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Mpse 003
Mpse 003
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Disclaimer/Special Note: These are just the sample of the Answers/Solutions to some of
the Questions given in the Assignments. These Sample Answers/Solutions are prepared
by Private Teacher/Tutors/Authors for the help and guidance of the student to get an
idea of how he/she can answer the Questions given the Assignments. We do not claim
100% accuracy of these sample answers as these are based on the knowledge and
capability of Private Teacher/Tutor. Sample answers may be seen as the Guide/Help for
the reference to prepare the answers of the Questions given in the assignment. As these
solutions and answers are prepared by the private Teacher/Tutor so the chances of
error or mistake cannot be denied. Any Omission or Error is highly regretted though
every care has been taken while preparing these Sample Answers/ Solutions. Please
consult your own Teacher/Tutor before you prepare a Particular Answer and for up-to-
date and exact information, data and solution. Student should must read and refer the
official study material provided by the university.
1. राजनैतिक च ि
िं न और राजनैतिक विज्ञान के मध्य अिंिर बिाइए
ििंपर्
ू य यन
ू ानी राजनीतिक वि ार न्याय की महत्िपूर्य अििारर्ा के इर्य -चिर्य घम
ू िा है ।
यह एक अमूिय अििारर्ा है और इिे तनजच ि शब्र्ों में पररभाविि करना मुजचकल है ,
क्योंकक इिे अलि-अलि वि ारकों दिारा अलि-अलि र्े खा जािा है । लेककन अरस्िु के
सलए न्याय र्ो प्रकार का होिा है , िाियभौम न्याय और विशेि न्याय। पूिय कानूनों का
पालन करने के सलए ििंर्सभयि करिा है - कक व्यजक्ि को िुर्ी होना ाहहए। जहािं िक
विशेि न्याय का ििंबिंि है , यह किर िे र्ो प्रकार का होिा है , अर्ायि ् वििरर्ात्मक न्याय
और उप ारात्मक या िि
ु ारात्मक न्याय। वििरर्ात्मक न्याय का िात्पयय है कक राज्य को
योग्यिा के अनुिार नािररकों के बी माल और िन का विभाजन या वििरर् करना
ाहहए। किर िे उप ारात्मक न्याय र्ो में विभाजजि है , स्िैजछिक लेनर्े न (नािररक
कानून) और अनैजछिक लेनर्े न (आपराचिक कानून) िे तनपटना। इिके अलािा, अरस्िू ने
उपयुक्
य ि प्रकार के न्याय में िाखर्जज्यक और ििं यी न्याय जोडा।
िि
ु ारात्मक न्याय: िाखर्जज्यक लेनर्े न िे ििंबिंचिि िभी कानूनों को उप ारात्मक और
िुिारात्मक कारय िाइयों के अिंिियि तनपटाया जािा है । इिका उदर्े चय िमाज के अन्याय
के कारर् एक व्यजक्ि ने जो खोया है उिे बहाल करना है । यह न्याय एक अचिकार के
र्ि
ू रे पर अतिक्मर् को रोकिा है । अरस्िू का मि र्ा कक िुिारात्मक न्याय स्िैजछिक
और िाखर्जज्यक ितिविचियों जैिे ककराया, त्रबक्ी और िरु क्षा प्रस्िि
ु करने िे ििंबिंचिि है ।
इन कायों में जीिन, ििंपवि, िम्मान और स्िििंििा पर आक्मर् शासमल है । ििंक्षेप में , इि
िल
ु ना में जिंिली लोिों के बी ररि की एक अचिक एकरूपिा र्े खी जानी ाहहए"
(कोलेटी, पष्ृ ठ 155)। इि त्रबिंर् ु िक, रूिो और जस्मर् िमान वि ार िाझा करिे हैं।
हालािंकक, जस्मर् िो िे हैं कक श्रम विभाजन एक अछिी बाि है क्योंकक इििे उत्पार्किा
बढे िी। हालािंकक उत्पार्न में िद
ृ चि िे अमीर और िरीब के बी की खाज भी बढे िी, किर
भी यह एक अछिी बाि है क्योंकक "लाभ िामान्य हो जाएिा"। र्ि
ू रे शब्र्ों में , जब कोज
र्े श विकसिि होिा है और िमद
ृ ि होिा है , िो इि जस्र्ति िे िभी को लाभ होिा।
हालााँकक, रूिो के सलए एक व्यजक्ि का िन िीिे र्ि
ू रे की र्ररद्रिा िे उत्पन्न होिा है
और इिीसलए श्रम विभाजन केिल िनी लोिों का पक्ष लेिा है । माक्िय भी इि वििय में
योिर्ान र्े िा है और इि बाि पर जोर र्े िा है कक लाभ को िापेक्ष लाभ िे मापा जाना
ाहहए न कक पूर्य लाभ िे। िो, रूिो इि िरह िे बिािे हैं कक िामाजजक अनुबिंि
मुजचकल क्यों र्ा और आिुतनक नािररक िमाज के भ्रष्ट, िोखेबाज आर्मी का जन्म कैिे
हुआ। "... िमाज और कानून की उत्पवि, जजिने िरीबों पर नज बेडडयािं बािंिी, और अमीरों
को नज शजक्ियािं र्ीिं; जजिने राष्रीय स्िििंििा को अपररिियनीय रूप िे नष्ट कर हर्या,
ििंपवि और अिमानिा के कानून को हमेशा के सलए िय कर हर्या
19िीिं िर्ी के त्रिहटश र्ाशयतनक जॉन स्टुअटय समल को आितु नक र्शयनशास्ि में मख्
ु यिः
र्ो कारर्ों िे मान्यिा प्राप्ि है । उन्होंने जेरेमी बेंर्म दिारा स्र्ावपि र्शयन की
उपयोचििािार्ी परिं परा को पररष्कृि ककया और उन्होंने लोकिािंत्रिक िमाजों में बहुमि के
अतिक्मर् के खखलाि व्यजक्ििि स्िििंििा और आत्मतनर्यय की प्रिानिा पर जोर हर्या।
हालािंकक, समल के योिर्ान के एक हहस्िे की कािी हर् िक अनर्े खी की िज है ।
महहलाओिं के अिीनिा नामक 1861 के खिंड में महहलाओिं के सलए कानूनी और
िामाजजक िमानिा के सलए यह उनका आह्िान है । (1) समल एक ऐिे यि
ु में रहिी र्ी
जब महहलाएिं कानून और रीति-ररिाजों िे पुरुिों के अिीन र्ीिं। उनिे अपेक्षा की जािी र्ी
कक िे शार्ी करें , बछ ों का पालन-पोिर् करें और अपने पररिारों के सलए खुर् को िमवपयि
करें । ज्यार्ािर मामलों में िे औप ाररक सशक्षा, खर्
ु की ििंपवि या िन इकट्ठा नहीिं कर
िकिे र्े, िोट नहीिं र्े िकिे र्े, जूरी में िेिा कर िकिे र्े, पेशे या व्यापार का अभ्याि
कर िकिे र्े, िलाक की मािंि कर िकिे र्े, यहािं िक कक एक अपमानजनक पति िे, या
अकेले यािा नहीिं कर िकिे र्े। महहलाएिं अपने िास्िविक स्िामी, अपने पतियों की िाया
में रहिी र्ीिं। महहलाओिं की िमानिा के सलए समल का मामला उनकी उपयोचििािार्ी
जडों को र्शायिा है । उनका िकय है कक महहलाओिं की अिीनिा न केिल "अपने आप में
िलि" है , बजल्क "मानि िुिार में मुख्य बािाओिं में िे एक है ।" (पष्ृ ठ 7) महहलाओिं को
पुरुिों के िमान अििरों िे ििंच ि करके, िे कहिे हैं, िमाज न केिल लिभि आिी
आबार्ी के विकाि में बािा डालिा है बजल्क खर्
ु को उनकी प्रतिभा के लाभ िे ििंच ि
करिा है । (पीपी. ८८-८९) ऐिी मूखि
य ापूर्य प्रर्ा का पालन क्यों ककया जािा है ? समल
पूििा है । क्योंकक, िे कहिे हैं, हमारे रीति-ररिाज और कानून िबिे मजबूि कानून के
िाहक हैं। (पीपी। १०-११) िथ्य यह है कक आम िौर पर परु
ु ि शारीररक रूप िे महहलाओिं
िे बेहिर होिे हैं, इि िारर्ा की ओर जािा है कक पुरुि िभी क्षेिों में महहलाओिं िे श्रेष्ठ
हैं, इि िथ्य के बािजूर् कक र्ािे का िमर्यन करने के सलए कोज िबूि नहीिं है । (पष्ृ ठ १०)
इि ििंबिंि में , समल कहिे हैं, महहलाओिं की जस्र्ति र्ािों के िमानािंिर है । (पी. 11, पी.
18) समल का िकय है कक िमाज की प्रिति के सलए आिचयक है कक िभी लोिों, परु
ु िों
और महहलाओिं को "तनजच ि िामाजजक जस्र्ति" में कैर् न ककया जाए, जजिमें िे पैर्ा हुए
हों, बजल्क उन्हें अपनी प्रतिभा विकसिि करने और अपनी इछिाओिं को आिे बढाने के