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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Printable Versi - 1714537853905
Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Printable Versi - 1714537853905
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देवा अब अपना लंड रुक्मणी की चूत से निकाल कर रानी के मुँह में पेलने लगता है और अपनी ऊँ गली रुक्मणी की गांड में
पेल देता है।रुक्मणी अपनी गांड में देवा की ऊँ गली घुसते ही चीख पड़ती है जिससे हिम्मत उसकी तरफ देखने लगता है।
तभी रानी के मुँह से अपना गीला लंड निकाल कर देवा हिम्मत को दिखाते हुए रुक्मणी की गांड में एक जोर के धक्के के साथ
पेल देता है। देवा का लंड रुक्मणी की गांड को फाड़ता हुआ एक ही झटके में आधा उसकी मखमली गांड में घुस जाता है
जिससे रुक्मणी चीखने लगती है।
देवा: देख हिम्मत देख कै से तेरी बीबी अपनी गांड मरवा रही है साले कु त्ते।आज तक जहाँ तू नहीं पहुँच पाया वहाँ मेरा लंड
चला गया है देख हरामी कितना चीख रही है तेरी बीबी।
फिर देवा जोर जोर से रुक्मणी की गांड चोदने लगता है।कु छ ही देर बाद रुक्मणी अपनी गांड उछाल उछाल कर देवा का
साथ देने लगती है अब उसे भी गांड मरवाने में मज़ा आने लगता है।कु छ देर गांड मरवाने पर ही रुक्मणी झड़ने लगती है और
बेड पर गिर जाती है तब देवा रानी को कु तिया बना के पेलने लगता है।
हिम्मत अपनी बेटी की चूत में देवा का लंड देखके अपना सर झुका लेता है। देवा कु छ देर तक रानी की चूत में लंड पेलने के
बाद अपना लंड रानी की टाइट और सुखी गाण्ड में जबरदस्ती अपना 9 इंच मोटा लंड एक ही झटके में पेल देता है जिससे
रानी दर्द से चीखने चिल्लाने लगती है। हिम्मत अपनी बेटी की गांड में देवा का लंड देखकर अपना मुँह घुमा लेता है।रानी की
चीख सुनकर रुक्मणी भी उनके पास चली आती है।
अब देवा दोनों माँ बेटी को हिम्मत के आगे कु तिया बना देता है और बारी बारी से दोनों को किसी रंडियों की तरह चूत और
गांड को चोदने लगता है दोनों माँ बेटी मज़े में चिल्ला चिल्ला कर चुदवाने लगती है।
ये चुदाई का सिलसिला और एक घण्टा चलता है जब देवा अपने चरम पर पहुँचता है तो वो अपने लंड को बाहर निकाल लेता
है और खड़ा होकर हिम्मत के क़रीब आ जाता है।
गाढ़ा गाढा पानी हिम्मत के मुँह पर गिरा कर देवा एक लात हिम्मत के मुँह पर मारकर उसे ज़मीन पर गिरा देता है।
देवा;अपने कपडे पहनकर और अपने बदले की आग को ठण्डा करके अपने घर लौट आता है।
अपडेट 96
हिम्मत राव हवेली छोड कर चला जाता है और देवा अपने घर की तरफ निकल पड़ता है।
आज उसका मन काफी शांत था।
चेहरे पर मुस्कान लिए जब देवा अपने घर पहुँचता है तो उसे कोई भी घर के ऑंगन में नज़र नहीं आता।
उसे थोडी हैरत होती है क्यूंकि घर एकदम शांत लग रहा था।
वो बिना आवाज़ किये अंदर चला आता है।
वो बस रत्ना को आवाज़ देने ही वाला था की उसे रत्ना एक कोने में खिड़की से खड़ी दिखाई देती है।
रत्ना;साडी में थी वो ममता के रूम की खिड़की के पास खड़ी अंदर झाँक रही थी।
देवा;दबे पांव उसके पीछे जाकर खड़ा हो जाता है।
रत्ना;अब भी अंदर देख रही थी।
देवा;जब रत्ना की आँखों का पीछा करता है तो हैरान रह जाता है।
खिडकी थोडी खुली हुई थी और अंदर ममता प्रिया दोनों नंगी एक दूसरे की चूत चाट रही थी।
देवा;की आँखें चमक उठती है।
हालांकि अभी अभी वो रुक्मणी और रानी को जम कर चोद कर आया था मगर अपननी माँ को ऐसी हालत में देख उसका
लंड पेंट में थोड़ा सा हलचल करने लगता है।
रत्ना;झुकी हुई थी उसके बड़े बड़े ब्रैस्ट सामने की तरफ लटके हुए थे।
जो बेताब थे ब्लाउज से बाहर आने को। कमर पीछे की तरफ झुकी होने से दोनों उभार साफ़ दिखाई दे रहे थे
देवा;थोड़ा और आगे बढ़ता है और रत्ना की चूतड़ के पीछे से जाकर खड़ा हो जाता है।
नरम नरम रत्ना की कमर को पीछे से धक्का लगता है और वो घबरा कर पीछे देखती है।
देवा;अपने दोनों हाथों में रत्ना की कमर को पकड़ लेता है और धीरे से रत्न के कान में कहता है।
क्या देख रही हो माँ अपनी बेटी की चूत।
रत्ना;चल हट पीछे। ये लड़की भी न एक दिन हमे गांव में बदनाम करके छोड़ेगी।
रत्ना;तेज़ कदमों से अपने रूम में चली जाती है उसके पीछे पीछे देवा भी चला जाता है और अपने पीछे दरवाज़ा बंद कर देता
है।
रत्ना;दरवाज़ा क्यों बंद कर रहा है।
देवा; अच्छा अब नाटक कर रही हो जैसे मैंने कु छ देखा ही नही।
रत्ना;तू कहना क्या चाहता है।
देवा;रत्ना के क़रीब आकर बेड पर बैठ जाता है और रत्ना का हाथ पकड़ कर उसे भी अपने पास बैठा देता है
यही की तुम अपनी बेटी को नंगी देख रही थी।
जीसे देखना चाहिए उसकी तरफ तो तुम देखती भी नहीं माँ।
रत्ना;क्या मतलब है तेरा और मै कु छ नहीं देख रही थी। मुझे अजीब सी आवाज़ सुनाये दी तो मै चली गई थी वहां देखने
की.....
देवा;की आवाज़ें किसकी है है ना।
अब बस भी करो माँ सब जानता हूँ मैं....
रत्ना;क्या जानते हो।
देवा;रत्ना का हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है।
मगर रत्ना देवा से नीलम को लेकर थोडी नाराज़ थी
वो अपना हाथ छु ड़ा लेती है।
एक तरफ रत्ना की मोहब्बत अपने देवा को किसी के साथ देख नहीं पा रही थी और दूसरी तरफ चूत की आग... सब कु छ
भुला कर पास जाना चाहती थी देवा के शरीर के नीचे....
देवा;फिर से रत्ना का हाथ अपने हाथ में पकड़ लेता है और इस बार कसकर उसे अपने से चिपका भी लेता है।
बहुत बर्दाश्त कर लिया मैंने अब अगर सीधे सीधे तुम मेरी बात नहीं मानोगी न तो.....
रत्ना;क्या करेगा। ज़बर्दस्ती करेगा मेरे साथ.....
देवा;अगर ज़बर्दस्ती करनी होती तो कब का कर लेता
मगर मुझे मेरी रत्ना चाहिए अपनी पत्नी के रूप में।
रत्ना;जा न नीलम है ना उसके पास जा मेरे पास क्यों आया है।
देवा;मुझे मेरी रत्ना की फिकर है मै जानता हूँ माँ तू मुझसे नाराज़ नहीं रह सकती। क्युकी तुझे भी ये चाहिए।
रत्ना;देवा की तरफ देखने लगती है। साँसें उसकी भी तेज़ चल रही थी दिल की धड़कन बेचैन सी थी और बेक़रार भी ये के हने
को की हाँ देवा तेरी माँ अब और नहीं सह सकती उसे भी अपनी दासी बना दे मुझे भी भोग लगा दे।
देवा;रत्ना का हाथ अपने लंड पर रख देता है।
रत्ना;हाथ पीछे खीचने की कोशिश करती है मगर देवा दूसरे हाथ से अपने पेंट की ज़िप खोल कर लंड बाहर निकल लेता है
और उस तपते हुए लंड पर रत्ना का नाज़ुक सा काँपता हुआ हाथ रखा कर दबा देता है।
रत्ना;की ऑंखों में नशा सा चढने लगता है।
वो जब भी देवा का लंड पकड़ लेती थी उसे कु छ भी होश नहीं रहता था।
रत्ना को ऐसे लगने लगता है जैसे उसे किसी ने नशे की दवा खिला दी हो।
रत्ना;लड़खड़ाती हुई आवाज़ में देवा से कहती है।
छोड दे बेटा कोई देख लेगा तो बड़ी बदनामी हो जाएगी।
देवा;कोई नहीं है माँ चूत में नहीं लेना चाहती तो अपने होठो से तो लगा लिया कर दिन भर में एक बार.....
रत्ना;हलके से लंड को मरोड़ देती है।
देवा;तेरी माँ की चूत साली। मरोड़ क्यों रही है
रत्ना;मुस्कु रा देती है और अपनी बाहें देवा के गले में डाल कर अपने होठो से देवा के सूखे होठो को गीला करने लगती है।
ममता और प्रिया की चूत चटाई देखने से रत्ना के जिस्म में आग सुलग उठी थी और देवा के लंड को देख वो तेजी से भडकने
को तैयार थी।
रत्ना;देवा की गोद में आकर बैठ जाती है और देवा अपने लंड पर रत्ना की चूतड़ को टीका कर दोनों हाथों में उसकी गाँड को
दबोच लेता है।
रत्ना; कसमासने लगती है और उतेजना में अपनी ज़ुबान को देवा के मुँह के अंदर डाल देती है।
देवा;भी अपनी गीली ज़ुबान को अपनी माँ की ज़ुबान से लगा कर चाटने लगता है।
रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्पप्प।
उन्हह गलप्प गलप्प्प।
देवा; रत्ना की कमर को एक हाथ से और रत्ना की चुचियों को दूसरे हाथ से इतने ज़ोर से मसलने लगता है जैसे कु छ देर बाद
रत्ना ग़ायब हो जाएगी।
रत्ना;अह्ह्ह दर्द होता है ना गलप्प
गलप्प।
मगर देवा अपनी ज़िन्दगी के सबसे हसीन खवाब को अपने इतने करीब पाकर पागल हो गया था। वो जब भी रत्ना के पास
होता उसका भी वही हाल होता जो रत्ना का देवा की बाहों में हुआ करता था।
दोनो की ऑंखों में शराब के जैसा नशा था होंठ थे की एक दूसरे से अलग होने को तैयार नहीं थे और जिस्म थे की एक दूसरे
से चिपके जा रहे थे।
सांसों की गर्मी माहॉल को और गरम कर रही थी। लंड की चुभन जब रत्ना की गांड पर बढ़ने लगती है तो रत्ना समझ जाती है
की उसे क्या करना है और वो नीचे बैठ कर देवा की पेंट को कमर के नीचे सरका देती है।
जैसे ही रत्ना अपने हाथों में देवा का लंड पकडती है देवा अपनी आँखें बंद कर लेता है।
और उसके मुँह से बस एक शब्द निकलता है।
माँ।
रत्ना;माँ... नहीं देवा रत्ना तेरी लंड की रत्ना। गलपपपपपप गलप्पप्प।
गलप्प रत्ना अपने हलक में देवा का अपने बेटे का अपने प्यार का अपनी जान का लंड खीच लेती है।
अपने हाथ से देवा के टेस्टीस को मरोड़ते हुए मदहोशी के आलम में चूर रत्ना अंदर तक लंड को चूसती चली जाती है।
देवा;आहह धीरे माँ।
रत्ना;गलप्प गलप्प
चूसने दे न गलप्प गलप्प
देवा;आहह तेरी माँ की साली आह्ह्ह
बस मुँह देती है चूत कब देगी आह्ह्ह्ह।
रत्ना;गलप्प गलप्प गलप्प्प।
वो होठो से कु छ नहीं बोलती बस देवा की आँखों में आँखें डाल कर लंड को मरोड़ मरोड़ कर चाटती चूसती चली जाती है।
उसकी आँखों में देवा के सवाल का जवाब था।
देवा;अपने दोनों हाथों से रत्न का सर पकड़ लेता है और खड़ा होकर सटा सट सटा सट रत्ना के मुँह को चूत समझ कर चोदने
लगता है।
रत्ना;अपनी ज़ुबान बाहर की तरफ निकाल लेती है और देवा अपनी आँखें बंद कर के अपनी रत्ना के मुँह को उसकी चूत का
सुराख़ समझ कर अपने लंड को आगे पीछे करने लगता है।
गुं गुं की आवाज़ के साथ रत्ना के मुँह से राल बाहर गिरने लगती है। देवा के लंड की घिसाई से रत्ना के मुँह से ढेर सारा थूक
ज़मीन पर गिरने लगता है और रत्ना उस थूक को उठा कर अपनी छाती पर मलने लगती है।
देवा; ये देख एक हाथ से रत्ना का ब्लाउज और ब्रा दोनों निकाल देता है और लंड को मुँह से निकाल कर रत्ना की छाती पर
उसकी नरम मख़मली चुचियों पर मारने लगता है।
देवा; छिनाल मुझे करने नहीं देती न । देख अब तुझे इसी लंड से मारूँ गा मैं.....
रत्ना;अपने दोनों बड़ी बड़ी चुचियों को अपने हाथों में पकड़ लेती है और देवा अपने लंड को डण्डे की तरह पकड़ के रत्ना की
चुचियों पर मारने लगता है हालाँकि उस पिटाई से न रत्ना को दर्द हो रहा था न देवा उसे सजा समझ कर रत्ना को मार रहा था
मगर उसी हल्कि सी पिटाई से रत्ना की चूत में इतना ज़्यादा खीचाव आ गया था जैसे बच्चा जनते वक़्त औरत की चूत के
लिप्स खुलते और बंद होते है।
रत्ना;आहह मेरा देवा अपनी माँ से इतना प्यार करता है
ओह्ह्ह्हह मुझे सच में करने के लिए इतना बेचैन है रे तू अह्ह्हह्ह्ह्ह।
देवा;हाँ माँ मेरा लंड तेरी चूत में जाकर ही शांत रहेगा वरना वो भटकता रहेगा हर जगह आह्ह्ह्ह।
उसे सहारा दे दे रत्ना मेरे लंड को ठिकाना दे दे आह्ह्ह्ह्ह्ह।
रत्ना;अपने दोनों चुचियों को आपस में मिला देती है।
आ जा मेरे बच्चे अपनी माँ की चूचि में डाल कर अपने लंड को ठण्डा कर ले आ जा।
देवा;अपने लंड को जैसे जैसे रत्ना की चुचियों के बीच में घुसाता चला जाता है वैसे वैसे उसकी चूत की नरमी का अहसास
सताने लगता है।
वो सोचने लगता है जब रत्ना के दोनों चूचियाँ इतनी नरम और चिकनी है तो चूत कितनी प्यारी होगी। वो अपने लंड को
चुचियों के बीच में उसको आगे पीछे करता चला जाता है।
देवा;माँ करने दे मुझे आह्ह्ह।
रत्ना;नहीं देवा तूने मुझस वादा किया है ना आह्ह्ह्ह
देवा;मुझे कोई वादा याद नहीं है बस मुझे करने दे ना।
रत्ना;नही मतलब नहीं।
देवा;मेरा दिमाग ख़राब मत कर मै कह देता हूँ माँ.....
रत्ना;अगर तू मेरा बेटा है तो मै भी तेरी माँ हूँ याद रख नहीं बोली तो नही।
देवा;अपने लंड को रत्ना की चुचियों से निकाल लेता है और पास में पड़ी हुए टॉवल को अपनी कमर पर लपेट लेता है।
देवा:साली अगर तू चूत नहीं देगी तो तेरी बेटी सही।
देवा अपनी माँ रत्ना को दिखा दिखा के और जोर जोर से ममता को चोदने लगता है जैसे गुस्से में बोल रहा है साली तुझे भी
एक दिन इसी तरह कु तिया बना के तेरी गांड नहीं फाड़ी तो मेरा नाम देवा नहीं।हर एक दिन का बदला लूंगा तुझसे साली रंडी।
रत्ना;अपनी चूत पर हाथ रख कर रूम में भाग जाती है और रुम अंदर से बंद कर देती है।
देवा;प्रिया की तरफ देख मुस्कु रा देता है।
और घर के बाहर चल जाता है।
देवा;कु छ और बोलता उस से पहले पीछे से शालु की आवाज़ देवा को सुनाई देती है।
शालु;देवा अरे ऊऊऊऊ देवा वहां अके ला क्या कर रहा है।
देवा;अके ला कहाँ हूँ। ये भी तो है।
वो शालु को कहकर उन तीनो की तरफ मुडता है मगर वो तीनो वहां से जा चुके होते है।
शालु;पागल हो गया है।
कोई भी तो नहीं कब से मै वहां से तुझे देख रही हूँ अपने आप से बड बड़ा रहा है चल घर चल। खाना खाया क्या तुने।
देवा;अरे अभी अभी वो तीनो यहीं खड़े थे न। तुमने देखा नहीं क्या उन्हें।
शालु;देख मुझे डरा मत चल वैसे भी नीलम तुझे याद कर रही थी।
देवा;हैरत से इधर उधर देखने लगता है मगर उसे कोई भी नज़र नहीं आता आखिरकार वो ख़ामोशी से दिमाग में कई सारे
सवाल लिए शालु के साथ चला जाता है।
अपडेट 97
देवा; शालू के साथ उसके घर तो पहुँच जाता है मगर उसका दिमाग अब भी वही अटका हुआ था।
ऐसा नहीं था की देवा ड़रपोक किस्म का इंसान था।
अपनी ज़िन्दगी में उसने कई उतार चढाव देखे थे।
अपने बाप को बचपन में ही खो चूका था वो।
खेत खलिहानो में उसका सामना कई जानलेवा जानवरों से हो चूका था। उन्हें देख कर भी देवा के दिल में एक पल के लिए
कभी हिचकिचाहट नहीं आई थी।
मगर आज न जाने क्यों उसका दिल बहुत बेचैन था।
नीलाम;हाँ न कडवे कडवे दवायें खिला रहे हो न तुम सब मुझे। देख लुंगी एक एक को.....
देवा;बड़े प्यार से अपने नीलम के गाल पर हाथ फे रते हुए उसकी आँखों में देखने लगता है।
देवा;कु छ नहीं तू बस जल्दी से ठीक हो जा उसके बाद दोनों मिल कर खूब बातें करेंगे।
नीलम; मैं तो बिलकु ल ठीक हूँ बस माँ बिस्तर से उठने नहीं दे रही।
शालु;भी हाथ में दूध का गिलास लेकर वहां पहुँच जाती है।
बडी आई बिस्तर से उठने वाली।
ख़ुद को देख चालीस किलो की भी नहीं रही तु।
कु छ दिन आराम करेंगी तो कु छ बिगड नहीं जायेंगा तेरा। देवा तू ही इसे समझा उठ उठ कर काम करने लग जाती है।
देवा;ये तो गलत बात है नीलम। तू जानती है ना मै तुझसे कितना प्यार करता हूँ।।
ये के हकर देवा रुक गया
क्यूंकि उसकी बात सुनकर नीलम का चेहरा भी लाल हो गया था और एक दबी दबी सी हंसी शालु के मुँह से निकल गई थी।