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न्याय का अर्थ
न्याय का अर्थ
को है हीं री के जो जि के
को साधन माना गया है , वहीं दूसरी तरफ अरस्तू के अनुसार- जो जिसके
योग्य है , उसको उतना मिलना चाहिए, यही न्याय है। अरस्तू के न्याय में
दो बातें मुख्य हैं -
2. सुधारात्मक न्याय।
अरस्तू के न्याय में योग्यता सापेक्ष होने के कारण अरस्तू का न्याय सापेक्ष
न्याय; है। समय के सापेक्षता में जिस न्याय की धारणा बदलती है वह
न्याय, सापेक्ष न्याय है।
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परन्तु इनसे प्रभावित अवश्य होता है। जैसे - व्यक्ति स्वास्थ्य, बुद्धि पैदा
होता है , परन्तु सामाजिक संस्थाएँ अस्पताल खोलकर स्वास्थ्य और
विद्यालय खोलकर बुद्धि का विकास सुनिश्चित कर सकती है। रॉल्स के
वार्ताकार सिर्फ प्राथमिक सामाजिक वस्तुओं के विवरण का सूत्र अथवा
सिद्धान्त समझौते के माध्यम से तय करते हैं।