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DEPARTMENT- GRAH
ग्रहो के दो डिपार्टमर्ें होते है पहला होता है देव गुरु वाला डिपार्टमर्ें डिसके गुरु ब्रहस्पडत
होते है उसमे *सूर्,ट चंद्र, मङ्गल, गुरु , के तु* र्े पांच ग्रह होते है, इन ग्रहो के र्ीचर गुरु है ।
दूसरा डिपार्टमर्ें होता है दैत्र् गुरु शुक्र का उसमे *बुध, शुक्र, शडन, राहु ,* र्े चार ग्रह होते है
, इन ग्रहो के र्ीचर शुक्र है ।
शुक्र और गुरु दोनो ही नव ग्रहो में डशक्षक है मंत्री है सभी ग्रह इन दोनों की बाते सुनते है र्ा
ऐसा बोले र्े दोनों ग्रह रािदरबार में गुरु की पदवी पर होते है िैसे एक रािा अपने श्रेष्ठ
मंडत्रर्ों की सलाह लेकर ही कु छ काम करता है अके ला डनर्टर् नही लेता , िैसे मोदी ने
नोर्ेबन्दी करर तो उसमें उसके मुख्र् सलाहकार ओर मंडत्रर्ों की सौची समझी प्लाननंग रही
है बस र्े मंत्री(डमडनस्र्र) ओर सलाहकार ही गुरु शुक्र होते है आि के िमाने मे रािा के
दरबार मे सांसद, ग्रह मंत्री, डवत्तमंत्री, डशक्षा मंत्री, डिसके पीछे भी मंत्री लगा वो गुरु और
शुक्र ही है............!!
(3)मङ्गल - अडधकारी वगट, IAS अडधकारी, IPS अडधकारी, कलेक्र्र , पुडलस डिपार्टमर्ें ,
िो सूर्ट और चन्द्र के कहने पर चले मतलब सरकार के कहे अनुसार कार्ट करे देश की सुरक्षा
की बागिोर सम्भलते हो ,िो अपनी शरीर की बाहरी कला कौशल से आगे बढ़ते हो िैसे
क्रक्रके र्र, एक्र्र ऐसे लोग अपनी कला के दम पर नाम कमाते है।
(4) बुध:- बुडि िीवी लोग,डशक्षा वगल लोग, अपना स्वर्म का काम , व्यापार, अपनी बुडि
का उपर्ोग करके अच्छे अडधकारी बनना िहा डसर्ट मेन्र्ल वकट हो िैसे CA, CS, मीडिएर्र,
कम्र्ुडनके शन वगट से िुड़े लोग, बातचीत की कला से िुड़े लोग(इं र्नटल कला)...........
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(5) गुरु/शुक्र :- मंत्री, उच्च पद वाले लोग, डसर्ट अपने गुर्ों से आगे बढ़ने वाले लोग पद
प्रडतष्ठा वाले लोग,डवधार्क , सांसद , ओर उच्च वगलर् लोग िैसे डिनका बड़ा लम्बा व्यापार
हो , िो अपने क्रदमाग़ी गुर्ों से आगे बढ़ते हो डशक्षा का र्हााँ ताल्लुक कम रहता है गुर्
प्रधान व्यडि होना चाइए........!!शुक्र इं र्नटल प्लेनेर् होता है और गुरु एक्सर्नटल प्लेनर्े
होता इसडलए शुक्र आंतररक खुशी का ओर गुरु बाहरी समृडि का रोल डनभाता है ।
िैसे बुध और मङ्गल का रोल होता है बुध आंतररक कला, मङ्गल बाहरी कला....!!
(6) शडन :- सेवक वगट नोकर शाही लोग , मिदूर वगट, मेहनती लोग, पुराने डिपार्टमर्ें से
िुड़े हुए पुराने काम से िुड़े हुवे, चाहे क्रकतना ही बड़े पद पर क्र्ो न हो वहां लक्सरी िैसा
नही हो पाता छोर्ो लोगो से ही सम्बि रहता है ।
ग्रहो के 2 डिपार्टमर्ें होते है एक देव् गुरु वाला मतलब *बृहस्पडत* एक दैत्र् गुरु वाला
*शुक्र* दोनो ही डिपार्टमर्ें के ग्रह अस्रोलॉडि में अहम भूडमका डनभाते है, र्ही दो डिपार्टमर्ें
दो धमट के रूप में िाने िाते है. आइर्े इसको समझने का प्रर्ास करते है....….
देव् गुरु वाला डिपार्टमर्ें में *सूर्,ट चंद्र,गुरु,मङ्गल,के तु* र्ह पांच ग्रह देवताओं वाले ग्रुप के है
और इसे डहन्दू धमट कहा िाता है इसको बहुत सारे कारर् है...…...
(1)डहन्दू धमट के सभी देवालर् मडन्दर सब कु छ के शररर्ा, डपला र्ा भगवा रं ग में ही होता है
िो परस्पर गुरु/सूर्ट/मङ्गल का ही है....
(2) इन सभी ग्रहो की राडश की क्रदशा उत्तर पूवट ही होती है डहन्दू धमट मे उत्तर पूवट ईशान
कोर् का क्रकतना महत्व है हम सभी िानते है।
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(3) डहन्दू धमट की मडहलाएं, पुरुष लाल रं ग और पीले रं ग को वरीर्ता देती है िो डिपार्टमर्ें
A देव गुरु के रं ग है ।
(5) डिपार्टमर्ें A वाले ग्रह साडत्वक ओर रािडसक है डहन्दू धमट के खान पान रीडत ररवाि
इसी तरह के है ।
अब समझते है डिपार्टमर्ें B शुक्र वाला *शडन, राहु, शुक्र, बुध* र्े चार ग्रह डिपार्टमर्ें B शुक्र
वाले है
(1) मुडस्लम धमट की मडस्िद, दरगाह का रं ग आप देख सकते है बुध (हरा),शुक्र (सर्े द) रं ग
के ही होते है ।
(2) बुध, शडन , शुक्र क्रक राडश स्वामी की क्रदशा पडिम दडक्षर् ही होती है और मुडस्लम धमट
की नमाज़ अदा इसी क्रदशा में होती है ।
(5) डिपार्टमर्ें B वाले ग्रह रािडसक ओर तामडसक है मुडस्लम धमट का रीडत ररवाि खान
डपन सब इसी तरह का है.......
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डिस प्रकार ग्रहो स्वर्म धमट मे बर्े हुए है तो अस्रोलॉडि में र्डलत भी इसके आधार पर ही
होना चाइए..…...हम सभी डहन्दू धमट के आधार पर र्डलत करते है तो मुडस्लम लोग डबल्कु ल
इसे वरीर्ता नही देगा वो डबल्कु ल सही भी है उनकी र्डलत की अस्रोलॉडि *राहु*
आधाररत है ओर डहन्दू धमट की *सूर्*ट आधाररत..…….!!
दोनो के र्डलत में िमीन आसमान का अंतर सार् है और हम वास्तडवकता में अनुभव भी
करते है मुडस्लम समाि हर क्रकसी की 2-3 शादी आम बात है डहन्दू धमट मे ऐसा नही होता
है। दोनो धमट का अस्रोलॉडि में अपने अपने गुरु का बेहद र्ोगदान रहा
है.......…......गुरु/शुक्र पूरी अस्रोलॉडि इन दोनों से िुड़ी है दोनो डशक्षक है दोनो बेहतरीन
सलाहकार.......
*डत्रदेव*
(1) ब्रह्मा
(2) डवष्र्ु
(3) महेश
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सबसे अहम रोल में बने हुए है भगवान डवष्र्ु िो इस संसार का पालन पोषर् करते है वो
हमारे डलए साक्षात डपता ही है िो हम सभी िीवात्माओ का पालन कर रहे है हम सभी
िानते है सबसे बड़ा िन्म देने वाला नही ओर नही संहार करने वाला होता है सबसे बड़ा वो
ही होता है िो पालन करता है भगवान डवष्र्ु समस्त िगत के पालनहार है........
*Note:- भगवान ब्रह्मा डवष्र्ु महेश वास्तडवकता में अलग अलग है ही नही र्ह डत्रदेव है
डिनका एक ही िीव है एक ही आत्मा है एक ही परमात्मा है िो अलग अलग रूप में
डवख्र्ात है ।*
चारो डत्रकोर् के मुख्र् डपल्लर कें द्र में ही आते है बस इसको ही डवष्र्ु भाव कहते है।
र्ह सभी कें द्र में आ रहे है इसे ही डवष्र्ु भाव कहते है।
बस र्ही वो भाव है िो परमडपता डवष्र्ु के है र्ह डसर्ट र्े बताता है डवष्र्ु भगवान सभी
को चलाने वाले र्ा सभी िगह वो बैठे हुए है हर िगह
धमट डत्रकोर् िो लग्न से बना हुआ है क्र्ो उसको इतना महत्वपूर्ट बतार्ा गर्ा है आइर्े
समझने का प्रर्ास करते है............
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हमारी आत्मा एक ऐसा सोसट है िो भैडतक िीव को बदल रही है हर बार िन्म िन्मांतर से
वो तो एक ही है बस अलग अलग र्ोडनर्ों में िन्म लेकर अपने शरीर ही बदल रही है आत्मा
अिर अमर अडवनाशी है डिसको न कार्ा िा सकता है न िलार्ा िा सकता है न ओर कु छ
इसका डसर्ट एक ही सॉल्र्ुशन हमारे कमट को भुगतान करना इसडलए बार बार हमको क्रकसी
न क्रकसी रूप में िन्म लेना पड़ रहा है बस आत्मा अगर कही समाडहत हो सकती है तो है
*परम् डपता परमेश्वर भगवान डवष्र्ु* बस र्ही इसका लक्ष्र् है हम र्ही हाडसल करने ही
र्हां सभी आर्े है और र्हां होता हमारे िन्म कुं िली मे भाव 5 िो पुनिटन्म का होता है
िीव का िन्म आत्मा से ही है बस र्ही प्रारब्ध है र्ही धमट डत्रकोर् का सबसे पहला डपल्लर
है िहााँ से हमारी आत्मा ने प्रवेश क्रकर्ा है...........
उसके बाद हमारा लग्न होता है िो आत्मा हमारे शरीर मे धारर् हो चुकी है बस इस शरीर
के ऊपर ही सब कु छ है िो उस आत्मा को उसके मुख्र् लक्ष्र् पर पहुचा दे आत्मा पूरी तरह
उसके इस िन्म के शरीर पर आधाररत है शरीर सही है तो वो आत्मा को उसके सही स्थान
पहुचा सकता है । *बस र्ही हमारा मुख्र् डपल्लर है डिस पर पूरा िीवन रर्का है र्हां तक
आत्मा तक लग्न पर आधाररत है ।*
अब आते है नवम भाव पर नवम भाव वो भाव है िो हमारे संडचत कमट से बंधा है हमारा
िन्म कहा होना हमे कोनसा पररवार डमलेगा हमारे डपता कै से होंगे क्रकतने सपोर्ट करते है
र्ह सब नवम भाव ही है िहां से हमे एक क्रदशा डमलती है आगे बढ़ने की पहली
क्रदशा...….....!!
र्ह तीनों भाव एक ही क्रदशा में होते है इसडलए र्े तीनो आपस मे िुड़े है इसे लक्ष्मी भाव
इसडलर्े कहा िाता है क्रक िहा धमट कमट भडि ,दर्ा ,करुर्ा, भाव, प्रेम , सदभवना, बुडि,
अच्छे कार्ट ,दान, नीडत अच्छी सौच होगी वही मााँ लक्ष्मी स्थाई रूप से रहती है उसके
डसवार् दूसरी िगह कभी कभार ही दृष्ट्री िालती है....….........!!
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(1) चर लग्न
(1) चर लग्न:- प्रथम भाव मे 1-4-7-10 नम्बर वाली राडश आती है र्ा ऐसे बोले मेष, ककट ,
तुला र्ा मकर राडश भाव 1 मे आ िार्े तो वह चर लग्न होता है........…......!!
(2) डस्थर लग्न:-प्रथम भाव मे 2-5-8-11 नंबर आ िार्े र्ा ऐसे बोले वषटभ, नसंह, वृडिक,
कुं भ राडश आ िार्े तो उसे डस्थर लग्न कहते है।
(3) डिस्वभाव लग्न:- अगर प्रथम भाव मे 3,6,9,12 नम्बर आ िार्े र्ा ऐसे बोले डमथुन,
कन्र्ा, धनु, मीन राडश आ िार्े तो उसे डिस्वभाव लग्न कहते है ।
ज्र्ोडतष में 1-5-9 भाव को धमट डत्रकोर् कहा गर्ा है र्ह सबसे मुख्र् डत्रकोर् है इसी
डत्रकोर् के सहारे बड़े से बड़े रािर्ोग र्ा ऐसे कहे उच्च पद बनते है ।
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ज्र्ोडतष में िन्मकुं िली के भाव 2,6,10 भाव को अथटडत्रकोंर् की संज्ञा दी गर्ी है , धन
कमाई करना, मेहनत से धन कमाने के प्रर्ास, सम्मान,प्रडतस्ठा सब कु छ इसी डत्रकोर् से देखा
िाता है धन है तो बहुत कु छ हो सकता है।
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10 - मुख्र् भाव
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काम का शाडब्दक अथट होता है इच्छा , हमारी डितनी भी इच्छा पूर्तट होगी सब काम
डत्रकोर् के बलाबल पर ही है भाव (3,7,11) काम डत्रकोर् में आते है र्ह भाव सामाडिक
िीवन को बताते है, समाि मे हमारा व्यहार, हमारी प्रगडत, शादी िहा से हम ग्रहस्थ िीवन
मे प्रवेश करते है , सभी तरह के भौडतक सुख, भोग के डलए र्े डत्रकोर् बहुत कारगर होता है ,
ज्ञान लेने के बाद, धन कमाने के बाद र्े तीसरा डत्रकोर् है िो सभी सांसाररक चीज़ों की
इच्छाओं की पूर्तट वाला होता है।
7 - मुख्र् भाव
मोक्ष डत्रकोर् का सीधा मतलब है समपटर् होना/समर्पटत होना बस ऐसे ही मोक्ष कहा
िाता है, िब भी अपना सुख दुख दुसरो के सुख दुख में क्रदखने लग िाए बस समझ लीडिए
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वही से समपटर् की भावना िग गर्ी है इसे ही मोक्ष न्र्ोछावर कहते है, र्ही मोक्ष डत्रकोर्
होता है ।
4 - मुख्र् भाव
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1-5-9 (धमट)
2-6-10 (अथट)
3-7-11 (काम)
4-8-12 (मोक्ष)
1-4-7-10 (डवष्र्ु)
लक्ष्मी कहा रहती है िहां धमट हो नीडतर्ां हो, डवष्र्ु अपने भि का साथ कभी नही छोड़ते
है र्ह डत्रकोर् में डवष्र्ु समाए है ।
*मेष लग्न* -
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1- मेष - मंगल
5-नसंह - सुर्ट
9-धनु - गुरु
1 - मेष (मंगल)
4 - ककट (चंद्र)
7- तुला(शुक्र)
10- मकर(शडन)
*वृष लग्न* -
डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-9)
1-वृष - शुक्र
5-कन्र्ा- बुध
9-मकर- शडन
4 - नसंह(सूर्ट)
7- वृडिक(मंगल)
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10- कु म्भ(शडन)
*डमथुन लग्न* -
डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-9)
1-डमथुन - बुध
5-तुला- शुक्र
4 - कन्र्ा(बुध)
7- धनु(गुरु)
10- मीन(गुरु)
*ककट लग्न* -
डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-9)
1-ककट - चंद्र
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5-वृडिक- मंगल
9-मीन- गुरु
4 - तुला(शुक्र)
7- मकर(शडन)
10-मेष(मंगल)
र्ोगकारक - मंगल
*नसंह लग्न* -
1-नसंह - सूर्ट
5-धनु - गुरु
9-मेष - मंगल
अब कें द्र में कोनसी राडश आती ओर उन राडश का स्वामी कोंन है र्ह देखते है -
1 - नसंह (सूर्)ट
4 - वृडिक (मंगल)
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7- कुं भ (शडन)
र्ोगकारक - मंगल
*कन्र्ा लग्न* -
डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-9)
1-कन्र्ा- बुध
5-मकर- शडन
9-वृष- शुक्र
4 - धनु(गुरु)
7- मीन(गुरु)
10-डमथुन(बुध)
*तुला लग्न* -
डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-9)
1-तुला- शुक्र
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5-कुं भ- शडन
9-डमथुन- बुध
4 - मकर(शडन)
7- मेष(मंगल)
10-ककट (चंद्र)
*वृडिक लग्न* -
डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-9)
1-वृडिक- मंगल
5-मीन- गुरु
9-ककट - चंद्र
7- वृष(शुक्र)
10-नसंह(सूर्ट)
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*धनु लग्न* -
डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-9)
1-धनु- गुरु
5-मेष- मंगल
9-नसंह- सूर्ट
4 -मीन (गुरु)
7- डमथुन(बुध)
10-कन्र्ा(बुध)
*मकर लग्न* -
डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-9)
1-मकर- शडन
5-वृष- शुक्र
9-कन्र्ा- बुध
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4 -मेष(मंगल)
7- ककट (चंद्र)
10-तुला(शुक्र)
*कुं भ लग्न* -
डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-9)
1-कुं भ- शडन
5-डमथुन- बुध
9-तुला- शुक्र
4 -वृष(शुक्र)
7- नसंह(सूर्)ट
10-वृडिक(मंगल)
*मीन लग्न* -
डत्रकोर् में कोनसी राडश आती है इनका स्वामी कोंन है - (1-5-9)
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1-मीन- गुरु
5-ककट - चंद्र
9-वृडिक- मंगल
4 -डमथुन(बुध)
7- कन्र्ा(बुध)
10-धनु(गुरु)
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