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आ ढ़/अ धल न

पद ल न

जै मनी यो तष मे व भ न कार के ल न का उ लेख


मलता ह िजनमे मख ु कारकांश ल न, आ ढ़ ल न,
वणद ल न, उपपद ल न आ द ह यहां हम आ ढ़ ल न
के वषय मे काश डालने का यास कर रहे ह | इस
आ ढ़ ल न को "पद ल न" भी कहा जाता ह |यह लेख
आप " यो तष चंतन " टै ल ाम चैनल पर पढ़ रह ह यह
एक पि लक चैनल है जहां पर आप भी जड़
ु कर अपने
बौ धक ान म व ृ ध कर सकते ह I

मह ष पाराशर जी के अनस
ु ार :-

ल ना याव तथे राशौ त टे ल ने वरः मात।


तत तव तये राशे ल न य पद मु यते। सवषाम प
भावनां ेयमेवं पदं वज। तनभ
ु ाव पदं त वध
ु ा
मु यपदं बंदःु ।

ज म प का वारा भ व य कथन करने म 12 भाव म


ि थत ह , ल न रा श, ह का बल, म /श ु रा श म,
वरा श, मल
ू कोण, उ च अथवा नीच रा श तथा शभु

1
ह से ट है या अशभ ु , दशा - अंतदशा पर वचार कर
ह नणय लया जाता है ।
बहुत सारे लोग यह मानते ह क आ ढ़ ल न जै मनी
यो तष व ध है जब कं मह ष पाराशर ने भी आ ढ़
ल न क या या क है । आ ढ़ क मह ष जै मनी ने
व ततृ या या क , और इसे एक वत यो तष क
शाखा म प रव तत कया जो अ यंत भावशाल व ध
मानी जाती है ।
सबसे पहले हम यह जानने क को शश करते ह क
आ ढ़ या है ? इसका स धा त या है ?

इसका स धा त समझने के लए म आपको दपण वारा


आपक इमेज बनाने के स धा त को तत ु करता हूँ।
व ानं के सभी व याथ इसे जानते ह गे।

दपण म जो त ब ब बनता है उसम व तु दपण से


िजतनी दरु पर होगी त ब ब दपण के पीछे उतनी ह
दरू पर बनेगा (समतल दपण ) ठ क यह स धा त
आ ढ़ का है ।

आ ढ़ कंु डल वशेष प से जै मनी प ध त का योग


करने वाले यो त षय वारा योग क जाती है और

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यो तष फल कथन म सट कता के लए इसका योग
अ यंत मह वपण ू प रणाम दान करता है । ल न कंु डल
िजस कार हमारे शर र और हमारे बारे म बताती है , उसी
कार आ ढ़ कंु डल यह बताती है क समाज म हमार
या छ व रहने वाल है । द ु नया क नजर मे हम या ह
अथात द ु नया क नजर मे हमार छ व या ह लोग हम
कैसा समझते या मानते ह I
इसका अ ययन भी ल न कंु डल क तरह ह कया जाता
है और इस पर ह का भाव उसी कार फलादे श करने
म सफलता दान करता है , जैसे क ल न कंु डल म।
आ ढ़ का अथ ऊंचे थान से ह िजसमे जातक वशेष का
सामािजक आि त व, उसका काय े , उसक कृ त
आ द का अंदाज़ा दस ू र के वारा लगाया जाता ह, आ ढ़
ल न हमार छ व वारा नधा रत होने के कारण बेहद
सट क व बलकुल अलग भी हो सकता ह |

आ ढ़ पद क गणना

आ ढ़ ल न कंु डल क गणना करना अ यंत ह सरल है ।


इसके अंतगत ल न से सभी 12 भाव के लए गणना क
जाती है और उसी के अनस
ु ार उनको अं कत कया जाता
है । आ ढ़ ल न को पद ल न या अ धा ल न भी कहा

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जाता है । इसक गणना के लए िजस भाव क गणना क
जाती है , उससे उस रा श के वामी क ि थ त को
जानकर उस ह वारा अवि थत रा श से आगे गणना
ारं भ क जाती है ।

मह ष पाराशर जी के अनस ु ार आ ढ़ ल न, ल न से
ल नेश क िजतनी दरू होती ह उससे उतनी ह दरू के
भाव पर माना जाता ह जैसे य द ल नेश ल न से पंचम
भाव म हो तो इस पांचवे भाव से पाँच आगे अथात नवम
भाव मे आ ढ़ ल न माना जाएगा, इसी कार य द
ल नेश तीसरे भाव म हो तो तीसरे भाव से तीन आगे
अथात पंचम भाव म आ ढ़ ल न माना जाएगा |

वशेष –1) चंू क आ ढ़ ल न हमार छ व को दशाता ह


वह कभी भी ल न अथवा स तम भाव मे नह ं आ सकता
इसके लए नयम म अपवाद रखा गया ह यह जब भी
ल न अथवा स तम भाव मे पड़ता ह तब उसे वहाँ से दस
भाव आगे के भाव मे रख दया जाता ह जैसे य द ल नेश
ल न म ह हो तो आ ढ़ ल न, ल न से दशम भाव मे
माना जाएगा I इसी कार य द ल नेश चतथ ु भाव मे हो
तो उसे वहाँ से चतथ
ु भाव स तम भाव मे ना मानकर
स तम से दस भाव आगे अथात चतथ ु भाव मे ह मानगे |

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2) आ ढ़ ल न कभी भी 6, 8 व 12 व भाव म नह ं आता
हI

इस व ध से सब भाव के पद ात कये जा सकते ह।


पन
ु च ल न के पद अथात ् ल ना ढ़ को ह मु य पद या
पद कहते ह। अथात अ य भाव के पद को धन पद,
सहज पद, पु पद आ द नाम से कहा जायेगा, ले कन
ल न पद को केवल पद श द से अ भ हत कया जाता है ।
यहां हम पद (आ ढ़) वारा ज म कथन के संबधं म चचा
करगे। फर हम सम त 12 भाव के पद ात करके उस
पर चचा करगे ।

आ ढ़ ल न से मलने वाले भाव इस कार से होते ह I

आ ढ़ ल न पर हो का भाव ज म ल न क भां त ह
दे खना चा हए I आ ढ़ ल न शभु ह क रा श मे हो, शभ

ह हो अथवा शभु ह के भाव मे हो तो जातक
भा यशाल व धनी होता ह जब क पाप हो के भाव मे
होने से जातक ववा दत, भा यह न व असफल होता ह |

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आ ढ़ ल न से क , कोण मे शभ
ु ह जातक को
स द, धनी, सफल व ताकतवर बनाते ह जब क पाप
ह अशभ
ु ता दान करते ह |

आ ढ़ ल न से चतथु भाव मे च शु का भाव जातक


को अनेक भवनो का वामी बनाता ह |

आ ढ़ ल न या इससे स तम मे ऊंच, व ह अथवा म


रा श का ह जातक को समाज मे स द, सफलता व
ऊंच थान दान करता ह |

आ ढ़ ल न से राज सक ह क मे, साि वक ह


पणफर मे तथा ताम सक ह 3,6,12 भावो मे शभ
ु ता दे ते
ह|

आ ढ़ ल न से 3,6 भावो मे पाप ह परा म क व ृ द


करते ह तथा अपनी दशा मे शभ
ु फल दे ते ह |

आ ढ़ ल न से दस ू रे भाव मे शभ
ु ह जातक को
स मा नत व धनी बनाता ह | जब क दस ू रा भाव बल हो
तो जातक को द ु नया वाले धनी समझते ह |

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आ ढ़ ल न से 11वे भाव मे सब हो क ट हो तो
जातक राजा समान होता ह |

आ ढ़ ल न से 11वे भाव मे अ धक हो का भाव


जातक का एक से अ धक ोत वारा धनाजन करवाता
ह िजस कारण जातक बहुत धनी होता ह |

आ ढ़ ल न से 11वे भाव को ह दे खे पर 12वे को नह ं


तो जातक को आसानी से लाभ ा त होता ह |

आ ढ़ ल न से 12 वे भाव पर अ धक हो का भाव
जातक को खच ला बनाता ह िजस कारण जातक धन
अभाव मे रहता ह |

आ ढ़ ल न से दस ू रे अथवा स तम भाव मे राहू केतू हो


तो जातक के पेट मे क ड़े होते ह अथवा जातक को पेट
संबध
ं ी बीमार होती ह |

आ ढ़ ल न से दस
ू रे अथवा स तम भाव मे केतू पाप ह
से ट या यत
ु होतो जातक जवानी मे ह बढ़ू ा नज़र आने
लगता ह |

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आ ढ़ ल न से दस ू रे अथवा स तम भाव मे गु , च ,
शु या इनमे से कोई दो ह हो तो जातक धनी होता ह |

च क सको मे आ ढ़ ल न उनके ल न से 9वे व 11वे


भाव मे होता ह | जब क वक लो व पु लस काय करने
वाल का आ ढ़ ल न, ल न से 5 व भाव मे होता ह I

आ ढ़ सभी भाव का होता है । अब ल न के आ ढ़ को


आ ढ़ ल न कहते ह जब क अ य सभी भाव के आ ढ़,
आ ढ़ पद कहलायगे ।

वैवा हक ि थ त का सह आकलन

ज म कंु डल म वैवा हक जीवन और जीवन साथी का


सह अ ययन करने के लए करने के लए अमम ू न
स तम थान और उसके कारक ह शु का अ ययन
कया जाता है , इसके साथ ह गु का कंु डल म बल
होना जीवन म सख ु , शां त और सम ृ ध के लए
आव यक है । मह ष जै मनी वारा र चत जै मनी सू म ्
म वैवा हक जीवन के अ ययन के लए उप पद ल न को
भी वशेष थान दया है ।

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कंु डल म बारहवां भाव खच, नक ु सान और समपण
( ववाह भी अपने आप का दस ू रे के लए समपण माना
गया है ) का भाव है , नींद और ववाह उपरांत ा त होने
वाला वैवा हक सखु (pleasure of bed after
marriage) भी उसी से दे खा जाता है इसी लए उसका
अ धा वैवा हक सख ु और जीवन साथी के बारे म सह
जानकार दे ता है और उसको उप पद ल न कहा गया है ,
बारहव थान का अ धा ात करने के लए वह गणना
होगी जो ल न का अ धा जानने क लए क , ल न के
लए गणना पहले थान से शु हुई थी , UL के लए
12th house से ।

उप पद ल न (UL) म बैठे और उस पर ि ट दे रहे ह


वैवा हक जीवन और जीवन साथी क प रि थ त
नधा रत करते है , वंहा बध
ु का होना जीवन साथी को
आकषक, लगभग समान आयु का, वाक पटु और
बु दमान होना दशाता है , वंह चं का होना उ से छोटा
और राहु का होना अ य जाती से होना दशाता है । वँहा
श न क उपि थ त से अंदाज लगाया जा सकता है क
जीवन साथी सामा य से अ धक आयु का होगा ।

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स तम भाव के आ ढ ल न िजसे A7 कहते है वो कस
कार के यि त क तरफ आकषण है उस बारे म बताता
है और अगर UL और A7 एक ह भाव म या दोन के
वामी एक साथ हो तो ये मन पसंद के यि त से ववाह
का योग बनाता है । िजसे ेम ववाह love marriage क
प रभाषा द जा सकती है ।

आ ढ ल न UL म कसी ह का उ च क रा श म बैठना
जीवन साथी का सफल और स ध होना समझा जा
सकता है , ठ क वैसे ह वँहा नीच का ह वैवा हक जीवन
को द ू षत होने का इशारा करता है ।

आ ढ ल न UL पर गु क उपि थ त सम ृ ध प रवार म
अ छा श त जीवनसाथी के ाि त का इशारा करती है
और गु क ि ट सख ु ी और समु धरु वैवा हक जीवन
दान करती है जब क श न और राहु क एकसाथ ि ट
जीवन साथी पर कसी परे शानी से वैवा हक जीवन म
बाधा का योग बनाती है ।

केतु को एकाक ह (separative planet) कहा गया है


और इसका आ ढ ल न UL म होना ववाह म दे र या

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कई बार अ ववा हत तक होने का इशारा करता है अगर
शु और गु भी बहुत कमजोर हो तो।

आ ढ ल न UL से दस ू रा भाव ववाह क आयु नधा रत


करता है और वँहा पर श न-राहु का साथ होना या उस
भाव के वामी का श न राहु से ट होना या नीच म
होना या नवमांश म नीच म होना ववाह क आयु
(length of marriage) को कम करता है ।

ठ क ऐसे ह आ ढ ल न UL का वामी lord कैसे है और


कन ह से स ब ध बना रहा है ये भी बहुत मह वपण ू
है जैसे आ ढ ल न UL के वामी lord का 12 व या 9 व
वामी से कैसा भी स ब ध ववाह के बाद या जीवन
साथी का वदे श से कोई स ब ध बताता है , जैसा A7
और UL lords का साथ म दशम भाव होना होना का
profession क वजह से संपक म आना और फर
ववाह होना मना जायेगा।

आ ढ़ ल न और वपर त राजयोग

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कंु डल म आ ढ़ ल न और वपर त राजयोग का संबध ं
बहुत अलग है । यो तष के अनस ु ार, आ ढ़ ल न से
तीसरे और छठे भाव म बैठा शभ
ु ह अगर कंु डल म
बलशाल होता है तो यह जातक को धा मक और
आ याि मक सफलता दलाता है । इसके वपर त आ ढ़
ल न से तीसरे या छठ थान म अशभ ु ह कमजोर
ि थ त म होता है तो वपर त पवत राजयोग का फल दे ता
है ।

आ ढ़ क आव यकता या है ?
आइये समझते ह..
यह संसार वगण ु के स धांत पर न मत है । इसे यूँ
समझ क एक तो आप वयं ह िजसे कोई परू ा नह ं
जानता यहाँ तक क आप वयं भी नह ं और दस ू रा
आपक इमेज अथात एक आप ह जो छुपे हुए है और एक
आपका त ब ब जो आपके आस पास का समाज आप
म दे खता है ।
इसे थोड़ा और व तार से समझते ह मान ल िजए आपक
कॉलोनी म एक बलकुल नए यि त रहने आते ह ।
अब उस यि त के बारे म अ धक कोई कॉलोनी वासी
नह ं जानता है कंतु मनु य वभाव िज ासु है वह ज द
से ज द उसके बारे म जानना चाहता है ।

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तो कुछ दन म उसक एक इमेज बन जायेगी कॉलोनी म

यह आव यक नह ं क जो इमेज बनी है उस यि त क
वह, वह हो जो वह यि त वा तव म है । हो सकता है
वह एक स त, मड ू ी यि त के प म जाना जाये जब कं
वह यि त शम ला या संकोची हो ।
तो ल न हुआ वह यि त वा त वक प म और आ ढ़
हुआ उसक इमेज ।
अब इसे और व तार दे ते ह ।
इस इमेज का यो तष म या काय?
आइये दे ख
आ ढ़ इमेज है या न भौ तक जगत से स ब ध इसका
आपके वा त वक वयं से कोई लेना दे ना नह ं है ।
तो दे ख 4थ भाव से, वहां से दे खते ह वाहन और वाहन
सख ु , यह दो अलग चीज ह
कोई यि त कसी छोटे वाहन (साइ कल या कूटर) के
साथ भी स न हो सकता है और एक अ य यि त
कसी ल जर वाहन के साथ भी दख ु ी हो सकता है ।
अब सवाल है इसका आ ढ़ से कोई स ब ध है या ?
दे खये पाराशर ने फलादे श के स धांत नि चत कये हुए
ह।

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ल न च के साथ जो घटना दे खनी है उसका व श ट
वग च , आ ढ़ इ या द का मब ध अ ययन सू म
फलादे श तक ले जायेगा और सह दशा का चन ु ाव
(पाराशर ने भ न भ न गतनाओं हे तु भ न भ न
दशाओं के योग क सलाह द है ) सह समय ा त
करने म अहम भू मका नभाता है ।
वाहन के लए D 16 वग च दे खा जाना चा हये।
तो 4 भाव वाहन का इसका आ ढ़ भौ तक प से वाहन
के सखु और वाहन के कार को द शत करे गा ।
उदाहरण के लए 4 भाव पर गु शु का भाव बड़े वाहन
को सू चत करे गा क तु य द A4 (चतथु भाव का आ ढ़
पद) श न (य द कंु डल का अ छा हः नह ं हो) या ऐसे
कसी भी हः के भाव म है तो यि त वाहन सख ु ा त
नह ं करे गा ।
इसे एक और ि थ त से समझ
तीसरा भाव साहस /इ न शए टव/ ाइव का है ।
छठां भाव श ,ु ववाद इ या द का है
अब एक ि थ त पर वचार क िजये ।
मान ल िजए तीन यि त है A, B, C ह और इन तीन
का एक यि त D से ववाद हुआ ।
अब ये तीन यि त तीन भ न भ न रा ते अपना
सकते ह ।

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पहला यह क यि त सोचे क चलो जाने दो उस यि त
के जैसे कम ह गे वैसा वह वयं फल ा त कर लेगा ।
दस ू रे यि त का नणय यह हो सकता है क पहले वह
नणय करे क बदला अव य लेगा क तु बाद म ऐसा
कुछ भी नह ं करे ।
तीसरा यि त बदला लेने क सोचे भी और उस पर
अमल भी करे ।
अब ये भाव कसी भी यि त के कंु डल के 3( ाइव )
और 6 (श त ु ा और श )ु पर ह के भाव पर नभर है ।
जहाँ गु स हत सौ य ह यि त को मावान बनाते ह
वह ू र ह क इन भाव पर भावशीलता मा के गण ु
से दरू करती है ।
इसी कारण से परं परागत यो तष स धांत म एक
मखु स धा त यह भी है क ू र ह (सयू ,मंगल,
श न,राहु इ या द और कंु डल म वा म व के हसाब से
8,12 के वामी ) य द 6 भाव म ि थत ह तो यह अ छा
फल दे गा ।
ऐसा य ?
ऐसा कहने का कारण यह है क य द यि त के 6 भाव म
ू र ह ह तो ऐसा यि त श ु पर वजय ा त करे गा
जो वयं क ि ट से अ छा ह है ।

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तो 6 म शभ ु ह हो तो यि त यु ध म परािजत होगा?(
यहाँ यु ध का ता पय तयो गता,द ु मनी इ या द से है )
इसे ऐसे समझ य द 6 म सौ य ह हुए तो यि त श ु
वह न होगा अथात उसके श ु ह नह ं ह गे जब कं 6 म
ू र ह वाला यि त को न सफ श ु मलगे बि क वह
उन पर बजय भी ा त करे गा ।
तो अब िजन तीन लोग का ववाद हुआ है वे अपने अपने
3,6 और उनके ऊपर ह के भाव से नणय लगे ।
अब आ ढ़ का या रोल होगा ।
आ ढ़ का रोल यह है क जो यि त D है वह िजस
यि त का आ ढ़ से त ब ब ऐसे यि त का होगा जो
साहसी है और पलट कर वार करे गा उससे ववाद से
बचेगा भले ह वह यि त वा तव म साहसी न हो और
पलटवार भी नह ं करे ।
तो कुल मलाकर आ ढ़ पद िजस भाव और िजस च म
दे खे जा रहे ह उससे संबं धत भौ तक जीवन म होने वाले
इव स को अ धक सट क प म फलादे श म सहायता कर
सकते ह ।
जैसे कोई यि त य द समाज म बु धमान के प म
जाना जाता है तो इसका आधार या होगा ?
जा हर है उसके पर ा म ा त अंक या रक उसके वारा
ा त कॉलर शप /मे रट स ट फकेट इ या द

16
जब कं एक दस ू रा यि त अ धक बु धमान होते हुए भी
य द अ छे अंक न ा त करे तो उसक इमेज बु धमान
क नह ं होगी ।
इ तहास ऐसे उदाहरण से भरा पड़ा है िजसमे मानवता के
महान आ व कारक समाज म उनके अ व कार के पव ू
कस नज़र से दे खे गए ।
तो भौ तक जीवन म ा त होने वाल चीज फलादे श म
आ ढ़ को शा मल करने से और सट क हो सकती ह जैसे
मोशन कब होगा ,रक कैसी आयेगी इ या द।
कसी भी व ध के योग म जब तक उसमे बताये गए
स धांत का ि ट पालन नह ं हो हम उससे सह
फलादे श क उ मीद नह ं कर सकते ह चाहे वो वै दक
यो तष हो या के पी या अ य कोई प ध त ।
ल न च ,वग च ,आ ढ़ पद,अगला,दशा
चनु ाव,अ टकवग इ या द वै दक यो तष के तंभ म से
कुछ ह ।

आइये अब कुछ कंु ड लय का अ ययन करते ह I

1)लता मंगेशकर
28/9/1929
22:32 इंदौर

17
वषृ ल न क इनक प का मे आ ढ़ ल न संह बनता ह
िजसमे इनक प का का ल नेश शु ि थत ह जो आ ढ़
ल न का तत ृ ीयेश-कमश बनकर इनके अपने शौक
(गायन) का ह यवसाय करना नि चत कर रहा ह इसी
आ ढ़ ल न के दस ू रे भाव मे ऊंच का बध
ु इनक वाणी
वारा धन ाि त दशा रहा ह | आ ढ़ ल न के ल नेश
(सय ू ),पंचमेश (गु ) व नवमेश (मंगल) का संबधं
राजयोग के साथ साथ व व स द होने का योग भी
बना रहा ह |

2) राजीव गांधी
20/8/1944
7:11 द ल
संह ल न का आ ढ़ ल न वष ृ ल न बना िजससे क मे
सभी शभु हो ने जहां इ हे स द,धनी व ताकतवर
बनाया ह वह आ ढ़ ल न वामी शु के ज म ल न मे
साि वक हो के संग होने से इ हे समाज मे साफ सध
ु र
छ व भी ा त रह |

3) नरे मोद
17/9/1950
12:21 बड़नगर

18
विृ चक ल न मे ज मे नरदर मोद जी क प का का
आ ढ़ ल न संह आता ह िजसके क मे शभ ु गह ृ होने से
मोद व व तर पर स द ह आ ढ़ ल न से दस ू रे भाव
मे ि थत ऊंच के बधु ने इ हे ज़बरद त व ता बनाया ह
वह इस ल न से स तम भाव मे श न व मंगल के भाव
ने इ हे ववाह सखु से वं चत रखा ह |

4) अ मताभ ब चन
11/10/1942
16:00 इलाहाबाद
कु भ ल न मे ज मे ी अ मताभ ब चन का आ ढ़
ल न वष ृ आता ह िजसमे इनक ं प का का ल नेश श न
ि थत ह | इस ल न के एकादश भाव मे जहां कई हो के
भाव ने इ हे धनवान बनाया ह वह पंचम भाव मे ऊंच
के बध
ु (आ ढ़ ल न से वतीयेश) ने इ हे वाणी मे
व श टता दान क ह तथा क मे पाप हो के भाव ने
इनक छ व को ववा दत भी बनाकर रखा ह |

5) गांधीजी
2/10/1869
8:40 पोरबंदर

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तलु ा ल न मे ज मे गांधीजी क प का का आ ढ़ ल न
कक आता ह िजसमे व ह च ि थत ह िजसके क
मे शभु हो के भाव ने इ हे स द व आमजन का
चहे ता बनाया लोग इनके एक इशारे पर मर मटने को
तैयार रहते थे |

6) ओशो
11/12/1931
17:19 कुचवाड़ा
वष
ृ ल न मे ज मे इस जातक का आ ढ़ ल न कक आता
ह िजस पर ऊंच का गु (नवमेश) व अव था मे ि थत
ह िजस कारण जातक धम अथवा अ या म को एक
अलग ह ि टकोण से दे खता था कोण मे ि थत पाप
हो ने जातक को जहां ल क से हटकर चलने क ेरणा
द वह छठे भाव मे ल नेश च व अ धक हो के भाव
ने जातक को हमेशा ववादो मे ह रखा, यह प का ओशो
क ह|

7) रतन टाटा
28/12/1937
6:30 मब
ंु ई

20
धनु ल न मे ज मे ी टाटा का आ ढ़ ल न कु भ आता
ह िजसके एकादश भाव मे बहुत से हो का भाव जातक
के बहुत से आय के ोत होने क पिु ट कर रहे ह वह
ल नेश का दस ू रे भाव मे होकर एकादश को दे खना जातक
के धनी होने जब त योग बता रह ह | क मे पाप हो
के भाव ने इ हे अपने े मे ववाद भी दान कए ह |

8) बल ि लंटन
19/8/1946
8:30 हॉप अमर का
क या ल न मे ज मे बल ि लंटन का आ ढ़ ल न वष ृ
आता ह िजसमे ल नेश नीच का होकर स तमेश शु संग
पंचम भाव मे ह जो ववाहे र संबध
ं क पिु ट कर रहा ह
वह क मे पाप हो के भाव ने उ हे अपने कायकाल मे
ववा दत भी बनाया था जब क क मे व ह सय ू ने
उ हे स द भी दान क I

9) हलेर ि लंटन
26/10/1947
20:00 शकागो

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मथन ु ल न मे ज मी हलेर क प का मे आ ढ़ ल न
कु भ आता ह िजस पर सभी हो क जे मनी ट ह
िजस कारण हलेर को ना सफ अमर क रा प त क
प नी बनने का सौभा य ा त हुआ बि क वयं भी उ हे
कई ऊंच पद ा त हुये ह व भ व य मे भी कई अ छे पद
ा त होते रहगे |

िजस कार से रा शय के पद होते ह उसी कार ह के


पद भी होते ह। ह के पद ह से उसक रा श िजतनी
आगे हो उससे उतना ह आगे उसका पद (आ ढ़) होता है ।
दो रा शय के वषय म बलवान रा श तक गणना करके
पद का नणय कर। दो रा शय के वामी ह के ह पद
ह गे। एक बलवान एवं एक नबल। बलवान से फल
नणय होगा। बलवान रा श का नणय करते समय यान
रख क इस संदभ म ह र हत रा श से हयु त रा श
बल है । कम ह वाल रा श से अ धक ह वाल रा श
बल है । समान ह रहने पर िजसम वो चा दगत ह हो
वह बल है I

या आप क व, लेखक, प कार, नाटककार, फ मकार,


च कार, यापार , उधोगप त, डा टर, इंजी नयर,

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वै ा नक, वक ल, यायाधीश, शास नक अ धकार ,
राजनेता या समाजसेवी म से कुछ है , तथा यो तष
सीखना या जानना चाहते है , या पहले से कुछ जानते है
पर वशेष ता हा सल करने के इ छुक है तो आपके लए
यह ज मकंु डल यो तष का एकमा टै ल ाम चैनल है
िजससे जड़ु कर आप अपनी बौ धक समझ व ान को
बढ़ा सकते है और ह द ु तानी होने म गव अनभ ु व
क िजए क हमारे पास वह व श टता है , जो द ु नया म
कसी के पास नह ं है |
यो तष चंतन

23

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