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एक दिन जिओ, दो दिन जिओ, जीवो बरस पचासां ,

कहे कबीर सु नो भई साधो, तोहे मरण की आसा

चु न चु न माटी महल बनाया, मूरख कहें घर मे रा,


(चु ण चु ण माटी महल बनाया, मूरख कहें घर मे रा)
नहीं घर मे रा नहीं घर ते रा, है जगत में भे रा,
खाक में खप जाना रे बं दा, माटी से मिल जाना,
नहीं करो अभिमान, एक दिन पवन सा उड़ जाना,
(थोड़ा करो अभिमान इक दिन पवन से उड़ जाना)
(चु ण चु ण माटी महल बनाया, मूरख कहें घर मे रा)
नहीं घर मे रा नहीं घर ते रा, है जगत में भे रा,
ख़ाक़ में खप जाना रे बन्दा , माटी से मिल जाना,
नहीं करो अभिमान, एक दिन पवन सा उड़ जाना,

सोना पहरों रूपा पहरो, पहरो हीरला साँचा,


वार वार मोतीड़ा पहरो, तोए मरण केरी आसा,
खाक में खप जाना रे बं दा, माटी से मिल जाना,
नहीं करो अभिमान, एक दिन पवन सा उड़ जाना,
(थोड़ा करो अभिमान इक दिन पवन से उड़ जाना)
(चु ण चु ण माटी महल बनाया, मूरख कहें घर मे रा)
नहीं घर मे रा नहीं घर ते रा, है जगत में भे रा,
ख़ाक़ में खप जाना रे बन्दा , माटी से मिल जाना,
नहीं करो अभिमान, एक दिन पवन सा उड़ जाना,

जाड़ा पहरो झीणा पहरों, पहरो मलमल साँचा,


रुपिया पावल मशरू पहरो, तोए मरण केरी आसा,
खाक में खप जाना रे बं दा, माटी से मिल जाना,
नहीं करो अभिमान, एक दिन पवन सा उड़ जाना,
(थोड़ा करो अभिमान इक दिन पवन से उड़ जाना)
(चु ण चु ण माटी महल बनाया, मूरख कहें घर मे रा)
नहीं घर मे रा नहीं घर ते रा, है जगत में भे रा,
ख़ाक़ में खप जाना रे बन्दा , माटी से मिल जाना,
नहीं करो अभिमान, एक दिन पवन सा उड़ जाना,

माता रोए छे जनमों जनम ने , बहनी रोए बारह मासा


घर केरी नारी ते र (ते रह दिन ) दिन रोवे , करे बया केरी आसा
खाक में खप जाना रे बं दा, माटी से मिल जाना
नहीं करो अभिमान, एक दिन पवन सा उड़ जाना,
(थोड़ा करो अभिमान इक दिन पवन से उड़ जाना)
(चु ण चु ण माटी महल बनाया, मूरख कहें घर मे रा)
नहीं घर मे रा नहीं घर ते रा, है जगत में भे रा,
ख़ाक़ में खप जाना रे बन्दा , माटी से मिल जाना,
नहीं करो अभिमान, एक दिन पवन सा उड़ जाना,
एक दिन जिओ, दो दिन जिओ, जीवो बरस पचासां ,
कहे कबीर सु नो भई साधो, तोहे मरण की आसा
नहीं करो अभिमान, एक दिन पवन सा उड़ जाना,
(थोड़ा करो अभिमान इक दिन पवन से उड़ जाना)
(चु ण चु ण माटी महल बनाया, मूरख कहें घर मे रा)
नहीं घर मे रा नहीं घर ते रा, है जगत में भे रा,
ख़ाक़ में खप जाना रे बन्दा , माटी से मिल जाना,
नहीं करो अभिमान, एक दिन पवन सा उड़ जाना,

जाड़ा पहरो झीणा पहरों, पहरो मलमल साचा,


रुपिया पावल मशरू पहरो, तोए मरण केरी आसा,
खाक में खप जाना रे बंदा, माटी से मिल जाना,

सोना पहरो रूपा पहरो, पहरो हीरला साचा,


वार वार मोतीड़ा पहरो, तोए मरण केरी आसा
खाक में खप जाना रे बंदा, माटी से मिल जाना

माता रोए छे जनमों जनम ने , बहनी रोए बारह मासा


घर केरी नारी तेर दिन रोवे , करे बया केरी आसा
खाक में खप जाना रे बंदा, माटी से मिल जाना

एक दिन जीयो, दो दिन जीयो, जीयो वरस पचासा


कहत कबीरा सुनो मेरे साधो, तोए मरण केरी आसा
खाक में खप जाना रे बंदा, माटी से मिल जाना

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