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उच्च सफलता के योग-

1. जन्म-कंु डली में दशम स्थान

जन्म-कंु डली में दशम स्थानको (दसवां स्थान) को तथा छठे भाव को जॉब आदि के लिए जाना जाता है । सरकारी
नौकरी के योग को दे खने के लिए इसी घर का आकलन किया जाता है । दशम स्थान में अगर सूर्य, मंगल या
ब्रहस्पति की दृष्टि पड़ रही होती है साथ ही उनका सम्बन्ध छठे भाव से हो तो सरकारी नौकरी का प्रबल योग बन
जाता है । कभी-कभी यह भी दे खने में आता है कि जातक की कंु डली में दशम में तो यह ग्रह होते हैं लेकिन फिर भी
जातक को संघर्ष करना पड़ रहा होता है तो ऐसे में अगर सूर्य, मंगल या ब्रहस्पति पर किसी पाप ग्रह (अशुभ ग्रह) की
दृष्टि पड़ रही होती है तब जातक को सरकारी नौकरी प्राप्ति में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । अतः यह जरूरी
है कि आपके यह ग्रह पाप ग्रहों से बचे हुए रहें ।

2. जन्म कंु डली में जातक का लग्न

जन्म कंु डली में यदि जातक का लग्न मेष, मिथुन, सिंह, वश्चि
ृ क, वष
ृ या तुला है तो ऐसे में शनि ग्रह और गुरु
(वह
ृ स्पति) का एक-दस
ू रे से केंद्र या त्रिकोण में होना, सरकारी नौकरी के लिए अच्छा योग उत्पन्न करते हैं।

3. जन्म कंु डली में यदि केंद्र में अगर चन्द्रमा, ब्रहस्पति एक साथ होते हैं तो उस स्थिति में भी सरकारी नौकरी के
लिए अच्छे योग बन जाते हैं। साथ ही साथ इसी तरह चन्द्रमा और मंगल भी अगर केन्द्रस्थ हैं तो सरकारी नौकरी की
संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

4. कंु डली में दसवें घर के बलवान होने से तथा इस घर पर एक या एक से अधिक शुभ ग्रहों का प्रभाव होने से जातक
को अपने करियर क्षेत्र में बड़ी सफलताएं मिलतीं हैं तथा इस घर पर एक या एक से अधिक बुरे ग्रहों का प्रभाव होने से
कंु डली धारक को आम तौर पर अपने करियर क्षेत्र में अधिक सफलता नहीं मिल पाती है ।

5. ज्योतिष शास्त्र में सूर्य तथा चंद्र को राजा या प्रशासन से सम्बंध रखने वाले ग्रह के रूप में जाना जाता है । सूर्य या
चंद्र का लग्न, धन, चतर्थ
ु तथा कर्म से सम्बंध या इनके मालिक के साथ सम्बंध सरकारी नौकरी की स्थिति दर्शाता
है । सूर्य का प्रभाव चंद्र की अपेक्षा अधिक होता है ।

6. लग्न पर बैठे किसी ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में सबसे अधिक प्रभाव रखने वाला माना जाता है । लग्न पर
यदि सूर्य या चंद्र स्थित हो तो व्यक्ति शाषण से जुडता है और अत्यधिक नाम कमाने वाला होता है ।

7. चंद्र का दशम भाव पर दृष्टी या दशमेश के साथ युति सरकारी क्षेत्र में सफलता दर्शाता है । यधपि चंद्र चंचल तथा
अस्थिर ग्रह है जिस कारण जातक को नौकरी मिलने में थोडी परे शानी आती है । ऐसे जातक नौकरी मिलने के बाद
स्थान परिवर्तन या बदलाव के दौर से बार बार गुजरते है ।
8. सूर्य धन स्थान पर स्थित हो तथा दशमेश को दे खे तो व्यक्ति को सरकारी क्षेत्र में नौकरी मिलने के योग बनते है ।
ऐसे जातक खुफिया ऐजेंसी या गुप चुप तरीके से कार्य करने वाले होते है ।

9. सूर्य तथा चंद्र की स्थिति दशमांश कंु डली के लग्न या दशम स्थान पर होने से व्यक्ति राज कार्यो में व्यस्त रहता है
ऐसे जातको को बडा औहदा प्राप्त होता है ।

10. यदि ग्रह अत्यधिक बली हो तब भी वें अपने क्षेत्र से सम्बन्धित सरकारी नौकरी दे सकते है । मंगल सैनिक, या
उच्च अधिकारी, बध
ु बैंक या इंश्योरें स, गरु
ु - शिक्षा सम्बंधी, शक्र
ु फाइनेंश सम्बंधी तो शनि अनेक विभागो में जोडने
वाला प्रभाव रखता है ।

11. सूर्य चंद्र का चतुर्थ प्रभाव जातक को सरकारी क्षेत्र में नौकरी प्रदान करता है । इस स्थान पर बैठे ग्रह सप्तम दृष्टि
से कर्म स्थान को दे खते है ।

12. सूर्य यदि दशम भाव में स्थित हो तो व्यक्ति को सरकारी कार्यो से अवश्य लाभ मिलता है । दशम स्थान कार्य का
स्थान हैं। इस स्थान पर सूर्य का स्थित होना व्यक्ति को सरकारी क्षेत्रो में अवश्य लेकर जाता है । सूर्य दशम स्थान
का कारक होता है जिस कारण इस भाव के फल मिलने के प्रबल संकेत मिलते है ।

13. यदि किसी जातक की कंु डली में दशम भाव में मकर राशि में मंगल हो या मंगल अपनी राशि में बलवान होकर
प्रथम, चतर्थ
ु , पंचम, सप्तम, नवम या दशम में स्थित हो तो सरकारी नौकरी का योग बनता है ।

14. यदि मंगल स्वराशि का हो या मित्र राशि का हो तथा दशम में स्थित हो या मंगल और दशमेश की यति
ु हो तो
सरकारी नौकरी का योग बनता है ।

15. चंद्र केंद्र या त्रिकोण में बली हो तो सरकारी नौकरी का योग बनाता है ।

16. यदि सूर्य बलवान होकर दशम में स्थित हो या सूर्य की दृष्टि दशम पर हो तो जातक सरकारी नौकरी में जाता है ।

17. यदि किसी जातक की कंु डली में लग्न में गुरु या चौथे भाव में गुरु हो या दशमेश ग्यारहवे भाव में स्थित हो तो
सरकारी नौकरी का योग बनता है ।

18. यदि जातक की कंु डली में दशम भाव पर सूर्य, मंगल या गुरु की दृष्टि पड़े तो यह सरकारी नौकरी का योग बनता
है ।

19. यदि १० भाव में मंगल हो, या १० भाव पर मंगल की दृष्टी हो,

20. यदि मंगल ८ वे भाव के अतिरिक्त कही पर भी उच्च राशी मकर (१०) का होतो।
21. मंगल केंद्र १, ४, ७, १०, या त्रिकोण ५

, ९ में हो तो.

22. यदि लग्न से १० वे भाव में सूर्य (मेष) , या गुरू (४) उच्च राशी का हो तो। अथवा स्व राशी या मित्र राशी के हो।

23. लग्नेश (१) भाव के स्वामी की लग्न पर दृष्टी हो।

24. लग्नेश (१) +दशमेश (१०) की युति हो।

25. दशमेश (१०) केंद्र १, ४, ७, १० या त्रिकोण ५, ९ वे भाव में हो तो। उपरोक्त योग होने पर जातक को सरकारी
नौकरी मिलती है । जितने ज्यादा योग होगे , उतना बड़ा पद प्राप्त होगा।

26. भाव:कंु डली के पहले, दसवें तथा ग्यारहवें भाव और उनके स्वामी से सरकारी नौकरी के बारे मैं जान सकते हैं।

27.सर्य
ू . चंद्रमा व बह
ृ स्पति सरकारी नौकरी मै उच्च पदाधिकारी बनाता है ।

28. भाव :द्वितीय, षष्ठ एवं दशम ्‌भाव को अर्थ-त्रिकोण सूर्य की प्रधानता होने पर सरकारी नौकरी प्राप्त करता है ।

29. नौकरी के कारक ग्रहों का संबंध सूर्य व चन्द्र से हो तो जातक सरकारी नौकरी पाता है ।

30. दसवें भावमें शुभ ग्रह होना चाहिए।

31. दसवें भाव में सूर्य तथा मंगल एक साथ होना चाहिए।

32. पहले, नवें तथा दसवें घर में शभ


ु ग्रहों को होना चाहिए।

33. पंच महापुरूष योग: जीवन में सफलता एवं उसके कार्य क्षेत्र के निर्धारण में महत्वपूर्ण समझे जाते हैं।
पंचमहापरू
ु ष योग कंु डली में मंगल, बध
ु , बह
ृ स्पति, शक्र
ु एवं शनि अपनी स्वराशि अथवा उच्च राशि का होकर केंद्र में
स्थित होने पर महापुरुष योग बनता

34. पाराशरी सिद्धांत के अनुसार, दसवें भाव के स्वामी की नवें भाव के स्वामी के साथ दृष्टि अथवा क्षेत्र और राशि
स्थानांतर संबंध उसके लिए विशिष्ट राजयोग का निर्माण करते हैं।

कंु डली से जाने नौकरी प्राप्ति का समय नियम:

1. लग्न के स्वामी की दशा और अंतर्दशा में


2. नवमेश की दशा या अंतर्दशा में

3. षष्ठे श की दशा या, अंतर्दशा में

4. प्रथम,दस
ू रा , षष्ठम, नवम और दशम भावों में स्थित ग्रहों की दशा या अंतर्दशा में

5. दशमेश की दशा या अंतर्दशा में

6. द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में

7. नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या
दशमेश से ।

8. द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतर्दशा में भी नौकरी मिल सकती है ।

9. छठा भाव :छठा भाव नौकरी का एवं सेवा का है । छठे भाव का कारक भाव शनि है ।

10. दशम भाव या दशमेश का संबंध छठे भाव से हो तो जातक नौकरी करता है ।

11. राहु और केतु की दशा, या अंतर्दशा में :

जीवन की कोई भी शभ
ु या अशभ
ु घटना राहु और केतु की दशा या अंतर्दशा में हो सकती है ।

12. गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से केंद्र या त्रिकोण में ।

13. गोचर : नौकरी मिलने के समय शनि और गुरु एक-दस


ू रे से केंद्र, या त्रिकोण में हों तो नौकरी मिल सकती है

14. गोचर : नौकरी मिलने के समय शनि या गुरु का या दोनों का दशम भाव और दशमेश दोनों से या किसी एक से
संबंध होता है ।

15. कंु डली का पहला, दस


ू रा, चौथा, सातवा, नौवा, दसवा, ग्यारहवा घर तथा इन घरों के स्वामी अपनी दशा और
अंतर्दशा में जातक को कामयाबी प्रदान करते है ।

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