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MEENAKSHI SHARMA SANKHYAN

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the Questions given in the Assignments. These Sample Answers/Solutions are prepared
by Private Teacher/Tutors/Authors for the help and guidance of the student to get an

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100% accuracy of these sample answers as these are based on the knowledge and
capability of Private Teacher/Tutor. Sample answers may be seen as the Guide/Help for
the reference to prepare the answers of the Questions given in the assignment. As these
solutions and answers are prepared by the private Teacher/Tutor so the chances of
error or mistake cannot be denied. Any Omission or Error is highly regretted though
every care has been taken while preparing these Sample Answers/ Solutions. Please
consult your own Teacher/Tutor before you prepare a Particular Answer and for up-to-
date and exact information, data and solution. Student should must read and refer the
official study material provided by the university.

1. राजनैतिक च ि
िं न और राजनैतिक विज्ञान के मध्य अिंिर बिाइए

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2. प्लेटो की काययविचि को ाय कीजजए

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3. अरस्िु के न्याय सिदिािंि पर एक लेख सलखखए।

ििंपर्
ू य यन
ू ानी राजनीतिक वि ार न्याय की महत्िपूर्य अििारर्ा के इर्य -चिर्य घम
ू िा है ।
यह एक अमूिय अििारर्ा है और इिे तनजच ि शब्र्ों में पररभाविि करना मुजचकल है ,

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क्योंकक इिे अलि-अलि वि ारकों दिारा अलि-अलि र्े खा जािा है । लेककन अरस्िु के
सलए न्याय र्ो प्रकार का होिा है , िाियभौम न्याय और विशेि न्याय। पूिय कानूनों का
पालन करने के सलए ििंर्सभयि करिा है - कक व्यजक्ि को िुर्ी होना ाहहए। जहािं िक
विशेि न्याय का ििंबिंि है , यह किर िे र्ो प्रकार का होिा है , अर्ायि ् वििरर्ात्मक न्याय
और उप ारात्मक या िि
ु ारात्मक न्याय। वििरर्ात्मक न्याय का िात्पयय है कक राज्य को
योग्यिा के अनुिार नािररकों के बी माल और िन का विभाजन या वििरर् करना
ाहहए। किर िे उप ारात्मक न्याय र्ो में विभाजजि है , स्िैजछिक लेनर्े न (नािररक
कानून) और अनैजछिक लेनर्े न (आपराचिक कानून) िे तनपटना। इिके अलािा, अरस्िू ने
उपयुक्
य ि प्रकार के न्याय में िाखर्जज्यक और ििं यी न्याय जोडा।

वििरिात्मक न्याय: अरस्िू का मि र्ा कक न्याय का यह रूप ककिी भी क्ािंति को रोकने


के सलए िबिे शजक्िशाली कानून है , क्योंकक यह न्याय राज्य के नािररक होने के नािे
उनकी आिचयकिा के अनुिार कायायलयों, िम्मानों, िस्िुओिं और िेिाओिं के उच ि और
आनुपातिक आििंटन में विचिाि करिा है । यह न्याय ज्यार्ािर राजनीतिक विशेिाचिकारों
िे ििंबिंचिि है । अरस्िू ने िकालि की कक प्रत्येक राजनीतिक ििंिठन का अपना
वििरर्ात्मक न्याय होना ाहहए। हालााँकक, उन्होंने लोकिािंत्रिक और िार् ही न्याय के
कुलीन मानर्िं डों को खाररज कर हर्या और िमाज में उनके उछ िम योिर्ान के कारर्
ही पण्
ु यों को कायायलयों के आििंटन की अनम
ु ति र्ी, क्योंकक िर्
ु ी लोि कम हैं। अरस्िू का
मानना र्ा कक अचिकािंश कायायलय केिल कुि को ही आििंहटि ककए जाने ाहहए।

िि
ु ारात्मक न्याय: िाखर्जज्यक लेनर्े न िे ििंबिंचिि िभी कानूनों को उप ारात्मक और
िुिारात्मक कारय िाइयों के अिंिियि तनपटाया जािा है । इिका उदर्े चय िमाज के अन्याय
के कारर् एक व्यजक्ि ने जो खोया है उिे बहाल करना है । यह न्याय एक अचिकार के
र्ि
ू रे पर अतिक्मर् को रोकिा है । अरस्िू का मि र्ा कक िुिारात्मक न्याय स्िैजछिक
और िाखर्जज्यक ितिविचियों जैिे ककराया, त्रबक्ी और िरु क्षा प्रस्िि
ु करने िे ििंबिंचिि है ।
इन कायों में जीिन, ििंपवि, िम्मान और स्िििंििा पर आक्मर् शासमल है । ििंक्षेप में , इि

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न्याय का उदर्े चय ररि की िर्ा ार और नैतिक उत्कृष्टिा है और इिी कारर् इिे


िुिारात्मक न्याय कहा जािा है ।

7. क रूिो की नािररक िमाज की िमालो ना

रूिो के वि ार भी उनके िमकालीन प्रसिदि र्ाशयतनकों, जजन्हें विचिकोश कहा जािा है , िे


बहुि सभन्न हैं। िाल्टे यर, डी'एलेम्बटय और डाइडेरॉट जैिे विचिकोशों ने िमाज की एकमाि
िमस्या को ििंिठन में अपनी िलिी के रूप में र्े खा। हालााँकक, रूिो िो िा है कक िमाज
की िमस्या िहर्यों पहले प्रकृति की जस्र्ति को िमाप्ि करने के सलए लोिों के बी
ककए िए एक पे ीर्ा अनब
ु िंि पर आिाररि है । कोलेटी र्ाशयतनकों और रूिो के प्रकृति
वि ारों की विसभन्न अिस्र्ाओिं के बी िुलना करिा है । उर्ाहरर् के सलए, र्ॉमि हॉब्ि
ने िो ा कक मनुष्य जन्म िे ही स्िार्ी और ििा ाहने िाले प्रार्ी हैं और प्रकृति की
जस्र्ति जल्र् ही युदि की जस्र्ति में बर्ल िज जजिमें "िब कुि िभी के खखलाि र्ा"।
इि अराजक जस्र्ति को िमाप्ि करने के सलए लोि एक िार् आए और अपनी शजक्ि
को एकजुट करने और इिे लेविर्ान नामक एक पूर्य िम्राट को र्े ने के सलए एक अनुबिंि
ककया। इिके विपरीि, जॉन लॉक के सलए प्रकृति की जस्र्ति एक बहुि ही शािंतिपूर्य
प्रकक्या र्ी, जैिे तनर्ोििा की जस्र्ति लेककन इि जस्र्ति को जारी रखने की िारिं टी के
सलए लोिों ने एक िार् आकर एक राज्य बनाने का अनब
ु िंि ककया जो उनके शािन के
सलए जजम्मेर्ार होिा, उनके जीिन और उनकी तनजी ििंपवियों की िुरक्षा। रूिो की प्रकृति
अििारर्ा की जस्र्ति लॉक और हॉब्ि की िारर्ाओिं िे बहुि अचिक सभन्न है । रूिो
िो िा है कक "प्रकृति की अिस्र्ा नैतिक जस्र्ति नहीिं है , बजल्क तनर्ोििा की जस्र्ति है ,
विशुदि रूप िे पशु जस्र्ति है , जो अछिे और बुरे के बी के अिंिर िे परे है " (कोलेटी,
पष्ृ ठ 150)। िो, रूिो के सलए प्रकृति की जस्र्ति में एक आर्मी एक आर्मी नहीिं है ,
बजल्क एक प्राकृतिक प्रार्ी है जजिमें िमाजीकरर् की कमी है । िह नहीिं जानिा कक कैिे
काम करना है , कैिे कायय करना है , कैिे अपनी िरह के ििंबिंि बनाना है , लेककन केिल कुि
बुतनयार्ी प्रिवृ ि है । र्ि
ू रे शब्र्ों में , प्राकृतिक मनुष्य केिल "ििंभाविि मनुष्य" है । यह भी

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ाय का वििय है कक क्या रूिो प्रकृति की जस्र्ति को एक काल्पतनक जस्र्ति, वि ार


प्रयोि या एक िास्िविक ऐतिहासिक काल मानिे हैं। आइए अब र्े खें कक यह पे ीर्ा
अनुबिंि, यह र्भ
ु ायग्यपूर्य घटना जो िभी मानिीय ररचिों को बाचिि कर र्े िी, िमाज कैिे
हुआ? रूिो के अनुिार इि पे ीर्ा अनुबिंि की स्र्ापना ार रर्ों में हुज। पहले रर्
में, प्रकृति के हहस्िों के रूप में अलिाि में रहने िाले परु
ु िों ने िहयोि करना, िहयोि
करना और अस्र्ायी व्यिस्र्ा की एक डडग्री बनाना शुरू कर हर्या। र्ि
ू रे रर् में , पुरुिों
ने िकनीकी प्रिति की और अपने सलए आश्रय, घर बनाना शुरू कर हर्या। पररिारों का
िठन हुआ और वपिि
ृ िात्मक काल शरू
ु हुआ। परु
ु िों का िमाजीकरर् िेजी िे विकसिि
हुआ। िीिरे रर् में , पुरुिों ने अपनी प्रकृति विशेििाओिं की जस्र्ति को पूरी िरह िे खो
हर्या और श्रम और वि ारों के िार् व्यिहार ककया। अपने िकय-वििकय के कारर्, पुरुिों ने
भािा का तनमायर् ककया और अपने ििंबिंिों को विकसिि ककया। पुरुिों ने "श्रम विभाजन"
की भी खोज की जो उन्हें "तनिायह अर्यव्यिस्र्ा" िे "उत्पार्क विकाि की अर्यव्यिस्र्ा"
िक जाने में मर्र् करे िा। िे िािु विज्ञान और कृवि िे भी ििंबिंचिि हैं। रूिो ने कहा,
"यह लोहा और मकज र्ा जजिने पहले पुरुिों को िभ्य बनाया, और मानििा को बबायर्
कर हर्या" (कोलेटी, पष्ृ ठ 153)। इि उत्पार्क अर्यव्यिस्र्ा के कारर् अचिशेि हुआ और
तनजी ििंपवि की िमझ परु
ु िों के मन में बिने लिी। ौर्े और अिंतिम रर् में , अपने
िन को रखने के सलए, तनजी ििंपवि पुरुिों ने एक िार् आकर एक िामाजजक अनुबिंि
ककया। हालााँकक, यह अनुबिंि एक अन्यायपूर्,य अनुच ि र्ा क्योंकक इिने िामाजजक अन्याय
को िैि कर हर्या जो रूिो के सलए बरु ाज के स्रोि हैं। यह िैि अिमानिा परु
ु िों के बी
प्राकृतिक मिभेर्ों िे नहीिं बजल्क उनके िन अनुपाि िे उत्पन्न हुज र्ी। रूिो ने हमेशा
यह र्ािा ककया है कक यदयवप पुरुिों में जन्म िे ही अिमानिाएाँ होिी हैं (कुि मजबूि
पैर्ा होिे हैं, कुि िमझर्ार होिे हैं), ये अिंिर बहुि िोटे होिे हैं और प्रकृति िे उत्पन्न
होिे हैं। हालािंकक, मजु चकल िामाजजक अनुबिंि में िैि ककए िए अन्याय केिल िन, िन पर
आिाररि र्े और अमीर और िरीब के बी एक बडा अिंिर र्ा। एडम जस्मर् भी इि
वििय में रूिो की िरह िो िे हैं और िबूि हर्खाने के सलए िे कहिे हैं, "िभ्य राष्रों की

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िल
ु ना में जिंिली लोिों के बी ररि की एक अचिक एकरूपिा र्े खी जानी ाहहए"
(कोलेटी, पष्ृ ठ 155)। इि त्रबिंर् ु िक, रूिो और जस्मर् िमान वि ार िाझा करिे हैं।
हालािंकक, जस्मर् िो िे हैं कक श्रम विभाजन एक अछिी बाि है क्योंकक इििे उत्पार्किा
बढे िी। हालािंकक उत्पार्न में िद
ृ चि िे अमीर और िरीब के बी की खाज भी बढे िी, किर
भी यह एक अछिी बाि है क्योंकक "लाभ िामान्य हो जाएिा"। र्ि
ू रे शब्र्ों में , जब कोज
र्े श विकसिि होिा है और िमद
ृ ि होिा है , िो इि जस्र्ति िे िभी को लाभ होिा।
हालााँकक, रूिो के सलए एक व्यजक्ि का िन िीिे र्ि
ू रे की र्ररद्रिा िे उत्पन्न होिा है
और इिीसलए श्रम विभाजन केिल िनी लोिों का पक्ष लेिा है । माक्िय भी इि वििय में
योिर्ान र्े िा है और इि बाि पर जोर र्े िा है कक लाभ को िापेक्ष लाभ िे मापा जाना
ाहहए न कक पूर्य लाभ िे। िो, रूिो इि िरह िे बिािे हैं कक िामाजजक अनुबिंि
मुजचकल क्यों र्ा और आिुतनक नािररक िमाज के भ्रष्ट, िोखेबाज आर्मी का जन्म कैिे
हुआ। "... िमाज और कानून की उत्पवि, जजिने िरीबों पर नज बेडडयािं बािंिी, और अमीरों
को नज शजक्ियािं र्ीिं; जजिने राष्रीय स्िििंििा को अपररिियनीय रूप िे नष्ट कर हर्या,
ििंपवि और अिमानिा के कानून को हमेशा के सलए िय कर हर्या

ख एडमिंड िकय की प्राकृतिक अचिकारों और िामाजजक िमझौिे की िमालो ना

फ्ािंि में क्ािंति पर अपने वि ार (1790) में, एडमिंड बकय ने अदभि


ु वििेक के िार्
भविष्यिार्ी की कक फ्ािंिीिी क्ािंतिकारी अपने र्े श को नष्ट कर र्ें िे क्योंकक िे
राजनीतिक, िामाजजक और िासमयक ििंस्र्ानों को खत्म करने और िन के पुनवियिरर् के
वि ार िे प्रेररि र्े। िह िामाजजक अनब
ु िंि सिदिािंि की एक अछिी आलो ना भी प्रस्िि

करिा है । िह बिािे हैं कक िमाज अनुबिंि का पररर्ाम नहीिं है जजिे लोि ककिी विशेि
क्षर् में र्जय करिे हैं। लोिों के बी अनुबिंि (यहर् िास्िि में कोज अनुबिंि है ) शाचिि
और अघोविि है और इिमें मि
ृ और आने िाली पीहढयािं शासमल हैं। बकय के अनुिार, एक
राजनीतिक िमाज एक ऐिे जीि की िरह होिा है जो िमय के िार् अजस्ित्ि में रहिा
है - यह अपनी परिं पराओिं के माध्यम िे िैििा प्राप्ि करिा है । लोिों की स्र्ानीय

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तनष्ठाएाँ- पररिार, पडोि के िमर्


ु ाय और िासमयक ििंस्र्ाएाँ जैिे िमह
ू - िे िोंर् हैं जो
िमाज नामक जीि को एक िार् रखिे हैं। यहााँ फ्ािंि में क्ािंति पर बकय के वि ार का
एक अिंश है : "िमाज िास्िि में एक अनुबिंि है । केिल िामतयक हहि की िस्िुओिं के
सलए अिीनस्र् अनुबिंिों को आनिंर् पर भिंि ककया जा िकिा है - लेककन राज्य को काली
सम य और कॉिी, केसलको या ििंबाकू के व्यापार में िाझेर्ारी िमझौिे िे बेहिर कुि नहीिं
माना जाना ाहहए, या कुि अन्य ऐिी कम च ि
िं ा, र्ोडे िे अस्र्ायी हहि के सलए सलया
िया, और पाहटय यों की कल्पना िे भिंि कर हर्या िया। इिे अन्य श्रदिा के िार् र्े खा
जाना है ; क्योंकक यह केिल अस्र्ायी और नाशिान प्रकृति के स्र्ल
ू पशु अजस्ित्ि के
अिीन ीजों में भािीर्ारी नहीिं है । यह िभी विज्ञानों में एक िाझेर्ारी है ; िभी कलाओिं में
भािीर्ारी; हर िुर् में और िभी पूर्ि
य ा में एक िाझेर्ारी। ूिंकक इि िरह की िाझेर्ारी का
अिंि कज पीहढयों में प्राप्ि नहीिं ककया जा िकिा है , यह न केिल जीविि लोिों के बी ,
बजल्क जीविि लोिों के बी , जो मर क
ु े हैं और जो पैर्ा होने िाले हैं, उनके बी एक
िाझेर्ारी बन जािी है । प्रत्येक विशेि राज्य का प्रत्येक अनुबिंि, शाचिि िमाज के महान
आहर्कालीन अनुबिंि में एक खिंड है , जो तनम्न को उछ प्रकृति िे जोडिा है , दृचय और
अदृचय र्तु नया को जोडिा है , एक तनजच ि िमझौिे के अनुिार, जो िभी भौतिक और
िभी को िारर् करने िाली अदृचय शपर् दिारा स्िीकृि है । नैतिक स्िभाि, प्रत्येक अपने
तनयि स्र्ान पर। ” बकय उन बुदचिजीवियों के खखलाि ेिािनी र्े िे हैं जजन्हें पुरुिों का
िमर्यन प्राप्ि है जजन्होंने नज ििंपवि अजजयि की है और परिं पराओिं और ििंस्र्ानों के सलए
बहुि कम िम्मान करिे हैं। उनका कहना है कक ये बद
ु चिजीिी िकय के अमि
ू य सिदिािंिों
के अनुिार िमाज को िुिारने के सलए दृढ हैं। लेककन "कारर् के शािन" का उनका
सिदिािंि िास्िि में एक प्रकार का तनरिं कुशिार् है ।

9. क महहलाओिं के सलए िमान अचिकारों पर जे एि समल

19िीिं िर्ी के त्रिहटश र्ाशयतनक जॉन स्टुअटय समल को आितु नक र्शयनशास्ि में मख्
ु यिः
र्ो कारर्ों िे मान्यिा प्राप्ि है । उन्होंने जेरेमी बेंर्म दिारा स्र्ावपि र्शयन की

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उपयोचििािार्ी परिं परा को पररष्कृि ककया और उन्होंने लोकिािंत्रिक िमाजों में बहुमि के
अतिक्मर् के खखलाि व्यजक्ििि स्िििंििा और आत्मतनर्यय की प्रिानिा पर जोर हर्या।
हालािंकक, समल के योिर्ान के एक हहस्िे की कािी हर् िक अनर्े खी की िज है ।
महहलाओिं के अिीनिा नामक 1861 के खिंड में महहलाओिं के सलए कानूनी और
िामाजजक िमानिा के सलए यह उनका आह्िान है । (1) समल एक ऐिे यि
ु में रहिी र्ी
जब महहलाएिं कानून और रीति-ररिाजों िे पुरुिों के अिीन र्ीिं। उनिे अपेक्षा की जािी र्ी
कक िे शार्ी करें , बछ ों का पालन-पोिर् करें और अपने पररिारों के सलए खुर् को िमवपयि
करें । ज्यार्ािर मामलों में िे औप ाररक सशक्षा, खर्
ु की ििंपवि या िन इकट्ठा नहीिं कर
िकिे र्े, िोट नहीिं र्े िकिे र्े, जूरी में िेिा कर िकिे र्े, पेशे या व्यापार का अभ्याि
कर िकिे र्े, िलाक की मािंि कर िकिे र्े, यहािं िक कक एक अपमानजनक पति िे, या
अकेले यािा नहीिं कर िकिे र्े। महहलाएिं अपने िास्िविक स्िामी, अपने पतियों की िाया
में रहिी र्ीिं। महहलाओिं की िमानिा के सलए समल का मामला उनकी उपयोचििािार्ी
जडों को र्शायिा है । उनका िकय है कक महहलाओिं की अिीनिा न केिल "अपने आप में
िलि" है , बजल्क "मानि िुिार में मुख्य बािाओिं में िे एक है ।" (पष्ृ ठ 7) महहलाओिं को
पुरुिों के िमान अििरों िे ििंच ि करके, िे कहिे हैं, िमाज न केिल लिभि आिी
आबार्ी के विकाि में बािा डालिा है बजल्क खर्
ु को उनकी प्रतिभा के लाभ िे ििंच ि
करिा है । (पीपी. ८८-८९) ऐिी मूखि
य ापूर्य प्रर्ा का पालन क्यों ककया जािा है ? समल
पूििा है । क्योंकक, िे कहिे हैं, हमारे रीति-ररिाज और कानून िबिे मजबूि कानून के
िाहक हैं। (पीपी। १०-११) िथ्य यह है कक आम िौर पर परु
ु ि शारीररक रूप िे महहलाओिं
िे बेहिर होिे हैं, इि िारर्ा की ओर जािा है कक पुरुि िभी क्षेिों में महहलाओिं िे श्रेष्ठ
हैं, इि िथ्य के बािजूर् कक र्ािे का िमर्यन करने के सलए कोज िबूि नहीिं है । (पष्ृ ठ १०)
इि ििंबिंि में , समल कहिे हैं, महहलाओिं की जस्र्ति र्ािों के िमानािंिर है । (पी. 11, पी.
18) समल का िकय है कक िमाज की प्रिति के सलए आिचयक है कक िभी लोिों, परु
ु िों
और महहलाओिं को "तनजच ि िामाजजक जस्र्ति" में कैर् न ककया जाए, जजिमें िे पैर्ा हुए
हों, बजल्क उन्हें अपनी प्रतिभा विकसिि करने और अपनी इछिाओिं को आिे बढाने के

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अििर हर्ए जाएिं, जब िक कक िे मद्र


ु ा में रहें र्ि
ू रों के अचिकारों के सलए कोज खिरा
नहीिं। (पीपी। २२-२३) िाहहत्य, विज्ञान, िरकार, च ककत्िा, सशक्षा और कला में पुरुिों की
उपलजब्ियों िे मेल खाने के सलए महहलाओिं की क्षमिा पर ििंर्ेह करने िाले नायिेर के
सलए, समल ने कहा कक यह स्ि-िेिारि अटकलें हैं। महहलाओिं की क्षमिा को मापने का
एकमाि िरीका उन्हें घरे लू बिंिनों िे मक्
ु ि करना, उन्हें परु
ु िों के िमान अििर र्े ना और
पररर्ामों का तनरीक्षर् करना है । (पष्ृ ठ २२, पष्ृ ठ २६, पष्ृ ठ ६२, पष्ृ ठ ७४) इतिहाि इि बाि
की पुजष्ट करिा है कक पररर्ाम में समल का विचिाि पूिर्
य शी र्ा। उि ििंशयिार्ी के सलए
जो यह मानिा है कक महहलाओिं की मजु क्ि वििाह और पररिार को नष्ट कर र्े िी, समल
का उिर है कक एक वििाह जो महहलाओिं के सलए आकियक है , जो अिीनिा के बजाय
िमानिा और आपिी िम्मान पर आिाररि है , अतनजच ि काल िक िमद
ृ ि होिा।
(पीपी। ३३-३४) उन लोिों के सलए जो यह िकय र्े िे हैं कक ककिी भी ििंिठन में तनर्यय
लेने का अचिकार अिंििः एक ही व्यजक्ि में होना ाहहए, समल का जिाब है कक व्यििाय
में ििल िाझेर्ारी में तनजच ि रूप िे ऐिा नहीिं है , और भले ही ऐिा हो, यह इिका
मिलब यह नहीिं है कक ककिी हर्ए िए मामले पर तनयिंत्रिि करने िाली आिाज पति की
होनी ाहहए। (पष्ृ ठ 45) ििंक्षेप में , समल ने लिभि 150 ििय पहले िकय हर्या र्ा कक
महहलाओिं की मजु क्ि र्ो महत्िपूर्य पररर्ाम र्े िी। यह कज क्षेिों में महहलाओिं के योिर्ान
को हरिर करके िमाज को लाभाजन्िि करे िा, और यह महहलाओिं को िह स्िायििा प्रर्ान
करके लाभाजन्िि करे िा जो खुशी के सलए आिचयक है । मेरे वि ार िे िह र्ोनों ही
मामलों में िही र्े।

ख हे िेल का ऐतिहासिक र्शयन

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