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Some Good Thoughts for Students

 1. Be big enough to admit, encourage and admire the abilities people who are better
than you.
 2. It is the difference between each individual that makes us special.
 3. When time never waits you should ask why you are waiting for the right time. If
time never waits then there is no wrong time to begin doing right things.
 4. Politicians are the same anywhere; they promise to construct bridges even where
there is no river.
 5. Life gives us new lessons each day not for learning but to improve our
understanding.
 6. Take a break often and visit yourself every once in a while.
 7. Spend your whole life waiting for the storm and miss out on enjoying the sunshine.
 8. Fear can hold you prisoner and hope will set you free.
 9. Always keep in mind you are unique – just like everybody else.
 10. Only real friends will tell you when your face is dirty.
 11. You can turn your ordinary personality into a human magnet just through constant
thankfulness.
 12. Success is the sum of several small efforts repeated often day in and day out.
 13. Every bad situation has some good. Even a stopped clock shows the right time
twice a day.
 14. Absence of God = Absence of peace. Know God and Know peace.
 15. From birth we have to options; become the slave or master of our destiny.
 16. We can wear a smile even when hurting and feel happy even while unhappy. It is
called strength.
 17. Success comprises of 90% attitude and 10% talents.
 18. Live in Now. Make Now the most precious time because Now will never come
again.
 19. Many people are desperate owing to an illusion that they have none.
 20. Always ask yourself, If not me, then who. And if not now, then when.

जब तु म पै दा हुए थे तो तु म रोए थे जबकि पू री दु किया िे जश्न मिाया था| अपिा


जीवि ऐसे कजयो कि तु म्हारी मौत पर पू री दु किया रोए और तु म जश्न मिाओ

जब ति आप अपिी समस्याओं एं व िकििाइयों िी वजह दू सरों िो मािते है , तब


ति आप अपिी समस्याओं एं व िकििाइयों िो कमटा िही ं सिते |

भीड़ हमेशा उस रास्ते पर चलती है जो रास्ता आसाि लगता है , लेकिि इसिा मतलब
यह िही ं िी भीड़ हमेशा सही रास्ते पर चलती है | अपिे रास्ते खुद चुकिए क्ोंकि
आपिो आपसे बेहतर और िोई िही ं जािता|
इस दु किया में असंभव िुछ भी िही|ं हम वो सब िर सिते है , जो हम सोच सिते है
और हम वो सब सोच सिते है , जो आज ति हमिे िही ं सोचा|

बीच रास्ते से लौटिे िा िोई फायदा िही ं क्ोंकि लौटिे पर आपिो उतिी ही दू री
तय िरिी पड़े गी कजतिी दू री तय िरिे पर आप लक्ष्य ति पहुुँ च सिते है |

सफलता हमारा पररचय दु किया िो िरवाती है और असफलता हमें दु किया िा पररचय


िरवाती है |

महािता िभी ि कगरिे में िही ं बल्कि हर बार कगरिर उि जािे में है |

अगर आप समय पर अपिी गलकतयों िो स्वीिार िही ं िरते है तो आप एि और


गलती िर बैिते है | आप अपिी गलकतयों से तभी सीख सिते है जब आप अपिी
गलकतयों िो स्वीिार िरते है |

अगर आप उि बातों एं व पररल्कथथकतयों िी वजह से कचंकतत हो जाते है, जो आपिे


कियंत्रण में िही ं तो इसिा पररणाम समय िी बबाादी एं व भकवष्य पछतावा है|

ब्रह्माण्ड िी सारी शल्कियां पहले से हमारी हैं | वो हमी ं हैं जो अपिी आुँ खों पर हाुँथ
रख ले ते हैं और कफर रोते हैं कि कितिा अन्धिार है |

हम चाहें तो अपिे आत्मकवश्वास और मेहित िे बल पर अपिा भाग्य खुद कलख सिते


है और अगर हमिो अपिा भाग्य कलखिा िही ं आता तो पररल्कथथकतयां हमारा भाग्य
कलख दें गी|

आप यह िही ं िह सिते कि आपिे पास समय िही ं है क्ोंकि आपिो भी कदि में
उतिा ही समय (24 घंटे) कमलता है कजतिा समय महाि एं व सफल लोगों िो कमलता
है |

मुसीबतों से भागिा, ियी मुसीबतों िो किमंत्रण दे िे िे समाि है | जीवि में समय-समय


पर चुिौकतयों एं व मुसीबतों िा सामिा िरिा पड़ता है एं व यही जीवि िा सत्य
है | एि शांत समुन्द्र में िाकवि िभी भी िुशल िही ं बि पाता

वे राहें ही इं सान की असल मंजिल होती हैं !!


जिन राहों पर दु श्मनों की जनगाह होती है ,
वो राहें ही हमारे जलए सवोपरर होती हैं !
मुश्किलों के राह मे चलने के कारण,
वे राहें ही इं सान की असल मंजिल होती हैं !!

लोगों को कुछ पाने की तड़प होती है ,


पर उनकी ये ख्वाब पूरी नहीं होती है !
चूंजक उनके िीवन में आलस्य होती हैं ,
वे राहें ही इं सान की असल मंजिल होती हैं !!

बीते हुए समय कभी नहीं लौटते हैं ,


उन राहों में अपने भी खो िाते हैं !
फूलों और कां टों के ऊपर बनी,
वे राहें ही इं सान की असल मंजिल होती हैं !!

काजबजलयत से ही लोगों की पहचान होती है ,


कमों से ही सपने स्वीकार होती हैं !
उन सब कमों को आि का अभी करें क्ोंजक,
वे राहें ही इं सान की असल मंजिल होती हैं !! – आकदत्यराज

अकिपथ
वृक्ष हों भले खड़े ,
हों बड़े , हों घने,
एक पत्र छााँ ह भी
मां ग मत! मां ग मत! मां ग मत!
अजिपथ! अजिपथ! अजिपथ!
तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मु ड़ेगा कभी,
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
अजिपथ! अजिपथ! अजिपथ!
यह महान दृश्य है ,
दे ख रहा मनु ष्य है ,
अश्रु, स्वेद, रक्त से
लथ-पथ, लथ-पथ, लथ-पथ,
अजिपथ! अजिपथ! अजिपथ! —हररवंशराय बच्चन

चल तू अिेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला,
िब सबके मुंह पे पाश..
ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश,
हर कोई मुंह मोड़के बै ठे, हर कोई डर िाय!
तब भी तू जदल खोलके, अरे ! िोश में आकर,
मनका गाना गूंि तू अकेला!
िब हर कोई वापस िाय..
ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस िाय..
कानन-कूचकी बेला पर सब कोने में जछप िाय…

– रवीन्द्रनाथ ठाकुर

कसन्धु में ज्वार


आि जसन्धु में ज्वार उठा है , नगपजत जफर ललकार उठा है ,
कुरुक्षेत्र के कण-कण से जफर, पां ञ्चिन्य हुाँ कार उठा है ।
शत – शत आघातों को सहकर िीजवत जहन्दु स्थान हमारा,
िग के मस्तक पर रोली-सा, शोजभत जहन्दु स्थान हमारा।

दु जनया का इजतहास पूछता, रोम कहााँ , यूनान कहााँ है ?


घर-घर में शुभ अजि िलाता , वह उन्नत ईरान कहााँ है ?
दीप बुझे पजिमी गगन के , व्याप्त हुआ बबबर अाँजियारा ,
जकन्तु चीरकर तम की छाती , चमका जहन्दु स्थान हमारा।

हमने उर का स्नेह लुटाकर, पीजड़त ईरानी पाले हैं ,


जनि िीवन की ज्योत िला , मानवता के दीपक वाले हैं ।

िग को अमृत घट दे कर, हमने जवष का पान जकया था,


मानवता के जलए हषब से , अश्कस्थ-वज्र का दान जदया था।

िब पजिम ने वन-फल खाकर, छाल पहनकर लाि बचाई ,


तब भारत से साम-गान का स्वजगबक स्वर था जदया सुनाई।

अज्ञानी मानव को हमने , जदव्य ज्ञान का दान जदया था,


अम्बर के ललाट को चू मा, अतल जसन्धु को छान जलया था।

साक्षी है इजतहास प्रकृजत का,तब से अनुपम अजभनय होता है ,


पूरब में उगता है सूरि, पजिम के तम में लय होता हैं ।

जवश्व गगन पर अगजणत गौरव के, दीपक अब भी िलते हैं ,


कोजट-कोजट नयनों में स्वजणबम, युग के शत सपने पलते हैं ।

जकन्तु आि पुत्रों के शोजणत से, रं जित वसुिा की छाती,


टु कड़े -टु कड़े हुई जवभाजित, बजलदानी पुरखों की थाती।
तट से अपना सर टकराकर, झेलम की लहरें पुकारती,
यूनानी का रक्त जदखाकर, चन्द्रगुप्त को है गुहारती।

रो-रोकर पंिाब पूछता, जकसने है दोआब बनाया,


जकसने मंजदर-गु रुद्वारों को, अिमब का अंगार जदखाया?
खड़े दे हली पर हो, जकसने पौरुष को ललकारा,
जकसने पापी हाथ बढ़ाकर मााँ का मुकुट उतारा।

जहन्दू कहने में शमाब ते, दू ि लिाते, लाि न आती,


घोर पतन है , अपनी मााँ को, मााँ कहने में फटती छाती।
जिसने रक्त पीला कर पाला , क्षण-भर उसकी ओर जनहारो,
सुनी सुनी मां ग जनहारो, जबखरे -जबखरे केश जनहारो।
िब तक दु :शासन है , वेणी कैसे बंि पायेगी,
कोजट-कोजट संतजत है , मााँ की लाि न लुट पायेगी। – अटल जबहारी वािपेयी

पुष्प िी अकभलाषा
चाह नहीं मैं सुरबाला के,
गहनों में गूाँ था िाऊाँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में ,
जबंि प्यारी को ललचाऊाँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव,
पर, हे हरर, डाला िाऊाँ
चाह नहीं, दे वों के जशर पर,
चढ़ूाँ भाग्य पर इठलाऊाँ!
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर दे ना तुम फेंक,
मातृभूजम पर शीश चढ़ाने
जिस पथ िाएाँ वीर अनेक। – माखनलाल चतुवेदी

किन्दगी िी सीख
घबराने से मसले हल नहीं होते
िो आि है , वो कल नहीं होते।

ध्यान रखो इस बात का ज़रूर


कीचड़ में सब कमल नहीं होते।

नफा पहुाँ चाते हैं िो जिस्म को


मीठे अक्सर वो फल नहीं होते।

िुगाड़ करना पड़ता है हमेशा


रस्ते तो कभी सरल नहीं होते।
ददब की सदब हवा से बनते हैं िो
वो ठोस कभी तरल नहीं होते।

नफरत की खाद से िो पेड़ पनपते हैं


मीठे उनके कभी फल नहीं होते।

िो आपको आपसे ज्यादा समझे


ऐसे लोग दरअसल नहीं होते।।

खतरे में
ना मुसलमान खतरे में है ,
ना जहन्दू खतरे में है
िमब और मज़हब से बाँटता
इं सान खतरे में है ।।

ना राम खतरे में है ,


ना रहमान खतरे में है
जसयासत की भेट चढ़ता
भाईचारा खतरे में है ।।

ना कुरआन खतरे में है ,


ना गीता खतरे में है
नफरत की दलीलों से
इन जकताबो का ज्ञान खतरे में है ।।
ना मश्किद खतरे में है ,
ना मं जदर खतरे में है
सत्ता के लालची हाथो,
इन दीवारो की बु जनयाद खतरे में है ।।

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