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मसीही नीतिशास्त्र

I. परिचय
नीतिशास्त्र मानवीय व्यवहाि का क्रमानस
ु ािी अध्ययन है , व्यक्तिगि के साथ साथ संगठिि I

शब्द “नीतिशास्त्र” यूनानी भाषा के शब्द “एथथका” या एथोस से लिया गया है I इसका अथथ
िीति-रिवाज या आदि जो की एक ववशेष सभ्यिा के द्वािा स्त्वीकाि की जािी हैं I

शब्द ”नैतिकिा” का अथथ एकसा है I यह ििीनी भाषा के शब्द “मोिे स” से लिया गया है I
इसका अथथ भी अभ्यास या आदि होिा है , जो की ववशेष समाज द्वािा स्त्वीकाि ककए जािे हैं I

िीति-रिवाज तया है ? िीति-रिवाज ऐसे िौि-ििीका है जो समह


ू या समाज सम्प्रदाय द्वािा
स्त्वीकाि ककए जािे है I यह केवि कायथकािी के व्यवहारिक ििीके नहीं है I

पूिी िौि से, नीतिशास्त्र का अथथ, व्यक्तियों की आदि या िीति-रिवाज का अध्ययन I यह


मनुष्यों के आदिन व्यवहाि का भी अध्ययन है I िीति-रिवाज चरिर की बाहिी अलभव्यक्ति है I
यह वववेक औि उद्देश्य पूर्थ कक्रया है I नीतिशास्त्र िोगों के िीति-रिवाज औि आदिों के अध्ययन
के अंिगथि है I यह उस दृढ़िा का ध्यान िखने के साथ है कक उथचि औि अच्छा व्यवहाि तया
है i यह सही औि गिि ववचािों के साथ, अच्छे व्यवहाि बुिे को संबोथिि कििा है , कक रत्येक
जन को तया किना चाठहए औि तया नहीं किना चाठहए I िीति-रिवाज,नैतिकिा औि िीति-
रिवाज आदिें समाज से समाज औि सम्प्रदाय से सम्प्रदाय ववलभन्न है I िौभी, जो एक िीति-
रिवाज में नैतिकिा समझी जािी है , वह शायद दस
ु िे िीति-रिवाज में अनैतिकिा हो सकिी है I
नैतिकिा के लसिांि एक ववशेष समाज या सम्प्रदाय के बहुसंख्यक िोगों के द्वािा अथिकृि
ककये जािे है I

II बाइबि की नैतिकिा तया है ?

बाइबि की नैतिकिा का तनम्प्नलिखखि के द्वािा वर्थन ककया जा सकिा है :


“ बाइबिीय नैतिकिा मसीही चरिर औि व्यवहाि में सही औि गिि के मापदं ड का
क्रमानुसाि अध्ययन है I जैसा कक, इसके पास, गिन के लसिान्ि व िचनाएँ औि बाइबि के
आिाि पि सही औि गिि को जांचने के लिए, स्रोिों की नींव है I

बाइबि,नैतिकिा पि एक पाठ्य पुस्त्िक नहीं है I पिन्िु हम ववचािों, आज्ञाओं,


व्यवस्त्थाओं, रतिज्ञाओं, रकाशनों, चेिावतनयों औि न्याय के बािे उदाहिर् पािे हैं क्जसका
नैतिकिा के साथ बहुि िेन दे न है I बाइबि की नैतिकिा स्त्वंय रभु यीशु के व्यक्तित्व में
दे हिािी है I यीशु ने यहूठदयों की नैतिक लशक्षा को रश्न ककए, व्याख्या की, औि सावथभौलमक
बनाया I उसने यहूठदयों को सिाने वािी पुिानी नैतिकिा को नया सुझाव ठदया I बाइबि की
नैतिकिा अन्य अनुयातययों, जैसा कक िमथशास्त्रीय, िमथ, दाशथतनक, समाजवादी, मनोवैज्ञातनक,
आथथथकिा औि िाजनीतिक ववज्ञान के साथ सम्प्बक्न्िि है I यह मसीही लसिान्िों को समाज में
िाने के लिए खोज कििी है I यह मसीही जीवन को समय, तनपुर्िा, भंडािीपन, संसारिक
सम्प्पति औि खािी समय के रयोग को सही दृक्ष्िकोर् में िखिी है I बाइबिीय नैतिकिा
मानवीय जीवन के बहु-स्त्ििों के आचिर् के कई दृक्ष्िकोर्ों के साथ भी िेन दे न कििा है I
यह मसीठहयों को यह जानने के लिए सहायिा किे गी कक तया आवश्यक,महत्वपूर्,थ औि तया
माध्यलमक औि सिही है I बाइबि नैतिकिा हमें आदिर्ीय औि इच्छानुसाि िक्ष्य को आिम्प्भ
कििा है औि इन िक्ष्यों को अपने जीवन में राप्ि किने के लिए सहायिा कििी है I I

यीशु मत्िी 22:37-39 में भववष्यव्तिायों औि व्यवस्त्था का वर्थन कििा है :


िू पिमेश्वि अपने रभू से अपने सािे मन औि अपने सािे रार् औि अपनी सािी बुवि के साथ
रेम िख I बड़ी औि मुख्य आज्ञा िो यही है : औि उसी के समान यह दस
ू िी भी है : “िू अपने
पड़ोसी से अपने समान रेम िख” I

यह दस
ू िा -स्त्ििीय नैतिकिा हमािे रतिठदन के जीवनों के लिए यीशु की ओि से
मागथदशथन है I यह बाइबबि नैतिकिा के लिए आिाि भी है I

पिमार्ु बम, गभथ तनिोि जैसे ववषय बाइबि के समयों में नहीं थे I हम सझ
ु ावों के लिए यीशु मसीह
की लशक्षाओं औि पववर आत्मा की अगुवाई के उपि तनभथि है I हमािी मूि नैतिकिा नींव यीशु मसीह के
जीवन औि लशक्षा में है I यह हमें उत्िम रकाशन औि पिमेश्वि का स्त्वभाव औि इच्छा दे िे हैं I

मसीही नैतिकिा
III. मसीही नैतिकिा तया है ?

मसीही नैतिकिा, जीवन के रतिठदन के व्यक्तिगि औि संगिन में मसीही ववश्वास का


व्यवक्स्त्थि अध्ययन व अभ्यास है I मसीही नैतिकिा का मौलिक ध्यान है कक “ एक मसीही को
कैसे जीना चाठहए ?”
मसीठहयि में हमािे पास एक नैतिक पिमेश्वि है I इसलिए, नैतिक ज्ञान का स्रोि
पववर औि िमी पिमेश्वि है I इसका अथथ है कक मसीही नैतिकिा मानवीय हे िु से उच्चिम है I
पिमेश्वि के साथ नया सम्प्बन्ि होने के लिए आक्त्मक जन्म एक रवेश द्वाि है I यठद हम
पिमेश्वि के साथ िीक है , िो हम जीवन के बाहिी सम्प्बन्िो के में मौलिक रूप से सही है I
एलमि ब्रूनि ने मसीही नैतिकिा का वर्थन ककया है , “एक ऐसा आचिर् जो ईश्विीय
आचिर् के द्वािा दृढ होिा है ” मसीही नैतिकिा मसीह- केक्न्िि होिी है I
बाइबबि नैतिकिा औि मसीही नैतिकिा के बीच तया अंिि है ?
दोनों नैतिकिा की नींव एक समान हैं। बाइबबि आदशथ है ।वह हमािे रभु यीशु के जीवन औि
लशक्षाओं पि पाई जािी है I वे ववश्वास पि आिारिि हैं I पववर आत्मा व्यक्तिगि िौि से
बाइबि का आदशथ उजागि कििी है I अंिि यह है : मसीही नैतिकिा, कई क्स्त्िथथयों में , पिं पिा
औि आचिर् का एक उत्पाद बन गई है I किीलसया के अिग अिग भागों ने बाईबिीय मानकों
को मानवीय इच्छाओं औि विथमान आशा में बदि ठदया या उल्ि ठदया है I ये मानवीय इच्छा
औि आशाएं सदा बाईबिीय मानक या यीशु की लशक्षा के अनुरूप नही हैं I बाईबिीय नैतिकिा
का अध्ययन एक िमी मसीही को बाईबिीय मानक या यीशु की लशक्षाओं में अंिि किने के लिए
सहायिा किे गा I

IV . सािािर् नैतिकिा तया है ?


सािािर् नैतिकिा एक व्यक्ति की आवश्किाओं, योजनाओं,औि आकाँक्षाओं को संबोथिि कििी
है I सािािर् नैतिकिा के लिए मानवीय हे िु नींव है I सािािर् नैतिकिा नैतिक रकक्रया है I
यह समाज की सवथसम्प्मति से तनदे लशि है होिी हैं I सामान्य नैतिकिा का िक्ष्य गुर्कािी
गतिववथि है I

सामान्य नैतिकिा नैतिक अंि की औि तनदे लशि होिी हुए समस्त्ि मानव के व्यवहाि को
संबोथिि कििी है I यह रश्न उिािी है कक समस्त्ि मानवीय रयासों का अंतिम अंि, ववशेष या
उच्चिम भिाई तया है I यह नैतिक रयास को उच्च्िम अच्छाई या सम्प्
ु मम ु बोनम
ु (सम्प्
ु मम ु
बोनम
ु एक ऐसा शब्द है जो नैतिकिा में सबसे उत्िम अच्छाई या उच्चिम अच्छाई को रदलशथि
कििा है ) के साथ जोड़ना चाहिी है I

नैतिकिा औि ववश्वास दोनों समीपिा से संबंथिि है I नैतिकिा के आदशथ औि उदे श्य


समाज की अलभपुक्ष्ि से लिए जािे हैं I

सामान्य नैतिकिा में समाक्जक नैतिकिा, दाशथतनक नैतिकिा समान रूप से सक्म्प्मलिि है
I समाक्जक नैतिकिा समाक्जक संबंिो के सभी दृक्ष्िकोर्ों को संबोथिि कििी है क्जसमे
आथथथकिा की नैतिकिा,िाजनीति, औि अंिििाष्रीय संबंि भी सक्म्प्मलिि है I

सामान्य नैतिकिा में हम सािी नैतिक रकक्रया का भाग हैं जो हमािे जन्म से पहिे चि
िही थी औि जो हमािे इस संसाि के दृश्य से चिे जाने के बाद िक िहे गा I हमने जो अिीि से
राप्ि ककया है , इसका इसका रयोग किे औि अगिी पीढ़ी को सौंप दे I कििे हैं औि पास कििे
हैं I रत्येक व्यक्ति दतु नया में चि िही नैतिक रकक्रया में योगदान दे िा है ।

सामान्य नैतिकिा ऐसे रश्नों के उत्िि नहीं ठदए हैं जैसे कक:
♦ ककसी व्यक्ति के लिए उच्चिम आदशथ तया है , ककसी के सही आचिर् के लिए सवथश्रेष्ि
मानक ?
♦ तया कुछ सबसे उच्चिम अच्छा है ?
♦ सही औि गिि है के लिए अंतिम अनुमति तया है ?
♦ तया कोई व्यक्ति अपने कायों के लिए क़्िम्प्मेदाि है ?
♦ सच्चा उद्देश्य औि जीवन का आखखिी अंि तया है ?
♦ ककसी व्यक्ति की नैतिक राक्प्ि के लिए सबसे अच्छा तया है ?

सामान्य नैतिकिा के दो मौलिक रश्न हैं:


♦ पिमेश्वि का सवथश्रेष्ि स्त्वभाव तया है ?
♦ मानवीय जीवन का वास्त्िववक उद्देश्य औि अंतिम अंि तया है ?

इन रश्नोंके उत्िि दे ने के रयत्न में पववचाि की रत्येक रर्ािी "अच्छाई" का अपना ववचाि
दे िी है ।

मसीही नैतिकिा

यन
ू ातनयों ने प्िेिो औि अरिस्त्िोिि को उनके आथिकारिक परु
ु षों के रूप में माना क्जनके
पास इन रश्नों के लिए उत्िि थे I वे दाशथतनक नैतिकिाएं सामने िेकि आए I
ठहंद ू िमथ, जोिाष्रतनज्म, बौि िमथ, यहूदी िमथ, मसीठहयि ने औि इस्त्िाम ने इन रश्नों का उत्िि
दे ने का रयत्न ककया है I हम उन्हें िालमथक नैतिकिा कहिे हैं ।
िलमि िववडड़यों ने सोचा था कक उनके थथरुकुिि में तिरुवल्िव
ु ाि के पास इन इन रश्नों के
उत्िि हैं। वे थथरुकुिि को "पोथम
ु ािई" के रूप में भी दावा कििे हैं क्जसका अथथ है समस्त्ि
नैतिकिा का अंतिम अंि।

बाइबि नैतिकिा,मसीही नैतिकिा औि सािािर् नैतिकिा की ववलभन्निा की िुिना :


बाइबि नैतिकिा मसीही नैतिकिा सािािर् नैतिकिा
एक व्यक्ति की एक व्यक्ति की एक व्यक्ति की
जरूििों,आदशथ, जरूििों,आदशथ, जरूििों,आदशथ,
औि आकाँक्षाओं के लिए औि आकाँक्षाओं के लिए औि आकाँक्षाओं के लिए
ध्यान िखिी I ध्यान िखिी I ध्यान िखिी I

मसीह का जीवन औि मसीह का जीवन व बाइबि मानवीय हे िु नींव है I


बाइबि नींव है I नींव है I

नैतिक रकक्रया पि आिारिि


ववश्वास के उपि आिारिि नैतिक महत्व की मसीह
है I
है I रर्ािी पि आिारिि है I

िोगों के इच्छाओं औि
पिमेश्वि के स्त्वभाव जैसी
पिमेश्वि के स्त्वभाव जैसी सम्प्बक्न्िि
नैतिकिा I
नैतिकिा I

समद ु ाय के बहुसंख्या के
पववर आत्मा बाइबि औि
पववर आत्मा औि बाइबि द्वािा तनदे लशि I
किीलसया पि आिारिि I
का तनदे श I

V . मसीही जीवन में बाइबिीय नैतिकिा


रत्येक िमथ में इसका नैतिक ववषय होिा है I मसीठहयि के बािे में ऐसा माना जािा
है कक यह एक नैतिक िमथ है I पिन्िु यह दस
ू िे िमथ से लभन्न है तयोंकक ववश्वास नैतिक
समस्त्या का हि दे िा है ; केवि यही उत्िि है औि सम्प्पूर्थ उत्िि
1. तया हम अपने नैबिक तनर्थय िेने के तिए बाइबि का रयोग कि सकिे हाँ ? तया बाइबि
उन सभी नैतिक तनर्थयों के तिए जो हम िेिे है , अनुरूप है ?
इन सभी रश्नों का आज उिि दे ना कठिन है I कयोंठक (I) तयोंठक बाइबि कई सठदयों पहिे
िोगो को तिखी गई थी क्जनका िातमथक, समाक्जक, औि नैतिक नमूना आज के ििीके से अिग
था I िीति-रिवाज का बदिाव, समय अंििाि, सभ्यिा थी जो अब गायब हो चुकी है औि
सम्राज्य बदि चुके है I

(I) बाइबि में 66 पुत्कें है क्जसमें अिग अिग ठकस्त्म के साठहत्य, गि,इतिहास, भबवष्यवार्ी औि काव्य
काव्य औि ऐसा औि बहुि कुछ है I एक ओि हमािे द्वािा दस आज्ञाओं को औि पहाड़ी उपदे श को मानने
मानने में अंिि है औि दस
ू िी िैव्यव्यवस्त्था या बविापगीि की पुस्त्िकें I
2. बाइबि की व्याख्या किने में भी समस्त्याएं हैं। हम बाइबि की सच्चाइयों की व्याख्या
किने के लिए व्याख्यात्मक लसिान्िों का उपयोग कििे हैं I जैसे ही हम बाइबि को समझने का
ओि उसकी व्याख्या किने रयत्न कििे है बाइबि के िेखक अपने समय को रतिबबंबबि कि िहे
थे जैसे हम समझने की कोलशश कििे हैं I उदाहिर् के लिए, पौिसु पहिी शिाब्दी का यहूदी था
औि हम बीसवीं शिाब्दी हैं I आजकि की नैतिक समस्त्याओं में से कई यह हैं कक श्रलमक संघों
में भागीदािी किना,. गभथ तनिोिकों का रयोग, औि इसी ििह से मठहिाओं का अलभषेक (
तनयक्ु ति ) किना I तया पहिी शिाब्दी का पौिस
ु इन नैतिक समस्त्याओं के बािे में उत्िि दे
सकिा है ? हमें इन मामिों औि अन्य के उथचि उत्ििों के लिए बाइबि में से खोजना पड़ेगा जो
उथचि मसीठहयि नैतिकिा को आकाि दे िा है I

3. हम सांस्त्कृतिक रतिबंिी रूप से शिाब्दी मसीही हैं। यह बाइबि की व्याख्या बहुि साविान
रूप से किने के लिए अतनवायथ बना ठदया गया है I
कुछ मसीही अपनी किीलसया में संगीि के साजों का जैसे की वपयानो,थगिाि का रयोग नहीं
कििे तयोंकक वपयानो, थगिाि बाइबि में उनका उल्िेख नहीं है I िेककन वे अपनी किीलसया में
अन्य वस्त्िओ
ु ं का उपयोग कििे हैं क्जनका उल्िेख बाइबि में नहीं ककया गया है जैसे कक
वविि
ु ीय रकाश, माइक्रोफोन आठद I

िो हम तया किे ?
हमें स्त्वयं को बाइबि की पस्त्
ु िकों के िेखकों के समान-स्त्िि पि िखने की आवश्यकिा है,
तयोंकक यह वही पिमेश्वि है क्जसने उन्हें रेरिि ककया औि उनसे बाि की औि जो अभी भी
हमसे बािें कििा औि रेिर्ा दे िा है I इसके लिए, हमें बाइबि के िालमथक ढांचे को बनाने की
जरूिि है । िब हमें बाइबि के लशक्ष्र् को ध्यान में िखिे हु में इस ढांचे में हमािे ऐसे समरूप
नैतिक मुद्दों पि ववचाि किने की जरूिि है । हमािा िमथशास्त्रीय ज्ञान हमािा पिमेश्वि के रति
ज्ञान औि अनुभव पि आिारिि है I नैतिकिा के पीछे हमेशा एक िमथशास्त्र है ।
इसलिए बाइबि नैतिकिा, मसीही िमथशास्त्र का बहुि अथिक भाग है । यह हमें व्यवक्स्त्थि रूप
से यीशु से रेम किने के लिए, उडकि लिए जीने के लिए औि उसके पद थचन्हों पि चिने के
लिए सहायिा किे गा I

बाइबि नैतिकिा औि मसीही िमथशास्त्र व्यक्तिगि ववश्वालसयों िक सीलमि नहीं है तयोंकक


िमथशास्त्र औि नैतिकिा को किीलसया औि मसीह की दे ह के साथ व्यवहाि किना पड़ेगा I

हमें नैतिकिा के लिए बाइबि का रयोग किना पड़ेगा जैसे हम इसे उपदे श औि आक्त्मकिा के
लिए रयोग कििे है I

इब्रा. 13:14 - "यहाां हमारे पास एक स्थायी नगर नह ां है , वरन हम आने वाले नगर की खोज में हैं
।"

औि हमें बाइबि को समझने के लिए हमािी नैतिक समस्त्याओं से संबंथिि किा को हमें
मसीही ववचािकों औि अगव
ु ों से सीखने की जरूिि है माठिथ न िथ
ू ि, जॉन वेस्त्िी औि बबिी ग्राहम
जैसे मसीही अगव
ु ों ने नैतिक समस्त्याओं से औि बाइबि को समझने से सम्प्बक्न्िि समस्त्याओं के
साथ संघषथ ककया है औि उथचि मसीही नैतिकिा की स्त्थापना की है I
हमें इस िथ्य को भी ध्यान में िखना चाठहए कक बाइबि हि क्स्त्थति औि हमािी सभी
नैतिक समस्त्याओं का रत्यक्ष उत्िि नहीं दे िी है I
हमािी नैतिक समस्त्याएं सीिे। बाइबबि उन परिक्स्त्थतियों से तनपिने के लिए उपकिर् रदान
कििा है क्जन्हें हम सामना कििे हैं I हमें बाइबबि के िमथशास्त्रीय मन ववकलसि किने की
आवश्यकिा है , हमें अपने रभु यीशु मसीह के रति गहिाई से समवपथि होने, औि ओि अथिक
परिपतव लशष्य बनने की आवश्यकिा है I हमािा नैतिक तनर्थय हमािे रभू यीशु मसीह के रति
तनष्िा पि तनभथि होना चाठहए I

मसीही जीवन में बाइबिीय नैतिकिा को समझिे, हमे तनम्प्नलिखखि बािें समझने की
आवश्यकिा है :

A . जीवन का उद्देश्य :
जीवन पिमेश्वि की ओि से एक दान है I इसलिए जीवन में एक उथचि उद्देश्य तनिाथरिि
किना आवश्यक है I
हमें अच्छा जीवन जीने की लिए नींव डािना चाठहए I उन्हें नीचे सूचीबि ककया गया है :

1. पिमेश्वि के वचन का अनुसिर् किना:


यूहन्ना 5:39 - " िुम पववरशास्त्र में ढूंढिे हो औि सोचते कक उसमें अनांत जीवन ममलेगा यह वह
जो मेर गवाह दे ता है II
हमें बचन ढूंढने की आवश्यकिा है , , िाकक हम जीवन में एक उद्देश्य पा सकें। कफि हमें बचन
का अध्ययन किने कीआवश्यकिा है । पिमेश्वि के वचन को सुनें इसका रचाि ककया जािा है ।
आितु नक मनुष्य ने बाइबि के अतिरिति अन्य स्रोिों को दे खा है । अथाथि लशक्षा, ववज्ञान,
दाशथतनक औि जाद।ू इन स्रोिों ने सच्चाई ववकृि कि दी है औि उनके जीवन के लिए झूिी ठदशा
दी है I जब हम बचन ढूंढिे, पढ़िे औि सन
ु िे हैं, िो बाइबि हमसे बाि किे गी। पिमेश्वि हमसे
पववर आत्मा व बचन के माध्यम से बाि किें गे I
जब हम रभु यीशु को ग्रहर् कििे हैं िो हमें अनंि जीवन ठदया जािा है I
यह
ू न्ना 3:16 - " पिमेश्वि ने संसाि से ऐसा रेम ककया कक उसने अपना एकिौिा पर
ु दे ठदया,
िाकक जो कोई उस पि ववश्वास किे वह नाश हो पिन्िु अनंि जीवन पाए I”

हमािी नैतिक क्जम्प्मेदारियों को हमािे लिए पिमेश्वि के बचन के रकाश में व्याख्या किने की
आवश्यकिा है । केवि पववर आत्मा वह कायथ कि सकिी है ।

2. पिमेश्वि के साथ संगति:


बाइबि की नैतिकिा बाइबि की लशक्षा पि आिारिि है । यह मनष्ु यों के जीवन के उद्देश्य से
सम्प्बक्न्िि है I एक औि इस उद्देश्य में महत्वपर्
ू थ कदम पिमेश्वि के साथ मनष्ु य की
सहभाथगिा है ।
आदम के पाप ने पिू ी मानव जाति को पववर पिमेश्वि से अिग कि ठदया। पिमेश्वि ने
यीशु मसीह, उसके पुर, की रायक्श्चि मत्ृ यु के माध्यम से थगिे हुए मनुष्य के साथ मेि किने
के लिए पहिा कदम उिाया I
पिमेश्वि मनुष्य के पाप औि दोष को हिा दे िा है । पिमेश्वि ने सभी मनुष्यों के लिए यह कफि
से संभव बना ठदया कक वह उसकी सन्िान बने I

जब एक मनुष्य नया जन्म िेिा है , िो पववर आत्मा का व्यक्ति उसके भीिि िहने के लिए
आिा है । मसीठहयि पिमेश्वि के साथ औि उसके पुर यीशु मसीह के साथ संगति किना है (
यहून्ना 5:26) I
पिमेश्वि के साथ संगति किने के लिए दो क्स्त्थतियां होनी चाठहए:
♦ मसीह के बािे में सही ववश्वास I

♦ मसीह के लिए एक सही नैतिक जीवन I

बाइबि स्त्पष्ि रूप से इसके बािे में 1 यहून्ना 3:23 औि 1 यहून्ना 1: 6 में इस बािे में लसखािी
है ।
1 यूहन्ना 3:23 - " उसकी आज्ञा यह है कक हम उसके पुर यीशु मसीह पि ववश्वास किें औि जैसा
उसने हमें आज्ञा दी है उसी के अनस
ु ाि एक दस
ू िे से रेम िखें ” I

1 यूहन्ना 1: 6 - " यठद हम कहें की उसके साथ हमािी सहभाथगिा है औि कफि अंिकाि में चिें,
िो हम झूिे हैं औि सत्य पि नहीं चििे I”

3. आत्मा का फि:
हमािे रतिठदन के जीवन में हमािे सभी कायथ नैतिक आचिर् की सीमा में आिे हैं। एक मसीह
हि एक सम्प्बन्ि में जो उसके पास है , उसके अंदरूनी, अन्य िोगों के साथ, पिमेश्वि के साथ
औि यहाँ िक कक दस
ू िी वस्त्िओ
ु ं के साथ भी, नैतिक समस्त्या में है I

यह पववर आत्मा का तनवास है जो उसे सभी नैतिक कायों में आत्मा के फि को उत्पन्न किने
में सक्षम बनािा है ।
यह यीशु मसीह के तनवास के माध्यम से है कक एक मसीही का जीवन िेजी से फिदायी हो
जािा है । एक
मसीह अपने जीवन को अपनी शक्ति से नहीं पिन्िु मसीह की शक्ति से जीिा है । वह न
केवि अपने संगी मसीह से रेम कििा है पिन्िु समाज से न बचे हुए मनुष्यों से भी I

पौिुस शिीि के अवांतछि फि के बािे में बाि कििा है :


गिातियों .5: 1 9 -21 - " शिीि के काम िो रगि है अथाथि व्यलभचाि, गंदे काम, िुचपन, मूतिथ
पूजा, िोना, बैि, झगड़ा, इष्याथ, क्रोि, वविोि, फुि, वविमथ, डाह, मिवािापन, िीिाक्रीडा, औि
इनके जैसे औि औि काम है , इनके ववषय में मैं िुम से पहिे से कह दे िा हूँ जैसा पहिे कह भी
चक
ू ा हूँ, ऐसे ऐसे काम किने वािे पिमेश्वि के िाज्य के वारिस न होंगे I”

यहून्ना 15: 5 - " मैं दाखििा हूँ : िुम डालियाँ हो I जो मुझमे बना िहिा है औि मैं उसमें , वह
बहुि फि फििा है , तयोंकक मुझसे अिग होकि िुम कुछ भी नहीं कि सकिे I”

B . मानव आचिर् के लसिांि

1. आध्याक्त्मकिा औि सदाचिर्
बाइबि नैतिकिा औि मसीह जीवन की चचाथ में मानव आचिर् के लसिान्िों का ववश्िेषर्
ककया जाना चाठहए।
बाइबिीय नैतिकिा सदाचिर् का एक संकेि रस्त्िुि कििी है। मानव आचिर् के लसिान्िों में
तनम्प्नलिखखि दो बािें सक्म्प्मलिि हैं:
1 आक्त्मकिा औि आचिर्
2 सदाचिर् कक्रयाशीििा के लिए रेिर्ा
1. आक्त्मकिा औि सदाचिर्
हमािा मसीही जीवन दोगन
ु ा है । यह आध्याक्त्मक औि सदाचिर् है ।
a. आक्त्मकिा :

आक्त्मकिा को जो किना है वह है हमािे सम्प्बन्ि को उसके साथ, हमािी सहभाथगिा को साथ


किना है । इसमें हमािा दृक्ष्िकोर्, मान्यिाएं, औि अभ्यास भी सक्म्प्मलिि है I ये हमािे जीवन
को रेरिि कििे हैं औि हमे पिमेश्वि िक पहुंचने में मदद कििे हैं। मसीठहयि में आक्त्मकिा
पूिे व्यक्ति औि पववर पिमेश्वि के बीच सम्प्बन्ि भी सक्म्प्मलिि है I यह पिमेश्वि अपने आप
को अपने बचन में औि उसके अद्भि
ु पुर यीशु मसीह में भी रगि कििा है I मसीठहयि में केंि
यीशु मसीह है I एक ववश्वासी के जीवन में उसकी पववरिा का सबूि उसके जीवन में पववर
आत्मा की उपक्स्त्िथथ है I

b. सदाचिर् :
मसीही सदाचिर् पिमेश्वि के साथ हमािे संबंिों पि आिारिि है । हमािा पिमेश्वि एक सदाचिर्
का पिमेश्वि है । इसलिए, हमसे एक सही ििह का जीवन जीने की आशा है ।
हमािे साथ पिमेश्वि का सम्प्बन्ि पिमेश्वि की "वाचा" औि "सक्ृ ष्ि" द्वािा थचरांकन ककया गया
है । वाचा
पिमेश्वि औि उसके छुडाए हुए िोगों के बीच पववर औि दृढ स्त्वीकृति है । क्जस संसाि में हम
िहिे हैं वह
पिमेश्वि के द्वािा बनाया औि आदे श ठदया गया है । हमें वाचा के, औि उसकी इच्छा के औि
यीशु के द्वािा दी गई नैतिक लशक्षा के अनस
ु ाि जीना चाठहए I
सदाचिर् आक्त्मकिा से संबथं िि है जो रेम, सत्य, ईमानदािी, भिाई, दया, ईमानदािी औि
शि
ु िा के माध्यम से थचरांकन की जािी है । हम अपने नैतिक तनर्थय औि कायथ के लिए
उत्ििदायी हैं।
एक मसीही आक्त्मकिा के उच्चिि स्त्िि में िहिे हुए िापिवाह औि असाविान नहीं हो
सकिा I यठद नैतिक जीवन आक्त्मकिा के साथ सहमति में नहीं है िो यह दोषपर्
ू थ होगा।
इसके अिावा, सदाचिर् आक्त्मकिा के बबना अपर्
ू थ है
जब मसीही पाप से समझौिा कििे हैं, नैतिक लसिान्िों का उल्िंघन कििे हैं, िापिवाही से
िहिे हैं या पववर आत्मा को बुझािे हैं i वे अपनी आध्याक्त्मकिा को नष्ि कि िहे हैं। यह उनके
नैतिक चरिर को कमजोि कििा है । मसीही नैतिकिा जीवन मसीही सदाचिर् है I हमें इसे
रतिठदन कायथ में िाना चाठहए I यीशु की ििह बनना औि यीशु मसीह की ििह लसि बनना ही
एक मसीही का वास्त्िववक िक्ष्य होना चाठहए I
यह नैतिकिा औि आध्याक्त्मकिा राप्ि किे गा। पौिुस पूर्ि
थ ा राप्ि किने का रयत्न कि
िहा था जैसा कफलिक्प्पयों में दे खा जािा है

कफि 3: 12 - " ऐसा नह ां है कक मैंने प्राप्त कर मलया है , या मसद्ध हो चुका हूँ ,पर पदाथथ को
पकड़ने के मलए दौड़ा जाता हूँ जजस के मलए मसीह यीशु ने मुझे पकड़ा था I I

2. सदाचिर् कक्रयाशीििा के लिए रेिर्ा:


नैतिकिा में एक उद्देश्य एक मौलिक औि महत्वपूर्थ ववषय है । उद्देश्य का अथथ है ववचाि औि
भावनाएं जो व्यक्ति से कायथ किवािी हैं I रेिर्ा एक व्यक्ति की इच्छा है जो जीवन में कुछ
तनक्श्चि मानकों औि िक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए योग्य औि मूल्यवान समझी जािी है I
रेिर्ा संबंथिि व्यक्ति के लिए आंिरिक या व्यक्तिपिक है । उद्देश ् ककसी की आध्याक्त्मकिा औि
नैतिकिा पि आिारिि है । एक रभावी मसीही होने के लिए हमािा उद्देश्य पिमेश्वि की इच्छा
हमािे ववचािों, शब्दों, कमों औि सम्प्बन्िों के माध्यम से पिू ा किने की होनी चाठहए I यह जीवन
में हमािा मागथदशथक उद्देश्य होना चाठहए तयोंकक मनष्ु य पिमेश्वि की सहायिा के बबना अच्छे
उद्देश्यों में सक्षम नहीं है ।
तनम्प्नलिखखि को जीवन के कुछ महत्वपर्
ू थ उद्देश्यों के रूप में माना जा सकिा है :
i रेम
ii अनंि जीवन (यहून्ना 9: 4)
iii समानिा, बंिि
ु ा औि गरिमा के साथ हि इंसान का इिाज (अय्यब
ू अध्याय – 31)।
iI पववरिा (1 पाििू .1: 12,13)।
v पिमेश्वि के साथ सम्प्बन्ि ( व्यवस्त्थाववविर् 6: 4-5; मिकुस 12: 28-34; इफ4: 2)।
vi नम्र जीवन (िोम 12: 1; कफि 2: 5-8)।
रत्येक मसीही के पास जीवन में इन रेिर्ाएँ / रतिठदन के जीवन में सदाचिर् की कक्रयाशीििा
होनी चाठहए I

हमािे नैतिक आचिर् के लिए मसीह नमूने के रूप में


नैतिकिा के संकेि को रस्त्िुि कििे समय, बाइबबि नैतिकिा यीशु को हमािी मसीही नैतिकिा
जीवन के लिए आदशथ ,एक नमूना औि रेिर्ा के रूप में रस्त्िुि कििी है I यीशु की नैतिक
लशक्षा उसके अथिकाि के गवाह हैं I बचन औि कायथ यीशु मसीह में पूर्थ समझौिे में हैं (रेरििों
1: 1)।

इसलिए, यीशु मसीह जीवन का तनदे शात्मक मानक है । यीशु ने नमन


ू ा होिे हुए उस नैतिक
जीवन का रदशथन ककया है , जो हमें जीना चाठहए I िगभग 2000 साि पहिे यीशु ने इस िििी
पि क्जस ििह का जीवन जीया उसे दे खिे हुए, हमें उसका अनस ु िर् किने के लिए सवोच्च
उदाहिर् दे िा है I हमािे जीवन में वास्त्िववक बनने के लिए हमें यीशु का पािन किना होगा। वह
हमािा नमन
ू ा औि
आदशथ है । इबा. 4: 15; इकफ.4: 13; 1 यह
ू न्ना 3: 2-8।
इब्रामनयों 4: 15 - " तयोंकक हमािा ऐसा महायाजक नहीं, जो हमािी तनबथििाओं में हमािे साथ दख
ु ी
न हो सके; विन वह सब बािों में हमािी नाईं पिखा िो गया, िौभी तनष्पाप तनकिा”I

इकिमसयों 4: 13 - " जब िक कक हम सब के सब ववश्वास, औि पिमेश्वि के पुर की पठहचान में


एक न हो जाएं, औि एक लसि मनुष्य न बन जाएं औि मसीह के पूिे डीि डौि िक न बढ़
जाएं।

1 यूहन्ना 3: 2-8 - हे वरयों, अभी हम पिमेश्वि की सन्िान हैं, औि अब िक यह रगि नहीं हुआ,
कक हम तया कुछ होंगे! इिना जानिे हैं, कक जब वह रगि होगा िो हम भी उसके समान होंगे,
तयोंकक उस को वैसा ही दे खेंगे जैसा वह है । औि जो कोई उस पि यह आशा िखिा है , वह अपने
आप को वैसा ही पववर कििा है , जैसा वह पववर है । जो कोई पाप कििा है , वह व्यवस्त्था का
वविोि कििा है ; ओि पाप िो व्यवस्त्था का वविोि है । औि िुम जानिे हो, कक वह इसलिये रगि
हुआ, कक पापों को हि िे जाए; औि उसके स्त्वभाव में पाप नहीं। जो कोई उस में बना िहिा है ,
वह पाप नहीं कििा: जो कोई पाप कििा है , उस ने न िो उसे दे खा है , औि न उस को जाना है ।
हे बािकों, ककसी के भिमाने में न आना; जो िमथ के काम कििा है , वही उस की नाईं िमी है । जो
कोई पाप कििा है , वह शैिान की ओि से है , तयोंकक शैिान आिम्प्भ ही से पाप कििा आया है :
पिमेश्वि का पर
ु इसलिये रगि हुआ, कक शैिान के कामों को नाश किे ।“

मसीठहयि की सदाचिर् की आवश्यकिाओं को समझना कठिन नहीं है , पिन्िु उनका


अभ्यास किना कठिन है I यह हमािे भीिि पववर आत्मा की सामथथ औि पिमेश्वि के अनुग्रह
को हमािे बि के साथ उत्िम को घोवषि कििी है I
मसीही होने के नािे हमािा मसीही आचिर् कैसा होना चाठहए? बाइबि में कई मामिों के बािे
में स्त्पष्ि रूप से कहा गया है :

किने के लिए काम:

व्यवस्त्था 6: 5 - " िू रभु अपने पिमेश्वि को अपने पूिे ह्र्दय औि अपने पूिे रार् औि अपनी
पूिी शक्ति से रेम किना” I”

तनगथमन .20: 1-17 1 िब पिमेश्वि ने ये सब वचन कहे ,


“कक मैं िेिा पिमेश्वि यहोवा हूं, जो िुझे दासत्व के घि अथाथि लमस्र दे श से तनकाि िाया है ॥
“िू मुझे छोड़ दसू िों को ईश्वि किके न मानना” I
“ िू अपने लिये कोई मूतिथ खोदकि न बनाना, न ककसी कक रतिमा बनाना, जो आकाश में , वा
पथ्
ृ वी पि, वा पथ्
ृ वी के जि में है I िू उन को दण्डवि न किना, औि न उनकी उपासना किना;
तयोंकक मैं िेिा पिमेश्वि यहोवा जिन िखने वािा ईश्वि हूं, औि जो मझ ु से बैि िखिे है , उनके
बेिों, पोिों, औि पिपोिों को भी वपििों का दण्ड ठदया कििा हूं” I ,
“औि जो मझ
ु से रेम िखिे औि मेिी आज्ञाओं को मानिे हैं, उन हजािों पि करूर्ा ककया कििा
हूं” I
“ िू अपने पिमेश्वि का नाम व्यथथ न िेना; तयोंकक जो यहोवा का नाम व्यथथ िे वह उसको
तनदोष न
िहिाएगा” I
“िू ववश्रामठदन को पववर मानने के लिये स्त्मिर् िखना”।
“ छ: ठदन िो िू परिश्रम किके अपना सब काम काज किना” I
“ पिन्िु सािवां ठदन िेिे पिमेश्वि यहोवा के लिये ववश्रामठदन है । उस में न िो िू ककसी भांति
का काम काज किना, औि न िेिा बेिा, न िेिी बेिी, न िेिा दास, न िेिी दासी, न िेिे पश,ु न कोई
पिदे शी जो िेिे फािकों के भीिि हो”।
“ तयोंकक छ: ठदन में यहोवा ने आकाश, औि पथ्
ृ वी, औि समुि, औि जो कुछ उन में है , सब को
बनाया, औि सािवें ठदन ववश्राम ककया; इस कािर् यहोवा ने ववश्रामठदन को आशीष दी औि
उसको पववर िहिाया” I
“ िू अपने वपिा औि अपनी मािा का आदि किना, क्जस से जो दे श िेिा पिमेश्वि यहोवा िुझे
दे िा है उस में िू बहुि ठदन िक िहने पाए” I
“ िू खन ू न किना” I
“ िू व्यलभचाि न किना” I
“ िू चोिी न किना” I
“ िू ककसी के ववरुि झूिी साक्षी न दे ना I”
“ िू ककसी के घि का िािच न किना; न िो ककसी की स्त्री का िािच किना, औि न ककसी के
दास-दासी, वा बैि गदहे का, न ककसी की ककसी वस्त्िु का िािच किना “ I
• िोम.12: 10 - “भाईचािे के रेम से एक दस
ू िे पि दया िखो; पिस्त्पि आदि किने में एक दस
ू िे
से बढ़ चिो”।

▪ िोम. 1 2:1 1 “रयत्न किने में आिसी न हो; आक्त्मक उन्माद में भिो िहो; रभु की सेवा
कििे िहो”।

त्यागने वािे कायथ


 ▪ इकफ. 4:28 “चोिी किनेवािा कफि चोिी न किे ; विन भिे काम किने में अपने हाथों से
परिश्रम किे ; इसलिये कक क्जसे रयोजन हो, उसे दे ने को उसके पास कुछ हो”।
▪ इकफ. 29-31 ‘कोई गन्दी बाि िुम्प्हािे मुंह से न तनकिे, पि आवश्यकिा के अनुसाि वही
जो उन्नति के लिये उत्िम हो, िाकक उस से सुनने वािों पि अनुग्रह हो। औि पिमेश्वि के
पववर आत्मा को शोककि मि किो, क्जस से िुम पि छुिकािे के ठदन के लिये छाप दी गई
है । सब रकाि की कड़वाहि औि रकोप औि क्रोि, औि किह, औि तनन्दा सब बैिभाव समेि
िुम से दिू की जाए।
 िोम. 1 2:1 4 अपने सिाने वािों को आशीष दो; आशीष दो श्राप न दो।

▪ िोम.14: 13 - "सो आगे को हम एक दस


ू िे पि दोष न िगाएं पि िम
ु यही िान िो कक
कोई अपने भाई के साम्प्हने िे स या िोकि खाने का कािर् न िखे’।

 जबकक उपिोति स्त्पष्ि रूप से दशाथया गया है , ऐसे अन्य मुद्दे हैं क्जनके लिए कोई सीिा
जवाब नहीं है :
▪ लसनेमाघिों में जाना
▪ िम्र
ू पान
▪ शिाब पीना
▪ िवववाि के खेि, आठद

संसाि के ववपिीि अनुरूपिा, दृढ़ संकल्प औि ववचाि, क्स्त्थििा, एक वववेक औि मसीह जैसा
स्त्वभाव जैसे लसिान्िोंक का अनुसिर् किना चाठहए i यह मसीही आचिर् के लिए नमूने हैं I
मसीह के सवोच्च स्त्िि का पािन किने के लिए, हमें स्त्वयं को अनुशासन दे ना चाठहए, कड़ा
परिश्रम किना चाठहए औि समवपथि होना चाठहए। अभ्यास औि संघषथ की भी आवश्यकिा है ।
तनवास किने वािा मसीह उस िक्ष्य को राप्ि किने के लिए मसीही जीवन औि भीििी चािक
का िक्ष्य बन जािा है । हमािी नैतिकिा मसीह केंठिि होनी चाठहए या कक्रस्त्िो-केंठिि होना
चाठहए।
बाइबि नैतिकिा, बाइबि आिारिि िमथशास्त्र औि बाइबि के अनरू
ु प आक्त्मकिा के बीच
वािाथिाप किने में स्त्थान िेिी है I ये इतकीसवीं शिाब्दी में िहने की मांगों को पिू ा कि सकिे
हैं।

मसीही जीवन मसीही समुदाय के भीिि िहिा है । सािािर् िौि पि, मसीही जीवन किीलसया
के भीिि जीववि है औि इसके द्वािा हि एक स्त्िि पि पोषर् ककया जािा है I किीलसया
सुसमाचाि का वाहक है । यह इसिायि के लिए पिमेश्वि का ववशेष रकाशन का सिं क्षक है जो
कक मनुष्य मे औि यीशु मसीह के कायथ में समाप्ि हुआ
किीलसया सुसमाचाि को पीढ़ी से पीढ़ी िक अपने रचाि औि लशक्षा के माध्यम से रसारिि
कििी है ।

इसलिए, सुसमाचाि पि अपने ज्ञान के लिए, औि जीवन के मागथ पि अभ्यास किने के लिए
शक्ति, इन दोनों के लिए मसीही किीलसया पि तनभथि है I
I

भाग – II
पुिाना तनयम नैतिकिा

पुिाना तनयम नैतिकिा से तया अथथ है ?

पुिाना तनयम सदाचिर् या नैतिकिा है जो पुिाना तनयम में लसखाई जािी है I पुिाना तनयम में
पिमेश्वि के चन
ु े िोगों के मौलिक िालमथक ववश्वास औि नैतिकिा के ववचाि सक्म्प्मलिि है I
पिमेश्वि सच्चा पिमेश्वि है । वह सवथशक्तिमान, स्त्विंर, अनुग्रहकािी, ववश्वासयोग्य दयािु औि
करुर्ा से भिा हुआ है I केवि पिमेश्वि ही अच्छा है (तनगथमन 33 :29 ; मिकुस 1 0:29 )।
इसलिए पिमेश्वि औि नैतिकिा अववभाज्य हैं।

"बाइबि में , हम सक्ृ ष्ि से नैतिकिा की अविािर्ा का पिा िगा सकिे हैं । बाइबि का सक्ृ ष्ि के
बािे में ववविर् क्जिना िमथशास्त्रीय है उिना ही नैतिक महत्विा का है ; यह मसीही नैतिकिा
लसिान्िों को दृढ कििा है I

आदम औि हव्वा पिमेश्वि के स्त्वरूप में बनाए गए थे (उत्पक्त्ि 27)। जबकक पिमेश्वि अच्छा
है मानव का अपने स्त्वरूप में तनमाथर् कििे हुए इस बाि को सथ
ू चि कििा है कक मनष्ु यों में
जन्मजाि नैतिकिा है I यह समाक्जकिा औि व्यक्तिगि नैतिकिा को तनदे श रदान कििा है :
वववाह की पववरिा, उसके दातयत्व, मनष्ु य का पिमेश्वि के रति वविोह औि अवज्ञा आठद I

मनुष्य के वविोह औि अवज्ञा का परिर्ाम पाप हुआ। पाप ने नैतिक ज्ञान को िि


ुं िा कि
ठदया; इसने मनुष्य कमजोि मनुष्य की इच्छा को सही किने के रति तनबथि कि ठदया ;
सम्प्बन्ि िूि गए ; नैतिक तनर्थय जठिि हो गए I पाप ने मनुष्य के वववेक को नाश कि ठदया I

िीिसु 1: 5 - " मैं इसलिये िझ


ु े क्रेिे में छोड़ आया था, कक िू शेष िही हुई बािों को सि
ु ािे , औि
मेिी आज्ञा के अनस ु ाि नगि नगि राचीनों को तनयत ु ि किे ”।

1 तिमोथथयुस .4: 2 - " कोई िेिी जवानी को िुच्छ न समझने पाए; पि वचन, औि चाि चिन,
औि रेम, औि ववश्वास, औि पववरिा में ववश्वालसयों के लिये आदशथ बन जा I

सामाक्जक संबंि भी पाप की ववनाशकािी शक्ति के लशकाि बन गए हैं।

स्त्वाथथ, बेईमानी औि उल्िंघना के कािर् कायथ संबंि औि पािस्त्परिक संबंि भी ववकृि हो गए थे



व्यवस्त्था..25: 13-16 - "अपनी थैिी में भांति भांति के अथाथि घििी-बढ़िी बिखिे न िखना। अपने
घि में भांति भांति के, अथाथि घििी-बढ़िी नपए
ु न िखना। िेिे बिखिे औि नपए
ु पिू े पिू े औि
िमथ के हों; इसलिये कक जो दे श िेिा पिमेश्वि यहोवा िझ
ु े दे िा है उस में िेिी आयु बहुि हो।
तयोंकक ऐसे कामों में क्जिने कुठिििा कििे हैं वे सब िेिे पिमेश्वि यहोवा की दृक्ष्ि में घखृ र्ि हैं
I

याकूब 5:4 दे खो, क्जन मजदिू ों ने िुम्प्हािे खेि कािे , उन की वह मजदिू ी जो िुम ने िोखा दे कि
िख िी है थचल्िा िही है , औि िवने वािों की दोहाई, सेनाओं के रभु के कानों िक पहुंच गई है ।

मिाकी .3: 5 - " िब मैं न्याय किने को िम्प्


ु हािे तनकि आऊंगा; औि िोन्हों, औि व्यलभचारियों,
औि झि
ू ी ककरिया खाने वािों के ववरुि, औि जो मजदिू की मजदिू ी को दबािे, औि वविवा औि
अनाथों पि अन्िेि कििे, औि पिदे शी का न्याय बबगाड़िे, औि मेिा भय नहीं मानिे, उन सभों के
ववरुि मैं िुिन्ि साक्षी दं ग
ू ा, सेनाओं के यहोवा का यही वचन है ॥“

इस सभी उन्नति के परिर्ामस्त्वरूप पिमेश्वि ने अपने चन


ु े हुए िोगों, यहूठदयों के साथ वाचा
के संबंि शरू
ु ककए I अपने िोगों के साथ पिमेश्वि की वाचा पिु ाना तनयम के नैतिकिा की नींव
है । इसमें ववशेष अलभव्यक्ति वािाथिाप औि मूसा की व्यवस्त्था में है I वाचा में नैतिक मांगे
पिमेश्वि द्वािा बनाई जािी हैं I

यन
ू ानी िोग अपनी नैतिकिा या सदाचिर् के लिए मानवी हे िु पि आिारिि है I पिन्िु
बाइबि नैतिकिा स्त्वायत्ििा नहीं है पिन्िु पिमेश्वि सबंिी है I इस लिए, बाइबि में नैतिक
लशक्षा पिमेश्वि केक्न्िि या िमथशास्त्रीय केक्न्िि है I

यहूदीवाद यहूठदयों का िमथ, वास्त्िव में एकेश्विवादी आिाि के साथ संसाि का एकमार िमथ
था।
पुिाना तनयम यहूठदयों का पववर पववरशास्त्र है । इसमें नैतिक या सदाचिर् लशक्षा भी शालमि
है ।
पुिाने तनयम में नैतिक औि िालमथक ित्व के बीच घतनष्ि संबंि है I
पिु ाना तनयम में नैतिकिा में ऐतिहालसक रगति है । इस रगतिशीि नैतिकिा में िीन रमख

अवथि हैं:
• वपिस
ृ त्िात्मक यग
ु - इब्राहीम से मस
ू ा िक।
• मस
ू ा का यग
ु , व्यवस्त्था दे ने वािा - लमस्र के अत्याचाि, जंगि यारा, का समय
लसनाई पहाड़ पि वाचा राप्ि किना।
• भववष्यवतिाओं, स्त्ितु ि किने वािों औि बव
ु िमान परु
ु षों का यग
ु ।
वे सामाक्जक सि
ु ािक औि नैतिक लशक्षक हैं। इन िीन अवथियों में िोगों को वाचा राप्ि हई
I
कानून, भववष्यवाखर्यों की लशक्षा, भजन औि बुवि साठहत्य। इन ईश्वि द्वािा ठदए गए नैतिक
औि नैतिक के माध्यम से
लशक्षाओं, हम नैतिक उद्देश्य औि ईश्वि की ठदव्य इच्छा का तनिं िि रकाशन दे खिे हैं।
नैतिकिा या नैतिकिा के पांच मुख्य ववषय हैं क्जन्हें हम ओिी में पाए गए उपिोति रकाशन में
दे खिे हैं
शास्त्रों में तनम्प्नानुसाि संक्षेप में उन्हें सािांलशि ककया जा सकिा है ।
1. पुिाने तनयम की नैतिकिा पिमेश्वि - केंठिि (िमथशास्त्र-केंठिि) है । यहूठदयों के िमथ औि
नैतिकिा के बीच घतनष्ि संबंि है I कभी-कभी उनके बीच अंिि किना मुक्श्कि होिा है :
तनगथमन 20: 1, 2 - " 1 िब पिमेश्वि ने ये सब वचन कहे , कक मैं िेिा पिमेश्वि यहोवा हूं, जो
िुझे दासत्व के घि अथाथि लमस्र दे श से तनकाि िाया है ” I

मीका 6: 8 - " हे मनुष्य, वह िुझे बिा चक


ु ा है कक अच्छा तया है ; औि यहोवा िुझ से इसे छोड़
औि तया चाहिा है , कक िू न्याय से काम किे , औि कृपा से रीति िखे, औि अपने पिमेश्वि के
साथ नम्रिा से चिे? "
नीमतबचन .9: 10 - "पिमेश्वि का भय मानना बव
ु ि का आिम्प्भ है औि पिमपववर ईश्वि को जानना
ही समझ है ” I

2. पिु ाने तनयम की नैतिकिा पिमेश्वि-केक्न्िि है । यह नैतिक तनयमों के समह


ू पि तनभथि होने
की बजाय यह इस्रायि के पिमेश्वि की वाचा के सबंि पि आिारिि है I उदाहिर् के लिए:-
िैव्य. 19: 2 - " इस्त्राएलियों की सािी मण्डिी से कह, कक िम
ु पववर बने िहो; तयोंकक मैं
िम्प्
ु हािा पिमेश्वि यहोवा पववर हूं।

मीका 6: 8 - " हे मनुष्य, वह िुझे बिा चक


ु ा है कक अच्छा तया है ; औि यहोवा िुझ से इसे छोड़
औि तया चाहिा है , कक िू न्याय से काम किे , औि कृपा से रीति िखे, औि अपने पिमेश्वि के
साथ नम्रिा से चिे “ I
3. पुिाने तनयम नैतिकिा व्यक्तियों औि समुदायों के आसपास केंठिि है , न कक तनयमों औि
ववतनयमों के एक समह
ू पि I

उदाहिर् के लिए, दस आज्ञाएं (दस आदे श) व्यक्तियों के व्यवहाि से औि पिमेश्वि के साथ


उनके सबंि से सबंथिि है I

यशायाह औि मीका जैसे भववष्यवतिा न्याय औि दया (6: 8) के बािे में बाि कि िहे थे जो कक
इस्रायि के तनर्थयों औि कायथशीििा में सक्म्प्मलिि है I

4. पुिाने तनयम की नैतिकिा सभी मनुष्यों की सावथभौलमकिा, तनष्पक्षिा औि समानिा पि


जोि दे िी है ;
ऐसा इसलिए है तयोंकक, हि व्यक्ति पिमेश्वि द्वािा बनाया गया है औि पिमेश्वि की समानिा
में है । "पमेश्वि सभी को प्याि कििा है , सबकी िक्षा कििा है , औि सबको छुड़ािा है , औि हि
ककसी के पाप औि अनैतिकिा का न्याय कििा है I िमी मनुष्य तनिथन के न्याय के बािे में दे ख
िे ख कििा है ” I नीतिबचन 29:7 I

5. पुिाना तनयम की नैतिकिा बुिाई या पाप या गिि कायथ से उिाि के बािे से सबंथिि है ।
पिमेश्वि न्याय की औि िालमथकिा की मांग कििा हैं I इस्रायि की आशा मनुष्य के बजाय
पिमेश्वि पि है I

भजन सठहंिा 95:1 - "आओ हम यहोवा के लिये ऊंचे स्त्वि से गाएं, अपने उिाि की चट्टान का
जयजयकाि किें ! यह भजन के िेखक का इकिाि है I
यशायाह 38: 17 - " दे ख, शाक्न्ि ही के लिये मुझे बड़ी कडुआहि लमिी; पिन्िु िू ने स्त्नेह कि के
मझ
ु े ववनाश के गड़हे से तनकािा है , तयोंकक मेिे सब पापों को िू ने अपनी पीि के पीछे फेंक
ठदया है ।“ यह ठहक्ज्तकयाह िाजा का इकिाि है I

इसलिए पिमेश्वि इस्रायि का छुड़ाने वािा औि मुक्तिदािा है : इन आयिों को पढ़े I यशायाह


41: 14; 43:14; 47: 4; 49: 7; 54: 5, 8।
यीशु में उिाि का यह वचन नए तनयम के ववश्वालसयों के लिए पूिा हो चुका है । मत्िी .1: 21 - "
21 वह पुर जनेगी औि िू उसका नाम यीशु िखना; तयोंकक वह अपने िोगों का उन के पापों से
उिाि किे गा।" बाइबि की नैतिकिा पुिाने तनयम की नैतिकिा की पष्ृ िभूलम के वविोि में
समझी जािी है । मसीही यह ववश्वास कििे है की पिमेश्वि का स्त्वयं का रकिीकिर् यीशु के
जीवन, मत्ृ यु औि पुनरुत्थान में पूिी ििह से पूर्थ था I

पंचग्रंथ की नैतिक लशक्षा


पिमेश्वि ने मनष्ु य को अपने स्त्वरूप में बनाया। (उत्पक्त्ि:1 :26, 27) मनष्ु य में पिमेश्वि का
यह स्त्वरूप मनष्ु य के नैतिक औि िमथ की ििफ झक
ु ाव का स्रोि है I हमें पंचग्रंथ में बाइबि
नैतिकिा की नींव लमििी है ।
पंचग्रंथ की लशक्षाएं तनम्प्नलिखखि ऐतिहालसक नींव पि आिारिि हैं:
(a) पिमेश्वि ने लमस्र में अपने िोगों को बंिन औि दासिा से बचाया।
(b) सीनाई पवथि पि पिमेश्वि ने वाचा के माध्यम से इस्रायि के िोगों के साथ खुद को बांि
लिया।इस्रायि के िोग सठदयों से इस वाचा के लिए समवपथि िहे हैं।
(c) वह व्यवस्त्था जो पिमेश्वि ने दी उसने पिमेश्वि उसके िोगों के बीच सम्प्बन्ि को दृढ ककया
I
ये िीन घिनाएं एक साथ तनकििा से जुड़ी हैं। ये सभी िीन घिनाएं इतिहास में पिमेश्वि की
पहि को इंथगि कििी हैं। पिमेश्वि औि इस्रायि के बीच संबंि केवि क़ानूनी िौि पि नहीं
बक्ल्क िालमथक औि नैतिक संबंि भी है । आइए हम वाचा औि व्यवस्त्था की जांच किें ।
1. वाचा :
इस्रायि पिमेश्वि यहोवा के चन
ु े हुए िोग थे। पिमेश्वि यहोवा िमथ, न्याय, दया औि
पववरिा का पिमेश्वि था उसने िोगों के साथ एक वाचा बाँिी । यह वाचा पुिाने तनयम
में सबसे मौलिक औि ववलशष्ि िाक्त्त्वक है I इसने इस्रायि के िालमथक औि सदाचिर्
के दृक्ष्िकोर् को रभाववि ककया। इसमें पिमेश्वि का स्त्वभाव, पिमेश्वि का उनके साथ
सबंि, औि सदाचिर् के दातयत्व सक्म्प्मलिि थे I था I मसीह की आशा इस्रायि के
मोक्ष की आशा थी I इस वाचा में पिमेश्वि का िाज्य औि पिमेश्वि के न्याय का आिाि
था I
(a) वाचा का अथथ:
एक वाचा का अथथ है कक दो पाठिथ यों के बीच एक वायदा, शपथ, संथि, समझौिा या ववशेष संबंि।
यह दोनों पक्षों के लिए बाध्यकािी है । वाचा के लिए इब्रानी शब्द बेरिथ है । पिु ाने तनयम में इस
शब्द का अथथ पिमेश्वि औि उसके िोगों के बीच नैतिक दातयत्व की भावना के लिए आिाि
बिािा है । पिमेश्वि ने स्त्वयं उन िोगों को चन
ु ा क्जनके माध्यम से वह वाचा में रवेश किने जा
िहा था। पिमेश्वि इस्रायि के साथ अपनी वाचा में पहि की
। इस्राइि का यह चन
ु ाव इस्रायि के ककसी भाग भी योग्यिा से नहीं बक्ल्क स्त्विंर इच्छा औि
पिमेश्वि का इस्राइि के रति रेम से था। वाचा की स्त्थापना किने के द्वािा पिमेश्वि ने इस्राइि
के रति अपनी स्त्विन्रिा औि रेम को सीलमि कि ठदया। पिमेश्वि उनसे चाहिा था कक वह
मोक्ष के इतिहास में एक बहुि ही महत्वपूर्थ भूलमका तनभाएं I इस ििह पुिाने तनयम की
नैतिकिा ने एक मजबि ू ऐतिहालसक भल ू मका तनभाई I
वाचा एक नये तनयम के साथ साथ पिु ाने तनयम की अविािर्ा भी है I जब यीशु ने रभु
भोज के बािे में लसखाया िो उसने प्यािे के बािे में “वाचा का िहू” दशाथया I (मत्िी 26: 28)
नये तनयम के मसीही नये इस्राइि है , पिु ाने तनयम औि नये तनयम दोनों में वाचा अनग्र ु ह
का शब्द औि पिमेश्वि की पिू ी िौि से आज्ञा पािन के लिए एक बि
ु ाहि है I पिमेश्वि के साथ
पिमेश्वि ने पहिी वाचा लसनाई पवथि पि दी थी I यह नई वाचा में समाप्ि हो गई जो हमािे
यीशु मसीह के द्वािा लसखाई गई I

(b) वाचा का स्त्वभाव:


सबसे पहिे, पिमेश्वि ने व्यक्तियों से वाचा बांिी ; पिमेश्वि ने नूह के साथ इंििनुष के थचन्ह
के द्वािा वाचा बांिी । ( उत्त्पति .9: 8-17)। खिना अब्राहम के साथ की गई वाचा का रिीक था।
(उत्त्पति17 )।
बाद में , पिमेश्वि ने मूसा के माध्यम से इस्रायि िाष्र के साथ वाचा ककया। (तनगथमन.19: 2-6; 24:
7)। यह वाचा इस्रायि के साथ यहोवा के सम्प्बन्ि उत्िम कथन में पाई जािी हैं: "मैं िुम्प्हािा
ईश्वि िहूंगा औि िुम मेिे िोग होओगे ( िैव्यव्यवस्त्था 26: 12; तयमथयाह 7: 23; .11: 20
यहे जकेि.8: 8; 2 कुरिक्न्थयों 6: 16)। यह वाचा थचन्ह के साथ नहीं थी I पिन्िु यह पिमेश्वि की
आज्ञाओं के रति इस्रायि की आज्ञाकारििा की एक अपेक्षा के साथ थी। पिन्िु इस वाचा ने
इस्राइलियों को स्त्मिर् किाया कक वह यहोवा के हैं, वे उसके उत्ििदायी हैं I इस्राइि के लिए
लसनाई वाचा एक स्त्वयंसेवी थी I यह नैतिक वाचा थी I उन्होंने कुछ तनक्श्चि अनुष्िान औि
नैतिक दातयत्व स्त्वीकाि कि लिए कक वह इसका पािन किें गे I यह वाचा एक नई नैतिक रर्ािी
के लिए मूि थी I वाचा का सम्प्बन्ि पुिाने तनयम की नैतिकिा की नींव बन गई I पिमेश्वि
क्जसने हमें वाचा दी है वह दयािु, रेमपूर्,थ कृपािु औि दया किने वािा पिमेश्वि है I वह न्याय
का पिमेश्वि है औि अपने िोगों से आज्ञाकारििा चाहिा है I उसके िोग उसके साथ
ववश्वासयोग्य होने चाठहए औि उसकी इच्छा के आज्ञाकािी होना चाठहए औि दयािु भगवान है ।
वह न्याय का दे विा है औि उसे आज्ञाकारििा की आवश्यकिा है I वाचा का पिमेश्वि इस्राइि के
िोगों के द्वािा अपनी वाचा के माध्यम से हि समय सब िोगों िक पहुंच िहा है I

(c) वाचा की सामग्री: तनगथमन 20:22 - 23:33 को सािािर् िौि पि वाचा का संकेि कहा जािा
है । पिमेश्वि वाचा के संकेि का िेखक है ; वाचा के संकेि में पिमेश्वि की आवश्यकिाएँ है I
मस
ू ा ही केवि माध्यम है क्जस के द्वािा पिमेश्वि ने वाचा के संकेि ठदए I
वाचा के संकेि में िीन ििह की आवश्यकिाएँ है :
1. शिों के आिाि पि चन
ु ाव
2. बबना शिों के शब्द

“चन
ु ाव” इन कथनों के द्वािा दशाथया गया है : “यठद कोई अपने दास वा दासी को सोंिे से
ऐसा मािे कक वह उसके मािने से मि जाए, िब िो उसको तनश्चय दण्ड ठदया जाए।
(तनगथमन 21 :20)

‘शब्द” इन कथनों के द्वािा दशाथए गए हैं : “ िू रभु अपने पिमेश्वि की सेवा किना” (
तनगथमन 23:25) I
यह व्यवस्त्था की दो ककस्त्में मूसा के कथनों में बिाए गए हैं : “िब मूसा ने िोगों के पास
जा कि यहोवा की सब बािें औि सब तनयम सुना ठदए; िब सब िोग एक स्त्वि से बोि
उिे , कक क्जिनी बािें यहोवा ने कही हैं उन सब बािों को हम मानेंगे।‘ (तनगथमन 24:3)

दस आज्ञाएँ दो रूपों में पाई जा सकिी है – (तनगथमन .20: 1-17; व्यवस्त्था .5: 6-21)। दोनों ववषय
सूची में नैतिक हैं।
िीसिी एक िालमथक िीिी से संबंथिि है –तनगथमन .34: 10-26
दस आज्ञाएँ न केवि व्यक्तियों के लिए बक्ल्क पूिे इस्राइि दे श को भी संबोथिि कििे हैं। यह
पिमेश्वि के रति सामाक्जक किथव्य, पािस्त्परिक संबंि औि अनुशालसि जीवन, आज्ञाकारििा औि
ववश्वासयोग्यिा लसखािा है । यह अव्यवक्स्त्थि औि अनैतिक इच्छाओं को मना कििा है । इस
ििह से , यह बाइबबि के मन के मूि ववचाि औि ठदशा को व्यवक्स्त्थि कििा है I

तनगथमन में चन
ु ाव के बािे में चेिावनी औि लशक्षा दी गई है तनगथमन 20:22-23:1 9 जो
वाचा की पुस्त्िक के नाम से जानी जािी है (तनगथ..24: 7) । वाचा की पुस्त्िक पुिाने तनयम की
नैतिकिा की पूिी ववचाििािा का सािांश है । इस वाचा में दासिा का पुनगथिन, कायों का दातयत्व,
न्याय औि दं ड ववषयों पि जोि ठदया गया है I पिमेश्वि के सामने शपथ िेने से वववाद सुिझाए
जािे थे । इस्राएलियों से पिमेश्वि के औि अथिकारियों के रति सम्प्मान ठदखाने की आशा की
जािी थी I
सािवां ठदन आिािना औि ववश्राम के लिए था औि उसे पववर िखा जाना होिा था।
बहुदेववाठदिा
मना थी I केवि एक सच्चे पिमेश्वि यहोवा के रति तनष्िा पि जोि ठदया गया था।

वाचा के माध्यम से इस्राइि के िोगों को पिमेश्वि की इच्छा का ज्ञान था। यह ज्ञान को


जब िक यह हमािे रभु यीशु मसीह के माध्यम से नए वाचा में सभी िोगों को इसकी जानकािी
ना हो गयी, सिु क्षक्षि िखा गया I ( भजन..19: 8-11; 119; मत्िी .1 9: 17-19) । इस वाचा में
इस्राइि के िोगों के लिए भी पववरशास्त्रीय व लमशन औि उनके उद्देश्यों औि ििीको का महत्व
था।
उन्हें पिमेश्वि औि उसकी व्यवस्त्था के माध्यम से दतु नया के िाष्रों के बीच गवाही दे ने के लिए
बुिाया गया था। (यशा. 4: 8-10; 43: 10-12; 49: 3-6)। उनका काम मसीहा के भववष्य के लिए
िालमथक औि नैतिक आिाि िैयाि किना था I िब मसीहा पिमेश्वि के सावथभौलमक िाज्य को
िाएगा। इस ििह यीशु पिमेश्वि की वाचाओं का वास्त्िववक परिपूर्ि
थ ा है I (िूका 1: 32 - 33, 72-
73; रेरििों के काम 13: 17-23)।
2. व्यवस्त्था:
(a) व्यवस्त्था का अथथ:
"व्यवस्त्था" तया है ?

1 . व्यवस्त्था बिािी है कक मनष्ु य पिमेश्वि के स्त्वरूप में बनाया गया है । "पिन" के माध्यम
से
यह स्त्वरूप किंककि हो गया था I पिन्िु शैिान पिू ी ििह से मनष्ु य से "पिमेश्वि के
स्त्वरूप"
को हिाने में सक्षम नहीं है । पिमेश्वि ने अपने पुर यीशु को इस िूिे हुए सम्प्बन्ि को
पुनस्त्थावपि किने के लिए इस संसाि में भेजा I
2. व्यवस्त्था मूसा की व्यवस्त्था की रर्ािी को भी संदलभथि कििी है ।
3. व्यवस्त्था "नैतिक व्यवस्त्था" को भी संदलभथि कििी है । चकंू क ईश्वि नैतिक है , मनष्ु य के
लिए यह
गिि है यठद वह पिमेश्वि की ििह नैतिक ना हो I मनष्ु य को पववर होना आवश्यक है I
(िैव्य.19: 2) I
4 व्यवस्त्था का भी अथथ यह भी है कक व्यवस्त्था की आज्ञाकारििा। इस्राइिी िोग व्यवस्त्था के
माध्यम से पिमेश्वि की इच्छा को जानने पाए थे। उन्हें इसके रति आज्ञाकािी होने की
आवश्यकिा थी।
5 व्यवस्त्था कुछ ववलशष्ि व्यवस्त्था को दशाथिी थी जैसे कक दस आज्ञाओं को I

पिमेश्वि की व्यवस्त्था बिु ाई की जांच कििी है । चकंू क पिमेश्वि हमािा आदशथ है , इसलिए
उसका आदशथ इस व्यवस्त्था के माध्यम से व्यति ककया गया जो कक उिना ही सावथभौलमक है
क्जिना कक व्यक्तिगि है I व्यवस्त्था का उद्देश्य इसके िाजनीतिक, तनदे शन,सुसमाचाि औि
आक्त्मकिा के उपयोग में दे खा जािा है I व्यवस्त्था कभी भी मोक्ष या दोष मुक्ति के सािन के
रूप में नहीं दी गई थी ।
पिमेश्वि ने वाचा के ढांचे के भीिि इस्राइिी िोगों को व्यवस्त्था दी I के इब्रानी में व्यवस्त्था
के लिए शब्द िोिह है औि यूनानी शब्द नोमोस है । व्यवस्त्था में नैतिक मूल्य का बहुि कुछ है ।
यह इस मनुष्यों को संसाि में उनके स्त्थान के बािे , औि पिमेश्वि के औि उसके पड़ोसी के
रति उसके दातयत्व के लिए मागथदशथन औि उपदे श का रबंि कििी है I
बाइबबि में शब्द "कानून" का रयोग ववलभन्न ििीकों से ककया जािा है :
❖ कभी-कभी यह पूिे पुिाने तनयम को दशाथिी है I
❖ पंचग्रन्थ को दशाथिी है ।
❖ मूसा के लिए पिमेश्वि का रकाशन।
❖ पिमेश्वि का लिखखि वचन।

दस आज्ञाएं या सदाचिर् व्यवस्त्था पिमेश्वि के शासन के मौलिक व्यवस्त्था का गिन कििे


हैं। ववस्त्िि
ृ व्यवस्त्था आिािना, बलिदान औि पववर अवसिों, मानवाथिकािों औि व्यक्तिगि
आचिर् के संबंि में दी गई थी। सब अनुष्िातन सम्प्बन्िी व्यवस्त्था सामान्य हैं औि वे रभु यीशु
मसीह द्वािा समाप्ि कि ठदए गए थे। िेककन नैतिक व्यवस्त्था हमािे लिए उिनी ही िागू होिी है
क्जिनी कक यहूठदयों के लिए थी I

िोिाह व्यवस्त्था है । यह आज्ञाओं का एक भाग है जो पिमेश्वि की इच्छा को इंथगि कििी है ।


तनयमों की एक रर्ािी औि जन्म से िेकि मत्ृ यु िक जीवन के लिए आचिर्। यह पारिवारिक
जीवन, पड़ोलसयों के साथ संबंिों, कायथ औि िालमथक किथव्यों के लिए ठदशा भी रदान कििी है I

व्यवस्त्था का उद्देश्य तया है ?


व्यवस्त्था मनुष्य की भिाई के लिए पिमेश्वि द्वािा ठदया गई थी I
मनुष्य व्यवस्त्था का अनुसिर् किने से पिमेश्वि के मागों पि चि सकिा था I
व्यवस्त्था पाप की आिोचना कििी है ।
व्यवस्त्था हमें पिमेश्वि औि यीशु की ििह होने के हमािे गंिव्य िक पहुंचने में हमािी सहायिा
कििी है । यह हमािे मसीही जीवन की िक्ष्य है ।
व्यवस्त्था का उद्देश्य पिमेश्वि के साथ सही संबंि औि आज्ञाकारििा बनाए िखना है ।
पिमेश्वि की व्यवस्त्था की अवज्ञा का परिर्ाम दं ड औि न्याय है ।
B ) व्यवस्त्था का स्त्वभाव:
व्यवस्त्था वाचा के ढांचे के भीिि पिमेश्वि द्वािा दी गई थी । इसे वाचा-व्यवस्त्था के रूप में भी
जाना जािा है । यह समाज में जीवन औि पिमेश्वि के साथ संबंिों से संबंथिि है I व्यवस्त्था जो
पहिे पत्थि की पठट्टयों पि लिखी गई थी, के स्त्वभाव के माध्यम से यह आखििकाि मनष्ु यों के
हृदयों में लिखी गई थी I (भजन.119: 11; तयमथ..31: 33) ।

C ) व्यवस्त्था की ववषय वस्त्िु :


व्यवस्त्था की ववषय वस्त्िु संपूर्थ है । हम दस आज्ञाओं औि व्यवस्त्थाववविर् की पुस्त्िक का
अध्ययन कि सकिे हैं I

(i) दस आज्ञाएं: (तनगथ.20: 1-17; व्यवस्त्था..5: 6-21)


दस आज्ञाओं में िीन व्याख्याएँ हैं। वे नैतिकिा के िीन स्त्िि बनािे हैं

नैतिकिा का पहिा स्त्िि:


पिमेश्वि स्त्वयं को इस्राइि के िोगों के साथ पहचानिा है ( तनगथ..20: 2)। यह ईश्विीय
छुिकािे का सम्प्बन्ि था I तनगथ.20: 2-7,
वह दासिा से छुड़ाए जािे हैं ।
उन्हें केवि पिमेश्वि की आिािना किनी चाठहए।
मूतिथपूजा वक्जथि है ।

नैतिकिा का दस
ू िा स्त्िि:
पिमेश्वि एक ठदन अिग कििा है जब मनुष्य को उसकी आिािना किनी चाठहए। सब्ि का
ठदन ववश्राम औि सेवा का ठदन है (तनगथ20: 8-11)।

नैतिकिा का िीसिा स्त्िि:


रत्येक व्यक्ति के अपने समाज के संबंि (तनगथ.20: 12-17)। नैतिक दातयत्व I
(ii) ववथि-ववविर् तनयम (इतिहास 12-26):
यह इसिाइि के उस समय के सामाक्जक, आथथथक, िाजनीतिक, िालमथक औि नैतिक वववादों को
दशाथिा है । पववरिा की अविािर्ा व्यवस्त्थाववविर् के साथ-साथ िैव्यव्यवस्त्था में भी पाई जािी
है । व्यवस्त्था पि जोि ठदया गया था औि रेम को पिमेश्वि की व्यवस्त्था का पािन किने के लिए
रेिर्ा के रूप में घि में लसखाया जािा था I याजक इसे लसखािे थे I नैतिकिा के ववचािों औि
व्यवस्त्था की आवश्यकिाओं का उपयोग नैतिक समुदाय को स्त्थावपि किने के लिए ककया जािा
था, जो वाचा के पिमेश्वि के साथ उथचि संबंि में था ।
(iii) व्यवस्त्था का दरु
ु पयोग:
पिमेश्वि ने हमें उसके औि उसके मागों को समझने औि उसके रति आज्ञा मानने के लिए
व्यवस्त्था दी I पिन्िु फिीसी औि सदक
ू ी िोग व्यवस्त्था का गिि रयोग कि िहे हैं।व्यवस्त्था का
मूि रूप से गिि उपयोग को “कमथकांडवाद” के रूप में जाना जािा है I व्यवस्त्था का गिि
उपयोग हमें अनैतिक औि पापी बनािा है ।

कमथकांडवाद तया है ?
यह नैतिकिा की एक रर्ािी है । यह हि संभाववि अवसि या परिक्स्त्थति के लिए या नैतिक
चन
ु ाव के लिए तनयमों औि ववतनयमों को तनिाथरिि कििा है I
कमथकांडवाद व्यवस्त्था को इसके संदभथ से अिग कििा है । कमथकांडवाद व्यवस्त्था के पर पि
जोि दे िा है औि आत्मा की व्यवस्त्था को भि
ू जािा है (िोम 7: 6; 2 कुरि.3: 6)। कई बाि
कमथकांडवाद कपिीपन को पकड़ िेिा है (मत्िी 23: 3)।

कमथकांडवाद िब होिा है जब कोई व्यवस्त्था का दरु


ु पयोग कििा है । उदाहिर् के लिए मूसा के
वविोिमें दाउद या अब्राहाम को तनयि कििा है I कमथकांडवाद यह रभाव डाििा है कक मनुष्य
स्त्वयं पि पूिा भिोसायह पिमेश्वि को उथचि मान्यिा नहीं दे िा I कमथकांडवाद मनुष्य-अनुकूलिि
के बजाय व्यवस्त्था-अनुकूलिि है I यह रेम के वविोि व्यवस्त्था को तनयि कििा है ; यह रेम के
बदिे व्यवस्त्था िखिा है I केवि पिमेश्वि अच्छा है । पिन्िु कमथकांडवादी सोचिे है कक वे अच्छे
है I इसलिए, कमथकांडवाद मानव भ्रष्िाचाि औि आत्मतनभथििा का सबसे बुिी ककस्त्म है ।
यह संकेि दे िा है कक मसीह का छुड़ाने का काम पयाथप्ि या आवश्यक नहीं है ।
भववष्यवतिाओं की नैतिक लशक्षा
पुिाने तनयम में , एक भववष्यवतिा पिमेश्वि के रवतिा थे (तनगथ.4: 15, 16)। वे व्यक्तिगि
िालमथकिा के रचािक थे I उन्होंने रभु के नाम पि सामाक्जक औि िाष्रीय मामिों पि ठिप्पर्ी
की। उनका बाद की शिाक्ब्दयों के िमों पि बहुि अच्छा रभाव था, यहाँ िक कक मसीठहयि पि
भी । रमाखर्क भववष्यवतिाओं के साथ साथ अरमाखर्क भववष्यद्वतिा भी थे । अपने जीवन में
पिमेश्वि की बि
ु ाहि उनकी सेवकाई को योग्य िहिािी थी I

इब्रानी भाषा के पुिाने तनयम में , मूसा की पांच पुस्त्िकें, मूसा की पांच पुस्त्िकों के अनुरूप
हैं:
यशायाह, तयमथयाह, यहे जकेि, दातनय्येि औि 12 भववष्यवतिाओं (होशे से मिाकी ) की पुस्त्िकें I
यह भाग को भववष्यवार्ी पंचग्रन्थ” के नाम से जाना जािा है I

भववष्यवतिाओं का संदेश इस्राइि के िोगों औि पिमेश्वि के बीच वाचा के सम्प्बन्ि पि


आिारिि था I संदेश क्जिने नैतिक थे उिने हो िालमथक भी थे I भववष्यवतिाओं का संदेस
नैतिक ववषय वस्त्िु से भिा था I भववष्यवतिाओं के ठदनों में अपिाि, अिमथ औि झूि भिा हुआ
था; भववष्यवतिाओं व्यक्तिगि तनष्कपििा के मूल्यों को बनाए िखा Iवे मूतिथपूजा, िमथ में ठदखावे
औि कपिीपं के वविोि में थे I

भववष्यवतिा आमोस, होशे, यशायाह औि मीका को नैतिकिा के भववष्यवतिाओं के रूप में जाना
जािा है । वे आिवीं शिाब्दी ईसा पूवथ में थे I उन्होंने इसिाइि के िक्ष्य को तनिाथरिि किने में
नैतिकिा को संठदग्ि कािक के रूप में को दे खा। उनका मुख्य जोि पिमेश्वि की अपने िोगों से
सही आचिर् की मांग पि था I

आमोस ने पिमेश्वि के न्याय पि बि ठदया।


होशे ने पिमेश्वि के रेम पि बि ठदया।
यशायाह पववरिा का भववष्यवतिा था, जबकक मीका िालमथकिा का भववष्यद्वतिा था।
तयमथयाह औि यहे जकेि को नैतिकिा के भववष्यवतिाओं के रूप में भी जाना जािा था। उन्होंने
यीशु की नैतिक लशक्षाओं के लिए मागथ िैयाि ककया I

कवविा औि बव
ु ि साठहत्य की नैतिक लशक्षाएं
पिु ाने तनयम के बव
ु ि साठहत्य में अय्यब
ू , नीतिवचन, उपदे शक औि कुछ भजन सक्म्प्मलिि हैं।
ज्ञान साठहत्य दो श्रेखर्यों में आिा है :
1 बव
ु िमानी या व्यावहारिक
2 रतिबबंबबि या ववचािवान

बुविमानी साठहत्य:
यह व्यावहारिक सिाह औि बुविमान कथन दे िा है जो सफि औि रसन्न जीवन के लिए
ठदशातनदे श रदान कििे हैं। वे हि एक व्यक्ति के लिए अपने दै तनक जीवन में स्त्वयं को
व्यवक्स्त्थि किने के लिए अंिदृथक्ष्ि औि ठदशातनदे श दे िे हैं । नीतिवचन की पुस्त्िक इसका एक
उदाहिर् है I

रतिबबंबबि साठहत्य:
यह ववशेष समस्त्याओं के बािे में गहिाई से ववचाि रदान कििा है औि जीवन के अथथ के
गहिे मुद्दों, जीवन के मूल्य औि संसाि में बुिाई को तनयन्रर् किने को रतिबबंबबि कििा है I
अय्यूब औि सभोपदे शक इसके उदाहिर् है I अय्यूब की पुस्त्िक “दुःु ख” जैसे नैतिक समस्त्या को
संबोथिि क्र् ििी है I यह पिमेश्वि के मनुष्य के लिए मागथ की व्याख्या कििी है I
भजन की पुस्त्िक न केवि इस्राइि के नैतिक औि िालमथक जीवन को दशाथिी है रिन्िु जीवन
के दशथन को भी दशाथिी है I के नैतिक औि िालमथक जीवन को दशाथिी है बक्ल्क उनका दशथन
भी दशाथिी है I

भाग III
नया तनयम नैतिकिा
न्य तनयम नैतिकिा की स्त्थापना यीशु मसीह के सुसमाचाि पि की गई है । सुसमाचाि नैतिक
मांग कििा है । यीशु,सुसमाचाि है औि नया तनयम से तनकि से संबंथिि हैं, यीश,ु मसीहा के बािे
में आशा की जािी थी कक वह आएगा औि व्यवस्त्था औि भववष्यवतिाओं के कथन को पूिा
किे गा I उसने पिमेश्वि औि पड़ोसी के रति रेम की पिमेश्वि की आवश्यकिा को जोड़ा था I
(व्यवस्त्था. 6: 4; िैव्य.19: 18; मत्िी.22: 37-40)।
यीशु की मूि लशक्षाएं पिमेश्वि के िाज्य औि उपदे श पि उसके ववचािों में पाई जािी हैं I
यीशु व्यवस्त्था को पूिा किने के लिए आया था, इसे नष्ि किने के लिए नहीं किने के लिए नहीं
आया । िेककन यीशु ने उसके ठदनों के अगुवों के कमथकांडवाद को मान्यिा दे ने से इंकाि कि
ठदया था I

यीशु सभी िोगों के लिए एक नया दृक्ष्िकोर् िाया I पिमेश्वि, उसके मागथ , औि उसके कायथ
यीशु के माध्यम से नये बबंद ु में ििफ िाए गए I
। बािें औि ववचाि जो पुिाने तनयम में बहुि महत्व िखिी थीं वे अब उत्िम बन चक ु ी थी,
उदाहिर् के लिए, इस्राइि का अथथ औि महत्व एक चन ु ी हुई जाति के रूप में था, इस्राइि की
भूलम,मक्न्दि, सब्ि, यह सब को क्षय का परिविथन हुआ। यहूदी दतु नया भि में बबखिे हुए थे।
मसीही नए इस्रायिी है औि मसीह के हैं।
जब मसीठहयों को नैतिक तनर्थय िेने की आवश्यकिा होिी है िो उन्हें तनम्प्नलिखखि दो बािों को
ध्यान में िखने की आवश्यकिा होिी है :
1 उन्हें अपने नैतिक तनर्थय िेने के लिए बाइबि के पुिाने औि नये तनयम दोनों को उपयोग
किने की आवश्यकिा है । ये इसलिए है तयोंकक दोनों तनयम मसीठहयों के लिए एक दस
ू िे के
बबना अपूर्थ औि अस्त्पष्ि हैं। उन्हें उस क्स्त्थति पि भी ध्यान दे ना चाठहए जव यीशु मसीह इस
पथ्
ृ वी पि के जीवन में थे I

2 एक मसीही को अकेिे ही नैतिक तनर्थय नहीं िेना चाठहए। वह मसीही समाज का है ,


किीलसया का भाग I उसे पववर आत्मा के मागथदशथन में किीलसया पि तनभथि होना चाठहए।

यीशु की नैतिक लशक्षा


यीशु ने िोस नैतिक समस्त्याओं को संबोथिि ककया औि स्त्वगीय समािान ठदए।
1. पिमेश्वि का िाज्य:
यह यीशु की लशक्षाओं का केन्िीय ववषय बनािा है (मिकुस 1: 14-15; मत्िी 4: 23; िक
ू ा 4: 43)।
यीशु ने सस
ु माचाि में सत्िि बाि "पिमेश्वि के िाज्य" शब्द का रयोग ककया । पिमेश्वि के िाज्य
का ववचाि ववश्वास से आिा है कक पिमेश्वि सक्ृ ष्िकिाथ,जीवन दे ने वािा औि पिु ाने तनयम में
इस्राइि का शासक औि नए तनयम में नए इस्राइि का शासक है I
िालमथकिा ईश्वि के िाज्य से संबंथिि है (मत्िी 6: 33)। जैसा कक ईश्वि िमी है , हमें भी िमी
होना चाठहए I
पिमेश्वि के िाज्य में रवेश किने से पहिे कुछ शिों को पूिा किना है I यह आक्त्मक िाज्य है I
इसी ििह से रवेश किने के लिए शिें भी आक्त्मक है I

• नया जन्म (यहून्ना 3:3)


• पश्चािाप - इसका अथथ ककसी के आक्त्मक औि नैतिक जीवन में एक तनक्श्चि परिविथन
किना है (मिकुस 1:15; मत्िी 4: 17; 2: 3) ।
• ववश्वास - ववश्वास स्त्वयं को मसीह औि सुसमाचाि के लिए के लिए खोने की आवश्यकिा है ।
(मिकुस 8:35)
• आज्ञाकािी – पिमेश्वि वपिा की इच्छा के रति आज्ञाकारििा (मत्िी 7: 21)। आज्ञाकारििा का
स्रोि पिमेश्वि से रेम है I (यहून्ना 7:17; िूका .9: 57, 58)।
• िालमथकिा - सही कायथ किने औि पिमेश्वि की इच्छा की पुक्ष्ि किने के लिए सदाचािी होना
चाठहए यह केवि आचिर्, नहीं पिन्िु भीििी मनुष्य का मामिा है ।
• बािक जैसा ववश्वास - (मिकुस 10: 15; िूका 18: 17)।
• एक थचत्ि से भक्ति –(मत्िी 5: 3; 19:23।
2. सम्प्बन्ि:
a) पिमेश्वि से मनुष्य
b) मनुष्य से मनुष्य
c) स्त्वयं के लिए मनुष्य
ये िीन सम्प्बन्ि पिस्त्पि संबंि हैं।
पिमेश्वि से मनुष्य :
यीशु की लशक्षाओं का साि रेम है । यीशु ने मत्िी में पुिाने तनयम की नैतिक व्यवस्त्था का
सािांश ठदया I (मत्िी 22: 37-39 )


"िू रभु अपने अपने पिमेश्वि से रेम कि ...। औि अपने पड़ोसी को अपने समान रेम िख "।
पिमेश्वि का िाज्य इन दो आवश्यकिाओं के आिाि पि संचालिि होिा है ।
पिमेश्वि का रेम बलिदान है ( यहून्ना 3:10)। हम उसे रेम कििे हैं तयोंकक उसने पहिे हमसे
रेम ककया (1 यहून्ना 4:19)।

मनुष्य से मनुष्य
“ िू अपने पड़ोसी से अपने समान रेम िख” I सुनहिा तनयम है I
अपने शरओ
ु ं को रेम िखो ( मत्िी 5:44; िूका 6:27-35) I परिवाि की भूलमका हि व्यक्ति
के जीवन में बहुि महत्वपूर्थ है I परिवारिक सम्प्बन्ि पािस्त्परिक सम्प्बन्िों की श्रेर्ी में आिे हैं I
दसू िों क्षमा, ,मेि लमिाप किना औि अतिथथ सत्काि रेम में सक्म्प्मलिि है ( 5:43-48) I दस ू िों
को रेम किना नैतिक चरिर है ; यह पिमेश्वि का गुर् है I
मनुष्य का स्त्वयं की ओि :
जीवन भीिि से बहिा है (मिकुस 7: 15; मत्िी15: 17-18; 1 9:20)। ककसी व्यक्ति का केवि
पिमेश्वि के साथ मसीह के माध्यम से सम्प्बन्ि के बाद ही उस व्यक्ति के भीिि से अच्छे जीवन
का रवाह संभव है Iयह केवि पिमेश्वि के साथ औि अपने पड़ोसी के साथ संगति स्त्थावपि
किने के बाद ही है कक हम अपने भीििी मनुष्य से शांति पाने में सक्षम होिे है I

3 कमथकांडवाद:
कमथकांडवाद िमथ बाहिी िमथ है । यह जीवन के महत्वहीन ववविर् से संबंथिि है । यह फिीलसयों
औि सदकु कयों की लशक्षा है I यीशु ने इसका जोिदाि वविोि ककया।

4. जीने के लिए अनुरयोग:


यीशु को उनकी नैतिक लशक्षाओं को हमािे दै तनक जीवन का भाग बनने की आशा है । केवि वे
िोग जो पिमेश्वि के संपकथ में हैं यीशु की नैतिक लशक्षाओं के अनुसाि जीने में सक्षम होंगे,
पिन्िु उन्हें इस संसाि से अिग ककया जाना है । (यूहन्ना 17:15)। उन्हें सािे संसाि में सुसमाचाि
रचाि किने के लिए औि चंगा किने के लिए जाना है (मत्िी 5: 13-16; 28: 18-20)। यीशु की
लशक्षाएं हमािे रतिठदन की मागथदशथक हैं I उन्हें दस
ू िों को भी लसखाया जाना है ।

यीशु की लशक्षा हमें अनष्ु िान औि कमथकांडवाद से दिू िे जािी है । पिमेश्वि से औि पड़ोसी
से रेम किने की उसकी आज्ञाएँ सावथभौलमक लसिांि है क्जसे ककसी भी संस्त्कृति में औि ककसी
भी समय िागू ककया जा सकिा है ।

यीशु ने मसीठहयि के लिए नैतिक आिाि िखा। पौिुस, पििस, यहून्ना औि याकूब ने इस
नींव पि बनावि बनाई ।

भाग - IV
समकािीन जीवन की क्स्त्थति के लिए अनुरयोग

1. बाइबबि नैतिकिा में अथिकाि के आदशथ


हमािे दै तनक जीवन के लिए जो नैतिक तनर्थय हम िेिे हैं, उन्हें कुछ आदशों की
आवश्यकिा होिी है। उन आदशों के पीछे वे अथिकाि होने चाठहए। ऐसे आदशों पि ववचाि कििे
समय, हमें सांसारिक वगीकिर् किना होगा I जब ऐसे आदशों का ध्यान कििे हैं, हमें संसारिक
आदशों का औि बाइबिीय लसिान्िों का वगीकिर् किना होगा I
संसारिक आदशथ केंि तनम्प्नलिखखि के आस पास है : ठदन को आकृति दे ने के लिए औि
अपने लमर समह
ू को बनाए िखने के लिए, जैसे कोई रसन्न िहिा है वैसा किना है , जैसा कोई
पसंद कििा है वैसा किना है औि िोकवरयिा के लिए किना ।
पिमेश्वि का अथिकाि सवोच्च है औि इस संसाि में हि दस
ू िे अथिकाि पिमेश्वि के अथिकाि के
अिीनस्त्थ है I दो मि
ू अथिकाि हैं, अथाथि ्, बाहिी अथिकाि।

बाहिी अथिकाि :
यह ककसी व्यक्ति के लिए बाहिी है िेककन उसके व्यवहाि औि आचिर् को रभाववि कििा
है ।
उदाहिर्: कानून ने यािायाि पुलिस को िागू ककया।

आंिरिक अथिकाि :
जब हम बाइबि या एक पुस्त्िक को पढ़िे हैं औि गहिाई से चिे जािे हैं औि आश्वस्त्ि हो
जािे हैं ; उसमें हमािे आन्िरिक अथिकाि बन जािे हैं

कुछ बाहिी ऐसे अथिकाि वगथ हैं जो हमािे लिए स्त्वीकाि किने औि पािन किने के लिए
महत्वपूर्थ औि अतनवायथ हैं:
गुरुत्वाकषथर् का कानून।
समाज की अन्य सिकाि औि अथिकारियों को बाइबि नैतिकिा से शुि ककया जाना चाठहए।

1. पिमेश्वि-शीषथ आदशथ औि अथिकाि की भांति

पिमेश्वि :
पिमेश्वि ब्रहमांड के तनमाथिा औि शासक है । पिमेश्वि पववर है । पिमेश्वि की पववरिा मसीही की
नैतिकिा का आिाि है I
यह मसीही आचिर् का आदशथ है । हमें पिमेश्वि के साथ अपने आध्याक्त्मक संबंि नैतिक
आचिर् में व्यति किना है I पिमेश्वि का अथिकाि ककसी व्यक्ति के सबसे भीििी भाग िक
पहुंचने िक फैििा है । हमें अपना आक्त्मक सम्प्बन्ि औि नैतिक व्यवहाि को गिबंिन में िाना
है I

b) यीशु मसीह :
यीशु मसीह का अथिकाि पिमेश्वि के अथिकाि से अववभाज्य है (इब्रा .1: 1,2)।
यीशु की ववनम्रिा औि पिमेश्वि की इच्छा के रति आज्ञाकारििा का उदाहिर् हमािे आक्त्मक
औि नैतिक जीवन को संद
ु ि बनािा है ।

c) पववर आत्मा:
पववर आत्मा रत्येक ववश्वासी के भीिि तनवास िेिी है (1 कुरि.12: 12-13)। पववर आत्मा है
हमें जीने के लिए औि वास्त्िववकिा से सेवा किने के लिए मागथदशथन कििी है । हमें पववर
आत्मा को उसके साथ औि उसकी इच्छा के अनस
ु ाि काम किने की अनम
ु ति दे नी चाठहए I

2. बाइबि:
बाइबि में एक बड़ा महत्व नैतिक मागथदशथन पि है । बाइबबि के अथिकाि का स्रोि इसकी रेिर्ा
है
(2 तिम. 3: 16, 17) । बाइबि पिमेश्वि से अपना अथिकाि राप्ि कििी है । यह पिमेश्वि का
वचन है । बाइबि के नैतिक अनिु ोि औि आदशथ को यीशु की ििह होना है । बाइबबि का अथिकाि
पिमेश्वि वपिा, पिमेश्वि पर
ु , औि पिमेश्वि पववर आत्मा का अथिकाि है I
भगवान वपिा, भगवान पर
ु औि भगवान पववर आत्मा।

3. किीलसया औि मािा-वपिा:
एक किीलसया
किीलसया एक िोगों के केंठिि समुदाय है । यह मसीह का शिीि है । समुदाय की नैतिकिा उन
िोगों के लिए है जो समुदाय में िहिे हैं। मसीह के शिीि के सदस्त्य बाइबि नैतिकिा को सािे
संसाि में िेिे हैं (रेरििों के काम 1: 8)। रत्येक किीलसया के सदस्त्यों के लिए इसके अनुशासन,
तनयम औि ववतनयम होिे हैं। किीलसया अनुशासन का अभ्यास कििा है औि बाइबि के
लसिान्िों के आिाि पि तनयमों औि ववतनयमों की स्त्थापना कििी है । किीलसया िीति-रिवाज औि
पिम्प्पिाए भी अथिकाि के आदशथ बनें: आिािना सेवाओं में भाग िें , भें ि औि दसवांस दे , बाइबि
पढ़ें औि राथथना किें ,
परिवाि के साथ लमिकि आिािना कििे िहे , किीलसया औि इसके ठहिों की सेवा किें ।

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