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3 दस बर 2010
वशेष लेख
ज म कुंडली से जाने ववा हत-अ ववा हत योग 6 कुंडली म कह ं यिभचार जीवनसाथी 12
िमलने के योग तो नह ?ं
ववाह के बाद भा योदय 8 कुंडली से जाने ववाह का सह समय 14
ह?
क या क कुंडली म वधवा बनाने वाले योग। 11 ववाह से संबंिधत व न 21
अनु म
संपादक य 5 दस बर -2010 मािसक त-पव- यौहार 53
ववाह से पूव कुंडली िमलान म अ पायु-द धायु योग भी नव बर-२०१०- वशेष योग 56
25
दे ख ल।
योितष से जाने जीवनसाथी क दशा? 29 दै िनक शुभ एवं अशुभ समय ान तािलका 56
लघु कथाएं
भ भाव 20
हमारे उ पाद
ई-ज म प का/ E-Horoscope 4 मं िस यापार वृ कवच 46
सव काय िस कवच 10 वा तु दोष िनवारक यं 47
मं िस फ टक ी यं 13 ादश महा यं 48
ाण ित त दगा
ु बीसा यं 20 या आप कसी सम या से त ह? 50
ादश महा यं 24 गणेश ल मी यं 52
भा य ल मी द बी 26 मंगल यं से ऋण मु 52
ई- ज म प का E HOROSCOPE
अ याधुिनक योितष प ित ारा Create By Advanced Astrology
उ कृ भ व यवाणी के साथ Excellent Prediction
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5 दस बर 2010
संपादक य
य आ मय
बंधु/ ब हन
जय गु दे व
मानव स यता म हं द ू स यता पूरातन स यताओं म से एक ह। हमार हं द ू सं कृ ित म य के सोलाह
सं कार कये जाते ह। य के गृ ह थ जीवन म वेश के िलए आव यक होता ह ववाह सं कार। ववाह सं कारको
ंथ म सं कार क सं ा द गई ह जसका मु य उ े य वर-क या अपने जीवन को संयिमत बनाकर संतानो प
करके जीवन के सभी ऋण से उऋण होकर मो के िलये यास कर। ववाह का ता पय होता ह क ी-पु ष को जीवनभर
के एक प व र ते म बांधा जाय। हमारे सामाज म ववाह को प व बंधन माना जाता ह।
यादातर माता- पता अपने पु -क या केके माता- पता को यह िचंता सताती रहती ह। क उनके बेट -बेटे का
ववाह ज द से ज द यो य पा से कैसे हो जाय। जब लडके-लडक के िलये र ते ह न आये तो अिधक परे शानी का
सामना करना पडता ह। य द र ते आते ह पर बात ना बने तो भी परे शानी। य द एक से यादा र ते आते हो, तो
कौन सा पा सह रहे गा और कोन सा नह ं इसका पता कैसे लगाया जाये?
इन सब सम याओं का हल ह योितष के पास। ववाह म होने वाले वलंब एवं उसके िनवारण के उपाय और
ववाह हे तु आने वाला पा यो य ह या नह ं यह तो कोई कूशल योितष बता सकता ह।
यद ववाह हो गया ह, और बेटे-बेट को कोई ितकूल वभाव वाला जीवन साथी िमल जाए तो उसका
पा रवार क जीवन दखमय
ु हो जाता ह। यो कं दांप य जीवन म उिचत तालमेल म कमी होने पर पित-प ी दोनो
तनाव से त रहते ह। दोन म छोट -छोट बातो पर ववाद इ याद लेश होते रहते ह ज से उनके दांप य जीवन
म और पार प रक संबंधो के दौरान पूण संतु ा नह ं हो पाती। तो भी माता- पता को िचंता सताती रहती ह।
ववाह तो हो गया ह। एसे म अब या कर? या तो तलाक िलया जाय या जीवन क गाड जैस-े तैसे करके खचा
जाय? कभी-कभी सम याएं छोट होती ह परं तु य अपने अहं कार को लकर चलते ह जसके फल व प वह बड बन
जाती ह और एक वराट प धारण कर लेती ह।
एसी छोट -छोट सम याओं के िनराकरण हे तु कसी जानकार य से सलाह अव य करले। छोटे उपायो या
योगो के मा यम से भी य को जीवन म पूण सफलता ा होती ह।
जीवन म कभी-भी कड़वी बात नह ं बोलनी चा हए। कसी भी बात को मधुरता से एवं अपने दय का ेम उसम िमलाकर
मृ दु ता से कहना चा हये। य को जीवन म कठोर वाणी का सवथा याग कर दे ना चा हए। वा ण के भाव से आप सभी
भलीभांित परिचत ह। वाणी का यह दोष य के जीवन को पितत करवाता ह। इस िलये अपनी वाणी पर पूण िनयं ण
रख। पित-प ी दोनो को अपने वाथ के िलये दसरे
ू को क दे ना न प ी के िलए ठ क होता है न पित के िलए ठ क होता ह।
िचंतन जोशी
6 दस बर 2010
अ ववा हत योग
ज म कुंडली म स मेश अशुभ थान 6,8,12 वे भाव पर थत ह और स मेश पर एक से अिधक पाप हो का भाव हो
तो जातक अ ववा हत रहता ह।
लगन या चतुथ भाव म मंगल थत हो, स म मभाव म शिन थत हो तो क या क िच शाद म नह होती ह।
स मेश छ: आठ या बारहव थान पर अ त या नीच रािश का होकर बैठा हो, तो जातक अ ववा हत रहता ह।
स मेश बारहव भाव म हो और लगनेश या रािश का वामी स म म बैठा हो, तो जातक अ ववा हत रहता ह।
च शु साथ थत ह , उ से स म थान पर मंगल और शिन थत हो अथात चं और शु क युित से स न भाव
म मंगल शिन क युित हो, तो जातक अ ववा हत रहता ह।
शु और मंगल दोन स म म हो, तो जातक अ ववा हत रहता ह।
शु कसी पाप ह के साथ पंचम या स म या नवम भाव म युित हो, तो जातक अ ववा हत रहता ह। और य द हो जाये
तो जातक जीवन साथी के वयोग से पी डत रहता ह।
स म और बारहवे भाव म दो या दो से अिधक पाप ह थत हो और पंचम भाव म चं थत हो, तो जातक का
ववाह नह ं होता
ज म कुंडली म शु , बुध, शिन तीनो ह नीच ह , तो जातक का ववाह नह ं होता।
सूय प और स म प बराबर का होने पर भी जातक का ववाह नह ं होता।
सव काय िस कवच
जस य को लाख य और प र म करने के बादभी उसे मनोवांिछत सफलताये एवं कये गये काय
म िस (लाभ) ा नह ं होती, उस य को सव काय िस कवच अव य धारण करना चा हये।
कवच के मुख लाभ: सव काय िस कवच के ारा सुख समृ और नव ह के नकारा मक भाव को
शांत कर धारण करता य के जीवन से सव कार के द:ु ख-दा र का नाश हो कर सुख-सौभा य एवं
उ नित ाि होकर जीवन मे सिभ कार के शुभ काय िस होते ह। जसे धारण करने से य यद
यवसाय करता होतो कारोबार मे वृ होित ह और य द नौकर करता होतो उसमे उ नित होती ह।
सव काय िस कवच के साथ म सवजन वशीकरण कवच के िमले होने क वजह से धारण करता
क बात का दसरे
ू य ओ पर भाव बना रहता ह।
सव काय िस कवच के साथ म तं र ा कवच के िमले होने क वजह से तां क बाधाए दरू
होती ह, साथ ह नकार मन श यो का कोइ कु भाव धारण कता य पर नह ं होता। इस
कवच के भाव से इषा- े ष रखने वाले य ओ ारा होने वाले द ु भावो से र ाहोती ह।
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िचंतन जोशी
कसी लड़ क का ज म र ववार या शिनवार को अ ेषा वधवा होने क संभावना बनी रहती ह। इस िलये नाड़
न एवं तीया ितिथ के संयोग म हवा
ु हो, तो उससे दोष का भी अव य यान रख।
वै य योग बनता ह। कुंडली िमलाने म य द क या और वर दोन क आद
कसी लड़ क का ज म शिनवार को कृ ितका न एवं नाड़ ह , तो उनका ववाह होजाने पर दोन के
स मी ितिथ के संयोग म हवा
ु हो, तो उससे वै य योग वैवा हक संबंध अिधक दन तक सुखमय नह ं रहता
बनता ह। अथात दोन म अलगाव हो ने क बल संभावना
कसी लड़ क का ज म मंगलवार को शतिभषा न एवं बनती ह।
स मी या ादशी ितिथ के संयोग म हवा
ु हो, तो उससे कुंडली िमलाने म क या और वर दोन क कुंडली म
वै य योग बनता ह। म य नाड़ हो, तो उनका ववाह हो जाने पर दोन
कसी लड़ क का ज म र ववार को वशाखा न एवं क मृ यु हो सकती ह।
ादशी ितिथ के संयोग म हवा
ु हो, तो उससे वै य योग कुंडली िमलाने म क या और वर दोन क कुंडली म
बनता ह। अं य नाड़ हो, तो उनका ववाह हो जाने पर दोन
इसके अलावा लड़का या लड़क कसी क भी कुंडली म का जीवन द:ु खमय यितत होता ह।
स म थान पर य द सूय, राहु, मंगल, शिन, हो तो उसे नोट: कुंडली िमलाने म वर-क या दोन क उ व णत
जीवन साथी से िनराशा होती ह। तीन म कोई भी एक समान ना ड़यां हो, तो ववाह
कसी भी कारण से उनका ववाह संबध व छे द हो जाने के व जत है ।
योग बल होते ह। य द कसी क या क कुंडली म एसी थतीयां बन रह ह
ितपदा (एकम) ितिथ के दन मूल न , पंचमी तो उ से डरने के बजाय उसके िनवारण के उपाय करने
ितिथ के दन भरणी न , अ मी ितिथ के दन चा हये।
गुण िमलान एवं कुंडली िमलान के उपरांत जानकार प के कये क कार होता ह। मंगल के अशुभ
योितषी से यह भी अव य ात करवाले क कह ं लडका भाव के कारण पित-प ी म द ू रयां बढ़ती ह।
या लड़क ं क कुंडलीम अ य ी-पु ष से नाजायज संबंध ादश भाव म मंगल शै या सुख, भोग, म बाधक होता
बनने के योग तो नह ं ह। ह इस दोष के कारण पित प ी के स ब ध म ेम
पित-प ी के झगड़े तो आम बात बनगये ह। पित- एवं सामंज य का अभाव रहता ह। य द मंगल पर
प ी म सामा य न क-झ क से तो ेम और बढ़ता ह। ह का शुभ भाव नह ं ह , तो य म चा र क
ले कन नाजायज संबंध के कारण उ प न होने दोष और गु रोग उ प न कर सकता ह।
वाले झगड़े दोनो के बच म गाली गलोच- य जीवनसाथी को घातक नुकसान
मारपीट, अलगाव, कोट कचेर के भी कर सकता ह।
च कर एवं तलाक, आ मह या, य द ज म कुंडली म स म भाव
क ल तक पहंु च जाती ह। कई म शु थत य को
लडके-लड़क को ऐसा जीवन अ याअिधक कामुक बनाता
साथी िमलता ह, जो अपने ह जससे ववाहे र स ब ध
नाजायज संबंध के कारण बनने क संभावना बल
अपने पित-प ी को विभ न रहती ह। ज से वैवा हक
तरह क यातनाएं दे ता है । जीवन का सुख न होता ह।
एसी सम याओं को ज म कुंड़ली मे स म भाव
रखने वाला यिभचार होता ह व ववाह के बाद अवैध ऐसे अशुभ ह योग का भाव कम करने के
संबंध बनाता है । िलए लड़ कयां यह उपाय कर:
उ ह दोष के कारणा ऐसा जीवनसाथी िमलता ह
ित दन िशव-पावतीजी का पूजन कर।
जसके कई ी-पु ष के साथ अवैध संबंध होते ह। जो
पूरे विध- वधान से ह रतािलकातीज का त रख।
अपने दांप य जीवन के ित अ यंत लापरवाह होते ह।
सोमवार का त रख।
ज म कुंड़ली मे स मेश य द अ म या ष म भाव
मोती क अंगुठ धारण कर।
म ह , तो यह पित-प ी के म य मतभेद पैदा होता ह।
माता- पता का दय कभी ना दखाएं
ु और उनका
इस योग के कारणा पित-प ी एक दसरे
ू से अलग भी हो
या अ य कसी बड़े य का अनादर ब कुल ना
सकते ह। इस योग के भाव से पित-प ी द नो के
कर।
ववाहे र संबंध बन सकते ह। इस िलये जन पु ष और
मं दर म गु दान द।
क या क कुंडली म म इस तरह का योग बनरहा ह
हनुमान चालीसा एवं बजरं ग बाण का पाठ कर।
उ ह एक दसरे
ू क भावनाओं का स मान करते हवे
ु ित दन पीपल के वृ को जल चढ़ाएं और सात
अपने अंदर समपण क भावना रखनी चा हए।
प र मा कर।
मं िस फ टक ी यं
" ी यं " सबसे मह वपूण एवं श शाली यं है । " ी यं " को यं राज कहा जाता है यो क यह अ य त शुभ
फ़लदयी यं है । जो न केवल दसरे
ू य ो से अिधक से अिधक लाभ दे ने मे समथ है एवं संसार के हर य के िलए
फायदे मंद सा बत होता है । पूण ाण- ित त एवं पूण चैत य यु " ी यं " जस य के घर मे होता है उसके िलये
" ी यं " अ य त फ़लदायी िस होता है उसके दशन मा से अन-िगनत लाभ एवं सुख क ाि होित है । " ी यं " मे
समाई अ ितय एवं अ यश मनु य क सम त शुभ इ छाओं को पूरा करने मे समथ होित है । ज से उसका
जीवन से हताशा और िनराशा दरू होकर वह मनु य असफ़लता से सफ़लता क और िनर तर गित करने लगता है एवं
उसे जीवन मे सम त भौितक सुखो क ाि होित है । " ी यं " मनु य जीवन म उ प न होने वाली सम या-बाधा एवं
नकारा मक उजा को दरू कर सकार मक उजा का िनमाण करने मे समथ है । " ी यं " क थापन से घर या यापार के
थान पर था पत करने से वा तु दोष य वा तु से स ब धत परे शािन मे युनता आित है व सुख-समृ , शांित एवं
ऐ य क ि होती है ।
ववाह के िलये स म भाव, स मेश और शु का वचार कया जाता ह। स म भाव, स मेश और शु शुभ थित म ह तो
ववाह शी होता है तथा वैवा हक जीवन भी सुखमय रहने क अिधक संभावनाएं होती ह।
इसके वपर त य द स म भाव, स मेश और शु तीन कसी भी कार के पाप ह के भाव म ह तो ववाह म वल ब
होने क संभावना बनती ह। ववाह के समय का िनधारण करने के िलये कुंडली म बन रहे योग वशेष भूिमका िनभाते ह।
कसी य को जीवन म कतना वैवा हक सुख िमलेगा यह सब कुंडली म बन रहे योग पर िनभर करता ह। य द शुभ ह,
शुभ भाव के वामी होकर जब शुभ भाव म थत ह ता हो, और अशुभ ह िनबल होकर अशुभ भाव के वामी होकर, अशुभ
भाव म थत ह तो य को अनुकुल फल दे ते ह।
ेम ववाह योग
िचंतन जोशी
योितष शा के अनुसार ह क थती एवं य द ज म कुंड़ली म पंचम भाव का स म भाव
लड़के और लड़क के बीच ेम को ववाह के प र णत से स ब ध होता ह, त य का ेम वैवा हक
सू बांधने म अहम भूिमका िनभाते ह। सू म बंधता ह।
ज म कुंडली म शु पंचम भाव या नवम भाव म के साथ संबंध ह , तो इस योग म म ववाह होने क
थत ह अथवा शु चं कुंडली म पंचम भाव संभावना अिधक होती ह।
थत ह , तो ेम ववाह के योग बनते ह। योितष शा के अनुसार ेम ववाह से संबंिधत तीन
ज म कुंडली म पंचम भाव म मंगल थत ह कारक ह सूय, बुध और शु होते ह। एसा माना जाता ह
और पंचमेश एवं एकादशेश का रािश प रवतन इन तीन ह के कारण ह कोई य को कसी से ेम
योग ह , तो ेम ववाह के योग बनते ह। होता ह।
ज म कुंडली म पंचमेश एवं एकादशेश क युित ज म कुंडली म सूय, बुध और शु तीनो क युित ह , तो
कुंडली के कसी भी भाव म ह , तो ेम ववाह य के ेम ववाह होने क संभावना अिधक होती ह।
होने के योग होते ह। ज म कुंडली म सूय, बुध और शु मशः अलग-
ज म कुंडली म पंचमेश एवं स मेश क युित अलग भाव म थत होने से ेम होता ह ले कन
कुंडली के कसी भी भाव म ह , तो ेम ववाह ववाह नह ं होता।
होने के योग बनते ह। ज म कुंडली म सूय, बुध और शु तीनो ह म
ज म कुंडली म स मेश एवं एकादशेश क युित से कसी दो ह क युित बन रह ह एवं दोनो
कुंडली के कसी भी भाव म ह , तो ेम ववाह के साथ म अ य एक ह थत ह तो बड
होने के योग होते ह। क ठनाईय के बाद म ेम ववाह होने क
भ भाव
िचंतन जोशी
कसी गांव म एक कु हार भगवान का क तन करते थे। क तन करते-करते अपनी सुध-बुध भूल गये। िम ट र दते-
र दते िम ट के साथ उनका बालक भी र दा गया। उ ह पता नह ं चला। उनक प ी क नजर पड़ ।
भगवान के ित जसक जसका भ भाव है , वह तो सरलता से सब वीकार कर लेगा। कु हार दोन प य को समान
भाव से दे खने लगे। दोन प याँ दःखी
ु होने लगीं। अब इनको कैसे समझाएँ ? तक वतक दे कर पित को संसार म लाना चाहती थीं
ले कन कु हार का भ भाव भगवान म जुड़ चुका था।
आ खर दोन बहन ने एक रा को अपने पित का हाथ पकड़कर जबरद ती अपने शर र तक लाया। कु हार ने सोचा क मेरा हाथ
अप व हो गया। कु हार ने अपने हाथ को सजा कर द ।
भगवान ने भ भाव होना चा हए। भ भाव माने जैसे पित ता ी और कसी पु ष को पित भाव से नह ं दे खती, ऐसे ह भ
या साधक भी और कसी साधना से अपना क याण होगा और कसी य के बल से अपना मो होगा, ऐसा नह ं सोचता।
ाण ित त दगा
ु बीसा यं
शा ो मत के अनुशार दगा
ु बीसा यं दभा
ु य को दरू कर य के सोये हवे
ु भा य को जगाने वाला माना
गया ह। दगा
ु बीसा यं ारा य को जीवन म धन से संबंिधत सं याओं म लाभ ा होता ह। जो य
आिथक सम यासे परे शान ह , वह य य द नवरा म ाण ित त कया गया दगा
ु बीसा यं को थाि कर
लेता ह, तो उसक धन, रोजगार एवं यवसाय से संबंधी सभी सम य का शी ह अंत होने लगता ह। नवरा के दनो
म ाण ित त दगा
ु बीसा यं को अपने घर-दकान
ु -ओ फस-फै टर म था पत करने से वशेष लाभ ा होता
ह, य शी ह अपने यापार म वृ एवं अपनी आिथक थती म सुधार होता दे खगे। संपूण ाण ित त एवं
पूण चैत य दगा
ु बीसा यं को शुभ मुहू त म अपने घर-दकान
ु -ओ फस म था पत करने से वशेष लाभ ा होता
ह। मू य: Rs.550 से Rs.8200 तक
21 दस बर 2010
ववाह से संबंिधत व न
िचंतन जोशी
कुछ कार के व न एक वशेष कार का फल दे ते ह। व न म सुंदर कलाकार वाले व दे खना सुंदर और
आपके माग दशन के िलये योितष के ंथो म उ ले खत सुशील जीवन साथी ा होने का संकेत ह।
दांप य जीवन एवं ेम- संग से स बंिधत व न फल का व न म वयं को नाचते दे खना शी ववाह होने का
वचार यहा दशाएं गएं ह। और वैवा हक सुख म वृ होने का संकेत ह।
व न म सुंदर ी क साड़ दे खना अपने ेम पा से
व न शा के अनुसार नींद म दखाई दे ने वाले शी िमलने का संकेत ह।
सपन से भी ेम ववाह होने या ना होने के संकेत व न म सुंदर लड़क से म ती करते दे खना और
ा होते ह। लड़क को हं सते दे खना भोग वलास ा होने का
लडक का व न म कसी िच डय़ा को चहचहाती हई
ु संकेत ह।
दे खना ेम ववाह होने का संकेत ह। सपने म कपड़े खोलते दे खना ेम और ी सुख ी
लड़क का व न म वयं को ब तर पर च र सुख ा होने का संकेत ह।
बछाते हए
ु दे खना कसी से ज द ेम होने का या व न म वयं को शहद का सेवन करते दे खना शी
अपना ेम ववाह होने का संकेत ह ह ववाह होने का संकेत ह।
व न म वयं को संगीत सुनते हए
ु दे खना ेम संबंध व न म वयं को हवाई जहाज चलाते हए
ु दे खना
म सफलता ाि का संकेत ह। ववाह होने का संकेत ह।
व न म सकस जेसी कलाबाजी दे खना उसके ेम म व न म वयं को केला खाते दे खना ेम एवं
कोई तीसरा य दखल दे ने का संकेत ह। वैवा हक जीवन के िलये अशुभ संकेत ह।
व न म णय य दे खना म
े संबंध म परे शािन व न म वयं को कंगन पहनने दे खना शी
आने के संकेत ह। वैवा हक बंधन म बंधने का संकेत ह।
व न म ह रे -जवाहरात या ह रे के आभूषण उपहार व न म वयं को मं दर अथवा पूजा थान पर
म ा होते दे खना दांप य जीवन म परे शािनयां पूजा-अचना करते दे खना ेम ववाह म सफल होने
आसकती ह। का संकेत ह।
व न म सोने के आभूषण दे खना समृ प रवार म ू
व न म अपनो से संबंध टटते दे खना शी ह ववाह
ववाह होने का संकेत ह। होने का संकेत ह।
व न म बाजार म घुमते दे खे दे खना मनपसंद जीवन व न म कसी भवन या महल से बाहर आते दे खना
साथी ा होने का संकेत ह। ू ने का संकेत हो सकता ह।
सगाई टट
व न म शव दे खना गृ ह थ जीवन म संकट के आने व न म अपने ेमी, पित-प ी को अ य के साथ म
का संकेत ह।
अनैितक संबंध बनाते दे खना अ छे च र के जीवन
व न म वयं को सुरंग म दे खना ेम संबंध अथवा
साथी ा होने का संकेत ह।
वैवा हक जीवन परे शािनयां आसकती ह।
22 दस बर 2010
दांप य सुख वृ ड बी
सुखी वैवा हक जीवन के िलये दांप य सुख वृ ड बी, ज से रोजान पित-प ी म छोट -छोट बातो म होने वाले
झगडे , मतभेद इ याद दरू हो कर दांप य सुख म वृ होकर आपसी ताल-मेल एवं र ते म सुधार होता ह।
23 दस बर 2010
वजय ठाकुर
ह द ु समाज म ववाह ( ा ववाह) आदश, सबसे व तृ त, संशोिधत प था। दोन म मूल अंतर स प ड
ब ह ववाह के िनयम तक सीिमत था। ा ववाह म पता
लोक य और ित त ववाह का व प माना जाता ह
क तरफ से सात एवं माता क तरफ से पांच पी ढ़य तक जुड़े
यो क ववाह दोनो प क सहमित से कया जाता ह।
लोग से ववाह संबंध िनषेध होता था। ले कन जाप य
ववाह म क या का पता अपनी क या के िलए व वान,
ववाह म पता क तरफ से पांच एवं माता क तरफ से तीन
साम यवान एवं उ म च र वाला सबसे सुयो य वर को
पी ढ़य के स प ड म ह ववाह िनषेध होता था। जाप य
अपनी क या से ववाह के िलए आमं त कर अपनी पु ी का
ववाह म पता अपनी क या क सहमित के बना उसका
क यादान करता ह। ववाह आजकल सामा जक ववाह
ववाह अिभजा य वग के वर से कर दे ना ' जाप य ववाह'
या क यादान ववाह कहा जाता ह।
कहलाता था।
दे व ववाह :
अपनी सुपु ी का ववाह य ( वशेषतः धािमक अनु ान) शा के अनुशार आसुर ववाह ववाह से वपर त क या
कराने वाले पुरो हत को सेवा काय के मू य के प अपनी के पता को दान या क या का मू य दे ख उसे खर दा जाता
क या को दान म दे दे ता था। दे व ववाह को ािचन काल म था या ववाह म क या के भाई और वर क बहन क अदला-
एक आदश ववाह माना जाता था। आजकल दे व ववाह आज बदली क जाती थी। ववाह म क या मू य लेना क या
लु हो गया है । के पता के िलए िन ष होता था। ववाह म क या के
24 दस बर 2010
भाई और वर क बहन का ववाह (अदला-बदली) भी िन ष द था। पौरा णक काल म राजाओं और दवािस कबील ने
होता है । यु द म हारे राजा तथा सरदार ने मै ी संबंध बनाने के उ े य
गंधव ववाह : से उनक पु य से ववाह करने क था चलायी थी। रा स
ववाह का पारं प रक प था। पौरा णक काल म गंधव ववाह बनाया जाता था। यह वीकृ त था परं तु आदश नह ं माना
थे। उस काल म गंधव ववाह क कुछ वशेष प र थितय एवं शा के अनुशार पैशाच ववाह को ववाह का िनकृ तम प
वशेष वग म वीकृ ित थी पर तु परं परा म इसे आदश ववाह माना गया ह। जस के अंतगत क या क मदहोशी, गहन
नह ं माना जाता था। िन ा, मानिसक दबलता
ु इ या द का लाभ उठा कर जबरद ती
रा स ववाह : से शीलहरण कर उससे शार रक स बंध बना लेना और लड़क
क सहमित के बना उसका अपहरण करके जबरद ती ववाह ववाह प म वीकार कया जाता था। इस ववाह से
कर लेना जो लोक य हरण ववाह के प म चलन म रहा उ प न संतान को वैध संतान के सारे अिधकार ा होते थे।
ादश महा यं
यं को अित ािचन एवं दलभ
ु यं ो के संकलन से हमारे वष के अनुसंधान ारा बनाया गया ह।
परम दल
ु भ वशीकरण यं , सह ा ी ल मी आब यं
भा योदय यं आक मक धन ाि यं
मनोवांिछत काय िस यं पूण पौ ष ाि कामदे व यं
रा य बाधा िनवृ यं रोग िनवृ यं
गृ ह थ सुख यं साधना िस यं
शी ववाह संप न गौर अनंग यं श ु दमन यं
GURUTVA KARYALAY
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25 दस बर 2010
अ पायु योग
योितष से जाने कतना जीएँगा आपका साथी जीवन-मृ यु ई र क ह इ छानुसार होती ह। परं तु एक कुशल योितष मनु य
के अ पायु-द धायु योग से उसक आयु क जानकार दे सकता ह। योग के आधार पर आयु से संबंिधत जानकार दे ने का उ े य
केवल सचेतना एवं पूव सूचना मा होता ह। य द अ प आयु के योग बन रह हो तो उ से बचाव के इ आराधना आराधना के
उपाय करने चा हये जससे द धायु क ा ी हो सके। यो क अ पायु योग के कारणा वर को वदरु और क या को वधवा होने
क नौबत आजाती ह। यो क मृ यु तो िन त होती ह उसे कोई नह ं टाल सकता क तु य द कुंडली िमलान म वर या वधु क
कुंडली म एसे योग पाये जाये तो सोच समझ कर ह ववाह करना उिचत होता ह।
योितष िस ांतो के आधार पर केवल य के जीवन पर उसक ज म कुंडली का ह नह ,ं उसके संबंिधय क ज म कुंडली के
योग का भी असर अव य पड़ता ह। जैसे कसी य क कुंडली म कोई वष वशेष मारक हो परं तु उसके प ी क कुंडली म
पित का योग बलवान हो, तो उपाय इ याद करने पर यह मारक योग केवल वा य क , अक मात दधट
ु ना म छोट -मोट
चोट इ या द का योग मा बन जाता ह। अतः आयु िनधारण हे तु इन सब बात का यान अव य रखना चा हये। हमारे व ानो
ने आयु िनधारण के द धायु, म यमायु, अ पायु के कुछ सामा य िनयम बताते ह।
अ पायु योग
आयु िनधारण हे तु ज म कुंडली म ल न के वामी क थती का अिधक मह व मान गया ह। य द ल नेश ष म, अ म या
ादश भाव म थत ह , तो जातक वा य से संबंिधत परे शानी से त होता ह। जातक अपने जीवन म वा य से संबंिधत
विभ न सम या, आक मक दघटना
ु इ या से से अिधक समय स मुखीन होता ह। य को अपने ल नेश को अनुकूल बनाने
हे तु उपाय करना चा हये।
कुंडली म सभी पाप ह शिन, राहू, सूय, मंगल, केतु और चं मा क सूय से यु होकर तृ तीय, ष म, ादश भाव म थत
ह , तो आयु प कमजोर होता ह।
कुंडली म ल नेश और सूय ल न भाव म थत हो और उस पर पाप ह क हो तो आयु योग कमजोर होता ह।
कुंडली म अ मेश ष म या ादश भाव म पाप ह के साथ या पाप ह के भाव म हो, तो आयु प कमजोर होता ह।
कुंडली म ल नेश िनबल हो और सभी पाप हक म थत हो, और उस पर शुभ न हो अशुभ ह क हो तो आयु
योग कमजोर होता ह।
कुंडली म ल नेश कमजोर हो एवं धन ( तीय) और यय ( ादश) भाव म पाप ह थत हो तो आयु कम होती ह।
कुंडली म गुर एवं शु क युित ह और मंगल पंचम भाव म थत हो तो आयु कमजोर होती ह।
कक ल न क कुंडली म च मा अ त हो, नीच का हो या हण योग बन रहा हो, तो आयु प कमजोर होता ह।
कुंडली म ल नेश और अ मेश दोन थर रािश म थत हो अथवा एक चर रािश म और दसरा
ू वभाव रािश म हो तो
आयु प कमजोर होता ह।
26 दस बर 2010
भा य ल मी द बी
सुख-शा त-समृ क ाि के िलये भा य ल मी द बी :- ज से धन ि , ववाह योग, यापार
वृ , वशीकरण, कोट कचेर के काय, भूत ेत बाधा, मारण, स मोहन, ता क बाधा, श ु भय,
चोर भय जेसी अनेक परे शािनयो से र ा होित है और घर मे सुख समृ क ाि होित है , भा य
ल मी द बी मे लघु ी फ़ल, ह तजोड (हाथा जोड ), िसयार िस गी, ब ल नाल, शंख, काली-
सफ़ेद-लाल गुंजा, इ जाल, माय जाल, पाताल तुमड जेसी अनेक दलभ
ु साम ी होती है ।
मू य:- Rs. 910 से Rs. 8200 तक उ ल
गु व कायालय संपक : 91+ 9338213418, 91+ 9238328785
27 दस बर 2010
पूणायु योग
कुंडली म ल नेश और अ मेश दोन चर रािश म थत ह , या एक वभाव रािश म दसरा
ू थर रािश म ह तो द धायु
योग होता ह।
कुंडली म ल न और च दोन चर रािश म थत ह , या एक वभाव रािश म दसरा
ू थर रािश म ह तो द धायु
योग होता ह।
कुंडली म ल न और होरा ल न दोन चर रािश म थत ह , या एक वभाव रािश म दसरा
ू थर रािश म ह तो
द धायु योग होता ह।
कुंडली म ल नेश और शुभ ह पणफर भाव म थत ह , या अ मेश और सभी पाप ह पणफर भाव म ह तो द धायु
योग होता ह।
कुंडली म अ मेश उ च का होकर के म थत ह , या कोण म शुभ ह से युत हो तो द धायु योग होता ह।
कुंडली म ल नेश ल न म थत ह , और अ मेश अ म भाव म थत ह , तो द धायु योग होता ह।
कुंडली म ल नेश, पंचमेश और अ मेश बली हो और वरािश म थत ह , वयं के नवमांश म ह , या िम ा भाव म ह
तो द धायु योग होता ह।
कुंडली म ष मेश या ादशेश ल न, ष म या ादश भाव म थत ह , तो द धायु योग होता ह।
कुंडली म ल नेश उ च का हो च एकादश भाव म थत ह और बृ ह पित अ म भाव म थत ह , तो द धायु योग
होता ह।
कुंडली म शिन अ म भाव म हो तो द धायु योग होता ह।
28 दस बर 2010
वशेष : कुंडली िमलान करते समय इनम से कोई एक योग कुंडली म ह , तो जातक पूण आयु ा करता ह एसा योितष
व ानो का कथन ह। पूण आयु के योग बनने पर भी सावधानी आव य होती ह। यो क अनउिचत यवहार एवं सोच के कारण
य यसन या गलत खान-पान के चलते उ का शर र बीमा रय का घर बन सकता ह। गलत कम से आयु योग ीण हो
जाता ह। आक मक घटनाओं को भी अव य यान म रखते हवे
ु आयु िनधारण कर। अतः कोई भी भ व यव ा इस बारे म
घोषणा न कर ऐसा गु ओं का िनदश होता है । हाँ, खतरे क द जा सकती है । कए जा सके।
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29 दस बर 2010
ज म कुंडली म स म भाव म वृ ष रािश, कुंभ रािश अथवा वृ क रािश का भाव हो, तो उसके घर या पैत ृ क
िनवास से जीवनसाथी के घर या पैत ृ क िनवास क दरू 0-90 कलोमीटर के कर ब हो सकती है ।
ज म कुंडली म स म भाव म िमथुन रािश, क या रािश, धनु रािश अथवा मीन रािश का भाव हो, तो उसके
घर या पैत ृ क िनवास से जीवनसाथी के घर या पैत ृ क िनवास क दर
ू 90-190 कलोमीटर के कर ब हो सकती
है ।
ज म कुंडली म स म भाव म मेष रािश, कक रािश, तुला रािश अथवा मकर रािश का भाव हो, तो उसके घर
या पैत ृ क िनवास से जीवनसाथी के घर या पैत ृ क िनवास क दर
ू 190 या उ से से अिधक कलोमीटर क दरू
पर हो सकता है ।
30 दस बर 2010
मेष रािश: मेष रािश के य के िलये मेष, कक, िमथुन, तुला, मकर और कु भ रािश के जीवन साथी उपयु रहते ह।
वृ षभ रािश: वृ षभ रािश के य के िलये वृ षभ, कक, िसंह, वृ क, कु भ और मीन रािश के जीवन साथी उपयु रहते ह।
िमथुन रािश: िमथुन रािश के य के िलये मेष, िमथुन, िसंह, क या, धनु और मीन रािश के जीवन साथी उपयु रहते ह।
कक रािश: कक रािश के य के िलये मेष, वृ षभ, कक, क या, तुला और मकर रािश के जीवन साथी उपयु रहते ह।
िसंह रािश: िसंह रािश के य के िलये िमथुन, िसंह, तुला, वृ क और कु भ रािश के जीवन साथी उपयु रहते ह।
क या रािश: क या रािश के य के िलये िमथुन, कक, क या, वृ क और धनु रािश के जीवन साथी उपयु रहते ह।
तुला रािश: तुला रािश के य के िलये मेष, कक, िसंह, तुला, धनु और मकर रािश के जीवन साथी उपयु रहते ह।
वृ क रािश: वृ क रािश के य के िलये वृ षभ, िसंह, क या, वृ क, मकर और कु भ रािश के जीवन साथी उपयु रहते
ह।
धनु रािश: धनु रािश के य के िलये िमथुन, क या, तुला, धनु, कु भ और मीन रािश के जीवन साथी उपयु रहते ह।
मकर रािश: मकर रािश के य के िलये मेष, कक, तुला, वृ क, मकर और मीन रािश के जीवन साथी उपयु रहते ह।
कुंभ रािश: कुंभ रािश के य के िलये मेष, वृ षभ, िसंह, वृ क, धनु, कुंभ रािश के जीवन साथी उपयु रहते ह।
मीन रािश: मीन रािश के य के िलये वृ षभ, िमथुन, क या, धन, मकर रािश के जीवन साथी उपयु रहते ह।
भारतीय समाज म नशेको खराब माना गया ह। यो क नशे क लत या बूर आदत के कारण य तन, मन,
धन, प रवार सब कुछ दाँव पर लगा दे ने से पीछे नह ं हटता। आज यादातर य कसी न कसी नशे क लत का
िशकार होता ह।
शौ खया तौर पर शु कया गया नशे का अ यास समय के साथ-साथ य को लत का िशकार बना दे ता ह।
ज से उसका आने वाला उ जवल भ व य नशे के कारण भ व य के गत अंधेरे क और अ त कर दे ता ह। य के
नशे के आ द होने का एक बड़ा कारणा उसके आस-पास का माहौल होता ह। यो क य अपने आसपास म जो
महौल दे खता ह उसी महौल के अनु प वह ढलने लगता ह।
ज म कुंडली म ह क थती के अनुशार जातक क िच नशा करने म रहे गी या नह ं। य द रहे गी तो
जातक कस तरह का नशा करे गा। इसका पूवानुमान योितषी संकेतो के आधार पर सरलता से जान सकते ह। य द
उिचत मागदशन और उिचत उपायो से कोई भी माता- पता या अ य कोई य अपने वजनो को नशेक लत म
पडने से पहले बचा सकता ह।
हं द ु सं कृ ित म ववाह के समय वर-वधू प व अ न के सम सात फेरे के साथ म सात वचन लेते ह जसे
आने वाले सात ज म तक दोनो को एक साथ इसी प व र ते म बंधे रहने का तीक माना जाता ह। इस ववाह
वशेष अंक के साथ हम आपको इन सातो वचनो से अवगत करने का याश कर रह ह। विभ न हं द ू स यता म
ववाह म 4,5 और 7 फेरे िलये जाते ह। इस स यता के अनु प वचनो म उयोग म लाये जाने वाले मं ो म भी
िभ नता पाई जाती ह।
ववाह के समय फेर इ या द आव यक काय संप म हो जाने पर भी ववाह संप न नह ं मानाजाता जब तक
क या वर के वाम (बाऎ ं) भाग म नह ं आती। जबतक क या वर के वाम (बाऎ ं) भाग म नह ं आती तब उसे कुमार
ह मानाजाता ह। एसे म ववाह को विध वधान से संप न करने के िलये क या को वर से सात वचन माँगने का
वधान बताया गया ह। जससे क या के भावी जीवन क सुख, सुर ा, मान-स मान, ग रमा-गौरव तथा अ मता क
पूण ता से र ा हो सके। वर ारा सात वचन को वीकारने के प ात हं क या िन ंत होकर भावी जीवन का ार भ
करती ह अथातः ववाह को संप न मानाजाता ह। साधारण प से सात वचन को स पद प जानाजाता ह।
ाचीनकाल से सात वचन का भारतीय समाज म अिधक मह व रहा ह। इस सात वचन का ता पय वर-वधू को े
और सुखी दांप य जीवन क ओर े रत करना होता ह।
अपनी क या का ववाह करते समय हर माता- पता के मन म यह आशंका अव य रहती ह, क ववाह प ात
उनक पु ी का दांप य जीवन कैसा यतीत होगा? ससुराल म सुख से रह पायेगी या नह ं? क या के माता- पता क
इसी आशंका को दरू करने के िलए ह हजारो पूव हमारे व ान ऋ ष-मुिनय ारा सात वचन को रखा गया था। जसके
फल व प क या को ववाह प ात कसी क का सामना न करना पडे इस िलये क या अपने पित के वामांग (बाऎ ं) म
आने से पूव उससे सात वचन मांगती ह।
ववाह के प यात प क सम त आव यकताओं को पूरा करने के साथ उसक अ मता तथा ग रमा क र ा
करने का दािय व भी पित का ह होता ह। दांप य स बंध म भी मधुरता, ेम, अनुराग, याग, समपण आ द क भावना
हो इसी उ े य से इन वचनो को वीकार करना ह ं नह ं उसे िनभाना भी अित आव यक होता ह।
भा य ल मी द बी
सुख-शा त-समृ क ाि के िलये भा य ल मी द बी :- ज से धन ि , ववाह योग, यापार
वृ , वशीकरण, कोट कचेर के काय, भूत ेत बाधा, मारण, स मोहन, ता क बाधा, श ु भय,
चोर भय जेसी अनेक परे शािनयो से र ा होित है और घर मे सुख समृ क ाि होित है , भा य
ल मी द बी मे लघु ी फ़ल, ह तजोड (हाथा जोड ), िसयार िस गी, ब ल नाल, शंख, काली-
सफ़ेद-लाल गुंजा, इ जाल, माय जाल, पाताल तुमड जेसी अनेक दलभ
ु साम ी होती है ।
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33 दस बर 2010
हं द ु सं कृ ित म वरवधू प व अ न के सात फेरे लेते है । फेरे लेते समय वधू वर से सात वचन और वर वधू से पांच वचन मांगता ह।
इन वचनो म क या कहती ह य द आप उपरो सात वचन का पालन करगे तो ह म आपके वामांग म आ सकती हँू ।
शाद संबंिधत सम या
या आपके लडके-लडक क आपक शाद म अनाव यक प से वल ब हो रहा ह या उनके वैवा हक जीवन म खुिशयां कम
होती जारह ह और सम या अिधक बढती जारह ह। एसी थती होने पर अपने लडके-लडक क कुंडली का अ ययन
अव य करवाले और उनके वैवा हक सुख को कम करने वाले दोष के िनवारण के उपायो के बार म व तार से जनकार
ा कर।
34 दस बर 2010
ले कन केवल 36 गुण के आधार पर कया गया कुंडली िमलना सफल ववाह क गारं ट नह ं होता ह। वै दक योितष
अनुसार 36 गुण के अलावा अ य बहत
ु सारे कारण होते ह जो लडके-लडक के वैवा हक जीवन को सफल या असफल
बनाने म अपना भाव रखते ह।
ऎसा य होता ह?
इसका मु या कारण होता ह आज आधुिनकता का कुछ एसा दौर चला ह, जहा ायः हर गली महो ले म
योितष से संबंिधत पु तके प -प काए उप ध हो जाती ह, जसे एक दो पार आिध-अधूर पढे ना पढे य
योितष से संबंिधत उिचत जानकार एवं यो य योितषी िश ण के अभाव के कारण वयं को योितष का बहोत बडा
जानकार और व ान मान लेता ह।
आजकल ायः हर छोटे -बडे शहरो म योितष से संबंिधत िश ा के िलये लास खूलने लगे ह जसमे कुछ
व ान योितष व ानो के ारा चलाये जाते ह तो कुछ धन लोभ के कारण आधे-अधूरे िश ण से दसरो
ू को योितष
का पाठ पढाने लगते ह। आधे-अधूरे िश क से योितष व ा ा होन ह ं सकती इ से तो हर य भली भाती
प रिचत ह, एसे म योितष िश ा क मोट फस दे कर य को योितष म अमुक अमक ड ीया ा हो जाती ह।
दसरा
ू कारण
यादातर लडके-लडक के माता- पता शाद म हजारो लाखो पये खच कर दे ते ह परं तु व ान एवं कूशल
योितष के पास न जाकर उसका उिचत पा र िमक न दे कर पैसे बचाने के च कर म या तो कम जानकार य से
कुंडली िमलान करवा लेते ह या वयं अपने कं युटर पर लडके-लडक क ज म दनांक, समय एवं थान दे कर िमलान
कर के 18 या उ से अिधक गुण दे ख कर ववाह कर दे ते ह। एसी थतीओं म लडके-लडक का वैवा हक जीवन
क मय और दःख
ू मय हो सकता ह। यो क केवल 18 या उ से अिधक गुण िमलने पर ह ववाह सफल नह ं होता।
कं युटर पर कुंडली िमलान करने पर उसम केवल वण, योिन, नाड इ या द गुणो के आधार ह िमलान होता ह।
यो कं कुंडली िमलान न ो क बजाए हो क थित के आधार पर करना उिचत होता ह यो क न तो एक ह ह सा ह
और मनु य पर सबसे अिधक भाव नव हो का होता ह। जसे कं युटर या कम जानकार योितष बताने म असमथ होते
ह जसके आधार पर ववाह सफल नह ं हो पाते ह और कभी कभी गुण िमलने पर भी असफल हो जाते ह।
तीसरा कारण
कुछ लडके-लडक के माता- पता अ छा प रवार म र ता या धनी प रवार दे ख कर अथवा अपने लडके-लडक
क उ अिधक हो जाने पर अपने पु -पु ी क ज म कुंडली गलत बनवा दे ते ह ताक कसी भी कार से ववाह
संप न हो जाये परं तु अ ानता के कारण उ ह कहा ात होता ह क वह जो बड गलती से ववाह को संप न करना
चाहते ह वह अनौिचत मेल को उिचत म बदलने के उपरांत भी दोनो का वैवा हक जीवन क मय या दःखमय
ु रहे गा।
ऎसी थतीओं म भी वैवा हक जीवन सुखमय नह ं होता फर दोषका सारा ठकरा मढ दया जाता ह योितष पर क
उिचत मेल होने पर भी हमारे लडके-लडक का ववाह क जीवन सुखी नह ं हवा।
ु
गु व योितष के ववाह पेशयल अंक म हमने कुंडली िमलान के अलावा
िचंतन जोशी
भारतीय सामाज म ववाह को प व बंधन माना जाता ह। इस िलये हं द ू सं कृ ित म तलाक जैसे श द का कोई
नह ं ह। योितष शा म ववाह सं कार हे तु मुख चार माह िनधा रत कये ह। इस िलये एसा मानाजाता ह क इन
चार माह म ववाह होने पर भावी ववा हत द पित का जीवन खुिशय भरा रहता ह।
कस माह म ववाह या फल दे ते ह?
शा के अनुसार
माघे धनवती क या, फा गुने शुभगा भवेत,
वैशाखे तथा ये े पित उ य तव लभा।
मागिशष म प छती, अ यये मासा व जता।।
अथातः जस क या का ववाह माघ मास म होता ह, वह अित धनवान होती ह, फा गुन मास म ववाह होने पर क या
सौभा यवती होती ह। वैशाख और ये मास म ववाह होने पर क या पित को अिधक यार होती ह। अक मात
प र थतीओं म अित आव यक होने पर ह मागिशष मास म ववाह कर सकते है । अ य सभी माह ववाह हे तु व जत
होते ह।
इसके अलावा मलमास या अिधमास होने पर, सूय धनु एवं मीन रािश म थत होने पर, गु या शु तारा
अ त होने पर ववाह िनषेध माना गया ह।
GURUTVA KARYALAY
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37 दस बर 2010
मानसागर के अनुसार:
धने यये च पाताले जािम े चा मे कुजे।
क या भतु वनाशाय भतु ः क या वन यित॥
मंगल यं
( कोण) मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र
य को ऋण मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के
क याण के िलए मंगल यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। मू य मा Rs- 550
38 दस बर 2010
मंगली दोष का फल
मंगली दोष वैवा हक जीवन को विभ न कार से भा वत करता है - ववाह मे व न, वल ब, यवधान या धोखा,
ववाहोपरा त द पित मे से कसी एक अथवा दोनाको शार रक, मानिसक अथवा आिथक क , पार प रक मन-मुटाव, वाद-
ववाद तथा ववाह- व छे द। अगर दोष अ यिधक बल हआ
ु तो दोना अथवा कसी एक क मृ यु भी हो सकती है ।
कुंडली म य द मंगली दोष हो तो उ से भयभीत या आतं कत नह ं होना चा हये। यास यह करना चा हये क मंगली
जातक का ववाह मंगली जातक से ह हो या क मंगल-दोष सा य होने से वह भावह न हो जाता ह तथा दोनासुखी रहते ह।
मंगल क उ प ी कैसे हइ
ु ?
शा म मंगल ह क उ प िशव से मानी गई ह। मंगल को पृ वी का पु माना गया ह। मंगल क उ प
भारत के म य दे श के उ जैन म मानी गई ह।
जेसे मंगल का रं ग लाल या िसंदरू के रं गके समान ह।, इस िलये भगवान गणेश को भी िसंदरू चढाया जाता ह। इस
िलये गणेशजी को मंगलनाथ या मंगलमूित भी कहाजाता ह।
39 दस बर 2010
मंगल कुमार को गणेशजी न मंगलवार के दन दशन दे कर उनहे मंगल ह होने का वरदान दया था इसी के
कारण ह भगवान गणेश को मंगल मूित कहा जाता ह और मंगलवार के दन मंगलमूित गणेश का पूजन कया
जाता ह।
योितष शा के अनुसार मंगल का भाव मनु य के र और म जा पर होता है । इसी से मंगली कुंडली वाले
जातक थोड़े गु सैल और िचड़िचड़े वभाव के होते ह।
एसे य अ यािधक मह वाकां ी होने के कारण इनके वभाव म ोध पाया जाता ह। एसे य उ
वभाव के होने पर भी वह बहत
ु दयालु, शी मा करने वाले तथा मानवतावाद होते ह।
योितष शा के अनुशार मंगली लडके-लडक अपने जीवन साथी से वशेष अपे ाएं रखते ह और अपने जीवन
साथी के मामले म अिधक संवेदनशील होते ह। इस कारण शा म मंगली का ववाह मंगली से ह करने पर जोर दया
गया ह। कुछ व ानो का मत ह क लड़के क कुंडली म मंगल हो और लड़क क कुंडली म 1, 4, 7, 8, 12 थान म
शिन थत हो अथवा मंगल के साथ गु थत हो तब मंगल का भाव समा माना जाता ह। एसा माना जाता ह
क मंगली जातक का ववाह वलंब से होता ह और अ छ जगह होता ह।
इसी िलये मंगली कुंडली वाले य का ववाह मंगली से करना शुभ माना जाता ह।
योितष मह व: योितष म मंगल ऋण, भूिम, भवन, मकान, झगड़ा, पेट क बीमार , ोध, मुकदमे बाजी और भाई का
कारक होता ह। मंगल हम साहस, स ह णुता, धैय, क ठन, प र थितय एवं सम याओं को हल करने क यो यता दान
करता ह और खतर से सामना करने क श दे ता ह।
भगवान िशव और गणेश क उपासना कर। तांबा, सोना, गेहूं , लाल व , लाल चंदन, लाल फूल, केसर, क तुर , लाल बैल,
मसूर क दाल, भूिम आ द का दान कर और योितष क सलाह पर मूंगा र धारण कर।
40 दस बर 2010
मं िस मंगल गणेश
मूंगा गणेश को व ने र और िस वनायक के प म जाना जाता ह। इस िलये मूंगा गणेश पूजन के िलए
अ यंत लाभकार ह। गणेश जो व न नाश एवं शी फल क ाि हे तु वशेष लाभदायी ह।
मूंगा गणेश घर एवं यवसाय म पूजन हे तु था पत करने से गणेशजी का आशीवाद शी ा होता ह। यो क
लाल रं ग और लाल मूंगे को प व माना गया ह। लाल मूंगा शार रक और मानिसक श य का वकास करने
हे तु वशेष सहायक ह। हं सक वृ और गु से को िनयं त करने हे तु भी मूंगा गणेश क पूजा लाभ द ह। एसी
लोकमा यता ह क मंगल गणेश को था पत करने से भगवान गणेश क कृ पा श चोर , लूट, आग, अक मात
से वशेष सुर ा ा होती ह, ज से घर म या दकान
ु म उ नती एवं सुर ा हे तु मूंगा गणेश था पत कया
जासकता ह। ाण ित त मूंगा गणेश क थापना से भा योदय, शर र म खून क कमी, गभपात से बचाव, बुखार, चेचक, पागलपन,
सूजन और घाव, यौन श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय, वाहन दघटनाओं
ु , हमला, चोर, तूफान, आग, बजली
से बचाव होता ह। एवं ज म कुंडली म मंगल ह के पी ड़त होने पर िमलने वाले हािनकर भाव से मु िमलती ह।जो य उपरो
लाभ ा करना चाहते ह उनके िलये मं िस मूंगा गणेश अ यिधक फायदे मंद ह। मूंगा गणेश क िनयिमत प से पूजा करने से यह
अ यिधक भावशाली होता ह एवं इसके शुभ भाव से सुख सौभा य क ाि होकर जीवन के सारे संकटो का वतः िनवारण होता ह।
Rs.550 से Rs.8200 तक
GURUTVA KARYALAY
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42 दस बर 2010
योितष म ववाह का वचार स म भाव के साथ-साथ कुंडली म तीय भाव और एकादश भाव से भी वचार
कया जाता ह। स म भाव जीवनसाथी एवं साझेदार का भाव होता ह। अत: ववाह से संबंिधत का वचार इस
भाव से कया जाता ह। भारतीय योितष म वैवा हक स ब ध म शुभता का वचाह एकादश भाव से कया जाता ह।
कुंडली के अनुशार कोण थान अथवा के थान अथात थम, चतुथ, स म एवं दशम भाव शुभ भाव म
हो तो ववाह शी होने के योग बनते ह।
कुंडली म ल नेश और स मेश रािश प रवतन कर रहे हो, तो ेम ववाह के िलये शुभ संकेत ह।
कुंडली म ल नेश और ादश रािश प रवतन कर रहे हो, तो ेम ववाह के िलये शुभ संकेत हो सकता ह।
43 दस बर 2010
ज म कुंडली म स म भाव या स मेश से कोई बली ह संब ध बनात हो, तो उस ह क दशा अविध म
ववाह क संभावनाये बनती ह।
जातक क कुंडली म जब शु शुभ ह क रािश अथवा के , क ण, शुभ भाव म थत ह , तो शु का संब ध
अ तदशा या य तर दशा से हो रहा हो, तो इस दशाम जातक का ववाह हो सकता ह।
कुंडली म शु पर जतना शुभ भाव म हो, ववाह उतना शी होने के योग बनाता ह और शु जतना पाप
भाव म हो उतना ववाह म वलंब होता ह।
कुंडली म शु के साथ थत ह, स मेश का िम ह या कोई बली ह का कसी के साथ संब ध बना रहा
ह , उन सभी ह क दशा- अ तदशा म ववाह होने क संभावनाये बनती ह।
ज म कुंडली म शु जस ह के न म थत ह , उस ह क दशा अविध म ववाह होने क संभावनाये अिधक
बनती ह।
कुबेर यं
कुबेर यं के पूजन से वण लाभ, र लाभ, पैत ृ क स प ी एवं गड़े हए
ु धन से लाभ ाि क कामना करने वाले य
के िलये कुबेर यं अ य त सफलता दायक होता ह। एसा शा ो वचन ह। कुबेर यं के पूजन से एकािधक ो से
धन का ा होकर धन संचय होता ह।
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45 दस बर 2010
कनकधारा यं
आज के युग म हर य अितशी समृ बनना चाहता ह। धन ाि हे तु ाण- ित त कनकधारा यं के सामने
बैठकर कनकधारा तो का पाठ करने से वशेष लाभ ा होता ह। इस कनकधारा यं क पूजा अचना करने से ऋण
और द र ता से शी मु िमलती ह। यापार म उ नित होती ह, बेरोजगार को रोजगार ाि होती ह।
ी आ द शंकराचाय ारा कनकधारा तो क रचना कुछ इस कार क ह, जसके वण एवं पठन करने से आस-
पास के वायुमंडल म वशेष अलौ कक द य उजा उ प न होती ह। ठक उसी कार से कनकधारा यं अ यंत दलभ
ु
यं ो म से एक यं ह जसे मां ल मी क ाि हेतु अचूक भावा शाली माना गया ह।
कनकधारा यं को व ानो ने वयंिस तथा सभी कार के ऐ य दान करने म समथ माना ह। जग ु शंकराचाय ने
दर ा ण के घर कनकधारा तो के पाठ से वण वषा कराने का उ लेख ंथ शंकर द वजय म िमलता ह।
गु व कायालय संपक :
91+ 9338213418, 91+ 9238328785
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46 दस बर 2010
नवर ज ड़त ी यं
शा वचन के अनुसार शु सुवण या रजत म िनिमत ी यं के चार और य द नवर जड़वा ने पर यह नवर
ज ड़त ी यं कहलाता ह। सभी र ो को उसके िन त थान पर जड़ कर लॉकेट के प म धारण करने से य को
अनंत ए य एवं ल मी क ाि होती ह। य को एसा आभास होता ह जैसे मां ल मी उसके साथ ह। नव ह को
ी यं के साथ लगाने से ह क अशुभ दशा का धारण करने वाले य पर भाव नह ं होता ह। गले म होने के
कारण यं पव रहता ह एवं नान करते समय इस यं पर पश कर जो जल बंद ु शर र को लगते ह, वह गंगा
जल के समान प व होता ह। इस िलये इसे सबसे तेज वी एवं फलदािय कहजाता ह। जैसे अमृ त से उ म कोई
औषिध नह ,ं उसी कार ल मी ाि के िलये ी यं से उ म कोई यं संसार म नह ं ह एसा शा ो वचन ह। इस
कार के नवर ज ड़त ी यं गु व कायालय ारा शुभ मुहू त म ाण ित त करके बनावाए जाते ह।
अ ल मी कवच
अ ल मी कवच को धारण करने से य पर सदा मां महा ल मी क कृ पा एवं आशीवाद बना रहता
ह। ज से मां ल मी के अ प (१)-आ द ल मी, (२)-धा य ल मी, (३)-धैर य ल मी, (४)-गज
ल मी, (५)-संतान ल मी, (६)- वजय ल मी, (७)- व ा ल मी और (८)-धन ल मी इन सभी पो का
वतः अशीवाद ा होता ह। मू य मा : Rs-1050
मं िस यापार वृ कवच
यापार वृ कवच यापार के शी उ नित के िलए उ म ह। चाह कोई भी यापार हो अगर उसम लाभ के थान पर बार-
बार हािन हो रह ह। कसी कार से यापार म बार-बार बांधा उ प न हो रह हो! तो संपूण ाण ित त मं िस पूण
चैत य यु यापात वृ यं को यपार थान या घर म था पत करने से शी ह यापार वृ एवं िनत तर लाभ ा
होता ह। मू य मा : Rs.370 & 730
मंगल यं
( कोण) मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य को
ऋण मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के िलए
मंगल यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह। मू य मा Rs- 550
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47 दस बर 2010
िचंतन जोशी
दांप य जीवन म य द हर दन झगड़े हो तो इसका कारण िसफ आपसी मतभेद ह नह ं वा तु दोष भी हो सकता ह।
भवन के नैऋ य कोण(प म-द ण) अथवा वाय य कोण (उ र-प म) के िनमाण म य द दोष हो, तो पित-
प ी के संबंध अ य ी-पु ष होने क संभावनाएं बढाता ह और य एक से अिधक अवैध संबंध बनाने के
िलये यास रत रहता ह। ज से प रवार म लड़ाई-झगड़े होते ह। य द उिचत परामश ा कर इन दोष को दर
ू
कर दया जाए तो पित-प ी के अ य म हलाओं से संबंध सवतः ह समा हो जाते ह।
नव ववा हत द प के भवन के वाय य कोण(उ र-प म) के कमरे म सोने से दांप य जीवन म नीरसता
आती ह ज से पित-प ी के संबंध अ य ी-पु ष से अवैध संबंध हो सकते ह।
कशोर उ के ब चो का कमरा भवन के वाय य कोण (उ र-प म) म होने से ब चे क च उ म ेम
च कर इ या द के मोह म बंध जाने क संभावनाएं बनती ह एवं ब चे एक से अिधक संपक रखने का यास
भी कर सकते ह। वाय य कोण म अ यािधक नकारा मक भाव होने पर ब चे घर से भाग जाना या भाग कर
ववाह करने क संभावनाएं बनी रहती ह।
भवन के आ नेय कोण म द प का बेड म हो, तो दोनो का गु सा सातव आसमान पर रहता ह ज से दोनो
के बच म आपसी ताल-मेल का अभाव रहता ह। इससे मानिसक अशांित रहती ह।
भवन के द ण म मु य ार हो और प म क रसोई हो तो उस घर म आपसी मतभेद रहते ह।
ईशान म रसोई एवं शौचालय ह तो गृह लेश रहे गा।
आईने म सोते समय दं प का बेड या शर र दखता हो, तो दोनो के बच म कसी का या दोनो का कसी
अ य से अवैध बनने क संभावनाएं बढजाती ह।
वा तु अनुसार कुछ उपाय कर पित-प ी के बीच हर दन होने वाले झगड़े दरू कए जा सकते ह।
नोट:- केवल ववाह यो य ब चो का कमरा ह वाय य कोण म रखना उिचत रहता ह कशोर उ के ब चो का कमरा
वाय य कोण म उपयु नह ं होता ह।
य द आपके घर म एसी थतीयां बन रह ह तो उ से डरने के बजाय उसके िनवारण के उपाय करने चा हये। अवैध
संबंध बनने के और भी बहोत सारे कारण हो सकते ह। दं प का कमरा वाय य कोण म होने का मतलब यह नह ं ह
क दोनो या दोनो म से एक यिभचार ह कसी वशेष प र थती के कारण य द ऎसा नह ं ह तो ऎसा होने क
संभावना बन सकती ह। इस िलये अ ीम जानकार ा कर सचेत रहना उिचत होता ह।
वा तु दोष िनवारक यं
भवन छोटा होया बडा य द भवन म कसी कारण से िनमाण म वा तु दोष लगरहा हो, तो शा म उसके िनवारण हे तु
वा तु दे वता को स न एवं स तु करने के िलए अनेक उपाय का उ लेख िमलता ह। उ ह ं उपायो म से एक ह वा तु यं
क थापना जसे घर-दकान
ु -ओ फस-फै टर म था पत करने से संबंिधत सम त परे शानीओं का शमन होकर वा तु
दोष का िनवारण होजाता ह एवं भवन म सुख समृ का आगमन होता ह। मू य मा Rs : 550
48 दस बर 2010
क परे शानी दरू करने के िलये और यो य समय पर उ म ववाह के िलए संकलन से हमारे वष के अनुसंधान ारा
सोने क अंगूठ म िनद ष पुखराज र लड़के के दाएं हाथ म धारण रा य बाधा िनवृ यं
अ य अनुभूत योग
योग 1
बृ ह पित के वेदो मं का 76000 जप और 7600 मं से दशांश हवन करने से ववाह योग शी बनते ह।
केले के वृ म जल अपण कर केले के वृ के नीचे वेदो मं क 108 माला कर। य द एक साथ 108 माला करने
क सु वधा नहो तो िनयम के अनुशार ित दन िन त सं या म जप करके 3,7,11 दनो म जप पूरा कर सकते ह।
50 दस बर 2010
योग 2
कसी भी गु वार क रा म नाना द से िनवृ त होकर एक बाजोट पर ाण- ित त ववाह बाधा िनवारण व ह
था पत कर व ह पर ी रखकर फ टक माला से ववाह बाधा िनवारण मं का 108 जप कर।
ववाह बाधा िनवारण मं : ॐ ऐं ऐ ववाह बाधा िनवारणाय ं ंॐफ ।
नोट: ववाह बाधा िनवारण व ह के िलये पीले रंग के अक क(हक क) को ववाह बाधा िनवारण मं से कसी जानकार
से अिभमं त करवाल।
योग 3
ववाह म आने वाली कावटो को दरू करने के िलये एक पीले रे शमी माल म तीन कोनो म साबूत ह द क एक-एक
गाठ बाधके अपने पास रख ल। क या को शु ल प के गु वार और लडके को शु ल प के शु वार को योग कर। यह
योग करते व कसी तरह का यवधान या कावट न हो इसका खास यान रख। इस योग से शाद क बात
धीरे -धीरे आगे बढने लगेगी।
(इस योग को अिधक मास, मल मास म करना फल द नह ं होता ह इस िलये इस समय अविध म योग टालद।)
िनयम:
कसी भी उपाय को करते समय, य के मन म यह वचार होना चा हए, क वह जो भी उपाय कर रहा ह उसे
करने से वह ई र य कृ पा से अव य ह शुभ फल ा होगा।
सभी उपाय पूण त: सा वक ह तथा इसे करने से कसी के ितकूल प रणाम ा नह ं होते है ।
उपाय से संब धत जानकार पूण तः गोपनीय रखनी चा हये।
य को सतत य ह ा व व ास रखना चा हये क उसक कामनाये शी पूण होगी।
क या को मािसक धम के समय कोई भी उपाय नह ं करना चा हये।
उपाय के दौरान सा वक भोजन हण कर। मांस म दरा इ याद से परहे ज कर।
उपाय के दौरान संयम का पालन कर।
या आप कसी सम या से त ह?
आपके पास अपनी सम याओं से छुटकारा पाने हे तु पूजा-अचना, साधना, मं जाप इ या द करने का समय नह ं
ह? अब आप अपनी सम याओं से बीना कसी वशेष पूजा-अचना, विध- वधान के आपको अपने काय म
सफलता ा कर सके एवं आपको अपने जीवन के सम त सुखो को ा करने का माग ा हो सके इस िलये
गु व कायालत ारा हमारा उ े य शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस ाण- ित त पूण चैत य
यु विभ न कार के य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।
गु व कायालय:
Bhubaneswar- 751 018, (ORISSA) INDIA,
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51 दस बर 2010
दशमी-
1 बुध मागशीष कृ ण 08:33:39 ह त 22:54:17 आयु मान 24:54:17 व 14:02:53 क या
एकादशी
4 शिन मागशीष कृ ण चतुदशी 24:22:49 वशाखा 18:53:45 अितगंड 16:19:04 व 15:58:30 तुला 13:09:00
7 मंगल मागशीष शु ल तीया 22:10:02 मूल 18:14:44 शूल 10:22:14 बालव 08:06:22 धनु
8 बुध मागशीष शु ल तृतीया 22:39:49 पूवाषाढ़ 19:11:42 गंड 09:16:23 तैितल 17:50:15 धनु 25:32:00
11 शिन मागशीष शु ल ष ी 27:43:47 धिन ा 25:32:32 याघात 08:57:51 कौलव 18:20:41 मकर 12:12:00
15 बुध मागशीष शु ल नवमी 11:05:09 उ राभा पद 10:11:42 यितपात 11:53:54 कौलव 13:53:49 मीन
16 गु मागशीष शु ल दशमी 13:02:00 रे वित 12:36:42 व रयान 12:16:04 गर 16:22:44 मीन 12:37:00
18 शिन मागशीष शु ल ादशी 15:13:30 भरणी 15:49:07 िशव 11:42:33 बालव 07:35:34 मेष 22:03:00
21 मंगल मागशीष शु ल पू णमा 13:44:11 मृगिशरा 16:03:52 शुभ 07:13:15 बव 10:52:01 िमथुन
चतुथ -
25 शिन पौष कृ ण 27:25:27 अ े षा 10:43:16 वषकुंभ 17:03:53 कौलव 08:50:30 कक 10:43:00
पंचमी
27 सोम पौष कृ ण स मी 22:52:31 पूवाफा गुनी 07:25:20 आयु मान 10:49:43 व 17:03:20 िसंह 13:02:00
29 बुध पौष कृ ण नवमी 18:57:00 िच ा 27:30:45 अितगंड 26:20:26 तैितल 13:03:02 क या 16:01:00
गणेश ल मी यं
ाण- ित त गणेश ल मी यं को अपने घर-दकान
ु -ओ फस-फै टर म पूजन थान, ग ला या अलमार म था पत
करने यापार म वशेष लाभ ा होता ह। यं के भाव से भा य म उ नित, मान- ित ा एवं यापर म वृ होती ह
एवं आिथक थम सुधार होता ह। गणेश ल मी यं को था पत करने से भगवान गणेश और दे वी ल मी का संयु
आशीवाद ा होता ह। Rs.550 से Rs.8200 तक
मंगल यं से ऋण मु
मंगल यं को जमीन-जायदाद के ववादो को हल करने के काम म लाभ दे ता ह, इस के अित र य
को ऋण मु हे तु मंगल साधना से अित शी लाभ ा होता ह। ववाह आ द म मंगली जातक के क याण के
िलए मंगल यं क पूजा करने से वशेष लाभ ा होता ह।
ाण ित त मंगल यं के पूजन से भा योदय, शर र म खून क कमी, गभपात से बचाव, बुखार, चेचक,
पागलपन, सूजन और घाव, यौन श म वृ , श ु वजय, तं मं के द ु भा, भूत- ेत भय, वाहन दघटनाओं
ु , हमला, चोर
इ याद से बचाव होता ह। मू य मा Rs- 550
तं र ा कवच
तं र ा कवच को धारण करने से य के उपर कगई सम त तां क बाधाएं दरू होती ह, उसी के साथ ह धारण
कता य पर कसी भी कार क नकार मन श यो का कु भाव नह ं होता। इस कवच के भाव से इषा- े ष रखने
वाले सभी लोगो ारा होने वाले द ु भावो से र ाहोती ह। मू य मा : Rs.730
53 दस बर 2010
दशमी-
1 बुध मागशीष कृ ण 08:33:39 उ प ना एकादशी, वैतरणी एकादशी,
एकादशी
4 शिन मागशीष कृ ण चतुदशी 24:22:49 िशव चतुदशी, मािसक िशवरा त, ित पित बालाजी उ सव,
7 मंगल मागशीष शु ल तीया 22:10:02 नवीन चं दशन, यितपात महापात दन 1.40 से रा 2.04 तक
चतुथ -
25 शिन पौष कृ ण 27:25:27 समस डे
पंचमी
26 रव पौष कृ ण ष ी 25:06:11
धन वृ ड बी
धन वृ ड बी को अपनी अलमार , कैश बो स, पूजा थान म रखने से धन वृ होती ह जसम लाल- पीला-
सफेद ल मी कारक हक क (अक क), ल मी कारक फ टक र , 3 पीली कौड , 3 सफेद कौड , गोमती च , सफेद
गुंजा, र गुंजा, काली गुंजा, इं जाल, माया जाल, इ याद दलभ
ु व तुओं को शुभ महत
ु म तेज वी मं ारा
अिभमं त कय जाता ह। मू य मा Rs-550
55 दस बर 2010
ह चलन दस बर -2010
द Sun Mon Ma Me Jup Ven Sat Rah Ket Ua Nep Plu
1 07:14:39 05:12:58 08:00:43 08:05:58 10:29:44 06:06:23 05:20:32 08:08:57 02:08:57 11:02:40 10:02:03 08:10:13
2 07:15:40 05:27:15 08:01:28 08:07:00 10:29:47 06:06:50 05:20:38 08:08:54 02:08:54 11:02:39 10:02:04 08:10:15
3 07:16:41 06:11:28 08:02:13 08:07:58 10:29:49 06:07:18 05:20:43 08:08:50 02:08:50 11:02:39 10:02:05 08:10:17
4 07:17:42 06:25:33 08:02:58 08:08:51 10:29:52 06:07:48 05:20:48 08:08:47 02:08:47 11:02:39 10:02:06 08:10:19
5 07:18:42 07:09:26 08:03:43 08:09:39 10:29:56 06:08:20 05:20:53 08:08:44 02:08:44 11:02:39 10:02:07 08:10:21
6 07:19:43 07:23:04 08:04:28 08:10:21 10:29:59 06:08:53 05:20:58 08:08:43 02:08:43 11:02:39 10:02:08 08:10:23
7 07:20:44 08:06:23 08:05:14 08:10:56 11:00:03 06:09:27 05:21:03 08:08:42 02:08:42 11:02:39 10:02:09 08:10:25
8 07:21:45 08:19:23 08:05:59 08:11:24 11:00:06 06:10:03 05:21:08 08:08:42 02:08:42 11:02:39 10:02:10 08:10:27
9 07:22:46 09:02:04 08:06:44 08:11:43 11:00:10 06:10:41 05:21:13 08:08:43 02:08:43 11:02:39 10:02:11 08:10:29
10 07:23:47 09:14:28 08:07:30 08:11:53 11:00:15 06:11:19 05:21:17 08:08:45 02:08:45 11:02:39 10:02:12 08:10:31
11 07:24:48 09:26:38 08:08:15 08:11:53 11:00:19 06:11:59 05:21:22 08:08:46 02:08:46 11:02:40 10:02:13 08:10:33
12 07:25:49 10:08:38 08:09:01 08:11:43 11:00:23 06:12:40 05:21:26 08:08:47 02:08:47 11:02:40 10:02:14 08:10:36
13 07:26:50 10:20:31 08:09:46 08:11:21 11:00:28 06:13:22 05:21:31 08:08:48 02:08:48 11:02:40 10:02:15 08:10:38
14 07:27:51 11:02:23 08:10:32 08:10:47 11:00:33 06:14:05 05:21:35 08:08:48 02:08:48 11:02:41 10:02:16 08:10:40
15 07:28:52 11:14:19 08:11:18 08:10:02 11:00:38 06:14:50 05:21:39 08:08:47 02:08:47 11:02:41 10:02:17 08:10:42
16 07:29:53 11:26:23 08:12:03 08:09:06 11:00:44 06:15:35 05:21:44 08:08:47 02:08:47 11:02:41 10:02:19 08:10:44
17 08:00:54 00:08:39 08:12:49 08:08:01 11:00:49 06:16:21 05:21:48 08:08:45 02:08:45 11:02:42 10:02:20 08:10:46
18 08:01:55 00:21:11 08:13:35 08:06:47 11:00:55 06:17:09 05:21:52 08:08:44 02:08:44 11:02:43 10:02:21 08:10:48
19 08:02:56 01:04:01 08:14:21 08:05:28 11:01:01 06:17:57 05:21:56 08:08:44 02:08:44 11:02:43 10:02:23 08:10:50
20 08:03:57 01:17:10 08:15:07 08:04:06 11:01:07 06:18:46 05:21:59 08:08:43 02:08:43 11:02:44 10:02:24 08:10:53
21 08:04:58 02:00:38 08:15:53 08:02:43 11:01:13 06:19:36 05:22:03 08:08:43 02:08:43 11:02:45 10:02:25 08:10:55
22 08:06:00 02:14:24 08:16:39 08:01:23 11:01:19 06:20:27 05:22:07 08:08:43 02:08:43 11:02:45 10:02:27 08:10:57
23 08:07:01 02:28:24 08:17:25 08:00:07 11:01:26 06:21:18 05:22:10 08:08:43 02:08:43 11:02:46 10:02:28 08:10:59
24 08:08:02 03:12:35 08:18:11 07:28:59 11:01:32 06:22:10 05:22:14 08:08:43 02:08:43 11:02:47 10:02:30 08:11:01
25 08:09:03 03:26:53 08:18:57 07:27:59 11:01:39 06:23:03 05:22:17 08:08:43 02:08:43 11:02:48 10:02:31 08:11:03
26 08:10:04 04:11:13 08:19:43 07:27:10 11:01:46 06:23:57 05:22:20 08:08:43 02:08:43 11:02:49 10:02:33 08:11:05
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28 08:12:06 05:09:45 08:21:15 07:26:02 11:02:01 06:25:46 05:22:27 08:08:43 02:08:43 11:02:51 10:02:36 08:11:10
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30 08:14:08 06:07:49 08:22:48 07:25:36 11:02:16 06:27:38 05:22:33 08:08:43 02:08:43 11:02:54 10:02:39 08:11:14
31 08:15:10 06:21:37 08:23:34 07:25:38 11:02:24 06:28:35 05:22:35 08:08:44 02:08:44 11:02:55 10:02:41 08:11:16
56 दस बर 2010
योग फल :
काय िस योग मे कये गये शुभ काय मे िन त सफलता ा होती ह, एसा शा ो वचन ह।
पु कर योग म कये गये शुभ काय का लाभ दोगुना होता ह। एसा शा ो वचन ह।
पु कर योग म कये गये शुभ काय का लाभ तीन गुना होता ह। एसा शा ो वचन ह
दन के चौघ डये
समय र ववार सोमवार मंगलवार बुधवार गु वार शु वार शिनवार
मािसक रािश फल
िचंतन जोशी
मेष : इस माह मानिसक अशांित एवं शार रक ह। इस माह वा य उ म रहे गा। पा रवा रक सुख म
अ व थता अनुभव करे ग। अिधक प र म म कमी रहे गी वृ एवं धन सं ह के अवसर ा होग।
ज से अिधक लाभ ा नह ं होगा,पूण प र म से
काय को पूरा करने का यास कर। नौकर यवसाय म िसंह : पुरानी सम याओं और परे शािनय से छुटकारा
के हवे
ु काय म सफल ह गे। िम एवं पा रवा रक सुख िमलेगा। आिथक थित म सुधार होगा। नौकर म
म वृ होगी। वा य संबंधी िचंता समय पर रख। पदौ नती एवं यापार म उ नित के अवसय ा होग।
भूिम-भवन-वाहन के सुखो म वृ होने के योग ह।
वरोिध एवं श ु प से परे शानी हो सकती ह सावधान
वृ ष : इस माह म भाग-दौड क अिधकता एवं वप रत
रह। भौितक सुख साधनो क ाि होगी। खच पर
प र थितओं के कारण मानिसक अशांित रहे गा। प र म
िनयं ण रखने का यास कर।
के बाद भी उिचत लाभ ाि का अनुभव नह कर
पायेग। मह व पूण धन से संबंिधत लेन-दे न म परे शानी
हो सकती ह। वा य कमजोर रहे गा एवं वा य के क या : इस माह मानिसक अशांित एवं शार रक
ित सचेत रहने से वा य सुख म वृ होगी। प रवार अ व थता अनुभव करे ग। प रवार के सद यो का
के सद य के बच म मदभेद रहे गा। वा य िचंताजनक रहे गा। वभाव म उ ता एवं उतेजना
क थित पर िनयं ण रखने का यास कर।
अनआव यक खच बढगा। श ु प से परे शानी संभव ह।
िमथुन : इस माह आय क तुलना म यय क अिधकता
मह व पूण धन से संबंिधत लेन-दे न म अित र
रह सकती ह। खच पर िनय ण रखने का यास करे ।
सावधानी बरते अ यथा परे शानी हो सकती ह।
भूिम-भवन-वाहन के सुखो म वृ होने के योग ह।
ह गे। िम एवं पा रवार क सहयोग से नौकर यवसाय
तुला : इस माह आपके उ साह फुित मे वृ होगी।
म लाभ ा होगा। वभाव म ोध एवं उतेजना पर
नौकर यवसाय म के हवे
ु काय म सफल ह गे। पूरानी
िनयं ण रखने का यास कर अ यथा बने बनाये काम
परे शानीओं से छुटकारा पाने म सफल ह गे। िम एवं
बगड़ सकते ह। वप रत प र थितओं के चलते आपको
पा रवार क सहयोग से नौकर यवसाय म लाभ ा
मानिसक परे शानी का सामना करना पडे गा।
होगा। वा य उ म रहे गा। पा रवा रक सुख म वृ
एवं धन सं ह के अवसर ा होग। भूिम-भवन इ याद
कक : इस माह आपके उ साह फुित मे वृ होगी।
म पूं ज िनवेश करने से बचे।
पूरानी परे शानीओं से छुटकारा पाने म सफल ह गे। िम
एवं पा रवार क सहयोग से नौकर यवसाय म लाभ
ा होगा। श ु एवं वरोधी पर आपका दब-दबा रहे गा। वृ क : पूण प र म से कये गये काय म सफलता
दसर
ू पर िनभर रहकर काय करना नुकशान दे सकता ा होगी। नौकर म पदौ नती एवं यापार म उ नित
के अवसय ा होग। िम एवं प रवार क के सद यो के
60 दस बर 2010
सहयोग से आिथक लाभ ा होगा। साझेदार के काय थती रहे गी। नौकर - यवसाय म श ु प से क
को थिगत कर। श ु एवं वरोिध प पर अपना भाव संभव ह सावधान रहे ।
बनाने म आप सफलता ा करे ग। पूराने ऋण का
भुगतान करना पड सकता ह। कुंभ : पा रवा रक सुख म वृ एवं धन सं ह के अवसर
ा होग। भूिम-भवन-वाहन के सुखो म वृ होने के
धनु : इस माह आ म व ार एवं उ साह फुित मे वृ योग ह। थोडे से प र म से नौकर यवसाय म गित
होगी। आिथक थित म सुधार होगा। नौकर यवसाय होगी। आक मक धन ाि के योग ह। आिथक थती
के काय म गित होगी। मह व पूण धन से संबंिधत म सुधार होगा। वा य प कमजोर रहे गा। भाग-दौड
लेन-दे न के काय म भी सफलता ा करगे। प रवार क अिधकता एवं वप रत प र थितओं के कारण
म भौितक सुख -साधनो म वृ हो सकती ह ज स के मानिसक अशांित रह सकती ह।
फल व प प रवार म खुशी का माहौल रहे गा। श ु एवं
वरोधी पर आपका दब-दबा रहे गा। मीन : इस माह नौकर यवसाय के काय म परे शानी
संभव ह अित र सावधानी बत। कसी भी कार के
मकर : इस माह सभी मह व पूण काय म अित र वाद- ववाद से बचने का यास कर। भौितक सुख
सावधानी बरते अ यथा परे शानी हो सकती ह। ऋण लेने साधनो क ाि होगी। खच पर िनयं ण रखने का
से बचे, अ यािधक खच पर िनयं ण करने का यास यास कर। म हला वग से अिधक लाभ ाि के योग
कर। मह व पूण योजनाओंन को थिगत करने का बन रहे ह। वभाव म ती ता एवं उ ता रह सकती ह।
यास कर। प रवार एवं िम वग के बच म तनाव क वा य सामा य रहे गा।
मं िस ा
एकमुखी ा -Rs- 1250,2800 छह मुखी ा -Rs- 55,100 यारहमुखी ा -Rs- 2800
दो मुखी ा -Rs- 100,151 सात मुखी ा -Rs- 120,190 बारह मुखी ा -Rs- 3600
तीन मुखी ा -Rs- 100,151 आठ मुखी ा -Rs- 820,1250 तेरह मुखी ा -Rs- 6400
चार मुखी ा -Rs- 55,100 नौ मुखी ा -Rs- 820,1250 चौदह मुखी ा -Rs- 19000
पंच मुखी ा -Rs- 28,55 दसमुखी ा -Rs- ........ गौर षंकर ा -Rs-
GURUTVA KARYALAY
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
Call Us – 91 + 9338213418, 91 + 9238328785
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com
Our Website:- http://gk.yolasite.com/ and http://gurutvakaryalay.blogspot.com/
61 दस बर 2010
वा तु परामश
गु व योितष प का के पाठको के सुझाव एवं अनुरोध पर गु व कायालय ारा दस बर-2010 से वा तु से
संबंिधत िनःशु क सेवा ारं भ क जारह ह।
िनिमत भवन क थित उसक बाहर एवं भीतर सजावट आपके अनुकूल ह या नह ं। जससे आप भवन म
बना तोड-फोड कये इनके सरल उपायो से केवल फेर-बदल कर के वशेष लाभ ा कर सकते ह। वा तु
परामश हे तु फाम भर।
नोट: जो य ई मेल से िनजी प म परामश ा करना चाहते ह वह कृ या हमार भुगतान परामश सेवा का लाभ
उठाने का क कर। गु व कायालय म फोन से संपक करने पर आपको ई मेल से िनजी प म परामश ा होगा।
अ यथा आपको गु व कायालय लोग के मा यम से परामश ा होगा। कृ या य द आप कसी सम या से त हो,
तो इस िनःशु क परामश सेवा का लाभ उठाये। नये भवन के िनमाण एवं बना कसी सम या के परामश नह ं दया
जायेगा।
गु व योितष वा तु परामश
नाम:
पता:
ई-मेल पता
फोन नंबर
सम या:
* साथ म भवन का दशा िलखा कर न शा भेजे ।
वा तु परामश फम इस पत पर भेजे या ई-मेल कर या हमारे लोग http://gurutvajyotish.blogspot.com/ पर
जाकर ओनलाईन फाम जमा करवा सकते ह। भवन का न शा इस ई-मेल पर भेज:े -
Email Us:- gurutva_karyalay@yahoo.in, gurutva.karyalay@gmail.com,
योितष परामश
योितष से संबंिधत कसी भी कार क सम यओ का गु व कायालय लोग के मा यम से आप अपने का
िन:शु क उ र एवं समाधान ा कर सकते ह।
योितष परामश
नाम:
पता का नाम
माता का नाम
पता:
ई-मेल पता:
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ज म दनांक:
ज म समय:
ज म थान( जला):
एक /सम या:
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सूचना :
गु व कायालय से जुडे बंधुगण हो, िनयिमत पाठक हो या जो य आिथक से धन दे कर
सेवा ा करने म असमथ हो एसे य चाहे वह कायालय म आते हो, फ़ोन पर हो, ई-मेल ारा
हो या ऑन लाइन हो, उन बंधु के िलये हमार यादातर सेवा िन:शु क ह।
िन:शु क सेवा दान करने का अथ यह कतई नह ं ह क हमारे पास कोई काय नह ं ह। इस िलये
वयं का एवं हमार समय न करने के बजाय िनःशु क सेवा का लाभ उ ह ा करने का मौका
द, जो य वा तव म परे शान ह । यो क बना सम या के िन:शु क सेवा का लाभ उठाने के
कारण अ य लोग को सेवा ा करने म वलंब होता ह। तो कृ या अपना सहयोग बनाये रखे।
63 दस बर 2010
सव रोगनाशक यं /कवच
मनु य अपने जीवन के विभ न समय पर कसी ना कसी सा य या असा य रोग से त होता ह।
उिचत उपचार से यादातर सा य रोगो से तो मु िमल जाती ह, ले कन कभी-कभी सा य रोग होकर भी असा या
होजाते ह, या कोइ असा य रोग से िसत होजाते ह। हजारो लाखो पये खच करने पर भी अिधक लाभ ा नह ं हो
पाता। डॉ टर ारा दजाने वाली दवाईया अ प समय के िलये कारगर सा बत होती ह, एिस थती म लाभा ाि के
िलये य एक डॉ टर से दसरे
ू डॉ टर के च कर लगाने को बा य हो जाता ह।
भारतीय ऋषीयोने अपने योग साधना के ताप से रोग शांित हे तु विभ न आयुवर औषधो के अित र यं ,
मं एवं तं उ लेख अपने ंथो म कर मानव जीवन को लाभ दान करने का साथक यास हजारो वष पूव कया था।
बु जीवो के मत से जो य जीवनभर अपनी दनचया पर िनयम, संयम रख कर आहार हण करता ह, एसे य
को विभ न रोग से िसत होने क संभावना कम होती ह। ले कन आज के बदलते युग म एसे य भी भयंकर रोग
से त होते दख जाते ह। यो क सम संसार काल के अधीन ह। एवं मृ यु िन त ह जसे वधाता के अलावा
और कोई टाल नह ं सकता, ले कन रोग होने क थती म य रोग दरू करने का यास तो अव य कर सकता ह।
इस िलये यं मं एवं तं के कुशल जानकार से यो य मागदशन लेकर य रोगो से मु पाने का या उसके भावो
को कम करने का यास भी अव य कर सकता ह।
कवच के लाभ :
एसा शा ो वचन ह जस घर म महामृ युंजय यं था पत होता ह वहा िनवास कता हो नाना कार क
आिध- यािध-उपािध से र ा होती ह।
पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच कसी भी उ एवं जाित धम के लोग चाहे
ी हो या पु ष धारण कर सकते ह।
ज मांगम अनेक कारके खराब योगो और खराब हो क ितकूलता से रोग उतप न होते ह।
कुछ रोग सं मण से होते ह एवं कुछ रोग खान-पान क अिनयिमतता और अशु तासे उ प न होते ह। कवच
एवं यं ारा एसे अनेक कार के खराब योगो को न कर, वा य लाभ और शार रक र ण ा करने हे तु
सव रोगनाशक कवच एवं यं सव उपयोगी होता ह।
आज के भौितकता वाद आधुिनक युगमे अनेक एसे रोग होते ह, जसका उपचार ओपरे शन और दवासे भी
क ठन हो जाता ह। कुछ रोग एसे होते ह जसे बताने म लोग हच कचाते ह शरम अनुभव करते ह एसे रोगो
को रोकने हे तु एवं उसके उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं लाभादािय िस होता ह।
येक य क जेसे-जेसे आयु बढती ह वैसे-वसै उसके शर र क ऊजा होती जाती ह। जसके साथ अनेक
कार के वकार पैदा होने लगते ह एसी थती म उपचार हे तु सवरोगनाशक कवच एवं यं फल द होता ह।
जस घर म पता-पु , माता-पु , माता-पु ी, या दो भाई एक ह न मे ज म लेते ह, तब उसक माता के िलये
अिधक क दायक थती होती ह। उपचार हे तु महामृ युंजय यं फल द होता ह।
जस य का ज म प रिध योगमे होता ह उ हे होने वाले मृ यु तु य क एवं होने वाले रोग, िचंता म
उपचार हे तु सव रोगनाशक कवच एवं यं शुभ फल द होता ह।
नोट:- पूण ाण ित त एवं पूण चैत य यु सव रोग िनवारण कवच एवं यं के बारे म अिधक जानकार हे तु हम
से संपक कर।
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Here Our goal has The classical Method-Legislation with Proved by specific with fiery chants
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65 दस बर 2010
मं िस कवच
मं िस कवच को वशेष योजन म उपयोग के िलए और शी भाव शाली बनाने के िलए तेज वी मं ो ारा
शुभ महतू म शुभ दन को तैयार कये जाते है अलग अलग कवच तैयार करने केिलए अलग अलग तरह के
. - -
य चुने मं िस कवच?
उपयोग म आसान कोई ितब ध नह ं
कोई वशेष िनित-िनयम नह ं
कोई बुरा भाव नह ं
कवच के बारे म अिधक जानकार हे तु
कवच सूिच
सव काय िस कवच - 3700-/ ऋण मु कवच – 730/- वरोध नाशक कवचा– 550/-
सवजन वशीकरण कवच – 1050/-* नव ह शांित कवच – 730/- वशीकरण कवच- 460/-* (2-3 य के िलए)
अ ल मी कवच – 1050/- तं र ा कवच – 730/- प ी वशीकरण कवच – 460/-*
आक मक धन ाि कवच – 910/- श ु वजय कवच – 640/-* नज़र र ा कवच – 460/-
भूिम लाभ कवच – 910/- पद उ नित कवच – 640/- यापर वृ कवच- 370-/
संतान ाि कवच – 910/- धन ाि कवच – 640/- पित वशीकरण कवच – 370/-*
काय िस कवच – 910/- ववाह बाधा िनवारण कवच – 640/- दभा
ु य नाशक कवच – 370/-
काम दे व कवच – 820/- म त क पृ वधक कवच – 640/- सर वती कवक – 370/- क ा+ 10 के िलए
जगत मोहन कवच -730/-* कामना पूित कवच – 550/- सर वती कवक -280 / - क ा 10 तक के िलए
पे - यापार वृ कवच – 730/- व न बाधा िनवारण कवच – 550/- वशीकरण कवच – 280/-* 1 य के िलए
Shastrokt Yantra
GURUTVA KARYALAY
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(ALL DISPUTES SUBJECT TO BHUBANESWAR JURISDICTION)
68 दस बर 2010
GURUTVA KARYALAY
NAME OF GEM STONE GENERAL MEDIUM FINE FINE SUPER FINE SPECIAL
Emerald (प ना) 100.00 500.00 1200.00 1900.00 2800.00 & above
Yellow Sapphire (पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
Blue Sapphire (नीलम) 370.00 900.00 1500.00 2800.00 4600.00 & above
White Sapphire (सफ़ेद पुखराज) 370.00 900.00 1500.00 2400.00 4600.00 & above
Bangkok Black Blue(बकोक नीलम) 80.00 150.00 200.00 500.00 1000.00 & above
Ruby (मा णक) 55.00 190.00 370.00 730.00 1900.00 & above
Ruby Berma (बमा मा णक) 2800.00 3700.00 4500.00 10000.00 21000.00 & above
Speenal (नरम मा णक/लालड ) 300.00 600.00 1200.00 2100.00 3200.00 & above
Pearl (मोित) 30.00 60.00 90.00 120.00 280.00 & above
Red Coral (4 jrh rd) (लाल मूंगा) 55.00 75.00 90.00 120.00 180.00 & above
Red Coral (4 jrh ls mij) (लाल मूंगा) 90.00 120.00 140.00 180.00 280.00 & above
White Coral (सफ़ेद मूंगा) 15.00 24.00 33.00 42.00 51.00 & above
Cat’s Eye (लहसुिनया) 18.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Cat’s Eye Orissa (उ डसा लहसुिनया) 210.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Gomed (गोमेद) 15.00 27.00 60.00 90.00 120.00 & above
Gomed CLN (िसलोनी गोमेद) 300.00 410.00 640.00 1800.00 2800.00 & above
Zarakan (जरकन) 150.00 230.00 330.00 410.00 550.00 & above
Aquamarine (बे ज) 190.00 280.00 370.00 550.00 730.00 & above
Lolite (नीली) 50.00 120.00 230.00 390.00 500.00 & above
Turquoise ( फ़रोजा) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Golden Topaz (सुनहला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Real Topaz (उ डसा पुखराज/टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
Blue Topaz (नीला टोपज) 60.00 90.00 120.00 280.00 460.00 & above
White Topaz (सफ़ेद टोपज) 50.00 90.00 120.00 240.00 410.00& above
Amethyst (कटे ला) 15.00 20.00 30.00 45.00 55.00 & above
Opal (उपल) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Garnet (गारनेट) 30.00 45.00 90.00 120.00 190.00 & above
Tourmaline (तुमलीन) 120.00 140.00 190.00 300.00 730.00 & above
Star Ruby (सुय का त म ण) 45.00 75.00 90.00 120.00 190.00 & above
Black Star (काला टार) 10.00 20.00 30.00 40.00 50.00 & above
Green Onyx (ओने स) 09.00 12.00 15.00 19.00 25.00 & above
Real Onyx (ओने स) 60.00 90.00 120.00 190.00 280.00 & above
Lapis (लाजवत) 15.00 25.00 30.00 45.00 55.00 & above
Moon Stone (च का त म ण) 12.00 21.00 30.00 45.00 100.00 & above
Rock Crystal ( फ़ टक) 09.00 12.00 15.00 30.00 45.00 & above
Kidney Stone (दाना फ़रं गी) 09.00 11.00 15.00 19.00 21.00 & above
Tiger Eye (टाइगर टोन) 03.00 05.00 10.00 15.00 21.00 & above
Jade (मरगच) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Sun Stone (सन िसतारा) 12.00 19.00 23.00 27.00 45.00 & above
Diamond (ह रा) 50.00 100.00 200.00 370.00 460.00 & above
(.05 to .20 Cent ) (Per Cent ) (Per Cent ) (PerCent ) (Per Cent) (Per Cent )
Note : Bangkok (Black) Blue for Shani, not good in looking but mor effective, Blue Topaz not Sapphire This Color of Sky Blue, For Venus
*** Super fine & Special Quality Not Available Easily. We can try only after getting order
fortunately one or two pieces may be available if possible you can tack corres pondence about
69 दस बर 2010
In special cases we don't have the time available about your Specific Questions We will taken some time for
properly Analysis your birth chart and we get back with an alternate or ask you for an alternate.
All the time mentioned is Indian Standard Time which is + 5.30 hr ahead of G.M.T.
Many clients prefer the chat so that many questions that come up during a personal discussion can be
answered right away.
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70 दस बर 2010
सूचना
प का म कािशत सभी लेख प का के अिधकार के साथ ह आर त ह।
प का म कािशत कसी भी नाम, थान या घटना का उ लेख यहां कसी भी य वशेष या कसी भी थान या
घटना से कोई संबंध नह ं ह।
अ य लेखको ारा दान कये गये लेख/ योग क ामा णकता एवं भाव क ज मेदार कायालय या संपादक
क नह ं ह। और नाह ं लेखक के पते ठकाने के बारे म जानकार दे ने हे तु कायालय या संपादक कसी भी
कार से बा य ह।
हमारे ारा पो ट कये गये सभी लेख हमारे वष के अनुभव एवं अनुशंधान के आधार पर िलखे होते ह। हम कसी भी य
वशेष ारा योग कये जाने वाले मं - यं या अ य योग या उपायोक ज मेदार न हं लेते ह।
यह ज मेदार मं -यं या अ य योग या उपायोको करने वाले य क वयं क होगी। यो क इन वषयो म नैितक
मानदं ड , सामा जक , कानूनी िनयम के खलाफ कोई य य द नीजी वाथ पूित हे तु योग कता ह अथवा
योग के करने मे ु ट होने पर ितकूल प रणाम संभव ह।
हमारे ारा पो ट कये गये सभी मं -यं या उपाय हमने सैकडोबार वयं पर एवं अ य हमारे बंधुगण पर योग कये ह
ज से हमे हर योग या मं -यं या उपायो ारा िन त सफलता ा हई
ु ह।
पाठक क मांग पर एक ह लेखका पूनः काशन करने का अिधकार रखता ह। पाठक को एक लेख के पूनः
काशन से लाभ ा हो सकता ह।
FREE
E CIRCULAR
गु व योितष प का दस बर -2010
संपादक
िचंतन जोशी
संपक
गु व योितष वभाग
गु व कायालय
92/3. BANK COLONY, BRAHMESHWAR PATNA, BHUBNESWAR-751018, (ORISSA)
INDIA
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72 दस बर 2010
हमारा उ े य
य आ मय
बंध/ु ब हन
जय गु दे व
जहाँ आधुिनक व ान समा हो जाता है । वहां आ या मक ान ारं भ हो जाता है , भौितकता का आवरण ओढे य
जीवन म हताशा और िनराशा म बंध जाता है , और उसे अपने जीवन म गितशील होने के िलए माग ा नह ं हो पाता यो क
भावनाए ह भवसागर है , जसमे मनु य क सफलता और असफलता िन हत है । उसे पाने और समजने का साथक यास ह े कर
सफलता है । सफलता को ा करना आप का भा य ह नह ं अिधकार है । ईसी िलये हमार शुभ कामना सदै व आप के साथ है । आप
अपने काय-उ े य एवं अनुकूलता हे तु यं , हर एवं उपर और दलभ
ु मं श से पूण ाण- ित त िचज व तु का हमशा
योग करे जो १००% फलदायक हो। ईसी िलये हमारा उ े य यह ं हे क शा ो विध- वधान से विश तेज वी मं ो ारा िस
ाण- ित त पूण चैत य यु सभी कार के य - कवच एवं शुभ फलदायी ह र एवं उपर आपके घर तक पहोचाने का है ।
GURUTVA KARYALAY
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Dec
2010