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First published in English as Kashi: Secret of the Black Temple by

Tree Shade Books in 2018


First published in Hindi as Kashi: Kale Mandir ka Rahasya by
Tree Shade Books in 2019
Published by TreeShade Books (VB Performance LLP) in 2019

Copyright © Vineet Bajpai, 2019


All Rights Reserved

Vineet Bajpai asserts the moral right to be identified as the author


of this book. This is a work of pure fiction. Names, characters,
places, institutions and events are either the product of the author's
imagination or are used fictitiously. Any resemblance of any kind
to any actual person living or dead, events and places is entirely
coincidental. The publisher and the author will not be responsible
for any action taken by a reader based on the content of this book.
This work does not aim to hurt the sentiment of any religion, class,
sect, region, nationality or gender.

Hindi Translation by Urmila Gupta


Cover Design by Munisha Nanda
ISBN: 9789389237030
Printed by Excel Printer Pvt. Ltd.
A-45, Naraina Industrial Area Phase 1, New Delhi, 110028

This book is sold subject to the condition that it shall not, by way
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Contents

चेतावनी
अब तक क कहानी— पहला भाग— हड़ पा
अब तक क कहानी— दूसरा भाग— लय
ा थन

बनारस, 2017: ‘ना.....ग!’


हड़ पा, 1700 ईसापूव: ‘भगवान ने... हम याग दया!’
बनारस, 2017: एक शािपत असुर स ाट, एक परािजत कौरव युवराज, एक
अधम तांि क
हड़ पा, 1700 ईसापूव: चं धर
बैरकपुर (बंगाल), 1856: आय का असाधारण आ मण
बनारस, 2017: रा स-बिल
हड़ पा, 1700 ईसापूव: ‘जीिवत रहने के िलए मेरे साथ आओ, ओ मोहन
जोदड़ो क राजकु मारी!’
अलीबाग, मुंबई का तटीय े , 2017: अपराध और र का सा ा य
हड़ पा, 1700 ईसापूव: कम का ऋण
बनारस, 2017: एक मनु य का क ल
हड़ पा, 1700 ईसापूव: हड़ पा—र धारा का अिभशाप
बनारस, 2017: का तके य
मोहन जोदड़ो, 1700 ईसापूव: मृतक का टीला
बनारस, 2017: ह यार का कानून
आयवत के घने जंगल, 1699 ईसापूव: दै य
बनारस, 2017: काशी िव नाथ
आयवत के घने जंगल, 1699 ईसापूव: सृि का हार
बनारस, 2017: एक सवस ावादी सरकार
आयवत के घने जंगल, 1699 ईसापूव: ुव
बनारस, 2017: के दारनाथ
नौका का आधार िशिवर, आयवत का दलदल, 1699 ईसापूव: अंितम मानव
ब ती
बनारस, 2017: एक सवस ावादी सरकार—भाग II
आयवत का दलदल, 1699 ईसापूव: िवराट नौका
यूयॉक, 2017: टोनफे लर प रवार
रा कू ट सा ा य, 762 ई वी: पृ वीव लभ
बनारस, 2017: सवस ावादी सरकार—भाग III
आयवत के दलदल, 1699 ईसापूव: चंड का आगमन
बनारस, 2017: 9/11
आयवत के दलदल, 1699 ईसापूव: नीली अि क रात
बनारस, 2017: मौत क सद आंख
आयवत के दलदल, 1699 ईसापूव: पुजारी वंश
बनारस, 2017: नैना व िव ुत
आयवत के दलदल, 1699 ईसापूव: गु चर
बनारस, 2017: देव व दानव
आयवत के दलदल, 1699 ईसापूव: िव दत जग का सबसे भयंकर हिथयार
बनारस, 2017: अंितम समाधान
आयवत के दलदल, 1699 ईसापूव: र -मा
बनारस, 2017: अ त ै , दुगादास व माकडेय
आयवत के काले जंगल, 1698 ईसापूव: नर-मुंड
बनारस, 2017: काली मौत
आयवत के दलदल, 1698 ईसापूव: लाख तीर
बनारस, 2017: ‘का तके य ने इ यूिमनाती को जलाने क कोिशश क ’
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698 ईसापूव: नरभ ी
िपशाच
बनारस, 2017: रोिहणी न
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698 ईसापूव: ‘वो आ रहे
ह...’
बनारस, 2017: देवता से िमलने का समय आ गया है...
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698 ईसापूव: अंितम यु —
भाग I
बनारस, 2017: काला मं दर
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698 ईसापूव: अंितम यु —
भाग II
बनारस, 2017: नाग राज
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698 ईसापूव: ‘इससे पहले
क वो नौका म चढ़ना शु कर, हम नीचे उतर जाना चािहए’
बनारस, 2017: शेषनाग
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698 ईसापूव: अंितम यु —
भाग III
बनारस, 2017: ितमा
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698 ईसापूव: म य- जाित
के घुड़सवार
बनारस, 2017: ‘पदापणम कु , भु!’
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698 ईसापूव: गंधक!
बनारस, 2017: ‘वो यहां है...’
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698 ईसापूव: यु िवराम
बनारस, 2017: ‘वो तु हारे पीछे आ रहे ह, िव ुत’
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698 ईसापूव: काली का युग
बनारस, 2017: शैतान!
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698 ईसापूव: अंितम यु —
भाग IV
बनारस, 2017: देव-रा स
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698 ईसापूव: नर-बिल
बनारस, 2017: इितहास के सबसे घातक ह यारे
िवनाशकारी लय, 1698 ईसापूव: ‘म... य!’
बनारस, 2017: ‘यहां तक क मृ यु भी वाइट मा क से भय खाती ह!’
िवनाशकारी लय, 1698 ईसापूव: लोक-नास!
बनारस, 2017: ‘बाबा........!’
िवनाशकारी लय, 1698 ईसापूव: िव ुत
बनारस, 2017: िव ुत

उपसंहार
मश:...
लेखक के बारे म
चेतावनी

यह उप यास, क पना और क स पर आधा रत है, िजसे महज मनोरं जन के


दृि कोण से िलखा गया है। य िप िवषय के साथ िविवध धम , इितहास,
सं थान, आ था और िमथक का संदभ दया गया है, ले कन इसका उ े य
िसफ कहानी को अिधक समृ और दलच प बनाना है। लेखक सवधम म
िव ास रखता है, और सभी को बराबर मान और स मान देता है। कहानी म
इ तेमाल कए गए कसी ऐितहािसक या पौरािणक त य क पुि का वो
दावा नह करता।
अब तक क कहानी— पहला भाग—
हड़ पा

हड़ पा, 1700 ईसापूव—हड़ पा के देवता, शि शाली िववा वन पुजारी,


िजसे दशक तक हड़ पा के सूय के तौर पर पूजा जाता रहा, पर एक िनमम
छल ारा घात लगाया गया। उसका िव त िम और उसक प ी का भाई,
बुि मान पंिडत चं धर, अपनी प ी ि य वदा क ई यालु मह वाकां ा के
आगे घुटने टेक देता है। चं धर क पवान प ी मोहन जोदड़ो क राजकु मारी
थी। तीन अंध,े काले जादूगर , गुन, शा और अप को ि य वदा और उसके दु
सेना य , रं गा के िनमं ण पर हड़ पा बुलाया जाता है। काले जादूगर नगर के
जल ोत को अपने जहर से दूिषत कर, वहां के सम त नाग रक को पागल
और हंसक बना देते ह।

इस सब गहमागहमी म, िववा वन पुजारी को नयनतारा, हड़ पा क आकषक


नृ यांगना क ह या के झूठे आरोप म फं साया जाता है। हड़ पा के देवता को मृत
कारावास क सजा सुनाई जाती है। उसका शूरवीर पु , युवा मनु, िववा वन
पुजारी के अंितम िम और हड़ पा के मु य अिभयंता, पंिडत सोमद के साथ
िमलकर श ु का सामना करता है। उस जंग म मनु बड़ी ही वीरता से दु रं गा
का वध कर देता है। इसी बीच, ान क देवी सर वती, एक असामा य और
अशुभ वेग से हलचल उ प करती है, िजससे सम त हड़ पा स यता के
अि त व पर संकट खड़ा हो जाता है। योितषी भीषण लय क भिव यवाणी
करते ह। देवता क व पवान प ी और मनु क मां, संजना हड़ पा के पागल
सैिनक के तीर का िनशाना बन, यु भूिम म ही अंितम सांस लेते ए, अपने
बेटे क बांह म दम तोड़ देती है। सोमद और अपनी करीबी िम , सुंदर तारा
के आदेश पर मनु घोड़े पर सवार हो, अपनी मां के मृत शरीर को गोद म िलए,
वहां से िनकलता है। ले कन जैसे ही वो मूसलाधार बरसात के बीच आगे बढ़ता
है, तो जहर म बुझे तीर मनु क कमर और गले म आ धंसते ह।

हड़ पा के देवता को वहां के िवशाल ानागार म पशु क तरह ख चकर,


तािड़त कया जाता है। िवि सैिनक के वार, हंसक भीड़ के प थर और
थूक से उसक खाल उतार दी जाती है। देवता, हड़ पा का सूय—िववा वन
पुजारी— ितशोध क कसम लेता है। वो आदमी जो कभी अपने तेज म वयं
ई र के समान दखता था, अब कसी ेत या शैतान से कम नह दखाई दे
रहा था। वो ऊपर आसमान को देखता है और खून को जमा देने वाली भीषण
ची कार म घोषणा करता है—

‘पहले से ही मृत लोग सुनो। मुद क सभा, मेरी बात सुनो। मूख सुन लो।

म आधा-मनु य, आधा-भगवान !ं ’

बनारस, 2017 (वतमान)— ाचीन नगरी बनारस म ि थत, देव-रा स मठ के


108 वष य वृ , रह यमयी धान, ारका शा ी अपनी मृत श या पर ह। वो
अपने बेहद कामयाब, आकषक और ितभाशाली परपोते, िव ुत को बुलवाते
ह। गुड़गांव से िनकलने से पहले, िव ुत अपनी यारी साथी दािमनी और
िव त िम बाला को बताता है क वो ाचीन और रह यमयी, देवता के
वंश से है। बनारस प च ं ने पर िव ुत पाता है क वहां स दय से उसक
ती ा क जा रही थी। पुरोिहत जी, बलवंत (मठ का यु मुख) और गोवधन
(उसके वंश के िच क सक) से िमलने के साथ ही वो अपने बचपन क दो त
नैना से भी िमलता है। नैना एक ब त ही आकषक युवती बन चुक है और
िव ुत उसके ित एक चुंबक य आकषण महसूस करता है।

महान मठाधीश ारका शा ी िव ुत को बताते ह क उनका वंश एक घातक


ाप ढो रहा है। और क िव ुत आखरी देवता है, िजसका िज भिव यवाणी
म कया गया था—िसफ अपने वंश का ही नह , न ही िसफ मठ या बनारस का
—बि क वो पूरी मानवजाित का आखरी देवता था। जैसे ही िव ुत ने बनारस
म अपने कदम रखे, एक रह यमयी इं सान रे ग मा रअनी पे रस म एक आदमी
से िमलता है, िजसे उसके नाम नह , बि क ओहदे क वजह से जाना जाता है
—मा के रा िबआंका। रे ग अपने बॉस, िबग मैन का लेटर मा के रा को देता है।
उस लेटर म िलखा था—‘उस कमब त आय-पु को मार दो।’ मा के रा
िबआंका या वाइट मा क यूरोप का सबसे खूंखार सरगना था। एक मासूम सा
दखने वाला, ले कन िशि त ह यारा, रोमी परे रा बनारस प च ं ता है।
महान ारका शा ी िव ुत को हड़ पा क भयानक कहानी सुनाते ह और
बताते ह कस याह ष ं के तहत महानगर का सच हमेशा के िलए
भारतीय से िछपाया गया। वो बताते ह क कै से ई ट इं िडया कं पनी ने ाचीन
स यता के सबसे मू यवान अवशेष को जला दया और उपमहा ीप को उसके
पुराने वैभव के सच से वंिचत कर दया। ले कन इससे भी अिधक अनपेि त था
क वो िव ुत को बताते ह, वो और कोई नह बि क वयं िववा वन पुजारी है
—3700 साल बाद आ उसका पुनज म... जो इस िनयित को पूरा करने आया
है।

घटनाएं बड़ी तेजी से आगे बढ़ती ह, िजसम िव ुत क जंदगी लेने का एक


साहसपूण ले कन असफल यास; नैना और िव ुत के बीच बीता एक जादुई
पल, जब पलभर के िलए वो अपने ह ठ िव ुत के ह ठ पर रख देती है; मठ म
दािमनी का खुिशय भरा आगमन; रोमी देवता को खुला िनमं ण देते ए उसे
दशा मेध घाट आने क चुनौती देता है। नैना के ित कसी संदह े के साथ
िव ुत उन कराये के ह यार का मुकाबला करता है, िज ह उसी ने भेजा था,
िजसने रोमी को िनयु कया था। िव ुत सारे हमलावर का अके ले ही
सामना करता है, ले कन अपने सबसे िव त िम , बाला क गोली का
िशकार बनता है। बाला पकड़ा जा चुका था, और देवता रात के अंधेरे म घाट
पर रोमी का पीछा करता है। वो शाितर ह यारा िव ुत क पकड़ म आ जाता
है और पोटेिशयम सायनाइट का कै सूल खाकर अपनी जान दे देता है। अपने
आखरी समय म वो िव ुत को बताता है क एक ताकत, िजसे यू व ड ऑडर
के नाम से जाना जाता है, उसके ... और सम त मानवजाित के िवनाश के िलए
आ रही थी।
अब तक क कहानी— दूसरा भाग—
लय

हड़ पा, 1700 ईसापूव—हड़ पा का देवता, िववा वन पुजारी चम का रक


प से महान ानागार क यातना से बच िनकलता है। एक साहसी और
हंसक मुकाबले म उसे बचाने के िलए उसका अंितम िम और हड़ पा का
ितभाशाली मु य अिभयंता, पंिडत सोमद और उसक वीर िश या तारा
आते ह। वो बचाव अिभयान ऐसे भीषण यु म बदल जाता है क आने वाली
पी ढ़यां स दय तक उसे र -वषा के प म याद रखगी। िववा वन पुजारी
उस कै द से एक रा स के प म बाहर िनकलता है, जो अपने खाली हाथ से
हड़ पा के सेना य के शरीर को फाड़कर रख देता है।

ितशोध क अि म जलता आ और अपने पु मनु के जीिवत होने क खबर


से अनिभ , हड़ पा का सूय, िववा वन पुजारी नफरत के वशीभूत हो गया है।
वो अके ला अपने धुर-दु मन, असुर के स ाट, कु यात राजा सुरा से हाथ
िमलाने के िलए जाता है। दानवीय सुरा और उसका यो य यु - मुख चंड
िववा वन पुजारी के मन म जहर भरने म सफल हो जाते ह। देवता पर थूकने
और उसे तािड़त करने वाले हड़ पावािसय और देवता का सबकु छ छीन लेने
वाले नगर के िव आ मण के बदले म, सूय ऐसा वचन दे देता है, जो उसक
पिव आ मा को हमेशा-हमेशा के िलए कलं कत कर देता है। वो हड़ पा के
शा त संर क , द स ऋिषय के िसर अ-सुरा को देने का वादा कर देता
है।

इस दौरान, मनु उस रण े से िनकलने म सफल रहता है, जहां उसने वहशी


रं गा को उसक प रणित तक प च ं ाया था। वो अपनी मां का शव घोड़े पर,
अपनी गोद म िलए िनकलता है। गंभीर प से घायल मनु सोमद के सुझाव
पर पूव दशा—काले मं दर—क ओर बढ़ता है, जहां उसे माग म मू छत
अव था म, पानी क कु छ बूंद को तरसता, एक िविच म य-पु ष दखाई
देता है। म य क खाल के से प रधान पहने और वचा म अलौ कक नीला
काश िलए वो रह यमयी ि ज द ही मनु का मागदशक, िम , उपदेशक
और सलाहकार बन जाता है। उसका नाम म य है। मनु मानने लगता है क वो
ि और कोई नह बि क वयं भगवान िव णु का अवतार है।

जब म य मनु को ाचीन काले मं दर म ले जाता है, तो वो सूय पु को


बताता है क यह मं दर ऐसी पिव ृंखला क िसफ एक कड़ी है। और काले
मं दर म मानवजाित का सबसे मू यवान रह य िछपा है। वह मनु को बताता है
क उसके िपता काले मं दर के संर क थे, और अब यह दािय व मनु के कं ध
पर आ गया है।

फर म य आने वाले िवनाश क भिव यवाणी करता है—‘ लय...


ए यित...!’

‘िवनाशकारी लय आने वाली है!’

जब मनु अपनी ि य शत पा, िजसे वो यार से तारा पुकारता था, और पंिडत


सोमद से िमला—तो म य ने उसे स य त नाम से शोिभत कया, और उसे
िवशाल नौका बनाने का आदेश दया।

ऐसी नाव जो आने वाली लय के स मुख मानवजाित क अंितम शरण थली


सािबत हो।

हड़ पा के िसपािहय को, एक भीषण सं ाम म कु चलते ए िववा वन पुजारी


ट और कांसे के पवत का िनयं ण अपने हाथ म ले लेता है। वह दु सुरा को
पिव स ऋिषय के पावन थल तक भी ले जाता है। उसके बाद ए भयानक
संघष म, िववा वन पुजारी सात मुिनय को बचाने का असफल यास करता
है। देवता क लगभग-परा त हो चुक तलवार, र -मा को उसी नीली अि
म प र कृ त कया जाता है, िजसम मुिन जलकर भ म ए थे, और हड़ पा का
सूय रा स-राजा सुरा का वध करता है।

ले कन तब तक काफ देर हो चुक थी। सात मुिन सर वती के अलौ कक पु


थे, जो अपने ब के वध से ोिधत हो चुक थी। र धारा न िसफ िववा वन
पुजारी और उसके वंशज को, बि क सम मानवजाित को शा त कलह,
हंसा और नफरत का अिभशाप देती है। वो और उसके जलते ए पु
भिव यवाणी करते ह क िववा वन पुजारी के वंश का येक पु उसी पीड़ा
और ू रता से मारा जाएगा, जो उस रात नीली अि म जलते ए स ऋिषय
ने भोगी थी।

बाद म, अंितम स ऋिष हड़ पा के देवता को आशीवाद देता है। इससे पहले


क िवशाल भू खलन मुिनय क पिव शरण- थली को लील जाता, अंितम
मुिन िववा वन पुजारी को भरोसा दलाता है क उसका पु मनु अिभशाप
और िवनाशकारी लय से अछू ता रहेगा।

स य त मनु ई र ारा क जाने वाली का मक शुि म मानवजाित का


बचाव करे गा।

अंितम मुिन ने फर िववा वन पुजारी क ांडीय िनयित के बारे म यह


घोषणा क —

‘तु हारा नाम अमर हो जाएगा, िववा वन पुजारी। अब से हजार साल


बाद, तुम फर से ज म लोगे—उस महान िनयित को पूरा करने के िलए, जो
इस ह पर आने वाले कसी भी दूसरे से अिधक महान होगी।

तुम इस काले मं दर के राज क र ा इसके अंितम समय तक करोगे। तुम ही


होगे जो अब से स दय बाद, रोिहणी न क पावन पू णमा को इस रह य
का उ ाटन करोगे।

ओ महान देवता, इसके िलए तु हारा ही चयन कया गया है।’

बनारस, 2017 (वतमान)—बनारस के घाट से देव-रा स मठ क


िच क साशाला म जाते ए िव ुत अपनी अंितम सांस ले रहा था। तेजी से
व थ होने पर, िव ुत को महान ारका शा ी के तांि क-संघष का पता
चलता है, िजसम उ ह ने िव ुत क आ मा को पाताल क गहराइय म कै द
होने से बचाया था।

िव ुत को अभी भी अपने सबसे अ छे िम बाला का िव ासघात खाए जा


रहा था, िजसने उसे घाट पर गोली मारकर घायल कया था। बाला अब मठ
क कोठरी म कै द था, और उसे अपने कए का कोई पछतावा नह था। वह तो
िव ुत को दु कारता है क कै से वो दुिनया क वा तिवकता से अनजान था। वो
िव ुत को बताता है क यू व ड ऑडर देवता (िव ुत) को भिव यवाणी म
समय, रोिहणी न तक जीिवत रखेगा। उनक बातचीत म देव-रा स
मठ म भयानक महा-तांि क, ि जट कपािलक के आने से वधान पड़ता है।
मसान-राजा के नाम से िव यात तांि क ारका शा ी पर ं य कर, िव ुत
का करीब से मुआयना करता है। उसके साथ आई ई दो ह या रन डा कन
तुरंत ही अघो रय क भीड़ म खो जाती ह।

बाला का कटा आ िसर उसी मेज पर रखा िमलता है, जहां िव ुत कु छ देर
पहले उससे बात कर रहा था। इस अमानवीय ू रता से अंितम देवता िहल
जाता है। उसके परदादा, शि शाली ारका शा ी िव ुत को यू व ड ऑडर
क भयानक कहानी सुनाते ह। वह बताते ह क कै से नाइसेआ क ऐितहािसक
प रषद् म भयानक वैि क नज रए क उ पि ई थी। वह उ ा टत करते ह
क कै से उनके शूरवीर पूवज अ त
ै शा ी ने महान कां टटाइन को इसके
िवकराल अंजाम से प रिचत कराया था, और कै से 12व सदी के नाइ स
टे पलर ऑडर क पहली मह वपूण सफलता थी। वो िव ुत को यह भी बताते
ह क कै से इस एका नज रए ने याह ातृसंघ म दुिनया के सबसे बुि मान,
मह वाकां ी और ताकतवर मनु य को एक कर दया।

सारे र पात और रह यो ाटन के बीच, िव ुत और नैना इतने करीब आ जाते


ह, िजतनी दोन म से कसी ने भी उ मीद नह क थी। नैना क अ ितम
सुंदरता के वशीभूत हो, िव ुत वयं को रोक पाने म असफल रहता है और
बनारस क उस आकषक लड़क को चूम लेता है।

रोम का िबग मैन एक बार फर से अपने गु चर को, हरी-आंख वाले, इटली


के डॉन मा के रा िबआंका या वाइट मा क के पास भेजता है। अब गु ातृसंघ
के मुख का िव सनीय िम बन चुके मा के रा का उदय र से भरी गिलय
से आ था—िमलान क गिलय म पेचकश से ह या करने वाला शाितर
ह यारा, अब यूरोप का िन ववा दत सरगना बन चुका था।

िव ुत और बलवंत बनारस हंद ू िव िव ालय के बुि मान ोफे सर ि पाठी


से मदद मांगने जाते ह। पहले अिन छु क सा लगने वाला वो तांि क, अंत म
िव ुत क छाया तले मठ के समथन म आ जाता है। मठ म ारका शा ी
ोफे सर का ानंद कहकर वागत करते ह। पुरोिहत जी िव ुत को बताते ह
क ि जट और ानंद, दोन कभी महान ारका शा ी के अनुयायी आ
करते थे!

ानंद अमावस क रात को मसान-राजा पर आ मण करने का सुझाव देता


है। उसके अनुसार उसी दन र बीज-अनु ान म वधान डालना उपयु
होगा। अगर उसे नह रोका गया, तो यह भयानक अनु ान ि जट को
अपराजेय बना देगा।

जब िव ुत, बलवंत और ारका शा ी ि जट कपािलक क य -शाला म


वेश करते ह, तो भयानक जंग िछड़ जाती है। मसान-राजा के तहखाने म,
हवन-कुं ड म िबछी लाश को देखकर, िव ुत को िनि त हो जाता है क वो
महातांि क के पाताल म कदम रख चुका था।

ि जट मृतक का आ वान करता है। हवन-कुं ड से दो डा कनी िनकलने लगती


ह, तभी ारका शा ी शि शाली िशव-कवच के मं ो ार से उ ह वापस
उ ह अंधेर म भेज देते ह, जहां से वो आई थ । िव ासघात करते ए,
ानंद िव ुत के िसर पर पीछे से वार करता है। देवता बेहोश हो जाता है।
जब वो दोबारा अपनी आंख खोलता है, तो वयं को ि जट के िवशाल हवन-
कुं ड के ऊपर लटका पाता है। तहखाने क गुफा के चार तंभ से िव ुत के
हाथ-पैर को, चार दशा म जंजीर से जकड़ दया जाता है।

एक-आंख वाले दानव, ानंद के परामश पर, मसान-राजा अपनी दो


ह या रन को ारका शा ी का िसर कलम करने का आदेश देता है। इस
अक पनीय हरकत से िव ुत ोध से भर जाता है। देवता गु से से एक तंभ को
चकनाचूर कर अपनी एक बांह को मु करा लेता ह, और दल दहला देने
वाली आवाज म िच लाता है—

‘तुमने बड़ी गलती कर दी, ओ मसान-राजा!’ दद, ोध और नफरत से भरा


िव ुत िच लाता है।

इसी के साथ वो दूसरे तंभ को िगराते ए अपने दािहने पैर को भी मु करा


लेता है, अब वो अि के िब तर पर कसी उड़ान भरते ई र क तरह झोटे
भरता है।

‘तुम भूल गए, ि जट!

म आधा-मनु य, आधा-भगवान !ं ’
ा थन

नवंबर 1991, फशरमैन’स वाफ, सैन ांिस को

वह जानता था क वो अिधक देर तक नह िछप पाएगा।

वो सं या म अिधक थे।

वो गंगा के घाट से लेकर िव यात अ का ाज़ जेल के पास के जमा देने वाले


पानी तक उसका पीछा करने म सफल रहे थे। वह जानता था क दुिनया के
सबसे खतरनाक आदमी उसके पीछे लगे थे... और उ ह कोई नह रोक सकता
था।

अभी तो नह ।

रोिहणी न क भिव यवाणी तक तो नह ।

मुझे एक फोन ढू ंढ़ना होगा।

मुझे बाबा को बताना होगा।

िजतना वो भीगे होने क वजह से कांप रहा था, उतनी ही थरथराहट उस


यो ा क भी थी, जो कड़े यु के अनुभव से यह जानता हो क उसका समय
आ गया था। जब वो यह जान गया हो क इस मुि कल से पार नह पाया जा
सकता था, और उसने अपनी आती ई मौत और श ु क िवजय को भांप िलया
हो।

ले कन यह कोई साधारण मनु य नह था। और उसे आसानी से परािजत नह


कया जा सकता था। उसने अपने आकषक चेहरे से, अपने लंबे भूरे बाल को
पीछे क तरफ झटका दया, और अपने बादामी आंख को कु छ पल के िलए बंद
कया। वो अपनी चेतना को अपनी कुं डिलनी म उतार रहा था, जैसा क
अिधकतर स म वै दक योगी अपने न र शरीर को हमेशा के िलए यागने से
पहले करते ह।

फर देव-रा स मठ का वंशज, अपने दांत को भ चे, उस ओपन-एयर रे तरां


के कोने से िनकलकर, उस अशुभ रात के अंधेरे म आ गया। वह शटर बंद
दुकान और सूप के टॉल क छाया म चलने लगा। जब वो चुपचाप फोन बूथ
क तरफ बढ़ा, तो नवंबर क िनदयी बा रश उसके चेहरे और चमकते काले
रे नकोट पर वार कर रही थी। उसे एक अंितम फोन करना था। उसे अलिवदा
कहना था।

इससे पहले क वो उन भेिड़य के झुंड से िभड़ता।

अके ले अपने दम पर।

एक िवशाल अ क -अमे रक आदमी, न जाने कहां से आ गया था। वो


लगभग सात फ ट लंबा था। वो कसी सांड क तरह चौड़ा था और भारी
बरसात का उस पर कोई असर नह हो रहा था। उसने अपनी बे ट से बड़ा-सा
लेड िनकाल िलया था।

काशी का तेज वी युवक िनभ क था। वह दानवीय आदमी क तरफ बढ़ा,


अपना रा ता छोड़, अपनी दािहनी तरफ क ि ल से छलांग लगाते ए, उसने
अपने बिल बदन को मोड़, एक लात अमे रक के िसर पर जमाई।

आदमी िवशाल पवत क तरह ढह गया, अपना चाकू यूं ही हवा म िहलाते ए।
मठ के वंशज ने फर एक और लात जमाई, और दु मन के हाथ से चाकू िगर
गया। वो अमे रक के पेट म जीत का अंितम मु ा मारने ही वाला था क उसे
अपने पीछे से जोरदार आवाज के साथ, कसी के असहनीय दद का अहसास
आ।

वो मुड़ा और उसने उस अंिधयारी, बरसात भरी रात म, वयं को दानव क


तरह दखते सात-आठ आदिमय से िघरा पाया। असाधारण मनु य अपने
हमलावर के पीछे दखते गो डन गेट ि ज क चमकती लाल रौशनी देख पा
रहा था। उनम से एक ने पहले ही अपनी तलवार से उस पर घातक वार कर
दया था। अ य दो उस पर अपनी लोहे क जंजीर से वार कर रहे थे।

उसके बदन से र यूं बह रहा था, मानो फटे ए गु बारे से पानी िनकल रहा
हो। उसक आंख के सामने अंधेरा छा रहा था। वो जानता था क उसका अंत
नजदीक था। ले कन उसने वयं को समेटते ए, ठं डे पसीने को झटका और एक
उनका मुकाबला करने के िलए खड़ा हो गया।
ले कन वो जानता था।

इसी तरह मेरा अंत होगा। इस बरसाती रात म। अपन से दूर।

एक िनमम ह या। जैसा क भिव यवाणी म कहा गया था।

‘बाबा......!’ दद और तकलीफ से सुबकते ए, वो फोन म िच लाया। ‘म... म


बोल रहा .ं .. बाबा...’

वो फोन बूथ के लास पैनल के सहारे टका आ था। बूथ क दीवार इस पिव
आ मा, स म योगी और अ भुत द यो ा के र से सनी थ ।

‘हां, मेरे पु , म जानता ,ं तुम ही हो... म जानता ,ं तुम ही हो!’ वृ ारका


शा ी रोते ए िच लाए।

मठाधीश जानते थे क या हो रहा था। उनका उससे सामना हो चुका था।


आिख़रकार, इतने साल धरती क काली ताकत से लड़ते ए, शा ी वंश का
एक और वंशज उस काले अिभशाप क बिल चढ़ने वाला था।

‘म जा रहा ,ं बाबा...’ वो िससका। ‘ले कन म उनसे खूब लड़ा, और म


िबलकु ल बहादुरी से लड़ा... बाबा...’

वह अब बेहोश होकर जमीन पर िगर गया, फोन का रसीवर अपने तार के


साथ उसके कान के पास लटका आ था।

‘कु छ कहो... कु छ बोलो... मेरे ब !े ’ ारका शा ी सुब कय म डू बने से पहले


फोन पर िच लाए।

वह िहला। काशी का वो आदमी, इतनी आसानी से, इतनी ज दी नह मरने


वाला था।

अपनी बची-खुची जान समेटते ए वो वापस से फोन तक प च


ं ा।

‘मने उ ह कु छ नह बताया, बाबा... मने उ ह काले मं दर का राज नह दया!’


पूरी जान लगाकर वो फु सफु साया।

ारका शा ी ने अपने दांत भ चे, आंसू उनक आंख से बह िनकले।

‘मुझे तुम पर गव है, मेरे ब ।े हम सबको तुम पर गव है।’


‘बाबा... मेरी प ी का याल रखना। और मेरे छोटे ब े का भी... बाबा! उसे
काशी म मत रहने देना। वादा करो मुझसे, बाबा... वादा करो क आप उसे
सुरि त रखोगे। िसफ आप ही उसे बचा सकते हो... बाबा...’

उ ेिजत, तड़पती ई आवाज धीरे -धीरे गुम हो रही थी।

‘म वचन देता ,ं मेरे ब .े ..’ ारका शा ी ने कहा, तकलीफ से उनक आवाज


दब रही थी।

वो फर से फु सफु साए।

‘म तु ह वचन देता .ं .. ओ ताकतवर का तके य!’


बनारस, 2017
‘ना.....ग!’

वो अंिधयारी, प थर क सी ढ़य से नीचे उतर रहा था। उस पेचीदा उतराई


क खड़ी सी ढ़य पर रौशनी के नाम पर िसफ उसी मशाल का काश पड़ रहा
था, जो उसने अपने हाथ म पकड़ी ई थी। दशक तक काशी के रह यमयी
सं थान म व र सद य के प म रहने के बावजूद, इस रह यमय तहखाने म
वो िपछले कु छ दन म ही पहली बार उतरा था।

उसके हर कदम से उस भयावह अंधेरे और मौत क सी ख़ामोशी म एक गूंज


उठती। उसके खड़ाऊं क खटखट उसक बेचैनी को और बढ़ा रही थी। वो बार-
बार पसीने प छते ए, भु िव णु क ाथना बुदबुदा रहा था। उसे यक न नह
हो पा रहा था क धरती म कतनी गहराई पर यह तहखाना बना था। उसने
इसके बारे म सुना तो कई बार था, ले कन अपने भयावय व म भी उसने
कभी यह क पना नह क थी क यह जगह इतनी डरावनी और रह यमयी
होगी।

जब उसने आिखरकार, तहखाने क जमीन पर पैर रखा, तब भी उसे कोई


राहत महसूस नह ई। असल म अब उसके काम के मुि कल िह से क शु आत
ई थी।

कांपते हाथ से उसने गुफा क दीवार म लगी ई दो मशाल और जला । धीरे -


धीरे अंधकारमय क अि क नारं गी लौ से कािशत हो गया।

अब जाकर तहखाने का वा तिवक िव तार दृ यमान हो पाया था। गु क


काले प थर से बना था, िजस पर पुराण म व णत, भगवान िशव और भगवान
िव णु क ाचीन दानव पर ा िवजय गाथाएं, आकषक न ाशी के प म
उके री गई थ । उन कलाकृ ितय क उपि थित ने ही उसे आगे बढ़ने का हौसला
दया। वह सावधानी से एक लंब,े अंिधयारे रा ते क तरफ बढ़ा, जो तहखाने
के क म बने क क ओर जा रहा था। उसे अपने गले म गांठ सी बनती
महसूस ई। भय उस पर दोबारा से हावी हो रहा था। और य नह ?

वह अब याह, मटमैले रा ते से गुजर रहा था।

वो रा ता जो उसे उस जीव तक ले जाने वाला था।

इस रह यमयी, अित-मह वपूण अितिथ के िलए सारे स मान के बावजूद भी


वो उसे कसी और िवशेषण से नह पुकार पा रहा था।

राह के म य म प च
ं कर, उसने रीढ़ म िसहरन उ प कर देने वाला हरे रं ग का
काश देखा। एक बार फर से, उसका दल धड़कना भूल गया। उस गु
तहखाने म यह उसका दूसरा च र था, ले कन फर भी उसके मन से वो पहली
बार वाला भाव नह िनकला था। दूर से आता काश अपने थान से िहला,
और उनके अलौ कक अितिथ के पृ पर तेज दखाई दया।

और फर उसने सुनी। वो आवाज जो दीवार , छत और दीवार पर बनी


ितमा से आती जान पड़ रही थी। वो नस को सु कर देने वाली फु फकार
थी।

कसी िवकराल, आ दकालीन सप क फु फकार!

वो नह जानता था क यह पारलौ कक आवाज कहां से आ रही थी। ले कन यह


देव-रा स मठ के परतदार- वचा वाले अितिथ क उपि थित क घोषणा सी
करती तीत हो रही थी। उस म यकालीन तहखाने से आती वो ठं डी, िनमम
फु फकार बता रही थी क वहां कस ने उपि थित दज कराई थी...

‘नाग...’

‘ना.....ग...’

‘ना.....ग...’

वो िनमम फु फकार उस तहखाने के येक कण, येक कोने से आती जान पड़


रही थी।

और भय के िन ु र तीर क तरह, उसने पुरोिहत जी क आ मा को भी भेद


दया।

अपने दोन हाथ से अंजुली बना उसने उस बा टी से दूध िलया, जो पुरोिहत


जी उसके िलए लेकर आए थे। उसके लंबे बाल ने पूरी तरह उसका चेहरा ढंक
रखा था, और बीस फु ट क दूरी से भी वृ पुजारी समझ सकता था क उनका
यह मेहमान आकार म ब त बड़ा था, शायद आठ फु ट से भी कु छ अिधक।
य िप उसक आकृ ित इं सान क तरह ही थी, ले कन उसक वचा सरीसृप
जाित क थी। और भय त होने के बाद भी, पुरोिहत जी सहमत थे क
उसक परतदार वचा से जो तेज िनकल रहा था, वैसा उ ह ने पहले कभी नह
देखा था।

पुरोिहत जी का मुंह सूख गया, जब उ ह ने उसके पैर पर एक कोबरा को रगते


ए देखा। उ ह ने नीचे देखने क िह मत नह क , य क वो जानते थे क
वहां या होगा। दजन जहरीले कं ग कोबरा इस सप-मनु य के दास थे।
ले कन कभी भी उ ह ने उससे िमलने आए कसी आगंतुक को डसा नह था—
अभी पुरोिहत जी आगंतुक थे। कोबरा अितिथ के बिल कं ध , उसक
शि शाली बांह पर हमेशा क तरह िवराजमान थे। ये साफ़ था क वो उसक
इ छा के दास थे।

उस सप मनु य के स मान म हाथ जोड़ने से पुरोिहत जी वयं को रोक नह


पाए। उसम कु छ तो चुंबक य आकषण था। और फर अगर शि शाली ारका
शा ी ने पुरोिहत जी से कहा था क उस अितिथ क देखभाल ठीक वैसे ही
करना, जैसे तुम वयं भगवान िशव क करते हो, तो ज र उसक कोई तकपूण
वजह होगी।

ले कन वो मूलभूत भय, जो उस पिव ‘जीव’ क उपि थित म आ याि मक


प से संप , पुरोिहत जी को भी हो रहा था, उसने दूसरे सभी भाव को दबा
दया। उस रह यमयी अितिथ के िलए मीठा दूध प च ं ाने के अपने कत के
बाद, बुि मान पुजारी ने वहां से चले जाने का िनणय िलया।

‘ भु, अब म जाने क आ ा चाहता ,ं ’ पुरोिहत जी ने िवन ता से अपना िसर


झुकाकर कहा।

तेज वी अितिथ ने िसर िहलाकर आ ा दी, उसका िसर अभी भी उसक


हथेिलय म था। ले कन जैसे ही पुरोिहत जी मुड़ने को ए, उस अितिथ ने
अपना िसर उठाया। य िप उसके लंबे बाल अभी भी उसके चेहरे पर पड़े ए
थे, ले कन उसक तेज आंख ने देव-रा स मठ के पुजारी को देखा, और पुजारी
भय से बेहोश होते-होते बचा।
वो कसी मनु य के ने नह थे। वो सीधे अंधेरे को भेदकर, काले आसमान म
भयावह सूय के समान चमक रहे थे।

वो एक अन र, आ दकालीन सप के पीले और काले ने थे।


हड़ पा, 1700 ईसापूव
‘भगवान ने... हम याग दया!’

वो नगर क सीमा पर बनी दीवार से उसे देख रहे थे। वो भारी सेना से िघरे
उनके ार क तरफ कसी िनभ क संह क तरह बढ़ रहा था।

िजन लोग ने उसे पहले देख रखा था, उ ह भी वो शानदार ढंग से कु छ िभ


दखाई पड़ रहा था। तूफानी रात के इस अंिधयारे और िझलिमलाते मशाल के
काश म भी, हड़ पा के उस सूय पु म उ लेखनीय प रवतन दखाई पड़ रहा
था।

उनम से कोई भी नह जानता था क वो बदलाव या था। वो नह जानते थे


क वो बदलाव आ कै से था। य क उनम से कसी को भी नह पता था क
िपछले कु छ दन से मनु कस दैवीय अि त व के साथ था।

मनु का ि व, अिधक नह तो, अपने महान िपता क तरह ही आंख


च िधया देने वाला था। उसक एक झलक भर से सैकड़ हड़ पावािसय क
आंख से दुख और पछतावे के आंसू बह िनकले। वो मानने लगे थे क अगर
हड़ पा का सूय जीिवत होता तो ये सब कोहराम नह आया होता।

अगर िववा वन पुजारी जीिवत होता तो इस अव यंभावी लय को भी टाला


जा सकता था।

शायद वो सही सोच रहे थे।

उसके दािहनी तरफ उसक ि य साथी तारा थी। वो उसके साथ कसी यो ा-
राजकु मारी क तरह घुड़सवारी कर रही थी, उसक कमर पर उसक तलवार
लटक ई थी। उसके हाथ म उसका पसंदीदा फरसा था, मानो वो अके ले ही
पूरी फौज का सामना करने के िलए तैयार थी। पंिडत सोमद मनु के बा
तरफ था। उसक स मािनत उपि थित उस पल को अिधक िव सनीय और
गंभीर बना रही थी।

अपने िनजी यो ा और सोमद क टु कड़ी के अित र , मनु के झंडे तले


आने वाले म य- जाित के सैिनक ने उसक सै य े ता को बढ़ा दया था।
हड़ पा के िनवािसय और सैिनक ने कभी ऐसी अपराजेय सेना नह देखी थी।
िजस तरह म य- जाित के िसपािहय ने अपनी एकताल और एकाकार भाव
से मनु को च कत कर दया था, वैसे ही अब हड़ पा के वासी मु ध थे। वो सभी
िनभ क और अपरािजत लग रहे थे।

ार से सौ कदम दूर रहने पर, मनु ने अपनी दािहनी मु ी ऊपर उठा दी। यह
उसक सेना को कने का आदेश था। कु छ ही पल म, घोड़ के चलने और
हिथयार के खनखनाने क आवाज शांत हो गई। हड़ पा के वासी पूरी तरह
खामोश थे, और वो नगर क दीवार म बने झरोख से झांक रहे थे। वो नह
जानते थे क िववा वन पुजारी के बेटे से या उ मीद कर। या मनु नगर का
िवनाश करने आया था? या वो अपने अपकृ त अिभभावक के भयानक अंत
का बदला लेने आया था?

तेज हवा और लगातार गरजते बादल के बीच बस ऐसी ही फु सफु साहट


सुनाई दे रही थी।

मनु घोड़े से उतरा और उसके एक िसपाही ने उसे मशाल पकड़ाई। उसने


सोमद को देखा, िजसने धीमे से िसर िहलाकर उसे अपना समथन दया। वह
धीरे -धीरे ले कन दृढ़ कदम से नगर क दीवार क तरफ बढ़ा, वो जानता था
क डरे ए हड़ पावासी वहां से उसक बात सुन पाएंगे। उनके नजदीक
प चं कर, मनु ने अपनी तलवार यान से बाहर िनकाली, सबको दखाने के
िलए उसे उठाया, और फर उसे जमीन पर िगरा दया, सबको कसी धातु के
िगरने क तेज आवाज सुनाई दी। वो उन लोग को भरोसा दलाना चाहता
था, जो कभी उसके महान िपता को ेम करते थे क वो वहां उ ह नुकसान
प च ं ाने नह आया था।

ले कन वो नह जानते थे क मनु वहां िसफ उ ह ही नह , बि क सम


मानवजाित को बचाने आया था। पु ष को, मिहला को और ब को। वृ
और युवा को। धनी और िनधन को। पािपय और संत को। उन सबको।

वो वहां उ ह िनि त िवनाश से बचाने आया था।

वह उ ह लय से बचाने आया था!

‘हड़ पावािसय , मेरी बात सुनो!’ मनु ने उन हजार लोग से िच लाकर कहा,
जो ऊंची दीवार के पीछे एक हो गए थे, वो अपनी गदन ऊंची करके उस
आकषक युवक क एक झलक देखना चाहते थे, जो उ ह संबोिधत कर रहा था।

‘हड़ पा म ऐसी लय आने वाली है, िजसक कभी कसी ने क पना भी नह


क होगी!’ उसने कहा। ‘ये बफ ला तूफान जो भूिम को भूखे अजगर क भांित
िनगल रहा है; ये कभी न कने वाली बा रश, िजसने हमारी आ मा तक को
िभगो दया है; गरजते बादल क यह दहाड़, कसी शैतान क तरह आग उगल
रही है—ये और कु छ नह बि क उस िवनाश क अशुभ चेतावनी है, जो
आयवत क तरफ बढ़ता चला आ रहा है!’

महानगर के वासी ये सुनकर त ध थे। िपछले कु छ दन से हो रही


अ ाकृ ितक, दल को दहला देने वाली घटना क वजह से वो कु छ भी मानने
को तैयार थे। हड़ पा के आम जन के बीच एक िविश ि भी खड़ा था,
िजसने वयं को िसर से लेकर पैर तक दुशाला से ढंक रखा था। वो भी दूसरे
लोग क ही तरह िववा वन पुजारी के बेटे के मुख से िनकली बात को सुनने
के िलए उ सुक था।

वो पंिडत चं धर था, हड़ पा का कु छ ही दन के िलए बना, बद क मत राजा।

‘ओ हड़ पावािसय जल का एक िवशाल पवत आपके नगर क तरफ बढ़ रहा


है! एक िवनाशकारी लय, जो सम त बसावट को एक हर से भी कम समय
म िनगल जाएगी। आपको अपने ब को बचाना होगा। आपको वयं को
बचाना होगा। आपको मुझ पर िव ास करना होगा! हम तुरंत यह नगर खाली
करना होगा... अभी!’

दीवार क मुंडरे पर पसरा मौत का स ाटा अब फु सफु साहट म बदल गया।


या इस युवक का भरोसा कया जा सकता था? या उसने वो जल पवत देखा
था, िजसक वो बात कर रहा था? और अगर उसने देखा था, तो वो उससे कै से
बचा?

‘ओ सूय पु , हम आपक बात का भरोसा य करना चािहए?’ कसी ने


िच लाकर पूछा। ‘आने वाले भिव य के बारे म आप इतने िनि त कै से ह?’

अब तक, सोमद भी आगे बढ़कर मनु के पास प च ं गया था। हड़ पा के


स मािनत अिभयंता को हर कोई पहचानता था और उसके अिभवादन म ब त
से हाथ जुड़ गए। लोग जान गए थे क वो सोमद ही था जो मुि कल समय म
हड़ पा के सूय के साथ खड़ा था। इस बात ने भी सोमद के ि व को
अिधक पू य बना दया था। आज येक हड़ पावासी सोमद बनना चाहता
था।
‘चचा और बहस का समय िनकल चुका है, िम । हर गुजरता पल हम मृ यु के
जबड़े के और करीब ले जा रहा है,’ सोमद ने तेज आवाज म कहा। ‘यह युवक
महान िववा वन पुजारी का पु है—उस ि का, िजसने इस नगर और
इसके िनवािसय को अनेक आपदा से बचाया था। आपको इस पर भरोसा
करना ही होगा। म आपसे िवनती करता ।ं इस अनमोल पु पर भरोसा करो!

स य त मनु का िव ास करो!’

शािपत नगर के ब त से लोग ने एक झटके म ही अपने घर याग दए थे—


और अपने ब और कु छ ब मू य सामान को गठरी म बांधकर साथ ले िलया
था। दूसरे लोग अभी भी नगर क दीवार पर खड़े संदह
े से उ ह देख रहे थे।

अचानक एक तेज आवाज राि क बयार को चीरती ई सुनाई दी।

‘ई र ने... हम याग दया है!’ एक वृ मिहला िच लाई।

उस कोलाहल भरी राि म, उसक कांपती ई भयावह आवाज ने सबके दल


को दहला दया था ।

‘नह , उ ह ने हम नह यागा है!’ मनु ने यु र म कहा।

‘कम से कम उनम से एक ने हम नह यागा है...’ एक पल बाद ही उसने वयं


से बुदबुदाते ए कहा।
बनारस, 2017
एक शािपत असुर स ाट, एक
परािजत कौरव युवराज, एक अधम
तांि क

वह ऐसा लग रहा था मानो उसके पूरे बदन को लाल लपट ने िनगल िलया
हो।

तेज वी िव ुत अब ि जट कापािलक के हवन-कुं ड के जलते अंगार के बीच से


बाहर आ रहा था। जब क हर कदम के साथ वो दद से तड़प उठता था, ले कन
फर भी इस जलन का उस आग से कोई मुकाबला नह था, जो देवता के दल
म जल रही थी।

मसान-राजा ने अपनी सारी सीमाएं पार कर दी थ , जब उसने अपने दो


िनदयी सािथय को दराती से ारका शा ी का गला काटने का आदेश दे दया
था, वैसे ही जैसे उसने बाला का िसर धड़ से अलग करवाया था। भिव यवाणी
म देवता पर ा ई कु छ ण क जीत के नशे म अंधे हो, ि जट और
ानंद ये भूल गए थे क महान मठाधीश िव ुत के प रवार के इकलौते
जीिवत सद य थे। उसके यारे बाबा!

और इस कृ य के िलए देवता उ ह कभी मा नह करगे।

ानंद को अपनी अके ली आंख पर िव ास नह आ, जब उसने िव ुत को


जलते ए हवन-कुं ड से बाहर आते देखा, िव ुत के पैर के नीचे आते जलते
कोयल से उसे कोई असर नह पड़ रहा था। वो धरती के नीचे से िनकलते ए
आ दकालीन तेज वी राजकु मार क तरह लग रहा था। दोन डा किनय का
यान भी उसी पर लगा था, िजसने अपनी बिल मांसपेिशय ारा लोहे क
जंजीर और मजबूत च ान से बने तंभ को तोड़ दया था।

ले कन सबसे अिधक अनपेि त और आ यभरी ित या और कसी क नह ,


बि क वयं मसान-राजा क थी। ि जट कुं ड से कु छ दूरी पर, जड़ खड़ा िव ुत
को िबना पलक झपकाए एकटक देख रहा था। मानो कसी बेहोशी म वो बार-
बार यही श द दोहरा रहा था।

‘ये वही है

ये वही है

ये वही है...’

उसके अनुयाियय ने पहली बार मसान-राजा के चेहरे पर मृ यु का भय देखा


था।

िव ुत के मन म कोई संदह
े नह था। दोन डा किनय को स त सजा दी जानी
चािहए थी। उ ह ने बेरहमी से बाला का िसर धड़ से अलग कया था, वो भी
तब जब उस पितत खलनायक के हाथ बंधे थे और वो आ मर ा तक नह कर
सकता था। और अब, वो ि जट के आदेश पर िव ुत के परदादा का िसर धड़ से
अलग करने चली थ । वो इं सान नह थ । कम से कम अब तो नह । और अब
उ ह ख म कया जाना ज री था।

िव त
ु सुिनि त करना चाहता था क आज के बाद वो डा किनयां कसी अ य
ि को नुकसान न प च
ं ा पाएं।

वो देवता के अनुमान से अिधक ती थ । जैसे ही िव ुत कुं ड से उछलकर


ारका शा ी के पास वाली डा कनी क तरफ बढ़ा, वो वहां से नािगन क सी
फु त से भागी। इससे पहले क िव ुत जान पाता, वो हाथ-पैर के बल
कलाबाजी मारते ए िव ुत के पीछे प च ं गई। एक अ य त दाव के साथ,
उसने िव ुत पर अपनी तेज दराती से वार िलया। ले कन वह ह या रन नह
जानती थी क वो कसके सामने खड़ी थी।

िव ुत ने अपना िसर घुमाया, और कसी द कक-बॉ सर क तरह, हवा म


उछलते ए अपनी दािहनी टांग से डा कनी के चेहरे पर वार कया। वो कक
उस पर ए स ेस ेन के बल से पड़ी। अपने सारे रण-कौशल के साथ, वो िन ु र
ह या रन खून उगलते ए धरती पर जा िगरी। दस सैकंड से भी कम के समय
म िव ुत ने उस दु दु मन का सफाया कर दया था।
अपने दूसरे मु े के साथ तैयार होकर, िव ुत दूसरी डा कनी क तरफ मुड़ा।
उसने जो देखा वो उसक उ मीद से िब कु ल परे था।

दूसरी ह या रन ने अपना हिथयार िगरा दया था और वो डर से कांप रही थी।

धीरे -धीरे गुफा के कोने क तरफ बढ़ते ए, वो अपने घुटन पर ढह गई थी,


उसक लाल आंख से आंसू बह रहे थे।

मानो भयभीत ि जट अपनी जुड़वां क कठोर पराजय के बाद, बद क मत


अचानक कसी काले जादू से मु हो गई थी।

िव ुत थक चुका था, वह बुरी तरह से घायल और झुलसा आ था। ले कन वो


टू टा नह था।

वो महातांि क के आदिमय को देखने के िलए मुड़ा, जो इस पाताल म, मसान-


राजा के नेतृ व म साल से राज करते आए थे। ले कन अब उनम से कोई भी
इस भूिमगत गुफा के लाल अंिधयारे म दखाई नह पड़ रहा था। वो बदमाश
पहले ही देवता के शु आती हमले म घायल हो चुके थे। और अब इस आदमी
देवता को प थर का तंभ और लोहे क जंजीर तोड़ते देखने के बाद, वो वहां से
दुम दबाकर भाग चुके थे।

ऐसे समय जब मसान-राजा को अपने अनुयाियय क सबसे अिधक


आव यकता थी, तो उसके साथ खड़े होने के िलए कोई नह था।

फर वो आयवत का हारा आ असुर स ाट हो, या प े ायन झील क


गहराइय म िछपा परािजत कौरव राजकु मार या भयानक तांि क, जो ांड
के येक संसार म, येक समय म पथ- आ हो... ले कन बुराई का अंत
ऐसे ही होता है।

अके ले।
हड़ पा, 1700 ईसापूव
चं धर

वो नजारा अिव सनीय और अ भुत था।

हड़ पा के दिसय हजार पु ष, मिहलाएं और ब े महानगर क अंधेरी गिलय


म उतर आए थे, जो गरजते बादल और कड़कती िबजली क चमक से बार-
बार नीले काश से कािशत हो उठते थे। वो तेज तूफ़ान और ठं डी बा रश को
चुनौती दे रहे थे।

उन सबने एक आदमी पर अपना भरोसा प ा कर दया था। एक बार फर से।


उ ह ने अपना िव ास वापस िववा वन पुजारी पर थािपत कर िलया था।
उनक मृ यु के प ात भी। अब वो लोग मानने लगे थे क अगर स य त मनु म
अपने महान िपता के च र क लेशमा भी िवशेषता होगी, तो वो ही उ ह
इस आपदा से बचा सकता था।

यहां तक क शि शाली सर वती के िवनाशकारी लय म डू बने के बाद भी,


हड़ पा के सूय ने अपने लोग को नह यागा। वह उनके दल म था, उनके
पछतावे और उनक आशा म भी।

संप ापारी और पुजारी अपने घोड़ पर सवार हो गए थे, उनके प रवार


उनके पीछे ढक ई घोड़ा-गाड़ी म थे। हजार दूसरे लोग बैल-गािड़य म थे,
ज दी म जो भी हाथ लगा था, उसे उ ह ने गठरी म बांध िलया था। ले कन
अिधकांश जनता पैदल ही चल रही थी, यक नन वो सभी आगे के अंतहीन
सफर से डरे ए थे।

हड़ पा क सेना भी िछ -िभ होकर, इस महान गमन म नाग रक के साथ


चल दी थी। वो नशा जो मैसोपोटािमया के जादूगर अप-शा-गुन के दए जहर
से आ था, अब हड़ पा के यो ा उसके भाव से िनकलने लगे थे। पछतावे म
आकर वो सब अब उन दन को याद करके रो रहे थे, जब हड़ पा के सूय ने
उनका हाथ पकड़कर, उ ह तलवार चलाना िसखाया था। उनम से ब त से
लोग को याद आ रहा था क कै से ेह से देवता ने उ ह अ को िनयंि त
करना िसखाया था, वो पशु िजस पर आज उ ह गव था।

ये िसपाही जानते थे क अब वो परािजत और नेतृ व िवहीन थे। रं गा के हंसक


अंत क कहानी उनके कान तक िपछली रात को ही प च ं ी थी और वो देख रहे
थे क उस युगल मुकाबले का िवजेता आज उनक तरफ सहायता का हाथ
बढ़ाने आया था। उ ह ने र -वषा के बारे म भी सुना था, िजसम िववा वन
पुजारी को बचाया गया था। वो हड़ पा के सूय के हाथ बेरहमी से मरे
सेना य क कहानी से भी अनजान नह थे।

जो वो शि शाली देवता िववा वन पुजारी के िलए नह कर पाए थे, वो अब


उसके शूरवीर पु के िलए करने वाले थे।

वो अकिथत प से स य त मनु के आदेश का पालन करने वाले थे।

बुि मान, साहसी ले कन दयनीय प से बद क मत पंिडत चं धर अपने भ


महल के िनजी क के ार पर बैठा था। उसने एक िनजी य करके ांड के
येक कण से अपनी सम वीरता, द ता और साहस का आ वान कया था।
उसने अपनी पसंदीदा लंबी-तलवार भी यान से बाहर िनकाल ली थी, जो
उसके स मुख चमकते तंभ क तरह खड़ी थी। उसके हाथ उस तलवार के मूठ
पर थे, जब क तलवार का िसरा नीचे चमकते फश को छू रहा था।

अगर उसका भांजा अपने अिभभावक संजना और िववा वन क यातना और


मृ यु का बदला लेने आता है, तो इसम उसका कोई दोष नह होगा।

ले कन मेरे ब ,े उसके िलए तु ह मेरी लाश पर से गुजरना होगा।

चं धर को अपने ाण क परवाह नह थी। वो तो अंदर से उसी दन मृ यु को


ा हो गया था जब वो अपने ि य िम , मागदशक और आयवत के संर क,
िववा वन पुजारी क यातना और उस पर प थर फके जाने का मूक सा ी बना
था। ले कन उस िव ष
े पूण ष ं के बावजूद भी, जो उसने हड़ पा के िखलाफ
रचा था, उसक स ा क भूख के बावजूद भी, उसक नफरत से हड़ पा म आई
तबाही के बावजूद भी, उसे ि य वदा को संरि त करना ही था। वो उसके
जीवन का ेम थी।

वो उसक प ी थी।

अब तक, चं धर अ छी तरह समझ गया था क अपनी प ी के ित उसका


अंधा- ेम और कु छ नह बि क उसक मानिसक बीमारी थी। उसके यार क
वजह से वो तक भूल जाता था। उसक वजह से वो वा तिवकता और त य का
अंतर भूल जाता था। उसके यार ने उसे दानव बना दया था।

इतने र पात और धोखे के बाद भी, इतनी मौत और तबाही के बाद भी,
हड़ पा के पहले और अंितम राजा क आंख नह खुली थ ।

ना ही कभी खुलगी।

और िसफ इसी वजह से, इितहास उसे हमेशा के िलए अपने प से िमटा देने
वाला था।
बैरकपुर (बंगाल), 1856
आय का असाधारण आ मण

आधी रात बीत चुक थी।

य िप भारतीय गम म भी रात 9 बजे तक अपना काम समेट लेते थे, ले कन


आज रात अपने महोगनी मेज पर बैठा आ, ि टश अिधकारी कागज से
नजर नह हटा पा रहा था। तेल के दीये क म म रौशनी म वो पढ़ रहा था,
उसका कमरा उसके िसगरे ट के धुएं से भरा आ था, जो वो लगातार िपए जा
रहा था।

यह अिव सनीय है।

वेन ए ूक अद य ई ट इं िडया कं पनी का युवा अिधकारी था। दो सदी से भी


कम समय म वो कं पनी मुगल सा ा य को टै स और स कार देने वाली कं पनी
से ऐसे िवशाल सा ा य म प रव तत हो चुक थी, जो पूरे भारत पर शासन
करती थी। कभी अपराजेय रहे मैसूर के शेर, टीपू सु तान क 4 मई 1799 को
ई पराजय और ह या के बाद ई ट इं िडया कं पनी अबाध हो गई थी। और इस
भुस ा के साथ ही उपमहा ीप म अगले कु छ दशक हंसक इितहास के गुजरे
—ि टश दंभ के ।

अं ेज अिधकारी, लक और िसपाही जो जहाज से बॉ बे और कलक ा के


पोत पर शु आती साल म उतरे , उ ह तुरंत ही हंद ु तान से यार हो गया।
भारतीय प रधान से लेकर भारतीय बीिवय तक, इन अं ेज ने देश को खुली
बांह से गले लगाया। ले कन फर चीज बदलने लग । कं पनी अिधका रय क
नई खेप शासक के अिभमान के साथ आई, और वो हर देसी चीज को असंतोष
से देखने लगे। प रणाम व प, भारतीय िसपािहय क रक म घृणा पनपने
लगी। गुपचुप इशारे और संकेत एक अनकहे िव ोह क कहानी कहने लगे।

नफरत और मौत क पुरानी भिव यवाणी एक बार फर से साकार होने जा


रही थी।

र -धारा का अिभशाप सच होने जा रहा था।

पुराने, पीले प को पलटते ए, वो बार-बार पढ़ने वाले अपने गोल च म को


साफ कए जा रहा था। वेन ए ूक अपने आसपास के दूसरे अं ेज अिधका रय
से िभ था, और भारत क संप सं कृ ित और अतुलनीय िवरासत क दल से
सराहना करता था।

मैनचे टर म पैदा ए और संघषरत प रवार म पले, वेन को अपनी िश ा पूरी


करने और नामी ई ट इं िडया कं पनी म नौकरी पाने के िलए अनेक पापड़ बेलने
पड़े थे। कू ल म अमीर ब के बीच हंसी का पा बनकर पढ़ते ए, वेन ने
सादगी और स नता को सराहना सीख िलया था। जब वो मैनचे टर के नव-
धना समाज क ज टल गिलय म से गुजर रहा था, तभी उसने सादगी को
अपनाना सीख िलया था।

और भारतीय क इसी सादगी और स नता ने ही युवा और ईमानदार


अिधकारी का दल जीत िलया था।

और उसके िलए संकट भी।

‘मुझे... मुझे कनल सडस से अभी िमलना होगा,’ उसने बैरकपुर छावनी के
म य म बने कनल सडस के आलीशान बंगले के दरवाजे पर, उसके भारतीय
रसोइये से कहा।

वेन अपने कागज एक कर अपने व र से िमलने आ गया था। उसे ये दुलभ


कागज आगरा और औध (आधुिनक उ र देश) के उ र पि मी े , याग
म एक हंद ू पुजारी ने दए थे। पुजारी ने यह कहकर वेन को हैरान कर दया
था क वो चालीस साल से अिधक समय से उसक ती ा कर रहा था। जब
अं ेज ने उसे बताया क चालीस साल पहले तो वो पैदा भी नह आ था, तो
पुजारी ने वेन के बारे म सब कु छ बताकर उसे त ध कर दया। उसने उसका
ज म थान, उसके अिभभावक और उसक जीवन घटना का सम योरा
सुना दया।

‘इस, हंद ु तान म ही सब स यता का ज म आ है, वेन साहेब। इन ंथ को


लीिजए और अगर हण कर सकते ह, तो उस सच को प ढ़ए,’ कहते ए
पुजारी ने अपने झुर दार हाथ से वेन को पुराने कागज का एक पु लंदा पकड़ा
दया। ले कन उस दन के बाद से, हर रात वेन उस पुजारी क दी ई चेतावनी
क वजह से सो नह पाया।

‘आपको नुकसान प च
ं ाने से पहले वो एक बार भी नह सोचगे, साहब। बुराई
क काली ताकत से होिशयार रहना।

ऑडर से होिशयार रहना...’

वेन ये सोचे िबना नह रह सका था।

अगर पुजारी मेरे अतीत के बारे म जान सकता था, तो वो मेरा भिव य भी देख
सकता था। वह जानता है क मेरे साथ या होने वाला था।

ले कन उन ंथ म से जो राज वेन के सामने खुला था, वो उसक जान से


अिधक बड़ा था।

‘ये बकवास है, वेन!’ अपने अ ययन क म रखी मेज पर मु ा मारते ए


कनल सडर िच लाया।

एक पल वयं को शांत करते ए, वो कमरे के एक कोने म रखी लकड़ी क


अलमारी क तरफ गया, वहां इकलौती लालटेन जल रही थी। उसने दराज
खोलकर कॉच ि ह क क बोतल िनकाली। िबना कु छ कहे, उसने दो टल
िगलास म उसे उं डेल िलया। वो वेन क तरफ मुड़ा और घबराए ए युवा
अिधकारी को एक िगलास पकड़ाया। सडर फर अपनी डे क के पीछे बैठ गया।
उसने अपनी बेहतरीन ि ह क का एक घूंट भरा और िसगार जलाया। फर
उसने अपने िसगार से इशारा करते ए, वेन को सामने क तरफ बैठने के िलए
कहा।

‘देखो वेन, इस काम के िलए मने वयं तु हारा चयन कया था। म ये नह कह
रहा क तुम अ छे मानविव ानी और इितहासकार नह हो। बि क, तुम तो
ब त अ छे हो! ले कन इस िवषय क संवेदनशीलता के चलते, म तु ह सीधे
अपनी कमांड म लेकर आया। म हमेशा जानता था क म तुम पर भरोसा कर
सकता ।ं ’

‘जी, सर...’ वेन ने अपने िगलास से सुनहरे का एक घूंट भरते ए कहा।


उसे भी खुद को सहज करने क आव यकता थी।

‘तो, जब तुम कह रहे हो क तुमने इन ाचीन ह त-िलिखत ंथ को पढ़ा, और


क आय कभी भारत म बाहर से नह आए, तो तुम एक बड़ी योजना पर संकट
का संकेत कर रहे हो,’ सडर ने अपनी बड़ी सी मु कान के पीछे अपना डर और
िनदयता को बड़ी मुि कल से िछपाते ए कहा।

‘कनल सडस, सर, अगर आप मुझे आ ा द तो म समझा सकता — ं 1842 म


चा स मेसन ने िजन अवशेष को खोजा था वो कसी सामा य व था के नह
थे। इन म यकालीन कागज म ये बात प है। ये कागज एक ाचीन ंथ का
अनुकरण ह। वो कहते ह क इसक मूल ित और कसी ने नह , बि क महान
मुिन-राजा स य त मनु ने िलखी थी!’

अपनी मेज के नीचे िप तौल पर सडस क पकड़ मजबूत हो गई।

फर उसने उसे ढीला छोड़ दया।

म इसे वयं नह मार सकता। यहां नह । छावनी के म य म नह ।

वेन नह जानता था क वो मौत के कतना करीब आ गया था। एक स े


शोधाथ क तरह वह पढ़े ए पर यक न कर, उसका वणन कर रहा था।

‘सर, िपछले कु छ दन म म कई हंद ू पंिडत से िमला। उ ह ने मुझे बताया क


यह स य त मनु कोई साधारण मनु य नह था। उसने िवनाशकारी लय के
समय सम सृि को बचाया था। मनु हंद ु के िलए वही है जो नोआहम
ईसाईय के िलए था। दरअसल, कु छ श द- ु पि शा ी ारा ये संकेत करते
ह क नोआ कसी ि का नाम नह था। इसक उ पि नौका या नैया या
नाव से ई थी!’

कमरे म भयानक स ाटा था। मानवजाित का स य बताने क उमंग म वेन


सडस के चेहरे पर आए भयावह भाव को कोई नह देख सका।

‘सर, वो अवशेष पृ वी क सबसे ाचीन स यता के थे। सर वती स यता के !


भारत मानवजाित क उ ित का क था। इसक भूिम दुिनया के कसी भी देश
या ांत से अिधक सं कृ ित संप थी! और हम इस भ स य को दुिनया के
सामने लाना ही चािहए, सर।’

वृ , झुर दार पुजारी सही कह रहा था।

ऑडर वेन क बात सुन रहा था।

उसने कलक ा यून के संपादक का आभार कया और उस िति त


अख़बार के भरे ए कायालय से बाहर िनकल गया।

जब वेन कलक ा क भीड़ भरी गिलय और खान के ठे ल के पास से गुजर


रहा था, तो कु छ सोचते ए परे शान था। वो कनल सडस ारा िप तौल क
न क पर कागज िलए जाने से हैरान था। उसने कभी क पना भी नह क थी
क ई ट इं िडया कं पनी का इतना व र अिधकारी ऐसी हरकत करे गा। ले कन
वो खुश था क कनल से िमलने जाने से पहले उसने कागज क एक अ य ित
भी तैयार कर ली थी।

जब शाम क धुंधलाती रौशनी म कसी ने उसे पीछे से आवाज लगाई, तब भी


वो िवचार म ही खोया आ था।

‘कै टन वेन ए ूक...?’

‘जी...’ कहते ए वेन उसे देखने के िलए मुड़ा िजसने उसे आवाज लगाई थी।

वेन का त-िव त शव राइटस िब डंग से े ीएट के सामने एक पेड़ पर


लटका आ था। सभी अखबार ने इसे दो भारतीय िसपािहय क हंसा मक
कायवाही माना था। ले कन सच कु छ और था। अिधक भयानक।

र क यास वाली भिव यवाणी वापस से अपना िसर उठाने वाली थी।
बनारस, 2017
रा स-बिल

िव ुत ने ि जट के अनुयाियय ारा छोड़ी ई तलवार उठाई और महान


मठाधीश के बंधे ए हाथ को खोला। फर उसने अपने बाबा के पास वापस
आने से पहले, बलवंत को आजाद कराया, आिखर म उसने अपने बाबा को
जमीन से उठाया और उ ह कसकर गले से लगा िलया।

‘मुझे मा कर देना, बाबा, मने इतनी देर लगाई। मुझे अफसोस है क कसी ने
मुझ पर पीछे से वार कया और म समय रहते सचेत नह हो पाया...’

ारका शा ी त ध थे। एक िमनट पहले ही, एक धारदार दराती से उ ह


ददनाक मौत िमलने वाली थी। और पलक झपकने भर क देरी से, उ ह ने
अपने परपोते को फिन स के समान पाताल क गहराई से िनकलते देखा।
ले कन इससे भी अिधक, वह येक सांस और येक पल िगन रहे थे। अपने
अंत का पल। वह समय आया, और िनकल भी गया।

उसक कुं डली म यह समय िनि त प से ारका शा ी के अंत का था और


उसम उ िड ी का मारके श योग भी था।

ले कन यहां वो जीिवत थे। जब उनक आ मा को दूसरी दुिनया म प च


ं जाना
चािहए था, तब ारका शा ी व थ और स खड़े थे।

कु छ चीज थी, िजसने उनक िनयित को कु छ दया था।

कु छ चीज... या कोई ि ।

िव ुत ने सोनू को इशारा कया क मनोरोगी ोफे सर ि पाठी या ानंद को


बंदी बना ले। उसने यही संकेत बलवंत को भी ि जट कपािलक को बंदी बनाने
के िलए दया। उसने अब अपना पूरा यान अपने बाबा पर लगा दया था।

ले कन िव ुत बलवंत के रि म ने से िनकलती चंगा रयां देखने म असफल


रहा था।

ारका शा ी अपने आंसू नह रोक पाए और उ ह उ मु ता से बहने दया।


िव ुत भी रो रहा था, उसका िसर अपने परदादा के कं ध पर रखा था, जो
अभी भी मजबूत थे। उ ह ने शारी रक, भावना मक और आ याि मक प से
ब त सहा था। हालां क, कु छ ही पल म देवता को महसूस आ क उसके
बाबा भाविव वल हो सुबक रहे थे। यह अजीब था। यहां तक क िजस सदमे से
वो अभी गुजरे थे, वो भी ारका शा ी को यूं तोड़ पाने म सफल नह हो
सकता था। िव ुत ने अपना िसर उठाकर मठाधीश के चेहरे को देखा, उसके
हाथ ने अभी भी अपने बाबा क बांह पकड़ी ई थी।

‘ या आ बाबा...?’ उसने नरमाई से पूछा।

ारका शा ी ने नम आंख िलए, हां म िसर िहलाया और अपने परपोते के गाल


अपनी हथेिलय म िलए।

‘तुम वा तव म देवता हो, िव ुत...!’ वृ ने जवाब दया।

िव ुत उदासीनता से मु कु रा दया।

‘िब कु ल नह , बाबा। म जानता ं क िपछले कु छ दन म मने दो बार वयं


को आधा मनु य, आधा भगवान कहा था, ले कन वह एक कार का यु -
आ वान था। म नह समझा सकता... ले कन वो कहने से म वयं को अिधक
मजबूत, अिधक गंभीर महसूस करता ।ं जैसे मने पहले भी ये श द कहे ह ...’
िव ुत ने कु छ अ प ता से यह कहा, मानो वो याद करने क कोिशश कर रहा
था क उसने अतीत म कब ये कहा था।

उसने ये श द िवशाल ानागार म यातना और पीड़ा के दौरान कहे थे। 1700


ईसापूव म। हड़ पा के अंितम दन म।

ले कन िव ुत के प म नह ।

‘पहले से ही मृत लोग सुनो। मुद क सभा, मेरी बात सुनो। मूख सुन लो।

म आधा-मनु य, आधा-भगवान !ं ’

‘मुझे ऐसा कोई म नह है, बाबा। म कोई देवता नह ,ं न ही आधा-भगवान


।ं म बस आपका िव ुत ।ं महज एक मनु य।’

मठाधीश ने न म अपना िसर िहलाया, लंबी सांस ली और बोले। इस बार


िव ुत को त ध करते ए, उनके कांपते हाथ अपने परपोते के स मान म जुड़े
थे।

‘िसफ एक वा तिवक देवता ही कालच पर िवजय हािसल कर सकता है।


मेरी मृ यु िलखी जा चुक थी, िव ुत! इस ांड म कोई व तु उसे नह बदल
सकती थी। मेरा समय आ गया था। ले कन वह पल आया और चला गया!’

िव ुत वहां खड़ा आ सुन रहा था, वो समझ नह पा रहा था क उसके बाबा


या कहने क कोिशश कर रहे थे।

‘तुमने देखा नह , िव ुत? तु हारी उपि थित ने सब बदल दया। तु हारी


इ छा-शि ने समय क गित को बदल दया। इस अशुभ समय से पहले जब
तुमने मुझसे कहा था क तुम मेरे िलए वापस आओगे—तो ांड वो सुन रहा
था, िव ुत।

और तु हारे आदेश का पालन कर रहा था!’

िव ुत का दमाग अभी उस धृ िस ांत पर िव ास करने क हालत म नह


था, भले ही वो बात उसके यारे बाबा ही य न कह रहे ह ।

‘अब हम िनकलना होगा, बाबा। हम वापस जाकर भी इस पर बात कर


सकते...’

इससे पहले क िव ुत अपना वा य पूरा कर पाता, उस तहखाने क गुफा, तेज


चीख से गूंज उठी।
‘िव ुत दादा........!!!’

िव ुत सोनू को देखने के िलए मुड़ा। वो घबराया आ युवक, मसान राजा के


हवन-कुं ड क तरफ इशारा कर रहा था।

जब उसक नजर सोनू के इशारे क तरफ पड़ी, तो देवता ठं डे पसीने से तर हो


गया।

‘नह बलवंत दादा... क जाइए!’ िच लाते ए िव ुत दौड़ा, वो छोटा सा


फासला भी उस समय मील दूर जान पड़ रहा था।

देव-रा स मठ के यु - मुख, बलवंत ने ि जट कपािलक को अपने हवन-कुं ड


क दीवार पर टका दया था, जो मूल प से र बीज अनु ान के िलए बना
था। बलवंत के भारी पैर ि जट के सीने पर थे, और िगरे ए अघोरी का िसर
नीचे जलते कोयल और मांस के ऊपर झूल रहा था।

वो दया क भीख मांग रहा था।

िव ुत जानता था क वो बलवंत क नीचे आती कु हाड़ी से तेज नह भाग


सकता था।

‘इसने हमारे मठ को अपिव कया, िव ुत! इसने आपको, हमारे मसीहा को


मारने क कोिशश क ! और फर इसने हमारे मठाधीश के गले पर लेड रखने
क िह मत क !’ बलवंत िच लाया, और फर उसने महाकाल क भयावह
ाथना बुदबुदाते ए, कु हाड़ी उठा ली।

बलवंत अब सीधे मसान-राजा क डर से फै ली आंख म देख रहा था, और फर


उसने लगभग वही श द दोहराए, जो कु छ समय पहले ि जट वयं बोल रहा
था, बस कु छ अंतर के साथ।

‘आज इसी अनु ान अि म... रा स-बिल चढ़ेगी!’


हड़ पा, 1700 ईसापूव
‘जीिवत रहने के िलए मेरे साथ आओ,
ओ मोहन जोदड़ो क राजकु मारी!’

‘तुम कहां जा रहे हो, मनु?’ तारा िच लाई, जब उसने मनु को अपने
िहनिहनाते घोड़े के साथ हड़ पा के नए राजा के महल क तरफ मुड़ते देखा।

‘मुझे उ ह बचाना होगा, तारा। मुझे पंिडत चं धर और ि य वदा को बचाना


होगा। इससे कोई फक नह पड़ता क उ ह ने मेरे और मेरे प रवार के साथ
या कया। मने म य क आंख म देखा है। जब हम इस िवनाशकारी लय के
बारे म जानते ह, तो येक आ मा को बचने का एक अवसर तो िमलना ही
चािहए। वैसे भी, लय अपने तरीके से ही शुि करे गी!’

‘ले कन बाढ़ आने ही वाली है, स य त! तुम शायद सही समय पर नगर को
िनगलने वाली उस बड़ी लहर से बचकर नह लौट पाओगे!’ मनु को रोकने क
बेकार कोिशश करते ए, तारा िच लाई।

सूय पु एक बार फर से मुड़ा, उसका तेज गित से भागता आ घोड़ा हवा क


मा नंद घूमा। इस तूफानी रात म भी, मनु के चेहरे पर शरारत भरी, यारी
मु कान दखाई दी।

‘पता नह य , ले कन जब तुम मुझे स य त पुकारती हो तो अ छा लगता


है!’

तारा शरमाई।

उसे यार से देखते ए, बस इतना कहकर ही मनु और उसका घोड़ा उस


तूफानी रात म गुम हो गए।

तारा त ध थी। कु छ दन पहले ही मनु बदले क आग म झुलस रहा था। और


अब वो, इस डू बते नगर म, उन दो लोग को बचाने जा रहा था, िज ह ने
उसक दुिनया उजाड़ दी थी।

उसम इतना बदलाव कै से आया था?

उसे तुरंत ही अपना जवाब िमल गया। वो मु कु राई।

म य।

वो महसूस कर सकती थी क यह हड़ पा क अंितम राि थी।

इस अशुभ राि के वीराने म, उसने एक अके ले घोड़े को अपने महल, अपने घर


क तरफ आते देखा। उसने वयं को मृ यु के िलए तैयार कर िलया। य िप वो
जानती थी क उसका पित चं धर वयं एक समथ यो ा था, ले कन ितशोध
ने मनु को उसके साम य से दोगुना अिधक बल दे दया था। उसके अपने घर म
र िगरना तो अब तय था। फर वो र िववा वन पुजारी के पु का हो या
उसके अपने पित का।

मनु ने सीधा अपना घोड़ा राजा के महल के क क तरफ बढ़ा दया, पशु का
पसीना उनके चमकते तल पर िगर रहा था, उसक गूंज और चीख महल के
खाली पड़े दरबार म गूंज रही थी। जब उसने भूतल को खाली पाया, तो तुरंत
अपने घोड़े को िवशाल सी ढ़य क तरफ हांक दया, िजससे वो ऊपरी मंिजल
पर जा सके । राजा के शानदार महल म घोड़े से जाकर मनु गव या अनादर
कट नह कर रहा था। यह ता कािलकता थी।

बाढ़ आने वाली थी।

चं धर क भारी तलवार के िनचले िसरे से रगड़ क तेज आवाज िनकली, जैसे


ही हड़ पा का बुि मान राजा मनु का सामना करने के िलए उठा।

वह जानता था क यह उसके जीवन क सबसे बड़ी लड़ाई होने वाली थी।

वह गलत था।

जब मनु ने अपने कभी ेही रहे मामा को ऊपरी मंिजल के गिलयारे म खड़े
देखा, तो वो घोड़े से उतर गया। िवशाल क म िझलिमलाती मशाल क
रौशनी थी और िखड़ कय पर पड़े, आलीशान पारदश पद हंसक हवा से
तेजी से िहल रहे थे।
मनु ने अपने मामा के सामने अिभवादन से हाथ जोड़े। भली भावना के
बावजूद, उसका युवा दल गु से से भड़क रहा था। एक पल के िलए तो उसे
लगा क अपनी तलवार िनकालकर, तुरंत अपने अिभभावक का ितशोध ले
ले। अपनी मां के मरने और िपता क यातना का दृ य उसे सता रहा था। ले कन
फर कसी तरह उसक आंख के सामने म य का मु कु राता चेहरा आ गया,
और उसे समझ आया क उसक िनयित म या बनना िलखा था।

‘िवजयी-भव, मनु,’ चं धर ने यु र म कहा।

पंिडत चं धर जैसा उदार ि ही अपने दु मन को िवजयी होने का


आशीवाद दे सकता था। वो अपनी यारी बहन संजना को नह भूला था।
उसका प ाताप िहमालय क सबसे गहरी दरार से भी गहरा था। उसक
आ मा उसके मृत िम के िलए रो रही थी। अगर वो अके ला होता, तो कब का
उसने अपने न र शरीर को याग दया होता। ले कन वो अके ला नह था।
उसके पास ि य वदा थी।

जब दोन आदमी आमने-सामने आए, तो न जाने कहां से आकषक ि य वदा


शांित से गिलयारे म आकर खड़ी हो गई। वह नंगे पैर थी। उसके रे शमी बाल
खुले ए थे और उसक आंख का काजल, उसके आंसु के साथ िमलकर उसके
गोरे गाल पर आ गया था। अपनी िनगाह म वो वयं को भयानक मान रही
थी। ले कन वो देखने म असाधारण प से आकषक नजर आ रही थी।

मनु ने अपनी मु ी भ चकर, दांत पीसे और उस मिहला को देखकर अपने गु से


को िपया। वह जानता था क पंिडत चं धर महज एक यादा था, वो भावुक
पित था। उसके प रवार और इस पूरे आयवत को तबाह करने वाला जहरीला
नाग तो इस घृिणत मिहला के दल म बैठा था।

ले कन उसने एक बार फर से वयं को याद दलाया क वो यहां य आया


था, और उसने ि य वदा को देखकर जोर से और दृढ़ता से कहा।

‘जीिवत रहने के िलए मेरे साथ आओ, ओ मोहन जोदड़ो क राजकु मारी!’
अलीबाग, मुंबई का तटीय े , 2017
अपराध और र का सा ा य

असलम बाइकर पसीने से तर हो रहा था।

वो उस आदमी के आने क ती ा कर रहा था, िजसक उसने इतने साल म


िसफ आवाज ही सुनी थी—फोन के दूसरी तरफ से आती शाही ठसक िलए वो
आवाज अक पनीय प से इतने ताकतवर और भयानक इं सान क थी क
असलम तक का र जम जाता था।

और असलम बाइकर का र जमना कोई रोज क बात नह थी।

असलम मुंबई के सबसे िनभ क और भयावह अंडरव ड डॉन म से एक था।

उसका वा तिवक नाम असलम राजी था। ले कन अब कोलाबा क गिलय के


लड़क से लेकर महारा के मु यमं ी तक, सब उसे असलम बाइकर के नाम से
ही जानते थे।

जब उसने छोटे-मोटे अपराध से अपने कै रयर क शु आत क , तो उस


झोपड़प ी म दो असलम थे। असलम राजी के िपता टे सटाइल िमल के एक
ईमानदार कम थे, िज ह ने पैसे बचा-बचाकर एक नई, चमचमाती 100 सीसी
मोटरसाइ कल खरीदी थी। ले कन उस वृ को यह नह पता था क हर रात
उसका अपराधी बेटा, उसक बाइक को बाहर ले जाता था, और सुपारी (पैस
के िलए क जाने वाली ह या) लेकर अपराध को आकार देता था।

जैसे-जैसे समय गुजरा असलम का नाम मश र होने लगा, अब उसक


मोटरसाइ कल ही उसक पहचान बन गई, जो उसे कॉलोनी के दूसरे असलम
से अलग दखाती।

कु छ ही दन म, उसका उपनाम राजी भुला दया गया। डांस बार क दुिनया


से लेकर पुिलस रकॉड तक म, उसका एक ही नाम था।

असलम बाइकर।

आलीशान िसको क एस-76सी हेलीकॉ टर, िजसे लैक हॉक के नाम से जाना
जाता है, धीरे -धीरे एक बड़े से बीच हाउस के बागीचे म उतरा। उस घर का
मािलक असलम था। उस चॉपर क मु य सवारी वो इं सान था, िजसने साल
से चले आ रहे मुंबई के गगवार म असलम को जीिवत रखा था। ये वही आदमी
था, िजसने यू रक बक के दरवाजे असलम बाइकर के िलए खोल दए थे। वो
असलम के पंटर लोग के िलए अ याधुिनक ऑटोमै टक हिथयार क स लाई
भी करता था। उसके एक फोन क वजह से असलम कानून के पंज से बचता
आया था।

जैसे ही उस चमकते हेलीकॉ टर का दरवाजा झटके से खुला, असलम और


उसके आदिमय ने यान दया क वो लाइं ग मशीन उड़ते ए कसी िवशाल
प ी क तरह लग रही थी, ले कन मजबूती म वो िमिल ी के तर से कम क
नह थी। चॉपर के इन समूह का मािलक अपनी सुर ा को लेकर पूरी तरह
गंभीर था।

जब लैक हॉक क िचकनी लकड़ी और भूरे चमड़े क अंद नी साज-स ा


दखाई दी, तब उ ह ने उसे देखा। वो ऐसे िशि त आदिमय से िघरा बैठा
था, िज ह कोई भी गलती से अमे रक रा पित का सुर ाकम मान सकता
था। जैसे ही वो आदमी धीरे से मुंबई के डॉन को देखने के िलए मुड़ा, तो
असलम को अपने गले म गांठ सी महसूस ई। असलम उस गोरे आदमी के
िवशाल वैि क सा ा य का महज एक अदना सा मोहरा ही तो था।

जब वो िसको क एस-76सी क टील और महोगनी क सी ढ़य क तरफ


आया, तो वो वयं कसी तूफ़ान से कम नह नजर आ रहा था। उसके नैन-न श
इतने आकषक थे क एक बार तो वो चेहरा नारी-सुलभ तीत होता, ले कन
उसका बिल शरीर उसे अंतरा ीय अ श संगठन का िन ववा दत बादशाह
घोिषत करता था।

उसके बाल सफाई से उसके माथे से पीछे क ओर संवारे गए थे और उसका


मेबैक द िड लोमेट 1 च मा उसके असाधारण ि व को कसी युवक का सा
अहसास करा रहा था। ये अलग बात थी क उसका सारा लड़कपन तुरंत ही
हवा म छू हो जाता था, जब नजर उसक बे ट म लगी को ट पाइथन
रवॉ वर पर जाती थी।

उसक काली जैकेट समु क हवा से फड़फड़ाने लगी जैसे ही उसने प सड़क
पर कदम रखे। तब असलम बाइकर ने अपनी िह मत बटोरकर इटली के इस
सरगना के वागत का िनणय िलया। जैसे ही उसने आगे कदम बढ़ाया, गोरे
आदमी के एक सुर ाकम ने अपनी बांह बढ़ाकर मुंबई के गग टर को कने का
इशारा कया। उस आदमी के दािहने हाथ म सेमी ऑटोमे टक मैक-10
मशीनगन तैयार थी।

ताकतवर मेहमान ने आपि जताई। उसने अपने आदमी को संकेत कया क


उसके मेजबान को आने दया जाए।

जैसे ही असलम बाइकर ने अपने कदम आगे बढ़ाए, उसके दल क धड़कने क


ग । डॉन ने धीरे -धीरे अपना महंगा च मा उतारा। उसक गहरी हरी आंख
सीधे असलम क आ मा को चीर रही थ , और उसे याद दला रही थ क
वा तव म डर का या मतलब होता है।

वो बस कु छ ही श द बुदबुदा पाया...

‘मुंबई म आपका वागत है... मा के रा।’


हड़ पा, 1700 ईसापूव
कम का ऋण

‘अपनी तलवार ख च , मेरे ब े,’ चं धर ने कहा। ‘तु ह अपना ितशोध लेने


का पूण अिधकार है। और म उस मिहला क सुर ा के िलए ितब ,ं िजसे
मने हमेशा यार कया है। हम दोन िसफ वही कर रहे ह जो कसी भी
स मािनत मनु य को करना चािहए।’

ि य वदा बुत बनी खड़ी थी और दो तापी पु ष क बात सुन रही थी।


उसक सांस भारी हो गई थी, और बमुि कल ही वो सांस ले पा रही थी...
मानो उसक सांस उसके पाप का बोझ ढो रही ह ।

‘म यहां ितशोध के िलए नह आया ,ं पंिडत चं धर। शायद आपने यान


दया हो, हम लय का सामना कर रहे ह। इस नगर का पतन होने जा रहा है।
आपको मेरे साथ आना होगा... अभी!’

भ क म एक पल के िलए स ाटा छा गया, जब तेज हवा ने आकर


ि य वदा के मनोरम चेहरे से बाल को हटा दया और िबजली क चमक से
कु छ पल के िलए कमरे म उजाला हो गया। चं धर अपने कान पर भरोसा
नह कर पा रहा था। अपनी परे शान प ी का चेहरा देखने से पहले वो कु छ देर
के िलए त ध खड़ा रहा। उसके चेहरे पर उभर आए राहत के भाव सु प थे।

‘ले कन य , मनु? मने नगर क दीवार से तु हारी पूरी बात सुनी थी। लोग
तु हारे साथ आ रहे ह! सेना तु हारे साथ है! और उसम उनक कोई गलती भी
नह है। ले कन हम य ? तुम यहां हम दोन को बचाने य आए हो... हम
दोन , िज ह ने तुमसे तु हारा सबकु छ छीन िलया?’ टू टे ए चं धर ने कहा,
उसक आंख भर आई थ और आवाज भावुकता से िबखर रही थी।

ब त सी ऐसी बात थ जो मनु कहना चाहता था। ब त से ऐसे सवाल थे जो


उसे पूछने थे। ले कन यह सही समय नह था। उसने िसफ वही ित या दी,
िजसक गवाही इस समय उसका दल दे रहा था। उसने वही कहा, जो वा तव
म उसका ि व था।

‘म यह इसिलए कर रहा ं य क म महान िववा वन पुजारी... हड़ पा के


वैभवशाली सूय का पु ।ं ’

अपनी िबखरती आवाज को साधने के िलए मनु का, और फर अपनी बात


पूरी क ।

‘म जानता ं क वो भी यही करते।’

पंिडत चं धर अपने घुटन पर ढहकर, फू ट-फू टकर रोने लगा।

वो चाहता था क मनु उस पर हमला करे । वो चाहता था क ये युवक अपना


ितशोध ले। वो वयं को अंितम यु के िलए तैयार कर रहा था। ले कन इस
युवक क भलमनसाहत के िलए वो कसी भी तरह वयं को तैयार नह कर पा
रहा था। पंिडत चं धर के िलए मनु क मा और उदारता क चुभन उससे
अिधक ददनाक थी, जो दद उसे मनु के बाण दे पाते।

पागलपन के एक ण म, हड़ पा के अंितम राजा ने अपनी तलवार उठा ली,


और मनु के तरफ बढ़कर उसे ितघात के िलए ललकारा।

‘अपनी तलवार उठाओ और मुझसे यु करो, तुम युवा कपटी!’ वो मनु पर


िच लाया। ‘म जानता ं क तुम इसीिलए ही यहां आए हो! अपनी कृ पाण
िनकाल और मुझे बताओ क तुम कस िम ी के बने हो! तु ह या लगता है
क पंिडत चं धर कोई रं गा है िजसे तुम आसानी से हरा दोगे? ब ,े मुझे कोई
नह हरा सकता! के वल एक मनु य या देवता ऐसा कर सकता था... जो अब
हड़ पा म नह है। तो, यु करो मुझसे!’

मनु जरा भी नह िहचका। पहली बार, उसे अपने सामने खड़े मनु य पर दया
आ रही थी।

और फर उसने ि य वदा को देखा। उसके भाव बदल गए थे, वो नरम हो चली


थी। वो रो रही थी, और उसके चेहरे पर के वल ेह ही था।

या दृ य था! कसी और ितशोध क आव यकता ही नह थी। चं धर और


उसक बद क मत प ी ि य वदा पहले ही उस दद और जलन को सह रहे थे,
जो कसी भी तलवार, भाले या बाण से अिधक थी।
तब मनु को समझ आया क कस तरह कम ऋण का च अिवरत घूमता है।
सृि ने पहले ही ि य वदा और उसके पित के पाप क सजा िनयत कर दी थी।
उसम र और हंसा शािमल नह थी। कसी इं सानी दखल क आव यकता
नह थी। कोई ि गत ितशोध ज री नह था।

ांड वयं ही सारे ऋण का िहसाब चुकाने वाला था। अपने तरीके से।

‘यही हमारे सफर का अंत है, मनु...’ ि य वदा ने अपने मुलायम, कांपते हाथ
से मनु के गाल को सहलाते ए कहा।

दूर से आती लय क आवाज को अनसुना नह कया जा सकता था। मनु


जानता था क वो अगर अभी यहां से नह िनकले, तो तीन ही इस हतभा य
नगर के साथ िवशाल जल-पवत क भट चढ़ जाएंगे।

‘आप समझते य नह , हम अभी िनकलना होगा, ओ बुि मान पंिडत


चं धर!’ मनु ने लगभग चीखते ए कहा। उस पल क ता कािलकता सारी
औपचा रकता से बढ़कर थी।

‘हम यह छोड़ दो, और चले जाओ मनु। यह सुनहरी नगरी, जो आज हमारे


पाप का बोझ ढो रही है, आज इसे ही हमारी अंितम भूिम बनने दो। तुम
यक नन अपने महान िपता का वा तिवक ित बंब हो। और इसी वजह से सृि
िनमाता ने तु हारा चुनाव बड़े उ े य के िलए कया है। तु ह अभी िनकल
जाना चािहए, स य त। जाओ और जाकर अपनी िनयित को पूण करो।’

मनु चं धर क बात को अनुसना कर, ि य वदा क तरफ मुड़ा और अपना


हाथ बढ़ाकर कहा।

‘मेरे घोड़े पर चढ़ जाओ, देवी। यह हम तीन को इस पितत नगर से बाहर


िनकाल पाने म समथ है...’

ि य वदा के ने अब अपने आंसू नह रोक पा रहे थे, िज ह वो बार-बार


अपनी कलाई क सूती बांह से प छ रही थी। वो मनु को अब गहन शंसा और
उदारता क नजर से देख रही थी।

‘ओ शूरवीर स य त, मुझम कोई द ता नह है। शायद अब तो कोई


मानवता भी नह बची। ले कन अगर मेरे पास कोई दल है, जो अभी भी धड़क
रहा है, रोने के िलए आंख ह और आशीष देने के िलए हाथ, तो इस ांड से
मेरा आ याि मक बंधन पूरी तरह टू टा नह है।’
मनु यान से उस खूबसूरत जादूगरनी क बात सुन रहा था, जो अपने वतमान
प के आकषण और अ छाई से कसी को भी मोिहत कर सकती थी।

‘म तु ह आशीवाद देती ,ं मनु...’ मोहन जोदड़ो क राजकु मारी ने कोमलता


से मु कु राते ए कहा। ‘तुम िवधाता के उस आदेश को पूण करने म सफल रहो।
तु ह जीवन म आंत रक सुकून और ढेर सारा ेम िमले।’

उसने आगे बढ़कर मनु के म तक को चूम िलया, और वो अंितम श द कहे जो


कृ ित का सामना करने वाले उस युवक के अमर होने वाले थे।

उसका दया आशीवाद हमेशा के िलए स य होने वाला था... अपने सम प


से।

‘ओ स य त मनु, ई र करे तु हारा नाम हमेशा के िलए अमर हो जाए!’


बनारस, 2017
एक मनु य का क ल

सोलह घंटे गुजर गए थे।

‘कु छ नह , बाबा...’ सोनू ने कहा, वो अपने हाथ म खाने क अनछु ई थाली


लेकर वापस लौटा था।

देव-रा स मठ म आने के तुरंत बाद, िव ुत ने अपने कमरे म घुसकर, वयं को


बंद कर िलया था। सोलह घंट से उसने कसी क बात का कोई जवाब नह
दया था। उसने तब से कु छ खाया भी नह था।

देवता क आ मा घायल हो गई थी।

उसका अब कोई उपचार नह था।

बबर पागलपन और मठाधीश के अपमान के आवेग म, बलवंत ने अपनी भारी


कु हाड़ी से ि जट कपािलक का िसर िछ कर दया था। ये सब कु छ ही पल
म हो गया था, और िव ुत को इस सबको रोकने तक का अवसर नह िमल
पाया था।

िव ुत बस वहां बेबस खड़ा, मसान राजा के कुं ड म उसके ही कटे िसर को खून
उगलते देख रहा था। उसके लंबे बाल आग म तड़तड़ कर जल रहे थे।

और यह उसक उ मीद का आखरी तार था। जब वह अपने गुड़गांव के


पटहाउस से बनारस िनकलने के िलए ह का-फु का सामान पैक कर रहा था,
तब िव ुत को कोई अंदाजा नह था क कतना र पात, कतने ष ं , काले-
जादू और कपट उसक ती ा कर रहे थे। ले कन फर भी उसने बहादुरी से
सबका सामना कया—वो कराये के ह यार से लड़ा, िशि त ह यारे का
सामना कया, अपने ि य िम बाला के छल-कपट को सहा और उसका कटा
आ िसर भी देखा, सब कसी ाचीन अिभशाप और भिव यवाणी क वजह
से। ले कन उसके अपने ही आदमी ारा, यूं कसी क जंदगी लेने को वो
बदा त नह कर सकता था।

जंदगी, फर वो चाहे कसी भले इं सान क हो या बुरे, उसे बचाया जाना


चािहए। िव ुत वयं को ऐसे कसी भी संगठन से नह जोड़ सकता था जो
ऐसा काम करती हो, या इस पर भरोसा करती हो। कसी इं सान को मारने के
िलए कोई सफाई दी ही नह जा सकती थी।

बलवंत के िनमम, बद दमाग काय ने इतना नुकसान कया था, िजसका


अनुमान मठ का यु - मुख क पना म भी नह कर सकता था।

इसने िव ुत का यक न देव-रा स मठ पर से हटा दया था।

और उसके अि त व के ल य से भी।

सुबह पौ फटते ही पुरोिहत जी दन क अपनी पहली ाथना करने के िलए


तैयार थे। जब वो देव-खंड म बनी िवशाल िशव ितमा के च र लगा रहे थे,
तो उ ह ने कु छ ऐसा देखा िजसक उ ह उ मीद नह थी।

िव ुत महान ारका शा ी जी क कु टीर क सी ढ़य पर बैठा था। वो पूरी


तरह तैयार था और िव ुत के पास रखा उसका छोटा बैगपैक देखकर तो
पुरोिहत जी का दल ही बैठ गया। वृ पुजारी सब समझ चुके थे।

िव ुत जा रहा था।

पुरोिहत जी अंितम देवता के पास आए, िजसने म म मु कान से उनका


वागत कया।

बुि मान पुजारी ने िव ुत के पास क खाली जगह क ओर संकेत करके , सुबह


क मंद हवा क तरह ही पूछा, ‘ या म वहां बैठ सकता ?ं ’

‘िबलकु ल, पुरोिहत जी,’ िव ुत ने जवाब देते ए अपना बैग हटाकर उनके


िलए जगह बनाई। िव ुत के सारे िश ाचार के बावजूद, वृ पुजारी देवता के
घायल दल क टीस महसूस कर सकते थे।

‘तो तुम जा रहे हो?’


‘जी, पुरोिहत जी...’

वहां एक पल ख़ामोशी रही, जब दोन आदमी नीले-नारं गी आसमान को देख


रहे थे। हर गुजरते छण के साथ, पिव नगरी काशी अपनी िन ा से जागती ई
तीत हो रही थी। प ी चहचहाने लगे थे और गाय भी रं भा रही थ , िज ह
मठ के आसपास के अनेक प रवार यार से िखला रहे थे। दूर पास के मं दर क
घं टयां बजने लगी थ , और उ ह के साथ सुबह क आरती का पिव वर भी
सुनाई दे रहा था।

‘मुझे बताओ, िव ुत... पुराण म य बुराई पर अ छाई क िवजय क अनेक


कहािनयां व णत क गई ह?’ पुरोिहत जी ने िव ुत क तरफ मुड़े िबना पूछा।

िव ुत समझता था क ये चचा कहां जाने वाली थी। वो उसके बारे म कोई


बहस नह करना चाहता था, जो उसक नजर म अ य पाप था।

‘देिखए पुरोिहत जी, आप जानते ह क म आपको कतना ेम और स मान


देता ।ं ले कन म आपसे भीख मांगता ं क अभी मुझे अके ला छोड़ दीिजए।
आपक कही कोई भी बात मेरे सामने ई कसी आदमी क िनमम ह या क
सफाई नह दे सकती है।’

‘यह मेरे सवाल का जवाब नह है, िव ुत,’ पुरोिहत जी ने शांित से कहा।


‘अगर तुमने मन बना ही िलया है तो कोई भी तु ह नह रोक सकता। ले कन
तुम चाहे कतने ही परे शान य न ह , ले कन मठ को अपनी सफाई देने का
एक मौका तो िमलना ही चािहए।’

‘अपनी सफाई? आपने या कहा, अपनी सफाई? भगवान, म इस पर भरोसा


नह कर पा रहा!’ िव ुत ने हताशा से कहा।

उसने घृणा से अपना िसर िहलाया और अपना बैग उठाकर चल दया।

पुरोिहत जी एक पल को िझझके । ले कन फर उ ह अहसास आ क यह पल


‘अभी या कभी नह ’ का था।

उ ह ने िच लाकर िव ुत से कहा।

‘अगर तु ह लगता है क इस हंसा क शु आत हमने क , तो तुम गलत हो, मेरे


देवता।

या तुम नह जानना चाहोगे क तु हारे िपता, महान का तके य शा ी क


ह या कै से ई थी, िव ुत?’
हड़ पा, 1700 ईसापूव
हड़ पा—र धारा का अिभशाप

‘ज दी चलो... ज दी चलो, मेरे िव सनीय िम !’

मनु अपने शि शाली घोड़े के कान म बोलते ए, उसे उस जल पवत से तेज


दौड़ने को ो सािहत कर रहा था, जो अब दुिधया आसमान के ि ितज पर दूर
से दखाई दे रहा था। वो लय इतनी िवशाल, इतनी िवकराल थी क मनु य
उससे बच िनकलने क क पना भी नह कर सकता था। दूर से दखाई देती,
आकाश तक प च ं ती लहर को देख इस दुलभ शूरवीर और असाधारण यो ा,
सूय पु को भी पसीना आ गया।

ाकृ ितक आपदा म भी भयंकर, इस िवनाश क भिव यवाणी के वल ई र


ही कर सकते थे। मनु य का िवनाश करने वाले इस दूत को, धरती को िहला
देने वाली गजना के अित र और कु छ सुनाई नह पड़ रहा था। हवा तीर से
भी अिधक तेज से चल रही थी, िजससे भािवत ई वषा, भ नगर हड़ पा
को हर तरफ से भेद रही थी।

अब जाकर मनु िपछले कु छ दन म दी गई म य क चेतावनी का वा तिवक


अथ समझ पाया था। लय—िवनाशकारी लय—धरती पर इसके येक
जीव को समा करने के िलए उतरी थी। उसक पहली ही झलक से मनु
सहमत हो गया था।

लय वा तव म दुिनया का अंत था ।
वो—तारा, सोमद , स य त मनु और म य जाित के लोग—हड़ पा से एक
योजन (लगभग 14 कलोमीटर) क दूरी पर ि थत च ान पर खड़े हड़ पा को
देख रहे थे। उनके पीछे हड़ पा के पु ष , मिहला , ब और पशु का एक
िवशाल कारवां था। कु छ ही घंट म मनु, सोमद और उसके अनुयायी हड़ पा
के हजार िनवािसय को सफलतापूवक नगर से िनकाल लाए थे।

िसवाय दो लोग के ।

पंिडत चं धर और उसक ि य प ी ि य वदा ने लय के दौरान अपने ही


नगर म रहने का िनणय कया था। िवनाशकारी लय क चपेट म आने वाला
हड़ पा पहला नगर था। जैसे ही हड़ पा के अंितम राजा और मोहन जोदड़ो क
राजकु मारी ने जबरन मनु को नगर के ार से बाहर जाने पर मजबूर कया, तो
युवक बेबस होकर बस उन लोग को पीछे मुड़-मुड़कर देखता रहा। अंितम बार
वो महल क छत पर खड़े होकर, उस बद क मत जोड़े क धुंधली परछाई ही
देख पाया था।

उस शािपत नगर म लय का वागत उ ह ने ई र के स मुख अपनी बिल से


करने का िनणय िलया।

जब वो अ थायी प से सुरि त ऊंचाई पर प च ं ा, तब भी मनु का मन उन


मृ यु को ा होने वाले पित-प ी पर ही लगा था।

या िनरं कुश मह वाकां ा से भरे दल के अलावा और कोई भी बद क मती


होती होगी? ऐसा भी या संहासन िजसक चमक इं सानी आ मा के दद और
यातना से फ क पड़ जाए? और इस सबका अंत कै से होगा?

े और मा भरे दल से, स य त मनु ने उस शाही जोड़े को अपनी अंितम



िवदाई दी।

‘अंितम णाम, ओ बुि मान पंिडत चं धर। णाम, ओ मोहन जोदड़ो क


सुंदर राजकु मारी।’

लय ने अपनी सबसे पहली सफाई सफलतापूवक कर ली थी, और वो थी मनु


क नफरत।
वह ऐसा दृ य था, िजसे उनम से कसी ने भी कभी संभव नह माना था। उनम
से कोई भी क पना नह कर सकता था क एक नदी शि शाली सागर से भी
िवशाल हो सकती थी। ले कन वो वा तव म उपि थत थी। र धारा!

मनु, तारा और सोमद , सभी क आंख से आंसू बह िनकले, जब उ ह ने पहली


लहर को भ नगर क दीवार को ढहाते देखा। और वो लहर तो वा तिवक
दानव का अदना सा ही िसपाही थी, वो दानव जो हड़ पा को िनगलने आ रहा
था। कसी जहरीले नाग के फण क तरह सम नगर को िनगलने से पूव जब
पानी क चादर ने नगर को अपने म समा िलया, तभी मनु ने मन ही मन एक
ाथना बुदबुदाई। और फर तुरंत ही उस िनमम लहर ने नगर को यूं िनगल
िलया मानो वो कभी वहां मौजूद ही नह था।

अपने यारे नगर को तबाह होते देख हजार हड़ पावासी दुख और शोक के
सागर म डू ब गए। उ ह ने येक इमारत, येक मं दर और येक उपवन को
न होते देखा। िवशाल महल िनमम हथौड़े क मार क तरह यूं ढहा मानो
ताश के प का महल था। िवशाल अ भंडार रे त के ढेर क तरह बह गए।
िवशाल ानागार पानी के इतने नीचे समा गया क फर कभी उस तक सूय
का काश नह प च ं ने वाला था। ट दर ट, गली दर गली, सारे घर...
हड़ पा हमेशा के िलए लु हो चुका था।

सृि ने ही कभी मनु य को आकां ा दी थी क वो मेहनत करके हड़ पा जैसा


िवशाल नगर बसाए। और फर उसी ताकत ने मनु य को अपनी स ा का
अहसास करा दया।

ये तो र धारा के अिभशाप क शु आत भर थी।


बनारस, 2017
का तके य

पुरोिहत जी के कहे कठोर श द को सुनकर िव ुत जड़ रह गया।

‘ या तुम नह जानना चाहोगे क तु हारे िपता, महान का तके य शा ी क


ह या कै से ई थी, िव ुत?’

िव ुत को अब तक यही बताया गया था क नवंबर 1991 क एक बरसात


भरी बद क मत रात म, उसके िपता का तके य शा ी क कार ए सीडट म
मृ यु हो गई थी।

या उसक जंदगी म कु छ सच भी है? ये कौन सी जगह है? ये लोग कौन ह?

िव ुत के हाथ से उसका बैग छू ट गया, वो ोध और सच जानने क तड़प से


झुलस रहा था। वो वृ पुजारी क तरफ मुड़ा, जो अभी भी सी ढ़य पर ही बैठे
थे।

पुरोिहत जी िव ुत क बेचैनी और उसका बढ़ता आ अिव ास महसूस कर


सकते थे। वो जानते थे क मानवजाित क सुर ा क अंितम लड़ाई के िलए,
उ ह िव ुत को वापस देव-रा स मठ म लाना ही होगा!

उ ह ने ज दी से, प ता से अपनी बात रखी। ‘कल बलवंत ने िजस आदमी क


ह या क वो उसी भयानक, घातक संगठन का िह सा था, िजसने हमारे ि य
का तके य को मारा था, िव ुत।’

ि जट कपािलक यू व ड ऑडर के अनेक शि शाली सद य म से ही एक


था।’

अब वो देव-खंड के उ ान म सैर कर रहे थे। िव ुत के दल म पल रही सारी


नफरत और तकलीफ के बावजूद भी, पुरोिहत जी के िलए उसका ेह सबसे
बढ़कर था। ारका शा ी के उठने तक, वो बुि मान पुजारी के साथ कु छ
समय तीत करने को मान गया था।

‘जो म तु ह बताने जा रहा ,ं उसे वीकारना मुि कल होगा, िव ुत। उस पर


यक न कर पाना और भी क ठन। इस अक पनीय ष ं का तर और
ज टलता कसी को भी हैरान कर सकती है। ले कन जो कु छ भी म तु ह अभी
बताऊंगा, या तु हारे परदादा बाद म साझा करगे—वो सब सच है। उसका
येक श द सच है।’

िव ुत ने हां म िसर िहलाया। ले कन वा तव म उसक िच अभी कसी और


चीज म नह थी। वो बस जानना चाहता था क आठ साल क उ म कसने
उसके यारे िपता को उससे दूर कर दया था। उसने साल तक अपनी सुंदर
और ेही मां को अके लेपन से जूझते ए देखा था। उसने अपना पूरा बचपन
अपने िपता के िबना, बनारस से दूर, कह िछपते-िछपाते काटा था। इसक
वजह वो आज तक नह जानता है।

पुरोिहत जी ने अपनी बात आगे बढ़ाई।

‘नाइिसया प रषद् के बाद िजस ऑडर क िनयुि महान कां टटाइन ने क


थी, वो ज द ही अिनयंि त और खतरनाक सं थान म बदल गया, िजसम
दुिनया के ब त से शि शाली और बुि मान ि थे। नाइ स टे पलर का
उदय और पतन तो उसके शु आती कु छ दांव का िह सा था, िजसम वो बताना
चाहता था क वह दुिनया को कस कदर िनयंि त कर सकता था। धीरे -धीरे ,
ले कन िनि त प से उनके िडजाइन और मह वाकां ा और भी अिधक
भयावह होती गई।’

िव ुत अधीर हो उठा। अभी के िलए घटना के म म उसक कोई दलच पी


नह थी। उसे कसी यू व ड ऑडर क परवाह नह थी। वो बस ये जानना
चाहता था क उसके िपता के काितल कौन थे।

‘पुरोिहत जी, म आपका ब त स मान करता ,ं ले कन अभी म उस मानिसक


हालत म नह ं क कसी ऑडर का इितहास समझ सकूं , िजसके बारे म आप
और बाबा बात करते ह। आप कृ पया मुझे बताइए क मेरे िपता, आपके ि य
का तके य को कसने मारा था??’

पुरोिहत जी को िव ुत क हालत से पूरी सहानुभूित थी। वह के और अपने


देवता क तरफ मुड़।े

‘ यारे िव ुत बस एक बात अपने दमाग म रखना। जब क कोई भी तु हारे


नुकसान क बराबरी नह कर सकता, ले कन हम सब भी ि य का तके य को
उतना ही चाहते थे िजतना तुम। शायद उससे कु छ अिधक ही।’

आंसू भरी आंख से, वृ पुजारी ने अपने दोन हाथ उठाकर उ ह देखा। फर
उ ह ने िव ुत को देखा।

‘इ ह हाथ से मने का तके य को पाला था, ओ देवता। वो मेरी थम संतान क


तरह ही था।’
मोहन जोदड़ो, 1700 ईसापूव
मृतक का टीला

‘ओ स य त, ये करना बेवकू फ होगी।’

सात युवा मुिन, द स ऋिष मनु से बात कर रहे थे। सूय पु गुफा म तेजी
से इधर-उधर च र काट रहा था। वो गुफा मशाल के काश से कािशत थी,
जहां उ ह ने राि के िलए शरण ली थी।

‘महान मुिन सही कह रहे ह, मनु। मोहन जोदड़ो यहां से लगभग तीस योजन
दूर है। यहां तक क तेज और मजबूत घोड़े भी समय रहते नगर म नह प च ं
पाएंगे,’ परे शान तारा उफ शत पा ने कहा। उसे मनु क चंता हो रही थी जो
फर से एक आ मघाती अिभयान पर जाने क कगार पर था।

ले कन वो उसक मानिसक हालत भी समझती थी। मोहन जोदड़ो जनसं या


के िहसाब से आयवत का दूसरा बड़ा नगर था। अगर यह नगर लय क भट
चढ़ जाएगा, तो इसका मतलब इस नगर के अनिगनत िनवािसय क मौत
होगी।

‘ले कन हम िबना कु छ करे ऐसे कै से बैठ सकते ह...??’ मनु ने खीझते ए कहा।
अंदर ही अंदर वो जानता था क यहां खतरा अिधक बड़ा था। ‘ या आप लोग
भूल गए ह क उस महानगर म कतने लोग रहते ह? दिसय हजार! शायद सौ
हजार! हम उ ह यूं मरने के िलए कै से छोड़ सकते ह?’
ऊंची गुफा म गहरा स ाटा था, िसवाय मशाल से िनकलते फ के काश क
फड़फड़ाहट के ।

गुफा म पसरी हताशा िनराशा का क थी, जो धीरे -धीरे उसम शरण लेने
वाल के दल म घर करती जा रही थी।

‘म जाऊंगा!’ एक आवाज सुनाई दी।

सभी ने मुड़कर गुफा के एक कोने म देखा, जहां बैठा ुव प थर से रगड़कर


अपने बाण को तेज कर रहा था। यह आकषक युवा िजसके भूरे बाल थे और
मजबूत कं धे, मनु का बचपन का िम और एक समथ यो ा था।

‘तुम कहना या चाहते हो, ुव?’ तारा ने पूछा।

ु खड़ा आ, अपना धनुष उठाया और अपने बाण को तरकश म भरकर,



गुफा के क म आ गया, जहां कु छ काश था। उसने मनु, तारा, सोमद और
स ऋिष को देखा। सात पिव मुिन आंिशक यानाव था म बैठे थे।

‘मुझे मोहन जोदड़ो जाने क आ ा दो, मनु। म अके ला जाऊंगा और रात और


दन सफर क ं गा। अगर मेरा घोड़ा इस क ठन सफर को पूरा नह कर सका,
तो म मोहन जोदड़ो चलकर जाऊंगा!’

‘पागल मत बनो, ुव!’

इस बार पंिडत सोमद ने कहा।

‘म तु हारे साहस और दूसर के िलए अपनी जान दांव पर लगाने के जोश क


सराहना करता ।ं वा तव म। ले कन इस समय मोहन जोदड़ो प च ं ने क
कोिशश करना एक पागलपन है। हमारे िनरी क क खबर के मुतािबक, बाढ़
कु छ ही घंट म नगर क दीवार को तोड़ते ए, उसे ख़ म कर देगी। ये कु छ
दन का मसला नह है...’ सोमद ने कहा।

‘ले कन हम उन सबको मरने के िलए नह छोड़ सकते!’ मनु िच लाया, उसक


आंख डर और लाचारगी से फै ल रही थ । मनु क एक ऊंची आवाज सम त
ोता को चुप कराने के िलए पया थी।

ुव अपने िम के पास गया और अपना हाथ मनु के कं धे पर रखा।

‘हम म से एक को जाना होगा, मनु। अगर हमने आज उस नगर को छोड़ दया,


तो तुम और म दोन जानते ह क हम म से कोई भी अपनी आ मा पर इतना
बढ़ा बोझ लेकर नह जी पाएंगे। और हम तु हारी जान का जोिखम नह ले
सकते, मेरे िम । तुम नाव और बची-खुची मानवजाित के िलए ब त मह वपूण
हो। मुझे जाने क आ ा दो, मेरे राजन।’

मनु ने कु छ नह कहा। उसने अपनी तलवार उठाई और तारा के पास गया।


उसने तारा के माथे को चूमा, और उसक आंख म देखते ए फु सफु साया, ‘तुम
जानती हो क मुझे यह करना ही होगा, तारा। म िववा वन पुजारी का पु ।ं
और महान िववा वन पुजारी कभी पीछे लोग को मरने के िलए नह छोड़ते।’

तारा के जवाब क ती ा कए िबना, मनु ुव क तरफ मुड़ा।

‘हम दोन अभी, इसी पल मोहन जोदड़ो के िलए िनकलगे, मेरे भाई।’

‘ब त देर हो चुक है... ओ सूय पु ।’

इससे पहले क ुव और मनु गुफा से बाहर कदम रख पाते, वैभवशाली मुिनय


म से एक ने तेज आवाज म कहा, वो अभी भी यानाव था म ही थे।

मुंडे िसर और िबना दाढ़ी वाला मुिन उ ीस वष से अिधक उ का नह था।


सभी सात स ऋिष युवा ही थे, ले कन उनका तेज अनुपम था। उनका तेज
अित ाकृ ितक जीवन-ऊजा से िनकलता तीत होता था। मनु को लगता था क
म य अपना कु छ भाग पिव स ऋिषय के साथ पीछे छोड़ गया था। या मनु
को ऐसी उ मीद थी।

युवा मुिन ने अपनी आंख खोल , ऐसा लग रहा था क अभी भी उसके ने दूर
ि ितज म देख रहे थे।

‘ब त देर हो चुक है, स य त। िवनाशकारी लहर नगर से टकरा गई ह... कु छ


पल पहले।’

इतना कहते ही पहले मुिन ने अपनी आंख बंद कर ल । इससे पहले क घबराया
आ मनु कु छ पूछ पाता, दूसरे मुिन ने अपनी आंख खोलकर कहा।

‘बाढ़ ार , दीवार और महल से टकरा चुक है। मोहन जोदड़ो ढह चुका है,
ओ महान राजा, कभी न उठने के िलए।’

इसके बाद, दुख और स ाटे से भरी उस गुफा म, बचे ए पांच मुिनय ने


बारी-बारी से भयानक घोषणा क ।
‘डू बती ई जा के बहरा कर देने वाले ची कार से सम त ांड रो रहा है।
महान शुि क शु आत हो चुक है...’

‘इस नगर को हमेशा रह य म दबे ए अवशेष के प म ही याद कया


जाएगा। इस नगर का नाम हमेशा हम िवनाशकारी लय क याद
दलाएगा...’

‘‘मुआ’, जैसा क संधु वासी अपने मृत लोग को पुकारते ह, और ‘मुअन’


िजसका अथ है ब वचन, यह हमेशा इस शािपत महानगर और इसके
बद क मत िनवािसय से समय के अंत तक िचपका रहेगा...’

‘इसे हमेशा मुअन-जो-दारो पुकारा जाएगा।’

‘इसे हमेशा ‘मृतक का टीला’ नाम से संबोिधत कया जाएगा।’


बनारस, 2017
ह यार का कानून

िव ुत जमीन पर एक ही थान पर अपने ने गड़ाए बैठा था।

वो अब महान मठाधीश के क म थे। पुरोिहत जी और ारका शा ी, दोन


िव ुत के चेहरे पर तनाव और म टू टने के िनशान देख सकते थे। वो जानते थे
क उ ह ज दी ही कु छ करना होगा। अंितम देवता को अब जाने क आ ा नह
दी जा सकती थी। अभी तो िबलकु ल नह ।

वो भी तब जब रोिहणी न के वल तीन दन दूर था।

‘इस जंग क शु आत सैकड़ वष पूव ई थी, मेरे ब े,’ ारका शा ी ने कहा।


‘ या सच म ऐसे दु मन से अ हंसा के मा यम से लड़ा जा सकता है, जो
नरसंहार और करोड़ लोग के दमन का दोषी हो?’

िव ुत ने कोई जवाब नह दया। ारका शा ी ने अपनी बात आगे बढ़ाई।

‘म मानता ं िव ुत क जो बलवंत ने कया वो नंदनीय था। और उसे टाला


जा सकता था। उसे टाला जाना ही चािहए था! ले कन हमारे पास दूसरे
िवक प या थे? अगर बलवंत ि जट को जीिवत छोड़ देता, तो वो महातांि क
दोगुनी बुराई के साथ वापस लौटता। हां, हम उसे बंदी बनाकर ला सकते थे।
ले कन फर हम बाला को भी तो पकड़कर लाए थे। हम सब जानते ह क उसके
साथ या आ था।’

मठाधीश के बोलने से पहले, कमरे म एक पल के िलए स ाटा रहा।

‘एक ू र दानव के साथ—जो इं सान क जंदगी को मजाक समझता है और


बेगुनाह का र बहाता है—जंग म रहते ए हम बेदाग नह बच सकते,
िव ुत। तु ह ये साफ़-साफ़ समझना ही होगा, मेरे ब —
े हम जंग के मैदान म
ह! भले ही य देखने पर ऐसा न लगे, ले कन वा तिवकता यही है।’

िव ुत सुन रहा था। उसके मन म उठते तूफान के अंदर भी वो एक बात को


लेकर दृढ़ था क उसके परदादा के नैितक च र और मानवता पर नह
उठाया जा सकता था।

‘इसम कोई संदह


े नह है क हम जंग म ह, बाबा। पहले रोमी परे रा और फर
वो िशि त कराये के ह यारे । फर बाला क िनमम ह या। और उसके बाद
महातांि क और ोफे सर ि पाठी। म समझता ं क अब ब त शि शाली
और िनदयी दु मन का सामना कर रहे हो,’ िव ुत ने कहा।

ारका शा ी और पुरोिहत जी, दोन ने राहत क सांस ली क िव ुत ने कम


से कम अपनी ख़ामोशी तो तोड़ी थी।

‘हमारी सारी परे शािनय के बावजूद भी बाबा, म कसी इं सान क जान लेने
को वीकार नह कर सकता। अगर चाहता तो म रोमी को मार सकता था। म
उन कराये के ह यार को भी मार सकता था। ले कन मने ऐसा नह कया।
और यही मुझे मेरे माता-िपता ने िसखाया था। यही मुझे पुरोिहत जी ने
िसखाया था। यही ान तो मुझे आपने दया था, बाबा।’

ारका शा ी ने हां म िसर िहलाया। ‘इसीिलए तो पुरोिहत ने तुमसे पुराण म


व णत अ छाई और बुराई के संघष के िवषय म पूछा था, िव ुत।’

िव ुत ने अचानक िसर उठाकर देखा, उसक आंख अिव ास से फै ल गई थ ।

बाबा को इस बारे म कै से पता? जब पुरोिहत जी ने ये कहा था, वो तो वहां


मौजूद भी नह थे!

अंितम देवता अपनी हैरानी नह िछपा पाया और उसने पुरोिहत जी को देखा,


जो मु कु रा रहे थे। िव ुत भी िसर िहलाते ए मु कु रा दया। ये दोन आदमी
जानते थे क महान मठाधीश ि कालदश थे।

‘ हंद ू धम या सनातन धम िसफ िव शांित क कामना करता है। यह सव-


धम-समभाव क दुहाई देता है। यह अनासि का पाठ पढ़ाकर, क खोज
पर जोर देता है। यह तो वसुदव
े कु टुंबकम के मा यम से पूरे िव को एक
प रवार के प म देखता है।’

ारका शा ी ने दोबारा बोलने से पहले कु छ पल ती ा क । वो चाहते थे क


उनका परपोता, उनके कहे येक श द को हण कर ले।
‘और फर भी मां दुगा ने मिहषासुर का िशर छेदन कया। भगवान कृ ण ने
रा स नरकासुर को मारा। मां काली ने उन हजार दानव का संहार कया,
जो र बीज के र से उ प ए थे। भु राम ने रावण को मारा था और िशव
ने ि पुर दानव का दमन कया था। इं ने वृ ासुर को ख़ म कया और
नरिस हा के अवतार म िव णु ने रा स िहर यक यप के पेट को फाड़ दया
था। यह सब के वल मानव को कठोर संदश े देने के िलए था, िव ुत। क लड़ाई
से लड़ा जाना ज री है। क िनरं कुशता को परािजत करना ही चािहए। और
अगर हंसा के मा यम से ही लाख मासूम को पीड़ा से बचाया जा सकता है,
तो कसी धमा मा को भी इस राह का चयन करना चािहए।’

‘ले कन बाबा, मसान-राजा िनह था था। वह परािजत हो चुका था। कौन सा


कानून ऐसी हालत म कसी क ह या कए जाने क सलाह देता है?’

अब ोध से फटने क बारी पुरोिहत जी क थी। तमतमाया आ चेहरा िलए


वो अपनी कु स से उठे । िव ुत क तरफ एक-दो कदम बढ़कर, गु से से भरी
आवाज म िच लाए।

‘वही कानून िजसने महान यो ा-पुजारी अ त ै शा ी को तब मारने क आ ा


दी थी, जब वो िनह थे थे! वही कानून िजसने तु हारे पूवज माकडेय शा ी के
तब टु कड़े-टु कड़े कर दए थे, जब वो अके ले यानाव था म बैठे थे। वही कानून
िजसने क ान वेन ए ूक को सच बोलने के िलए पेड़ से लटकवा दया था!’

पुरोिहत जी के श द को सुन िव ुत त ध था। ले कन उस ोिधत पुजारी क


बात अभी पूण नह ई थी। आंख से बहते आंसू के साथ उसने अपनी आखरी
बात कही।

‘वही कानून िजसने तु हारे िपता का तके य शा ी को हजार मील दूर ढू ंढ़कर,
घेरकर, मार डालने क आ ा दी थी!’
आयवत के घने जंगल, 1699 ईसापूव
दै य

वो बुरी तरह हांफ रहा था, उसके फे फड़ क हवा ख़ म हो रही थी। ले कन वो


कसी भी तरह क नह सकता था।

उसे अपने ब मू य रसायनशाि य तक उनसे पहले प च


ं ना था।

वो घने जंगल के बीच से रा ता बनाते ए चल रहा था, उसके पैर बार-बार


दलदली जमीन पर फसल रहे थे। उसके मजबूत हाथ ने उसक भारी तलवार
का मूठ पकड़ा आ था, जो रा ते म आने वाले कसी भी बद क मत दु मन का
पेट चीरने के िलए तैयार थी।

मौत, तबाही, यु , नफरत, अ वीकार और आशा के िपछले कु छ महीन ने


उसके बाहरी प को पूरी तरह बदल दया था। कभी मुड़े रहने वाले उसके
िसर पर अब बाल क लंबी जटाएं उग आई थ , जो उसके पतले, ले कन
मजबूत कं ध पर झूल रही थ । िबना दाढ़ी के उसके बालक समान चेहरे पर
स त दाढ़ी उग आई थी। उसके चेहरे और बदन पर ब त सी तलवार और
तीर के घाव थे। ले कन एक चीज थी, जो िपछले कु छ महीन म िमली ब त
सी परे शािनय के बावजूद भी लेशमा नह बदल पाई थी।
उसक गहरी, नेक, बादामी रं ग क आंख।

स य त मनु क आंख क ती ईमानदारी अभी भी नह बदली थी।

उस रात हड़ पा के िवनाश का सा ी बनने के बाद से मनु के िलए आगे का


सफर अिधक क ठनाइय भरा ही रहा था। अगले कु छ दन और रात
कालीबंगन और धोलावीरा और उनके आसपास क जगह को खाली कराने म
बीते। वो अिधक सं या म लोग क जान बचाने म कामयाब रहे, इससे पहले
क िन ु र बाढ़ आकर उन लोग को लील जाती।

ह ते और महीने गुजरने के साथ, बाढ़ ने सैकड़ योजन भूिम को अपने उदर म


समा िलया था। वो बंजर जमीन, जहां एक समय कै टस और िछपकली के
अलावा और कु छ नह होता था, वहां अब चार तरफ पानी ही पानी था।
पहाड़ और पवत जो एक समय म गगन को चूमते दखाई पड़ते थे, अब उन
तूफानी लहर के नीचे समा गए थे, जो कभी-कभी बादल को छू ती तीत
होती थी।

िवशाल शुि ने मनु य के मन म िछपी बात को सामने ला दया था। उसने


मनु य के मन म िछपे िवष को भी ख़ म करके , उस उदारता और अ छाई
को सामने ला दया था, िजससे मनु य अभी तक अनिभ था। तबाही और
कोलाहल के एक छोर पर आए पु ष और मिहला दूसरे लोग क जान बचाने
के िलए अपना सबकु छ दांव पर लगाने को तैयार थे। तो दूसरी तरफ, इसने
इं सान को हैवान भी बना दया था, जो इस तबाही के पल म भी कमजोर और
लाचार के शोषण का कोई मौका नह छोड़ना चाहता था।

कु छ ही महीन म स य त मनु का दुिनया को देखने का नज रया पूरी तरह


बदल गया था। अब वो नह मान सकता था क मनु य का दल अ छाई से
भरा था, जब तक क मनु य खुद हालात वश ऐसा करने को न े रत हो। इस
धरती पर कई दशक गुजारने के बाद वो इस िनरं कुश जाित के बारे म इतना
तो जान ही गया था।

मनु य धरती पर ई र क अिभ ि था।

मनु य ही शैतान का ित बंब भी था।

वो झुंड म लकड़ब घ क तरह िशकार करते थे।


वो िशकार क खोज म दन-रात घने जंगल म घूमते रहते थे। इस गहन जंगल
म होने वाली कोई भी हरकत उनक नजर से बच नह पाती थी। वो उसी
यो यता से कसी शेर का िशकार करके , उसको पकाकर खाते थे, िजस सहजता
से वो जंगली धारा म से मछली पकड़ा करते थे। आयवत के लोग इन जंगली
लोग को दै य के नाम से जानते थे, िजनका भय हर जगह ा था।

िजन जानवर के साथ वो रहते थे, उ ह क तरह ही युगल यु म वो अपने


नेता का चयन करते थे।

प रणाम व प, इस जाित का येक संभावी मुिखया, अपने वतमान


मुिखया को यु क चुनौती देता और िबना श के वो दोन तब तक आपस
म लड़ते, जब तक उनम से कसी एक क मृ यु न हो जाती। वतमान म जो इस
घने जंगल का बेताज बादशाह था, वो वा तव म एक रा स था। अफवाह थी
क उसका कद सात बांह िजतना लंबा था, और उसने अपने नंगे हाथ से अपने
से िपछले मुिखया का पेट फाड़ डाला था, और उसक अतिड़यां िनकालकर
उ ह पुर कार व प अपने कमर पर बांध िलया था।

पूरे जंगल और सम त आयवत म उसे नर-मुंड के नाम से जाना जाता था।


बनारस, 2017
काशी िव नाथ

वो मं दर क तरफ जाती एक पतली गली के कोने म खड़ा था, और बड़ी


दलच पी से सारी गितिविधय को देख रहा था। काशी िव नाथ मं दर उसके
देखे ए कसी भी अ य आ याि मक थल से अिधक ऊजावान था। उस मं दर
म येक साल इतने ालु आते थे, िजतने वै टकन और म ा के िमलाकर भी
नह थे।

वो सही थे। इस जगह और इस ाचीन नगर के बारे म कु छ तो शि शाली


बात है।

कोई आ य नह क वो देवता यहां है।

वो मं दर के मु य प रसर म वेश नह कर सकता था, य क िवदेिशय को


वहां अंदर जाने क अनुमित नह थी। ले कन मं दर के ार के बाहर से वो
अ कू ट क एक झलक देख पा रहा था, िजसके मा यम से हजार गरीब और
बेसहारा लोग को खाना िखलाया जाता था। उसने दूरी से मं दर का क ीय
गुंबद देखा, जो कभी खरे सोने का बना था। वो मं दर के फश पर िबछे चांदी के
िस को भी देख पा रहा था।
आते-जाते लोग उसे घूर रहे थे। जब क काशी िव नाथ क गली म िवदेिशय
का आना असामा य बात नह थी, ले कन उस ि के तेज म कु छ ऐसी बात
थी, जो उसे िविश बना रही थी।

और बात भी सही थी।

उसके जैसा कोई आदमी पहले इस ाचीन नगरी, काशी म आया भी तो नह


था।

ान-वापी कु एं और उसके आसपास जुटे भ को देखकर वो हैरान भी था


और चंितत भी। अनंत ान के ोत के प म िव यात, ान-वापी कु एं से
जुड़ी कई कहािनयां चिलत थ । उनम से एक थी क जब लुटेरे सु तान क
सेना ने बनारस और फर काशी िव नाथ मं दर के मु य प रसर पर आ मण
कया, तो मं दर के मु य पुजारी ने अपनी बांह म िशव लंग को उठाकर इस
कु एं म छलांग लगा दी थी, और िशव लंग को हमलावर के अनादर से बचा
िलया था।

पिव कु एं के पास आने वाले येक भ को, वो ब त यान से देख रहा था।
उसने िनधन युवा जोड़ को देखा। कांपती वृ ा , आधे-नंगे जीण बूढ़ , रोते
ए ब , अपंग और रोिगय को देखा। उनक आंख म दखाई देती दृढ़ भि
ने उसे बेचैन कर दया। वो अपनी गरीबी से लापरवाह नह हो सकते थे।
उ ह ने अपनी भि क राह म अपनी अपंगता को नह आने दया था।

इन गहन और संयु आ याि मक बल वाले लोग को कौन िनयंि त कर


सकता था?

और इससे भी बदतर, इस जीवन ऊजा और अपनी अलौ कक शि य के साथ


आए मनु य को कौन परािजत कर सकता था?

इससे पहले क ब त देर हो जाए, देवता को रोकना ज री था।

उसने जोर दया था क इस पिव मं दर और पावन कु एं के दशन के िलए वो


अके ला ही जाएगा। अब वो बनारस क भीड़ भरी गली से, अपनी तेज चाल से
िनकल रहा था। जैसे ही वो चौड़ी सड़क पर प च ं ा, तो उसके अपने
सुर ाक मय ने उसे घेर िलया और वो ज द ही िशि त लड़ाक क भीड़ म
खो गया।
िव त
ु , ारका शा ी, दािमनी, पुरोिहत जी, नैना, सोनू, बलवंत और पूरे देव-
रा स मठ को चंता करने क ज रत थी। सम त मानवजाित को चंितत होने
क आव यकता थी।

इसक ब त ही खतरनाक वजह थी।

मा के रा िबआंका काशी म आ चुका था।

मानवजाित का भिव य हमेशा के िलए बदल देने वाली भिव यवाणी को सच


होने से रोकने के िलए।
आयवत के घने जंगल, 1699 ईसापूव
सृि का हार

मनु और उसके िव त, ुव ने अपने हिथयार िनकाल िलए थे। चार


रसायनशाि य को सुर ा घेरे म घने जंगल ले जाते ए, उनक आंख और
कान हर उस हरकत पर लगे ए थे, िजससे आते ए खतरे का अनुमान लगाया
जा सके ।

ई र ारा यागे ए इस घने जंगल म हर कदम पर खतरा होने के बावजूद


भी रसायनशाि य को यहां लाया गया था। द स ऋिषय ने, जो अब
लय से मुकाबला करने म मनु के आ याि मक मागदशक और साथी थे, कु छ
आव यक औषधीय बू टय और जड़ क सूची तैयार क थी, उ ह इस जंगल से
ले जाकर नौका म संरि त करना था।

मनु को यह मानने म कही स ाह लगे थे क उसका ि य भाई, िश क, िम


और दाशिनक, शि शाली म य, िजसे उसने वयं भगवान िव णु का अवतार
माना था, वो उसे छोड़कर चला गया था। जाने से पहले उसने एक अंितम बार
अलिवदा तक नह कहा था।

उसने मनु के िलए एक प छोड़ा था, िजसम िलखा था क जब लगे सब ख म


हो रहा है, तभी उसे बुलाया जाए। उसने एक अजीब सा फूं क मारने वाला भ पू
भी छोड़ा था। वो भ पू कसी रह यमयी समु ी जीव से बना था, और उसे तभी
बजाना था, जब मनु को लगे क मानवजाित क हर उ मीद समा हो गई थी।
इसके अलावा उसे नह बजाना था।

य िप अब कई महीने गुजर गए थे और िव क सबसे िवशाल नाव बनाने का


िवशाल काम, कृ ित के कोप के बावजूद चल रहा था, ले कन मनु म य के
िबना वयं को ब त अके ला महसूस कर रहा था। जब उसने िवशाल नौका
बनाने के म य के आदेश को वीकार कया था, तब उसे पूरा यक न था क
यह तेज वी नीलवण मनु य हमेशा उसके साथ रहेगा। ले कन ऐसा नह होना
था।

स य त मनु अके ला रह गया था। महाकाय काय के साथ, िजसम उसे सृि को
सृि के ही वार से बचाना था!

मनु और ुव के साथ उनके आधे दजन यो ा क टु कड़ी थी।

नौका िनमाता के िलए लोग ही उनके सबसे ब मू य संसाधन थे। िपछले


कु छ महीन म, जब से िवनाशकारी लय ने आयवत को अपना िशकार बनाया
था, वो सैकड़ हजार पु ष , मिहला और ब को बचाने म सफल रहे थे।
अब तक उ ह ने सफलतापूवक कालीबंगन नगर खाली करवा िलया था, और
लोथल जैसे दूरदराज के थान म भी अपने घुड़सवार दौड़ा दए थे।

आज येक नगर ने अपने आदमी और सेना मनु क नौका-िनमाण म झ क


दए थे। शारी रक प से मजबूत आदिमय को पैदल या घुड़सवार सेना के
िलए चुन िलया गया था, उनका मह वपूण काय था िनमाण क मु य म
शि बनना। एक सुसि त सेना इस अंितम स य मानव ब ती को डाकु
और ह यार से बचाने के िलए भी चािहए थी।

मिहलाएं भी कसी से कम नह थ और वो सश बल और अिभयांि क म


म बराबर का योगदान दे रही थ । उ ह ने एक ज री टु कड़ी भी बना ली थी,
जो घायल और बीमार क देखभाल कर रही थी, वो िवशाल रसोई को भी
संभाल रही थ , और उ ह ने पशु , पौध , क ट , धातु , व , पु तक ,
औषिधय , बीज, आग जलाने का प थर और न शे के नमून का भी संर ण
कर िलया था। वो हिथयार और िवशालकाय नौका के िलए ज री सामान को
भी संभाल रही थ ।

वो लोग िमलकर संघष कर रहे थे, िजससे लय के बाद क दुिनया को देखने के


िलए जीिवत रह सक।

ये काय संपूण नई दुिनया बनाने से कम नह था—और वो भी ठं डी बा रश और


कड़कती िबजली के बीच। िजस भी ऊंचे थल का चयन वो अपने िशिवर के
िलए करते, वो उ ह बढ़ती बाढ़ क वजह से कु छ ही स ाह म खाली करनी
पड़ती। वो बाढ़ जो मानो पूरे ह को ही िनगलने आ रही थी।

वो आ रही थी।

इस अके ली पिव नगरी को छोड़ते ए।


भीमकाय युवा ुव ने अपनी तजनी उठाते ए, अपने छोटे से दल को तुरंत
ि थर हो जाने का इशारा कया। फर उसने अपनी पांच उं गिलयां उठा ल ,
िजसका मतलब था क येक अपने औजार तैयार रखे। उसके समथ यो ा
कान ने दूरी पर सूखी पि य के तड़कने क आवाज सुन ली थी।

मनु, ुव और उनके छह यो ा ने चार रसायनशाि य के िगद घेरा बना


िलया था, और अपनी तलवार, भाले और तीर को कसी भी जवाबी हमले के
िलए तैयार कर िलया था।

उनम से एक रसायनशा ी, जो धुर वं या ृंखला से आया था, वो कु छ


दुिवधा म था। उसने पूछ ही िलया।

‘ओ ताकतवर स य त, हम इससे पूव भी अनेक ऐसी आपदा म िघरे ह।


येक खतरा दूसरे से अिधक भयावह था। ले कन मने कभी इतनी चौकसी
नह देखी। या दै य के बारे म कु छ ख़ास भयावह बात है?’

मनु ने जवाब नह दया। ले कन उसके परम िम ुव ने दया।

‘हां, ानीजन। दै य हमारे सारे दु मन से अिधक खतरनाक ह।’

मनु ने ुव को असहमित क नजर से देखा। ुव ने अपने दो त और अ त


े ाक
तरफ आंख मारी और अपना वा य पूरा कया। ‘हे बुि जीवी, ये दै य नर-
भ ी ह।’
बनारस, 2017
एक सवस ावादी सरकार

ारका शा ी का दल भी अपने परपोते के साथ रो रहा था। ले कन वो जानते


थे क ये दन आना ही था। और िव ुत को कभी न कभी तो इस सचाई का
सामना करना ही था।

ढाई दशक तक यह मानने के बाद क उसके िपता, का तके य शा ी क मृ यु


एक दुखद कार दुघटना म ई थी, देवता को अब वा तिवकता का पता चला
था।

आज वह जंदगी के सबसे मुि कल और असहनीय सच का सामना कर रहा


था।

मेरे िपता को बेरहमी से घात लगाकर, ब त से लोग ने घेरकर... मारा था!

‘मुझे सब कु छ बताइए, बाबा। अब कोई राज नह , कोई आधी-अधूरी


जानकारी नह , अब कसी सही समय क ती ा नह करनी है... म सबकु छ
जानना चाहता ,ं बाबा।’
बुजुग जानते थे क अब समय आ गया था।

‘सबकु छ, बाबा...’ िव ुत ने िवशेष प से सबकु छ पर जोर देते ए कहा।

‘मुझे इस यू व ड ऑडर के बारे म बताओ। मुझे रोिहणी न के बारे म


बताइए। नाइ स टे पलर के पतन के बाद या आ? मेरे िपता को य मारा
गया? कसने उ ह मारा? रोमी परे रा और ि जट कपािलक जैसे दानव को
कौन भेज रहा है?’

िव ुत क नजर कभी अपने परदादा को, तो कभी पुरोिहत जी को देख रही


थ । उसे जवाब चािहए था। आज ही।

‘और बाबा... काले मं दर का या रह य है?’

‘जैसा क मने तु ह बताया, िव ुत... 12व सदी म नाइ स टे पलर क


योजना और िविवध छल-कपट यू व ड ऑडर क शु आती सफलता का
ित बंब थी। टे पलर का तेजी से अमीर हो जाना, असीिमत शि यां हािसल
कर लेना, और फर उतने ही नाटक य प से उनका पतन—इसने ऑडर के
अिधपित बनने क आकां ा को खूब बल दया। वो सुिनयोिजत प से एक
सै य बल थािपत करने म सफल रहे। उ ह ने ब कं ग को राजनीित के साथ
िमला दया। उ ह ने धम को िवजय से जोड़ दया। उ ह ने पुजारी को राजा का
साझेदार बना दया। वो जब चाहते, एक अपराजेय सै य ा प को खड़ा कर
देते। और अपनी ही इ छा से वो उसका खा मा भी कर देते।’

दोबारा बोलने से पहले, मठाधीश एक पल के िलए के ।

‘ये कहा गया क 1307 ई वी म 13 तारीख, शु वार के उस दुभा यपूण दन


म, सारे टे पलर को मार दया गया था। उनम से कु छ बच भी गए थे। ये वो
लोग थे िजनका चयन वयं ऑडर ने अपने हाथ से कया था। उ ह भागने क
अनुमित दे दी गई, िजससे वो यूरोप और म य पूव के िभ भाग म जा सक,
और वहां गु ातृसंघ के िलए नए ा प क थापना कर सक। अिधपित अब
पूरी तरह से आ त हो गया था। अगर वो ांस और साइ स क भौगोिलक
राजनीित को अपने इशार पर नचा सकते थे, तो और अिधक ांत , रा और
ीप का िनयं ण लेने से उ ह कौन रोक सकता था?’

िव ुत पूरे मन से सुन रहा था। उसे धीरे -धीरे , ले कन दृढ़ता से इस बात का


यक न हो चला था क कसी तरह से ये सब मठ, उसके मृत िपता, रोमी,
ि जट और वयं उससे भी जुड़ा था।
और हड़ पा से भी।

हालां क अब वो समझ गया था क कस तरह ऑडर ने टे पलर के साथ छल


कया था, ले कन अभी भी िव ुत ये नह समझ पा रहा था क इस सबसे वो
हािसल या करना चाहते थे।

‘बाबा, ये ऑडर वा तव म चाहता या है? राजनीित, देश और धम पर उसके


िनयं ण का यास समझ आता है, ले कन इस सबके अंत म या?’

ारका शा ी ने लंबी सांस ली और अब तक टाली जाती रही बातचीत के


िलए वयं को तैयार कया।

‘जैसा क तुम जानते हो, यह सब नाइिसआ म शु आ था, स ाट कां टटाइन


क एक-िव , एक-सरकार क मह वाकां ा के साथ। शासन और सामािजक व
ि गत िनयं ण का एक नया तरीका—एक सवस ावादी सरकार जो
धा मक उ माद, आ थक संर ण, जाित, रं ग, पंथ, भाषा इ या द के वैिव य को
िमटा देगी... िसफ देशभि को ही नह ! उसका औिच य, जो हालां क आज
सुनने म अजीब लगता है, सै ांितक प से सही और अ छे उ े य से था।

ले कन पहले दन से ही तय था क यह सफल नह हो सकता था। िविवधता ही


तो मानवजाित को इस ह क े जाित बनाती है। िविवधता ही तो
सं कृ ित, मह वाकां ा, कला व सािह य, वै ािनक उ ित, आ थक अिभलाषा
इ या द क जनक है। लोग क इस िविवधता के िबना हम महज भेड़ का एक
झुंड बनकर रह जाएंग।े अगर दुिनया म आज अनेक चच के साथ बनारस के
घाट ह, अगर वैि क फै शन क फलती-फू लती दुिनया के साथ ही चमकता खेल
जगत है, अगर आज इ छा मृ यु और गभपात पर व थ बहस हो रही है—तो
ये सब इसीिलए क हम मनु य एक-दूसरे से िभ ह।

तो, दूसरे श द म, कां टटाइन क योजना मूलभूत प से कृ ित क मुख


वा तिवकता, िमक िवकास के िव थी। वो वापस से मानवजाित को भेड़
का झुंड बनाना चाहता था। ले कन इससे भी अिधक, उसक सबसे बड़ी भूल
थी क उसने एक सबसे शि शाली ताकत को अनदेखा कर दया था।

मनु य क मह वाकां ा।’

‘इससे पहले क म तु ह यू व ड ऑडर और उनके अिव सनीय अधम ा प


के बारे म बताऊं, एक आखरी चीज और तु ह समझनी होगी, िव ुत। या तुम
जानते हो क टे पलर के पूरे र रं िजत इितहास से उ ह ने या सबक िलया?
इसी सबक से वो आगे जाकर िव क अबाध शि म बदलने वाले थे।’

‘वो सबक या था, बाबा?’ िव ुत ने पूछा।

‘उसक वजह से मानवता क िनयित हमेशा के िलए ऑडर के पैर तले आ गई,
और यु , तानाशाही, अितवा दय और अमानवीय उ ंडता का रा ता खुल
गया,’ ारका शा ी ने जवाब दया।

‘उ ह ने सीख िलया था क जंग वि थत क जा सकती थी।

क वो दोन प क तरफ से यु लड़ सकते था।

और यह भयानक, बेरहम काय- णाली दुिनया का िवनाश करने वाली थी...


बार-बार।’
आयवत के घने जंगल, 1699 ईसापूव
ुव

तीर सामने से आते दै य के माथे म जा घुसा, सीधे भव के बीच म। बाण का


वेग इतना तेज था क हमलावर पीछे कु छ दूर जाकर िगरा।

दो और दै य पेड़ क ऊंची शाखा से िच लाते ए िगरे , य क तुरंत ही दो


तीर ने उ ह अपना िनशाना बना िलया था।

बेशक ुव आयवत का महानतम धनुधर था। उसके धनुष और तरकश मानो


उसके अपने ही शरीर का िव तार थे।

मनु ने एक दै य के सीने पर लात से हार कया, जो उस पर कसी िगरती ई


च ान क तरह पड़ी। उसी गित से, सूय पु ने एक दूसरे हमलावर का भी िसर
धड़ से अलग कर कया, जो एक रसायनशा ी के कु छ अिधक ही िनकट आ
गया था। हमलावर के िबना िसर वाले धड़ से र का फ वारा फू ट पड़ा,
िजससे स य त के चेहरे , बाल और कं ध पर र फ़ै ल गया। अब मनु देखने म
ब त िवकराल नजर आ रहा था।

अब तक मनु इसका आदी हो चला था। उसने अपनी कलाई पर बंधे चमड़े के
प े से र साफ़ कया और वापस लड़ाई म जुट गया।

जब वो वापस मुड़कर यु थल को देखने लगा, तो मनु क नजर एक दै य पर


पड़ी, िजसने तीर से ुव पर िनशाना साधा आ था। िबना एक पल
िहच कचाए और पूरी दृढ़ता से, स य त मनु ने अपने दोन हाथ से अपनी
मोटी तलवार का मूंठ पकड़ा, और उसे पीछे क तरफ ख चते ए, पूरी ताकत
के साथ दु मन पर बाण क तरह िनशाना साधते ए फका। ताकतवर तलवार
ने दु मन धनुधर का सीना फाड़ते ए, उसे वृ के मोटे तने से ब ध दया।

ुव ने समय पर िमली ई इस मदद को देखा और िसर िहलाकर अपनी जान


बचाने के िलए मनु का आभार कया। यो ा-राजकु मार भी अपने करीबी
िम को देखकर मु कु रा दया।

मनु और ुव क शानदार जोड़ी एक साथ पूरी सेना के छ े छु ड़ा सकते थे।

उस र संघष को समा होने म कु छ पल से अिधक का समय नह लगा। जब


मनु और ुव ने उस छोटे से संघष का मुआयना कया, तो वो प रणाम से संतु
थे। उनका कोई आदमी नह मरा था, जब क एक दजन त-िव त दै य के
शव उनके आसपास पड़े थे। जंगल म उनके नीचे क जमीन, वृ और झािड़यां
सब दै य के र से लाल हो गई थ ।

‘वो शायद पहली टु कड़ी रहे ह गे, ुव। हम अब रसायनशाि य को यहां से


बाहर िनकाल लेना चािहए!’ मनु ने अपनी नजर दूर जंगल म टकाये ए ही
कहा।

ु ने भी सहमित म िसर िहलाया और अपना धनुष और बाण उठाकर, तुरंत



जंगल से बाहर जाने के िलए तैयार हो गया।

ले कन मनु नह जानता था क यह हमला तो महज एक आ मघाती अिभयान


था। नर-भ ी को इतनी सरलता से नह हराया जा सकता था।

जब स य त मनु, ुव, रसायनशा ी और उनके साथी घने जंगल क सीमा


से बाहर िनकल रहे थे, तो वो नह जानते थे क वृ क ऊंची गु मचान से
िनदयी काली आंख उनका पीछा कर रही थ ।

वो उ ह देख रहा था।

और अब शि शाली नर-मुंड उनके लड़ने क शैली जान गया था, वो उनक


ताकत और कमजोरी को भी पहचान गया था।

उसने सूय पु को वयं मारने के िलए चुना

और मनु का कलेजा खाने क कसम खाई... क ा ही।


बनारस, 2017
के दारनाथ

‘म सही ,ं गु देव,’ नैना ने कहा। ‘हां... वो भी सही है। हमारा देवता सही है।’

वो देव-रा स मठ क एक शाखा क छत पर टहलते ए, अपने मोबाइल पर


बात कर रही थी। इस साधारण उपकरण को अपना साथी बनाने से पहले, उसे
इरीिडयम 9555 सेटेलाइट फोन क ही आदत थी। दूर थ पवत, जो िव ुत के
आने से पहले उसक छावनी थी, पर और कोई उपकरण काम नह करता था।
और अब फोन के दूसरे छोर पर जो इं सान था, वो वैसा ही, अ याधुिनक सेट-
फोन इ तेमाल कर रहा था, य क वो संचार के दूसरे सभी नेटवक से परे था।

वह महंत भवानीशंकर से बात कर रही थी, उ री िहमालय क ऊंची


ृंखला म रहने वाले रह यमयी साधु। उनका आ म मंदा कनी नदी के
कनारे पर था।

बुजुग महंत अंितम काले मं दर का संर ण कर रहे थे।

वह याग, उ राखंड के के दारनाथ मं दर के उ पुजारी थे।

के दारनाथ को भगवान िशव के पूजनीय बारह योित लग म से एक माना गया


है। ये बाढ़ पिव थल िशव के द काश का क माने गए ह और सौ साल
से अिधक समय से हंद ू तीथयाि य ारा पूजे जाते रहे ह।

माना जाता है क के दारनाथ मं दर मूल प से पांडव ारा बनवाया गया


था। हि तनापुर के पांच शूरवीर और नेक भाई भगवान िशव से महाभारत यु
म ए र पात क माफ़ मांगना चाहते थे। सैकड़ साल गुजरने के बाद, वो
पिव थल लाख तीथयाि य के आकषण का थल बन गया।

जब 2013 म उ राखंड म आई बाढ़ के दौरान, पहाड़ी रा य क िवशाल घाटी


जल के नीचे समा गई, तब यह मं दर चम कारी प से ित त होने से बच
गया था। कहा गया क मं दर को पीछे बनी बड़ी सी च ान ने बचा िलया था,
िजसक वजह से मंदा कनी का सीधा वाह बंट गया, और मं दर आज भी
अपने मूल थान पर खड़ा रह पाया।

ये चम कार कै से आ? वो मं दर िबना ढहे कै से खड़ा रह पाया, जब क उसके


आसपास क सभी इमारत व त हो गई थ ?

कोई भी िनि त प से कु छ नह कह सकता। शायद कोई अनजानी द


ताकत इस अनमोल प रसर क र ा कर रही थी। शायद इस मं दर के क म
कु छ मू यवान व तु िछपी थी, िजसका मान मंदा कनी ने अपने पूरे आवेग म
भी रखा।

आिखरकार, के दारनाथ अंितम काला मं दर जो था।

या शायद वो था?

‘वो हमारे पास ही है, गु देव, िछपा आ और वयं बाबा ारा सुरि त... और
हम सब अपनी सांस रोके रोिहणी न क ती ा कर रहे ह। ले कन मुझे
अभी भी समझ नह आ रहा है क इस तीन हज़ार साल पुराने रह य को
िव ुत कै से उ ा टत कर सकता है। या हम उससे कु छ अिधक क उ मीद
नह कर रहे ह?’

महंत भवानीशंकर खुलकर हंस।े िजस उ े य के िलए उ ह ने अपना पूरा


जीवन सम पत कया था, वो कु छ ही दन म फलीभूत होने वाला था। और
नैना से िभ , उ ह भिव यवाणी के सच होने का पूरा िव ास था।

‘देखो, िब टया... देखो कै से सब चीज वैसे ही हो रही ह जैसे क उसे होना


चािहए था। पिव न के संयोजन से पूव ही िव ुत काशी म आ प च
ं ा है।
बुराई क ताकत भी बेचैन हो रही है और लूिसफर वयं अंितम लड़ाई के िलए
आ गया है। महान ारका शा ी मारके श कालं बीत जाने के बाद भी जीिवत
है और भयानक महातांि क अपने ही हवन-कुं ड म वाहा हो गया है। तुम
समझ नह पा रह , नैना... ये सब वैसे ही हो रहा है, जैसे भिव यवाणी म
िलखा था!’

सफ़े द दाढ़ी वाले महंत फर से हंस,े और अपना फोन एक तरफ रखकर उ ह ने


अपने मुख पर पवत-धारा के ठं डे पानी के छ टे मारे । उनक सम पत हंसी,
उनके आसपास क बफ से ढक चो टय म गूंज रही थी।

नैना भी राहत से मु कु रा दी। वो जानती थी क महंत सही कह रहे थे। सब


कु छ उसी तरह से कट हो रहा था, जैसे उसे होना चािहए था। उसने अपनी
उं गिलयां ॉस करके छोटी सी ाथना बुदबुदाई।

हालां क, आशा और िव ास से राहत िमलने के बाद भी नैना का यान महंत


के कहे एक श द पर अटककर रह गया था। एक नाम िजसे वो समझ नह पाई
थी।

लूिसफर।

‘गु देव, “लूिसफर आ प च


ं ा है” से आप या कहना चाहते ह। ये लुिसफर कौन
है, गु देव?’

भवानीशंकर पहली बार उससे बात करते ए गंभीर ए।

‘नैना, तु ह सब समझाने के िलए अभी समय कम है। बस याद रखो क


अ छाई क सबसे बड़ी ताकत को रोकने के िलए, बुराई क भी सबसे बड़ी
ताकत को आना पड़ता है।’

नैना सुन रही थी, ले कन वो समझ नह पा रही थी क महंत या कहने क


कोिशश कर रहे थे।

‘बस सावधान रहना, नैना... और महान मठाधीश को भी सूिचत कर देना।

उ ह बता देना क शैतान ने काशी म कदम रख दए ह।’


नौका का आधार िशिवर, आयवत का दलदल, 1699
ईसापूव
अंितम मानव ब ती

ऐसा तीत हो रहा था क मानो पूरी धरती पर कसी ने बड़ी सी कू ची से


धूसर रं ग पोत दया हो। जब घोड़े पर बैठे मनु और ुव, िवशाल आधार
िशिवर क क ीय पंि से गुजर रहे थे, तो सब कु छ मिलन नजर आ रहा था।
दलदली जमीन, जुगाडू तंब,ू उनके लोग के फटे ए कपड़े, पशु, दूर दखाई देते
पवत, आसमान... हर कण दुख के धूसर रं ग म डू बा दखाई दे रहा था।

ये हाल तो दन के समय था।

रात और भयानक थ , जब लाल-बगनी रं ग के गरजते ए बादल मौत क


चेतावनी देते थे। सैकड़ हज़ार पु ष, मिहलाएं और ब े ठठु रते ए इन रात
को िशिवर क नाममा क सुर ा म िबताते थे। ऐसे समय म एक घंटे क न द
भी हजार अ से अिधक मू यवान थी।

मनु अपने चार ओर फै ला, तंबु का दयनीय नगर देख रहा था, जो येक
दशा म मील तक फै ला आ था। उसे बस हर दन जीने का संघष करता आ
मानव समु दखाई दे रहा था। उसे ब के रोने, घायल व रोिगय के
कराहने और घबराए पशु के िहनिहनाने क आवाज आ रही थ —ये सारी
आवाज तेज हंसक हवा म गड़मड़ हो रही थ ।

कई महीन से बा रश नह क थी। येक चीज और येक ि हर समय


भीगा रहता था। संसार उससे अिधक गीला था, िजतना क ये पीिड़त लोग
अपने बुरे सपने म भी क पना नह कर सकते थे। रोज ब त से लोग मौत के
सामने घुटने टेक रहे थे, उनका शरीर कृ ित का यह िनमम वार नह सह पा
रहा था।
ुव अपने िम और नेता के चेहरे पर हताशा देख सकता था।

मनु के बचपन का यह साथी एक चीज तो अ छी तरह से जानता था क अगर


कोई इस िवनाशकारी लय से उन लोग को बचा सकता था, तो वो स य त
मनु ही था। उसे पूरा भरोसा था क इस भीषण बाढ़ और सम त मानवजाित
के बीच के वल मनु ही खड़ा था।

इस अंितम आशा क करण को जगाए रखने का िज मा ुव ने अपने ऊपर ले


िलया था। वो मनु पर हर दन और हर घंटे बढ़ते भीषण तनाव को अ छी तरह
समझता था। वो जानता था क हजार जंदिगय क िज मेदारी कतनी
असहनीय हो सकती थी, वो भी तब जब मुकाबला वयं कु दरत के िव हो।
वो अपना पूरा-पूरा दन सूय पु के साथ िबताता, और अपने डर और हताशा
को िछपाए रखता। वो जानता था क ऐसे िवकराल समय म मनु को वयं
अपनी यो यता पर संदह े होने लगा था—िवशेषकर म य के मागदशन के
िबना।

और य िप ुव ने िपछले कु छ महीन म मनु के नेतृ व म ए उ लेखनीय


बहकाव अिभयान और नगर को खाली होते देखा था। यह सूय पु नगर दर
नगर, गांव दर गांव, वेश ार पर जा खड़ा होता... और उन लोग को ज द
से ज द जगह खाली करने का आ ह करता। वो लोग लय क चेतावनी से
अिधक उसके अ भुत ि व क वजह से उसक बात मानने के िलए तैयार
होते। लोग क जान बचाने के िलए मनु तूफ़ान क परवाह कए िबना, अपनी
जान जोिखम म डाल उस तरफ बढ़ जाता। हर बार जब मनु पीिड़त को
बचाकर लाता, तो उसका कद कु छ और बढ़ जाता था।

ु ने भी अपने नेता के साथ कं धे से कं धा िमलाकर तूफ़ान का सामना कया



था। इस तेज वी ि व पर उसे पूरा भरोसा था।

वो कभी मनु को हारता नह देखने वाला था।

‘मनु, या बात तु ह परे शान कर रही है?’

मनु ने जवाब नह दया। वो ुव क तरफ पलटा भी नह । उसने बस अपने


घोड़े को यूं ही िबना ल य के , आधार िशिवर क कसी गली म मोड़ िलया।
ुव ने अपने नेता का अनुगमन कया।

कु छ पल तक चलने और िवशाल िशिवर का िनरी ण करने के बाद, मनु


बोला।
‘ या तु ह लगता है क हम इस िवनाशकारी लय से बच पाएंगे, ुव? इन
लोग को देखो। हर गुजरते दन के साथ ये और कमजोर होते जा रहे ह। उनक
आंख क उ मीद कु छ और फ क पड़ जाती है। उनके पेट खाली ह, उनक
वचा गल रही है और हि यां भी गलकर गूदा बनने वाली ह! ऐसे ये कब तक
जीिवत रह पाएंग?े ’

‘जब तक ये तु ह सामने देखगे, मनु,’ ुव ने कहा। ‘तुम ही इन सैकड़ हजार


लोग क उ मीद हो। इनम से ब त से लोग तो तभी मर गए होते, जब बाढ़ ने
इनके नगर म कदम रखा। अगर इनम से आज हर कोई जीिवत है, सांस ले
रहा है और मानवजाित के नए सूय दय के िलए संघष कर रहा है, तो वो िसफ
तु हारी वजह से! वो सब मानते ह क तुमने इ ह एक बार बचाया था, और
तुम ही आगे भी इनक र ा करोगे। इ ह तुम पर भरोसा है, मनु। िसफ तुम
पर।’

मनु ने अपना घोड़ा मोड़ा और ुव क तरफ मुड़ा। उसके चेहरे पर खीझ और


लाचारगी थी।

‘म वो नह ,ं ुव, जो ये मुझे मान रहे ह! तुम मुझे बचपन से जानते हो। म


बस कोई सामा य मनु य ,ं जो कसी तरह से म य के माया जाल म आ
फं सा। म तो ये भी नह जानता क वो नौका समय पर बन भी पाएगी या नह ।
म ये भी नह जानता क इतनी िवशाल और वजनदार नौका उस लय के
सामने टक भी पाएगी या नह । शायद वो इन सारे लोग के साथ, कसी
च ान क तरह ही डू ब जाए! तुम नह जानते क म य एक आकषक जादूगर
है, जो श द से खेलना जानता है! म वो नह ं जो उसने मेरे बारे म कहा। म
नकली ,ं ुव!’

ु ने अिव ास से अपने नेता क आंख म देखा। वो जानता था क यह समय



कसी राजा मनु से नह , बि क अपने स े िम से बात करने का था।

‘तुमने जो अभी कहा उस पर तुम भरोसा नह करते हो, स य त मनु। जो कु छ


मने तुमसे सुना और जो तारा ने मुझे बताया, म य वा तव म द ह। तुम
उनसे ब त ेह करते हो और उ ह अपने साथ देखना चाहते हो। और तुम
जानते हो क तुम साधारण नह हो, मनु। िववा वन पुजारी का र साधारण
कै से हो सकता है? ये अंितम मानव ब ती िसफ तु हारी वजह से ही अि त व म
है! पु ष और मिहला का यह िवशाल रै ला आज तक िसफ तु हारी वजह से
ही जीिवत है! तु हारी वजह से ही दै य उ ह काटकर जीिवत खा नह गए ह!
और अगर म कसी के िलए अपनी जंदगी दांव पर लगा सकता, कोई ऐसा जो
इस लय के बाद भी जीिवत रहेगा—तो वो तुम ही हो, मेरे िम ! वो स य त
मनु ही है!’

ुव ने ये श द िच लाकर कहे, पूरी सघनता से अपने गले क नस पर दबाव


डालते ए।

श द ने अपना असर दखाया।

थक ई उदासीन मु कान देने से पहले, मनु के चेहरे पर गंभीरता थी। उसे


उसी ताकत, िव ास और ऊजा क ज रत थी, जो ुव ने अभी उसे दी थी।
स य त अपने ि य िम को देखकर मु कु राया और फर अपने घोड़े को दौड़ता
आ अपने तंबू क तरफ बढ़ा।

आगे जाकर, मनु ने मुड़कर ुव से कहा।

‘ओ शि शाली धनुधर, थोड़ी देर आराम कर लो। कल हम दोन िवशाल


नौका क तरफ चलगे।’

‘मनु क नौका क तरफ!’ ुव ने हंसते ए जवाब दया, और मनु ने भी


श मदगी से झपते ए अपना घोड़ा दौड़ा दया।
बनारस, 2017
एक सवस ावादी सरकार—भाग II

वो एक छोटी सी अनु ािनक अि के िगद बैठे थे, जो पूजा पूण होने के बाद
वयं धीरे -धीरे बुझ गई। ारका शा ी ने अपनी सां यकालीन अचना के िलए
कु छ िवराम िलया था।

‘जैसा क मने तु ह पहले भी समझाया है, िव ुत, याह ऑडर ने समय-समय


पर अपना नाम और पहचान बदली थी। इसे एक अके ला संगठन मानने क
भूल मत करना। यह दुिनया भर म फै ले गु समाज , संग ठत सं थान और
शि शाली ि व का ज टल संयोजन है। उनका ल य मा राजनैितक ही
नह है। द यू व ड ऑडर स दय पुराना नेटवक है, िजसका उ े य पूरी दुिनया
का िनयं ण कु छ थोड़े से ि य के हाथ म दे देना है।

वे मा राजनैितक मु े से ही संचािलत नह होते ह। वे वैि क अथ व था,


धम, सै य कायवाही, नाग रक यु , सामािजक मतभेद, मीिडया और यक नन
राजनीित को भी िनयंि त करते ह। नाइ स टे पलर के दम पर उ ह ने जो
राजा , पाद रय , वण और भूगोल क ज टल पहेली तैयार क थी, वो
कृ ि मता, पैमाने और प च
ं के तर पर और बढ़ी ही है। इससे पहले क कोई
जान पाता, दुिनया यु -अथ व था के प म चलने लगी।’

‘यु -अथ व था से आपका या मतलब है, बाबा?’ िव ुत ने जानना चाहा।

‘ या तुमने इस पर यान दया, िव ुत... वो चाहे अमे रका क आजादी क


लड़ाई हो या ांस क ांित, स के स ाट पर बोलशेिवक पाट का हावी हो
जाना या िव यु , शीत यु हो या म य पूव, क मीर हो या चेच या...
दुिनया एक दन के िलए भी यु और र पात से मु नह हो पाई है?’

देवता गहरे िवचार म खोया था। महान मठाधीश सही कह रहे थे। ले कन
चीज इतनी सरल नह हो सकती थी।

‘आप सही कह रहे ह, बाबा। ले कन या आपको नह लगता क इसका कारण


हम मनु य या हमारी जाित होमो सेिपयंस क आ म-िव वंस क अनोखी
ितभा नह है? या समूह, जाित या रा य बनाकर, फर उस पहचान के
िलए लड़ना मनु य के िवकास का िवशेष त व नह है?’

ारका शा ी के कु छ कहने से पहले, पुरोिहत जी ने जवाब दया।

‘ या हम िनि त प से कह सकते ह क या कारण और या भाव रहा


होगा, िव ुत? तुमने जो अभी हम मनु य के बारे म कहा वो उस लगातार
हंसा क वजह से नह है जो हमने अपने ऊपर थोप ली है? ले कन या हम
इसिलए लड़ते ह य क हम आनुवांिशक, शारी रक प से र पात के िलए
बने ह? या हमने वयं को हंसक इसिलए मान िलया है क कसी ने हम कभी
शांित से रहने ही नह दया? उदाहरण के िलए, भारत और पा क तान के
अिधकांश लोग दोन देश म हमेशा शांित और ेम चाहते रहे ह, ले कन अब
तक चार बार यु हो चुका है और अनिगनत लोग मारे जा चुके ह। दोन देश
िज ह अपना पैसा वा य, िश ा और रोजगार म लगाना चािहए, वो करोड़
डॉलर के परमाणु हिथयार और फाइटर जेट खरीद रहे ह। जब दशक से
साधारण भारतीय या पा क तानी शांित क कामना करता रहा, तो तु ह या
लगता है क ऐसा य नह हो पाया?’

‘द यू व ड ऑडर क वजह से...’ िव ुत ने कहा।

‘ठीक है, बाबा, अब म िव तृत प से यू व ड ऑडर का िडजाइन समझ चुका


,ं और क इसे ताकत के भूखे कु छ असाधारण प से शि शाली लोग चला
रहे ह। ले कन म अभी भी नह समझ पा रहा ं क इतने ष ं , भाव और
िनयं ण से वो हािसल या करना चाहते ह।’

‘उनके ल य उतने ही सहज ह िजतने वो िनडर, और शायद साधारण इं सान


क समझ से परे । वो यू व ड ऑडर के प म थािपत करना चाहते ह—

दुिनया क एक अथ व था।
दुिनया का एक धम।

दुिनया क एक सेना।

दुिनया का एक समाज।

और पूरी दुिनया क एक ही सरकार...’

‘...जो उनके अपने ातृसंघ के हाथ म हो,’ कहते ए िव ुत ने अपने परदादा


क बात ख़ म क ।

िव ुत वो सब सुनकर हैरान था। वो यक न नह कर पा रहा था क कोई


इतनी जघ य, इतनी गु और इतनी िवनाशकारी काली परछाई पूरे ह पर
घूम रही है, और लगभग सात िबिलयन लोग को इसका कोई अनुमान नह है!

ारका शा ी ने अपनी बात आगे बढ़ाई।

‘जैसा क मने तु ह पहले भी बताया था क पहली बार वैि क-नेता ने 1921


म खुले तौर पर ‘ यू व ड ऑडर’ क घोषणा क थी, जब अमे रक रा पित
वू ो िव सन ने जनसभा म इसका नाम िलया था। वह पहले िव यु के बाद
बने रा संघ का संदभ दे रहे थे, ले कन तब हम काले मं दर के संर क जान
गए थे क ऑडर ने खतरनाक मुकाम हािसल कर िलया था क अब वयं को
िव मंच पर तुत करने के िलए तैयार था।

इसके बाद ब त से भावशाली आदिमय ने िविभ जन मंच और मीिडया से


यू व ड ऑडर के बारे म बात करनी शु कर दी। इन आदिमय क सूची म
िवकिसत देश के रा पित और धानमं ी भी शािमल थे। इसम िबजनेस
जगत क नामी हि तयां और चंतक भी शािमल रहे। या यह संयोग ही था
क 1921 से अब तक के लगभग सौ साल म यू व ड ऑडर का नाम बार-बार
िलया जाता रहा? यह एक बीज रोपण था, िव ुत।

मानो यू व ड ऑडर क आव यकता को कृ ि मता से जनसं या के मन म


रोिपत कर दया गया था।’

‘बाबा, आपने पहले मुझे बताया था क ऑडर क सबसे स म काय णाली


यह थी क वह दोन तरफ से यु लड़ता था। इस बात से आपका या मतलब
था? कौन से ऐसे यु थे, िज ह वो सीमा के दोन ओर से लड़ या िनयंि त कर
रहे थे?’
‘म खुश ,ं िव ुत क तुमने यह सवाल पूछा, य क इसके जवाब से ही ऑडर
के इितहास के रह य और आतंक क कई गांठ खुल जाएंगी। और क गु
ातृसंघ का भाव उससे कई भयानक है, िजसक तुम सपने म भी क पना
नह कर सकते। एक बार सच जानने के बाद, दुिनया कभी भी तु हारे िलए
पहले क तरह नह रहेगी।’

इतना कु छ सुनने के बाद िव ुत को यक न था क कोई भी बात उसे पहले से


अिधक सदमा नह दे सकती थी।

वह गलत था।

‘मुझे बताइए, बाबा। म जानने को उ सुक ं क हमारे अतीत और वतमान पर


इन दृढ़ और िनदयी लोग के समूह ने या भाव डाला। आिखरकार, एक गु
समाज हमारे इितहास क धारा को कतना भािवत कर सकता है?’

मठाधीश मु कु राए ले कन उनक मु कान उनक आंख तक नह प च ं पाई,


जो अब पथरा गई थ । उ ह ने िव त ु से वो सवाल पूछा, िजसक उसने
क पना नह क थी।

‘तु ह या लगता है, िव ुत क ांस ांित के पीछे कौन था? और सोिवयत


संघ के िवलगाव के पीछे?

या फर... 9/11 के पीछे?’


आयवत का दलदल, 1699 ईसापूव
िवराट नौका

बरसात क बूंद उनके चेहरे पर चाबुक के कोड़े क तरह पड़ रही थ , जब वो


लोग िवशाल समतल क ओर बढ़ रहे थे। समतल थल के बीचोबीच क ऊंची
जमीन को मानवजाित क सबसे िवशाल रचना के िनमाण थल के प म
चुना गया था।

िव ुत घुड़सवार के उस कारवां को तेज हवा और बादल क भीषण गजना


के बीच से ले जा रहा था। मील तक िसवाय िनजन दलदल और दूर थ पवत
के अित र कु छ और दखाई नह पड़ रहा था। लगातार िगरती बा रश कु छ
भी उगने नह दे रही थी। काले जंगल को छोड़कर, आयवत क सारी
वन पित महीन पहले ही बह गई थी। ऐसा तीत हो रहा था मानो यह दल
कसी ऐसे ह पर जा रहा था, जहां कभी जीवन ने सांस नह ली थी।

तारा और उसक टु कड़ी क बीस मिहला वीरांगनाएं ुव के पीछे-पीछे ही चल


रही थ । स मान और सराहना के साथ, मनु ने इस मिहला टु कड़ी को दािमनी
सेना नाम दया था।

दािमनी सेना कसी भी तरीके से सूरज के झंडे तले चलने वाले, मनु के यो ा
से कम नह थी।

मनु को कोई अनुमान नह था क उसक मृत मां संजना, तीन हजार सात सौ
साल बाद दोबारा से धरती पर दािमनी के नाम से ही ज म लेगी।
मनु वयं घोड़ा गािड़य के उन बड़े से दल के पीछे चल रहा था, जो िनमाण
थल पर िमक के िलए ज री सामान लेकर जा रही थ । दो सौ घोड़ा
गािड़यां थ । तुलना मक प से यह छोटी टु कड़ी थी। िनमाण थल के िलए
आपू त ृंखला हर समय चालू रहती थी। काम म लगे हज़ार पु ष और
मिहला को भोजन, व और क ा माल उपल ध कराया जाना ज री था।

कारवां लंबाई म आधे योजन तक फै ला आ था, और एक हजार सश


सैिनक क सुर ा म, अपनी मंिजल क ओर बढ़ रहा था। िपछले स ाह म
ऐसे कई आपू त दल को पहाड़ पर रहने वाले लुटेर और ू र दै य ने लूट
िलया था। मनु उस गाड़ी के साथ चल रहा था, जो वतमान समय म हमलावर
के िलए सबसे बड़ा लालच थी। वो जानता था क उनके येक कदम पर नजर
रखी जा रही थी। वो ये भी जानता था क इस राशन और सामान का िनमाण
थल तक प च ं ना कतना ज री था।

वो प थर के टु कड़े पर चल रहे थे, उस सड़क का िनमाण मालवाहक गािड़य


क सुगम आवाजाही के िलए कया गया था। जब वो दूसरी तरफ प च ं ,े तो
उ ह ने उसे देखा।

वो अभी भी ऊंची जमीन से ब त दूर थे, कम से कम एक दन क दूरी पर...


ले कन फर भी वो दूर ि ितज पर िवशालकाय ितमा के समान दखाई दे
रही थी।

नौका।

जब भी उसक नजर उस िवशालकाय नौका पर पड़ती, तो मनु का दल गव


और उ मीद से भर उठता। आठ महीन म उ ह ने उस िवकराल नौका का
आधारभूत ढांचा तैयार कर िलया था, जो मनु य क कसी भी क पना से
अिधक बड़ी थी। दूरी से, नाव िवशाल धूसर पदा नजर आ रही थी, जो सीधा
आसमान से उतरा हो, और उसने धरती व आकाश को आधा कर दया हो।

इस आकषक ाचीन अिभयांितक के नजदीक जाने पर, आसमान िबलकु ल


दखाई ही नह देता था। ऐसा लगता था मानो आप ऐसी दीवार क तरफ बढ़
रहे ह , जो अनंत तक फै ली है। धीरे -धीरे , इसक परे खा और नाव का आकर
प होने लगा। सैकड़ हजार शि शाली शाहबलुत से उसे थामकर और पशु
बल के मा यम से झुकाकर उस िवशालकाय जहाज का ढांचा तैयार कया
गया। उतनी ही सं या के पेड़ के मजबूत तन , लता और िवशालकाय च ान
ने िवशाल नौका को आसमान क ओर साध रखा था।

नजदीक आने पर ही पता चल रहा था क छोटे-छोटे, िहलते ए लाख कण


या थे। कु छ मील दूरी से ही वो कण अपने वा तिवक आकार म नजर आ पा
रहे थे। वो लोग थे! वो सं या म इतने अिधक थे क लग रहा था िवशाल
बरगद म दीमक लग गई हो। दिसय हजार पु ष-मिहला, िबना के लगातार
उन असहनीय हालात म मानवजाित क अंितम आशा को जीिवत बनाए रखने
के िलए काम कर रहे थे।

वह हर दशा म उ लेखनीय दृ य था। िविभ नगर , ांत और भाषा के


सैकड़ हजार लोग, कं धे से कं धा िमलाकर इस साहिसक काय को अंजाम दे रहे
थे। तांबे क येक क ल, जो हथौड़े के मा यम से गीली लकड़ी म धंसती, वो
मानवता को िन ंत तबाही से एक कदम दूर ले जाती। वो दन के येक घंटे
म भूख, बीमारी, जंगली जानवर, ि यजन के िवयोग, अंग भंग और
अक पनीय यातना से जूझ रहे थे। ले कन ज द ही यह संयु यास सम
ांड को प कर देने वाला था। क मानव मन म दबी एक चेतना कृ ित क
ताकतवर शि से भी अिधक बलवान थी।

जीने क चेतना।

ले कन इस पवत समान नौका को बनाना आसान नह था।

येक दन अनेक मजदूर दुघटना म मारे जाते। हर समय गरजते बादल और


हंसक बरसात हर कदम और िनणय को धुंधला बना देते। कु छ नौका के शीष
से फसलकर मर जाते। कु छ कसी भारी तंभ या च ान तले दब जाते। कु छ
िगरती िबजली का िशकार बनते, जो एक ही बार म नाव के अनेक थल पर
आ िगरती। इससे भी बढ़कर, येक दन ब त से मिहला-पु ष चोट या कड़ी
थकान से चूर होकर मौत के सामने घुटने टेक देत।े

ले कन इं सानी जान का इससे भी अिधक नुकसान कसी और वजह से हो रहा


था।

दजन सोते ए पु ष , मिहला और ब को चीखती रात म ख़ामोशी से


दबोच िलया जाता।

जंदा खाने के िलए।


यूयॉक, 2017
टोनफे लर प रवार

वो अपनी अ य ता वाली बोड मी टंग से बहाना बनाकर िनकला और तेज


कदम से मैनह न के आसमान को छू ते, अपने आलीशान ऑ फस चै बर क
तरफ बढ़ा। वह 44 वष का था, उसके बाल भूरे थे और उसने ब त महंगा
िबजनेस सूट पहन रखा था। ले कन इससे भी अिधक सहज थे उसके चेहरे पर
शाही भाव... कसी ऐसे इं सान क तरह िजसका ज म ही असाधारण संपदा
और स ा म आ हो।

उसने अपना आईफोन वाइप कर इनक मंग कॉल को िलया। टोनफे लर


प रवार का वंशज जानता था क वो िबग मैन के फोन को नजरं दाज नह कर
सकता था।

वो साझेदार थे। वो दोन ही ऑडर क उ पंि म िवराजमान थे। वो दोन


ही दुिनया के सबसे शि शाली और सबसे जघ य गु ातृसंघ के ताकतवर
सद य थे।

‘अिभनंदन, होलीनेस,’ क टोनफे लर ने कहा। वो छठी पीढ़ी का रईस था


और उनसे कह अिधक अरबपित। न तो उसे और न ही उसक हॉलीवुड
फ म क नाियका, प ी को ठीक-ठीक अंदाजा था क उनके पास कतनी
संपि थी। उसके प रवार का दखल दुिनया के सारे ज री ापार म था,
जैसे तेल, दवाइयां, इ फोटेक, मीिडया, श और इससे भी मह वपूण...
इं टरनेशनल ब कं ग।

‘हे लो, क। तु हारा िबजनेस कै सा चल रहा है, मेरे ब े?’

‘सब आपक कृ पा है, योर होलीनेस,’ क ने जवाब दया।

‘और बी स और छोटा साइमन कै सा है? वो तो अब शायद छह साल का हो


गया होगा?’
‘आपके आशीवाद से, वो दोन भी ठीक ह, फादर,’ क ने कहा, उसे अब इस
दखावे क खै रयत से िचढ़ हो रही थी। वह जानता था क िबग मैन भला
आदमी नह था, और उसे क क प ी बी स और उसके बेटे साइमन क कोई
चंता नह थी।

दरअसल, क तो सही समय और सही मौके का इं तजार कर रहा था क कब


इस बदमाश बूढ़े को उसक जगह से हटाया जाए।

‘आपक आवाज सुनकर हमेशा ख़शी िमलती है, फादर। म आपक या सेवा
कर सकता ?ं ’

िबग मैन जानता था क क टोनफे लर क इन मीठी बात के पीछे कौन सा


जहरीला सांप रग रहा था। वो इस शि शाली उ ोगपित क रग-रग से
वा कफ था।

इसका पूरा प रवार ही धोखेबाज का है। पी ढ़य से। एक बार देवता और


काले मं दर का मसला सुलझाने के बाद, म हमेशा के िलए टोनफे लर वंश का
सफाया कर दूगं ा।

गॉड मुझे माफ़ कर, साइमन अभी ब ा ही है। ले कन जो ज री है, वो करना


ही होगा।

‘ख़शी तो मुझे िमलती है, क। तुम एक पुराने िम हो, म तुम पर भरोसा


करता ं और तहे दल से तु ह ेह करता ।ं ’

‘मेरी भी भावनाएं ऐसी ही ह, योर होलीनेस। बि क, बी स तो पूछ भी रही


थी क दोबारा आपक मेजबानी का अवसर हम कब ा होगा।’

िबग मैन झूठी न ता से हंसा। उसने सीधे पॉइं ट पर आने का िनणय िलया।

‘बी स उतनी ही उदार ह, िजतनी वो सुंदर ह। अब सुनो, क, तुम जानते हो


न क उस खतरनाक भारतीय शहर म, गंगा के कनारे या हो रहा है?’

‘जी, फादर। म भी अब भिव यवाणी के पल को िगन रहा ।ं स दय म हमने


जो भी कया, सारे बिलदान, सारी शुि , सहयोग, यु और सं मण... सब
इस अंितम पल के िलए ही तो था। हम अब असफल नह हो सकते, फादर। हम
असफल नह होना है!’
‘हम नह ह गे, क,’ रोम के िबग मैन ने कहा। ‘मा के रा हमारा सबसे
खतरनाक हिथयार है। वो अतीत म कभी असफल नह आ है। और तुम जानते
हो क उसक या बात उसे दूसर से अलग बनाती है... या चीज है जो उसे
अजेय बनाती है। तुम जानते हो क इस मा क के पीछे कौन सी काली शि
है।’

क टोनफे लर और िबग मैन दोन जानते थे क दांव पर या लगा था। वो


दोन जानते थे क अगर िव ुत को नह रोका गया, तो वो अंितम यु हार
जाएंगे। िजस ड व ड ऑडर का उ ह ने सपना देखा था, तो आने वाले रोष म
भांप बनकर उड़ जाएगा।

वो जानते थे क अगर िव ुत काले मं दर के रह य को उजागर करने म


कामयाब हो गया, तो इस धरती पर ांड क सबसे ताकतवर शि उतरे गी।
वो ताकत इतनी स म होगी क वैि क ातृसंघ तक उसका सामना नह कर
पाएगा।

महान ारका शा ी और पुरोिहत जी क तरह ही िबग मैन और क


टोनफे लर भी इससे सहमत थे।

िव ुत और वाइट मा क के बीच होने वाली यह जंग, समय के अंत तक के िलए


मानवता क िनयित िनधा रत कर जाएगी।
रा कू ट सा ा य, 762 ई वी
पृ वीव लभ

‘काशी से घुड़सवार आ प च
ं े ह, वामी।’

शि शाली राजा क े र, िजसे दूरदराज म और सात समु पार तक


अपरािजत पृ वीव लभ के नाम से जाना जाता था, ने अपना चेहरा अपने
सेनापित क ओर घुमाया।

इसी पल के िलए मेरा ज म आ था।

पृ वीव लभ भारतीय उपमहा ीप के दि णी ाय ीप का सबसे शि शाली


राजा था। उसक शूरवीरता क कहािनयां दूर-दूर तक मश र थ । रा कू ट वंश
के संहासन पर बैठने के कु छ समय बाद ही, उसक सेना ने अनेक अपराजेय
िवरोिधय को धूल चटा दी थी, िजसम गंगावाड़ी के राजा ीपु ष और क कण
के िशलाहार भी शािमल थे। उसने चालु य शासक िव णुवधन को भी परािजत
कर दया था।

ले कन पृ वीव लभ का नाम वं य के दि ण और उ र म के वल इन िवजय


अिभयान के िलए ही िस नह था। उसक िसि क कु छ और भी वजह
थी।

पृ वीव लभ भगवान िशव का परम भ था। और वो च ान काटकर बनाए


जाने वाले गुफा मं दर का सबसे बड़ा िनमाता भी था।

हालां क वो नह जानता था क उसक े कृ ित तो अभी बननी बाक थी।


एक ऐसा मारक जो उसे ई र और मनु य से लड़वाते ए, उसका नाम हमेशा
के िलए अमर कर देगा।

‘म वयं उनका वागत क ं गा,’ राजा ने अपने कं ध पर शाही दुशाला लपेटते


ए कहा। वो अपने आवासीय क से बाहर िनकलने के िलए तैयार था।

जैसे ही उसने अपने भ महल के िवशाल बरामदे म, अपने सेनापित के साथ


कदम रखा, तो पृ वीव लभ ने काशी से आए दल को मु य ार से अंदर आते
देखा। दल के म य म, देव-रा स मठ के भगवा और गहरे लाल रं ग के प रधान
पहने, यो ा-संत क सुर ा म आई एक घोड़ागाड़ी को देखकर तो एक पल के
िलए उसक धड़कन थम गई।

उसने एक पल को अपनी आंख बंद कर, भगवान ह रहर क ाथना बुदबुदाई।


ह रहर िशव और िव णु का पिव संयोजन थे। पृ वीव लभ जानता था क
िशव और िव णु क एकता को याद करने का इससे पु य कोई और पल नह हो
सकता था।

जैसे ही घुड़सवार नजदीक आए और एक-एक कर घोड़ से उतरे , तो राजा ने


उनके नेता को देखा। वो देव-रा स मठ के त कालीन मठाधीश, सव स मािनत
तांि क और संत, दुगादास शा ी थे। वो उस घोड़ागाड़ी के आगे चल रहे थे,
िजस पर एक िवशाल, ाचीन, कसी अप रिचत धातु के संयोजन से बना
संदकू रखा था।

दोन महापु ष ने एक-दूसरे को देखा और मु कु राए। उनक पार प रक


सराहना और ेह रा कू ट सेनापित को प था, जो दूसरे यो ा-संत का
सुगंिधत जल और पारं प रक िचरोटी से अिभनंदन करने म त था।

‘मेरी िवन कु टीर म आपका वागत है, महान दुगादास शा ी,’ राजा ने
कहते ए अपने हाथ स मान म जोड़ िलए।

8व सदी के मठाधीश घोड़े से उतरे , और चलकर पृ वीव लभ के पास गए और


अपने हाथ शि शाली राजा के कं धे पर रख दए।

‘तुमसे दोबारा िमलकर ख़शी ई, मेरे परम िम । िपछली बार जब हमने तु ह


देखा था, तो तुम एक युवा राजकु मार थे,’ दुगादास शा ी ने कहा।

‘और आपके बाल भी काले थे...!’ राजा ने चुटक ली, तो दोन आदमी
िखलिखलाकर हंस दए।

दोन पुराने िम के अिभनंदन के बीच, दुगादास ने िवन ता से ना ते क


त तरी को मना कर दया। मठाधीश ने राजा का यान उस क मती सामान
क ओर आक षत कया जो वो अपने साथ लाए थे।

‘यह अब आपक सुर ा म है, राजन,’ उ ह ने उस बड़े संदक


ू क ओर संकेत
करते ए कहा।

पृ वीव लभ ने मु धता से संदक


ू को देखा। उस धातु के संदक
ू म जो भी था,
उसने मानो राजा पर जादू चला दया था।

रा कू ट का स ाट धीरे -धीरे घोड़ागाड़ी क तरफ बढ़ा और कोमलता से,


अपनी उं गली के पोर से उस संदक
ू को छु आ। वो पूरी तरह भावुक हो गया था।
फर उसने अपने दोन हाथ संदक ू पर रखकर, अपना माथा उस पर टका
दया।

भि म उसक आंख से आंसू बहने लगे।

‘ले कन शा ी जी, काशी िव नाथ मं दर को कं द पुराण के काशी खंड म


व णत कया गया था... वह शा त था। पृ वी क कोई भी ताकत उसे न कै से
कर सकती है?’

वो अब राजा के शाही भोजन क म थे। स ाट ारा तुत कए गए छ पन


भोग के बावजूद, दुगा शा ी के वल दूध के साथ एक कटोरा चावल खा रहे थे।
अपने सारे पूवज क तरह, वो भी एक संत थे—िज ह ने अपना जीवन काले
मं दर के रह य क र ा म सम पत कया था। वो जानते थे क र धारा के
ाचीन ाप क वजह से, उ ह एक हंसक और िनदयी मृ यु ा होगी।

‘मं दर शा त है और वो समयातीत रहेगा। ले कन वह अपनी आकृ ित और


ा प बदल लेगा, पृ वीव लभ। अब से कु छ स दय बाद, मं दर ढह जाएगा।
फर से उदय होने के िलए। ऐसा बार-बार होगा। प रणाम व प काले मं दर
का रह य भी काशी म लौट जाएगा, राजन। यह तब लौटेगा जब देवता
आएगा। तब तक, तुम चयिनत संर क म से एक रहोगे।’

स ाट सुन रहा था, वह अपने सौभा य पर भरोसा नह कर पा रहा था। संसार


क सबसे अनुपम संपि क सुर ा के िलए वो अपनी जान तक दे सकता था।

‘म आपके आदेश का पालन क ं गा, ओ महान मुिन। ले कन मुझे आपक सलाह


क ज रत होगी। मेरे िवन मं दर म से आप अगला काला मं दर कसे
बनाना चाहगे?’

‘उनम से कसी को भी नह ,’ दुगादास ने सपाट कहा।

मठाधीश को भोजन के आसन से उठता देख राजा त ध रह गया। अगर उसका


कोई भी मं दर इस िज मेदारी के यो य नह था, तो वो या कर सकता था?

उसे अिधक ती ा नह करनी पड़ी। दुगादास शा ी क आंख युवा


रसायनशा ी के उ साह से चमक रही थ । वो सीधे ितभाशाली पृ वीव लभ
क आंख म देख रहे थे और तभी उ ह ने भारी जोश से घोषणा क ।

‘ओ शि शाली पृ वीव लभ, ऐसा मं दर बनाओ जो अन र हो! सबसे स त


च ान काटकर भु के िलए एक रथ उसी द ता से बनाओ, मानो तुम ताजे
म खन को गढ़ रहे हो। फर उसे मां पृ वी क गोद म िबठा दो। ये एक ऐसा
अभे मं दर होगा, जो स दय तक काले मं दर के रह य क सुर ा करे गा।
आज से हजार साल बाद भी मनु य तु हारे वा तुिश पीय कौशल क सराहना
करगे।

और उस भ मं दर को उस नाम से पुकारना, जो तु हारे इ , देव के देव, भु


महादेव को तु हारा अमर समपण हो।

एलोरा के उस मं दर को कै लाश पुकारना।’


बनारस, 2017
सवस ावादी सरकार—भाग III

‘एक वै ािनक या तुम कह सकते हो िवकासपरक आधार पर गु ातृसंघ ने


अपनी योजना के स दय तक िव तार क न व रखी थी। य िप कां टटाइन
शायद अपनी योजना के सामािजक-राजनीितक एक ीकरण से अनिभ था,
और मानव पर पड़ने वाले इसके भाव को नह जानता था, ले कन बाद म
आए उसके उ रािधकारी को यह प ात था।

जैसा क युवाल नूह हरारी क कताब सेिपयंस: ए ीफ िह ी ऑफ़


यूमनकाइं ड, म बेहतर तरीके से कया है क एक करण क तरफ बढ़ती
दुिनया और समाज कु छ हद तक मानवशा ीय वा तिवकता को वीकार कर
रहे ह। 20,000 ईसापूव म धरती मनु य के दिसय हजार समूह म बंट गई
थी, जो िशका रय क तरह जीवनयापन करते थे। 2,000 ईसापूव तक वो बड़ी
व था म संग ठत हो गए थे, जो पहले क तुलना म अिधक स य थ और
उ ह ने खेती करना भी सीख िलया था। इनम संधु घाटी ांत, मैसोपोटािमया,
िम स यता इ या द शािमल थ । धीरे -धीरे इन व था के बीच ापार
शु होने लगा और मानवजाित आदश , आव यकता और आ थक लाभ के
िलए और अिधक एक कृ त होने लगी।’

वो अब तक साथ म सात घंटे लगातार िबता चुके थे। ारका शा ी ारा


लगातार, िबना थके , िवकराल ष ं के प ा-दर-प ा खोलने से िव ुत पूरी
तरह त ध था।

‘हड़ पा के मैसोपोटािमया के लोग के साथ सुिवकिसत ापा रक संबंध थे,


और मैसोपोटािमया के लोग िम के साथ ब ढ़या वािण य करते थे। इस तरह,
धम एक करण का अगला सामािजक मा यम बनकर उभरा। बौ धम और
ईसाईयत एिशया और यूरोप के बड़े भाग म तेजी से फै लने लगे। ले कन धम के
फलने-फू लने के बावजूद भी, यह भािवत करने म मु य थान पर नह था।
सबसे बड़ी जोड़ने वाली शि थी—िवजयी अिभयान!

ापार और धम के बाद आई इितहास के कु छ यादगार ि य और


राजघरान क सा ा य-िनमाण क आकां ा। फर वो चाहे िसकं दर, समु गु
और चंगेज खान ह या फर रोमन, पेिनश, पुतगाली और ि टश सा ा य,
ले कन संसार धीरे -धीरे दिसय हजार िततर-िबतर फै ली जनसं या से, एक
वैि क न शे म िसमटने लगा, िज ह आसानी से कु छ सैकड़ देश और रा य म
बांटा जा सकता था। यह एक करण हािलया इितहास तक भी जारी रहा। यहां
तक क भारतीय उप-महा ीप भी वष 1947 तक 565 राजसी रा य म बंटा
आ था। आज वो एक देश, एक पहचान है—भारत। तो, तुमने देखा, िव ुत,
ऑडर का मानना था क वो बस वही कर रहा था जो उससे कृ ित और िनयित
चाहती थी! वो वयं को आधुिनक समय के िवजेता मान रहे ह, जो वही कर
रहे ह, जो अव यंभावी है!’

‘ले कन यह तो असंगत है, बाबा! आपने िजस सामािजक-राजनीितक और


भौगोिलक िवकास क बात बताई, उसे वाभािवक प धारण करने म
हजार -हजार साल लगे। उसक तुलना म यू व ड ऑडर तो िशशु ही है! उससे
भी अिधक, इतने अिधक इं सानी समाज और स यता का संयोजन कसी
िलिखत योजना के ल य से नह हो सकता। यह एक ज टल या है िजसम
अनेक त य जुड़े रहते ह, जो मानवजाित के सफर और पृ भूिम को लगभग
ाकृ ितक चयन के डा वन के िस ांत के अनुसार प रभािषत करते ह। तो कोई
सही दमाग वाला आदमी इ ह इतने बड़े पैमाने पर बरगलाने क क पना भी
कै से कर सकता है?’

ारका शा ी फर से थकान भरी, उदासीनता से मु कु राए ।

‘वही लोग, जो पहले भी कई बार उ ह सफलतापूवक बरगला चुके ह, िव ुत।’

‘जब क ऑडर िनयिमत प से अपना प और नाम बदलता रहा था, और


िविभ ताकतवर संगठन के तौर पर अपना िव तार कया था, जैसे मेसंस,
ऑडर ऑफ़ द कल एंड ब स, ायरी ऑफ़ सायन और रोसी ु शंस, ले कन इन
सबम सबसे अिधक भयानक रहे थे इ यूिमनाती,’ महान मठाधीश ने आगे
बताया।

िव ुत को अब थोड़ी चंता होने लगी थी। जब क वो जंदगी को बदल देने


वाली इस कहानी को कने नह देना चाहता था, और वो उस ताकत के बारे म
सबकु छ जान लेना चाहता था, िजसने उसके यारे िपता को मारा था, ले कन
उसने यान दया क उसके बूढ़े बाबा ने घंट से पानी का एक घूंट तक नह
िलया था। उ ह ने अपनी सारी आयुव दक दवा को लेने से मना कर दया
था, और प था क वो वयं को ब त क दे रहे थे।

‘बाबा, हम बाद म शु कर सकते ह। अब आपको कु छ आराम करना चािहए।


आप घंट से लगातार बोल रहे ह,’ िव ुत ने िवन ता से सुझाव दया।

ारका शा ी ने अपने परपोते क सलाह को नजरअंदाज कर दया। मठाधीश


का पूरा जीवन, उनके सारे काम, सारे संघष और भयानक बिलदान... सबकु छ
उनक आंख के सामने नाच रहे थे। सबकु छ िजसके िलए आज तक वो िजए थे,
अब सामने खड़े होकर उ ह घूर रहे थे।

भिव यवाणी का समय आने ही वाला था। भयानक और ब तीि त अितिथ


भी आ प चं ा था और मठ के रा स-खंड के नीचे बने तहखाने म, स से
ती ा कर रहा था।

कु छ ही घंट म, ह वयं को उजागर कर दगे।

स दय से तीि त, वो ख़ास रोिहणी न लगने ही वाला था।

‘इितहास का ख बदल देने वाली कु छ अजीब घटना पर गौर करो। चलो


बो शेिवक आंदोलन या आसान श द म कह तो 1917 क सी ांित से शु
करते ह, िजसने तसार सा ा य का पतन कर सोिवयत यूिनयन क थापना
क । जैसा क हम जानते ह, बो शेिवक काल मा स के आदश से े रत था और
उसने तसार महल का देश पर से िनयं ण समा कर दया था। ले कन या
तुम जानते हो, िव ुत क महान ांित से चार साल पहले तक, बो शेिवक
कसी छोटी राजनीितक ईकाई से अिधक कु छ नह थे, और उनका कोई भाव
भी नह था? तो फर वो अचानक कै से इतनी बड़ी शि के प म उभरे ,
िजसने सव-शि शाली तसार को हरा दया? उनके इस अ भुत उदय म कसने
उ ह सहयोग दया? कौन उनके साथ था?

चलो कु छ थोड़े पुराने उदाहरण भी लेते ह। चलो च ांित पर थोड़ी नजर


डालते ह—एक वैि क घटना िजसने िजतना रोमां टक सािह य और नाटक को
े रत कया उतना ही आगे आने वाली ांितय को। ले कन च ांित को
आिखर तुरंत हािसल या आ था? यह हम आतंक युग म ले गया और इसम
ब त सी इं सानी जान का नुकसान आ। और अगर म तु ह बताऊं क 1784
म, ांस क ांित से ठीक पांच साल पहले, इ यूिमनाती के सं थापक, एडम
वेशौ ट ने मै सीिमलेन रो सिपएर नाम के एक आदमी को गु प िलखा था,
िजसम उस ांित का पूरा यागत वणन था? िव ुत— च ांित कोई
सीधा-सादा अपने शासक के िव फू टा गरीब का आ ोश नह था। वह
योजनागत तरीके से तैयार कया गया सामािजक-राजनीितक ष ं था, िजसे
इ यूिमनाती ने बल दया था!’

कमरे म गहन स ाटा था। यहां तक क पुरोिहत जी भी दुिनया क घटना


जैसे बो शेिवक और च ांित पर, इ यूिमनाती के इतने ज टल भाव को
नह जानते थे। आिखरकार, कु छ पल बाद, िव ुत बोला।

‘इ यूिमनाती कौन ह, बाबा? वो यू व ड ऑडर से कै से जुड़े ए ह?’

ारका शा ी ने गहरी सांस ली, और र जमा देने वाली कहानी के


रह यमयी अ याय को परत दर परत खोलना शु कया।
आयवत के दलदल, 1699 ईसापूव
चंड का आगमन

स य त लकड़ी क एक जुगाडू मेज पर फै ले नमूने के न श को देख रहा था।


मेज को एक िवशाल वृ के तने को बीच म से फाड़कर बनाया गया था। नमूने
सूत क मोटी चादर पर बने थे, और उसम नौका के िविभ भाग क
आधारभूत संरचना का िव तृत वणन था। वो लोग िवशाल नौका के आधे बने
क म थे। इस े से मनु पूरी प रयोजना पर िनयं ण रखता था।

मनु ने अपने लंबे बाल को पीछे, चोटी के प म बांध रखा था, और कान म
बड़े-बड़े गोल कुं डल लटक रहे थे। तारा के कहने पर उसने अपनी आंख म
काजल डाल िलया था, िजससे उसक आंख का तेज अिधक गहन हो गया था।
मनु हर कोण से ाचीन पुजारी-राजा लग रहा था, वो राजा िजसे समय के अंत
तक याद रखा जाना था।

‘यह सही तीत नह हो रहा है,’ उसने सोमद से कहा, जो उ टे पड़े वृ के


तने के दूसरी तरफ खड़ा था, और न शे को समझ रहा था।

‘ या, मनु...?’ सोमद ने पूछा।

िपछले बीते मुि कल भरे महीन म, मनु ने तेजी से जहाज बनाने क कला और
िव ान को सीख िलया था। उसने कई रात जलती ई मशाल के नीचे बैठकर,
उन पाठ को पढ़ा था, िजनका संदभ सोमद ने दया था। वो अपने दल के
मु य अिभयंता ारा संचािलत स म पूरी सजगता से बैठता था, और ज री
बात को िलखता चलता था। उसने काफ समय सोमद के साथ वै दक गिणत
और वा तुिश प क बारी कयां सीखने म िबताया था और उससे इस बारे म
अनेक सवाल पूछे थे। इतने कम समय म उसने इतना जान िलया था क मु य
अिभयंता भी िवशाल नौका के िनमाण म, मनु के आधारभूत सुझाव को मान
देते थे। वैसे भी यह ऐसी प रयोजना थी क कसी एक आदमी क क पना और
बौि कता से परे थी।

‘इसक स त पतवार म ब त सी कांसे क रि सय का इ तेमाल हो रहा है।


इतने अिधक कांसे से पतवार पर वजन अिधक बढ़ जाने का जोिखम है और
उसका सीधा खड़ा हो पाना मुि कल। याद है न क िसफ पं ह सौ आदमी ही
इसे दोन तरफ से ख च सकते ह।’

‘ह म... मुझे लग रहा है क तुम सही कह रहे हो। अगर हम म तूल क सं या


बढ़ा द और उसक िनभरता कम...’

इससे पहले क सोमद अपना वा य पूरा कर पाता, म य- जाित का एक


िसपाही मनु के िलए ऐसा संदस
े ा लाया, िजसक उसे उ मीद नह थी।

‘ णाम, स य त,’ संदश


े वाहक ने कहा। ‘एक ब त बड़ा सश बल िवशाल
नौका क तरफ आ रहा है। और हमारे गु चर जो समाचार लाए ह, वो परे शान
करने वाला है।’

मनु क मु ी अपनी तलवार के मूंठ पर कस गई।

‘और वो समाचार या है?’

खबर सुनाने से पहले, िसपाही एक पल को िझझका।

‘वो असुर ह।’

‘ऐसा नह लग रहा क वो हमले के िलए आ रहे ह,’ ुव ने कहा। वो नौका के


शीष पर खड़े हो, आते ए असुर दल पर नजर रख रहे थे।

ु सही कह रहा था। असुर नौका क तरफ धीमी गित से बढ़ रहे थे। जब क

उनम से येक के पास हिथयार था, ले कन कसी ने भी अपने हिथयार को
लड़ने के िलए तैयार नह कर रखा था। और इस दूरी से तारा, ुव और मनु जो
देख पा रहे थे, उससे असुर थके ए तीत हो रहे थे।

‘हमारे यो ा से तैयार रहने को कहो। ले कन कोई भी तीर तब तक नह


चलाया जाएगा, जब तक असुर सामने से हमला न कर,’ तारा ने नौका के
सेना य को आदेश दया।

‘और रसोई म आ ह करके ब त सा गम शोरबा तैयार करवा दो। ऐसा लगता


है क हमारे अितिथय को इसक ज रत पड़ेगी,’ मनु ने कहा, जब सेना य
जाने को आ।
इस जीण अव था म भी चंड का ि व भावशाली लग रहा था। वो
अपनी बड़ी सी टु कड़ी के आगे चल रहा था, और हालां क वो अपने पूववत
राजा सुरा क तरह शाही नह लग रहा था, ले कन इस कमी को वो अपनी
िवन ता से पूरा करता था। अपनी सदयता से।

मनु अितिथ का वागत करने के िलए िवशाल नौका से एक मील आगे चला
आया था, प था क अितिथ शांितपूण बातचीत के िलए आए थे। मनु के
साथ उसका अिभ िम ुव और उसके िव सनीय सलाहकार पंिडत
सोमद थे। म य- जाित के बीस चु नंदा यो ा उनके पीछे खड़े थे, िजससे
कसी भी अ यािशत ि थित का सामना कया जा सके ।

असुर क बदनामी उनसे चार कदम आगे चलती थी।

और चंड के अित र , मनु क नौका का कोई भी ि िववा वन पुजारी के


अंितम यु के िवषय म नह जानता था।

वो अब िवशाल नौका के बड़े से क म, जानवर क खाल से बने आसन पर


बैठे थे। स य त मनु जानता था क उसे अिधक से अिधक िम क
आव यकता होगी। अब तक नौका को एक अंितम उ मीद के प म देखा जा
रहा था। यह मानवता क अंितम नौका और अंितम उ मीद थी। यह प था
क लय सम आयवत का नामोिनशान िमटा देगी। और िवकराल लुटेरे
अवसर क तलाश म थे। वो इस नौका को छीन लेना चाहते थे।

असुर का अपने प म आना मनु क नौका के िलए फायदे का सौदा रहेगा।


वह जानता था क ज द ही एक भयंकर यु िछड़ने वाला था। इसीिलए, खुली
बांह से असुर का वागत करना सूय पु को सही लगा। धीरे -धीरे , ले कन
िनि त प से, स य त कू टनीित सीख रहा था।

लकड़ी क दीवार और तंभ क नमी य थी। और इस िवशालकाय नौका


के येक कोने क ही तरह, इस बड़े से क क छत भी कई जगह से टपक रही
थी।

चंड त ध था। दूर और पास से इस िवशाल नौका को देखना चंड के िलए


जीवन बदल देने वाला पल था। इतनी बड़ी चीज का अि त व म होना ही
भावना को िहलाकर रख देने वाला था। और इसके भी ऊपर ये भरोसा
करना क इस िवकराल जहाज को इं सान बना रहे थे, कोई द ाणी नह । ये
सब उसके िलए ा कर पाना मुि कल था।
शि शाली असुर का नया स ाट ऊपर और नीचे, सब दशा म देखते ए
उसके तर क सराहना कर रहा था। वो अभी भी उस िवशाल नौका के काफ
िनचले माले पर था। ले कन उसम बनी ई छोटी सी, गोल िखड़क से इतनी
ठं डी हवा आ रही थी क असुर और उनके सेना य क हि यां जम रही थ ।
वो यह क पना करने म भयभीत हो रहा था क इस जहाज के ऊपरी तल पर,
बादल के ऊपर, चंघाड़ते आसमान के बीच जाने पर कै सा महसूस होता
होगा।

‘कृ पया भोजन हण कर, चंड। जब क हमम से अिधकांश लोग शाकाहारी ह,


ले कन आप और आपके सािथय के िलए हमने िवशेषकर मांस पकवाया है,’
मनु ने असुर राज को भोजन पर आमंि त करते ए कहा।

चंड िपता और पु म अ भुत समानता देखकर हैरान था। मजबूत जबड़ा


और चमकती आंख ही उनक पहचान नह थ , बि क मनु बात भी उसी
अिधकार भावना के साथ करता था, जैसे उसके भ िपता कया करते थे।

भोजन ब त सादा था, ले कन फर भी इतने कम समय म काफ िविवधता से


तैयार कया गया था। चंड और उसके आदिमय ने ताजा पके चावल और
बकरे के मांस के रस म अपनी उं गिलयां डु बोई। ठं डी हवा और ज टल पहाड़
के बीच के उनके दुगम सफर के बाद, यह गम भोजन असुर और उनके
सेना य के िलए जीवन-र क था।

जैसे ही चंड ताजे चावल और मांस का पहला िनवाला अपने मुंह म डालने
वाला था, उसका हाथ मुंह तक जाते-जाते क गया।

‘ या कु छ परे शानी है, मेरे िम ? आपने वयं को रोक य िलया?’ मनु ने


पूछा।

चंड ने बेिझझक कहा।

‘मेरे िसपािहय का या, स य त? इतने लंबे सफर के बाद वो भी भूखे और


कमजोर...’

चंड क बात पूरी होने से पहले ही, मनु ने कहा।

‘उनक चंता मत क िजए, राजन। हमारे ही साथ, उनके िलए भी गमागम


मांस का रस, सि जयां और चावल परोसे गए ह। उनके खाना खाने के बाद,
नौका के िच क सक उनका िनरी ण भी कर लगे।’
चंड ने मु कु राकर, आभार से अपने मुंह म गम रस और चावल रखे।

‘आप अपने िपता क ही तरह दयालु और नेक ह, राजा मनु। आपके बात करने
क शैली भी उ ह क तरह है!’

पहले तो मनु ने जवाब म िवन ता से अपना िसर िहला दया, ले कन अगले ही


पल, उसने खाना रोककर ऊपर देखा। यहां कु छ तो गड़बड़ थी।

‘ मा कर, ओ असुर राजा... ले कन आप िनजी प से मेरे िपता से कब िमले,


या कब उनसे बात क ? उ ह ने तो महान ानागार म िमले घाव क वजह से
अपने ाण याग दए थे...’

चंड ने हैरानी से अपने आसपास बैठे ि य को देखा, और फर यक न से


जवाब दया।

‘यह स य नह , स य त। िववा वन पुजारी क मृ यु ानागार म नह ई थी।

म उनक अंितम, सबसे बड़ी जंग का सा ी ,ं िजसने मानवता क िनयित को


हमेशा के िलए बदल दया।’
बनारस, 2017
9/11

‘1776 म बवे रयाई दाशिनक एडम वेशौ ट ने इ यूिमनाती क थापना क ।


जब क इ यूिमनाती के शु आती िस ांत म ढ़वादी रोमन कै थोिलक चच के
बंधन और सामािजक म का िवरोध था, ले कन ज द ही इस रह यमयी
संगठन ने उस समय के सबसे धनी और भावशाली लोग को अपना सद य
बनाना शु कर दया।

उस संगठन के गु द तावेज, जो कु छ चयिनत लोग के िलए ही उपल ध ह, म


यह दज है क इ यूिमनाती के सद य धनी प रवार से आए ह, और वो दुिनया
म आज तक भी ऊंचे मुकाम पर ही कायम ह, िजनम लोरस के ताकतवर
मेिडसी और टोनफे लर प रवार भी शािमल ह। इ यूिमनाती के िवकास के
साथ यह प हो गया क उनका ल य हर क मत पर एक सवस ावादी
सरकार थािपत करना था। 1972 म, अमे रक अथशा ी ोफे सर एंटनी
सटन ने अपनी कताब द बे ट एिनमी मनी कै न बाय म िलखा था क
इ यूिमनाितय ने 21व सदी क येक लड़ाई और नाग रक िव ोह को
िनयंि त और संचािलत कया था, िजसम सोिवयत यूिनयन और अडो फ़
िहटलर का उदय भी शािमल था। उसने दावा कया था क कोसोवो से लेकर
अरब ंग तक येक िववाद को वाल ीट के नकाब के पीछे से एक
ताकतवर गु सोसाइटी ने िनवेश और ितकड़मबाजी से संचािलत कया था।
और वो संयु रा के इ यूिमनाती के ही ब कं ग घराने थे, िज ह ने सोिवयत
यूिनयन क सै य तकनीक को न बे ितशत आपू त के साथ सा यवादी रा य
म अगले तीन दशक के िलए यु -अथ व था क न व रख दी, िजसे शीत यु
कहा गया।’

महान मठाधीश ने अब पानी के िगलास क तरफ इशारा कया। िव त ु ज दी


से उठा, और सुराही के पानी को बाबा के िगलास म डालकर, उ ह पकड़ा
दया।

‘उनक काय णाली ज टल कं तु भावशाली थी—देश म सामािजक उथल-


पुथल पैदा करो, उ ह सश करो, सरकार और लोग के बीच अिव ास और
तनाव उ प करो, िवप ी दल को पैसे और हिथयार से समृ करो, नाग रक
िव ोह के हालात बनाओ, फर अपने शांित दल भेज कर, ये सुिनि त कर लो
क उन देश म फर कभी शांित का वास हो ही न—िजससे बकर , दवाई
कं पिनय , तेल उ पादक और श व उपकरण बनाने वाली कं पिनय क चांदी
ही चांदी हो जाए। और साथ िमलकर ये तेजी से बढ़ता आ ातृसंघ दुिनया
पर अपनी पकड़ मजबूत करता जा रहा था!’

‘9/11 का या, बाबा? न िसफ यूयॉक, बि क दुिनया को िहलाकर रख देने


वाले उस जघ य आतंकवाद के बारे म आप कु छ बता रहे थे। मेरे िलए यह
यक न कर पाना मुि कल है क इ यूिमनाती क उसम भी कोई भूिमका रही
होगी।’

ारका शा ी ने हां म िसर िहलाया। वो गहरे िवचार म खोये थे। वो इस


िवषय क गंभीरता और उसके पड़ने वाले भाव को जानते थे।

कु छ पल कने के बाद, उ ह ने सावधानी से अपनी बात शु क ।

‘अमे रक लोग सुिशि त ह और उ ह ने काफ दुिनया देखी है, शायद कम


िवकिसत देश के लोग क तुलना म तो। और लोकतं म अपने गहरे यक न के
बावजूद, िविच तरीके से उनके दमाग पर क ज़ा कया गया। स दय तक,
वो लोग इ यूिमनाती और यू व ड ऑडर को बोगस िस ांत मानकर ठु कराते
रहे। ले कन वो भूल गए थे क 1798 म उनके अपने सं थापक िपता, जॉज
वा शंगटन ने खुद अपने परवत को प िलखकर, इ यूिमनाती के बढ़ते भाव
क चेतावनी दी थी। या जॉज वा शंगटन जैसा स म और िज मेदार इं सान,
िबना कसी ठोस सबूत के , ऐसे आधाररिहत िस ांत पर िव ास करे गा?’

‘वो ऐसा नह करगे,’ पुरोिहत जी ने कहा, उनके सामने भी आज अनेक रह य


उ ा टत हो रहे थे। ारका शा ी ने रह य के सबसे ज टल पहलू को,
भिव यवाणी का समय आने तक, देवता को बताने के िलए सुरि त रखा था।

या वह था?

‘9/11 क वा तिवकता के पीछे अनेक कपटपूण िस ांत ह, और उन सबक


बात करने का कोई लाभ नह है। तो, म तुमसे कु छ सीधे सवाल पूछूंगा, िव ुत,
और तुम अपनी समझ के िहसाब से उनका जवाब देना।’

‘ठीक है, बाबा,’ देवता ने जवाब दया।


‘पूरी दुिनया का सबसे धनी सं थान कौन सा है, िव ुत?’

िव ुत इस सवाल क उ मीद नह कर रहा था, फर भी उसने जवाब दया।

‘प े तौर पर नह कह सकता, बाबा... शायद गूगल? या माइ ोसॉ ट? या


शायद वालमाट या अमेज़न?’

‘नह । अमे रक सरकार।’

‘ओह... जी, िबलकु ल...’ अपना िसर खुजाते ए िव ुत ने कहा।

‘तु ह या लगता है, अपनी जमीन से बाहर, अमे रक सरकार का सबसे बड़ा
िनवेश या य या है?’ ारका शा ी ने पूछा।

‘उ म... यु े म अपनी सेना को पैसे भेजना, जैसे इराक या


अफगािन तान म। या नाटो जैसे संगठन के तहत वैि क सै य संरचना को
प सर करना?’

‘सं ेप म... यु छेड़ना, सही?’

‘जी, बाबा।’

‘यु के इन खच क अनुमित कौन देता है?’

‘यूएस सीनेट, शायद...’

‘सही। अब मुझे बताओ, मेरे ब .े .. ये सारा पैसा जाता कहां है? मेरा मतलब,
या तुम जानते हो क अमे रक िसपाही के यु के उपकरण कतने महंगे ह?
म तु ह बताता ।ं इसक लागत आती है लगभग 17,000 अमे रक डॉलर ित
सैिनक। लगभग बीस लाख अमे रक सैिनक ने इराक और अफगािन तान क
लड़ाइय म िह सा िलया था। इसका िहसाब लगाओ, मेरे ब ।े या तुम ऐसे
उपकरण के खरीद के आकार क क पना कर सकते हो, जब अमे रका यु म
बाहर हो जाता है तो? या तुम जानते हो क अमे रक करदाता ने लगभग
4.5 अरब डॉलर तो बस इराक म अमे रक सेना के बैरक म एयर-कं डीशन
लगवाने म खच कए थे? तो यहां यु पर खच होने वाले अरब नह , बि क
खरब डॉलर क बात कर रहे ह।’

िव ुत ने िवचार म ता से िसर िहलाया। वह सोच रहा था क उसके परदादा


को यहां देव-रा स मठ म बैठे ए, अमे रका के सै य खच क इतनी जानकारी
कै से है!

‘तुमने मेरे सवाल का जवाब नह दया, िव ुत। यह सारा पैसा जाता कहां
है?’

‘संभवतः यह सब श और गोला-बा द बनाने वाले और िवत रत करने


वाले, साथ ही सेना का दूसरा सामान बनाने वाले लोग को जाता होगा।’

‘हां। अरब डॉलर हिथयार बनाने वाले समूह के बक खात म जाता है। और
अरब ही िनजी सुर ा कं पिनय जैसे लैक काई को। और अरब ही फाइटर
जेट बनाने वाली कं पिनय से लेकर नाईट-िवज़न लासेस और म छर के जाल
तक बनाने वाल को!

अब मुझे बताओ, िव ुत—यूएस सीनेट का चुनाव कौन करता है?’

यह आसान सवाल था।

‘अमे रका के मतदाता,’ िव ुत ने िव ास से कं धे उचकाते ए जवाब दया।

ारका शा ी स थे क यह चचा इतनी तेजी से आगे बढ़ रही थी।

‘तो तुम मानोगे क यूएस सीनेट क अमे रका के लोग के सामने जवाबदेही
होगी, और उसे बताना होगा क देश का पैसा कहां खच हो रहा था?’

‘हां, बाबा... कसी भी दूसरे लोकतांि क देश क सरकार क तरह ही।’

‘िबलकु ल सही। ले कन या तुमने कभी सोचा है क वो कारण कतने भयावह,


कतने मा मक ह गे... िजससे एक चयिनत सरकार यह दखा सके क वो देश
का पैसा य ऐसे सुर ा ठे केदार क ितजो रय म भर रही है?’

िव ुत पूरी तरह से नह समझ पा रहा था क मठाधीश या पूछ रहे थे।

ारका शा ी ने बात आगे बढ़ाई। उनका रोमांच और उनका ोध दोन ही


अब उजागर हो रहे थे।

‘व ड ेड सटर के िगरने क त वीर ने अमे रक मनोिव ान पर गहरा भाव


छोड़ा। इसने डर, नफरत और बदले का एक गहरा, थायी ज म बनाया। एक
ही झटके म, इसने पूरे देश का समथन यु के िलए और उस दु मन के िव
ला खड़ा कया, िजसे वा तव म कोई जानता ही नह था।’

िव त
ु के चेहरे पर आए अचानक प ता के भाव को देखकर बुजुग ने राहत
क सांस ली।

‘म इसे पहले य नह समझ पाया, बाबा...? 9/11 इ यूिमनाती ारा कया


गया, दुिनया का सबसे बड़ा अमानवीय र -पात था, िजसने इितहास क
सबसे बड़ी आ थक सधमारी को सहज बना दया!’
आयवत के दलदल, 1699 ईसापूव
नीली अि क रात

वो अपने राजा क ती ा कर रहे थे।

वो राजा िजसे अपनी पीठ म िव ासघात का तीर धंसा आ महसूस हो रहा


था।

वो छल जो कसी चतुर दरबारी ने नह कया था। न ही यह संहासन पर


बैठने क चाह पालने वाले, म म दूसरे ि का काम था।

ये भयानक धोखा उसे एक नह , दो नह ... बि क उन तीन लोग ने दया था,


िजन पर वो दुिनया म सबसे अिधक भरोसा करता था।

उसके दवंगत िपता का िव त िम पंिडत सोमद ।

उसक अपनी तारा। उसके जीवन का यार।

और म य।

म य ने मुझसे झूठ बोला था!


अपने अितिथय चंड और असुर को पीछे छोड़, अपने िम और सलाहकार
को पीछे छोड़, मनु तारा क बांह पकड़कर, उसे नौका के एक अपे ाकृ त िनजन
थल पर ले गया था। उ ह ब त सी बात करनी थ ।

तारा एक प थर के आसन पर बैठी थी, उसने अपना चेहरा हथेिलय से िछपा


रखा था और वो रो रही थी।

िवशाल नौका के एक ऊंचे तल पर, कु छ दूरी पर खड़ा, मनु, ि ितज म


उ े यहीनता से देख रहा था।

‘मने झूठ बोला य क म तु ह दानव बनने से बचाना चाहती थी, मनु!’ तारा
ने िच लाकर कहा, उसक आवाज सुब कय म िबखर गई।

मनु ने कु छ ित या नह क । मानो वो वहां पर उसक उपि थित को भूल


गया था। वो दयनीय अव था म था। अपने घायल और टू टे दल वाले िपता क
सुरा और उसके स म सािथय के साथ, अके ले लड़ने क क पना मा ने मनु
क आंख को आंसु से भर दया। उसका दल भर आया, जब उसने क पना
क क कै से र -धारा ने उसके ेही िपता को िनगला होगा। वो सोच रहा था
क मृ योपरांत वो कै से अपनी मां संजना का सामना करे गा।

अभी और भी बाक था। मनु को अपनी आ मा म जो भावुक चुभन महसूस हो


रही थी, वो चंड ारा बताए वीभ स वणन से और भी बढ़ गई थी। नए असुर
राजा ने मनु को महान मुिनय के अिभशाप के बारे म बताया, और सारा मां
क ब दुआ के िवषय म भी।

मनु को अब मानो वो सारे अिभशाप एक-एक कर सुनाई दे रहे थे। नीली अि


क उस रात म वो अपने िपता के टू टने, अके ले और हतो साह से ढहने क
क पना कर पा रहा था।

सबसे पहले, र धारा का अिभशाप उसके मन म गूंजने लगा—

‘स ऋिषय ने तु ह अपने भाई क तरह ेह कया। मने तु ह अपना पु ही


माना। ई र ने तु ह द ता दान क और तुमने भी हमेशा उसका मान
रखा—जब तक क घृणा ने तु हारे सारे सुकम पर पानी नह फे र दया, ओ
देवता! और तु हारी पिततता तु ह शू य पर ले आई! असुर ने अनिगनत
पाप कए। सम हड़ पा ने पाप कए। राजा ने पाप कए और पुजा रय
ने भी पाप कए। दानव ने पाप कए और देवता ने भी पाप कए।
मानवजाित ने ांड को िववश कर दया क अब वो इस पाप का सफाया
कर दे! म पाप क इस नगरी को हमेशा के िलए यागकर, वापस मां पृ वी
क पावन कोख म समा जाऊंगी। सर वती, ान क नदी अब से िसफ
कहािनय का िह सा बनकर रह जाएगी। ले कन उससे पहले म अपने
अपरािधय को उनके कए क सजा देकर जाऊंगी।

यान रहे... लय... आ रही है...!

िवकराल लय... अव यंभावी है...!’

स य त मनु न चाहते ए भी अपने मन म अगले अिभशाप क क पना करने


लगा। उसे याद था क अब तक चंड ने उसे या- या बताया था। उसे याद था
क कस तरह र धारा महज एक अिभशाप तक नह क थी। उसक
शि शाली आवाज अब मनु क क पना म गूंज रही थी—

‘ येक ि के दल म ि थत मानवता म उसे ई र बनाने क मता


होती है। ले कन फर भी, अ या म से िनवाण क राह तलाशने के बजाय,
मानवजाित धोखे, वध, लूटपाट और बदले को अपनाती है। ये वो िनयित है
िजसका चुनाव तु हारी जाित ने वयं कया है! तो यही सही! ई र कभी
तु ह तु हारी नफरत भरी िनयित से मु नह करगे। हंसा और र -संघष
का सांप कभी भी मानवजाित को अपनी पकड़ से िनकलने नह देगा, जो
उसी ई र के नाम पर ही एक-दूसरे का वध करते रहगे, िजसे उ ह ने आज
धोखा दया है! कभी भी िव वंस और मार-काट तु हारा साथ नह छोड़ेगी।
यह मेरा अिभशाप है, ओ पितत देवता! मानवजाित अपने अंत तक
असीिमत वेदना को झेलेगी!

म तु ह अिभशाप देती ं! म तुम सबको अिभशाप देती ं!’

तारा अब मनु को लाल, अ ुपू रत ने से देख रही थी। वह जानती थी क वह


िसफ नाराज ही नह है। वो कभी इस तरह शांत नह आ था। उसने कभी
उससे बात करनी बंद नह क थी। उन दुलभ पल म भी नह , जब उसने ोध
को वयं पर हावी होने दया था।

अब तक, स य त मनु उस नीली अि क रात म प च ं चुका था, उसी दृ य म


जहां उसके िपता और रा स-राजा के बीच भीषण यु िछड़ा था। वो भयानक
रात उसे अपनी आंख के स मुख घटती तीत हो रही थी...

सर वती के पांच पु क तरह, झुलसते ए छठे मुिन ने, आग के नीले अंगार


के बीच से कहा।

‘तुमने महज अपने श द से इन कसाइय को रोकने का सतही यास कया,


ओ देवता! और वो भी तब जब तु हारे पास ई र का दया, ांड का
सबसे शि शाली हिथयार है! तब जब तु हारे पास िवशाल र -मा है! तो
ये ही सही।

िजस तरह से, इस अभागी रात म, तुमने द मुिनय को एक-एक कर


जलता देखा, िनयित भी तु हारे वंश को ऐसी ही हंसा म ख म होते देखेगी।
पु दर पु , पीढ़ी दर पीढ़ी। म तु ह और तु हारे सम वंश को अिभशाप
देता ं, ओ पितत देवता...

तु हारे वंश का येक पु उसी हंसक मौत मरे गा, जो आज भयानक रात म
तुमने देखी है!

म तु ह अिभशाप देता ं! और तु हारे सम वंश को!

यह अिभशाप समय के अंत तक रहेगा!’

इससे पहले क छठा स ऋिष राख म भ म हो जाता, उसक आवाज़ एक


आखरी बार सुनाई दी... इस बार उसम ोध से अिधक दया थी।

‘तुम सच म अंधे हो गए हो, िववा वन। एक े मनु य, जो एक समय म


आदिमय क आ मा और समय क धुरी के अंदर झांक सकता था, आज उसे
अपने पु के िवषय म ही ात नह है।

ओ मिलन सूय, तु हारा पु जीिवत है! और वो ही भीषण बाढ़ के बाद,


सुबह क पहली करण देखेगा।

मनु पुजारी... सम त सृि का संर क होगा!

और स य त मनु के नाम से अमर हो जाएगा... परम स य का संर क!

हम तुम पर दया आ रही है, बद क मत िपता, पितत आधा-भगवान!’

मनु को तारा क आवाज़ कह दूर से आती ई तीत ई, ले कन अपनी बांह


पर कसी उसक उं गिलय से अहसास आ क वो तो उसके पास ही खड़ी, मा
क भीख मांग रही थी। वो कसी दूसरे समय म चला गया था। पछतावे, दुख
और डर के स मोहन म। एक-एक करके सारे अिभशाप स य हो रहे थे। आयवत
तबसे र के आ ोश म झुलस रहा था। अगर इन भयानक भिव यवािणय का
एक-एक श द सच आ, तो अनथ हो जाएगा। उसका अपना वंश, और सम त
मानवजाित—र धारा के अिभशाप के बेरहम पंज तले कु चलकर रह
जाएगी।

धीरे -धीरे वतमान म लौटने पर उसे अपने चेहरे पर ठं डी, नमी भरी हवा
महसूस ई, उसे अहसास आ क तारा, बार-बार, यार से उसके चेहरे को
चूम रही थी। वो उसके जबड़े और गदन को यार से सहला रही थी। वो उसके
कान म इतने यार से फु सफु सा रही थी क उस प थर दल भगवान का भी
दल पसीज जाए, िजसने मानवजाित को इस लय क सजा सुनाई थी।

‘तुम मेरे हो, मनु... हमेशा के िलए! म तु ह जाने नह दे सकती थी। बदले क
आग तु ह और हम सबको बबाद कर देती। म य जानते थे क यह सच था।
उ ह ने जो कया, मने भी वही कया... उसी आशा क जीिवत रखने के िलए
कया, िजसके सहारे आज ये सैकड़ हजार लोग जी रहे ह, मनु।

मुझे यह कहने के िलए मा करना, ओ ताकतवर स य त... ले कन मने देखा


था क वो महान सूय बन गए थे। म र वषा म वहां थी। म तु ह उसी रा ते
पर नह जाने दे सकती थी।

म तु ह रा स नह बनने दे सकती थी।’


बनारस, 2017
मौत क सद आंख

असलम बाइकर दूर से, कांच क एक बड़ी सी िखड़क से देख रहा था। लगभग
आधी रात बीत चुक थी।

बनारस के शानदार होटल का पूरा िजम ए रया मा के रा िबआंका के िलए


रजव कया गया था।

होटल के हे थ- लब का वेश ार सबके िलए बंद था और उस पर यूरोिपयन


मा फया के सश आदमी पहरा दे रहे थे।

वाइट मा क अपने ठं डे दमाग का तारत य अपने अन र शरीर और अपनी


काली आ मा के साथ िबठाकर, काम करना पसंद करता था।

रात के इस हर म ही िव ुत को अपने िलए ज री वकआउट का समय िमल


पाया था। अपने बाबा और पुरोिहत जी के साथ एक लंबा दन िबताने के बाद,
एक के बाद एक दल दहला देने वाली जानकारी सुनने के बाद, देवता के िलए
कसरत के मा यम से, अपने शरीर क नस को तनाव मु करना ज री था।

वह अपने ाटर क छत पर अके ले वकआउट कया करता था, िजसम कभी-


कभी सोनू मदद देने आ जाता था। उसका सम पत अनुयायी हर काम म उसक
मदद करता था, जैसे अपने देवता क पानी क बोतल उठाने से लेकर, कोई
और सहारा न होने पर भारी वजन तक उठाने म।

चांद क धवल रौशनी म, उसके ही पसीने तले िव ुत का शानदार शरीर


चमक रहा था।
एक आदमी के इतना वजन उठाने का दृ य असलम के िलए अक पनीय था।
हालां क अपने हंसक कै रयर के चलते वो खुद िनयिमत प से िजम जाता
था, ले कन फर भी उसने ऐसा कभी नह देखा था।

मा के रा एक शानदार बच पर लेटा आ था, और उसने काले, इजरायली ाव


मागा लोअर के अलावा और कु छ नह पहन रखा था। उसका धड़ ऐसा लग
रहा था मानो ठोस टील का बना हो। अपने सीने के ऊपर टील रॉड पकड़कर
वो उतने वजन को पि पत कर रहा था, िजसे सामा य प से उठाने के िलए
कसी े न क आव यकता होगी। इस अमानवीय तनाव को सहने क वजह से
उसके मि त क म र जम आया था, और उसक नस फटने को तैयार मालूम
पड़ रही थ । ले कन वाइट मा क डटा रहा।

कसी कारण से असलम बाइकर को उबकाई सी आती तीत ई। वो अजीब


तरह से िघनौना दृ य था। यह सब असामा य था, अ िचकर। िजसक शु आत
एक सघन ायाम से ई थी, वो अब महामानवीय, अ ाकृ ितक बल का
दशन मा रह गया था।

हर दन सोनू अपने देवता के कसी ख़ास गुण से भािवत हो जाता।

सोनू भी शारी रक मता और ायाम से अजनबी नह था। वो वयं एक


व थ युवा था, जो िनयिमत प से, येक सुबह मठ क ायामशाला म
शारी रक अ यास कया करता था। वो बनारस के अखाड़ म भी अ सर जाता
था, जहां वो बैल के सामान तगड़े पहलवान को देखा करता था।

ले कन उसके िव ुत दादा म कु छ तो अलग था। कु छ वैभवशाली, कु छ द ।

और सोनू अके ला ही नह था जो िव ुत क बिल मांसपेिशयां देख रहा था।


कसी और क भी नजर उन पर टक थी।

यहां से कु छ दूरी पर, अपनी छत से, नैना उस सुनहरे मनु य से अपनी आंख
नह हटा पा रही थी। उसे उसक मदाना महक याद आ रही थी। उसे अचानक
से उसके नरम ह ठ, एक बार फर से अपने ह ठ पर महसूस ए।

रात के इस समय म, इस ख़ास पल म—उसे िव ुत क ज रत थी। उसे अपना


हीरो चािहए था, अपना िव ुत!

जब क वाइट मा क को डर ने ढक रखा था, ले कन यहां यार देवता का कं बल


बना आ था।
ऐसा लग रहा था मानो असलम बाइकर के पैर अपनी जगह पर जम गए थे।
वो िहल नह पा रहा था। िखड़क के पीछे चलते पागलपन के बावजूद, वह
अपनी जगह से खड़ा उसे घूर रहा था, कु छ था जो उसे वहां से हटने नह दे रहा
था। वो उसे आगे आने वाली चीज देखने को मजबूर कर रहा था।

मा के रा अब िजम के कोने म लटके पं चंग बैग पर जुटा था। उसके हाथ पर


प ी बंधी थी और उसने भारी बैग पर धीरे -धीरे , ले कन अ य त गित से वार
करना शु कया। अब तक वह पसीने म तर हो चुका था और उसके रे शमी भूरे
बाल पीछे को पड़े थे।

और फर उसने अपनी गित बढ़ा दी। और अब उसके मु े , चमड़े के उस भारी


लाल बैग पर यूं पड़ रहे थे, मानो मशीनगन से धड़ाधड़ गोिलयां बरस रही ह ।
युवा, हरी-आंख वाला, पेचकस से मारने वाला वो िमलान का काितल, अब
दूसरी चीज के साथ-साथ असाधारण प से द यो ा भी बन गया था। वो
इतनी तेजी से मु े मार रहा था क असलम को च र आने लगे थे।

कु छ ही पल म, मुंबई के उस गग टर ने एक और अजीब दृ य देखा। य िप


मा के रा क मु य पर मोटी लाि टक क टेप लगी थी, ले कन फर भी उसके
पोर उसके अपने र से गुलाबी हो गए थे। कु छ पल गुजरने पर, वाइट मा क
के हाथ अपने ही र से लाल हो गए थे, ले कन फर भी वो चमड़े के बैग पर
वार करता रहा—मानो उसे दद का कोई अहसास ही नह हो रहा था।

मानो वो कोई इं सान ही नह था।

िव ुत अब अपने िश ण के दूसरे दौर म था।

कु छ दूरी पर खड़ी नैना, और पास म खड़ा सोनू, दोन ही िव ुत के बल पर


भरोसा नह कर पा रहे थे, जब वो अ ांग योग कर रहा था। कड़ा म और
वजन उठाने के बाद, अब देवता धीरे -धीरे अपने अ यास के समापन क तरफ
बढ़ने लगा।

ले कन इतना ही काफ नह था। िव ुत के वल वामन ऋिष ारा ाचीन


पां डु िलिप योग कु था म दज अ ांग योग ही नह कर रहा था। नैना समझ
सकती थी क इसम वो बड़ी िनपुणता से मन और तन को पोषण देने वाली
चीनी तकनीक, ची-ग ग का भी समावेश कर रहा था।

वो अपने हाथ को धीरे -धीरे एक वृताकार म यूं घुमा रहा था, मानो मंच पर
कोई िनदिशत तुित दे रहा हो। उसका अद य शारी रक बल उसक योिगक
मु ा को समान प से सम थत कर रहा था।

कु छ देर बाद, िव ुत यानाव था म बैठ गया। अ यास के बाद उसक तेज


चलती सांस अब शांत, एक लय से आती-जाती सांस म बदल गई थी। गंगा से
आती काशी क ठं डी हवा अब िव ुत के लंबे, रे शमी बाल को धीरे -धीरे सहला
रही थी।

उसके भाव धीरे -धीरे एक स म युवा मुिन के भाव म बदलते जा रहे थे। उसके
यान थ चेहरे पर एक मंद मु कान थी।

अपने चाहने वाल के िलए वो हर कोण से वयं एक भगवान था।

मा के रा िबआंका अब भ होटल के आलीशान िजम के क म बैठा था। वहां


खूब काश था।

जमीन पर बैठा वह कसी तरह क साधना म रत था। बुराई के कसी प म।


साधना रत कसी मनु य से अलग, असलम बाइकर उसके चेहरे पर भयानक
भाव देख पा रहा था। यान क इस अव था ने अचानक बाइकर को जापानी
समुराई मेिडटेशन क याद दला दी। ले कन यह समुराई अ यास क तरह
पिव नह थी। यह कु छ अलग थी। शायद, िन जा? मुंबई डॉन ने सोचा। अब
वो मा के रा के चेहरे के एक ही तरफ के भाव देख पा रहा था।

वाइट मा क कु छ मं ो ार कर रहा था, जो इतनी दूर से मुंबई का भाई नह


सुन पा रहा था, ले कन फर भी अब उसने वहां से हटने का िनणय िलया। वो
काफ देख चुका था। वो आभार जता रहा था क मा के रा ने उसे यूं अपनी
िनजता म झांकते ए देख नह िलया था।

जैसे ही वो जाने को आ, असलम का दल मानो जम गया। उसके चेहरे के


साइड पोज से ही उसे पता चला क अचानक वाइट मा क ने अपने आंख खोल
दी थ ।

इससे पहले क असलम जरा भी िहल पाता, मा क उसे देखने के िलए मुड़ा।

जो उसने देखा, उससे असलम कसम खाकर बता सकता था क वो कसी


इं सान क आंख नह थ ।

मा क क हरी आंख पूरी तरह से गायब हो चुक थ । वो खुली आंख जो


िखड़क म से असलम को घूर रही थ —वो कफन क तरह सफे द थ ।
मौत क सद आंख।

वाइट मा क हर कोण से शैतान तीत हो रहा था।


आयवत के दलदल, 1699 ईसापूव
पुजारी वंश

‘स य त मेरे पास आपके िलए, आपके िपता का दया एक संदश


े है,’ चंड ने
कहा।

असुर राजा के आ ह पर, मनु अब चंड को िवशाल नौका के बारे म बताते


ए, नौका क सैर करा रहा था।

उसने तारा को माफ़ कर दया था। वो समझता था क उसने वो य कया


था। वो उससे ब त ेम करता था और अिधक समय तक उससे ोिधत नह
रह सकता था। उसने सोमद को भी उससे उसके िपता का स य िछपाने के
िलए मा कर दया था। उस पर सोमद के ब त ऋण थे। उसे मु य
अिभयंता के चेहरे म अपने िपता का चेहरा नजर आता था।

ले कन उसने म य को मा नह कया था। वह जानता था क आिखरकार


तारा और सोमद न र ाणी थे। वे म य के कहे श द क अवहेलना नह
कर सकते थे। वो उसक अनुमित से बाहर नह जा सकते थे। ले कन म य
ई र था। वो चीज को बदल सकता था।

अगर म य चाहता, तो वो अपने िपता से अंितम समय म िमल पाता। वो कम


से कम उनसे अंितम िवदा तो ले पाता।

म य के ित स य त मनु क कड़वाहट और कु छ नह बि क उस भ म य-
पु ष के ित उसका असीिमत ेम ही था। यह एक ब े क खीझ थी, िजसका
ापारी-िपता महीन के िलए समु ी सफर पर गया हो।

इस मामले म के वल, म य ही समु था।

‘ या संदश
े है, ओ ताकतवर चंड... मेरे िपता ने या कहा था?’ मनु ने
उ सुकता से पूछा। अपने िपता का कहा कोई भी श द इस युवा पुजारी-राजा के
िलए ब मू य उपहार था।

चंड का और मनु क तरफ मुड़ा।

‘आपके िपता के िलए अंितम पल म बस यही सबसे बड़ी राहत थी क आप


जीिवत रहोगे और लय के बाद उगता सूरज देख पाओगे। अंितम स ऋिष ने
उ ह भरोसा दलाया था। उ ह ने यह भी घोषणा क थी क लय के अंितम
पल म आप ही मानव जाित का मसीहा बनकर उभरोगे।’

मनु ने आह भरकर अपना िसर िहलाया। वह नह जानता क या कहे, और


कस पर भरोसा करे । अभी के िलए, लय अपरािजत मालूम पड़ रही थी।

‘देखते ह या होगा, ओ असुर राज। कृ पया मेरे िपता का संदश


े सुनाइए,’ मनु
ने जोर दया।

‘सूय को भरोसा था क नौका पर दिसय हजार मनु य के साथ, आप


वन पित और पशु क भी अनेक जाितय को ले जाएंगे। उ ह कोई शंका
नह थी क आप आव यक बू टय , सूत, बीज और धातु को भी संरि त
करगे। ले कन उ ह ने िवशेष प से मुझे ये संदश
े देने को कहा क आप
मानवता के नए सूय दय तक हमारे संसार का ान और पांिड य लेकर जाएं।’

स य त मनु अपने िपता के संदश


े को प तरीके से नह समझ पाया। ले कन
फर भी वो कसी भी क मत पर अपने िपता क अंितम इ छा को पूरा करना
चाहता था। उनका अंितम आदेश।

‘म जानता ं क आने वाले समय म हमारा ाचीन ान और पांिड य कतनी


मह वपूण भूिमका अदा करगे, ओ असुर राज। इसीिलए हमारे सामान म
ज री कताब, मानिच और ंथ ह। हम अपने साथ अनुभवी िव ान ,
रसायनशाि य , िच क सक और अिभयंता को भी ले जा रहे ह। स ऋिष
भी हमारे साथ ह और...’

‘आपके िपता का यह आशय नह था, मनु,’ चंड ने अपना हाथ हवा म


उठाकर मनु क बात को काटा।

एक पल ठहरने के बाद, उसने अपनी बात शु क । ‘जो ंथ आप अपने साथ


ले जा रहे ह, या वो आने वाली पी ढ़य को लय क कहानी बता पाएंग?े ’

‘नह , वो ऐसा नह कर पाएंग,े ’ मनु ने सोचते ए जवाब दया।

‘ या वो म य क कहानी बयां कर पाएंगे?’


‘नह ...’

‘अ य क बात छोड़ो। जो पु तक आप ले जा रहे ह या वो स य त मनु,


सत पा और िवशाल नौका क कहानी सुना पाएंगे?’

मनु खामोश था।

चंड ने अब वो सुनाया जो िववा वन पुजारी ने अपने पु मनु को बताने के


िलए कहा था... श द ित श द।

‘तुम नए ंथ िलखोगे, ओ स य त।
ाचीनता के िवषय म िलखना।
वतमान के िवषय म िलखना।
अ छाई के िवषय म िलखना और बुराई के िवषय म भी।
नेक के िवषय म िलखना और बदी के बारे म भी।
ई र क कहानी िलखना और दानव क कथा भी कहना।
िव णु के बारे म िलखना और पशुपित के बारे म भी।
सूय के िवषय म िलखना और सर वती के िवषय म भी।

जो तुम आज िलखोगे वो अन र रहेगा, ओ स य त।


जो तुम िलखोगे वो पिव शा बन जाएगा...
...िजसक आराधना और अ ययन मानवजाित समय के अंत तक करे गी!’

मनु क आंख म आंसू भर आए थे। उसे अपने िपता क आवाज इन श द म


सुनाई दे रही थी। हाथ जोड़कर उसने चंड के स मुख िसर झुकाया, जो उसे
इस समय अपने ि य िपता का ही प तीत हो रहा था।

‘अगर आपको लगता है क म इस मह वपूण काय के यो य ,ं अगर आपको


लगता है क म पिव शा को रच सकता ,ं तो म वही क ं गा जो आपका
आदेश है, िपताजी...’ उसने कहा।

‘म शा क रचना क ं गा। योग-शा , याय-शा , धम-शा , वा तु-


शा , मो -शा , रसायन-शा , का -शा और अनेक अ य। मेरे वंशज
भी पीढ़ी-दर-पीढ़ी इन ंथ म नया जोड़ते चलगे।

और जो वादा आज मने आपसे कया है, कोई भी उसे न भुलाए, इसिलए आज


से हमारा वंश पुजारी नाम से नह , बि क शा ी नाम से जाना जाएगा!

मेरे ब े और उनके ब े हमेशा शा के रचियता के प म जाने जाएंगे।

उ ह हमेशा शा ी पुकारा जाएगा।’


बनारस, 2017
नैना व िव ुत

रात के लगभग 2 बज गए थे।

िव ुत शारी रक और मानिसक प से थक गया था।

ले कन, न द उसक आंख से कोस दूर थी।

उसे आज दन म इ यूिमनाती, यू व ड ऑडर और पृ वी पर उनक िघनौनी


पकड़ के बारे म काफ कु छ पता चला था।

ले कन वो अभी भी नह जानता था क कसने उसके िपता को मारा था।


उ ह ने उसके िपता को य मारा था।

ायाम के बाद, देर तक ान करके और ह का-फु का खाना खाकर, िव ुत


सोने के िलए तैयार था।

वो अपने िब तर पर करवट बदल रहा था, जब उसे दरवाजे पर ह क -सी


द तक सुनाई दी।

िव ुत उठा और लोहे का पुराना, भारी दरवाजा खोला।

दरवाजे पर नैना थी।

उनके बीच जो भी आ था, सारे सही और गलत के बावजूद भी, िव ुत और


नैना वयं को एक-दूसरे के दल और दमाग से नह िनकाल पाए थे। नैना
जानती थी क िव ुत कसी और का था। ले कन उसका धड़कता दल उसके
हर तक को भुलाकर, उसे मदहोश कर देता था। िव ुत जानता था क वो
दािमनी का था। ले कन नैना म कु छ तो था क वो सारे तक, सारा औिच य...
यहां तक क द ता भी भूल जाता था।

और फर भी, मानवीय कमजोरी के एक या दो पल के बाद, वो दािमनी को


कभी नह भुला पाया था।

नैना ने ढीली, काली रं ग क कमीज पहन रखी थी, िजसके ऊपरी बटन
सामा य से कु छ अिधक खुले थे। उसक आंख म चमक थी और वचा मोितय
के जैसे िनखर रही थी। िव ुत को िबना उपरी व के देख उसे ख़शी ई।
उसने आगे बढ़कर अपने ह ठ उसके सीने से टका दए, और कु छ देर के िलए
उ ह वैसे ही रहने दया। फर उसने िव ुत के कं धे, छाती और गले पर चूमना
शु कर दया।

िव ुत भी उसे बांह म भरकर, िब तर तक ले जाने के िलए उतावला था। वो


अ यंत स मोहक थी। एक सुंदर, यार म डू बी मिहला को कोई देवता ही ठु करा
सकता था।

िव ुत देवता था।

कु छ पल तक ऐसे ही खड़े रहने के बाद, िव ुत धीरे से पीछे हटा।

नैना ने शायद यान नह दया था। वो आगे बढ़ी और पीछे दरवाजा बंद कर,
अपनी बांह देवता के गले म डाल द ।

‘मुझे यार करो, िव ुत...’ वो उसके कान म फु सफु साई, और उसने धीरे से
उसके कान क वचा पर काट िलया।

िव ुत ने नरमाई से उसक कलाई पकड़कर, खुद को उसक पकड़ से छु ड़ाया।


इससे पहले क वो कोई ित या दे पाती, िव ुत ने उसक आंख म देखते
ए उसे ेह से गले लगा िलया।

इस रात देवता नैना को बस यही दे सकता था। नैना को और अिधक चािहए


था। िव ुत को भी।

ले कन िव ुत ने 3,700 साल पहले दािमनी से वादा कया था।

िववा वन ने संजना से वादा कया था।

उ ह एक साथ म दूसरी दुिनया म जाना था।

नैना कोई साधारण मिहला नह थी।


वो जानती थी क मुि कल का सामना कै से करना है। वो दु मन का डटकर
मुकाबला कर सकती थी। बचपन म ही हमेशा के िलए अपने माता-िपता को
खो देने पर वो जुदाई क पीड़ा समझती थी। वो जानती थी क नफरत से कै से
िनबटते ए, दानव का सामना करना था।

ले कन वो अ वीकार का सामना करना नह जानती थी।

िव ुत के अ वीकार का नह ।

वो कु स पर िसकु ड़कर बैठ गई, िजस आदमी को वो वा तव म चाहती थी,


उसके ारा ठु कराए जाने पर श मदा और टू टा आ महसूस कर रही थी।

‘मुझे चलना चािहए!’ उसने अपनी आकषक उं गिलय से, अपने गाल पर आए
आंसू प छते ए कहा।

‘मत जाओ, नैना...’ िव ुत ने उसका हाथ पकड़ते ए कहा। ‘हम बात करनी
होगी, है न?’

नैना ने हां म िसर िहलाया। वो जानती थी उनके बीच ब त कु छ था, जो उ ह


एक-दूसरे से जोड़े रखे ए था। ऐसा िजसे िबना कहे और िबना सुने नह छोड़ा
जा सकता था।

‘तुम जानती हो न, नैना क अगर दािमनी मेरे जीवन का यार नह होती तो


म कसी भी क मत पर तुमसे अलग नह होता? तुम ये जानती हो न?’

‘तुम मुझसे या चाहते हो, िव ुत?’ नैना ने िवरोध जताया। वो दूसरे नंबर पर
रहने के िलए तैयार नह थी। यह उसके िलए कोई ितयोिगता नह थी।

िव ुत नैना के पैर के पास बैठ गया, और यार से उसका हाथ सहलाने लगा।

‘म चाहता ं क तुम हमेशा मेरी सबसे अ छी दो त बनकर रहो, नैना। बाला


के जाने से म पूरी तरह अके ला हो गया ।ं मुझे एक ऐसा दो त चािहए िजस
पर म भरोसा कर सकूं । ऐसा दो त िजससे म यार...’

नैना मु कु राई, आंसू अभी भी उसके आकषक चेहरे पर बह रहे थे।

‘तुम जानते हो, िव ुत... दािमनी सच म ब त खुश क मत है। हर कसी को


कोई ऐसा नह िमलता, जो उ ह इतने जुनून, इतनी िजद से चाहे...’

वो सीधे उसक आंख म देख रही थी, उसके हर आंसू के साथ दद बह रहा था।
िव ुत ने आगे झुककर उसके गाल को चूम िलया।

‘नह , खुश क मत तो म ।ं हर कसी पर कोई इतनी सुंदर लड़क नह मर


िमटती!’

नैना ने अपनी आंख बंद कर ल , यक नन वो इतने अिधक अके लेपन और


भावना मक पीड़ा से गुजर रही थी, जो उसके बदा त से बाहर था।

फर उसने अपनी आंख खोल , उनम वही पहले वाली चमक थी, और फर
िवरोध सा जताते ए बोली।

‘तुम पर मर िमटी? तु ह ऐसा य लगने लगा, ीमान आधे इं सान, आधे...’

वो अपना वा य पूरा नह कर पाई। नैना िव ुत क बांह म िगरकर तब तक


रोती रही, जब तक उसके आंसू सूख नह गए।
आयवत के दलदल, 1699 ईसापूव
गु चर

चंड और उसके मु य सेनापित त ध थे।

उ ह चलते ए अब तक सात घंटे बीत गए थे, और अभी तक उ ह ने नौका के


िव तार का एक छोटा-सा टु कड़ा भी पार नह कया था। िवशाल जहाज देखने
म बेतरतीब, चरमराता आ और िवनाशकारी लय क एक छोटी सी लहर से
भी टू ट जाने वाला मालूम पड़ रहा था।

ले कन फर भी उसम कु छ तो ऐसा था जो उसे भ , अजय और वो इकलौती


नौका बना रहा था, जो लय म सम त पृ वी के िनगल जाने के बाद भी बचे
रहने वाली थी।

‘सबसे नीचे के िवभाग या तली म हम भारी धातु संगृिहत करगे, जो सामा य


प से अंधेरे और नमी से कम भािवत हो। पानी के नीचे रहने वाले इस
िवभाग म भारी सामान जैसे तांबे के हिथयार और बड़े सांप और रगने वाले
जीव रखे जाएंग!े मछली और समु ी जीव के संर ण के िलए भी इसी िवभाग
म जगह बनाई गई है।’

मनु नौका के िविभ िवभाग के बारे म सामा य प से बता रहा था। ले कन


ोता, जो इस अिभयांितक से अनिभ थे, उनके िलए यह कसी हैरतअंगेज
कहानी क तरह था! तांबे के हिथयार के साथ सरीसप! नाव पर समु ी जीव?

अब तक स य त को बोलते ए कई घंटे बीत चुके थे। उसने अब अपने िम


ुव को इशारा कया क वो उ ह नौका के बारे म बताए।

‘िवशाल नौका के सामने वाली क जेदार पतवार दस हजार बलूत से बनी है।
नौका क येक पतवार पर पं ह सौ ह थे और ख चने क रि सयां लगी ह,
िजससे एक ही समय पर दोन तरफ से इतने आदमी इ ह ख च सक। हम
इसका परी ण तो नह कर पाएं ह, ले कन सारे आंकलन से कह सकते ह क
पतवार के नीचे के पानी के भार को, इतनी सं या के मा यम से संभाला जा
सकता है।’

ुव को अपने िनमाण पर गव था।

चंड जैसा साहसी मनु य भी भयभीत हो गया था।

र सी क सीढ़ी, िजसका उपयोग तारा, सोमद और उनके दूसरे िसपाही नाव


के शीष पर चढ़ने-उतरने के िलए कर रहे थे, वो असुर-राज और उसके
आदिमय को मौत के कसी जाल से कम नह लग रही थी। एक गलती का
प रणाम िसफ मौत ही नह था। इसका मतलब था गहरी खाई म इतना नीचे
िगरना क कह तली म टकने से पहले ही ाण पखे का उड़ जाना। काले
बादल और तेज वषा इस उतराई और चढ़ाई को और ज टल बना रही थी।
इससे नीचे उतरने का मतलब था क कोहरे और बफ जमे पाताल म उतरना।

और फर चंड ने मनु और ुव को देखा। वो तो नाव क इस असीिमत ऊंचाई


पर चढ़ने और उतरने के िलए के वल रि सय का योग कर रहे थे। वो दोन दो
िभ रि सय को पकड़ते। अपने पैर का इ तेमाल करते ए, वयं को हवा म
धके लते, और द पवतारोिहय क तरह ही, सधे ए यास से, फसल जाते।
पलभर म ही, वो नीचे कोहरे म लु हो गए थे।

चंड और उसके आदिमय के पास अब र सी क सी ढ़य से उतरने के


अित र और कोई िवक प नह था, जो मनु और ुव के साधन क तुलना म
तो ब त भ लग रही थ ।

नाव के िनचले तले पर प च


ं ने पर, उ ह ने राहत क सांस ली क उनके सारे
आदमी सही-सलामत उतर गए थे, और असुर ने उस नाव का हैरतअंगेज
सफर शु कया।

‘नाव के मु य तल के नीचे के स ह तल म लोग के रहने के िलए क बनाए


गए ह। हर तल पर बारह सौ क ह। एक क म चार आदिमय के ठहरने से,
येक के िलए इतनी जगह होगी क वो अपने पैर सीधे करके सो सक।
मिहला और ब को उनम दो पा रय म सोने को िमलेगा। मजबूत आदमी
तीन-तीन क पारी म क का इ तेमाल करगे, िजससे येक आदमी को दन
म कम से कम आठ घंटे का आराम तो िमले। इस तरह से हम तक़रीबन दो सौ
हजार मनु य का बंध कर पाएंगे। इसीिलए क एक िड बे जैसा ही है,
िजसम एक छोटी िखड़क क व था है। सम या ये है क हम नह जानते क
िवनाशकारी लय कब ढलान पर होगी। इसम महीन भी लग सकते ह... और
साल भी...’ ुव ने बताया।
चंड यान से सुन रहा था। वो सोच रहा था क या राजा को अलग से क
उपल ध कराया जाएगा। उसने तुरंत ही इस याल को झटक दया। हर क म
चार जंदिगयां ह गी। चार इं सानी जंदिगयां!

चंड ने वयं के िलए एक पा म म दरा डाली, जो वो अपने साथ लेकर आया


था। उसने एक पा मनु को देना चाहा, िजसने िवन ता से अ वीकार कर
दया। ुव ने असुर राजा का साथ देने का िनणय लेते ए म दरा का पा ले
िलया। और फर पीने का दौर चल पड़ा।

ले कन उनक बातचीत उतनी सुखद नह होने वाली थी, िजतनी ुव ने


उ मीद क थी।

‘अपने आदिमय के साथ, यहां तक के मेरे सफर का एक उ े य है, स य त।


जैसा क आप जानते ह क असुर क गु चर सेना ब त ही स म है। इस
बीहड़ के येक कबीले और येक गांव म हमारे भे दये ह, जहां द यु यो ा
अपनी बेरहम सेना के साथ रहते ह। उनका कठोर दल अ सर राहगीर पर
हमला करके , उ ह लूटता है और मार भी देता है। मने सुना था क उ ह ने
आपके आपू त दल पर भी कई बार आ मण करने का यास कया। ले कन
अभी हाल ही म, मेरे गु चर ने अिधक बड़े खतरे को भांपा है।’

‘ओ शि शाली राजा, वो खतरा या है?’ क म मौजूद, सोमद ने पूछा।

‘िपछले कु छ महीन म गु चर ने कु छ ऐसा देखा, जो उ ह ने पहले कभी नह


देखा था। द यु यो ा के गांव और कबील म अ यािशत दूत भेजे जा रहे
ह,’ चंड ने अपना िगलास खाली करते ए कहा।

‘ कसके दूत, राजा चंड?’

इस बार सवाल मनु ने पूछा था। वो जवाब सुनने से पहले ही भयभीत था।
पलभर म ही उसे अहसास हो गया क उसक शंका गलत नह थी।

‘दै य के दूत, मनु। खूंखार नर-मुंड द यु कबील म अपने दूत भेज रहा है। यह
सामा य बात नह है, य क ऐसा कभी पहले नह आ। दै य और द यु
हमेशा एक-दूसरे के दु मन रहे ह। ले कन अब चीज बदल रही ह...’

‘इससे उ ह या हािसल होने वाला है? वो रा स नर-मुंड द यु से या


चाहता है?’ ुव ने पूछा। वो उस खतरे को भांप नह पाया था िजसे मनु और
चंड अ छी तरह समझ चुके थे।
मनु अपने िम क ओर मुड़ा।

‘हमसे लड़ने के िलए वो अपनी शि बढ़ा रहे ह। नर-मुंड सारे द यु कबील


को अपने झंडे तले एक करना चाहता है, ुव।’

‘ले कन य ?’ ुव ने पूछा, वो अभी भी खतरे क गंभीरता नह आंक रहा था।

मनु ने साधारण श द म कहा, ले कन उसके लहजे म उसके दल क शंका


साफ़ हो रही थी।

‘वो नौका चुराना चाहते ह।’


बनारस, 2017
देव व दानव

िव ुत अपने बाबा के साथ भोजन करने के हर पल का आनंद लेता था। सुबह


के लगभग 9 बजे थे। वो महान ारका शा ी के क के बाहर के बरामदे म,
जमीन पर िबछी चटाई पर बैठे थे।

मठ के कु छ युवा छा अपने पूजनीय मठाधीश, अपने पसंदीदा पुरोिहत जी


और अपने यारे िव ुत दादा के िलए ना ता परोस रहे थे।

जब क ारका शा ी और पुरोिहत जी चूड़ा-मटर का साधारण ना ता कर रहे


थे, ले कन उ ह ने जोर दया था क िव ुत के बनारस के सबसे मश र हलवाई
क गमागम कचौड़ी और जलेबी लाई जाए। उसक द ता और शौय के
बावजूद भी, उनके िलए तो िव ुत एक छोटा ब ा ही था।

ना ता हो जाने पर, उ ह गम औषधीय चाय दी गई और फर ारका शा ी ने


वो गंभीर चचा शु क , जो अभी तक अधूरी थी।

‘हम स य त मनु के वंशज ह, िव ुत। या तुम इस नाम को जानते हो?’

िव ुत एक पल के िलए त ध रह गया। िजस भी मनु य को हंद ू पुराण क


जानकारी होगी, उसने स य त मनु का नाम सुना होगा—महान मुिन,
मसीहा। वो समझ नह पा रहा था क या ित या दे। उसक जंदगी म
कभी भी कसी बात ने उसके दल को यूं गव और अिभभूित से नह धड़काया
था।

‘ या....?’ िव ुत के मुंह से बस इतना ही िनकल पाया।

‘हां, िव ुत। तु ह याद है न मने तु ह िववा वन पुजारी के बारे म बताया था,


वो देवता िजसने 3,700 वष पहले ज म िलया था। वही देवता अब तु हारे प
म पुनज म लेकर अपनी िनयित को पूण करने आया है। तु ह याद होगा क मने
तु ह हड़ पा के अंितम दन क भयानक कहानी भी सुनाई थी, और वह मने
सूय के पु , मनु का िज कया था।’

‘हां... हां आपने बताया था, बाबा...’

‘िववा वन पुजारी का वो पु और कोई नह बि क अन र स य त मनु—


िवशाल नौका का िनमाता था, िजसका चयन म य ने कया था। वही शा
का रचियता था... हम उसी के वंशज ह, िव ुत।

हम उसी वैभवशाली पुजारी-राजा का वंश ह, िजसने िवनाशकारी लय से


मानवता क र ा क थी।’

‘ यू व ड ऑडर के गु ातृसंघ का सबसे रह यमयी और भयावह पहलु ह—


आ याि मक दुिनया क गहन और गंभीर समझ। जैसा क मने पहले भी िज
कया था क उनके समूह म दुिनया के कु छ सबसे ितभावान ि भी
शािमल ह। िज ह तुम िविश यो य भी कह सकते हो। हालां क वो के वल उ ह
मायन म ितभाशाली नह ह, िज ह तकवादी नाि तक कहा जाता है, बि क
ातृसंघ के सद य पूरी तरह से दूसरी दुिनया क अ छी-बुरी ताकत और
धरती पर पड़ने वाले उनके भाव को समझते ह।’

‘यह तो रह यो ाटन है, बाबा। कौन यक न करे गा क नरसंहार करने वाले ये


लोग ई र को मानते ह?’

मठाधीश ने असहमित म िसर िहलाया।

‘मने ये नह कहा क ये लोग ई र को मानते ह, िव ुत। मने कहा क उ ह


ई र के अि त व पर भरोसा है, य क वो भी स य प से वयं शैतान क
मदद लेते रहते ह। समय क शु आत से ही, अ छाई और बुराई, दोन ने सृि
के संतुलन म अहम भूिमका िनभाई है। धरती पर जीवन और ेम क िनरं तरता
संकेत करती ह क अ छाई क ताकत बुराई से कह अिधक स म है। ले कन
यह यु शा त है, िव ुत। और ऑडर सोचता है वो चीज को अपने प म
बदल सकता है।’

िव ुत ारका शा ी क बात समझने क कोिशश कर रहा था। ले कन


अ छाई और बुराई, देव और दानव के बीच हमेशा चलने वाला संघष... उसे यूं
ही वीकार कर लेना इतना आसान नह था।

इससे पहले क िव ुत इसक और गहराई म जा पाता, बरामदे म बैठे सभी


ि , पुरोिहत जी से लेकर युवा छा तक, सब बुरी तरह से च क गए। ऐसा
लगा मानो जमीन के नीचे कु छ गजना ई हो। मानो धरती के नीचे से कोई
दहाड़ा हो। उस आवाज को सुनकर और पल दो पल को आए उस कं पन को
महसूस कर सबके दल जम गए। ऐसा लगा मानो मठ क धरती के नीचे कोई
िवशालकाय जीव िहला हो। उ ह ने परे शानी और दुिवधा से एक-दूसरे को
देखा। िव ुत ने यान दया क बाबा जरा भी हैरान नह ए थे।

ारका शा ी अपने परपोते के चेहरे पर िज ासा भरी बेचैनी देख सकते थे।
उ ह ने पुरोिहत जी को भी देखा, िजसका चेहरा डर से पीला पड़ गया था।

‘शांत रहो, तुम दोन ... तुम सब भी,’ मठाधीश िच लाए, वो इस गजन क
तरफ कसी का यान आक षत नह करना चाहते थे।

‘जब कसी देव-रा स यु का िबगुल बजता है, तो अ छाई और बुराई, दोन


ही तरह क ताकत पृ वी क गोद म शरण लेने आती ह।’

‘जब िवराट नौका आिखरकार लय के बाद भी अपना अि त व बचाए रख


पाई, तो दैवीय म य-पु ष,िजसे म य कहा जाता था, ने स य त को ाचीन
रह य दया। एक भिव यवाणी जो हमारे समय, कलयुग से जुड़ी थी।
िववा वन पुजारी उस रह य के संर क म से एक थे, िजसे म य ने स य त
और उसके वंश को हम स पा था।’

‘वाह! या आपने फर से म य कहा, बाबा? या आप भगवान िव णु के


म य अवतार क बात कर रहे ह? या आप कहना चाहते ह क मनु और
म य क पौरािणक कथा वा तव म सच है??’

ारका शा ी मुंह दबाकर हंसे ।

‘ या ईसा मसीह क कहानी सच है, िव ुत? और पैगंबर मौह मद क ?


िस ाथ गौतम या बु क ? अगर हम इन सबम भरोसा करते ह, तो हमारे
िलए भु राम, कृ ण या म य के अि त व पर भरोसा करना इतना मुि कल
य है?’

िव ुत ने ऐसा सवाल पूछने क श मदगी से िसर िहलाया, वो भी उस इं सान से


िजसने अपना पूरा जीवन म य क भिव यवाणी क र ा म िबताया।

मठाधीश िव ुत के मन क बात समझ सकते थे। वह जानते थे क उनका


परपोता कसी संशय या शक क वजह से ये सवाल नह पूछ रहा था। ये बस
सच पर मुहर लगाने क िज ासा थी। िव ुत को सहज करने के िलए, वो
मु कु राकर बोले।
‘कौन कह सकता है क म य अवतार थे या मनु य? यहां तक क जब ई र
धरती पर आते ह, तो वो मनु य प लेकर ही आते ह, फर वो चाहे राम ह ,
या कृ ण या बु । वह पिव दूत के प म आते ह, वह इं सान के प म पैगंबर
बनकर आते ह। जब वो सूय पु के प म आए, तब भी वो मनु य थे, जो ेह
करता था, िजसका र बहा, और िजसने दद सहा। नारायण और नर उतने
अलग नह ह, िजतना हम उ ह मान लेते ह, िव ुत।

और यू व ड ऑडर इसका ही लाभ उठाना चाहता है।’


आयवत के दलदल, 1699 ईसापूव
िव दत जग का सबसे भयंकर हिथयार

‘कोई ऐसी जगह तो होगी, जहां कोई हम न देख सके ।’

चंड दै य और द यु कबील के बीच क सांठ-गांठ और नाव हिथयाने के


भारी ष ं क पूरी जानकारी मनु और ुव को दे चुका था। उसने मनु को
प कर दया था क अगर नर-मुंड अपनी योजना म सफल हो गया तो उसके
पास र िपपासु क इतनी बड़ी फौज होगी क उ ह रोक पाना असंभव हो
जाएगा।

नौका क सुर ा म अपना समथन देने के साथ ही चंड ने अपने आदिमय और


उनके प रवार के िलए नौका म थान सुरि त कर िलया था। अब चंड मनु
को एक ओर ले जाकर, गु प से उसे कु छ बता रहा था।

‘अगर दै य और द यु एक साथ नौका पर आ मण करने आए, तो सूय पु यह


संभवत: आपके जीवन का सबसे िवशाल यु होगा। भले ही हड़ पा क
िवशाल फौज और ताकतवर म य जाित के लोग, और मेरे भी यो ा आपके
झंडे तले लड़, ले कन फर भी हम उनके मुकाबले पांच क सं या म एक ही
ह गे।’
स य त गंभीरता से सुन रहा था। दुराचारी होने के बावजूद, दै य और द यु
भयावह यो ा थे। जो परे शािनयां चंड बता रहा था, उनके अनुसार तो नौका
को ऐसे जंगली लोग के हाथ म पड़ने से बचाना ब त मुि कल तीत हो रहा
था। और अगर िवशाल नौका चली गई तो मनु के मन म कोई शंका नह थी क
इस नाव के वासी या तो मारे जाएंगे या बेरहमी से बंदी बना िलए जाएंगे।

‘ओ महान राजा चंड, आपका या सुझाव है? यह यु कै से जीता जा सकता


है? इसे जीता जाना ब त ज री है!’

चंड मु कु राया।

‘सब ख़ म नह होगा, स य त। इसीिलए तो म आपसे एकांत म बात करना


चाहता ।ं म आपके िपता का िसफ संदश
े लेकर ही यहां नह आया ।ं म
िव दत जग का सबसे भयानक हिथयार भी लेकर आया ।ं ’

र जिड़त, तांबे के संदक


ू के आसपास बारह लोग खड़े थे। मनु ने द
स ऋिषय को िवशेष प से आमंि त कया था। उनके अित र वहां
सत पा, सोमद , ुव, चंड और पुजारी-राजा स य त मनु वयं मौजूद था।

संदक
ू पर आकषक आकृ ित बनी ई थी, िज ह आयवत के सबसे ब मू य र
से सजाया गया था। र क चमक से पता चल रहा था क असुर इस अनमोल
धरोहर को कतना संभालकर लाए थे। चंड ने इस पिव माल के स मान म
कोई कसर नह छोड़ी थी।

‘वो अनुपम दृ य अभी भी मेरे मनोपटल पर ताजा है, और हमेशा मेरे मन म


वो गूंजता रहेगा। वो भयानक रात जहां िववा वन पुजारी ने अके ले असुर के
सबसे ताकतवर यो ा से संघष कया था। वो गरजता आकाश, स ऋिषय
का िनमम वध, र धारा का ाप, मरते मुिनय क भिव यवाणी, अलौ कक
नीला काश और अंितम यु ... वो सब ब त वीभ स और डरावना था...’

असुर राजा अचानक ही गहन िवचार म खो गया। मनु देख सकता था उस


रात क घटना, और अपने िवकराल राजा सुरा को याद करते ही वो पसीने से
तर हो गया था। यक नन, नीले काश वाली वो रात चंड क आ मा और मन
पर एक थायी घाव छोड़ गई थी।

मनु ने आगे बढ़कर चंड के कं धे पर भरोसे का हाथ रखा।

‘सब ठीक है, ओ शि शाली चंड। वो सब अतीत क बात है। अब यहां हम


साथ ह और हम आगे का क ठन सफर तय करना है। हम आपके अनुभव, आपके
ान और आपक वीरता क आव यकता होगी, ओ महान राजा।’

चंड ने मनु के सहयोग पर सहमित से िसर िहलाया। उसने उस शि शाली


हिथयार क कहानी सुनानी शु क , िजसे वो द शत करने वाला था।

‘िववा वन पुजारी बेशक अपने समय के महानतम यो ा थे। हमने पहले भी


उनसे यु लड़ा था, और ज द ही हार का सामना कया। फर मने उ ह कांसे
और ट के पहाड़ से ठीक हड़ पा सैिनक के दल म छलांग लगाते देखा। वो
इतना परा मपूण संघष था क कोई उसक क पना तक नह कर सकता। वो
सटीकता िजससे वो एक ही समय पर अनेक तीर चलाते थे और सभी िनशाने
पर लगते थे। कोई सा ी ए िबना इस पर भरोसा नह कर सकता,’ चंड ने
कहा।

‘ओ चंड, म उनका अनुयायी ।ं धनुष के साथ सूय क िनपुणता इतने करीब


से कसी ने नह देखी थी, िजतनी मने देखी थी,’ ुव ने ग वत होते ए कहा।

अब तक मनु के िलए अपने आंसू रोक पाना मुि कल हो चला था। वो अपने
िपता के ेह, उनके आशीवाद के िलए तरस रहा था। उनक वीरता और
िनपुणता क बात से मनु को गव हो रहा था। महान िववा वन पुजारी का पु
होना उसके िलए स मान और सौभा य क बात थी।

चंड ने आगे कहा।

‘ले कन नीली अि क उस रात म, सूय घायल और टू टा आ था। और के वल


शारी रक प से ही नह । वह असहनीय पछतावे और वेदना से गुजर रहे थे।
ऐसी अव था म जब वो पचास े असुर यो ा से िघरे थे, मने मान िलया
था क वो उनके हाथ मारे जाएंगे।

और फर कु छ आ।’

चंड को देखकर लग रहा था मानो वो समय से पीछे चला गया था। उसक
आंख क म मौजूद बड़ी सी िखड़क से बाहर, तूफानी ि ितज पर टक ई
थ।
बनारस, 2017
अंितम समाधान

‘म य ारा मनु को दी गई भिव यवाणी क स दय तक र ा क गई, उसे


काले मं दर क ृंखला के गभ म दबाकर, उसके रह य क र ा क गई। यह
वयं ांड ारा क गई भिव यवाणी थी, िजसे काली शि य से बचाकर
रखा जाना चािहए था,’ ारका शा ी ने कहा।

िव ुत को अहसास हो रहा था क वो आिखरकार काले मं दर के रह य के


करीब आ रहा था। वो अपने बाबा के चेहरे पर हर पल बढ़ती उ सुकता को देख
सकता था।

‘रह य को सुरि त रख पाना उससे कह मुि कल था, िजसक हमने क पना


क थी। इसने स दय के भय, र पात, यु और ह या को बढ़ावा दया। गु
ातृसंघ ने महान कां टटाइन क मृ यु के तुरंत बाद ही काले मं दर क अबाध
शि और द उ े य का पता लगा िलया। जैसा क मने तु ह बताया,
ातृसंघ क आ याि मक े म गहन मा यता है। उनके काले जादूगर ,
तांि क और शैतान-पूजक ने ज द ही आने वाले भिव य क चेतावनी दे दी।
वो जानते थे क अगर यू व ड ऑडर के सपने को सच करना है, तो उ ह ज द
से ज द काले मं दर के रह य का पता लगाकर उसे समा करना होगा।’

और फर यू व ड ऑडर और िववा वन पुजारी व स य त मनु के वंशज के


बीच भयानक यु क शु आत ई। घातक सािजश और हंसा क इन स दय
के दौरान, हमारे पूवज, पंिडत भैरव शा ी ने वष 1253 ई वी म देव-रा स
मठ क न व रखी, और रह य क सुर ा के िलए काले मं दर के संर क को
एक कया।’

ारका शा ी िव ुत के िलए कहानी के बंद ु जोड़ रहे थे, जो अब सच जानने


के िलए बेस था... पूण स य।

तब पुरोिहत जी ने आगे झुककर, स मान से कहा, ‘गु देव, अब समय आ गया


है क हम िव ुत को काले मं दर का रह य बताएं, या आपको नह लगता?
वो ही तो चयिनत है, गु देव।’

िव ुत के दल क धड़कन क गई, जब उसने इस बात पर बाबा क ित या


जानने के िलए अपने बाबा को देखा। िजस पल क वो कब से ती ा कर रहा
था, वो अब आने ही वाला था।

ारका शा ी ने हां म िसर िहलाकर के वल एक ही श द कहा।

‘कल।’

19व सदी म जब ई ट इं िडया कं पनी ने हड़ पा—जहां कहानी शु ई थी—


का फर से दौरा कया तो घटनाएं अक पनीय ढंग से बदलने लग । दुिनया क
सबसे भावशाली कं पिनय म से एक, िजसके पास ि टेन के शाही प रवार से
भी बड़ी सेना थी, ई ट इं िडया कं पनी म गु ातृसंघ क घुसपैठ थी। उनका
दोहरा ल य था। पहला, उ ह ने ाचीन नगरी के अवशेष को जला दया,
य क उ ह लगा था क वह पहला काला मं दर होगा। वो तो उ ह बाद म
पता चला क काला मं दर हड़ पा के समय िन मत कोई एक मं दर नह था,
बि क उनक पूरी ृंखला थी। और फर उ ह समझ आया क हम येक दो-
एक सदी बाद एक नया काला मं दर बना लेते थे। यह काली ताकत को दूर
रखने के िलए कया जाता था।

दूसरा, अब तक ई ट इं िडया कं पनी ने पूरे भारतीय उप-महा ीप को हड़पने का


िनणय कर िलया। जनमानस को िनयंि त करने म द , ातृसंघ के सवसवा ने
पहले भारतीय के दमाग को गुलाम बनाने का फै सला कया था। और ऐसे
समय म पि म पर हड़ पा क े ता का उ ाटन उनक पूरी योजना पर
पानी फे र देता। बाक तो इितहास है। आय के आ मण के झूठे िस ांत क
रचना कर, उ ह ने इसे उस कू ली णाली के मा यम से सा रत कराया,
िजसक थापना वयं अं ेज ने क थी। उ ह ने बार-बार इितहासकार के
मा यम से इसे िलखवाया क अंत म एक झूठ को स य मान िलया गया। ऐसा
सच िजसका कोई सा ी नह था, कोई द तावेज नह और कोई माण नह ।

जनता के मन म यूरोिपयन ‘आय ’ के आने क बात िबठाने के िलए पि मी


और भारतीय इितहासकार , पुरात ववे ा और सं हकता क िनयुि ही
उनक अके ली योजना नह थी। बि क उनक योजना म उन लोग को भी
रा ते से हटाना शािमल था, जो इस स य को सामने लाने का यास करते।
कै टन वेन ए ूक यू व ड ऑडर क ऐसी ही बिल था।’

‘कै टन वेन ए ूक कौन था, बाबा?’


‘एक नेक अं ेज जो हड़ पा के सच को सामने लाना चाहता था। वह एक
ईमानदार अफसर था, और काले मं दर के संर क लंबे समय से उस पर नजर
रखे ए थे। प रणाम व प हमने उसे आ द-वै दक समय म ऋिषय ारा
िलखी पांडुिलिप स प दी, िजसम आय हमलावर क सचाई थी। उसने गहराई
से इसक जांच क और वह सबके सामने इस झूठ का खंडन करना चाहता था।
यक नन ऑडर इसक आ ा नह दे सकता था। तो कै टन वेन ए ूक को
कलक ा क गिलय म बेरहमी से मार दया गया।’

‘बाबा, अपनी प ता के िलए, या म एक बार अब तक क सारी घटना को


दोहरा दू?ं म कह गलत ,ं तो कृ पया टोक दीिजएगा। घटना को सही म
म हण करना मह वपूण है।’

‘हां, ठीक है, िव ुत,’ डमा टर ने जवाब दया। ‘चलो ातृसंघ के हंसक
सफर और काले मं दर क परे खा तुमसे सुनते ह।’

िव ुत ने गहरी सांस ली और अपने बाबा पर मु कु राया।

‘ठीक है, तो शु करते ह। इस सबका आरं भ हड़ पा से आ, जहां हमारे महान


पूवज िववा वन पुजारी को छला गया और उनके िम और साले पंिडत चं धर
और उसक प ी ि य वदा ने उ ह दोषी ठहराया।

फर र वषा म िववा वन पुजारी ने कै द से मु होकर, रा स-राजा सुरा से


हाथ िमलाकर अपना बदला लेने क ठानी। उनका घायल पु मनु पंिडत
सोमद क मदद से यु े से बच िनकला।

एक तरफ तो ट और कांसे के पवत पर, हड़ पा का सूय महानगर क सेना को


तबाह कर रहा था, तो दूसरी तरफ उसका पु मनु तेज वी म य-पु ष, म य
से पहली बार िमला।

स ऋिषय के िनमम वध का सा ी बनने के साथ ही िववा वन पुजारी को


पता चला क उसका पु जीिवत था, तो वो असुर से यु करके उनके राजा
सुरा क ह या कर देता है। इस दौरान, जलते मुिनय और र धारा ने न
के वल हमारे वंश को, बि क सम मानवजाित को अंतहीन हंसा और पीड़ा का
ाप दया। मुिन ने िववा वन पुजारी को िनदश दया क वो र -मा को मनु
के पास िभजवा दे।

इस बीच म य मनु को पवत म बने काले मं दर म ले गया। वहां उसने मनु को


आने वाली लय क चेतावनी दी । उसने मनु को यह भी बताया क उसके
िपता, हड़ पा के सूय, काले मं दर के संर क थे। और आगे ये िज मेदारी मनु
संभालेगा।

िववा वन पुजारी िवनाशकारी लय म न हो गया और मनु ने म य के


आदेश पर िवशाल नौका का िनमाण करवाया, िजसम वो ांड क शुि के
दौरान मानवजाित क र ा कर सके । तब से हमारा वंश ही काले मं दर के
रह य का र क रहा।

फर 325 ई वी म, रोम के स ाट कां टटाइन ने यू व ड ऑडर क िनयुि


क , िजसके तहत वह एक-वैि क सरकार, एक-वैि क धम क थापना कर
ऐसा संसार रचना चाहता था, जहां मनु य के बीच आपसी मतभेद न ह ।
हमारे महान पूवज अ त
ै शा ी ने उ ह ऐसा न करने क सलाह दी।

यू व ड ऑडर ज द ही एक कठोर ातृसंघ म बदल गया, जो कां टटाइन के


सपने को िवकृ त कर, ऐसे समाज के िनमाण म लग गए, िजस पर उनका पूण
अिधकार होता। नाइ स टे पलर ऑडर का पहला सफल योग थे, जहां
उ ह ने एक अजय फौज खड़ी कर ली और िजसे उ ह ने अपनी ख़शी से समा
भी कर दया।

धीरे -धीरे ले कन िनि त प से ऑडर ने अपना जाल पूरी दुिनया म फै ला


िलया और इसके सद य म दुिनया के सबसे स म पु ष और मिहलाएं शािमल
थे। उ ह ने िछपे प से दुिनया बदल देने वाली कु छ बड़ी घटना को अंजाम
दया— च ांित, सोिवयत यूिनयन का गठन, महामंदी, नाज़ी जमनी, शीत
यु , अरब जगत क ांित और यहां तक क 9/11... ब कं ग सं थान, सुर ा
उपकरण , राजनीित, दवाई, तेल, मीिडया, आतंकवाद, तकनीक इ या द पर
जबरद त पकड़ से उ ह ने दुिनया को िनयंि त कया।

ऑडर के सवसवा के वल ब त ितभाशाली और िव त जन ही नह है। बि क


उ ह अ या म और रह य क भी गहन जानकारी है और वो अ छाई और
बुराई क ताकत से भी प रिचत ह। काले मं दर म िछपा रह य पता लगाना
गु ातृसंघ का सबसे बड़ा अिभयान है, य क वो मानते ह क काले मं दर
का रह य ऑडर क िघनौनी योजना को बबाद कर सकता है। इसी वजह से,
इस ातृसंघ ने देव-रा स मठ से स दय पुरानी जंग छेड़ रखी है।

वह गु ातृसंघ ही था िजसने ई ट इं िडया कं पनी म घुसपैठ क और हड़ पा


के अवशेष म पहले काले मं दर क तलाश करने गए। वो स यता के
वैभवशाली इितहास से अ छी तरह प रिचत थे और जानते थे क भारतीय ही
इसके मूल िनवासी थे। ले कन उ ह ने आय आ मण के िस ांत का अिव कार
कया, य क इससे पहले तो उ ह ने उप-महा ीप के मानस पर क जा कया,
और बाद म फू ट डालो क नीित के ज रए भारतीय म मतभेद उ प कर
दए।
‘जो भी उनक वैि क योजना और गणना के बीच खड़ा आ, उसे उ ह ने
कु चल दया। कै टन वेन ए ूक ऐसे ही कई लोग म से एक थे। रोमी परे रा,
बाला, ि जट कपािलक, ानंद... सब उसी गु सं था का िह सा थे। एक
तरफ तो वो मुझे जीिवत रखना चाहते थे य क म ही वो भिव यवाणी म
देवता ,ं जो उ ह काले मं दर के रह य तक ले जा सकूं । ले कन दूसरी
तरफ, रह य उनके हाथ लगते ही वो ज द से ज द मुझे मार देने के िलए त पर
ह।’

ारका शा ी ने धीरे से िसर िहलाया, चीज हण करने म िव ुत क त परता


से वो संतु थे।

‘ या अब हम शाम को अपनी बात शु कर, िव ुत? मुझे एक मह वपूण


आगंतुक से िमलने जाना है,’ उ ह ने कहा।

‘हां, िब कु ल बाबा,’ िव ुत ने न ता से कहा, हालां क वो सोच रहा था क


यह आगंतुक कौन था, िजसने ारका शा ी का यान इतनी मह वपूण चचा से
हटा दया—वो भी इसके अंितम चरण म।

‘शाम को 6 बजे तक आ जाना, बेटा। हमारे पास अब अिधक समय नह है।


तारे ज द ही एक रे खा म आने शु हो जाएंगे। मुझे अभी तु ह काले मं दर,
तु हारे पूवज, माकडेय शा ी, अ त ै शा ी, दुगादास शा ी के बारे म ब त
कु छ बताना है... और हां, यक नन अपने यारे का तके य के बारे म।’

का तके य के नाम पर ारका शा ी ने आह भरी। िव ुत के मृत िपता के ित


उनका गहन ेम प था।

‘मुझे तु ह गोवा खोज और पृ वीव लभ के बारे म भी बताना है और इस सबसे


अिधक—ऑडर के अंितम समाधान के बारे म।’

‘जी, बाबा...’ िव ुत ने जाने के िलए उठते ए कहा।

ारका शा ी के क से बाहर पैर रखते समय भी वो अपने दमाग से बाबा


का कहा अंितम समाधान नह िनकाल पा रहा था। इसम अजीब से अशुभ क
आहट थी। कु छ ऐसा था क उसे मुड़कर दोबारा बाबा से इस िवषय म पूछना
पड़ा।

‘एक और सवाल, बाबा। चाहे तो आप सं ेप म ही इसका जवाब दे दीिजए।


उनके मन म अंितम समाधान या है, बाबा? कसका समाधान? पता नह
य , ये मुझे अिधक भयावह लग रहा है।’

ारका शा ी एक पल को खामोश रहे, और फर उ ह ने सीधे िव ुत क


आंख म देखा। िव ुत का सहज बोध देखकर वो हैरान नह थे। उ ह ने सपाट
कहा।

‘वो दुिनया क लगभग सात अरब जनसं या को दसव िह से तक कम कर देना


चाहते ह, िव ुत।

अगर यू व ड ऑडर सवस ावादी सरकार के अपने िघनौने उप म म सफल


हो गया, तो वो अब तक के सबसे बड़े नर-संहार को अंजाम दगे।

वो छह अरब लोग को मार डालगे।’


आयवत के दलदल, 1699 ईसापूव
र -मा

मनु के आ ह पर, स ऋिष आगे आए।

चंड ने बताया क कै से नीली लपट आसमान क तरफ बढ़ी, और एक तेज,


गरजती ई आवाज म सातव स ऋिष ने िववा वन को अपनी तलवार उस
नीली अि म प र कृ त करने के िनदश दए। उसने यह भी बताया क कस
तरह इसके बाद वो लड़ाई एक-तरफ़ा रह गई थी।

उस पल म, र -मा एक ांडीय अ बन गई थी—िजसे परािजत कर


पाना असंभव था। इसक पूव-शत यही थी क यह अ वयं अपने धारक का
चयन करता था, धारक वयं इसका चयन नह कर सकता था।
र -मा क िनयित अंत म असाधारण यो ा के हाथ म प च
ं ने क थी।

वो यो ा िजसे िनणायक ण म मानवजाित क कमान संभालने के िलए चुना


गया था।

कलयुग म।

उस क म अंधेरा था, जहां वो एक थे। लय आ मण के अंितम कु छ महीन


और दन म वैसे भी सामा य तौर पर अंधेरा रहा करता था। मशाल क
िझलिमलाती रौशनी म, तांबे का वो वैभवपूण ब सा चमक रहा था।

मनु के िलए, उस संदक


ू म महज एक अलौ कक तलवार ही नह थी। उसम वो
सामान था, िजसे उसके िपता ने अंितम समय म थामा था। इसी वजह से र -
मा उसके िलए ब मू य उपहार हो गया था।

स ऋिष अब तांबे के संदक


ू को घेरकर खड़े थे, उनके हाथ जुड़े ए थे। चंड
और मनु से अिधक इस ई रीय श का उ े य द मुिनय को पता था। वो
जानते थे क यह कसके िलए बनी थी। वो जानते थे क मनु तो महज मा यम
था, जो इस तलवार को इसक िनयित तक प च ं ने म मदद करे गा।

स ऋिषय ने तुरंत ही भगवान िव णु क ाथना म मं ो ार कया। वो मं


िजसे उ ह ने तभी रचा था, िजसे स दय तक लोग दोहराने वाले थे। भ
कसी भी शुभ काय से पूव भगवान िव णु का आशीवाद पाने के िलए इसका
जाप करगे—

।। ‘मंगलम भगवान िव णु;


मंगलम ग ड़ वज:
मंगलम पु डरीका ;
मंगलाय तनो ह र’ ।।

सात मुिन फर संदक


ू के करीब आए और अपनी हथेिलयां उसक चमकती
सतह पर रख ।

उसके बाद जो आ उसने सबक सांस अटका दी।

स ऋिष क आंख नीले काश से जगमगा उठ । ऐसा लग रहा था मानो वो


कसी अलौ कक शि से संपक कर रहे थे। कु छ पल तक, वो तांबे के संदक
ू से
िचपके रहे, उनक आंख से िनकलता नीला काश और भी चमकदार होता जा
रहा था।
मनु, तारा, सोमद , व
ु और चंड अपनी जगह पर जड़ खड़े रहे, वो सामने
घ टत होती घटना से त ध थे।

शी ही सात मुिनय ने अपने हाथ उठाए, और नीला काश धीरे -धीरे ख़ म


हो गया। स ऋिष एक-दूसरे को देखकर, ख़शी से मु कु राए। वो फर मनु क
तरफ मुड़े और उनम से एक ने कहा।

‘आगे बढ़ो और उ कृ र -मा को अनावृत करो, स य त।’

मनु ने चमकते संदक


ू का भारी ढ न उठाया।

शानदार तलवार गहरे भूरे चमड़े के आवरण म रखी ई थी।

स य त इस आलीशान तलवार को अ छी तरह पहचानता था। इसने दशक


तक उसके महान िपता के कमरबंध क शोभा बढ़ाई थी। उसने अपने िपता क
मृित के स मान म अपने हाथ जोड़कर, आंख बंद क और उस ताकतवर
तलवार के स मुख िसर झुकाया, िजसने हड़ पा के िलए असं य यु जीते थे।

र -मा म कु छ िभ था। इसके र जिड़त मूठ से चमक ला काश फु टत हो


रहा था। इसक अिन सूचक फलक पर, नीले रं ग से विलत, ग ड़ पुराण क
भयानक पंि यां िलखी ई थ , जो नरक म दंड िमलने का वणन कर रही थी।

मनु मु कु राया।

म य का रं ग। िव णु का रं ग।

‘आगे बढ़ो, और इसे उठा लो, स य त,’ चंड ने उकसाया। वो संतु था क


उसने िववा वन पुजारी को दया वचन पूरा करते ए र -मा को सूय पु
तक प चं ा दया था।

स ऋिष और पंिडत सोमद ने हाथ उठाकर, अपने सामने िसर झुकाते मनु
को आशीवाद दया। फर वो तारा क तरफ मुड़ा, जो ेम से उसे देखकर
मु कु रा रही थी। उसक नजर ुव पर ग , िजसने आंख मारते ए तलवार क
तरफ िसर िहला दया।

मनु ने अपना दािहना हाथ बढ़ाकर, दृढ़ता से र -मा का ह था पकड़ िलया,


और महाकाल क आराधना म एक ाथना बुदबुदाकर, इस तलवार से मरने
वाले लोग क मुि क िवनती क ।

फर उसने अ य त हाथ से तलवार उठाते ए, सबको ऊंचा करके दखाया।

तभी आसमान म कान के पद फाड़ देने वाली गजना ई। ांड भी ख़शी


द शत कर रहा था!

स ऋिष, सोमद , चंड, तारा और ुव महान यो ा और उसक अलौ कक


तलवार को मु धता से देख रहे थे, तभी एक बार फर से चमकती िबजली ने
क को कािशत कया।

स य त मनु कृ ित क ही शि मालूम पड़ रहा था। हवा के तेज झ के ने


उसके लंबे बाल को उड़ाया, और कड़कती िबजली के काश म सबने देखा,
उसक आंख िवकराल तलवार को ही िनहार रही थ ।

र -मा चमकदार नीले रं ग से विलत हो रही थी।


बनारस, 2017
अ ैत, दुगादास व माकडेय

िव ुत ने ठीक शाम के 6 बजे महान मठाधीश के दरवाजे पर द तक दी।

क म वेश करते ही पहले तो वो अचंिभत रह गया और फर अनपेि त


मेहमान को वहां पा ख़शी से झूम उठा।

‘दािमनी!’ िव ुत ने कहा, दािमनी ने उसक तरफ बढ़कर, उसे बांह म भर


िलया।

‘ओह, िव ुत...’ वो बस इतना ही कह पाई।

िव ुत शम से सुख हो गया, उसने शरमाते ए अपने यार को गले लगा िलया।


वह जानता था क महान मठाधीश इस तरह के ेम दशन के आदी नह थे।
या शायद उ ह यह अ छा नह लगेगा।

कु छ ही पल म दािमनी को भी इसका अहसास आ और वो पीछे हट गई,


मठाधीश से आंख चुराते ए।

देवता ने ख़शी और उ सुकता भरी आंख से अपने बाबा को देखा।

‘बाबा... दािमनी... कै से?’ उसने ख़शी से मु कु राते ए कहा।

ारका शा ी इस आकषक युगल को एक साथ देखकर स थे। वो दोन


एक-दूसरे के िलए बने थे।

‘दािमनी क उपि थित आव यक है, िव ुत। तुम िजसका सामना करने वाले
हो, और काले मं दर से जो कट होने वाला है, उसके िलए तु हारी चेतना के
हर कण को सजग होना पड़ेगा। तुम दािमनी के िबना अधूरे हो, ओ देवता।
शि के िबना िशव आधे ह। संजना के िबना िववा वन िववश था। संजना ने
3,700 वष तक उसक ती ा क ... िसफ इसिलए क इस अंितम पल म
तु हारा साथ दे सके । उसक जीवन-ऊजा, उसका िन ववा दत ेम, उसक
सुनहरी आ मा... सब तु हारा साथ दगे, जब तुम उसका सामना करोगे,
िव ुत।

जब तुम लूिसफर का सामना करोगे!’

अब समूह बढ़ने लगा था। ारका शा ी ने सबको बुला भेजा था। जो वो अब


बताने वाले थे, वो सबको नह पता था—यहां तक क पुरोिहत जी या नैना को
भी नह ।

िव ुत और दािमनी को साथ-साथ, एक-दूसरे का हाथ थामे, बैठा देख, नैना


को अपने गले म कु छ अटका सा महसूस आ। नैना को कमरे म आता देख,
िव ुत ने अपना हाथ पीछे ख च िलया। वो उसे तकलीफ नह प च ं ा सकता
था। ले कन िव ुत पर नैना का ऐसा भाव सकारा मक वजह से था। वो
वा तव म असाधारण लड़क थी। वो िव ुत को देखकर मु कु राई, दािमनी को
ेम से गले लगाया और ारका शा ी के पैर के पास जाकर बैठ गई—अपने
बाबा के ेह और सहजता क छांव तले।

उसका दल रो रहा था। ले कन उसका चेहरा मु कान से िखल रहा था।

‘वेन ए ूक क ह या तो ब त बाद क बात है। र पात तो स दय से चल


रहा था। हमारे एक महान पूवज, नकाबपोश यो ा-पुजारी, अ तै शा ी, जो
महान कां टटाइन के िव त थे और िज ह ने उसक इस िवशाल योजना से
असहमित दशायी थी। उ ह ऑडर के स र नाइ स ने घेर िलया था। ये नाइ स
बाद म औपचा रक प से आए टे पलर के शु आती ितिनिध थे। अ त ै
शा ी का बेरहमी से वध कया गया। हालां क इससे पहले उ ह ने अके ले,
िनह थे लड़ते ए स ाईस टे पलर को मार डाला था। वो कहते ह क वो
लड़ाई घंट तक चली थी और सैकड़ गज दूर तक क धरती र से लाल हो
गई। और वो नकाबपोश संत िसर से पैर तक स र नाइ स के र म भीग गया
था। यह सब ख़ म होने के बाद, ऑडर बचे ए नाइ स ने स मान से उसके
त-िव त शरीर के सामने िसर झुकाया। वो उसक द ता और वीरता से
भािवत थे। सैकड़ साल तक अ त ै शा ी के शौय का वणन टे पलर के गु
द तावेज म कया गया। उनक यु तकनीक को दज कर, उसे आगे आने वाले
टे पलर को अ य त करने म इ तेमाल कया गया।

यह चौथी सदी म घ टत आ था। कां टटाइन काले मं दर का रह य जानता


था। पूरी दुिनया को एक करने के अपने यास म वो मान रहा था क वो ई र
के आदेश का पालन कर रहा था। ले कन उसक मौत के साथ ही उसका
समपण धूिमल पड़ गया, और ातृसंघ पर िनमम सद य ने क जा कर
िलया।’

कमरे म स ाटा पसरा आ था। िव ुत, दािमनी, पुरोिहत जी, नैना, सोनू और
बलवंत मठाधीश से उन र रं िजत प क कहानी सुनते ए त ध थे, िजनसे
शा ी वंश का इितहास रं गा था।

‘हम येक कु छ सौ साल बाद मं दर बनाते रहे—कभी-कभी तो सम पत


राजा क मदद से भी। दूसरे अवसर पर, हमने देव-रा स मठ के मह वपूण
संसाधन का उपयोग कया,’ ारका शा ी ने अपनी बात आगे बढ़ाई।

‘ले कन के वल मं दर ही य , बाबा? रह य को कसी और थान पर य नह


िछपाया जा सकता था? जैसे क कसी महल या फर कसी समािध के नीचे?
िसफ काला मं दर ही य ?’ िव ुत ने पूछा।

‘अ छा सवाल है, िव ुत। कल तु ह वयं ही इसका जवाब िमल जाएगा। काले


मं दर म िछपे रह य के अवणनीय तेज और अलौ कक गहनता को गृहीत करने
के िलए उतने ही शि शाली मं दर क आव यकता होती है। येक काले
मं दर के ित ापन के िलए न िसफ सैकड़ स म मुिनय ने मं ो ार कया,
बि क येक मं दर क दीवार , तंभ और छत पर भी शि शाली मं को
गोदा गया। इससे जरा भी कम ढांचा ाचीन रह य के ओज से जल जाता।’

िव ुत ने मम समझते ए िसर िहलाया। भले ही वो कतना ही वीर और


आ मिव ासी य न हो, ले कन यह भी सच था क वो घबराया आ था।
काले मं दर के रह य से वो भी कु छ िथत था। और उस नाम से भी जो उसे
बार-बार उ ेिजत कर रहा था।

कोई ऐसा, िजसका उसे सामना करना था।

लूिसफर।

‘काला मं दर अपना आकार, प और जगह बदलता रहा। ब ीनाथ,


सोमनाथ, िव नाथ, के दारनाथ जैसे पिव मं दर... िविभ दशा म काले
मं दर क ल य पू त के िलए ही बनवाए गए थे। ले कन एक मं दर, िजसने
सबसे लंबे समय तक रह य को सुरि त रखा, वो था एलोरा का भ कै लाश
मं दर,’ ारका शा ी ने काश डाला।

दािमनी और िव ुत ने एक-दूसरे को देखा। उ ह ने अनेक बार च ान काटकर


बनाए गए अजंता और एलोरा मं दर के दशन क योजना बनाई थी, ले कन
कभी जा नह सके थे। और अब वो, कै लाश मं दर क कहानी, अपने ही जीवन
के अ याय के प म सुन रहे थे।

‘हमारे अनुपम पूवज, दुगादास शा ी ने पृ वीव लभ नाम से िव यात, राजा


क े र को 8व सदी म कै लाश मं दर के िनमाण के िलए ो सािहत कया था।
िजस तरह वो मं दर बना, िजस तरह क वैिव यपूण तकनीक का इ तेमाल
कया गया, जो आज के आधुिनक समय म संभव नह है, यह एक अलग
दलच प कहानी है। अभी के िलए, इतना ही जानना पया है क एलोरा क
सुर ा भी अिधक समय तक नह टक पाई।

फर बारी आती है गोवा पर आ मण क , और हमारे पूवज माकडेय शा ी,


िज ह ने 16व सदी म पुतगाली शैतान से लड़ाई लड़ी।

एलोरा के कै लाश मं दर के बाद काले मं दर के िलए कोई भी सुरि त जगह


नह रह गई थी, य क हम पहले ही अनेक बार थान बदल चुके थे।
आिखरकार, 1572 ई वी म, हमारे पूवज माकडेय शा ी ने इस ब मू य, द
रह य को अपने साथ हमारे देश के शांत देश, क कण म ले जाने का िनणय
िलया। और इसे गोवा के तटीय े म बने काले मं दर म िछपा दया।

अपनी सारी सतकता और ऑडर क प च ं से रह य को सुरि त करने के य


के बावजूद, वो पकड़े गए। उसके बाद उप-महा ीप के इितहास क सबसे
र रं िजत पारं प रक शुि क शु आत ई—गोवा आ मण।’

िव ुत गोवा पर ई चढ़ाई से अ छी तरह प रिचत था। उसने दािमनी को


देखा और अपने बाबा क बात म जोड़ा—

‘रोमन कै थोिलक चच ारा कए गए गोवा आ मण के बारे म अजीब प से


हमारे देश म ब त कम जानकारी िमलती है, दािमनी। यह धमातरण का एक
वीभ स प था। हजार हंद ु और मुसलमान को जंदा जला दया गया,
कै द म भूखा मारा गया और उनक खाल ख च ली गई—ये सब िसफ उ ह
उनके मूल धम और क कणी से दूर करने के िलए कया गया।’

दािमनी ये सब सुन िथत हो गई।

‘मने िमशन रय क हंसा और गोवा म पुतगाली िसपािहय के बारे म सुना


है, िव ुत, ले कन म नह जानती थी क यह इतना भयावह रहा होगा,’ उसने
कहा।

‘ओह, वो बदतर था,’ िव ुत ने कहा, और तय कया क यातना के बारे म और


अिधक उसे नह बताएगा।
मठाधीश ने काले मं दर क कहानी को आगे बढ़ाया।

‘हालां क, उस चढ़ाई का वा तिवक उ े य काले मं दर क तलाश था।


पुतगाली राजा क सेना ने गोवा पर धावा बोल दया। बेरहमी क सनक से
मं दर को तबाह कर दया गया। वो िनि त करना चाहते थे क उनसे कु छ
छू ट न जाए, यहां तक क मि जद को भी नह छोड़ा गया।’

ारका शा ी सांस लेने के िलए के । दािमनी ने इस अवसर का लाभ सूचना


को समझने म उठाया।

‘माकडेय क अंितम लड़ाई तो याग और दलेरी क अनुपम गाथा है। ले कन


आज हमारे पास उसके िलए समय नह है,’ ारका शा ी ने कहा।

‘हम समझते ह, बाबा। ले कन हम कै लाश मं दर और साथ पंिडत माकडेय


शा ी क कहानी भी कभी िव तार से सुनना चाहगे,’ दािमनी ने कोमलता से
जोर डाला।

‘हां, िबलकु ल िब टया। जब यह सब ख़ म हो जाएगा, म तु ह िव तार से सब


बताऊंगा। तुम दोन को उन भ इं सान और उनके परा म क कहानी पता
होनी चािहए। अभी के िलए, बस ये जान लो क चाहे पंिडत अ त ै , माकडेय
या दुगादास हो, सभी ने काले मं दर के रह य क सुर ा म अपने ाण क
आ ित दी। और ाचीन ाप के अनुसार ही—उन सबको ददनाक, हंसक मौत
ा ई।’

‘और मेरे िपता, का तके य शा ी क भी...’ िव ुत बुदबुदाया।

‘हां, मेरे ब ,े ’ ारका शा ी ने जवाब दया। ‘ले कन का तके य के मामले म


जरा फक था।

का तके य ने एक ही बार म, सारे इ यूिमनाती को जलाकर मारने क कोिशश


क थी।’
आयवत के काले जंगल, 1698 ईसापूव
नर-मुंड

यहां तक क अनुवर देश के िन ु र द यु मुख का भी जी घबरा रहा था।

वो भयावह नर-मुंड के आमं ण पर दूर-दराज के देश से सफर करके आए थे।


जब क वो सभी जानते थे क दै य आदमखोर थे, ले कन फर भी याह जंगल
म कहरे तक पसरी दै य क स ा पर भरोसा नह कर पा रहे थे।

भुनते इं सानी मांस क दुगध असहनीय थी। खुले म भुनते मानव अंग और
टु कड़ को देखकर द यु के अनेक यो ा पहले ही उ टी कर चुके थे और कु छ
तो बेहोश हो गए थे। दै य के ब े ताजी कटी खोपिड़य से यूं खेलते फर रहे
थे, मानो वो कोई ड़ा क व तु हो और दै य मिहला ने इं सानी मांस क
ह ी के बने आभूषण पहन रखे थे।

अपनी भलमनसाहत दखाते ए, नर-मुंड ने येक अिधपित को अपने साथ


सौ हरी लाने क अनुमित दी थी। ले कन िजस पल उ ह ने िवशाल दै य कप
म कदम रखे, तभी अिधपित समझ गए थे क अब से वो दै य- वामी क
रहमोकरम पर ही थे। उन लोग ने पहली बार दै य को उनके पूरे वैभव के
साथ देखा था। उनका शरण थल मील दूर तक फै ला था और उनक िवशाल
सं या आगंतुक के पसीने छु ड़ा रही थी।

वो सौ हजार से भी अिधक थे! नर-मुंड के िलए मरने को तैयार। मानव र के


यासे।

वो अब काले जंगल के स ाट के िशिवर के सामने, अि के िगद घेरा बनाकर


बैठे थे।

उन सभी ने नर-मुंड के बारे म सुन रखा था। वा तव म काफ सुन रखा था।
उसके भीमकाय बदन के बारे म, उसक बद दमाग ू रता के बारे म और उसके
ोध के बारे म। अब वो उसके इस सड़े ए प रसर म आने के अपने फै सले पर
पछता रहे थे। वो तो अिनयंि त लय के हाथ िनि त मौत क चंता ने उ ह
यहां आने पर िववश कया था, जो अब वयं मौत से भी िवकराल नजर आ
रहा था।

वो जानते थे क नाव के िबना वो वैसे भी डू ब जाने वाले थे। और नर-मुंड ही


वो एकमा आशा था, जो उ ह शायद नाव म प च ं ा सकता था।

जो िशिवर से बाहर िनकला, वो मनु य नह था। वो एक दानव था।

नर-मुंड कद म लगभग आठ हाथ लंबा था और वो वहां उपि थत येक ि


से िवशाल नजर आ रहा था। शाहबलूत के तने सी मोटी कमर के साथ, वो
कसी पौरािणक करदार क भांित लग रहा था, जो सीधे पाताल क
गहराइय से िनकलकर आया हो।

उसके डोले वहां उपि थत अिधकांश आदिमय क कमर से भी मोटे थे। उसक
टांग ऐसी लग रही थ मानो गडे के ही अंग ह । उसके येक कदम से धरती
िहलती ई जान पड़ रही थी। उसके िबना बाल के िसर पर लाल रं ग पुता आ
था, जो मनु य का बासी र तीत हो रहा था। व के नाम पर उसने कमर
पर घुटन तक क लंबाई क , हाथी क खाल लपेट रखी थी। उसके बिल ,
िवकराल धड़ पर पुराण म व णत भयावह दै य के चेहरे गुदे ए थे, जो अि
के नारं गी काश म बोलते से लग रहे थे।

ले कन नर-मुंड के ि व का सबसे भयावह त व उसके चेहरे के भाव थे।


अगर दद क कोई अिभ ि होती, तो वो यक़ नन इस िवशाल नर-भ ी के
चेहरे सी ही होती। उसका बड़ा िसर, उभरी ई आंख, स त ह ठ, सूजे ए
गाल, हमेशा चढ़ी रहने वाली योरी और वो सदम थायी प से नशे म रहने
वाली आंख... उसे पीड़ा और मौत का संदश
े वाहक बनाती थी।

वो था भी।

‘हमारे घर म आपका वागत है, दो त !’ नर-मुंड ने अपनी बांह फै लाकर,


नृशंस दै य क आवाज़ म िच लाकर कहा।

अिधपितय के पास मु कु राकर, िसर िहलाने के अित र कोई िवक प ही


नह था। उनम से येक अपने ांत का भयावह मुख था। ले कन आज, इस
िवशाल और बेरहम नर-मुंड के स मुख वो सब भीगी िब ली बने ए थे।
दानव ने अपनी बात शु क ।

‘आज हम यहां इितहास का सबसे बड़ा सै य संगठन बनाने जुटे ह। साथ


िमलकर हम सब न िसफ िवशाल नौका पर हमला कर, उस पर क जा करगे,
बि क लय ख म हो जाने के बाद इस ह पर शासन भी करगे। हमारी सेनाएं
साथ म सश िवशाल समु क तरह चलगी, और नाव िनमाता के दल म
भय उ प करगी।

मेरे झंडे तले अपना आ म-समपण करने के िलए म तुम सबका आभार
करता ।ं अब से तुम सब मेरी सुर ा म ही रहोगे और यु करोगे।’

वहां स ाटा पसरा आ था। कसी भी अिधपित को संगठन बनाने का ताव


नह दया गया था। संगठन तो बराबर के लोग म बनता है। ले कन नर-मुंड
क योजना कु छ और ही थी।

‘और इस संगठन क शु आती र म के तौर पर, कृ पया दै य क तरफ से ये


िवन भट वीकार कर,’ कहते ए दानव ने अपने सािथय को संकेत दया।

सभी अिधपितय तक त तरी प च


ं ा दी गई।

भुना आ इं सानी-मांस!

जब क नर-मुंड क अिव सनीय ढटाई से त ध होकर अभी अनुवर े के


अिधपित एक-दूसरे को देख ही रहे थे, एक युवा अिधपित ने इसका िवरोध
करने का िनणय िलया। वो वह बैठा था, जहां वो दै य दानव खड़ा था। वो
वयं भी खासा मजबूत इं सान था।

‘ याह जंगल के राजा, आपके दूत ने हम यह संदस


े ा नह दया था। आपक
अधीनता वीकार करने का तो ही नह उठता। और आप ये इं सानी मांस
कै से हमारे िलए परोस सकते ह? एक बार यु समा हो जाने के बाद, हम
लोग आपस म िनणय लगे क कौन िवशाल नौका का नेतृ व करे गा। आप तो
अपनी बात ऐसे रख रहे...’

इससे पहले क युवा अिधपित अपनी बात पूरी कर पाता, नर-मुंड ने तीर क -
सी तेजी से एक मु ा उसके चेहरे पर मारा। मु े का भाव प थर क कसी
घातक मूसली से भी अिधक भयानक था। युवा अिधपित र क उि टयां करने
लगा, उसके कु छ दांत मुंह से दूर जाकर िगरे और एक आंख क पुतली अपनी
जगह से सरककर गाल के ऊपर लटक गई।
दद से िबलिबलाता आ वो जमीन पर िगरा पड़ा था।

नर-मुंड लापरवाही से छटपटाते ए आदमी क तरफ बढ़ा, वो उसे संघष करते


ए देख रहा था और उसने धीरे से अपना िवशाल पैर उठाकर उस आदमी के
िसर पर रख दया।

आदमी मु े से ही अधमरा हो गया था, ले कन वो जमीन पर िगरकर, दद से


तड़पने के िलए जीिवत था। छोड़ देने क िवनती करते ए वो पागल क तरह
अपने हाथ नर-मुंड के पैर पर पटकने लगा। पर दै य धीरे -धीरे उसक खोपड़ी
का चूरा बना रहा था।

दानव यह नह का, उसने कोई दया नह दखाई। वैसे भी वो दया या रहम


का मतलब नह जानता था। वो बस खंभे जैसे अपने मजबूत पैर से उसक
खोपड़ी को दबाता रहा, िजससे ज द ही िसर का ऊपरी भाग खुल गया और
उस आदमी का िचपिचपा, र से सना मि त क जमीन पर िनकल िगरा।

अिधपित उस दानव क ू रता पर भरोसा नह कर पा रहे थे। उनके दल क


धड़कन बंद हो गई और उनका र अपनी नस म जम गया। इससे तो कह
बेहतर था अपने घर पर रहकर बाढ़ म डू ब जाना। ले कन अब ब त देर हो
चुक थी। वो पहले ही उस दै य स ाट के पंजे म फं स चुके थे।

नर-मुंड ने लाल ने से सबको देखा, वो अपनी खूंखार नजर येक अिधपित


के चेहरे पर टका रहा था, िजससे इस ू रता का भाव देख सके ।

फर वो कसी अजगर क भांित फुं फकारा।

‘ या कोई और है, जो नौका का नेतृ व करना चाहता है?’


बनारस, 2017
काली मौत

अंधेरे कमरे म उसके फोन के अलाम क तेज आवाज गूंजी।

िव ुत अपने बाबा के िनदश पर, सुबह 4.30 बजे उठ गया था।

आज ही वो दन था। वो दन िजसके िलए शा ी वंश ने स दय लंबी जंग लड़ी


थी। वो दन िजसक चेतावनी रोमी परे रा ने सायनाइड खाने से पलभर पहले,
िव ुत को दी थी। वो पल िजसके िलए बाला ने उसके साथ धोखा कया था।
भिव यवाणी म वो पल, िजस पल तक ि जट कपािलक ने िव ुत को
जीिवत रखने का वादा कया था, और एक आंख वाला रा स हंस रहा था।

रोिहणी न ।

आज रात, लगभग म य-राि म, उस िनयत रोिहणी न का उदय आकाश


म होगा—और उस दुलभ पिव पल क रचना करे गा। वो ह िजनम महान
अवतार और मह वपूण मसीहा ज म लेते ह। सूय, चं , ह और आकाशगंगा,
कु छ िमनट के िलए एक द संयोजन म आएंगे और काशी को पिव कवच
म बदल दगे।

िव ुत अपने बाबा के स मुख, एक य -कुं ड के सामने पालथी मारे बैठा था।


अभी दन पूरी तरह नह िनकला था और मठाधीश एक हवन करवा रहे थे,
िजससे िव ुत को अगले बह र घंट तक संघष क ताकत िमल सके । हवन
काल-भैरव के सुंदर कं तु भयभीत करने वाले मं दर म था, जो मठ के रा स-
खंड के क म, भूतल म बना आ था। िव ुत ने इसे पहले कभी नह देखा था।

मं दर क दीवार काले प थर क बनी थ और उन पर भगवान िशव के गण या


अनुयाियय क आकृ ितयां तराशी ई थ । वहां िशव-गण क पा क ितमा
थी। और पूसल क भी। ले कन उन सबम सबसे िवकराल ितमा थी भैरव क
काली अध ितमा, जो मं दर के क म थािपत थी। काशी के लोग मानते थे क
भैरव को स मान से पूजा जाना चािहए, य क वो भु िशव के ारपाल ह।

देव-रा स मठ के अनेक स म पुजारी पिव य क िव तृत तैयारी म त


थे, ारका शा ी ने अपनी बात वह से शु क , जहां उ ह ने ख म क थी।

‘ यू व ड ऑडर को रोकना िसफ कसी बुरी सं था को दुिनया पर िनयं ण


करने से रोकना ही नह है। गु ातृसंघ क दुिनया क सम याएं सुलझाने क
अपनी ही योजनाएं है, जैसे—आतंकवाद, जलवायु प रवतन, पानी क कमी...
सबकु छ उनके एजडे म है। ले कन इसके िलए जो समाधान वो लागू करना
चाहते ह, वो इतना िनमम है क इितहास म पहले ऐसा कभी नह आ। वो
जनसं या िव फोट को मानवजाित क सबसे बड़ी सम या के प म देखते ह।
तो उनके अनुसार िव जनसं या क न बे ितशत आबादी ख म करके , वो
मानवता क सबसे बड़ी सेवा करगे और उसे आगे इस हद तक बढ़ने देने से
रोकगे।’

यह सब और घृिणत होता जा रहा था। इतना िवि क िव ुत ने इसक


क पना तक नह क थी।

‘ले कन यह पागलपन है, बाबा! या ये लोग पागल ह या लय क चेतावनी


देने वाले अंध भिव यव ा? हां, इस ह क कु छ सम याएं ह। हां, कु छ ज री
काम करना चािहए, इससे पहले क हम सीमा पार कर जाएं, फर वो चाहे
बढ़ते भूमंडलीय ताप के िवषय म हो या धम क मतांधता के िलए। ले कन
मानवता क चुनौितय से मानवता को ही िमटाकर कै से िनबटा जा सकता
है?!’

ारका शा ी ने हाथ उठाकर उन पुजा रय को आशीवाद दया, जो भैरव


मं दर म वेश करते ए, उनके सामने िसर झुका रहे थे।

‘तुम काली मौत या काले लेग के बारे म या जानते हो, िव ुत?’

देवता इस म यकालीन ासदी का अचानक नाम सुनकर च क गया।


‘थोड़ा ब त, बाबा। म जानता ं क वो दल दहला देने वाली घटना थी।
काली मौत या काला लेग या िग टी लेग 14व और 17व सदी के दौरान
माहमारी क तरह फै ला था। िवशेषकर क ीय एिशया और यूरोप म।’

‘और लंदन, पे रस जैसे मुख नगर म... यहां तक क मॉ को तक लेग का


असर महसूस कया गया था,’ दािमनी ने कहा। पुरोिहत जी उसे बुला लाए थे।
उसे हवन म देवता के साथ बैठना था, और वो भी िव ुत क तरह इितहास क
अ छी ाता थी।

मठाधीश सुन रहे थे। िव ुत और दािमनी के कने के बाद, ारका शा ी ने


वापस अपनी बात शु क ।

‘तुम सही कह रहे हो। फर भी म क ग


ं ा क तुम काली मौत के िवषय म कु छ
नह जानते। कोई नह जानता है!’ अंितम श द कहते ए ारका शा ी
उ ेिजत हो उठे ।

मठाधीश क आंख गु से से जल रही थ ।

‘लाख जंदिगयां ख़ म हो ग । या मुझे कहना चािहए— लेग से भािवत


होने के बाद यूरोप और एिशया के दिसय लाख लोग मारे गए। यह अ छी
तरह दज और वीकृ त है क हमारे इितहास म ऐसी घटक महामारी और कोई
नह ई। आज लोग इससे भािवत ए लोग क सं या पर यक न नह कर
पाते, ले कन काले लेग ने यूरोप क सागर जनसं या म से लगभग तीस से
साठ ितशत लोग का सफाया कर दया था!’

िव ुत यान से सुन रहा था। हालां क उसने काले लेग के बारे म सुन रखा था
और कै से उसने स दय तक दुिनया को खौफ म रखा था, ले कन फर भी उसे
इतने बड़े जान-माल के नुकसान का अंदाजा नह था।

ारका शा ी ने अपनी बात आगे बढ़ाई।

‘मरने वाल क सं या भयानक थी, आज हम क पना भी नह कर सकते क


िग टी लेग के दौरान दुिनया कस दौर से गुजरी होगी। ऐसा अनुमान था क
14व सदी म दुिनया क जनसं या 450 िमिलयन से 350 िमिलयन पर आ गई
थी। तुम समझे िव ुत, लगभग 75 िमिलयन से 200 िमिलयन तक लोग ने
लेग के सामने घुटने टेक दए थे। उस एक बीमारी ने दुिनया क जनसं या को
25 ितशत तक कम कर दया था! काली मौत ने पे रस क आधी जनसं या
साफ कर दी थी। िम क चालीस ितशत का सफाया। लोरस क आधी।
लंदन क साठ ितशत। मॉ को क एक ितहाई। सूची अंतहीन है। जब क आज
सुनने म ये महज आंकड़े लग रहे ह, ले कन या तुम उस समय क मानवजाित
क तकलीफ और दद का अंदाजा लगा सकते हो? लाख ब ने अपने बेबस
मां-बाप क बांह म दम तोड़ दया था। शहर क सड़क सड़ी ई लाश से भरी
पड़ी थ । रोते ए ब े अपने मां-बाप क लाश पर घुटन के बल रग रहे थे।
दंग,े लूट, ह या...’

दुिनया को इस आपदा से बाहर िनकलने म लगभग दो सौ साल लगे।’

अब तक िव ुत का मुंह सूखने लगा था। वह समझ सकता था क य िग टी


लेग को भयावह काली मौत का नाम दया गया।

ले कन अभी और भी सुनना बाक था।

‘सैकड़ साल तक यह माना जाता रहा क काला लेग ये सिनया पेि टस


बै टी रया क वजह से आ, जो िस क ट से होते ए, मि खय और चूह के
मा यम से एिशया और यूरोप म फै ला। ले कन काले मं दर के संर क जानते थे
क यह पूण स य नह था। ये तो 1984 के अंत म ाणी शा ी ाहम ि वग ने
इस िस ांत पर िवरोध जताया। उसके तक के वै ािनक त य और िववरण के
िबना, म तु ह उसका िन कष बता देता ।ं ’

अंितम देवता अब अपनी पलक भी नह झपक रहा था। वो पूरी तरह से अपने
परदादा क बात म जकड़ा आ था।

‘ि वग ने िन कष िनकाला क िग टी लेग ये सिनया पेि टस क वजह से नह


आ था, बि क वो एं े स का घातक प था।’

‘एं े स? या यह वही भयावह बै टी रया तो नह िजसका इ तेमाल जैिवक-


आतंकवाद म होता है?’ दािमनी ने पूछा।

‘िबलकु ल सही, दािमनी। काला लेग मानव के इितहास का सबसे बेरहम


जैिवक-आतंकवाद था। कसी ने जान-बूझकर, जनसं या घटाने क योजना के
चलते, बेरहमी से लाख लोग को मौत के घाट उतार दया।’

कु छ पल के िलए खामोशी रही, अब वहां िसफ हवन क तैयारी म िबछती


चटाई और पूजा साम ी को रखने क आवाज सुनाई दे रही थी। जो ारका
शा ी ने बताया, उसका िव ुत पर गहरा भाव पड़ा था। ले कन उसके िलए
इसक पुनपुि आव यक थी। ऐसा कोई काय उसक सोच से परे और अ य
था।
‘बाबा, या आप कह रहे ह क ऑडर ने मानवजाित को काले लेग का आघात
दया था?’ िव ुत ने पूछा, उसक आंख आतंक से लाल हो रही थ ।

‘म िबलकु ल यही कह रहा ,ं िव ुत,’ ारका शा ी ने प श द म कहा।


‘और वो दोबारा ऐसा करने वाले ह। इस बार, और भी बड़े तर पर।’
आयवत के दलदल, 1698 ईसापूव
लाख तीर

चंड को अपने आदिमय के साथ नौका िनमाण- थल पर प च ं े कई स ाह


बीत गए थे। असुर धीरे -धीरे ले कन िनि त प से िवशाल नौका के िनमाण
और यु बल के िलए मददगार होते जा रहे थे। आयवत का आखरी आधार
िशिवर भी अब िवशाल नौका पर आ चुका था।

असुर राजा के प म मनु को एक अनमोल साथी िमल गया था। चंड को


िवशाल सेना को संभालने और िनदिशत करने का तीन दशक का अनुभव था।
उसक द ता अब नौका क िविभ टु किड़य को सहेजने म काम आ रही थी।
वहां हड़ पा के दिसय हजार सैिनक थे। म य जाित के यो ा भी इससे कम
नह थे, िज ह म य अपने ि य स य त क सहायता के िलए छोड़ गया था।
इस भावशाली सेना म चंड के िसपािहय ने और कु छ हजार जोड़ दए थे।
और अंत म ुव और उसके कु छ चु नंदा जांबाज—िज ह वयं िववा वन
पुजारी ने िशि त कया था।

द यु अिधपितय ारा नर-मुंड क अधीनता वीकार कए जाने क खबर भी


मनु तक प चं गई थी। मनु उन हालात से भी प रिचत था, िजनके तहत यह
संगठन आ था। इससे मनु क चंता और बढ़ गई थी। नर-मुंड उससे अिधक
अपराजेय होता जा रहा था, िजतने क उ मीद क गई थी।

तो अब सब कु छ ही समय क बात थी। भयानक यु होना ही था। बस देखना


यह था क दै य क िवशाल सेना कल आ मण करे गी या अगले महीने।

‘हमारा सबसे बड़ा फायदा है क नौका के मील दूर तक हमारे पास समतल,
िनजन पसरा पड़ा है, िजसम आंख दूर तक देख सकती थ ,’ तारा ने एक तीर के
मा यम से िवशाल नौका के आसपास क भूिम क ओर संकेत करते ए कहा।

नाव के र क, पूरे जोर-शोर से अव यंभावी यु क तैयारी म लग गए थे।


सभी स म पु ष को नाव िनमाण के अंितम चरण क िज मेदारी बुजुग ,
मिहला और ब पर छोड़कर, हिथयार उठाने के िलए कह दया गया था।
दािमनी सेना म भी बड़े पैमाने पर मिहलाएं भत होकर, मनु क सेना म
उ लेखनीय प से बढ़ोतरी कर रही थ । कृ ित और मानव के बीच होने वाले
इस ऐितहािसक यु म हर कोई पूरी जान लगाकर अपना योगदान दे रहा था।
हर दन सभाएं करके काम क गित पर नजर रखी जा रही थी, और जहां
संभव होता वहां सुर ा मानदंड को बढ़ाया जा रहा था।

‘ये फायदा कै से आ, तारा? समतल जमीन का मतलब तो है क दु मन क


सेना िबना कसी ाकृ ितक वधान के हम तक प च ं जाएगी। वो िबना
सम या के हम पर चढ़ाई कर दगे,’ चंड ने सवाल उठाया।

‘हां, ये हो सकता है। ले कन तब नह , अगर हम बाण क घनी वषा से उनका


वागत कर, िजसम समतल का एक इं च भी बाण से अछू ता न रहे। हम उनके
दल के इतने लोग को मार िगराएंगे क नौका तक प च ं ने का रा ता दै य
और द यु के िलए कि तान बन जाएगा!’

मनु अपनी सुंदर, मानी, ेही तारा को शेरनी बनता देख मु ध था। वो
पैदायशी अ य थी।

‘ठीक है, ले कन इतनी सं या म बाण क वषा कै से क जा सकती है? हमारे


पास धनुधर तो ह, ले कन इतने भी नह क बाण का तूफान आ जाए,’ ुव ने
बीच म दखल दया। अगर कोई धनुष और धनुधर क बात समझ सकता था,
तो वह था।

‘म जानती ।ं मेरे पास एक योजना है,’ तारा ने हमेशा क तरह, पूरे


आ मिव ास से जवाब दया।
‘दािमनी सेना म अभी हमारे पास पं ह हजार यो ा ह। हमारे दु मन क
ू रता और ािभचार देखते ए, म चा ग ं ी क दािमनी सेना क यो ा जमीन
पर न जाकर नौका से ही उन कसाईय का सामना कर। और इससे हम बड़ा
त या मक लाभ िमल सकता है। अगर हम पूरी सेना को तीन टु कड़ म बांट द,
और एक समय पर एक ही टु कड़ी लड़े, तो हमारे पास नौका के शीष से लड़ने के
िलए पांच हजार धनुधर उपि थत ह गे। और वो नौका प रसर के सम त े
को घेर लगी। इसके अलावा हमारे पास ुव क टु कड़ी के और सात हजार
धनुधर ह, तो यु के समय हमारे पास लगभग दस हजार धनुधर हर समय
तैयार रहगे!’

तारा ने कमरे म इस उ मीद से देखा क शायद उसके ताव पर कु छ सहयोग


िमले।

‘िववेकशू य बात मत करो, तारा,’ ुव ने अपने आसन से उठते ए कहा।

वो तारा से इस तरह से बात कर सकता था। य क वो बचपन के िम थे।

‘शायद तुम भूल गई हो क तु हारी दािमनी सेना म कोई भी िशि त धनुधर


नह है। दै य और उनक सेना द घुड़सवार ह। वो ब त तेज गित से दौड़ रहे
ह गे और वो अि थर ल य ह गे। तो नौिसिखए धनुधर से तुम उ ह रोक पाने
क कै से उ मीद कर सकती हो?’

‘काश तुम अपने दमाग का थोड़ा और इ तेमाल कर लेते, ुव,’ तारा ने आंख
चढ़ाते ए िवरोध जताया।

वो ुव से इस तरह बात कर सकती थी। वो बचपन के िम जो थे।

‘हम धनुधर को दो िवभाग म बांट दगे। िशि त धनुधर, तु हारे धनुधर,


नौका के िनचले माले पर ि थत ह गे। दूसरी तरफ, दािमनी सेना नौका के
ऊपरी माले पर रहेगी। उ ह बस इतना करना होगा क बाण क खेप ऊपर
आसमान म चलानी होगी, अपने बाण को तोप के गोले क तरह चलाते ए।
उसके िलए अिधक िश ण क ज रत नह होगी, और बस उ ह सामने के
िव तृत मैदान को िनयंि त करना होगा। उनके बाण जहां भी िगरगे, अपना
िनशाना ढू ंढ़ लगे। दु मन के जो घुड़सवार और पैदल िसपाही उनके बाण से
बच िनकलगे और नौका क तरफ बढ़गे, उ ह तु हारे धनुधर चुनकर मार
डालगे। या तु ह नह लगता ुव, अपने धनुधर क मदद से ही हम दु मन
क आधी सेना का सफाया कर दगे! फर हमारे घुड़सवार और पैदल िसपाही
बाक के दु मन से िभड़ जाएंगे!’ तारा ने अपनी आंख चौड़ी कर, बांह फै लाते
ए पूछा।
ु मु कु राया और उसक
व शंसा म भव चढ़ाकर, मनु को देखा। मनु बस कं धे
उचकाकर हंस दया।

द धनुधर फर तारा क ओर मुड़ा और नाटक य अंदाज म कहा।

‘ठीक है, देवी... ऐसा ही करते ह!’

‘ध यवाद ुव,’ तारा ने कहा। ‘अब के वल एक ही परे शानी है।’

ुव ने योरी चढ़ाई। ‘और वो या है?’

‘हम ब त अिधक बाण क आव यकता होगी।’


बनारस, 2017
‘का तके य ने इ यूिमनाती को जलाने
क कोिशश क ’

जब पिव हवन पूण आ, तो िव ुत ने अपने बाबा के पैर छू कर उनका


आशीवाद िलया। सनातन धम या सामा य हंद ू प रवार म भी ये चलन है
क ब े अपने बड़ के पैर छू कर आशीवाद ल।

अगले दो दन और दो रात के िलए, देवता को अपने सारे आशीष क


आव यकता पड़ने वाली थी।

‘हम सबके जाने क ती ा करगे, िव ुत,’ वृ ने फु सफु साते ए कहा। ‘अब


समय आ गया है क तुम अपनी िनयित का सामना करो।’

दािमनी जाना नह चाहती थी, ले कन वो भांप गई थी क इस समय दोन


शा ी पु ष को एकांत चािहए।

‘कृ पया मुझे जाने क अनुमित द, बाबा,’ उसने उठकर अपने हाथ जोड़कर,
णाम करते ए कहा।

ारका शा ी ने मु कु राकर, ह का-सा िसर झुकाकर दािमनी को अनुमित दी।


िव ुत ने भी मुड़कर दािमनी को यार से देखा, और वो भैरव मं दर से बाहर
िनकल गई।

‘बाबा...’ िव ुत ने कहा, ‘पुजा रय को पूजन समा करने म अभी कु छ समय


लगेगा। य न हम उस कोने म बैठकर, अपनी बात शु कर? म अभी तक
नह जानता ं क आिखर य मेरे िपता का तके य शा ी का वध कया गया,
हालां क म उस पल क क पना कर सकता ।ं ’
काल-भैरव मं दर म अभी भी हवन का धुआं फै ला आ था। िव ुत को
अगरब ी, गदे के फू ल और कपूर क गंध से यु य का ये धुआं हमेशा सुहाता
था। यह उसे शांत भाव क अनुभूित कराता है। यह द ता जैसा ही एक भाव
था।

‘काली मौत के बाद मठ और ऑडर के बीच क लड़ाई गहरा गई। लेग ने हम


लोग को बता दया था क गु ातृसंघ उससे कह अिधक अधम था, िजतना
हमने सोचा था। उस समय शा ी वंशज ने लड़ाई को ऑडर के दरवाजे पर ले
जाने का िनणय िलया। और फर ह या क शु आत ई...’ मठाधीश ने कहा।

‘ कस कार क ह याएं, बाबा?’

‘उसे जाने दो, िव ुत। हंसा को लेकर म तु हारे िवचार जानता ।ं ि जट के


वध के समय मने तु हारी ित या देखी थी। वैस,े बलवंत ने मुझे बताया क
तुमने एक-आंख वाले दानव ानंद को जाने दया। वह एक बड़ी गलती थी,
िव ुत। उसका तु ह एक दन पछतावा होगा। खैर, ह या म और गहराई से
नह जाते। बस ये जान लो क दोन प एक दूसरे का िशकार कर रहे थे। और
तु हारे शूरवीर िपता का तके य ने वही कया, िजसक उनसे उ मीद थी।
िजसका उसे आदेश दया गया था।

वैसे भी वो सब पूव िनधा रत था, िव ुत। र धारा का अिभशाप याद है न।


उसने मानवजाित को अनंत पीड़ा और हंसा का ाप दया था। यू व ड
ऑडर भी उस अिभशाप का एक ा प ही था।’

‘उनक कहानी बताइए, बाबा। हमारे पूवज क शौयगाथा सुनना अप रहाय


है—िववा वन पुजारी, स य त मनु, अ तै शा ी, दुगादास शा ी, माकडेय
शा ी... और फर पापा। वो सब त ध करने वाला है, कृ त ।’

ारका शा ी मु कु राए ।

‘ या तुम जानते हो क हमारे वंश म कौन सबसे महानतम होगा, िव ुत? वो


तुम हो, मेरे ब े। तुम ही भिव यवाणी म यो ा हो। अंितम देवता! हम
सबसे कह अिधक महान!’

‘ओह लीज, बाबा...’ िव ुत ने श मदा होते ए कहा। ‘मुझे नह पता क य


आप, पुरोिहत जी और मठ म सब लोग ये कहते ह। मने तो अपने पूवज क
तुलना म कु छ भी महान काय नह कया है। य , मने तो आपक महानता को
छू पाने तक के िलए कु छ नह कया है, बाबा।’

‘तुम सोचते हो क उन कराये के ह यार से अके ले लड़ना महानता नह थी,


िव ुत? या तुम कसी ऐसे इं सान को जानते हो, जो ये कर सके ? रोमी परे रा
का या, वो ह यारा जो िपछले डेढ़ दशक के हाई- ोफाइल ह या का िछपा
चेहरा बना रहा? या तुम जानते हो क मसान-राजा लगभग अपराजेय था?
तुमने धरती के सबसे भयानक तांि क को ख़ म कया। और मत भूलो िव ुत,
म अगर आज सांस ले रहा ं और जीिवत ,ं तो वो तु हारी ही द ता थी,
िजसने मेरी र ा क । वयं को कम मत आंको, मेरे ब े।’

िव ुत मु कु राया और िवन ता से असहमित म िसर िहलाया।

‘म आपक सहायता के िबना ि जट कपािलक को नह हरा पाता, बाबा।


दूसरी दुिनया से आई डा किनय से म नह लड़ पाता। िशव-कवच पर जो
आपक पकड़ है, वो मेरी नह है। तो, वो सब मेरा अके ले का नह था बाबा। वो
हमारा था।’

ारका शा ी स ता से हंस।े उ ह कु छ याद आ गया था।

‘तो अब तुम मानते हो क देवता को मदद चािहए होती है। उस तक से तो,


ई र को भी सहायता चािहए होगी, है न िव ुत? तुम जानते हो न मेरे ब .े ..
यह अ छा है क तुम कै से टीमवक के बारे म बात करते हो, और कै से उसक
सराहना करते हो!’ उ ह ने हंसते ए कहा।

िव ुत कु छ भी समझ नह पा रहा था और उसने हैरान नजर से बाबा को


देखा, और वृ क ख़शी पर अपनी भी हंसी नह रोक पाया।

‘िव ुत... तुम भी कसी क टीम म हो। इसीिलए तु ह भेजा गया है!’

देवता को समझ नह आया क उसके बाबा ई र क मदद या फर उसे कसी


क टीम का िह सा य कह रहे थे। उसने िवषय बदलकर, वो जानने का
िनणय िलया, िजसके िलए वो लंबे समय से उ सुक था।

‘अब मुझे मेरे िपता के बारे म बताओ, बाबा।’

‘हां, मेरे ब ।े मुझे उ मीद है क तुम अब तक समझ गए ह गे क का तके य क


ह या के पीछे कौन था। ये वही काली ताकत थी िजसने अ त ै , माकडेय और
दुगादास शा ी को ख़ म कया— यू व ड ऑडर! ले कन जान लो, िव ुत—
र दोन तरफ से बहा। इस प रवार का येक पु , िजसने काले मं दर के
रह य क सुर ा करते ए जान दी, उसने ऑडर के ब त से महारिथय को भी
िम ी म िमलाया। ज रत पड़ने पर हमारी तरफ से कई सनसनीखेज
राजनीितक ह याएं भी क ग । दूसरे अवसर पर, तं -मं के तर पर भी
मोचा संभाला गया। कु छ मौक पर िछटपुट लड़ाइयां भी काम आ ।
हमारा पलड़ा तब भारी आ जब आिखरकार का तके य ने संयु रा य
अमे रका म घुसकर उनसे लोहा लेने का िनणय िलया। उस समय ऑडर को
शा ी वंश के बहे हर र क बूंद का िहसाब देना पड़ा। ले कन इ यूिमनाती
और दूसरे गु सं थान ने साथ म जो यू व ड ऑडर तैयार कया था, वो
का तके य पर भी हावी रहा। उ ह ने आिखरकार अपने सबसे बड़े दु मन को ढू ंढ़
िनकाला, और उसे घेरकर बरसात क एक रात म, सेन ांिस को म मार
डाला। उस त-िव त और अध-मृत अव था म भी, मेरे पोते और तु हारे
िपता, शूरवीर का तके य शा ी ने, अंितम काले मं दर का थान उ ह नह
बताया।’

िव ुत वहां त ध बैठा था। वो फू ट-फू टकर रोना चाहता था, ले कन वो कर न


सका। ोध और बदले से उसके दमाग क नस फटने को तैयार थ ।

‘तो, तुमने देखा, बेटा,’ ारका शा ी ने भारी आवाज म अपनी बात आगे
बढ़ाई, ‘ येक मायन म यह एक यु है। वो यु जो सैकड़ साल से चला आ
रहा है। और हम, शा ी वंश, हमने इस सफर म अपना सबकु छ गवां दया है।

ले कन म तु ह भरोसा दलाता ,ं िव ुत, ऐसे हालात म भी हमने कभी कसी


िनद ष के ाण नह िलए ह। कभी भी हम मानवजाित के क याण से इतर
कसी से नह लड़े। सैकड़ साल म एक बार भी, हमारे पूवज ने औिच य और
धम का याग नह कया।’

अब जाकर िव ुत को यु क वा तिवक कृ ित का अहसास आ। िव ुत को


तो बस अपने िपता, का तके य शा ी मृद-ु भाषी, हमेशा मु कु राते रहने वाले,
स न के प म याद थे, जो रात म िव ुत को प रय क कहानी पढ़कर
सुनाया करते थे। और यहां यह कड़वा सच था। ह याएं, साधना, तं , ऑडर के
मािहर को मारना... यह और भी ज टल होता जा रहा था, इतना ज टल क
उसने कभी अपने मन म सोचा भी नह था। जब भी ारका शा ी स दय
पुराने र संघष क बात करते, िव ुत का दल इसके वा तिवक मायने
जानता था। बस उसके िलए यह वीकार करना मुि कल था क उसके िपता,
उसके दादा और उसके सारे पूवज के हाथ र से रं गे थे, फर वो र चाहे
नेक क राह म ही य न बहाया गया हो।

िव ुत के पास िवक प था। वो अभी यहां से सबकु छ छोड़कर िनकल सकता


था, मानो यह कोई डरावना सपना हो और अपने परदादा क तरफ से पीठ फे र
लेता, और मठ के हजार साल पुराने आतंक और हंसा क कहानी भुला देता...
चला जाता यहां से कभी न लौटने के िलए। वो जाकर अपने आलीशान
पटहाउस म दािमनी के साथ एक शानदार, महानगरीय जंदगी जी सकता था,
पूरे ऐशोआराम से।
या फर वो यु का माग अपनाकर, अपने पूवज क हंसक िवरासत का
िह सा बन, उस ाचीन भिव यवाणी को पूण करता।

उसी पल, िव ुत ने अपनी िनयित को वीकार कया। उसने उन नजर से


ारका शा ी को देखा, और वृ को अपना जवाब िमल गया। देवता ने अपने
दांत भ चे, आंख बंद क और गव से अपने पूवज क िवरासत को उनके
वा तिवक प म वीकार कया। उसने कु छ पल के िलए अपने उन महान
पूवज के स मान म िसर झुकाया, िज ह ने मानवता क वेदी पर एक के बाद
एक अपनी बिल चढ़ाई। जब उसने अपनी आंख खोल , वो कोई और था।

वो कलयुग के सबसे बड़े रह य का अंितम संर क था।

काले मं दर के रह य का।
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
नरभ ी िपशाच

नौका ऐसी तीत हो रही थी मानो धरती पर सबसे याह रात उतर आई हो।
लंबाई और ऊंचाई म मील तक फै ली वो नौका शि शाली िहमालय पवत से
भी बड़ी थी, और दूर से देखने पर यह ब त बड़ी काली च ान नजर आ रही
थी।

उस पर काश के छोटे से कण को भी अनुमित नह थी। कह भी एक मशाल


तक नह जल रही थी। मनु, ुव, तारा और चंड ने अंधेरे को एक रणनीित के
प म उपयोग करने का िनणय िलया था। नौका के दिसय हजार िनवािसय
तक यह संदश े िभजवा दया गया था—उ ह पूरा दन और रात अंधेरे म ही
िबतानी थ ।

कारण प था। द यु क भारी सं या के साथ दै य का हमला अब कभी भी


हो सकता था। नौका के आसपास, कु छ ही मील क दूरी पर, अचानक ही दै य
के सैकड़ िशिवर कट हो गए थे। यह प हो चुका था क नरभ ी और द यु
नाव को दस दशा से घेर रहे थे।

नौका के िनवासी और यो ा यायसंगत प से घबराए और डरे ए थे, ले कन


वो िबना तैयारी के नह थे। वा तव म, अब पूरा जहाज एक िवशालकाय कला
बन चुका था, जो कसी भी पल दु मन से लोहा लेने के िलए तैयार था।

गहन अंधेरे म, हमलावर नौका के शीष पर खड़े हजार , यु के िलए तैयार


धनुधर को नह देख पा रहा था। म लू जाित क बड़ी सी घुड़सवार और
पैदल सेना भी रात के समय ही एक होकर, गु क म बैठकर ती ा कर
रही थी। इसक क पना दै य अपने सपने तक म नह कर सकते थे।
नौका के म य म बड़ी सी, अ थायी रसोई बनाई गई थी। वो इतनी गहराई म
थी क खाना पकाने क अि नौका के बाहर कसी को दखाई नह पड़ रही
थी। ये इसिलए कया जा रहा था, िजससे यु के िलए तैयार खड़े हजार
यो ा को समय-समय पर गम स जी और चावल दया जा सके । मांस क
गाढ़ी तरी और चावल भी लगातार बड़ी-बड़ी देि चय म पकाए जा रहे थे। ये
असुर िसपािहय के िलए था, िजससे वे आगे आने वाले मुि कल समय का
सामना कर सक।

िवशाल नौका के येक माले पर, कु छ ही स ाह पहले प च


ं े नए सामान का
भार था। बाण। और जैसा क तारा ने योजना बनाई थी—लाख बाण। येक
धनुधर के पास इस समय एक हजार से अिधक बाण थे, िज ह मारने का
अवसर कसी भी पल िमल सकता था।

ले कन यु के िलए क गई दूसरी तैया रय से बढ़कर, मनु उस श पर


अिधक िनभर था, जो अलौ कक नीलवण , म य ने जाने से पहले उसे दया
था।

‘इसका उपयोग तब करना, जब लगे सब समा हो गया है,’ म य ने कहा।


‘और अि देव तु हारी सहायता के िलए आ जाएंगे।’

उसने इसका दशन स य त और ुव को एक गु थान पर करके दखाया


था, और उसके बाद उस रसायन के अनेक िड बे उसे दे दए थे।

गंधक।

सोमद अपना आहार लेते समय असामा य प से चंितत दखाई दे रहा था,
और वो येक िनवाले के बीच कई पल तीत कर रहा था। उसके पास बैठा
मनु, शांित से अपना चावल का रस पी रहा था। अब तक उनके ने अंधेरे म
देखने के अ य त हो गए थे। इसीिलए, अंधेरे क म भी स य त ने अपने
िव सनीय सलाहकार क चंता को भांप िलया था।

‘कोई बात शायद आपको परे शान कर रही है, सोमद जी...’ मनु ने पूछा।

वह जानता था क सोमद उन लोग म सा था, जो मानवजाित के भिव य म


िनधा रत भूिमका िनभाएंग।े उसके िबना यह िवशाल नौका, इस अि तीय
जहाज का िनमाण नह हो पाता। इस असा य काय को पूण करने के िलए,
िपछले कु छ महीन से साथ काम करते ए, उनके बीच का ेह और एक-दूसरे
के ित स मान और बढ़ गया था। ले कन इससे भी अिधक, सोमद को देख
मनु को उसके िपता िववा वन पुजारी क याद आती थी। वो एक पल के िलए
भी भुला नह पाया था क उस मुि कल समय म उसके िपता के साथ अके ले
सोमद ही खड़ा था, जब उसके िपता क परछाई तक ने उसका साथ छोड़
दया था। मनु हड़ पा और नौका के मु य अिभयंता को अपने िपता समान ही
ेह करता था। िववा वन, संजना और म य के चले जाने के बाद सोमद ही
उसका एकमा अिभभावक था। बदले म, मु य अिभयंता भी इस युवा
पुजारी-राजा को अपने पु के समान ही चाहता था।

‘हां, म परे शान ,ं मनु। म अपने आसपास यु क तैयारी देख रहा ं और यह


वा तव म दल को छू लेने वाला है। हड़ पा सेना, अनुपम म य- जाित के
यो ा और असुर सैिनक को िमलाकर हमारे पास छोटा ही सही, ले कन
आसपास खड़े नरभि य से िभड़ने का वा तिवक अवसर है। तुम, ुव, तारा
और चंड जैसे द यो ा इस अंितम यु का नेतृ व करोगे, जो लय से पहले
इस धरती पर िछड़ने वाला है।’

‘आपसे ये श द सुनकर मुझे भरोसा िमला, सोमद जी। ले कन फर ऐसी या


परे शानी है क आप अपने सादा कं तु वा द भोजन तक नह ले पा रहे?’

सोमद ने मुड़कर मनु को देखा। सारे अंधेरे के बाद भी, मनु मु य अिभयंता के
चेहरे पर पसरा डर साफ़ देख पा रहा था।

‘नर-मुंड, मनु... हम उस दानव नर-मुंड से लड़ने के िलए तैयार नह ह!’

‘तुम सब नह समझते हो... वो इं सान नह है!’ नौका के यु -क म बैठे


ि य से िच लाकर सोमद ने कहा।

भोजन के दौरान उसने मनु को जब अपनी चंता बताई थी, तो उसके तुरंत
बाद मनु ने यु अ य के साथ एक त कालीन सभा बुला ली थी। उसके
करीबी और िव त िम , ुव, तारा और चंड वहां उपि थत थे। और
स ऋिष भी।

‘नर-मुंड का ज म कसी ाकृ ितक जनन म नह आ है। म नह जानता क


वो जो है, वो कै से बना, ले कन उसम ज र कोई जैिवक य िभ ता है।’

यु -क म उपि थत येक ि यान से सोमद को सुन रहा था।

‘ या तुमने कभी सोचा है क महान िववा वन पुजारी और बुि मान पंिडत


चं धर ने य हड़ पा के शासन को आयवत के याह जंगल से दूर रखा था?
सोचो जरा इस बारे म। यहां तक क हड़ पा के झंडे तले िवशाल सेना, और
अपनी द वीरता के बाद भी मेरे िम िववा वन पुजारी ने कभी उन
भयावह जंगल म कदम नह रखा था,’ सोमद ने आगे कहा।

उपि थत जन को अब धीरे -धीरे वा तिवकता का आभास हो रहा था।


यक नन, हड़ पा का सूय अपने महानगर को कसी चीज से बचाने क कोिशश
कर रहा था। उन याह जंगल म कु छ तो भयानक था। सोमद ने अब इस
स य से पदा उठाया था।

‘यहां तक क हड़ पा के सूय, शि शाली दानव-राजा सुरा का वध करने


वाला, सेना का िव वंसक, अपराजेय िववा वन पुजारी भी उस नरभ ी
िपशाच नर-मुंड से िभड़ंत नह चाहता था!’ बुि मान अिभयंता ने अपनी बात
समा क ।

इस अंितम, अनजान सूचना ने मनु को चंितत कर दया था।

अ यिधक चंितत।
बनारस, 2017
रोिहणी न

‘पिव न बस अब शु होने ही वाला है, गु देव!’ भैरव मं दर के सफ़े द


दाढ़ी वाले एक वयोवृ पुजारी ने घोषणा क । िव ुत और ारका शा ी को
देख उसक आंख ख़शी से भर आई थ ।

मठाधीश ने आंख बंद कर, भु िव णु क तुित म एक ाथना बुदबुदाई और


वृ पुजारी क तरफ िसर िहलाया। ‘िनयत समय के िलए तैयार हो जाइए,
महंत योगराज। देवता तैयार ह!’

देव-रा स मठ के दो पु ष के संवाद से िव ुत कु छ हैरान था। इससे पहले क


वो कु छ पूछ पाता, भगवा व धारी दजन पुजा रय ने काल-भैरव मं दर म
वेश कया, और वो सब संयु वर म मं ो ार करने लगे और मु य म
भरकर मं दर के येक कोने म हवन साम ी और पु प चढ़ाने लगे। पिव
पुजारी इतनी लय म ाथना बुदबुदा रहे थे, मानो वो एक ही ि ह । इसका
प रणाम प था, मं दर क येक दीवार, येक तंभ और येक कण
सकारा मक ऊजा से पूण था।

‘मेरे साथ चलो, िव ुत। समय आ गया है, मेरे ब ।े वो पल िजसक ती ा ये


पृ वी कब से कर रही थी। वो पल िजसके िलए हम स दय तक र बहाते रहे।
म य क भिव यवाणी का पल। काले मं दर का रह य तु हारी ती ा कर
रहा है, ओ देवता!’ तेज मं ो ार के बीच, ारका शा ी ने िच लाकर कहा,
और िव ुत को पीछे आने का संकेत दया।
उसी पल दािमनी ने स मािनत मं दर म वेश कया, वो पुजा रय को आ य
से देख रही थी। मठाधीश ारा बाहर भेजे जाने के बाद से कई घंटे बीत गए थे।
उसी के पीछे दूसरे लोग भी थे—पुरोिहत जी, नैना, गोवधन, बलवंत, सोनू
और मठ के दूसरे व र पुजारी। अब तक आरती म ब त से शंख और घं टय
का इ तेमाल हो रहा था। वो उन आवाज को पिव मं ो ार के साथ उठा रहे
थे।

िव ुत वयं एक स म योगी और तांि क था। उसने अब उस तेज, मु ध करने


वाले मं ो ार पर यान लगाया और तुरंत ही उसे पहचान गया।

पुजारी संयु प से भु िशव क ाथना, पथ गा रहे थे!

देवता को अब एक बात तो प थी। िजस मं दर म वो खड़े थे, उसे मठाधीश


और पुजा रय ने कसी असाधारण काय के िलए ही तैयार कया था। कसी
अलौ कक काय के िलए।

कसी अिधदैिवक काय के िलए।

िव ुत मठ के इस भाग म कभी नह आया था। सच पूछो तो वो जानता भी


नह था क रा स खंड म ऐसी घुमावदार गिलयां और गिलयारे भी हो सकते
ह। ारका शा ी उसे भु काल भैरव क भावशाली अध ितमा के पीछे बने
काले गिलयारे म ले गए। िव ुत उस ितमा के पीछे बने वेश ार को देखकर
हैरान रह गया। यह दरवाजा मं दर के कसी भी कोने से दखाई नह पड़ता
था।

वो अब उसके अंदर जा रहे थे, भूल-भुलैया जैसे बने प थर के बरामदे म मुड़


गए। उनके आगे-आगे बलवंत चल रहा था, जो हाथ म मशाल िलए उस अंधेरे
गिलयारे को रौशन कर रहा था। भैरव मं दर के ांगण से आती मं ो ार और
शंखनाद क आवाज अब जरा धूिमल पड़ गई थी। िव ुत समझ पा रहा था क
यह याह गिलयारा अब धीरे -धीरे नीचे उतर रहा था, उ ह रा स-खंड के
भूतल म ले जाते ए। ारका चलते-चलते मं ो ार कर रहे थे, जब क
पुरोिहत जी और गोवधन सुगंिधत साम ी और पु प वषा कर रहे थे।

मश: म म होते काश म, िव ुत का यान कसी चीज पर गया। देवता


दािमनी क ओर मुड़ा, जो उसके दािहनी तरफ थी, और खामोशी से गिलयारे
क दीवार और छत क तरफ संकेत कया। गिलयारा अब कसी सुरंग क
तरह तीत हो रहा था।

दािमनी समझ नह पाई क िव ुत या कहने क कोिशश कर रहा था। उसने


अपनी भव उठाकर, अपनी उलझन जताई।

‘ येक कु छ कदम बाद प थर का रं ग और गहरा होता जा रहा है,’ वह


बुदबुदाया।

‘और...?’ दािमनी ने भी फु सफु साकर कहा।

‘वो काले होते जा रहे ह।’

वो लंबा गिलयारा था। कई िमनट गुजर गए थे और वो अभी भी भूतल म बनी


इस पथरीली भूल-भुलैया म भटक रहे थे, देव-रा स मठ क गहराई म।
बलवंत, पुरोिहत जी और वयं मठाधीश बड़ी िन ंतता से कदम रख रहे थे।
िव ुत ने अपने मन म सोचा।

ऐसा लग रहा था क वो सप ली राह पर बढ़े जा रहे थे।

सप ली।

िव ुत को कोई अंदाजा नह था क वो उस अ भुत सच के कतना करीब


प च
ं गया था, जो उनका इं तजार कर रहा था!

‘बाबा, उन तीन रोमी, बाला और फर ि जट ने कहा था क ऑडर ने मुझे


इतने साल तक जंदा रखा था। अगर म उनके िलए इतनी बड़ी चेतावनी था,
अगर म ही भिव यवाणी म वो देवता था, जो उनक िवशाल प रयोजना
के आड़े आने वाला था, तो उ ह ने मुझे पहले ही य नह मार दया? अगर वो
साल पहले मेरी कं पनी म, मेरे घर म बाला को भेजने म कामयाब रहे, अगर
वो अंतरा ीय नेता और सै य तानाशाह को अपने रा ते से हटा देते थे,
अगर वो नाग रक यु िछड़वा सकते थे और ांितय को फं ड दे सकते थे—तो
उ ह ने बचपन म ही मुझे य नह मारा? या फर उसके बाद?’

‘मुझे उ मीद थी, िव ुत क तुम ये सवाल पूछोगे,’ ारका शा ी ने िबना मुड़े


जवाब दया। वह सुरंग क वण संबंधी मता जानते थे, और उ ह ने इतनी
ही तेज आवाज म जवाब दया था क उनका ितभाशाली परपोता, और
उनके साथ आया आ छोटा सा दल वो बात सुन सके । वो सब रा स-खंड के
उदर म जा रहे थे। उनम से येक मठ का और जघ य ऑडर के िव यु के
िलए िव सनीय तंभ थे।

‘जवाब प है, िव ुत—काले मं दर का रह य तु हारे िबना नह खोला जा


सकता। या दूसरे श द म कह, तुम ही वो अके ले इं सान हो जो इस द रह य
पर से पदा उठा सकते हो। तु हारे सारे पूवज , का तके य को भी, इसीिलए
यातना देकर मारा गया य क ऑडर काले मं दर का थान पता करना
चाहता था। ले कन तुम... तुम उनके िलए ब त क मती थे। तुम आज भी हो!’

वो कु छ और पल शांित से चले, दूर चल रहे पथ का उ ार अभी भी सुरंग


क मोटी दीवार से होते ए उनके कान म प च ं रहा था।

‘ले कन बाबा ये मानना मुि कल है क अगर यही बात थी तो रोमी, फर


बाला और फर ि जट ने मुझे मारने क कोिशश य क ?’ िव ुत ने पूछा।

नैना ने मठाधीश क जगह से जवाब दया।

‘उनम से कोई भी तु ह मारने नह वाला था, िव ुत। वो तु ह गंभीर प से


घायल करके , बंदी बना लेना चाहते थे... और तु ह इस पल तक जीिवत
रखते... रोिहणी न तक। तु ह या लगता है, रोमी, जो दुिनया का सबसे
खतरनाक और सबसे िश ह यारा था, उसका िनशाना बस ऐसे ही चूक गया,
जब क तुम उसके इतने करीब थे? या बाला, िशि त ए स-आम कमांडो,
पॉइं ट लक रज से तु ह मार नह पाया? ि जट कपािलक ने तु ह जंजीर से
य बांधा, जब क बेहोशी म वो तु ह आसानी से मार सकता था? सोचो जरा
इस बारे म।’

इससे पहले क िव ुत नैना क बात पर कोई ित या दे पाता, धरती ब त


बुरी तरह से िहली। दािमनी ने घबराकर िव ुत क बांह पकड़ ली, और सुरंग
क छत से रे त िगरने लगी। ये वैसा ही कं पन था, जो एक दन पहले उन लोग
ने मठाधीश के बरामदे म महसूस कया था।

बस इस बार ये कं पन और करीब से महसूस हो रहा था।


िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
‘वो आ रहे ह...’

उनक सभा िपछले दो घंट से चल रही थी... बीच-बीच म उस नीरव


खामोशी म बादल क तेज गरज से वधान पड़ जाता था। नर-मुंड से होने
वाला अप रहाय सामना अब क को भयभीत कर रहा था। उ ह इसका कोई
समाधान नह नजर आ रहा था।

‘हड़ पा के गु चर-दल ने हम नगर-प रषद् के सद य को बताया था क नर-


मुंड क चमड़ी को सामा य तलवार, तीर या भाले से नह भेदा जा सकता था।
यहां तक क िबलकु ल सही समय पर, खूब तेजी से जाता आ बाण भी उसे बस
सामा य सा घाव दे पाता है। वो कहते ह क उसके एक जोरदार मु े से कसी
घोड़े तक क खोपड़ी टू ट सकती है! वो अपने नंगे हाथ से अपने बद क मत
दु मन क छाती और पसिलयां चीरकर, उसका धड़कता दल खा जाता है। ये
उसके िलए असामा य नह था, य क वो आधा-मनु य, आधा-पशु था।’

जब सोमद ने अपने ये अंितम श द, ू र श द कहे तो कमरे म घोर स ाटा


छा गया।

यहां तक क वीर और साहसी, सुंदर सत पा भी अपने आंसू नह रोक पा ।


वो चंता क वजह से सुबकने लग , जब क क म उपि थत पु ष को अपने
गले म कु छ अटकता सा महसूस आ।

मनु भी उन लोग से कम डरा आ नह था। वो भी उस दै य से आमने-सामने


के मुकाबले के िवचार से घबराया आ था। ले कन मुसीबत के समय ही एक
वा तिवक नेता—भौितक लालच से परे , ि गत सोच से परे और अपनी
जान क परवाह कए िबना खड़ा होता है। म य ने यूं ही नह स य त मनु को
मानव जाित के भिव य का राजा और संर क चुना था।

‘म उसका सामना क ं गा, हड़ पा के महान अिभयंता,’ मनु ने घोषणा क ।


‘नह , तुम नह करोगे!’ तुरंत मनु क तरफ दौड़ते ए, तारा िच लाई।

एक पल के िलए मनु नर-मुंड का सामना करने से अिधक, उस सुंदर हमलावर


को सामने पा डर गया।

‘तु हारी परे शानी या है, ओ सूय पु ??’ उसने स य त से सवाल कया। वो
उससे थोड़ी ही दूर खड़ी थी और सीधे उसक आंख म देख रही थी। गु से और
भय से उसक सांस भारी हो गई थी।

‘सत पा सही कह रही है, स य त,’ सोमद ने बीच म कहा। हम सब तु हारे


शौय से प रिचत ह और उसक सराहना करते ह। हमने देखा क तुमने न िसफ
रं गा, बि क बाद के समय म सैकड़ अ य दु मन का सामना कया। ले कन
अबक बार बात अलग है। नर-मुंड अके ले दस रं गा के बराबर ह। असंभव को
संभव बनाने क कोिशश करने म कोई समझदारी नह है, सूय पु ।’

मनु नौका के मु य अिभयंता क तरफ मुड़ा।

‘असंभव...? आप कहना या चाहते ह, सोमद जी? या आप युगल का


प रणाम ितयोिगता से पहले ही घोिषत कर रहे ह? या आपको याद है क
तब भी ऐसी ही भिव यवािणयां क जा रही थ , जब म कं कोली के िवकराल
यो ा से उसके अपने े म लड़ रहा था? या मने धोलावीरा के उस वीभ स
सेनापित को परािजत नह कया था, िजसने नगर को खाली कराने म बाधा
उ प क थी? म तब िनह था था, जब मने हमारे कारवां पर ए दै य हमले
को नाकाम...’

स य त मनु सोमद के क म उपि थत कसी अ य ि से बात नह कर


रहा था। वह वयं से बात कर रहा था... अपने भय पर काबू पाते ए, अपनी
इ छाशि को मजबूत करते ए—िजससे वो उस साहस को जुटा सके ,
िजसक आव यकता उसे दानव नर-मुंड का सामना करने के िलए पड़ने वाली
थी।

ले कन क म उपि थत लोग तक उसक बात इस आशय से नह प च


ं पाई।

सोमद ने आह भरी। लगभग िपछले एक साल म मनु को करीब से जानते ए


और उसके साथ काम करते ए, आज सोमद को पहली बार उस युवा
पुजारी-राजा क बात म अहंकार का अहसास आ।

‘देखो मनु, िजस जंग म हार सुिनि त हो, उसम कू दने को बहादुरी नह कहा
जाता है। हम कु छ और सोचना...’
‘आप अपने श द को य रोक रहे ह, सोमद जी? खुलकर किहए आप या
कहना चाहते ह!’ मनु िच लाया।

सोमद ने भी अपना िनयं ण खो दया। उसे चंता हो रही थी क मनु हठी


बालक क तरह बताव करते ए, वा तिवकता देखना ही नह चाह रहा था।
महान अिभयंता मनु को वो अपने पु समान मानता था, और वो अपने यारे
पु को मौत के जबड़े म जाता नह देख सकता था। उसने सारी कू टनीित को
परे हटा, इस युवा को कड़वी सचाई बताने का िनणय िलया।

हड़ पा के अिभयंता ने मनु क आंख म देखते ए, सामा य से ऊंची आवाज म


कहा।

‘अगर तुमने िवकराल नरभ ी से आमने-सामने क लड़ाई लड़ी, तो वो तु ह


चीरकर, तु हारा गम मांस खा जाएगा!’

स य त मनु अपने क म रखे लकड़ी और चमड़े के आसन म धंस गया। वो


आगे को झुककर बैठा था, उसका माथा उसके हाथ म िछपा था, उसक
उं गिलयां उसके चेहरे पर िगरते बाल को पीछे क और थामे थ ।

वह डरा आ नह था। न ही वो, सोमद जी ारा कु छ पल पहले बोले, कड़वे


सच को सुनकर परे शान था। वो बस चंताम था। अगर वो नर-मुंड का
सामना कर, उसे परािजत नह कर सकता था, तो और कौन ऐसा कर सकता
था। ये एकमा त य इितहास क धारा बदल सकता था। या मानवजाित
लय के बाद िनकली सूय क करण का वागत आजाद, उदार और स य
लोग के साथ करे गी? या तब तक वो एक क र, िन ु र सं दाय के गुलाम बन
चुके ह गे?

सोमद को भी ब त बुरा महसूस हो रहा था। उसे लगा क उसने शायद


जबरन मानवजाित क र ा म खड़े इकलौते ि को हतो सािहत कर दया
था। अपने यार को इस टू टी अव था म देख तारा का दल रो रहा था। ले कन
उसे कह एक राहत भी थी। शायद सोमद जी ारा कही अंितम बात मनु को
इस आ मघाती योजना से दूर रख पाए।

के वल ुव ही मनु क वा तिवक पीड़ा समझ सकता था। बचपन का िम और


ऐसा ि , जो मनु के मन और दल को गहराई म जाकर पढ़ सकता था, उस
द धनुधर ने आगे बढ़कर मनु के कं धे पर हाथ रखा।

‘हम उसे परािजत कर सकते ह, मनु। हम उसे मार सकते ह। ले कन जो म अभी


कहने वाला ,ं वो शायद तु ह पसंद नह आए,’ ुव ने कहा।
उस ठं डे और तेज हवा से भरे क म हर कोई उसक बात यान से सुन रहा
था। मनु का सुझाव शायद जीत और मौत के बीच अंतर ला सकता था।

‘बताओ...’ मनु ने िबना नजर उठाए कहा।

‘उस जानवर को हराने का एक ही तरीका है क हमारे बीस े यो ा एक ही


समय पर उसे घेर ल। और उस आ मण का नेतृ व म वयं क ं गा।’

मनु ने हैरानी से ऊपर देखा। उसे यक न नह आ रहा था क सबसे िव सनीय,


सबसे भरोसे का िम कायरता का माग सुझा रहा था।

‘तुमने मुझे िनराश कया, ुव। तु हारे जैसा असाधारण यो ा ये ताव रख


रहा है...’

इससे पहले क मनु अपनी बात पूरी कर पाता, म य जाित का एक िसपाही


सीधे उनके क म घुस आया, दरवाजे पर द तक के साथ ही, झटके से उसे
खोलते ए।

िसपाही बुरी तरह हांफ रहा था, एक तो यु -क के लंबे गिलयारे क वजह से


और दूसरा नौका के शीष से उसने जो देखा था, उसक वजह से।

वो बस कु छ ही श द बोल पाया, ले कन उ ह ने ही उसका संदश


े प च
ं ा दया।

‘वो आ रहे ह, स य त... जनसैलाब के प म।’


बनारस, 2017
देवता से िमलने का समय आ गया
है...

मा के रा िबआंका ने ताजे कटे फल और ीक योगट के ना ते क अपनी लेट


से नजर उठाकर असलम बाइकर को देखा, जो उसके ेिजडिशयल सुईट के
आलीशान डाइ नंग म म आ रहा था।

‘गुड मॉ नग, मा के रा,’ घबराए ए असलम ने कहा।

वाइट मा क न ता से मु कु राया। िपछली रात होटल के िजम म दखे भयानक


शैतान से वो िब कु ल अलग नजर आ रहा था। उसके नाजुक हावभाव वापस
आ चुके थे। कमरा उसके महंगे कोलोन क महक से भरा था। जैल लगे उसके
भूरे बाल और नुकसानरिहत उसक मु कान लंबी टेबल से परे चमक रही थी।

दुिनया के सबसे िनदयी इं सान ने अिधक िश तावश पूछा।

‘देवता के बारे म कोई खबर, असलम, मेरे दो त? या वो पहाड़ के िलए


िनकल गए ह?’

मा क को उसके सामा य, स य और टाइिलश प म देखकर मुंबई के डॉन ने


राहत क सांस ली।

‘नह , मा के रा। वो अभी भी यह ह। देव-रा स मठ म ही ह।’

मा क के चेहरे पर तनाव आ गया।

‘ये तो अजीब है। अब तक तो उ ह के दारनाथ के िलए िनकल जाना चािहए।


कु छ तो गड़बड़ है...’
बड़ी सी न जीवंत हो उठी।

अ याधुिनक तकनीक से सुरि त इस वीिडयो कॉल पर दुिनया के तीन सबसे


शि शाली आदमी एक-दूसरे से संपक कर पा रहे थे।

जब भी वो िडिजटली या ि गत प से एक-दूसरे से िमलते, संसार के


इितहास म नाटक य प से प रवतन आता। कोई नाग रक यु , कोई घातक
महामारी, ह या क ृंखला, कोई बड़ा आतंकवादी हमला, कसी यूि लयर
पॉवर- लांट म लीके ज, कसी या ी हवाई जहाज का बीच हवा म खो जाना...

ये तीन आदमी यू व ड ऑडर के सवसवा थे।

उनम से एक बाक दो से अिधक ताकतवर था।

‘वो अभी भी यह ह, योर होलीनेस,’ मा के रा ने कहा। वो दोन न के


सामने लगी एक लंबी सी मेज के कोने पर बैठा था।

रोम का िबग मैन इस खबर से खुश नह था। वो अ छी खबर क उ मीद कर


रहा था।

क टोनफे लर को ऐसे लगा मानो उसे कसी ए स ेस ेन ने ध ा मारा हो।


इस समय असफलता का मतलब होगा ऑडर और उससे जुड़ी हर चीज का
भयानक अंत। दूसरी तरफ, जीत का मतलब होगा पूण वैि क िनयं ण और
सम मानवजाित पर िन ववा दत स ा। दांव कभी इतना बड़ा नह रहा था।

‘ले कन... ले कन उ ह तो अब तक िनकल जाना चािहए था। वो खतरनाक


संयोग कु छ ही घंट म आकाश म कािशत हो जाएगा। वो कै से देवता को
समय पर वहां प च ं ा पाएंगे??’ िबग मैन ने पूछा।

‘यहां कु छ तो गड़बड़ है, मा के रा,’ दूसरी एलईडी न से, टोनफे लर के


वंशज ने कहा। उसक आवाज बफ क तरह ठं डी थी। ‘के दारनाथ अंितम काला
मं दर है। देवता को आज रात उसम वेश करना चािहए। यही तो स दय
पुरानी भिव यवाणी है...’

‘अगर...’ वाइट मा क फुं फकारा।

एक पल ठहरकर, क टोनफे लर ने सीधे पूछा, ‘अगर या, मा के रा?’ वो


जानता था क दांव पर या लगा था, ले कन उसक आवाज मजबूत थी। वैसे
वो दुिनया के सबसे ताकतवर गु ातृसंघ का एकमा सवसवा नह था।
‘अगर... के दारनाथ अंितम काला मं दर हो ही न!’ वाइट मा क ने कहा, उसक
हरी आंख मेज के पार दोन न को घूर रही थ ।

चालाक ारका शा ी के उ ह चकमा दे देने क संभावना भी असंभव नह थी।


वो बूढ़ी लोमड़ी ऐसा पहले भी कई बार कर चुक थी। ले कन इस बार ऑडर
को पूरा भरोसा था क वो अंितम काले मं दर तक प च ं चुके थे। साल तक
उ राखंड के के दारनाथ मं दर म वो रह य दबा रहा। भिव यवाणी भी उसी
पिव प रसर म पूरी होनी थी।

उनक योजना साधारण थी। वो रोिहणी न के उदय और िनयत समय तक


ती ा करने वाले थे। स दय पूव िनधा रत योजना के अनुसार देवता को वहां
जाना था। ातृसंघ तब तक ती ा करे गा, जब तक िव ुत काले मं दर के
रह य को उ ा टत न कर दे। फर वे धरती से अंितम देवता का नामोिनशान
िमटा दगे और उस रह य को ा कर लगे, िजसक उ ह स दय से तलाश थी।

ले कन अब साफ था क अंितम पल म कु छ बदलाव कया गया था। अगर


िव ुत अभी भी देव-रा स मठ म था, वो भी उस पिव संयोजन से कु छ घंटे
पहले—तो वो कै से सही समय पर के दारनाथ प च
ं कर भिव यवाणी को सच
करे गा?

‘हा... हा... हा...!’

वाइट मा क जोर से हंसते ए, कु स से उठा और अपना िसर पीछे फका।

न पर उपि थत दोन आदमी ख़ामोशी से देख रहे थे। वो जानते थे क


मा क को कु छ अनपेि त पता चल गया था। उसक ऐसी ित या वो पहले
भी देख चुके थे। वो ये भी समझ गए थे क मा क ने अपने अगले कदम क
योजना भी बना ली थी।

मा के रा अपने म ही खोकर, िसर िहलाकर कु छ बड़बड़ाए जा रहा था। एक


िमनट बाद, उसने वयं को शांत करना शु कया, और साफ माल से अपनी
आंख से आते आंसू प छे।

फर वो वापस से न क तरफ मुड़ा और एक कॉप रे ट सीईओ क उ कृ ता


के साथ बोला।

‘जटलमैन, म नह जानता कै से, ले कन हमारी नाक के नीचे से, रह य को


के दारनाथ से हटा दया गया है। अब वह वहां प च
ं गया है, जहां उसका
प च ं ना िलखा था—अंितम काले मं दर म।’
इस खबर को सवसवा ह के म नह लेने वाला था। िबग मैन का चेहरा गु से से
िबगड़ा। क टोनफे लर ने गु से से थूक िनगला। ले कन उनम से कोई भी
अपना गु सा मा के रा के सामने नह दखा पाया।

आिखरकार, टोनफे लर वंशज ने आंकिलत िचढ़ से कहा।

‘तुमने हम भरोसा दलाया था क भारत म तु हारा आदमी हमारा भरोसा


नह तोड़ेगा, मा के रा।’

‘हां, मने कहा था... हां, मने कहा था...’ मा क ने जवाब दया और अचानक
रमोट कं ोल से दोन न को बंद कर दया।

वो हालात का जायजा लेते ए, कु छ पल ख़ामोशी से बैठा रहा। यह अंितम


हर था।

मेरा देवता से िमलने का समय आ गया है...


िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
अंितम यु —भाग I

ये वो दृ य था जो िनडर आदमी का भी र जमा दे।

इतनी बड़ी सेना इससे पहले कभी इस धरती पर नह चली थी। और न ही


फर कभी ऐसा होगा। वो सेना आकार म इतनी बड़ी थी क महायु के
लेखक और किव भी उसक क पना नह कर सकते थे। यो ा क यह सेना
दसराजन के ाचीन महायु म एक ई सेना से भी कई गुणा बड़ी थी।
आयवत म जीिवत कोई भी ि यह नह सोच सकता था क इतनी अिधक
सं या म लोग एक होकर, एक साथ चल सकते ह।

सूखे मुंह और धड़कते दल के साथ, नौका के सेना य अपने श ु को, रगते


सांप क तरह, दस दशा से बढ़ता आ देख रहे थे। दृ य को देख वो त ध
थे। कु छ मील क दूरी पर जलती ई लाख मशाल, काश क नदी के समान
तीत हो रही थ । दै य और द यु क पहली पंि क सेना अब शायद
िवशाल नौका से एक ही घंटे क दूरी पर थी। ले कन इस िवशाल सेना क
अंितम लहर अभी तक दखाई नह दे रही थी। दु मन क सेना ब त िवशाल
थी, इतनी िवशाल क नंगी आंख से उसका िव तार तक दखाई नह पड़ रहा
था।

जो दूत यु क म आया था, वो सही कह रहा था।

यह वा तव म एक सागर था, एक तूफान था जो नौका पर हमला करने आ


रहा था। इसे डु बोने के िलए।
र म।

‘ कतने... तु ह या लगता है, स य त, वो सं या म कतने ह गे?’ चंड


बुदबुदाया, उसे अपनी आंख पर भरोसा नह हो रहा था।

मनु नौका के ऊपरी भाग पर बुत बना खड़ा था, बा रश उसे और उसके
सािथय को िसर से पैर तक िभगो रही थी। रात के अंधेरे म, दै य सेना क
मशाल उसक आंख के सामने ऐसे िबछी पड़ी थ , मानो काश के कं बल ने
पूरी धरती को ढक िलया हो। वो वा तव म अनिगनत थे।

‘ऐसा लगता है मानो यहां से लेकर वं य तक के द यु ने नर-मुंड के साथ


हाथ िमला िलया है। गु चर ने बताया क िवनाशकारी लय कु छ ही दन म
भूिम पर बचे लोग का सफाया कर देगी। इस ह पर बचा येक अंितम
पु ष, मिहला और ब ा अब एक बात तो िनि त प से जानता है,’ ुव ने
कहा, वो एक पल के िलए भी अपने नजर नरभि य क सेना से नह हटा पा
रहा था।

‘और वो या है, ुव?’ सोमद ने पूछा।

ु एक पल को शांत रहा, और फर अपने तरकश से चमकता तीर िनकालकर



उसे अपने शि शाली धनुष पर रखा।

‘नौका ही बचने क अंितम उ मीद है। और उसे चुरा िलया जाना चािहए।

तैयार रहो, नौका के संर क । दु मन अंितम सांस तक लड़ने वाला है।’

इन श द के साथ ुव ने अपने िवशेष बाण का िसरा, पास क मशाल से


जलाया, और आसमान म छोड़ दया। यह उसक सेना के िलए एक संकेत था।

उसने खुले यु क घोषणा कर दी थी।

द यु भीड़ क रणभेदी र जमा देने वाली थी।

वो अब इतने करीब आ गए थे क उनक आवाज िवशाल नौका के वािसय


और यो ा को सुनाई दे रही थी। वो एक सुर म िच ला रहे थे, वो सं या म
दिसय हजार थे, और उनक चंघाड़ जलते नरक क आवाज से भी अिधक
उ मादी थी।
वो वहशी, द , उ म , और सबसे अिधक... अधीर थे।

‘ या तुमने यान दया, व


ु ,’ मनु ने कहा, ‘ क इस सारी अि म पंि म दै य
का एक भी िसपाही नह है?’

ुव दबी हंसी हंसा।

‘मुझे इसक उ मीद थी, मनु। वो बदमाश नर-मुंड पहले द यु को ही


मरवाएगा, उनके इ तेमाल से वो हमारी सुर ा को कमजोर करे गा, और फर
उसक िवकराल दै य सेना नौका पर हमला बोल देगी।’

‘ को...’ तारा ने आदेश दया।

नौका के ऊपरी भाग को घेरे ए, नौ हजार धनुष बाण क पहली वषा के िलए
एकदम तैयार थे।

उनके पीछे, िनचले तल से बाण चलाने के िलए और तीन हजार द धनुधर


ती ा म खड़े थे।

द यु यो ा क हाहाकार करती ई अि म पंि अब नौका पर हमले के


िलए तैयार थी। वो घंटे भर से िवशाल नौका क तरफ से कसी कार के
ितरोध क ती ा कर रहे थे। ले कन कु छ नह आ था। तो अब अपना स
खोकर और भयंकर आ मण क गम म, वो अब अपनी दोधारी तलवार और
नौका पर चढ़ने के कांटे उठाकर, हमले के िलए तैयार थे।

बेचैनी भरे कु छ पल गुजारने के बाद, वो हांफते ए हमलावर नौका से करीब


हजार कदम क दूरी पर आ चुके थे।

तब आकषक तारा ने मां दुगा क तुित म एक ाथना दोहराई, और शेरनी क


तरह दहाड़ते ए कहा।

‘अब!’

थाक!

आधे पल बाद

थाक!

आधे पल बाद।
थाक!

दािमनी सेना के धनुधर क बाण उठाने, उसे अपने धनुष पर रखने और अपने
ल य क ओर छोड़ने क गित अनुपम थी। कु छ ही पल म लगभग बीस हजार
बाण अपने िनशाने क ओर बढ़ चले थे।

नौका और भूिम क लड़ाई शु हो चुक थी।


बनारस, 2017
काला मं दर

‘हम कहां जा रहे ह, बाबा? हम चलते ए कई िमनट हो गए ह...’

दािमनी अपनी उ सुकता रोक नह पाई। वो एक ओर जहां बुरी तरह घबराई


ई थी, वही अिनयंि त प से उ सािहत भी थी। भैरव-मं दर म हो रहे
मं ो ार क ऊजा अपना असर दखा रही थी। िछपा आ गिलयारा,
रह यमयी सुरंग, अवणनीय गरज और एक हजार साल म होने वाला ह का
द संयोजन... सब कु छ दािमनी के नस को फड़का रहा था।

इस बार बुजुग मुड़।े वो दािमनी क तरफ मु कु राए, िव ुत को देखा और


वापस मुड़कर, काले प थर क उस भूलभुलैया म चलने लगे।

‘ या तुम जानती हो, िब टया क भैरव को य स मान से पूजा जाता है?’


मठाधीश ने पूछा। उनक आवाज तंग गली म गूंज रही थी।

‘उ म... पूरी तरह तो नह , बाबा... मा क िजए,’ दािमनी ने िव ुत को


देखकर, झपते ए, अपनी जीभ काटकर, जवाब दया। वो अपने कम ान और
डमा टर क उ मीद पर खरा नह उतरने से श मदा थी।

िव ुत मु कु राया। वह उसे ब त यार करता था!

‘उ ह पूजा जाता है य क वो देव के देव, वयं भु िशव के ारपालक ह,’


मठाधीश ने समझाया।

‘जी, बाबा...’ दािमनी ने जवाब दया। उसे कोई अंदाजा नह था क इसके


ज रए ारका शा ी या समझाना चाह रहे थे।

‘इसीिलए उनके मा यम से ही, दािमनी, कोई नीलकं ठ िशव से िमलने जा


सकता है।’

अब िव ुत को सच का अहसास आ। भैरव-मं दर, -पथ का जाप, िछपा


आ गिलयारा, रोिहणी-न , काले प थर क सुरंग, अवणनीय गजना... और
अब ारका शा ी का उ ह भु िशव का ारपाल कहना।

ये सब उसे पहले य नह सूझा?

अंितम काला मं दर कह दूर नह है। वो यह है... काशी म।

वह देव-रा स मठ के तहखाने म है!

कु छ और पल गुजरे और मठ का दल अब एक रह यमयी अंत पर जा प च ं ा,


िजसके आगे प थर काटकर बनाई गई, घुमावदार सी ढ़यां थ । वो सी ढ़यां
नीचे अंधेरी गुफा म उतर रही थ ।

उन घुमावदार सी ढ़य पर उतरने से पहले पुरोिहत जी ने मुड़कर अपने और


ारका शा ी जी के पीछे आते समूह से कहा।

‘आप सब जो देखने वाले ह उसक शायद आपने अपने सपने म क पना नह


क होगी। बस याद रखना क भले ही वह दृ य आपको कतना ही भयानक
य न लगे, ले कन आप ही हो वो, िजनका चयन इस पु य अवसर के िलए
कया गया है। एक बार जब आप सब इन सी ढ़य से उतर जाएंगे तो आपका
जीवन, आपक आ मा, ज म-मरण का आपका सफर... कु छ भी पहले जैसा
नह रहेगा।’

सब ख़ामोशी से सुन रहे थे। गुफा से िनकलती एक अनजान शि ने अभी से


उनके मन पर काबू करना शु कर दया था। उनम से कोई भी भयभीत नह
था। वो सब मानवजाित के भिव य म अपनी िनधा रत भूिमका िनभाने के
िलए उ सुक थे।

वो तैयार थे।
िव ुत, दािमनी और समूह के सभी लोग भ काले मं दर को देख त ध थे।

कठोर, च ान काटकर बनाई गई छत हजार साल पहले िन मत जान पड़ रही


थी। काले प थर क दीवार पर बनाई गई आकृ ितयां अ यिधक सुंदर और
ज टल थ । इस आलीशान मं दर का िवशाल आकार मं मु ध कर देने वाला
था। बलवंत, नैना, सोनू, गोवधन और दूसरे पुजा रय के िलए यह भरोसा कर
पाना मुि कल था क इतना वैभवपूण काला मं दर देव-रा स मठ के तल म
बना आ था। वो साल से आ म म रहते आए थे और फर भी उनम से कसी
को भी इतने भ मं दर के अि त व के बारे म नह पता था।

ारका शा ी ने िव ुत को कु छ समय दया क वो भूतल म बने इस िवशाल


मं दर को देख सके , और इसी के साथ उ ह ने अ य साधु को पिव अनु ान
शु करने के िनदश भी दे दए। भगवान िशव क एक तेजमयी ितमा मं दर
के क म थािपत थी। पुजा रय ने िशव के चरण म अि विलत क और
एक बार फर से -पथ का उ ारण शु कर दया। अपने िपता के िनदश पर
सोनू ने मं दर क दीवार म लगी मशाल को एक-एक कर जलाना शु कर
दया। धीरे -धीरे , मं दर प रसर म नारं गी रं ग का काश विलत हो गया।

‘अब जो म तु ह बताने जा रहा ,ं िव ुत, उस पर भरोसा कर पाना ब त


मुि कल होगा। ले कन भरोसा रखना, मेरे ब ।े मेरी कही बात का येक श द
स य है।’

‘हां, बाबा। यह मं दर वैसे भी ब त पिव है, मानो इसम वयं भगवान के


चरण पड़े ह । सौभा य से मने भारत म बने िशव के लगभग सभी मं दर के
दशन कए ह। मने सभी बारह योित लग पर भु के दशन कए ह।
िपछले कु छ दन म मने काशी के सभी मं दर से आशीवाद ा कया है।
ले कन फर भी इतनी द ता मने कह और महसूस नह क । यहां कु छ अलग
और संवेदनशील ऊजा है, बाबा।’

बुजुग मु कु राए ।

‘कु छ नह , िव ुत।

कोई।’
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
अंितम यु —भाग II

दै य िवशाल नौका से एक मील दूर खड़ा, आ मण का िनरी ण कर रहा था।


अपनी अि म पंि पर हो रही बाण क वषा से नर-मुंड त ध था। उसने
पहले ही कड़े ितरोध क उ मीद क थी, ले कन इतने असं य यु म भाग
लेने के बावजूद भी, उसने कभी धनुधर क इतनी बड़ी सं या नह देखी थी।

हालां क उसे अिधक चंता नह हो रही थी, य क पहली पंि म के वल द यु


जाित के यो ा थे। उनक जंदगी क उसे र ीभर परवाह नह थी। उसके
िलए वो इं सानी ढाल के अित र कु छ नह थे, िजनका इ तेमाल उसे
ारं िभक आ मण के िलए ही करना था। वैसे भी, वो उनम से कसी को भी
नौका पर ले जाने क योजना नह बना रहा था। इस मार-काट के बाद भी जो
बच जाने वाला था, उसे वो लय से पूव, इस नौका पर सवार होने से पहले
वयं मार देने वाला था।

‘ऐसे नह चल सकता, वामी,’ दै य सेनापित डू ड


ं ा ने कहा। ‘ऐसा लग रहा है
मानो नौकावािसय के पास तीर क अनंत आपू त है। यक नन, उ ह ने इस
यु क तैयारी हमारी क पना से भी अिधक क है।’

‘ह म...’ नर-मुंड गुराया, वो बाण क वषा म सैकड़ द यु यो ा को भट


चढ़ते देख रहा था।

‘ओ बलशाली मुिखया, ज द ही सारे द यु मर जाएंग।े इसके बाद क पंि म


हमारे दै य ह गे।’

‘या शायद नह ...’ नर-मुंड ने कहा, और उसने मुड़कर, कु टल मु कान से डू ड


ं ा
को देखा। उसके जहर बुझे दांत पर र के ध बे थे।

दै य सेनापित तुरंत समझ गया क इस िवकराल नरक-दूत ने कोई िन ु र,


दुलभ योजना बना ली थी।

‘वो मारे जा रहे ह, मनु!’ सोमद ने िच लाते ए कहा, दािमनी सेना के


धनुधर को िमली शु आती सफलता के उ साह को वो िछपा नह पा रहा था।
वो िवशाल नौका के ऊपरी तल से सारी कायवाही देख रहे थे।

‘अब तक हमने हजार को मार िगराया है। दु मन का एक भी िसपाही नौका


म कांटा फं सा पाने म सफल नह हो पाया है,’ चंड ने जोड़ा।

उसके जैसे अनुभवी यो ा ने भी कभी इस अक पनीय तर पर बाण का


उपयोग होते नह देखा था। नौका के आसपास के दलदलीय े का र ीभर
भाग भी बाण क उस बरसात से अछू ता नह रहा था। दािमनी-सेना ारा
छोड़े गए बाण बरसात क बूंद के समान बरस रहे थे।

मनु खामोश रहा। मन ही मन वो श ु सेना पर नौकावािसय के भु व से


स था। ले कन यह तो ब त आसान था। और यही िवचार युवा पुजारी-
राजा को परे शान कर रहा था। नर-मुंड अिधक देर तक इस ह याकांड को
चलने नह देने वाला था।

‘वो पीछे हट रहे ह!’ नौका के एक िसपाही ने यु पंि क ओर संकेत करते


ए कहा।

िवशाल नौका पर खड़े सभी दशक यु े का बारीक से मुआयना करने के


िलए, लकड़ी क बाड़ से आकर सट गए। िसपाही सही कह रहा था। कु छ ही
घंट म हजार िसपािहय क मृ यु के बाद, हमलावर अब पीछे हट रहे थे।

‘दािमनी सेना को आराम दो और ुव के धनुधर को थान संभालने का िनदश


दो,’ स य त मनु ने िच लाकर आदेश दया। ‘रसोई म बोल दो क इन
वीरांगना के िलए गम भोजन उपल ध कराया जाए। घंट तक तरकश
ख चने क वजह से उनम से ब त क उं गिलयां िछल गई ह गी। उनके हाथ
से र िनकल रहा होगा। उ ह तुरंत वै के पास ले जाओ! रात के हरी सचेत
और सावधान रहने चािहएं। यह यु अभी शु ही आ है। कल दै य दोगुनी
ताकत और िनि त प से नई रणनीित के साथ हमला करगे।’

मनु क पना नह कर सकता था क कल दै य कस योजना के साथ आएंग।े

यहां तक क अब भी वो नर-मुंड क ू रता को कम आंक रहा था।


‘अंधेरी और तूफानी रात म, दै य अपने मृत और घायल सैिनक को उठाकर ले
गए,’ तारा ने अगले दन क योजना बनाते ए बताया।

क म उपि थत येक ि यु के पहले घंटे क कायवाही से संतु था।


अनिगनत द यु यो ा दािमनी सेना के तीर से मारे गए थे। मारकाट इतना
भयानक था क क म उपि थत कु छ लोग को लग रहा था क यु पहले ही
समा हो गया था। तांबे के इन बाण का सामना करने के िलए अगले दन
कौन आने वाला था?

‘दै य को कबीले वािसय क कोई चंता नह है, तारा,’ ुव ने जवाब दया।

‘ फर वो मृत और घायल को उठाकर य ले गए? म मानती ं क वो मृतक


का अंितम सं कार और घायल का इलाज कराएंग.े ..’

‘वो आदिमय को नह ले जा रहे ह, तारा। वो मांस ले जा रहे ह। िवकराल


दै य सेना मृतक को ही खाएगी।’

तारा को उबकाई आती सी महसूस ई। ुव ने जो कहा उसका िवचार भर भी


कतना िघनौना था।

‘कल वो इतने कमजोर नह ह गे। आज हमारी ताकत देखने के बाद, वो पूरी


रात बचाव णाली पर काम करगे। इसके िलए वो अपने आदिमय को मोटे,
मजबूत कवच भी दे सकते ह...’ मनु ने सोचते ए कहा।

‘ऐसा नह हो सकता, मनु। भले ही वो ऐसे कवच इक े करने शु कर द,


ले कन इतनी िवशाल सेना म सबको कवच देने म महीन नह तो स ाह तो
लग ही जाएंगे। बाढ़ अब कसी भी दन आती होगी।’

‘तुम सही कह रहे हो, भाई। ले कन वो कु छ न कु छ लेकर तो वापस आएंग.े ..


भगवान ही जाने वो या होगा।’
बनारस, 2017
नाग राज

‘पंिडत भैरव शा ी, देव-रा स मठ के सं थापक और िनमाता दूरदश थे। वो


समझ सकते थे क अनेक आदमी अंितम काले मं दर क तलाश म ह गे। वो ये
भी जानते थे क शक-संवत के इस साल म, रोिहणी न के तुरंत बाद, ऑडर
काले मं दर के रह य को हािसल करने क कोिशश करे गा।’

मठाधीश िव ुत और दािमनी को काले मं दर के तहखाने म ले जा रहे थे।

‘सैकड़ साल तक के दारनाथ मं दर म इस रह य को िछपाया गया था। ले कन


हमारा पीछा करते ए, ऑडर ने ज द ही जान िलया था क िजसे वो स दय
से तलाश रहे थे, वो याग के पिव मं दर म िछपा था। फर उस याह
ातृसंघ ने मुंबई के एक डॉन असलम बाइकर को के दारनाथ पर नजर रखने के
काम पर लगा दया।’

‘असलम बाइकर? भगवान! वो तो जघ य अपराधी है, जो ग और अवैध


हिथयार का धंधा करता है। कौन सोच सकता है क वो यू व ड ऑडर से
जुड़ा आ हो सकता है?’ दािमनी च क । वो एक प कार थी। वो असलम
बाइकर के बारे म सब जानती थी।

‘हां, वही कु यात गग टर। वैसे इन दन वो वाराणसी म ही है। खैर हम जून


2013 म आई बाढ़ के दौरान, रह य को वहां से िनकाल लाए थे। मं दर के
मु य-पुजारी, महंत भवानीशंकर ने नैना के साथ काम करते ए, उस द
रह य को यहां देव-रा स मठ म िभजवा दया। यह भूिमगत मं दर 1253
ई वी म ही बन गया था, िजसे कलयुग म अंितम काला मं दर बनना था। आज
तु हारे साथ इसक िनयित पूण होगी, िव ुत।’

‘ना.....गग...’

दािमनी न र भय से जड़ रह गई, जब उसे काले मं दर क गुफा से फुं फकार


सुनाई दी।

‘ या तुमने वो सुना, िव ुत?’ उसने पूछा, उसने डर से देवता क बांह पकड़


ली थी।

‘हां, मने सुना, दािमनी,’ उसने जवाब दया। वो भी त ध था।

वो अब लंबी सुरंग के अंत पर खुले मुहाने तक प च


ं गए थे, जो मं दर को और
काले भाग तक ले जा रहा था। िव ुत सुरंग से आते ए चुंबक य आकषण को
महसूस कर सकता था। उसे लग रहा था क उसके शरीर का रोम-रोम
आनं दत था, और इस रह यमयी बरामदे के पार जो ताकत थी, उससे िमलने
के िलए उ सुक था।

‘ना.....गगग...’

एक बार फर से, वो तेज वी गुफा उस भयानक क


ं ार से भर गई। इस बार
आवाज और तेज थी। एक अनजानी ताकत कसी िवशेष शि क उपि थित
क घोषणा कर रही थी।

‘तुम यहां बलवंत और नैना के साथ ती ा करो, िब टया,’ ारका शा ी ने


दािमनी के िसर को आशीवाद के प म थपथपाते ए िनदश दए। ‘िव ुत क
अलौ कक आ याि मक साथी के प म, यहां काले मं दर म तु हारी उपि थित
आव यक है। ले कन अभी के िलए, सही होगा क तुम यहां िशव ितमा के
सामने ती ा करो। यहां से आगे का सफर देवता को अके ले ही तय करना
होगा।’

‘जी, बाबा...’ दािमनी ने जवाब दया, और नैना ने अपना िव त हाथ उसके


कं धे पर रख दया।
‘तुम सोच सकते हो क यह स मोहन है। तुम जो अब देखने वाले हो वो वा तव
म एक मं मु ध अव था ही है। िजस ाचीन मुिन से अब तुम िमलने वाले हो
वो दुिनया के सबसे समथ योिगय म से एक ह। तन के ऊपर उनक मन और
आ मा क शि लगभग अ ाकृ ितक है। वो कहते ह क उनक आयु हजार वष
है और उ ह ने तब से इस ह को नह छोड़ा है, जब लगभग चार हजार साल
पूव म य अवतार का समय था,’ ारका शा ी ने समझाया, वो अपने
अलौ कक अितिथ से िमलने जा रहे थे।

अंधेरे म, िव ुत को पहले कु छ दूरी पर हरे रं ग का काश दखाई दया। उसे


भय के साथ भि क अ भुत अनुभूित हो रही थी। मानो वो जानता हो क वो
अितिथ कसी दूसरे थान, कसी दूसरे समय से आया था।

धीरे -धीरे , देवता क नजर फश और छत पर रगते असं य सांप पर पड़ी।


िव ुत चलते-चलते का, और उसने त ध हो अपने बाबा को देखा।

‘यहां सांप ह, बाबा... हम खतरा नह लेना चािहए,’ उसने कहा, काले-चमकते


सांप के दृ य से वो नजर नह हटा पा रहा था।

‘वो हम नुकसान नह प च ं ाएंगे, िव ुत। ये हमारे द अितिथ के साथ आए


ह। िपछले एक स ाह से म हर रात यहां आ रहा ।ं मेरा भरोसा करो।’

वे धीरे -धीरे आगे बढ़े और आिखरकार च ान काटकर बनाए ए उस क तक


प चं ,े जहां उनका असामा य मेहमान ठहरा आ था।

वो देखने म तो मनु य था, ले कन उसका आकार असाधारण था। वो प थर क


गुफा के क म दुबककर बैठा था, जो आगंतुक क वचा से िनकलते हरे काश
से विलत थी। काले मं दर के अंधेरे म, िव ुत का यान कसी अनोखी बात
पर गया।

उकडू ं से बैठे उस मनु य का चेहरा उसके घुटन म िछपा था। चेहरे पर उसक
लंबी सफ़े द लटाएं फै ली थ , और उसका बदन पड़पड़ाया आ था! चमकते हरे
और नीले रं ग क सांप क छाल से। हालां क वो दृ य पूरी तरह से अ ाकृ ितक
था, ले कन िव ुत भयभीत नह था। उसका अंतमन उससे कह रहा था क इस
अ भुत अितिथ के पैर पर िगर जाए। सम त काला मं दर इस ताकतवर,
जादुई, मोहक नाग-पु ष के स मोहन से भर गया था!

बुजुग मठाधीश ने अब अपने हाथ को जोड़, कट भि से कहा।

‘दशन द, सप-राज!’
िवशालकाय मनु य िवत हो उठा। उसक वचा क चमक और बढ़ती ई
तीत ई। उसके बाद जो आ उसने िव ुत को अिव ास से म म डाल
दया।

अलौ कक मेहमान का आकार बढ़ने लगा, उसके बदन से िनकलता काश अब


अपने तेज से आंख चुंिधया रहा था। देवता को अपनी आंख पर भरोसा नह
आ, जब उसने हरे -नीले काश म उस िवशाल सप-मनु य के िसर को अनेक
िसर म बंटते देखा।

दरअसल िसर नह ।

फण।

वो आ दकालीन सप अब कद म बीस फ ट बड़ा हो, उस गुफा मं दर के अंधेरे म


अपने दस फण को लहरा रहा था।

िव ुत के िलए यह सब एक सपना था।

उसके बाद जो ारका शा ी ने कहा, उसक गूंज ब त दूर से आती सुनाई पड़


रही थी। वो ऐसे श द थे िजसे न तो कभी देवता ने और न ही कभी कसी दूसरे
मनु य ने सुना था।

‘ वागतम, नाग-राज!’

‘ वागतम, शेष-नाग!’
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
‘इससे पहले क वो नौका म चढ़ना
शु कर, हम नीचे उतर जाना
चािहए’

हालां क अब सवेरा ए काफ समय बीत गया था, ले कन काले बादल ने


सूरज को पूरी तरह ढक रखा था। वैसे भी हड़ पा के डू बने के बाद से, आयवत
का येक दन अंधेरे से भरा ही था। बादल के पार जो आसमान कभी दखाई
पड़ता था, वो पूरी तरह लाल था... मानो धरती के साथ जो होने वाला था,
उसके िलए वयं को तैयार कर रहा हो। बेरहम बरसात लगातार बरस रही
थी, अपना वेग बढ़ाते ए। िनरं तर गरजते बादल वा तिवकता का अहसास
करा रहे थे।

िवनाशकारी लय क लहर अब कु छ ही दन दूर थ ।

इस दलदलीय े को िनगलने के िलए लय बस आने ही वाली थी।

और इसी के साथ, ये सारी प रिचत धरती पानी म डू ब जाएगी।

दै य भी अब अधीर हो रहे थे। उ ह नौका हिथयानी ही थी, नह तो वो सब


मारे जाने वाले थे। ये अब उन बबर ािणय क जंदगी-मौत का सवाल था,
और वो कसी तरह क ू रता से बाज नह आने वाले थे।

दै य वापस आ चुके थे। एक बार फर से भयावह सं या म। दूर से यह दख


नह पा रहा था क हमले का नेतृ व कौन कर रहा था, ले कन भयानक
यु ो माद से पता चल रहा था क अि म पंि क कमान वयं दै य ने
संभाल रखी थी।

वो िबना िहले ए, एक मील क दूरी पर खड़े थे। फर कु छ असामा य घ टत


आ। एक घुड़सवार दै य क पंि से िनकलकर, अके ले नौका क तरफ बढ़ा।
तारा ने मनु को सवािलया नजर से देखा, ये पूछते ए क या घुड़सवार को
धनुधर ारा रोका जाना चािहए।

मनु ने ना म िसर िहलाया।

‘उसे आने दो। वो दूत हो सकता है।’

जैसे ही घुड़सवार पास आया, नौका पर सवार येक ि ने कु छ अजीब सी


चीज देखी। यक नन वो द घुड़सवार था, दै य यो ा, जो घोड़े क कमान को
अपने दांत से थामे आ रहा था। उसके दोन हाथ म दो, जलती ई, बड़ी
मशाल थ ।

स य त मनु और तारा नौका के ऊपरी भाग पर थे और वो घुड़सवार को प


प से नह देख पा रहे थे। वो अब नौका के काफ करीब आकर क गया था।
मानो वयं को दखाकर, बाण मारने का िनमं ण दे रहा हो। वह अपनी नजर
से नौका के िनचले माले पर खड़े धनुधर को चुनौती दे रहा था। कोई बाण
नह चलाया गया।

फर उसने मुड़कर, अपनी मशाल दै य सेना क तरफ लहराई। बीस और


घुड़सवार अपनी ृंखला तोड़कर, नौका क तरफ बढ़े।

मनु और तारा समझ नह पा रहे थे क या हो रहा था।

‘वह दूत नह है। ुव हमारी तरफ बढ़ते घुड़सवार पर बाण य नह चला


रहा है?’ मनु ने कहा, वो समझ नह पा रहा था क नरभि य ने या दांव
चला था।

ले कन उसे जानने के िलए अिधक ती ा नह करनी पड़ी।

ु मनु क तरफ दौड़ता आया। वो कई माले चढ़कर ये अजीब खबर लेकर आ



रहा था।

‘उ ह ने कवच बना िलया है, मनु। ले कन उससे नह जो हमने सोचा था।’

‘तुम कहना या चाहते हो, ुव?’

‘इन दै य ने कवच के थान पर जीिवत, रोते ए िशशु को बांध िलया है।’


‘वे उन हजार दै य के ब े ह, जो कल मारे गए,’ ुव ने समझाया। ‘दै य
यो ा ने अपने धड़ पर, सामने क तरफ एक ब े को बांधा आ है। उन
बेशरम लोग ने इं सानी ढाल के सबसे शमनाक प का इ तेमाल कया है। वो
हमारी परी ा ले रहे थे। पहले, एक घुड़सवार के साथ। फर बीस के साथ। अब
वो समझ गए ह क हम बाण क बरसात नह करगे। उनका यह दांव हम पर
भारी पड़ेगा, मनु।’

‘बदजात!’ मनु अपनी मु ी लकड़ी क बाढ़ पर मारते ए िच लाया। ‘कमीने


कायर!’

‘इसने हमारी पूरी दािमनी सेना को बेकार कर दया, मनु। हम अब एक भी


तीर नह चला सकते, नह तो हम ब को मारना होगा।’

‘तु हारे धनुधर का या, ुव? वो सब तो िशि त ह और सं या म तीन


हजार भी ह। या वो दु मन को एक-एक कर नह मार सकते, ब को
नुकसान प च ं ाए िबना?’

‘ये अ छा िवचार नह है, स य त। वो अचल ल य ह। इस बरसाती मौसम म


िसर पर िनशाना साधना असंभव होगा।’

एक ही रात म हालात इतने नाटक य ढंग से बदल गए थे क मनु ने इसक


उ मीद तक नह क थी। ले कन फर, अपने सपने म भी वो इतना नीचे नह
िगर सकता था, िजस पर दै य आ गए थे।

‘इस सबम एक अ छी बात है, मनु,’ तारा ने कहा, जो शांित से दु मन दल का


िनरी ण कर रही थी।

‘और वो या है?’ मनु ने पूछा, कसी ऐसी खबर क उ मीद म जो उसका दन


बचा सके ।

और उसे िनराश नह होना पड़ा।

‘ या तुमने यान दया क िजस फ़ौज ने हम घेर रखा है, उसम एक भी श ु


का झंडा नह है?’ तारा ने पूछा।

मनु ने दु मन क ओर देखा। तारा सही कह रही थी।


‘ले कन तारा, साफ़ दखाई नह दे रहा है और शायद कल क लड़ाई के बाद
आज द यु आराम कर रहे ह ,’ मनु ने कहा।

‘मुझे ऐसा नह लगता, मनु। िनजन े के कबीले भले ही कतने ही िनमम


य न ह , ले कन उनम से कोई भी दै य को अपने मरे सािथय के िशशु का
इस तरह से, इ तेमाल करने क आ ा नह देगा।’

सभी तारा क बात को समझने क कोिशश कर रहे थे। उसने आगे कहा।

‘उनके समथ यो ा क बड़ी सं या के मारे जाने पर वैसे भी द यु जाित


नर-मुंड के कसी काम क नह रही थी। रात के अंधेरे म शायद दै य ने बचे
ए द यु को भी मार डाला होगा। तो इसका मतलब है क हमारे श ु क
सं या मह वपूण प से कम हो गई है।’

अगर तारा जो कह रही थी, वो सच था तो वा तव म यह बात नौका के


संर क के प म जाती थी।

मनु इस पर िनभर रहना नह चाहता था, ले कन उसने बेहतर क उ मीद म


तारा क बात पर िसर िहला दया। वह ुव क तरफ मुड़ा।

‘ फर अब यह हमारे ऊपर है, ुव। तुम, म और राजा चंड को अब हमारे


पैदल द ते का नेतृ व करते ए यु े म उतारकर, उन नर-भि य का
सामना करना होगा।

इससे पहले क वो नौका पर चढ़ना शु कर, हम नीचे उतर जाना चािहए।’


बनारस, 2017
शेषनाग

िव ुत मु धाव था म िशव ितमा के सामने बैठा था।

उसने जो देखा था, उसके स मुख अपने घुटन के बल िगर गया था। उसने
अपने हाथ जोड़कर, िसर झुकाया था। वो उस आ दकालीन सप क पीली और
काली आंख के अलौ कक तेज से नजर नह िमला पा रहा था—और वो तो
दस जोड़ी आंख थ !

ये ऐसा था मानो वो द नाग िव ुत को पलभर के िलए ही अपना


वा तिवक प दखाना चाहता था। कु छ पल बाद ही वो िवकराल, दस फण
वाला सप, जादुई प से आकार म िसकु ड़ने लगा, उसका नीला-हरा तेज भी
अपने आप म िसमटने लगा। जब आिखरकार िव ुत ने अपना िसर उठाकर उसे
देखा, तो शेषनाग साधना म बैठा एक वृ साधु बन चुका था। उसक उ
सैकड़ वष जान पड़ रही थी, उसक पपड़ीदार वचा अभी भी सांप क छाल
का म उ प कर रही थी। सप-राजा के आसन मु ा म बैठे होने के बावजूद
भी, देवता भांप सकता था क वो असामा य प से लंबा और ताकतवर था।

‘आज का तु हारा दशन पूण आ, िव ुत। महान शेषनाग फर दोबारा तु ह


बुलाएंगे,’ ारका शा ी देवता के कान म फु सफु साए, और फर उ ह ने सप-
राजा के पैर छू कर, जाने क अनुमित ली।
जब िव ुत काले मं दर के क म वापस लौटा तो वो अवाक था। उसने जंदगी
के सबसे अलौ कक, आ याि मक पल को महसूस कया था।

ले कन वो नह जानता था क ये तो महज शु आत थी।

‘िहमालय के कु छ साधु ने दावा कया क उ ह ने िहमालय क चो टय पर


अ सर शेषनाग को साधना करते ए देखा है। वो कहते ह क बु के
महाप रिनवाण के बाद से कई सं यािसय ने उ ह दूर-दराज के े म देखा।
उ ह पहलगाम से लगभग ब ीस कलोमीटर दूर, पिव अमरनाथ के मं दर के
रा ते म पड़ने वाली शेषनाग झील के आसपास देखा गया था।’

िव ुत हर श द सुन रहा था, ले कन देखने से लग रहा था मानो वो अभी भी


कसी और दुिनया म था।

दूसरे लोग भी त ध बैठे थे। उ ह यक न नह हो रहा था क वो वा तव म


शेषनाग, वयं भगवान िव णु के अलौ कक साथी के बारे म सुन रहे थे! वो
जानते थे क भगवान राम के समय म, उनके भाई ल मण को उस अन र सप
का अवतार माना गया था। जब िव णु ने कृ ण के प म ज म िलया था, तो
उनके बड़े भाई बलराम कोई और नह बि क शेषनाग का अवतार ही थे।

और यहां, महान मठाधीश ारा उ ह बताया जा रहा था क पौरािणक कथा


का वो द सप यहां देव-रा स मठ म रह रहा था... जहां वो बैठे थे, उससे
कु छ ही दूर।

‘तो, काले मं दर का रह य यह है!’ अचानक दािमनी ने िन कष िनकाला।


‘ऑडर स दय से इसके पीछे पड़ा था? शेषनाग! वो उसे मारना चाहते ह
य क शेषनाग जैसा अवणनीय प से ताकतवर और अन र उनक िघनौनी
योजना म बाधा बन सकता है?!’

सभी बुजुग क तरफ मुड़,े उनक नजर हैरानी से फ़ै ल रही थ । दािमनी शायद
सही कह रही थी। शेषनाग ही शायद काले मं दर का रह य था।

‘बताइए न, बाबा... या शेषनाग ही काले मं दर का रह य ह?’ नैना ने जोर


दया।

ारका शा ी ने उ ह स नजर से देखा।

‘िबलकु ल नह ।’
पुरोिहत जी अपने सामने महा-पंचांग फै लाए बैठे थे।

कु छ पल तक इसके अ ययन के बाद, उ ह ने ारका शा ी क तरफ देखा।

‘वो शु हो गया है, गु देव... रोिहणी न लग गया है।’

जैसे ही उसने अपना वा य पूरा कया, तो सैकड़ शंख एक साथ बज उठे ,


िज ह काले मं दर म उपि थत येक ि ने सुना। य िप वे जमीन क
काफ गहराई म थे, और चार तरफ प थर क बनी मोटी दीवार थ , ले कन
काशी के अनेक पंिडत ारा बजाए शंख क मधुर विन उ ह सुनाई पड़ रही
थी।

‘यह या है, बाबा? यह शंख-नाद कहां से सुनाई पड़ रहा है?’ िव ुत ने पूछा।

ारका शा ी, पुरोिहत जी और मठ के दूसरे पुजा रय ने भी अब शंख बजाना


शु कर दया था। दूसरे लोग मं दर क घंटी बजाने लगे थे।

‘शुभ समय आ प चं ा है, ओ देवता! अपने पूवज का यान करो! अपने पूवज
—िववा वन पुजारी, स य त मनु, अ त ै शा ी, दुगादास शा ी, भैरव
शा ी, माकडेय शा ी और अपने िपता, का तके य शा ी के स मान म हाथ
जोड़ो!

उन सबने यु कया और अपने ाण क आ ित दी क तुम आज इस पिव


दन म यहां खड़े हो सको—और वही करो जो करने के िलए ांड ने तु ह
भेजा है!’
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
अंितम यु —भाग III

नौका का तल भारी ढाल और हिथयार क झंकार से गूंज रहा था। िवशाल


नौका के दिसय हजार संर क दै य हमलावर पर आ मण क तैयारी कर रहे
थे। उनम से येक यह जानता था क द यु ांत के ख़ म हो जाने के बाद भी
वो दै य से सं या म तीन के मुकाबले एक थे।

‘दािमनी सेना अब भी हमारे बड़े काम आ सकती है, तारा,’ मनु ने कहा, एक
सहयोगी भारी कवच को उसके कमर पर बांधने म उसक मदद कर रहा था।

‘हम यु के िलए तैयार ह, मनु,’ तारा ने जवाब दया। ‘मेरी यो ा कसी से


कम नह ह।’

‘हां, तारा, म जानता ।ं इसिलए उ ह पीछे रि त सेना, नौका सुर ा क


अंितम पंि के प म रखा गया है। अगर हम दै य क तलवार से हार गए,
तो वो नौका पर चढ़ आएंगे। तब दािमनी सेना को िवशाल नौका के मासूम
िनवािसय को बचाना होगा। ले कन तब तक, एक और काम है, जो वो कर
सकते ह।’
‘और वो या है?’

‘जो दै य हमारे िसपािहय ारा मारे या घायल कए जाएंगे, उनके बदन पर


िशशु बंधे ह गे। उन छोटे ब को अगर समय पर नह बचाया गया, तो वो
दोन तरफ क सेना के पैर तले कु चल जाएंगे। जैसे ही दै य सेना म घुसगे,
दािमनी सेना पीछे से आकर िशशु को बचा लेगी और उ ह सुर ा से नौका
पर ले आएगी।’

‘तुम ही वा तव म चयिनत हो, स य त,’ सोमद ने कहा, जो कु छ ही दूरी पर


अपना कवच बांध रहा था। वो मनु और तारा क बात सुन पा रहा था।

‘िसफ तुम ही हो जो अपने दु मन तक के ब क सुर ा के बारे म सोच सकते


हो, वो भी ऐसे क ठन हालात म। म य ने कोई गलती नह क , ओ सूय पु ।
तु हारे जैसे ि पर हमेशा भु पशुपित का हाथ रहता है!’

‘ कसी भी क मत पर म आपको उस र -संघष म उतरने नह दे सकता,


सोमद जी।’

जब सोमद ने मनु क शंसा क , तब ही पुजारी-राजा ने यान दया क


महान अिभयंता अपना कवच पहन रहे थे। वो दृढ़ िन यी था क अपने
वगवासी िपता के वफादार िम को दै य आ मण का सामना नह करने
देगा। य िप सोमद वयं समथ यो ा था, ले कन कह न कह मनु जानता
था क अिभयंता उन नरभि य का सामना नह कर पाएगा।

उसने िजन दु मन का पहले सामना कया था, उनसे ये दै य अिधक िनमम


और अिधक द थे।

‘वह आपक जगह नह है, सोमद जी। हम आपक आव यकता है। नौका को
आपक आव यकता है! भगवान माफ कर, ले कन अगर आपको कु छ हो गया,
तो हम सब अनाथ हो जाएंग!े ’ स य त ने जोर दया।

‘जी, सोमद जी, कृ पया आप उस अि म उत रए जो हमारी ती ा कर रही


है। जैसा क आपने देखा, इन दै य क िनममता का पूवानुमान नह लगाया
जा सकता। वो कसी भी हद तक जा सकते ह। आप वयं को खतरे म मत
डािलए,’ ुव ने कहा, वो भी सोमद को यु क तैयारी करता देख उतना ही
चंितत था।

बुि मान अिभयंता ने अपना हाथ उठाकर, अपना कवच बांध रहे आदमी को
कने का संकेत कया। वो उन दो मनोहर युवक क ओर मुड़ा, जो मानवजाित
का भिव य थे।

‘देिखए, मनु, मेरे ित आपक चंता क म सराहना करता ।ं ले कन जब


अंितम समय मने आपके िपता को देखा था, जब मने आपको अपनी मां संजना
को बांह म भरे , यु े से बाहर जाते देखा था, तभी मने वयं से वादा कया
था क म अपनी अंितम सांस तक आपक र ा क ं गा। अगर आपको लगता है
क म उस पागलपन म आपको अके ले जाने दूग ं ा, तो ये आपक भूल है।’

‘ले कन, सोमद जी...’

‘बस, स य त। हम अपना ब मू य समय न कर रहे ह। श ु हमारे दरवाजे


पर खड़ा है। उनके िसपािहय ने नौका के पहले माले पर चढ़ना भी शु कर
दया है। हम अब िनकलना चािहए। बस ये याद रखना, मनु... म आपको अपने
पु के समान ही ेह करता ।ं ’

ये बुि मान बुजुग सुनने को तैयार ही नह था। मनु ने कु छ और नह कहा।

यही तो सम या है, सोमद जी। म भी आपको िपता के समान ही ेम करता


।ं

नौका र क ारा कए गए जवाबी-हमले का तर और ती ता ताकतवर


दै य के िलए भी हैरान कर देने वाली थी। िवशालकाय नौका के ऊपरी माले
से, सैकड़ रि सय के मा यम से उतरते हजार हड़ पा सैिनक को देख दै य
त ध थे। काले बादल क वजह से नौका का ऊपरी माला दखाई नह पड़
रहा था। तो ऐसा तीत हो रहा था क नौका के यो ा सीधे आसमान से उतर
रहे थे!

धातु क टकराहट दल दहला देने वाली थी, हड़ पा के सैकड़ सैिनक ने


जमीन पर आए िबना ही, अपनी तलवार ख चकर नौका क ऊंची दीवार से
सीधे दै य यो ा पर छलांग लगा दी।

पहले वार से ही ये मुकाबला जंदगी और मौत का था। दै य हिथयार के प म


कसी भी चीज का उपयोग कर रहे थे। तलवार, भाले, छु रा, कृ पाण, पशु के
पंजे, जहरीले कांटे, उनके अपने नाख़ून, जोड़ और दांत। हड़ पा िसपािहय के
िलए ये इं सानी िभड़ंत से अिधक भूखे भेिड़य से लड़ने के समान था।

नौका से उतरने वाली अगली टु कड़ी चंड के नेतृ व म असुर क थी। वो नौका
से उतरने के िलए र सी क सी ढ़य और लता का इ तेमाल करके , नीचे र
संघष म कू द रहे थे।
और फर, आसमान से िगरते धूमके तु क तरह, दो िवकराल यो ा दै य बल
पर टू ट पड़े। य िप हड़ पा के िशि त िसपािहय ने नौका क दस से पं ह
हाथ ऊंची दीवार से छलांग लगाई थी, ले कन ये तेज वी यो ा सीधे चालीस
हाथ ऊंची दीवार से कू दे थे।

दोन ने लंबी और चौड़ी ढाल थाम रखी थी, िजससे वे दै य दल के भाल ,


कवच और तलवार का सामना करते ए, जमीन पर उतरने से पहले ही
कईय को कु चल चुके थे। दोन यो ा इस बढ़त का उपयोग करते ए,
नरभि य क अंितम पंि को तोड़ कर आगे बढ़ गए।

उनम से एक ने शानदार धनुष पकड़ा आ था। उसके पास तीर से भरे ए


चार तरकश थे, िजसम से दो उसने अपनी दो जांघ और दो को कमर पर बांध
रखा था। वह दुिनया का सबसे िवकराल धनुधर था।

वह ुव था।

दूसरा यो ा कांसे और चमड़े से बने हिथयार से ढका था। उसके लंबे बाल
पीछे एक चोटी म बंधे थे। उसने अपने हाथ म एक ढाल और एक लंबी
तलवार पकड़ रखी थी, जब क दो छोटी तलवार उसक कमर के दोन ओर
बंधी थ । वो कभी कसी लड़ाई म परािजत नह आ था। उस यो ा का
मुकाबला कोई भी दै य नह करना चाहता था। वो वही था, िजसक ती ा
नर-मुंड कर रहा था।

वो मनु था।

दोन शेर ने लकड़ब घा के झुंड पर छलांग लगा दी थी।


बनारस, 2017
ितमा

‘पूरा काशी ख़शी मना रहा है, बाबा!’

सोनू सप ली सी ढ़य से भागा आ सा आया। उसे उसके िपता, बुि मान


पुरोिहत जी ने मठ क छत पर भेजा था, िजससे वो रात के आसमान का
िनरी ण कर सके । ले कन वो अ यिधक जानकारी के साथ वापस आया।

वो हांफते ए, कं तु स मु ा म पास आया।

‘न आसमान म वैसे ही चमक रहे ह, जैसा आपने बताया था। ले कन कु छ


और भी बात है। इस पिव समय म पूरी काशी हमारे साथ है, बाबा! हजार
मं दर म भगवान िव णु क आरती हो रही है। सैकड़ आ म से हवन का
पिव धुआं िनकल रहा है। देर रात क पूजा के िलए अनेक पुजारी गंगा घाट
पर जुट आए ह। पूरा काशी रोिहणी न का वागत कर रहा है, बाबा!’

ारका शा ी ने अपनी आंख बंद कर ई र का आभार कया।

‘वो न का वागत नह कर रहे ह। वो उसका वागत कर रहे ह जो आने


वाला है।’

‘ले कन, बाबा, इतने लोग को इस न के बारे म कै से पता है? मुझे तो लगा
था क यह िछपी ई बात थी। या वो सब रह य से अवगत ह, बाबा?’

‘नह , िव ुत। ले कन उन सबको देव-रा स मठ क तरफ से संदस े ा िभजवा


दया गया था। ये वही पुजारी ह िज ह ने रोम के िबग मैन क तांि क लड़ाई
म मेरा साथ दया था, जब उसने तु हारी आ मा को कै द करने क कोिशश क
थी। मने उन तक संदशे िभजवा दया था। वो जानते ह क कु छ द घ टत
होने वाला था। ले कन के वल शेषनाग, पुरोिहत और म जानते ह क वो या
है। और अब से, तुम भी ये जान जाओगे, मेरे ब ।े ’

इसी के साथ मठाधीश ने अपना शंख उठा िलया और अपने ह ठ से लगाकर,


पूरे वेग से उसे बजाने लगे। दूसरे साधु ने भी शंख, मंजीरे और घं टयां
बजाकर उनका साथ दया। िशव ितमा के चार ओर अगरब ी जलाकर,
कपूर के दीये विलत कए गए और एक बार फर से शि शाली मं का
जाप शु हो गया।

िव ुत ने यान दया क इस बार वो -पथ का जाप नह कर रहे थे। उसने


फर से मं पर यान दया—

।। शांताकारं भुजगशयनं
प नाभं सुरेशं;
िव ाधारं गगनसदृशं
मेघवण शुभा गम्... ।।

िव ुत तुरंत ही उस शि शाली मं को पहचान गया।

िव णु शांताकारं मं ! वो मं जो भय को दूर कर, उ ारण करने वाल को


शौय, साहस और िवजय देता है।

दािमनी आई और अपने देवता के पास खड़ी हो गई। काले मं दर का वातावरण


अब आ याि मक ऊजा से कं पायमान था। अनेक शंख के नाद, िव णु
शांताकारं का मं ो ार, मंजीरे और घं टय क गूंज, गदे के फू ल और कपूर क
महक... काला मं दर सं ामक, िमत, और स मोिहत कर देने वाली ऊजा से
गुंजायमान था!

जब क दूसरे पुजारी वरो ार को संभाले ए थे, ारका शा ी िव त


ु के पास
आए। उ ह देवता के कान के पास आकर, अपनी आवाज उठाते ए बोलना
पड़ा।

‘आओ, िव ुत... समय आ गया है!’ उ ह ने ये कहकर, अपने परपोते क कलाई


पकड़ी।

ारका शा ी, िव ुत क बांह थामे उसे मं दर के क म बनी, भगवान िशव


क मनोहर ितमा के सामने ले गए। वो ितमा अब कपूर के दीये से कािशत
थी।

मठाधीश ने भु क छोटी सी ाथना कही। और तभी एक झटके से उ ह ने


िशव का, भारी तांबे का ि शूल ख च िलया, जो नीचे प जमीन म गड़ा था।

एक पल बाद, नीलकं ठ को उस िवशाल ितमा के पीछे से एक ख़ास क म के


घषण क आवाज आई। वो ह क आवाज थी, जो उस सारे मं ो ार के बीच
के वल िव ुत और ारका शा ी ही सुन सकते थे। ख चे गए ि शूल ने ब त से
िछपे यं , उ ोलक और चरखी क ृंखला को छेड़ दया था।

सबको मु ध करते ए, वो िशव ितमा अपने थान से िहली। आराम से घूमते


ए उस ितमा ने एक सौ अ सी िड ी का घेरा पूण कया, और अब िशव क
कमर मं दर के क के सामने थी। कु छ पल बाद, िशव ितमा का पृ भाग क
से लेकर कं ध तक खुल गया। िशव उस ितमा म बैठी ई मु ा म थे। उसके
अंदर लगी प थर क अनेक लेट रीढ़ क ह ी क तरह खुलने लग और
ितमा के अंदर, अधोलंब म खोखला थान दखाई दया।

और फर वो अ भुत नीला काश दखाई दया, और उसक लंबाई म गुदी ई


ग ड़ पुराण क पंि यां, वो सा ात मौत के ाचीन दूत के समान दखाई पड़
रही थी।

िव यात तलवार।

र -मा !

िव ुत के चेहरे पर तलवार से िनकलता नीला काश ित बंिबत हो रहा था।


र -मा िशव के धड़ के साथ, लंबाई म रखी ई थी। उसका र जिड़त मूंठ
अब देवता क प च ं म था। उसे लगा क वो उस प थर क यान से उस
तलवार को िनकाल ले।

‘यह द तलवार है, िव ुत। जब िववा वन पुजारी ने इसे असुर से ई


अंितम लड़ाई म इ तेमाल कया था, तब इस तलवार को द शि य ने
अपना आशीवाद दया था। उसके बाद इसे उनके पु , अन र पुजारी-राजा,
स य त मनु को स प दया गया। ये तलवार उस िवशाल नौका क सबसे
ब मू य व तु थी, जो लय म फं सी थी और लगभग दो साल तक उससे नह
िनकल पाई थी। उसके साढ़े तीन सदी बाद तक, इस द तलवार क र ा
हमारे पूवज ारा क गई।

यह अपराजेय हिथयार है, िव ुत। जो भी इसे उठाता है, वो अपरािजत हो


जाता है। हालां क, ये ऐसी सवारी है, जो वयं अपना सवार चुनती है, न क
सवार को इसे चुनने का अिधकार होता है।’
पुजा रय ने अपना पिव मं ो ार जारी रखा। दािमनी, नैना, बलवंत,
पुरोिहत जी, गोवधन और सोनू अब देवता के िगद आकर खड़े हो गए थे।

‘और आपको लगता है ये मुझे चुनेगी, बाबा?’ िव ुत ने पूछा, वो िन ंत नह


था क उससे या उ मीद क जा रही थी।

‘शायद ये चुने, िव त
ु । शायद न चुन।े ले कन ये कोई मायने नह रखता है।
िव यात तलवार तु हारे िलए नह बनी है, मेरे ब .े ..’ मठाधीश ने जवाब
दया।

िव ुत एक पल को श मदा आ। िपछले कु छ स ाह से उसके कं ध पर जो


अंितम देवता होने का भार था, वो ारका शा ी क इस अंितम पंि से उतर
गया था!

ारका शा ी अब अपने परपोते क तरफ मुड़,े उनके चेहरे पर अिव ास का


भाव था।

‘तुम अभी तक काले मं दर का रह य नह समझ पाए हो न, िव ुत?’

देवता का चेहरा भावशू य था। वृ ेह से हंस दए, वह अपने यारे िव ुत


क मासूिमयत पर मोिहत थे।

ारका शा ी ने सीधे पूछा।

‘तुमने िलखी ई पंि यां पढ़ , िव ुत।

या तुम नह जानते क वा तव म कौन र -मा का वामी बनने वाला है?’


िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
म य- जाित के घुड़सवार

अफरा-तफरी का माहौल था।

नौका र क और नर-भ ी दै य के बीच होने वाले दूसरे दन के यु म इतना


र पात आ क पृ वी का दय भी कांप उठा। न ही उसने कभी इतनी
िनदयता से अपने ब को एक-दूसरे का र बहाते देखा था।

दै य एक पर पांच के समूह म हमला कर रहे थे, िबलकु ल भूखे भेिड़य क


तरह। एक चाक़ू मारता, जब क दो लोग अपने िवरोधी के हाथ और पैर पकड़
लेते। चौथा अपने दु मन क आंख न चने क कोिशश करता, तो पांचवां
हमलावर अपने दांत से दु मन का मांस फाड़ देता।

य िप हड़ पा के यो ा और असुर बल भी अपराजेय ताकत रहे थे, ले कन


यहां उनक कम सं या और यु के अपारं प रक तरीक क वजह से दै य का
पलड़ा भारी हो रहा था। हालां क जहां भी सैकड़ क सं या म मर रहे थे,
ले कन नौका र क क तरफ से हजार वीर के शव मैदान म पड़े थे।

‘इस तरह तो हम कसी भी हालत म जीत नह पाएंग,े मनु!’ अपने तीर से एक


नर-भ ी का सीना चीरते ए ुव िच लाया।

‘आज का दन लड़कर देखते ह, ुव... अभी तो शु आत ही है!’ मनु ने अपने


आसपास के हंसक उ पात को देखते ए कहा। वो घोड़ से िगरते ए अपने
सैिनक और उन पर झपटते दजन दै य को देख रहा था।

‘अगर ऐसा ही और कु छ घंट तक और चला, तो कोई शु आत या अंत नह


बचेगा, मनु!’ मनु को वा तिवकता का अहसास कराने क कोिशश करते ए
मनु िच लाया।

नौका का नेता नरम पड़ा। वह जानता था क ुव सही कह रहा था। ले कन वो


ये भी जानता था क अभी से अपने िविश दल को बुलाना ब त ज दी हो
जाएगी।

‘ठीक है, ुव... ऐसा ही करो!’

कु शल धनुधर ने हां म िसर िहलाया और िसर घुमाकर एक तीर िनकाला।


उसने उस तीर के िसरे को कठोर जमीन पर रगड़कर, उसम अि उ प क ।
ुव ने उसे हवा म, नौका क तरफ उछाला।

वह एक संकेत था।

तारा ने आसमान म लाल रे खा देखी। ज दी िमले इस संकेत से वो भी हैरान


थी, और तुरंत ही समझ गई क वो लोग यु हार रहे थे।

वो िनचले तल पर ठहरी ई थी। नौका क शेरनी ने दािमनी सेना क अपनी


एक अ य को िच लाकर आदेश दया।

‘अब!’

कु छ पल बाद, दै य ने जो सुना और देखा, वो जम गए। नौका क तली से


मोटी लकड़ी के बड़े-बड़े तल खुलने लगे। नौका क तली के प ले शि शाली
जंजीर के मा यम से खुल रहे थे, और उनम िछपे िवशालकाय क दखाई
पड़े। नरभि य क टु कड़ी को भयभीत करते ए, येक क से नौका क
सबसे द सेना के सैकड़ घुड़सवार बाहर िनकले।

शि शाली म य जाित क सेना!

वो तूफ़ान के जैसे बढ़े आ रहे थे, अपने रा ते म आने वाली येक व तु को


उखाड़ते ए। जब वो अपने िविश , एक- पीय हाव-भाव से बढ़ रहे थे, तो
उनके घोड़ क टाप तले क धरती िहल रही थी।

म य- जाित के यो ा को रोका नह जा सकता था। उनक तलवार ऐसी


िमि त धातु क बनी थ , जो पहले कभी कसी ने नह देखी थ । उनक ढाल
जब भी कसी व तु से टकराती, तो उससे िनकलने वाली क ध से श ु क आंख
चुंिधया रही थ । पलभर म ही लगा क हवा का ख बदल गया था। म य
जाित के वार से दै य के िसर कटकर हवा म उड़ रहे थे। फर म य जाित
क सेना ृंखला तोड़कर, पांच िभ दशा से नरभ ी दल म घुसी और
अपने हमले से उ ह िततर-िबतर करने लग ।
यु म अचानक आए इस बदलाव से हड़ पा सैिनक और असुर को
मनोवै ािनक बढ़त हािसल ई। नौका क सेना अब नई ऊजा से हमला कर
रही थी। हालां क अभी भी वो सं या म कम थे, ले कन म य जाित के
आगमन से अभी के िलए हालात बदल गए थे।

‘गररआआअ हह...!’

अचानक भीषण यु के बीच, मानो दस शेर के दहाड़ने क आवाज आई। दूरी


पर जो उ ह ने देखा, उससे मनु, ुव, सोमद और चंड क रीढ़ म िसहरन
दौड़ गई।

नर-मुंड कसी दूसरी दुिनया के िपशाच क तरह दहाड़ रहा था, अपने िसर को
पीछे झटका देकर, दोन हाथ फै लाए, अपनी कोहिनयां मोड़कर वो अपनी
फटने को तैयार फू ली ई मांसपेिशयां दखा रहा था।

‘ऊऊररगररआआअ हह...!’

वो फर से दहाड़ा, इस समय और दानवीय प से, वो अपना िसर घुमाकर


अपने श ु को देख रहा था।

ब त से लोग के दल धड़कना बंद हो गए और र नस म जम गया। दोन


प के यो ा के बीच, वो िवकराल दै य क तरह खड़ा था। वो घोड़े पर
सवार यो ा से भी ऊंचा नजर आ रहा था। जब उसक दूसरी गरज सुनाई
दी, तो कु छ पल के िलए यु थम गया। दोन तरफ के यो ा ने अपने ई का
मरण कया।

मनु और वु ने एक-दूसरे को देखा। य िप उ ह ने अपने दु मन, काले जंगल


के स ाट के बारे म अनेक कहािनयां सुनी थ , ले कन वो उन भयानक
कहािनय से भी अिधक भयावह था।

‘मने तु ह बताया था, स य त। यह कोई मनु य नह है। यह नरक ारा


अ वीकृ त बदन म उतरा शैतान का अवतार है! हम उसे घेर लेना चािहए। हम
उसे घेरकर मारना चािहए!’

‘नह , ुव! चाहे वो जो भी हो, जैसा भी हो... वो हमारे दु मन का नेता है।


और उसके साथ स मानसिहत लड़ा जाना चािहए।’

‘स मान? या तुमने स मान कहा? वो आदमी जो बाण से बचने के िलए


नवजात िशशु को ढाल बनाकर उतरा? वो आदमी िजसने सोते म अपने ही
सािथय को मार दया? तुम ऐसे हैवान के साथ स मान क सीमा म लड़ना
चाहते हो, स य त मनु??’ ुव ने िचढ़कर िवरोध कया, वो अपने िम और
राजा के कठोर आदश से त ध था।

मनु शांित से, दूर खड़ा अपने अजेय श ु को देख रहा था।

उसने अपनी तलवार ख च ली, और जहां नर-मुंड बरगद क तरह खड़ा था,
उस और बढ़ने से पहले ुव से कहा।

‘वचन दो, ुव... चाहे जो हो जाए, तुम मेरे और नरभ ी राजा के युगल
मुकाबले म दखल नह दोगे।’

‘ले कन मनु...’ ुव ने िवरोध कया।

मनु ने अपना िनदश दोहराया।

‘याद रखना, ुव... चाहे जो हो जाए।’


बनारस, 2017
‘पदापणम कु , भु!’

िव ुत त ध खड़ा था, नीली तलवार क शि के स मोहन म, उसक अशुभ


धार से काश उ प हो रहा था।

उन पल म देवता ने अपने दमाग पर जोर डालने क कोिशश क क या


उसने पहले कह र -मा के िवषय म सुना था।

कु छ याद नह आया।

‘ मा क िजए, बाबा... मुझे कु छ याद नह आ रहा क कह मने इस


शि शाली हिथयार के िवषय म कु छ पढ़ा हो। कृ पया इस पर काश डािलए।
यह तलवार कस तक प च ं नी है? काले मं दर का यह रह य य स दय तक
िछपा रहा?’

ारका शा ी ने अपने परपोते क आंख म देखते ए िसर िहलाया, वो मान


नह पा रहे थे क य अब तक िव ुत रह य को समझ नह पाया था।

‘यह तलवार काले मं दर का रह य नह है, िव ुत।


वह है!’

हर कोई देखने के िलए मुड़ा क डमा टर क उं गली कस ओर संकेत कर रही


थी।

िशव क ितमा और चमकती र -मा के नीचे बना लकड़ी का एक ब सा


देखने म उतना भावशाली तो नह लग रहा था।

िव ुत और उसके सािथय ने उस संदक ू को यान से देखा, उनम से कोई भी


उसे छू ने का साहस नह कर पा रहा था।

‘आगे बढ़ो, मेरे ब ।े के वल तुम ही इसे उठा सकते हो, िव ुत। इस धरती का
अंितम देवता ही मानवजाित के सबसे बड़े रह य से पदा हटा सकता है।’

ारका शा ी ने िव ुत को लकड़ी के संदक


ू से उस अजीब सी दखने वाली
व तु को उठाने के िलए बुलाया।

देवता ने वत: कसी ेरणा से उस व तु के स मान म हाथ जोड़े और आगे


आकर उसे उठाने के िलए हाथ बढ़ाया। जैसे ही िव ुत क उं गिलय ने उस मुड़े
ए ढांचे को छु आ, एक तेज आवाज ने िव ुत के कान के परदे को चीर दया।
मानो एक ाचीन सप उसके मन और आ मा को भेद गया हो। कसी और को
कु छ सुनाई नह दया।

िव ुत ने उस व तु से पीछे हटने के िलए, तुरंत अपने हाथ हटा िलए।

‘ या आ, िव ुत?’ मठाधीश ने पूछा।

‘म... म कह नह सकता, बाबा। ऐसा लगा मानो एक आ दकालीन समु -


दानव मेरे दल म गरज रहा हो...’

वे अब उस टु कड़े को सावधानी से पढ़ रहे थे। वो सब उसे देखने मा से मोिहत


थे। उस मुड़े ए टु कड़े म कु छ ऐसा था, िजसने उनके मनोबल को बढ़ा दया,
उनक आ मा को शु कर दया।

‘ऐसा लगता है क ये कसी िवशाल ाणी का स ग है,’ दािमनी ने कहा, उसक


आवाज अवणनीय भि से भारी हो रही थी।

‘हां... ले कन यह िवशाल शंख क तरह मुड़ा आ लग रहा है। यह कसी


समु ी दानव के स ग के समान है!’ िव ुत ने कहा, वह अपनी कही ई बात
पर ही यक न नह कर पा रहा था।

‘तुम सही कह रहे हो, िव ुत। यह स य त मनु को दया गया म य का


उपहार था। यह एक सायरन, एक तुरही था, िजसे पुजारी-राजा को तब
बजाना था, जब लय के समय उसे िवशाल नौका बचाने के िलए भु क मदद
क आव यकता पड़े।’

‘इस मुड़े ए शंख के अंदर देखो, बेटा,’ ारका शा ी ने कहा।

फर उसने मुड़कर, बाक सभी को पीछे हटने का िनदश दया, िजससे देवता
को एकांत िमल सके । िव ुत को अिधक मेहनत नह करनी पड़ी। उसने शंख
क भीतरी बनावट म झांका और तुरंत ही उसे वो मुड़ा आ प ा दखाई दे
गया। उसने उसे बाहर िनकाल िलया।

वो प ा पीले-भूरे रं ग का था। वह िव ुत क अब तक देखी गई हर व तु से


पुराना लग रहा था। यह ऐसी धातु से बना था, जो देवता ने कभी नह छु ई थी।
यह िव ुत का थामा आ सबसे ताकतवर सामान था। ऐसा लग रहा था क
वो प ा वयं देवता से बात कर रहा था।

‘यह एक ाचीन प है िजसे 3,700 साल से पीढ़ी दर पीढ़ी स पा जाता रहा,


िव ुत। इसे हमारे महान पूवज स य त मनु ने फर से हड़ पा क िलिप म
िलखा था। ये काम उसने वयं म य के आदेश पर कया था!’ देव-रा स मठ
के डमा टर ने घोषणा क ।

िव ुत स मोहन म था। उसे अब गहराई से महसूस हो रहा था क वो कसी


ागैितहािसक कहानी का िह सा रहा था। अपने हाथ म प को थामे ए,
जीवन म पहली बार, देवता को महसूस आ क वो वही था, जो बाक लोग
उसे कहते थे।

आधा-मनु य, आधा-भगवान!

‘तु ह वो प पढ़ना होगा, िव ुत। समय आ गया है, मेरे ब े...’

‘ले कन, बाबा... आपने बताया क यह हड़ पा िलिप म है। म ही नह , दुिनया


म कोई भी उस आ दकालीन िलिप को समझ नह पाया है,’ देवता ने िझझकते
ए कहा।
मं ो ार और शंखनाद क बहरा कर देने वाली आवाज लगातार आ रही थी।
पुजारी और साधु अब उ मु हो चुके थे, वो कलयुग के सबसे पिव पल का
आनंद ले रहे थे। ारका शा ी ने एक बार फर से अपना शंख उठाया, और
तेज, ऊजावान आवाज म कहा—

‘इसे खोलो, पढ़ो और मानवजाित के सबसे भ और नेक रह य को


उ ा टत करो!
प वयं तु हारे सामने उ ा टत होगा, ओ देवता! यह िनयत है!
इसे पढ़ो, और नई सुबह का वागत करो!
इसे पढ़ो, और र धारा के ाप को समा कर दो।
इसे पढ़ो, ओ शि शाली देवता, और काले मं दर के ाचीन रह य से
पदा हटा दो!’

ारका शा ी अब वयं अपनी बांह को फै लाते ए िच लाए, मानो वो कसी


द शि का आ वान कर रहे ह , अबाध भि से—

‘पदापणम कु , भु!’

देव-रा स मठ के उपि थत पुजा रय और साधु ने भी एकसुर म उनक बात


दोहराई—

‘पदापणम कु , भु!’
‘ओ देव के देव, उपि थत ह !’

िव ुत ऐसी द ता और ऊजा महसूस कर रहा था, जो उसने पहले कभी


अनुभव नह क थी। वो ई र के साथ एक व महसूस कर रहा था।

ाचीन भिव यवाणी को सच सािबत करते ए, रोिहणी न के संयोजन म,


धरती के अंितम देवता ने... ाचीन प को खोल दया।
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
गंधक!

नौका के तल पर ही जुगाडू िच क सालय बना िलया गया था, य क िवशाल


नौका पर पहले से बने औषधालय म इतनी सं या म घायल का इलाज नह
कया जा सकता था। घायल, ित त और अंगभंग िसपािहय का ं दन
असहनीय होता जा रहा था। य िप दूसरे दन अचानक ए म य- जाित के
हमले से यु का समीकरण बदल गया था, ले कन तब तक पहले ही उनके
ब त से आदमी मारे गए थे।

पहला दन नौकावािसय के नाम रहा था। दूसरे दन दै य हावी रहे थे।

सब समझते थे क यह यु तीसरे दन से अिधक नह चलेगा।

अगली बार जब दु मन आमने-सामने ह गे, तो वो आर-पार क लड़ाई होगी।


आने वाले कल म इस यु का िवजेता घोिषत हो जाएगा। इससे भी अिधक
यु म दै य क द ता और ू रता को देखकर, मनु जान गया था क अगर वो
अगले दन असफल रहे, तो दािमनी सेना महज कु छ घंट तक ही उन ताकतवर
दै य को नौका म आने से रोक सकती थी।

नौका के हजार पु ष , मिहला और ब के नर-मुंड के ू र हाथ म पड़


जाने का याल क पुजारी-राजा को िचड़िचड़ा, हताश बना रहा था। इससे भी
ऊपर, अब दो बात नौका क ताकत के िव थ।

म य- जाित का आ यजनक त व जा चुका था। अगले दन दै य उनके िलए


तैयार होकर आएंग।े

और नौका के िसपािहय ने नर-मुंड को उसके पूरे वैभव के साथ देख िलया था।
प रणाम व प, उनका नैितक बल पूरी तरह टू ट चुका था।

कोई भी नौका के नेता से कु छ नह कह रहा था।


ले कन फु सफु साहट साफ थी।

नर-मुंड अपराजेय था।

वे एक-दूसरे से आधे मील क दूरी पर खड़े थे।

गरजते, दहाड़ते, नर-भ ी दै य एक तरफ।

घायल, सं या म कम, नौका का दृढ़ बल दूसरी तरफ।

यह अंितम दन था। अंितम यु भी। और फर िवनाशकारी लय आकर सब


लील जाएगी। बाढ़ का पानी अब नौका के दलदलीय े म प च
ं ने लगा था।
दोन सेनाएं घुटने-भर पानी म खड़ी थ । संकेत प था।

लय अब कु छ ही घंटे दूर थी।

िवशालकाय लहर क गरज अब कान म पड़ने लगी थी। हवा तेज गित से
चल रही थी, मानो वो उस जल-पवत का अशुभ दूत ह , जो पहले ही लगभग
सम आयवत को िनगल चुका था।

दोन सेनाएं अंितम सांस तक यु के िलए तैयार थ । इसीिलए नह क वो


कसी राजा या सा ा य को बचाने के िलए लड़ रहे थे। न ही अपनी देशभि
या माल लूटने क वजह से।

दोन प के आदिमय के पीछे उनके ब ,े प ी और वृ माता-िपता थे। अब


पराजय कोई िवक प नह थी। य क हार का मतलब वयं उनका अंत नह
होगा, बि क अपने ि यजन क िनि त मृ यु भी होगा।

और इसी सबसे बड़ी, पागलपन भरी ेरणा ने दोन तरफ क सेना को


तैयार खड़ा कया था।

यह हर तरह से र - ान होना था।

सोमद के िनदश पर, म य- जाित घुड़सवार क एक टु कड़ी नर-मुंड क


तरफ बढ़ी।

इस मुकाबले से घंट पहले नौकावािसय ने एक बात का िनणय कर िलया था


—नर-मुंड को रोकने का। िजस यु संघष का वो सामना करने वाले थे, नर-
मुंड जैसा एक रा स उसका ख बदल सकता था। वो अके ले ही सुर ा पंि य
को चीर सकता था, वो चाहे तो िवशाल नौका के सेना य को एक ही बार म
मार सकता था, वो र क का र जमा सकता था और साथ ही अपने
सािथय को कभी न हारने वाला आ मिव ास दे सकता था। यु के उसके
िनमम तरीके से दु मन को लकवा मार जाता था, और आ मा जम जाती थी।

मनु, तारा, ुव, सोमद और चंड ये बात अ छी तरह जानते थे क अगर


उस दन नर-मुंड जीिवत रह जाता ह, तो नौका हमेशा के िलए हाथ से िनकल
जाएगी।

वह मील दूर से दखाई पड़ रहा था। नौका के िसपािहय को चीरते ए, उ ह


हवा म उछालता, उनके िसर खा जाता, अपने िवशालकाय पैर तले उ ह
कु चलता। उसके आसपास क जमीन इं सानी मांस और र से गंधलाए दलदल
से कम नह लग रही थी।

म य- जाित के यो ा याह जंगल के स ाट क तरफ दौड़े जा रहे थे, उनका


एक ही ल य और चुनौती था, उसे ख़ म करना। वो अतीत म कभी परािजत
नह ए थे। ले कन म य- जाित के चु नंदा यो ा ने भी उस नरभ ी
मुिखया क ताकत और िनदयता को कम आंक िलया था।

जब वो उसके पास प च ं ने और उसे घेरने म सफल हो गए, तो वो शैतान


पागल क तरह हंसने लगा... अपने ही िसर पर थ पड़ बरसाते ए वो अद य
िनडरता का दशन कर रहा था। अगले ही पल उसके उ लिसत चेहरे पर
क रता आ गई, और उसने एक हाथ गहरे पानी म से, जहां वो सब खड़े थे, एक
बड़े पेड़ का तना उठा िलया!

ये नौका के सेना य क क पना से परे था क कोई शाहबलूत के तने को


सामा य लाठी क तरह घुमा रहा हो। नर-मुंड क नस उसक मांसपेिशय के
भार तले फड़क रही थ , जब वो मोटे पेड़ के तने को कसी दातून क तरह
िहला रहा था। तने के एक सहज वार से उसने म य- जाित के बीस
घुड़सवार का सफाया कर दया। पलभर म ही उनके सीने और पसिलयां टू ट
गई थ । म य- जाित के यो ा क खोपड़ी और कं धे क हि यां चूरे क
तरह मसल गई थ ।

कु छ ही पल म, नरभि य के राजा ने म य- जाित के द ते म कोलाहल


मचा दया। उसके िविच हिथयार ने म य- जाित के यो ा के घोड़े के पैर
भी उसी तरह तोड़ दए थे, जैसे उनके कवच।
ज द ही सबको प हो गया था। म य- जाित के यो ा के र से वो
िलखा जा चुका था।

रा स नर-मुंड नरक का दूत था।

वो िवशाल नौका का अगला राजा था।

वो ही धरती के भिव य का वामी था।

‘गंधक क वाला को ये भी नह रोक पाएगा, ुव...’

ु पूरी तरह से र से पुता आ था, कु छ तो अपने घाव से िनकले र से



और बाक उन दु मन दै य के र से, जो उसक तलवार और बाण क भट
चढ़ रहे थे।

दो तेज वी आदमी, जो िपछले साल भर से मानवजाित के अि त व को


संभालने क हरसंभव कोिशश कर रहे थे, वो अब बुरी तरह से हताश थे। अब
उनके पास उस घातक हिथयार का इ तेमाल करने के अलावा और कोई
िवक प नह था, जो उनके पास सुरि त था।

िव वंस िवनाश का हिथयार, जो म य ने उसे स पा था।

गंधक।
बनारस, 2017
‘वो यहां है...’

िव ुत को ऐसा तीत आ मानो वो अंत र , समय, अनेक ह , कई ज म


और मृ यु, यु और अकाल, ांित और पुनजागरण, शैतान और संत से
मुलाकात, प रवार और भिव य से गुजर रहा था। कसी दूसरी दुिनया म
जीिवत होने से पहले वह कई बार मरा था, उसे कई मां क महक याद आ
रही थी, ब त से ेिमय के चुंबन, अपने ब क हंसी, अपन के िबछड़ने का
गम। उसे खुशहाल घर याद आ रहे थे, तो िवषाद शमशान भी, राजा के दरबार
उसक आंख से गुजर रहे थे, तो सं यािसय के कु टीर भी।

उसक चयिनत आ मा समय, संसार और दूरी क सीमा से परे कई ांड


म भटक रही थी।

और ये सब तब हो रहा था, जब उसक नजर उस ाचीन प पर टक थ , जो


उसने अपने कांपते हाथ म थाम रखा था।

‘म... म... कु छ समझ नह पा रहा, बाबा...’ उसने आह भरी।

तेज ाथना के बीच ारका शा ी अपने यारे परपोते क आवाज नह सुन पा


रहे थे। ले कन वो समझ गए। उ ह ने आंख से इशारा कया, देवता को और
यान से, और करीब से देखने के िलए े रत कया।

‘अपने मन क आंख से पढ़ो, िव ुत...’

मठाधीश ने कु छ नह कहा था। ले कन िव ुत ने अपने मन म यह श द सुने।

िव त
ु ने एक बार फर से प को देखा, आ याि मक ऊजा ने उसे पूरी तरह से
त ध कर दया था।
उसके दमाग म अजीब से दृ य िबजली क तरह से क धे। उसने एक िवशाल
लय म शानदार नगर को डू बते ए देखा। वो एक मरती ई मिहला क
धूिमल मु कान देख रहा था, िजसके शरीर म तीर धंसे ए थे। उसने वयं को
गुराते ए यो ा के बीच देखा, िजनके बदन पर राख मली ई थी। साथ म
खीर-पूरी खाता एक खुशहाल प रवार दखाई दया। एक आलीशान भवन से
उतरती ई अनुपम नृ यांगना। उसने तीन अंधे काले-जादूगर को देखा, जो
कसी भयावह गुफा म शैतानी मं का जाप कर रहे थे। ‘पूव क तरफ
जाओ... वहां काले मं दर क तलाश करो’ िच लाता आ एक आदमी। िशव
क िवशाल ितमा वाला एक खोखला पहाड़। उसने वयं को एक च ान से
छलांग लगाते देखा, ट और कांसे के बने पवत के बीच तीर चलाते ए। उसने
वयं को र , पसीने और थूक से लथपथ देखा, उसे कसी ागैितहािसक थल
पर लोग क भीड़ के बीच तािड़त कया जा रहा था। नशे म धु जज से
यु एक यायालय। एक स ग वाले बैल क मुहर। मशान से बदतर मृत
कारावास म िच लाते ए लोग। लपलपाती नीली अि । एक िवशाल नौका,
इं सानी सोच से परे । धातु के दांत वाले दो पुतगाली ज लाद। रोम का
शि शाली स ाट।

और फर उसने उसे देखा।

एक सुदशन चेहरा, इतना आकषक क वो क पना भी नह कर सकता... आनंद


से मु कु राता आ। एक अवणनीय मनु य, िजसक वचा सुनहरे -नीले रं ग क
म य के समान थी! िव ुत ने उस भ म य-पु ष को िशव के काले मं दर म,
अपने साथ यूं िवनोद करते देखा, मानो वो परम िम ह । जलती आग के िगद,
एक प रवार क तरह पोहा खाते ए। िवनाशकारी लय क घोषणा करते
ए, ‘ लय ए यित...!’ कसी स त मागदशक क तरह। फर उसने उस नीले
म य-पु ष को ऊंची च ान के शीष पर खड़े देखा, गरजते आसमान क
पृ भूिम म, एक मसीहा के प म उ दत।

अंितम देवता ने अपनी आंख खोल द । उसने ाचीन प को देखा।


उसक आंख से आंसू बह िनकले, जब उसने श द को जादुई प से जीवंत
होते देखा।

अब देवता को सब समझ आ रहा था।

3,700 साल बाद, इस िनयत दन म...

...िव ुत के सामने काले मं दर का रह य उ ा टत हो गया था।

वो अब घुटन के बल िगरकर, िशव ितमा के स मुख अपना िसर झुका रहा


था। देवता अबाध प से रो रहा था, और फर भी वो यानाव था म खोया
आ था।

काशी म अब ज मनाया जा रहा था। वो नह जानते थे क वो या और


कसका वागत कर रहे थे, ले कन रोिहणी न अपने चरम पर था, और
बनारस के पिव आदमी जानते थे क देव-रा स मठ म खुिशयां मनाई जा
रही थ ... स दय बाद!

और इसका एक ही मतलब था।

मसीहा आ गया था!

दािमनी अब िव ुत से और अलग नह रह पाई। उसने उसके पास जाने, उसे


थामने, उसका बोझ उठाने का िनणय िलया। जैसे ही वो आगे बढ़ी, कसी चीज
ने उसके पैर जमा दए। जाने कहां से एक वृ कं तु रह यमयी योगी िव ुत के
सामने आकर, खड़ा हो गया था। वह भयावह और ेही था। उसक वचा पर
यान जाते ही दािमनी क सांस अटक गई। उसक वचा सप क खाल जैसी
थी!

ले कन उसका भय तब भांप बनकर उड़ गया, जब उसने उस िविच , िवकराल


और सांप क परत वाले आदमी को िव ुत के िसर पर यार, लाड़ और
आशीवाद से हाथ फराते देखा। नाग-मानव क आंख कोमल थ , मानो वो
अपने ब े को देख रहा हो।

‘यहां आओ, िब टया...’ थके ए कं तु संतु दखाई देते ारका शा ी ने कहा।

उनके जीवन का काय पूण हो गया था।


‘वो यहां ह, दािमनी... वो यहां ह...’ िव ुत ने अपने जीवनसाथी के कान म
कहा, जब वो उसके करीब आई।

‘हां, िव ुत... ठीक है... मुझे बताओ तुम कब...’ दािमनी ने जवाब दया। उसके
िलए, िव ुत का व थ होना दुिनया के कसी भी रह य से अिधक मह वपूण
था।

‘म इसे पहले य नह समझ पाया, दािमनी...?’ देवता ने आगे कहा, उसका


िसर झुका आ था, उसक आंख से आंसू िशव के चरण म िगर रहे थे।

‘ या नह समझ पाया, िव ुत...? यहां कौन ह, जान...?’ उसने पूछा। वो


समझ सकती थी क िव ुत उससे काले मं दर का रह य साझा करना चाहता
था।

‘वो यहां ह, दािमनी... पलभर पहले... न के चरम पर...

िव णु...’

सुंदर दािमनी समझ नह पा रही थी क िव ुत या कहने क कोिशश कर


रहा था। उसने उससे फर से पूछा, िवन ता से।

‘यहां कौन ह, मेरे देवता? काले मं दर का रह य या है, िव ुत?’

िव ुत ने उसे देखा। उसक आंख िभ नजर आ रही थ । वो कािशत थ !

उसने ब त कम श द म जवाब दया, जो उसके मुंह से िनकल सके ।

‘कि क...

पािपय के संहारक, भ के तारक... िव णु के दसव अवतार आ प च


ं े ह,
दािमनी।

कि क अवतार का ज म हो चुका है।’


िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
यु िवराम

इस पृ वी पर रहने वाले कसी भी जीव ने इससे पहले कभी इतनी अि नह


देखी थी।

सबकु छ जल रहा था। नरभ ी िसपाही लपट म थे। उनके घोड़े झुलस गए थे।
दु मन क तलवार िपघल गई थी। उस ताप क तुलना सूरज से ही क जा
सकती थी, उनम से ब त को उस समय यही लगा था।

अंधेरी, तूफानी रात म ऐसा तीत हो रहा था, मानो कु छ पल के फासले पर


आसमान के तारे धरती पर िव फोट कर रहे थे। दै य भयभीत थे और यु े
म मच रहे उस कोहराम म बेतरतीब दौड़ रहे थे। उ ह ने इससे पहले कभी
अि क ऐसी वषा नह देखी थी। न ही कभी नौका के िनवािसय और अ य
ने ऐसा दृ य देखा था। यह िविच और अिव सनीय था।

आग के कुं ड नाव के तले से िनकलकर, सीधे आकाश म जा रहे थे, और फर तेज


आवाज के साथ दै य के झुंड पर फट रहे थे। इससे एक ही बार म सैकड़ दै य
जलकर मर जाते। कु छ पल के िलए नर-मुंड और उसका यु -अ य डू ड ं ा को
भी मानो लकवा मार गया था, वो समझ नह पा रहे थे क ये या हो रहा था।
अि के ये गोले कै से एक-एक कर नौका से िनकल रहे थे और फर फटकर
उनक सेना के परख े उड़ा रहे थे?

एक घंटे से भी कम समय म, एक बार फर से यु का पलड़ा बदल गया था,


वो अब वापस से संतुलन म आ गए थे।

अभी के िलए, यह यु कोई भी जीत सकता था।

और खेल बदल सकने वाला एक त य नौका के संर क के सामने प हो गया


था।
वो आग से ब त भयभीत थे।

दै य अनपेि त, असामा य प से आग से डरे ए थे!

म य यह जानता था। उसी ने नौकावािसय को गंधक दया था, िजसके बारे


म सम आयवत म से कसी ने सुना तक नह था। उसने मनु और ुव को बड़े-
बड़े कुं ड बनाने के िलए िशि त कया था, िजनम भरकर गंधक दु मन सेना
पर कसी गोले के समान फके जा सकते थे।

पहली बार म य ने िवशाल नौका और उसके िनवािसय क र ा क थी।

ले कन यह अंितम बार नह था।

याह जंगल के उस िवकराल स ाट को वयं को शांत करने म अिधक समय


नह लगा, और ज द ही वो अपने, र िपपासु प म वापस आ गया। अपनी
भयानक आवाज म, जो शेर क दहाड़ और हाथी क चंघाड़ का िम ण लग
रही थी, उसने अपनी नर-भ ी सेना को लड़ने के िलए वापस बुलाया।

सेना ने फर से एक-दूसरे पर हमला कया, इस बार नए पागलपन से। धातु


क रगड़, तलवार का तलवार पर वार, भाले का कवच से, कु हाड़ी का ढाल से
संघष कान को बहरा बना देने वाला था।

‘हम नर-मुंड के पास एक दूत भेजना चािहए, जो यु -िवराम का ताव लेकर


जाए,’ मनु ने सोमद से कहा, जो मनु के पास ही एक घोड़े पर सवार था। वो
दोन यु म ए र पात का िनरी ण कर रहे थे।

‘ या?’ ुव ने दखल दया, स य त मनु के घोड़े के पास ही खड़ा था। ‘ या


तु हारा दमाग ख़राब हो गया है, मनु? तुम उस दानव के साथ यु िवराम पर
बात करना चाहते हो?!’

‘देखो, ुव, मेरे िम , म जानता ं क उस जानवर से कसी भी स य यु र


क उ मीद करना पागलपंती है। ले कन भले ही हालात जो भी ह , हम शांित
का एक अवसर तो देना ही चािहए। इस समय, वो अपने सािथय के गंधक क
अि म समाने से बौखलाया आ है। यह अवसर शायद हमारे प म जा
सकता है। अगर वो शांित से बात करने को राजी आ, तो हम उन दै य और
उनके प रवार के साथ हजार लोग क जंदगी बचा पाएंगे।’

ु जानता था क मनु सही कह रहा था। अभी उनके यु जीतने के अवसर



धूिमल ही थे। शांित का एक समाधान इस बुरे व को तुरंत ही समा कर
देगा। ले कन फर भी वो सहमत नह हो पा रहा था। वो जानता था क नर-
मुंड तक या मै ी वाला इं सान नह था। वो तो इं सान ही नह था।

दूसरी तरफ, सोमद को मनु के ताव म संतुलन नजर आया। उसने पुजारी-
राजा के प म अपनी बात रखी।

‘द यु के जाने और दै य क आधी सेना ख़ म हो जाने के बाद, उनक सं या


भारी प से कम हो गई है। हमारे भी हजार सैिनक मारे गए ह। इन नए
हालात म, हम बचे ए दै य को अपनी नौका पर शरण दे सकते ह।’

ु अब मनु के घोड़े के सामने आया और दोन घुड़सवार के सामने खड़ा हो



गया। उसका संदह
े य था।

‘उ ह शरण दे द? या मने आपके मुंह से शरण सुना, सोमद जी?’

सोमद और मनु, दोन शांत थे। ुव ने अपनी बात आगे बढ़ाई, उसने अपने
साथी नौकावािसय को यह समझाने क ब त कोिशश क क यु िवराम जैसे
यास थ थे, और क उन दै य को नौका पर थान देने का प रणाम या हो
सकता था।

‘बुि मान सोमद जी, या आप भूल गए ह? वे नरभ ी ह!’ वो हैरानी से


िच ला रहा था क कोई उसके तक समझ नह पा रहा था। ‘वो आपके और मेरे
जैसे लोग को खाते ह! जो आप कह रहे ह, वो ऐसा लग रहा है मानो बछड़ के
झुंड म जंगली कु को रहने क जगह दे दी जाए!’

तीन आदमी खामोश थे। व ु , मनु और सोमद के घोड़ के आगे बेचैनी से


च र लगा रहा था, और यु क कायवाही देखते ए, उनके िनणय क ती ा
कर रहा था।

‘मने इस बारे म सोच िलया है,’ कु छ पल िवचारम रहने के बाद मनु ने कहा।

‘हम नर-मुंड को मिहला , ब और घायल को नौका के मु य तल पर रखने


का ताव दगे। जहां तक उसके यो ा का सवाल है, उ ह अपने हिथयार
हम स पकर कै द म रहना होगा। इस तरह हम अपने लोग को बचा लगे, दै य
क िनद ष मिहला और ब को बचा लगे, और दै य यो ा को बंदी बना
लगे। बदले म, दै य को लय से बचने का अवसर िमलेगा, अगर िवशाल नौका
वा तव म लय से बच पाई तो।’

सोमद ने मनु क तरफ देखकर संतोष से िसर िहलाया। ुव ने नजर फे र ल ,


वो इस भयानक िनणय को कसी भी तरह पचा नह पा रहा था।

ब त सोच-िवचार के बाद यह तय कया गया क सोमद दै य-राजा से बात


करने जाएगा। मनु, ुव और चंड के िवरोध के बावजूद, बुि मान अिभयंता
ने दबाव दया था क वो दूत के तौर पर शांित वाता करने जाएगा। कसी छोटे
ओहदे का आदमी ये नह संभाल पाएगा। नर-मुंड कसी अ भावशाली ि
क बात सुनने को तैयार नह होगा।

ु हैरान रह गया, जब नर-मुंड भी बात करने के िलए तैयार हो गया। दोन



सेनाएं पीछे हट ग और अब एक-दूसरे के सामने खड़ी होकर हांफने लग ।
कह न कह , मैदान म उपि थत येक आ मा, फर वो चाहे दै य िशिवर क
हो या नौका क चोटी क , ले कन हर कोई शांित क उ मीद कर रहा था। यु
अब तक इतना हंसा मक और िवनाशकारी रहा था क अब शायद उसम
सौदेबाजी के िलए कु छ बचा ही नह था। ब त कम समय म, ब त से आदमी
ददनाक मौत मारे गए थे। हजार घायल असहनीय पीड़ा से कराह रहे थे। बाढ़
कसी भी पल बस आने ही वाली थी।

हर कोई उ मीद कर रहा था क सोमद और नर-मुंड के बीच होने वाले इस


यु पर िवराम लगा दे।

नर-मुंड मैदान म आया, वैसे ही अकड़कर, जैसा दै य वो था। उसके पास कोई
हिथयार नह था। और सब ब त हैरान रह गए, जब वो अपने साथ दस
बालक को लेकर आया। उनम से कसी क भी उ आठ-नौ साल से अिधक
नह थी। नेक और पर पर सौहा के ऐसे भाव क उ मीद उस दै य स ाट से
िबलकु ल भी नह क जा सकती थी।

सोमद , जो नरभ ी-स ाट से िमलने जा रहा था, ुव क तरफ मुड़कर


िवन ता से मु कु राया। नर-मुंड ब के साथ आया था।

शांित का वा तव म एक मौका था।

मनु और सोमद दोन भूल चुके थे।

वो दोन र धारा का ाप भूल चुके थे!

“ई र कभी तु ह तु हारी नफरत भरी िनयित से मु नह करगे। हंसा


और र -संघष का सांप कभी भी मानवजाित को अपनी पकड़ से िनकलने
नह देगा, जो उसी ई र के नाम पर ही एक-दूसरे का वध करते रहगे, िजसे
उ ह ने आज धोखा दया है! कभी भी िव वंस और मार-काट तु हारा साथ
नह छोड़ेगी। यह मेरा अिभशाप है, ओ पितत देवता! मानवजाित अपने
अंत तक असीिमत वेदना को झेलेगी!

म तु ह अिभशाप देती ं! म तुम सबको अिभशाप देती ं!’”


बनारस, 2017
‘वो तु हारे पीछे आ रहे ह, िव ुत’

वे भगवान िशव के चरण म अनु ािनक अि के िगद बैठे थे। िव ुत, दािमनी,
ारका शा ी और उन सबसे लंबा और िवकराल शेषनाग। नैना, पुरोिहत जी,
सोनू, बलवंत और गोवधन कु छ दूरी पर बैठे थे, उनके हाथ स मान म जुड़े ए
थे। मठ के ब त से दूसरे िव सनीय साधु भी ख़ामोशी से, अपनी आंख बंद
कए बैठे थे। काले मं दर म उपि थत येक ि अब पिव अवतार के ेही
और सवशि मान व प म खो गया था।

िव ुत के हाथ म वो ाचीन प था। छोटी कं तु ब मू य सूचना, जो उसम


मनु और म य ने िछपाई थी, वो अब िव ुत क आ मा पर गढ़ गई थी। अब
वो समझ गया था क य यू व ड ऑडर ने रह य क तलाश म स दयां
िबताई थ ।

ारका शा ी और शेषनाग हवन म आ ित चढ़ा चुके थे। वो ऐसे मं का


उ ारण कर रहे थे, जो िव ुत और पुरोिहत जी जैसे स म योगी व तांि क ने
भी नह सुने थे। ये रह यमयी, अ याधुिनक ोक थे, िजनक जानकारी दुिनया
के दो सबसे वृ ि य को ही थी। और वो दोन ही अनु ािनक अि के िगद
बैठे थे। मं इतने शि शाली थे क उनके श द हवनकुं ड से कपूर के धुएं म
िलपटकर उठते तीत हो रहे थे, और वो सीधे बैकुंठ, भगवान िव णु के
अलौ कक धाम जा रहे थे।

‘उस पिव प को अब अि के सुपुद कर दो, िव ुत,’ ारका शा ी ने िनदश


दए।

िव ुत िझझका। जो कु छ पल उसने उसके साथ गुजारे थे, उसम देवता को उस


प और उसके सुनहरे श द से एक मोह सा हो गया था।

‘इसक यही प रणित है, िव ुत... जहां से यह आया था। अब िसफ काले मं दर
का रह य तु ह पता होगा। वा तव म अब से तुम ही काले मं दर के रह य हो
िव ुत!’

दािमनी ब त दुिवधा म थी। उसने िव ुत को अपार भि म टू टते और कि क


का नाम बुदबुदाते ए देखा। ले कन उसे अभी भी प नह हो पा रहा था क
प म या िलखा था। मठाधीश दािमनी के चेहरे पर दुिवधा के भाव देख पा
रहे थे।

‘िव ुत दािमनी को ये जानने का अिधकार है, क स दय से इस प म कौन


सा राज समािहत था।’

िव ुत ने हां म िसर िहलाया। वह मु कु राकर अपनी जीवनसाथी क तरफ


मुड़ा। मन ही मन वो सोच रहा था क या दािमनी उसक कही बात पर
भरोसा करे गी।

‘जैसा क मने तु ह बताया, दािमनी, भगवान िव णु का ब तीि त अवतार,


कि क कु छ िमनट पहले, यहां से कह दूर ज म ले चुका है। भिव यवाणी म
िनयत रोिहणी न और कु छ नह भु कि क के धरती पर उतरने का समय
था।’

द ली क आकषक प कार इन श द को सुनकर मु ध थी। उसने िव णु के


दसव अवतार, कि क के बारे म सुन रखा था, िजसे कलयुग म धरती पर पाप
और पािपय के सफाए के िलए आना था। ले कन वो यक न नह कर पा रही
थी क अब वो उस पिव उ े य का िह सा थी।

‘तो प म यही िलखा था, भु कि क के आने का समय?’

िव ुत ने मु कु राकर जवाब दया, ‘हां, ले कन उसम... कु छ और भी था।’

दािमनी ने कोमलता से अपनी भव उठाकर, िव ुत को अपनी बात पूरी करने


के िलए उकसाया।

‘और या, िव ुत?’ उसने पूछा।

‘प म िसफ कि क के ज म का समय ही नह था, दािमनी...

...इसम उनके ज म का प थान भी था।

अब म जानता ं क वो कहां ह!’


जब वे लोग शेषनाग से आशीवाद ा कर, उ ह िवदा करके काले मं दर से
बाहर िनकले, तो लगभग सूय दय का समय हो चुका था। रह यमयी,
शि शाली सप-राजा भैरव मं दर के तहखाने म अिधक समय तक नह रहने
वाला था। उनका अपने वामी के पास उपि थत रहना आव यक था। इस दन
क उ ह ने दो हजार वष से अिधक ती ा क थी।

जब वो ारका शा ी के कु टीर क छत पर बैठे, तो वो काशी म होने वाली


परं परागत सुबह क आवाज सुन सकते थे। सोनू सबके िलए चाय लेकर आया
था, और वो लोग सटर टेबल के आसपास िबछी कु सय पर बैठे थे। वृ ारका
शा ी अब प प से थक चुके थे, वो बड़ी मुि कल से सांस ले पा रहे थे।
और फर भी उनके चेहरे पर सबसे अिधक संतोष था। ले कन वो जानते थे क
अभी उनका काय पूण नह आ था।

या प कह तो, िव ुत का काय अभी पूण नह आ था।

चाय के कु छ घूंट और चंद िबि कट ने सब पर जादुई भाव दखाया था। वो


सब एक लंबी, अ यिधक ऊजावान और आ याि मक रात िबताकर आए थे।

‘बलवंत, मठ के सारे यो ा को दोगुनी ताकत से आ म क सुर ा म लगा


दो। तुम वयं हर ार और हर मुंडरे का िनरी ण करोगे। नैना, दािमनी को ले
जाओ और इनक सुर ा तु हारा कत होगा। इ ह अब िव ुत के आसपास
नह आना चािहए, कम से कम अब से कु छ समय के िलए तो।’

बलवंत ने बुजुग के स मुख िसर झुकाया और तुरंत ही अभी िमले आदेश के


पालन हेतु चल दया। सोनू भी उसके पीछे हो िलया, उसे अपने देवता के िलए
एक और लड़ाई लड़नी थी।

‘अब या, बाबा? या आपको लगता है क ऑडर अब मेरे पीछे आएगा?’

ारका शा ी हैरानी से िव ुत क ओर मुड़।े

‘तुमने या कहा, मुझे लगता है, िव ुत? म हैरान ं क तुम ये सवाल पूछ रहे
हो। इसे जान लो, मेरे ब .े .. काले मं दर का रह य, िजसे ऑडर कसी भी
क मत पर हािसल करना चाहता है, वो अब तु हारे दल म िछपा है।

तो अपने मन म कोई संदह


े मत रखो।

वो तु हारे पीछे आ रहे ह, िव ुत।’


‘कां टटाइन कि क अवतार के बारे म जानता था। उसके जैसे शि शाली राजा
के दरबार म दुिनया के सबसे स म रह यवादी सलाहकार थे। उ ह दृढ़
िव ास था क अतीत के दूसरे द दूत , पैगंबर और अवतार क तरह ही,
भगवान कि क का आना भी िनि त है। वह यह भी जानता था क उनके आने
का सही समय, थान काले मं दर क पिव संरचना म िछपा था। यू व ड
ऑडर बनाने के पीछे उसक वा तिवक मंशा दुिनया को एक बेहतर जगह
बनाने क ही थी, जो मानवजाित के िलए शांित और याय लाने म कि क क
सहायता कर सके । ले कन उसका अनुमान बुरी तरह गलत िनकला। भु का
स म सेवक बनने के बजाय, उसने मानव इितहास के सबसे जघ य दानव का
िनमाण कर दया था।’

ारका शा ी के आसपास उपि थत लोग यान से उनक बात सुन रहे थे। वो
काले मं दर के रह य क अंितम परत उतार रहे थे।

‘जैसा क मने पहले भी बताया है क यू व ड ऑडर के गु ातृसंघ को


अलौ कक और आ याि मकता का गहन ान है। उनक सेवा म सबसे भयावह
शैतान पूजक खड़े रहते ह। उनके पास अपने रह यमयी, तांि क और काले
जादूगर ह। सफर क शु आत म ही इन शैतान पूजक ने उ ह कि क के आने
और कलयुग क समाि के िवषय म बता दया था। ऑडर के सवसवा को बता
दया गया था क िसफ कि क ही उनको रोक सकता था। उसे सलाह दी गई थी
क उसका ज म तार के उस पिव संयोजन म होगा, और अगर वह तेरह
साल तक जीिवत रह गया, तो ऑडर का अंत िनि त है। तो य िप गु संगठन
यु कराता रहा, तानशाह को पोिषत कया, सं ामक बीमा रय को उ प
कया और स दय तक दुिनया क अथ व था को िनयंि त करता रहा,
ले कन उनका मु य उ े य काले मं दर के रह य का पता लगाना ही था और
यह जानना क अवतार का ज म कहां होगा। वो प हािसल करने के िलए ही
अबाध प से देव-रा स मठ से लड़ते रहे।’

िव ुत जान गया था क यह जंग अभी ख़ म नह होने वाली थी। वा तव म


अभी तो जंग क शु आत ई थी।

‘बाबा, अब यह ऑडर या चाहता है? वो िव ुत के पीछे य आएंगे? सैकड़


साल के र पात और हंसा के बावजूद, कि क अवतार ने तो ज म ले िलया
है। या अब उ ह अपनी हार वीकार नह कर लेनी चािहए?’ नैना ने पूछा।

‘नैना, तुम शायद ऑडर को पूरी तरह समझ ही नह पाई हो,’ डमा टर ने
जवाब दया। ‘वो कभी पीछे नह हटगे। उनके पास दुिनया के सबसे स म,
सबसे मह वाकां ी और अब तक के सबसे खतरनाक आदमी ह।

वो वही करने क कोिशश करगे जो ईसा के ज म पर राजा हेरोड ने कया था।


वो वही करना चाहगे जो कृ ण ज म पर राजा कं स ने कया था।
वो कि क को मारने का हरसंभव यास करगे... जब क वो अभी िशशु ही
होगा।’

जाने कै से नैना का फोन वाइ ेट होने लगा।

उसने फोन िनकाला और हैरानी से उसक न देखने लगी।

‘ये तो अजीब बात है। यह नंबर महंत भवानीशंकर के अलावा और कसी के


पास नह था, और उनका फोन तो अभी आना नह था,’ उसने दूसर से कहते
ए फोन उठाया।

पलभर म ही उसका चेहरा पथरा गया। तीस सैकंड से भी कम समय म उसने


फोन रख दया। फोन करने वाला ि फोन काट चुका था।

बोलते ए उसने दांत पीसे।

‘ये ोफे सर ि पाठी या वो एक-आंख वाला शैतान ानंद था। वो पागल क


तरह हंस रहा था।’

सब त ध थे। िव ुत ने अपनी आंख बंद कर ली, वो नह सुनना चाहता था क


नैना या कहने वाली थी। सबक मज के िव , उसने ानंद को छोड़ने का
िनणय िलया था।

नैना ने भयावह स ाटे से कहा।

‘महंत भवानीशंकर को मार दया है।

कसी वाइट मा क नाम वाले ि ने आज दोपहर िव ुत को घाट पर


बुलाया है।’
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
काली का युग

वो कान क प च ं से दूर थे, उस जगह से लगभग तीन सौ कदम दूर, जहां मनु,
ुव और चंड बड़े मन से पूरी कायवाही देख रहे थे और मन ही मन ाथना
कर रहे थे। सोमद उस िवकराल दै य के सामने बैठा था। छोटे दै य बालक
नर-मुंड के िगद छोटे तंभ क तरह खड़े थे। उ ह नह पता था क या होने
वाला था।

सब कु छ ठीक ही तीत हो रहा था। सोमद अपने हाथ बगल म दबाए,


िनडरता से अपनी बात रख रहा था। वो नर-भ ी को समझाने क कोिशश कर
रहा था क अगर तुरंत ही यु बंद नह कया गया तो आगे या तबाही और
र पात हो सकता है। दोन सेनाएं, उनके अ य इ या द सब हैरान थे और
कु छ के मुंह से तो अिव ास क कराह भी िनकली जब शि शाली नर-मुंड ने
हाथ जोड़कर, बुि मान अिभयंता के स मान म िसर झुकाया।

या आिखरकार यु समा हो गया था? ब त से लोग के मारे जाने और


हजार घायल के असहनीय पीड़ा म तड़पने और लगातार हो रही बा रश से
बेहाल, दोन तरफ के यो ा आशा से देख रहे थे।

हर कोई शांित चाहता था।

अ यिधक उ लास के साथ सोमद अपने दल और अ य क तरफ मुड़ा।


इतनी दूरी से भी मनु बुि मान अिभयंता के चेहरे पर मु कान देख पा रहा था।
नर-मुंड ने यु िवराम का ताव वीकार कर िलया था!

दोन तरफ के िसपाही िनणय के समथन म अपने हिथयार और कवच बजा रहे
थे। नौका क सेना ने सोमद के िनडर यास क ख़शी म अपने तलवार और
भाले उठाकर उसे सलामी दी, और सोमद ने अपने दल क तरफ चलना शु
कया। हड़ पा के मु य अिभयंता, िववा वन पुजारी के सबसे िव सनीय िम
और मनु के िलए िपता-समान सोमद ने राहत क सांस लेकर अपने सािथय
क तरफ हाथ िहलाया।

हर कोई शांित चाहता था।

िसवाय नरभि य के स ाट के ।

एक सहज दांव के साथ, वो िवशालकाय दानव आगे झुका। इससे पहले क


य दश अपनी आंख तक झपका पाते, नर-मुंड ने सोमद क गदन पीछे से
पकड़कर उसे उठा िलया। अपने बाएं हाथ से ही उसने उस वृ को हवा म
इतना ऊंचा उठा िलया था क सब उसे देख सक, और फर उसने गरजती
आवाज म कहा!

‘तु ह शांित चािहए??’उसने नौका क सेना क तरफ दहाड़कर पूछा, वो


बेरहमी से उस लटकते ए आदमी को द शत कर रहा था।

‘तु ह शांित चािहए??’ वो फर से गुराया, इस बार अपने सैिनक से, उसक


आंख म ोध से र उतर आया था।

फर उसने मुड़कर सीधे नौका के राजा, स य त मनु को देखा।

अब तक जकड़े ए अिभयंता ने अपनी तलवार ख च ली थी और झूलते ए ही


हाथ-पैर मारकर, उसे नरभ ी क भुजा तक प च
ं ाने क कोिशश कर रहा था।

उसके संघष से नर-मुंड को कोई फक नह पड़ रहा था। दानव अभी भी मनु को


देख रहा था, िजसे ुव और चंड ने पकड़ रखा था, िजससे वो यु भूिम म
कू दकर, नौका के अिभयंता को बचाने न प च
ं जाए।

‘तु ह शांित चािहए, स य त मनु?’ िवशालकाय दानव ने तीसरी बार


िच लाकर कहा।

अगले ही पल, नर-मुंड ने सोमद को खरगोश क तरह मोड़ा, उसे पास लाए
और उसके गले म अपने िवशाल जबड़े धंसा दए। दल दहला देने वाली ू रता
से, उसने अपने नुक ले दांत से सोमद का गला फाड़ दया।

जब उसने सोमद क र रं िजत अंतिड़यां क ी ही चबा ल , तो अपने दु मन


का अभी भी जीिवत शरीर मैदान के एक कोने म फक दया।

नर-मुंड के साथ आए दस ब े कई दन से भोजन नह िमल पाने क वजह से


भूखे थे। आज शैतान ने उ ह दावत िखलाने का वादा कया था। एक ही झटके
से वो छोटे लगड़ब गे क तरह र रं िजत अिभयंता पर टू ट पड़े।

हजार सैिनक के सामने, नौकावािसय के सामने, मनु, ुव और चंड के


सामने हड़ पा के मु य अिभयंता को जंदा खा िलया गया।

‘घेर लो उसे! उस हैवान को घेर लो! व


ु ... अपने े आदिमय को भेजो!’
स य त मनु िच लाया, उसक आवाज ोध और नफरत से कांप रही थी!

उसे अभी भी ुव समेत दस आदिमय ने पकड़ रखा था। वो जानते थे क मनु


असहनीय दुख और यातनामयी पछतावे से गुजर रहा था। अगर उ ह ने उसे
छोड़ दया, तो वो नर-मुंड क तरफ दौड़ जाएगा—और शायद यह उसके िलए
िनि त पराजय और मौत होगी। उस नरभ ी के सामने सोमद को शांित दूत
के प म जाने देने का िनणय उसी का था। ुव ने उसे ऐसा न करने के िलए
समझाया था, ले कन फर भी उसने ऐसा कया। शांित क उसक चाह ने उसे
जोिखम उठाने को मजबूर कया। इसके िलए वो अंधा हो गया था।

नौका क सेना म से कसी ने भी कभी ऐसी अमानवीय ू रता नह देखी थी।


नर-मुंड ने परपीड़न क सारी सीमा पार कर दी थ , उसने ू रता क हर हद
तोड़ दी थी। मनु अब समझ गया था क उसे कसी भी तरह इस हैवान को
धरती से िमटाना होगा। भले ही उसके िलए स मान के कतने ही िनयम य
न तोड़ने पड़।

तेज सुबकते ए और सांस न ले पाते ए, मनु अपने करीबी और ख़ास िम क


तरफ मुड़ा।

‘हम उसे मारना होगा, ुव। र सी ले आओ। अपने े यो ा को बुलाओ।


तुम और म उनका नेतृ व करगे, और हम इस बुराई के दानव का िवनाश कर
दगे—भले ही इसके िलए हम जो करना पड़े! हम उसक पीठ म छु रा घोपगे,
उसे घेर लगे, उसके हाथ बांधकर, उसके टु कड़े-टु कड़े कर दगे!’

और कसी ने नह बि क वयं पिव , तेज वी और नेक मनु ने आदश को


छोड़ने का िनणय िलया... हंसा, पतन और कलह का दौर शु हो चुका था।

काली का दौर आ गया था।

कलयुग क शु आत हो गई थी!
बनारस, 2017
शैतान!

फाइव- टार होटल म भगदड़ मची ई थी। उ र देश पुिलस ने फाइव टार
होटल के प रसर को घेरा आ था और होटल के येक कमचारी से पूछताछ
जारी थी। उस दन लगभग दोपहर के करीब एक बजे हाउसक पंग मिहला
को एक कमरे म लाश िमली थी।

ह या बेरहमी से क गई थी। शरीर म कसी नुक ली धातु से पतीस बार छेद


कए गए थे, िजसम कनपटी और आंख भी शािमल थ । मरे ए आदमी के हाई
ोफाइल क वजह से, ेस भी घटना थल पर प च ं गई थी। वो मुंबई का
खूंखार डॉन, असलम बाइकर था। शु आती जांच से पता चल रहा था क ह या
का वो नुक ला औजार शायद कोई पचकस रहा होगा।

पैसा, हिथयार और सुर ा जो वो असलम बाइकर को मुहय


ै ा कराते थे, उसके
बदले उसे ऑडर के ित एक मह वपूण कत िनभाना था। उसे सुिनि त
करना था क अगर काले मं दर के रह य को के दारनाथ मं दर से बाहर
िनकाला जाता, तो उसे उसक अगली जगह तक उसका पीछा करना था।
ले कन गग टर इस कत म असफल रहा। रह य के दारनाथ से एक नए और
अनजाने काले मं दर म प च
ं ा दया गया था, और इसक कोई खबर ऑडर को
नह िमली थी। असलम बाइकर ने उ ह िनराश कया था।

और जो भी वाइट मा क को िनराश करता था, उसक िनयित यही थी।

‘तुम मुझसे मजाक कर रहे हो, िव ुत!’ दािमनी ने कहा।

ारका शा ी क उपि थित म पहली बार दािमनी ने अपना िनयं ण खोया


था। िव ुत ने ठान िलया था क वो वाइट मा क से िमलने जाएगा।

‘बाबा, लीज इस आदमी के दमाग म कु छ तो समझ डािलए। वह जानता है


क अब वह काितल ातृसंघ का मु य ल य है। आपने हम बताया था क
िव ुत को पकड़कर भगवान का ज म थान िनकलवाने के िलए कसी भी हद
तक जा सकते ह। तो ऐसे म यह मठ से बाहर िनकलने क सोच भी कै से सकता
है?’

इससे पहले क ारका शा ी कु छ कह पाते, देवता बोल उठा।

‘म जो कर रहा ,ं उसे समझने क कोिशश करो, दािमनी। वह आदमी जो भी


है, वो ही महंत भवानीशंकर क ह या के पीछे है। उसने ही शायद असलम
बाइकर को भी मारा है, िजसके बारे म आज सुबह हमने अखबार म पढ़ा।
ानंद भी इसी का गुलाम है। यक नन यह वाइट मा क गु ातृसंघ के
पदानु म म मह वपूण थान रखता है। ऑडर कसी न कसी तरह तो मेरे
पास आएगा ही। कम से कम इस आदमी के सामने जाने से, म ये तो जान
पाऊंगा क दु मन कौन है! कब तक हम एक अदृ य श ु से लड़ते रहगे? म उस
दु मन से कब तक िछपा रह सकता ,ं िजसक म श ल तक नह जानता?’

‘ले कन, िव ुत...’ दािमनी ने िवरोध जताया, अपने दुखते माथे को अपने हाथ
से दबाते ए।

‘मुझे जाने दो, जान। यह आदमी बनारस तक प च


ं गया है। वह जानता है क
म मठ क चारदीवारी म ।ं अगर वह महंत भवानीशंकर और मुंबई डॉन जैसे
स म लोग को मार सकता है, तो मठ के हरी उसे रोक नह पाएंगे।’

िव ुत ने दािमनी का माथा चूमा।

‘मुझे जाना होगा, दािमनी। मुझे कु छ नह होगा।


भगवान कि क आ गए ह। वो हमारी र ा करगे।’

जब देवता ने झुककर अपने बाबा के पैर छु ए, तो देव-रा स मठ के डमा टर


ने िव ुत को आशीवाद दया।

‘याद रखना, िव ुत, यह आदमी रोमी परे रा, डा कनी, कराये के ह यार या
यहां तक क ि जट कपािलक और ानंद से भी अलग है। म दािमनी के
सामने यह नह कहना चाहता था, ले कन वाइट मा क या मा के रा िबआंका,
जो भी उसका नाम है, उसम कु छ खतरनाक बात है।’

िव ुत ने यान दया क उसके बाबा ने मा के रा के बारे म बात करते ए कु छ


का इ तेमाल कया, बजाय कोई के ।

‘बाबा, नैना ने मुझे बताया था क महंत भवानीशंकर ने काशी म लूिसफर या


वयं शैतान के आने क बात कही थी। म मसान-राजा क य -शाला म शैतान
क ितमा देखकर भयभीत था। या वाइट मा क वयं लूिसफर का अवतार
है, बाबा?’

‘नह , िव ुत। वो लूिसफर नह है। और हम िनि त प से नह जानते क


या लूिसफर और शैतान एक ही ताकत है। ंथ म इस िवषय म प नह
िलखा गया है। हमारे सं दाय के ब त से लोग का मानना है क मा क वयं
शैतान का प है। महंत भवानी भी ऐसा ही मानते थे। ले कन मुझे िव ास है
क वो शैतान नह है।

भगवान माफ करे , ले कन जब शैतान आएगा, तो पूरी दुिनया जान जाएगी,


िव ुत। वो अपने साथ सम त सृि क काली ताकत लाएगा। और तुम या
ताकतवर शेषनाग भी उसक राह म खड़े नह हो पाएंगे। हम ांड से
ाथना करते ह क ऐसा तब तक न हो, जब तक कि क उसका सामना करने
को तैयार न ह ।’

देवता को लूिसफर क िवशाल अध ितमा याद आई, जो उसने मृतक-नाथ,


ि जट कापािलक क य -शाला म लाश और हवनकुं ड के म य देखी थी।

‘तो फर ये वाइट मा क कौन है, बाबा?’

ारका शा ी के चेहरे पर पहली बार चंता क लक र दखाई द ।

‘मा के रा िबआंका शैतान का दूत है, िव ुत। अिधक प ीकरण के िलए, म कह


सकता ं वो...
...आधा-मनु य, आधा-दानव है!’

क मती, महीन िलनन क सफे द कमीज उसक कसी ई मांसपेिशय पर लहरा


रही थी।

मा के रा िबआंका कसी हॉलीवुड फ म टार से कम नह लग रहा था।

िव ुत पिव गंगा के घाट पर खड़ा था, उसने काली टी-शट पहन रखी थी, जो
उसक बिल मांसपेिशय को सहला रही थी।

देवता रोम-रोम से वही ई र नजर आ रहा था, जो वो था!

दोन आदिमय क कमीज के रं ग उस ताकत से पूरी तरह िभ थे, िजनका वो


ितिनिध व कर रहे थे।

‘हे लो, िव ुत,’ मा के रा ने कहा, उसके चेहरे पर िश मु कान थी।

देवता असलम बाइकर नह था। वो उसके िश मुखौटे के भुलावे म नह आने


वाला था।

‘म तु ह या कहकर पुका ं , मेरे दो त?’ जब दोन ने हाथ िमलाए, तो िव ुत


ने पूछा।

‘वैसे, म िन ंत ं क तुम मेरा नाम जानते हो, िव ुत,’ मा क ने अपना


काला च मा उतारते ए जवाब दया। उसने िव ुत को अपनी ओज वी हरी
आंख से देखा।

देवता नरम नह पड़ा।

‘म लोग का नाम जाने िबना उनसे बात नह करता।’

वाइट मा क खुशी से हंसा। उसने अपना च मा मोड़कर, अपनी जेब म रख


िलया। उसने अपनी िडजाइनर गुलाबी पट ऊपर ख ची और घाट क सी ढ़य
पर बैठ गया। उसने िव ुत को भी पास आकर बैठने का संकेत दया। कु छ-कु छ
वैसे ही जैसे रोमी और देवता उन प थर क सी ढ़य पर बैठे थे।

‘तुम जानते हो, िव ुत... कभी कसी समय म, तुम मुझे वं टन पुकार सकते
थे। या जोसफ। या अडो फ़ भी।

ले कन अभी के िलए, तुम मुझे मा के रा पुकार सकते हो... मेरे िम ।’


िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
अंितम यु —भाग IV

मनु क आंख ोध से चमक रही थ , उनम आंसू और नफरत भरी थी।

ुव ने पहले कभी अपने िम का ऐसा ू र प नह देखा था। स य त मनु


ह यारे दानव के प म बदल गया था, और अपने व नर-मुंड के बीच आने वाले
दै य यो ा को काटे जा रहा था।

दोन सेनाएं एक बार फर से एक-दूसरे पर अपनी तेज तलवार , भाल ,


मु य और दांत से हार कर रही थी। बद क मत अिभयंता के साथ ही
शांित क आखरी उ मीद भी ख़ म हो गई थी और अब दोन प के आदमी
एक-दूसरे के र के यासे थे। हर गुजरते पल के साथ बाढ़ क गड़गड़ाहट और
तेज होती जा रही थी। हवा अब तेज च वात क तरह चल रही थी, िजससे
यो ा के िलए संतुलन बनाना मुि कल होता जा रहा था।

अब साफ था। बाढ़ अब एक-दो घंटे ही दूर थी। जो समय पर नौका म चढ़


जाएंगे, वो ही अगला दन देखने के िलए जीिवत रहगे। जो नौका पर नह चढ़
पाएंगे वो सागर क लहर म क ट के समान बह जाएंगे।

जब नौका का पुजारी-राजा उस नरभ ी क तरफ बढ़ने लगा, तो ुव और


उसके साथी भी उसके साथ ही थे। उ ह अब मनु क अनुमित िमल गई थी। वे
सब अब याह जंगल के स ाट को घेरने जा रहे थे और उसे अब अपने पाप क
सजा भुगतनी ही होगी। ुव के येक घुड़सवार के पास एक र सी का फं दा
था। वो जानते थे क जब तक नर-मुंड के हाथ-पैर आजाद रहगे, उस जानवर
को हरा पाना असंभव होगा। उसम दस आदिमय क ताकत थी, और उसे
उसके बनाने वाले के पास भेजने से पहले जकड़ना ज री था।
ु सबसे पहला घुड़सवार िजसने कसी बवंडर क तरह उस िवशाल दै य को

घेर िलया। इससे पहले क नर-मुंड अपने शाहबलूत के तने से ुव को उसके
घोड़े से कसी िखलौने क तरह िगरा पाता, ुव ने अपनी र सी क गांठ को
घुमाकर उस दै य के गले और कं ध पर डाल दया।

नर-मुंड के कु छ भी समझने से पहले, पांच दूसरी गांठ ने उसे चार तरफ से


घेर िलया। ुव के घुड़सवार अब नरभ ी के चार ओर च र लगाते ए र सी
को मजबूती से लपेट रहे थे। पलभर म ही द घुड़सवार ने धातु क किड़य
वाली लता क र सी नर-भ ी के टखन क तरफ फक । कु छ ही पल म,
उ ह ने नर-मुंड को कं ध से लेकर पैर तक रि सय और लता के जाल म घेर
िलया।

एक पल के िलए, घुड़सवार क आंख चमक उठ । नर-मुंड तेज हवा और


गरजते बादल के बीच, अपने अंग नह िहला पाने क वजह से िच ला रहा
था।

ले कन वो चमक आई और उसी पल चली भी गई।

नर-मुंड पलक के कु छ देर झपकने तक शांत रहा य क वो अपनी सारी


शैतानी ताकत का आ वान कर रहा था।

ु के घुड़सवार को हैरान और आतं कत करते ए, नर-मुंड ने अपने िवशाल,



बिल टांग को लता से यूं आजाद कराया, मानो वो सूत के धागे से बंधी ह ।

दानव फर से गुराया, और उसक गुराहट से यु े म खड़े आदिमय क


रीढ़ म िसहरन पैदा हो गई। अपने अजगर जैसी गुराहट को अपने प म
इ तेमाल करते ए, नर-मुंड ने अपने से बंधी रि सय को पकड़ िलया। अपनी
मजबूत पकड़ म चार या पांच रि सय को पकड़ते ए, उसने उ ह अमानवीय
बल से ख चा। अगले ही पल, ुव के दजन घुड़सवार र से सने उस दलदल
म खदेड़े जा रहे थे। नर-मुंड कसी जंगली हाथी से भी अिधक ताकतवर था!

इस असफल यास से हताश हो, ुव ने वयं उस शैतान से िनबटने का फै सला


कया। उसने सरपट दौड़ते अपने घोड़े से छलांग लगा दी और अपनी तलवार
िनकालकर नरभ ी क तरफ बढ़ने लगा। ुव को अपनी तरफ आता देख वो
शैतान कसी िपशाच क तरह िखलिखलाया। जैसे ही वो द धनुधर पास
आया, नर-मुंड धीरे से झुका और उसने एक चमकती ई, िवशाल कु हाड़ी
उठा ली। ुव के दमाग म उस िनदयी नर-भ ी को हराने क कोई ठोस
योजना नह थी। वह यह भी जानता था क उसक तलवार नरभ ी क
कु हाड़ी के एक भी वार का सामना नह कर पाएगी। वो बस वयं को ख़ म
करने जा रहा था।

तभी अचानक, ठीक उसके पीछे से, ुव ने एक आवाज सुनी। ऐसे समय म
उसक पसंदीदा आवाज।

‘मुझे पकड़ो, ुव!’

धनुधर ने मुड़कर देखा क स य त मनु घायल शेर क तरह बढ़ा आ रहा था,
उसके दोन हाथ म दो तलवार थ । वह फर से िच लाया।

‘पकड़ो मुझे...!’

ु तुरंत झुका और अपने दोन हाथ क अंजुली बना ली। मनु ने सीधे ुव

पर छलांग लगाई, अपना एक पैर अपने िम के हाथ म रखा, दूसरा उसके
कं धे पर और वयं को सीधे नर-मुंड क तरफ ऊपर हवा म उछाल दया।

जो भी देख रहा था वो सूय पु क वीरता पर त ध रह गया। मनु काले और


लाल आसमान क पृ भूिम म कु छ गज उड़ा, और अपनी छोटी तलवार से एक
गहरा घाव दानव के कं धे पर कया। िनदयी दानव तेज पीड़ा से गुराया। पूरे
यु म यह पहला घाव नर-मुंड को िमला था।

ु ने अपने राजा और िम को िनडर युवा तदुए क तरह छलांग लगाते



देखा। उसके िलए एक पल को समय मानो ठहर गया था।

मानवजाित का भिव य, िवशाल नौका का िनमाता और र क, तेज वी


स य त मनु यु मैदान म आ चुका था!
बनारस, 2017
देव-रा स

‘िसगरे ट?’

िव ुत ने यान दया क मा के रा उसे भारतीय ांड क िसगरे ट ऑफर कर


रहा था। मा क ने देवता क आंख देख और मु कु राया।

‘तु हारा दो त बाला मुझे हर महीने इनका एक काटन भेजा करता था। ये शम
क बात है क यूरोप म कोई िसगरे ट इस भारतीय ांड क तुलना नह कर
सकती।’

िव ुत ोध से भभक रहा था। वह जानता था क मा के रा िबआंका उसे ताना


मार रहा था। बाला मा क के िलए कसी िखलौने से अिधक कु छ नह था।
िव ुत के िलए यह सोच भी असहनीय थी क कस तरह से ऑडर ने साल
पहले उसक जंदगी म दखलंदाजी क थी। कै से वो उसके काम, उसके घर,
उसक भावना ... के साथ खेल रहे थे, और आज भी यह हरी-आंख वाला
आदमी िव ुत के सामने ू रता, िनडरता से बैठा था।

‘तुम या चाहते हो, मा के रा? हम यहां य आए ह?’

वाइट मा क हंसा। उसने अपनी िसगरे ट सुलगाई और अपने ह ठ के बीच क


ह क दूरी से, बे फ से धुआं िनकाला। फर वो िव ुत क तरफ मुड़ा, वो
अभी भी मु कु रा रहा था।

‘म तु ह अरबपित बनाना चाहता ,ं िव ुत। म चाहता ं क तुम दािमनी से


शादी करो। तु हारे सुंदर ब े ह । म चाहता ं क तुम एक लंबा और खुशहाल
जीवन िजयो। बस म तो यही चाहता ,ं देवता।’

अब हंसने क बारी िव ुत क थी। उसे मा के रा का ताव हा यकर लगा।


वह जानता था क वे समय बबाद कर रहे थे। और दािमनी का नाम उस शैतान
के मुंह से सुनकर एक बार को तो िव ुत को मधुम खी के काटने क चुभन
महसूस ई थी।

‘ये तो तु हारी बड़ी मेहरबानी होगी,’ िव ुत ने कहा। ‘और या म पूछ सकता


ं क बदले म मुझे या करना होगा?’

मा क ने दांत दखाए और वो पिव गंगा के दूर छोर पर देखने लगा। उसने


िसगरे ट से दूसरा कश ख चा।

वो दोन जानते थे क मा क या चाहता था।

‘तुम इसका दोष मुझ पर नह डाल सकते, िव ुत, है न? हालां क म जानता ं


क शानदार जीवन जीने का मेरा ताव तु ह तु हारी िनयित से नह िडगा
सकता।’

िव ुत सुन रहा था। वो इस आदमी के बारे म और अिधक जानना चाहता था।


वो समझना चाहता था क वाइट मा क जैसे िन ु र आदमी का दमाग कै से
काम करता था।

‘मुझे बताओ, िव ुत। मने काशी िवशु मं दर म हजार ालु देखे थे...’

‘काशी िव नाथ,’ िव ुत ने उसक सहायता क ।

‘हां, वही। मने वहां लोग का जूम देखा, जो पूजा कर रहे थे, मं ो ार, िसर
झुका रहे थे... अपनी ही भि म डू बे ए। ले कन उनम से अिधकांश ब त
गरीब थे। वो असहनीय पीड़ा से गुजर रहे थे। वो कु हलाए थे, बीमार थे,
शोक त थे और िनधन... और फर भी वो इस तरह तु हारे भगवान को
चाहते थे मानो वो तंगी उनके िलए कोई मायने नह रखती थी। ऐसा य ?’

‘तु हारा भगवान?’ िव ुत ने अपनी भव उठाकर पूछा। ‘तो फर, तु हारा


भगवान कौन है, मा के रा?’

मा क हंसा और न म िसर िहलाया।

‘म हैरान ं क तु ह इस सबक कतनी कम जानकारी है, और फर भी तुम


उनके िलए जान गंवाने को तैयार हो! या तुम नह देख सकते, िव ुत—
अ छाई और बुराई, ई र और शैतान, काश और अंधेरा... ये सब एक ही
शि का िनमाण है, जो चाहती है क अरब मनु य जंदगी भर दुखी रह, और
अपने भगवान के सामने िसर झुकाएं और अंत म अपने बनाने वाले से िमलने
क उ मीद म मर जाए? या यही तु हारा भगवान नह देता है—दद,
तकलीफ, आंसू, दुख, बीमारी... मृ यु?’

वाइट मा क िवल ण प ता से बोल रहा था। शायद इसी बद दमाग जुनून म


ये लोग धम के नाम पर बुराई, आतंक और हंसा फै लाते थे। ई र के नाम पर।
वही िव वंसी, अमानवीय और मूख अवधारणा।

‘म नह जानता क ई र या देता है। ले कन म तु हारा अंितम समाधान


जानता ,ं मा के रा। करोड़ लोग को ख़ म कर देना... णालीगत तरीके से,
बेरहमी से? या तुम वैकि पक प से यही देने वाले हो?’

‘मानवजाित को ख़ म कया जाना ज री है य क पूरे ांड म अिधकांश


सं या मूख क है। तुम अपने ब को इस दुिनया म लाते हो, ये जानते ए भी
क यह जगह पीड़ा, बीमारी और नफरत से भरी है।

तुमने शादी जैसे सं थान क थापना क , और मिहला व पु ष दोन अपनी


जंदगी वयं को शु दखाते ए काटते ह, जब क उनके मन म दूसरे मिहला
व पु ष के िलए आकां ा रहती है।

आज तुम कहते हो क मानव को ख़ म करना गलत है। ले कन अब से सौ


साल से भी कम समय म यास, गम और बीमारी से मरते ये सात अरब लोग
ज द ही नर-भ ी लाश म बदल जाएंगे—वो मांस के भूखे ह गे य क और
कु छ खाने के िलए बचेगा ही नह । वो खून के यासे ह गे य क पीने के िलए
और कु छ नह होगा! तब तु हारा भगवान कहां होगा, देवता?

या तु ह दखाई नह देता, िव ुत? तुम बुराई हो। तु हारा भगवान सबसे


बड़ी याह ताकत है—एक झूठे, चमकते काश के पीछे िछपा आ। जब क हम
सच ह, नेक... और भिव य!

एक प थर को या चीज ताकतवर बनाती है? या एक मं दर को? या कसी


कताब को या कसी मू त को? तुम... तुम इं सान! तुम इन बेजान चीज को
पूजते हो और अपनी ांडीय, लाख क संयु आ याि मक ऊजा को साल
से, और ाकृ ितक तरीके से उ ह देते हो, िजससे वो द बन जाती ह। और ये
तुमसे िमली शि से ही, तु हारे ऊपर शासन करने लगते ह! और तु ह मो के
नाम पर दद, दुख और ष े पूण वृित देते ह!’

मा क ने एक और िसगरे ट िनकालकर सुलगा ली। उसने लंबा कश िलया, धुएं


को अंदर ख चा और कु छ पल तक उसे अंदर ही रखा। फर उसने िव ुत क
तरफ कं धे उचकाए, उसका जवाब जानने के िलए। ले कन इससे पहले क
िव ुत कु छ कह पाता, मा के रा ने अपनी खी, हरी आंख से देवता को देखते
ए, धमक दी।

‘आज ही काशी से चले जाओ, िव ुत।

मने तु हारे जैसे ब त से युवा को मारा है। म अपनी सूची म तु हारा नाम
शािमल करना नह चाहता।’

िव ुत मा क क बात म ‘तुम इं सान ’ को नह भूल पाया था। उसने यह ऐसे


कहा था मानो वो वयं इं सान नह था।

देवता उसक बात का जवाब देने को मजबूर आ।

‘मुझे तुम पर दया आती है, मा के रा िबआंका या जो भी तु हारा नाम है। तुम
तो मानवीय चेतना क चमक से पूरी तरह अनजान हो। हम इस दुिनया म
ब को लेकर आते ह, इसिलए नह क वो दद और बीमारी सह, बि क
इसिलए क वो यार से जी सक! िजससे वो ेही ई र के असीिमत ेह का
आनंद ले सक—मां क गोद का सुख ले सक, बाप क उं गली पकड़कर चल सक,
ेमी के न भुलाए जा सकने वाले पश को महसूस कर सक, मह वाकां ा क
अि को जी सक, उपलि धय का ज मनाएं, ठं डी हवा म सांस ले सक, मं दर
क शांित को िजय, और बेटे-बे टय क हंसी म पल िबताएं, और दो ती क
लापरवाह भावना को जी सक... इसिलए हम अपने ब को लेकर आते ह।

शादी के बारे म तु हारे दयनीय िवचार को सुनकर तो मुझे हंसी आ रही थी।
मानता ं क मिहला और पु ष अपनी असीिमत आकां ा का गला नह
घ ट सकते। ले कन फर भी उनम से अिधकांश अपनी जंदगी अपने जीवन-
साथी के समपण म िबताते ह, उसके ेम म डू बे ए—उनम इतना यार होता
है क वो सहजता से अपनी लालसा से ऊपर उठ जाते ह। और इस पिव
सं थान का यही सबसे बड़ा बल है। वो साथ जो आ मा को िसफ इसी ज म
म ही नह , बि क ज म-ज म तक बांधे रखता है, यह इतना पिव है क
तु हारी काली शि इसक तुलना भी नह कर सकती।

हां, हम मं दर बनाते ह। हां, हम अपने ई र के स मुख अपने सबसे शु भाव


को करते ह। ये बस उस राह क िवन अिभ ि है, िजससे हम अपनी
सीिमत समझ म उसक उपि थित को महसूस कर सके । ले कन जैसा क ंथ
म िलखा है, “अहम् ाि म” या “म ”ं या और सहजता से कह तो “मेरे
अंदर ई र वास करता है”—यह येक ि और भगवान के बीच के संबंध
को समझने का आसान तरीका है। इस धरती पर आने वाला येक पु ष या
ी ई र का एक जीता-जागता मं दर है। तुम कहते हो क वह हम पर शासन
करता है। स य से ऊपर कोई नह हो सकता। ई र कभी जीने के हमारे
चयिनत माग म दखल नह देता, और फर भी वो हम हंसते, रोते, संघष करते,
समाधान िनकालते और आनं दत होते देखता है। वो नाि तक से ेम करता है,
और उतनी ही देखभाल आि तक क भी करता है।

जहां तक सात अरब आदिमय के नरभ ी हो जाने क बात है... तो तुमको


अिधक चंता नह करनी चािहए। नकारा मकता और लय क चेतावनी करने
वाले तु हारे जैसे ब त से लोग आए और चले गए—िज ह ने मानव जाित के
लचीलेपन को कम करके आंका। तुमने देखा न क हम अभी भी यहां ह।
हालां क जलवायु प रवतन क सम या हमारे ारा ही उ प क गई है,
ले कन वो भी हम ही ह सूय और हवा से ऊजा लेकर हमारे शहर तक रौशनी
प चं ा रहे ह। हालां क दूिषत हवा और समु भी बेशक हमारी ही करनी है,
ले कन वो भी हम ही ह, जो इनका मुकाबला करने के िलए ीन कार और ीन
िब डंग बना रहे ह। और वो शानदार जाित भी हम ही ह मंगल जैसे ह पर
जीवन क तलाश करते ए, इसे ब - ह स यता बनाने जा रहे ह!

हम यहां क याण के िलए ह, मा के रा।

हम अके ला छोड़ दो।

और अपने मािलक से भी ऐसा ही करने को बोलो।’

देव और रा स क मुलाकात अब ख़ म हो गई थी।

िव ुत जाने को उठा, और मा के रा िबआंका अपने दांत भ चते ए दूर ि ितज


म देखने लगा।

जाने के िलए मुड़ने से पहले देवता ने अपनी भूरी आंख उस शैतान से िमलाते
ए, धमक दी।

‘आज ही काशी से चले जाओ, मा के रा।

मने कभी अपने जीवन म कसी इं सान को नह मारा है। इसे बदलने के िलए
मुझे मजबूर न करो।’

िव ुत मुड़ा और घाट क सी ढ़यां चढ़ते ए, धीरे -धीरे गंगा से दूर चला गया।
वह बार-बार अपनी अंितम बात के िवषय म सोच रहा था।

अगर यह हरी आंख वाला दानव इं सान नह था... तो उसे उसके पाप क सजा
देने म कु छ गलत नह होगा।
उसी के श द म कह तो।
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
नर-बिल

बाक का यु धीरे -धीरे थम गया।

दोन तरफ के यो ा सांस थामे वो र रं िजत ितयोिगता देख रहे थे। मानव
और नरभ ी के बीच होने वाला यह यु ही नौका और धरती के बीच हो रही
जंग का िनणायक पल होगा।

भय से कांपती ई तारा नौका के शीष पर खड़ी थी। वो देख चुक थी क नर-


मुंड या कर सकता था। वह महान अिभयंता क ददनाक िनयित क भी सा ी
बनी थी। उसने देखा था क कस तरह नरभि य के राजा ने म य जाित के
घुड़सवार को मसल दया था। उसके दल क धड़कन थम गई थी, जब उसने
एक ही बार म बारह घुड़सवार को उनके घोड़े से उतारकर, खदेड़ते ए देखा
था। और अब उसका मनु, उसका यारा मनु उस शैतान से अके ले लड़ रहा था।

उसने आंख बंद कर उसक ाथना क , िजस पर उसे यक न था क वो स य त


को कु छ नह होने देगा।

उसने म य से ाथना क ।
अपने कं धे के घाव से पलभर के िलए लड़खड़ाने के बाद, नर-मुंड वापस खड़ा
हो गया था, पहले से भी अिधक ताकत से। उसने मनु को उठाकर, दूर पटक
दया। उसके वार म इतना दम था क मनु उससे बीस फू ट दूर जाकर िगरा।
ले कन जैसे ही मनु के शरीर ने जमीन को छु आ, वो संघष करते ए वापस
अपने पैर पर खड़ा हो गया, और दोबारा उस दानव पर हमले के िलए तैयार
था।

जब मनु अपने िवशाल दु मन के करीब प च ं ा, तो नरभ ी राजा ने िवशाल


बरगद सा अपना पैर उठाकर मनु के सीने और पेट पर मारा। एक बार फर से,
सूय पु ब त दूर जाकर िगरा, इस जोरदार वार क वजह से वो सांस नह ले
पा रहा था। ले कन एक बार फर से, जैसे ही उसके शरीर ने दलदली जमीन
को छु आ, वो फर से हमले के िलए खड़ा हो गया।

मनु एक घायल शेर क तरह िवशाल जंगली हाथी से लड़ रहा था। कसी भी
तरह पीछे हटने को तैयार नह , और न ही डरा आ!

तीसरी बार जब मनु ने नरभ ी पर हमला कया, तो जहां वो उसक िवशाल


कु हाड़ी के वार से बचा, तो वह उसने दानव के घुटने को अपनी छोटी
तलवार से चीर भी दया। स य त मनु का वार इतना सटीक था क वो कसी
साधारण मनु य के पैर को तो दो टु कड़ म काट ही देता। ले कन नर-मुंड क
खाल गडे जैसी मोटी थी। उसे बस एक इं च गहरा ज म ही िमल पाया। दै य
गुराया और मनु उसके आसपास दूसरे अवसर के इं तजार म घूमने लगा।

नर-मुंड और मनु दोन ही उस बरसाती रात म बुरी तरह से हांफ रहे थे, दोन
का ही काफ पसीना बह चुका था। ऐसा लग रहा था मानो वो अनंत समय से
लड़ रहे थे। नरभ ी राजा को युवा पुजारी-राजा के हाथ कई घाव िमल चुके
थे, ले कन उनम से कोई भी घातक नह था। वो कसी भी तरह परािजत नह
होने वाला था।

हर गुजरते पल के साथ, मनु के पास यु के िलए दांव , िवचार और सांस क


कमी होती जा रही थी। अपनी अधीरता म, उसने पहली गलती कर दी। शैतान
के गले तक प च
ं ने क कोिशश म, मनु उसके िवशाल हाथ के वार क सीमा म
आ गया। नर-मुंड ने मौका नह गंवाया और नौका के संर क पर अपने
शि शाली घूसे से वार कया। उसका जोरदार मु ा एक दीवार को तोड़ देने
के िलए भी पया था। मनु ने तुरंत ही र क उलटी क और वो घुटन के बल
ढह गया। उसक आंख के सामने अंधेरा छाने लगा, और उसे अपने लंबे बाल
पर िवशाल हाथ क पकड़ महसूस ई।

उसके बाल ख चते ए, नर-मुंड ने मनु को पूरे मैदान म खदेड़ा, िजससे हर


कोई उसे देख सके । तारा फू ट-फू टकर रोने लगी और अपनी तलवार
िनकालकर, नौका क लकड़ी क बाड़ के पास लटक र सी क सीढ़ी क तरफ
भागी। उसे दािमनी सेना क ब त सी यो ा ने पकड़कर रोका, वो अब
जानती थ क अब अंितम लड़ाई म उ ह िवशाल नौका को संभालना होगा।

रा स ने फर मनु को अपने से कु छ दूर फक दया। उसने मुड़कर अपने


िसपािहय को िवजयी भाव से देखा। उसक ित या म, दै य ने िच लाकर
अपने अपराजेय शासक का अिभवादन कया, और अपने हिथयार उठाकर
जीत का ज मनाया। फर नर-मुंड ने नौका र क क तरफ देखा, उसक
आंख क ू रता संकेत दे रही थी क उनक कै सी िनयित उनक ती ा कर
रही थी। फर वो धीरे -धीरे सूय पु क तरफ बढ़ा। अपनी सामा य शैली म,
उसने अपना िवशाल पैर मनु का िसर कु चलने के िलए उठाया।

अपने यो ा के चेहरे पर दबाव बढ़ाने से पहले वो िपशाच क तरह िच लाया।

वो मनु क खोपड़ी कु चलकर, उसका गूदा िनकालने वाला था।

िवशाल दानव नह जानता था क कस चीज ने उसके पैर को चीर दया था।


मूख लड़ रहा था क वो कससे िभड़ रहा था। अपने अप रप ज म वो भूल
गया था क िववा वन पुजारी का पु घायल आ था। वो मरा नह था।

दानव के पैर म छोटी तलवार घुसी रहने के बावजूद, मनु ने अपनी बड़ी
तलवार िनकाल ली थी। अपने बदन क सारी बची-खुची ताकत लगाकर,
उसने नर-मुंड क पंडली म उसे घुसा दया। पलभर म मनु ने दानव के पैर को
चीर डाला, शैतान क पंडली क मांसपेशी बाहर िनकल आई थी और अब
उसके टांग क ह ी दखने लगी थी।

नर-मुंड असहनीय पीड़ा से िच लाया। जब दानव सदम और गहन पीड़ा से


जूझ रहा था, तो स य त मनु वापस अपने पैर पर खड़ा हो गया। हालां क वो
नरभ ी के िनमम हार से वा तव म िहल गया था, ले कन सूयपु तब बेहोश
नह था, जब वो खदेड़ा जा रहा था। नौका का र क सही समय क ती ा
कर रहा था, क वो वापस इस लड़ाई को अपने हाथ म ले सके । दानव अब
पागल क तरह अपनी कु हाड़ी घुमा रहा था, वो जंगली जानवर क तरह
गुरा रहा था, और उसका संतुलन नह बन रहा था। स य त मनु अब एक बार
फर से उस र रं िजत नरभ ी के च र लगा रहा था। इस बार वो धीरे -धीरे
चल रहा था। नौका का राजा सोमद के टु कड़े कए जाने के भयानक दृ य को
अपनी आंख से नह िनकाल पा रहा था। उसके दमाग म प था। यह
जानवर कसी रहम का हकदार नह था।

जैसे ही दानव मुड़ा और पुजारी-राजा पर हमला करने के थ यास म अपनी


कु हाड़ी घुमाई, मनु ने अचानक एक छलांग लगाई। इससे पहले क दानव
समझ पाता या हो रहा था, मनु पीछे से नरभ ी के िवशाल कं ध पर चढ़
गया।

‘यह मेरे िपता के अंितम िम के िलए, नर-मुंड! यह हड़ पा के अिभयंता के


िलए! यह पंिडत सोमद के िलए!’ मनु दानव के कान म िच लाया।

अगले ही पल, सूय पु ने दै य क गदन म अपनी छोटी तलवार घुसा दी, और


उसे नीचे मरोड़ते ए, नरभ ी का गला चीर दया।

सोमद क िनमम ह या का बदला उसी ू रता से िलया जाना था।

नर-मुंड के गले से र फ वारे क तरह फू ट िनकला, और िवशाल दानव अपने


घुटन के बल ढह गया। यक नन अब नरभ ी र बहने से मर जाएगा।
हालां क वो गु से से भभक रहा था, फर भी मनु ने शैतान क पीड़ा ख़ म करने
का िनणय िलया।

याह स ाट क कु हाड़ी उठाकर, मनु ने उसक भारी धार से एक सहज वार


कया। वो दै य राजा का अंत था।

नर-मुंड का बड़ा सा िसर हवा म उछला, और उसका िसर िवहीन धड़ दलदल


म ढह गया।

एक दै य मरता है तो दूसरा जी उठता है।

‘दै य को बंदी बना लो! और नौका के पीछे डाल दो! पीछे डाल दो!’ मनु
अपनी सेना के सामने िच लाया।

गरजते बादल को चीरते ए, अपने उठान से चमकती िबजली को शांत कराते


ए, अपने िवनाशकारी परदे से आधे आसमान को आधा ढकते ए... वो कट
ई।

लय!

िवनाशकारी लय क अनथकारी लहर नौका क तरफ लपक ।


बनारस, 2017
इितहास के सबसे घातक ह यारे

‘वो आ गए ह, िव ुत दादा!’

ऑडर ने िबलकु ल समय बबाद नह कया। वे काले मं दर का रह य जानते थे,


कि क अवतार का ज म थान, उनके न र अिभभावक का नाम... सबकु छ
अब देवता के दल म दबा था। रोिहणी न के दौरान उस ाचीन प को
पिव अि म जला दया गया था।

गु ातृसंघ के पास कोई दूसरा िवक प नह था। उनका अि त व और यू


व ड ऑडर क प रक पना अब िशशु कि क को ढू ंढ़ने और उसके वध पर टक
थी। वो वही गलती दोहरा रहे थे, जो अतीत म भी तानाशािहय ने अपनाई
थी। कं स, मथुरा के रा स राजा ने सारे िशशु का वध करा दया था, जब
भगवान कृ ण धरती पर आए थे। जुिडया के स ाट हेरोड ने ऐसा ही ईसा
मसीह के ज म पर कया था। और अब ऑडर भी उसी जघ यता क कोिशश
कर रहा था।

अब िव ुत ही काले मं दर का रह य था!

ऑडर को प था।

िव ुत को पकड़ना ज री था। उसे यातना देनी थी। जो सूचना उसके पास थी,
उसे कसी भी क मत पर िनकलवाना था। और कि क अवतार को उसके
बचपन म ही ख़ म करना था!

सोनू ने आधी रात के बाद िव ुत के दरवाजे पर द तक दी।

‘आप इस पर यक न नह करोगे, दादा... ले कन वे मठ पर हमला कर रहे ह,’


वह फु सफु साया, जब देवता ने दरवाजा खोला।

‘सब कहां ह?’ िव ुत ने पूछा। ‘और हमलावर कतने ह?’

सोनू ने एक लंबी सांस लेकर वयं को शांत कराया और फर जवाब दया।

‘कह नह सकते, दादा। वो...’

उसके श द गुम हो गए। िव ुत ने उसक आंख म देखा।

‘वो या, सोनू?’

‘म नह जानता या क ,ं िव ुत दादा। ले कन उ ह ने काले कपड़े पहन रखे ह


और वो ऐसे चल रहे ह, जैसे कोबरा, जाने कै से हवा म गायब हो जाते ह! उनके
चेहरे पर पड़े नकाब म से िसफ उनक आंख दख पा रही ह, और उनके पास
अजीब से हिथयार ह। छत पर मठ के तीन हरी मृत िमले ह, और उनके गले
पीछे से काटे गए ह।’

िव ुत ने अब सोनू क बांह पकड़ी और वो उस वंग क तरफ बढ़ा जहां


दािमनी और नैना ठहरे ए थे। वो तुरंत ही समझ गया था क मा के रा के
हमलावर कौन थे, और यह बुरी खबर थी।

वो दुिनया के इितहास के सबसे घातक यो ा और ह यारे थे।

िन जा।
‘अब तक शेषनाग भु तक प च
ं गए ह गे, तो अभी के िलए कि क सुरि त
रहगे,’ नैना ने कहा।

वे अब मठ के भूतल म बड़े से सभा क म जा रहे थे, सारे दरवाजे लोहे क


भारी छड़ से बंद थे और येक ार पर आ म के दजन यो ा खड़े थे। िन जा
हमले के कु छ ही िमनट बाद मठ के अनेक यो ा मारे जा चुके थे। ारका
शा ी, िव ुत, बलवंत और नैना मठ के सारे िनवािसय और यो ा को क
क अ थायी सुर ा म ले आए थे।

देव-रा स मठ के िनवासी, युवा छा और ब े घबराए ए थे। वो कसी भी


तरह से कमजोर कड़ी नह थे। न ही वो यु और हंसा से िनतांत अप रिचत
थे। ले कन उन काले-भूत ारा जो यु रणनीित अपनाई जा रही थी, उसके
बारे म न तो उ ह ने देखा था, और न ही सुना था। गु हमलावर धीरे -धीरे
शमन करते ए, आ म के येक काश ोत को ख़ म कर रहे थे— येक
ब ब, येक ूब-लाइट, येक सोिडयम वेपर लप और यहां तक क पूजा के
िलए जलाया गया िम ी का दीया भी। धीरे -धीरे पूरे मठ म अंधेरे क चादर
पसर गई। टेलीफोन लाइन भी कट गई थी और आधुिनक तकनीक के इ तेमाल
से मोबाइल िस ल भी जाम कर दया गया था। ारका शा ी के मन म कोई
संदहे नह था क गु ातृसंघ ने थानीय शासन को भी खरीद िलया था,
और िनि त कया था क कु छ घंट के िलए वो मठ से दूर रह, भले ही जो हो
जाए। दूसरे श द म, मठाधीश और उनके सम पत अनुयायी क बात िनि त
प से जानते थे।

आज रात, उ ह अपने दम पर ही िनकालनी थी।

‘तुम सही कह रही हो, नैना िब टया... यह ब त बड़ी ताकत है,’ वृ ने जवाब
दया। ‘म खुश ं क द सप-राजा भु के साथ ह। ले कन अब हम अपनी
पूरी ताकत से िव ुत और दािमनी क सुर ा करनी है!’

सभी ने सहमित म िसर िहलाए, हालां क कोई नह जानता था क आगे या


करना था। एक िमनट क खामोशी के बाद, जो तहखाने के क म एक ए
लोग को एक साल के समान तीत आ, ारका शा ी बलवंत और िव ुत
क तरफ जवाब के इं तजार म मुड़।े वह जानते थे क वो ऐसे दु मन से नह लड़
सकते थे, िजसे वो जानते भी नह थे।

‘ये कै से हमलावर ह, जो यूं बेईमानी से पीछे से वार कर रहे ह, िव ुत? ये


जघ य ह यारे कौन ह, बलवंत? मने ऐसा छल पहले कभी नह देखा!’ वृ ने
कहा, वो सुर ा के ित-हमले क कोिशश म बोले।
िव ुत ज दी से अपने परदादा और मठ के उपि थत यो ा को घातक
िन जा के बारे म सबकु छ बता देने वाला था, तभी उसने तहखाने क
रौशनदान क िखड़क पर काली परछाई को देखा।

‘वो यह ह, बाबा...’ िव ुत फु सफु साया। ‘हम सब यहां नह रह सकते। वो


आिखरकार तोड़कर अंदर आ ही जाएंगे। वो और अधीर होकर कसी तरह क
जहरीली गैस का भी इ तेमाल कर सकते ह। उनके मोबाइल जैमर बस उनके
अ याधुिनक प ित का एक छोटा सा संकेत ह। अगर ज रत पड़ी तो वाइट
मा क मठ के येक आदमी, मिहला और ब े को मारने से भी बाज नह
आएगा।’

‘ये लोग कौन ह, िव ुत?’ दािमनी ने पूछा, उसक आंख भय से फै ल रही थ ।

‘वो िन जा ह, दािमनी। ह यार का एक म ययुगीन सं दाय, िजसक उ पि


जापान म ई थी। अपनी ू रता और अमा य तरीक क वजह से समुराई से
गौण माने जाने वाले िन जा क यु प ित 19व सदी म पि म तक प च ं
गई थ । वो सबसे घातक ह यारे ह।’

िनमम स ाटा एक बार फर से छा गया, और कई लोग ठं डे पसीने से नहा गए।

‘तो... तो इसका या मतलब है, िव ुत?’ बलवंत ने पूछा।

‘मतलब आप मान लीिजए वो कराये के ह यारे जो रोमी परे रा के साथ आए


थे, वो अगर द यो ा थे...

...तो िन जा वा तव म अपराजेय थे।’


िवनाशकारी लय, 1698 ईसापूव
‘म... य!’

‘वो सब मरने वाले ह...’ मनु वयं से बुदबुदाया। ‘और म भी उनके साथ मर
जाऊंगा।’

ये बेचैन आ माएं, ये युवा पु ष और मिहलाएं, िशशु, वृ और िनराि त, ये


सम त जाित िजनक सुर ा का मने वचन िलया था, ची टय क तरह मसल
जाएंगे।

मनु को अब पहली बार उस कठोर वा तिवकता का अहसास आ था, िजसका


उसके कं धे पर भार था। सच के इस भयानक पल से पहले तक, वो समु ी-
जाित के रह यमयी मुख के िविच कं तु दुभा यपूण आदेश को पूरा करने म
डू ब गया था।

इस अ वि थत, जुगाडू िश पका रता का तेज वी युवा नेता िवशाल जहाज


को एक तरफ झुकता देख जड़ रह गया। उसे जूट और वृ क लता से
िन मत बीस हजार मजबूत रि सय से बांधा गया था, ले कन ये भी उसे पकड़
पाने म स म नह थ । समु पी नदी क हंसक, दानवीय लहर मानवजाित
के बनाए सबसे बड़े जहाज पर भारी पड़ रही थी। और भयानक बाढ़ इसे भी
डु बोने वाली थी।

या यह घातक बाढ़ जानती है क इस अंितम नाव म या मह वपूण साम ी


रखी है?

यह कोई िछपी ई बात नह थी क ांड को ख़ म कर देने वाली,


िवनाशकारी बाढ़ आने वाली थी। धरती पर छाए याह, लाल-बगनी बादल
ऐसे लग रहे थे मानो कसी उ मादी द िच कार ने पुराने र से आसमान
को रं ग दया हो। इं के बादल क पागल कर देने वाली दहाड़ और हंसक
बरसात ने लय, दुिनया के अंत क घोषणा कर दी थी। बाघ के दांत क तरह
नुक ली बूंद आसमान से िगर रही थ , जो मनु और उसके सम पत अनुयाियय
पर बाण क वषा के समान बरस रही थ । मनु-िश य या मनु य क वचा
पर पड़ती येक बूंद अदृ य भाले के तरह उ ह भेद रही थी। वीर पु ष और
मिहला क यह सेना कोलाहल भरे जल म िजस चीज पर संतुलन बनाने क
कोिशश कर रही थी, वो कोई सामा य नाव नह थी।

यह अंितम नाव थी। कसी बंदरगाह क अंितम नाव नह । न ही कसी सेना


क अंितम नाव। न ही उस िवशेष ऋतु म तट से िनकलने वाला अंितम जहाज
और न ही उस रात कसी जहाज का अंितम फे रा।

यह वयं सृि क अंितम नाव थी। यह वो नौका थी, जहां वयं पृ वी शरण
लेने जा रही थी। अपने साथ अपने समुदाय के बीज िलए।

यह महान यो ा, पुजारी, मुिन, दाशिनक और राजा मनु का परा म था।

यह उसक नाव थी।

मनु क नाव।

एक जहाज के िव सौ हज़ार पु ष और मिहला का यह िनभ क संघष


इतना ब मू य था क ई र तक इसक क पना नह कर सकता था। यह ऐसा
दृ य था जो इससे पहले कभी इस ह पर नह देखा गया था। और न ही फर
कभी देखा जाएगा, समय के अंत तक भी नह । मनु क िवशाल नौका का
आकार कसी भ नगर के समान था। ले कन इसका उ े य इतना महान था
क मानवजाित कभी इसक थाह भी नह ले पाएगी।

यह एक वेश माग था। िनरं तरता का इकलौता पुल। एक पतनशील पुराने


संसार से... पुन नमाण के नए सवेरे म। यह महायु कृ ित के साहस और
मनु य के अि त व बचा पाने क कोिशश के बीच था। मानवता िबना संघष
कए हार मानने वाली नह थी— ऐसा संघष िजसे वग भी याद रखेगा।
ले कन इस साहिसक यास के बावजूद ब त कु छ तबाह हो जाने वाला था।
मानवजाित ारा युग म ा कया गया ब मू य और अचल ान इस नौका
के मा यम से आगे नह जाने वाला था। ाचीन रसायन, औषिध, िवमानन,
तं -िव ान, िश प, औजार और आ याि मकता, सब हमेशा के िलए लु हो
जाने वाले थे, महान बाढ़ के प रणाम व प, वो सब समु क तली म दब जाने
वाले थे।

और फर भी यह नाव, जैसा क आयवत इसे जानता था, जीवन क अंितम


आशा थी। मनु य चाहे िजतना ही भगवान के बनाए ए अ भुत तार ,
आकाशगंगा और योितपुंज को देखकर हैरान हो जाए, ले कन वा तव म
भगवान क बनाई सव े कृ ित जंदगी ही है। शानदार, लचीली... जंदगी।
जीव जो दद महसूस करते ह, ज म देते ह, आंसू बहाते ह और असीिमत ेम
करते ह। जीव जो वयं ई र का ित बंब होते ह। और इस कृ ित को बचाया
जाना आव यक था।

सबसे बढ़कर।

मोटी, गुथी ई, भीगी रि सयां और लताएं अब मनु क सेना क बांह, गले और


मांस काट रही थ । नगर जैसी बड़ी नाव को संतुिलत रखने के िलए बांधी गई
मजबूत रि सय का बल अब उनक उं गिलय को काट रहा था, कं धे तोड़ रहा
था और बांह क मांसपेिशयां फट रही थ । पु ष, मिहलाएं और ब े सब
िमलकर अपने अदृ य, अक पनीय, अपरािजत श ु से संघष कर रहे थे। वे सब
न र हाड़-मांस के बने थे, जब क नौका भारी लकड़ी, बिलत कांसे और
च ानी प थर क बनी थी—यह इतनी िवशाल थी क र सी ख चने वाले लोग
भी इस िवशाल जहाज क पूरी झलक नह देख पाए थे, भले ही वो अपना िसर
उठाकर आसमान म कतना ही देखने का यास य न कर।

नौका सुमे पवत से ऊंची और उस मैदान से भी अिधक चौड़ी थी, जहां


दसराजन का ाचीन यु आ था।

मनु लगातार अधीर हो रहा था। उसने शंख बजाकर खतरे का संकेत दया। यह
शंख तभी बजाया जाना था, जब कोई भीषण आपदा हो। और वो समय आ
प चं ा था। अपने सम पत अनुयाियय क मौत से अिधक पीड़ादायक और कु छ
नह हो सकता था। मनु ने अपना चेहरा, अपनी कलाई पर बंधे चमड़े से प छा,
गहरी सांस ली और फर से शंख बजाया, िजसक तेज आवाज़ तूफानी
आसमान म दबकर रह गई।

एक सुनसान और डरावनी च ान, जो लाल आसमान के स मुख कोयले-सी


याह दख रही थी, पर खड़ा आ मनु अपनी आंख पर खुली हथेिलय से ओट
बनाते ए दूर ि ितज म देखने क कोिशश कर रहा था। उसे कु छ दखाई नह
दया। हर गुजरते पल के साथ उसक हताशा बढ़ती जा रही थी। वह पराजय
के अपने आंसू रोकने क ब त कोिशश कर रहा था, और एक बार फर से,
अपना पूरा दम लगाते ए उसने शंख बजा दया। चीखते ए शंख क विन
ोिधत अजगर का ं दन सुनाई पड़ रही थी, और मनु के दिसय हजार
सािथय को लगा मानो उनके कान म िपघलता आ लोहा उतर गया हो।

मनु आंख िसकोड़कर, ऊंची लहर के पार, ि ितज म देखने का यास कर रहा
था। उसे उ मीद थी क उसे उसक परछाई दखाई देगी, िजसे उसने स ा
मसीहा माना था।

उसे कु छ नह दखाई दया।

‘म... य!’ आगे को िनकली ई च ान पर बेचैनी से च र लगाते ए मनु


िच लाया। यह च ान उसका िनयं ण थल थी, जहां से वो िवशाल नौका के
िनमाण का िनरी ण करता था। उसके लांत, भयभीत और आशावान ने
भीषण लय के परे ि ितज पर टके थे। बा रश उसके मनोहर कं तु यु -िच ह
से सुशोिभत चेहरे पर वार कर रही थी। अपने मह वाकां ी यास पर मंडराते
खतरे को देखकर वो संभवत: रोने वाला था। हताशा का एक भाव इस
अ ाकृ ितक तूफान से लड़ने के उसके ज बे को तोड़ रहा था।

या उस इकलौते इं सान ने उसे धोखा दया था, िजस पर वो अपने ि य िपता


—महान िववा वन पुजारी, िजतना ही भरोसा करता था? या उसके िम ,
मागदशक, सलाहकार, उपचारक... ने उसका साथ छोड़ दया था?

या उसके यारे म य ने उसके साथ छल कया था?

‘म.......... य...!’ ऊपर कड़कती िबजली को देखते ए मनु िच लाया, उसक


बांह फै ली ई थ और फे फड़े फटने को तैयार थे, मानो वो आसमान तक अपनी
अधीर िवनती प च ं ाना चाहता था!

और फर उसे वो दखाई दया। सब ख़ म कर देने वाली बाढ़ म, समु को


चलाता आ, वो उसे दखाई दया।

लोक-नास, सबसे बड़ा समु ी दै य, िजसका िज कभी शि शाली ा ने


कया था, दूर लहर के साथ अपना िसर आगे िनकाले बढ़ रहा था। मनु ने
पहली बार उस िवकराल पशु क धुंधली सी छिव देखी थी।

और वो वह था, अनेक फण वाले सप क चमकती आंख के बीच, िनभ कता


से खड़ा आ।

म य।
बनारस, 2017
‘यहां तक क मृ यु भी वाइट मा क से
भय खाती ह!’

फै सला हो चुका था। िव ुत, बलवंत और नैना ित-हमले का नेतृ व करगे। वो


ही अके ले थे जो अपराजेय िन जा के सामने टक सकते थे। मठ के तीस
चु नंदा यो ा नजदीक से उनके पीछे चलगे। उनके पास तलवार, भाल और
बंदकू थ । सोनू को दािमनी, ारका शा ी, पुरोिहत जी और मठ के बाक
िनवािसय क सुर ा के िलए छोड़ दया गया, जो अभी भी तहखाने म ही
शरण िलए ए थे। देव-रा स आ म के बीस और यो ा सोनू के साथ के थे।

‘इसे रिखए, िव ुत,’ बलवंत ने कहा और चमकती बेरेटा 92 सेमीऑटोमे टक


िप तौल देवता को पकड़ाई। ‘म जानता ं क आप मेरे यु के तरीक को
अनुमित नह देते, ले कन यह तब काम आएगी, जब कु छ और काम नह
करे गा।’

िव ुत ने न ता से िसर िहलाया, और ताव ठु करा दया।

‘अगर आपका आशीवाद मेरे साथ है, तो मुझे इसक ज रत नह पड़ेगी,


बलवंत दादा। बाबा ऐसे हालात म कभी भी मुझे िनह था बाहर नह जाने दगे,
है न? वैसे भी आप तो हमेशा मेरे साथ ह ही।’

इतना कहकर िव ुत ने अपना हाथ व र यो ा के कं धे पर रख दया और


मु कु रा दया। बलवंत को ऐसा लगा मानो उसके सीने से कोई बड़ा बोझ उतर
गया हो। उसके यारे िव ुत ने आिखरकार उसे माफ़ कर दया था!

‘सही-सलामत वापस आना, बेबी,’ अपने देवता को िवदा करते ए दािमनी


फु सफु साई, उसक आवाज भावना से भारी हो रही थी। ‘हम दूसरी दुिनया
म एक साथ जाना है, याद है न?’

‘साथ म,’ िव ुत ने जवाब दया और उसक आंख म यार से देखते ए,


अपना माथा उसके माथे से सटा दया।

देवता जानता था क वो अपने जीवन क सबसे क ठन लड़ाई पर जा रहा था,


ऐसी लड़ाई िजससे शायद वो कभी वापस न आए। और उसे सबसे अिधक
चंता उन घातक िन जा क नह थी। वो तो उ ह लेकर परे शान था, जो
िन जा के बाद आने वाले थे।

मा के रा िबआंका। शैतान का दूत।

अब चो टल होने क बारी िन जा क थी। तीन दशा म बंटकर, िव ुत,


नैना और बलवंत देव-खंड के अलग-अलग दशा म बढ़ रहे थे। द यो ा
होने क वजह से उ ह अंधेरे से अ य त होने म अिधक समय नह लगा। जैसे
ही उनक आंख अ य त वो अंधेरे कोने म घूमती परछाइय को देख पाए
और पलटकर वार भी कर पाए। जोरदार हार।

िव ुत एक जापानी तलवार के हमले से बचा जो उसके कान के पास से होते


ए, आंख से एक िमलीमीटर क दूरी पर चमक । तुरंत ही, हमलावर क
दशा और दूरी को भांपते ए िव ुत ने िन जा के गले म जोरदार घूसा मारा
—इजरायली ाव मागा का एक ब ढ़या दांव। काले कपड़ म िछपा हमलावर
कु छ पल के िलए अपनी सांस के िलए तड़पता रहा, अपने हाथ से अपने गले
को पकड़कर, वो दद से तड़पते ए सी ढ़य से िगर गया।

दो और िन जा को ऐसे ही अंजाम पर प च ं ाकर, िव ुत अब एक खुले


बरामदे म आ गया था, जहां से देव-खंड का बागीचा दखाई दे रहा था। जो
उसने देखा, उससे उसक रीढ़ म िसहरन हो आई।

बाबा!

ारका शा ी अब सात िन जा से िघरे खड़े थे, उ ह ने तलवार िनकाल ली


थी, उनके मु े उनके कान तक उठे ए थे, उनक कोहिनयां उनके कं ध तक
उठी थ —वो िन जा क पारं प रक मु ा म थे। वृ डमा टर ऐसे तीत हो
रहे थे, मानो एक बूढ़ा शेर जंगली कु के झुंड म िघर गया हो। मठाधीश उस
समय िछपकर नह बैठ सकते थे, जब उनका यारा परपोता खतरनाक सेना से
लड़ रहा हो। महान और िनडर ारका शा ी ने बाहर जाने का िनणय िलया
था और अपने चमकदार ि शूल से जो मदद वो कर सकते थे।

बद क मती से, 108 वष य वृ महातांि क का मुकाबला दुिनया के सबसे द


वसायी ह यार के साथ था।
पलक झपकते ही उनक िशि त तलवार मठाधीश के टु कड़े कर देने वाली
थ।

देवता उन पर कसी टू टते पहाड़ क तरह िगरा। िन जा को पता नह चल


पाया था क कसने उन पर ऊपर से इतना तेज हार कया था, जब तक
उ ह ने िव ुत को आगे घास भरे मैदान पर लुढ़कते ए नह देखा, वो ककर
उ ह ऐसे देख रहा था, जैसे चीता अपने िशकार को घूरता है। िव ुत ने पहली
मंिजल के बरामदे से, पूरी ताकत से अपने दु मन पर छलांग लगाई थी। उसक
ईमानदार आंख अब ोध और नफरत से चमक रही थ । जो भी िव ुत के
यारे परदादा को नुकसान प च ं ाने क कोिशश करता था, वो तुरंत ही उसका
सबसे बड़ा दु मन बन जाता था।

और जो भी देवता के ोध का भागी होने क गलती करता—वो बड़ा


बद क मत सािबत होता।

भयंकर प से बद क मत।

छह िन जा िव ुत पर हमला करने के िलए आगे बढ़े, जब क सातव ने अपनी


तलवार मठाधीश क तरफ बढ़ाई। इस पक उ म होने के बावजूद भी महान
ारका शा ी ने अपने ि शूल क मदद से उसक तलवार को रोक दया, दोन
हिथयार के आपस म रगड़ने पर तेज आवाज आई। जैसे ही िव ुत उन आधे
दजन िन जा पर हमले के िलए तैयार आ, तभी एक तेज रौशनी के साथ
हेलीकॉ टर के पंख क आवाज सुनाई दी, और पूरा देव-खंड सुनहरे काश से
जगमगा उठा।

देव-रा स मठ के ऊपर लटके , उस िवशाल रजत प ी से एक मैटल क र सी


लटक और उस पर से सफ़े द चेहरे वाला काला शैतान उतरने लगा।

उसक हरी आंख िजस चीज पर भी पड़त उसे लगभग जला देत , मा के रा
िबआंका देव-रा स मठ के बड़े से मैदान पर उतरा।

मा क ने अपने हाथ उठाकर, अपने काले नाइ स को अलग हटने को कहा। वो


बागीचे के क क तरफ बढ़ा और िव ुत से लगभग दस मीटर क दूरी पर
खड़ा हो गया। नैना और बलवंत भी हेलीकॉ टर क तेज आवाज को सुनकर
दौड़े आए थे।

‘तुम वा तव म असाधारण हो, िव ुत... िबग मैन सही कहता था!’ मा क


िच लाया, जब उसका िसको क प ी मठ से उड़कर, काशी के राि आकाश म
खो गया।

मा क ने अपनी बात आगे बढ़ाई।

‘मने सुना था क कै से तुमने अके ले ही दस िशि त सी ह यार को परािजत


कर दया था, ले कन मने उ मीद नह क थी क तुम िन जा को भी
पटक...’

‘वो बारह थे।’

मा के रा दुिवधा म था।

‘ मा करना, या?’

‘वो बारह थे, कराये के ह यारे ... दस नह ,’ िव ुत ने िवरोध व प कहा, एक


बार फर हरी आंख वाले दानव क आंख म िनडरता से देखते ए।

मा क हंसा, और बाक के िन जा भी उस े म आ गए। लगभग उसी समय


मठ के ब त से यो ा-पुजारी भी लड़ाई के क म जुट आए।

‘तु हारे पास अभी भी समय है, िव ुत। मुझे बता दो क वो तु हारा
सवशि मान कि क कहां िमलेगा। बस इतना ही करना है, मेरे िम । और म
तु ह जाने दूगं ा। म इस वृ को भी जाने दूग ं ा। और म तु हारी उस सुंदर
जीवनसाथी को भी छोड़ दूग ं ा। ले कन अगर तुमने ऐसे ही िजद ठानकर रखी,
तो म यह सम त प रसर जला दूग ं ा, और आज रात इस आ म म सबको जंदा
जला दूगं ा।’

िव ुत ने नफरत से अपनी मु ी भ ची।

‘उन सबको जाने दो, मा के रा। तु हारे लैक नाइ स, मेरे यो ा-संत... सबको।
इस मसले को हम दोन के बीच िनबटाते ह। तुम और म। यहां और अभी।’

मा के रा का चेहरा बदल गया। िव त


ु को अपनी आंख पर यक न नह आ।
ऐसा लगा मानो इटैिलयन डॉन क आंख का सारा रं ग उतर गया था... वो
झक सफे द हो गई थ ।

सफे द आंख वाले शैतान ने िव ुत को घेरे खड़े िन जा को देखा, और अपना


िसर िहला दया। तुरंत ही िव ुत को अपने कं धे पर एक जोरदार हार का
अहसास आ। जैसे ही िव ुत उस कायर को देखने के िलए मुड़ा, िजसने उस
पर पीछे से हमला कया था, उसक जांघ पर तलवार का एक और वार आ।
इस खुले ए घाव के बावजूद, िव ुत ने िजउ िज सू के सधे ए वार से एक
तलवारबाज क ठु ी पर लात से हार कया। देवता के तेज वार से वो आदमी
घूमकर, पांच फ ट क दूरी पर जाकर िगरा। ले कन कायर क तरह िबना
बताए कए गए हमले ने देवता को ददभरा सदमा दया था। असहनीय दद
और हवा म उड़ते अपने ही र के बीच, िव ुत को एक आवाज सुनाई दी। वो
जानता था क यह आवाज कसक थी।

‘तुम मूख हो, ओ देवता!’ मा के रा िबआंका ने कहा। ‘तुम उनसे लड़ रहे हो,
िज ह तुम परािजत नह कर सकते। तुम अपने ामक ढटाई ारा मुझसे नजर
िमला रहे थे, मुझे यह दखाने के िलए क तुम िनडर हो। या तुम नह जानते,
गु ताख लड़के ...?

क मृ यु भी वाइट मा क से भय खाती ह!!

िव ुत पता लगाने क कोिशश कर रहा था क वो कहां थे, ले कन इस बीच


उस पर जापानी चाकु के और वार हो चुके थे। तलवार और मु के वार के
बीच िव ुत होश म रह पाने के िलए काफ संघष कर रहा था, और वो अपनी
बांह फै लाकर वृ तक जाने का असफल यास कर रहा था। फु सफु साते ए
उसके ह ठ से िसफ एक ही श द िनकल पाया।

‘बाबा........ अआह!’

वाइट मा क अब ठीक मठाधीश के पीछे खड़ा था।

उसक आंख मौत क तरह सद थ ।


िवनाशकारी लय, 1698 ईसापूव
लोक-नास!

िवशाल नौका अब खतरनाक तरीके से झुक रही थी, और वो िवकराल लहर के


साथ संतुलन नह िबठा पा रही थी। थूलकाय नौका का भार कसी पवत से
भी अिधक था, और वो तैरता आ नगर अब डू बने क कगार पर था।

जहाज के िवशालकाय ढांचे पर दै याकार लहर से इतना बल पड़ रहा था,


मानो करोड़ हेल मछिलयां उसे सरका रही ह । बरसात और ओलावृि
इतनी जबरद त थी क नौका के िविभ तल पर ब त पानी भर गया था।
हजार आदमी और औरत लगातार यास करके पानी को बाहर िनकालने क
कोिशश कर रहे थे, ले कन कोई फायदा नह हो रहा था। तूफानी बरसात के
संयु हार से वो लहर अब नौका को डु बाने ही वाली थ ।

अब कु छ ही पल क बात लग रही थी, और िवशाल नौका पर सब घबराने


लगे। ब को थामे मांएं, िव णु से अथक प से ाथना कर रही थ , उनसे
आकर बचाने क िवनती कर रही थ । पि य और पशु क हजार
जाितयां अब संयु प से िहनिहना, दहाड़, कराह, चीख और चंघाड़ रहे
थे। कै द कए ए दै य कांस क सलाख पर अपने हाथ, शरीर और िसर पटक
रहे थे, िजनम वो कै द थे। वो आजाद होने क िवनती कर रहे थे, य क नौका
पर बाढ़ आने क ि थित म यह उनके िलए िनि त प से मौत का िशकं जा
बन जाता। रि सय से लटके हजार पु ष और मिहलाएं पलटती नौका को
थामने क कोिशश कर रहे थे, वो असंभव दु मन से लड़ते ए, नौका का
संतुलन वापस लाने का असफल यास कर रहे थे। नौका के ब त से
बद क मत िनवािसय के पैर अब उखड़ने लगे थे और वो िच लाते ए हजार
मीटर नीचे िगरकर तूफान के जबड़ म समां रहे थे।

मनु का अंितम े ण थल भी बाढ़ क चपेट म आ गया था और वो ड गी म


बैठकर, मृ यु से लड़ते ए वापस नौका पर आ गया था। जब वो सांस रोके
ती ा कर रहा था, तब उसने िवशाल लहर को डू बती ई का नगरी क
तरफ बढ़ते देखा।

िवशालकाय समु ी जीव का अि त व वा तव म है। वो क स का पा भर


नह है। और म य उसका वामी है!

मनु का ये अ भुत म ज द ही असाधारण वा तिवकता से टू ट गया।

वो शायद दिसय हजार थे। म य क वचा वाले, चमकते कपड़े पहने ए, वो


सब एक ही ताल से आगे बढ़ रहे थे। स य त मनु, सत पा, ुव, चंड और
बाक नौकावासी उस तैरते नगर को िवशाल नौका के पास आता देख त ध
रह गए।

म य जाित के लोग पानी के अंदर से, लता इ या द के मा यम से जुड़ी,


छोटी नौका पर सवारी कर रहे थे। यह समूह कु छेक मील तक फै ला आ था।
ह क ड िगय म मकड़ी के जाल क संरचना के प म, बड़ा सा े फल घेरे ये
ब ती वा तव म डू ब नह सकती थी। उन सबने म य और सांप क वचा वाले
कपड़े पहन रखे थे, जो चमकती िबजली के बीच मील दूर से दख जाते थे।
म य जाित के इस कबीले का नेतृ व वयं मछली क नौका कर रही थी। एक
चौड़ा-सा फ ा, िजसके दोन तरफ सैकड़ च पू लगे थे, इसके सामने के दोन
कनारे पर, दो बड़ी, गोलाकार चमकती ई ढाल लगी थ । समु ी-यु के
दौरान सूरज या चमकती िबजली के काश से आंख चुंिधया देने वाली ये
िवशाल ढाल कसी िवकराल सांप क आंख के समान लग रही थ !

इसी तरह उस दै याकार समु ी-दानव क कहािनयां चिलत ई थ । म य


जाित के हजार लोग क चमकती ई म य समान वचा, उनक अ य त,
एक म से चली ई चाल उ ह संयु प से एक सांप दखाती है, और सामने
लगी दो चमकती ढाल उसक दो आंख— वा तव म लोक-नास कोई जलजंतु
नह था। वो तो म य- जाित क तैरती ई नगरी थी!

ऐसा लगा मानो म य- जाित क कि तय से ब त से फं दे और म य बरछी


िनकल । फक गई अनिगनत व तुएं, िवशाल नौका क अक पनीय लंबाई म
पूरी तरफ नौका के िनचले तल क िखड़ कय और बाढ़ म आकर अटक ग ।
अ भुत नील-वण और उसके अनुयाियय क समु पर स ा और द ता अब
मनु और उसके आदिमय के सामने प थी। नौका म अटके फं द और ब छय
के मा यम से, अब तैरती ब ती के वासी नौका क र सी को उसके झुकाव से
दूसरी तरफ ख च रहे थे।

म य- जाित का येक सद य सटीक समय के साथ, पूरे बल से अपने च पू


चला रहा था। कि तय क एक ज टल और गूढ़ ृंखला च पू चलाने वाल के
िलए सहायक का काम कर रही थी। नािवक ने सावधानी से, तेज हवा को
िवशाल नौका के प म इ तेमाल कया।

वो धीरे -धीरे अपना भाव दखाने लगे। दिसय हजार भुजा और सैकड़
नािवक क द ता ने उस पहाड़ को भी पानी पर चला दया था।

िवशाल नौका धीरे -धीरे सरक , और फर उसने उन मील ऊंची लहर के म य


अपना सुरि त संतुलन हािसल कर िलया।

िव णु ने उनक ाथना का जवाब दे दया था।

मानवजाित इस लय से बच जाने वाली थी!


बनारस, 2017
‘बाबा........!’

‘हम फर िमलगे, िव ुत, मेरे ब .े .. हम दोबारा कसी और ज म म िमलगे...’


ारका शा ी ने हांफते ए कहा, जब मा के रा िबआंका ने अपने पसंदीदा
हिथयार से मठाधीश के पेट को चीर दया था।

अब तक िव ुत अपने घुटन पर ढह गया था, और उसके शरीर पर लगे कई


गहरे घाव से र बह रहा था, उसक बंद होती आंख के सामने या तो अंधेरा
छा रहा था या वो अपने सामने हो रही हंसा का सपना देख रहा था। उसके
मुंह से काफ सारा र िनकला और गहन संताप से पसीने म भीग गया।

‘बाबा...’ होश म रहने का संघष करते ए, वो फर से फु सफु साया।

ले कन तेज दद से तड़पते ए भी, उसने वो तेज, भयानक आवाज सुनी... ऐसा


तीत हो रहा था, मानो वो कसी और दुिनया से आ रही थी।

र -धारा का अिभशाप!

िजस तरह से, इस अभागी रात म, तुमने द मुिनय को एक-एक कर


जलता देखा, िनयित भी तु हारे वंश को ऐसी ही हंसा म ख़ म होते देखेगी।
पु दर पु , पीढ़ी दर पीढ़ी।

म तु ह और तु हारे सम वंश को अिभशाप देती ं, ओ पितत देवता...

वाइट मा क के दूसरे वार ने ारका शा ी का दल चीर दया, लंबे पेचकस


का लाल रं ग का ह था वृ के सीने म यूं घुपा आ था, मानो सूली पर चढ़ाने के
िलए क ल ठोक गई ही। महान मठाधीश के मुंह से तब र का फ वारा फू ट
गया, जब वो अपने इ से िमलने के िलए अंितम बार ाथना कर रहे थे। इस
अंितम समय म, वह ग वत और संतु ि थे। काशी के इस महातांि क ने
अपनी द िनयित पूण क थी।

अपने इस अंितम पल म, देव-रा स मठ के वृ मठाधीश को भी र -धारा क


वो हंसक भिव यवाणी सुनाई दे रही थी, िजसे वीकृ त करने के िलए उ ह ने
समपण म अपनी आंख बंद कर ल ।

तु हारे वंश का येक पु उसी हंसक मौत मरे गा, जो आज भयानक रात म
तुमने देखी है!

म तु ह अिभशाप देता ं! और तु हारे सम वंश को!

यह अिभशाप समय के अंत तक रहेगा!’

‘म आपको बचा लूंगा, बाबा...’ िव ुत अपनी आखरी ताकत और दृढ़ता का


आ वान करते ए बुदबुदाया। उसक जगह कोई और मनु य तो अब तक दद
के सामने घुटने टेक चुका होता। ले कन िव ुत िसफ मनु य नह था। वह देवता
था!

वापस पैर पर खड़े होने का संघष करते ए उसने अपने हाथ से, अपने चेहरे
से र प छा। ले कन उसने ब त देर कर दी थी। जब उसने अपनी आंख खोल ,
और देखा क वा तव म या हो रहा था, तो तब तक भ ारका शा ी के
जीवन का अंत आ गया था। िव ुत क आंख के सामने ही, उसके ि य परदादा
का शरीर मा के रा के घातक पेचकस से गुदा पड़ा था।

ाचीन अिभशाप को स य करते ए, शा ी वंश के एक और पु का हंसक


और ू र अंत हो चुका था।

‘नह ........!’ िव ुत िच लाया, वो उस आतंक का ताप नह सह पा रहा था!

बेरहम मा क क आंख अब पूरी तरह सफ़े द हो चुक थ । उसने डमा टर का


त-िव त शरीर फका और िव ुत को देख हंसक तरीके से मु कु राया, उसे
आपस क लड़ाई के िलए आमंि त करते ए।

र रं िजत रात के अंधेरे म बेरेटा से िनकले शॉट क आवाज सुनाई दी।

अपने ि य मठाधीश के अमानवीय वध से आहत हो, बलवंत और नैना अब


अपना ोध रोक नह पा रहे थे। अ छाई और बुराई, सही और गलत के याल
को यागते ए उ ह ने अपनी खतरनाक बंदक ू से िन जा पर गोली चलानी
शु कर दी। बलवंत ने मा के रा िबआंका पर भी िनशाना साध िलया था,
मा क उस घातक वार से बच िनकला। बलवंत क गोली ने शैतान क जांघ को
िनशाना बना िलया था। हालां क इस घाव से मा क मरने नह वाला था,
ले कन यह उसे युगल यु म ज र सीिमत कर देता।

और यह अंतर भी गंभीर प से घायल ए, िव ुत के िलए बदले का अ छा


अवसर था।

िव ुत अब ोध का मूत प था। इस घायल अव था म भी वो मा के रा पर


लपका। मा क ने एक जोरदार मु े से िव ुत का वागत कया, जो सीधे देवता
के जबड़े पर लगा। िव ुत क ठोड़ी फट गई और तुरंत ही एक र बहता घाव
नजर आया। सफे द-आंख वाले दानव का मु ा कठोर था। ले कन मा क को
अिव ास म डालते ए, िव ुत अब भी उसक तरफ बढ़ रहा था। िबना एक
पल भी िझझके ।

अब िव ुत क बारी थी। उसने अपनी बंधी मु ी इतालवी डॉन के पेट म मार


दी। वार इतना जोरदार था क मा क भी वेदना से खांसने लगा। िव ुत ने
फर से वार कया, इस बार अपने घुटने से, और मा के रा क पसिलय म वार
कया। मा क क हि यां चरमराई और वो क पना से परे के उस वार से जमीन
पर ढह गया।

ले कन वह भी शैतान का दूत था। वो इतनी आसानी से हार नह मानने वाला


था।

अगले ही पल, मा के रा िबआंका उठा, और अब वो पहले से भी यादा डरावना


नजर आ रहा था। उसक यो रयां अजीब तरीके से चढ़ी ई थ । उसके दािहने
हाथ म उसका घातक हिथयार था।

पेचकस जो अभी भी शा ी जी के र से सना आ था।

मा के रा िबआंका देख सकता था क िव ुत का र तेजी से बह रहा था। पहले


जब वो मठ म आया था, तो वो देवता को मारना नह चाहता था। ले कन
िव ुत तो उससे भी बड़ी चुनौती सािबत हो रहा था, िजतना क शैतान के दूत
ने सोचा था। देवता के मु े के वार से तड़पते ए, मा क अब अपना उ े य
भुला बैठा था। गु से म वो भूल बैठा था क िव ुत का जीवन ऑडर के िलए
कतना मह वपूण था। ले कन इससे भी अिधक, वो देवता क आंख म र क
यास देख पा रहा था।

मा क ने ज दी से प रणाम िनकाल िलया था। या तो वो आज देवता को मार


देगा। या िव ुत आज उसे मठ से जीिवत बाहर नह जाने देगा।
‘भाड़ म जाए अवतार, िव ुत... तुम आज मेरे हाथ से मरोगे, अपने बूढ़े दादा
क सड़ी ई लाश के पास ही!’ वाइट मा क फु फकारा।

इ ह श द के साथ, दानव आगे बढ़ा और िव ुत के चेहरे पर एक जोरदार


लात मारी। हार घातक था। देवता यादा देर तक खड़ा नह रह सकता था
और वो बेहोश होते ए जमीन पर िगरने लगा।

मा क ने अब िव ुत पर छलांग लगाकर उसे नीचे िगरा िलया। दानव ने अपनी


बा बांह देवता के गले म फं सा ली, धीरे -धीरे उसका दम घ टते ए। उसके
सीधे हाथ म उसका पसंदीदा हिथयार था, पेचकस, घ पे जाने के िलए तैयार।
उसने हिथयार को िव ुत क पुतली से लगभग छु आ दया और फु फकारा।
उसका चेहरा देवता के चेहरे से महज एक इं च दूर था।

‘मूख, मुझे कि क का ज म- थान बता दो... और म तु ह आराम से मार दूग


ं ा।
अगर तुमने अब भी िजद नह छोड़ी, तो म तु ह तु हारे दादा से भी अिधक
ददनाक मौत मा ं गा.. और यहां उपि थत हर ि को मार डा...’

इससे पहले क शैतान अपनी धमक पूरी कर पाता. िव ुत ने उसे टोका।

‘मने तुमसे कहा था न मा के रा, बनारस से चले जाओ।’

इसके बाद जो नैना, बलवंत, िन जा और मठ के यो ा ने देखा, वो उसे कभी


भुला नह पाएंगे।

मा के रा िबआंका यूं िच लाया मानो कसी अजगर को तीर लग गया हो,


उसका िसर पीछे क तरफ मुड़ गया और उसके गले क नस फटने को तैयार
थ । असहनीय दद क वजह से उसके मुंह से जीभ बाहर िनकल आई थी, और
उसक भयानक आंख म रं ग चढ़ने लगा था। दानव के पेट को चीरता आ,
देवता का पंजा मा के रा क कमर से िनकला।

‘आआअरररग ग ह...!’ देवता िच लाया, जब उसने अपना हाथ दानव के


पेट म घुसाया, अपने ि य बाबा के र रं िजत शरीर को याद करते ए।

िव ुत ने मा क के शरीर को ू रता से फाड़ दया। जब उसक र से सनी


उं गिलयां और बांह दानव क पीठ से िनकल , तो उन पर एक ाचीन
हिथयार, िजसका इ तेमाल म लयु म कया जाता था।

बाघ-नख !

ये वही तांबे के नाखून थे, िजनका इ तेमाल मनु पुजारी ने शैतान रं गा को


हराने के िलए कया था। इ ह नख का इ तेमाल माकडेय शा ी ने
म ययुगीन गोवा म, पुतगाली ह यारे अगोि त हो को मारने के िलए कया
था।

बाघ-नख अपने यो य परपोते को दया ारका शा ी का अंितम उपहार था।


इसी वजह से िव ुत ने बलवंत क दी बेरेटा िप तौल को मना कया था।

‘आआअरररग ग ह...!’

‘यआआअरररग ग ह...!’

‘बाबा........!’

अपनी भुजा अभी भी शैतान के शरीर म घुसाए ए, िव ुत अपने बाबा का


नाम लेकर िच ला रहा था।
िवनाशकारी लय, 1698 ईसापूव
िव ुत

‘जब हम पहली बार िमले थे, मने तु ह बताया था... पानी क वो बूंद... ऋण
रहगी मुझ पर, स य त!’

म य हंसा जब मनु ने दौड़कर उसे कसकर गले लगा िलया। नील-वण ने भी


सूय-पु को गले लगा िलया। यह कहना मुि कल था क कसने कसको अिधक
याद कया था। या मनु य ने अपने ई र को याद कया था? या ई र ने
अपने न र भ को?

‘तुम मुझे छोड़कर य चले गए थे, म य? य ?!’ मनु ने जोर दया, वो


म य- जाित के नेता को छोड़ने के िलए ही तैयार नह था।

‘मने तु ह कभी नह छोड़ा, मनु। एक पल के िलए भी नह । तु हारे िबना मेरा


अि त व ही या, मेरे िम , मेरे भाई? म तु ह देख रहा था। जब तुम अपनी
सुर ा क परवाह कए िबना नगर खाली करा रहे थे, म वह था। जब तुम इस
अन र नौका का िनमाण करा रहे थे, ऐसी नौका िजसका िनमाण ई र के
िलए भी असंभव था, म वह था। जब तुमने नर-मुंड का वध कया, म वह था,
मनु। म हमेशा तु हारे साथ था।’

‘तो आपने मुझे वयं को दखाया य नह , ओ द म य? आपने मुझे अपने


दशन का आशीवाद य नह दया, भु?’
‘ भु? म देख रहा ं क तुम बड़े-बड़े श द इ तेमाल करने लगे हो, ी स य त
मनु? या तु हारे जीवन म जो लड़क है, वो ये बदलाव लेकर आई है? ओ
ताकतवर यो ा, या तुम अब िपघलने लगे हो?’ म य ने प रहास कया।

‘तो मेरे जीवन म आई उस लड़क क डांट खाने के िलए तैयार हो जाओ, ी


म य। वो भी आपसे उतनी ही नाराज है, िजतना म,’ मनु ने जवाब दया।

‘ह म... ये तो मुझे लय क भीषण लहर से भी अिधक खतरनाक लग रहा


है!’ नीले ि ने कहा।

दो दो त, भु और उनका भ , भगवान का अवतार और मनु य का नायक,


क ह पुराने िम क तरह िखलिखला रहे थे।

‘ ू र रं गा, मैसोपोटािमया के तीन काले जादूगर, अप, शा, गुन, सुंदर कं तु


अधम ि य वदा, रा स-राजा सुरा और नर-मुंड भी... इनम से कोई भी इतना
बुरा नह था, िजतना बुरा समय अब इस धरती पर आने वाला है, मनु। हम
काली के युग म वेश कर रहे ह, जहां दुिनया हंसा, पतन, छल, धोखे, मृ यु
और िवनाश के कोलाहल से भर जाएगी। बेशक तुम मानवजाित को बचाकर
एक नए सवेरे म लेकर जा रहे हो। ले कन लय के दूसरी तरफ, जो दुिनया
तु हारी ती ा कर रही है, एक-दूसरे के िव यु छेड़ग
े ी, कृ ित मां के
िव हो, जंगल को तबाह करे गी, न दय को सुखाएगी, आसमान म जहर
िमलाएगी और जहर के हिथयार बनाएगी। नर-मुंड एक समय पर एक आदमी
को मारता था... और वो भी अपना और अपने कबीले के अि त व के िलए।
ले कन कलयुग म इं सान एक ही बार म हजार औरत , ब , मासूम को मौत
के घाट उतार देगा... बस कसी क संहासन क लालसा पूरी करने के िलए।’

वो नौका के ऊपरी तल पर खड़े थे, और म य- जाित क बनाई िवशेष म दरा


पी रहे थे। म य िवशेष प से इसे अपने िम के िलए लेकर आया था। तारा
भी उनके साथ थी। कु छ दन गुजर गए थे और वो उ म तूफान शांत होने
लगा था, बरसात अभी भी लगातार हो रही थी, ले कन वो भी उतनी हंसक
नह थी। नौका के नेता ये जानते थे क उ ह अभी भी बड़ी चुनौितय का
सामना करना था। ले कन उन सबको उ मीद थी क सबसे बदतर समय अब
ख़ म हो चुका था।

‘हमारे िलए आपका या आदेश है, म य? ऐसे काले समय को रोकने के िलए
म और तारा या कर सकते ह?’ मनु ने पूछा।

म य मु कु राकर मनु और तारा क तरफ मुड़ा, और अपनी कमर तल क बाड़


से टका ली। उसके चेहरे पर ह क फु हार पड़ रही थी। जब उसने अपनी सीप
से घूंट भरा, तो वो अवणनीय प से अ भुत लग रहा था।

‘तु हारे कं धे पर ब त-सी िज मेदा रयां ह, तुम दोन के कं ध पर,’ म य ने


कहा। ‘तु हारे ब े और उनके ब े मानवजाित क अंितम करण का
ितिनिध व करगे।’

अपनी म दरा का घूंट भरते ए, सत पा शरमाई।

‘आपसे कसने कह दया, म य क म इस बु धू से शादी क ं गी, ब े तो दूर


क बात है?’ उसने शरारत से मनु पर ं य कया।

मसीहा का मसीहा ख़शी से हंसा, सत पा और मनु क इस शरारत का


आनंद लेते ए।

‘म भी मानता ,ं इस अधीर इं सान से शादी मत करो, तारा,’ म य ने कहा।


‘ये कु छ अिधक ही गंभीर है न?’

वो तीन एक-दूसरे के साथ ऐसे हंस रहे थे, जैसे सबसे िव सनीय िम हंसते
ह। म य और तारा, दोन जानते थे क तारा मनु को इतना यार करती थी,
िजसे श द म नह बांधा जा सकता था।

‘स य त, र -मा क सुर ा करना। अपने वंश क सुर ा म इसे एक पीढ़ी से


दूसरी पीढ़ी को स पते रहना। यह ांडीय हिथयार भगवान िव णु के अंितम
अवतार के हाथ म प च ं ेगा, जब वो बुराई को समा करने के िलए धरती पर
ज म लगे। तुम और तु हारे वंशज इसक तब तक सुर ा करगे, जब तक
कलयुग के चरम म कि क अवतार धरती पर ज म नह ले लगे।’

तारा और मनु ने एक-दूसरे को देखा। कि क के नाम से ही उ ह कु छ आ था।

‘जैसा आप कह, म य। इस द तलवार क सुर ा म हम कोई कमी नह


छोड़गे। या मानवजाित को उसके काले भिव य से बचाने म हम कु छ कर
सकते ह?’

म य ने िसर िहलाकर उन िवकराल लहर को देखा, िजनसे नौका जूझ रही


थी।

‘तुम इसे नह बदल सकते, मनु। ले कन मुझे गलत मत समझना। ले कन कई


मायन म लय के बाद क यह दुिनया मानवजाित के िलए एक सुनहरा युग
भी होगी। उसी युग म मनु य आकाश को जीतकर, उसम प ी के समान उड़
सके गा। तब इं सान सागर का सीना चीर उसक गहराई म जाएगा, और पानी
म चलने वाले रथ बनाएगा। धन और बुि क कोई सीमा नह होगी और
िव ान वो हािसल कर लेगा, िजसक आज क पना तक नह क जा सकती।
मनु य ऊंची छलांग लगाएगा, यहां तक क वो चांद और मंगल तक को छू
लेगा। और जब संप ता और ान, गरीबी और हंसा, बीमारी और तर
अपने चरम पर ह गे... तब हड़ पा का सूय, महान िववा वन पुजारी दोबारा
ज म लेगा। तु हारे वंशज के प म, मनु।

वो तु हारे वंश म सबसे महानतम होगा।’

‘काले मं दर का जो प तुमने दोबारा से हड़ पा क िलिप म िलख दया है,


मनु, वो कलयुग का सबसे बड़ा रह य होगा। इसे सुरि त रखना। काले मं दर
बनवाना और इस ब मू य प क र ा करना। या तुम जानते हो जब लय
ने सम त ात आयवत और उसके परे भी सबको िनगल िलया है, तब भी एक
पिव नगरी है, िजसे लय छू तक नह पाई है?’

‘छू नह पाई है? मुझे तो लगा था क लय ने सम त धरती को िनगल िलया


है!’

म य फर से हंसा और फर कु छ पल शांत रहकर, अपनी आंख बंद कर ल ।


ऐसा लग रहा था क अगले श द बोलने से पहले वो कसी क आराधना कर
रहा था।

‘उस नगर को कौन डू बा सकता है, जो िशव के ि शूल पर ि थत है, मनु? काशी
को कौन डू बा सकता है? िवनाशकारी लय के उतरने के बाद वहां जाना। आज
से हजार साल बाद, उसी काशी नगर म तु हारे महान पूवज, तु हारे भ
िपता का पुनज म होगा, जो काले मं दर के रह य को उ ा टत कर, कि क का
दुिनया म वागत करगे। वो ही कि क क तेरह वष के होने तक सुर ा करगे
और उ ह र -मा स प दगे। उसी द काय के िलए उस तेज वी देवता को
इस धरती पर भेजा जाएगा।’

वहां कु छ पल के िलए ख़ामोशी रही। फर तारा म य क तरफ मुड़ी और


उससे वो पूछा जो उसके मन म चल रहा था।

‘हमारे इस महान वंशज के बारे म हम कु छ बताओ, म य। जो कलयुग म,


काशी म रह य पर से पदा हटाएगा। वो दखने म कै सा होगा?’

म य मु कु राया और अपने पा से बची ई म दरा ख़ म क । लड़कपन म


उसने खाली सीपी को समु म उछाल दया, तारा को बेचैन करते ए। नौका
पर येक च मच को िगना जाता था।

‘म या कह सकता ,ं तारा? वो असाधारण होगा। वो बाक मनु य म हीरे के


समान होगा। एक यो ा, एक योगी, एक ेमी, एक मोहक और एक नेता। वह
आधा-मनु य, आधा-भगवान होगा!’

एक पल ककर, म य ने अपने वणन म और कु छ जोड़ा।

‘तुम कह सकती हो िबजली क सी ताकत वाला होगा।

वह िव ुत होगा।’
बनारस, 2017
िव ुत

राख पिव जल क सतह पर तैर गई। यह तेज वी ारका शा ी का िनयो य


अंत था, जब उनक आ मा कसी दूसरे जीवन म वेश कर गई। वह
यंबके र, भु िशव क नगरी म मृ यु को ा ए थे। ऐसा माना गया है क
काशी म मृ यु ा करने वाल के कान म वयं िशव िनवाण का मं फूं कते
थे।

िव ुत ने अपने बाबा के अवशेष के अंितम कण तक का पिव गंगा म घुल


जाने क ती ा क ।

पुरोिहत जी और देव-रा स मठ के दूसरे सहयोिगय के मागदशन म, उसने


महान मठाधीश का अंितम सं कार कया था। छोटी-छोटी बात को याद कर
उसका दल फू ट-फू टकर रो रहा था। उसके धुंधले से बचपन म महातांि क
िवशाल प से खड़े थे। उसे मठाधीश क पहली याद उसी पल क थी, जब वो
दो दशक बाद मठ म आया था। उसे याद आ रहा था क कस तरह उसके बाबा
ने यार से उसे खाना िखलाया था। कै से ारका शा ी मानते थे क िव ुत ने
ही उ ह उस घातक मारके श ल से बचाया था।

िव ुत गहरी उदासी म िघरता जा रहा था। बचपन म ही अपने माता-िपता


को खो देने के बाद, िपछले दो दशक म ई यह उसक सबसे बड़ी ित थी।
उसके पास प रवार के नाम पर बस ारका शा ी ही तो बचे थे। उसे लगा
मानो वो अचानक अनाथ हो गया था।

एक बार फर से।

‘हम अब चलना चािहए, बेटा।’

काफ समय गुजर जाने के बाद, पुरोिहत जी आए और देवता के कं धे को


थपथपाया।

‘उ ह शांित के इस े म रहने दो, िव ुत। िजतना तुम शोकाकु ल रहोगे,


उतना ही इस दुिनया के पार जाना उनके िलए मुि कल हो जाएगा।’

‘हां, पुरोिहत जी... म समझता ,ं ’ िव ुत ने जवाब दया, और अपने बाबा के


धुंधलाते अवशेष से अंितम बार हाथ जोड़कर िवदा ली।

‘अब या, पुरोिहत जी?’ िव ुत ने पूछा।

वे दशा मेध घाट क सी ढ़य पर बैठे थे, पिव गंगा से आती तेज हवा उनके
चेहरे और बाल को सहला रही थी।

‘ऑडर पीछे हटने के िलए मजबूर हो जाएगा... कम से कम अभी के िलए तो,


िव ुत। कु छ ही दन म, रोमी, ि जट और मा के रा के खा मे से तुमने उ ह
ब त हािन प च ं ाई है। उ ह दोबारा से समूह बनाने म समय लगेगा, और वो
ज र बनाएंग।े वे हमेशा ऐसे ही करते ह। धैय का दामन वो कभी नह छोड़ते।
ले कन जब भी वो पलटवार करगे—तो वो अिधक कड़ा और पहले से कह
अिधक हंसा मक होगा।’

सोनू उनके िलए मसालेदार आम प ा ले आया था।

‘ध यवाद, सोनू,’ कहते ए िव ुत ने उस ख े-मीठे पेय का एक पा पुरोिहत


जी क तरफ बढ़ा दया।

‘बाबा के िबना उन लोग से लड़ पाना ब त मुि कल होगा, पुरोिहत जी। अब


हमारा नेतृ व कौन करे गा?’

पुरोिहत जी चेहरे पर हैरानी के भाव िलए ए, िव ुत क तरफ मुड़।े

‘हमारे नए मठाधीश हमारा नेतृ व करगे, िव ुत। ताकतवर ारका शा ी का


वंशज हमारा नेतृ व करे गा।

तुम हमारा नेतृ व करोगे, ओ देवता!’

‘कि क के वल हंद ु के िलए नह आ रहे ह। न ही वो के वल मुसलमान या


ईसाईय के िलए आ रहे ह। न ही िसख या य दय के िलए। वो सम त
मानवजाित के िलए आ रहे ह! भु िव णु के नौव अवतार, बु क तरह, जो
सबके थे। इसी तरह कि क येक पिव आ मा क र ा करगे, येक नेक
मनु य और िनद ष ि क ।’

िव ुत मन लगाकर पुरोिहत जी क बात सुन रहा था। अपने बाबा के बाद,


इसी े पुजारी पर देवता भरोसा करता था।

‘खैर, अब तु हारी या योजना है, बेटा?’ िवषय बदलते ए, देव-रा स मठ के


बुि मान पुरोिहत ने पूछा। वह जानता था क िव ुत को ब त वेदना से
गुजरना पड़ा था।

‘ह म... अभी कु छ प ा नह पता है, पुरोिहत जी,’ देवता ने जवाब दया। ‘म


वापस काम पर जाऊंगा और कु छ दन अपनी कं पनी म दोबारा से चीज
वि थत करने म लगाऊंगा। इसके बाद, म वहां चला जाऊंगा जहां अवतार
का ज म आ है, और बाक के साल उनक देखभाल म िबताऊंगा, उनक र ा
क ं गा। हां, म एक शौक तो पूरा कर ही सकता ।ं मेरा ऑ फस मुझे एक
सुपर-बाइक तो दे ही देगा। वह दुिनया क सबसे ताकतवर मोटरसाइ कल है।
वो मेरी ज रत को यान म रखते ए बनाई जाएगी। उसम शानदार ूल-
ड ट इं जन होगा, उसक वजह से मेरा लोकल मैकेिनक बबलू उसे देव-द या
देव-दास करके कु छ बुलाता है! वह कभी भी ूल-ड ट नह कह पाया!’

पुरोिहत जी ने मु कु राकर, िसर िहला दया, और अपने आम प े का मजा लेने


लगे। फर उ ह ने ऐसे ही पूछा।

‘और दािमनी का या?’

िव ुत और दािमनी ने एक-दूसरे का हाथ थाम रखा था, पहले से कह अिधक


मजबूती से। देवता क योजना सुनकर दािमनी परे शान थी। उसने अपना पूरा
जीवन कि क क सुर ा म सम पत करने का िनणय ले िलया था, जब तक क
अवतार तेरह साल का नह हो जाता, और वो आगे भी ऐसा करने वाला था।

वह उसे इस खतरनाक और बिलदान भरी योजना से हटाने क भरसक कोिशश


कर रही थी।

‘तुम अपना काम करते ए भी उनक देखभाल कर सकते हो, िव ुत। तु ह


बस अपनी कं पनी म स ाह म दो दन देने क ज रत है। तुम भु क सुर ा के
िलए एक टीम लगा सकते ह , जहां भी वो ह, और बीच म जाकर उनसे
िमल...’
‘ या तुम मुझसे शादी करोगी, दािमनी?’

‘तुम समझ नह रहे हो, बेबी... वहां एक बेहतर...’

िव ुत के सवाल को समझकर वह क ।

‘ या........ तुमने अभी या कहा, िव ुत?’ उसने पूछा, अपने मन म ाथना


करते ए क उसने सही सुना हो।

‘ लीज मुझसे शादी कर लो, दािमनी। म इस रा ते पर तु हारे िबना नह चल


सकता।’

द ली क वो आकषक प कार अपने आंसु को नह रोक पाई।

‘हां...हां... एक हजार बार हां, िव ुत।

म तुमसे शादी क ं गी... तुम बु धू ब !े ’

िव ुत देव रा स मठ म सबसे िवदा ले रहा था। अपने देवता को जाता देख


मठ के पु ष, मिहलाएं और ब े, सभी रो रहे थे। वो सब एक बात िनि त प
से जानते थे—िव ुत देव-रा स सं दाय का नया मठाधीश था।

अपने ि यजन जैसे बलवंत, सोनू और गोवधन से िवदा लेने के बाद, देवता
दुिनया क सबसे सुंदर लड़क के सामने आया।

‘उ फ... तुम मेरे साथ ऐसा य करती हो, नैन?ू ’ उसने अपने सामने खड़ी
सुंदर लड़क को छेड़ते ए कहा।

‘ओह, छोड़ो भी... मुझे पूरा यक न है क गुड़गांव पब क हर हसीना को


देखकर तु हारा दल धड़क जाता होगा, िव ुत,’ उसने आंख चढ़ाते ए जवाब
दया।

वो उसे हद से अिधक यार करती थी। वो उसे आज भी उतना ही चाहती थी,


िजतना पहले।

िव ुत हंसा। ले कन कु छ ही पल म वो गंभीर भी हो गया, जब उसने देखा क


नैना क आंख उसके साथ नह हंस रही थ ।

‘बस इतना जान लो, नैना, तुम वो लड़क थ िजससे म यार करते-करते रह
गया... जब क मुझे नह करना चािहए था।’
नैना ने उसे उदासीन मु कान से देखा, उसी तरह जब सुंदर लड़ कयां अपनी
नकली नाराजगी दखाने के िलए करती ह। ले कन तभी उसे अहसास आ क
आज शायद वो उसे आखरी बार देख रही थी, वैसे ही जैसे ब त पहले कभी
देखा था।

‘बस ये जान लो, िव ुत... म तुमसे यार करती ।ं और हमेशा करती र ग


ं ी।’

उसने देवता के गाल को चूमा, और देवता ने भी उसे चूमा।

जैसे ही उसके सफ़े द और िस वर रं ग क मोटरबाईक का इं जन चालू आ, वो


असाधारण प से ताकतवर इं जन दहाड़ा, और तेज वी िव ुत ने सबसे अंितम
बार िवदा ली। तभी पुरोिहत जी को कु छ ऐसी बात याद आई, जो उ ह अब
तक नह जान पड़ी थी।

धरती के अंितम देवता को हाथ िहलाकर िवदा करते ए, वो ख़शी से मु कु राए


ं के अनुसार,
थ ूल-ड ट या देवद ही उस द के सांसा रक वाहन का
नाम था।

यही तो कि क के वाहन का नाम था।

समा

शु आत...
उपसंहार

तूफानी रात म वो एक भूत क तरह दखाई पड़ रहा था।

अपने चार हाथ-पैर के सहारे वो, तेज हवा और बरसात क परवाह कए


िबना, एक क से दूसरी क तक जा रहा था। धुआंधार बा रश उस
म ययुगीन कि तान म पुराने कफन को धोते ए, क को तोड़ रही थी।
के रोिसन का एक छोटा-सा लप उठाए, वो अपने काले जादू के िलए कसी
सही लाश क तलाश कर रहा था। वो अब कसी भी तरह इं सान नह लग
रहा था, और जंदा से अिधक मृत ही लगने लगा था। उसके गंदे बाल िबखरे
ए थे, जो उसके माथे से होते ए, गाल तक आ रहे थे। पूरी तरह से
भीगकर, उसका सफे द कु ता-पजामा उसके बदन से िचपक गया था, और
उसके वृ चेहरे से वचा िनकलने लगी थी। ऐसा लग रहा था मानो उस पर
कसी काली, बुरी ताकत का क जा हो।

आिखरकार उसे वो दूर से दखाई दया और वो उसक तरफ अपने चार


हाथ-पैर पर उछलता आ, पागल क तरह भागा। अपनी अजीब तरह क
मुड़ी ई उं गिलय से उसने क के प थर पर लगी िम ी और क चड़ को
साफ़ कया, िजससे वह उस पर गुदा आ नाम साफ़-साफ़ पढ़ सके । इस
संतुि से क उसने ंथ म व णत ताबूत को ढू ंढ़ िलया था, उसने ऊपर
चांदरिहत रात को देखा और कसी ाचीन जादूगर क तरह गुराया, और
फर अपने नंगे हाथ और गंदे नाखून से क क खुदाई शु कर दी।

जैसे वो दलदली क को खोद रहा था, और मु ी म भर-भरकर िम ी फक


रहा था, वो पागल क तरह कु छ बुदबुदाता जा रहा था, मानो कसी दूर
बैठे ि से बात कर रहा हो। उसके मुंह से िनकले अशुभ श द ऐसे तीत
हो रहे थे, मानो वो कसी दूसरी दुिनया क ताकत का आ वान कर रहा हो।

‘उठो!’ दम िनकले िपशाच क तरह वो बुदबुदाया। ‘धरती का दय


फाड़कर, अंधेरे क चादर को चीरकर उठो!’

तूफानी रात म, उसक आंख पागल क तरह येक दशा म भटक रही थ ।

‘उठो, लूिसफर!’
ानंद जानता था क वयं शैतान ही कलयुग के मसीहा को रोक सकता
था।

वह धरती पर शैतान को बुला रहा था।

मश:...
मश:...
लेखक के बारे म

िवनीत युवा उ मी ह। महज 22 साल क उ म ही उ ह ने छोटे तर पर


अपनी कं पनी Magnon क शु आत क । आज Magnon उपमहा ीप क सबसे
बड़ी िडिजटल एजिसय म से एक है, और फो यून 500 ओमिनकोम ुप का
िह सा है।

आप िव क टॉप-10 एडवटाइ जंग एजसी TBWA का नेतृ व इसके भारत के


CEO के प म करते ह। आप देश क म टीनेशनल एडवरटाइ जंग नेटवक
कं पनी के सबसे युवा सीईओ ह।

आपने उ िमता और कॉप रे ट द ता म अनेक अवाड हािसल कए, िजनम


आं े योर ऑफ़ द ईयर 2016 भी शािमल है। आपको अभी हाल म इं िडया’स
िडिजटल इकोिस टम के 100 सबसे भावशाली ि य म भी शािमल कया
गया।

िवनीत क दूसरी कं पनी टेलट ेक इं िडया म मीिडया, मनोरं जन और ए टव


इं ड ी के िलए ितभा क पहचान करती है। यह इस े का तेजी से बढ़ता
आ हाय रं ग और नेटव कग लेटफाम है।

वह बंधन और ेरक िवषय पर तीन बे टसे लंग कताब िलख चुके ह—


िब ड ॉम े च, द ीट टू द हाईवे और द 30 सम थंग सीईओ।

उनके पहले दो उप यास हड़ पा—र धारा का ाप और िवनाशकारी लय,


दोन नेशनल बे टसेलर रहे। उ ह आलोचक और सािह यकार क शंसा भी
ा ई।

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