Professional Documents
Culture Documents
BASIC - 1
सर्वप्रथम आज हम ऋषि पाराशर जी और कृ ष्ण मूर्तव जी को नमन करते है ।में अपने गुरु को
चरण स्पशव करता हु षजन्होंने मुझे बेषसक ज्ञान के साथ kp षसखाई है , *Dr मनीि षतर्ारी
सर जी* को प्रणाम करता हु ।
ज्योषति र्ेदों से षनकला हुआ शास्त्र भगर्ान गणेश जी, षिदेर् ब्रह्मा षर्ष्णु महेश के द्वारा
उत्तपषत्त , उनका बनाया गया ज्ञान भगर्ान श्री कृ ष्ण जो सबसे बड़े षशक्षक है हम उनको
प्रणाम करते हुए और माता सरस्र्ती से आशीर्ावद लेते हुए सभी मेंबसव को फषलत ज्योषति
समझ मे आये ,अच्छे से में समझा पाऊ प्राथना करते है ,हम सभी भगर्ान से पाथवना करते है
कक यहाां ऑनलाइन ज्योषति अच्छे से षसख पाए में अच्छे से समझा पाऊ सभी को सांयमता
ओर षर्नम्रता भगर्ान प्रदान करे !
हमारा इस सांसार मे जन्म लेना ककसी न ककसी कारण को बताता है हमारा जैसा कमव होता
है हमको र्ैसी योषन षमल जाती है, षहन्दू धमव के अनुसार व्यषि को 84 लाख योषनयों में
भटकने के बाद जाकर मानर् जीर्न षमलता है मानर् जीर्न ही ऐसा है षजसमे हम अपनी
बुषि षर्र्ेक को जाग्रत कर हमारी आत्मा को सही मागव कदखा सकते है, हम सभी जानते है
हमारा देह योषन बदलती है आत्मा कभी नही बदलती, व्यषि की आत्मा उसको अपने कमव के
अनुसार फल कदलर्ा ही देता है जैसे व्यषि के कमव होंगे र्ेसे उसको फल षमलेंगे ।
(1) सांषचत कमव :- सांषचत कमव मतलब अपने जन्म जन्मों के अच्छे और बुरे कमव को एक
जगह सुरषक्षत रखना ।
1
Rahul Maheshwari - 7566722730
(2) प्रारब्ध :- प्रारब्ध ही र्ो कमव है जो हम सांषचत कमव से हमारे जन्म के समय लेकर आते
है , व्यषि का प्रारब्ध उसको अपने भुगतान के षलए योग बनर्ाता है, अच्छे कमव होंगे तो
हमारी जन्म कुां डली मे अच्छे योग बनते है और गलत कमव होते है तो हमको बुरी नटनाओ से
फे स होना पड़ता है व्यषि का प्रारब्ध एक इस तरह अट्रैक्शन जो अपनी अच्छी ओर बुरी
नटनाओ को बहुत जल्दी पकड़ लेता है जैसे लोहे को चुम्बक पकड़ती हो !
(3) कियमाण कमव:- ऐसे कमव जो हम इस जन्म में करते है जो हमारे आगे कक गषत तय
करता है कियमाण कमव ही ऐसे है जो हमारे हाथ मे होते है षजससे हमारी आत्मा (जो सभी
अच्छे बुरे कमव का लेखा जोखा रखती है) का उिार ककया जाता है उसकी गषत तय होती है ।
बुध
शुि
पृथ्र्ी
मङ्गल
गुरु
शषन
Naptune
यूरेनस
प्लूटो
2
Rahul Maheshwari - 7566722730
सूयव
चांद्र
मङ्गल
बुध
गुरु
शुि
शषन
राहु
के तु
र्ास्तर् में सूय,व चांद्र ,राहु और के तु ग्रह नही होते लेककन इनको ज्योषति में ग्रह कहा जाता है
आइए समझते है क्यो -
3
Rahul Maheshwari - 7566722730
अषितत्र् - मङ्गल
पृथ्र्ीतत्र् - बुध
र्ायुतत्र् - शननां
जलतत्र् - शुि
आकाशतत्र् - गुरु
यह ग्रह से मानर् शरीर बना हुआ है और यह पाांच ग्रह ही मानर् जीर्न का आधार है ।
अब यह जो 4 ग्रह षजसे हम ग्रह समझते है र्ह क्या है आज आप सभी ध्यान से समझे , यही
से फ़षलत ज्योषति की शुरर्ात होती है -
सूयव - आत्मा
चांद्र - मन
राहु - प्रारब्ध
के तु - मोक्ष
यह चार ग्रह है जो जीर्न शषि है जो जीर्न की नटनाएां है यह र्ो ग्रह षजसका ऑब्जेक्ट
प्रारब्ध से षनकलकर मोक्ष प्राप्त करना और आत्मा को हमेशा- हमेशा के षलए श्री चरणों मे
जोड़ना यही , प्रारब्ध को मोक्ष में कन्र्टव करना ही लक्ष्य मानर् जीर्न का होता है ।
(1) 12 राषश
(2) 9 ग्रह
(3) 27 नक्षि
4
Rahul Maheshwari - 7566722730
(4) 12 भार्
जन्म कुां डली/फषलत ज्योषति उस षर्द्या को कहते हैं षजसमें मनुष्य तथा पृथ्र्ी पर, ग्रहों और
तारों के शुभ तथा अशुभ प्रभार्ों का अध्ययन ककया जाता है। ज्योषति शब्द का यौषगक अथव
ग्रह तथा नक्षिों से सांबध
ां रखनेर्ाली षर्द्या है।
प्राचीन आयव ऋषियों , महर्िवयों और अन्य ज्योषतषियों ने पूरे भचि के 360 षडग्री को
बारह भागों में याषन 30-30 षडग्री में षर्भाषजत कर कदया था , षजसका फषलत ज्योषति में
बहुत ही महत्र्पूणव स्थान है , क्योंकक इन बारहों भागों का सांबधां मनुष्य के अलग.अलग
प्रकार के सुख और दुख से है। इन बारहों भागों को जीर्न के षजन षजन पक्षों का आषधपत्य
कदया गया है , र्े सत्यता की कसौटी पर षबल्कु ल खरे उतरे हैं। सभी प्रकार की
भषर्ष्यर्ाषणयाां इसी र्गीकरण के आधार पर की जाती है और इस र्गीकरण को लेकर
षर्श्वभर के ज्योषतषियों में कोई बड़ा षर्र्ाद नहीं है। हमारे षलए यह बड़े आश्चयव की बात है
कक प्राचीनकाल में जहाां सभी प्रकार के र्ैज्ञाषनक सांसाधनों का अभार् था , राषशयों के 30-
30 षडग्री के र्गीकरण और उनसे सांबषां धत तथ्यों की इतनी सटीक जानकारी फषलत
ज्योषति के षहस्से में कै से आ जुड़ी ? षनषश्चत ही यह प्राचीनकाल के ज्योषतषियों के षनरां तर
अध्ययन.मनन और एकाग्रता का पटरणाम होगा।
(2) र्ृिभ
(3) षमथुन
5
Rahul Maheshwari - 7566722730
(4) ककव
(5) नसांह
(6) कन्या
(7) तुला
(8) र्ृषश्चक
(9) धनु
(10) मकर
(11) कुां भ
(12 मीन
360 षडग्री के आकाश मांडल को बराबर 12 भागों में षर्भाषजत करने से प्रत्येक राषश का
मान 30 अांश षनकलता है ।
ये राउां ड सकव ल षजसको हम आकाश मान लेते है और उस आकाश को 12 अलग अलग भाग
में षडर्ाइड कर देते है यही राषशया होती है ।
6
Rahul Maheshwari - 7566722730
7
Rahul Maheshwari - 7566722730
ग्रह पटरचय
ग्रह का शाषब्दक अथव होता है जो हमेशा चलता रहे,गषतमान हो उसे ही ग्रह कहते है
हमारे फषलत ज्योषति जो सीधे मानर् जीर्न को प्रभाषर्त करते है र्ो ग्रह 9 होते है षजसमे
सूय,व चांद्र,मङ्गल,बुध, गुरु, शुि, शषन, राहु के तु आते है
सूयव चांद्र ये दोनों ग्रह नही होते है लेककन इनका मानर् जीर्न और पृथ्र्ी पर पूरा प्रभार्
होता है इसषलए फषलत ज्योषति में नर् ग्रह का स्थान षमला है।
राहु और के तु कोई भोषतक नपांड नही लेककन सबसे ज्यादा मानर् जीर्न पर असर रहता है
इसषलए इनको भी 9 ग्रहो में शाषमल ककया गया ।
र्ैकदक ज्योषति में 9 ग्रह हैं षजन्हें नर्ग्रह कहा जाता है। इसमें सूयव और चांद्रमा को भी ग्रह
माना जाता है। इसके अलार्ा मांगल, बुध, बृहस्पषत, शुि, शषन और राहु-के तु भी इनमें
शाषमल हैं। हालााँकक राहु और के तु ग्रह को छाया ग्रह कहा जाता है। इन सभी ग्रहों की अपनी
एक अलग प्रकृ षत और अपना षभन्न स्र्भार् होता है।
ज्योषति षर्ज्ञान के अनुसार ग्रह (राहु-के तु को छोड़कर) आकाश मांडल में षस्थत र्े खगोलीय
षपण्ड हैं जो गषतमान अर्स्था में रहते हैं। ग्रह पृथ्र्ी पर रहने र्ाले सभी प्रकार के जीर्-
जांतओं
ु और मनुष्यों के जीर्न पर प्रभार् डालते हैं। खगोल शास्त्र के अनुसार ग्रह सौर मांडल
में गुरुत्र्ाकिवण बल द्वारा एक-दूसरे से षनषश्चत दूरी में बांधें हुए हैं और र्े सूयव की पटरिमा
कर रह रहे हैं। इसमें सभी ग्रहों की एक षनषश्चत गषत होती है।
ग्रह धरती की तरह के र्े खगोलीय नपांड हैं, जो पृथ्र्ी के साथ-साथ अांतटरक्ष में अपनी धुरी
पर षस्थर रहकर गषतमान हैं। कु छ ग्रह धरती के बराबर के हैं तो कु छ उससे कई गुना बड़े हैं।
ये खगोलीय नपांड प्रकृ षत, पृथ्र्ी और पृथ्र्ी पर रहने र्ाले जीर्ों पर अपना अच्छा और बुरा
प्रभार् डालते हैं। र्ैकदक ज्योषति के दृषिकोण से सूयव सबसे चमकीला ग्रह है तथा चन्द्रमा
8
Rahul Maheshwari - 7566722730
उपग्रह है। अांतटरक्ष में र्ैसे जो लाखों करोड़ों ग्रह, नक्षि और सूयव है, लेककन हमारे सौर मांडल
में कु छ 6 ग्रह, 1 उपग्रह और 2 छाया ग्रह को ही ज्योषति शास्त्र में स्थान षमला हुआ है।
हमारे सौर पथ पर पटरभ्रमण करने र्ाले ग्रहों की सांख्या भारतीय ज्योषति के अनुसार
मुख्यत: 6 है षजनका धरती पर प्रभार् पड़ता है। ये छह ग्रह है:- सूय,व बुध, मांगल, शुि,
ब्रहस्पषत और शषन। चांद्रमा धरती का उपग्रह है। इस तरह 7 ग्रह हुए। कफर दषक्षण और
उत्तरी ध्रुर् के प्रभार् को राहु और के तु कहा गया है जो कक एक प्रकार के छाया ग्रह हैं। इस
मान से कु ल 9 ग्रह हुए।
हालाांकक सौर पथ पर यूरेनस, नेपच्यून तथा प्लूटो नामक ग्रह भी होते हैं। महाभारत में
यूरेनस को श्वेत, नेपच्यून को श्याम और प्लूटो को तीक्ष्ण या तीव्र के नाम से सांबोषधत ककया
गया है। भारत में यूरेनस को अरुण, नेपच्चून को र्रुण और प्लूटो को यम कहते हैं। भारतीय
ज्योषति शास्त्र में बहुत सोच समझकर उि नौ को ही फषलत या गणना का आधार बनाया
है। बाकी अरुण, र्रुण या यम का उतना प्रभार् हमारे जीर्न पर नहीं पड़ता है षजतना की
इन नौ ग्रहों का पड़ता है। उसमें भी सूयव और चांद्र का सर्वप्रथम, कफर मांगल और शुि का,
कफर बृहस्पषत और शषन का प्रभार् पड़ता है। राहु और के तु का प्रभार् भी हमेशा बना रहता
है। धरती भी एक ग्रह ही है।
षहन्दू पौराषणक कथाओं में ग्रह के बारे में कहा गया है- 'सम भर्ते सम ग्रह।' इसका मतलब
है जो प्रभाषर्त करता है उसे ग्रह कहा जाता है। ये ग्रह और इनकी षस्थषत ही व्यषियों को
उनके कमों या कायों का फल देती है।
नक्षि पटरचय
12 राषशयो का सूक्ष्म षर्भाग ही नक्षि है,हम जानते है हमारे आकाश मांडल में 360° की
12 राषश होती है जो हमने कल पड़ा था,बस इसी 12 राषश के अांदर 27 नक्षि होते
है,नक्षि र्ो जो हमेशा कफक्स्ड रहता है जैसे राषशया कफक्स्ड रहती है
9
Rahul Maheshwari - 7566722730
*REMEMBER*
नक्षि = 27
राषश = 12
(1) अषश्वनी के तु
10
Rahul Maheshwari - 7566722730
(10)मना के तु
(11)पूर्ावफाल्गुनी शुि
(12)उत्तराफाल्गुनी सूयव
(13)हस्त चन्द्र
(14)षचिा मङ्गल
(15)स्र्ाषत राहु
(16)षर्शाखा गुरु
(17)अनुराधा शषन
(18)ज्येष्ठा बुध
(19)मूल के तु
(20)पूर्ाविाढ़ शुि
(21)उत्तरािाढ़ सूयव
(22)श्रर्ण चन्द्र
(23)नषनष्ठा मङ्गल
(24)शतषभिा राहु
(25)पूर्ावभाद्रपद गुरु
11
Rahul Maheshwari - 7566722730
(26)उत्तराभाद्रपद शषन
भार् पटरचय
सभी ग्रह राषशयो की षस्थषत समझने के षलए 12 राषशयो के षहसाब से 12 भार् बना
षलए गए है जो हमारी जन्म कुां डली का खोखा होता है, हमारे 12 भार् एक भार् सबसे
इम्पोटेन्ट होता है उसका नाम है लि, लि क्या होता है इसको सभी ध्यान से
समझेंग.े ..........
लि हमारी कुां डली का पहला भार् होता है उसके आधार पर ही सभी 12 भार् कफक्स्ड होते
है , नड़ी की षर्परीत कदशा में हर एक भार् का नाम षलख देते है।
लि पटरचय:-
र्ैकदक ज्योषति में, लि उस क्षण को कहते हैं षजस क्षण आत्मा धरती पर अपनी नयी देह से
सांयिु होती है। व्यषि के जन्म के समय पूर्ी षक्षषतज पर जो राषश उकदत हो रही होती है
उसके कोण को लि कहते हैं।
जन्म कु ण्डली में 12 भार् होते है। इन 12 भार्ों में से प्रथम भार् को लि कहा जाता है।
इसका षनधावरण बालक के जन्म के समय पूर्ी षक्षषतज में उकदत होने र्ाली राषश के आधार
पर ककया जाता है। सरल शब्दों में इसे इस प्रकार समझा जा सकता है। यकद पूरे आसमान
को 360 षडग्री का मानकार उसे 12 भागों में बाांटा जाये तो 30 षडग्री की एक राषश
षनकलती है। इन्ही 12 राषशयों में से कोई एक राषश बालक के जन्म के समय पूर्व कदशा में
षस्थत होती है। यही राषश जन्म के समय बालक के लि भार् के रूप में उभर कर सामने
आती है।
लि समय की अर्षध
12
Rahul Maheshwari - 7566722730
एक लि समय लगभग दो नांटे का होता है। इसषलये दो नांटे के बाद लि समय स्र्त: बदल
जाता है। कु ण्डली में अन्य सभी भार्ों की तुलना में लि को सबसे अषधक महत्र् पूणव माना
जाता है।
13
Rahul Maheshwari - 7566722730
14
Rahul Maheshwari - 7566722730
ककसी भी कुां डली मे कोनसा भी लि उकदत हो र्ही पहला भार् होता है और उसी के आधार
पर नड़ी की षर्परीत कदशा में िमश 12 भार् और उसमे पड़ने र्ाली राषशया(अांक) षलखे
हुए होते है ।
ज्यादातर नए स्टू डटें सबसे ज्यादा यही कां फ्यूज होते है भार् और राषश मे........
यहाां में एक बात स्प्ि करना चाहता हु ककसी भी कुां डली मे ककसी भी भार् ( खाना ) में जो
अांक षलखा हुआ होता है र्ह अांक राषशयों को सूषचत करता है मतलब यह है कक र्ो अांक
मतलब उस no की राषश जैसे 3 अांक षलखा हो तो षमथुन राषश होती है उस भार् मे, ककसी
भार् मे 11 अांक षलखा हो तो कु म्भ राषश होती है यह सभी नए मेंबसव गहराई से ध्यान देर्े ।
लि अथावत पहले भार् मे मान लो 12no षलखा है तो र्ह (12 no) मीन राषश है और
पहला भार् है..........यहाां ex चाटव में मीन लि है जहाां 12 नांबर षलखा है ककसी भी चाटव में
आपको यही जगह जहा अभी इस चाटव में 12 नम्बर षलखा है आपको र्ही लि मानना है
यहाां 1-12 तक कोई भी नम्बर आ सकता है , अभी यह चाटव हमारे पास मीन लि का है इसे
प्रथम भार् , लि , भार् -1 कहा जाता है , यह सबसे मुख्य भार् होता है..........
भार् राषश
15
Rahul Maheshwari - 7566722730
यहाां red sign से जो show ककया है र्ही लि या प्रथम भार् कहलाता है।
16
Rahul Maheshwari - 7566722730
17