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PHYSICS

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भौकतकी शास्त्र
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SECTION ‘B’ (SUBJECTIVE QUESTIONS )


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प्रश्न संख्या 1 से 20 लघु ईत्तरीय हैं । ककन्हीं 10 प्रश्नों के ईत्तर दें ।


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(1.) किद्युत क्षेत्र की तीव्रता और किद्युत किभि के बीच संबन्ध स्थाकित करें।
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ANS- किधुत क्षेत्र की तीव्रता और किभि के बीच संबंध , E = −dv/dr


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जहााँ E = किधुत क्षेत्र की तीव्रता ,dv/dr= दूरी के साथ किभि िररिततन की दर आसे

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किभि प्रिणता भी कहते हैं | ऄत: किधुत क्षेत्र में ककसी कबंदु िर दी हुइ कदशा में किधुत
क्षेत्र की तीव्रता आस कबंदु िर ईस कदशा में ऊणात्मक किभि प्रिणता के बराबर होती है |
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(2) प्रत्यािती धारा िररिथ में प्रकतघात एिं प्रकतबाधा क्या है ?


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ANS- प्रत्यािती धारा िररिथ में के िल प्रेरक कुण्डली ऄथिा के िल संधाररत्र के
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द्वार प्रत्यािती धारा के मागत में ईत्िन्न ऄिरोध को प्रकतघात कहते है। प्रकतबाधा-
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प्रत्यािती िररिथ में ओमीय प्रकतरोध, प्रेरक कुण्डली और संधाररत्र में से दो या दो से


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ऄकधक ऄियिों के द्वारा डाले गये ऄिरोध को प्रकतबाधा कहते है।


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(3) शंट क्या है आसके दो ईियोग कलखें।


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ANS- शन्ट,किद्युत िररिथ मे लगायी जाने िाली एक युकि है कजसके मुख्यतः दो


ईियोग हैं- (१) िररिथ की ककसी शाखा से होकर जाने िाली धारा को दूसरे मागत से
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भेजना, (२) िररिथ की ककसी शाखा में बहने िाली धारा का मािन करना।
(4.) प्राथकमक और कद्वतीयक आद्रं धनुष में ऄंतर स्िष्ट करें।
ANS- प्राथकमक आद्रं धनुष: i यह एक अंतररक िरािततन से गुजरता है। ii यह दूसरे
आद्रं धनुष से भी ऄकधक चमकीला है। iii रंग का क्रम बनाए रखा जाता है। कद्वतीयक
आद्रं धनुष: i आसमें दो अंतररक िरािततन होते हैं। ii यह प्राथकमक आद्रं धनुष की तुलना में
फीका है iii रंग का क्रम ईलटा है।
(5) अिृकत्त मॉडुलन को समझायें ।

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ANS- अिृकत्त मॉडुलन,मॉडुलन का एक प्रकार है जहााँ मॉड्यूलेकटंग सक ं े त के अयाम

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ऄनुसार के िाहक की तात्क्षकणक अिकृ त्त बदली जाती है और आस िाहक का अयाम
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ऄिररिती बना रहता है। आसका ईियोग ऄनेक स्थानों िर होता है जैसे- दूरसंचार, रेकडयो

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प्रसारण, सक ं े त प्रसंस्करण, तथा सगं णन (कम्युकटंग) में।
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(6) किद्युत ऄनुनाद को समझायें ।

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ANS- जब िररिथ तत्िों में किद्युत के ऄिरोध और प्रिेश एक-दूसरे को आस प्रकार रद्द

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करते हैं कक धारा ऄकधकतम हो जाती है, तो किद्युत ऄनुनाद होता है। किद्युत ऄनुनाद एक
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किकशष्ट गुंजयमान अिृकत्त िर किद्युत िररिथ में होता है।


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(8) अिेश के अयतन घनत्ि की िररभाषा दें। आसके S. I मात्रक को कलखें।।


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ANS- अयतन घनत्ि : यह प्रकत एकांक अयतन में अिेश का िररमाण है। आसे सक ं ेत
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ρ से व्यि ककया जाता है, जहााँ ρ = ∆Q/∆V.अिेश के अयतन घनत्ि का S.I

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मात्रक Cm-3 होता है।


(9) िरमाणु के बोर मॉडल की दो ककमयों का ईल्लेख करें।
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ANS- बोर के िरमाणु-मॉडल के दो ककम :


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(i) ऄकधक किभेदन क्षमता िाले स्िेक्रोस्कोि से हाआड्रोजन की स्िेक्रमी रेखाओ का
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कनरीक्षण करने िर ज्ञात हुअ कक आनमे एक से ऄकधक धुंधली सक्ष्ू म रखाये रहती है |
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स्िेक्रमी रेखाओ की आस सूक्ष्म संरचना को व्याख्या बोर के िरमाणु मॉडल के अधार


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िर नहीं की जा सकती है |
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(ii) ककसी तत्ि की किकभन्न स्िेक्रमी रेखाओ की तीव्रता में ऄंतर का कारण आस
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कसद्ांत द्वारा नहीं समझाया जा सकता है |


(10) सौर सेल को समझाएाँ ।
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ANS- सौर सेल एक ऐसी युकि है जो सौर उजात को किद्युत् उजात में िररिकततत करती है।
(12) प्रकाश के ध्रुिण से अि क्या समझते हैं ?
ANS- प्रकाश तरंग व्दारा तरंग संचरण की कदशा के चारों ओर समकमकत की कमी को
प्रदकशतत करना प्रकाश का ध्रुिण कहलाता हैं ।
प्रश्न सख्
ं या 21 से 26 दीघत ईत्तरीय प्रश्न हैं । ककन्हीं 3 प्रश्नों के ईत्तर दें ।
(22) िणत-किक्षेिण क्षमता क्या है ? दो ितले कप्रज्म द्वारा िणत-किक्षेिण रकहत किचलन प्राप्त करने के
कलए अिश्यक शतत को कनकालें।
Ans- जब श्वेत प्रकाश को कप्रज्म में से गुजारा जाता है तो िह सात रंगों में किभि हो जाता है। आस

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घटना को िणत किक्षेिण कहते है तथा प्राप्त रंगों के समहु को िणत क्रम कहते है।

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Q.23 सयं ुि सक्ष्ू मदशी की अिधतन क्षमता के कलए व्यंजक प्राप्त करें।
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इसमें प्रतिबबिंब की आवर्धन क्रिया दो बार सिंपाददि होिी है - पहऱी बार अभिदृश्यक द्वारा और दस
ू री
बार नेबिका द्वारा जो एक सरऱ सक्ष्
ू मदर्शी जैसा कायध करिा है । अिः सरऱ सक्ष्
ू मदर्शी की अपेऺा है
इस यिंि से बहुि अधर्क आवर्धन प्राप्ि होिा है । सामान्यिः सूक्ष्मदर्शी द्वारा अिंतिम प्रतिबबिंब A’‘B” नेि
के तनकट बबिंद,ु अर्ाधि स्पष्ट दृष्ष्ट की न्यूनिम दरू ी D पर बनिा है । अिः यिंि की आवर्धन ऺमिा M =
vₒ / uₒ (1 + D / fₑ) जब अिंतिम प्रतिबबिंब अनिंि पर बनिा हो िब आवर्धन ऺमिा M = vₒ / uₒ x D / fₑ
यदद वस्िु अभिदृश्य की कोकस दरू ी के तनकट हो िर्ा नेबिका की कोकस दरू ी (fₒ), vₒ की अपेऺा बहुि
छोटी हो, अर्ाधि fₑ << vₒ िो सक्ष्
ू मदर्शी की नऱी की ऱिंबाई OE = L को ऱगिग vₒ के बराबर माना जा
सकिा है और िब यिंि की आवर्धन M = L / fₒ (1 + D / fₑ) उपर्क्
यु त समीकरण से स्पष्ट है कक र्ंत्र की
नली की लंबाई बढ़ने पर उसकी आवर्ुन ऺमता सीर्े रूप से बढ़ती है ।

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(25.) एक रांकजस्टर की दोकलत्र के रूि में कक्रया का सकचत्र िणतन करें।

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