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कक्षा 10 सामाजिक जिज्ञान नोट्स

इजिहास || History
Chapter 4 औद्योगीकरण का युग

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औद्योगीकरण का युग
• जिस यगु में हस्तजिजमित वस्तुएं बिािा कम हुई और फै क्ट्री, मशीि एवं तकिीक का जवकास हुआ उसे
औद्योगीकरण का यगु कहते हैं।
• इसमें खेजतहर समाि औद्योजगक समाि में बदल गई। 1760 से 1840 तक के यगु को औद्योगीकरण यगु
कहा िाता है िो मिष्ु य के जलए खेल पररवतिि जियम िैसा हुआ।
पूर्व औद्योगीकरण
यरू ोप में औद्योगीकरण के पहले के काल को पवू ि औद्योगीकरण का काल कहते हैं। दसू रे शब्दों में कहा िाये तो
यरू ोप में सबसे पहले कारखािे लगिे के पहले के काल को पवू ि औद्योगीकरण का काल कहते हैं। इस अवजि में गााँवों
में सामाि बिते थे जिसे शहर के व्यापारी खरीदते थे।
आदि – औद्योगीकरण
दरअसल, इग्ं लैंड और यरू ोप में फै जक्ट्रयों की स्थापिा से भी पहले ही अंतरािष्रीय बाजार के जलए बडे पैमािे पर
औद्योजगक उत्पादि होिे लगा था। यह उत्पादि फै जक्ट्रयों में िहीं होता था। बहुत सारे इजतहासकार औद्योगीकरण के
इस चरण को आजद – औद्योगीकरण का िाम देते हैं।
व्यापाररयों का गााँर्ों पर ध्यान िेने का कारण
शहरों में रेड और क्राफ्ट जगल्ड बहुत शजिशाली होते थे। इस प्रकार के संगठि प्रजतस्पिाि और कीमतों पर अपिा
जियंत्रण रखते थे। वे िये लोगों को बािार में काम शरुु करिे से भी रोकते थे। इसजलये जकसी भी व्यापारी के जलये
शहर में िया व्यवसाय शरुु करिा मजु ककल होता था। इसजलये वे गााँवों की ओर माँहु करिा पसंद करते थे।
स्टेपलर
ऐसा व्यजि िो रे शों के जहसाब से ऊि को ‘ स्टेपल ‘ करता है या छााँटता है।
फुलर

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ऐसा व्यजि िो ‘ फुल ‘ करता यािी चन्ु िटों के सहारे कपडे को समेटता है।
कादडिंग
वह प्रजक्रया जिसमें कपास या ऊि आजद रे शों को कताई के जलए तैयार जकया िाता है।
कारखानों की शरुु आत
• सबसे पहले इगं लैंड में कारखािे 1730 के दशक में बििा शरुु हुए। अठारहवीं सदी के आजखर तक परू े
इगं लैड में िगह िगह कारखािे जदखिे लगे।
• इस िए यगु का पहला प्रतीक कपास था। उन्िीसवीं सदी के आजखर में कपास के उत्पादि में भारी बढोतरी
हुई।
• 1760 में जिटेि में 2.5 जमजलयि पाउंड का कपास आयाजतत होता था।
• 1787 तक यह मात्रा बढकर 22 जमजलयि पाउंड हो गई थी।
कारखानों से लाभ
कारखािों के खल
ु िे से कई फायदे हुए।
• श्रजमकों की कायिकुशलता बढ गई।
• अब िई मशीिों की सहायता से प्रजत श्रजमक आजिक मात्रा में और बेहतर उत्पाद बििे लगे।
• औद्योगीकरण की शरुु आत मख्ु य रूप से सतू ी कपडा उद्योग में हुई।
• कारखािों में श्रजमकों की जिगरािी और उिसे काम लेिा अजिक आसाि हो गया।
औद्योदगक पररर्तवन की रफ्तार
• औद्योगीरण का मतलब जसफि फै क्ट्री उद्योग का जवकास िहीं था। कपास तथा सतू ी वस्त्र उद्योग एवं लोहा व
स्टील उद्योग में बदलाव काफी तेिी से हुए और ये जिटेि के सबसे फलते फूलते उद्योग थे।
• औद्योगीकरण के पहले दौर में (1840 के दशक तक) सतू ी कपडा उद्योग अग्रणी क्षेत्रक था।
• रे लवे के प्रसार के बाद लोहा इस्पात उद्योग में तेिी से वृजि हुई। रे ल का प्रसार इगं लैंड में 1840 के दशक
में हुआ और उपजिवेशों में यह 1860 के दशक में हुआ।
• 1873 आते आते जिटेि से लोहा और इस्पात के जियाित की कीमत 77 जमजलयि पाउंड हो गई। यह सतू ी
कपडे के जियाित का दोगिु ा था।
• लेजकि औद्योगीकरण का रोिगार पर खास असर िहीं पडा था। उन्िीसवीं सदी के अंत तक परू े कामगारों
का 20% से भी कम तकिीकी रूप से उन्ित औद्योजगक क्षेत्रक में जियोजित था। इससे यह पता चलता है
जक िये उद्योग पारंपररक उद्योगों को जवस्थाजपत िहीं कर पाये थे।

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नए उद्योगपदत परंपरागत उद्योगों की जगह क्यों नहीं ले सके ?
• औद्योजगक क्षेत्र में काम करिे वाले मिदरू ों की संख्या कम थी।
• प्रौद्योजगकीय बदलाव की गजत िीमी थी।
• कपडा उद्योग एक गजतशील उद्योग था।
• प्रौद्योजगकी काफी महाँगी थी।
• उत्पादि का एक बडा भाग कारखािों की बिाय गृह उद्योग से परू ा होता था।
हाथ का श्रम और र्ाष्प शदि
• उस िमािे में श्रजमकों की कोई कमी िहीं होती थी। इसजलये श्रजमकों की जकल्लत या अजिक पाररश्रजमक
की कोई समस्या िहीं थी। इसजलये महगं ी मशीिों में पाँिू ी लगािे की अपेक्षा श्रजमकों से काम लेिा ही बेहतर
समझा िाता था।
• मशीि से बिी चीिें एक ही िैसी होती थीं। वे हाथ से बिी चीिों की गणु वत्ता और सदंु रता का मक
ु ाबला
िहीं कर सकती थीं। उच्च वगि के लोग हाथ से बिी हुई चीिों को अजिक पसदं करते थे।
• लेजकि उन्िीसवीं सदी के अमेररका में जस्थजत कुछ अलग थी। वहााँ पर श्रजमकों की कमी होिे के कारण
मशीिीकरण ही एकमात्र रास्ता बचा था।
19 र्ीं शताब्िी में यूरोप के उद्योगपदत मशीनों की अपेक्षा हाथ के श्रम को अदिक
पसिं क्यों करते थे?
• जिटेि में उद्योगपजतयों को मािव श्रम की कोई कमी िहीं थी।
• वे मशीि इसजलए लगािा िहीं चाहते थे क्ट्योंजक मशीिों के जलए अजिक पाँिू ी जिवेश करिी पडती थी।
• कुछ मौसमी उद्योगों के जलए वे उद्योगों में श्रजमकों द्वारा हाथ से काम करवािा अच्छा समझते थे।
• बािार में अक्ट्सर बारीक जडिाइि और खास आकारों वाली चीिों की मााँग रहती थी िो हस्त कौशल पर
जिभिर थी।
मजिूरों की दजंिगी
• कुल जमलाकर मिदरू ों का िीवि दयिीय था।
• श्रम की बहुतायत की विह से िौकररयों की भारी कमी थी।
• िौकरी जमलिे की सभं ावि यारी दोस्ती कुिबे कुटुंब के िररए िाि पहचाि पर जिभिर करती थी।
• बहुत सारे उद्योगों में मौसमी काम की विह से कामगारों को बीच बीच में बहुत समय तक खाली बैठिा
पडता था।

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• मिदरू ों की आय के वास्तजवक मल्ू य में भारी कमी इसजलए गरीबी थी।
दस्पदनगं जैनी
एक सतू काटिे की मशीि िो िेम्स हर गीविलीवसि द्वारा 1764 में बिाई गई थी।
दस्पदनगं जेनी मशीन का दर्रोि
• उन्िीसवीं सदी के मध्य तक अच्छे दौर में भी शहरों की आबादी का लगभग 10% अत्यजिक गरीब हुआ
करता था। आजथिक मंदी के दौर में बेरोिगारी बढकर 35 से 75% के बीच हो िाती थी।
• बेरोिगारी की आशंका की विह से मिदरू िई प्रौद्योजगकी से जचढिे लगे। िब ऊि उद्योग में जस्पजिंग िेिी
मशीि का इस्तेमाल शुरू जकया गया तो मशीिों पर हमला करिे लगे।
• 1840 के दशक के बाद रोिगार के अवसरों में वृजि हुई क्ट्योंजक सडकों को चौडा जकया गया, िए रे लवे
स्टेशि बिें, रे लवे लाइिों का जवस्तार जकया गया।
उपदनर्ेशो में औद्योगीकरण
आइए अब भारत पर ििर डाले और देखे की उपजिवेश में औद्योगीकरण कै से होता है।
भारतीय कपडे का युग

• मशीन उद्योग से पहले का यगु :-


1. अतं रािष्रीय कपडा बािार में भारत के रे शमी और सतू ी उत्पादों का दबदबा था।
2. उच्च जकस्म का कपडा भारत से आमीजियि और फारसी सौदागर पिं ाब से अफगाजिस्ताि, पवू ी फारस
और मध्य एजशया लेकर िाते थे।
3. सरू त, हुगली और मसूली पट्िम प्रमख ु बंदरगाह थे।
4. जवजभन्ि प्रकार के भारतीय व्यापारी तथा बैंकर इस व्यापार िेटवकि में शाजमल थे।
5. दो प्रकार के व्यापारी थे आपजू ति सौदागर तथा जियाित सौदागर।
6. बंदरगाहों पर बडे िहाि माजलक तथा जियाित व्यापारी दलाल के साथ कीमत पर मोल भाव करते थे
और आपजू ति सौदागर से माल खरीद लेते थे।
• मशीन उद्योग के बाि का यगु (1780 के बाि)
1. 1750 के दशक तक भारतीय सौदागरों के जियंत्रण वाला िेटवकि टूटिे लगा।
2. यरू ोपीय कंपजियों की ताकत बढिे लगी।
3. सरू त तथा हुगली िैसे परु ािे बंदरगाह कमिोर पड गए।
4. बंबई (मंबु ई) तथा कलकता कलकत्ता एक िए बंदरगाह के रूप में उभरे ।
5. व्यापार यरू ोपीय कंपजियों द्वारा जियंजत्रत होता था तथा यरू ोपीय िहािों के िररए होता था।
6. शरूु आत में भारत के कपडा व्यापार में कोई कमी िहीं।

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7. 18 वीं सदी यरू ोप में भी भारतीय कपडे की भारी मागं हुई।
यरू ोपीय कंपदनयों के आने से बनु कारों का क्या हुआ?
ईस्ट इजं डया कंपिी द्वारा सत्ता स्थाजपत करिे से पहले बिु कर बेहतर जस्थजत में थे क्ट्यों जक उिका उत्पाद खरीदिे वाले
बहुत खरीदार थे तथा वे मोल भाव करके सबसे अजिक कीमत देिे वाले को अपिा सामाि बेच सकते थे।
ईस्ट इदं डया कंपनी आने के बाि बनु करों की दस्थदत :-
ईस्ट इजं डया कंपिी द्वारा राििीजतक सत्ता स्थाजपत करिे के बाद बिु करों की जस्थजत (1760 के बाद) :-

• भारतीय व्यापार पर ईस्ट इजं डया कम्पिी का एकाजिकार हो गया।


• कपडा व्यापार में सजक्रय व्यापाररयों तथा दलालों को खत्म करके बिु करो पर प्रत्यक्ष जियत्रं ण।
• बिु करों को अन्य खरीदारों के साथ कारोबार करिे पर पाबंदी लगा दी।
• बिु करों पर जिगरािी रखिे के जलए गमु ाकता िाम के वेतिभोगी कमिचारी की जियजु ि की गई।
• बिु करो व गमु ाकता के बीच अक्ट्सर टकराव होते।
• बिु करों को कंपिी से जमलिे वाली कीमत बहुत ही कम होती।
भारत में मैनचेस्टर का आना :-

• उन्िीसवीं सदी की शरुु आत से ही भारत से कपडों के जियाित में कमी आिे लगी। 1811 – 12 में भारत से
होिे वाले जियाित में सतू ी कपडे की जहस्सेदारी 33% थी िो 1850 – 51 आते आते मात्र 3% रह गई।
• जिटेि के जिमािताओ ं के दबाव के कारण सरकार िे जिटेि में इपं ोटि ड्यटू ी लगा दी ताजक इगं लैंड में जसफि
वहााँ बििे वाली वस्तएु ाँ ही जबकें ।
• ईस्ट इजं डया कम्पिी पर भी इस बात के जलए दबाव डाला गया जक वह जिटेि में बिी चीिों को भारत के
बािारों में बेचे।
• अठारहवीं सदी के अंत तक भारत में सतू ी कपडों का आयात ि के बराबर था। लेजकि 1850 आते-आते
कुल आयात में 31% जहस्सा सतू ी कपडे का था। 1870 के दशक तक यह जहस्सेदारी बढकर 50% से ऊपर
चली गई।
मैनचेस्टर के आगमन से भारतीय बुनकरों के सामने आई समस्याएं :-

• 19 वीं सदी के आते आते बिु करों के सामिे िई समस्याओ ं का िन्म हुआ।
भारतीय बुनकरों की समस्याएाँ :-
1. जियजत बािार का ढह िािा,
2. स्थािीय बािार का संकुजचत हो िािा,
3. अच्छी कपास का िा जमल पािा,

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4. ऊाँ ची कीमत पर कपास खरीदिे के जलए मिबरू होिा।
• 19 वीं सदी के अंत तक भारत में फै जक्ट्रयों द्वारा उत्पादि शुरू तथा भारतीय बािार में मशीिी उत्पाद की
बाढ आई।
फै दक्ियों का आना
भारत में कारखानों की शुरुआत :-
बम्बई में पहला सतू ी कपडा जमल 1854 में बिा और उसमें उत्पादि दो वर्षों के बाद शरुु हो गया। 1862 तक चार
जमल चालू हो गये थे।

• उसी दौराि बंगाल में िटू जमल भी खल


ु गये।
• कािपरु में 1860 के दशक में एजल्गि जमल की शरुु आत हुई।
• अहमदाबाद में भी इसी अवजि में पहला सतू ी जमल चालू हुआ।
• मद्रास के पहले सतू ी जमल में 1874 में उत्पादि शरुु हो चक
ु ा था।
प्रारंदभक उद्यमी :-

• ये सभी चीि के साथ व्यापार में शाजमल थे। उदाहरण के जलए बंगाल में द्वारकािाथ टैगोर। इन्होिे 6 संयि

उद्यम कंपजियााँ लगाई।
1. बम्बई में जडिशॉ पेजटट और िे . एि टाटा।
2. सेठ हुकुमचंद िे कलकता में पहली िटू जमल लगाई।
3. िी . डी जबडला िे भी यही जकया।
4. मद्रास के कुछ सौदागर िो वमाि मध्य पवू ि तथा पवू ो अफ्रीका से व्यापार करते थे।
5. कुछ वाजणजययक समहू िो भारत के भीतर ही व्यापार करते थे।
• भारत के व्यवसाय पर अंग्रेिों का ऐसा जशकंिा था जक उसमें भारतीय व्यापाररयों को बढिे के जलए अवसर
ही िहीं थे। पहले जवश्व यि
ु तक भारतीय उद्योग के अजिकतम जहस्से पर यरू ोप की एिेंजसयों की पकड हुआ
करती थी।
मज़िूर कहााँ से आए :-

• ययादातर मिदरू आसपास के जिलो से आते थे।


• अजिकांशतः वे जकसाि तथा कारीगर जिन्हे गााँव में काम िहीं जमलता था।
• उदाहरण के जलए बंबई के सतू ी कपडा जमल में काम करिे वाले ययादा मिदरू पास के रत्िाजगरी जिले से
आते थे।
19 र्ीं सिी में भारतीय मजिूरों की िशा :-

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• 1901 में भारतीय फै जक्ट्रयों में 5,84,000 मिदरू काम करते थे।
• 1946 क यह संख्या बढकर 24,36,000 हो चक
ु ी थी।
• ययादातर मिदरू अस्थायी तौर पर रखे िाते थे।
• फसलों की कटाई के समय गााँव लोट िाते थे।
• िौकरी जमलिा कजठि था।
• िॉबर मिदरू ों की जिंदगी को परू ी तरह से जियंजत्रत करते थे।
जॉबर कौन थे?

• उद्योगपजतयों िे मिदरू ों की भती के जलए िॉबर रखा था।


• िॉबर कोई परु ािा जवश्वस्त कमिचारी होता था।
• वह गााँव से लोगों को लाता था।
• काम का भरोसा देता तथा शहर में बसिे के जलए मदद देता।
• िॉबर मदद के बदले पैसे व तोहफों की मांग करिे लगा।
औद्योदगक दर्कास का अनठू ापन :-

• भारत में औद्योजगक उत्पादि पर वचिस्व रखिे वाले यरू ोपीय प्रबंिकीय एिेंजसयों की कुछ खास तरह के
उत्पादि में ही जदलचस्पी थी खासतौर पर उि चीिों में िो जियाित की िा सकें , भारत में बेचिे के जलए िैस-े
चाय, कॉफी, िील, िटू , खिि उत्पाद।
• भारतीय व्यवसाजययों िे वे उद्योग लगाए (19 वीं सदी के आजखर में) िो मेिचेस्टर उत्पाद से प्रजतस्पिाि िहीं
करते थे। उदाहरण के जलए िागा – िो जक आयात िहीं जकया िाता था तो कपडे की बिाय िागे का
उत्पादि जकया गया।
• 20 वीं सदी के पहले दशक में भारत में औद्योजगकरण का ढराि बदल गया। स्वदेशी आंदोलि लोगों को
जवदेशी वस्तुओ ं के बजहष्कार के जलए प्रेररत जकया। इस विह से भारत में कपडा उत्पादि शुरू हुआ। आगे
चलकर चीि को िागे का जियाित घट गया इस विह से भी िागा उत्पादक कपडा बिािे लगे। 1900 –
1912 के बीच सतू ी कपडे का उत्पादि दगु िु ा हो गया।
• प्रथम जवश्व यि
ु िे भारत में औद्योजगक उत्पादि को तेिी से बढाया। िई फै जक्ट्रयों की स्थापिा की गई क्ट्योंजक
जिजटश जमले यि ु के जलए उत्पादि में व्यस्त थी।
लघु उद्योगों की बहुतायत :-

• उद्योग में वृजि के बाविदू अथिव्यवस्था में बडे उद्योगों का शेअर बहुत कम था। लगभग 67% बडे उद्योग
बंगाल और बम्बई में थे।

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• देश के बाकी जहस्सों में लघु उद्योग का बोलबाला था। कामगारों का एक बहुत छोटा जहस्सा ही रजिस्टडि
कम्पजियों में काम करता था। 1911 में यह शेअर 5% था और 1931 में 10%।
• बीसवीं सदी में हाथ से होिे वाले उत्पाद में इिाफा हुआ। हथकरघा उद्योग में लोगों िे िई टेक्ट्िॉलोिी को
अपिाया। बिु करों िे अपिे करघों में फ्लाई शटल का इस्तेमाल शरुु जकया।
• 1941 आते आते भारत के 35% से अजिक हथकरघों में फ्लाई शटल लग चक ु ा था।त्रावणकोर, मद्रास,
मैसरू , कोजचि और बंगाल िैसे मख्ु य क्षेत्रों में तो 70 से 80% हथकरघों में फ्लाई शटल लगे हुए थे।
• इसके अलावा और भी कई िये सिु ार हुए जिससे हथकरघा के क्षेत्र में उत्पादि क्षमता बढ गई थी।
फ्लाई शटल :-
रस्सी और पजु लयो के के िररए चलिे वाला एक यांजत्रक औिार है जिसका बिु ाई के जलए इस्तेमाल जकया िाता है।
र्स्तुओ ं के दलए बाज़ार :-

• ग्राहकों को ररझािे के जलए उत्पादक कई तरीके अपिाते थे। ग्राहक को आकजर्षित करिे के जलए जवज्ञापि
एक िािा मािा तरीका है।
• मैिचेस्टर के उत्पादक अपिे लेबल पर उत्पादि का स्थाि िरूर जदखाते थे। ‘मेड इि मैिचेस्टर’ का लबेल
क्ट्वाजलटी का प्रतीक मािा िाता था। इि लेबल पर संदु र जचत्र भी होते थे। इि जचत्रों में अक्ट्सर भारतीय देवी
देवताओ ं की तस्वीर होती थी। स्थािीय लोगों से तारतम्य बिािे का यह एक अच्छा तरीका था।
• उन्िीसवीं सदी के उत्तरािि तक उत्पादकों िे अपिे उत्पादों को मशहूर बिािे के जलए कै लेंडर बााँटिे भी शरुु
कर जदये थे। जकसी अखबार या पजत्रका की तल ु िा में एक कै लेंडर की शेल्फ लाइफ लंबी होती है। यह परू े
साल तक िांड ररमाइडं र का काम करता था।
• भारत के उत्पादक अपिे जवज्ञापिों में अक्ट्सर राष्रवादी संदेशों को प्रमख
ु ता देते थे ताजक अपिे ग्राहकों से
सीिे तौर पर िडु सकें ।

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NCERT SOLUTIONS
प्रश्न 1 दनम्नदलदखत की व्याख्या करें-
1. जिटेि की मजहला कामगारों िे जस्पजिंग िेिी मशीिों पर हमले जकए।
2. सत्रहवीं शताब्दी में यरू ोपीय शहरों के सौदागर गााँवों में जकसािों और कारीगरों से काम करवािे
लगे।
3. सरू त बंदरगाह अठारहवीं सदी के अंत तक हाजशये पर पहुचाँ गया था।
4. ईस्ट इजं डया कंपिी िे भारत में बिु करों पर जिगरािी रखिे के जलए गमु ाकतों को जियि ु जकया
था।
उत्तर –
1. िेम्स हरग्रीज िे 1764 में जस्पजिगं िेिी िामक मशीि बिाई थी। इस मशीि िे कताई की प्रजक्रया तेि
कर दी और मजदरू ों की मााँग घटा दी। एक ही पजहया घमु ािे वाला एक मिदरू बहुत सारी तकजलयों
को घमु ा देता था और एक साथ कई िागे बििे लगते थे। िब इि मशीिों का प्रयोग शरू ु हुआ तो हाथ
से ऊि कातिे वाली औरतें इस तरह की मशीिों पर हमला करिे लगी क्ट्योंजक इस मशीि की विह से
उिका काम जछि गया था। इस मशीि की विह से शारीररक श्रम की मााँग घटिे के कारण बहुत-सी
मजहलाएाँ बेरोिगार हो गई थीं। इसजलए उन्होंिे जस्पजिगं िेिी के प्रयोग का जवरोि जकया।
2. शहरी क्षेत्रों में जगल्ड हुआ करते थे िो बहुत प्रभावशाली थे। उिके कारण जकसी भी िये व्यवसायी के
जलए व्यवसाय में शरुु आत करिा बहुत मजु ककल होता था। ऐसे जगल्ड जकसी भी क्षेत्र में उत्पादि और
कीमत दोिों को जियजं त्रत करिे का काम करते थे। इसजलए िो व्यापारी अपिी शरुु आत करिा चाहते
थे उन्होंिे गााँवों से सामाि बिवािा बेहतर समझा। इसजलए सत्रहवीं शताब्दी में यरू ोपीय शहरों के
सौदागर गााँवों में जकसािों और कारीगरों से काम करवािे लगे।
3. सरू त बंदरगाह गिु रात के तट पर जस्थत था। मशीिी उद्योगों से पहले समद्रु ी व्यापार की दृजि से यह एक
महत्वपूणि बंदरगाह था। इसके द्वारा भारत, खाडी देशों तथा लाल सागर के बंदरगाह से िडु ा हुआ था।
यह व्यापार भारती सौदागरों के जियंत्रण में था। परंतु 1750 के दशक तक यह व्यापार-िाल टूटिे लगा।
भारत में यरू ोपीय कंपजियों की शजि बढती िा रही थी। पहले उन्होंिे स्थािीय दरबारों से कई प्रकार के
ररयायतें प्राप्त की और उसके बाद उन्होंिे व्यापार पर अपिा अजिकार िमा जलया और िए बंदरगाहों
का जिमािण हुआ। फलस्वरूप सूरत और हुगली िैसे परु ािे बंदरगाह अपिा महत्व खो बैठे। इि बंदरगाहों
से होिे वाले जियाित में बहुत ही कमी आ गई। पहले जिस पैसे से व्यापार चलता था वह कम होिे लगा।
िीरे -िीरे स्थािीय बैंकर जदवाजलया हो गए। सत्रहवीं शताब्दी के अंत में सरू त बंदरगाह से होिे वाले
व्यापार का कुल मल्ू य ₹ 1.6 करोड था। परंतु अगले 30-40 वर्षों में यह जगरकर के वल ₹ 30 लाख रह
गया। इस प्रकार 18 वीं शताब्दी तक सरू त बंदरगाह हाजशये पर आ गया अथाित अपिा महत्व खो
बैठा।
4. ईस्ट इजं डया कंपिी भारत के वस्त्र व्यापार पर अपिा एकाजिकार स्थाजपत करिा चाहती थी। अतः
कंपिी िे वस्त्र व्यापर की प्रजतस्पिाि को खत्म करिे, लागतों पर अंकुश रखिे और कपास का रे शम से

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बिी चीिों की जियजमत आपजू ति सजु िजित करिे के जलए प्रबिं ि व जियत्रं ण की एक िई व्यवस्था लागू
कर दी।
कंपिी िे कपडा व्यापार में जक्रयाशील व्यापाररयों और दलालों को समाप्त करिे तथा बिु करों पर
अजिक प्रत्यक्ष जियत्रं ण स्थाजपत करिे का प्रयत्ि जकया। कंपिी िे बिु करों पर जिगरािी रखिे, माल
एकजत्रत करिे और कपडों की गणु वत्ता िााँचिे के जलए वेतिभोगी कमिचारी तैिात कर जदए जिन्हें
गमु ाकता कहा िाता था।
प्रश्न 2 प्रत्येक के आगे ‘सही’ या ‘गलत’ दलखें:
1. उन्िीसवीं सदी के आजखर में यरू ोप की कुल श्रम शजि का 80 प्रजतशत तकिीकी रूप से जवकजसत
औद्योजगक क्षेत्र में काम कर रहा था।
2. अठारहवीं सदी तक महीि कपडे के अतं रािष्रीय बािार पर भारत का दबदबा था।
3. अमेररकी गृहयि ु के फलस्वरूप भारत के कपास जियाित में कमी आई।
4. फ्लाई शटल के आिे से हथकरघा कामगारों की उत्पादकता में सिु ार हुआ।
उत्तर –
1. गलत
2. सही
3. गलत
4. सही
प्रश्न 3 पूर्व औद्योगीकरण का मतलब बताएाँ।
उत्तर – जिटेि में औद्योगीकरण से ठीक पहले के दौर को पवू ि औद्योगीकरण कहते हैं। यह वह समय था िब जिटेि में
कारखािे िहीं खल ु े थे। इस अवजि के व्यवसाय का िेटवकि अिठू े जकस्म का था जिसे व्यापारी जियंजत्रत करते थे।
व्यापारी गााँव के लोगों से चीिें बिवाते थे। लोग अपिे गााँव में रहते हुए ही काम जकया करते थे। उि उत्पादों को
गााँवों से लंदि िैसे शहरों तक लाया िाता था और जफर वहााँ से दजु िया के अन्य भागों में जियाित जकया िाता था।

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