You are on page 1of 3

॥ अ ा हृदयम् ॥

रागा दरोगान् सततानुष ान्


अशेषकायप्रसृतानशेषान् ।
औ ु मोहार तदा घान
योऽपूवर्वै ाय नमोऽ ु त ै ॥ १ ॥

1
॥ अथ अ ा हृदयसं हतायां सूत्र ाने दनचय नाम तीयोऽ ायः ॥

अथातो दनचय ऽ ायं ा ा ामः ।


इत ह ाहुरात्रेयादयो महषर्यः । (ग सूत्रम्)
ब्रा े मुहूतर् उ े त् ो रक्षाथर्मायुषः ।
शर र च ां नवर् र् कृत-शौच- व ध तः ॥ १ ॥
अक- ग्रोध-ख दर-कर -ककुभा दजम् ।
प्रातभुर् ा च मृ ग्रं कषाय-कटु- त कम् ॥ २ ॥
कनी ग्र-सम- ौ ं प्रगुणं ादशा ु लम् ।
भक्षये पवनं द -मांसा बाधयन् ॥ ३ ॥
ना ादजीणर्-वमथु- ास-कास- रा दर्ती ।
तृ ा -पाक-हृ त्र
े - शरःकण मयी च तत् ॥ ४ ॥
सौवीरम नं न ं हतम ो तो भजेत् ।
चक्षु ज
े ोमयं त वशेषात् े तो भयम् ॥ ५ ॥
योजये रात्रेऽ ात् स्रावणाथ रसा नम् ।
ततो नावन-ग ू ष-धूम-ता ल ू भा वेत् ॥ ६ ॥
ता ल
ू ं क्षत प ास्र-रूक्षो ु पत-चक्षुषाम् ।
वषमूछ मदात नाम् अप ं शो षणाम प ॥ ७ ॥
अ माचरे ं स जरा-श्रम-वातहा ।
दृ -प्रसाद-पु ायुः- -सु -दा कर् ृ त् ॥ ८ ॥
शरःश्रवण-पादेषु तं वशेषेण शीलयेत् ।
व ऽ ः कफग्र -कृतसंशु जी णर् भः ॥ ९ ॥
लाघवं कमर्साम दी ोऽ मदसः क्षयः ।
वभ -घनगात्र ं ायामादुपजायते ॥ १० ॥
वात- प ामयी बालो वृ ोऽजीण च तं जेत् ।
अधर्-श ा नषे ु ब ल भः -भो ज भः ॥ ११ ॥
शीत-काले वस े च म मेव ततोऽ दा ।
तं कृ ानुसुखं देहं मदर्ये सम तः ॥ १२ ॥
तृ ा क्षयः प्रतमको र प ं श्रमः मः ।
अ त- ायामतः कासो र दर् जायते ॥ १३ ॥
ायाम-जागरा - ी-हा -भा ा द-साहसम् ।
गजं संह इवाकषर्न् भज त वन त ॥ १४ ॥

2
उ तर्नं कफ-हरं मेदसः प्र वलायनम् ।
र करणम ानां क्-प्रसादकरं परम् ॥ १५ ॥
दीपनं वृ मायु ं ानमूज -बलप्रदम् ।
क ू -मल-श्रम- दे -त ा-तृड्-दाह-पा जत् ॥ १६ ॥
उ ा न ु ाधःकाय पिरषेको बलावहः ।
तेनैव तू मा बलहृत्-केश-चक्षुषाम् ॥ १७ ॥
ान-म दर्त-नेत्रा -कणर्-रोगा तसािरषु ।
आ ान-पीनसाजीणर्-भु व ु च ग हर्तम् ॥ १८ ॥
जीण हतं मतं चा ात् न वेगानीरयेद्-बलात् ।
न वे गतोऽ कायर्ः ात् ना ज ा सा मामयम् ॥ १९ ॥
सुखाथ ः सवर्भूतानां मताः सव ः प्रवृ यः ।
सुखं च न वना धम त् त ा मर्-परो भवेत् ॥ २० ॥
भ ा क ाण- मत्रा ण सेवेतेतर-दूरगः ।
हंसा- य
े ान् यथाकामं पैशु ं परुषानृते ॥ २१ ॥
सं भ ालापं ापादम् अ भ ां दृ पयर्यम् ।
पापं कम त दशधा काय-वाङ्-मानसै जेत् ॥ २२ ॥

You might also like