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गु व कायालय ारा तुत मािसक ई-प का अग त- 2011

ी नवकार मं नव ह शांित तो

विभ न चम कार जैनमं पयू षण का मह व

घंटाकण महावीर गौतम केवली महा व ा


सव िस महायं ( ावली)

जब महावीर ने एक राखी पू णमा का


योितषी को कहां मह व
तु हार व ा स ची है ?

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E CIRCULAR
गु व योितष प का अग त 2011
संपादक िचंतन जोशी
गु व योितष वभाग

संपक गु व कायालय
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
फोन 91+9338213418, 91+9238328785,
gurutva.karyalay@gmail.com,
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प का तुित िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी


फोटो ाफ स िचंतन जोशी, व तक आट
हमारे मु य सहयोगी व तक.ऎन.जोशी ( व तक सो टे क इ डया िल)

ई- ज म प का E HOROSCOPE
अ याधुिनक योितष प ित ारा Create By Advanced Astrology
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१००+ पेज म तुत 100+ Pages

हं द / English म मू य मा 750/-
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA,
BHUBNESWAR-751018, (ORISSA) INDIA
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अनु म
राखी पू णमा वशेष
राखी पू णमा का मह व 6 राखी पू णमा से जु ड पौरा णक कथाएं 8

ज मा मी वशेष
कृ ण के मुख म ांड दशन 10 ा रिचत कृ ण तो 16
कृ ण मरण का मह व 11 ीकृ णा कम ् 17
ी कृ ण का नामकरण सं कार 12 कृ ण के विभ न मं 19
ीकृ ण चालीसा 13 कृ ण मं 20
व प ीकृ त ीकृ ण तो 14 ीकृ ण बीसा यं 21
ाणे र ीकृ ण मं 15

पयु षण वशेष
ी नवकार मं (नम कार महामं ) 22 महावीरा क- तो म ् 33
विभ न चम कार जैन मं 24 महावीर चालीसा 34
जैन धम के चौबीस तीथकार के जीवन का
28 पयू षण का मह व 36
सं ववरण
जब महावीर ने एक योितषी को कहां तु हार व ा
दे वदशन तो म ् 31 38
स ची है ?
ी मंगला क तो (जैन) 32 घंटाकण महावीर सव िस महायं 41
अथ नव ह शांित तो (जैन) 32 गौतम केवली महा व ा ( ावली) 45

थायी लेख
संपादक य 4 अग त-2011 मािसक त-पव- यौहार 57
ज म वार से य व 40 अग त 2011 - वशेष योग 63
वा तु िस ांत 42 दन के चौघ डये 64
ह तरे खा ान 44 दन क होरा - सूय दय से सूया त तक 65
मािसक रािश फल 50 ह चलन अग त -2011 66
अग त 2011 मािसक पंचांग 55

हमारे उ पाद
जैन धमके विश यं ो क सूची 29 YANTRA LIST 70
सव काय िस कवच 30 GEM STONE 72
रािश र 54 सूचना 74
सव रोगनाशक यं /कवच 67 हमारा उ े य 76
मं िस कवच 69 मं िस साम ीयां पु संखया: 35,37,39.48.49,60,61
संपादक य
य आ मय

बंधु/ ब हन

जय गु दे व
र ाबंधन- राखी पू णमा भाई-बहन के बच िन वाथ ेम का बंधन। भारतीय पंचांग के अनुशार ावण मास के शु ल
प क पू णमा के दन राखी पू णमा का योहार मनाया जाता ह इस दन बहन अपने भाई या धमभाई के हाथ पर
राखी बाँधती ह। भारतीय सं कृ ित म आज के भौितकतावाद समाज म भोग और वाथ म िल व म भी ायः
सभी संबंध म िनः वाथ और प व होता ह।
भारतीय सं कृ ित सम मानव जीवन को समुचे मानव समाज को महानता के दशन कराने वाली सं कृ ित ह।
भारतीय सं कृ ित म ी को केवल मा उपभोग का साधन न समझकर उसका पूजन करने वाली महान सं कृ ित ह।
क तु आजका पढा िलखा आधुिनक य अपने आपको सुधरा हु वा मानने वाले तथा पा ा य सं कृ ित का
अंधा अनुकरण करके, ी को समानता दलाने वाली खोखली भाषा बोलने वाल को पेहल भारत क पारं प रक सं कृ ित
को पूण समझ लेना चा ह क पा ा य सं कृ ित से तो केवल समानता दलाई हो परं तु भारतीय सं कृ ित ने तो ी का
दे वी प म पूजन कया ह।
पुराणो म उ लेख ह।
'य नाय तु पू य ते रम ते त दे वताः।
भावाथ: जहाँ ी पूजी जाती है , उसका स मान होता है , वहाँ दे व रमते ह- वहाँ दे व का िनवास होता है ।' ऐसा भगवान
मनु का वचन है ।

राखी बांधने क परं परा कई युग से चली आरह ह इस का प उ लेख वेद म है क दे व और असुर सं ाम म
दे व क वजय ाि क कामना के िनिम दे व इं ाणी ने ह मत हारे हु ए इं के हाथ म ह मत बंधाने हे तु राखी बाँधी थी
उसी काल से दे वताओं क वजय से र ाबंधन का योहार शु हु आ। अिभम यु क र ा के िनिम कुंतामाता ने अिभम यु को
राखी बाँधी थी।
र ाबंधन पव पुरो हत ारा कया जाने वाला आशीवाद कम भी माना जाता है । ये ा ण ारा यजमान के

दा हने हाथ म र ासू के प म बाँधा जाता है ।

॥कृ णम ् व दे जग गु ॥
ज मा मी भगवान ीकृ ण के ज म का पव ह।

भगवान ीकृ ण क म हमा अनंत व अपार ह। ीकृ ण क नाम क म हमा ला वणन करते हु वे ी शु दे वजी कहते
ह।
सकृ मनः कृ णापदार व दयोिनवेिशतं त ु णरािग यै रह।
न ते यमं पाशभृ त त टान ् व नेऽ प प य त ह चीणिन कृ ताः॥
भावाथ: जो मनु य केवल एक बार ीकृ ण के गुण म ेम करने वाले अपने िच को ीकृ ण के चरण कमल म
लगा दे ते ह, वे पाप से छूट जाते ह, फर उ ह पाश हाथ म िलए हु ए यमदू त के दशन व न म भी नह ं हो सकते।
ीकृ ण क कैसी अनोखी म हमा ह ।
भगवान ीकृ ण के भ ो के व य म उ लेख िमलता ह। क ..
श यासनाटनाला ीडा नाना दकमसु।
न वदु ः स तमा मानं वृ णयः कृ णचेतसः॥
भावाथ: ीकृ ण को अपना सव व समझने वाले भ ीकृ ण म इतने त मय रहते थे क सोते, बैठते, घूमते, फरते,
बातचीत करते, खेलते, नान करते और भोजन आ द करते समय उ ह अपनी सुिध ह नह ं रहती थी।
य ह कारण ह क ीकृ ण क भ म ेमरस से डू बे भ ो को अपने जीवन म सभी बाधाओं एवं क से मु
िमलती ह एवं अनंत सुख क ाि होती ह।

जैनम जयित शाशनम


जैन धम म पयु षण पव का वशेष मह व है । जैन सं दाय म पयु षण पव को सव े पव माना जाता है ।

जैन श द का अथजैन श द " जन" से बना है । जसका अथ है एसा पु ष जसने सम त भोग वृ य पर


अंकूश कर िलया ह। अथात ् जसने अपने मन और सांसा रक इ छाओं पर िनयं ण कर िलया हो।
जैन धम के 24 तीथकर इ ह ं वशेष गुण से प रपूण थे, अत: इन 24 के तीथकर के पदिच ो पर चलने वाले
धम के अनुयायी को जैन धिम कहा जाता ह।
जैन अनुयाियय का कहना ह क जैन धम का उ म एवं इितहास अना दकाल और सनातन है । सामा यत: एसा
भी मानाजाता है क जैन धम का मूल उन ाचीन पंरपराओं म रहा होगा, जो आय के आगमन से पूव इस दे श म
चिलत थीं। मूलत:जैन धम का उ म भारत म हु वा ह। भारत के साथ ह समय के साथ-साथ फेलता हु वा ायः आज
व के हर दे श म जैन धम के मं दर एवं अनुयायी पाये जाते ह।
जैन मुिनय के मत से उका मु य मं ह नवकार महामं जैन जसम अनेक कार क िस समा हत ह एवं
इस मं का योग य अपने विभ न काय उ े श क पूित हे तु एवं व के सम त जीवो के आ म क याण हे तु
कर सकता ह। यो क नवकार महामं अ यंत भावशाली मं ह। य द पूण िन ा व ा से नवकार मं का जप
कयी जाये तो यहं मं साधक को त काल फल दान करने म पूण समथ ह। य हं कारण ह क जैन धम के अनुयायी
नवकार मं का जप करता ह।
जैन मुिनय के मत अनुशार नवकार महामं अथवा नम कार महामं के मा यम से परमे ी भगव त क
आराधना क जाती है उन भगव त म तप, याग, संयम, वैरा य इ या द सा वक गुण होते ह। जैन धम के मुख
नवकार मं के मा यम से अ रहं त, िस , आचाय, उपा याय और साधु, इन पाँच भगवंत को परम इ माना ह। इसिलये
इनको नमन करने क विध को नवकार महामं अथवा नम कार महामं कहा जाता है ।
जस कार हं द ू धम के पौरा णक शा एवं धम ंथो म मानव जीवन के क याण व उ नित हे तु विभ न
मं , तो , तुित, यं ो आ द का उ लेख िमलता ह उसी तरह जैन धम म भी वशेष मं ो, तो , तुित, यं इ या द
का उ लेख कया गया ह। जसे अपना कर या जसके योग से साधारण मनु य अपने काय उ े य क पूित कर
सफलता ा कर सकता ह।

सभी जैन बंधु/बहनो को गु व कायालय प रवार क और से…

॥िम छामी दु क म ् ॥
िचंतन जोशी
6 अग त 2011

राखी पू णमा का मह व
 िचंतन जोशी
र ाबंधन- र ाबंधन अथात ् ेम का बंधन। र ाबंधन के हजारो वष पूव हमारे पूव जो न भारतीय सं कृ ित
दन बहन भाई के हाथ पर राखी बाँधती ह। र ाबंधन के म र ाबंधन का उ सव शायद इस िलये शािमल कया
साथ ह भाई को अपने िनः वाथ ेम से बाँधती है । यो क र ाबंधन के तौहार को प रवतन के उ े य
भारतीय सं कृ ित म आज के भौितकतावाद से बनाया गया हो?
समाज म भोग और वाथ म िल व म भी ायः बहन ारा राखी हाथ पर बंधते ह भाई क
सभी संबंध म िनः वाथ और प व होता ह। बदल जाए। राखी बाँधने वाली बहन क ओर वह वकृ त
भारतीय सं कृ ित सम मानव जीवन को महानता न दे ख,े एवं अपनी बहन का र ण भी वह वयं
के दशन कराने वाली सं कृ ित ह। भारतीय सं कृ ित म करे । ज से बहन समाज म िनभय होकर घूम सके।
ी को केवल मा भोगदासी न समझकर उसका पूजन वकृ त एवं मानिसकता वाले लोग उसका मजाक
करने वाली महान सं कृ ित ह। उड़ाकर नीच वृ वाले लोगो को दं ड दे कर सबक िसखा
क तु आजका पढा िलखा आधुिनक य अपने सके ह।
आपको सुधरा हु वा मानने वाले तथा भाई को राखी बाँधने से पहले बहन
पा ा य सं कृ ित का अंधा उसके म त क पर ितलक करती
अनुकरण करके, ी को ह। उस समय बहन भाई के
समानता दलाने वाली म त क क पूजा नह ं
खोखली भाषा बोलने वाल अ पतु भाई के शु वचार
को पेहल भारत क और बु को िनमल करने
पारं प रक सं कृ ित को पूण हे तु कया जाता ह, ितलक
समझ लेना चा ह क लगाने से प रवतन क
पा ा य सं कृ ित से तो केवल अ ुत या समाई हु ई होती
समानता दलाई हो परं तु भारतीय ह।
सं कृ ित ने तो ी का पूजन कया ह। भाई के हाथ पर राखी बाँधकर बहन
एसे ह नह ं कहाजाता ह। उससे केवल अपना र ण ह नह ं चाहती, अपने साथ-साथ

'य नाय तु पू य ते रम ते त दे वताः। सम त ी जाित के र ण क कामना रखती ह, इस के साथ

भावाथ: जहाँ ी पूजी जाती है , उसका स मान होता है , हं अपना भाई बा श ुओं और अंत वकार पर वजय ा

वहाँ दे व रमते ह- वहाँ दे व का िनवास होता है ।' ऐसा करे और सभी संकटो से उससे सुर त रहे, यह भावना भी

भगवान मनु का वचन है । उसम िछपी होती ह।


भारतीय सं कृ ित ी क ओर भोग क से न वेद म उ लेख है क दे व और असुर सं ाम म दे व
दे खकर प व से, माँ क भावना से दे खने का आदे श क वजय ाि क कामना के िनिम दे व इं ाणी ने ह मत
दे ने वाली सव े भारतीय सं कृ ित ह ह। हारे हु ए इं के हाथ म ह मत बंधाने हे तु राखी बाँधी थी। एवं
7 अग त 2011

दे वताओं क वजय से र ाबंधन का योहार शु हु आ। र ाबंधन का एक मं भी है, जो पं डत र ा-सू


अिभम यु क र ा के िनिम कुंतामाता ने उसे राखी बाँधी बाँधते समय पढ़ते ह :
थी। येन ब ो बली राजा दानवे ो महाबलः।
इसी संबंध म एक और कंवदं ती िस है क
तेन वां ितब नािम र े माचल माचलः॥
दे वताओं और असुर के यु म दे वताओं क वजय को लेकर
भ व यो र पुराण म राजा बिल ( ीरामच रत मानस के बािल
कुछ संदेह होने लगा। तब दे वराज इं ने इस यु म मुखता
नह )ं जस र ाबंधन म बाँधे गए थे, उसक कथा अ सर
से भाग िलया था। दे वराज इं क प ी इं ाणी ावण पू णमा
उ ृ त क जाती है । बिल के संबंध म व णु के पाँचव अवतार
के दन गु बृ ह पित के पास गई थी तब उ ह ने वजय के (पहला अवतार मानव म राम थे) वामन क कथा है क बिल
िलए र ाबंधन बाँधने का सुझाव दया था। जब दे वराज इं से संक प लेकर उ ह ने तीन कदम म तीन लोक म
रा स से यु करने चले तब उनक प ी इं ाणी ने इं के सबकुछ नाप िलया था। व तुतः दो ह कदम म वामन पी

हाथ म र ाबंधन बाँधा था, जससे इं वजयी हु ए थे। व णु ने सबकुछ नाप िलया था और फर तीसरे कदम,जो
बिल के िसर पर रखा था, उससे उसे पाताल लोक पहु ँचा दया
अनेक पुराण म ावणी पू णमा को पुरो हत ारा
था। लगता है र ाबंधन क परं परा तब से कसी न कसी प
कया जाने वाला आशीवाद कम भी माना जाता है । ये ा ण
म व मान थी।
ारा यजमान के दा हने हाथ म बाँधा जाता है ।

पुराण म ऐसी भी मा यता है क मह ष दु वासा ने संपूण ाण ित त 22 गेज शु


ह के कोप से बचने हे तु र ाबंधन क यव था द थी।
ट ल म िनिमत अखं डत
महाभारत युग म भगवान ीकृ ण ने भी ऋ षय को पू य

मानकर उनसे र ा-सू बँधवाने को आव यक माना था ता क

ऋ षय के तप बल से भ क र ा क जा सके।
शिन तैितसा यं
ऐितहािसक कारण से म ययुगीन भारत म र ाबंधन शिन ह से संबंिधत पीडा के िनवारण हे तु

का पव मनाया जाता था। शायद हमलावर क वजह से


वशेष लाभकार यं ।
मू य: 550 से 8200
म हलाओं के शील क र ा हे तु इस पव क मह ा म इजाफा

हु आ हो। तभी म हलाएँ सगे भाइय या मुँहबोले भाइय को GURUTVA KARYALAY


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र ासू बाँधने लगीं। यह एक धम-बंधन था।
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आशीवाद कम भी माना जाता है । ये ा ण ारा gurutva_karyalay@yahoo.in,
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8 अग त 2011

राखी पू णमा से जु ड पौरा णक कथाएं


 व तक.ऎन.जोशी

वामनावतार कथा कर दया कंतु बिल अपने वचन से न फरे और तीन पग


भूिम दान कर द ।
अब वामन प म भगवान व णु ने एक पग म वग
और दू सरे पग म पृ वी को नाप िलया। तीसरा पैर कहाँ रख?
बिल के सामने संकट उ प न हो गया। य द वह अपना वचन
नह ं िनभाता तो अधम होता। आ खरकार उसने अपना िसर
भगवान के आगे कर दया और कहा तीसरा पग आप मेरे
िसर पर रख द जए। वामन भगवान ने वैसा ह कया। पैर
रखते ह वह रसातल लोक म पहु ँ च गया।
जब बाली रसातल म चला गया तब बिल ने अपनी
भ के बल से भगवान को रात- दन अपने सामने रहने का
वचन ले िलया और भगवान व णु को उनका ारपाल बनना
पड़ा। भगवान के रसातल िनवास से परे शान क य द वामी
रसातल म ारपाल बन कर िनवास करगे तो बैकुंठ लोक का
या होगा? इस सम या के समाधान के िलए ल मी जी को
नारद जी ने एक उपाय सुझाया। ल मी जी ने राजा बिल के
पास जाकर उसे र ाब धन बांधकर अपना भाई बनाया और
उपहार व प अपने पित भगवान व णु को अपने साथ ले
आयीं। उस दन ावण मास क पू णमा ितिथ थी यथा र ा-
पोरा णक कथा के अनुशार एकबार सौ य पूण कर
लेने पर दानवो के राजा बिल के मन म वग ाि क बंधन मनाया जाने लगा।

इ छा बल हो गई तो इ का िसंहासन डोलने लगा। इ


आ द दे वताओं ने भगवान व णु से र ा क ाथना क ।
मंगल यं से ऋण मु
भगवान ने वामन अवतार लेकर ा ण का वेष धारण कर मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को
िलया और राजा बिल से िभ ा मांगने पहु ँ च गए। भगवान हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र

व णुने बिल से तीन पग भूिम िभ ा म मांग ली। य को ऋण मु हे तु मंगल साधना से अित शी


लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक
बिल के गु शु दे वजी ने ा ण प धारण कए हु ए
के क याण के िलए मंगल यं क पूजा करने से
ी व णु को पहचान िलया और बिल को इस बारे म सावधान
वशेष लाभ ा होता ह।
ाण ित त मंगल यं के पूजन से
9 अग त 2011

भ व य पुराण क कथा
भ व य पुराण क एक कथा के अनुसार एक बार
दे वता और दानव म बारह वष तक यु हु आ पर तु दे वता
वजयी नह ं हु ए। इं हार के भय से दु:खी होकर दे वगु
बृ ह पित के पास वमश हे तु गए। गु बृ ह पित के सुझाव पर
इं क प ी महारानी शची ने ावण शु ल पू णमा के दन
विध- वधान से त करके र ासू तैयार कए
और वा तवाचन के साथ ा ण क उप थित म इं ाणी ने
वह सू इं क दा हनी कलाई म बांधा जसके फल व प
इ स हत सम त दे वताओं क दानव पर वजय हु ई।
र ा वधान के समय िन न जस मं का उ चारण कया
गया था उस मं का आज भी विधवत पालन कया जाता है :
"येन ब ोबली राजा दानवे ो महाबल: ।
तेन वामिभब नािम र े मा चल मा चल ।।"
इस मं का भावाथ है क दानव के महाबली राजा
बिल जससे बांधे गए थे, उसी से तु ह बांधता हू ।ँ हे र े!
(र ासू ) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो। महाभारत म ह र ाबंधन से संबंिधत कृ ण और ौपद का
यह र ा वधान वण मास क पू णमा को ातः एक और वृ ांत िमलता है । जब कृ ण ने सुदशन च से
काल संप न कया गया यथा र ा-बंधन अ त व म
िशशुपाल का वध कया तब उनक तजनी म चोट आ गई।
आया और वण मास क पू णमा को मनाया जाने लगा।
ौपद ने उस समय अपनी साड़ फाड़कर उनक उँ गली पर
महाभारत संबंधी कथा प ट बाँध द । यह ावण मास क पू णमा का दन था।
महाभारत काल म ौपद ारा ी कृ ण को तथा ीकृ ण ने बाद म ौपद के चीर-हरण के समय
कु ती ारा अिभम यु को राखी बांधने के वृ ांत िमलते ह। उनक लाज बचाकर भाई का धम िनभाया था।।

सर वती कवच एवं यं


उ म िश ा एवं व ा ाि के िलये वंसत पंचमी पर दु ल भ तेज वी मं श ारा पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य
यु सर वती कवच और सर वती यं के योग से सरलता एवं सहजता से मां सर वती क कृ पा ा कर।
मू य:280 से 1450 तक
GURUTVA KARYALAY
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10 अग त 2011

कृ ण के मुख म ांड दशन


 िचंतन जोशी
य द आपको लगता ह मने िम ट खाई ह, तो वयं मेरा
मुख दे ख ले। माँ ने कहा य द ऐसा है तो तू अपना मुख
खोल। लीला करने के िलए बाल कृ ण ने अपना मुख माँ
के सम खोल दया। यशोदा ने जब मुख के अंदर दे खते
ह उसम संपूण व दखाई पड़ने लगा। अंत र , दशाएँ,
प, पवत, समु , पृ वी,वायु, व ुत, तारा स हत वगलोक,
जल, अ न, वायु, आकाश इ या द विच संपूण व
एक ह काल म दख पड़ा। इतना ह नह ,ं यशोदा ने
उनके मुख म ज के साथ वयं अपने आपको भी दे खा।
इन बात से यशोदा को तरह-तरह के तक- वतक
एक बार बलराम स हत वाल बाल खेल रह थे होने लगे। या म व न दे ख रह हू ँ ! या दे वताओं क
खेलते-खेलते यशोदा के पास पहु ँ चे और यशोदाजी से कहा कोई माया ह या मेर बु ह यामोह ह या इस मेरे
माँ! कृ ण ने आज िम ट खाई ह। यशोदा ने कृ ण के कृ ण का ह कोई वाभा वक भावपूण चम कार ह।
हाथ को पकड़ िलया और धमकाने लगी क तुमने अ त म उ ह ने यह ढ़ िन य कया क अव य ह
िम ट य खाई! यशोदा को यह भय था क कह ं िम ट इसी का चम कार है और िन य ह ई र इसके प म
खाने से कृ ण कोई रोग न लग जाए। माँ क डांट से अवत रत हु एं ह। तब उ ह ने कृ ण क तुित क उस
कृ ण तो इतने भयभीत हो गए थे क वे माँ क ओर श व प पर को म नम कार करती हू ँ । कृ ण ने
आँख भी नह ं उठा पा रहे थे। तब यशोदा ने कहा तूने जब दे खा क माता यशोदा ने मेरा त व पूण तः समझ
एका त म िम ट य खाई! िम ट खाते हु ए तुजे िलया ह तब उ ह ने तुरंत पु नेहमयी अपनी श प
बलराम स हत और भी वाल ने दे खा ह। कृ ण ने कहा- माया बखेर द जससे यशोदा ण म ह सबकुछ भूल
िम ट मने नह ं खाई ह। ये सभी लोग झुठ बोल रहे ह। गई। उ ह ने कृ ण को उठाकर अपनी गोद म उठा िलया।

भा य ल मी द बी
सुख-शा त-समृ क ाि के िलये भा य ल मी द बी :- ज से धन ि , ववाह योग, यापार
वृ , वशीकरण, कोट कचेर के काय, भूत ेत बाधा, मारण, स मोहन, ता क बाधा, श ु भय,
चोर भय जेसी अनेक परे शािनयो से र ा होित है और घर मे सुख समृ क ाि होित है , भा य
ल मी द बी मे लघु ी फ़ल, ह तजोड (हाथा जोड ), िसयार िस गी, ब ल नाल, शंख, काली-
सफ़ेद-लाल गुंजा, इ जाल, माय जाल, पाताल तुमड जेसी अनेक दु ल भ साम ी होती है ।
मू य:- Rs. 910 से Rs. 8200 तक उ ल
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11 अग त 2011

कृ ण मरण का मह व
 िचंतन जोशी
ी शुकदे वजी राजा पर त ् से कहते ह- श यासनाटनाला ीडा नाना दकमसु।
सकृ मनः कृ णापदार व दयोिनवेिशतं त ु णरािग यै रह। न वदु ः स तमा मानं वृ णयःकृ णचेतसः॥
न ते यमं पाशभृ त त टान ् व नेऽ प प य त ह भावाथ: ीकृ ण को अपना सव व समझने वाले भ

चीणिन कृ ताः॥ ीकृ ण म इतने त मय रहते थे क सोते, बैठते, घूमते,

भावाथ: जो मनु य केवल एक बार ीकृ ण के गुण म फरते, बातचीत करते, खेलते, नान करते और भोजन

ेम करने वाले अपने िच को ीकृ ण के चरण कमल आ द करते समय उ ह अपनी सुिध ह नह ं रहती थी।

म लगा दे ते ह, वे पाप से छूट जाते ह, फर उ ह पाश


वैरेण यं नृ पतयः िशशुपालपौ -
हाथ म िलए हु ए यमदू त के दशन व नम भी नह ं हो
शा वादयो गित वलास वलोकना ैः।
सकते।
याय त आकृ तिधयः शयनासनादौ
त सा यमापुरनुर िधयां पुनः कम॥्
अ व मृ ितः कृ णपदार व दयोः
भावाथ: जब िशशुपाल, शा व और पौ क आ द राजा
णो यभ ण शमं तनोित च।
वैरभाव से ह खाते, पीते, सोते, उठते, बैठते हर व ी
स व य शु ं परमा मभ ं
ह र क चाल, उनक िचतवन आ द का िच तन करने के
ानं च व ान वरागयु म॥्
कारण मु हो गए, तो फर जनका िच ी कृ ण म
भावाथ: ीकृ ण के चरण कमल का मरण सदा बना
अन य भाव से लग रहा है , उन वर भ के मु
रहे तो उसी से पाप का नाश, क याण क ाि , अ तः
होने म तो संदेह ह या ह?
करण क शु , परमा मा क भ और वैरा ययु
ान- व ान क ाि अपने आप ह हो जाती ह। एनः पूव कृ तं य ाजानः कृ णवै रणः।
जहु व ते तदा मानः क टः पेश कृ तो यथा॥
पुंसां किलकृ ता दोषा यदे शा मसंभवान।्
भावाथ: ीकृ ण से े ष करने वाले सम त नरपितगण
सवा ह रत िच थो भगवा पु षो मः॥
अ त म ी भगवान के मरण के भाव से पूव संिचत
भावाथ:भगवान पु षो म ीकृ ण जब िच म वराजते
पाप को न कर वैसे ह भगव ू प हो जाते ह, जैसे
ह, तब उनके भाव से किलयुग के सारे पाप और य,
पेश कृ त के यान से क ड़ा त ू प हो जाता है, अतएव
दे श तथा आ मा के दोष न हो जाते ह।
ीकृ ण का मरण सदा करते रहना चा हए।

योितष संबंिधत वशेष परामश


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12 अग त 2011

ी कृ ण का नामकरण सं कार
 िचंतन जोशी
वसुदेवजी क ाथना पर यदु ओं के पुरो हत महातप वी गगाचायजी ज नगर पहु ँ चे। उ ह दे खकर नंदबाबा
अ यिधक स न हु ए। उ ह ने हाथ जोड़कर णाम कया और उ ह व णु तु य मानकर उनक विधवत पूजा क ।
इसके प ात नंदजी ने उनसे कहा आप कृ या मेरे इन दोन ब च का नामकरण सं कार कर द जए।
इस पर गगाचायजी ने कहा क ऐसा करने म कुछ अड़चन ह। म यदु वंिशय का पुरो हत हू,ँ य द म तु हारे
इन पु का नामकरण सं कार कर दू ँ तो लोग इ ह दे वक का ह पु मानने लगगे, य क कंस तो पहले से ह
पापमय बु वाला ह। वह सवदा िनरथक बात ह सोचता है । दू सर ओर तु हार व वसुदेव क मै ी है ।
अब मु य बात यह ह क दे वक क आठवीं संतान लड़क नह ं हो सकती य क योगमाया ने कंस से यह
कहा था अरे पापी मुझे मारने से या फायदा है ? वह सदै व यह सोचता है क कह ं न कह ं मुझे मारने वाला अव य
उ प न हो चुका ह। य द म नामकरण सं कार करवा दू ँ गा तो मुझे पूण आशा ह क वह मेरे ब च को मार
डालेगा और हम लोग का अ यिधक अिन करे गा।
नंदजी ने गगाचायजी से कहा य द ऐसी बात है तो कसी एका त थान म चलकर विध पूव क इनके
जाित सं कार करवा द जए। इस वषय म मेरे अपने आदमी भी न जान सकगे। नंद क इन बात को सुनकर
गगाचाय ने एका त म िछपकर ब चे का नामकरण करवा दया। नामकरण करना तो उ ह अभी ह था, इसीिलए
वे आए थे।
गगाचायजी ने वसुदेव से कहा रो हणी का यह पु गुण से अपने लोग के मन को स न करे गा। अतः
इसका नाम राम होगा। इसी नाम से यह पुकारा जाएगा। इसम बल क अिधकता अिधक होगी। इसिलए इसे लोग
बल भी कहगे। यदु वंिशय क आपसी फूट िमटाकर उनम एकता को यह था पत करे गा, अतः लोग इसे संकषण भी
कहगे। अतः इसका नाम बलराम होगा।
अब उ ह ने यशोदा और नंद को ल य करके कहा- यह तु हारा पु येक युग म अवतार हण करता
रहता ह। कभी इसका वण ेत, कभी लाल, कभी पीला होता है । पूव के येक युग म शर र धारण करते हु ए इसके
तीन वण हो चुके ह। इस बार कृ णवण का हु आ है, अतः इसका नाम कृ ण होगा। तु हारा यह पु पहले वसुदेव के
यहाँ ज मा ह, अतः ीमान वासुदेव नाम से व ान लोग पुकारगे।
तु हारे पु के नाम और प तो िगनती के परे ह, उनम से गुण और कम अनु प कुछ को म जानता हू ँ ।
दू सरे लोग यह नह ं जान सकते। यह तु हारे गोप गौ एवं गोकुल को आनं दत करता हु आ तु हारा क याण करे गा।
इसके ारा तुम भार वप य से भी मु रहोगे।
इस पृ वी पर जो भगवान मानकर इसक भ करगे उ ह श ु भी परा जत नह ं कर सकगे। जस तरह
व णु के भजने वाल को असुर नह ं परा जत कर सकते। यह तु हारा पु स दय, क ित, भाव आ द म व णु के
स श होगा। अतः इसका पालन-पोषण पूण सावधानी से करना। इस कार कृ ण के वषय म आदे श दे कर
गगाचाय अपने आ म को चले गए।
13 अग त 2011

॥ ीकृ ण चालीसा ॥
दोहा केितक महा असुर संहार्यो। कंस ह केस पक ड़ दै मार्यो॥
बंशी शोिभत कर मधुर, नील जलद तन याम। मात- पता क ब द छुड़ाई। उ सेन कहँ राज दलाई॥
अ णअधरजनु ब बफल, नयनकमलअिभराम॥ म ह से मृ तक छह सुत लायो। मातु दे वक शोक िमटायो॥
पूण इ , अर व द मुख, पीता बर शुभ साज। भौमासुर मुर दै य संहार । लाये षट दश सहसकुमार ॥
जय मनमोहन मदन छ व, कृ णच महाराज॥ दै भीम हं तृ ण चीर सहारा। जरािसंधु रा स कहँ मारा॥
जय यदु नंदन जय जगवंदन। जय वसुदेव दे वक न दन॥
असुर बकासुर आ दक मार्यो। भ न के तब क िनवार्यो॥
जय यशुदा सुत न द दु लारे । जय भु भ न के ग तारे ॥
द न सुदामा के दु ःख टार्यो। तंद ु ल तीन मूंठ मुख डार्यो॥
जय नट-नागर, नाग नथइया॥ कृ ण क हइया धेनु चरइया॥
ेम के साग वदु र घर माँगे। दु य धन के मेवा यागे॥
पुिन नख पर भु िग रवर धारो। आओ द नन क िनवारो॥
लखी ेम क म हमा भार । ऐसे याम द न हतकार ॥
वंशी मधुर अधर ध र टे रौ। होवे पूण वनय यह मेरौ॥
भारत के पारथ रथ हाँके। िलये च कर न हं बल थाके॥
आओ ह र पुिन माखन चाखो। आज लाज भारत क राखो॥
िनज गीता के ान सुनाए। भ न दय सुधा वषाए॥
गोल कपोल, िचबुक अ णारे । मृ द ु मु कान मो हनी डारे ॥
मीरा थी ऐसी मतवाली। वष पी गई बजाकर ताली॥
रा जत रा जव नयन वशाला। मोर मुकुट वैज तीमाला॥
राना भेजा साँप पटार । शाली ाम बने बनवार ॥
कुंडल वण, पीत पट आछे । क ट कं कणी काछनी काछे ॥
िनजमाया तुम विध हं दखायो। उर ते संशय सकल िमटायो॥
नील जलज सु दरतनु सोहे । छ बल ख, सुरनर मुिनमन मोहे ॥
तब शत िन दा क र त काला। जीवन मु भयो िशशुपाला॥
म तक ितलक, अलक घुँघराले। आओ कृ ण बांसुर वाले॥
जब हं ौपद टे र लगाई। द नानाथ लाज अब जाई॥
क र पय पान, पूतन ह तार्यो। अका बका कागासुर मार्यो॥
तुरत ह वसन बने नंदलाला। बढ़े चीर भै अ र मुँह काला॥
मधुवन जलतअिगन जब वाला। भैशीतललखत हं नंदलाला॥ अस अनाथ के नाथ क हइया। डू बत भंवर बचावइ नइया॥
सुरपित जब ज च यो रसाई। मूसर धार वा र वषाई॥ 'सु दरदास' आस उर धार । दया क जै बनवार ॥
लगत लगत ज चहन बहायो। गोवधन नख धा र बचायो॥ नाथ सकल मम कुमित िनवारो। महु बेिग अपराध हमारो॥
ल ख यसुदा मन म अिधकाई। मुखमंह चौदह भुवन दखाई॥ खोलो पट अब दशनद जै। बोलो कृ ण क हइया क जै॥
दु कंस अित उधम मचायो। को ट कमल जब फूल मंगायो॥ दोहा
नािथ कािलय हं तब तुम ली ह। चरण िच दै िनभय क ह॥ यह चालीसा कृ ण का, पाठ करै उर धा र।
क र गो पन संग रास वलासा। सबक पूरण कर अिभलाषा॥ अ िस नविनिध फल, लहै पदारथ चा र॥

अ ल मी कवच
अ ल मी कवच को धारण करने से य पर सदा मां महा ल मी क कृ पा एवं आशीवाद बना
रहता ह। ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-
गज ल मी, (५)-संतान ल मी, (६)- वजय ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी
पो का वतः अशीवाद ा होता ह। मू य मा : Rs-1050
14 अग त 2011

व प ीकृ त ीकृ ण तो
व प य ऊचुः
वं परमं धाम िनर हो िनरहं कृितः।
िनगु ण िनराकारः साकारः सगुणः वयम ् ॥१॥
सा प िनिल ः परमा मा िनराकृ ितः।
कृ ितः पु ष वं च कारणं च तयोः परम ् ॥२॥
सृ थ यंत वषये ये च दे वा यः मृ ताः।
ते वदं शाः सवबीजा - व णु-महे राः ॥३॥
य य लो नां च ववरे चाऽ खलं व मी रः।
महा वरा महा व णु तं त य जनको वभो ॥४॥
तेज वं चाऽ प तेज वी ानं ानी च त परः।
वेदेऽिनवचनीय वं क वां तोतुिमहे रः ॥५॥
महदा दसृ सू ं पंचत मा मेव च।
बीजं वं सवश नां सवश व पकः ॥६॥
सवश रः सवः सवश या यः सदा।
वमनीहः वयं योितः सवान दः सनातनः ॥७॥
अहो आकारह न वं सव व हवान प।
सव याणां वषय जानािस ने यी भवान ् ।८॥
सर वती जड भूता यत ् तो े य न पणे।
जड भूतो महे श शेषो धम विधः वयम ् ॥९॥
पावती कमला राधा सा व ी दे वसूर प। ॥११॥
इित पेतु ता व प य त चरणा बुजे।
अभयं ददौ ता यः स नवदने णः ॥१२॥
व प ीकृ तं तो ं पूजाकाले च यः पठे त।् स गितं व प ीनां
लभते नाऽ संशयः ॥१३॥
॥ इित ी वैवत व प ीकृ तं कृ ण तो ं समा म॥्

इस ीकृ ण तो का िनयिमत पाठ करने से


भगवान ् ीकृ ण अपने भ पर िनःस दे ह
स न होते है । यह तो य अभय को
दान करने वाला ह।
15 अग त 2011

ाणे र ीकृ ण मं

 िचंतन जोशी
मं :-

"ॐ ऐं ीं लीं ाण व लभाय सौः सौभा यदाय ीकृ णाय वाहा।"


विनयोगः- ॐ अ य ी ाणे र ीकृ ण मं य भगवान ् ीवेद यास ऋ षः,

गाय ी छं दः-, ीकृ ण-परमा मा दे वता, लीं बीजं, ीं श ः, ऐं क लकं, ॐ यापकः, मम सम त- लेश-प रहाथ, चतुव ग- ा ये,
सौभा य वृ यथ च जपे विनयोगः।

ऋ या द यासः- ीवेद यास ऋषये नमः िशरिस, गाय ी छं दसे नमः मुख,े ीकृ ण परमा मा दे वतायै नमः द, लीं बीजाय
नमः गु े, ीं श ये नमः नाभौ, ऐं क लकाय नमः पादयो, ॐ यापकाय नमः सवा गे, मम सम त लेश प रहाथ, चतुव ग
ा ये, सौभा य वृ यथ च जपे विनयोगाय नमः अंजलौ।

कर- यासः- ॐ ऐं ीं लीं अंगु ा यां नमः ाणव लभाय तजनी यां वाहा, सौः म यमा यां वष , सौभा यदाय अनािमका यां हु ं
ीकृ णाय किन का यां वौष , वाहा करतलकरपृ ा यां फ ।

अंग- यासः- ॐ ऐं ीं लीं दयाय नमः, ाण व लभाय िशरसे वाहा, सौः िशखायै वष , सौभा यदाय िशखायै कवचाय हु ,ं
ीकृ णाय ने - याय वौष , वाहा अ ाय फ ।

यानः- "कृ णं जग मपहन- प-वण, वलो य ल जाऽऽकुिलतां मरा याम ् ।


मधूक-माला-युत-कृ ण-दे हं, वलो य चािलं य ह रं मर तीम ् ।।"
भावाथ: संसार को मु ध करने वाले भगवान ् कृ ण के प-रं ग को दे खकर ेम पूण होकर गो पयाँ ल जापूव क याकुल होती ह और
मन-ह -मन ह र को मरण करती हु ई भगवान ् कृ ण क मधूक-पु प क माला से वभु षत दे ह का आिलंगन करती ह। इस मं
का विध- वधान से १,००,००० जाप करने का वधान ह।

ाण ित त दु गा बीसा यं
शा ो मत के अनुशार दु गा बीसा यं दु भा य को दू र कर य के सोये हु वे भा य को जगाने वाला माना
गया ह। दु गा बीसा यं ारा य को जीवन म धन से संबंिधत सं याओं म लाभ ा होता ह। जो य
आिथक सम यासे परे शान ह , वह य य द नवरा म ाण ित त कया गया दु गा बीसा यं को थाि कर
लेता ह, तो उसक धन, रोजगार एवं यवसाय से संबंधी सभी सम य का शी ह अंत होने लगता ह। नवरा के दनो
म ाण ित त दु गा बीसा यं को अपने घर-दु कान-ओ फस-फै टर म था पत करने से वशेष लाभ ा होता
ह, य शी ह अपने यापार म वृ एवं अपनी आिथक थती म सुधार होता दे खगे। संपूण ाण ित त एवं
पूण चैत य दु गा बीसा यं को शुभ मुहू त म अपने घर-दु कान-ओ फस म था पत करने से वशेष लाभ ा होता
ह। मू य: Rs.550 से Rs.8200 तक
16 अग त 2011

ा रिचत कृ ण तो
ोवाच :
र र हरे मां च िनम नं कामसागरे ।
मं िस ा
दु क ितजलपूण च दु पारे बहु संकटे ॥१॥ एकमुखी ा -Rs- 1250,2800
भ व मृ ितबीजे च वप सोपानदु तरे ।
दो मुखी ा -Rs- 100,151
अतीव िनमल ानच ुः- छ नकारणे ॥२॥
तीन मुखी ा -Rs- 100,151
ज मोिम-संगस हते यो ष न ाघसंकुले।
चार मुखी ा -Rs- 55,100
रित ोतःसमायु े ग भीरे घोर एव च ॥३॥
पंच मुखी ा -Rs- 28,55
थमासृ त पे च प रणाम वषालये।
छह मुखी ा -Rs- 55,100
यमालय वेशाय मु ाराित व तृ तौ ॥४॥

बु या तर या व ानै रा मानतः वयम।्


सात मुखी ा -Rs- 120,190

वयं च व कणधारः सीद मधुसूदन ॥५॥ आठ मुखी ा -Rs- 820,1250

म धाः कितिच नाथ िनयो या भवकम ण। नौ मुखी ा -Rs- 820,1250


स त व ेश वधयो हे व े र माधव ॥६॥ दसमुखी ा -Rs- ........
न कम े मेवेद लोकोऽयमी सतः। यारहमुखी ा -Rs- 2800
तथाऽ प न पृ हा कामे व यवधायके ॥७॥
बारह मुखी ा -Rs- 3600
हे नाथ क णािस धो द नब धो कृ पां कु ।
तेरह मुखी ा -Rs- 6400
वं महे श महा ाता दु ः व नं मां न दशय ॥८॥
चौदह मुखी ा -Rs- 19000
इ यु वा जगतां धाता वरराम सनातनः।
गौर षंकर ा -Rs- .....
यायं यायं म पदा जं श तस
् मार मािमित ॥९॥

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॥ इित ी दे वकृ तं कृ ण तो ं स पूणम॥्
17 अग त 2011

ीकृ णा कम ्
पाव युवाच- मुरलीवादनाधार राधायै ीितमावहन।्
कैलासिशखरे र ये गौर पृ छित शंकरम।् अंशांशे यः समु मी य पूण पकलायुतः॥१२॥
ा डा खलनाथ वं सृ संहारकारकः॥१॥ ीकृ णच ो भगवा न दगोपवरो तः।
वमेव पू यसेलौकै व णुसुरा दिभः। ध रणी पणी माता यशोदान ददाियनी॥१३॥
िन यं पठिस दे वेश क य तो ं महे रः॥२॥ ा यां ायािचतो नाथो दे व यां वसुदेवतः।
आ यिमदम य तं जायते मम शंकर। णाऽ यिथतो दे वो दे वैर प सुरे र॥१४॥
त ाणेश महा ा संशयं िछ ध शंकर॥३॥ जातोऽव यां मुकु दोऽ प मुरलीवेदरे िचका।
ी महादे व उवाच- तयासा वचःकृ वा ततो जातो मह तले॥१५॥

ध यािस कृ तपु यािस पावित ाणव लभे। संसारसारसव वं यामलं महदु वलम।्

रह याितरह यं च य पृ छिस वरानने॥४॥ एत योितरहं वे ं िच तयािम सनातनम॥१६॥



ी वभावा महादे व पुन वं प रपृ छिस। गौरतेजो बना य तु यामतैजः समचयेत।्
गोपनीयं गोपनीयं गोपनीयं य तः॥५॥ जपे ा यायते वा प स भवे पातक िशवे॥१७॥
द े च िस हािनः या मा ेन गोपयेत।् स हासुरापी च वण तेयी च पंचमः।
इदं रह यं परमं पु षाथ दायकम॥६॥
् एतैद षै विल ये तेजोभेदा महे र।१८॥
धनर ौघमा ण यं तुरंगं गजा दकम।् त मा योितरभू े धा राधामाधव पकम।्

ददाित मरणादे व महामो दायकम॥७॥


् त मा ददं महादे व गोपालेनैव भा षतम॥१९॥

त ेऽहं सं व यािम ृ णु वाव हता ये। दु वाससो मुनेम हे काित यां रासम डले।
योऽसौ िनरं जनो दे व व पी जनादनः॥८॥ ततः पृ वती राधा स दे हं भेदमा मनः॥२०॥
संसारसागरो ारकारणाय सदा नृ णाम।् िनरं जना समु प नं मयाऽधीतं जग मिय।

ीरं गा दक पेण ैलो यं या य ित ित॥९॥ ीकृ णेन ततः ो ं राधायै नारदाय च॥२१॥

ततो लोका महामूढा व णुभ वव जताः। ततो नारदतः सव वरला वै णवा तथा।

िन यं नािधग छ त पुननारायणो ह रः॥१०॥ कलौ जान त दे वेिश गोपनीयं य तः॥२२॥

िनरं जनो िनराकारो भ ानां ीितकामदः। शठाय कृ पणायाथ दा भकाय सुरे र।

वृदावन वहाराय गोपालं पमु हन॥११॥


् ह यामवा नोित त मा ेन गोपयेत॥२३॥

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18 अग त 2011

व ा ाि हे तु सर वती कवच और यं
आज के आधुिनक युग म िश ा ाि जीवन क मह वपूण आव यकताओं म से एक है । ह दू धम म व ाक
अिध ा ी दे वी सर वती को माना जाता ह। इस िलए दे वी सर वती क पूजा-अचना से कृ पा ा करने से बु कुशा एवं
ती होती है ।
आज के सु वकिसत समाज म चार ओर बदलते प रवेश एवं आधुिनकता क दौड म नये-नये खोज एवं
संशोधन के आधारो पर ब चो के बौिधक तर पर अ छे वकास हे तु विभ न पर ा, ितयोिगता एवं ित पधाएं
होती रहती ह, जस म ब चे का बु मान होना अित आव यक हो जाता ह। अ यथा ब चा पर ा, ितयोिगता एवं
ित पधा म पीछड जाता ह, जससे आजके पढे िलखे आधुिनक बु से सुसंप न लोग ब चे को मूख अथवा बु ह न
या अ पबु समझते ह। एसे ब चो को ह न भावना से दे खने लोगो को हमने दे खा ह, आपने भी कई सैकडो बार
अव य दे खा होगा?
ऐसे ब चो क बु को कुशा एवं ती हो, ब चो क बौ क मता और मरण श का वकास हो इस िलए
सर वती कवच अ यंत लाभदायक हो सकता ह।
सर वती कवच को दे वी सर वती के परं म दू ल भ तेज वी मं ो ारा पूण मं िस और पूण चैत ययु कया जाता
ह। ज से जो ब चे मं जप अथवा पूजा-अचना नह ं कर सकते वह वशेष लाभ ा कर सके और जो ब चे पूजा-
अचना करते ह, उ ह दे वी सर वती क कृ पा शी ा हो इस िलये सर वती कवच अ यंत लाभदायक होता ह।

सर वती कवच : मू य: 280 और 370 सर वती यं :मू य : 280 से 1450 तक

मं िस प ना गणेश
भगवान ी गणेश बु और िश ा के कारक ह बुध के अिधपित दे वता ह। प ना गणेश बुध के
सकारा मक भाव को बठाता ह एवं नकारा मक भाव को कम करता ह।. प न गणेश के
भाव से यापार और धन म वृ म वृ होती ह। ब चो क पढाई हे तु भी वशेष फल द ह
प ना गणेश इस के भाव से ब चे क बु कूशा होकर उसके आ म व ास म भी वशेष
वृ होती ह। मानिसक अशांित को कम करने म मदद करता ह, य ारा अवशो षत हर
व करण शांती दान करती ह, य के शार र के तं को िनयं त करती ह। जगर, फेफड़े ,
जीभ, म त क और तं का तं इ या द रोग म सहायक होते ह। क मती प थर मरगज के बने
होते ह।

Rs.550 से Rs.8200 तक
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19 अग त 2011

कृ ण के विभ न मं
 िचंतन जोशी
मूल मं : तेईस अ र मं :
कृ ं कृ णाय नमः ॐ ीं ं लीं ीकृ णाय गो वंदाय
यह भगवान कृ ण का मूलमं ह। इस मूल मं के गोपीजन व लभाय ीं ीं ी
िनयिमत जाप करने से य को जीवन म सभी यह तेईस अ र मं के िनयिमत जाप करने से य क
बाधाओं एवं क से मु िमलती ह एवं सुख क ाि सभी बाधाएँ वतः समा हो जाती ह।
होती ह। अ ठाईस अ र मं :
स दशा र मं : ॐ नमो भगवते न दपु ाय
ॐ ीं नमः ीकृ णाय प रपूण तमाय वाहा आन दवपुषे गोपीजनव लभाय वाहा
यह भगवान कृ ण का स रा अ र का ह। इस मूल मं यह अ ठाईस अ र मं के िनयिमत जाप करने से य
के िनयिमत जाप करने से य को मं िस हो जाने को सम त अिभ व तुओं क ाि होती ह।
के प यात उसे जीवन म सबकुछ ा होता ह। उ तीस अ र मं :
स ा र मं : लीलादं ड गोपीजनसंस दोद ड
गोव लभाय वाहा बाल प मेघ याम भगवन व णो वाहा।
इस सात अ र वाले मं के िनयिमत जाप करने से यह उ तीस अ र मं के िनयिमत जाप करने से थर
जीवन म सभी िस यां ा होती ह। ल मी क ाि होती है ।
अ ा र मं : ब ीस अ र मं :
गोकुल नाथाय नमः न दपु ाय यामलांगाय बालवपुषे
इस आठ अ र वाले मं के िनयिमत जाप करने से कृ णाय गो व दाय गोपीजनव लभाय वाहा।
य क सभी इ छाएँ एवं अिभलाषाए पूण होती ह। यह ब ीस अ र मं के िनयिमत जाप करने से य क
दशा र मं : सम त मनोकामनाएँ पूण होती ह।
लीं ल लीं यामलांगाय नमः ततीस अ र मं :
इस दशा र मं के िनयिमत जाप करने से संपूण ॐ कृ ण कृ ण महाकृ ण सव वं सीद मे।
िस य क ाि होती ह। रमारमण व ेश व ामाशु य छ मे॥
ादशा र मं : यह ततीस अ र के िनयिमत जाप करने से सम त
ॐ नमो भगवते ीगो व दाय कार क व ाएं िनःसंदेह ा होती ह।
इस कृ ण ादशा र मं के िनयिमत जाप करने से इ यह ीकृ ण के ती भावशाली मं ह। इन मं के
िस क ाि होती ह। िनयिमत जाप से य के जीवन म सुख, समृ एवं
सौभा य क ाि होती ह।
20 अग त 2011

कृ ण मं
भगवान ी कृ ण से संबंधी मं तो शा म भरे पडे ह। ले कन जन
साधारण म कुछ खास मं का ह चलन और अ यािधक मह व ह।
ॐ कृ णाय वासुदेवाय हरये परमा मने।
णतः लेशनाशाय गो वंदाय नमो नमः॥
इस मं को िनयिमत नान इ या द से िनवृ त होकर व छ
कपडे पहन कर 108 बार जाप करने से य के जीवन म कसी
भी कार के संकट नह ं आते।
ॐ नमः भगवते वासुदेवाय कृ णाय
लेशनाशाय गो वंदाय नमो नमः।
इस मं को िनयिमत नान इ या द से िनवृ त होकर व छ कपडे पहन कर
108 बार जाप करने से आक मक संकट से मु िमलित ह।
हरे कृ ण हरे कृ ण, कृ ण-कृ ण हरे हरे ।
हरे राम हरे राम, राम-राम हरे हरे ।
इस मं को िनयिमत नान इ या द से िनवृ त होकर व छ कपडे पहन कर 108 बार जाप करने से य को जीवन
मे सम त भौितक सुखो एवं मो ाि होती ह।

कनकधारा यं
आज के युग म हर य अितशी समृ बनना चाहता ह। धन ाि हे तु ाण- ित त कनकधारा यं के सामने
बैठकर कनकधारा तो का पाठ करने से वशेष लाभ ा होता ह। इस कनकधारा यं क पूजा अचना करने से ऋण
और द र ता से शी मु िमलती ह। यापार म उ नित होती ह, बेरोजगार को रोजगार ाि होती ह।

ी आ द शंकराचाय ारा कनकधारा तो क रचना कुछ इस कार क ह, जसके वण एवं पठन करने से आस-
पास के वायुमंडल म वशेष अलौ कक द य उजा उ प न होती ह। ठक उसी कार से कनकधारा यं अ यंत दु ल भ
यं ो म से एक यं ह जसे मां ल मी क ाि हेतु अचूक भावा शाली माना गया ह।

कनकधारा यं को व ानो ने वयंिस तथा सभी कार के ऐ य दान करने म समथ माना ह। जग ु शंकराचाय ने
दर ा ण के घर कनकधारा तो के पाठ से वण वषा कराने का उ लेख ंथ शंकर द वजय म िमलता ह।

कनकधारा मं :- ॐ वं ीं वं ऐं ं- ीं लीं कनक धारयै वाहा'


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21 अग त 2011

ीकृ ण बीसा यं
कसी भी य का जीवन तब आसान बन जाता ह जब उसके चार और का माहोल उसके अनु प उसके वश
म ह । जब कोई य का आकषण दु सरो के उपर एक चु बक य भाव डालता ह, तब लोग उसक सहायता एवं
सेवा हे तु त पर होते है और उसके ायः सभी काय बना अिधक क व परे शानी से संप न हो जाते ह। आज के
भौितकता वा द युग म हर य के िलये दू सरो को अपनी और खीचने हे तु एक भावशािल चुंबक व को कायम
रखना अित आव यक हो जाता ह। आपका आकषण और य व आपके चारो ओर से लोग को आक षत करे इस
िलये सरल उपाय ह, ीकृ ण बीसा यं । यो क भगवान ी कृ ण एक अलौ कव एवं दवय चुंबक य य व के
धनी थे। इसी कारण से ीकृ ण बीसा यं के पूजन एवं दशन से आकषक य व ा होता ह।
ीकृ ण बीसा यं के साथ य को ढ़ इ छा श एवं उजा ा
होती ह, ज से य हमेशा एक भीड म हमेशा आकषण का क रहता ह।
ीकृ ण बीसा कवच
य द कसी य को अपनी ितभा व आ म व ास के तर म वृ ,
अपने िम ो व प रवारजनो के बच म र तो म सुधार करने क ई छा होती ीकृ ण बीसा कवच को केवल

ह उनके िलये ीकृ ण बीसा यं का पूजन एक सरल व सुलभ मा यम वशेष शुभ मुहु त म िनमाण कया

सा बत हो सकता ह। जाता ह। कवच को व ान कमकांड

ीकृ ण बीसा यं पर अं कत श शाली वशेष रे खाएं, बीज मं एवं ाहमण ारा शुभ मुहु त म शा ो

अंको से य को अ ु त आंत रक श यां ा होती ह जो य को विध- वधान से विश तेज वी मं ो

सबसे आगे एवं सभी े ो म अ णय बनाने म सहायक िस होती ह। ारा िस ाण- ित त पूण चैत य

ीकृ ण बीसा यं के पूजन व िनयिमत दशन के मा यम से भगवान यु करके िनमाण कया जाता ह।

ीकृ ण का आशीवाद ा कर समाज म वयं का अ तीय थान था पत कर। जस के फल व प धारण करता

ीकृ ण बीसा यं अलौ कक ांड य उजा का संचार करता ह, जो य को शी पूण लाभ ा होता

एक ाकृ मा यम से य के भीतर स भावना, समृ , सफलता, उ म ह। कवच को गले म धारण करने

वा य, योग और यान के िलये एक श शाली मा यम ह! से वहं अ यंत भाव शाली होता

 ीकृ ण बीसा यं के पूजन से य के सामा जक मान-स मान व ह। गले म धारण करने से कवच

पद- ित ा म वृ होती ह। हमेशा दय के पास रहता ह ज से

 व ानो के मतानुशार ीकृ ण बीसा यं के म यभाग पर यान योग य पर उसका लाभ अित ती

क त करने से य क चेतना श जा त होकर शी उ च तर एवं शी ात होने लगता ह।


मूलय मा : 1900
को ा होती ह ।
 जो पु ष और म हला अपने साथी पर अपना भाव डालना चाहते ह और उ ह अपनी और आक षत करना
चाहते ह। उनके िलये ीकृ ण बीसा यं उ म उपाय िस हो सकता ह।
 पित-प ी म आपसी म क वृ और सुखी दा प य जीवन के िलये ीकृ ण बीसा यं लाभदायी होता ह।
मू य:- Rs. 550 से Rs. 8200 तक उ ल
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22 अग त 2011

ी नवकार मं (नम कार महामं )


 िचंतन जोशी
अथ:
म अ रहं त भगवंत को नमन करता हू ं ।
म िस भगवंत को नमन करता हू ं ।
म आचाय भगवंत को नमन करता हू ं ।
म उपा याय भगवंत को नमन करता हू ं ।
म लोक म रहे हु ए सभी साधु भगवंत को नमन करता
हू ं ।
इन पांच को कया हु आ नम कार
सभी पाप को न करता ह।
एवं सभी मंगल म भी
थम ( े ) मंगल ह।

जैन मुिनय के मत से नवकार महामं जैन धम


का िस एवं अ यंत भावशाली मं ह। इस मं म
नवकार मं सम त जैन धमावलं बयो का मु य मं है । सम त र याँ और िस याँ व मान ह। हर जैन धम
के अनुयायी नवकार मं का जप करता ह।
नमो अ रहं ताणं नवकार महामं अथवा नम कार महामं म जस
परमे ी भगव त क आराधना क जाती है उन भगव त
नमो िस ाणं
म तप, याग, संयम, वैरा य इ या द सा वक गुण होते
नमो आय रयाणं ह। नवकार मं के मा यम से अ रहं त, िस , आचाय,

नमो उव झायाणं उपा याय और साधु, इन पाँच भगवंत को परम इ माना


ह। इसिलये इनको नमन करने क विध को नवकार
नमो लोएस वसाहू णं महामं अथवा नम कार महामं कहा जाता है । वैसे तो
हर मं अपने आप म रह य िलये होता है , परं तु नवकार
महामं तो परम रह यमय ह।
एसो पंच नमु कारो
नवकार महामं के अित द य ताप से साधक
स व पाव पणासणो के सम त दु ःख सुख म बदल जाता ह।
जैन व ानो के मत से नवकार मं के मरण,
मंगलाणं च स वेिसं
िच तन, मनन और उ चारण से ह मनु य के ज म-
पढमं हवई मंगलं ज मांतर के पाप से मु हो कर उसे शा त सुख ा
होता ह।
23 अग त 2011

नवकार मं जप के लाभ
 जब कोई य ा पूण भाव से नवकार मं का  (सागरोपम अथात ् जसे िगनने म क ठनाई हो इतने
केवल एक अ र उ चरण करता ह, तो उसके 7 अरब वष।)
सागरोपम जतने पापो का नाश होता ह।  गभवती य के िलए इस मं का जाप करना ब चे
 जब कोई य "नमो अ रहं ताणं" का उ चरण कर ा के िलये अित उ म ह।

ह, तो उसके 50 सागरोपम जतने पाप न होते ह।  ज म के समय य द बालक के कान म यह मं


 जब कोई य पूरा नवकार मं जपता ह, तो उसके सुनाया जाये तो उसे जीवन म सुख-समृ ा होती

500 सागरोपम जतने पाप न होते ह। ह।

 य द कोई य ातः काल उठकर 8 नवकार मं  य द कसी जीव को मृ यु के समय नवकार मं


जपता ह, तो उसके 4000 सागरोपम जतने पाप न सुनाया जाये तो उसे सदगित ा होती ह।

होते ह।  नवकार मं क म हमा अनंत व अपार ह इसी िलये


नवकार मं को श दायक, व न वनाशक, अ यंत
 संपूण नवकार मं क 1 माला िगनने से 54000
भावशाली व चम कार ह।
सागरोपम जतने पाप न होते ह।

मं िस फ टक ी यं
" ी यं " सबसे मह वपूण एवं श शाली यं है । " ी यं " को यं राज कहा जाता है यो क यह अ य त शुभ
फ़लदयी यं है । जो न केवल दू सरे य ो से अिधक से अिधक लाभ दे ने मे समथ है एवं संसार के हर य के िलए
फायदे मंद सा बत होता है । पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य यु " ी यं " जस य के घर मे होता है उसके िलये
" ी यं " अ य त फ़लदायी िस होता है उसके दशन मा से अन-िगनत लाभ एवं सुख क ाि होित है । " ी यं " मे
समाई अ ितय एवं अ यश मनु य क सम त शुभ इ छाओं को पूरा करने मे समथ होित है । ज से उसका
जीवन से हताशा और िनराशा दू र होकर वह मनु य असफ़लता से सफ़लता क और िनर तर गित करने लगता है एवं
उसे जीवन मे सम त भौितक सुखो क ाि होित है । " ी यं " मनु य जीवन म उ प न होने वाली सम या-बाधा एवं
नकारा मक उजा को दू र कर सकार मक उजा का िनमाण करने मे समथ है । " ी यं " क थापन से घर या यापार के
थान पर था पत करने से वा तु दोष य वा तु से स ब धत परे शािन मे युनता आित है व सुख-समृ , शांित एवं

ऐ य क ि होती है । गु व कायालय मे " ी यं " 12 ाम से 75 ाम तक क साइज मे उ ल ध है


.

मू य:- ित ाम Rs. 8.20 से Rs.28.00


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24 अग त 2011

विभ न चम कार जैन मं


 िचंतन जोशी, व तक.ऎन.जोशी

चार अ र का मं :-
1. अरह त
2. अ िस साहू

पंचा र मं :-
अ िस आ उ सा

ष ा र मं :-
1. अरह त िस
2. अरह त िस सा
3. ॐ नमः िस े य
4. नमोह स े यः

स ा र मं :-
ॐ ीं ं अह नमः।

अ ा र मं :-
ॐ नमो अ रहं ताणं।
एका अ र का मं :-
ॐ (ओम ्)
सोलह अ र का मं :-
ॐ श द क विन पांचो परमे ी नाम के पहले अ र को
अरहं त िस आइ रया उव झाया साहू
िमलाने पर बनती ह।
जैन मुिनय के मत से अरह त का पहला अ र 'अ' जो
35 अ र का मं :-
अशर र अथात िस का 'अ' ह। ओम श द म आचाय
णमो अ रहं ताणं, णमो िस ाणं, णमो आइ रयाणं ।
का 'आ', उपा याय का 'उ', तथा मुिन अथात साधु
णमो उव झायाणं, णमो लोए स वसाहू णं ।।
जनो का 'म ्', इस कार सभी श दो को जोडने ॐ बनता
ह। लघु शा त मं :-
ॐ म ् अहम ् अिसआउसा सवशा म
त ् कु कु वाहा ।
दो अ र का मं :-
1. िस मनोरथ िस दायक मं :-
2. ॐ ं ॐ म् ीम ् अहम ् नमः।
25 अग त 2011

रोगनाशक मं :-
ॐ ऐम ् म् ीम ् किलकु डद ड वािमने नमः आरो -य
परमे यम ् कु कु वाहा ।
(रोग शांित हे तु उ म को ीपा नाथ जी क ितमा
के स मुख शु ता व ् िनयम से 108 बार जप करना अित
लाभदायक होता ह।)

रोग िनवारक मं :-
ॐ ं सकल-रोगहराय ी स मित दे वाय नमः ।

रोग िनवारक नवकार मं :-


ॐ नमो आमोस ह प ाणं
ॐ नमो खेलोस ह प ाणं
ॐ नमो जेलोस ह प ाणं
ॐ नमो स वोस ह प ाणं वाहा।

(उ मं क ित दन एक माला जप करने से सव
कार के रोगो क शांित होती ह। रोगी य के क मे
सविस दायक मं :-
यूनता आती ह।)
ॐ ं लीं ी अह ी वृ षभनाथ तीथकराय नमः ।
मंगलदायक मं :- (उ म के ित दन 108 बार जप से साधक को
ॐ म ् वरे सुवरे अिसआउसा नमः वाहा । सम त काय म िस ा होती ह।)
(उ म को एका त म ित दन 108 बार धूप के साथ,
शु भावपूव क जपने से अिधक लाभ द होता ह।) मनोवांिछत कायिस मं :-
ॐ ं नमो अ रहं ताणं िस धाणं सूर णं उवजझायाणं
ऐ यदायक मं :- साहू णं मम ऋ वृ समी हतं कु कु वाहा।
ॐ म ् अिसआउसा नमः वाहा । (उ मं को ातः काल मूंगे क माला से धुप दे कर
(उ म को सूय दय के समय पूव दशा म मुख करके 3200 जप करने से सव कामनाएं पूण होती ह।)
ित दन 108 बार जप करने से शी लाभ ा होता ह।)

सवकामना पूरण अह मं :-
क याणकार मं :-
ॐ ं अह नमः।
ॐ अिसआ उसा नमः।
(उ मं को कसी शुभ दन या मूहू त पर पूवािभमुख
(उ मं को पूवािभमुख बेठ कर 1,25,000 जप करने
बेठ कर यथाश जप कर। 12,500 जप पूण होने पर
से शी फलदायी होता ह व शांित ा होती ह। साधक
मं िस होता ह। साधक क सव मनोकामनाएं पूण होने
के भय, कलेश, दु ःख दा र दू र होते ह। लगती ह।)
26 अग त 2011

सवकामना पूरण मं :- ववाद वजय मं :-


ॐ ं ीं अह अिसआ उसा नमः। ॐ हं स ॐ ं अह ऐं ीं अिसआ उसा नमः।
(उ म क ित दन 1 माला जप करने से क पवृ (य द कसी से अनाव यक वाद- ववाद हो जाये तो उसमे
के समान सव मनोकामनाएं पूण होती ह। जीत हे तु उ मं को 21 बार जपने के प यात वाद-
ववाद करने पर जीत होती ह।)
सव संप दायक भुवन वामीनी व ा मं :-
कलेश नाशक मं :-
ॐ ं ीं ं लीं अिसआ उसा चुलु चुलु हु लु हु लु कुलु
ॐ अह आिसआ उसा नमः।
कुलु मुलु मुलु इ छयंइ मे कु कु वाहा।
(उ म के सवालाख जप करने से चम कार प रणाम
( कसी प व थान पर साधक अपने स मुख पा नाथ
ा होते ह।)
भगवान क मूित/फोटो था पत करके धूप-द प करे ।
चमेली के 24,000 फूल लेकर, हर एक फूल पर एक मं
मनोवांिछत कायिस मं :-
का जप करते हु वे फूल को भगवान को अपण करते
ॐ ां ं ूं ः अिसआ उसा वाहा।
जाये। जप पूरे होने पर मं िस हो जाता ह। फर उ
(उ म के सवालाख जप पूण होने के प यात
मं क ित दन एक माला जप करे । जप से साधक को
ित दन एक माला जप करने से मनोरथ पूण होते ह।)
धन, वैभव, संतित, संप , पा रवार क सुख इ या द क
ाि होती ह।

ादश महा यं
यं को अित ािचन एवं दु ल भ यं ो के संकलन से हमारे वष के अनुसंधान ारा बनाया गया ह।
 परम दु लभ वशीकरण यं ,  सह ा ी ल मी आब यं
 भा योदय यं  आक मक धन ाि यं
 मनोवांिछत काय िस यं  पूण पौ ष ाि कामदे व यं
 रा य बाधा िनवृ यं  रोग िनवृ यं
 गृ ह थ सुख यं  साधना िस यं
 शी ववाह संप न गौर अनंग यं  श ु दमन यं
.

उपरो सभी यं ो को ादश महा यं के प म शा ो विध- वधान से मं िस पूण ाण ित त एवं चैत य यु


कये जाते ह। जसे थापीत कर बना कसी पूजा अचना- विध वधान वशेष लाभ ा कर सकते ह।

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27 अग त 2011

सव ह शा त मं :- ल मी ाि मं :-
ॐ ां ं ूं ः अिसआउसा सव-शा तं कु कु ॐ ं अह नमो अ रहं ताणं ं नमः।
वाहा । ( कसी शुभ दन या मूहू त पर जप शु कर। आसन,
(उ म को सूय दय के समय जप करने से शी शुभ माला, व पीले रखे। 1,25,000 जप करने से ल मी
फलो क ाि होती ह।) स न होती ह। फर यथा श रोज 1 माला जप कर।)

शा तकारक मं :- नव ह शा त हे तु मं :-
1. ॐ ं परमशा त वधायक ी शा तनाथाय नमः । सूय के िलए : ॐ णमो िस ाणं । (10 हजार)
2. ॐ ं ी अनंतानंत परमिस े यो नमः ।
च के िलए: ॐ णमो अ रहं ताण । (10 हजार)

घंटाकण मं :- मंगल के िलए: ॐ णमो िस ाणं । (10 हजार)


ॐ ं घंटाकण महावीर, सव यािध- वनाशकः । बुध के िलए: ॐ णमो उव झायाण । (10 हजार)
व फोटकभयं ा ,े र र महाबलः ।1। (गु ) वृ ह पित के िलए : ॐ णमो आइ रयाणं। (10 हजार)
य वं ित से दे व, िल खतोऽ र-पं िभः । शु के िलए: ॐ णमो अ रहं ताणं । (10 हजार)
रोगा त ण य त, वात- प -कफो वाः ।2।
शिन के िलए: ॐ णमो लोए स व साहू णं । (10 हजार)
त राजभयं ना त, य त कण जपा यम ् ।
केतु के िलए : ॐ णमो िस ाणं । (10 हजार)
शा कनी भूत वेताला, रा साः भव त न ।3।
राहू के िलए : ॐ णमो अ रहं ताणं, ॐ णमो
नाकाले मरणं त य, न च सपण दं यते ।
अ नचौरभयं ना त, ॐ ीं घंटाकण ! िस ाणं, ॐ णमो आइ रयाणं, ॐ णमो उव झायाण ॐ
नमो तु ते ! ॐ नर वीर ! ठः ठः ठः वाहा ।। णमो लोए स व साहू णं, (10 हजार)
(घंटाकण महावीर का उ मं किलयु म त काल भाव
दे ने म समथ एवं चम कार ह इस म का िनयिमत महामृ युंजय म :-
21 बार जप करने से राज-भय, चोर-भय, अ न और सप ॐ ां णमो अ रहं ताणं । ॐ ं णमो िस ाणं, ॐ ू ं णमो
- भय, सब कार क भूत- ेत-बाधा दू र होत ह साधक आइ रयाणं, ॐ णमो उव झायाणं, ॐ ः णमो लोए
क सव वप का वतः ह िनवारण होने लगता ह। ) स वसाहू णं, मम सव - हा र ान ् िनवारय िनवारय
अपमृ युं घातय घातय सवशा तं कु कु वाहा ।
सवर ा मं :-
(उ म को विध- वधान से धूप-द प जलाकर पूण
नवकार मं के साथ अंत म ॐ ं ू ं फ जोडकर जप
िन ा पूव क इस मं का वयं जाप कर सकते ह या
करने से यह मं सव से आनंददायक ह और साधन क
अ य ारा करवा सकते ह। य द अ य य जाप
सभी उप वो से र ा होती ह।
करे तो 'मम' के थान पर उस य का नाम जोड़ ल
ल मी ाि एवं मनोकामनापूण करने का मं :- जसके िलए जाप कया जारहा है । ) उ मं का सवा
ॐ ं ीं लीं ऐं अह ी अ िस आ उ सा नमः । लाख जाप करने से ह-बाधा दू र हो जाती है । जाप
(उ मं को ातःकाल 108 बार जप ने से धन ाि
के अनंतर दशांश आहु ित दे कर हवन करना चा हए।
होती ह।)
28 अग त 2011

जैन धम के चौबीस तीथकार के जीवन का सं ववरण

ज म ज म माता पता वैरा य ितक


तीथकार
थान न का नाम का नाम वृ िच
१ ऋषभदे वजी अयो या उ राषाढ़ा म दे वी नािभराजा वट वृ बैल
२ अ जतनाथजी अयो या रो हणी वजया जतश ु सपपण वृ हाथी
३ स भवनाथजी ाव ती पूवाषाढ़ा सेना जतार शाल वृ घोड़ा
४ अिभन दनजी अयो या पुनवसु िस ाथा संवर दे वदार वृ ब दर
५ सुमितनाथजी अयो या म ा सुमंगला मेध य यंगु वृ चकवा
६ प भुजी कौशा बीपुर िच ा सुसीमा धरण यंगु वृ कमल
७ सुपा नाथजी काशीनगर वशाखा पृ वी सु ित िशर ष वृ सािथया
८ च भुजी चं पुर अनुराधा ल मण महासेन नाग वृ च मा
९ पु पद तजी काक द मूल रामा सु ीव साल वृ मगर
१० शीतलनाथजी भ कापुर पूवाषाढ़ा सुन दा ढ़रथ ल वृ क पवृ
११ े या सनाथजी िसंहपुर वण व णु व णुराज तदु का वृ गडा
१२ वासुपु यजी च पापुर शतिभषा जपा वासुपु य पाटला वृ भसा
१३ वमलनाथजी का प य उ राभा पद शमी कृ तवमा ज बू वृ शूकर
१४ अन तनाथजी वनीता रे वती सूव शया िसंहसेन पीपल वृ सेह
१५ धमनाथजी र पुर पु य सु ता भानुराजा दिधपण वृ व द ड
१६ शांितनाथजी ह तनापुर भरणी ऐराणी व सेन न द वृ हरण
१७ कु थुनाथजी ह तनापुर कृ का ीदे वी सूय ितलक वृ बकरा
१८ अरहनाथजी ह तनापुर रो हणी िमया सुदशन आ वृ मछली
१९ म लनाथजी िमिथला अ नी र ता कु प कु पअशोक वृ कलश
२० मुिनसु तनाथजी कुशा नगर वण प ावती सुिम च पक वृ कछुवा
२१ निमनाथजी िमिथला अ नी व ा वजय वकुल वृ नीलकमल
२२ नेिमनाथजी शो रपुर िच ा िशवा समु वजय मेष ृ ं ग वृ शंख
२३ पा वनाथजी वाराणसी वशाखा वामादे वी अ सेन घव वृ सप
२४ महावीरजी कुंडलपुर उ राफा गुनी शाला िस ाथ साल वृ िसंह
( यका रणी)
29 अग त 2011

जैन धमके विश यं ो क सूची


ी चौबीस तीथकरका महान भा वत चम कार यं ी एका ी ना रयेर यं
ी चोबीस तीथकर यं सवतो भ यं
क पवृ यं सव संप कर यं
िचंतामणी पा नाथ यं सवकाय-सव मनोकामना िस अ यं (१३० सवतोभ यं )
िचंतामणी यं (पस ठया यं ) ऋ ष मंडल यं
िचंतामणी च यं जगदव लभ कर यं
ी च े र यं ऋ िस मनोकामना मान स मान ाि यं
ी घंटाकण महावीर यं ऋ िस समृ दायक ी महाल मी यं
ी घंटाकण महावीर सव िस महायं वषम वष िन ह कर यं
(अनुभव िस संपूण ी घंटाकण महावीर पतका यं )
ी प ावती यं ु ो प व िननाशन यं
ी प ावती बीसा यं बृह च यं
ी पा प ावती कार यं वं या श दापह यं
प ावती यापार वृ यं मृतव सा दोष िनवारण यं
ी धरणे प ावती यं कांक वं यादोष िनवारण यं
ी पा नाथ यान यं बाल ह पीडा िनवारण यं
ी पा नाथ भुका यं लधुदेव कुल यं
भ ामर यं (गाथा नंबर १ से ४४ तक) नवगाथा मक उवस गहरं तो का विश यं
म णभ यं उवस गहरं यं
ी यं ी पंच मंगल महा ृ त कंध यं
ी ल मी ाि और यापार वधक यं ंकार मय बीज मं
ी ल मीकर यं वधमान व ा प ट यं
ल मी ाि यं व ा यं
महा वजय यं सौभा यकर यं
वजयराज यं डा कनी, शा कनी, भय िनवारक यं
वजय पतका यं भूता द िन ह कर यं
वजय यं वर िन ह कर यं
िस च महायं शा कनी िन ह कर यं
द ण मुखाय शंख यं आप िनवारण यं
द ण मुखाय यं श ुमुख तंभन यं
यं के वषय म अिधक जानकार हे तु संपक कर।
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30 अग त 2011

सव काय िस कवच
जस य को लाख य और प र म करने के बादभी उसे मनोवांिछत सफलताये एवं कये गये काय
म िस (लाभ) ा नह ं होती, उस य को सव काय िस कवच अव य धारण करना चा हये।

कवच के मुख लाभ: सव काय िस कवच के ारा सुख समृ और नव ह के नकारा मक भाव को
शांत कर धारण करता य के जीवन से सव कार के दु:ख-दा र का नाश हो कर सुख-सौभा य एवं
उ नित ाि होकर जीवन मे सिभ कार के शुभ काय िस होते ह। जसे धारण करने से य यद
यवसाय करता होतो कारोबार मे वृ होित ह और य द नौकर करता होतो उसमे उ नित होती ह।

 सव काय िस कवच के साथ म सवजन वशीकरण कवच के िमले होने क वजह से धारण करता
क बात का दू सरे य ओ पर भाव बना रहता ह।

 सव काय िस कवच के साथ म अ ल मी कवच के िमले होने क वजह से य पर मां महा


सदा ल मी क कृ पा एवं आशीवाद बना रहता ह। ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द
ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-गज ल मी, (५)-संतान ल मी, (६)- वजय
ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी पो का अशीवाद ा होता ह।

 सव काय िस कवच के साथ म तं र ा कवच के िमले होने क वजह से तां क बाधाए दू र


होती ह, साथ ह नकार मन श यो का कोइ कु भाव धारण कता य पर नह ं होता। इस
कवच के भाव से इषा- े ष रखने वाले य ओ ारा होने वाले दु भावो से र ाहोती ह।

 सव काय िस कवच के साथ म श ु वजय कवच के िमले होने क वजह से श ु से संबंिधत


सम त परे शािनओ से वतः ह छुटकारा िमल जाता ह। कवच के भाव से श ु धारण कता
य का चाहकर कुछ नह बगड सकते।

अ य कवच के बारे मे अिधक जानकार के िलये कायालय म संपक करे :

कसी य वशेष को सव काय िस कवच दे ने नह दे ना का अंितम िनणय हमारे पास सुर त ह।

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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


31 अग त 2011

दे वदशन तो म ्
दशनं दे वदे व य, दशनं पापनाशनम ् । अ यथा शरणं ना त, वमेव शरणं मम।
दशनं वगसोपानं, दशनं मो साधनम ् ।1। त मा का य-भावेन, र र जने र।8।

दशनेन जने ाणां, साधूनां वंदनेन च। न ह ाता न ह ाता, न ह ाता जग ये।


न िचरं ित ते पापं, िछ ह ते यथोदकम ् ।2। वीतरागा परो दे वो, न भूतो न भ व यित ।9।

वीतरागमुखं वा, प रागसम भं।


जनेभ ः जनेभ ः जनेभ ः दने दने।
ज म-ज मकृ तं पापं दशनेन वन यित।3।
सदा मेऽ तु, सदा मेऽ तु, सदा मेऽ तु भवे भवे।10।

दशनं जनसूय य, संसार- वा त-नाशनं। जनधम - विनमु ो, मा भवे च व य प।


बोधनं िच -प य, सम ताथ- काशनम ् ।4। या चेटोऽ प द र ोऽ प जनधमानुवािसतः।11।

दशनं जनचं य, स मामृ त-वषणम ् ।


ज म-ज मकृ तं पापं, ज म-को टमुपा जतम ् ।
ज म-दाह- वनाशाय, व नं सुख-वा रधेः।5।
ज म- यु-जरा-रोगं, ह यते जन-दशनात ् ।12।

जीवा द त व ितपादकाय, स य व-मु या -गुणाणवाय। अ ाभव सफलता नयन य य,


शांत- पाय दग बराय, दे वािधदे वाय नमो जनाय ।6। दे व ! वद य चरणा बुज वी णेन।

िचदान दै क- पाय, जनाय परमा मने। अ लोक-ितलकं ! ितभासते मे,

परमा म- काशाय, िन यं िस ा मने नमः।7। संसार-वा रिधरयं चुलुक- माणम ् ।13।

नवर ज ड़त ी यं
शा वचन के अनुसार शु सुवण या रजत म िनिमत ी यं के चार और य द नवर जड़वा ने पर यह नवर
ज ड़त ी यं कहलाता ह। सभी र ो को उसके िन त थान पर जड़ कर लॉकेट के प म धारण करने से य
को अनंत ए य एवं ल मी क ाि होती ह। य को एसा आभास होता ह जैसे मां ल मी उसके साथ ह।
नव ह को ी यं के साथ लगाने से ह क अशुभ दशा का धारण करने वाले य पर भाव नह ं होता ह।
गले म होने के कारण यं पव रहता ह एवं नान करते समय इस यं पर पश कर जो जल बंद ु शर र को
लगते ह, वह गंगा जल के समान प व होता ह। इस िलये इसे सबसे तेज वी एवं फलदािय कहजाता ह। जैसे
अमृ त से उ म कोई औषिध नह ं, उसी कार ल मी ाि के िलये ी यं से उ म कोई यं संसार म नह ं ह एसा
शा ो वचन ह। इस कार के नवर ज ड़त ी यं गु व कायालय ारा शुभ मुहू त म ाण ित त करके
बनावाए जाते ह।

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32 अग त 2011

ी मंगला क तो (जैन)
अह तो भगवत इ म हताः, िस ा िस रा, योित य तर-भावनामर हे मेरौ कुला ौ थताः,
आचायाः जनशासनो नितकराः, पू या उपा यायकाः। ज बूशा मिल-चै य-श खषु तथा व ार- या षु।
ीिस ा तसुपाठकाः, मुिनवरा र याराधकाः, इ वाकार-िगरौ च कु डला द पे च न द रे ,
प चैते परमे नः ित दनं, कुव तु नः मंगलम ्॥1॥ शैले ये मनुजो रे जन- हाः कुव तु नः मंगलम ् ॥6॥
ीम न - सुरासुरे - मुकुट - ोत - र भा- कैलाशे वृ षभ य िन ितमह वीर य पावापुरे,
भा व पादनखे दवः वचना भोधी दवः थाियनः। च पायां वसुपू यसु जनपतेः स मेदशैलेऽहताम ् ।
ये सव जन-िस -सूय नुगता ते पाठकाः साधवः शेषाणाम प चोजय तिशखरे नेमी र याहतः,
तु या योगीजनै प चगुरवः कुव तु नः मंगलम ्॥2॥ िनवाणावनयः िस वभवाः कुव तु नः मंगलम ्॥7॥
स य दशन-बोध- ममलं, र यं पावनं, यो गभावतरो सवो भगवतां ज मािभषेको सवो,
मु ीनगरािधनाथ - जनप यु ोऽपवग दः। यो जातः प रिन मेण वभवो यः केवल ानभाक् ।
धम सू सुधा च चै यम खलं, चै यालयं यालयं, यः कैव यपुर- वेश-म हमा स प दतः विगिभः
ो ं च वधं चतु वधममी, कुव तु नः मंगलम ्॥3॥ क याणािन च तािन पंच सततं कुव तु नः मंगलम॥8॥

नाभेया द जनाः श त-वदनाः याता तु वशितः, सप हारलता भव यिसलता स पु पदामायते,
ीम तो भरते र- भृ तयो ये च णो ादश। स प ेत रसायनं वषम प ीितं वध े रपुः।
ये व णु- ित व णु-लांगलधराः स ो रा वंशितः, दे वाः या त वशं स नमनसः कं वा बहु ूमहे,
ैका ये िथता ष -पु षाः कुव तु नः मंगलम ् ॥4॥ धमादे व नभोऽ प वषित नगैः कुव तु नः मंगलम॥9॥

ये सव षध-ऋ यः सुतपसो वृ ं गताः प च ये, इ थं ी जन-मंगला किमदं सौभा य-स प करम ्,
ये चा ाँग-महािनिम कुशलाः येऽ ा वधा ारणाः। क याणेषु महो सवेषु सुिधय तीथकराणामुषः।
प च ानधरा योऽ प बिलनो ये बु ऋ राः, ये व त पठ त तै सुजनैः धमाथ-कामा व ताः,
स ैते सकलािचता मुिनवराः कुव तु नः मंगलम॥5॥
् ल मीरा यते यपाय-र हता िनवाण-ल मीर प ॥10॥

अथ नव ह शांित तो (जैन)
जग ु ं नम कृ यं, ु वा स ु -भा षतम ् । नेिमनाथो भवे ाहोः केतु: ीम लपा योः ।।६।।
हशा तं व यािम, लोकोनां सुखहे तवे ।।१।। ज मल नं च रािशं च, य द पीड़य त खेचराः ।
जने ा: खेचरा ेयाः, पूजनीया विधः मात ् । तदा संपूजये धीमान,् खेचरान सह तान ् ितनान ् ।।
७।।
पु पै वलेपनै धू पै, नवे ै तु हे तवे ।।२।। आ द य सोम मंगल, बुध गु शु े शिन:।
प भ य मातड- भ य च । राहु केतु मेरवा े या, जनपूजा वधायकः॥८॥
वासुपू य य भूपु ो, बुध ा जनेिशनाम ्।।३।। जनान ् नमो न य ह, हाणां तु हे तवे।
वमलान त धमश,् शा तः कु वर निम। नम कारशतं भ या, जपेद ो रं शतम ् ।।९।।
वधमान जने ाणां, पादप म ् बुधो नमेत ् ।।४।। भ बाहु गु वा मी पंचमः ुतकेवली ।
ऋषभा जतसुपा ा-सािभन दनशीतलौ । व ा साद:, पूण, हशा त- विध-कृ ता ।।१०।।
सुमितः संभव वामी, ेयांसेषु बृह पितः ।।५।। यः पठे त ् ात थाय, शुिचभू वा समा हतः।
सु वधेः किथतः शु े , सु त शनै रे । वप तो भवे छांित ेमं त य पदे पदे ॥११॥
33 अग त 2011

॥ महावीरा क- तो म ् ॥
िशख रणी छं द विच ा मा येको नृ पित-वर-िस ाथ-तनय:।
यद ये चैत ये मुकुर इव भावा दिचत: अज मा प ीमान ्? वगत-भव-रागो ु त-गित?
समं भा त ौ य यय-जिन-लस तोऽ तर हता:। महावीर- वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥5॥
जग सा ी माग- कटन परो भानु रव यो
यद या वा गंगा व वध-नय-क लोल- वमला
महावीर- वामी नयन-पथ-गामी भवतु म॥1॥
बृ ह ाना भोिभजगित जनतां या नपयित।
अता ं य च ु: कमल-युगलं प द-र हतं इदानीम येषा बुध-जन-मरालै प रिचता
जना कोपापायं कटयित वा य तरम प। महावीर- वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥6॥
फुटं मूितय य शिमतमयी वाित वमला
अिनवारो े क भुवन-जयी काम-सुभट:
महावीर- वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥2॥
कुमाराव थायाम प िनज-बला ेन व जत:
नम नाक ाली-मुकुट-म ण-भा जाल ज टलं फुर न यान द- शम-पद-रा याय स जन:
लस पादा भोज- यिमह यद यं तनुभ ृ ताम?।
् महावीर- वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥7॥
भव वाला-शा यै भवित जलं वा मृ तम प
महामोहातक- शमन-पराक मक-िभषक?
महावीर वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥3॥
िनरापे ो बंधु व दत-म हमा मंगलकर:।
यद चा-भावेन मु दत-मना ददु र इह शर य: साधूनां भव-भयभृ तामु मगुणो
णादासी वग गुण-गण-समृ : सुख-िनिध:। महावीर- वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥8॥
लभ ते स ा: िशव-सुख-समाजं कमुतदा
महावीरा कं तो ं भ या भागे दु ना कतम।
महावीर- वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥4॥
य: यठे णुया चा प स याित परमां गितम॥9॥
कन वणाभासोऽ यपगत-तनु ान-िनवहो

या आप कसी सम या से त ह?
आपके पास अपनी सम याओं से छुटकारा पाने हे तु पूजा-अचना, साधना, मं जाप इ या द करने का समय नह ं
ह? अब आप अपनी सम याओं से बीना कसी वशेष पूजा-अचना, विध- वधान के आपको अपने काय म
सफलता ा कर सके एवं आपको अपने जीवन के सम त सुखो को ा करने का माग ा हो सके इस िलये
गु व कायालत ारा हमारा उ े य शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस ाण- ित त पूण चैत य
यु विभ न कार के य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।
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34 अग त 2011

॥ महावीर चालीसा ॥
दोहा िन वष करो आप भगव ता । अनहद श दभयो ितहु ँ लोका ।
महाम गज मद को झारै, इ ने ने सह क र दे खा,
िस समूह नम सदा,
भगै तुरत जब तुझे पुकारै । िगर सुमेर कयो अिभषेखा ।
अ सुम ं अरह त ।
फार डाढ़ िसंहा दक आवै, कामा दक तृ णा संसार ,
िनर आकुल िनवा छ हो,
ताको हे भु तुह भगावै । तज तुम भए बाल चार ।
गए लोक के अंत ॥
होकर बल अ न जो जारै , अिथर जान जग अिनत बसार ,
मंगलमय मंगल करन,
तुम ताप शीतलता धारै । बालपने भु द ा धार ।
वधमान महावीर ।
श धार अ र यु लड़ ता, शांत भाव धर कम वनाशे,
तुम िचंतत िचंता िमटे ,
तुम साद हो वजय तुर ता । तुरत ह केवल ान काशे ।
हरो सकल भव पीर ॥
पवन च ड चलै झकझोरा, जड़-चेतन य जग के सारे ,
चौपाई भु तुम हरौ होय भय चोरा । ह त रे खवत ्? सम तू िनहारे ।
जय महावीर दया के सागर, झार ख ड िग र अटवी मांह ं, लोक-अलोक य षट जाना,
जय ी स मित ान उजागर । तुम बनशरण तहां कोउ नांह ं । ादशांग का रह य बखाना ।
शांत छ व मूरत अित यार , व पात क र घन गरजावै, पशु य का िमटा कलेशा,
वेष दग बर के तुम धार । मूसलधार होय तड़कावै । दया धम दे कर उपदे शा ।
को ट भानु से अित छ ब छाजे, होय अपु दर संताना, अनेकांत अप र ह ारा,
दे खत ितिमर पाप सब भाजे । सुिमरत होत कुबेर समाना । सव ा ण समभाव चारा ।
महाबली अ र कम वदारे, बंद गृ ह म बँधी जंजीरा, पंचम काल वषै जनराई,
जोधा मोह सुभट से मारे । कठ सुई अिन म सकल शर रा । चांदनपुर भुता गटाई ।
काम ोध त ज छोड़ माया, राजद ड क र शूल धरावै, ण म तोपिन बा ढ-हटाई,
ण म मान कषाय भगाया। ता ह िसंहासन तुह बठावै । भ न के तुम सदा सहाई ।
रागी नह ं नह ं तू े षी, यायाधीश राजदरबार , मूरख नर न हं अ र ाता,
वीतराग तू हत उपदे शी । वजय करे होय कृ पा तु हार । सुमरत पं डत होय व याता ।
भु तुम नाम जगत म सांचा, जहर हलाहल दु पय ता,
सोरठा
सुमरत भागत भूत पशाचा । अमृ त सम भु करो तुर ता ।
करे पाठ चालीस दन
रा स य डा कनी भागे, चढ़े जहर, जीवा द डस ता,
िनत चालीस हं बार ।
तुम िचंतत भय कोई न लागे । िन वष ण म आप कर ता ।
खेवै धूप सुग ध पढ़,
महा शूल को जो तन धारे, एक सहस वसु तुमरे नामा,
ी महावीर अगार ॥
होवे रोग असा य िनवारे । ज म िलयो कु डलपुर धामा ।
जनम द र होय अ
याल कराल होय फणधार , िस ारथ नृ प सुत कहलाए,
जसके न हं स तान ।
वष को उगल ोध कर भार । शला मात उदर गटाए ।
नाम वंश जग म चले
महाकाल सम करै डस ता, तुम जनमत भयो लोक अशोका,
होय कुबेर समान ॥
35 अग त 2011

राम र ा यं
राम र ा यं सभी भय, बाधाओं से मु व काय म सफलता ाि हे तु उ म यं ह। जसके योग

से धन लाभ होता ह व य का सवागी वकार होकर उसे सुख-समृ , मानस मान क ाि होती

ह। राम र ा यं सभी कार के अशुभ भाव को दू र कर य को जीवन क सभी कार क

क ठनाइय से र ा करता ह। व ानो के मत से जो य भगवान राम के भ ह या ी

हनुमानजी के भ ह उ ह अपने िनवास थान, यवसायीक थान पर राम र ा यं को अव य

थापीत करना चा हये जससे आने वाले संकटो से र ा हो उनका जीवन सुखमय यतीत हो सके

एवं उनक सम त आ द भौितक व आ या मक मनोकामनाएं पूण हो सके।

ता प पर सुवण पोलीस ता प पर रजत पोलीस ता प पर


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)

साईज मू य साईज मू य साईज मू य


2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370
3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550
4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820
6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450
9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450
12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600

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36 अग त 2011

पयू षण का मह व
 िचंतन जोशी

जैन धम के अनुयायी पयू षण पव को जीव क आ म शु का माग बताते ह। जैन मुिनजनो के अनुसार


पयू षण पव इ आराधना और मा का पव भी ह। पयूषण को मु यत: मनु य के पुनिनमाण का ोतक मानाजाता ह।
पयू षण म मनु य अपने िभतर क वकृ ितय का याग करता ह।
पयू षण के दन म ावक- ा वकाएं चय का पालन, रा भोज याग, सिच का याग रखते ह। त-
उपवास, सामियक- ित मण, वचन- वण आ द के मा यम से इन दन अिघक से अिघक समय धम यान म
यतीत कया जाता ह।
पयू षण के दन ावक- ा वकाएं उपवास रखते ह और वयं के पाप क आलोचना करते हु ए भ व य म उनसे
बचने क ित ा करते ह। इसके साथ ह वे चौरासी लाख योिनय म वचरण कर रहे , सम त जीव से मा माँगते
हु ए यह सूिचत करते ह क उनका कसी से कोई बैर नह ं है ।
ावक- ा वकाएं परो प से वे यह संक प करते ह क वे कृ ित म कोई ह त ेप नह ं करगे। मन, वचन
और काया से जानते या अजानते वे कसी भी हं सा क गित विध म भाग न तो वयं लगे, न दू सर को लेने को
कहगे और न लेने वाल का अनुमोदन करगे। यह आ ासन दे ने के िलए क उनका कसी से कोई बैर नह ं है , वे यह
भी घो षत करते ह क उ ह ने व के सम त जीव को मा कर दया है और उन जीव को मा माँगने वाले से
डरने क ज रत नह ं है ।
मा दे ने से मनु य अ य सम त जीव को अभयदान दे ते ह और उनक र ा करने का संक प लेते ह। तब
य संयम और ववेक का अनुसरण करगे, आ मक शांित अनुभव करगे और सभी जीव और पदाथ के ित मै ी
भाव रखगे। आ मा तभी शु रह सकती है जब वह अपने सेबाहर ह त ेप न करे और बाहर त व से वचिलत न हो।
मा-भाव जैन धम का मूलमं है ।
जैन धम म ेता बर मूितपूजक पर परा म आठ दन तक "क पसू " पढ़ा व सुना जाता ह।
जब क जैन धम म थानकवासी पर परा म आठ दन तक "अ तक शा सू " का वाचन कया जाता ह।
37 अग त 2011

मं िस ा
एकमुखी ा -Rs- 1250,2800 छह मुखी ा -Rs- 55,100 यारहमुखी ा -Rs- 2800

दो मुखी ा -Rs- 100,151 सात मुखी ा -Rs- 120,190 बारह मुखी ा -Rs- 3600

तीन मुखी ा -Rs- 100,151 आठ मुखी ा -Rs- 820,1250 तेरह मुखी ा -Rs- 6400

चार मुखी ा -Rs- 55,100 नौ मुखी ा -Rs- 820,1250 चौदह मुखी ा -Rs- 19000

पंच मुखी ा -Rs- 28,55 दसमुखी ा -Rs- ........ गौर षंकर ा -Rs-

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संपूण ाण ित त 22 गेज शु ट ल म िनिमत अखं डत

पु षाकार शिन यं
पु षाकार शिन यं ( ट ल म) को ती भावशाली बनाने हे तु शिन क कारक धातु शु ट ल(लोहे ) म बनाया गया
ह। जस के भाव से साधक को त काल लाभ ा होता ह। य द ज म कुंडली म शिन ितकूल होने पर य को
अनेक काय म असफलता ा होती है , कभी यवसाय म घटा, नौकर म परे शानी, वाहन दु घ टना, गृ ह लेश आ द
परे शानीयां बढ़ती जाती है ऐसी थितय म ाण ित त ह पीड़ा िनवारक शिन यं क अपने को यपार थान या
घर म थापना करने से अनेक लाभ िमलते ह। य द शिन क ढै ़या या साढ़े साती का समय हो तो इसे अव य पूजना
चा हए। शिनयं के पूजन मा से य को मृ यु, कज, कोटकेश, जोडो का दद, बात रोग तथा ल बे समय के सभी
कार के रोग से परे शान य के िलये शिन यं अिधक लाभकार होगा। नौकर पेशा आ द के लोग को पदौ नित
भी शिन ारा ह िमलती है अतः यह यं अित उपयोगी यं है जसके ारा शी ह लाभ पाया जा सकता है ।
मू य: 1050 से 820
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38 अग त 2011

जब महावीर ने एक योितषी को कहां तु हार व ा स ची है ?

 व तक.ऎन.जोशी
.

भगवान महावीर के समय म पु य नाम का एक पु य योितषी ने महावीर से पूछा "ये पदिच तो आपके
बड़ा सु िस योितषी था। उसका योितष ान इतना मालूम होते ह ?"
सट क रहता था क पु यको अपने योितष ान पर पूरा महावीर बोले: "हाँ।"
व ास था। दू रदे श से लोग उससे योितष व ा के पु य कहने लगे "मुझे अपने योितष पर भरोसा ह।
वषय म पूछने आते थे। आज तक मेरा योितष झूठा नह ं पड़ा। पदिच से
पु य योितषी जो कह दे त,े व तुतः स चा पड़ लगता है क आप च वत स ाट हो। ले कन आपको
जाता। योितषी व ा म वहं इतने तेज थे क लोग के बेहाल दे खकर दया आती है क आप िभ ुक हो। मेर
पदिच क रे खाएँ दे खकर भी वह लोग क थित बता व ा आज झूठ कैसे पड़ ?"
सकते थे। ऐसे ब ढ़या कुशा योितषी थे। महावीर मु कराकर बोलेः "तु हार व ा झूठ नह ं है ,
उन दन म वधमान (भगवान महावीर) घर दन स ची है ।
म तो मभ करते और जैसे सं या होती, अंधेरा होते ह एक बात बताओं च वत को या होता है ?"
एका त खोजकर बैठ जाते। थोड़ दे र आराम कर लेते पु य बोले: "उसके पास वजा होती है , कोष होता है ,
फर बैठकर चुपचाप, यान म थर हो जाते। उसके पास सै य होता है । आप तो बेहाल हो"
पु य योितषी ने दे खा क रे त पर कसी के महावीर फर मु कराकर बोलेः "धम क वजा मेरे पास
पदिच ह। पदिच को यान से परखा ओर योितष है । कपड़े क वजा ह स ची वजा नह ं है । स ची
व ा से जाना क ये तो च वत के पदिच ह। च वत वजा तो धम क वजा है । मेरे पास सद वचार पी
यद यहाँ से गुजरे है तो उनके साथ म मं ी होने चा हए, सै य है जो कु वचार को मार भगाता है । मा मेर रानी
सिचव होने चा हए, अंगर क होने चा हए, िसपाह होने है । च वत के आगे च होता है तो समता मेरा च है ,
चा हए। पदिच च वत के और साथ म कोई और ान का काश मेरा च है ।
पदिच नह ं यह स भव नह ं हो सकता। योितषी ! या यह ज र है क बाहर का च ह
परं तु पु य योितषी पहू ं चा हु वा योितष था च वत के पास हो ? बाहर क ह वजा हो ? धम क भी
उसको अपनी योितष व ा पर पूरा भरोसा था। उसक वजा हो सकती है । धम का भी कोष हो सकता है ।
नींद हराम हो गयी। चाँदनी रात थी इस िलये जहाँ तक यान और पु य का भी कोई खजाना होता है ।

चल सका पदिच दे खता हु आ चला, फर कह ं क कर राजा वह जसके पास भूिम हो, स ा हो। सुबह जो सोचे

आराम कर िलये। फर सुबह-सुबह ज द चलना चालू तो शाम को प रणाम आ जाय। ानरा य म मेर िन ा
है । जो भी मेरे माग म वेश करता है , सुबह को ह चले
कया। उसेतो खोजना था, पदिच कहाँ जा रहे ह। दे खा
तो शाम को शांित का एहसास हो जाता है , थोड़ा बहु त
क बना कोई साधन के, एक य शांत भाव म बैठा
प रणाम आ जाता है । यह मेर ान क भूिम है ।" जो
हु आ है । पदिच वह ं पूरे होते ह। उसके इदिगद दे खा,
योितषी हारा हु आ िनराश होकर जा रहा था वह स तु
चेहरे पर दे खता रहा। इतने म महावीर क आँख खुली।
होकर, समाधान पाकर णाम करता हु आ बोलाः "हाँ
अबतक योितषी िच ता म डू बता जा रहा था।
महाराज ! इस रह य का मुझे आज पता चला। मेर व ा
भी स ची और आपका माग भी स चा है ।"
39 अग त 2011

ादश महा यं
यं को अित ािचन एवं दु ल भ यं ो के संकलन से हमारे वष के अनुसंधान ारा बनाया गया ह।
 परम दु लभ वशीकरण यं ,  सह ा ी ल मी आब यं
 भा योदय यं  आक मक धन ाि यं
 मनोवांिछत काय िस यं  पूण पौ ष ाि कामदे व यं
 रा य बाधा िनवृ यं  रोग िनवृ यं
 गृ ह थ सुख यं  साधना िस यं
 शी ववाह संप न गौर अनंग यं  श ु दमन यं
.

उपरो सभी यं ो को ादश महा यं के प म शा ो विध- वधान से मं िस पूण ाण ित त एवं चैत य


यु कये जाते ह। जसे थापीत कर बना कसी पूजा अचना- विध वधान वशेष लाभ ा कर सकते ह।

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महामृ युंजय यं + कवच


संपूण ाण ित त चैत य यु महामृ युंजय यं मनु य के िलए अ ु त कवच क तरह काय करता ह। शा ो
वधान के अनुशार महामृ युंजय मं -यं -कवच के पूजन से साधारण रोग से लेकर असा य रोगो तक का िनवारण
कया जा सकता ह। उसके अलावा उिचत विध- वधान से कये गये पूजन से आक मक दु घ टना इ या द को
टालकर अकाल मृ यु से बचाव हो सकता ह। मनु य अपने जीवन के विभ न समय पर कसी ना कसी सा य या
असा य रोग से त होता ह। उिचत उपचार से यादातर सा य रोगो से तो मु िमल जाती ह, ले कन कभी-कभी
सा य रोग होकर भी असा या हो जाते ह, या कोइ असा य रोग से िसत होजाते ह। हजारो लाखो पये खच करने
पर भी अिधक लाभ ा नह ं हो पाता। डॉ टर ारा दजाने वाली दवाईया अ प समय के िलये कारगर सा बत होती
ह, एिस थती म लाभा ाि के िलये य एक डॉ टर से दू सरे डॉ टर के च कर लगाने को बा य हो जाता ह।
एसी अव था म रोगो के िनदान हे तु भगवान िशव के पूण आिशवाद से यु महामृ युंजय कवच एवं यं से उ म
और कोई मं -यं -कवच नह ं ह। महामृ युंजय कवच + यं = 730+550 = 1280 1250/- मा

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40 अग त 2011

ज म वार से य व
 िचंतन जोशी
योितष शा के अनुशार स ाह के सभी वार का य
के जीवन पर गहरा भाव पड़ता ह. य का ज म
जस वार म हु वा हो उस वार के भाव से य का बुधवार के दन ज म लेने वाला य बुध के भाव के

यवहार और च र भा वत होता ह. कारन िमठा बोलने वाले, व ा अ ययन मे िच रखने


वाले, ानी, लेखन, स प वान होते ह, बुधवार के दन
ज म लेने वाले लोग य लोग ज द से व ास नह ं
र ववार के दन ज म लेने वाला य सूय के भाव के कते ह.
कारन तेज वी, चतुर, गुणवान, उ साह , दानी, ले कन थोडा
गव रखने वाल और प कृ ित का होता ह। वभाव म
अ यािधक ोध भरा होता है . य द केसी से झगडे क
थित पैदा हो जाए तो उसम अपनी पूर ताकत झोकने गु वार (बृ ह पितवार) के दन ज म लेने वाला य गु
से पीछे नह ं हटते ह. के भाव के कारन व ा,धनवान , ानी, ववेकशील, उ म
सलाहकार होते ह। य दू सरो को उपदे श दे ने मे सदै व
अ णय रे हते ह, एवं लोगो से मान स मान ा कर
सोमवार के दन ज म लेने वाला य चं के भाव के बहोत सार िस ाि करना चाहते ह।
कारन बु मान, कृ ित वभाव से शांत, अपनी मधुर
वाणी से अ य लोगो को अपनी और सरलता से मो हत
कर लेते है । य थर वभाव वाले, सुख एवं दु :ख
कसी भी थित म समान रहने वाले ह।
शु वार के दन ज म लेने वाला य शु के भाव के
कारन वभाव चंचल, भौितक सुख म िल रहने वाले,
तक- वतक मे होिशयार, धनवान एवं ती ण बु के
मंगलवार के दन ज म लेने वाला य मंगल के भाव वामी होते ह। ई र मे आ था कम ह होती ह, यद
के कारन ज टल वभाव वाला, दू सरो के काय मे आसानी होतो नह के बराबर होती ह।
से नु श िनकालने वाल, यु ेमी, परा मी, अपनी बातो
पर कायम रहने वाले, कभी कभी हं सक वृ रखने वाले
एवं अपने प रवार का नाम रोशन करने वाले होते ह।
शिनवार के दन ज म लेने वाला य शिन के भाव
के कारन कठोर वभाव के, परा मी एवं प र मी, दु :ख
सेहने क गजब क श रखने वाले, यायी एवं गंभीर
वभाव के होते ह। सेवा कर नाम व िस ा करने
वाले होते ह।
41 अग त 2011

घंटाकण महावीर सव िस महायं को थापीत


करने से साधक क सव मनोकामनाएं पूण होती ह। सव
कार के रोग भूत- ेत आ द उप व से र ण होता ह।
जहर ले और हं सक ाणीं से संबंिधत भय दू र होते ह।
अ न भय, चोरभय आ द दू र होते ह।
दु व असुर श य से उ प न होने वाले भय
से यं के भाव से दू र हो जाते ह।
यं के पूजन से साधक को धन, सुख, समृ ,
ऎ य, संत -संप आद क ाि होती ह। साधक क
सभी कार क सा वक इ छाओं क पूित होती ह।
यद कसी प रवार या प रवार के सद यो पर
वशीकरण, मारण, उ चाटन इ या द जादू-टोने वाले
योग कये गय होतो इस यं के भाव से वतः न
हो जाते ह और भ व य म य द कोई योग करता ह तो
र ण होता ह।
कुछ जानकारो के ी घंटाकण महावीर पतका
यं से जुडे अ ु त अनुभव रहे ह। य द घर म ी
घंटाकण महावीर पतका यं था पत कया ह और य द
कोई इषा, लोभ, मोह या श ुतावश य द अनुिचत कम
करके कसी भी उ े य से साधक को परे शान करने का यास करता ह तो यं के भाव से संपूण
प रवार का र ण तो होता ह ह, कभी-कभी श ु के ारा कया गया अनुिचत कम श ु पर ह उपर
उलट वार होते दे खा ह। मू य:- Rs. 1450 से Rs. 8200 तक उ ल
संपक कर। GURUTVA KARYALAY
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42 अग त 2011

वा तु िस ांत
 िचंतन जोशी
के अनु प भवन बनाते समय इस बात का खास यान
रखा जात ह।
सूय से ा सकारा मक ऊजा के ोत का सव
े उपयोग करने म वा तुशा हमारे िलये वशेष
मागदशक ह।
जस भवन म ात:काल के अलवा दोपहर को भी
सूय क करणे वेश करती हो, उस भवन मे रहने वाले
य ओ का वा य ितकूल रहता ह। यो क दोपहर
के समय भवन पर पड़ने वाली सूय क करण
नकारा मक(अ ा वायलेट) होती ह, जो वा य के िलए
नुकसानदे ह होती ह। इसी वजह से वा तुशा म द ण
और प म क द वार को ऊंचा रखने का उ लेख
आज भौितकता क दौड म भवन क बनावट को िमलता ह।
सुंदर व भ य बनाने क ज र हो गई है , इस भ य एवं द ण और प म दशाओं म उ र व पूव क
सुंदर भवनो के िनमाण के चलते य को वा तु का तुलना म कम खड़क -दरवाजे रखे जाते ह, ज से भवन
खयाल नह रहता। म रहने वाले सद य इन नकारा मक ऊजा यु सूय
ले कन को ा टर या आ कटे ट के बनाये हु वे करण के संपक म कम से कम रह। ज से उ र-पूव
लान पर मकान को सुंदरता दान करने हे तु भवन को दशा म थत जल ोत पर सूय क करण का
अिनयिमत आकार को मह व दे ने लगे ह। इन सब नकार मक भाव पड़ने से बचाव कया जासक।
कारण मकान बनाते समय जाने-अनजाने वा तु िस ांत जस भवन का द ण और प म (नैऋ य
क अवहे लना हो जाती ह। इ से वा तु दोष लगता ह। कोण), कसी भी कार से नीचा हो या वहां कसी भी
वा तु दोष के कारण घर के अंदर नकारा मक कार का भूिमगत जल ोत होए जेसे का पानी क
ऊजा से घर म असंतुलन क थित पैदा होती रे हती है । टांक , कुआं, बोरवेल, से टक टक इ या द थत हो तो,
इस कारण वहां रहने वाल के शार रक व मानिसक रोग वहां रहने वाले के असामियक मृ यु का िशकार होने क
उ प न होने लगते ह। यादा आशंका बनी रहती ह। यान रहे वा तुशा एक
वा तु िस ा त म सभी दशा अपना अलग भाव िस ा त एक व ान ह। घर क बनावट म ह वा तु
रखती ह, इस िलये दशाओ के अनु प भवन िनमाण िस ा त को अपना कर वा तुदोष को दू र कया जा
करने से अ यािधक सुफल ा होते दे खे गये ह। सकता है ।
ाकृ ितक उजा का मुख एवं अ ु त तो सूय ह, वा तु यो क वा तुदोष यु घरोम कुछ समय उस
भवन मे बताने के बादमे जब घर म रे हने वाले य ओ
43 अग त 2011

के िभतर बमार या वश कर लेती ह और डो. क दशा एवं येक कोण क 45 ड ी होित ह, ज से ठक


दवाईया भी अपना पूण भाव नह ं दखा पाती एवं य दशा िनणय म सहायक होता ह।
वहा से भी िनराश होजात है , तब य यं , मं , तं , दशा और उसके दे वता एवं ह
योितष, वा तु, आ द के मा यम से कसी भी कार से
पूव दशा:
चाहे कुछ कर के य रोग से छुटकारा ा करना
दे वता: इं
चाहता ह।
ह: सूय
एसे म य क सोच होती ह, जब इतना कुछ
प म दशा:
कर िलया ह कोइ वशेष लाभ ा नह ं हो रहा तो यो
दे वता: व ण
ना इ हे भी आजमा िलया जाये। शायद कुछ लाभ ा
ह: शिन
हो जाये?
द ण दशा:
वा तुशा के िनयम केवल भवन या घर के भीतर
दे वता: यम
ह ं लागू होते ह। ट, प थर आ द से बानी द वार के
ह: मंगल
भीतर ह लागू होते ह । तूटे-फूटे भवन या क चे घर
उ र दशा:
जहा से वायु का सहजता से आवा-गमन होता ह, एसे
दे वता: कुबेर
घरम या भवन म वा तुशा के कोई िनयम लागू नह ं
ह: बुध
होते ह।
आ नेय कोण:
वा तु शा म दशा बडा मह व ह। सूय को दे ख
दे वता: अ नदे व
कर दशा का अंदाजा लगान वा तुशा म िथक नह ं
ह: शु
होता योक सूय के उ रायण या द णायन म दशा
नैऋ य कोण:
प रवतन होने पर उ र और द ण तो वह रहते ह,
दे वता: रा स
ले कन पूव और प म क दशा म अ तर पड़ जाता ह
ह: राहु -केतु
। इस िलये सह दशाका चुनाव केवल दशासूचक यं (
वाय य कोण:
क पास ) के ारा ह करना उिचत होता ह।
दे वता: वायुदेव
दशासूचक यं 360 ड ी रहती है ,
ह: चं
जससे चार मु य दशाए एवं चार कोण ( व दशाए)
ईशान कोण:
अथात (ईशान, अ नय, नैऋ य वाय य) को िमलाकर
दे वता: शंकर
आठ दशाओं का सह ं अंदाजा लगाया जासकता ह।
ह: बृ ह पित
यो क क पास से दे खकर दशा िनधारण मे येक

वा तु दोष िनवारक यं
भवन छोटा होया बडा य द भवन म कसी कारण से िनमाण म वा तु दोष लगरहा हो, तो शा म उसके िनवारण हे तु
वा तु दे वता को स न एवं स तु करने के िलए अनेक उपाय का उ लेख िमलता ह। उ ह ं उपायो म से एक ह वा तु यं
क थापना जसे घर-दु कान-ओ फस-फै टर म था पत करने से संबंिधत सम त परे शानीओं का शमन होकर वा तु
दोष का िनवारण होजाता ह एवं भवन म सुख समृ का आगमन होता ह। मू य मा Rs : 550
44 अग त 2011

ह तरे खा ान
 िचंतन जोशी
भाग:2
ह त रे खा वशे के मत म क ह ं दो हाथ पर अं कत मत म य द सू म से अवलोकन कया जाय, तो इस

रे खाएं और िच कभी एक जैसे नह ं होते। य द जुड़वा िस ा त के अनुसार उन ब च क वृ अपने माता-

ब चे ह तो उनक ं ह तरे खा म भी अंतर पाया पता से बलकूल िभ न होती ह।

जाता है । साम यतः एसा कहां जाता ह

कभी-कभी कसी क हाथ क रे खाओं पर य

प रवार के सद य म के ारा कये गये काय का

विश वृ होने पर गहरा

उनके हाथ का सू म भाव पड़ता ह। यह मुख

अ ययन करने पर कारण ह क हाथ क रे खाएं

कुछ रे खां एक समान समय के अनुसार ह बदलती

रे खाएं पाई जाित ह, रहती ह।

जो उनक विश कुछ व ानो का मत ह क

वृ को सरलता से िशशु के ज म के समय से ह

दशाता ह। कसी वशेष उसके हाथ क

कारणो से यहं रे खाएं चमड़ मोट और स त

आने वाली पी ढ़य म हो जाती है , य द हं थल


े ी क

यह वृ िनर तर चमड़ को लेप आ द करके या

बनी रहती ह उर उस कसी अ य साधन से मुलायम

वृ को दशाने वाली बना दया जाये तो उसपर

रे खाएं कुछ-कुछ िमलीझुली होती ह। कुछ ब च के हाथ अं कत िच कसी भी समय दे खे जा सकते ह। इनम

पर अं कत रे खाएं अपने माता- पता से कोई समानता अिधकांश िच उसक हथेली पर जीवन के अंितम ण

नह ं होती य द इस कार क थित हो, तो व ानो के तक बने रह सकते ह।


45 अग त 2011

गौतम केवली महा व ा ( ावली)


 व तक.ऎन.जोशी

हो वह पार पड़े गा। जमीन से तुमको लाभ होगा।


111 112 113 121 122 123 131 132 133
आमदनी से खच अिधक होता है । तीथ क या ा करने

211 212 213 221 222 223 231 232 233


क अिभलाषा है, वह पूण होगी। धािमक काय स प न
होगा।
311 312 313 321 322 323 331 332 333 113: आपका अभी अ छा है । तु हारे दल को
आराम िमलेगा। सुख-चैन ा करोगे। जो काय मन म
उपर दशाएं गये अंक शकुनावली ावली से सोचा है , उसम वजय ा करोगे। यजन का िमलाप
उ र ा करने से पूव शु एवं प व होकर अपने इ होगा। िच ता के दन िनकल चुके ह तथा अब अ छे
दे व का मरण करते हु वे उपर दशाएं गये अंक को को म दन आए ह। धम के भाव से सुखी हु ए हो तथा आगे
से कसी एक को क पर अपनी अंगुली अथवा शलाका भी सुख ा करोगे। क सहन करते हु ए भी दू सरे का
रख। जस को क पर आपने अंगुली अथवा शलाका रखी काय करते हो पर तु अपने काय म सु ती रखते हो।
ह उस को क म अं कत सं या के अनुसार आपके अभी बु तेज है , बगड़े काय को भी सुधार लेते हो। भ व य
का हल नीचे मशः अंको म दया गया ह। म लाभ िमलेगा।
111: आपने जो वचारा है वह सफल होगा। तु हारे 121: आपका वचारा हु आ लाभदायक है । बहु त
खराब दन का नाश होकर अ छे दन आए ह। मन क दन तक दु ःख सहन करने से िनराश हो गए हो, बुरे
कामनाएँ पूण ह गी। व वध कार क िचंताएँ मन म दन िनकल गए ह और अब शुभ दन आए ह। मन क
रहती ह, वे अब थोड़े दन म नाश हो जाएँगी। एक िम इ छाएँ फलीभूत ह गी। जतनी ल मी गंवाई है उससे भी
के धोखे को भोग रहे हो। धम काय क इ छा है , पर तु अिधक ा करोगे। जस काम क िच ता करते हो वह
पापकम से व न आता है । आमदनी से खच अिधक िच ता िमट जायेगी, उसम एक य व न उप थत
रहता है । कोई काय िस होने को आता है , तो श ु उसम करने आयेगा, क तु अ त म तुमको सफलता ा
व न डाल दे ते ह। दान-पु य करो। जससे मन क होगी। भाइय तथा स ब धय का िनभाव करते हो,
अिभलाषा पूण होगी। वरोधी चाहे कतनी कोिशश कर, जससे तु हार क ित बढ़ है । दल के उदार हो, जहाँ
पर तु तु हार धारणा अव य फलीभूत होगी। जाते हो वहाँ सुख िमलता है ।
122: आपने जो काम वचारा है , उसम सफलता नह ं
112: आपका अभी लाभदायक है । धन क ाि िमल पाएगी। आपने आज तक बहु त का भला कया है ।
होगी। भा योदय के दन अब नजद क आ गए ह। जस अशुभ कम के उदय से व न उप थत होते ह। जहाँ
काय को हाथ म लोगे, उसम जय ा करोगे। यजन तक बन सके वहाँ तक धम करो। अपने इ दे व क
का िमलाप होगा। धम के काय करते रहो, जससे पु य यथाश आराधना तथा म का जप करो, जससे
क ाि होगी तथा सुख भी िमलेगा। मन िच तत रहता तकलीफ दू र होगी।
है । भाइय से जुदाई होगी। मकान बनाने का इरादा करते
46 अग त 2011

123: आपके अभी काय म सफलता अव य िमलेगी। करने क इ छा है वह हो सकेगी। मकान बनाने का तथा
इतने पापकम के थे तथा आपने महान संकट उठाये ह। जमीन खर दने का तु हारा इरादा सफल होगा। तुमको
अब शुभ दन आए ह। बहु त का भला कया, क तु जमीन से लाभ है । भा यबल से काय िस ह गे।
उ होन उपकार न माना। धम के िनिम का िनकाला 213: दु ःख के दन अब दू र हो गए ह। सुख के दन
हु आ पैसा घर म न रखो। तीथ क या ा करो, जस शु हु ए ह। बहु त दन से क उठा रहे हो, परदे श गए
थान पर दु ःखी हु ए हो, उस थान का याग करो, दू सरे तो भी सुख क ाि न हु ई, क तु अब सुख भोगने के
थान म जाकर रहो। परदे श म लाभ होगा। तु हारा दल दन ा हु ए ह। आब बढ़े गी, संतान का सुख होगा।
िच ता म डू बा रहता है । अब शुभ कम का उदय हु आ है । इतने दन िम तथा कुटु बी जन क तरफ से दु ःख
वचारे हु ए काय म सफलता एवं धन ा होगा। सहन कया। जहाँ तक बना दू सर का भला कया, पर तु
उन लोग ने गुण नह ं माना। श ु लोग पग-पग पर
131: जो बात आपने सोची है वह अव य िस होगी, तैयार रहते ह, क तु उनका जोर नह ं चलता य क
जसका नुकसान हु आ है वह दू र होकर भ व य म लाभ तु हारा भा य बलवान ् है । पास म धन थोड़ा है , क तु
होगा। धन िमलेगा। तु हारे हाथ से धम के काय ह गे। इ जत अ छ है , इसिलये जतना ा करने का वचार
जस मनु य से मुलाकात चाहते हो वह होगी। िच ता के करोगे उतना ा कर सकोगे। िम लोग से जैसा चा हए
दन अब गए ह। धातु, धन, स प और कुटु ब क वैसा सुख नह ं है । इ जत आब के िलये खच बहु त
वृ होगी। करते हो। तु हारा धम सुधरा हु आ है , इसिलए धम पर
132: आज तक तु हारे बड़े -बड़े दु मन हु ए अब उनका ा रखो।
जोर नह ं चलेगा। मन म वचारे हु ए काय म सफलता 221: इतने दन गए वे अ छे गए, जो जो काय कए वे
ा करोगे। इ जत म वृ होगी। तु हारे हाथ से धम भी पार पड़ गए, क तु अब जो काय दल म वचारा है
के काय ह गे, मन वांिछत सुख क ाि होगी। भाइय वह पाप कम के उदय से पूण नह ं होगा। िम लोग भी
का िमलाप होगा। दान-पु य के भाव से सुखी ह गे। श ु हो जाएँगे। कुटु ब म अनबन रहे गी, भाई जुदा ह गे।
133: इतने दन संकट रहा। िचंितत काय अ छ तरह जो काम दल म वचारा है , उसका याग करना ह े
से पार न पड़ा, अब अ छे दन क शु आत हु ई है , जो है । धम पर ा रखो, इ दे व क सेवा करो, दान-पु य के
काय वचारा है वह फलीभूत होगा, कसी भी कार का भाव से सुख िमलेगा।
व न नह ं आयेगा। इ दे व के भाव से ल मी ा 222: जो काम मन म वचारा है, उसको छोड़कर दू सरा
होगी, यजन से अचानक लाभ होगा। काम करो। य द इस वचारे हु ए काय को करोगे तो संकट
211: तुमने मन म जस काय का वचार कया है , वह उ प न होगा, नुकसान होगा, श ु लोग व न उप थत
सफल नह ं होगा। इसके िसवाय कोई दू सरा काम करो। करगे। इ दे व क सेवा करो, तीथ पर जाओ, जससे
तीथ क या ा करो, जससे पु य का लाभ हो। दु मन दू सरे काय भी सुधरगे। दल म व वध कार क
लोग तुमको बाधाएँ डालते ह। िच ताओं ने वास कया है , वह वचारे हु ए काय को छोड़
212: वचारा हु आ काय होगा। ेिमका से लाभ होगा। दे ने से दू र होगी।
कुटु ब क वृ होगी। बहु त मु त से वचारा हु आ काय 223: यह सवाल अ छा है , सुख के दन नजद क आए
होगा। दु मन तु हारे व कोिशश करगे, क तु तु हारे ह। यापार से धन ा होगा, ऐशो-आराम ा करोगे।
स ा य के आगे उनका जोर नह ं चलेगा। तीथ क या ा प ी का सुख ा करोगे तथा संतान क वृ होगी, जो
47 अग त 2011

काय करोगे उसम लाभ ा करोगे। ईमानदार से काम धम पर ा रखो जससे संकट दू र ह । अपने हाथ से
करते हो तो अ त म भला ह होगा। धम के भाव से ल मी ा करोगे।
सुखी ह गे, इसिलये धम को भूलना मत, धम के काय म 312: जो काय वचारा है उसे छोड़कर कोई दू सरा काम
सु ती रखना ठ क नह ं। करो अ यथा श ु लोग व न डालगे, दौलत क खराबी
231: जस काय के िलए मन म वचार कया है , वह होगी, घर के मनु य तथा पशुओं पर संकट आएगा,
काय तीन मास म होगा। अपनी ी क तरफ से लाभ इसिलए वचारे हु ए काय को छोड़ दे ना ह उिचत है । धम
होगा। आज तक कुटु बीजन क तरफ से सुख नह के भाव से सब काय सफल होते ह। िनराि त को
िमला, क तु भ व य म िमलेगा। संतान क वृ होगी। आ य दो तथा दे वािधदे व का मरण करो जससे सुखी
ससुराल के खच क िच ता है , सो िमट जाएगी। आब ह गे।
के िलए आमदनी से खच अिधक करना पड़ता है । तीथ 313: यह अ छा है । धन तथा ी से सहयोग एवं
क या ा करने का इरादा है , क तु व न आता है । सुख िमलेगा। संतान से सुख िमलेगा। संतान होगी,
भ व य म धम काय कर सकोगे। दय म जस काय क यजन का िमलाप होगा। अमुक मु त क धार हु ई
िच ता है , वह धम के भाव से दू र हो जाएगी, इसिलए धारणा सफल होगी। िच ता के दन अब दू र हु ए ह। दे व
धम पर ा रखो, जससे सफलता ा कर सकोगे। गु तथा धम क सेवा करो। दु मन लोग सताते ह,
232: जो काम वचारा है , उसे छोड़कर कोई दू सरा काम क तु अब तु हारा ार ध बलवान ् बना है जससे इन
करो। वचारे हु ए काय को करने म लाभ नह ं है , य द लोग का जोर नह ं चलेगा। जमीन से लाभ होगा। क ित
करोगे तो तुमको तु हारा थान छोड़कर दू सरे थान पर के िलए खच अिधक करना पड़ता है । िम से लाभ
जाना पड़े गा, कुटु बीजन का वयोग होगा। इसिलए होगा।
उिचत है क इस काय को छोड़ दो। धम म होिशयार 321: जमीन, मकान अथवा बाग-बगीचे से लाभ होगा।
रहना तथा अपनी श के अनुसार दान-पु य करना धन ा करोगे, नेह जन से िमलाप होगा। कसी भी
जससे सुख हो। मनु य के साथ िम ता होगी और उसके ारा धना द क
233: थोड़े दन म धन िमलेगा। जो काम वचारा है , ाि होगी। पु य के उदय से इ छाएँ पर पूण होगी। धम
वह पूण होगा। यजन से िमलाप होगा। जमीन, जागीर का आराधन करो। दु मन लोग पग-पग पर तैयार रहगे,
अथवा मकान से लाभ होगा। आब बढ़े गी। धम काय म क तु स मुख होने से उनका जोर नह ं चलेगा। अपनी
खच करो। उसके ताप से सुख-चैन रहे गा। रा यप से श के अनुसार खच करो। मकान बनाने के मनोरथ
लाभ होगा। मन क धारणा पूण होगी। ी क तरफ से फलीभूत ह गे। धन पैदा करते हो, क तु खच अिधक
सुख है । एक समय अक मात ् लाभ िमलेगा। होने से इक ठा नह ं होता है , पता से धन थोड़ा िमलेगा।
311: यह सवाल बहु त ह गरम है । जस काय का ी क तरफ से लाभ होगा। वृ ाव था म धम के काय
वचार कया है , वह पूण होगा। मुकदमा जीत जाओगे, बन सकते ह।
यापार रोजगार म लाभ होगा। क ित बढ़े गी, रा य क 322: जो काय आपने मन म वचारा है , उसमे श ु लोग
तरफ से लाभ होगा। धम के भाव से सुख िमला है तथा व न डालगे, प रणाम अ छा नह ं। रा य क तरफ से
भ व य म भी िमलेगा। दू सर के काय प र म से पूरा नाराजगी होगी य द सुखी होना चाहते हो, तो वचारा
करते हो, क तु अशुभ कम उ दत होने से अपने कम म हु आ काय छोड़कर दू सरा काय करो, तु हारे सहयोगी
उदासीन रहते हो, वदे श या ा होगी और वहाँ लाभ होगा।
48 अग त 2011

बदल गए ह, उनका व ास मत करना। भजन-पूजन, 332: बुरे दन गए अब अ छे दन आए ह। जमीन तथा


त-िनयम म यान दो। धन-दौलत म जो हािन हु ई है , वह िमट जाएगी तथा
323: जस काय का मन म वचार कया है, उसम लाभ भ व य म लाभ होगा। परमे र का यान करो। दय
होगा, इ छा पूण होगी, नेह का िमलाप होगा, जो जो शु है , जससे मन क िच ता ज द दू र होगी। परदे श
िच ताएँ उप थत हु ई ह, वे सब दू र ह गी। धम के काय म रहे मनु य क िच ता है सो उसका िमलाप होगा। धम
बन सकगे। बहु त दन से परदे श म दु ःख ा कया है , के भाव से सुखी ह गे।
क तु अब दु ःख के दन गए। तीथया ा होगी। अब दे श 333: इतने दन िनधन अव था म यतीत कए, क तु
म जाकर आन द ा करोगे। धम के काय म ल य अब धन ा होगा तथा मन क धारणा फलीभूत होगी।
रखो, जससे सब सुख ा करोगे। जीवनसाथी से सुख ा होगा, तीन म हने बाद अ छे
331: तु हारे मन क िच ता िमटे गी। बीमार क दन आएँगे। इ दे व क आराधना करो। आमदनी से खच
फ रयाद दू र होगी। मन क धारणा पूण होगी। थोड़े दन अिधक है , धन इक ठा कया नह ं, िम क तरफ से
म ह धन क ाि होगी। नेह का िमलाप होगा। धम- धोखा िमला है , दु मन लोग पीछे से िन दा करते ह,
कम म पैसा खच करो, जससे प रणाम म फायदा होगा। क तु सामने आकर बोल नह ं सकते। जमीन से लाभ
अ छे दन आए ह, पापकम से इतने दन दु ःख ा होगा। परमे र का जप करो ।
कया है , पर तु अब वे बीत गए ह।

अमो महामृ युंजय कवच


अमो महामृ युंजय कवच व उ ले खत अ य साम ीय को शा ो विध- वधान से
व ान ा णो ारा सवा लाख महामृ युंजय मं जप एवं दशांश हवन ारा िनिमत कवच
अ यंत भावशाली होता ह।

अमो महामृ युंजय कवच


अमो महामृ युंजय
कवच बनवाने हे तु:
अपना नाम, पता-माता का नाम, कवच
गो , एक नया फोटो भेजे द णा मा : 10900

संपक कर:

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92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
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49 अग त 2011

राशी र एवं उपर

वशेष यं

हमार यहां सभी कार के यं सोने-


चां द-ता बे म आपक आव य ा के
अनुशार कसी भी भाषा/धम के यं ो
को आपक आव यक डजाईन के
अनुशार २२ गेज शु ता बे म
अखं डत बनाने क वशेष सु वधाएं
सभी साईज एवं मू य व वािल ट के
उपल ध ह।
असली नवर एवं उपर भी उपल ध है ।
हमारे यहां सभी कार के र एवं उपर यापार मू य पर उपल ध ह। योितष काय से जुडे़
बधु/बहन व र यवसाय से जुडे लोगो के िलये वशेष मू य पर र व अ य साम ीया व अ य
सु वधाएं उपल ध ह।
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घर प रवार म शांित एवं ब चे को कुसंगती से छुडाने हे तु ब चे के नाम से गु व कायालत ारा शा ो विध-
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था पत कर अ प पूजा, विध- वधान से आप वशेष लाभ ा कर सकते ह। य द आप तो आप मं िस
वशीकरण कवच एवं एस.एन. ड बी बनवाना चाहते ह, तो संपक इस कर सकते ह।

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50 अग त 2011

मािसक रािश फल

 िचंतन जोशी
मेष: 1 से 15 अग त 2011 : प रवार के सद य के साथ आपके र त म कुछ खटास आ सकती है । श ुओं पर आपका
भाव रहे गा। आिथक सम याओं का सामना करना पड सकता ह। काय क अिधकता
और य तता से मानिसक शांित म कमी रहे गी। वाणी एवं ोध पर िनयं ण रखे अ यथा
आपके बने बनाये काय बगड सकते ह। आपको पेट के रोग के कारण पीडा हो सकती ह।

16 से 31 अग त 2011 : प रवार के सद य से मतभेद म कमी हो सकती ह।


यवसाियक सम याओं के कारण धन का अभाव रह सकता ह। आपको मानिसक
अ थरता का अनुभव हो सकता ह। आ म व ास से आगे बढते रहने का यास कर।
आपके वरोिध एवं श ु प परा त ह गे। आपके इ िम एवं साथी के कारण यय बढ
सकते ह। अिधक वाद - ववाद करने से बचे।

वृ षभ: 1 से 15 अग त 2011: आिथक थती थोड कमजोर हो सकती ह। पूण प र ाम एवं संघष से कये गये
मह वपूण काय लाभकार रहे ग। पा रवा रक सम याओं के कारण आप मानिसक तनाव
म रह सकते ह। दांप य जीवन म क एवं मानिसक वेदना का अनुभव हो सकता ह।
िम एवं नजद क र ते को िनभाने म सावधानी बत। िम एवं प रवार के लोग का
पूण सहयोग िमलेगा। ेम संब धो म सफलता ा होगी।

16 से 31 अग त 2011: संघष एवं सकारा मक कोण के कारण धन लाभ ाि के


योग बन रहे ह। हाथ म आने वाली तक को बना वलंब के वीकर करने क नीित
बनाये। आिथक थती म सुधार होने क बल संभावनाएं ह। उ च अिधकार एवं
सहकम के काय परे शािनय संभव ह। सावधान रह। नये लोगो से मेल-िमलाप एवं
िम ता होने के योग बन रहे ह। प रवार के लोगो के बच क दू र हो कर उनके कर ब आने का अवसर ा हो सकता है ।

िमथुन: 1 से 15 अग त 2011: आपको पा रवा रक या िम के साथ साझेदार ार


धन लाभ ा हो सकता ह। आव यकता से अिधक संघष करना पड सकता है । मानिसक
िच ताओं म कमी आयेगी। आपके इ िम एवं साथी के कारण यय बढ सकते ह। िम
एवं इ वग के िलये आपको कज लेना पड सकता ह। जीवन साथी का पूण सहयोग
ा नह ं िमलने से मन अ थर हो सकता ह।

16 से 31 अग त 2011 : पूण प र म एवं कड़ मेहनत से कये गये काय म सफलता


ा कर सकते ह। मह व पूणा काय को थगीत करना पड सकता ह। अनाव यक
िच तामु पर से मु होकर अपने काय पर यान लगाना उिचत होगा। गलत िनणयो के
कारण आिथक प कमजोर हो सकता ह। इ िम एवं प रवार के सहयोग से आिथक लाभ संभव ह।
51 अग त 2011

कक: 1 से 15 अग त 2011 : मह व पूणा काय को थगीत करना या कसी और को दे ना नु शान दे ह हो सकता ह।

वाणी एवं ोध पर िनयं ण रखे अ यथा आपके बने बनाये काय बगड सकते ह। यय
पर िनय ण रखने का यास कर और ऋण लेने से बचे और पुराने ऋण का भुगतान
करने का यास करे । प रवार और र तेदार से आ मीयता के अनुभव म कमी रह
सकती ह।

16 से 30 अग त 2011: 16 से 31 अग त 2011 : काय म आनेवाली कावटो म भी


कमी होगी और दु र थ थान से धन लाभ ा हो सकता है । आिथक थती सुधरे गी
परं तु धन सं ह करने म क ठनाई होगी। आपके वरोिध एवं श ु प परा त ह गे।
अपनी बु मता से प रवार क सुख -शा त बनाये रखने का यास कर। आपके जीवन साथी का यवहार आपके ित बेहद
कठोर हो सकता ह।

िसंह: 1 से 15 अग त 2011 : अपने काय म सकरा मक फल ा हो सकते है ।

य- व े य के सौदो के िलए समय उ म है । मह वपूण काय म िनणय ग़लत हो


सकता है । यय पर िनय ण रखने का यास कर। वाणी एवं ोध पर िनयं ण रखे
अ यथा आपके बने बनाये काय एवं र ते बगड सकते ह। मन शांत और थर होने
पर काय बाधा म व न बाधाएं उ प न हो सकती ह।

16 से 31 अग त 2011 : आप के िलए आिथक ी से लाभदायक रहेगा। इस समय


आप मह वपूण िनणय ले सकते है और नयी प रयोजाना शु कर सकते ह। उचािधकार
आपके मह व को समझगे और आपके गुण क शंसा करगे। आपक पदो नित क संभावना बन रह है । इस अविध
म पा रवार क मदभेद हो सकते है । बना कसी बाधा के अपने ल य को ा कर सकते ह।

क या: 1 से 15 अग त 2011 : समय थोडा ितकूल ह अतः नये काय एवं


योजनाओं को थिगत करना लाभ द रहे गा। पूं ज िनवेष से संबंिधत काय एवं
िनणयो को टालना लाभ द हो सकता ह। इस दौरान अपनी मानिसक थती पर काबू
पाने क कोिशश कर। आव यकता से अिधक यय आपक आिथक थती को कमजोर
कर आपको दवािलएपन के कगार पर ला खडा कर सकता ह।

16 से 31 अग त 2011 : य- व य संबंिधत मामलो थिगत करना उिचत रहे गा


अ यथा लाभ के थान पर नुकसान हो सकता ह। पूव से चल रहे काय म छोटे -मोटे
लाभ िमल सकते ह। अिनयमीत समय पर भोजन करना वा य को ाभावीत कर सकता ह। ितकूल प र थितय म
अपनी श और बाहु बल का योग करने से बचे। बहु मू य व तुओं को संभालकर रखे गुम हो सकती ह या चो र हो
सकती ह।
52 अग त 2011

तुला: 1 से 15 अग त 2011: नई प रयोजनाओं को शु करने और मह वपूण िनणय लेने हे तु समय फायदे मंद सा बत हो
सकता ह। यवसायीक काय के िलये आपको कज लेना पड सकता ह जो लाभ द
िस हो सकता ह। भूिम-भवन इ याद म पूं ज िनवेश लाभ द रहे गा। आपक
मानिसक थती अ यािधक संवेदनशील रह सकती ह उस पर िनयं ण रखने का
यास कर। प रवार एवं िम ो से धनलाभ संभव ह।

16 से 31 अग त 2011: नौकर - यवसाय म उनाित होगी। कये गये पूं ज िनवेश ारा
आक मक धन ाि के योग बन रहे है । यवसायीक या ाएं सफल होगी। िम एवं
संबंिधओं से बहु मू य व तु उपहार म ा कर सकते ह। आपके का हु वे काय पुनः
आरं भ हो सकता ह। काय क य तता, अ यािधक भाग-दौड के कारण आपको थकावट हो सकती ह। आपको पेट के रोग के
कारण पीडा हो सकती ह।

वृ क: 1 से 15 अग त 2011: इस दौरान आपको अनुकूल प रणामो क ाि होगी।

नये नौकर - यापर से संबंिधत काय के िलए समय म यम सा बत हो सकता ह।


आपके भौितक सुख-साधनो म वृ हो सकती ह। गलत िनणयो के कारण आिथक प
कमजोर हो सकता ह। पा रवा रक जीवन म खुशी एवं स नता का अनुभव कर सकते
ह। लोग आपके अ छे कम क शंसा करगे।

16 से 31 अग त 2011 : आपके काय े क कावट थो ड बहु त दू र ह गी। आप


अपनी मं जल के कर ब पहू च सकते ह। पूव के अ छे और बुरे कम का अवलोकन कर
उसमे सुधार करने का यास कर। नये लोगो से िम ता हो सकती ह। सामा जक ित ा और मान-स मान म वृ हो
सकती ह। पुराने कज का भुगतान करने का यास करे ।

धनु: 1 से 15 अग त 2011 : इस अविध म आपको ितकूल प रणाम ा हो सकते ह। दू र थ थानो क

यवसायीक या ाएं सफल होगी। आल य के कारण आपके मह व पूण काय ाभा वत

होस अकते ह सावधानी वत। आपको मन म अनाव य िचंताएं सता सकती ह। अपनी

गलितओं का अवलोकन कर नये काय म सफलता ा कर सकत ह।

16 से 31 अग त 2011 : आपको नया यवसाय या नौकर ा हो सकती ह। आपके

आय के ो म वृ हो सकती ह। बडे बुजुग के मागदशन से आिथक थती म

सुधार कर सकते ह। इस अविध के दौरान अपने वभाव म िचड़िचड़ा पन आसकता ह।

अपने ोध पर िनयं ण रखे। आपके कय का बोझ भी बढ सकता ह। अ यािधक भाग-दौड के कारण आपको थकावट हो

सकती ह।
53 अग त 2011

मकर: 1 से 15 अग त 2011 : नौकर - यवसाय म संबंधो का सू म अवलोकन करना लाभ द रहे गा। इस दौरान

सावधानी से नयी प रयोजना और ऋण संबंधी सौदे क शु आत करना लाभ द हो


सकता ह। वरोिध एवं श ु प से सावधान रह अनाव यक कोई ववाद खडा हो सकता
ह। बहु मू य व तुओं को संभालकर रखे गुम हो सकती ह या चो र हो सकती ह।

16 से 31 अग त 2011 : मह वपूण य- व य के काय को थिगत करना उिचत


होगा। आपक आिथक थती कमजोर हो सकती ह। या ा करते समय सावधान और
सतक रहे । आपको मानिसक अ थरता का अनुभव हो सकता ह। आपके मान-स मान म
वृ होगी। श ु प से वाद- ववाद करने से बचे अ यथा कोट-कचहर के काय म
फसल सकते ह।

कुंभ: 1 से 15 अग त 2011 : इस दौरान नयी प रयोजना और ऋण संबंधी सौदे क


शु आत करना नु शान दे सकता ह। अनाव यक मानिसक िच ताओं म बढोतर होगी।
वभाव म िचड़िचड़ा पन आसकता ह। श ु प से सावधान रह आप पर झूठे आरोप लग
सकते ह जस कारण आपका पद एवं ित ा खं डत हो सकती ह। कसी से कलह एवं
तकरार म न उलझ।

16 से 31 अग त 2011 : पूव से चल रहे काय म सामा य लाभ ा कर सकते ह।


नौकर - यवसाय म संबंधो का सू म अवलोकन करना लाभ द रहे गा। आपके
सामा जक य व का वकास होगा। आपके श ु पर आपका भाव रहे गा। वा य उ म रहे गा। मू यवान व तु के
ित सावधान रह कसी सामान के गुम होने या चोर हो सकता ह।

मीन: 1 से 15 अग त 2011 : इस दौरान नौकर यवसाय म काय म प रवतन हो सकता ह। आपको सरकार एवं

सासन से लाभ ा हो सकता ह। आपको जल से संबंिधत वा य सम या हो

सकती ह। सावधान रहे । वाहन चलाते समय सावधान रहे । मानिसक परे शानी म िलये

गये िनणय ग़लत हो सकता है । प रवार एवं िम ो का सहयोग वलंब से ा हो सकता

ह।

16 से 31 अग त 2011 : इस दौरान नयी प रयोजना और ऋण संबंधी सौदे क शु आत

करना नु शान दे सकता ह। आपके िनणयो के अनु प आपका आने वाला भ व य पूण

प से िनभर हो सकता ह अतः गलत िनणयो को लेने से बचे। अपने खान पानका

वशेष यान रखे। पेट से संबंिधत परे शानी हो सकती ह। आव यकता से अिधक भाग-दौड के कारण आपको थकावट हो

सकती ह।
54 अग त 2011

रािश र
मूंगा ह रा प ना मोती माणेक प ना

Naturel Pearl Ruby


Red Coral Diamond Green Emerald Green Emerald
(Old Berma)
(Special) (Special) (Special) (Special) (Special)
(Special)
5.25" Rs. 1050 10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 9100 5.25" Rs. 910 2.25" Rs. 12500 5.25" Rs. 9100
6.25" Rs. 1250 20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 12500 6.25" Rs. 1250 3.25" Rs. 15500 6.25" Rs. 12500
7.25" Rs. 1450 30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 14500 7.25" Rs. 1450 4.25" Rs. 28000 7.25" Rs. 14500
8.25" Rs. 1800 40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 19000 8.25" Rs. 1900 5.25" Rs. 46000 8.25" Rs. 19000
9.25" Rs. 2100 50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 23000 9.25" Rs. 2300 6.25" Rs. 82000 9.25" Rs. 23000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000 10.25" Rs. 2800 10.25" Rs. 28000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
White Colour.

तुला रािश: वृ क रािश: धनु रािश: मकर रािश: कुंभ रािश: मीन रािश:

ह रा मूंगा पुखराज नीलम नीलम पुखराज

Diamond Red Coral Y.Sapphire B.Sapphire B.Sapphire Y.Sapphire


(Special)
(Special) (Special) (Special) (Special) (Special)
10 cent Rs. 4100 5.25" Rs. 1050 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000 5.25" Rs. 30000
20 cent Rs. 8200 6.25" Rs. 1250 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000 6.25" Rs. 37000
30 cent Rs. 12500 7.25" Rs. 1450 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000 7.25" Rs. 55000
40 cent Rs. 18500 8.25" Rs. 1800 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000 8.25" Rs. 73000
50 cent Rs. 23500 9.25" Rs. 2100 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000 9.25" Rs. 91000
10.25" Rs. 2800 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000 10.25" Rs.108000
All Diamond are Full
** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati ** All Weight In Rati
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* उपयो वजन और मू य से अिधक और कम वजन और मू य के र एवं उपर भी हमारे यहा यापार मू य पर


उ ल ध ह।

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55 अग त 2011

अग त 2011 मािसक पंचांग


चं
द वार माह प ितिथ समाि न समाि योग समाि करण समाि समाि
रािश

1 सोम ावण शु ल तीया 19:07:30 मघा 26:20:37 यितपात 07:52:30 बालव 08:30:00 िसंह

2 मंगल ावण शु ल तृतीया 16:16:30 पूवाफा गुनी 24:16:30 पर ह 25:07:07 गर 16:16:30 िसंह

बुध ावण शु ल चतुथ 13:22:41 उ राफा गुनी 22:12:23 िशव व िसंह


3
21:42:23 13:22:41 05:45:00

गु ावण शु ल पंचमी ह त िस 18:25:08 बालव 10:35:26 क या


4
10:35:26 20:17:38

ष ी-
शु ावण शु ल िच ा सा य 15:19:08 तैितल 07:58:30 क या 07:25:00
5
07:58:30 18:36:57
स मी

स मी-
शिन ावण शु ल वाती शुभ व तुला
6
27:42:12 17:15:00 12:27:12 16:38:27
अ मी

अ मी-
7 रव ावण शु ल 26:06:12 वशाखा 16:14:38 शु ल 09:54:00 बालव 14:51:12 तुला 10:28:00
नवमी

8 सोम ावण शु ल दशमी 24:52:41 अनुराधा 15:37:41 07:38:38 तैितल 13:26:26 वृ क

9 मंगल ावण शु ल एकादशी जे ा वैध ृ ित


24:01:41 15:22:19 28:01:41 व णज 12:24:11 वृ क 15:22:00

बुध ावण शु ल ादशी मूल वषकुंभ बव धनु


10
23:34:07 15:29:26 26:41:37 11:44:26

गु ावण शु ल योदशी पूवाषाढ़ ीित 25:38:25 कौलव 11:28:06 धनु


11
23:28:06 15:58:06 22:09:00

12 शु ावण शु ल चतुदशी 23:45:32 उ राषाढ़ 16:51:09 आयु मान 24:53:58 गर 11:33:21 मकर

13 शिन ावण शु ल पू णमा 24:28:16 वण 18:05:46 सौभा य 24:28:16 व 12:03:53 मकर

रव भा पद कृ ण एकम धिन ा शोभन 24:22:15 बालव 12:57:53 मकर 06:52:00


14
25:34:26 19:44:45

सोम भा पद कृ ण तीया शतिभषा अितगंड 24:34:59 तैितल 14:17:10 कुंभ


15
27:06:51 21:48:06

मंगल भा पद कृ ण तृतीया पूवाभा पद सुकमा 25:05:31 व णज 16:01:46 कुंभ


16
29:01:46 24:14:54 17:36:00

17 बुध भा पद कृ ण चतुथ 31:16:22 उ राभा पद 27:01:22 धृ ित 25:52:56 बव 18:07:56 मीन

18 गु भा पद कृ ण चतुथ - 07:16:55 रे वित 30:00:02 शूल 26:49:43 बालव 07:16:55 मीन


56 अग त 2011

5मी

पंचमी-
शु भा पद कृ ण रे वित गंड 27:49:19 तैितल 09:43:42 मीन
19
09:43:42 05:59:38 06:00:00
ष ी

शिन भा पद कृ ण ष ी अ नी वृ 28:43:17 व णज 12:11:25 मेष


20
12:11:25 09:01:06

रव भा पद कृ ण स मी भरणी ुव बव मेष
21
14:26:00 11:51:19 29:20:23 14:26:00 18:31:00

22 सोम भा पद कृ ण अ मी 16:15:17 कृ ितका 14:19:02 याघात 29:33:06 कौलव 16:15:17 वृष

23 मंगल भा पद कृ ण नवमी रो ह ण हषण गर वृष


17:28:00 16:11:07 29:13:00 17:28:00 28:50:00

बुध भा पद कृ ण दशमी मृगिशरा व व 17:52:53 िमथुन


24
17:52:53 17:18:12 28:13:31

गु भा पद कृ ण एकादशी आ ा िस 26:34:40 बालव 17:29:02 िमथुन


25
17:29:02 17:36:32

26 शु भा पद कृ ण ादशी 16:14:33 पुनवसु 17:05:11 यितपात 24:16:26 तैितल 16:14:33 िमथुन 11:18:00

27 शिन भा पद कृ ण योदशी 14:16:00 पु य 15:50:41 व रयान 21:23:30 व णज 14:16:00 कक

रव भा पद कृ ण चतुदशी अ े षा पर ह 18:02:27 शकुिन 11:39:01 कक


28
11:39:01 13:58:42 13:58:00

अमाव य-
सोम भा पद कृ ण मघा िशव नाग िसंह
29
08:34:50 11:38:35 14:19:50 08:34:50
एकम

एकम-
मंगल भा पद शु ल 25:41:55 पूवाफा गुनी 09:03:28 िस 10:25:02 बालव 15:26:55 िसंह
30
14:23:00
तीया

बुध भा पद शु ल तृतीया 22:16:10 उ राफा गुनी 06:21:47 सा य 06:26:29 तैितल 11:58:21 क या


31

पित-प ी म कलह िनवारण हे तु


य द प रवार म सुख-सु वधा के सम त साधान होते हु ए भी छोट -छोट बातो म पित-प ी के बच मे कलह होता रहता
ह, तो घर के जतने सद य हो उन सबके नाम से गु व कायालत ारा शा ो विध- वधान से मं िस ाण-
ित त पूण चैत य यु वशीकरण कवच एवं गृ ह कलह नाशक ड बी बनवाले एवं उसे अपने घर म बना कसी
पूजा, विध- वधान से आप वशेष लाभ ा कर सकते ह। य द आप मं िस पित वशीकरण या प ी वशीकरण
एवं गृ ह कलह नाशक ड बी बनवाना चाहते ह, तो संपक आप कर सकते ह।

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57 अग त 2011

अग त-2011 मािसक त-पव- यौहार


द वार माह प ितिथ समाि मुख त- योहार
नवीन च -दशन, िसंधारा दू ज, सावन सोमवार त,
सोम ावण शु ल तीया
1
19:07:30
लोकमा य ितलक मृित दवस,

ह रयाली तीज (छोट तीज), मधु वा तृतीया त,


मंगल ावण शु ल तृतीया
2
16:16:30
वण गौर त, झूला-सेवा शु ,

बुध ावण शु ल चतुथ वरद वनायक चतुथ त, दू वा गणपित त,


3
13:22:41

नागपंचमी, त क-पूजन, गु ड़या पव,


4 गु ावण शु ल पंचमी 10:35:26 ीहनुम वजारोहण, ीनागच े र-दशन, क क
अवतार ष ी, जा तगौर पंचमी,

वण-शृयाल ष ी, महाल मी पूजा, रांधण छठ (गु),


शु ावण शु ल ष ी- स मी
5
07:58:30
तुलसी जयंती,

ीदु गा मी त, ीअ नपूणा मी त, नयनादे वी-


शिन ावण शु ल स मी- अ मी
6
27:42:12
िच तपूण -चामु डा दे वी मेला ( ह. ),

नकुल नवमी, रवी नाथ टै गोर मृित दवस, ड


7 रव ावण शु ल अ मी-नवमी 26:06:12
िशप डे

8 सोम ावण शु ल दशमी 24:52:41 सावन का अंितम सोमवार त,

प व ा एकादशी त, प व ा यारस, अं ेज भारत


9 मंगल ावण शु ल एकादशी 24:01:41
छोड़ो आंदोलन मृित दवस, नागासाक दवस,

बुध ावण शु ल ादशी ावण ादशी (ज.क.), एकादशी त, प व ा बारस


10
23:34:07

गु ावण शु ल योदशी दोष त, आखेटक योदशी,


11
23:28:06

शु ावण शु ल चतुदशी वरदल मी त, िशवप व ारोपण,


12
23:45:32

नान-दान- त हे तु उ म ावणी पू णमा, र ाबंधन-


राखी दोपहर 12.07 बजे बाद शुभ समय, ावणी
उपाकम, गाय ी जयंती, ीस यनारायण त-कथा,
13 शिन ावण शु ल पू णमा 24:28:16
नारयली पू णमा, हय ीवावतार एवं लव-कुश जयंती,
बलभ पूजन, अवनी अवंती (द.भा.), को कला त
समापन,
58 अग त 2011

शा ो मत से भा पद मास म दह या य,
रव भा पद कृ ण एकम
14
25:34:26
कजिलयां (म. .), गाय ी पुर रण ारं भ,

वतं ता दवस, अशू य शयन त, योगी अर वंद


सोम भा पद कृ ण तीया
15
27:06:51 जयंती, सोमवार त (गु, महा, द.भा.)

क जली तीज, कजर तीज, सातूड़ तीज, गोपूजा


मंगल भा पद कृ ण तृतीया तृतीया, वशाला ी दशन-या ा (काशी), ीरामकृ ण
16
29:01:46
परमहं स मृित दवस,

संक ी ीगणेश चतुथ त, बहु ला चतुथ , िसंह-


सं ा त दन 11.48 बजे, सं ा त का पु यकाल
17 बुध भा पद कृ ण चतुथ 31:16:22
सूय दय से दोपहर 11.48 बजे तक, िसंहा द नववष
ा. (के), मनसा पूजा समा (प.बं)

गु भा पद कृ ण चतुथ -पंचमी र ापंचमी, माधवदे व ितिथ (अ)


18
07:16:55

शु भा पद कृ ण पंचमी- ष ी च ष ी त,
19
09:43:42

हलष ी, ललह छठ त, रांधण छठ (गु), राजीव


शिन भा पद कृ ण ष ी
20
12:11:25
गांधी जयंती, स ावना दवस,

ीकृ ण-ज मा मी त, आ ाकाली जयंती, काला मी


21 रव भा पद कृ ण स मी 14:26:00 त, भानु स मी पव, शीतला स मी, संत ाने र
जयंती, मोहरा ,

ीकृ ण-ज मा मी त, गोकुला मी, ीकृ ण-


सोम भा पद कृ ण अ मी ज मो सव, गो व दा-मटक फोड़ (महा), सोमवार त
22
16:15:17
(गु, महा, द.भा.)

न दो सव-दिध कांदौ ( ज), गोगानवमी, सूय सायन


मंगल भा पद कृ ण नवमी
23
17:28:00
क या म सायं 4.52 बजे, सौर शर ऋतु ारं भ,

24 बुध भा पद कृ ण दशमी 17:52:53 -

अजा एकादशी, जया एकादशी त, जैन पयु षण पव


25 गु भा पद कृ ण एकादशी 17:29:02
ारं भ ( ेत.जैन), (चतुथ प )

अघोर ादशी, दोष त, बछ बारस, गौ-बछड़ा बारस,


26 शु भा पद कृ ण ादशी 16:14:33
जैन पयु षण पव ारं भ (पंचमी प ),

मािसक िशवरा त, किलयुगा द ितिथ, मदर टे रेसा


27 शिन भा पद कृ ण योदशी 14:16:00
जयंती, अघोर चतुदशी,
59 अग त 2011

ा क अमावस, रानी अ ह याबाई मृ. द, पा क


28 रव भा पद कृ ण चतुदशी 11:39:01
ित मण एवं क पसू वाचन ( ेत.जैन)

नान-दान हे तु उ म सोमवती अमाव या,


कुशो पाटनी अमावस, कुश हणी अमावस, पठौर

अमाव य- अमावस, सती-पूजा, गोटमार मेला (म. .), पोला-


29 सोम भा पद कृ ण 08:34:50
एकम वृषभो सव, मौन त ारं भ, त, ीमहाकाल क
शाह सवार (उ जियनी), महावीर वामी ज म
वांचन ( ेत.जैन)

नवीन च -दशन, ईद का चांद, बाबा रामदे व जयंती,


30
मंगल भा पद शु ल एकम- तीया 25:41:55 रामदे वपीर नवरा -मेला शु (रा.), तेलाधर तप
( ेत.जैन)

ह रतािलका तीज त, बड़ तीज त, सामदे वी


उपाकम, वाराहावतार जयंती, लोक तीज,
बुध भा पद शु ल तृतीया
31
22:16:10
( दग.जैन), गौर तृ तीया (उ.), केवड़ा तीज, ईदु ल
फतर (मुस.),

मं िस यं
गु व कायालय ारा विभ न कार के यं कोपर ता प , िसलवर (चांद ) ओर गो ड (सोने) मे
विभ न कार क सम या के अनुसार बनवा के मं िस पूण ाण ित त एवं चैत य यु कये जाते
है . जसे साधारण (जो पूजा-पाठ नह जानते या नह कसकते ) य बना कसी पूजा अचना- विध
वधान वशेष लाभ ा कर सकते है . जस मे िचन यं ो स हत हमारे वष के अनुसंधान ारा बनाए
गये यं भी समा हत है . इसके अलवा आपक आव यकता अनुशार यं बनवाए जाते है . गु व कायालय
ारा उपल ध कराये गये सभी यं अखं डत एवं २२ गेज शु कोपर(ता प )- 99.99 टच शु िसलवर
(चांद ) एवं 22 केरे ट गो ड (सोने) मे बनवाए जाते है . यं के वषय मे अिधक जानकार के िलये हे तु
स पक करे
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60 अग त 2011

गणेश ल मी यं
ाण- ित त गणेश ल मी यं को अपने घर-दु कान-ओ फस-फै टर म पूजन थान, ग ला या अलमार म था पत
करने यापार म वशेष लाभ ा होता ह। यं के भाव से भा य म उ नित, मान- ित ा एवं यापर म वृ होती
ह एवं आिथक थम सुधार होता ह। गणेश ल मी यं को था पत करने से भगवान गणेश और दे वी ल मी का
संयु आशीवाद ा होता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक

मंगल यं से ऋण मु
मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य को ऋण
मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के िलए मंगल
यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। ाण ित त मंगल यं के पूजन से भा योदय, शर र म खून क
कमी, गभपात से बचाव, बुखार, चेचक, पागलपन, सूजन और घाव, यौन श म वृ , श ु वजय, तं मं के दु भा,
भूत- ेत भय, वाहन दु घ टनाओं, हमला, चोर इ याद से बचाव होता ह। मू य मा Rs- 550

कुबेर यं
कुबेर यं के पूजन से वण लाभ, र लाभ, पैत ृक स प ी एवं गड़े हु ए धन से लाभ ाि क कामना करने वाले
य के िलये कुबेर यं अ य त सफलता दायक होता ह। एसा शा ो वचन ह। कुबेर यं के पूजन से एकािधक
ो से धन का ा होकर धन संचय होता ह।

ता प पर सुवण पोलीस ता प पर रजत पोलीस ता प पर


(Gold Plated) (Silver Plated) (Copper)
साईज मू य साईज मू य साईज मू य
2” X 2” 640 2” X 2” 460 2” X 2” 370
3” X 3” 1250 3” X 3” 820 3” X 3” 550
4” X 4” 1850 4” X 4” 1250 4” X 4” 820
6” X 6” 2700 6” X 6” 2100 6” X 6” 1450
9” X 9” 4600 9” X 9” 3700 9” X 9” 2450
12” X12” 8200 12” X12” 6400 12” X12” 4600
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61 अग त 2011

नवर ज ड़त ी यं
शा वचन के अनुसार शु सुवण या रजत म िनिमत ी यं के चार और य द नवर जड़वा ने पर यह नवर
ज ड़त ी यं कहलाता ह। सभी र ो को उसके िन त थान पर जड़ कर लॉकेट के प म धारण करने से य को
अनंत ए य एवं ल मी क ाि होती ह। य को एसा आभास होता ह जैसे मां ल मी उसके साथ ह। नव ह को
ी यं के साथ लगाने से ह क अशुभ दशा का धारण करने वाले य पर भाव नह ं होता ह। गले म होने के
कारण यं पव रहता ह एवं नान करते समय इस यं पर पश कर जो जल बंद ु शर र को लगते ह, वह गंगा
जल के समान प व होता ह। इस िलये इसे सबसे तेज वी एवं फलदािय कहजाता ह। जैसे अमृ त से उ म कोई
औषिध नह ,ं उसी कार ल मी ाि के िलये ी यं से उ म कोई यं संसार म नह ं ह एसा शा ो वचन ह। इस
कार के नवर ज ड़त ी यं गु व कायालय ारा शुभ मुहू त म ाण ित त करके बनावाए जाते ह।

अ ल मी कवच
अ ल मी कवच को धारण करने से य पर सदा मां महा ल मी क कृ पा एवं आशीवाद बना
रहता ह। ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-
गज ल मी, (५)-संतान ल मी, (६)- वजय ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी
पो का वतः अशीवाद ा होता ह। मू य मा : Rs-1050

मं िस यापार वृ कवच
यापार वृ कवच यापार के शी उ नित के िलए उ म ह। चाह कोई भी यापार हो अगर उसम लाभ के थान पर
बार-बार हािन हो रह ह। कसी कार से यापार म बार-बार बांधा उ प न हो रह हो! तो संपूण ाण ित त मं
िस पूण चैत य यु यापात वृ यं को यपार थान या घर म था पत करने से शी ह यापार वृ एवं
िनत तर लाभ ा होता ह। मू य मा : Rs.370 & 730

मंगल यं
( कोण) मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य को
ऋण मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के िलए
मंगल यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। मू य मा Rs- 550

GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call us: 91 + 9338213418, 91+ 9238328785
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62 अग त 2011

ववाह संबंिधत सम या
या आपके लडके-लडक क आपक शाद म अनाव यक प से वल ब हो रहा ह या उनके वैवा हक जीवन म खुिशयां कम
होती जारह ह और सम या अिधक बढती जारह ह। एसी थती होने पर अपने लडके-लडक क कुंडली का अ ययन
अव य करवाले और उनके वैवा हक सुख को कम करने वाले दोष के िनवारण के उपायो के बार म व तार से जनकार ा
कर।

िश ा से संबंिधत सम या
या आपके लडके-लडक क पढाई म अनाव यक प से बाधा- व न या कावटे हो रह ह? ब चो को अपने पूण प र म
एवं मेहनत का उिचत फल नह ं िमल रहा? अपने लडके-लडक क कुंडली का व तृ त अ ययन अव य करवाले और
उनके व ा अ ययन म आनेवाली कावट एवं दोषो के कारण एवं उन दोष के िनवारण के उपायो के बार म व तार से
जनकार ा कर।

या आप कसी सम या से त ह?
आपके पास अपनी सम याओं से छुटकारा पाने हे तु पूजा-अचना, साधना, मं जाप इ या द करने का समय नह ं ह?
अब आप अपनी सम याओं से बीना कसी वशेष पूजा-अचना, विध- वधान के आपको अपने काय म सफलता ा
कर सके एवं आपको अपने जीवन के सम त सुखो को ा करने का माग ा हो सके इस िलये गु व कायालत
ारा हमारा उ े य शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस ाण- ित त पूण चैत य यु विभ न कार के
य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।

योितष संबंिधत वशेष परामश


योित व ान, अंक योितष, वा तु एवं आ या मक ान स संबंिधत वषय म हमारे 30 वष से अिधक वष के
अनुभव के साथ योितस से जुडे नये-नये संशोधन के आधार पर आप अपनी हर सम या के सरल समाधान ा कर
सकते ह।
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ओने स
जो य प ना धारण करने मे असमथ हो उ ह बुध ह के उपर ओने स को धारण करना चा हए।
उ च िश ा ाि हे तु और मरण श के वकास हे तु ओने स र क अंगूठ को दाय हाथ क सबसे छोट
उं गली या लॉकेट बनवा कर गले म धारण कर। ओने स र धारण करने से व ा-बु क ाि हो होकर मरण
श का वकास होता ह।
63 अग त 2011

अग त 2011 - वशेष योग


काय िस योग
दनांक योग अविध दनांक योग अविध
3 रा 10.12 से रातभर 18 सूय दय से 20 अग त को सूय दय तक

6 सूय दय से सायं 5.15 तक 22 दन 2.18 से रातभर

8 सूय दय से दन 3.36 तक 24 सूय दय से सायं 5.17 तक

12 सायं 4.49 से रातभर 25 सायं 5.35 से 26 अग त को

13 सूय दय से सायं 6.05 तक 31 ात: 6.21 से रा 3.45 तक

16/17 रा 12.14 से सूय दय तक

पु कर योग (तीनगुना फल)

21 दन 11.52 से दन 2.25 तक 30 ात: 9.03 से रा 1.41 तक

योग फल :
काय िस योग मे कये गये शुभ काय मे िन त सफलता ा होती ह, एसा शा ो वचन ह।
पु कर योग म कये गये शुभ काय का लाभ तीन गुना होता ह। एसा शा ो वचन ह

दै िनक शुभ एवं अशुभ समय ान तािलका


गुिलक काल यम काल राहु काल
(शुभ) (अशुभ) (अशुभ)
वार समय अविध समय अविध समय अविध
र ववार 03:00 से 04:30 12:00 से 01:30 04:30 से 06:00
सोमवार 01:30 से 03:00 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00
मंगलवार 12:00 से 01:30 09:00 से 10:30 03:00 से 04:30
बुधवार 10:30 से 12:00 07:30 से 09:00 12:00 से 01:30
गु वार 09:00 से 10:30 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00
शु वार 07:30 से 09:00 03:00 से 04:30 10:30 से 12:00
शिनवार 06:00 से 07:30 01:30 से 03:00 09:00 से 10:30
64 अग त 2011

दन के चौघ डये
समय र ववार सोमवार मंगलवार बुधवार गु वार शु वार शिनवार

06:00 से 07:30 उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल


07:30 से 09:00 चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ
09:00 से 10:30 लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग
10:30 से 12:00 अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग
12:00 से 01:30 काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल
01:30 से 03:00 शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ
03:00 से 04:30 रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त
04:30 से 06:00 उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल

रात के चौघ डये


समय र ववार सोमवार मंगलवार बुधवार गु वार शु वार शिनवार

06:00 से 07:30 शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ


07:30 से 09:00 अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग
09:00 से 10:30 चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ
10:30 से 12:00 रोग लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त
12:00 से 01:30 काल उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल
01:30 से 03:00 लाभ शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग
03:00 से 04:30 उ ेग अमृ त रोग लाभ शुभ चल काल
04:30 से 06:00 शुभ चल काल उ ेग अमृ त रोग लाभ
शा ो मत के अनुशार य द कसी भी काय का ारं भ शुभ मुहू त या शुभ समय पर कया जाये तो काय म सफलता
ा होने क संभावना यादा बल हो जाती ह। इस िलये दै िनक शुभ समय चौघ ड़या दे खकर ा कया जा सकता ह।
नोट: ायः दन और रा के चौघ ड़ये क िगनती मशः सूय दय और सूया त से क जाती ह। येक चौघ ड़ये क अविध 1
घंटा 30 िमिनट अथात डे ढ़ घंटा होती ह। समय के अनुसार चौघ ड़ये को शुभाशुभ तीन भाग म बांटा जाता ह, जो मशः शुभ,
म यम और अशुभ ह।

चौघ डये के वामी ह * हर काय के िलये शुभ/अमृ त/लाभ का


शुभ चौघ डया म यम चौघ डया अशुभ चौघ ड़या चौघ ड़या उ म माना जाता ह।
चौघ डया वामी ह चौघ डया वामी ह चौघ डया वामी ह
शुभ गु चर शु उ ेग सूय * हर काय के िलये चल/काल/रोग/उ े ग
अमृ त चं मा काल शिन का चौघ ड़या उिचत नह ं माना जाता।
लाभ बुध रोग मंगल
65 अग त 2011

दन क होरा - सूय दय से सूया त तक


वार 1.घं 2.घं 3.घं 4.घं 5.घं 6.घं 7.घं 8.घं 9.घं 10.घं 11.घं 12.घं

र ववार सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन


सोमवार चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय
मंगलवार मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं
बुधवार बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल
गु वार गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध
शु वार शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु
शिनवार शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु

रात क होरा – सूया त से सूय दय तक


र ववार गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध
सोमवार शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु
मंगलवार शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु
बुधवार सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन
गु वार चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय
शु वार मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं
शिनवार बुध चं शिन गु मंगल सूय शु बुध चं शिन गु मंगल
होरा मुहू त को काय िस के िलए पूण फलदायक एवं अचूक माना जाता ह, दन-रात के २४ घंट म शुभ-अशुभ समय
को समय से पूव ात कर अपने काय िस के िलए योग करना चा हये।

व ानो के मत से इ छत काय िस के िलए ह से संबंिधत होरा का चुनाव करने से वशेष लाभ


ा होता ह।
 सूय क होरा सरकार काय के िलये उ म होती ह।
 चं मा क होरा सभी काय के िलये उ म होती ह।
 मंगल क होरा कोट-कचेर के काय के िलये उ म होती ह।
 बुध क होरा व ा-बु अथात पढाई के िलये उ म होती ह।
 गु क होरा धािमक काय एवं ववाह के िलये उ म होती ह।
 शु क होरा या ा के िलये उ म होती ह।
 शिन क होरा धन- य संबंिधत काय के िलये उ म होती ह।
66 अग त 2011

ह चलन अग त -2011
Day Sun Mon Ma Me Jup Ven Sat Rah Ket Ua Nep Plu
1 03:14:24 04:00:43 02:04:22 04:06:58 00:14:56 03:10:08 05:18:19 07:28:32 01:28:32 11:10:21 10:06:04 08:11:22

2 03:15:22 04:15:15 02:05:02 04:07:07 00:15:01 03:11:22 05:18:24 07:28:25 01:28:25 11:10:19 10:06:03 08:11:21

3 03:16:19 04:29:51 02:05:42 04:07:10 00:15:07 03:12:35 05:18:28 07:28:19 01:28:19 11:10:18 10:06:01 08:11:20

4 03:17:16 05:14:25 02:06:23 04:07:08 00:15:12 03:13:49 05:18:33 07:28:13 01:28:13 11:10:17 10:06:00 08:11:19

5 03:18:14 05:28:51 02:07:03 04:07:01 00:15:17 03:15:03 05:18:38 07:28:10 01:28:10 11:10:16 10:05:58 08:11:17

6 03:19:11 06:13:06 02:07:43 04:06:49 00:15:21 03:16:17 05:18:42 07:28:08 01:28:08 11:10:15 10:05:57 08:11:16

7 03:20:09 06:27:07 02:08:23 04:06:31 00:15:26 03:17:31 05:18:47 07:28:08 01:28:08 11:10:14 10:05:55 08:11:15

8 03:21:06 07:10:55 02:09:03 04:06:09 00:15:30 03:18:45 05:18:52 07:28:09 01:28:09 11:10:12 10:05:54 08:11:14

9 03:22:04 07:24:29 02:09:43 04:05:41 00:15:34 03:20:00 05:18:57 07:28:10 01:28:10 11:10:11 10:05:52 08:11:13

10 03:23:01 08:07:50 02:10:22 04:05:08 00:15:38 03:21:14 05:19:02 07:28:09 01:28:09 11:10:10 10:05:50 08:11:12

11 03:23:59 08:20:59 02:11:02 04:04:31 00:15:42 03:22:28 05:19:07 07:28:07 01:28:07 11:10:08 10:05:49 08:11:11

12 03:24:56 09:03:56 02:11:42 04:03:50 00:15:46 03:23:42 05:19:13 07:28:02 01:28:02 11:10:07 10:05:47 08:11:10

13 03:25:54 09:16:42 02:12:21 04:03:06 00:15:49 03:24:56 05:19:18 07:27:55 01:27:55 11:10:05 10:05:46 08:11:09

14 03:26:51 09:29:17 02:13:01 04:02:19 00:15:53 03:26:10 05:19:23 07:27:46 01:27:46 11:10:04 10:05:44 08:11:08

15 03:27:49 10:11:41 02:13:40 04:01:30 00:15:56 03:27:24 05:19:29 07:27:35 01:27:35 11:10:02 10:05:42 08:11:07

16 03:28:47 10:23:54 02:14:20 04:00:40 00:15:59 03:28:38 05:19:34 07:27:24 01:27:24 11:10:01 10:05:41 08:11:06

17 03:29:44 11:05:57 02:14:59 03:29:49 00:16:01 03:29:53 05:19:40 07:27:14 01:27:14 11:09:59 10:05:39 08:11:05

18 04:00:42 11:17:54 02:15:38 03:28:59 00:16:04 04:01:07 05:19:45 07:27:05 01:27:05 11:09:57 10:05:37 08:11:04

19 04:01:40 11:29:45 02:16:17 03:28:12 00:16:06 04:02:21 05:19:51 07:26:58 01:26:58 11:09:55 10:05:36 08:11:04

20 04:02:37 00:11:36 02:16:57 03:27:27 00:16:09 04:03:35 05:19:56 07:26:53 01:26:53 11:09:54 10:05:34 08:11:03

21 04:03:35 00:23:29 02:17:36 03:26:45 00:16:11 04:04:49 05:20:02 07:26:51 01:26:51 11:09:52 10:05:33 08:11:02

22 04:04:33 01:05:31 02:18:15 03:26:09 00:16:12 04:06:04 05:20:08 07:26:50 01:26:50 11:09:50 10:05:31 08:11:01

23 04:05:31 01:17:47 02:18:53 03:25:37 00:16:14 04:07:18 05:20:14 07:26:51 01:26:51 11:09:48 10:05:29 08:11:00

24 04:06:29 02:00:21 02:19:32 03:25:12 00:16:15 04:08:32 05:20:20 07:26:51 01:26:51 11:09:46 10:05:28 08:11:00

25 04:07:26 02:13:18 02:20:11 03:24:54 00:16:16 04:09:47 05:20:26 07:26:50 01:26:50 11:09:45 10:05:26 08:10:59

26 04:08:24 02:26:42 02:20:50 03:24:43 00:16:17 04:11:01 05:20:32 07:26:47 01:26:47 11:09:43 10:05:24 08:10:58

27 04:09:22 03:10:33 02:21:28 03:24:40 00:16:18 04:12:15 05:20:38 07:26:41 01:26:41 11:09:41 10:05:23 08:10:58

28 04:10:20 03:24:51 02:22:07 03:24:44 00:16:19 04:13:30 05:20:44 07:26:33 01:26:33 11:09:39 10:05:21 08:10:57

29 04:11:18 04:09:32 02:22:45 03:24:57 00:16:19 04:14:44 05:20:50 07:26:23 01:26:23 11:09:37 10:05:19 08:10:57

30 04:12:16 04:24:27 02:23:24 03:25:18 00:16:19 04:15:58 05:20:56 07:26:12 01:26:12 11:09:35 10:05:18 08:10:56

31 04:13:14 05:09:27 02:24:02 03:25:47 00:16:19 04:17:13 05:21:03 07:26:02 01:26:02 11:09:33 10:05:16 08:10:56
67 अग त 2011

सव रोगनाशक यं /कवच
मनु य अपने जीवन के विभ न समय पर कसी ना कसी सा य या असा य रोग से त होता ह।

उिचत उपचार से यादातर सा य रोगो से तो मु िमल जाती ह, ले कन कभी-कभी सा य रोग होकर भी असा या
होजाते ह, या कोइ असा य रोग से िसत होजाते ह। हजारो लाखो पये खच करने पर भी अिधक लाभ ा नह ं हो
पाता। डॉ टर ारा दजाने वाली दवाईया अ प समय के िलये कारगर सा बत होती ह, एिस थती म लाभा ाि के
िलये य एक डॉ टर से दू सरे डॉ टर के च कर लगाने को बा य हो जाता ह।

भारतीय ऋषीयोने अपने योग साधना के ताप से रोग शांित हे तु विभ न आयुवर औषधो के अित र यं ,
मं एवं तं उ लेख अपने ंथो म कर मानव जीवन को लाभ दान करने का साथक यास हजारो वष पूव कया था।
बु जीवो के मत से जो य जीवनभर अपनी दनचया पर िनयम, संयम रख कर आहार हण करता ह, एसे य
को विभ न रोग से िसत होने क संभावना कम होती ह। ले कन आज के बदलते युग म एसे य भी भयंकर रोग
से त होते दख जाते ह। यो क सम संसार काल के अधीन ह। एवं मृ यु िन त ह जसे वधाता के अलावा
और कोई टाल नह ं सकता, ले कन रोग होने क थती म य रोग दू र करने का यास तो अव य कर सकता ह।
इस िलये यं मं एवं तं के कुशल जानकार से यो य मागदशन लेकर य रोगो से मु पाने का या उसके भावो
को कम करने का यास भी अव य कर सकता ह।

योितष व ा के कुशल जानकर भी काल पु षक गणना कर अनेक रोगो के अनेको रह य को उजागर कर


सकते ह। योितष शा के मा यम से रोग के मूलको पकडने मे सहयोग िमलता ह, जहा आधुिनक िच क सा शा
अ म होजाता ह वहा योितष शा ारा रोग के मूल(जड़) को पकड कर उसका िनदान करना लाभदायक एवं
उपायोगी िस होता ह।
हर य म लाल रं गक कोिशकाए पाइ जाती ह, जसका िनयमीत वकास म ब तर के से होता रहता ह।
जब इन कोिशकाओ के म म प रवतन होता है या वखं डन होता ह तब य के शर र म वा य संबंधी वकारो
उ प न होते ह। एवं इन कोिशकाओ का संबंध नव हो के साथ होता ह। ज से रोगो के होने के कारणा य के
ज मांग से दशा-महादशा एवं हो क गोचर म थती से ा होता ह।

सव रोग िनवारण कवच एवं महामृ युंजय यं के मा यम से य के ज मांग म थत कमजोर एवं पी डत


हो के अशुभ भाव को कम करने का काय सरलता पूव क कया जासकता ह। जेसे हर य को ांड क उजा एवं
पृ वी का गु वाकषण बल भावीत कता ह ठक उसी कार कवच एवं यं के मा यम से ांड क उजा के
सकारा मक भाव से य को सकारा मक उजा ा होती ह ज से रोग के भाव को कम कर रोग मु करने हे तु
सहायता िमलती ह।
रोग िनवारण हे तु महामृ युंजय मं एवं यं का बडा मह व ह। ज से ह दू सं कृ ित का ायः हर य
महामृ युंजय मं से प रिचत ह।
68 अग त 2011

कवच के लाभ :
 एसा शा ो वचन ह जस घर म महामृ युंजय यं था पत होता ह वहा िनवास कता हो नाना कार क
आिध- यािध-उपािध से र ा होती ह।
 पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच कसी भी उ एवं जाित धम के लोग चाहे
ी हो या पु ष धारण कर सकते ह।
 ज मांगम अनेक कारके खराब योगो और खराब हो क ितकूलता से रोग उतप न होते ह।
 कुछ रोग सं मण से होते ह एवं कुछ रोग खान-पान क अिनयिमतता और अशु तासे उ प न होते ह। कवच
एवं यं ारा एसे अनेक कार के खराब योगो को न कर, वा य लाभ और शार रक र ण ा करने हे तु
सव रोगनाशक कवच एवं यं सव उपयोगी होता ह।
 आज के भौितकता वाद आधुिनक युगमे अनेक एसे रोग होते ह, जसका उपचार ओपरे शन और दवासे भी
क ठन हो जाता ह। कुछ रोग एसे होते ह जसे बताने म लोग हच कचाते ह शरम अनुभव करते ह एसे रोगो
को रोकने हे तु एवं उसके उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं लाभादािय िस होता ह।
 येक य क जेसे-जेसे आयु बढती ह वैसे-वसै उसके शर र क ऊजा होती जाती ह। जसके साथ अनेक
कार के वकार पैदा होने लगते ह एसी थती म उपचार हे तु सवरोगनाशक कवच एवं यं फल द होता ह।
 जस घर म पता-पु , माता-पु , माता-पु ी, या दो भाई एक ह न मे ज म लेते ह, तब उसक माता के िलये
अिधक क दायक थती होती ह। उपचार हे तु महामृ युंजय यं फल द होता ह।
 जस य का ज म प रिध योगमे होता ह उ हे होने वाले मृ यु तु य क एवं होने वाले रोग, िचंता म
उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं शुभ फल द होता ह।

नोट:- पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच एवं यं के बारे म अिधक जानकार हे तु हम
से संपक कर।

Declaration Notice
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 We will not be liable for your any indirect consequential loss, loss of profit,
 If you will cancel your order for any article we can not any amount will be refunded or Exchange.
 We are keepers of secrets. We honour our clients' rights to privacy and will release no information
about our any other clients' transactions with us.
 Our ability lies in having learned to read the subtle spiritual energy, Yantra, mantra and promptings
of the natural and spiritual world.
 Our skill lies in communicating clearly and honestly with each client.
 Our all kawach, yantra and any other article are prepared on the Principle of Positiv energy, our
Article dose not produce any bad energy.

Our Goal
 Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants
prestigious full consciousness (Puarn Praan Pratisthit) Give miraculous powers & Good effect All
types of Yantra, Kavach, Rudraksh, preciouse and semi preciouse Gems stone deliver on your door
step.
69 अग त 2011

मं िस कवच
मं िस कवच को वशेष योजन म उपयोग के िलए और शी भाव शाली बनाने के िलए तेज वी मं ो ारा
शुभ महू त म शुभ दन को तैयार कये जाते है . अलग-अलग कवच तैयार करने केिलए अलग-अलग तरह के
मं ो का योग कया जाता है .

 य चुने मं िस कवच?
 उपयोग म आसान कोई ितब ध नह ं
 कोई वशेष िनित-िनयम नह ं
 कोई बुरा भाव नह ं
 कवच के बारे म अिधक जानकार हे तु

कवच सूिच
सव काय िस कवच - 3700/- ऋण मु कवच - 730/- वरोध नाशक कवचा- 550/-
सवजन वशीकरण कवच - 1050/-* नव ह शांित कवच- 730/- वशीकरण कवच- 550/-* (2-3 य के िलए)
अ ल मी कवच - 1050/- तं र ा कवच- 730/- प ी वशीकरण कवच - 460/-*
आक मक धन ाि कवच-910/- श ु वजय कवच - 640/- * नज़र र ा कवच - 460/-
भूिम लाभ कवच - 910/- पद उ नित कवच- 640/- यापर वृ कवच - 370/-
संतान ाि कवच - 910/- धन ाि कवच- 640/- पित वशीकरण कवच - 370/-*
काय िस कवच - 910/- ववाह बाधा िनवारण कवच- 640/- दु भा य नाशक कवच - 370/-
काम दे व कवच - 820/- म त क पृ वधक कवच- 640/- सर वती कवक - 370/- क ा+ 10 के िलए
जगत मोहन कवच -730/-* कामना पूित कवच- 550/- सर वती कवक- 280/- क ा 10 तक के िलए
पे - यापार वृ कवच - 730/- व न बाधा िनवारण कवच- 550/- वशीकरण कवच - 280/-* 1 य के िलए

*कवच मा शुभ काय या उ े य के िलये


GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us - 9338213418, 9238328785
Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)

(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)


70 अग त 2011

YANTRA LIST EFFECTS


Our Splecial Yantra
1 12 – YANTRA SET For all Family Troubles
2 VYAPAR VRUDDHI YANTRA For Business Development
3 BHOOMI LABHA YANTRA For Farming Benefits
4 TANTRA RAKSHA YANTRA For Protection Evil Sprite
5 AAKASMIK DHAN PRAPTI YANTRA For Unexpected Wealth Benefits
6 PADOUNNATI YANTRA For Getting Promotion
7 RATNE SHWARI YANTRA For Benefits of Gems & Jewellery
8 BHUMI PRAPTI YANTRA For Land Obtained
9 GRUH PRAPTI YANTRA For Ready Made House
10 KAILASH DHAN RAKSHA YANTRA -

Shastrokt Yantra

11 AADHYA SHAKTI AMBAJEE(DURGA) YANTRA Blessing of Durga


12 BAGALA MUKHI YANTRA (PITTAL) Win over Enemies
13 BAGALA MUKHI POOJAN YANTRA (PITTAL) Blessing of Bagala Mukhi
14 BHAGYA VARDHAK YANTRA For Good Luck
15 BHAY NASHAK YANTRA For Fear Ending
16 CHAMUNDA BISHA YANTRA (Navgraha Yukta) Blessing of Chamunda & Navgraha
17 CHHINNAMASTA POOJAN YANTRA Blessing of Chhinnamasta
18 DARIDRA VINASHAK YANTRA For Poverty Ending
19 DHANDA POOJAN YANTRA For Good Wealth
20 DHANDA YAKSHANI YANTRA For Good Wealth
21 GANESH YANTRA (Sampurna Beej Mantra) Blessing of Lord Ganesh
22 GARBHA STAMBHAN YANTRA For Pregnancy Protection
23 GAYATRI BISHA YANTRA Blessing of Gayatri
24 HANUMAN YANTRA Blessing of Lord Hanuman
25 JWAR NIVARAN YANTRA For Fewer Ending
JYOTISH TANTRA GYAN VIGYAN PRAD SHIDDHA BISHA
26 YANTRA
For Astrology & Spritual Knowlage
27 KALI YANTRA Blessing of Kali
28 KALPVRUKSHA YANTRA For Fullfill your all Ambition
29 KALSARP YANTRA (NAGPASH YANTRA) Destroyed negative effect of Kalsarp Yoga
30 KANAK DHARA YANTRA Blessing of Maha Lakshami
31 KARTVIRYAJUN POOJAN YANTRA -
32 KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in work
33  SARVA KARYA SHIDDHI YANTRA For Successes in all work
34 KRISHNA BISHA YANTRA Blessing of Lord Krishna
35 KUBER YANTRA Blessing of Kuber (Good wealth)
36 LAGNA BADHA NIVARAN YANTRA For Obstaele Of marriage
37 LAKSHAMI GANESH YANTRA Blessing of Lakshami & Ganesh
38 MAHA MRUTYUNJAY YANTRA For Good Health
39 MAHA MRUTYUNJAY POOJAN YANTRA Blessing of Shiva
40 MANGAL YANTRA ( TRIKON 21 BEEJ MANTRA) For Fullfill your all Ambition
41 MANO VANCHHIT KANYA PRAPTI YANTRA For Marriage with choice able Girl
42 NAVDURGA YANTRA Blessing of Durga
71 अग त 2011

YANTRA LIST EFFECTS

43 NAVGRAHA SHANTI YANTRA For good effect of 9 Planets


44 NAVGRAHA YUKTA BISHA YANTRA For good effect of 9 Planets
45  SURYA YANTRA Good effect of Sun
46  CHANDRA YANTRA Good effect of Moon
47  MANGAL YANTRA Good effect of Mars
48  BUDHA YANTRA Good effect of Mercury
49  GURU YANTRA (BRUHASPATI YANTRA) Good effect of Jyupiter
50  SUKRA YANTRA Good effect of Venus
51  SHANI YANTRA (COPER & STEEL) Good effect of Saturn
52  RAHU YANTRA Good effect of Rahu
53  KETU YANTRA Good effect of Ketu
54 PITRU DOSH NIVARAN YANTRA For Ancestor Fault Ending
55 PRASAW KASHT NIVARAN YANTRA For Pregnancy Pain Ending
56 RAJ RAJESHWARI VANCHA KALPLATA YANTRA For Benefits of State & Central Gov
57 RAM YANTRA Blessing of Ram
58 RIDDHI SHIDDHI DATA YANTRA Blessing of Riddhi-Siddhi
59 ROG-KASHT DARIDRATA NASHAK YANTRA For Disease- Pain- Poverty Ending
60 SANKAT MOCHAN YANTRA For Trouble Ending
61 SANTAN GOPAL YANTRA Blessing Lorg Krishana For child acquisition
62 SANTAN PRAPTI YANTRA For child acquisition
63 SARASWATI YANTRA Blessing of Sawaswati (For Study & Education)
64 SHIV YANTRA Blessing of Shiv
Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth &
65 SHREE YANTRA (SAMPURNA BEEJ MANTRA) Peace
66 SHREE YANTRA SHREE SUKTA YANTRA Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth
67 SWAPNA BHAY NIVARAN YANTRA For Bad Dreams Ending
68 VAHAN DURGHATNA NASHAK YANTRA For Vehicle Accident Ending
VAIBHAV LAKSHMI YANTRA (MAHA SHIDDHI DAYAK SHREE Blessing of Maa Lakshami for Good Wealth & All
69 MAHALAKSHAMI YANTRA) Successes
70 VASTU YANTRA For Bulding Defect Ending
71 VIDHYA YASH VIBHUTI RAJ SAMMAN PRAD BISHA YANTRA For Education- Fame- state Award Winning
72 VISHNU BISHA YANTRA Blessing of Lord Vishnu (Narayan)
73 VASI KARAN YANTRA Attraction For office Purpose
74  MOHINI VASI KARAN YANTRA Attraction For Female
75  PATI VASI KARAN YANTRA Attraction For Husband
76  PATNI VASI KARAN YANTRA Attraction For Wife
77  VIVAH VASHI KARAN YANTRA Attraction For Marriage Purpose
Yantra Available @:- Rs- 190, 280, 370, 460, 550, 640, 730, 820, 910, 1250, 1850, 2300, 2800 and Above…..

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72 अग त 2011

GURUTVA KARYALAY
NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (प ना) 100.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीलम) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (सफ़ेद पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2400.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(बकोक नीलम) 80.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (मा णक) 55.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (बमा मा णक) 2800.00 3700.00 4500.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नरम मा णक/लालड ) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (मोित) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh rd) (लाल मूंगा) 55.00 75.00 90.00 120.00 180.00 & above
Red Coral (4 jrh ls mij) (लाल मूंगा) 90.00 120.00 140.00 180.00 280.00 & above
White Coral (सफ़ेद मूंगा) 15.00 24.00 33.00 42.00 51.00 & above
Cat’s Eye (लहसुिनया) 18.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Cat’s Eye Orissa (उ डसा लहसुिनया) 210.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Gomed (गोमेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (िसलोनी गोमेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जरकन) 150.00 230.00 330.00 410.00 550.00 & above
Aquamarine (बे ज) 190.00 280.00 370.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीली) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise ( फ़रोजा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Golden Topaz (सुनहला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Real Topaz (उ डसा पुखराज/टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
Blue Topaz (नीला टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (सफ़ेद टोपज) 50.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे ला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Opal (उपल) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गारनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुमलीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (सुय का त म ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (काला टार) 10.00 20.00 30.00 40.00 50.00 & above
Green Onyx (ओने स) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओने स) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (लाजवत) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (च का त म ण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal ( फ़ टक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फ़रं गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगर टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (मरगच) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (सन िसतारा) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Diamond (ह रा) 50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
(.05 to .20 Cent ) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
*** Super fine & Special Quality Not Available Easily. We can try only after getting order
fortunately one or two pieces may be available if possible you can tack corres pondence about
73 अग त 2011

BOOK PHONE/ CHAT CONSULTATION


We are mostly engaged in spreading the ancient knowledge of Astrology, Numerology, Vastu and Spiritual
Science in the modern context, across the world.
Our research and experiments on the basic principals of various ancient sciences for the use of common man.
exhaustive guide lines exhibited in the original Sanskrit texts

BOOK APPOINTMENT PHONE/ CHAT CONSULTATION


Please book an appointment with Our expert Astrologers for an internet chart . We would require your birth
details and basic area of questions so that our expert can be ready and give you rapid replied. You can indicate the
area of question in the special comments box. In case you want more than one person reading, then please mention
in the special comment box . We shall confirm before we set the appointment. Please choose from :

PHONE/ CHAT CONSULTATION


Consultation 30 Min.: RS. 1250/-*
Consultation 45 Min.: RS. 1900/-*
Consultation 60 Min.: RS. 2500/-*
*While booking the appointment in Addvance

How Does it work Phone/Chat Consultation


This is a unique service of GURUATVA KARYALAY where we offer you the option of having a personalized
discussion with our expert astrologers. There is no limit on the number of question although time is of
consideration.
Once you request for the consultation, with a suggestion as to your convenient time we get back with a
confirmation whether the time is available for consultation or not.
 We send you a Phone Number at the designated time of the appointment
 We send you a Chat URL / ID to visit at the designated time of the appointment
 You would need to refer your Booking number before the chat is initiated
 Please remember it takes about 1-2 minutes before the chat process is initiated.
 Once the chat is initiated you can commence asking your questions and clarifications
 We recommend 25 minutes when you need to consult for one persona Only and usually the time is
sufficient for 3-5 questions depending on the timing questions that are put.
 For more than these questions or one birth charts we would recommend 60/45 minutes Phone/chat
is recommended
 Our expert is assisted by our technician and so chatting & typing is not a bottle neck

In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for
properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T.
Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be
answered right away.
BOOKING FOR PHONE/ CHAT CONSULTATION PLEASE CONTECT

GURUTVA KARYALAY
Call Us:- 91+9338213418, 91+9238328785.
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com, chintan_n_joshi@yahoo.co.in,
74 अग त 2011

सूचना
 प का म कािशत सभी लेख प का के अिधकार के साथ ह आर त ह।

 लेख कािशत होना का मतलब यह कतई नह ं क कायालय या संपादक भी इन वचारो से सहमत ह ।

 ना तक/ अ व ासु य मा पठन साम ी समझ सकते ह।

 प का म कािशत कसी भी नाम, थान या घटना का उ लेख यहां कसी भी य वशेष या कसी भी थान या
घटना से कोई संबंध नह ं ह।

 कािशत लेख योितष, अंक योितष, वा तु, मं , यं , तं , आ या मक ान पर आधा रत होने के कारण


य द कसी के लेख, कसी भी नाम, थान या घटना का कसी के वा त वक जीवन से मेल होता ह तो यह मा
एक संयोग ह।

 कािशत सभी लेख भारितय आ या मक शा से े रत होकर िलये जाते ह। इस कारण इन वषयो क


स यता अथवा ामा णकता पर कसी भी कार क ज मेदार कायालय या संपादक क नह ं ह।

 अ य लेखको ारा दान कये गये लेख/ योग क ामा णकता एवं भाव क ज मेदार कायालय या संपादक
क नह ं ह। और नाह ं लेखक के पते ठकाने के बारे म जानकार दे ने हे तु कायालय या संपादक कसी भी
कार से बा य ह।

 योितष, अंक योितष, वा तु, मं , यं , तं , आ या मक ान पर आधा रत लेखो म पाठक का अपना


व ास होना आव यक ह। कसी भी य वशेष को कसी भी कार से इन वषयो म व ास करने ना करने
का अंितम िनणय वयं का होगा।

 पाठक ारा कसी भी कार क आप ी वीकाय नह ं होगी।

 हमारे ारा पो ट कये गये सभी लेख हमारे वष के अनुभव एवं अनुशंधान के आधार पर िलखे होते ह। हम कसी भी य
वशेष ारा योग कये जाने वाले मं - यं या अ य योग या उपायोक ज मेदार न हं लेते ह।

 यह ज मेदार मं -यं या अ य योग या उपायोको करने वाले य क वयं क होगी। यो क इन वषयो म नैितक
मानदं ड , सामा जक , कानूनी िनयम के खलाफ कोई य य द नीजी वाथ पूित हे तु योग कता ह अथवा
योग के करने मे ु ट होने पर ितकूल प रणाम संभव ह।

 हमारे ारा पो ट कये गये सभी मं -यं या उपाय हमने सैकडोबार वयं पर एवं अ य हमारे बंधुगण पर योग कये ह
ज से हमे हर योग या मं -यं या उपायो ारा िन त सफलता ा हु ई ह।

 पाठक क मांग पर एक ह लेखका पूनः काशन करने का अिधकार रखता ह। पाठक को एक लेख के पूनः
काशन से लाभ ा हो सकता ह।

 अिधक जानकार हे तु आप कायालय म संपक कर सकते ह।

(सभी ववादो केिलये केवल भुवने र यायालय ह मा य होगा।)


75 अग त 2011

FREE
E CIRCULAR
गु व योितष प का अग त -2011
संपादक

िचंतन जोशी
संपक
गु व योितष वभाग

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INDIA

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76 अग त 2011

हमारा उ े य
य आ मय

बंध/ु ब हन

जय गु दे व

जहाँ आधुिनक व ान समा हो जाता है । वहां आ या मक ान ारं भ हो जाता है , भौितकता का आवरण ओढे य
जीवन म हताशा और िनराशा म बंध जाता है , और उसे अपने जीवन म गितशील होने के िलए माग ा नह ं हो पाता यो क
भावनाए ह भवसागर है , जसमे मनु य क सफलता और असफलता िन हत है । उसे पाने और समजने का साथक यास ह े कर
सफलता है । सफलता को ा करना आप का भा य ह नह ं अिधकार है । ईसी िलये हमार शुभ कामना सदै व आप के साथ है । आप
अपने काय-उ े य एवं अनुकूलता हे तु यं , हर एवं उपर और दु ल भ मं श से पूण ाण- ित त िचज व तु का हमशा
योग करे जो १००% फलदायक हो। ईसी िलये हमारा उ े य यह ं हे क शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस
ाण- ित त पूण चैत य यु सभी कार के य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।

सूय क करणे उस घर म वेश करापाती है ।


जीस घर के खड़क दरवाजे खुले ह ।

GURUTVA KARYALAY
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77 अग त 2011

AUG
2011

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