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कमाल

रोशनी के चेहरे पर जितने काले बाल हैं


वे इतने पतले हैं और खुरदुरे हैं
कि उन्हे साफ करने में कलाकार की पदवी मिल जाए
तो यह आश्चर्यजनक नहीं है

मैं रोशनी को चिकना देखना चाहता हूँ


बिल्कु ल उन्नीस साल के गबरू जवान जैसा

मैं एक पतली हवा के रेजर से उसे साफ करता हूँ


उस हवा से जो दक्षिण दिशा से नहीं आ रही है
और पत्थरों की चोट ने उसे
घायल नहीं किया है

और कमाल है
रोशनी का चेहरा बिल्कु ल रोशनी की तरह
दिखने लगता है
चिकना

बिल्कु ल उन्नीस साल के गबरू जवान जैसा

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अनुमान

हवा बहुत तेज है इतनी तेज


कि घरों की साँसों में कोई
भूचाल सा आ गया है

मेरे शरीर के कपड़े तक उतर गए हैं


हवा को मेरी साँसें
बिल्कु ल साफ सुनाई दे रही हैं

सिर्फ पत्तियों की साँसें हैं


जो सुनाई नहीं दे रही हैं

एक अनुमान के अनुसार
हवा की साँसों में इतना अँधेरा है कि
पेड़ अपनी जड़ों में
अन्धे हो गए हैं

हवा किस तरफ से आ रही है


इसका अनुमान लगाना
ज्यादा कठिन नहीं है
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विश्वास

हर वर्ष पूरे देश में कितने दिए जल रहे हैं


इसकी गड़ना की जाए तो
छोड़ो असंभव है

लाखों दिए जल रहे हैं तमाम नदियों के किनारे


हर वर्ष अपने ही रिकार्ड को
ध्वस्त करते हुए

और अँधेरा उतनी ही तेजी से बढ़ रहा है


प्रतिक्षण अपने ही रिकार्ड को तोड़ता हुआ
अंधेरा बढ़ रहा है

हम एक आदर्शवादी देश के नागरिक हैं


विश्वास तो करना पड़ेगा
परसों नरसों तरसों
या कोई एक दिन ऐसा जरुर आएगा
जरुर आएगा

कि अँधेरा किसी प्रधानमन्त्री के दिल और दिमाग से


जरुर हट जाएगा

जनता हटा देगी

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कवि का थैला

यह थैला है।कवि का थैला

थैले में चिड़िया सड़कें नक्षत्रों की अनहोनी दुनिया


शोषित जन की पीड़ा सुख के बिखरे-सुथरे चिन्ह यहाँ पर
साँसों के रस्ते जाने की प्रेम-प्रणय की प्यारी सुगबुग टीप-टाप में
फै ला रुन-झुन सूफी धुन में मलिक मुहम्मद वाली दुनिया
सपनों स्मृतियों में कविजन कई पुराने और नए भी औंड़े-दौड़ें-पौड़ें
मन की झीलों में कु छ नए पुराने सन्दर्भों में
थैले में गाए कु छ गीतों की ध्वनियों के साए जीवित
सूरज के चूल्हे पर सिंकती रोटी के अनुवादों जैसी भूखे-दूखे जन के
जीवन सन्दर्भों में चँदा की आशाएं जीवित
थैला क्या है बस जीवन है इतना जीवन जितना हम
महसूस कर सकें उससे आगे

जनपद सृष्टि हवा तारों के मन में जितनी


आशा-मर्यादा -भूलों-शूलों का अतिक्रमण है
बहुत वास्तविक बहुत कल्पना बहुत अल्पना जितना कु छ है
सबकी साँसें और पतँगों की दुनिया का एक फलक है
एक झलक है।जीवन तो अतिक्रान्त चरण है।मरण-भरण है
इतना जीवन जितना हम महसूस कर सकें उससे आगे

थैले में लोहा-शीशा है


सूई-धागे और अभागे जीवन का कल्याण-कु शल है
फल है प्रतिफल है विचार का अनुभव सुख है
लुका-छिपी के खेल निराले
मछली और समुन्दर की आँखों के अहरह मेल निराले
बैठे-ठाले मौसम के अनुभाव-भाव के पँच निराले
गति का दम-खम
पर्वत-मालाओं की इच्छा-विच्छा से सँवाद सुगम है
थैला क्या है मानुष-गँधों की गरिमा की थाह सँजोए
इतन अद्भुत उतना अद्भुत से आगे लीलामय दुनिया के रँगों की
हलचल का आपाद वरण है

कवि का थैला बस जीवन है


इतना जीवन जितना हम महसूस कर सकें उससे आगे

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तितलियों की चुप्पी

तितलियों की चुप्पी भय पैदा कर रही है


उनकी उड़ान में दुख है

हैरान करने वाली बात यह है


कि फू लों को सब पता है
और वे कतई परेशान नहीं हैं

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दिमाग
मेरे सपनों में उतना दिमाग नहीं है
जितना जरुरी है दिल के साथ
सँवाद करने के लिए

मेरे सपनों में देश आता है

राष्ट्र जाने कै से चला जाता है


टू टते तारों की अँतिम रोशनी में जिसे
मुझ तक पहुँचने में कई करोड़ वर्ष लग सकते हैं
या हो सकता है उसमें कोई विस्फोट हो जाए
और वह किसी ब्लैक होल में समा जाए
कु छ भी सँभव है

मेरे सपनों में घड़ियाली आँसू के लिए जगह नहीं है


हालाँकि जानता हूँ कितना जरुरी है
किसी गूँगे और बहरे राष्ट्राध्यक्ष के साथ
सँवाद करने के लिए

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बगरो बसन्त है

खुशबू को लकवा मार गया है


फू लों के मुँह भी टेढे हो गए हैं

मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता


मैं लिख रहा हूँ बसन्त पर कविताएं
बगरो बसन्त है

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हाट-बाजार

मेरे पास उतना प्रेम नहीं था


जितना हाट-बाजार में
बिक रहा था

मेरे पास जितना प्रेम था


उससे सिर्फ एक लाल गुलाब
खिलता था

हाट-बाजार में
बिकता नहीं था
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खुशी

छु टपन में एक खेल खेलने में बड़ा मजा आता था


हम सभी मित्र स्टेशन पर पहुँच जाते
और आती जाती मालगाड़ियों के डिब्बे गिनते

जब वे गुजर जातीं हम एक दूसरे की गिनती बताते


और झगड़ने लगते

एक बोलता चौंतीस डिब्बे थे दूसरा बत्तीस


एक बोलता तुम सब झूठ बोल रहे हो
छब्बीस डिब्बे थे

हम भरी हुई और खाली डिब्बों के बारे में नहीं जानते थे


कि किसमें कम होती हैं और किसमें ज्यादा और शाम को
इस बात को लेकर फिर झगड़ते थे
किसने सबसे ज्यादा डिब्बे गिने

हमें कोई फर्क नहीं पड़ता था कि अप या डाउन


किधर से मालगाड़ी आ रही है
हम बस गिनते थे और यही हमारा सबसे प्रिय खेल था

आज जब मैं साठ का हो गया हूँ


अपने पोते के साथ फिर डिब्बे गिन रहा हूँ
और हार जाता हूँ जीतने के बावजूद
उसकी खुशी देखकर

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