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ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ
पितृ िक्ष तिपण पिध ॐ
ॐ ॐ
सर्वप्रथम अपने पास शुद्ध जल, बैठने का आसन (कु शा का हो), बड़ी
थाली या ताम्रण (ताम्बे की प्लेट), कच्चा दूध, गुलाब के फूल, फूल-
ॐ
माला, कु शा, सुपारी, जौ, काली ततल, जनेऊ आतद पास में रखे। ॐ
IN
आसन पर बैठकर तीन बार आचमन करें।
ॐ ॐ
F.
ॐ के शर्ाय नम:,
D
ॐ
ॐ माधर्ाय नम:, ॐ
AP
ॐ ॐ
ST
ॐ
पतर्त्री (अंगूठी बनाकर) अनातमका अंगुली में पहन कर हाथ में जल, ॐ
सुपारी, छसक्का, फूल लेकर तनम्न सं कल्प लें।
ॐ ॐ
अपना नाम एर्ं गोत्र उच्चारण करें तफर बोले
ॐ अथ् श्रुततस्मृततपुराणोक्तफलप्राप्त्यथव ॐ
देर्तषवमनुष्यतपतृतपवणम कररष्ये।।
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
तफर थाली या ताम्र पात्र में जल, कच्चा दूध, गुलाब की पं खुड़ी डाले,
ॐ तफर हाथ में चार्ल लेकर देर्ता एर्ं ऋतषयों का आह्वान करें। स्वयं ॐ
IN
ॐ तफर उत्तर मुख करके जनेऊ को कं ठी करके (माला जैसी) पहने एर्ं ॐ
F.
पालकी लगाकर बैठे एर्ं दोनों हथेछलयों के बीच से जल तगराकर तदव्य
D
ॐ ॐ
मनुष्य को तपवण दें , इसके बाद दछिण मुख बैठकर, जनेऊ को दातहने
AP
काली ततल िोड़े तफर काली ततल हाथ में लेकर अपने तपतरों का
IN
ॐ आह्वान करें। ॐ
ॐ ॐ
ॐ आगच्छन्तु में तपतर इमम ग्रहन्तु जलान्जछलम
ॐ ॐ
तफर तपतृ तीथव से अथावत् अंगूठे और तजवनी के मध्य भाग से तपवण दें।
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ अपने गोत्र का उच्चारण करें एर्ं तपता का नाम लेकर तीन बार ॐ
IN
अपने नाना के गोत्र का उच्चारण करें , नाना का नाम लेकर उनको
ॐ ॐ
तीन बार तपवण दें ।
F.
D
ॐ
अपने नाना के गोत्र का उच्चारण करें नाना के तपताजी (पर नाना) ॐ
AP
ॐ ॐ
अपने नाना के गोत्र का उच्चारण करें नानी का नाम लेकर तीन
ॐ बार तपवण दें । ॐ
ॐ
मामा, मौसी, तमत्र एर्ं गुरु को भी तपवण दें । ॐ
तर्शेष - छजनके नाम याद नहीं हो, तो रूद्र, तर्ष्णु एर्ं ब्रह्मा जी का ॐ
ॐ
नाम उच्चारण कर लें। भगर्ान सूयव को जल चढाए। तफर कं डे पर गुड़-
IN
ॐ ॐ
घी की धूप दें, धूप के बाद पांच भोग तनकालें जो पं चबली कहलाती
है।
F.
D
ॐ ॐ
AP
तर्ष्णर्े नम: बोलकर यह कमव भगर्ान तर्ष्णु जी के चरणों में िोड़ दें ।
ॐ ॐ
इस कमव से आपके तपतृ बहुत प्रसन्न होंगे एर्ं मनोरथ पूणव करेंगे।
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ यमतपवण- ॐ
ॐ ॐ
ऊँ यमाय नम :॥3॥ऊँ धमवराजाय नम :॥3॥
ॐ ॐ
ऊँ मृत्युर्े नमः ॥3॥ ऊँ अन्तकाय नम :॥3॥
IN
ॐ ऊँ र्ैर्स्वताय नम :॥3॥ ऊँ कालाय नमः ॥3॥ ॐ
F.
D
ऊँ सर्वभूतियाय नम :॥3॥ ऊँ औदुम्बराय नम :॥3॥
ॐ ॐ
AP
ॐ ॐ
ऊँ छचत्रााय नम :॥3॥ ऊँ छचत्रागुप्ताय नम :॥3॥
ॐ ॐ
दछिण की ओर बैठकर आचमन कर बायाँ घुटना मोड़ जनेऊ तथा
उत्तरीय को दातहने कं धे पर कर तपतृतीथव तजवनी के मूल तथा कु शा के
ॐ अग्र भाग और मूल से ततल सतहत प्रत्येक नाम से दछिण में तीन-तीन ॐ
अंजछल देर्ें। पतर्त्री दातहने तथा तीन को बायें हाथ की अनातमका में
धारण करें।
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
मनुष्य तपतृ तपवण
ॐ ॐ
आर्ाहन (तीथों में नहीं करे)
ॐ ॐ
ऊँ उशन्तस्त्वा तनधीमह्युशन्तः सतमधीमतह।
IN
ॐ
अस्मस्मन्यज्ञे स्वधया मदन्तोऽछधब्रुर्न्तु तेऽर्न्त्वस्मान् । ॐ
F.
तदन्तर अपने तपतृगणों का नाम-गोत्र आतद उच्चारण करते हुए प्रत्येक
D
ॐ के छलए पूर्ोक्त तर्छध से तीन-तीन अञ्जछल ततलसतहत जल दे। यथा- ॐ
AP
ॐ
अमुकगोत्राः अस्मछिता (बाप) अमुकशमाव र्सुरूपस्तृप्यताम् इदं ॐ
ST
सततलं जलं (गङ् गा जलं र्ा) तस्मै स्वधा नमः ॥3॥ अमुकगोत्राः
अस्मछितामहः (दादा) अमुकशमाव रुद्ररूपस्तृप्यताम् इदं सततलं जलं
IN
IN
अस्मस्मन्यज्ञे स्वधया मदन्तोऽछधब्रुर्न्तु तेऽर्न्त्वस्मान्॥
ॐ ॐ
F.
ऊजं र्हन्तीरमृतं घृतं पयः कीलालं पररह्लतु म्।
D
ॐ स्वधास्थ तपवयत मे तपतघ्घ््। ॐ
AP
ॐ ॐ
ये चेह तपतरो ये च नेह यांश्च तर्द्म याँ 2 ॥
उ च न प्रतर्द्म त्वं र्ेत्थ यतत ते जातर्ेदः स्वधाछभयवज्ञँ सुकृतं जुषस्व॥ ॐ
ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ऊँमधुमान्नो र्नस्पततमवधुमाँ ऽ2अस्तु सूयवः । ॐ
मा्वमीगावर्ो भर्न्तु नः ॥
ॐ ॐ
ऊँ मधु। मधु। मधु। तृप्य्वमम्। तृप्य्वमम्। तृप्य्वमम्।
ऊँ नमो र्ः तपतरो रसाय नमो र्ः तपतरः शोषाय नमो र्ः तपतरो
ॐ ॐ
जीर्ाय नमो र्ः तपतरः स्वधायै नमो र्ः तपतरो घोराय नमो र्ः तपतरो
IN
मन्यर्े नमो र्ः तपतरः तपतरो नमो र्ो गृहान्नः तपतरो दत्त सतो र्ः
ॐ देष्मैतद्वः तपतरो र्ास आधत्त। ॐ
तद्वतीय गोत्रतपवण- F.
D
इसके बाद तद्वतीय गोत्र मातामह आतद का तपवण करे, यहाँ भी पहले
ॐ ॐ
AP
अमुकगोत्राः अस्मन्मातामहः (नाना) अमुकशमाव र्सुरूपस्तृप्यताम् इदं सततलं जलं (गङ् गाजलं
र्ा) तस्मै स्वधा नमः ॥3॥
IN
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
पत्न्यातद तपवण
ॐ अमुकगोत्रा अस्मित्नी (भायाव) अमुकी देर्ी र्सुरूपा तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्यै स्वधा ॐ
नमः ॥1॥
अमुकगोत्राः अस्मत्सुतः (बेटा) अमुकशमाव र्सुरूपस्तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्मै स्वधा
ॐ नमः ॥3॥ ॐ
अमुकगोत्रा अस्मत्कन्या (बेटी) अमुकी देर्ी र्सुरूपा तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्यै स्वधा
नमः ॥1॥
ॐ
अमुकगोत्राः अस्मछितृव्यः (तपता के भाई) अमुकशमाव र्सुरूपस्तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्मै ॐ
स्वधा नमः ॥3॥
अमुकगोत्राः अस्मन्मातुलः (मामा) अमुकशमाव र्सुरूपस्तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्मै स्वधा
IN
नमः ॥3॥
ॐ ॐ
अमुकगोत्राः अस्मद्भ्राता (अपना भाई) अमुकशमाव र्सुरूपस्तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्मै
F.
स्वधा नमः ॥3॥
D
अमुकगोत्राः अस्मत्सापत्नभ्राता (सौतेला भाई) अमुकशमाव र्सुरूपस्तृप्यताम् इदं सततलं जलं
ॐ तस्मै स्वधा नमः ॥3॥ ॐ
AP
अमुकगोत्रा अस्मछितृभतगनी (बूआ) अमुकी देर्ी र्सुरूपा तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्यै
स्वधा नमः ॥ अमुकगोत्रा अस्मन्मातृभतगनी (मौसी) अमुकी देर्ी र्सुरूपा तृप्यताम् इदं सततलं
ॐ जलं तस्मै स्वधानमः ॥ 1॥ ॐ
ST
अमुकगोत्रा अस्मदात्मभतगनी (अपनी बतहन) अमुकी देर्ी र्सुरूपा तृप्यताम् इदं सततलं जलं
तस्मै स्वधा नमः ॥1॥
IN
अमुकगोत्रा अस्मत्सापत्नभतगनी (सौतेली बतहन) अमुकी देर्ी र्सुरूपा तृप्यताम् इदं सततलं
ॐ ॐ
जलं तस्यै स्वधा नमः ॥1॥
अमुकगोत्राः अस्मच्छ् र्शुरः (श्वसुर) अमुकशमाव र्सुरूपस्तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्मै स्वधा
नमः ॥3॥
ॐ अमुकगोत्राः अस्मद्गुरुः अमुकशमाव र्सुरूपस्तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्मै स्वधा नमः ॥3॥ ॐ
अमुकगोत्रा अस्मदाचायवपत्नी अमुकी देर्ी र्सुरूपा तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्मै स्वधा
नमः ॥2॥
ॐ अमुकगोत्राः अस्मस्मच्छष्यः अमुकशमाव र्सुरूपस्तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्मै स्वधा नमः ॥3॥ ॐ
अमुकगोत्राः अस्मत्सखा अमुकशमाव र्सुरूपस्तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्मै स्वधा नमः ॥3॥
अमुकगोत्राः अस्मदाप्तपुरुषः अमुकशमाव र्सुरूपस्तृप्यताम् इदं सततलं जलं तस्मै स्वधा
ॐ नमः ॥3॥ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ इसके बाद सव्य होकर पूर्ावछभमुख हो नीचे छलखे श्लोकों को पढते ॐ
हुए जल तगरार्े ।
ॐ ॐ
देर्ासुरास्तथा यज्ञा नागा ग्धधर्वरािसाः ।
IN
तृतप्तमेते प्रयान्त्वाशु मद्दत्तेनाम्बुनाछखलाः ॥
ॐ ॐ
नरके षु
F.
समस्तेषु यातनासु च ये स्मस्थताः ।
D
ॐ तेषामाप्यायनायैतद् दीयते सछललं मया ॥ ॐ
AP
ऊँ आब्रह्मस्तम्बपयवन्तं देर्तषवतपतृमानर्ाः ।
ॐ ॐ
तृप्यन्तु तपतरः सर्देव मातृमातामहादयः ॥
ॐ अतीतकु लकोटीनां सप्तद्वीपतनर्ाछसनाम् । ॐ
आब्रह्मभुर्नाल्लोकातददमस्तु ततलोदकम् ॥
ॐ ॐ
येऽबा्धधर्ा बा्धधर्ा र्ा येऽन्यजन्मतन बा्धधर्ाः ।
ते सर्देव तृतप्तमायान्तु मया दत्तेन र्ाररणा ॥
ॐ ॐ
तर्ष्णुपुराणम्/तृतीयांशः /अध्यायः 11
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
र्स्त्र तनष्पीडन
ॐ ॐ
तिश्चात् र्स्त्र को चार आर्ृतत्त लपेटकर जल में डु बार्े और बाहर ले
आकर तनम्नातङ् कत मन्त्र को पढते हुए अपसव्य-भार् से अपने बायें
ॐ भाग में भूतम पर उस र्स्त्र को तनचोड़े। (पतर्त्राक को तपवण तकये हुए ॐ
जल में िोड़ दे। यतद घर में तकसी मृत पुरुष का र्ातषवक श्राद्ध आतद
कमव हो तो र्स्त्रा-तनष्पीडन को नहीं करना चातहये।) र्स्त्र-तनष्पीडन
ॐ ॐ
का मन्त्र यह है ।
IN
ॐ ये चास्माकं कु ले जाता अपुत्राा गोतत्राणो मृताः । ॐ
F.
ते गृह्णन्तु मया दत्तं र्स्त्रातनष्पीडनोदकम्॥
D
ॐ ॐ
AP
ॐ ॐ
ST
IN
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
भीष्म तपवण
ॐ ॐ
इसके बाद दछिणाछभमुख हो तपतृतपवण के समान ही जनेऊ अपसव्य
करके हाथ में कु श धारण तकये हुए ही बालब्रह्मचारी भक्तप्रर्र भीष्म
ॐ के छलए तपतृतीथव से ततलतमछश्रत जल के द्वारा तपवण करें। उनके तपवण ॐ
का मन्त्र तनम्नातङ् कत है -
ॐ ॐ
र्ैयाघ्रपदगोत्राय साङ् कृ ततप्रर्राय च।
गङ् गापुत्राय भीष्माय प्रदास्येऽहं ततलोदकम्।
IN
ॐ अपुत्राय ददाम्येतत्सछललं भीष्मर्मवणे॥ ॐ
F.
D
ॐ ॐ
AP
ॐ ॐ
ST
IN
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
अर्घ्वदान-
ॐ ॐ
तफर शुद्ध जल से आचमन करके प्राणायाम करे। तदनन्तर यज्ञोपर्ीत
बायें कं धे पर करके एक पात्र में शुद्ध जल भरकर उसके मध्यभाग में
ॐ अनातमका से षड् दल कमल बनार्े और उसमें श्वेत चन्दन, अित, ॐ
पुष्प तथा तुलसीदल िोड़ दे। तफर दूसरे पात्र में चन्दन से षड् दल-
कमल बनाकर उसमें पूर्ावतद तदशा के क्रम से ब्रह्मातद देर्ताओं का
ॐ ॐ
आर्ाहन-पूजन करे तथा पहले पात्र के जल से उन पूछजत देर्ताओं के
छलये अर्घ्व अपवण करे। अर्घ्वदान के मन्त्र तनम्नातङ् कत हैं –
IN
ॐ ॐ
F.
ऊँ ब्रह्म जज्ञानं प्रथमं पुरस्तातद्व सीमतः सुरुचो ब्वेनऽआर्ः ।
स बुध्न्या ऽउपमा ऽअस्य स्मव्विाः सतश्च योतनमसतश्च स्मव्वर्ः ॥
D
ॐ ऊँ ब्रह्मणे नमः । ब्रह्माणं पूजयातम॥ ॐ
AP
बाहुभ्यामुत ते नमः ॥
ॐ ॐ
ऊँ रुद्राय नमः । रुद्र्रं पूजयातम॥
ऊँ तत्सतर्तुर्वरेण्यं भगो दे र्स्य धीमतह।
ॐ छधयो यो नः प्रचोदयात्॥ ॐ
ऊँ सतर्त्रो नमः । सतर्तारं पूजयातम॥
ऊँ तमत्रास्य चषवणीधृतोऽर्ो दे र्स्य सानछस।
ॐ द्युम्नं छचत्राश्रर्स्तमम्॥ ॐ
ऊँ तमत्रााय नमः । तमत्रं पूजयातम॥
ऊँ इमं मे व्वरुण श्रुधी हर्मद्या च मृडय।
ॐ त्वामर्स्युराचके ॥ ॐ
ऊँ र्रुणाय नमः । र्रुणं पूजयातम॥
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ सूयोपस्थान- ॐ
IN
ॐ ॐ
इसके पश्चात् तदग्दे र्ताओं को पूर्ावतद क्रम से नमस्कार करे -
F.
D
ऊँ इन्द्राय नमः ' प्राच्यै॥ 'ऊँ अिये नमः ' आिेय्यैै॥ ॐ
ॐ
AP
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
मुखमाजवन-
ॐ ॐ
तफर नीचे छलखे मन्त्र को पढकर जल से मुं ह धो डालें-
ॐ ॐ
ऊँ सं र्चवसा पयसा सन्तनूछभरगन्मतह मनसा सँ छशर्ेन।
IN
तर्सजवन-नीचे छलखे मन्त्र पढकर देर्ताओं का तर्सजवन करें- ॐ
ॐ
F.
ऊँ देर्ा गातुतर्दो गातुं तर्त्त्वा गातुतमत।
D
ॐ मनसस्पत ऽइमं देर् यज्ञँ स्वाहा व्वाते धाः ॥ ॐ
AP
समतपवत करें-
IN
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
IN
ॐ ॐ
F.
D
ॐ ॐ
AP
ॐ ॐ
ST
IN
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ
ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ