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Kashi - Kale Mandir Ka Rahasya (Hindi)
Kashi - Kale Mandir Ka Rahasya (Hindi)
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Contents
चेतावनी
अब तक क कहानी— पहला भाग— हड़ पा
अब तक क कहानी— दूसरा भाग— लय
ा थन
उपसंहार
मश:...
लेखक के बारे म
चेतावनी
‘पहले से ही मृत लोग सुनो। मुद क सभा, मेरी बात सुनो। मूख सुन लो।
म आधा-मनु य, आधा-भगवान !ं ’
बाला का कटा आ िसर उसी मेज पर रखा िमलता है, जहां िव ुत कु छ देर
पहले उससे बात कर रहा था। इस अमानवीय ू रता से अंितम देवता िहल
जाता है। उसके परदादा, शि शाली ारका शा ी िव ुत को यू व ड ऑडर
क भयानक कहानी सुनाते ह। वह बताते ह क कै से नाइसेआ क ऐितहािसक
प रषद् म भयानक वैि क नज रए क उ पि ई थी। वह उ ा टत करते ह
क कै से उनके शूरवीर पूवज अ त
ै शा ी ने महान कां टटाइन को इसके
िवकराल अंजाम से प रिचत कराया था, और कै से 12व सदी के नाइ स
टे पलर ऑडर क पहली मह वपूण सफलता थी। वो िव ुत को यह भी बताते
ह क कै से इस एका नज रए ने याह ातृसंघ म दुिनया के सबसे बुि मान,
मह वाकां ी और ताकतवर मनु य को एक कर दया।
म आधा-मनु य, आधा-भगवान !ं ’
ा थन
वो सं या म अिधक थे।
अभी तो नह ।
आदमी िवशाल पवत क तरह ढह गया, अपना चाकू यूं ही हवा म िहलाते ए।
मठ के वंशज ने फर एक और लात जमाई, और दु मन के हाथ से चाकू िगर
गया। वो अमे रक के पेट म जीत का अंितम मु ा मारने ही वाला था क उसे
अपने पीछे से जोरदार आवाज के साथ, कसी के असहनीय दद का अहसास
आ।
उसके बदन से र यूं बह रहा था, मानो फटे ए गु बारे से पानी िनकल रहा
हो। उसक आंख के सामने अंधेरा छा रहा था। वो जानता था क उसका अंत
नजदीक था। ले कन उसने वयं को समेटते ए, ठं डे पसीने को झटका और एक
उनका मुकाबला करने के िलए खड़ा हो गया।
ले कन वो जानता था।
वो फोन बूथ के लास पैनल के सहारे टका आ था। बूथ क दीवार इस पिव
आ मा, स म योगी और अ भुत द यो ा के र से सनी थ ।
वो फर से फु सफु साए।
राह के म य म प च
ं कर, उसने रीढ़ म िसहरन उ प कर देने वाला हरे रं ग का
काश देखा। एक बार फर से, उसका दल धड़कना भूल गया। उस गु
तहखाने म यह उसका दूसरा च र था, ले कन फर भी उसके मन से वो पहली
बार वाला भाव नह िनकला था। दूर से आता काश अपने थान से िहला,
और उनके अलौ कक अितिथ के पृ पर तेज दखाई दया।
‘नाग...’
‘ना.....ग...’
‘ना.....ग...’
वो नगर क सीमा पर बनी दीवार से उसे देख रहे थे। वो भारी सेना से िघरे
उनके ार क तरफ कसी िनभ क संह क तरह बढ़ रहा था।
उसके दािहनी तरफ उसक ि य साथी तारा थी। वो उसके साथ कसी यो ा-
राजकु मारी क तरह घुड़सवारी कर रही थी, उसक कमर पर उसक तलवार
लटक ई थी। उसके हाथ म उसका पसंदीदा फरसा था, मानो वो अके ले ही
पूरी फौज का सामना करने के िलए तैयार थी। पंिडत सोमद मनु के बा
तरफ था। उसक स मािनत उपि थित उस पल को अिधक िव सनीय और
गंभीर बना रही थी।
ार से सौ कदम दूर रहने पर, मनु ने अपनी दािहनी मु ी ऊपर उठा दी। यह
उसक सेना को कने का आदेश था। कु छ ही पल म, घोड़ के चलने और
हिथयार के खनखनाने क आवाज शांत हो गई। हड़ पा के वासी पूरी तरह
खामोश थे, और वो नगर क दीवार म बने झरोख से झांक रहे थे। वो नह
जानते थे क िववा वन पुजारी के बेटे से या उ मीद कर। या मनु नगर का
िवनाश करने आया था? या वो अपने अपकृ त अिभभावक के भयानक अंत
का बदला लेने आया था?
‘हड़ पावािसय , मेरी बात सुनो!’ मनु ने उन हजार लोग से िच लाकर कहा,
जो ऊंची दीवार के पीछे एक हो गए थे, वो अपनी गदन ऊंची करके उस
आकषक युवक क एक झलक देखना चाहते थे, जो उ ह संबोिधत कर रहा था।
स य त मनु का िव ास करो!’
वह ऐसा लग रहा था मानो उसके पूरे बदन को लाल लपट ने िनगल िलया
हो।
‘ये वही है
ये वही है
ये वही है...’
िव ुत के मन म कोई संदह
े नह था। दोन डा किनय को स त सजा दी जानी
चािहए थी। उ ह ने बेरहमी से बाला का िसर धड़ से अलग कया था, वो भी
तब जब उस पितत खलनायक के हाथ बंधे थे और वो आ मर ा तक नह कर
सकता था। और अब, वो ि जट के आदेश पर िव ुत के परदादा का िसर धड़ से
अलग करने चली थ । वो इं सान नह थ । कम से कम अब तो नह । और अब
उ ह ख म कया जाना ज री था।
िव त
ु सुिनि त करना चाहता था क आज के बाद वो डा किनयां कसी अ य
ि को नुकसान न प च
ं ा पाएं।
अके ले।
हड़ पा, 1700 ईसापूव
चं धर
वो उसक प ी थी।
इतने र पात और धोखे के बाद भी, इतनी मौत और तबाही के बाद भी,
हड़ पा के पहले और अंितम राजा क आंख नह खुली थ ।
ना ही कभी खुलगी।
और िसफ इसी वजह से, इितहास उसे हमेशा के िलए अपने प से िमटा देने
वाला था।
बैरकपुर (बंगाल), 1856
आय का असाधारण आ मण
‘मुझे... मुझे कनल सडस से अभी िमलना होगा,’ उसने बैरकपुर छावनी के
म य म बने कनल सडस के आलीशान बंगले के दरवाजे पर, उसके भारतीय
रसोइये से कहा।
‘आपको नुकसान प च
ं ाने से पहले वो एक बार भी नह सोचगे, साहब। बुराई
क काली ताकत से होिशयार रहना।
अगर पुजारी मेरे अतीत के बारे म जान सकता था, तो वो मेरा भिव य भी देख
सकता था। वह जानता है क मेरे साथ या होने वाला था।
‘देखो वेन, इस काम के िलए मने वयं तु हारा चयन कया था। म ये नह कह
रहा क तुम अ छे मानविव ानी और इितहासकार नह हो। बि क, तुम तो
ब त अ छे हो! ले कन इस िवषय क संवेदनशीलता के चलते, म तु ह सीधे
अपनी कमांड म लेकर आया। म हमेशा जानता था क म तुम पर भरोसा कर
सकता ।ं ’
‘जी...’ कहते ए वेन उसे देखने के िलए मुड़ा िजसने उसे आवाज लगाई थी।
र क यास वाली भिव यवाणी वापस से अपना िसर उठाने वाली थी।
बनारस, 2017
रा स-बिल
‘मुझे मा कर देना, बाबा, मने इतनी देर लगाई। मुझे अफसोस है क कसी ने
मुझ पर पीछे से वार कया और म समय रहते सचेत नह हो पाया...’
कु छ चीज... या कोई ि ।
िव ुत उदासीनता से मु कु रा दया।
ले कन िव ुत के प म नह ।
‘पहले से ही मृत लोग सुनो। मुद क सभा, मेरी बात सुनो। मूख सुन लो।
म आधा-मनु य, आधा-भगवान !ं ’
‘तुम कहां जा रहे हो, मनु?’ तारा िच लाई, जब उसने मनु को अपने
िहनिहनाते घोड़े के साथ हड़ पा के नए राजा के महल क तरफ मुड़ते देखा।
‘ले कन बाढ़ आने ही वाली है, स य त! तुम शायद सही समय पर नगर को
िनगलने वाली उस बड़ी लहर से बचकर नह लौट पाओगे!’ मनु को रोकने क
बेकार कोिशश करते ए, तारा िच लाई।
तारा शरमाई।
म य।
मनु ने सीधा अपना घोड़ा राजा के महल के क क तरफ बढ़ा दया, पशु का
पसीना उनके चमकते तल पर िगर रहा था, उसक गूंज और चीख महल के
खाली पड़े दरबार म गूंज रही थी। जब उसने भूतल को खाली पाया, तो तुरंत
अपने घोड़े को िवशाल सी ढ़य क तरफ हांक दया, िजससे वो ऊपरी मंिजल
पर जा सके । राजा के शानदार महल म घोड़े से जाकर मनु गव या अनादर
कट नह कर रहा था। यह ता कािलकता थी।
वह गलत था।
जब मनु ने अपने कभी ेही रहे मामा को ऊपरी मंिजल के गिलयारे म खड़े
देखा, तो वो घोड़े से उतर गया। िवशाल क म िझलिमलाती मशाल क
रौशनी थी और िखड़ कय पर पड़े, आलीशान पारदश पद हंसक हवा से
तेजी से िहल रहे थे।
मनु ने अपने मामा के सामने अिभवादन से हाथ जोड़े। भली भावना के
बावजूद, उसका युवा दल गु से से भड़क रहा था। एक पल के िलए तो उसे
लगा क अपनी तलवार िनकालकर, तुरंत अपने अिभभावक का ितशोध ले
ले। अपनी मां के मरने और िपता क यातना का दृ य उसे सता रहा था। ले कन
फर कसी तरह उसक आंख के सामने म य का मु कु राता चेहरा आ गया,
और उसे समझ आया क उसक िनयित म या बनना िलखा था।
‘जीिवत रहने के िलए मेरे साथ आओ, ओ मोहन जोदड़ो क राजकु मारी!’
अलीबाग, मुंबई का तटीय े , 2017
अपराध और र का सा ा य
असलम बाइकर।
आलीशान िसको क एस-76सी हेलीकॉ टर, िजसे लैक हॉक के नाम से जाना
जाता है, धीरे -धीरे एक बड़े से बीच हाउस के बागीचे म उतरा। उस घर का
मािलक असलम था। उस चॉपर क मु य सवारी वो इं सान था, िजसने साल
से चले आ रहे मुंबई के गगवार म असलम को जीिवत रखा था। ये वही आदमी
था, िजसने यू रक बक के दरवाजे असलम बाइकर के िलए खोल दए थे। वो
असलम के पंटर लोग के िलए अ याधुिनक ऑटोमै टक हिथयार क स लाई
भी करता था। उसके एक फोन क वजह से असलम कानून के पंज से बचता
आया था।
उसक काली जैकेट समु क हवा से फड़फड़ाने लगी जैसे ही उसने प सड़क
पर कदम रखे। तब असलम बाइकर ने अपनी िह मत बटोरकर इटली के इस
सरगना के वागत का िनणय िलया। जैसे ही उसने आगे कदम बढ़ाया, गोरे
आदमी के एक सुर ाकम ने अपनी बांह बढ़ाकर मुंबई के गग टर को कने का
इशारा कया। उस आदमी के दािहने हाथ म सेमी ऑटोमे टक मैक-10
मशीनगन तैयार थी।
वो बस कु छ ही श द बुदबुदा पाया...
‘ले कन य , मनु? मने नगर क दीवार से तु हारी पूरी बात सुनी थी। लोग
तु हारे साथ आ रहे ह! सेना तु हारे साथ है! और उसम उनक कोई गलती भी
नह है। ले कन हम य ? तुम यहां हम दोन को बचाने य आए हो... हम
दोन , िज ह ने तुमसे तु हारा सबकु छ छीन िलया?’ टू टे ए चं धर ने कहा,
उसक आंख भर आई थ और आवाज भावुकता से िबखर रही थी।
मनु जरा भी नह िहचका। पहली बार, उसे अपने सामने खड़े मनु य पर दया
आ रही थी।
ांड वयं ही सारे ऋण का िहसाब चुकाने वाला था। अपने तरीके से।
‘यही हमारे सफर का अंत है, मनु...’ ि य वदा ने अपने मुलायम, कांपते हाथ
से मनु के गाल को सहलाते ए कहा।
िव ुत बस वहां बेबस खड़ा, मसान राजा के कुं ड म उसके ही कटे िसर को खून
उगलते देख रहा था। उसके लंबे बाल आग म तड़तड़ कर जल रहे थे।
और उसके अि त व के ल य से भी।
िव ुत जा रहा था।
उ ह ने िच लाकर िव ुत से कहा।
लय वा तव म दुिनया का अंत था ।
वो—तारा, सोमद , स य त मनु और म य जाित के लोग—हड़ पा से एक
योजन (लगभग 14 कलोमीटर) क दूरी पर ि थत च ान पर खड़े हड़ पा को
देख रहे थे। उनके पीछे हड़ पा के पु ष , मिहला , ब और पशु का एक
िवशाल कारवां था। कु छ ही घंट म मनु, सोमद और उसके अनुयायी हड़ पा
के हजार िनवािसय को सफलतापूवक नगर से िनकाल लाए थे।
िसवाय दो लोग के ।
अपने यारे नगर को तबाह होते देख हजार हड़ पावासी दुख और शोक के
सागर म डू ब गए। उ ह ने येक इमारत, येक मं दर और येक उपवन को
न होते देखा। िवशाल महल िनमम हथौड़े क मार क तरह यूं ढहा मानो
ताश के प का महल था। िवशाल अ भंडार रे त के ढेर क तरह बह गए।
िवशाल ानागार पानी के इतने नीचे समा गया क फर कभी उस तक सूय
का काश नह प च ं ने वाला था। ट दर ट, गली दर गली, सारे घर...
हड़ पा हमेशा के िलए लु हो चुका था।
आंसू भरी आंख से, वृ पुजारी ने अपने दोन हाथ उठाकर उ ह देखा। फर
उ ह ने िव ुत को देखा।
सात युवा मुिन, द स ऋिष मनु से बात कर रहे थे। सूय पु गुफा म तेजी
से इधर-उधर च र काट रहा था। वो गुफा मशाल के काश से कािशत थी,
जहां उ ह ने राि के िलए शरण ली थी।
‘महान मुिन सही कह रहे ह, मनु। मोहन जोदड़ो यहां से लगभग तीस योजन
दूर है। यहां तक क तेज और मजबूत घोड़े भी समय रहते नगर म नह प च ं
पाएंगे,’ परे शान तारा उफ शत पा ने कहा। उसे मनु क चंता हो रही थी जो
फर से एक आ मघाती अिभयान पर जाने क कगार पर था।
‘ले कन हम िबना कु छ करे ऐसे कै से बैठ सकते ह...??’ मनु ने खीझते ए कहा।
अंदर ही अंदर वो जानता था क यहां खतरा अिधक बड़ा था। ‘ या आप लोग
भूल गए ह क उस महानगर म कतने लोग रहते ह? दिसय हजार! शायद सौ
हजार! हम उ ह यूं मरने के िलए कै से छोड़ सकते ह?’
ऊंची गुफा म गहरा स ाटा था, िसवाय मशाल से िनकलते फ के काश क
फड़फड़ाहट के ।
गुफा म पसरी हताशा िनराशा का क थी, जो धीरे -धीरे उसम शरण लेने
वाल के दल म घर करती जा रही थी।
‘हम दोन अभी, इसी पल मोहन जोदड़ो के िलए िनकलगे, मेरे भाई।’
युवा मुिन ने अपनी आंख खोल , ऐसा लग रहा था क अभी भी उसके ने दूर
ि ितज म देख रहे थे।
इतना कहते ही पहले मुिन ने अपनी आंख बंद कर ल । इससे पहले क घबराया
आ मनु कु छ पूछ पाता, दूसरे मुिन ने अपनी आंख खोलकर कहा।
‘बाढ़ ार , दीवार और महल से टकरा चुक है। मोहन जोदड़ो ढह चुका है,
ओ महान राजा, कभी न उठने के िलए।’
‘हमारी सारी परे शािनय के बावजूद भी बाबा, म कसी इं सान क जान लेने
को वीकार नह कर सकता। अगर चाहता तो म रोमी को मार सकता था। म
उन कराये के ह यार को भी मार सकता था। ले कन मने ऐसा नह कया।
और यही मुझे मेरे माता-िपता ने िसखाया था। यही मुझे पुरोिहत जी ने
िसखाया था। यही ान तो मुझे आपने दया था, बाबा।’
‘वही कानून िजसने तु हारे िपता का तके य शा ी को हजार मील दूर ढू ंढ़कर,
घेरकर, मार डालने क आ ा दी थी!’
आयवत के घने जंगल, 1699 ईसापूव
दै य
पिव कु एं के पास आने वाले येक भ को, वो ब त यान से देख रहा था।
उसने िनधन युवा जोड़ को देखा। कांपती वृ ा , आधे-नंगे जीण बूढ़ , रोते
ए ब , अपंग और रोिगय को देखा। उनक आंख म दखाई देती दृढ़ भि
ने उसे बेचैन कर दया। वो अपनी गरीबी से लापरवाह नह हो सकते थे।
उ ह ने अपनी भि क राह म अपनी अपंगता को नह आने दया था।
स य त मनु अके ला रह गया था। महाकाय काय के साथ, िजसम उसे सृि को
सृि के ही वार से बचाना था!
वो आ रही थी।
‘उसक वजह से मानवता क िनयित हमेशा के िलए ऑडर के पैर तले आ गई,
और यु , तानाशाही, अितवा दय और अमानवीय उ ंडता का रा ता खुल
गया,’ ारका शा ी ने जवाब दया।
अब तक मनु इसका आदी हो चला था। उसने अपनी कलाई पर बंधे चमड़े के
प े से र साफ़ कया और वापस लड़ाई म जुट गया।
‘म सही ,ं गु देव,’ नैना ने कहा। ‘हां... वो भी सही है। हमारा देवता सही है।’
या शायद वो था?
‘वो हमारे पास ही है, गु देव, िछपा आ और वयं बाबा ारा सुरि त... और
हम सब अपनी सांस रोके रोिहणी न क ती ा कर रहे ह। ले कन मुझे
अभी भी समझ नह आ रहा है क इस तीन हज़ार साल पुराने रह य को
िव ुत कै से उ ा टत कर सकता है। या हम उससे कु छ अिधक क उ मीद
नह कर रहे ह?’
लूिसफर।
मनु अपने चार ओर फै ला, तंबु का दयनीय नगर देख रहा था, जो येक
दशा म मील तक फै ला आ था। उसे बस हर दन जीने का संघष करता आ
मानव समु दखाई दे रहा था। उसे ब के रोने, घायल व रोिगय के
कराहने और घबराए पशु के िहनिहनाने क आवाज आ रही थ —ये सारी
आवाज तेज हंसक हवा म गड़मड़ हो रही थ ।
वो एक छोटी सी अनु ािनक अि के िगद बैठे थे, जो पूजा पूण होने के बाद
वयं धीरे -धीरे बुझ गई। ारका शा ी ने अपनी सां यकालीन अचना के िलए
कु छ िवराम िलया था।
देवता गहरे िवचार म खोया था। महान मठाधीश सही कह रहे थे। ले कन
चीज इतनी सरल नह हो सकती थी।
दुिनया क एक अथ व था।
दुिनया का एक धम।
दुिनया क एक सेना।
दुिनया का एक समाज।
वह गलत था।
दािमनी सेना कसी भी तरीके से सूरज के झंडे तले चलने वाले, मनु के यो ा
से कम नह थी।
मनु को कोई अनुमान नह था क उसक मृत मां संजना, तीन हजार सात सौ
साल बाद दोबारा से धरती पर दािमनी के नाम से ही ज म लेगी।
मनु वयं घोड़ा गािड़य के उन बड़े से दल के पीछे चल रहा था, जो िनमाण
थल पर िमक के िलए ज री सामान लेकर जा रही थ । दो सौ घोड़ा
गािड़यां थ । तुलना मक प से यह छोटी टु कड़ी थी। िनमाण थल के िलए
आपू त ृंखला हर समय चालू रहती थी। काम म लगे हज़ार पु ष और
मिहला को भोजन, व और क ा माल उपल ध कराया जाना ज री था।
नौका।
जीने क चेतना।
‘आपक आवाज सुनकर हमेशा ख़शी िमलती है, फादर। म आपक या सेवा
कर सकता ?ं ’
िबग मैन झूठी न ता से हंसा। उसने सीधे पॉइं ट पर आने का िनणय िलया।
‘काशी से घुड़सवार आ प च
ं े ह, वामी।’
‘मेरी िवन कु टीर म आपका वागत है, महान दुगादास शा ी,’ राजा ने
कहते ए अपने हाथ स मान म जोड़ िलए।
‘और आपके बाल भी काले थे...!’ राजा ने चुटक ली, तो दोन आदमी
िखलिखलाकर हंस दए।
मनु ने अपने लंबे बाल को पीछे, चोटी के प म बांध रखा था, और कान म
बड़े-बड़े गोल कुं डल लटक रहे थे। तारा के कहने पर उसने अपनी आंख म
काजल डाल िलया था, िजससे उसक आंख का तेज अिधक गहन हो गया था।
मनु हर कोण से ाचीन पुजारी-राजा लग रहा था, वो राजा िजसे समय के अंत
तक याद रखा जाना था।
िपछले बीते मुि कल भरे महीन म, मनु ने तेजी से जहाज बनाने क कला और
िव ान को सीख िलया था। उसने कई रात जलती ई मशाल के नीचे बैठकर,
उन पाठ को पढ़ा था, िजनका संदभ सोमद ने दया था। वो अपने दल के
मु य अिभयंता ारा संचािलत स म पूरी सजगता से बैठता था, और ज री
बात को िलखता चलता था। उसने काफ समय सोमद के साथ वै दक गिणत
और वा तुिश प क बारी कयां सीखने म िबताया था और उससे इस बारे म
अनेक सवाल पूछे थे। इतने कम समय म उसने इतना जान िलया था क मु य
अिभयंता भी िवशाल नौका के िनमाण म, मनु के आधारभूत सुझाव को मान
देते थे। वैसे भी यह ऐसी प रयोजना थी क कसी एक आदमी क क पना और
बौि कता से परे थी।
ु सही कह रहा था। असुर नौका क तरफ धीमी गित से बढ़ रहे थे। जब क
व
उनम से येक के पास हिथयार था, ले कन कसी ने भी अपने हिथयार को
लड़ने के िलए तैयार नह कर रखा था। और इस दूरी से तारा, ुव और मनु जो
देख पा रहे थे, उससे असुर थके ए तीत हो रहे थे।
मनु अितिथ का वागत करने के िलए िवशाल नौका से एक मील आगे चला
आया था, प था क अितिथ शांितपूण बातचीत के िलए आए थे। मनु के
साथ उसका अिभ िम ुव और उसके िव सनीय सलाहकार पंिडत
सोमद थे। म य- जाित के बीस चु नंदा यो ा उनके पीछे खड़े थे, िजससे
कसी भी अ यािशत ि थित का सामना कया जा सके ।
जैसे ही चंड ताजे चावल और मांस का पहला िनवाला अपने मुंह म डालने
वाला था, उसका हाथ मुंह तक जाते-जाते क गया।
‘आप अपने िपता क ही तरह दयालु और नेक ह, राजा मनु। आपके बात करने
क शैली भी उ ह क तरह है!’
या वह था?
‘तु ह या लगता है, अपनी जमीन से बाहर, अमे रक सरकार का सबसे बड़ा
िनवेश या य या है?’ ारका शा ी ने पूछा।
‘जी, बाबा।’
‘सही। अब मुझे बताओ, मेरे ब .े .. ये सारा पैसा जाता कहां है? मेरा मतलब,
या तुम जानते हो क अमे रक िसपाही के यु के उपकरण कतने महंगे ह?
म तु ह बताता ।ं इसक लागत आती है लगभग 17,000 अमे रक डॉलर ित
सैिनक। लगभग बीस लाख अमे रक सैिनक ने इराक और अफगािन तान क
लड़ाइय म िह सा िलया था। इसका िहसाब लगाओ, मेरे ब ।े या तुम ऐसे
उपकरण के खरीद के आकार क क पना कर सकते हो, जब अमे रका यु म
बाहर हो जाता है तो? या तुम जानते हो क अमे रक करदाता ने लगभग
4.5 अरब डॉलर तो बस इराक म अमे रक सेना के बैरक म एयर-कं डीशन
लगवाने म खच कए थे? तो यहां यु पर खच होने वाले अरब नह , बि क
खरब डॉलर क बात कर रहे ह।’
‘तुमने मेरे सवाल का जवाब नह दया, िव ुत। यह सारा पैसा जाता कहां
है?’
‘हां। अरब डॉलर हिथयार बनाने वाले समूह के बक खात म जाता है। और
अरब ही िनजी सुर ा कं पिनय जैसे लैक काई को। और अरब ही फाइटर
जेट बनाने वाली कं पिनय से लेकर नाईट-िवज़न लासेस और म छर के जाल
तक बनाने वाल को!
‘तो तुम मानोगे क यूएस सीनेट क अमे रका के लोग के सामने जवाबदेही
होगी, और उसे बताना होगा क देश का पैसा कहां खच हो रहा था?’
िव त
ु के चेहरे पर आए अचानक प ता के भाव को देखकर बुजुग ने राहत
क सांस ली।
और म य।
‘मने झूठ बोला य क म तु ह दानव बनने से बचाना चाहती थी, मनु!’ तारा
ने िच लाकर कहा, उसक आवाज सुब कय म िबखर गई।
तु हारे वंश का येक पु उसी हंसक मौत मरे गा, जो आज भयानक रात म
तुमने देखी है!
धीरे -धीरे वतमान म लौटने पर उसे अपने चेहरे पर ठं डी, नमी भरी हवा
महसूस ई, उसे अहसास आ क तारा, बार-बार, यार से उसके चेहरे को
चूम रही थी। वो उसके जबड़े और गदन को यार से सहला रही थी। वो उसके
कान म इतने यार से फु सफु सा रही थी क उस प थर दल भगवान का भी
दल पसीज जाए, िजसने मानवजाित को इस लय क सजा सुनाई थी।
‘तुम मेरे हो, मनु... हमेशा के िलए! म तु ह जाने नह दे सकती थी। बदले क
आग तु ह और हम सबको बबाद कर देती। म य जानते थे क यह सच था।
उ ह ने जो कया, मने भी वही कया... उसी आशा क जीिवत रखने के िलए
कया, िजसके सहारे आज ये सैकड़ हजार लोग जी रहे ह, मनु।
असलम बाइकर दूर से, कांच क एक बड़ी सी िखड़क से देख रहा था। लगभग
आधी रात बीत चुक थी।
यहां से कु छ दूरी पर, अपनी छत से, नैना उस सुनहरे मनु य से अपनी आंख
नह हटा पा रही थी। उसे उसक मदाना महक याद आ रही थी। उसे अचानक
से उसके नरम ह ठ, एक बार फर से अपने ह ठ पर महसूस ए।
वो अपने हाथ को धीरे -धीरे एक वृताकार म यूं घुमा रहा था, मानो मंच पर
कोई िनदिशत तुित दे रहा हो। उसका अद य शारी रक बल उसक योिगक
मु ा को समान प से सम थत कर रहा था।
उसके भाव धीरे -धीरे एक स म युवा मुिन के भाव म बदलते जा रहे थे। उसके
यान थ चेहरे पर एक मंद मु कान थी।
इससे पहले क असलम जरा भी िहल पाता, मा क उसे देखने के िलए मुड़ा।
म य के ित स य त मनु क कड़वाहट और कु छ नह बि क उस भ म य-
पु ष के ित उसका असीिमत ेम ही था। यह एक ब े क खीझ थी, िजसका
ापारी-िपता महीन के िलए समु ी सफर पर गया हो।
‘ या संदश
े है, ओ ताकतवर चंड... मेरे िपता ने या कहा था?’ मनु ने
उ सुकता से पूछा। अपने िपता का कहा कोई भी श द इस युवा पुजारी-राजा के
िलए ब मू य उपहार था।
‘तुम नए ंथ िलखोगे, ओ स य त।
ाचीनता के िवषय म िलखना।
वतमान के िवषय म िलखना।
अ छाई के िवषय म िलखना और बुराई के िवषय म भी।
नेक के िवषय म िलखना और बदी के बारे म भी।
ई र क कहानी िलखना और दानव क कथा भी कहना।
िव णु के बारे म िलखना और पशुपित के बारे म भी।
सूय के िवषय म िलखना और सर वती के िवषय म भी।
नैना ने ढीली, काली रं ग क कमीज पहन रखी थी, िजसके ऊपरी बटन
सामा य से कु छ अिधक खुले थे। उसक आंख म चमक थी और वचा मोितय
के जैसे िनखर रही थी। िव ुत को िबना उपरी व के देख उसे ख़शी ई।
उसने आगे बढ़कर अपने ह ठ उसके सीने से टका दए, और कु छ देर के िलए
उ ह वैसे ही रहने दया। फर उसने िव ुत के कं धे, छाती और गले पर चूमना
शु कर दया।
िव ुत देवता था।
नैना ने शायद यान नह दया था। वो आगे बढ़ी और पीछे दरवाजा बंद कर,
अपनी बांह देवता के गले म डाल द ।
‘मुझे यार करो, िव ुत...’ वो उसके कान म फु सफु साई, और उसने धीरे से
उसके कान क वचा पर काट िलया।
िव ुत के अ वीकार का नह ।
‘मुझे चलना चािहए!’ उसने अपनी आकषक उं गिलय से, अपने गाल पर आए
आंसू प छते ए कहा।
‘मत जाओ, नैना...’ िव ुत ने उसका हाथ पकड़ते ए कहा। ‘हम बात करनी
होगी, है न?’
‘तुम मुझसे या चाहते हो, िव ुत?’ नैना ने िवरोध जताया। वो दूसरे नंबर पर
रहने के िलए तैयार नह थी। यह उसके िलए कोई ितयोिगता नह थी।
िव ुत नैना के पैर के पास बैठ गया, और यार से उसका हाथ सहलाने लगा।
वो सीधे उसक आंख म देख रही थी, उसके हर आंसू के साथ दद बह रहा था।
िव ुत ने आगे झुककर उसके गाल को चूम िलया।
फर उसने अपनी आंख खोल , उनम वही पहले वाली चमक थी, और फर
िवरोध सा जताते ए बोली।
‘िवशाल नौका के सामने वाली क जेदार पतवार दस हजार बलूत से बनी है।
नौका क येक पतवार पर पं ह सौ ह थे और ख चने क रि सयां लगी ह,
िजससे एक ही समय पर दोन तरफ से इतने आदमी इ ह ख च सक। हम
इसका परी ण तो नह कर पाएं ह, ले कन सारे आंकलन से कह सकते ह क
पतवार के नीचे के पानी के भार को, इतनी सं या के मा यम से संभाला जा
सकता है।’
इस बार सवाल मनु ने पूछा था। वो जवाब सुनने से पहले ही भयभीत था।
पलभर म ही उसे अहसास हो गया क उसक शंका गलत नह थी।
‘दै य के दूत, मनु। खूंखार नर-मुंड द यु कबील म अपने दूत भेज रहा है। यह
सामा य बात नह है, य क ऐसा कभी पहले नह आ। दै य और द यु
हमेशा एक-दूसरे के दु मन रहे ह। ले कन अब चीज बदल रही ह...’
ारका शा ी अपने परपोते के चेहरे पर िज ासा भरी बेचैनी देख सकते थे।
उ ह ने पुरोिहत जी को भी देखा, िजसका चेहरा डर से पीला पड़ गया था।
‘शांत रहो, तुम दोन ... तुम सब भी,’ मठाधीश िच लाए, वो इस गजन क
तरफ कसी का यान आक षत नह करना चाहते थे।
चंड मु कु राया।
संदक
ू पर आकषक आकृ ित बनी ई थी, िज ह आयवत के सबसे ब मू य र
से सजाया गया था। र क चमक से पता चल रहा था क असुर इस अनमोल
धरोहर को कतना संभालकर लाए थे। चंड ने इस पिव माल के स मान म
कोई कसर नह छोड़ी थी।
अब तक मनु के िलए अपने आंसू रोक पाना मुि कल हो चला था। वो अपने
िपता के ेह, उनके आशीवाद के िलए तरस रहा था। उनक वीरता और
िनपुणता क बात से मनु को गव हो रहा था। महान िववा वन पुजारी का पु
होना उसके िलए स मान और सौभा य क बात थी।
और फर कु छ आ।’
चंड को देखकर लग रहा था मानो वो समय से पीछे चला गया था। उसक
आंख क म मौजूद बड़ी सी िखड़क से बाहर, तूफानी ि ितज पर टक ई
थ।
बनारस, 2017
अंितम समाधान
‘कल।’
‘हां, ठीक है, िव ुत,’ डमा टर ने जवाब दया। ‘चलो ातृसंघ के हंसक
सफर और काले मं दर क परे खा तुमसे सुनते ह।’
कलयुग म।
मनु मु कु राया।
म य का रं ग। िव णु का रं ग।
स ऋिष और पंिडत सोमद ने हाथ उठाकर, अपने सामने िसर झुकाते मनु
को आशीवाद दया। फर वो तारा क तरफ मुड़ा, जो ेम से उसे देखकर
मु कु रा रही थी। उसक नजर ुव पर ग , िजसने आंख मारते ए तलवार क
तरफ िसर िहला दया।
‘दािमनी क उपि थित आव यक है, िव ुत। तुम िजसका सामना करने वाले
हो, और काले मं दर से जो कट होने वाला है, उसके िलए तु हारी चेतना के
हर कण को सजग होना पड़ेगा। तुम दािमनी के िबना अधूरे हो, ओ देवता।
शि के िबना िशव आधे ह। संजना के िबना िववा वन िववश था। संजना ने
3,700 वष तक उसक ती ा क ... िसफ इसिलए क इस अंितम पल म
तु हारा साथ दे सके । उसक जीवन-ऊजा, उसका िन ववा दत ेम, उसक
सुनहरी आ मा... सब तु हारा साथ दगे, जब तुम उसका सामना करोगे,
िव ुत।
कमरे म स ाटा पसरा आ था। िव ुत, दािमनी, पुरोिहत जी, नैना, सोनू और
बलवंत मठाधीश से उन र रं िजत प क कहानी सुनते ए त ध थे, िजनसे
शा ी वंश का इितहास रं गा था।
लूिसफर।
भुनते इं सानी मांस क दुगध असहनीय थी। खुले म भुनते मानव अंग और
टु कड़ को देखकर द यु के अनेक यो ा पहले ही उ टी कर चुके थे और कु छ
तो बेहोश हो गए थे। दै य के ब े ताजी कटी खोपिड़य से यूं खेलते फर रहे
थे, मानो वो कोई ड़ा क व तु हो और दै य मिहला ने इं सानी मांस क
ह ी के बने आभूषण पहन रखे थे।
उन सभी ने नर-मुंड के बारे म सुन रखा था। वा तव म काफ सुन रखा था।
उसके भीमकाय बदन के बारे म, उसक बद दमाग ू रता के बारे म और उसके
ोध के बारे म। अब वो उसके इस सड़े ए प रसर म आने के अपने फै सले पर
पछता रहे थे। वो तो अिनयंि त लय के हाथ िनि त मौत क चंता ने उ ह
यहां आने पर िववश कया था, जो अब वयं मौत से भी िवकराल नजर आ
रहा था।
उसके डोले वहां उपि थत अिधकांश आदिमय क कमर से भी मोटे थे। उसक
टांग ऐसी लग रही थ मानो गडे के ही अंग ह । उसके येक कदम से धरती
िहलती ई जान पड़ रही थी। उसके िबना बाल के िसर पर लाल रं ग पुता आ
था, जो मनु य का बासी र तीत हो रहा था। व के नाम पर उसने कमर
पर घुटन तक क लंबाई क , हाथी क खाल लपेट रखी थी। उसके बिल ,
िवकराल धड़ पर पुराण म व णत भयावह दै य के चेहरे गुदे ए थे, जो अि
के नारं गी काश म बोलते से लग रहे थे।
वो था भी।
मेरे झंडे तले अपना आ म-समपण करने के िलए म तुम सबका आभार
करता ।ं अब से तुम सब मेरी सुर ा म ही रहोगे और यु करोगे।’
भुना आ इं सानी-मांस!
इससे पहले क युवा अिधपित अपनी बात पूरी कर पाता, नर-मुंड ने तीर क -
सी तेजी से एक मु ा उसके चेहरे पर मारा। मु े का भाव प थर क कसी
घातक मूसली से भी अिधक भयानक था। युवा अिधपित र क उि टयां करने
लगा, उसके कु छ दांत मुंह से दूर जाकर िगरे और एक आंख क पुतली अपनी
जगह से सरककर गाल के ऊपर लटक गई।
दद से िबलिबलाता आ वो जमीन पर िगरा पड़ा था।
रोिहणी न ।
िव ुत यान से सुन रहा था। हालां क उसने काले लेग के बारे म सुन रखा था
और कै से उसने स दय तक दुिनया को खौफ म रखा था, ले कन फर भी उसे
इतने बड़े जान-माल के नुकसान का अंदाजा नह था।
अंितम देवता अब अपनी पलक भी नह झपक रहा था। वो पूरी तरह से अपने
परदादा क बात म जकड़ा आ था।
‘हमारा सबसे बड़ा फायदा है क नौका के मील दूर तक हमारे पास समतल,
िनजन पसरा पड़ा है, िजसम आंख दूर तक देख सकती थ ,’ तारा ने एक तीर के
मा यम से िवशाल नौका के आसपास क भूिम क ओर संकेत करते ए कहा।
मनु अपनी सुंदर, मानी, ेही तारा को शेरनी बनता देख मु ध था। वो
पैदायशी अ य थी।
‘काश तुम अपने दमाग का थोड़ा और इ तेमाल कर लेते, ुव,’ तारा ने आंख
चढ़ाते ए िवरोध जताया।
‘कृ पया मुझे जाने क अनुमित द, बाबा,’ उसने उठकर अपने हाथ जोड़कर,
णाम करते ए कहा।
ारका शा ी मु कु राए ।
‘िव ुत... तुम भी कसी क टीम म हो। इसीिलए तु ह भेजा गया है!’
‘तो, तुमने देखा, बेटा,’ ारका शा ी ने भारी आवाज म अपनी बात आगे
बढ़ाई, ‘ येक मायन म यह एक यु है। वो यु जो सैकड़ साल से चला आ
रहा है। और हम, शा ी वंश, हमने इस सफर म अपना सबकु छ गवां दया है।
काले मं दर के रह य का।
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
नरभ ी िपशाच
नौका ऐसी तीत हो रही थी मानो धरती पर सबसे याह रात उतर आई हो।
लंबाई और ऊंचाई म मील तक फै ली वो नौका शि शाली िहमालय पवत से
भी बड़ी थी, और दूर से देखने पर यह ब त बड़ी काली च ान नजर आ रही
थी।
गंधक।
सोमद अपना आहार लेते समय असामा य प से चंितत दखाई दे रहा था,
और वो येक िनवाले के बीच कई पल तीत कर रहा था। उसके पास बैठा
मनु, शांित से अपना चावल का रस पी रहा था। अब तक उनके ने अंधेरे म
देखने के अ य त हो गए थे। इसीिलए, अंधेरे क म भी स य त ने अपने
िव सनीय सलाहकार क चंता को भांप िलया था।
‘कोई बात शायद आपको परे शान कर रही है, सोमद जी...’ मनु ने पूछा।
सोमद ने मुड़कर मनु को देखा। सारे अंधेरे के बाद भी, मनु मु य अिभयंता के
चेहरे पर पसरा डर साफ़ देख पा रहा था।
भोजन के दौरान उसने मनु को जब अपनी चंता बताई थी, तो उसके तुरंत
बाद मनु ने यु अ य के साथ एक त कालीन सभा बुला ली थी। उसके
करीबी और िव त िम , ुव, तारा और चंड वहां उपि थत थे। और
स ऋिष भी।
अ यिधक चंितत।
बनारस, 2017
रोिहणी न
सप ली।
‘तु हारी परे शानी या है, ओ सूय पु ??’ उसने स य त से सवाल कया। वो
उससे थोड़ी ही दूर खड़ी थी और सीधे उसक आंख म देख रही थी। गु से और
भय से उसक सांस भारी हो गई थी।
‘देखो मनु, िजस जंग म हार सुिनि त हो, उसम कू दने को बहादुरी नह कहा
जाता है। हम कु छ और सोचना...’
‘आप अपने श द को य रोक रहे ह, सोमद जी? खुलकर किहए आप या
कहना चाहते ह!’ मनु िच लाया।
‘हां, मने कहा था... हां, मने कहा था...’ मा क ने जवाब दया और अचानक
रमोट कं ोल से दोन न को बंद कर दया।
मनु नौका के ऊपरी भाग पर बुत बना खड़ा था, बा रश उसे और उसके
सािथय को िसर से पैर तक िभगो रही थी। रात के अंधेरे म, दै य सेना क
मशाल उसक आंख के सामने ऐसे िबछी पड़ी थ , मानो काश के कं बल ने
पूरी धरती को ढक िलया हो। वो वा तव म अनिगनत थे।
‘नौका ही बचने क अंितम उ मीद है। और उसे चुरा िलया जाना चािहए।
नौका के ऊपरी भाग को घेरे ए, नौ हजार धनुष बाण क पहली वषा के िलए
एकदम तैयार थे।
‘अब!’
थाक!
आधे पल बाद
थाक!
आधे पल बाद।
थाक!
दािमनी सेना के धनुधर क बाण उठाने, उसे अपने धनुष पर रखने और अपने
ल य क ओर छोड़ने क गित अनुपम थी। कु छ ही पल म लगभग बीस हजार
बाण अपने िनशाने क ओर बढ़ चले थे।
वो तैयार थे।
िव ुत, दािमनी और समूह के सभी लोग भ काले मं दर को देख त ध थे।
बुजुग मु कु राए ।
‘कु छ नह , िव ुत।
कोई।’
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
अंितम यु —भाग II
‘ना.....गग...’
‘ना.....गगग...’
उकडू ं से बैठे उस मनु य का चेहरा उसके घुटन म िछपा था। चेहरे पर उसक
लंबी सफ़े द लटाएं फै ली थ , और उसका बदन पड़पड़ाया आ था! चमकते हरे
और नीले रं ग क सांप क छाल से। हालां क वो दृ य पूरी तरह से अ ाकृ ितक
था, ले कन िव ुत भयभीत नह था। उसका अंतमन उससे कह रहा था क इस
अ भुत अितिथ के पैर पर िगर जाए। सम त काला मं दर इस ताकतवर,
जादुई, मोहक नाग-पु ष के स मोहन से भर गया था!
‘दशन द, सप-राज!’
िवशालकाय मनु य िवत हो उठा। उसक वचा क चमक और बढ़ती ई
तीत ई। उसके बाद जो आ उसने िव ुत को अिव ास से म म डाल
दया।
दरअसल िसर नह ।
फण।
‘ वागतम, नाग-राज!’
‘ वागतम, शेष-नाग!’
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
‘इससे पहले क वो नौका म चढ़ना
शु कर, हम नीचे उतर जाना
चािहए’
सभी तारा क बात को समझने क कोिशश कर रहे थे। उसने आगे कहा।
उसने जो देखा था, उसके स मुख अपने घुटन के बल िगर गया था। उसने
अपने हाथ जोड़कर, िसर झुकाया था। वो उस आ दकालीन सप क पीली और
काली आंख के अलौ कक तेज से नजर नह िमला पा रहा था—और वो तो
दस जोड़ी आंख थ !
सभी बुजुग क तरफ मुड़,े उनक नजर हैरानी से फ़ै ल रही थ । दािमनी शायद
सही कह रही थी। शेषनाग ही शायद काले मं दर का रह य था।
‘िबलकु ल नह ।’
पुरोिहत जी अपने सामने महा-पंचांग फै लाए बैठे थे।
‘शुभ समय आ प चं ा है, ओ देवता! अपने पूवज का यान करो! अपने पूवज
—िववा वन पुजारी, स य त मनु, अ त ै शा ी, दुगादास शा ी, भैरव
शा ी, माकडेय शा ी और अपने िपता, का तके य शा ी के स मान म हाथ
जोड़ो!
‘दािमनी सेना अब भी हमारे बड़े काम आ सकती है, तारा,’ मनु ने कहा, एक
सहयोगी भारी कवच को उसके कमर पर बांधने म उसक मदद कर रहा था।
‘वह आपक जगह नह है, सोमद जी। हम आपक आव यकता है। नौका को
आपक आव यकता है! भगवान माफ कर, ले कन अगर आपको कु छ हो गया,
तो हम सब अनाथ हो जाएंग!े ’ स य त ने जोर दया।
बुि मान अिभयंता ने अपना हाथ उठाकर, अपना कवच बांध रहे आदमी को
कने का संकेत कया। वो उन दो मनोहर युवक क ओर मुड़ा, जो मानवजाित
का भिव य थे।
नौका से उतरने वाली अगली टु कड़ी चंड के नेतृ व म असुर क थी। वो नौका
से उतरने के िलए र सी क सी ढ़य और लता का इ तेमाल करके , नीचे र
संघष म कू द रहे थे।
और फर, आसमान से िगरते धूमके तु क तरह, दो िवकराल यो ा दै य बल
पर टू ट पड़े। य िप हड़ पा के िशि त िसपािहय ने नौका क दस से पं ह
हाथ ऊंची दीवार से छलांग लगाई थी, ले कन ये तेज वी यो ा सीधे चालीस
हाथ ऊंची दीवार से कू दे थे।
वह ुव था।
दूसरा यो ा कांसे और चमड़े से बने हिथयार से ढका था। उसके लंबे बाल
पीछे एक चोटी म बंधे थे। उसने अपने हाथ म एक ढाल और एक लंबी
तलवार पकड़ रखी थी, जब क दो छोटी तलवार उसक कमर के दोन ओर
बंधी थ । वो कभी कसी लड़ाई म परािजत नह आ था। उस यो ा का
मुकाबला कोई भी दै य नह करना चाहता था। वो वही था, िजसक ती ा
नर-मुंड कर रहा था।
वो मनु था।
‘ले कन, बाबा, इतने लोग को इस न के बारे म कै से पता है? मुझे तो लगा
था क यह िछपी ई बात थी। या वो सब रह य से अवगत ह, बाबा?’
।। शांताकारं भुजगशयनं
प नाभं सुरेशं;
िव ाधारं गगनसदृशं
मेघवण शुभा गम्... ।।
िव यात तलवार।
र -मा !
‘शायद ये चुने, िव त
ु । शायद न चुन।े ले कन ये कोई मायने नह रखता है।
िव यात तलवार तु हारे िलए नह बनी है, मेरे ब .े ..’ मठाधीश ने जवाब
दया।
वह एक संकेत था।
‘अब!’
‘गररआआअ हह...!’
नर-मुंड कसी दूसरी दुिनया के िपशाच क तरह दहाड़ रहा था, अपने िसर को
पीछे झटका देकर, दोन हाथ फै लाए, अपनी कोहिनयां मोड़कर वो अपनी
फटने को तैयार फू ली ई मांसपेिशयां दखा रहा था।
‘ऊऊररगररआआअ हह...!’
मनु शांित से, दूर खड़ा अपने अजेय श ु को देख रहा था।
उसने अपनी तलवार ख च ली, और जहां नर-मुंड बरगद क तरह खड़ा था,
उस और बढ़ने से पहले ुव से कहा।
‘वचन दो, ुव... चाहे जो हो जाए, तुम मेरे और नरभ ी राजा के युगल
मुकाबले म दखल नह दोगे।’
कु छ याद नह आया।
‘आगे बढ़ो, मेरे ब ।े के वल तुम ही इसे उठा सकते हो, िव ुत। इस धरती का
अंितम देवता ही मानवजाित के सबसे बड़े रह य से पदा हटा सकता है।’
फर उसने मुड़कर, बाक सभी को पीछे हटने का िनदश दया, िजससे देवता
को एकांत िमल सके । िव ुत को अिधक मेहनत नह करनी पड़ी। उसने शंख
क भीतरी बनावट म झांका और तुरंत ही उसे वो मुड़ा आ प ा दखाई दे
गया। उसने उसे बाहर िनकाल िलया।
आधा-मनु य, आधा-भगवान!
‘पदापणम कु , भु!’
‘पदापणम कु , भु!’
‘ओ देव के देव, उपि थत ह !’
और नौका के िसपािहय ने नर-मुंड को उसके पूरे वैभव के साथ देख िलया था।
प रणाम व प, उनका नैितक बल पूरी तरह टू ट चुका था।
िवशालकाय लहर क गरज अब कान म पड़ने लगी थी। हवा तेज गित से
चल रही थी, मानो वो उस जल-पवत का अशुभ दूत ह , जो पहले ही लगभग
सम आयवत को िनगल चुका था।
गंधक।
बनारस, 2017
‘वो यहां है...’
िव त
ु ने एक बार फर से प को देखा, आ याि मक ऊजा ने उसे पूरी तरह से
त ध कर दया था।
उसके दमाग म अजीब से दृ य िबजली क तरह से क धे। उसने एक िवशाल
लय म शानदार नगर को डू बते ए देखा। वो एक मरती ई मिहला क
धूिमल मु कान देख रहा था, िजसके शरीर म तीर धंसे ए थे। उसने वयं को
गुराते ए यो ा के बीच देखा, िजनके बदन पर राख मली ई थी। साथ म
खीर-पूरी खाता एक खुशहाल प रवार दखाई दया। एक आलीशान भवन से
उतरती ई अनुपम नृ यांगना। उसने तीन अंधे काले-जादूगर को देखा, जो
कसी भयावह गुफा म शैतानी मं का जाप कर रहे थे। ‘पूव क तरफ
जाओ... वहां काले मं दर क तलाश करो’ िच लाता आ एक आदमी। िशव
क िवशाल ितमा वाला एक खोखला पहाड़। उसने वयं को एक च ान से
छलांग लगाते देखा, ट और कांसे के बने पवत के बीच तीर चलाते ए। उसने
वयं को र , पसीने और थूक से लथपथ देखा, उसे कसी ागैितहािसक थल
पर लोग क भीड़ के बीच तािड़त कया जा रहा था। नशे म धु जज से
यु एक यायालय। एक स ग वाले बैल क मुहर। मशान से बदतर मृत
कारावास म िच लाते ए लोग। लपलपाती नीली अि । एक िवशाल नौका,
इं सानी सोच से परे । धातु के दांत वाले दो पुतगाली ज लाद। रोम का
शि शाली स ाट।
‘हां, िव ुत... ठीक है... मुझे बताओ तुम कब...’ दािमनी ने जवाब दया। उसके
िलए, िव ुत का व थ होना दुिनया के कसी भी रह य से अिधक मह वपूण
था।
िव णु...’
‘कि क...
सबकु छ जल रहा था। नरभ ी िसपाही लपट म थे। उनके घोड़े झुलस गए थे।
दु मन क तलवार िपघल गई थी। उस ताप क तुलना सूरज से ही क जा
सकती थी, उनम से ब त को उस समय यही लगा था।
दूसरी तरफ, सोमद को मनु के ताव म संतुलन नजर आया। उसने पुजारी-
राजा के प म अपनी बात रखी।
सोमद और मनु, दोन शांत थे। ुव ने अपनी बात आगे बढ़ाई, उसने अपने
साथी नौकावािसय को यह समझाने क ब त कोिशश क क यु िवराम जैसे
यास थ थे, और क उन दै य को नौका पर थान देने का प रणाम या हो
सकता था।
‘मने इस बारे म सोच िलया है,’ कु छ पल िवचारम रहने के बाद मनु ने कहा।
नर-मुंड मैदान म आया, वैसे ही अकड़कर, जैसा दै य वो था। उसके पास कोई
हिथयार नह था। और सब ब त हैरान रह गए, जब वो अपने साथ दस
बालक को लेकर आया। उनम से कसी क भी उ आठ-नौ साल से अिधक
नह थी। नेक और पर पर सौहा के ऐसे भाव क उ मीद उस दै य स ाट से
िबलकु ल भी नह क जा सकती थी।
वे भगवान िशव के चरण म अनु ािनक अि के िगद बैठे थे। िव ुत, दािमनी,
ारका शा ी और उन सबसे लंबा और िवकराल शेषनाग। नैना, पुरोिहत जी,
सोनू, बलवंत और गोवधन कु छ दूरी पर बैठे थे, उनके हाथ स मान म जुड़े ए
थे। मठ के ब त से दूसरे िव सनीय साधु भी ख़ामोशी से, अपनी आंख बंद
कए बैठे थे। काले मं दर म उपि थत येक ि अब पिव अवतार के ेही
और सवशि मान व प म खो गया था।
‘इसक यही प रणित है, िव ुत... जहां से यह आया था। अब िसफ काले मं दर
का रह य तु ह पता होगा। वा तव म अब से तुम ही काले मं दर के रह य हो
िव ुत!’
‘तुमने या कहा, मुझे लगता है, िव ुत? म हैरान ं क तुम ये सवाल पूछ रहे
हो। इसे जान लो, मेरे ब .े .. काले मं दर का रह य, िजसे ऑडर कसी भी
क मत पर हािसल करना चाहता है, वो अब तु हारे दल म िछपा है।
ारका शा ी के आसपास उपि थत लोग यान से उनक बात सुन रहे थे। वो
काले मं दर के रह य क अंितम परत उतार रहे थे।
‘नैना, तुम शायद ऑडर को पूरी तरह समझ ही नह पाई हो,’ डमा टर ने
जवाब दया। ‘वो कभी पीछे नह हटगे। उनके पास दुिनया के सबसे स म,
सबसे मह वाकां ी और अब तक के सबसे खतरनाक आदमी ह।
वो कान क प च ं से दूर थे, उस जगह से लगभग तीन सौ कदम दूर, जहां मनु,
ुव और चंड बड़े मन से पूरी कायवाही देख रहे थे और मन ही मन ाथना
कर रहे थे। सोमद उस िवकराल दै य के सामने बैठा था। छोटे दै य बालक
नर-मुंड के िगद छोटे तंभ क तरह खड़े थे। उ ह नह पता था क या होने
वाला था।
दोन तरफ के िसपाही िनणय के समथन म अपने हिथयार और कवच बजा रहे
थे। नौका क सेना ने सोमद के िनडर यास क ख़शी म अपने तलवार और
भाले उठाकर उसे सलामी दी, और सोमद ने अपने दल क तरफ चलना शु
कया। हड़ पा के मु य अिभयंता, िववा वन पुजारी के सबसे िव सनीय िम
और मनु के िलए िपता-समान सोमद ने राहत क सांस लेकर अपने सािथय
क तरफ हाथ िहलाया।
िसवाय नरभि य के स ाट के ।
अगले ही पल, नर-मुंड ने सोमद को खरगोश क तरह मोड़ा, उसे पास लाए
और उसके गले म अपने िवशाल जबड़े धंसा दए। दल दहला देने वाली ू रता
से, उसने अपने नुक ले दांत से सोमद का गला फाड़ दया।
कलयुग क शु आत हो गई थी!
बनारस, 2017
शैतान!
फाइव- टार होटल म भगदड़ मची ई थी। उ र देश पुिलस ने फाइव टार
होटल के प रसर को घेरा आ था और होटल के येक कमचारी से पूछताछ
जारी थी। उस दन लगभग दोपहर के करीब एक बजे हाउसक पंग मिहला
को एक कमरे म लाश िमली थी।
‘ले कन, िव ुत...’ दािमनी ने िवरोध जताया, अपने दुखते माथे को अपने हाथ
से दबाते ए।
‘याद रखना, िव ुत, यह आदमी रोमी परे रा, डा कनी, कराये के ह यार या
यहां तक क ि जट कपािलक और ानंद से भी अलग है। म दािमनी के
सामने यह नह कहना चाहता था, ले कन वाइट मा क या मा के रा िबआंका,
जो भी उसका नाम है, उसम कु छ खतरनाक बात है।’
िव ुत पिव गंगा के घाट पर खड़ा था, उसने काली टी-शट पहन रखी थी, जो
उसक बिल मांसपेिशय को सहला रही थी।
‘तुम जानते हो, िव ुत... कभी कसी समय म, तुम मुझे वं टन पुकार सकते
थे। या जोसफ। या अडो फ़ भी।
तभी अचानक, ठीक उसके पीछे से, ुव ने एक आवाज सुनी। ऐसे समय म
उसक पसंदीदा आवाज।
धनुधर ने मुड़कर देखा क स य त मनु घायल शेर क तरह बढ़ा आ रहा था,
उसके दोन हाथ म दो तलवार थ । वह फर से िच लाया।
‘पकड़ो मुझे...!’
ु तुरंत झुका और अपने दोन हाथ क अंजुली बना ली। मनु ने सीधे ुव
व
पर छलांग लगाई, अपना एक पैर अपने िम के हाथ म रखा, दूसरा उसके
कं धे पर और वयं को सीधे नर-मुंड क तरफ ऊपर हवा म उछाल दया।
‘िसगरे ट?’
‘तु हारा दो त बाला मुझे हर महीने इनका एक काटन भेजा करता था। ये शम
क बात है क यूरोप म कोई िसगरे ट इस भारतीय ांड क तुलना नह कर
सकती।’
‘मुझे बताओ, िव ुत। मने काशी िवशु मं दर म हजार ालु देखे थे...’
‘हां, वही। मने वहां लोग का जूम देखा, जो पूजा कर रहे थे, मं ो ार, िसर
झुका रहे थे... अपनी ही भि म डू बे ए। ले कन उनम से अिधकांश ब त
गरीब थे। वो असहनीय पीड़ा से गुजर रहे थे। वो कु हलाए थे, बीमार थे,
शोक त थे और िनधन... और फर भी वो इस तरह तु हारे भगवान को
चाहते थे मानो वो तंगी उनके िलए कोई मायने नह रखती थी। ऐसा य ?’
मने तु हारे जैसे ब त से युवा को मारा है। म अपनी सूची म तु हारा नाम
शािमल करना नह चाहता।’
‘मुझे तुम पर दया आती है, मा के रा िबआंका या जो भी तु हारा नाम है। तुम
तो मानवीय चेतना क चमक से पूरी तरह अनजान हो। हम इस दुिनया म
ब को लेकर आते ह, इसिलए नह क वो दद और बीमारी सह, बि क
इसिलए क वो यार से जी सक! िजससे वो ेही ई र के असीिमत ेह का
आनंद ले सक—मां क गोद का सुख ले सक, बाप क उं गली पकड़कर चल सक,
ेमी के न भुलाए जा सकने वाले पश को महसूस कर सक, मह वाकां ा क
अि को जी सक, उपलि धय का ज मनाएं, ठं डी हवा म सांस ले सक, मं दर
क शांित को िजय, और बेटे-बे टय क हंसी म पल िबताएं, और दो ती क
लापरवाह भावना को जी सक... इसिलए हम अपने ब को लेकर आते ह।
शादी के बारे म तु हारे दयनीय िवचार को सुनकर तो मुझे हंसी आ रही थी।
मानता ं क मिहला और पु ष अपनी असीिमत आकां ा का गला नह
घ ट सकते। ले कन फर भी उनम से अिधकांश अपनी जंदगी अपने जीवन-
साथी के समपण म िबताते ह, उसके ेम म डू बे ए—उनम इतना यार होता
है क वो सहजता से अपनी लालसा से ऊपर उठ जाते ह। और इस पिव
सं थान का यही सबसे बड़ा बल है। वो साथ जो आ मा को िसफ इसी ज म
म ही नह , बि क ज म-ज म तक बांधे रखता है, यह इतना पिव है क
तु हारी काली शि इसक तुलना भी नह कर सकती।
जाने के िलए मुड़ने से पहले देवता ने अपनी भूरी आंख उस शैतान से िमलाते
ए, धमक दी।
मने कभी अपने जीवन म कसी इं सान को नह मारा है। इसे बदलने के िलए
मुझे मजबूर न करो।’
िव ुत मुड़ा और घाट क सी ढ़यां चढ़ते ए, धीरे -धीरे गंगा से दूर चला गया।
वह बार-बार अपनी अंितम बात के िवषय म सोच रहा था।
अगर यह हरी आंख वाला दानव इं सान नह था... तो उसे उसके पाप क सजा
देने म कु छ गलत नह होगा।
उसी के श द म कह तो।
िवशाल नौका के आसपास का दलदल, आयवत, 1698
ईसापूव
नर-बिल
दोन तरफ के यो ा सांस थामे वो र रं िजत ितयोिगता देख रहे थे। मानव
और नरभ ी के बीच होने वाला यह यु ही नौका और धरती के बीच हो रही
जंग का िनणायक पल होगा।
उसने म य से ाथना क ।
अपने कं धे के घाव से पलभर के िलए लड़खड़ाने के बाद, नर-मुंड वापस खड़ा
हो गया था, पहले से भी अिधक ताकत से। उसने मनु को उठाकर, दूर पटक
दया। उसके वार म इतना दम था क मनु उससे बीस फू ट दूर जाकर िगरा।
ले कन जैसे ही मनु के शरीर ने जमीन को छु आ, वो संघष करते ए वापस
अपने पैर पर खड़ा हो गया, और दोबारा उस दानव पर हमले के िलए तैयार
था।
मनु एक घायल शेर क तरह िवशाल जंगली हाथी से लड़ रहा था। कसी भी
तरह पीछे हटने को तैयार नह , और न ही डरा आ!
नर-मुंड और मनु दोन ही उस बरसाती रात म बुरी तरह से हांफ रहे थे, दोन
का ही काफ पसीना बह चुका था। ऐसा लग रहा था मानो वो अनंत समय से
लड़ रहे थे। नरभ ी राजा को युवा पुजारी-राजा के हाथ कई घाव िमल चुके
थे, ले कन उनम से कोई भी घातक नह था। वो कसी भी तरह परािजत नह
होने वाला था।
दानव के पैर म छोटी तलवार घुसी रहने के बावजूद, मनु ने अपनी बड़ी
तलवार िनकाल ली थी। अपने बदन क सारी बची-खुची ताकत लगाकर,
उसने नर-मुंड क पंडली म उसे घुसा दया। पलभर म मनु ने दानव के पैर को
चीर डाला, शैतान क पंडली क मांसपेशी बाहर िनकल आई थी और अब
उसके टांग क ह ी दखने लगी थी।
‘दै य को बंदी बना लो! और नौका के पीछे डाल दो! पीछे डाल दो!’ मनु
अपनी सेना के सामने िच लाया।
लय!
‘वो आ गए ह, िव ुत दादा!’
अब िव ुत ही काले मं दर का रह य था!
ऑडर को प था।
िव ुत को पकड़ना ज री था। उसे यातना देनी थी। जो सूचना उसके पास थी,
उसे कसी भी क मत पर िनकलवाना था। और कि क अवतार को उसके
बचपन म ही ख़ म करना था!
िन जा।
‘अब तक शेषनाग भु तक प च
ं गए ह गे, तो अभी के िलए कि क सुरि त
रहगे,’ नैना ने कहा।
‘तुम सही कह रही हो, नैना िब टया... यह ब त बड़ी ताकत है,’ वृ ने जवाब
दया। ‘म खुश ं क द सप-राजा भु के साथ ह। ले कन अब हम अपनी
पूरी ताकत से िव ुत और दािमनी क सुर ा करनी है!’
‘वो सब मरने वाले ह...’ मनु वयं से बुदबुदाया। ‘और म भी उनके साथ मर
जाऊंगा।’
यह वयं सृि क अंितम नाव थी। यह वो नौका थी, जहां वयं पृ वी शरण
लेने जा रही थी। अपने साथ अपने समुदाय के बीज िलए।
मनु क नाव।
सबसे बढ़कर।
मनु लगातार अधीर हो रहा था। उसने शंख बजाकर खतरे का संकेत दया। यह
शंख तभी बजाया जाना था, जब कोई भीषण आपदा हो। और वो समय आ
प चं ा था। अपने सम पत अनुयाियय क मौत से अिधक पीड़ादायक और कु छ
नह हो सकता था। मनु ने अपना चेहरा, अपनी कलाई पर बंधे चमड़े से प छा,
गहरी सांस ली और फर से शंख बजाया, िजसक तेज आवाज़ तूफानी
आसमान म दबकर रह गई।
मनु आंख िसकोड़कर, ऊंची लहर के पार, ि ितज म देखने का यास कर रहा
था। उसे उ मीद थी क उसे उसक परछाई दखाई देगी, िजसे उसने स ा
मसीहा माना था।
म य।
बनारस, 2017
‘यहां तक क मृ यु भी वाइट मा क से
भय खाती ह!’
बाबा!
भयंकर प से बद क मत।
उसक हरी आंख िजस चीज पर भी पड़त उसे लगभग जला देत , मा के रा
िबआंका देव-रा स मठ के बड़े से मैदान पर उतरा।
मा के रा दुिवधा म था।
‘ मा करना, या?’
‘तु हारे पास अभी भी समय है, िव ुत। मुझे बता दो क वो तु हारा
सवशि मान कि क कहां िमलेगा। बस इतना ही करना है, मेरे िम । और म
तु ह जाने दूगं ा। म इस वृ को भी जाने दूग ं ा। और म तु हारी उस सुंदर
जीवनसाथी को भी छोड़ दूग ं ा। ले कन अगर तुमने ऐसे ही िजद ठानकर रखी,
तो म यह सम त प रसर जला दूग ं ा, और आज रात इस आ म म सबको जंदा
जला दूगं ा।’
‘उन सबको जाने दो, मा के रा। तु हारे लैक नाइ स, मेरे यो ा-संत... सबको।
इस मसले को हम दोन के बीच िनबटाते ह। तुम और म। यहां और अभी।’
‘तुम मूख हो, ओ देवता!’ मा के रा िबआंका ने कहा। ‘तुम उनसे लड़ रहे हो,
िज ह तुम परािजत नह कर सकते। तुम अपने ामक ढटाई ारा मुझसे नजर
िमला रहे थे, मुझे यह दखाने के िलए क तुम िनडर हो। या तुम नह जानते,
गु ताख लड़के ...?
‘बाबा........ अआह!’
वो धीरे -धीरे अपना भाव दखाने लगे। दिसय हजार भुजा और सैकड़
नािवक क द ता ने उस पहाड़ को भी पानी पर चला दया था।
र -धारा का अिभशाप!
तु हारे वंश का येक पु उसी हंसक मौत मरे गा, जो आज भयानक रात म
तुमने देखी है!
वापस पैर पर खड़े होने का संघष करते ए उसने अपने हाथ से, अपने चेहरे
से र प छा। ले कन उसने ब त देर कर दी थी। जब उसने अपनी आंख खोल ,
और देखा क वा तव म या हो रहा था, तो तब तक भ ारका शा ी के
जीवन का अंत आ गया था। िव ुत क आंख के सामने ही, उसके ि य परदादा
का शरीर मा के रा के घातक पेचकस से गुदा पड़ा था।
बाघ-नख !
‘आआअरररग ग ह...!’
‘यआआअरररग ग ह...!’
‘बाबा........!’
‘जब हम पहली बार िमले थे, मने तु ह बताया था... पानी क वो बूंद... ऋण
रहगी मुझ पर, स य त!’
‘हमारे िलए आपका या आदेश है, म य? ऐसे काले समय को रोकने के िलए
म और तारा या कर सकते ह?’ मनु ने पूछा।
वो तीन एक-दूसरे के साथ ऐसे हंस रहे थे, जैसे सबसे िव सनीय िम हंसते
ह। म य और तारा, दोन जानते थे क तारा मनु को इतना यार करती थी,
िजसे श द म नह बांधा जा सकता था।
‘उस नगर को कौन डू बा सकता है, जो िशव के ि शूल पर ि थत है, मनु? काशी
को कौन डू बा सकता है? िवनाशकारी लय के उतरने के बाद वहां जाना। आज
से हजार साल बाद, उसी काशी नगर म तु हारे महान पूवज, तु हारे भ
िपता का पुनज म होगा, जो काले मं दर के रह य को उ ा टत कर, कि क का
दुिनया म वागत करगे। वो ही कि क क तेरह वष के होने तक सुर ा करगे
और उ ह र -मा स प दगे। उसी द काय के िलए उस तेज वी देवता को
इस धरती पर भेजा जाएगा।’
वह िव ुत होगा।’
बनारस, 2017
िव ुत
एक बार फर से।
वे दशा मेध घाट क सी ढ़य पर बैठे थे, पिव गंगा से आती तेज हवा उनके
चेहरे और बाल को सहला रही थी।
िव ुत के सवाल को समझकर वह क ।
अपने ि यजन जैसे बलवंत, सोनू और गोवधन से िवदा लेने के बाद, देवता
दुिनया क सबसे सुंदर लड़क के सामने आया।
‘उ फ... तुम मेरे साथ ऐसा य करती हो, नैन?ू ’ उसने अपने सामने खड़ी
सुंदर लड़क को छेड़ते ए कहा।
‘बस इतना जान लो, नैना, तुम वो लड़क थ िजससे म यार करते-करते रह
गया... जब क मुझे नह करना चािहए था।’
नैना ने उसे उदासीन मु कान से देखा, उसी तरह जब सुंदर लड़ कयां अपनी
नकली नाराजगी दखाने के िलए करती ह। ले कन तभी उसे अहसास आ क
आज शायद वो उसे आखरी बार देख रही थी, वैसे ही जैसे ब त पहले कभी
देखा था।
ं के अनुसार,
थ ूल-ड ट या देवद ही उस द के सांसा रक वाहन का
नाम था।
समा
शु आत...
उपसंहार
तूफानी रात म, उसक आंख पागल क तरह येक दशा म भटक रही थ ।
‘उठो, लूिसफर!’
ानंद जानता था क वयं शैतान ही कलयुग के मसीहा को रोक सकता
था।
मश:...
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