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Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Printable Versi - 1714537743458
Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम - Printable Versi - 1714537743458
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देवा; माँ....
वो आगे कु छ नहीं कह पाता।
रत्ना;इसे उतार।
रत्ना;अपने हाथ में देवा के लंड को मज़बूती से पकड़ लेती है और अगले ही पल उसे अपने मुँह में खीच लेती है गलप्प गलप्प
गलप्प।
रत्ना;अपनी ज़ुबान को लंड के पूरे हिस्से पर घुम्मा घुम्मा कर उसे चाटने लगती है वो अपनी ऑंखें बंद कर लेती है और इसका
फायदा उठाकर देवा उसकी ब्लाउज के दोनों बटन खोल देता है।
लंड चूस रही रत्ना को कोई भी परवाह नहीं थी की वो ऊपर से नंगी हो चुकी है बस वो तो अपने देवा के होने वाले लंड के दर्द
को कम करने में लगी हुई थी।
देवा;झुक कर रत्ना के ब्रैस्ट को मसलने लगता है और रत्ना भी उसे दबाने देती है वो चटखारे मारते हुए किसी कु ल्फ़ी की तरह
देवा के लंड को चुसती जाती है गलप्प गलप्प।
हम्म उह्ह्ह गलप्प।
न देवा से बर्दाश्त हो रहा था और न रत्ना से मगर दोनों अपने अपने वादे के आगे मजबूर थे।
रत्ना को महसूस होता है की देवा का पानी छु टने वाला है वो थोड़ा पानी अपने मुँह में गिरने देती है और बाकी का अपने ब्रैस्ट
पर।
जब देवा का लंड अपनी बौछार कर चूका होता है तो रत्ना देवा की ऑखों में ऑखें डाल कर दोनों ब्रैस्ट पर गिरी पानी को वही
उन पर मल देती है।
हिम्मत;इस फै सले से अंदर ही अंदर टूट भी जाता है और देवा के लिए उसके दिल में नफरत सारी हदें पार कर जाती है।
अपडेट 84
हिम्मत की ऑखें जहाँ आग उगल रही थी वही देवा का लहु भी अपने बापू के कातिल से बदला लेने के लिए बेताब था।
हिम्मत; ये बात अपनी पत्नी और बेटी रानी को नहीं बताना चाहता था।
वो रुक्मणी से ये बहाना करके अपनी कार में बैठ कर गांव से चला जाता है की उसके दोस्त की बेटी की शादी है और उसे
वहां जाना है।
मगर रुक्मणी और रानी को पता था की असली बात क्या है। वो दोनों बेहद खुश भी थी और थोडी थोडी डरी हुए भी की पता
नहीं वापस आकर हिम्मत क्या करेगा।
हिम्मत के चले जाने के बाद देवा हवेली चला जाता है।
देवा;रुक्मणि और रानी के रूम में आकर उन दोनों को पंचायत में हुई सारी बात बताता है और साथ में हिम्मत के दी हुई
धमकी भी।
रानी के जाने के बाद रुक्मणी देवा के क़रीब आकर बैठ जाती है।
अपने इतने क़रीब रुक्मणी को पाकर देवा भी मचल उठता है।
देवा: अच्छी तरह जानता था की रुक्मणी उस गरम लोहे की तरह हो चुकी है जिसे बस एक ज़ोरदार हथोड़े की ज़रुरत है और
रुक्मणी उसी रूप में ढ़ल जाएगी।
देवा के हथोड़े से बढ़िया और मज़बूत औज़ार पूरे गांव में नहीं था।
देवा;क्या मतलब।
देवा;अपना एक हाथ रुक्मणी की गर्दन के पीछे डालकर उसे अपनी तरफ खीच लेता है और अपने होठो से रुक्मणी के
सुलगते हुए होठो को ठण्डक देने लगता है
रुक्मणी;अपने मेहबूब की बाहों के लिए तो तड़प रही थी।
वो भी देवा के मुँह में मुँह डालकर अपनी ज़ुबन का मीठा मीठा रस देवा को पिलाने लगती है।
गलप्प गलप्प
दोनो की साँसें फु लने लगती है ये दोनों कई महिनो से एक दूसरे की रजामंदी से एक दूसरे की प्यास बुझाना चाहते थे।
रुक्मणी;मत जाओ।
देवा;रात में मुझे खेत में सोने जाना है वहां नहीं जाकर यहाँ चला आऊँ गा वैसे भी हिम्मत तो है नही।
देवा;अपने लंड को पेंट में एडजस्ट करते हुए दिल में सोचने लगता है।
अगर कोई बेकार बात करेगा न ये गांडु तो सच में इसकी औरत के सामने इसकी गाण्ड मार दूंगा मै आज।।
देवा;क्या हुआ
अब्बे गांडु सीधा सीधा बोलता क्यों नहीं बात क्या है।
अपने लंड को हाथ में पकड़ के देवा किस तरह यहां आया था वही जानता था। ऊपर से पप्पू था बात घुमा रहा था।
देवा;के मुँह से निकला शब्द गांडु नूतन के पांव दरवाज़े पर ही रोक देते है।
पप्पू;कौन भाई।
देवा;बड़ी मालकिन।
पप्पू;तुम्हारा अच्छा है जहाँ देखो शुरु हो जाते हो और एक मै हूँ मेरी किसी को चिंता नहीं है।
तुम्हारी बहन इतनी बड़ी चुदकड़ निकलेंगी मुझे पता नहीं था।
माँ भी नाराज़ है मुझसे उसे लगता है मै दिन रात नूतन की ले रहा हूँ और इधर नूतन को लग रहा होगा मै किसी काम का नही।
देवा को सच में उस पर तरस आ जाता है और वो पप्पू को किसी छोटे से बच्चे की तरह अपने पास बैठा देता है और धीरे से
उसके गले को सहलाने लगता है।
पप्पू;बताओ न भाई।
देवा;देख जैसे हम दोनों ने मिलकर तेरी बहन रश्मि की आग बुझाई थी वैसे तेरे बीवी नूतन की भी बुझानी पडेगी।
अभी वो नई नई है इसलिए ज़्यादा तड़प रही है एक बार हम दोनों से कु चल जाएगी तो कु छ दिन बाद खुद ब खुद ठण्डी हो
जाएगी बोल क्या बोलता है।
और बाहर खड़ी नूतन का दिल इस बात से और ज़ोर से धड़कने लगता है की वो अपने देवा का लंड अपने पति के सामने
लेगी।
देवा;क्या।
पप्पू;रोज़ रोज़ न सही हाँ मगर हफ्ते में तीन चार बार तुम्हें मेरे साथ भी....
पप्पू;यही तो चाहता था वो देवा के लंड पर टूट पडता है और उसे झट से अपने मुँह में लेकर चूसने लगता है गलप्प गलप्प
गलप्पप्प।
ये देख नूतन की आँखे फटी की फटी रह जाती है उसे कु छ कु छ पप्पू की हरक़तों पर शक तो था मगर आज उसे सबूत भी
मिल गया था । सब कु छ सुनकर और देख कर।
पप्पू;जहाँ एक तरफ देवा के लंड को मुँह से निकालने के लिए तैयार नहीं था वही देवा जल्द से जल्द अपनी रुक्मणी के पास
जाना चाहता था।
देवा;अपनी पेंट को उतार देता है और पप्पू को बिस्तर पर खीच लेता है एक हाथ से वो पप्पू की पेंट को निकाल लेता है।
पप्पू;अहह भाई धीरे से ना।
देवा;बड़ी आग लगी है ना तेरी गाण्ड में मेरे दोस्त। आ जा बहुत दिन हुए इसे नहीं लिया मैने।
वो पप्पू को लिटा देता है और अपने लंड को सीधा पप्पू की गाण्ड पर घीसने लगता है।
देवा;दिल ही दिल में सोचने लगता है जब तेरी माँ बहन मुझे मिल रही है तो मै तेरी गाण्ड क्यो माँरुन्गा।
पप्पू;अपनी गाण्ड के मज़े लेने लगता है और देवा उसे इसलिए ठोकने लगता है की उसकी गाण्ड के भरोसे उसे नूतन की चूत
चोदने का लाइसेंस मिलने वाला था वो भी हमेशा की लिये।
उधर रत्ना अपने घर में अभी अभी नहा कर बाहर निकली थी।
देवा का नशा रत्न के बदन पर चढने लगा था।
अब वो खुद का ज़्यादा ख्याल रखने लगी थी
खुद को आईने में देखते हुए वो अपनी ब्रा पहनने लगती है।
पप्पू की गाण्ड को 15 मिनट तक ठोकने के बाद जब देवा घर पहुँचता है तो उसे रतना घर दरवाज़े के पास उसका इंतज़ार
करते मिलती है।
वो अपनी माँ को नीचे से ऊपर तक देखता है और दिल में सोचता है काश उसे उसके बापू के बारे में पता चल जाता तो ये
अप्सरा आज उसके लंड के नीचे होती।
देवा;को इस तरह घूरता देख रत्ना अपनी गाण्ड मटकाते हुए घर के अंदर चलि जाती है।
देवा;क्या माँ...
रत्ना;खाना बेटा..
मै लगा देती हूँ तू खा ले।
देवा;की ऑंखों में सुबह से रह रह कर रुक्मणी की चूत घूम रही थी और ऊपर से घर पहुँच कर उसे रतना इस तरह दिखाई
देती है।
एक मरद भला खुद को कै से सँभाले।
देवा;अपनी रत्ना के क़रीब आकर उसे अपनी बाहों में भर लेता है।
रत्ना; अच्छा ऐसा क्या अच्छा लग रहा है मेरे देवा को मुझ में।
रत्ना; और....
देवा;अपने हाथ को ऊपर बढाते जाता है और रत्ना अपनी आँखें बंद कर लेती है उसकी साँसें देवा को बता रही थी की रत्ना
किस हद तक गरम हो चुकी है।