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1
WORDSGENIX PUBLICATION
HOUSE PRESENTS
WORDSGENIX2020@GMAIL.COM
@WORDSGENIX_PUBLICATION
+91 6372293090
2
WORDSGENIX PUBLICATION
ISBN: 978-93-5605-691-6
Fiction: 1st edition
Typesetting by: Alka Mishra Atulya
Printing: Booksclub.in
Cover design: Rubleena Behera
Price: 349 INR
3
DISCLAIMER
All the write-ups in this book are unique, and they belong solely
to the co-authors.
In case of any detection of plagiarism, neither the publishing
house, nor the compiler is to be held responsible.
4
FOUNDER OF WORDSGENIX PUBLICATION
RUBLEENA BEHERA
5
PROJECT HEAD
Sruti Sarkar
6
मेहनत
7
COMPILER
8
बेटी तुम सयानी न होना
9
बेर्ी तुम सयानी तभी होना,
िब तेरी माँ इस थधक्कार से उबर िाए,
एक माँ की आिीष है बेर्ी,
खूब पढ़ो खब
ू बढ़ो,
खूब लडो अपने हक के ललए,
माँ की आँचल से बाहर ननकल तुम स्वयं अपनी कीनतटमान गढ़ो,
माँ को सबला बना कर बढ़ना बेर्ी।।
~ अलका लमश्रा अतल्
ु या
10
Index
1. ”पागल फ़क़ीरा”
2. रोशन बैठा
3. प्रवीण ममश्रा
4. रं गेश चन्द्रशेखर
5. पंकि मसंह ”दिनकर” (अककवंशी)
6. डॉ अचकना द्वववेिी
7. डॉ िक्षा िोशी( गि
ु रात)
8. महे श्वरी कनेरी
9. प्रयाग धमाकनी
10. अक्षय राि शमाक, मिवानी, हररयाणा
11. डॉ पल्लवी मसंह ‘अनम
ु ेहा’ बैतल
ू मप्र
12. डॉ श्रीमती रािकुमारी वी अग्रवाल
13. सुनीता ममश्रा ’मीत’
14. सररता श्रीवास्तव ’श्री’
15. प्रीतत िारती
16. अतनता चंरकार
17. रागगनी मौयक
18. लोकनाथ ताण्डेय ”मधुर”
11
19. मशवानी पचौरी
20. मासि
ु ा सामीहा
21. गुंिा अग्रवाल
22. नंदिता एकांक़ी
23. क्रिष्ना मालिे खूंटी (पोरबंिर -गुिरात)
24. वसध
ु ा(गचत्रा)
25. नवनीत कुमार ममश्र
26. मीनू रािेश शमाक
27. िे वजित कमलता
28. अपणाक गौरी शमाक
29. खूंटी िागतृ त मेंरू
30. अनुराग शुक्ल
31. लक्ष्मी मसंह
32. मीता लतु नवाल “मीत”
33. श्लोक ततवारी
34. हनी कटाररया
35. वपयूष परते ”कबीर”
36. आजाि
37. क्रकरन झा (ममश्री)
12
38. वीरें र िैन
39. अंिू छाररया “असीम”
40. सुंडाविरा तनशा खखमा
13
पागल फ़क़ीरा
”पागल फ़कीरा”
संस्थापक
नई कलम नया कलाम
भावनगर, गुिरात
मो :- 9879970039 / 9426246454
14
तकिीर
15
रोशन बैठा
16
कर मेहनत ऐसी क़ी दहमालय को झक
ु ा िाना
18
प्रवीण ममश्रा
19
िन्द्मिूमम
हे िननी, हे िन्मभलू म
मैं करता ननत तम्
ु हें प्रणाम
है बस एक ही अरमान
मैं करता रहूं तेरा ननत वैभव गान
हे िननी हे िन्मभूलम
मैं करता ननत तम्
ु हें प्रणाम
हे िननी हे िन्मभूलम
मैं करता ननत तम्
ु हें प्रणाम
है बस एक ही अरमान
मैं करता रहूं तेरा ननत वैभव गान।।
~ प्रवीण लमश्रा
21
रं गेश चन्द्रशेखर
22
कडी मेहनत किी असफल नहीं होती
हमारे ककसान हमारा गौरव हैं और मैं उनके धैयट को सलाम करता
हूं,
चोर् लगना या मार खाना उनकी खेती के गुणों के सामने कुछ
भी नहीं है,
उवटरकों के साथ वे हमें स्वस्थ रहने के तरीके सुधारते हैं,
एक राष्र तब ववकलसत होगा िब िे खभाल करने वाला अमीर
होगा।
~ रं गेि चन्द्रिेखर
24
पंकि मसंह “दिनकर”
25
िीप िला ववश्वास का
26
डॉ. अचकना द्वववेिी
27
मुझे अपराजिता बनना है
बाकी तो सब सपना है
िीवन में सुख िखु आना है...
28
उसी में िीवन बबताना है
िनु नया को पीछे छोडना है...
29
डॉ .िक्षा िोशी
30
िीत
31
कोलिि कोलिि से ज्यािा करें ।हार के बाि ही िीत है ।
हार पर रोने के बिाए क्यों न िीतने के ललए कफ़र से कोलिि
की िाये?!
आप हारे या िीते उससे ज्यािा मायने यह रखता है कक
आपने खेल कैसा खेला,
आपने ककतनी कोलिि की।
~ डॉ िक्षा िोिी
32
महे श्वरी कनेरी
33
मशाल अब तो िलनी चादहए
बफट सी ठं डी हथेललयों में, सूरि का सा ताप चादहए,
कफर बँध िाए मुठ्दठयाँ सभी,
कुछ ऐसे िज्बात चादहए ।
34
प्रयाग धमाकनी
35
चल आ मैिान में..
36
तू अववरल िल की धारा बन,
िै िीप्यमान ध्रुव तारा बन..
ना आस ककसी की रख मन में,
तू अपना खुि ही सहारा बन..
बस लक्ष्य साध और बढ़ता िा,
भर्काव न तुझमें ककं थचत हो..
तेरे मागट की हर इक-इक व्याथध,
तेरी आत्मिजक्त से पररथचत हो..
~ प्रयाग धमाटनी
37
अक्षय राि शमाक
38
अपराजित
39
सच मानो तो मेहनतकि को,
मेहनत से िजक्त लमलती है।
भले खाई हों उसने ठोकरें ,
पुरुषाथट से धरती खखलती है।।
40
डॉ पल्लवी मसंह ‘अनुमह
े ा’
42
डॉ श्रीमती रािकुमारी वी अग्रवाल
43
आंखों में आकाश रखो
हर किम हो इमानिारी का
सच्चा सुख पाओगे
ना िौड लगा बेमानी की
44
ि:ु खी -ि:ु ख पाओगे
ऊंची मंजिल पा िाओगे
दहम्मत अपने पास रखो
अपने कमों पर ववश्वास रखो
आंखों में आकाि रखो।
45
सुनीता ममश्रा ‘मीत’
46
तो पााँव िमीं पर रखना
47
सररता श्रीवास्तव “श्री”
मेरा नाम सररता श्रीवास्तव “श्री” है। मैं 2021 से ललख रही हूँ।
मैं पेिे से लिक्षक्षका, लेखखका, िायर, कवनयत्री धौलपरु (रािस्थान)
की ननवासी हूँ। मझ
ु े कववता, िायरी, गिल, मक्
ु तक, िोहे , छं ि,
कहाननयाँ इत्यादि ललखना पसंि हैं। मुझे सादहजत्यक क्षेत्र में
अबतक कई सम्मान प्राप्त हो चक
ु े हैं। 200+ साझा संकलन एवं
सोलो बुक्स महकते उद्गार, िब्ि मंिरी एवं खश्ु बू-ए-चमन अब
तक प्रकालित हो चक
ु ी हैं।
48
िीत
50
प्रीतत िारती
मैं प्रीनत भारती बररयातू की रहने वाली हूं। वतटमान में कलकत्ता
पजब्लक स्कूल में संस्कृत लिक्षक्षका के रूप में कायटरत हूं। मझ
ु े
अपनी भावनाओं को िब्िों में वपरोना अच्छा लगता है।
51
िीवन एक संघषक
52
अतनता चन्द्राकर
53
मेहनत
54
रागगनी मौयक
55
संघषक
56
लोकनाथ ताण्डेय ‘’मधुर’’
57
मेहनत
58
मशवानी पचौरी
59
कडी मेहनत क़ी सफलता
60
िैसे-िैसे साल बीतते गए, कडी मेहनत के ललए ललयाम की
प्रनतष्ठा मुम्बई से परे फैल गई। उन्हें पास के िहर के एक
प्रनतजष्ठत पाक ववद्यालय में छात्रववृ त्त की पेिकि की गई थी,
एक ऐसा अवसर जिसे वह गँवा नहीं सकते थे। पाक कला
ववद्यालय में, ललयाम का दृढ़ संकल्प और कायट नीनत चमकती
रही। उन्होंने अपनी खाना पकाने की तकनीक को बेहतर बनाने,
नए स्वािों के साथ प्रयोग करने और प्रलसद्ध िेफ के अधीन
अध्ययन करने में अनथगनत घंर्े बबताए।
~ लिवानी पचौरी
62
मासुिा सामीहा
63
अपरािय
65
गुंिा अग्रवाल
66
मुसाक्रफर
67
नंदिता एकांक़ी
68
आंखें
69
क्रिष्ना मालिे खूंटी
मेरा नाम कक्ष्ना मालिे भाई हैं। मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती हूं। मैं
कोलीखडा में रहती हूं। मेरे जिले का नाम पोरबंिर है। मुझे
कववताएं ललखना पसंि है। इस अपरािीता पस्
ु तक में मुझे आिा
है। कक मेरी कववता इस पस्
ु तक में छपेगी।
70
िीत पाकर िस्न मनाओ
चाहे ककतना भी झक
ु ना पडे आि
मंजिल पाए बगैर नहीं आएंगे बाि।
71
हार पाके अजस्तत्व ना भूले।
कभी िीत पाके अपनी औकात न भूले।
72
वसुधा (गचत्रा)
मेरा नाम वसुधा (थचत्रा) है। मैं आगरा उत्तर प्रिे ि से हूं। िैक्षक्षक
दृजष्र् से मेरा अनुभव M.A in sociology nd Education nd
b.ed का है। मुझे लेखन में कोई वविेष रूथच नहीं थी परं तु िब
सारा िे ि महामारी से लड रहा था और घर में कैि था। तब मेरी
कलम ने मेरा सहारा दिया और मैंने अपना पहला लेखन Yq
पर ललखा । िहा मुझे बहुत सहारना लमली बस वही से मुझे मे
ललखने उमंग िाग्रत हुयी। और वही मेरी मुलाकात “अलका लमश्रा
िी” से हुई। जिन्होंने मुझे ललखने का हौसला दिया। उनके हौसले
से आि मेरी कलम हर ववषय पर ललखना िुरु कर िे ती है।
73
अब िीत क़ी तैयारी है
खि
ु से मैं अब िीत चक
ु ा,
मंजज़ल, अब तेरी बारी है,
ककस्मत को धल
ू चर्ा िी है,
अब िीत की तैयारी है।
अब िीत की तैयारी है।।
~ वसुधा (थचत्रा)
75
नवनीत कुमार ममश्र
76
िागो हर एक िे शवासी
िागो हर एक िे िवासी,
तम
ु ही िो बना सकता हैं,
अपने िे ि को स्वगट,
िागो मेरे संगी साथी,
िागो हर एक िे िवासी।।
78
मीनू रािेश शमाक
79
िीत
80
खुि से जितने की जिद्ि ही तुम्हें भीड में आगे ले िायेगा।
तुम्हारा आत्मववश्वास ही तुम्हे िीत दिलाएगा।
िो बार बार थगर कर सम्हलता हैं वही तो इनतहास रचता है।
असफलता एक चन
ु ौती है इसे स्वीकार करो।
क्या कमी रह गई ये सोचो और सुधार करो,
िब तक ना सफल हो नींि चैन को त्यागो तुम संघषट का मैिान
छोडकर मत भागों तुम।
कुछ ककए बबना ही िय िय कार नहीं होती हैं।
कोलिि करने वालों की कभी हार नही होती हैं।
लसंधु में गोताखोर बार बार डुबकी लगता है पर हर बार मोती
नही लमलता।
लक्ष्य को बांधो तम
ु कफर तीर चलाओ सफलता तम्
ु हें िरूर
लमलेगी।
ववधाता की अिालत में वकालत बडी प्यारी है।
खामोि रदहए कमट कीजिए वहा सबका मक
ु िमा िारी है।
हमे हमारी मंजिल िरूर लमलेगी।
क्योंकक हमारी कोलिि िारी है।
~ मीनू रािेि िमाट
81
िे वजित कमलता
मेरा नाम िेवजित कललता हैं। मैं असम से हूँ। काफी संकलन में
मेंने अपना योगिान प्रिान ककया हैं । अब मैं प्राथलमक लिक्षा में
डडप्लोमा कर रहा हूँ।
82
तु हारा नहीं
83
अपणाक गौरी शमाक
84
अपराजिता कहलाओ तुम
85
रावण को सीता नहीं सौंप िी राम ने भी बाण चलाया था!
कहां ककतना झक
ु ना िबना है ये सबको समझाओ तम
ु
सिा मौन और िांनत कायरता, अन्याय बढ़ाती है
अब तो रणचंडी बन िाओ तुम!!
तम
ु हो ननडर , सबल ,सस
ु स्
ं कृत!
बनो सफल , कामयाब
अपराजिता कहलाओ तम
ु !
~ अपणाट गौरी
86
खूंटी िागतृ त मेंरु
मेरा नाम िागनृ त मेरुभाई हैं। मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती हूं। मैं
बखरला में रहती हूं। मेरे जिले का नाम पोरबंिर है। मुझे कववताएं
ललखना पसंि है। इस अपरािीता पस् ु तक में मुझे आिा है। कक
मेरी कववता इस पुस्तक में छपेगी।
87
सफलता
बहुत हो गया अब तो
कोई राह बनानी होगी
इस िग को तझ
ु े भी अपनी
आवाि सुनानी होगी
बस तोड िे अब तु सारी
मिबूरी की िंिीरे
मेहनत से ही है ननकले
धरती से चमकते हीरे
मेहनत करो आि तुम
कल मीठा फल लमलेगा
ि:ु ख होंगे िरूर आि
पर कल खुलियां भी होंगी।
गरीब हो आि तुम
कल अमीर बन िाओगे
आि अगर मेहनत कर
समय के साथ किम बढ़ाओ।
िो करना है तुम्हें
अपने िम पर करना है
आगे बढ़ना चाहता है
तो कदठन पररश्रम करना सीख।
~ खूंर्ी िागनृ त मेंरु
88
अनुराग शुक्ल
89
यात्रा क़ी मंजिल : मेहनत और िीत
90
लक्ष्मी मसंह
इनका नाम लक्ष्मी लसंह है। ये िौनपुर उत्तर प्रिे ि की ननवासी हैं।
इन्हें ललखना अत्यंत पसंि है । सालों से ललख रही है।
91
मेरी उडान
िे खो ! इधर िरा
मैं उड रही हूं
उस गौरै या की तरह
िो हर रोि आिािी का िश्न मनाती है
हर रोि एक नई मस
ु ीबत से
िझ
ू ना पडता है क्यंू
92
क्या मुझमें मैं अनुराग नहीं
और अगर नहीं है तो मैं ललखती हूं क्यूं
93
मीता लतु नवाल “मीत”
94
मेहनत क़ी िीत
95
श्लोक ततवारी
96
िीत : एक संघषक सफर
97
हनी कटाररया
इनका नाम हनी कर्ाररया है। ये 5 वषों से ललख रहे हैं। ये पेिे
से व्यापारी हैं। ये मोगा िहर (पंिाब) के ननवासी हैं। ये पंिाब
यूननवलसटर्ी से ग्रेिुएर्े ड हैं। इनको भिन, गीत व िायरी ललखना
पसंि हैं। इनकी स्वयं की एक पुस्तक ‘सफर मेरी कलम का’ नाम
से प्रकालित हो चक
ु ी हैं। इसके अलावा इनकी 3 िायररयां और 2
कववताएं भी तक प्रकालित हो चुकी हैं।आप इन्हें इंस्र्ाग्राम पर
भी फॉलो कर सकते हैं , instagram I’d :-
@i_m_officialhoney
98
कुछ करके दिखाना है
99
ककसी की मिि करने के काबबल बन ,
लोग िें लमसालें तेरी
तू इस किर कामयाबी हालसल कर ,
वक्त नहीं है पास तेरे
हनी िाग िा सोई हुई नींि से ,
और चल उठ खडा हो
कुछ कर के दिखाना है ,
तू भी ककसी से कम नहीं
ये सब को बताना है ।
~ हनी कर्ाररया
100
वपयूष परते “कबीर”
101
अपराजिता
102
आजाि
103
कामयाबी
105
क्रकरन झा (ममश्री)
106
मेहनत
107
वीरे न्द्र िैन
108
मेहनत
109
अंिु छाररया ’असीम ’
110
सच्ची डगर
111
सुंडाविरा तनशा खीमािाई
मेरा नाम ननिा खीमाभाई है। मैं । आठवीं कक्षा पढ़ती हूं। मेरा
गांव िे गाम है। मेरे िीले का नाम पोरबंिर है। मझ
ु े ककताबें पढ़ना*
पसंि है। मझ
ु े ककताबों में कहानी पढ़ना पसंि है।
112
मेहनत में िीत
तू लसफट मेहनत कर
तुझे फल में िं ग
ू ा।
तु आगे बढ़ता िा
तुझे िीत में िं ग
ू ा।
तू सत्य का साथ िें
तुझे वविय में दिलाऊंगा।
तू अदहंसा के मागट पर चल
उस रास्ते में आ रहे कंकर में िरू करूंगा।
तू लसफट कोलिि कर
उसमें तझ
ु े कामयाब मैं करूंगा।
तू मझ
ु पर भरोसा रख
मैं उसे कभी तर्
ू ने नहीं िं ग
ू ा।
~ संड
ु ाविरा ननिा खीमाभाई
113