ शिाब पीना
▪ िवववाि के खेि, आठद
संसाि के ववपिीि अनुरूपिा, दृढ़ संकल्प औि ववचाि, क्स्त्थििा, एक वववेक औि मसीह जैसा
स्त्वभाव जैसे लसिान्िोंक का अनुसिर् किना चाठहए i यह मसीही आचिर् के लिए नमूने हैं I
मसीह के सवोच्च स्त्िि का पािन किने के लिए, हमें स्त्वयं को अनुशासन दे ना चाठहए, कड़ा
परिश्रम किना चाठहए औि समवपथि होना चाठहए। अभ्यास औि संघषथ की भी आवश्यकिा है ।
तनवास किने वािा मसीह उस िक्ष्य को राप्ि किने के लिए मसीही जीवन औि भीििी चािक
का िक्ष्य बन जािा है । हमािी नैतिकिा मसीह केंठिि होनी चाठहए या कक्रस्त्िो-केंठिि होना
चाठहए।
बाइबि नैतिकिा, बाइबि आिारिि िमथशास्त्र औि बाइबि के अनरू
ु प आक्त्मकिा के बीच
वािाथिाप किने में स्त्थान िेिी है I ये इतकीसवीं शिाब्दी में िहने की मांगों को पिू ा कि सकिे
हैं।
मसीही जीवन मसीही समुदाय के भीिि िहिा है । सािािर् िौि पि, मसीही जीवन किीलसया
के भीिि जीववि है औि इसके द्वािा हि एक स्त्िि पि पोषर् ककया जािा है I किीलसया
सुसमाचाि का वाहक है । यह इसिायि के लिए पिमेश्वि का ववशेष रकाशन का सिं क्षक है जो
कक मनुष्य मे औि यीशु मसीह के कायथ में समाप्ि हुआ
किीलसया सुसमाचाि को पीढ़ी से पीढ़ी िक अपने रचाि औि लशक्षा के माध्यम से रसारिि
कििी है ।
इसलिए, सुसमाचाि पि अपने ज्ञान के लिए, औि जीवन के मागथ पि अभ्यास किने के लिए
शक्ति, इन दोनों के लिए मसीही किीलसया पि तनभथि है I
I
भाग – II
पुिाना तनयम नैतिकिा
पुिाना तनयम सदाचिर् या नैतिकिा है जो पुिाना तनयम में लसखाई जािी है I पुिाना तनयम में
पिमेश्वि के चन
ु े िोगों के मौलिक िालमथक ववश्वास औि नैतिकिा के ववचाि सक्म्प्मलिि है I
पिमेश्वि सच्चा पिमेश्वि है । वह सवथशक्तिमान, स्त्विंर, अनुग्रहकािी, ववश्वासयोग्य दयािु औि
करुर्ा से भिा हुआ है I केवि पिमेश्वि ही अच्छा है (तनगथमन 33 :29 ; मिकुस 1 0:29 )।
इसलिए पिमेश्वि औि नैतिकिा अववभाज्य हैं।
"बाइबि में , हम सक्ृ ष्ि से नैतिकिा की अविािर्ा का पिा िगा सकिे हैं । बाइबि का सक्ृ ष्ि के
बािे में ववविर् क्जिना िमथशास्त्रीय है उिना ही नैतिक महत्विा का है ; यह मसीही नैतिकिा
लसिान्िों को दृढ कििा है I
आदम औि हव्वा पिमेश्वि के स्त्वरूप में बनाए गए थे (उत्पक्त्ि 27)। जबकक पिमेश्वि अच्छा
है मानव का अपने स्त्वरूप में तनमाथर् कििे हुए इस बाि को सथ
ू चि कििा है कक मनष्ु यों में
जन्मजाि नैतिकिा है I यह समाक्जकिा औि व्यक्तिगि नैतिकिा को तनदे श रदान कििा है :
वववाह की पववरिा, उसके दातयत्व, मनष्ु य का पिमेश्वि के रति वविोह औि अवज्ञा आठद I
1 तिमोथथयुस .4: 2 - " कोई िेिी जवानी को िुच्छ न समझने पाए; पि वचन, औि चाि चिन,
औि रेम, औि ववश्वास, औि पववरिा में ववश्वालसयों के लिये आदशथ बन जा I
याकूब 5:4 दे खो, क्जन मजदिू ों ने िुम्प्हािे खेि कािे , उन की वह मजदिू ी जो िुम ने िोखा दे कि
िख िी है थचल्िा िही है , औि िवने वािों की दोहाई, सेनाओं के रभु के कानों िक पहुंच गई है ।
यन
ू ानी िोग अपनी नैतिकिा या सदाचिर् के लिए मानवी हे िु पि आिारिि है I पिन्िु
बाइबि नैतिकिा स्त्वायत्ििा नहीं है पिन्िु पिमेश्वि सबंिी है I इस लिए, बाइबि में नैतिक
लशक्षा पिमेश्वि केक्न्िि या िमथशास्त्रीय केक्न्िि है I
यहूदीवाद यहूठदयों का िमथ, वास्त्िव में एकेश्विवादी आिाि के साथ संसाि का एकमार िमथ
था।
पुिाना तनयम यहूठदयों का पववर पववरशास्त्र है । इसमें नैतिक या सदाचिर् लशक्षा भी शालमि
है ।
पुिाने तनयम में नैतिक औि िालमथक ित्व के बीच घतनष्ि संबंि है I
पिु ाना तनयम में नैतिकिा में ऐतिहालसक रगति है । इस रगतिशीि नैतिकिा में िीन रमख
ु
अवथि हैं:
• वपिस
ृ त्िात्मक यग
ु - इब्राहीम से मस
ू ा िक।
• मस
ू ा का यग
ु , व्यवस्त्था दे ने वािा - लमस्र के अत्याचाि, जंगि यारा, का समय
लसनाई पहाड़ पि वाचा राप्ि किना।
• भववष्यवतिाओं, स्त्ितु ि किने वािों औि बव
ु िमान परु
ु षों का यग
ु ।
वे सामाक्जक सि
ु ािक औि नैतिक लशक्षक हैं। इन िीन अवथियों में िोगों को वाचा राप्ि हई
I
कानून, भववष्यवाखर्यों की लशक्षा, भजन औि बुवि साठहत्य। इन ईश्वि द्वािा ठदए गए नैतिक
औि नैतिक के माध्यम से
लशक्षाओं, हम नैतिक उद्देश्य औि ईश्वि की ठदव्य इच्छा का तनिं िि रकाशन दे खिे हैं।
नैतिकिा या नैतिकिा के पांच मुख्य ववषय हैं क्जन्हें हम ओिी में पाए गए उपिोति रकाशन में
दे खिे हैं
शास्त्रों में तनम्प्नानुसाि संक्षेप में उन्हें सािांलशि ककया जा सकिा है ।
1. पुिाने तनयम की नैतिकिा पिमेश्वि - केंठिि (िमथशास्त्र-केंठिि) है । यहूठदयों के िमथ औि
नैतिकिा के बीच घतनष्ि संबंि है I कभी-कभी उनके बीच अंिि किना मुक्श्कि होिा है :
तनगथमन 20: 1, 2 - " 1 िब पिमेश्वि ने ये सब वचन कहे , कक मैं िेिा पिमेश्वि यहोवा हूं, जो
िुझे दासत्व के घि अथाथि लमस्र दे श से तनकाि िाया है ” I
यशायाह औि मीका जैसे भववष्यवतिा न्याय औि दया (6: 8) के बािे में बाि कि िहे थे जो कक
इस्रायि के तनर्थयों औि कायथशीििा में सक्म्प्मलिि है I
5. पुिाना तनयम की नैतिकिा बुिाई या पाप या गिि कायथ से उिाि के बािे से सबंथिि है ।
पिमेश्वि न्याय की औि िालमथकिा की मांग कििा हैं I इस्रायि की आशा मनुष्य के बजाय
पिमेश्वि पि है I
भजन सठहंिा 95:1 - "आओ हम यहोवा के लिये ऊंचे स्त्वि से गाएं, अपने उिाि की चट्टान का
जयजयकाि किें ! यह भजन के िेखक का इकिाि है I
यशायाह 38: 17 - " दे ख, शाक्न्ि ही के लिये मुझे बड़ी कडुआहि लमिी; पिन्िु िू ने स्त्नेह कि के
मझ
ु े ववनाश के गड़हे से तनकािा है , तयोंकक मेिे सब पापों को िू ने अपनी पीि के पीछे फेंक
ठदया है ।“ यह ठहक्ज्तकयाह िाजा का इकिाि है I
(c) वाचा की सामग्री: तनगथमन 20:22 - 23:33 को सािािर् िौि पि वाचा का संकेि कहा जािा
है । पिमेश्वि वाचा के संकेि का िेखक है ; वाचा के संकेि में पिमेश्वि की आवश्यकिाएँ है I
मस
ू ा ही केवि माध्यम है क्जस के द्वािा पिमेश्वि ने वाचा के संकेि ठदए I
वाचा के संकेि में िीन ििह की आवश्यकिाएँ है :
1. शिों के आिाि पि चन
ु ाव
2. बबना शिों के शब्द
“चन
ु ाव” इन कथनों के द्वािा दशाथया गया है : “यठद कोई अपने दास वा दासी को सोंिे से
ऐसा मािे कक वह उसके मािने से मि जाए, िब िो उसको तनश्चय दण्ड ठदया जाए।
(तनगथमन 21 :20)
‘शब्द” इन कथनों के द्वािा दशाथए गए हैं : “ िू रभु अपने पिमेश्वि की सेवा किना” (
तनगथमन 23:25) I
यह व्यवस्त्था की दो ककस्त्में मूसा के कथनों में बिाए गए हैं : “िब मूसा ने िोगों के पास
जा कि यहोवा की सब बािें औि सब तनयम सुना ठदए; िब सब िोग एक स्त्वि से बोि
उिे , कक क्जिनी बािें यहोवा ने कही हैं उन सब बािों को हम मानेंगे।‘ (तनगथमन 24:3)
दस आज्ञाएँ दो रूपों में पाई जा सकिी है – (तनगथमन .20: 1-17; व्यवस्त्था .5: 6-21)। दोनों ववषय
सूची में नैतिक हैं।
िीसिी एक िालमथक िीिी से संबंथिि है –तनगथमन .34: 10-26
दस आज्ञाएँ न केवि व्यक्तियों के लिए बक्ल्क पूिे इस्राइि दे श को भी संबोथिि कििे हैं। यह
पिमेश्वि के रति सामाक्जक किथव्य, पािस्त्परिक संबंि औि अनुशालसि जीवन, आज्ञाकारििा औि
ववश्वासयोग्यिा लसखािा है । यह अव्यवक्स्त्थि औि अनैतिक इच्छाओं को मना कििा है । इस
ििह से , यह बाइबबि के मन के मूि ववचाि औि ठदशा को व्यवक्स्त्थि कििा है I
तनगथमन में चन
ु ाव के बािे में चेिावनी औि लशक्षा दी गई है तनगथमन 20:22-23:1 9 जो
वाचा की पुस्त्िक के नाम से जानी जािी है (तनगथ..24: 7) । वाचा की पुस्त्िक पुिाने तनयम की
नैतिकिा की पूिी ववचाििािा का सािांश है । इस वाचा में दासिा का पुनगथिन, कायों का दातयत्व,
न्याय औि दं ड ववषयों पि जोि ठदया गया है I पिमेश्वि के सामने शपथ िेने से वववाद सुिझाए
जािे थे । इस्राएलियों से पिमेश्वि के औि अथिकारियों के रति सम्प्मान ठदखाने की आशा की
जािी थी I
सािवां ठदन आिािना औि ववश्राम के लिए था औि उसे पववर िखा जाना होिा था।
बहुदेववाठदिा
मना थी I केवि एक सच्चे पिमेश्वि यहोवा के रति तनष्िा पि जोि ठदया गया था।
1 . व्यवस्त्था बिािी है कक मनष्ु य पिमेश्वि के स्त्वरूप में बनाया गया है । "पिन" के माध्यम
से
यह स्त्वरूप किंककि हो गया था I पिन्िु शैिान पिू ी ििह से मनष्ु य से "पिमेश्वि के
स्त्वरूप"
को हिाने में सक्षम नहीं है । पिमेश्वि ने अपने पुर यीशु को इस िूिे हुए सम्प्बन्ि को
पुनस्त्थावपि किने के लिए इस संसाि में भेजा I
2. व्यवस्त्था मूसा की व्यवस्त्था की रर्ािी को भी संदलभथि कििी है ।
3. व्यवस्त्था "नैतिक व्यवस्त्था" को भी संदलभथि कििी है । चकंू क ईश्वि नैतिक है , मनष्ु य के
लिए यह
गिि है यठद वह पिमेश्वि की ििह नैतिक ना हो I मनष्ु य को पववर होना आवश्यक है I
(िैव्य.19: 2) I
4 व्यवस्त्था का भी अथथ यह भी है कक व्यवस्त्था की आज्ञाकारििा। इस्राइिी िोग व्यवस्त्था के
माध्यम से पिमेश्वि की इच्छा को जानने पाए थे। उन्हें इसके रति आज्ञाकािी होने की
आवश्यकिा थी।
5 व्यवस्त्था कुछ ववलशष्ि व्यवस्त्था को दशाथिी थी जैसे कक दस आज्ञाओं को I
पिमेश्वि की व्यवस्त्था बिु ाई की जांच कििी है । चकंू क पिमेश्वि हमािा आदशथ है , इसलिए
उसका आदशथ इस व्यवस्त्था के माध्यम से व्यति ककया गया जो कक उिना ही सावथभौलमक है
क्जिना कक व्यक्तिगि है I व्यवस्त्था का उद्देश्य इसके िाजनीतिक, तनदे शन,सुसमाचाि औि
आक्त्मकिा के उपयोग में दे खा जािा है I व्यवस्त्था कभी भी मोक्ष या दोष मुक्ति के सािन के
रूप में नहीं दी गई थी ।
पिमेश्वि ने वाचा के ढांचे के भीिि इस्राइिी िोगों को व्यवस्त्था दी I के इब्रानी में व्यवस्त्था
के लिए शब्द िोिह है औि यूनानी शब्द नोमोस है । व्यवस्त्था में नैतिक मूल्य का बहुि कुछ है ।
यह इस मनुष्यों को संसाि में उनके स्त्थान के बािे , औि पिमेश्वि के औि उसके पड़ोसी के
रति उसके दातयत्व के लिए मागथदशथन औि उपदे श का रबंि कििी है I
बाइबबि में शब्द "कानून" का रयोग ववलभन्न ििीकों से ककया जािा है :
❖ कभी-कभी यह पूिे पुिाने तनयम को दशाथिी है I
❖ पंचग्रन्थ को दशाथिी है ।
❖ मूसा के लिए पिमेश्वि का रकाशन।
❖ पिमेश्वि का लिखखि वचन।
नैतिकिा का दस
ू िा स्त्िि:
पिमेश्वि एक ठदन अिग कििा है जब मनुष्य को उसकी आिािना किनी चाठहए। सब्ि का
ठदन ववश्राम औि सेवा का ठदन है (तनगथ20: 8-11)।
कमथकांडवाद तया है ?
यह नैतिकिा की एक रर्ािी है । यह हि संभाववि अवसि या परिक्स्त्थति के लिए या नैतिक
चन
ु ाव के लिए तनयमों औि ववतनयमों को तनिाथरिि कििा है I
कमथकांडवाद व्यवस्त्था को इसके संदभथ से अिग कििा है । कमथकांडवाद व्यवस्त्था के पर पि
जोि दे िा है औि आत्मा की व्यवस्त्था को भि
ू जािा है (िोम 7: 6; 2 कुरि.3: 6)। कई बाि
कमथकांडवाद कपिीपन को पकड़ िेिा है (मत्िी 23: 3)।
इब्रानी भाषा के पुिाने तनयम में , मूसा की पांच पुस्त्िकें, मूसा की पांच पुस्त्िकों के अनुरूप
हैं:
यशायाह, तयमथयाह, यहे जकेि, दातनय्येि औि 12 भववष्यवतिाओं (होशे से मिाकी ) की पुस्त्िकें I
यह भाग को भववष्यवार्ी पंचग्रन्थ” के नाम से जाना जािा है I
भववष्यवतिा आमोस, होशे, यशायाह औि मीका को नैतिकिा के भववष्यवतिाओं के रूप में जाना
जािा है । वे आिवीं शिाब्दी ईसा पूवथ में थे I उन्होंने इसिाइि के िक्ष्य को तनिाथरिि किने में
नैतिकिा को संठदग्ि कािक के रूप में को दे खा। उनका मुख्य जोि पिमेश्वि की अपने िोगों से
सही आचिर् की मांग पि था I
कवविा औि बव
ु ि साठहत्य की नैतिक लशक्षाएं
पिु ाने तनयम के बव
ु ि साठहत्य में अय्यब
ू , नीतिवचन, उपदे शक औि कुछ भजन सक्म्प्मलिि हैं।
ज्ञान साठहत्य दो श्रेखर्यों में आिा है :
1 बव
ु िमानी या व्यावहारिक
2 रतिबबंबबि या ववचािवान
बुविमानी साठहत्य:
यह व्यावहारिक सिाह औि बुविमान कथन दे िा है जो सफि औि रसन्न जीवन के लिए
ठदशातनदे श रदान कििे हैं। वे हि एक व्यक्ति के लिए अपने दै तनक जीवन में स्त्वयं को
व्यवक्स्त्थि किने के लिए अंिदृथक्ष्ि औि ठदशातनदे श दे िे हैं । नीतिवचन की पुस्त्िक इसका एक
उदाहिर् है I
रतिबबंबबि साठहत्य:
यह ववशेष समस्त्याओं के बािे में गहिाई से ववचाि रदान कििा है औि जीवन के अथथ के
गहिे मुद्दों, जीवन के मूल्य औि संसाि में बुिाई को तनयन्रर् किने को रतिबबंबबि कििा है I
अय्यूब औि सभोपदे शक इसके उदाहिर् है I अय्यूब की पुस्त्िक “दुःु ख” जैसे नैतिक समस्त्या को
संबोथिि क्र् ििी है I यह पिमेश्वि के मनुष्य के लिए मागथ की व्याख्या कििी है I
भजन की पुस्त्िक न केवि इस्राइि के नैतिक औि िालमथक जीवन को दशाथिी है रिन्िु जीवन
के दशथन को भी दशाथिी है I के नैतिक औि िालमथक जीवन को दशाथिी है बक्ल्क उनका दशथन
भी दशाथिी है I
भाग III
नया तनयम नैतिकिा
न्य तनयम नैतिकिा की स्त्थापना यीशु मसीह के सुसमाचाि पि की गई है । सुसमाचाि नैतिक
मांग कििा है । यीशु,सुसमाचाि है औि नया तनयम से तनकि से संबंथिि हैं, यीश,ु मसीहा के बािे
में आशा की जािी थी कक वह आएगा औि व्यवस्त्था औि भववष्यवतिाओं के कथन को पूिा
किे गा I उसने पिमेश्वि औि पड़ोसी के रति रेम की पिमेश्वि की आवश्यकिा को जोड़ा था I
(व्यवस्त्था. 6: 4; िैव्य.19: 18; मत्िी.22: 37-40)।
यीशु की मूि लशक्षाएं पिमेश्वि के िाज्य औि उपदे श पि उसके ववचािों में पाई जािी हैं I
यीशु व्यवस्त्था को पूिा किने के लिए आया था, इसे नष्ि किने के लिए नहीं किने के लिए नहीं
आया । िेककन यीशु ने उसके ठदनों के अगुवों के कमथकांडवाद को मान्यिा दे ने से इंकाि कि
ठदया था I
यीशु सभी िोगों के लिए एक नया दृक्ष्िकोर् िाया I पिमेश्वि, उसके मागथ , औि उसके कायथ
यीशु के माध्यम से नये बबंद ु में ििफ िाए गए I
। बािें औि ववचाि जो पुिाने तनयम में बहुि महत्व िखिी थीं वे अब उत्िम बन चक ु ी थी,
उदाहिर् के लिए, इस्राइि का अथथ औि महत्व एक चन ु ी हुई जाति के रूप में था, इस्राइि की
भूलम,मक्न्दि, सब्ि, यह सब को क्षय का परिविथन हुआ। यहूदी दतु नया भि में बबखिे हुए थे।
मसीही नए इस्रायिी है औि मसीह के हैं।
जब मसीठहयों को नैतिक तनर्थय िेने की आवश्यकिा होिी है िो उन्हें तनम्प्नलिखखि दो बािों को
ध्यान में िखने की आवश्यकिा होिी है :
1 उन्हें अपने नैतिक तनर्थय िेने के लिए बाइबि के पुिाने औि नये तनयम दोनों को उपयोग
किने की आवश्यकिा है । ये इसलिए है तयोंकक दोनों तनयम मसीठहयों के लिए एक दस
ू िे के
बबना अपूर्थ औि अस्त्पष्ि हैं। उन्हें उस क्स्त्थति पि भी ध्यान दे ना चाठहए जव यीशु मसीह इस
पथ्
ृ वी पि के जीवन में थे I
।
"िू रभु अपने अपने पिमेश्वि से रेम कि ...। औि अपने पड़ोसी को अपने समान रेम िख "।
पिमेश्वि का िाज्य इन दो आवश्यकिाओं के आिाि पि संचालिि होिा है ।
पिमेश्वि का रेम बलिदान है ( यहून्ना 3:10)। हम उसे रेम कििे हैं तयोंकक उसने पहिे हमसे
रेम ककया (1 यहून्ना 4:19)।
मनुष्य से मनुष्य
“ िू अपने पड़ोसी से अपने समान रेम िख” I सुनहिा तनयम है I
अपने शरओ
ु ं को रेम िखो ( मत्िी 5:44; िूका 6:27-35) I परिवाि की भूलमका हि व्यक्ति
के जीवन में बहुि महत्वपूर्थ है I परिवारिक सम्प्बन्ि पािस्त्परिक सम्प्बन्िों की श्रेर्ी में आिे हैं I
दसू िों क्षमा, ,मेि लमिाप किना औि अतिथथ सत्काि रेम में सक्म्प्मलिि है ( 5:43-48) I दस ू िों
को रेम किना नैतिक चरिर है ; यह पिमेश्वि का गुर् है I
मनुष्य का स्त्वयं की ओि :
जीवन भीिि से बहिा है (मिकुस 7: 15; मत्िी15: 17-18; 1 9:20)। ककसी व्यक्ति का केवि
पिमेश्वि के साथ मसीह के माध्यम से सम्प्बन्ि के बाद ही उस व्यक्ति के भीिि से अच्छे जीवन
का रवाह संभव है Iयह केवि पिमेश्वि के साथ औि अपने पड़ोसी के साथ संगति स्त्थावपि
किने के बाद ही है कक हम अपने भीििी मनुष्य से शांति पाने में सक्षम होिे है I
3 कमथकांडवाद:
कमथकांडवाद िमथ बाहिी िमथ है । यह जीवन के महत्वहीन ववविर् से संबंथिि है । यह फिीलसयों
औि सदकु कयों की लशक्षा है I यीशु ने इसका जोिदाि वविोि ककया।
यीशु की लशक्षा हमें अनष्ु िान औि कमथकांडवाद से दिू िे जािी है । पिमेश्वि से औि पड़ोसी
से रेम किने की उसकी आज्ञाएँ सावथभौलमक लसिांि है क्जसे ककसी भी संस्त्कृति में औि ककसी
भी समय िागू ककया जा सकिा है ।
यीशु ने मसीठहयि के लिए नैतिक आिाि िखा। पौिुस, पििस, यहून्ना औि याकूब ने इस
नींव पि बनावि बनाई ।
भाग - IV
समकािीन जीवन की क्स्त्थति के लिए अनुरयोग
बाहिी अथिकाि :
यह ककसी व्यक्ति के लिए बाहिी है िेककन उसके व्यवहाि औि आचिर् को रभाववि कििा
है ।
उदाहिर्: कानून ने यािायाि पुलिस को िागू ककया।
आंिरिक अथिकाि :
जब हम बाइबि या एक पुस्त्िक को पढ़िे हैं औि गहिाई से चिे जािे हैं औि आश्वस्त्ि हो
जािे हैं ; उसमें हमािे आन्िरिक अथिकाि बन जािे हैं
कुछ बाहिी ऐसे अथिकाि वगथ हैं जो हमािे लिए स्त्वीकाि किने औि पािन किने के लिए
महत्वपूर्थ औि अतनवायथ हैं:
गुरुत्वाकषथर् का कानून।
समाज की अन्य सिकाि औि अथिकारियों को बाइबि नैतिकिा से शुि ककया जाना चाठहए।
पिमेश्वि :
पिमेश्वि ब्रहमांड के तनमाथिा औि शासक है । पिमेश्वि पववर है । पिमेश्वि की पववरिा मसीही की
नैतिकिा का आिाि है I
यह मसीही आचिर् का आदशथ है । हमें पिमेश्वि के साथ अपने आध्याक्त्मक संबंि नैतिक
आचिर् में व्यति किना है I पिमेश्वि का अथिकाि ककसी व्यक्ति के सबसे भीििी भाग िक
पहुंचने िक फैििा है । हमें अपना आक्त्मक सम्प्बन्ि औि नैतिक व्यवहाि को गिबंिन में िाना
है I
b) यीशु मसीह :
यीशु मसीह का अथिकाि पिमेश्वि के अथिकाि से अववभाज्य है (इब्रा .1: 1,2)।
यीशु की ववनम्रिा औि पिमेश्वि की इच्छा के रति आज्ञाकारििा का उदाहिर् हमािे आक्त्मक
औि नैतिक जीवन को संद
ु ि बनािा है ।
c) पववर आत्मा:
पववर आत्मा रत्येक ववश्वासी के भीिि तनवास िेिी है (1 कुरि.12: 12-13)। पववर आत्मा है
हमें जीने के लिए औि वास्त्िववकिा से सेवा किने के लिए मागथदशथन कििी है । हमें पववर
आत्मा को उसके साथ औि उसकी इच्छा के अनस
ु ाि काम किने की अनम
ु ति दे नी चाठहए I
2. बाइबि:
बाइबि में एक बड़ा महत्व नैतिक मागथदशथन पि है । बाइबबि के अथिकाि का स्रोि इसकी रेिर्ा
है
(2 तिम. 3: 16, 17) । बाइबि पिमेश्वि से अपना अथिकाि राप्ि कििी है । यह पिमेश्वि का
वचन है । बाइबि के नैतिक अनिु ोि औि आदशथ को यीशु की ििह होना है । बाइबबि का अथिकाि
पिमेश्वि वपिा, पिमेश्वि पर
ु , औि पिमेश्वि पववर आत्मा का अथिकाि है I
भगवान वपिा, भगवान पर
ु औि भगवान पववर आत्मा।
3. किीलसया औि मािा-वपिा:
एक किीलसया
किीलसया एक िोगों के केंठिि समुदाय है । यह मसीह का शिीि है । समुदाय की नैतिकिा उन
िोगों के लिए है जो समुदाय में िहिे हैं। मसीह के शिीि के सदस्त्य बाइबि नैतिकिा को सािे
संसाि में िेिे हैं (रेरििों के काम 1: 8)। रत्येक किीलसया के सदस्त्यों के लिए इसके अनुशासन,
तनयम औि ववतनयम होिे हैं। किीलसया अनुशासन का अभ्यास कििा है औि बाइबि के
लसिान्िों के आिाि पि तनयमों औि ववतनयमों की स्त्थापना कििी है । किीलसया िीति-रिवाज औि
पिम्प्पिाए भी अथिकाि के आदशथ बनें: आिािना सेवाओं में भाग िें , भें ि औि दसवांस दे , बाइबि
पढ़ें औि राथथना किें ,
परिवाि के साथ लमिकि आिािना कििे िहे , किीलसया औि इसके ठहिों की सेवा किें ।