You are on page 1of 5

ज्योतिष के सिद्धांत क्या हैं ?

एक सिद्धांत एक अच्छी तरह से समर्थित सिद्धांत या विचार है । सिद्धांत कुछ बताते हैं और यह हमारे
लिए कैसे काम करता है । तो ज्योतिष के सिद्धांत इसके सिद्धांतों की व्याख्या हैं । यह ज्योतिष के
विभिन्न विद्यालयों के बीच भिन्न होता है , हालां कि अधिकां श के मूल आधार समान होते हैं ।
ज्योतिष के मूल सिद्धांत सामाजिक विज्ञान के सिद्धांतों से सं बंधित हैं ।
ज्योतिष के भौतिक तं तर् अब तक अस्पष्ट हैं । ऐसे दृश्य साधन हैं जिनके द्वारा हम दे खते हैं कि सूर्य
और चं दर् मा पृ थ्वी को प्रभावित करते हैं । ज्वार और मौसम सबसे स्पष्ट हैं । ले किन भौतिक रूप से
यह समझाना कि आपके चार्ट में चं दर् मा कैसे इं गित करता है कि आपकी मां अभी तक सं भव नहीं है ।
हालाँ कि, कुछ नियम हैं जो ज्योतिष की नींव हैं । ये उन सिद्धांतों के रूप में काम करते हैं जिनके द्वारा
ज्योतिषी जन्म कुंडली की व्याख्या करते हैं ।
एक सामान्य ज्योतिषीय सिद्धांत को परिभाषित करने में समस्या यह है कि यह ज्योतिष की विभिन्न
प्रणालियों और यहां तक कि ज्योतिषी से ले कर ज्योतिषी तक के बीच बहुत भिन्न होता है । वै श्विक
स्तर पर, कोई एक से ट सिद्धांत नहीं है जिसे ज्योतिष सिद्धांत की निश्चित पु स्तक कहा जा सकता है ।
इसके बजाय, चार्ट को पढ़ने के लिए कई सिद्धांत और विभिन्न तरीके हैं ।
ज्योतिष के अधिकां श विद्यालयों में ज्योतिष के सिद्धांत का निर्माण करने वाले ज्योतिष के सामान्य
पहलू हैं :
व्यक्तिगत जन्म
एक जन्म कुंडली पृ थ्वी से दे खे गए आकाश के 360 डिग्री का प्रतिनिधित्व करती है । जन्म कुंडली
उन ग्रहों का एक स्नै पशॉट है जो एक विशे ष क्षण में गोचर कर रहे हैं । ये ग्रह उस समय जिस नक्षत्र
में हैं , उसकी डिग्री के आधार पर एक चार्ट में हैं । तो, प्रत्ये क व्यक्ति, घटना, दे श या वस्तु जो किसी
विशे ष भौगोलिक स्थिति में किसी विशे ष क्षण में अस्तित्व में आई है , एक चार्ट में ग्रहों का अपना
अनूठा विन्यास है । ले किन इन सब में समानता यह है कि हम सभी इन ग्रहों से प्रभावित हैं ।
हर व्यक्ति की एक अनूठी जन्म कुंडली होती है
सापे क्षता और सहसं बद्धता
यद्यपि हम सभी ब्रह्मांड का हिस्सा हैं , एक व्यक्ति का जीवन एक सूक्ष्म जगत है जो कि वृ हद स्थूल
जगत का एक हिस्सा है । सूक्ष्म जगत और स्थूल जगत अभी भी सं रेखित हैं और अं तरिक्ष और समय
ू रे के अनु रूप हैं ।
में एक दस
सह-विकास
जै सा कि ऊपर वर्णित ब्रह्मांडीय प्रभावों के साथ पूरा ब्रह्मांड चलता है , यह इस प्रकार है कि उनके
चक् र और विकास और विकास के चरण भी सं रेखित और जु ड़े होंगे । हालां कि वे अलग हैं , फिर भी वे
तु ल्यकालिक हैं ।
सह - सं बंध
सितारे सब कुछ निर्धारित नहीं करते हैं , ले किन वे लोगों को उनके स्थान के अनु सार कुछ निश्चित
रास्तों पर प्रेरित करते हैं । इसलिए, लोगों की प्रवृ त्तियां ब्रह्मांड के ढांचे के भीतर ज्योतिष के
नियमों द्वारा निर्धारित होती हैं ।
प्रासं गिकता
ग्रहों की चाल और उनके चक् र और पै टर्न प्रासं गिक हैं और ज्योतिषियों द्वारा व्याख्या के लिए खु ले
हैं ।
ज्योतिष - चक् रीय
ज्योतिषीय सिद्धांत और सामाजिक विज्ञान
ज्योतिष और सामाजिक विज्ञान एक दस ू रे से पूरी तरह स्वतं तर् रूप से विकसित हुए ले किन दोनों
सिद्धांतों के बीच समानताएं आसानी से खींची जा सकती हैं । ज्योतिष कैसे काम करता है , इससे
सं बंधित सामाजिक विज्ञान के व्यक्तित्व और व्यवहार सिद्धांत एक उत्कृष्ट रूपरे खा हैं ।
मूल्य और पहचान
सामाजिक विज्ञान व्यक्ति के मूल्यों को वर्गीकृत करता है । समाजशास्त्र में , समाज मूल्यों के एक
समूह से दस ू रे चरण में आगे बढ़ता है । ज्योतिष उन्हीं मूल्यों को दे खता है , जो इन मूल्यों के बीच
विकास चक् र को दोहराते हैं । हम पहचान के व्याकरण द्वारा मूल्यों में अं तर करते हैं ; मैं , तु म, हम और
वे । प्रत्ये क राशि के लिए ज्योतिषीय सं केत और प्रकृति जो तीन के समूहों में आसानी से फिट हो
जाती है ।
कौशल
समाजशास्त्रीय सिद्धांत एक व्यक्ति के कौशल को एक रक्षक, प्रदाता, प्रमोटर और चु नौती दे ने
वाले के रूप में वर्गीकृत करता है । चार्ट के बारह घरों को भी आसानी से इन भूमिकाओं में वर्गीकृत
किया जाता है ।

भावनात्मक बु दधि
् मत्ता का अध्ययन आत्म-जागरूकता, आत्म-प्रबं धन, सामाजिक
किसी व्यक्ति की भावनात्मक बु दधि
जागरूकता और सं बंध प्रबं धन के रूप में किया जा सकता है । ज्योतिष व्यक्ति की भावनात्मक
परिपक्वता के इन सभी चार पहलु ओं को सं बोधित करता है ।
सं केतों के तत्व
प्यार
समाजशास्त्र लोगों में छह प्रकार के प्रेम को परिभाषित करता है जो हैं ; शारीरिक, स्वामित्व,
चं चल, व्यावहारिक, मै तर् ीपूर्ण और निःस्वार्थ। राशि चक् र के सं केतों की प्रकृति भी इन श्रेणियों में
फिट होती है ।
प्यार के प्रकार
प्रोजे क्शन और समस्याग्रस्त मील के पत्थर
ग्रह चक् रीय तरीके से चलते हैं । ज्योतिष के अनु सार धीमे ग्रहों का विशे ष रूप से व्यक्ति के जीवन
पर बहुत निश्चित प्रभाव पड़ता है । इसलिए, जन्म कुंडली में मूल स्थान की प्रासं गिकता के साथ
उनकी विशे ष स्थिति का अर्थ बहुत सकारात्मक या अत्यं त कठिन है । यही कारण है कि ज्योतिष के
जानकार लोग शनि और बृ हस्पति जै से ग्रहों के गोचर का इतनी सावधानी से पालन करते हैं । ये
ग्रह 'वापसी' कुछ निश्चित उम्र में होते हैं जो विशे ष रूप से समस्याग्रस्त होते हैं । फ् रायड के
अनु सार, एक व्यक्ति अपने विचारों और भावनाओं को अन्य बाहरी व्यक्तियों को दे ता है । यह
प्रक्षे पण है । ज्योतिष उस समय की अवधि को भी परिभाषित करता है जब किसी व्यक्ति के पास
कुछ निश्चित पारगमन के दौरान विशिष्ट आग्रह और विचार होते हैं जिन्हें ग्रह पारगमन की
प्रकृति के लिए जिम्मे दार

तिष शास्त्र को जानने से पहले इसे समझने की आवश्यकता होती है क्योंकि ज्योतिष भाग्य किस्मत
बताने का कोई खे ल तमाशा नहीं है | बल्कि यह एक विशु द्ध रूप से विज्ञान है ।

ज्योतिष शास्त्र वे दों का अं ग है । कल्पद्रुम शब्द के अनु सार ज्योतिर्मयी सूर्यादि ग्रहों की गति
ग्रहण इत्यादि को ले कर लिखे गए शास्त्र ज्योतिष है । छह प्रकार के वे दां ग ओं में  ज्योतिष मयूर
की सिखावन आग की मां के समान सर्वोपरि और महत्व को धारण क करते हुए अनु ष्ठा यज्ञ के उचित
कालका सं शोधन करते हैं |

यदि ज्योतिष ना होती तो मुहूर्त तिथि नक्षत्र रितु आया नाद सब विषय उलट-पुलट हो जाते हैं अर्थात सही से ज्ञान
नहीं हो पाता हैं
ज्योतिष के द्वारा मनु ष्य आकाश के चमत्कार से परिचित है सूर्योदय सूर्यास्त चं दर् ग्रहण सूर्य ग्रहण
व उनकी स्थिति ग्रहों की स्थिति ग्रह यु द्ध ऋतु परिवर्तन मौसम आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी
ज्योतिष विद्या से ही प्राप्त होती है । रहे है !

ज्योतिष शास्त्र वास्तव में सं भावनाओं का शास्त्र होता है | इसका सही ज्ञान कर अर्जन करने में
मनु ष्य को धन कमाने का एक तरीका मिलता है अर्थातज्योतिष शास्त्र धन कमाने में  सहायक होता
है ।

ज्योतिष शास्त्र किसी के विषय में यह बताता है कि कल सही चल रहा है तो वह किसी भी कार्य में
हाथ डालने पर उसे सफलता मिलती है और यदि ज्योतिष शास्त्र के अनु सार कुछ भी विपरीत होता
है  | तो कोई भी कार्य व्यक्ति का हाथ में डालने पर अनर्थ ही मिलता है |

ज्योतिष एक ऐसा विज्ञान है | जो जीवन में बड़े -बड़े मित्र और शु भचिं तकों को राहों में खड़ा कर दे ता
है | इसके अध्ययन और ज्ञान से धन्यश और प्रतिष्ठा प्राप्त होती है ।

ज्योतिष शास्त्र का नीच से नीच व्यक्ति हुई ज्ञान करके परम पद प्राप्त कर ले ता है यदि कोई व्यक्ति
अपवित्र मलिक है और वह ज्योतिष का ज्ञान रखता है तो ऋषि मु नियों की तरह पूजनीय आदर और
श्रद्धा का पात्र बन जाता है |

ज्योतिष शास्त्र ही एक ऐसा शास्त्र है जिसके अनु सार गणना करके अष्टमी वा पूर्णिमा को समु दर्
में ज्वार भाटा का समय निश्चित किया जाता है |

ज्योतिष शास्त्र ही चांद तारों नक्षत्रों की गणना करके होने वाली विभिन्न घटनाओं से सावधान कर
दे ता है तथा विभिन्न प्रकार के रोगों का निदान ज्योतिष से हो जाता है ।

ज्योतिष प्राचीन काल से ही ग्रह नक्षत्र खगोलीय पिं डों का अध्ययन का विषय रहा है इसके द्वारा
गणित के बारे में बहुत स्पष्ट वर्णन मिलता है जिसके द्वारा वे दों में स्पष्ट करना है कि गए हैं ।

प्राचीन काल में गणित और ज्योतिष एक समान माने जाते थे परं तु आगे चलकर इन को तीन भागों में
बांट दिया गया |

तं तर् या सिद्धांत में गणित द्वारा रस की गति और नक्षत्र का ज्ञान प्राप्त करके उन्हें निश्चित किया
जाता है | होरा का सं बंध कुंडली बनाने में किया जाता है जिसमें तीन उपविभाग थे ।
क- जातक, ख- यात्रा, ग- विवाह ।

1. यह एक विस्तृ त भाग जिसके अं तर्गत शकुन परीक्षण लक्षण और भविष्य की सूचना का विवरण
होता है |
2. तन्त्र या सिद्धान्त में मु ख्यतः दो भाग होते हैं |
3. तं तर् और सिद्धांत में ग्रहों की गणना और शृ ष्टि आरं भ यं तर् रचना और कालगणना का
सं बंध रहता है ।

 ज्योतिष विज्ञान की व्यवहारिक शाखा में भौतिक प्रभाव का अध्ययन किया जाता है ।
 ज्योतिष ने मनु ष्य पर सौर मं डल के प्रभाव को व्यवस्थित करके और विश्ले षण करके परिणाम
निकाले जाते हैं ।
 ज्योतिष मानो जीवन पर ग्रह नक्षत्र के प्रभाव तर्क सं गत और गणितीय आधार पर उपलब्ध
आं कड़ों एवं सूचना के आधार पर भूत भविष्य और वर्तमान की जानकारी दे ना होता है ।
 सभी प्रकार की घटनाओं और जानकारियों को उपलब्ध कराने के लिए ज्योतिष शास्त्र के
अं तर्गत कई ज्योतिष पद्धति होती है जिनमें से कुछ पद्धति इस प्रकार हैं ।

You might also like