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OF OLD MANTRAS
RARE COLLECTION
FOR GOOD FORTUNE (Hindi)
पं0 दयान द शा त्री
12/5/2012
This book is collection of several good blogs published in net. This is for the welfare of community. Pls pass this to
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Revision‐000 Draft==== Dated 5th Dec 2012
TABLE OF CONTENTS
िकन बात का रख यान/ख्याल की हो संतान/पुत्र की प्राप ्ित ? मनपसंद संतान प्राि त के उपाय/उपचार/तरीके..01‐‐ ........... 24
िकन बात का रख यान/ख्याल की हो संतान/पुत्र की प्राि त ? मनपसंद संतान प्राि त के उपाय/उपचार/तरीके.. ....... 25
दग
ु ार् स तशती पाठ---अद्भत
ु शिक्तयां प्रदान करता है - ................................................................................................. 49
कुछ असाधारण/अिव मरनीय.... जानकारी/बात.. जो बदल सकती हे आपकी दशा और िदशा!!!!... यान से पढ़कर
जीवन म अपनाएं/धारण कर.... .................................................................................................................................... 53
पत्र
ु संतान प्राि त के सरल उपाय — ................................................................................................................................ 56
कंु वारी/अिववािहत यव
ु ितय के िलए-- .............................................................................................................................. 81
सय
ू र् उपासना का मह व---- ............................................................................................................................................ 84
The Seven Keys To Success‐‐‐‐ ..................................................................................................................................... 87
Susan's 29 Points to Consider when Dealing with Eclipses ......................................................................................... 94
ल मी को बल
ु ावा है , शाम को यह मंत्र बोल दीपक लगाना...!!! ................................................................................ 118
वा तु टोटके----- ......................................................................................................................................................... 118
101 अचूक टोटके----- ................................................................................................................................................. 119
तंत्र से कर सख
ु -समिृ द्ध--- ........................................................................................................................................... 131
सम याओं का समाधान ............................................................................................................................................. 133
दक
ू ान की िबक्री---- ..................................................................................................................................................... 141
ये हे नजरदोष कारण और िनवारण )आइये जाने की क्य लगती ह नजर और क्या ह उपाय..???)‐‐‐ .................... 153
गाय के दध
ू का मह व ‐‐‐िनवेदन के साथ ...परू ा लेख यान से पिढयेगा ............................................................................. 162
क्या उपाय/टोटका कर यिक्तगत बाधा िनवारण के िलए ???? ........................................................................................ 168
01‐‐क्या कर क्या न कर ?उपाय/टोटके‐‐प्रभाव‐‐‐ ........................................................................................................... 173
सांसािरक जीवन की कामनाओं की बात हो ...................................................................................................................... 176
गोमती चक्र क्या है ..???? .............................................................................................................................................. 176
आइये जाने िववाह के बारे म सब कुछ...उपाय/टोटके...कब होगा??? ................................................................................. 178
जािनए की केसे कर शाबर मंत्र से रोग का उपचार..??? .................................................................................................... 192
केसे कर िपतद
ृ ोष िनवारण‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐ ............................................................................................................................... 199
अपनी यट
ू ी/ वचा/खब
ू सरू ती को बचाएं इन उपाय वारा‐‐‐‐‐‐‐‐ ...................................................................................... 200
संतान दोष : जािनए योितषीय कारण और उपाय/िनवारण‐‐‐‐‐ ...................................................................................... 227
िमत्रो..खश
ु खबरी ..खश
ु खबरी...आप सभी ह तरे खा,वा त ु और योितष ........................................................................... 230
इन उपाय से होगा आपका जीवन सख
ु ी/खश
ु हाल‐‐‐ ........................................................................................................ 233
केसा हो आपका वा तस
ु मत आिफस ( OFFICE AS PER VASTU RULES ) ‐‐‐‐‐ ........................................................... 243
दीपावली की हािदर् क बधाई। ी ल मी जी संसार के द्र सम त भौितक दःु ख की वािमनी, धन स पदा की दे वी और वैभव, स मान की
अिध ठात्री ह। उनकी कृपा हो जाये तो यिक्त संसार को वशीभूत कर सकता है । महाल मी को प्रस न करने के िलए दीपावली के शभ
ु मुहूर्त
म कुछ टोटके ऐसे है ः िज हे करने से धन की प्राि त अव य होती है ।
1. दीपावली के िदन प्रात ग ने की जड़ को नम कार करके घर ले जाय। िफर राित्र ल मी पूजन के साथ इसका भी पूजन कर।
इससे धन स पि त म विृ द्ध होगी।
2. दीपावली के िद माँ ल मी के पूजन के समय इत्र की शीशी माँ ल मी पर चढ़ाय उसम से एक फुलेल लेकर उ ह अिपर्त कर । िफर पूजन
के बाद पुजार के प म उसी फुलेल को वयं लगा ल।इसके बाद िन य रोज इत्र लगाकर रोजगार घर जाये रोजगार के क्षेत्र म विृ द्ध होगी।
3. दीपावली के िदन राित्र म क चा सूत ले आये शद्ध
ु केसर से रं ग कर कायर् थल पर रखने से उ नित होती है ।
4. दीपावली के िदन अपने पूवज
र् की याद म लोग को खाना िखलाने से घर म सुख शाि त बनी रहती है ।
5. जो कोई दीपावली के िदन तल
ु सी का पज
ू न करता है उसे कभी धनभाव का सामना नहीं करना पड़ता है ।
6. दीपावली की सं या हाथ म एक सुपारी एवं ताँवे का िसक्का लेकर पीपल के पेड़ के नीचे रख आयं◌े। शिनवार के िदन उसी पेड़ का प ता
ग ी के नीचे रखने से ग्राहक सदै व अनुकूल रहता है ।
7. दीपावली के िदन दोपहर के समय ह दी की गाठ को पीले कपड़े म रख कर ”ऊँ वक्रतु डाय ऊँ“ का 108 बार जाप कर ितजौरी म थािपत
कर। इससे यापार विृ द्ध होती है ।
8. दीपावली के िदन अधर् राित्र म काले उड़द के 108 दान को ”ऊँ नमः भैरवायः म त्र से अिभमि त्रत करने से शत्रु भय समा त होता है ।
9. दीपावली के िदन अपने मख्
ु य वार पर सरस का तेल का दीपाक जलाय। िफर उसम काली गज
ंु ा के दो-चार दाने डाले द
इससे घर म सख
ु शाि त आती है ।
10. यामा तुलसी के चार ओर उगने वाली घास को पीले कपड़े म बाँधकर दीपावली के िदन अपने कायर् थल पर रखने से उ नित होती है ।
11. एक चैकी पर व त्र िबछाकर उस पर पारद ल मी जी थािपत कर। िफर 7 कौिडयाँ
़ को ल मी जी के ऊपर से उतारते
हुये उनके िनम्र म त्र का जाप कर। िफर यह कौिडया
़ अपनी ितजोरी म थािपत कर।
12. दीपावली को रात म पूजन के प चात ् गोमती चक्र ितजोरी म थािपत करने से वषर् भर समिृ द्ध व खुशहाली बनी रहती है ।
13. घर म धन विृ द्ध के िलए द्धा व िव वास के साथ नरक चतद
ु र् शी के िदन लालच दन लाल गल
ु ाब के पांच फूल और रोली
लाल कपड़े म बाँधकर पूजा कर, उसके प चात ् अपनी ितजोरी म रख। इस िदन ऐसा करने से घर म धन कने लगता है ।
14. नौकरी की इ छा रखने वाले जातक को दीपावली की शाम चने की दाल ल मी पर िछडक दे नी चािहए। दाल को महाल मी
के पूजन के बाद एकित्रत कर पीपल म िवसिजर्त कर द।
15. धन तेरस के िदन ह दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के प्रवेश वार पर ऊँ बना द।
16. दीपावली को ल मी पूजन के बाद घर के सभी कमर म शंख और डम बजाना चािहए। इससे दिरद्रता घर से बाहर जाती
है , ल मी घर म आती ह।
17. दीपावली की राित्र म थोड़ी साबुत िफटकरी लेकर उसे दक
ु ान म घुमाय, िफर िकसी भी चैराहे पर जाकर उसको उ तर
िदशा की तरफ फक द, दक
ु ान म ग्राहकी बढे गी तथा धन लाभ म विृ द्ध होगी।
18. छोटी दीपावली की सुबह गजराज को ग ने या कुछ मीठी व तु अपने हाथ से िखलाये तो आिथर्क लाभ होगा।
19. छोटी दीपावली को प्रातःकाल थान करने के बाद सबसे पहले ल मी िव णु की प्रितमा अथवा फोटो को कमलगट ◌े की
मिू तर्य वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल व त्र िबछाएं। िफर कलश की ओर एक मट्ठ
ु ी चावल से लाल व त्र पर नवग्रह
की प्रतीक नौ ढे िरयां तीन लाइन म बनाएं। इसे आप िचत्र म (1) िच ह से दे ख सकते ह। गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढे िरयां बनाएं।
यह सोलह ढे िरयां मातक
ृ ा (2) की प्रतीक है । जैसा िक िचत्र म िच ह (2) पर िदखाया गया है । नवग्रह व सोलह मातक
ृ ा के बीच म वि तक
इस प्रकार मां ल मी की चौकी सजाने पर भक्त को साल भर पैस की कोई कमी नहीं रहती है ।
०३--- थाई ल मी के िलए ये 10 चीज ज री ह, क्य िक...----
दीपावली-पूजन म प्रयुक्त होने वाली व तुएं एवं मांगिलक ल मी िच न सुख, समिृ द्ध, ऐ वयर्, शांित और उ लास लाने वाले माने जाते ह इनम
प्रमख
ु इस प्रकार ह-
वंदनवार-आम या पीपल के नए कोमल प त की माला को वंदनवार कहा जाता है । इसे दीपावली के िदन पूवीर् वार पर बांधा जाता है । यह
इस बात का प्रतीक है िक दे वगण इन प त की भीनी-भीनी सुगध
ं से आकिषर्त होकर घर म प्रवेश करते ह। ऐसी मा यता है िक दीपावली
की वंदनवार परू े 31 िदन तक बंधी रखने से घर-पिरवार म एकता व शांित बनी रहती ह।
कौड़ी-ल मी पूजन की सजी थाली म कौड़ी रखने की प्राचीन परं परा है , क्य िक यह धन और ी का पयार्य है । कौड़ी को ितजौरी म रखने से
ल मी की कृपा सदा बनी रहती है ।
ल छा-यह मांगिलक िच नï संगठन की शिक्त का प्रतीक है , िजसे पूजा के समय कलाई पर बांधा जाता है ।
ितलक-पूजन के समय ितलक लगाया जाता है तािक मि त क म बुिद्ध, ज्ञान और शांित का प्रसार हो।
पान-चावल-ये भी दीप पवर् के शुभ-मांगिलक िच नï ह। पान घर की शिु द्ध करता है तथा चावल घर म कोई काला दाग नहीं लगने दे ता।
बताशे या गुड़-ये भी योित पवर् के मांगिलक िच न ह। ल मी-पूजन के बाद गुड़-बताशे का दान करने से धन म विृ द्ध होती है ।
वार का पोखरा-दीपावली के िदन वार का पोखरा घर म रखने से धन म विृ द्ध होती है तथा वषर् भर िकसी भी तरह के अनाज की कमी
नहीं आती। ल मी के पज
ू न के समय वार के पोखरे की पज
ू ा करने से घर म हीरे -मोती का आगमन होता है ।
रं गोली- ल मी पज
ू न के थान तथा प्रवेश वार व आंगन म रं ग के संयोजन के वारा धािमर्क िच न कमल, वाि तक कलश, फूलप ती
आिद अंिकत कर रं गोली बनाई जाती है । कहते ह िक ल मीजी रं गोली की ओर ज दी आकिषर्त होती है ।
महाल मी मंत्र----
- इसके प्रभाव से आपको वषर्भर अपार धन-दौलत प्रा त होगी। यान रहे मंत्र जप के दौरान पण
ू त
र् : धािमर्क आचरण रख। मंत्र के संबंध म
कोई शंका मन म ना लाएं अ यथा मंत्र िन फल हो जाएगा।
- घर म दीपक लगाते समय इस बात का यान रख िक दीपक म थोड़े चावल और कंु कु डाल कर रख।
िहंद ू धमर् ग्रंथ के अनुसार दीपावली के िदन िविध-िवधान से यिद ल मीजी की पूजा की जाए तो वे अित प्रस न होती ह। इसके अलावा यिद
ु अवसर पर नीचे िलखे साधारण उपाय िकए जाएं तो और भी
दीपावली(26 अक्टूबर, बुधवार) के शभ े ठ रहता है और घर म ल मी का
थाई िनवास हो जाता है । यह उपाय इस प्रकार ह-
उपाय-----
1- दीपावली के िदन पीपल को प्रणाम करके एक प ता तोड़ लाएं और इसे पूजा थान पर रख। इसके बाद जब शिनवार आए तो वह प ता
पन
ु : पीपल को अिपर्त कर द और दस
ू रा प ता ले आएं। यह प्रिक्रया हर शिनवार को कर। इससे घर म ल मी की थाई िनवास रहे गा और
शिनदे व की प्रस न ह गे।
3- दीपावली की रात 21 लाल हकीक प थर अपने धन थान(ितजोरी, लॉकर, अलमारी) पर से ऊसारकर घर के म य(ब्र म थान) पर गाढ़ द।
1- दीपावली की रात ल मी पूजन के साथ एकाक्षी नािरयल की थापना कर उसकी पूजन-उपासना कर। इससे धन लाभ होता है साथ ही
पिरवार म सख
ु -शांित बनी रहती है ।
2- दध
ू से बने नैवे य मां ल मी को अित िप्रय ह। इसिलए उ ह दध
ू से िनिमर्त िम ठान जैसे- खीर, रबड़ी आिद का भोग लगाएं। इससे मां
ल मी शीघ्र प्रस न होती ह।
3- दभ
ु ार्ग्य के नाश के िलए दीपावली की रात म एक िबजोरा नींबू लेकर म यराित्र के समय िकसी चौराहे पर जाएं और वहां उस नींबू को
चार भाग म काटकर चार रा त पर फक द।
4- दीपावली की रात ल मी पूजन के साथ-साथ काली ह दी का भी पूजन कर और यह काली ह दी अपने धन थान(लॉकर, ितजोरी) आिद
म रख। इससे धन लाभ होगा।
9- इस िदन पूजा थल म एकाक्षी नािरयल की थापना कर। यह साक्षात ल मी का ही व प माना गया है । िजस घर म एकाक्षी नािरयल
की पूजा होती हो, वहां ल मी का थाई वास होता है ।
11- दीपावली के िदन ग ने के पेड़ की जड़ को लाकर लाल कपड़े म बांधकर लाल चंदन लगाकर धन थान पर रख। इससे धन म विृ द्ध
होगी।
12 -- दीपावली की राित्र को पीपल के प ते पर दीपक जलाकर नदी म प्रवािहत कर। इससे आिथर्क परे शािनय से छुटकारा िमलता है ।
13- दीपावली की राित्र म हा थाजोड़ी को िसंदरू म भरकर ितजोरी म रखने से धन विृ द्ध होती है ।=======================
(१) - गोरोचन, असगंध और हरताल को सम भाग म लेकर केले के रस म पीस ल, िपसे हुए पदाथर् का ितलक लगाएं | आपका प्रेम स ब ध
अटूट हो जाएगा |
(२) - सफ़ेद मदार यानी आक की जड़ को सफ़ेद च दन के साथ िघस , इस लेप को पु ष अपने म तक पर लगाएं, प्रेम स ब ध बना रहे गा
|
(३) - अनार के पाँच अंग - फल, फूल, जड़, प ता और छाल को सफ़ेद घुंघुची के साथ पेस ल और इस लेप का ितलक लगाय | इस उपाय
से प्रेिमका या प नी का प्रेमी या पित भटकाव से बचा रहता है |
(४) - कपूर और मेनिसल केले के रस के साथ पीस ल लेप का ितलक लगाएं | ऐसा करने से सदै व प्रेमी आपके प्रेम के वश म रहता है |
(५) - गोरोचन, कुमकुम और िस दरू को धात्री के रस के साथ पीस ल और िफर इस लेप का ितलक लगाएं | इस उपाय से ि त्रयाँ अपने
उपाय ----
(८) - म त्र के वारा अपने यार की सुरक्षा -
ॐ हीं नम:
इस म त्र का एक स ताह तक रोज एक हजार बार जाप कर |
लाल कपड़ा पहनकर कुमकुम की माला धारण कर इस म त्र का जाप कर |
इस म त्र का िविधवत जाप करने प्रेिमका, प नी यहाँ तक िक वगर् की अ सरा भी आपको छोड़कर कहीं नहीं जा सकेगी |
उपाय ----
(९) - केला म गोरोचन िमलाकर लेप तैयार कर कर ल | इस लेप को म तक पर लगाएं | ऐसा करने से त्री हो या पु ष, आप िजस पर भी
नजर डाल दगे तो वो आपके वश म हो जाएगा |
कैसे बचाएं अपना यार यंत्र से :-
2 8 57 25
1 2 21 7
24 70 5 4
51 19 3 6
यह यंत्र ि त्रय के िलए है
(10) - रिववार को जब पु य नक्षत्र हो तब इस यंत्र को याज के रस से िलख | ि त्रयाँ इस यंत्र को अपनी बाईं भुजा पर बांधे ऐसा करने
वाली त्री िजस पु ष को दे खेगी वो उसके वश म हो जाएगा |
(11) - खश, च दन और शहद को एक साथ िमलाकर लेप तैयार कर ल | इस लेप को लगातार बयालीस िदन तक म तक पर ितलक लगाएं
| आपकी जोड़ी सदा बनी रहे गी |
(12) - अगर आपकी प्रेिमका आप का साथ छोड़ गईं ह तो उसे वापस पाने का उपाय है
नािरयल लेकर उसमे धतरू े का बीज रख | शहद और कपरू िमलाकर इसे पीस ल, इस लेप को माथे पर ितलक लगाने से भटकी हुई प्रेिमका
भी वापस आ जाती है |
भटकी प्रेिमका की वापसी के उपाय :- (1) - रिववार के िदन काले धतूरे का पंचांग ल | फल,फूल, प ता, जड़ और शाखा को केसर, गोरोचन
और गोरी के साथ पीस ल | इस लेप का ितलक करने से प नी, प्रेिमका यहाँ तक की वगर् से उतरी अ सरा भी आपको छोड़कर नहीं जायेगी
|
(2) - बुधवार को िधंक्वार की जड़ को भांग के बीज के साथ पीसकर लेप बनाय | इस लेप का ितलक लगाएं, भटकी प्रेिमका वापस आ
जायेगी |
(3) - मैनिसल, गोरोचन और पान को एक साथ पीसकर लेप तैयार कर | इस लेप का ितलक लगाएं | ये उपाय मंगलवार के िदन कर |
(4) - मंगलवार को एक लाल धागा लेकर उसमे सात गांठे लगाएं |
ॐ हीं नम:
इस यंत्र को शक्र
ु वार तक रोज पांच सौ बार पढ़े |
शक्र
ु वार को गाँठ लगे धागे को अपनी कलाई म बाँध ल | पित - प नी, प्रेिमका क पना म भी एक दस
ू रे को छोड़ने की बात नहीं सोचगे |
प्र न :- जब जोिड़य के बीच लड़ाई झगड़ा होने से प्रेम स ब ध खतरे म पड़ जाते ह तो ऐसे म प्रेम उ प न करने वाला यंत्र िकतना कारगार
है |
उ तर :- प्रेम उ प न करने वाला यंत्र -
11 8 1 10
2 13 12 7
19 3 69
5 10 15 40
आपका साथी या प्रेमी आपसे प्रेम नहीं करता तो ये उपाय कर | इस यंत्र को केसर से भोजपत्र पर बना ल | इस यंत्र की ब ती बना ल |
एक कोरे िमट्टी के पात्र म ितल या कुजंड का तेल भर कर उसमे यह ब ती रखकर दीपक जला द | ब ती का मुंह प्रेमी या प्रेिमका के घर
की ओर रख | सात िदन तक ऐसा करने से प्रेमी या प्रेिमका का िदल िपघल जायेगा और मल
ु ाक़ात हो जायेगी |
हर मनु य की कुछ मनोकामनाएं होती है । कुछ लोग इन मनोकामनाओं को बता दे ते ह तो कुछ नहीं बताते। चाहते सभी ह िक िकसी भी
तरह उनकी मनोकामना पूरी हो जाए। लेिकन ऐसा हो नहीं पाता। यिद आप चाहते ह िक आपकी सोची हर मुराद पूरी हो जाए तो नीचे िलखे
प्रयोग कर। इन टोटक को करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।
उपाय----
- तुलसी के पौधे को प्रितिदन जल चढ़ाएं तथा गाय के घी का दीपक लगाएं।
- रिववार को पु य नक्षत्र म वेत आक की जड़ लाकर उससे ीगणेश की प्रितमा बनाएं िफर उ ह खीर का भोग लगाएं। लाल कनेर के फूल
ू ा कर। त प चात गणेशजी के बीज मंत्र (ऊँ गं) के अंत म नम: श द जोड़कर 108 बार जप कर।
तथा चंदन आिद के उनकी पज
- सुबह बेल पत्र (िब ब) पर सफेद चंदन की िबंदी लगाकर मनोरथ बोलकर िशविलंग पर अिपर्त कर।
- बड़ के प ते पर मनोकामना िलखकर बहते जल म प्रवािहत करने से भी मनोरथ पिू तर् होती है । मनोकामना िकसी भी भाषा म िलख सकते
ह।
- नए सूती लाल कपड़े म जटावाला नािरयल बांधकर बहते जल म प्रवािहत करने से भी मनोकामनाएं पूरी हो जाती ह।
उपाय---
शक्
ु ल पक्ष म पडऩे वाले िकसी शक्र
ु वार के िदन प नी अपने हाथ से प्रेम पूवक
र् साबूदाने की खीर बनाएं लेिकन उसम शक्कर के थान पर
िम ी डाल। इस खीर को सबसे पहले भगवान को अिपर्त कर और इसके बाद पित-प नी थोड़ी-थोड़ी एक-दस
ू रे को िखलाएं। भगवान से
सख
ु मय दा प य की कामना कर। इस िदन िकसी ल मी मंिदर म जाकर इत्र का दान कर। अपने शयनकक्ष म इत्र कदािप न रख। कुछ
िदन तक यह प्रयोग करते रह । कुछ ही िदन म दा प य जीवन सुखी हो जाएगा।
इस उपाय से आप अपने दभ
ु ार्ग्य को सौभाग्य म बदल सकते ह---
हर इंसान अपने दभ
ु ार्ग्य से पीछा छुड़ाना चाहता है । लेिकन दभ
ु ार्ग्य से पीछा छुड़ाना इतना आसान नहीं होता क्य िक जब समय बरु ा होता है
तो साया भी साथ छोड़ दे ता है । अगर आप चाहते ह िक आपका दभ
ु ार्ग्य, सौभाग्य म बदल जाए तो नीचे िलखे उपाय कर। यह उपाय आपके
दभ
ु ार्ग्य कौ सौभाग्य म बदल दगे।
उपाय----
2- घर के मुख्य वार के ऊपर भगवान ीगणेश की प्रितमा अथवा िचत्र इस प्रकार लगाएं िक उनका मुख घर के अंदर की ओर रहे । उस पर
सुबह दव
ू ार् अव य अिपर्त कर।
5- गरीब, असहाय, रोगी व िक नर की सहायता दान व प अव य कर। यिद संभव हो तो िक नर को िदए पैसे म से एक िसक्का वापस
लेकर अपने कैश बॉक्स या लॉकर म रख। इससे बहुत लाभ होगा।
6- काली ह दी की एक गांठ शुभ मुहूतर् म प्रा त कर अपने घर म, यवसायी अपने कैश बॉक्स म तथा यापारी अपने ग ले म रख।
टोटका-----
जब हम िकसी यात्रा पर जा रहे हो और अचानक कोई छींक दे तो हम थोड़ी दे र क जाते ह। ऐसे ही जब िब ली रा ता काट जाती है तो
हम थोड़ी दे र क कर चलते ह या रा ता बदल लेते ह। यात्रा पर िकसी िवशेष कायर् पर जाने से पहले पानी पीना या दही का सेवन करना,
यह सब टोटका कहलाता है । टोटके साधारण प्रभावशाली होते ह व इनके िनराकरण भी साधारण ही होते ह।
टोना-----
िदशा-िनदश----
- स मोहन िसिद्ध, दे व कृपा प्राि त अथवा अ य शुभ एवं साि वक काय की िसिद्ध के िलए पूवर् िदशा की ओर मुख करके टोटके िकए जाते ह।
- उ तर िदशा की ओर मुख करके उन टोटक को िकया जाता है िजनका उ े य रोग की िचिक सा, मानिसक शांित एवं आरोग्य प्राि त होता
है ।
- रोग मुिक्त के िलए िकए जाने वाले टोटक के िलए मंगलवार एवं ावण मास उ तम समय है ।
- मां सर वती की प्रस नता व िशक्षा म सफलता के िलए बुधवार एवं गु वार तथा माघ, फा गुन और चैत्र मास म टोटका करना चािहए।
- संतान और वैभव पाने के िलए गु वार तथा आि वन, काितर्क एवं मागर्शीषर् मास म टोटक का प्रयोग करना चािहए।
उपाय----
- अपने घर के मुख्य दरवाजे पर भगवान ीगणेश की मूितर् थािपत कर और सुबह उठकर उ ह प्रणाम कर। इसके बाद अपने वार, दे हली
व सीढ़ी आिद पर पानी का िछड़काव कर। ऐसा करने से टोने-टोटके का प्रभाव नहीं पड़ता।
- शिनवार के िदन सात हरी िमचर् के बीच एक नींबू काले धागे म िपरोकर मुख्य वार पर लटकाएं। इससे भी बुरी नजर नहीं लगेगी।
- अमावस के िदन एक ब्रा मण को भोजन अव य कराएं। इससे आपके िपतर प्रस न ह गे और आपके घर व पिरवार को टोने-टोटको के
अशभ
ु प्रभाव से बचाएंगे।
ू रे काम म ही खचर् हो जाता है । अगर ऐसा हो तो नीचे िलखा टोटका करने से घर म पैस का आगमन होने लगेगा और सख
आ पाता। दस ु -
शांित भी बनी रहे गी।
टोटका----
शक्
ु ल पक्ष के बध
ु वार की शाम को िकसी केले के पौधे के समीप जाएं। उस पर जल चढ़ाएं। ह दी से ितलक कर और गु बह
ृ पित का यान
कर पौधे से अगले िदन (गु वार को) थोड़ी सी जड़ ले जाने की आज्ञा मांग। दस
ू रे िदन सूयर् िनकलने पर नान कर केले के पेड़ की पूजा कर
और लकड़ी के एक टुकड़े से पौधे की जड़ खोदकर िनकल ल और घर ले आएं। इस जड़ को गंगाजल से धोकर केसर के जल म डाल द।
- शिनवार को हनुमानजी के मंिदर म जाकर सवा िकलो मोतीचूर के ल डुओं का भोग लगाएं। घी का दीपक जलाएं और मंिदर म ही बैठकर
लाल चंदन की या मूंगा की माला से 108 बार नीचे िलखे मंत्र का जप कर-
इसके बाद 40 िदन तक रोज अपने घर के मंिदर म इस मंत्र का जप 108 बार कर। 40 िदन के अंदर ही आपको रोजगार िमलेगा।
- शनै चरी अमाव या के िदन एक कागजी नींबू ल और शाम के समय उसके चार टुकड़े करके िकसी चौराहे पर चार िदशाओं म फक द।
इसके प्रभाव से भी ज दी ने बेरोजगारी की सम या दरू हो जाएगी।
ु ाब के फूल चढ़ाएं।
- मंगलवार से प्रारं भ करते हुए 40 िदन तक रोज सुबह के समय नंगे पैर हनुमानजी के मंिदर म जाएं और उ ह लाल गल
ऐसा करने से भी शीघ्र ही रोजगार िमलता है ।
- इंटर यू म जाने से पहले लाल चंदन की माला से नीचे िलखे मंत्र का 11 बार जप कर-
ू र् भगवान गणेश की पज
जप से पव ू ा कर और गणपित अथवर्शीषर् का पाठ करते हुए दध
ू से अिभषेक कर।
----
इस टोटके से हर बाधा हो जाएगी दरू -----
जीवन म कई ऐसे अवसर आते ह जब हर काम म बाधा आने लगती है । काम बनते-बनते िबगड़ जाते ह। जहां से हम उ मीद होती है वहीं
से िनराशा हाथ लगती है । ऐसे समय म अगर यह टोटका िकया जाए तो हर काम बनने लगते ह और बाधाएं वत: ही दरू हो जाती ह।
टोटका----
सुबह उठकर नहाकर साफ पीले कपड़े पहन। इसके बाद आसन िबछाकर पूवर् िदशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं और 7 ह दी की साबूत गांठे,
7 जनेऊ, 7 पज
ू ा की छोटी सप
ु ारी, 7 पीले फूल व 7 छोटी गड़
ु की ढे ली एक पीले रं ग के कपड़े म बांध ल। अब भगवान सय
ू र् का मरण कर
और अपनी मनोकामना पूितर् के िलए प्राथर्ना कर। यह पोटली घर म कहीं ऐसी जगह रख द जहां कोई और उसे हाथ न लगाए। जब आपका
कायर् हो जाए तो यह पोटली िकसी नदी या तालाब म प्रवािहत कर द।
उपाय---
इस िदन सुबह ज दी उठकर िन य कम से िनव ृ त होकर भगवान शंकर के मंिदर जाएं और िशविलंग पर जलािभषेक कर तथा िशविलंग पर
108 आंकड़े के फूल चढ़ाएं हुए ऊँ नम: िशवाय: मंत्र का जप करते रह। इसके बाद 21 िब व पत्र चढ़ाएं और भगवान शंकर से शीघ्र िववाह के
िलए प्राथर्ना कर। धनतेरस के शभ
ु मुहूतर् म िकया गया यह उपाय ज दी ही आपकी सम या का िनदान करे गा।
उपाय----
शिनवार के िदन सुबह िन य कमर् व नान आिद करने से बाद अपनी लंबाई के अनुसार काल धागा ल और इसे एक नािरयल नािरयल पर
लपेट ल। इसका पूजन कर और इस नािरयल को बहते हुए जल म प्रवािहत कर द। साथ ही यह भगवान से ऋण मुिक्त के िलए प्राथर्ना भी
कर। इस छोटे से उपाय से शीघ्र ही आप कजर् की टशन से छुटकारा पा लगे।
उपाय----
ु वार के िदन ब्र म मुहूतर् म चंद्रमा िदखाई दे ने पर सफेद बफीर् या थोड़ा सा दही अपने ऊपर सात बार उतार और अपने मन म
शक्र द्धा व
िव वास के साथ चंद्रदे व से प्राथर्ना कर- हे चंद्रदे व। मेरा तबादला अमक
ु ( थान का नाम बोल) थान पर करवाने की कृपा कर। सात बार यह
िक्रया करते हुए मंत्र पढ़कर बफीर् या दही को सूय दय से पहले िकसी चौराहे पर जाकर रख आएं। िजस िदशा म चंद्रमा आसमान म हो अपना
मुख उस ओर रखना चािहए तथा यह िक्रया छत पर बाहर खुले म कर लेिकन कोई दे ख न पाएं। अपना कायर् पूणर् होने पर चंद्रमा को अ य
द, पज
ू ा कर व सफेद बफीर् या खीर को भोग लगाएं।
यिद पूिणर्मा पर कर यह उपाय तो ज दी होगी शादी---
कुछ लोग ऐसे होते ह िजनकी शादी म काफी मुि कल आती ह। कई बार तो यह लोग काफी िनराश हो जाते ह। लेिकन उ ह िनराश होने की
कोई ज रत नहीं है , पूिणर्मा के अवसर पर यिद वे नीचे िलखे उपाय िविध-िवधान से करगे तो न िसफर् उनका िववाह ज दी होगा बि क उ ह
मनचाहा जीवन साथी भी िमलेगा।
उपाय----
- भगवान िव णु के मंिदर म जाकर बेसन के ल डू चढ़ाएं। ल डू के साथ सेहरे की कलगी भी चढ़ाएं। यह शीघ्र िववाह का अचूक उपाय है ।
- गु बह
ृ पित के मंिदर म जाएं। उ ह पीली िमठाई, फल, फूल व व त्र अपर्ण कर।
- एक िकलो चने की दाल के साथ सोने का कोई आभूषण दान कर। यिद लड़के की शादी नहीं हो रही है तो ब्रा मण को दान कर और यिद
लड़की की शादी नहीं हो रही है तो िकसी क या को दान कर।
ृ क्लेश से पीिडत है और आपकी सुख शांित दरू हो गई है , तो आपको दीपावली के िदन महाल मी पूजन के
5. यिद आप गह
प चात दो गोमती चक्र लेकर एक िड बी म पहले िस दरू रखकर उसके ऊपर रख दे ना चािहए और उस िड बी को िकसी एकांत
थान पर रख द। यह प्रयोग घर म िकसी अ य सद य को भी नहीं बताएँ, ऐसा करने से शीघ्र ही आपकी मनोकामना पण
ू र् होगी।
6. यिद बीमार ठीक नहीं हो पा रहा हो अथवा दवाइयाँ नही लग रही ह , तो उसके िसरहाने पाँच गोमती चक्र मंत्र से
अिभमंित्रत करके रख। ऐसा करने से रोगी को शीघ्र ही वा य लाभ होगा। गोमती चक्र को लाल व त्र म बाँधकर यिद दक
ू ान की चैखट पर
यिद िकसी यिक्त को िदया हुआ धन वापस नही िमल रहा हो, तो उस यिक्त का नाम लेकर मन ही मन धनप्राि त की
कामना करते हुए गोमतीचक्र को एक हाथ गहरी भिू म खोदकरएकांत थान म गाड़ द। इस प्रयोग से धन वापस िमल जाता है
अक्सर पिरवार से जड़
ु ी सम याओं को दरू करने के िलए मां पावर्ती की आराधना की बात कही जाती है । शा त्र के अनुसार पिरवार से जड़
ु ी
िकसी भी प्रकार की सम या के िलए मां पावर्ती भिक्त सवर् े ठ मागर् है । मां पावर्ती की प्रस नता के साथ ही िशवजी, गणेशजी आिद सभी
दे वी-दे वताओं की कृपा प्रा त हो जाती है । अत: सभी प्रकार के ग्रह दोष भी समा त हो जाते ह।
योितष के अनुसार कंु डली म कुछ िवशेष ग्रह दोष के प्रभाव से वैवािहक जीवन पर बुरा असर पड़ता है । ऐसे म उन ग्रह के उिचत
योितषीय उपचार के साथ ही मां पावर्ती को प्रितिदन िसंदरू अिपर्त करना चािहए। िसंदरू को सह
ु ाग का प्रतीक माना जाता है । जो भी यिक्त
िनयिमत प से दे वी मां की पूजा करता है उसके जीवन म कभी भी पािरवािरक क्लेश, झगड़े, मानिसक तनाव की ि थित िनिमर्त नहीं होती
है ।
- स तम थान म ि थत क्रूर ग्रह का उपाय कराएं।
- मंगल का दान कर ।
- गु वार का त कर।
- सोमवार का त कर।
नवमेश शिन ि थत हो तो वह दशम ि ट से पंचम को दे खता है िजससे ब चा गोद लेने की संभावना बनती है .
प्रायः दे खने म आया है की िकसी को संतान तो पैदा हुए लेिकन वो कुछ दीन बाद ही परलोक सध
ु र गया या अकाल म ृ यु को प्रा त हो गया
है …
िकसी को संतान होती ही नहीं है , कोई पुत्र चाहता है तो कोई क या …
हमारे ऋिष महिषर्य ने हजारो साल पहले ही संतान प्राि त के कुछ िनयम और सयम बताये है ,संसार की उ पि त पालन और िवनाश का
क्रम प ृ वी पर हमेशा से चलता रहा है ,और आगे चलता रहे गा। इस क्रम के अ दर पहले जड चेतन का ज म होता है ,िफ़र उसका पालन होता
है और समयानस
ु ार उसका िवनास होता है । मनु य ज म के बाद उसके िलये चार पु षाथर् सामने आते है ,पहले धमर् उसके बाद अथर् िफ़र
काम और अ त म मोक्ष, धमर् का मतलब पूजा पाठ और अ य धािमर्क िक्रयाओं से पूरी तरह से नही पोतना चािहये,धमर् का मतलब मयार्दा
म चलने से होता है ,माता को माता समझना िपता को िपता का आदर दे ना अ य पिरवार और समाज को यथा ि थित आदर स कार और
सबके प्रित आ था रखना ही धमर् कहा गया है ,अथर् से अपने और पिरवार के जीवन यापन और समाज म अपनी प्रित ठा को कायम रखने
का कारण माना जाता है ,काम का मतलब अपने वारा आगे की संतित को पैदा करने के िलये त्री को पित और पु ष को प नी की कामना
करनी पडती है ,प नी का कायर् धरती की तरह से है और पु ष का कायर् हवा की तरह या आसमान की तरह से है ,गभार्धान भी त्री को ही
करना पडता है ,वह बात अलग है िक पादप म अमर बेल या दस
ू रे हवा म पलने वाले पादप की तरह से कोई पु ष भी गभार्धान करले।
धरती पर समय पर बीज का रोपड िकया जाता है ,तो बीज की उ पि त और उगने वाले पेड का िवकास सुचा प से होता रहता है ,और
समय आने पर उ चतम फ़ल की प्राि त होती है ,अगर वषार् ऋतु वाले बीज को ग्री म ऋतु म रोपड कर िदया जावे तो वह अपनी प्रकृित के
अनस
ु ार उसी प्रकार के मौसम और रख रखाव की आव यकता को चाहे गा,और नही िमल पाया तो वह सख
ू कर ख म हो जायेगा,इसी प्रकार
से प्रकृित के अनुसार पु ष और त्री को गभार्धान का कारण समझ लेना चािहये। िजनका पालन करने से आप तो संतानवान ह गे ही आप
की संतान भी आगे कभी दख
ु का सामना नहीं करे गा…
कुछ राते ये भी है िजसमे हम स भोग करने से बचना चािहए .. जैसे अ टमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतद
ु र् शी, पिू णर्मा और अमवा या .च द्रावती
ऋिष का कथन है िक लड़का-लड़की का ज म गभार्धान के समय त्री-पु ष के दायां-बायां वास िक्रया, िपंगला-तूड़ा नाड़ी, सूयर् वर तथा
च द्र वर की ि थित पर िनभर्र करता है ।गभार्धान के समय त्री का दािहना वास चले तो पुत्री तथा बायां वास चले तो पुत्र होगा।
उ तर : सहवास से िनव ृ त होते ही प नी को दािहनी करवट से 10-15 िमनट लेटे रहना चािहए, एमदम से नहीं उठना चािहए। पयार् त िव ाम
कर शरीर की उ णता सामा य होने के बाद कुनकुने गमर् पानी से अंग को शद्ध
ु कर ल या चाह तो नान भी कर सकते ह, इसके बाद पित-
प नी को कुनकुना मीठा दध
ू पीना चािहए।
उ तर : इसका उ तर दे ना मुि कल है ,
प्र न : संतान म स यता होने का क्या कारण होता है ?
यिद आप पुत्र प्रा त करना चाहते ह और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुिवधा के िलए हम यहाँ माहवारी के बाद की िविभ न राित्रय की
मह वपण
ू र् जानकारी दे रहे ह।
शीतला ष ठी तकथा-----
एक ब्रा मण के सात बेटे थे। उन सबका िववाह हो चुका था, लेिकन ब्रा मण के बेट को कोई संतान नहीं थी। एक िदन एक वद्ध
ृ ा ने ब्रा मणी
को पुत्र-वधुओं से शीतला ष ठी का त करने का उपदे श िदया। उस ब्रा मणी ने द्धापूवक
र् त करवाया। वषर् भर म ही उसकी सारी वधुएं
पुत्रवती हो गई।
एक बार ब्रा मणी ने त की उपेक्षा करके गमर् जल से नान िकया। भोजना ताजा खाया और बहुओं से भी वैसा करवाया। उसी रात ब्रा मणी
ने भयानक व न दे खा। वह च क पड़ी। उसने अपने पित को जगाया; पर वह तो तब तक मर चुका था। ब्रा मणी शोक से िच लाने लगी।
जब वह अपने पुत्र तथा बधुओं की ओर बढ़ी तो क्या दे खती है िक वे भी मरे पड़े ह। वह धाड़ मारकर िवलाप करने लगी। पड़ोसी जाग गये।
िव तार :-
पुत्र प्राि त के िलए संतान गणपित तोत्र
* दो हजार वषर् पूवर् के प्रिसद्ध िचिक सक एवं सजर्न सु ुत ने अपनी पु तक सु ुत संिहता म प ट िलखा है िक मािसक ाव के बाद 4, 6,
8, 10, 12, 14 एवं 16वीं राित्र के गभार्धान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं राित्र के गभार्धान से क या ज म लेती है ।
* 2500 वषर् पव
ू र् िलिखत चरक संिहता म िलखा हुआ है िक भगवान अित्रकुमार के कथनानस
ु ार त्री म रज की सबलता से पत्र
ु ी तथा पु ष म
वीयर् की सबलता से पुत्र पैदा होता है ।
* प्राचीन सं कृत पु तक 'सव दय' म िलखा है िक गभार्धान के समय त्री का दािहना वास चले तो पुत्री तथा बायां वास चले तो पुत्र होगा।
* यन
ू ान के प्रिसद्ध िचिक सक तथा महान दाशर्िनक अर तु का कथन है िक पु ष और त्री दोन के दािहने अंडकोष से लड़का तथा बाएं से
लड़की का ज म होता है ।
* च द्रावती ऋिष का कथन है िक लड़का-लड़की का ज म गभार्धान के समय त्री-पु ष के दायां-बायां वास िक्रया, िपंगला-तूड़ा नाड़ी, सूयर् वर
तथा च द्र वर की ि थित पर िनभर्र करता है ।
* कुछ िविश ट पंिडत तथा योितिषय का कहना है िक सूयर् के उ तरायण रहने की ि थित म गभर् ठहरने पर पुत्र तथा दिक्षणायन रहने की
ि थित म गभर् ठहरने पर पुत्री ज म लेती है । उनका यह भी कहना है िक मंगलवार, गु वार तथा रिववार पु ष िदन ह। अतः उस िदन के
गभार्धान से पत्र
ु होने की संभावना बढ़ जाती है । सोमवार और शक्र
ु वार क या िदन ह, जो पत्र
ु ी पैदा करने म सहायक होते ह। बध
ु और
शिनवार नपुंसक िदन ह। अतः समझदार यिक्त को इन िदन का यान करके ही गभार्धान करना चािहए।
* जापान के सुिवख्यात िचिक सक डॉ. कताज का िव वास है िक जो औरत गभर् ठहरने के पहले तथा बाद कैि शयमयुक्त भो य पदाथर् तथा
औषिध का इ तेमाल करती है , उसे अक्सर लड़का तथा जो मेिग्निशयमयक्
ु त भो य पदाथर् जैसे मांस, मछली, अंडा आिद का इ तेमाल करती
है , उसे लड़की पैदा होती है ।
िव विवख्यात वैज्ञािनक प्रजनन एवं त्री रोग िवशेषज्ञ डॉ. ले डरम बी. शैट स ने हजार अमेिरकन दं पितय पर प्रयोग कर प्रमािणत कर
िदया है िक त्री म अंडा िनकलने के समय से िजतना करीब त्री को गभर्धारण कराया जाए, उतनी अिधक पुत्र होने की संभावना बनती है ।
उनका कहना है िक गभर्धारण के समय यिद त्री का योिन मागर् क्षारीय तरल से युक्त रहे गा तो पुत्र तथा अ लीय तरल से युक्त रहे गा तो
पुत्री होने की संभावना बनती है ।
यिद आप पुत्र प्रा त करना चाहते ह और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुिवधा के िलए हम यहाँ माहवारी के बाद की िविभ न राित्रय की
मह वपूणर् जानकारी दे रहे ह।
गभार्धान मुहूतर्-----
िजस त्री को िजस िदन मािसक धमर् हो,उससे चार राित्र प चात सम राित्र म जबिक शभ
ु ग्रह के द्र (१,४,७,१०) तथा ित्रकोण (१,५,९) म
ह ,तथा पाप ग्रह (३,६,११) म ह ऐसी लग्न म पु ष को पुत्र प्राि त के िलये अपनी त्री के साथ संगम करना चािहये। मग
ृ िशरा अनुराधा
वण रोिहणी ह त तीन उ तरा वाित धिन ठा और शतिभषा इन नक्षत्र म ष ठी को छोड कर अ य ितिथय म तथा िदन म गभार्धान
करना चािहये,भल
ू कर भी शिनवार मंगलवार गु वार को पत्र
ु प्राि त के िलये संगम नही करना चािहये।
शीतला ष ठी तकथा---
एक ब्रा मण के सात बेटे थे। उन सबका िववाह हो चुका था, लेिकन ब्रा मण के बेट को कोई संतान नहीं थी। एक िदन एक वद्ध
ृ ा ने ब्रा मणी
को पुत्र-वधुओं से शीतला ष ठी का त करने का उपदे श िदया। उस ब्रा मणी ने द्धापूवक
र् त करवाया। वषर् भर म ही उसकी सारी वधुएं
पुत्रवती हो गई।
एक बार ब्रा मणी ने त की उपेक्षा करके गमर् जल से नान िकया। भोजना ताजा खाया और बहुओं से भी वैसा करवाया। उसी रात ब्रा मणी
ने भयानक व न दे खा। वह च क पड़ी। उसने अपने पित को जगाया; पर वह तो तब तक मर चुका था। ब्रा मणी शोक से िच लाने लगी।
जब वह अपने पुत्र तथा बधुओं की ओर बढ़ी तो क्या दे खती है िक वे भी मरे पड़े ह। वह धाड़ मारकर िवलाप करने लगी। पड़ोसी जाग गये।
ब्रा मणी को अपने िकए पर बड़ा प चाताप हुआ। वह बार-बार क्षमा मांगने लगी। उसने अपने पिरवार के मत
ृ क को जीिवत करने की िवनती
की। शीतला माता ने प्रस न होकर मत
ृ क के िसर पर दही लगाने का आदे श िदया। ब्रा मणी ने वैसा ही िकया। उसके पिरवार के सारे सद य
जीिवत हो उठे । तभी से इस त का प्रचलन हुआ। ऐसी मा यता है ...
यह त वैशाख शक्
ु ल ष ठी को रखा जाता है और एक वषर् पयर्ं त तक करने का िवधान है । यह ितिथ त है । धमर् ग्रंथ के अनस
ु ार भगवान
िशव के वारा बताया गया है । पत्र
ु प्राि त की कामना करने वाले दं पि त के िलए इस त का िवधान है । इस त म क द या काितर्केय
वामी की पूजा और आराधना की जाती है । काितर्केय वामी िशव पुत्र होकर पूजनीय दे वता ह। पुराण के अनुसार ष ठी ितिथ को काितर्केय
वामी का ज म हुआ था। संसार को प्रतािडत करने वाले तारकासुर के वध के िलए दे व सेना का प्रधान बनने के िलए ही उनका ज म हुआ
था। इसिलए उनकी यह िप्रय ितिथ है । वह ब्र मचारी रहने के कारण कुमार कहलाते ह। योग मागर् की साधना म काितके य वामी पावन
बल के प्रतीक ह। तप और ब्र मचयर् के पालन से िजस बल या वीयर् की रक्षा होती है , वही क द या कुमार माने जाते ह। इस ि ट से
क द संयम और शिक्त के दे वता है । शिक्त और संयम से ही कामनाओं की पूितर् म िनिवर्घ्न होती है । इसिलए इस िदन क द की पूजा
का िवशेष मह व है ।
(पत्र
ु प्राि त हे तु पत्र
ु दा एकादशी त)---
ावण शक् ु ल एकादशी दोन ही पुत्रदा एकादशी के नाम से जानी जाती है . इस एकादशी का
ु ल एकादशी व पौष शक् त रखने से पुत्र की
प्राि त होती है इस कारण से इसे पुत्रदा एकादशी कहा गया है .
पुत्रदा एकादशी की कथा (Putrada Ekadashi Vrat Katha)
पद्म पुराण (Padma Purana) म विणर्त है िक धमर्राज युिधि ठर ी कृ ण से एकादशी की कथा एवं महा मय का रस पान कर रहे थे। उस
समय उ ह ने भगवान से पूछा िक मधुसूदन पौष शक्
ु ल एकादशी के िवषय म मुझे ज्ञान प्रदान कीिजए। तब ी कृ ण युिधि ठर से कहते ह।
ु ल एकादशी (Paush shukla paksha Ekadashi) को पुत्रदा एकादशी कहते ह (Putrda Ekadshi).
पौष शक्
राजा ने अपना द:ु ख िव वदे व को बताया। राजा की द:ु ख भरी बात सुनकर िव वदे व ने कहा राजन आप पौष शक्
ु ल पक्ष की एकादशी
(Paushya Shukla Paksha Ekadasi) का त कीिजए, इससे आपको पुत्र र न की प्राि त होगी। राजा ने ऋिष की सलाह मानकर त िकया
और कुछ िदन के प चात रानी गभर्वती हुई और पुत्र को ज म िदया। राजकुमार बहुत ही प्रितभावान और गुणवान हुआ वह अपने िपता के
समान प्रजापालक और धमर्परायण राजा हुआ।
ी कृ ण कहते ह जो इस त का पालन करता है उसे गुणवान और योग्य पुत्र की प्राि त होती है । यह पुत्र अपने िपता एवं कुल की मयार्दा
को बढ़ाने वाला एवं मुिक्त िदलाने वाला होता है ।
पुत्र प्राि त की इ छा से जो त रखना चाहते ह उ ह दशमी को एक बार भोजन करना चािहए। एकादशी के िदन नानािद के प चात गंगा
जल, तल
ु सी दल, ितल, फूल पंचामत
ृ से भगवान नारायण की पज
ू ा करनी चािहए। इस त म त रखने वाले को नजर्ल रहना चािहए। अगर
ती चाह तो सं या काल म दीपदान के प चात फलाहार कर सकते ह। वादशी ितिथ को यजमान को भोजन करवाकर उिचत दिक्षणा दे कर
उनका आशीवार्द ल त प चात भोजन कर।
म य प्रदे श की यापािरक नगरी इंदौर म एक ऐसा यशोदा मंिदर है जहां मिहलाएं ज मा टमी के मौके पर यशोदा की गोद भरकर संतान की
प्राि त की कामना करती ह। इस मंिदर म भजन-पज
ू न के बीच गोद भराई का दौर शु हो गया है ।
महाराजबाड़े के करीब ि थत यशोदा मंिदर म थािपत मूितर् म माता यशोदा कृ ण जी को गोद म िलए हुई ह। यह मूितर् लगभग 200 साल
पहले राज थान से इंदौर लाई गई थी। तभी से लोग की मा यता है िक ज मा टमी के मौके पर यशोदा जी की गोद भरने से मनचाही
संतान की प्राि त होती है ।
जो मिहलाएं यशोदा जी की गोद भरती ह, उनकी मनोकामना पूरी होती है । पुत्र प्राि त के िलए गेहूं के साथ नािरयल और पुत्री की प्राि त के
िलए चावल के साथ नािरयल एवं सुहाग के सामान से यशोदा जी की गोद भरी जाती है । यह परं परा वष से चली आ रही है ।
कृ ण ज मा टमी के मौके पर मिहलाएं संतान प्राि त की कामना के साथ यशोदा जी की गोद भरती ह। बध
ु वार से यहां गोद भराई का
िसलिसला शु हो गया है ।
स तान प्रि त हमारे पूवर् ज म पािजर्त कम पर है आधािरत---
िववाह के उपरा त प्र येक माता-िपता चाहते ह िक उनके ब चे को ज द से ज द स तान हो जाये और वे दादा-दादी, नाना-नानी बन जाये।
मगर ऐसा सभी द पि तय के साथ नहीं हो पाता है । शादी के बाद 2-3 वषर् तक स तान न होने पर यह एक िच ता का िवषय बन जाता है ।
भारतीय सनातन परं परा म स तान होना सौभाग्यशाली होने का सूचक माना जाता है । दा प य जीवन भी तभी खश
ु हाल रह पाता है जब
द पि त के स तान हो अ यथा समाज भी हे य ि ट से दे खता है । पुत्र स तान का तो हमारे समाज म िवशेष मह व माना गया है क्य िक
वह वंश विृ द्ध करता है । स तान प्राि त हमारे पूवर् ज मोपािजर्त कम पर आधािरत है । अत: हम िन:स तान द पि त की कु डली का अ ययन
करते वक्त िकसी एक की कु डली का अ ययन करने की बजाये पित-िप न द नो की कु डली का गहन अ ययन करने के बाद ही िन कषर्
दीपावली से पूवर् खरीददारी का महापवर् धनतेरस/धनत्रयोदशी इस बार दो िदन तक मनाया जायेगा ..यह योग नो वष के बाद आ रहा
ह...इसका कारन यह ह की 24 अक्टूबर को सय
ू र् शाम को वाती नक्षत्र( 04 :45 बजे) म आ जायेगा..इसी िदन उ तराफा गन
ु ी नक्षत्र भी
रहे गा..यह उ तर फा गुनी नक्षत्र 25 अक्टूबर को तड़के/प्रातः तीन बजकर 45 िमनट तक रहे गा..इसके बाद म ह त नक्षत्र आ
जायेगा..शा त्रनुसार उ तराफा गुनी नक् ा म अबूझ मुहूतर्, मांगिलक कायर्,और खरीददारी करने का े ठ मुहूतर् होता ह..वहीँ ह त नक्षत्र भी
इन काय हे तु उ तम ह..चोबीस(24 ) अक्टूबर,2011 को धन त्रयोदशी दोपहर म 12 :35 से शु होकर अगले िदन सब
ु ह नो (09 )बजे तक
रहे गी...चँ िू क दीपदान शाम को त्रयोदशी और प्रदोष कल म िकया जाता ह..और ध व तरी जयंती उिदयत ितिथ म त्रयोदशी होने पर मनाई
जाती ह..इसी कारण २४ अक्टूबर,2011 की शाम को त्रयोदशी होने पर दीपदान िकया जा सकेगा...जबिक 25 अक्टूबर,2011 को सूय दय के
समय त्रयोदशी होने के कारन इसी िदन भगवन ध व तरी की जयंती धम
ू धाम से मनाई जाएगी...25 अक्टूबर,2011 की शाम को चतद
ु र् शी
ितिथ होने के कारन इस िदन प चतुदर्शी पवर् मनाया जायेगा...
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पांच िदन तक चलने वाले पव के पु ज दीपावली की शु आत धन तेरस से होती है ।
धन तेरस को धन त्रयोदशी भी कहते ह। धनतेरस का योहार िह द ू पंचाग के अनस
ु ार काितर्क बदी १३ को मनाया जाता है ।
िजस प्रकार दे वील मी सागर मंथन से उ प न हुई थीं, उसी प्रकार भगवान धनव तरी भी अमत
ृ कलश के साथ सागर मंथन से उ प न हुए
ह। दे वी ल मी हालांिक धन दे वी ह, पर तु उनकी कृपा प्रा त करने के िलए हमको व य और ल बी आयु भी चािहए। यही कारण है िक
दीपावली के दो िदन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती ह।
काितर्क कृ ण पक्ष की त्रयोदशी ितिथ के िदन ही भगवान ध व तरी का ज म हुआ था, इसिलए इस ितिथ को भगवान ध व तरी के नाम पर
धनतेरस कहते है । ध व तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथ म अमत
ृ से भरा कलश था। भगवान ध व तरी चूंिक कलश लेकर प्रकट हुए
इस धनतेरस पर आप धन के दे वता कुबेर को प्रस न कर धनवान बन सकते ह। धन के दे वता कुबेर को प्रस न करने का यह सबसे अ छा
मौका है ।
धनतेरस के इस मौके पर आप कुबेर की उपासना करके अपनी दिरद्रता दरू कर धनवान बन सकते ह। यिद कुबेर आप पर प्रस न हो गए तो
आप के जीवन म धन-वैभव की कोई कमी नहीं रहे गी। कुबेर को प्रस न करना बहुत ही आसान है ।
मंत्रो चार के वारा आप कुबेर को प्रस न कर सकते ह। इसके िलए आपको पारद कुबेर यंत्र के सामने मंत्रो चार करना होगा। यह उपासना
धनतेरस से लेकर िदवाली तक की जाती है । पारद कुबेर यंत्र के सामने धनतेरस से लेकर िदवाली की राित्र तक िनमA मंत्र की फिटक माला
से 11 माला जप कर। ऎसा करने से जीवन म भी प्रकार का अभाव नहीं रहता, दिरद्रता का नाश होता है और यापार म विृ द्ध होती है ।
मंत्र: यक्षाय कुबेराय वै वणाय धनधा यािदपतये पतये धनधा य समिृ द्ध मे दे िह वाहा।
एक बार भगवान िव णु माता ल मीजी सिहत प ृ वी पर घूमने आए। कुछ दे र बाद भगवान िव णु ल मीजी से बोले िक म दिक्षण िदशा की
ओर जा रहा हूं। तुम यहीं ठहरो। परं तु ल मीजी भी िव णुजी के पीछे चल दीं। कुछ दरू चलने पर ईख (ग ने) का खेत िमला। ल मीजी एक
ग ना तोड़कर चस
ू ने लगीं। भगवान लौटे तो उ ह ने ल मीजी को ग ना चस
ू ते हुए पाया। इस पर वह क्रोिधत हो उठे । उ ह ने ाप दे िदया
िक तुम िजस िकसान का यह खेत है उसके यहां पर 12 वषर् तक उसकी सेवा करो।
िव णु भगवान क्षीर सागर लौट गए तथा ल मीजी ने िकसान के यहां रहकर उसे धन-धा य से पण
ू र् कर िदया। 12वषर् के बाद ल मीजी
भगवान िव णु के पास जाने के िलए तैयार हो गईं परं तु िकसान ने उ ह जाने नहीं िदया। भगवान िव णज
ु ी ल मीजी को बल
ु ाने आए परं तु
िकसान ने उ ह रोक िलया। तब भगवान िव णु बोले िक तुम पिरवार सिहत गंगा नान करने जाओ और इन कौिड़य को भी गंगाजल म
छोड़ दे ना तब तक म यहीं रहूंगा। िकसान ने ऐसा ही िकया। गंगाजी म कौिडयां
़ डालते ही चार हाथ बाहर िनकले और कौिडयां
़ लेकर चलने
को तैयार हुए। ऐसा आ चयर् दे खकर िकसान ने गंगाजी से पछ
ू ा िक ये चार हाथ िकसके ह। गंगाजी ने िकसान को बताया िक ये चार हाथ
मेरे ही थे। तुमने जो मुझे कौिडयां
़ भट की ह। वे तु ह िकसने दी ह।
िकसान बोला िक मेरे घर पर एक षी और पु ष आए ह। तभी गंगाजी बोलीं िक वे दे वी ल मीजी और भगवान िव णु ह। तुम ल मीजी को
मत जाने दे ना। वरना दोबारा िनधर्न हो जाओगे। िकसान ने घर लौटने पर दे वी ल मीजी को नहीं जाने िदया। तब भगवान ने िकसान को
समझाया िक मेरे ाप के कारण ल मीजी तु हारे यहां 12 वषर् से तु हारी सेवा कर रही ह। िफर ल मीजी चंचल ह। इ ह बड़े-बड़े नहीं रोक
सके। तुम हठ मत करो। िफर ल मीजी बोलीं हे िकसान यिद तुम मुझे रोकना चाहते हो तो कल धनतेरस है । तुम अपने घर को साफ-सुथरा
रखना। रात म घी का दीपक जलाकर रखना। म तु हारे घर आउं गी। तुम उस वक्त मेरी पूजा करना। परं तु म अ य रहूंगी। िकसान ने दे वी
ल मीजी की बात मान ली और ल मीजी वारा बताई िविध से पूजा की। उसका घर धन से भर गया।
इस प्रकार िकसान प्रित वषर् ल मीजी को पूजने लगा तथा अ य लोग भी दे वी ल मीजी का पूजन करने लगे। इस िदन घर के टूटे -फूटे पुराने
यम के िलए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य वार पर रखा जाता है । राित्र म मिहलाएं दीपक म तेल डालकर चार बि तयां जलाती ह।
जल, रोली, चावल, गुड़ और फूल आिद िमठाई सिहत दीपक जलाकर पूजा की जाती है । यम दीपदान को धनतेरस की शाम म ितल के तेल
से युक्त दीपक प्र विलत कर। इसके प चात गंध, पु प, अक्षत से पूजन कर दिक्षण िदशा की ओर मुंह करके यम से िन न प्राथर्ना कर।
म ृ युना दं डपाशा या घ्कालेन यामया सह।
त्रयोद यां दीपदाना घ्सूयज
र् : प्रयतां मम। अब उन दीपक से यम की प्रस नताथर् सावर्जिनक थल को प्रकािशत कर। इसी प्रकार एक अखंड
दीपक घर के प्रमुख वार की दे हरी पर िकसी प्रकार का अ न (साबुत गेहूं या चावल आिद)िबछाकर उस पर रख। (मा यता है िक इस प्रकार
दीपदान करने से यम दे वता के पाश और नरक से मुिक्त िमलती है ।) दे वता यमराज के िलये भी एक लोकिप्रय कथा है ।
एक बार यमदत
ू ने यमराज को बताया िक महाराज अकाल म ृ यु से हमारे मन भी पसीज जाते ह। यमराज ने द्रिवत होकर कहा िक क्या
िकया जाए िविध के िवधान की मयार्दा हे तु हम ऐसा अिप्रय कायर् करना ही पड़ता है । यमराज ने अकाल म ृ यु से बचाव के उपाय बताते हुए
कहा िक धनतेरस के िदन पूजन एवं दीपदान को िविधपूवक
र् करने से अकाल म ृ यु से छुटकारा िमल जाता है । जहां-जहां और िजस-िजस घर
म यह पूजन होता है वहां अकाल म ृ यु का भय नहीं रहता। इसी घटना से धनतेरस के िदन धनवंतिर पूजन सिहत यमराज को दीपदान की
प्रथा का भी प्रचलन हुआ।
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धनतेरस के शभ
ु मह
ु ू र्त म ऐसे ह गी ल मी प्रस न---:
भारतीय सं कृित और धमर् म शंख का बड़ा मह व है । िव णु के चार आयुधो म शंख को भी एक थान िमला है। मि दर म आरती के
समय शंख विन का िवधान है । हर पुजा म शंख का मह व है । यूं तो शंख की िकसी भी शभ
ु मह
ू ू तर् म पूजा की जा सकती है , लेिकन यिद
धनत्रयोदशी के िदन इसकी पज
ू ा की जाए तो दिरद्रता िनवारण, आिथर्क उ नित, यापािरक विृ द्ध और भौितक सख
ु की प्राि त के िलए तंत्र के
अनुसार यह सबसे सरल प्रयोग है ।यह दिक्षणावतीर् शंख िजसके घर म रहता है , वहां ल मी का थाई िनवास होता है । यिद आप भी चाहते ह
िक आपके घर म ि थर ल मी का िनवास हो तो ये प्रयोग ज र कर
*****
ऊं ु िक्षणावतर् शंखाय नम:………..उपरोक्त मंत्र का पाठ कर लाल कपड़े पर चांदी या सोने के आधार पर शंख को रख द।
ीं क्लीं लंू सद
आधार रखने के पूवर् चावल और गुलाब के फूल रखे। यिद आधार न हो तो चावल और गुलाब पु प (लाल रं ग) के ऊपर ही शंख थािपत कर
द। त प चात िन न मंत्र का 108 बार जप कर- “मंत्र – ऊं ीं”.
अ- 10 से 12 बजे के बीच उपरोक्त प्रकार से सवा माह पूजन करने से-ल मी प्राि त।ब- 12 बजे से 3 बजे के बीच सवा माह पूजन करने से
यश कीितर् प्राि त, विृ द्ध।स- 3 से 6 बजे के बीच सवा माह पूजन करने से-संतान प्राि तइसके अ य प्रयोग िन न है क. सवा महा पूजन के बाद
इसी रं ग की गाय के दध
ू से नान कराओ तो ब या त्री भी पुत्रवती हो जाती है ।ख. पूजा के प चात शंख को लाल रं ग के व त्र मं लपेटकर
ितजोरी म रख दो तो खुशहाली आती है ।ग. शंख को लाल व त्र से ढककर यापािरक सं थान म रख दो तो िदन दन
ू ी रात चौगुनी विृ द्ध और
लाभ होता है ।
धन त्रोदोदशी के पवर् के संदभर् म एक पौरािणक कथा प्रचिलत है इस कथा के अनुसार समुद्र-म थन के दौरान भगवान ध व तिर इसी िदन
समुद्र के दौरान एक हाथ म अमत
ृ कलश लेकर तथा दस
ू रे हाथ म आयुवदशा त्र लेकर प्रकट होते ह उनके इस अमत
ृ कलश और आयुवद का
लाभ सभी को प्रा त हुआ ध वंतिर जी को आरोग्य का दे वता, एवं आयुवद का जनक माना जाता है . भगवान धनवीतिर जी तीन लोक म
िवख्यात दे वताओं के वै य और िचिक सा के दे वता माने गए ह. इसके साथ ही साथ यह भगवान िव णु के अंशावतार भी कहे जाते ह.
यमदे व की पूजा करने तथा उनके नाम से दीया घर की दे हरी पर रखने की एक अ य कथा है िजसके अनुसार प्राचीन समय म हे म नामक
राजा थे, राजा हे म को संतान प म पत्र
ु र न की प्राि त होती है . वह अपने पत्र
ु की कंु डली बनवाते ह तब उ ह योितिषय से ज्ञात होता है
िक िजस िदन उनके पुत्र का िववाह होगा उसके ठीक चार िदन के बाद उनका पुत्र म ृ यु को प्रा त होगा. इस बात को सुन राजा दख
ु से
याकुल हो जाते ह.
म य राित्र जब यम पी सांप उसके पित को डसने के िलए आता है तो वह उन वणर् चांदी के आभष
ू ण के पहाड़ को पार नहीं कर पाता
तथा वहां बैठकर राजकुमारी का गाना सुनने लगाता है . ऐसे सारी रात बीत जाती है और सांप प्रात: काल समय उसके पित के प्राण िलए
िबना वापस चला जाता है . इस प्रकार राजकुमारी अपने पित के प्राण की रक्षा करती है मा यता है की तभी से लोग घर की सुख-समिृ द्ध के
िलए धनतेरस के िदन अपने घर के बाहर यम के नाम का दीया िनकालते ह और यम से प्राथर्ना करते ह िक वह उ ह अकाल म ृ यु के भय
से मुक्त कर.
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धनतेरस की कथा----
एक बार भगवान िव णु जी दे वी ल मी के साथ प ृ वी म िवचरण करने के िलए आते ह. वहां पहुँच कर भगवान िव णु ल मी जी सकते ह
िक वह दिक्षण िदशा की ओर जा रहे ह अत: जब तक वह आपस न आ जाएं ल मी जी उनका इंतजार कर और उनके िदशा की ओर न
दे ख. िव णुजी के जाने पर ल मी जी बैचैन हो जाती ह और भगवान के दिक्षण की ओर जाने पर ल मी भी उनके पीछे चल दे ती ह. मागर् म
उ ह एक खेत िदखाई पड़ता है उसकी शोभा से मुग्ध हो जाती ह.
िकसान बहुत गरीब होता है उसकी ऐसी दशा दे ख कर ल मी जी उसकी पि न को दे वी ल मी अथार्त अपनी मूितर् की पूजा करने को कहती
ह. िकसान िक पि न िनयिमत प से ल मी जी पूजा करती है तब ल मी जी प्रस न हो उसकी दिरद्रता को दरू कर दे ती ह. िकसान के िदन
आनंद से यतीत होने लगते ह और जब ल मीजी वहां से जाने लगती ह तो वह ल मी को जाने नहीं दे ता. उसे पता चल जाता है िक वह
दे वी ल मी ही ह अत: िकसान दे वी का का आंचल पकड़ लेता है . तब भगवान िव णु िकसान से कहते ह की मैने इ ह ाप िदया था िजस
कारण वो यहां रह रही थी अब यह शाप से मुक्त हो गईं ह.सेवा का समय पूरा हो चुका है .
इ ह जाने दो परं तु िकसान हठ करने लगता है तब ल मी जी िकसान से कहती ह िक 'कल तेरस है , म तु हारे िलए धनतेरस मनाऊंगी तम
ु
कल घर को लीप-पोतकर व छ रखना सं या समय दीप जलाकर मेरा पूजन करना इस िदन की पूजा करने से म वषर् भर तु हारे घर से
नहीं जाऊंगी. यह कहकर दे वी चली अगले िदन िकसान ने ल मीजी के कहे अनुसार ल मी पूजन िकया और उसका घर धन-धा य से भरा
रहा अत: आज भी इसी प्रकार से हर वषर् तेरस के िदन ल मीजी की पूजा िक जाती है . ऎसा करने से ल मी जी का आिशवार्द प्रा त होता है .
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केसे कर धनत्रयोदशी की पूजा---
धन त्रयोदशी के िदन घर को लीप पोतकर कर व छ िकया जाता है ,रं गोली बना सं या समय दीपक जलाकर रोशनी से ल मी जी का
आवाहन करते ह. धन त्रयोदशी के िदन नए सामान, गहने, बतर्न इ यािद ख़रीदना शभ
ु माना जाता है . इस िदन चांदी के बतर्न ख़रीदने का
िवशेष मह व होता है . मा यता अनुसार इस िदन वणर्, चांदी या बतर्न इ यादी खरीदने से घर म सुख समद्ध
ृ ी बनी रहती है . इस िदन
आयुवद के ग्र थ का भी पूजन िकया जाता है .
आयव
ु द िचिक सक का यह िवशेष िदन होता है आयव
ु द िव यालय , तथा िचिक्क सालय म इस िदन भगवान ध व तिर की पज
ू ा की जाती
है . आरोग्य प्राि त के िलए तथा िजन यिक्तय को शारीिरक एवं मानिसक बीमािरयां अकसर परे शान करती रहती ह, उ ह भगवान धनवंतिर
का धनत्रयोदशी को द्धा-पूवक
र् पूजन करना चािहए ऐसा करने से आरोग्य की प्राि त होगी. धनत्रयोदशी को यम के िनिम त दीपदान भी करते
ह िजससे यिक्त अकाल म ृ यु के भय से मक्
ु त होता है
आइये जाने केसे कर दीपावली पूजन –पूजन सामग्री एवं पूजन िवधान,म त्र और आरती----
शभ
ु मह
ु ू तर् म सख
ु -समिृ द्ध दायक है ीगणेश-ल मी पज
ू ा---
दीपावली यानी दीप पिक्तयां, अमाव या को जब च द्रमा और सूयर् दोन िकसी भी एक िडग्री पर होते ह तो गहन अंधकार को ज म दे ते ह।
दीपावली गहन अंधकार म भी प्रकाश फैलने का पवर् है , यह योहार हम सभी को प्रेरणा दे ता है िक अज्ञान पी अंधकार म भटकने के बजाये
हम अपने जीवन म ज्ञान पी प्रकाश से उजाला कर और जगत के क याण म सहभािगता कर।
दीपावली की राित्र को माता महाल मी की कृपा िजस यिक्त या पिरवार पर हो जाये, वह कभी भी धन अभाव महसूस नहीं करता और
हमेशा सुख-समिृ द्ध से युक्त हो जाता है ।
धन की आव यकता हर िकसी को होती है । धन के िबना जीवन अधरू ा है क्य िक आव यकताओं की पिू तर् धन के अभाव म नहीं हो सकती।
जीवन जीने के िलये धन तो चािहये ही! दीपावली के शभ
ु अवसर पर महाल मी को प्रस न करने के िलये कुछ पूजा-आराधना इस प्रकार से
करनी चािहये िक पूरे वषर् धन-धा य म विृ द्ध होकर सुख-समिृ द्ध बनी रहे और िनर तर मां ल मी की कृपा बनी रहे । रावण के पास जो सोने
की लंका थी, कहते ह वह लंका रावण को महाल मी की कृपा से ही प्रा त हुई थी। रावण के भाई कुबेर जो धनािधपित के प म भी जाने
दीपावली के शभ
ु अवसर पर भगवती ी महाल मी जी एवं ीगणेश जी का ही िवशेष पूजन िकया जाता है , क्य िक पूरे वषर् म एक यही पवर्
है िजसम ल मी का पूजन भगवान िव णु के साथ नहीं होता क्य िक भगवान िव णु तो चातम
ुर् ास शयन कर रहे ह इसिलये ल मी जी के
साथ ी गणेश जी का पूजन दीपावली के शभ
ु अवसर पर िकया जाता है ।
जो यिक्त शा त्रोक्त िविध से पूजन नहीं कर सकते, उनके िलये िब कुल ही सरल िविध दी जा रही है । महाल मी पूजन के िलये ल मी-
गणेश की नवीन मूितर्, ीयंत्रा, कुबेर मंत्रा, फल-फूल, धूप-दीपक, खील-बतासे, िमठाई, पंचमेवा, दध
ू , दही, शहद, गंगाजल, रोली, कलावा, क चा
नािरयल, तेल के दीपक, द्धा व साम य अनुसार दीपक की कतार और एक घी के दीपक की आव यकता होती है ।
पूजन के िलये एक थाली म रोली से ओम और वाि तक का िच ह बनाकर गणेश जी व माता ल मी जी को थािपत करे । थाली म एक
तरफ षोडस ् मातक
ृ ा पूजन के िलये रोली से 16 िब द ु लगाय। नवग्रह पूजन के िलये रोली से ही खाने बनाय, सपर् आकृित बनाय, एक तरफ
अपने िपतर को थान द (थाली म एक िब द ु लगाय) अब सवर्प्रथम पूवार्िभमुख अथवा उ तरािभमुख बैठकर आचमन, पिवत्रा◌ी-धारण-
प्राणायाम कर अपने ऊपर तथा पज
ू ा-सामग्री पर िन न मंत्र पढ़ते हुये गंगाजल िछड़के-
इसके प चात ् सभी दे वी-दे वताओं को गंगाजल िछड़ककर नान कराय, ितलक कर, डोरी (कलावा), त प चात गंगाजल िमले हुए जल से भरा
लोटा या कलश का पूजन करे , डोरी बांधे, रोली से ितलक करे , पु प व चावल कलश पर व ण दे वता को नम कार करते हुये अिपर्त कर।
इसके प चात ् थाली म जो 9 खाने वाली जगह है , उस पर रोली, डोरी, पु प, चावल, फल, िमठाई आिद चढ़ाते हुये नवग्रह का यान व प्रणाम
करे और प्राथर्ना कर िक सभी नवग्रह सूय,र् च द्रमा, मंगल, बुध, बह
ृ ॰, शक्र
ु , शािन, राहू, केतू शाि त प्रदान कर।
घर म ल मी का वास हो, सख
ु -समिृ द्ध आये, घर म ल मी का थायी वास हो जाए, इसके िलये दीपावली का पज
ू न शभ
ु मह
ु ू तर् म कर तथा
लाभ उठाएँ।
पुनः राित्र 1बज कर 17 िमनट से 3 बज कर 31 िमनट के बीच िसंहरािश ि थर लग्न म पूजा कर लेना फलप्रद है .
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दीपक
ीफल (नािरयल)
धा य (चावल, गेहूँ)
लेखनी (कलम)
पु प (गल
ु ाब एवं लाल कमल)
एक नई थैली म ह दी की गाँठ,
खड़ा धिनया व दव
ू ार् आिद
खील-बताशे
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त प चात ् माता महाल मी जी का पूजन ’ओइम ् महाल मै नमः‘ म त्र बोलते हुये सभी व तुएं यथा रोली, कलावा, पु प, मीठा व फल आिद
ल मी जी को अिपर्त कर। ल मी जी के पास बही खाते, कलम-दवात, कुबेर-यंत्रा, ीयंत्र आिद रखे।
कुबेर यंत्र पर ओम कुबेराय नमः मंत्र बोल कर पु प, चावल रोली,कलावा, फल व िमठाई आिद अिपर्त कर। यापारी वगर् बाट-तराजू की पूजा
पु प चावल हाथ म लेकर ’ओम तल
ु ािधवठात ृ दे वताय नमः‘ बोलते हुये अिपर्त करे , इसके प चात ् तेल के सभी दीपक जलाएं और पु प व
चावल हाथ म लेकर ओम दीपाव यै नमः का उ चारण कर अिपर्त कर।
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कहा जाता है िक काितर्क अमाव या को भगवान रामच द्र जी चौदह वषर् का बनवास पूरा कर अयो या लौटे थे। अयो या वािसय ने ी
रामच द्र के लौटने की खुशी म दीप जलाकर खुिशयाँ मनायी थीं, इसी याद म आज तक दीपावली पर दीपक जलाए जाते ह और कहते ह िक
इसी िदन महाराजा िवक्रमािद य का राजितलक भी हुआ था। आज के िदन यापारी अपने बही खाते बदलते है तथा लाभ हािन का यौरा
तैयार करते ह। दीपावली पर जआ
ु खेलने की भी प्रथा ह। इसका प्रधान ल य वषर् भर म भाग्य की परीक्षा करना है । लोग जआ
ु खेलकर यह
पता लगाते ह िक उनका पूरा साल कैसा रहे गा।
पज
ू न िवधानः दीपावली पर माँ ल मी व गणेश के साथ सर वती मैया की भी पज
ू ा की जाती है । भारत मे दीपावली पर प र पराओं का
य हार है । पूरी पर परा व द्धा के साथ दीपावली का पूजन िकया जाता है । इस िदन ल मी पूजन म माँ ल मी की प्रितमा या िचत्र की
पूजा की जाती है । इसी तरह ल मी जी का पाना भी बाजार म िमलता है िजसकी पर परागत पूजा की जानी अिनवायर् है । गणेश पूजन के
िबना कोई भी पज
ू न अधरू ा होता है इसिलए ल मी के साथ गणेश पज
ू न भी िकया जाता है । सर वती की पज
ू ा का कारण यह है िक धन व
िसिद्ध के साथ ज्ञान भी पूजनीय है इसिलए ज्ञान की पूजा के िलए माँ सर वती की पूजा की जाती है ।
इस िदन धन व ल मी की पूजा के प म लोग ल मी पूजा म नोट की ग डी व चाँदी के िसक्के भी रखते ह। इस िदन रं गोली सजाकर माँ
ल मी को खुश िकया जाता है । इस िदन धन के दे वता कुबेर, इ द्र दे व तथा सम त मनोरथ को पूरा करने वाले िव णु भगवान की भी पूजा
िविधः दीपावली के िदन दीपक की पूजा का िवशेष मह व ह। इसके िलए दो थाल म दीपक रख। छः चौमुखे दीपक दोनो थाल म रख।
छ बीस छोटे दीपक भी दोनो थाल म सजाय। इन सब दीपको को प्र जविलत करके जल, रोली, खील बताशे, चावल, गुड, अबीर, गल
ु ाल, धूप,
आिद से पूजन कर और टीका लगाव। यापारी लोग दक
ु ान की ग ी पर गणेश ल मी की प्रितमा रखकर पूजा कर। इसके बाद घर आकर
पूजन कर। पहले पु ष िफर ि त्रयाँ पूजन कर। ि त्रयाँ चावल का बायना िनकालकर कर उस पये रखकर अपनी सास के चरण पशर् करके
उ ह दे द तथा आशीवादर् प्रा त कर। पूजा करने के बाद दीपक को घर म जगह-जगह पर रख। एक चौमुखा, छः छोटे दीपक गणेश ल मीजी
के पास रख द। चौमुखा दीपक का काजल सब बडे बुढे ब चे अपनी आँखो म डाल।
मम सवार्प छांितपूवक
र् दीघार्यु यबलपुि टनै यािद-
सकलशभ
ु फल प्रा यथर्ं
भोजन म वािद ट यंजन, कदली फल, पापड़ तथा अनेक प्रकार की िमठाइयाँ बनाएं।
िफर जल, मौली, चावल, फल, गुढ़, अबीर, गुलाल, धूप आिद से िविधवत पूजन कर।
धनदाय नम तु यं िनिधपद्मािधपाय च।
इस पूजन के प चात ितजोरी म गणेशजी तथा ल मीजी की मूितर् रखकर िविधवत पूजा कर।
ल मी पज
ू न रात के बारह बजे करने का िवशेष मह व है ।
इसके िलए एक पाट पर लाल कपड़ा िबछाकर उस पर एक जोड़ी ल मी तथा गणेशजी की मूितर् रख। समीप ही एक सौ एक पए, सवा सेर
चावल, गुढ़, चार केले, मूली, हरी ग्वार की फली तथा पाँच ल डू रखकर ल मी-गणेश का पूजन कर।
बड़े-बुजग
ु के चरण की वंदना कर।
रात को बारह बजे दीपावली पूजन के उपरा त चूने या गे म ई िभगोकर चक्की, चू हा, िस ल, लोढ़ा तथा छाज (सूप) पर कंकू से ितलक
कर। (हालांिक आजकल घर मे ये सभी चीज मौजद
ू नहीं है लेिकन भारत के गाँव म और छोटे क ब म आज भी इन सभी चीज का
िवशेष मह व है क्य िक जीवन और भोजन का आधार ये ही ह)
दस
ू रे िदन प्रातःकाल चार बजे उठकर पुराने छाज म कूड़ा रखकर उसे दरू फकने के िलए ले जाते समय कह 'ल मी-ल मी आओ, दिरद्र-दिरद्र
जाओ'।
मंत्र-पु पांजिल :
प्रदिक्षणा कर, सा टांग प्रणाम कर, अब हाथ जोड़कर िन न क्षमा प्राथर्ना बोल :-
पूजन समपर्ण :
िवसजर्न :
अब हाथ म अक्षत ल (गणेश एवं महाल मी की प्रितमा को छोड़कर अ य सभी) प्रिति ठत दे वताओं को अक्षत छोड़ते हुए िन न मंत्र से
िवसजर्न कमर् कर :-
इ टकामसमद्ध
ृ यथर्ं पुनअर्िप पुनरागमनाय च ॥
ल मीजी की आरती
जोकोई तम
ु को यावत, ऋिद्ध-िसिद्ध-धन पाता ॥ॐ जय...
िजस घर तम
ु रहती, तहँ सब स गण
ु आता ।
खान-पान का वैभव सब तम
ु से आता ॥ॐ जय...
शभ
ु -गुण-मंिदर सु दर, क्षीरोदिध-जाता ।
परमा मा की पूजा म सबसे यादा मह व है भाव का, िकसी भी शा त्र या धािमर्क पु तक म पूजा के साथ धन-संपि त को नहीं जोड़ा़ गया
है । इस लोक म पूजा के मह व को दशार्या गया है -
'पत्र, पु प, फल या जल जो मुझे (ई वर को) भिक्तपूवक ु िच त वाले भक्त के अपर्ण िकए हुए पदाथर् को म ग्रहण
र् अपर्ण करता है , उस शद्ध
करता हूँ।'
भावना से अपर्ण की हुई अ प व तु को भी भगवान सहषर् वीकार करते ह। पूजा म व तु का नहीं, भाव का मह व है ।
पत्र यानी प ता। भगवान भोग के नहीं, भाव के भूखे ह। भगवान िशवजी िब व पत्र से प्रस न होते ह, गणपित दव
ू ार् को नेह से वीकारते ह
और तल
ु सी नारायण-िप्रया ह! अ प मू य की व तए
ु ं भी दयपव
ू क
र् भगव चरण म अपर्ण की जाए तो वे अमू य बन जाती ह। पज
ू ा
दयपूवक
र् होनी चािहए, ऐसा सूिचत करने के िलए ही तो नागव ली के दयाकार प ते का पूजा सामग्री म समावेश नहीं िकया गया होगा न!
पत्र यानी वेद-ज्ञान, ऐसा अथर् तो गीताकार ने खुद ही 'छ दांिस य य पणार्िन' कहकर िकया है । भगवान को कुछ िदया जाए वह ज्ञानपूवक
र् ,
समझपव
ू क
र् या वेदशा त्र की आज्ञानस
ु ार िदया जाए, ऐसा यहां अपेिक्षत है । संक्षेप म पज
ू न के पीछे का अपेिक्षत मंत्र यान म रखकर पज
ू न
करना चािहए। मंत्रशू य पूजा केवल एक बा य यांित्रक िक्रया बनी रहती है , िजसकी नीरसता ऊब िनमार्ण करके मानव को थका दे ती है ।
इतना ही नहीं, आगे चलकर इस पूजाकांड के िलए मानवके मन म एक प्रकार की अ िच भी िनमार्ण होती है ।
इसके प चात अ त म थाली म कपरू और घी का दीपक रखकर गणेश जी तथा ल मी जी की आरती कर। वयं व पिरवार के सभी सद य
को भी ितलक कर व रक्षा-सूत्रा हाथ म बांध, इसके प चात ् हाथ म पु प व चावल लेकर संक प कर, अपना नाम और गोत्रा बोलते हुये िक
म सपिरवार आज दीपावली के शभ
ु अवसर पर महाल मी का पज
ू न, कुबेर व गौरी-गणपित के साथ धन-धा यािद, पुत्रा-पौत्रािद, सुख समिृ द्ध
हे तु कर रहा हूं। हाथ के पु प व चावल नीचे छोड़ द। िफर िन न प्राथर्ना कर:-
’इ द्र, पूषा, बह
ृ पित हमारा क याण कर, प ृ वी, जल अिग्न, औषिध हमारे िलये िहतकारी हो, भगवान िव णु हमारा क याण करे । अिग्न
दे वता,सूयर् दे वता, च द्रमा दे वता, वायु दे वता, व ण दे वा व इ द्र आिद दे वता हमारी रक्षा कर। सभी िदशाओं और प ृ वी पर शांित रहे । हम
गणेश जी, ल मी-नारायण, उमा-िशव, सर वती, इ द्र, माता-िपता व कुल दे वता ग्राम या नगर दे वता, वा तुदेवता, थान दे वता, एवम ् सभी
दे वताओं और ब्राहमण को प्रमाण करते ह।
त प चात ् पु प व अक्षत हाथ म लेकर 16 िब द ु अथार्त षोडशमात ् का पूजन कर, पु प, चावल, फल, िमठाई, डोरी (कलावा) रोली आिद
समिपर्त कर, प्रमाण कर, प्राथर्ना कर:-
’हे िव णु िप्रये ल मी जी हम धन-धा य से पिरपूणर् रख। आप ही सवर् ह। हम पूजन, मंत्रा, िक्रया नहीं आती, हम अपराधी ह, पापी ह। आपके
इस पूजन म िकसी प्रकार की, िकसी भी व तु की कमी या त्रा◌ुिट हो, कमी हो तो हम क्षमा करना। यह कहते हुये पु प और अक्षत ल मी
जी पर अिपर्त कर द और िफर हाथ जोड़कर पूरी द्धा से यह प्राथर्ना कर िक भगवान गणेश जी व माता ल मी जी हमारे घर म थायी
िनवास कर और अ य सभी दे वी दे वता हम आशीर्वाद दे ते हुये अपने-अपने थान पर प्र थान करने की कृपा कर। इसके प चात ् भोग
लगाकर प्रसाद को घर म सबको बांटकर ग्रहण कर।
http://vinayakvaastutimes.mywebdunia.com/2011/09/26/1317049980001.html
दग
ु ार् स तशती पाठ-अद्भत
ु शिक्तयां प्रदान करता है ---
नवरात्र के दौरान माता को प्रस न करने के िलए साधक िविभ न प्रकार के पूजन करते ह िजनसे माता प्रस न उ ह अद्भत
ु शिक्तयां प्रदान
ु ार् स तशती का िनयिमत पाठ िविध-िवधान से िकया जाए तो माता बहुत प्रस न होती
करती ह। ऐसा माना जाता है िक यिद नवरात्र म दग
ह। दग
ु ार् स तशती म (700) सात सौ प्रयोग है जो इस प्रकार है :- मारण के 90, मोहन के 90, उ चाटन के दो सौ(200), तंभन के दो
सौ(200), िव वेषण के साठ(60) और वशीकरण के साठ(60)। इसी कारण इसे स तशती कहा जाता है ।
दग
ु ार् स तशती पाठ िविध
- इसके बाद प्राणायाम करके गणेश आिद दे वताओं एवं गु जन को प्रणाम कर, िफर पिवत्रे थो वै ण यौ इ यािद म त्र से कुश की पिवत्री
धारण करके हाथ म लाल फूल, अक्षत और जल लेकर दे वी को अिपर्त कर तथा मंत्र से संक प ल।
- िफर मूल नवाणर् म त्र से पीठ आिद म आधारशिक्त की थापना करके उसके ऊपर पु तक को िवराजमान कर। इसके बाद शापोद्धार करना
चािहए।
- इसके बाद उ कीलन म त्र का जाप िकया जाता है । इसका जप आिद और अ त म इक्कीस-इक्कीस बार होता है ।
दग
ु ार् अथार्त दग
ु र् श द से दग
ु ार् बना है , दग
ु र् =िकला , तंभ , श तशती अथार्त सात सौ | िजस ग्र थ को सात सौ लोक म समािहत िकया
गया हो उसका नाम श तशती है |
मह व -जो कोई भी इस ग्र थ का अवलोकन एवं पाठ करे गा "माँ जगद बा" की उसके ऊपर असीम कृपा होगी |
कथा - "सुरथ और "समाधी " नाम के राजा एवं वै य का िमलन िकसी वन म होता है ,और वे दोन अपने मन म िवचार करते ह, िक
हमलोग राजा एवं सभी संपदाओं से युक्त होते हुए भी अपन से िवरक्त ह ,िक तु यहाँ वन म, ऋिष के आ म म, सभी जीव प्रस नता
पूवक
र् एकसाथ रहते ह | यह आ चयर् लगता है ,िक क्या कारण है ,जो गाय के साथ िसंह भी िनवास करता है , और कोई भय नहीं है ,जब
हम अपन ने पिर याग कर िदए, तो िफर अपन की याद क्य आती है |
वहाँ ऋिष के वारा यह ज्ञात होता है ,िक यह उसी " महामाया " की कृपा है ,सो पुनः ये दोन " दग
ु ार्" की आराधना करते ह ,और
"श तशती " के बारहवे अ याय म आशीवार्द प्रा त करते ह ,और अपने पिरवार से युक्त भी हो जाते ह |
भाव -जो कोई भी" माँ जगद बा "की शरण लेगा ,उसके ऊपर माँ की असीम कृपा होगी ,संसार की सम त बाधा का िनवारण करगीं - अतः
सभी को "दग
ु ार् श तशती " का पाठ तो करने ही चािहए ,और इस ग्र थ को अपने कुलपुरोिहत से जानना भी चािहए....
दग
ु ार् स तशती के अलग-अलग प्रयोग…/ उपाय----
दग
ु ार् स तशती से कामनापूितर्—
- ल मी, ऐ वयर्, धन संबध
ं ी प्रयोग के िलए पीले रं ग के आसन का प्रयोग कर।
- वशीकरण, उ चाटन आिद प्रयोग के िलए काले रं ग के आसन का प्रयोग कर।
बल, शिक्त आिद प्रयोग के िलए लाल रं ग का आसन प्रयोग कर।
- साि वक साधनाओं, प्रयोग के िलए कुश के बने आसन का प्रयोग कर।
व त्र- ल मी संबध
ं ी प्रयोग म आप पीले व त्र का ही प्रयोग कर। यिद पीले व त्र न हो तो मात्र धोती पहन ल एवं ऊपर शाल लपेट ल।
आप चाहे तो धोती को केशर के पानी म िभग कर पीला भी रं ग सकते ह।
हवन करने से
जायफल से कीितर् और िकशिमश से कायर् की िसिद्ध होती है ।
आंवले से सुख और केले से आभूषण की प्राि त होती है । इस प्रकार फल से अ यर् दे कर यथािविध हवन कर।
खांड, घी, गहू, शहद, जौ, ितल, िब वपत्र, नािरयल, िकशिमश और कदं ब से हवन कर।
गहूं से होम करने से ल मी की प्राि त होती है ।
खीर से पिरवार, विृ द्ध, च पा के पु प से धन और सुख की प्राि त होती है ।
कुछ असाधारण/अिव मरनीय.... जानकारी/बात.. जो बदल सकती हे आपकी दशा और िदशा!!!!... यान से पढ़कर
जीवन म अपनाएं....धारण कर/
भारतीय सं कृित पन
ु जर् म पर िव वास करती है । इसिलए हमारे यहां िपतद
ृ ोष को माना जाता है । जब पिरवार म िकसी भी तरह की उ नित
नहीं हो पाती है और सफलता म लगातार कावटे आती ह। इसका कारण योितष के अनुसार िपतद
ृ ोष होता है ।अगर आपके साथ भी यही
सम या है तो नीचे िलखे उपाय ज र अपनाएं। इससे िनि चत ही िपतद
ृ ोष म कमी आएगी।
- अपने माता-िपता और बज
ु ग
ु का स मान कर।
- सूयर् को िपता माना गया है । इसिलए तांबे के लोटे म जल भरकर उसम लाल च दन का चूरा रोली, लाल पु प की पि तयां डालकर सूयर् दे व
को अघ्र्य द। ग्यारह बार ऊं घण
ृ ीं सूयार्य नम: मंत्र का जप कर। इससे िपत ृ प्रस नता िमलती है ।
मंत्र
जप िविध
इस मंत्र का जप करने वाले यिक्त पर मां ल मी की कृपा होगी और जीवन म कभी पैस के अभाव का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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सवर् िवघ्न िनवारण मंत्र आप इसका लाभ उठाये ... ...
ॐ नमो हनम
ु ते परकृत य त्र मंत्र पराहं कार भूत प्रेत िपशाच पर ि ट सवर् िवघ्न दज
ु न
र् चे ठा कुिव या सव ग्र्हभयाँ िनवारय िनवारय वध
वध लुंठ लठ
ुं पच
पच िवलुंच िवलच
ुं िकली िकली िकली सवर् कुयांत्रानी द ु वा चम ॐ ं ीं हुं फट वाहा .....
िविध --- इसका पाठ मंगलवार के िदन या शिनवार के िदन करने से सभी प्रकार के िवघ्न से छुटकारा िमलती है
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कंु डली म जो ग्रह नीच राशी म हो या उसकी दशा म आपको नुकशान हो तो हो आप उस ग्रह से स बंिधत दान करके या मंत्र का शद
ु ा जाप
करके उसके शभ
ु फल को प्रा त कर सकते है ...
आपको कौन से ग्रह के मंत्र का जाप करने से सबसे अिधक लाभ हो सकता है तथा उसी ग्रह के मंत्र से आपको जाप शु करना चािहए।
नवग्रह के बीज मंत्र
- ाद्ध ितिथ के पूवर् ही यथाशिक्त िव वान ब्रा मण या ब्रा मण को भोजन के िलए बुलावा द।
- ाद्ध दोपहर के समय कर।
भारतवषर् म अनेक िव वान और ज्ञानी संत मुिनय ने मानव क याण के िलए कुछ िवशेष उपाय बताएं है िजनको आप सभी भाई बहन के
स मुख प्र तुत कर रहा हूँ , आशा है की इसको करने से मानव समाज म एक नयी लहर पैदा होगी और िह द ू समाज एक नए िशखर पर
होगा,
१. सूय दय से पव
ू र् ब्र मा बेला म ( ३-५) उठे , और अपने दोन हांथो की हं थेली को रगरे और हं थेली को दे ख कर अपने मुंह पर फेरे ,
२. प ृ वी पर अपने पाव रखने से पहले धरती माता को प्रणाम कर िफर अपना दािहना पैर धरती पर रखे, इसके बाद हाँथ मुंह धोकर इ वर
का िचंतन कर,
3. मल , मूत्र , मैथन
ु , दातुन , ाद्ध और भोजन करते समय मौन बरत को धारण कर ,
4. प्रातः अपने माता िपता गु जन और अपने से बड़ का आशीवार्द ले , ऋिषय ने कहा है की जो भी माता बहन या भाई बंधू अपने घर म
रोज अपने से बड़ो या पित , सास -ससरु का रोज आशीवार्द लेते है उनके घर म कभी अशांित नहीं आती है या कभी भी तलाक या महामरी
नहीं हो टी है इशिलये अपने से बड़ो की इ जत कर और उनका आशीवार्द ल .
5. इ के बाद रोज नहा धोकर अपने शारीर को वचा कर , साफ व त्र पहने , गु और इ वर का िचंतन करते हुए अपने काम को इ वर की
सेवा करते हुए कर, जैसे .आप को भोजन बनाना है तो उशे प्रभु के िनिम त यान करते हुए बनाओ की मई जो सु दर और विद थ भोजन
बनोगी सबसे पहले इ वर का भोग लगग
ूं ी, कुछ भी खाने िपने से पहले गाय, कु ता और कौवा का भोजन ज र िनकले, इ को करने से आप
के घर म अ ना का भंडार हमेशा भरा रहे गा.
६. ितलक िकये िबना और अपने सर को िबना ढके पज
ू ा पाठ और िपत्रकमर् या कोई भी शभ
ु कायर् न कर, जहाँ तक हो सके ितलक ज र
कर,
७. संक्रांित, वादशी , अमावश , पूिणर्मा और रिववार को और सं या के समय म तुलशी दल न तोड़े.
८. सोते समय अपना िसरहाना उ तर या पव
ू र् िदशा की तरफ कर.
९. अपने घर म तुलशी का पौधा लगाय ,
१०- योग और प्राणायाम कर िजसको करने से शरीर हमेशा िनरोग रहता है ,
११- परोपकार का पालन कर, असहाय , गरीब और पशओ
ु ं और पयार्वरण की रक्षा कर , अपने धमर्ं की रक्षा कर, मानव समाज की रक्षा कर,
अपने दे शा और ज मभूिम की रक्षा कर , मन – वाणी और कमर् से सदाचार का पालन कर .
प्रायः दे खने म आया है की िकसी को संतान तो पैदा हुए लेिकन वो कुछ दीन बाद ही परलोक सध
ु र गया या अकाल म ृ यु को प्रा त हो गया
है … िकसी को संतान होती ही नहीं है , कोए पुत्र चाहता है तो कोए क या … हमारे ऋिष महिषर्य ने हजारो साल पहले ही संतान प्राि त के
कुछ िनयम और सयम बताये है ,संसार की उ पि त पालन और िवनाश का क्रम प ृ वी पर हमेशा से चलता रहा है ,और आगे चलता रहे गा।
इस क्रम के अ दर पहले जड चेतन का ज म होता है ,िफ़र उसका पालन होता है और समयानुसार उसका िवनास होता है । मनु य ज म के
बाद उसके िलये चार पु षाथर् सामने आते है,पहले धमर् उसके बाद अथर् िफ़र काम और अ त म मोक्ष, धमर् का मतलब पूजा पाठ और अ य
धािमर्क िक्रयाओं से पूरी तरह से नही पोतना चािहये,धमर् का मतलब मयार्दा म चलने से होता है,माता को माता समझना िपता को िपता का
आदर दे ना अ य पिरवार और समाज को यथा ि थित आदर स कार और सबके प्रित आ था रखना ही धमर् कहा गया है ,अथर् से अपने और
पिरवार के जीवन यापन और समाज म अपनी प्रित ठा को कायम रखने का कारण माना जाता है ,काम का मतलब अपने वारा आगे की
संतित को पैदा करने के िलये त्री को पित और पु ष को प नी की कामना करनी पडती है ,प नी का कायर् धरती की तरह से है और पु ष
का कायर् हवा की तरह या आसमान की तरह से है ,गभार्धान भी त्री को ही करना पडता है ,वह बात अलग है िक पादप म अमर बेल या
दस
ू रे हवा म पलने वाले पादप की तरह से कोई पु ष भी गभार्धान करले। धरती पर समय पर बीज का रोपड िकया जाता है ,तो बीज की
उ पि त और उगने वाले पेड का िवकास सुचा प से होता रहता है ,और समय आने पर उ चतम फ़ल की प्राि त होती है ,अगर वषार् ऋतु
वाले बीज को ग्री म ऋतु म रोपड कर िदया जावे तो वह अपनी प्रकृित के अनुसार उसी प्रकार के मौसम और रख रखाव की आव यकता को
चाहे गा,और नही िमल पाया तो वह सूख कर ख म हो जायेगा,इसी प्रकार से प्रकृित के अनुसार पु ष और त्री को गभार्धान का कारण समझ
लेना चािहये। िजनका पालन करने से आप तो संतानवान ह गे ही आप की संतान भी आगे कभी दख
ु का सामना नहीं करे गा…
कुछ राते ये भी है िजसमे हम स भोग करने से बचना चािहए .. जैसे अ टमी, एकादशी, त्रयोदशी, चतुदर्शी, पूिणर्मा और अमवा या .च द्रावती
ऋिष का कथन है िक लड़का-लड़की का ज म गभार्धान के समय त्री-पु ष के दायां-बायां वास िक्रया, िपंगला-तूड़ा नाड़ी, सूयर् वर तथा
च द्र वर की ि थित पर िनभर्र करता है ।गभार्धान के समय त्री का दािहना वास चले तो पत्र
ु ी तथा बायां वास चले तो पत्र
ु होगा।
यिद आप पुत्र प्रा त करना चाहते ह और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुिवधा के िलए हम यहाँ माहवारी के बाद की िविभ न राित्रय की
मह वपूणर् जानकारी दे रहे ह।
सहवास से िनव ृ त होते ही प नी को दािहनी करवट से 10-15 िमनट लेटे रहना चािहए, एमदम से नहीं उठना चािहए।
______________________________________________________________________________________
ये उपाय प्राचीन ऋिष महिषर्य ने मानव क याण के िलए बताये है ,िज ह मै आप ल गो के सामने प्र तुत कर रहा हूँ
दान का मह व तीन लोक म िविश ट मह व रखता है । इसके प्रभाव से पाप-पु य व ग्रह के प्रभाव कम व यादा होते ह। इसम
शक्र
ु और गु को िवशेष धनप्रदाय ग्रह माना गया है । आकाश मंडल के सभी ग्रह का कारत व प ृ वी म पाए जाने वाले पेड़-पौध व पश-ु
पिक्षय पर पाया जाता है । गाय पर शक्र
ु ग्रह का िवशेष प्रभाव पाया जाता है ।
- गाय की सेवा भी इस ेणी म िवशेष मह व रखती है । िजस घर से गाय के िलए भोजन की पहली रोटी या प्रथम िह सा जाता है वहाँ भी
ल मी को अपना िनवास करना पड़ता है ।
- साथ ही घर के भोजन का कुछ भाग वान को भी दे ना चािहए, क्य िक ये भगवान भैरव के गण माने जाते ह, इनको िदया गया भोजन
आपके रोग, दिरद्रता म कमी का संकेत दे ता है ।
ृ म गु
- इसी तरह पीपल के वक्ष का वास माना गया है । अतः पीपल के वक्ष
ृ म यथासंभव पानी दे ना चािहए तथा पिरक्रमा करनी चािहए।
यिद घर के पास कोई पीपल के वक्ष
ृ के पास से गंदे पानी का िनकास थान हो तो इसे बंद कराना चािहए। वक्ष
ृ के समीप िकसी भी प्रकार
की गंदगी गु ग्रह के कोप का कारण बन सकती है ।
- घर के वद्ध
ृ जन भी गु ृ जन की ि थित व उनका मान-स मान भी आपकी आिथर्क ि थित को काफी
ग्रह के कारत व म आते ह। घर के वद्ध
प्रभािवत करते ह। यिद आपके घर म वद्ध
ृ का स मान होता है तो िनि चत प से आपके घर म समिृ द्ध का वास होगा, अ यथा इसके ठीक
िवपरीत ि थित होगी।
- बारहव भाव के वामी ग्रह का दान अव य करना चािहए, क्य िक इससे आपके यय म कमी आती है ।
- ज म पित्रका के बारहव भाव म िजस तरह के ग्रह ह उससे संबंिधत धन से जीवन म आने वाली िवपि तय से मुिक्त आती है ।
- यय भाव म मंगल होने पर यिक्त को सांड को गुड़, चना या बंदर को चना िखलाना चािहए।
- यय भाव म शिन होने पर यिक्त को काले कीड़े जहाँ रहते ह उस थान पर भुना हुआ आटा डालना चािहए।
- धन की यय भाव म ि थित रहने पर िमट्ठू की सेवा अथवा बकरी को पि तयाँ वगैरह का सेवन करवाना चािहए।
- केतु की यय भाव म ि थित होने पर लंगड़े, अपंग यिक्त को दान व यथासंभव सहयोग करना चािहए।
घर की बहू-बेिटय पर भी शक्र
ु का कारत व है । अतः यिक्त को नारी जाित का स मान कर बहन-बेिटय की यथासंभव मदद करना चािहए
क्य िक इनके िलए िकया गया कोई भी कायर् आपके पु य म विृ द्ध करता है तथा दिरद्रता दरू करने म सहायक होता है । अतः यिक्त को
अपनी ज म पित्रका के छठे व यय भाव से संबंिधत ग्रह की जानकारी िकसी िव वान यिक्त से लेकर संबंिधत दान, जप, पज
ू न, िनयिमत
प से करना चािहए। साथ ही अ य यिक्तय को भी इस कायर् के िलए प्रेिरत करना चािहए।
छठे भाव के ग्रह का दान करने से रोग, कजर् व शत्रु न ट होते ह तथा यय भाव से संबंिधत दान करने से िवपि तय म कमी आती है । यिद
शत्र,ु रोग, कजर् व िवपि त कम होगी तो िनि चत प से धन व समिृ द्ध बढ़े गी ही। अतः इस सरल दान, जप को करने से प्र येक घर म सख
ु -
समिृ द्ध व ल मी का वास होता है ।
(िकस गह
ृ के िलए कोनसा दान लाभकारी एवं कोनसा हनी(नुकसान)कारक---)
दरअसल यह सब िनभर्र करता है हमारी ज मकँु डली म बैठे ग्रह पर, जो यह संकेत करते ह िक िकस व तु का दान या याग करना अथवा
कौन से कायर् हमारे िलए लाभदायक होग और कौन सी चीज के दान/ याग अथवा काय से हम हािन का सामना करना पडेगा. इसकी
जानकारी िन नानुसार है .
जो ग्रह ज मकंु डली म उ च रािश या अपनी वयं की रािश म ि थत ह , उनसे स बि धत व तओ
ु ं का दान यिक्त को कभी भल
ू कर भी
नहीं करना चािहए.
सूयर् मेष रािश म होने पर उ च तथा िसँह रािश म होने पर अपनी वरािश का होता है . अत: आपकी ज मकंु डली म उक्त िकसी रािश म हो
तो:-
* लाल या गल
ु ाबी रं ग के पदाथ का दान न कर.
* गुड, आटा, गेहूँ, ताँबा आिद िकसी को न द.
* खानपान म नमक का सेवन कम कर. मीठे पदाथ का अिधक सेवन करना चािहए.
च द्र वष
ृ रािश म उ च तथा ककर् रािश म वगह
ृ ी होता है . यिद आपकी ज मकंु डली म ऎसी ि थित म हो तो :-
* दध
ू , चावल, चाँदी, मोती एवं अ य जलीय पदाथ का दान कभी नहीं कर.
मंगल मेष या विृ चक रािश म हो तो वरािश का तथा मकर रािश म होने पर उ चता को प्रा त होता है . ऎसी ि थित म:--
* मसूर की दाल, िम ठान अथवा अ य िकसी मीठे खा य पदाथर् का दान नहीं करना चािहए.
* घर आये िकसी मेहमान को कभी स फ खाने को न द अ यथा वह यिक्त कभी िकसी अवसर पर आपके िखलाफ ही कडुवे वचन का
प्रयोग करे गा.
* िकसी भी प्रकार का बासी भोजन( अिधक समय पूवर् पकाया हुआ) न तो वयं खाय और न ही िकसी अ य को खाने के िलए द.
बुध िमथन
ु रािश म तो वगह
ृ ी तथा क या रािश म होने पर उ चता को प्रा त होता है . यिद आपकी ज मपित्रका म बुध उपरोक्त विणर्त
िकसी ि थित म है तो :--
* हरे रं ग के पदाथर् और व तुओं का दान नहीं करना चािहए.
* साबुत मँग
ू , पैन-पैि सल, पु तक, िमट्टी का घडा, मश म आिद का दान न कर अ यथा सदै व रोजगार और धन स ब धी सम याय बनी
रहगी.
* न तो घर म मछिलयाँ पाल और न ही मछिलय को कभी दाना डाल.
बह
ृ पित जब धनु या मीन रािश म हो तो वगह
ृ ी तथा ककर् रािश म होने पर उ चता को प्रा त होता है . ऎसी ि थित म :--
* पीले रं ग के पदाथ का दान विजर्त है .
* सोना, पीतल, केसर, धािमर्क सािह य या व तुएं आिद का दान नहीं करना चािहए. अ यथा "घर का जोगी जोगडा, आन गाँव का िसद्ध" जैसी
हालात होने लगेगी अथार्त मान-स मान म कमी रहे गी.
* घर म कभी कोई लतादार पौधा न लगाय.
शक्र
ु जब ज मपित्रका म वष
ृ या तुला रािश म हो वरािश तथा मीन रािश म हो तो उ च भाव का होता है . अत ऎसी ि थित म:--
* ऎसे यिक्त को वेत रं ग के सुगि धत पदाथ का दान नहीं करना चािहए अ यथा यिक्त के भौितक सुख म यूनता पैदा होने लगती है .
* नवीन व त्र, फैशनेबल व तए
ु ,ं का मेिटक या अ य सौ दयर् वधर्क सामग्री, सग
ु ि धत द्र य, दही, िम ी, मक्खन, शद्ध
ु घी, इलायची आिद का
दान न कर अ यथा अक मात हािन का सामना करना पडता है .
यिद िकसी यिक्त की कंु डली मेष लग्न की है और उसके 10 व, 11 व या 12 व घर म चंद्र हो तो जािनए इसके क्या-क्या प्रभाव होते ह-
इस भाव म बैठे चंद्र की सातवीं ि ट माता, भूिम, संपि तत के चौथे घर ककर् रािश पर पड़ रही है । इसके प्रभाव से यिक्त को माता की
ओर से सुख एवं शांित की प्राि त होगी। भूिम, संपि त आिद का भी लाभ प्रा त होता है । इन लोग को िपता के साथ कई बार वाद-िववाद का
सामना करना पड़ता है । माता के नेह और यार के कारण इ ह जीवन म कई उपलि धयां प्रा त होती ह।
इस भाव म चंद्र बैठा हो तो यहां से चंद्र की सातवी ि ट सूयर् की रािश िसंह पर पड़ रही है । यह पांचवा थान यिक्त को संतान के संबंध
म भाग्यशाली बनाता है । इन लोग को िव या और बुिद्ध के संबंध म उ नित प्रा त होती है । ऐसे यिक्तय को कुछ परे शािनय सताती ह
लेिकन आय के संबंध म कड़ी मेहनत से सफलता प्रा त कर लेते ह।
इस भाव से चंद्रमा की सातवीं ि ट बुध की रािश क या पर पड़ रही है , इस वजह से यिक्त के जीवन म िचंताएं और पीड़ा बनी रहे गी।
क्य िक क या रािश का भाव शत्रु, िचंता और ददर् का कारक थान है । ऐसे लोग शत्रओ
ु ं के संबंध म शांितपूवक
र् रहते ह। ये लोग बिु द्ध और
संतोष से ही काम लेते ह। बाहरवां भाव बाहरी थान का कारक थान है अत: इस भाव म चंद्र होने से यिक्त को बाहरी थान से धन
लाभ प्रा त होगा।
महान योग म महाल मी योग (Mahalakshmi Yoga) ----धन और ए वयर् प्रदान करने वाला योग है । यह योग कु डली Kundli म तब बनता
है जब धन भाव यानी िवतीय थान का वामी बह
ृ पित एकादश भाव म बैठकर िवतीय भाव पर ि ट डालता है । यह धनकारक योग
(Dhan Yoga) माना जाता है । इसी प्रकार एक महान योग है सर वती योग (Saraswati Yoga) यह तब बनता है जब शक्र
ु बहृ पित और बुध
ग्रह एक दस
ू रे के साथ ह अथवा के द्र म बैठकर एक दस
ू रे से स ब ध बना रहे ह । युित अथवा ि ट िकसी प्रकार से स ब ध बनने पर
यह योग बनता है । यह योग िजस यिक्त की कु डली म बनता है उस पर िव या की दे वी मां सर वती की कृपा रहती है । सर वती योग
वाले यिक्त कला, संगीत, लेखन, एवं िव या से स बि धत िकसी भी क्षेत्र म काफी नाम और धन कमाते ह।
नप
ृ योग (Nrup Yoga) ----नाम से ही ज्ञात होता है िक यह िजस यिक्त की कु डली Kundli म बनता है वह राजा के समान जीवन जीता
गजकेशरी योग (Gajkesari Yoga) ----को असाधारण योग की ेणी म रखा गया है । यह योग िजस यिक्त की कु डली म उपि थत होता है
उस यिक्त को जीवन म कभी भी अभाव नहीं खटकता है । इस योग के साथ ज म लेने वाले यिक्त की ओर धन, यश, कीितर् वत: खींची
चली आती है । जब कु डली म गु और च द्र पूणर् कारक प्रभाव के साथ होते ह तब यह योग बनता है । लग्न थान म ककर्, धनु, मीन, मेष
या विृ चक हो तब यह कारक प्रभाव के साथ माना जाता है । हलांिक अकारक होने पर भी फलदायी माना जाता परं तु यह म यम दज का
होता है । च द्रमा से के द्र थान म 1, 4, 7, 10 बह
ृ पित होने से गजकेशरी योग बनता है । इसके अलावा अगर च द्रमा के साथ बह
ृ पित हो
तब भी यह योग बनता है ।
पािरजात योग (Parijat Yoga) ---भी उ तम योग माना जाता है लेिकन इस योग की िवशेषता यह है िक यह िजस यिक्त की कु डली म
होता है वह जीवन म कामयाबी और सफलता के िशखर पर पहुंचता है परं तु र तार धीमी रहती है यही कारण है िक म य आयु के प चात
इसका प्रभाव िदखाई दे ता है । पािरजात योग का िनमार्ण तब होता है जबिक ज म पित्रका म लग्नेश िजस रािश म होता है उस रािश का
वामी कु डली म उ च थान पर हो या अपने घर म हो।
छत्र योग (Chhatra Yoga) ----िजस यिक्त की ज म पित्रका /Kundli म होता है वह यिक्त जीवन मे िनर तर प्रगित करता हुए उ च पद
प्रा त करता है । इस भगवान की छत्र छाया वाला योग कहा जा सकता है यह योग तब बनता है तब िक कु डली Kundli म चतथ
ु र् भाव से
दशम भाव तक सभी ग्रह मौजद
ू ह या िफर दशम भाव से चतथ
ु र् भाव तक सभी ग्रह ि थत ह । तीन भाव म दो दो ग्रह ह तथा तीन भाव
म एक एक ग्रह ि थत ह तब शभ
ु योग बनता है जो न दा योग (Nanda Yoga) के नाम से जाना जाता है । यह योग िजस यिक्त की ज म
पित्रका म होता है वह व थ एवं दीघार्यु होता है । इस योग से प्रभािवत यिक्त का जीवन सुखमय रहता है ।====================
आिदकाल से ही शा त्र म अनेको बार काल की गणना एवं मनु य के भाग्य चक्र का वणर्न आया है क्योके सनातन पद्धित म वार -ितिथ-
नक्षत्र-एवं पक्ष का एक सुंदर सम वय शा त्र म दशार्या गया है !
मानव ज म से ही असर पड़ता है जातक के भाग्य पर ,उसके मानव शरीर पर,जातक ज म िजस मास, ितिथ या वार को पैदा हुआ हो,
उसका असर इनके आधार पर उनका वभाव, विृ त, संवेदन, चािरत्र, गण
ु , दोष आिद जान सकते है । क्योके उपरोक्त िवषय का मानव के
साथ एक घिन ट स ब ध रहा है !
1. काितर्कः- काितर्क मास म ज मा हुआ यिक्त अ छे काम करने वाला, सुंदर एवं आकषर्क चेहरा, सुंदर केश वाला, यादा बोलने वाला,
यापारम रस रखने वाला, उदार, पिर मवादी, साहिसक, और हमेशा ईमानदारी से जीवन यितत करने वाला, अ य ऊपर वचर् व धराने की
इ छा वाला एवं िनणर्य िकया हुआ कायर् अव य पूणर् करने वाला होता है ।
2. मागर्िशषर्ः- मागर्िशषर् मास म ज मा हुआ यिक्त कलाओ म रस लेने वाला, यात्रा का शोकीन, परोपकारी, िवलासी, चतुर. व छ िदल वाला,
िव या यास का रिसक, अ य का िकया हुआ कायर् पसंद न आये, ईट का जवाब प थर से दे ने वाला, अ यो के िलए दःु ख सहन करने वाला,
सामािजक काय म रस लेने वाला और सिवर्स म वफादार रहने वाला होता है ।
4. माघः- माघ मास म ज मा हुआ यिक्त धािमर्क, द्धावान, अ छे िमत्र वाला, िवचारशील, संगीतप्रेमी, आकि मक पैसे प्रा त करने वाला,
कुटुंब प्रेमी, कतर् य परायण, उदार, िनः वाथीर्, जीवन जीनेम रस रखने वाला होता है ।
5. फा गुनः- फा गुन मास म ज मा हुआ यिक्त चतुर, यवहार कुशल, दयावान, बलवान, िजि , यिक्त के वभाव को पहचानने वाला,
आ म िव वासु एवं भावनाशील होता है ।
6. चैत्रः- चैत्र मास म ज मा हुआ यिक्त खाने पीने का शोखीन, अ छे िवचार रखने वाला, नम्र, अ छे कायर् करने वाला,ईमानदार , प ट
वक्ता, साफ िदल वाला, कला ओर िवज्ञान म रस रखने वाला, िनडरतासे काम करने वाला, कुटुंबसे सुखी, िमलनसार यिक्त व वाला, नौकरी -
यवसायम प्रितकूलता खडी करने वाला और िमत्रो से लाभ प्रा त करने वाला होता है ।
7. वैशाखः- वैशाख मास म ज मा हुआ यिक्त भाई से सुखी, अपना कायर् वतंत्र करने वाला, गुणवान, बळवान, अ यको प्रभािवत करने
वाला, िमलनसार यिक्त व वाला, खुशामत का िवरोधी, संतानो के लीए खचर् करने वाला, शभ
ु और धािमर्क काय म भी खचर् करने वाला एवं
आधिु नक िवचार वाला होता है ।
8. जेठः- जेठ मास म ज मा हुआ यिक्त चंचल, ती बुिद्ध वाला, महे नती , Let go की भावना वाला, िवरोध सहन नही करने वाला, िकतनेक
समय पर यसनी, वाचाल, समय के अनु प कायर् कुशल, द्रढ िनणर्य धराने वाला, वतंत्र िनणर्य शिक्त वाला, कुटुंब हे तु खचर् करने वाला एवं
वांचन प्रीय होता है ।
9. अषाढः- अषाढ मास म ज मा हुआ यिक्त रा ट्र प्रेमी, गंभीर, दयाल,ु यादा खचर् करने वाला, मंद पाचन शिक्त धराने वाला, अिभमानी,
चंचल मन वाला, अ छी पािरवािरक भावना रखने वाला, नोकरी से सुखी, वैवािहक जीवनम िवघ्न वाला, मानिसक शिक्तशाली होता है एवं युवा
अव था संघषर्मय होती है ।
10. ावणः- ावण मास म ज मा हुआ यिक्त रा ट्र प्रेमी, गंभीर, दयाल,ु धािमर्क, क्रांितकारी, पुत्रो और िमत्रो से सख
ु ी, प्रितभाशाली, नीडर,
स यप्रीय, प ट वक्ता, वमानी, कम यवहार कुशलता वाला, प्रितकूल संयोग सहन न करने वाला. संतानो के पीछे यादा रस रखने वाला
और आज्ञांिकत होता है ।
11. भाद्रपद- भाद्रपद मास म ज मा हुआ यिक्त खुले हाथ खचर् करने वाला, त्री और िनित िनयमोसे दःु ख सहन नही करने वाला, िकतने
समय पर शािरिरक िनबर्ल, एक ही िवचार वाला, ईमानदारी से दःु खी होने वाला, आ याि मक िवचारो वाला, िवशाल दय वाला होता है ।
12. आि वनः- अि वन मास म ज मा हुआ यिक्त चतुर, िव वान, धनवान, अस य के िवरोधी, िवचारशील, भावुक, साधारण, जी ी, िनंदा से
दरु रहने वाला, अपने आप आगे बढने वाला, प्रामािणक वाक्य बोलने वाला, लग्न के बाद यादा सुखी, िनडर,स ता शोकीन और याय िप्रय
होते है ।
13. अिधक मासः- अिधक मास म ज मा हुआ यिक्त अ छे चािरत्रवाला, दरू ि ट वाला, धािमर्क मनोविृ तवाला, िमलनसार यिक्त व का
धनी,महे नत करने वाला, िवशाल िदल वाला, आचरण शील और परोपकारी होता है ।
कु डली का नवां घर धमर् का घर कहा जाता है ,यह िपता का घर भी होता है ,अगर िकसी प्रकार से नवां घर खराब ग्रह से ग्रिसत होता है तो
सूिचत करता है िक पूवज
र् की इ छाय अधूरी रह गयीं थी,जो प्राकृितक प से खराब ग्रह होते है वे सूयर् मंगल शिन कहे जाते है और कुछ
लगन म अपना काम करते ह,लेिकन राहु और केतु सभी लगन म अपना द ु प्रभाव दे ते ह,मैने दे खा है िक नवां भाव,नव भाव का मािलक
ग्रह,नवां भाव च द्र रािश से और च द्र रािश से नव भाव का मािलक अगर राहु या केतु से ग्रिसत है तो यह िपत ृ दोष कहा जाता है । इस
प्रकार का जातक हमेशा िकसी न िकसी प्रकार की टसन म रहता है ,उसकी िशक्षा पूरी नही हो पाती है ,वह जीिवका के िलये तरसता रहता
है ,वह िकसी न िकसी प्रकार से िदमागी या शारीिरक प से अपंग होता है ,अगर िकसी भी तरह से नवां भाव या नव भाव का मािलक राहु या
केतु से ग्रिसत है तो यह सौ प्रितशत िपतद
ृ ोष के कारण म आजाता है । मै यहां पर िपतद
ृ ोष को दरू करने का एक बिढया उपाय बता रहा
हूँ,यह एक बार की ही पूजा है ,और यह पूजा िकसी भी प्रकार के िपतद
ृ ोष को दरू करती है । सोमवती अमाव या को (िजस अमाव या को
सोमवार हो) पास के पीपल के पेड के पास जाइये,उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीिजये और एक जनेऊ भगवान िव णु के नाम का उसी
पीपल को दीिजये,पीपल के पेड की और भगवान िव णु की प्राथर्ना कीिजये,और एक सौ आठ पिरक्रमा उस पीपल के पेड की दीिजये,हर
पिरक्रमा के बाद एक िमठाई जो भी आपके व छ प से हो पीपल को अिपर्त कीिजये। पिरक्रमा करते वक्त :ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय"
मंत्र का जाप करते जाइये। पिरक्रमा पूरी करने के बाद िफ़र से पीपल के पेड और भगवान िव णु के िलये प्राथर्ना कीिजये और जो भी जाने
अ जाने म अपराध हुये है उनके िलये क्षमा मांिगये। सोमवती अमाव या की पूजा से बहुत ज दी ही उ तम फ़ल की प्राि त होने लगती है ।
एक और उपाय है कौओं और मछिलय को चावल और घी िमलाकर बनाये गये ल डू हर शिनवार को दीिजये। िपतर दोष िकसी भी प्रकार
की िसिद्ध को नहीं आने दे ता है । सफ़लता कोश दरू रहती है और यिक्त केवल भटकाव की तरफ़ ही जाता रहता है । लेिकन अगर कोई
यिक्त माता काली का उपासक है तो िकसी भी प्रकार का दोष उसकी िज दगी से दरू रहता है । लेिकन िपतर जो िक यिक्त की अनदे खी के
कारण या अिधक आधुिनकता के प्रभाव के कारण िपशाच योिन मे चले जाते है,वे दे खी रहते है ,उनके दख
ु ी रहने का कारण मुख्य यह माना
जाता है िक उनके ही खन
ू के होनहार उ हे भल
ू गये है और उनकी उनके ही खून के वारा मा यता नहीं दी जाती है । िपत ृ दोष हर यिक्त
को परे शान कर सकता है इसिलये इसका िनवारण बहुत ज री है ।
यहां पर िपतद
ृ ोष को दरू करने का एक बिढया उपाय बताया जा रहा ह..-यह एक बार की ही पज
ू ा है ,और यह पज
ू ा िकसी भी
प्रकार के िपतद
ृ ोष को दरू करती है ।
सोमवती अमाव या को (िजस अमाव या को सोमवार हो) पास के पीपल के पेड के पास जाइये,उस पीपल के पेड को एक जनेऊ दीिजये और
एक जनेऊ भगवान िव णु के नाम का उसी पीपल को दीिजये,पीपल के पेड की और भगवान िव णु की प्राथर्ना कीिजये,और एक सौ आठ
पिरक्रमा उस पीपल के पेड की दीिजये,हर पिरक्रमा के बाद एक िमठाई जो भी आपके व छ प से हो पीपल को अिपर्त कीिजये।
ु े वाय" मंत्र का जाप करते जाइये। पिरक्रमा परू ी करने के बाद िफ़र से पीपल के पेड और भगवान
पिरक्रमा करते वक्त :ऊँ नमो भगवते वासद
िव णु के िलये प्राथर्ना कीिजये और जो भी जाने अ जाने म अपराध हुये है उनके िलये क्षमा मांिगये। सोमवती अमाव या की पूजा से बहुत
ज दी ही उ तम फ़ल की प्राि त होने लगती है । एक और उपाय है कौओं और मछिलय को चावल और घी िमलाकर बनाये गये ल डू हर
ु ी रहने का कारण मुख्य यह माना जाता है िक उनके ही खून के होनहार उ हे भूल गये है और उनकी उनके ही खून के
है ,उनके दख वारा
मा यता नहीं दी जाती है । िपतर दोष हर यिक्त को परे शान कर सकता है इसिलये िनवारण बहुत ज री है ।
िमत्र ...आप म से जो भी पाठक/ िव वान ् जन..भगवान पवन पुत्र ,बजरं ग बिल/ ी हनुमान जी पर कुछ अ छी, ज्ञानवधर्क जानकारी..िकताब
के प म पढ़कर लाभाि वत होना चाह तो िन न नंबर और पते पर संपकर् करके(पत्र/पो टकाडर् िलखकर) ..वह पु तक मंगवाने का अनुरोध
कर...यह िनशु क िवतरण हे तु ह--
ी मोहन लाल,
हीवेट रोड, िनकट बंगाली क्लब,
हाता ल मण दास,
लखनऊ -226018
मोबाईल-09451948588
--------------------------------
ी हरबंस गु ता,
बजरं ग आता चक्की,
डाक्टर राम नमर्दा परशरु ाम धमार्थर् सेवा सदन के सामने,
याम जी ए क्लेव, कोठी नंबर-01 ,
कमर् योगी, कमला नगर,
आगरा-282005 (उ तर प्रदे श)
मोबाईल नंबर--09368752196 ;;07500049394
गह
ृ कलह/क्लेश िनवारण हे तु सरल और आसन उपाय----
िमट्टी के गणेशजी खद
ु बनाएं और पैस की तंगी से मिु क्त पाएं...
गणेशजी को पिरवार का दे वता भी माना जाता है । इनकी पूजा से घर-पिरवार की हर सम या का िनराकरण हो जाता है । गणेशजी िरिद्ध और
िसिद्ध के दाता है , इनकी कृपा से भक्त को लाभ प्रा त होता है और शभ
ु समय का आगमन होता है ।
योितष के अनुसार यिद िकसी यिक्त को अिधकांश समय पैसा की तंगी का सामना करना पड़ता है तो इसके पीछे कंु डली म कोई अशभ
ु
योग हो सकता है । यिद कोई ग्रह दोष है तब भी पैस के संबंध म परे शािनयां झेलना पड़ सकती ह। संबंिधत ग्रह का उिचत योितषीय
उपचार करने से ऐसे बुरे प्रभाव समा त हो सकते ह। इसके अितिरक्त िकसी शभ
ु मुहूतर् म या बध
ु वार के िदन यह उपाय अपनाएं-
िकसी सरोवर या तालाब या नदी या कंु ए के पास जाकर वहां की िमट्टी से ीगणेश की मूितर् बनाएं। मूितर् बनाने के बाद उस पर िसंदरू ,
जनेऊ, दव
ू ार्, प्रसाद अपर्ण चढ़ाएं। िफर गणेशजी की आरती कर। आरती के बाद अपनी मनोकामना बोलकर गणेशजी को प्रणाम कर। पज
ू न
होने के बाद गणेशजी की मूितर् को वहीं सरोवर या कुएं म िवसिजर्त कर द।
ऐसा करने पर कुछ ही िदन सकारा मक पिरणाम प्रा त होने लगगे और पैस की तंगी, घर-पिरवार की सम याएं सब समा त होने लगगी।
यिद जप के समय काम-क्रोधािद सताए तो काम सताएँ तो भगवान निृ संह का िच तन करो। लोभ के समय दान-पु य करो। मोह के समय
कौरव को याद करो। सोचो िक “ कौरवो का िकतना ल बा-चैड़ा पिरवार था िक तु आिखर क्या “ अहं सताए तो जो अपने से धन, स ता एवं
प म बड़े ह , उनका िच तन करो। इस प्रकार इन िवकार का िनवारण करके, अपना िववेक जाग्रत रखकर जो अपनी साधना करता है ,
उसका इ ट म त्र ज दी फलीभूत होता है । िविधपव
ू क
र् िकया गया गु म त्र का अनु ठान साधक के तन को व थ, मन को प्रस न एवं बुिद्ध
को सू म लीन करके मोक्ष प्राि त म सहायक होता है ।
जप म साधन और सा य एक ही ह जबिक अ य साधना म अलग ह। योग म अ टांग योग का अ यास साधना है और िनिवर्क प
ु ः अपनी िनयत संख्या पूरी कर लो। कई बार साधक को ऐसा अनुभव होता है िक पहले इतना काम-क्रोध
यान म से उठने के प चात ् पन
नहीं सताता था िजतना म त्रदीक्षा के बाद सताने लगा है । इसका कारण हमारे पव
ू ज
र् म के संसकार हो सकते ह। जैसे घर की सफाई करने से
कचरा िनकलता है , ऐसे ही म त्र का जाप करने से कुसं कार िनकलते ह। अतः घबराओ नहीं, न ही म त्र जाप करना छोड़ दो वरन ् ऐसे
समय म दो-तीन घूँट पानी पीकर थोड़ा कूद लो, प्रणव का दीघर् उ चारण करो एवं प्र ्रभु से प्राथर्ना करो। तुर त इन िवकार पर िवजय पाने
म सहायता िमलेगी। जप तो िकसी भी अव था म या य नहीं है । जब व न म म त्रदीक्षा िमली हो िकसी साधक को पन
ु ः प्र यक्ष प्
से म त्रदीक्षा लेना भी अिनवायर् है । जब आप पहले िकसी म त्र का जप करते थे तो वही म त्र यिद म त्रदीक्षा के समय िमले, तो आदर से
उसका जप करना चािहए। इससे उसकी महानता और बढ़ जाती है । जप का अथर् होता है म त्राक्षर की मानिसक आविृ त के साथ म त्रक्षर
के अथर् की भावना और वयं का उसके प्रित समपर्ण। त यातः जप, मन पर अिधकार करने का अ यास है िजसका मख्
ु य उ े य है मन को
केि द्रत करना क्य िक म नही तो हमारे यिक्त व के िवकास को संयम के वारा केि द्रत करता है । ज पके ल य म मनोिनग्रह की ही
मह ता है । ज पके वारा मनोिनग्रह करके मानवता के मंगल म अभूतपूवर् सफलता प्रा त की जा सकती है ।
जप करने की िविधयाँ वैिदक म त्र का जप करने की चार िविधयाँ- 1. वैखरी 2. म यमा 3. प चरी 4. परा षु -षु म उ च वर से जो जप
िकया जाता है , उसे वैखरी म त्र जप कहते ह। दस
ू री है , म यमा। इसम ह ठ भी नहीं िहलते एवं दस
ू रा कोई यिक्त म त्र को सुन भी नहीं
सकता। तीसरी, प य ती। िजस जप म िज हा भी नहीं िहलती, दयपूवक
र् जप होता एवं जप के अथर् म हमारा िच त त लीन होता जाता है
उसे प य ती म त्र जप कहते ह। चैथी है परा। म त्र के अथर् म हमारी विृ त ि थर होने की तैयारी हो, म त्र जप करते-करते आन द आने
लगे एवं बुिद्ध परमा मा म ि थर होने लगे, उसे परा म त्र जप कहते ह। वैखरी जप है तो अ छा लेिकन वैखरी से भी दसगुना यादा प्रभाव
म यमा म होता है ।
अिग्न की िज नाएँ- अिग्न की 7 िज नएँ मानी गयी ह। उसके नाम है - 1. िहर या, 2. गगना, 3. रक्ता, 4. कृ णा, 5. सुप्रभा, 6. बहु पा एवं
7. अितिरक्ता। कितपय आचायार्◌े◌ं ने अिग्न की स त िज नाओं के नाम इस प्रकार बताये ह- 1. काली, 2. कराली, 3. मनोभवा, 4. सुलोिहता,
5. धूम्रवणार्, 6. फुिलंिगनी तथा 7. िव व िच। 45. प्रिदक्षणा- दे वता को सा टांग द डवत ् करने के प चात इ टदे व की पिरक्रमा करने को
(1) अभािवनी- पूजा के साधना तथा उपकरण के अभाव से, मन से अथवा जलमात्र से जो पूजा साधना की जाती है , उसे अभािवनी कहते ह।
(2) जो त्र त यिक्त त काल अथवा उपल ध उपचार से या मानसापचार से पूजन करता है , उसे त्रासी कहते ह, यह साधना सम त िसिद्धयाँ
दे ती है । (3) बालक, वद्ध
ृ , त्री, मूखर् अथवा ज्ञानी यिक्त वारा िबना जानकारी के की जानी वाली पूजा दाबांधी कही जाती है । (4) सूत की
यिक्त मानिसक स या करा कामना होने पर मानिसक पूजन तथा िन काम होने पर सब कायर् कर। ऐसी साधना को भौितकी कहा जाता
है । (5) रोगी यिक्त नान एवं पज
ू न न कर। दे व मूितर् अथवा सय
ू म
र् डल की ओर दे खकर, एक बार मूल म त्र का जप कर उस पर पु प
चढ़ाय। िफर रोग की समाि त पर नान करके गु तथा ब्रा हण की पूजा करके पूजा िव छे द का दोष मुझे न लग- ऐसी प्राथर्ना करके िविध
पूवक
र् इ ट दे व का पूजन करे तो इस साधना को आतुर कहा जाएगा। अपने म का मह व- पूजा की व तुएं वयं लाकर त मय भाव से
पूजन करने से पूणर् फल प्रा त होता है तथा अ य यिक्त वारा िदए गए साधन से पूजा करने पर आधा फल िमलता है
ह तरे खा म ह त मुद्राओ का मह व-
िचिक सा के िलए ह त मुद्रा वैकि पक िचिक सा पद्धितय म एक िचिक सा पद्धित है ह त मुद्रा िचिक सा। आधुिनक िवज्ञान ने भी माना है
िक ह त मद्र
ु ा से िचिक सा प्रभावी और असरकारक हो सकती है । दै िनक जीवन म इन मद्र
ु ाओं के उपयोग से रोग तरु त िमट जाते ह। इन
मुद्राओं को करने से षरीर पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। यह इन मुद्राओं की िवषेषता है । मानव षरीर पाँच त व का बना है । अिग्न, प ृ वी,
वायु, जल, आकाष। हाथ म भी अंगूठे और अंगुिलय की संख्या पाँच है । ये एक त व का प्रितिनिध व करते ह, जैसे अंगूठे को अिग्न त व का
प्रतीक माना गया है । तजर्नी अंगुली वाय,ु म यमा आकाष, अनािमका प ृ वी, किन ठका जल त व के प्रितिनिध माने गये ह। इस िचिक सा
पद्धित की िवषेषता यह है िक एलोपैथी दवा के साथ भी इस पद्धित का उपयोग िकया जा सकता है । इस िचिक सा पद्धित से दवा का प्रभाव
तेजी से दे खने को िमलता है । ह त मुद्रा का उपयोग करने से पहले इसके कुछ सरल िनयम है ः- ह त मुद्रा करते वक्त पद्मासन म बैठना
आव यक है । ह त मुद्रा करते वक्त यिक्त को अपने इ ट दे व या इ ट दे वी का मरण करना चािहए। दािहने हाथ की मुद्रा करने से
बाय िह से म और बाय हाथ की मुद्रा करने से दाहीने िह से म रोग समा त होता है । प्राण मुद्रा: अनािमका और किन ठका अंगुिलय एवं
अंगूठे के उपयोग से यह मुद्रा बनती है , जो िन न िचत्र म बताया गया है । प्राण मद्र
ु ा से पूरे षरीर म प्राण का संचार होता है । यह मुद्रा प ृ वी
त व का प्रितिनिध व करती है । उपयोिगता: नेत्र रोग, आँख का िवकार, िन तेज आँख जैसे रोग म यह मद्र
ु ा प्रातःकाल 10-15 िमनट
करनी चािहए। अिनद्रा के रोग म यह मुद्रा करने से धीरे -धीरे अिनद्रा का रोग समा त होता है । मधुमेह के रोग के िलए की जाने वाली
आसन मुद्रा के साथ प्राण पुद्रा करने से रोग तेजी से समा त होता है । िलंग मुद्रा: दोन हाथ की अंगुिलय को एक दस
ू रे म फंसा के मुट्ठी
बनाते ह और बाय हाथ के अंगूठे को ऊपर कर के खड़ा िकया गया है । षरीर का ताप बढ़ाने हे तु यह मुद्रा काफी प्रभावी है । उपयोिगता:
सदीर्-जक
ु ाम एवं
यादातर परु ानी सदीर्-खांसी िमटाने हे तु यह मद्र
ु ा 20 िमनट चािहए। इस मद्र
ु ा से रोग िमटाने म बहुत फायदा होता है । दमे
का हमला होते समय रोगी को यह मुद्रा करने से तुरंत फायदा होता है । दवाई िबना दमे के हमले को रस मुद्रा से रोका जा सकता है । लंबे
समय तक यह मुद्रा करने से रोग म काफी कमी आती है । िन न रक्तचाप के रोग म यह मुद्रा प्रातः एवं सायं काल 30 िमनट तक करना
फयदे मंद है । षंख मुद्रा: दोनो हाथ से की जाने वाली यह मुद्रा िन न िचत्र म बतायी गयी है । इस मुद्रा म मुट्ठी म रखे गये अंगूठे का दबाव
हाथ के तल पर पड़ने से िप युटरी और थाइरा◌ॅयड ग्रंिथय म से होने वाले ाव पर इसका सीधा प्रभाव पड़ता है । नाभी चक्र पर भी इस
मद्र
ु ा का प्रभाव पड़ता है । उपयोिगता: वाणी संबंधी सभी रोग की िचिक सा हे तु यह मद्र
ु ा 15-20 िमनट तक प्रातः एवं सायं काल करने से
धीरे -धीरे फायदा होता है । भूख न लगना, खाना हजम न होना एवं पेट संबंधी सभी रोग इस मद्र
ु ा को करने से ख म हो जाते ह और तेज
भूंख लगती है। वर एवं गले से संबंिधत बीमािरयां इस मुद्रा के प्रभाव से ख म हो जाती ह। नाभी चक्र पर इस मु रा का प्रभाव पड़ने
से नाभी चक्र जाग्रत होता है । मय
ु ान मुद्रा: म यमा, अनािमका अंगुिलयां एवं अंगठ
ू े से बनने वाली यह मुद्रा िन न िचत्र म बतायी गयी है ।
षरीर व थ रखने हे तु यह मद्र
ु ा प्रभावी है । उपयोिगता: अयान मद्र
ु ा 45 िमनट तक प्रातःकाल करने से िसर ददर् एवं आधासीसी का रोग
तेजी से समा त होता है । पहले यह मुद्रा कम समय तक करनी चािहए िफर धीरे -धीरे समय बढ़ाना चािहए। मूत्र संबंधी िषकायत, 2-3 िदन
तक मूत्र न आना आिद म यह मुद्रा प्रातः एवं सायं काल 20-25 तक करने से मूत्र संबंधी िषकायत नहीं रहती। दात को व थ रखने हे तु
यह मुद्रा सुबह 10 िमनट तक करनी चािहए। मधुमेह के िनयंत्रण हे तु यह मुद्रा सब
ु ह 15-20 िमनट तक प्रातः और सायं काल करनी
ह त संजीवन के अनस
ु ार मनु य का हाथ एक ऐसी ज म पित्रका है जो कभी न ट नही होती तथा वंय ब्र म ने बनवाया है । इस
ज मपित्रका मे िकसी भी प्रकार का गह
ृ गिणत की यव थाओ मे त्रिु ट होना असंभव है । इस ज मपत्री मे रे खाएं व िच ह गह
ृ की तरह ही
फल दे ने की साम य रखती है । यही मात्र एक ऐसी ज तपित्रका जो स पूणर् जीवन भर यवि थत प मे साथ रहती है । तीनो लोको मे
ह तरे खा से बढकर कोई भिव यकथन का उ तम षा त्र नही है ।
ह तेन पािणगह
ृ णं पूजाभोजनषा तयः।
सा या िवपक्षिव वंसप्रमुखाः सकलाः िक्रयाः।।
हाथ ही सम त कम का साधन है । इसके वारा ही संसार के धमर् के पालन के िलए िववाह समय पािणगह
ृ ण िकया जाता है । इसी से
पूजा,यज्ञ,दान,भोजन,षाि तकमर् एवं िवपिक्षयो का िव वंस िकया जाता है । इस कारण से ह त का अ यु तम मह व सवर्िविदत है । मनु य
वाभािवक िजज्ञासु होता है । िजससे वह अपने भािव य के बारे मे जानकारी प्रा त करने हे तु अपना हाथ िदखाता िफरता है । मनु य की इसी
िजज्ञासा को षांत करने उ ◌े य से समु व मुिन ने ह तरे खा िवघा प्रकािषत कर लोगो का उपकार िकया।
(1) िजस जातक के हाथ मे दसो अंगुिलयो पर चक्र के िनषान हो तो उसको उ मोउ तम राजयोग की प्राि त अव य होती है । महाराजा
क या को वर िमलने के िलये इस तोत्र के ग्यारह पाठ िन य एक म डल (इकतालीस िदन ) तक पूणर् आ था व िव वास के साथ करना
चािहये।
सोरठा
चैपाई
छ द
मनज
ु ािह राचेिह िमिलिह सो ब सहज सु दर सा◌ॅवरो।
क णा िनधान सुजान सील सनेहु जानत रावरो।।
िवशेष: िववाह योग्य कुमारी-िकशोरी(कंु वारी/अिववािहत युवितय ) के िलये सुपात्र वर और िववािहता ि त्रय के िलये दा प य , सुख , धन-धा य
, सम ृ िव हे तु पीला पख
ु राज धारण करवाकर लाभ उठाव।
11. गु वार के िदन िव णु ल मी मि दर म कंलगी जो सेहरे के ऊपर लगी रहती ह चढ़ाव, साथ ही बेसन के 5 ल डू चढाव, भगवान से शीघ्र
िववाह की प्राथर्ना कर िववाह का वातावरण बनना प्रार भ हो जावेगा ।
यह उपरोक्त बड़े सरल टोटके ह इ ह कोई भी िववाहकांक्षी द्धा एवं िव वास के साथ करता ह तो सफलता िमलती ह । लड़की की शादी शीघ्र
होती ह ।
यिद उपरोक्त टोटके करने के प चात भी यिद िववाह स प न नहीं हो पाता ह । कु डली म िववाह बाधा योग हो तो िन न तांित्रक प्रयोग
करना चािहए ।
यह पाठ वयं िववाहकांशी ही कर तो े ठ रहे गा, िववाह प्र ताव आने प्रार भ हो जावेग । िववाह योग्य क या को भवन के वाय य कोण
वाले कक्ष म सोना चािहए इससे क या के िववाह म आने वाली कावट वतः दरू होती ह तथा क या का िववाह ज दी होने की स भावना
बनती ह ।
सय
ू र् उपासना का मह व----
वैिदक युग से भगवान सूयर् की उपासना का उ लेख िमलता ह। ऋग्वेद म सूयर् को थावर जंगम की आ मा कहा जाता ह। सूयार् मा जगत
त थष
ु च ऋग्वेद 1/115 वैिदक यग
ु से अब तक सय
ू र् को जीवन वा य एवं शिक्त के दे वता के प म मा यता ह। छा दोग्य उपिनषद म
सूयर् को ब्र म कहा गया ह। आिद य ब्र मेती। परु ाण म वादश आिद य , सूयार्◌े की अनेक कथाएँ प्रिसद्ध ह, िजनम उनका थान व मह व
विणर्त ह। धारणा ह, सूयर् संबधी कथाओं को सुनकर पाप एवं दग
ु िर् त से मुिक्त प्रा त होती ह। एवं मनु य का अ यु थान होता ह।
भारतीय सं कृित म सूयर् को मनु य के ेय एवं प्रेय मागर् का प्रवतर्क भी माना गया ह। कहा जाता ह िक सूयर् की उपासना विरत फलवती
होती ह। भगवान राम के पूवज
र् सूयव
र् ंशी महाराज राजधमर् को सूयर् की उपासना से दीधर् आयु प्रा त हुई थी। ीकृ ण के पुत्र सांब की
सूयार्◌ेपसना से ही कु ठ रोग से िनविृ त हुई, ऐसी कथा प्रिसद्ध ह। चाक्षुषोपिनषद के िन य पाठ से नेत्र रोग ठीक होते ह। हमारे यहां पंच
उपासन पद्धितय का िवधान ह, िजनम िशव, िव णु, गणेश सूयर् एवं शिक्त की उपासना की जाती ह। उपासना िवशेष के कारण उपासक के
पांच संप्रदाय प्रिसद्ध ह। शैव, वै णव, गणप य एवं शिक्त। वैसे भारतीय सं कृित एवं धमर् के अनुयायी धािमर्क साम य भाव से सभी की पूजा
अचर्ना करते ह, िक तु सूयर् के िवशेष उपासक और संप्रदाय के लोग आज भी उड़ीसा म अिधक है ।
नवग्रह म सवर्प्रथम ग्रह सूयर् ह िजसे िपता के भाव कमर् का वामी माना गया ह । ग्रह दे वता के साथ-साथ सिृ ट के जीवनयापन म सूयर्
का मह वपूणर् योगदान होने से इनकी मा यता परू े िव व म ह । नेत्र, िसर, दा◌ॅत, नाक, कान, रक्तचाप, अि थरोग, नाखून, दय पर सूयर् का
प्रभाव होता ह ये तकलीफ यिक्त को सूयर् के अिन टकारी होने के साथ-साथ तब भी होती ह जब सूयर् ज मपित्रका म प्रथम, िवतीय, पंचम,
स तम या अ टम भाव पर िवराजमान रहता ह । तब यिक्त को इसकी शांित उपाय से सय
ू र् िचिक सा करनी चािहये। िज ह संतान नहीं
होती उ ह सूयर् साधना से लाभ होता ह । िपता-पुत्र के संबंध म िवशेष लाभ के िलए सूयर्
साधना पुत्र को करनी चािहए । यिद कोई सूयर् का जाप मंत्र पाठ प्रित रिववार को 11 बार कर ले तो यिक्त यश वी होता ह । प्र येक कायर्
म उसे सफलता िमलती ह । सय
ू र् की पज
ू ा-उपासना यिद सय
ू र् के नक्षत्र उ तराफा गन
ु ी, उ तराषाढ़ा एवं कृितका म की जाये तो बहुत लाभ
होता ह । सूयर् के इन नक्षत्र म ही सूयर् के िलए दान पु य करना चािहए । संक्रांित का िदन सूयर् साधना के िलए सूयर् की प्रस नता म दान
पु य दे ने के िलए सव तम ह ।
तंत्रोक्त मंत्र - ऊँ यं ीं सः सय
ू ार्य नमः ।
ऊँ जंु सः सय
ू ार्य नमः ।
सूयर् मंत्र ऊँ सूयार्य नमः यिक्त चलते-चलते, दवा लेत,े खाली समय म कभी भी करता रहे लाभ िमलता है । तंत्रोक्त मंत्र म से िकसी भी
एक मंत्र का ग्यारह हजार जाप पूरा करने से सूयद
र् े व प्रस न होते ह । िन य एक माला पौरािणक मंत्र का पाठ करने से यश प्रा त होता ह ।
रोग शांत होते हं ◌ै । सूयर् गायत्री मंत्र के पाठ जाप या 24000 मंत्र के पुन चरण से आ मशिु द्ध, आ म-स मान, मन की शांित होती ह । आने
वाली िवपि त टलती ह, शरीर म नये रोग ज म लेने से थम जाते ह । रोग आगे फैलते नहीं, क ट शरीर का कम होने लगता ह। अ य मंत्र
से अ य दे ने पर यश-कीितर्, पद-प्रित ठा पदो नित होती ह । िन य नान के बाद एक तांबे के लोटे म जल लेकर उसम थोड़ा सा कुमकुम
िमलाकर सूयर् की ओर पूवर् िदशा म दे खकर दोन हाथ म तांबे का वह लोटा लेकर म तक तक ऊपर करके सूयर् को दे खकर अ य जल
चढाना चािहये । सूयर् की कोई भी पूजा- आराधना उगते हुए सूयर् के समय म बहुत लाभदायक िसद्ध होती ह ।
ज मांक म सूयर् वारा जातक की आरोग्यता, रा य, पद, जीवन-शिक्त, कमर्, अिधकार, मह वाकांक्षा, सामथर्य, वैभव, यश, प टता, उग्रता,
उ तेजना, िसर, उदर, अि त, एवं शरीर रचना, नैत्र, िसर, िपता तथा आ म ज्ञान आिद का िवचार िकया जाता ह । जातक का िदन म ज म
सूयर् वारा िपता का तथा राित्र म ज म, सूयर् वारा चाचा एवं दाए नैत्र का कारक कहा गया ह। यात्रा प्रभाव व उपासना आिद के िवचार म
भी सूयर् की भूिमका मह वपूणर् ह । कुछ योितिवर्द सूयर् को उग्र व क्रुर होने के कारण पापग्रह भी मानते ह । िक तु कालपु ष की आ मा
एवं सवर्ग्रह म प्रधान होने के कारण ऐसा मानना तकर्संगत नहीं ह । सवर्िविदत ह िक सय
ू र् की अपने पत्र
ु शिन से नहीं बनती । इसका
भाग्योदय वषर् 22 ह ।
1. ढाई िकलो गड़
ु ले और िजस रिववार को भी सय
ू र् के नक्षत्र म से एक भी नक्षत्र पड़े उस िदन सय ु के टुकड़े-टुकड़े करके
ू र् उदय के समय गड़
सूयर् मंत्र का पाठ करके गुड़ को बहाकर सूयर् दे व की कृपा प्राि त हे तु प्राथर्ना कर । ऐसा 9 बार लगातार करना चािहए । दल
ु भ
र् कायर् भी सफल
होते ह और रोग िनयंत्रण म हो जाते ह ।
2 सय
ू र् की प्रस नता के िलए आिद य दय त्र त, सय
ू र् त्रोत एवं िशवप्रोक्तं सय
ू ार् टकं का िनयमानस
ु ार पाठ करना चािहए ।
3. प्रित रिववार को अिग्न म दध ू उबलकर अिग्न म िगरे और जलने लगे । अिन ट सय
ू इतना उबाले की दध ू र् की शांित के िलए ऐसा प्रित
रिववार को 100 ग्राम दध
ू अिग्न म होम करना चािहए ।
4.◌़ सय
ू र् नम कार नामक यायाम प्रातः सय
ू दय के समय कर । िव णु भगवान का पज
ू न कर । ग्यारह या इिक्कस रिववार तक गणेशजी
को लाल फूल का अपर्ण कर । गुलाबी व त्र, नारं गी, च दन की लकड़ी आिद का दान कर ।
5. रिववार का अथवा िशवजी का त रख, इस िदन नमक का प्रयोग न कर । त म पूणर् ब्र हचयर् से रह स कायर् कर । िशवपुराण या सूयर्
पुराण पढ । पूजा या वा याय म अिधक से अिधक समय यतीत कर । रिववार को गायत्री मंत्र की एक माला कम से कम सय
ू दय से पूवर्
शद्ध
ु होकर जपे और सूय दय के समय सूयन
र् म कार कर, सूयर् को अ य दे कर िव णुसह त्र नाम का पाठ कर ।
6 लाल व त्र, लाल च दन, ताम्र पात्र, केसर, गुड़, गेहू◌ॅ, अनाज, रोटी, सोना व मािणक्य र न का दान करे रिववार को प्रातः गाय को गाजर,
टमाटर, गाजर का हलवा (लाल रं ग का भो य पदाथर्) िखलाव ।
7. कहीं भी घर से बहार जावे तो थोड़ा से गुड़ का टुकड़ा मुह म खाते हुए जाए ।
http://vinayakvaastutimes.mywebdunia.com/2011/07/31/1312076640000.html
What makes one person successful and another not? What does the ability to delay gratification as a child have to do with
being successful in later life? Can one learn the mental traits associated with success with the help of hypnosis downloads?
The skills you need to do everything in life start in your mind. When you think you can do something, you will try and
succeed. Your thoughts dictate your actions and determine your level of commitment, which affects the outcome. The sum of
the parts makes the whole-
The drive and ambition you need to succeed start with the mechanics of your mind. And these inevitably have been shaped
through your experiences in life, since you were just a little baby.
Walter Mischel, a Stanford professor, noticed as long ago as 1981 that a young child's ability to delay gratification was
predictive of that same child's teenage academic ability. This predictability has since been shown to hold true of later
academic success and career experience. Children who were successful in delaying gratification found ways in which to
distract themselves from the temptation of candy which was put in front of them, based upon the promise of greater rewards
at a later time - double the quantity of candy later so long as they resisted now.
Those children who easily succumbed to the sweet temptations and could not find successful strategies of resistance tended
in later life to get lower scores, suffer more from stress, find it more difficult to make friends and had low attention spans. In
effect they had not learned how to think in a more productive way. They had not learned the basic strategies necessary or
success.
Even if you did not learn the secret of success as a child you can retrain your brain and learn these secrets now, with the help
of hypnosis. Hypnosis is a state of relaxation and it allows access to the inner workings of your mind. Your subconscious mind,
whilst in hypnosis, is open to new suggestions and the seeds of change can be sewn. With the use of hypnosis downloads,
these seeds will grow and flourish, as they are watered through regularly listening to powerful hypnotic suggestions for
success. Before long, you will have a whole new set of mental skills and strategies, opening the door to a whole new set of
possibilities, paving the way to your success.
The seven keys to success are all mental traits, mental skills, and these can be learned by you with a little bit of help from
1. Increased self-awareness - Without awareness you do not know where to start or what to change.
2. Improved self-confidence - you are not born with confidence. It is learned, either through experience or with the help of
hypnosis.
3. Motivation - motivation is a feeling, an inclination, a state of desire, energy, a feeling of willingness to do something.
4. The ability to sooth yourself and be positive, to remain calm and respond positively no matter what is happening.
5. The ability to take calculated risks - to have the confidence in your ideas, to step out of your comfort zone
6. The ability to be "in the now" - to really know what is going on, to listen, to be fully aware, to rediscover your childlike
curiosity, and be spontaneous
Some people worry about hypnosis, or are afraid of it. This is purely because they do not know what it is. Hypnosis is normal
and natural. It is the state between wake and sleep. It's relaxing, calming and empowering. You can get a free hypnosis
download from my website and try it for yourself.
पज
ू न के वक्त सावधािनयां---
कुछ ऎसी गूढ़ बात ह जो दे वी-दे वताओं की पूजा-अचर्ना के वक्त यान ज र दी जानी चािहए।
घर या यावसाियक थल म पज
ू ा का थान हमेशा ईशान कोण (उ तर-पव
ू )र् िदशा म ही होना चािहए।
पूजा हमेशा आसन पर बैठकर पूवर् िदशा की ओर मुख करके ही करनी चािहए। दीपक अव य जलाएं।
दो िशविलंग की पूजा एक साथ नहीं करनी चािहए, लेिकन नबर्दे वर, पारदे वर िशविलंग और सािलगराम घर म शभ
ु होते ह।
भगवान गणपित के दब
ू चढ़ानी चािहए, िजससे भगवान गणपित प्रस न होते ह। जबिक दे वी के दब
ू चढ़ाना िनषेध बताया गया है ।
दो सािलगराम जी, दो शंख और दो सूयर् भी पूजा म एक साथ नहीं रख। सािलगराम िबना प्राण प्रित ठा के भी पज
ू ा योग्य है ।
दे वताओं को खंिडत फल अपर्ण नहीं करने चािहए। जैसे- आधा केला, आधा सेब आिद।
पूजा के प चात दे सी घी से प्र विलत दीपक से आरती अव य करनी चािहए। यिद दीपक िकसी कारणवश उपल ध नहीं हो, तो केवल जल
र् ा आ जाती है ।
आरती भी की जा सकती है । आरती करने से पूजा म संपूणत
...http://www.vinayakvastutimes.webs.com/
वशीकरण के अचक
ू टोटके----
सफेद गुंजा की जड़ को िघस कर माथे पर ितलक लगाने से सभी लोग वशीभूत हो जाते ह।
यिद सय
ू र् ग्रहण के समय सहदे वी की जड़ और सफेद चंदन को िघस कर यिक्त ितलक करे तो दे खने वाली त्री वशीभत
ू हो जाएगी।
राई और िप्रयंगु को ÷ ीं' मंत्र वारा अिभमंित्रत करके िकसी त्री के ऊपर डाल द तो वह वश म हो जाएगी।
शिनवार के िदन सुंदर आकृित वाली एक पुतली बनाकर उसके पेट पर इि छत त्री का नाम िलखकर उसी को िदखाएं िजसका नाम िलखा
है । िफर उस पत
ु ली को छाती से लगाकर रख। इससे त्री वशीभत
ू हो जाएगी।
िबजौरे की जड़ और धतूरे के बीज को याज के साथ पीसकर िजसे सुंघाया जाए वह वशीभूत हो जाएगा।
नागकेसर को खरल म कूट छान कर शद्ध
ु घी म िमलाकर यह लेप माथे पर लगाने से वशीकरण की शिक्त उ प न हो जाती है ।
नागकेसर, चमेली के फूल, कूट, तगर, कंु कंु म और दे शी घी का िम ण बनाकर िकसी याली म रख द। लगातार कुछ िदन तक िनयिमत प
से इसका ितलक लगाते रहने से वशीकरण की शिक्त उ प न हो जाती है ।
थोड़ा सा गड़
ु और गायब हो जाएगा आधे िसर का ददर् !!!!..
वैसे तो आजकल की जीवन शैली म िसर ददर् की सम या एक आम बात बन गई है । काफी लोग को िदनभर की भागदौड़ के बाद रात को
िसर ददर् का सामना करना ही पड़ता है । सामा य िसर ददर् के अलावा कुछ लोग का आधा िसर ददर् करता है । यह ददर् असहनीय होता है ।
यह आसानी से पीछा नहीं छोड़ता है । इससे िनपटने के िलए योितष म एक सटीक उपाय बताया गया है ।
योितष के अनुसार आधे िसर ददर् को दरू करने के िलए यह टोटका अपनाएं-
सुबह-सुबह या शाम के समय यह प्रयोग िकया जाना चािहए। घर से गुड़ का छोटा सा टुकड़ा ल। अब इस मंत्र (ऊँ छ: फ वाहा) जप करते
हुए िकसी भी चौराहे की ओर जाएं। चौराहे का िवशेष यान रख जहां चार रा ते होते ह उसे ही चौराहा कहा जाता है । चौराहे पर पहुंचकर
दिक्षण िदशा की ओर मुंह करके खड़े हो जाएं। अब गुड़ के टुकड़े को दांत से काटकर अपने आगे और िफर पीछे की ओर फक द। इसके बाद
घर लौट आएं। यान रहे पीछे पलटकर न दे ख। अ यथा यह उपाय िन फल हो जाएगा। इस उपाय के साथ ही अपनी दवाइयां या डॉक्टरी
इलाज भी चलने द, उसे बंद न कर। कुछ ही िदन म फायदा हो जाएगा।
ज म के िदन जल म ितल डाल कर नान करना चािहए। नए कपड़े पहन कर सबसे पहले गणेशजी की पज
ू ा करनी चािहए। ज म नक्षत्र के
अिधपित दे वता की पूजा करनी चािहए अपने िप तर, ब्र म, सूय,र् माकर्ंडेय ऋिष, परशरु ाम, बिल, हनुमान, िवभीषण, कृपाचायर्, प्रहलाद एवं ष ठी
दे वी का नाम लेकर अक्षत, पु प, धूप, दीप, आिद से अचर्ना करनी चािहए।
माकर्ंडेय ऋिष के ू न से मनु य दीघर् जीवन प्रा त करता है । ज म िदन के शभ
मरण एवं पज ु अवसर पर ष ठी दे वी की पज
ू ा का िवशेष
मह व बतालाया गया है । इनकी पूजा से सौभाग्य की प्राि त होती है । इस िदन सात अमर लोग की प्राथर्ना करनी चािहए।
ज म िदन के अवसर पर प्र येक दे वी दे वताओ के मंत्र से अठाईस बार ितल से हवन करने की िविध है ।
सफलता प्रा त करने म उ साह बढ़ता है ,धन की विृ द्ध होती है , िजससे सम ृ दी बढ़ती है ,यिद वा तु दोष होन से अ यिधक मेहनत करने पर भी
सफलता नहीं िमलती , वह अनेक यािधय व रोग से द:ु खी होने लगता है ,, उसे अपयश तथा हनी उठानी पड़ती है .
िबलकुल प ट है की घर भवन का दिक्षण पि चम कोण म कुआँ, जल बोिरंग या भूिमगत पानी का थान मधुमेह बढता है .
दिक्षण पि चम कोण म हिरयाली बगीचा या छोटे छोटे पौधे भी सुगर का कारण है .
घर, भवन का दिक्षण पि चम कोना बड़ा हुआ है , तब भी सुगर होता है .
यिद दिक्षण पि चम का कोना घर म सबसे छोटा या िसकुड़ा भी हुआ है तो संजो मधुमेह बढे गा इ सिलये यह भाग सबसे ऊँचा रखे.
दिक्षण पि चम भाग म सीवर का गढ़ा होना भी सुगर को िनमंत्रण दे ना है .
ब्रहम थान अथार्त घर का म य भाग भरी हो तथा घर के म य म आिधक लोहे का प्रयोग हो या ब्रहम भाग से सीिडयां ऊपर की ओर ता
रही हो तक समझ ले की सुगर का घर म आगमन होने जा रहा है . अथार्त दिक्षण पि चम भाग यिद आपने सुधर िलया तो काफी हद तक
आप आसा य रोग से मुक्त हो जायगे .
अपने बेड म म कभी भी भल
ू कर ख ना मत खाएं .
अपने बेड म म जट
ु े , च पल नए या पुराने िबलकुल भी न रखे .
िमटटी के घड़े का पानी का इ तेमाल करे तथा घड़े म रोज ७ तुलसी के प ते दल कर प्रयोग कर .
िदन म एक बार अपनी माँ का बना खाना ज र खाएं
हर मंगलवार को अपने दो त को िम ठान ज र द.
रिववार को बागवान सूयर् को जल दे कर बंदर को गुड िखल तो आप वयं अनुभव करगे की सुगर िकतनी ज दी जा रही है .
इशान कोण से साडी लोहे की साडी व तए
ु हटा ल. ह दी की एक गांठ लेकर एक चम च से िसल प थर म िघस कर सब
ु ह खली पेट िपने से
मधुमेह से मुिक्त हो सकती है .
1. Eclipses are dramatic "wild cards" in our horoscopes that we don't see coming. They shake us up so that we can move from
one level of maturity to another, very rapidly. They will provide whatever we need to get moving - a competitor, a rival or
critic, a benefactor, funding, or some other force - that get us to think, decide, or change.
If we have become complacent or took someone or something for granted, chances are that we won't after an eclipse is over
and has delivered its message. An eclipse will always give you precisely what you need to advance and evolve. They look for
weak links in all circumstances and instantly and urgently bring information so that you can decide what you want to do.
2. Eclipses work from the outside in. In that I mean that an outside event that has nothing to do with you, and over which you
have no control, will often act in a way that affects your life in a powerful, direct, and lasting way. The outside force can be
a small, casual event or comment - it need not be a big - but yet it can have monumental influence on our life anyway.
3. Eclipses bring news of big life events that you long remember. You may sell a house or buy one, or start a new business or
close one. You may get a major promotion or a new client, or be given enviable publicity, or be downsized. You may meet
You may suddenly be expecting a baby or get news that the adoption you had hoped for is suddenly coming through.
You may come in to a lot of money, or lose an important source of income. You may sign a big business deal or walk away
from one. You might have surgery or win a marathon and be on TV. You may acquire a new pet, or sadly suffer the loss of
one. Alas, as you see, not all news on eclipses is happy, but eclipses do mark major life events that make us value the good
parts of life even more.
Eclipses often change the status of a situation. While an eclipse will always seek out the weak link in a situation to expose it
to you, they are just as capable of helping you in a positive way, such as to help you find new love or be asked to interview
for a big position. The luck you uncover can be the change in status you will receive. Check your monthly report on Astrology
Zone for how I see the eclipse affecting you.
4. Keep your eye on your health at eclipse time, and doubly so if the eclipse is near your birthday, is in your birth sign, or is
six months away from your sign (i.e., opposite). If you need to address a health or dental issue, get advice and help so that
you can get back to feeling tip top again soon!
5. You may feel like you are walking across a bridge to a new land at eclipse time. You are - with no ability to go back to the
place you started. In that sense, after you start moving toward the new situation (by enforced changes or by your own
volition), the bridge will collapse - there will be no way back. While you can't go back to the good old days, you wouldn't want
to. You are ready for more. The universe wants us to embrace all that is new, not go back to what is tried and true.
6. The ancients always wrote that if you act under an eclipse, especially a full moon eclipse (lunar), the plan would not work
out quite the way you expected. It's better to consider the ideas of others at eclipse time but not to make proposals or
announce decisions of your own at that time. Instead, bide your time and act a few weeks later when there will be less
cosmic dust in the air and things are more settled. You'll have more information after an eclipse has spoken too, another
reason to wait.
Here is the rule: it is better to listen and react rather than set forth dictums under an eclipse. Try to allow some space of a
week or more between the eclipse and the date you act.
Sometimes it is not possible to put things off, so do your best. Never make an empty threat, like "Leave her or I will leave!" If
you don't mean it, don't say it. The situation could blow up in your face when your partner calls your bluff and says, "OK,
then, leave!" Issuing ultimatums under an eclipse rarely work well.
Let's say you need to decide whether to change your job. It is OK to accept a new job, but might not be wise to quit one at
eclipse time. You didn't initiate that offer to go to a new job - someone else did - which is why you are safer to accept an
offer, rather than initiate an action on your own, most likely impulsively.
If you want to have a major talk with your sweetheart over grievances you have been harboring, do so weeks before the date
of the eclipse or else table your talk for a few weeks later, when the atmosphere won't be highly charged. When you act at
eclipse time, you may be surprised at the outcome - things could backfire or create an effect that you had not anticipated.
Still, admittedly, it may be really hard to put off saying something at a full moon eclipse. Truth tends to surface like a geyser
at these times! See how you feel!
7. Eclipses will always play with our sense of time and change it by compressing it and speeding things up. They bring events
to bear today, ones that you assumed would happen months or years into the future.
Let's say a couple decided to marry in two years, and in the meantime save up for a down payment on a house. An eclipse
comes by and one of the partners in the couple gets a big promotion and a chance to work in the London office. Suddenly the
Also, at eclipse time, if one of your planets will be touched by the eclipse, you may feel your life moving on fast forward, at
greatly accelerated speed. What you'd normally do in three years gets compressed into six months! Time moves so fast, you
can almost see the hands on the clock spin around!
8. Eclipses can help you do things you never thought you could do, overcome fears, and show yes, you CAN do it! Consider this
little metaphysical story I devised for you to illustrate this point.
Let's say you are in a new area on vacation and feel like riding a horse for a couple of hours, and because your friends would
rather swim, you decide to do this on your own. You are not an experienced rider, so you ask the horse trainer for a gentle
horse. He suggests the perfect one for you, a horse that is even-tempered and experienced. He also suggests an appropriate
path for you.
Before you set off on your trail, you were told by the trainer that you will need to jump a stone fence five miles down the
road but that the horse is capable of doing the jump. You start out on the path the trainer suggested. Distracted by the
gorgeous scenery, you forget about the fence until it looms suddenly in front of you.
You don't feel ready to jump that fence and besides, it is so much higher than you imagined it to be! You probably would have
never taken this path if you knew how big it was. You cannot imagine going over that and surviving it! Yet, it symbolizes
something you want to do but are terrified to do, so you feel conflicted (fear vs. wanting). Perhaps as you ride toward it, you
try to stop the horse, but in your hesitation, you don't send strong signals to the horse in the way he understands, so before
you know it, he jumps!
The horse has been trained to jump, so he is fine - it's you who is scared, not him! Before you can pull on the reins, you find
yourself flying through the air on his back and much to your horror and yet giddy amazement, you are flying over the fence.
Much to your astonishment, you land perfectly. The horse is fine and so are you - but you feel shaky and count all your fingers
to be sure you are all in one piece!
It all happened so quickly! You knew the fence was coming up, but being distracted by the scenery, you didn't expect to see it
so soon on the road ahead. (Timetables are moved up at eclipse time.) You had no time to think! Now, however, you feel
quite accomplished - proud of what you did, and rightly so! It is a great moment! Had you had time to think, you may not
have had the courage to try. But you did react, and you succeeded. Welcome to the effects of an eclipse. This won't be the
effect all the time, but many times eclipses DO show us capabilities and strengths that surprise us.
9. Try not to issue ultimatums or make big actions under an eclipse as things won't work out as planned. Bide your time and
act in a few weeks when there will be less dust and less electrically charged static in the air. It's best to respond to others'
messages and demands, but try not to initiate your own. Said another way, it is better to listen and react rather than set
forth dictums under an eclipse.
10. If an eclipse falls on your birthday, the year that follows certainly will be quite eventful. One part of your life is surely
due for massive change. You may experience a big change in lifestyle or in one specific part of your chart.
If an eclipse of the moon (a lunar eclipse) touches your birthday, it will be a year of endings, closure, and possibly, of
fulfillment. Often a lunar eclipse creates changes within the family or home - you may move, see a roommate come or go, or
in keeping with an eclipse's ability to change family dynamics, a new baby may enter the picture, as a few examples.
11. Eclipses always bring unexpected changes of direction, but only if you have the Sun, moon, a planet, or other major point
in your natal chart being touched by it.
The eclipse does not have to fall in your sign to affect you, but it would have to be within a ten-degree orb of a major planet
or point in your chart. (Some astrologers only use a five-degree orb, but my experience shows you have to allow a wider area
This is why you would feel one or two eclipses in a series, but not all in the same way. They all fall in different degrees. So
summing up, the rule is this: You may feel one eclipse in a given family of signs very strongly, but not the others in the same
series.
12. Eclipses in the same family of signs are connected to one another in themes like pearls on a necklace. For example, if an
important event happened in your life at an eclipse in January, then the next eclipse coming in July will advance the situation
to a new level. Eclipses within one family of signs tend to focus intensely on one area of your life.
The universe seems to know that we can't handle too much radical change at once. Instead, the eclipses will give us time to
digest the changes before they heap more on us. Subsequent eclipses will help us move forward, step by step. Additional
information will not come until the next eclipse, and by then you will be ready for it.
Let me give you an example. Let's say a man and wife have been married a long time. The husband has been unhappy but the
wife perceives the marriage as happy and stable. This could not be further from the truth - in fact, the husband has been
unfaithful.
The husband confronts his wife on an eclipse and asks for a divorce, Of course, the wife is completely shocked and is in tears
for weeks. By the next pair of eclipses, discussions begin to take place about the division of property. The sale of the house
takes place at the next pair of eclipses. Nearly six months after that, at the next eclipse in the same signs, the divorce papers
appear and are signed by both parties. The husband will remarry on the following eclipse and by then the wife will be
adjusted to her new life - a life she didn't ask for, but will be nevertheless comforted by her friends and family and by
knowing the truth.
I have vastly oversimplified this case to help you see the step-by-step process that a series of eclipses can set up for you. I do
not mean to minimize the sorrow and amount of adjustment that both parties, especially the wife, would have to endure to
reinvent their lives.
Things need not be this dramatic or as sad as this for you under an eclipse (let's hope not!), but you get the idea. If you
observe events triggered by eclipses, you will be humbled to see how effective they are in their mission to bring truth to bear
and to help us live more productively, ethically, and with integrity.
13. Eclipses are especially effective in revealing someone's character or true motivations. After you discover what you do, you
can better protect yourself. Still, this can be very disconcerting and upsetting. Remember, in this case, the eclipse would be
trying to help you.
14. Often a lunar eclipse will remove a person or element in your life that you thought you needed, but really don't.
This person or situation may end at eclipse time because you have already learned a great deal from that person or situation,
or because the situation is outworn, dysfunctional, or in some way no longer capable of being nurturing and supportive to
you. An eclipse will sound the bell to tell you that time has passed and it's now time to move on. Often we wonder why
something had to end the way it did, but it is not for us to ask. Everything has its own lifecycle - even jobs and relationships.
Focus on the future, not the past. After you have given yourself time to adjust, be eager to find out what comes next.
15. Keep this rule in mind: The universe will not abide an empty space. Whenever a vacuum is created, the universe rushes to
fill it. Have faith that this will happen in your life and all that you "lose" will be replaced. Often the next stage turns out to be
far better than the one you just left.
16. Take note of ALL news and signals you get near eclipses. While news is often delivered in a dramatic and obvious way,
sometimes the news will come in much more subtly, as a secret or as a piece of gossip. Nevertheless, no matter how news
17. If someone brings news you don't like and don't want to hear on an eclipse, realize that it will be impossible to change
things back to the way they were before. Take the information seriously. View the news as essentially a non-negotiable
dictate. Accept what you are told and move on.
For example, if your beloved says, "It's over," accept this news and move on. Of course, it's good to talk, especially if this
person means a lot to you. However, don't grovel. Save your dignity by not pleading for the relationship to continue. Eclipses
make us acknowledge that something has changed, most likely forever.
18. At eclipse time, we realize that we can't control everything in life. Accepting the finality of a certain relationship or
situation can be very painful, but is a part of the life experience. If you should feel very upset or sad, trust in the kindness
and wisdom of those around you. Spend time with those you love and who love you. Eclipses help us to evolve and to become
more mature, seasoned, reflective, and philosophical.
19. Eclipses shine the bright light of truth to the part of your chart that is touched by the eclipse. Most of the time, eclipses
act as brilliant illuminators, revealing a condition or proclivity that has existed that you had ignored, denied, or never noticed
before.
20. Eclipses also often act as catalysts to a major life decision. Without the news of the eclipse, we would probably go on as
we had, with little or no change in direction.
21. Under an eclipse, you may finally see someone's true character. This may be a person you know well, or thought you did.
Discovering a dark side to a person can be very disillusioning, but fortunately it won't happen at every eclipse, only rarely.
22. Eclipses also have a way of changing perspective. It will be as though a puzzle piece suddenly fell from the sky, right into
your hands. Once you add this piece to your puzzle, the whole complexion of the situation will change. Suddenly a mystery
will be resolved, and you will say to yourself, "Now I understand!" Now that you have a full picture of the situation, you will
know what you need to do next. You are no longer in the dark. That's exactly what an eclipse accomplishes.
23. Even if an eclipse won't affect you (and I will tell you in your forecast), you will nevertheless notice that there is plenty of
action around you, not only in your own circle but also in the world at large. The news media will be filled with information.
In your personal life, you will hear of many monumental life events in the lives of people you know, both friends and family.
You may be called on to help others at this time, so try to keep an open schedule.
24. You may be feeling more emotional than usual under an eclipse, especially if the eclipse is lunar (full moon). Since your
judgment may be impaired with so much being stirred up at once, before you respond, take time to think about things. If you
can, wait a week before deciding on anything. If someone comes to you with an offer you are excited about, consider it
carefully and find out what's involved. If after looking at the offer from all sides you still like it, proceed. In your excitement
for the offer, try not to make assumptions about it without checking out all the facts.
25. A quick response to news may be required of you. Have your wits about you! As said earlier, keep your normal schedule
light because you might have something new to focus on that will need your immediate attention. If someone is demanding an
answer, you will have to give it and go with the flow. The sense of surprise or shock often accompanies an eclipse.
26. Don't be too quick to judge an eclipse as "good" or "bad" because it can take weeks to understand the real meaning of
what is going on. An eclipse always has a second act, so be patient - it may take six months or more to hear more
information. As you wait, the picture may keep changing. Chances are, if you lose something under an eclipse, the universe
has something better it is cooking up for you. Be patient and keep an open mind.
27. Let's talk about the area of influence of an eclipse. A message brought to you by an eclipse is usually delivered within four
days of the actual date of the eclipse, but not always. Yet you can sometimes feel a full moon lunar eclipse as early as a full
If you don't feel an eclipse, then look to Mars or Saturn. If either planet goes over the same degrees later in the year (or soon
after) or in the sign opposite the sign in the eclipse, take note of the dates this will happen - I will help you with those by
letting you know in your monthly reports on Astrology Zone.
28. Eclipses sometimes can make big heavy iron gates swing open, even ones that have never opened for you before. Be
optimistic! What do you wish for, dear reader? If you work hard toward your goals, an eclipse can help make it all happen! Be
optimistic!
I hope you have found this helpful! Perhaps you may want to refer to this list as you move through the eclipses of this year
- मंगलवार, शिनवार, हनुमान जयंती या हनुमान अ टमी पर इस मंत्र जप का िवशेष प से प्रभावी होता है ।
- सुबह नान कर। ब्र मचयर् का पालन सरल श द म तन, मन और वैचािरक संयम रख।
- घर के दे वालय या हनुमान मंिदर म वीर हनुमान (गदा या पहाड़ उठाए, राक्षस का मदर् न करती हुई प्रितमा) की पंचोपचार पूजा कर।
- पूजा म ी हनुमान को िसंदरू , गंध, लाल फूल, अक्षत चढ़ाएं।
- ी हनुमान को लाल अनार या गुड़, चने का भोग लगाएं।
- घी या चमेली के तेल का दीप, गुग्गल धूप लगाकर हनुमान आरती कर।
- पूजा या आरती के बाद इस सरल मंत्र से ी हनुमान का यान कर -
मनोजवं मा ततु यवेगं िजतेि द्रयं बिु द्धमतां विर ठम ्|
वाता मजं वानरयूथमख्
ु यं ीरामदत
ू ं शरणं प्रप ये।।
इस मंत्र म ी हनुमान के ब्र मचयर् पालन, इि द्रय संयम, ती ण बुिद्ध के वामी, भक्त और तेज वी व प की ही मिहमा बताई गई है ।
िजसको बोलने से उपासक को भी वैसी ही ऊजार् प्रा त होती है ।
गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा प थर है जो गोमती नदी मे िमलता है । िविभ न तांित्रक काय तथा असा य रोग म इसका प्रयोग
होता है । असा य रोग को दरु करने तथा मानिसक शाि त प्रा त करने के िलये लगभग 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी म डाल दे ना
चािहऐ। सुबह उस पानी को पी जाना चािहऐ । इससे पेट संबध
ं के िविभ न रोग दरु होते है ।
धन लाभ के िलऐ 11 गोमती चक्र अपने पुजा थान मे रखना चािहऐ उनके सामने ॐ ी नमः का जाप करना चािहऐ। इससे आप जो भी
कायर् करगे उसमे आपका मन लगेगा और सफलता प्रा त होगी । िकसी भी कायर् को उ साह के साथ करने की प्रेरणा िमलेगी।
गोमती चक्र को यिद चांदी अथवा िकसी अ य धातु की िड बी म िसंदरु तथा अक्षत डालकर रख तो ये शीघ्र फलदायक होते है । होली,
दीवाली, तथा नवरात्र आिद पर गोमती चक्र की िवशेष पुजा की जाित है । अ य िविभ न मुहुत के अवसर पर भी इनकी पुजा लाभदायक
मानी जाती है । सवर्िसिद्ध योग तथा रावेपु य योग आिद के समय पज
ु ा करने पर ये बहुत फलदायक है ।
1- यिद घर म भूत-प्रेत का उपद्रव हो तो दो गोमती चक्र लेकर घर के मुिखया के ऊपर घुमाकर आग म डाल द तो घर से भूत-प्रेत का
उपद्रव समा त हो जाता है ।
2- यिद घर म बीमारी हो या िकसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर उसे चांदी म िपरोकर रोगी के पलंग के पाये पर
बांध द। उसी िदन से रोगी को आराम िमलने लगता है ।
3- प्रमोशन नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र लेकर िशव मंिदर म िशविलंग पर चढ़ा द और स चे दय से प्राथर्ना कर। िन चय ही
प्रमोशन के रा ते खुल जाएंगे।
4- यापार विृ द्ध के िलए दो गोमती चक्र लेकर उसे बांधकर ऊपर चौखट पर लटका द और ग्राहक उसके नीचे से िनकले तो िन चय ही
यापार म विृ द्ध होती है ।
5- यिद इस गोमती चक्र को लाल िसंदरू के िड बी म घर म रख तो घर म सुख-शांित बनी रहती है ।
गोमती चक्र----
यिद बीमार यिक्त ठीक नही हो पा रहा हो अथवा दवाइया नही लग रही हो तो उसके िसरहाने पाँच गोमती चक्र "ॐ जूं सः" मंत्र से
अिभमंित्रत करके रखे , रोगी को शीघ्र ही वा य लाभ होगा।
िशव पज
ू ा के इस आसान उपाय से पाएं संद
ु र और गण
ु ी पत्र
ु ----
वैवािहक जीवन की सफलता म संतान सुख भी अहम होता है । संतान सुख पित-प नी ही नहीं कुटुंब और िर त को जोड़ता है । साथ ही
सं कार और परं पराओं को कायम रखता है ।
चूंिक आधुिनक समय म पुत्र-पुत्री का फकर् बेमानी ही है । क्य िक पुत्र के साथ-साथ पुित्रयां भी हर क्षेत्र म सफलताओं को छू रहीं ह। िफर भी
धमर्, परं पराओं और सामािजक र म के चलते आज भी पुत्र कामना हर दं पि त के मन म होती है । िकं तु जब लंबे समय तक िकसी न िकसी
कारण से पुत्र कामना पूरी न हो तो दा प य जीवन म तनाव और कटुता के कारण पैदा होते भी दे खे जाते ह।
- सोमवार के िदन यथासंभव त रख। शाम के वक्त एक समय भोजन कर या उपवास रख।
- सुबह और शाम दोन वक्त पित-प नी नान कर व छ व त्र पहन िशवालय या घर पर ही िशविलंग को पहले जलधारा अिपर्त कर। जल
धारा सुख और संतान दे ने वाली मानी गई है ।
- जलधारा के बाद गंध, अक्षत, सफेद चंदन, सफेद व त्र, पूरा नािरयल, िब वपत्र चढाएं। साथ ही पत्र
ु कामना के िलए िवशेष प से धतूरे के
फूल यथासंभव लाल डंठलवाला धतूरा चढ़ाव। शा त्र के मुतािबक एक लाख फूल चढ़ाने का िवधान है । िकं तु यह संभव न हो तो भाव से
प्रस न होने वाले महादे व को यथाशिक्त धतूरे के फूल इस मंत्र के साथ अिपर्त कर -
- पज
ू ा के बाद पित-प नी दोन िशव तिु त, िशव मंत्र या द्रा टक का पाठ कर।
- आिखर म महादे व से पुत्र कामना पूरी करने की प्राथर्ना कर और प्रसाद ग्रहण कर।
यावहािरक जीवन म समय और गित म तालमेल बनाने वाले साधन म एक है-वाहन। हर इंसान वाहन सख
ु चाहता है । ज रत, काम या
शौक आिद अलग-अलग कारण से हर कोई अपने पास छोटे या बड़े वाहन होने की कामना करता है ।
सांसािरक जीवन की कामनाओं की बात हो तो िह द ू धमर् म भगवान िशव की भिक्त सवर् े ठ मानी गई है । िशव उपासना के िलए सोमवार
का िदन बहुत शभ
ु होता है । अगर आप भी चाहते ह िक आपके पास िनजी वाहन हो तो यहां िशव उपासना के िलए एक ऐसा सरल उपाय
बताया जा रहा है , जो वाहन सुख की कामना को पूरा करता है । जान िशव पूजा की सरल िविध और मंत्र -
धािमर्क मा यताओं म ऐसी िशव पूजा िबना संशय के मनचाहा वाहन दे ने वाली या वाहन सुख म आने वाली बाधा दरू करती है ।
म त्रः- “ ीं क्लीं इ द्रािण, सौभाग्य-दे वते, मघ-वत ्-िप्रये ! सौभाग्यं दे िह मे वाहा ।।”
िविनयोगः- ॐ अ य ीइ द्राणी-म त्र य बह
ृ पित ऋिषः, गायत्री छ दः, ीइ द्राणी दे वता, सवर्-सौभाग्य-प्रा यथ जपे िविनयोगः ।
3. ीिव णु सह नाम म विणर्त िन न चार नामाविल को िदन म अनेक बार या िजतना अिधक स भव हो उतनी बार जप ----
“सह मध
ू ार् िव वा मा सह ाक्षः सह पात ्” ।। २४ ।।
यानः-
चा -च पक-वणार्भां, सवार्ंग-स-ु मनोहराम ् ।
नागे द्र-वािहनीं दे वीं, सवर्-िव या-िवशारदाम ् ।।
।। मल
ू - तोत्र ।।
।। ीनारायण उवाच ।।
नमः िसिद्ध- व पायै, वरदायै नमो नमः । नमः क यप-क यायै, शंकरायै नमो नमः ।।
बालानां रक्षण-क य, नाग-दे यै नमो नमः । नमः आ तीक-मात्रे ते, जरत ्-का य नमो नमः ।।
तपि व यै च योिग यै, नाग- व े नमो नमः । सा यै तप या- पायै, श भ-ु िश ये च ते नमः ।।
।। फल- ुित ।।
इित ते किथतं लि म ! मनसाया तवं महत ् । यः पठित िन यिमदं , ावये वािप भिक्ततः ।।
न त य सपर्-भीितव, िवषोऽ यमत
ृ ं भवित । वंशजानां नाग-भयं, नाि त वण-मात्रतः ।।
हे ल मी ! यह मनसा दे वी का महान ् तोत्र कहा है । जो िन य भिक्त-पूवक
र् इसे पढ़ता या सन
ु ता है – उसे साँप का भय नहीं होता और
िवष भी अमत
ृ हो जाता है । उसके वंश म ज म लेनेवाल को इसके वण मात्र से साँप का भय नहीं होता ।
भगवान की कृपा प्रा त करने के िलए प्राचीन काल से पु प चढ़ाने की परं परा चली आ रही है । पु प के मह व को दे खते हुए शा त्र कुछ
खास िनयम बनाए गए ह िक कैसे फूल भगवान को नहीं चढ़ाने चािहए। यिद िकसी यिक्त ने फूल को सुंघ िलया है तो वह फूल भूलकर भी
भगवान को अिपर्त न कर। इसके अितिरक्त अशुद्ध हाथ से छूने के बाद पु प अपिवत्र हो जाता है । इ ह न चढ़ाएं। भौर से सुंघने से फूल
अपिवत्र नहीं होता वह भगवान को अिपर्त िकया जा सकता है । यिद पज
ू न से पहले फूल को िकसी अपिवत्र बतर्न म रख िदया गया हो तो वे
फूल भी दे वी-दे वताओं को चढ़ाने योग्य नहीं ह। कोई फूल जमीन पर िगर गया है तो उसे भी अिपर्त न कर। पूरी तरह से न िखले फूल को
भी भगवान के समक्ष अिपर्त नहीं करना चािहए। यिद िकसी पु प से कोई बुरी गंध आ रही है या सड़ांध आ रही है तो वह फूल भी पूजन म
शािमल न कर। बाएं हाथ से िकसी भी प्रकार के पु प नहीं चढ़ाने चािहए।
पित-प नी म अनबन होना आम बात है क्य िक जहां प्रेम होता है वहीं तकरार भी होती है । लेिकन कभी-कभी यह छोटी सी तकरार बढ़ा प
ले लेती है । ऐसे म पित-प नी के बीच मनमट
ु ाव अिधक हो जाता है और कई बार इसका पिरणाम पित-प नी के िर ते को भी नक
ु सान पहुंचा
सकता है । इस सम या से बचने के िलए नीचे एक मंत्र िदया गया है । यिद इसका िविध-िवधान से जप िकया जाए तो पित-प नी के बीच
कभी अनबन नहीं होती साथ ही प्रेम और प्रगाढ़ होता जाता है ।
मंत्र-----
अ यौ नौ मधुसक
ं ाशे अनीकं नौ समंजनम ्।
जप िविध----
सुबह ज दी उठकर नान आिद से िनव ृ त होकर एकांत थान पर कुश का आसन लगाकर पूवर् िदशा की ओर मुख करके उस पर बैठ जाएं।
अब सामने मां पावर्ती का िचत्र थािपत कर उसका पूजन कर। इसके बाद इस मंत्र का यथाशिक्त या कम से कम 21 बार जप कर। कुछ ही
िदन म आपको इस मंत्र का असर िदखने लगेगा। अगर िकसी कारणवश आप इस मंत्र का जप नहीं कर सकते तो यह जप िकसी ब्रा मण
वारा भी करवाया जा सकता है ।
जब भी आप िकसी सं था म काम करते ह तो आपकी यही इ छा रहती है िक ज दी से ज दी आपका प्रमोशन हो जाए। इसके िलए आप
मेहनत भी करते ह लेिकन कई बार अथक प्रयास करने से बाद भी प्रमोशन नहीं हो पाता। या िफर आपकी मेहनत का फल िकसी दस
ू रे को
िमल जाता है । यिद आपके साथ भी ऐसा होता है तो नीचे बताए गए यंत्र की पूजा तथा उपाय करने से शीघ्र ही आपका प्रमोशन होगा तथा
ऑिफस म आपका मान-स मान भी बढ़े गा।
उपाय
- यिद बहुत समय से प्रमोशन के योग नहीं बन रहे ह तो िजतने साल आप नौकरी कर चुके ह उतने ही प्राण-प्रिति ठत गोमती चक्र िकसी
सोमवार को िशविलंग पर चढ़ा द।
- प्रितिदन भगवान सूयर् को अघ्र्य द।
- िकसी भी शभ
ु मुहूतर् अथवा रिववार से प्रार भ कर इकतािलस िदन तक नीचे िलखे म त्र से इस यंत्र का पूजन कर। कम से कम एक
माला जप अव य कर।
- इकतािलसवे िदन उक्त म त्र की एक सौ आठ आहुितयां घी म दे कर इस य त्र को िकसी ताबीज म भरकर गले म अथवा बाजु म धारण
कर ल। िनि चत ही आपका प्रमोशन होगा।
वतर्मान समय म डायिबटीज सबसे अिधक होने वाला रोग है । एक अनुमान से मुतािबक दिु नया का हर पांचवा इंसान डायिबटीज से पीिडत
़
है ।
भारत म भी डायिबटीज के रोिगय की संख्या िदन-ब-िदन बढ़ती जा रही है । हालांिक मेिडकल साइंस म इस रोग का सटीक उपचार संभव है
लेिकन यिद साथ-साथ नीचे िलखे उपाय भी िकए जाएं तो इस रोग म शीघ्र लाभ िमलने की संभावना रहती है -
उपाय----
ऋण यानी कजर् से सुख-सुिवधाओं को बंटोरना आसान है , िकं तु उस कजर् को उतार न पाना जीवन के िलए उतनी ही मुि कल भी खड़ी कर
सकता है । िजसके बोझ तले सबल इंसान भी दबकर टूट सकता है । खासतौर पर आज के तेज जीवन को गित दे ने म हर ज रत, शौक व
सुिवधा के िलए कजर् िजंदगी का िह सा बनता जा रहा है । लेिकन कईं अवसर पर कजर् उतारना भारी पड़ जाता है , िजससे उससे िमले सारे
सुख बेमानी हो जाते ह।
यावहािरक जीवन से हटकर अगर धमर्शा त्र की बात पर गौर कर तो मानव जीवन के िलए बताए मातऋ
ृ ण, िपतऋ
ृ ण, गु ऋण जैसे अ य
ऋण भी जीवन म अनेक कतर् य को पूरा करने का ही संदेश दे ते ह। िजनका पूरा न होना सुखी जीवन की कामना म बाधक होता है ।
अगर आप भी यावहािरक जीवन म िलये गए कजर् या शा त्र म बताए सांसािरक जीवन के ज री ऋण से मुिक्त की चाह रखते ह तो
शा त्र म बताया यह धािमर्क उपाय बहुत ही असरदार माना गया है । जान यह उपाय -
िह द ू धमर् म मंगलवार का िदन नवग्रह म एक मंगल उपासना को ऋण दोष मुिक्त के िलए बहुत ही शभ
ु माना गया है । मंगल की उपासना
म यहां बताया जा रहा मंगल त्रोत कु डली के ऋणदोष सिहत कजर् से छुटकारे म भी अचूक माना गया है -
- मंगलवार के िदन नवग्रह मंिदर म मंगल प्रितमा या िलंग प की पूजा म िवशेष तौर पर लाल सामिग्रयां अिपर्त कर इस मंगल त्रोत का
पाठ कर। यथासंभव िन य पाठ ऋण बाधा दरू करने म बहुत ही शभ
ु माना गया है - ----
पज
ू ा-पाठ म हो जाए गलती तो इस मंत्र से मांगे क्षमा-----
जीवन म सुखी रहने, सुख बंटोरने या कायम रखने का सबसे अ छा उपाय माना गया है - क्षमाभाव। क्षमा करना ही नहीं उससे भी यादा
क्षमा का यह सत्र
ू िर त और भिक्त दोन म ही अपार सुख दे ता है । असल म क्षमाभाव जोड़कर रखता है । िर त म इंसान से तो भिक्त म
ई वर से। भिक्त म भाव ही अहम माना गया है , न िक साधन।
़
चंिू क ई वर भिक्त से जड़
ु े कारण म सांसािरक जीवन के द:ु ख से रक्षा भी एक होता है । इसिलए द्धा और आ था से की जाने वाली दे व
उपासना म मानिसक, शारीिरक या बाधा आती है तो सुख की कामना से की गई उपासना म खलल मन को आहत कर संशय से भरता है ।
इस िवशेष क्षमा मंत्र को दे व िवशेष की पूजा, मंत्र जप, आरती के बाद अंत म क्षमा प्राथर्ना के दौरान बोल-
िह द ू धमर् म भगवान गणेश िवघ्रहतार् और बुिद्ध दाता माना गया है । बुिद्ध ही सही और गलत का िनणर्य आसान बनाती है । सही िनणर्य ही
सफलता और ल य के करीब ले जाता है । सफलता यश और स मान दे ने वाली होती है , जो बाहरी और आंतिरक सुख का कारण बनते ह।
इस तरह भगवान गणेश की उपासना सख
ु , सफलता दे ने वाली और द:ु खनाशक है ।
खासतौर पर प्रितयोिगता के इस दौर म धन और साधन संप नता ही नहीं, बि क बुिद्ध बल से कोई भी इंसान अपनी कािबिलयत को सािबत
कर सकता है । वहीं जीवन के किठन दौर से बाहर आना भी बुिद्ध से संभव है। यही कारण है िक शा त्र म बुिद्ध की शिु द्ध और अमंगल से
बचने के िलए भगवान गणेश की उपासना शभ
ु फलदायी मानी गई है ।
बुधवार का िदन भगवान गणेश की उपासना का िवशेष िदन होता है । इसिलए यहां बताए जा रहे ह ी गणेश उपासना के वे मंत्र, िजनम
भगवान गणेश के अद्भत
ु व प और शिक्त का ऐसा यान है, िजनसे मानस और बुिद्ध पिवत्र रहते ह। सुबह और हर मुि कल हालात म
गणेश का यह यान संकटनाशक माना गया है ।
- प्रात: नान कर भगवान गणेश की प्रितमा या त वीर पर लाल चंदन और लाल फूल, दव
ू ार् चढ़ाकर नीचे िलखे गणेश मंत्र का पाठ कर ----
रक्तं लंबोदरं शप
ू क
र् णर्कं रक्तवाससम ्।
आिवभत
ूर् ं च स ृ टयादौ प्रकृते: पु षा परम ्।
उपाय -----
इंटर यू का नाम सुनते ही अ छे अ छ के पसीने छूट जाते ह। हर वक्त यही बात िदमाग म घम
ु ती है िक इंटर यू म क्या प्र न पुछगे।
उनका जबाव दे पाऊंगा या नहीं। इस तरह इंटर यू से पहले ही कई लोग नवर्स हो जाते ह। यिद आप भी इंटर यू दे ने जा रहे ह और उसम
सफलता चाहते ह तो नीचे िलखा उपाय कर-
उपाय----
शभ
ु िदन दे खकर सुबह ज दी उठकर नान आिद करने के बाद सफेद रं ग का सूती आसन िबछाकर पूवर् िदशा की ओर मुख करके उस पर
बैठ जाएं। अब अपने सामने पीला कपड़ा िबछाकर उस पर 108 दान वाली फिटक की माला रख द और इस पर केसर व इत्र िछड़क कर
इसका पूजन कर। इसके बाद धूप, दीप और अगरब ती िदखाकर नीचे िलखे मंत्र का 31 बार उ चारण कर। इस प्रकार ग्यारह िदन तक करने
से वह माला िसद्ध हो जाएगी। जब भी िकसी इंटर यू म जाएं तो इस माला को पहन कर जाएं। ऐसे करने से शीघ्र ही इंटर यू म सफलता
िमलेगी।
मंत्र------
ऊँ लीं वाग्वािदनी भगवती मम कायर् िसिद्ध कु कु फ वाहा।
तंत्र शा त्र के अंतगर्त अनेक सम याओं का समाधान िनिहत है। यह साधारण तंत्र उपाय ज दी ही शभ
ु पिरणाम दे ते ह। यिद इस संबंध
आपकी कोई िजज्ञासा हो तो आप हम पछ
ु सकते ह। आप अपनी िजज्ञासा हम कमट बॉक्स म िलखकर पो ट कर। हम आपके प्र न का
उ तर दे ने का प्रय न करगे।
वैसे तो झाड़ू साफ-सफाई करने के काम आती है लेिकन शा त्र के अनुसार इसे धन की दे वी महाल मी का प माना जाता है । इसी वजह से
झाड़ू के संबंध म कई खास बात बताई गई ह। इन बात को अपनाने से हमारे जीवन म धन संबध
ं ी कई परे शािनयां वत: ही दरू हो जाती
अक्सर कई घर म ऐसा दे खा जाता है िक झाड़ू पर पैर लगने के बाद उसे प्रणाम करते हुए क्षमा मांगी जाती है , क्य िक झाड़ू को ल मी का
प माना जाता है । िव वान के अनुसार झाड़ू पर पैर लगने से महाल मी का अनादर होता है । झाड़ू घर का कचरा बाहर करती है और कचरे
को दिरद्रता का प्रतीक माना जाता है । िजस घर म पूरी साफ-सफाई रहती है वहां धन, संपि त और सुख-शांित रहती है । इसके िवपिरत जहां
गंदगी रहती है वहां दिरद्रता का वास होता है । ऐसे घर म रहने वाले सभी सद य को कई प्रकार की आिथर्क परे शािनय का सामना करना
पड़ता है । इसी कारण घर को पूरी तरह साफ रखने पर जोर िदया जाता है तािक घर की दिरद्रता दरू हो सके और महाल मी की कृपा प्रा त
हो सके।
घर से दिरद्रता पी कचरे को दरू करके झाड़ू यािन महाल मी हम धन-धा य, सुख-संपि त प्रदान करती है । जब घर म झाड़ू का कायर् न हो
तब उसे ऐसे थान पर रखा जाता है जहां िकसी की नजर न पड़े। इसके अलावा झाड़ू को अलग रखने से उस पर िकसी का पैर नहीं लगेगा
िजससे दे वी महाल मी का िनरादर नहीं होगा। घर म झाड़ू को हमेशा छुपाकर ही रखना चािहए।
क्य िकया जाता है परे शािनयां दरू करने के िलए िमठाई का दान????
कहते ह सुख और दख
ु धूप व छांव की तरह होते ह। इसीिलए जीवन कभी ि थर नहीं रहता है । हमेशा जीवन म उतार चढ़ाव आते रहते ह
लेिकन कुछ लोग का जीवन हमेशा दख
ु व परे शािनय से भरा ही रहता है जब वे अपने आसपास दस
ू रे लोग को दे खते ह तो उनके मन म
यही बात आती है िक क्या हमारी िक मत म भगवान ने सुख नहीं िलखा है । दरअसल ऐसे लोग के जीवन म कावटे या परे शािनयां आने
का एक सबसे बड़ा कारण िपतद
ृ ोष भी है । योितष के अनुसार ऐसी मा यता है िक िपतद
ृ ोष वाले यिक्त को हमेशा कोई ना कोई परे शानी
घेरे रहती है । इसीिलए िपतद
ृ ोष दरू करने के िलए इसके उपाय करने भी ज री है ।
इसीिलए योितष के अनुसार गरीब लोग को चावल का दान करना या ब च को सफेद िमठाई दान करने से िपतद
ृ ोष दरू होता है क्य िक
सफेद रं ग को िपत ृ का कारक माना गया है दरअसल िपत ृ का रं ग योितष के अनुसार सफेद माना गया है । इसीिलए कहा जाता है िक
िपतद
ृ ोष होने पर सपने म सफेद रं ग के सांप िदखाई दे ते ह। इसीिलए ऐसी मा यता है िक सफेद िमठाई या चावल के दान से िपतद
ृ ोष दरू
होते है ।
- आपके घर या द तर म आपकी नेम लेट आगुंतको को सप ट प से नजर आनी चािहए। कैिरयर म सफलता के िलए नेम लेट पर रात के
वक्त रोशनी डाल।
- रोज सुबह उगते सुरज हाथ म जल लेकर उ जवल भिव य के िलए संक प कर और ई वर से अपने शिक्त और साम य म विृ द्ध के िलए
प्राथर्ना कर।
- कैिरयर सौभाग्य विृ द्ध के िलए घर के आंगन म तुलसी पौधा लगाएं।
- कैिरयर म सफलता प्राि त के िलए उ तर िदशा म जंिपंग िफश, डॉि फन या मछािलय के जोड़े का प्रतीक िच ह लगाए जाने चािहए। इससे
न केवल बेहतर कैिरयर की ही प्राि त होती है बि क यिक्त की बौिद्धक क्षमता भी बढ़ती है ।
यिद आप आिथर्क सम या से परे शान हे तो कही आप अनजाने म िन न कायर् तो नहीं कर रहे हे न....
०१.--खाना खाने बाद (भोजन करने के बाद)..आप उस थाली/ लेट म हाथ तो नहीं थोते हे ..यिद हां तो .. लीज़. इस आदत को तुरंत छोड़
दीिजये...
०२.-अपने पेन/कलम से अपनी हथेली पर कोई सूचना/ जानकारी तो नहीं िलखते हे ..कागज के अभाव म...यिद हां तो .. लीज...इस आदत को
भी तुरंत छोड़ दीिजये...
०३. आपके रसोई घर म झूंठे बरतन तो नहीं रखे जाते हे न..िवशेषकर रात म..यिद हा तो लीज..इस आदत को भी छोड़ने की कोिशश
कर...शानदार/ चम कािरक पिरणाम ..शीघ्र प्रा त ह गे...
य सानब
ु ध
ं ेऽसित दे हगेहे ममाहिम यढ
ू दरु ाग्रहाणाम ् ।
पुंसां सुदरू ं वसतोऽिप पुयार्ं भजेम त ते भगव पदा जम ् ॥
त ते वयं लोकिससक्ष
ृ याऽ य वयानुस टाि त्रिभरा मिभः म ।
सव िवयुक्ताः विवहारतंत्रं न शक्नुम त प्रितहतर्वे ते ॥
िजंदगी म सफलता पाना हर िकसी की ख्वािहश होती है । लेिकन िसफर् चाहने मात्र से ही कोई इ छा परू ी हो जाती तो िफर क्या था। कड़ी
मेहनत, गुड लक, अपन का साथ, अ छा माहोल..... और भी न जाने िकतने ही पहलू होते ह जो िकसी की सफलता या असफलता म अहम ्
भूिमका िनभाते ह।
एक बात पर िकसी को भी शक नहीं है िक जीवन म बड़ी सफलता के िलये शरीर की बजाय िदमाग का ही ू र् योगदान होता
यादा मह वपण
है । हर कामयाबी म अ छी या ा त यानी मजबूत मरण शिक्त का प्रमुख हाथ होता है । िजनकी मेमोरी िजतनी यादा पॉवरफुल होती है , वह
जीवन म भूलना, गुमना, चले जाना, बलात ले लेना अथवा लेने के बाद कोई भी व तु वापस नहीं िमलना ऐसी घटनाएँ वाभािवक प से
घिटत होती रहती है । ऐसी ि थित म कातर्िवयार्जन
ुर् राजा जो है हय वंश के थे तथा भगवान िव णु के सद
ु शर्न चक्र के अवतार माने जाते ह,
इनकी साधना करने से इस प्रकार की सम या से तुरंत मुिक्त िमल जाती है ।
उनकी साधना के िलए दीपक लगाकर पूवर् अथवा उ तर िदशा की अओर मँह
ु करके बैठ कर अपनी कामना को उ चारण कर भगवान िव णु
के सद
ु शर्न चक्रधारी प का यान कर। चक्र को रक्त वणर् म याएँ एवं इस मंत्र का िव वासपव
ू क
र् जप कर।
मंत्र :- ॐ ीं कातर्िवयार्जन
ुर् ो नाम राजा बाहु सह त्रवान।
य य मरे ण मात्रेण तं न टं च ल यते।।
ल मी को बल
ु ावा है , शाम को यह मंत्र बोल दीपक लगाना...!!!
शा त्र के मत
ु ािबक ऐसे ही पु यकाल म धन और ऐ वयर् की दे वी िव णु प नी ल मी भ्रमण पर िनकलती है । इसिलए घर-पिरवार से कलह,
दिरद्रता, रोग या आिथर्क तंगहाली को दरू करने के िलए ऐसे वक्त घर म दीप लगाना बहुत ही शभ
ु होता है । पिवत्रता और प्रकाश खुशहाली
का ही प्रतीक होता है । मा यता है िक ऐसे थान और दीप योित से माता ल मी प्रस न होकर वहीं वास करने लगती है । पिरवार धन की
कमी से नहीं जझ
ू ता।
सायंकाल के वक्त यह मंत्र बोल घर के दे वालय या पिवत्र थान पर अक्षत यानी पूरे चावल पर रख माता ल मी या दे व मरण कर दीपक
प्र विलत कर -
शभ
ु ं करोतु क याणमारोग्यं सुखस पदम ्।
शत्रब
ु ुिद्धिवनाशाय च दीप योितनर्मो तु ते।।
वा तु टोटके-----
मकान या फैक्ट्री खरीदते समय यान दे की वह यिक्त िकस कारण से घर बेच रहा है | अगर वो इसे बदल कर बड़े घर म जा रहा है या
बड़ी फैक्ट्री लगा रहा है तो ही उस भवन को ख़रीदे , अगर वो ऋण ग्र त है या िनसंतान है उजाड़ कर भवन बेच कर जा रहा है तो ऐसे
यिक्त का भवन िकतना ही स ता क्यूँ न िमलता हो न ख़रीदे |
4. पुराना सामान इ तेमाल न करे |
कभी भी नया भवन बनाते समय पुराने सामान का इ तेमाल न करे जैसे ईट दरवाजे िखड़की आिद|
5. अपने मुख्य वार गेट के बाहर ग दा पानी न खडा होने दे |
6. फैक्ट्री का गोदाम कहाँ हो तैयार माल कहाँ रख ?
तैयार माल रा मटे िरअल दिक्षन पि चम म रखना चािहये , और कबाड़ आिद भी यही रख |
7. लेबर क्वाटर् र ?
उ तर पिशम म ठीक है भल
ू कर भी उ ह दिक्षण पि चम म न िबठाएं नहीं तो लेबर आप के ऊपर हावी रहे गी |
8. अंडर ग्राउं ड भूतल |
फैक्ट्री या घर म कभी भी पूरा का पूरा अंडर ग्राउं ड हाल न बनाएं हमेशां 1/3 ही बनाये वो भी उ तर पूवर् िदशा की और |भूतल का परवेश
वार उ तर पव
ू र् की और से हो|
भूतल भवन यान पूजा हवन आिद कय के िलए सही होता है | भूतल को सफ़ेद रं ग से रं ग |दिक्षण पि चम म बना हुआ भूतल फैक्ट्री के
माल को ड प करे गा, गलत ब्रांड बनेगे और गह
ृ वामी भरी मुसीबत म फंसे गा, ऐसी जगह पर 2 नंबर के काम यादा होते है |
9. मािलक का कमरा
हमेशां दिक्षन पि चम म होना चािहए और उसे पूरा ढक कर रखना चािहए यािन केिबन नुमा बना लेना चािहए एक बात यान रहे की
मािलक की चेयर / कुसीर् बीम के नीचे नहीं आनी चािहए |
ु िकधर हो?
10. दान या कजार् दे ते समय मँह
दान दे ते समय हमेशां मँह
ु पूवर् या उ तर की ओर हो! कजर् या उधार पैसा दे ते समय भी मँह
ु पूवर् या उ तर की ओर हो|
101 अचक
ू टोटके-----
बुिद्ध और ज्ञान----
१. माघ मास की कृ णपक्ष अ टमी के िदन को पव
ू ार्षाढ़ा नक्षत्र म अद्धर्राित्र के समय रक्त च दन से अनार की कलम से “ॐ वीं´´ को
भोजपत्र पर िलख कर िन य पूजा करने से अपार िव या, बुिद्ध की प्राि त होती है ।
४॰ ी गो वामी तुलसीदास िवरिचत “अित्रमुिन वारा ीराम तुित´´ का िन य पाठ कर। िन न छ द अर यका ड म विणर्त है ।
`मानस पीयूष´ के अनुसार यह `राम चिरत मानस की नवीं तुित है और नक्षत्र म नवाँ नक्षत्र आ लेषा (नक्षत्र वामी-बुध) है । अत: जीवन
म िजनको सव च आसन पर जाने की कामना हो, वे इस तोत्र को भगवान ् ीराम / रामायणी हनुमान के िचत्र या मूितर् के समक्ष बैठकर
िन य पढ़।
।। ीअित्र-मुिन वाच।।
नमािम भक्त-व सलं, कृपालु-शील-कोमलम ्।
भजािम ते पदा बज
ु ,ं अकािमनां व-धामदम ्।।1
िनकाम- याम-सु दरं , भवा बु-नाथ म दरम ्।
प्रफु ल-कंज-लोचनं, मदािद-दोष-मोचनम ्।।2
प्रल ब-बाहु-िवक्रमं, प्रभो•प्रमेय-वैभवम ्।
िनषंग-चाप-सायकं, धरं ित्रलोक-नायकम ्।।3
िदनेश-वंश-म डनम ्, महे श-चाप-ख डनम ्।
मन
ु ी द्र-स त-रं जनम ्, सरु ािर-व ृ द-भंजनम ्।।4
मनोज-वैिर-वि दतं, अजािद-दे व-सेिवतम ्।
िवशद्ध
ु -बोध-िवग्रहं , सम त-दष
ू णापहम ्।।5
नमािम इि दरा-पितं, सख
ु ाकरं सतां गितम ्।
भजे स-शिक्त सानुज,ं शची-पित-िप्रयानुजम ्।।6
वदं िघ्र-मूलं ये नरा:, भजि त हीन-म सरा:।
पति त नो भवाणर्वे, िवतकर्-वीिच-संकुले।।7
िविवक्त-वािसन: सदा, भजि त मुक्तये मुदा।
िनर य इि द्रयािदकं, प्रयाि त ते गितं वकम ्।।8
तमेकमद्भत
ु ं प्रभ,ुं िनरीहमी वरं िवभुम ्।
जग -गु ं च शा वतं, तुरीयमेव केवलम ्।।9
भजािम भाव-व लभं, कु-योिगनां सु-दल
ु भर्म ्।
वभक्त-क प-पादपं, समं स-ु से यम हवम ्।।10
अनूप- प-भूपितं, नतोऽहमुिवर्जा-पितम ्।
हे भक्तव सल ! हे कृपालु ! हे कोमल वभाववाले ! म आपको नम कार करता हू¡। िन काम पु ष को अपना परमधाम दे नेवाले आपके
चरणकमल को म भजता हू¡।
आप िनता त सु दर याम, संसार (आवागमन) पी समुद्र को मथने के िलये म दराचल प, फूले हुए कमल के समान नेत्र वाले और मद
आिद दोष से छुड़ाने वाले ह।
हे प्रभो ! आपकी ल बी भुजाओं का पराक्रम और आपका ऐ वयर् अप्रमेय (बुिद्ध के परे ) है । आप तरकस और धनुष-बाण धारण करने वाले
तीन लोक के वामी ह।
सूयव
र् ंश के भूषण, महादे व जी के धनुष को तोड़ने वाले, मुिनराज और स त को आन द दे ने वाले तथा दे वताओं के शत्रु असुर के समूह का
नाश करने वाले ह।
आप कामदे व के शत्रु महादे व जी के वारा वि दत, ब्र मा आिद दे वताओं से सेिवत, िवशद्ध
ु ज्ञानमय िवग्रह और सम त दोष को न ट करने
वाले ह।
हे ल मीपते ! हे सुख की खान और स पु ष की एकमात्र गित ! म आपको नम कार करता हू¡। हे शचीपित (इ द्र) के िप्रय छोटे भाई
(वामनजी) ! शिक्त- व पा ीसीताजी और छोटे भाई ल मणजी सिहत आपको म भजता हू¡।
जो मनु य म सर (डाह) रिहत होकर आपके चरणकमल का सेवन करते ह, वे तकर्-िवतकर् (अनेक प्रकार के स दे ह) पी तरं ग से पण
ू र् संसार
पी समुद्र म नहीं िगरते।
जो एका तवासी पु ष मुिक्त के िलये, इि द्रयािद का िनग्रह करके (उ ह िवषय से हटाकर) प्रस नतापूवक
र् आपको भजते ह, वे वकीय गित
को (अपने व प को) प्रा त होते ह।
उन (आप) को जो एक (अ िवतीय), अद्भत
ू (माियक जगत ् म िवलक्षण), प्रभु (सवर्समथर्), इ छारिहत, ई वर (सबके वामी), यापक, जग गु ,
सनातन (िन य), तुरीय (तीन गण
ु से सवर्था परे ) और केवल (अपने व प म ि थत) ह।
(तथा) जो भाविप्रय, कुयोिगय (िवषयी पु ष ) के िलये अ य त दल
ु भ
र् , अपने भक्त के िलये क पवक्ष
ृ , सम और सदा सख
ु पव
ू क
र् सेवन करने
योग्य ह, म िनर तर भजता हू¡।
हे अनुपम सु दर ! हे प ृ वीपित ! हे जानकीनाथ ! म आपको प्रणाम करता हू¡। मझ
ु पर प्रस न होइये, म आपको नम कार करता हू¡। मुझे
अपने चरणकमल की भिक्त दीिजये।
जो मनु य इस तुित को आदरपूवक
र् पढ़ते ह, वे आपकी भिक्त से युक्त होकर आपके परमपद को प्रा त होते ह, इसम स दे ह नहीं है ।
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3॰ के हुए काय की िसिद्ध के िलए यह प्रयोग बहुत ही लाभदायक है । गणेश चतुथीर् को गणेश जी का ऐसा िचत्र घर या दक
ु ान पर लगाएं,
िजसम उनकी सड
ूं दायीं ओर मुड़ी हुई हो। इसकी आराधना कर। इसके आगे ल ग तथा सुपारी रख। जब भी कहीं काम पर जाना हो, तो एक
ल ग तथा सुपारी को साथ ले कर जाएं, तो काम िसद्ध होगा। ल ग को चूस तथा सप
ु ारी को वापस ला कर गणेश जी के आगे रख द तथा
जाते हुए कह `जय गणेश काटो कलेश´।
4॰ सरकारी या िनजी रोजगार क्षेत्र म पिर म के उपरांत भी सफलता नहीं िमल रही हो, तो िनयमपूवक
र् िकये गये िव णु यज्ञ की िवभूित ले
कर, अपने िपतर की `कुशा´ की मूितर् बना कर, गंगाजल से नान कराय तथा यज्ञ िवभूित लगा कर, कुछ भोग लगा द और उनसे कायर् की
सफलता हे तु कृपा करने की प्राथर्ना कर। िकसी धािमर्क ग्रंथ का एक अ याय पढ़ कर, उस कुशा की मूितर् को पिवत्र नदी या सरोवर म
प्रवािहत कर द। सफलता अव य िमलेगी। सफलता के प चात ् िकसी शभ
ु कायर् म दानािद द।
5॰ यापार, िववाह या िकसी भी कायर् के करने म बार-बार असफलता िमल रही हो तो यह टोटका कर- सरस के तैल म िसके गेहूँ के आटे व
पुराने गुड़ से तैयार सात पूये, सात मदार (आक) के पु प, िसंदरू , आटे से तैयार सरस के तैल का ई की ब ती से जलता दीपक, प तल या
अर डी के प ते पर रखकर शिनवार की राित्र म िकसी चौराहे पर रख और कह -“हे मेरे दभ
ु ार्ग्य तझ
ु े यहीं छोड़े जा रहा हूँ कृपा करके मेरा
पीछा ना करना।´´ सामान रखकर पीछे मुड़कर न दे ख।
6॰ िस दरू लगे हनुमान जी की मूितर् का िस दरू लेकर सीता जी के चरण म लगाएँ। िफर माता सीता से एक वास म अपनी कामना
िनवेिदत कर भिक्त पव र् प्रणाम कर वापस आ जाएँ। इस प्रकार कुछ िदन करने पर सभी प्रकार की बाधाओं का िनवारण होता है ।
ू क
7॰ िकसी शिनवार को, यिद उस िदन `सवार्थर् िसिद्ध योग’ हो तो अित उ तम सांयकाल अपनी ल बाई के बराबर लाल रे शमी सूत नाप ल।
िफर एक प ता बरगद का तोड़। उसे व छ जल से धोकर प छ ल। तब प ते पर अपनी कामना पी नापा हुआ लाल रे शमी सूत लपेट द
और प ते को बहते हुए जल म प्रवािहत कर द। इस प्रयोग से सभी प्रकार की बाधाएँ दरू होती ह और कामनाओं की पिू तर् होती है ।
8॰ रिववार पु य नक्षत्र म एक कौआ अथवा काला कु ता पकड़े। उसके दाएँ पैर का नाखून काट। इस नाखून को ताबीज म भरकर, धूपदीपािद
से पूजन कर धारण कर। इससे आिथर्क बाधा दरू होती है । कौए या काले कु ते दोन म से िकसी एक का नाखून ल। दोन का एक साथ
प्रयोग न कर।
9॰ प्र येक प्रकार के संकट िनवारण के िलये भगवान गणेश की मूितर् पर कम से कम 21 िदन तक थोड़ी-थोड़ी जािवत्री चढ़ावे और रात को
सोते समय थोड़ी जािवत्री खाकर सोवे। यह प्रयोग 21, 42, 64 या 84 िदन तक कर।
10॰ अक्सर सन
ु ने म आता है िक घर म कमाई तो बहुत है , िक तु पैसा नहीं िटकता, तो यह प्रयोग कर। जब आटा िपसवाने जाते ह तो
उससे पहले थोड़े से गहू म 11 प ते तुलसी तथा 2 दाने केसर के डाल कर िमला ल तथा अब इसको बाकी गहू म िमला कर िपसवा ल। यह
िक्रया सोमवार और शिनवार को कर। िफर घर म धन की कमी नहीं रहे गी।
11॰ आटा िपसते समय उसम 100 ग्राम काले चने भी िपसने के िलय डाल िदया कर तथा केवल शिनवार को ही आटा िपसवाने का िनयम
बना ल।
14॰ सं या समय सोना, पढ़ना और भोजन करना िनिषद्ध है । सोने से पूवर् पैर को ठं डे पानी से धोना चािहए, िक तु गीले पैर नहीं सोना
चािहए। इससे धन का क्षय होता है ।
15॰ राित्र म चावल, दही और स तू का सेवन करने से ल मी का िनरादर होता है । अत: समिृ द्ध चाहने वाल को तथा िजन यिक्तय को
आिथर्क क ट रहते ह , उ ह इनका सेवन राित्र भोज म नहीं करना चािहये।
16॰ भोजन सदै व पूवर् या उ तर की ओर मुख कर के करना चािहए। संभव हो तो रसोईघर म ही बैठकर भोजन कर इससे राहु शांत होता है ।
जत
ू े पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चािहए।
18॰ घर म दे वी-दे वताओं पर चढ़ाये गये फूल या हार के सूख जाने पर भी उ ह घर म रखना अलाभकारी होता है ।
19॰ अपने घर म पिवत्र निदय का जल संग्रह कर के रखना चािहए। इसे घर के ईशान कोण म रखने से अिधक लाभ होता है ।
21॰ `दे व सखा´ आिद 18 पुत्रवगर् भगवती ल मी के कहे गये ह। इनके नाम के आिद म और अ त म `नम:´ लगाकर जप करने से अभी ट
धन की प्राि त होती है । यथा – ॐ दे वसखाय नम:, िचक्लीताय, आन दाय, कदर् माय, ीप्रदाय, जातवेदाय, अनरु ागाय, स वादाय, िवजयाय,
व लभाय, मदाय, हषार्य, बलाय, तेजसे, दमकाय, सिललाय, गुग्गुलाय, ॐ कु टकाय नम:।
22॰ िकसी कायर् की िसिद्ध के िलए जाते समय घर से िनकलने से पूवर् ही अपने हाथ म रोटी ले ल। मागर् म जहां भी कौए िदखलाई द, वहां
उस रोटी के टुकड़े कर के डाल द और आगे बढ़ जाएं। इससे सफलता प्रा त होती है ।
23॰ िकसी भी आव यक कायर् के िलए घर से िनकलते समय घर की दे हली के बाहर, पूवर् िदशा की ओर, एक मुट्ठी घुघंची को रख कर अपना
कायर् बोलते हुए, उस पर बलपूवक
र् पैर रख कर, कायर् हे तु िनकल जाएं, तो अव य ही कायर् म सफलता िमलती है ।
24॰ अगर िकसी काम से जाना हो, तो एक नींबू ल। उसपर 4 ल ग गाड़ द तथा इस मंत्र का जाप कर : `ॐ ु ते नम:´। 21 बार जाप
ी हनम
करने के बाद उसको साथ ले कर जाएं। काम म िकसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी।
25॰ चुटकी भर हींग अपने ऊपर से वार कर उ तर िदशा म फक द। प्रात:काल तीन हरी इलायची को दाएँ हाथ म रखकर “ ीं ीं´´ बोल,
उसे खा ल, िफर बाहर जाए¡।
26॰ िजन यिक्तय को लाख प्रय न करने पर भी वयं का मकान न बन पा रहा हो, वे इस टोटके को अपनाएं।
प्र येक शक्र
ु वार को िनयम से िकसी भूखे को भोजन कराएं और रिववार के िदन गाय को गुड़ िखलाएं। ऐसा िनयिमत करने से अपनी अचल
27॰ यह प्रयोग नवराित्र के िदन म अ टमी ितिथ को िकया जाता है । इस िदन प्रात:काल उठ कर पूजा थल म गंगाजल, कुआं जल, बोिरंग
जल म से जो उपल ध हो, उसके छींटे लगाएं, िफर एक पाटे के ऊपर दग
ु ार् जी के िचत्र के सामने, पूवर् म मुंह करते हुए उस पर 5 ग्राम
िसक्के रख। साबत
ु िसक्क पर रोली, लाल च दन एवं एक गुलाब का पु प चढ़ाएं। माता से प्राथर्ना कर। इन सबको पोटली बांध कर अपने
ग ले, संदक
ू या अलमारी म रख द। यह टोटका हर 6 माह बाद पुन: दोहराएं।
28॰ घर म समिृ द्ध लाने हे तु घर के उ तरपि चम के कोण (वाय य कोण) म सु दर से िमट्टी के बतर्न म कुछ सोने-चांदी के िसक्के, लाल
कपड़े म बांध कर रख। िफर बतर्न को गेहूं या चावल से भर द। ऐसा करने से घर म धन का अभाव नहीं रहे गा।
29॰ यिक्त को ऋण मुक्त कराने म यह टोटका अव य सहायता करे गा : मंगलवार को िशव मि दर म जा कर िशविलंग पर मसरू की दाल
“ॐ ऋण मुक्ते वर महादे वाय नम:´´ मंत्र बोलते हुए चढ़ाएं।
30॰ िजन यिक्तय को िनर तर कजर् घेरे रहते ह, उ ह प्रितिदन “ऋणमोचक मंगल तोत्र´´ का पाठ करना चािहये। यह पाठ शक्
ु ल पक्ष के
प्रथम मंगलवार से शु करना चािहये। यिद प्रितिदन िकसी कारण न कर सक, तो प्र येक मंगलवार को अव य करना चािहये।
31॰ सोमवार के िदन एक ु ाब के फूल, 1 चांदी का प ता, थोड़े से चावल तथा थोड़ा सा गड़
माल, 5 गल ु ल। िफर िकसी िव णु ल मी जी के
िम दर म जा कर मूि तर् के सामने माल रख कर शेष व तुओं को हाथ म लेकर 21 बार गायत्री मंत्र का पाठ करते हुए बारी-बारी इन
व तुओं को उसम डालते रह। िफर इनको इकट्ठा कर के कह की `मेरी परे शािनयां दरू हो जाएं तथा मेरा कजार् उतर जाए´। यह िक्रया आगामी
7 सोमवार और कर। कजार् ज दी उतर जाएगा तथा परे शािनयां भी दरू हो जाएंगी।
34॰ कजर्-मुिक्त के िलये “गजे द्र-मोक्ष´´ तोत्र का प्रितिदन सूय दय से पूवर् पाठ अमोघ उपाय है ।
33॰ अगर िनर तर कजर् म फँसते जा रहे ह , तो मशान के कुएं का जल लाकर िकसी पीपल के वक्ष
ृ पर चढ़ाना चािहए। यह 6 शिनवार
िकया जाए, तो आ चयर्जनक पिरणाम प्रा त होते ह।
36॰ घर म बार-बार धन हािन हो रही हो त वीरवार को घर के मुख्य वार पर गुलाल िछड़क कर गुलाल पर शद्ध
ु घी का दोमुखी (दो मुख
वाला) दीपक जलाना चािहए। दीपक जलाते समय मन ही मन यह कामना करनी चािहए की `भिव य म घर म धन हािन का सामना न
करना पड़े´। जब दीपक शांत हो जाए तो उसे बहते हुए पानी म बहा दे ना चािहए।
37॰ काले ितल पिरवार के सभी सद य के िसर पर सात बार उसार कर घर के उ तर िदशा म फक द, धनहािन बंद होगी।
39॰ अगर आप सुख-समिृ द्ध चाहते ह, तो आपको पके हुए िमट्टी के घड़े को लाल रं ग से रं गकर, उसके मुख पर मोली बांधकर तथा उसम
जटायुक्त नािरयल रखकर बहते हुए जल म प्रवािहत कर दे ना चािहए।
40॰ अखंिडत भोज पत्र पर 15 का यंत्र लाल च दन की याही से मोर के पंख की कलम से बनाएं और उसे सदा अपने पास रख।
41॰ यिक्त जब उ नित की ओर अग्रसर होता है , तो उसकी उ नित से ई यार्ग्र त होकर कुछ उसके अपने ही उसके शत्रु बन जाते ह और
उसे सहयोग दे ने के थान पर वे ही उसकी उ नित के मागर् को अव द्ध करने लग जाते ह, ऐसे शत्रओ
ु ं से िनपटना अ यिधक किठन होता है ।
ऐसी ही पिरि थितय से िनपटने के िलए प्रात:काल
सात बार हनुमान बाण का पाठ कर तथा हनुमान जी को ल डू का भोग लगाए¡ और पाँच ल ग पूजा थान म दे शी कपरूर् के साथ जलाएँ।
िफर भ म से ितलक करके बाहर जाए¡। यह प्रयोग आपके जीवन म सम त शत्रओ
ु ं को परा त करने म सक्षम होगा, वहीं इस यंत्र के
मा यम से आप अपनी मनोकामनाओं की भी पूितर् करने म सक्षम ह गे।
42॰ क ची धानी के तेल के दीपक म ल ग डालकर हनुमान जी की आरती कर। अिन ट दरू होगा और धन भी प्रा त होगा।
43॰ अगर अचानक धन लाभ की ि थितयाँ बन रही हो, िक तु लाभ नहीं िमल रहा हो, तो गोपी च दन की नौ डिलयाँ लेकर केले के वक्ष
ृ पर
टाँग दे नी चािहए। मरण रहे यह च दन पीले धागे से ही बाँधना है ।
46॰ अगर आप अमाव या के िदन पीला ित्रकोण आकृित की पताका िव णु मि दर म ऊँचाई वाले थान पर इस प्रकार लगाएँ िक वह
लहराता हुआ रहे , तो आपका भाग्य शीघ्र ही चमक उठे गा। झंडा लगातार वहाँ लगा रहना चािहए। यह अिनवायर् शतर् है ।
48॰ एक नािरयल पर कािमया िस दरू , मोली, अक्षत अिपर्त कर पूजन कर। िफर हनुमान जी के मि दर म चढ़ा आएँ। धन लाभ होगा।
ृ की जड़ म तेल का दीपक जला द। िफर वापस घर आ जाएँ एवं पीछे मुड़कर न दे ख। धन लाभ होगा।
49॰ पीपल के वक्ष
52॰ प्र येक मंगलवार को 11 पीपल के प ते ल। उनको गंगाजल से अ छी तरह धोकर लाल च दन से हर प ते पर 7 बार राम िलख। इसके
52॰ भाद्रपद मास के कृ णपक्ष भरणी नक्षत्र के िदन चार घड़ म पानी भरकर िकसी एका त कमरे म रख द। अगले िदन िजस घड़े का पानी
कुछ कम हो उसे अ न से भरकर प्रितिदन िविधवत पज
ू न करते रह। शेष घड़ के पानी को घर, आँगन, खेत आिद म िछड़क द। अ नपण
ू ार्
दे वी सदै व प्रस न रहे गीं।
53॰ िकसी शभ
ु कायर् के जाने से पहले -
रिववार को पान का प ता साथ रखकर जाय।
सोमवार को दपर्ण म अपना चेहरा दे खकर जाय।
मंगलवार को िम ठान खाकर जाय।
बध
ु वार को हरे धिनये के प ते खाकर जाय।
गु वार को सरस के कुछ दाने मुख म डालकर जाय।
शक्र
ु वार को दही खाकर जाय।
शिनवार को अदरक और घी खाकर जाना चािहये।
54॰ िकसी भी शिनवार की शाम को माह की दाल के दाने ल। उसपर थोड़ी सी दही और िस दरू लगाकर पीपल के वक्ष
ृ के नीचे रख द और
िबना मुड़कर दे खे वािपस आ जाय। सात शिनवार लगातार करने से आिथर्क समिृ द्ध तथा खुशहाली बनी रहे गी।
वा य के िलये टोटके----
1॰ सदा व थ बने रहने के िलये राित्र को पानी िकसी लोटे या िगलास म सुबह उठ कर पीने के िलये रख द। उसे पी कर बतर्न को उ टा
रख द तथा िदन म भी पानी पीने के बाद बतर्न (िगलास आिद) को उ टा रखने से यकृत स ब धी परे शािनयां नहीं होती तथा यिक्त सदै व
व थ बना रहता है ।
2॰ दय िवकार, रक्तचाप के िलए एकमुखी या सोलहमुखी द्राक्ष े ठ होता है । इनके न िमलने पर ग्यारहमुखी, सातमुखी अथवा पांचमुखी
द्राक्ष का उपयोग कर सकते ह। इि छत द्राक्ष को लेकर ावण माह म िकसी प्रदोष त के िदन, अथवा सोमवार के िदन, गंगाजल से
नान करा कर िशवजी पर चढाएं, िफर स भव हो तो द्रािभषेक कर या िशवजी पर “ॐ नम: िशवाय´´ बोलते हुए दध
ू से अिभषेक कराएं।
3॰ िजन लोग को 1-2 बार िदल का दौरा पहले भी पड़ चुका हो वे उपरोक्त प्रयोग संख्या 2 कर तथा िन न प्रयोग भी कर :-
एक पाचंमुखी द्राक्ष, एक लाल रं ग का हकीक, 7 साबुत (डंठल सिहत) लाल िमचर् को, आधा गज लाल कपड़े म रख कर यिक्त के ऊपर से
21 बार उसार कर इसे िकसी नदी या बहते पानी म प्रवािहत कर द।
4॰ िकसी भी सोमवार से यह प्रयोग कर। बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद ल। रिववार शाम 5 फूल, आधा कप पानी म साफ कर के
िभगो द। सोमवार को प्रात: उठ कर फूल को िनकाल कर फक द तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। िजस पात्र म पानी पीएं, उसे उ टा कर के
रख द। कुछ ही िदन म आ चयर्जनक वा य लाभ अनुभव करगे।
5॰ घर म िन य घी का दीपक जलाना चािहए। दीपक जलाते समय लौ पूवर् या दिक्षण िदशा की ओर हो या दीपक के म य म (फूलदार
बाती) बाती लगाना शभ
ु फल दे ने वाला है ।
6॰ राित्र के समय शयन कक्ष म कपूर जलाने से बीमािरयां, द:ु वपन नहीं आते, िपत ृ दोष का नाश होता है एवं घर म शांित बनी रहती है ।
7॰ पूिणर्मा के िदन चांदनी म खीर बनाएं। ठं डी होने पर च द्रमा और अपने िपतर को भोग लगाएं। कुछ खीर काले कु त को दे द। वषर् भर
पूिणर्मा पर ऐसा करते रहने से गह
ृ क्लेश, बीमारी तथा यापार हािन से मुिक्त िमलती है ।
8॰ रोग मिु क्त के िलए प्रितिदन अपने भोजन का चौथाई िह सा गाय को तथा चौथाई िह सा कु ते को िखलाएं।
10॰ पुत्र बीमार हो तो क याओं को हलवा िखलाएं। पीपल के पेड़ की लकड़ी िसरहाने रख।
11॰ प नी बीमार हो तो गोदान कर। िजस घर म त्रीवगर् को िनर तर वा य की पीड़ाएँ रहती हो, उस घर म तल
ु सी का पौधा लगाकर
उसकी द्धापूवक
र् दे खशल करने से रोग पीड़ाएँ समा त होती है ।
14॰ सदै व पूवर् या दिक्षण िदषा की ओर िसर रख कर ही सोना चािहए। दिक्षण िदशा की ओर िसर कर के सोने वाले यिक्त म चु बकीय बल
रे खाएं पैर से िसर की ओर जाती ह, जो अिधक से अिधक रक्त खींच कर िसर की ओर लायगी, िजससे यिक्त िविभ न र गो से मुक्त रहता
है और अ छी िनद्रा प्रा त करता है ।
15॰ अगर पिरवार म कोई पिरवार म कोई यिक्त बीमार है तथा लगातार औषिध सेवन के प चात ् भी वा य लाभ नहीं हो रहा है , तो
िकसी भी रिववार से आर भ करके लगातार 3 िदन तक गेहूं के आटे का पेड़ा तथा एक लोटा पानी यिक्त के िसर के ऊपर से उबार कर
जल को पौधे म डाल द तथा पेड़ा गाय को िखला द। अव य ही इन 3 िदन के अ दर यिक्त व थ महसूस करने लगेगा। अगर टोटके की
अविध म रोगी ठीक हो जाता है , तो भी प्रयोग को पूरा करना है , बीच म रोकना नहीं चािहए।
16॰ अमाव या को प्रात: महदी का दीपक पानी िमला कर बनाएं। तेल का चौमुंहा दीपक बना कर 7 उड़द के दाने, कुछ िस दरू , 2 बूंद दही
17॰ िकसी पुरानी मूितर् के ऊपर घास उगी हो तो शिनवार को मूितर् का पूजन करके, प्रात: उसे घर ले आएं। उसे छाया म सुखा ल। िजस
कमरे म रोगी सोता हो, उसम इस घास म कुछ धूप िमला कर िकसी भगवान के िचत्र के आगे अिग्न पर सांय, धूप की तरह जलाएं और
म त्र िविध से ´´ ॐ माधवाय नम:। ॐ अनंताय नम:। ॐ अ यत
ु ाय नम:।´´ म त्र की एक माला का जाप कर। कुछ िदन म रोगी व थ
हो जायेगा। दान-धमर् और दवा उपयोग अव य कर। इससे दवा का प्रभाव बढ़ जायेगा।
18॰ अगर बीमार यिक्त यादा ग भीर हो, तो जौ का 125 पाव (सवा पाव) आटा ल। उसम साबुत काले ितल िमला कर रोटी बनाएं। अ छी
तरह सके, िजससे वे क ची न रह। िफर उस पर थोड़ा सा ित ली का तेल और गुड़ डाल कर पेड़ा बनाएं और एक तरफ लगा द। िफर उस
रोटी को बीमार यिक्त के ऊपर से 7 बार वार कर िकसी भसे को िखला द। पीछे मुड़ कर न दे ख और न कोई आवाज लगाए। भसा कहाँ
िमलेगा, इसका पता पहले ही मालूम कर के रख। भस को रोटी नहीं िखलानी है , केवल भसे को ही े ठ रहती है । शिन और मंगलवार को ही
यह कायर् कर।
21॰ िकसी तालाब, कूप या समुद्र म जहां मछिलयाँ ह , उनको शुक्रवार से शक्र
ु वार तक आटे की गोिलयां, शक्कर िमला कर, चुगाव। प्रितिदन
लगभग 125 ग्राम गोिलयां होनी चािहए। रोगी ठीक होता चला जायेगा।
22॰ शक्र
ु वार रात को मुठ्ठी भर काले साबुत चने िभगोय। शिनवार की शाम काले कपड़े म उ ह बांधे तथा एक कील और एक काले कोयले का
टुकड़ा रख। इस पोटली को िकसी तालाब या कुएं म फक द। फकने से पहले रोगी के ऊपर से 7 बार वार द। ऐसा 3 शिनवार कर। बीमार
यिक्त शीघ्र अ छा हो जायेगा।
24॰ यिद लगे िक शरीर म क ट समा त नहीं हो रहा है , तो थोड़ा सा गंगाजल नहाने वाली बा टी म डाल कर नहाएं।
25॰ प्रितिदन या शिनवार को खेजड़ी की पूजा कर उसे सींचने से रोगी को दवा लगनी शु हो जाती है और उसे धीरे -धीरे आराम िमलना
प्रार भ हो जायेगा। यिद प्रितिदन सींच तो 1 माह तक और केवल शिनवार को सींच तो 7 शिनवार तक यह कायर् कर। खेजड़ी के नीचे गूगल
का धूप और तेल का दीपक जलाएं।
26॰ हर मंगल और शिनवार को रोगी के ऊपर से इमरती को 7 बार वार कर कु त को िखलाने से धीरे -धीरे आराम िमलता है । यह कायर् कम
27॰ साबुत मसूर, काले उड़द, मूंग और वार चार बराबर-बराबर ले कर साफ कर के िमला द। कुल वजन 1 िकलो हो। इसको रोगी के ऊपर
से 7 बार वार कर उनको एक साथ पकाएं। जब चार अनाज पूरी तरह पक जाएं, तब उसम तेल-गुड़ िमला कर, िकसी िमट्टी के दीये म डाल
कर दोपहर को, िकसी चौराहे पर रख द। उसके साथ िमट्टी का दीया तेल से भर कर जलाएं, अगरब ती जलाएं। िफर पानी से उसके चार ओर
घेरा बना द। पीछे मुड़ कर न दे ख। घर आकर पांव धो ल। रोगी ठीक होना शु हो जायेगा।
28॰ गाय के गोबर का क डा और जली हुई लकड़ी की राख को पानी म गूंद कर एक गोला बनाएं। इसम एक कील तथा एक िसक्का भी
ख स द। इसके ऊपर रोली और काजल से 7 िनशान लगाएं। इस गोले को एक उपले पर रख कर रोगी के ऊपर से 3 बार उतार कर सुयार् त
के समय मौन रह कर चौराहे पर रख। पीछे मुड़ कर न दे ख।
29॰ शिनवार के िदन दोपहर को 2॰25 (सवा दो) िकलो बाजरे का दिलया पकाएं और उसम थोड़ा सा गड़
ु िमला कर एक िमट्टी की हांडी म
रख। सूयार् त के समय उस हांडी को रोगी के शरीर पर बाय से दांये 7 बार िफराएं और चौराहे पर मौन रह कर रख आएं। आते-जाते समय
पीछे मुड़ कर न दे ख और न ही िकसी से बात कर।
30॰ धान कूटने वाला मूसल और झाडू रोगी के ऊपर से उतार कर उसके िसरहाने रख।
32॰ घर से बीमारी जाने का नाम न ले रही हो, िकसी का रोग शांत नहीं हो रहा हो तो एक गोमती चक्र ले कर उसे हांडी म िपरो कर रोगी
के पलंग के पाये पर बांधने से आ चयर्जनक पिरणाम िमलता है। उस िदन से रोग समा त होना शु हो जाता है ।
33॰ यिद पयार् त उपचार करने पर भी रोग-पीड़ा शांत नहीं हो रही हो अथवा बार-बार एक ही रोग प्रकट होकर पीिड़त कर रहा हो तथा
उपचार करने पर भी शांत हो जाता हो, ऐसे यिक्त को अपने वजन के बराबर गेहू¡ का दान रिववार के िदन करना चािहए। गेहूँ का दान
ज रतमंद एवं अभावग्र त यिक्तय को ही करना चािहए।
ग्राफोथैरेपी से यूँ तो सभी प्रकार के यिक्तय और सभी उम्र के पु ष और मिहलाओं को लाभ हो सकता है परं तु कूल जाने वाले
िव यािथर्य के िलए (10 वषर् से अिधक उम्र के) इसके सबसे अ छे पिरणाम संभव ह। यह इस बात पर िनभर्र करता है िक िव याथीर् लगातार
और अिधक-से-अिधक िलखने की प्रैिक्टस कर रहा है या नहीं।
ग्राफोलॉजी एक ऐसा िवज्ञान है, िजससे न िसफर् यिक्त का यिक्त व जाना जा सकता है , बि क यिक्त के लगातार अ यास से यिक्त व
की खूिबयाँ बढ़ाकर जीवन म सफलता का ग्राफ बढ़ाया जा सकता है । अक्षर और ह ताक्षर म पिरवतर्न कर वयं को लगातार िनखारना और
यिक्त व के आकषर्ण को बढ़ाना ग्राफोथैरेपी कहलाता है ।
ग्राफोथैरेपी से यूँ तो सभी प्रकार के यिक्तय और सभी उम्र के पु ष और मिहलाओं को लाभ हो सकता है परं तु कूल जाने वाले
िव यािथर्य के िलए (10 वषर् से अिधक उम्र के) इसके सबसे अ छे पिरणाम (कई बार चम कािरक भी) संभव ह। यह इस बात पर िनभर्र
करता है िक िव याथीर् लगातार और अिधक-से-अिधक िलखने की प्रैिक्टस कर रहा है या नहीं।
लड़िकयाँ पूरे मनोयोग से अिधक से अिधक िलखती और प्रैिक्टस भी करती ह, अतः उ ह पिरणाम भी उ मीद के मुतािबक या उससे यादा
लगभग 2 साल पहले एक बहुत ही होनहार और प्रितभावान लड़की, जो उस समय ग्यारहवीं म पढ़ रही थी, अपनी िलखावट लेकर आई थी।
उसके जीवन का ल य आईआईटी म प्रवेश पाना था। मेहनती और होिशयार तो वह थी, बस उसे थोड़े से िदशा-िनदश, प्रो साहन और अक्षर
म थोड़े पिरवतर्न की ज रत थी।
उसके अक्षर का पूरा िव लेषण कर उसे छोटे -छोटे उपाय व पढ़ाई का उिचत टाइम टे बल बनाकर िदया गया और जब आईआईटी का पिरणाम
आया तो उसका चयन हो चुका था। अब वह आईआईटी खड़गपुर से बीटे क कर रही है । िपछले कुछ साल से लड़क ने भी खुद को
यवि थत कर बेहतर टाइम टे बल पर चलकर िविभ ना प्रितयोगी परीक्षाओं म सफलता हािसल कर अपना ल य पाया है ।
कोई भी िव याथीर् जो अपना सवर् े ठ प्रदशर्न कर अिधकतम अंक लाना चाहता है, उसे बस थोड़े से उपाय करने ह गे, िजससे वह अिधकतम
लाभ पा सके। िव याथीर् को सबसे पहले अपने वा य का यान रखना चािहए। समय पर और पौि टक भोजन खाना, कम से कम 6-7 घंटे
गहरी नींद लेना और सुबह के समय अिधक से अिधक पढ़ने को अपने टीन म शािमल कर।
रोज 10-15 िमनट के िलए यान ज र कर। रात को दे र तक जागना पड़े तो एक-एक घंटे के अंतराल से िगलास भर पानी ज र पीएँ। चाय-
कॉफी कम-से-कम िपएँ। मनोरं जन के िलए अपना मनपसंद संगीत सुन। इसके साथ ये उपाय करके दे ख :
ऐसा माना जाता है िक िपछले ज म म िकए गए कम के आधार पर ही यिक्त को नया ज म िमलता है । यिद िकसी यिक्त को जीवन
म काफी अिधक क ट भोगने पड़ रहे ह तो उसे पु य कमर् करने चािहए। िजससे िक पुराने पाप का नाश होता है और पु य की बढ़ोतरी होती
है । ऐसा करने पर दख
ु के प्रभाव म कमी आती है तो सुख प्रा त होने लगते ह।
शा त्र के अनस
ु ार सभी के क ट को दरू करने का एक सटीक उपाय बताया गया है मछिलय को आटे की छोटी-छोटी गोिलयां बनाकर
िखलाना। यिद आपकी कंु डली म कोई दोष या ग्रह बाधा हो तो इस उपाय काफी कारगर िसद्ध होता है । मछिलय को खाना िखलाने बहुत शभ
ु
कमर् माना जाता है । इससे अक्षय पु य की प्राि त होती है । भगवान िव णु ने म य अवतार िलया था इससे मछिलय का मह व काफी
अिधक बढ़ जाता है । इसके अलावा सभी दे वी-दे वताओं और ग्रह की कृपा प्राि त के िलए भी यह े ठ उपाय है। प्रितिदन मछिलय को आटे
की छोटी-छोटी गोिलयां िखलाने पर मन को असीम शांित की प्राि त होती है । हमेशा खुश और शांत रहने के िलए भी यह उपाय करना
चािहए।
सूयर् और चंद्र यिद एक साथ, एक ही भाव म ि थत हो तो यिक्त को जीवन म कई बार अपमान झेलना पड़ता है।
- यिद िकसी यिक्त की कंु डली के प्रथम भाव म सूयर् और चंद्र ि थत हो तो उसे माता और िपता से दख
ु िमलता है । वह पुत्र से दख
ु ी और
िनधर्न होता है ।
- चंद्रमा और सूयर् चतुथर् भाव म हो तो यिक्त को पुत्र और सुख से वंिचत रहता है । ऐसा यिक्त मूखर् और गरीब होता है ।
- कंु डली के स तम भाव म सूयर् और चंद्रमा ि थत हो तो यिक्त जीवनभर पुत्र और ि त्रय से अपमािनत होता रहता है । ऐसे यिक्त के
पास धन की भी कमी रहती है ।
- सूयर् और चंद्रमा िकसी यिक्त की कंु डली के दशम भाव म ि थत हो तो वह सुंदर शरीर वाला, नेत ृ व क्षमता का धनी, कुिटल वभाव का
और शत्रओ
ु ं पर िवजय प्रा त करने वाला होता है ।
1- रोज सुबह ीआिद य दय त्रोत का पाठ कर। सूयर् यंत्र का िनमार्ण करके तीन माला रोज नीचे िलखे सूयर् मंत्र का जप कर। ऐसा करने से
दय रोग म काफी लाभ होगा।
------मंत्र- ऊँ घिृ ण: सूयार्य नम:
2- दय रोगी यिद पंचमख
ु ी द्राक्ष धारण कर तो भी काफी फायदे मंद होता है । द्राक्ष इस प्रकार धारण कर िक वह दय के पास रहे ।
3- एक पानी से भरा तांबे के बतर्न ल। उसम रात को पंचमुखी द्राक्ष डाल द तथा सुबह खाली पेट बतर्न म भरा पानी पीएं। यह उपाय भी
काफी कारगर है ।
4- 43 िदन तक िनयिमत प से तांबे का एक चौकोर टुकड़ा बहते जल म प्रवािहत कर। दय रोग ठीक हो जाएगा।
5- दय रोगी रिववार के िदन गाय को गुड़ तथा गेहूं िखलाएं। ऐसा करने से रोगी को काफी लाभ होगा।
तंत्र से कर सख
ु -समिृ द्ध--- समीर चतुवदी
1॰ यिद पिर म के प चात ् भी कारोबार ठ प हो, या धन आकर खचर् हो जाता हो तो यह टोटका काम म ल। िकसी गु पु य योग और शभ
ु
10॰ अक्सर सुनने म आता है िक घर म कमाई तो बहुत है , िक तु पैसा नहीं िटकता, तो यह प्रयोग कर। जब आटा िपसवाने जाते ह तो
उससे पहले थोड़े से गहू म 11 प ते तुलसी तथा 2 दाने केसर के डाल कर िमला ल तथा अब इसको बाकी गहू म िमला कर िपसवा ल। यह
िक्रया सोमवार और शिनवार को कर। िफर घर म धन की कमी नहीं रहे गी।
11॰ आटा िपसते समय उसम 100 ग्राम काले चने भी िपसने के िलय डाल िदया कर तथा केवल शिनवार को ही आटा िपसवाने का िनयम
बना ल।
15॰ राित्र म चावल, दही और स तू का सेवन करने से ल मी का िनरादर होता है । अत: समिृ द्ध चाहने वाल को तथा िजन यिक्तय को
आिथर्क क ट रहते ह , उ ह इनका सेवन राित्र भोज म नहीं करना चािहये।
16॰ भोजन सदै व पूवर् या उ तर की ओर मुख कर के करना चािहए। संभव हो तो रसोईघर म ही बैठकर भोजन कर इससे राहु शांत होता है ।
जत
ू े पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चािहए।
18॰ घर म दे वी-दे वताओं पर चढ़ाये गये फूल या हार के सूख जाने पर भी उ ह घर म रखना अलाभकारी होता है ।
19॰ अपने घर म पिवत्र निदय का जल संग्रह कर के रखना चािहए। इसे घर के ईशान कोण म रखने से अिधक लाभ होता है ।
दभ
ु ार्ग्य दरू करने के िलये----
आटे का िदया, १ नीबू, ७ लाल िमचर्, ७ ल डू,२ ब ती, २ ल ग, २ बड़ी इलायची बङ या केले के प ते पर ये सारी चीज रख द |राित्र १२ बजे
सुनसान चौराहे पर जाकर प ते को रख द व प्राथर्ना कर,
जब घर से िनकले तब यह प्राथर्ना कर = हे दभ
ु ार्ग्य, संकट, िवप ती आप मेरे साथ चल और प ते को रख द | िफर प्राथर्ना कर = म िवदा
हो रहा हूँ | आप मेरे साथ न आय, चार रा ते खुले ह आप कहीं भी जाय | एक बार करने के बाद एक दो महीने दे ख, उपाय लाभकारी है |
द्धा से कर |
गह
ृ कलेश----
पवनतनय बल पवन समाना |बुिद्ध िववेक िवज्ञान िवधाना | वाहा१०८ बार जाप करना है | यह मानस मंत्र है | मन म जाप कर | आहुती
दे ते हुए यह मंत्र जाप करना है , यह िकसी शभ
ु िदन से शु कर| सोम, गु या रिव पु य या यौहार के िदन | लाल आसन ऊनी, दिक्षण
िदशा म मँह
ु करके बैठ| प्रयोग राित्र के समय कर| तजर्नी से आसन के चार तरफ लकीर खींच द, अपनी रक्षा के िलये |
अिववािहत युवती---
पाँच सोमवार के त कर, रोज एक द्राक्ष और एक िब बपत्र िशविलंग पर चढाय, अगर माहवारी हो तो वह सोमवार छोड़ कर अगला वाला
कर, एक समय साि वक भोजन कर |
चमर् रोग----
पाँच द्राक्ष के दाने एक िगलास पानी म रखकर सोते समय अपने िसराहने रख और सुबह नहाते समय उस पानी को नहाने की पानी की
बा टी म िमलाकर रोज नहाय व द्राक्ष को मंिदर म रख द, चमर् रोग म फायदा होता है , चमर् रोग न ट हो जाते ह |
वा य के िलये टोटके-----
1॰ सदा व थ बने रहने के िलये राित्र को पानी िकसी लोटे या िगलास म सब
ु ह उठ कर पीने के िलये रख द। उसे पी कर बतर्न को उ टा
रख द तथा िदन म भी पानी पीने के बाद बतर्न (िगलास आिद) को उ टा रखने से यकृत स ब धी परे शािनयां नहीं होती तथा यिक्त सदै व
व थ बना रहता है ।
2॰ दय िवकार, रक्तचाप के िलए एकमख
ु ी या सोलहमख
ु ी द्राक्ष े ठ होता है । इनके न िमलने पर ग्यारहमख
ु ी, सातमख
ु ी अथवा पांचमख
ु ी
द्राक्ष का उपयोग कर सकते ह। इि छत द्राक्ष को लेकर ावण माह म िकसी प्रदोष त के िदन, अथवा सोमवार के िदन, गंगाजल से
नान करा कर िशवजी पर चढाएं, िफर स भव हो तो द्रािभषेक कर या िशवजी पर “ॐ नम: िशवाय´´ बोलते हुए दध
ू से अिभषेक कराएं।
इस प्रकार अिभमंित्रत द्राक्ष को काले डोरे म डाल कर गले म पहन।
3॰ िजन लोग को 1-2 बार िदल का दौरा पहले भी पड़ चुका हो वे उपरोक्त प्रयोग संख्या 2 कर तथा िन न प्रयोग भी कर :-
एक पाचंमुखी द्राक्ष, एक लाल रं ग का हकीक, 7 साबुत (डंठल सिहत) लाल िमचर् को, आधा गज लाल कपड़े म रख कर यिक्त के ऊपर से
21 बार उसार कर इसे िकसी नदी या बहते पानी म प्रवािहत कर द।
4॰ िकसी भी सोमवार से यह प्रयोग कर। बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद ल। रिववार शाम 5 फूल, आधा कप पानी म साफ कर के
िभगो द। सोमवार को प्रात: उठ कर फूल को िनकाल कर फक द तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। िजस पात्र म पानी पीएं, उसे उ टा कर के
रख द। कुछ ही िदन म आ चयर्जनक वा य लाभ अनभ
ु व करगे।
5॰ घर म िन य घी का दीपक जलाना चािहए। दीपक जलाते समय लौ पूवर् या दिक्षण िदशा की ओर हो या दीपक के म य म (फूलदार
बाती) बाती लगाना शभ
ु फल दे ने वाला है ।
6॰ राित्र के समय शयन कक्ष म कपूर जलाने से बीमािरयां, द:ु वपन नहीं आते, िपत ृ दोष का नाश होता है एवं घर म शांित बनी रहती है ।
7॰ पूिणर्मा के िदन चांदनी म खीर बनाएं। ठं डी होने पर च द्रमा और अपने िपतर को भोग लगाएं। कुछ खीर काले कु त को दे द। वषर् भर
पूिणर्मा पर ऐसा करते रहने से गह
ृ क्लेश, बीमारी तथा यापार हािन से मुिक्त िमलती है ।
8॰ रोग मुक्त के िलए प्रितिदन अपने भोजन का चौथाई िह सा गाय को तथा चौथाई िह सा कु ते को िखलाएं।
9॰ घर म कोई बीमार हो जाए तो उस रोगी को शहद म च दन िमला कर चटाएं।
10॰ पुत्र बीमार हो तो क याओं को हलवा िखलाएं। पीपल के पेड़ की लकड़ी िसरहाने रख।
11॰ प नी बीमार हो तो गोदान कर। िजस घर म त्रीवगर् को िनर तर वा य की पीड़ाएँ रहती हो, उस घर म तुलसी का पौधा लगाकर
8. यिद आप नजर दोष से मुक्त होना चाहते ह तो सूती कोरे कपड़े को सात बार वारकर सीधी टांग के नीचे से िनकालकर आग म झ क द।
यिद नजर होगी तो कपड़ा जल जाएगा व जलने की बदबू भी नहीं आएगी। यह प्रयोग बध
ु वार एवं शिनवार को ही कर सकते ह।
9. टोटका नौ-यिद कोई ब चा नजर दोष से बीमार रहता है और उसका सम त िवकास क गया है तो िफटकरी एवं सरस को ब चे पर से
सात बार वारकर चू हे पर झ क दे ने से नजर उतर जाती है । यिद यह सुबह, दोपहर एवं सायं तीन समय कर तो एक ही िदन म नजर दोष
रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चालीसा का पाठ कर ! प्र येक शिनवार को शिन को तेल चढाय ! अपनी पहनी हुई एक जोडी
च पल िकसी गरीब को एक बार दान कर !
यिक्तगत बाधा के िलए एक मुट्ठी िपसा हुआ नमक लेकर शाम को अपने िसर के ऊपर से तीन बार उतार ल और उसे दरवाजे के बाहर
फक। ऐसा तीन िदन लगातार कर। यिद आराम न िमले तो नमक को िसर के ऊपर वार कर शौचालय म डालकर लश चला द। िनि चत
प से लाभ िमलेगा।
हमारी या हमारे पिरवार के िकसी भी सद य की ग्रह ि थित थोड़ी सी भी अनुकूल होगी तो हम िन चय ही इन उपाय से भरपूर लाभ
िमलेगा।
बनता काम िबगडता हो, लाभ न हो रहा हो या कोई भी परे शानी हो तो :---
1. हर मंगलवार को हनुमान जी के चरण म बदाना (मीठी बूंदी) चढा कर उसी प्रशाद को मंिदर के बाहर गरीब म बांट द !
2. यापार, िववाह या िकसी भी कायर् के करने म बार-बार असफलता िमल रही हो तो यह टोटका कर- सरस के तैल म िसके गेहूँ के आटे व
पुराने गुड़ से तैयार सात पूये, सात मदार (आक) के पु प, िसंदरू , आटे से तैयार सरस के तैल का ई की ब ती से जलता दीपक, प तल या
अर डी के प ते पर रखकर शिनवार की राित्र म िकसी चौराहे पर रख और कह -“हे मेरे दभ
ु ार्ग्य तुझे यहीं छोड़े जा रहा हूँ कृपा करके मेरा
पीछा ना करना। सामान रखकर पीछे मड़
ु कर न दे ख।
8. यिद आप नजर दोष से मुक्त होना चाहते ह तो सूती कोरे कपड़े को सात बार वारकर सीधी टांग के नीचे से िनकालकर आग म झ क द।
यिद नजर होगी तो कपड़ा जल जाएगा व जलने की बदबू भी नहीं आएगी। यह प्रयोग बुधवार एवं शिनवार को ही कर सकते ह।
रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चालीसा का पाठ कर ! प्र येक शिनवार को शिन को तेल चढाय ! अपनी पहनी हुई एक जोडी
च पल िकसी गरीब को एक बार दान कर !
यिक्तगत बाधा के िलए एक मुट्ठी िपसा हुआ नमक लेकर शाम को अपने िसर के ऊपर से तीन बार उतार ल और उसे दरवाजे के बाहर
फक। ऐसा तीन िदन लगातार कर। यिद आराम न िमले तो नमक को िसर के ऊपर वार कर शौचालय म डालकर लश चला द। िनि चत
प से लाभ िमलेगा।
हमारी या हमारे पिरवार के िकसी भी सद य की ग्रह ि थित थोड़ी सी भी अनुकूल होगी तो हम िन चय ही इन उपाय से भरपूर लाभ
िमलेगा।
बनता काम िबगडता हो, लाभ न हो रहा हो या कोई भी परे शानी हो तो :---
1. हर मंगलवार को हनुमान जी के चरण म बदाना (मीठी बूंदी) चढा कर उसी प्रशाद को मंिदर के बाहर गरीब म बांट द !
2. यापार, िववाह या िकसी भी कायर् के करने म बार-बार असफलता िमल रही हो तो यह टोटका कर- सरस के तैल म िसके गेहूँ के आटे व
परु ाने गड़
ु से तैयार सात पय
ू े, सात मदार (आक) के पु प, िसंदरू , आटे से तैयार सरस के तैल का ई की ब ती से जलता दीपक, प तल या
अर डी के प ते पर रखकर शिनवार की राित्र म िकसी चौराहे पर रख और कह -“हे मेरे दभ
ु ार्ग्य तुझे यहीं छोड़े जा रहा हूँ कृपा करके मेरा
पीछा ना करना। सामान रखकर पीछे मुड़कर न दे ख।
पु ष को िविभ न रं ग से ि त्रय की त वीर और मिहलाओं को लाल रं ग से पु ष की त वीर सफ़ेद कागज पर रोजाना तीन मिहने तक एक
एक बनानी चािहये।
अगर लड़की की उम्र िनकली जा रही है और सुयोग्य लड़का नहीं िमल रहा। िर ता बनता है िफर टूट जाता है । या िफर शादी म अनाव यक
दे री हो रही हो तो कुछ छोटे -छोटे िसद्ध टोटक से इस दोष को दरू िकया जा सकता है । ये टोटके अगर परू े मन से िव वास करके अपनाए
जाएं तो इनका फल बहुत ही कम समय म िमल जाता है । जािनए क्या ह ये टोटके :------
ु ारी, ह दी की सात गांठ, गुड़ की सात डिलयां, सात पीले फूल, चने की दाल (करीब 70 ग्राम),
1. रिववार को पीले रं ग के कपड़े म सात सप
2. लड़की को गु वार का त करना चािहए। उस िदन कोई पीली व तु का दान करे । िदन म न सोए, पूरे िनयम संयम से रहे ।
3. सावन के महीने म िशवजी को रोजाना िब व पत्र चढ़ाए। िब व पत्र की संख्या 108 हो तो सबसे अ छा पिरणाम िमलता है ।
यह उपाय उन यिक्तय को करना चािहए. िजन यिक्तय की िववाह की आयु हो चुकी है . पर तु िववाह संप न होने म बाधा आ रही है .
इस उपाय को करने के िलये शक्र
ु वार की राित्र म आठ छुआरे जल म उबाल कर जल के साथ ही अपने सोने वाले थान पर िसरहाने रख
कर सोय तथा शिनवार को प्रात: नान करने के बाद िकसी भी बहते जल म इ ह प्रवािहत कर द.
१. यिद क या की शादी म कोई कावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नािरयल ल ! भगवान िशव की मूतीर् या फोटो के आगे रख कर “ऊं ीं
वर प्रदाय ी नामः” मंत्र का पांच माला जाप कर िफर वो पांच नािरयल िशव जी के मंिदर म चढा द ! िववाह की बाधाय अपने आप दरू
होती जांयगी !
२. प्र येक सोमवार को क या सुबह नहा-धोकर िशविलंग पर “ऊं सोमे वराय नमः” का जाप करते हुए दध
ू िमले जल को चढाये और वहीं
मंिदर म बैठ कर द्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे ! िववाह की स भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी
दक
ू ान की िबक्री----
दक
ू ान की िबक्री अिधक हो----
१॰ “ ी शक्
ु ले महा-शक्
ु ले कमल-दल िनवासे ी महाल मी नमो नमः। ल मी माई, स त की सवाई। आओ, चेतो, करो भलाई।
ना करो, तो सात समुद्र की दहु ाई। ऋिद्ध-िसिद्ध खावोगी, तो नौ नाथ चौरासी िसद्ध की दहु ाई।”
िविध -घर से नहा-धोकर दक
ु ान पर जाकर अगर-ब ती जलाकर उसी से ल मी जी के िचत्र की आरती करके, ग ी पर बैठकर, १
माला उक्त म त्र की जपकर दक
ु ान का लेन-दे न प्रार भ कर। आशातीत लाभ होगा।
२॰ “भँवरवीर, तू चेला मेरा। खोल दक
ु ान कहा कर मेरा।
उठे जो ड डी िबके जो माल, भँवरवीर सोखे निहं जाए।।”
ु रिववार से उक्त म त्र की १० माला प्रितिदन के िनयम से दस िदन म १०० माला जप कर ल। केवल
िविध -१॰ िकसीशभ
रिववार के ही िदन इस म त्र का प्रयोग िकया जाता है । प्रातः नान करके दक
ु ान पर जाएँ। एक हाथ म थोड़े-से काले उड़द ले
ल। िफर ११ बार म त्र पढ़कर, उन पर फँू क मारकर दक
ु ान म चार ओर िबखेर द। सोमवार को प्रातः उन उड़द को समेट कर
िकसी चौराहे पर, िबना िकसी के टोके, डाल आएँ। इस प्रकार चार रिववार तक लगातार, िबना नागा िकए, यह प्रयोग कर।
२॰ इसके साथ य त्र का भी िनमार्ण िकया जाता है । इसे लाल याही अथवा लाल च दन से िलखना है । बीच म स बि धत
यिक्त का नाम िलख। ित ली के तेल म ब ती बनाकर दीपक जलाए। १०८ बार म त्र जपने तक यह दीपक जलता रहे ।
रिववार के िदन काले उड़द के दान पर िस दरू लगाकर उक्त म त्र से अिभमि त्रत करे । िफर उ ह दक
ू ान म िबखेर द।
वि तक अ य त प्राचीन काल से भारतीय सं कृित म मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है । इसीिलए िकसी भी शभ
ु कायर् को करने से पहले वि तक िच व
अंिकत करके उसका पज
ू न िकया जाता है । वि तक श द स+
ु अस+क से बना है। ‘स’ु का अथर् अ छा, ‘अस’ का अथर् ‘स ता’ या ‘अि त व’ और ‘क’
अ य त प्राचीन काल से ही भारतीय सं कृित म वि तक को मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है । इसीिलए िकसी भी शभ
ु कायर् को करने से पहले वि तक
िच व अंिकत करके उसका पूजन िकया जाता है । गह
ृ प्रवेश से पहले मुख्य वार के ऊपर वि तक िच व अंिकत करके क याण की कामना की जाती है ।
दे वपूजन, िववाह, यापार, बहीखाता पूजन, िशक्षार भ तथा मु डन-सं कार आिद म भी वि तक-पूजन आव यक समझा जाता है । मिहलाएँ अपने
वि तक अ य त प्राचीन काल से भारतीय सं कृित म मंगल-प्रतीक माना जाता रहा है । इसीिलए िकसी भी शभ
ु कायर् को करने से पहले वि तक िच व
अंिकत करके उसका पज
ू न िकया जाता है । वि तक श द स+
ु अस+क से बना है। 'स'ु का अथर् अ छा, 'अस' का अथर् 'स ता' या 'अि त व' और 'क' का अथर्
'क तार्' या करने वाले से है। इस प्रकार ' वि तक' श द का अथर् हुआ 'अ छा' या 'मंगल' करने वाला। 'अमरकोश' म भी ' वि तक' का अथर् आशीवार्द,
मंगल या पु यकायर् करना िलखा है। अमरकोश के श द ह - ' वि तक, सवर्तोऋद्ध' अथार्त ् 'सभी िदशाओं म सबका क याण हो।' इस प्रकार ' वि तक'
ू र् िव व के क याण या 'वसध
श द म िकसी यिक्त या जाित िवशेष का नहीं, अिपतु स पण ु ैव कुटु बकम ्' की भावना िनिहत है । ' वि तक' श द की
िन िक्त है - ' वि तक क्षेम कायित, इित वि तकः' अथार्त ् 'कुशलक्षेम या क याण का प्रतीक ही वि तक है ।[1]
वि तक म एक दस
ू रे को काटती हुई दो सीधी रे खाएँ होती ह, जो आगे चलकर मुड़ जाती ह। इसके बाद भी ये रे खाएँ अपने िसर पर थोड़ी और आगे की
तरफ मड़
ु ी होती ह। वि तक की यह आकृित दो प्रकार की हो सकती है । प्रथम वि तक, िजसम रे खाएँ आगे की ओर इंिगत करती हुई हमारे दायीं ओर
मुड़ती ह। इसे ' वि तक' कहते ह। यही शभ ू री आकृित म रे खाएँ पीछे की ओर संकेत करती हुई
ु िच व है, जो हमारी प्रगित की ओर संकेत करता है । दस
हमारे बायीं ओर मुड़ती ह। इसे 'वामावतर् वि तक' कहते ह। भारतीय सं कृित म इसे अशभ
ु माना जाता है । जमर्नी के तानाशाह िहटलर के वज म यही
'वामावतर् वि तक' अंिकत था। ऋग्वेद की ऋचा म वि तक को सय
ू र् का प्रतीक माना गया है और उसकी चार भज
ु ाओं को चार िदशाओं की उपमा दी गई
है । िसद्धा त सार ग्र थ म उसे िव व ब्र मा ड का प्रतीक िचत्र माना गया है । उसके म य भाग को िव णु की कमल नािभ और रे खाओं को ब्र माजी के चार
मुख, चार हाथ और चार वेद के प म िन िपत िकया गया है । अ य ग्र थ म चार युग, चार वणर्, चार आ म एवं धमर्, अथर्, काम और मोक्ष के चार
प्रितफल प्रा त करने वाली समाज यव था एवं वैयिक्तक आ था को जीव त रखने वाले संकेत को वि तक म ओत-प्रोत बताया गया है । [2]
============================================================
िव व के प्राचीनतम ग्रंथ वेद म भी वि तक के ी गणेश व प होने की पुि ट होती है । िह द ू धमर् की पूजा-उपासना म बोला जाने वाला वेद का शांित
पाठ मंत्र भी भगवान ीगणेश के वि तक प का मरण है । यह शांित पाठ है -
वि त न इ द्रो वद्ध
ृ वा: वि त न: पूषा िव ववेदा:
असल म वि तक बनाने के पीछे यावहािरक दशर्न यही है िक जहां माहौल और संबंध म प्रेम, प्रस नता, ी, उ साह, उ लास, सद्भाव, स दयर्,
िव वास, शभ
ु , मंगल और क याण का भाव होता है, वहीं ी गणेश का वास होता है और उनकी कृपा से अपार सख
ु और सौभाग्य प्रा त होता है । चंिू क
ीगणेश िवघ्रहतार् ह, इसिलए ऐसी मंगल कामनाओं की िसिद्ध म िवघ्र को दरू करने के िलए वि तक प म गणेश थापना की जाती है । इसीिलए
ीगणेश को मंगलमूितर् भी पुकारा जाता है ।
=============================================================
वि तक को िह द ू धमर् ने ही नहीं, बि क िव व के सभी धम ने परम पिवत्र माना है। वि तक श द सू + उपसगर् अस ् धातु से बना है । सु अथार्त अ छा,
े ठ, मंगल एवं अस ् अथार्त स ता। यानी क याण की स ता, मांग य का अि त व। वि तक हमारे िलए सौभाग्य का प्रतीक है । वि तक दो रे खाओं
वारा बनता है । दोन रे खाओं को बीच म समकोण ि थित म िवभािजत िकया जाता है । दोन रे खाओं के िसर पर बायीं से दायीं ओर समकोण बनाती हुई
रे खाएं इस तरह खींची जाती ह िक वे आगे की रे खा को न छू सक। वि तक को िकसी भी ि थित म रखा जाए, उसकी रचना एक-सी ही रहे गी। वि तक
के चार िसर पर खींची गयी रे खाएं िकसी िबंद ु को इसिलए पशर् नहीं करतीं, क्य िक इ ह ब्रहा ड के प्रतीक व प अ तहीन दशार्या गया है ।
१. द ु मन तंग कर रहे ह तो तीन गोमती चक्र पर द ु मन के नाम िलख कर जमीन म गाड द . द ु मन परा त हो जाएंगे.
२. योपार बदने के िलए दो गोमती चक्र लाल कपडे म बाँध कर चौखट पे इस तरह से लटका द िक ग्राहक उसके नीचे से गुजर , इस से
ग्राहक यादा आयगे.
1॰ यिद आपके गु त शत्रु अिधक ह अथवा िकसी यिक्त की काली नज़र आपके यवसाय पर लग गई हो, तो २१ अिभमंित्रत गोमती चक्र
व तीन लघु नािरयल को पूजा के बाद पीले व त्र म बांधकर मख्
ु य वारे पर लटका द ।
2॰ यिद आप िकतनी भी मेहनत क्य न कर, पर तु आिथर्क समिृ द्ध आपसे दरू रहती हो और आप आिथर्क ि थित से संतु ट न होते ह , तो
शक्
ु ल पक्ष के प्रथम गु वार को २१ अिभमंित्रत गोमती चक्र लेकर घर के पूजा थल म मां ल मी व ी िव णु की त वीर के समक्ष पीले
रे शमी व त्र पर थान द । िफर रोली से ितलक कर प्रभु से अपने िनवास म थायी वास करने का िनवेदन तथा समिृ द्ध के िलए प्राथर्ना
करके ह दी की माला से “ॐ नमो भगवते वासद
ु े वाय” मंत्र की तीन माला जप कर । इस प्रकार सवा महीने जप करने के बाद अि तम िदन
िकसी वद्ध
ृ तथा ९ वषर् से कम आयु की एक ब ची को भोजन करवाकर दिक्षणा दे कर िवदा कर ।
3॰ यिद आपका ब चा अिधक डरता हो, तो शक्
ु ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को हनम
ु ान ् जी के मि दर म जाकर एक अिभमंित्रत गोमती चक्र
पर ी हनुमानजी के दाएं कंधे के िस दरू से ितलक करके प्रभु के चरण म रख द और एक बार ी हनुमान चालीसा का पाठ कर । िफर
चक्र उठाकर लाल कपड़े म बांधकर ब चे के गले म लाल धागे से पहना दे ।
4॰ यिद यवसाय म िकसी कारण से आपका यवसाय लाभदायक ि थित म नहीं हो, तो शक्
ु ल पक्ष के प्रथम गु वार को ३ गोमती चक्त, ३
कौड़ी व ३ ह दी की गांठ को अिभमंित्रत कर िकसी पीले कपड़े म बांधकर धन- थान पर रख ।
अगर आप की कंु डली म िपत्रदोश या काल सपर् दोष है तो आप िकसी िव वान पंिडत से इसका उपाय ज र कराएँ..
आप खुद भी अपने कंु डली म दे ख सकते है की लग्न कंु डली म अगर रहू-केतु के िबच म सभी ग्रह हो तो काल सपर् दोष बनता है . और सूयर्
के साथ राहू की युित (साथ) बनता है तो भी िपत्र दोष बनता है ,
अगर िकसी के पिरवार म अकाल म ृ यु होती है तो भी ये दोष दे खने म आता है ….
आप इन सरल उपाय को खद
ु कर के अपने जीवन म लाभ उठा सकते है … यान से अपनाएं..िकसी योग्य आचायर्/पंिडत की सलाह/मागर्दशर्न
ज र लेव...
(1) पीपल और बरगद के व ृ ्क्ष की पूजा करने से िपत ृ दोष की शाि त होती है . या पीपल का पेड़ िकसी नदी के िकनारे लगाय और पूजा
कर, इसके साथ ही सोमवती अमाव या को दध
ू की खीर बना,
िपतर को अिपर्त करने से भी इस दोष म कमी होती है . या िफर प्र येक अमाव या को एक ब्रा मण को भोजन कराने व दिक्षणा व त्र भट
करने से िपत ृ दोष कम होता है .
(२) आप िशविलंग पर शप का जोड़ा चांदी या ता बे का बनवाकर चधयेम, और द्रिभशेख करवाएं .
(3) प्र येक अमाव या को कंडे की धूनी लगाकर उसम खीर का भोग लगाकर दिक्षण िदशा म िपतर का आ हान करने व उनसे अपने कम
ये हे नजरदोष कारण और िनवारण..आइये जाने की क्य लगती ह नजर और क्या ह उपाय )???)---
वतर्मान म आम जनता के मन म वा तु को लेकर अनेक गलत बात/भ्रांितयां घर कर गयी ह वे इसे एक फालतू का ढकोसला मानते हे ..
यिद बौिद्धकता से मनन कर तो आप पाऐंगे िक जहां उ तर और पव
ू म
र् ख
ु ी घर ह, वहां दिक्षण और पि चम मख
ु ी घर भी ह। जहां भवन म
उ तरी-पूवीर् भाग म शौचालय बन ह, वहां वैसे ही भवन के अ यत्र कोणां◌े म भी हं ◌ै। शभ
ु व के जहां सम त संसाधन गह
ृ िनमार्ण आिद म
लगाए गए ह, वहां अनेक म इन सब से कोई भी शभ
ु व का प्रयास नहीं िकया गया है . .आिद.. आिद। यिद आप आंकड़े जमा कर तो पाऐंगे
ु ी भवन म िनवास करने वाले तल
िक कहीं दिक्षण अथवा पि चम मख ु ना मक प से अिधक फल-फूल रहे ह। िजन भवन म ईषान क ण म
शौचालाय बन ह वहां के लोग अ यत्र क णो म बने शौचालय की तुलना म अिधक व थ ह अथवा अिधक संप न ह। तो क्या हम उस वगर्
िवषेष की बात मान कर वीकार कर ल िक वा तुषा त्र के अनुसार िकए गए िनमार्ण आिद से सामा यतया कोई अंतर नहीं पड़ता? आपके
अपने यिक्तगत अनुभव म भी ऐसे प्रकरण अव य आए ह गे िक जहां भवन का िनमार्ण पूणत
र् या शा त्रोक्त उपायो◌े◌ं से िकया गया है िफर
भी उसके वामी अथवा उसके पिरजन क ट भरा जीवन जी रहे ह। जब आप वा तु पंिडत, योितष मनीषी, तांित्रक, मांित्रक आिद के पास
गए ह गे तो उसने त काल गणना कर दी होगी और कह िदया होगा िक भवन का वा तु तो िब कुल ठीक है पर तु जनम पत्री म गह
ृ नक्षत्र
का योग िवपरीत बन कर क ट कारी िसद्ध हो रहा है अथवा िकसी ने कुछ कर िदया है अथवा दे खने म तो सब ठीक है पर तु आपके िपतर
ट ह..आिद..आिद।
कहने का ता पयर् यह है िक यिक्त का जीवन िकसी एक घटक िवषेष से प्रभािवत नहीं हो रहा। अ या म के मागर् म जा कर, अंड-िपंड
िसद्धांत को समझ कर, प्रार ध-पु षाथर् आिद की गूड़ता को मनन कर ही इस गूड़ रह य को समझा जा सकता है । प्रार ध के कमार्नस
ु ार हम
क ट भोग रहे ह। लाख प्रयास, क्रम-उपक्रम करने पर भी हमे◌े◌ं आषातीत फल नहीं िमल पा रहे । िकस प्रयास आिद से हम लाभ िमल जाए
यह ट नहीं है । इसिलए एक को गले न लगा कर मानव क याण के िलए िकए जा रहे प्रयास को िनयिमत करते रह, पता नहीं कौन सा
उपक्रम आपको रास आ जाए।
यिद आपको कहीं आभास हो िक सब कुछ होते हुए भी वा तु अथवा अ य िक हीं दोष के कारण आप क ट भोग रहे ह तो िन न सरलतम
प्रयोग भी कर के दे ख ल, पता नहीं कौन सा प्रयोग आपके िलए िफट बैठ जाए।
प्रयोग 1.
मकान, दक
ु ान अथवा अ य कोई भवन िनमार्ण के समय अलग-अलग पूजा-अचर्ना करना प्रचिलत है । पूजा-पाठ का आप जो भी िवधान अपना
ल, थोड़ा है । आ था हो तो यह प्रयोग करके दे ख, घर म कोई दोष नही आ पाएगा।
एक छोटा सा तं◌ाबे का ढक्कन वाला लोटा ल, उसे धोकर चमका ल। लोटे म तं◌ाबे के पांच छे द वाले िसक्के, छोटा सा चांदी का बना नाग
और नािगन का जोड़ा, हनुमान जी के चरण का थोड़ा सा िस दरू , लोहे का छोटा सा एक ित्रषूल तथा चांदी की एक जोड़ी पादक
ु ाएं रख कर
उसम गंगा जल भर द। लोटे का मंह
ु अ छी तरह से बंद कर द। िजससे जल छलक कर बाहर न िगरे । अब इसको घर, दक
ु ान आिद की नींव
म मुख्य वार के दांए भाग म दबा द। यिद घर तैयार हो चुका हो और कोई स जन यह प्रयोग करना चाह तो वह यह सामग्री मख्
ु य वार
के दांयी ओर कहीं ऐसे पिवत्र थान म दबा द जहां से इसके दब
ु ारा िनकलने की संभावना न हो।
यिद भवन के आस-पास उपयक्
ु त थान उपल ध हो तो वहा◌ॅ अषोक, िसरस, केले, वेताकर् आिद के पेड़ लगा ल। पाठक का भ्रम दरू कर
दे वी भगवत के अनुसार अ य मंत्र :- ॐ ीं ीं क्लीं सवर् पु ये दे वी मंगल चि डके हूँ हूँ फ वाहा )
त्रोत्र:-
||शंकर उवाच||
रक्ष रक्ष जगन मातर दे वी मंगल चि डके | हािरके िवपदां राशे: हषर् मंगल कािरके ||
हषर् मंगल दक्षे च हषर् मंगल चि डके | शभ
ु मंगल दक्षे च शभ
ु मंगल चि डके ||
मंगले मंगलाह च सवर् मंगल मंगले | सतां मंगलदे दे वी सवषां मंग्लालये ||
पू या मंगलवारे च मंगलाभी ट दै वते | पू य मंगल भूप य मनुवश
ं य संततम ||
मंगलािध ठाित्रदे वी मंगलानां च मंगले | संसार मंगलाधारे मोक्ष मंगलदाियनी ||
सारे च मंगलाधारे पारे च सवर्कमर्णाम | प्रित मंगलवारे च पू य च मंगलप्रदे ||
त्रोत्रेणानेन श भु च तु वा मंगल चंडीकाम | प्रित मंगलवारे च पूजां कृ वा गत: िशव: ||
दे या च मंगल त्रोत्रम यं ुणोित समािहत: | त मंगलं भवे चा न भवेत ् तद मंगलं ||
िविध िवधान :-
मंगलवार को सं या समय पर नान करके पिवत्र होकर एक पंचमुखी दीपक जलाकर माँ मंगल चंिडका की पूजा धा भिक्त पूवक
र् करे / माँ
को एक नािरयल और खीर का भोग लगाये | उपरोक्त दोन म से िकसी एक मंत्र का मन ही मन १०८ बार जप करे तथा त्रोत्र का ११ बार
उ च वर से द्धा पूवक
र् प्रेम सिहत पाठ करे | ऐसा आठ मंगलवार को करे | आठवे मंगलवार को िकसी भी सह
ु ािगन त्री को लाल लाउज,
लाल िर बन, लाल चूड़ी, कुमकुम, लाल िसंदरू , पान-सुपारी, ह दी, वािद ट फल, फूल आिद दे कर संतु ट करे | अगर कंु वारी क या या पु ष
इस प्रयोग को कर रहे है तो वो अंजल
ु ी भर कर चने भी सुहािगन त्री को दे , ऐसा करने से उनका मंगल दोष शांत हो जायेगा | इस प्रयोग
म त रहने की आव यकता नहीं है अगर आप शाम को न कर सके तो सब
ु ह कर सकते है |
3. िजन लडक का िववाह नहीं होता है , उ ह िन निलिखत मंत्र का िन य 11 माला जप करना चािहए- ओम ् क्लीं प नी मनोरम दे िह
मनोव ृ तानस
ु ािरणीम। तारणी दग
ु र् संसार सागर य कुलोद्भावाम ||
4. िववाह योग्य लडके और लडिकयां प्र येक गु वार को नान के जल म एक चुटकी िपसी ह दी डालकर नान कर। गु वार के िदन आटे
के दो पेड पर थोडी-सी ह दी लगाकर, थोडी गुड और चने की दाल गाय को िखलाएं। इससे िववाह का योग शीघ्र बनता है ।
7. यिद िकसी क या की कंु डली म मंगली योग होने के कारण उसका िववाह नहीं हो पा रहा है तो वह मंगलवार को "मंगल चंिडका तोत्र"
का तथा शिनवार को "सुंदरकांड" का पाठ कर।
8. िकसी भी शक्
ु लपक्ष की प्रथमा ितिथ को प्रात:काल नानािद से िनव ृ त होकर राम-सीता के संयुक्त िचत्र का षोडशोपचार पूजन कर
अग्रिलिखत चौपाई का 108 जाप करे । यह उपाय 40 िदन िकया जाता है । क या को उसके अ व थ िदन की छूट है । जब तक वह पन
ु : शद्ध
ु
न हो जाए, तब तक यह प्रयोग न कर। अशद्ध
ु तथा शद्ध
ु होने के बाद के िदन को िमलाकर ही िदन की िगनती करनी चािहए। कुल 40 िदन
म कहीं न कहीं िर ता अव य हो जाएगा। चौपाई इस प्रकार है - सुनु िसय स य असीस हमारी। परु िह मनकामना तु हारी।|
9. जो क या पावर्ती दे वी की पज
ू ा करके उनके सामने प्रितिदन िन निलिखत मंत्र का एक माला जप करती है , उसका िववाह शीघ्र हो जाता
है - का यायिन महामाये महायोिग यधी विर। न दगोपसुतं दे वं पितं मे कु ते नम:।।
----अगर आप थानाभाव की वजह से रसोईघर को टोर अथवा भंडारण कक्ष के प म इ तेमाल की योजना बना रहे ह, तो यान रख
ईशान व आग्नेय कोण के म य पूवीर् दीवार के पास के थान का उपयोग कर। चू हा या गैस आग्नेय कोण म ही रख।
- वा तुदोष से बचने के िलए यान रख िक दरवाजे व िखड़िकय की संख्या िवषम न होने पाएं। इनकी संख्या सम यानी 2, 4, 6, 8 आिद
रख।
- घर म आंगन म य म ऊंचा तथा चार ओर से नीचा होना चािहए। यिद आपका आंगन वा तु के अनु प न हो, तो उसे फौरन बताए गए
तरीके से पूणर् करवा ल। यान रख आंगन म य म नीचा व चार ओर ऊंचा भूलकर भी न रख।
- कोई भूखंड उ तर से दिक्षण िदशा की ओर िव तत
ृ हो तथा भवन का िनमार्ण उ तरी भाग म हुआ हो तथा भूखंड का दिक्षणी भाग खाली
पड़ा हो तो वा तु म यह ि थित अ यंत दोषपण
ू र् होती है ।
- इस दोषपूणर् ि थित के चलते भू वामी को क ट तथा परे शािनय को झेलना पड़ता है । भू वामी को यापार म तथा कारोबार म हािन होती
है । पिरवार म तनाव का माहौल बना रहता है ।
- इस ि थित म वा तु दोष से बचने के िलए भवन के दिक्षण-पि चम कोण यानी नैऋ य कोण म एक आउट हाउस को मख्
ु य भवन से ऊंचा
बनवाएं और उसके फशर् को भी भवन के फशर् से ऊंचा रख। आउट हाउस के दिक्षण या पि चम िदशा म कोई भी वार न रख।
कुछ वा तु िट स/उपाय---
सीिढ़य के वा तुदोष को ऐसे कर दरू --
सीिढ़यां उ नित का प्रतीक होती है । इसम वा तु दोष होने पर घर म रहने वाल को उ नित के िलए काफी पिर म करना पड़ता है इसिलए
सीिढ़य म िकसी प्रकार का वा तुदोष हो तो उसे तरु ं त दरू कर लेना चािहए। इसके िलए सबसे आसान तरीका है िक िमट्टी का एक कलश ल।
इसम बािरश का पानी भर ल। इस कलश के ऊपर िमट्टी का ढ़क्कन रखकर इसे सीढ़ी के नीचे जमीन म दबा द।
सूयर् ग्रहण के समय / वक्त िन न बात का यान रखना आव यक ह---(अ यथा ये होती ह संभावना)
1- सूयग्र
र् हण के वक्त – गभर्णी त्री, यिद भोजन ग्रहण करती है , तो ब चा कटे ह ठ और तालू वाला पैदा होता है ।
2- सूयग्र
र् हण के वक्त – गभर्णी त्री, यिद झाडू प चा लगाती है तो पैदा होने वाले ब चे के कई अंग भग हुए िमलते है जैसे िक (क) कद
केवल 3,5 फुट तक बढ़ पाता है (ख) सीने के सबसे नीचे वाली तीन पसिलयां कम होती ह (ग) नाक छोटी व भ ी (घ) गदर् न छोटी (ड)
आवाज मोटी व झरझरी (च) दािहने हाथ का अंगूठा अिवकिसत व हाथ का पंजा कमजोर होता है और ब चा अपने बांये हाथ से काम चलाता
है ।
3- सूयग्र
र् हण के वक्त – गभर्णी त्री, यिद सूयर् को दे खती है तो ब चा नेत्रहीन (अिवकिसत-गड्रडेनुमा) पैदा होता है ।
4- सूयग्र
र् हण के वक्त – गभर्णी त्री, यिद सूयर् को काले च मे से दे खती है तो ब चा आंखे होते हुए भी अंधा पैदा होता है ।
5- सय
ू ग्र
र् हण के वक्त - गभर्णी त्री, यिद पांव की एिडयो को रगड़ रगड़ कर धोती या चमकती है तो ब चा टे ढे पंज वाला पैदा होता है ।
6- सूयर् ग्रहण के वक्त – गभर्णी त्री, यिदग्रहण को समा त होते हुए भी (आखरी चरण म) पानी म दे ख लेती है तो ब चा अंधा नहीं बि क
अधर्नेत्र या अधखुली आंख वाला पैदा होता है ।
7- सय
ू र् ग्रहण के वक्त- गभर्णी त्री, यिद अपना कान भी खज
ु ला लेती है तो ब चा अिवकिसत कान वाला पैदा होता है
8- सूयग्र
र् हण के वक्त - गभर्णी त्री यिद लेखन कायर् भी करती है तो ब चा अिवकिसत उं गिलय वाला (पैननम
ु ा हाथ वाला) पैदा होता है ।
इ यािद ये सभी िवकृितयां गभर्णी ि त्रय के वारा िकये गये काय से सूयग्र
र् हण के दौरान, भ्रण म ही पैदा हो जाती है , जबिक सूयग्र
र् हण का
दिु नया के आम नागिरक पर कोई बरु ा प्रभाव नहीं पड़ता।
भारतीय वैज्ञािनक को टीवी यूज चैनल पर िकसी के भी साथ तकर्-िवतकर् बंद कर दे ने चािहए अ यथा उ टे भारतीय वैज्ञािनक के उपर
मानवािधकार हनन का ग्रहण लग सकता है ?
िमत्रो..खुश खबरी ..खुशखबरी...आप सभी ह तरे खा,वा तु और योितष के जानकार ( वैिदक िव या से जड़ु े हुए िव वान )
के िलए...
भारतीय वैिदक योितष योितष सं थान(पंजीकृत) ,
एन,08 /236 ,एन-01 ,प्रज्ञा नगर कालोनी,सु दरपुर ,
(बी,एच .यु.) वाराणसी -2210005 (उ तर प्रदे श)
फोन नंबर--09335480453 तथा 07398578332 और 0542 -2318404 ;;;
वेब साईट --www.indianastroguru .com ;
इमेल--info @indianastroguru .com ;
इमेल ---ms .astroguru @rediffmail .com ;....
िमत्रो उक्त संसथान वारा एक अिखल भारतीय योितष डायरे क्टरी का प्रकाशन ( मू य-400 /-मात्र एक प्रित हे त)ु ..िजसे भी
ज रत/आव यकता हो वे बंधुवर इसे मंगवा सकते ह...
यान दे व...इस संसथान वारा..िनयिमत तथा पत्राचार वारा योितष,वा तु एवं ह तरे खा के कोसर्/पा यक्रमो का सफल संचालन िकया जा
रहा हे जो अलग-अलग समय अविध और फ़ीस वाले ह..यहाँ पर आपको इस सं थान वारा प्रकािशत अनेक बहु उपयोगी सािह य/िकताबे भी
िमलगी...इस संसथान वारा दे शभर म अनेक िशक्षा /अ ययन के द्र का भी सफल संचालन िकया जा रहा हे ..कद्र िकशाखा खोलन या िफर
कोसर् की जानकारी हे तु आप लोग ऊपर िदए गए पते या नंबर पर संपकर् कर सकते हे ...ध यवाद..आभार...
1 .शद्ध
ु शहद म सुरमे की पांच डिलया डाल कर घर म अथवा यवसाियक थान पर रखे कारोबार म विृ द होगी शत्रत
ु ा कम होगी
• यिक्तगत बाधा के िलए एक मुट्ठी िपसा हुआ नमक लेकर शाम को अपने िसर के ऊपर से तीन बार उतार ल और उसे दरवाजे के बाहर
फक। ऐसा तीन िदन लगातार कर। यिद आराम न िमले तो नमक को िसर के ऊपर वार कर शौचालय म डालकर लश चला द। िनि चत
प से लाभ िमलेगा।
• हमारी या हमारे पिरवार के िकसी भी सद य की ग्रह ि थित थोड़ी सी भी अनुकूल होगी तो हम िन चय ही इन उपाय से भरपूर लाभ
िमलेगा।
• अपने पूवज
र् की िनयिमत पूजा कर। प्रित माह अमाव या को प्रातःकाल ५ गाय को फल िखलाएं।
• गह
ृ बाधा की शांित के िलए पि चमािभमुख होकर क्क नमः िशवाय मंत्र का २१ बार या २१ माला द्धापूवक
र् जप कर।
• यिद बीमारी का पता नहीं चल पा रहा हो और यिक्त व थ भी नहीं हो पा रहा हो, तो सात प्रकार के अनाज एक-एक मुट्ठी लेकर पानी
म उबाल कर छान ल। छने व उबले अनाज (बाकले) म एक तोला िसंदरू की पुिड़या और ५० ग्राम ितल का तेल डाल कर कीकर (दे सी बबूल)
की जड़ म डाल या िकसी भी रिववार को दोपहर १२ बजे भैरव थल पर चढ़ा द।
• बदन ददर् हो, तो मंगलवार को हनुमान जी के चरण म िसक्का चढ़ाकर उसम लगी िसंदरू का ितलक कर।
• पानी पीते समय यिद िगलास म पानी बच जाए, तो उसे अनादर के साथ फक नहीं, िगलास म ही रहने द। फकने से मानिसक अशांित
होगी क्य िक पानी चंद्रमा का कारक है ।
िमत्र आप सभी से अनुरोध व िनवेदन है िक योितष , वा तु , ह तरे खा सिहत संबंिधत िकसी भी प्रकार के सलाह के िलए फेसबुक पर आप
लोग सवाल न कर, म चाहता हुं िक केवल िवचार का आदान-प्रदान हो।
यिद ऐसा कोई योितषीय सलाह लेना हो तो कृपया बथर् लेस, डेट, टाइम और प्र न को कर।
कैसा होगा आपका जीवन साथी? घर कब तक बनेगा? नौकरी कब लगेगी? संतान प्राि त कब तक?, प्रेम िववाह होगा या नहीं?वा तु पिरक्षण ,
वा तु एवं योितषीय सामग्री जैसे र न, य त्र के साथ साथ ह तरे खा परामशर् सेवाएं भी उपल ध ह.
योितष समब धी सम या, वातार्, समाधान या परामशर् के िलये िमले अथवा संपकर् कर :-
प्रेिषत कर ।तािक िवधीवत िकये गये आपके प्र न का िवचार िकया जा सके। आपको यह मालूम होना चािहए की ज दबाजी म फेसबुक पर
सावर्जिनक तौर पर संभव नहीं है।
गाय के दध
ू का मह व ---िनवेदन के साथ ...परू ा लेख यान से पिढयेगा
दय रोग से बचाता ह गाय माता का दध
ू ---
भारतीय सं कृित म गाय का बेहद उ च थान है । इसे कामधेनु कहा गया है । इसका दध
ू ब च के िलए बेहद पौि टक माना गया है और
बुिद्ध के िवकास म कारगर भी।सभी जानवर म गाय का दध
ू सबसे यादा फायदे मंद माना गया है । उसम भी दे सी न ल की गाय का दध
ू ही
सबसे यादा मह चपूणर् है । आिखर दे सी न ल की गाय म क्या खूिबयां होती ह जो उसके दध
ू का इतना मह व होता है । गाय के दध
ू का
मह व उसम मौजद
ू त व बढ़ाते ह।सेहत के िलहाज से गाय का दध
ू फायदे मंद तो है ही, अब एक वैज्ञािनक ने दावा िकया है िक िहमाचल
प्रदे श म पली-बढ़ी गाय के दध
ू म पाया जाने वाला प्रोटीन दय की बीमारी, मधम
ु ेह से लड़ने म कारगर और मानिसक िवकास म सहायक
होता है ।गाय और गाय के दध
ू के बारे िजतना कहा जाए उतना ही कम होगा। गाय और उसके दध
ू के महान गण
ु को दे खकर ही तो गाय
को मां कहकर भगवान के समान स मान िदया गया है । भारत और खासकर िह द ू धमर् म तो गाय के महान और अनमोल गण
ु को दे खते
हुए उसे मां, दे वी और भगवान का दजार् िदया गया है , जो िक उिचत भी है । भारतीय गाय की एक खािशयत ऐसी है जो दिु नया की अ य
प्रजाितय की गाय म नहीं होती। भारतीय न ल की गाय के शरीर म एक सूयर् ग्रंिथ यानी सन ग्ल स पाई जाती है । इस सूयर् ग्रंिथ की ही
यह खािशयत है िक यह उसके दध
ू को बेहद गुणकारी और अमू य औषधी के प म बदल दे ती है ।
दध
ू एक अपारदशीर् सफेद द्रव है जो मादाओं के दग्ु ध ग्रि थय वारा बनाया जता है । नवजात िशशु तब तक दध
ू पर िनभर्र रहता है जब तक
वह अ य पदाथ का सेवन करने म अक्षम होता है । साधारणतया दध
ू म ८५ प्रितशत जल होता है और शेष भाग म ठोस त व यानी खिनज
व वसा होता है । गाय-भस के अलावा बाजार म िविभ न कंपिनय का पैक्ड दध
ू भी उपल ध होता है । दध
ू प्रोटीन, कैि शयम और
राइबो लेिवन ( िवटािमन बी -२) युक्त होता है , इनके अलावा इसम िवटािमन ए, डी, के और ई सिहत फॉ फोरस, मैग्नीिशयम, आयोडीन व
कई खिनज और वसा तथा ऊजार् भी होती है । इसके अलावा इसम कई एंजाइम और कुछ जीिवत रक्त कोिशकाएं भी हो सकती ह।[2]
चौधरी सरवन कुमार िहमाचल प्रदे श कृिष िव विव यालय म पशिु चिक सा सू मजैिवकी िवभाग के शोधािथर्य ने बताया, ‘पहाड़ी’ गाय की
न ल की दध
ू म ए-2 बीटा प्रोटीन यादा मात्रा म पाया जाता है और यह सेहत के िलए काफी अ छा है ।’ उ ह ने बताया िक िवभाग वारा
क्या ह ए1ए2 दध
ू िवज्ञान :---
1. मूल गाय के दध
ू म Proline अपने थान 67 पर बहुत ढता से आग्रह पूवक
र् अपने पडोसी थान 66 पर ि थत अमीनोएिसड
ु ा रहता है . पर तु जब प्रोलीन के
आइसो यूसीन Isoleucine से जड थान पर िहि टडीन आ जाता है तब इस िहि टडीन म अपने पडोसी
थान 66 पर ि थत आइसो युसीन से जड
ु े रहने की प्रबल इ छा नही पाई जाती. इस ि थित म यह एिमनो एिसड Histidine, मानव शरीर
की पाचन कृया म आसानी से टूट कर िबखर जाता है . इस प्रिक्रया से एक 7 एमीनोएिसड का छोटा प्रोटीन व द प से मानव शरीर म
अपना अलग आि त व बना लेता है . इस 7 एमीनोएिसड के प्रोटीन को बीसीएम 7 BCM7 (बीटा Caso Morphine7) नाम िदया जाता है .
2. BCM7 एक Opioid (narcotic) अफीम पिरवार का मादक त व है . जो बहुत शिक्तशाली Oxidant ऑक्सीकरण एजट के प म मानव
वा य पर अपनी ेणी के दस
ू रे अफीम जैसे ही मादक त व जैसा दरू गामी द ु प्रभाव छोडता है . िजस दध
ू म यह िवषैला मादक त व
बीसीएम 7 पाया जाता है , उस दध
ू को वैज्ञािनको ने ए1 दध
ू का नाम िदया है . यह दध
ू उन िवदे शी गौओं म पाया गया है िजन के डीएन मे
67 थान पर प्रोलीन न हो कर िहि टडीन होता है .
आर भ म जब दध
ू को बीसीएम7 के कारण बडे तर पर जानलेवा रोग का कारण पाया गया तब यूज़ीलड के सारे डेरी उ योग के दध
ू का
परीक्षण आर भ हुवा. सारे डेरी दध
ू पर करे जाने वाले प्रथम अनस ं ान मे जो दध
ु ध ू िमला वह बीसीएम7 से दिू षत पाया गया. इसी िलए यह
सारा दध
ू ए1 क लाया
तदप
ु रांत ऐसे दध
ू की खोज आर भ हुई िजस मे यह बीसीएम7 िवषैला त व न हो. इस दस
ू रे अनुसंधान अिभयान म जो बीसीएम7 रिहत दध
ू
पाया गया उसे ए2 नाम िदया गया. सुखद बात यह है िक िव व की मूल गाय की प्रजाित के दध
ू मे, यह िवष त व बीसीएम7 नहीं िमला,
इसी िलए दे सी गाय का दध
ू ए2 प्रकार का दध
ू पाया जाता है .
दे सी गाय के दध
ू मे यह वा य नाशक मादक िवष त व बीसीएम7 नही होता. आधुिनक वैज्ञािनक अनुसंधान से अमेिरका म यह भी पाया
गया िक ठीक से पोिषत दे सी गाय के दध
ू और दध
ू के बने पदाथर् मानव शरीर म कोई भी रोग उ प न नहीं होने दे ते. भारतीय पर परा म
इसी िलए दे सी गाय के दध
ू को अमत
ृ कहा जाता है . आज यिद भारतवषर् का डेरी उ योग हमारी दे सी गाय के ए2 दध
ू की उ पादकता का
मह व समझ ल तो भारत सारे िव व डेरी दध
ू यापार म सब से बडा दध
ू िनयार्तक दे श बन सकता है .
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दे सी गाय की पहचान-----
आज के वैज्ञािनक यग
ु म , यह भी मह व का िवषय है िक दे सी गाय की पहचान प्रामािणक तौर पर हो सके.साधारण बोल चाल मे िजन
गौओं म कुकुभ , गल क बल छोटा होता है उ हे दे सी नही माना जात, और सब को जसीर् कह िदया जाता है .
प्रामािणक प से यह जानने के िलए िक कौन सी गाय मल
ू दे सी गाय की प्रजाित की ह गौ का डीएनए जांचा जाता है . इस परीक्षण के िलए
गाय की पंछ
ू के बाल के एक टुकडे से ही यह सिु नि चत हो जाता है िक वह गाय दे सी गाय मानी जा सकती है या नहीं . यह अ याधिु नक
िवज्ञान के अनुस धान का िवषय है .
पाठक की जान कारी के िलए भारत सरकार से इस अनुसंधान के िलए आिथर्क सहयोग के प्रो साहन से भारतवषर् के वैज्ञािनक इस िवषय पर
अनुसंधान कर रहे ह और िनकट भिव य म वैज्ञािनक प से दे सी गाय की पहचान स भव हो सकेगी. इस मह वपूणर् अनुसंधान का कायर्
िद ली ि थत महाऋिष दयानंद गोस वद्धर्न कद्र की पहल और भागीदारी पर और कुछ भारतीय वैज्ञािनक के िनजी उ साह से आर भ हो
सका है .
ए1 दध
ू का मानव वा य पर द ु प्रभाव----
ज म के समय बालक के शरीर मे blood brain barrier नही होता . माता के तन पान कराने के बाद तीन चार वषर् की आयु तक शरीर म
यह लडब्रेन बैिरयर थािपत हो जाता है .इसी िलए ज मोपरांत माता के पोषन और तन पान वारा िशषु को िमलने वाले पोषण का,
बचपन ही मे नही, बडे हो जाने पर भिव य मे मि त क के रोग और शरीर की रोग िनरोधक क्षमता , वा य, और यिक्त व के िनमार्ण म
बा य काल के रोग-----
आजकल भारत वषर् ही म नही सारे िव व मे , ज मोपरा त ब च म जो Autism बोध अक्षमता और Diabetes type1 मधम
ु ेह जैसे रोग बढ
रहे ह उन का प ट कारण ए1 दध
ू का बीसीएम7 पाया गया है .
दिु नया भर म डेयरी उ योग आज चुपचाप अपने पशओ ू अथार्त ् BCM7 मुक्त ए2 दध
ु ं की प्रजनन नीितय म '' अ छा दध ू “ के उ पादन के
आधार पर बदलाव ला रही ह. वैज्ञािनक शोध इस िवषय पर भी िकया जा रहा है िक िकस प्रकार अिधक ए2 दध
ू दे ने वाली गौओं की
प्रजाितयां िवकिसत की जा सक.
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डेरी उ योग की भूिमका-----
मख्
ु य प से यह हािनकारक ए1 दध
ू होि टन फ्रीिज़यन प्रजाित की गाय मे ही िमलता है, यह भस जैसी दीखने वाली, अिधक दध
ू दे ने के
कारण सारे डेरी उ योग की पस दीदा गाय है . हो टीन फ्रीिज़यन दध
ू के ही कारण लगभग सारे िव व मे डेरी का दध
ू ए1 पाया गया . िव व
के सारे डेरी उ योग और राजनेताओं की आज यही किठनाइ है िक अपने सारे ए1 दध
ू को एक दम कैसे अ छे ए2 दध
ू मे पिरवितर्त कर.
आज िव व का सारा डेरी उ योग भिव य मे केवल ए2 दध
ू के उ पादन के िलए अपनी गौओं की प्रजाित मे न ल सध
ु ार के नये कायर् क्रम
चला रहा है . िव व बाज़ार मे भारतीय न ल के गीर वष
ृ भ की इसी िलए बहुत मांग भी हो गयी है. साहीवाल न ल के अ छे वष
ृ भ की भी
बहुत मांग बढ गयी है .
सब से पहले यह अनस
ु ंधान यज़
ू ीलड के वैज्ञािनक ने िकया था.पर तु वहां के डेरी उ योग और सरकारी तंत्र की िमलीभगत से यह वैज्ञािनक
अनुसंधान छुपाने के प्रय न से उ िवग्न होने पर, 2007 मे Devil in the Milk-illness, health and politics A1 and A2 Milk” नाम की
पु तक Keith Woodford कीथ वु फोडर् वारा यूज़ीलड मे प्रकािशत हुई. उप लेिखत पु तक म िव तार से लगभग 30 वष के िव व भर के
आधिु नक िचिक सा िवज्ञान और रोग के अनस
ु ंधान के आंकडो के आधार पर यह िसद्ध िकया जा सका है िक बीसीएम7 यक्
ु त ए1 दध
ू मानव
समाज के िलए िवष तु य है .
इन पंिक्तय के लेखक ने भारतवषर् मे 2007 म ही इस पु तक को युज़ीलड से मंगा कर भारत सरकार और डेरी उ योग के शीषर् थ
अिधकािरय का इस िवषय पर यान आकिषर्त कर के दे सी गाय के मह व की ओर वैज्ञािनक आधार पर प्रचार और यानाकषर्ण का एक
अिभयान चला रखा है .पर तु अभी भारत सरकार ने इस िवषय को ग भीरता से नही िलया है .
डेरी उ योग और भारत सरकार के गोपशु पालन िवभाग के अिधकारी यिक्तगत तर पर तो इस िवषय को समझने लगे ह परं तु भारतवषर्
की और डेरी उ योग की नीितय म बदलाव के िलए िजस नेत ृ व की आव यकता होती है उस के िलए त य के अितिरक्त सशक्त
जनजागरण भी आव यक होता है . इस के िलए जन साधारण को इन त य के बारे मे अवगत कराना भारत वषर् के हर दे श प्रेमी गोभक्त का
दािय व बन जाता है .
िव व मंगल गो ग्रामयात्रा इसी जन चेतना जागिृ त का शभ
ु ार भ है .
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दे सी गाय से िव वोद्धार----
भारत वषर् म यह िवषय डेरी उ योग के गले आसानी से नही उतर रहा, हमारा सम त डेरी उ योग तो हर प्रकार के दध
ू को एक जैसा ही
ू ही दे ना चािहये. िव व बाज़ार म
आज स पूणर् िव व म यह चेतना आ गई है िक बा याव था मे ब च को केवल ए2 दध युज़ीलड,
ओ ट्रे िलया, कोिरआ, जापान और अब अमेिरका मे प्रमािणत ए2 दध
ू के दाम साधारण ए1 डेरी दध
ू के दाम से कही अिधक ह .ए2 से दे ने वाली
गाय िव व म सब से अिधक भारतवषर् म पाई जाती ह. यिद हमारी दे सी गोपालन की नीितय को समाज और शासन का प्रो साहन िमलता
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गाय का पहला दध
ू हम वाइन लू से बचाएगा----
अब हम वाइन लू से बचाने 'गौ माता' आ रही ह। जी हां, एक तरफ दिु नया एच1एन1 वायरस से जझ
ू रही है तो दस
ू री तरफ दे श की
िम क कैिपटल के तौर पर मशहूर आणंद म गाय का दध
ू अपनी तमाम खूिबय की बदौलत इसका मुकाबला करने को तैयार हो रहा है ।
अमूल लगभग 50 दशक से दे श को 'अटरीर्, बटलीर्, िडिलशस' िम क प्रॉडक्ट बेच रहा है । पर अब अमूल ने अब इस घातक वायरस के िखलाफ
मोचार्बंदी करने के िलए मंब
ु ई की एक कंपनी से हाथ िमलाया है। यह कंपनी हाल ही म ब च को ज म दे ने वाली गाय का पहला दध
ू इकट्ठा
कर रही है । गौरतलब है िक यह दध
ू नवजात बछड़ म प्रितरोधक क्षमता बढ़ाता है । अमूल का िवचार एक ऐसा ओरल प्रे बनाने का है जो
इंसान के इ यून िस टम को एचआईवी और एच1एन1 वायरस से बचा सके।
यह दध
ू अमल
ू के िम क कोऑपरे िटव से इकट्ठा िकया जा रहा है । इसे नाम िदया गया है िरसे टर। इसकी मािकर्िटंग गज
ु रात कोऑपरे िटव
िम क मािकर्िटंग फेडरे शन करे गी। िरसे टर को मब
ुं ई के घरे लू और अंतररा ट्रीय हवाई अ ड पर ि थत आठ काउं टर से बेचा जा रहा है ।
ओरल पे पर िरसचर् करने वाली बायोिमक्स नेटवकर् िलिमटे ड के चेयरमैन डॉ. पवन सहारन का कहना है िक ज म दे ने के बाद िदए गए
पहले दध
ू को कोल ट्रम कहते ह। हम पहले नैनो िफ टरे शन से इसम से फैट अलग कर लेते ह। इसके बाद िमले नैनो पािटर् क स को हमने
राधा-108 नाम िदया है ।
भारत और अमेिरका म इसका पेटट करा िलया गया है । इसे मुंह म प्रे िकया जाएगा जहां से यह सीधे िदल के रा ते पूरे शरीर म पंप हो
जाएगा। इसके िक्लिनकल ट्रायल यूएस, नाइजीिरया और भारत म िकया गया है । ए स के मरीज म भी इससे काफी सुधार हुआ है , लू के
मरीज को भी इससे फायदा पहुंचा है ।
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गाय के दध
ू से नवजात म नहीं होती है एलजीर्---
िवटािमन डी का मह व----
िबना िवटािमन डी के कैि शयम जैसे खमिनज पदाथर् मानव शरीर कू पाचन वारा अ हर से उपल ध नही होते. कैि शयम मानव शरीर मे
पाए जाने वाले खिनज पदाथ मं 70% होता है , क्य िक सारा अि थ पंजर कैि शयम से बना होता है .
मानव शरीर की ह िडयां, मुख्य प से िवटािमन डी के ही वारा कैि शयम के सुपाचन से व थ और मज़बूत बनती ह. इसी से िलए
कैि शयम की गोली के साथ िवटािमन डी अव य िमला कर दे ते ह. ह िडय के कमज़ोरी से रजिनवक्
ृ त postmenopausal मिहलाओं को
अि थ रोग अिधक होते ह.
1980 के दशक के बाद कसर, डायािबटीज़ , थयरायड और वचा के रोग जैसे सोिरअिसस भी िवटािमन डी से जोड कर दे खे जा रहे ह.भस के
दध
ू मे य यिप कैि शयम तो बहुत होत है परं तु िवटािमन डी बहुत कम होता है . इस िलए भस के दध
ू से िवटािमन डी की कमी के सारे रोग
ु की मछिलय मे िवटािमन डी की प्रचुर मात्रा पाई जाती है . परं तु शाकाहािरय के िलए, गाय का दध
सूयर् के दशर्न के अितिरक्त, समद्र ू और
उस के बने पदाथर् ही िवटािमन डी का एक मात्र ोत ह.
कृित्रम िवटािमन का उ पादन
दध
ू मे िवटािमन डी बढाने के िलए कृित्रम िवटािमन डी बनाने की आव यकता हुई. िवदे श म गाय के आहार और दध
ू दोन मे अितिरक्त
िवटािमन डी िमलाया जाता है .
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एथलीट का प्रदशर्न होगा गाय के दध
ू से बेहतर ----
• यिक्तगत बाधा के िलए एक मुट्ठी िपसा हुआ नमक लेकर शाम को अपने िसर के ऊपर से तीन बार उतार ल और उसे दरवाजे के बाहर
फक। ऐसा तीन िदन लगातार कर। यिद आराम न िमले तो नमक को िसर के ऊपर वार कर शौचालय म डालकर लश चला द। िनि चत
प से लाभ िमलेगा।
• हमारी या हमारे पिरवार के िकसी भी सद य की ग्रह ि थित थोड़ी सी भी अनुकूल होगी तो हम िन चय ही इन उपाय से भरपूर लाभ
िमलेगा।
2.- https://www.vinayakvaastutimes.wordpress.com///;;;
---5.--http://www.vinayakvaastutimes.apnimaati.com/..;;
---6.--http://www.jyoteeshpragya.blogspot.com/...;;;
---7.---http://www.vinayak.merabhavishya.in/..;;;
---8.---http://www.vinayakvastutimes.webs.com/...;;;;
आप भी बुरी नजर से परे शान ह। चाहकर भी आप इससे मुक्त नहीं हो पा रहे ह। बुरी नजर के कारण ही हािन उठानी पड़ रही है और यथर्
का शारीिरक क ट भी िमल रहा है । बेबात बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है । मानिसक अि थरता, वाद-िववाद, गह
ृ क्लेश से जीवन का
सुख न जाने कहां चला गया है। मन म यह सोच िक कैसे इससे छुटकारा पाएं। यिद आप सोचते ह िक यह सब आपके साथ बेबात हो रहा
है तो समझ ल िक आप बुरी नजर से परे शान ह। तब तो आपको कुछ ऐसा करना पड़ेगा िजससे यह हो जाए िक बुरी नजर वाले, तेरा मुंह
काला।
बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला
कई बार हम दे खते है िक कुछ लोग िदन रात मेहनत करते ह िफर भी उ हे अपनी मेहनत के अनुसार िकए गए काम के पिरणाम
नही िमलते ह। ऐसा इसिलए होता है क्य िक उनकी िक मत साथ नही दे ती। लेिकन जब वो अपने िबजनेस या नौकरी िदशा बदलकर या
थान बदलकर काम करने लगते ह तो उनकी िक मत बदल जाती है उ हे आसनी से सफलता िमलने लगती है । अगर आप भी चाहते ह िक
आपकी िक मत आपके साथ हो तो अपने मूलांक के अनुसार अपने काम की िदशा चुन।
िबलकुल प ट है की घर भवन का दिक्षण पि चम कोण म कुआँ, जल बोिरंग या भिू मगत पानी का थान मधम
ु ेह बढता है .
सांसािरक जीवन की कामनाओं की बात हो तो िह द ू धमर् म भगवान िशव की भिक्त सवर् े ठ मानी गई है। िशव उपासना के िलए
सोमवार का िदन बहुत शभ
ु होता है । अगर आप भी चाहते ह िक आपके पास िनजी वाहन हो तो यहां िशव उपासना के िलए एक ऐसा सरल
उपाय बताया जा रहा है , जो वाहन सुख की कामना को पूरा करता है । जान िशव पूजा की सरल िविध और मंत्र -
- प्रात: नान कर िशव मंिदर म िशविलंग को शद्ध
ु जल से नान कराएं।
- िशविलंग पर दध
ू िमले जल की धारा अिपर्त कर। इस दौरान िशव का पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: िशवाय का मरण करते रह।
- िफर से पिवत्र जल से नान कराकर िशव की पूजा गंध, अक्षत, िब वपत्र अिपर्त कर। इन सामिग्रय के अलावा वाहन सुख की कामना पूरी
करने के िलए िवशेष प से भगवान िशव को चमेली के सुगंिधत और व छ फूल नीचे िलख सरल मंत्र से अिपर्त कर -
- ॐ हराय नम:
- ॐ महे वराय नम:
- ॐ श भवे नम:
- ॐ शल
ू पाणये नम:
- ॐ पशप
ु तये नम:
गोमती चक्र कम कीमत वाला एक ऐसा प थर है जो गोमती नदी मे िमलता है । िविभ न तांित्रक काय तथा असा य रोग म इसका प्रयोग
होता है । असा य रोग को दरु करने तथा मानिसक शाि त प्रा त करने के िलये लगभग 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी म डाल दे ना
चािहऐ। सब
ु ह उस पानी को पी जाना चािहऐ । इससे पेट संबध
ं के िविभ न रोग दरु होते है ।
क्य नहीं िनखर रही ह आपकी सु दरता ????( VASTU & BEAUTY)---
आइये जाने िववाह के बारे म सब कुछ...उपाय/टोटके...कब होगा??? कंु डली िमलन क्य ..???िकतने गुण िमलगे???आपकी राशी
अनस
ु ार िकस दे वता का कर पज
ू न..???
समय पर अपनी िज मेदािरय को पूरा करने की इ छा के कारण माता-िपता व भावी वर-वधू भी चाहते है िक अनुकुल समय पर ही िववाह
हो जाय. कु डली म िववाह िवल ब से होने के योग होने पर िववाह की बात बार-बार प्रयास करने पर भी कहीं बनती नहीं है . इस प्रकार की
ि थित होने पर शीघ्र िववाह के उपाय करने िहतकारी रहते है . उपाय करने से शीघ्र िववाह के मागर् बनते है . तथा िववाह के मागर् की बाधाएं
दरू होती है .
बह
ृ पित को दे वताओं का गु माना जाता है इनकी पूजा से िववाह के मागर् म आ रही सभी अड़चन वत: ही समा त हो जाती ह। इनकी
पूजा के िलए गु वार का िवशेष मह व है । गु वार को बह
ृ पित दे व को प्रस न करने के िलए पीले रं ग की व तुएं चढ़ानी चािहए। पीले रं ग
की व तुएं जैसे ह दी, पीला फल, पीले रं ग का व त्र, पीले फूल, केला, चने की दाल आिद इसी तरह की व तुएं गु ग्रह को चढ़ानी चािहए।
साथ ही शीघ्र िववाह की इ छा रखने वाले युवाओं को गु वार के िदन त रखना चािहए। इस त म खाने म पीले रं ग का खाना ही खाएं,
जैसे चने की दाल, पीले फल, केले खाने चािहए। इस िदन त करने वाले को पीले रं ग के व त्र ही पहनने चािहए। हालांिक इस त के कई
कठोर िनयम भी ह। ऊँ ग्रां ग्रीं ग्र स: मंत्र का पांच माला प्रित गु वार जप कर। गु ग्रह की पूजा के अितिरक्त िशव-पावर्ती का पूजन करने
से भी िववाह की मनोकामना पूणर् हो जाती ह। इसके िलए प्रितिदन िशविलंग पर क चा दध
ू , िब व पत्र, अक्षत, कुमकुम आिद चढ़ाकर
िविधवत पूजन कर।
स तम भाव िववाह एवं जीवनसाथी का घर माना जाता है । इस भाव म शिन का होना िववाह और वैवािहक जीवन के िलए शभ
ु संकेत नहीं
माना जाता है । इस भाव म शिन ि थत होने पर यिक्त की शादी सामा य आयु से दे री से होती है ।
स तम भाव म शिन अगर नीच रािश मे हो तो तब यह संभावना रहती है िक यिक्त काम पीड़ि◌त होकर िकसी ऐसे यिक्त से िववाह
करता है जो उम्र म उससे अिधक बड़ा होता है । शिन के साथ सूयर् की युित अगर स तम भाव म हो तो िववाह दे र से होता है एवं कलह से
घर अशांत रहता है ।
शिन िजस क या की कु डली म सूयर् या च द्रमा से युत या ट होकर लग्न या स तम म होते ह उनकी शादी म भी बाधा रहती है । शिन
िजनकी कु डली म छठे भाव म होता है एवं सूयर् अ ठम म और स तमेश कमजोर अथवा पाप पीड़ि◌त होता है ,उनके िववाह म भी काफी
बाधाएँ आती ह।
शिन और राहु की युित जब स तम भाव म होती है तब िववाह सामा य से अिधक आयु म होता है , यह एक ग्रहण योग भी है । इस प्रकार
की ि थित तब भी होती है जब शिन और राहु की युित लग्न म होती है और वह स तम भाव पर ि ट डालते ह। ज मपित्रका म शिन-राहु
की युित होने पर या स तमेश शक्र
ु अगर कमजोर हो तो िववाह अित िवल ब से होता है । िजन क याओं के िववाह म शिन के कारण दे री हो
उ ह हिरतािलका त करना चािहए या ज म कु डली के अनुसार उपाय करना लाभदायक रहता है ।
च द्रमा के साथ शिन की युित होने पर यिक्त अपने जीवनसाथी के प्रित प्रेम नहीं रखता एवं िकसी अ य के प्रेम म गह
ृ कलह को ज म
दे ता है । स तम शिन एवं उससे युित बनाने वाले ग्रह िववाह एवं गह
ृ थी के िलए सुखकारक नहीं होते ह। नवमांश कु डली या ज म कु डली
म जब शिन और च द्र की युित हो तो शादी 30 वषर् की आयु के बाद ही करनी चािहए क्य िक इससे पहले शादी की संभावना नहीं बनती है ।
िजनकी कु डली म च द्रमा स तम भाव म होता है और शिन लग्न म,उनके साथ भी यही ि थित होती है । इनकी शादी असफल होने की
प्रबल संभावना रहती है । िजनकी कु डली म लग्न थान से शिन वादश होता है और सूयर् िवतीयेश होता है या लग्न कमजोर होने पर
शादी बहुत िवल ब से होती है । ऐसी ि थित बनती है िक वह शादी नहीं करते।
क या ग्रहण के िवषय म मनु ने कहा है िक वह क या अिधक अंग वाली, वाचाल, िपंगल, वणर्वाली रोिगणी नहीं होनी चािहए।
िववाह म सिप ड, िवचार, गोत्र, प्रवर िवचार करना चािहए। िववाह म ि त्रय के िलए गु बल तथा पु ष के िलए रिवबल दे ख लेना चािहए।
क या एवं वर को च द्रबल े ठ अथार्त ् चौथा, आठवां, बारहवां, च द्रमा नहीं लेना चािहए। गु तथा रिव भी चौथे, आठव एवं बारहव नहीं लेने
चािहए।
िववाह म मास ग्रहण के िलए यास ने कहा है िक माघ, फा गुन, वैशाख, मागर्शीषर्, ये ठ, अषाढ़ मिहन म िववाह करने से क या
सौभाग्यवती होती है ।
रोिहणी, तीन उ तरा, रे वती, मूल, वाित, मग
ृ िशरा, मघा, अनुराधा, ह त ये नक्षत्र िववाह म शभ
ु ह। िववाह म सौरमास ग्रहण करना चािहए।
जैसे योितषशा त्र म कहा है –
---दान----
च द्रमा के नीच अथवा मंद होने पर शंख का दान करना उ तम होता है . इसके अलावा सफेद व त्र, चांदी, चावल, भात एवं दध
ू का दान भी
पीिड़त च द्रमा वाले यिक्त के िलए लाभदायक होता है . जल दान अथार्त यासे यिक्त को पानी िपलाना से भी च द्रमा की िवपरीत दशा म
सुधार होता है . अगर आपका च द्रमा पीिड़त है तो आपको च द्रमा से स बि धत र न दान करना चािहए. च दमा से स बि धत व तुओं का
दान करते समय यान रख िक िदन सोमवार हो और सं या काल हो. योितषशा त्र म च द्रमा से स बि धत व तुओं के दान के िलए
पीिड़त यिक्त को लाल रं ग का बैल दान करना चािहए. लाल रं ग का व त्र, सोना, तांबा, मसरू दाल, बताशा, मीठी रोटी का दान दे ना चािहए.
मंगल से स बि धत र न दान दे ने से भी पीिड़त मंगल के द ु प्रभाव म कमी आती है . मंगल ग्रह की दशा म सुधार हे तु दान दे ने के िलए
मंगलवार का िदन और दोपहर का समय सबसे उपयुक्त होता है . िजनका मंगल पीिड़त है उ ह मंगलवार के िदन त करना चािहए और
ब्रा मण अथवा िकसी गरीब यिक्त को भर पेट भोजन कराना चािहए. मंगल पीिड़त यिक्त के िलए प्रितिदन 10 से 15 िमनट यान करना
उ तम रहता है . मंगल पीिड़त यिक्त म धैयर् की कमी होती है अत: धैयर् बनाये रखने का अ यास करना चािहए एवं छोटे भाई बहन का
ख्याल रखना चािहए.
लाल कपड़े म स फ बाँधकर अपने शयनकक्ष म रखनी चािहए।
ऐसा यिक्त जब भी अपना घर बनवाये तो उसे घर म लाल प थर अव य लगवाना चािहए।
ब धुजन को िम ठा न का सेवन कराने से भी मंगल शभ
ु बनता है ।
लाल व त्र ले कर उसम दो मठ्ठ
ु ी मसरू की दाल बाँधकर मंगलवार के िदन िकसी िभखारी को दान करनी चािहए।
मंगलवार के िदन हनुमानजी के चरण से िस दरू ले कर उसका टीका माथे पर लगाना चािहए।
बंदर को गुड़ और चने िखलाने चािहए।
अपने घर म लाल पु प वाले पौधे या वक्ष
ृ लगाकर उनकी दे खभाल करनी चािहए।
मंगल के द ु प्रभाव िनवारण के िलए िकए जा रहे टोटक हे तु मंगलवार का िदन, मंगल के नक्षत्र (मग
ृ िशरा, िचत्रा, धिन ठा) तथा मंगल की
होरा म अिधक शभ
ु होते ह।
---क्या न कर----
आपका मंगल अगर पीिड़त है तो आपको अपने क्रोध नहीं करना चािहए. अपने आप पर िनयंत्रण नहीं खोना चािहए. िकसी भी चीज़ म
ज दबाजी नहीं िदखानी चािहए और भौितकता म िल त नहीं होना चािहए
---बुध के उपाय----
बुध की शांित के िलए वणर् का दान करना चािहए. हरा व त्र, हरी स जी, मूंग का दाल एवं हरे रं ग के व तुओं का दान उ तम कहा जाता है .
िजनकी कु डली म शिन कमज़ोर ह या शिन पीिड़त है उ ह काली गाय का दान करना चािहए. काला व त्र, उड़द दाल, काला ितल, चमड़े का
जत
ू ा, नमक, सरस तेल, लोहा, खेती योग्य भूिम, बतर्न व अनाज का दान करना चािहए. शिन से स बि धत र न का दान भी उ तम होता है .
शिन ग्रह की शांित के िलए दान दे ते समय यान रख िक सं या काल हो और शिनवार का िदन हो तथा दान प्रा त करने वाला यिक्त
ग़रीब और वद्ध
ृ हो.शिन के कोप से बचने हे तु यिक्त को शिनवार के िदन एवं शक्र
ु वार के िदन त रखना चािहए. लोहे के बतर्न म दही
चावल और नमक िमलाकर िभखािरय और कौओं को दे ना चािहए. रोटी पर नमक और सरस तेल लगाकर कौआ को दे ना चािहए. ितल और
चावल पकाकर ब्रा मण को िखलाना चािहए. अपने भोजन म से कौए के िलए एक िह सा िनकालकर उसे द. शिन ग्रह से पीिड़त यिक्त के
िलए हनुमान चालीसा का पाठ, महाम ृ युंजय मंत्र का जाप एवं शिन तोत्रम का पाठ भी बहुत लाभदायक होता है . शिन ग्रह के द ु प्रभाव से
बचाव हे तु गरीब, वद्ध
ृ एवं कमर्चािरयो के प्रित अ छा यवहार रख. मोर पंख धारण करने से भी शिन के द ु प्रभाव म कमी आती है .
शिनवार के िदन पीपल वक्ष
ृ की जड़ पर ित ली के तेल का दीपक जलाएँ।
शिनवार के िदन लोहे , चमड़े, लकड़ी की व तुएँ एवं िकसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चािहए।
शिनवार के िदन बाल एवं दाढ़ी-मँछ
ू नही कटवाने चािहए।
भ डरी को कड़वे तेल का दान करना चािहए।
िभखारी को उड़द की दाल की कचोरी िखलानी चािहए।
िकसी दःु खी यिक्त के आँसू अपने हाथ से प छने चािहए।
घर म काला प थर लगवाना चािहए।
शिन के द ु प्रभाव िनवारण के िलए िकए जा रहे टोटक हे तु शिनवार का िदन, शिन के नक्षत्र (पु य, अनुराधा, उ तरा-भाद्रपद) तथा शिन की
होरा म अिधक शभ
ु फल दे ता है ।
----क्या न कर---
जो यिक्त शिन ग्रह से पीिड़त ह उ ह गरीब , वद्ध
ृ एवं नौकर के प्रित अपमान जनक यवहार नहीं करना चािहए. नमक और नमकीन
पदाथ के सेवन से बचना चािहए, सरस तेल से बन पदाथर्, ितल और मिदरा का सेवन नहीं करना चािहए. शिनवार के िदन सेिवंग नहीं
अपनी शिक्त के अनुसार सं या को काले-नीले फूल, गोमेद, नािरयल, मूली, सरस , नीलम, कोयले, खोटे िसक्के, नीला व त्र िकसी कोढ़ी को
दान म दे ना चािहए। राहु की शांित के िलए लोहे के हिथयार, नीला व त्र, क बल, लोहे की चादर, ितल, सरस तेल, िव युत उपकरण, नािरयल
एवं मूली दान करना चािहए. सफाई किमर्य को लाल अनाज दे ने से भी राहु की शांित होती है . राहु से पीिड़त यिक्त को इस ग्रह से
स बि धत र न का दान करना चािहए. राहु से पीिड़त यिक्त को शिनवार का त करना चािहए इससे राहु ग्रह का द ु प्रभाव कम होता है .
मीठी रोटी कौए को द और ब्रा मण अथवा गरीब को चावल और मांसहार कराय. राहु की दशा होने पर कु ट से पीिड़त यिक्त की सहायता
करनी चािहए. गरीब यिक्त की क या की शादी करनी चािहए. राहु की दशा से आप पीिड़त ह तो अपने िसरहाने जौ रखकर सोय और सुबह
उनका दान कर द इससे राहु की दशा शांत होगी.
ऐसे यिक्त को अ टधातु का कड़ा दािहने हाथ म धारण करना चािहए।
हाथी दाँत का लाकेट गले म धारण करना चािहए।
अपने पास सफेद च दन अव य रखना चािहए। सफेद च दन की माला भी धारण की जा सकती है ।
जमादार को त बाकू का दान करना चािहए।
िदन के संिधकाल म अथार्त ् सय
ू दय या सय
ू ार् त के समय कोई मह वपण
ू र् कायर् नही करना चािहए।
यिद िकसी अ य यिक्त के पास पया अटक गया हो, तो प्रातःकाल पिक्षय को दाना चुगाना चािहए।
झुठी कसम नही खानी चािहए।
राहु के द ु प्रभाव िनवारण के िलए िकए जा रहे टोटक हे तु शिनवार का िदन, राहु के नक्षत्र (आद्रार्, वाती, शतिभषा) तथा शिन की होरा म
अिधक शभ
ु होते ह।
----क्या न कर---
मिदरा और त बाकू के सेवन से राहु की दशा म िवपरीत पिरणाम िमलता है अत: इनसे दरू ी बनाये रखना चािहए. आप राहु की दशा से
परे शान ह तो संयुक्त पिरवार से अलग होकर अपना जीवन यापन कर.
-----केतु के उपाय----
िकसी यव
ु ा यिक्त को केतु किपला गाय, दरु ं गा, कंबल, लहसिु नया, लोहा, ितल, तेल, स तधा य श त्र, बकरा, नािरयल, उड़द आिद का दान
करने से केतु ग्रह की शांित होती है । योितषशा त्र इसे अशभ
ु ग्रह मानता है अत: िजनकी कु डली म केतु की दशा चलती है उसे अशभ
ु
पिरणाम प्रा त होते ह. इसकी दशा होने पर शांित हे तु जो उपाय आप कर सकते ह उनम दान का थान प्रथम है . योितषशा त्र कहता है
केतु से पीिड़त यिक्त को बकरे का दान करना चािहए. क बल, लोहे के बने हिथयार, ितल, भूरे रं ग की व तु केतु की दशा म दान करने से
केतु का द ु प्रभाव कम होता है . गाय की बिछया, केतु से स बि धत र न का दान भी उ तम होता है . अगर केतु की दशा का फल संतान को
भुगतना पड़ रहा है तो मंिदर म क बल का दान करना चािहए. केतु की दशा को शांत करने के िलए त भी काफी लाभप्रद होता है . शिनवार
एवं मंगलवार के िदन त रखने से केतु की दशा शांत होती है . कु ते को आहार द एवं ब्रा मण को भात िखलाय इससे भी केतु की दशा
शांत होगी. िकसी को अपने मन की बात नहीं बताएं एवं बुजग
ु एवं संत की सेवा कर यह केतु की दशा म राहत प्रदान करता है ।
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----क्य नहीं करना चािहए एक ही गौत्र म िववाह ??????
ब्रा मण के िववाह म गौत्र-प्रवर का बड़ा मह व है । पुराण व मिृ त ग्रंथ म बताया गया है िक यिद कोई क या संगौत्र हो, िकं तु सप्रवर न हो
अथवा सप्रवर हो िकं तु संगौत्र न हो, तो ऐसी क या के िववाह को अनुमित नहीं दी जाना चािहए।
िव वािमत्र, जमदिग्न, भार वाज, गौतम, अित्र, विश ठ, क यप- इन स तऋिषय और आठव ऋिष अगि त की संतान 'गौत्र" कहलाती है । यानी
1- इस उपाय से आप बनगे धनवान :- भगवान ीकृ ण को सफेद िमठाई या खीर का भोग लगाएं। इसम तल
ु सी के प ते अव य डाल।
2- मालामाल होना :- इस िदन दिक्षणावतीर् शंख म जल भरकर भगवान ीकृ ण का अिभषेक कर।
3- केसे हो सुख - शांित :- ीकृ ण मंिदर म जाकर तुलसी की माला से नीचे िलखे मंत्र की 11 माला जप कर। इसके बाद भगवान ीकृ ण
को पीला व त्र व तल
ु सी के प ते अिपर्त कर. मंत्र - {"क्लीं कृ णाय वासद
ु े वाय हिर: परमा मने प्रणत: क्लेशनाशाय गोिवंदाय नमो नम:"}
4- केसे हो मां ल मी की कृपा :- ीकृ ण को पीतांबरधारी भी कहते ह, िजसका अथर् है पीले रं ग के कपड़े पहनने वाला। इस िदन पीले रं ग के
कपड़े, पीले फल व पीला अनाज दान करने से प्रा त होती है ।
5- केसे हो ितजोरी म पैसा :- ज मा टमी की करीब 12 बजे भगवान ीकृ ण का केसर िमि त दध
ू से अिभषेक कर तो जीवन म कभी धन
की कमी नहीं आती।
6- जेब खाली नहीं होगी :- इस िदन भगवान ीकृ ण की पूजा करते समय कुछ पए इनके पास रख द। पूजन के बाद ये पए अपने पसर्
म रख ल।
7- घर के वातावरण के िलए :- ज मा टमी को शाम के समय तल
ु सी को गाय के घी का दीपक लगाएं और "ऊँ वासुदेवाय नम:" मंत्र बोलते
हुए तुलसी की 11 पिरक्रमा कर।
पौरािणक कथा के अनुसार एक बार भगवान शंकर, माँ पावर्ती के साथ लोक-भ्रमण के िलए िनकले. भ्रमण करते हुए दोन एक घोर भयानक
िनजर्न प्रदे श म आए. वहां दे खा िक एक साधक गुफा म मंत्र-साधना म लीन है और एक मंत्र का िनरं तर जाप कर रहा है . उसका मंत्र जाप
सन
ु कर भगवान शंकर चक गए और क णा भरी ि ट से पावर्ती की ओर दे खकर बोले-‘सती , यह अशद्ध
ु उ चरण कर रहा है . इसका अ छा
फल तो िमलेगा नहीं उ टे म ृ यु को प्रा त करे गा.‘
पावर्तीजी बोली-‘भगवान, इसके ज मदाता तो आप ही ह. अपने मंत्र को इतना िक्ल ट क्य बना िदया. अगर यह मर गया, तो इसका दोष
आपको ही लगेगा.‘ भगवान शंकर पावर्ती का यह तकर् सन
ु कर मौन हो गए. कुछ क्षण बाद बोले-‘ तम
ु ठीक कहती हो पावर्ती. इनका सरल
हम सभी जानते ह िक िक्रया की प्रितिक्रया और प्रितिक्रया की भी कोई न कोई िक्रया अव य होती है । इ हीं िक्रयाओं और प्रितिक्रयाओं का
अिहतीय उदाहरण हमारा ब्र मा ड है । ब्र मा ड म ि थत उजार्य चाहे वह गु वाकषर्णीय, चु बकीय, िव युतीय हो या विन घषर्ण, गजर्न,
भूकंपीय, चक्रवात इ यािद हो सदै व सिक्रय रहती ह। उजार्ओं की सिक्रयता ही इस चराचर जगत को चलायमान बनाती है । इ हीं उजार्ओं के
कारण ही इस जगत का संबंध स पूणर् ब्र मा ड म जड़
ु जाता है और तभी “यत ् िप डे तत ् ब्र मा ड” जैसे वेद वाक्य रचा जाता है ।
सभी प्रािणय के जीवन म वा तु का बहुत मह व होता है । तथा जाने व अनजाने म वा तु की उपयोिगता का प्रयोग भलीभांित करके अपने
जीवन को सुगम बनाने का प्रयास करते रहत है । प्रकृित वारा सभी प्रािणय को िभ न-िभ न प म ऊजार्य प्रा त होती रहती है । इनम कुछ
प्रािणय के जीवन चक्र के अनुकूल होती है तथा कुछ पर प्रितकूल प्रभाव डालती है। अतः सभी प्राणी इस बात का प्रयास करते रहते है िक
अनुकूल ऊजार्ओं का अिधक से अिधक लाभ ल तथा प्रितकूल ऊजार् से बच।
वा तु की संरचना वैिदक िवज्ञान म आ याि मक होने के साथ-2 पूणर् वैज्ञािनक भी है । वा तु की वैज्ञािनक पिरक पना का मूल आधार प ृ वी
और सौर मंडल म ि थत ग्रह व उनकी कक्षाएं ह। हम ग्रह के प्रभाव को प्र यक्ष दे ख तो नहीं सकते ह मगर उनके प्रभाव को अनुभव अव य
कर सकते ह। इनके प्रभाव इतने सू म व िनरं तर होते ह िक इनकी गणना व आंकलन एक िदन या िनि चत अविध म लगना संभव नहीं है ।
वा तुशा त्र के अ तगर्त इन ग्रह व इनकी उजार्ओं को प ृ वी के सापेक्ष म रखकर अ ययन िकया गया है । इसी अ ययन का िव लेषण वा तु
के वैज्ञािनक पक्ष के प म हमारे सामने आता है।
वा तु शा त्र का आधार प्रकृित है । आकाश, अिग्न, जल, वायु एवं प ृ वी इन पांच त व को वा त-ु शा त्र म पंचमहाभत
ू कहा गया है । शैनागम
एवं अ य दशर्न सािह य म भी इ हीं पंच त व की प्रमुखता है । अर तु ने भी चार त व की क पना की है । चीनी फगशई
ु म केवल दो त व
की प्रधानता है - वायु एवं जल की। व तुतः ये पंचत व सनातन ह। ये मनु य ही नहीं बि क संपूणर् चराचर जगत पर प्रभाव डालते ह।
वा तु शा त्र प्रकृित के साथ सामंज य एवं समरसता रखकर भवन िनमार्ण के िसद्धांत का प्रितपादन करता है । ये िसद्धांत मनु य जीवन से
गहरे जड़
ु े ह। अथवर्वेद म कहा गया है - ¬ प चवािह वह यग्रमेशां प्र टयो युक्ता अनु सवह त। अयातम य द ये नयातं पर नेिदयो{वर दवीय
।। 10 /8 ।। सिृ टकतार् परमे वर प ृ वी, जल, तेज (अिग्न), प्रकाश, वायु व आकाश को रचकर, उ ह संतुिलत रखकर संसार को िनयमपूवक
र्
चलाते ह। मननशील िव वान लोग उ ह अपने भीतर जानकर संतिु लत हो प्रबल प्रश त रहते ह। इ हीं पांच संतिु लत त व से िनवास गह
ृ व
कायर् गह
ृ आिद का वातावरण तथा वा तु शद्ध
ु व संतुिलत होता है , तब प्राणी की प्रगित होती है । ऋग्वेद म कहा गया है - ये आ ते प त
चरित य च प यित नो जनः। तेषां सं ह मो अक्षिण यथेदं ह थ तथा। प्रो ठे शया वहनेशया नारीयार् त पशीवरीः। ि त्रायो या: पु यग धा ता
भारतीय वा .मय म आिधभौितक वा तुकला (आिकर्टे क्चर) तथा वा तु-शा त्र का िजतना उ चकोिट का िव तत
ृ िववरण ऋग्वेद, अथवर्वेद,
यजव
ु द म उपल ध है , उतना अ य िकसी सािह य म नहीं। गह
ृ के मुख्य वार को गह
ृ मुख माना जाता है । इसका वा तु शा त्र म िवशेष
मह व है । यह पिरवार व गह
ृ वामी की शालीनता, समिृ द्ध व िव व ता दशार्ता है । इसिलए मख्
ु य वार को हमेशा बाकी वार की अपेक्षा बड़ा
व सुसि जत रखने की प्रथा रही है । पौरािणक भारतीय सं कृित के अनुसार इसे कलश, नािरयल व पु प, केले के पत्र या वाि तक आिद से
अथवा उनके िचत्र से सुसि जत करना चािहए। मुख्य वार चार भुजाओं की चैखट वाला हो। इसे दहलीज भी कहते ह। इससे िनवास म
गंदगी भी कम आती है तथा नकारा मक ऊजार्एं प्रवेश नहीं कर पातीं।
प्रातः घर का जो भी यिक्त मुख्य वार खोले, उसे सवर्प्रथम दहलीज पर जल िछड़कना चािहए, तािक रात म वहां एकित्रत दिू षत ऊजार्एं
घुलकर बह जाएं और गह
ृ म प्रवेश न कर पाएं। गिृ हणी को चािहए िक वह प्रातः सवर्प्रथम घर की साफ-सफाई करे या कराए। त प चात
वयं नहा-धोकर मख्
ु य प्रवेश वार के बाहर एकदम सामने थल पर साम य के अनस
ु ार रं गोली बनाए। यह भी नकारा मक ऊजार्ओं को
रोकती है । मुख्य प्रवेश वार के ऊपर केसिरया रं ग से 9ग9 पिरमाण का वाि तक बनाकर लगाएं।
मुख्य प्रवेश वार को हरे व पीले रं ग से रं गना वा तुस मत होता है । खाना बनाना शु करने से पहले पाकशाला का साफ होना अित
आव यक है । रोसोईये को चािहए िक मंत्र पाठ से ई वर को याद करे और कहे िक मेरे हाथ से बना खाना वािद ट तथा सभी के िलए
वा यवद्धर्क हो। पहली चपाती गाय के, दस
ू री पिक्षय के तथा तीसरी कु ते के िनिम त बनाए। तदप
ु रांत परिवार का भोजन आिद बनाए।
िवशेष वा तु उपचार िनवास गह
ृ या कायार्लय म शद्ध
ु ऊजार् के संचार हे तु प्रातः व सायं शंख- विन कर। गुग्गुल यक्
ु त धूप व अगरव ती
प्र विलत कर तथा ¬ का उ चारण करते हुए सम त गह
ृ म धम्र
ू को घम
ु ाएं। प्रातः काल सय
ू र् को अघ्र्य दे कर सय
ू र् नम कार अव य कर। यिद
पिरवार के सद य का वा य अनुकूल रहे गा, तो गह
ृ का वा य भी ठीक रहे गा। यान रख, आईने व झरोख के शीश पर धूल नहीं रहे ।
उ ह प्रितिदन साफ रख। गह
ृ की उ तर िदशा म िवभूषक फ वारा या मछली कंु ड रख। इससे पिरवार म समिृ द्ध की विृ द्ध होती है ।
प्रकृित के पंच त व व उनकी उजार्ए ही वा तु को जीवंत बनाती ह। जीवंत वा तु ही खश
ु हाल जीवन दे सकता है । इस त य से हम वा तु की
उपयोिगता व वैज्ञािनकता को समझ सकते ह। वा तु कोई जाद ू या चम कार नहीं है अिपत ् शद्ध
ु िवज्ञान है । िवज्ञान का पिरणाम उसके
िसद्धा त िक्रया-प्रितिक्रया पर िनभर्र करते ह उसी प्रकार वा तु का लाभदायी पिरणाम इसके चयन, िसद्धा त िनमार्ण इ यािद पर िनभर्र करता
है । वा तु िसद्धा त के अनस
ु ार यिद चयन से िनमार्ण व रख रखाब पर यान िदया जाये तो वा तु का शत प्रितशत पण
ू र् लाभ प्रा त होता है ।
केसे कर िपतद
ृ ोष िनवारण-----------
1 िपतद
ृ ोष िनवारण के िलए ाद्ध करे । समयाभाव म भी सवर्िपत ृ अमाव या या आि वन कृ ण अमाव या के िदन ाद्ध अव य द्धापूवक
र् करे ।
2 गु वार के िदन सायंकाल के समय पीपल पेड की जड पर जल चढाकर सात बार पिरक्रमा कर घी का दीपक जलाए।
3 प्रितिदन अपने भोजन मे से गाय, कुते व कौओ को अव य िखलाए।
4 भागवत कथा पाठ कराए ा वण करे ।
5 नरायण बली, नागबली आिद िपतद
ृ ोष शांित हे तु करे ।
6 माह म एक बार द्रािभषेक करे । संभव नही होने पर ावण मास म द्रािभषेक अव य करे ।
7 अपने कुलदे वी-दे वता का पुजन करते रहे ।
8 ाद्ध काल म िपतस
ृ ुक्त का प्रितिदन पाठ अव य करे ।
कुछ सामा य एवं प्रभावी उपाय िजनसे ह गे शिनकृत रोग दरू -----
1- शिन मुिद्रका (शिनवार के िदन) शिन मंत्र का जाप करते हुये धारण कर। काले घोडे की नाल या नव की िकल से बनी होनी चािहए यह
शिन मुिद्रका/अंगूठी...
2 -बीसा यंत्र मे नीलम जडकर धारण कर। शिन यंत्र को शिनवार के िदन, शिन की होरा म अ टगंध म भोजपत्र पर बनाकर उडद के आटे से
दीपक बनाकर उसम तेल डालकर दीप प्र जविलत कर। िफर शिन मंत्र का जाप करते हुये यंत्र पर खेजडी के फुल पत्र अिपर्त कर। त प चात
इसे धारण करने से राहत िमलती ह।
3- उडद के आटे की रोटी बनाकर उस पर तेल लगाय। िफर कुछ उडद के दाने उस पर रख। अब रोगी के उपर से सात बार उसारकर
शमशान म उसे रख आय। घर से िनकालते समय व वािपस घर आते समय पीछे कदािप नही दे ख एवं न ही इस अविध म िकसी से बात
4- िमट्टी के नये छोटे घडे म पानी भरकर रोगी पर से सात बार उसार कर उस जल से 23 िदन खेजडी (खेजड़ी अिधकतर रे िग तान म िमलने
वाला पेड़ ह जो कांटेदार होता ह )को सींच।
इस अविध म रोगी के िसर से नख तक की नाप का काला धागा भी प्रितिदन खेजडी पर लपेटते रह। इससे भी जातक को चम कािरक ढं ग
से राहत िमलती ह।
5-सात शिनवार को बीस नाखून को काटकर घर पर ही इकट्ठे कर ल। िफर एक नािरयल, क चे कोयले, काले ितल व उडद काले कपडे म
बांधकर शरीर से उसारकर िकसी बहते पिवत्र जल म रोगी के कपड के साथ प्रवािहत कर। यिद रोगी वंय करे तो नान कर कपडे वहीं छोड
द एवं नये कपडे पहन कर घर पर आ जाये। राहत अव य िमलेगी।
6-िकसी बतर्न म तेल को गमर् करके उसम गुड डालकर गुलगुले उठने के बाद उतार कर उसम रोगी अपना मुंह दे खकर िकसी िभखारी को दे
या उडद की बनी रोटी पर इसे रखकर भसे को िखला दे । शिनकृत रोग का सरलतम उपाय ह।
7-शिन के ती तम प्रकोप होने पर शिन मंत्र का जाप करना, सातमुखी द्राक्ष की अिभमंित्रत माला धारण करना एवं िन य प्रित भोजन म से
कौओं, कु ते व काली गाय को िखलाते रहना, यह सभी उपाय शिन कोप को कम करते ह।
इन उपाय को िकसी िव वान की दे ख-रे ख या मागर्दशर्न म करने से वांिछत लाभ िमल सकता है। शमशान पर जाते समय भय नहीं रख।
तंत्रोक्त धागा पहन कर भी जानने से द ु ट प्रविृ तयां कुछ नही कर पाती ह।
अगर आप बढ़ते मोटापे से परे शान ह और एक्सरसाइज के िलए टाइम नहीं िनकाल पाते ह तो टशन न ल। आप बढ़ते मोटापे को रोक सकते
ह वो भी दे सी इलाज से। एरं ड यानी अर डी भारत म बहुत अिधक पाया जाता है । इसका आयुविदक तरीके से प्रयोग करके आप मोटापा घटा
सकते ह। लेिकन उससे पहले आपको बता द िक अरं डी या एरं ड की क्या पहचान है ..???
एरं ड के पौधे के तने, प त और टहिनय के ऊपर धूल जैसा आवरण रहता है , जो हाथ लगाने पर िचपक जाता है । ये दो प्रकार का होते ह
लाल रं ग के तने और प ते वाले एरं ड को लाल और सफेद रं ग के होने पर सफेद एरं ड कहते ह।एरं ड दो प्रकार का होता है पहला सफेद और
दस
ू रा लाल।
एरं ड की जड़ का काढ़ा छानकर एक-एक च मच की मात्रा म शहद के साथ िदन म तीन बार सेवन कर। एरं ड के प ते, लाल चंदन, सहजन
के प ते, िनगुर् डी को बराबर मात्रा म लेकर पीस ल, बाद म 2 किलयां लहसन
ु की डालकर पकाकर काढ़ा बनाकर रखा रहने द इसम से जो
भाप िनकले उसकी उस भाप से गला सकने और काढ़े से कु ला करना चािहए। एरं ड के प त का क्षार को हींग डालकर पीये और ऊपर से
चावल खाएं। इससे लाभ हो जाता है ।अर ड के प त की स जी बनाकर खाने से मोटापा दरू हो जाता है ।
आयव
ु द म कहा गया है िक लहसन
ु के िनयिमत इ तेमाल से आप बढ़ती उम्र म भी यवु ापन का एहसास कर सकते ह। लहसन
ु
आंत के कीड़ को िनकाल दे ता है । घाव को शीघ्र भरता है । लेिकन इन तमाम रोग म क चा लहसुन ही िवशेष फायदे मंद होता है । न िक
यवसाियक प म लहसुन से बनाई गई दवाई।
शायद वन पित जात की यह इकलौती वन पित है िजसम सभी िवटािमन और खिनज है । इसीिलए लहसुन बाल के िलए भी फायदे मंद है ।
केवल लहसुन का सेवन ही नहीं बि क इसके तेल से भी बाल से जड़
ु ी सारी सम याओं से िनजात पाई जा सकती है ।
बाल झडऩा- 50 ग्राम सरस का तेल, एक लहसुन की सब किलयां छीलकर डाल द। मंदािग्र म पकाएं। किलया जल जाएं तो उतारकर,
छानकर बोतल म भर द। रोज रात को सोने से पहले मािलश कर।
बाल का पकना- उपरोक्त बनाए हुए तेल की मािलश आधा घंटा करना चािहए।
बाल काले करना-5 किलय को 50 िम.ग्राम जल म पीस ल िफर 10 ग्राम शहद िमलाकर सुबह सेवन कर।
यूं तो पपीता की यूिट्रशन वै यू बहुत है लेिकन यह वचा को िनखारने का काम भी करता है । इसे क्रब की तरह इ तेमाल करने से वचा
की चमक बढ़ जाती है । इसे क्रब को घर पर ही तैयार िकया जा सकता है ।सबसे पहले पपीते को अ छी तरह मैश कर ल। इसम एक चुटकी
ह दी , दो च मच बेसन और साबत
ु उड़द का पे ट ( ह का दरदरा ) िमला ल। हाथ से अ छी तरह िमक्स कर ल। इस िमक्सचर को चेहरे
पर लगा ल। अब इसके ऊपर लाि टक सीट लगा द।20 िमनट लगा रहने द। इसके बाद धो द। यह ि कन को अंदर तक क्लीन करता है ।
इसे 15 िदन म एक बार लगा ल , तो आपको बहुत फायदा होगा। लेिकन अगर आपने हे यर िरमूिवंग के िलए वैक्स और रे जर का प्रयोग
िकया है , तो उसके दो िदन बाद तक इस क्रब को यज
ू न कर
िप पल हो तो ये आजमाए-------
यिद आपके चेहरे म िप पल िदख जाए और हर तरह से उपाय करने के बावजद
ू वह कम ना हो तो घबराने की ज़ रत नहीं है बि क अपनी
वचा को धूप की िकरण से बचाकर रख। पयार् त मात्रा म पानी िपएँ और आम, िभंडी, फूल गोभी, काजू तथा मँग
ू फली के सेवन से बच।
वैसे तो बाज़ार म बने बनाए फेसपैक िमलते ह, िजनका बहुत लोग इ तेमाल करते ह गे लेिकन ये मंहगे होने के साथ-साथ रसायन िमले हुए िमलते ह।
यिद वह आपकी वचा के अनुकूल नहीं हुए तो एलजीर् का डर रहता है । आप घर म आसानी से उपल ध होने वाली व तुओं से फैसपैक बन सकते ह।
१—- एक अंडे की सफेदी और कुछ बंद
ू नींबू का रस अ छी तरह से फट ल। यह मा क तैलीय वचा के िलये बहुत अ छी रहती है ।
२—- ऐसी वचा को जो शु क और तैलीय का िम ण हो गाजर के रस , बेसन , शहद और जैतून का तेल से बने पैक से बहुत फ़ायदा होता है ।
३—- आटे का चोकर और दध
ू िमलाकर तैयार िकया गया पे ट िनयिमत प से इ तेमाल करने पर म स के दाग ह के पड़ जाते ह।
४—-कुछ अंगरू के दान को मसलकर तैलीय वचा के िलये अंडे की सफ़ेदी व शु क वचा के िलये अंडे की ज़दीर् िमलाकर फट।
ज री 30 यट
ू ी िट स ---
साघारण उपाय भी मेकअप को खास और आसान बनाते है । कब, कहां और कैसे इन उपाय को अपनाएं, आइए जान .....
1. तेज गंघवाले शपू का इ तेमाल करने के बजाय अपने हे अर ब्रश के दांतो का पर यम
ू िछडक और इससे कंघी कर। सारे िदन आपके बाल
से गजब की महक आएगी। तेज गंघवाले शपू बाल को हािन पहुँचाते है । बाल भी सलामत रहगे और िदनभर आपको मनपसंद खश
ु बू भी
िमलती रहे गी।
2. एिडय पर िनयिमत पेट्रोिलयम जैली लगाने के बाद 20 िमनट तक सत
ू ी मोजे पहन कर रख। आपकी एिडयां कभी नहीं फटगी।
3. गहरे रं ग की िलपि टक सादी ई से प छने के बाद भी नहीं िनकलती। ई की बजाय िटशू पेपर का पेकअप िरमव
ू र म डुब कर इ तेमाल
कर।
4. रात को सोते समय भव पर भी आई क्रीम लगाएं। भव म खु की नहीं होगी और वे मल
ु ायम रहगी।
5. अगर लगता है िक हे अर ट्रीिकं गवाले म चमक नहीं आ रही हो, लूफा पर थोडा सा बेिकग सोडा िछडके और ट्रीिकं गवाले बाल पर इसे
थोडा सा क्रब कर। हे अर ट्रीिकं ग चमक उठगे।
6. बाल को लो ड्राई का फाइनल टच दे ते वक्त हे अर ब्रश क दांतो पर हे अर प्रे कर। िफर बाल की जडो से 1 िमनट के िलए ब्रश कर।
आसान िटपस
् बाल को झड़ने से बचाने का------
* 2 च मच कै टर आयल ,2 च मच आंवला , 2 च मच िशकाकाई ,2 च मच रीठा पाउडर , 2 च मच मेथीदाने का पाउडर , 2 च मच नीम
की पितय का पे ट तथा 2 अंडे का पे ट बना ल। इन सबको िमक्स करके बाल की जड़ो म लगाकर 45 िमनट तक रहने द। इसके बाद
बालो को शपू कर
* बाल मे तेल लगाने के बाद गरम पानी म भीगे तौिलए को िनचोड़कर िसर पर लपेट
* महदी को कंडीशनर के प मे प्रयोग कर सकते है । महदी और आंवला पाउडर रात मे िभगोये और सुबह लगाये ,तीन घंटे रखने के बाद *
1. वचा को िदन म दो बार तरह एक ह के टोनर के साथ ह के साबुन और साफ पानी के साथ म पानी का उपयोग करते हुए प छ। नमी
सामग्री संतुलन के िलए हर रात सोने से पहले चेहरे की वचा पर मॉइ चराईज का उपयोग कर।
2. जब भी िकसी हे यर ड्रायर का प्रयोग कर तब हमेशा गमीर् से दरू रह।
3. हमेशा टै िनंग और उम्र बढ़ने से बचाने के िलए सन क्रीन का प्रयोग कर।
4. रक्त पिरसंचरण को बढ़ावा दे ने के िलए और वचा की सतह के िचकनापन बनाए रखने के िलये एक न सुखाने वाला मुखौटा एक स ताह
म बार उपयोग िकया जा सकता है ।
5. मह वपूणर् बात, आंख के नीचे नमी की कमी के कारण समय से पहले बुढ़ाते क्षेत्र म यान दे ने की ज रत होती है क्य िक यहाँ कोई
िसबेिसयश िक्रया नहीं होती।
6. फल और सि जय का िनयिमत सेवन के साथ पानी को बहुत मात्रा म प्रयुक्त िकया जाना चािहए। अ य ज री चीज म साँस लेने के
िलए ताजा हवा और यायाम की ज रत होती है ।
शु क वचा -----
1. शु क वचा अ यिधक साबुन डेटरजट और टोनर के उपयोग के प्रित संवेदनशील होती है । इनका मद
ृ ु उपयोग, जो वचा की नमी के तर
को बढ़ाता है और इसे यह नरम और कोमल बनाता है ।
2. िदवसीय दे खभाल के िलए एक मलाईदार मॉइ चराईजर एक उ च सन प्रोटे क्शन फैक्टर (एसपीएफ़) युक्त शु क वचा के िलए उपयोगी
होता है ।
तैलयुक्त वचा-----
1. इस तरह तैल वचायुक्त होती है और मुहाँस िच ह और काले ध बे हो लकता ह।इसिलए िदन की ज रत के अनु प कई बार मँह
ु धोना
ु ासे की जांच के साथ उनसे छुटकारा िमल सकता है । वचा के बड़े िछद्र यह गंदगी और जो मोज़री तेल िनकालने म मदद
चािहये, इससे मँह
करते ह।
2. तैलीय वचा के िलए िन निलिखत चािहए: चेहरे की तैलीय वचा के िलये एक िवशेष एंटीसेि टक फेसवॉश, तेल मुक्त क्ली सर, ए ट्री जट
लोशन,फाईन क्रब, जल आधािरत मॉइ चराईजर और एक िमट्टी पर आधािरत फेस पैक
3. सही पीएच संतुलन के साथ एंटीबैक्टीिरयल, एंटीसेि टक नीम साबुन, को भी इस तरह की वचा के िलए अ छा है ।
4. अक्सर साबुन और पानी से धोने से वचा का िनजर्लीकरण और, तेल के साथ का वचा का होना वचा की नमी बहाल करने के िलए
मह वपण
ू र् है ।
5. तेल मुक्त मॉइ चराईजर संतुलन बहाल करने म मदद करते ह। अपने चेहरे को अ छी तरह से मािलश करना ठीक है और इसे अवशोिषत
करने द, बाद म मॉइ चराईजर की अितिरक्त चमक रोकने को दरू करने के िलए एक िटशू पेपर का इ तेमाल कर। आमतौर पर कई
क्ली ससर् तेल से मुक्त होने का दावा करते ह, लेिकन क्य िक आिखरकार उनम तेल के कुछ ट्रे सस होते ह, यह तैल मेकअप को हटा दे ता है ।
6. िवटािमन ए कै सूल एक िनि चत सीमा तक तेल के उ पादन म िनयंत्रण मदद करते ह। यह उन लोग की वचा के िलए मह वपूणर् है जो
तेल मुक्त आहार सि जय और पानी लेते ह और िनयिमत प से उनकी आंत की सफाई करते ह। पेट साफ रहने से वचा भी साफ रहती
है ।
7. तेल का वचा के िलए िचिक सा उपचार प्रणालीगत और सामियक दवाओं और बहु-िवटािमन खिनज इस प्रकार की वचा के िलए िवशेष
होता है ।
8. चेहरे की तैलीय वचा के िलए भाँप एक िचिक सीय उपचार सािबत हुई है । भाप लेने के बाद चेहरे की लैकहे ड क्य िक यह अवरोध को
खोल दे ता है और िछद्र भी खुल जाते ह, इस प्रकार तािक िमट्टी एकत्र होकर मुहाँसे न ह ।
मँह
ु ास का उपचार----
1. तले हुये, जंक फूड से बच जैसे होलिम क, मक्खन, क्रीम, पनीर, आइसक्रीम, चॉकलेट, िरच सलाद ड्रेिसंग, कोको, नट, िमठाई और वसायुक्त
मांस। यह एक जीवन भर का आहार माना जाता है ।
2. जलीय खा य पदाथर् म, ताजे फल, दब
ु ला मीट, िचकन, अनाज, साबुत अनाज, मछली और उबला हुआ जिटल काब हाइड्रेट खाओ। यह आंत्र
को िविनयिमत करने म मदद करता है ।
3. पूरक आहार के प म िवटािमन ए और िजंक कै सूल शािमल कर।
4. ध बे मेकअप वारा िछपाये जा सकते ह।
वचा की दे खभाल के बारे म अक्सर पूछे जाने वाले कुछ िदलच प प्र न-------
प्र नः म 30 साल का हूँ और मेरी आंख के आसपास काले घेरे होगये ह। यह जब म 5 साल का था तब से एक खराब पैच के प म शु
हुये थे। अब म उन म से छुटकारा नहीं पा रही हूँ। म उनकी वजह से कम से कम 5-7 साल बड़ी िदखाई दे ती हूँ। आंख के नीचे काले घेरे से
छुटकारा पाने के िलये म क्या कर सकती हूँ ?
उ तरः आंख के नीचे डाकर् सकर्ल कई लोग के िलए एक आम और लगातार सम या हो गई है । अ छा है , आपने इसकी ज दी पहचान कर
ली है ,आप जवान ह और इसे ज दी पता कर सकते ह। आप अपने डॉक्टर के पास जाय और इसके िलए िकसी भी शारीिरक कारण के िलए
बाहरी जाँच की ज रत होने पर पहले कदम म करवाय। ह उदाहरण के िलए,(आप कुछ सम याओं नींद की कमी, मानिसक तनाव से
परे शानी की सम याय, संतुिलत आहार आिद की कमी के कारण काले घेरे होते ह। आप इस को हल करने की कोिशश कर, आप कुछ
सावधािनय ले सकते ह सुिनि चत कर,आप के कम से कम 10 िगलास एक िदन पानी पीय, धूप का च मा पहन और जब भी बाहर जाय
प्र नः म और मेरे पित की एक बहुत य त जीवन शैली है , और दो ब च का एक य त कैिरयर है । मुझे वा तव म खुद के िलए िदन म
कुछ भी करने के िलए समय नहीं िमलता है । मुझे सूखे हाथ की सम या रही है , और िकसी न िकसी तरह म प्रौढा लगने लगी हूँ, हालांिक वे
इतने कठोर नहीं ह, मने एक लंबे समय के िलए और अब भी इन पर यान नहीं िदया है । क्या आप इसके िलए कुछ आसानी सा इलाज
सुझा सकते ह?
उ तरः यह लगता है िक आप अपनी य त जीवन शैली के साथ जी रहे ह, आपको इसके िलए पहले कदम म िनवारक उपाय करना
मह वपूणर् है । सुिनि चत कर िक इस सूखापन केवल आपके हाथ म है और और कहीं शरीर म नहीं है । शु क वचा और शरीर की खुजली
कई अ य अव थाओं की जाँच की ज रत के िलए सिू चत कर सकता है । बिु नयादी तौर पर साधारण, दै िनक उपाय से रोका जा सकता है ।
सुिनि चत कर िक आप सभी शौचालय और रसोई तौिलये प्रितिदन बदल। खाना पकाने के पहले और बाद म अपने हाथ ह के साबुन और
पानी के साथ धोय। और यह एक आदत धोने के बाद एक मॉई चराईजर का उपयोग करने की आदत डाल। िनि चत प से जब भी डेटरजट
और रसोई / नानघर क्लीनर का इ तेमाल कर द ताने का उपयोग कर। अपने हाथ पर, पेट्रोिलयम की जेली की एक पतली परत लगाय।
पतले सूती द ताने के साथ इसे कवर और रात रात इसे छोड़ दीिजए। एक बड़ा चमचा प्र येक बादाम का तेल, और एक िगलास म नींबू का
रस, िग्लसरीन, एक लोशन बनाने के िलये गुलाबजल ल, इस उपाय को घर पर कोिशश कर सकते ह। इस िम ण को रात को अपने हाथ पर
मािलश कर और पतले सत
ू ी द ताने पहन।
पु ष की ि कन भी चाहे दे खभाल------
जमाना बीता और बदल गए पु ष के िलए सुंदरता के माने. अपने को जवां और सुंदर िदखाने के साथ-साथ पु ष जमाने को भी िदखाना
चाहता है िक संद
ु र िदखना केवल औरत का ही हक नहीं…
जॉन अब्राहम, िरितक रोशन, सलमान खान और शाह ख खान अकेले पु ष नहीं है जो अपने शरीर की दे खभाल के िलए चचार् म रहते है । इन
की तजर् पर आज के युवा भी अपने शरीर की दे खभाल करने म लगे हुए है । पहले पु ष यादातर अपने शरीर का खयाल रखने के िलए
िजम जाते थे। अब पु ष म अपनी दे खभाल करने का द तरू बदलता जा रहा है । अब पु ष अपनी वचा का भी परू ा खयाल रखने लगे है ।
का मेिटक बाजार के जानकार का मानना है िक पु ष के के बनाव ंग
ृ ार का बाजार 1 हजार करोड पये से यादा का है । लखनऊ म बॉडी
केयर की रीजनल मैनेजर शमा िवज का मानना है िक पु ष क्लींजर, फेस बॉडी क्रबर, टोनर, मा चराइजर, निरिशंग क्रीम, सनक्रीम आ टर
शेव क्रीम और लोशन, हे यर क्रीम और हे यर जैल का प्रयोग करते है ।
चे ट वैिक्संग पर जोर -----
छोटे से ले कर बडे शहर म स पालर्र तेजी से खुल गए है । जहां पु ष फेशल, नेल फायिलंग, हे यर कलिरंग, िहना, मसाज और पा कराने के
िलए आते है । शमा िवज बताती है िक म स पालर्र आने वाल म हर आयु के लोग शािमल है । जहां कम आयु के लोग हे यर टायल, फेशल
और हे यर कलिरंग के िलए आने लगे है । वहीं बडी उम्र के लोग घर म अपना समय काटने के िलए भी यहां चले आते है । शमा िवज का
कहना है िक शाह ख, सलमान और शेखर सुमन की तजर् पर अब पु ष चे ट वैिक्संग करने लगे ह। लीच कराने के बारे म शमा िवज का
कहना है िक कभी भी लीच और शेिवंग साथ-साथ नहीं कराना चािहएं।
बॉडी केयर की शमा िवज कहती है िक पहले आदमी वचा की दे खभाल के िलए क्रीम का प्रयोग नहीं करते थे। अब वे भी वचा की क्रीम
प्रयोग करने लगे है । वचा की खूबसूरती के िलए यह ज री भी हो गया है । आज पु ष मुंहास , िपगमटे शन और चेहरे पर पडे िनशान को
क्या आप जानते ह ?
· िक वचा मानव शरीर का सबसे बड़ा अंग है ।
· िक वचा परू े शरीर को ढँ क कर और बाहरी त व जैसे रोगाणु से सरु क्षा करती है ।
· अपने शरीर का आंतिरक तापमान ि थर रखके बा य तापमान म पिरवतर्न से आपको ढालती है । यही कारण है िक गिमर्य म अिधक
पसीना और कठोर सिदर् य को सहन कर सकते ह।
· यह आपकी कठोर धप
ू , अ ट्रा वायलेट िविकरण से रक्षा करती है , और एक नरम मलमल कपड़े और एक कठोर चट्टान की सतह के बीच के
अंतर को महसूस करने दे ती है !
· इस तरह, शरीर के एक मह वपूणर् भाग को, बाहरी वचा का िनयिमत प से नान के वारा ताजा साफ रखना, यान रख कर इलाज
करवाना वा य के िलये आव यक है तािक सभी कीटाणओ
ु ं और रोग दरू रह।
ऐसे कर मधम
ु ेह/डायिबटीज की िचिक सा,इलाज एवं परहे ज:-------
-----------मधुमेह रोग-----
हॉम स या शरीर की अ तः त्रावी ग्रंिथयां वारा िनिमर्त त्राव की कमी या अिधकता से अनेक रोग उ प न हो जाते है जैसे मधुमेह,
ं
थयरॉइड रोग, मोटापा, कद संबंधी सम याऍ,ं अवॉिछत बाल आना आिद इंसिु लन नामक हॉम न की कमी या इसकी कायर्क्षमता म कमी आने
से मधम
ु ेह रोग या डाइबीटीज मैली स रोग होता है ।
िव व वा य संगठन के सवक्षण के अनुसार वषर् 2025 म भारत म दिु नया के सबसे अिधक पॉचं करोड, स तर लाख मधुमेह रोगी ह गे।
ं िवकराल
िवकिसत दे श म यह रोग बढने से रोका जा रहा है िक तु िवकासशील दे श म खासकर भारत म ये एक महामारी की भॉित प
लेता िदखाई दे ता है । प्रितवषर् िव व म लाख मधम
ु ेह रोिगय की अकाल म ृ यु या आकि मक दे हांत हो जाता है , जबिक जीवन के इन अमू य
वष को बचाकर सामा य जीवनयापन िकया जा सकता है ।
दौड़-धप
ू भरी िदनचयार्, मािनसक तनाव का दबाव, अनिु चत और अिनयिमत ढं ग से आहार-िवहार करना, शारीिरक यायाम, खेलकूद या
योगासन आिद न करना आिद कारण के अलावा कुछ अज्ञात कारण भी ह जो मधुमेह यानी डायिबटीज रोग पैदा करते है । वंशानुगत कारण
से भी यह रोग पैदा होता है ।
इस यािध की चपेट म हर उस यिक्त के आने की संभावना रहती है जो मजीवी नहीं है , पिर म नहीं करता, यायाम नहीं करता, खूब
साधन स प न है , आराम की िज दगी जीता है , खूब खाता-पीता है , मोटा-ताजा है , इसिलए यह बीमारी स प नता की, बड़ पन की और
वीआईपी होने की प्रतीक बन गई है । ऐसा सौभाग्यशाली कोई िबरला ही िमलेगा जो बड़ा आदमी हो और उसे मधुमेह रोग न हो।
तेजी से बढते शहरीकरण, आधुिनक युग की सम याऍ ं व तनाव, अचानक खानपान व रहन-सहन म आये पिरवतर्न एवं पा यकरण (फा ट
फूड, कोकाकोला इंजेक्शन) प्रचुर मात्रा म भोजन की उपल धता व शारीिरक म की कमी के कारण मधुमेह हमारे दे श म आजकल तेजी से
बढ रहा है । मधुमेह या शग
ू र रोग म रक्त म ग्लूकोस सामा य से अिधक हो जाता है और ग्लूकोस के अलावा वसा एवं प्रोटी स के उपापचन
भी प्रभािवत होते ह ये रोग िकसी भी उम्र म हो सकता है भारत म 95 प्रितशत से यादा रोगी वय क है ।
प्रमुख लक्षणः-
वजन म कमी आना।
अिधक भूख यास व मूत्र लगना।
थकान, िपडंिलयो म ददर् ।
बार-बार संक्रमण होना या दे री से घाव भरना।
हाथ पैरो म झुनझुनाहट, सूनापन या जलन रहना।
नपंस
ू कता।
कुछ लोग म मधुमेह अिधक होने की संभावन रहती है , जैसे-मोटे यिक्त, पिरवार या वंश म मधम
ु ेह होना, उ च रक्तचाप के रोगी, जो लोग
यायाम या शारीिरक म कम या नहीं करते ह शहरी यिक्तय को ग्रामीणो की अपेक्षा मधुमेह रोग होने की अिधक संभावना रहती है ।
मधम
ु ेह रोग की िवकृितयॉः-
शरीर के हर अंग का ये रोग प्रभािवत करता है , कई बार िवकृित होने पर ही रोग का िनदान होता है और इस प्रकार रोग वष से चप
ु चाप
शरीर म पनप रहा होता है ।
कुछ खास दीघर्कालीन िवकृितयॉः-
प्रभािवत अंग प्रभाव का लक्षण----
नेत्र समय पूवर् मोितया बनना, कालापानी, पद की खराबी(रे िटनापैथी) व अिधक खराबी होने पर अंधापन।
हदय एवं धमिनयॉ हदयघात (हाटर् अटै क) रक्तचाप, हदयशल
ू (एंजाइना)।
गुदार् मूत्र म अिधक प्रोटी स जाना, चेहरे या पैरो पर या पूरे शरीर पर सूजन और अ त म गुद की कायर्हीनता या रीनल फै योर।
मि त क व नायु तंत्र उ च मानिसक िक्रयाओ की िवकृित जैसे- मरणशिक्त, संवेदनाओं की कमी, चक्कर आना, नपुंसकता ( यूरोपैथी),
लकवा।
िनदानः-
रक्त म ग्लूकोस की जॉचं ू ोस का घोल पीकर जॉचं करवाने की आव यकता नही होती
वारा आसानी से िकया जा सकता है । साम यतः ग्लक
प्रारं िभक जॉचं म मूत्र म ऐलबिू मन व रक्त वसा का अनुमान भी करवाना चािहए।
उपचारः-
मात्र रक्त म ग्लक
ू ोस को कम करना मधुमेह का पूणर् उपचार नहीं है उपयुक्त भोजन व यायाम अ यंत आव यक है ।
कुछ प्रमुख खा य व तुऍ ं िज्र हे कम प्रयोग म लाना चािहए।
नमक, चीनी, गुड, घी, तेल, दध
ू व दध
ू से िनिमर्त व तुऍ ं परांठे, मेवे, आइसक्रीम, िमठाई, मांस, अ डा, चॉकलेट, सूखा नािरयल
खा य प्रदाथर् जो अिधक खाना चािहए।
मधुमेह होने के लक्षण मालूम पड़ते ही मूत्र और रक्त की जाँच करवा ल। सुबह खाली पेट रक्त की जाँच म शकर्रा की मात्रा 80 से 120
एमजी (प्रित 100 सीसी रक्त) के बीच म होना सामा य व थ अव था होती है । यिद यह अव था हो तो मनु य व थ है । यिद शकर्रा की
मात्रा 120 एमजी से यादा, लेिकन 140 एमजी से कम हो तो यह मधुमेह की प्रारं िभक अव था होगी। यिद 140 एमजी से यादा हो तो
मधुमेह रोग ने जड़ जमा ली है ऐसा माना जाएगा।
भोजन करने के दो घ टे बाद की गई जाँच म भी रक्त शकर्रा 120 एमजी से कम पाई जाए तो मनु य व थ है, िक तु यिद 140 एमजी
तक या इससे कम पाई जाए तो मधुमेह होने की प्रारं िभक अव था मानी जाएगी, लेिकन अगर 140 एमजी से यादा पाई जाए तो मधुमेह
स तिु लत आहार का ता पयर् होता है शरीर को िजतनी ऊजार् की आव यकता हो, उतनी ऊजार् दे ने वाला आहार ग्रहण करना। न कम न
यादा। मधम
ु ेह का रोगी यिद प्रौढ़ाव था का है , कम पिर म करता है , आराम की िज दगी जीता है तो 1500 से 1800 कैलोरीज प्रितिदन
िमलना उसके िलए काफी होती है । कैलोरीज का िन चय शरीर के वजन के िहसाब से िकया जाता है । मोटे यिक्त को वजन के िहसाब से
प्रित िकलो 20 से 25 कैलोरी प्रा त होना
पयार् त है, सामा य म करता हो तो 30 कैलोरी प्रित िकलो और अिधक पिर म करता हो तो 35 कैलोरी प्रितिकलो प्रितिदन िमलना पयार् त
होता है ।
यह यायाम करते समय यिक्त की वयं की िच को हमेशा यान म रखा जाना चािहए, िजससे यिक्त दीघर्काल तक यायाम गितिविध
अपनी वयं की पसंद से करता रहे ।
जेसा की आप जानते ह की आज के ज़माने म समाचार पत्र एवं बुद्धू बक्स से अवतिरत गु ओं ने वा तु को इतना भ्रामक बना िदया है िक
िकसकी माने और िकसकी नहीं वाली ि थित पैदा हो जाती है .वा तुशा त्री एवं योितषाचायर् पंिडत दयानंद शा त्री(मोब.-09024390067 ) के
अनुसार हमारे इन गु ओं को पता होना चािहए िक वा तु शा त्र की दे न हमारे प्राचीन भारत की है न िक चीन एवं इिज ट की.
ये हमारी िवड बना है िक हम अपने दे श के िव वान के रिचत शा त्र नहीं वरन कीरो , ना त्रेदमस आिद के िलखे हुए भ्रामक एवं उलझाऊ
शा त्र के दीवाने रहते ह. और शायद इसी िवचार धारा ने हमसे हमारे शा त्र को दरू कर िदया है , िजसका फायदा आज कल के वंअवतिरत
गु जन ने बखूबी उठाया है जो भारतीय वा तु म चीनी व तुओं के उपयोग से वा तु दोष को दरू करने का बखान करते ह .क्या ये बता
सकते है िक जो दोष एक तुलसी का पौधा दरू कर सकता है वो चाइनीज़ बांस कैसे दरू करे गा,सनातन काल से हमारे यहाँ तुलसी,पीपल
,बरगद आिद को पू यनीय समझा जाता रहा है मगर ध य हो ज्ञान दाताओं का िजनकी बदौलत चाइनीज़ बांस ,कछुए ,और भी न जाने क्या
-क्या, वा तु दोष को दरू करने के नाम पर हमारे घर म पहुंचा चक
ु े है .
वा तुशा त्री एवं योितषाचायर् पंिडत दयानंद शा त्री(मोब.-09024390067 ) के अनुसार इन गु ओं को इनके हाल म छोडना ही उिचत
रहे गा.चिलए अब बात करते है िक नए घर म प्रवेश करने से पहले हम िकन - िकन ितिथय एवं महीन पर यान दे ना चािहए एवं ये हम पर
वा तुशा त्री एवं योितषाचायर् पंिडत दयानंद शा त्री(मोब.-09024390067 ) के अनुसार यहाँ हम एक बात पर और यान दे ना चािहए िक यिद
--जैसे नए घर म प्रवेश करने पर पित-प नी म मन-मुटाव, ब च म अशांित का दोष पाया जाता है , तो ऐसे घर म प्रवेश वार पर ीगणेश
की मिू तर् थािपत करनी चािहए। ऐसा करने से शीघ्र चम कार होगा और आपका नया घर भी आपके िलए ढ़े र खिु शयां लेकर आएगा।
------साथ ही धनदायक गणपित की प्रितमा के साथ ीपतये नमः, र निसंहासनाय नमः, मिमकंु डलमंिडताय नमः, महाल मी िप्रयतमाय नमः,
िस घ ल मी मनोरप्राय नमः लक्षाधीश िप्रयाय नमः, कोिटधी वराय नमः जैसे मंत्र का स पुट होता है । ऐसे मत्र का जप करके आप
दौलतमंद तो ह गे ही, साथ-साथ आपकी सारी परे शािनयां भी दरू हो जाएंगी।
----अगर आप नया मकान खरीदने जा रहे है और आपको आिथर्क तंगी का सामना करना पड़ रहा है तो आप िन न उपाय आजमाएं।
भगवान गणेश आपकी सारी सम याओं को दरू करके आपको नया मकान िदलाने म ज र सहायता करगे।
===गणपितजी का बीज मंत्र 'गं' है । इस अक्षर के मंत्र का जप करने से सभी कामनाओं की पूितर् होती है । षडाक्षर मंत्र का जप आिथर्क प्रगित
व समिृ द्ध प्रदायक है ।
नया घर बाँधने या नया लैट लेने से पहले यह जान लेना िनतांत ज री है िक वह घर आपके िलए उ नितकारक होगा या नहीं। इस हे तु
घर की 'आय व यय' की गणना की जाती है ।
आय की गणना : घर का क्षेत्रफल िनकाल। इस क्षेत्रफल को 8 से भाग द। जो संख्या बाकी रहे उसे 'आय' समझना चािहए। यिद बाकी रहे
संख्या 1, 3, 5, 7 है तो घर आपके िलए सुख समिृ द्ध लाएगा मगर 0, 2, 4, 6, 8 हो तो घर अशभ
ु या धन की कमी करने वाला हो सकता
है । ऐसे म घर के 'िब ट अप एिरया' म पिरवतर्न करके शभ
ु आय थािपत की जा सकती है ।
8)भिू म भवन सख
ु दायक प्रयोग----
यिद आपको लगता है िक आपके पास ही घर क्य नहीं है ? आपके पास ही संपि त क्य नहीं है ?
क्या इतनी बड़ी दिु नया म आपको थोड़ी सी जगह िमलेगी भी या नहीं तो परे शान मत होइए केवल कूमर् व प िव णु जी की पूजा कीिजये
िव णु जी की प्रितमा के सामने कूमर् की प्रितमा रख या कागज पर बना कर थािपत कर
इस कछुए के नीचे नौ बार नौ का अंक िलख द
भगवान ् को पीले फल व पीले व त्र चढ़ाएं
तल
ु सी दल कूमर् पर रख और पु प अिपर्त कर भगवान ् की आरती कर
आरती के बाद प्रसाद बांटे व कूमर् को ले जा कर िकसी अलमारी आिद म छुपा कर रख ल
इस प्रयोग से भूिम संपि त भवन के योग रिहत जातक को भी इनका सुख प्रा त होता है
अकारण परे शान करने वाले यिक्त से शीघ्र छुटकारा पाने के िलए :----
यिद कोई यिक्त बगैर िकसी कारण के परे शान कर रहा हो, तो शौच िक्रया काल म शौचालय म बैठे-
बैठे अिभमंित्रत जल से उस यिक्त का नाम िलख और बाहर िनकलने से पूवर् जहां पानी से नाम िलखा था, उस
थान पर अपने बाएं पैर से तीन बार ठोकर मार। यान रहे , यह प्रयोग वाथर्वश न कर, अ यथा हािन हो सकती है
शत्रु शमन के िलए :---
साबुत उड़द की काली दाल के अिभमंित्रत 38 और चावल के 40 अिभमंित्रत दाने िमलाकर िकसी ग ढे म दबा द और ऊपर से नीबू िनचोड़ द।
नीबू िनचोड़ते समय शत्रु का नाम लेते रह, उसका शमन होगा और वह आपके िव द्ध कोई कदमनहीं उठाएगा।
ससुराल म सुखी रहने के िलए :----
क या अपने हाथ से ह दी की 7 साबुत गांठ, पीतल का एक टुकड़ा और थोड़ा-सा गुड़ ससुराल की तरफ फके, ससुराल म सुरिक्षत और सुखी
रहे गी।घर की मिहलाएं यिद िकसी सम या या बाधा से पीिड़त ह , तो िन निलिखत प्रयोग कर...
"सवा पाव मेहंदी के तीन पैकेट (लगभग सौ ग्राम प्रित पैकेट) बनाएं और तीन पैकेट लेकर काली मंिदर या श त्र धारण िकए हुए िकसी दे वी
की मूितर् वाले मंिदर म जाएं। वहां दिक्षणा, पत्र, पु प, फल, िमठाई, िसंदरू तथा व त्र के साथ मेहंदी के उक्त तीन पैकेट चढ़ा द। िफर
भगवती से क ट िनवारण की प्राथर्ना कर और एक फल तथा मेहंदी के दो पैकेट वापस लेकर कुछ धन के साथ िकसी िभखािरन या अपने
घर के आसपास सफाई करने वाली को द। िफर उससे मेहंदी का एक पैकेट वापस ले ल और उसे घोलकर पीिड़त मिहला के हाथ एवं पैर म
लगा द। पीिड़ता की पीड़ा मेहंदी के रं ग उतरने के साथ-साथ धीरे -धीरे समा त हो जाएगी"
पित-प नी के बीच वैमन यता को दरू करने हे तु :-------
रात को सोते समय प नी पित के तिकये म िसंदरू की एक पिु ड़या और पित प नी के तिकये म कपरू की २ िटिकयां रख द। प्रातः होते ही
िसंदरू की पुिड़या घर से बाहर फक द तथा कपूर को िनकाल कर उस कमरे जला द
पित को वश म करने के िलए-------
यह प्रयोग शक्
ु ल म पक्ष करना चािहए ! एक पान का प ता ल ! उस पर चंदन और केसर का पाऊडर िमला कर रख ! िफर दग
ु ार् माता जी
की फोटो के सामने बैठ कर दग
ु ार् तुित म से चँडी त्रोत का पाठ 43 िदन तक कर ! पाठ करने के बाद चंदन और केसर जो पान के प ते
पर रखा था, का ितलक अपने माथे पर लगाय ! और िफर ितलक लगा कर पित के सामने जांय ! यिद पित वहां पर न ह तो उनकी फोटो
के सामने जांय ! पान का प ता रोज़ नया ल जो िक साबत
ु हो कहीं से कटा फटा न हो ! रोज़ प्रयोग िकए गए पान के प ते को अलग
िकसी थान पर रख ! 43 िदन के बाद उन पान के प त को जल प्रवाह कर द ! शीघ्र सम या का समाधान होगा !
१-शिनवार की राित्र म ७ ल ग लेकर उस पर २१ बार िजस यिक्त को वश म करना हो उसका नाम लेकर फूंक मार और अगले रिववार को
इनको आग म जला द। यह प्रयोग लगातार ७ बार करने से अभी ट यिक्त का वशीकरण होता है ।
२-अगर आपके पित िकसी अ य त्री पर आसक्त ह और आप से लड़ाई-झगड़ा इ यािद करते ह। तो यह प्रयोग आपके िलए बहुत कारगर है ,
प्र येक रिववार को अपने घर तथा शयनकक्ष म गूगल की धन
ू ी द। धूनी करने से पहले उस त्री का नाम ल और यह कामना कर िक आपके
पित उसके चक्कर से शीघ्र ही छूट जाएं। द्धा-िव वास के साथ करने से िनि चय ही आपको लाभ िमलेगा।
३-शक्
ु ल पक्ष के प्रथम रिववार को प्रातःकाल नानािद से िनव ृ त होकर अपने पूजन थल पर आएं। एक थाली म केसर से वि तक बनाकर
गंगाजल से धुला हुआ मोती शंख थािपत कर और गंध, अक्षत पु पािद से इसका पूजन कर। पूजन के समय गोघत
ृ का दीपक जलाएं और
िन निलिखत मंत्र का 1 माला जप फिटक की माला पर कर। द्धा-िव वास पूवक
र् 1 महीने जप करने से िकसी भी यिक्त िवशेष का मोहन-
क या िववाह हे तु :-------
१. यिद क या की शादी म कोई कावट आ रही हो तो पज
ू ा वाले 5 नािरयल ल ! भगवान िशव की मत
ू ीर् या फोटो के आगे रख कर “ऊं ीं
वर प्रदाय ी नामः” मंत्र का पांच माला जाप कर िफर वो पांच नािरयल िशव जी के मंिदर म चढा द ! िववाह की बाधाय अपने आप दरू
होती जांयगी !
२. प्र येक सोमवार को क या सुबह नहा-धोकर िशविलंग पर “ऊं सोमे वराय नमः” का जाप करते हुए दध
ू िमले जल को चढाये और वहीं
मंिदर म बैठ कर द्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे ! िववाह की स भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी
ु वार को िमट्टी के बने एक शेर को उसके गले म लाल चु नी बांधकर और लाल टीका लगाकर माता के मंिदर म रख और माता को अपने
बध
पिरवार की सभी सम याएं बताकर उनसे शांित बनाए रखने की िवनती कर। यह िक्रया िन ठापूवक
र् कर, पिरवार म शांित कायम होगी।
िदमाग से िच ता हटाने का टोटका :-----
अिधकतर पािरवािरक कारण से िदमाग बहुत ही उ तेजना म आजाता है ,पिरवार की िकसी सम या से या लेन दे न से,अथवा िकसी िर तेनाते
को लेकर िदमाग एक दम उ वेिलत होने लगता है ,ऐसा लगने लगता है िक िदमाग फ़ट पडेगा,इसका एक अनुभूत टोटका है िक जैसे ही
टसन हो एक लोटे म या जग म पानी लेकर उसके अ दर चार लालिमचर् के बीज डालकर अपने ऊपर सात बार उबारा (उसारा) करने के बाद
घर के बाहर सडक पर फ़क दीिजये,फ़ौरन आराम िमल जायेगा।
मानिसक परे शानी दरू करने के िलए :-------
रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चालीसा का पाठ कर ! प्र येक शिनवार को शिन को तेल चढाय ! अपनी पहनी हुई एक जोडी
च पल िकसी गरीब को एक बार दान कर
यिक्तगत बाधा िनवारण के िलए:----
हमारी या हमारे पिरवार के िकसी भी सद य की ग्रह ि थित थोड़ी सी भी अनुकूल होगी तो हम िन चय ही इन उपाय से भरपूर लाभ
िमलेगा।
यापार, िववाह या िकसी भी कायर् के करने म बार-बार असफलता िमल रही हो तो यह टोटका कर- सरस के तैल म िसके गेहूँ के आटे व
पुराने गुड़ से तैयार सात पूये, सात मदार (आक) के पु प, िसंदरू , आटे से तैयार सरस के तैल का ई की ब ती से जलता दीपक, प तल या
पु ष को िविभ न रं ग से ि त्रय की त वीर और मिहलाओं को लाल रं ग से पु ष की त वीर सफ़ेद कागज पर रोजाना तीन मिहने तक एक
एक बनानी चािहये।
अगर लड़की की उम्र िनकली जा रही है और सय
ु ोग्य लड़का नहीं िमल रहा। िर ता बनता है िफर टूट जाता है । या िफर शादी म अनाव यक
दे री हो रही हो तो कुछ छोटे -छोटे िसद्ध टोटक से इस दोष को दरू िकया जा सकता है । ये टोटके अगर पूरे मन से िव वास करके अपनाए
जाएं तो इनका फल बहुत ही कम समय म िमल जाता है । जािनए क्या ह ये टोटके :-
1. रिववार को पीले रं ग के कपड़े म सात सप
ु ारी, ह दी की सात गांठ, गड़
ु की सात डिलयां, सात पीले फूल, चने की दाल (करीब 70 ग्राम),
एक पीला कपड़ा (70 सेमी), सात पीले िसक्के और एक पंद्रह का यंत्र माता पावर्ती का पूजन करके चालीस िदन तक घर म रख। िववाह के
िनिम त मनोकामना कर। इन चालीस िदन के भीतर ही िववाह के आसार बनने लगगे।
2. लड़की को गु वार का त करना चािहए। उस िदन कोई पीली व तु का दान करे । िदन म न सोए, पूरे िनयम संयम से रहे ।
3. सावन के महीने म िशवजी को रोजाना िब व पत्र चढ़ाए। िब व पत्र की संख्या 108 हो तो सबसे अ छा पिरणाम िमलता है ।
4. िशवजी का पूजन कर िनमार् य का ितलक लगाए तो भी ज दी िववाह के योग बनते ह।
घर म खुशहाली तथा दक
ु ान की उ नित हे तु :-----
घर या यापार थल के मुख्य वार के एक कोने को गंगाजल से धो ल और वहां वाि तक की थापना कर और उस पर रोज चने की
दाल और गुड़ रखकर उसकी पूजा कर। साथ ही उसे यान रोज से दे ख और िजस िदन वह खराब हो जाए उस िदन उस थान पर एकत्र
सामग्री को जल म प्रवािहत कर द। यह िक्रया शक्
ु ल पक्ष के बह
ृ पितवार को आरं भ कर ११ बह
ृ पितवार तक िनयिमत प से कर। िफर
गणेश जी को िसंदरू लगाकर उनके सामने ल डू रख तथा ÷जय गणेश काटो कलेश' कहकर उनकी प्राथर्ना कर, घर म सुख शांित आ जागी
हर िववािहत त्री चाहती ह िक उसका भी कोई अपना हो जो उसे मां कहकर पुकारे । सामा यत: अिधकांश मिहलाएं भाग्यशाली होती ह िज ह
यह सुख प्रा त हो जाता है ।
पहला उपाए-----
1 .शद्ध
ु शहद म सुरमे की पांच डिलया डाल कर घर म अथवा यवसाियक थान पर रखे कारोबार म विृ द होगी शत्रत
ु ा कम होगी
२. जो ब चे रात को डर कर अथवा च क कर उठते है उनके िसरहाने के नीचे लोहे की छोटी सी प ती (स जी काटने वाली छुरी) रखे ||
३.अगर कोई बड़ा यिक्त रात को डर कर उठता है तो उसके िसरहाने के नीचे हनम
ु ान चालीसा रखे और सोने से पहले हाथ पैर अ छे ढं ग से
धोकर सोये||
४.घर म अथवा यवसाियक थान पर नमक िमले पानी का पोचा लगाये तो घर म नकार कता कम होगी||
५. नकार मक सोच वाले लोगो के पास यादा दे र मत बैठे अिपतु उनसे कोई भी नई योजना स ब धी िवचार िवमशर् मत करे ||
६. कोटर् कचहरी म जज के समक्ष कभी भी छाती नंगी और म तक ढांक कर पेश न होवे||
७. स ताह म एक बार पोधो वाले थान पर गुड अथवा मीठी चीज िबखेर दे व ||
८. चलते जल म ता बे के िसक्के डाले ||
९. घर म दे वी दे वतायो के कम से कम िचत्र लगाए |
१०. िकसी भी भी दे वी दे वता का खंिडत िचत्र अथवा प्रितमा मत रखे||
११. रात को घर म बने पूजा थल को िविधवत पद से ढांप कर रखे ||
१२. घर म जगह जगह दवाईया एक बक्से म रखे जगह जगह दवाए रखनी घर म बीमारी को बुलावा दे ने के सामान है ||
ु हो, तो िकसी को भूल कर भी मु त शराब न िपलाएं। तेल कभी न दान द। अपना वाहन िकसी को न द, जत
शिन शभ ू े पुराने होने पर बेच
द, पर िकसी को दान व प न द। मगर शिन अशभ
ु है , तो ऐसे जातक को व त्र , काले ितल , लोहा, तेल, शराब इ यािद का दान करना
चािहए।
शक्र
ु के त व फूल, सीले व त्र, खुशबू आिद होते ह। शभ
ु शक्र
ु वाले को इनका दान कभी नहीं करना चािहए और अशभ
ु वाल को इनको अपने
से दरू रखे या समय-समय पर दान द।
गु शभ
ु हो, तो पीले व त्र व पु तक का दान कभी न कर। इस प्रकार आप योितषी की सलाह पर शभ
ु या अशभ
ु ग्रह से संबिं धत व तुओं
का दान या पूजा पाठ कर। इस प्रयोग से आप भी समिृ द्ध, शांित व मन चाही इ छाओं को प्रा त कर सकते ह।
मंगल नीच का हो लाल व तुएं दान द----
इसी प्रकार से यिद कोई ग्रह कमजोर है और आपको इि छत फल की प्राि त करवाने म असक्षम ह, तो आप को संबंिधत ग्रह के दे वी दे वता
की आराधना करनी चािहए, लेिकन उस ग्रह से संबंिधत व तुओं का दान नहीं कर। जैसे, चंद्र ग्रह कमजोर हो, तो िशव की आराधना करनी
चािहए और सफेद व तुओं का उपयोग करना चािहए। जैसे, दध
ू पीना, सफेद व त्र पहनना आिद।
कुछ वा तु िट स/उपाय---
सीिढ़य के वा तुदोष को ऐसे कर दरू --
सीिढ़यां उ नित का प्रतीक होती है । इसम वा तु दोष होने पर घर म रहने वाल को उ नित के िलए काफी पिर म करना पड़ता है इसिलए
सीिढ़य म िकसी प्रकार का वा तुदोष हो तो उसे तुरंत दरू कर लेना चािहए। इसके िलए सबसे आसान तरीका है िक िमट्टी का एक कलश ल।
इसम बािरश का पानी भर ल। इस कलश के ऊपर िमट्टी का ढ़क्कन रखकर इसे सीढ़ी के नीचे जमीन म दबा द।
ऐसा कमरा और िबछावन हो तो ज दी होती है शादी---
लड़का अथवा लड़की की उम्र िववाह योग्य होने पर उनके माता-िपता को अपने ब च का कमरा और िबछावन इस प्रकार से रखना चािहए
तािक िववाह के अ छे मौके आएं और िववाह म अिधक परे शानी नहीं आए। वा तु िवज्ञान के अनस
ु ार घर म िववाह योग्य लड़की हो तो
उनका कमरा वाय य कोण म होना चािहए। लेिकन िववाह के िलए लड़की िदखाने की र म उ तर, ईशान या पूवर् िदशा के कमरे म कर।
इससे शादी ज दी तय हो जाती है ।
िववाह योग्य लड़के का कमरा---
िववाह योग्य लड़के का कामरा ईशान या पूवर् िदशा म होना चािहए। कमरे म पलंग ऐसे रख तािक वह िकसी एक दीवार से सटा नहीं हो।
वा तुशा त्र के अनुसार एक तरफ से दीवार से पलंग सटा होने पर िववाह के िलए िर ते कम आते ह और शादी म दे री होती है ।
मान स मान एवं उ नित िदलाता है ऐसा मकान---
वा तु िवज्ञान के अनुसार िजस घर म यिक्त रहता है उस घर म मौजद
ू सकारा मक और नकारा मक उजार् का प्रभाव यिक्त के ऊपर
पड़ता है । इसिलए दे खने म आता है िक कोई घर यिक्त के िलए बहुत ही भाग्यशाली होता है िजसम रहते हुए यिक्त काफी तरक्की करता
है और कुछ घर ऐसा होता है िजसम रहते हुए यिक्त को अक्सर नक
ु सान उठाना पड़ता है । अगर यिक्त िकराए का घर लेते समय अथवा
अपना मकान बनवाते समय वा तु स ब धी िवषय का यान रखे तो घर यिक्त के िलए भाग्यशाली सािबत होगा।
मकान का मुख्य दरवाजा इस िदशा म रख---
घर के मख्
ु य वार को वा तिु वज्ञान म बहुत ही मह वपण
ू र् थान िदया गया है । वा तु िवज्ञान के मत
ु ािबक पव
ू र् िदशा का वामी सय
ू र् है । यह
िमत्रो..खुश खबरी ..खुशखबरी...आप सभी ह तरे खा,वा तु और योितष के जानकार ( वैिदक िव या से जड़ु े हुए िव वान ) के
िलए...
भारतीय वैिदक योितष योितष सं थान(पंजीकृत) ,
एन,08 /236 ,एन-01 ,प्रज्ञा नगर कालोनी,सु दरपुर ,
(बी,एच .य.ु ) वाराणसी -2210005 (उ तर प्रदे श)
फोन नंबर--09335480453 तथा 07398578332 और 0542 -2318404 ;;;
वेब साईट --www.indianastroguru .com ;
इमेल--info @indianastroguru .com ;
1. क या के िववाह म हो रहे िवल ब को दरू करने के िलए िपता को चािहए िक िववाह वातार् के समय क या को
कोई नया व त्र अव य पहनाना चािहए।
2. यिद िववाह प्र ताव नहीं प्रा त हो रहे तो िपता को चािहए िक क या को गु वार को पीला व त्र एवं शक्र
ु वार को
सफेद व त्र पहनाव। ये व त्र नये हो शीघ्र फल िमलेगा। यिद 4 स ताह तक यह प्रयोग िकया जावे तो अ छे िववाह
प्र ताव प्रा त होने लग जावेग। अतः िकसी व त्र को दोबारा नहीं पहनाना चािहए।
3. यिद क या के िववाह प्र ताव सगाई तय होने के अि तम चरण म पहुँचकर टूट जाते ह तो माता-िपता को यह
प्रयास करना चािहए िक िजस कक्ष म बैठकर सगाई/शादी के स ब ध म वातार् की जावे उसम वह अपने जूते
च पल उतार कर प्रवेश कर। जूते च पल कक्ष से बाहर वार के बायीं ओर और उतारे ।
2॰ यिद आप िकतनी भी मेहनत क्य न कर, पर तु आिथर्क समिृ द्ध आपसे दरू रहती हो और आप आिथर्क ि थित
4॰ यिद यवसाय म िकसी कारण से आपका यवसाय लाभदायक ि थित म नहीं हो, तो शक्
ु ल पक्ष के प्रथम गु वार
को ३ गोमती चक्त, ३ कौड़ी व ३ ह दी की गांठ को अिभमंित्रत कर िकसी पीले कपड़े म बांधकर धन- थान पर रख
।
यिद आप अपने जीवन म कुछ पिरवतर्न कर सक तो / ऐसा िनयिमत प से करे गे तो इससे आप का भाग्य /
समय अ छे पिरणाम दे ने लगेगा....
१. सूय दय से पूवर् ब्र मा बेला म उठे , और अपने दोन हांथो की हं थेली को रगरे और हं थेली को दे ख कर अपने
मुंह पर फेरे , ,शा त्र म कहा गया है की कराग्रे वसते ल मी, करम ये सर वती । करमूले ि थता गौरी, मंगलं
करदशर्नम ् ॥ इसिलए प्रातः काल उठकर अपने दोन हांथो को दे खे और अपने सर पर फेरे .
२.मल , मत्र ु , और भोजन करते समय मौन ( शांत ) रहे . योग और प्राणायाम कर िजसको करने से शरीर
ू , दातन
हमेशा िनरोग रहता है ,
3. . प्रातः अपने माता िपता गु जन और अपने से बड़ का आशीवार्द ले , ऋिषय ने कहा है की जो भी माता बहन
या भाई बंधू अपने घर म रोज अपने से बड़ो या पित , सास -ससुर का रोज आशीवार्द लेते है उनके घर म कभी
४ ितलक िकये िबना और अपने सर को िबना ढके पूजा पाठ और िपत्रकमर् या कोई भी शभ
ु कायर् न कर, जहाँ तक
हो सके ितलक ज र कर,
5. रोज नहा धोकर अपने शारीर को वक्ष कर , साफ व त्र पहने , गु और इ वर का िचंतन करते हुए अपने काम
को इ वर की सेवा करते हुए कर, कुछ भी खाने िपने से पहले गाय, कु ता और कौवा का भोजन ज र िनकले, इ को
करने से आप के घर म अ ना का भंडार हमेशा भरा रहे गा.
८. कभी भी बीम या शहतीर के नीचे न बैठ और न ही सोय । इससे दे ह पीड़ा या िसर ददर् होता है ।
१०-घर म पोछा लगाते समय पानी म नमक या सधा नमक डाल ल । घर म झाडू व प छा खुले थान पर न रख
।
११-घर म टूटे -फूटे बतरन, टूटा दपर्ण ( शीशा ), टूटी चारपाई या बैड न रख । इनम दिरद्रता का वास होता है ।
१२-यिद घर म कोइ घडी ठीक से नहीं चल रही ह तो उ ह ठीक करा ल ।बंद घड़ी गह
ृ वामी के भाग्य को कम
करती है ।
१३-पूवर् की ओर मुंह करके भोजन करने से आयु, दिक्षण की ओर मुंह करके भोजन करने से प्रेत, पि चम की ओर
मंह ंु करके भोजन करने से धन व आयु की प्राि त होती है ।
ु करके भोजन करने से रोग व उ तर की ओर मह
१५- अपने धमर्ं की रक्षा कर, मानव समाज की रक्षा कर, अपने दे श और ज मभूिम की रक्षा कर ,
वा तु के ि टकोण से एक अ छे आिफस म बैठते हुए यह यान रखना ज री ह िक वामी की कुसीर् आिफस के दरवाजे के िठक सामने ना
हो ।
कमर के पीछे ठोस दीवार होनी चािहए । यह भी यान रखे िक आिफस की कुसीर् पर बैठते समय आपका मुंह पूवर् या उ तर िदशा म रहे ।
आपका टे िलफोन आपके सीधे हाथ की तरफ, दिक्षण या पव
ू र् िदशा म रह तथा क यट
ू र भी आग्नेय कोण म (सीधे हाथ की तरफ) होना
चािहए ।
इसी प्रकार वागत कक्ष (िरसे शन) आग्नेय कोण मे होना चािहए लेिकन वागतकतार् (िरसे सिन ट) का मुंह उ तर की ओर होना चािहए
िजससे गलितयां कम होगी ।
आिफस म मंिदर (पूजा थल) ईशान कोण म होना चािहए पर तु इस थान पर एक गमला अव य रख िजससे आिफस की शोभा बढ़े गी।
फाईल या िकताब की रे क वाय य या पि चम म रखना िहतकारी होगा ।
पर तु परू ब की तरफ मंह
ु करके बैठते समय अपने उ टे हाथ की तरफ ‘‘कैश बाक्स‘‘ (धन रखने की जगह) बनाए इससे धनविृ द्ध होगी ।
उ तर िदशा म पानी का थान बनाए । पि चम िदशा म प्रमाण पत्र, िश ड व मेडल तथा अ य प्रा त पुर कार को सजा कर रख ।
ऐसा करने से आपका आिफस िनि चत प से वा तु सं मत कहलाएगा व आपको शांित व संमिृ द्ध दे ने के साथ साथ आपकी उ नित म भी
सहायक होगा ।
यिद काम रचना मक है , तो केिबन की िदशा मुख्य वार के िवपरीत रख। अगर आपने ऑिफस घर म ही बनाया हुआ है , तो वह बेड म के
पास न हो। कॉरपोरे ट जगत से जड़
ु े ह, तो केिबन की िदशा मेन गेट की ओर रख।
भारतीय योितष दशर्न के अनुसार, िकसी भी यिक्त को दो कारण से दख
ु िमलते ह, गह
ृ दोष और ग्रह दोष। गह
ृ का मतलब है यिक्त का
घर और ग्रह का मतलब है यिक्त की कंु डली के ग्रह। ज मपत्री म दसवां घर यिक्त के प्रोफेशनल किरयर पर रोशनी डालता है । यिद
ज मपत्री के दसव घर म सूयर् हो, तो यिक्त को िसर ढकने से किरयर म बहुत सहायता िमलती है । वा तुशा त्र की लाल िकताब के
अनुसार, रोजाना गाय, कौए और कु ते को खाना िखलाने से यिक्त के जीवन म शांित और समिृ द्ध आती है ।
जीवन को समद्ध
ृ शाली बनाने के िलए यवसाय की सफलता मह वपूणर् ह इसके िलए कायार्लय को वा तु स मत बनाने के साथ साथ िविभ न
रं ग का उपयोग लाभदायक िसद्ध हो सकता ह ।
हर मनु य की कुछ मनोकामनाएं होती है । कुछ लोग इन मनोकामनाओं को बता दे ते ह तो कुछ नहीं बताते। चाहते सभी ह िक िकसी भी
तरह उनकी मनोकामना पूरी हो जाए। लेिकन ऐसा हो नहीं पाता। यिद आप चाहते ह िक आपकी सोची हर मुराद पूरी हो जाए तो नीचे िलखे
प्रयोग कर। इन टोटक को करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो जाएगी।
उपाय----
- तुलसी के पौधे को प्रितिदन जल चढ़ाएं तथा गाय के घी का दीपक लगाएं।
- रिववार को पु य नक्षत्र म वेत आक की जड़ लाकर उससे ीगणेश की प्रितमा बनाएं िफर उ ह खीर का भोग लगाएं। लाल कनेर के फूल
तथा चंदन आिद के उनकी पज
ू ा कर। त प चात गणेशजी के बीज मंत्र (ऊँ गं) के अंत म नम: श द जोड़कर 108 बार जप कर।
- सुबह गौरी-शंकर द्राक्ष िशवजी के मंिदर म चढ़ाएं।
- सुबह बेल पत्र (िब ब) पर सफेद चंदन की िबंदी लगाकर मनोरथ बोलकर िशविलंग पर अिपर्त कर।
- बड़ के प ते पर मनोकामना िलखकर बहते जल म प्रवािहत करने से भी मनोरथ पिू तर् होती है । मनोकामना िकसी भी भाषा म िलख सकते
ह।
- नए सूती लाल कपड़े म जटावाला नािरयल बांधकर बहते जल म प्रवािहत करने से भी मनोकामनाएं पूरी हो जाती ह।
इन प्रयोग को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही परू ी हो जाएंगी।
इन उपाय से आएगी जीवन म खुशहाली ---
सभी चाहते ह िक उसके जीवन म खुशहाली रहे और सुख-शांित बनी रहे पर हर यिक्त के साथ ऐसा नहीं होता। जीवन म सुख और शांित
का बना रहना काफी मुि कल होता है । ऐसे समय म उसे अपना जीवन नरक लगने लगता है । यिद आपके साथ भी यही सम या है तो आप
उपाय---
शक्
ु ल पक्ष म पडऩे वाले िकसी शक्र र् साबूदाने की खीर बनाएं लेिकन उसम शक्कर के
ु वार के िदन प नी अपने हाथ से प्रेम पूवक थान पर
िम ी डाल। इस खीर को सबसे पहले भगवान को अिपर्त कर और इसके बाद पित-प नी थोड़ी-थोड़ी एक-दस
ू रे को िखलाएं। भगवान से
सख
ु मय दा प य की कामना कर। इस िदन िकसी ल मी मंिदर म जाकर इत्र का दान कर। अपने शयनकक्ष म इत्र कदािप न रख। कुछ
िदन तक यह प्रयोग करते रह । कुछ ही िदन म दा प य जीवन सुखी हो जाएगा।
इस उपाय से आप अपने दभ
ु ार्ग्य को सौभाग्य म बदल सकते ह ---
हर इंसान अपने दभ
ु ार्ग्य से पीछा छुड़ाना चाहता है । लेिकन दभ
ु ार्ग्य से पीछा छुड़ाना इतना आसान नहीं होता क्य िक जब समय बरु ा होता है
तो साया भी साथ छोड़ दे ता है । अगर आप चाहते ह िक आपका दभ
ु ार्ग्य, सौभाग्य म बदल जाए तो नीचे िलखे उपाय कर। यह उपाय आपके
दभ
ु ार्ग्य कौ सौभाग्य म बदल दगे।
उपाय----
टोटका-----
जब हम िकसी यात्रा पर जा रहे हो और अचानक कोई छींक दे तो हम थोड़ी दे र क जाते ह। ऐसे ही जब िब ली रा ता काट जाती है तो
हम थोड़ी दे र क कर चलते ह या रा ता बदल लेते ह। यात्रा पर िकसी िवशेष कायर् पर जाने से पहले पानी पीना या दही का सेवन करना,
यह सब टोटका कहलाता है । टोटके साधारण प्रभावशाली होते ह व इनके िनराकरण भी साधारण ही होते ह।
टोना-----
िवशेष कायर् िसिद्ध के िलए हनम
ु ान चालीसा, गायत्री मंत्र या िकसी अ य मंत्र का जप िविध-िवधान से जप करना टोना कहलाता है । िकसी यंत्र
अथवा व तु को अिभमंित्रत करके अपने पास रखना भी टोना का ही एक प है । टोना टोटके का ही जिटल प है जो िकसी िवशेष कायर् की
सफलता के िलए पूरे िविध-िवधान से िकया जाता है । टोना के िलए समय, मुहूतर्, थान आिद सब कुछ िनयत होता है ।
िदशा-िनदश----
- स मोहन िसिद्ध, दे व कृपा प्राि त अथवा अ य शुभ एवं साि वक काय की िसिद्ध के िलए पूवर् िदशा की ओर मुख करके टोटके िकए जाते ह।
- मान-स मान, प्रित ठा व ल मी प्राि त के िलए िकए जाने वाले टोटक के िलए पि चम िदशा की ओर मुख करके बैठना शभ
ु होता है ।
- उ तर िदशा की ओर मुख करके उन टोटक को िकया जाता है िजनका उ े य रोग की िचिक सा, मानिसक शांित एवं आरोग्य प्राि त होता
है ।
- रोग मुिक्त के िलए िकए जाने वाले टोटक के िलए मंगलवार एवं ावण मास उ तम समय है ।
- संतान और वैभव पाने के िलए गु वार तथा आि वन, काितर्क एवं मागर्शीषर् मास म टोटक का प्रयोग करना चािहए।
उपाय----
- अपने घर के मख्
ु य दरवाजे पर भगवान ीगणेश की मिू तर् थािपत कर और सब
ु ह उठकर उ ह प्रणाम कर। इसके बाद अपने वार, दे हली
ू रे काम म ही खचर् हो जाता है । अगर ऐसा हो तो नीचे िलखा टोटका करने से घर म पैस का आगमन होने लगेगा और सुख-
आ पाता। दस
शांित भी बनी रहे गी।
टोटका----
शक्
ु ल पक्ष के बुधवार की शाम को िकसी केले के पौधे के समीप जाएं। उस पर जल चढ़ाएं। ह दी से ितलक कर और गु बह
ृ पित का यान
कर पौधे से अगले िदन (गु वार को) थोड़ी सी जड़ ले जाने की आज्ञा मांग। दस
ू रे िदन सूयर् िनकलने पर नान कर केले के पेड़ की पूजा कर
और लकड़ी के एक टुकड़े से पौधे की जड़ खोदकर िनकल ल और घर ले आएं। इस जड़ को गंगाजल से धोकर केसर के जल म डाल द।
घी का दीपक जलाकर ऊँ बं ृ बह
ृ पते नम: मंत्र की एक माला का जप कर और उस जड़ को जल से िनकालकर पीले कपड़े म लपेटकर अपनी
ितजोरी म रख। इसके बाद प्रित गु वार को उस जड़ को केसर घुले गंगाजल म नान कराकर पुन: उस पीले कपड़े म बांध कर इस मंत्र का
जप कर और पुन: ितजोरी म रख। जब भी यह टोटका कर ज रतमंद को दान द व ब च को िमठाई अव य िखलाएं। इस तरह आपके घर
म धन का आगमन होने लगेगा।
यिद ह नोकरी/जॉब के िलए परे शान ...तो यह उपाय कर---
वतर्मान समय म बेरोजगारी एक बहुत बड़ी सम या है । नौकरी न होने के कारण न तो समाज म मान-स मान िमलता है और न ही घर-
पिरवार म। यिद आप भी बेरोजगार ह और बहुत प्रय न करने पर भी रोजगार नहीं िमल रहा है तो िनराश होने की कोई ज रत नहीं है । कुछ
साधारण तांित्रक उपाय कर आप रोजगार पा सकते ह।
- शिनवार को हनुमानजी के मंिदर म जाकर सवा िकलो मोतीचूर के ल डुओं का भोग लगाएं। घी का दीपक जलाएं और मंिदर म ही बैठकर
लाल चंदन की या मंग
ू ा की माला से 108 बार नीचे िलखे मंत्र का जप कर-
इसके बाद 40 िदन तक रोज अपने घर के मंिदर म इस मंत्र का जप 108 बार कर। 40 िदन के अंदर ही आपको रोजगार िमलेगा।
- शनै चरी अमाव या के िदन एक कागजी नींबू ल और शाम के समय उसके चार टुकड़े करके िकसी चौराहे पर चार िदशाओं म फक द।
इसके प्रभाव से भी ज दी ने बेरोजगारी की सम या दरू हो जाएगी।
- इंटर यू म जाने से पहले लाल चंदन की माला से नीचे िलखे मंत्र का 11 बार जप कर-
जीवन म कई ऐसे अवसर आते ह जब हर काम म बाधा आने लगती है । काम बनते-बनते िबगड़ जाते ह। जहां से हम उ मीद होती है वहीं
से िनराशा हाथ लगती है । ऐसे समय म अगर यह टोटका िकया जाए तो हर काम बनने लगते ह और बाधाएं वत: ही दरू हो जाती ह।
टोटका----
सुबह उठकर नहाकर साफ पीले कपड़े पहन। इसके बाद आसन िबछाकर पूवर् िदशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं और 7 ह दी की साबूत गांठे,
7 जनेऊ, 7 पूजा की छोटी सुपारी, 7 पीले फूल व 7 छोटी गुड़ की ढे ली एक पीले रं ग के कपड़े म बांध ल। अब भगवान सूयर् का मरण कर
और अपनी मनोकामना पूितर् के िलए प्राथर्ना कर। यह पोटली घर म कहीं ऐसी जगह रख द जहां कोई और उसे हाथ न लगाए। जब आपका
कायर् हो जाए तो यह पोटली िकसी नदी या तालाब म प्रवािहत कर द।
उपाय---
इस िदन सब
ु ह ज दी उठकर िन य कम से िनव ृ त होकर भगवान शंकर के मंिदर जाएं और िशविलंग पर जलािभषेक कर तथा िशविलंग पर
108 आंकड़े के फूल चढ़ाएं हुए ऊँ नम: िशवाय: मंत्र का जप करते रह। इसके बाद 21 िब व पत्र चढ़ाएं और भगवान शंकर से शीघ्र िववाह के
िलए प्राथर्ना कर। धनतेरस के शभ
ु मुहूतर् म िकया गया यह उपाय ज दी ही आपकी सम या का िनदान करे गा।
इस उपाय से िमलेगी कजर् से मिु क्त---
क्या आप कजर् से परे शान है । बहुत कोिशश करने के बाद भी लोन नहीं चुका पा रहे ह तो आज यानी शिनवार को यह बहुत ही सरल व
अचूक उपाय कर। इस उपाय से िनि चत ही आपको कजर् से मुिक्त िमल जाएगी।
उपाय----
शिनवार के िदन सुबह िन य कमर् व नान आिद करने से बाद अपनी लंबाई के अनुसार काल धागा ल और इसे एक नािरयल नािरयल पर
लपेट ल। इसका पूजन कर और इस नािरयल को बहते हुए जल म प्रवािहत कर द। साथ ही यह भगवान से ऋण मुिक्त के िलए प्राथर्ना भी
कर। इस छोटे से उपाय से शीघ्र ही आप कजर् की टशन से छुटकारा पा लगे।
उपाय----
शक्र
ु वार के िदन ब्र म मुहूतर् म चंद्रमा िदखाई दे ने पर सफेद बफीर् या थोड़ा सा दही अपने ऊपर सात बार उतार और अपने मन म द्धा व
िव वास के साथ चंद्रदे व से प्राथर्ना कर- हे चंद्रदे व। मेरा तबादला अमुक( थान का नाम बोल) थान पर करवाने की कृपा कर। सात बार यह
िक्रया करते हुए मंत्र पढ़कर बफीर् या दही को सूय दय से पहले िकसी चौराहे पर जाकर रख आएं। िजस िदशा म चंद्रमा आसमान म हो अपना
मुख उस ओर रखना चािहए तथा यह िक्रया छत पर बाहर खुले म कर लेिकन कोई दे ख न पाएं। अपना कायर् पूणर् होने पर चंद्रमा को अ य
द, पूजा कर व सफेद बफीर् या खीर को भोग लगाएं।
यिद पूिणर्मा पर कर यह उपाय तो ज दी होगी शादी---
कुछ लोग ऐसे होते ह िजनकी शादी म काफी मुि कल आती ह। कई बार तो यह लोग काफी िनराश हो जाते ह। लेिकन उ ह िनराश होने की
कोई ज रत नहीं है , पिू णर्मा के अवसर पर यिद वे नीचे िलखे उपाय िविध-िवधान से करगे तो न िसफर् उनका िववाह ज दी होगा बि क उ ह
मनचाहा जीवन साथी भी िमलेगा।
उपाय----
- गरीब को अपने साम य के अनस
ु ार पीले फल जैसे- आम, केला आिद का दान कर।
- इस िदन नया पीला माल अपने साथ म रख।
- भगवान िव णु के मंिदर म जाकर बेसन के ल डू चढ़ाएं। ल डू के साथ सेहरे की कलगी भी चढ़ाएं। यह शीघ्र िववाह का अचूक उपाय है ।
- केल (केले के पेड़) की पज
ू ा कर।
- इस िदन भोजन म केसर का उपयोग कर व केसर का ितलक लगाएं।
1111.यिद िकसी यिक्त को िदया हुआ धन वापस नही िमल रहा हो, तो उस यिक्त का नाम लेकर मन ही मन
धनप्राि त की कामना करते हुए गोमतीचक्र को एक हाथ गहरी भिू म खोदकर एकांत थान म गाड़ द। इस प्रयोग
से धन वापस िमल जाता है
भारतवषर् म अनेक िव वान और ज्ञानी संत मुिनय ने मानव क याण के िलए कुछ िवशेष उपाय बताएं है िजनको
आप सभी भाई बहन के स मुख प्र तुत कर रहा हूँ , आशा है की इसको करने से मानव समाज म एक नयी लहर
पैदा होगी और िह द ू समाज एक नए िशखर पर होगा,
१. सूय दय से पूवर् ब्र मा बेला म ( ३-५) उठे , और अपने दोन हांथो की हं थेली को रगरे और हं थेली को दे ख कर
अपने मुंह पर फेरे ,
२. प ृ वी पर अपने पाव रखने से पहले धरती माता को प्रणाम कर िफर अपना दािहना पैर धरती पर रखे, इसके
बाद हाँथ मुंह धोकर इ वर का िचंतन कर,
3. मल , मूत्र , मैथुन , दातुन , ाद्ध और भोजन करते समय मौन बरत को धारण कर ,
4. प्रातः अपने माता िपता गु जन और अपने से बड़ का आशीवार्द ले , ऋिषय ने कहा है की जो भी माता बहन
या भाई बंधू अपने घर म रोज अपने से बड़ो या पित , सास -ससुर का रोज आशीवार्द लेते है उनके घर म कभी
अशांित नहीं आती है या कभी भी तलाक या महामरी नहीं हो टी है इशिलये अपने से बड़ो की इ जत कर और
उनका आशीवार्द ल .
5. इ के बाद रोज नहा धोकर अपने शारीर को वचा कर , साफ व त्र पहने , गु और इ वर का िचंतन करते हुए
अपने काम को इ वर की सेवा करते हुए कर, जैसे .आप को भोजन बनाना है तो उशे प्रभु के िनिम त यान करते
हुए बनाओ की मई जो सु दर और विद थ भोजन बनोगी सबसे पहले इ वर का भोग लगग
ूं ी, कुछ भी खाने िपने
से पहले गाय, कु ता और कौवा का भोजन ज र िनकले, इ को करने से आप के घर म अ ना का भंडार हमेशा भरा
रहे गा.
६. ितलक िकये िबना और अपने सर को िबना ढके पूजा पाठ और िपत्रकमर् या कोई भी शभ
ु कायर् न कर, जहाँ तक
हो सके ितलक ज र कर,
७. संक्रांित, वादशी , अमावश , पूिणर्मा और रिववार को और सं या के समय म तुलशी दल न तोड़े.
८. सोते समय अपना िसरहाना उ तर या पूवर् िदशा की तरफ कर.
९. अपने घर म तल
ु शी का पौधा लगाय ,
१०- योग और प्राणायाम कर िजसको करने से शरीर हमेशा िनरोग रहता है ,
११- परोपकार का पालन कर, असहाय , गरीब और पशओ
ु ं और पयार्वरण की रक्षा कर , अपने धमर्ं की रक्षा कर,
मानव समाज की रक्षा कर, अपने दे शा और ज मभिू म की रक्षा कर , मन – वाणी और कमर् से सदाचार का पालन
कर .
1. क या के िववाह म हो रहे िवल ब को दरू करने के िलए िपता को चािहए िक िववाह वातार् के समय क या को
कोई नया व त्र अव य पहनाना चािहए।
2. यिद िववाह प्र ताव नहीं प्रा त हो रहे तो िपता को चािहए िक क या को गु वार को पीला व त्र एवं शक्र
ु वार को
सफेद व त्र पहनाव। ये व त्र नये हो शीघ्र फल िमलेगा। यिद 4 स ताह तक यह प्रयोग िकया जावे तो अ छे िववाह
प्र ताव प्रा त होने लग जावेग। अतः िकसी व त्र को दोबारा नहीं पहनाना चािहए।
3. यिद क या के िववाह प्र ताव सगाई तय होने के अि तम चरण म पहुँचकर टूट जाते ह तो माता-िपता को यह
प्रयास करना चािहए िक िजस कक्ष म बैठकर सगाई/शादी के स ब ध म वातार् की जावे उसम वह अपने जूते
च पल उतार कर प्रवेश कर। जत
ू े च पल कक्ष से बाहर वार के बायीं ओर और उतारे ।
4. िजस समय भी क या के पिरजन वर पक्ष के घर प्रवेश करते समय क या के माता िपता अथवा अ य यिक्त
वह पैर सबसे पहले घर म रखना चािहए िजस नािसका म (दायीं अथवा बायीं ओर का) वर प्रवािहत हो रहा हो।
यिद जप के समय काम-क्रोधािद सताए तो काम सताएँ तो भगवान निृ संह का िच तन करो। लोभ के समय दान-
पु य करो। मोह के समय कौरव को याद करो। सोचो िक “ कौरवो का िकतना ल बा-चैड़ा पिरवार था िक तु आिखर
क्या “ अहं सताए तो जो अपने से धन, स ता एवं प म बड़े ह , उनका िच तन करो। इस प्रकार इन िवकार का
िनवारण करके, अपना िववेक जाग्रत रखकर जो अपनी साधना करता है , उसका इ ट म त्र ज दी फलीभूत होता है ।
िविधपूवक
र् िकया गया गु म त्र का अनु ठान साधक के तन को व थ, मन को प्रस न एवं बुिद्ध को सू म लीन
करके मोक्ष प्राि त म सहायक होता है ।
जप म साधन और सा य एक ही ह जबिक अ य साधना म अलग ह। योग म अ टांग योग का अ यास साधना
है और िनिवर्क प समािध सा य है । वेदांत म आ मिवचार साधन है और तुरीयाव था सा य है । िक तु जप-साधना
म जप के वारा ही अजपा ि थत को िसद्ध करना है अथार्त ् सतकर्तापूवक
र् िकए गए जप के वारा सहज जप को
पाना है । म त्र के अथर् म तदाकार होना ही स ची साधना है । कई साधक कहते ह क्या दो या तीन म त्र का
जप िकया जा सकता है ? लेिकन ऐसा नहीं। एक समय म एक ही म त्र और वह भी स गु -प्रद त म त्र का ही जप
करना े ठ है । यिद आप ीकृ ण भगवान ् के भक्त ह तो ीराम, िषवजी, दग
ु ार् माता, गायत्री इ यािद म भी ीकृ ण
के ही दषर्न करो। सब एक ही ई वर के प ह। ीकृ ण की उपासना ही ीराम की या दे वी की उपासना है । सभी
को अपने इ टदे व के िलए इसी प्रकार समझना चािहए। िषव की उपासना करते ह तो सबम िषव का ही व प
दे ख। सामा यतया गह
ृ थ के िलए केवल प्रणव यािन “ऊँ“ का जप करना उिचत नहीं है । िक तु यिद वह साधन-
चतु य से स प न है , मन िवक्षेप से मक्
ु त है और उसम ज्ञानयोग साधना के िलए प्रबल मम
ु ुक्षु व है तो वह “ऊँ“
का जप कर सकता है । केवल “नमः िषवाय“ पंचाक्षरी म त्र है एवं “ऊँ नमः िषवाय“ पडाक्षरी म त्र। अतः इसका
अनु ठान त नुसार ही कर। जब जप करते-करते मन एकदम षा त हो जाता है एवं जप छूट जाता है तो क्या
कर? तो इस समय ऐसा समझ िक जप का फल ही है षाि त और यान। यिद जप करते-करते जप छूट जाए एवं
मन षा त हो जाए तो जप की िच ता न करो।
यान म से उठने के प चात ् पुनः अपनी िनयत संख्या पूरी कर लो। कई बार साधक को ऐसा अनुभव होता है
िक पहले इतना काम-क्रोध नहीं सताता था िजतना म त्रदीक्षा के बाद सताने लगा है । इसका कारण हमारे पूवज
र् म
के संसकार हो सकते ह। जैसे घर की सफाई करने से कचरा िनकलता है , ऐसे ही म त्र का जाप करने से कुसं कार
िनकलते ह। अतः घबराओ नहीं, न ही म त्र जाप करना छोड़ दो वरन ् ऐसे समय म दो-तीन घूँट पानी पीकर थोड़ा
कूद लो, प्रणव का दीघर् उ चारण करो एवं प्र ्रभु से प्राथर्ना करो। तरु त इन िवकार पर िवजय पाने म सहायता
िमलेगी। जप तो िकसी भी अव था म या य नहीं है । जब व न म म त्रदीक्षा िमली हो िकसी साधक को पुनः
जप करने की िविधयाँ वैिदक म त्र का जप करने की चार िविधयाँ- 1. वैखरी 2. म यमा 3. प चरी 4. परा षु -षु म
उ च वर से जो जप िकया जाता है , उसे वैखरी म त्र जप कहते ह। दस
ू री है , म यमा। इसम ह ठ भी नहीं िहलते
एवं दस
ू रा कोई यिक्त म त्र को सुन भी नहीं सकता। तीसरी, प य ती। िजस जप म िज हा भी नहीं िहलती,
दयपूवक
र् जप होता एवं जप के अथर् म हमारा िच त त लीन होता जाता है उसे प य ती म त्र जप कहते ह। चैथी
है परा। म त्र के अथर् म हमारी विृ त ि थर होने की तैयारी हो, म त्र जप करते-करते आन द आने लगे एवं बिु द्ध
परमा मा म ि थर होने लगे, उसे परा म त्र जप कहते ह। वैखरी जप है तो अ छा लेिकन वैखरी से भी दसगुना
यादा प्रभाव म यमा म होता है ।
म यमा से दसगुना प्रभाव प य ती म एवं प य ती से भी दसगुना यादा प्रभाव परा म होता है । इस प्रकार परा म
ि थर होकर जप कर तो वैखरी का हजारगुना प्रभाव यादा हो जाएगा। जप-पूजन-साधना-उपासना म सफलता के
िलये यान रख.......... म त्र-जप, दे व-पज
ू न तथा उपासना के संबंध म प्रयक्
ु त होने वाले कितपय िविष ट ष द का
अथर् नीचे िलखे अनेसार समझना चािहए। 1. पंचोपचार- ग ध, पु प, धूप, दीप, तथा नैवे य वारा पूजन करने को
“पंचोपचार“ कहते ह। 2. पंचामत
ृ - दध
ू , दही, घत
ृ , मधु(षहद) तथा षक्कर इनके िम ण को “पंचामत
ृ “ कहते ह। 3.
पंचग य- गाय के दध
ू , घत
ृ , मत्र
ू तथा गोबर इ ह सि मिलत प म “पंचग य“ कहते है । 4. षोडषोपचार- आ हान,
आसन, पा य, अ य, आचमन, नान, व त्र, अलंकार, सुग ध, पु प, धूप, दीप, नैवे य, अक्षत, ता बुल, तथा दिक्षणा इन
सबके वारा पूजन करने की िविध को “षोडषोपचार“ कहते है । 5. दषोपचार- पा य, अ य, आचमनीय, मधुपक्र,
आचमन, ग ध, पु प, धप
ू , दीप, तथा, नैवे य वारा पज
ू न करने की िविध को “दषोपचार“ कहते है । 6. ित्रधात-ु सोना,
चाँदी, लोहा। कुछ आचायर् सोना, चांदी और तांबे के िम ण को भी ित्रधातु कहते ह। 7. पंचधातु- सोना, चाँदी, लोहा,
तांबा, और ज ता। 8. अ टधातु- सोना, चांदी, लोहा, तांबा, ज ता, रांगा, कांसा और पारा। 9. नैवे य- खीर, िम ठान आिद
मीठी व तुएँ। 10. नवग्रह- सूय,र् चंद्र, मंगल, बुध, गु , षुक्र, षिन, राहु और केतु। 11. नवर न- मािणक्य, मोती, मूंगा, प ना,
पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद, और वैदय
ू ।र् 12. अ टग ध- 1. अगर, तगर, गोरोचन, केसर, क तूरी, वेत च दन लाल
च दन और िस दरू (दे व पूजन हे तु)। 2. अगर लालच दन, ह दी, कंु कुम, गोरोचन, जटामांसी, िषलाजीत और कपूर (दे वी
पूजन हे तु)। 13. ग धत्रय- िस दरू , ह दी, कंु कुम। 14. प चांग- िकसी वन पित के पु प, पत्र, फल, छाल, और जड़। 15.
दषांष- दसवा भाग। 16. स पट
ु - िमट्टी के दो षकोर को एक- दस
ू रे के मँह
ु से िमला कर ब द करना। 17. भोजपत्र-
36. म त्र ऋिष- िजस यिक्त ने सवर्प्रथम िषवजी के मुख से म त्र सुनकर उसे िविधवत ् िसद्ध िकया था, वह उस
म त्र का ऋिष कहलाता है । उस ऋिष को म त्र का आिद गु मानकर द्धपव र् उसका म तक म
ू क यास िकया
जाता है । 37. छ द- म त्र को सवर्तोभावेन आ छािदत करने की िविध को “छ द“ कहते है । यह अक्षर अथवा पद
से बनता है । म त्र का उ चारण चूंिक मुख से होता है अतः छनद का मुख से यास िकया जाता है । 38. दे वता-
जीवमात्र के सम त िक्रया-कलाप को प्रेिरत, संचािलत एवं िनयंित्रत करने वाली प्राणषिक्त को दे वता कहते ह। यह
षिक्त यिक्त के दय म ि थत होती है , अतः दे वता का यास दय म िकया जाता है । 39. बीज- म त्र षिक्त को
उद्भािवत करने वाले त व को बीज कहते ह। इसका यास गु यागं म िकया जाता है । 40. षिक्त- िजसकी सहायता
से बीज म त्र बन जाता है , वह त व षिक्त कहलाता है । उसका यास पाद थान म करते है ।
अिग्न की िज नाएँ- अिग्न की 7 िज नएँ मानी गयी ह। उसके नाम है - 1. िहर या, 2. गगना, 3. रक्ता, 4. कृ णा, 5.
सुप्रभा, 6. बहु पा एवं 7. अितिरक्ता। कितपय आचायार्◌े◌ं ने अिग्न की स त िज नाओं के नाम इस प्रकार बताये ह-
1. काली, 2. कराली, 3. मनोभवा, 4. सुलोिहता, 5. धूम्रवणार्, 6. फुिलंिगनी तथा 7. िव व िच। 45. प्रिदक्षणा- दे वता को
सा टांग द डवत ् करने के प चात इ टदे व की पिरक्रमा करने को प्रदिक्षणा कहते ह। िव णु, िषव, षिक्त, गणेष और
सूयर् आिद दे वताओं की 4, 1, 2, 1, 3 अथवा 7 पिरक्रमाएँ करनी चािहए। 46. साधना- साधना 5 प्रकार की होती है - 1.
अभािवनी, 2. त्रासी 3. दोव धी 4. सौतकी तथा 5. आतुरो।
(1) अभािवनी- पज
ू ा के साधना तथा उपकरण के अभाव से, मन से अथवा जलमात्र से जो पूजा साधना की
जाती है , उसे अभािवनी कहते ह। (2) जो त्र त यिक्त त काल अथवा उपल ध उपचार से या मानसापचार
से पूजन करता है , उसे त्रासी कहते ह, यह साधना सम त िसिद्धयाँ दे ती है । (3) बालक, वद्ध
ृ , त्री, मूखर् अथवा
ज्ञानी यिक्त वारा िबना जानकारी के की जानी वाली पूजा दाबांधी कही जाती है । (4) सूत की यिक्त
मानिसक स या करा कामना होने पर मानिसक पज
ू न तथा िन काम होने पर सब कायर् कर। ऐसी साधना
को भौितकी कहा जाता है । (5) रोगी यिक्त नान एवं पूजन न कर। दे व मूितर् अथवा सूयम
र् डल की ओर
दे खकर, एक बार मूल म त्र का जप कर उस पर पु प चढ़ाय। िफर रोग की समाि त पर नान करके गु
तथा ब्रा हण की पज
ू ा करके पज
ू ा िव छे द का दोष मझ
ु े न लग- ऐसी प्राथर्ना करके िविध पूवक
र् इ ट दे व
का पूजन करे तो इस साधना को आतुर कहा जाएगा। अपने म का मह व- पज
ू ा की व तुएं वयं लाकर
त मय भाव से पूजन करने से पूणर् फल प्रा त होता है तथा अ य यिक्त वारा िदए गए साधन से पज
ू ा
करने पर आधा फल िमलता है
1. क या के िववाह म हो रहे िवल ब को दरू करने के िलए िपता को चािहए िक िववाह वातार् के समय क या को कोई नया व त्र अव य
पहनाना चािहए।
2. यिद िववाह प्र ताव नहीं प्रा त हो रहे तो िपता को चािहए िक क या को गु वार को पीला व त्र एवं शक्र
ु वार को सफेद व त्र पहनाव। ये
व त्र नये हो शीघ्र फल िमलेगा। यिद 4 स ताह तक यह प्रयोग िकया जावे तो अ छे िववाह प्र ताव प्रा त होने लग जावेग। अतः िकसी व त्र
को दोबारा नहीं पहनाना चािहए।
11. गु वार के िदन िव णु ल मी मि दर म कंलगी जो सेहरे के ऊपर लगी रहती ह चढ़ाव, साथ ही बेसन के 5 ल डू चढाव, भगवान से
शीघ्र िववाह की प्राथर्ना कर िववाह का वातावरण बनना प्रार भ हो जावेगा ।
यह उपरोक्त बड़े सरल टोटके ह इ ह कोई भी िववाहकांक्षी द्धा एवं िव वास के साथ करता ह तो सफलता िमलती ह । लड़की की शादी शीघ्र
होती ह ।
यिद उपरोक्त टोटके करने के प चात भी यिद िववाह स प न नहीं हो पाता ह । कु डली म िववाह बाधा योग हो तो िन न तांित्रक प्रयोग
करना चािहए ।
िजनके पुत्र-पुित्रय की उम्र िववाह योग्य हो, िववाह म अनाव यक िवल ब हो रहा हो । सगाई टूट जाती हो अथवा कु डली म िववाह बाधा
योग हो तो उ हे िन न तांि त्रक प्रयोग स प न करना चािहए, शीघ्र िववाह होता ह । यह प्रयोग िकसी मंगलवार को आर भ िकया जा
सकता ह । इस प्रयोग को लड़का या लड़की वयं कर या माता-िपता या िकसी पि डत से संक प लेकर करवाया जा सकता ह ।
इस प्रयोग के िन न उपकरण जो प्राण प्रिति ठत हो वांछनीय ह ।
1. सौभाग्य माला 2. िववाह बाधा िनवारण यंत्र
प्रातः नान करने के प चात यंत्र को बाजोट पर व त्र िबछाकर थािपत कर । यंत्र को प्रथम दध
ु से िफर जल से नान करावे तथा व छ
दगार्स तशती का पाठ:- पुत्र की शादी नहीं हो रही हो, शादी म कावट आ रही हो तो दग
ु ार्स तशती का पाठ िन न मंत्र का स पट
ु लगाकर
कर ।
‘‘ पि न मनोरमां दे िह मनोव ृ तानस
ु ािरणीय ।
तािरिणं दग
ु ार्संसार सागर य कुलोद्भणामं ।।
यह पाठ वयं िववाहकांशी ही कर तो े ठ रहे गा, िववाह प्र ताव आने प्रार भ हो जावेग । िववाह योग्य क या को भवन के वाय य कोण
वाले कक्ष म सोना चािहए इससे क या के िववाह म आने वाली कावट वतः दरू होती ह तथा क या का िववाह ज दी होने की स भावना
बनती ह ।
अ छे वर प्राि त हे तु तोत्र---