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दै नक ेरणा

दै नक ेरणा
येक दन के लए एक सु वचार

रॉ डा बन

मंजुल प ल शग हाउस
First published in India by

Manjul Publishing House


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Hindi translation copyright © 2017 by Manjul Publishing House Pvt. Ltd


This edition first published in 2017

The Secret Daily Teachings by Rhonda Byrne

The Secret Daily Teachings copyright © 2008, © 2013, by Creste LLC.


THE SECRET text mark and THE SECRET logo are registered trademarks of Creste LLC. All
rights reserved.
www.thesecret.tv
Published by arrangement with the original publisher, Atria Books, a Division of Simon &
Schuster, Inc.
ISBN 978-81-8322-782-7
Translation by Dr. Sudhir Dixit
Book design by Gozer Media P/L (Australia) www.gozer.com.au, directed by The Secret
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“जब आप इस महान नयम के बारे म जान जाते ह, तो इस बारे म भी जान जाते ह क
आप अ व सनीय प से कतने श शाली ह और आपम अपने वचार के मा यम से
अपनी मनचाही ज़दगी पाने क मता है।”

रॉ डा बन
द सी े ट
आपको सम पत
वषय-सूची

दन 1
दन 2
दन 3
दन 4
दन 5
दन 6
दन 7
दन 8
दन 9
दन 10
दन 11
दन 12
दन 13
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दन 363
दन 364
दन 365
रॉ डा बन के बारे म
दन 1

द सी े ट म समा हत प स ांत म बताया गया है क सृ के नैस गक नयम के


अनु प अपना जीवन कैसे जएँ और कसी भी के लए सबसे अहम बात यह है क
वह इसे जए। आप सफ़ इसे जीकर ही अपने जीवन के वामी बन सकते ह!

जब हम एक साल के येक दन के सु वचार क इस या ा से गुज़रगे, तो आपको हर दन


प ता, समझ और बु म ा मलेगी। इससे आपको उन नयम के अनु प जीने म मदद
मलेगी, जनसे इंसान संचा लत होते ह। इस तरह आप वाक़ई अपने जीवन के वामी बन
सकते ह।

आपके साथ ख़ु शयाँ हमेशा बनी रह,

रॉ डा बन
दन 2

अगर आप अपने जीवन को तेज़ी से बदलना चाहते ह, तो अपनी ऊजा को थानांत रत


करने के लए कृत ता कर। जब आप अपनी पूरी ऊजा कृत ता म लगा दगे, तो
अपने जीवन म चम कार होते दे खगे।

अपनी प र थ तय को तुरंत बदलने के लए हर दन सौ ऐसी बात लखने का संक प ल,


जनके लए आप ध यवाद दे ना चाहते ह। ऐसा तब तक करते रह, जब तक क आपको
बदलाव न दखने लगे। और कृत ता को दल से महसूस कर। आपक श कृत ता के
कोरे श द म नह है; ब क उनके पीछे क भावना म है।
दन 3

आपके भीतर जो भी भावनाएँ होती ह, वही आपके आने वाले कल को आकृ कर रही
ह।

चता अ धक चता को ख चती है। तनाव अ धक तनाव को ख चता है। ख अ धक ख को


आकृ करता है। असंतोष अ धक असंतोष को आकृ करता है।

और…

स ता अ धक स ता को लुभाती है। आनंद अ धक आनंद को आक षत करता है। शां त


अ धक शां त को आक षत करती है। कृत ता अ धक कृत ता को आक षत करती है।
दयालुता अ धक दयालुता को आक षत करती है। ेम अ धक ेम को आक षत करता है।

आपका काम अंद नी है। अपने संसार को बदलने के लए आपको बस इतना ही करना है
क अपने अंदर के अहसास को बदल ल। यह कतना आसान है!
दन 4

सृ ज़दगी म हर पल आपका मागदशन कर रही है और आपसे संवाद कर रही है। यह


आपके वचार पर त या कर रही है और आपक भावना के ज़ रये आपको अमू य
फ़ डबैक दे रही है। सृ आपक भावना के ज़ रये आपसे संवाद करती है! अ छ
भावना का मतलब है, यह आपके लए अ छा है। बुरी भावनाएँ आपको सतक करती ह
क आपका यान जस बात पर क त है, उसे बदल द।

हर दन अपने साथ हो रहे सृ के संवाद के साथ तालमेल बैठाएँ। आप कभी अकेले नह


ह, पल भर के लए भी नह । सृ हर क़दम पर आपके साथ है और आपका मागदशन कर
रही है। ले कन आपको बस उसक बात सुननी होती है!
दन 5

हर चीज़ म उपहार क तलाश कर, ख़ास तौर पर जब आप कोई नकारा मक दखने वाली
थ त का सामना कर रहे ह । हम जस भी चीज़ को आक षत करते ह, उसक बदौलत हम
आगे बढ़ते ह। इसका मतलब है क हर चीज़ अंततः हमारे ही भले के लए होती है।

एक नई राह और नई दशा से सामंज य बैठाने के लए नए गुण तथा श य क ज़ रत


होगी। ज़ा हर है, ये गुण न त प से वही ह गे, जनके बना हम अपने भावी जीवन म
महान चीज़ हा सल नह कर सकते।
दन 6

इस बात से फ़क़ नह पड़ता क आप कहाँ ह, न ही इस बात से क प र थ तयाँ कतनी


मु कल नज़र आ रही ह। आप हमेशा वैभव क ओर बढ़ रहे ह। हमेशा।
दन 7

“ख़ुशी हम पर ही नभर करती है।”

अर तु (384-322 ई.पू.)
दन 8

एक ऐसा श द है, जसे जब बोला जाता है, तो उसम आपका पूरा जीवन बदलने क
अथाह श होती है। आपके ह ठ से गुज़रने पर यह श द आपके लए पूण आनंद और
ख़ुशी का ज़ रया बन जाएगा। ये श द आपके जीवन म चम कार कर दे गा, नकारा मकता
को मटा दे गा और आपको हर कार से समृ कर दे गा। इस श द को जब बोला जाता है
और श त से महसूस कया जाता है, तो ये सृ क सारी श य का आ ान करेगा क वे
सारी चीज़ आपक ओर ले आएँ।

आपके, आपक ख़ुशी और आपके सपन के जीवन के बीच बस ये श द खड़ा है…

ध यवाद।
दन 9

हम अपने भीतर जैसी भावनाएँ रखते ह, अपने जीवन म वैसी ही चीज़ आक षत करते ह।
हम जीवन म जस भी अव था म ह और जो भी अनुभव करते ह, वह हर हालात, हर
व हर थ त हमारे भीतर के वचार और भावना क ही दे न है। या आप इससे अ धक
शानदार व था क माँग कर सकते ह?

आपने अपने भीतर जो भी भावनाएँ सँजोई ह, आपका जीवन उसी का त बब है। और


आप अपने भीतर कैसी भावनाएँ रखते ह, यह हमेशा आपके नयं ण म होता है।
दन 10

आप बेजोड़ और बेहतरीन ह। इस धरती पर रहने वाले अरब लोग म से कोई भी


आप के जैसा नह है। आपका अ त व हमारी सृ के संचालन के लए अ यंत मह वपूण
है, य क आप समूची सृ का एक ह सा ह। जो भी आपको दख रहा है और जो भी
अ त व म है, वह आपके बना हो ही नह सकता था!
दन 11

यहाँ एक आसान, श शाली या बताई जा रही है, जसे आप हर दन कर सकते ह।


इससे आप ख़ुद को सृ और आकषण के नयम के सकारा मक सामंज य म ला सकते ह।

आराम से बैठ जाएँ। ग़ौर कर क आप कैसा महसूस कर रहे ह। अब अपने पूरे शरीर को
तनावर हत कर ल। जब पूरा शरीर तनावर हत हो जाए, तो इसे थोड़ा और श थल कर ल।
अब इसे थोड़ा और तनावर हत कर। फर थोड़ा और! गहराई तक तनावर हत होने क यह
या सात बार दोहराएँ। हर बार जतना यादा श थल हो सकते ह , हो जाएँ। इसे पूरा
करने के बाद ग़ौर कर क शु आत म आप जैसा महसूस कर रहे थे, उसके मुक़ाबले अब
आपक भावना म कतना अंतर आया है।

अब आप सृ और आकषण के नयम के साथ अ धक सामंज य म ह!


दन 12

डटे रह, डटे रह, डटे रह, और आ ख़रकार आप उस मुकाम पर प ँच जाएँगे, जहाँ रह य
के स ांत आपका वभाव बन जाएँग।े आप लोग ारा बोले जाने वाले श द को लेकर
ब त जाग क बन जाएँग,े ख़ास तौर पर जब वे अपनी उन चीज़ के बारे म बोलगे, ज ह वे
नह चाहते। आप अपने श द को लेकर भी ब त जाग क बन जाएँग।े

जब आप इस मुकाम पर प ँच जाएँ, तो यह एक संकेत है क आप यादा जाग क बनते


जा रहे ह! आप चेतन प से अ धक जाग क बन रहे ह!
दन 13

जीवन के हर पल म हम सभी लगातार कुछ न कुछ आक षत कर रहे ह। इस लए जब


मनचाही चीज़ न मले और आपको लगे क यह नयम आपक ज़दगी म काम नह कर रहा
है, तो समझ जाएँ क नयम आप को त या दे रहा है। आप या तो मनचाही चीज़ को
आक षत कर रहे ह या फर उसक कमी को आक षत कर रहे ह।

यह नयम इस व त भी काम कर रहा है।


दन 14

“हमारे समय क सबसे ां तकारी खोज यह है क हम अपने मन के अंद नी नज़ रये को


बदलकर अपने जीवन के बाहरी पहलु को बदल सकते ह।”

व लयम जे स (1842-1910)
दन 15

जब आप जीवन के बारे म पूछना शु करते ह, तो यह इस बात का संकेत है क


आपके जीवन म एक बड़ा प रवतन आ रहा है।

जीवन का स य सभी के लए इसी नया म मौजूद है, जैसे क यह हमेशा रहा है। ले कन
जवाब सफ़ उ ह को मलता है, जो करते ह और अंततः वही स य को भी खोज पाते
ह। जब हम करते ह और जवाब जानने क गहरी इ छा रखते ह, तो हम जवाब को एक
ऐसे प म आक षत करगे, जसे हम समझ सक।

जीवन म उ र पाने के लए आपको करना होगा।


दन 16

हमारे पास ेम ही वह सव च श है, जससे हम आकषण के नयम के पूण सामंज य


म आ सकते ह। हम जतना यादा ेम महसूस करते ह, हमारी श भी उतनी ही यादा
होती है। हम जतना यादा नः वाथ ेम महसूस करते ह, हमारी श भी उतनी ही अथाह
होती जाती है।

आकषण के नयम को ेम का नयम भी कहा गया है, य क यह नयम अपने आप म


मानव जा त को ेम का उपहार है। इस पर चलकर हम अपने जीवन को आ यजनक बना
सकते ह।

हम जतना अ धक ेम महसूस करते ह, हमारे पास ेम, ख़ुशी और स ाव से भरपूर


शानदार जीवन का नमाण करने क श उतनी ही अ धक होती है।
दन 17

सृ के साथ सामंज य म रहने पर कैसा महसूस होता है?

यह पानी म तैरने जैसी भावना होती है। अगर आप तनाव म ह या आप पानी का तरोध
करते ह, तो आप डू ब जाएँग।े वह , अगर आप पानी के सामने समपण कर दे ते ह, तो वह
आपको सहारा दे गा और आप तैरते रहगे। इसी तरह क भावना के साथ आप ख़ुद को सृ
के सामंज य म लाते ह।

तनाव को र जाने द और तैरते रह!


दन 18

आकषण का नयम कहता है क बीमारी से लड़कर उससे मु नह पायी जा सकती।


अगर आप बीमारी से लड़ने के बारे म नणय लेते ह, तो आप अपना यान बीमारी से लड़ने,
यानी बीमारी पर क त कर लेते ह और ऐसे म हम बीमारी को ही आक षत करते ह। आपने
जन डॉ टर को चुना है, उ ह अपना काम करने द और अपना दमाग़ केवल वा य पर
क त रख।

तं ती के वचार सोच। तं ती के श द को बोल। और वयं क एक पूरी तरह व थ


के प म क पना कर।
दन 19

अपनी आ थक प र थ तय को बदलने के लए आप एक बड़ा काम यह कर सकते ह क


आपको जो भी पैसा मले, उसका दस तशत दान कर द। इसे दसव भाग के दान का
आ या मक नयम कहा जाता है और यह वह सबसे बड़ा काम है, जसे अपनाकर आप
अपने जीवन म और भी अ धक धन ला सकते ह।
दन 20

ऐसा य होता है क बेहतरीन कार के मा लक अ सर उ ह बेदाग़ और ब त साफ़-सुथरा


रखते ह, जब क पुरानी कार अ सर अंदर से गंद होती ह?

यह फ़क़ क़ का माण है।

आपके पास जो है, उसक क़ करने से आपक मनचाही चीज़ आपके पास आती है।

लोग ने इसी तरह बेहतर कार को अपनी ओर आक षत कया है।


दन 21

कभी भी सर को बदलने के लए मजबूर न कर; उ ह वाभा वक प से व उनक


इ छानु प बदलने के लए वतं छोड़ द। वे ज़ र बदलना चाहगे, जब उ ह यह पता
लगेगा क आपके ारा कया गया बदलाव आपके लए लाभकारी रहा था।

“ सर म बेहतर बनने क इ छा जगाना वाक़ई महान काम है; ले कन आप ऐसा तभी कर


सकते ह, जब आप उ ह अकेला छोड़ द और ख़ुद को और भी े बनाते चल।”

यन डी. लासन (1874-1954)


मा टरी ऑफ़ से फ़
दन 22

नकारा मक नज़र आने वाली हर चीज़ म अ छाई छपी होती है। अगर हम यह बात जान
सक क हर चीज़ म, नकारा मक थ त म भी, अ छाई होती है, तो हमारे दे खते ही दे खते
नकारा मक थ त अ छ या लाभकारी थ त म बदल जाएगी। यादातर लोग ख़ुद को
अ छाई से सफ़ इस लए र कर लेते ह, य क वे उस पर बुरे का ठ पा लगा दे ते ह, और
फर ज़ा हर है वही उनक हक़ क़त बन जाती है। ले कन इस सृ म कोई चीज़ बुरी नह है;
यह तो हमारी असमथता है क हम ापक कोण से चीज़ को प प से दे ख नह
पाते ह।

शां त यह जानने पर मलती है क हर ओर केवल अ छाई ही ा त है।


दन 23

आप आकषण के नयम के साथ साझेदारी म ह और इस साझेदारी के ज़ रये ही अपने


जीवन का सृजन कर रहे ह। हर क आकषण के नयम के साथ गत साझेदारी
होती है। आप इस नयम का इ तेमाल अपने लए करते ह; और संसार का हर अपने
लए करता है। आप कसी सरे क इ छा के बग़ैर उस पर आकषण के नयम का इ तेमाल
नह कर सकते। और इस बात के लए ई र को ध यवाद द क यह नयम इस तरह काम
करता है। अगर यह इस तरह काम नह करता, तो सरे लोग आपके जीवन म ऐसी चीज़ का
सृजन कर दे ते, जसे आप नह चाहते ह।

आप अपने वचार और भावना के ज़ रये सृजन करते ह, और सफ़ आप ही अपने


वचार सोच सकते ह या अपनी भावनाएँ महसूस कर सकते ह। यह काम आपके लए कोई
सरा नह कर सकता।
दन 24

अगर आपका कोई म कसी मु कल दौर से गुज़र रहा है, तो उसक मदद करने के लए
यह सु न त कर क आपका आनंद भी क़ायम रहे। आपक अ छ भावनाएँ उसे उबारने म
सहायक ह गी। आप ऐसे लोग क बातचीत को दशा दे कर भी उनक मदद कर सकते ह,
ता क वे अपनी मनचाही चीज़ के बारे म ही बात कर। जब कभी वे अनचाही चीज़ के बारे
म बात कर, तो धैय के साथ बातचीत को उनक मनचाही चीज़ क दशा म मोड़ द। आप
उनसे इस तरह भी बात कर सकते ह, मानो उनका मु कल समय ख़ म हो गया है। आप
उ ह यह क पना करने का सुझाव भी दे सकते ह क बुरा दौर गुज़र गया है और सब कुछ
ठ क है।

उनसे बात करते समय एक मा यम बन और सृ के संपक म बने रहने म उनक मदद कर।
दन 25

आप अपने जीवन के माग को अंधकार से काश या नकारा मक से सकारा मक म बदल


सकते ह। जब भी आप सकारा मक पर यान क त करते ह, तो आप हर बार अपने जीवन
म यादा काश ला रहे ह, और आप जानते ह क काश सारे अंधकार को मटा दे ता है।
कृत ता, ेम, अ छे वचार, श द और काय काश लाते ह तथा अंधकार मटा दे ते ह।

अपने जीवन को सकारा मकता क रोशनी से भर ल!


दन 26

जब आप अपने अ त व (अपने वचार और भावना के ज़ रये) के तर को संतु लत


करना शु करगे, तो कुछ उतार-चढ़ाव आ सकते ह, और आप एक तर से सरे तर के
बीच बदलाव क थ त म रह सकते ह। यह अव था ब त सं त रहेगी और थोड़े ही समय
म आप यादा ऊँचे तर पर थर होने लगगे, फर उससे भी ऊँचे तर पर, और इस तरह
आप नरंतर ऊपर चढ़ते चले जाएँग।े

आपको शु आत म चलने म थोड़े अ यास क ज़ रत पड़ी थी, है न? ले कन ढ़ संक प


क बदौलत आपने चलना सीख लया था। दोन क बात म कोई फ़क़ नह है।
दन 27

“यह मानना ब त बड़ी ग़लतफ़हमी है क संप याँ अथवा व तुएँ चाहे वे कसी भी तरह क
य न ह , अपने आप म संतु या ख़ुशी का ोत ह। कोई भी , थान या व तु
आपको ख़ुशी नह दे सकती। वे आपको ख़ुशी का कारण या संतु का भाव तो दे सकती
ह, ले कन जीने का आनंद तो आपके भीतर से ही आता है।”

जेनेवीव बेहरड (1881-1960)


यॉर इन व ज़बल पावर
दन 28

अपने आने वाले कल का सृजन करने के लए रात को सोने से पहले अपने आज के दन


के बारे म सोच और अ छे पल के लए कृत ता महसूस कर। अगर कोई ऐसी चीज़ थी
जसे आप अलग तरीक़े से होते दे खना चाहते थे, तो उसे अपने दमाग़ म मनचाहे तरीक़े से
होते ए दे ख। जैसे ही आप सोने को ह , तब मन ही मन कह, “म गहरी न द म सोऊँगा और
ऊजा से भरपूर होकर जागूँगा। कल का दन मेरी ज़दगी का सबसे ख़ूबसूरत दन होगा।”

शुभ रा !
दन 29

जब ेम संबंध क बात आती है, तो अ सर लोग सोचते ह क वे कसी ख़ास इंसान को


पाना चाहते ह। ले कन य द आप इस बारे म गहराई से वचार कर, तो दे खगे क वा तव म वे
कसी ख़ास इंसान को नह चाहते ह। दरअसल वे तो एक आदश जीवनसाथी के साथ सुखी
जीवन बताना चाहते ह। ले कन इसके बावजूद लोग को शश करते ह और सृ को यह
बताते ह क वह ख़ास कौन है। य द सृ के मा यम से यह नह हो रहा है, तो सृ
का संदेश ब त प है: “मने बीस साल बाद तक दे ख लया है और आप जस आनंद या
सुख के हक़दार ह, वह आपको इस चाहे गये ख़ास संबंध म नह मलेगा।”

हम ऐसा य सोचते ह क हम उससे ( ा ड) यादा जानते ह, जो हर चीज़ दे ख सकता


है?
दन 30

पृ वी और मानव जा त को आपक ज़ रत है। उ ह आपक ज़ रत है, इसी लए आप


यहाँ ह।
दन 31

आपम कसी भी चीज़ को आदेश देने क मता है। अगर आप चाहते ह क नकारा मक
वचार आपसे र चले जाएँ, तो यह आदे श दे सकते ह:

“ र चले जाओ! तु हारा मुझम कोई अंश नह है। म आ मा ।ँ म सफ़ े और प व


वचार को ही रखता ँ।”

इससे यादा स चे श द कभी नह बोले गए।


दन 32

आपक पैदाइश के पल से ही आपका एक ांडीय साथी होता है, जो जीवन भर


आपका साथ नह छोड़ता है। इस साथी के अ व सनीय संपक और असी मत साधन व
तरीक़े होते ह, जनके मा यम से यह हर वह चीज़ कर सकता है जो आप चाहते ह। इस
साथी के लए समय कोई बाधा नह है, आकार कोई सम या नह है और री का अ त व
ही नह है। ऐसा कुछ नह है, जो आपका साथी आपके लए नह कर सकता।

आपको तो बस ांड के नयम का पालन करना है। माँ गए और फर सचमुच वश्वास


क जए क जस पल आप माँग रहे ह, आपक मनचाही चीज़ आपक हो चुक है।

क पना कर - पूरा ांड आपक तरफ़ से खेल रहा है!


दन 33

क्या आप जानते ह क अगर आपके जीवन म बदलाव नह आते, तो आपका अ त व ही


नह होता? हमारी सृ और इसके भीतर मौजूद हर चीज़ लगातार बदल रही है, य क
हमारी सृ का नमाण ऊजा से आ है। ऊजा सफ़ तभी अ त व म रह सकती है, जब यह
ग तशील हो और बदलती रहे। अगर ऊजा ग तशील रहना छोड़ दे , तो हमारी पूरी सृ और
समूचा जीवन वलु त हो जाएगा।

हमारा जीवन भी ऊजा है, इस लए इसे भी हमेशा ग तशील रहना चा हए और लगातार


बदलते रहना चा हए। आप अपने जीवन म ग त और प रवतन को न तो रोक सकते ह, न ही
आपको इ ह रोकने क को शश करनी चा हए। ऊजा क प रवतनशील कृ त हम जी वत
रखती है। इसी क बदौलत जीवन का और हमारा वकास होता है।
दन 34

अ छे वचार सोच।
अ छे श द बोल।
अ छे काम कर।

ये तीन तरीक़े आपके लए इतना कुछ लाएँग,े जसक आपने कभी क पना भी नह क
होगी।
दन 35

“ वचार श द के प म होता है। श द कम के प म होता है। यही कम हमारी


आदत बनकर हमारे च र का नमाण करता है। इस लए अपने वचार पर हमेशा यान द।
इसका उ म ेम से होना चा हए, जसम सभी ा णय क परवाह करना शा मल हो।”

बु (लगभग 563 से 483 ई.पू.)


दन 36

आकषण का नयम अ गत है। यह कसी फ़ोटोकॉपी मशीन क तरह काम करता है।
हर पल आप जो सोच रहे ह और महसूस कर रहे ह, यह नयम उसक फ़ोटोकॉपी कर दे गा
और एक सट क फ़ोटोकॉपी आपको भेज दे गा - जो आपक ज़दगी बन जाती है। इसका
मतलब है क आपके लए अपने पूरे संसार को बदलना ब त आसान है।

अपने बाहरी संसार को बदलने के लए आपको तो बस अपने सोचने और महसूस करने के


तरीक़े म प रवतन करना है, और आकषण का नयम उस प रवतन क फ़ोटोकॉपी कर दे गा।
दन 37

अपने जीवन को बदलने के लए कसी न कसी मोड़ पर हम यह नणय लेना होता है क


अब क सहन करने के बजाय हम हमेशा ख़ुश रहगे। हम यह सफ़ एक तरीक़े से कर सकते
ह - हम यह नणय लेना है क हम शंसा करने के लए त पर रहगे।

जब हम चीज़ के अ छे और उजले पहलू पर यान क त करने लगते ह, तो आकषण का


नयम त या करता है और हमारे नए वचार क सट क फ़ोटोकॉपी हम भेज दे ता है।
और फर अ छ चीज़ हमारी ओर आने लगती ह। फर और यादा अ छ चीज़, फर और
यादा…
दन 38

हम जो भी चाहते ह, वह चुनने के लए पूरी तरह वतं ह। श अब आपके हाथ म है


और आप ही यह चुन सकते ह क अपने जीवन म उस श का इ तेमाल कस तरह कर।
आप चुनाव कर सकते ह:

क आज ही अपने जीवन को ख़ु शय से भर द, या इसे कल तक के लए टाल द।

कौन-सा वक प बेहतर महसूस होता है? आप ही तय कर।


दन 39

अपने जीवन क हर चीज़ के लए कृत रहना ब त मह वपूण है। कई लोग अपनी कसी
एक मनचाही चीज़ पर यान क त कर लेते ह और अपने पास मौजूद बाक़ चीज़ के लए
कृत होना भूल जाते ह। कृत ता के बना आप आकषण के नयम के ज़ रये कुछ भी
हा सल नह कर सकते, य क अगर आपके मन से कृत ता कट नह हो रही है, तो
इसका अथ है क कृत नता कट हो रही है। कमठ बन, तुरंत नणय ल और अपनी मनचाही
चीज़ पाने के लए अपने अ त व क मता का इ तेमाल कर।
दन 40

वज़न बोड एक ऐसा साधन है, जो आपक इ छत व तु क छ व आपके मन पर अं कत


कर दे ता है। जब आप वज़न बोड क ओर दे खते ह, तो अपनी इ छत चीज़ के च क
छाप अपने मन पर अं कत कर रहे होते ह। जब आप उस बोड पर यान क त करते ह, तो
वह आपक इं य को उ े जत कर आपके भीतर एक सकारा मक भाव उ प कर दे ता है।
तब आपके पास सृजन के दो त व (आपका मन और भावनाएँ) पूरी श से काम करते ह।
दन 41

आइं टाइन ने हम बताया था क समय सफ़ म है। जब आप यह समझ लेते ह और


मान लेते ह क समय जैसी कोई चीज़ नह है, तो आप दे ख सकते ह क आप भ व य म जो
चाहते ह, वह पहले से मौजूद है। इसी लए अपनी इ छा के बारे म लखते, क पना करते या
बोलते समय आपको वतमान काल का इ तेमाल करना चा हए। अपनी इ छा को अपने मन,
दय व शरीर म सा रत कर और उसे यह , और अभी साकार होता दे ख।
दन 42

“इस संसार म उस से यादा शंसनीय कोई नह है, जो कसी सरे का बोझ ह का


करता है।”

अ ात
दन 43

आप जीवन भर रह य का इ तेमाल करते रहे ह - ऐसा कोई समय नह है, जब आप


इसका इ तेमाल न कर रहे ह । आप इसका योग लगातार कर रहे ह, चाहे इसक बदौलत
आपको मनचाही चीज़ मल रही ह या अनचाही चीज़ मल रही ह । हर , घटना और
प र थ त - येक दन - आकषण के नयम के ज़ रये आपके पास आते ह।
दन 44

मान सक च ण या क पना क कुंजी यह है क आपके मन म च चलते रह और आप


भी च म ग तशील रह। अगर आप कसी फ़ म क तरह च को चलायमान रखते ह, तो
वाक़ई म ब त ज द मान सक च ण म मा हर बन सकते ह। अगर च थर है, तो उसे
अपने दमाग़ म बनाये रखना काफ़ क ठन हो जाता है।

अपनी क पना को अनेक ग त व धय के मा यम से त रख। इससे आपका मन इतना


मं मु ध हो जाएगा क कसी सरी चीज़ के बारे म सोच ही नह पाएगा।
दन 45

जब आप इरादा करके सृजन शु कर रहे ह , तो एक समय म एक ही चीज़ पर यान


क त करना अ सर बेहतर होता है। अ यास करते-करते आपम अपनी ऊजा का दोहन
करने क अ धक श आ जाएगी और तब आप एक ही समय म कई चीज़ पर यान
क त करने म स म बन जाएँग।े

अपने मन क क पना एक आवधक (मे नफ़ाइंग) लस के प म कर, जसम से सूय क


करण गुज़र रही ह। जब आप इस लस को एक जगह पर थर और क त रखते ह, तो
आग व लत हो जाएगी। लस और सूय तथा आपके मन और सृ के बीच कोई फ़क़ नह
है।
दन 46

अगर आप द सी े ट (रह य) के स ांत का इ तेमाल शु करने ही वाले ह, तो मेरी


सलाह है क पहले आप अपने अ त व के तर पर काम करना शु कर द। आप जो चाहते
ह वह माँग और फर अपने भीतर काय कर। अपने वचार और भावना के ज़ रये अपने
अ त व के तर को ऊपर उठाने पर काम कर।

अपनी आवृ को सृ के सामंज य म लाएँ। सृ क आवृ वशु अ छाई क आवृ त


है!
दन 47

अगर आप यादा पैसा आक षत करना चाहते ह, तो सूची बना ल क आप उस पैसे से


कौन-कौन सी चीज़ ख़रीदगे। अपने चार तरफ़ उ ह चीज़ के च रख, ज ह आप चाहते
ह। सदा यह महसूस कर क आपक मनचाही चीज़ अभी आपके पास ह। क पना कर क
आप अपने यजन के साथ उन चीज़ को साझा कर रहे ह और उनक ख़ुशी क क पना
कर।

अब आप सृजन कर रहे ह!
दन 48

घृणा क अपनी कोई श नह है। घृणा तो बस ेम का अभाव है, जस तरह अंधकार


काश का अभाव है। ग़रीबी समृ का अभाव है, रोग वा य का अभाव है और उदासी
स ता का अभाव है। संपूण नकारा मकता और कुछ नह , ब क कसी सकारा मकता का
अभाव है।

यह सब जानना ब त, ब त अ छा है।
दन 49

“जीवन का उद्दे य वयं का वकास है। हमम से येक अपने व प को संपूण


तरीक़े से समझने के लए यहाँ आया है।”

ऑ कर वाइ ड (1854-1900)
द प चर ऑफ़ डॉ रयन े
दन 50

पल भर के लए सोच क कृ त आपको हर दन कतना कुछ दे ती है, ता क आप ज़दा


रह सक। और इसके बावजूद कृ त बदले म कभी कुछ नह माँगती।

यही स चा दान है।


दन 51

इस बारे म कोई संदेह नह है क जब आप हर एक क भलाई के लए आकषण के नयम


का इ तेमाल करते ह, तो आप ख़ुद को महान श से जोड़ रहे ह। हालाँ क आप गत
प से भी इस नयम का योग कर सकते ह, ता क अपना जीवन पूरी तरह से जी सक।
जब आप अपना जीवन पूरी तरह से जीते ह, तो आपके पास सर को दे ने के लए भी
यादा होता है।

आपके ख-दद से संसार को कोई मदद नह मल सकती है। ले कन आपक ख़ुशी और पूरी
तरह जया गया जीवन संसार को बेहतर बना दे ता है।
दन 52

य द आप पूरे समय मान सक च ण कर रहे ह, फर भी कोई प रवतन नह दख रहा है,


तो इसका मतलब है क आप अनजाने म कसी सरे श शाली तरीक़े से अपने इरादे को
पूरा होने से रोक रहे ह। आप या सोच रहे ह? आप कौन से श द बोल रहे ह? आप कौन से
काय कर रहे ह? अगर आप इस बारे म आ त नह ह, तो आकषण के नयम से यह
दखाने क माँग कर क आप कहाँ अपने इरादे को ग़लत दशा दे रहे ह; और यह आपको
साफ़-साफ़ दखा दे गा।
दन 53

आप जो करते ह, अगर उसके लए शंसा आक षत करना चाहते ह, तो जीवन म सर


क क़ और शंसा करते ए आगे बढ़।

अगर आप कसी सरे म दोष नकालते ह, तो आप सर को आमं त कर रहे ह क वे भी


आपम दोष नकाल। अगर आप कसी सरे क आलोचना करते ह, तो आप आलोचना को
वयं ही अपनी ओर ला रहे ह। और अगर आप सर क शंसा करते ह, तो वयं क
शंसा को भी अपनी ओर ले आएँग।े आपको पहले वयं म अपने मनचाहे गुण को मुख
बनाना होता है, तभी आप इसे अपने बाहरी जगत म आक षत कर सकते ह।
दन 54

पूरा संसार और आपके दन भर के हर पल का येक ववरण आपको आपके भीतर क


थ त दखा रहा है। आप कस तर पर ह, इसका माण आपको अपने जीवन म आए
लोग , प र थ तय और आपके आसपास घट रही घटना के ज़ रये मल जाएगा।

आपके भीतर जो कुछ है, जीवन आपको आईने म उसी का त बब दखा रहा है।
दन 55

य द कोई कसी सरे के बारे म नकारा मक सोचता है, तो वही नकारा मक वचार
कई गुना होकर उसक ओर लौटते ह। इससे कोई फ़क़ नह पड़ता क कतने लोग कसी के
बारे म नकारा मक सोच रहे ह; अगर वह आनंद म है, तो वे वचार उस तक कभी
नह प ँच सकते, य क ऐसे वचार एक अलग आवृ पर पं दत होते ह। वे सारे
नकारा मक वचार कई गुना होकर उ ह लोग क ओर लौट जाएँग,े जो उ ह सोच रहे थे।

कोई भी अपने वचार के ज़ रये हमारे जीवन म नकारा मकता नह ला सकता, जब


तक क हम अपनी आवृ को घटाकर उसक नकारा मकता के तर तक न ले जाएँ।
दन 56

“हम हर समय यादा या कम ती ता के वचार सृ म भेज रहे ह, और उ ह वचार के


प रणाम भी भोग रहे ह। न सफ़ हमारी वचार तरंग हम और सर को भा वत कर रही ह,
ब क उनम एक आकषण श भी होती है। जो भी वचार हमारे मन म सबसे ऊपर होता
है, उसी के अनु प सर के वचार, व तुए,ँ प र थ तयाँ, लोग और ‘ क़ मत’ हमारी ओर
आक षत होते ह।”

व लयम वॉकर ऐट क सन
(1862-1932)
थॉट वाइ ेशन
दन 57

गहरी कृत ता का अनुभव करने के लए एक जगह बैठ जाएँ और उन चीज़ क सूची


बनाएँ, जनके लए आप कृत ह। इसम तब तक लखते रह, जब तक क आपक आँख
आँसु से न छलकने लग। जब आँसू नकल पड़ते ह, तो आपको अपने दय म और अपने
भीतर पूरी तरह सबसे सुंदर भावना महसूस होगी। यही स ची कृत ता क भावना है। एक
बार जब आप यह भाव महसूस कर लगे, तो समझ जाएँगे क इसे दोबारा कैसे उ प कया
जाए।

कृत ता क इस भावना को आप दन म जतनी बार चाह, उ प कर सकते ह। ब त कम


समय म आप यह भावना कसी भी समय, लगभग तुरंत ही लाने म स म हो जाएँग।े

अ यास के ारा आप वहाँ तक प ँच जाएँग।े


दन 58

माँग, वश्वास कर, ा त कर - बस ये तीन सरल चरण अपनाकर आप अपनी मनचाही


चीज़ का सृजन कर सकते ह। हालाँ क, अ सर सरा चरण वश्वास करना सबसे मु कल
हो सकता है। ले कन यह ऐसा सबसे बड़ा क़दम है, जो आप कभी उठा सकते ह। वश्वास
करने म शक का कोई थान नह होता है। वश्वास करने म इंसान डगमगाता नह है।
वश्वास करने का मतलब है पूरी न ा होना। वश्वास करने का मतलब है अटल रहना,
चाहे बाहरी जगत म कुछ भी हो रहा हो।

जब आप वश्वास करने म मा हर हो जाते ह, तो आप अपने जीवन पर नयं ण हा सल कर


लेते ह।
दन 59

क्या आप जानते ह क जब आप यह पता लगाने क को शश करते ह क आपक इ छा


“कैसे” पूरी होगी, तो आप दरअसल अपनी इ छा को ख़ुद से र कर रहे ह? जब आप यह
पता लगाने क को शश करते ह क आप अपनी इ छा को “कैसे” पूरी कर सकते ह, तो
आप सृ को यह प संदेश भेज रहे ह क आपके पास अपनी मनचाही चीज़ नह है। और
अगर आप अपनी मनचाही चीज़ क सही तरंग े षत नह कर रहे ह, तो सृ को आपक
मनचाही चीज़ आप तक प ँचाने का संकेत कैसे मल सकता है?
दन 60

आप सृ के सारण क ह। आप सृ के पास हर पल तरंग भेज रहे ह और आपके


पास हर पल सारण भी लौट कर आ रहा है। आप जो चाहते ह, उसक ा त के लए
आपको अपनी इ छा के सारण को बीच म टू टने नह दे ना है। इसके लए आपको बस
अपने अंदर यह वश्वास रखना होता है क आपक इ छा साकार हो चुक है।

ले कन अगर आप ये सोचने लगते ह क आपक मनचाही चीज़ आपके पास नह है, और


शंका करने लगते ह, तो इसका मतलब है क आपने सारण रोक दया है। सृ तक
आपका मूल संकेत नह प ँच पाया है। इसके बजाय सृ के पास आपका नया संकेत प ँच
गया है क आपके पास आपक मनचाही चीज़ नह है। सृ आपके नए संकेत पर अचूक
त या करती है और आपको वही मलता है, जो आप सा रत कर रहे ह: मेरी मनचाही
चीज़ नह है!

आपको तो बस उस थ त म वापस लौटना है क आपके पास आपक मनचाही चीज़ है;


फर सृ इसे आप तक प ँचा दे गी।
दन 61

सृ के पास आपका सपना साकार करने के अनेक तरीक़े ह। म आपको आ त कर


सकती ँ क जब आप अपने अंदर कसी सपने का सृजन कर लेते ह, तो यह बाहरी संसार
म कसी ऐसे तरीक़े से कट हो जाएगा, जसक आप क पना भी नह कर सकते थे।

बस अपने सपने का सृजन करते रह और बाक़ का काम सृ के भरोसे छोड़ द।


दन 62

म ने नज़द क का च मा हटाने के लए द सी े ट का इ तेमाल कैसे कया?


मने यह माँग क और फर बग़ैर च मे के हर थ त म ख़ुद क क पना करने लगी। मेरी
आँख क रोशनी तीन दन म ही ठ क हो गई। मने उन तीन दन पर बलकुल ग़ौर नह
कया, य क म जानती थी क यह तो उसी पल हो गया था, जस पल मने उसक माँग क
थी। अगर म इस बात पर ग़ौर करती क इसम तीन दन लग गए, तो मेरा यान इस बात पर
क त होता क यह काम अभी तक नह आ है। मने पूरी तरह वश्वास कया और म
जानती थी क यह हो चुका है। मुझम पूरा वश्वास था। म आसानी से यह कह सकती थी
क यह अहसास होने म मुझे तीन दन लग गए क मेरी आँख प प से दे ख रही थ या
शायद मुझे प से तालमेल बैठाने म तीन दन लग गए। यह सच होना ही था, य क
म जानती थी क जस पल मने माँगा, यह मुझे दे दया गया था और इस बारे म मुझे ज़रा भी
शंका नह थी। ऐसा मानने के कारण ही मेरी आँख क रोशनी तीन दन म ही सही हो गई।
दन 63

“अगर हम अ छा जीवन जीते ह, तो हमारा समय भी अ छा रहता है। हम जैसे होते ह, वैसा
ही समय भी होता है।”

सट ऑग टाइन ऑफ़ ह पो (354-430)
दन 64

हम अपनी ओर कभी कोई चीज़ आक षत नह कर सकते, जब तक क हम उन चीज़ के


लए कृत न ह , जो हमारे पास पहले से ही ह। सच तो यह है क अगर कोई हर
चीज़ के लए पूरी तरह से कृत है, तो उसे कभी कोई चीज़ माँगने क ज़ रत ही नह
पड़ेगी, य क वह उसके माँगने से पहले ही उसे दे द जाएगी।

यही कृत ता क श है।


दन 65

आपको तो बस माँगना है और वश्वास करना है। इसके बाद ख़ुद को अ छाई को हण


करने वाली तरंग के तर पर लाना है। दरअसल इसके बाद आपको और कुछ करने क
ज़ रत ही नह पड़ेगी। चीज़ को स य करने का काम सृ कर दे गी, जसम आपको
स य करना भी शा मल है।

जब आप कुछ माँगते ह और उस पर वश्वास करते ह, तो आप वयं को रा ते से हटा रहे


ह, ता क सृ अपना काम कर सके।
दन 66

नकारा मक वचार क ज़रा भी चता न कर और उ ह नयं त करने क को शश न कर।


आप तो बस इतना कर क हर दन केवल अ छे वचार को ही अपने मन म जगह दे ना शु
कर द। हर दन जतने यादा अ छे वचार के बीज बो सक, उतने बो द। जब आप अ छे
वचार सोचना शु कर दे ते ह, तो अ धक से अ धक अ छे वचार को आक षत करने लगते
ह और अ छे वचार अंततः नकारा मक वचार को पूरी तरह से मटा दगे।
दन 67

अगर आप चाहते ह क सृ आपको जीवन म ख़ुशनुमा और बेहतर चीज़ दे , तो आपको


अपने चार ओर दे खना होगा तथा अ छ चीज़ क क़ अभी और यह करनी होगी। इस
व त आप जस थ त म ह, वह अ छ चीज़ खोज और वयं को मले वरदान को गन।
असंतु से जीवन म ख़ुशनुमा और बेहतर चीज़ नह आएँगी। असंतु आपको वह थर
कर दे ती है, जहाँ आप ह। सरी ओर, आपके पास जो है, उसक क करने से यादा
ख़ुशनुमा और बेहतर चीज़ आपक ओर आक षत होती ह।

याद रख क आप एक चुंबक ह! शंसा से शंसा आक षत होती है!


दन 68

जब ऊजा का कोई बड़ा प रवतन हमारे जीवन को भा वत करता है, तो हम अ सर उस


पर “बुरे” का ठ पा लगा दे ते ह और उस प रवतन का तरोध करके अपने लए ख, दद
और क पैदा कर लेते ह। ले कन आपके पास वक प हमेशा रहता है।

सृ का कभी भी सफ़ एक ही तरीक़ा नह रहता। चाहे जो आ हो, आप कभी भी इतनी


परेशानी म नह हो सकते क बाहर नकलने का कोई तरीक़ा ही न हो। आपके जीवन क हर
प र थ त और पल म आपके लए दो रा ते उपल ध होते ह। ये दो रा ते ह सकारा मक और
नकारा मक। और आप ही चुनाव करते ह क आप कस रा ते पर चलगे।
दन 69

जब आप ख़ुशी और सुंदर जीवन माँग, तो सफ़ वयं के लए ही न माँग, ब क सभी के


लए माँग। जब आप कोई बेहतर चीज़ माँग, तो सफ़ अपने लए ही न माँग, ब क सभी के
लए माँग। बेशक अपने लए समृ और वा य माँग, ले कन इसके साथ ही ये सभी के
लए माँग।

या आप क पना कर सकते ह क अगर छह अरब लोग आपके लए ये चीज़ माँग, तो या


होगा?
दन 70

“अगर कसी इंसान का मन शु है, तो उसके आसपास का माहौल भी शु बन जाएगा।”

बु (लगभग 563 से 483 ई.पू.)


दन 71

यह समझने के लए क आपके मन म वाभा वक प से वचार कैसे आ जाते ह और


आपको पता भी नह चलता, इसी समय क जाएँ, अपनी आँख बंद कर ल और दस सेकड
तक एक भी वचार न सोच।

य द वचार को रोकने के नणय के बावजूद ये आपके मन म आ रहे ह, तो यह इस बात का


माण है क आपके जीवन म जो वचार आते ह उनके बारे म आपको पता भी नह चल
रहा। अगर आपका मन आपका आदे श पाकर दस सेकड भी नह क सकता, तो या आप
क पना कर सकते ह क यह एक दन म कतने सारे वचार उ प करता होगा?

आप इस थ त को बदल सकते ह और अपने मन के मा लक बन सकते ह। इसके लए


आपको बस एक या का अ यास करना है क दस सेकड तक एक भी वचार नह
सोचगे। ब त ही कम समय म आप दस सेकड तक, पं ह सेकड तक, तीस सेकड और
उसके आगे तक सारे वचार रोकने म स म हो जाएँग।े अंततः आप उस थ त म प ँच
जाएँग,े जहाँ यह नणय लेना आपके हाथ म होगा क आप कोई वचार सोचगे या नह । जब
आप अपने मन के वामी बन जाते ह, तो आपको असीम शां त का आभास होगा, जो
अवणनीय है। इसके अलावा आप आकषण के नयम के वामी भी बन जाएँगे। ज़रा इसक
क पना करके दे ख!
दन 72

अगर आप इस वचार पर अटके ह क आपको “पैसे क ज़ रत” है तो आप पैसे क


ज़ रत को ही आक षत करते रहगे। आपको पैसे के बना इसी समय ख़ुश होने, इसी
समय अ छा महसूस करने और इसी समय ख़ुश रहने का तरीक़ा खोजना चा हए, य क
इ ह अ छ भावना क बदौलत आपके मन म पैसे होने का अहसास आएगा।

पैसा ख़ुशी नह लाता है - ले कन ख़ुशी पैसा लाती है।


दन 73

अगर अब तक आपका जीवन े रहा है, जहाँ हर चीज़ बलकुल सही ई है, तो हो
सकता है क आपम अपना जीवन बदलने का बल संक प और कामना न हो। दरअसल
“नकारा मक” लगने वाली तमाम चीज़ ही हमारे अंदर हालात बदलने क वशाल इ छा
जगाती ह। आपके भीतर उठने वाली बड़ी कामना कसी चुंबक य वाला जैसी होती है और
यह ब त श शाली होती है।

हर उस चीज़ के लए कृत बन, जसक बदौलत उस वाला ने आपके भीतर क वशाल


इ छा को सुलगाया, य क इ छा क वह वाला ही आपको श व संक प दे गी, जससे
आप अपना जीवन बदल पाएँग।े
दन 74

आपके बोले गए हर श द क एक आवृ तरंग होती है और जस पल आप उ ह बोलते


ह, वे सृ म वा हत हो जाती ह। चूँ क आकषण का नयम हर आवृ पर त या
करता है इस लए यह आपके श द पर भी त या करता है। जब आप अपने जीवन क
कसी थ त का वणन करने के लए “वीभ स,” “भयानक” या “ददनाक” जैसे
नकारा मक श द बोलते ह, तो आप उतनी ही सश आवृ बाहर भेज रहे होते ह। अब
आकषण के नयम को त या करनी होगी और उसी आवृ को आपक ओर लाना
होगा।

यह नयम तट थ है, और बस आप जस आवृ पर होते ह उसी से मेल खाता है। या आप


दे ख सकते ह क यह कतना मह वपूण है क आप सफ़ मनचाही चीज़ के बारे म ही बल
प से बोल और अनचाही चीज़ के बारे म श शाली श द का इ तेमाल न कर?
दन 75

आपक मनचाही चीज़ इसी समय आपके पास है, अपने अंदर यह भावना उ प कर ल
और इसे महसूस करते रह। यह संसार क सबसे अ त भावना है। इस भावना का अ यास
करते रहगे, तो यह यादा मज़बूत बनती जाएगी। आप यह महसूस करने लगगे क आपक
मनचाही चीज़ आपके पास पहले से ह। जब आप यह कर लेते ह, तो नयम को त या
करनी ही होगी।

याद रख, इस नयम ने जस भी काम का ज़ मा लया है उसम कभी नाकाम नह रहा है


और आपके मामले म भी नह होगा।
दन 76

जब आप छोटे ब चे थे और वाँग रचने वाला खेल खेलते थे, तो या आपको याद है क


आप अपनी क पना पर कतना वश्वास करते थे? जब भी आप कोई चीज़ ा त करना
चाहते ह, तो आपको यही करना चा हए। गोपनीय तरीक़े से, मन ही मन यह दखावा कर क
आपक मनचाही चीज़ आपके पास पहले से है। मसाल के तौर पर, अगर आप म चाहते
ह, तो यह सोच या दखावा कर क आपके पास इसी समय बेहतरीन म ह।

जस पल आप इस बात पर यान दे ना छोड़ दे ते ह क आपके पास अ छे म नह है और


यह क पना कर महसूस करते ह क अब आपके पास अ धक अ छे दो त ह, तो आपके
बेहतरीन दो त बनने लगगे।

यह आसान फ़ॉमूला हर चीज़ पर लागू होता है।


दन 77

“मनु य वही होता है, जस बात म वह वश्वास करता है।”

टन चेख़ोव (1860-1904)
द नोटबुक ऑफ़ टन चेख़ोव
दन 78

आकषण के नयम म मा हर बनने म आप कतनी ग त करगे, यह इस बात को जानने


और फर इसका अ यास करने पर नभर है क आपके लए सबसे अ छ तरह या काम
करता है।

आपके जीवन म अभी जो कुछ भी हो रहा है, उसके ज़ रये आप हर दन यह दे ख सकते ह


क आप या सोच रहे ह। आपका पूरा संसार एक फ़ म है, जो आपको दखा रही है क
आप कैसे आगे बढ़ रहे ह। आप अँधेरे म नह ह - आपको फ़ डबैक मल रहा है। फ़ डबैक
से सीख। दे ख क आपको कौन सी चीज़ आसानी से मली थी। फर इस बारे म सोच क
आपने या कया था, जससे वह चीज़ आसानी से आपक ओर आ गई।

वयं को जान और आप आकषण के नयम के वामी बन जाएँगे।


दन 79

ख़ुशी हमारे अ त व क वाभा वक अव था है। नकारा मक वचार सोचने, नकारा मक


श द बोलने और खी रहने म ब त सारी ऊजा लग जाती है। आसान रा ता है अ छे वचार
रखना, अ छे श द बोलना और अ छे काय करना।

आसान रा ता चुन।
दन 80

हज़ार वष पहले क ाचीन बु म ा ने हम कृत ता के बारे म एक स य सखाया है। हर


धम ध यवाद दे ने को कहता है। संसार के सभी ऋ ष-मु नय और संत ने अपनी सारी
नसीहत म कृत ता का योग बताया है। अब तक जतने भी महानतम लोग ए ह, उ ह ने
हम कृत ता का माग दखाया है और इसक मसाल बनकर ही वे हमारे इ तहास के काश
तंभ बने ह।

न त प से इसी लए आइं टाइन हर दन सैकड़ बार “ध यवाद” कहते थे!


दन 81

आकषण का नयम कसी वशाल फ़ोटोकॉपी मशीन जैसा होता है। यह आपको ठ क
वही दे ता है, जो आप सोच रहे ह और महसूस कर रहे ह। अगर आपके जीवन म ऐसी चीज़
आ रही ह, ज ह आप नह चाहते ह, तो यह तय है क यादातर व त आप अपने वचार
या अपनी भावना के बारे म जाग क नह रहते ह। अपनी भावना के बारे म जाग क
बन, ता क जब आप अ छा महसूस न कर रहे ह , तो आप ककर अपनी भावना म
बदलाव ला सक। और यह काम कैसे कर? ऐसे वचार सोच, जनसे आपको अ छा महसूस
हो।

याद रख, यह संभव ही नह है क आप अ छे वचार सोच और बुरा महसूस कर, य क


आपक भावनाएँ आपके वचार का प रणाम होती ह।
दन 82

ढ़ कथन का भावी इ तेमाल पूरी तरह इस बात पर नभर करता है क उ ह कहते समय
आप उन पर कतना वश्वास करते ह। य द कोई वश्वास नह है, तो ढ़ कथन महज कोरे
श द ह, जनम कोई श नह है। वश्वास ही आपके श द को श दे ता है।

जब आप अपनी बात पर वश्वास करते ह तो आप उसका सृजन भी कर दे ते ह, चाहे वह


जो भी हो।
दन 83

“आप जस भी श द का इ तेमाल करते ह, उसम एक श शाली अंकुर होता है। यह अंकुर


उस दशा म फैल जाता है, जधर आपका श द संकेत करता है। अंततः यह वक सत होकर
भौ तक अ भ म बदल जाता है। मसाल के तौर पर, आप चैत य आनंद क कामना
करते ह। इस लए ‘आनंद’ श द को मन ही मन, लगातार और ज़ोर दे कर दोहराएँ। ‘आनंद’
श द के दोहराव से उस कंपन क गुणव ा तय होती है, जससे आनंद का अंकुर फैलता है
और एक समय ऐसा आता है, जब आपका पूरा अ त व आनंदमय हो जाता है। यह कोरी
क पना नह , ब क एक स य है।”

जेनेवीव बेहरड (1881-1960)


यॉर इन व ज़बल पावर
दन 84

दन म जस भी समय आपको याद आए, तो कह “म आनंद ।ँ ” चाह तो इसे दन म


सैकड़ बार दोहराएँ। इसे अ सर कह, ले कन ब त धीरे से। हर श द पर बराबर ज़ोर द। म
— आनंद — ।ँ धीरे-धीरे बोलते समय इन श द का अथ महसूस कर और अपने भीतर
आनंद क यादा से यादा भावना महसूस कर। हर दन उस भावना को बढ़ाते जाएँ। फर
आप इसम बेहतर और बेहतर होते जाएँगे।

बाहरी प र थ तय पर त या करने के बजाय अपने भीतर उससे अ धक आनंद महसूस


कर, बाहरी प र थ तयाँ अपने आप बदल जाएँगी।

आनंद ही आनंद को आक षत करता है।


दन 85

आप जस भी को जानते ह, येक के बारे म सारी अ छ बात लख ल। अपने


बारे म सभी अ त बात क एक लंबी सूची बनाएँ। जहाँ भी जाएँ, लोग क शंसा कर। जो
भी दे ख, उसक शंसा कर। जन लोग से मल, सबके लए सुखद अहसास का कारण बन
और अपने रवैये से उनका दन बेहतर बना द। हर मोड़ पर “ध यवाद” कह। शंसा और
कृत ता के साथ चल, बोल, सोच और साँस ल।

जब आप यह करते ह, तो आपका बाहरी जीवन बदल जाएगा और आपक अंद नी


अव था का त बब दखाने लगेगा।
दन 86

आकषण का नयम अचूक है और हर को वही मल रहा है जो वह माँग रहा है,


हालाँ क यादातर समय हर को इस बारे म जानकारी ही नह होती है क वह
अनचाही चीज़ माँग रहा है। इस नयम क यही सुंदरता है क यह ब त त याशील है
और हर पल दे ता रहता है, ता क हम अपने जीवन का अनुभव कर सक।

यह नयम कभी नह बदलता है - हम यह सीखना होता है क हम इस नयम के सामंज य म


कैसे रह। यह हर इंसान के लए सबसे बड़ा काय है।
दन 87

आप अपने जीवन को वग व प बना सकते ह, ले कन इसे करने का एकमा तरीक़ा


यह है क पहले आप अपने भीतर वग बना ल। इसका कोई सरा तरीक़ा नह है।

आप कारण ह; आपका जीवन प रणाम है।


दन 88

जब आप कसी सम या त पर यान क त करते ह, तो आप उसक या ख़ुद क


मदद नह कर रहे ह, य क आप दोन ही मलकर सम या क ऊजा को बढ़ा रहे ह। आप
दोन अपनी ओर “समान” सम या को आक षत भी कर रहे ह।

इसे जानने के बाद यह ब त मह वपूण हो जाता है क आप और वह उस चीज़ पर


यान क त कर, जसे आप दोन चाहते ह। सम या त को सम या या अनचाही
चीज़ के बजाय उपाय या मनचाही चीज़ के बारे म बोलने के लए ो सा हत कर। सम या
उ प ही इस लए ई है, य क वह अनचाही चीज़ के बारे म सोच या बोल रहा था,
और इस म को रोकना ज़ री है। अपने क़रीबी लोग को ो सा हत कर उनक मदद कर
जससे वे मनचाही चीज़ के बारे म बोल। समाधान हमेशा यही होता है।
दन 89

नकारा मक वचार आपका मूल या वा त वक व प नह ह। आपक स ची कृ त हर


तरह से अ छ है। इस लए जब संयोग से कोई नकारा मक वचार आ जाए, तो ख़ुद से कह,
“ये वचार मेरे नह ह और मुझसे संबं धत नह ह। म केवल अ छाई ही ँ और मेरे मन म
ख़ुद के तथा हर एक के त सफ़ अ छे वचार ही रहते ह।”

अब आप सच बोल रहे ह!
दन 90

नकारा मक वचार को रोकने का एक तरीक़ा यह है: अपने यान को अपने दय पर


क त कर। गहरी साँस ल और दय पर यान क त कर। अपने दय म ेम महसूस करने
पर पूरी तरह एका च हो जाएँ। साँस छोड़ते समय भी दय पर यान क त रख और
दय म ेम महसूस करने पर एका च रह। इसे सात बार दोहराएँ।

अगर आप इसे सही तरीक़े से करगे, तो आपको अपने मन और पूरे शरीर म ब त बड़ा फ़क़
महसूस होगा। आप यादा शां तपूण तथा तनावर हत महसूस करगे और आप उन
नकारा मक वचार को रोक दगे।
दन 91

“हमारे वयं के वचार के अलावा कोई भी चीज़ पूरी तरह हमारे नयं ण म नह है।”

रेने दे कात (1596-1650)


दन 92

यह याद रखना मह वपूण है क यह हमारे वचार और भावनाएँ आकषण के नयम के


साथ मलकर सृजन करते ह। आप इन दोन को अलग-थलग नह कर सकते। यह भी याद
रख क आपक भावनाएँ आपक सम त आवृ तरंग का सार बता रही ह और यह भी क
आप इस पल या सृजन कर रहे ह।

तो आप इस व त कैसा महसूस कर रहे ह? या आप इससे यादा अ छा महसूस कर


सकते ह? तो फर इस व त बेहतर महसूस करने के लए जो कुछ कर सकते ह , कर।
दन 93

आप जब भी गाड़ी से कह जाएँ, तो सृ क श का इ तेमाल कर। या ा शु करने


से पहले यह इरादा कर ल क ै फ़क बाधार हत रहेगा, आप तनावर हत व ख़ुश ह गे और
सही समय पर गंत थान तक प ँच जाएँग।े

शुभ या ा!
दन 94

अपने जीवन म यायो चत आदान- दान के नयम को शा मल कर लेना आकषण के


नयम को जीवन म उतारना है।

वसाय और नजी जीवन म हमेशा यायो चत आदान- दान सु न त कर। वसाय म


आपको जतना पैसा मलता है, हमेशा उससे अ धक मू य क सेवाएँ/ दशन दे ने क
को शश कर। अपने नजी जीवन म आपको जो मला है, उसे हमेशा लौटाएँ। अगर आपको
सर से उस व त समथन मला था, जब आपको उसक ज़ रत थी और फर कोई आपसे
समथन माँगता है, तो ख़ुद को मले समथन को लौटाना सु न त कर। आपक ओर सारा
समथन सृ के ज़ रये आता है, इस लए जब आप समथन लौटाते ह, तो आप सृ को
लौटा रहे ह।

यह यायो चत आदान- दान के नयम के अनुसार जीना है और यह आकषण के नयम के


अनुसार जीना भी है।
दन 95

आपका जीवन आपके हाथ म है, ले कन आपको अपने वचार पर नयं ण हा सल


करना सीखना ही होगा। डर, असफलता और शंका क सारी सम याएँ इस लए ह,
य क आपका मन आप पर शासन कर रहा है। आपका मन हावी है और आप अपने
अ नयं त नकारा मक वचार के ग़लाम भी ह और शकार भी। यह बड़ी सीधी सी बात है।
अपने मन और वचार क बागडोर थाम। हर दन, हर पल अपने वचार पर नज़र रख।

जब भी कोई नकारा मक वचार आए, तो उसे र भगा द। कसी अ छ चीज़ के बारे म


सोचकर नकारा मक वचार को जड़ न जमाने द। यादा से यादा अ छे वचार सोच और
ज द ही वे अपने आप आने लगगे।
दन 96

अपने मन को थर करने के लए हर दन अपनी आँख बंद करके बैठ और बस वचार


को दे खते रह। वचार का ब कुल तरोध न कर, बस उ ह मन म आते दे खते रह। जब
आप हर वचार पर नगाह रखगे, तो वह ग़ायब होने लगेगा। इसका हर दन अ यास करगे,
तो आप इसम बेहतर होते जाएँग।े आप पाएँगे क आपका मन पाँच सेकंड तक, फर दस
सेकंड तक और फर बीस सेकंड तक बना कसी वचार के रहने लगेगा।

जब आप अपने मन को थर होने का आदे श दगे और वह मान लेगा, तो क पना कर क


आपके पास अपनी मनचाही चीज़ का सृजन करने क कतनी श होगी।
दन 97

हमेशा याद रख क आपक भावनाएँ आपक ख़ा तर आपके वचार क नगरानी कर रही


ह। आपक भावनाएँ आपको बता रही ह क या आप ऐसे वचार सोच रहे ह जो आपके
लए अ छे ह या फर ऐसे वचार सोच रहे ह, जो आपके लए अ छे नह ह। आप कैसा
महसूस कर रहे ह, इस बारे म अगर आप अ धका धक चेतन बन जाते ह, तो आप इस बारे
म भी जाग क बन जाएँगे क आप कैसे वचार सोच रहे ह। आपक भावनाएँ आपको
लगातार संदेश भेज रही ह।

अपने भीतर क बात सुन!


दन 98

“हर चीज़ का उ म हमारे मन म ही है और जसे आप बाहर खोज रहे ह, वह पहले से


आपके पास है। कोई भी कसी वचार को भ व य म नह सोच सकता। कसी चीज़
के बारे म आपका वचार ही उसक शु आत होती है।”

जेनेवीव बेहरड (1881-1960)


यॉर इन व ज़बल पावर
दन 99

आप जो भी करते ह, उसम कभी अकेले नह होते, जब तक क आप ख़ुद को अकेला न


मान ल। यह कसी के लए भी एक भयावह वचार है। जब आप जान लेते ह क आपके
पास सृ क श है, जो आपके हर वचार पर त या कर रही है और हर चीज़ हा सल
करने म आपक मदद करने का इंतज़ार कर रही है, तो आपका डर ग़ायब हो जाएगा।

आपके पास सबसे बड़ा साथी है, जसक प ँच हर जगह ा त ऊजा तक है। कोई भी
इसक कावट नह बन सकता - और आपको तो अपने सव ापी साथी के लए बस इतना
करना है क उस पर वश्वास कर।
दन 100

आनंद हमारी वाभा वक अव था है, और आप यह बात जानते ह, य क जब आप


इसक वपरीत अव था म होते ह तो आपको बुरा महसूस होता है। अगर आप सचमुच
आनंद क अव था म ह, तो या आप दे ख सकते ह क वाभा वक प से आनं दत रहने म
जतनी ऊजा लगती है, नकारा मकता उ प करने म आपको उससे कह यादा ऊजा
लगानी पड़ती है?
दन 101

अपने फ़ायदे के लए आकषण के नयम का इ तेमाल करने का एक और आसान तरीक़ा


यह है:

हर रात सोने से पहले अपने मन म दन के अ छे पल को दोहराएँ और उनम से येक के


लए दल से ध यवाद द। अगले दन के बारे म भी सोच और यह मान ल क यह शानदार
होने वाला है, क यह ेम और आनंद से भरपूर होने वाला है और सारी अ छाई आपक ओर
आने वाली है। यह मान ल क यह आपके जीवन का सव े दन होने वाला है। फर जब
आप सुबह जाग, तो ब तर छोड़ने से पहले दनभर के लए अपने काय का मरण कर
और गहरा ध यवाद द, मानो आपने उन सभी को पूण कर लया हो।
दन 102

“अगर” श द म शंका क श शाली तरंग होती ह। जब आप अपनी मनचाही चीज़ के


बारे म सोच या बोल रहे ह , तो अपनी श दावली से “अगर” श द हटा द। या आप दे ख
सकते ह क जब आप “अगर” श द का इ तेमाल करते ह, तो आपको यह यक़ न नह होता
है क आपक मनचाही चीज़ आपके पास आ चुक है?

आकषण का नयम आपको अपनी मनचाही चीज़ तब तक नह दे सकता, जब तक आप


“अगर” श द से शंका कट करते रहगे। आप जो चाहते ह, उसके बारे म सोचते या बोलते
समय केवल “जब” श द का इ तेमाल कर; “जब यह होता है,” “जब म यह करता ,ँ ”
“जब म वहाँ रहता ँ,” “जब यह आता है,” “जब मेरे पास वह होता है।” जब, जब, जब!
दन 103

चाहे आप यह बात जानते ह या नह , आज आप सृ के कैटलॉग से अपने आने वाले


कल के लए ऑडर दे रहे ह। आज आपके बल वचार और भावनाएँ एक आवृ का
नमाण कर रहे ह, जो आपके आने वाले कल के जीवन को अपने आप तय कर दे ते ह।

इस व त और आज के पूरे दन अ छा महसूस कर; आपका कल अपने आप शानदार बन


जाएगा।
दन 104

आकषण के नयम के ज़ रये अपने जीवन म ख़ुशी लाने के लए आपको इसी पल ख़ुश
रहना होगा। यह बड़ा ही सरल फ़ॉमूला है। ख़ुशी ही ख़ुशी को आक षत करती है। हालाँ क
लोग कई बहाने बनाने लगते ह क वे ख़ुश य नह हो सकते। वे कज़ के बहाने बनाते ह,
सेहत के बहाने बनाते ह, संबंध के बहाने बनाते ह और सभी तरह क चीज़ के बहाने बनाते
ह क वे इस सरल फ़ॉमूले का इ तेमाल य नह कर सकते। ले कन यह फ़ॉमूला ही नयम
है।

चाहे बहाना जो भी हो, उसके बावजूद जब तक आप ख़ुशी महसूस नह करते ह, तब तक


आप ख़ुशी को आक षत नह कर सकते। आकषण का नयम आपसे कह रहा है, “इस पल
ख़ुश रह और जब तक आप यह करते रहगे, म आपको असी मत ख़ुशी दे ता र ँगा।”
दन 105

“मानव उस संपूण का एक ह सा मा है, जसे हम ‘सृ ’ कहते ह। एक ऐसा ह सा


जसम समय और री क सीमा है। वह वयं और अपने वचार व भावना का अनुभव
इस तरह करता है, मानो ये बाक़ से अलग ह - उसक चेतना एक तरह का म होती
है। यह म हमारे लए एक जेल क तरह है, जो हम अपनी गत इ छा और हमारे
चंद क़रीबी लोग के नेह तक सी मत रखता है। हमारा उ े य यह हो क हम अपनी क णा
का दायरा बढ़ाकर इस क़ैद से ख़ुद को आज़ाद कर, जसम सारे जी वत ाणी और समूची
कृ त समा जाए। कोई भी इसे पूरी तरह हा सल करने म स म नह होता है, ले कन इसक
को शश ही वतं ता का ह सा और आंत रक सुर ा क बु नयाद है।”

ऐ बट आइं टाइन (1879-1955)


दन 106

बीसव शता द के पहले दशक म ांसीसी मनोवै ा नक और फ़ामा स ट एमील कूए


उपचार म सकारा मक वचार के इ तेमाल के पुरोधा थे। उनक सफल उपचार व धय क
या के एक भाग के प म उनके रोगी हर दन यह दोहराते थे: “हर दन, हर तरीक़े से म
बेहतर और बेहतर होता जा रहा ँ।” यह सफ़ वा य के े म ही श शाली कथन नह
है। जैसा इन श द से ही झलकता है, यह हमारे जीवन के सभी े के लए श शाली
व है।

जब आप इस कथन का इ तेमाल कर, तो इसे ब त धीरे-धीरे और श द के अथ पर पूरे


वश्वास के साथ कह। हम श द म जो ऊजा भरते ह, उसी से वे श शाली बनते ह।
दन 107

क पना कर क आप अपनी मनचाही चीज़ के बारे म सृ को एक ईमेल लख रहे ह।


जब आप ख़ुश होते ह क आपका ईमेल ब त प है, तो आप “सड” बटन दबा दे ते ह और
आप जान जाते ह क आपका आ ह आकाश म चला गया है। आप यह भी जानते ह क
सृ का सवर एक वचा लत णाली है और यह ईमेल के आ ह पर सवाल नह उठाता है।
इसका काम तो बस हर आ ह को पूरा करना है।

अगर आप चता करने लगते ह और तनाव म आ जाते ह क आपक मनचाही चीज़ आपको
अब तक नह मली है, तो अनजाने म ही आप सृ को एक और ईमेल भेज दे ते ह क वह
आपके ऑडर को रोक दे । और फर इसके बाद आप हैरान होते ह क आपने जो माँगा था,
वह आपको य नह मला।

एक बार जब आप माँग ल, तो यह वश्वास रख क सृ का सवर एक वचा लत अचूक


णाली है, जो कभी असफल नह होता और फर अपने आ ह के पूरा होने क अपे ा रख!
दन 108

आकषण के नयम के सबसे श शाली उपयोग म से एक ऐसा है, जसका आप योग


कर सकते ह। यह तीस दन का अ यास अथाह दान के बारे म है।

तीस दन तक लगातार हर दन कुछ न कुछ द। आप जससे भी मल, चाहे वे अजनबी ह ,


म ह या प रवार वाले ह , सबको स ता, मु कान, गमजोशी भरी बात, ेम, शंसा और
बधाई द। अपने दल क गहराई से बात कर, दन के हर पल अपना सव े द और नेक
वचार व बात से सभी के दन को बेहतर बनाने का उ े य रख।

जब आप अपना सव े दे ते ह, तो आप इसे ही अपनी ओर तेज़ र तार से लौटते दे खकर


दं ग रह जाएँग।े
दन 109

एक बार जब आप आकषण के नयम को जान जाते ह, तो आप अपनी बात को सुनकर


अपने बारे म सबसे अ छ ख़ोज कर सकते ह।

जब आप कसी चीज़ को पूण स य के प म दशाते ह, तो यह महसूस कर क यह एक


ऐसी चीज़ है जसम आप सचमुच यक़ न करते ह और यह वश्वास आपके जीवन म इसका
सृजन कर रहा है। अगर अपनी बात सुनते समय आपको लगता है क आप कोई ऐसी बात
कह रहे ह, जसे आप नह चाहते ह, तो तुरंत अपने वा य को बदलकर दोबारा इस तरह कह
क आपके श द आपक मनचाही चीज़ को द शत कर। जब आप अपनी बात सुनते ह, तो
अतीत के अनुभव के बारे म ब त कुछ सीख लगे और यह भी क आपने अब तक या
और कैसे सृ जत कया है। और फर, जब आप अपने श द को सुनते और बदलते ह, तो
अपने भ व य क पूरी दशा को बदल रहे ह!
दन 110

नराशा का नकारा मक भाव आपक मनचाही व तु को आपसे र रखता है। नराशा को


सकारा मक भाव म बदलने के लए यह सोचना और कहना शु कर, “जब मेरी मनचाही
चीज़ आती है, तो म…” और ख़ाली जगह को भर द।

यह ख़ुद को वश्वास करने यो य बनाने का एक ब ढ़या तरीक़ा है। वश्वास करना ही वह


मं ज़ल है, जहाँ आप जाना चाहते ह।
दन 111

म वयं से वादा करता ँ क…


म इतना श शाली बनूँगा क कोई चीज़ मेरी मान सक शां त भंग न कर सके।

म जस भी से मलूँगा, उससे वा य, ख़ुशी और समृ क बात क ँ गा।

म अपने सारे म को यह महसूस कराऊँगा क उनम ब त कुछ अ छा है।

म हर चीज़ के उजले प को दे खूँगा और अपनी आशावा दता को सच क ँ गा।

म केवल सव े सोचूँगा, सव े के लए ही काम क ँ गा और सव े क ही अपे ा


क ँ गा।

म सर क सफलता के बारे म भी उतना ही उ सा हत र ँगा, जतना अपनी सफलता के


बारे म रहता ँ।

म अतीत क ग़ल तय को भूल जाऊँगा और भ व य क महान उपल धय क ओर यान


ँ गा।
दन 112

म हर समय ख़ुशनुमा भाव रखूँगा और हर ाणी को दे खकर मु कराउँगा।

म ख़ुद को बेहतर बनाने म इतना समय लगा ँ गा क मेरे पास सर क आलोचना का


समय ही न रहे।

म इतना बड़ा बनूँगा क चता ही न रहे, इतना वन क ोध ही न आए, इतना श शाली


क डर ही न रहे और इतना ख़ुश क मु कल को आने का मौक़ा ही न मले।

म अपने बारे म अ छा सोचूँगा और संसार के सामने इस त य को लाउँगा, श द से नह ,


ब क महान काय से।

म इस वश्वास के साथ र ँगा क जब तक म अपने भीतर के सव े के त स चा ँ, तब


तक पूरा संसार मेरी तरफ़ है।

यन डी. लासन (1874-1954)


द ऑ ट म ट् स ड
दन 113

कोई बाहरी श आपके जीवन को तब तक भा वत नह कर सकती, जब तक क


आप अपने वचार से उसे यह श न द। सबसे महान श आपके भीतर ही है।

अपने भीतर क श का इ तेमाल कर और यह अनुभव कर क आपके जीवन के लए इस


संसार म इससे यादा श शाली कुछ भी नह है।
दन 114

जब आप धन को आक षत करने क को शश कर रहे ह , तो बल/भुगतान से अपना


यान कैसे हटाएँ? आप दखावा कर, वयं को यक़ न दलाएँ और उन बल के साथ कुछ
यु लगाएँ, ता क आपका मन अ छे वचार सोचने के जाल म उलझ जाए। अपनी
मनचाही चीज़ को पाने का दखावा रचने क इन यु य से अपने दमाग़ को इतना त
कर ल क इसम अभाव के वचार सोचने क जगह ही न बचे।

आप एक सृजना मक जीव ह, इस लए अपने बल और बक टे टमट को समृ के


नाटक य खेल म बदलने के ऐसे सृजना मक तरीक क तलाश कर, जो आपके लए सव े
ह।
दन 115

हर दन, या कम से कम स ताह म एक-दो बार, कुछ मनट का समय नकाल और ख़ुद को


आनं दत दे खने पर यान क त कर। ख़ुद को आनंद म महसूस कर। क पना कर क
आपके जीवन म आगे आनंद ही आनंद है और आप उसम डू बे ए ह। ऐसा करने पर सृ
तमाम लोग , प र थ तय और घटना को े रत करेगी, ता क वह आनंद आपको मल
जाए। अगर आपके मन म पैसे क चताएँ, सेहत क चता, म या प रवार वाल के साथ
संबंध क सम या ह, तो आप आनंदमय नह रह सकते। इस लए बार-बार सृ के बक म
आनंद जमा करते रह। इससे यादा लाभकारी कोई और नवेश नह हो सकता।

आप आनंद म रह।
दन 116

हमारी सव चश ेम है और यह एक ऐसी चीज़ है, जो हमम से हर एक के पास


असी मत मा ा म है। आप एक दन म सर को कतना अ धक ेम दे सकते ह? हर दन
हमारे पास यह अवसर होता है क हम अपने पास मौजूद इस महान, असी मत श के
साथ बाहर नकल और इसे हर व प र थ त को ब तायत म द।

े का मतलब है क़ करना, शंसा करना, कृत ता महसूस करना और सर से अ छे



श द बोलना।

हमारे पास दे ने के लए ब त सा ेम है और हम इसे जतना दे ते ह, यह हम उतना ही यादा


मलता है।
दन 117

समूची सृ अ छ है; मगर मु कल थ तय म हम अ सर कुछ बड़ा नह सोच पाते ह।


यहाँ तक क हम जन थ तय को “बुरा” कहते ह, उनके पीछे भी कुछ अ छाई होती है।
थ त को नए नज़ रये से दे ख और अ छाई क तलाश कर। अगर आप इसक तलाश करते
ह, तो वश्वास मा नए यह आपको न त प से मल जाएगी। फर आपका मु कल
प र थ तय का म टू ट जाएगा और आप अ छाई को आगे आने का अवसर दगे।
दन 118

अगर आप जीवन म कसी के साथ ख़ुद को नकारा मक थ त म पाएँ, तो हर दन कुछ


मनट दल म उस के लए ेम महसूस कर और उसे ा ड म े षत कर द। बस
यह एक काम करने से उस के त आपके े ष, ोध या नकारा मकता को र करने
म मदद मलती है।

याद रख क े ष, ोध या कसी भी नकारा मक भाव को महसूस करने से यह पलटकर


आपक ओर आक षत होता है। ेम महसूस करने से ेम ही पलटकर आपक ओर
आक षत होता है। आप सरे के लए जो भी महसूस कर रहे ह, उसे आप दरअसल अपनी
ओर ला रहे ह।
दन 119

“मह वपूण यह नह है क आपके साथ या होता है; मह वपूण तो यह है क आप उस पर


कैसी त या करते ह।”

ए प टटस (55 ई. से 135 ई. के म य)


दन 120

आपके ज़ रये सृजन करना सृ के लए मु कल नह है। आप जो चाहते ह, उस चीज़


का सृजन कर सकते ह और इसके लए आपको बस आकषण के नयम के सामंज य म
जीना है। आप अपनी मनचाही चीज़ का साँचा तय करते ह और फर सृ उस साँचे को भर
दे ती है।

आपका काम आसान है - अपना मनपसंद साँचा बना ल!


दन 121

प्लेटो ने कहा था, “ वयं को जानो” और इससे अ धक मह वपूण श द कभी नह बोले


गए। आपको ख़ुद को जानना ही चा हए; क आप या कर रहे ह, या कह रहे ह, या
महसूस कर रहे ह, और या सोच रहे ह, ता क आप ख़ुद को नयम के सामंज य म ला
सक।

वयं को जा नए।
दन 122

अगर आप अपने जीवन म प र थ तय या चीज़ के बारे म शकायत कर रहे ह, तो आप


शकायत करने के आवृ तर पर ह, और आप अपनी मनचाही चीज़ को आक षत करने
क थ त म नह ह।

अपने वचार और श द के ज़ रये वयं को अ छाई क आवृ पर ले आएँ। सबसे पहले


तो आपको अ छा महसूस करना होगा और फर आप अ धक अ छाई को हण करने क
थ त म प ँच जाएँग।े
दन 123

अगर आप कोई वशेष मकान या वशेष संबंध या वशेष नौकरी चाहते थे, ले कन वे
आपको नह मले, तो समझ ली जए क सृ आपको बता रही है क वह आपके लए
अ छा नह था और आपके सपन से मेल नह खाता था। वह आपको यह भी बता रही है
क उसके पास इससे भी बेहतर चीज़ है, जो आपके लए यादा मुना सब है।

कोई बेहतर चीज़ आ रही है… आप रोमां चत हो सकते ह!


दन 124

आपके पास नकारा मक को सकारा मक म बदलने क श है, ले कन आप प रवतन


का तरोध करके ऐसा नह कर सकते। प रवतन का तरोध करना नकारा मक माग को
चुनना है - य द आप नकारा मक पर यान क त कर रहे ह, तो उससे और यादा
नकारा मकता, दद तथा ख आना तय है।

नकारा मक को सकारा मक म बदलने के लए पहले तो उस थ त म अ छ और


सकारा मक चीज़ क तलाश कर। हर थ त म अ छाई होती है और जब आप अ छ
चीज़ क तलाश करते ह, तो आकषण का नयम उ ह आपके सामने तुत कर दे गा। इसके
अलावा, यह आदे श द क यह प रवतन असी मत अ छाई और सकारा मकता लाएगा।
अपने दल क गहराई से यह बात जान ल और वश्वास कर क जब आप आदे श दे ते ह, तो
इसे ज़ र पूरा कया जाएगा। यही सकारा मक माग को चुनना है।
दन 125

आकषण का नयम सबसे अद्भुत नयम है। यह नयम अटल है और हर को वही


दे ता है, जस पर वह सबसे अ धक यान क त कर रहा है। आप भी इस नयम के अपवाद
नह ह और जस तरह चाह, इसका इ तेमाल कर सकते ह।

नयम कभी असफल नह हो सकता। हम तो बस सही तरीक़े से इसका इ तेमाल करना


सीखना होगा।
दन 126

“हम वही ह जो हम सोचते ह। हम जो ह, वह हमारे वचार से ही उ प होता ह। अपने


वचार से ही हम अपना संसार बनाते ह।”

बु (लगभग 563 से 483 ई.पू.)


दन 127

कृत ता तब तक सफ़ श द, श द और केवल श द ह, जब तक क आप इसे गहराई तथा


गहनता से महसूस न कर। कृत ता क श का सचमुच दोहन करने के लए आपको
अ यास, अ यास और अ यास करना होगा, जब तक क आप भावना क अ धकतम
गहराई तथा सव च आवृ के तर तक न प ँच जाएँ।

यही कृत ता है और परम श शाली है।


दन 128

जो चीज़ आपके जीवन म सबसे ज द आ जाती ह, वे वही होती ह जनम आप सबसे


यादा वश्वास करते ह। आप अपने पास सफ़ वही ला सकते ह, जसम आप वश्वास
करते ह। इस लए आपम मनचाही चीज़ पाने का वश्वास होना चा हए।
दन 129

जब आप कसी चीज़ के घ टत होने से डरते ह, तो नयम के अनुसार आप इसे आक षत


करते ह, हालाँ क तस ली क बात यह है क इसे आप तक लाने के लए स ची एका ता
और नरंतर भय क ज़ रत होती है। कसी चीज़ को न पाने क इ छा म आप भावना
का जतनी मा ा म नवेश करते ह, वह उतनी ही श शाली होती है। साथ ही मनचाही
चीज़ मलना तब भी असंभव हो जाता है, जब आप अनचाहे प रणाम से ब त डर महसूस
करते ह ।

आप जसे नह होने दे ना चाहते ह, उसम से डर का गत नवेश हटा ल। फर उस


श शाली ऊजा का इ तेमाल कर और इसे अपनी मनचाही चीज़ क ओर मोड़ ल।

चाहे आप कुछ भी सोच रहे ह या महसूस कर रहे ह , कसी नई चीज़ का सृजन करने क
आपक श अभी, इसी समय है।
दन 130

नकारा मक वचार या ह? अ छे वचार का अभाव।

नकारा मक भावनाएँ या ह? अ छे वचार का अभाव!


दन 131

कसी चीज़ के त शंसा या कृत ता महसूस करना एक बात है और कसी चीज़ के


त आस महसूस करना सरी बात है। दोन म अंतर होता है। शंसा और कृत ता
वशु ेम क अव थाएँ ह, जब क आस म डर शा मल होता है - आप जसके त
आस ह, उसके न मल पाने का या उसे गँवाने का डर। आप अपने जीवन म जो चीज़
चाहते ह, उसे शंसा और कृत ता आपक ओर आक षत करती ह, जब क आस र
कर दे ती है। अगर आप डर महसूस करते ह क आपको आपक मनचाही चीज़ नह मलेगी
या आप अपने पास मौजूद चीज़ को गँवा दगे, तो आप आस से त ह।

आस को अलग करने के लए ख़ुद को शंसा और कृत ता क अव था म तब तक


प ँचाते रह, जब तक क यह महसूस न हो क डर जा चुका है।
दन 132

आप जो चीज़ चाहते ह, उसे आक षत करने के मामले म आप सही रा ते पर ह या नह ,


यह जाँच करने के लए यहाँ एक तरीक़ा बताया जा रहा है। या आप तनावपूण और च तत
महसूस करते ह? या आप दबाव या तनाव महसूस कर रहे ह क मनचाही चीज़ कब
मलेगी? अपने शरीर को भी महसूस कर। या यह नम और शांत महसूस हो रहा है? या
फर यह तनाव त है? अगर आप तनाव क भावनाएँ महसूस करते ह, तो आप ग़लत राह
पर ह और ये भावनाएँ आपक इ छत चीज़ को आपसे र रख रही ह। पूरी तरह श थल हो
जाएँ, पूरी तरह शांत हो जाएँ और इस बारे म कोई चता न कर क आपक मनचाही चीज़
कब, कहाँ या कैसे ा त होगी।

आप जब भी अपनी इ छत चीज़ के बारे म सोच, तो हर बार अ धक से अ धक व ांत और


तनावर हत हो जाएँ और अपने शरीर को तब तक श थल करते रह, जब तक यह महसूस न
हो क तनाव पूरी तरह जा चुका है।
दन 133

“जो तमाम ख़ूबसूरती आपके चार ओर अब भी बाक है, उसके बारे म सोच और ख़ुश
ह ।”

ऐन क (1929-1945)
डायरी ऑफ़ अ यंग गल
दन 134

जब हमारे जीवन म प र थ तयाँ बदलती ह, तो हम अ सर प रवतन का तरोध करते


ह। ले कन अगर आप सृ , जीवन और सृजन के तं को समझते ह, तो जान जाएँगे क
जीवन प रवतन का ही सरा नाम है और कोई भी चीज़ कभी थर नह रहती है। हर चीज़
ऊजा है, और ऊजा सतत ग त व प रवतन क या म रहती है। अगर ऊजा थर रहे, तो
आपका अ त व समा त हो जाएगा और कोई जीवन शेष नह रहेगा।

प रवतन हमेशा आपके और सभी के भले के लए होता रहता है। यह जीवन का वकास है।
दन 135

अगर आप उन सभी चीज़ क सूची बनाने का समय नकाल, जनके लए आप कृत ह,


तो आप हर दन ब त अ छा महसूस करगे। आप एक ऊँचे तर पर प ँच जाएँग।े आप हर
दन जीवन से ेम करगे, जहाँ भी जाएँगे वहाँ ख़ुशी बखेरगे और मलने वाले हर को
सकारा मक तरीक़े से भा वत करगे।

जब आप इस तरह क ज़दगी जीते ह, तो आपक हर मनचाही चीज़ आपके माँगने से पहले


ही आपके पास आ जाएगी।
दन 136

नकारा मक वचार और नकारा मक भावना को जी वत रहने के लए आपके यान


और एका ता क ज़ रत होती है। अगर आप उन पर यान ही न द, तो वे जी वत नह रह
सकते। य द आप उ ह नज़रअंदाज़ कर दे ते ह और उन पर यान दे ने से इंकार कर दे ते ह, तो
आप उनक श कम कर रहे ह और वे समा त हो जाएँग।े
दन 137

ज़्यादातर लोग अपने जीवन म छोट चीज़ को ज द ा त कर लेते ह। ऐसा इस लए,


य क छोट चीज़ को लेकर उनके मन म कोई तरोध नह होता और वे ऐसे वचार नह
सोचते, जो उनका वरोध कर। ले कन जब यादा बड़ी चीज़ क बात आती है, तो लोग
अ सर शंका या चता के वचार कट करते ह, जो उन बड़ी चीज़ का वरोध करते ह।
कसी चीज़ को कट होने म कतना समय लगेगा, यह हमारे वरोधी वचार ही तय करते ह।

सृ के लए कोई चीज़ बड़ी या छोट नह होती।


दन 138

सृजन क या सफ़ आपको वयं क मनचाही चीज़ के सामंज य म लाने के लए है।


यह कभी भी आकषण के नयम के बारे म नह है। एक दन आप अ छे वचार सोचते ह,
ले कन अगले दन उतने अ छे वचार नह सोचते ह और फर उसके अगले दन अ छे
वचार सोचते ह, और यह या इसी तरह चलती है।

बना कसी शंका के वश्वास करने क थायी अव था एक ऐसी चीज़ है जो आपको


सीखनी होती है, तथा अ यास के साथ आप इसम बेहतर बनते चले जाते ह।
दन 139

“ यादातर लोग जो चाहते ह, उसे पाने म असफल य रहते ह? इसका [एक] अहम कारण
यह है क वे यह प के तौर पर जानते ही नह ह क वे या चाहते ह या फर वे लगभग हर
दन अपनी इ छाएँ बदलते रहते ह।

“पहले यह जान ल क आप या चाहते ह और फर उसे पाने क चाहत बरकरार रख। अगर


आप अपनी इ छा को वश्वास के साथ मला लेते ह, तो आप उसे पा लगे। जब इ छा क
श के साथ वश्वास क श मल जाती है, तो यह एक अजेय तालमेल होता है।”

यन डी. लासन (1874-1954)


यॉर फ़ोसस ड हाउ टु यूज़ दे म
दन 140

लोग दो तरह के होते ह:


एक वे जो कहते ह, “जब म इसे दे ख लूँगा, तभी इस पर वश्वास क ँ गा।”

और सरे वे जो कहते ह, “म जानता ँ क मुझे पहले वश्वास करना होगा, तभी म इसे
दे ख पाऊँगा।”
दन 141

इस बात से अवगत रह क े रत कम और ग त व ध के बीच बड़ा अंतर होता है। ग त व ध


म त क से उ प होती है और इसक जड़ अ वश्वास व आ था के अभाव म थत होती ह
- जब क सरी ओर, आप अपनी इ छा को घ टत “कराने” के लए कम करते ह। े रत
कम का अथ है नयम को अपने ज़ रये काम करने और आपको े रत करने क अनुम त
दे ना।

कोई काय करना मु कल महसूस हो सकता है। परंतु ेरणा से भरपूर काय अ त महसूस
होता है।
दन 142

आपके जहाज़ का क तान कौन है? आप जानते ह क अगर कोई जहाज़ को दशा नह
दे गा, तो वह समु म हचकोले खाएगा और च ान से टकराकर तबाह हो जाएगा। अपने
शरीर को एक जहाज़ मान और म त क को इंजन, और वयं को अपने जहाज़ का क तान
मान ल!

अपने जहाज़ का भार ल, ता क आप उसे अपनी मनचाही मं ज़ल तक प ँचाने के लए


अपने इंजन क श का इ तेमाल कर सक।
दन 143

न त प से आप अपने वचार के ज़ रये सर क मदद कर सकते ह और वे भी


आपक मदद कर सकते ह। आप कसी सरे को जो भी अ छा वचार भेजते ह, वह एक
सजीव श होता है। हालाँ क, जस को आप वचार भेज रहे ह, उसे वही चीज़
माँगनी होती है, जो आप भेज रहे ह। अगर वह इसे नह चाहता है, तो वह आपके
वचार क आवृ के सामंज य म नह होगा और आपका वचार उस तक नह प ँच
पाएगा।

आप कसी सरे क इ छा के ख़लाफ़ उसके जीवन म कोई सृजन नह कर सकते, ले कन


अगर उसक इ छा आपसे मेल खाती है, तो आपके वचार उसक मदद करने वाली स ची
श बन जाते ह।
दन 144

जब आप कृत ता क सुंदर अव था म रहते ह, तो आप ऐसे बन जाते ह जो केवल


दे ना चाहता है। आप इतने कृत बन जाते ह क यह आपके जीवन का एक मह वपूण
उ े य बन जाता है। आपको लगता है क दन भर म सर को दे ने के लए पया त अवसर
ही नह मल पा रहे ह। आप ख़ुशी दे ते ह, आप ेम दे ते ह, आप पैसे दे ते ह, आप शंसा दे ते
ह, आप बधाई दे ते ह और आप दयालुता दे ते ह। आप अपनी नौकरी म, अपने संबंध म और
अजन बय को भी अपना सव े दे ते ह।

आपको पता चल जाएगा क आप सचमुच कृत कब बन गए ह, य क तब आप दानी बन


जाएँग।े जो सचमुच कृत है, वह और कुछ हो ही नह सकता।
दन 145

जब लोग पहले-पहल द सी े ट (रह य) का इ तेमाल शु करते ह, तो वे नकारा मक


वचार सोचने के बारे म थोड़े भयभीत हो सकते ह। इस डर के फल व प यह हो सकता है
क जब वे कोई अ छा वचार सोच, तो उनके दमाग़ म तुरंत ही उसका वपरीत वचार आ
जाए। ऐसा होना वाभा वक है। ले कन यह दौर ज द , ब त ज द गुज़र जाता है। और
इससे गुज़रने का सबसे आसान रा ता यह है क आप नकारा मक वचार पर ज़रा भी यान
न द। बस उ ह नज़रअंदाज़ कर द और एक अ छा वचार सोच ल। जब कोई नकारा मक
वचार आए, तो उसे अपने से इस तरह र कर द, मानो आपको उसक र ी भर भी परवाह
न हो और उसक जगह एक अ छा वचार सोच।
दन 146

अगर आप धन को आक षत करना चाहते ह, तो उन चीज़ के अपने पास होने क


क पना करने से यादा श मलती है, जनक ख़ा तर आप पैसे चाहते ह। अगर आपके
जीवन म धन का अभाव है, तो समझ ली जए क आपक धन संबंधी भावनाएँ और
वश्वास संभवतः ब त अ छे नह ह। इससे ब त बेहतर तो तब महसूस होगा, जब आप
उस पैसे से ख़रीद जा सकने वाली चीज़ के बारे म सोचगे। आपको अपनी भावना को
समझना सीखना चा हए। फर आपको उन वचार को चुनना सीखना चा हए, जो आपको
बेहतर महसूस कराते ह।

जो वचार बेहतर महसूस होते ह, वही आपक श है।


दन 147

“य द आप कसी बाहरी चीज़ के कारण क म ह, तो दद उस चीज़ के कारण नह है, ब क


उसके बारे म आपके वचार के कारण है; और आपके पास इसे कसी भी पल खा रज
करने क श है।”

माकस ऑरे लअस (121-180)


दन 148

वशु कृत ता भी दान दे ने क एक अव था ही है। जब आप हा दक कृत ता क


अव था म होते ह, तो आप अपने चार ओर एक श शाली व ुत-चुंबक य े सा रत
करते ह। आपके सारण इतने शु और श शाली होते ह क वे आपके संपक म आने
वाले सभी लोग को छू लेते ह। आप जो सा रत कर रहे ह, उसे ा त करने वाले लोग पर
कतना असर होता है, इसका पता लगाना असंभव है - एक से सरे तक
प ँचने वाला भाव कभी ख़ म नह होता।
दन 149

दे ने क या आपके लए ा त करने के ार खोल दे ती है। आपके पास हर दन दे ने के


ब त से अवसर होते ह।

अ छे श द बोल। मु कान द। ेम और शंसा द। गाड़ी चलाते व त सरे वाहन चालक को


श ाचार द। आप कार पा कग वाले को मु कान दे सकते ह। अख़बार बेचने वाले या कॉफ़
बनाने वाले को गमजोशी भरा अ भवादन दे सकते ह। आप ल ट म कसी अजनबी को
अपने से आगे नकलने दे सकते ह और यह भी पूछ सकते ह क वे कस मं ज़ल पर जा रहे
ह और फर उनके लए बटन दबा सकते ह। अगर कसी के हाथ से कुछ गर जाए, तो मदद
का हाथ बढ़ा सकते ह और उसे उठाकर दे सकते ह। आप जनसे ेम करते ह, उ ह ने हल
आ लगन दे सकते ह। और आप हर को शंसा तथा ो साहन दे सकते ह।

आपके पास दे ने के ब त सारे अवसर होते ह, इस लए आपके पास पाने के भी ब त सारे


अवसर होते ह।
दन 150

जब आप कृत ता के सव च तर पर प ँच जाते ह, तो आप जो भी वचार सोचते ह, जो


भी श द बोलते ह और जो भी काय करते ह, उनम से येक वशु अ छाई से आता है।
दन 151

आप एक व ुतचुंबक य ाणी ह, जो आवृ का उ सजन कर रहे ह। आप जस आवृ


को बाहर भेज रहे ह, उसी आवृ पर रहने वाली चीज़ का आप अनुभव कर सकते ह।
आपको दन म मलने वाला हर , घटने वाली हर घटना और प र थ त बता रही है क
आप कस आवृ पर ह।

अगर आपका दन अ छा नह जा रहा है, तो ठहर जाएँ और यास ारा अपनी आवृ को
बदल ल। अगर आपका दन अ छ तरह गुज़र रहा है, तो जो कर रहे ह वही करते रह।
दन 152

कई बार एक समय म एक ही चीज़ पर यान क त करना बेहतर होता है, ता क आप उस


एक चीज़ के लए अपनी सारी ऊजा का इ तेमाल कर ल। ले कन इसके बावजूद आप
अपनी कई मनचाही चीज़ क सूची बना सकते ह। उनम से येक पर बारी-बारी से पूरे दन
यान क त कर और यह महसूस कर क आपने उ ह पा लया है। जन चीज़ के बारे म
आप सबसे कम चता करते ह, संभवतः सबसे पहले वही आएँगी, य क आपक चता का
अभाव सृ को उ ह आप तक आसानी से प ँचाने दे ता है।
दन 153

तरोध आपक मनचाही चीज़ को आप तक प ँचने म बाधा डालता है। आप जो चाहते


ह, उसके बारे म तनावपूण या च तत महसूस कर आप ख़ुद तरोध बनाते ह। तनाव
तरोध उ प कर दे ता है और उस चीज़ के प ँचने म बाधा डालता है।

आप जो चाहते ह, उसके बारे म सोचते समय अगर आप तनाव महसूस करते ह, तो यह


व ांत, पूण प से व ांत होने का समय है। अपने शरीर को पानी क तरह तरल और
न य बना ल। इस तरह आप अपने शरीर के ज़ रये अपने म त क को शांत बना लेते ह।
जब भी आप ख़ुद को तनाव म महसूस कर, तो हर बार अपने शरीर को श थल कर ल, जब
तक क आप दोबारा न य महसूस न करने लग।
दन 154

“मनु य और कुछ नह , ब क अपने वचार का प रणाम है। वह जो भी सोचता है, वही बन


जाता है।”

महा मा गाँधी (1869-1948)


दन 155

आपने अपने बारे म जो कहानी गढ़ है, उससे आप ख़ुद को सी मत कर सकते ह। यहाँ


कुछ आसान उदाहरण बताए जा रहे ह क कैसे हम अपनी बनाई कहानी से ही सी मत हो
जाते ह:

म ग णत म बलकुल अ छ नह ।ँ म कभी नह नाच पाऊँगी। म ब त अ छा लेखक नह


ँ। म ब त ज़ ँ। मुझे ठ क से न द नह आती है। म ब त मूडी ँ। मेरा वज़न कभी कम
नह होगा। मेरी अँ ेज़ी अ छ नह है। मुझे कह जाने म हमेशा दे र हो जाती है। म ब त
अ छ ाइवर नह ँ। म अपने च मे के बना नह दे ख सकता। मेरे लए म बनाना
मु कल है। पैसा मेरे हाथ म कता ही नह है।

आप जो कह रहे ह, उसके बारे म आप जस समय जाग क हो जाते ह, उसी पल आप इन


चीज़ को मटा कर अपनी कहानी दोबारा लख सकते ह!
दन 156

यहाँ पर बताया जा रहा है क आप सचमुच कौन ह:


म संपूण ँ।
म आदश ।ँ
मश शाली ।ँ
म मज़बूत ँ।
म ेमपूण ँ।
म स ावपूण ँ।
म ख़ुश ँ।

या कुछ करने क ज़ रत है?


दन 157

अपने जीवन म मौजूद सारी शानदार चीज़ के बारे म जानकारी बढ़ाते जाएँ। उन सभी
लोग के त कृत ता महसूस कर, ज ह ने अपने काय और आ व कार के ज़ रये इतना
कुछ दया है, जससे आप यादा आसान ज़दगी जी सक। या आपने आज सुबह नान
कया था? या आपने बजली का इ तेमाल कया था? आप ऑ फ़स तक कैसे प ँचे? कार
से, े न, बस या फर आप जूते पहनकर पैदल गए थे? या आपने कॉफ़ पी थी या रे डयो
सुना था या सेल फ़ोन से कॉल कया था या ल ट म सवार ए थे? आप अपनी ज़दगी म
हर दन ब त सारे आ व कार का इ तेमाल करते ह। या आप उ ह नज़रअंदाज़ कर रहे ह
या उनके त कृत ह?

हम सौभा यशाली ह - वा तव म।
दन 158

मान सक च ण क कला के अ यास के लए अपने आज के दन के बीते ए समय के


बारे म सोच। दन के कसी अ त य या पल को चुन ल और उसे अपने मन म दोहराएँ।
मन म इसक फ़ म चलाते समय उस जगह, लोग , पृ भू म क आवाज़, रंग, बोले गए
श द और उस य के हर ववरण का च दे ख।

यह मान सक च ण क यो यता को बेहतर बनाने का ब त श शाली तरीक़ा है। इसके


अलावा, इस तरह आप अपने जीवन म बेहतर य को भी आक षत करते ह।
दन 159

सृ क सव च श सभी चीज़ क आपू त करती है और आकषण का नयम इन


चीज़ को बाँटने का काम करता है। आप पृ वी पर सृजन के एक क य ब ह। आपके ही
ज़ रये सृ हमारे भौ तक संसार म सृजन कर सकती है।

कतनी ब ढ़या व था है!


दन 160

आज आपके जीवन का सव े दन है!


दन 161

“इंसान जो जानता है, वही दे खता है।”

योहान वू फ़गग वॉन गोएटे


(1749-1832)
दन 162

इस बात क लगातार नगरानी रख क आप कैसा महसूस कर रहे ह। जीवन को तनावपूण


ढं ग से जकड़ कर रखने के बजाय इसे कसी नद क तरह बहता आ महसूस करना
चा हए। आप तनावर हत और वाहपूण ह या फर अपने भीतर तनाव को थामे ए ह, इसे
अपने अहसास से समझ सकते ह।

तनाव को मु त करने का एक तरीक़ा यह नणय लेना है क आप हर को अपना


सव े दगे। जब आप अपना सव े दे ते ह, तो आप ख़ुद को तुत कर रहे ह, ता क सृ
का वाह आपके ज़ रये बह सके। और यह ब त अ छा महसूस होता है!
दन 163

अपने दय और अपने म त क के बीच समान प से संतुलन बनाकर जीवन जीना ही


आनंदमय जीवन है। जब दय और म त क संतु लत होते ह, तो आपका शरीर पूण
सामंज य म होता है। और आपका जीवन भी।
दन 164

दयालुतापूण वचार सोच। दयालुता भरे श द बोल। दयालुता भरे काम कर। अपने वचार ,
श द तथा काय म दयालुता समा हत कर ल और इसे अपने जीवन क थायी अव था बना
ल। दयालुता के कई तर होते ह और यह महसूस करना रोचक है क जसे लोग “बुरा”
कहते ह, वह और कुछ नह बस दयालुता का अभाव है। बुराई का कोई ोत नह है - सफ़
दयालुता का अभाव है।

केवल एक ही श है - और यह संपूण प से सकारा मक व अ छ है।


दन 165

अपनी इ छाश का योग कर और ऐसे काम कर, जनसे आपक ज़दगी बदल जाए।
हर दन द सी े ट (रह य) के स ांत का अ यास कर। इ छाश का योग कर और इन
स ांत के अनु प जीने का संक प ल। कृ त के सभी नयम का इ तेमाल अपने लाभ
के लए कर। बना अपवाद हर दन अ यास करने का अनुशासन रख।

केवल आप ही अपनी इ छाश को मज़बूत बना सकते ह। आप जो प रवतन दे खगे, वे


ठ क उसी अनुपात म ह गे, जस अनुपात म आप उ ह करने के लए सम पत ह गे।
दन 166

अब हम व ान के ज़ रये यह न त प से कह सकते ह क न तो कभी ऊजा का सृजन


कया जा सकता है, न ही उसे न कया जा सकता है - इसका केवल प बदल सकता है।
हमारा सृजन ऊजा से आ है, इस लए हम भी बनाया या न नह कया जा सकता - हम
बस प बदलते ह।

कई लोग म मृ यु का बड़ा डर होता है, ले कन हमारा जीवन अनंत है, जसका बस बाहरी
प बदलता है।
दन 167

इ तहास म एक भी ऐसी मसाल नह है, जहाँ नफ़रत से लोग को ख़ुशी मली हो। जन
लोग ने भी मन और शरीर म नफ़रत को पाला है, इसने उ ह न कर दया है। अगर मानव
जा त नफ़रत, डर व े ष से मु हो जाए, तो कभी कोई तानाशाह नह होगा और पूरी पृ वी
पर शां त होगी।

पृ वी पर शां त हमम से येक क आंत रक शां त के ज़ रये ही उ प हो सकती है।


दन 168

“य द आपके वचार सकारा मक ह तो आपका मन हमेशा आपके साथ सामंज य बनाए


रखेगा, वह य द आपका झुकाव नकारा मकता क ओर है तो आपका अपने मन के साथ
तालमेल गड़बड़ा जाएगा और इस तरह आप अपनी श का काफ़ बड़ा ह सा गँवा दे ते
ह… य द मन म सकारा मक वचार ह तो मान सक तं के सभी काय सामंज य म होते ह
और प उ े य क ओर पूरी तरह नद शत होते ह, य द मन म नकारा मक वचार ह तो
यही काय बखरे ए, बेचैन, घबराए ए, वच लत, यहाँ-वहाँ भटकते ए होते ह; कई बार
दशा म होते ह, ले कन यादातर समय ऐसा नह होता। इस लए यह प है क
सकारा मक वचार रखने वाले इंसान को हमेशा सफल होना चा हए और यह भी इतना ही
प है क नकारा मक वचार रखने वाले को अव यंभावी प से वफल होना चा हए।”

यन डी. लासन (1874-1954)


यॉर फ़ोसस ड हाउ टु यूज़ दे म
दन 169

आकषण के नयम के लए कोई अतीत या भ व य नह है, सफ़ वतमान है। इस लए


अपने अतीत के जीवन को ब त मु कल, तंगहाल और खमय कहना छोड़ द। अतीत के
बारे म कसी भी तरह क नकारा मक बात बोलना बंद कर द।

याद रख क नयम सफ़ वतमान म ही काम करता है, इस लए जब आप अपने अतीत के


जीवन के बारे म नकारा मक बात करते ह, तो नयम आपके श द को वतमान म ा त
करता है और वही चीज़ वतमान म आपक ओर भेज दे ता है।
दन 170

सृजन क या सभी चीज़ के लए समान होती है, चाहे आप कसी भी चीज़ को अपने
जीवन म लाना चाहते ह या कसी नकारा मक चीज़ को अपने जीवन से हटाना चाहते ह ।

अगर आप कसी आदत या नकारा मक चीज़ को छोड़ना या अपने जीवन से हटाना चाहते
ह, तो आपको उस पर यान क त करना ही होगा, जसे आप चाहते ह। इसका मतलब है
क आप मान सक च ण कर और उसी समय क पना कर क आप नकारा मकता से र हत
अव था म ह। जहाँ नकारा मक थ त पूरी तरह अनुप थत हो, ऐसे यादा से यादा य
म अपनी क पना कर। क पना म ख़ुद को ख़ुश और वतं दे ख। अपने मन से नकारा मक
थ त वाली अपनी हर त वीर हटा द। बस अपनी क पना उस अव था म कर जसम आप
रहना चाहते ह और महसूस कर क आप इस समय वैसे ही ह।
दन 171

हर दन, चाहे आप दन म कसी से भी मल - म , प रजन, सहकम , अजनबी - उ ह


ख़ुशी द। चाहे आप मु कान द या शंसा कर या अ छे श द बोल या अ छे काम कर, ले कन
बस ख़ुशी द! यह सु न त करने क पूरी को शश कर क जस भी से आप मलते ह,
आपसे मलने के बाद उसका दन बेहतर हो जाए। ऐसा लग सकता है क इसका आपसे
और आपके जीवन से कोई संबंध नह है, ले कन मेरा यक़ न मान, यह ांडीय नयम के
ज़ रये अ भ प से जुड़ा आ है।

जब आप हर मलने वाले को ख़ुशी दे ते ह, तो आप ख़ुशी को अपनी ओर लाते ह।


आप सर को जतनी यादा ख़ुशी दे ते ह, उतनी ही यादा ख़ुशी आप अपनी ओर ले
आएँगे।
दन 172

डाइ टग करने वाले कई लोग वज़न तो कम कर लेते ह, ले कन बाद म उनका वज़न फर


बढ़ जाता है, य क उनका यान वज़न कम करने पर क त होता है। इसके बजाय, अपने
आदश वज़न पर यान क त कर।

आपका सबसे बल क ब जस भी चीज़ पर होता है, उसे ही आप आक षत करगे।


नयम इसी तरह काम करता है।
दन 173

स्वयं क अ त और बेहतरीन चीज़ पर यान क त कर। आपका मन जब भी आपक


आलोचना शु करे, तो उन वचार को नकाल बाहर कर। उ ह त काल रोक द और अपने
मन को अपनी अ छाइय पर ले जाएँ। अगर आप अपनी अ छाइय पर यान क त करते
ह, तो आप ब त सारी अ छाइय को आक षत कर लगे।

ख़ुद के त दयालु रह, य क आप इसके हक़दार ह!


दन 174

हमम से येक ख़ुद के जीवन का नमाता है। हम कसी सरे के जीवन का नमाण तब
तक नह कर सकते, जब तक क सामने वाला भी वही चीज़ चेतन प से न माँग
रहा हो। मसाल के तौर पर, अगर कोई अ छा बनना चाहता है, तो उस के आसपास
के सरे लोग उसक वशु अ छाई पर अपनी बल एका ता का इ तेमाल कर सकते ह।
इससे उस को इस सकारा मक ऊजा से ब त मदद मलेगी, य क वह ख़ुद इसे माँग
रहा है।
दन 175

“हम गु वाकषण के नयम के बारे म ब त ानपूवक बोलते ह, ले कन एक उतने ही अ त


नयम को नज़रअंदाज़ कर दे ते ह, जो वचार जगत म आकषण का नयम है। हम उस नयम
के अ त कट करण से प र चत ह, जो पदाथ बनाने वाले अणु को ख चता और एक
साथ जोड़े रखता है - हम उस नयम क श को पहचानते ह, जो व तु या य को
पृ वी क ओर आक षत करती है, जो घूमते ए ह को उनक जगह पर थामे रखती है,
ले कन हम उस श शाली नयम के त अपनी आँख मूँद लेते ह, जो हम उन चीज़ क
ओर ख चता है, जनक हम इ छा करते ह या जनसे हम डरते ह और जो हमारे जीवन को
बनाता या बगाड़ता है।”

“जब हम यह दे खते ह क वचार एक श और ऊजा का कट करण है, जसम आकषण


क चुंबक जैसी श है, तो हम कई चीज़ से जुड़े य और कैसे समझने लगगे, जनके बारे
म हम अब तक अंधकार म रहे ह।”

व लयम वॉकर ऐट क सन (1862-1932)


थॉट वाइ ेशन
दन 176

स्वयं को जान! देख क आप जीवन म छोट -छोट चीज़ को कैसे कट करते ह और इस


बारे म सोच क उन चीज़ क मौजूदगी म आपने अपने भीतर कैसा महसूस कया था। इस
बारे म सोच क वे कतनी आसानी से आ ग । आप पाएँगे क आपने कसी छोट चीज़ का
वचार सफ़ एक ही बार सोचा था और दोबारा कभी नह , और फर वह कट हो गई।

दरअसल आ यह था क आपने अपनी मनचाही चीज़ के वरोध वाले कोई वचार नह सोचे
या कोई श द नह बोले, इस लए आकषण के नयम को अपना काम करने का मौक़ा मल
गया।
दन 177

कृत ता क श और जा को समझने के लए आपको ख़ुद इसका अनुभव करना होता


है। तो य न हर दन सौ चीज़ के लए कृत होकर शु आत कर?

य द आप हर दन कृत ता का अ यास करते ह, तो यादा समय नह लगेगा और कृत ता


आपके जीवन क वाभा वक अव था बन जाएगी। जब ऐसा होने लगता है, तो आप जीवन
के एक महान रह य को जान लगे।
दन 178

वह सबसे श शाली चीज़ या है, जो आप अपनी मनचाही चीज़ का सृजन करने क


या म जोड़ सकते ह? जस तरह आप ख़ुद क ख़ा तर माँगते ह, उसी तरह सर क
ख़ा तर भी माँग। इसका एक आसान तरीक़ा सबके लए माँगना है, जसम ज़ा हर है आप
भी शा मल ह। सभी के लए अ छा जीवन माँग, सभी के लए शां त माँग, सभी के लए
समृ माँग, सभी के लए सेहत माँग, सभी के लए ेम माँग और सभी के लए ख़ुशी माँग।

जब आप सर क ख़ा तर माँगते ह, तो यह पलटकर आपक ओर आता है, इस लए इस


नयम म सभी शा मल ह।
दन 179

आकषण का नयम आपके जीवन क कसी ऐसी चीज़ को नह बदल सकता, जससे
आप नफ़रत करते ह, य क नफ़रत प रवतन को आने से रोक दे ती है। चूँ क यह नयम हम
एकदम सट क प से वही दे रहा है, जो हम े षत कर रहे ह। इस लए जब आप कसी
चीज़ से नफ़रत करते ह, तो नयम के लए यह ज़ री हो जाता है क यह आपको वही चीज़
यादा दे , जससे आप नफ़रत करते ह। आप इससे र जाने म सफल नह हो पाएँगे। ेम
ही एकमा तरीक़ा है।

अगर आप अपनी य चीज़ पर पूरी तरह यान क त करते ह, तो आप एक सुंदर जीवन


जीने क राह पर चल रहे ह।
दन 180

आलोचना ब त सू मता से रगकर हमारे वचार म समा सकती है। यहाँ आलोचना के
कुछ उदाहरण दए गए ह, ता क आप इसक सू मता के बारे म जाग क बन सक और इसे
अपने वचार से मटा सक:

आज मौसम बड़ा ख़राब है।


ै फ़क ब त यादा है।
इन लोग क स वस वाकई बेकार है।
ओह नह , कतनी लंबी क़तार है।
वह हमेशा दे र से आता/आती है।
हम अपने ऑडर का कतनी दे र तक इंतज़ार करना होगा?
वह कार वाला पागल है।
यहाँ ब त गम है।
मुझे कतने लंबे समय तक इंतज़ार करना पड़ रहा है!

ये ब त सू म या छोट बात ह, ले कन आकषण का नयम इन सबको सुन रहा है। आपम


यह मता है क आप कसी भी प र थ त म कसी भी चीज़ क शंसा कर सकते ह।
हमारे पास कृत होने के लए हमेशा कुछ न कुछ होता है।
दन 181

आप जो चाहते ह, उसे साकार करने क या समान है, भले ही वह कुछ भी हो।


या क परेखा द सी े ट (रह य) फ़ म और पु तक म पूरी तरह बताई गई है, इस लए
अगर आप प प से नह समझ पाए ह , तो आपको फ़ म बार-बार दे खनी चा हए या
पु तक बार-बार पढ़नी चा हए, जब तक क यह आपके दमाग़ म पूरी तरह बैठ न जाए।
फर आप द सी े ट के स ांत को अपनी चेतना व जीवन म शा मल कर लगे और यह जान
जाएँगे क कोई काय कैसे करना है।
दन 182

“पहले अपने भीतर शां त रख, फर आप सर के लए भी शां त ला सकते ह।”

थॉमस ए के पस (1380-1471)
द इ मटे शन ऑफ़ ाइ ट
दन 183

क पना कर क आपक अ छ भावनाएँ बा रश का पानी ह और आपका शरीर इस पानी


का सं हण े ।

जब आप यथासंभव अ धक से अ धक अ छ भावनाएँ महसूस करते ह, तो आपका जल-


सं हण े भरा आ रहता है। ले कन अगर आप अ छ भावना को इरादतन अंदर
रखना भूल जाते ह, तो पानी का तर कम होते-होते तलहट तक आ जाएगा, जहाँ म
और क चड़ जमा रहता है। नकारा मक भावनाएँ आपके लए सफ़ एक संकेत ह क
आपका जल-सं हण े क चड़ तक आ गया है और आपको अ छ भावना से ख़ुद को
दोबारा भरने क ज़ रत है। हर दन अ छ भावना से ख़ुद को लबालब रख।
दन 184

आप जो भी सकारा मक क़दम उठाते ह, वह हर क़दम आपके अ त व का कायाक प


कर दे ता है। अगर आप अपनी इ छाश का नरंतर इ तेमाल करते ह और सीखी ई बात
का नय मत अ यास करते ह, तो आप यह दे खकर हैरान रह जाएँगे क कायाक प कतनी
तेज़ी से होता है। आपके अ त व के कायाक प से इतनी शां त और ख़ुशी आती है जो
बयान नह क जा सकती। इसे जानने के लए आपको इसका अनुभव करना होगा, ले कन
एक बार जब आप यह कर लेते ह, तो दोबारा कभी पलटकर पीछे नह दे खगे।
दन 185

आप कभी नह कह सकते क आकषण का नयम काम नह कर रहा है, य क यह हर


व त काम कर रहा है। अगर आपके पास वह नह है जो आप चाहते ह, तब भी आप नयम
के योग का ही प रणाम दे ख रहे ह। अगर आपके पास वह नह है, जो आप चाहते ह, तो
आप अपनी मनचाही चीज़ के न होने का सृजन कर रहे ह। आप अब भी सृजन कर रहे ह
और नयम अब भी आप पर त या कर रहा है।

अगर आप यह समझ लेते ह, तो आप अपनी अ व सनीय श को नई दशा दे सकते ह,


ता क यह आपक मनचाही चीज़ को आक षत करे।
दन 186

जीवन म लहर के साथ बह और जब चुनौ तयाँ आएँ, तो उनका तरोध करने क


को शश न कर। तरोध करगे तो वे आपको जकड़ लगी। अपने मन को अपनी इ छा पर
क त कर और फर चुनौतीपूण या नकारा मक चीज़ के ऊपर बने रह। क पना कर क
आप आसमान म ह और नीचे क तरफ़ नकारा मकता के छोटे से ब को दे ख रहे ह। जब
आप ऐसा करते ह, तो आप नकारा मकता से ख़ुद को अलग कर रहे ह और उसे उसी प
म दे ख रहे ह, जैसी क वह सचमुच है।

यह छोट सी या आपको कसी नकारा मक थ त म डू बने से रोकेगी।


दन 187

कृत महसूस करते ए अपना दन शु कर। जस ब तर पर आप सोए थे, उसके लए


कृत बन। अपने सर के ऊपर क छत के लए, अपने क़दम के नीचे के गलीचे या फ़श के
लए, पानी के लए, साबुन, शॉवर, टू थ श, कपड़ , जूत , आपके भोजन को ठं डा रखने
वाले ज़, अपनी कार, नौकरी, म के लए कृत ह । उन कान के लए कृत ह , जो
आपक ज़ रत क चीज़ ख़रीदने को आसान बनाती ह। उन सेवा , रे तराँ, जनोपयोगी
सेवा , और व ुत उपकरण के लए कृत ह , जो आपके जीवन को सरल बनाते ह। उन
प का और पु तक के लए कृत ह , ज ह आप पढ़ते ह। उस कुस के लए कृत ह ,
जस पर आप बैठते ह और उस फ़टपाथ के लए भी, जस पर आप चलते ह। मौसम,
सूरज, आसमान, प य , वृ , घास, बा रश और फूल के लए कृत ह ।

ध यवाद, ध यवाद, ध यवाद!


दन 188

आप कोई अवसर चूक ही नह सकते, य क सृ आपके सामने अवसर पेश करती


रहेगी। अगर आपको लगता है क आप कोई अवसर चूक गए ह, तो आपको अ छा महसूस
नह होगा और आप न त प से सही अवसर हा सल करने क आवृ पर नह ह गे।
वश्वास बनाए रख। सृ के पास आपके सामने पेश करने के लए असी मत अवसर ह
और आपका यान ख चने के असी मत तरीक़े भी।

आप सही अवसर को पकड़ लगे।


दन 189

“हर महान बन सकता है… य क कोई भी सेवा कर सकता है। सेवा करने के लए
आपके पास कॉलेज क ड ी होने क ज़ रत नह है। सेवा करने के लए आपको कसी
भाषा का ाकरण जानने क ज़ रत भी नह है। आपको तो सफ़ दया से भरे दय क
ज़ रत है। सफ़ ेम से उ प आ मा क ज़ रत है।”

डॉ. मा टन लूथर कग जू नयर


(1929-1968)
दन 190

कसी अ छ चीज़ को पाने के लए आपको वयं को अ छाई क आवृ पर लाना


होगा। उस आवृ पर ख़ुद को बनाए रखने के लए अ छे वचार सोच, अ छे श द बोल
और अ छे काय कर।
दन 191

आपके भीतर हर उस के सट क जवाब ह, ज ह जानने क आपको ज़ रत है।


इस लए यह मह वपूण है क आप जवाब ख़ुद खोज। आपको ख़ुद पर और अपने असल
व प पर भरोसा करना चा हए। द सी े ट (रह य) पु तक और फ़ म आपके भीतर क
श को समझने म आपक मदद करती ह। वे आपको उस श के बारे म जाग क
बनाती ह, ता क आप उसका इ तेमाल कर सक।

पूछ और फर सजगता के साथ जाग क बने रह, य क जवाब आपके पास कसी भी
पल आ जाएगा।
दन 192

आपको तीन बु मान बंदर याद ह?

बुरा मत दे खो।
बुरा मत सुनो।
बुरा मत बोलो।
इसका मतलब है: नकारा मक को मत दे खो, नकारा मक बात मत सुनो, और नकारा मक
बात मत बोलो।

वे तीन बंदर न त प से समझदार थे!


दन 193

ध यवाद! ध यवाद! ध यवाद! गहरी भावना से जुड़ने पर यह श द आपके जीवन को


इतना बेहतर बना सकते ह, जतनी क आप क पना भी नह कर सकते। ले कन इसके लए
आपको अपने दय म कृत ता क भावना से इन श द को समा हत करना होगा।

जब कोई बना कसी भावना के “ध यवाद” कहता है, तो आप कैसा महसूस करते ह? आप
कुछ भी महसूस नह करते। और आप जानते ह क जब कोई तहे दल से “ध यवाद” कहता
है, तो आप कैसा महसूस करते ह। दोन ही करण म श द समान रहते ह, ले कन जब
कृत ता क भावना जुड़ जाती है, तो आपको महसूस होता है क उस ऊजा का भाव आप
तक त काल प ँच रहा है।

जब आप “ध यवाद” श द म भावना भर दे ते ह, तो आप श द को पंख लगा रहे ह।


दन 194

अगर आप ेम क तलाश म ह, तो आदश (चाहे वह जो भी हो) के साथ पूण


आनंद पाने क सव े संभावना तब होती है, जब आप सृ के सामने समपण कर दे ते ह।
सृ को मौका द क वह आपके जीवन के ेम को आपक ओर लाए और आपको उसक
ओर ले जाए। इसका मतलब है क आपको रा ते से हटना होगा और उन संभावना के
त हणशील बनना होगा, जो सृ आपके सामने पेश करती है।

हमारे संकु चत कोण से हम हर चीज़ नह दे ख सकते, ले कन अपने सम कोण से


सृ आदश जोड़ी बनाना जानती है।
दन 195

“श द म दयालुता से वश्वास उ प होता है। सोच म दयालुता से गहराई उ प होती है।


दान म दयालुता से ेम उ प होता है।”

लाओ- सू (लगभग चौथी शता द ई.पू.)


दन 196

तनाव, चता और दबाव अपने वचार को भ व य म प ँचाने और कसी बुरी चीज़ क


क पना करने से आते ह। यह उस चीज़ पर यान क त करना है, जसे आप नह चाहते ह!
अगर आपको यह लगने लगे क आपका मन नकारा मक ढं ग से भ व य क ओर जा रहा है,
तो वतमान पर गहराई से यान क त कर। ख़ुद को वतमान म बनाए रख।

अपनी संपूण इ छाश का इ तेमाल कर और इसी पल अपने मन को क त कर, य क


इस पल म ही पूण शां त है।
दन 197

क्या आपने भी इस वचार को पकड़ रखा है?


“मेरे पास दान दे ने के लए पैसा नह है; ले कन जब मेरे पास पैसा होगा तब म दान ँ गा।”
अगर ऐसी बात है, तो आपके पास कभी पैसा नह होगा। कसी चीज़ को आक षत करने
का सबसे तेज़ तरीक़ा इसे कसी सरे को दे ना है, इस लए अगर आप पैसे को आक षत
करना चाहते ह, तो इसे दान म द। आप 10, या 5 या 1 या कतने भी पए दे सकते ह।
इससे कोई फ़क़ नह पड़ता क आप कतनी रा श दे ते ह। इससे कोई फ़क़ नह पड़ता क
कतना और कहाँ दया, बस दे द!
दन 198

आप कृत ता का जतना यादा अ यास करते ह, अपने दल म उसे उतनी ही गहराई से


अनुभव करगे और भावना क गहराई ही असली कुंजी है। आप इसे जतनी यादा गहराई
और स चाई से महसूस करते ह, आप हर े म अपनी ओर उतनी ही यादा ख़ुशी ले
आएँगे।

जब आप हर दन, हर अवसर पर कृत ता का अ यास करते ह, तब दे ख क आपके जीवन


म या होता है!
दन 199

जब भी आप ख़ुद के लए कोई चीज़ माँग, तो संसार के लए भी माँगने क को शश कर।


अपने लए अ छ चीज़ - संसार के लए अ छ चीज़। अपने लए समृ - संसार के लए
समृ । अपने लए सेहत - संसार के लए सेहत। अपने लए आनंद - संसार के लए
आनंद। अपने लए ेम और स ाव - संसार के येक के लए ेम और स ाव।

यह एक छोट सी चीज़ है, जसके कमाल के प रणाम होते ह।


दन 200

जब हमारे जीवन क प र थ तयाँ बदलती ह, तो अ सर हम प रवतन का ब त तरोध


करते ह।

ऐसा इस लए होता है, य क जब लोग कसी बड़े प रवतन को आता दे खते ह, तो वे डर


जाते ह क यह कोई बुरी चीज़ है। ले कन यह याद रखना मह वपूण है क जब हमारे जीवन
म कोई बड़ा बदलाव होता है, तो इसका केवल एक ही अथ है क कोई और बेहतर चीज़
हमारी ओर आ रही है। सृ म शू य ( नवात) नह रह सकता, इस लए जब कोई चीज़ बाहर
जाती है, तो उसक जगह कसी सरी चीज़ को आना ही होता है। प रवतन आने पर
तनावर हत ह , पूरा वश्वास रख और यह जान ल क यह प रवतन पूरी तरह अ छा है।

कोई अ धक शानदार चीज़ आपक तरफ़ आ रही है!


दन 201

अगर आप अभी वाली से बेहतर नौकरी या कसी अ य बेहतर चीज़ को आक षत करना


चाहते ह, तो यह समझना मह वपूण है क आकषण का नयम कैसे काम करता है।

आप जानते ह क कसी बेहतर चीज़ को जीवन म लाने के लए आपको मन म यह क पना


करनी होगी क वह चीज़ कैसी दखती है। फर उस त वीर म इस तरह जीना होगा, मानो
वह इसी समय मौजूद हो। ले कन आपको यह भी पता होना चा हए क अगर आप अपनी
वतमान नौकरी के बारे म शकायत करते ह और सारी नकारा मक चीज़ पर यान क त
करते रहते ह, तो आप कभी बेहतर नौकरी को आक षत नह कर पाएँगे। आपको अपनी
वतमान नौकरी म कृत होने के लए चीज़ खोजनी ह गी। आप कृत होने के लए जो भी
चीज़ खोजते ह, वह हर चीज़ उस बेहतर नौकरी को आपक ओर लाने म मदद करती है।
यह सचमुच नयम का सही इ तेमाल है!
दन 202

कसी क कार का मुआयना कर आपको उसके मा लक के बारे म थोड़ा-ब त


पता चल जाता है। जो कार चमचमाती दखती ह, वे इस बात का माण होती ह क उनके
मा लक उनक क़ करते ह। जो कार ब त गंद और बदहाल होती ह, उनक क़ नह
होती। एक यादा अ छ कार को आक षत कर रहा है और सरा कमतर कार को
आक षत कर रहा है।

वतमान म आपके पास जो भी है उसक क़ और शंसा कर। यह आकषण के नयम का


समझदारी भरा इ तेमाल है।
दन 203

“ वप क सबसे अँधेरी रात म भी उतने ही श शाली, संक पवान और उ सा हत बने


रहने का संक प ल, जतने क आप समृ के सबसे उजले दन म रहते ह। जब
प र थ तयाँ नराशाजनक दख, तो नराश न ह । प र थ तय , थ तय या घटना के
बावजूद उसी उ वल भ व य पर अपनी नगाह जमाए रख। जब चीज़ ठ क न ह , तो
उ मीद न हार। सभी प र थ तय के सही होने के अपने मूल संक प पर डटे रह…”

“प र थ तयाँ वपरीत होने के बावजूद जो इंसान कभी कमज़ोर नह होता, वह यादा


श शाली बनता जाएगा और एक व त ऐसा आएगा, जब उसके लए सारी प र थ तयाँ
अनुकूल बन जाएँगी। उसके पास अंततः वह सारी श होगी, जसक उसे इ छा या
ज़ रत होगी। हमेशा श शाली बन और इस तरह आप अ धक श शाली बनते चले
जाएँग।े ”

श् चय डी. लासन (1874-1954)


यॉर फ़ोसस ड हाउ टु यूज़ दे म
दन 204

आकषण का नयम एक वशाल फ़ोटोकॉपी मशीन जैसा है; हमारे मन म जो रहता है, यह
उसक फ़ोटोकॉपी करता है और हमारे जीवन क प र थ तय व घटना के प म हमारी
ओर वापस भेज दे ता है। यह ब त अ छ बात है, य क इस तरह हम ब त प फ़ डबैक
मल रहा है क हम अपने जीवन म कैसा काय कर रहे ह। मसाल के तौर पर, अगर आपको
अपने जीवन म पया त पैसा नह मल रहा है, तो आप जान जाते ह क आपको अपने मन
और क पना म समृ का सृजन करना होगा, ता क नयम उसक फ़ोटोकॉपी करके उसे
आपक ओर भेज सके।
दन 205

आपके वचार चाहे कसी वा त वक चीज़ के बारे म ह या का प नक चीज़ के बारे म,


चाहे आपके वचार इस बारे म ह जैसा आपका जीवन इस व त है या फर उस बारे म ह
जैसा आप अपने जीवन को बनाना चाहते ह, आकषण का नयम उन सभी वचार पर
त या कर रहा है। सरे श द म, आकषण का नयम यह नह जानता है क आप कसी
चीज़ क क पना कर रहे ह या वह असली है।

या अब आप अपनी क पना क श को समझ गए ह?


दन 206

आकषण के नयम का इ तेमाल करके पैसा कमाने के लए यहाँ चार बु नयाद बात
बताई जा रही ह।

1. आप दन भर म पैसे क कमी के जतने भी वचार सोचते ह, उनसे यादा समृ


के वचार सोच।
2. इस समय ख़ुश रह, बना धन के भी।
3. आपके पास इस व त जो कुछ भी है, उस सब के लए कृत बन।
4. सर को अपना सव े द।

चार आसान क़दम। अगर आपम पैसे को आक षत करने क इ छा है, तो आप ये क़दम


उठा सकते ह।
दन 207

आकषण के नयम ने कभी कसी को नराश नह कया है और आपको भी नह करेगा।


यह नयम कभी असफल नह होता। अगर मनचाही प र थ तयाँ नज़र नह आ रही ह, तो
ऐसा इस लए होता है य क वह नयम का सही तरीक़े से इ तेमाल नह कर रहा है।

यह नयम अचूक है, इस लए जब आप नयम के पूण सामंज य म काम करते ह, तो आपको


प रणाम अव य दखगे!
दन 208

कई बार जब हमम प रवतन करने का साहस नह होता है, तो हम नई राह दखाने के लए


हमारे आसपास क हर चीज़ बदल जाती है।

आप ख़ुद को ग त करने से नह रोक सकते - वकास के लए यह ज़ री होता है।


दन 209

ऐसा कोई काम नह है जो आप नह कर सकते। अगर आप सही म म जीवन म सारी


चीज़ को करते ह, तो हर मनचाही चीज़ ा त कर लगे। सबसे पहले अपने सपने को पूरी
तरह से अपने अंदर जएँ, और फर यह आपके जीवन म फलीभूत होने लगेगा। जब आप
अंदर से ख़ुद को पूरी तरह से अनुकूल बना लेते ह, तो आप अपने सपने को हक़ क़त म
बदलने के लए ज़ री हर चीज़ को चुंबक क तरह आक षत कर लगे।

यही नयम है। आपके जीवन का सारा सृजन आपके अंदर ही शु होता है।
दन 210

“ थम थान पर आने क को शश कर: सहमत होने म थम, मु कराने म थम, शंसा


करने म थम, और मा करने म थम।”

अ ात
दन 211

आपके श द म ब त श होती है, य क वे ऐसे वचार ह, ज ह आपने अ त र


ऊजा द है। अपने श द पर ग़ौर कर। जब आप अनचाहे श द को बोलते समय बीच म ही
पकड़ लेते ह, तो वह एक भ पल होता है, य क इसका मतलब है क आप यादा चेतन
और जाग क बन रहे ह। जी हाँ!
दन 212

अनंत ा ड हमारे सूय जैसा है। काश और जीवन दे ना सूय क कृ त है। अगर यह
काश और जीवन नह दे ता, तो सूय का अ त व ही नह हो सकता था। या आप क पना
कर सकते ह क सूय एक दन सुबह उठकर यह सोचने लगे, “म काश और जीवन दे त-े दे ते
उकता चुका !ँ ” जस पल सूय जीवन दे ना बंद कर दे गा, वह अ त व म ही नह रहेगा। यह
अनंत ा ड भी सूय जैसा ही है और दे ना ही इसका सार व कृ त है - और यह ऐसा कये
बना अ त व म नह रह सकता।

जब हम सृ के नयम के सामंज य म रहते ह, तो हम इसके दान क ख़ुशी अनुभव करते


ह।
दन 213

यह याद रखना मह वपूण है क आप हर पल कसी न कसी आवृ पर पं दत होते ह।


बाहरी प र थ तय को बदलने और अपने जीवन को यादा ऊँचे तर तक ले जाने के लए
आपको अपने भीतर क आवृ को बदलना होगा। अ छे वचार, अ छे श द और अ छे
काय आपक आवृ को उ च तर पर ले जाते ह।

आपक आवृ जतनी यादा ऊँची होती है, आप उतनी ही यादा अ छाई को अपनी ओर
आक षत करते ह।
दन 214

जब आप नयम के सामंज य म नह होते ह, तो जीवन म अभाव को अनुभव करते ह।


ले कन दरअसल आप ख़ुद ही इस अनुभव का सृजन कर रहे ह। सृ लगातार दे रही है,
इस लए आपको सीखना होगा क ख़ुद को सृ के सामंज य म कैसे लाएँ। और आदश लय
यह है: अ छे वचार, अ छे श द और अ छे काय।
दन 215

सृ आपसे संपूण और अथाह ेम करती है। चाहे आप कतनी भी ग़ल तयाँ कर ल, चाहे


आप अपने जीवन म कसी भी मुकाम पर ह , चाहे आप अपने बारे म कुछ भी सोचते ह ,
सृ आपको अनंत काल तक ेम करती है।
दन 216

आप सचमुच या चाहते ह? आप कौन-सा प रणाम चाहते ह? आपका काम यह है क


अपने मनचाहे प रणाम को मन म रख और उसे इस तरह महसूस कर, मानो यह इस व त
आपके पास हो। आपको बस इतना ही करना है। वह प रणाम साकार कैसे होगा, यह सृ
का काम है। ब त सारे लोग यह पर ग़लती कर जाते ह और कैसे को समझने के च कर म
उलझ जाते ह।

इसका एक उदाहरण दे ख। एक एक महँगे कॉलेज म पढ़ना चाहता है, इस लए वह


यह समझने क को शश करता है क उसे कॉलेज क पढ़ाई के लए पैसे कहाँ से मलगे।
दे खए, प रणाम कॉलेज म पढ़ना है। उस को उस कॉलेज म रहने या पढ़ने पर यान
क त करना चा हए - यही उसका काम है।

प रणाम पर यान क त कर, ता क सृ इसे साकार करने के लए अपने असी मत तरीक़


का इ तेमाल कर सके।
दन 217

“पानी म फके गए कसी प थर क तरह ही वचार से लहर पैदा होती ह, जो वचार के पूरे
महासागर म फैल जाती ह। बहरहाल, दोन म यह फ़क़ है: पानी क लहर सफ़ समतल
धरातल पर ही सब दशा म फैलती ह, जब क वचार-तरंग सूय क करण क तरह एक
साझे क से सब दशा म फैलती ह।”

व लयम वॉकर ऐट क सन (1862-1932)


थॉट वाइ ेशन
दन 218

अगर कोई मु कल म है, तो आप उसके लए ेरणा बन सकते ह। ले कन इसके लए


आपको उनके साथ खी नह होना है, ब क अपने आनंद के काश के ज़ रये उ ह ऊपर
उठाना है।

आप कैसा महसूस कर रहे ह, इससे आपको पता चल जाएगा क या आप ेरणा के ोत


बन पा रहे ह या नह । अगर आप अपनी अ छ भावना को क़ायम रखते ह, तो इसका
मतलब है क आपके आनंद का काश चमकदार और द तमान है। जस पल आप
भारीपन या उदासी महसूस करने लग, तो समझ ल क सम या क नकारा मकता आपको
भा वत कर रही है। तब आपको अलग हटते ए ख़ुद को अ छा महसूस करने क ओर ले
जाना चा हए।

जब तक आपके भीतर का आनंद बाहर क ओर न फैल रहा हो, तब तक आपके पास कसी
को दे ने के लए कुछ भी नह होता।
दन 219

वतमान म आप चाहे जैसी भी आ थक थ त म ह , अपने वचार के ज़ रये आप ख़ुद ही


इसे वा त वकता म लाए ह। अगर यह वैसी नह है जैसी आप चाहते ह, तो आपने अचेतन
प से इसका सृजन कया है, ले कन फर भी सृजन तो आप ही ने कया है। जब आप इसे
समझ लगे, तो यह भी समझ जाएँगे क आपका सृजन कतना श शाली है। और अब
आपको चेतन होकर बस अपनी मनचाही चीज़ का सृजन करना है!
दन 220

जब आप अपनी आँख बंद करके पैसे होने का मान सक च बनाते ह और उस पैसे क


बदौलत मलने वाली सारी मनचाही चीज़ क क पना करते ह, तो आप एक नई
वा त वकता का सृजन कर रहे ह। आपका अवचेतन मन और आकषण का नयम यह नह
जानते क आप जस चीज़ क क पना कर रहे ह वह वा त वक है या नह । इस लए जब
आप क पना करते ह, तो आकषण का नयम उन वचार और च को इस तरह मान लेता
है, मानो आप उ ह सचमुच जी रहे ह । इसके बाद उसे आपके च को प र थ तय और
घटना के प म आपको लौटाना ही होता है।

जब आप उस थ त म प ँच जाएँ, जहाँ क पना आपको वा त वक महसूस होने लगे, तो


समझ ल क यह आपके अवचेतन मन के भीतर तक प ँच गई है। अब आकषण के नयम
को इसे साकार करके आप तक प ँचाना ही होगा।
दन 221

जब आप अपने बल चुकाएँ, तो क पना का इ तेमाल कर और अपनी पसंद का कोई भी


खेल बना ल। क पना कर क वे आपके बल नह चेक ह या बल चुकाते व त आप उस
पैसे को तोहफ़े के प म दे रहे ह। अपने बक खाते क रा श म कुछ शू य जोड़ ल। या फर
द सी े ट वेबसाइट पर दए बक ऑफ़ द यु नवस के चेक को अपने बाथ म के आईने पर,
ज पर, टे ली वज़न न के नीचे, कार म अपने सामने, अपनी मेज़ पर या कं यूटर पर
चपका ल।

नाटक कर और खेल बनाएँ, ता क समृ का भाव आपके अवचेतन मन म समा जाए।


दन 222

पाने का सबसे तेज़ तरीक़ा देना है, य क दे ना पाने के पार प रक काय से शु होता है।
हम सभी को उतना ही मलता है, जतना हम दे ते ह। जहाँ भी जाएँ, हर जगह अपना
सव े द। मु कान बाँट। ध यवाद द। दयालु बन। ेम द शत कर।

आप जो भी द, वापसी क उ मीद रखे बना द - दे ने के शु आनंद के लए द।


दन 223

इस धरती पर हर धम ने आ था रखने क बात कही है। आ था का मतलब यह है क


आपको बलकुल पता नह होता क कोई काम कैसे होगा, ले कन फर भी आपको पूरा
वश्वास होता है क जस पल आपने कोई सपना दे खा, उसी पल वह चीज़ आपको द जा
चुक है। इसके बाद आपको आराम से रहना है और सृ को अनुम त दे ना है क वह
आपको चुंबक बनाकर सपने क ओर ख चे और सपने को चुंबक बनाकर आपको उसक
ओर ख चे।
दन 224

“हम जो भी ह, वह हमारी सोच का ही प रणाम है… अगर कोई कसी बुरे वचार से
बोलता या काम करता है, तो उसका प रणाम उसे ःख के प म भोगना होगा… अगर कोई
शु वचार से बोलता या काम करता है, तो उसका प रणाम उसे ख़ुशी के प म
ा त होगा - एक ऐसी परछाई क तरह जो उसका साथ कभी नह छोड़ेगी।”

बु (लगभग 563 से 483 ई.पू.)

द ट् वन वसस
दन 225

चूँ क हर चीज़ आ या मक संसार म पहले से मौजूद होती है, इस लए आप जो चाहते ह,


वह भी मौजूद है। दरअसल यह हमेशा से मौजूद रही है, य क आ या मक संसार म समय
का कोई अ त व नह होता है। इसे समझना हमारे सी मत भौ तक मन के लए मु कल हो
सकता है। ले कन मह वपूण बात यह है क अगर आपक मनचाही चीज़ पहले से मौजूद है,
तो आप समझ जाएँगे क जस पल आप इसे माँगते ह, उसी पल यह आपको दे द जाती है।
आप जो चाहते ह, उसे आ या मक से भौ तक संसार म लाने के लए आपको बस इतना
करना है क अपनी इ छा के सामंज य म तरंग े षत कर। आपको अपनी मनचाही चीज़
का सृजन नह करना है, य क यह तो पहले से मौजूद है।

वयं अपनी मनचाही चीज़ क तरंग बन जाएँ और आप इसे ख़ुद के मा यम से भौ तक


संसार म ले आएँग।े
दन 226

जब आप कसी चीज़ या क आलोचना करते ह या उसे दोष दे ते ह, तो ग़ौर कर क


आप कैसा महसूस करते ह। ये बुरी भावनाएँ आपको प प से बता रही ह क आप
नकारा मकता को आक षत कर रहे ह। उस अचूक मागदशन पर ग़ौर कर, जो सृ आपक
भावना के ज़ रये आप तक प ँचा रही है।

अ छा महसूस करने के अलावा बाक सारे अहसास बेकार ह।


दन 227

यहाँ एक जाँचसूची द जा रही है, ता क आपको यक़ न हो जाए क आपके ा त करने के


ार खुले ए ह:

या आप शंसा को अ छ तरह हण करते ह? या आप अ या शत तोहफ़ को आसानी


से वीकार कर लेते ह? या आप मदद क पेशकश को वीकार कर लेते ह? जब कोई म
आपके लंच या डनर का भुगतान करना चाहता है, तो या आप मान जाते ह?

ये ब त छोट -छोट बात ह, ले कन इनसे आपको यह जानने म मदद मलेगी क या आप


हण और वीकार करने के लए तैयार ह। याद रख, आपको दे ने के लए सृ हर
और हर प र थ त के मा यम से काम कर रही है।
दन 228

आपके वचार व भावनाएँ कारण ह और जो कट होता है, वह प रणाम है। इस लए


अगर आप अपनी मनचाही चीज़ को आ मसात कर लेते ह, तो आपने अपना काम पूरा कर
दया है और इससे यादा आपको कुछ नह करना है। जैसा भीतर है, वैसा ही बाहर है।
जैसा आपके अंदर है, वैसा ही आपके बाहर है।

याद रख, कारण आपके भीतर है और बाहरी संसार प रणाम है।


दन 229

य द ऐसा लगे क आपके जीवन का कोई काय आपक मनचाही चीज़ का वरोध करता है,
तो उसे करते व त अपनी क पना का इ तेमाल कर। अपनी मनचाही चीज़ के सृजन म
मदद करने के लए आप अपने काय का हर दन इ तेमाल कर सकते ह। मसाल के तौर
पर, अपनी पुरानी कार चलाते व त क पना कर सकते ह क आप दरअसल वह नई कार
चला रहे ह, जसे आप चाहते ह। अपने पस को नकालते व त क पना कर सकते ह क
वह नोट से भरा आ है। अपने कसी भी काय को बनावट खेल बना सकते ह, जो आपक
मनचाही चीज़ के तारत य म हो।

याद रख, आकषण के नयम को यह पता नह होता क कोई चीज़ वा त वक है या


का प नक।
दन 230

जब म द सी े ट फ़ म बना रही थी, तो साथ-साथ नयम को भी सीख रही थी और कुछ


समय के लए म मदद क तलाश बाहरी संसार म करने क ग़लती कर बैठ । म एक ऐसी
फ़ म बना रही थी, जसक लागत लाख डॉलर थी और शु आत म म कज़ म डू बी ई थी।
म जहाँ भी गई, मने जहाँ भी मदद क तलाश क , नराशा ही हाथ लगी। मेरे दे खते ही दे खते
एक के बाद एक दरवाज़े बंद होते गए। म मदद क तलाश ग़लत जगह पर कर रही थी,
य क सृ क समूची श तो मेरे भीतर ही थी।

जब मने अपना नज़ रया बदला और अपने भीतर क श से जुड़ी और सफ़ उसी पर


यान क त कया, तो मने सृ को आदश रा ता खोजने का अवसर दे दया। मने अपना
काम कया और प रणाम को अपने दल, दमाग़ व शरीर म रखा, और मेरा रा ता रोशन हो
गया।
दन 231

“आप या सोचते ह, यह चुनने के लए आप वतं ह, ले कन आपके वचार का प रणाम


एक अप रवतनशील नयम से शा सत होता है।”

चा स हानेल (1866-1949)
द मा टर क स टम
दन 232

जब आप अपना उ े य जान लेते ह, तो ऐसा लगता है मानो आपका दय जोश से भर


गया हो। आप इसे पूरी तरह, बना कसी शंका के जान लेते ह।
दन 233

आप अपनी आवृ तरंग को कतना ऊपर उठा सकते ह, इसक कोई सीमा नह है,
य क इस बात क कोई सीमा नह है क आप कतने अ धक अ छे वचार सोच सकते ह
या कतने अ छे श द बोल सकते ह या कतने अ छे काम कर सकते ह। अपनी आवृ का
तर उठाकर अपने जीवन को बदलने के साथ ही आप सर के जीवन क गुणव ा को भी
ऊपर उठा दे ते ह। आपक ऊजा से सकारा मक तरंग उसी तरह कट होती है, जस तरह
पानी म फके गए प थर क लहर; यह हमारी पृ वी और इस पर रहने वाले हर जी वत ाणी
को छू ती ह।

जब आप आगे बढ़ते ह, तो संसार को भी अपने साथ बढ़ाते चलते ह।


दन 234

बाहरी संसार के कसी भी या श क तुलना उस ताक़त से नह क जा सकती,


जो आपके भीतर है। श को भीतर खोज, य क यह आपके लए आदश राह जानती है।
दन 235

अगर आप तनाव महसूस कर रहे ह, तो मनचाही चीज़ अपने पास नह ला सकते। कसी
भी तरह का तनाव या दबाव एक ऐसी चीज़ है, जसे आपको अपने अंदर से हटाना होगा।

तनाव को वयं के भीतर जगह न द - यह एकमा तरीक़ा है, जससे आप अपनी मनचाही
चीज़ पा सकते ह। तनाव का भाव रखने का मतलब बलता से यह कहना है क आपके
पास आपक मनचाही चीज़ नह है। दबाव या तनाव का अथ आ था का अभाव है, इस लए
इसे हटाने के लए आपको बस अपनी आ था को बढ़ाना है!
दन 236

आ था का अथ है अ छाई म वश्वास करना।


डर का अथ है बुराई म वश्वास करना।
दन 237

आप अपने जीवन म जो भी लाना चाहते ह , उसे आपको दे ना होगा। या आप ेम


चाहते ह? तो मे द। या आप शंसा चाहते ह? तो शंसा द। या आप समझदारी चाहते
ह? तो इसे द। या आप आनंद और ख़ुशी चाहते ह? तो सर को यही द।

आप हर दन कई लोग को ब त सारा ेम, शंसा, समझदारी और ख़ुशी दे सकते ह!


दन 238

“जब आप यह तय कर ल क आप या करना चाहते ह, तो त दन हज़ार बार ख़ुद से कह


क आप इसे कर लगे। सव म रा ता ज द ही खुल जाएगा और आपके पास अपना
मनचाहा अवसर होगा।”

यन डी. लासन (1874-1954)


यॉर फ़ोसस ड हाउ टु यूज़ दे म
दन 239

अ छाई क तलाश कए बना, दल म अ छा महसूस कए बना, शंसा कए बना,


सराहना कए बना, आ कए बना और कृत ए बना एक भी दन न गुज़रने द।

इसे अपने जीवन का संक प बना ल। इसके बाद आपक ज़दगी म जो होगा, उसे दे खकर
आप हैरान रह जाएँग।े
दन 240

जब आपके जीवन म कोई बड़ा प रवतन होता है, तो यह आपको दशा बदलने पर मजबूर
कर दे ता है। हो सकता है क नया रा ता आसान न हो, ले कन आप पूरी तरह सु न त हो
सकते ह क नए माग पर आपके लए कोई न कोई शानदार चीज़ ज़ र होगी। आप
सु न त हो सकते ह क नए माग पर ऐसी चीज़ ह गी, जनका अनुभव आपको उस
प रवतन के बना नह होता।

जब हम अतीत म ई कसी नकारा मक घटना को पलटकर दे खते ह, तो हम अ सर नज़र


आता है क उसने हमारे जीवन का ख़ कैसे बदल दया था। हम दे ख पाते ह क वह घटना
हम एक ऐसे जीवन क ओर ले गई, जसे आज हम कसी भी क़ मत पर नह बदलना
चाहगे।
दन 241

ाचीन बैबीलॉन नवासी एक अ यंत मह वपूण नयम का पालन करते थे, जो उनक
बेशुमार समृ का कारण था। वे दशमांश दान के नयम का इ तेमाल करते थे, जसम आप
अ जत कए जाने वाले सारे पैस या दौलत का दसवाँ ह सा दान करते ह। दशमांश दान का
नयम कहता है क आपको कुछ पाने के लए पहले दे ना होगा और बैबीलॉन नवासी जानते
थे क इस नयम पर चलने से समृ का बहाव खुल जाता है।

अगर आप सोच रहे ह, “जब मेरे पास पया त पैसा होगा, तभी दान ँ गा,” तो दशमांश दान
का नयम कहता है क आपके पास कभी पया त पैसा नह होगा, य क आपको पहले
दान दे ना होगा। नया के कई सबसे दौलतमंद लोग ने दशमांश दान दे कर दौलत का सफ़र
तय कया है और उ ह ने कभी ये दान दे ना नह छोड़ा!
दन 242

जब जब आप ख़ुद क ओर देखते ह और अपने त असंतु महसूस करते ह, तो आप


असंतु क भावना को ही आक षत करते रहगे, य क जो आपके भीतर है, नयम
आपको बलकुल उसी का त बब दखाता है।

आपके भीतर कतना वैभव छपा आ है इस पर च कत और व मत तो आ ही जा


सकता है!
दन 243

चाहे कतनी भी वषमताएँ ह , हम इस जीवन को सव े संभव जीवन बना सकते ह। द


सी े ट फ़ म म बताई मॉ रस गुडमैन क कहानी के बारे म सोच। मॉ रस अ पताल म पूरी
तरह अपा हज पड़े थे और बस अपनी पलक ही झपका सकते थे। ले कन वे जानते थे क वे
अब भी मान सक च ण के लए अपने मन का इ तेमाल कर सकते ह। और सारी
वषमता के बावजूद मॉ रस चलने म कामयाब हो गए।

अपने जीवन के मान सक च को भ बनाएँ। मान सक च ण म ख़ुद को पूण आनंद म


दे ख और इसे क़ायम रख, चाहे जो हो जाए!
दन 244

आप एक चुंबक ह। आप भीतर जो भी महसूस कर रहे ह, उसे आप अपनी ओर ला रहे


ह। इस लए आनंद को आक षत करने वाला चुंबक बन और अपनी पूरी श से इस पर
लगातार काम करते रह। आनंद आपके अंदर क भावना है और बाहरी संसार म चाहे जो हो
रहा हो, आप इसे महसूस कर सकते ह।

यह जान ल क नयम के अनुसार जीने के लए आपको आनंद म होना चा हए, ता क आनंद


से भरपूर जीवन आपक ओर आ सके।
दन 245

“ यादातर लोग लगभग उतने ही ख़ुश रहते ह, जैसा वे अपने मन म सोच लेते ह।”

अ ाहम लकन (1809-1865)


दन 246

लोग जीवन भर भौ तक संसार क चीज़ के पीछे दौड़ते रहते ह, ले कन अपने उस सबसे


बड़े ख़ज़ाने को नह खोज पाते ह, जो उनके भीतर है। बाहरी संसार के त आँख मूँद ल।
अपने वचार और श द को भीतर क ओर मोड़। आपके भीतर का नायक ही संसार के
सारे ख़ज़ान क चाबी है।
दन 247

आपके भीतर एक नायक वराजमान है और जीवन म हर पल आपको मागदशन दया


जा रहा है। अपने लए सोच और अपने लए चुन।
दन 248

आपका शरीर एक फ़ म ोजे टर क तरह है और ोजे टर म जो फ़ म चल रही है,


वह आपके सभी वचार और भावना क है। आप अपने जीवन के पद पर जो भी दे खते
ह, वह हर चीज़ आपके भीतर से े पत ई है और आप ही ने ये सभी चीज़ इस फ़ म म
डाली ह।

अ धक ऊँचे वचार और भावना को चुनकर आप कसी भी समय पद पर दखने वाले


य को बदल सकते ह। आपक फ़ म म या चलेगा, इस पर आपका पूरा नयं ण होता
है!
दन 249

आपके जीवन क फ़ म कैसी चल रही है? या आपको पैसा, सेहत या संबंध के मामले
म पटकथा म कोई प रवतन करने क ज़ रत है? या आप इसे संपा दत करना चाहते ह?
आज ही अपनी फ़ म म मनचाहे प रवतन करने का दन है, य क आज के प रवतन ही
कल पद पर दखगे।

आप अपने जीवन क फ़ म बना रहे ह और यह आपके हाथ म है - येक दन।


दन 250

हालाँ क सीखने को ब त कुछ है और अ ययन करने के लए भी ब त कुछ है, ले कन


जीवन का स य आपके आसपास के संसार क हर चीज़ म है, बशत आपके पास उसे दे खने
वाली आँख ह । यह सफ़ हमारा अ ान और बनी-बनाई मा यताएँ ह, जो हम स य के त
अंधा कर दे ती ह।

अपने भीतर पूछना जारी रख, सीखना जारी रख, न त मा यता को छोड़ना जारी
रख, और स य आपके सामने कट हो जाएगा।
दन 251

“जब आप कसी महान उ े य, कसी असाधारण योजना से े रत होते ह, तो आपके सारे


वचार बंधन तोड़ दे ते ह; आपका मन सीमाएँ पार कर जाता है, आपक चेतना का हर दशा
म व तार होता है और आप ख़ुद को एक नए, महान तथा अ त संसार म पाते ह। न य
श याँ, यो यताएँ तथा तभाएँ सजीव बन जाते ह और आप जान जाते ह क आप उससे
यादा महान इंसान ह, जतना आपने सपने म भी कभी नह सोचा था।”

पतंज ल योग (लगभग 200 ईपू)


सू
दन 252

आपको इस तरह बोलना चा हए, मानो आपक मनचाही चीज़ इसी समय आपके पास
हो। यह ब त मह वपूण है। नयम आपके वचार और श द पर सट कता से त या
करता है। इस लए अगर आप कसी चीज़ को भ व य म दे खते ह, तो आप दरअसल इसे
अभी होने से रोक रहे ह।

आपको ऐसा महसूस करना चा हए, मानो यह इसी समय आपके पास हो।
दन 253

जैसे-जैसे आप आकषण के नयम का अ यास करते ह, आपके वचार और भावना


क तरंग यादा ऊँची होती जाती ह। वे कतनी ऊँची हो सकती ह, इसक कोई सीमा नह
है। जब वे उ च से उ च तर पर काय करते ह, तो आप का जीवन भी और अ धक ऊँचाई
पर प ँच जाता है। ले कन यह क़दम-दर-क़दम या है और यादा उ च तर पर जाने का
एकमा तरीक़ा क़दम-दर-क़दम ही है।

इस लए हर दन यादा से यादा अ छा महसूस कर, हर दन यादा से यादा अ छे वचार


सोच और एक दन आप ल य पर प ँच जाएँग।े
दन 254

नयम पर पूरा नयं ण पाने का तरीक़ा ख़ुद पर पूरा नयं ण पाना है। अगर आप अपने
वचार और भावना को नयं त कर लगे, तो आकषण के नयम के वामी बन जाएँगे,
य क आप ख़ुद के वामी बन चुके ह गे।
दन 255

कोई भी इंसान जान-बूझकर कसी ऐसी चीज़ को अपनी ओर नह लाएगा, जसे वह न


चाहता हो। ले कन यह भा यपूण है क मानव जा त के पूरे इ तहास म ब त से लोग ने
दद, ख और नुक़सान सहा है, और सफ़ इस लए य क वे उस नयम के बारे म जाग क
नह थे, जो उनके जीवन को बाक़ कसी भी नयम से यादा भा वत करता है।

इ तहास क दशा अब बदल चुक है, य क अब आपके पास आकषण के नयम का ान


आ गया है। अब आप उस जीवन का सृजन कर सकते ह, जसके आप हक़दार ह। आप
इ तहास बदल रहे ह!
दन 256

आपका काय सफ़ और सफ़ वयं पर काय करना है। अगर आप नयम के सामंज य म


काम कर रहे ह, तो आपके और सृ के बीच कोई नह आ सकता। बहरहाल, अगर आप
ऐसा सोचते ह क आपक मनचाही चीज़ क राह म कोई बाधा डाल सकता है, तो आप
नकारा मक हो रहे ह। आप जो चाहते ह, उसके सृजन पर यान क त कर।

आप अपने जीवन म दै वी संचालन के क ह और सृ आपक साझेदार है। आपके सृजन


क राह म कोई भी बीच म नह आ सकता।
दन 257

अगर आप नणय नह ले पा रहे ह क या कर या कस माग पर चल, तो याद रख क


कोई है जो यह सब जानता है और वह आपके हर नणय म व आपके जीवन के हर मोड़ पर
आपका मागदशन करेगा। आपको तो बस माँगना है, फर वश्वास करना है क आपके
ारा चाहा गया मागदशन आपको मलेगा, और फर जवाब पाने के लए सतक रहना है।
सृ क सव च श हर क़दम पर आपके साथ है। आपको तो बस इसक श पर
वश्वास करना है और माँगना है।
दन 258

जब आपको पैसे क ज़ रत महसूस नह होती है, तब पैसा आता है। पैसे क ज़ रत


महसूस करने का अहसास इस वचार से आता है क आपके पास पया त पैसा नह है।
नतीजा यह होता है क आप पया त पैसे न होने का सृजन जारी रखते ह।

आप हमेशा सृजन कर रहे ह और धन के मामले म या तो आप इसके अभाव का सृजन कर


रहे ह या फर इसक चुरता का।
दन 259

“हमारे लए हमारी तक़द र कसी बाहरी श ने नह बनाई है; हम अपने लए इसका


नमाण ख़ुद करते ह। हम वतमान म जो सोचते और करते ह, उसी से यह तय होता है क
भ व य म हमारे साथ या होगा।”

“जब आप अपने वचार को नयं त करना सीख लेते ह, तो आपके जीवन म ऐसा कुछ
नह होता, जसे आप संशो धत, प रव तत या बेहतर न बना सक।”

यन डी. लासन (1874-1954)


योर फ़ोसस ड हाउ टु यूज़ दे म
दन 260

अगर आपको कसी चीज़ को खो बैठने का डर है और आप उसे अपने मन म जमा कर


बैठे ह, तो यह जान ल क आप उसे ख़ुद से उतनी ही र धकेल रहे ह। ये वचार डर से भरे
ए ह और अगर आप इ ह लगातार सोचते रहे, तो आपको जसका सबसे यादा डर है,
वही आपके जीवन म घ टत हो जाएगा।

कसी भी बात से भयभीत न ह - सफ़ इस बारे म सोच क आप या चाहते ह। इससे ब त


बेहतर महसूस होता है!
दन 261

स य आपको वतं कर दे गा। संसार म सारा दद और क उन लोग क वजह से है, जो


सृ के अप रवतनशील ांडीय नयम को नह जानते ह। द सी े ट के स ांत हर
के लए ह, ता क वे वयं ांडीय नयम को सा बत कर। ख़ुद के लए इसे सा बत कर और
स य आपको वतं कर दे गा।
दन 262

वचार को बार-बार, कई बार सोचने से वे वश्वास बन जाते ह। वश्वास एक सतत


या है, जसे आप े षत कर रहे ह और हमारे वश्वास ही वे सबसे श शाली चीज़ ह,
जो आकषण के नयम के ज़ रये हमारे जीवन का सृजन करते ह। आकषण का नयम उसी
पर त या करता है, जस पर आप वश्वास करते ह!

इसी लए जब आप कसी चीज़ का सृजन करना चाहते ह , तो आपको माँगना और वश्वास


करना होगा, और फर वह आपको मल जाएगी।
दन 263

ेम आपका स चा वभाव है और इसका माण यह है क आपके भीतर यह असी मत


प म मौजूद है। कसी भी इंसान के पास यह कम मा ा म नह होता है, न ही कसी पर यह
बंधन है क वह कतना ेम द शत करता है।

े का सवश मान बल आकषण के नयम को ती ता दान करता है - यह सृ


म क
सबसे श शाली चुंबक य ताक़त है।
दन 264

य द कसी का यान बीमारी पर क त है, तो वह अनजाने म बीमारी को आक षत


कर रहा है। सरी ओर, अगर कोई बीमारी से यादा सेहत पर यान क त करता है,
तो आकषण के नयम को आ ा माननी होगी और सेहत दान करनी होगी। आकषण के
नयम के स ांत हमारी अंद नी उपचारक श के आ ान का श शाली औज़ार ह।
इसका योग आज उपल ध आ यजनक च क सा तकनीक के पूण सामंज य म कया
जा सकता है।

याद रख, अगर हमारे भीतर कोई उपचारक श नह होती, तो कसी चीज़ का उपचार
संभव नह था।
दन 265

अगर आप कोई चीज़ माँगते ह, ले कन अपने दल क गहराई म आपको यह यक़ न नह


होता क यह ज द हा सल हो सकती है, य क यह ब त बड़ी है, तो आप ही ह, जो अपने
सृजन म समय को बाधा बना रहे ह। आप ही ह, जो अपनी माँगी ई चीज़ के आकार के
आधार पर इसम लगने वाले समय को तय कर रहे ह। दे खए, सृ म आकार या समय का
कोई बंधन नह होता। सृ के दय म हर चीज़ वतमान म मौजूद है!
दन 266

“कोई श शाली या लंबे समय तक बने रहने वाला वचार हम सभी को सर क ठ क


वैसी ही वचार-तरंग के लए आकषण का क बना दे गा। वचार जगत म समान ही समान
को आक षत करता है - जैसा आप बोते ह, वैसा ही काटगे…

“जो पु ष या म हला ेम से भरे ए ह उ ह हर तरफ़ ेम ही दखाई दे ता है और वे सर के


ेम को आक षत करते ह। अपने दय म नफ़रत रखने वाले मनु य को भरपूर नफ़रत
मलती है, जसे वह झेल सकता है। जो लड़ाई के वचार रखता है, उसे आम तौर पर
लड़ाई ही मलती है, इसके बाद ही वह आगे बढ़ पाता है। और यह सल सला चलता रहता
है; हर को वही मलता है, जसका आ ान वह मन क बेतार णाली (टे ली ाफ़ ) पर
करता है।”

व लयम वॉकर ऐट क सन (1862-1932)


थॉट वाइ ेशन
दन 267

आप अपनी कार को धन से भरा रखने म सावधान रहते ह। या आप ख़ुद को अ छे


वचार और अ छ भावना से भरा रखने म भी इतने ही सावधान रहते ह?

जब आपके पास सही धन हो और वह पया त हो, तभी आप जीवन म अपनी मनचाही


दशा म जा सकते ह।
दन 268

आपको हर दन सृ से हज़ार संदेश मल रहे ह। सृ के इस सं ेषण के बारे म


जाग क बनना सीख, जो हर पल आपसे बात कर रही है और आपका मागदशन कर रही
है। यहाँ कोई घटनाएँ नह होत ; कोई संयोग नह होते। हर व ापन जस पर आप ग़ौर
करते ह, हर श द जसे आप सुनते ह, हर रंग, हर गंध, हर व न, हर घटना और थ त के
ज़ रये सृ आपसे बात कर रही है और आप ही अकेले ऐसे ह, जो अपने लए उसक
ासं गकता जानते ह और यह जानते ह क सं ेषण म या कहा जा रहा है।

दे खने के लए अपनी आँख का इ तेमाल कर! सुनने के लए अपने कान का इ तेमाल कर!
अपनी सभी इं य का इ तेमाल कर, य क उन सभी के ज़ रये आपको संदेश मल रहा है!
दन 269

याद रखने को याद रखने का मतलब है जाग क बनने को याद रखना। इसी पल, अभी
जाग क बनने क याद रख। जाग क बनना अपने आसपास क हर चीज़ को दे खना है,
अपने आसपास क हर चीज़ को सुनना है, अपने आसपास क हर चीज़ को महसूस करना
है और उस पर पूरा यान क त करना है, जो आप इस व त कर रहे ह।

आम तौर पर लोग अनचाही चीज़ को अपनी ओर ले आते ह, य क वे जाग क नह होते


ह क वे अतीत और भ व य के बारे म अपने दमाग़ के वचार सुन रहे ह। वे तो इस बारे म
भी जाग क नह ह क इन वचार से वे स मो हत हो रहे ह और इस वजह से अपना जीवन
अचेतन प से जी रहे ह।

जब आप जाग क बनने क याद रखते ह, तो आप तुरंत जाग क बन जाते ह। आपको तो


बस याद रखने क याद रखना है!
दन 270

कसी चीज़ क इ छा करना नयम के सही तालमेल म है। आप उसे ही आक षत करते


ह, जसक इ छा करते ह। कसी चीज़ क ज़ रत होना नयम का पयोग है। आप उसे
आक षत नह कर सकते, जसक आपको ज़ रत है। अगर आप महसूस करते ह क
आपको इसक तुरंत या बुरी तरह से ज़ रत है, तो इसम डर जुड़ा होता है। इस तरह क
“ज़ रत” चीज़ को र रखती है।

हर चीज़ क इ छा कर। ज़ रत कसी चीज़ क न रख।


दन 271

सृजन करने के लएः


क़दम 1 - माँग। इसका मतलब है क आप पूरी तरह सोच- वचार कर यह प कर लेते ह
क आप या चाहते ह। अपनी मनचाही चीज़ को माँगते व त यह याद रख क यह पहले से
आ या मक जगत म मौजूद है। माँग करना सृजन का स य क़दम है।

क़दम 2 - वश्वास कर। इसका मतलब है क आपके मन म यह वश्वास होना चा हए क


आपने जसे माँगा है, वह तुरंत आपका हो चुका है। आपका वश्वास आपक इ छा को एक
मा यम दे ता है, जससे यह आ या मक से भौ तक जगत म आती है। वश्वास करना
सृजन का न य क़दम है।

क़दम 3 - पाएँ। अगर आप यक़ न करते ह क आपको पहले ही मल चुका है, तो आपको


मल जाएगा। पाना सृजन का तीसरा क़दम है और यह स य व न य को मलाने का
प रणाम है, जससे आदश सृजन होता है।

सृजन कसी बैटरी जैसा होता है। बैटरी का पॉ ज़ टव सरा स य है और नगे टव सरा
न य है। दोन को आदश तरीक़े से जोड़ द और आपके पास श आ जाती है।
दन 272

आनंद अ त व क एक अव था है और यह आपके भीतर से आता है। आकषण के


नयम के अनुसार आपको पहले भीतर से वह बनना होता है, जो आप बाहर चाहते ह।

आप या तो इस व त आनं दत होने का चुनाव कर रहे ह या फर आनं दत न होने का चुनाव


करने के बहाने बना रहे ह। ले कन नयम के सामने कोई बहाने नह चलते ह!
दन 273

“हम बु म ा अथवा ववेक कह से ा त नह होते है; हम एक समय के बाद इ ह ख़ुद


खोजना होता है, जसे कोई सरा हमारी ख़ा तर नह कर सकता या हम नह दे सकता।”

मासल ू त (1871-1922)
इन सच ऑफ़ लॉ ट टाइम
दन 274

हम अपने भ व य क हर चीज़ देखने म स म नह होते ह, ले कन सृ क सव च श


हर संभावना को दे ख सकती है। संबंध के संदभ म आपको यह लग सकता है क आपके
लए हर चीज़ सही है, जब क हो सकता है क हक़ क़त म ऐसा न हो। आप कसी ख़ास
के साथ स ावपूण, सुखद, ेमपूण संबंध क माँग कर सकते ह, ले कन अगर सृ
यह दे खती है क उस के साथ आप सुखद संबंध क़ायम नह रख पाएँग,े तो सृ उसे
आपके पास नह लाएगी।

स ावपूण, सुखद, ेमपूण संबंध क माँग कर और फर सृ को अवसर द क वह आपके


आदश साझेदार को आप तक प ँचाए - चाहे वह जो भी हो।
दन 275

चुनौतीपूण थ तय के ज़ रये सबसे तेज़ी से अपने वचार और भावना का वामी बना


जा सकता है। अगर आपका जीवन सुचा ढं ग से चल रहा है, तो ऐसे अवसर नह मलते ह,
जो आपक श को मज़बूत बनाएँ या आपको अपने वचार और भावना का वामी
बनने म स म बनाएँ।

चुनौ तय म भी सुंदर अवसर छपे होते ह।


दन 276

जब आप अपनी भावना और वचार के ग़लाम नह रह जाते - जब कोई भी वचार


आपक सहम त के बना आप पर हावी नह हो पाता - तो समझ ली जए क आप अपने
जीवन के वामी बन चुके ह। बाहरी संसार म आपके पूरे जीवन का कायाक प हो जाएगा।
आप नयम के, वयं के और अपने जीवन के वामी बन जाएँग।े
दन 277

मान सक च ण के ज़ रये अ छाई क श का इ तेमाल करने के लए हर साँस के साथ


यह क पना कर क आप शु , ेत, दै द यमान ऊजा म साँस ले रहे ह। क पना कर क
आपका शरीर इस सुंदर, शु , वलंत ऊजा से भर रहा है। दे ख क यह ऊजा आपके शरीर
क हर को शका को रोशन कर रही है, जब तक क आपका पूरा अंद नी और बाहरी शरीर
कसी चमकते सतारे जैसा चमकदार व काशमान नह हो जाता।
दन 278

हम सृ के सट क लघु प (या सं त सं करण) ह और जब हम ख़ुद को जान लेते ह,


तो पूरी सृ को जान लेते ह।

लेटो ने कहा था, “ वयं को जा नए।”


दन 279

सबसे सुंदर बात यह है क हर दन, हर थ त म हम यह दे ख सकते ह क हम जीवन म


कैसा दशन कर रहे ह। हमारा संसार और हमारा जीवन, ऊजा के े म हम लगातार
फ़ डबैक दे रहे ह। जब हम ऊजा (अ छे वचार और भावना के ज़ रये) का एक नया े
बनाने लगते ह, तो हमारे आसपास होने वाले प रवतन चम कार से कम नह होते।

यह यास अव य करने लायक़ है, य क सृ के सामंज य म जीने से यादा बड़ी कोई


सरी बात नह है।
दन 280

“ यादातर लोग अपने संभा वत अ त व के ब त सी मत दायरे म जीते ह, चाहे यह


शारी रक हो, बौ क हो या नै तक। वे आम तौर पर अपनी चेतना और आ मा क श य
के ब त ही छोटे ह से का इ तेमाल करते ह, काफ़ कुछ उस क तरह, जो अपने पूरे
शरीर म सफ़ छोट अँगुली का इ तेमाल करने और हलाने क आदत रखता हो।
आपातकालीन थ तयाँ और संकट हम दखाते ह क हमारी अ यंत मह वपूण श याँ
हमारे अनुमान से कतनी यादा बड़ी होती ह।”

व लयम जे स (1842-1910)
दन 281

“वतमान” म ही आपक सारी श व मान है। इसका कारण यह है क “वतमान” ही


एकमा समय है, जब आप कसी नए वचार को सोच सकते ह और नई भावनाएँ महसूस
कर सकते ह। हम वतमान से तीस सेकंड बाद का नह सोच सकते या दो घंटे पहले क
घटना को महसूस नह कर सकते। हम केवल वतमान म ही सोच सकते ह। वतमान म ही
महसूस कर सकते ह। इस लए यह पल ही श का आपका सबसे बड़ा ब है।

आपका बाक़ जीवन आपका इंतज़ार कर रहा है!


दन 282

कसी देश म प रवतन एक से शु होता है। हर दे श अपनी सामू हक आबाद क


आंत रक शां त या अशां त का त बब होता है, इस लए जब एक बदलता है, तो वह
बाक़ आबाद को भा वत करता है। एक के भीतर इतनी श होती है क वह
अपने भीतर के अपार ेम और शां त के ज़ रये दे श म भारी प रवतन ले आए। ले कन आप
अपने दे श म शां त और क याण तब तक नह ला सकते, जब तक क उ ह जीत न ल। या
आप यह दे ख सकते ह? आप वह दे ही नह सकते, जो आपके पास नह है।

हर का काम अपने जीवन म पूण स ाव और सामंज य लाना है; फर वे अपने दे श


और संसार के लए सबसे बड़ा मानवीय उपहार बन जाएँगे।
दन 283

कोई भी ग़रीबी का जीवन जीने के लए अ भश त नह है, य क हमम से येक


म इस जीवन क हर चीज़ को बदलने क क़ा ब लयत है। आकषण का नयम सृजन
का नयम है और यह हर को अपने मनचाहे जीवन का सृजन करने क अनुम त दे ता
है। हर को अपनी प र थ तय पर वजय पानी होती है, ले कन उसके पास कोई भी
चीज़ हा सल करने और हर चीज़ बदलने का अवसर होता है।
दन 284

भ व य हमारे अतीत के वचार , श द और काय से बनता है। यह उन बीज क फ़सल


है, जो हमने अतीत म बोए ह, चाहे वे बीज अ छे ह या बुर।े हर क़ायम रखा गया वचार, हर
बोला गया श द और हर कया गया काय एक बीज है, जसक फ़सल हम भ व य म
काटगे।

सुंदर भ व य का सृजन करने के लए अपने अ धका धक वचार को अ छा बनाएँ, अ छे


और दयालुतापूण श द बोल तथा यह सु न त कर क आपके काय अ छे ह ।

आपका भ व य इसी पर नभर करता है।


दन 285

आप अपने जीवन म जो चाहते ह, उसे आक षत करने के लए आपको यह समझने क


को शश नह करना है क यह कैसे होगा। आपका काम सृ से माँगना है, प रणाम पर
यान क त करना है, क पना करना है क वह आपके पास है, यक़ न करना है क वह
आपके पास है, जानना है क वह आपके पास है और ध यवाद दे ना है क वह इसी समय
आपके पास है।

अपनी इ छा क ती ता बढ़ाकर अपना काम पूरा कर। फर सृ को अपना काम करने द


और उस इ छा को आपक ओर लाने द।
दन 286

जब आप अपने अ तवक श , ेम और आनंद म जीते ह, तो करोड़ लोग का


उ थान करते ह।

वयं के माग पर चल। वयं के स य पर चल। वयं के दय का अनुकरण कर। अपने


आंत रक आनंद का अनुसरण कर और सभी को ऐसा ही करने द, चाहे वह जो भी हो। हर
और हर व तु म अ छाई खोज। हर दन संसार के त अपने ेम व आनंद को
सा रत होने द।
दन 287

“कृत ता न सफ़ सबसे महान स ण है, ब क यह बाक़ सब स ण का जनक भी है।”

माकुस टु लयस ककेरो (106-43 ईपू)


दन 288

पृ वी क वतमान दशा मानव जा त के सामू हक मन का मा आईना है। आप हमारी पृ वी


पर जो स ाव का अभाव दे खते ह, वह इंसान के भीतर स ाव के अभाव का त बब है।
हमारी पृ वी और मानव जा त के बीच क कड़ी एक ऐसा संबंध है, जसे तोड़ा नह जा
सकता। जब हर इंसान अंदर से बदल जाएगा, तो संसार बदलेगा और हमारी पृ वी भी बदल
जाएगी।

एक से कई लोग े रत होते ह, वे कई लोग हज़ार अ य को े रत करते ह, हज़ार


लोग लाख को े रत करते ह, लाख करोड़ को े रत करते ह, और इस तरह हम पृ वी पर
स ाव ले आते ह।
दन 289

द सी े ट (रह य) म दए गए स ांत को जानना ही काफ़ नह है - आपको हर दन


उनका पालन करना होगा, लगातार करना होगा। आपको उन स ांत के अनु प जीना
होगा। क़दम दर क़दम आप अपने वचार और भावना तथा अपने जीवन के वामी बन
जाएँग।े

इससे यादा मह वपूण कुछ नह है, य क आपका पूरा भावी जीवन आप पर ही नभर है।
दन 290

ख़ुद से पूछ क एक दन म आप जतने नकारा मक वचार सोच रहे ह, या उससे यादा


सकारा मक वचार सोचते ह। ख़ुद से पूछ क आप एक दन म जतने नकारा मक श द
बोलते ह, या उससे यादा अ छाई, शंसा, संवेदना, कृत ता और ेम के श द बोलते ह।
ख़ुद से पूछ क या आप एक दन म सरे काय के बजाय अ छाई, शंसा, दयालुता,
कृत ता और ेम पर आधा रत काय यादा करते ह।

दन म हर पल आपके सामने दो माग रहते ह। अ छा यही रहेगा क आप अ छाई के माग


को चुन।
दन 291

य द कोई आपसे कोई नकारा मक बात बोले, तो त या न कर। आपको ख़ुद को ऐसे
ब तक लाना होता है, जहाँ आप शांत बने रह सक, भले ही बाहर कतनी भी नकारा मक
चीज़ य न हो रही ह ।

बाहर कैसी भी थ त हो, अगर आप उसके बावजूद अपने भीतर शां त और आनंद को
बनाए रख सक, तो इसका मतलब है क आप हर चीज़ के वामी बन चुके ह।
दन 292

क्या यह जानना बेहतरीन नह है क आप बाहर से अपने संसार को नयं त नह कर


सकते? बाहरी चीज़ को नयं त करने क को शश असंभव सी लगती है, य क इसम
ब त मेहनत लगेगी और दरअसल आकषण के नयम के अनुसार यह असंभव है।

अपने संसार को बदलने के लए आपको तो बस इतना करना है क आप अपने अंदर के


वचार और भावना का बंधन कर; इससे आपका पूरा संसार बदल जाता है।
दन 293

याद रख, अगर आप आलोचना कर रहे ह, तो कृत नह हो रहे ह। अगर आप दोष दे रहे
ह, तो कृत नह हो रहे ह। अगर आप शकायत कर रहे ह, तो कृत नह हो रहे ह। अगर
आप तनाव महसूस कर रहे ह, तो कृत नह हो रहे ह। अगर आप हड़बड़ी कर रहे ह, तो
कृत नह हो रहे ह। अगर आप ख़राब मूड म ह, तो कृत नह हो रहे ह।

कृत ता आपके जीवन का कायाक प कर सकती है। या आप छोट -छोट चीज़ को अपने
कायाक प और अपने उस उ वल भ व य क राह म बाधा बनने क अनुम त दे रहे ह
जसके आप हक़दार ह?
दन 294

“आप चाहे जो ह या चाहे आपके साथ कुछ भी आ हो, बस ख़ुश रह। ख़ुश इस लए रह,
य क आप यहाँ पर ह। आप यहाँ एक सुंदर संसार म ह; और जो भी सुंदर है, वह इस
संसार म पाया जा सकता है… बस ख़ुश रह और इस तरह आप हमेशा ख़ुश रहगे। आपके
पास ख़ुश रहने का हमेशा बेहतर कारण होगा। आपके पास ख़ुश करने वाली यादा से
यादा चीज़ ह गी। य क धूप, ख़ास तौर पर इंसानी धूप, क श ब त बड़ी है। यह
कसी भी चीज़ को बदल सकती है, उसका कायाक प कर सकती है, दोबारा बना सकती है
और उसे अपनी तरह सुंदर बना सकती है। बस ख़ुश रह और इसी से आपक तक़द र बदल
जाएगी, एक नई ज़दगी शु हो जाएगी और आपके लए एक नए भ व य क भोर हो
जाएगी।”

यन डी. लासन (1874-1954)


ज ट बी लैड
दन 295

कृत ता आपके जीवन का कायाक प करने के सबसे आसान और श शाली तरीक़ म


से है। अगर आप वाक़ई कृत बन जाते ह, तो चाहे कह भी जाएँ और जो भी कर, अपनी
ज़ रत क हर चीज़ को चुंबक क तरह आक षत कर लगे। वा तव म, कृत ता के बना
कोई भी चीज़ कभी नह बदल सकती। आपका जीवन उसी हद तक बदलेगा, जस हद तक
आप कृत महसूस करना शु करते ह और कृत ता का इ तेमाल करते ह। अगर आप बस
थोड़े ही कृत ह, तो आपका जीवन भी थोड़ा सा बदलेगा। अगर आप ब त कृत ह, तो
आपका जीवन यादा बदलेगा। यह आप पर ही नभर है।
दन 296

ज़्यादातर समय आनं दत और ख़ुश रहना संभव है। आप तो बस छोटे ब च और उनके


नैस गक आनंद को दे ख। आप कह सकते ह क छोटे ब चे वतं होते ह और उ ह कोई
चता नह होती, ले कन आप भी तो वतं ह! आप चता को चुनने या आनंद को चुनने के
लए वतं ह और आप जो भी चुनते ह, वही आपक ओर आक षत होगा। चता अ धक
चता को आक षत करती है। आनंद भी अ धक आनंद को आक षत करता है।
दन 297

माता- पता सकारा मक बनने म अपने ब च क मदद कर सकते ह और इसका सबसे


श शाली तरीक़ा यह है क वे वयं सकारा मकता और ेम क ज़दा मसाल बन जाएँ।
जब अ भभावक इन गुण पर अपना यान क त करते ह, तो उनके ब चे भी उनक सारी
सकारा मकता को हण कर लगे।

जब हम यादा से यादा सकारा मक बनते ह और यादा से यादा आनंदमय बनते ह, तो


अपनी श शाली मसाल से अपने आसपास के सभी लोग को ऊपर उठा दे ते ह।
दन 298

अ छ चीज़ नकारा मक आवृ पर नह रहती ह। ख़ुद को सकारा मक थ त म ले


आएँ, य क आपको अपनी इ छत चीज़ वह मलगी। ऐसा करने के लए अपने जीवन क
हर चीज़ को एक नई नज़र से दे ख: कृत नज़र से, सकारा मक नज़र से और उस नज़र से
जो सफ़ अ छाई दे खती है।

अपनी को बेहतर बनाएँ और प प से दे खना शु कर। जीवन भ और सुंदर है।


दन 299

दन म बार-बार यह देखना याद रख क आप कैसा महसूस कर रहे ह। अपने शरीर के


अहसास क जाँच करते रह और यह सु न त कर क आपका शरीर तनावमु हो। अगर
आपको कोई तनाव नज़र आए, तो उसे मु करने और पूरे शरीर को श थल करने पर एक
मनट तक यान क त कर ल। अपने शरीर और मन म शां त क भावना महसूस करना ही
आपका ल य है, य क यह थ त आपको सृ के साथ सामंज य म ले आएगी।
दन 300

क्या आपने आज के दन के लए अपना इरादा तय कर लया है या आज भी बीते ए


कल के वचार से ही संचा लत होने वाले ह? ये श द शु आत करने म आपक मदद करगे:

आज सारी अ छाई मेरी ओर आ रही है।


आज मेरी सारी इ छाएँ पूरी ह गी।
आज जा और चम कार हर जगह मेरे पीछे -पीछे चलगे।

आपका आज का जीवन सव े हो!


दन 301

“मनु य अपने भा य के क़ैद नह ,


वे तो केवल अपने मन के क़ैद ह।”

क लन डी. ज़वे ट (1882-1945)


दन 302

जब कोई प रवार व बोड बनाता है, तो यह मह वपूण है क उसे बनाने म शा मल


प रवार का हर सद य इसम स म लत होना चाहता हो। यह काम हर के लए
आनंददायक होना चा हए। फर प रवार का हर सद य बग़ैर कसी सीमा या बंधन के यह
चुन सकता है क वह बोड पर या लगाना चाहता है। च , कटआउट और श द - सभी
ब त अ छे ह। जो लोग सबसे यादा रोमां चत ह गे, वे अपने आप हर दन बोड पर यान
क त करगे और वही बोड पर लगाई चीज़ को अपने जीवन म साकार करगे। जतनी
यादा ऊजा द जाएगी, चीज़ उतनी ही यादा ज द साकार ह गी।

रोमांच और जोश से व लत दय म बड़ी चुंबक य श होती है।


दन 303

हम इतने बु मान होते ह क जब हमारी पुरानी कार अपने उ े य को पूरा नह कर पाती


है, तो उसक जगह नई कार ले आते ह। हम पुरानी कार लौटा दे ते ह, नया मॉडल ले आते ह
और अपनी नई कार म या ा जारी रखते ह।

आपके भीतर भी कुछ इतना बु मान होता है क जब आपका वाहन यानी शरीर अपने
उ े य को पूरा नह करता है, तो यह उसे बदल दे ता है, एक नए, बेहतर मॉडल को ले आता
है और नए वाहन म आपक या ा को जारी रखता है। इंसान का शरीर और कार वाहन ह -
और आप अनंत काल तक ाइवर ह।

ऊजा का नमाण या व वंस नह कया जा सकता - यह तो बस व प बदलती है।


दन 304

अपने जीवन क सारी अ छ चीज़ के बारे म सोच। और अब यह अहसास कर क आप


ही उन सबको अपने जीवन म लाए ह। आपके वचार और भावना ने ही उन तमाम
अ छाइय को आपक ओर लाने के लए सृ क ऊजा को े रत कया था।

आप ब त श शाली ाणी ह।
दन 305

कसी को बदलने क को शश करना समय क बबाद है। कसी को बदलने का वचार


यह कहना है क वे अभी जैसे ह, उस प म ब त अ छे या यो य नह ह। यह कथन
आलोचना और नापसंदगी म डू बा होता है। यह सराहना या ेम का वचार नह है। इस तरह
के वचार आपको और उस के बीच री बढ़ा दगे।

आपको लोग म अ छाई क तलाश करनी होगी, ता क यह और बढ़े । जब आप कसी


म सफ़ अ छाइय क ही तलाश करगे, तो आपके सामने जो उजागर होगा, उसे
दे खकर आप हैरान रह जाएँग।े
दन 306

आप अपनी आवृ तरंग के लए ख़ुद ज़ मेदार ह, य क यह आपके वचार , श द ,


भावना और काय से तय होती है। जब आप ेम, क णा और अ छाई के यादा ऊँचे
वचार सोचते ह, बोलते ह और उन पर आधा रत काय करते ह, तो आपक आवृ और भी
ऊँची हो जाती है। जीवन म आपका सव च काम अपनी आवृ को ऊपर उठाते रहना है।
यह हर चीज़ का अं तम न कष है, य क आपके जीवन म हर चीज़ उसी आवृ क
बदौलत आती है, जस पर आप ह। हर चीज़!
दन 307

“कोई भी चीज़ अ छ या बुरी नह होती,


सफ़ सोच ही उसे ऐसा बना दे ती है।”

व लयम शे स पयर (1564-1616)


हैमलेट
दन 308

पहले यह पता लगाएँ क आप वा तव म या चाहते ह। फर क पना कर और यह नाटक


कर क आपक मनचाही चीज़ पहले से आपके पास है। जब आप यह नाटक कर रहे ह या
मान रहे ह क आपके पास अपनी मनचाही चीज़ है, तो अपनी भावना पर यान द। जब
ब चे खेल रचते ह, तो उनक क पना इतनी श शाली होती है क वे अपने-आप अपनी
भावना से जुड़ जाते ह। छोटे ब च को खेलते ए दे ख और आप सृ के इस नयम का
अ धकतम लाभ लेना सीख जाएँग।े
दन 309

याद रख, आकषण का नयम यह नह जानता है क आप नाटक रच रहे ह या कोई चीज़


वा तव म है, इस लए नाटक करते व त आपको इसे वा त वक महसूस करना होता है। जब
आपका नाटक वा त वक महसूस होने लगे, तो आप जान जाएँगे क आप अपनी मनचाही
चीज़ को वा त वक बनाने म सफल हो रहे ह।
दन 310

जीवन को यादा ख़ुशहाल बनाने वाली चीज़ को आक षत करने के लए आपको ख़ुशी


का चुंबक बनना होता है। ख़ुशी ही ख़ुशी को आक षत करती है। ख़ुशी का चुंबक बनने के
लए ख़ुशी महसूस करने, ख़ुशनुमा वचार सोचने और सर के लए ख़ुशी-ख़ुशी काम करने
क आव यकता होती है। अगर आप ख़ुद को गहरी ख़ुशी से भरना चाहते ह, तो हर वह चीज़
कर, जससे सर को ख़ुशी दे सक।
दन 311

आप जस भी चीज़ का तरोध करते ह, वह क़ायम रहेगी। इसका मतलब है क आप


जसे श त से नह चाहते ह, उसे अपनी ओर आमं त कर रहे ह। इसके बजाय अपनी
जोशीली भावना क श उसम लगाएँ जसे आप चाहते ह और उ ह अपनी ओर लाएँ।

यान क त करने का मतलब है सृजन या नमाण करना। भावपूण यान क त करना


श शाली सृजन है।
दन 312

ज़्यादाातर लोग को यह अहसास नह होता क वे अपनी अनचाही चीज़ म कतनी


अ धक ऊजा लगा दे ते ह। जब आप कसी म से बात करते समय कसी “ख़राब” थ त
का वणन करते ह, तो आप अपनी बल ऊजा उस चीज़ म लगा रहे ह, जसे आप नह
चाहते ह। जब आप कसी घटना पर नकारा मक तरीक़े से त या करते ह और कहते ह
क यह “भयानक” है, तो आप अपनी श अनचाही चीज़ म लगा रहे ह।

आप सुंदर व जोशीले इंसान ह, इस लए यह सु न त कर क आप अपने भावावेग का


समझदारी से योग कर।
दन 313

आप आकषण के नयम के साथ भागीदारी म ह और इस साझेदारी के ज़ रये ही अपने


जीवन का सृजन कर रहे ह। हर आकषण के नयम के साथ भागीदारी म है और वयं
के जीवन का सृजन कर रहा है। इसका मतलब है क आप कसी सरे क वतं इ छा के
ख़लाफ़ नयम का इ तेमाल नह कर सकते। अगर आप को शश करते ह, तो आपको इस
बात का ख़तरा होता है क आपक वतं ता भी आपसे छन जाएगी।
दन 314

आप कसी सरे क वतं इ छा के ख़लाफ़ आकषण के नयम का इ तेमाल नह कर


सकते। अगर आप इस बारे म गहराई से वचार कर, ख़ास तौर पर ेम संबंध के बारे म, तो
केवल एक ही न कष पर प ँच सकते ह: ई र का शु है क यह नयम इस तरह से काम
करता है। अगर ऐसा नह होता, तो कोई सरा आपको अपने जीवन का ेम बनाने का
नणय ले सकता था और आप पर इस नयम का इ तेमाल कर सकता था। वे ऐसा नह कर
सकते और आप भी नह कर सकते।
दन 315

हर सकारा मक वचार जसका आप च तन करते ह, हर अ छा श द जो आप बोलते ह,


हर अ छा भाव जो आप महसूस करते ह और हर अ छा काय जो आप करते ह, वह आपके
अ त व को नई ऊँचाइय तक ऊपर उठा रहा है। और जब आप अपने तर को बढ़ाना शु
करते ह, तो ख़ुद-ब-ख़ुद एक नया जीवन और संसार आपके सामने उजागर हो जाएगा।
आप ऊजा क सकारा मक श याँ पूरी पृ वी पर भेजगे, जो इस पर रहने वाले हर जी वत
ाणी तक प ँचगी।

आप अपना तर ऊपर उठा लगे। और जब आप ख़ुद को ऊपर उठा लेते ह, तो पूरे संसार
को ऊपर उठा दे ते ह।
दन 316

हम वकासशील मानव ह और जैसे-जैसे हम वकास करते ह, हमारी आवृ भी बदलती


है। दो लोग के बीच संबंध ख़ म होना इसी का प रणाम होता है, य क अब वे दोन एक ही
आवृ पर नह ह। जब लोग क आवृ याँ समान नह रह जाती ह, तो आकषण का
नयम अपने आप त या करके उ ह अलग कर दे ता है। आवृ का प रवतन वकास है,
वकास जीवन है और जीवन अ छा है।
दन 317

जब आप सुबह पद खोलते ह और जब रात को उ ह बंद करते ह, तो आप या सोचते ह?


जब आप सुबह पहली बार जूते पहनते ह और जब शाम को उ ह उतारते ह, तो आप या
सोचते ह? रोज़मरा क इन चार ग त व धय के दौरान सृ क श का इ तेमाल कर और
अपने पूरे दल से कह:

“सबसे बेहतरीन दन के लए ध यवाद!”


दन 318

आप चाहे जहाँ जाएँ, सकारा मक श य को अपने पहले भेज सकते ह, ले कन इसके


लए आपको भ व य म सोचना होता है। कोई भी चीज़ करने से पहले आगे क सोच। उस
ग त व ध के पूण होने पर ख़ुद को ख़ुशहाल दे ख और इसे बना को शश के पूरा होते दे ख।
अब आप आगे बढ़ सकते ह।

सकारा मक श याँ आपके इशारे पर आ जाती ह - ले कन आपको उ ह अपने जीवन म


बुलाना होता है।
दन 319

आप जो चाहते ह, उसे करने का मन बना ल! अगर आप नकारा मक वचार को र


हटाने और अपने जीवन को बदलने को लेकर सचमुच गंभीर ह, तो आपक मदद के लए
यहाँ एक आसान या बताई जा रही है। बना कसी अपवाद के हर दन सौ चीज़ लख,
जनके लए आप कृत ह। ऐसा करके आप अपने मन क बागडोर अपने हाथ म थाम रहे
ह और इसे अ छे वचार सोचने के लए े रत कर रहे ह। अगर आप हर दन ऐसा करगे, तो
अपने वचार को नयं त करने म कामयाब हो जाएँग।े

अपने वचार को नयं त करने का संक प ल। जब आप अपने मन का नयं ण हा सल


कर लेते ह, तो वयं अपने वामी बन जाते ह।
दन 320

जब भी आप कार म कह जाते ह, तो कुछ सेकंड का समय नकाल कर ख़ुद को अपनी


मं ज़ल पर ख़ुश और अ छ तरह प ँचते दे ख। चाहे आप कोई भी या ा कर रहे ह या
यातायात के कसी भी साधन का इ तेमाल कर रहे ह , अपने इरादे के ज़ रये सृ क श
का इ तेमाल कर और एक सुंदर, सुर त या ा का सृजन कर।
दन 321

सृजन क या ब त आसान है और अगर आपको यह मु कल लग रही है, तो ऐसा


सफ़ इस लए है य क आप वश्वास नह कर रहे ह। याद रहे, कसी चीज़ को दे खने के
लए आपको उस पर वश्वास करना होता है! और यह पेचीदा हो सकता है, ख़ास तौर पर
तब, जब आपने अपने जीवन म अ धकतर चीज़ को दे खने के बाद ही उन पर वश्वास
कया हो। आपको अपने मन को दोबारा श त करने क ज़ रत है। आपको अनदे खे म
वश्वास करना होता है और यह वश्वास ही वह माग है, जसके ज़ रये न दखने वाली
चीज़ साकार होती ह।
दन 322

“आनंद चीज़ म नह ह; वह तो हमम है।”

वलहेम रचड वैगनर (1813-1883)


दन 323

ब च के साथ व बोड बनाएँ और उ ह मान सक च ण का खेल खेलना सखाएँ। उ ह


बताएँ क उ ह यह खेल रचना है क जो चीज़ वे बोड पर लगाते ह, वह उनके पास पहले से
है। ब च क क पनाशीलता इतनी अ त होती है क नाटक करना उनक आदत म शा मल
होता है और वे आपके लए ज़बद त ेरणा बन जाएँग।े

“छोटे ब च जैसे बन और खेल रच,” ये स चे श द आज से दो हज़ार साल पहले बोले गए


थे।
दन 324

अगर आप नकारा मक आवृ पर नह ह, तो कोई भी अपने नकारा मक वचार से


आपको भा वत नह कर सकता। आप अपने वचार और भावना के ज़ रये अपनी
आवृ ख़ुद तय करते ह। आप जतना बेहतर महसूस करते ह, उतनी ही यादा ऊँची
आवृ पर होते ह और उतने ही यादा ऊँचे वचार तक आपक प ँच होती है। वहाँ सर
के नकारा मक वचार आप तक नह प ँच सकते।
दन 325

व ास करने म मा हर बनने के लए आपको बस अपने वचार , श द और काय को


“ वश्वास न करने” से वश्वास करने क ओर झुकाना है। आप जो चाहते ह, उसे साकार
करने क राह म जो एकमा चीज़ आड़े आ सकती है, वह है वश्वास करने के बजाए
“ वश्वास नह करना” के यादा वचार होना, “ वश्वास न करने” के यादा श द बोलना,
और “ वश्वास न करने” के यादा काय करना।

अपने यादातर वचार , श द और काय म वश्वास करने का वक प चुन; आकषण के


नयम को आपका आदे श मानना ही होगा।
दन 326

“आप कसी से पैस म जतना मू य लेते ह, उपयो गता म हर को उससे यादा मू य


लौटाएँ।”

वॉलेस वैट स (1860-1911)


द साइंस ऑफ़ गे टग रच

यह बात याद रख और कभी भी कसी से तब तक पैसा न ल, जब तक क आप बदले म


उपयो गता का उससे यादा मू य न लौटा रहे ह । लोग के जीवन म यह धन के अभाव,
नौकरी के असफल अनुभव और असफल कारोबार के मु य कारण म से एक है। आपको
जतना धन मल रहा है, उससे यादा मू य दान कर - अपनी नौकरी म, अपने कारोबार म
और अपने जीवन के हर े म।
दन 327

क्या आज आपने कृ त के त कृत ता महसूस क है?

अगर कृ त आपको लगातार नह दे रही होती, तो आप आज या एक भी दन ज़दा ही नह


रह पाते। कृ त आपको हवा का असी मत ोत दे रही है ता क आप साँस ले सक, यह पूरे
ह क आव यकता के लए पया त पानी उ प कर रही है ता क आप जी वत रह सक
और सूय ारा द गई जीवनदायी श य के बना हमम से कसी का अ त व संभव ही
नह था।

यह शु दान है! कोई भी इस बात पर कैसे वश्वास कर सकता है क उससे ेम नह कया


जाता है?
दन 328

जब आप अपने जीवन म कसी चीज़ के ख़लाफ़ अपना बचाव करते ह, तो उसी चीज़ को
ला रहे ह जसे आप नह चाहते ह। बचाव करना सम या पर यान क त करना है। बचाव
करने से बचाव करने क थ तयाँ यादा आक षत होती है। इसके बजाय सृजना मक बन
और अपनी सारी ऊजा उस प रणाम पर क त कर, जसे आप चाहते ह। सृजन करना
समाधान पर यान क त करना है।

र ा मक नह , सृजना मक बन। सम या पर नह , समाधान पर यान क त कर।


दन 329

“मुझे वश्वास है क जो वचार-श का इ तेमाल करना जानता है, वह ख़ुद को जो


चाहे बना सकता है।”

“मुझे वश्वास है क मन सफ़ शरीर को ही नयं त नह करता है, ब क नकारा मक क


जगह सकारा मक वचार रखकर इंसान माहौल, ‘भा य’ और प र थ तय को भी बदल
सकता है। म जानता ँ क ‘म कर सकता ँ और म क ँ गा’ वाला नज़ रया इंसान को ऐसी
सफलता क ओर आगे ले जाएगा, जो ‘म नह कर सकता’ के धरातल पर रहने वाले
को चम कारी दखेगी।”

व लयम वॉकर ऐट क सन (1862-1932)


माय व कग ड
दन 330

आपका जीवन सीखने क या है - आप सफ़ सीखकर ही यादा समझदार बन


सकते ह। कई बार हो सकता है क कोई मह वपूण चीज़ सीखने के लए आपको कसी
ददनाक ग़लती को आक षत करने क ज़ रत हो, ले कन ग़लती के बाद आप यादा
बु मान बन जाते ह। बु म ा पैसे से नह ख़रीद जा सकती - यह ज़दगी जीकर ही
हा सल क जा सकती है। बु म ा के साथ श , साहस, ान और शां त भी आती है, जो
बढ़ती जाती है।
दन 331

अगर आपम ेम नह होता, तो आप इंसान के प म जी वत ही नह रह सकते थे। अगर


आप अपने चार ओर लपट ई सारी परत को एक के बाद एक हटाते जाएँ, तो अंततः
आप चेतना के शा त काश तक प ँच जाएँगे, जो वशु ेम से बना है।

आपक जीवन या ा परत को हटाने के बारे म है, जब तक क आप अपने उस मूल क


तक नह प ँच जाते, जो पूण प से ेम है।
दन 332

चाहे आप जो सोच, आप हर दन बेहतर से बेहतर बनते जा रहे ह। कोई भी इंसान पीछे


क तरफ़ नह जा सकता। आप सफ़ आगे और ऊपर क तरफ़ ही जा सकते ह।

जब आपको महसूस हो क प र थ तयाँ बेहतर नह हो रही ह, तो ख़ुद को याद दलाएँ -


कल आप जो थे, आज उससे कह यादा ह।
दन 333

जब चुनौती सामने आने पर आपको लगे क यह आपके जीवन म नकारा मक प रवतन


ला रही है, तो याद रख क जो भी होता है अंततः हमारे भले के लए ही होता है। मह वपूण
यह नह है क या होता है; मह वपूण तो यह है क हम उस अवसर के साथ या करते ह
और उसक ओर कस नज़र से दे खने का चुनाव करते ह।

सृ को अगर बेहतर और यादा अ त चीज़ कट करनी ह, तो इसे चीज़ को आगे बढ़ाना


होता है। इस बात को जान क यह प रवतन इस लए हो रहा है, य क कोई ब त अ छ
चीज़ आने वाली है!
दन 334

“म जो भी करने का नणय लेता ँ, उसम सफल होने म स म ँ।”

यह पूण स य है, ले कन मुददे् क बात यह है क या आपको इस पर वश्वास है?


दन 335

शु ेम क कोई शत या सीमाएँ नह होत । ेम वयं को रोकता या पीछे नह रखता।


ेम हमेशा सफ़ दे ता है और बदले म कुछ भी नह चाहता। ेम बग़ैर सीमा वाला सतत
वाह है। और यह सारा ेम आपके भीतर है।
दन 336

“चाहे म कसी भी थ त म र ँ, ख़ुशनुमा और स होने का संक प लेती ँ; य क


अनुभव से मने सीखा है क हमारी ख़ुशी या ख का यादातर ह सा हमारी प र थ तय
पर नह , ब क हमारे वभाव पर नभर करता है।”

माथा वॉ शगटन (1732-1802)


दन 337

यह नणय ल क आज आप जस भी के संपक म आएँगे, उससे शंसा क कम से


कम एक बात अव य बोलगे। जतने यादा लोग से मल, उतना ही बेहतर है। इस बात पर
ग़ौर कर क दन क शु आत म आप कैसा महसूस कर रहे ह, और फर ख़ास तौर पर ग़ौर
कर क दन ख़ म होने पर आप कतना बेहतर महसूस कर रहे ह।

स ताह के कसी एक दन को शंसा दवस का नाम द, यही या बना चूके हर स ताह


उसी दन कर। और फर दे ख क आपके जीवन म या होता है!
दन 338

पृ वी का हर इंसान ख़ुश रहना चाहता है। इंसान जस भी चीज़ क इ छा करता है,


इस लए करता है य क उसके हसाब से उसक इ छा पूरी होने पर वह ख़ुश हो जाएगा।
चाहे यह वा य हो, पैसा हो, ेमपूण संबंध हो, भौ तक व तुएँ ह , उपल धयाँ ह , नौकरी
हो या कोई भी चीज़ हो, ख़ुशी क इ छा उन सबका अं तम ल य है। ले कन याद रख, ख़ुशी
हमारे भीतर क अव था है और बाहर क कोई भी चीज़ सफ़ णक ख़ुशी ही ला सकती
है, य क भौ तक चीज़ अ थायी होती ह।

थायी ख़ुशी हमेशा ख़ुश रहने के आपके चुनाव से मलती है। जब आप ख़ुशी का चुनाव
करते ह, तो आप सारी सुखद चीज़ को भी आक षत करते ह। सुखद चीज़ केक के ऊपर
क सजावट ह; ख़ुशी तो केक ही है।
दन 339

अगर आपको अपने प रवार के कसी सद य क नकारा मक वृ से कोई सम या है,


तो उन सारी बात क सूची लखकर शु आत कर जनके लए आप उस क शंसा
करते ह। उ ह ने आपको जीवन म सकारा मक बनने क ेरणा भी द , इसके त कृत ता
को भी इसम शा मल कर, य क यह एक ऐसा उपहार है जो वे आपको दे रहे ह। जब आप
अपनी पूरी श के साथ शंसा पर यान क त करते ह, तो आप न सफ़ नकारा मकता
के त अपने झान को कम कर लगे, ब क अपने जीवन म सकारा मक लोग को भी
आक षत करगे।

ख़ुद को शंसा क आवृ पर ले आएँ। इसके बाद आकषण का नयम आपको सफ़


सकारा मक अव था वाले लोग से घेरे रखेगा।
दन 340

अगर आप कसी बीमार क मदद करना चाहते ह, तो आप यह श शाली काम


कर सकते ह। अपने मन म च बनाएँ क वह श शाली, ख़ुश और व थ है। इसे
असरदार तरीक़े से करने के लए अपने मन म एक य बनाएँ, जसम आप और वह
हो। उस य को अ धक से अ धक स य कर। क पना कर क आप दोन कौन से श द
बोल रहे ह और उस को वे चीज़ करते दे ख, जो सफ़ एक ख़ुश और व थ कर
सकता है। इस य को बार-बार दोहराएँ और अपने मान सक च को उतनी ही गहराई से
महसूस कर, मानो आप सचमुच उसे जी रहे ह ।

हालाँ क वह ख़ुद अपने जीवन का सृजन कर रहा है, ले कन यह या उसक बेहद


मदद कर सकती है।
दन 341

असी मत श म वश्वास रख, जो आपके मा यम से काम कर रही है। यह एक वशु


सकारा मक श है जसे आप अपनी मान सक एका ता के ज़ रये अपनी मनचाही दशा
म मोड़ सकते ह। हालाँ क आपको असी मत श के सामंज य म रहना होता है और
इसका मतलब है क आपको सकारा मकता पर एका होना चा हए। जब आप
नकारा मकता पर एका होते ह, तो असी मत श से आपका संपक टू ट जाता है।

सृ म एकमा असी मत श है और इसका योग सफ़ सकारा मक तथा अ छे काय


के लए ही कया जा सकता है।
दन 342

आपके भीतर एक द ता मौजूद है। यह वही जीवन श है, जसने आपके पैदा होने
पर पहली साँस ली थी। यही वह जीवन श है, जो इस व त आपम साँस ले रही है। यह
अ व सनीय स ाव, शां त तथा ेम क उप थ त है और यह आपके भीतर है। अपने
जीवन क इस उप थ त के साथ जुड़ने और इसे महसूस करने के लए ठहर, अपनी आँख
बंद कर ल, तनावर हत हो जाएँ, वचार को जाने द और चंद मनट के लए अपने शरीर के
भीतर गहरा यान क त कर ल।

आप यह अ यास जतना यादा करगे, आपके भीतर शु स ाव, शां त और ेम उतना ही


यादा उभर आएगा।
दन 343

“मन और आ मा के सव च वकास को बढ़ावा दे ने के लए स च वभाव अ नवाय है;


वभाव जतना यादा उ वल, ख़ुश और मधुर होगा, कोई भी गुण उतनी ही यादा
आसानी और ती ता से वक सत होगा। यह बलकुल सच है क स च वभाव भी
मान सक गुण के लए वैसा ही है, जैसे उजला दन खेत के फूल के लए होता है।”

यन डी. लासन (1874-1954)


द ेट व दन
दन 344

अगर आप ेम को आक षत करना चाहते ह और ख़ुशनुमा रहना चाहते ह , तो या कर?


ले कन फर आप कौन के ववरण म उलझ जाते ह और सोचने लगते ह क कोई ख़ास
ही आपके आदश संबंध का जवाब है। सृ भ व य म काफ़ आगे तक दे ख सकती है
और यह जानती है क कोई ख़ास आपके सपने को पूरा करेगा या आपका बुरा सपना
बन जाएगा। जब आपको कसी ख़ास का ेम नह मलता है, तो आपको ऐसा लग
सकता है क यह नयम काम नह कर रहा है। ले कन यह काम कर रहा है। आपक सबसे
बड़ी इ छा ेम आक षत करने तथा बेहद ख़ुश रहने क है, और सृ कह रही है, “वह
आपके लए सही नह है, और कृपया रा ते से हट जाएँ, म आदश को आप तक
प ँचाने क को शश कर रही ँ।”

“कौन,” “कहाँ,” “कब,” या “कैसे” म उलझने के बारे म ब त सावधान रह, य क हो


सकता है क इस तरह आप अपनी य इ छा को अपने तक प ँचने से रोक रहे ह ।
दन 345

आप अपने जीवन के लए वयं ही ज़ मेदार ह। जब आप ख़ुद को दोष दए बना अपनी


सारी पुरानी ग़ल तय क ज़ मेदारी ले लेते ह, तो यह इस बात का सबूत होता है क आपने
अपनी चेतना म प रवतन कर लया है और अपने जीवन के स य को प प से दे ख रहे
ह। इस नई चेतना से आप उस जीवन को ख़ुद-ब-ख़ुद आक षत कर लगे, जसके आप
हक़दार ह।
दन 346

ज़्यादातर लोग अ छ सेहत के बारे म तभी सोचते ह जब यह उनके पास नह होती है,
ले कन आप बेहतरीन सेहत का इरादा कसी भी समय कर सकते ह। हर दन अपने इरादे
क श का इ तेमाल कर और ख़ुद को व थ व अ छे प म दे ख।

अपने लए वा य क इ छा कर और सर के भी व थ रहने क कामना कर।


दन 347

आप अपने इरादे क श से अपना भ व य बनाते ह। इरादा और कुछ नह , ब क


वतमान म अपने भ व य को तय करने का चेतन काय है। इस समय आपके इराद के आधार
पर ही वा य, संबंध म स ाव, ख़ुशी, धन, सृजना मकता और ेम भ व य म आपक
ओर आएगा।

हर दन इ छा कर और अपने भावी जीवन का सृजन कर।


दन 348

जब आप द सी े ट पु तक पढ़ या द सी े ट फ़ म देख, तो सफ़ उसी आवृ पर मौजूद


ान हण कर सकते ह, जस पर आप उस व त होते ह। अगली बार जब आप पु तक
पढ़ते ह या फ़ म दे खते ह, तो आप यादा हण करते ह, कह यादा। और यह या
कभी ख़ म नह होती। हर बार पढ़ने या दे खने पर आपको यादा चीज़ मलती रहगी और
स ांत यादा प होते जाएँग।े ऐसा इस लए है, य क आपक चेतना का हर बार
व तार हो रहा है।
दन 349

आज कृत बन। अपने य संगीत के लए कृत ह , उन फ़ म के लए जो आपको


अ छा महसूस कराती ह, अपने फ़ोन के लए जो आपको लोग से जोड़ता है, अपने कं यूटर
के लए और बजली के लए जो आपके जीवन को का शत करती है। वायु या ा के लए
कृत ह , जो आपको कह भी उड़ाकर ले जाती है। सड़क और ै फ़क लाइट के लए
कृत ह , जो ै फ़क को व थत रखती है। उन लोग के त कृत ह , ज ह ने हमारे
लए पुल बनाए। अपने यजन के त, अपनी संतान के त, अपने पालतू पशु के त
कृत ह । उन आँख के लए कृत ह , जनक बदौलत आप यह श द पढ़ने म स म ह।
अपनी क पना के लए कृत ह । कृत ह क आप सोच सकते ह। कृत ह क आप
बोल सकते ह। कृत ह क आप हँस सकते ह और मु करा भी सकते ह। कृत ह क
आप साँस ले सकते ह। कृत ह क आप जी वत ह! कृत ह क आप ही आप ह!

कृत ह क एक ऐसा श द है, जो आपक ज़दगी बदल सकता है और उ ह बार बार कह।

ध यवाद! ध यवाद! ध यवाद!


दन 350

“कोई भी कत इससे यादा अ नवाय नह है, जतना क दयालुता को वापस सृ म


लौटाना।”

माकुस टु लयस ककेरा (106-43 ई.पू.)


दन 351

नयम सट क है, नयम न त है और यह कभी असफल नह होता। इस लए जब यह


लगे क यह काम नह कर रहा है, तो आपको इस बात क गारंट द जा सकती है क यह
नयम नह है, जो असफल हो रहा है। ग़लती सफ़ इसका इ तेमाल करने वाले क ही
हो सकती है। यह बेहतरीन ख़बर है! या चलने म अ यास क ज़ रत नह पड़ी थी? या
कार चलाने म अ यास क ज़ रत नह पड़ी थी? मगर अ यास के साथ आप चल पाए और
अ यास के साथ आप गाड़ी भी चला पाए।

अ यास ही वह चीज़ है, जो आपके और हर चीज़ के बीच खड़ी है!


दन 352

जीवन का खेल वश्वास करने के श शाली तरीक़े बनाने के बारे म है, ता क आप


अपना मनचाहा ा त कर सक। आप जो भी बड़ी चीज़ माँग रहे ह, इसी समय उसका ज
मनाने के बारे म सोच, मानो वह आपको मल चुक हो।
दन 353

अपने कल क इ छा करने के लए आज दो मनट न देने का कोई बहाना नह है।


दन 354

सृजना मक बन और अपनी मनचाही चीज़ क ा त दशा म श शाली काय का


इ तेमाल कर। अगर आप आदश साथी को आक षत करना चाहते ह, तो अपनी अलमारी म
जगह बनाएँ। अगर कसी नए मकान को आक षत करना चाहते ह, तो अपने वतमान मकान
को व थत कर ल, ता क पै कग आसानी से हो सके। अगर आप कसी या ा पर जाना
चाहते ह, तो सूटकेस बाहर नकाल ल, उस जगह के च से ख़ुद को घेर ल और ख़ुद को
च म रख ल।

इस बारे म सोच क अगर आपके पास आपक मनचाही व तु हो, तो आप या करगे और


फर सृजना मक काय कर, जनसे यह प हो जाए क वह आपको इसी समय मल रही
है।
दन 355

ध यवाद। ध यवाद। ध यवाद। ध यवाद। ध यवाद। ध यवाद। ध यवाद।


कसी भी दन को तुरंत बेहतर बनाने के लए लगातार सात बार “ध यवाद” कह और उसे
दल से महसूस भी कर।
दन 356

आकषण का नयम सट क है और जब आपको मनचाहे प रणाम नह मलते ह, तो ऐसा


सफ़ इस लए होता है, य क आपने नयम का पयोग कया है। अपनी मनचाही चीज़ के
बजाय आप उन चीज़ का सृजन कर रहे ह ज ह आप नह चाहते। ले कन दोन तरह से
आप ही सृजन कर रहे ह।

नयम अचूक है, अमोघ है और यह हमेशा आपके लए त या कर रहा है।


दन 357

“जो कुछ भी हम दे खते ह, वह उसक छाया है, जसे हम नह दे खते ह।”

डॉ. मा टन लूथर कग जू नयर


(1929-1968)
मेज़र ऑफ़ अ मैन
दन 358

स ताह के सात दन ल और आकषण के नयम के श शाली इ तेमाल से अपनी पूरी


ज़दगी बदल ल। अगर आप चाह, तो सफ़ एक दन से शु आत कर और कुछ स ताह तक
उस दन को अपनी आदत बना ल, इसके बाद ही सरा दन जोड़। वही कर, जो आपके
लए सबसे अ छ तरह काम करता हो, य क अहम बात यह है क आप इसे कर।

सु वचार वाला सोमवार


हर सोमवार यह इरादा करने का दन है क आप सफ़ अ छे वचार ही सोचगे। अपने लए
अ छे वचार सोच और सर के लए अ छे वचार सोच। हर उस चीज़ को नज़रअंदाज़ कर
द, जससे अ छे वचार उ प नह हो रहे ह। दन क शु आत म अपनी तमाम इ छाश
के साथ आदे श द और संक प ल, “मने आज हज़ार अ छे वचार सोचे ह।” इंसान एक दन
म औसतन 50,000 से यादा वचार सोचता है, इस लए आपके पास आज अ छे वचार
सोचने के 50,000 मौक़े ह।
दन 359

शंसा वाला मंगलवार


हर मंगलवार शंसा, शंसा और केवल शंसा करने का दन है। मौसम, अपने कपड़ ,
प रवहन के साधन , महान आ व कार , अपने घर, अपने भोजन, ब तर, प रवार,
कामकाजी सहक मय , वेटर, वा य, शरीर, आँख , कान और अपनी सभी इं य क
शंसा कर। ख़ास तौर पर अपने अतीत और भ व य के बेहतरीन समय क शंसा कर। और
अंत म, यह शंसा कर क हर शंसा वाले मंगलवार को आप एक आ यजनक जीवन का
सृजन कर रहे ह!
दन 360

स काय वाला बुधवार


हर बुधवार सृ के बक के आपके ख़ाते को अ छे कम से भरने का दन है। अपने
आसपास के लोग को ो साहन द। दयालुता का वहार कर। हर मलने और बात करने
वाले को अ छे श द कह। आज बड़ी टप द। बना कसी कारण के उपहार द। सर के
लए दरवाज़े खोल। कसी के लए कॉफ़ या लंच ख़रीद। शंसा कर। हर एक को मु कान
द। जो आपक सेवा करते ह, उनम स ची च दखाएँ। अपने क़रीबी लोग पर यान द।
सड़क पर ाइवर के त क णा रख। सर को बैठने के लए अपनी सीट द और खड़े हो
जाएँ। अ छे काम करने के अवसर क तलाश कर; आकषण का नयम आपके स काय
वाले बुधवार को इन अवसर क चुरता से भर दे गा।

जब आप स काय वाले बुधवार को अपना सब कुछ दे ते ह, तो सृ त या करेगी और


यह आपके स ताह का अब तक का सबसे अ छा दन बन जाएगा।
दन 361

ध यवाद वाला गु वार


हर गु वार “ध यवाद” कहने और महसूस करने का दन है, जतने भी तरीक़ से आप कर
सक। उन सभी लोग और घटना क सूची बनाएँ, ज ह आप ध यवाद दे ना चाहते ह।
आज उन लोग को ध यवाद द, ज ह ने आपके लए कुछ कया है। जब आप पैदल चल, तो
हर क़दम उठाते समय मन ही मन “ध यवाद” कहते रह। जब कार चलाएँ, तो हर बार कार
कने को “ध यवाद” कहने का संकेत मान। दन म कई बार और मन म सात बार लगातार
“ध यवाद” सोच और महसूस कर। सरे लोग को “ध यवाद” कहने के हर अवसर क
तलाश कर और इसे इतनी गहराई के साथ कह क वह सीधे आपक ओर दे खने लगे।
हर गु वार पूरे समय ध यवाद द और ध यवाद को दन का अपना मुख वचार, भावना व
श द बना ल।

ध यवाद - एक श द, बेहद आ यजनक श , और इसे बोलकर इसम श भरने के लए


इसे बस आपक ज़ रत है। ध यवाद!
दन 362

अ छ भावना वाला शु वार


हर शु वार आपके लए वह दन है, जब आप अपने भीतर क सभी अ छ भावना का
उपयोग और व तार करते ह।

आज जब आप दन म आगे बढ़, तो पूरा यान इस बात पर द क आप कैसा महसूस कर


रहे ह। अपने अंदर बेहतर भावनाएँ भरते रह, बार-बार भरते रह। अ छ भावना के सैलाब
से ख़ुद को भरने के लए अपने दन को उन चीज़ से भर, जनसे आपको अ छा महसूस
होता हो। अपना य गीत सुन। य लंच ल। य म से मल। वे चीज़ कर, ज ह करने से
आपको ेम है और जो आपको इतना अ छा महसूस कराती ह क आप अ छ भावना
से लबरेज़ हो जाते ह और अपने चेहरे से मु कान नह हटा पाते। आप अ छ भावना से
इतने ओत- ोत हो जाएँगे क आप दन भर फु लत रहगे।
दन 363

तनाव से मु वाला श नवार


हर श नवार आपके लए वह दन है, जसम आप ख़ुद को कसी प ी जतना वतं
महसूस कर; उतना ही वतं , जतना बचपन म करते थे। खेल! मौज कर! यह दन अपने
आनंद को खोजने और उसम जीने का दन है।

ऐसी चीज़ कर, जनसे आपको अ त महसूस होता है। ऐसी चीज़ कर, जो आपको हँसाती
ह। ऐसी चीज़ कर, जनक बदौलत आप ख़ुशी से उछल पड़ते ह। पूरे दन नाच, गाएँ, कूद
और सीट बजाएँ। आज अपने जीवन का ज मनाएँ! जब आप खेलते ह, हँसते ह,
मु कराते ह और मज़े करते ह, तो आप आलो कत हो जाते ह। आलो कत होने पर आप
नकारा मकता को मु कर दे ते ह। आप जतना यादा आलो कत महसूस करते ह, उतनी
ही यादा नकारा मकता र हो जाती है। श नवार आपके आलो कत होने का दन है!

याद रख, जीवन कभी न ख़ म होने वाला खेल है और आप यह खेल अनंत काल तक खेलने
वाले ह!
दन 364

सब अ छा करने वाला र ववार


हर र ववार एक पल नकालकर पछले स ताह को पलटकर दे ख और सभी अ छ चीज़ को
याद कर। फर अपने भ व य क ओर यान द। आने वाले स ताह को दे ख और उसम होने
वाली सभी अ छ चीज़ दे ख।

अब आप आराम कर सकते ह, य क आपका सृजन आदश है और आप संतु ह क यह


सब अ छा है।
दन 365

आप अपनी आदश या ा म आदश जगह पर ह। आप ठ क वह ह, जहाँ आपको होना


चा हए था, य क आप ही ने इसे चुना था। आप इस समय जतने आदश ह, उससे यादा
आदश नह हो सकते थे।
रॉ डा बन के बारे म

रॉ डा ने अपनी या ा द सी े ट फ़ म से शु क , जसे संसार के लाख लोग ने दे खा।


इसके बाद उ ह ने द सी े ट पु तक का शत क , जो पूरी नया म बे टसेलर बन गई। यह
50 भाषा म उपल ध है और पूरे संसार म इसक 2.4 करोड़ से अ धक तयाँ बक चुक
ह।

द सी े ट 198 से अ धक ह त तक यू यॉक टाइ स बे टसेलर सूची म रह चुक है। इसे


हाल ही म यूएसए टु डे ारा पछले 15 वष क शीष थ 20 बे टसे लग पु तक म से एक
घो षत कया गया है।

उ ह ने अपना उ लेखनीय काय 2010 म द पावर और 2012 म द मै जक के साथ जारी


रखा। ये दोन पु तक भी यू यॉक टाइ स बे टसेलर रही ह।

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