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वैधव्य योग

कुं डली में ववधवा/ववधर योग को कैसे ज्ञात वकया जाता है ?? क्या इस योग से बचने के उपाय भी है ??इन उपायोुं को कब करने से उपरोक्त
प्रभाव का समू ल रूप से नाश वकया जा सकता है ??
कुं डली में वैधव्य योग स्त्री के वलए सबसे बड़ा अवभशाप होता हे इससे बरा योग एक स्त्री के जीवन में कोई दू सरा नहीुं हो सकता। ईश्वर से
यही प्रार्थना हे वकसी स्त्री को जीवन में ऐसी दखत घडी न आये।
परुं त ववधाता को जो मुं जूर होता हे उसके सामने इुं सान वववश है । आइये कछ योगोुं पर ववचार करें जो अगर स्त्री की कुं डली में होुं तो वैधव्य
हो जाती है ।
१ राहु लग्न में हो तर्ा मुं गल अष्टम भाव में हो या द्वादश भाव में हो।
२ जन्म लगन या चुंद्र लगन में सप्तम या अष्टम भाव में सूयथ , मुं गल , शवन व राहु चारोुं हो।
३ सप्ताह भाव में मुं गल पाप ग्रहो के सार् हो अर्वा सप्तमस्त मुं गल पर पाप ग्रहोुं की दृवष्ट हो।
४ सप्तम भाव पाप मध्य में हो अर्ाथर्थ षष्ट और सप्तम में पाप ग्रह हो तर् सप्तम भाव पर वकसी शभ ग्रह की दृवष्ट न हो।
५ सप्तमे श व अष्टमेश अष्टम में हो तर्ा उन पर पाप ग्रहोुं की दृवष्ट हो।
६ अष्टमेश सप्तम में हो तर्ा सप्तमे श पीवड़त हो।
७ सप्तमस्र् मुं गल पर शवन की दृवष्ट हो।
८ षष्ट भाव में चन्द्रमा , मुं गल सप्तम भाव में राहु तर्ा अष्टम में शवन हो।
९ सप्तम व अष्टम में रावश पररवतथन हो।
१० अष्टमे श पाप नवमाुंश में हो।
११ सप्तमेश व अष्टमे श की यवत द्वादस भाव में हो तर्ा सप्तम भाव पाप ग्रस्त हो।
१२ लगनेश व अष्टमे श द्वादस भाव में हो तर्ा अष्टम भाव पर पाप ग्रहोुं की दृवष्ट हो।
१३ गरु व शक्र की यवत हो तर्ा सकर गरु से अुं शोुं में पीछे हो।
१४ षष्टे श सप्तम में , सप्तमेश अष्टम या द्वादस में हो तर्ा द्वादशेश सप्तम भाव में हो।
१५ सप्तमे श अस्त हो तर्ा सप्तम भाव पाप ग्रस्त हो।
उदाहरण : -
वलुं ग :- परुष
जन्म ताररख :-५ वदसम्बर १९६०
जन्म समय :- १८:१८
जन्म स्र्ान :- वदल्ली
जातक की वमर्न लगन की कुं डली है लगन में मुं गल एवुं चन्द्रमा है वही बध छटे भाव में सूयथ के सार् बैठा है । बध व मुं गल में रावश
पररवतथन हो रहा है । सप्तम भाव में सप्तमे श गरु अष्टमे श शवन के सार् बैठा है ।
सप्तम भाव पर राहु की दृवष्ट है मुं गल की दृवष्ट है नवमाुंश में सप्तम में मुंगल बैठा है वही शक्र सूयथ से पीवड़त है सभी योग वैधव्य योग का
वनमाथण कर रहे है . जातक की कुं डली में दो वववाह के योग बन रहे है पहली पत्नी की मृ त्य के बाद दू सरी शादी के योग बन रहे है । दू सरी
पत्नी से भी वववाह सख में बढ़ है वजसको उपाय द्वारा सधार जा सकता है ।
मुं गल यन्त्र की वनयवमत पूजा
सन्दर काुंड का पाठ
वशव पररवार की वववध ववधान से पूजा।
गरीब कन्या के वववाह में कछ धन दे ना एवुं सहाग का सामान दे ।
शक्र को अच्छा करने के वलए वकसी गरीब ववधवा का वववाह कराये या उसको जीवन यापन के वलए धन का दान करें ।
वलुं ग :- स्त्री
जन्म ताररख :-३ जून १९७८
जन्म समय :- २३:४४
जन्म स्र्ान :- इुं दौर
जावतका की मकर लगन की कुं डली है लगनेश शवन मुंगल के सार् अष्टम भाव में बैठा है । गरु एवुं शक्र की यवत कहते घर में बन रही है ।
केत की सप्तम भाव पर दृवष्ट है . नवाुंश में चन्द्रमा नीच का है शवन अष्टम भाव में नीच का होकर मुं गल व शक्र के सार् यवत है । ऊपर वदए
योगो में कॉलम नुं बर २ , ४, ५ १३ सभी फलीभूत हो रहे है । इस जावतका का वववाह सख बहुत कम प्रतीत हो रहा है । सप्तम भाव पाप पीवड़त
है नवमाुंश पाप पीवड़त है । सप्तमे श चन्द्रमा चतर्थ भाव में सप्तम भाव का सख दे रहा हे परुं त केत एवुं सूयथ बध के मध्य में पीवड़त हो रहा है
वहीीँ सखेश मुं गल अष्टम भाव में शवन के सार् चला गया. जैक का वैवावहक सख की हावन करता है वववाह अगर हो गया हे इस जावतका का
तो वैधव्य योग केसुंकेत पविका में बन रहे हैं । स्त्री की कुं डली में गरु का महत्वपूणथ योगदान होता है यहाीँ दे खेंगे की गरु पाप पीवड़त है लगन
कुं डली से , नवमाुंश से एवुं चुंद्र कुं डली से भी। परन्त चुंद्र कुं डली से गरु भाग्येश होकर सप्तम भाव को दे ख रहा हे जो की अल्प सम्भावना
दे ता है की इस दोष को टाला जा सकता है । चूीँ वक मैं मानती हीँ गरु बरे से बरे दोष का भी पररहार करने में सक्षम होता है । कछ ऊपर
करने पर इन दोष को टाला जा सकता है ।
१) जावतका मुं गल गौरी ब्रत करने का सुंकल्प करे एवुं वववाह के पाुंच साल मुं गला गौरी का व्रत रखे पूरी वववध ववधान से गौरी जी की पूजा
करे सहाग बना रहे गा।
२ जावतका का वववाह से पूवथ कम्भ वववाह कराया वदया जाये. शावलग्राम जी के सार् वववाह कराया जाये।
३ वनत्य गौरी- शुंकर की पूजा करे एवुं गौरी जी पर वसन्दू र चढ़ाये।

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