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“BASIC – 1”
जगतमाता को प्रणाम करते हुए त्रिदेव सत्रित माता सरस्वती , भगवान गणेश
और लक्ष्मी माां का वास िमारी क्लास में िो ऋत्रि पाराशर जी को प्रणाम करते
हुए मेरे गुरु Dr मनीि त्रतवारी सर जी को प्रणाम करते हुए क्लास का शुभारां भ
करते िै सबका आशीवााद बना रिे त्रवश्व गुरु द्वाररकाधीश सभी के मन और
मत्रस्तष्क में रस बस जाए सभी ज्योत्रति में त्रनपुण िो यिी प्रार्ाना करते िै.........
िमारा इस सांसार मे जन्म लेना ककसी न ककसी कारण को बताता िै िमारा जैसा कमा िोता
िै िमको वैसी योत्रन त्रमल जाती िै, त्रिन्दू धमा के अनुसार व्यत्रि को 84 लाख योत्रनयों में
भटकने के बाद जाकर मानव जीवन त्रमलता िै मानव जीवन िी ऐसा िै त्रजसमे िम अपनी
बुत्रि त्रववेक को जाग्रत कर िमारी आत्मा को सिी मागा कदखा सकते िै, िम सभी जानते िै
िमारा देि योत्रन बदलती िै आत्मा कभी निी बदलती, व्यत्रि की आत्मा उसको अपने कमा के
अनुसार फल कदलवा िी देता िै जैसे व्यत्रि के कमा िोंगे वेसे उसको फल त्रमलेंगे ।
(1) सांत्रित कमा :- सांत्रित कमा मतलब अपने जन्म जन्मों के अच्छे और बुरे कमा को एक जगि
सुरत्रित रखना ।
(2) प्रारब्ध :- प्रारब्ध िी वो कमा िै जो िम सांत्रित कमा से िमारे जन्म के समय लेकर आते िै
, व्यत्रि का प्रारब्ध उसको अपने भुगतान के त्रलए योग बनवाता िै, अच्छे कमा िोंगे तो
िमारी जन्म कुां डली मे अच्छे योग बनते िै और गलत कमा िोते िै तो िमको बुरी घटनाओ से
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(3) कियमाण कमा:- ऐसे कमा जो िम इस जन्म में करते िै जो िमारे आगे कक गत्रत तय करता
िै कियमाण कमा िी ऐसे िै जो िमारे िार् मे िोते िै त्रजससे िमारी आत्मा (जो सभी अच्छे
बुरे कमा का लेखा जोखा रखती िै) का उिार ककया जाता िै उसकी गत्रत तय िोती िै ।
बुध
शुि
पृथ्वी
मङ्गल
गुरु
शत्रन
Neptune
यूरेनस
प्लूटो
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सूया
िांद्र
मङ्गल
बुध
गुरु
शुि
शत्रन
राहु
के तु
वास्तव में सूय,ा िांद्र ,राहु और के तु ग्रि निी िोते लेककन इनको ज्योत्रति में ग्रि किा जाता िै
आइए समझते िै क्यो -
अत्रितत्व - मङ्गल
पृथ्वीतत्व - बुध
वायुतत्व - शननां
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जलतत्व - शुि
आकाशतत्व - गुरु
यि ग्रि से मानव शरीर बना हुआ िै और यि पाांि ग्रि िी मानव जीवन का आधार िै ।
सूया - आत्मा
िांद्र - मन
राहु - प्रारब्ध
के तु - मोि
(1) 12 रात्रश
(2) 9 ग्रि
(3) 27 निि
(4) 12 भाव
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जन्म कुां डली/फत्रलत ज्योत्रति उस त्रवद्या को किते िैं त्रजसमें मनुष्य तर्ा पृथ्वी पर , ग्रिों और
तारों के शुभ तर्ा अशुभ प्रभावों का अध्ययन ककया जाता िै। ज्योत्रति शब्द का यौत्रगक अर्ा
ग्रि तर्ा नििों से सांबांध रखनेवाली त्रवद्या िै।
प्रािीन आया ऋत्रियों , मिर्िायों और अन्य ज्योत्रतत्रियों ने पूरे भिि के 360 त्रडग्री को
बारि भागों में यात्रन 30-30 त्रडग्री में त्रवभात्रजत कर कदया र्ा , त्रजसका फत्रलत ज्योत्रति में
बहुत िी मित्वपूणा स्र्ान िै , क्योंकक इन बारिों भागों का सांबांध मनुष्य के अलग.अलग
प्रकार के सुख और दुख से िै। इन बारिों भागों को जीवन के त्रजन त्रजन पिों का आत्रधपत्य
कदया गया िै , वे सत्यता की कसौटी पर त्रबल्कु ल खरे उतरे िैं। सभी प्रकार की
भत्रवष्यवात्रणयाां इसी वगीकरण के आधार पर की जाती िै और इस वगीकरण को लेकर
त्रवश्वभर के ज्योत्रतत्रियों में कोई बड़ा त्रववाद निीं िै। िमारे त्रलए यि बड़े आश्चया की बात िै
कक प्रािीनकाल में जिाां सभी प्रकार के वैज्ञात्रनक सांसाधनों का अभाव र्ा , रात्रशयों के 30-
30 त्रडग्री के वगीकरण और उनसे सांबत्रां धत तथ्यों की इतनी सटीक जानकारी फत्रलत
ज्योत्रति के त्रिस्से में कै से आ जुड़ी ? त्रनत्रश्चत िी यि प्रािीनकाल के ज्योत्रतत्रियों के त्रनरां तर
अध्ययन.मनन और एकाग्रता का पररणाम िोगा।
(1) मेि
(2) वृिभ
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(3) त्रमर्ुन
(4) कका
(5) नसांि
(6) कन्या
(7) तुला
(8) वृत्रश्चक
(9) धनु
(10) मकर
(11) कुां भ
(12 मीन
360 त्रडग्री के आकाश मांडल को बराबर 12 भागों में त्रवभात्रजत करने से प्रत्येक रात्रश का
मान 30 अांश त्रनकलता िै ।
ये राउां ड सका ल त्रजसको िम आकाश मान लेते िै और उस आकाश को 12 अलग अलग भाग
में त्रडवाइड कर देते िै यिी रात्रशया िोती िै ।
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ग्रि पररिय
ग्रि का शात्रब्दक अर्ा िोता िै जो िमेशा िलता रिे,गत्रतमान िो उसे िी ग्रि किते िै
िमारे फत्रलत ज्योत्रति जो सीधे मानव जीवन को प्रभात्रवत करते िै वो ग्रि 9 िोते िै त्रजसमे
सूय,ा िांद्र,मङ्गल,बुध, गुरु, शुि, शत्रन, राहु के तु आते िै
सूया िांद्र ये दोनों ग्रि निी िोते िै लेककन इनका मानव जीवन और पृथ्वी पर पूरा प्रभाव
िोता िै इसत्रलए फत्रलत ज्योत्रति में नव ग्रि का स्र्ान त्रमला िै।
राहु और के तु कोई भोत्रतक नपांड निी लेककन सबसे ज्यादा मानव जीवन पर असर रिता िै
इसत्रलए इनको भी 9 ग्रिो में शात्रमल ककया गया ।
वैकदक ज्योत्रति में 9 ग्रि िैं त्रजन्िें नवग्रि किा जाता िै। इसमें सूया और िांद्रमा को भी ग्रि
माना जाता िै। इसके अलावा मांगल, बुध, बृिस्पत्रत, शुि, शत्रन और राहु-के तु भी इनमें
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शात्रमल िैं। िालााँकक राहु और के तु ग्रि को छाया ग्रि किा जाता िै। इन सभी ग्रिों की अपनी
एक अलग प्रकृ त्रत और अपना त्रभन्न स्वभाव िोता िै।
ज्योत्रति त्रवज्ञान के अनुसार ग्रि (राहु-के तु को छोड़कर) आकाश मांडल में त्रस्र्त वे खगोलीय
त्रपण्ड िैं जो गत्रतमान अवस्र्ा में रिते िैं। ग्रि पृथ्वी पर रिने वाले सभी प्रकार के जीव-
जांतओं
ु और मनुष्यों के जीवन पर प्रभाव डालते िैं। खगोल शास्त्र के अनुसार ग्रि सौर मांडल
में गुरुत्वाकिाण बल द्वारा एक-दूसरे से त्रनत्रश्चत दूरी में बांधें हुए िैं और वे सूया की पररिमा
कर रि रिे िैं। इसमें सभी ग्रिों की एक त्रनत्रश्चत गत्रत िोती िै।
ग्रि धरती की तरि के वे खगोलीय नपांड िैं, जो पृथ्वी के सार्-सार् अांतररि में अपनी धुरी
पर त्रस्र्र रिकर गत्रतमान िैं। कु छ ग्रि धरती के बराबर के िैं तो कु छ उससे कई गुना बड़े िैं।
ये खगोलीय नपांड प्रकृ त्रत, पृथ्वी और पृथ्वी पर रिने वाले जीवों पर अपना अच्छा और बुरा
प्रभाव डालते िैं। वैकदक ज्योत्रति के दृत्रिकोण से सूया सबसे िमकीला ग्रि िै तर्ा िन्द्रमा
उपग्रि िै। अांतररि में वैसे जो लाखों करोड़ों ग्रि, निि और सूया िै, लेककन िमारे सौर मांडल
में कु छ 6 ग्रि, 1 उपग्रि और 2 छाया ग्रि को िी ज्योत्रति शास्त्र में स्र्ान त्रमला हुआ िै।
िमारे सौर पर् पर पररभ्रमण करने वाले ग्रिों की सांख्या भारतीय ज्योत्रति के अनुसार
मुख्यत: 6 िै त्रजनका धरती पर प्रभाव पड़ता िै। ये छि ग्रि िै:- सूय,ा बुध, मांगल, शुि,
ब्रिस्पत्रत और शत्रन। िांद्रमा धरती का उपग्रि िै। इस तरि 7 ग्रि हुए। कफर दत्रिण और
उत्तरी ध्रुव के प्रभाव को राहु और के तु किा गया िै जो कक एक प्रकार के छाया ग्रि िैं। इस
मान से कु ल 9 ग्रि हुए।
िालाांकक सौर पर् पर यूरेनस, नेपच्यून तर्ा प्लूटो नामक ग्रि भी िोते िैं। मिाभारत में
यूरेनस को श्वेत, नेपच्यून को श्याम और प्लूटो को तीक्ष्ण या तीव्र के नाम से सांबोत्रधत ककया
गया िै। भारत में यूरेनस को अरुण, नेपच्िून को वरुण और प्लूटो को यम किते िैं। भारतीय
ज्योत्रति शास्त्र में बहुत सोि समझकर उि नौ को िी फत्रलत या गणना का आधार बनाया
िै। बाकी अरुण, वरुण या यम का उतना प्रभाव िमारे जीवन पर निीं पड़ता िै त्रजतना की
इन नौ ग्रिों का पड़ता िै। उसमें भी सूया और िांद्र का सवाप्रर्म , कफर मांगल और शुि का,
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कफर बृिस्पत्रत और शत्रन का प्रभाव पड़ता िै। राहु और के तु का प्रभाव भी िमेशा बना रिता
िै। धरती भी एक ग्रि िी िै।
त्रिन्दू पौरात्रणक कर्ाओं में ग्रि के बारे में किा गया िै- 'सम भवते सम ग्रि।' इसका मतलब
िै जो प्रभात्रवत करता िै उसे ग्रि किा जाता िै। ये ग्रि और इनकी त्रस्र्त्रत िी व्यत्रियों को
उनके कमों या कायों का फल देती िै।
निि पररिय
12 रात्रशयो का सूक्ष्म त्रवभाग िी निि िै,िम जानते िै िमारे आकाश मांडल में 360° की
12 रात्रश िोती िै जो िमने कल पड़ा र्ा,बस इसी 12 रात्रश के अांदर 27 निि िोते िै,निि
वो जो िमेशा कफक्स्ड रिता िै जैसे रात्रशया कफक्स्ड रिती िै
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*REMEMBER*
निि = 27
रात्रश = 12
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ि. निि स्वामी
(1) अत्रश्वनी के तु
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(10)मघा के तु
(11)पूवााफाल्गुनी शुि
(12)उत्तराफाल्गुनी सूया
(13)िस्त िन्द्र
(14)त्रििा मङ्गल
(15)स्वात्रत राहु
(16)त्रवशाखा गुरु
(17)अनुराधा शत्रन
(18)ज्येष्ठा बुध
(19)मूल के तु
(20)पूवाािाढ़ शुि
(21)उत्तरािाढ़ सूया
(22)श्रवण िन्द्र
(23)घत्रनष्ठा मङ्गल
(24)शतत्रभिा राहु
(25)पूवााभाद्रपद गुरु
(26)उत्तराभाद्रपद शत्रन
भाव पररिय
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सभी ग्रि रात्रशयो की त्रस्र्त्रत समझने के त्रलए 12 रात्रशयो के त्रिसाब से 12 भाव बना
त्रलए गए िै जो िमारी जन्म कुां डली का खोखा िोता िै, िमारे 12 भाव एक भाव सबसे
इम्पोटेन्ट िोता िै उसका नाम िै लि, लि क्या िोता िै इसको सभी ध्यान से
समझेंग.े ..........
लि िमारी कुां डली का पिला भाव िोता िै उसके आधार पर िी सभी 12 भाव कफक्स्ड िोते
िै , घड़ी की त्रवपरीत कदशा में िर एक भाव का नाम त्रलख देते िै।
लि पररिय:-
वैकदक ज्योत्रति में, लि उस िण को किते िैं त्रजस िण आत्मा धरती पर अपनी नयी देि से
सांयि
ु िोती िै। व्यत्रि के जन्म के समय पूवी त्रित्रतज पर जो रात्रश उकदत िो रिी िोती िै
उसके कोण को लि किते िैं।
जन्म कु ण्डली में 12 भाव िोते िै। इन 12 भावों में से प्रर्म भाव को लि किा जाता िै।
इसका त्रनधाारण बालक के जन्म के समय पूवी त्रित्रतज में उकदत िोने वाली रात्रश के आधार
पर ककया जाता िै। सरल शब्दों में इसे इस प्रकार समझा जा सकता िै। यकद पूरे आसमान
को 360 त्रडग्री का मानकार उसे 12 भागों में बाांटा जाये तो 30 त्रडग्री की एक रात्रश
त्रनकलती िै। इन्िी 12 रात्रशयों में से कोई एक रात्रश बालक के जन्म के समय पूवा कदशा में
त्रस्र्त िोती िै। यिी रात्रश जन्म के समय बालक के लि भाव के रूप में उभर कर सामने
आती िै।
लि समय की अवत्रध
एक लि समय लगभग दो घांटे का िोता िै। इसत्रलये दो घांटे के बाद लि समय स्वत: बदल
जाता िै। कु ण्डली में अन्य सभी भावों की तुलना में लि को सबसे अत्रधक मित्व पूणा माना
जाता िै।
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ककसी भी कुां डली मे कोनसा भी लि उकदत िो विी पिला भाव िोता िै और उसी के आधार
पर घड़ी की त्रवपरीत कदशा में िमश 12 भाव और उसमे पड़ने वाली रात्रशया(अांक) त्रलखे
हुए िोते िै ।
ज्यादातर नए स्टू डेंट सबसे ज्यादा यिी कां फ्यूज िोते िै भाव और रात्रश मे........
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यिाां में एक बात स्प्ि करना िािता हु ककसी भी कुां डली मे ककसी भी भाव ( खाना ) में जो
अांक त्रलखा हुआ िोता िै वि अांक रात्रशयों को सूत्रित करता िै मतलब यि िै कक वो अांक
मतलब उस no की रात्रश जैसे 3 अांक त्रलखा िो तो त्रमर्ुन रात्रश िोती िै उस भाव मे, ककसी
भाव मे 11 अांक त्रलखा िो तो कु म्भ रात्रश िोती िै यि सभी नए मेंबसा गिराई से ध्यान देवे ।
लि अर्ाात पिले भाव मे मान लो 12no त्रलखा िै तो वि (12 no) मीन रात्रश िै और
पिला भाव िै..........यिाां ex िाटा में मीन लि िै जिाां 12 नांबर त्रलखा िै ककसी भी िाटा में
आपको यिी जगि जिा अभी इस िाटा में 12 नम्बर त्रलखा िै आपको विी लि मानना िै
यिाां 1-12 तक कोई भी नम्बर आ सकता िै , अभी यि िाटा िमारे पास मीन लि का िै इसे
प्रर्म भाव , लि , भाव -1 किा जाता िै , यि सबसे मुख्य भाव िोता िै..........
भाव रात्रश
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यिाां red sign से जो show ककया िै विी लि या प्रर्म भाव किलाता िै।
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