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M.

ENGINEERING TOOLS
TRAINING ON DEFECT IMPACT

डिफे क्ट पार्ट से होने वाले इम्पैक्ट


1. अगर हम अपनी छोटी छोटी गलतियों की वजह से डिफे क्ट/ख़राब पार्ट बनाते है तो शायद हमे नहीं पता कि हमारी
वजह से किसी को कितना नुक्सान पहुँच सकता है, जिसकी जानकारी हमे होनी चाहिए, ताकि आगे से कोई भी
डिफे क्ट/ख़राब पार्ट न बनाये अथवा किसी भी पार्ट को डिफे क्ट फ्री बनाये |

2. हम जो भी पार्ट बनाते है उसका पूर्ण तरह इंस्पेक्शन करना चाहिए ताकि गलती से भी कोई भी पार्ट हमारे कस्टमर
तक न पहुँच सके |

3. अगर किसी पार्ट में कोई डिफे क्ट/खराबी आती भी है तो उस पार्ट को रेड बिन में डाल देना चाहिए, ताकि बाद में
क्वालिटी इंस्पेक्टर सुनिश्चित कर सके की पार्ट को ओके करना है या स्क्रै प करना है |

4. ऑपरेटर या इंस्पेक्टर किसी भी संदेहजनक पार्ट को ओके न करे, बल्कि उस पार्ट को लाल बिन में डाल दे, जिससे
हमारी कं पनी परिसर की गुणवत्ता नीति पर कोई असर न पड़े |

5. अगर कोई भी ऑपरेटर/इंस्पेक्टर/सुपरवाइजर अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाएगा तो हमारा पार्ट ख़राब होगा
और हमारी कं पनी को समय व धन दोनों की हानि होगी |

6. सभी ऑपरेटर/इंस्पेक्टर को यह भी ज्ञात हिना चाहिए की हमारे द्वारा बनाया गया हर एक छोटे से बड़ा पार्ट, हमारे
कस्टमर द्वारा गाडियों के बहुत ही जरुरी भागो में लगाया जाता है, जिसके ख़राब होने से कोई भी दुर्घटना हो सकती है |
इसलिए प्रत्येक छोटे बड़े पार्ट को ठीक ढंग से चेक करें, ताकि किसी को किसी भी तरह का कोई भी नुक्सान न पहुंचे |

7. सही समय, उचित गुणवत्ता, डिफे क्ट मुक्त पार्ट बनाना ही हमारी सर्वोत्तम जिम्मेदारी है |
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